Sapano Ki Baaraat - Short Story Collection in Hindi by Nandlal Bharati

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 130

ई-बुक रचनाकार (http://rachanakar.blogspot.com ) क तुत.

कृपया यान द – पाठ को वचालत


प से यूनकोडत कया गया है , अत: वतनी क "#ु टयाँ संभा(वत ह).

सपन क बारात

कहानी सं ह

नदलाल भारती

सपन क बारात

।कहानी संह।
लेखक

नदलाल भारती

सवाधकार-लेखकाधीन

इटरनेट संकरण काशन वष -2009

तकनीक सहयोग

आजाद कुमार भारती

चकार

शश भारती

काशक
मनोरमा साहय सेवा

आजाद दप,15-एम-वीणा नगर

इंदौर ।म..।452010

दरू भाष-0731-4057553 च लतवाता-9753081066

1- सपना
बलवीर काका खद
ु तो अपश त थे पर पढाई के महव को अधक और बहुत बार&क
से समझते और दस
ू र) को भी समझाते थे । बलवीर बेटा रोहन को पढाने लखाने म/
त0नक भी कसर नह&ं छोड़े ।वे खद
ु तकल&फ उठा लेते पर बेटे क तकल&फ) उनके कान
को पश तक नह&ं कर पाती थी । खद
ु तकल&फ के बोझ दबे रहने के बाद भी बलवीर
दख
ु क परछा5 बेटे तक नह&ं पहं चने दे ते थे। बलवीर खद
ु फटे परु ाने कपड़े पहनते पर
रोहन के लये नये कपड़) क कमी नह&ं पड़ने दे ते । हर यौहार पर कपड़े लाते और
ज:म दन के लये तो परू ा द
ू हे जैसे कपड़े जत
ू े मोजे तक खद
ु खर&द कर लाते ।कतरू &
काक मना करती तो कहते तम
ु को नह&ं मालम
ू म;ने <कतने बरु े दन दे खे है । शहर क
सड़को पर कई राते फांके म/ काटे है । तन ढकने के लये पुराने बीस-प>चीस ?पये म/
कपड़े खर&द का पहने है । भगवान ने मुझे अ>छे दन दखा दये है तो म; अपने बेटे
बेट& को वे सारा सुख दं ग
ू ा िजससे म; वंचत रह गया रोहन क मां ।
कतूर& काक कहती अरे म; तो मना नह&ं कर रह& हूं तुमको <क ब>च) क पढाई-
लखाई,खान-खच,कपड़े-लते म/ कंजूसी बरतो ।म; तो बस इतना कह रह& हूं <क साल म/
कम से कम एक जोड़ा अ>छे कपड़े तो खद
ु के लये भी बनवा लया करो । बेटवा के
खचD म/ कमी मत करो पर अपना भी तो Eयान रखा करो । तुFहारे साथ रहकर म;
0नर र पढाई के महव को समझ गयी हूं । म; भी चाहती हूं <क मेरा बेटा और बीटया
पढ़ लखकर हमारा तुFहारा ह& नह&ं गांव और दे श का नाम रोशन करे । तुFहार& शर&र
पर सालो पुराने कपड़े मुझे अ>छे नह&ं लगते । फटे कपड़ो को सलवा-पुरवा कर पहनते
हो Hया अ>छा लगता है । साल म/ कम से कम एक जोड़ी बढया कपड़ा तो बनवा लया
करो ।
बलवीरकाका-अरे कहां द
ू हा बनना है कहकर Iखस 0नपोर दे ते कतरू & काक कहती तम

नह&ं सध
ु रोगे । मझ
ु े ह& कुछ करना पड़ेगा । तब बलवीर काका कहते करते करते तो
बाल भी Iखचड़ीनम
ु ा हो गये ।
कतरू & काक-बात उटा प
ु टा करना कोई तम
ु से सीखे ।
बलवीर कतरू & को समझाते हुए कहते आज त0नक कKट उठा लेगे तो Hया बरु ाई है कल
के सख
ु के लये ।
कतूर&-कल के लये आज Hय) खराब करते हो ।
बलवीर-खराब नह&ं सुखद बनाने का यास कर रहा हूं ।
कतूर&-खद
ु को तकल&फ के साथ कंजूसी करके ।
बलवीर-अपने ब>च) के लये कर रहा हूं कहां दस
ू र) के लये कर रहा हूं काश अपने पास
इतनी दौलत होती तो दसू र) क भी कुछ भलाई कर पाता। खैर अभी अपनो का भLवKय
बना लूं बाद म/ यह भी इ>छा पूर& कर लूंगा ।
कतूर&-बहुत हं सीन सपने दे ख रहे हो ।
बलवीर-तुFहारे साथ रहकर हं सीन नह&ं तो और Hया दे खग
ूं ा ?
कतूर&-भगवान तुFहार& Mवाहश पूर& कर/ ।
बलवीर कहते रोहन क मां हम कहां तकल&फ उठा रहे है । दोनो टाइम भोजन कर रहे है
। अपनी छत के नीचे चैन से रात गुजार लेते है । मह&ने क पल& तार&ख को तनMवाह
मल जाती है । ठNक है बड़ा ओहदा और दौलत का ढे र नह&ं है अपने पास पर जो है वह
ु रखने के लये काफ है । तुFहारे संकाOरत बेटा-बेट& पढ लख रहे है Hया यह
हम/ खश
कम है ?
कतूर&-म; कहा मना कर रह& हूं <क ब>च) क परवOरश म/ कंजूसी करो । उ:हे कपड़े लते
मत दो । मुझे मालूम है बीटया परायी हो जायेगी ।बेटवा अपनी बुढाती क लाठN है ।
इसका मतलब तो ये नह&ं <क तीन-चार साल म/ एक जोड़ी खद
ु के लये कपड़े बनवाओ
और ब>च) के लये इतना लाकर रख दो <क अलमार& म/ रखे रहे ।
बलवीर- भागवान अभी तो ब>च) क ज?रते पूरे करने भर क अपनी कमाई है । बाद म/
मेर& ज?रते ब>चे परू & करे गे तू च:ता Hय) करती है । अरे कपड़ा भले ह& परु ाना पहनता
हूं पर साफ सथु रे तो होते है ना । ब>च) के भLवKय के लये त0नक कटौती कर लेता हूं
तो Hयो बरु ाई है । आजकल के ब>च) और अपने जमाने म/ बहुत अ:तर है रोहन क
मां।
कतूर&-ठNक है महा भु तम
ु जीते म; हार& । इस द&वल& पर मेरे लये साड़ी नह&ं लाना
अपने लये कपड़े बनवा लेना यह& मेरे लये द&वाल& का तोहफा होगा ।
बलवीर- तोहफा तम
ु को । द&वाला आने तो दो द
ू हे वाला शट
ू बनवा लंग
ू ा ।
कतरू &-हर द&वाल& पर कहते हो पर बनवाते नह&ं हो । ब>च) के नाम पर तम
ु ने कपड़े
लते के शौक से तौबा कर लया है ।
बलवीर-शौक <कया होता तो ब>च) पर खच कैसे करता । दे ख नह&ं रह& हो बड़े बड़े ओहदे
और अ>छN कमाई करके भी पैसे पैसे के लये मोहताज है । कह& कोई ठे के पर लट
ु ा रहा
है तो कोई कह& और घर म/ बालब>चे ज?रत) से जंग लड़ रहे है । मेरा शौक तो मेरे
ब>च) का भLवKय है बस । अब तो मेरा बस एक ह& सपना है बेटा अपने पैर पर खड़ा हो
जाये बेट& के हाथ पीले हो जाये । इसके बाद शूट-बूट और बाक शौक पूर& कर लेगे ।
कतूर&-Oरटायरमेट के बाद ।
बलवीर-ठNक समझी ।
कतूर&-बुढौती म/ शूट-बूट म/ तो जोकर लगोगे ।
बलवीर-तुमको तो खश
ु ी लेगी ना । खैर कल क बात छोड़ो आज भूखे को दो रोट& मल
पायेगी ?
कतूर&-Hय) नह&ं ? हाथ पांव धोकर बैठये म; खाना लगाती हूं ।
बलवीर काका आज क तंगी को कल क खश
ु ी मानते थे । ब>च) के भLवKय के लये हर
तकल&फ उठाने को तैयार रहा करते थे । बड़ी बात तो यह थी <क वह तकल&फ म/ भी
खश
ु ी का एहसास करते थे ।
बलवीर काका का याग काम आ गया । बेट& साLवी के हाथ पीले हो गये । वह अपने
पOरवार म/ हं सी-खश
ु ी जीवनयापन करने लगी । साल दो साल क बरोजगार& के बाद
रोहन को भी नौकर& मल गयी । वह भी अपने पैर पर मजबूती से खड़ा हो गया ।
बलवीर काका काफ खश
ु रहने लगे । बलवीर अपनी कामयाबी पर अब जQन मनाते
नजर आने लगे थे । उनको अयधक खश
ु दे खकर कतूर&काक बोल&- रोहन के बाबू
साLवी अपने घर-पOरवार म/ रच बस गयी बेटवा अपने पांव पर खड़ा हो गया इसके बाद
भी अभी कुछ बाक है जो तुमको सूझ नह&ं रहा है ।
बलवीर-Hया हम/ नह&ं सूझ रहा है भागवान तुFह& सूझा दो ।
कतरू &-बेटवा का Rयाह । अरे कब तक ये बढ
ू & चशमा
् लगाकर क>ची पHक रोट&
परोसती रहे गी। अब दो ह& साल क तF
ु हार& नौकर& बची है ।कब सोचोगे बेटवा के Rयाह के
बारे म/ ?
बलवीर-भागवान म; चप
ु चाप बैठा तो हूं नह&ं । म; भी तलाश म/ हूं कोई बेटवा के योTय
पढ&-लखी लड़क मल जाये तो Rयाह कर गंगा नहां लंू ।यह& तो एक फज परू ा करने
को बचा है ।
कतरू &-बहू संकाOरत और अ>छे खानदान क मल जाती तो कम से कम दो रोट& अपने
को समय पर मल जाती । हम/ तो अपनी बहू से इतनी ह& Mवाहश है । हमने तो
अपनी सासू मां क सेवा म/ त0नक भी कोतहाई नह&ं क । सास ससरु क बात तो हमारे
लये परमामा के आदे श के बराबर हुआ करता था । खैर आज के यग
ु क बहुय/ हमारे
जमाने क बहुओ जैसी तो नह&ं हो सकती ।
बलवीर-अरे आज भी पुराने संकार जीLवत है ।आज क लड़<कया <कतनी भी माडन Hय)
न हो पर मंदर के सामने सर पर दप
ु Wटा रखकर सर तो झुका ह& लेती है । Hय) डरती
हो ?
कतूर&- म; Hय) ड?ं । म;ने तो अपने सांस ससुर को भगवान मानकर उनक पूजा म/
त0नक भी कोतहाई नह&ं बरती । म;ने अपने सास-ससुर के साथ कोई बुरा सलूक नह&ं
<कया तो मेर& बहूं मेरे साथ Hय) करे गी ?
बलवीर-बहुत बड़ी बात तुमने कह दया । बहू हमारे इस घर को मंदर बना दे गी ।
भगवान हमार& तपया को खिडत नह&ं करे गा । अ>छN बहू दे गा जो हमार& Lवरासत म/
चार चांद जोड़ दे गी ।
कतूर&- भु हमार& Mवाहश पूर& कर दे ना । जीवन के बचे पल हं सी खश
ु ी Yबत जाये।
बलवीर-अरे भगवान इतना 0नद यी थोड़े ह& है <क हमार& तपया का 0तफल नह&ं दे गा
।हमारा Q◌ोष जीवन हं सी खश
ु ी से ह& Yबतेगा रोहन क मां । हमने <कसी का कुछ नह&ं
Yबगाड़ा है हमारे साथ भगवान अ:याय Hय)। हम/ जद& ह& वैसी बहू मल जायेगी जैसा
तुम चाहती हो रोहन क मां ।
कतूर&- बेटवा का Rयाह जद& करके अपना फज पूरा करो । दो साल के बाद Oरटायर हो
जाओगे तो अपने मनमा<फक जQन नह&ं मना पाओगे ।
बलवीर-म; भी जद& चाहता हूं । कोई संकाOरत लड़क का बाप तो आये OरQता लेकर
आये तो सह& ।हम तो एक पैसा भी दहे ज नह&ं लेगे ।
कतूर&-दहे ज नह&ं हम/ तो गुणवान पढ&-लखी और अ>छे संकार वाल& बहू चाहये बस ।
भले ह& हमने अपनी बेट& के Rयाह म/ दहे ज दया है पर ना लेने क कसम खाते है ।
बलवीर-ठNक कह रह& हो । हम अपराध नह&ं करे गे । <कसी लड़क के बाप क छाती पर
कज का बोझ नह&ं डालेगे और ना ह& भाई के कंE◌ो पर ।
रोहन के Rयाह नह&ं करने क िजद के बावजद ू भी बलवीरकाका बहू क च:ता म/ बढ ू &
होती पनी क Mवाहश परू & करने म/ जट
ु गये । हर मलने जल
ु ने वाले से बेटे के Rया
क बात ज?र कहते । दहे जरहत Rयाह करने क बात ज?र कहते साथ यह भी कहते
<क पढ& लखी अ>छे संकार बहू वाल& चाहये भले ह& गर&ब बाप क बेट& Hय) न हो ।
कतरू & और बलवीर क तलाश परू & हो गयी । बेटे और होने वाल& बहू रजनी आपस म/
बातचीत भी कर लये । दोनो क रजामंद& से दहे जरहत Rयाह भी हो गया । मनमा<फक
बहू पाकर कतरू & के जैसे पैर जमीन पर नह&ं पड़ रहे तो वह हर मलने वाल& से बहू
क तार&फ खलु े दल से करती और बलवीर और कतरू & बहू को बेट& का दजा तक दे
दये । बहू भी ऐसे सास-ससरु को पाकर खद
ु को गौराि:वत समझ रह& थी ।
दो साल के अ:दर खानदान को कुलद&पक भी दे द& ।बहू अ>छN पढ& लखी थी । घर म/
<कलकार& गूंजाका वह नौकर& करने क िजद करने लगी । सास सा◌ुर के मना करने पर
कहने लगी <क बाबूजी दो मह&ने म/ Oरटायर हो जायेगे तो एक आदमी क कमाई से घर
चलाने म/ मुिQकल होगी ।
बलवीरकाका बोले-बहू घर के खच क तू च:ता ना कर हमे प/ शन भी तो मलेगी ।
रजनी-बाबूजी पेशंन के <कतने ?पये आयेगे हजार प:Zह सौ । कहां आप बड़े अधकार&
से Oरटायर हो रहे है <क आपको बड़ी राश मलेगी ।
बहू क बात सुनकर कतूर& के पांव के नीचे से जैसे जमीन Iखसक गयी वह बलवीर से
बोल& रोहन के बाबू बहू जो ठNक समझे करने दो ।
रोहन रजनी को नौकर& करने से रोकना चाहा पर वह सास-ससुर को ढाल बनाकर अपने
मकसद म/ जीत गयी । हफते भर म/ ह& एक कूल म/ ट&चर क नौकर& [वाइन कर ल&
। दो मह&ने के बाद बलवीर काका Oरटायर हो गये । कतूर& काक भी पहले जैसी नह&ं
रह& उ\ क बीमार& ने उ:हे भी थका दया । उनहे् भी सहारे आसरे क ज?रत लगने
लगी । बलवीर के Oरटायरमेट का पैसा रजनी और रोहन पूर& तरह से खाल& करने म/
लग गये और अपनी सािजश म/ कामयाब भी हो गये । बलवीर के पास मकान और
प/ शन के अलावा दस
ू र& और कोई रकम नह&ं बची थी ।रजनी पुराने मकान को बेचने क
िजद पर अड़ गयी पर कतूर& और बलवीर नह&ं माने बोले हमारा जनाजा इसी घर से
0नकलेगा । मेरे मरने के बाद जो चाहे तुम कर सकते हो पर मेरे जीते जी नह&ं । बूढे-
बूढ& क िजद के आगे बेटा बहू घुटने टे क गये । अब Hया जो सास-ससुर रजनी को
भगवान लगते थे अब वे रा स लगने लगे । उनहे् दो रोट& भी के लाले पड़ने लगे समय
से । बलवीर और कतरू & के सपने Yबखरने लगे ।
एक दन बलवीर काका कतरू & काक से बोले रोहन क मां भख
ू लग रह& है । खाना
मल सकता है Hया ?
कतरू &-बेट& रोट& बन गयी Hया ? तेरे बाबज
ू ी का दवाई खाने समय हो गया है । सर
चकरा रहा । इनहे खाना दे दो ।
रजनी-वे तो हमेशा भूखे रहते है । बाहर भी नौकर& करो घर म/ भी । ये सब मुझसे अब
नह&ं होता । सासू दन भर खटया तोड़़ती रहती है रोट& भी नह&ं बना सकती Hया ?
कतरू &-बहू नाराज Hयो हो रह& हो । सब काम तो म; ह& क हूं ना तमु सफ रोट& बेल
रह& हो । वह भी इसलये <क रोट& मझ ु से बरोबर बेलते नह&ं बनती । अगर मेर& नजर
जबाब न दे ती तो रोट& भी बेल लेती । खटया कब तोड़ती हूं घर का काम कोई नौकरानी
तो नह&ं करने आती इसके बाद पोते क दे खभाल हम हो न कर रहे है । तम ु तो सबु ह
कूल चल& जाती है चाय नाQता म; ह& बनाकर दे ती हूं । शाम को बस रोट& बनाती हो
।ठNक है कल से यह भी कर लया क?ंगी ।
रजनी-कल से नह&ं अभी से । अलग-अलग रोट& बनाकर पेट भर खाओ । म; न तीनो
टाइम रोट& दे पाउूं गी और न ह& दवाई दा? का खचा उठा पाउं ◌ू◌ंगी ।
कतूर&-Hया एक तवा दो रोट& ।
रजनी-हां अभी से ।
कतूर& -बेट& तू बंटवारा कर रह& है । Hया इसी दन के लये हमने सपने दे खे थे । रोहन
को पढाया लखाया था । अब हम अलग रोट& बनाये खाये ।
रजनी- सभी मां बाप करते है तुमने कर दया तो कौन सा तीर मार दया ।खब
ू बनाओ
खाओ । म; तुFहारा बोझ नह&ं ढो सकती । तुम लोग मेरे साथ रहे तो मुझे जहर खाना
पड़ सकता है । लो तवा गरम है आटा गूंथा है बना लो बूढउूं और अपनी रोट& मेरे और
उनके भर क रोट& बन गयी है कहते हुए रजनी च
ू हे से दरू चल& गयी ।
कई दन दोनो बलवीरकाका और कतूर& काक फांके म/ दन गुजारे जब नह&ं रहा गया
तो बलवीर काका बोले रोहन क मां कब तक भूखे मरे गे । अब तो बेटा भी नह&ं पूछता
है । थाम ले हम दोनो चूह चौके का काम अब कोई सहारा नह&ं है । हम दोनो एक दस
ू रे
के सहारे बने जब तक सांस है ।
कतूर&-हां Hय) नह&ं । बेटा बहू क खश
ु ी के लये अब यह भी करना पड़ेगा ।
रजनी पहले खाना बना लेती इसके बाद न:हे रोहत से संदेश ^◌ोजवाती <क जा दाद& से
बोल दे तवा गरम है रोट& बना ले । गैस राशन आद सभी सामान) क _यवथा खद

बलवीरकाका करते ।न:हा रोहत तुतलाते हो दाद& को बोलकर चला जाता । बेचार& बूढ&
कतूर& आंख) म/ आंसू लये रोट& स/कती और बूढे बलवीर को दवाई Iखला कर रोट&
परोसती । दोनो के जीते जी ना जाने Hयो नरक का दख
ु मल रहा था । वे सोच-सोच
कर बीमार रहने लगे । पापी पेट क भख
ू के लये रोट& तो चाहये । बेचार& कतरू & चQम/
के अ:दर से आंख फाड़-फाड़कर दे खतेी और रोट& बनाती । दोनो का दन काफ कKटमय
Yबत रहा था । उधर रजनी काफ खश
ु थी रोहन भी पनी के दबाव म/ । रोहन के सब
ु ह
दफतर चला जाता दे र रात तक वापस आता । रजनी रोहत को झूलाघर छोड़कर दे र से
कूल पहुचंती । कूल से छूटती तो <कट& पाट य) का लु फ उठाती ।
रजनी क रोज-रोज क लेटलतीफ से उसक Hलास के ब>चे उदड करते । रजनी के
रोज-रोज दे र से कूल आने और ब>च) के उदडता क खबर कूल क संचालका को
लगी । वे रजनी के उपर 0नगाह जमाने लगी । जब तक रजनी न आती खद
ु Hलास
लेती । स`ताह भर कूल संचालका के नजर रखने के बाद भी रजनी म/ पOरवतन नह&ं
आया । वह अब रजनी क परे शानी को नजद&क से जानने क कोशश कर द& । कूल
क दस
ू र& श काओं से पछ
ू ताछ क पर स:तKु ट नह&ं हुई ।
एक दन कूल क संचालका कूल -टाइम म/ रजनी के जा पहुंची । वहां बढ
ू े बलवीर दद
मे कराह रहे थे । बूढ& कतूर& तवा पर रोट& जद&-जद& स/क रह& थी । यह सब
संचालका चप
ु के से खड़ी दे खती रह& । कतूर& रोट& लायी कांपते हुए हाथ) से बलवीर क
ओर बढाते हुए बोल& लो खाकर दवाई खा लो । कतूर& और बलवीर क दशा दे खकर
संचालका के आंख) म/ आंसू उतर आये । वे आंसू को पीती हुई दरवाजा खटखटायी और
बोल& कोई है ।
बलवीर-दद भूल कर बोले आ जाइये दरवाजा खल
ु ा है ।
संचालका- आप लोग अकेले रहते है ।
बलवीर-नह&ं बेटा बहू और एक पोता भी है । अभी तो हम पांच सदय है घर म/ ।
संचालका-कांपते हाथ) से अFमा रोट& Hय) बना रह& थी ।
कतूर&-बहू काम पर जाती है ना। फुसत नह&ं मलती उसको । घर और बाहर दोन) का
काम दे खना पड़ता है ना। उपर से हम बूढ&-बूढे का बोझ भी ।
संचालका महोदय बलवीर और कतूर& के Yबना कुछ कहे सब तहककात पूर& कर ल& ।
दस
ू रे दन रजनी <फर दे र से कूल पहं ◌ुची । संचालका महोदया उसका इंतजार ह& कर
रह& थी उसे Hलास म/ न जाकर अपने दफतर म/ हािजर होने को बोल& ।
रजनी संचालका के आफस म/ वेश करते ह& बोल& कहये मैडम Hयो तलब क है ?
संचालका-मैडम आप श ा दे ने के काYबल नह&ं है । एकाउट aडपbटमेट से अपना हसाब
करवा ल&िजये ।
रजनी-कालेज म/ पढाने क योTयता है मेरे पास । आपने मेर& aडcयां दे खकर नौकर& द&
थी । अयोTयता का इजाम Hय) ?
संचालका-सेवा,याग और परमाथ क श ा दे नी वाले खद
ु बड़े बढ
ु े बज
ु ग
ु b पर अयाचार
कर तो Hया श ा दे गे ?आप जा सकती है ।
रजनी-मैडम मझ
ु से अपराध हो गया है । भगवान व?प सास-ससरु से माफ मांग लंग
ू ी ।
उFमीद है माफ कर दे गे ।
संचालका महोदया-चलो गाड़ी म/ बैठो । रजनी को लेकर संचालका महोदया रजनी के घर
पहुंची ।रजनी गाड़ी से उतर कर बलवीर और कतरू & के कमरे क ओर भागी ।बलवीर का
पैर पकड़ कर रोते हुए बोल& मझ
ु े माफ कर दो बाबज
ू ी।
बलवीर-माफ <कस बात क । Hया अपराध <कया है तम ु ने ?
रजनी-मझ
ु े अपने अपराध का पता चल गया है । माफ कर दो ।
कतरू &-बेट& कैसा अपराध कैसी मांफ कहते हुए गले से लगा ल& । बढ ू े बलवीर जबाबा
सवाल कर रहे घट ु नो पर शर&र का बोझ डालते हुए उठे और रजनी के सर पर हाथ
फेरते हुए बोले बेट& तेर& खश
ु ी म/ हम दोन) क खश
ु ी है । हमार& ओर से कोई शकायत
नह&ं है । तुमने खद
ु ायिQचत कर लया । रजनी खश
ु ी के मारे उछल पडी और
संचालका के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गयी ।
संचालका महोदया बोल& धरती के भगवान माफ कर सकते है तो म; Hयो नह&ं ? अब
Hया बूढ& आंख) म/ चमक और पतझड़ हुए जीवन म/ <फर से बहार छा गयी ।
बूढे बलवीर का दद छूम:तर हो गया । वह कतूर& को चQमा थमाते हुए बोले रोहन क
मां दे खो हमारे सपने ।
2-खिडतमू0त
मनव:तीदे वी प0त क मौत के बाद द0ु नया म/ अकेल& हो गयी । मां-बाप,भाई-बहन और
सगे नाते OरQतेदार अपशकुनी मानकर मुंह फेर लये । पOरवार वालो को भी मनव:तीदे वी
के दभ
ु ाTय से भय सताने लगा । वे मनव:ती के अपशकुन के कोप से बचने के लये
उसे घर से 0नकाल दया । मनव:तीदे वी के जाये तो जाये कहां मायके और ससुराल दोन)
के दरवाजे ब:द हो चक
ु े थे । उसके सामने बस दो Lवकप थे एक तो ये <क वह
आमहया कर ले या झोपड़ी डालकर जमाने का मुकाबला करे । मनव:ती दे वी के ससुराल
वालो◌े◌े ने ह& नह&ं मायके वालो ने भी उसे डूब मरने के लये उकसाया । मायके और
ससुराल वाल) से उबकर वह गांव से कुछ दरू एक झोपड़ी डालकर करने लगी । मनव:ती
के हठ के आगे ससुराल प झुक गया और उसके मत
ृ क प0त का हसा दे दया।
मायके वालो आंखे मूंe लये । मनव:तीदे वी बटाई पर खेती करवाकर जीवन Yबताने लगी

प>चीस बरस के लFबे भयावह Lवधवा जीवन से हारकर मनव:तीदे वी दौलतमंद हर&शबाबू
के साथ जीवन के सांEय काल म/ जीने मरने क कसम/ खाकर द0ु नया के सारे सख
ु ) का
भोग करने लगी । हर&शबाबू क पहल& पनी सयवतीदे वी चार ब>>ो◌ा◌ं और सFप:न
घर पOरवार छोड़कर क;सर क ^◌ो◌ंट चढ़ चक ु  थी । सयवतीदे वी बहुत भाTयशाल&
महला थी । हर&श बाबू के घर म/ उनके चरण पड़ते ह& मानो लgमी का वास हो गया हो
। सयवतीदे वी के Rयाह कर आने के बाद हर&शबाबू को नौकर& भी मल& थी ।
सयवतीदे वी ने प0त हर&शबाबू क नौकर& के लये अनेक hत उपवास
मंदर,ग?
ु iवारा,मिजद के दशन,पज
ू न क थी। नौकर& मलते ह& हर&शबाबू ने तरHक के
सोपान भी चढने श?
ु कर दये थे । तरHHी करते करते इतने उूं चे पहुंच गये थे <क उनके
गांव म/ कोई इतना बड़ा ?तबेदार न था पर:तु सयवतीदे वी कैसर से पीaड़त हो गयी
।अ:ततः तड़प तड़प कर एक दन मर गयी ।
सयवतीदे वी क मौत के बाद हर&श बाबू के उपर मस
ु ीबत) का पहाड़ आ गरा ।बेटे
मनमाने हो गये छूटे साड़ क तरह । हर&शबाबू को दो नाव) पर सवार होना पड़ गया ।
दो चार मह&ने के बाद उ:हे भाग कर गं◌ाव आना पड़ता था । हर&शबाबू मस
ु ीबत) के
भंवर म/ पनी के मरते ह& कुछ ह& सालो मं◌े◌ं बूढे हो गये ।लड़के अपनी अ-पनी राह
चलने लगे । भर-पूरा पOरवार होने के बाद भी उ:हे एक गलास पानी दे ने वाला कोई ना
था । मुसीबत) के चj_यूह म/ झूलते कभी कभी एका:त म/ बैठकर रो लेते । इससे उनका
मन हका हो जाता ।
हर&श बाबू के पास पैसा भी बहुत था । हर&शबाबू को िजतना दख ु अपनी मुसीबतो से
नह&ं था उससे कह& अधक दख ु बेटो के द_ु यवहार से हो रहा था । अब अपने दख
ु को
कम करने के लये दा? क शरण म/ चले गये । बाप के बे>◌ौनी को कम करने के
लयं◌े बड़े बेटे अंकुर ने बाप के Rयाह करने क अफवाह फैला द& । यह खबर
मनव:तीदे वी को भी लग गयी । वह अंकुर को बेटा मानकर अपने दल क बात कह
दया । अंकुर ने भी मां मान कर सौदा कर लया ?`ये क लालच म/ । वह अपने बूढे
बाप का Rयाह करवाने का षणय: रचने म/ कामयाब हो गया । अंकुर मनव:तीदे वी के
मायके तक पहुंच गया । उसके बाप को राजी <कया बाप क लाख) क दौलत और
जीवन भर के सुखमय जीवन का सपना दखा कर। मनव:ती का बाप भी शामल हो
गया । वह& बाप जो मनव:ती को अपशकुनी समझता था । अब वह& मनव:तीदे वी
भाTयशाल& दखने लगी थी । मनव:ती भी प>चास के उपर क हो गयी थी न कोई
बालब>चा था न होने क उFमीद थी । मनव:तीदे वी का बाप ?पये क लालच बूढ& बेटा
का Rयाह दौलतमंद ?तबेदार ओहदार से करवाने का चj_यूह रचकर एक दन अपनी
Lवधवा बूढ& बेट& और अंकुर को लेकर शहर पहुंच गया । नातहत <कसी को भनक नह&ं
लगने दया । अंकुर ने भी ऐसी ह& सािजश <कया अपने सगे भाई और बहन तक को
खबर नह&ं लगने दया ।
हर&शबाबू अंकुर,बmृ द _यिHत और अनजान महला को अचानक आ जाने से है रान होकर
पछ
ू े अंकुर Yबना <कसी सूचना के Hयो दो आदमी के साथ कैसे आ गये । Hया काम पड़
गया । अभी तो सारा काम करके म; आया हूं । तF
ु हारे कज क कुछ रकम भी चक
ू ता
कर आया <फर Hय) इस तरह आ धमके ? कोई मस ु ीबत आ गयी थी तो फोन कर
सकते थे । अंकुर तुम तीन ब>च) के बाप हो । बेट&-दमाद वाले हो । इस तरह क
गैरिजFमेदाराना काम अ>छा नह&ं लग रहा है ।
अंकुर-थोड़ी शाि:त रखोगे ?
हर&शबाब-ू अ>छा बताओ ये लोग कौन है । मेरे पास वHत नह&ं है । डयट
ू & जाने का
समय हो गया है ।
अकं◌ुर- ये औरत मेर& मां है और नानाजी है ।
हर&श- Hया ? ये तेर& मां और नानाजी कहां से आ गये ।
अंकुर-म;ने मान लया है ।इस मेर& मां से आपको कानन
ू न Rयाह करना होगा ।
हर&शबाबू -यह नह&ं हो सकता । अWठावन साल मे Rयाह क?ंगा । आधा दजन पोते पोती
है दो नाती एक ना0तन के होते हुए म; Rयाह क?ंगा । तुमको शम नह&ं आयी । एक
परायी औरत को लेकर आ गये । पागल हो गये हो Hया ?
अंकुर-हां मां क ममता के लये ।
हर&शबाबू- तुFहार& मां के मरे दस साल हो गये है । अब अचानक मां क ममता के छांव
क कैसे ज?रत आ पड़ी । Hय) मेरे साथ छल कर रहा है । अरे जो मेरे पास धन दौलत
है तुम तीनो भाइयn का ह& तो है । म; म?ंगा तो साथ नह&ं ले जाउं गा ।
अंकुर-हर&शबाबू का पांव पकड़ते हुए बोला बाबू मुझे मां दे दो । इस मां का द0ु नया म/
कोई नह&ं है । म;ने मां मान लया है । आप भी पनी मान लो । अब इस दो रोट& और
त0नक सहारे क ज?रत है । बहुत तकल&फ उठायी है प>चीस साल से अधक का
Lवधवा जीवन जी चक
ु  है । इसका अगला ज:म बना दो बाबूजी ।
हर&शबाबू-ऐसा होने से पहले म; जहर खा लूंगा ।
मनव:तीदे वी के बाप अं◌ाख) म/ नकल& आंसूं भरकर बोले बेटा हो तो मेर& उ\ से दो चार
साल छोटे पर बुिEद म/ मुझसे कई गुना बेहतर हो । ?तबेदार ओहदे पर हो । तुFहार&
छांव म/ इस अभागन का जीवन पार हो जायेगा । बेटा मेर& िज:दगी का Hया भरोसा
<कस मोड़ पर साथ छोड़ दे । प>चीस साल तो Lवधवा के ?प म/ काट ल& पर अब नह&ं
कटता । म; मनव:ती को तुFहार& सेवा के लये सoप रहा हूं । इसे मान दे कर इसके
वाभमान को बढा दो बेटा । बेटा मेर& Lवनती मान लो तुFहारे साथ मेर& बेट& का जीवन
Yबत जायेगा । तुFहे भी सहारे <क ज?रत है इसे भी । दोनो एक दस
ू रे के सहारे बन
जाओ । बेटा इससे तF
ु हारे बेटो को भी खश
ु ी मलेगी । अंकुर का मंह
ु बोल& मां के 0त
`यार तो दे ख ह& रहे हो । इस मां बेटे के `यार को अपनी वीकृ0त दे कर स>चा बना दो
। बेटा एक बढू े बाप के पगड़ी क इ[जत रख लो कहते हुए अपने सर से पगड़ी उतारकर
हर&शबाबू के पांव पर रख दया ।
हर&श-मेर& उ\ Rयाह करने क है । दादा और नाना बनचक ु ा हूं । मेर& पोती दो ब>चो क
मां बन चकु  है । Hय) द0ु नया म/ मेर& इ[जत का जनाजे 0नकलवाने पर तल ू े है । मेरे बेटे
मझ
ु े कोई तकल&फ नह&ं पडने दे ते । मेर& बेट& समान बहुये भी सेवा-सp
ु ष
ु ा म/ कमी नह&ं
रखती । म; Rयाह कर इन सबक 0नगाह) म/ नह&ं गरना चाहता । मेरे जीवन के दो चार
साल तो और बाक है । वे भी पार हो जायेगे । भोलाबाबा मेर& त0नक च:ता ना करे ।
आपक बेट& का जीवन भाई-भतीज) के साथ Yबत सकता है । आप अपनी बेट& के भLवKय
के बारे म/ जो भी 0नणय ले यह तो आपके उपर है । रह& बात मेरे Rयाह करने क तो
इस ज:म म/ तो नह&ं हो सकता । अब आप दे वीजी को साथ लेकर जा सकते है ।
मनव:तीदे वी-दे खो जी म; जाने के लये तो नह&ं आउूं हूं । अब इस दरवाजे से मेर& लाश
उठे गी ।
अंकुर- बाबूजी मां ठNक कह रह& है ।
हर&श-म; सब समझ गया हूं ।
अंकुर-कुछ नह&ं समझे । मेर& मुंहबोल& मां के आंसू के मा◌ोल समझे ह& नह&ं बाक Hया
समझ कर करे गे ? मुझे तो मां चाहए बस .........
मनव:तीदे वी- दे खो जी तुम िजद पर हो तो मै भी अब िजद पर अड़ गयी हूं । Yबना
Rयाह <कये जा नह&ं सकती अगर जाने क नौबत आयी तो रे ल के आगे कूछ कर जान
दे दं ग
ू ी । तब 0नपटते रहनस ।
हर&श-बाबू धमक ना दो । तुमको जाना पड़ेगा म;ने Rयाह करने के लये तो तम
ु को बुलाया
नह&ं हूं । तुम Hयो आयी ।
मनव:तीदे वी-म; आयी नह&ं लायी गयी हूं ।
हर&श-कौन लाया है म; ?
मनव:तीदे वी- अंकुर बेटवा ।
हर&श-अंकुर के साथ वापस लौट जाओ बाप बेट& <कराये भाड़े का इ:तजाम म; कर दे ता हूं

मनव:ती-दे खो जी म; जाने के लये तो आयी नह&ं हूं अब यहां से जाउूं गी तो तुFहारे हाथ
से स:धरू पहन कर वरना जान दे दं ग
ू ी।
भोलाबाबा-मान जाओ हर&श बाबू मनव:ती ठNक कह रह& है । एक Lवधवा को सधवा
बनाकर उसका पन
ु ज
 :म स ध
ु ार दो ।
हर&शबाब-ू बाबा ऐसे कैसे हो सकता है ।
मनव:तीदे वी रोने का वांग करते हुए उठN । बाप क पगड़ा उठाकर सर पर रखते हुए
बोल& बाबा तमु घर जाओ । मै तो तF ु हारे लये वैसे ह& परायी थी । तम
ु बड़ी उFमीद
लेकर आये थे <क मेरे जीवन का दख
ु मट जायेगा पर मेर& तकद&र नह&ं बदल सके । म;
जा रह& हूं रे ल से कटकर जान दे दं ◌ूगी भले ह& मेरा अगला ज:म Yबगड़ जो कम से
कम मेरे जनाजे म/ तो अंकुर के Lपताजी शामल तो होगे । इनक पनी बनने का मौका
नह&ं मलेगा तो Hया जनाजे म/ शामल तो करवा ह& लंग
ू ी । बाबा म; जा रह& हूं कहते
हुए रे लवे लाइन क और दौड़ पड़ी । हर&श बाबू सर पर हाथ रखकर बैठ गये ।
भोलाबाबा के गाल पर म
ु कान को नह&ं 0छपा पाये । अंकुर दौड़ कर मनव:ती का राता
रोका और अपनी कसम दे दया । मनव:ती◌ेदेची ऐसे लौट पड़ी जैसे कुछ हुआ ह& नह&ं
। वैसे भी बाप बेट& दौलत ऐंठने का वांग ह& तो कर रहे थे अंकुर को मोहरा बना कर ।
अंकुर मनव:तीदे वी का हाथ पकड़ कर हर&शबाबू के सामने खड़ा हो गया बोला बाबज
ू ी
इस मां को मेर& मां का असल& हक दे रहे हो या म; भी इस मां के साथ कट जाउं । बाबू
मेरे मरने के बाद मेरे ब>च) को बोझ तुFहारे सर पर होगा । बाबू आIखर& बार कह रहा
हूं ना ना कहना मेर& कसम है तुमको । यद ना कह दये तो मेरा मरा मुह दे खना पड़ेगा
तुमको । हर&शबाबू लाचार हो गये दस
ू रे दन तीस हजार& कोट म/ कानूनन मनव:तीदे वी
के फरे ब म/ फंस गये अटठावन साल क उ\ म/ । भोलाबाबा अंकुर के साथ हं सी-खश
ु ी
नाचते गाते वापस आ गये ।
मनव:तीदे वी हर&शबाबू के साथ Rयाह कर द0ु नया के सुख भोगने लगी जो कभी उसके
लये व`न मा हुआ करते थे । धन-दौलत से खेलने लगी । नोटो क गaqडयां उसके
हाथ आने लगी । वैभव को पाकर वह कभी -कभी अपने रौZ ?प का द शन भी कर दे ती
हर&शबाबू के सामने । धीरे -धीरे वह हर&शबाबू के कमाई पर कRजा जमा ल& । अं◌ंकुर के
साथ <कये सौदे को भूलकर अपने और अपने मायके वालो क <फj हं सी-खुशी के साथ
रहने लगी । हर&शबाबू इस सबसे बेखबर मनव:तीदे वी को स>ची धमपनी मान बैठे थे ।
उ:हे Rयाह के पीछे के फरे ब क त0नक भी भनक नह&ं लग पायी ।खैर इस फरे ब म/
उनका बेटा भी शामल था वह मनव:तीदे वी को मोहरा बनाकर सार& कमाई का मालक
बनना चाह रहा था पर उटा हो गया खद
ु मोहरा बन चक
ु ा था ।
हर&शबाबू अटठावन साल क उ\ म/ मनव:तीदे वी के साथ Rयाह <कये । दो साल का
समय ना जाने कब Yबत गया एहसास ह& नह&ं हुआ Oरटायर हो गये । Oरटायर होने के
बाद बीस लाख ?पये मले बाक हर माह प/ शन तो मलना ह& था । बीस लाख का नाम
सुनकर मनवती के पांव जमीन पर ह& नह&ं पड़ रहे थे । हर&शबाबू के सामने भी शंका-
कुशंका के बादल रह रहकर छाने लगे थे । Oरटायरमेट के बाद मह&ना भर शहर रहे <फर
वे अपने बेटे बहूओं के साथ बाक का जीवन Yबताने क 0तrा कर शहर को अलLवदा
कह दया । गांव म/ बेटे बहुओं ने बहुत मान-सFमान दया पर मनव:तीदे वी को बेटे
बहुओं म/ खोट के अलावा और कुछ नजर नह&ं आता था । उ:हे हर&शबाबू के बेट) का
पOरवार डंक मारने लगा हो जैसे । मनव:तीदे वी के सौतेलेपन से घर क सख
ु -शाि:त
0छन गयी । हर&शबाबू जब तक घर म/ रहते मनव:तीदे वी बहुओं क शकायत बेट) क
शकायत पोते पो0तय) क शकायत लये खड़ी रहती । उसके मां-बाप क दखलअंदाजी
भी बढ गयी । यह दखलअंदाजी हर&शबाबू के बेटो को त0नक भी पस:द नह&ं आ रह&
थी । मनव:तीदे वी के मायके वाले◌े बंटवारा करवाने पर जैसे उता? थे । हर&शबाबू के बेटे-
बहुओं पर सौतेल& मां मनव:तीदे वी के सौतेलेपन का कहर बरसता रहता । हर&शबाबू दन
खेत) म/ काम करने म/ Yबताने लगे । मनव:तीदे वी के बंजरदल पर पOरवार के 0त
त0नक भी ममव नह&ं जगा । उसका दल दन 0त दन कठोर होने लगा । वह हर&श
बाबू से बेटे बहुओं से अलग रहने क िजद पर उतरने लगी । अ:ततः च
ू हा बंटवा कर
ह& चैन क सांस ल& ।
हर&शबाबू जब बेटे बहुओं के साथ रहते थे तो उनहे् खाना समय से मल जाता था पर
अब खाना Hया समय से पानी भी मलने क गुंजाइश कम हो गयी । हर&शबाबू सुबह
खेत जाते राते म/ लौटते । यद बेटे बहु खाने को दे ते तो वह झगड़ा करती कहती हमारे
आदमी को जाद ू टोना करके अपने बस म/ कर रह& है जब<क बहुये हर&शबाबू को दे वता
क तरह पूजती थी । मनव:तीदे वी खद
ु पर और मायके वाले पर अधक Eयान रखती
और हर&शबाबू को जैसे भूल गयी । हां उनसे ?पये ऐंठने के तरह तरह के वांग रचती ।
रोज रोज बीमार रहने का नाटक करती। हर हफ् ते मायके जाती उसी मायके िजस मायके
वाल) ने अपशकुनी कहकर याग दया था । वह& लोग दौलतमंद हर&शबाबू से षणय:
के तहत ् Rयाह करवाकर कमाई पर तूले हुए थे । मनव:तीदे वी का सौतेला _यवहार
पOरवार को ह& नह&ं हर&शबाबू को भी डंस रहा था । उ:हे खाना तो समय से Hया मलना
ह& ब:द हो गया था । पाचं लाख ब;क म/ जमा ?पये को छोडकर सब दौलत पर
मनव:ती का कRजा हो गया था । वे मनव:तीदे वी के अयाचार से घबरा हर&श अब और
अधक शराब पीने लगे । मनव:तीदे वी के अयाचार और भूख ने उनक जान एक दन
ले ल& । हर&शबाबू क मौत ने मनव:तीदे वी को खिडतूम0त बना दया बेटो-बहुओ पोते
पो0तयो,बेट&-दमाद और ना0तन-ना0तय) क नजरो म/ ।
हर&शबाबू क मौत का सदमा बेटे,बेट& और बहुओ को खाये जा रहा था पर मनव:तीदे वी
धन दौलत पर कRजा जमाने म/ जुट& हुई थी । बेटे-बहुओ ने हर&शबाबू का <jया-कम
अपनी सामsय अनुसार रज-गज से <कया । तेरहवी के Yबहान भर मनव:तीदे वी ने नात-
हत) के सामने पंचायत बल
ु ा ल& यह कह कर <क बढ
ु उ मर गये अब हमारा जीवन कैसे
Yबतेगा ? नात-हत और पंचो ने कहा <क बेट) और उनके पOरवार के साथ रहो तीन-तीन
बेटे है तF
ु हारा जीवन वैसे ह& पार हो जायेगा । वह नह&ं मानी बोल& मझु े इन बेटे बहुओं
के साथ नह&ं रहना है । म; अलग रहकर अपना जीवन Yबता लंग ू ी । धन दौलत जमीन
जायदाद म/ मझ
ु े आधा हसा चाहये ।
अंकुर पंच) के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हुआ और बोला पंचो मांताजी आधा ले लेगी तो
हम तीन भाइयn को Hया मलेगा ?
मझला बेटा अभषेक बोला पंचो बाबज
ू ी तो नह&ं रहे ।मरे या मारे गये यह तो रहय का
Lवषय बना हुआ है । खैर जो होना था हो गया । बाबज ू ी को बीस लाख ?`ये मले थे
बाक हर माह प/ शन मल रह& है । मेरा मांताजी से सवाल है <क बीस लाख ?पये कहां
गये ?
तीसरा बेटा अजीत मझले भाई क हां म/ हां मलाते हुए बोला भइया ठNक कह रहे है ।
बाबज
ू ी के मरे चौदहवां दन हुआ है । मांताजी ने पंचायत बल
ु ा द& है तो पंचो सब हला-
भला कर दो ।
बेटो क बात सुनकर मनव:तीदे वी ब;क क पासबुक लाकर बड़े बेटे अंकुर के उपर फेक द&
और बोल& ये तेरे बाप के जमा ?पये है ।
अंकुर-मांतीजी ब;क म/ तो सफ पांच लाख ह& जमा है । बाक और ?पये कहा गये ?
मनव:तीदे वी-मुझे नह&ं मालूम ।
अजीत- झूठ ना बोलो मां ।
अभषेक- मां बाबूजी भूख से मर गये तो ?पये कहा गये । मां हमार& आथा पर चोट
कर खिडतमू0त ना बनो मां ।
मनव:तीदे वी-तुFहारे बाबूजी जाने ।
अंकुर-बाबूजी लौटकर आने से रहे । तुFह& बता दो ।
अजीत-मां तुमने बाबूजी को लूट कर हम भाइयn क दOरZ बना दया Hया तुम इसी लये
आयी थी ।
मनव:तीदे वी -दे खो मै कुछ नह&ं जानती तेरे बाप क कमाई के बाक ?पये कहां गये ?
ब;क म/ जो ?पये है उसम/ से आधा मुझे दे दो, बाक तीन) भाई आपस म/ बांट लो ।
अभषेक-बाप तो अयाचार नह&ं सह सके मर गये । मां उनके बेट) को Hय) मार रह& हो
? हमार& एक बहन भी है ।
मनव:तीदे वी-हमारे सामने तो तुम तीन हो । तुम बंटवारा कर लो । तुFहार& बहन
हसेदार नह&ं है वह मरे हुए के समान है ।
हर&शबाबू के बड़े भाई कृपाराम से सहा नह&ं गया वे उठ खड़े हुए और बोले मनव:ती
तFु हे दौलत `यार& थी तम ु ने हड़प लया । मां-बाप और बहन -बहनोई को तम
ु ने दोन)
हाथ) से दान-प:
ु य क जो तम
ु को अपशकुनी मानकर याग चक
ु े थे । इन ब>चो का हक
तो न मार ।Hय) अगला ज:म खराब कर रह& है । इस ज:म म/ तो बंजर भू म हो गयी
है जहां दब
ू भी नह&ं जमीं । Rयाह कर आते ह& पहले प0त को खा गयी । प>चीस साल
के Lवधवा जीवन के बाद मेरे दे वता समान भाई को फं◌ास कर भूखे मार डाल& । ब>च)
पर अयाचार न कर मनव:तीदे वी ।
मनव:तीदे वी-जेठजी चार बराबर का हसा करवा दो ।
अजीत-बहन का हसा ।
मनव:तीदे वी-बेट& का कोई हसा नह&ं होता ।
अंकुर-ब;क के अलावा और कम से कम दस लाख तो होगे । वे ?पये कहां है ।
मनव:तीदे वी-मझ
ु े नह&ं पता । ब;क क जमा पंज
ू ी ,खेतीबार& और घरiवार म/ चार हसे
कर लो । यद मंजरू नह&ं है तो कानन
ू ी कार वाई कर मझ
ु े बेदखल करवा दे ना तम
ु तीनो

अंकुर-ऐसा करना होता तो तुमको मां का दजा ह& Hयो दे ते ?
मनव:तीदे वी पंच) क बात नह&ं मानी वह बोल& मेरे पास जो कुछ है या रहेगा म; मरने
के बाद तो अपने साथ नह&ं ले जाउूं गी । दे खो तुFहारे बाप Hया ले गये । यद तुम लोग)
पर LवQवास नह&ं है तो कानूनी कार वाई कर लो । मनव:तीदे वी क भूख से और रौZ ?प
से भयभीत होकर तीन) भाई आपस म/ चचा कर राजी हो गये । पंच) ने मुहर लगा द& ।
मनव:तीदे वी के रौZ ?प को दे खकर कृपाराम बोले अंकुर,अभषेक और अजीत तुम तीन)
मेर& बात Eयान से सुनो - ममतारहत बंजरभूम समान ये तुFहार& सौतेल& मां
खिडतमू0त हो गयी है। इसके षणय: और सौतेलापन का सच द0ु नया के सामने आ
गया है पर तुम लोग इस मनव:तीदे वी को मां का ह& दजा दे ना ।
अंकुर-ताउpी मां भले ह& सौतल& है , हम भाइयn के सपन) क बारात को भले ह& जनाजे म/
बल द& है पर हम तीन) भाइयn तुFहारे आदे श के आगे सर झुकते है । अभषेक और
अजीत ने भी सर झुका दया ।
3-द&वार
इकलौती बेट&,बाप बड़े ओहदे क सरकार& नौकर& पर तैनात और अ>छा जमीन-जायदाद के
मालक मीठुबाबू क बेट& काजल और कथरु ाम के बेटे च:Z के OरQते क खबर पूरे गांव
क जबान पर चढ गयी थी । गांव वाले वापस म/ बात करते नह&ं थक रहे थे <क दे खो
एक 0नर र भूमह&न हलवाह के लड़के से एक अफसर अपनी बेट& का Rयाह करने जा रहा
है सफ इसलये क च:Z पढ रहा है । ना जाने Hय) उस अफसर बाप क ना जाने Hय)
बLु t मार& गयी है । Hया दे ख लये उस सFप:न पOरवार ने कंगले कथु के बेटे और
उसके पOरवार म/ । दहे ज म/ भार&-भरकम रकम भी दे गा । वातव म/ मीठुबाबू खबर के
गरम बाजार से Yबकुल उटे थे । वे बेट) ह& नह&ं भतीज) क भी श ा -द& ा से काफ
चौकने थे । आधा दजन बेटे-भतीजो म/ एकमा बेट& काजल ने कूल का मंह
ु तक नह&ं
दे ख पायी । सFभवतः पढे -लखे मीठुबाबू के पOरवार म/ बेट&-बेटा के बीच मोट& द&वार थी
पर उसक गं◌ुज सन
ु ाई नह&ं पड़ती थी ।
मीठुबाबू ने चातय
ु  का पOरचय दे ते हुए बीटया काजल का Rयाह Yबना <कसी धम
ू के च:Z
के साथ सFप:न करवा लया । बेट& के Rयाह म/ मीठुबाबू ने दया तो कुछ नह&ं पर नाम
उुं चा हो गया अनपढ बाप के पढ रहे बेटे से Rयाह होने भर से । Rयाह के बाद कथु को
तानाकशी का शकार भी होना पड़ा । लोग कहते बड़े ओहदे दार आदमी का समधी बनकर
कथु बड़ा आदमी हो गया है । मालदार समधी है कथु को दहे ज भी खब
ू दया होगा पर
कथु ने लेकर भी नह&ं लेने का बहाना करता है । लोग उटे एक चोट और कर दे ते अरे
भाई कथु बाक कोर- कसर गौने म/ पूर& कर लेना । बेट& के साथ तो ढे र सार& रकम
और ढे र सारा सामान आयेगा तुFहारे घर म/ रखने क जगह नह&ं मलेगी ।
कथु कहता भइया दहे ज सामािजक बुराई है इस बीमार& को खम करना चाहये । अरे
मै◌ेने तो बेटवा का Rयाह लड़क से <कया है दहे ज से थोड़े ह& <कया हूं ।लोग थे <क रह-
रहकर दहे ज के नाम पर बड़ी रकम डंकार जाने का दोषी ठहरा ह& दे ते । कुछ लोग तो
सरे आम कहते अब तो कथु क चमड़ी मोट& हो गयी है धनासेठ) क तरह । अरे भाई
Hयो न होगा बड़े घर म/ बेटे का Rयाह जो हो गया है । कथु मोटा आसामी हो गया है
दहे ज क रकम से । <कस -<कस का मुंह पकड़ता चप
ु चाप सुन लेता और धीरे से बोलता
काश लड़क भी पढ रह& होती तो हमारे लये बहुत बड़ा दहे ज होता हमारे खानदान के
लये । अब तो इसी म/ स:तोष करना है <क द
ु हन ह& दहे ज है भले ह& लोग दहे ज लेने
का अपराधी कहे बड़े बाप क बेट& से दहे ज र0त Rयाह करने के जुम म/ ।
च:Z और काजल समय के साथ जवान हो गये । मीठुबाबू ने गौना दे ने क जद& मचा
द& । च:Z बी.ए.का इFतहान भी नह&ं दे पाया था <क गौना आ गया । कंजूस मीठु◌ुबाबू
ने गौने म/ कुछ रकम नह&ं दये । हां ढे र सार& मठाइयाu ज?र दये जो पूरे गांव म/ खब

मठाई बंट& थी । Rयाह से अधक गौने का शोर मच गया <क कथु के बेटे के गौने म/
बहुत सार& रकम और सामान मला है । दहे ज क रकम से बडी◌ी ़ मुिQकल से सवार&
का भाड़ा पूरा हो पाया था । द
ु हन के बाप मीठुबाबू उपर से नाराज थे <क मेर& इकलौती
बेट& के Rयाह म/ कार नह&ं आयी । कथु तो मेहनत मजदरू & के भरोस पOरवार पाल रहा
था पर:तु उसका च:Z पढने लखने मे होशयार था । मीठुबाबू बहुत दरू क सोचते थे
।च:Z से बेट& का बयाह
् कर दो मकसद परू े कर गंगा नहा लये । एक बी.ए.पास दमाद
मल गया दस
ू रे दहे ज भी नह&ं दे ना पड़ा । पढे लखे च:Z को नौकर& मल जाने क परू &
गज
ु ाइश थी । यद मीठुबाबू धनी पOरवार म/ च:Z जैसे लड़के से Rयाह करते तो दहे ज म/
मोट& रकम भी दे ते और इ[जत म/ नह&ं मलती । मौके बेमौके लड़के वाल) का मंह
ु खल
ु ा
रहता । मीठुबाबू बेट& और बेट) के बीच मोट& द&वार खड़ी कर रखे थे िजससे बेट& को
उड़ान भरने का मौका नह&ं मला 0नर र रह गयी । वे बेट& क पढाई़ लखाई पर त0नक
Eयान नह&ं दये । पढा लखा गर&ब बाप का बेटा दमाद के ?प म/ ज?र खो◌ेज लये ।
बड़ी शान से कहते दे खो म; अपनी फूल से लड़क को गर&ब घर म/ दे कर भी काफ खश

हूं ।
कथु भी काजल को बहू के ?प म/ पाकर बहुत खशु था । काजल भले ह& पढ& लखी
नह&ं थी पर संकारवान और गण
ु वान लड़क थी । सास-ससरु का बहुत आदर करती थी
ू रे कथु का समधी मीठुदादा पढा लखा ?तबेदार ओहदार भी था । कथु कहता
। दस
काजल के इस घर म/ आ जाने से मेरा पOरवार भी सध
ु र जायेगा । पोते-पोती गोरे
होगे,संकारवान गुणवान तो होगे ह& बाप क तरह श त भी होगे । काश समधीजी ने
काजल का पढा लखा दया होता तो हमारे पोते-पोते बढया तर&के से श त होते ।
कहते है ना एक पढ& लखी मां पूर& पीढ& को श त कर सकती है । समधीजी यह& बेट&
बेटा के बीच ^◌ोद क द&वार खड़ी कर अ:याय कर दये । ठNक है दहे ज नह&ं दये ।
हमने मांगा भी नह&ं ।वैसे भी दहे ज दानव का नाश इस दे श से िजतना जद& हो जाये
अ>छा है । समधीजी बेट& को चWठN पी लखने लायक पढा दये होते तो कम से कम
बहू च:Z को चWठN लख दे ती हमे पढकर सुना दे ती । दस
ू र) के सामने तो गड़गड़ाना
नह&ं पड़ता चWठN लखाने और पढाने के लये।
च:Z का गैाना मई के पहले स`ताह म/ आ गया था और इFतहान का नतीजा जुलाई
महने म/ । नतीजा स:तोषजनक था । च:Z फरवर& माह म/ शहर नौकर& क तलाश म/
0नकल पड़ा । कथु बहुत खश
ु था <क अब तक तो समधीजी छलवा करते रहे है । बेटवा
शहर नौकर& क तलाश म/ जा रहा है त0नक सहारा बन जायेगे तो बेटवा भी कमाने खाने
लगेगा । हमारे घर पOरवार क िथ0त म/ सुधार आएगा । उनक बीटया को भी तो सुख
मलेगा । बेटवा क नौकर& के लये तो समधीजी को मदद करनी चाहये ।
कथु क सोच के Lवपर&त मीठुबाबू ने _यवहार <कया । नौकर& के लये मदद तो दरू
आpय तक दे ने म/ भी कोई मदद नह&ं कर पाये ।च:Z अपने ससुरpी से क मंशा को
समझ गया । वह भी उनके सामने हाथ न फेलाने क vढ 0तrा कर लया । छोट& मोट&
नौकर& <कया । ट&न के aडRRेा क फैHटर& म/ खाल& घी के aडRबे धोने का काम <कया ।
aडRबा बनाने वाल& मशीन को बैल) क तरह खींचा,तेजाब क फैHटर& म/ काम <कया ।
मडी म/ बोझ ढोने का काम <कया पर मीठुबाबू ने दमाद क नौकर& के लये त0नक भी
यास नह&ं <कये। अजनवी बने रहे । च:Z अपने ससरु के ?खे-_यवहार से Lवचलत
नह&ं हुआ । शहर म/ फांका <कया,फटे कपड़े पहना,पैसे -पैसे को नतवान रहा पर वह
अपने ससरु मीठुबाबू के सामने हाथ फैलाया ।हां इ[जत Lपतात
ु य ह& दे ता । गर&ब लोग
इ[जत करना जानते है यह संकार उसे अपने मां बाप से Lवरासत म/ मला था । उसके
मां बाप के पास तो धन दे ने को नह&ं था पर आदशb,संकारो क मोटर& बहुत बड़ी थी ।
वे इसी म/ खशु रहना भी भल&भां0त सीख गये थे ।च:Z जहां नौकर& के लये जाता नौकर&
उससे कोसो दरू भाग जाती । अ:ततः आठ साल बेरोजगार& का Lवषपान करने के बाद
उसे नौकर& मल&। च:Z ब>चो के उ[जवल भLवKय के काजल और ब>च) को शहर म/
शफ् ट कर लया । मां बाप ,भाई-बहन भी शहर आने जाने लगे जो कभी शहर दे खे भी
नह&ं थे। नौकर& करते च:Z को साल भर भी नह&ं हुए थे <क मीठुबाबू के बड़े बेटे क बड़ी
का Rयाह पड़ गया ।
काजल भतीजे के Rयाह म/ शामल होने के लये बढ-चढ़कर तैयार& करने म/ जट
ु गयी खैर
च:Z भी कम न था । अपनी औकात के मुताLवक भतीजी को गफ् ट भी खर&द लये
।घर पOरवार के लये कपड़े-लते भी खर&दे । गांव जाने एंव भतीजी के Rयाह म/ शामल
होने क तैयार& कर लये । Rयाह से स`ताह भर पहले रे ल से गांव चल पड़े । तीन दन
क रे ल याा मे गफट म/ द& जाने वाल& सलाई मशीन को छोड़कर सब कुछ चोर& चला
गया । बड़ी मुिQकल से च:Z पOरवार सहत अपने पैतक
ृ गांव पहुंचा । रे ल मे चोर& का
समाचार सुनकर च:Z के घर म/ मातम पसर गया । बेटे के दल पर चोर& का कुअसर न
पड़े च:Z के मां बाप ने समझाया बुझाया,हौशला बढाया और Rयाह म/ शामल होने के
लये र&न-कज करके रकम का ब:दोबत भी <कये । च:Z सपOरवार Rयाह म/ हं सी खश
ु ी
शामल हुआ और Rयाह Yबताकर अपने गांव वापस आ गये । अब च:Z के पास शहर

वापस जाने के लये <कराये-भाडे तक का इ:तजाम नह&ं था । च:Z को पOरवार सहत
शहर वापस जाने के लये प:Zह सौ ?पये तक का खच था । च:Z के मां बाप गांव के
कई लोगो के सामने कज के लये हाथ फैला चुके थे पर कह& नह&ं तो कह&ं बाद म/ आना
सुनने को मल रहा था । इसी बीच च:Z के ससुर मीठुबाबू बेट& ना0तन-ना0तय) से मलने
आ धमके । उनके आव-भगत म/ दो चार सौ खच हो गये ।
मीठुबाबू काजल से पूछे तम
ु लोग शहर कब जा रहे हो ?
काजल-बाबूजी <कराये का इ:तजाम नह&ं हो पा रहा है । बूढ&-बूढा कई जगह कज के लये
गये पर सब ओर आजकल हो रहा है । इनक छुWट& भी खम हो गयी है । <कराये का
इ:तजाम न होने के कारण मेaडकल लये है । दे खो कब तक इंतजाम हो जाता है ।
मीठुबाबू कुछ नह&ं बोले मौन धारण कर लये । धीरे -धीरे शाम होने को आ गयी । वे
अपने गांव वापस जाने के लयिजद करने लगे ।
कथु बोला-समधीजी सब ु ह चले जाना । घर पहुंचते पहुंचते रात हो जायेगी ।
मीठुबाब-ू कहां पैदल हूं । इजाजत द&िजये ।
कथ-ु समधीजी एक अनरु ोध है ।
मीठुबाब-ू Hया ......?
कथु-च:Z का सब रे ल म/ चोर& हो गया । नगद जो कुछ था वेा, बहू और ना0तन के
गहने गOु रये कुछ नह&ं बचा सब चोर ले गये । बड़ी मिु Qकल से तो घर पहुंचे थे । ब>च)
क हालत दे खकर मन बहुत रोया था । अब आप थोडी मदद कर दो ।
मीठुबाब-ू कैसी मदद ?
कथ-ु पांच सौ ?पये का कज । च:Z शहर पहुंचते ह& वापस कर दे गा ।
मीठुदादा-मौन साध गये और घर जाने के लये उठ खड़े हो गये । मीठुबाबू बेट& दमाद
क मस
ु ीबत के वHत म/ कज के ?प म/ सफ पांच सौ ?पये क मदद करने से मंह
ु मोड़
लये । वह& मीठुबाबू जो बेट) क छोट&-छोट& ज?रत) को परू ा करने के लये ?पये का
त0नक भी मोह नह&ं करते थे । खैर च:Z के मांता Lपता ने सूद पर ?`या लेकर बेटा-बहू
और पोते पा0तय) को शहर तो ^◌ोज दया । च:Z शहर जाकर कज चक
ु ाने और मां बाप
के खान खच के लये ?पये का ब:दोबत कर म0नआडर भी कर दया । काजल का
जीवन अपने पOरवार के साथ सुखमय Yबत रहा था । इसी बीच <कसी के माEयम से
खबर काजल को लग गयी उसके◌े कंजुस Lपताजी उसके नाम से बहुत सारा ?पया जमा
<कये है । काजल तो लखप0त हो जायेगी । इसीलये मीठुबाबू काजल को दहे ज म/ कुछ
भी नह&ं दये पलंग,Yबछौना और बोरे दो बोर गेहूं और ढे र सार& मठाइयn के अलावा ।
खबर लगते ह& काजल च:Z से बोल& सुनो जी एक खबर लगी है ।
च:Z-कैसी खबर पांव भार& तो नह&ं हो रहे ।
काजल-धत ् तेर& <क इनको पOरवार 0नयोजन क धुन ऐसी सवार है <क सोते-जागते उठते-
बैठते बस एक ह& बात ।नह&ं ऐसी कोई बात नह&ं है । हम दो हमारे तीनो पर भगवान
क कृपा बनी रहे । हमार& तीन) स:ताने पढ-लखकर दे श-द0ु नया म/ नाम रोशन कर/ ।
च:Z-भूमका बनाती रहोगी <क कुछ बताओगी भी बात Hया है ।
काजल-सभी लोग मेरे Lपताजी को कहते रहते है <क वे बेट&-बेटा के बीच ^◌ोद क द&वार
खड़ी <कये हुए है ।
च:Z-सह& तो है ।
काजल-मानती हूं मुझे कूल नह&ं ^◌ोजे । उस जमाने म/ लड<कय) को पढाने का चलन
नह&ं था नह&ं पढाये। तुम तो पढे लखे हो । मेर& पढाई क Hया ज?रत च
ू ह चौका के
लये । दतक करना तुमने सीखा ह& दया है । हम अपनी बीटया को पढा रहे है सार&
कसर परू & कर लेगे बीटया को पढा लखाकर ता<क हमारे Lपताजी को भी तो पता चले
<क हमार& अनपढ बेट& क बेट& इतनी पढ& लखी है <क उनके खानदान म/ कोई इतना
पढा लखा नह&ं है ।
च:Z-तF
ु हारे बाप जैसे हम बाप कहलाना पस:द नह&ं करे गे । हमे तो कुछ नह&ं चाहये
बस भगवान से यह& मांगता हूं <क मेरे बेट& बेटा पढ लखकर द0ु नया म/ नाम रोशन कर
दे हमारा हमारे खानदान का बस यह& Mवाहश है । बाक बात बाद म/ पहले खबर Hया
थी ये तो बताओ नह&ं तो पता चले <क खबर ह& खो गयी । वह भी तF
ु हारे मायके क

काजल-तम
ु को मजाक क हमेशा सझ
ू ती है ।अभी तक तो हमारे Lपताजी को मजाक बना
रहे थे अब मायके क खबर भी मजाक बनने लगी है । खबर Hया ह; जानना चाहोगे ।
च:Z-अवQय दे वीजी बताये ता<क हमार& कैद तकद&र संवर जाये ।
काजल-हमार& संवरे या तF
ु हार& बात तो एक ह& है ।
च:Z-Hया <कसी खजाने क चाभी मल गयी ।
काजल-मल& तो नह&ं पर मल जायेगी ।
च:Z-सचमुच तकद&र संवरने वाल& है ।
काजल-हां ...........
च:Z-कैसे.....?
काजल-हमारे Lपताजी ने ढे र सारा ?पया हमारे नाम से जो जमा कर दया है ।
च:Z-तुFहारे नाम से <कये तो पर अब नह&ं है ।
काजल-चोर& हो गया ।
च:Z-हां ।
काजल-भला ब;क म/ जमा ?पया चोर& कैसे जा सकता है ।
च:Z-हो गया मेरा LवQवास करो ।
काजल-LवQवास नह&ं होता ।
च:Z-LवQवास करो तुFहारे Lपताजी ने सािजश रचकर ?पये 0नकाल लये ।
काजल-तुमको पता था ।
च:Z-हां.....
काजल-कहां,कब और कैसे ?
च:Z-Rयाह म/ तेर& भाभी इस बारे म/ <कसी से बात कर रह& थी <क ससुरजी ने ब;क
मैनेजर के समाने उसे काजल बनाकर पेश <कया । ब;क म/ ननद क फोटो तो लगी नह&ं
थी । सारा ?पया 0नकल गया । ब;क से सारा ?पया 0नकलते ह& कुल द&पक को सoप
दये। वो बात मेरे कान से टकरा गयी । आज सयापन भी हो गया ।
काजल दल थामकर बैठते हुए बोल& हे भगवान बाप ने बेट& के सपन) के बारात क
परवाह नह&ं कर बेटा-बेट& के बीच ऐसी द&वार बना द& जो आज तक नह&ं टूट& ।
4-पोटमाट म
भHकूदादा क लाश पोटमाट म के लये िजला सरकार& अपताल के चीर घर ^◌ोज द&
गयी है । यह बात भHकूदादा के भतीजे नगे:Z के गले उतर& नह&ं रह& थी ।वह बार यह&
पूछ रहा था दादा मरे कैसे क उनक लाश को पोटमाट म के लये ^◌ोजा गया है ।
कुछ दन पहले तो वह उनसे मलकर आया था । सड़क पर माट& फ/क रहे थे ।
खेतीबार& का काम जब ब:द हो जाता था तब वे दस
ू रा काम कर लेते थे । मझले भाई
क मदद के लये । उनका खद
ु का पOरवार तो उ:हे याग चक
ु ा था । भHकूदादा,भHखू
के पOरवार के साथ पैतक
ृ चोट&चौरा गांव से बीस कोस दरू उसक सस
ु राल म/ रहकर
ससु राल म/ नेवासा क ा`त जमीन और चार बीघा भाइयn के कमाई से खर&द& हुई जमीन
फेजलपरु म/ खेतीबार& का काम करते थे । जमीन तो सभी भाइयn के नाम थी पर उपज
का एक अ:न भी तीसरे भाई फतू को मझले भाई भHखू क घरवाल& नह&ं दे ने दे ती थी
। अचानक भHकूदादा क मौत का सुनकर नगे:Z घर-पOरवार,गांव-पुर सभी बेचन
ै थे पर
नगे:Z अयधक परे शान था । बचपन म/ उसके आंख के सामने भHखू के हाथ)
भHकूदादा क Lपटाई का vQय उभर जाता था । इसी कारण उसका मन भHकूदादा क
मौत के कारण पर LवQवास नह&ं हो रहा था । वह सोच सोचकर बेचन
ै हो रहा था उसके
आंखे बरसती जा रह& थी ।
भHकूदादा बडे शर&फ ,साधु कृ0त के इंसान थे और भययपन
् के लये जान दे ने क बात
पर पीछे हटने वाले भी नह&ं थे । उनक अचानक मौत ढे र सारे सवाल खड़े कर रह& थी ।
भययपन
् म/ आकर मझले भाई भHखू के लये अपनी झगड़ालू घरवाल& तक का
पOरयाग कर दया । वह& भHखू वाथबस भाइयn के नाम जमीन हड़पने क सािजश
रचने लगा था िजस करणबस भHकूदादा बेचन
ै से रहने लगे थे । शायद इसी सािजश ने
भHकुदादा क जान ले ल& थी ।शंका-कुशंका के बादल नगे:Z के बाल-मन पर उमड़ रहे
थे भHकुदादा के मौत क खबर सुनकर ।
भHकुदादा को छोटे भाई फतू के बेटे नगे ्र:द से बहुत मोह था । वह उसक पढाई
लखाई म/ आ रह& तंगी से वा<कब था पर कोई मदद नह&ं कर पाता था भHखू क
घरवाल& के डर के मारे । छोटा भाई फतू गर&बी हालत म/ पैतक
ृ गांव म/ भूमह&न
खे0तहर मजदरू था । भHखू शहर म/ अ>छN नौकर& कर रहा था । उनके खद
ु के पOरवार
म/ घरवाल& उसक बूढ& मां एक बेट& और कहने को भHकुदादा पOरवार भी पर भHकुदादा
बदलते समय म/ एक नौकर से भी बदतर जीवन जी रहे थे । भHकुदादा का पैतक
ृ गांव
बराबर आना जाना था । फतू और उसका पOरवार भी जाकर मल आता था । नगे:Z
को भHकुदादा से बहुत नेह था । वह मह&ने म/ दो तीन दन के लये जाता तो
भHकुदादा क भरपरू मदद करता । दस-प:Zह दन तक के खाने के लये पआ
ु ल का
चारा हाथ वाल& मशीन से काटकर आता । भHकुदादा क मालश भी कर दे ता ।
भHकुदादा अपने सगे बेटे से अधक `यार भतीजा नगे:Z से करते थे नगे:Z भी उ:हे
बाप जैसा ह& मान -सFमान दे ता था पर:तु दभ
ु ाTयवस उनके बेटे बेटयां उ:हे बाप तक
नह&ं मानते थे ।
भHकुदादा का सपना था <क नगे:Z पढलखकर कोई बड़ा सरकार& अफसर बने । वे
नगे:Z के भLवKय से काफ चि:तत थे Hय)<क नगे:Z का भLवKय ह& तो खे0तहर मजदरू
फतू का उtारक था ।◌ी◌ाHकुदादा सड़क पर नहर पर या दस
ू र) के खेत) म/ मेहनत
मजदरू & कर दस पांच ?पया मHखू क घरवाल& से 0छपा लेते थे जब नगे:Z जाता तो
उसको दे ते कहते बेटा तू मन लगाकर पढाई कर तू अपने बाप को गर&बी के नरक से
उबार सकता है । तेरा ताउ मHखू तो भाइयn का गला काटने पर उता? हो रहा है ।
भाइयn के नाम क जमीन िजसके लये फतू ने अपने गाय-^◌ौ◌ंस और अपनी पनी के
पुराने जेवर तक ब/च दये । वह& जमीन अब हाथ से Iखसकती नजर आ रह& है ।
उसी भHकुदादा के सफेद कपड़े म/ लपेटकर चार-फाड़ के लये सरकार& अपताल ^◌ोज
दया गया था थाना-पुलस क कानूनी कार वाई पूर& कर । भHकुदादा के मौत क खबर
सुनकर चीट&चौर& गांव के लोग फेजलपुर गांव क ओर दौड़ पड़े । नगे:Z भी अपने बाप
फतू के साथ चल पड़ा । वहां गांव वाले पहुंचे उससे पहले लाश पोटमाट म के लये जा
चक
ु  थी । फेजलपुर से भHकुदादा के सगे सFबि:धय) सहत सभी गांव बडी मुिQकल से
दोपहर ढलते वाले चीर घर पहुंचे । वहां भHखू के अलावा भHकुदादा के चार-छः दोत
हािजर थे बस बाक कोई नातहत न था नह&ं भHखू के समधी और दमाद जो भHHुदादा
क मौत के <कसी न <कसी ?प से िजFमेदार था ।
चीर घर के अहाते म/ कई लाश) के साथ भHकुदादा क लाश इ:तजार कर रह& थी ।लाश)
के साथ आये लोग) क नजर चीर घर के दरवाजे पर लगी हुई थी कम दरवाजा खल ु े
और उनके मत ृ क के नाम क पुकार पड़े । फतू और नगे:Z भHHूदादा क लाश पर
टकटक लगाये हुए थे <क वे कब उठकर बैठ जाये । दोन) क आंख) से आंसूओ क
झमाझम जार& थी । इसी बीच पोटमाट म ?म का दरवाजा खल
ु ा भHखू दौड़कर सफेद
कमीज पहने _यिHत के सामने हािजर हुआ । कुछ उसके कान के पास बुदबुदाया और
कुछ सौ-सौ के नोट उसके हाथ पर रख दये । वह _यिHत मुWठN ब:द कर लया ।
भHखू सफेद कमीजधार& के सामने हाथ जोड़कर बोला साहब भाई साहब गजेड़ी थे । दा?
भी छक लेते थे ।
सफेदकमीजधार&-पोटमाट म क Oरपbट म/ सब साफ हो जायेगा ।
भHख-ू साहब जद& करवा द&िजये । शाम होने का आ गयी है । <jयाकम भी तो करना
होगा । उसम/ भी वHत लगेगा ।
सफेदकमीजधार&-पहले के भी केस है । उनका भी तो करना है <क नह&ं ।
भHख-ू दे ख ल&िजये साहब ।
सफेदकमीजधार&-दे खते है कहते हुए अ:दर गया और <फर बाहर आ गया । भHखू से
कुछ इशारे म/ कहा । <फर अ:दर चला गया ।
पोटमाट म ?म से दस
ू रा आदमी 0नकला और भHखू कौन है <क आवाज लगाया ।
भHखू दौड़कर गया । तब वह आदमी बोला पोटमाट म म/ डाHटर साहब के असटे ट
या यो कहे तो जलाद साहब से मल लो ।
भHख-ू कहां मलेगे ।
दस
ू रा आदमी-ठहरो आ रहे है । इतने म/ एक भार& भरकम आदमी आकर खड़ा हो गया
। दस
ू रा आदमी _यिHत बोला यह& असटे ट साहब है । यह& पोट माट म करते है ।
साहब तो दतMत कर देते है बस । इनको िजतनी अ>छN ^◌ोट चढाओगे उतनी जद&
पोटमाट म ।
असटे ट या0न जलाद- भHखू जद& करो । टे म नह&ं है । दे खो <कतनी लाQ◌ो पड़ी
है पोटमाट म के लये ।
भHख-ू Hया क?ं ? आप ह& बताये ।
जलाद-एक अcेजी के बोतल का दाम और एक खजूर छाप लगेगी ।
भHखू ने जलाद क भी मुटठN गरम कर द& ।जलाद अ:द गया ठरD क बोतल का
ढHकन तोड़ा और गटागट पेट म/ उतार कर बोला भHखू भHHू क लाश लाओ । तुमको
बहुत दे र हो रह& है । सुबह से लाश लेकर बैठे हो पोटमाट म के लये । लाओ जद& से
0नपटा दे ता हूं ।
भHखू और चीर घर का एक कमचार& लाश को ले जाकर पोटमाट म क बडी सी मेज
पर पटक दये । भHखू कुछ बुदबुदाया पर आवाज नह&ं 0नकल&। यह सब कार वाई नगे:Z
अपनी आंखो से दे ख रहा था और कानो से सुन रहा था पर ना तो भHMूा क नजर
उसक तरफ जा रह& थी और ना ह& सफेदकमीजधार& और ना ह& दस
ू रे चीर घर के
कमचाOरय) क सब अपना-अपना मतलब साधने म/ लगे हुए था भHकूदादा क लाश पर
सवार होकर ।
जलाद पूर& बोतल क दा? पेट म/ उतार कर छुर& को पथर पर रगड़कर धार दया और
<फर टूट पड़ा बकर कसाई क भं◌ा0त भHकूदादा क लाश का पोटमाट म करने ।वह ढूढ&
के नीचे बड़ी सी छुर& घुसाया और फाड़ते हुए गद न तक ले गया । यह सारा vQय कांच
रहत Iखड़क से नगे:Z दे ख रहा था । जब जलाद पेट फाड़कर अंग 0नकालने लगा तो
वह vQय नगे:Z से नह&ं दे खा गया वह दोनो हाथ) से आंखे मं◌ूदकर वह& बैठ गया ।
लगभग आE◌ो घटे के बाद पोटमाट म ?म का दरवाजा खल
ु ा, पोटमाट म ?म का
सहायक <फर आवाज लगाया भHकू के OरQतेदार आ जाये । दरवाजे के पास खड़ा भHखू
बोला साहब यह& है ।
सहायक बरात मे आये हो Hया ? पोटमाट म हो गया लाश ले जाओ । दाह संकार करो
। फतू लाश को दे खकर रो पड़ा भइया के लाश क हाल Hया हो गयी । यह तो गठर& है
। भHखू पोटमाट म के बाद लाश क दशा ऐसी हो जाती है । चलो रोना ब:द करो ।
दाह संकार भी करना है । भHकूदादा का मंह
ु पOरवारजन भी नह&ं दे ख पाये । भHखू ने
वह& टoस नद& म/ दाह संकार करने क िजद पर अड़ गया । आIखरकार वह& हुआ जो
भHखू चाहता था । भयंकर बाढ का पानी चारो ओर भरा हुआ था । पानी के अलावा
कुछ भी नह&ं दखाई दे रहा था । मख
ु ािTन दे ने के लये सख
ू ी घास तक का ब:दोबत
नह&ं हो रहा था । सरपत के हरे पते को माचस क तील& दखाकर फतू मख
ु ािTन दया ।
मुखािTन दे ते ह& उसक आंख) के गंगाजल का सw टूट पड़ा और भHकूदादा के मरे शर&र
पर बरस पड़े । मुखािTन क <j् रया सFप:न हुई तो लाश के दाह संकार के लये काफ
दरू से चीट&चौरा गांव के लोग एक पथर उठाकर लाये और लाश के साथ उस पथर को
बांध कर टौस नद& के तेज जलधारा म/ वाहत कर दये । दाह संकार क सार&
<jयाय/ नगे:Z क आंख) के सामने सFप:न हुई थी। दाह संकार के बाद भHखू अपनी
ससुराल फेजलपुर गांव के लोग) के साथ चल पड़ा । कुछ दे र तक पानी के तेज वाह को
ताकते रहने के बाद फतू अपने पैतकृ गांव के लोग) के साथ चल पड़ा ।

फतू ने बडे भाई भHकूदादा क तेरहवीं आद कायjम छाती पर पथर रखकर पूरा <कया ।
भाई के उपर लगे आमहया के अपराधबोध से वह जीते जी मरा हुआ महसूस कर रहा
था । कुछ मह&न) के बाद सार& जमीन जायदाद भHखू ने अपने बेट& दमाद के नाम
करवा लया । फतू और भHकूदादा को नवद घोLषत करवाकर । इसके बाद भHकूदादा
क मौत का रहय धीरे धीरे खल
ु ने लगा । असल म/ भHकूदादा ने आमहया नह&ं क
थी । उ:हे ◌े ढाठN दे कर मारा गया था और पोटमाट म ने हया को आमहया बना दया
था । । भHखू पोटमाट म क Oरपेाट को लहराते हुए कहता भHकू ने आमहया क है
पर चीट&चौरा गांव के लोग) को कभी LवQवास नह&ं हुआ। इस गैर कानूनी काम म/ और
िजFमेदार जनसेवा क कसम खाने वालेां के साथ cाम धान ने भी दोनो हाथ) से ?पये
बटोरे थे । भHकूदादा को ढाठN दे कर मारने क अलIखत खबर ने चीट&चौरा गांव के
लोगो को दहला दया । सभी क जबान पर बस एक ह& बात-भला भाई ने भाई क जान
ले ल& जमीन हड़पने के लये । फतू ने कानूनी कार वाई भी <कया पर कहते है ना ?पये
क मां पहाड़ चढती है । गर&ब फतू चjवय
् ह
ू नह&ं तोड़ पाया । भHखू के ग
ु डे फतू को
मारने के फेर म/ <फरने लगे । रोज-रोज धम<कयां आने लगी <क फतू तेरा भी हp
भHकूदादा जैसा होगा । पोटमाट म क Oरपbट,कानन
ू ी अड़चन/ आथक तंगी और भाई क
दगाबाजी ने फतू को चारो खाने चत कर दया और सपन) क बारात को भी ।
5-उधार
शाम के छः बजने वाले थे । दफतर के सभी लोग अपने-अपने घर) को जाने क जद&
म/ थे । आकाश म/ अंवारा बादल छा रहे थे ।ऐसा लग रहा था <क जद& आंधी भी
जायेगी मटर राम साहब को भी घर जाने क जद& थी इसी बीच बेगाना एक _यिHत
आया । वह राम साहब क ओर हाथ बढाते हुए बोला हे ला राम साहब कैसे है म; बेगाना
आबजवर म/ काम करता हूं।
मटर राम- म;ने आपको पहचाना नह&ं Mनाम आपका Hया ह; । कैसे आना हुआ। ।
म. ठगावतार हूं ।
म.राम-मौसम भयावह ?प अिMतयार कर रहा है । ऐसे खराब मौसम आप <कसी खास
वजह से आये है Hया ?
म.ठगावतार-जी । जीवन मरण का सवाल है ।
म.राम-Hया ?
म.ठगावतार-हां । खन
ू क सMत ज?रत है । पैथालांजी आया था ?पये कम पड़ गये ।
पैथालोजी वाले ने मना कर दया ।बगल म/ तो है पैथालोजी,आपका Mयाल आया और म;
सीE◌ो आपके पास आ गया । मेर& मदद कर द&िजये ।
मटर राम-मदद के लये मेरे पास आये है तो बोलये Hया मदद कर सकता हूं ।
म.ठगावतार-कुछ ?पये क ।
मटर राम- <कतने ?पये क दरकार है ।
म.ठगावतार-[यादा तकल&फ नह&ं दं ग
ू ा बस पचहतर म/ काम चल जायेगा ।
म.राम-ल&िजये सौ ?पये और चलये म; छोड़ दे ता हूं ।
म.ठगावतार-बस साहब इतना एहसान मत कOरये <क म; बोझ नह&ं उठा सकंू ।
म.राम-एहसान क कोई बात नह&ं आदमी आदमी के काम नह&ं आयेगा तो कौन आयेगा

म.ठगावतार-रहने द&िजये साहब मौसम भी अब ठNक हो गया म; गल& म/ से शाट कट
राते से पहुंच जाउं गा । पैथालोजी म/ साथ आया दसरा _यिHत बैठा है । म; चला जाउं गा
। वह जद& जद& पैर बढाना शु? कर दया ।
म.ठगावतार के जाते ह& उधम ने पूछा कौन था ?पये Hयो दये ?
म.राम-ठगावता था । बेगाना आबजवर से ।
म.उधम-पहचानते हो ?
म.राम- नह&ं ।
म.उधम- ?पये Hयो दये ?
म.राम-इंसा0नयत के नाते।मेरे त0नक से ?पये <कसी का भला हो जाये तो Hया हज है

म.उधम-झूठ बोलकर ?पये ले गया है और लोग) को भी चन
ू ा लगाया होगा ।
म.राम-उसने झठ
ू बोला है तो वह जाने पर हमने तो स>चाई समझकर उसक मदद क
है ।
म.उधम-ठग लोग नकल& आंस◌
ू ू बहाकर ?पये ऐठने को पेशा बना लये है । तF
ु हारा
ठगावतार म/ भी मझ
ु े तो ऐसे लग रहा था । ना जाने उसके उपर मझ
ु े LवQवास Hयो नह&ं
हो रहा है <क वह सचमच
ु खन
ू लेने आया था या ठगने ।
म.राम-बेगाना आबजवर म/ काम करता है । झठ
ू तो नह&ं बोल सकता । उधार ले गया
है ना । वह भी मांग कर । बेचारा मस
ु ीबत म/ है । मदद हो जायेगी पचहतर ?`ये से
तो Hया बुराई है । नेक का काम तो हमने <कया है ।
म.उधम-बेगाना आबजवर के दफतर म/ कभी उससे मले हो ।
म.राम-नह&ं तो ।
म.उधम- <फर इतने यकन के साथ कैसे कह रहे हो <क वह ठग नह&ं था ।
म.राम-उसके याचना को दे खकर तो कोई भी आदमी कह सकता था।
म.उधम-जो दखता है वह होता नह&ं होता है वह दखता नह&ं । तुFहारे पचहतर ?पये
तो गये । दे ने से पहले बेगाना आबजवर के दफतर म/ फोन लगा लेता । दध
ू का दध

पानी का पानी हो जाता ।
म.राम-तुम भी तो यह कर सकते थे । खैर छोड़ो पचहतर ?पये न वह राजा हो जायेगा
और न म; रं क ।
म.उधम-बात राजा रं क क नह&ं है । इस तरह से ठगी का कारोबार बढे गा । कल वह
<कसी दस
ू रे के पास जाकर तुFहारा नाम लेकर ?पये उगाह सकता है । वह झूठा तो था
। म; ?पये नह&ं दे ने दे ता मुझे पता हो◌ेता <क तुम उसको नह&ं जानते हो । हो सकता है
वह अब <कसी दस ू रे दफतर म/ पहुंच गया हो खन
ू लेने का बहाना लेकर ठग ।
म.राम-च:ता ना करो राते म/ बेगाना आबजवर का दफतर है <कसी दन जाकर पता
लगा ले◌ेगे <क स>चाई Hया है ?
म.उधम-तुFहारे Iखसे से चले गये पचहतर ?पये ।
म.राम-हां । ले तो गया ।
म.उधम-राम साहब ठग) से सावधान रहा करो ।
म.राम-<कसी का दद नह&ं दे खा जाता । जहां तक हो सकता है मदद कर दे ता हूं ।
म.उधम-ठग तो नाजायज फायदा उठा लेते है । दान -धम से बचो । अपने घर-पOरवार
का Eयान रखा करो ।
म.राम-नसीहता याद रखंग
ू ा । चलो घर चले काफ दे र हो गयी । म.राम और उधम
अपने -अपने घर चल पड़े । दफतर म/ ताला लटकाते हुए रह&स चपरासी बोला Hया साहब
घटे भर का टे म खोटा कर दये । ना जाने <कस बतकुचन म/ लगे रहे ।सब लोग चले
गये आप लोग बैठे रहे । आप लोगो क वजह से म; लेट हो गया ।
म.राम-दफतर ब:द करने का समय तो अब हुआ है ।
रह&स-अब बतकुचन ब:द करो । राता नापो मझ
ु े भी जाने दो ।
म.राम-ठNक है । तम
ु को ज?र& है पहले तम
ु नापो ।
म.उधम-बाप रे चपरासी है या कोई तोप ।
म.राम-तोप ह& है । जब सर पर बड़ा हाथ होता है तो गीदड़ भी Q◌ोर बन जाता है ।
वह& हाल इस चपरासी क भी है ।चलो हम भी राता नापलेते है ।
म.उधम-चलो म.राम हां एक बात याद रखना ।
म.राम-कौन सी बाता ?
म.उधम-आंख मं◌ूद कर हर <कसी पर यकन मत <कया करो ।
म.राम-तुFहार& सलाह पर अमल ् करने क कोशश क?ंगा ।
मह&ने भर बाद म.उधम पूछे - Hय) राम साहब आपका म वापस लौटा Hया ?
म.राम-<कस म क बात कर रहे है ।
म.उधम-अरे वह& जो सौ ?पये लेकर गया था खन
ू लेने के नाम पर ।
म.राम-दे जायेगा । बेचारे का बेटा हािपटलाइ[ड था । लेने दे हो गया होगा । सौ ?पये
क तो बात है जब उसक मजx होगी दे जायेगा । उसके ब>चे क तYबयत ठNक हो गयी
हो । मेर& तो यह& दआ
ु है ।
म.उधम-ठNक है एक दन बेगाना आबजवर के दफतर जाकर पता तो लगाओ । Lपछले
साले भी तो तुFहारा खिडत दोत भी तो तुमसे हजार ?पया ठग लया था मकान क
<कत चक
ु ाने के लये वह भी आज तक नह&ं दया ना । वह भी तो उधार ह& ले गया
था । बेगाना के दफतर जाकर पता तो लगाओ स>चाई Hया है ?
म.राम-ठNक है आज शाम घर जाते समय चला जाउूं गा कह रहे हो तो । वैसे तगादा
करने का मेरा कोई इरादा नह&ं है ।
म.उधम- ठNक है कणमहाराज तगादा मत करना । ब>चे का हालचाल पूछ लेना ।
म.राम-चला जाउूं गा ।
म.राम दफतर से घर जाते समय म.ठगावातार से मलने अखबार के दफतर पहुंचा ।
चहां Oरसपेशन पर नाम पछ
ू ा तो पता चला <क इस नाम का कोई आदमी काम नह&ं
करता इस अखबार के दफतर म/ ।यह सन
ु कर म.राम को असलयत का पता तो चल
गया पर वह ठगावतार के हुलये के आधार उसक तहककात करने लगा ।
Oरसपेशन पर बैठN F◌ौडम Iखसया कर बोल&-सर यहां पर इस नाम का और इस हुलये
का कोई आदमी काम नह&ं करता ।
म.राम-बहनजी उसका बेटा बहुत बीमार था । हािपटलाइ[ड था । खन
ू लेने गया था ।
पैसे कम पड़ गये थे । मेरे दफतर म/ मह&ने भर पहले आया था ।
मैडम-आपसे ?पया लेकर गया ।
म.राम-हां ।
मैडम-सर इस दफतर म/ काम करने वाले <कसी भी कमचार& का Lपछले कई मह&न) से
कोई भी ब>चा हािपटला[ड नह&ं हुआ है । आप खनू के ज?रत क बात कर रहे है । म;
तो कह रह& हूं ओ.आर.एस. क ज?रत नह&ं पड़ी है ।
म.राम-सांर& बहन जी ।
म;डम-नाट मे:शन `ल&ज। ले<कन वह आदमी मेरे अखबार का नाम लेकर आपसे ?पये
Hयो ऐठे । कह& आपको पहचानता तो नह&ं था और आप उसको नह&ं पहचानते हो ।
म.राम-ऐसा ह& समIझये ।
मैडम-मतलब म; भी अब आपको पहचान चक
ु  हूं ।
म.राम-वो कैसे ?
मैडम-रचना के साथ फोटो भी तो Lपछले अंक म/ छपी थी ।
म.राम-सFभवतः कहते हुए दफतर से बाहर 0नकल गया ।कई मह&न) के बाद ठगावतार
मालवा मल के भीड़भरे बाजार म/ दखाई पड़ गया । म.राम कूटर द&वाल के सहारे
टकाकर म.ठगावतार क ओर लपका । म.ठगावतार म.राम को नह&ं दे ख पाया था ।
वह <कसी से बाते कर रहा था । म.राम एकाएक एसके सामने खड़ा हो गया । म.राम
को दे खकर वह ^◌ौ◌ाचHका रह गया ।
म.राम पूछा-Hय) भाई ठगावतार जी कैसे हो ?
म.ठगावतार ठNक हूं ।
म.राम-ब>चे क तYबयत कैसी है ।
म.ठगावतार-कौन ब>चा ?
म.राम-िजसके लये खन
ू लेने गये थे ।
म.ठगावतार-अ>छा वो तो मर गया, कहते हुए वह चकमा दे कर भीड़ म/ खो गया वैसे ह&
जैसे पुलस <कसी चोर के पीछे पड़ी हो और चोर पकड म/ ना आये । म.राम के सामने
ठगावतार क असलयत जाहर हो चक
ु  थी । वह माथा ठोक तो लया पर परहत क
राह पर सदा कदम फं◌ूक-फं◌ूक कर रखता रहा सपन) क बारात क का जनाजा न
0नकल जाये ।
6-येस सर
काम-ू Hया बात है बडे बाबू माथे पर हाथ । अभी तो दन क श?
ु आत है । साहब ने
फटकार पड़ गयी Hया ?

बडेबाबू-कोई काम है तो बोलो । Hय) भूमका बना रहे हो । दस
ू र) क बाते Hय) कान
लगाकर सन
ु ते हो । अ>छN आदत नह&ं है ।
काम-ू बड़े बाबू द&वार) को भी कान होते है । आपने तो सन
ु ा ह& होगा । दल के जMम को
सहलाते हुए भी आप वफादर& पर खरे उतर रहे हो । बांस है <क आपको दोयम दजD के
आदमी के अलावा और कुछ समझते ह& नह&। बड़े बाबू इतने पढे लखे होकर भी दोयम
दजD के आदमी माने जाते हो । आपके दल पर Hया गज
ु रती होगी समझदार आदमी
ु व कर सकता है । आपके दल पर <कतने गहरे -गहरे घाव है सब जानते है । हम
अनभ
से भी कुछ 0छपा नह&ं है ।

बडेबाबू-बांस तो बांस है । घर के मुIखया क तरह बांस होते है । हम/ उनका सFमान
करना चाहये ।
कामू-साहब इमानदार& बरते सभी के साथ समानता का _यवहार रखे तब ना ।
बड़े बाबू-कामू हम/ तो अपना फज पूरा करना है कुसx को सलाम करना है ।
कामू-साहब है <क आपको दोयम दजD का आदमी समझते है आप हो <क पं◌ूछ हलाते
रहते हो ।

बडेबाबू-कामू पूंछ हलाने ऐसी कोई बात नह&ं है । बात है नै0तक दा0यव समझकर
_यवहार करने क । हम नौकर& करने आये है । <कसी से _यिHतगत ् लड़ाई तो नह&ं ना ।

कामू- बडेबाबू आदमी के सEदा:त भी कुछ होते है नै0तक दा0यव के साथ ।

बडेबाबू-तुFहार& बात समझता हूं पर दस
ू रा अवहे लना कर रहा है तो कम से कम हम तो
मानवीय सtा:त और नै0तक दा0यव पर खरे उतरे ।

कामू- बडेबाबू यहं ◌ा हर आदमी के लये अलग-अलग डडे है । आदमी को दे खकर
_यवहार होता है । इस संथा म/ साम:तवाद क जड़े अभी बहुत गहराई तक है । बड़े
बाबू भले बन गये हो अपनी श ा क वजह से पर ?तबा तो नह&ं बढा है ,हो तो दोयम
दजD के आदमी । आपको तो बड़ा साहब होना चाहये था पर मामूल& सी कलक क
नौकर& कर रहे हो डांट-डपट सुनकर । यहां तो िजसक लाठN उसक ^◌ौ◌ंस वाल&
कहावत चOरताथ है उपर से नीचे तक । आप जैसे लोग <कतने पढे लखे Hयो न हो पर
उपर नह&ं पहुंच पायेगे वह& दसू र& ओर साम:तवाद के पोषक दन दन ू ी रात चौगुनी
तरHक कर रहे है । :यन ू तम ् Q◌ौ Iणक येाTयता वाले उूचे-उूच/ ओहदे पर बैठे हुए है ।
आप जैसे दोयम दजD के अधक पढे -लखे Lवषय LवQ◌ोषr लोग भी बाबग ू ीर& कर रहे है
या धHके खा रहे है । खैर कर भी Hया कर सकते है ? सन ु ने वाला भी कोई नह&ं है ।

यहां तो पांत-पांत पर काग बैठे हुए है , सFभावना बनी नह&ं मoका ले उडे। आप जैसे लोग
खदु के सपन) का जनाजा खद ु के कंध) पर ढो रहे है आंख) म/ आंसू लये ।

बडेबाब-ू _यवथा म/ दोष है । समय के साथ बदलाव आयेगा ।
कामू-लोकत: क बयार म/ साम:तवाद का बवडर खतरा है सदय) से शोLषत) के लये
। यह& कारण है <क आप जैसे लोग तरHक से दरू पड़े हुए राह ताक रहे है । हमारे बांस
भी साम:तवाद के ह& प धर है । छोटे लोग) पर गरु ाते और गOरयाते है ,बड़ो क पीठ
थपथपाते है । यहां तो भारतीय _यवथा वाल& योTयता म/ pेKठ है तो सार& तरHक के
राते खल ु े हुए है यद ऐसा नह&ं है तो नाक रं गड़ते रहे जाओ तरHक कोसो दरू भागती
रहे गी । बांस भी आगे-आगे चलते है आप जैस) के दमन के लये ।

बडेबाब-ू बांस ह& दोषी नह&ं है ।
काम-ू बांस आपक एक भी अजx आगे बढाये Hया ? नह&ं ना पर अपना मकसद परू ा करने
के लये साम,दाम,दड और ^◌ोद सभी अ-श को उपयोग कर रहे है । Hया नीचे
वाले क पीड़ा उ:हे सुनाई,दखाई नह&ं दे ती ? Hया अंE◌ो बहरे हो गये है ? ऐसा भी नह&ं
सब सुन-दे ख रहे है । वे चाहते ह& नह&ं <क आप तरHक करो ।
बडे बाबू-मन म/ ^◌ोद का भूत बैठा हुआ है 0नकलने म/ वHत लगेगा । खैर हम/ तो अपना
मन साफ रखना चाहये । संथा के हत म/ काम करना चाहये ।
कामू-वह& कर रहे हो पर Hया भूल पाओगे एस.पी.आर.साहब का <कया गया खल
ु ेआम
शोषण, दे र रात तक पर आमसभा के चन
ु ाव का पूरा काम छाती पर बैठकर करवाये और
कामचोर& का इजाम भी लगाये । आपका <कतना शोषण <कया । आप भूले तो हो नह&ं
होगे । हां भूलने का yामा ज?र करते हो । हर काम के लये आपक) बंधआ
ु मजदरू क
तरह तलब कर लया जाता है और फायदा चममचे लूट लेते है । Hया आप भूल गये
मुMयालय के जार& पOरप के बाद भी ोसाहन राश साल) तक नह&ं द& गयी । बड़े बाबू
हर जMम हं स कर कैसे झेल लेते हो त0नक LवZोह तक नह&ं करते । आज तक म; तो
नह&ं समझ पाया ।

बडेबाबू-इमानदार& के साथ काम करने पर भी दड मलता है दख
ु तो हे ाता ह& है कामू
पर <कस -<कस क शकायत कर/ । यहां तो परू े कुएं म/ भांग घुल& हुई है । तुम जानते
ह& हो म; दोयम दजD का आदमी हो गया हूं । मेर& कौन सुनेगा । हां बस एक तर&का है
नौकर& से तौबा कर लू,यहां तथाकथत उचे लोग भी यह& चाहते है पर पOरवार का पालन
कैसे क?ंगा । तुमको पता ह& है यहां छोटे आदमी क कौन सुनता है ।

कामू-कठन तपया कर रहे हो बडे बाबू घर-पOरवार के लये । यह तपया बेकार नह&ं
जायेगी । नौकर& छोड़ने क बात मन म/ नह&ं लाना । मझ
ु े मालम
ू है एस.पी.आर.साहब के
आतंक से डर कर आप जेब म/ याग प लेकर आते थे ।
बड़ेबाब-ू कामू वो मेर& नौकर& के जीवन का दख
ु द दन था ।
कामू-हां बुरे वHत म/ धीरज बनाये रखे । बहुत बड़ी बात है । आज वह& लोग शरमाते है
अपने <कये पर । बड़े बाबू लोगो के नजOरये म/ पOरवतन नह&ं हुआ आज तक । यद
हुआ होता तो आप बड़े बाबू नह&ं बड़े अधकार& होते ।
बड़ेबाब-ू जो म; कर सकता था <कया पर मेर& तरHक उपर वालो का पस:द नह&ं तो क् या
कर सकता हूं ।मेरे लये तो अब इस कFपनी म/ तरHक के सारे राते ब:द हो चक ु े है ।
काम-ू हां बड़े बाबू यह आपके भLवKय क ह& हया नह&ं उं ची योTयता क हया है । कहने
का जमाना बदल गया है पर यहां अभी वह& साम:तवाद& परFपरा जार& है ।
बड़ेबाब-ू म; अपना धम इमानदार& से 0नभा रहा हूं और यह मेरा फज भी है । सामािजक
योTयता के दम पर भले ह& लोग मुझे अव:न0त के दलदल म/ ढकेलते रहे हो इस
कFपनी म/ पर म; अपने धम और फज से मुंह नह&ं मोड़ूगा । भले ह& बांस या कोई और
हमारे लये कुआ खोदता रहे । कामू सय कभी परािजत नह&ं होता । म; भी इन पथर
दलो पर सiभावना क इबारत लखने म/ कामयाब होउं गा ।
कामू-बड़े बाबू सामािजक कु_यवथा के मौन और घातक दशन तो हो रहा है । यह तो
सय है । इसी आग क बल आपका कैOरयर चढ गया है इस कFपनी म/ । कहने को
तो जमाना बदल रहा है । द0ु नया छोट& हो गयी है । इस दरू संचार और भूमडल&यकरण
के युग म/ पर भारतीय सामािजक _यवथा क दरारे आज भी संवर& हुई है िजसक वजह
से वंचत समाज आज भी Lपछड़ा हुआ है Hय)<क भारतीय _यवथा और साम:तवाद
दोनेां एक दस
ू रे के पूरक है और ये दोनो ह& शोLषत समाज के लये घातक है िजसक
लपट म/ शोLषत समाज का वतमान और भLवKय दोनो सुलग रहा है ।
बड़े बाबू- भारतीय समाज म/ बदलाव ज?र आयेगा। मन म/ सांप क तरह लोट रह&
नफरत क जगह समानता और सiभावना का बीजारोपण ज?र होगा ।
कामू- भारतीय समाज यद महामा गांधी, डां.अFबेडकर और लोहयाजी के दशन को
आमसात ् कर ले तो दे श म/ समानता और सFप::ता क कभी न ?कने वाल& बयार चल
पडेगी । दभ
ु ाTयबस यहां तो आम आदमी को बेवकूफ बनाकर बस अपना मतलब पूरा
<कया जा रहा है । इसी मानसकता के कुछ बांस भी हो गये है । बात तो कुछ और करते
है पर अपना मतलब अपहले साधते है उ:हे भी न तो संथा और नह&ं समाज के हत

से कोई मतलब होता है ।नीचे वाला क आंख) म/ आसू उ:हे सकून दे ता है । बडे बाबू यह
तो जान गये होगे ।
बड़ेबाब-ू उची कुसx पर बैठकर छोटो को आंसू दे ना सरासर अ:याय है ।
काम-ू :याय है या अ:याय मतलब क दौड़ म/ कोई नह&ं दे ख रहा है । आगे कैसे 0नकले
जोड़तोड़ म/ लगा हुआ है । चाहे <कसी का भLवKय चौपट हो कोई फक नह&ं पड़ता लोग
अभमान म/ सब कुछ कर रहे है । कुछ लोग तो अपने भले के लये दस
ू र& क छाती पर
लात रखकर उपर पहुंच जा रहे है । कुछ तो लाश) पर चढकर अपना मतलब पूरा कर ले
रहे है । इंसा0नयत के नाते इंसान का ऐसा उदे Qय तो नह&ं होना चाहये पर लोग है <क
मानते नह&ं । अपने को उपर उठाये रखने के लये छलबल और ^◌ोदभाव को औजार
बना रहे है । हमार& कFपनी म/ साम:तवाद उसी का Lवषबीज क लहलहाती फसल है
िजसक आग म/ आप जैसे आदमी का भLवKय तबाह हो रहा है ।
बड़ेबाब-ू हमे तो अपने फज के साथ :याय करना है । जब तक नौकर& चल रह& है प?ी
इमानदार& बरतं◌
ू ंगा । आगे बढने के राते तो वैसे ह& ब:द हो गये है एक दन नौकर&
भी चल& जायेगी । म; परू े होश म/ पथर पर दब
ू उगाने क कोशश करता रहूंगा । हार
कर भी जीतने के लये यास करता रहूंगा। अब यह& मेरे जीवन का उदे Qय हो गया है
कामू ।
कामू-बडे बाबू गर&बो का हक हड़पने वाले,आंसूओ पर हं सने वाल) क चमड़ी ग/ डे क तरह
होती है । ऐसे लोग नह&ं पसीजते । यद पसीजते है तो वह मा दखावा होता है अपना
मतलब साधने के लये । बाबू ये लोग चाहते है इनके आगे पीछे येस सर,येस सर करते
रहो और अभमा0नय) क फटकार सुनते रहे ा ।
बडेबाबू-कामू कुसx का सFमान करना है ।
कामू-कुसx पर चाहे अपा ह& Hयो न बैठा हो ।
बड़ेबाबू-पा है या अपा हम/ इस मुiदे पर राय गट करने का अधकार नह&ं है । कुसx
पर ब:धन ने Yबठाता है काYबलयत दे खकर ह& बैठाता होगा । हम/ तो बस काम करने
के लये है । कुसx पर बैठे आदमी के इशारे पर नाचने के लये है ।
कामू-सच नौकर& तो मजबूर& है । काले अंcेजो क 0नरं कुशता हटलरशाह& है जो नीचे
वाल) के दमन पर उता? रहते है । अपन) क पहचान कर उपर उठाने का जOरया भी ।
बड़ेबाबू- नौकर& म/ ना के लये कोई गं◌ुजाइस नह&ं होती है । आदमी म/ <कतनी
योTयताय/ Hयो न हो, पर वह िजस ओहदे पर काम करता है उससे कम उसक औकात
अधकार& क 0नगाह म/ होती है । कुछ तो गुलाम समझते है ।
कामू-ठNक कह रहे है जो कुछ आपके साथ हो रहा है इससे तो साYबत हो गया है <क
आपको दबा कर ह& रखा गया है । वतमान म/ जो साहब है वह& कौन अ>छा सलूक
आपके साथ कर रहे है । ऐसे बुलाते है जैसे उनके घरे लू नौकर हो । जानता हूं साहब का
_यवहार त0नक भी आपको अ>छा नह&ं लगता है पर मजबरू &बस येस सर कहना पड़ता है
। हुHम का पालन करना पड़ता है आध0ु नक यग ु के दफतर म/ बंधव ु ा मजदरू क तरह
।सच नौकर& मजबरू & का नाम है खास कर छोटे लोगो के मामले म/ ।
बड़ेबाब-ू बांस इज आलवेज राइट वाल& कहावत यहां अ रशः चOरताथ है ।
काम- बांस इज नांट आलवेज राइट इस बात के य माण है अपने बांस अपन) वालो
क भरपरू मदद करते है ,चाहे जब आये चाहे जब जाये या अपने हत म/ कोई भी काम
करे भले ह& इससे संथा को नक
ु सान हो पर दस
ू र) पर नजर टकाये रहते है । अरे यह
भी कोई अफसरगीर& है । स>चा अफसर तो घर के मIु खया के बराबर होता है जो हर
आदमी के दख
ु सख
ु का Mयाल रखता है । हां काम भी करवाना अफसर को आना
चाहये Hय)<क काम के बदले ह& तो तनMवाह मलती है । ?आब छाड़ना तो हटलरशाह& है
अपन) को उपर उठाना गैर) को नीचे ढकेलना ^◌ोदभाव है प पात है । ^◌ोद क आग म/
तो आपका कैOरयर चौपट हुआ है इस संथा म/ । योTय _यिHत के साथ ^◌ोदभाव हया
के समान है ।
बड़ेबाबू-ये सब कहने क बाते ह; । मानता कौन है । िजसक पहुंच है या भारतीय
_यवथा वाल& pेKठता है वह& सक:दर बन जाता है । हमारे जैसे लोग कराहते भी है तो
मुंह ब:द करने क सलाह द& जाती है ता<क द&वार को भनक न पड़ जाये । यहं ◌ा तो
योTयताओं को ताक पर रखकर पहुंच वाले _यिHत को आगे बढाया जा रहा है भले ह&
Q◌ौ Iणक योTयता क कमी Hय) न हो। यह& कारण है <क हम जैसाे ं को ससकते हुए
भी येस सर कहना पड़ रहा है । ऐसा न करे ◌े तो बेचारा नीचे वाला कहां टक पायेगा ।
मजबूर& है नौकर& करनी है । भारतीय _यवथा जा0तवाद के कुपोषण क शकार है
िजससे कमजोर वग के हत) को अनदे खा <कया जा रहा है । स म वग अठखेलयां कर
रहा है कमजोर के हत) पर कRजा जमाकर ।
कामू-Hया यहां योTयता हारती रहे गी सामािजक pेKठता के आगे ।
बड़ेबाबू-अभी तक तो ऐसा ह& हो रहा है तभी ना, ना योTयता pेKठ है और नह&ं
आदमयत जातीय दFभ के आगे ।
कामू-ठNक कह रहे बड़े बाबू तभी आजाद& का सपना मर रहा है । आम आदमी से आज
भी आजाद& कोसो दरू है ।
बड़ेबाबू-भले ह& सपने मर रहे है पर सFभावनाये नह&ं मर सकती ।

ं र हो बड़े बाबू पर इस कFपनी म/ Lवपित ढो रहे है येस सर येस सर
कामू-बहुत बडे थक
कहते हुए ।
बड़ेबाबू-यह& कैद तकद&र क दातान है । इस दातान को बदलने का भरपूर यास है
दे खो कहां तक सफल हो पाता हूं ।
काम-ू बड़े बाबू जब तक सामनतवाद क जड़े हलेगी नह&ं तब तक आमआदमी का उtार
तो नह&ं हो सकता । भले ह& तरHक क ढोल मस
ु र से पीटा जाये◌े पर आमआदमी
परु ानी भारतीय _यवथा म/ घट
ू न महसस
ू करता रहे गा । लायक नालायक और नालायक
लायक साYबत होते रहे गे छल,बल से।
बड़ेबाबू-कामू हम दे श समाज और आदमयत के 0त फज पूरा कर खद
ु अपनी पीठ
थपथपा तो सकते है ।
काम-ू यह तो कर ह& सकते है पर जो दबे कुचले लोगो क उभरती योTयताओ, 0तभाओं
का Yबखिडत समाज म/ दहन हो रहा है उसका Hया ? दे श मे वधमx जातीय समानता
क ज?रत है ,इसी से दे श और समाज वथ हो सकता है । बड़े बाबू जाते-जाते एक बात
बता दं ू जो बांस मन-^◌ोद रखते है,योTयताओं का दहन करते है वो बांस कभी राइट नह&ं
हो सकते,भले आगे पीछे येस सर क रट लगाये रहे । हक के लये लड़ना होगा बड़े बाबू
येस सर येस सर से हक नह&ं मल सकता यहां । कब तक अपने सपनो क बारात का
जनाजा 0नकलते हुए दे खते रहोगे ?
7-मुखािTन
मुखािTन दे ते ह& सये:Zबाबू को चHकर खाकर गर पड़े आने लगा । पनी का शव ध-ूं
धूं कर जल रहा था । वे पसीने म/ तर-बतर चता के पास बेसुध पड़े थे । उनके बूढे भाई
कये:Z गोमती नद& के पानी छNंटा मार मार कर होश म/ लाने क कोशश कर रहे थे
और Yबलखते हुए कह रहे थे भगवान तुमने ये Hया कर दया घर क लgमी को उठा
लया । अरे मरने क उ\ तो मेर& थी पर तुमने मुझे नह&ं उठाया । कये:Z के आख) से

बह रहा बाढ का पानी सये:Z के चेहरे पर तर-तर छू रहा था । बडे भाई का Lवलाप
सुनकर सये:Zबाबू उठ बैठे और कये:Z को छाती से लगाकर Lवलाप करने लगे । यह
vQय दे खकर गोमती के शमशान
् घाट पर खड़े जन समूह क पलके गील& हो गयी ।
बूढे कये:Z अपने आंसू पीते हुए सये:Z के आंसू पोछने लगे और उपिथत लोग भी
समझाने-बुझाने लगे पर सये:Z बाबू क अं◌ाख के बाढ का पानी थमने का नाम ह&
नह&ं ले रहा था । लोगो सये:Zबाबू को इस बाढ म/ बह जाने क शंका सताने लगी ।
सये:Z बाबू ने कैसर से पीaड़त पनी इ[जतदे वी के इलाज के लये पैसे का मुंह नह&ं
ताका था ।इ[जतदे वी पOरवार के भले के लये अपने जीवन का सुख याग दया था ।
सये:द शहर म/ नौकर& करते थे । इ[[तदे वी गांव म/ रहकर बूढ& सास,जेठ ,अपने ब>च)
और जेठ कये:Z के ब>च) क परवOरश करती रह& । इ[जतदे वी पOरवार क इ[जत के
लये परदे स क ओर ?ख नह&ं क और गयी भी तो जीवन के आIखर& दन) म/ ।
इलाज के कुछ ह& दन) के बाद डाHटर) ने घर ले जाकर सेवा-सुpष
ु ा करने तक क
हदायद दे द& । इ[जतदे वी अपने याग और पOरpम से खड़े घर-पOरवार क छांव म/ ◌ं
वापस आकर एक दन सब को छोड़कर चल& गयी ।पनी क मौत से सये:Z बाबू टूट
गये । पनी का <jया कम 0नपटा कर वे नैकर& पर चले गये । बेचारे खद
ु बनाते तो पेट
क आग बझ ु ा पाते । उनके सामने बहुत बड़ी मस
ु ीबत आ धमक । तीनो बेटे -बहू,पोते-
पा0तय) से भरा घर पOरवार होने के बाद भी उ:हे दो रोट& टाइम से कोइ{र ् दे ने वाला न था
। एक बेट& थी गंगा जो आंख पूर& तरह खोल भी नह&ं पायी थी <क सये:Z बाबू ने
Rयाह के बंधन म/ बांध दया था । परू & तरह यव
ु ा भी नह&ं हो पायी <क ससरु ाल Lवदा कर
दये थे । वह भी दो ब>च) क मां बन चक
ु  थी । बेट& तो होती ह& परायी है ।गंगा भी
मां क क;सर से मौत के सदमे को बदाQत नह&ं कर पा रह& थी और बाप का भी दख

नह&ं दे खा जा रहा था । साल छः माह म/ दो चार दन के लये शहर जाकर बाप क
सेवा-सp
ु ष
ु ा कर आती । उनके Yबतर,चiदर/ कपड़ा-लता धोकर ेस कर रख आती । खैर
ये कपड़े कब तक चलते महने भर के बाद भी जस के तस हो जाते । बेचारे सये:Z
बाबू म◌
ु ूसीबत को गला लगाकर आंसू बहाते । सये:Zबाबू मस
ु ीबत म/ टूटते रहे पर बेटो
ने कभी उनक खबर नह&ं ल& । हां ?पये क मांग बराबर बनी रहती ,कभी चWठN आती
या कोई गांव के शहर आता उससे पर कोई मलने क जहमत नह&ं उठाता शायद बाप
क सेवा-सुpष
ु ा के डर के मारे ।
सये:Z बाबू को जीवन भर एक ह& धन
ु सवार थी <क वे बेटो के लये अधक से अधक
दौलत जोड़ दे ।खैर काफ हद तक सफल भी हुए । बेट& के बारे म/ कभी नह&ं सोचे ।
बेट& का Rयाह एक गर&ब पOरवार म/ कर गंगा नहा लये थे । उनको बेट& क कोई <फj
न थी जब<क बेट& के सुसराल म/ चहुंओर से अभाव का हार था और दमाद भी बेरोजगार
का दं श झेल रहा था । इसके बाद भी बेट& क दशा क तरफ सये:Zबाबू ने कभी
उलटकर नह&ं दे खा । उनका एक ह& मकसद था <क वे अधक से अधक धन का ढे र
खड़ा कर दे बस बेटो के लये । बेटे थे <क घास नह&ं डालने को तैयार थे दस
ू र& ओर
गर&ब बेट& बाप क दद
ु  शा को दे खकर Rयाकुल थी । जहां तक उससे सेवा सुpष
ु ा हो जाती
कर आती अपने घर मंदर क । दे खने वाले कहते दे खो गंगा बेट& होकर बेट) का कान
काट रह& है । सये:Zबाबू के बेटे है <क उ:क 0नगाहे बस उनक कमाई पर लगी हुई है
। बेट& दमाद 0नःवाथ सेवा कर रहे है गर&ब होकर भी। कुछ तो सये:Zबाबू के मुंह पर
_यंग कसते <कतना अ:याय करोगे इकलौती बेट& पर अरे जमीन और दौलत म/ बेट& को
हसा नह&ं दोगे सब जान गये है पर उसके हक तो दे सकते थे । व.इ[जतदे वी के
गहन) पर बेट& गंगा का तो हक बनता था पर तुमने सब बहुओं को ऐसे बांट दया जैसे
कोई राजा । सये:Zबाबू बेट& के 0त अ:याय ठNक नह&ं । सये:Zबाबू ऐसे मौन साध
लेते जैसे कुछ सुने ह& न हो ।
सये:Zबाबू क बेट& दमाद को रती भर लालच न थी पर वे अपने फज पर हर मौके
पर खरे उतरते । बेट& दमाद और उसके पOरवार के लोग वाभमानी थे मेहनत मजदरू &
करने म/ भी संकोच नह&ं करते थे । दो टाइम क रोट& इ[जत से मल जा रह& थी ।
इसी बीच दमाद नमदानरायन को नौकर& भी मल गयी । गंगा के दन और अ>छे से
कटने लगे । सये:Zबाबू दन भर नौकर& करते रात म/ आते च
ू ह चौका करते तब
जाकर दो रोट& नसीब होती । नमदानरायन के साथ गंगा शहर म/ रहने लगी । वह शहर
से सये:Zबाबू क खोज खबर लेती रहती । मौका मलते ह& बेट& दमाद दो चार दन के
लये उनके पास चले जाते । बेटे बहु पराये होते जा रहे थे पर ?पये क मांग पहले से
भी अधक बढ गयी थी । सये:Zबाबू अपने पOरवार को Yबखरता हुआ दे खकर बेचन ै थे ।
चार छः मह&ने म/ जब गांव जाते तो उनके साथ जो कुछ घटता घबरा कर शहर भाग
आते ।
एक दन रात म/ सये:Zबाबू डयट
ू & से आ रहे थे । अपने Hवाटर पहुंचते उससे पहले एक
कूटर वाला टHकर मारकर भाग गया । कई घटे वह& पड़े रहे । <कसी तरह एHसीडेट
क सूचना पड़ोसय) को लगी वे लोग ले जाकर भतx करवाये । पलाटर चढ गया बेचारे
अब बैठकु हो गये । पड़ोसय) से जहां तक बन पड़ता <कये । अपताल से छुWट& मलने
पर पड़ोसी Hवाटर पर ले आये उठना बैठना मुिQकल था । हर काम तो पड़ोसी कर नह&ं
सकते थे बेचारे परे शान पलाटर कटवा दये । बाप के एHसीडेट क खबर बेट& दमाद
को लगी । वे दोनो दमाद हजारो <कलोमीटर दरू से गंगा को लेकर सये:Zबाबू के पास
पहुंचा । कुछ दन रहकर वे दोन) सेवा सुpष
ु ा <कये । गंगा बाप के तकल&फ न हो
इसीलये खाना बनाने के कुछ उपकरण के साथ दाल-चावल बनाने के लये इलेH|ा0नक
मशीन खर&दकर दे आये । सये:Zबाबू अब बेट& दमाद क तार&फ के पुल बांधने लगे थे
पर भूलकर धन दौलत के मामले म/ तटथ थे ।
बेट& दमाद हजार) <कलोमीटर क दरू & से सये:Zबाबू को दे खने पहुंच आये पर बेटे-बहु
अनभr बने रहे । बेटो क बढती हुई दरू & को दे खकर कुछ लोगो <कस ◌ीअनाथ Lवधवा
से _याह कर लेने क सलाह दे ने लगे पर सये:Z बाबू उ\ और नाती पोतो के Rयाह
करने क उ\ का वाता दे दे ते । बेटे बहुओ को सये:Zबाबू से त0नक मतलब नह&ं था
हां मतलब था तो बस कमाई से । उनक गt नजरे तनMवाह,ब;क बैल/स पर लगी रहती
। कोई भी बेटा सये:Zबाबू के साथ रहने को तैयार न था । बेटो क चाल को दे खकर वे
नौकर& छोड़ने को तैयार न थे । वे कहते जब तक नौकर& है तब तक जीवन है ।
हारकर सये:Zबाबू ने लोग) क राय मान लये और Rयाह क खबर जंगल क आग क
तरह फैल गयी ।इस खबर ने उनक उजड़े हुए िज:दगी के सपन) म/ बहार के झोके आने
लगे । वे सये:Zबाबू के बड़े बेटे से सांठ-गांठ सौदे बाज कर ल& । सये:Zबाबू को च
ू ह
चौका करने वाल& घरनी क ज?रत थी और उमलादे वी को भी परवOरश क दरकार थी
ता<क मरने के बाद दो गज कफन और मW
ु ठN भर माट& के साथ कोई मख
ु ािTन दे ने
वाला भी तो हो । उमलादे वी स◌ेय:Zबाबू के पैतक
ृ गांव के पास क थी । आIखरकार
बेटे क अगव
ु ाई म/ बढ
ू े बाप का कानन
ू न Rया हो गया । इस Rयाह क भनक बेट& दमाद
को नह&ं लगने पायी । खरचल
ू ाल नई मां के सहारे पूर& दौलत हथयाने के सपन बुन
चक
ु ा था ।
उमलादे वी घाघ <कम क औरत थी । खरचल
ू ाल उसक बात) क मठास के अ:दर के
जहर को नह&ं भांप पाया । कुछ महनो के बाद ह& उमलादे वी के अ:दर का सौतेलेपन
का [वालामख
ु ी फूटने लगा । वह सये:Zबाबू क मोट& तनMवाह को अपने कRजे म/
करने लगी । उधर खरचल
ू ाल नई मां के रौZ?प को दे खकर घबराने लगा । हर मह&ने
गांव पहुंचने वाल& रकम म/ धीर-धीरे कटौती होने लगी । बड़ी च:ता म/ खरचल
ू ाल के दन
Yबतने लगे । उमलादे वी म/ आये बदलाव से सये:Zबाबू भी अचिFभत थे । Rयाह के
बाद भी दन बहुत अ>छN तरह तो नह&ं Yबत रहे थे पर दो रोट& बना बनाया मल रहा
था । ड़ेढ साल कब Yबत गया पता ह& नह&ं चला सये:Zबाबू Oरटायर हो गये ।
Oरटायरमेट के बाद का जीवन सये:Zबाबू पोते-पो0तय) के बीच Yबताने का फैसला कर वे
पैतक
ृ गांव आ गये । उमलादे वी को भरा-पूरा पOरवार काटने को जैसे दौड़ाने लगा । बेटे-
बहू पोते-पोती उ:हे फूट& आंख नह&ं भाते । उमलादे वी ने ऐसा ताडव मचाया <क जो बेटे
एक च ू ह क रोट& खाते थे वे अपने-अपने च ू हा पर बनाने खाने लगे तब जाकर
उमलादे वी के दल को ठडक पहुंची । सये:Zबाबू को Oरटायरमेट के बाद प:Zह लाख
?पये मले थे । अठनी-चव:नी को मोहताज उमला प:Zह लाख क माल<कन बन गयी
थी और हम मह&न) पांच हजार से अधक प/ शन भी उसके हाथ म/ आने लगी थी ।
भीखाOरन जैसा जीवन Yबताने वाल& उमलादे वी रानी महारानी जैसे रहने लगी ।
मायकेवाल) क मदद के लये ब;क क पासबुक लेकर खड़ीरहने लगी । उमलादे वी क
करतूतो सये:Zबाबू बेचन
ै थे । सये:Zबाबू iवारापानी पी-पीकर बचायी गयी रकम
उमलादे वी मायके ^◌ोजने म/ _यत हो गयी । सये:Zबाबू भर पेट रोट& के लये बेटे
बहुओं के दरवाजे क ओर ताकने पड़ रहे थे । सये:Zबाबू उमलादे वी म/ आये बदलाव
और उसक ठगी को दे खकर है रान -परे शान थे और बेटे-बहू,पोते-पो0तयां आतं<कत ।
सये:Zबाबू के सारे मनसूबे धराशायी हो गये । उमलादे वी क पैस) क भूख बढती जा
रह& थी । सये:Zबाबू के समझाने पर वह रौZ ?प धारण कर लेती थी । बेटे तो पहले
से ह& उमलादे वी के सौतेलपन से घायल दरू & बना चक
ु े थे । बेट) का भी बाप के 0त
लगाव त0नक न बचा था । MवाहQ◌ो◌े पूर& करना तो सपने क बात हो गयी थी सफ
उमलादे वी के सौतेलेपन क वजह से ।
सये:Zबाबू का प
ु मोह भंग नह&ं हुआ था । वे पहले से अधक बेटे के सरु  त भLवKय
के लये चि:तत थे । कुछ खेतीबार& क जमीन और पHका मकान भी बनवा रहे थे पर
इस सब को दे खकर उमलादे वी का खन
ू खौल रहा था । वह सये:Zबाबू के इस खचD को
<फजल
ू खचx कहकर उ:हे ताaड़त करती रहती । इसी बीच बड़े बेटे खरचल
ू ाल से अन-बन
हो गयी ।वह अपने सगे बहनोई के सामने बाप को बेट& क गाल& दे दया । सये:Zबाबू
को काटो तो खन
ू नह&ं । दमाद के सामने जहर का घट
ू पीकर बदाQत कर गये ।
अ:ततः खरचल
ू ाल बाप क मौत पर न आने और मख
ु ािTन न दे ने क कसम खाकर वह
अपने बाल-ब>च) को लेकर परदे स चला गया ।
सये:Zबाबू बेटे क इस तरह क कसम से वे टूट गये । बाक दोनो बेट) और उनके
पOरवार ने और अधक दरू & बना ल& । सये:Zबाबू के उपर दख
ु ) का पहाड़ गर पड़ा ।
ू र& पनी उमलादे वी अभशाप सा◌ाYबत हो गयी । घर पOरवार Yबखर गया। धन-दौलत
दस
पर उमलादे वी कRजा जमाने के लये तरह -तरह के षणय: रचने लगी । कई -कई
दन) तक रोट& बेचारे सये:Zबाबू को नसीब नह&ं होती । सये:Zबाबू इस गम को कम
करने के लये शराब का सहारा लेने लगे पर Hया गम घटने जगह और बढने लगा ।
उमलादे वी तरह-तरह के लांछन लगाकर ताaड़त करने लगी । कोई सये:Zबाबू को
सहारा दे ने वाला न था बेट& दमाद तो हतार) कोस दरू परदे स म/ थे िज:हे सये:Zबाबू क
<फj थी । गांव-पुर के लोग कहते जैसा <कया है वैसा भोगेगा । बुढौती म/ जवान औरत
से Rयाह तो बबाद& ह& है । सचमुच सये:Zबाबू और उनका हं सता खेलता पOरवार बबाद हो
गया ।
सये:Zबाबू को च:ता 0नगलने लगी एक दन अचानक अचेत होकर गर पड़े । कोई
अपताल तक ले जाने वाला न मला । उमलादे वी को मां-बाप,भाई-भतीज) से अब फुसत
न थी जो उ:हे पाLपन करार कर याग चक
ु े थे । वे भी सये:Zबाबू क रकम दे खकर
कुते क तरह उमलादे वी के आगे-पीछे पूछं हलाते नजर आ रहे थे । सये:Zबाबू अचेत
होकर गर गये है <क खबर कोस) दरू बेट& के दे वर जयच:द को लगी । वह दौड़ा भागा
आया और छोटे और मझले बेटे रोशनलाल और चेतनलाल को साथ लेकर सये:Zबाबू
को जीप म/ रखकर अपताल क ओर भागा पर Hया राते म/ सये:Zबाबू दम तोड़ दये

जयच:Z सये:Zबाबू के मौत क खबर भाई सोचच:Z को न दे कर मौत क Q◌ौयया
् पर
पड़े है <क खबर दया और कहां <क तुर:त गांव के लये 0नकल पड़ो । रात काटना बहुत
मुिQकल है । बाप क बीमार& क खबर सुनकर बेट& गंगा के आंसू ब:द होने का नाम ह&
नह&ं ले रहे थे । सोचच:द पनी गंगा को लेकर तुर:त चल पड़ा । दस
ू रे दन चार घझटे
लेट रे ल बनारस पहुंची । वह रे ल से उतर कर <कराये क टै Hसी लया और सरू ज डूबते-
डूबते ससरु ाल पहुंचा पर लFबे इ:तजार के बाद सये:Zबाबू क मत ृ दे ह गोमती नद& के
घाट पर अिTन को समLपत कर द& गयी थी । सोचच:द ससरु ाल से प:Zह <कलोमीटर
दरू गोमती नद& के <कनारे Qमशान घाट क ओर डा्रइवर से चलने को कहा पर डा्रइवर
ने चार सौ ?पये और अधक <कराया लेने क बात पर अड़ गया । सोचच:द तरु :त परू े
<कराये के सोलह सौ उसके हाथ पर रख दया । yाइवर से घाट से उस घाट भटकता रहा
दे र पर देर होती गयी उधर चता क आग भयावह ?प ले चक
ु  थी जैसे उसे भी जद&
हो । काफ भटकने के बाद सोचच:द Qमशान घाट पर पहुंचा । वहां सब <jया jम परू ा
हो चकु ा था मख
ु ािTन छोटे बेटे रोशनलाल ने द& थी बस अिTन शाि:त करने के लये
मटके के पानी को लेकर रोशन चHकर लगाने के लये चला ह& था <क कार दखाई पड़
गयी वह ?क गया यह कहकर <क जीजी और जीजाजी आ गये । गंगा और सोचच:द
मWु ठN भर माट& दे कर pEदा सम
ु न समLपत <कये इसके बाद आIखर& कमकाड परू ा हुआ
। चता क अिTन एकदम शा:त हो गयी । मत ृ दे ह का बचा हुआ त0नका सा अवQ◌ोष
गोमती नद& को समLपत कर दया गया । बेटे-बहू,बेट&-दमाद और सगे सFब:धी तीसरा
एंव अ:य कम-काड Lवध-Lवधान से सFप:न करवा रहे थे । तेरहवी के दन सये:Zबाबू
का बड़ा बेटा खरचल
ू ाल शहर से आया सफ घरवाल& को लेकर पांच) ब>च) को नह&ं लाया
। वह अपनी बाप को मुखािTन न दे ने क कसम पूर& कर इतरा रहा था । तेरहवी Yबतते
ह& उमलादे वी सयेनZबाब
् ू के छोड़े धन-दौलत को हथयाने क सािजश जोरो से करने
लगी । सफल भी हुई बस ब;क म/ जमा कुछ ?पय) पर पूर& तरह कRजा नह&ं हो पाया
कानूनी पेचीदगी जो आ गयी थी । खरचल
ू ाल भी खब
ू चाले चल रहा था पर उमलादे वी
के सामने मात खा गया । आIखरकार ब;क म/ जमा छः लाख ?पया,घर और खेती क
जमीन सये:Zबाबू तीन) बेटो और उमलादे वी म/ बराबर-बराबर बट गया और बेट& गंगा
को मम
ृ क बना दया गया। Q◌ोष नौ-दस लाख ?पये उमलादे वी डंकार गयी । लोगो
उमलादे वी को दे खकर कहते कैसी औरत है जो दौलत बटोरने के लये ,प0तhता बनने का
ढ)ग कर रह& है ।बेचारे सये:Zबाबू को रोट& के लये तरसा-तरसा कर मार डाल& ।
खरचल
ू ाल को दखेकर लोग कहते ना थकते वाह रे कलयुग क औलाद बाप के जीते जी
तो उसके◌े सपन) का जनाजा 0नकालता रहा। मरने के बाद मुखािTन तक नह&ं दया ।
अब दे खो उसी बाप क दौलत के लये और उसके उतराधकार के लये ऐसे घaडय़ाल&
आंसू बहा रहा है जैसे कोई pवणकुमार हो ।
8-डोल& बनाम अथx
लू कुछ हक हो◌ेने लगी थी पर:तु तपन पूर& तरह बरकरार थी । आकाश धल
ु से
नहाया हुआ था । गांव म/ शाद& का सीजन जोरो पर था । सड़क पगडडी सभी राते
मस
ु ा<फर) क आवाजाह& से शाद& के जQन का मक
ू सा ी बन रहे थे ।नांच मडल& वाले
इHके पर लाउडपीकर बजाते,नाटक के डायलाग बोलते,शाद& के पारFपOरक गीते गाते
अपने ग:त_य क ओर भागे जा रहे थे । झ
ु ड के झ
ु ड साइ<कल वाले और पैदल भी
कम ना थे कोई सोहर,कोई कजर& कोई आहा एवं अ:य पारFपOरक सं◌ाकृ0तक गीत) से
माहौल को खश
ु नम
ु ा बनाते हुए ग0त तेज करते जा रहे थे। कुछ ह& दे र म/ सरू ज लाल
आवरण म/ ढं क गया । रजोदे वी रतन क इ:तजार म/ खोई हुई थी,बेट& क डेाल& क
च:ता जो खाये जा रह& थी। गर&ब को तो चारो ओर से मस
ु ीबत)◌ं का आjमण अपनी
हaqडय) पर रोकना पड़ता है । रजोदे वी च:ता क चता पर बेहोश सी पड़ी थी इा◌ी बीच
रतन भी साइ<कल क घट& बजाते हुए आ गया पर रजोदे वी को पता ह& नह&ं चला ।
रजोदवी को च:ता म/ खोया हुआ दे खकर रतन बोला अरे भागवान अब <कसक इंतजार है
म; तो आग गया ।
रजोदे वी-<कधर से आ गये म; तो सड़क क ओर ह& दे ख रह& थी ।
रतन-उडकर ।
रजोदे वी-Hया ?
रतन-तुFहारे सामने कब से घट& बजा रहा हूं तम
ु सुन नह&ं रहा हो और कह रह& हो
<कधर से आ गये। ये कैसा इ:तार है ।
रजोदे वी-है तो इंतजार ह& । खैर छोड़ो बात बनी ?
रतन-समझो पHक हो गयी ।
रजोदे वी-चलो बेटवा क मेहनत सफल हो गया ।
रतन-हां छोट& बहन रजनी के Rयाह के खचD क च:ता से इतना परे शान होकर pीधर क
नहर पर माट& फ/क रहा है जब<क उसका इFतहान सर पर है । भाई और बाप दोनो का
फज 0नभा रहा है । खे0तहर मजदरू बाप क मजबूर& को समझता है । pीधर क पसीने क
कमाई के ?पये से लड़का छे काई क रम पूर& कर आया हूं ।
मां बाप क बाते रजनी के कान) को छूं गयी । उसक आखां◌े से आंसू झलक पड़े बेचार&
अप_यक जो थी । रजोदे वी को बीटया क उपिथ0त का एहसास हो गया । वह रजनी
को आवाज द& । वह छुइमई
ु क तरह खड़ी हो गयी ।
रजोदे वी-बेट& अपने बाबूजी के लये गगर&◌े़ से ठडा पानी और गुड़ लाओ।
रजनी-लाती हूं मां ।
रजोदे वी-रजनी के बाबू म; हुHका चढाकर लाती हूं ।
रतन गुड़ खाकर पानी पीया और गमछे म/ हवा करने लगा ।
रजोदे वी-लो हुHका पीओ म; बेना से हवा कर दे ती हूं ।
रतन-ये अ>छा रहे गा ।
रजोदे वी-घर-वर से ठ)क बजाकर दे ख लये हो ना ?
रतन-अरे बइद कHका क OरQतेदार& म/ है । बाप नह&ं है सफ मां बेटे है । बैजू बनारस म/
पढा है । कFपाउडर& कर रहा है । बीटया राज करे गी ।
रजादे वी◌े-बीटया राज करे यह& तो कामना है । अ>छा ये बताओ <क तुमको घर-वर पूर&
तरह से पस:द आ गया है ना । ऐसा तो नह&ं <क बइद बाबा के दबाव म/ हां कर आये
हो ।
रतन-भागवान म; अपने ब>च) का भला बरु ा समझता हूं । बीटया क भलाई के लये हां
कर आया हूं , पर एक बात है जो खटक रह& है ।
रजोदवी-कौन सी बात ?
रतन- लड़के क उ\ त0नक [यादा है ।
रजोदे वी-लड़के क उ\ लड़क से दो-चार साल अधक होगी तो चलेगा । माल& हालत
कैसी है इसक तहककात भी कर लेनी चाहये थी ।
रतन-दे खो माल& हालत भी उतनी अ>छN नह&ं है पर बेट& को सकून क रोट& ज?र मल
सकती है । ऐसा मेरा LवQवास है बाक उसक तकद&र । मां बेटे दोन) कुछ ना कुछ कमा
ह& रहे है । मां दाई का काम करती है ,बेटा कFपाउडर का । पुQतैनी जमीन एकाध

Yबगहा तो होगी ह& । बीटया का जीवन आराम से कट जायेगा । बडे घर म/ बेट& Rयाहने
के लये बड़ी रकम भी तो चाहये ।वो हमारे पास है नह&ं । दे ख रह& हो बेटवा पढाई
छोड़कर माट& फ/क रहा है ।
रजोदे वी-काश मेर& फूल सी बेट& रजनी क िज:दगी म/ दख
ु क त0नक भी धप
ू ना पड़ती ।
रतन-रजनी क मां <कतने साल से भटक रहा हूं । Yबरादर& म/ िजनक हालत त0नक
सुधर गयी है वे लड़को को Rयाह के नाम पर बेच रहे है । हमार& औकात तो बेट& के
लये द
ू हा खर&दने क तो है भी नह&ं । लड़<कय) के लये दहे ज तो जहर साYबत हो रहा
है । गर&ब घर म/ बेट& सुर त और सुखी जीवन Yबताये तो इससे अ>छN बात हमारे लये
Hया हो सकती है । यहां तो दहे ज क कोई मांग भी नह&ं है ,लड़का अ>छा पढा लखा है ।
मुझे तो लगता है <क मेर& बेट& क गह
ृ ती बहुत बढया चलेगी ।
रजोदे वी-खैर बइद बाबा क OरQतेदा◌ी म/ है तो सब हाल उ:हे मालूम होगा । दे खो Rयाह
करने से पहले गहराई से जांच-पड़ताल कर लेना ।
रतन-हां बेट& के जीवन का मामला है । ऐसे तो फ/कना नह&ं है । गांव के अनुभवी लोग)
से रायमशLवरा करके ह& Rयाह क?ंगा । यद बात नह&ं बनी तो छे काई क रम म/ जो
रकम दया हूं वह तो बइद कHका वापस करवा दे गे । ऐसी बात भी हो गयी है । रजनी
क मां द0ु नया उFमीद पर टक है । हम/ भी उFमीद है <क मेर& बेट& बैजू के साथ खश

रहे गी ।
रजोदे वी-दे खो तम
ु को घर-वर पस:द आ गया है । ये अ>छN बात है पर पOरवार के लोग)
से अपने बडे भाई साहब से भी समझ लेते ।
रतन-भइया हमार& बात को काटे गा Hया ?
रजोदे वी- काटे गे तो नह&ं पर अपनी आंख से दे ख लेते तो बात कुछ और होती ।
रतन- म; तो जबान दे आया हूं पर तू कह रह& है तो यह भी कर लंग
ू ा।
रजोदे वी-इस बार बड़े भाई साहब के साथ बती के एक दो और अनभ ु वी लोगो को ले
जाकर घर-वर दखा दे ना । करना अपने मन क पर राय तो ले लेना ।
रतन-Hय) खरचा करवाने क बात करती हो । दो-चार लोग) को लेकर जाउूं गा तो इसमे
खचा तो होगा क नह&ं पर तF
ु हार& बात को भी मानना पड़ेगा ।
रजोदे वी-काश हमार& बात गउरमट मान लेती ।
रतन-कौन सी बात । यहं ◌ा तो गउरमट वादे पर चलती है । वोट लेते ह& मक
ु र जाते है
सब अपनी-अपनी रोट& स/कने लगते है । खैर तुम अपनी बात तो बता दे ।
रजोदे वी-ज:म-मरण Lवभग क तरह Lववाह Lवभाग बनाकर । जहां लड़क- लड़के के मां
बाप शाद& योTय ब>च) के नाम लखा दे ते । उ\ और योTयता के अनुसार गउरमट
सूचना दे दे ती,मां-बाप क वीकृ0त और लड़क -लडके क पस:द के अनुसार Rयाह का
माण प जार& हो जाता तो इतनी परे शानी नह&ं होती ।
रतन-काश ऐसा हो जाता पर अभी तो ऐसा कोई कानून नह&ं है ◌ै। भLवKय म/ बने यह तो
गउरमट जाने । रह& बात रजनी के Rयाह क तो वह तो हम/ ह& करना है ।
रजोदे वी-रजनी के बाबू तुम थक गये हो आराम करो । pीधर भी आ गया उसको भी रोट&
दे दं ू । जब तक बीटया का Rयाह नह&ं होगा तब तक चैन नह&ं मलेगा ।
रतन-हां ये तो है बेट& के मां बाप जो है ।
रजोदे वी- दोनो बेटो,pीधर,रामधर, चारो बेटय) रजनी, च:ता,म:ता और सुग:दा रोट&
परोस कर खद
ु खाना खायी रतन तो सबसे पहले खा लया था । खाना खाने के बाद
रजोदे वी च
ू ह-बतन का काम 0नपटा कर सोने गयी ।काफ करवटे बदलने के बाद नींद
ने दतक तो द& पर कुछ ह& दे र म/ वह चला कर Yबतर से उठN और रजनी क तरफ
दौड़ी । सोई हुई रजनी को गले लगाकर रोने लगी । आहट पाकर रतन भी गया । हाल
दे खकर हHका-बHका रहा गया । हFमत करके वह बोला pीधर क मां Hया हो गया
रजनी को लेकर रो Hयो रह& हो ?
रजोदे वी-बहुत बुरा सपना दे खी हूं ।
रतन-सपना और हककत म/ अ:तर होता है । सपना दे खकर इस तरह से Lवलाप कर रह&
हो । Hया दे खा तम
ु ने सपने म/ <क बीटया को छाती से लगाकर रो रह& हो आंधी रात म/

रजोदे वी- म; सपने म/ दे खी <क रजो का Rयाह हो गया ।
रतन-इसम/ रोने क कौन से बात है । Rयाह तो होगा ह& ...
रजोदे वी-परू & बात तो सन
ु ो ।
रतन-ठNक है सुनाओ ।
रजोदे वी- Rयाह तो हो गया पर मांग म/ संधरु पड़ते ह& एक डरावाना सा आदमी काले
^◌ौसे पर सवार होकर आया और बीटया 0नगल गया कहकर आंसू बहाने लगी ।
रतन-रामधर क मां ये तF
ु हारा ~म है <फर भी <कसी जानकर से समझ लेगे । दे खो
pीधर,रामधर, रजनी, च:ता,म:ता और सग
ु :दा सभी घबरा गये है । मन से ~म का भत

0नकाल फेको और शा:त होकर सो जाओ ।
रजोदे वी-ठNक कह रहे हो ।
रतन बेट& के Rयाह के पहले घर-वर के बारे म/ जांच-पड़ताल <कया पर उसे गर&बी के
अलावा और खोट नजर नह&ं आयी खैर गर&ब तो खद
ु रतन भी था ।बैजू क श ा-द& ा
से वह काफ भाLवत था । उसके उFमीद थी <क बैजू को आगे चलकर कोई सरकार&
नौकर& मल जायेगी । नह&ं भी मल& तो Hया कFपाउडर& क कमाई से गह
ृ ती तो
आराम से चल सकती है ।उपर से बैजू क मां क भी कुछ कमाई तो हो ह& जाती है ।
अपनी तुलना म/ वह बैजू को खाता-पीता पाया और भगवान का नाम लेकर अपनी
है सयत के अनुसार दान-दहे ज दे का बीटया का Rयाह बैजू से कर दया ।
रजनी मायके से हं सी-खश
ु ी Lवदा हो गयी । ससुराल म/ सास मां ने भी आव-भगत क ।
रजनी को बीटया मानकर बेट& जैसा बरताव करने लगी । एक बात दबी रह गयी थी
वह बयाह
् के बाद उभर कर आयी । बैजू का चाल-चलन ठNक नह&ं था । उसके बुरे चाल-
चलन ने फूल जैसी रजनी का Mयाल नह&ं आने दया । वह दे र रात म/ घर आता सुबह
जद& चला जाता । बूढ& मां बहुत समझाती पर उसक बुर& आदते नह&ं छूट& । साल भर
के अ:दर रजनी क गोद हर& हो हो गयी । वह भी एक बेट& का मां बन गयी । बेट& के
आते ह& बैजू और अधक लापरवाह हो गया । बेट& के ज:म के बाद से रजनी बीमार
रहने लगी । वह& रजनी िजसका मायके म/ कभी सर तक नह&ं दख
ु ा था । बूढ& सास से
िजसक आंखो से अब सूझना भी कम हो गया था । घुटने म/ शर&र का भार ढोने म/
आनाकानी करने लगे थे, जहां तक होता दवा -दा? करती पर बैजू कभी भूलकर एक
गोल& तक नह&ं दया । बूढ& मां कहती बेटा बहू क तYबयत ठNक नह&ं हो रह& है ।
दवाई Hयो नह&ं दे ता या अपताल ले जाकर Hयो नह&ं दखाता बेचार& खटया म/ सटती
जा रह& है । वह कहता इसको दवाई दे ने से काई पैसा मलेगा Hया । अपताल ले जाकर
इलाज करवाने के लये मेरे पास पैसे नह&ं है । कौन सा इसका बाप भार& -भरकम दहे ज
दया है <क उसी रकम को इसके इलाज पर खच क?ं ।
बढ
ू & मां कहती बेटा ऐसे कसाई Hयो बन रहे हो । रजनी तF
ु हार& धमपनी है । तF
ु हार&
अधागनी है उसके इलाज के लये पैसा मांग रहे हो । बेटा ऐसा ज
ु म ना कर बहू क
इलाज करवा नह&ं तो उसक जान चल& जायेगी । बेचार& को चलने म/ चHकर आ रहे है

बैज-ू कल मरती है तो आज मर जाये । मझ ु े परवाह नह&ं और वह& हुआ रजनी तड़प-्
तड़प ् कर मौत से जझ
ू ने लगी । तब जाकर उसके रजनी के मायके <कसी पड़ोसी ने खबर
पहुंचा द& । खबर मलते ह& रतन,रामधर,रजोदवी और बती के चार छः लोग आये और
मत
ृ Q◌ौयया ् पर पड़ी साल भर क न:ह& सी गaु ड़या को छाती से चपकाये रजनी को
लालगंज सरकार& अपताल मे भतx करवाये । दो-तीन के मौत से◌े संघष के बाद रजनी
भोर म/ हार गयी ।
मौत के बैजू रजनी क लाश अपने गांव तक ले जाने को मना कर दया । बूढ& मां बार-
बार समझाती रह& <क बेटा लड़क क डोल& मायके से उठती है और अथx सुसराल से ।
रजनी क मत
ृ दे ह का दाह-संकार करना तुFहारा फज है पर वह नह&ं माना । मां एवं
अ:य लोग) क बार-बार क समझाइस के बाद बैजू नह&ं मान रहा था । यह सब रामधर
से नह&ं दे खा गया । वह अपने बाप रतन से बोला बाबू बहन को बहनोई ने तड़पा तड़पा
कर तो मार ह& डाला Hया अब लाश भी सड़ायेगे ?
रतन-बेटा जो उचत समझ तू ह& कर बीटया के सपन) क बारात म/ दमाद ने आग लगा
द& । मेर& म0त मार& गयी थी म; बेट& को जलाद को सौप दया ।
रामधर-बाबू अब पछताने से Hया होने वाला है । मेर& बहन तो वापस नह&ं आने वाल& ।
लाश के दाह संकार का इ:तजाम मायके वाल) का करना होगा ।म; इHका लेकर आता हूं
। रामधर इHका लाया । रामधर ,रतन और उसके गांव से आये लोग लाश को इHका पर
पीछे क तरफ बांE◌ो। Lवलाप करती हुई रजोदे वी और सास आंसू बहाती हुई रजनी क
सास भी सवार हो गयी पर बैजू साथ जाने को भी तैयार न थे । मां क कसम के बाद
वह भी इHकD पर छाती तान कर बैठ गया । इHकावान चाबुक हवा म/ लहराया और घोडा
सरपट दौड़ पड़ा । दो घटे के बाद इHका रजनी के मायके पहुंच गया । रजनी क लाश
को दे खकर पूर& बती रो पड़ी पर बैजू क पलके गील& नह&ं हुई वह ऐसे सीना ताने हुए
था जैसे कोई बहादरु & का काम कर रहा हो घरवाल& को तड़पा-तड़पा कर मारकर।
लाश को नीम क छांव पुआल Yबछाकर लेटा दया । बती के लोग बांस काटकर टकठN
बनाने लगे । बती के दो लोग कफन एवं दाह संकार का सामान लेने के लए पहना
बाजार क ओर दौड़ पड़े । कुछ ह& घटो म/ सार& तैयार& हो गयी और रजनी का जनाजा
Qमशान क ओर चल पड़ा ।
रजोदे वी गaु ड़या को छाती से चपकाये दहाड मार-मार कर रोते हुए कह रहा थी Hया
भगवान तम ु ने हमार& बेट& क ऐसी तकद&र ऐसी Hयो लख द& <क जहां से डोल& उठN थी
वह&ं से अथx उठ रह& है ।
9-परयाग
बीटू क मां चेहरा मरु झाया हुआ । बस:त के मौसम म/ पतझड़ Hय) ।
rानेQवर&-तम ु को मजाक सझ ू रहा है मेरे मरु झाये चहरे को दे खकर ? सच औरत के दद
को कोई नह&ं समझ पाया।
रामे◌ेQवर-दे वी दद का कारण जान सकता हूं ?
rानेQवर&-सन ु ोगे ?
रामेQवर-अवQय ।
rानेQवर&-दद का कारण है बंटवारा ।
रामेQवर-कैसा बंटवारा दे वी ? पOरवार म/ बंटवारा नह&ं दे वी ऐसा ना कहो । रहय को
सुलझाओ मेर& च:ता ना बढाओं । बंटवारे का नाम सुनकर मुझे घबराहट होने लगी है ।
rानेQवर&-घबराने क कोई बात नह&ं । डाHटर का फोन आया था ।
रामेQवर-डाHटर बंटवारा चाहता है ?
rानेQवर&-अरे नह&ं Hय) बात का बतंगड़ बना रहे हो ।
रामेQवर-<कस बंटवारे क बात कर रह& हो ।
rानेQवर&- Lपताजी क सFप0त का बंटवारा ।
रामेQवर-या0न बीटू के नाना क छोड़ी सFप0त का बंटवारा ।
rानेQवर&-हां ।
रामेQवर-चलो अ>छा हुआ । कोट का फैसला आने म/ कई साल लग गये । लाख) ?पये
तो कोट के चHकर म/ खम हो गये होगे ।
rानेQवर&-अ>छा तो हुआ पर मेरा कल तो हो गया ।
रामेQवर-तुFहारा कल । बात मेर& समझ म/ नह&ं आयी ।
rानेQवर&-हां तुम मद जो ठहरे हमार& बात कहां समझ म/ आयेगी । अब तो औरते भी
औरत) का दQु मन बनने लगी है । बेचार& ठगी औरत जाये तो जाये कहां ? हर आदमी
औरत से बलदान चाहता है । मेरे सगे भाई और मेर& सौतेल& मां ने कानूनीतौर पर मेरा
कल करवा दया । मेर& मां अपने याग के भरोसे घर पOरवार क कप कर द& थी पर
बेचार& क;सर जैसी जानलेवा बीमार& से जूझ कर मर गयी । मां के मरने के दस साल
बाद भाइयn ने बाप क दस
ू र& शाद& करवा द& । साल भर हुआ नह&ं नई मां को भी खा
गयी । आज नई मां बाप क सFप0त क उतराधकर& हो गयी । मझ ु े से तो अपने मां-
बाप क औलाद कहलाने का हक 0छन लया गया । कानन
ू ी तौर पर मार दया गया ।
रामेQवर-बीटू क मां जीवन-मरण तो सब भु क इ>छा पर है । <कसी के कहने से कोई
मरता है Hया ?वैसे भी हम/ हसा तो चाहये नह&ं था । जाने दो उनक खश
ु ी म/ अपनी
खश
ु ी है ।
rानेQवर&- म; कहां हसा मांग रह& थी <क वे लोग इतनी बड़ी चाल चले है । मुझे मत

घोLषत कर दये है । अरे कानन
ू ी तौर पर तो मझ
ु े भी हक है । बाप ने ^◌ोदभाव <कया
। भाइयn का पढाया म; अनपढ गंवार रह गयी । मां-बाप जब तक द0ु नया म/ थे तब तक
उनक औलाद थी अब उनके मरने के बाद यह भी हक 0छन लया गया ।
रामेQवर-<कसने कहा तF
ु हारा हक नह&ं है । हमारा घर -पOरवार तो परू & तरह तF
ु हारे कRजे
म/ है । Hय) आसं◌ू बहाती हो। हमे तो वैसे भी हसे क दरकार नह&ं थी न रहे गी ।
तF
ु हारे भाई-भतीजे और नई मां हं सी खश
ु ी रहे तF
ु हारे कानन
ू ी कल से तो Hया बरु ाई है ।
मायके से हक 0छना गया है । ससरु ाल म/ तो नह&ं ना । हक क बात कर रह& हो यहां
तो तुFहारा सा\ा[य है ।
rानेQवर&-दे खो मजाक न करो ।अरे उनका इतना तो फज बनता था <क नह&ं <क वे
मुझसे रायमशLवरा कर लेते । मेर& भी इ>छा जान लेते । जब<क दल& के ब;क म/ जमा
?पये को 0नकालने के लये । मैने दतMत <कये थे ना । एक ?पये लये । उटे ◌े अपने
ह& खच हो गये । उनको तो मालूम होगा ह& न <क मां -बाप क सFप0त म/ बेट& का भी
बराबर का हक है । अरे मां-बाप क सFप0त से मुझे हसा नह&ं चाहये था पर उनहोने

मुझे मत
ृ घोLषत Hयो कर दया । मेरे तीन-तीन न:हे -न:हे ब>चे है । आज भी म; दवाई
के भरोसे चल रह& हूं । मेरे भाई और सौतेल& मां ने मेर& मौत का हलफनामा कचहर& म/
दे दये । वाह रे मतलबी भाई और सौतेल& मां ।
रामेQवर-चेहरे पर बस:त लाओ । अभी पतझड़ का मौसम नह&ं है । ले जाने दो अपने
को वैसे भी नह&ं चाहये वैसी सFप0त ।
rानेQवर&-हसे का अफसोस नह&ं है जीते जी मार Hयो दया । दख
ु तो इस बात का है
। फजx हलफनाम/ म/ कहा गया है <क हOरहर क कोई बेट& नह&ं थी । तुम बताओ म; कहां
से आई हूं । तुमको पता है मत
ृ को का एसोशसन बना हुआ है ।
रामेQवर-हां तो ।
rानेQवर&-Hया तुमको नह&ं लगता <क मुझे अपनी मां बाप क बेट& का कहलाने का हक
कचहर& से नह&ं मल सकता ?
रामेQवर-Hयो नह&ं पर ऐसा कर OरQते का खम नह&ं करना है । कानूनी तौर पर कागज
पर कल हुआ है ना । समाज तो इसे मा:यता नह&ं दे रहा है न ।
rानेQवर&-Hया यह मेरे साथ अ:याय नह&ं । Hया कानन
ू ी तौर पर OरQते का खामा नह&ं
?Hया कानननन ू क नजरो म/ मर& पड़ी रहूं । <कतने गप
ु चप
ु तर&के से मेरा कल हो
गया और मझ
ु े पता ह& नह&ं चला ।
रामेQवर-हुआ तो है कल पर इसका मतलब तो ये नह&ं <क बदला लया जाये ।
rानेQवर&-Hया लड़क इतनी मजबूर है <क जीवन भर मर-मर कर जीती रहे।आIखर मां-
बाप,भाई-भतीजे और OरQते के लोग <कतना याग चाहते है । लड़<कयां◌े का ज:म से
पहले हो जा रहा है । मझ
ु कुछ भाTयशाल& ज:म पा भी जाती है तो उ:हे अपने सग) के
ज
ु म का शकार होना पड़ जाता है । सFप0त से म; खद
ु बेदखल हो जाती एक बार मझ

से पछ
ू तो लेते कल करने से पहले । वे मझ
ु े ह& नह&ं मेरे भरे परू े पOरवार का कल कर
दये है । इसका जबाब तो दे ना ह& होगा ।
रामेQवर-सFप0त से कोई मोह नह&ं है । भाइयn के Iखलाफ कानन
ू ी कार वाई करने से परू े
पOरवर को जेल हो सकती है । Hया तम
ु ऐसा चाहोगी ?
rानेQवर&-Hया तुम चाहोगे <क लड़<कय) का कोख म/ कल होता रहे । लड़<कयां जुम क
शकार होती रहे ।हक से वंचत होती रहे । दोयम दजD क इंसान बनी रहे ।
रामेQवर-कभी नह&ं चाहूंगा ।
rानेQवर&-<फर Hय) नह&ं कानूनी जंग लड़ने दे ते ?
रामेQवर- काफ LवलFब हो चक
ु ा है । वैसे भी सFप0त म/ हसा क दरकार नह&ं है
।सबक सखाने के और भी तर&के तो है ,िजससे जीवन म/ कभी भी सर ना उठा सके ।
अपराधबोध से दबे मरे रहे ।
rानेQवर&-तुFहार& बात समझ गयी । भतीजे के Rयाह म/ नह&ं जाने सोच रह& थी । अब
जाउं गी । Rयाह Yबत जाने पर सब पदाफाश कर दं ग
ू ी <फर ना मुंह दे खग
ूं ी ।
रामेQवर-मायके का पOरयाग कर पाओगी ।
rानेQवर&-औरत Hया नह&ं कर सकती है जब तनकर खड़ी हो जाये तो ।
रामेQवर-कानूनी तौर पर तुFहारा ह& नह&ं हम और हमारे ब>चो तक का कल हो गया है
ले<कन E◌ौय नह&ं खोना है । अब तो बस सबक सखाना ह& मकसद है ता<क िज:दगी
भर पूरा कुनबा अपराधबोध से नह&ं उबर पाये ।
ानेवर-तुम साथ हो तो ऐसा ह होगा । सांप भी मर जाऐगा और लाठ भी नहं टूटे गी
। सबक तो सीखा कर रहूंगी । एक पेट से ज#म दगा कर रहे है । उस सौतेल मां क
(या बात कर) ।
रामेQवर-ठNक है जैसे भी सबक सीखाना चाहो सीखाओ पर कचहर& के चHकर म/ समय
,पैसा का नुकसा◌ान तो होगा ह& बेइ[जती भी बहुत होगी ।
rानेQवर&-ठNक है । Rयाह Yबतने के बाद परू & गांव और नातहत) के सामने अपने भाइयn
के हाथ हुई अपने कागजी कल को उजागर कर उनका पOरयाग कर आउूं गी ।
घायन नागन सी rानेQवर& प0त क समझाइस से कानन
ू ी कार वाई न करने को तैयार तो
हो गयी पर सामािजक कार वाई करने क िजद पर अड़ी रह&।◌ं शहर से गांव भतीजे के
Rयाह म/ शामल हुई । हं सी-खश
ु ी हर कायjम म/ भाग ल& । अपने मन क घाव का
त0नक भी एहसा <कसी को नह&ं होने द& ।Rयाह हं सी-खQु ◌ी Yबत गया ।द
ु हन भी आ
गयी । Rयाह के Yबहान भर सौतेल& मां का ग
ु सा फूट पडा । अनबन तो दौलत के
बंटवारे को लेकर पहले से ह& थी । वह परू & दौलत अपने कRजे म/ करना चाहती थी पी
कचहर& ने चार हसे करने का आदे श पाOरत कर दया था । rानेQवर& तो वैसे मर& हुई
साYबत हो गयी थी । सौतेल& मां क बढती लालच और बाप क मेहनत क कमाई का
सौतेल& मां के मायके क तरफ होते ?ख को दे खकर और कोट म/ हुए खचD को न दे ने
क िजद पर अड़ी सौतेल& मां से खार खाये rानेQवर& के बड़े भाई सेठूमल ने गांव क
पंचायत बल
ु ा द& वह भी rानेQवर& के गवाह& म/ । rानेQवर& को भी ऐसे मौके क तलाश
थी । पंचायत बैठ गयी । सेठूमल पंच) के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हुआ ।
cाम धान -सेठूमल पंचायत <कस योजन बस बुलाये हो । अपनी समया पंच) के
सामने रखो ।
सेठूमल-पंचो । छोट& मां ने बाप क छोडी सFप0त म/ बराबर का हसा तो ले लया पर
कोट -कचहर& म/ आये खचD के ?पये नह&ं दे रह& है । दोनेां भाइयb ने◌े भी कोट कचहर&
के चHकर मे हुए खचD क अभी तक भरपायी नह&ं क है । छोट& मां तो एक पैसा न दे ने
क कसम खा लया है पंच) हमारे पास भी बाल ब>चे है ,छोट& मां Hय) अ:याय कर रह& है

सेठूमल क बात सुनकर दोनो छोटे भाई रतन और जतन बोले पंच) भइया हसाब <कताब
कर एक-एक पाई ले लये है । छोट& मां ने दया है या नह&ं वह& जाने ।
सेठूमल आग बबूला हो गया । वह भागते हुए घर म/ गया और हसाब क डायर& लेकर
आया । पंच) के सामने एक-एक खच और र&न कज का Rयौरा सुनाने लगा । सेठूमल क
बात न तो छोट& मां और नह&ं भाई रतन,जतन ह& मानने का तैयार थे ।
cाम धान बोले-rानेQवर& बेट& तू भी कुछ कहना चाहे गी ?
rानेQवर& अं◌ाख) म/ आसू क बाढ लये हाथ जोड़कर खड़ी हुई पर उसके मुंह से आवाज
नह&ं 0नकल रह& थी । आंसू आंख) के बांध तोड़ चक
ु े थे । वह कभी छोट& मां को 0नहाती
तो कभी भाइयn को ।
cाम धान बोले-बीटया कुछ तो बोल । Hयो इतनी दख
ु ी है ?
rानेQवर&-पंचो म; तो अपने बाप क औलाद ह& नह&ं हुई तो मुझे मां बेट) के बीच लेन-दे न
से उपजे आjोश के बीच म/ आने का तो हक ह& नह&ं बनता ।
cाम धान-बीटया Hया कह रह& हो ।
rानेQवर&-हां पंच) बाप के तो बस यह& तीन भाई औलाद है । म; तो पैदा ह& नह&ं हुई
अपनी मां क कोख से तो मेरा Hया हक । वाOरस तो तीनो भाई और छोट& मां है । मै
तो अपने मां-बाप क नाजायज स:तान हूं वह भी लड़क ।
T्रा◌ाम धान-बेट& कौन कहता है <क तुम हOरहरबाबू क औलाद नह&ं हो ।
rानेQवर&-हलफनामा ।
T्रा◌ाम धान-कैसा हलफनाम बेट& ।
rानेQवर&-छोट& मां और बाप समान भाई सहब से प0ू छये ।
cाम धान-सेठूमल बीटया Hया कह रह& है ।
◌ोठूमल- धानजी गलती तो हो गयी है ।
T्रा◌ाम धान-कैसी गलती ?
rानेQवर&-म; बताती हूं ।
T्रा◌ाम धान-बताओ बीटया ।
rानेQवर&-पंच) यह सय है <क लड़क पराई होती है ले<कन वह मायके के खूट/ से भी वह
अ>छN तरह बंधी रहती है Hय)<क वह मां-बाप,भाई-भतीज) और मायके के पूरे गांव के
मान-सFमान म/ अभवLृ t के लये सदै व लाला0यत रहती है । उसी लड़क को दौलत क
लालच म/ सगे मां-बाप क औलाद होने का अधकार 0छन लया जाये तो उस लडक पर
Hया Yबतेगी ?
T्रा◌ाम धान-इतना बड़ा अपराध कैसे हो गया सेठूमल ।
◌ोठूमल-पंचो सभी जानते है Lपताजी क छोड़ी सFप0त का केस कचहर& पहं ◌ुच गया
था। चार साल म/ फैसला आया । केस क सुनवाई के दौरान बालग वाOरस) क सूची
मांगी गयी तो हम भाइयb और छोट& मां ने आपस म/ रायमशLवरा कर हलफनामा दे दया
क हमार& कोई बहन नह&ं है । बाप के सFप0त के असल& वाOरस हम तीन भाई और
छोट& मां है ।
cाम धान-सेठूमल िजस rानेQवर& को तुम लोगो ने झूठा हलफनामा दे कर मत
ृ क घोLषत
कर दया है । वह& rानेQवर& दल& के ब;क म/ जमा लाखो ?पया 0नकलवाने म/ तुFहार&
मदद क थी । एक पैसा भी भी नह&ं ल& थी। बेचार& खद
ु अपना पैसा खच क थी । तुम
लोगो ने पैसे का ब:दरबांट <कया था । यह तो पूरा गांव जानता है । इसके बाद भी तुम
लो◌ागे ने rानेQवर& का कानूनी कल करवा दया ।
◌ोठूमल-गलती हो गयी पंचो ।
T्रा◌ाम धान- इस गलती क सजा म/ तुम सब सलाख) के पीछे जा सकते हो ।
rानेQवर&-पंचो हम/ सलाख) के पीछे तो नह&ं ^◌ोजना है और ना कानन
ू ी झंझट म/ पडना
है । हमारे अपने सग) ने हमारे सपन) क बारात म/ आग ह& नह&ं लगया है OरQते को भी
ल0तया दया है । आज म; इन खन
ू के OरQतेदारो का अपने कानन
ू ी हया के जम
ु  मे
पOरयाग करती हुए कहते हुए अपने घर-मंदर क ओर दौड़ पड़ी ।
10-शवया+ा
<कसी जमाने म/ राजा के रफतार दल के मुख रहे रफ् तार बाबा के घर से भोर म/ ह&
Lवलाप क आवाज जोर जोर से आने लगी ! Lवलाप क आवाज सन
ु कर ◌ंशंका बढने
लगी <क कह& बाबा को तो कुछ नह&ं हो गया ! बाबा कई दन) से बीमार चल रहे थे
!शंका सह& साYबत हुई ! बाबा द0ु नया छोड चक
ु े थे ! बेट& और बाबा क बढ
ू & घरवाल& बाबा
क Qशव पर सर पटक पटक कर Lवलाप कर रह& थी ! Hय) ना करते,अब उनक
दे खभाल करने वाला और ना ह& बची थी कोई और सहारे क लाठN ! बेट& दमाद के
OरQत) म/ कडवाहट भर गयी थी !दोन) म/ अलगाव सा हो गया था ! बाबा को कोई और
औलाद ना थी ! बाबा को आंख मंद
ू ने के बाद अब सफ दो मजबरू महलाय/ रह गयी थी
! Lवलाप सुनकर आसपास के लोग इHटठा हो गये ! कुछ लोग OरQतेदारो पOरजन) के पता
ढूढने लगे ता<क मौत का संदेश ^◌ोजा जा सके ! कुछ लोग अि:तम संकार के सामान
के इंतजाम म/ जुट गये! बाबा के घर के सामने भीड कुछ [यादा ह& इHटठा हो गयी थी
इसी भीड म/ द&नानाथ भी शामल था ! तैयार& होते होते Qशाम होने को आ गयी
!अ:ततः अि:तम याा ारFभ हो गयी ! कुछ लोग कंधा दये कुछ बगैर कंधा दये ह&
चलते बने ! अब भीड Yबकुल छं ट गयी थी ! गने चन
ु े लोग ह& बचे थे छुटट& का दन
होने के बाद भी ! Qशव को Qमशान तक ले जाने लायक ह& लोग ना बचे सब अपने अपने
घरो को चले गये ! बचे हुए लोगो म/ से [यादातर बूढे थे जो खद
ु का बोझ ढोने म/
अमथ लग रहे थे !शव भी भार& था ! कुछ दरू जाते ह& सब हांफने लगे थे ! द&नानाथ
जैसे बहुत कम ह& लोग थे `टपु`ट जवान जो बडे सFमान के साथ चल रहे थे! सच
लग रहा था <कसी मानवतावाद& नेता का जनाजा 0नकल रहा है !शव ढोने म/ बडी मQकत
करनी पड रह& थी ! हर आदमी एक दस
ू रे को आशा भर& 0नगाह से दे खता ता<क कंE◌ो
का भार थेाडी दे र के लये उतर जाये !बडी मQकत के बाद Qशव याा अपने ठकाने पर
पहुंच सक !
मुखािTन रफतार बाबा के <कसी नजद&क के OरQतेदार ने द& ! बाबा पंचतव म/ Lवल&न हो
गये लोग अपने अपने घर) को चलते बने !घर पहुंचते पहुंचते काफ रात हो गयी ! दस
ू रे
दन सुबह सुबह म.तलवार बाबू क मुलाकात द&नानाथ से हुई जो पास म/ ह& रहते थे
रफतार बाबा के घर के दस मकान छोडकर ह& रहते थे जो खुद को बहुत बडा महान
समझते थे Qशायद बडी Yबरादर& का होने के नाते ! द&नानाथ ने रफतार बाबा क मौत
क दातान सन
ु ाई !
म.तलवार दांत साफ करते हुए म
ु कराते हुए बोले मालम
ू ह; द&ना घर पर ह& तो था !
कहकर Iखस 0नपोर दये
द&नानाथ बोला <फर भी Qशव याा म/ नह&ं Qशामल हुए !
म.तलवार बोले हां द&ना नह&ं Qशामल हुआ यह& ना जानना चाह रहे हो !
द&नानाथ बाबा तो आपके ह& Yबरादर& के थे !
म.तलवार तो Hया हुआ ! अपने घर के तो नह&ं थे ! हजार) लोग मरते ह; द&ना ! आकाश
क ओर दे खते हुए म.तलवार बोले !
द&नानाथ अरे म.तलवार जी कालोनी क बात थी ! यहां तो सभी परदे सी ह; !
म.तलवार तो Hया हुआ ! अ>छा छोड) तम ु बताओ कंधा तो नह&ं दया ना !
द&नानाथ कैसे ना दे ता ! लोग तो कम थे Qशव याा म/ ! कोई ढोने वा◌ा◌ाला भी न था
! भइया कंधा ह& नह&ं ढोना भी बहुत पडा था ! दे खो कंधा लाल हो गया ह; !
म.तलवार Lवमय भरे अ:दाज म/ बोले गजब हो गया !
द&नानाथ Hया हो गया कौन सा गलत काम कर दया म.तलवार बाबू !
म.तलवार अनथ कर दया तुमने !
द&नानाथ Hया कर दया भइया !
म.तलवार बाबू सयानाश जो नह&ं करना था कर दया ! तुFहे तो Qशव छूना ह& नह&ं
चाहये था !
द&नानाथ Hय) बूढ& अFमा और उनक बेट& को लाश लेकर रो◌े◌ेने दे ना था ता<क वे भी
तडप तडप मर जाती ! हमारे जैसे लोगो ने ह& तो बाबा क लाश को QQमशान तक
पहुंचाया ! हम लोग ना होते तो शायद लाश मशान तक ना पहुंचती बेचार& लाचार औरते
सर पटकती रहती !
म.तलवार कुछ भी होता चाहे लाश सड जाती पर तुमको हाथ नह&ं लगाना था !
द&नानाथ अ>छा तो आप यह कहना चाह रहे हो <क म; QशूZ हूं इसलये बाबा क लाश
को नह&ं छूना था ! यह& ना ! अरे इसा0नयत भी तो कुछ चीज होती ह; ! अरे इंसा0नयत
िज:दा ह; अभी ! जा0त से बडी इंसा0नयत ह; भइया !
म.तलवार तुमने सयानाश कर दया अब बाबा क आमा को शाि:त नह&ं मलेगी
!द&ना तुमको कंधा ह& नह&ं दे ना चाहये था ! अरे परFपराय/ तो अभी जवान ह; ! तुFहारे
तोडने से टूट जायेगी Hया ! तुमको शव याा मं◌े◌ं ह& नह&ं Qशामल होना था !श ्
द&नानाथ वाह रे परFपरा ! Qशव दरवाजे पर गोधू ल बेला तक पडी थी तब तो घर से◌े
परFपरावाद& और जा0तवाद के पोपक बाहर ह& नह&ं 0नकले ! बाबा तो आपक ह& Yबरादर&
के थे म.तलवार बाबू ! हमारे जैसे लोगो ने शव को Qमशान पहुंचाकर गलती कर दया
!तलवार बाबू शव तो शव है चाहे िजसका हो !
म.तलवार कुछ भी सफाई म/ कहो पर द&ना एक शूZ को उ>च जा0त क Qशव को हाथ
नह&ं लगाना चाहये ! ए वह& तलवार बाबू थे जो एक शZ
ू मां क छाती चस
ू कर सांसे भर
रहे थे! म. तलवार बाबू अरे Hया जमाना आ गया ह; ! शZ
ू सवण क लाश को Qमशान
ले जाने लगा ह; ! शव को कंधा दे ने लगा ह; ! म.तलवार अपनी Lवषवाणी से आदमयत
का खनू करे दांत साफ करते हुए आगे बढने लगे ।
द&नानाथ बोला-मछू ो पर ताव दे ने वाले बाबज
ू ी जा0त के नाम पर कब तक आदमयत के
सपनो◌े क बारात का जनाजा 0नकालते रहोगे ? कब तक आदमी के जनाजे क उवरा से
जा0तवाद को पोLषत करोगे ? भगवान आदमयत के दQु मन) को सiबLु t बMQो कहते हुए
मौन खड़ा हो गया ाथनारत ् ।

11- ,यो.त

ठडी का यौवन दसFबर का बचपन,झाबआ


ु का आदवासी दग
ु म
 इलाका । डां.सेवाराम पसीने
से तरबतर 250 ने आपरे शन बडे,छोटे एवं सg
ु म और हौसला Yबकुल जवां ।डां.माIणकच:द
पसीना सख
ू ाने क 0नय0त से शLवर के वेश iवार पर खडे ह& हुए थे <क एक बढ ू & बेबस
लाचार औरत अपने बेटे का सहारा बनी, शLवर के सामने ठठकते हुए डां. साहे ब से पछू बाबू
जी डां.सेवाराम कहां मलेगे ।

डां. साहे ब-अFमा जी डां.सेवाराम से Hया काम है ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबू जी अंधो को [यो0त दे ने वाले डां.साहे ब को नह&ं जानते ।

डां.साहे ब-नह&ं अFमा ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबूजी वे तो कारे के उिजयारे है । डां.सेवाराम नह&ं जानते बाबू जी । उनको तो


द0ु नया जानती है यद डां.सेवाराम को नह&ं जानते तो <कसी को नह&ं जानते । बाबूजी बुरा नह&ं
मानना ।

डां. साहे ब-अFमा वो कैसे कारे के उिजयारे हो गये ।

R◌ू◌ाढ&- वे तो बहुत बडे डांHटर है आंख) के । रोशनी Lवह&न आंख) को रोशनी दे दे ते ह; । बाबू
जी आपको इतना पता नह&ं ह; । अ>छा ये बता सकते हो । वो आंखो के आपरे शन का शLवर
कहां लगा ह; । शहर म/ अIखयां चैांधया गयी है बाबू जी ।शLवर <कधर लगा है बस इतना ह&
बता तो बाक F◌ौ◌ं ढूढ लूंगी डां. साहे ब को ।

डां. साहे ब- हां अFमा यह तो मालम


ू ह; आ जाओ मेरे साथ ।
डां. साहे ब आगे आगे बूढा अFमा बेटे का हाथ थामे पीछे पीछे । डां. साहे ब शLवर के अथाई
मर&ज पर& ण क म/ अFमा को बैठने का अनरु ोध करते अपनी कुसx पर बैठते हुए बोले
बोलो अFमा Hया काम है डांHटर डां.माIणकच:द से । म; ह& हूं ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबू जी आप ।

डां. साहे ब- हां अFमा म; ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-जी मेर& बुढोती क लाठN टूट रह& है असमय । बडी उFमीद से आयी हूं <क आप
मेर& लाठN को टूटने ना दोगे । बाबू जी बचा लो मेर& लाठN को ।

डां.साहे ब-अFमा उदास ना हो । थोडा वHत तो दो ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बूढ& हो गयी हूं । सठया गयी हूं , गर&बी का बोझ तो माथे था ह& अब जवान
बेटे क आंख का चला जाना भी दख ु के सम:दर म/ ढकेल दया ह; बेमौत मरने को बाबूजी ।
बेटवा के अलावा अब तो कुछ सूझता ह& नह&ं बाबू जी।

डां.साहे ब बूढ& अFमा को सा:तवना ह& दे रहे थे <क इतने म/ शLवर के आयोजक लोग आ गये
।डां.साहे ब से बोले साहे ब रात ढे र Yबत चक
ु  ह; थोडा खाना खा कर अराम कर ल&िजये ।
डां.साहे ब उनके अनुरोध को ठुकराते हुए बोले आप लोगो को हमार& <फj् र ह; F◌ौ◌ं आप सब
का एहसानम:द हूं । हमारे सामने एक बूढ& मां अपने जवान बेटे िजसक [यो0त चल& गयी ह;
उसके इलाज का अनुनय Lवनय कर रह& ह; !दख
ु के आसूं बहा रह& ह; । ऐसे समय म/ खाना
और अराम तो सFभव नह&ं ह; । समया के 0नदान का समय है ।

आयोजनकता-डां.साहे ब अब तक तो आप 250 आपरे शन कर चक


ु े है और अभी तक आपने
नाQता भी <कया नह&ं है और ना ह& अराम ।

डां.साहे ब दे Iखये मानव सेवा ह& हमारा कम और धम बन चक


ु ा है ।F◌ौ◌ं कोई समझौता करने
को तैयार नह&ं ।

आयोजक-डां.साहे ब आप बहुत थक गये हे ागे ।

डां.साहे ब-Yबकुन नह&ं । म; जरा भी थकावट महसूस नह&ं कर रहा हूं ना ह& भूख ह& ।मेरा तो
उदे Qय है मानवसेवा ।आप लोग जरा मेहरबानी किजये थोडा सा वHत द&िजये ता<क एक मां
क उFFी◌ाद को ाणवायु दे सकंू ।
डां.साहे ब बूढ& अFमा से बात करने लगे । अFमा कब से आपके बेटे को तकल&फ है ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबू जी Lपछले साल से है तकल&फ कांपते हुए बोल& ।

डां.साहे ब-अFमा ठड लग रह& है ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबूजी हaडडयां बोल रह& है ।

डां.साहे ब अFमा को ह&टर के पास बैठाते हुए बोले अFमा आग सेको पर हाथ नह&ं लगाना,नह&ं
तो करट लग जायेगी । याद रखना । थोडी दे र R◌ै◌ाठो गमx लगने लगेगी । तकल&फ के
Lवपय म/ आपके बेटे से जान लंग
ू ा ।

R◌ू◌ाढा अFमा- बाबूजी आप हमारे बेटे के समान ह& हो ।

डां.साहे ब- हां वो तो ह; । अFमा आप हाथ स/को F◌े◌ं◌ा तकल&फ के Lवपय म/ जानकार& ले


लेता हूं ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-ठNक है बाबूजी ।

डां.साहे ब अपनी कुसx पर बैठते हुए पूछे Hय) भाई आपका नाम Hया ह; और कब से नह&ं
दखायी पड रहा है ।

बाबूजी गोपी नाम ह; Lपछले साल से ह& नह&ं दखाया पड रहा है । Yबकुल ह&

डां.साहे ब-Lपछले साल से ।अ>छा ये तो बताओ दा? तो नह&ं पीते थे ।

T◌ो◌ापी- बाबू जी दा? और ताडी के Yबना तो सकून ह& नह&ं मलता ।

डां.साहे ब-गोपी को पेQ◌ोट टे बल पर लटा दये ।सघन आंख क चे<कंग <कये । इसके बाद
गोपी को कुसx पर बैठाये तब बोले गोपी मामला तो बहुत गFभीर ह; पर घबराओ नह&ं । अभी
भी उFमीद बाक है । पहले आते तो अ>छा होता । खैर छोडो , तुमको [यो0त मल सकती ह;
पर तुर:त आपरे शन करना होगा ।

डां.साहे ब क बात सन
ु कर बढ
ू & अFमा क आंख) म/ जैसे रोशनी बढ गयी एकदम से आग
तापना छोडकर डां.साहे ब के पास आ गयी और बोल& Hया बोले बाबूजी जरा एक बार और बोलो
ना ।
डां.साहे ब-अFमा गोपी <फर से द0ु नया दे ख सकेगा ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबू जी कारे म/ उिजयारा डालकर बडा उपकार करोगे ।

डां.साहे ब-अFमा जी कोशश तो परू & क?ंगा पर मेर& फस ।

R◌ू◌ाढ&अFमा-मतलब ?पइया बाबू जी वह तो मेरे पास नह&ं है ।

डा.साहे ब-अFमा Yबना फस के कैसे काम होगा । सबने फस दये है । फस तो चाहये ह& ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबू जी मै। बेबस लाचार अंE◌ो बेटे क मां। कैसे ब:दोबत क?ंगी। मेर& झोल&
तो खाल& ह; । गर&बी,भूखमर& ने मेर& झोल& को चाल डाले है । मेर& झोल& म/ कुछ थमता ह&
नह&ं । कैसे फस दे पाउुं गी

डां.साहे ब अFमा तुम नह&ं दे पाओगी तो Hया हम गोपी से ले लेगे डां.साहे ब मुकराते हुए बोले
Hयो भाई गोपी दे सकेागे ।

T◌ो◌ापी- मां न तो सब दातान कह दया है । खैर मेर& औकात म/ होगा तो ज?र दं ◌


ू ंगा ।

डां.साहे ब- गोपी तुम तो बहुत धनी हो । तुFहारे पास मां तो है । तुम दे सकते हो तभी तो
मांग रहा ह;।

गोपी -मांग लो साहे ब ।

डां.साहे ब- मेरे भाई <फर मुकरना नह&ं ।

T◌ो◌ापी-साहे ब औकात म/ है तो ज?र दं ग


ू ा चाहे म
ु डी ह& कट जाये ।

डां.साहे ब-पHका ।

T◌ो◌ापी- हां साहे ब पHका ।

डां.साहे ब-वचन दे ना होगा ।

T◌ो◌ापी-हां साहे ब वचन दया । दे दं ग


ू ा Hया मांग रहे ह; ।

डां.साहे ब- गोपी दा?...............


T◌ो◌ापी- Hया.... दा?........

डां.साहे ब-हां गोपी दा?.......

T◌ो◌ापी-यह& वचन मांग रहे थे दे दं ग


ू ा साहे ब.........

डां.साहे ब दे दे ◌े◌ागे ।

T◌ो◌ापी- हां साहब ।

डां.साहे ब- <फर दे र& <कस बात क दे दो वचन गोपी क अब कभी दा? नह&ं पीओगे ।

T◌ो◌ापी-Hया मांग लया साहे ब ।

डां.साहे ब- वचन दये हो गोपी मुकरना नह&ं । कसम खाओ अब कभी दा? नह&ं पीओगे ।

T◌ो◌ापी-ठNक है साहे ब अबतो म; नह&ं पाउूं गा और औरो को भी पीने से माना क?ंगा ।

डां.साहे ब- Qशाबास गोपी Qशाबास । मल गयी फस ।

R◌ू◌ाढ& अFमा क आंख) म/ रोशनी के साथ Qशर&र म/ ताकत भी बढ गयी यह सुनते ह& । वह
उछल पडी और बोल& वाह बाबूजी Hया तुमने फस ल& है ।

डां.साहे ब-अFमा मेरे जीवन का उदे Qय ह& है मानव सेवा तभी तो डांHटर बना हूं । अपने कम
पथ पर सतत चलता रहता हूं चाहे चFबल के दग ु म
 थल हो बतर हो या झाबुआ का
आदवासी इलाका । मिु Qकलो से खेलकर भी इलाज करने 0नकल पडता हूं रात हो या दन ।

R◌ू◌ाढ& अFमा- हां बाबू जी डांHटर के वेप म/ सचमुच भगवान हो ।

डां.साहे ब अFमा 0निQच:त होकर बैठो आपरे शन के बाद गोपी दे खने लगेगा ।

R◌ू◌ाढ&अFमा-बाबूजी गोपी को द0ु नया दखा दो <फर से ता<क म; चैन से मर तो सकंू मुसीबतो
मे जीकर भी ।

डां.साहे ब -ऐसा ना कहो अFमा ।


R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबूजी गोपी दे खने लगेगा तो मुझे मौत भी आ जाये <फर कोई रं ज नह&ं
रहे गा।मेर& लाठN मजबत
ू तो हो जायेगी ।

डां.साहे ब -ज?र मजबूत होगी और बेटे का सुख भी तो ^◌ो◌ागना है ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-हां बाबू जी बेटा क कार& िज:दगी म/ रोशनी भर जाये दो रोट& कमाने खाने लगे
बस इतना सा ह& तो अपना Mवाब है ।

डां.साहे ब-अFमा भगवान पर भरोसा रखो कहकर डा.साहे ब गोपी को आपरे शन थयेटर म/ ले
गये ।गोपी का आपरे शन बडा था । आपरे शन होते होते बारह बज गये राि◌्रा के इस बीच
कई बार Yबजल& भी गयी पर आपरे शन कामयाब रहा ।डां.साहे ब आपरे शन थयेटर से हं सते हुए
0नकले और गोपी क मां से बोले अFमा अब गोपी दे खने लगेगा बस पटट& खुलने तक
इं:तजार करो ।

R◌ू◌ाढ& अFमा-बाबू जी भगवान तुमको लFबी उ\ और हर कदम पर कामयाबी दे ।

R◌ू◌ाढ& अFमा क बात अभी पूर& भी नह&ं हुई थी <क 500 आदवासी भाई बहन ढोल नगाडे
बजाते गाते आ गये और डां.साहे ब क जयजयकार करने लगे । कुछ लो◌ागो ने डा.साहे ब को
कंE◌ो पर Yबठा लया Hय)<क डा.साहे ब 251 आपरे शन कर चक
ु े थे ।पूर& रात खब
ू जQन मना।
डा.साहे ब ने भी खब
ू लु फ उठाया !रात कब Yबत गयी पता ह& नह&ं चला ।समय Yबतता चला
गया। मर&ज) क आख) पर से पटट& खोलने का भी समय आ गया । डां..साहे ब एक एक
मर&ज क पटट& खद
ु अपने हाथो से खेालते गये और बधाई दे ते भी ।गोपी क आंख क पटट&
खोलने का jम सबसे आIखर& था ।उसका भी jम आया ।डां.साहे ब गोपी से पछ
ू े भाई गोपी
सबसे पहले <कसको दे खना चाहोगे ।

T◌ो◌ापी-डा.साहे ब आपको और मां के हाथो से पटट& खल


ु वाना चाहूंगा ।

डा.◌ंसाहे ब- ठNक ह;◌ं गोपी,भगवान तF


ु हारा भला कर/ ।डा.◌ंसाहे ब गोपी के सामने बैठ गये और
गोपी क मां के हाथो पटट& खोल& गयी ।

R◌ू◌ाढ& अFमा- दखाई दया बेटा ।

T◌ो◌ापी - हां अFमा सामने भगवान बैठे हुए है ना कहकर डां.साहे ब का पैर छूने को लटकने
लगा डा.साहे ब नह&ं गोपी नह&ं मेरे भाई कहकर गल से लगा लये ।
T◌ो◌ापी के जीवन का कारा छं ट चक
ु ा था । पूरा शLवर पOरसर और आसपास के गांव भी
खश
ु ी म/ तरबतर थे । डा.◌ंसाहे ब को दस
ू रे मशन पर जाना था पर pmदालु लोग छोडने को
राजी ना थे । सच स>चे मन से क गयी मानव सेवा का 0तफल भी तो अ>छा ह& होता ह;
यह& तो भगवान महावीर बm
ु द,इसा ने भी <कया ।डां.साहे ब को दस
ू रे मशन पर जाना ज?र&
था बडी मिु Qकल से वे वहां से 0नकल पाये ।इसके पहले 500 आदवासी भाई बहनो ने डां.साहे ब
क पज
ू ा अचना <कया । गोपी क बढ
ू & मां डां.साहेब के आगे हाथ जोडकर खडी हो गयी बोल&
बाबू जी आपने मेर& और मेरे बेट& के कारे जीवन म/ [यो0त भर दया जाओ बाबज
ू ी सदा सख
ु ी
रहो । अधयारे से भरे जीवन को [यो0त दे ने चल पडे डां.सेवाराम सपन) क बारात को कुसु मत
<कये ।

11 खन
ू के छNंटे ।
सूरजदे वता गांव क दहल&ज पर पांव भी नह&ं रखे◌े थे ले<कन अधयारा छं टने लगा था।
गोपाल ^◌ौ◌ंस और दोनो बैल) को हौद& पर लगाकर ओसार& मे खटया पर डेबर& क
रोशनी म/ पढने बैठ गया। दो प:नेपलट ह& पाया था <क वह मोती को आता हुआ
दे खकर पढाई छोड़कर उसक तरफ दौड़ पडा।़ पास पहुंचकर गोपाल साइ<कल का है aडडल
पकड़ लया । मोती साइ<कल से उतर गया ।
गोपाल-भइया सब तो ठNक है ना ।
मोती-गोपाल सब छोड़ पहले तो तू ये बता तेरे बाबू कहा है ?
गोपाल-भइया इतनी घबराये हुए Hयो हो। कोई अनहोनी हो गयी है Hया ?
मोती-गोपाल वHत बहुत कम है । मझ ु े तरु :त वापस जाना होगा । तू तो ये बता तेरे
बाबू कहां है ।
गोपाल-भइया कुछ ज?र 0छपा रहे हो Hयो<क तF
ु हार& आंख) म/ आंसू और चेहरे पर
घबराहट । भइया तुम तो ऐसे घबरा रहे हो जैसे चोर दरोगा को दे खकर ।
गोपाल दसवी क पर& ा दे चक
ु ा था और Tयारहवी क तैयार& कालेज खल
ु ने से पहले से
करने लगा था । उसके सामने मोती घबराहट के बोझ से दबा जा रहा था । उपर से
गोपाल के सवाल पर सवाल ।मोती आंख) को गमछे म/ मसलते हुए बोला गोपाल म; बहुत
परे शान हूं । तेरे बाबू कहां है उनसे ज?र& संदेश दे कर मुझे तुर:त लौटना है ।
भइया ऐसा कौन सा ज?र& संदेश है जो मुझसे नह&ं कह सकते बाबू से कहोगे । खड़े Hय)
हो भइया बैठेा दातून करो । पानी पीओ। बाबू जमीदार के काम पर चले गये है म; बुला
लाता हूं दौड़कर ।
मोती के आख) के आंसू नह&ं ?के बह 0नकले । वह आंसू पोछते हुए बोला जद& बुलाकर
लाओ बहुत ज?र& काम है ।
T◌ो◌ापाल-भाइया मुझे बताओ ना ।
मोती-नह&ं तू तो जो अपने बाबू को बल
ु ाकर ला ।
गोपाल-भइया जमींदार बाबू को नह&ं आने दे गे तो ।
मोती-बोल दे ना भइया पाह& पर से ज?र& संदेश लेकर आये है ।
गोपाल-भइया जमीदार नह&ं आने दे गे । कहे गे जा अपने भइया को ^◌ोज दे ।
मोती-कह दे ना फरसाधार& दादा क तYबयत खराब है ।
गोपाल-Hया ?
मोती-हां अब दे र ना कर जद& जा Yबना कोई सवाल <कये ।
गोपाल-जा रहा हूं भइया ।
इतने म/ दोनो हाथो म/ गोबर लगाये उसक मां गौशाला से बाह 0नकल आयी और बोल&
कहां जा रहा है गोपाल ।
मोती-फुआ बड़े फूफा क तYबयत अचानक बहुत खराब हो गयी है । आजमगढ अपताल
म/ भतx करवाने के लये मझले फूफा और गांव के लोग 0नकलने वाले थे । म; भागकर
संदेश दे ने आ गया । कहकर मोती जोर से रो दया । जेठ जी <क तYबयत अचानक
कैसे खराब हो गयी । दौड़कर जा गोपाल अपने बाबू को बुलाकर ला तो ।
मोती-?क गोपाल म; भी तेरे साथ चलता हूं । तू मुझे दरू से बताकर वापस आ जाना म;
फूफा से बात कर लं◌ूगा । मेर& बात सुनकर जमीदार छुWट& भी दे दे गे ।
गोपाल-ठNक है भइया चलो कहकर गोपाल आगे -आगे चल दया और मोत उसके पीछे
हो लये। गोपाल दरू से मोती का जमीदार का घर दखाते हुए बोला दे खो भइया सबसे
बड़ी हवेल& है ।
मोती-हवेल& तक चल ना दरू से दखा कर तू भागाना चाहता है ।
गोपाल-चलो हवेल& तक छोड़ आता है ।
मोती-अनजान हवेल& और वहां के लोग है ।तर-तरह के सवाल पूछेगे । तू साथ रहे गा तो
दHकत नह&ं होगी ।
गोपाल-अब Hया आ गये वो तMत पर लाल मं◌ूगवा जैसे बड़े जमीदार बैठे हुए है । दे खो
बाबू हल लेकर 0नकल रहे है ।वह आगे बढकर बोला बाबू ये पाह& से मोती भइया आये
है ।
मस
ु ीबत हल रखकर बैल खोलने के लये हौद क ओर लपका इतने म/ जमीदार बोले ओर
ु ीबत वो दे ख तेरा बेटवा <कसी को साथ लेकर आ रहा है । तम
मस ु को आवाज दया है
तम
ु सन
ु नह&ं रह हो ।
मस
ु ीबत -Hया गोपाल कूल नह&ं गया ?आने दो खबर लेता हूं ।
जमीदार-मुसीबत पूर& बात सुन ले <फर तमतमा लेना । गोपाल के साथ तुFहारा कोई
नात भी है ।
मस
ु ीबत-अरे बाप रे मोती भ:सहरवै चल दया था Hया ? कौन सी Lवपित आन पड़ी ।
वह बैल खट
ंू े से बांधकर मोती क और कदम बढाया । मोती ठठक गया । मोती को
परे शान दे खकर वह बोला मोती बेटा इतना सबेरे कैसे आना हुआ सब ठNक तो है ना ?
मोती-नह&ं फूफा ।
मस
ु ीबत-Hया हुआ बेटा ?
मोती-बहुत बरु ा हुआ फूफा कहकर रोने लगा ।
मां◌ेती को रोता हुआ दे खकर जमींदार भी तMत पर से उठकर मोती के सामने आकर
बोले Hया हो गया मुसीबत येलड़का रो Hयो रहा है ?
मुसीबत-मालक अभी तो कुछ बताया नह&ं बस रोये जा रहा है ।
जमींदार दस
ू रे मजदरू को आवाज लगाते हुए बोले अरे अरे खल&फा पानी लाओ दौड़कर ।
नह&ं मालक `यास नह&ं है । फूफा को मेरे साथ चलना होगा ।
जमीदार-अरे हुआ Hया है <क मुसीबत को साथ ले जा रहे हो ?
मोती-फरसाधार& फूफा नह&ं रहे ।
जमीदार- अचानक Hया हो गया । कुछ दन पहले तो आया था । ठNक ठाक लग रहा
था । कौन सी बीमार& लग गयी । मजदरू टोलो से लेकर जमीदार) क बती तक
फरसाधार& के मरने क खबर फैल गयी । मुसीबत के दरवाजे पर पूरे मौजे के लोग
इHWठा हो गये । मुसीबत मालक के कुछ ?पये कज लया और घर आया । बती के
प:Zह लोग साइ<कल लेकर तैयार थे फरसाधार& के जनाजे म/ शामल होने के लये ।
मुसीबत चलने क तैयार& करने लगा । गोपाल भी जाने के लये दौड़कर <कसी क
साइ<कल मांग लाया । बार-बार के मना करने पर नह&ं मान रहा था । मुसीबत के मना
करने पर रोने लगा । आIखरकार 25 कोस क दरू & साइ<कल से नापने के लये गोपाल भी
चल पड़ा । जाते-जाते दोपहर होने को आ गयी ।मोती घबराये जा रहा था इतने म/ पाह&
के कुछ लोग इंतजार करते मल गये ।
रामकरन आगे बढकर आया और बोला बहुत दे र कर दये मुसीबत बहनोई ।
मुसीबत-यहां Hया कर रहे हो ?
रामकरन-तम ु लोगो क इंतजार कर रहा हूं ।
मसु ीबत-Hयू ? हम तो आ रहे है । 25 कोस क दरू & साइ<कल से आना टे म तो लगेगा ।
चल
ु बल
ु -लाश तो आजमगढ गयी ।
मस
ु ीबत-आजमगढ Hय) ।
रामकरन-पोटमाट म के लये ।
मुसीबत-पोटमाट म Hय) ?
रघव
ु र-आमहया का केस है । लाश पेड़ पर लटक मल& है ।
मस
ु ीबत-भइया ने आमहया Hय) क इतने कहते ह& गश खाकर गर पड़ा । गोपाल
दौड़कर पोखर& म/ से गमछा गलाकर लाया और अपने बाप का चेहर गला करना लगा ।
त0नक दे र म/ वह उठ बैठा और बोला गोपला दस कोस और तम
ु को साइ<कल चलानी
पड/गी बड़े ताउजी क लाश लेने जाने के लये । सन
ु रहा है ना ये लोग कह रहे है
फरसाधार& भइया ने आमहया कर लया है । चलो मस
ु ीबत गरते सFभलते साइ<कल
उठाया और सबसे आगे -आगे चलने लगा ।भख
ू `यास से लत-पत चार घटे जी-तोड़
साइ<कल चलाने के बाद आजमगढ चीरघर पहुंचे । गFभीरपुर थाने क कार वाई पहले ह&
पूर& हो चक
ु  था । ले-दे कर बस पोटमाट म होना था ।फरसाधार& क लाश पोटमाट म के
लये लाइन म/ लगी थी । डाHटर कुछ दे र पहले हुई लाश के पोटमाट म के पOरजनो से
चचारत थे । इतने म/ पोटमाट म ?म से जलाद बाहर आया । गड़साधार& को इशारे से
बुलाया,कुछ उसके कान के पास बोला गड़साधार& ने एक खजूर छाप धीरे से थमा दया
।इतने म/ चीर-फाड़ करने वाले च<कसक ने गड़साधार& को बुलाया वहां भी वह& ?पये का
लेन-दे न हुआ । बस Hया कुछ ह& दे र म/ फरसाधार& क लाश ढे र के ?प म/ बाहर आ
गयी । फरसाधार& क लाश को दे खकर मुसीबत बोला भइया बड़े भाई साहब ऐसे तो पाह&
पर नह&ं आये थे तुम तो भइया क गठर& बना दये । तुम सगा भाई होकर भाइयn के
सपन) क बारात म/ आग Hय) लगा दये ? मुसीबत के सवाल से गड़साधार& को पसीने
छूट पड़े ।
कुछ ह& दे र म/ फरसाधार& के शव के चथड़) को सजा-संवार टौस नद& के <कनारे पर लाया
गया । मुसीबत के मुखािTन दे ते ह& लाश को पथर बांधकर पानी म/ फ/क दया गया ।
गड़साधार& पाह& या0न ससुराल क ओर चल पड़ा जहां तीनो भाइयn ने मलकर पांच
बीघा जमीन खर&द लया था िजस जमीन पर फरसाधार& खेती करता था और मुसीबत
साथ आये पैतक
ृ गांव वाल) के साथ अपने गांव क ओर ।
मुसीबत के घर से Lवलाप क लपटे उठ रह& थी और गांव) म/ फरसाधार& क आमहया
क खबर का हा-हाकार । मुसीबत भाई के <jयाकम म/ जुट गया । गड़साधार& घाट के
दन सूरज डूबते आया और चला गया । तेरहवी के दन भी उसके बेट& दमाद और
OरQतेदार तो आये नह&
गड़साधार& भी ज?र काम है कहकर सरू ज उगने से पहले रवाना हो गया ।
समय Yबतता रहा । समय क मार ने फरसाधार& के मौत के रहय उजागर कर दये
फरसाधार& क मौत आमहया नह&ं हया थी । गड़साधार& ने बेट& दमाद के मोहफं◌ास
म/ आकर फरसाधार& क हया करवा कर लाश को पेड़ पर लटकवा दया था सफ
फरसाधार& और मुसीबत क पाह& क जमीन पर कRजा करने के लये । कहां गया है
समथ दोष नह&ं गोसाई वह& हुआ । मस
ु ीबत कोट कचहर& भी <कया पर हाथ लगी बबाद&
। गड़साधर& का दमाद खरभरू ाम गड़साधर& के पैसे के बल पर सभी को खर&द लया खदु
फरसाधार& के खन
ू के छNंट) से नहाई पांच बीघा जमीन का मालक बन बैठा । बेचारा
मस
ु ीबत का मारा मस
ु ीबत असहाय सा दे खता रह गया िज:दा होकर भी कानन
ू क
0नगाहो मरा साYबत हो गया।
समय अपनी ग0त से Yबत रहा था । खरभरू ाम मस
ु ीबत के पैतक
ृ गांव के घरोह& क
जमीन भी हड़पने क भरपरू कोशश कर लया पर गांव वाल) के मंह
ु तोड़ जबाब से वह
पीछे लौट गया ।समय ने करवट बदला उसका बेटा गोपाल पढाई तो बड़ी मुिQकल से
<कया था ,कई बरस) क लFबी बेरोजगार& के दन भी काटने पडे थे पर:तु मां बाप क
तपया के 0तफल व?प गोपाल को नौकर& मल गयी । धीरे -धीरे मुसीबत के दन
<फरने लगे । उधर गड़साधार& और उसके पOरवार को भूत का ~म सताने लगा। इसी ~म
म/ वे बीमार रहने लगे । उ:हे शंका सताने लगी <क फरसाधार& मरने के बाद भूत हो गया
है । फरसाधार& क आमा का वे बनारस,कामMया और ना जाने कहां कहां ले जाकर
तपण करवाये पर ~म का भूत खम नह&ं हुआ बढता ह& गया । इसी ~म म/ गड़साधार&
और उसक घरवाल& बेट& दमाद के लये बोझ साYबत होने लगे । रोट& के लये कुते-
Yबलय) क तरह टकटक लगाना शु? हो गया । गड़साधार& के आंख) म/ आसं◌ं◌ू दे खकर
गांव वाले कहते खद
ु के◌े सपनो क बारात म/ भाइयn का हक मारकर बजी शइनाई के
वर दे र सबेर मातमी तो होते ह& है । फरसाधर& के खन
ू के छNंटो से संवर& पांच बीघा
जमीन जीवधार& हो गयी है आने वाले समय म/ भी आंसू का कारण बनी रहे गी । वग
नरक सब धरती पर है । भाइयn के सपनो क बारात को जनाजे म/ बदलने वाला सगा
भाई कैसे सुखी रह सकता है ?

12-कल-ए-बयां ।
भवानीन:दन दफतर से आते ह& कमरे म/ YबछN चटाई पर पसर गये । भवानीन:दन को
चारो खाने चत पसरा दे खकर पुKपा क च:
ु नी खडा हो गयी। वह दौड़कर लोटे म/ पानी
लायी और आंचल पानी म/ भीगोकर भवानीन:दन का माथा पोछते हुए कहने लगी Hय)
च:ता म/ डूबे रहते हो । अरे बड़े ओहदे दार नह&ं हुए तो Hया छोटे तो हो। ठNक है योTय
हो।तुम अपनी योTयता को रचनामक काम) म/ लगाकर च:ता मुHत तो हो सकते हो ।
भवानीन:दन-थोड़ा शाि:त रखो ।
पुKपा-Hय) घूटते रहते हो । बात) का बोझ च:ता बढाता है । आज <फर दफतर म/ कोई
द_ु यवहार कर दया Hया ? दे खो दफतर क बात घर मत लेकर आया करो ।जानती हूं
छोटा ओहदे दार अगर अधक योTय होता है तो चारो ओर से भूकFप का सामना करना
पड़ता है । तम
ु उठो हाथ पांव धोओ । मै तल
ु सी अदरक डाल कर चाय बनाती हूं ।
भवानीन:दन-भागवान जो बनाना हो बनाओ । कुछ दे र के लये अकेला छोड़ दो ।म;
Hया-Hया कले-बयां क?ंगा ?
भवानीन:दन क बात खम भी नह&ं हुई <क टे ल&फोन घनघना उठा । भवानीन:दन गरजे
पKु पा दoडकर फोन उठाओ तF
ु हारा है ।
पKु पा-नह&ं तF
ु हारा है तम
ु उठाओ ।
भवानीन:दन- बाप रे बाप Hया <कमत हो गयी है ।उधर दफतर वाले दन भर कोसते
रहते है । घर म/ बीबी का हुक्म ।
पुKपा-अरे अब तो उठाओ ।
भवनीन:दन-हां उठाता हूं कहते हुए Oरसीवर उठाकर बोल कौन भाई साहब......
दानवीर-हां । बड़ी दे र कर द& फोन उठाने म/ कोई खास बात हो गयी Hया ?
भवानीन:दन-Hया खास बात होगा । हां सपन) क बारात पर डाका ज?र पड़ जाता है ।
दानवीर-Hया ?
भवानीन:दन-हां ।
दानवीर-मतलब कल-ए-बयां ? भइया रLववार को मलता हूं ।
भवानीन:दन-कल-ए-बयां सुनने के लये ।
दानवीर-मन का बोझ कम करने के लये ।
भवानीन:दन-ठNक है । यहां तो मझधार म/ नइया डूबोने वाले बहुत है । अपन) के सामने
मन कल-ए-बयां म/ कोई बुराई नह&ं ।
रLववार के दन दानवीर जद& आ धमके । पुKपा ने बढया चाय नाQते का इ:तजाम
<कया । चाय क च
ु क लेते हुए दानवीर बोले भाई साहब आप <कस कल क बात कर
रहे थे फोन पर ।
भवानीन:दन-मेरा कल-ए-बयां कोई कथा नह&ं बिक भोगा हुआ यथाथ है ।
दानवीर-सबल क सफलता तो 0नबल क छाती पर टक है ।शोषक समाज Q◌ोर क
तरह कमजोर आदमी का शकार कर रहा है ।यह तो जगजाहर हो चक
ु ा है तभी तो वह
दन दन
ू ी रात चौगुनी तरHक कर रहा है । कमजोर गर&बी,बेबसी के दलदल म/ ढकेला जा
रहा है । ये शोषक लोग बड़े शा0तर होते है , मंह
ु खोलने वाल) के सामने हqडी का टुकड़ा
डाल दे ते है ता<क आपस म/ लड़ते रहे और वे शोषण करते रहे । इस 0तKठा के संघष म/
जा0तवाद परमाणु बम क तरह से असरकार& साYबत होता है ।खैर छोड़ो तम
ु तो ये
बताओ तF
ु हारे साथ Hया बरु ा <कसने कर दया ।
भवानीन:दन-भइया जब से आंख खल ु & है तब से ह& बुरा हुआ है । आज तो कोई नया
नह&ं है ।पहले जा0त के ठे केदार कर रहे थे । अब दफतर के कोने बड़े ओहदे पर बैठे मन
म/ राम बगल म/ जा0तवाद क छुर& रखने वाले लोग । इसी जा0तवाद क छुर& से भLवKय
का कल-ए-आम होने लगा है । भइया गांव रहा या शहर मेरा मक
ु ाबला जा0तवाद के
नरLपशाच से ज?र हुआ । जब पपहल& बार नौकर& क तलाश म/ दल& गया था वहां
जा0तवाद के सांप ने ऐसा फुफुकारा था क आज भी उसका भय मन से नह&ं 0नकला ।
दानवीर-ऐसा Hया हो गया ?
भवानीन:दन-बेरोजगार& ने मझ
ु े तोड़कर रख दया था । अपने भी पराये लग रहे थे ।
फं◌ाका म/ भी दन काटने पड़ रहे थे । इसी बीच एक फैHटर& के बोड पर आवQयकता है
लखा हुआ दे खकर Q◌ौ Iणक माण-प) के साथ हािजर हुआ । इटर_यू मे पास भी
हो गया । इसके बाद मुझे बड़े अधकार& के पास ^◌ोज दया गया। अधकार& ने एकदम
से पूछा तुम कौन हो ।
म; बोला भवानीन:दन सर......
अधकार&-दे ख लया है तुFहारे माण प । म; जा0त पूछ रहा हूं।
म; बोला एस.सी. हूं सर......
अधकार&-यहां OरजवDशन लागू नह&ं ह; । तुFहारे लायक इस फैHटर& म/ नौकर& नह&ं है ।
दानवीर-Hयां नौकर& नह&ं मल& ?
भवानीन:दन -नह&ं । जातीय pेKठता क पर& ा म/ फेल हो गया ।
दानवीर- जा0तवाद तो समाज और दफतर क नस-नस म/ समाया हुआ है । खैर लFबी
बेरोजगार& के बाद सरकार& नह&ं तो अधसरकार& Lवभाग म/ मल तो गयी ना ।
भवानीन:दन -हां मल तो गयी पर यहां भी जा0तवाद का Lवषधर डराता रहता है । दन
म/ काम रात म/ पढाई कर उूं ची-उूं ची Q◌ौ Iणक योTयताये हासल <कया पर यहां भी
Q◌ौ Iणक योTयताये काम नह&ं आ रह& है । मेरा कैOरयर साम:तवाद क बल चढ गया
। पुKपा क बीमार& क वजह से अपने कैOरयर का जनाजा 0नकलते हुए दे ख रहा हूं।
दानवीर-अध सरकार& Lवभाग म/ साम:तवाद ।
भवानीन:दन-जा0तवाद का कहर मानो या साम:तवाद का । इसी चj_यूह म/ फंसा मेर&
उFमीदे दम तोड़ रहा है । म; तरHक से दरू फ/का जा रहा हूं उूं ची-उूं ची Q◌ौ Iणक
योTयताओं के बाद भी जब<क Lवभाग म/ :यन ू तम ् Q◌ौ Iणक योTयता और जातीय
p ्रे Kठता रखने वाल) के लये मंह
ु मांगी तरHक मल रह& है । कहने को अपने दे श म/
समानता का हक हासल है ,दे श म/ लोकत: है पर स>चाई तो ये है <क आज भी
साम:तवाद क जड़े बहुत मजबत ू है ।यह& मजबत ू ी कमजोर वग को पनपने नह&ं दे रह&
है । जा0त के नाम पर तरHक के राते ब:द पड़े है ।
दानवीर-ठNक कह रहे हो भवानीन:दन । अगर तुFहारे साथ अ:याय नह&ं हुआ होता तो
तम
ु Lवभाग म/ बड़े ओहदे पर ज?र होते Hय)<क Q◌ौ Iणक योTयताये जो है पर अफसोस
साम:तवाद का द&मक चटकर रहा है हक को ।
भवानीन:दन-बढ
ू & _यवथा का असर वतमान म/ पढे लख) के दल म/ इतनी गहराई तक
जगह बनाये हुए है <क वे अपनी जातीय pेKठता के अभमान म/ उूं ची-उूं ची Q◌ौ Iणक
योTयताओं को रौदने म/ त0नक भी कोर-कसर नह&ं छोड़ रहे । Lपछले स`ताह म. €ी
एस जो Lवभाग बड़े शास0नक अधकार& है । योTयता Hया है सफ सFपल cेजए
ु ट
पर:तु उपर पहुंच और जातीय योTयता भार& है वे बड़े अधकार& है । म; इस साहब से
कैडर च/ ज करने के आशय से अनुरोध <कया तो वे एक झटके म/ बोले तुFहारे जैसे लोगो
के लये शासन म/ जगह नह&ं है ।
दानवीर-सच जा0तवाद का नर Lपशाच तुFहारे लये तो काफ घातक सt हो रहा है ।
भवानीन:दन-मेरे सपन) क बारात को ठग चक
ु ा है ये नर Lपशाच । मुझे तो नह&ं लगता
है <क इस Q◌ौतान के आगे म; साम:तवाद& डडे से हांके जा रहे Lवभाग म/ तरHक कर
पाउूं गा । मेरा तो भLवKय तबाह हो गया है । अब तो मेरे सामने कुआं है पीछे खाई है
जाये तो जाये कहां । रोट& के लये नौकर& तो करना है । भLवKय दाव पर लगा दया
हूं◌ू◌ं दानवीर बाबू ।
दानवीर-च:ता से कुछ नह&ं होगा । कम करते रहये पOरिथ0तयां बदलेगी । साम:तवाद
और जा0तवाद के पोषक तुFहार& योTयता का लोहा ज?र मानेगे । Lवभाग म/ तुFहार&
तरHक 0छनी जा रह& है तो अपनी योTयता को सज
ृ नामक काम) म/ झोको । इससे
तुFहे सLt ज?र मलेगी।तुFहार& राह म/ काटा Yबछाने वाले दे खना एक दन पछतावा
क आग म/ जलेगे मरे गे ।
भवानीन:दन-साम:तवाद के पोषक) क चमड़ी गेडे क चमड़ी से मोट& हो गयी है द&न-
दIु खय) के आसं◌ू को कोई असर नह&ं होता। कमजोर वग क योTयताओं◌ं को ठ/ गा
दखाकर तकद&र कैद करना ये लोग अ>छN तरह जानते है ।
दानवीर-सच कमजोर क कह&ं सुनवाई नह&ं हो रह& है । जा0तवाद का ताडव दे खने म/
कम हुआ है पर अ:दर तो जहर भरा हुआ है िजसक लपट से तुFहारे जैसे लोग) का
भLवKय सुलग रहा है ।हौशला रख) तF
ु हारा pम बेकार नह&ं जायेगा ।
भवानीन:दन-बस हौशले क आHसीजन पर तो सांसे भर रहा हूं । बाक कोई आसरा नह&ं
बचा है । अब तो दफतर म/ जातीय दबंग लोग गाल& तक दे ने लगे है । जातीय pेKठ
अफसर कसरू वार हम/ ह& ठहरा रहे है ।
दानवीर-तF
ु हारा तो चहुओर से कल हो रहा है ।तF
ु हारा कल-ए-बयां तो पलके गील& कर
दया । आध0ु नक दफतर म/ इस तरह का द_ु यवहार LवQवास ह& नह&ं होता पर स>चाई है ।
न जाने कब तक जा0तवाद और साम:तवाद का जहर दे श क एकता को द&मक क तरह
चट करता रहे गा और कमजोर तबके क तकद&र को कैद& बनाता रहे गा ?
भवानीन:दन-भम
ू डल&यकरण के इस यग
ु ा म/ जातीय योTयता को pेKठ मानने वालो
iवारा कमजोर का हक 0छना जा रहा है और आम सFमान चोटल <कया जा रहा है ।
दानवीर-जा0त के नाम पर Q◌ौ Iणक योTयता का दमन तो अ Fय अपराध है पर
दभ
ु ाTय है <क सता के ठे केदार) क भी दलचपी इसी म/ ह; तभी जा0तवाद का जहर
फैलता जा रहा है । कमजोर वग Lपछड़ता जा रहा है । कमजोर वग के पढे लखे भी
तरHक से दरू होते जा रहे है ,उनक सपन) क बारात) का जनाजा 0नकाला जा रहा है ।
इसी का तो 0तफल है सामािजक ^◌ोद-भाव और गर&बी । धम और लोकत: दोन) के
ठे केदार आंख मूंदे मलाई छान रहे है । कमजोर अपने हक को 0छनते हुए दे खकर तुFहारे
जैसे आंसू बहाने को बेबस है । कोई गुहार सुनने वाला नह&ं है ।
भवानीन:दन-अरे गुहार सुनी कई होता तो अपने दे श म/ सामािजक और आथक
असमानता क खाई अब तक न होती । दबंग लोग) का ह& तो चहुंओर कRजा बरकरार है
। आज के इस युग म/ भी कमजोर वग के साथ वैसा ह& हो रहा है जैसा <कसी युग म/
दासो◌े◌ं के साथ होता था । इस युग म/ बाय ?प से तो कम सूझता है पर आ:तOरक
?प से दद भयावह है । म; तो पOरवार के पोषण के लये मौन सयाcह कर रहा हूं ।
भोगे हुए यथाथ के आंसू क याह& से प:ने पर उतार रहा हूं ।
दानवीर-तुFहारा सयाcह ज?र सफल होगा पर बरस) लगेगे ।
भवानीन:दन-जानता हूं मै इस सयाcह के 0तफल को नह&ं भोग पाउूं गा । मेर& आमा
को खश
ु ी मलेगी अपने <कये पर ।
दानवीर-अ>छे काम के पOरणाम अ>छे आते है । हां दे र ज?र होती है । भवानीन:दन
तुFहारे कल-ए-बयां से मेरा दल कांप गया । ^◌ोदभाव का जहर&ला व ृ सूखेगा ।
कमजोर वग भी तरHक करे गा और सामािजक समानता का हक भी पायेगा । मुझे तो
यकन है Hय)<क दे श का संLवधान भी तो यह& चाहता है । गt कब तक <कसी का हक
चट करते रहे गे । मुझे इजाजत तो भाई......।तुFहारे सपन) क बारात को पर लगे । म;
तो बस दआ
ु कर सकता हूं ।
भवानीन:दन-आपक दआ
ु ये ज?र काम आयेगी । जातीय pेKठता भले ह& मेर& Q◌ौ Iणक
योTयता को डंसती रहे पर:तु म; अपने सपन) क बारात को <कसी ना <कसी ?प म/
ु ाम तक अवQय पहुंचा दं ◌ूगा अपने मौन सयाcह के बलबत
मक ू े ।
दानवीर-मेर& दआ
ु ये तF
ु हारे साथ है दोत .....।
13-/कराये का घर ।
नरे शबाबू क नौकर& शहर म/ लग गयी । वह गांव से शहर तो आ गया पर शहर म/
<कराये के घर का भाव सन
ु कर उनके होश उड़ गये उपर से अनेक तरह के सवाल
जा0तवाद के नाम पर आदमयत का पोटमाट म भी। नरे शबाबू के घर क तलाश मह&ने
भर बाद तो परू & हुई ,दो मह&ना का अcम <कराया और चालू मह&ना का <कराया एक
मQु त दे ने पर । घर पहले माले पर था । नीचे खल
ु & चैFबर लाइन क तरफ नरे श का
Eयान ह& नह&ं गया <कराये का घर लेने से पहले ।इस रहय का खल
ु ासा तो दस
ू रे दन
सो कर उठने के बाद चला खल
ु & चैFबर लाइन से उठती संड़ाध और मानव मल से भर&
लाइन को दे खकर,दस
ू र तरफ पानी के लये मारा-मार&,बहुमंिजले <कराये के घर म/
शौचालय क लाइन म/ धHका-मुHक। बड़ी मुिQकल से कई पर& ाये पास करने के बाद
तो घर मला था ।वह भी रास नह&ं आ रहा था । इसके पहले कई मकान मालक) ने
जा0त के नाम पर बाउyी से बाह कर दया था कइयn ने तो साफ कह दया था
नरे शबाबू छोट& जा0तवाल) को हम घर नह&ं दे ते आद -आद । यह& एक मकान मालक
मले थे जो Yबना कुछ पूछे घर दया था दो मह&ने का एडवांस <कराया लेकर । अ:ततः
नरे श ने मानव-मल से 0घरे इस <कराये के घर को छोड़ दया । काफ खेाज-Yबन के बाद
वहां से आठ <कलोमीटर दरू ठाकुर चाचा का <कराये का घर सुखधाम नगर म/ मला था
।ठाकुर चाचा ने◌े जा0त के मुiदे पर बात करने से पहले नरे शबाबू ने अपनी जा0त का
खल
ु ासा कर दया । ठाकुर चाचा खश
ु हुए और बोले अभी तक तो बहुत <करायेदार आये
छोट&-बडी सभी जा0त के पर छोट& जा0त वाले खद
ु को बड़ी जा0त का बताकर घर लया
था। बाद म/ पता भी लग गया पर बेटा तुम पहले _यिHत हो जो वाभमानी लग रहे
हो। अरे जा0तपां0त तो आदमी क खीचीं तलवार मा<फक है । आदमी तो बस आदमी
होता है । ठाकुर चाचा क बाते सुनकर नरे शबाबू गदगद हो गया । शहर से दरू होने के
कारण यहां से आने जाने म/ काफ तक◌ीफ थी Hय)<क यहां सावज0नक साधन) का
चलना शु? नह&ं हुआ था । खद ु के साधन का सहारा था नह&ं तो पदयाा । नरे श
ठाकुर चाचा के मकान म/ अकेला रहने रहने लगा पOरवार अभी गांव म/ रह रहा था ।
एक दन ठाकुर चाचा क इकलौती बेट& सौदामनी रात म/ बेहचक कमरे म/ आ गयी ।
उसको दे खकर डर गया । आIखरकार हFमत करके बोला सौदा◌ामनी रात म/ यह
जानकर भी <क म; अकेला रहता हूं ।
सौदामनी- हां । घर मे कोई नह&ं है । घटे दो घटे बाद कोई आ ससकता है ।
नरे श-माफ करना । तम
ु अभी चल& जाओ ।
सौदा◌ामनी-म; अपनी बात करके जाउूं गी ।
नरे श-नरक म/ मत डालो बहन ।
सौदामनी-अब तो बहन बना लये कोई डर तो नह&ं ।अब तो अपनी बात कहूं ।
नरे श-हां◌ं बहन कहो ।
सौदामनी-म; खब
ू सरू त हूं । कह& मेरे साथ कोई [यादती न हो जाये इसी डर से पापा ने
मेर& पढाई ब:द करवा द& । मेरे पापा से कह कर मेर& पढाई चालू करवा दो । यद हो
सके तो अपनी कFपनी म/ नौकर& लगवा दो । मझ
ु े यकन है आपक बात पापा टाल नह&ं
पायेगे ।
नरे श-कोशश क?ंगा ?
सौदामनी-फूट& <कमत आप संवार सके हो कहते हुए Lपछले दरवाजे अपने कमरे म/
चल& गयी । नरे श च:तन-मनन मे लग गया । सब ु ह सोकर उठा तो ठाकुर चाचा को
दरवाजे के सामने कुसx पर बैठे धप
ू सेकते पाया । उसके दे खकर ठाकुर चाचा बोले नरे श
बेटा लो कुसx बैठो ।
नरे श-ठाकुरचाचा आप बैठो बस म; दस मनट म/ आता हूं ।आपसे कुछ काम है ।
ठाकुरचाचा- मुझे काम पर जाना है जद& करना ।
नरे श-ठाकुरचाचा बस पांच मनट लूंगा । मुझे भी तो काम पर जाना है ।
ठाकुरचाचा-ठNक है । आ जाओ ।
नरे श-जद&-जद& दो कप चाय बनाया । एक खद
ु के लये दस
ू रा ठाकुरचाचा के लये
लेकर बाहर आया । ठाकुर चाचा को थमाते हुए बोला -लो चाचा चाय पीओ ।
ठाकुरचाचा-चाय के लये Yबठो थे ।
नरे श-नह&ं <कसी और काम के लये ।
ठाकुरचाचा-काम बताओ ।
नरे श-चाचा सौदामनी पढना चाहती है ।
ठाकुरचाचा- बारहवी पास कर चक
ु  है । अब Hया करे गी पढकर । अब तो बस उसक
शाद& क च:ता है । शाद& हो जाये बस यह& तम:ना है ।
नरे श-अभी तो पढने क उ\ है । शाद& जद& करने के◌े बहुत जोIखम है ।
ठाकुरचाचा-पढाने म/ बहुत जोIखम है । उससे तो अ>छा है शाद& कर दं ू अपने घर-पOरवार
म/ रम जाये ।
नरे श-ठाकुरचाचा रे गुलर नह&ं तो ाइवेट पढने दो । पढाई के साथ पढा भी तो सकती है

<कसी कूल म/ । इससे अपना खच उठाने लगेगी । आपके उपर भार भी नह&ं पडे◌ेगा ।
ठाकुरचाचा-मनचले लड़को से डर लगता है । कभी कोई अनहोनी हो गयी तो Hया मंह

दखाउूं गा ।
नरे श-ठाकुरचाचा इतना Hयो डर रहे है । सौदामनी मंह
ु तोड़ जबाब दे सकती है । अपनी
र ा कर सकती है । कब तक उसके सर पर हाथ रखे रहोगे । ठाकुर चाचा मेर& बात
मान लो । कल गांव जा रहा हूं पOरवार लेने ।
ठाकुरचाचा-शाद&-शुदा हो ।
नरे श-हां ठाकुरचाचा । मेरा Rयाह तो बचपन म/ हो गया था मझ
ु े तो याद भी नह&ं ।
इतने म/ सौदामनी आ गयी और बोल& -नरे श भाई भाभी को लेने जा रहे हो ।
नरे श-हां ।
नरे श प:Zह दन के बाद पनी गीतारानी को लेकर आ गया । एक दन सब
ु ह बन
संवरकर सौदामनी गीतारानी के सामने खड़ी हाकरे गया । उसके कान के पास मंह
ु करके
बोल& भाभी आपका आना मेरे लये लक साYबत हुआ है ।
गीतारानी-Hया द
ू हा मल गया ।
सौदा◌ामनी-कूल जा रह& हूं ।
गीतारानी-इतना बन-संवरकर ।
सौदामनी-भाभी मजाक न करो । आज पहला दन है आप और भइया से मलकर
जाउूं गी तभी तो लाभकार& होगा । यह सब भइया क वजह से तो हो रहा है ।
सौदामनी-Hया ?अरे सुनो जी ये दे खो ननदजी बन संवर कर मलने आयी है ।
नरे श-Hय) मजाक कर रह& हो गीता ?
गीतारानी-मजाक नह&ं सच है । इधर ता आओ दे खो कोई पर& उतर आयी हो जैसे हमार&
ननद <कसी पर& से तो कम नह&ं है ।
नरे श-अ>छा सौदामनी है ।
सौदामनी-हां भइया ।आपक वजह से ाइवेट फाम भी भर गया । कूल म/ नौकर& भी
लग गयी । पापा का पहरा भी हट गया कहते हुए सौदामनी नरे श का पैर छूने को
लटक । नरे श उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोला जा बहन खा◌ा◌ूब तरHक कर ।
गीतारानी ने तरHक के साथ सु:दर घर-वर तथा गोद हर& होने तक का आशxवाद दे
डाला ।
सौदामनी बोल&- भाभी इतना कुछ एक साथ ।
गीतारानी-ननद क खश
ु ी म/ तो हमार& भी खश
ु ी है ।
सोदामनी-s◌ौ◌ंक यू भइया भाभी कहते हुए वह कूल क ओर चल पड़ी।
समय अपनी ग0त से चल रहा था इसी बीच गीतारानी को कई बीमाOरय) ने m◌ोर लया
। नरे श क नौकर& पर भी खतरा मड़राने लगा था जा0तवाद क वजह से । प>चास लोगे
के दफतर म/ अकेले छोट& जा0त का नरे श ह& था । दफतर के कुछ Iखसयाये लोग बाहर
फ/कने पर तलू े हुए थे ।नरे श दफतर म/ हो रहे द_यवहार और पनी क बीमार& के
भंवरजाल म/ फंसा बढ ू ा होने लगा था । उधर ठाकुर चाचा के पOरवार म/ कलह का तफ
ू ान
रह-रहकर उठने लगा था । इसी कलह क वजह से ठाकुर चाची एक दन जहर खा ल&
<फर सौदामनी भी । बड़ी मिु Qकल से नरे श और गीतरानी क भागदौड से दोनो मां -बेट&
क जान बचा थी । एक दन सुबह सामने वाले घर म/ रोना चलाना शु? हो गया ।
गीतारानी दौड़कर पछ
ू N तो पता चला क सीता ने जहर खा लया है । सीता क भी जान
इ:ह& दोनो -प0त पनी क दौड़धप
ू से बची । इसी बीच नरे श के पास म/ जा0त 0छपाकर
रहने वाले राम<फरलाल ने नरे शबाबू से OरQता जोड़ लया जब<क दरू तक कोई OरQता तो
था नह&ं पर जातीय OरQता था । राम<फरलाल का OरQता खल
ु ेआम तो नह&ं था जातीय
पोल खल
ु ने क डर से । अ:दर ह& अ:दर ाढता हो गयी थी । वह गीतारानी के गरते
हुए वाथ और मकान मालक के घर और आसपास जहरखम ु ार& क वजह से <कराये
का घर बदलवाने क िजद पर अड़ गया । ठाकुरचाचा के न चाहने और सौदामनी के
आसूं बहाने के बाद भी राम<फरलाल ने <कराये का घर खाल& करवाकर पास के
म.ठमलौ0तया के मकान के दो कमरे <कराये पर दलवा दया ठाकुरचाचा के दो कमरे
के <कराये के घर से सौ ?पया और अधक <कराया दलवाकर । म.ठमलौ0तया भी छोट&
Yबरादर& के ह& थे,OरजवDशन के बदौलत कूल म/ अEयापक हो गये तो थे पर खद
ु को
नरे श क जा0त से उुं ची जा0त का मानते थे । रह -रह कर जातीय अभमान उबल पड़ता
था । [यो [यो समय Yबतने लगा म.ठमलौ0तया रं ग बदलने लगे । कभी पहले पानी
भरने पर चढ जाते तो कभी कोई दस
ू र& बात पर । नरे श लैटन बाथ?म म/ बब लगाते
वे 0नकालक फयूज लगा दे ते । पानी का नल ब:द कर दे ते । इसी बीच स:तोष ने
पुराना कूटर खर&द लया । Hूटर को दे खकर म.ठमलौ0तया बोले नरे श साइ<कल खड़ी
करने क परमशन थी तुFहारे कूटर को खड़ा करने के लये जगह कहां से आयेगी ।
बहुत सी सुLवधाओ का उपभोग कर रहे हो पर <कराया नह&ं दे रहे हो । तुFहारा बेटा
गुलाब पानी बहाता रहता है ,द&वाल ग:द& कर रहा है । लै|न बाथ?म का उपयेाग बढ
गया है पानी का उपयोग बढ गया है अब कूटर खड़ा करने के लये जगह चाहये इन
सब के लये <कराया बढाना पड़ेगा । इसी बीच म.ठमालौ0तया गरम पानी जासनबूझ
कर या अनजाने म/ डाल दया ये तो भगवान जाने पर नरे श को बीस हजार ?पय/
र&नकज कर गीतारानी के इलाज पर लगाना पड़ा । पुलस केस बन रहा था पर नरे श ने
कहां बाप समान म.ठमलौ0तया है अनजाने म/ पानी उपर गर गया होगा । जब तक
गीतारानी अपताल म/ थी तब तक म.ठमलौ0तया का _यवहार थोड़ा ठNक थी पर एक
टाइम क रोट& के लये कभी नह&ं पूछे जब<क गुलाब महज साल भर का था । यह वHत
बहुत बरु ा था नरे श के लये बीवी अपताल म/ न:हे ब>चे क दे खभाल उपर से दफतर
वाल) तनी भौहे तीसरे नौकर& पर लटक तलवार । खैर भगवान ने सभी मस ु ीबतो से र ा
<कया । तीस 0तशत जल& गीतारानी मह&ने भर के बाद Oराये के घर म/ वापस आयी ।
गीतारानी के घर वापस आते ह& म.ठमलौ0तयां के तेवर तख हो गये वे <कराया बढाओ
या जद& घर खाल& करो क रट लगा बैठे ।
यह बात नरे श राम<फरलाल से बताया तो वह म.ठमलौ0तया के दलाल क तरह बोला
बढा दो <कराया । मकान बानाने म/ पैसा लगता है जब<क बाजार भाव क तल
ु ना म/
पहले से ह& घर का <कराया अधक था । िजतना <कराया नरे श जनता Hवाटर का दे रहा
था उतने म/ अ>छN कालोनी म/ घर मल सकता था जा0तवाद का नरLपशाच आड़े आ जा
रहा था वैसे यहां भी कम न था । गीतारानी और नरे श आपस म/ Lवचार मश कर दस
ू रा
<कराये का घर लेने का 0नQचय कर लया । यह खबर लगते ह& राम<फरलाल बौखला
गया । वह भी म.ठमलौ0तया के षणय: म/ शामल हो गया । मकान न खाल& करने
और <कराया जबदती बढाने के लये चारो ओर से m◌ोराव करने लगा । नरे श ने <कराये
का घर खोजन शु? कर दया । नरे श जहां घर दे खकर आता वहां राम<फरलाल क
घरवाल& काल& Yबल& क तरह पांव दबाये पहुंच जाती । घर न दे ने क मशLवरा दे आती
कभी छोट& जा0त का बता कर तो कह&ं पड़ोसी होने क कसम दे कर तो कभी बहुत खराब
लोग है या0न <कसी ना <कसी तरह से मकान मालक का m◌ोराव कर दे ती यद नह&ं
होता तो प0त राम<फरलाल के साथ म.और मसेज ठमलौ0तया को ले जाती । कुछ
मलाकर <कराये का घर नह&ं लेने दे ती । दस
ू र& तरफ <कराया बढाने पर जोर बढता जा
रहा था । घर न खाल& कर पाये इसके लये m◌ोराव भी पूर& तरह से हो रहा था ।
म.ठमलौ0तया नेश क नेक को भूल चुके थे उनक बेट& अ:तधामक लड़के के साथ
शाद& करने क िजद न पूर& होने के कारण जहर खा ल& थी । ऐसे बुरे वHत म/ नरे श ह&
काम आया था । दस
ू रे गीतारानी के उपर खौलता पानी डाल दये । नरे श न जेल जाने से
बचाया था । वह& म.ठमलौ0तया अपने से छोट& जा0त का मानकर अधक <कराया वसूल
करने के लये दबाव बना रहे थे । मुंह पर तो घर खाल& करने को बोल रहे थे पर पीछे
से m◌ोराव कर रहे थे <क ये घर न खाल& कर पाये । ये सब षणय: अधक <कराया
वसूलने के लये <कया जा रहा था । इस षणय: म/ राम<फर लाल और उसका पOरवार
भी शामल था ।
आIखरकार नरे श ने जनता Hवाटर से दरू क मीaडल Hलास-॥ कालोनी म/ घर दे ख लया
। इसक भनक राम<फरलाल को लगी गयी वह म.ठमलौ0तया को साथ लेकर मकान
मालक लालाजी के पास गया । म.ठमलौ0तया से पहले राम<फरलाल बोला लालाजी सुना
है अपना घर नरे श को <कराये पर दे रहे है ।
लालाजी-ठNक सन
ु ा है ।
राम<फरलाल-जानते है नरे श कौन है ।
लालाजी-हां । छोट& जा0त का है । छोटे ओहे द पर काम कर रहा है ।जा0तवाद ने उसका
जीना दभू र कर दया है । बहुत पढा लखा है । तF
ु हारे खानदान म/ वैसा पढा लखा कोई
नह&ं तो होगा ।
राम<फरलाल-अछूत को घर दे रहे है ।
लालाजी- तम
ु ठाकुर हो या यादव या चमार कौन हो बताओ जरा म; भी तो जानंू ।Hय)
एक श त और नेक आदमी को चैन से जने नह&ं दे रहे हो ।
लालाजी क बात सन
ु कर राम<फरलाल के पैर के नीचे क जमीन Iखसक गयी। वह पोल
खल
ु ने क डर से चप
ु रहा । म.ठमलौ0तया बोले लालाजी घर आपका है ,भंगी को दो या
चमार को◌े हम कौन होते है रोकने वाले ।
लालाजी-Hय) अपने वाथ के सपनो क बारात के लये भलेमानष
ु के सपन) क बारात
म/ आग लगा रहे हो । जा0त नह&ं आदमी को दे खो । छोटे ओहदे पर काम करते हुए
द0ु नया को सीख दे रहा है अपने हुनर से । अरे छोट& जा0त का है तो Hया । <कतना बड़ा
ह; आदमी है कभी सोचा है । राम<फरलाल और ठमलौ0तया तुम दोनो एक दन नरे श के
सामने सर झुकाओगे । जाओ म; बात का पHका हूं घर नरे श को ह& दं ग ू ा । तुम <कराये
का घर एक भले मानुष को नह&ं लेने दे रहे हो जानते हो ये तुFहारा शर&र भी <कराये का
है । यह भी एक दन खाल& होगा पता नह&ं एक मुWठN माट& पायेगा भी क नह&ं ।
OरQतेदार& के नाम पर कलंक राम<फरलाल और और आदमयत के दQु मन ठमलौ0तया के
m◌ोराव के बाद भी नरे श <कराये के घर को खाल& कर लालाजी के <कराये के घर म/
शफट हो गया । pम क मडी म/ सुकरात साYबत हुआ नरे श कुछ बरस) के अ:दर र&न
कज कर एक छोटा सा घर बनाकर <कराये के घर से फुसत तो पा गया पर बूढ& ?ढवाद&
_यवथा से नह&।
14-हयाOरन
नरे शराव पारोबाई से Rयाह कर बहुत खश
ु था। उसका गह
ृ त जीवन हं सी-खश
ु ी Yबत रहा
था । मु:ना के ज:म से खशु ी और अधक बढ गयी। अचानक हुए एHसीडेट ने नरे श
के सपन) क बारात को रoद दया । उसे मरणास:न अवथा म/ अपताल म/ भती
करवाया गया। जान तो बच गयी पर एक पैर कमर के नीचे से कट गया । नरे श
अपताल म/ था,इसी बीच चार साल तक करवा चौथ पर चांद दे खकर जलcहण करने
वाल& पारोबाई पैसे वाले अE◌ोड़ म.हड़पच:द के साथ भाग कर Rयाह कर ल& । मु:ना
नाना-नानी के घर पलने बढने लगा । नरे श के उपर तो मुसीबत का पहाड़ पहले ह& गर
चक
ु ा था । घरवाल& के भाग कर दस
ू रा Rयाह कर लेने क खबर ने उसे तोड़ कर रख
दया ।
कई मह&न) के बाद नरे शराव घर आया । िजस घर म/ खश
ु ी के तराने गंज
ू ा करते थे
,सपनां◌े क बारात से सजा घर टांग कटते ह& उसे डंसने लगा । डंसता भी Hय) ना इस
घर म/ अब तो कोई पानी दे ने वाला भी तो न था । तीन भाई -बहन तीन जगह थे ।
भाइयn ने हाथ खींच लये । नरे शराव को बस बहन का सहारा बचा था । आIखरकार
अपाहज भाई क तरफ कुमार&बाई ने हाथ बढाया ।
कुमार& बाई के प0त पेटव:तराव और उसके ब>च) ने नरे शराव का भरपरू सहारा दया ।
बहन-बहनोई,भानजी-भानजे के असीम ेम से◌े नरे शराव के शार&Oरक और मानसक दशा
म/ चमकाOरक पOरवतन हुआ । वह Lवकलांग साइ<कल के सहारे चलने -<फरने लगा पर
पनी क बेवफाई से◌े उसके मन म/ बैराTय उप:न हो गया । उसके बैराTय को दे खकर
भाइयn ने उसक दौलत पर कRजा करने के यास बढा दये पर:तु उसक परवOरश के
लये कोई तैयार न था। भाइयn क 0नय0त को दे खकर कुमार&बाई ने नरे शराव को सलाह
द& गयी वह सFप0त दोनो भाइयn म/ बांट दे ता<क भाइयn से मनमुटाव न रहे । उसका
मायका बना रहे , भाई-भाई बने रहे । वैसे भी उसे भाई क सFप0त से कोई सरोकार नह&ं
था । हां नरे श क िज:दगी से सरोकार भरपूर था जब<क भाइयn को सफ सFप0त से था
। पनी तो पहले ह& भाग गयी थी दो साल के मु:ना को लेकर । सात ज:म तक साथ
0नभाने का वादा करने वाल& पारोबाई बेचारे नरे शराव पर मुसीबत पड़ते ह& दगा दे गयी।
वह& नरे श जो कुछ दन पहले पारोबाई के लये द0ु नया का सबसे अ>छा प0त था । वह&
पनी अपना दQु मन मान बैठN । इतना ह& नह&ं वह नरे शराव से मु:ना को बेटा कहने तक
का हक 0छन ल& थी । वह अपाहज बाप क परछाई मु:ना पर नह&ं पड़ने दे ना चाहती
थी । मु:ना को नावद मां-बाप को सoप कर खद
ु पैसे वाले _यिHत के साथ ऐश करने
लगी ।
हारे हुए जुआर& क भां0त नरे शराव अपनी सFप0त भाइयn म/ बांटकर बहन-बहनोई का
आpत बन चक
ु ा था । बहन कुमार&बाई और उसका पOरवार नरे श क खश
ु ी के लये हर
यास करते पर उसक अ:तरामा रोती रहती । भानजा 0छRबरराव बेटा बनकर नरे श
राव के चेहरे पर खश
ु ी लाने के यास करता । नरे शराव ने अपना फज अदा <कया वह
गाड़ी चलाने क परमट 0छRबरराव को हता:तOरत कर दया । समय के बदलाव के
साथ नरे श के घाव त0नक भरे तो वह 0छRबरराव के साथ गाड़ी पर चलने क िजद करने
लगा । 0छRबरराव मामा क तकल&फ को दे खते हुए घर पर रहकर आराम दे ने क िजद
करता Hयां◌े<क त0नक चलने के बाद नरे शराव के कटे प;र म/ भयावह दद शु? हो जाता
िजससे पूरे घर का चैन 0छन जाता था । बहन के घर म/ नरे शराव को भरपूर `यार मला
पर इलाज के बाद भी दद कम न हुआ । दद के साथ नरे शराव का बेटा म:
ु ना भी बढने
लगा था । नरे शराव को अब बेटे क <फj सताने लगी थी । वह सभी से 0छपकर बेटे से
कभी कभी मल भी लेता था जब<क पारोबाई और उसके नये प0त क न मलने क
सMत हदायत म:
ु ना को थी । मां और सौतेले बाप क बंदश) के बाद भी बारह साल का
म:
ु ना सगे बाप से <कसी मंदर म/ बैठकर अपना दख
ु -सख
ु बांट लेता था ।
बारह साल के बाद एक दन ातः सयाOरन क तरह फोन कराहने लगा । फोन के बनजे
क आवाज सन
ु कर भागकर कुमार&बाई ने Oरसीवर उठाया ।
हे लो-कुमार&बाई बोल रह& है ?
कुमार&बाई-हां ।
दस
ू र& तरफ से -नरे शराव आपके भाई है ।
कुमार&बाई- हां पर वह घर पर नह&ं ह; OरQतेदार& गये है तीन दन हो गया ।
दस
ू र& तरफ- अब नह&ं आएगे ।
कुमार&बाई-Hया हो गया भइया को ।
पुनः दस
ू र& तरफ से -म; पुलस टे शन से बोल रहा हूं । हाइवD पर एक लाश मल& है
िजसका एक पैर लोहे का है । पास ह& एक लाठN और पानी क बोतल पड़ी हुई है । लाश
के सुसाइड नोट से मले नFबर से फोन कर रहा हूं। इतना सुनते ह& कुमार&बाई को अटै क
आ गया वह वह& गर पड़ी ।
0छRबरराव- चलाया अरे चह
ू े क मFमी जद& पानी लेकर आ दे ख मां को Hया हो गया
। फूलकुमार& ससुर जी को आवाज लगाते हुए बोल& अरे बाबू जी कहां हो दे खो अFमाजी
को Hया हो गया जद& अपताल ले चलो ।
0छRबरराव ढाढस बंधाते हुए बोला चलाओ मत । पानी का छNंटा मारो कहकर हे लो कहां
से बोल रहे है फोन पर बोला म; 0छRबर बोल रहा हूं ।
दस
ू र& तरफ से -जनाब म; पुलस टे शन से बोल रहा हूं । हाइवD पुलया के पास एक
लाश मल& है । सFभवतः यह लाश नरे शराव क है आप तुर:त पहुंचे ।
0छRबरराव-मामा क लाश । ऐसा कैसे हो सकता है ।
पुलस-Hया सह& है Hया गलत यह तो शनाMत के बाद पता चलेगा । मेहरबानी कर आ
तो जाइयD ।
0छRबर पडोसय) के दरवाजे खटखटाया कुछ दे र म/ काफ लोग इHWठा हो गये कुछ लोग
कुमार&बाई को अपताल क ओर लेकर भागे । 0छRबरराव दो चार लोग) को लेकर हाइवD
क ओर जहां पुलस को लाश मल& थी ।
0छRबरराव-पुलस कांटे बल को सलाम ठ)का ।
पुलस-Hया आप 0छRबर है लाश क शनाMत करने आये है ?
0छRबरराव-जी ।
पु लस जवान ने लाश के मंह
ु पर से कपड़ा हटाया ।
0छRबरराव लाश का दे खकर मामा... तम
ु ने ऐसा Hयो कर लया । <कस जम
ु  के सजा दे
गये मामा... कहकर फूट-फूट कर रोने लगा । त0नक भर म/ हाइवD पर जाम लग गया ।
पु लस को नरे शराव का सस
ु ाइड नोट पहले ह& उसके कमीज के पैकेट से मल चक
ु ा था ।
सुसाइड नोट म/ लखे नFबर से ह& तो पुलस ने फोन <कया था । सुसाइड नोट म/
नरे शराव ने लखा था -
म; खद
ु अपनी मौत का िजFमेदार हूं । मेरे <कसी भी पOरजन को परे शान <कया जाये । मै
अपनी तकल&फ से हार चक
ु ा था । हमेशा-हमेशा के लये दद से छुटकारा पाने के लये
मैने यह कदम उठाया है । पु लस क सLु वधा के लये बहन-बहनोई के घर का टे ल&फोन
नFबर लख दया हूं ।
लाश क शनाMत हो गयी । पु लस ने लाश को पोटमाट म के लये सरकार& अपताल
^◌ोजने का ब:दोबत कर दया पर कोई आदमी लाश को हाथ लगाने को तैयार ने था ।
जहर का इतना Lवफोटककार& असर था <क नरे शराव के छः फूट लFबे और भार& शर&र
से ह& नह&ं खोपड़ी से भी बदबूदार& खन
ू के फRबारे 0नकल रहे थे । बड़ी मुिQकल से लाश
पोटमाट म के लये रवाना हो पायी । पोटमाट म के बाद नरे शराव क लाश गठर& क
शHल म/ बहन कुमार& बाई के दरवाजे पर आयी । बेचार& कुमार&बाई अपताल म/ जीवन
मौत से संघष कर रह& थी । कालोनी के हर शMस के जबान पर बस एक ह& सवाल था
दन म/ िजतनी बार मलो उतनी बार राम राम करने वाले कालोनी के मामा ने
आमहया Hय) <कया ? नरे शराव मामा कई सवाल छोड़कर अनजाने लोक को थान
तो तीन दन पहले कर चुके थे ।
आIखरकार नरे शराव क शव जनाजा बहन कुमार&बाई क चौखट से 0नकला । इस जनाजे
म/ कालोनी के लोग और नातहत शामल हुए । मामा क लाश मालवा मल के
मुिHतधाम पर पंचतव म/ Lवल&न हो गयी । भाई लोग कमाई म/ हसा ले◌ेकर कर दरू
जा चक
ु े थे । । सारा <jया-कम बहन के घर से Lवध-Lवधान पूवक
 सFप:न हो रहा था
। कुमार&बाई का अपताल म/ इलाज चल रहा था । त0नक होश म/ आती। आंसू बहाते
हुए कहती हतयाOरन
् पारोबाई 0नरापद नरे श भइया को खा गयी और <फर बेहोश हो जाती
। काफ लFबे इलाज के बाद कुमार&बाई पOरवार म/ वापस तो आ गयी पर वह
अधLव `त क तरह बस यह& रट लगाये रहती -हयाOरन पारोबाई भइया को खा गयी।
हयाOरन पारोबाई भइया को खा गयी.............. । महलाय/ खद
ु के आंसू पोछते हुए
समझाती-अरे सात ज:म) तक साथ 0नभाने के लये सात कसम/ खाकर उ:ह& कसमो को
तोड़ने के जुम क सजा हयाOरन को ज?र मलेगी ।भगवान के घर दे र है अंE◌ोर नह&ं ।
कुमार&बाई कहती जब तक भगवान हयाOरन को सजा दे गा तब तक तो आंखे पथरा
जायेगी और बेहोशी के आगोश म/ चल& जाती । सारे इलाज के फेल हो जाने के बाद
चह
ू े नम
ु ा पोते के पश ने दाद& क खोई यादाQत को वापस ला दया । बेटा म:
ु ना के होश
सFभालते ह& पारोबाई क करतत
ू े सामने आ गयी । पारोबाई म:
ु ना के लये मर गयी ।
वह अपनी अलग द0ु नय बसा लया खद
ु को नरे शराव का बेटा साYबत कर । पारोबाई
अधLव `त हो गयी । म.हड़पच:द पागल पनी को घर से लाकर सड़क पर पटक दया
।ब>चे पारोबाई के मंह
ु पर थक
ू ते बड़े कहते ना थकते थे दे खो-हयाOरन को सजा मल
गयी । सगे-सFबि:धय) क गवाह& म/ मांग म/ सधरू भरने वाले प0त के सपन) क बारात
म/ आग लगाने वाल& परोबाई कब तक भगवान क आंख म/ धल
ू झ)क सकती थी।
भगवान ने :याय कर दया ।
न:दलाल भारती
15- आदमी ।
आदमी क MवाहQ◌ो◌ं होती है <क वह सपन) क बारात को कुसु मत करे । योTयता को
पया`त मौका मले,मान-सFमान क रोट& के साथ समानता का हक पाये पर:तु Lवष क
खेती करने वाले सपन) क बारात को रौदने के लये कमर कस लेते है िजससे कमजोर
आदमी के सपने चकनाचूर हो जाते है । कमजोर आदमी आज के इस युग म/ भी योTय
होकर भी अयोTय हो जा रहा है मानवता पर दाग साYबत हो चक
ु  जातीयता के कारण
।दबंग) iवारा कमजोर के राह म/ कांटे Yबछाये जाते रहते है ता<क वह Lवप:नता के
दलदल म/ फंसा जी हजूर& करता रहे । बस सांस भरने क िथ0त म/ कमजोर रहे इससे
[यादा कुछ हुआ तो तरHक के Mवाब दे खने लगेगा । कभी तो कमजोर क तरHक के
Mवाब ऐसे रौद दये जाते है <क वह सपने दे खना छोड़ दे ता है । यह& कारण है <क आज
भी कमजोर आम आदमी तरHक नह&ं कर पाया है । वह हाड़फोड क बदौलत रोट& का
इ:तजाम कर ले रहा है पर:तु उसे सामािजक तर पर मानव होने का हक आज के इस
भूमडल&यकरण के युग म/ भी नह&ं मल पाया है ,इस स>चाई क [वल:त उदाहरण है
जा0तवाद और जा0तवाद के नाम पर हो रहा वंचत) का संहार ।
सामािजक बंदश) म/ कैद कमजोर आदमी लाख Q◌ौ Iणक योTयता के बाद pम क
मडी म/ फेल हो जाता है , उसके अवसर 0छन लये जाते है ,उसे तरHक से दरू फ/क दया
जाता है । िजसक वजह से कमजोर/ शोLषत _यिHत असमय बूढा हो जाता है । ऐसे लोग
के लये तरHक बस व`नमा होकर रह जाती है । Q◌ो◌ाLषत _यिHत क अव:न0त का
कारण Lवषमतावाद& और LवEव:स मानसकता ह& है आज के इस दौर म/ भी ।
Q◌ौ Iणक और Lवiवता क vिKट से उ>च _यिHत को भी सामािजक मा:यता ा`त
भारतीय जातीय 0नFनता दोयम दजD का आदमी बना दे ती है । आइये हम आपको ऐसे
ह& एक जातीय Lवप:न Q◌ौ Iणक और Lवiवता क vिKट से सFप:न द&नदयाल नामक
_यिHत क <कसा सन
ु ाते है ।
गोवधन- भू मका म/ समय न गंवाओं वHतनरायन कहानी सन
ु ाओं । दे खो सब तF
ु हारा मंह

ताक रहे है ।
वHतनरायन - हां सु0नये द&नदयाल क कहानी । द&नदयाल का ज:म शोLषत पOरवार म/
हुआ था । नतीजन अं◌ाख खलु ते ह& उसे सामािजक आथक या0न हर तरह क मिु Qकल)
का सामना करना पड़ा। मां बाप क तकल&फे उसे चैन से सोने नह&ं दे ती थी । मां-बाप
को सख
ु दे ने क चाह म/ रात दन एक कर पेट म/ भख
ू M◌ु◌ाल& आंख) म/ सपने बसाये
पढ लख गया । घर क आथक तंगी और जातीय उपीड़न से परे शान होकर वह शहर
क ओर चल पड़ा । शहर म/ उसे त0नक समानता क छांव मल& पर:तु मौके-बेमौके
जातीय Lवषघर डंस भी जाता । खैर, शहर ने फांके से मरने <क िथ0त से उबार लया ।
उसे लाख) अिTन पर& ाय/ पास कर एक कFपनी म/ मामल
ू & से ओहदे क नौकर& मल
गयी । दर-दर भटकने से बेहतर था <क वह पOरिथ0तय) से समझौता कर नौकर& थाम
ले । वह यह& <कया और मेहनत,लगन और इमानदार& के डयूट& बजाने लगा । उसे
कFपनी म/ उसे अपने उ[जवल भLवKय क सFभावना थी। दभ
ु ाTयबस जातीयता क संड़ाध
कमजोर वग के _यिHत को कह& भी चैन से जीने नह&ं दे ती द&नदयाल कहां बंच सकता
था । रह-रहकर तूफान उठ जाता था िजससे सFभावनाये कुचल जाती थी पर:तु
द&नदयाल योTयता के धागे से टूट& सFभावनाओं क मरFमत कर अपनी राह पर चल
पड़ता था । खैर गहरे घाव के 0नशाने तो अमट होते है चाहे वे घाव समाज से मल हो
या pम क मडी से । भले ह& ऐसे घाव बाय ?प से न भी दखे पर आ:तOरक ?प से
तो Oरसते जMम साYबत होते है । ^◌ोदभाव का तफ
ू ान अ_वल दजD के कमजोर वग के
आदमी को दोयम दजD का आदमी बना दे ता है और सपन) क बारात को तहस नहस भी
कर नौकर& से बाहर कर दे ने तक का षण: रच दया था,कहते है ना लाख मुदई चाहे तो
Hया होता है ,वह& होता है जो मंजूरे खद
ु ा होता है । द&नदयाल हर हादQ◌ो से बार-बार बच
जाता । हां उसे कोई तरHक तो नह&ं मल पायी, हां मानवता के दQु मन) ने आंसू ज?र
दये हाई Hवाल&<फकेश:श का जनाजा 0नकालकर जा0तवाद के भाले क न)क पर ।
द&नदयाल क नौकर& चल रह& थी हां तरHक क उFमीद मर रह& थी पर उसे सFभावना
बलव:ती थी <क उसक Q◌ौ Iणक योTयताये भले ह& पद और दौलत क चाहत न पूर&
कर पाये Lवiवत समाज के बीच 0नशान तो छोड़ ह& दे गी । इसी सFभावना क
आHसीजन पर सार& बाधाओं को नजरअंदाज कर आंसू के घूट पी-पी कर हर कदम फूंक-
फूंक कर रखते हुए अपने मकसद को अंजाम दे ने म/ जुट गया था । दबंग लोगो को
द&नदयाल का यह उपलिRध भी रास नह&ं आ रह& थी । केवलनरायन ने तो खल ु ेआम
दबंगो क मडल& बनाकर द&नदयाल के Lवरोध पर उतर गया था । द&नदयाल का काम
के 0त समपण उसे मिु Qकले के भंवर म/ जझ
ू ने के बाद भी सफल कर दे ता था । इससे
मानवता के LवZोह& और जल-भन
ु जाते थे ।
गोवधनबाबू -तम
ु कहानी सन
ु ा रहे हो या आपबीती ?
वHतनरायन-आपबीती लग रह& है तो वह& मान ले । यह ससकती हुई स>चाई आज भी
आपको मल जायेगी चाहे आध0ु नक यग
ु क pम मडी हो या परु ातन ?ढवाद& समाज ।
गोवधनबाबू -कहानी कह रहे हो पर स>ची घटना लग रह& है ।
वHतनरायन-कहानी म/ आपको स>चाई नजर आ रह& है । ऐसी स>चाई का सामना
<कसी वंचत वग को न करनी पड़े यह& मेरा उiदे Qय है गोवधन बाबू ।
गोवधनबाबू -आगे कहानी सन
ु ाओ........
वHतनरायन-हां कहानी आगे बढाता हूं । जैसा<क पहले ह& द&नदयाल क Q◌ौ Iणक
योTयता का उलेख कर चक
ु ा हूं ।
समयकुमार-हां कह चक
ु े हो । आगे Hयो हुआ ? द&नदयाल को तरHक मल& क नह&ं ?
वHतनरायन-परत-परत दर सब कुछ सामने आ जायेगा ।
गोवधनबाबू-कमजोर क तरHक कहां <कसको भाती है ।द&नदयाल क भी कहानी मन को
सकून तो ननह&ं दे रह& है ◌े पर आगे क कहानी सुनाओ ।
वHतनरायन-कहते है कमजोर जानवर को कलनी बहुम पकड़ती है वैसे ह& कमजोर
आदमी को दं बग आदमी भी बहुत सताते है । वैसे तो द&नदयाल क उपिथ0त Lवभाग म/
<कसी को भाती नह&ं थी Hया<क/ वह& तो इकलौता कमजोर वग से था पर:तु यहां फजx
aडcी से शास0नक मैनेजर का पद हड़पने वाले वस:तफजx क िजj करना ज?र& लगता
है ।
चjनरायन-ये वस:तफजx नया खलनायक कहां से बीच म/ आ गया ।
वHतनरायन-वस:तफजx के पास चपरासी के योTयता क पढाई थी पर जातीय pेKठता
जोड़तोड़ और फजx aडcी के बल वह शास0नक मैनेजर Lवभाग म/ बन गया था ।
द&नदयाल के पास कई aडcयां थी Hय)<क वह दफतर के घाव को भुलाने के लये रात
का कालेज [वाइन कर लया था छः साल से । वह मानव Lवकास संसाधन क पर& ा
पास करने के बाद Lवभाग म/ कैडर च/ ज क अजx दे दया ।बड़े साहब ने अजx बस:त को
फावड कर दया । अजx दे खते ह& वस:त द&नदयाल को फोन लगया ।
समयकुमार- फोन पर वस:त ने मुबारकवाद द& ।
वHतनरायन-घाव ।
चjकुमार-वो कैसे ?
वHतनरायन-वस:त बोला द&नदयाल तम
ु ने मM
ु यालय के पOरप का उलंघन <कया है
कैडर चे:ज के लये आवेदन कर । तम
ु कायालय के आदे श के उलंघन के बदले दड
मल सकता है पर तF
ु हार& अजx आगे नह&ं बढायी जा सकती । मM
ु यालय के पOरप
क 0त ,तF
ु हारा आवेदन और बड़े साहब के हता र से जार& नोटस तF
ु हे ^◌ोजी जा
रह& है पर:तु ये कभी न मले । हां अजx कचरे के हवाले ज?र हो गयी होगी । इसके
बाद द&नदयाल ने अजx न दे ने क कसम खा लया Hय)<क वह अब Lवभाग म/ भी दोयम
दजD का आदमी घोLषत हो चक
ु ा था समाज ने तो पहले ह& बना दया था ।
चjकुमार-द0ु नया म/ भले ह& आदमी आदमी हो पर:तु अपने दे श म/ आदमी जा0त के
नाम से पहचाना जाता है । सचमच
ु यह तो दभ
ु ाTय ह& है इस दे श का । इसी ^◌ोदभाव
के चj म/ जातीय दं गे फसाद,शोषण,उपीड़न और भी अमानवीय घटनाये होती रहती है
। यह& ^◌ोदभाव क आग द&नदयाल जैसे लोगेां के सपन) क बारात को भी भम कर
दे रह& है ।
वHतनरायन-द&नदयाल के साथ तो सचमच ु म/ बहुत बरु ा हुआ । बड़े से बड़े पद क
योTयता होते हुए भी उसे आगे नह&ं बढने दया गया । द&नदयाल को उचे ओहदे पर नह&ं
जाने दे ने क कई साम:तवाद& अफसरो ने कसमे तक खा ल& थी । आIखरकार वह& हुआ
जातीय pेKठता के नाम पर योTयता को कैद& बना दया गया । अयोTय पर:तु जातीय
pेKठ लोग) को धड़ाघड़ उपर पहुंचाया जाता रहा ।
समयकुमार-गांव-समाज मे जैसा ^◌ोदभाव होता है वैसा दफतर) म/ भी होता है Hया ?
चjकुमार-इसका [वल:त उदाहरण द&नदयाल का सुलगता भLवKय है ।
वHतनरायन-ठNक कह रहे हो । आज भी जा0तवाद क जड़) को कमजोर वग के सपन)
का दहन कर पोLषत <कया जा रहा है । द&नदयाल को हर तरह से दबाकर रखा जाता
था । उसके काम को लटका कर रखा जाता था । उसके कूटर के लोन को मैनेजर,
म.सुरे:द साहब ने साल भर लटकाये रखा । द&नदयल के बार-बार क खोजबीन के बाद
मैनेजर महोदय बोले तुFहारा कोई आवेदन नह&ं मला है दस
ू रा ^◌ोजो । दस
ू रे पर भी
कार वाई होने म/ छः माह लग गये। इस बीच कमत भी बढ गयी। मतलब कोई कोर
कसर नह&ं छोडी जाती थी द&नदयाल के सपनो के दहन के लये अभमा0नय) iवारा ।
गोवधन-द&नदयाल क खुशी तो बीमार क हं सी होकर रह गयी ।
वHतनरायन-ठNक कह रहे है । द&नदयाल क सपन) को साम:तवाद का जंग खा गया ।
आसमान छूने वाल& योTयताय/ फेल कर द& गयी हर पर& ा म/ । द&न दयाल मामूल& से
कलक क नौकर& से Oरटायर हो गया जब<क योTतयाधार& कलक भी कई कई Lवभाग) म/
बड़े-बड़े पदो पर पहुंच जाते है जहां पर योTयता को वर&यता द& जाती है । द&नदयाल बड़े
पद पर तो नह&ं पहुंच पाया पर:तु दोयम दजD के आदमी क उपाध ज?र मल गयी
वह भी अपने ह& दे श म/ ।
समयकुमार-आदमी दोयम दजD का कैसे हो सकते है ,आदमी तो आदमी ह& होता है ।
गोवधन-बात तो सह& है पर:तु यहां तो जा0तवाद के नरLपशाच ने कमजोरवग को दोयम
दजD का ह& बनाकर छोड़ा है । काश यह अमानवीय दFभ टूट जाता तो हाशये के आदमी
क खश
ु ी शदय) के गम को पछाड़़ दे ती । वHतनरायन अभी <कसा <कतने दे र क है ।
वHतनरायन-<कसा तो खम हो गया द&नदयाल के Oरटायर होते पर:तु असल& <कसा
तो तब खम होगी जब दे श से जा0तवाद खम हो जाये ।
16-OरQते का धागा ।
सध
ु ा-मFमी फोन लो ।
[यो0त-<कसका है ।
सध
ु ा-मामा है ।
[यो0त कौन से मामा ।
सध
ु ा-बात तो करो ।
[यो0त- कानूनीतौर पर मार& गयी बहन से Hया बलदान चाहते हो ? अब Hया बचा है ?
कw के मुदD क याद कैसे आयी ?
जग काश- गलती का एहसास हो गया है । द&द& तुम भूल& ह& कब थी ।
[यो0त-मां-बाप के मरने के बाद भला मेर& याद Hय) आयेगी । बाप क छोड़ी दौलत पर
कRजा करने के लये मेर& मौत का हलफनामा कौन से OरQते क गवाह& करता है ।मेरे
कानूनी कल से तुम भाइयn और सौतेल& मां क हवश पूर& नह&ं हुई तो अब कैसे होगी ।
जग काश-द&द& तुFहारे कानूनी कल के अपराधी सौतेल& मां सहत हम तीनो भाई भी है

[यो0त-तुम सबका मा-बाप क दौलत पर कRजा तो हो गया ना । अब तो मुझे चैन से
जी लेने दो तुम लोग । बाप क जमीदार& म/ हसा तो मुझे नह&ं चाहये था । इसके
बाद भी तुम लोगो ने सािजश रचकर कानून क नजर) म/ मुझे मर& हुई साYबत कर दया
। Hया यह काल& करतूत भाई-बहन के OरQते को खम करने के लये कम है ? िजस बहन
को भाइयn ने कागजी मौत दे द& हो उस बहन के मायके कसाइखाना के सवाय और Hया
हो सकता है ?
जग काश-द&द& ऐसा न कहो । OरQते ऐसे तो खम नह&ं होते । गलती हुई है लालच म/
आकर । द&द& OरQते का धागा न टूटा है और ना कभी टूट सकता है ।
[यो0त-तुम लोग चाहते तो मै लखकर दे द& <क मुझे मां-बाप क दौलत म/ हसा नह&ं
चाहये । कानूनीतौर पर म; 0नरापद मरती नह&ं और न खन
ू का Oरशता
् खम होता ।
जग काश-OरQते के धागे को बड़े भाई साहब और छोट& मां ने तोड़ा है । उ:हे डर था <क
तम
ु बाप क छोड़़ी प:Zह लाख क रकम और अचल सFप0त म/ हसादार बनोगी ।
इसलये तF
ु हार& मौत का हलफनामा पेश हुआ । बाप क चल-अचल सFप0त चार बराबर
हस) म/ बंट गयी ।
[यो0त-तुम हो या छोट& मां या बाक दोन) भाई सब मेर& नजर) म/ अपराधी हो । अरे
पछ
ू कर तो दे खते । एक लड़क को मायके का कुता भी `यारा लगता है ,भाई और उनके
पOरवार के लोग <कतने `यारे होगे । खैर तम
ु लालची लोग कहां सोच सकते हो ।
जग काश-बाप के मरने के पहले और बाद मे भी घर का मालकाना तो भाई हठ काश
के हाथ) म/ था । द&द& ये सब हठ काश भइया और छोट& मां का सब <कया कराया है ।
[यो0त-<कसका <कया कराया है हम/ जानकर Hया करना है । मै तो अब अपने सगे मां-
बाप क नाजायज औलाद हो गयी हूं । खैर छोड़ो फोन Hय) <कया है ?
जग काश-तF ु हारे चरण) क धल
ू माथे चढाना चाहता हूं एक मौका दे दो द&द& ।
[यो0त-मुझ अभागन के ऐसे कहां भाTय होगे ।
जग काश-द&द& इतना कठोर ना बनो ।
[यो0त- अब न तो कोई हक तुम लोगो पर बचा है और न कोई OरQता ।
जग काश-बाप के मरने के बाद पOरवार म/ कलह शु? हो गया है । कुछ जमीन पर छोट&
मां का कRजा हो गया है । बाप क आधी से अधक दौलत पर कRजा हो गया है थोड़ी
बहुत जो रकम ब;क म/ थी उसमे चार बराबर के हसे हुए । छोट& मां अपने भतीजो को
मोटर साइ<कल गफट कर रह& है । अनाज का गाaड़या छोट& मां अपने मायके और बहन
के घर ^◌ोज रह& है । छोट& मां बाबूजी के मरने के बाद OरQते के सारे धागे तोड़कर वाथ
पर उतर गयी है । सब कुछ Yबखर चक
ु ा है ,द&द& तुम टूटे OरQते को जोड़ सकती हो ।
[यो0त-टूटे OरQते जुड़ते नह&ं अगर जुड़ भी जाये तो गांठ पड़ जाती है ।
जग काश-ऐसा ना कहो । द&द& खन
ू के OरQते ऐसे नह&ं चटकते ।
[यो0त-जानती हूं पर मेरा कल िजस तर&के से हसेदार& खम करने के लये हुआ है
वह तो अ Fय अपराध है ।
जग काश-द&द& हम तुFहार& चौखट पर माथा पटकन आ रहे है ।
जयो0त-मे
् र& चौखट से कुते भी भूखे नह&ं जाते । मेरे मायके वाले कैसे जा सकते है भले
ह& जीते जी वे मुझे मार डाले हो◌े ।
जग काश-ध:यवाद द&द& । तुFहारा उपकार नह&ं भूलूंगा ।
[यो0त-औरत लाख जMम खाकर उपकार करने के लये पैदा हुई है ।
जग काश- अगत माह म/ नौ तार&ख को तुFहार& चौखट पर माथा पटकने हम तीनो
भाई आ रहे है । फोन रखता हूं द&द& ।
[यो0त-ठNक है रख दो ।
नौ अगत का दन मह&ने भर बाद आ गया । कलेडर को दे खकर [यो0त बोल& बीटया
सध
ु ा आज नौ तार&ख है ना ?
सध
ु ा -हां मFमी आज नौ तार&ख है और र ा-बंधन भी ।
[यो0त-अब समझी वो जग काश नौ तार&ख को Hय) आने क िजद कर रहा था ।
सध
ु ा- बांध दे ना <फर से OरQते का धागा । म; मठाई लेकर आती हूं ।
अभन:दन-ला दं ग ू ी । पापा के पैसे तो खच करने है ।
अभन:दन और व:दन एक वर म/ बोले बड़े होकर सब भरपाई कर दे गे द&द& ।
सध
ु ा-कोई नह&ं कर पाया है तो तम
ु कैसे कर सकते हो ।
व:दन-द&द& इमोशनल ना करो ।
सधु ा-सच तो कह रह& हूं मां-बाप का कज आज तक कोई भरपाई नह&ं कर पाया है तो
तम
ु कैसे कर पाओगे ।
अभन:दन-द&द& हम लोग) का मतलब कुछ और था । अब आप जाओ हम दोनो न:हे
आपसे हारे द&द&। बस मठाई अ>छN लाना ।
सुधा घटे भर म/ मठाई pीफल और पूजा सामcी लेकर आ गयी । दोनो भाइयn
अभन:दन और व:दन को शुभ मुहत म/ राखी बांधकर उठN ह& थी <क काल-बेल घनघना
उठN ।
सुधा-मां दरवाजा खोलो कोई आया है आज नौ तार&ख है ।
[यो0त-तुम खोलो जी । तुFहारे कोई लेखक म होगे । तुFहारे हाथ म/ बंधी राखी दे खकर
उ:हे अ>छा लगेगा ।
अभजीत-मजाक ना उडाओं
़ जाकर दरवाजा खोलो ।
[यो0त-ठNक है । वह दरवाजा खोल& बाहर झांककर जोर से बोल& अरे बाप रे । दरवाजे
पर बड़ी सी कार खड़ी है ।
जग काश,रन काश और हठ काश हम आये है आज नौ तार&ख है ।
चFपा,चमेल& और चांदनी ननद जी और र ा बंधन है ना ।
जग काश-द&द& अ:दर आने को नह&ं कहोगी । इतना सुनते ह& [यो0त क आंखे से गंगा-
जमुना का धारा बह गयी । वह काKठ क मू0त क तरह खड़ी टकटक लगाये हुए भाई-
भौजाइयो और भतीज) को 0नहार रह& थी।[यो0त को चपु दे खकर अभजीत बाहर 0नकले
तीनो सालो और उनके पOरवार को दे खकर बोले आप लोग बाहर Hय) खड़े है अ:दर तो
आइये
[यो0त-सुधा बीटया पानी पीलाओ ।
सध
ु ा-मFमी अभी शभ
ु मह
ु ु त चल रहा है पानी बाद म/ । थामो थाल& ।
[यो0त-अपने कानन
ू ी हयार) को कैसे OरQते का क>चा सत
ू बांधग
ू ी । ये क>चे सत
ू क
महमा Hया समझेगे ? <फर मतलब आते ह& ल0तया दे गे ।
जग काश,रन काश और हठ काश, चFपा,चमेल& और चांदनी एक साथ बोल& अब ऐसी
गलती नह&ं होगी । मा करो ।
अभजीत-भागवान आज नौ अगत है । बहुत शु भ दन है । बरस) के Yबछुड़े भाई मले
है । अशभ
ु बाते ना करो लपेट दो क>चे सत
ू भाइयn क कलाई पर अपना पन ु ज
 :म
समझकर । OरQते का धागा इतना कमजोर नह&ं होता क एक झटके म/ हमेशा के लये
टूट जाये ।
सध
ु ा-हां मFमी पापाजी ठNक कह रहे है । जोड़ दो टूटे OरQते के धागे को क>चे सत
ू तीन)
मामा क कलाइयb पर बांधकर ।
अभजीत-भागवान दे र ना करो महु ु त 0नकला जा रहा है ।
[यो0त- लाओ सध
ु ा बीटया पजू ा क थाल& । औरत तो सदा से बलदान करते आ रह& है
। एकबार और बलदान कर दे ती हूं खन
ू के OरQते के लये ।
अभजीत-कसकर बांधना ता<क OरQता का धागा ढ&ला न पड़े ।
जग काश,रन काश और हठ काश, चFपा,चमेल& और चांदनी एक वर म/ बोले हम
कसम खाते है अब कभी OरQते का धागा ढ&ला नह&ं होगा बहनोई चाहे कोई भी कुबानी
दे नी पड़े । इतना सुनते ह& [यो0त क आख) म/ सावन भादो उमड़ पड़े ।
17-तीमारदार&
अरे म)ट& स)ट& तुम सारे मर गये Hया । कोई तो मेर& बात सुन लो । तुFहार& मां चल&
गयी चामुडादे वी क शरण म/ अपनी खश
ु हाल& का वरदान मांगने । तुम लोग हो <क सुन
ह& नह&ं रहे हो । हमारे लडके एकदम अपनी मां के नHQोकदम चल रहे है । कब से बुला
रहा हूं कोई मेर& बात नह&ं सुन रहा है । मल जाते तो खाल& बोतल सर पर फोड़ दे ता ।
Lवसना नQ◌ो म/ धत
ु एक हाथ म/ खाल& बोतल लये और दस
ू रे से <कवाड़ पकड़े बड़बडा
रहा था । सोट& बाप क चलाचोट को सुनकर दौड़ा-दौड़ा और बोला पाजा Hय) तमाशा
कर रहे हो । चढ गयी है तो दरवाजा ब:द करके सो जाओ ।
Lवसना-कब से बुला रहा हूं । तुमको अभी सुनाई पड़ा है । बुलाते -बुलाते गला 0छल गया
पर तुम दोनो सुने नह&ं । Hया तुFहार& मां मना करके गयी है ? ?क तेर& खाबर लेता हूं
कहकर Lवसना खाला बोतल एक ओर रखते हुए हाथ भर का ड़डा उठाया और दनादन
सोट& को पीटने लगा । सोट& जोर -जोर से बचाओ बचाओ चलाने लगा । Lवसना
ड़डे का एक सरा सोट& के मुंह म/ डालते हुए बोला हरामजादे चप
ु हो जा नह&ं तो मार
डालूंगा । खाने को तो ^◌ौ◌ंस के बरोबर चाहये करने को कुछ नह&ं ।
सोट& ससकते हुए बोला-पापा तम
ु हम दोनो न:हे -न:हे भाइयेाu और मां क कमाई को
दा? म/ उड़ाने के अलावा और Hया काम करते हो ।
Lवसना-मंह
ु ब:द कर नह&ं तो ये खाल& बोतल तेरे मंह
ु म/ घस
ु ेड़कर मार डालं◌
ू ू◌ंगा । रोने
क नौटं क तू अब ब:द कर और दौड़कर जा एक अधा ला ।
सोट&-पापा मुझे मार डालो पर म; दा? लेने नह&ं जाउूं गा । आपक दा? क लत ने घर
तबाह कर दया है ,मFमी को दस ू र) के जठ
ू े बतन और झाड़ू प)छा का काम करने को
मजबरू कर दया है । हमार& पढाई छूट क नrैबत आ गयह है । कूल क फस नह&ं
जमा हो पा रह& है ।पापा अब तो बस करो। Hया आपको कोई फक नह&ं पड़ता पOरवार
क बबाद& से ?
Lवसना-नह&ं पड़ता । जाता है <क लात दं ू । लात उठाते ह& वह लड़खड़ा कर गर पड़ा
।वह बेटे सोट&,मोट& और अपनी घरवाल& को फूहड़-फूहड़ गालयां दये जा रहा था ।
उसके हं गाम/ को दे खकर घर के सामने भीड़ इHWठा हो गयी ।बाप का ताडव दे खकर
मोट& भी दौड़ा-दौड़ा आ गया ।
मोट&-पापा तमाशा Hय) मचा रहे हो ।Hय) घर क इ[जत का जनाजा 0नकाल रहे हो ।
चढ़ गयी है तो अ:दर जाओ ।
Lवसना-कैसी इ[जत । यहां बेटा बाप से सवाल कर रहे है । अरे हरामजादो पैदा हमने
<कया है । बडे मां के प धर बने है तेर& मां अकेले तो नह&ं पैदा क है । तू है <क मेरा
बाप बन रहा है । सोट& है <क ठे के तक नह&ं जा रहा है ।
मोट&-ठNक कर रहा है । पापा तुFहारे दा? क लत ने हमार& हालत भीखाOरय) जैसी बना
द& है । मां पेट-पदा चलाने के लये झाड़ू प)छा कर रह& है । पापा तुम हो <क तुFहे मां के
आंसू और हमारे उजड़ते हुए भLवKय पर त0नक भी तरस नह&ं आ रहा है ।
Lवसना मोट& का हाथ मड़ोरते हुए बोला अब तू मेरा बाप बनना कर नह&ं तो हाथ
तोड़कर हाथ पर रख दं ग
ू ा । अरे हरामजादे सब अपनी <कमत का खाते-पीते है । हमे
भी <कमत का मल रहा है । बकवास ब:द कर और कलाल& क ओर दौड़ लगा ।
मोट&-पापा म; भी नह&ं जाउूं गा ।
Lवसना-दनादन मोट& के गाल पर झापड़ जड़ने लगे । मोट& सोट& दोनो भाई Lवलख
Lवलख कर रो रहे थे दरोaड़या गरता <फर सFभल कर खड़ा होता और मारने दौड़ पड़ता
<फर लड़खड़ाकर गर जाता । बती के लोग तमाशा दे ख रहे थे । इसी बीच र&0तका
चामुडा मां का दशन करके आ गयी ।
र&0तका-ब>च) को लहूलुहान दे खकर बौखला गयी पर सFभल कर बोल& सोट& के पापा
तुमको त0नक लाज-शरम है <क नह&ं । अरे ब>च) को जान से मार दोगे Hया ?
Lवसना-तू बकबक करे गी तो यह& हाल तF
ु हारा भी क?ंगा । हरामजादे बाप क त0नक
तीमारदार& नह&ं कर सकते ।
र&0तका-Hय) अब Hया बचा है सार& लाज शरम तो बेचकर पी गये । अब ब>च) क जान
लेने पर उता? हो गये है । Hया सपन) क बारात सजाये थी पर दरोaड़या मद अपने हाथ)
से अपने ह& औलाद) के सपन) म/ आग लगा दया है । कैसा कसाई आदमी है घरवाल&
के झाड़ू पोछ/ से क कमाई पर गलछरD उड़ा रहा है । घर-पOरवार का जीवन नरक बना
दया है ।
Lवसना-चाम
ु डा मांता का दशन कर जीवन को वग बनाने गयी थी ना । Hया मरु ाद परू &
नह&ं हुई । हरामजाद& अपने जैसे औलाद) को बना द& है त0नक कहना तक नह&ं सनु ते ।
र&0तका-कुछ तो शरम करो चाम ु डा मांता तो जग क मांता है । तम
ु नशाखोर Hया
समझोगे । तF
ु हे तो दा? पीकर ^◌ोaड़या बनना भाता है । ब>च) को आंसू दे ना आता है
। अरे ब>च) कके कूल क फस नह&ं दे सकता । ब>च) को दो वHत क रोट& नह&ं दे
सकता । कपड़े लते नह&ं दे सकता तू नशाखोर तो चैन से रह तो सकता है घरवाल& क
कमाई क रोट& तोड़कर । इतना से भी ह& पेट भरा तो घोड़े का मूत पीकर जग हं साई
करने लगा ।
Lवसना-हराजाद& तेर& जबान छुर& जैसी चलने लगी है कहते हुए डडा उठाया और दनादना
र&0तका को घास जैसे पीटने लगा ।
कसाई बाप के हाथ) मां को पीटता दे खकर मोट& सोट& र&0तका को अंकवार) म/ कस
लये पर कसाई Lवसना नह&ं माना पीटे जा रहा था । Lवसना के घर के सामने लोगो का
तांता लगा हुआ था पर कोई Lवसना क गाल& क डर से छुड़ाने क हFमत नह&ं कर
रहा था । आIखरकार Lवसना थक गया डडा उसके हाथ दरू जा गरा तब वह चबूतरे पर
बैठकर गालया दे ◌ेने लगा । मोट& ,सोट& और उनक मां र&0तका आसू बहा रहे थे
अपनी नसीब पर । र&0तका हFमत करके बोल& तम
ु को दा? चाहये ना ।
Lवसना- तेर& औलादे तो नह&ं लाने क कसम खा लये है अब तू तीमारदार& कर दे ।
र&0तका-ऐसी तीमारदार& क?ंगी क जीवन भर याद रखोगे ।
Lवसना-चल तू कर दे तीमारदार& कहते हुए लFबी-लFबी हच<कयां लेने लगा ।
र&0तका-सोट& मोट& को कमरे म/ ब:द कर कालका का ?प धारण कर Lवसना के
सामने वह& डडा लेकर खड़ी हो गयी । र&0तका का यह ?प दे खकर Lवसना का शर&र
कांप उठा । वह मां चामुडा का मरण कर Lवसना पर टूट पड़ी । र&0तका Lवसना को
इतनी मार मार& क वह खड़ा होने लायक नह&ं बचा ।हाथ पैर क हqडी टूट गयी । वह
भार& मन से ब>च) के पास जाकर लेट गयी ।नींद तो कोसो दरू थी वह रात भर ब>च)
से आंखे चरु ाकर आंसू बहाती रह& । धीरे -धीरे Lवसना का नशा चकनाचरू हो गया वह र/ गते-
र/ गते र&0तका के पास जाकर बोला सोट& क मFमी बहुत दद हो रहा है । हाथ और पैर
क हqडी टूट गयी है । कान पकड़ता हूं अब दा? नह&ं पीउं गा । तF
ु हार& तीमारदार& जीवन
भर नह&ं भल
ू ंगा ।चल बड़े अपताल ले चल ।
र&0तका बोल&-अपताल Hय) कलाल& Hय) नह&ं ?
Lवसना- जीने क अभी तम:ना है भागवान ।
र&0तका उठN जद&-जद& नान क चामुडा मां क पूजा-अचना क <फर तीनो मां बेटे
Lवसना को बड़े अपताल आटो म/ डालकर ले गये । जहां Lवसना के हाथ पैर पर
`पलाटर चढा । दोपहर बाद र&0तका Lवसना को अपताल से घर लेकर आयी । Lवसना
के हाथ पैर के `लाटर क खबर त0नक भर म/ परू & बती म/ फैल गयी । बती क भीड़
Lवसना के दरवाजे पर इHWठा हो गयी । बती के चौधर& सवाQ◌ोर पछ
ू े Lवसना कल तो
ठNक था रात म/ कैसे चैFबर म/ गर पड़ा ।
Lवसना-चैFबर म/ नह&ं घर म/ ।
र&0तका-प0तदे व क तीमारदार& मेरे हाथ) हुई है ।
सवाQ◌ोर-बाप रे ऐसी तीमारदार& ?
र&0तका-काश पहले हो गयी होती । खैर दे र आये द?
ु त आये अब तो तौबा कर लये ।
सवाQ◌ोर-Hया Lवसना दा? नह&ं पीयेगा ?
Lवसना-नह&ं भइया अब समझ म/ आ गया है दा? आदमी को है वान बना दे ता है ।
सवाQ◌ोर-अब इंसान बन गया घरवाल& के हाथ से हाथ पैर तुड़वाकर ।
Lवसना-सच भइया बुरे काम का नतीजा सुना था बुरा होता है पर हमारे साथ तो उटा हो
गया ।
सवाQ◌ोर-चल खश
ु रह । र&0तका खब
ू करना तीमारदार& पर साबूत हाथ पांव का Eयान
रखना ।
र&0तका-भाई साहब प0त क तीमारदार& पनी का कत_य होता है पर प0त भी समझे तब
ना
Lवसना बती वाल) क तरफ इशारा करते हुए बोला- भाइयn म; तो समझ गया हूं ।
लगता है आप लोग भी समझ गये होगे । काश पहले समझ गया होता तो ये नौबत ना
आती।
18-डर
आख/ लाल सुख हो रह& है ।चेहरा सूजा हुआ लग रहा है । डर&-सहमा सी लग रहा हो
Hया हो गया द&द& बताओ ना ।
साLवी-सुमन सचमुच दल म/ डर बैठ गया है ।
सुमन-कैसा डर द& ।
साLवी-चौदह नFबर के _यभचार& पड़ोसी का । हमारे तो सपनो क बारात उजड़ गयी ।
र&न कज लेकर घर बनाये थे <क सकून से रहे गे । सकून 0छन गया पड़ोस म/ _यभचार&
छबीला बस गया । अब तो डर-डर कर जीना तकद&र बन गयी सम
ु न ।
सम
ु न और साLवY क चचारत ् थी इसी बीच मोहत बाबू आ गये और बोले Hया बाते
चल रह& है ।
साLवY- दल का डर 0नकल जाये भु क बड़ी कृपा होगी ।
माहतबाब-ू तF
ु हारे डर ने तो हमार& नींद हराम कर द& है ।
सम
ु न-सचमच
ु अमानष
ु क गtvिKट ी के लये डर क बात है । अमानष
ु ये भल
ू जाते
है <क उनक भी मां है ,बहन है ,बेट& है । यद दस
ू रा उनक तरफ गtvिKट से दे खेगा तो
उनके दल पर Hया गज
ू रे गी । चौदह नFबर वाला छबीला कमीना तो दन म/ ह& छत पर
कूद गया था । एक दन रात म/ बीच सड़क पर यह& छबीला कमीना Lवधवा तन)बेबी को
छे ड़ रहा था भला हो एक गाड़ी वाले का िजसके बीच बचाव से बेचार& क इ[जत बच
पायी । बेचार& बेबी तो शहर छोड़कर भाग गयी ।
साLवY-मेरे साथ Hया अ>छा सलूक <कया कमीना छबीला । मेरे जवान बेट& बेटे ह;
उसक बेट& से बड़ी मेर& बेट& है । इस चौदह नFबर वाले कमीना छबीला को त0नक भी
शरम नह&ं आई । म; सुबह सुबह कपड़े धो रह& थी ब>चे ट&.वी.दे ख रहे थे छबीला उसक
अं◌ाख ् फूट जाये तन म/ कड़े पड़े मेर& छत पर कूद का आ गया । घूम -घूम कर मुझे
ग:द& 0नगाह) से दे ख रहा था उसक परछाई म/ रे उपर आयी तो मेर& 0नगाह उपर गयी ।
मेरे तो जान 0नकल गयी अचानक जोर से चला पड़ी । ना जाने कौन सी रे ड लाइट
एOरया से रडीबाज छबीला और उसका आकर पड़ोस म/ बस गया । अब तो इस कमीने
से डर-डर कर जीना होगा ।
सुमन-ये लोग तो पड़ोसी के नाम पर है वान है जब<क पड़ोसी तो भगवान के समान होता
है ।
साLवी-ठग Yबडर ना जाने कहां से रे डलाइट वाले पOरवार को खोज लाया अधक पैसे
क लालच म/ । जब<क तुमने भी तो इस मकान को खर&दने क कोश क थी पर तुमको
नह&ं दया । [यादा पैसा लेकर गलत आदमी को मकान दे दया ।भगवान ऐसे लोगो
का नाश Hयो नह&ं करता बढावा Hयो दे ता है ।
सुमन-होगा पर कहते है ना भगवान के घर दे र है अंE◌ोर नह&ं । छबीला और उसके
पOरवार के लोग तो समाज के लये सड़ी मछल& के समान है ।
साLवी-सचमुच सड़ी हुई मछल& है जो पड़ोस क मां बहनो पर नजर डाल रहा है ।
कमीने को दे खकर जोर से चलायी ?क कमीने म; आ रह& हूं आगे -आगे म; पीछे -पीछे
ब>चे छत पर पहुंचे कमीने अं◌ाधी क तरह भाग कर दरवाजा लगा लया। म; छत पर
जोर-जोर से चला रह& थी ।मेरा बदन थर -थर कांप रहा था । आसपास दो-चार घर जो
है वे लोग बहुत मतलबी है बस अपने काम के लये मतलब रखते है काम परू ा होते
पहचानते भी नह&ं ।
सम
ु न-आसपास वालो को मलकर साले को घर म/ से खींच कर सड़क पर लाकर जत
ू े
दे ना था साLवी- होता तो यह& पर पKु पा के पापा दफतर चले गये थे । आसपास के दो
चार घरो म/ जो लोग थे मुंह 0छपाकर अ:दर चले गये जैसे वे औरत के पेट से ह& नह&ं
पैदा हुए हो । कोई नह&ं आया । पीछे वाल& गल& से दल&प भइया मेर& पकु ार सन
ु कर
दौड़कर आये ।म; आप बीत सन ु ायी तो वे ललकारते हुए उसके घर म/ घस
ु गये । छबीला
कमीना छटपट कपड़ा बदलकर पज
ू ा करने का ढोग करने लगा ।
मोहत-काश उस दन म; घर पर होता तो तरु :त पु लस को फोन करके बल
ु ा लेता । मेरे
घर पर न होने क वजह से कमीना बच गया । मेरे आने पर उसक पांचाल& भौजाई
माफ मांगने आ गयी ।छबीला तो पड़ोसी के नाम पर कलंक है ।
सम
ु न-हां भाई साहब ठNक कह रहे है । आपक लाइन को नजर लग गयी है । आपके
पड़ोस म/ सुनील सड़नीस एक नFबर का मतलबी तो पहले से था ज?रत पड़ने पर थक

चाट लेने को तैयार रहता । वह& काम 0नकलने पर पहचानता तक नह&ं । सन
ु ील सड़नीस
से बढकर अब _यभचार& पOरवार चौदह नFबर म/ आ गया है । छबीला खानदानी
_यभचार& लगता है तभी तो छत पर कूदने क हFमत <कया । दस
ू रा आदमी गेट के
अ:दर आने क हFमत नह&ं कर सकता है ।
साLवी-सुमन ये कमीना घर म/ घुस गया होता तो उसक लाश ह& बाहर आती ।
मोहत-शाबास रे ह:द
ु तानी नार& ।
सुमन-हां भाई साहब द&द& ठNक कह रह& है,जब औरत इ[जत क र ा के लये खड़ी हो
जाती है तब वह जान दे ने और जान लेने से नह&ं डरती ।
मोहत-छबीले के भूत का डर pीमती जी को सता रहा है । छबीला िज:दगी म/ अब आंख
उठाकर अपने घर क तरफ नह&ं दे खेगा । यद दे ख लया तो उसक आंख फोड़ दं ग
ू ा ।
मेरे खानदान क इ[जत पर कैसे कोई नजर डाल सकता है । हम शर&फ लोग शराफत
से जीना चाहते है । ऐसे गtो से कब तक डरे गे? अ>छा तुम लोग बात/ करो म; दफतर
जा रहा हूं । पड़ोसी गt) से सावधान रहने क ज?रत है । ये त0नक भी भरोसे के
काYबल नह&ं है । मौका मले तो अपनी बहन के साथ घाट कर सकते है ।
साLवी-आप तो दफतर जाओ शाम को जद& आ जाना । आप च:ता ना करना ।
ज?रत पड़ी तो खन
ू पी जाउूं गी । हां सावधान रहने क ज?रत तो है पर डरने क नह&।
डराना तो छबीले को है । मन तो कर रहा है <क कमीने क आंख 0नकाल लूं पर मयादा
से बंधी हूं।
समु न-द&द& मेरा भी मन ऐसा ह& कह रहा है । इस बार तो छोड़ दये अगर <फर कभी
आंख उठाकर दे ◌ेखे तो पु लस म/ मामला दज करवा दे ना ।
साLवY-ठNक कह रह& हो दKु टो का इलाज तो होना ह& चाहये अफसोस नह&ं कर पायी।
_यभचार& अपनी मां बहन) जैसे दस
ू रो क मां बहनो को Hयो नह&ं समझते ? आंखो म/
आंसू आंचल म/ दध
ू रखने वाल& नार& को पापी असहाय ना जाने Hयो समझते है । नार&
लयकार& भी बन सकती है अपनी इ[जत क र ा के लये ।
साLवी और सम
ु न बाते कर रह& थी इसी बीच पKु पा आ गयी ।
साLवी-बेट& तू तो दक
ु ान गयी थी ना । लन
ू ा और सामान कहां छोड़ आयी ।
पKु पा- आंसू पोछते हुए बोल& बाहर है ।
साLवी- बाहर Hयो छोड़ द& ।
साLवी-तू रो Hयो रह& है । लन
ू ा टकरा तो नह&ं गयी ।
सम
ु न-पKु पा को गोद म/ बैइा कर सर सहलाते हुए बोल& बेट& रोओ मत । Hया हुआ ये
तो बताओ ।
पुKपा क आंखो से आंसू बहे जा रहे थे ।
साLवी-पुKपा Hया हुआ एHसीडेट तो नह&ं हो गया । गाड़ी से गर गयी थी Hया
?साLवी पानी का गलास थमाते हुए बोल& लो पानी पीओ और चत को ठौर&क करके
बताओ Hया हुआ । मेरा सर चकराने लगा है ।
सुमन-हां बेट& मुझे भी ट/ शन होने लगा है । बताओ Hया हुआ तुFहारे साथ ?
पुKपा-छबीला अंकल मेर& लूना के सामने आकर अQल&ल बाते कर रहे थे
साLवी-Hया ?
पुKपा- हां मFमी । बहतु ग:द& ग:द& बाते कर रहे थे ।
सुमन-ये छबीला तो अपनी बेट& को भी नह&ं बMशता होगा जब अपनी बेट& क उ\ से
छोट& पुKपा के साथ ग:द& हरकत कर रहा है ।
साLवी-रा स क इतनी हFमत बढ गयी । मेरे छत पर कूद मुझे कपड़ा धोते हुए ग:द&
नजर से दे खकर 0छप गया । वह& छबीला रा स आज <फर मेर& बेट& को दे खकर
अQल&ल बाते कर रहा था । रा स का वध कर दं ग
ू ी ।
सुमन-द&द& ?को ।
साLवी-सुमन रा स का वध करना होगा अपनी इ[जत बचाने के लये कहते हुए साLवी
दौड़ पडी पडोस के चौदह नFबर के मकान क ओर । साLवी अरे वो छबीला अपनी मां-
बेट& बहन के साथ Hय) नह&ं करता पराई मां बहन बेटय) पर कुvिKट डालता है । कहां
छुपा है 0नकल बाहर । तेरा खन
ू पीउं गी आज । साLवी क ललकार के बाद आसपास
क औरते बाहर 0नकल आयी पर छबीला घर म/ दब
ु क गया । साLवी छबीला का मेन
गेट खोलकर अ:दर घस
ु ी घर के दरवाजे पर जोरदार लात मार& । लात लगते ह& दरवाजा
खल
ु गया ।सफ चqडी पहनकर ट&.वी.दे ख रहा छबीला Iखस 0नपोरते हुए बोला तम
ु ।
साLवी-हां Q◌ौतान म; कहते हुए उसके कनपट& का बाल पकड़ी और खीचते हुए बाहर
लाकर बीच सडक पटकर छाती पर चढ गयी। दे दनादन च`पल उसके गाल बजाने लगी
। उसक घरवाल& और जवान बेट& दे खती रह& गयी इतने म/ आसपास के लोग इHWठा हो
गये । छबीला बचाओ बचाओ चला रहा था ।
छबीला क घरवाल& रसीला बोल& - Hयो औरत होकर पराये मद क छाती पर चढकर
मार रह& हो ।
साLवी-Hया तम
ु नह&ं जानती हो इस Q◌ौतान के बारे म/ ।
रसील&-Hया हुआ ।
साLवी-Hया तम
ु नह&ं जानती हो ये Q◌ौतान मेर& छत पर कूदा था । Hया तम
ु नह&ं
जानती हो ये Q◌ौतान Lवधवा बेबी मैडम को अंE◌ोरे म/ छे ड़रहा था बेचारे कोई गाड़ी वाला
आकर इ[जत बचाया आज मेर& बेट& पर छNंटाकशी कर रहा था । तुम कब जानोगी
अपने Q◌ौतान प0त के बारे म/ जब अपने ह& तन से पैदा हुई बेट& के ब>चे का बाप
बनेगा तब ? कहते हुए जोरदार लात छबीला के छाती पर जड़ द&। छबीला क नाक से
खन
ू 0नकल गया ।
छबीला क जवान बेट& Lप:सा साLवी के पांव पकडकर रोते हुए बोल& अब मत मारो
आट& । पापा को माफ कर दो । मेर& कसम आट& छोड़ दो पापा को ।
रसील&-माफ कर दो बहन अब ऐसी गलती नह&ं कर/ गे ।
पुKपा-मFमी नह&ं छोड़ना म; पुलस को फोन करने जा रह& हूं ।
रसील&-पुKपा का पैर पकड़कर गड़गडाते हुए बोल& बMश दो बेट& । दोबारा ऐसी गलती
नह&ं करं ◌ेगे ।
साLवी-?क जा बीटया कहते हुए दे दनादन गनकर दस च`पल मार& <फर कनपट& का
बाल पकड़कर छबीला को खड़ा करते हुए बोल& बोल कर दं ू पुलस के सामने । मेर& छत
पर उस दन कूद कर मेरा तन 0नहार रहा था । आज मेर& पुKपा के साथ हरकत करने
क कोश कर रहा था । Hया अपनी मां बेट& के साथ भी ऐसा करे गा । अरे Lप:सा इधर
आ आपे बाप के सामने ।
Lप:सा छबीला के सामने खडी हो गयी ।
साLवी -मेर& बेट& से बड़ी तेर& बेट& है Hया तू इसके साथ मुंह काला करे गा ?
छबीला-गड़गडाते हुए बोला मेर& इ[जत नीलाम न करो । ऐसी गलती नह&ं होगी बहन
कहो तो थक
ू कर चाट लूं ।
साLवी-तम
ु थक
ू र चाटो चाहे टWट& करके चाटो तम
ु पर LवQवास नह&ं कोई कर सकता ।
ु हारे म/ भले ह& दस
तF ू रे ां क मां बहन बेट& को अपनी मां बहन बेट& समझने के संकार न
हो पर हमारे खानदान म/ तो है । ये Lप:सा अपनी कसम ना दे ती तो तझ
ू े पु लस के
हवाले कर दे ती जा Lप:सा को श<ु jया अदा कर । जा माफ <कया अब हर पराई मां बहन
को अपनी मां बहन समझना । आइ:दा बुर& नजर से मेरे घर क ओर भी दे खग
ूं ी तो खन

पी जाउूं गा
छबीला-हां बहन ऐसी गलती अब दोबारा नह&ं होगी ।
सम
ु न बोल&-दे खो ये ^◌ोaड़या शराफत क बाते करने लगा। अब ये पराई मां-बहन) को
अपनी मां-बहन कहे गा साLवी द&द& के च`पल खाकर।
छबीला-हां बहन ऐसा ह& होगा ।
सम
ु न - दे खो डराने वाला Q◌ौतान का डरने लगा । बोलो साLवी द&द& क जय ।
इतने म/ ◌़ साLवीदे वी और नार& शिHत के गगन^◌ोद& जयजयकार क वीणा घनघना उठN

19-मजदरू का बेटा ।
भू2महन खे.तहर मजदरू बलवीर काका सात बेटे -बे3टय और अंधी मां का पालन -पोषण
अपनी हाड़फोड मेहनत के भरोसे कर रहे थे । इस महाय म) उनक घरवाल स5प.तदे वी
क पसीना घत
ृ का काम कर रहा था । इसके अलावा बलवीर काका क कोई आढत
नहं थी । बाप लौटन को गांव के दं बग ने उनक जमीन जायदा हड़पकर उ#हे गांव
.नकाला दे 3दया था (य/क वे त.नक समझदार थे । मजदरू ो /गरब का खन
ू पीकर
पलने वाल को समझदार कहा भाती है । बेचारे लौटन दादा ऐसे गये /क /फर कभी ना
लौटे । बलवीर काका का परवार अभाव =त जीवन जीने को मजबूर था । खेती के 2लये
(या रहने के 2लये दबंगनो ने बीसा भर जमीन नहं छोडा था । लाचार को >वचार (या
बलवीर दबंग के खेत म) मेहनता मजदरू  कर परवार पाल रहा था । अं ेजो के जामने
म) जब दबंगो ने गांव .नकाला 3दया तब गांव छोड़ते समय लौटन दादा ने बलवीर से
कहा बेटा म@ जा रहा हूं सदा के 2लये पर मेर एक बात गांठ बांध ले ।
बलवीर-रोते हुए बोला कौन सी बात >पताजी ।
लौटन-हमे-तुFहे तो ?ढवाद& समाज पढने नह&ं दया यद मoका मले तो हमारे पोते-
पो0तयो को कूल ज?र ^◌ोजना । बेटा यह तो हमारा दभ
ु ाTय है <क तुम न:ह& सी जान
को मुझे छोडकर गांव से जाना पड़ रहा है कौशया बलवीर का Mयाल रखना । कौशया
काठ क मू0त जैसे खड़ी रह& । दबंगो का हार शु? हो गया बेचारे लौटन दादा जान
बचाकर भागने म/ कामयाब तो हो गये पर जीLवत नह&ं लौटे । बाप लौटन क बात
बलवीर खट ू / गठयाये रखा । दे श आजाद हुआ उसके घर भी <कलकाOरयां गज ू ने लगी
पहल& बेट& दस ू रा बेटा साल दर साल सात बेटे बेटयां क फौज खड़ी हो गया । Lवपदा ने
कौशया को अंधी बना दया । बलवीर ने बाप क बात को सदै व याद रखे ब>च) को
कूल ^◌ोजने के लये यास <कया बड़ी मिु Qकल को बेटा नरे श का दाIखला करवा पाया
। घर म/ खाने के लाले पड़े थे ब>च) क पढाई लखाई का खच उठाना तो उसके लये
चांद पर चढने जैसा था । बालपन क धध
ु ल& याद) म/ बाप को दये वचन को पूरा करने
के लये नरे श को कूल ^◌ोजने के लये कमर कस लया । नरे श कूल जाने लगा ।
उसका मन पढाई म/ खब
ू लगता । मंश
ु ीजी भी उसक खब
ू तार&फ करते । ब>च) के
त0नक होश सFभालते ह& ^◌ौ◌ंस बकOरयां भी पालना श?
ु कर दया । अभावcत
िज:दगी म/ भी त0नक सकून क बयार चलने लगी थी इसी बीच सFप0त दे वी क हालत
खराब हो गयी । अपताल म/ भतx करना पड़ा बड़े आपरे शन के बाद आटवी स:तान के
?प म/ म:
ु ना पैदा हुआ । बाप का हाथ बंटाने के लये छे ाटे भाई बहन) के साथ मजदरू &
करना पड रहा था । एक दन नरे श गांव के बड़े जमींदार का धान ढो रहा था । इसी
दौरान सेना म/ कनल क नौकर& कर रहे बड़े जमीदार के चचेरे भाई खश
ु ीबाबू आ गये ।
नरे श ने उनका पांव छुआ ।
खश
ु ीबाबू मेड़ पर बैठते हुए पूछे- नरे श कूल ब:द तो नह&ं <कया uk ?
नरे श- नह&ं चाचा जी । कूल से आकर धान ढो रहा हूं ।
खश
ु ीबाबू-कौन सी Hलास म/ गया ।
नरे श-दसवी म/ ।
खश
ु ीबाबू- हमारे मजदरू का बेटा दसवीं म/ पढ रहा है । बलवीर तेर& तकद&र बदलने वाल&
है । तू तो राजा बनने वाला है । शाबास नरे श ........पढाई जार& रखना । पढ-लखकर
कलेटर बन जायेगा तो ते◌रे े बाप के साथ मेरा भी नाम होगा । लोग कहे गे दे खो फलां
मजदरू का बेटा है । नरे श धान ढोने के बाद या जब भी समय मल मुझसे मलना ।
नरे श- हां चाचा मल कर जाउूं गा ।
दस
ू रे दन शाम को नरे श कूल से आया और बता रखकर जमींदार के खेत म/ ग:ना
0छलने गया । ग:ना 0छलकर ग:ना मशीन पर ढो-ढो कर रखने म/ रात हो गयी । ग:ना
मशीन पर रखकर नरे श खश ु ीबाबू के सामने हािजर हुआ ।
खश
ु ीबाबू-इतनी रात को टाइम मला है नरे श मुझसे मुलाकात का ।
नरे श-चाचा मजदरू का बेटा हूं ना । चाचा गांव के भूमह&न खे0तहर मजदरू ) क दयनीय
दशा से अनभr तो नह&ं है । गांव का हर भूमह&न खे0तहर मजदरू पेट म/ भूख आंख)
म/ सपन) क बारात लये जा रहा पर ना जाने हम दOरZ) का उEदार होगा । चाचा माफ
करना म; अपना रोना रोने लगा । बताइये मेरे लायक काम ।
खश
ु ीबाब-ू नरे श मेरे दोनो बेटो और बेट& को दे ख रहे हो । बेट& तो त0नक होशयार है पर
बेट) Yबकुल गदहे सर&खे है । कहने को छठवी सातवी म/ पढते ह; पर आता जाता कुछ
भी नह&ं है । इ:हं ◌े टयश
ू न पढा दो शाम को एक घटा समय 0नकाल कर ।
नरे श-हवेल& म/ आकर म; कैसे पढाउं गा । आपके पOरवार के लोग कहे गे अछूत लड़का
हवेल& म/ घस
ु आया । चाचा मेरे लये परे शानी खड़ी हो सकती है ।
खश
ु ीनाथ-तुमको सब जानते है । तुम पढाई म/ <कतने होशयार हो । rान क पूजा तो
हर जगह होती है । घबराओ नह&ं म; अभी कुछ दन तक हूं ना । तम ु को पढाने क फस
दं ग
ू ा । फोकट म/ नह&ं पढवाउं गा अपने ब>च) को तम
ु से कहते हुए खशु ीबाबू अपने बेटो-
र&ंकू और ट&ंकू को बल
ु ाने लगे ।
र&ंकू और ट&ंकू दौड़ते हुए आये और पछ ू े Hय) बल
ु ाये है पापाजी ।
खश ु ीबाब-ू पOरचय करवाने के लये ।
र&ंकू और ट&ंकू-<कससे ?
खश
ु ीबाब-ू इनसे ।
ट&ंकू-पापाजी इनसे Hया पOरचय करवाओगे । हम जानते है अपने मजदरू का बेटा है ।
खश
ु ीनाथ-इतना ह& नह&ं अब तुम दोन) का गु? होगा नरे श ।
र&ंकू और ट&ंकू-Hया.....?
खश
ु ीबाबू-हां तुम दोनो को rानवान बनायेगा यह& मजदरू का बेटा ।अ>छा अब जाओ
नरे श । कल से शु? कर दो अपना काम ।
नरे श-ठNक है चाचाजी ।
दस
ू रे दन शाम को सात बजे नरे श हवेल& पहुंचा । वहां एक कोने म/ ◌े कुसx मेज खश
ु ीबाबू
ने लगवा दया था ।नरे श अपने काम म/ लग गया । मजदरू का बेटा नरे श हवेल& म/ र&ंकू
और ट&ंकू को टयूशन पढा रहा है यह खबर बड़े जमींदार दे वबाबू के बड़े बेटे उखाड़बाबू को
जो कई साल) से दसवीं पास नह&ं कर पा रहे थे बेचन
ै कर द& । वे मन ह& मन नरे श
को मार भगाने क योजना बना लये ।खश
ु ीबाबू शहर चले गये थे और टयूशन पढाते
स`ताह भर ह& हुए थे <क एक दन हवेल& से कुछ दरू नरे श को पढाकर रात साढे आठ
बजे के आसपास जाते समय बड़े बाप के बेटे उखाड़बाबू अपने दो साथय) रोक लये ।
नरे श-इस तरह से सुनसान जगह म/ दो लोग) को हाथ म/ लाठN थाम/ खड़ा दे खकर घबरा
गया । दबी आवाज म/ बोला उखाड़बाबू बोलो Hय) रोक रहे है । मुझे जद& घर जाना
होगा Hयो<क अभी मेरे Lपताजी आपके खेत क सचाई कर रहे है । ^◌ौ◌ंस बकर& सब
चला रहे होगे ।
उखाड़बाबू- दे खो बाप हवेल& म/ माथा पटक रहा है बेटवा पढा रहा है ।अरे ब:द कर दे
टयूशनखोर& नह&ं तो लूला होकर बैठ जायेगा । कौन तुमको टयूशन पढाने को बोला है
गदह) को । Hया तF
ु हारे पढाने से दोनेां गदहे कलेटर कमQनर बन जायेगे।
नरे श-उखाड़बाबू म; तो ये नह&ं बता सकता <क Hया बन पायेग पर मै टयश
ू न जबदती
नह&ं पढाने आ रहा हूं ।
उखाड़बाबू-कौन बेवकूफ तम ु जैसे मजदरू के बेटे से टयश
ू न पढवायेगा । <कसने बल
ु ाया है
तम
ु को ।
नरे श- कनल चाचा ।
उखाड़बाबू- कनल चाचा Hया समझदार है । अरे समझदार होते तो िजसे बेटे का बाप
हवेल& म/ गोबर फ/क रहा है उससे टयश
ू न पढवाते ।
नरे श-साहस करके बोला उखाड़बाबू हर आदमी <कसी ना <कसी ?प म/ मजदरू होता है ।
हां कोई दफतर म/ काम करते है कोई आप जैसे जमीदार) के खेत म/ । दभ
ु ाTयवस मझ

जैसे को अछूत कहा जाता है । सलाम ठोकने पर मजबरू <कया जाता है । खन
ू को
पसीना के बाद मजदरू & म/ मलावट कर द& जाती है और उपर से उपकार जताया जाता
है । उखाड़बाबू हम भी इंसान है । जा0त आदमी ने बनाया है भगवान ने नह&। जा0त के
नाम पर अ:याय Hय) ।
उखाड़बाबू-अभी तो अ:याय नह&ं हुआ है जब हाथ पैर टूटे गे तब असल& अ:याय होगा ।
कान खोलकर सुन लो ये टयूशन ब:द कर दो वरना खाक म/ मल जाओगे ।आज तो बस
समझा रहा हूं । यद नह&ं माने तो लWठ बजेगी तF
ु हारे सर पर याद रखना । अब
भागो कल से तुFहार& पढाई का द शन मेर& हवेल& म/ नह&ं होना चाहये बस । तुम जैसा
अछूत मजदरू का बेटा हवेल& म/ आकर पढाये यह तो हमार& शान के Iखलाफ है ।
नरे श-उखाड़बाबू म; Lवiयादान करने आते हूं कमाई करने नह&ं । पांच-दस ?पया से
जा0तवाद के पोषको का दया दOरZता का अभशाप नह&ं कट जायेगा । उखाड़बाबू हमार
समाज तो सदयो से शोषण का शकार है पर आज के युग म/ आप जैसेां के हाथ) मुझ
जैस) का शोषण उपीड़न तो आदमयत का कल है ।
उखाड़बाबू-आदमयत के कल को लेकर रो◌ेयेगा या खद
ु के कल से बचकर भागेगा ।
नरे श-उखाड़बाबू मजदरू का बेटा हूं । मेर& भी सूखी हाड़ मांस क काया म/ आमा बसती
है । मुझे वाभमान पस:द है आपको अभमान का ताडव तो कर ल&िजये अपने मन
वाल& ।
उखाडबाबू- दे खो म; तुम जैसे के मुंह नह&ं लगना चाहता हूं । मेर& आIखर& बात कान
खोलकर सुन लो कल से टयूशन पढाने के नाम पर हवेल& म/ कदम रखे तो अपने पैरो
पर नह&ं जाओगे बस अब जाओ तुFहार& ^◌ौस बकOरयां तुमको बुला रह& होगी ।
नरे श-उखाड़बाबू कभी नह&ं आउं गा पढाने म; पढकर दखाउूं गा <क अभावcत एक मजदरू
का बेटा भी सवसLवधा सFप:न बड़े जमीदार के बेटे से भी पढाई के मामले म/ बहुत आगे
0नकल सकता है । नरे श अपनी 0तrा म/ सफल हो गया कई बड़ी-बड़ी aडcयां हासल
कर लया। उखाड़बाबू गर-गर कर बी.ए. क aडcी कई साल) म/ हासल तो कर लये ।
बेचारे र&ंकू और ट&ंकू बढ
ू े हो गये पर दसवीं क पर& ा नह&ं पास कर पाये । इस मलाल
से मजदरू का बेटा नरे श कभी भी नह&ं उबर पाया ।
20-खाद& का कुता
इंपेHटर jाि:तलाल गरजते हुए बोले अरे कौशये कहां हो ।
कौशया-रसोई से डयोढ& पर खड़ी होकर बोल& Hय)जी डराते है । इतनी रोबील& आवाज म/
ये घर है थाना नह&ं । घर के बाहर से आवाज दे ने लगते हो ।
jाि:तलाल-अ>छा नह&ं लगता घर के बाहर से आवाज दे ना ।
कौशया- नह&ं । ऐसे तो जेठ / भसरु आवाज लगाते है ।
jाि:तलाल-मतलब मझ
ु म/ बदलाव क गंज
ु ाइस है ।
कौशया-घर म/ आ गये हो अब बैठ जाओ । म; चाय पानी लेकर आती हूं ।
jाि:तलाल-पानी का गलास थामते हुए बोले कौशये कोई आया है Hया ?
कौशया-दे खो जासूसी करना ब:द करो । चाय-पानी करो नहा◌ाओ धोओ । थके मांदे हो
। थाने म/ नह&ं अपने घर म/ आ गये हो । सामने कोई कैद& नह&ं तुFहार& अधांगनी जो
तीस साल से तुFहारे साथ है ।
jाि:तलाल-हां याद है वह छुइमई
ु सा तुFहारा ?प और हमारे बुरे दन । पद
दौलत,सोहरत सब कुछ तो है तुFहार& तपया के बल पर ।
कौशया-म; तो तुFहार& परछाई भर हूं । पOरpम तुमने <कया है फल तो मलना ह& था
दे र सबेर ।
jाि:तलाल-पद दौलत सोहरत तो है पर औलाद) क ओर दे खता हूं तो सब Rयथ लगता
है । तीन बेटो म/ से कोई बाप क मेहनत को संवारने वाल& नह&ं दखाई पड़ रहा है ।
कौशया-एक बीटया वह भी अनपढ जैसी रह गयी ।दमाद अ>छा पढा लखा तो मल
गया पर वह शहर म/ धHके खा रहा है । नौकर& कोस) दरू भागी जा रह& है दमाद से ।
दमाद तो ह&रा है पर उसक <कमत धोखा दये जा रह& है ।
jाि:तलाल- मेरे पाकेट म/ नौकर& तो नह&ं है <क 0नकालकर दहे ज म/ दे दं ू ।
कौशया-दहे ज म/ भी कुछ नह&ं दये हो । कम से कम नैाकर& के लये कोई सफाOरश
कर दे ते । बीटया आराम से नहाने खाने लगती । अब तो गोद भी हर& हे गयी है ।
jाि:तलाल-दमाद क नौकर& के लये हाथ फेलाने जाउ लोग Hया कहे गे ।
कौशया-साहब सुबा हो <कसी से भी बोल सकते हो ।दमाद दर-दर क ठोकरे खा रहा है
<क अपनी उं ची नाक लेकर बैठे हो । बेट& दमाद सुख चैन से रहने लगेगे तो इससे नाक
और उं ची हो जायेगी । इंपेकटर साहब का दमाद दर-दर धHके खा रहा है यह बात
नाक नीची करने क है ।
jाि:तलाल-बेट) के लये तो <कसी के आगे हाथ नह&ं फैलाया तो दमाद के लये कैसे
फैला सकता हूं ।
कौशया-कौन से बेटे को उं ची पढाई करवाये हो <क हाथ फैलाओगे । दमाद लायक है
उसके लये सोच नह&ं रहे हो । अरे इसम/ ◌े तो अपनी बीटया का सख
ु भी तो 0नहत है
। रह& बेटो क बात तो उनके लये तो तुमने इतना जोड़ दया है <क नौकर& करने क
ज?रत ह& नह&ं पड़ेगी । लाख) म/ एक पढा लखा दमाद ट&ल फैHटर& म/ तो कभी
मणडी
् म/ तो कह&ं कहां काम कर रहा है उसक त0नक <फj नह&ं है । चौबीसो घटे बेटेां
के बारे म/ गन
ु ते -धन
ु ते रहे है ।
jाि:तलाल-दे खो म; दमाद के लये नौकर& क भीख मांगने से रहा । रह& बात नौकर& क
तो इQवर को मलेगी ।
कौशया-कैसे ?
jाि:तलाल- तकद&र के भरोसे । यद तकद&र म/ नौकर& नह&ं लखी होगी तो इQवर भी
अपने बाप क तरह से हरवाह&-चरवाह& करके गुजारा तो कर ह& लेगा । मुझे मालूम है
वह बीटया को कोई तकल&फ नह&ं पड़ने दे गा । मुसीबते उठाकर भी वह बीटया को सुख
दे गा ऐसा मेरा LवQवास है ।
कौशया-कैसे बेट& के बाप हो । लोग बेट& दमाद को जीवन भर क कमाई दे ने को तैयार
है । तुम हो नौकर& के लये सफाOरश को तौह&नी मान रहे हो ।
jाि:तलाल-कौशया बेकार कर <फj ना करो । बीटया क <कमत म/ सुख लखा होगा
तो ज?र मलेगा हमारे दे ने से कुछ नह&ं होगया ।
कौशया-कौशया आप दमादजी क मदद नह&ं करना चाहते हो ना ।ठNक है जैसे मेर&
तपया तुFहारे काम आयी वैसे ह& बीटया क तपया दमादजी क तकद&र बदल दे गी
।इंपेकटर साहब लो पैग लगाओ खाना तैयार है । खाकर सो जाओ बेट& दमाद को आंसू
बहाने दो अपनी <कमत पर ।
jाि:तलाल- कौ◌ाया नाराज ना हो । मेरे हाथ म/ कुछ नह&ं है सब भगवान के हाथ म/
है । दमाद क मेहनत और बीटया क पूजा का 0तफल ज?र मलेगा । हमे <फj करने
क ज?रत नह&ं ।
कौशया- म; नाराज होकर भी Hया Yबगाड़ सकती हूं । बेट&-दमाद क च:ता भले ह&
तुमको नह&ं है हमे तो बहुत है रात क नींद गायब हो जाती है जब दमादजी के संघष
के बारे म/ सोचती हूं । <कतना दख
ु उठा कर पढाई <कये । उनके बाप क कमाई भी तो
कुछ नह&ं थी खेती <कसानी म/ <कतनी कमाई होती है दमाद जी अपने गांव से दस कोस
दरू साइ<कल से कालेज जाकर पढाई पूर& <कये Hय)<क उनके बाप म/ तुFहारे इतना
सामsय था <क बेटे को शहर ^◌ोजकर पढा पाते । तम
ु तो नह&ं पढा पाये इQवर के बाप
ने हरवाह& चरवाह& ह& सह& करके के इतना पढा दया <क तF
ु हारे सात पीढ& तक कोई
इतना पढा लखा नह&ं है ।
jाि:तलाल-ताना Hय) मार रह& हो मुझे । अरे इQवर का हरवाह-चरवाह बाप नौकर& लगवा
दे गा । बहुत ऐठन म/ था न इQवर क पढाई को दे खकर । नौकर& लगवा कर दखा दे
तब ना जाने उसके ऐठन का दम ।
कौशया-अ>छा तो ये अफसर समधी क हरवाह समधी को नीचा दखाने क कार वाई है
।अरे इतना ह& नागवार थी OरQतेदार& तो बीटया का Rयाह Hय) <कये ।

jाि:तलाल-बडे भाई साहब क िजद के आगे मेर& एक ना चल& । म; तो बीटया का
Rयाह <कसी रइस खानदान म/ करता हरवाह -चरवाह के घर म/ कभी नह&ं करता । भइया
ने पानी फेर दया मेर& सोच पर ।
कौशया-तुम भले ह& रइस पOरवार ढूंढ लेते पर ऐसा दमाद तुFहे कभी नह&ं मलता ।
Hय) भूल जाते हो । यह& दमाद बेटो से अधक तुFहार& सेवा-सुpष
ु ा करता है । उसी
दमाद के बारे म/ तुम ऐसा सोच रहे हो ।बेट) को राजा-महाराजा बनाने क सोच रहे हो
बीटया के बारे म/ त0नक भी नह&ं ।वाह रे बेट& के बाप ।
jाि:तलाल-बेट& के 0त जो अपना फज था पूरा कर दया । उसका Rयाह -गौना करके
गंगा नहा लया । अब तो बस बेट) क च:ता बची है ।
कौशया-_याह गौना के अलावा बाप का बेट& के 0त कोई फज नह&ं बचता ।
jाि:तलाल-नह&ं.....बीटया क <कमत इQवर दमाद के साथ जुड़ गयी है । बीटया क
च:ता अब हमार& नह&ं उसके पOरवार क है । उसके प0त इQवर क है । म; अपना फज
0नभा चक
ु ा हूं । बस अब बहस ना करना ।
कौशया-भला म; इंपेHटर साहब से कैसे बहस कर सकती हूं ।
jाि:तलाल-भइया क वजह से फूल जैसी बेट& दOरZ के घर म/ Rयाहना पड़ा । भइया िजद
पर अड़े थे <क इQवर कालेज से 0नकलते ह& कलेHटर बन जायेगा । दे खो अब न:ह& सी
नौकर& नह&ं मल रह& है । अ>छे खाते-पीते खानदान म/ बेट& का Rयाह होता तो ये दन
नह&ं दे खने पड़ते ना ।
कौशया-दे खो जेठ जी ने जो <कया अ>छा <कया है । बीटया ज?र राज करे गी । कहते
है ना घुरे के दन भी <फरते है दमाद पढा लखा है नौकर& ज?र मलेगी । आप भी
दमाद के गुण गाओगे । करोड़ो म/ एक हमारा दमाद है ।
jाि:तलाल और कौशया क बातचीत चल रह& थी । इसी बीच इQवर आ गया । गठर&
रखते हुए बोला अFमाजी सब समान ला दया हूं । मै अब अपने Hवाटर जा रहा हूं ।
कौशया-दमादजी खाना खा लो ।
इQवर-नह&ं अFमाजी । मझ
ु े जाना है ।
कौशया-कहां दमादजी ।
इQवर-शहर छोडकर जा रहा हूं ।
jाि:तलाल-हमेशा के लये Hया .....?
इQवर- हां बाबज
ू ी ।
jाि:तलाल-हलवाह प
ु के लये न तो शहर म/ और नह&ं अपन) के दल म/ जगह बची है

इQवर-अFमा मेरा कुता खट
ंू & पर टं गा है दे द&िजये ।
jाि:तलाल-खाद& का कुता ।
इQवर-हां बाबज
ू ी ।
कौशया खाद& का कुता लेकर आयी । कुता लेकर इQवर सास ससरु का पांव छुकर शहर
को अलLवदा कह दया ।
इQवर के जाने के बाद कौशया बोल& इसी कुतD को दे खकर पूछ रहे थे कोई आया है Hया
अब समझी ।
jाि:तलाल-अरे इQवर के पास कपड़े लते नह&ं थे तो मुझसे कहा होता । कल ह& क तो
बात है कुछ पुराने कपड़े <कसी को दये थे uk ।इQवर को दे दे ता ।
कौशया-तुFहारा चथड़ा दमादजी पहनने को है Hया ? तुFहारे पुराने कपड़े से कई गुना
अ>छा उनक खद
ु क कमाई का खाद& का कुता है ।
कहते है पOरpम का फल मीठा होता है । वह& हुआ समय ने करवट बदला और इQवर
क तकद&र ने भी । वह& इंपेकटर jाि:तलाल दमाद इQवर क खYू बया और बेट) क
कमयां गनाने म/ अपनी शान समझने लगे । लोगो से कहते भगवान सबको दमाद दे
हमारे इQवर जैसा ।
कौशया-खाद& के कुतD वाला दमाद ।
jाि:तलाल-हां वह& ।
कौशया-खाद& के कुतD वाले दमाद के मान-सFमान और बीटया का सुख दे खकर दे खकर
जेठ जी क जौहर& आंख) का मोल समझ म/ आया क नह&ं ।
jाि:तलाल-हां आ गया । इQवर ने पथर पर 0नशान गढ दया । खाद& के कुतD वाला
दमाद खुद को ह&रा साYबत कर दया । यह& तो मेरे सपन) क बारात थी । iवारपूजा
भी हो गयी। चैन से मर सकंू गा कौशये ।
कौशया -Hया ?
jाि:तलाल-हां । खाद& का कुता बस कुता नह&ं जनन
ू है और वामभान भी है समझ
गया ।
21-पड़ोसवाले भाई साहब।
भूमह&नखे0तहर मजदरू रामकर मालक के खेत म/ दन भर पसीना बहाने के बाद सूरज
डूबने के बाद घर पहुंचा । टोकर& और फावड़ा एक ओर रखकर नीम के चबूतरे पर बैठ
कर घरवाल& शाि:तदे वी को आवाज दे ते हुए बोला भागवान एक लोटा पानी दे जा ।
शाि:तदे वी- लोटा म/ पानी और कटोर& म/ गड़
ु लेकर आयी । रामकरन को थमाते हुए
बोल& लो पानी पीओ मै चलम चढाकर लाती हूं ।
रामकरन-हां थोड़ा जद& कर दे ह अकड़ गयी । दन भर फावड़ा चलाना पडा है ।
शाि:तदे वी- भू मह&नखे0तहर मजदरू का जीवन नरक हो गया है । अपने तो ब>च) अभी
छोटे है । सोची थी <क Lवजय त0नके का सहारा साYबत होगा पर वो तो गौना आते ह&
बेगाना हो गया ।
रामकरन-हां अब वो सब कुछ भूल चक
ु ा है । मां फ/क गयी ज:मते ह& ,<कतना दख

उठाकर हमने उसे पाला है । आज सब नेक भूल गया । अब बस उसक घरवाल& Lवभा
ह& सब कुछ उसके लये है । हम तो दQु मन हो गये है जैसे । वह यह भूल गया है <क
िजसक बदौलत वह शहर म/ बड़ा मी कहा वह हम और तुम है । हमार& अगं◌ुल&
पकड़कर चलना सीखा । हमारे खन
ू पसीने क कमाई से पढा लखा अपने पैर) पर खड़ा
हुआ वह& चढा रहा है ।
शाि:तदे वी-Lवभा बहू कह बोयी आग है । वह तो कहती है वे शहर से पैसा कौड़ी न दे तो
कपड़े लते को पूरा पOरवार मोहताज हो जाये ।
रामकरन-पहल& बार अपने गौने पर अपने चचेरे भाई बहन) के लये कपड़ा लाया था ।
उसका इतना बड़ा ताना ।वह भी Lवभा <कशोर बेटवा के तन से उतरवा ल& थी गौना के
मह&ने भर बाद । हे भगवान मेर& नेक मे कोई खोट तो नह&ं थी ।
शाि:तदे वी-Lवभा दो चूहे करवाने क पूर& <फराक म/ है जब से डयोढ& पर पांव रखी है ◌ै।
रामकरन-मै मान-मयादा के लये मर रहा हूं । Lवभा दध
ू क मHखी क तरह फ/क रह& है
। उसी के इशार) पर Lवजय भी नाच रहा है ।
शाि:तदे वी-मेरे दध
ू का मोल भी Yबसार रहा है । भले ह& उसगी सगी मां नह&ं हूं पर
सगी मां से [यादा जतन क हूं । छाती से लगाकर पाल& हूं । सगी मां तो फ/क गयी थी
कुते-Yबिलय) के आगे । आज Lवजय हमार& नेक पर मूत रहा है । मेरे सपनो क
बारात म/ Lवजय और Lवभा डाका डाल रहे है । ये कैसा 0तफल है नेक का भगवन...
रामकरन-अरे पहले ह& कौन हमार& मदद करता था । जब दे खो तब बीमार क ह& तो
चWठN आती थी । कमाई दबा कर रखता जा रहा था । पालन-पोषण से लेकर Rयाह
गौना सब कुछ तो हमने ह& ने <कया है यह& सोचकर क Lवजय बेटवा एक दन सहारा
बनेगा पर वह तो डूबो रहा है ।उसक घरवाल& के लये हम और हमारा पOरवार दQु मन
लग रहे है । भगवान भी न जाने मुझ गर&ब से Hयो ?ठा हुआ है िजसे सहारा समझा था
वह& अरमानो को ल0तया रहा है ।
शाि:तदे वी-Lवभा गौने के पहले दन से ह& हम/ पराया समझ रह& है । बहू के मां बाप
चाहते है <क Lवजय इसे जद& से जद& शहर ले जाये । गांव क धल
ू मांट& म/ कैसे
रहे गी । ब>चे बहू के उपर जान 0छड़कते है पर Lवभा है <क Yब>छू क तरं ह डंक मारने
को तैयार रहती है । हमारे ब>च) को त0नक भी अपना नह&ं समझता है । <कशोर ने एक
दन Lवजय क परु ानी कमीज पहन लया था । Lवभा ने <कशोर को खब
ू डांट& और
Lवजय के कपड़) को हाथ लगाने तक को मना कर द& । तF
ु हार& हाड़ंफोड मेहनत से खड़े
गांव समाज क जमीन पर खड़े घर म/ आE◌ो क हसेदार& भी जताने लगी है । यह
बात बती के घर -घर म/ पहुंच चक
ु  है । <कशोर के बाबू यद Lवजय घर हड़प लया तो
हम कहां जायेगे । Lवजय क परवOरश करके हमने अपने दु द न के बीज बो दये Hया ?
रामकरन-नह&ं रे नेक क जड़ आसमान तक जाती है । हमने कोई अपराध तो नह&ं
<कया है । Lवभा धीरे -धीरे सब समझ जायेगी । दे खना उसके इस परायेपन के _यवहार म/
अपनापन छा जायेगा । तम
ु अपनी तरफ से कोई गलती मत करना । ठNक है काक
सास हो पर सगी सास जैसी बनी रहना । हम चार बेटय) के मां बाप है पराये घर से
आयी बहू को बेट& जैसा ह& मान दे गे । यद हमारे 0त उसके मन म/ नफरत कह&ं से
भर गयी है तो हम अपनेपन से खम कर दे गे । Lवजय समझदार है पढा लखा है ।
भले ह& अपनी कमाई हमे नह&ं दे रहा है तो Hया वह हमारे पOरवार का आशयाना कैसे
0छन सकता है । गांव के लोग जो शहर म/ है वे जब आते है तो बताते है <क Lवजय
पास इतनी दौलत है <क वह दस-बीस बीघा जमीन खर&द सकता है । वह नेक के बदले
घाव दे गा Hया ?
शाि:तदे वी-<कशोर के बाबू आसार तो ऐसे ह& लग रहे है ।
रामकरन-नेक अभशप बनेगी Hया ?अपनी नेक म/ खोट कैसे हो सकती है । हमने तो
अपना और अपनी औलाद) का पेट काटकर Lवजय का पालन पोषण <कया है ।
शाि:तदे वी-म; भी बहुत असमजंस म/ हूं । गांव म/ उड़ रह& बात) को लेकर । सुना है
Lवजय ने शहर म/ कोठN भी बनवा लया है । यद ऐसा है तो वह अपनी कोठN म/
Lवलास करे गा Lवभा को लेकर । हमार& खपरै ल के घर को Hयो हडपेगा ।
रामकरन-िजतने मंह
ु उतनी बात/ ।कौआ कान लेकर गया कौआ के पीछे भागने से पहले
अपना कान दे खो । यद Lवजय के मन म/ पाप समा ह& गया तो उसम/ कोई कर भी
Hया सकता है । उसके पास अपरFपार दौलत है ,थाना पु लस म/ तहसील कलेटर आ<फस
म/ खच करे गा। कहते है ना मांता बड़ी ना भइया कलयग
ु म/ तो सबसे बड़ा ?पइया ।
हम छुछे को कौन पछ
ू े गा । हम/ तो बस भगवान का सहारा है ।
शाि:तदे वी-ठNक कह रहे हो िजसका कोई नह&ं उसका तो भगवान होता है ।
रामकरन-दे खो <कशोर क मां हoशला मत पत होने दो । हमारे पास है भी Hया पांच
बीसा आवटन क जमीन बीसा भर जमीन पर खड़ा घर । अगर Lवजय और Lवभा के
मन म/ चोर बैठ गया।ये हमार& जमीन 0छन भी लये तो Hया हमारे ब>च) क तकद&र
तो नह&ं 0छन लेगे ?
शाि:तदे वी-खबर लगी है <क Lवजय Lवभा को शहर बल
ु ाया है ।
रामकरन-बात यहां तक पहुंच गयी अपने को खबर तक नह&ं लगी ।
शाि:तदे वी-हां Lवभा का कोई दरू का भाई Lवजय के पास रहता है उसी के साथ जाने
वाल& है । अरे जा रह& है अपने प0त के पास तो हं सीखस
ु ी से जाती हम कोई उसके
दQु मन तो न थे । पालन पोषण, पढाई लखाई Rयाह गौना सब हमने ह& तो <कया है
Lवजय का तो हमसे इतनी चोर& Hयो ?
रामकरन-अरे Lवजय को Lवभा को शहर म/ ह& रखना है तो कायदे से खुद आकर ले
जाता दरू के OरQतेदार के साथ Hय) बुलवा रहा है । हम Lवभा को शहर जाने से Hय)
रोकेगे। Lवजय और Lवभा दोन) खश
ु रहे यह& तो हमार& Mवाहश है ।
शाि:तदे वी- <कशोर के बाबू रात काफ हो चक
ु  है सो जाओ । <कमत म/ जो होगा
होकर रहे गा । सुबह जमीदार के खेत म/ खन
ू पसीना करने जाना है <क नह&ं ।
रामकरन-Hय) नह&ं । रोट& कैसे मलेगी ? ठNक है मुंह ढं ककर सो जाता हूं । त0नक दे र
म/ रामकरन खराटा मा◌ारने लगी ।शाि:त दे वी को भी करवटे बदलते-बदलते नींद आ गयी

शाि:त सबेरे सबेरे उठकर ^◌ौ◌ंस बैल क हoद धोकर पानी डाल&। गोबर उठाई इतने म/
उजाला हो गया । उजाला होने पर ^◌ौ◌ंस बैल को हoद& लगाकर Lवभा को आवाज दे ने
लगी । Lवभा.... Lवभा सुनकर रामकरन चला उठा अरे भागवान त0नक सो लेने दे ती ।
शाि:तदे वी -काम पर नह&ं जाना है Hया ?
रामकरन-काम पर नह&ं जाउूं गा तो रोट& आसमान पर से गरे गी Hया ?
शाि:तदे वी-अरे कभी गर& है <क आज ह& गरे गी ?उठो त0नक भर म/ एकदम से उजाला
हो जायेगा म;दान कहा जाओगे ।
रामकरन-ठNक है मैदान होकर आता हूं ।
रा◌ामकरन म;दान हो◌ेने गया । मैदान होकर सड़क के <कनारे से बबल
ू क दातौन तोड़ा
करता हुआ घर आया । है डपाइप चलाकर मंह
ु धोने लगा । इतने म/ शाि:तदे वी दाना-
चबैना और लोटा म/ पानी लेकर आयी । रामकरन को थमाते हुए बोल& लो जी पानी
पीओ म; हुHका चढा लाती हूं । शाि:तदे वी हुHका चढाने मड़ई म/ गयी । हुHका चढाकर
बाहर 0नकल& इतनी म/ चo◌ंककर बोल& दे खो <कशोर के बाबू वो समधीजी आ रहे है Hया
?
रामकरन-कौन समधी ?
शाि:तदे वी-अरे Lवभा के Lपताजी ?
रामकरन-झलफलाहे समधीजी आ रहे है ।
शाि:तदे वी-दे खो महुआ तक आ गये ।
रामकरन-हां वह& है ।
इतने म/ सकलू आ गये और बोले भइया समधन जी दरू से पहचान लेती है तुम पास से
भी नह&ं पहचान पाते ।
रामकरन-समधीजी आंख का दोष है । खैर बताओ इतना सबेरे कहां से आ रहे है ?
सकलू-घर से आ रहा हूं । Lवभा के मां क तYबयत खराब है । Lवभा को Lवदा कर दो ।
रामकरन-Hया ?
सकलू-हां
रामकरन-बहुय/ ।
सकलू-दोनो शहर चल& गयी । हम दोनो बूढा-बूढ& घर म/ ह; ।
रामकरन-ठNक है भइया । मुसीबत म/ OरQतेदार काम नह&ं आयेगे तो कौन आयेगे । कुछ
बन जाता है खा ल&िजये । इसके बाद जाइये ।
सकल-ू तरु :त जाना होगा ।
दोन) समधी आपस म/ बाते कर ह& रहे थे <क Lवभा पेट& लेकर बाहर 0नकल आयी और
अपने Lपताजी से बोल& चलो बाब.ू ...
रामकरन यह दे खकर है रान रह गया । वह माथा ठ)कते हुए बोला बहू जद& आ जाना
ु हारे Yबना ये घर सन
।तF ू ा हो जायेगा ।
शाि:तदे वी-हां बहू Lवजय के काका ठNक कह रहे है । तF
ु ह& तो इस घर क ल मी हो ।
अपनी मां क सेवा सp
ु ष
ु ा अ>छN तरह से करना । ये समधनजी का हालचाल लेने जद&
जायेगा । उनक तYबयत ठNक हो जाये तो आ जाना ।
Lवभा-ठNक है अFमा ।
सकलू Lवभा को Lवदा करा ले गये बीमार& तो बस बहाना बनाकर । उ:हे तो Lवभा को
दमाद Lवजय के पास शहर ^◌ोजना था ^◌ोज दये । Lवजय और Lवभा प:Zह साल क
बेट& बारह और पांच साल के बेट) को लेकर गांव लौटे । रामकरन शाि:तदे वी और उसके
ब>च) ने बड़ी आवभगत क पर वह सांप क तरह फन फड़फडाता रहा । उसके _यवहार
को दे Mकर रामकरन और शाि:तदे वी पूछे Lवजय बेटा मेरे पास तो शहर जैसी खाने रहने
क _यवथा नह&ं । तुम च:ता मत करो ब>च) को कोई तकल&फ नह&ं होगी । ये ब>चे
हमारे घर आंगन के गहना है ।
Lवजय-काका मझ
ु े अलग रहना है । तF
ु हारे पOरवार के साथ म; और मेरा पOरवार नह&ं रह
पायेगा । म; तो आना भी नह&ं चाह रहाथा पर Lवभा क िजद के आगे मेर& एक ना चल&
। काका एक कमरा दे दो जब तक रहे गे बना खा लया करे ।गरमी क छुWट& खम होते
ह& ब>चे शहर चले जायेगा । 0नशछल
् रामकरन Lवजय के षणय: को नह&ं समझ पाया
। ठNक है हमारे साथ तकल&फ है तो एक Hया तम
ु दो कमरा म/ रहो । हम/ तो पोता -
पोती खेलाने को चाहये तू जैसे चाहे वैसे रह ।
Lवजय-पोती-पोती तो तुFहारे है खब
ू कंE◌ो चढाओ । मुझे कहां यहा रहना है । म; तो बेट&
का Rयाह कर शहर चला जाउं गा । काका तुFहारा घर हड़पूंगा नह&ं ।
रामकरन-ठNक है जब तक इ>छा हो रहो कहां पराये हो जैसा मेरे लये <कशोर है वैसे तुम
हो । <कशोर क मां क छाती चस
ू कर तुम भी पले हो । <कशोर और तुFहारे ब>चे साथ
खेलेगे तो मुझे और तुFहार& काक को तो धरती पर वग का सुख मल जायेगा ।
Lवजय दस दन के बाद <फर शहर चला गया । पहल& जुलाई को <फर गांव वापस आ
गया । बेटा बेट& का नाम कूल म/ लखा <फर फुर से उड़ गया ।
धीरे -धीरे कई साल Yबत गये । अब रामकरन को दाल मे◌े◌ं कुछ काला दखने लगा ।
रामकरन का शंका सह& साYबत हुई । Lवजय का पOरवार रामकरन के घर म/ रहने लगा ।
दो साल के बाद Lवजय ने रामकरन के घर पर कRजा करने के लए कोट म/ मुकदमा
दायर कर दया । रामकरन क आथक दशा दयनीय थी ।कोट कचहर& के खचD से टूटकर
हथयार डाल दया अब Hया Lवजय आE◌ो का मालक बन बैठा । समय ने करवट
बदला रामकरन के घर खु शय) का आना शु? हो गया । <कशोर बी.ए. पास कर शहर
चला गया । शहर म/ साल) भटकने के बाद नौकर& मल गयी । अब Hया रामकरन के
घर म/ खश
ु हाल& क जड़े जमने लगी । इसी बीच Lवजय के बीटया रानी का Rयाह पड़
गया । <कशोर भतीजी के Rयाह म/ सोने क अंगूठN कपड़ा लता जो बना पुरानी सार&
रं िजQ◌ो◌ं भुलाकर सगे भाई क तरह Rयाह म/ सपOरवार शामल हुआ । बारात Lवदा होते
Lवभा <कशोर क शकायत म/ जुट गयी जो आता उससे कहती । अरे <कशोर ने तो
अंगूठN नाम करने के लये दया । चार cाम क अंगूठN मेर& रानी पहनेगी Hया ? वो तो
ले ह& नह&ं जा रह& थी । म; जबदती द& हूं । अरे नह&ं दे ते कौन मांगने गया था <क मेर&
रानी के Rयाह म/ सोने क अंगठ
ू N दे ना । साड़ी तो रस छनना सर&खे थी चaू ड़हारन को
जैसे तैसे द& हूं ।
भतीजी के Rयाह को अपनी बेट& का Rयाह समझने◌े वाला <कशोर आंख) म/ आसं◌ू भरे मां
शाि:तदे वी के सामने खड़़ा हुआ । उसे दे खकर वह बोल& बेटवा Hय) परे शान हो ।
<कशोर-मां पड़ोस वाले भाई साहब के घर से उठN शकायत क लपट चेहरा जला रह& है ।
शाि:तदे वी-बेटा Lवजय और Lवभा हमार& नेक को ल0तया दये तो तम
ु को कहां छोड़ेगे ।
तम
ु से जो अ>छा हो सका <कये । बेइमान के घर से उठे इजाम का धआ
ु हमारा चेहरा
कभी नह&ं काला कर सकता । बती वाले तो उटा उसके मंह
ु पर थक
ू रहे है । बती
वाल) से 0छपा तो कुछ नह&ं है ।सब तF
ु हार& वाहवा◌ाह& कर रहे है । Lवभा और Lवजय
कुछ भी कहे कहने दो Hया होता है ।हमने भलाई <कया है ।बरु ाई तो हमारे साथ Lवजय
और Lवभा ने <कये है ।इसके बाद भी हम दआ
ु करते है <क वे खश
ु रहे ।
<कशोर-मां पड़ोस वाले भाई साहब है <क हमार& राह) म/ काटे बो रहे है ।
शाि:तदे वी-बेटा नफरत के बीज तो दKु ट लोग बोते है । तुम तो नेक करो और भूल
जाओ । स>चे आदमी के सपन) क बारात को भगवान संवारता है । भगवान तुFहार&
मदद ज?र करे गा बेटा। उस पर हमेशा LवQवास रखना ।
<कशोर-हां मां तुFहार& सीख को कभी नह&ं भूलूंगा भले ह& पड़ोसवाले Lवजया भाई साहब
और उनक घरवाल& हमार& राह म/ कांटे Hय) uk Yबछाये। उनके रं ग) म/ भी तो इसी
खानदान का रHत दौड़ रहा है ।
शाि:तदे वी-शाबास मेरे लाल ।
<कशोर-तुFहारे पास हाड़फोड़ मेहनत क सेर भर कमाई थी । मां मेरे पास तो सरकार&
नौकर& क तनMवाह है । वादा करता हूं तुFहार& तरह नेक क राह पर चलूंगा मां ।
22-मौत के सौदागर।
अरे बाप रे आदमी मौत का सौदागर हो गया है । <कतनी भयावह खबर छपी है । पढ़कर
रोगटे खड़े हो गये िजन लोग) ने अपनी आंख) से दे खा होगा उनक Hया हाल हुई होगी ।
Hय) चीख पुकार कर रहे हो कहते हुए नि:दनी सामने खड़ी हो गयी ।
स:तोष-लो खद
ु क आंख से दे ख लो अखबार म/ छपी दल दहला दे ने वाल& खबर ।आज
आदमी मौत का सौदागर हो गया है ।
नंि:दनी मेरे हाथ म/ आटा लगा है आप ह& सुनो दो ।
स:तोष-आदमी आदमी क हया बाद शनाMत मटाकर कमाई करने लगे है । बेचारे
मत
ृ को के घर पOरवार के सपन) क बारात म/ है वान <कम के लोग आग लगा दे रहे है
। आदमी <कतना दOर:दा हो गया है ।मौत का सौदागर बन गया है । अमानुष लोग कैसे-
कैसे भयावह धंधा करने लगे है । आदमी के ?प म/ आदमी,आदमी क मौत बनकर घम

रहे है । कैसे कमजोर,सीE◌ो-साE◌ो लोग दOर:द) से बच पायेगे ?
नि:दनी-ठNक कह रहे हो वाथ के इस यग ु म/ आदमी को पहचानना बहुत कठन हो
गया है । कहते है सोना परखे घर&-घर& आदमी परखे एक घर& वाल& कहावत आज के
आदमी पर लागू नह&ं हो रह& है Hयो<क वह चेहरा बदलने म/ इतना माहर हो गया है ।
अदमी के पल-पल मुखौटे बदलने का ह& तो नतीजा है <क आदमी नरकंकाल तक का
भयावह Eं◌ाधा करने लगे है । कुछ साल पहले ताबत
ू काड आम आदमी को हलाकर
रख दया था । वाथ म/ आज का आदमी इतना पागल हो गया है <क अपने वाथ के
अलावा कुछ सझ
ू ह& नह&ं रहा है । Hया जमाना आ गया है आदमी मौत का सौदागर
बन गया है ।
स:तोष-सच आज के इस यग
ु म/ आदमी वाथ के जाल म/ ऐसा उलझ गया है <क वह
अ>छे -बरु े म/ अ:तर नह&ं कर पा रहा है । पागलपन म/ मदहोश का कल कर अपनी
खु शय) क नींव रख रहा है ।
नि:दनी-अखबार वाल& खबर) को त0नक छोट& करके बताओगे Hया ?
स:तोष- सुनो भोले बाबा क नगर& म/ पुलस ने एक ऐसे खन
ू ी गरोह का भडाफोड़
<कया है जो फजx नाम से आदमी का बीमा करवाता था और बाद म/ <कसी मासूम गर&ब
को अपने जाल म/ फंसाकर मौत के घाट उतार दे ता था । इस गरोह के दOर:दे बीमा
कFपनी से कई Hलेम भी ले चक
ु े है । ये मौत के सौदागर अपने काले कारनाम/ को सफेद
कर बीमा कFपनी क आंख) म/ धल
ू झ)क कर करोड़) का चन
ू ा लगा चक
ु े है ।
नि:दनी-बाप रे आदमी इतने बड़े कसाई हो गये है <क आदमी को बकरा-मुगx क तरह
काटकर लाश को कमाई का जOरया बना रहे है । हे भगवान तुFहारे आदमी को ये Hया
हो गया <क आदमी से है वान हो गया । अ>छा ये बताओ इन दOर:द) के खूनी खेल का
पदाफाश कैसे हुआ ?
स:तोष-छपी खबर के अनस
ु ार ये दOर:द/ मासूल गर&ब को अपने जाल म/ फंसाकर उसक
हया करने के बाद चेहरा ऐसे कुचल दे ते थे <क शनाMत ह& नह&ं हो पाती थी । ये
दOर:द/ फजx नाम से करवाय/ बीमे के आदमी को मत
ृ क बताकर Hलेम ले उड़ते थे ।
नि:दनी-अब ये बात मत दोहराना डर लगने लगा है । आप तो बस ये बताओ <क है वान)
का भडा कैसे पुलस फोड़ी ।
स:तोष-भागवान म; कोई जांच अधकार& तो नह&ं । अखबार म/ सब छपा है ।
नि:दनी-म; कहां कह रह& हूं <क तुम जांच अधकार& हो। जांच अधकार& से बड़ा अधकार&
बनने क काYबलयत तुमम/ तो है । आदमी iवारा रचा चj_यूह क दे न कहे या नसीब
का खेल लाख काYबलयत होते हुए भी तुFहे तरHक से पीछे ढकेला गया । खैर वो सब
छोड़ो तम
ु तो मासम
ू कमजोर के सपन) को डंसने वाले मौत के सौदागर) क करतत ू
बताओ ।
स:तोष-सन
ु ाने म/ मेरे पैर कांपने लगे है । खैर सन
ु ो- पु लस iवारा एक बीमा कFपनी के
आववेदन पर जांचक जा रह& थी । बीमा कFपनी सड़क दघ
ु ट
 ना मे मारे गये मासम
ू े:Z
जो वातवम म/ मौजे:Z जो एक मजदरू था क मौत पर बीमा कFपनी को शंका हुई
उसने मामला पु लस को जांच के लये सौप दया।
नि:दनी-बीमा कFपनी को शंका इसीलये हुई होगी <क ये मौत के सौदागर मासम ू ो को
मारकर चेहरा ऐसे कुचल दे ते होगे <क शनाMत न हो पाये । मजबरू न म/ कFपनी को
दOर:द) के हलफनाम/ को मानना पड़े । भोले बाबा ने बीमा कFपनी का तीसरा ने खोल
दया तभी तो मामला पु लस के पास पहुंचा ।
स:तोष-कFपनी जांच तो पहले भी अपने तर पर करती होगी पर ये दOर:दे ऐसे सबत

पेश कर दे ते होगे <क बीमा अधकार& झठ
ू को सच मान बैठते होगे ।
नि:दनी-भोले बाबा क कृपा से <कतने मासूमो क जान बच गयी । बीमा अधकाOरय) को
Hलू दखा दया होगा दOर:द) म/ के अपराध का बाबा ने । कहते है ना चोर क दाढ& म/
0तनका ।
स:तोष-फरे ब पर खड़ी इमारत तो ढहे गी ज?र वह& हुआ । वह& हुआ जांच से पता चला
<क मरने वाला मासूमे:Z न होकर मौजे:Z था िजसक शनाMत मौसूमे:Z के ?प म/ हुई
थी । मौजूमे:Z सीधा-साधा मजदरू था िजसे दOर:Z) ने कुचल कर मासूमे:Z के ?प
पहचान क थी या0न िजस नाम से फजx बीमा हुआ था ।
नि:दनी-दOर:द) के जाल म/ बेचारा गर&ब फंस कैसे गया ।
स:तोष-खबर के मुताLवक मौत के सौदागर) ने गर&ब मौजे:Z को अपना बनाया । बेचारा
झांसे म/ आ गया । कहते है ना गर&ब हर आदमी पर LवQवास कर लेता है । यह&
LवQवास उसक दद
ु  शा का कारण होता है । बेचारा गर&ब दOर:द) पर LवQवास कर बैठा
और यह& LवQवास मौत का कारण बन गया । दOर:द/ मौजे:Z को मुगा दा? Iखलाये
पीलाये । जब वह नसे मे हो गया तब मौत के सौदागरो ने उसक हया कर द& इसके
बाद कार से ऐसा कुचला क उसक असल& पहचान ह& खम हो गयी ।आIखरकार कार
का yाइवर पुलस के हsो चढ गया और पुलस ने सब कुछ उगलवा लया ।
नि:दनी- yाइवर के बयान के बाद तो का0तल दOर:द/ भी पुलस क गरफत म/ आ गयो
हो । दOर:द) को भी वैसे ह& कुचल कर मारे जाने क सजा मलनी चाहये । तभी
दOर:द) म/ डर पैदा होगी और कमजोर गर&ब मासूम आदमी भी षणय: के शकार से
भी बच सकेगा ।
स:तोष-दे श का कानन
ू त0नक लचीला है । इसी का फायदा बदमाश <कम के लोग और
पहुंच वाले उठाते है ,िजसके पOरणामव?प ् अपराध क व0ृ त बढती है । दOर:द/ सलाख)
के पीछे आ गये है पर दे खो इनको फं◌ासी क सजा कब मलती है ?
नि:दनी- है तो इसी के हकदार ये मौत के सौदागर । अगर ये मौत के सौदागर ?पये के
लये मासम
ू गर&ब) को कुचल-कुचल कर मारते रहे तो गर&ब आदमी का बसर कैसे होगा
?
स:तोष-एस.पी.साहब का बयान भी छपा है ।
नि:दनी-Hया कह रहे है एस.पी.साहब ?
स:तोष- बयान के अनुसार तो इन मौत के सौदागरो का `लान काफ खतरनाक और सह&
साYबत करने म/ कोई कोर कसर नह&ं छोड़ा था । पुलस कार वाई का चमकार ह& कहो <क
ये दOर:द/ सलाख) के पीछे आ गये वरना इनके हया के तर&के से मामला उजागर ह& नह&ं
हो पाता । मौत के सौदागर मासूम) का कल कर फजx नाम से <कये गये बीमा के ?पये
के पहाड़ पर बैठे मौज मनाते और मoका मलते ह& <कसी मासूम क बल चढाकर बीमा
कFपनी से ?पया ऐंठते रहते ।
नि:दनी-Hया जमाना आ गया है आदमी आदमी को मुगx बकरे क तरह काटने लगा है ।
स:तोष-दे वीजी इस खन
ू ी खेल म/ औरत/ भी शामल है ।
नि:दनी-Hया ?
स:तोष-हां । कुकमDश, खन
ू वीर,कलवीर और जोरवीर के साथ ममता,समता और जोरवीर
क बीबी खस
ु ुम भी शामल है खन
ू ी खेल क काल& कमाई म/ । दखाने को तो ये जोरवीर
क घरवाल& घर) म/ वतन,झाड़ू का काम करती थी पर असल& चेहरा तो खन
ू ी है । ये
पाLपने ना जाने <कतने मासम
ू ) को खन
ू पी चक
ु  होगी । ऐ सब बराबर के भागीदार है
खन
ू ी खेल म/ ।
नि:दनी-हे भगवान इन मौत कं सौदागर) का कब संहार होगा ।
स:तोष-चढ गये है पु लस के हsो हयारे तो फं◌ासी के फ:दे तक पहुंच ह& जायेगे ।
नि:दनी-फजx Hलेम लेने के लये हयारे फजx आpत भी खड़ा कर दे ते होगे ।
स:तोष-हयारे मासम
ू क हया कर लाश का चेहरा Lवकृत कर के उसक जेब म/ अपना
पता डाल दे ते थे । पु लस इसी पते के आधार पर इन दOर:द) से सFपक करती थी । ये
बीबी,ब>चे मां◌ं बाप सब फजx बन जाते थे । पोटमाट म के बाद पुलस लाश इनहे सौप
दे ती थी । ये आनन-फानन म/ जला-जुलाकर बीमा कFपनी म/ Hलेम ठ)क दे ते थे । ये
दOर:द/ मासूम) क हया का पांच-पांच लाख तक के Hलेम ले चक
ु े थे ।
नि:दनी-दे ख) ?पये क लालच म/ ये मौत के सौदागर मासूम) गर&ब,बेरोजगारो को काम
दलाने के बहाने अपने जाल म/ फांसकर कुचल-कुचल कर मार दे ते थे । <कतने है वान
कुकमDश, खन
ू वीर,कलवीर ममता,समता, खस
ु ुम उसके नकल& आpत बनकर Hलेम लेने
वाले लोग होगे ।◌ी◌ाला हो उस जांच अधकार& का िजसक तीसरा ने खल
ु गया और
हयारे दOर:दे गरोह का पदाफाश हो गया ।
स:तोष-दOर:दे सलाख) के पीछे तो आ गये है । काश इनहे जद& फांसी लग जाती ।
नि:दनी-दे खो ये काम कचहर& का है । अब इस केस के बारे म/ कोई बात न करो मझ
ु े
चHकर जैसा लग रहा है । तम
ु जाओ नहा,धोकर पुजा पाठ करो।मझ
ु े खौफ सतसने लगा
है ।
स:तोष-डरो नह&। दे श क पु लस तो है uk दOर:द) के दमन के लये ।
नि:दनी-काश ऐसा हो जाता ।
स:तोष और नि:दनी अपने-अपने काम म/ लग गये । स`ताह भर बाद <फर अखबार म/
छपी खबर को पढकर स:तोष चौक कर चला पड़ा ।
नि:दनी-आज Hया हुआ ?
स:तोष-मौत के सौदागर) को फांसी हो गयी । फजx तर&के से कमाई रकम और ापट‚
सब राजसात ् हो गयी ।
नि:दनी-अ>छा हुआ हमार& :याय _यवथा और पुलस पर अंगु◌ुल& नह&ं उठे गी ।
स:तोष-:याय <jया म/ ढलाई अपराध बढाती है ।
नि:दनी-पुराने ढरD से हटकर अ>छा फैसला हुआ है । बेचारो गर&ब,मासूम और बेरोजगार
मत
ृ क) क आमाओं को ज?र शाि:त मल& होगी । मौत के सौदागर सर उठाने म/ भी
अब थर -थर कांपेगे यद ऐसे :याय होता रहा तो ।
स:तोष- सयमेव जयते का नारा भी बल:द हुआ है ।
23-लgमण रे खा
बहन काक फज क लgमण रे खा लांघ कर हम/ दख
ु के सागर म/ डूब मरने को छोड़
गयी मां-Lपताजी के सपन) क बारात को हम छोटे -छोटे भाई बहन <कनारे तक ले जा
पायेगे ।
न:द-ू काक हमे मुसीबत के भंवर म/ छोड़ भागी है । च:ता ना कर कोई ना 0तनके का
सहारा तो मल जायेगा । मां अपताल म/ मौत से जूझ रह& है हम हम अपने पेट क
आग से जूझते हुए गाभन ^◌ौ◌ंस का पेट भरने के लये संघष कर रहे है । घर म/ ना
हम/ खाने के लये अ:न है ना ^◌ौ◌ंस के खाने के लये भूसा उपर से दरवाजे तक बाढ
का पानी भरा है । ऐसे मुसीबत के वHत म/ काक हम/ और अंधी दाद& को Yबलखता
कैकेयी काक छोड़कर शहर चल& गयी
दग
ु ा-भइया हFमत uk हार दाद& कहती कहते है मस
ु ीबत आदमी को मजबत
ू बनाने के
लये आती है ।
न:द-ू Hया खाक मजबत
ू बनेगे uk खाने को अ:न uk रहने को घर । बरसात म/ कह& बैठने
का ठकाना नह&ं ।
दग
ु ा-Hयो नह&ं है । इतना बड़ा घर नह&ं है । मालूम है इसी घर क माट& ढोने म/ मां के
सर के बाल उड़े है । ठNक है चू रहा है । मां ठNक होकर आ जायेगी तो सब ठNक हो
जायेगा । कहां फांका कर रहे है एक टाइम का मल तो रहा है ना अगर घर म/ इतना
भी अनाज नह&ं होता तो Hया होता ? दे ख खाने क तकल&फ दो चार दन म/ कम हो
जायेगी ।
न:द-ू वो कैसे ?
दग
ु ा-हलवाह& वाले खेत म/ जो पाच बीसा धान रोपा है ,पकने लगा है ।इससे ^◌ौ◌ंस के
चारे का इ:तजाम भी हो जायेगा ।
न:द-ू द&द& बाढ का पानी उतरने म/ uk जाने अभी <कतने दन लगने वाले है । पता नह&ं
धान बचेगा <क बह जायेगा बाढ म/ । द&द& कल से म; ग:ना थोड़ा काट लाउूं गी । इससे
^◌ौ◌ंस को चारा मल जायेगा हम/ खाने को ग:ना ।
दग
ु ा-ग:ना जूठवन के बाद खाते है ।
न:द-ू द&द& रम के चHकर म/ ◌े पड़कर भू◌ूख) नह&ं मरे गे । दे खो मै ग:ना खाकर पेट भर
लूंगा तो मुझे रोट& कम लगेगी ।दो रोट& बच जायेगी तो न:हक बहन के काम आ
जायेगी ।
दग
ु ा-न:द ू च:ता uk कर मां के आराम होते ह& बाबू आकर अनाज का इ:तजाम कर
जायेगे । अरे पगले काक मुसीबत म/ छोड़कर भाग गयी तो Hया बती वाले अपनी
मदद नह&ं करे गे Hया ? <कसी के घर से सवाई पर अनाज ले आउूं गी ।
न:द-ू द&द& धीरे -धीरे बोले दाद& सुनेगी तो रोयेगी । आख) से तो वैसे ह& नह&ं दखता बेचार&
का सर उपर से दद करने लगेगा । चलो हम गेहूं पीस लेते है ।
दग
ु ा- म; पीस लूंगी । पहले सूख तो जाने दो ।
न:द-ू सूख गया होगा सबेरे का च
ू हे म/ डाल& हो uk ।
दग
ु ा-एक बार कह द& uk म; पीस लूंगी । तुमको खाने से मतलब है uk ।
न:द-ू नह&ं पीसने से भी । अकेले इतनी जांता कैसे रोज खीचती हो । म; थोड़ी मदद कर
दे ता हूं ।
दग ु ा-तुFहार& मदद क ज?रत नह&ं है । जैसे रोज पीसती हूं वैसे आज और रोज-रोज
पीस लूंगी ।
न:द-ू ठNक है । मै ^◌ौ◌ंस के चारा का इ:तजाम करके आता हूं । भस
ू ा भी खम होने
वाला है ।
दग
ु ा-सब ओर पानी भरा है कहां घास मलेगी ?
न:द-ू द&द& सड़क के <कनारे से बरसाती घास और पोखर& म/ से करे मव
ु ां काट लाता हूं ।
दग
ु ा-नह&ं पोखर& म/ मत जा हाथी के डूबने भर को पानी है ।
न:द-ू द&द& मुझे तैरने आता है । तू च:ता uk कर । हमारे और तुFहारे उपर दो छोट&
बहनो दाद& और ^◌ौ◌ंस क िजFमेदार& है । दे खो भख
ू से ^◌ौ◌ंस कैसे चला रह& है ?
दग
ु ा-हां वो तो है पर करोगे Hया इस बाढ म/ ? कहां से घास काटकर लाओगे?खेतो म/
कमर तक पानी भरा है ।
न:द-ू बांस क पितयो तोड़ लाता हूं । वह& काट कर ^◌ौ◌ंस को Iखलाता हूं ।
दग
ु ा-बरसात म/ बांस) पर सांप होते है ।
न:द-ू द&द& डराओ नह&ं ।म; बांस क पितयां तोड़ लाता हूं ।
दग
ु ा-इतनी तेज बरसात म/ मत जा । थोड़ा थमने दो ।
न:द-ू प:Zह दन से नह&ं थमी तो आज थम जायेगी ।
दग
ु ा-?क मै <फर टोटका करती हूं ।
न:द-ू वह& तवा और मुसर अंगना म/ फेकोगी । रहने दो मुसर सड़ जायेगा चार दन के
बाद धान कैसे कूटोगी ?
दग
ु ा- जा म; हार& ।
न:द-ू जा रहा हूं ^◌ौ◌ंस के पेट क पूजा का इ:तजाम करने के लये ।
दग
ु ा-भइया Eयान से बांस पर चढuk । बरसात म/ बांस <फसलेगा । पानी से बचने के
लये कोटयां से सांप भी बांस पर चढते ह; । चoक:ना रहना ।
न:द-ू द&द& डराओ नह&ं । म; रख लं◌ूगा Eयान । तम
ु आराम करो जब तक म; आता हूं ।
चारा काटकर गेहं◌ू पीसवा दं ग
ू ा ।
दग
ु ा- जा गेहूं पीसने क च:ता न कर । मै पीस लूंगी ।
न:द-ू नह&ं अकेले मत पीसना । हम दोनो पीस लेगे मलकर ।
दग
ु ा-ठNक है तू आ तो सह& ।
न:द ू ^◌ौ◌ंस के चारे के लये बांस क पती तोड़ने चला गया । बहन के बताये अनुसार
वह सFभल-सFभल कर ढे र सार& पितयां तोड़कर उतरने लगा इसी दौरान उसका पैर
<फसल गया और एक बांस से दस
ू रे बांस पर जा गरा । न:द ू क जांघ म/ छ‘ इंच उपर
से कट& कट& कैन क ठूठ घूस गयी । बेचारा आE◌ो घटे तक बेहोश बांस पर लहूलुहान

लटका रहा । होश आने पर पोखर& म/ खन ू से स:ने कपड़े को धोया खदु नहाया । इसके
बाद बांस क पितय) का बोझ लेकर घर पहुंचा । बोझ चारा काटने वाल& मशीन के पास
पटक कर द&द& द& आवाज दे ने लगा । दग
ु ा दौड़कर आयी । दग
ु ा के बाहर आते ह& न:द ू
बोला द&द& ये पितयो मशीन म/ लगा दो म; मशीन खींच लेता हूं । न:द ू मशीन खींचने
लगा दगु ा लगाने लगी । थोड़ी दे र म/ चारा कट गया । न:द ू पितय) का हरा चारा और
त0नक भस
ू ा मलाकर 0छं टा भरा और ^◌ौ◌ंस क हौद क ओर लपका । न:द ू क जांघ
से तर-तर चू रहे खन
ू को दे खकर दग
ु ा जोर से चलायी अरे बाप रे ?क न:द ू ये Hयो हो
गया ?
न:द-ू कहां Hया हो गया द&द&?
दग
ु ा-तेरे पैर खन
ू से लथपथ है तम
ु को पता नह&ं ?
न:द-ू बांस क कैन धंस गयी थी । ठNक हो जायेगा ।
दग
ु ा-रख 0छं टा म; चारा डालती हूं तू खटया पर लेट जा ।दग
ु ा न:द ू से 0छं टा 0छनकर
^◌ौ◌ंस को चारा डालकर ^◌ौ◌ंस को हौद& लगायी । इसके बाद नीम से पितयां तोड़ा
उबाल& जMम साफ करके <फटकर पीसकर घाव म/ भर& । ये सब करने के बाद न:द ू को
डांटकर बोल& तू सुबह तक खटया से नह&ं उठे गा ।
न:द-ू गेहू अभी पीसना है ।
दग
ु ा-पीस गया है । तू च:ता ना कर तुमको खटया पर रोट& दं ग
ू ी । इतना गहर जMम
है तुमने मुझे बताया तक नह&ं । <कतना खन
ू बहा होगा । 0छपने के लये तू पोखर& म/
नहा-धोकर आया है ना । <कतनी दे र तक बांस पर लटका था । पती-सती छोड़कर नह&ं
आ सकता था । कुछ हो जाता तो हम कैसे जीते । बापू मां को लेकर कोसो दरू शहर के
अपताल म/ पड़े है ।तुFहार& ये हालत ।
न:द-ू द&द& ठNक हो जायेगा त0नक सी तो चोट है ।
दगु ा-पूर& अंगूर& चल& जा रह& है घाव म/ । भइया <फटकर& तो म; ह& भर& हूं ना मुझे पता
है <कतनी गहर& घाव है । तू इतनी गहर& घाव के साथ इतना काम कैसे <कया है । मझ ु े
तो खन
ू दे खकर चHकर आने लगा था । मां बापू को याद कर-कर तो सFभल& हूं ।खटया
पर पड़े रहो उठना नह&ं मेर& कसम है तुमको । म; सब कर लूंगी । बहुत खन
ू तुFहारे
शर&र से बह गया है ।काश काक होती भले ह& कुछ ना करती पर सहारा तो रहती ।
न:द-ू वो Hया सहारा ब:◌ोगी । मुसीबत के दलदल म/ ढकेलकर भाग गयी । थी तो कौन
सहारा बनती थी जो अब कर रहे तब भी यह& करते थे । एक आदमी क और टहल
बजानी पड़ती थी । हम भाई-बहन एक दस
ू रे के सहारे है ,दाद& का आशxवाद है Hया यह
कम है ?
दग
ु ा-तू लेटा रहा म; रोट& बनाती हूं ।
न:द-ू द&द& मेर& वजह से तम ु को <कतनी तकल&फ/ उठानी पड़ रह& है । बाबूजी मां को
लेकर मह&न) अपताल पड़े है । मां क बीमार& ने तF
ु हारे Rयाह क हं सल
ु & क बल भी
ले ल& पर अभी मां ठNक भी नह&ं हुई । द&द& मझ
ु े तो डर लग रहा है मां को कुछ हो
गया तो हमारा Hया होगा ?
दग
ु ा-अशभ
ु बाते जबान पर मत ला । भगवान अपने भगवान होने क लgमण रे खा नह&ं
लांm◌ोगे । मां ठNक होकर जद& ह& आ जायेगी । भगवान कोई अपने काका-काक जैसे
थोड़े ह& है <क अपने मतलब के लये लgमण रे खा तोड़ दे गे । भगवान भगवान होते है
उ:ह/ सब क च:ता बराबर होती है । कोई गलता हो गयी होगी,उसक सजा परू & होते ह&
मां दे खना Yबकुल ठNक होकर आ जायेगी । अभी तो खद
ु दद म/ कराह रहा है । मां <क
च:ता घर क च:ता सब भगवान के उपर डालकर आराम से लेटा रहा ।तम
ु हार
् घाव म/
जो <फटकर& भरकर बांधी हूं गरने मत दे ना। तम
ु को खटया से उठने क ज?रत नह&ं है

न:द-ू द&द& तू तो मां क तरह समझा रह& हो ।
दग
ु ा-तF
ु हारे भले के लये कह रह& हूं । खटया पर पड़ा रह । म; रोट& बनाकर तF ु हारे
लये खाना लेकर आती हूं कह कर दग ु ा खाना बनाने म/ जुट गयी । खाना बनाकर सबसे
पहले दाद& को द& <फर न:द ू को दे कर ^◌ौ◌ंस और बकर& को मड़ई म/ बांधकर हाथ पांव
धोकर तीनो न:ह& बहनेां गंगा,जमुना और सरवती को खाना परोसकर खद
ु खाना खाने
बैठ गयी । खाने के बाद बतन धोकर घर क सफाई क <फर वह& भी थक-मांद& सो गयी
। ऐसे ह& इन पांचो भाई-बहन) का दन बूढ& दाद& के साथ कभी खाकर तो कभी फांके म/
Yबत रहा था ।
दो महन) के बाद अचानक गांव क पगडडी पर शाम के वHत इHका खड़ा हुआ । इHका
के खड़ा होने के आहट पाकर न:द ू दौड़ पड़ा । इHका के पास पहुंचते ह& वह उछल पड़ा
और जोर से चलाया द&द& बाबूजी मां को लेकर आ गये । हOरचरन और च:Zकला ने
न:द ू को गले लगा लया इतने म/ दग
ु ा और तीनो न:हक भी पगडडी क ओर दौड़ बूढ&
दाद& दFय:ती आंखे फाड़-फाडकर पगडडी क ओर दे खने लगी । हOरचरन और च:Zकला
पांच) ब>च) के साथ घर पहुंचे दोनो प0त-पनी बूढ& मां दFय:ती के पांव छूये । बूढ&
दFय:ती ने आशxवाद क गंगा बहा द& । काफ दे र के इ:तजार के बाद च:Zकला पूछN
न:द ू कैकेयी कहां है ।
न:द-ू मां काक तो तुFहारे अपताल जाने के पांच दन बाद शहर चल& गयी ।
हOरचरन-Hया ?
दग
ु ा-हां बाबू ?
च:Zकला-मुसीबत के दन) म/ अपन) ने साथ छोड़ दया ।
हOरचरन-भगवान ने हमारे ब>च) क र ा क है । दे खो घर-iवार जैसा तुम छोड़कर गयी
थी वैसा ह& दमक रहा है । दे खो तम
ु च:ता छोड़ो दवाई खाओ आराम करो । तम

सकुशल आ गयी हो कल से मै सब काम सFभाल लंग
ू ा। काल&चरन को अपनी घरवाल&
को शहर बल
ु ाना ह& था तो मेरे घर आने तक इ:तजार कर लेता । अरे म; मना करता
Hया ? मस
ु ीबत म/ भाई ने OरQता खम कर दया ।
च:Zकला-दे वरानी कैकेयी तो एक मां थी मेरे ब>च) को अनाथ सर&खे छोड़करचल& गयी
मस
ु ीबत के समय म/ जब<क ऐसे समय म/ तो पराये मदद करते है ।वाह रे कैकेयी तू भी
फज क लgमण रे खा लांघ गयी ।
हOरचन-लांघ गयी तो लांघ गयी । हमारे ब>च) के सर पर उनक दाद& मां का हाथ था
और अब उनक मां भी आ गयी । दे खना सार& बलाय/ छूम:तर हो जायेगी ।
च:Zकला-भगवान ऐसा ह& करे तब uk ?
हOरचरन-LवQवास रख) मौत के मंह
ु से 0नकल कर आयी हो।भगवान का चमकार नह&ं
तो और Hया है ?
च:Zकला-LवQवास पर तो जी रहे है कल हमारा भी होगा ।
हOरचरन-ज?र होगा ।
धीरे -धीरे समय Yबतने लगा ।दग
ु ा का गौना गंगा,जमुना और न:द ू का Rयाह भी हो गया
।न:द ू साल दर साल एक-एक क ा आगे बढते-बढते बी.ए. तक क पर& ा पास कर गया
। बी.ए.पास कर वह नौकर& क तलाश म/ शहर साल) भटकने के बाद नौकर& भी मल
गयी ।बेटे के नौकर& मलते ह& हOरचरन के घर भी खश
ु हाल& बरसने लगी । खश
ु हाल& क
पूर& बयार चलती इसके पहले ह& च:Zकला ने हमेशा के लये आंखे मं◌ूद ल& । हOरचरन
भी बूढे हो गये अब दरवाजे पर बैठे रहते थे । इसी बीच रात के अंE◌ोरे म/ काल&चरन
आ धमका और पालगी भइया कहकर हOरचरन के सामने खटया पर बैठ गया ।
हOरचरन चप
ु चाप पहचानने क कोशश कर रहे थे । इतने म/ काल&चरन बोला पहचाने
नह&ं Hया ?
हOरचरन-नह&ं कौन हो भाई ?
म; काल&चरन .....
हOरचरन-कौन काल&चरन ?
तुFहार&-भाई ।
हOरचरन-चाल&स साल के बाद अचानक भाई क याद कैसे ?
काल&चरन-हक हसा छोड़ तो नह&ं सकता uk ।
हOरचरन-कैसा हक हसा ।
काल&चरन-महलनुमा घर म/ हमारा भी तो हसा बनता है <क नह&ं ।
हOरचरन-बाप दादा क कमाई तो यह घर है नह&ं । न:द ू क कमाई का घर है इसम/ कैसा
हसा ? हसा लायक तम
ु ने कुछ <कया भी तो नह&ं है । मेरे ब>च) को मस
ु ीबत क
दOरया म/ ढकेल कर अपनी घरवाल& को बल
ु ा लये । चाल&स साल के बाद अब आये हो
वह भी छाती म/ खंजर भोकने ।
काल&चरन-हक हसा लेना खंजर भोगना है Hया ?
हOरचरन-<कसी के खन
ू पसीने क कमाई पर कRजा और Hया है ।
काल&चरन-फैसला कल क पंचायत म/ हो जायेगा ।
हOरचरन-कैसी पंचायत ?
काल&चरन-हसा लेने के लये पंचायत बल
ु ाउगा क नह&ं । गांव के धान और कुछ
मा0न:द) क पंचायत कल सबेरे बल
ु ाया हूं ।घर पर रहना कह& जाना नह&ं ।
हOरचरन-अरे हमारे घर पंच परमेQवर आयेगे तो भला मै घर छोड़कर कह&ं जाउं गा Hया ?
काल&चरन-ठNक है सब ु ह आता हूं पंच) को लेकर तब तक वग का सख
ु भोग लो ।
हOरचरन-ये सख
ु मेरे बेटवा का दया हुआ है । भगवान के अलावा कोई नह&ं 0छन सकता
। तुम जाओ कल पंचो के सामने अपनी बात रखना ।
काल&चरन-तुम हसा नह&ं दे रहे हो तो पंचायत का दरवाजा तो खटखटाना ह& पड़ेगा ।
हOरचरन-पंच परमेQवर का फैसला मुझे मा:य होगा । अब तो यहां से जा ।
काल&चरन-ठNक है जा रहा हूं । कल पंचायत म/ मलूंगा कहकर काल&चरन चला गया
और सबेरे गांव के कुछ मा0न:द) और धान को लेकर हOरचरन के दरवाजे पर आ
धमका । हOरचरन पहले से ह& पंच) के लये हुHका तFबाकू का इ:तजाम कर बाट जोह
रहा था । पंचायत बैठ गयी ।
धान-हOरचरन काका ये सफेद बाल वाले तुFहारे सगे भाई है ।
हOरचरन- हां ।
धान-कुFभ के मेले म/ खो गये थे Hया ?
हOरचरन-नह&ं चाल&स साल के बाद शहर से गांव आया है वह भी इस ?प म/ ।जब ये
शहर गया था तो धानजी तुम कूल जाना शु? ह& <कये होगे ।
धान-खैर पुरानी बाते छोड/ ये तो बताओ <क काका तुमको मालूम है ये पंचायत Hय)
बुलायी है ये चाल&स साल के बाद मलने वाले काल&चरन काका ने ।
हOरचरन-हां । न:द ू क कमाई म/ हसा लेने के लये ।
धान-काका आपका Hया Lवचार है ।
हOरचरन-भतीजे क कमाई म/ काका का हसा तो बनता नह&ं । असल& फैसला तो आप
पंच) का करना है । पंच) का कोई भी फैसला हमे मा:य होगा ।
धान-न:द ू को भी ।
हOरचरन-बाप के आदे श क लgमण रे खा नह&ं पार कर सकता ऐसा मेरा LवQवास है ।
धान-ठNक है काल&चरन काका से भी कुछ बात कर लेते है । हां काल&चरन काका
चाल&स साल के बाद गांव आये है सह& है Hया ?
काल&चरन- हां ।
धान-बाप दादा क कोई छोड़ी चल अचल सFप0त है Hया ?
काल&चरन-पता नह&ं । चाल&स साल से तो म; परदे स कर रहा हूं ।
धान- Hय) हOरचरन काका कोई दौलत है Hया परु ख) क ?
हOरचरन-जमीन तो जमींदारो ने अपनी आंख खल
ु ने के पहले ह& जमींदार) क ^◌ोट चढ
। बाप आजाद& के यE
ु द के दन) म/ गायब हो । पंच) आप सभी तो जानते ह& है कैसे-कैसे
मेरे मस
ु ीबत के दन कटे है ? न:द ू क कमाई से त0नक खश
ु ी मलने लगी है तो उस पर
भी गEद नजर लग रह& है । अरे कभी गWटा भी हमारे ब>च) को नह&ं दया होगा ये
काल&चरन आज वह& मेरे ब>चे क कमाई म/ हसा लेने के लये पंचासत बल
ु ा दया ।
धान-मतलब बाप दादा क कोई दौलत नह&ं है । Hय) काल&चरन काका हOरचरन काका
ठNक कह रहे है ?
काल&चरन-ठNक कह रहे होगे पर मै कहां जाउं ।
धान- अरे काका शहर के बंगले म/ और कहां ?इतने बड़े आसामी होकर आदमयत क
लgमण रे खा Hय) पार कर रहे हो । हOरचरन काका जीवन भर दख
ु दख
ु उठाये है पूरा
गांव जानता हूं उनक खुशी पर Hय) cहण बन रहे हो । अ>छा काल&चरण काका ये
बताओ <क तुम अपने शहर के बंगले म/ हOरचरन काका को हसा दे रहे हो Hया ?
काल&चरन-नह&
धान-भाई क कमाई म/ भाई का हसा नह&ं बनता तो Hया भतीजे क कमाई म/ काका
का हसा बनेगा ।तुFहारा हसा नह&ं बनता काल&चरन काका ।
काल&चरन-ज:मभूम छोड़ दं ?ू
धान-ज:म भूम से इतना मोह है तो खर&द लो दस-पांच बीघा जमीन और बना शहर
जैस बंगला । काल&चरन काका तुम तो हOरचरन काका के कजदार हो बेचारे हOरचरन
काका ने अपनी मेहनत मजदरू & से तुमको पाला-पोसा,Rयाह गौना <कया और तम
ु सहारे
लायक हुए तो नजरे फेर लये । भला ह& मै अबोध था पर पूरा गांव तुFहारे बारे म/
जानता है तुमने कैसा ^◌ौयपन
् 0नभाया है हOरचरन काका के साथ । अरे ऐसा तो
दQु मन भी नह&ं करे गा जैसा तुम कर रहे हो ।काल&चरन काका पंच अ:याय नह&ं करे ग/ ।
काल&चरन- धान ठNक है मेरा हसा नह&ं बनता है तो दे खना कैसे बनाता हूं ।
धान-काका लgमण रे खा मत तोड़uk । पंचो के :याय के आगे काल&चरन क गEद
नजरे <फर कभी नह&ं टक ।
24-अंE◌ो क लाठN
पालगी भइया कहते हुए धल
ू &च:द पांव छूआ और सामने खड़ा होकर भीखनरायन क
द&न-दशा को च<कत होकर 0नहारने लगा ।
खश
ु रह धल
ू &च:द । कैसे हो ? घर म/ सब ठNक है । खटया पर बैठ दरू Hय) खड़ा है ।
तू भी बढ
ू ा हो गया । तझ
ू े म;ने गोद म/ खेलाया है ।
हां- भइया वHत कहां <कसको बMशा है Oरयासत/ मट गयी । राजा-महाराजाओं के नाम
मट गये । म; तो अदना सा इंसान हूं । परमामा क कृपा है । तम
ु बताओ भीखनरायन
भइया कैसे आना हुआ मi
ु तो बाद। Oरटायरमेट कैसा कट रहा है दमादो के साथ ।
भइया तम
ु तो वग का सखु भोग रहे होगे ?
धल
ू &च:द क बाते सन
ु कर भीखनरायन क आंखे भर आयी । वह गमछा से आंख) क
बाढ रोकते हुए बोला भइया नरक भोग रहा हूं ।
धल
ू &च:द-वग के सखु क चाह म/ भाई -भतीजो का कागजी कल करवाकर । हक-
हसा तक हड़पकर । सगे-बेट& -दमाद और सौतेल& बेट& दमाद को वाOरस बना दये ।
आज खद
ु के रचे चj_यूह म/ फंस गये । आंसू से रोट& गील& कर रहे हो । भइया उधार
क ममता म/ बबाद& के बीज Hयो बो दये । आज दर-दर क ठोकर/ खा रहे हो । मुझे
मालूम हो गया है िजस भाई अधीरनरायन क चौखट को उखाड़ फ/कने क सौग:ध खा
कर गये थे उस चौखट क छांव म/ तुम खश
ु ी से तो नह&ं आये होगे ।
भीखनरायन-हां धल
ू &च:द अब यह& दरवाजा खल
ु ा है बाक तो ब:द हो चक
ु े है । सौतेले
दमाद भु ने तो मेरे Oरटायरमेट क रकम अंगूठा लगवाकर हड़प लया । थाने म/ गुहार
लगाया पर कोई सुनवाई अभी तक नह&ं हुई । सगे-बेट& दमाद के लये भी छूछा हो गया
हूं । कहते है न छूछा को कौन पूछा ।
धल
ू &च:द-सबसे [यादा L य तो तुFहारा भुवा दमाद था । वह& धोखेबाज 0नकला । सदर
तहसील म/ सी.आर.ओ. होकर भी ऐसी नीचता कर गया । दगाबाज भु तो अंE◌ो क
लाठN ह& तोड़ दया। भइया द0ु नया म/ सब तुFहारे बेट& दमाद जैसे ह& लोग नह&ं होते ।
लोग छूछे को भी पूछते है तभी तो यहां बैठे हो । सब माया के पीछे नह&ं भागते ।
स:तोष बहुत बड़ा सुख है । उसी स:तोष का फल अधीरनरायन भइया को मल रहा है ।
तुम तो जानते हो तुFहारे फ/क दे ने के बाद <कतनी मुसीबते अधीरनरायन भइया के उपर
आयी । ब>चो को पेट भर रोट& नह&ं मलती थी । गर&बी और तुFहारे दगाबाजी से
आहत बुढया दम तोड़ द& । गर&बी क नइया म/ डूबते उ0तOरयाते अधीरनरायन भइया के
दोनेां बेटो ने कामयाबी तो पा लया है । दे खो दOरZ अधीरनरायन भइया आज सचमुच
वग का सुख भोग रहे है । तुम हक -हसा हड़प कर बने धनवान नरक भोग रहे हो ।
भीखनरायन-बुढया क िजद के आगे मेर& एक ना चल& धल
ू &च:द। वह तो वग सधार
गयी । म; नरक का जीवन जी रहा हूं । स:तोष के फल क महमा समझ म/ आ गयी
है । जमीन-जायदाद सबसे अधीरनरायन को बेदखल कर दया । दे खो वह& भाई चैन क
रोट& खा रहा है और म; दर-दर क ठोकर/ ।
धल
ू &च:द-भइया सच कहा गया है बोया बीज बबल
ू का तो आम कहां से खाय ।
भीखनरायन-मुझे पछतावा है धल
ू &च:द । काश भाई -भतीज) के सपनो क बारात म/ आग
नह&ं लगाता तो मेर& ये दग
ु 0 त नह&ं होती ।
धल
ू &च:द-भइया अपना हसा लेकर बेट& दमाद को दे ते तो <कसी को तकल&फ नह&ं होती
। अब तो यह कानन
ू न अधकार हो गया है पर भाई का हक हड़पकर अ>छा नह&ं <कया

भीखनरायन-तभी तो नरक का दख ु भोग रहा हूं । काश बु ढया क िजद के आगे नह&ं
ु ता तो ये दु द न नह&ं दे खना पड़ता ।
झक
धल
ू च:द-भइया तम
ु ने गर&ब जानकर अधीरनरायन भइया का हक खल
ु & आंखो से लट
ू ा था
। दस
ू र& ओर दे खो तुFहारे सौतेले दमाद ने िजसपर अधका LवQवास था <क तुFहे वग
का सुख दे गा । वह& तुFहारा अंगूठा काट कर चल-अचल सFप0त का मालक बन बैठा ।
तुम द&न-दOरZ जैसे भटक रहे हो । भइया पराया खन
ू सगे का मुकाबला नह&ं कर सकता

भीखनरायन-समझ म/ आ गया है धल
ू &च:द।
धल
ू &च:द-Hया करे गा समझ म/ आकर । जब सहारा बनना था तब तो गर&ब सगे भाई
को मुसीबत) क खाई म/ ढकेल दये । अब तो तुम खद
ु लाचार हो । सहारे क लाठN
तुFहारे अपने दमाद भु,सी.आर.ओ तहसील सदर ने 0छन कर तुFहे ◌े लखप0त से
सड़कप0त बना दया है ।
भीखनरायन-अंE◌ो क लाठN तो 0छन गयी है । जीवन के इस सांEय काल म/ खन
ू का
OरQता ह& मेरे लाठN बनेगे । मुझे यकन है ।
धल
ू &च:द-यकन नह&ं टूटा होता तो तुFहार& लाठN म/ बहुत जोर होता भइया । खैर दे र तो
बहुत हो गयी है पर मुझे भी यकन है तुFहारे दोनो भतीजे तुFहारे दख
ु को समझेगे ।
भले ह& तुFहारे धोखेबाज दमाद सी.आर.ओ.सदर, भु ने करोड़ो क चल-अचल सFप0त
Hय) न 0छन ल& हो ?
भीखनरायन क आंखो से तर-तर आंसू टपक रहे थे । धल
ू &च:द समझा जा रहा था ।
इसी बीच pीबाबू आ गया । बूढे ताउpी क आंखो म/ आंसू दे खकर उनके पैर के नीचे से
जैसे जमीन Iखसक गयी। वह ताउpी के आंसू पोछते हुए बोला दादा कौन सी मुसीबत
आ गयी ।
भीखनरायन-बेटा मझ
ु अंE◌ो क लाठN टूट गयी ।
pीबाब-ू दादा तF
ु हार& लाठN कैसे टूट सकती है ?
भीखनरायन-बेटा िजसके लये तम
ु लोगो के साथ बेइमानी <कया वह& जीवन भर क
कमाई 0छन कर ध<कया दये। अब तो मेर& हालत कुते-Yबल& जैसी हो गयी है । रो-
रोकर भीखनरायन आप बीती बताने लगे ।
pीबाबू-दादा हम तुFहार& लाठN है । ऐसा नह&ं है <क जो बेइमानी तुमने बेट& दमाद के
मोह म/ पड़कर <कया है भल
ू गये है । याद है दादा हम दोन) भाई पानी पीकर कूल
जाते थे । मेरे मां-बाप का pम हमार& ताकत रहा है । उ:ह& के pम का नतीजा है <क
हम दोनो भाई दो जन
ु क रोट& इ[जत से कमा खा रहे है । हमारे बाप जो झोपड़ी म/
दन काटा करते थे । दे खो पHक बैठक म/ बैठे है । तम
ु हक 0छन कर ससरु ाल जा बसे
। दादा तम
ु आज अपनी हाल और हमारे बाप क तल
ु ना तो करो । दे खो जो लोग गर&ब
जानकर दु कार दया करते थे । वह& सलाम ठ)कते है । हम तो कभी भी तF
ु हारे धन के
भख
ू े नह&ं थे । सब समय का दोष है तF
ु हारा नह&ं ।
भीखनरायन-बेटा म; शम:दा हूं तो उसक वजह है तुFहार& बड़ी ताई,हमार& घरवाल& जो
बेट& दमाद के मोह म/ मुझसे अनथ करवायी और खद
ु मुझसे पहले उपर पहुंच गयी मै
रह गया नरक भोगने को ।

pीबाबू-दादा खद
ु को uk कोसो । बड़े-बडे राजाओं ने भी स:तान के मोह म/ ऐसा <कया है ।
pीबाबू दादा भीखनरायन से चचारत ् था । इसी बीच pीधर भी स`ताह भर बाद आ गया
। 25 साल क लFबी अवध के बाद दादा भीखनरायन को अपने दरवाजे बैठा दे खकर
च<कत रह गया । वह गाड़ी खड़ी कर भागते हुए आया और भीखनरायन का चरण पश
करते हुए बोला दादा सब ठNक तो है ना । इतना सुनते ह& भीखनरायन आंसू पोछते हुये
बोले बेटा कुछ भी ठNक नह&ं है । ठNक होता तो यहां आता ?
pीधर-दादा Hया कह रहे हो ?
धल
ू &च:द-अंE◌ो क लाठN टूट गयी ।
pीधर-मतलब ?
धल
ू &च:द-धोखा ।
pीधर-कौन है धोखेबाज ।
धल
ू &च:द- पहले तो तुFहारे दादाजी ने तुFहारे बाप के साथ धोखा <कया अब भीखनरायन
भइया के साथ दमाद भु ने ।
pीधर-Hया हुआ दादा ?
भीखनरायन-कमाई और बेइमान क सब दौलत लूट गयी ।
pीबाबू -दादा ये तो होना ह& था <कसी क लूट जाती है <कसी क छूट जाती है पर
तF
ु हारे लट
ु े रे को सजा दलवा कर रहूंगा ।
pीधर-भाइpxबाबू सजा दे ना कचहर& का काम है । हां :याय के लये गह
ु ार तो करना
होगा ।
भीखनरायन-बेटा Yब:Zाबाजार थाने म/ अजx दे चक
ु ा हूं भु के हे राफर& क। थानेदार ने
कहा था जालसाज भु कानन
ू से नह&ं बच पायेगा । रकम भी वापस मल जायेगी। बाबा
च:ता ना करो पर कई मह&ने हो गये कोई कार वाई नह&ं हुई । भु धमक दे ता है कहता
है जो करना चाहो कर लो । मेरा कुछ नह&ं Yबगाड़ पाओगे। मझ ु े डर है <क कभी मेरा
गला दबा कर भइया क तरह मझ
ु े भी पेड़ पर लटकाकर आमहया का इजाम मेरे ह&
माथे न मढ दे ।
pीबाब-ू दादा <फर से पु लस म/ शकायत दज करवायेगे ।
pीधर-दादा तFु हार& सFप0त से हम/ मोह नह&ं है । मोह है तो बस तमु से Hय)<क तम ु

हमारे बाप के सगे भाई हो और हमारे बडे बाप हो। सगे खन ू के OरQतेदार हो । तF
ु हार&
परवOरश करना हमारा फज है । हम खन
ू के OरQतेदार है कानन
ू ी OरQतेदार नह&ं ।
दादा LवQवास करो हम लोग तुFहार& सेवा करने म/ त0नक भी कोतहाई नह&ं बरतेगे ।
भीखनरायन-LवQवास है बेटा तुम लोगो पर । गलती तुम लोग) क नह&ं गलती तो हमार&
है । धोखा तो मैने <कया है । होशो-हवास मे घरवाल& क िजद और बेट& -दमाद के मोह
क वजह से । कागजी कल करवाकर चल-अचल सFप0त पर कRजा <कया था । अपनी
बेइमानी पर आज म; शम:दा हूं । म; िजस बेट& दमाद के बहकावे म/ आकर भाई-भतीज)
का हक हड़प लया वह& भतीजे मुझे आज भी बाप का सFमान दे रहे है ।
धल
ू &च:द-भइया ये तुFहारे दोनो भतीजे pीधर और pीबाबू लोभी नह&ं है तुFहारे दमाद जैसे
। दस
ू र) क मदद करने को तैयार रहते है । इनक मां-बाप से इ:हे ये गुण मले ह;
Lवरासत म/ । तुFहार& धन-दौलत से इ:हे त0नक भी नह&ं मोह होगा । तुम तो इन पर
LवQवास कर यह& रह जाओ तुFहार& माट& ये पार लगा दे गे ।
pीधर-हां दादा । तुFहारे पास अभी जो कुछ बचा भी है उसको भी अपनी बेट& पुKपा के
नाम लखकर आ जाओ अपने भातीज) के यहां । दादा ये तुFहारे पोती-पोते बहूये खब

सेवा करे गी । हम/ तुFहार& सेवा का मौका जायेगा Hया यह कम फायदा है । यह तो बड़े-
बड़े धनासेठो को नह&ं मलता । ।
धल
ू &च:द-pीधर तुम भी फायदे क बात करने लगे ?
pीधर-हां काका अपने नह&ं अपनी बहन पुKपा के लये ।
धल
ू &च:द-पुKपा को तुम फायदा पहुंचाओगे । तुFहार& मुसीबत) के कारण तो वह& बेट&
दमाद है । तुम उनके फायदे क बात कर रहे हो ।
pीधर -काका सौतेल& बहनोई को तो मै दे खना नह&ं चाहता जो मेरे बड़े बाप के LवQवास
का खन
ू कर दया । वह तो दQु मन बन गया है मानवता का । हम पKु पा क बात कर
रहे है । दादा को हमारे साथ रहने से पKु पा को मायका मल जायेगा । भाई-भाभी,भतीजे-
भतीजी मल जायेगे िजनके `यार के लये वह तरस रह& होगी ।
भीखनरायन-हां ठNक कह रहे हो । बेटा तम
ु दोनो भतीजे नह&ं मेरे बेटे हो ।तम
ु पर मझ
ु े
LवQवास है मेर& माट& को गEद कौवे नह&ं खा पायेगे ।
pीधर-दादा कैसी बात कर रहे हो ये तुFहारे दोनो बेटे कब काम आयेगे ।
भीखनरायन-बेटा तम
ु लोगो का हक 0छनने के लये हमने सौतेले दमाद भु और समधी
दध
ू नाथ के बहकावे म/ आकर Hया Hया षणय: नह&ं रचा । तF
ु हारे बाप को मरवाने तक
क योजना बनवा दया और तम
ु लोग मझ
ु े सर पर Yबठा रहे हो ।
pीधर-दादा दश
ु मनी
् का जबाब दQु मनी से दे ने से Hया मलेगा ? नफरत ना हम/ नफरत
के बीज नह&ं बोना है । हम तF
ु हार& परवOरश 0नःवाथ करना चाहते है । हम/ तF
ु हार&
दौलत नह&ं चाहये हमे तो बस तF
ु हार& ज?रत है । सेवा का अवसर दे कर उपकार करो
दादा । इतना सन
ु ते ह& भीखनरायन उठे और दोनो भतीज) को गले लगाकर रोने लगे ।
धल
ू &च:द भीखनरायन से बोला Hय) रोते हो भइया pीधर और pीबाबू जैसे भतीज) के रहते
तुम जैसे अंE◌ो क लाठN भले ह& तुFहारे अपने कानूनी LवQवासपा OरQतेदारो ने तोड़ दये
है । ये खन
ू के OरQतेदार िजनके साथ अ:याय <कये हो । वह& तुFह/ लाठN का सहारा दे गे
। pीधर और pीबाबू एक वर म/ बोले हां दादा अब तो LवQवास करो ।
25-याग
मेरा शर&र िजFमेदाOरय) को बोझ समझने लगा है । दद से झलनी हो रहे इस कमजोर
तन के सहारे पाOरवाOरक िजFमेदाOरय) क वैतOरणी कैसे पार कर सकं◌ूगी । कोई दवा भी
काट नह&ं कर रह& है । थककर गर uk जाउूं डर लगने लगा है अभन:दन के पापा ।
सुशील- गीते तुम ना कभी हार मानी हो न मानोगी । मुझे LवQवास है । तुम कैसे गर
सकती हो तुFहारे सहारे तो म; चल रहा हूं । मानता हूं तुम दख
ु ी हो । दद क दOरया म/
डूबकर भी संयुHत पOरवार को ताकत दे रह& हो । गीता तुFहारे याग का हमारा खानदान
कजदार रहे गा । तुम जो कर रह& हो वह <कसी कठोर तपया से कम नह&ं है ।
गीते-दे खो ताड़ पर uk चढाओ गर पड़ूगी ।
सुशील-स>चाई है गीते ।
गीते-अभन:दन के पापा । तुFहारे अलावा इस पOरवार म/ मुझे कौन समझा है । म; मौत
के मुंह से 0नकल& हूं तो तF
ु हार& वजह से। डा.Lवनोद ने गलत आपरे शन कर मार ह&
डाला था ना । मेरे जीLवत शर&र का चार-चार बार पोटमाट म हो गया डा.Lवनोद क वजह
से । फटे बोरे क तरह सले इस शर&र के सहारे कैसे तपया पूर& होगी । हमारे ब>चे भी
अभी छोटे है उपर से पOरवार के दस
ू रे और उनके ब>च) क िजFमेदार& । घर-पOरवार के
लोग बस लेना जानते है । तF
ु हार& मजबरू & और हमारे दख
ु को कभी कोई नह&ं समझा।
सबको हमसे अपे ा बनी रहती है अपे ा पर परू & तरह मजबरू & म/ खरा नह&ं उतरने पर
नाराजगी क Yबजल& गरजने लगती है । मै दन पर दन शर&र से अ म होती जा रह&
हूं । घठ
ु ने शर&र का बोझ उठाने म/ आना-कानी करने लगे है और आंख भी रोशनी
समेटने लगी है । कैसे जीवन पार होगा ?
सुशील-साहस क ताकत तुFहारे पास तो है । यह& असल& ताकत है । नार& कभी नह&ं
हार& है तम
ु कैसे हार मान सकती हो ? मझ
ु े तो यकन ह& नह&ं होता। नार& पOरवार क
आमा होती है एक नार& क हार म/ परू े पOरवार क हार है । गीते सह& मायने म/ तम

हमार& तीनो शिHत हो -धन क बल क और rान क भी ।कई ज:मो के प
ु य के
0तफल व?प तम
ु हम/ अधाuगनी के ?प म/ मल& हो ।
गीते-उटा कह रहे हो ।
सश
ु ील-नह&ं सच कह रहा हूं । दद म/ कराहते हुए भी पOरवार के लये इतना बड़ा याग
कौन कर सकता है । जब<क मतलब के लये लोग एक दस ू रे का हक हड़पने म/ लगे है
तुम अपने ब>च) के साथ 0नःवाथ भाव से कुल का नाम उ[जवल कर रह& हो । यह
कम तुFह/ दै वीय 0तKठा दान करता है पर लोग समझे तब ना । यहां तो हमारे बाप ह&
नह&ं समझ रहे है तो पOरवार के और सदय) क Hया बात क?ं ?
गीते-ससुर जी तो सासू मां को नह&ं समझे तो हमे कहां से समझेगे ? बेचार& सासूमां
असमय साथ छोड गयी । थी तो 0नर र पर पढे -लखो को सबक सीखाती थी । दख
ु ी
नर को नारायण समझकर सेवा करती थी तंगी क हालत म/ भी । हमे तो चैन से नहाने
खाने भर को तो है ,हम Hयो पीछे रहे ?
सश
ु ील-भल
ू गयी uk तू अपने दद को । चल पड़ी uk याग के राते । तम
ु याग के राते
से दद के रोड़े को उखाड़ फेकोगी ।
गीते-तुम साथ हो तो कोई रोड़ा टक भी कैसे सकता है ।
सुशील-गीते अपने याग का सेहरा मेरे माथे मत बांधो ।
गीते-तुFहारे सवाय हमारा Hया ? वाथ पOरवार मे दरार पैदा करता है । यह मै नह&ं
चाहती । जब तक आख) म/ [यो0त और घुठने म/ तन का बोझ उठाने क ताकत है
पOरवार के लये जीउं गी ।
सुशील-गीते दद म/ झटपटाते हुए जीवन यापन करते हुए भी पOरवार के लये यह&
तुFहारा याग मेर& असल& सफलता है । सच नार& के इस भाव को दे खकर कLव ने कहा
है -जहां नार& क पू[य वह& भगवान Lवरािजत है । सच गीते पOरवार के लोग भले ना माने
म; तुFहारे समपण भाव को नमन ् करता हूं ।
गीते-नरक का भागीदार मत बनाओ ।
सश
ु ील-कैसे ?
गीते-प0त परमेQवर भला ऐसी बात करे गे तो वग का iवार खल
ु ेगा Hया ?
सश
ु ील-गीते तम
ु जैसी गह
ृ थ तपिवनी के सामने भगवान तक को हािजर होना पड़ा
है ,इ0तहास गवाह है ।
गीते-अभन:दन के पापा तF
ु हारे साथ क छांव म/ दद का एहसास कैसे हो सकता है ।
सुशील-इतना बड़ा मान ना दो मुझे । हर दख
ु -सुख म/ हम बराबर के भगीदार है । हां
मझ
ु े भी दद हुआ है जब अपने मस
ु ीबत के दौर म/ आंखे तरे रे है । इस दद से कभी नह&ं
उबर पाउं गा । म; शहर क गलय) म/ पागल) जैसा रोजगार क तलाश म/ भटक रहा था
। तF
ु हे मेरे बाप के कड़वे शRद सन
ु ने को मल रहे थे । अरे तम
ु मेर& बेरोजगार& के लये
िजFमेदार तो ना थी । सह& मायने म/ मेरे बाप ह& मेर& मिु Qकल) के कारण रहे ।कम उ\
म/ Rयाह नह&ं करते तो पOरवार का बोझ तो नह&ं बढता ना । जब मै अपने पैर पर खड़ा
हो जाता तो Rयाह करते तो । मझ
ु े भी आसानी होती पर नह&ं उ:हे तो अपनी नाक उची
करनी थी । इस नाक क उचाई म/ भले ह& बेटे का जीवन बबाद हो जाये परवाह नह&ं ।
गीते-बाबूजी को कोसने से Hया फायदा । मां-बाप ब>च) के भले के लये करते है ।
पुरानी सोच म/ बंधकर <कया जाने वाला काम फायदे मंद नह&ं साYबत होता । इस बात
पर म; भी सहमत हूं ।
सुशील-बात सहम0त असहम0त क नह&ं है । बात है समय के साथ चलने क । आज भी
अपनी िजद पर अड़े रहते है । Lपताजी क वजह से मां को <कतनी मुिQकले झेलनी पड़ी
। बेचार& असमय चल बसी । Lपतजी है <क नाक क सीध म/ चलने के अलावा और कुछ
नह&ं सीखे । नशा से तो ऐसा नाता है जैसे भूखे का रोट& से । रोट& क च:ता नह&ं है ।
घर पOरवार क च:ता नह&ं है । वे अपनी िजद को पूरा करने के लये हर नुखा अजमा
ले◌ेते है ।
गीते-बाबूजी क अ>छाई को दे खो । संयुHत पOरवार क Lवरासत को िजस तरह से बचाये
रखा है । पूरे गांव म/ वैसा <कसी ने नह&ं <कया है ।
सुशील-फायदा Hया हुआ ? हम भाई-बहनो हक उन लोगो पर कुबान हो गया जो लोग
आज दQु मन बन बैठे ह;।
गीते-सभी अपने नसीब का खाते है । मान भी ले तुम-भाई बहने का हक तुFहारे चाचा-
ताउ के ब>च) म/ बंट भी गया तो Hया हुआ अपने ह& तो वे भी है । तुFहारे Lपताजी
उनके भी तो अपने है । तमु को जो चाचा-ताउ चाची-ताई,नाना-नानी,मामा-मामी,फुआ-
फूफा और कुटुFब संबधयो का जो `यार मला वह `यार आज क पीढ& को लए रहा है
। एकल पOरवार म/ भले ह& भर पेट रोट& मले शान -शौMत रहे पर संयुHत पOरवार वाला
सुख कभी नह&ं मल सकता । मुझे खश
ु ी है <क तुम भी संयुHत पOरवार क राह म/ मील
का पथर साYबत हो रहे हो । तF
ु हारा याग _यथ नह&ं जायेगा । तF
ु हारे याग को
तF
ु हारे भतीजे-भतीिजयां समझेगे । मझ
ु े तम
ु पर नाज है <क तम
ु अपने Lपताजी क
नशापान वाल& बरु ाई का याग कर दये हो पर एक अ>छाई को अपनाये हो । यह
तF
ु हारा बहुत बड़ा याग है लाख कKट उठाकर।
सुशील-अब कौन सा तीर चला रह& हो भागवान ।बात तुFहारे याग से शु? हुई थी तुम
pेय का सेहरा मेरे सर बांध रह& हो । पOरवार तो गहृ लिgमयां अमरता दान करती है ।
गीते -बात नह&ं बना रह& हूं सह& कह रह& हूं । संयH
ु त पOरवार को जीLवत रखने के लये
तम
ु याग कर रहे ।
सश
ु ील-Hया तF
ु हारे Yबना सहयोग के कुछ सFभव है । आज क द
ु हन आते अपना
च
ू हा रोप लेती है । तम
ु बेट& दमाद वाल& होकर भी सास-ससरु के कपड़े धो लेती हूं ।
दे वर-दे वरानी का भाई-बहन क तरह Eयान रखती हो । भतीजे-भतीिजय) को अपना बेटा-
बेट& समझती हो ।Hया यह याग कम है संयH
ु त पOरवार को जीLवत रखने के लये ।
गीते-तुFहार& तरह और भी लोग सोचने लगे तो संयH
ु त पOरवार कभी टूटे नह&ं ।दे खो न
मंद& का दौर द0ु नया को हलाकर रख दया । अपने दे श पर कोई आंच नह&ं आयी Hया
नह&ं ना। इसक जड़ म/ संयुHत पOरवार का हाथ है िजसक वजह से छोट&-छोट& बचत के
महव को समझा गया।
सुशील-ठNक कह रह& हो संयुHत पOरवार म/ दख
ु कम सुख अधक है ले<कन आज के दौर
म/ तो cहण लगने लगा है । शहर क बात छोड़) गांव म/ भी संयुकत ् पOरवार Yबखरने
लगा है । ना जाने कौन सी ऐसी बयार चल पड़ी है <क बस खद
ु के पOरवार को छोड़कर
सारे बेगाने होते जा रहे है । यहां तक क मां बाप भी जब<क संयुHत पOरवार सुख का
सागर है और दख
ु के लये लुकमान ।
गीते-आज के लोग [यादा वाथx हो गये है ।पहले अपना पेट भरने क ललक है ,दस
ू रे
भले ह& भूख से मर जाये इसक च:ता नह&ं । मेर& मां ताउजी के तीनो ब>च) को हम
चारो भाई बहनो क तरह ह& पाला,जब<क हमारे Lपताजी तो सरकार& मुलािजम थे । मेर&
मां के मन म/ कभी कोई Lवकार नह&ं पनपा ना <कसी कार का ^◌ोद । ताई आराम क
बंशी बजाती रहती थी । मेरे मां बाप के मरते ह& सब कुछ Yबखर गया । पुराने लोग) म/
पOरवार को साथ लेकर चलने क कला आती थी । आज बस दखावा है । अरे ज?रत
पड़े तो खा◌ून भी पी ले ।दे खो ताउजी के बेटे अपना कमा खा रहे है । बेचारे ताउ दो
च
ू ह) के बीच रोट& के लये टुकुर-टुकुर ताकते रहते है ।
सुशील-ये सब पाQचाय संकृ0त क नकल है । यह& नकल हमारे दे श क संकृ0त को
वनवास दे रह& है । हमारे दे श के लोग अपनी Lवरास बचाने म/ गौरव नह&ं महसूस कर
रहे है पिQचमी खान-पान रहन-सहन को टे टस सFबस से जोड़कर दे ख रहे है । जब<क
अपने दे श के लोग भी जानते है पिQचमी स^यता म/ माम-डैड,wदर-सटर और आंट&-
अंकल के अलावा कोई OरQता नह&ं होता । हमारे यहां मां-बाप,भाई-बहन,फुआ-फूफा,चाचा-
चाची,दादा-दाद& मौसा-मौसी,मामा-मामी और बहुत सारे ◌े पLव OरQते है पर ये OरQते नह&ं
पिQचमी OरQते मा-डैड [यादा अ>छे और आध0ु नक लगने लगे है ।
गीते-ठNक कह रहे ऐसी सोच अपनी संकृ0त स^यता और मानवतावाद& परFपरा के साथ
:याय कहां कर सकती है ।
सश
ु ील-पिQचमी संकृ0त क नकल महामार& है ।
गीते-इस महामार& से बचने के लये नई पौध को संयH
ु त पOरवार क LवQ◌ोषतओं से
पOरचय करना होगा । उ:हे दादा-दाद&,नाना-नानी के सा0नEय म/ द& त करना होगा तभी
दे श क आन संयH
ु त पOरवार बच सकती है ।
सश
ु ील-सभी तो शहर क तरफ भाग रहे है ।
गीते-परदे ◌ेस तो लोग पहले भी जाते थे । बात ये नह&ं है बात ये है <क आज क
ज?रत के अनुसार सक
् ू ल कालेज गांव तर पर होगे तो नौकर&पेशा मां -बाप ब>च) को
दादा-दाद&,नाना-नानी क दे खरे ख म/ पढा लखा तो सकते है ।दभ
ु ाTयबस आज के इस
युग म/ भी गांव क पहुंच से बहुत दरू सुLवधाये है । ब>च) के भLवKय क च:ता म/ मां-
बाप शहर क ओर भाग रहे है और संयुHत पOरवार टूट रहा है । ऐसा नह&ं <क इसे
बचाया नह&ं जा सकता है बचाया जा सकता है ।
सुशील-वो कैसे ?
गीते- त0नक अपनी ज?रत) को सम0त करना होगा । सगे-सFबि:धय) के बारे म/ सोचना
होगा,अपनी ज:मभूम के 0त कत_य के बारे म/ सोचना होगा । यह& पाठ अपने ब>च)
को अपने तर पर पढाना होगा और यह सब Yबना याग के नह&ं हो सकता । अरे हम
भी तो आज के जमाने के लोग है ना । संयुHत पOरवार को सींच रहे है <क नह&ं । साल
भर म/ दो बार गांव जाते है । पूरे कुटुFब क <फj करते है । अपनी कमाई से जो हो
सकता है सभी के लये साबुन तेल से लेकर कपड़ा लता तक करते हो । समय-समय पर
म0नआडर भी करते हो Hयो<क गांव म/ जो लोग है उनसे गहरा नाता है ।
सुशील-बात तो सह& है पर सभी परदे सी ऐसा सेाचे तब ना । दे खने म/ तो यहां तक आ
रहा है <क शहर क हवा लगते ह& गांव क जमीन जायदाद बेचकर शहर बस जा रहे है ।
जब<क शहर म/ पड़ोसी भी नह&ं पहचानता । मरने पर <कराये के लोग ढूढे जाते है । कंधा
दे ने वाला कोई नह&ं मलता । दख
ु तकल&फ मे कौन <कसको पूछता है । गांव म/ तो दख
ु -
तकल&फ म/ तो लोग टूट पड़ते है । अपनापन सर चढकर बोलता । यह संयुHत पOरवार
क दे न है । अभी भी संयH
ु त पOरवार का असर दे श क धड़कन म/ बसा है । ज?रत है
थोड़ा से वहत) म/ कटौती कर पOरवारजन) पर :यौछावर करने क।
गीते-जैसा मेरे मां-बाप और सास-ससरु ने याग <कया । काश ऐसा सभी करने लगे तो
मरणास:न अवथा म/ पड़ी संयH
ु त पOरवार क परFपरा को संजीवनी मल जाती । म;
तकल&फ उठाकर भी संयH ु त पOरवार को सीचती रहूंगी भले ह& पOरवारजन) ने मेरे साथ
बदसलक
ू  <कया हो । मै सार& गल0तय) को भलु ाकर अ>छाइयn को याद रखंग ू ी Hय)<क
संयुHत पOरवार म/ मान है सFमान है ,सुvढ पहचान है , कई जोड़ी लाठय) क ताकत,
पाOरवाOरक सख
ु -सव
ृ िृ Eद का आन:द , आिमक सकून भी तो है संयH
ु त पOरवार म/ ।हम
इसे टूटने नह&ं दे गे । हमारे दे श,वथ पाOरवाOरक OरQत) क आन मान पहचान है
संयH
ु त पOरवार अभन:दन के पापा ।
सश
ु ील-याग से ह& संयH
ु त पOरवार का हमारा सपना संवर सकता है । हम तF
ु हारे साथ
है गीते ।
समा`त
Email- nlbharatiauthor@gmail.com
http://www.nandlalbharati.mywebdunia.com
http://www.nandlalbharati.bolg.co.in
दरू भाष-0731-4057553 च लतवाता-09753081066

परचय

नदलाल भारती

कLव,कहानीकार,उप:यासकार

शा - एम.ए. । समाजशा । एल.एल.बी. । आनस ।

पोट ेजुएट ड लोमा इन !यूमन "रस$स डेवलपमे%ट (PGDHRD)

जम थान- ाम-चौक) ।खैरा।पो.नर संहपरु िजला-आजमगढ ।उ.।


जम,त-थ- 01.01.1963

्राका शत पुतक/ उपयास-अमानत,एवं अय ,त,न-ध पुतके।

ई पुतक/............ उपयास- कहानी संह- लघुकथा का4यसंह-3


तीन 3 संह-2
आलेख संह-
1
स5मान 6व7व भारती 8ा स5मान,भोपल,म.., 6व7व 9हद सा9ह:य
अलंकरण,इलाहाबाद।उ..।

लेखक म ।मानद उपा-ध।दे हरादन


ू ।उ:तराख%ड। भारती पु=प। मानद
उपा-ध।इलाहाबाद,

भाषा र:न, पानीपत । डां.अ5बेडकर फेलो शप स5मान,9दAल,

का4य साधना,भुसावल, महारा=B, Cयो,तबा फुले शा6वD,इंदौर ।म..।

डां.बाबा साहे ब अ5बेडकर 6व7◌ोष समाज सेवा,इंदौर


6वDयावाचप,त,प"रयावां।उ..।

कलम कलाधर मानद उपा-ध ,उदयपुर ।राज.। सा9ह:यकला र:न ।मानद उपा-ध।
कुशीनगर ।उ..।

सा9ह:य ,तभा,इंदौर।म..। सूफ) सत महाक6व जायसी,रायबरे ल ।उ..।एवं


अय
आकाशवाणी से का4यपाठ का सारण ।कहानी, लघु कहानी,क6वता◌ौर आलेखH का
दे श के समाचार irzks@ifrzdvksaesa ,oa
www.swargvibha.tk,www.swatantraawaz.com
rachanakar.com / hindi.chakradeo.net
www.srijangatha.com,esnips.con, sahityakunj.net,chitthajagat.in,hindi-
blog-podcast.blogspot.com, technorati.jp/blogspot.com,
sf.blogspot.com, archive.org ,ourcity.yahoo.in/varanasi/hindi,
ourcity.yahoo.in/raipur/hindi, apnaguide.com/hindi/index,bbchindi.com,
hotbot.com, ourcity.yahoo.co.in/dehradun/hindi,
inourcity.yaho.com/Bhopal/hindi,laghukatha.com एवं अय ई-प
पIकाओं म/ ,नरतर काशन ।
आजीवन सदय इि%डयन सोसायट आफ आथस ।इंसा। नई 9दAल
सा9हि:यक सांकृ,तक कला संगम अकादमी,प"रयांवा।तापगढ।उ..।
9हद प"रवार,इंदौर ।मOय दे श।
आशा मेमो"रयल मलोक पिPलक प
ु तकालय,दे हरादन
ू ।उ:तराख%ड।
सा9ह:य जनमंच,गािजयाबाद।उ..। एवं अय
मय दे श लेखक संघ,म..भोपाल
अखल भारतीय साहय परषद यास,वालयर ।म..।
थायी पता आजाद दप, 15-एम-वीणा नगर ,इंदौर ।म..।

दरू भाष-0731-4057553 च लतवाता-09753081066

Email- nlbharatiauthor@gmail.com

http://www.nandlalbharati.mywebdunia.comhttp://www.nandlalbharati.bolg.co.in

www.facebook.com/nandlal.bharati

व◌ोष-चांद क! हं सुल ।उपयास। का जनवाह ।सा&ता।(वारा धारावाहक काशन जार


You might also like