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कसे कयें भॊत्र-जऩ ै

कसे कयें भॊत्र-जऩ ै

 भॊत्र तो हभ सबी जऩते है । रेककन

अगय कछ फातों का ध्मान यखा जाए ु तो वे भॊत्र हभाये लरए फहुत पामदे भॊद साबफत हो सकते हैं। जैसे घय भें जऩ कयने से एक गना, गौशारा भें सौ गना, ु ु ऩण्मभम वन मा फगीचे तथा तीथथ भें ु हजाय गना, ऩवथत ऩय दस हजाय गना, ु ु नदी-तट ऩय राख गना, दे वारम भें ु कयोड़ गना तथा लशवलरॊग क ननकट े ु अनॊत गना पर प्राप्त होता है । ु

 जऩ तीन प्रकाय का होता है - वाचचक,

कसे कयें भॊत्र-जऩ ै

उऩाॊशु औय भानलसक। वाचचक जऩ धीये -

धीये फोरकय होता है । उऩाॊशु-जऩ इस प्रकाय ककमा जाता है , जजसे दसया न ू सन सक। भानलसक जऩ भें जीब औय े ु ओष्ठ नहीॊ हहरते। तीनों जऩों भें ऩहरे की अऩेऺा दसया औय दसये की अऩेऺा ू ू तीसया प्रकाय श्रेष्ठ है ।

 प्रात्कार दोनों हाथों को उत्तान कय,

सामॊकार नीचे की ओय कयक तथा े भध्मान्ह भें सीधा कयक जऩ कयना े चाहहए। प्रात्कार हाथ को नालब क े ऩास, भध्मान्ह भें हृदम क सभीऩ औय े सामॊकार भॉह क सभानाॊतय भें यखे। े ु

 जऩ की गणना क लरए राख, कुश, े

लसॊदय औय सखे गोफय को लभराकय ू ू गोलरमाॉ फना रें। जऩ कयते सभम दाहहने हाथ को जऩ भारी भें डार रें अथवा कऩड़े से ढॉ क रेना आवश्मक होता है । जऩ क लरए भारा को े अनालभका अॉगरी ऩय यखकय अॉगठे से ु ू स्ऩशथ कयते हुए भध्मभा अॉगरी से ु पयना चाहहए। सभेरु का उल्रॊघन न े ु कयें । तजथनी न रगाएॉ। सभेरु क ऩास े ु से भारा को घभाकय दसयी फाय जऩें ।

 जऩ कयते सभम हहरना,

डोरना, फोरना, क्रोध न कयें , भन भें कोई गरत ववचाय मा बावना न फनाएॉ अन्मथा जऩ कयने का कोई बी पर प्राप्त न होगा।

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