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सच है , विऩत्ति जब आिी है , कायर को ही दहऱािी है , सर ू मा नही विचलऱि होिे, ऺण एक नहीीं धीरज खोिे सच है , विऩत्ति जब आिी है , कायर को ही दहऱािी है , सर ू मा नही

विचलऱि होिे,

ऺण एक नहीॊ धीरज खोिे, विघ्नों को गऱे ऱगािे हैं, काॉटों में राह बनािे हैं

मॉह से न कभी उफ़ कहिे हैं, सॊकट का चरण न गहिे हैं, जो आ ऩड़िा सब सहिे हैं, उद्योग-ननरि ननि रहिे हैं, शऱ ू ों का मऱ ू नसािे हैं,

बढ़ खद विऩत्ति ऩर छािे हैं। है कौन विघ्न ऐसा जग में,

टटक सक े आदमी क े मग में ? खम ठोक ठे ऱिा है जब नर, ऩिवि क े जािे ऩाॉि उखड़,

मानि जब जोर ऱगािा है, ऩतथर ऩानी बन जािा है ।

गण बड़े एक से एक प्रखर, है नछऩे मानिों क े भीिर, में हदी में जैसे ऱाऱी हो,

िनिवका-बीच उत्जयाऱी हो, बतिी जो नही जऱािा है, रोशनी नहीॊ िह ऩािा है ।

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