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ऩुराने दोहे

साई इतना दीजजमे जाभे क ु टुम्फ सभामे

आज की सोच ऩर आधाररत नए संस्करण


साई इतना दीजजमे कक ऩड़ोसी जर भय जामे टाटा औय अूंफानी बी साभने सय को झक ु ाम अच्छा जो दे खन भै चरा ढूूंढ ढूूंढ थक जाम भझ ु से अच्छा कोई बी नही भझ ु े मभर ऩाम

भै बी बख ू ा ना यहूूं साधु ना बख ू ा जाए फुया जो दे खन भै चरा फुया ना मभमरमा कोम जो ततन दे खा आऩना भझ ु सा फय ु ा ना कोम

अतत ऩरयचम से होत है अरुचच अनादय बाम भरमाचगयी की बीरनी चन्दन दे त जराम गुरु गोव द ूं दोऊ खड़े काक े रागूूं ऩाम

भौन यहे औय काभ कये कबी ना उचचत पर ऩाम गुरु गोव द ूं दोऊ खड़े दोनों ही बाड़ भे जाम

अतत चाऩरूसी से मभरत है तयक्की प्रभोशन बाम

फमरहायी गरु ूं ददमो फताम ु आऩनी गोव द तनूंदक तनमये याखखए, ऑ ूंगन क ु टी छ ाम,

अऩना उल्रू सीधा कयन गधे को फाऩ फनाम चाऩरस ू इतने ऩामरए, आूंगन क ु टी छ ाम जजतने आगे ऩीछे घूभे उतना बा फढ़ जाम

बफन ऩानी, साफुन बफना, तनभमर कये सुबाम

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अमरनाथ मूती

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