समस्त चराचर विश्व के स्वामिरूप, विश्वेश्वर, सभी कारणों के कारण, जगद्धर्त्ता, कालों के काल भगवान् महाशिव की महिमा अनंत है। उनकी महिमा का गुणगान करना अपनी वाणी को पवित्र करने का प्रयास मात्र है।
वह करुणा से भी अधिक करुणा वरुणालय हैं और किसी सम्बुद्ध सद्गुरु की अवमानना होने पर काल से भी अधिक कठोर होने वाले हैं।
कलियुग पावनावतार गोस्वामी तुलसीदास जी ने लोक मानस के आत्मिक उन्नयन के लिए श्रीमद रामचरित मानस की रचना की। श्रीमद रामचरित मानस को आदर्श जीवन की आचार संहिता के रूप में स्वीकार किया जाता है। धर्म और अध्यात्म के गूढ़तम बिषयों का सरलतम प्रस्तुतीकरण इस पावन ग्रन्थ का वैशिष्ट्य है।
समस्त चराचर विश्व के स्वामिरूप, विश्वेश्वर, सभी कारणों के कारण, जगद्धर्त्ता, कालों के काल भगवान् महाशिव की महिमा अनंत है। उनकी महिमा का गुणगान करना अपनी वाणी को पवित्र करने का प्रयास मात्र है।
वह करुणा से भी अधिक करुणा वरुणालय हैं और किसी सम्बुद्ध सद्गुरु की अवमानना होने पर काल से भी अधिक कठोर होने वाले हैं।
कलियुग पावनावतार गोस्वामी तुलसीदास जी ने लोक मानस के आत्मिक उन्नयन के लिए श्रीमद रामचरित मानस की रचना की। श्रीमद रामचरित मानस को आदर्श जीवन की आचार संहिता के रूप में स्वीकार किया जाता है। धर्म और अध्यात्म के गूढ़तम बिषयों का सरलतम प्रस्तुतीकरण इस पावन ग्रन्थ का वैशिष्ट्य है।
समस्त चराचर विश्व के स्वामिरूप, विश्वेश्वर, सभी कारणों के कारण, जगद्धर्त्ता, कालों के काल भगवान् महाशिव की महिमा अनंत है। उनकी महिमा का गुणगान करना अपनी वाणी को पवित्र करने का प्रयास मात्र है।
वह करुणा से भी अधिक करुणा वरुणालय हैं और किसी सम्बुद्ध सद्गुरु की अवमानना होने पर काल से भी अधिक कठोर होने वाले हैं।
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