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Loktantra Ka Raja
Loktantra Ka Raja
लोकतंऽ का राजा
राजमाता के चेहरे प र िशकन साफ़ देखा जा सकता था। अप नेचार बेट. म सेउFह.ने
राघवनाथ को केवल इसिलए राजा की कुस> दी थी =य.िक उसका अप ना कोई GयिHव
नहीं था। सीधा - सादा - गौ आदमी। डरनेवाला। राघवनाथ के जिरए राजमाता अप ना
राज चलाती थी। राघवनाथ प ूरी तरह राजमाता के िशकंजेम था। कठप ुतली राजा।
राजमाता के बाकी तीन बेटे उससेिबKकुल अलग थे। इसिलए राजमाता को उन प र
भरोसा नहीं था। हो सकता था कुस> िमलतेही वो राजमाता को ही िकक मार कर सLा से
अलग कर देते। राजमाता को प =का िवMास था िक राघव राजमहल सेबाहर नहीं जा
सकता। उसके अंदर इतनी िहNमत नहीं थी। मंऽीसभा म भी कोई ऐसा नहीं था जो राजा
को महल सेबाहर लेजानेकी िहमाकत करता। राजमाता नेअप नेख़ास लोग. को
बुलाकर एक बार िफ र राजमहल की गहन तलाशी का फ़रमान जारी िकया। उनका िनदO श
था िक महल का चPप ा - चPप ा छान मारा जाय। एक बार िफ र महल म राजा की तलाश
शुB हो गई।
राजा अप नेशयन कQ म ही िमल गया था। अप नेप लंग के नीचेिछप ा हआ।
ु प कड़े जाने
प र राजा प लंग के नीचेसेिनकल कर शयन कQ के एक कोनेम जाकर दबक
ु गया।
िबKकुल साधारण कप ड़. म। ऐसेबकरे की तरह वो कोनेम दबका
ु हआ
ु था , मानो उसे
अभी काटा जाएगा। उसनेराजसी वS उतार फ के थे। राजमुकुट भी शयन कQ म एक
ओर लुढ़का हआ
ु था। अप नेकमरे म सैिनक. को देखतेही वो िरिरयानेलगा --'' मुझेछोड़
दो। मW राजा नहीं हंू । मW राजा नहीं हंू । ''
'' नहीं , नहीं '' राघवनाथ िचKला उठा , '' मW राजा नहीं हंू । मWनेकुछ नहीं िकया। मW राजा
नहीं हंू । ''
राजमाता को देखतेही राघव और जोर - जोर सेचीखनेलगा , '' मW राजा नहीं हंू । मुझे
छोड़ दो। मW राजा नहीं हंू । ''
राजमाता जैसे- जैसेउसके करीब प हंु च रही थीं , वो और िसकुड़ता जा रहा था। मानो
राजमाता उसेकZचा िनगल जाएंगी। राजमाता जब उसके करीब प हंु ची , वो आदमी से
िसकुड़ कर लगभग गद बन गया था। राजमाता नेजैसेही उसके िसर प र हाथ रखा , वो
फ फ क - फ फ क कर रो प ड़ा , '' मुझेछोड़ दो , मुझेछोड़ दो , मW राजा नहीं हंू । '
'' राघव ये=या हो गया है तुNह ? तुNहीं राजा हो। इस देश के भाXयिवधाता हो। '
'' नहीं , नहीं , मWनेकुछ नहीं िकया। मW राजा नहीं हंू ।मW िनद\ष हंू । मुझेछोड़ दो , मुझे
मुिH दो। मW राजा नहीं हंू । ''
राजमाता वहीं जमीन प र धNम सेबैठ ग[। वहां मौजूद लोग. का िदल भी बैठ गया।
राजमाता को इतना टू टतेशायद ही कभी िकसी नेदेखा था। आिखर =या हो गया राघव
को ? िकस बात सेइतना खौफ़जता है राघव ? आिखर वो कौन सा डर है , िजसकी वजह
सेवो राजा होनेकी बात सेही इनकार कर रहा है ? िकस बात नेउसेइतना डरा िदया है
? िकसनेउसेइतना डरा िदया है ? एक बार प ता चल जाय , राजमाता उसेनहीं ब$शेगी।
राजमाता के िदल म तरह - तरह की आशंकाओं के बादल उमड़ - घुमड़ रहे थे। िकस
सािज़श का िशकार हो गया राघव ? कहीं येराजमाता को सLा सेबेदखल करनेका कोई
खेल तो नहीं है ? कहीं अप नेही बेटे तो उनके दँमन
ु नहीं बन गए ? उनके िदमाग म
ु बाद म आई थी , प हलेसंदेह अप न. की ओर ही
िवरोधी दल की सािज़श की बात बहत
गया था। कहीं राघव के भोजन म कुछ ऐसा िमला कर तो नहीं दे िदया गया , िजससे
उसकी िदमागी हालत िबगड़ गई है ? =या होगा अब ? कैसेिनप टेगी अब वो इस समःया
से? राजमाता का िदल बैठा जा रहा था। उFह.नेइशारे सेकमरा खाली करनेको कहा।
सारे सैिनक बाहर चलेगए।कमरे म रह गए राघवनाथ और राजमाता। दरवाजा भी बंद
कर िदया गया।
राजमाता नेराघव का िसर अप नी गोद म रख िलया , ' राघव डरो नहीं। मW तुNहारी मां हंू ।
बताओ =या हआ
ु है ? िकसनेडराया है तुNह ?'
लेिकन राघव प र अभी भी डर हावी था। वो िरिरयानेलगा , '' मW राजा नहीं हंू । मW राजा
नहीं हंू । '
अब राजमाता को गुःसा आ गया। वो चीख प ड़ीं , ' राघव बंद करो येनाटक। मुझेये
रोना - धोना िबKकुल प संद नहीं है । बताओ =या हआ
ु है ?'
राघव की िस`टीिप `टी गुम। राजमाता का गुःसा ूलयंकारी होता है । उनका गुःसा बेटे
और दँमन
ु म फ कa नहीं समझता। राघव नेअपना िसर झट उनकी गोद सेहटा िलया।
=या प ता गोद म ही िसर कलम हो जाय। अब वो प हलेसेbयादा डरा हआ
ु था। थर -
थर कांप रहा था।
राजमाता िफ र चीख प ड़ी , ' बताओ =या बात है ? इतनेबड़े लोकतंऽ का राजा इतना
bयादा =य. डरा हआ
ु है , जबिक मेरा वरदहःत तुNहारे िसर प र है ?'
राजा राघवनाथ की बोलती बंद हो गई थी। उसके गलेसेआवाज ्भी नहीं फू ट रही थी।
उसनेअप नेिबःतर की ओर इशारा िकया। िबःतर प र देश का सबसेबड़ा अखबार प ड़ा
हआ
ु था। प हलेपेज प र मोटे - मोटे अQर. म हेड लाइन थी , ' ॅeाचािरय. को लWप प ोःट प र
लटका िदया जाना चािहए '
राजमाता कुछ देर ःतgध खड़ी रहीं। िफ र जोर - जोर सेहं सनेलगीं। उनके ठहाक. सेप ूरा
कमरा िहल उठा।
' इतनेबड़े लोकतंऽ का इतना बड़ा राजा बस इतनी छोटी सी ख़बर सेइतना डर गया िक
राजा होनेसेही मना करनेलगा ' राजमाता िफ र ठहाके लगानेलगीं।
' लेिकन तुम िनिhंत रहो। ' राजमाता नेराजा राघवनाथ को भरोसा िदया , ' कोई भी
अदालत इस तरह सरेआम लWप प ोःट प र लटकानेका आदेश जारी नहीं कर सकती। हमारे
देश की संिवधान इस बात की इजाजत नहीं देती। '
'' राजमाता आप जरा भिवंय की सोिचए। एक जज का येगुःसा िकसी िदन जनता के
गुःसेम भी तgदील हो सकता है । अदालत हमारी नहीं , जनता की बोली बोल रही है ।
संिवधान , सरकार , राजा - सब कुछ तो जनता सेही है । अगर जनता नेही ॅeाचािरय.
को लWप प ोःट प र लटकाना शुB कर िदया तो ?'
अब राजमाता की आंख खुली। उनका िसर चकरा गया। उFह.नेसप नेभी नहीं सोचा था
िक राघवनाथ भी इतनेदरू की सोच सकता है । सचमुच अब येगंभीर समःया लग रही
थी। इस तरह की भाषा सेतो जनता भड़क सकती है । कुछ करना होगा। करना ही होगा।
उFह.नेराघवनाथ को भरोसा िदया िक वो डरे नहीं। इसी बहानेउFह.नेखुद को भी
तसKली दी िक सLा की बागडोर उनके ही हाथ. म रहेगी। उFह.नेराघवनाथ को राजा की
कुस> प र बैठनेकी नसीहत दी और कहा िक वो इस समःया का समाधान जBर
िनकालगी। उFह.नेराघव को िनदO श िदया िक आज ही नवरj. की बैठक बुलाई जाय।
राजमाता , राजा राघवनाथ और नवरj. की बैठक चल रही थी। प ूरा माहौल गंभीर था।
बैठक कQ म मौत का सFनाटा प सरा हआ
ु था। राजमाता और राघवनाथ नेसमःया और
भिवंय म प ड़नेवालेदरगामी
ू ूभाव सेनवरj. को अवगत करा िदया था। अब नवरj.
को सुझानेथेउप ाय.। प ूरेराजमहल म मौत का सFनाटा था। जैसेही महल के िनवािसय.
को प ता चला िक नवरj. की बैठक हो रही है , उFह मानो लकवा मार गया। नवरj. की
बैठक तभी बुलाई जाती थी , जब देश िकसी गंभीर संकट सेगुजर रहा होता है । इस बात
सेभी है रानी थी िक नवरj. की बैठक म भी राघवनाथ साधारण कप ड़. म ही गए थे।
राजा के कप ड़े प हननेम उFह अभी भी डर लग रहा था। येसारेनवरj कबीना ःतर के
मंऽी थेऔर सबके प ास बड़े - बड़े मलाईदार िवभाग थे। इसिलए येसमःया उन सब की
थी।
एक नेसुझाया -'' हम कुछ ऐसा करना चािहए िक सव\Zच अदालत की नज़र ही हम प र
न प ड़े। न हम प र नज़र प ड़ेगी , न ही वो हमारे बारे म ऐसी बात कहेगी , िजससेलोग.
के भड़कनेका खतरा हो। ''
राजमाता नेप ूछा -'' इससेबात बनेगी ?''
दसरे
ू नवरj नेतकाल कहा -'' जBर , जब सव\Zच अदालत की नज़र ही नहीं प ड़ेगी तो
कोई समःया ही नहीं होगी। और िकसी की तो िहNमत है नहीं िक सरकार केिखलाफ
कुछ बोल सके। ''
'' लेिकन येहोगा कैसे?'' राघवनाथ की िचFता जायज थी।
'' अगर ऐसा हो गया तो न केवल हम कानून की िनगाह सेबच जाएंगेबिKक हमारा काम
भी और आसान हो जाएगा। तब तो शायद कैमरे भी हम प ैसेलेतेहए
ु नहीं प क़ड़ प ाएंगे''
एक नवरj की ऐसी राय सेसबको और ताकत िमली।
तकाल राजा के मु$य वैkािनक सलाहकार को तलब िकया गया। मु$य वैkािनक
सलाहकार को देश की जBरत सेअवगत कराया गया। बताया गया िक देश को िकस
तरह अप नेवैkािनक. की इस महान सेवा की ज़Bरत है लेिकन मु$य वैkािनक सलाहकार
का जवाब िनराश करनेवाला था। जान ब$शनेकी अप ील करतेहए
ु उसनेबताया था िक
िफ Kम म जो कुछ भी िदखाया गया है , सचमुच की िजंदगी म ऐसा करना संभव नहीं है ।
ऐसा नहीं िक वैkािनक ऐसी कोिशश नहीं कर रहे हW लेिकन अभी तक कामयाबी नहीं
िमली है ।
तभी एक आइिडया और कoधा -'' =य. न हम सव\Zच अदालत की आंख ही िनकाल ल ?''
जबदa ःत आइिडया लेिकन एक नवरj नेकहा -'' मुझेजहां तक याद आ रहा है , सव\Zच
अदालत के बाहर कानून की जो मूितa लगी हई
ु है , उसकी आंख. प र तो प `टी बंधी हई
ु
है । यानी अदालत तो प हलेसेही नहीं देख प ाती ''
'' नहीं येबात नहीं है , येप `टी इस बात का ूतीक है िक कानून केवल इं साफ करेगी।
इस प `टी के जिरए वो इस बात का संकेत देती है िक उसके सामनेसभी बराबर है । ''
'' येतो और खतरनाक बात है । िफ र तो कानून की नज़र म हमारी कोई है िसयत ही नहीं
है । हम संिवधान म संशोधन करना चािहए ''
राजमाता नेकहा -'' कैसेिनकालगेकानून की आंख ? आप =या सोच रहे हW इस प र हं गामा
नहीं होगा। िवप Q चुप चाप बैठा रहेगा ''
देश के ःवाःpय मंऽी भी नवरj. म शािमल थे। उFह.नेसलाह दी -'' =य. न हम इलाज
के बहानेउसेऐसी दवाएं द , िजससेउसकी आंख. की रोशनी धीरे - धीरे चली जाय ''
राघवनाथ नेकहा -'' आइिडया बुरा नहीं है लेिकन कानून तो बीमार नहीं है । आिखर =या
कह कर हम कानून का इलाज शुB कर गे''
िफ र वही तनाव। कानून की आंख फ ोड़नेका आइिडया जबदa ःत था लेिकन इसेलागू करने
म काफ ी िद=कत थीं। लोकतंऽ म कानून को अंधा करना इतना आसान भी नहीं था। अब
राजा को ही नहीं , नवरj. को भी लगनेलगा था िक सबसेबड़ी बीमारी लोकतंऽ ही है ।
तो =या आिखर एक िदन सबको लWप प ोःट प र लटका िदया जाएगा ? =या देश की सेवा
करनेके िलए कोई नहीं बचेगा ? येसवाल अब नवरj. को सालनेलगा था।राजमाता
प रेशान थीं तो राघवनाथ अभी तक डरा हआ
ु था। लेिकन राजमाता तो राजमाता
थी।उFह.नेइसका हल ढंू ढ ही िनकाला। उFह.नेकहा -'' मWनेइस समःया का समाधान ढंू ढ
िलया है । ''
सब खुशी सेउछल प ड़े। बाकी िकसी की िहNमत तो नहीं प ड़ी लेिकन राघवनाथ नेप ूछ ही
िलया िक =या समाधान ढंू ढा है उFह.ने। राजमाता नेकहा - अभी वो इसका खुलासा नहीं
कर गी। सवaदलीय बैठक बुलाओ। सवaदलीय बैठक म सब िमलकर इसेअप नी मंजूरी द गे।
सभी चकरा गए लेिकन राजमाता के आदेश प र सवाल नहीं िकया जा सकता था। दसरे
ू
िदन सवaदलीय बैठक बुलाई गई। अचानक बैठक बुलाए जानेसेिवरोधी दल भी है रान थे।
राजमाता और राजा तो िकसी भी मामलेम कभी उFह इतनी अहिमयत नहीं देतेथे। देश
के िकसी भी फ़ैसलेम उFह िवMास म नहीं िलया जाता था लेिकन आज अचानक =या हो
गया। है रान प रेशान सभी िवरोधी नेता बैठक म पहंु च गए थे। मीिडया को भी भनक लग
गई थी। टेलीिवजन वालेकैमरा िलए बैठक कQ के बाहर मौजूद थेलेिकन िकसी को भी
बैठक का एजड ा मालूम ही नहीं था तो िफ र कोई कहता =या ? अटकल. का बाज़ार गमa
था।
बैठक तय समय प र ही शुB हई
ु थी। राजमाता नेखुद अखबार प ढ़ कर सुनाया और
िवरोधी दल. को सव\Zच अदालत की राय सेवािकफ़ कराया। ख़बर तो सबनेप ढ़ी थी
लेिकन इतनी गहराई सेइस प र िवचार नहीं िकया था , िजतना राजमाता और राजा
राघवनाथ नेिकया था। जब राजमाता नेसबको उनका भिवंय बताया तो सबको सांप
सूंघ गया। राजमाता नेकहा - येहमारी या आप की समःया नहीं है । येप ूरे देश की
समःया है और इसिलए हम चाहतेहW िक फै सला भी िमल बैठकर एक साथ िकया जाय।
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