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(हहन्द ू सॊगठन एवॊ शुद्धि क प्रचायक स्वाभी श्रिानन्द क फलरदान हदवस २३ हदसम्फय ऩय द्धवशेष े े रूऩ से हहन्दओॊ को सन्दे श) ु डॉ द्धववेक

आमय ककसी बी जातत का साभाजजक फर उसक आन्तरयक गठन ऩय तनबयय कयता हैं. इस आन्तरयक े गठन की ऩयीऺा मह हैं की वह ककसी बी सॊकट की जस्थतत भें अऩने व्मजततमों की ककतनी यऺा कय ऩाती हैं औय कहाॉ तक उसक द्धवलबन्न व्मजततमों भें ऩायस्ऩरयक प्रेभ औय न्मामाचयण हैं. मही े आन्तरयक गठन उस जातत क सॊगहठत रूऩ से कामय कयने की शजतत बी हैं.मही गठन उस जातत े को सॊगहठत होकय ,एकत्र होकय वह कामय कयने की ऺभता प्रदान कयता हैं जो कोई व्मजतत अकरे े नहीॊ कय सकता .बायत दे श भें मॉू तो भख्म रूऩ से हहन्द ू सॊख्मा भें सफसे ज्मादा हैं ऩय साभाजजक ु गठन का अगय अवरोकन कये तो हहन्द ू सफसे ज्मादा कभजोय हैं.जफकक उसक द्धवऩयीत इस्राभ े को भानने वारे मॉू तो अनेक कपयक होते हुए बी, जोकक सदा आऩस भें रड़ते यहते हैं ऩय जफ े इस्राभ का प्रश्न आता हैं ,तो सफ एक होकय, सॊगहठत होकय अन्म का साभना कयने क लरए झट े इकट्ठे हो जाते हैं औय इस्राभ की सॊमतत आवाज़ फनकय उबयते हैं. महीॊ दृश्म ईसाई सभाज भें ु योभन कथोलरक औय प्रोटे स्टे ट आहद अन्म कपयक होते हुए बी नज़य आता हैं.हहॊदमों भें साभाजजक ै े ु तनफयरता का भूर कायण उनभें प्रेभ का अबाव हैं औय इस प्रेभ क अबाव का भूर सफसे फड़ा े कायण जाततवाद हैं.ककसी बी सभाज भें साभाजजक गठन तबी स्थाद्धऩत हो सकता हैं जफ उस सभाज क सदस्मों भें न्माम औय प्रेभ का व्मवहाय हो. जाततवाद क कायण सभाज भें न्माम औय े े प्रेभ का स्थान घणा औय द्वेष ने रे लरमा हैं. हहॊदमों की साभाजजक तनफयरता का कायण एक ु ृ हहन्द ू का दसये हहन्द ू से बेदबाव हैं जजसकी उत्ऩजत्त जाततवाद से हैं.जाततवाद क कायण अऩने े ु

आऩको उच्च कहने वारी जाततमाॊ अऩने ही सभाज क दसये सदस्मों को नीचा भानती हैं जजसक े ु े सम्ऩन्त्ता का कोई स्थान न हो, जजस साभाजजक व्मवस्था भें एक नीच जातत क भनुष्म को े अऩने गुण, कभय औय स्वाबाव क आधाय ऩय उच्च ऩद ऩाने की कोई सम्बावना न हो, जो े साभाजजक व्मवस्था प्रकृतत क तनमभों क द्धवरुि एवॊ अस्वाबाद्धवक हो,जो साभाजजक व्मवस्था े े

कायण आऩस भें प्रेभ यहना असॊबव हैं.जजस साभाजजक व्मवस्था भें फुद्धिभत्ता, सुजनता तथा गुण

अन्माम ऩय आधारयत हैं औय साभाजजक उन्नतत की जड़ों को काटने वारा हैं ऐसी व्मवस्था भें प्रेभ का ह्रास औय एकता का न होना तनजश्चत हैं औय मही कायण हैं की हहन्द ू जातत द्धऩछरे १००० सार से सॊख्मा भें अधधक होते हुए बी द्धवधलभयमों से द्धऩटती आ यही हैं औय आगे बी इसी प्रकाय द्धऩटती यहे गी.इसी आऩसी पट ने हहॊद्मुओॊ को इतना तनफयर फना हदमा हैं की कोई बी फहाय से ू आमे उन्हें रात भायकय चरता फनता हैं.

जालरभ भनुष्मों क द्धवषम भें एक ईश्वयीम लसिाॊत सदा माद य ना चाहहए की एक फाय तनफयर ऩय े अत्माचाय कयक वह थोड़े सभम क लरए चाहे परता परता यहता हैं ऩय वास्तव भें वह अऩने ही े े ू ऩैयों ऩय कल्हाड़ी चराता हैं तमूॊकक सभम आने ऩय वह दसयों को छोड़कय अऩने ही तनकटवती ू ु से इस्राभ का इततहास उठाकय दे े तो हभाया मह कथन अऩने आऩ लसि हो जामेगा. मही अऩने चरयत्र, अऩने आचयण को ोकय आज डय भात्र यह गमी हैं. इततहास भें ऐसे अनेक ॊ लभत्रों औय सम्फजन्धमों ऩय ही जल्भ कयना आयॊ ब कय दे ता हैं. द्धवश्व भें भुहम्भद साहहफ क फाद े ु लसिाॊत हहॊदमों ऩय बी रागू होता हैं की शूद्रों ऩय अत्माचाय कयने वारी तथाकधथत उच्च जाततमाॉ ु उदहायण हैं जजनभे ऐसा दे ने को लभरा जैसे १९२१ क कयर क भोऩरा दॊ गों क सभम उच्च े े े े जाततमों द्वाया नीची जाततमों की ऩयछाई तक ऩड़ जाने को घोय ऩाऩ सभझा जाता था, दलरतों को उन सड़कों से जाने की भनाही थी जजन ऩय उच्च जातत क रोग जाते आते थे, दलरतों को भीठे े जर क कओॊ से ऩानी बयने तक की भनाही थी. साथ फैठ कय े ु ाने द्धऩने औय योटी फेटी का सम्फन्ध तो स्वऩन की फात थी.जफ इस्राभ क नाभ ऩय भोऩरा भसरभानों ने ऩहरे स्वणय े ु

हहॊद्मुओॊ की फजस्तमों ऩय हभरा ककमा तो दलरत उनकी भदद कयने क लरए न आ सक तमूॊकक े े

उनकी स्वणय फजस्तमों भें आने जाने ऩय भनाही थी औय जफ दलरतों की फजस्तमों ऩय भुसरभानों ने हभरा ककमा तफ स्वणय हहन्द ू उनकी भदद न कय सक तमूॊकक वे दलरतों की फजस्तमों भें नहीॊ े जाते थे. इस प्रकाय सॊख्मा भें ज्मादा होने क फावजद , अधधक शजततशारी होने क फावजूद बी े े ू

हहॊदमों की अच्छी प्रकाय से द्धऩटाई हुई तमूॊकक उनभे एकता न थी, न ही प्रेभ सद्भाव था फस था तो ु जाततवाद की गहयी ाई. इसी प्रकाय ऩानीऩत क भैदान भें जफ वीय भयाठों क साथ हुए मुि भें अहभद शाह अब्दारी की े े हाय होने ही वारी थी तो उसने एक यात भयाठों क लशद्धवय का अॉधेये भें तनरयऺण ककमा. उसने े ऩामा की भयाठे हहन्द ू सैतनक अरग अरग बोजन ऩका यहे थे. उसने अऩने सराहकाय से इसका कायण ऩछा तो उसने फतामा की भयाठे हहन्द ू हदन क सभम भें लभरकय रड़ते हैं औय यात क े े ू सभम भें जाततवाद क कायण अरग अरग यसोई फनाते हैं. अब्दारी ने तत्कार फोरा की इसका े भतरफ तो भयाठे हहन्द ू यात क सभम सफसे कभजोय होते हैं तमॊकक उनभे ककसी बी प्रकाय की े ू एकता नहीॊ होती.अगरी यात को अब्दारी ने भयाठों ऩय हभरा ककमा औय ऩयी भयाठा सेना को ू

तहस नहस कय हदमा जजसक कायण हायते हुए मि को अब्दारी ने जीत लरमा. भुगरों क अॊत क े े े ु ऩश्चात भयाठों द्वाया हहन्द ू याज्म की स्थाऩना की याह भें हहॊदमों की वही ऩुयानी कभजोयी ु जाततवाद रूकावट फन कय हहॊदमों का द्धवनाश कय गमी ऩय कपय बी हहॊदमों ने इस भहाबफभायी को ु ु नहीॊ छोड़ा.

प्राचीन बायत भें वणायश्रभ व्मवस्था थी जजसक अनुसाय एक ब्राह्भण का ऩुत्र अगय अनऩढ़, शयाफी, े भाॊसाहायी, चरयत्रहीन होता था तो वह ब्राह्भण नहीॊ अद्धऩतु शुद्र कहरामा जाता था जफकक अगय एक शुद्र का ऩुत्र द्धवद्वान, ब्रहभचायी, वेदों का ऻाता औय चरयत्रवान होता था तो वह ब्राह्भण कहराता था. मही सॊसाय की सफसे उच्च वणय व्मवस्था थी जो गुण, कभय औय स्वाबाव ऩय

आधारयत थी. काराॊतय भें इसी उच्च व्मवस्था का रोऩ होकय उसका ऩरयवततयत रूऩ जाततवाद क े नाभ से प्रचलरत हो गमा जजसक कायण हहन्द ू जातत का ह्रास होना आयॊ ब हो गमा औय आज े का दाभन अबी तक नहीॊ छोड़ा हैं. हहन्द ू सभाज की अजस्तत्व की यऺा की रड़ाई शरू हो गमी हैं ऩय उसने इस जाततवाद रुऩी फीभायी ु

ऩयभात्भा क द्वाय सम्ऩूणय सष्टी क लरए े े ृ

कपय मह सभाज का अन्माम ही हैं की उसने अऩने ही बाइमों ऩय धालभयक अत्माचाय क रूऩ भें े शुद्र कह कय योक रगा दी. सॊसाय भें हहन्द ू सभाज की इस भु ता क सभान कोई बी अन्म य े

रे हैं. ऩयभेश्वय की सत्ता भें कोई बेद बाव नहीॊ हैं. ु

भॊहदय आहद भें प्रवेश ऩय योक रगा दी औय उसक ऩश्चात वेद आहद शास्त्रों क ऩढने ऩढ़ाने ऩय े े उदहायण नहीॊ लभरता. वेद आहद धभय शास्त्र ईश्वय का शाश्वत ऻान हैं औय सष्टी क हय प्राणी को े ृ उन्हें ऩढने ऩढ़ाने का ऩूणय अधधकाय हैं कपय जाततवाद क नाभ ऩय ऐसा अन्माम तमूॉ.एक प्रश्न हैं े अगय सभाज भें अधधक शुद्र अथायत गुण यहहत व्मजतत होगे तो सभाज कभ प्रगतत कये गा औय

वह धभायचयण कभ होगा औय जजस सभाज भें गुणवान व्मजतत अथायत ब्राह्भन वगय ज्मादा होगा व्मजततमों रुऩी पर दे ने वारी अभत रता को काट दे ना नहीॊ तो औय तमा हैं.साभाजजक तनमभ ृ प्रततकिमा का बी हैं. अगय ककसी ऩय जल्भ होगा तो वह उसकी प्रततकिमा बी तो कये गा.इस ु

तो वह सभाज अधधक प्रगतत कये गा. कपय शूद्रों को धभय शास्त्रों ऩढने से योकना सभाज भें गुणवान

साभाजजक बेदबाव का हहन्द ू जातत ऩय सफसे फड़ा असय धभाांतयण क रूऩ भें हुआ. अऩने आऩको े दलरत अथायत नीचा सभझने क कायण शद्र सभाज भें अन्माम क द्धवरूि प्रततकिमा धभय ऩरयवतयन े े ु क रूऩ भें हुई. इस्रालभक तरवाय औय जेहाद क असय से ऩहरे से ही रा ों हहन्द ू बाई द्धवधभी े े फन गए थे, अनेकों को जाततवाद ने द्धवधभी फना हदमा. तमा कायण हैं की ईसाई सभाज भें आज ऩढ़ा लर ा सभझा जाने वारा वगय भर रूऩ से एक सभम भें दलरत रूऩ भें अनऩद औय अछत ू ू था. हहन्द ू सभाज की अऩनी ही कभजोयी क कायण वह सभाज की भख्मा द्धवचायधाया से अरग े ु होकय द्धवधभी हो गमा. एक सभम श्री याभ औय श्री कृष्ण की भहहभा का भॊडन कयने वारा

भुहम्भद औय ईसा भसीह की भहहभा का भॊडन कयने रग गमा.औय फद्रेगे तमूॉ नहीॊ न तो उनक े ऩूजा स्थर भें योक टोक हैं .उनभें अऩने धभय को भजफूत फनाने की ररक हैं,उसकी सॊख्मा फढ़ाने आऩको वन क फीच भें यहने वारे वनवालसमों, ऩहाड़ों भें दगभ स्थरों ऩय यहने वारे रोगों क े े ु य

महाॉ जाततवाद हैं ,न उनक महाॉ योटी, फेटी आहद का सम्फन्ध फनाने भें कहठनाई हैं , न उनक महाॉ े े की ररक हैं,उसका याजतनततक रूऩ से राब उठाने की ररक हैं. ईसाई सभाज का ही उदहायण रे

फीच, प्राकृततक आऩदा आहद जैसे फाढ़, बूकऩ आहद भें यहत कामों भें, अनाथारमों भें , गयीफ फजस्तमों ॊ भें लशऺा दे ते हुए ईसाई सबी स्थान ऩय लभरेगे.जफकक कोई बी हहन्द ू वहाॊ दलरत सभाज का उिाय कयता हुआ नहीॊ लभरेगा. हहन्द ू सभाज ने दे ा दे ी कछ कछ कामय को कयना प्रायॊ ब तो ु ु ककमा हैं ऩय उसभे बी उसका उद्देश्म रोकष्णा हैं नाकक तनफयर को सफर फनाने की इच्छा हैं. े आज इस रे मह प्रततऻा कये

को ऩढ़कय जो बी हहन्द ू बाई हहन्द ू सॊगठन को फनाना चाहते हैं वे सफसे ऩहरे

१. हभ जाततवाद का नाश कयक ही दभ रेगे. े २. ककसी गयीफ दलरत सभाज क फच्चे को उच्ची लशऺा हदरवाने का प्रण रेंगे े ३. ककसी दलरत की फीभायी आहद फेटी क द्धववाह अथवा अन्म द्धवऩदा की जस्थतत भें हयसॊबव े भदद कये गे ४. ककसी दलरत फारक को भॊहदय भें रे जाकय मऻोऩद्धवत धायण कयवा उसे गामत्री का उऩदे श जरुय दें गे ५. ककसी कायण से कोई दलरत बाई अगय बटक कय धभय से द्धवभु अऩने धभय भें शुि कय शालभर कये गे हो गमा हैं तो उसे वाद्धऩस

तबी हहन्द ू सॊगहठत होकय अऩनी यऺा कय सकगा अन्मथा आज से कछ सो वषों फाद वेद, याभ े ु औय कृष्ण का कोई नाभ रेने वारा बी शेष न यहे गा.

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