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अनधकार

मैने रोका अपने मन को, युवा अवसथा मे इस तन को।


राह राह पर ठोकर खायी, िफर भी िदल न सभला
भा!"
मसती मे म# $% &े 'ा( , )र* के स+ म,' मना( ।
-ो.कर अपना काम अध%रा, म# इस '+ की ह सी
/$ा("
कहता ह
%
0 'ीवन यह अ1-ा, काम नह2 ह# देखो क13ा।
तुम भी इस 'ीवन मे 45, -ो$ो मरना म,' मना5"
4! 'ीवन की अितम पारी, िनकल +यी अक. अ& सारी।
मेरे अपने ह

6 &े+ाने , पा6 /सने न6 दीवाने"
मु7को -ो. )र* के पी-े, स& थे /पर म# था नी3े ।
4या तभी हवा का 7*का, याद िदलाया त89
7रोखा"
ि'सको मैने :यथ; +वाया, स& कु- खोया ठोकर पाया।
सो3ा मैने का< वो िदन हो, त8न मेरा वो िफर 'ीवन
हो"
ि'समे मेरे थे स& अपने , िदल था मेरा )र थे सपने।
पर िफर ह*+ी वही अ.3ने , ि'ससे िनकले थे हम
&3ने।
'ीवन मे न रहा /'ाला, मैने िपया था िव= का >याला।
धीरे धीरे 'ीवन मेरा, अनधकार का ह

4 &सेरा"
--िििि

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