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हं द ःवराज : ूःतावना

-इस वषय पर मने जो बीस अ याय िलखे ह उ ह पाठक के सामने रखने क म ह मत करता हंू । जब
मुझसे रहा ह नह ं गया तभी मने यह िलखा है । बहत
ु पढ़ा, बहत
ु सोचा, वलायत म शा सवाल डे युटेशन के
साथ म चार माह रहा, उस बीच हो सका उतने ह दःतािनय
ु के साथ मने सोच- वचार कया, हो सका उतने
अंमेज से भी म िमला।

अपने जो वचार मुझे आ खर मालूम हए


ु उ ह पाठक के सामने रखना मने अपना फज समझा। ‘इ डयन
ओपीिनयन’ के गुजराती माहक आठ सौ के कर ब ह। हर माहक के पीछे कम से कम दस आदमी दलचःपी
से यह अखबार पढ़ते ह, ऐसा मने महसूस कया है । जो गुजराती नह ं जानते वे दसर
ू से पढ़वाते ह। इन
भाइय ने ह दःतान
ु क हालत के बारे म मुझसे बहत
ु सवाल कये ह। ऐसे ह सवाल मुझसे वलायत म
कये गये थे। इसिलए मुझे लगा क जो वचार मने य खानगी म बताये उ ह सबके सामने रखना गलत
नह ं होगा।

जो वचार यहां रखे गये ह, वे मेरे ह और मेरे नह ं भी ह। वे मेरे ह, य क उनके मुता बक बरतने क म
उ मीद रखता हंू , वे मेर आ मा म गढ़े -जड़े हए
ु जैसे ह। वे मेरे नह ं ह, य क िसफ मने ह उ ह सोचा हो
सो बात नह ं। कुछ कताब पढ़ने के बाद वे बने ह। दल म भीतर ह भीतर म जो महसूस करता था उसका
इन कताब ने समथन कया।

यह सा बत करने क ज रत नह ं क जो वचार म पाठक के सामने रखता हंू वे ह दःतान


ु म जन पर
(प मी) स यता क धुन सवार नह ं हई
ु है ऐसे बहते
ु रे ह दःतािनय
ु के ह। ले कन यह वचार यूरोप के
हजार लोग के ह, यह म अपने पाठक के मन म अपने सबूत से ह जंचाना चाहता हंू जसे इसक खोज
करनी हो, जसे ऐसे ऐसी फुरसत हो, वह आदमी वे कताब दे ख सकता है । अपनी फुरसत से उन कताब म
से कुछ न कुछ पाठक के सामने रखने क मेर उ मीद है ।

‘इ डयन ओपीिनयन’ के पाठक या और के मन म मेरे लेख पढ़कर जो वचार आय, उ ह अगर वे मुझे
बतायगे तो म उनका आभार रहंू गा।

उ े ँय िसफ दे श क सेवा करने का और स य क खोज करने का और उसके मुता बक बरतने का है ।


इसिलए अगर मेरे वचार गलत सा बत ह , तो उ ह पकड़ रखने का मेरा आमह नह ं है । अगर वे सच
सा बत ह तो दसरे
ू लोग भी उनके मुता बक बरत, ऐसी दे श के भले के िलए साधारण तौर पर मेर भावना
रहे गी।
1. हं द ःवराज : कांमेस और उसके कता-धता

-पाठक: आजकल ह दःतान


ु म ःवरा य क हवा चल रह है । सब ह दःतानी
ु आजाद होने के िलए तरस
रहे ह। द ण अृ का म भी वह जोश दखाई दे रहा है । ह दःतािनय
ु म अपने हक पाने क बड़ ह मत
आई हई
ु मालूम होती है । इस बारे म या आप अपने खयाल बतायगे?

संपादक: आपने सवाल ठ क पूछा है । ले कन इसका जवाब दे ना आसान बात नह ं है । अखबार का एक काम
तो है लोग क भावनाय जानना और उ ह जा हर करना। दसरा
ू काम है लोग म अमुक ज र भावनाय पैदा
करना और तीसरा काम है लोग म दोष ह तो चाहे जतनी मुसीबत आने पर भी बेधड़क होकर उ ह
दखाना। आपके सवाल का जवाब दे ने म ये तीन काम साथ-साथ आ जाते ह। लोग क भावनाय कुछ हद
तक बतानी ह गी, न ह वैसी भावनाय, उनम पैदा करने क कोिशश करनी होगी और उनके दोष क िनंदा
भी करनी होगी। फर भी आपने सवाल कया है , इसिलए उसका जवाब दे ना मेरा फज मालूम होता है ।

पाठक: या ःवरा य क भावना ह द म पैदा हई


ु , आप दे खते ह?

संपादक: वह तो जब से नेशनल कांमेस कायम हई


ु तभी से दे खने म आई है । नेशनल श द का अथ ह वह
वचार जा हर करता है ।

पाठक: यह तो आपने ठ क नह ं कहा। नौजवान ह दःतानी


ु आज कांमेस क परवाह ह नह ं करते। वे तो
उसे अंमेज का रा य िनभाने का साधन मानते ह।

संपादक: नौजवान का ऐसा खयाल ठ क नह ं है । ह द के दादा ‘दादाभाई नौरोजी’ ने जमीन तैयार नह ं क


होती तो नौजवान आज जो बात कर रहे ह वह भी कर पाते। िम. हयूम ने जो लेख िलखे, जो फटकार हम
सुनाई जस जोश से हम जगाया उसे कैसे भुलाया जाय? सर विलयम वेडरबन ने कांमेस का मकसद हािसल
करने के िलए अपना तन-मन और धन सब दे दया था। उ ह ने अंमेजी रा य के बारे म जो लेख िलखे ह
वे आज भी पढ़ने लायक ह।

ूोफेसर गोखले ने जनता को तैयार करने के िलए िभखार के जैसी हालत म रहकर अपने बीस साल दये
ह। आज भी वे गर बी म रहते ह। मरहम
ू ज ःटम बद न ने भी कांमेस के ज रये ःवरा य का बीज बोया
था। य बंगाल, मिास, पंजाब वगैरा म कांमेस का और ह द का भला चाहने वाले कई ह दःतानी
ु और
अंमेज लोग हो गये ह, यह याद रखना चा हये।

पाठक: ठह रये, ठह रये आप बहत


ु आगे बढ़ गये, मेरा सवाल कुछ है और आप जवाब कुछ और दे रहे ह। म
ःवरा य क बात करता हंू और आप पररा य क बात करते ह। मुझे अंमेज का नाम तक नह ं चा हये और
आप तो अंमेज के नाम दे ने लगे। इस तरह तो हमार गाड़ राह पर आये, ऐसा नह ं दखता। मुझे तो
ःवरा य क ह बात अ छे लगती ह। दसर
ू मीठ सयानी बात से मुझे संतोष नह ं होगा।

संपादक: आप अधीर हो गये ह। म अधीरपन बरदाँत नह ं कर सकता। आप जरा सॄ करगे तो आपको जो


चा हये वह िमलेगा। ‘उतावली से आम नह ं पकते दाल नह ं चुरती’ यह कहावत याद र खये। आपने मुझे
रोका और आपको ह द पर उपकार करने वाल क बात भी सुननी अ छ नह ं लगती, यह बताता है क
अभी आपके िलए ःवरा य दरू है । आपके जैसे बहत
ु से ह दःतानी
ु ह तो हम ःवरा य से दरू हट कर
पछड़ जायगे। यह बात जरा सोचने लायक है ।

पाठक: मुझे तो लगता है क ये गोल-मोल बात बनाकर आप मेरे सवाल का जवाब उड़ा दे ना चाहते ह। आप
ज ह ह दःतान
ु पर उपकार करनेवाले मानते ह, उ ह म ऐसा नह ं मानता। फर मुझे कस के उपकार क
बात सुननी है , आप ज ह ह द के दादा कहते ह उ ह ने या उपकार कया? वे तो कहते ह क अंमेज
राजकता याय करगे और उनसे हम हलिमल कर रहना चा हये।

संपादक : मुझे स वनय आपसे कहना चा हये क उस पु ष के बारे म आपका बेअदबी से य बोलना हमारे
िलए शरम क बात है । उनके काम क ओर दे खये उ ह ने अपना जीवन ह द को अपण कर दया है ।
उनसे यह सबक हमने सीखा क ह द का खून अंमज ने चूस िलया है , यह िसखाने वाले माननीय दादाभाई
ह। आज उ ह अंमेज पर भरोसा है , उससे या हम जवानी के जोश म एक कदम आगे रखते ह? इससे या
दादाभाई कम पू य हो जाते ह? उससे या हम यादा ानी हो गये?

जस सीढ़ से हम ऊपर चढ़े उसको लात न मारने म ह बु मानी है । अगर वह सीढ़ िनकाल द तो सार
िनसैनी िगर जाय, यह हम याद रखना चा हये। हम बचपन से जवानी म आते ह। तब बचपन से नफरत
नह ं करते ब क उन दन को यार से याद करते ह। बरस तक अगर मुझे कोई पढ़ाता है और उससे मेर
जानकार जरा बढ़ जाती है तो इससे म अपने िश क से यादा ानी नह ं माना जाऊंगा। अपने िश क को
तो मुझे मान दे ना ह पडे ग़ा। इसी तरह ह द के दादा के बारे म समझना चा हये। उनके पीछे (सार )
ह दःतानी
ु जनता है , यह तो हम कहना ह पड़े गा।

पाठक: यह आपने ठ क कहा। दादाभाई नौरोजी क इ जत करना चा हये। यह तो समझ सकते ह। उ ह


और उनके जैसे दसरे
ू पु ष ने जो काम कये ह उनके बगैर हम आज का जोश महसूस नह ं कर पाते ह।
यह बात ठ क लगती है । ले कन यह बात ूोफेसर गोखले साहब के बारे म हम कैसे मान सकते ह? वे तो
अंमेज के बड़े भाईबंद बन कर बैठे ह, वे तो कहते ह क अंमेज से हम बहत
ु कुछ सीखना है । अंमेज क
राजनीित से हम वा कफ हो जाये, तभी ःवरा य क बातचीत क जाय। उन साहब के भाषण से तो म ऊब
गया हंू ।

संपादक: आप ऊब गये ह, यह दखता है क आपका िमजाज उतावला है । ले कन जो नौजवान अपने मां-बाप


के ठं डे िमजाज से ऊब जाते है और वे (मां-बाप) अगर अपने साथ न दौड़ तो गुःसा होते ह, वे अपने मां-
बाप का अनादर करते है ऐसा हम समझते ह। ूोफेसर गोखले के बारे म भी ऐसा ह समझना चा हये। या
हआ
ु अगर ूोफेसर गोखले हमारे साथ नह ं दौड़ते है ? ःवरा य भुगतने क इ छा रखनेवाली ूजा अपने
बुजुग का ितरःकार नह ं कर सकती। अगर दसरे
ू क इ जत करने क आदत हम खो बैठ, तो हम िनक मे
हो जायगे। जो ूौढ़ और तजुरबेकार है , वे ह ःवरा य भुगत सकते ह, न क वे-लगाम लोग। और दे खये
क जब ूोफेसर गोखले ने ह दःतान
ु क िश ा के िलए याग कया तब ऐसे कतने ह दःतानी
ु थे? म तो
खास तौर पर और ह दःतान
ु का हत मानकर करते ह। ह द के िलए अगर अपनी जान भी दे नी पड़े तो
वे दे दगे, ऐसी ह द के िलए उनक भ है । वे जो कुछ कहते ह वह कसी क खुशामद करने के िलए
नह ं, ब क सह मानकर कहते ह। इसिलए हमारे मन म उनके िलए पू य भाव होना चा हये।
पाठक: तो या वे साहब जो कहते है उसके मुता बक हम भी करना चा हये?

संपादक: म ऐसा कुछ नह ं कहता। अगर हम शु बु से अलग राय रखते ह, तो उस राय के मुता बक
चलने क सलाह खुद ूोफेसर साहब हम दगे। हमारा मु य काम तो यह है क हम उनके काम क िन दा
न कर, हमसे वे महान ह ऐसा माने और यक न रखे क उनके मुका बले म हमने ह द के िलए कुछ भी
नह ं कया है । उनके बारे म कुछ अखबार जो अिश तापूवक िलखते ह उसक हम िन दा करनी चा हये और
ूोफेसर गोखले जैस को हम ःवरा य के ःतंभ मानना चा हये। उनके खयाल गलत और हमारे ह सह ह
या हमारे खयाल के मुता बक न बरतने वाले दे श के दँमन
ु ह, ऐसा मान लेना बुर -बुर भावना है ।

पाठक: आप जो कुछ कहते ह वह अब मेर समझ म कुछ आता है । फर भी मुझे उसके बारे म सोचना
होगा। पर िम. हयूम, सर विलयम वेडरबन वगैरा के बारे म आपने जो कहा उसम तो हद हो गई।

संपादक: जो िनयम ह दःतािनय


ु के बारे म ह, वह अंमेज के बारे म समझना चा हये। सारे के सारे अंमेज
बुरे ह, ऐसा तो म नह मानूंगा। बहत
ु से अंमेज चाहते ह क ह दःतान
ु को ःवरा य िमले। उस ूजा म
ःवाथ यादा है , यह ठ क है , ले कन उससे हर एक अंमेज बुरा है , ऐसा सा बत नह ं होता। जो हक याय
चाहते ह उ ह सबके साथ याय करना होगा। सर विलयम ह दःतान
ु का बुरा चाहनेवाले नह ं है , इतना
हमारे िलए काफ है । य य हम आगे बढ़गे य - य आप दे खगे क अगर हम याय क भावना से
काम लगे तो ह दःतान
ु ु
का छटकारा ज द होगा। आप यह भी दे खगे क अगर हम तमाम अंमेज से ेष
करगे, तो उससे ःवरा य दरू ह जानेवाला है ले कन अगर उनके साथ भी याय करगे तो ःवरा य के िलए
हम उनक मदद िमलेगी।

पाठक: अभी तो ये सब मुझे फजूल क बड़ -बड़ बात लगती ह। अंमेज क मदद िमले और उससे ःवरा य
िमल जाय ये तो आपने दो उलट बात कह ं, ले कन इस सवाल का हल अभी मुझे नह ं चा हये। उसम समय
बताना बेकार है । ःवरा य कैसे िमलेगा, यह जब आप बतायगे तब शायद आपके वचार म समझ सकूं।
फलहाल तो अंमेज क मदद क आपक बात ने मुझे शंका म डाल दया है और आपके वचार के खलाफ
मुझे भरमा दया है । इसिलए यह बात आप आगे न बढ़ाय तो अ छा हो।

संपादक: म अंमेज क बात को बढ़ाना नह ं चाहता। आप शंका म पड़ गये, इसक कोई फकर नह ं मुझे।
जो मह वपूण बात कहनी है , उसे पहले से ह बता दे ना ठ क होगा। आपक शंका को धीरज से दरू करना
मेरा फज है ।

पाठक: आपक यह बात मुझे पस द आयी। इससे मुझे जो ठ क लगे वह बात कहने क मुझ म ह मत
आई है । अभी मेर एक शंका रह गई है । कांमेस के आरं भ से ःवरा य क नींव पड़ , यह कैसे कहा जा
सकता है ?

संपादक : दे खये कांमेस ने अलग अलग जगह पर ह दःतािनय


ु को इक ठा करके उनम हम एक रा ह,
ऐसा जोश पैदा कया। कांमेस पर सरकार क कड़ नजर रहती थी। महमूल का हक ूजा को होना चा हये,
ऐसी मांग कांमेस ने हमेशा क है । जैसा ःवरा य कैनेडा म है वैसा ःवरा य कांमेस ने हमेशा चाहा है । वैसा
ःवरा य िमलेगा या नह ं िमलेगा, वैसा ःवरा य हम चा हये या नह ं चा हये, उससे बढ़कर दसरा
ू कोई
ःवरा य है या नह ं, यह सवाल अलग है ।

मुझे दखाना तो इतना ह है क कांमेस ने ह द को ःवरा य का रस चखाया, इसका जस कोई और लेना


चाहे तो वह ठ क न होगा और हम भी ऐसा मान तो बेकदर ठहरगे। इतना ह नह ं, ब क जो मकसद हम
हािसल करना चाहते ह, उसम मुसीबत पैदा ह गी। कांमेस को अलग समझने और ःवरा य के खलाफ मानने
से हम उसका उपयोग नह ं कर सकते।

2. हं द ःवराज : बंग-भंग

-पाठक: आप कहते ह उस तरह वचार करने पर यह ठ क लगता है क कांमेस ने ःवरा य क नींव डाली
ले कन यह तो आप मानगे क वह सह जागृित नह ं थी। सह जागृित कब और कैसे हई
ु ?

संपादक: बीज हमेशा हम दखाई नह ं दे ता। वह अपना काम जमीन के नीचे करता है और जब खुद िमट
जाता है तब पेड़ जमीन के ऊपर दे खने म आता है । कांमेस के बारे म ऐसा ह सम झये। जसे आप सह
जागृित मानते ह वह तो बंग-भंग से हई
ु जसके िलए हम लाड कजन के आभार ह। बंग-भंग के व
बंगािलय ने कजन साहब से बहत
ु ूाथना क ले कन वे साहब अपनी स ा के मद म लापरवाह रहे ।

उ ह ने मान िलया क ह दःतानी


ु लोग िसफ बकवास ह करग। उनसे कुछ भी नह ं होगा। उ ह ने अपमान

भर भाषा का उपयोग कया और जबरदःती बंगाल के टकडे क़ये। हम यह मान सकते ह क उस दन से

अंमेजी रा य के भी टकडे हए।
ु बंग-भंग से जो ध का अंमेजी हक
ु ू मत को लगा वैसा और कसी काम से
नह ं लगा। इसका मतलब यह नह ं क जो दसरे
ू गैर इ साफ हए
ु वे बंग-भंग से कुछ कम थे। नमक महसूल
कुछ कम गैर इ साफ नह ं है । ऐसा और तो आगे हम बहत ु
ु दे खगे। ले कन बंगाल के टकडे क़रने का वरोध
करने के िलए ूजा तैयार थी।

उस व ूजा क भावना बहत


ु तेज थी। उस समय बंगाल के बहते
ु रे नेता अपना सब कुछ यौछावर करने
को तैयार थे। अपनी स ा अपनी ताकत को वे जानते थे। इसिलए तुर त आग भड़क उठ । अब वह बुझने

वाली नह ं है , उसे बुझाने क ज रत भी नह ं है । ये टकड़े कायम नह ं रहगे। बंगाल फर एक हो जायगा
ले कन अंमेजी जहाज म जो दरार पड़ है वह तो हमेशा रहे गी ह । वह दन-ब- दन चौड़ होती जायगी।

जागा हआ
ु ह द फर सो जाय, यह नामुम कन है । बंग-भंग को र करने क मांग ःवरा य क मांग के
बराबर है । बंगाल के नेता यह बात खूब जानते ह। अंमेजी हक ु
ु ू मत भी यह बात समझती है । इसीिलए टकडे
र नह ं हए।
ु य दन बीतते जाते ह, य य ूजा तैयार होती जाती है । ूजा एक दन म नह ं बनती।
उसे बनने म कई बरस लग जाते ह।

पाठक: बंग-भंग के नतीजे आपने या दे खे?

संपादक: आज तक हम मानते आये ह क बादशाह से अज करना चा हये और वैसा करने पर भी दाद न


िमले तो दख ु
ु : सहन करना चा हये, अलब ा अज तो करते ह रहना चा हये। बंगाल के टकड़े होने के बाद
लोग ने दे खा क हमार अज के पीछे कुछ ताकत चा हये। लोग म क सहन करने क श चा हये। यह

नया जोश टकडे होने का अहम नतीजा माना जायेगा। यह जोश अखबार के लेख म दखाई दया।

लेख कडे होने लगे, जो बात लोग डरते हए


ु या चोर चुपके करते थे वह खु लमखु ला होने लगीं, िलखी जाने
लगीं। ःवदे शी का आ दोलन चला। अंमेजो को दे खकर छोटे -बडे सब भागते थे पर अब नह ं डरते। मार पीट
से भी नह ं डरते। जेल जाने म भी उ ह कोई हज नह ं मालूम होता और ह द के पुऽर आज दे श िनकाला
भुगतते हए
ु वदे श म वराजमान ह। यह चीज उस अज से अलग है । य लोग म खलबली मच रह है ।
बंगाल क हवा उ र म पंजाब तक और (द ण म) मिास इलाके म, क याकुमार तक पहंु च गई है ।

पाठक: इसके अलावा और कोई जानने लायक नतीजा आपको सूझता है ?

संपादक: बंग-भंग से जैसे अंमेजी जहाज म दरार पड़ है वैसे ह हममे भी दरार फूट पड़ है । बड़ घटनाओं
के प रणाम भी य बड़े ह होते ह। हमारे नेताओं म दो दल हो गये ह। एक माडरे ट और दसरा

ए ःश िमःट। उनको हम धीम और उतावले कह सकते ह। (नरम दल व गरम दल श द भी चलते ह।)
कोई माडरे ट को डरपोक प और ए ःश िमःट को ह मतवाला प भी कहते ह। सब अपने अपने खयाल
के मुता बक इन दो श द का अथ करते ह।

यह सच है क ये जो दो दल हए
ु ह उनके बीच जहर भी पैदा हआ
ु है । एक दल दसरे
ू का भरोसा नह ं
करता। दोन एक दसरे
ू को ताना मारते ह। सूरत कांमेस के समय कर ब कर ब मार पीट भी हो गई। ये जो
दो दल हए
ु ह वह दे श के िलए अ छ िनशानी नह ं है । ऐसा मुझे तो लगता है । ले कन म यह भी मानता हंू
क ऐसे दल ल बे अरसे तक टकगे नह ं। इस तरह कब तक ये दल रहगे, यह तो नेताओं पर आधार रखता
है ।

3. हं द ःवराज : अशांित और असंतोष

पाठक: तो आपने बंग-भंग को जागृित का कारण माना, उससे फैली हई


ु अशा त को ठ क समझा जाय या
नह ं?

संपादक: इ सान नींद म से उठता है तो अंगड़ाई लेता है । इधर उधर घूमता है और अशा त रहता है । उसे
पूरा भान आने म कुछ व लगता है । उसी तरह अगर ये बंग-भंग से जागृित आई है । फर भी बेहोशी नह ं
गई है । अभी हम अंगड़ाई लेने क हालत म ह। अभी अशा त क हालत है । जैसे नींद और जाग के बीच
क हालत ज र मानी जानी चा हये और इसिलए वह ठ क कह जायेगी। वैसे बंगाल म और उस कारण से
ह दःतान
ु म जो अशा त फैली है , वह भी ठ क है । अशा त है यह हम जानते ह, इसिलए शा त का
समय आने क आवँयकता है । नींद से उठने के बाद हमेशा अंगड़ाई लेने क हालत म हम नह ं रहते।
ले कन दे र सबेर अपनी श ू
के मुता बक पूरे जागते ह है । इसी तरह इस अशा त म से हम ज र छटगे ,
अशा त कसी को नह ं भाती।

पाठक: अशा त दसरा


ू प या है ?
संपादक: अशा त असल म असंतोष है । उसे आजकल हम अन रे ःट कहते ह। कांमेस के जमाने म वह
डःक टे ट कहलाता था। िम. म
ू हमेशा कहते थे क ह दःतान
ु म असंतोष फैलाने क ज रत है । यह
असंतोष बहत
ु उपयोगी चीज है । जब तक आदमी अपनी चालू हालत म खुश रहता है तब तक उसम से
िनकलने के िलए उसे समझाना मु ँकल है । इसिलए अब हर एक सुधार के पहले असंतोष होना ह चा हये।
चालू चीज से ऊब जाने पर ह उसे फक दे ने को मन करता है । ऐसा असंतोष हममे महान ह दःतािनय

क और अंमेज क पुःतक पढ़कर पैदा हआ
ु है । उस असंतोष से अशा त पैदा हई
ु और उस अशा त म
कई लोग मरे , कई बरबाद हए
ु , कई जेल गये, कई को दे श िनकाला हआ।
ु आगे भी ऐसा होगा और होना
चा हये। से सब ल ण अ छे माने जा सकते ह। ले कन इनका नतीजा बुरा भी आ सकता है ।

4. हं द ःवराज : ःवरा य या है ?

-पाठक: कांमेस ने ह दःतान


ु को एक रा बनाने के िलए या कया? बंग-भंग से जागृित कैसे हई
ु ? अशा त
और असंतोष कैसे फैले? यह सब जाना। अब म यह जानना चाहता हंू क ःवरा य के बारे म आपके या
खयाल ह। मुझे डर है क शायद हमार समझ म फरक हो।

संपादक: फरक होना मुम कन है । ःवरा य के िलए आप हम सब अधीर बन रहे ह ले कन वह या है इस


बारे म हम ठ क राय पर नह ं पहंु चे ह। अंमेज को िनकाल बाहर करना चा हये, यह वचार बहत
ु के मुंह से
सुना जाता है ले कन उ ह य िनकालना चा हये, इसका कोई ठ क खयाल कया गया हो ऐसा नह ं लगता।
आपसे ह एक सवाल म पूछता हंू । मान ली जये क हम मांगते ह उतना सब अंमेज हम दे द तो फर उ ह
(यहां से) िनकाल दे ने क ज रत आप समझते ह।

पाठक: म तो उनसे एक ह चीज मांगूगा। वह है मेहरबानी करके आप हमारे मु क से चले जाय। यह मांग
वे कबूल कर और ह दःता
ु न से चले जायं, तब भी अगर कोई ऐसा अथ का अनथ कर क वे यह रहते ह
तो मुझे उसक परवाह नह ं होगी। तब फर हम ऐसा मानगे क हमार भाषा म कुछ लोग जाना का अथ
रहना करते ह।

संपादक: अ छा हम मान ल क हमार मांग के मुता बक अंमेज चले गये, उसके बाद आप या करगे?

पाठक: इस सवाल का जवाब अभी से दया ह नह ं जा सकता, वे कस तरह जाते ह उस पर बाद क हालत
का आधार रहे गा। मान ल क आप कहते ह उस तरह वे चले गये तो मुझे लगता है क उनका बनाया हआ

वधान हम चालू रखगे और राजकाज कारोबार चलायगे। कहने से ह वे चले जाय तो हमारे पास लँकर
तैयार ह होगा। इसिलए हम राजकाज चलाने म कोई मु ँकल नह ं आयेगी।

संपादक: आप भले ह ऐसा मान। ले कन म नह ं मानूंगा। फर भी म इस बात पर यादा बहस नह ं करना


चाहता। मुझे तो आपके सवाल का जवाब दे ना है । वह जवाब म आपसे ह कुछ सवाल करके अ छ तरह दे
सकता हंू । इसिलए कुछ सवाल आपसे करता हंू । हम अंमेज को य िनकालना चाहते ह?
पाठक: इसिलए क उनके राज कारोबार से दे श कंगाल होता जा रहा है । वे हर साल दे श से धन ले जाते ह।
वे अपनी ह चमड़ के लोग को बड़े ओहदे दे ते ह। हम िसफ गुलामी म रखते ह, हमारे साथ बेअदबी का
बरताव करते ह और हमार जरा भी परवाह नह ं करते।

संपादक : अगर वे धन बाहर न ले जायं। नॆ बन जाएं और हम बड़े ओहदे द तो उनके रहने म आपको
कुछ हज है ?

पाठक: यह सवाल ह बेकार है । बाघ अपना प पलट दे तो उसक भाईब द से कोई नुकसान है । ऐसा
सवाल आपने पूछा यह िसफ व बरबाद करने के खाितर ह । अगर बाघ अपना ःवभाव बदल सक तो
अंमेज लोग अपनी आदत छोड़ सकते ह। जो कभी होने वाला नह ं है वह होगा, ऐसा मानना मनुंय क र त
ह नह ं है ।

संपादक: कैनेडा को जो राजस ा िमली है , बोअर लोग को जो राजसता िमली है वैसी ह हम िमले तो?

पाठक: यह भी बेकार सवाल है । हमारे पास उनक तरह गोला बा द हो तब वैसा ज र हो सकता है । ले कन
उन लोग के जतनी स ा जब अंमेज हम दगे तब हम अपना ह झंडा रखगे। जैसा जापान वैसा
ह दःतान।
ु अपना जंगी बेड़ा अपनी फौज और अपनी जाहोजलाली होगी और तभी ह दःतान
ु का सार
दिनया
ु म बोलबाला होगा।

संपादक: यह तो आपने अ छ तःवीर खींची। इसका अथ यह हआ


ु क हम अंमेजी रा य तो चा हये पर
अंमेज शासक नह ं चा हये। आप बाघ का ःवभाव तो चाहते ह ले कन बाघ नह ं चाहते। मतलब यह हआ

क आप ह दःतान
ु को अंमेज बनाना चाहते ह। और ह दःतान
ु जब अंमेज बन जायगा तब वह
ह दःतान
ु नह ं कहा जायेगा। ले कन स चा इं लःतान कहा जायेगा। यह मेर क पना का ःवरा य नह ं
है ।

पाठक: मने तो जैसा मुझे सूझता है वैसा ःवरा य बतलाया। हम जो िश ा पाते ह, वह अगर कुछ काम क
हो ःपे सर, िमल वगैरा महान लेखक के जो लेख हम पढ़ते ह वे कुछ काम के ह , अंमेज क पािलयामे ट
पािलयामे ट क माता हो तो फर बेशक मुझे तो लगता है क हम उनक नकल करनी चा हये। वह यहां
तक क जैसे वे अपने मु क म दसर
ू को घुसने नह ं दे ते वैसे हम भी दसर
ू को न घुसने द। य तो उ ह ने
अपने दे श म जो कया है । वैसा और जगह अभी दे खने म नह ं आता इसिलए उसे तो हम अपने दे श म
अपनाना ह चा हये ले कन अब आप अपने वचार बतलाइये।

संपादक: अभी दे र है । मेरे वचार अपने आप इस चचा म आपको मालूम हो जायगे। ःवरा य को समझना
आपको जतना आसान लगता है उतना ह मुझे मु ँकल लगता है । इसिलए फलहाल म आपको इतना ह
समझाने क कोिशश क ं गा क जसे आप ःवरा य कहते ह वह सचमुच ःवरा य नह ं है ।
5. हं द ःवराज : इं लै ड क हालत

-पाठक: आप जो कहते ह उस पर से तो म यह अंदाजा लगाता हंू क इं लड म जो रा य चलता है वह


ठ क नह ं है और हमारे लायक नह ं है ।

संपादक: आपका यह खयाल सह है । इं लैड म आज जो हालत है वह सचमुच दयनीय तरस खाने लायक
है । म तो भगवान से यह मांगता हंू क ह दःतान
ु क ऐसी हालत कभी न हो। जसे आप पािलयामे ट
क माता कहते ह वह पािलयामे ट तो बांझ और बेसवा है । ये दोन श द बहत
ु कडे ह तो भी उसे अ छ
तरह लागू होते ह। मने उसे बांझ कहा य क अब तक उस पािलयामे ट ने अपने आप एक भी अ छा काम
नह ं कया। अगर उस पर जोर दबाव डालनेवाला कोई न हो तो वह कुछ भी न करे , ऐसी उसक कुदरती
हालत है । और वह बेसवा है य क जो मं ऽमंडल उसे रखे उसके पास वह रहती है । आज उसका मािलक
ए ः वथ है तो कल बालफर होगा और परस कोई तीसरा।

पाठक: आपके बोलने म कुछ यं य है । बांझ श द को अब तक आपने लागू नह ं कया। पािलयामे ट लोग
क बनी है इसिलए बेशक लोग के दबाव से ह वह काम करे गी। वह उसका गुण है । उसके ऊपर का
अंकुश है ।

संपादक: यह बड़ गलत बात है । अगर पािलयामे ट बांझ न हो तो इस तरह होना चा हये- लोग उसम अ छे
से अ छे मे बर चुनकर भेजते ह। मे बर तन वाह नह ं लेते इसिलए उ ह लोग क भलाई के िलए
पािलयामे ट म जाना चा हये। लोग खुद सुिश त संःकार माने जाते ह इसिलए उनसे भूल नह ं होती।
ऐसा हम मानना चा हये ऐसी पािलयामे ट को अज क ज रत नह ं होनी चा हये। न दबाव क । उस
पािलयामे ट का काम इतना सरल होना चा हये क दन ब दन उसका तेज बढ़ता जाय और लोग पर
उसका असर होता जाय। ले कन इससे उलटे इतना तो सब कबूल करते ह क पािलयामे ट के मे बर
दखावट और ःवाथ पाये जाते ह। सब अपना मतलब साधने क सोचते ह।

िसफ डर के कारण ह पािलयामे ट कुछ काम करती है । जो काम आज कया वह कल उसे र करना पड़ता
है । आज तक एक भी चीज को पािलयामे ट ने ठकाने लगाया हो, ऐसी कोई िमसाल दे खने म नह ं आती।
बडे सवाल क चचा जब पािलयामे ट म चलती है तब उसके मे बर पैर फैलाकर लेटते ह या बैठे बैठे
झप कयां लेते ह। उस पािलयामे ट म मे बर इतने जोर से िच लाते ह क सुनने वाले है रान परे शान हो
जाते ह।

उसके एक महान लेखक ने उसे दिनया


ु क बातूनी जैसा नाम दया है । मे बर जस प के ह उस प के
िलए अपना मत वे बगैर सोचे वचारे दे ते ह। दे ने को बंधे हए
ु ह। अगर कोई मे बर इसम अपवाद प
िनकल आये तो उसक कमब ती ह सम झये। जतना समय और पैसा पािलयामे ट खच करती है उतना
समय और पैसा अगर अ छे लोग को िमले तो ूजा का उ ार हो जाय। ॄ टश पािलयामे ट महज ूजा
का खलौना है और वह खलौना ूजा को भार खच म डालता है । ये वचार मेरे खुद के ह, ऐसा आप न
मान। बडे और वचारशील अंमेज ऐसा वचार रखते ह।
एक मे बर ने तो यहां तक कहा है क पािलयामे ट धािमक आदमी के लायक नह ं रह । दसरे
ू मे बर ने
कहा है क पािलयामे ट एक ब चा (बेबी) है । ब च को कभी आपने हमेशा ब चे ह रहते दे खा है । आज
सात सौ बरस के बाद भी अगर पािलयामे ट ब चा ह हो तो वह बड़ कब होगी?

पाठक: आपने मुझे सोच म डाल दया यह सब मुझे तुरंत मान लेना चा हये ऐसा तो आप नह ं कहगे आप
बलकुल िनराले वचार मेरे मन म पैदा कर रहे ह। मुझे उ ह हजम करना होगा। अ छा अब बेसवा श द
का ववेचन क जये।

संपादक: मेरे वचार को आप तुर त नह ं मान सकते यह बात ठ क है । उसके बारे म आपको जो सा ह य
पढ़ना चा हये वह आप पढ़गे तो आपको कुछ याल आयेगा। पािलयामे ट को मने बेसवा कहा, वह भी ठ क
है । उसका कोई मािलक नह ं है । उसका कोई एक मािलक नह ं हो सकता ले कन मेरे कहने का मतलब
इतना ह नह ं है । जब कोई उसका मािलक बनता है जैसे ूधानमंऽी तब भी उसक चाल एक सर खी नह ं
रहती। जैसे बुरे हाल बेसवा के होते ह वैसे ह सदा पािलयामे ट के होते ह। ूधानमंऽी को पािलयामे ट क
थोड़ ह परवाह रहती है । वह तो अपनी स ा के मद म मःत रहता है । अपना दल कैसे जीते इसी क
लगन उसे रहती है । पािलयामे ट सह काम कैसे करे इसका वह बहत
ु कम वचार करता है । अपने दल को
बलवान बनाने के िलए ूधानमंऽी पािलयामे ट से कैसे कैसे काम करवाता है इसक िमसाल जतनी चा हये
उतनी िमल सकती ह। यह सब सोचने लायक है ।

ू पड़ते
पाठक: तब तो आज तक ज ह हम दे शिभमानी और ईमानदार समझते आये ह, उन पर भी आप टट
है ।

संपादक: हां, यह सच है । मुझे ूधानमं ऽय से े ष नह ं है । ले कन तजुबे से मने दे खा है क वे स चे


दे शािभमानी नह ं कहे जा सकते। जसे हम घूस कहते ह वह घूस वे खु लमखु ला नह ं लेते-दे ते इसिलए
भले ह वे ईमानदार कहे जाय। ले कन उनके पास वसीला काम कर सकता है । वे दसर
ू से काम िनकालने
के िलए उपािध वगैरा क घूस बहत
ु दे ते ह। म ह मत के साथ कह सकता हंू क उनम शु भावना और
स ची ईमानदार नह ं होती।

पाठक: जब आपके ऐसे खयाल ह तो जन अंमेज के नाम से पािलयामे ट राज करती है उनके बारे म अब
कुछ क हये, ता क उनके ःवरा य का पूरा याल मुझे आ जाये।

संपादक: जो अंमेज वोटर ह (चुनाव करते ह), उनक धम पुःतक (बाइबल) तो है अखबार। वे अखबार से
अपने वचार बनाते ह। अखबार अूमा णक होते ह। एक ह बात को दो श ल दे ते ह। एक दल वाले उसी
बात को बड़ बनाकर दखलाते ह तो दसरे
ू दलवाले उसी को छोट कर डालते ह। एक अखबारवाला कसी
अंमेज नेता को ूामा णक मानेगा तो दसरा
ू अखबार वाला उसको अूामा णक मानेगा। जस दे श म ऐसे
अखबार ह उस दे श के आदिमय क कैसी ददशा
ु होगी?

पाठक: यह तो आप ह बताइये।
संपादक: उन लोग के वचार घड़ घड़ म बदलते ह। उन लोग म यह कहावत है क ‘सात सात बरस म
रं ग बदलता है ।’ घड़ के लोलक क तरह वे इधर उधर घूमा करते है । जमकर वे बैठ ह नह ं सकते। कोई
दौर दमामवाला आदमी हो और उसने अगर बड़ बड़ बात कर द ं या दावत दे द ं तो वे न कारची क तरह
उसी के ढोल पीटने लग जाते ह। ऐसे लोग क पािलयामे ट भी ऐसी ह होती है । उनम एक बात ज र है ।
वह यह क वे अपने दे श को खोयगे नह ं। अगर कसी ने उस पर बुर नजर डाली तो वे उसक िम ट
पलीद कर दगे। ले कन इससे उस ूजा म सब गुण आ गये या उस ूजा क नकल क जाय ऐसा नह ं कह
सकते, अगर ह दःतान
ु अंमेज ूजा क नकल करे तो ह दःतान
ु पागल हो जाय, ऐसा मेरा प का खयाल
है ।

पाठक: अंमेज ूजा ऐसी हो गई है , इसके आप या कारण मानते ह?

संपादक: इसम अंमेज का कोई खास कसूर नह ं है पर उनक ब क यूरोप क आजकल क स यता का
कसूर है । वह स यता नुकसान दे ह है और उससे यूरोप क ूजा पागल होती जा रह है ।

6. हं द ःवराज : स यता का दशन

-पाठक: अब तो आपको स यता क भी बात करनी होगी। आपके हसाब से तो यह स यता बगाड़ करने
वाली है ।

संपादक: मेरे हसाब से ह नह ं ब क अंमेज लेखक के हसाब से भी यह स यता बगाड़ करने वाली है ।
उसके बारे म बहत
ु कताब िलखी गई ह। वहां इस स यता के खलाफ मंडल भी कायम हो रहे ह। एक
लेखक ने ‘स यता, उसके कारण और उसक दवा’ नाम क कताब िलखी है । उसम उसने यह सा बत कया
है क यह स यता एक तरह का रोग है ।

पाठक: यह सब हम य नह ं जानते?

संपादक: इसका कारण तो साफ है । कोई भी आदमी अपने खलाफ जानेवाली बात करे , ऐसा शायद ह होता
है । आज क स यता के मोह म फंसे हए
ु लोग उसके खलाफ नह ं िलखगे। उलटे उसको सहारा िमले ऐसी
ह बात और दलील ढंू ढ़ िनकालगे। यह वे जान बूझकर करते ह, ऐसा भी नह ं है । वे जो िलखते ह, उसे खुद
सच मानते ह। नींद म आदमी जो सपना दे खता है उसे वह सह मानता है । जब उसक नींद खुलती है तभी
उसे अपनी गलती मालूम होती है । ऐसी ह दशा स यता के मोह म फंसे हए
ु आदमी क होती है । हम जो
बात पढ़ते ह वे स यता क हमायत करने वाल क िलखी बात होती ह। उनम बहत
ु होिशयार और भले
आदमी ह। उनके लेख से हम च िधया जाते ह। य एक के बाद दसरा
ू आदमी उसम फंसता जाता है ।

पाठक: यह बात आपने ठ क कह । अब आपने जो कुछ पढ़ा और सोचा है , उसका खयाल मुझे द जये।

संपादक: पहले तो हम यह सोच क स यता कस हालत का नाम है । इस स यता क सह पहचान तो यह


है क लोग बाहर (दिनया
ु ) क खोज म और शर र के सुख म धा यता-साथकता और पु षाथ मानते ह।
इसक कुछ िमसाल ल। सौ साल पहले यूरोप के लोग जैसे घर म रहते थे उनसे यादा अ छे घर म आज
वे रहते ह, यह स यता क िनशानी मानी जाती है । इसम शर र के सुख क बात है । इसके पहले लोग चमड़े
के कपड़े पहनते थे और भाल का इःतेमाल करते थे।

अब वे ल बे पतलून पहनते ह और शर र को सजाने के िलए तरह तरह के कपडे बनवाते ह और भाले के


बदले एक के बाद एक पांच गोिलयां छोड़ सके, ऐसी च करवाली ब दक
ू इःतेमाल करते ह। यह स यता क
िनशानी है । कसी मु क के लोग, जो जूते वगैरा नह ं पहनते ह , जब यूरोप के कपड़े पहनना सीखते ह तो
जंगली हालत म से स य हालत म आये हए
ु माने जाते ह। पहले यूरोप म लोग मामूली हल क मदद से
अपने िलए जात मेहनत करके जमीन जोतते थे। उसक जगह आज भाप के यंऽ से हल चलाकर एक
आदमी बहत
ु सार जमीन जोत सकता है और बहत
ु -सा पैसा जमा कर सकता है । यह स यता क िनशानी
मानी जाती है । पहले लोग कुछ ह कताब िलखते थे और वे अनमोल मानी जाती थीं। आज हर कोई चाहे
जो िलखता है और छपवाता है और लोग के मन को भरमाता है । यह स यता क िनशानी है ।

पहले लोग बैलगाड़ से रोज बारह कोस क मं जल तय करते थे। आज रे लगाड़ से चार सौ कोस क मं जल
मारते ह। यह तो स यता क चोट मानी गई है । यह स यता जैसे जैसे आगे बढ़ती जाती है वैसे वैसे यह
सोचा जाता है क लोग हवाई जहाज से सफर करगे और थोडे ह घंट म दिनया
ु के कसी भी भाग म जा
पहंु चगे। लोग को हाथ पैर हलाने क ज रत नह ं रहे गी। एक बटन दबाया क आदमी के सामने पहनने
क पोशाक हा जर हो जायगी। दसरा
ू बटन दबाया क उसे अखबार िमल जायगे। तीसरा दबाया क उसके
िलए गाड़ तैयार हो जायेगी। हर समय हमेशा नये भोजन िमलगे। हाथ पैर का काम ह नह ं पड़े गा। सारा
काम कल से ह कया जायेगा। पहले जब लोग लड़ना चाहते थे तो एक-दसरे
ू का शर र-बल आजमाते थे।
आज तो तोप के एक गोले से हजार जान ली जा सकती ह। यह स यता क िनशानी है ।

पहले लोग खुली हवा म अपने को ठ क लगे उतना काम ःवत ऽता से करते थे। अब हजार आदमी अपने
गुजारे के िलए इक ठा होकर बडे क़ारखान म या खान म काम करते ह। उनक हालत जानवर से भी
बदतर हो गई है । उ ह शीशे वगैरा के कारखान म जान को जो खम म डालकर काम करना पड़ता है ।
उसका लाभ पैसादार लोग का िमलता है । पहले लोग को मार पीटकर गुलाम बनाया जाता था। आज लोग
को पैसे का और भोग का लालच दे कर गुलाम बनाया जाता है । पहले जैसे रोग नह ं थे वैसे रोग आज लोग
म पैदा हो गये ह और उसके साथ डा टर खोज करने लगे ह क ये रोग कैसे िमटाये जाय। ऐसा करने से
अःपताल बढ़े ह। यह स यता क िनशानी मानी जाती है ।

पहले लोग पऽ िलखते थे। तब खास कािसद उसे ले जाता था और उसके िलए काफ खच लगता था। आज
मुझे कसी को गािलयां दे ने के िलए पऽ िलखना हो तो एक पैसे म म गािलयां दे सकता हंू । कसी को मुझे
मुबारक बाद दे ना हो तो भी म उसी दाम म पऽ भेज सकता हंू । यह स यता क िनशानी है । पहले लोग दो
या तीन बार खाते थे और वह भी खुद हाथ से पकाई हई
ु रोट और थोड़ तरकार । अब तो हर दो घंटे पर
खाना चा हये और वह यहां तक क लोग को खाने से फुरसत ह नह ं िमलती। और कतना कहंू यह सब
आप कसी भी पुःतक म पढ़ सकते ह। ये सब स यता क स ची िनशािनयां मानी जाती ह। और अगर
कोई भी इससे अनिभ बात समझाये तो वह भोला है ऐसा िन य ह मािनये।

स यता तो मने जो बतायी वह मानी जाती है । उसम नीित या धम क बात ह नह ं है । स यता के


हमायती साफ कहते ह क उनका काम लोग को धम िसखाने का नह ं है । धम तो ढ ग है , ऐसा कुछ लोग
मानते ह। और कुछ लोग धम का द भ करते ह, नीित क बात भी करते ह। फर भी म आपसे बीस बरस
के अनुभव के बाद कहता हंू क नीित के नाम से अनीित िसखलाई जाती है । ऊपर क बात म नीित हो ह
नह ं सकती। यह कोई ब चा भी समझ सकता है ।

शर र का सुख कैसे िमले, यह आज क स यता ढंू ढ़ते ह और यह दे ने क वह कोिशश करती है । पर तु वह


सुख भी नह ं िमल पाता। यह स यता तो अधम है और यह यूरोप म इतने दरजे तक फैल गयी है क वहां
के लोग आधे पागल जैसे दे खने म आते ह। उनम स ची कूबत नह ं है , वे नशा करके अपनी ताकत कायम
रखते ह। एका त म वे बैठ ह नह ं सकते। जो यां घर क रािनयां होनी चा हय उ ह गिलय म भटकना
पड़ता है या कोई मजदरू करनी पड़ती है । इं लैड म ह चालीस लाख गर ब औरत को पेट के िलए स त
मजदरू करनी पड़ती है और आजकल इसके कारण सफजेट का आ दोलन चल रहा है ।

यह स यता ऐसी है क अगर हम धीरज धर कर बैठे रहगे तो स यता क चपेट म आये हए


ु लोग खुद क
जलायी हई
ु आग म जल मरगे। पैग बर मोह मद साहब क सीख के मुता बक यह शैतानी स यता है ।
ह द ू धम इसे िनरा कलजुग कहता है । म आपके सामने इस स यता का हबह
ू ू िचऽ नह ं खींच सकता। यह
मेर श के बाहर है । ले कन आप समझ सकगे क इस स यता के कारण अंमेज ूजा को सड़न ने घर
कर िलया है । यह स यता दसर
ू का नाश करने वाली और खुद नाशवान है । इससे दरू रहना चा हये और
इसीिलए ॄ टश और दसर
ू पािलयामे ट बेकार हो गई ह। ॄ टश पािलयामे ट अंमेज ूजा क गुलामी क
िनशानी है , यह प क बात है ।

आप पढ़गे और सोचगे तो आपको भी ऐसा ह लगेगा। इसम आप अंमेज का दोष न िनकाल। उन पर तो


हम दया आनी चा हये। वे का बल ूजा ह इसिलए कसी दन उस जाल से िनकल जायगे। ऐसा म मानता
हंू । वे साहसी और मेहनती ह। मूल म उनके वचार अनीित भरे नह ं ह, इसिलए उनके बारे म मेरे मन म
उ म खयाल ह ह। उनका दल बुरा नह ं ह। यह स यता उनके िलए कोई अिमट रोग नह ं है । ले कन अभी
वे उस रोग म फंसे हए
ु ह। यह तो हम भूलना ह नह ं चा हये।

7. हं द ःवराज : ह दःतान
ु कैसे गया?

पाठक: आपने स यता के बारे म बहत


ु कुछ कहा और मुझे वचार म डाल दया। अब तो म इस संकट म
आ पड़ा हंू क यूरोप क ूजा से म या लूं और या न लूं। ले कन एक सवाल मेरे मन म तुर त उठता
है , अगर आज क स यता बगाड़ करने वाली है , एक रोग है तो ऐसी स यता म फंसे हए
ु अंमज
े ह दःतान

को कैसे ले सके? इसम वे कैसे रह सकते ह?

संपादक: आपके इस सवाल का जवाब अब कुछ आसानी से दया जा सकेगा और अब थोड़ दे र म हम


ःवरा य के बारे म भी वचार कर सकगे। आपके इस सवाल का जवाब अभी दे ना बाक है , यह म भूला नह ं
हंू । ले कन आपके आ खर सवाल पर हम आय। ह दःतान
ु अंमेज ने िलया सो बात नह ं है ब क हमने
उ ह दया है । ह दःतान
ु म वे अपने बल से नह ं टके ह ब क हमने उ ह टका रखा है । वह कैसे सो
दे ख। आपको म याद दलाता हंू क हमारे दे श म वे दरअसल यापार के िलए आये थे। आप अपनी कंपनी
बहादरु को याद क जये उसे बहादरु कसने बनाया। वे बेचारे ऐसे राज करने का इरादा भी नह ं रखते थे।
कंपनी के लोग क मदद कसने क ? उनक चांद को दे खकर कौन मोह म पड़ जाता था? उनका माल कौन
बेचता था?

इितहास सबूत दे ता है क यह सब हम ह करते थे। ज द पैसा पाने के मतलब से हम उनका ःवागत


करते थे। हम उनक मदद करते थे। मुझे भांग पीने क आदत हो और भांग बेचने वाला मुझे भांग बेचे तो
कसूर बेचने वाले का िनकालना चा हये या अपना खुद का? बेचने वाले का कसूर िनकालने से मेरा यसन
थोड़े ह िमटनेवाला है ? एक बेचने वाले को भगा दगे तो या दसरे
ू मुझे भांग नह ं बेचगे। ह दःतान
ु के
स चे सेवक को अ छ तरह खोज करके इसक जड़ तक पहंु चना होगा। यादा खाने से अगर मुझे अजीण
हआ
ु हो तो म पानी का दोष िनकाल कर अजीण दरू नह ं कर सकूंगा। स चा डा टर तो वह है जो रोग क
जड़ खोजे। आप अगर ह दःतान
ु के रोग के डा टर होना चाहते ह तो आपको रोग क जड़ खोजनी ह
पड़े गी।

पाठक: आप सच कहते ह। अब मुझे समझाने के िलए आपको दलील करने क ज रत नह ं रहे गी। म
आपके वचार जानने के िलए अधीर बन गया हंू । अब हम बहत
ु ह दलचःप वषय पर आ गये ह, इसिलए
मुझे आप अपने ह वचार बताय। जब उनके बारे म शंका पैदा होगी तब म आपको रोकूंगा ।

संपादक: बहत
ु अ छा, पर मुझे डर है क आगे चलने पर हमारे बीच फर से मतभेद ज र होगा। फर भी
जब आप मुझे रोकगे तभी म दलील म उत ं गा। हमने दे खा क अंमेज यापा रय को हमने बढ़ावा दया
तभी वे ह दःतान
ु म अपने पैर फैला सके। वैसे ह जब हमारे राजा लोग आपस म झगड़े तब उ ह ने
कंपनी बहादरु से मदद मांगी। कंपनी बहादरु यापार और लड़ाई के काम म कुशल थी उसम उसे नीित
अनीित क अड़चन नह ं थी। यापार बढ़ाना और पैसा कमाना यह उसका धंधा था। उसम जब हमने मदद
द तब उसने हमार मदद ली और अपनी को ठया बढ़ाई। को ठय का बचाव करने के िलए उसने लँकर
रखा। उस लँकर का हमने उपयोग कया इसिलए अब उसे दोष दे ना बेकार है । उस व ह द ू मुसलमान
के बीच बैर था। कंपनी को उससे मौका िमला। इस तरह हमने कंपनी के िलए ऐसे संजोग पैदा कये जससे
ह दःतान
ु पर उसका अिधकार हो जाय। इसिलए ह दःतान
ु गया, ऐसा कहने के बजाय यादा सच यह
कहना होगा क हमने ह दःतान
ु अंमेज को दया।

पाठक: अब अंमेज ह दःतान


ु को कैसे रख सकते ह, सो क हये?

संपादक: जैसे हमने ह दःतान


ु उ ह दया वैसे ह हम ह दःतान
ु को उनके पास रहने दे ते ह। उ ह ने
तलवार से ह दःतान
ु िलया। ऐसा उनम से कुछ कहते ह और ऐसा भी कहते ह क तलवार से वे उसे रख
रहे ह। ये दोन बाते गलत ह। ह दःतान
ु को रखने के िलए तलवार कसी काम म नह ं आ सकती। हम
खुद ह उ ह यहां रहने दे ते ह।

नेपोिलयन ने अंमेज को यापार ूजा कहा है । वह बलकुल ठ क बात है । वे जस दे श को (अपने काबू) म


रखते ह उसे यापार के िलए रखते ह। यह जानने लायक है । उनक फौज और जंगी बेडे िसफ यापार क
र ा के िलए है । जब शा सवाल म यापार का लालच नह ं था तब िम. लेडःटन को तुर त सूझ गया क
शा सवाल पर अंमेज क हक
ु ू मत है । मरहम
ू ूेिसडे ट कूगर से कसी ने सवाल कया चांद म सोना है या
नह ं? उसने जवाब दया चांद म सोना होने क संभावना नह ं है य क सोना होता तो अंमेज अपने राज के
साथ उसे जोड़ दे ते। पैसा उनका खुदा है यह यान म रखने से सब बात साफ हो जायगी। तब अंमेज को
हम ह दःतान
ु म िसफ अपनी गरज से रखते ह। हम उनका यापार पस द आता है । वे चालबाजी करके
हम रझाते ह और रझाकर हमसे काम लेते ह। इसम उनका दोष िनकालना उनक स ा को िनभाने जैसा
है । इसके अलावा हम आपस म झगड़कर उ ह यादा बढ़ावा दे ते ह।

अगर आप ऊपर क बात को ठ क समझते ह तो हमने यह सा बत कर दया क अंमेज यापार के िलए


यहां आये, यापार के िलए यहा रहते ह और उनके रहने म हम ह मददगार ह। अनके हिथयार तो बलकुल
बेकार ह।

इस मौके पर म आपको याद दलाता हंू क जापान म अंमेजी झंडा लहराता है । ऐसा आप मािनये। जापान
के साथ अंमेज ने जो करार कया है वह अपने यापार के िलए कया है । और आप दे खगे क जापान म
अंमेज लोग अपना यापार खूब जमायगे। अंमेज अपने माल के िलए सार दिनया
ू को अपना बाजार बनाना
चाहते ह। यह सच है क ऐसा वे नह ं कर सकगे, इसम उनका कोई कसूर नह ं माना जा सकता। अपनी
कोिशश म वे कोई कसर नह ं रखगे।

8. हं द ःवराज : ह दःता
ु न क दशा
पाठक: ह दःतान
ु अंमेज के हाथ म य है , यह समझा जा सकता है । अब म ह दःतान
ु क हालत के
बारे म आपके वचार जानना चाहता हंू ।

संपादक: आज ह दःतान
ु क रं क दशा है । यह आपसे कहते हए
ु मेर आंखो म पानी भर आता है और गला
सूख जाता है । यह बात म आपको पूर तरह समझा सकूंगा या नह ं इस बारे म मुझे शक है । मेर प क
राय है क ह दःतान
ु अंमेज से नह ं ब क आजकल क स यता से कुचला जा रहा है । उसक चपेट म
वह फंस गया है ।

उसम से बचने का अभी उपाय है ले कन दन-ब- दन समय बीतता जा रहा है । मुझे तो धम यारा है ।
इसिलए पहला दख
ु मुझे यह है क ह दःतान
ु धमॅ होता जा रहा है । धम का अथ म यहां ह द ू मु ःलम
या जरथोःती धम नह ं करता ले कन इन सब धम के अ दर जो धम है वह ह दःतान
ु से जा रहा है । हम
ई र से वमुख होते जा रहे ह।

संपादक: ह दःतान
ु पर यह तोहमत है क हम आलसी ह और गोरे लोग मेहनती और उ साह ह। इसे
हमने मान िलया है । इसिलए हम अपनी हालत को बदलना चाहते ह। ह द,ू मु ःलम, जरथोःती, ईसाई सब
धम िसखाते ह क हम दिनयावी
ु बात के बारे म मंद और धािमक बात के बारे म उ साह रहना चा हये।
हम अपने दिनयावी
ु लोभ क हद बांधनी चा हये और धािमक लोभ को खुला छोड़ दे ना चा हये। हमारा
उ साह धािमक लोभ म ह रहना चा हये।

पाठक: इससे तो मालूम होता है क आप पाखंड बनने क तालीम दे ते ह। धम के बारे म ऐसी बात करके
ठग लोग दिनया
ु को ठगते आये ह और आज भी ठग रहे ह।
संपादक: आप धम पर गलत आरोप लगाते ह। पाखंड तो सब धम म है । जहां सूरज है वहां अंधेरा रहता
ह है । परछाई हर एक चीज के साथ जुड़ रहती है । धािमक ठग को आप दिनयावी
ु ठग से अ छे पायगे।
स यता म जो पाखंड म आपको बता चुका हंू वैसा पाखंड धम म मने कभी कह ं दे खा नह ं।

पाठक: यह कैसे कहा जा सकता है धम के काम पर ह द ू मुसलमान लड़े , धम के नाम पर ईसाइय म बडे
बड़े यु हए।
ु धम के नाम पर हजार बेगुनाह लोग मारे गये। उ ह जला दया गया। उन पर बड़ बड़
मुसीबत गुजार गई। यह तो स यता से बदतर ह माना जायगा।

संपादक: तो म कहंू गा क यह सब स यता के दख


ु से यादा बरदाँत हो सकने जैसा है । आपने जो कुछ
कहा वह पाखंड है ऐसा सब लोग समझते ह। इसिलए पाखंड म फंसे हए
ु लोग मर गये क सारा सवाल हल
हो गया। जहां भोले लोग ह वहां ऐसा ह चलता रहे गा ले कन उसका असर हमेशा के िलए बुरा नह ं रहता।
स यता क होली म जो लोग जल मरे ह उनक तो कोई हद ह नह ं है । उसक खूबी यह है क लोग उसे
अ छा मानकर उसम कूद पड़ते ह। फर वे न तो रहते द न के और न रहते दिनया
ु के। वे सच बात को
बलकुल भूल जाते ह।

स यता चूहे क तरह फूंककर काटती है । उसका असर जब हम जानगे तब पुराने वहम मुकाबले म हम
मीठे लगगे। मेरा कहना यह नह ं क हम उन वहम को कायम रखना चा हये। नह ं, उनके खलाफ तो हम
लड़गे ह ले कन वह लड़ाई धम को भूल कर नह ं लड़ जायेगी ब क सह तौर पर धम को समझकर और
उसक र ा करके लड़ जायेगी।

पाठक: तब तो आप यह भी कहगे क अंमेज ने ह दःतान


ु म शा त का जो सुख हम दया है वह बेकार
है ।

संपादक: आप भले शांित दे खते ह पर म तो शा त का सुख नह ं दे खता।

पाठक: तब तो ठग, पंडार , भील वगैरा दे श म जो ऽास गुजारते थे उसम आपके खयाल से कोई बुराई नह ं
थी?

संपादक: आप जरा सोचगे तो मालूम होगा क उनका ऽास बहत


ु कम था। अगर सचमुच उनका ऽास
भयंकर होता तो ूजा का जड़ मूल से कभी का नाश हो जाता और हाल क शा त तो नाम क ह है । म
यह कहना चाहता हंू क इस शा त से हम नामद, नपुंसक और डरपोक बन गये ह। भील और पंडा रय
का ःवभाव अंमेज ने बदल दया है , ऐसा हम न मान ल। हम पर एक सा जु म होता हो तो हम उसे
बरदाँत करना चा हये ले कन दसरे
ू लोग हम उस जु म से बचाव, यह तो हमारे िलए बलकुल कलंक जैसा
है । हम कमजोर और डरपोक बन उससे तो भील के तीर कमान से मरना मुझे यादा पसंद है ।

उस हालत म जो ह दःतान
ु था उसका जोश कुछ दसरा
ू ह था। मकाले ने ह दःतािनय
ु को नामद माना।
वह उसक अधम अ ान दशा को बताता है । ह दःतानी
ु नामद कभी नह ं थे। यह जान ली जये क जस
दे श म पहाड़ लोग बसते ह, जहां बाघ भे ड़ये रहते ह उस दे श के रहनेवाले अगर सचमुच डरपोक ह तो
उनका नाश ह हो जाये। आप कभी खेत म गये ह, म आपसे यक नन ् कहता हंू क खेत म हमारे कसान
आज भी िनभय होकर सोते ह जब क अंमेज और आप वहां सोने के िलए आनाकानी करगे। बल तो
िनभयता म है , बदन पर मांस के ल दे होने म बल नह ं है । आप थोड़ा भी स चगे तो इस बात को समझ
जायगे।

और आपको, जो ःवरा य चाहने वाले ह, म सावधान करता हंू क भील, पंडार और ठग ये सब हमारे ह
दे शी भाई ह। उ ह जीतना मेरा और आपका काम है । जब तक आपके ह भाई का डर आपको रहे गा तब
तक आप कभी मकसद हािसल नह ं कर सकगे।

9. हं द ःवराज : ह दःतान
ु क दशा (रे लगा डया)

पाठक: ह दःतान
ु क शा त के बारे म मेरा जो मोह था वह आपने ले िलया। अब तो याद नह ं आता क
आपने मेरे पास कुछ भी रहने दया हो।

संपादक: अब तक तो मने आपको िसफ धम क दशा का ह खयाल कराया है । ले कन ह दःतान


ु रं क य
है , इस बारे म म अपने वचार आपको बताऊंगा तब तो शायद आप मुझसे नफरत ह करगे य क आज
तक हमने और आपने जन चीज को लाभकार माना है वे मुझे तो नुकसान दे ह ह मालूम होती ह।

पाठक: वे या ह?

संपादक: ह दःतान
ु को रे ल ने, वक ल ने और डा टर ने कंगाल बना दया है । यह एक ऐसी हालत है क
अगर हम समय पर नह ं चेतगे तो चार ओर से िघर कर बबाद हो जायगे।

पाठक: मुझे डर है क हमारे वचार कभी िमलगे या नह ं। आपने तो जो कुछ अ छा दे खने म आया है और
अ छा माना गया है , उसी पर धावा बोल दया है ! अब बाक या रहा?

संपादक: आपको धीरज रखना होगा। स यता नुकसान करने वाली कैसे है , यह तो मु ँकल से मालूम हो
सकता है । डा टर आपको बतलायगे क य का मर ज मौत के दन तक भी जीने क आशा रखता है ।
य का रोग बाहर दखाई दे ने वाली हािन नह ं पहंु चाता और वह रोग आद को झूठ लाली दे ता है । इससे
बीमार व ास म बहता रहता है और आ खर डब
ू जाता है । स यता को भी ऐसा ह सम झये, वह एक
अ ँय रोग है । उससे चेत कर र हये।

पाठक: अ छा तो अब आप रे ल पुराण सुनाइये।

संपादक: आपके दल म यह बात तुर त उठे गी क अगर रे ल न हो तो अंमेज का काबू ह दःतान


ु पर
जतना है उतना तो नह ं ह रहे गा। रे ल से महामार फैली है । अगर रे लगाड़ न हो तो कुछ ह लोग एक
जगह से दसर
ू जगह जायगे और इस कारण संबामक रोग सारे दे श म नह ं पहंु च पायगे। पहले हम
कुदरती तौर पर ह ‘सेमेगेशन’- सूतक पालते थे। रे ल से अकाल बढ़े ह य क रे लगाड़ क सु वधा के कारण
लोग अपना अनाज बेच डालते ह।
जहां मंहगाई हो वहां अनाज खंच जाता है । लोग लापरवाह बनते ह और उससे अकाल का दख
ु बढ़ता है ।
रे ल से द ु ता बढ़ती है । बुरे लोग अपनी बुराई तेजी से फैला सकते ह। ह दःतान
ु म जो प वऽ ःथान थे वे
अप वऽ बन गये ह। पहले लोग बड़ मुसीबत से वहां जाते थे। ऐसे लोग वहां स ची भावना से ई र को
भजने जाते थे। अब तो ठग क टोली िसफ ठगने के िलए वहां जाती है ।

पाठक: यह तो आपने इकतरफा बात कह । जैसे खराब लोग वहां जा सकते ह, वैसे अ छे भी तो जा सकते
ह। वे य रे लगाड़ का पूरा लाभ नह ं लेते?

संपादक: जो अ छा होता है वह बीरबहट


ू क तरह धीरे चलता है । उसक रे ल से नह ं बनती। अ छा
करनेवाले के मन म ःवाथ नह ं रहता। वह ज द नह ं करे गा। वह जानता है क आदमी पर अ छ बात का
असर डालने म बहत
ु समय लगता है । बुर बात ह तेजी से बढ़ सकती है । घर बनाना मु ँकल है , तोड़ना
सहज है । इसिलए रे लगाड़ हमेशा द ु ता का ह फैलाव करे गी। यह बराबर समझ लेना चा हये। उससे अकाल
फैलेगा या नह ं इस बारे म कोई शा ाकार मेरे मन म घड़ भर शंका पैदा कर सकता है ले कन रे ल से
द ु ता बढ़ती है यह बात जो मेरे मन म जम गयी है वह िमटने वाली नह ं है ।

पाठक: ले कन रे ल का सबसे बड़ा लाभ दसरे


ू सब नुकसान को भुला दे ता है । रे ल है तो आज ह दःतान
ु म
एक रा का जोश दे खने म आता है । इसिलए म तो कहंू गा क रे ल के आने से कोई नुकसान नह ं हआ।

संपादक: यह आपक भूल ह है । आपको अंमेज ने िसखाया है क आप एक रा नह ं थे और एक रा बनने


म आपको सैकड़ बरस लगगे, यह बात ब कुल बेबुिनयाद है । जब अंमेज ह दःतान
ु म नह ं थे तब हम
एक रा थे, हमारे वचार एक थे, हमारा रहन-सहन एक था, तभी तो अंमेज ने यहां एक रा य कायम कया।
भेद तो हमारे बीच बाद म उ ह ने पैदा कये।

पाठक: यह बात मुझे यादा समझनी होगी।

संपादक: म जो कहता हंू बना सोचे समझे नह ं कहता। एक रा का यह अथ नह ं क हमारे बीच कोई
मतभेद नह ं था ले कन हमारे मु य लोग पैदल या बैलगाड़ म ह दःतान
ु का सफर करते थे, वे एक दसरे

क भाषा सीखते थे और उनके बीच कोई अ तर नह ं था। जन दरदश
ू पु ष ने सेतुबंध, रामे र,
जग नाथपुर और ह र ार क याऽा ठहराई उनका आपक राय म या खयाल होगा, वे मूख नह ं थे। यह तो
आप कबूल करगे। वे जानते थे क ई र भजन घर बैठे भी होता है । उ ह ं ने हम यह िसखाया है क मन
चंगा तो कठौती म गंगा। ले कन उ ह ने सोचा क कुदरत ने ह दःतान
ु को एक दे श बनाया है , इसिलए वह
एक रा होना चा हये।

इसिलए उ ह ने अलग अलग ःथान तय करके लोग को एकता का वचार इस तरह दया जैसा दिनया
ु म
और कह ं नह ं दया गया है । दो अंमेज जतने एक नह ं ह उतने हम ह दःतानी
ु एक थे और एक ह। िसफ
हम और आप जो खुद को स य मानते ह, उ ह ं के मन म ऐसा आभास (ॅम) पैदा हआ
ु क ह दःतान

म हम अलग-अलग रा ह। रे ल के कारण हम अपने को अलग रा मानने लगे और रे ल के कारण एक रा
का याल फर से हमारे मन म आने लगा ऐसा आप मान तो मुझे हज नह ं है । अफमची कह सकता है
क अफ म के नुकसान का पता मुझे अफ म से चला इसिलए अफ म अ छ चीज है । यह सब आप अ छ
तरह सोिचये। अभी आपके मन म और भी शंकाएं उठगी। ले कन आप खुद उन सबको हल कर सकगे।

पाठक: आपने जो कुछ कहा उस पर म सोचूंगा ले कन एक सवाल मेरे मन म इसी समय उठता है ।
मुसलमान ह दःतान
ु म आये उसके पहले के ह दःतान
ु क बात आपने क । ले कन अब तो मुसलमान ,
पारिसय ईसाइय क ह दःतान
ु म बड़ सं या है । वे एक रा नह ं हो सकते। कहा जाता है क ह द ू
मुसलमान म क टर बैर है । हमार कहावत भी ऐसी ह ह।

िमयां और महादे व क नह ं बनेगी। ह द ू पूव म ई र को पूजता है तो मु ःलम प म म पूजता है ।


मुसलमान ह द ू को बुतपरःव मूितपूजक मानकर उससे नफरत करता है । ह द ू मूित पूजक है , मुसलमान
मूित को तोड़ने वाला है । ह द ू गाय को पूजता है । मुसलमान उसे मारता है । ह द ू अ हं सक है , मुसलमान
हं सक। य पग पग पर जो वरोध है वह कैसे िमटे और ह दतान
ु एक हो?

10. हं द ःवराज : ह दःतान


ु क दशा ( ह द-ू मुसलमान)

संपादक: आपका आ खर सवाल बड़ा ग भीर मालूम होता है । ले कन सोचने पर वह सहज मालूम होगा। यह
सवाल उठा है , उसका कारण भी रे ल, वक ल और डा टर ह। वक ल और डा टर का वचार तो अभी करना
बाक है ।

रे ल का वचार हम कर चुक। इतना म जोड़ता हंू क मनुंय इस तरह पैदा कया गया है क अपने हाथ
पैर से बने उतनी ह आने-जाने वगैरा क हलचल उसे करनी चा हये। अगर हम रे ल वगैरा साधन से दौड़धूप
कर ह नह ं तो बहत
ु पेचीदे सवाल हमारे सामने आयगे ह नह ं। हम खुद होकर दख
ु को योतते ह।

भगवान ने मनुंय क हद उसके शर र क बनावट से ह बांध द । ले कन मनुंय ने उस बनावट क हद को


लांघने के उपाय ढंू ढ़ िनकाले मनुंय को अकल इसिलए द गई है क उसक मदद से वह भगवान को
पहचाने पर मनुंय ने अकल का उपयोग भगवान को भूलने म कया। म अपनी कुदरती हद के मुता बक
अपने आस-पास रहनेवाल क ह सेवा कर सकता हंू पर मने तुर त अपनी मग र म ढंू ढ़ िनकाला क
मुझे तो सार दिनया
ु क सेवा अपने तन से करनी चा हये।

ऐसा करने म अनेक धम के और कई तरह के लोग का साथ होगा। यह बोझ मनुंय उठा ह नह ं सकता
और इसिलए अकुलाता है । इस वचार से आप समझ लगे क रे लगाड़ सचमुच एक तूफानी साधन है ।
मनुंय रे लगाड़ का उपयोग करके भगवान को भूल गया है ।

पाठक: पर म तो अब जो सवाल मने उठाया है उसका जवाब सुनने को अधीर हो रहा हंू । मुसलमान के
आने से हमारा एक-रा रहा या िमटा?

संपादक: ह दःतान
ु म चाहे जस धम के आदमी रह सकते ह उससे वह एक रा िमटने वाला नह ं है । जो
नये लोग उसम दा खल होते ह वे उसक ूजा को तोड़ नह ं सकते, वे उसक ूजा म घुलिमल जाते ह। ऐसा
हो तभी कोई मु क एक रा माना जायेगा। ऐसे मु क म दसरे
ू लोग का समावेश करने का गुण होना
चा हये। ह दःतान
ु ऐसा था और आज भी है । य तो जतने आदमी उतने धम ऐसा मान सकते ह। एक
रा होकर रहनेवाले लोग एक दसरे
ू के धम म दखल नह ं दे ते। अगर दे ते ह तो समझना चा हये क वे एक
रा होने के लायक नह ं ह।

अगर ह द ू मान क सारा ह दःतान


ु िसफ ह दओं
ु से भरा होना चा हये तो यह एक िनरा सपना है ।
मुसलमान अगर ऐसा मान क उसम िसफ मुसलमान ह रह तो उसे भी सपना ह सम झये। फर भी
ह द,ू मुसलमान, पारसी, ईसाई जो इस दे श को अपना वतन मानकर बस चुके ह एक दे शी, एक मु क ह, वे
दे शी भाई ह और उ ह एक दसरे
ू के ःवाथ के िलए भी एक होकर रहना पडे ग़ा। दिनया
ु के कसी भी हःसे
म एक रा का अथ एक धम नह ं कया गया है । ह दःतान
ु म तो ऐसा था ह नह ं।

पाठक: ले कन दोन कौम के क टर बैर का या?

संपादक: क टर बैर श द दोन के दँमन


ु ने खोज िनकाला है । जब ह द ू मुसलमान झगड़ते थे तब वे ऐसी
बात भी करते थे। झगड़ा तो हमारा कब का बंद हो गया है । फर क टर बैर काहे का और इतना याद
र खये क अंमेज के आने के बाद ह हमारा झगड़ा ब द हआ
ु , ऐसा नह ं है । ह द ू लोग मुसलमान बादशाह
के मातहत और मुसलमान ह द ू राजाओं के मातहत रहते आये ह। दोन को बाद म समझ म आ गया क
झगड़ने से कोई फायदा नह ं।

लड़ाई से कोई अपना धम नह ं छोड़े गे और कोई अपनी जद भी नह ं छोड़े गे। इसिलए दोन ने िमलकर रहने
का फैसला कया। झगड़े तो फर से अंमेज ने शु करवाये। िमयां और महादे व क नह ं बनती इस कहावत
का भी ऐसा ह सम झये। कुछ कहावत हमेशा के िलए रह जाती ह और नुकसान करती ह रहती ह। हम
कहावत क धुन म इतना भी याद नह ं रखते क बहते
ु रे ह दओं
ु और मुसलमान के बाप दादे एक ह थे।
हमारे अ दर एक ह खून है । या धम बदला इसिलए हम आपस म दँमन
ु बन गये।

धम तो एक ह जगह पहंु चने के अलग अलग राःते ह? हम दोन अलग अलग राःते चल। इससे या हो
गया। उसम लड़ाई काहे क और ऐसी कहावत तो शैव और वैंणव म भी चलती ह पर इससे कोई यह नह ं
कहे गा क वे एक रा नह ं है । वेदधिमय और जैन के बीच बहत
ु फक माना जाता है । फर भी इससे वे
अलग रा नह ं बन जाते। हम गुलाम हो गये ह इसीिलए अपने झगड़े हम तीसरे के पास ले जाते ह।

जैसे मुसलमान मूित का खंडन करने वाले ह, वैसे ह दओं


ु म भी मूित का खंडन करनेवाला एक वग दे खने
म आता है । य य सह ान बढ़े गा य य हम समझते जायगे क हम पस द न आनेवाला धम
दसरा
ू आदमी पालता हो, तो भी उससे बैरभाव रखना हमारे िलए ठ क नह ं, हम उस पर जबरदःती न कर।

पाठक: अब गोर ा के बारे म अपने वचार बताइये।

संपादक: म खुद गाय को पूजता हंू यानी मान दे ता हंू । गाय ह दःतान
ु क र ा करनेवाली है , य क उसक
संतान पर ह दःतान
ु का, जो खेती ूधान दे श है , आधार है । गाय कई तरह से उपयोगी जानवर है । वह
उपयोगी जानवर है यह तो मुसलमान भाई भी कबूल करगे। ले कन जैसे म गाय को पूजता हंू वैसे म
मनुंय को भी पूजता हंू । जैसे गाय उपयोगी है वैसे मनुंय भी- फर चाहे वह मुसलमान हो या ह द-ू
उपयोगी है । तब या गाय को बचाने के िलए म मुसलमान से लडंू गा? या उसे म मा ं गा?

ऐसा करने से म मुसलमान का और गाय का भी दँमन


ु बनूंगा। इसिलए म कहंू गा क गाय क र ा करने
का एक यह उपाय है क मुझे अपने मुसलमान भाई के सामने हाथ जोड़ने चा हये और उसे दे श के खाितर
गाय को बचाने के िलए समझाना चा हये। अगर वह न समझे तो मुझे गाय को मरने दे ना चा हये य क
वह मेरे बस क बात नह ं। अगर मुझे गाय पर अ यंत दया आती हो तो अपनी जान दे दे नी चा हये, ले कन
मुसलमान क जान नह ं लेनी चा हये। यह धािमक कानून है , ऐसा म तो मानता हंू ।

‘हां’ और ‘नह ं’ के बीच हमेशा बैर रहता है । अगर म वाद- ववाद क ं गा तो मुसलमान भी वाद- ववाद करे गा।
अगर म टे ढ़ा बनूगा तो वह भी टे ढ़ा बनेगा, अगर म बािलँत भर नमूंगा, तो वह हाथ भर नमेगा, और अगर
वह नह ं भी नमे तो मेरा नमना गलत नह ं कहलायेगा। जब हमने जद क तब गोकुशी बढ़ । मेर राय है
क गोर ा ूचा रणी सभा गोवध ूचा रणी सभा मानी जानी चा हये। ऐसी सभा का होना हमारे िलए
बदनामी क बात है । जब गाय क र ा करना हम भूल गये तब ऐसी सभा क ज रत पड़ होगी।

मेरा भाई गाय को मारने दौडे , तो म उसके साथ कैसा बरताव क ं गा? उसे मा ं गा या उसके पैर म पडंू गा?
अगर आप कह क मुझे उसके पांव पड़ना चा हये, तो मुझे मुसलमान भाई के भी पांव पड़ना चा हये। गाय
को दख ु
ु दे कर ह द ू गाय का वध करता है , इससे गाय को कौन छड़ाता है ? जो ह द ू गाय क औलाद को
पैना (आर) भ कता है , उस ह द ू को कौन समझाता है ? इससे हमारे एक रा होने म कोई कावट नह ं आई
है ।

अंत म ह द ू अ हं सक और मुसलमान हं सक ह, यह बात अगर सह हो तो अ हं सक का धम या है ?


अ हं सक को आदमी क हं सा करनी चा हये। ऐसा कह ं िलखा नह ं है । अ हं सक के िलए तो राह सीधी है ।
उसे एक को बचाने के िलए दसरे
ू क हं सा करनी ह नह ं चा हये। उसे तो माऽ चरण वंदना करनी चा हये,
िसफ समझाने का काम करना चा हये। इसी म उसका पु षाथ है ।

ले कन या तमाम ह द ू अ हं सक ह? सवाल क जड़ म जाकर वचार करने पर मालूम होता है क कोई भी



अ हं सक नह ं है , य क जीव को तो हम मारते ह ह। ले कन इस हं सा से हम छटना चाहते ह, इसिलए
अ हं सक (कहलाते) ह। साधारण वचार करने से मालूम होता है क बहत
ु से ह द ू मांस खानेवाले ह,
इसिलए वे अ हं सक नह ं माने जा सकते। खींच-तानकर दसरा
ू अथ करना हो तो मुझे कुछ कहना नह ं है ।
जब ऐसी हालत है तब मुसलमान हं सक और ह द ू अ हं सक है , इसिलए दोन क नह ं बनेगी, यह सोचना
बलकुल गलत है ।

ऐसे वचार ःवाथ धमिश क , शा य और मु लाओं ने हम दये ह। और इसम जो कमी रह गई थी, उसे
अंमेज ने पूरा कया है । उ ह इितहास िलखने क आदत है , हर एक जाित के र ित- रवाज जानने का वे
दं भ करते ह। ई र ने हमारा मन तो छोटा बनाया है फर भी वे ई र दावा करते आये ह और तरह-तरह
के ूयोग करते ह। वे अपने बाजे खुद बजाते ह और हमारे मन म अपनी बात सह होने का व ास जमाते
है । हम भोलेपन म उस सब पर भरोसा कर लेते ह।
जो टे ढ़ा नह ं दे खना चाहते वे दे ख सकगे क कुरान शर फ म ऐसे सैकड़ वचन है , जो ह दओं
ु को मा य ह ,
भगवदगीता म ऐसी बात िलखी ह क जनके खलाफ मुसलमान को कोई भी एतराज नह ं हो सकता।
कुरान शर फ का कुछ भाग म न समझ पाऊं या कुछ भाग मुझे पसंद न आये, इस वजह से या म उसे
मानने वाले से नफरत क ं ? झगड़ा दो से ह हो सकता। मुझे झगड़ा नह ं करना हो तो मुसलमान या
करे गा? और मुसलमान को झगड़ा न करना हो तो, म या कर सकता हंू ? हवा म हाथ उठाने वाले का हाथ
उखड़ जाता है । सब अपने अपने धम का ःव प समझकर उससे िचपके रह और शा य व मु लाओं को
बीच म न आने द, तो झगड़े का मुंह हमेशा के िलए काला ह रहे गा।

पाठक: अंमेज दोन कौम का मेल होने दगे?

संपादक: यह सवाल डरपोक आदमी का है । यह सवाल हमार ह नता को दखाता है । अगर दो भाई चाहते ह
क उनका आपस म मेल बना रहे , तो कौन उनके बीच म आ सकता है ? अगर तीसरा आदमी दोन के बीच
झगड़ा पैदा कर सके, तो उन भाइय को हम क चे दल के कहगे। उसी तरह अगर हम ह द ू और
मुसलमान क चे दल के ह गे, तो फर अंमेज का कसूर िनकालना बेकार होगा। क चा घड़ा एक कंकड़ से
नह ं तो दसरे
ू कंकड़ से फूटे गा ह ।

घड़े को बचाने का राःता यह नह ं है क उसे कंकड़ से दरू रखा जाय ब क यह है क उसे प का बनाया
जाय, जससे कंकड़ का भय ह न रहे । उसी तरह हम प के दल के बनना है । हम दोन म से कोई एक भी
प के दल के ह गे तो तीसरे क कुछ नह ं चलेगी। यह काम ह द ू आसानी से कर सकते ह। उनक सं या
बड़ है , वे अपने को यादा पढ़े -िलखे मानते ह इसिलए वे प का दल रख सकते ह।

दोन कौम के बीच अ व ास है , इसिलए मुसलमान लाड मॉल से कुछ हक मांगते ह। इसम ह द ू य
वरोध कर, अगर ह द ू वरोध न कर, तो अंमेज चौकगे। मुसलमान धीरे -धीरे ह दओं
ु का भरोसा करने
लगगे और दोन का भाई चारा बढ़े गा। अपने झगड़े अंमेज के पास ले जाने म हम शरमाना चा हये। ऐसा
करने से ह द ू कुछ खोनेवाले नह ं है , इसका हसाब आप खुद लगा सकगे। जस आदमी ने दसरे
ू पर व ास
कया, उसने आज तक कुछ खोया नह ं है ।

म यह नह ं कहना चाहता क ह द-ू मुसलमान कभी झगड़े गे ह नह ं। दो भाई साथ रह, तो उनके बीच
तकरार होती है । कभी हमारे िसर भी फूटगे, ऐसा होना ज र नह ं है , ले कन सब लोग एक सी अकल के नह ं
होते। दोन जोश म आते ह तब अकसर गलत काम कर बैठते ह। उ ह हम सहन करना होगा। ले कन ऐसी
तकरार को भी बड़ वकालत बघारकर हम अंमेज क अदालत म न ले जाय। दो आदमी लड़, लड़ाई म दोन
के िसर या एक का िसर फूटे , तो उसम तीसरा या याय करे गा? जो लड़गे वे ज मी भी ह गे। बदन से
बदन टकरायेगा तब कुछ िनशानी तो रहे गी ह । उसम याय या हो सकता है ?
11. हं द ःवराज : ह दःतान
ु क दशा(वक ल)

पाठक: आप कहते ह क दो आदमी झगडे तब उसका याय भी नह ं कराना चा हये। यह तो आपने अजीब
बात कह ं।

संपादक: इसे अजीब क हये या दसरा


ू कोई वशेषण लगाइये, पर बात सह है । आपक शंका हम वक ल-
डा टर क पहचान कराती है । मेर राय है क वक ल ने ह दःतान
ु को गुलाम बनाया है । ह द-ू मुसलमान
के झगड़े बढ़ाये ह और अंमेजी हक
ु ू मत को यहां मजबूत कया है ।

पाठक: ऐसे इलजाम लगाना आसान है , ले कन उ ह सा बत करना मु ँकल होगा। वक ल के िसवा दसरा

कौन हम आजाद का माग बताता? उनके िसवा गर ब का बचाव कौन करता? उनके िसवा कौन हम याय
दलाता? दे खये, ःव. मनमोहन घोष ने कतन को बचाया? खुद एक कौड़ भी उ ह ने नह ं ली। कांमेस,
जसके आपने ह बखान कये ह, वक ल से िनभती है और उनक मेहनत से ह उसम काम होते ह। इस
वग क आप िनंदा कर, यह इ साफ के साथ गैर इ साफ करने जैसा है । वह तो आपके हाथ म अखबार
ू लेने जैसा लगता है ।
आया इसिलए चाहे जो बोलने क छट

संपादक: जैसा आप मानते ह वैसा ह म भी एक समय मानता था। वक ल ने कभी कोई अ छा काम नह ं
कया, ऐसा म आपसे नह ं कहना चाहता। िम. मनमोहन घोष क म इ जत करता हंू ।

उ ह ने गर ब क मदद क थी यह बात सह है । कांमेस म वक ल ने कुछ काम कया है , यह भी हम मान


सकते ह। वक ल भी आ खर मनुंय ह और मनुंय जाित म कुछ तो अ छाई है ह । वक ल क भल
मानसी के जो बहत
ु से कःसे दे खने म आते ह, वे तभी हए
ु जब वे अपने को वक ल समझना भूल गये।
मुझे तो आपको िसफ यह दखाना है क उनका धंधा उ ह अनीित िसखानेवाला है । वे बुरे लालच म फंसते
ह, जसम से उबरनेवाले बरले ह होते ह।

ह द-ू मुसलमान आपस म लड़े ह। तटःथ आदमी उनसे कहे गा क आप गयी-बीती को भूल जाय। इसम
दोन का कसूर रहा होगा। अब दोन िमलकर र हये। ले कन वे वक ल के पास जाते ह। वक ल का फज हो
जाता है क वह मुव कल क ओर जोर लगाये। मुव कल के खयाल म भी न ह ऐसी दलील मुव कल
क ओर से ढंु ढ़ना वक ल का काम है । अगर वह ऐसा नह ं करता तो माना जायेगा क वह अपने पेशे को
ब टा लगाता है । इसिलए वक ल तो आम तौर पर झगड़ा आगे बढ़ने क ह सलाह दे गा।

लोग दसर
ू का दख
ु दरू करने के िलए नह ं, ब क पैसा पैदा करने के िलए वक ल बनते ह। वह एक कमाई
का राःता है । इसिलए वक ल का ःवाथ झगड़े बढ़ाने म है । यह तो मेर जानी हई
ु बात है क जब झगडे
होते ह तब वक ल खुश होते ह। मुखतार लोग भी वक ल क जात के है । जहां झगडे नह ं होते वहां भी वे
झगड़े खडे क़रते ह। उनके दलाल ज क क तरह गर ब लोग से िचपकते ह और उनका खून चूस लेते ह।
वह पेशा ऐसा है क उसम आदिमय को झगड़े के िलए बढ़ावा िमलता ह है । वक ल लोग िनठ ले होते ह।

आलसी लोग ऐश आराम करने के िलए वक ल बनते ह। यह सह बात है । वकालत का पेशा बड़ा आब दार
पेशा है , ऐसा खोज िनकालनेवाले भी वक ल ह ह। कानून वे बनाते ह, उसक तार फ भी वे ह करते ह।
लोग से या दाम िलये जायं, यह भी वे ह तय करते ह और लोग पर रोब जमाने के िलए आडं बर ऐसा
करते ह मानो वे आसमान से उतर कर आये हए
ु दे वदत
ू ह!

वे मजदरू से यादा रोजी य मांगते ह? उनक ज रत मजदरू से यादा य ह? उ ह ने मजदरू से यादा


दे श का या भला कया है ? या भला करनेवाले को यादा पैसा लेने का हक है ? और अगर पैसे के खाितर
उ ह ने भला कया हो, तो उसे भला कैसे कहा जाय? यह तो उस पेशे का जो गुण है वह मने बताया।

वक ल के कारण ह द-ू मुसलमान के बीच कुछ दं गे हए


ु ह, यह तो ज ह अनुभव है वे जानते ह गे। उनसे
कुछ खानदान बरबाद हो गये ह। उनक बदौलत भाइय म जहर दा खल हो गया है । कुछ रयासत वक ल
के जाल म फंसकर कजदार हो गयी ह। बहत
ु से गरािसये इन वक ल क कारःतानी से लूट गये ह। ऐसी
बहत
ु सी िमसाल द जा सकती ह।

ले कन वक ल से बड़े से बड़ा नुकसान तो यह हआ


ु है क अंमेज का जुआ हमार गदन पर मजबूत जम
गया है । आप सोिचये। या आप मानते ह क अंमेजी अदालत यहां न होती तो वे हमारे दे श म राज कर
सकते थे? ये अदालत लोग के भले के िलए नह ं है । ज ह अपनी स ा कायम रखनी है वे अदालत के
ज रये लोग को बस म रखते ह। लोग अगर खुद अपने झगड़े िनबटा ल तो तीसरा आदमी उन पर अपनी
स ा नह ं जमा सकता।

सचमुच जब लोग खुद मार-पीट करके या रँतेदार को पंच बनाकर अपना झगड़ा िनबटा लेते थे तब वे
बहादरु थे। अदालत आयी और वे कायर बन गये। लोग आपस म लड़ कर झगडे िमटाय, यह जंगली माना
जाता है । अब तीसरा आदमी झगड़ा िमटाता है , यह या कम जंगलीपन है ? या कोई ऐसा कह सकेगा क
तीसरा आदमी जो फैसला दे ता ह वह सह फैसला ह होता है ? कौन स चा है , यह दोन प के लोग जानते
ह। हम भोलेपन म मान लेते ह क तीसरा आदमी हमसे पैसे लेकर हमारा इ साफ करता है ।

इस बात को अलग रख। हक कत तो यह दखानी है क अंमेज ने अदालत के ज रये हम पर अंकुश


जमाया है और अगर हम वक ल न बन तो ये अदालत चल ह नह ं सकतीं। अगर अंमेज ह जज होते,
अंमेज ह वक ल होते और अंमेज ह िसपाह होते, तो वे िसफ अंमेज पर ह राज करते। ह दःतानी
ु जज
और ह दः
ु तानी वक ल के बगैर उनका काम चल नह ं सका। वक ल कैसे पैदा हए
ु , उ ह ने कैसी धांधली
मचाई, यह सब अगर आप समझ सक, तो मेरे जतनी ह नफरत आपको भी इस पेशे के िलए होगी।

अंमेजी स ा क एक मु य कुंजी उनक अदालत ह और अदालत क कुंजी वक ल ह। अगर वक ल वकालत


ू जाय।
करना छोड़ द और वह पेशा वेँया के पेशे जैसा नीच माना जाय तो अमजी राज एक दन म टट
वक ल ने ह दःतानी
ु ूजा पर यह तोहमत लगवाई है क हम झगड़े यारे ह और हम कोट कचहर पी
पानी क मछिलया ह।

जो श द म वक ल के िलए इःतेमाल करता हंू , वे ह श द जज को भी लागू होते है । ये दोन मौसेरे भाई ह


और एक दसरे
ू को बल दे नेवाले ह।
12. हं द ःवराज : ह दःतान
ु क दशा (डा टर)

पाठक: वक ल क बात तो हम समझ सकते ह। उ ह ने जो अ छा काम कया है वह जान-बूझकर नह ं


कया, ऐसा यक न होता है । बाक उनके धंधे को दे खा जाय तो वह किन ह है । ले कन आप तो डा टर
को भी उनके साथ घसीटते ह, यह कैसे?

संपादक: म जो वचार आपके सामने रखता हंू वे इस समय तो मेरे अपने ह ह। ले कन ऐसे वचार मने ह
कये सो बात नह ं। प म के सुधारक खुद मुझसे यादा स त श द म इन धंध के बारे म िलख गये ह।
उ ह ने वक ल और डा टर क बहत
ु िन दा क है । उनम से एक लेखक ने एक जहर पेड़ो का िचऽ खींचा
है , वक ल-डा टर वगैरा िनक मे धंधेवाल को उसक शाखाओं के प म बताया है और उस पेड़ के तने पर
नीित-धम क कु हाड़ उठाई है ।

अनीित को इन सब धंध क जड़ बताया है । इससे आप यह समझ लगे क म आपके सामने अपने दमाग
से िनकाले हए
ु नये वचार नह ं रखता, ले कन दसर
ू का और अपना अनुभव आपके सामने रखता हंू । डा टर
के बारे म जैसे आपको अभी मोह है , वैसे कभी मुझे भी था। एक समय ऐसा था, जब मने खुद डा टर होने
का इरादा कया था और सोचा था क डा टर बनकर कौम क सेवा क ं गा। मेरा यह मोह अब िमट गया
है । हमारे समाज म वै का धंधा कभी अ छा माना ह नह ं गया। इसका भान अब मुझे हआ
ु है और उस
वचार क क मत म समझ सकता हंू ।

अंमेज ने डा टर व ा से भी हम पर काबू जमाया है । डा टर म दं भ क भी कमी नह ं है । मुगल बादशाह


को भरमाने वाला एक अंमेज डा टर ह था। उसने बादशाह के घर म कुछ बीमार िमटाई, इसिलए उसे
िसरोपाव िमला। अमीर के पास पहंु चनेवाले भी डॉ टर ह ह।

डॉ टर ने हम जड़ हला दया। डॉ टर से नीम-हक म यादा अ छे , ऐसा कहने का मेरा मन होता है । इस


पर हम कुछ वचार कर।

डा टर का काम िसफ शर र को संभालने का है या शर र को संभालने का भी नह ं है । उनका काम शर र म


जो रोग पैदा होते ह, उ ह दरू करने का है । रोग य होते ह? हमार ह गफलत से। म बहत
ु खाऊं और मुझे
बदहजमी, अजीण हो जाय, फर म डा टर के पास जाऊं और वह मुझे गोली दे , गोली खाकर म चंगा हो
जाऊं और दबारा
ु खूब खाऊं और फर से गोली लू।ं अगर म गोली न लेता तो अजीण क सजा भुगतता
और फर से बेहद नह ं खाता। डा टर बीच म आया और उसने हद से यादा खाने म मेर मदद क । उससे
मेरे शर र को तो आराम हआ
ु ले कन मेरा मन कमजोर बना। इस तरह आ खर मेर यह हालत होगी क म
अपने मन पर जरा भी काबू न रख सकूंगा।

मने वलास कया, म बीमार पड़ा डा टर ने मुझे दवा द और म चंगा हआ।


ु या म फर से वलास नह ं
क ं गा? ज र क ं गा। अगर डा टर बीच म न आता तो कुदरत अपना काम करती। मेरा मन मजबूत बनता
और अ त म िन वषयी होकर म सुखी होता।

अःपताल पाप क जड़ है । उनक बदौलत लोग शर र का जतन कम करते ह और अनीित को बढ़ाते ह।


यूरोप के डा टर तो हद करते ह। वे िसफ शर र के ह गलत जतन के िलए लाख जीव को हर साल मारते
ह, जंदा जीव पर ूयोग करते ह। ऐसा करना कसी भी धम को मंजूर नह ं। ह द,ू मुसलमान, ईसाई,
जरथोःती सब धम कहते ह क आदमी के शर र के िलए इतने जीव को मारने क ज रत नह ं।

डा टर हम धम ॅ करते ह। उनक बहत


ु सी दवाओं म चरबी या दा होती है । इन दोन म से एक भी
चीज ह द ू मुसलमान को चल सके, ऐसी नह ं है । हम स य होने का ढ ग करके दसर
ू को वहमी मानकर
और बेलगाम होकर चाह जो करते रह। यह दसर
ू बात है । ले कन डा टर हम धम से ॅ करते ह। यह
साफ और सीधी बात है ।

इसका प रणाम यह आता है क हम िनस व और नामद बनते ह। ऐसी दशा म हम लोकसेवा करने लायक
नह ं रहते और शर र से ीण और बु ह न होते जा रहे ह। अंमेजी या यूरो पयन डा टर सीखना गुलामी क
गांठ को मजबूत बनाने जैसा है ।

हम डा टर य बनते ह, यह भी सोचने क बात है । उसका स चा कारण तो आब दार और पैसा कमाने


का धंधा करने क इ छा है । उसम परोपकार क बात नह ं है । उस ध धे म परोपकार नह ं है , यह तो म बता
चुका। उससे लोग को नुकसान होता है । डा टर िसफ आड बर दखाकर ह लोग से बड़ फ स वसूल करते
ह और अपनी एक पैसे क दवा के कई पये लेते ह। य व ास म और चंगे हो जाने क आशा म लोग
डा टर से ठगे जाते ह। जब ऐसा ह है तब भलाई का दखावा करनेवाले डा टर से खुले ठग वै (नीम
हक म) यादा अ छे ।

13. हं द ःवराज : स ची स यता कौन सी?

पाठक: आपने रे ल को र कर दया? वक ल क िन दा क , डा टर को दबा दया! तमाम कल-काम को भी


आप नुकसानदे ह मानगे, ऐसा म दे ख सकता हंू । तब स यता कह, तो कसे कह?

संपादक: इस सवाल का जबाव मुश कल नह ं है । म मानता हंू क जो स यता ह दःतान


ु ने दखायी है
उसको दिनया
ु म कोई नह ं पहंु च सकता। जो बीज हमारे पुरख न बोये ह उनक बराबर कर सके, ऐसी कोई
चीज दे खने म नह ं आयी। रोम िम ट म िमल गया। मीस का िसफ नाम ह रह गया। िमॐ क बादशाहत
ह चली गई। जापान प म के िशकंजे म फंस गया और चीन का कुछ भी कहा नह ं जा सकता। ले कन
ू जैसा भी हो। ह दःतान
िगरा टटा ु आज भी अपनी बुिनयाद म मजबूत है ।

जो रोम और मीस िगर चुके ह, उनक कताब से यूरोप के लोग सीखते ह। उनक गलितयां वे नह ं करगे।
ऐसा गुमान रखते ह। ऐसी उनक कंगाल हालत है जब क ह दःतान
ु अचल है , अ डग है । यह उसका
भूषण है । ह दःतान
ु पर आरोप लगाया जाता है क वह ऐसा जंगली, ऐसा अ ान है क उससे जीवन म
कुछ फेरबदल कराये ह नह ं जा सकते। यह आरोप हमारा गुण है , दोष नह ं। अनुभव से जो हम ठ क लगा
है , उसे हम य बदलगे? बहत
ु से अकल दे नेवाले आते जाते रहते ह पर ह दःतान
ु अ डग रहता है । यह
उसक खूबी है , यह उसका लंगर है ।
स यता वह आचरण है जससे आदमी अपना फज अदा करता है । फज अदा करने के मानी है नीित का
पालन करना। नीित के पालन का मतलब है अपने मन और इ िय को बस म रखना। ऐसा करते हए
ु हम
अपने को (अपनी असिलयत को) पहचानते ह। यह स यता है । इससे जो उ टा है वह बगाड़ करनेवाला है ।

बहत
ु से अंमेज लेखक िलख गये ह क ऊपर क या या के मुता बक ह दःतान
ु को कुछ भी सीखना बाक
नह ं रहता, यह बात ठ क है । हमने दे खा क मुनंय क वृ या चंचल है । उसका मन बेकार क दौड़ धूप
कया करता है । उसका शर र जैसे जैसे यादा दया जाय, वैसे वैसे यादा मांगता है । यादा लेकर भी वह
सुखी नह ं होता। भोग भोगने से भोग क इ छा बढ़ती जाती है । इसिलए हमारे पुरख ने भोग क हद बांध
द । बहत
ु सोचकर उ ह ने दे खा क सुख-दख
ु तो मन के कारण ह। अमीर अपनी अमीर क वजह से सुखी
नह ं है । गर ब अपनी गर बी के कारण दखी
ु नह ं है । अमीर दखी
ु दे खने म आता है और गर ब सुखी दे खने

म आता है । करोड़ो लोग तो गर ब ह रहगे। ऐसा दे खकर उ ह ने भोग क वासना छड़वाई।

हजार साल पहले जो हल काम म िलया जाता था उससे हमने काम चलाया। हजार साल पहले जैसे झ पडे
थे, उ ह हमने कायम रखा। हजार साल पहले जैसी हमार िश ा थी वह चलती आई। हमने नाशकारक होड़
को समाज म जगह नह ं द , सब अपना अपना धंधा करते रहे । उसम उ ह ने दःतूर के मुता बक दाम िलये।
ऐसा नह ं था क हम यंऽ वगैरा क खोज करना ह नह ं आता था। ले कन हमारे पूवज ने दे खा क लोग
अगर यंऽ वगैरा क झंझट म पड़गे, तो गुलाम ह बनगे और अपनी नीित को छोड़ दग। उ ह ने सोच-
समझकर कहा क हम अपने हाथ पैरो से जो काम हो सके वह करना चा हये। हाथ पैर का इःतेमाल
करने म ह स चा सुख है , उसी म त द ु ःती है ।

उ ह ने सोचा क बड़े शहर खडे क़रना बेकार क झंझट है । उनम लोग सुखी नह ं ह ग। उनम धूत क
टोिलयां और वेँयाओं क गिलयां पैदा ह गी। गर ब अमीर से लूटे जायगे। इसिलए उ ह ने छोटे दे हात से
संतोष माना।

उ ह ने दे खा क राजाओं और उनक तलवार के बिनःबत नीित का बल यादा बलवान है । इसिलए उ ह ने


राजाओं को नीितवान पु ष , ऋ षय और फक र से कम दज का माना। ऐसी जस रा क गठन है वह
रा दसर
ू को िसखाने लायक है । वह दसर
ू से सीखने लायक नह ं है ।

इस रा म अदालत थीं, वक ल थे, डा टर-वै थे। ले कन वे सब ठ क ढं ग से िनयम के मुता बक चलते थे।


सब जानते थे क ये ध धे बड़े नह ं ह और वक ल डा टर वगैरा लोग म लूट नह ं चलाते थे। वे तो लोग
के अिौत थे। वे लोग के मािलक बनकर नह ं रहते थे। इ साफ काफ अ छा होता था। अदालत म न
जाना यह लोग का येय था। उ ह भरमाने वाले ःवाथ लोग नह ं थे। इतनी सड़न भी िसफ राजा और
राजधानी के आसपास ह थी। य आम ूजा तो उससे ःवतंऽ रहकर अपने खेत का मािलक हक भोगती
थी। उसके पास स चा ःवरा य था और जहां यह चांडाल स यता नह ं पहंु ची है , वहां ह दःतान
ु आज भी
वैसा ह है ।

उसके सामने आप अपने नये ढ ग क बात करगे तो वह आपक हं सी उड़ायेगा। उस पर न तो अंमेज राज
करते ह, न आप कर सकगे। जन लोग के नाम पर हम बात करते ह, उ ह हम पहचानते नह ं है , न वे हम
पहचानते ह। आपको और दसर
ू को, जनम दे श ूेम है , मेर सलाह है क आप दे श म, जहां रे ल क बाढ़
नह ं फैली है , उस भाग म छह माह के िलए घूम आय और बाद म दे श क लगन लगाय। बाद म ःवरा य
क बात कर। अब आपने दे खा क स ची स यता म कस चीज को कहता हंू । ऊपर मने जो तःवीर खींची
है वैसा ह दःतान
ु जहां हो, वहां जो आदमी फेरफार करे गा उसे आप दँमन
ु सम झये। वह मनुंय पापी है ।

पाठक: आपने जैसा बताया वैसा ह ह दःतान


ु होता, तब तो ठ क था। ले कन जस दे श म हजार बाल
वधवाय ह, जस दे श म दो बरस क ब ची क शाद हो जाती है , जस दे श म बारह साल क उॆ के लड़के
लड़ कया घर संसार चलाते ह, जस दे श म ी एक से यादा पित करती है , जस दे श म िनयोग क ूथा
है , जस दे श म धम के नाम पर कुमा रकाएं बेसवाएं बनती है , जस दे श म धम के नाम पर पाड़ और
बकर क ह या होती है , वह दे श भी ह दःतान
ु ह है । ऐसा होने पर भी आपने जो बताया वह या स यता
का ल ण है ?

संपादक: आप भूलते ह। आपने जो दोष बताये वे तो सचमुच दोष ह ह। उ ह कोई स यता नह ं कहता। वे
दोष स यता के बावजूद कायम रहे ह। उ ह दरू करने के ूय हमेशा हए
ु ह और होते ह रहगे। हमम जो
नया जोश पैदा हआ
ु है , उसका उपयोग हम इन दोष को दरू करने म कर सकते ह।

मने आपको आज क स यता क जो िनशानी बताई उसे इस ः यता के हमायती खुद बताते ह। मने
ह दःतान
ु क स यता का जो वणन कया, वह वणन नई स यता के हमायितय ने कया है ।

कसी भी दे श म कसी भी स यता के मातहत सभी लोग संपूणता तक नह ं पहंु च पाये ह। ह दःतान
ु क
स यता का झुकाव नीित को मजबूत करने क ओर है । प म क स यता का झुकाव अनीित को मजबूत
करने क ओर है , इसिलए मने उसे हािनकारक कहा है । प म क स यता िनर रवाद है , ह दतान
ु क
स यता ई र म माननेवाली है ।

य समझकर ऐसी ौ ा रखकर ह दःतान


ु के हतिचंतक को चा हये क वे ह दःतान
ु क स यता से ब चा
जैसे मां से िचपटा रहता है , वैसे िचपटे रह।

14. हं द ःवराज : ह दःतान


ु कैसे आजाद हो?

पाठक: स यता के बारे म आपके वचार म समझ गया। आपने जो कहा उस पर मुझे यान दे ना होगा।
तुर त सब कुछ मंजूर कर िलया जाय, ऐसा तो आप नह ं मानते ह गे, ऐसी आशा भी नह ं रखते ह गे।
आपके ऐसे वचार के अनुसार आप ह दःतान
ु के आजाद होने का या उपाय बतायगे?

संपादक: मेरे वचार सब लोग तुर त मान ल, ऐसी आशा म नह ं रखता। मेरा फज इतना ह है क आपके
जैसे जो लोग मेरे वचार जानना चाहते ह, उनके सामने अपने वचार रख दं ।ू वे वचार उ ह पसंद आयगे
या नह ं आयगे। यह तो समय बीतने पर ह मालूम होगा। ह दःतान
ु क आजाद के उपाय का हम वचार
कर चुके। फर भी हमने दसरे
ू प म इन पर वचार कया। अब हम उन पर उनके ःव प म वचार कर।
जस कारण से रोगी बीमार हआ
ु हो, वह कारण अगर दरू कर दया जाय, तो रोगी अ छा हो जायगा, यह
जग मशहर
ू बात है । इसी तरह जस कारण से ह दःतान
ु गुलाम बना वह कारण अगर दरू कर दया जाय,
तो वह बंधन से मु हो जायेगा।
पाठक: आपक मा यता के मुता बक ह दःतान
ु क स यता अगर सबसे अ छ है , तो फर वह गुलाम य
बना?

संपादक: स यता तो मने कह वैसी ह ह। ले कन दे खने म आया है क हर स यता पर आफत आती है ।


जो स यता अचल है वह आ खरकार आफत को दरू कर दे ती है । ह दःतान
ु के बालक म कोई न कोई

कमी भी थी इसीिलए वह स यता आफत से िघर गयी। ले कन इस घेरे म से छटने क ताकत उसम है ,
यह उसके गौरव को दखाता है ।

और फर सारा ह दःतान
ु उसम (गुलामी म) िघरा हआ
ु नह ं है । ज ह ने प म क िश ा पाई है और जो
उसके पाश म फंस गये ह, वे ह गुलामी म िघरे हए
ु ह। हम जगत को अपनी दमड़ के नाप से नापते ह।
अगर हम गुलाम ह, तो जगत को भी गुलाम मान लेते ह। हम कंगाल दशा म ह, इसिलए मान लेते ह क
सारा ह दःतान
ु ऐसी दशा म है । दरअसल ऐसा कुछ नह ं ह। फर भी हमार गुलामी सारे दे श क गुलामी
है , ऐसा मानना ठ क है । ले कन ऊपर क बात हम यान म रख तो समझ सकगे क हमार अपनी गुलामी
िमट जाये तो ह दःतान
ु क गुलामी िमट गई। ऐसा मान लेना चा हये, इसम अब आपको ःवरा य क
या या भी िमल जाती है । हम अपने ऊपर राज कर, वह ःवरा य है , और वह ःवरा य हमार हथेली म है ।

इस ःवरा य को आप सपने जैसा न मान। मन से मानकर बैठे रहने का भी, यह ःवरा य नह ं है । यह तो


ऐसा ःवरा य है क आपने अगर इसका ःवाद चख िलया है , तो दसर
ू को इसका ःवाद चखाने के िलए आप
ज दगी भर कोिशश करगे, ले कन मु य बात तो हर श स के ःवरा य भोगने क है । डब
ू ता आदमी दसरे

को नह ं तारे गा ले कन तैरता आदमी दसरे
ू को तारे गा। हम खुद गुलाम ह गे और दसर
ू को आजाद करने
क बात करगे तो वह संभव नह ं है ।

ले कन इतना काफ नह ं है । हम और भी आगे सोचना होगा। अब इतना तो आपक समझ म आया होगा
क अंमेज को दे श से िनकालने का मकसद सामने रखने क ज रत नह ं है । अगर अंमेज ह दःतानी

बनकर रह तो हम उनका समावेश यहां कर सकते ह। अंमेज अगर अपनी स यता के साथ रहना चाह, तो
उनके िलए ह दःतान
ु म जगह नह ं है । ऐसे हालात पैदा करना हमारे हाथ म है ।

पाठक: अंमेज ह दःतानी


ु बन यह नामुम कन है ।

संपादक: हमारा ऐसा कहना यह कहने के बराबर है क अंमेज मनुंय नह ं ह। वे हमारे जैसे बन या न बन
इसक हम परवाह नह ं है । हम अपना घर साफ कर। फर रहने लायक लोग ह उसम रहगे, दसरे
ू अपने
आप चले जायगे ऐसा अनुभव तो हर आदमी को हआ
ु होगा।

पाठक: ऐसा होने क बात तार ख म तो हमने नह ं पढ़ ।

संपादक: जो चीज तार ख म नह ं दे खी वह कभी नह ं होगी। ऐसा मानना मनुंय क ूित ा म अ व ास


करना है । जो बात हमार अकल म आ सके उसे आ खर हम आजमाना तो चा हये ह ।
हर दे श क हालत एक सी नह ं होती। ह दःतान
ु क हालत विचऽ है । ह दःतान
ु का बल असाधारण है ।
इसिलए दसर
ू तार ख से हमारा कम संबध
ं है । मने आपको बताया क दसर
ू स यताय िम ट म िमल
गयीं, जब क ह दःतानी
ु स यता को आंच नह ं आयी है ।

पाठक: मुझे ये सब बात ठ क नह ं लगतीं। हम लड़कर अंमेज को िनकालना ह होगा। इसम कोई शक नह ं
जब तक वे हमारे मु क म ह तब तक हम चैन नह ं पड़ सकता। ‘पराधीन सपनेहु सुख नाह ं’ ऐसा दे खने म
आता है । अंमेज यहा ह इसिलए हम कमजोर होते जा रहे ह। हमारा तेज चला गया है और हमारे लोग
घबराये से द खते ह। अंमेज हमारे दे श के िलए यम (काल) जैसे ह। उस यम को हम कसी भी ूय से
भगाना होगा।

संपादक: आप अपने आवेश म मेरा सारा कहना भूल गये ह। अंमेज को यहां लाने वाले हम ह और वे हमार
बदौलत ह यहां रहते ह। आप यह कैसे भूल जाते ह क हमने उनक स यता अपनायी ह, इसिलए वे यहां
रह सकते ह? आप उनसे जो नफरत करते ह, वह नफरत आपको उनक स यता से करनी चा हये। फर भी
मान ल क हम लड़कर उ ह िनकालना चाहते ह। यह कैसे हो सकेगा?

पाठक: इटली ने कया वैसे। मै जनी और गैर बा ड ने जो कया, वह तो हम भी कर सकते ह। वे महावीर


थे, इस बात से या आप इनकार कर सकगे?

15. हं द ःवराज : इटली और ह दःतान



संपादक: आपने इटली का उदाहरण ठ क दया। मै जनी महा मा था। गैर बा ड बड़ा यो ा था। दोन
पूजनीय थे। उनसे हम बहत
ु सीख सकते ह। फर भी इटली क दशा और ह दःतान
ु क दशा म फरक है ।
पहले तो मै जनी और गैर बा ड के बीच का भेद जानने लायक ह।

मै जनी के अरमान अलग थे। मै जनी जैसा सोचता था वैसा इटली म नह ं हआ।
ु मै जनी ने मनुंय जाित
के कत य के बारे म िलखते हए
ु यह बताया है क हर एक को ःवरा य भोगना सीख लेना चा हये। यह बात
उसके िलए सपने जैसी रह । गैर बा ड और मै जनी के बीच मतभेद हो गया था। यह हम याद रखना
चा हये। इसके िसवा गैर बा ड ने हर इटािलयन के हाथ म हिथयार दये और हर इटािलयन ने हिथयार
िलये।

इटली और आ ःशया के बीच स यता का भेद नह ं था। वे तो चचेरे भाई माने जायगे। जैसे को तैसा वाली

बात इटली क थी। इटली को परदे शी आ ःशया के जूए से छड़ाने का मोह गैर बा ड को था। इसके िलए
उसने काबूर के मारफत जो सा जश क ं, वे उसक शूरता को ब टा लगानेवाली ह।

और अ त म नतीजा या िनकला? इटली म इटािलयन राज करते ह इसिलए इटली क ूजा सुखी है , ऐसा
आप मानते ह तो म आप से कहंू गा क आप अंधेरे म भटकते ह। मै जनी ने साफ बताया है क इटली
आजाद नह ं हआ
ु है । व टर इमे युअल ने इटली का एक अथ कया, मै जनी दसरा।
ू इमे युअल, काबूर और
गैर बा ड के वचार से इटली का अथ था इमे युअल या इटली का राजा और उसके हजू
ू र । मै जनी के
वचार से इटली का अथ था इटली के लोग-उसके कसान। इमे युअल वगैरा तो उनके (ूजा के) नौकर थे।
मै जनी का इटली अब भी गुलाम है । दो राजाओं के बीच शतरं ज क बाजी लगी थी, इटली क ूजा तो
िसफ यादा थी और है । इटली के मजदरू अब भी दखी
ु ह। इटली के मजदरू क दाद-फ रयाद नह ं सुनी
जाती, इसिलए वे लोग खून करते ह, वरोध करते ह, फर फोड़ते ह और वहां बलवा होने का डर आज भी
बना हआ
ु है । आ ःशया के जाने से इटली को या लाभ हआ
ु ? नाम का ह लाभ हआ।
ु जन सुधार के िलए
जंग मचा वे सुधार हए
ु नह ं, ूजा क हालत सुधर नह ं।

ह दःतान
ु क ऐसी दशा करने का तो आपका इरादा नह ं ह होगा। म मानता हंू क आपका वचार
ह दःतान
ु के करोड़ लोग को सुखी करने का होगा, यह नह ं क आप या म राजसता ले लूं। अगर ऐसा है
तो हम एक ह वचार करना चा हये। वह यह क ूजा ःवत ऽ कैसे हो?

आप कबूल करगे क कुछ दे शी रयासत म ूजा कुचली जाती है । वहां के शासक नीचता से लोग को
कुचलते ह। उनका जु म अंमेज के जु म से भी यादा है । ऐसा जु म अगर आप ह दःतान
ु म चाहते ह ,
तो हमार पटर कभी नह ं बैठेगी। मेरा ःवदे शािभमान मुझे यह नह ं िसखाता क दे शी राजाओं के मातहत
जस तरह ूजा कुचली जाती है उसी तरह कुचलने दया जाय। मुझम बल होगा तो म दे शी राजाओं के
जु म के खलाफ और अंमेजी जु म के खलाफ जूझूंगा।

ःवदे शािभमान का अथ म दे श का हत समझता हंू । अगर दे श का हत अंमेज के हाथ होता हो, तो म आज


अंमेज को झुककर नमःकार क ं गा। अगर कोई अंमेज कहे क दे श को आजाद करना चा हये, जु म के
खलाफ खड़े होना चा हये और लोग क सेवा करनी चा हये, उस अंमेज को म ह दःतानी
ु मानकर उसका
ःवागत क ं गा।

फर, इटली क तरह जब ह दःतान


ु को हिथयार िमल, तभी वह लड़ सकता है पर इस भगीरथ (बहत
ु बड़े )
काम का तो मालूम होता है आपने वचार ह नह ं कया है । अंमेज गोला बा द से पूर तरह लैस ह इससे
मुझे डर नह ं लगता। ले कन ऐसा तो द खता है क उनके हिथयार से उ ह ं के खलाफ लड़ना हो, तो
ह दःतान
ु को हिथयारब द करना होगा। अगर ऐसा हो सकता हो, तो इसम कतने साल लगगे? और तमाम
ह दःतािनय
ु को हिथयारब द करना तो ह दःतान
ु को यूरोप-सा बनाने जैसा होगा।

अगर ऐसा हआ
ु तो आज यूरोप के जो बेहाल ह वैसे ह ह दःतान
ु के भी ह गे। थोड़े म, ह दःतान
ु को
यूरोप क स यता अपनानी होगी। ऐसा ह होनेवाला हो तो अ छ बात यह होगी क जो अंमेज उस स यता
म कुशल ह, उ ह ं को हम यहां रहने द। उनसे थोड़ा बहत
ु झगड़ कर कुछ हक हम पायगे कुछ नह ं पायगे
और अपने दन गुजारगे।

ले कन बात तो यह है क ह दःतान
ु क ूजा कभी हिथयार नह ं उठयेगी। न उठाये यह ठ क ह है ।

पाठक: आप तो बहत
ु आगे बढ़ गये। सबके हिथयारबंद होने क ज रत नह ं। हम पहले तो कुछ अंमेज का
खून करके आतंक फैलायगे। फर जो थोड़े लोग हिथयारं बद होग, वे खु लमखु ला लड़गे। उसम पहले तो
बीस पचीस लाख ह दःतानी
ु ज र मरगे। ले कन आ खर हम दे श को अंमेज से जीत लगे। हम गुर ला
(डाकुओं जैसी) लड़ाई लड़कर अंमेज को हरा दगे।
संपादक: आपका खयाल ह दःतान
ु क प वऽ भूिम को रा सी बनाने का लगता है । अंमेज का खून करके
ह दःतान
ु ु
को छड़ायगे , ऐसा वचार करते हए
ु आपको ऽास य नह ं होता? खून तो हम अपना करना
चा हये य क हम नामद बन गये ह, इसीिलए हम खून का वचार करते ह। ऐसा करके आप कसे आजाद
करगे? ह दःतान
ु क ूजा ऐसा कभी नह ं चाहती। हम जैसे लोग ह ज ह ने अधम स यता पी भांग पी
है , नशे म ऐसा वचार करते ह। खून करके जो लोग राज करगे, वे ूजा को सुखी नह ं बना सकगे।

धींगरा ने जो खून कया है उससे या जो खून ह दःतान


ु म हए
ु ह उनसे दे श को फायदा हआ
ु है , ऐसा अगर
कोई मानता हो तो वह बड़ भूल करता है । धींगरा को म दे शािभमानी मानता हंू , ले कन उसका दे श ूेम
पागलपन से भरा था। उसने अपने शर र का बिलदान गलत तर के से दया। उससे अंत म तो दे श को
नुकसान ह होनेवाला है ।

पाठक: ले कन आपको इतना तो कबूल करना होगा क अंमेज इस खून से डर गये ह, और लाड मॉले, ने
जो कुछ हम दया है वह ऐसे डर से ह दया है ।

संपादक: अंमेज जैसे डरपोक ूजा है वैसे बहादरु भी है । गोला-बा द का असर उन पर तुर त होता है , ऐसा
म मानता हंू । संभव है , लाड मॉल ने हम जो कुछ दया वह डर से दया हो ले कन डर से िमली हई
ु चीज
जब तक डर बना रहता है तभी तक टक सकती है ।

16. हं द ःवराज : गोला- बा द

पाठक: डर से दया हआ
ु जब तक डर रहे तभी तक टक सकता है , यह तो आपने विचऽ बात कह । जो
दया सो दया। उसम फर या हे रफेर हो सकता है ?

संपादक: ऐसा नह ं है । 1857 क घोषणा बलवे के अंत म लोग म शा त कायम रखने के िलए क गई थी।
जब शा त हो गई और लोग भोले दल के बन गये, तब उसका अथ बदल गया। अगर म सजा के डर से
चोर न क ं तो सजा का डर िमट जाने पर चोर करने क मेर फर से इ छा होगी और म चोर क ं गा।
यह तो बहत
ु ह साधारण अनुभव है । इससे इनकार नह ं कया जा सकता। हमने मान िलया है क डांट
डपटकर लोग से काम िलया जा सकता है और इसिलए हम ऐसा करते आये ह।

पाठक: आपक यह बात आपके खलाफ जाती है , ऐसा आपको नह ं लगता। आपको ःवीकार करना होगा क
अंमेज ने खुद जो कुछ हािसल कया है वह मार काट करके ह हािसल कया है । आप कह चुके ह क
(मार-काट से) उ ह ने जो कुछ हािसल कया है वह बेकार है , यह मुझे याद है । इससे मेर दलील को ध का
नह ं पहंु चता। उ ह ने बेकार (चीज) पाने का सोचा और उसे पाया। मतलब यह क उ ह ने अपनी मुराद पूर
क । साधन या था इसक िच ता हम य कर। अगर हमार मुराद अ छ हो तो या उसे हम चाहे जस
साधन से मार काट करके भी पूरा नह ं करगे।

चोर मेरे घर म घुसे तब या म साधन का वचार क ं गा? मेरा धम तो उसे कसी भी तरह बाहर िनकालने
का ह होगा। ऐसा लगता है क आप यह तो कबूल करते ह क हम सरकार के पास अर जयां भेजने से
कुछ नह ं िमला है और न आगे कभी िमलने वाला है । तो फर उ ह मारकर हम य न ल। ज रत हो
उतनी मार का डर हम हमेशा बनाये रखगे। ब चा अगर आग म पैर रखे और उसे आग से बचाने के िलए
हम उस पर रोक लगाय तो आप भी इसे दोष नह ं मानगे कसी भी तरह हम अपना काम पूरा कर लेना
है ।

संपादक: आपने दलील तो अ छ क । वह ऐसी है क बहत


ु ने उससे धोखा खाया है । म भी ऐसी ह दलील
करता था। ले कन अब मेर आंख खुल गई ह और म अपनी गलती समझ सकता हंू । आपको वह गलती
बताने क कोिशश क ं गा। पहले तो इस दलील पर वचार कर क अंमेज ने जो कुछ पाया वह मार काट
करके पाया। इसिलए हम भी वैसा ह करके मनचाहा ह चीज पाय। अंमेज ने मार-काट क और हम भी
कर सकते ह। यह बात तो ठ क है । ले कन मार-काट से जैसी चीज उ ह िमली, वैसी ह हम भी ले सकते
ह। आप कबूल करगे क वैसी चीज हम नह ं चा हये। आप मानते ह क साधन और सा य, ज रया और
मुराद के बीच कोई संबध
ं नह ं है । यह बहत
ु बड़ भूल है । इस भूल के कारण जो लोग धािमक कहलाते ह
उ ह ने घोर कम कये ह।

यह तो धतूरे का पौधा लगाकर मोगरे के फूल क इ छा करने जैसा हआ।


ु मेरे िलए समुि पार करने का
साधन जहाज ह हो सकता है । अगर म पानी म बैल गाड़ डाल दं ू तो वह गाड़ और म दोन समुि के तले
पहंु च जायगे। जैसे दे व वैसी पूजा। यह वा य बहत
ु सोचने लायक ह। उसका गलत अथ करके लोग भुलावे
म पड़ गये ह। साधन बीज है और सा य हािसल करने क चीज पेड़ है । इसिलए जतना स ब ध बीज और
पेड़ के बीच है , उतना ह साधन और सा य के बीच है । शैतान को भजकर म ई र भजन का फल पाऊं, यह
कभी हो ह नह ं सकता। इसिलए यह कहना क हम तो ई र को ह भजना है , साधन भले शैतान हो,
ब कुल अ ान क बात है । जैसी करनी वैसी भरनी।

अंमेज ने मार काट करके 1833 म वोट के (मत के) वशेष अिधकार पाये। या मार काट कर के वे अपना
फज समझ सके। उनक मुराद अिधकार पाने क थी, इसिलए उ ह ने मार-काट मचाकर अिधकार पा िलये,
स चे अिधकार तो फज के फल ह। वे अिधकार उ ह ने नह ं पाये। नतीजा यह हआ
ु क सबने अिधकार पाने
का ूय कया ले कन फज सो गया। जहां सभी अिधकार क बात कर, वहां कौन कसको दे । वे कोई भी
फज अदा नह ं करते।

ऐसा कहने का मतलब यहां नह ं है । ले कन जो अिधकार वे मांगते थे, उ ह हािसल करके उ ह ने वे फज पूरे
नह ं कये जो उ ह करने चा हये थे। उ ह ने यो यता ूा नह ं क । इसिलए उनके अिधकार उनक गरदन
पर जूए क तरह सवार हो बैठे ह। इसिलए जो कुछ उ ह ने पाया है वह उनके साधन का क प रणाम है ।
जैसी चीज उ ह चा हये थी वैसे साधन उ ह ने काम म िलये।

मुझे अगर आपसे आपक घड़ छ न लेनी हो तो बेशक आपके साथ मुझे मार पीट करनी होगी, ले कन अगर
मुझे आपक घड़ खर दनी हो, तो आपको दाम दे ने ह गे। अगर मुझे ब शश के तौर पर आपक घड़ लेनी
होगी तो मुझे आपसे वनय करनी होगी। घड़ पाने के िलए म जो साधन काम म लूंगा उसके अनुसार वह
चोर का माल, मेरा माल या ब शश क चीज होगी। तीन साधन के तीन अलग प रणाम आयगे, तब आप
कैसे कह सकते ह क साधन क कोई िच ता नह ं। अब चोर को घर म से िनकालने क िमसाल ल। म
आपसे इसम सहमत नह ं हंू क चोर को िनकालने के िलए चाहे जो साधन काम म िलया जा सकता है ।
अगर मेरे घर म मेरा पता चोर करने आयेगा तो म एक साधन काम म लूंगा। अगर कोई मेर पहचान
का चोर करने आयेगा तो म तीसरा साधन काम म नह ं लूंगा और कोई अनजान आदमी आयेगा तो म
तीसरा साधन काम म लूंगा। अगर वह गोरा हो, तो एक साधन और ह दःतानी
ु हो, तो दसरा
ू साधन काम म
लाना चा हये। ऐसा भी शायद आप कहगे अगर कोई मुदा लड़का चोर करने आया होगा, तो म बलकुल
दसरा
ू ह साधन काम म लूंगा। अगर वह मेर बराबर का होगा, तो और ह कोई साधन म काम म लूग
ं ा,
और अगर वह हिथयारबंद तगड़ा आदमी होगा तो म चुपचाप सो रहंू गा। इसम पता से लेकर ताकतवर
आदमी तक अलग-अलग साधान इःतेमाल कये जायगे।

पता होगा तो भी मुझे लगता है क म सो रहंू गा और हिथयार से लैस कोई होगा, तो भी म सो रहंू गा।
पता म भी बल है , हिथयारबंद आदमी म भी बल है । दोन बल को बस होकर म अपनी चीज को जाने
दं ग
ू ा। पता का बल मुझे दया से लायेगा। हिथयारबंद आदमी का बल मेरे मन म गुःसा पैदा करे गा। हम
क टर दँमन
ु हो जायगे। ऐसी मु ँकल हालत ह। इन िमसाल से हम दोन साधन के िनणय पर तो नह ं
पहंु च सकगे। मुझे तो सब चोर के बारे म या करना चा हये यह सूझता है । ले कन उस इलाज से आप
घबरा जायगे, इसिलए म आपके सामने उसे नह ं रखता। आप इसे समझ ल और अगर नह ं समझगे तो हर
व आपको अलग साधन काम म लेने ह गे। ले कन आपने इतना तो दे खा क चोर को िनकालने के िलए
चाहे जो साधन काम नह ं दे गा और जैसा साधन आपका होगा उसके मुता बक नतीजा आयेगा। आपका धम
कसी भी साधन से चोर को घर से िनकालने का हरिगज नह ं है ।

जरा आगे बढ़े । वह हिथयारबंद आदमी आपक चीज ले गया है । आपने उसे याद रखा है । आपके मन म
उस पर गुःसा भरा है । आप उस लु चे को अपने िलए नह ं ले कन लोग के क याण के िलए सजा दे ना
चाहते ह। आपने कुछ आदमी जमा कये, उसके घर पर आपने धावा बोलने का िन य कया। उसे मालूम
हआ
ु , तो वह भागा। उसने दसरे
ू लूटेरे जमा कये। वह भी खजा हआ
ु है । अब तो उसने आपका घर दन
दहाड़े लूटने का संदेश आपको भेजा है । आप उसके मुकाबले के िलए तैयार बैठे ह। इस बीच लूटेरा आपके
आसपास के लोग को है रान करता है । वे आपसे िशकायत करते ह। आप कहते ह, यह सब म आप ह के
िलए तो करता हंू , मेरा माल गया उसक तो कोई बसात ह नह ं। लोग कहते ह पहले तो वह हम लूटता
नह ं था। आपने जब से उसके साथ लड़ाई शु क है , तभी से उसने यह काम शु कया है ।

आप द ु वधा म फंस जाते ह। गर ब के ऊपर आपको रहम है । उनक बात सह है । अब या कया जाय?
या लुटेरे को छोड़ दया जाय? इससे तो आपक इ जत चली जायेगी, इ जत सबको यार होती है । आप
गर ब से कहते ह, कोई फब नह ं, आइये मेरा धन आपका ह है । म आपको हिथयार दे ता हंू । म आपको
उनका उपयोग िसखाऊंगा। आप उस बदमाश को मा रये। छो ड़ये नह ं! य लड़ाई बढ़ , लुटेरे बढ़े , लोग ने खुद
होकर मुसीबत मोल ली। चोर से बदला लेने का प रणाम यह आया क नींद बेचकर जागरण मोल िलया।
जहां शांित थी वहां अशाित पैदा हई।
ु पहले तो जब मौत आती तभी मरते थे। अब तो सदा ह मरने के दन
आये। लोग ह मत हारकर पःत ह मत बने। इसम मने बढ़ा चढ़ाकर कुछ नह ं कहा है , यह आप धीरज से
सोचगे तो दे ख सकगे। यह एक साधन हआ
ु ।

अब दसरे
ू साधन क जांच कर, चोर को आप अ ान मान लेते ह। कभी मौका िमलने पर उसे समझाने का
आपने सोचा है । आप यह भी सोचते ह क वह भी हमारे जैसा आदमी है । उसने कस इरादे से चोर क ,
यह आपको या मालूम? आपके िलए अ छा राःता तो यह है क जब मौका िमले तब आप उस आदमी के
भीतर से चोर का बीज ह िनकाल द। ऐसा आप सोच रहे ह, इतने म वे भाई साहब फर से चोर करने
आते ह। आप नाराज नह ं होते, आपको उस पर दया आती है । आप सोचते ह क यह आदमी रोगी है ।

आप खड़क दरवाजे खोले दे ते ह। आप अपनी सोने क जगह बदल दे ते ह। आप अपनी चीज झट ल जाई
जा सक, इस तरह रख दे ते ह। चोर आता है । वह घबराता है । यह सब उसके िलये ह मालूम होता है । माल
तो वह ले जाता है , ले कन उसका मन च कर म पड़ जाता है । वह गांव म जांच पड़ताल करता है । आपक
दया के बारे म उसको मालूम होता है । वह पछताता है और आपसे माफ मांगता है । आपक चीज वापस ले
आता है । वह चोर का धंधा छोड़ दे ता है । आपका सेवक बन जाता है । आप उसे काम धंधे म लगा दे ते ह।
यह दसरा
ू साधन है ।

आप दे खते ह क अलग अलग साधन के अलग अलग नतीजे आते ह। सब चोर ऐसा ह बरताव करगे या
सबम आपका सा दयाभाव होगा, ऐसा म इससे सा बत नह ं करना चाहता। ले कन यह दखाना चाहता हंू
क अ छे नतीजे लाने के िलए अ छे ह साधन चा हये और अगर सब नह ं तो यादातर मामल म हिथयार
बल से दयाबल यादा ताकतबर सा बत होता है । हिथयार म हािन है , दया म कभी नह ं।

अब अरजी क बात ल। जसके पीछे बल नह ं है वह अरजी िनक मी है , इसम कोई शक नह ं। फर भी ःव.


यायमूित रानडे कहते थे क अरजी लोग को तालीम दे ने का एक साधन है । उससे लोग को अपनी
ःथित का भान कराया जा सकता है और राजकता को चेतावनी द जा सकती है । य सोच तो अरजी
िनक मे क चीज नह ं है । बराबर का आदमी अरजी करे गा तो वह उसक नॆता क िनशानी मानी जायगी।
गुलाम अरजी करे गा तो वह उसक गुलामी क िनशानी होगी। जस अरजी के पीछे बल है , वह बराबर के
आदमी क अरजी है , और वह अपनी मांग अरजी के प म रखता है , यह उसक खानदािनयत को बताता
है ।

अरजी के पीछे दो तरह के बल होते ह। एक है अगर आप नह ं दगे तो हम आपको मारगे, यह गोला बा द


का बल है । उसका बुरा नतीजा हम दे ख चुके, दसरा
ू बल यह है अगर आप नह ं दगे तो हम आपके अरज
दार नह ं रहगे। हम अरज दार ह गे तो आप बादशाह बने रहगे। हम आपके साथ कोई यवहार नह ं रखगे।
इस बल को चाहे दया बल कह, चाहे आ मबल कह या स यामह कह। यह बल अ वनाशी है और इस बल
का उपयोग करने वाला अपनी हालत को बराबर समझता है । इसका समावेश हमारे बुजुग ने, एक नह ं सब
रोग क दवा म कया है । यह बल जसम है उसका हिथयार बल कुछ नह ं बगाड़ सकता।

ब चा अगर आग म पैर रखे, तो उसको दबाने क िमसाल क छान बीन करने म तो आप हार जायगे।
ब चे के साथ आप या करगे? मान ली जये क ब चा ऐसा जोर करे क आपको मारकर वह आग म जा
पड़े , तब तो आग म पड़े बना वह रहे गा ह नह ं। इसका उपाय आपके पास यह है या तो आग म पड़ना
आपसे दे खा नह ं जाता इसिलए आप ःवयं आग म पड़कर अपनी जान दे द। आप ब चे के ूाण तो नह ं
ह लगे। आप म अगर संपण
ू दयाभाव न हो तो मुम कन है क आप अपने ूाण नह ं दगे तो फर लाचार
से आप ब चे को आग म कूदने दगे। इस तरह आप ब चे पर हिथयार बल का उपयोग नह ं करते ह। ब चे
को आप और कसी तरह रोक सक तो रोकगे और वह बल कम दज का ले कन हिथयार बल ह होगा। ऐसा
भी आप न समझ ल। वह बल और ह ूकार का है । उसी को समझ लेना है ।
ब चे को रोकने म आप िसफ ब चे का ःवाथ दे खते ह। जसके ऊपर आप अंकुश रखना चाहते ह, उस पर
उसके ःवाथ के िलए ह अंकुश रखगे। यह िमसाल अंमेज पर जरा भी लागू नह ं होती। आप अंमेज पर जो
हिथयार बल का उपयोग करना चाहते ह, उसम आप अपना ह , यानी ूजा का ःवाथ दे खते ह। उसम दया
जरा भी नह ं है ।

अगर आप य कह क अंमेज जो अधम नीच काम करते ह, वह आग है , वे आग म अ ान के कारण जाते


ह और आप दया से अ ानी को यानी ब चे को उससे बचाना चाहते ह, तो इस ूयोग को आजमाने के िलए
आपको जहां जहां जो भी आदमी नीच काम करता होगा वहां वहा पहंु चना होगा और सामने वाले के ब चे के
ूाण लेने के बजाय अपने ूाण क आहित
ु दे नी पड़े गी। इतना पु षाथ आप करना चाह तो कर सकते ह।
आप ःवतंऽ है । पर यह बात बलकुल असंभव है ।

17. हं द ःवराज : स यामह-आ मबल

पाठक: आप जस स यामह या आ मबल क बात करते ह, उसका इितहास म कोई ूमाण है । आज तक


दिनया
ु का एक भी रा इस बल से ऊपर चढ़ा हो, ऐसा दे खने म नह ं आता। मार काट के बना बुरे लोग
सीधे रहगे ह नह ं, ऐसा व ास अभी भी मेरे मन म बना हआ
ु है ।

संपादक : क व तुलसीदासजी ने िलखा है :

दया धरमको मूल है , पाप मूल अिभमान,

तुलसी दया न छो डय, जब लग घट म ूान।

मुझे तो यह वा य शा -वचन जैसा लगता है । जैसे दो और दो चार ह होते ह, उतना ह भरोसा मुझे ऊपर
के वचन पर है । दयाबल आ मबल है , स यामह है । और इस बल के ूमाण पग पग पर दखाई दे ते ह।
अगर यह बल नह ं होता तो पृ वी रसातल (सात पाताल म से एक) म पहंु च गई होती। ले कन आप तो
इितहास का ूमाण चाहते ह। इसके िलए हम इितहास का अथ जानना होगा। इितहास का श दाथ है ‘ऐसा
हो गया’। ऐसा अथ कर तो आपको स यामह के कई ूमाण दये जा सकगे।

इितहास जस अंमेजी श द का तरजुमा है और जस श द का अथ बादशाह या राजाओं क तवार ख होता



है , उसका अथ लेने से स यामह का ूमाण नह ं िमल सकता। जःते क खान म आप अगर चांद ढढ़ने
जाय, तो वह कैसे िमलेगी। ‘ हःटर ’ म दिनया
ु के कोलाहल क ह कहानी िमलेगी इसिलए गोरे लोग म
कहावत है क जस रा क हःटर (कोलाहल) नह ं है , वह रा सुखी है । राजा लोग कैसे खेलते थे? कैसे
खून करते थे? कैसे बैर रखते? ये यह सब हःटर म िमलता है । अगर यह इितहास होता, अगर इतना ह
हआ
ु होता, तब तो यह दिनया
ु कब क डब
ू गई होती।

अगर दिनया
ु क कथा लड़ाई से शु हई
ु होती तो आज एक भी आदमी जंदा नह ं रहता। जो ूजा लड़ाई
का ह भोग (िशकार) बन गई, उसक ऐसी ह दशा हई
ु है । आःशे िलया के गोर ने उनम से शायद ह कसी
को जीने दया है । जनक जड़ ह ख म हो गई, वे लोग स यामह नह ं थे। जो जंदा रहगे, वे दे खगे क
आःशे िलया के गोरे लोग के भी यह हाल ह गे। जो तलवार चलाते ह उनक मौत तलवार से ह होती है ।
हमारे यहां ऐसी कहावत है क तैराक क मौत पानी म।

दिनया
ु म इतने लोग आज भी ज दा है , यह बताता है क दिनया
ु का आधार हिथयार बल पर नह ं है ,
पर तु स य, दया या आ म बल पर है । इसका सबसे बड़ा ूमाण तो यह है क दिनया
ु लड़ाई के हं गाम के
बाबजूद टक हई
ु है । इसिलए लड़ाई के बल के बजाय दसरा
ू ह बल उसका आधार है । हजार ब क लाख
लोग ूेम के बस रहकर अपना जीवन बसर करते ह। करोड़ कुटु ब का लेश ूेम क भावना म समा
जाता है , डब
ू जाता है । सैकड रा मेलजोल से रहे ह, इसको हःटर नोट नह ं करती। हःटर कर भी नह ं
सकती। जब इस दया क , ूेम क और स य क धारा ू
कती है , टटती है , तभी इितहास म वह िलखा जाता
है ।

एक कुटु ब के दो भाई लड़े । इसम एक ने दसरे


ू के खलाफ स यामह का बल काम म िलया। दोन फर
से िमल जुलकर रहने लगे इसका नोट कौन लेता है ? अगर दोन भाइय म वक ल क मदद से या दसरे

कारण से वैरभाव बढ़ता और वे हिथयार या अदालत (अदालत एक तरह का हिथयार बल, शर र बल ह
है ।) के ज रये लड़ते तो उनके नाम अखबार म छपते। अड़ोस पड़ोस के लोग जानते और शायद इितहास म
भी िलखे जाते। जो बात कुटु ब जमात और इितहास के बारे म सच है , वह रा के बारे म भी समझ
लेना चा हये। कुटु ब के िलए एक कानून और रा के िलए दसरा
ू ऐसा मानने का कोई कारण नह ं है ।
हःटर अःवाभा वक बात को दज करती है । स यामह ःवाभा वक है , इसिलए उसे दज करने क ज रत ह
नह ं है ।

पाठक: आपके कहे मुता बक तो यह समझ म आता है क स यामह क िमसाल इितहास म नह ं िलखी जा
सकतीं। इस स यामह को यादा समझने क ज रत है । आप जो कुछ कहना चाहते ह, उसे यादा साफ
श द म कहगे तो अ छा होगा।

संपादक: स यामह या आ मबल को अंमेजी म पैिसव रे जःटे स कहा जाता है । जन लोग ने अपने
अिधकार पाने के िलए खुद दख
ु सहन कया था, उनके दख
ु सहने के ढं ग के िलए यह श द बरता गया है ।
उसका येय लड़ाई के येय से उलटा है । जब मुझे कोई काम पस द न आये और वह काम म न क ं तो
उसम म स यामह या आ मबल का उपयोग करता हंू ।

िमसाल के तौर पर मुझे लागू होनेवाला कोई कानून सरकार ने पास कया। वह कानून मुझे पस द नह ं है ।
अब अगर म सरकार पर हमला करके यह कानून र करवाता हंू , तो कहा जायगा क मने शर र बलका
उपयोग कया। अगर म उस कानून को मंजूर ह न क ं और उस कारण से होनेवाली सजा भुगत लू,ं तो
कहा जायगा क मने आ मबल या स यामह से काम िलया। स यामह म म अपना ह बिलदान दे ता हंू ।

यह तो सब कोई कहगे क दसरे


ू का भोग बिलदान लेने से अपना भोग दे ना यादा अ छा है । इसके िसवा
स यामह से लड़ते हए
ु अगर लड़ाई गलत ठहर तो िसफ लड़ाई छे ड़नेवाला ह दख
ु भोगता है । यानी अपनी
भूल क सजा वह खुद भोगता है । ऐसी कई घटनाय हई
ु ह जनम लोग गलती से शािमल हए
ु थे। कोई भी
आदमी दावे से यह नह ं कह सकता क फलां काम खराब ह है । ले कन जसे वह खराब लगा उसके िलए
तो वह खराब ह है । अगर ऐसा ह है तो फर उसे वह काम नह ं करना चा हये। और उसके िलए दख

भोगना क सहन करना चा हये। यह स यामह क कुंजी है ।

पाठक: तब तो आप कानून के खलाफ होते ह। यह बेवफाई कह जायगी। हमार िगनती हमेशा कानून को
माननेवाली ूजा म होती है । आप तो ए ःश िमःट से भी आगे बढ़ते द खते ह। ए ःश िमःट कहता है क
जो कानून बन चुके ह उ ह तो मानता ह चा हये, ले कन कानून खराब ह तो उनके बनानेवाल को मारकर
भगा दे ना चा हये।

संपादक: म आगे बढ़ता हंू या पीछे रहता हंू इसक परवाह न आपको होनी चा हये न मुझे। हम तो जो
अ छा है , उसे खोजना चाहते ह और उसके मुता बक बरतना चाहते ह।

हम कानून को माननेवाली ूजा है , इसका सह अथ तो यह है क हम स यामह ूजा ह। कानून जब


पस द न आय तब हम कानून बनानेवाल का िसर नह ं तोड़ते ब क उ ह र कराने के िलए खुद उपवास
करते ह, खुद दख
ु उठाते ह। हम अ छ या बुरे कानून को मानना चा हये। ऐसा अथ तो आज कल का है ।
पहले ऐसा नह ं था। तब चाहे जस कानून को लोग तोड़ते थे और उसक सजा भोगते थे।

कानून हम पस द न ह तो भी उनके मुता बक चलना चा हये, यह िसखावन मदानगी के खलाफ है , धम के


खलाफ है और गुलामी क हद है ।

सरकार तो कहे गी क हम उसके सामने नंगे होकर नाच, तो या हम नाचगे? अगर म स यामह होऊं तो
सरकार से कहंू गा यह कानून आप अपने घर म र खये। म न तो आपके सामने नंगा होनेवाला हंू और न
नाचनेवाला हंू । ले कन हम ऐसे अस यामह हो गये ह क सरकार के जु म के सामने झुककर नंगे होकर
नाचने से भी यादा नीच काम करते ह।

जस आदमी म स ची इ सािनयत है , जो खुदा से ह डरता है , वह और कसी से नह ं डरे गा। दसरे


ू के बनाये
हए
ु कानून उसके िलए बंधनकारक नह ं होते। बेचार सरकार भी नह ं कहती क तु ह ऐसा करना ह पड़े गा
वह कहती है क तुम ऐसा नह ं करोगे तो तु ह सजा होगी। हम अपनी अधम दशा के कारण मान लेते ह
क हम ऐसा ह करना चा हये। यह हमारा फज है , यह हमारा धम है ।

अगर लोग एक बार सीख ल क जो कानून हम अ यायी मालूम हो उसे मानना नामदगी है , तो हम कसी
का भी जु म बांध नह ं सकता। यह ःवरा य क कुंजी है ।

यादा लोग जो कह, उसे थोड़े लोग को मान लेना चा हये। यह तो अनी र बात है , एक वहम है । ऐसी
हजार िमसाल िमलगी जनम बहत
ु ने जो कहा वह गलत िनकला हो और थोड़े लोग ने जो कहा वह सह
िनकला हो। सारे सुधार बहत
ु से लोग के खलाफ जाकर कुछ लोग ने ह दा खल करवाये ह। ठग के गांव
म अगर बहत
ु से लोग यह कह क ठग व ा सीखनी ह चा हये तो या कोई साधु ठग बन जायगा।
हरिगज नह ं। अ यायी कानून को मानना चा हये, यह वहम जब तक दरू नह ं होता, तब क हमार गुलामी
जानेवाली नह ं है । और इस वहम को िसफ स यामह ह दरू कर सकता है ।
शर र बल का उपयोग करना, गोला बा द काम म लाना, हमारे स यामह के कानून के खलाफ है । इसका
अथ तो यह हआ
ु क हम जो पसंद है वह दसरे
ू आदमी से हम (जबरन) करवाना चाहते ह। अगर यह सह
हो तो फर यह सामनेवाला आदमी भी अपनी पसंद का काम हमसे करवाने के िलए हम पर गोला बा द
चलाने का हकदार है । इस तरह तो हम कभी एक राय पर पहंु चेगे ह नह ं। को हू के बैल क तरह आंख
पर प ट बांधकर भले ह हम मान ल क हम आगे बढ़ते ह। ले कन दरअसल तो बैल क तरह हम गोल
गोल च कर ह काटते रहते ह। जो लोग ऐसा मानते ह क जो कानून खुद को नापस द है उसे मानने के
िलए आदमी बंधा हआ
ु नह ं है । उ ह तो स यामह को ह सह साधन मानना चा हये, वरना बड़ा वकट
नतीजा आयेगा।

पाठक: आप जो कहते ह, उस पर से मुझे लगता है क स यामह कमजोर आदिमय के िलए काफ काम का
है । ले कन जब वे बलवान बन जाय, तब तो उ ह तोप (हिथयार) ह चलाना चा हये।

संपादक: यह तो आपने बड़े अ ान क बात कह । स यामह सबसे बड़ा सव प र बल है । वह जब तोपबल से


यादा काम करता है , तो फर कमजोर का हिथयार कैसे माना जायगा। स यामह के िलए जो ह मत और
बहादरु चा हये, वह तोप का बल रखने वाले के पास हो ह नह ं सकती। या आप यह मानते ह क डरपोक
और कमजोर आदमी नापस द कानून को तोड़े सकेगा? ए ःश िमःट तोपबल पशुबल के हमायती ह। वे य
कानून को मानने क बात कर रहे ह? म उनका दोष नह ं िनकालता, वे दसर
ू कोई बात कर ह नह ं सकते।
वे खुद जब अंमेज को मारकर रा य करगे तब आपसे और हमसे (जबरन) कानून मनवाना चाहगे, उनके
तर के के िलए यह कहना ठ क है । ले कन स यामह तो कहे गा क जो कानून उसे पस द नह ं है उ ह वह
ःवीकार नह ं करे गा। फर चाहे उसे तोप के मुंह पर बांधाकर उसक ध जयां य न उड़ा द जायं।

आप या मानते ह। तोप चलाकर सैकड़ो को मारने म ह मती क ज रत है या हं सते-हं सते तोप के मुंह
पर बांधकर ध जया उड़ने दे ने म ह मत क ज रत है ? खुद मौत को हथेली म रखकर जो चलता फरता
है वह रणवीर है या दसर
ू क मौत को अपने हाथ म रखता है वह रणवीर है ? यह िन त मािनये क
नामद आदमी घड़ भर के िलए भी स यामह नह ं रह सकता। हां यह सह है क शर र से जो दबला
ु हो वह
भी स यामह हो सकता है । एक आदमी भी (स यामह ) हो सकता है और लाख लोग भी हो सकते ह। मद
स यामह हो सकता है औरत भी हो सकती है । उसे अपना लँकर तैयार करने क ज रत नह ं रहती। उसे
पहलवान क कुँती सीखने क ज रत नह ं रहती। उसने अपने मन को काबू म कया क फर वह वनराज
िसंह क तरह गजना कर सकता है , और जो उसके दँमन
ु बन बैठे ह, उनके दल इस गजना से फट जाते
ह।

स यामह ऐसी तलवार है , जसके दोन ओर धार है । उसे चाहे जैसे काम म िलया जा सकता है । जो उसे
चलाता है और जस पर वह चलाई जाती है वे दोन सुखी होते ह। वह खून नह ं िनकालती ले कन उससे
भी बड़ा प रणाम ला सकती है । उसको जंग नह ं लग सकता। उसे कोई (चुराकर) ले नह ं जा सकता। अगर
स यामह दसरे
ू स यामह के साथ होड़ म उतरता है , तो उसम उसे थकान लगती ह नह ं। स यामह क
तलवार को यान क ज रत नह ं रहती। उसे कोई छ न नह ं सकता। फर भी स यामह को आप कमजोर
का हिथयार मान तब तो उसे अंधेर ह कहा जायेगा।
पाठक: आपने कहा क वह ह दःतान
ु का खास हिथयार है । तो या ह दःतान
ु म तोप के बल का कभी
उपयोग नह ं हआ
ु है ?

संपादक: आप ह दःतान
ु का अथ मु ठ भर राजा करते ह। मेरे मन म तो ह दःतान
ु का अथ वे करोड़
कसान ह जनके सहारे राजा और हम सब जी रहे ह।

राजा तो हिथयार काम म लायगे ह , उनका वह रवाज ह हो गया है । उ ह हु म चलाना है । ले कन हु म


माननेवाले को तोपबल क ज रत नह ं है । दिनया
ु के यादातर लोग हु म माननेवाले ह। उ ह या तो
तोपबल या स यामह का बल िसखाना चा हये। जहां वे तोपबल सीखते ह, वहां राजा ूजा दोन पागल जैसे
हो जाते ह। जहां हु म माननेवाल ने स यामह करना सीखा है वहां राजा का जु म उसक तीन गज क
तलवार से आगे नह ं जा सकता और हु म माननेवाल ने अ यायी हु म क परवाह भी नह ं क है । कसान
कसी के तलवार बल के बस न तो कभी हए
ु है , और न ह गे। वे तलवार चलाना नह ं जानते, न कसी क
तलवार से वे डरते ह। उ ह ने मौत का डर छोड़ दया है , इसिलए सब का डर छोड़ दया है । यहां म कुछ
बढ़ा चढ़ाकर तःवीर खींचता हंू , यह ठ क है । ले कन हम जो तलवार के बल से च कत हो गये ह, उनके िलए
यह कुछ यादा नह ं है ।

बात यह है क कसान ने, ूजा मंडल ने अपने और रा य के कारोबार म स यामह को काम म िलया है ।
जब राजा जु म करता है तब ूजा ठती है । यह स यामह ह है ।

मुझे याद है क एक रयासत म रै यत को अमुक हु म पस द नह ं आया, इसिलए रै यत ने हजरत करना,


गांव खाली करना शु कर दया। राजा घबड़ाये। उ ह ने रै यत से माफ मांगी और हु म वापस ले िलया।
ऐसी िमसाल तो बहत
ु िमल सकती ह। ले कन वे यादातर भारत भूिम क ह उपज ह गी। ऐसी रै यत जहां
है , वह ं ःवरा य है । इसके बना ःवरा य कुरा य है ।

पाठक: तो या आप यह कहगे क शर र को कसने क ज रत ह नह ं है ?

संपादक: ऐसा म कभी नह ं कहंू गा शर र को कसे बना स यामह होना मु ँकल है । अ सर जन शर र को


गलत लड़ा लड़ा कर या सहलाकर कमजोर बना दया गया है , उनम रहनेवाला मन भी कमजोर होता है ।
और जहां मन का बल नह ं है वहां आ मबल कैसे हो सकता है ? हम बाल ववाह बगैरा के कु रवाज को और
ऐश आराम क बुराई को छोड़कर शर र को कसना ह होगा। अगर म म रयल और कमजोर आदमी को
यकायक तोप के मुंह पर खड़ा हो जाने के िलए कहंू तो लोग मेर हं सी उड़ायगे।

पाठक: आपके कहने से तो ऐसा लगता है क स यामह होना मामूली बात नह ं है , और अगर ऐसा है कोई
आदमी स यामह कैसे बन सकता है , यह आपको समझाना होगा।

संपादक: स यामह होना आसान है । ले कन जतना वह आसान है उतना ह मु ँकल भी है । चौदह बरस का
एक लड़का स यामह हआ
ु है । यह मेरे अनुभव क बात है । रोगी आदमी स यामह हए
ु ह, यह भी मने दे खा
है । मने यह भी दे खा है क जो लोग शर र से बलवान थे और दसर
ू बात म भी सुखी थे, वे स यामह नह ं
हो सके। अनुभव से म दे खता हंू क जो दे श के भले के िलए स यामह होना चाहता है , उसे ॄहाचय का
पालन करना चा हये। गर बी अपनानी चा हये। स य का पालन तो करना ह चा हये और हर हालत म
अभय बनना चा हये। ॄ चय एक महान ोत है , जसके बना मन मजबूत नह ं होता। ॄहाचय का पालन न
करने से मनुंय वीयवान नह ं रहता। नामद और कमजोर हो जाता है ।

जसका मन वषय म भटकता है , वह या शेर मारे गा? यह बात अनिगनत िमसाल से सा बत क जा


सकती है । तब सवाल यह उठता है क घर संसार को या करना चा हये? ले कन ऐसा सवाल उठाने क
कोई ज रत नह ं। घर संसार ने जो संग कया ( ी क सोहबत क ) वह वषय भोग नह ं है , ऐसा कोई
नह ं कहे गा। संतान पैदा करने के िलए ह अपनी ी का संग करने क बात कह गयी है । और स यामह
को संतान पैदा करने क इ छा नह ं होनी चा हये। इसिलए संसार होने पर भी वह ॄहाचय का पालन कर
सकता है । यह बात यादा खोलकर िलखने क ज रत नह ं। ी का या वचार है ? यह सब कैसे हो सकता
है ? ऐसे वचार मन म पैदा होते ह, फर भी जसे महान काय म हःसा लेना है , उसे तो ऐसे सवाल का हल

ढढ़ना ह होगा।

जैसे ॄहाचय क ज रत है , वैसे ह गर बी को अपनाने क भी ज रत है । पैसे का लोभ और स यामह का


सेवन पालन (दोन साथ साथ) कभी नह ं चल सकते। ले कन मेरा मतलब यह नह ं है क जसके पास पैसा
है , वह उसे फक दे । फर भी पैसे के बारे म लापरवाह रहने क ज रत है । स यामह का सेवन करते हए

अगर पैसा चला जाय तो िच ता नह ं करनी चा हये।

जो स य का सेवन नह ं करता वह स य का बल, स य क ताकत कैसे दखा सकेगा?इसिलए स य क तो


पूर पूर ज रत रहे गी ह । बड़े से बड़ा नुकसान होने पर भी स य को नह ं छोड़ा जा सकता। स य के िलए
कुछ िछपाने को होता ह नह ं। इसिलए स यामह के िलए िछपी सेना क ज रत नह ं होती। जान बचाने के
िलए झूठ बोलना चा हये या नह ं, ऐसा सवाल यहां मन म नह ं उठाना चा हये। जसे झूठ का बचाव करना
है , वह ऐसे बेकार सवाल उठाता है । जसे स य क ह राह लेनी है , उसके सामने ऐसे धम संकट कभी आते
ह नह ं। ऐसी मु ँकल हालत म आ पडे तो भी स यवाद उन म से उबर जाता है ।

अभय के बना तो स यामह क गाड़ एक कदम भी आगे नह ं चल सकती। अभय संपण


ू और सब बात
के िलए होना चा हये। जमीन जायदाद क , झूठ इ जत का, सगे-स ब धय का, राज-दरबार का, शर र को
पहंु चने वाली चोट का और मरण का अभय हो, तभी स यामह का पालन हो सकता है ।

यह सब करना मुिशकल है , ऐसा मानकर इसे छोड़ नह ं दे ना चा हये। जो िसर पर पड़ता है उसे सह लेने क
श कुदरत ने हर मनुंय को द है । जसे दे श सेवा न करनी है उसे भी ऐसे गुण का सेवन करना
चा हये।

इसके िसवा हम यह भी समझ सकते ह क जसे हिथयार बल पाना होगा उसे भी इन बात क ज रत
रहे गी। रणवीर होना कोई ऐसी बात नह ं क कसी ने इ छा क और तुर त रणवीर हो गया। यो ा
(लड़वैया) को ॄ चय का पालन करना होगा, िभखार बनना होगा। रण म जसके भीतर अभय न हो, वह
लड़ नह ं सकता। उसे (यो ा को) स योत का पालन करने क उतनी ज रत नह ं है , ऐसा शायद कसी को
लगे ले कन जहां अभय है वहां स य कुदरती तौर पर रहता ह है । मनुंय स य को छोड़ता है तब कसी
तरह के भय के कारण ह छोड़ता है ।
इसिलए इन चार गुण से डर जाने का कोई कारण नह ं है । फर तलवारबाज को और भी कुछ बेकार
कोिशश करनी पड़ती है , उसका कारण भय है । अगर उसम पूर िनभयता आ जाय तो उसी पल उसके हाथ
से तलवार िगर जायगी। फर उसे तलवार के सहारे क ज रत नह ं रहती। जसक कसी से दँमनी
ु नह ं
है , उसे तलवार क ज रत ह नह ं है । िसंह के सामने आनेवाले एक आदमी के हाथ क लाठ अपने आप
उठ गई। उसने दे खा क अभय का पाठ उसने िसफ जुबानी ह कया था। उसने लाठ छोड़ और वह िनभय
िनडर बना।

18. हं द ःवराज : िश ा

पाठक: आपने इतना सारा कहा पर तु उसम कह ं भी िश ा तालीम क ज रत तो बताई ह नह ं। हम िश ा


क कमी क हमेशा िशकायत करते रहते ह। ला जमी तालीम दे ने का आ दोलन हम सारे दे श म दे खते ह।

महाराजा गायकवाड ने (अपने रा य म) ला जमी िश ा शु क है । उसक ओर सबका यान गया है । हम


उ ह ध यवाद दे ते ह। यह सार कोिशश या बेकार ह समझनी चा हये?

संपादक: अगर हम अपनी स यता को सबसे अ छ मानते ह, तब तो मुझे अफसोस के साथ कहना पड़े गा
क वह कोिशश यादातर बेकार ह है । महाराजा साहब और हमारे दसरे
ू धुर धर नेता सबको तालीम दे ने
क जो कोिशश कर रहे ह, उसम उनका हे तु िनमल है । इसिलए उ ह ध यवाद ह दे ना चा हये। ले कन उनके
हे तु का जो नतीजा आने क संभावना है , उसे िछपा नह ं सकते।

िश ा तालीम का अथ या है ? अगर उसका अथ िसफ अ र ान ह हो तो वह तो एक साधन जैसी ह


हई।
ु उसका अ छा उपयोग भी हो सकता है , एक श से चीर फाड़ करके बीमार को अ छा कया जा सकता
है और वह श कसी क जान लेने के िलए भी काम म लाया जा सकता है । अ र ान का भी ऐसा ह
है । बहत
ु से लोग उसका बुरा उपयोग करते ह, यह तो हम दे खते ह ह। उसका अ छा उपयोग ूमाण म
कम ह लोग करते ह। यह बात अगर ठ क ह, तो इससे यह सा बत होता है क अ र ान से दिनया
ु को
फायदे के बदले नुकसान ह हआ
ु है ।

िश ा का साधारण अथ अ र ान ह होता है । लोग को िलखना-पढ़ना और हसाब करना िसखाना


बुिनयाद या ूाथिमक ूायमर िश ा कहलाती है । एक कसान ईमानदार से खुद खेती करके रोट कमाता
है । उसे मामूली तौर पर दिनयावी
ु ान है । अपने मां बाप के साथ कैसे बरतना, अपनी ी के साथ कैसे
बरतना? ब च से कैसे पेश आना? जस दे हात म वह बसा हआ
ु है वहां उसक चालढाल कैसी होनी चा हये?
इस सबका उसे काफ ान है । वह नीित के िनयम समझता है और उनका पालन करता है ।

ले कन वह अपने दःतखत करना नह ं जानता। इस आदमी को आप अ र ान दे कर या करना चाहते है ?


उसके सुख म आप कौन सी बढ़ती करगे? या उसक झोपड़ या उसक हालत के बारे म आप उसके मन म
असंतोष पैदा करना चाहते ह? ऐसा करना हो तो भी उसे अ र ान दे ने क ज रत नह ं है । प म के
असर के नीचे आकर हमने यह बात चलायी है क लोग को िश ा दे नी चा हये ले कन उसके बारे म हम
आगे पीछे क बात सोचते ह नह ं।
अब ऊंची िश ा को ल, म भूगोल व ा सीखा खगोल व ा (आकाश के तार क व ा) सीखा, बीजग णत
(एलजेॄा) भी मुझे आ गया। रे खाग णत ( यामेश ) का ान भी मने हािसल कया। भूगभ व ा को भी म
पी गया, ले कन उससे या? उससे मने अपना कौन सा भला कया? अपने आसपास के लोग का या भला
कया? कस मकसद से मने वह ान हािसल कया? उससे मुझे या फायदा हआ
ु ? एक अंमेज व ान
(ह सली) ने िश ा के बारे म य कहा है - उस आदमी ने स ची िश ा पाई है , जसके शर र को ऐसी आदत
डाली गई है क वह उसके बस म रहता है , जसका शर र चैन से और आसानी से स पा हआ
ु काम करता
है । उस आदमी ने स ची िश ा पाई है , जसक बु शु शांत और यायदयी है ।

उसने स ची िश ा पाई है , जसका मन कुदरती कानून से भरा है और जसक इ ियां उसके बस म है ,


जसके मन क भावनाय बलकुल शु है , जसे नीच-काम से नफरत है और जो दसर
ू को अपने जैसा
मानता है । ऐसा आदमी ह स चा िश त (तालीमशुदा) माना जायगा, य क वह कुदरत के कानून के
मुता बक चलता है । कुदरत उसका अ छा उपयोग करे गी और वह कुदरत का अ छा उपयोग करे गा। अगर
यह स ची िश ा हो तो म कसम खाकर कहंू गा क ऊपर जो शा मने िगनाये ह उनका उपयोग मेरे
शर र या मेर इ िय को बस म करने के िलए मुझे नह ं करना पड़ा। इसिलए ूायमर ूाथिमक िश ा को
ली जये या ऊंची िश ा को ली जये। उसका उपयोग मु य बात म नह ं होता। उससे हम मनुंय नह ं बनते।
उससे हम अपना कत य नह ं मान सकते।

पाठक: अगर ऐसा ह है तो म आपसे एक सवाल क ं गा आप ये जो सार बात कह रहे ह, वह कसक


बदौलत कह रहे ह? अगर आपने अ र ान और ऊंची िश ा नह ं पाई होती तो ये सब बात आप मुझे कैसे
समझा पाते?

संपादक : आपने अ छ सुनाई। ले कन आपके सवाल का मेरा जवाब भी सीधा ह है । अगर मने ऊंची या
नीची िश ा नह ं पाई होती, तो म नह ं मानता क म िनक मा आदमी हो जाता। अब ये बात कहकर म
उपयोगी बनने क इ छा रखता हंू । ऐसा करते हए
ु जो कुछ मने पढ़ा उसे म काम म लाता हंू और उसका
उपयोग अगर वह उपयोग हो तो म अपने करोड़ भाइय के िलए नह ं कर सकता। िसफ आप जैसे पढ़े
िलख के िलए ह कर सकता हंू । इससे भी मेर ह बात का समथन होता है । म और आप दोन गलत
िश ा के पंजे म फंस गये थे। उसम से म अपने को मु हआ
ु मानता हंू । अब वह अनुभव म आपको दे ता
हंू और उसे दे ते समय ली हई
ु िश ा का उपयोग करके उसम रह सड़न म आपको दखाता हंू ।

इसके िसवा आपने जो बात मुझे सुनाई उसम आप गलती खा गये य क मने अ र ान को (हर हालत
म) बुरा नह ं कहा है । मने तो इतना ह कहा है क उस ान क हम मूित क तरह पूजा नह ं करनी चा हये
वह हमार कामधेनु नह ं है । वह अपनी जगह पर शोभा दे सकता है । अगर वह जगह यह है जब मने और
आपने अपनी इ िय को बस म कर िलया है , जब हमने नीित क नींव मजबूत बना ली हो, तब अगर हम
अ र ान पाने क इ छा हो तो उसे पाकर हम उसका अ छा उपयोग कर सकते ह। वह िश ा आभूषण के
प म अ छ लग सकती है । ले कन अ र ान का अगर आभूषण के तौर पर ह उपयोग हो, तो ऐसी
िश ा को ला जमी करने क हम ज रत नह ं। हमारे पुराने ःकूल ह काफ ह। वहां नीित को पहला ःथान
दया जाता है । वह स ची ूाथिमक िश ा है । उस पर हम जो इमारत खड़ करगे वह टक सकेगी।
पाठक: तब या मेरा यह समझना ठ क है क आप ःवरा य के िलए अंमेजी िश ा का कोई उपयोग नह ं
मानते?

संपादक: मेरा जवाब हां और नह ं दोन है । करोड़ लोग को अंमेजी क िश ा दे ना उ ह गुलामी म डालने
जैसा है । मेकाले ने िश ा क जो बुिनयाद डाली वह सचमुच गुलामी क बुिनयाद थी। उसने इसी इरादे से
अपनी योजना बनाई थी। ऐसा म नह ं सुझाना चाहता ले कन उसके काम का नतीजा यह िनकला है । यह
कतने दख
ु क बात है क हम ःवरा य क बात भी पराई भाषा म करते ह? जस िश ा को अंमेज ने

ठकरा दया है वह हमारा िसंगार बनती है , यह जानने लायक है । उ ह ं को व ान कहते रहते ह क उसम
यह अ छा नह ं है , वह अ छा नह ं है । वे जसे भूल से गये ह, उसी से हम अपने अ ान के कारण िचपके
रहते ह। उनम अपनी अपनी भाषा क उ नित करने क कोिशश चल रह है ।

वे स इं लड का एक छोटा सा परगना है , उसक भाषा धूल जैसी नग य ह। ऐसी भाषा का अब जीण ार हो


रहा है । वे स के ब चे वे श भाषा म ह बोल, ऐसी कोिशश वहां चल रह ह। इसम इ लड के खजांची लायड
जाज बड़ा हःसा लेते ह। और हमार दशा कैसी है ? हम एक दसरे
ू को पऽ िलखते ह तब गलत अंमेजी म
िलखते ह। एक साधारण एम. ए. पास आदमी भी ऐसी गलत अंमेजी से बचा नह ं होता। हमारे अ छे से
अ छे वचार ूगट करने का ज रया है अंमेजी। हमार कांमेस का कारोबार भी अमजी म चलता है ।

अगर ऐसा लंबे अरसे तक चला तो मेरा मानना है क आनेवाली पीढ़ हमारा ितरःकार करे गी, और उसका
शाप हमार आ मा को लगेगा। आपको समझना चा हये क अंमेजी िश ा लेकर हमने अपने रा को गुलाम
बनाया है । अंमेजी िश ा से दं भ, राग, जु म, वगैरा बढ़े ह। अंमेजी िश ा पाये हए
ु लोग ने ूजा को ठगने म
उसे परे शान करने म कुछ भी उठा नह ं रखा है । अब अगर हम अंमेजी िश ा पाये हए
ु लोग उसके िलए कुछ
करते ह तो उसका हम पर जो कज चढ़ा हआ
ु है उसका कुछ हःसा ह हम अदा करते ह।

यह या कम जु म क बात है क अपने दे श म अगर मुझे इ साफ पाना हो तो मुझे अंमेजी भाषा का


उपयोग करना चा हये। बै रःटर होने पर म ःवभाषा म बोल ह नह ं सकता। दसरे
ू आदमी को मेरे िलए
तरजुमा कर दे ना चा हये, यह कुछ कम दं भ है ? यह गुलामी क हद नह ं तो और या है ? इसम म अंमज
का दोष िनकालूं या अपना ह दःतान
ु को। गुलाम बनानेवाले तो हम अंमेजी जाननेवाले लोग ह ह। रा क
हाय अंमेज पर नह ं पड़े गी ब क हम पर पड़े गी। ले कन मने आपसे कहा क मेरा जवाब हां और ना दोन
है । हां कैसे सो मने आपको समझाया।

अब ना कैसे यह बताता हंू । हम स यता के रोग म ऐसे फंस गये ह क अंमेजी िश ा बलकुल िलये बना
अपना काम चला सक। ऐसा समय अब नह ं रहा जसने वह िश ा पाई है , वह उसका अ छा उपयोग कर।
अंमेज के साथ के यवहार म, ऐसे ह दःतािनय
ु के साथ के यवहार म, जनक भाषा हम समझ न सकते
ह और अंमेज खुद अपनी स यता से कैसे परे शान हो गये ह, यह समझने के िलए अंमेजी का उपयोग कया
जाय। जो लोग अंमेजी पढ़े हए
ु ह उनक संतान को पहले तो नीित िसखानी चा हये, उनक मातृभाषा
िसखानी चा हये और ह दःतान
ु क एक दसर
ू भाषा िसखानी चा हये।

बालक जब पु ता (प क ) उॆ के हो जाय, तब भले ह वे अंमेजी िश ा पाये और वह भी उसे िमटाने के


इरादे से न क उसके ज रये पैसे कमाने के इरादे से। ऐसा करते हए
ु भी हम यह सोचना होगा क अंमेजी
म या सीखना चा हये और या नह ं सीखना चा हये। कौन से शा पढ़ने चा हये, यह भी हम सोचना
होगा। थोड़ा वचार करने से ह हमार समझ म आ जायेगा क अगर अंमेजी डमी लेना हम ब द कर द तो
अंमेज हा कम चौकगे।

पाठक: तब कैसी िश ा द जाय?

संपादक: उसका जवाब ऊपर कुछ हद तक आ गया है । फर भी इस सवाल पर हम और वचार कर। मुझे
तो लगता है क हम अपनी सभी भाषाओं को उ वल शानदार बनाना चा हये। हम अपनी भाषा म ह
िश ा लेनी चा हये? इसके या मायने ह। इसे यादा समझाने का यह ःथान नह ं है । जो अंमेजी पुःतक
काम क है । उनका हम अपनी भाषा म अनुवाद करना होगा। बहत
ु से शा सीखने का दं भ और वहम हम
छोड़ना होगा। सबसे पहले तो धम क िश ा या नीित क िश ा द जानी चा हये।

हर एक पढे -िलखे ह दःतानी


ु को अपनी भाषा का, ह द ू को संःकृ त का, मुसलमान को अरबी का, पारसी को
फारसी का और सबको ह द का ान होना चा हये। कुछ ह दओं
ु को अरबी और मुसलमान और पारिसय
को संःकृ त सीखनी चा हये। उ र और प मी ह दःतान
ु के लोग को तािमल सीखनी चा हये। सारे
ह दःतान
ु के िलए जो भाषा चा हये वह तब से ह द ह होनी चा हये। उसे उद ू या दे वनागर िल प म
ू रहनी चा हये। ह द ू मुसलमान के संबध
िलखने क छट ं ठ क रह इसिलए बहत
ु से ह दःतािनय
ू का इन
दोन िल पय को जान लेना ज र है । ऐसा होने से हम आपस के यवहार म अंमेजी को िनकाल सकगे।

और यह सब कसके िलए ज र है ? हम जो गुलाम बन गये ह, उनके िलए। हमार गुलामी क वजह से दे श


ू जाय तो ूजा तो छट
क ूजा गुलाम बनी है । अगर हम गुलामी से छट ू ह जायगी।

पाठक: आपने जो धम क िश ा क बात कह वह बड़ क ठन है ।

संपादक: फर भी उसके बना हमारा काम नह ं चल सकता। ह दःतान


ु कभी ना ःतक नह ं बनेगा।
ह दःतान
ु क भूिम म ना ःतक फल फूल नह ं सकते। बेशक यह काम मु ँकल है । धम क िश ा का
याल करते ह िसर चकराने लगता है । धम के आचाय दं भी और ःवाथ मालूम होते ह। उनके पास
पहंु चकर हम नॆ भाव से उ ह समझाना होगा। उसक कुंजी मु ल , दःतूर और ॄा ण के हाथ म है ।
ले कन उनम अगर सदबु न हो तो अंमेजी िश ा के कारण हमम जो जोश पैदा हआ
ु है उसका उपयोग
करके हम लोग को नीित क िश ा दे सकते ह।

यह कोई बहत
ु मु ँकल बात नह ं है । ह दःतानी
ु सागर के कनारे पर ह मैल जमा है । उस मैल से जो गंदे
हो गये है उ ह साफ होना है । हम लोग ऐसे ह और खुद ह बहत
ु कुछ साफ हो सकते ह। मेर यह ट का
करोड़ लोग के बारे म नह ं है । ह दःतान
ु को असली राःते पर लाने के िलए हम ह असली राःते पर
आना होगा, बाक करोड़ लोग तो असली राःते पर ह ह। उसम सुधार- बगाड़, उ नित अवनित समय के
अनुसार होते ह रहगे। प म क स यता को िनकाल बाहर करने क ह हम कोिशश करनी चा हये। दसरा

सब अपने आप ठ क हो जायगा।
19. हं द ःवराज : मशीन

पाठक: आप प म क स यता को िनकाल बाहर करने क बात कहते ह, तब तो आप यह भी कहगे क


हम कोई भी मशीन नह ं चा हये।

संपादक: मुझे जो चोट लगी थी उसे यह सवाल करके आपने ताजा कर दया है । िम. रमेशच ि दत क
पुःतक ह दःतान
ु का आिथक इितहास जब मने पढ़ , तब भी मेर ऐसी हालत हो गई थी। उसका फर से
वचार करता हंू तो मेरा दल भर आता है । मशीन क झपट लगने से ह ह दःतान
ु पागल हो गया है ।
मै चेःटर ने हम जो नुकसान पहंु चाया है , उसक तो कोई हद ह नह ं है ।

ह दःतान
ु से कार गर जो कर ब कर ब ख म हो गई वह मै चेःटर का ह काम है । ले कन म भूलता हंू ।
मै चेःटर को दोष कैसे दया जा सकता है ? हमने उसके कपड़े बनाये। बंगाल क बहादरु का वणन जब मने
पढ़ा तब मुझे हष हआ।
ु बंगाल म कपड़े क िमल नह ं है , इसिलए लोग ने अपना असली धंधा फर से हाथ
म ले िलया। बंगाल ब बई क िमल को बढ़ावा दे ता है , वह ठ क ह है ले कन अगर बंगाल ने तमाम मशीन
से परहे ज कया होता, उनका बायकाट ब हंकार कया होता तो और भी अ छा होता।

मशीने यूरोप को उजाड़ने लगी ह और वहां क हवा अब ह दःतान


ु म चल रह है । यंऽ आज क स यता
क मु य िनशानी है और वह महापाप है , ऐसा म तो साफ दे ख सकता हंू ।

ब बई क िमल म जो मजदरू काम करते ह, वे गुलाम बन गये ह। जो औरत उनम काम करती ह उनक
हालत दे खकर कोई भी कांप उठे गा। जब िमल क वषा नह ं हई
ु थी। तब वे औरत भूख नह ं मरती थीं।
मशीन क यह हवा अगर यादा चली तो ह दःतान
ु क बुर दशा होगी। मेर बात आपको कुछ मु ँकल
मालूम होती होगी। ले कन मुझे कहना चा हये क हम ह दःतान
ु म िमल कायम कर, उसके बजाय हमारा
भला इसी म है क हम मै चेःटर को और भी पये भेजकर उसका सड़ा हआ
ु कपड़ा काम म ल। य क
उसका कपड़ा काम म लेने से िसफ हमारे पैसे ह जायगे।

ह दःतान
ु म अगर हम मै चेःटर कायम करगे तो पैसा ह दःतान
ु म ह रहे गा। ले कन वह पैसा हमारा
खून चूसेगा य क वह हमार नीित को बलकुल ख म कर दे गा। जो लोग िमल म काम करते ह उनक
नीित कैसी है , यह उ ह ं से पूछा जाय। उनम से ज ह ने पये जमा कये ह उनक नीित दसरे
ू पैसे वाल
से अ छ नह ं हो सकती। अमर का के रॉकफेलर से ह दःतान
ु के रॉकफेलर कुछ कम ह, ऐसा मानना िनरा
अ ान है । गर ब ह दःतान
ु ू सकेगा। ले कन अनीित से पैसेवाला बना हआ
तो गुलामी से छट ु ह दःतान

ू गा।
गुलामी से कभी नह ं छटे

मुझे तो लगता है क हम यह ःवीकार करना होगा क अंमेजी रा य को यहां टकाये रखनेवाले ये धनवान
लोग ह ह। ऐसी ःथित म ह उनका ःवाथ सधेगा। पैसा आदमी को द न बना दे ता है । ऐसी दसर
ू चीज
दिनयाभर
ु म वषय भोग है । ये दोन वषय वषमय है । उनका डं क सांप के डं क से यादा जहर ला है । जब
सांप काटता है तो हमारा शर र लेकर हम छोड़ दे ता है । जब पैसा या वषय काटता है तब वह शर र, ान,

मन सब कुछ ले लेता है तो भी हमारा छटकारा नह ं होता। इसिलए हमारे दे श म िमल कायम ह , इसम
खुश होने जैसा कुछ नह ं है ।
पाठक: तब या िमल को ब द कर दया जाय?

संपादक: यह बात मु ँकल है । जो चीज ःथायी या मजबूत हो गई है , उसे िनकालना मु ँकल है । इसीिलए
काम शु न करना पहली बु मानी है । िमल मािलक क ओर हम नफरत क िनगाह से नह ं दे ख सकते।
हम उन पर दया करनी चा हये। वे यकायक िमल छोड द यह तो मुम कन नह ं है । ले कन हम उनसे ऐसी
वनती कर सकते ह क वे अपने इस साहस को बढ़ाय नह ं। अगर वे दे श का भला करना चाह तो खुद
अपना काम धीरे धीरे कम कर सकते ह। वे खुद पुराने ूौढ प वऽ चरखे दे श के हजार घर म दा खल कर
सकते और लोग का बुना हआ
ु कपड़ा लेकर उसे बेच सकते ह।

अगर वे ऐसा न कर, तो भी लोग खुद मशीन का कपड़ा इःतेमाल करना ब द कर सकते ह।

पाठक: यह तो कपड़े के बारे म हआ।


ु ले कन यंऽ क बली तो अनेक चीज ह। वे चीज या तो हम परदे श से
लेनी ह गी या ऐसे यंऽ हमारे दे श म दा खल करने ह गे।

संपादक: सचमुच हमारे दे व (मूितया) भी जमनी के यंऽ म बनकर आते ह तो फर दयासलाई या आल पन


से लेकर कांच के झाड़ फानूस क तो बात ह या। मेरा अपना जवाब तो एक ह है । जब ये सब चीज यंऽ
से नह ं बनती थी तब ह दःतान
ु या करता था, वैसा ह वह आज भी कर सकता है । जब तक हम हाथ से
आल पन नह ं बनायगे तब तक उसके बना हम अपना काम चला लगे। झाड़फानूस को आग लगा दगे।
िम ट के द ये म तेल डालकर और हमारे खेत म पैदा हई
ु ई क ब ी बना कर द या जलायगे। ऐसा करने
से हमार आंख (खराब होने से) बचगी। पैसे बचगे और हम ःवदे शी रहगे और ःवरा य क धूनी जगायगे।

यह सारा काम सब लोग एक ह समय म करगे या एक ह समय म कुछ लोग यंऽ क सब चीज छोड़
दगे, यह संभव नह ं है । ले कन अगर यह वचार सह होगा तो हम हमेशा शोध खोज करते रहगे और हमेशा
थोड़ थोड़ चीज छोड़ते जायगे। अगर हम ऐसा करगे तो दसरे
ू लोग भी ऐसा करगे। पहले तो यह वचार
जड़ पकड़े यह ज र है । बाद म उसके मुता बक काम होगा। पहले एक ह आदमी करे गा, फर दस, फर सौ
य ना रयल क कहानी क तरह लोग बढ़ते ह जायगे। बड़े लोग जो काम करते ह उसे छोटे भी करते ह
और करगे समझगे तो बात छोट और सरल है । आपको और मुझे दसर
ू के करने क राह नह ं दे खना है ।
हम तो य ह समझ ल य ह उसे शु कर द। जो नह ं करे गा वह खोयेगा समझते हए
ु भी जो नह ं
करे गा वह िनरा दं भी कहलायेगा।

पाठक: शामगाड़ और बजली क ब ी का या होगा?

संपादक: यह सवाल आपने बहत


ु दे र से कया इस सवाल म अब कोई जान नह ं रह । रे ल ने अगर हमारा
नाश कया है तो या शाम नह ं करती। यंऽ तो सांप का ऐसा बल है , जसम एक नह ं ब क सैकड़ सांप
होते ह। एक के पीछे दसरा
ू लगा ह रहता है । जहां यंऽ ह गे वहां बड़े शहर ह गे। जहां बडे शहर ह गे, वहां
शामगाड़ और रे लगाड़ होगी। वह ं बजली क ब ी क ज रत रहती है । आप जानते ह गे क वलायत म
भी दे हात म बजली क ब ी या शाम नह ं है ।
ूामा णक वै और डा टर आपको बतायगे क जहां रे लगाड़ शामगीड़ वगैरा साधन बढ़े ह वहां लोग क
त द ु ःती िगर हई
ु होती है । मुझे याद है क यूरोप के एक शहर म जब पैसे क तंगी हो गई थी तब
शाम , वक ल और डा टर क आमदनी घट गयी थी ले कन लोग त द ु ःत हो गये थे। यंऽ का गुण तो
मुझे एक भी याद नह ं आता जब क उसके अवगुण से म पूर कताब िलख सकता हंू ।

पाठक: यह सारा िलखा हआ


ु यंऽ क मदद से छापा जायगा और उसक मदद से बांटा जायगा। यह यंऽ का
गुण है या अवगुण?

संपादक: यह जहर क दवा जहर है क िमसाल है । इसम यंऽ का कोई गुण नह ं है । यंऽ मरते मरते कह
जाता है क मुझ से बिचये, होिशयार र हये। मुझ से आपको कोई फायदा नह ं होने का। अगर ऐसा कहा
जाय क यंऽ ने इतनी ठ क कोिशश क तो यह भी उ ह ं के िलए लागू होता है जो यंऽ के लालच म फंसे
हए
ु ह।

ले कन मूल बात न भूिलयेगा, मन म यह तय कर लेना चा हये क यंऽ खराब चीज है । बाद म हम उसका
धीरे धीरे नाश करगे। ऐसा कोई सरल राःता कुदरत ने ह बनाया नह ं है क जस चीज क हम इ छा हो
वह तुर त िमल जाय। यंऽ के ऊपर हमार मीठ नजर के बजाय जहर ली नजर पड़े गी तो आ खर वह
जायगा ह ।


20. ह द ःवराज : छटकारा

पाठक: आपके वचार से ऐसा लगता है क आप एक तीसरा ह प कायम करना चाहते ह। आप


ए ःश िमःट भी नह ं है और माडरे ट भी नह ं है ।

संपादक: यहां आपक भूल होती है । मेरे मन म तीसरे प का कोई खयाल नह ं है । सबके वचार एक से
नह ं रहते। माडरे ट म भी सब एक ह वचार के ह, ऐसा नह ं मानना चा हये जसे (लोग क ) सेवा ह करनी
है उसके िलए प कैसा? म तो माडरे ट क सेवा क ं गा और ए ःश िमःट क भी क ं गा। जहां उनके
वचार से मेर राय अलग पडे ग़ी वहां म उ ह नॆता से बताऊंगा और अपना काम करता चलूंगा।

पाठक: अगर आप दोन से कहना चाह तो या कहगे?

संपादक: ए ःश िमःट से म कहंू गा क आपका हे तु ह दःतान


ु के िलए ःवरा य हािसल करने का है ।
ःवरा य आपक कोिशश से िमलने वाला नह ं है । ःवरा य तो सबको अपने िलए पाना चा हये और सबको
उसे अपना बनाना चा हये। दसरे
ू लोग जो ःवरा य दला द वह ःवरा य नह ं है ब क पररा य है । इसिलए
िसफ अंमेज को बाहर िनकाला क आपने ःवरा य पा िलया ऐसा अगर आप मानते हो तो वह ठ क नह ं
है । स चा ःवरा य जो मने पहले बताया वह होना चा हये। उसे आप गोला बा द से कभी नह ं पायगे।
गोला बा द ह दःतान
ु को सधेगा नह ं इसिलए स यामह पर ह भरोसा र खये। मन म ऐसा शक भी पैदा
न होने द जये क ःवरा य पाने के िलए हम गोला बा द क ज रत है ।
माडरे ट से म कहंू गा क हम खाली आ जजी करना चाह, यह तो हमार ह नता होगी। उसम हम अपना
हलकापन कबूल करते ह। अंमज से स ब ध रखना हमारे िलए ज र है , ऐसा कहना हमारे िलए ई र के
चोर बनने जैसा हो जाता है । हम ई र के िसवा और कसी क ज रत है ऐसा कहना ठ क नह ं है । और
साधारण वचार करने से भी हम लगेगा क अंमेज से बना आज तो हमारा काम चलेगा ह नह ं, ऐसा
कहना अंमेजो को अिभमानी बनाने जैसा होगा। अंमेज बो रया बःतर बांधकर अगर चले जायगे तो
ह दःतान
ु अनाथ हो जायगा, ऐसा नह ं मानना चा हये। अगर वे गये तो संभव है क जो लोग उनके दबाव
से चुप रहे ह गे वे लड़े गे। फोडे क़ो दबाकर रखने से कोई फायदा नह ं। उसे तो फूटना ह चा हये।

इसिलए अगर हमारे भाग म आपस म लड़ना ह िलखा होगा, तो हम लड़गे। उसम कमजोर को बचाने के
बहाने कसी दसरे
ू को बीच म पड़ने क ज रत नह ं है । इसी से तो हमारा स यानाश हआ
ु है । इस तरह
कमजोर को बचाना उसे और भी कमजोर बचाने के बहाने कया दसरे
ू को बीच म पड़ने क ज रत नह ं है ।
इसी से तो हमारा स यानाश हआ
ु है । इस तरह कमजोर को बचाना उस और भी कमजोर बनाने जैसा है ।

मॉडरे ट को इस बात पर अ छ तरह वचार करना चा हये। इसके बना ःवरा य नह ं ूा हो सकता। म
उ ह एक अंमेज पादर के श द क याद दलाऊंगा। ःवरा य म अंधाधुंधी बरदाँत क जा सकती ह ले कन
पर रा य क यवःथा हमार कंगाली को बताती है । िसफ उस पादर के ःवरा य का और ह दःतान
ु के
चास श के अनुसार ःवरा य का अथ अलग है । हम कसी का भी जु म या दबाव नह ं चाहते चाहे ,वह
गोरा हो या ह दःतानी
ु हो हम सबको तैरना सीखना और िसखाना है ।

अगर ऐसा हो तो ए ःश िमःट और माडरे ट दोन िमलगे िमल सकगे दोन को िमलना चा हये दोन को एक
दसरे
ू का डर रखने क या अ व ास करने क ज रत नह ं है ।

पाठक: इतना तो आप दोन क से कहगे पर तु अंमेज से या कहगे?

संपादक: उनसे म वनय से कहंू गा क आप हमारे राजा ज र है । आप अपनी तलवार से हमारे राजा है या
हमार इ छा से। इस सवाल क चचा मुझे करने क ज रत नह ं आप हमारे दे श म रह इसका भी मुझे ेष
नह ं है । ले कन राजा होते हए
ु भी आपको हमारे नौकर बनकर रहना होगा। आपका कहां हम नह ं ब क
हमारा कहा आपको करना होगा। आज तक आप इस दे श से जो धन ले गये वह भले आपने हजम कर
िलया ले कन अब आगे आपका ऐसा करना हम पस द नह ं होगा। आप ह दःतान
ु म िसपाह िगर करना
चाह, तो रह सकते ह। हमारे साथ यापार करने का लालच आपको छोड़ना होगा।

जस स यता क आप हमायत करते ह, उसे हम नुकसानदे ह मानते ह। अपनी स यता को हम अपनी


स यता से कह ं यादा ऊंची समझते ह। आपको भी ऐसा लगे तो उसम आपका लाभ ह है । ले कन ऐसा न
लगे तो भी आपको आपक ह कहावत के मुता बक हमारे दे श म ह दःतानी
ु होकर रहना होगा। आपको
ऐसा कुछ नह ं करना चा हये जससे हमारे धम को बाधा पहंु चे। राजकता होने के नाते आपका फज है क
ह दओं
ु क भावना का आदर करने के िलए आप गाय का मांस खाना छोड़ द। हम दब गये थे। इसिलए
बोल नह ं सके। ले कन आप ऐसा न समझ क आपके इस बरताव से हमार भावनाओं को चोट नह ं पहंु ची
है । हम ःवाथ या दसरे
ू भय से आज तक कह नह ं सके ले कन अब यह कहना हमारा फज हो गया है । हम
मानते ह क आपक कायम क हु शालांए और अदालत हमारे कसी काम क नह ं है ।
उनके बजाय हमार पुरानी असली शालाएं और अदालत ह हम चा हये। ह दःतान
ु क आम भाषा अंमेजी
नह ं ब क हं द है । वह आपको सीखनी होगी और हम तो आपके साथ अपनी भाषा म ह यवहार करगे।
आप रे लवे और फौज के िलए बेशुमार पये खच करते ह यह हम से दे खा नह ं जाता। हम उसक ज रत
नह ं मालूम होती। स का डर आपको होगा, हम नह ं है । सी आयगे तब हम उनसे िनबट लगे आप ह गे
तो हम दोन िमलकर उनसे िनबट लगे। हम वलायती या यूरोपी कपड़ा नह ं चा हये। इस दे श म पैदा होने
जाली चीज से ह हम अपना काम चला लगे। आपक एक आंख मचेःटर पर और दसर
ू हम पर रहे , यह
अब नह ं पुरायेगा। आपका और हमारा ःवाथ एक ह है , इस तरह आप बरतगे, तभी हमारा साथ बना रह
सकता है ।

आपसे यह सब हम बेअदबी से नह ं कह रहे ह। आपके पास हिथयार बल है , भार जहाजी सेना है । उसके
खलाफ वैसी ह ताकत से हम नह ं लड़ सकते, ले कन आपको अगर ऊपर कह गई बात मंजूर न हो, तो
आपसे हमार नह ं बनेगी। आपक मरजी म आये तो और मुम कन हो तो आप हम तलवार से काट सकते
ह, मरजी म आये तो हम तोप से उड़ा सकते ह हम जो पसंद नह ं है , वह अगर आप करगे तो हम आपक
मदद नह ं करगे, और बगैर हमार मदद के आप एक कदम भी नह ं चल सकगे।

संभव है अपनी स ा के मद म हमार इस बात को आप हं सी म उड़ा द। आपका हं सना बेकार है , ऐसा आज


शायद हम नह ं दखा सक, ले कन अगर हमम कुछ दम होगा तो आप दे खगे क आपका मद बेकार है और
आपका हं सना ( वनाश काल क ) वपर त बु क िनशानी है ।

हम मानते ह क आप ःवभाव से धािमक रा क ूजा है । हम तो धमःथान म ह बसे हए


ु ह। आपका
और हमारा कैसे साथ हआ
ु इसम उतरना फजूल है । ले कन अपने इस स ब ध का हम दोन अ छा
उपयोग कर सकते ह।

आप ह दःतान
ु म आनेवाले जो अंमेज ह, वे अंमेज ूजा के स चे नमूने नह ं ह और हम जो आधे अंमेज
जैसे बन गये ह वे भी स ची ह दःतानी
ु ूजा के नमूने नह ं कहे जा सकते। अंमेज ूजा को अगर आपक
करतूत के बारे म सब मालूम हो जाय तो वह आपके काम के खलाफ हो जाय। ह द क ूजा ने तो
आपके साथ संबंध थोड़ा ह रखा है ।

आप अपनी स यता को, जो दरअसल बगाड़ करने वाली है , छोड़ कर अपने धम क छानबीन करगे तो
आपको लगेगा क हमार मांग ठ क है । इसी तरह आप ह दःतान
ु म रह सकते ह। अगर उस ढं ग से आप
यहां रहगे तो आप से हम जो थोड़ा सीखना है वह हम सीखगे और हमसे जो आपको बहत
ु सीखना है , वह
आप सीखगे। इस तरह हम (एक दसरे
ू से) लाभ उठायगे और सार दिनया
ु को लाभ पहंु चायगे। ले कन यह
तो तभी हो सकता है , जब हमारे संबंध क जड़ धम ेऽ म जमे।

पाठक: रा से आप या कहगे?

संपादक: रा कौन?
पाठक: अभी तो आप जस अथ म यह श द काम म लेते ह उसी अथ वाला रा यानी जो लोग यूरोप क
स यता म रं गे हए
ु ह, जो ःवरा य क आवाज उठा रहे ह।

संपादक: इस रा से म कहंू गा क जस ह दःतानी


ु को (ःवरा य क ) स ची खुमार यानी मःती चढ़
होगी वह अंमेज से ऊपर क बात कह सकेगा। अकसर उनके रोब से नह ं दबेगा। स ची मःती तो उसी को
चढ़ सकती है , जो ानपूवक समझ बूझकर यह मानता हो क ह द क स यता सबसे अ छ है और यूरोप
क स यता चार दन क चांदनी है । वैसे स यताय तो आज तक कई हो गयीं और िम ट म िमल गयी।
आगे भी कई ह गी और िम ट म िमल जायगी।

स ची खुमार उसी को हो सकती है जो आ मबल अनुभव करके शर र बल से नह ं दबेगा और िनडर रहे गा।
तथा सपने म भी तोप बल का उपयोग करने क बात नह ं सोचेगा। स ची खुमार उसी ह दःतानी
ु को
रहे गी जो आज क लाचार हालत से बहत
ु ऊब गया होगा और जसने पहले से ह जहर का याला पी िलया
होगा। ऐसा ह दःतानी
ु अगर एक ह होगा तो वह भी ऊपर क बात अंमेज से कहे गा और अंमेज को
उसक बात सुननी पडे ग़ी। ऊपर क मांग मांग नह ं है वह ह दःतािनय
ु के मन क दशा को बताती है ।
मांगने से कुछ नह ं िमलेगा, वह तो हम खुद लेना होगा। उसे लेने क हमम ताकत होनी चा हये यह ताकत
उसी म होगी:-

(1) जो अंमेजी भाषा का उपयोग लाचार से ह करे गा।

(2) जो वक ल होगा तो अपनी वकालत छोड़ दे गा और खुद घर म चरखा चलाकर कपड़े बुन लेगा।

(3) जो वक ल होने के कारण अपने ान का उपयोग िसफ लोग को समझाने और लोग क आंख खोलने
म करे गा।

(4) जो वक ल होकर वाद ूितवाद मु ई और मु ालेह के झगड़ो म नह ं पड़े गा। अदालत को छोड़ दे गा और
अपने अनुभव से दसर
ू को अदालत छोड़ने के िलए समझायेगा।

(5) जो वक ल होते हए
ु भी जैसे वकालत छोड़े गा वैसे यायाधीशपन भी छोड़े गा।

(6) जो डा टर होते हए
ु भी अपना पेशा छोड़े गा और समझेगा क लोग क चमड़ च थने के बजाय बेहतर है

क उनक आ मा को छआ जाय और उसके बारे म शोध खोज करके उ ह तंद ु ःत बनाया जाय।

(7) जो डा टर होने से समझेगा क खुद चाहे जस धम का हो ले कन अंमेजी वैदकशालाओं फामिसय म


जीव पर जो िनदयता क जाती है वैसी िनदयता से (बनी हई
ु दवाओं से) शर र को चंगा करने के बजाय
बेहतर है क शर र रोगी रहे ।

(8) जो डा टर होने पर भी खुद चरखा चलायेगा और जो लोग बीमार ह गे उ ह उनक बीमार का सह


कारण बताकर उसे दरू करने के िलए कहे गा। िनक मी दवाए दे कर उ ह गलत लाड़ नह ं लड़ायेगा। वह तो
यह समझेगा क िनक मी दवाएं न लेने से बीमार क दे ह अगर िगर भी जाय तो उससे दिनया
ु अनाथ नह ं
हो जायगी और यह मानेगा क उसने बीमार पर स ची दया क है ।
(9) जो धनी होने पर भी धन क परवाह कये बना अपने मन म होगा वह कहे गा और बडे से बड़े
सताधीश क भी परवाह न करे गा।

(10) जो धनी होने से अपना पया चरखे चालू करने म खरचेगा और खुद िसफ ःवदे शी माल का इःतेमाल
करके दसर
ू को भी ऐसा करने के िलए बढ़ावा दे गा।

(11) दसरे
ू हर ह दःतानी
ु क तरह जो यह समझेगा क वह समय प ाताप का, ूाय त का और शोक का
है ।

(12) जो दसरे
ू हर ह दःतानी
ु क तरह यह समझेगा क अंमेज का कसूर िनकालना बेकार है । हमारे कसूर
क वजह से वे ह दःतान
ु म आये, हमारे कसूर के कारण ह वे यहां रहते ह और हमारा कसूर दरू होगा तब
वे यहां से चले जायगे या बदल जायगे।

(13) दसरे
ू ह दःतािनय
ु क तरह जो यह समझेगा क मातम के व मौज शौक नह ं हो सकते। जब तक
हम चैन नह ं है तब तक हमारा जेल म रहना या दे श िनकाला भोगना ह ठ क है ।

(14) जो दसरे
ू ह दःतािनय
ु क तरह यह समझेगा क लोग को समझाने के बहाने जेल म न जाने क
खबरदार रखना िनरा मोह है ।

(15) जो दसरे
ू ह दःतािनय
ु क तरह यह समझेगा क कहने से करने का असर अ त
ु होता है । हम िनडर
होकर जो मन म है वह कहगे और इस तरह कहने का जो नतीजा आये उसे सहगे। तभी हम अपने कहने
का असर दसर
ू पर डाल सकगे।

(16) जो दसरे
ू ह दःतािनय
ु क तरह यह समझेगा क हम दख ु
ु सहन करके ह बंधन यानी गुलामी से छट
सकगे।

(17) जो दस
ू रे ह दःतािनय
ु क तरह समझेगा क अंमेज क स यता को बढ़ावा दे कर हमने जो पाप कया
है , उसे धो डालने के िलए अगर हम मरने तक भी अंडमान म रहना पड़े तो वह कुछ यादा नह ं होगा।

(18) जो दसरे
ू ह दःतािनय
ु क तरह समझेगा क कोई भी रा दख
ु सहन कये बना ऊपर चढ़ा नह ं है ।
लड़ाई के मैदान म भी दख
ु ह कसौट होता है न क दसरे
ू को मारना। स यामह के बारे म भी ऐसा ह है ।

(19) जो दसरे
ू ह दःतािनय
ु क तरह समझेगा क यह कहना कुछ न करने के िलए एक बहाना भर है क
जब सब लोग करगे तब हम भी करगे। हम ठ क लगता है इसिलए हम कर। जब दसर
ू को ठ क लगेगा
तब वे करगे, यह करने का स चा राःता है । अगर म ःवा द भोजन दे खता हंू तो उसे खाने के िलए दसरे

क राह नह ं दे खता। ऊपर कहे मुता बक ूय करना, दख
ु सहना यह ःवा द भोजन है । ऊबकर लाचार से
करना या दख
ु सहना िनर बेगार है ।

पाठक: सब ऐसा कब करगे और कब उसका अंत आयेगा?


संपादक: आप फर भूलते ह। सबक न तो मुझे परवाह है , न आपको होनी चा हये। आप अपना दे ख ली जये
म अपना दे ख लूंगा, यह ःवाथ वचन माना जाता है ले कन यह परमाथ वचन भी है । म अपना उजालूंगा,
अपना भला क ं गा तभी दसरे
ू का भला कर सकूंगा। अपना कत य म कर लू,ं इसी म काम क सार
िस यां समाई हई
ु ह।

आपको वदा करने से पहले फर एक बार म यह दोहराने क इजाजत चाहता हंू क

(1) अपने मन का रा य ःवरा य है ।

(2) उसक कुंजी स यामह, आ मबल या क णा बल है ।

(3) उस बल को आजमाने के िलए ःवदे शी को पूर तरह अपनाने क ज रत है ।

(4) हम जो करना चाहते ह वह अंमेज के िलए (हमारे मन म) े ष है , इसिलए या उ ह सजा दे ने के िलए


नह ं कर ब क इसिलए कर क ऐसा करना हमारा कत य है । मतलब यह क अंमेज अगर नमक महसूल
र कर द, िलया हआ
ु धन वापस कर द, सब ह दःतािनय
ु को बड़े बड़े ओहदे दे द और अंमेजी लँकर हटा
ल तो हम उनक िमल का कपड़ा पहनगे या अंमेजी भाषा काम म लायगे या उनक हनर
ु कला का उपयोग
करगे सो बात नह ं है । हम यह समझना चा हये क वह सब दरअसल नह ं करने जैसा है , इसिलए हम उसे
नह ं करगे। मने जो कुछ कहा है वह अंमेज के िलए े ष होने के कारण नह ं ब क उनक स यता के िलए
ोष होने के कारण कहा है ।

मुझे लगता है क हमने ःवरा य का नाम तो िलया ले कन उसका ःव प हम नह ं समझे ह। मने उसे
जैसा समझा है वैसा यहां बताने क कोिशश क है । मेरा मन गवाह दे ता है क ऐसा ःवरा य पाने के िलए
मेरा यह शर र सम पत है ।

मेरा मन गवाह दे ता है क ऐसा ःवरा य पाने के िलए मेरा यह शर र सम पत है ।

प रिश -1

ह द ःवरा य के ह द अनुवाद के िलए गांधीजी ने जो ूःतावना िलखी थी असम उ ह ने िमल के बारे


म नीचे क बात कह थी:

”यह पुःतक मने सन ् 1909 म िलखी थी। 12 वष के अनुभव के बाद भी मेरे वचार जैसे उस समय थे वैसे
ह आज ह। म आशा करता हंू क पाठक मेरे इन वचार का ूयोग करके उनक िस ता अथवा अिस ता
का िनणय कर लगे।

”िमल के स ब ध म मेरे वचार म इतना प रवतन हआ


ु है क ह दःतान
ु क आज क हालत म
मै चेःटर के कपड़े के बजाय ह दःतान
ु क िमल को ूो साहन दे कर भी अपनी ज रत का कपड़ा हम
अपने दे श म ह पैदा कर लेना चा हये।”
‘ ह द ःवरा य’ के अंमेजी अनुवाद क ूःतावना िलखते हए
ु गांधी जी ने इस पुःतक का एक मा य श द
सुधारने क इ छा बताई थी:

”इस समय इस पुःतक को इसी प म ूकािशत करना म आवँयक समझता हंू पर तु य द इसम मुझे भी
सुधार करना हो तो म एक श द सुधारना चाहंू गा। एक अंमेज म हला िमऽ को मने वह श द बदलने का
वचन दया है । पािलयामे ट को मने वेँया कहा है । यह श द उन बहन को पसंद नह ं है । उनके कोमल
दय को इस श द के मा य भाव से द:ु ख पहंु चा है ।”

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