राह राह पर ठोकर खायी, िफर भी िदल न सभला भा!" मसती मे म# $% &े 'ा( , )र* के स+ म,' मना( । -ो.कर अपना काम अध%रा, म# इस '+ की ह सी /$ा(" कहता ह % 0 'ीवन यह अ1-ा, काम नह2 ह# देखो क13ा। तुम भी इस 'ीवन मे 45, -ो$ो मरना म,' मना5" 4! 'ीवन की अितम पारी, िनकल +यी अक. अ& सारी। मेरे अपने ह ु 6 &े+ाने , पा6 /सने न6 दीवाने" मु7को -ो. )र* के पी-े, स& थे /पर म# था नी3े । 4या तभी हवा का 7*का, याद िदलाया त89 7रोखा" ि'सको मैने :यथ; +वाया, स& कु- खोया ठोकर पाया। सो3ा मैने का< वो िदन हो, त8न मेरा वो िफर 'ीवन हो" ि'समे मेरे थे स& अपने , िदल था मेरा )र थे सपने। पर िफर ह*+ी वही अ.3ने , ि'ससे िनकले थे हम &3ने। 'ीवन मे न रहा /'ाला, मैने िपया था िव= का >याला। धीरे धीरे 'ीवन मेरा, अनधकार का ह ु 4 &सेरा" --िििि