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Zaafar Miyan Ki Shehnai
Zaafar Miyan Ki Shehnai
Zaafar Miyan Ki Shehnai
कहानी
हरी भटनागर
जाफर िमयाँ शहनाई के िलए मुहले या, अपने पूरे कःबे म! मशहर
ू थे। तीन-चार बजते
ही वे शहनाई लेकर चबूतरे पर आ बैठते और धूप िनकलने तक बजाते रहते। वे शहनाई
बजाते और ढोल पर साथ दे ता उनका दोःत, स2भू। स2भू शहनाई के बजते ही उठ बैठता
और जाफर िमयाँ के साथ ताल िभड़ाता। बताने वाले बताते ह4 िक शहनाई का ऐसा बजैया
और ढोल का ऐसा िपटै या कःबे या, दरू-दरू के इलाके म! दसरा
ू न था। सवेरे शहनाई
और ढोल न बजे तो मुहले के लोग9 की आँख! न खुलती थीं। लगता िक रात है , अभी
सोये रहो।
जाफ़र िमयाँ का कु@दन शाह नाम का एक दोःत था। वह सुनार था और जाफर िमयाँ के
घर के ठीक सामने रहता था। जाफर िमयाँ ने चोरी के डर से अपनी बेटी के शादी के
जेवर और नगदी कु@दन शाह की ितजोरी म! रखवा िदये थे। इस Iयाल से िक उसके पास
सुरिKत रह! गे और िनिँफकर हो गये थे। मगर जब बेटी की सगाई हई
ु और वे जेवर और
नगदी लेने गये तो कु@दन शाह ने साफ इनकार कर िदया िक उसके पास उसने कभी
कुछ रखा ही नहीं!
जाफर िमयाँ चीखे-िचलाये। लड़े -झगड़े । इ@साफ के िलए लोग9 को बटोरा लेिकन कोई
असर नहीं। कु@दन शाह टस से मस न हआ।
ु जाफर िमयाँ की बीवी की जलती गाली से
भी नहीं। आिखर म! जाफर िमयाँ ने अपना माथा चौखट से फोड़ िलया और दाढ़ी नोच
डाली िजसका मतलब सॄ से था और इस बQदआ
ु से िक गरीब-गुबाR का जेवर पैसा मारा
है , हजम नहींहोगा; ख़ाक म! िमल जायेगा!
मगर कु@दन शाह ख़ाक म! िमलने की बजाय िदन पर िदन तरकी करता जा रहा था।
कSचा कवेलू वाला मकान तोड़वाकर उसने पकका मकान बनवाना शुT कर िदया था।
दरवाजे◌़पर लोहे का फाटक लगवा िदया था। और रोशनी के िलए एक लVटू लटका िदया
था। जाफर िमयाँ के िलए यह सब तकलीफदे ह था। पर गाली दे ने, बाल-दाढ़ी नोचने के
िसवा कुछ भी करने म! असमथR थे।
उस िदन दोपहर को जाफर िमयाँ जबरदःत तकलीफ म! थे। इसकी वजह कु@दन शाह न
होकर वह इका था िजस पर लाउडःपीकर म! तीखी आवाज़ म! िफमी गाना बज रहा
था। यह आवाज़ इतनी तीखी और कानफोड़ थी िक जाफर िमयाँ बेचन
ै हो उठे । उ@ह9ने
इकेवाले को भQदी गािलयाँ दे नी शुT कर दींजो गाने की धुन पर मटकता हआ
ु ग@दे
इशारे करता जा रहा था।
कान म! उँ गिलयाँ रखकर तीखी आवाज़ से बचा जा सकता था मगर गुःसे के आगे यह
सूझ दम
ु दबाये कहींदबकी
ु थी। तकरीबन हजार-एक गा◌़िलयाँ दे चुके होगे जाफर िमयाँ;
िफर चुप हो गये जैसे थक गये ह9। लेिकन तीखी आवाज़ के साथ कान के राःते होती हई
ु
एक बात उनके जेहन म! जा पहँु ची िजससे िक वे अWँय म! कहींदे खते हए
ु खोये रहे , िफर
मुःकुरा उठे । एकाएक फुतD से उठे और अ@दर आकर बीवी से पूछा िक मामोफोन कहाँ है ?
बीवी ने इशारा तो कर िदया मगर यह नहींपूछ पायी िक मामोफोन का या कर! गे। वह
घबरा-सी गयी। अभी तक तो ठीक थे, चुप रहते थे, अब...मामोफोन मांग रहे ह4 , इसका
मतलब है , कहींकुछ गड़बड़ है । नहीं
, इतने पुराने कूड़े -कबाड़ की या जTरत थी?
- आग बरसाय!गे।
- हाँ।
काफ़ी दे र तक जाफर िमयाँ कल पुजZ को साफ़ करते रहे । आिखर म! जब मामला जमता
नहींिदखा तो उ@ह! कुछ याद आया। अ@दर आये और उस चादरे को ढँू ढने लगे िजसम!
गरम कपड़े बँ\◌ो थे िजसे कभी वे ओढ़ा करते थे। चादरा जब िमल गया तो उ@ह9ने सारे
गरम कपड़े ज़मीन पर पटक िदये और कल पुजZ को समेट बाज़ार आये, अपने दोःत, दीना
के पास जो कभी मामोफोन द]ः
ु त करता था, अब लाउडःपीकर वगैरह द]ः
ु त करता है ।
दीना ने कहा - अबे, ऐसे या दे खता है ! म4 कबाड़ी हँू जो मेरे पास कबाड़ ले आया।
- हाँ, सुहागरात मनाऊँगा! जाफर िमयाँ ने कहा और उनकी आँख! गीली हो गयीं। उ@ह9ने
अपने साथ हए
ु जुम का बयान िकया और मामोफोन को ‘राइट' कराने की वजह बतायी।
यह बाल सुलभ हरकत थी, िफर भी दीना ने जाफर िमयाँ का िदल नहींतोड़ा और न ही
िकसी तरह की बहस की। मामोफोन की जगह उसने एक टे पिरकाडR र और बहत
ु सारे
सामान9 के साथ बड़ा-सा लाउडःपीकर िदया तािक वे अपना काम बखूबी कर सक!।
इस सामान9 को िलए हए
ु खुशी से भरे जाफर िमयाँ जब अपने दरवाजे◌़इके से उतरे तो
बीवी ने म`था पीट िलया; मुहले के लोग9 ने उ@ह! आँचयR से घेर िलया।
थोड़ी दे र म! तेज़ आवाज़ म! गाना बजा तो पूरे जँन का माहौल था। तकरीबन पूरा मुहला
इकVठा था। बSचे गाने की धुन पर िथरक रहे थे। उनके बीच जाफर िमयाँ थे जो
अनेकानेक भाव-मुिाएँ बना मटकते जाते थे।
एकाएक जाफर िमयाँ ने दे खा, बीवी नदारद है । यहाँ तक िक मुहले के सारे लोग जा चुके
ह4 । िसफ़R बSचे ह4 जो िथरक रहे ह4 । समझ गये िक पागल हरकत मानकर सब सरक गये!
उ@ह9ने िसर झटका और सोचा िक कोई मुज़ायका◌़नहीं। कोई रहे या न रहे , वे अपना
काम कर! गे, पूरी ताक़त से कर! गे।
जाफर िमयाँ ने साँस खींचकर िसर झटका जैसे कह रहे ह9 िक सो, चैन से सो! दे खता हँू ,
कब तक सोते हो!
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गाने की तीखी आवाज़ कुछ ऐसे गूँजती जैसे हज़ार9-हज़ार मोर एक साथ चीख-िचला रहे
ह9। लाख9-लाख कौवे ह9 जो िकसी एक कौवे पर हए
ु जुम पर ची`कार कर जुमी पर
ट9ट-पंजे मार रहे ह9। ऐसा भी लगता जैसे करोड़9 की तादाद म! मुसलमान ‘हाय हसन'
करते हए
ु छाती पीट रहे ह9। उ@हींके साथ बड़े -बड़े नगाड़े , सम, तासे मानो हाय छोड़ रहे
ह9।
-
िजस वईत तीखी आवाज़ म! गाना बजना शुT हआ
ु , कु@दन शाह खाना खा रहा था। उसने
झाँककर दे खा, जाफर िमयाँ उसकी तरफ़ भQदे इशारे करते हए
ु मटक रहे थे। उसे लगा िक
यह सब उसे तंग करने के िलए है । बोध म! पागल होते हए
ु उसने थाली उठाकर नाली पर
फ!क दी। दरवाज़े पर लात मारी। बीवी को भQदी गािलयाँ दे ते हए
ु जो उस पर बड़बड़ाने
लगी थी, खाट पर लेट गया, दाँत पीसते हए।
ु एकाएक मन हआ
ु िक उठे और जाफर िमयाँ
के मुँह पर तेजा◌़ब डाल दे । वह उठा लेिकन ऐसा करने की िह2मत न जुटा पाया। काँप
गया।
एकाएक सोचा िक वह इतना परे शान य9 है ? य9 मान बैठा िक जाफर िमयाँ का गाना-
बजाना उसे तंग करने के ख़ाितर है । जाफ़र तो पागल है , पागल! उसकी पागल हरकत पर
वह य9 परे शान होता है ? उसने ऐसा सोचा मगर दसरे
ू पल िफर परे शान हो उठा। जाफर
उसे दे खकर भQदे इशारे कर रहा था और मटक रहा था, य9? उसे तंग करने के िलए ही!
हे भगवान!!! उसने सोने की कोिशश की लेिकन वह रात भर सो न सका। बुरी तरह
करवट! बदलता रहा। रह-रहकर उठ बैठता और गािलयाँ बकता।
जाफर िमयाँ बेहद खु◌़श थे उस िदन। उनका िनशाना सही जगह पर लगा था।
खै◌ऱ, कु@दन शाह घर म! हो या न हो, जाफर िमयाँ ने तीखी आवाज़ म! म@दी नहींआने
दी।
एक िदन जाफर िमयाँ की बीवी बाजा◌़र से सौदा-सुलुफ़ लेके लौटींतो उ@ह9ने बताया िक
कु@दन शाह तो कहींनहींगया, लोग झूठ बोलते ह4 । वह तो िबःतर पर पड़ा है । कहते ह4
िक उसके िसर म! बेपनाह ददR रहता है । बीवी-बSचे पैर9 से कचरते ह4 तब भी चैन नहीं
िमलता...
- मुए ने जैसा करा है , वैसा तो भरे गा! इसम! वैद-हकीम या कर ल!गे।
- वैद-हकीम तकलीफ की दवा द! गे! जाफर िमयाँ कुिटलता से मुःकुराये - तुम जाकर कहो
न िक इलाज कराये।
- हाँ, म4 कहँू गी उस कमीन, मुँहजले से। बीवी ने कुढ़कर कहा, - मर जाये तो अरथी पर थूकूँ
तक नहीं।
- ये ददR य9 हो गया उसे? जाफर िमयाँ ने िनहायत ही संजीदा होकर पूछा।
- कुछ नहीं, बस यूँ ही पूछ रहा था। कुछ भी हो, आिखर अपना पुराना दोःत ही तो है -
उ@ह9ने बीवी को बहकाना चाहा।
बीवी यकायक भावुक हो गयीं, बोलीं- यही तो म4 भी सोच रही थी। पूरी बात तो नहीं, इcा
जानती हँू िक उसे नींद नहींआती रात-रात। जागता रहता है । हर वईत उसे लगता है िक
बड़ी-बड़ी टीन की चादर! , बड़े -बड़े साम कोई छत पर पटक रहा हो...
िरशेवान ने कु@दन शाह को िरशे म! बैठाने म! मदद दी और िरशा आगे बढ़ा ले चला।
कु@दन शाह डॉटर के पास गया। डॉटर ने उसकी नkज़ पर उँ गिलयाँ रखीं। पलक! फाड़ीं
और उनम! टाचR की रोशनी मारी। जीभ बाहर िनकलवायी और मुँह बड़ा सा फड़वाया। जब
वह ठीक से मुँह नहींफाड़ पाया तो डॉटर ने मुँह नहींदे खा। पीठ और छाती पर आला
फेरा और घुटन9 पर उँ गिलयाँ बजायीं।
कु@दन शाह ने दवा खायी और पाँच िदन के बाद डॉटर के पास पहँु चा। इस बार डॉटर
ने सरसरी नज़र उस पर डालकर पहले िलखींदवाइयाँ िफर से खाने को िलख दींऔर
पाँच िदन के बाद आकर हाल बताने को कहा।
- कौन जाफर, कौन दजD? डॉटर ने सI◌़त नज़र9 से उसे दे खा और गुःसे म! कहा - म4
िकसी दजD-बजD को नहींजानता!
सहसा कु@दन शाह की बीवी कड़कती आवाज़ म! हाथ लहराती बोली- जाफर मुआ दजD है ,
मुँहजला! िदन-रात बाजा आग की तरह फूँके रहता है , उसका नाश जाये!
डॉटर सI◌़त होकर बोला- आप या चाहती ह4 िक म4 जाकर उसका बाजा ब@द कराऊँ!
डॉटर झला उठा यकायक और मेज़ पर मुके पटकने लगा- आप दोन9 पाग़ल हो गये
ह4 , पागल! चले जाइये यहाँ से!!!
- लेिकन साब, मेरी तबीयत तभी से गड़बड़ है - कु@दन शाह काँपते पैर9 पर खड़ा अपने
दोन9 हाथ िसर पर रखे बुदबुदाया,- उसी ने टे प बजा-बजाकर...
इधर डॉटर दोन9 की बात9 पर िसर पीट रहा था, उधर जाफर िमयाँ से एक पड़ोसी ने
पूछा, - य9 िमयाँ, आज तु2हारी दकान
ू ठlडी य9 है ? कोई गाना बाना नहींहो रहा है ?
लेिकन जब कु@दन शाह डॉटर के यहाँ से लौटा, िरशे से िकसी तरह उतर नहींपा रहा
था और आिख़र म! सीट से जमीन पर आ िगरा िकसी कटे पेड़ की तरह - जाफ़र िमयाँ
अपने को रोक न सके। टे पिरकाडR र को परे करते तेज़ी से दौड़े ।
कु@दन शाह के माथे पर उ@ह9ने हाथ फेरा। वह बेहोश हो गया था। दौड़कर जाफर िमयाँ
लोटे म! पानी लाए और उसके मुँह पर पानी के छींटे मारे ।
कु@दन शाह ने जब अपनी आँख! खोलींऔर फड़फड़ाते ह9ठ9 से ‘जाफर भाई' बुदबुदाया जैसे
अं
ितम साँस ले रहा हो- जाफर िमयाँ की आँख9 से झर-झर आँसू बह िनकले।
थोड़ी दे र बाद जाफर िमयाँ चबूतरे पर बैठे शहनाई बजा रहे थे। शहनाई की आवाज़ से
स2भू बैठा न रहा। घर से वह ढोल बजाता िनकला।