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Mein Bharat Ki Puja Karne Lag Gaya Hun LKS2009 April May
Mein Bharat Ki Puja Karne Lag Gaya Hun LKS2009 April May
सवामी िववेकाननदजी जब अमेिरका की याता से लौटे तो एक अंगेज पतकार ने भारत की गुलामी और गरीबी
की हँसी उडाने की नीयत से वयंगय भरे सवर मे उनसे पूछाः "ऐशयर और वैभव-िवलास की रंगभूिम अमेिरका को देखने
के बाद आपको अपनी मातृभूिम कैसी लगती है ?"
अंगेज पतकार सोच रहा था िक िववेकाननदजी अमेिरका की समपनता, शान-शौकत और चमक-दमक से
अवशय ही पभािवत हुए होगे लेिकन उनका उतर सुन उसे मुँह की खानी पडी।
िववेकाननदजी ने उतर िदयाः "अमेिरका जाने से पहले मै अपने देश को पयार करता था परंतु वहा से लौटने
के बाद तो मै इसकी पूजा करने लग गया हूँ। अधयातम, नैितकता, जीवदया, कमरफल-िसदानत पर िवशास आिद ऐसी
बाते है, िजन पर भारत अनािद काल से आसथावान है। भारत से बाहर इन बातो पर या तो िवशास नही है या है तो
उस रप मे नही जैसा भारत मे उपलबध होता है। भारत अपनी न आसथाओं के कारण मेरे िलये पूजय है।"
सोतः लोक कलयाण सेतु, अपैल मई 2009
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