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सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है
सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है
विचलऱि होिे,
ऺण एक नहीॊ धीरज खोिे, विघ्नों को गऱे ऱगािे हैं, काॉटों में राह बनािे हैं
मॉह से न कभी उफ़ कहिे हैं, सॊकट का चरण न गहिे हैं, जो आ ऩड़िा सब सहिे हैं, उद्योग-ननरि ननि रहिे हैं, शऱ ू ों का मऱ ू नसािे हैं,
टटक सक े आदमी क े मग में ? खम ठोक ठे ऱिा है जब नर, ऩिवि क े जािे ऩाॉि उखड़,
गण बड़े एक से एक प्रखर, है नछऩे मानिों क े भीिर, में हदी में जैसे ऱाऱी हो,
िनिवका-बीच उत्जयाऱी हो, बतिी जो नही जऱािा है, रोशनी नहीॊ िह ऩािा है ।