Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 6

गरीबी की आशीष करके उसने एक अ छे ःकूल म भत कराया था और ःकूल-

बस की फीस का इं तज़ाम ना कर पाने के कारण उसे रोज


बृजेश चोरो टया
सुबह ज दी उठकर अपनी 6 साल की बेटी नेहा को ःकूल
छोड़ने जाना पड़ता था। कल सुबह जब साईकल नहीं होगी तो
वो ःवतंऽता दवस पर लाल कले पर झंडारोहण दे खने आया वो नेहा को ःकूल कैसे छोड़े गा, फर दकान
ु पर कैसे जायेगा,
था, कसी ने उसे घुसने ही नहीं दया। “ऐसी भी या सुर ा परचूनी का सामान कैसे लायेगा, अनाज पसाने के िलये दया
यवःथा क दे श का नाग रक ही दे श के नेता को सुनने नहीं था उसे लाने के िलये भी तो साईकल चा हये नहीं तो घर म
ु िनराश होकर ख न मन और बो झल
जा सकता”, सोचते हए आज रोटी कैसे बनेगी। और ऐसी कतनी ही बात सोचते
कदम से सुशील बाहर आ गया। सोचते कब उसके आँख से पानी िनकल आया उसे पता ही
नहीं चला।
सोच रहा था - या यह मेरा ही दे श है । उसे वो ःलोगन याद
आ रहे थे जो उसने दरदशन
ू पर दे खे थे – मेरा भारत महान, उसने सोचा य ना तुरंत पास के पुिलस ःटे शन म रपट
भारत-एक कृ ष-ूधान दे श, कसान मजबूत तो दे श मजबूत िलखवाई जाये। पास म ही सड़क के कनारे दकान
ु लगाये उस
आ द आ द। यह मेरा दे श कैसे हो सकता है जहाँ मुझे ही दकानदार
ु से उसने पूछा, “भईया, यहाँ पास म पुिलस थाना
आज़ादी नहीं है क म अपने भारत दे श के गौरव ूदशन म कहाँ है ”। उस दकानदार
ु ने बताया क तीन-चार कमी की
शािमल नहीं हो सकता। म सुन नहीं सकता क मेरे दे श ने दरी
ू पर ही थाना था और उसने उसे वहाँ जाने का राःता भी
कतनी ूगित कर ली है , या मेरे दे श का अगुवा भ वंय की बता दया।
या योजनाय बना रहा है । म गरीब हँू तो या मेरा अिधकार
“भाई साहब, मने अपना ःकूटर यहीं खड़ा कया था, या
नहीं है । अभी वो बड़ी गाड़ी पास से गुजरी थी तो संतरी ने
आपको मालूम है वो कहाँ गया”, यह सुनकर उसका यान
रोकने की कोिशश की, साहब ने तो खड़की भी नहीं खोली,
भंग हआ।
ु सामने खड़ा य अ छे प रवार से मालूम होता
िसफ साईवर ने ही अपनी खड़की खोलकर बताया था क
था। “साहब, मुझे नहीं मालूम, खुद मेरी साईकल भी यहीं
साहब नेताजी के प रिचत ह, बड़े उ ोगपित ह और फर
खड़ी थी, पता नहीं कहाँ चली गई, चोरी हो गई या कसी ने
संतरी ने एक सलाम कया और अंदर जाने दया। या अंतर
कहीं और रख दी है ”। ःकूटरवाला पढ़ा-िलखा नज़र आता था,
था, या यह क म बड़ा उ ोगित नहीं हँू , तो या हआ
ु मेरी
उसने दकानदार
ु से पूछा, “भाईसाहब, मने अपना ःकूटर यही
छोटी सी चाय की दकान
ु तो है , जसम मेरे पास भी दो-तीन
खड़ा कया था, या आप बता सकते ह क कसी को आपने
मूढ़े और एक बच है । मेरे पास कार नहीं तो या मेरे पास
यहाँ से ःकूटर ले जाते दे खा हो”। “कमेटी वाले उठा कर ले
साइकल तो है । या म इस दे श का नाग रक नहीं हँू , या
गये ह गे”, दकानदार
ु ने कहा। “पर यह कमेटी या होती है ,
िसफ गरीब होने से मेरे अिधकार कम हो जाते ह।
भईया?”, ःकूटरवाले ने पूछा। दकानदार
ु ने बताया क वह नो-
अपनी गरीबी पर कुढ़ता हआ
ु सुशील अपने घर की ओर वापस पा कग वाली जगह थी, इसिलये सरकारी गाड़ी आकर वहाँ
लौटने के िलये अपनी साईकल की ओर चल पड़ा। वहाँ खड़े सभी वाहन को उठाकर ले गई थी। “तो या मेरी
पहँु चकर या दे खता है क साईकल भी नदारद है । साईकल भी वहाँ िमल जायेगी?”, तपाक से सुशील ने पूछा।
“मुझे या मालूम, जाकर पता कर लो, अब म तु हारे
“अरे , यहीं तो खड़ी की थी मने, कहाँ गई”। वह बदहवास सा साईकल की ही दे खभाल करने को तो बैठा नहीं था, मुझे
इधर-उधर दौड़कर ढंू ढने लगा क शायद यहाँ नहीं वहाँ रख दी जतना मालूम था, मने बता दया, अब मेरा दमाग मत
हो, या कसी ने कसी कारण से उस जगह से हटा दी हो। चाटो”, दकानदार ने िचढ़ते हआ कहा। सुशील अपना सा मुँह
ु ु
ु ढंू ढने पर भी जब उसकी साईकल उसे नहीं िमली तो वह
बहत लेकर ःकूटर वाले की ओर दे खने लगा।
आँसा हो गया। वो सोचने लगा की कल वो अपनी ब ची को
ःकूल छोड़ने कैसे जायेगा। बड़ी मु ँकल से पैस का इं तज़ाम
ःकूटरवाला परे शान तो था य क ःकूटर चला गया, पर वो रमेश कहने लगा, “सुशील भाई, अभी आपने अपने आप को
दखी
ु नहीं दख रहा था। “शायद उसके पास बहत
ु पैसा होगा। गरीब होने पर कोसा, परं तु या आपको मालूम है क ई र
ःकूटर नहीं भी िमलेगा तो वो नया खरीद लेगा। पर मेरे पास का धमशा या कहता है – कहता है क ध य ह वे जो
तो यह साईकल भी मेरी जमा-पूँजी से खरीदी थी, अब या मन के द रि ह, य क ःवग का रा य उ हीं का है , ध य ह
होगा। प के बीमारी से उठने के बाद अब तो सब गाँठ का वे जो शोक करते ह, य क वे शांित पायगे, ध य ह वे जो
पैसा भी ख म हो गया। पुिलसवाले तो जुमाना मांगेगे और नॆ ह, य क वे पृ वी के अिधकारी ह गे, और यह भी क
नहीं भी तो मामला रफा-दफा करने के िलये उनको भी कुछ ध य ह वे जनके मन शु ह, य क वे परमे र के पुऽ
तो दे ना ही पड़े गा”। कहलायगे। ई र की नज़र म आप बहत
ु कीमती ह और ध य
ह। हमारा सृजनहार ई र हमसे बहत
ु यार करता है । हम
सुशील यह सब सोच ही रहा था क ःकूटरवाले ने कहा,
अमीर ह या गरीब, वह कहता है क वह हमारा नाम जानता
“भाई, अगर आप चाह तो हम दोन साथ ही चलते ह, ूभु ने
है और यहाँ तक क हमारे िसर के सारे बाल तक भी उसके
चाहा तो मेरा ःकूटर और आपकी साईकल दोन ही चीज हम
िगने हए
ु ह। या आप जानते ह क वह यह भी कहता है क
पुिलस थाने म िमल जायेगी”। “जी ठ क है , चिलये”, कहकर
वह आपके बारे म क पना करता है और आपके वषय म
सुशील ःकूटरवाले के साथ ही चल पड़ा।
आपकी भलाई की योजनाय बनाता है और आपकी आशा को
पूरा करना चाहता है ?”।
मन म तो सोच रहा था “ूभु ने चाहा तो – यह या बात
ु , य द ई र मुझसे यार ही करता तो आज
हई या मेरे साथ
सुशील यह सब सुनकर बड़ा आ यच कत हआ
ु और पूछने
ऐसा होता। सुबह से सारा मूड़ खराब हो गया, पहले तो कसी
लगा, “ले कन मने तो कभी ऐसा न तो सुना है और न पढ़ा
ने ःवतंऽता दवस की सभा म घुसने नहीं दया और अब यह
है । ऐसा कौन से धमशा म िलखा है ? मने तो सुना है क
साईकल भी गई, पता नहीं चोरी हो गई या पुिलसवाल के
हम तो पछले ज म के पाप के कारण इस ज म म यह सब
पास है । पुिलसवाले भी लुटेर से या कम ह, हमारे दे श को
सहना ही पड़े गा। म तो सोचता था क ई र ने सजा दे ने के
ःवतंऽ हए
ु आज पचास साल से ऊपर हो चुके ह, परं तु िलये मुझे गरीब बनाया है , परं तु आपकी बात से तो लगता है
ॅःटाचार तो कम होने का नाम ही नहीं लेता। अमीर हो या
क यह तो एक वरदान है , पर मुझे तो हर दन इस गरीबी
गरीब, इनको तो सबसे पैसा बनाने से मतलब है ...”, ऐसी
के कारण बहत
ु कुछ सहना पड़ता है । आज सुबह ही मुझे
कतनी ही बात वो मन म सोच रहा था, दे श की हालत पर
झंडारोहण तक दे खने को नहीं िमला य क म गरीब हँू ”।
आंसू बहाये या अपनी पर, उसे समझ नहीं आ रहा था।
रमेश ने आगे बताया, “पाप और उसकी सजा की हमारी सोच
“साहब, म गरीब हँू , इसम मेरा या दोष है , परं तु यह गरीबी
हमारी मानवीय अनुभव से ूभा वत है और ई र के ूेम को
सच म एक ौाप है ”, सुशील ने कहा, “खैर, साहब आप मेरी
नहीं समझ पाने के कारण ऐसी हो गई है । यह बात तो सच
मदद करगे ना, य क यह पुिलसवाले तो मुझ गरीब से सीधे
है क हम सबने अपने वचार, ःवभाव तथा कम से पाप
मुँह बात भी नहीं करगे”। बना के उसने पूछा, “आपका
कया है , और हम पाप की सजा के हकदार भी ह जो क
नाम या है साहब”। ःकूटरवाले ने कहा, “मेरा नाम रमेश
मृ यु से कम कुछ हो ही नहीं सकता, परं तु तौभी ई र हमारा
मसीह है , और आप मुझे बार बार साहब ना कह, म तो
सवनाश नहीं करना चाहता। ब क वह तो हम हमारे पाप से
आपके भाई जैसा हँू , आप मुझे रमेश भाई कह सकते ह, और

छड़ाकर हम ःवग का अिधकारी बनाना चाहता है , अपनी
अगर आप बुरा ना मान तो म आपसे एक बात कहना चाहता
संतान बनाना चाहता है । इसिलये परमे र ने अपने वचन म
हँू ”। “मेरा नाम सुशील है , साहब”। रमेश ने फर टोक दया,
यह भी िलखा है क उसने हम पा पय से इतना ूेम कया
तो सुशील ने कहा, “ठ क है रमेश भाई, आप या कहना

क हम हमारे पाप से छड़ाने के िलये अपने िनंपाप ःव प
चाहते ह”।
अपने पुऽ को हमारे बदले म पाप की कीमत चुकाने के िलये
इस दिनया
ु म अवत रत कया ता क हमम से जो भी कोई बताया क जब तक हम परमे र के पुऽ यीशु मसीह के बूस
उस पर व ास करे और अपने पाप से प ाताप करे वह पर कये बिलदान को अपना ना ल. तो भी हमारा उ ार नहीं
नाश न हो परं तु ई र का वरदान ःवग के अलौ कक जीवन हो सकता। मने तुरंत आ ाकारी पुऽ की तरह परमे र को
के प म पाये जो शा त है और कभी भी ख म नहीं होने अपना पता तथा ूभु यीशु मसीह को अपना उ ारकता मान
वाला।” िलया। तब से एक बड़ी शांित, आनंद और पाप- मा का
आ ासन मेरे जीवन म आ गया है ।”
सुशील ने अपनी भ हे चढ़ाकर फर कुछ सोचा और कुछ
समझ ना आने पर कहा, “ले कन ऐसा भी मने कभी नहीं बात की तारत यता को तोड़ते हए
ु सुशील ने थोड़े असमंजस
सुना। मने तो सुना था क ई र पा पय का नाश करता है और थोड़े गुःसे से पूछा, “यीशु मसीह? तो या तुमने धम-
और धम की संःथापना करता है । मने तो अपने जीवन म प रवतन कर िलया? या अपने धम म तु ह शांित और मो
बहत
ु से पाप के वचार और कम कये ह, मेरा या होगा? नहीं िमल सकता था? शायद स चाई को तुमने अपने धम म
या मुझे कसी जानवर के प म ज म लेना पड़े गा?” ढंू ढने की कोिशश ही नहीं की। दसरे
ू धम म ही शांित खोजने
का या अथ है ? और वैसे भी ई र तो एक ही है उसे कहीं
ु कहा, “मेरे भाई, एक दन
रमेश ने बड़ी आ मीयत जताते हए
और ढंू ढने की या ज़ रत है ?”
यह सारे सवाल मेरे सामने भी आये थे। म भी ऐसे प रवार म
ही पैदा हआ
ु हँू जहाँ म भी सारे कम-का ड करता था, धािमक सुशील की भावनाओं को समझते हए
ु और उसके गुःसे के
पुःतक पढ़ता था, दान-पु य करता था क कसी ूकार ई र बावज़ूद रमेश ने बड़े ूेम से उसको समझाना शु कया,
को ूस न कर सकूँ, पर न तो मेरे जीवन की प र ःथितयाँ “सुशील भाई, म आपकी भावनाओं को समझता हँू , पर म
कभी बदलती थीं और न ही मेरा पापी ःवभाव। म अपने आपको यह ज़ र बताना चाहता हँू क मने कोई धम-
वचार और कम से पाप करता था और कभी उनपर दोबारा प रवतन नहीं कया, ब क अपने अधमी सोच- वचार तथा
वचार भी नहीं करता था। अपने पाप से प ाताप करने का जीवनशैली से प रवतन कया है । मेरे वचार म धम-प रवतन
वचार भी कभी मेरे मन म नहीं आता था। असल म, म भी अपने आप म पाखंड ही है जससे परमे र घृणा करता
कभी ःवग-नरक तथा मो के बारे म वचार ही नहीं करता है । ई र को ूभु यीशु के ारा जानने से मेरा जीवन बदल
था।”। गया है । पहले म ई र का भय नहीं मानता था, अब मानने
लगा हँू । पहले म झूठ बोल दे ता था और कभी गलती का
उसने आगे बताया, “परं तु एक दन मेरे ही साथ कॉलेज म
एहसास भी नहीं करता था, गुःसे म अपश द भी बोल दे ता
पढ़ने वाली सहपा ठन ने मुझे यह अहसास कराया क हम
था, पैसे की ना सही पर समय की चोरी तो कया ही करता
अपने भले कम से ई र को ूस न करने का ूयास तो करते
था, पैसा कमाने और बचाने के िलये कई बार दस
ू र का
ह पर कभी यह जानने की कोिशश ही नहीं करते क वह
नुकसान भी हो जाये तो कुछ नहीं सोचता था, कसी का दल
नाराज य है और उसे या पसंद है जससे म उसे ूस न
दखा
ु दया तो भी मुझे उससे माफी मांगने म शम आती थी,
कर सकूँ। उस ब हन ने मुझे बताया क ई र पाप से घृणा

मेरी अपनी गलितय को भी म छपाने की कोिशश करता था,
करता है और उसी से नाराज़ होता है । पाप लेकर हम उसके
परं तु अब इनम सो कुछ भी गलती हो जाये तो ई र की छाप
पास नहीं जा सकते इसिलये कैसे भी भले काम कर उससे
जो मुझ पर लग चुकी है उससे मेरे मन म उथल-पुथल शु
कोई फक नहीं पड़ता। परमे र की दया और हमारे प ाताप
हो जाती है । अब म पाप करके चुप नहीं बैठ सकता ब क
तथा ूेम से भरे व ास के अंगीकार के कारण ही हमारी
ई र से और जसके ूित गलती की उससे माफी मांगता हँू ।
मु पाप से हो सकती है और तब ही हम परमे र को
अब म ईमानदारी और ूभु के भय म जीवन बताता हँू । अब
ूस न कर सकते ह। यह बात मुझे समझ म आ गई। और
दख
ु और क ठन प र ःथितय म भी मेरे जीवन म एक आशा
मने अपने पाप को ःवीकार कर िलया और ई र से मेरे पाप
को माफ करने की वनती की। उस ब हन ने मुझे यह भी
रहती है की मेरा परमे र मेरे साथ है और इसीिलये मेरा य क मने यह समझ िलया है क धम हम लोग के बनाये
आनंद भी हमेशा बना रहता है ।” हए
ु तरीके ह ता क कसी ूकार ई र को पा ल। परं तु हमारा
ान अधूरा है और इसिलये हम ई र से िमलाने म स म
सुशील को बात समझ म आ रही थी, “अ छा तो इसीिलये
नहीं है ।”
आपका ःकूटर खो जाने पर भी आप कुछ यादा िचंितत
नज़र नहीं आ रहे थे”। सुशील का गुःसा काबू म आ चुका धम की थोड़ी सी ववेचना करने के बाद रमेश आगे बोला,
था, बोलने की शैली फर बदल गई थी और वह और जानने “परं तु बाइबल जो क सृ कता ई र का वचन है , स चा
के िलये उ सा हत नज़र आ रहा था। धमशा है जसम आ या म की सभी गहराईयाँ समा हत ह।
इसम हम परमे र की मज पता चलती है और यह मालूम
रमेश ने बात आगे बढ़ाई और कहा, “हाँ, मेरा व ास है क
चलता है क ई र कैसा है , उसे या पसंद है और वह हम
ूाथना के साथ जब हम थाने पहँु चगे तो पुिलस वाले हमारे
कैसे िमल सकता है । बाइबल ही हम बताती है क स ची
साथ सहयोग भी करगे और हमारी साईकल-ःकूटर ज़ र िमल
शांित तथा मो हम कैसे िमलता है । बाइबल ही हम ई र
जायेगा”। सुशील ने फर पूछा, “आपको इतना भरोसा कैसे है ,
की मनुंय को बनाने की योजना, उसके पाप म िगर जाने की
हो सकता है आपका ःकूटर सच म चोरी ही हो गया हो”
घटना और फर परमे र की मनुंय को फर से छुड़ा लेने की
रमेश ने जवाब दया, “हाँ, हो तो सकता है पर मेरा व ास है
योजना हम बताती है ।”
क मेरा परमे र मेरा नुकसान होने से बचायेगा और मेरी
ूाथना को सुनकर मेरा ःकूटर और आपकी साईकल ज़ र बना के उसने अपनी बात जारी रखी, “आपने ठ क कहा था
दलायेगा। मने अभी मन म ूाथना की है , और थाने म अंदर क ई र एक ही है , इसीिलये म मानता हँू क उसका
जाने से पहले भी हम िमलकर एक बार ूाथना कर लगे। य व अलग अलग धम म नहीं बदल सकता। य द एक
परमे र के वचन म िलखा है क माँगो, तो तु ह दया जगह वह मूितपूजा को पसंद करे तो दसरे
ू मत म उसका
जायेगा, ढंू ढो तो तुम पाओगे और खटखटाओ तो तु हारे िलये वरोध नहीं करे गा। य द एक जगह वह पाप से घृणा करता है
ार खोल दया जायेगा। ूभु यीशु ने कहा है क जो भी कुछ तो दसरी
ू जगह उससे समझौता नहीं कर सकता। य द एक
तुम मेरे नाम से माँगोगे तो वो तु ह ज़ र दया जायेगा। ु
जगह वह पा पय से ूेम कर उनका छड़ाने वाला मु दाता
उ ह ने यह भी कहा है क माँगो ता क तु हारा आनंद पूरा बनकर अवतार लेता है तो दसरी
ू जगह उनका नाश करनेवाल
हो। इतने ही नहीं और भी बहत
ु से वादे परमे र के वचन म भ क बनकर नहीं आ सकता। हम वचार करना पड़े गा क
िलखे ह जनपर म पूरा व ास करता हँू और इसिलये जब म स य या है और फर स य को महण करे गा ता क दिनया

ूाथना करता हँू तो परमे र मेरी ूाथना को सुनकर अवँय की बनाई हई
ु ॅांितय से और अंध व ास से और गलत तौर-
ही जवाब दे ता है ”। तरीक ु
से हम छटकारा िमल सके अ यथा हम 84 लाख
योिनय (जैसे अगले ज म म जानवर बनने का भय) म
सुशील के मन म फर से एक बार यह सवाल आया और
ज म-चब जैसी बात म फंसकर अपने उ ार से वंिचत रह
उसने फर पूछ ही िलया, “यह कताब जसे आप बार बार
जायगे। पाप म जीवन बताकर मर जाने वाल के िलये नरक
धमशा और परमे र का वचन कह रहे ह, यह असल म है
ही एकमाऽ जगह है , परं तु ई र के ूेम को ःवीकार कर ूभु
या? और िसफ यीशु मसीह ही य , ई र को कसी भी
यीशु म व ास करके अपने पाप की मा माँगकर यीशु
नाम से पुकारो वह तो सुन ही लेगा, वह तो अंतयामी है ?”
मसीह का चेला बनकर जीने वाला हरे क य ःवग जायेगा
जहाँ वह अपने पता परमे र के साथ सनातन काल के िलये
रमेश ने बताया, “सुशील भाई, अभी आपने धम की बात की
सुख से रहे गा।”
थी इसिलये पहले यह बता दे ता हँू क म अब धम से बहत

यादा ूभा वत नहीं होता। न तो म कसी एक धम को
फर आगे उसने कहा, “और जहाँ तक िसफ ूभु यीशु को ही
मह व दे ता हँू और न ही कसी दसरे
ू को नीचा बताता हँू
एकमाऽ ई र मान लेने की बात है , इस बारे म आपको कोई
ट पणी दे ना नहीं चाहता य क म आपकी धािमक भावना है , ूभु यीशु पर व ास करना है क वह परमे र का पुऽ है
की कि करता हँू । आप और म जस धम म पैदा हए
ु ह वह जो आपके पाप के कारण बूस पर चढ़ाया गया और यह भी
हम सभी पंथ की ओर स हंणुता का भाव रखना िसखाता है क उसने आपके सारे पाप की कीमत अपनी मृ यु के ारा
और इसीिलये हम कसी भी प म ई र को पा लेने या मान चुका दी है । आपको यह भी जानना और मानना ज़ री है क
लेने म व ास करते ह। परं तु स चाई यह है क स य कभी अपने मरने के तीसरे दन वो जी उठा”।
बदलता नहीं है । हम स य को ःवीकार करने के अलावा और
“हाँ, तो ई र को कौन मार सकता है , उनको तो ज़ दा होना
कतने भी काम कर, या बात कर तो वह अस य ही
ही था”, सुशील ने कहा।
कहलायेगी, इसी ूकार ूभु यीशु जो अपना मु दाता मानने
के अलावा जतनी भी बात कर उनसे हमारे पाप मा नहीं
रमेश ने बोला, “सच है , और इसीिलये मौत उनपर वजय न
ह गे।”
पा सकी और वह तीसरे दन जी उठे , और चालीस दन तक
अपने चेल के साथ रहकर जी वत ही ःवग म उठा िलये
उसने आगे कहा, “आप ई र के बहत
ु से अवतार के बार म
गये। आज वो आपकी ूाथना सुनकर आपको मु दे ने के
जानते ह गे, परं तु या आप ूभु यीशु के अित र कसी भी
िलये तैयार ह”।
और अवतार के बारे म बता सकते ह जो हमारे पाप मा
करने और सनातन ई र से हमारा िमलाप कराने के िलये
यह सुनकर सुशील ने फर पूछा, “पर मुझे ूाथना करना नहीं
आया हो? इसिलये इस बात का िनणय आप ःवयं कर क
आता”। इसपर रमेश ने कहा, “ूाथना तो परमे र के साथ
या वो आपसे यार करने वाला आपका सृजनहार, पालनहार
एक िमऽ और एक पता की तरह बात करने जैसा है । आप
और तारणहार ई र है या नहीं। मेरे बताने के कारण नहीं
अपना दल खोलकर सब बात ईमानदारी के साथ बोल द तो
ब क अपने ॑दय से जानकर ही आप व ास कर अ यथा
यही ूाथना है । अभी म जैसा बोलता हँू वैसे ही ूाथना कर
आपका व ास बहत
ु समय तक ठहर नहीं पायेगा।”
आप इसी समय ूभु यीशु के चेले बन सकते ह”।

परमे र की बात करते करते रमेश काफी उ सा हत हो गया


सुशील तो जैसे इसी बात का इं तज़ार कर रहा था। उसने तुरंत
था। उसका मुख ई र की चमक से दमक रहा था और सुशील
हामी भरी और सड़क के कनारे थाने के सामने एक तरफ
यह दे खकर ःत ध रह गया और उसे अंदर तक यह व ास
दोन आँख बंदकर खड़े हो गये और सुशील ने रमेश के पीछे
हो गया क जो बात रमेश ने कही वह सब स य है । उसके
इस ूकार ूाथना की, “हे मेरे सृ कता ई र, म आपको
चेहरे के हावभाव बदल गये और उसने वनती करते हए
ु रमेश
बहत
ु बहत
ु ध यवाद करता हँू क म जो स य से अंजान था

से कहा, “रमेश भाई, म भी अपने पाप से छटकारा पाना
और पाप म जीवन बता रहा था उसको आज आपने स य
चाहता हँू । म तो ईसाई नहीं हँू तौभी या म बाइबल पढ़
का दशन कराया। ूभु म पापी हँू पर आप प वऽ परमे र ह
सकता हँू । मेरी मु कैसे होगी”?
जसने अपना पुऽ मेरे पाप की सजा चुकाने के िलये इस
दिनया
ु म भेजा। म अभी अपने सारे पाप से जो मुझसे हए
ु ह
रमेश को यह सुनकर बड़ा हष हआ
ु और उसने कहा, “सुशील
प ाताप करता हँू , ूभु मुझे माफ कर दी जये। ूभु यीशु म
भाई, प वऽशा कहता है क जब एक पापी मन फराता है
व ास करता हँू क आप परमे र के पुऽ ह जो मेरे िलये इस
तो ःवग म बड़ा आनंद मनाया जाता है । आप कस धम म
दिनया
ु म आये, मारे गये और तीसरे दन जी उठे । आप आज
पैदा हए
ु इस पर आपका अिधकार नहीं था और परमे र ने
जी वत ह और मेरी ूाथना को सुन रहे ह। म अपना जीवन
कोई धम नहीं बनाया ब क यह इं सान का अ वंकार है ।
आपके हाथ म स प दे ता हँू , ूभु आ मक और प वऽ जीवन
परमे र को इस बात से कोई फक नहीं पड़ता क आप कस
जीने म मेरी सहायता की जये और ःवग के जीवन के िलये
धम को मानने वाले प रवार म ज मे ह। वह हमारी बाहरी
मुझे तैयार की जये। मेरे व ास को बढ़ाइये म आपको अपना
दशा को नहीं अ पतु अंतमन को जाँचने वाला ई र है ।
मु दाता मानता हँू । आमीन।”
आपको िसफ ूाथना कर ई र से अपने पाप से माफी मांगनी
सौ पये िनकालकर दये और साईकल और ःकूटर का
पाप से मा ूा करने की खुशी सुशील के चेहरे पर साफ
जुमाना भर दया।
झलक रही थी। उसने रमेश से पूछा क या उसे एक बाइबल
िमल सकती है , और रमेश ने अपने बःते म से बाइबल का दस िमनट के बाद सुशील और रमेश थाने के सामने अपने
नया िनयम िनकालकर सुशील को दे दया। सुशील ने थोड़ा अपने वाहन पर घर जाने के िलये तैयार थे। सुशील मन से
सकुचाते हए
ु उसकी कीमत पूछ तो रमेश ने कह दया क रमेश का कृ त था और झुका जा रहा था परं तु रमेश ने उसे
यह उसके इस भाई की तरफ से एक सूेम भट थी। गले लगा िलया। सुशील की आँख से आँसू बहने लगे, पर
इस बार यह आँसू ूेम और खुशी के आँसू थे। रमेश ने उसे
इसके बाद रमेश और सुशील ने िमलकर अपने ःकूटर और
ूभु यीशु मसीह के व ास म बढ़ते रहने, िनरं तर ूाथना
साईकल के िलये भी ूाथना की। वे दोन थान मे गये और
करने, िनयत समय पर रोज बाइबल पढ़ने और हो सके जो
अपनी प र ःथित बताई। कुस म आराम फरमाते इस
ज़ र ही कसी मसीही स संग म संगित करने की हदायत
पुिलसवाले ने उनको उस पुिलसकम के पास भेज दया
दी।
जसने लाल कले के आसपास से अनिधकृ त प से खड़े
वाहन को उठवाया था। रमेश से ःकूटर का नंबर जानकर उस साईकल के िमलने से यादा खुशी सुशील को आज अपने
पुिलसवाले ने बताया क रमेश का ःकूटर उनके ही पास था उ ार की थी। उसे आज जैसे सब कुछ िमल गया था। एक
और इसके िलये उसको तीन सौ पये का जुमाना भरना ःकूल के ब च के हाथ म ितरं गा दे खकर वह दे शभ का
ज़ री था। रमेश अपने ःकूटर से यादा सुशील की साईकल एक गाना गुनगुनाते हए
ु अपने घर की ओर चल पड़ा। आज
के बारे म जानना चाहता था। पुिलसवाला उनको उस जगह उसे कृ पा तथा मु का ःवाद चख िलया था। अब उसे अपने
लेकर गया जहाँ सारे वाहन खड़े कये गये थे, सुशील अपनी गरीब होने पर दख
ु नहीं था ब क गव से िसर उठाकर वह
साईकल को दे खते ही पहचान गया। वह उसे उठाने के िलये अपनी साईकल चलाता जा रहा था, आ खर वो सारी सृ के
दौड़ा परं तु पुिलसवाले ने उसे डांटकर कहा क उसे भी जुमाना राजा की संतान जो बन गया था। आज उसने स ची ःवतंऽता
दे ना पड़े गा अ यथा वह अपनी साईकल नहीं ले जा सकता का अहसास कया था – आ मक ःवतंऽता।
था।

सुशील सहमकर ठहर गया और सोचने लगा क या करे


य क उसके पास पैसे भी नहीं थे। वह सोचने लगा क आज
का दन िनकल गया तो फर साईकल अदालत से लेनी पड़े गी
जसम और भी यादा समय और पैसा बबाद होगा।
पुिलसवाले ने उसकी कशमकश को समझ िलया और उन
दोन से कहा क वह थोड़ा पैसा लेकर मामला रफा दफा करा
सकता था। रमेश ने पूछा, “साईकल और ःकूटर दोन पर पूरा
जुमाना कतना भरना पड़े गा”, और पुिलसवाले ने जवाब दया,
“पूरा जुमाना दोगे तो 500 पये खच हो जायगे, मुझे 150 दे
दो म अभी तु हारा साईकल और ःकूटर िनकलवा दे ता हँू ”।
रमेश ने कहा, “महाशय, आपका कहना तो ठ क है क हम
इस ूकार पैसा बचा सकते ह पर ऐसा करने पर हम सरकार
के और हमारे ई र के दोषी हो जायगे जो हम कोई भी गलत
काम करने की आ ा नहीं दे ता है ”। यह कहकर उसने पाँच

You might also like