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com क तुत)
दो शद
भारतीय वतंता-सं
ाम म पुष क भाँत महलाओं क भी महवपूण भू!मका रह" है । भारतीय वतंता
क ब!लवेद" पर असं)य भारतीय महलाओं ने अपने जीवन क हँ सते-हँ सते आहुत दे द"! और अपने .ाण
के रहते हुए अपने दे श पर आंच नह"ं आने द"। राजथान का इतहास तो ऐसी वीरांगनाओं क शौयपणू
गाथाओं और उसग से भरा पड़ा है िजन पर 9यापक शोध एवं सज
ृ न क आव=यकता है । उनके जीवन के
याग और ब!लदान क गाथाओं को एक करके हम उ>ह स?ची राAB"य CDांज!ल तो दे ह" सकते हE, साथ
ह", वतमान और भावी पीढ़" को भी सं.ेGरत कर सकते हE। आज जबHक सम
राAB क युवा और .ौढ़
शिIतयाँ वाथ क पंक म डूब कर राAB"य एकता, अखLडता और वतंता को नAट .ायः करने म लगी हE,
ऐसे म हम सभी साहयकार का दायव है Hक भारतीय वतंता-सं
ाम के वOणम इतहास का अPययन
करके ऐसी हुतामाओं को QचRत करके साहय-जगत के समS .तुत कर ।
यहाँ यह उTलेख करना आम=लाघा नह"ं होगी Hक इसी उVे=य को WिAट म रखते हुए मEने .तत ु कृत से
ू ‘वीरबाला कँु वर अजबदे पंवार’ (1997) और ‘महासावी अपाला’ (1998) नामक भावपण
पव ू चGरत का9य
ृ ला म आपके कर-कमल म ‘वीरांगना चेनमा’ नामक चGरतका9य कृत .तुत
ह>द" को दए। अब इसी शंख
है । वीरांगना चेनमा ‘काकती’ (क तूर) अथात ् कना"टक दे श के धल
ू 'पा दे साई और उनक धम पनी प)ावती
दे वी क एक मा बेट" थी। धलू 'पा दे साई Hकतूर क तरफ से मराठ से यD
ु करते हुए वीरगत को .ा[त हुए
थे। धल ू [पा दे साई तकाल"न महाराजा Hकतूर क सेना म वीर सरदार थे। उनक मृ यु के उपरा>त महाराजा
Hकतूर धल
ू [पा दे साई क ]वधवा धमपनी को सौ ^पया मा!सक पै>सन (भरण-पोषण विृ त) राज कोष से
दे ते थे। प_ावती दे वी और चे>न`मा नागरमलशे*ी क दे खरे ख म ‘काकती’ म रहती थीं।
मEने इस गbय का9य कृत को पांच बार से अQधक Pयानपूवक पढ़ा और स`पूण घटनाdम को dमशः
Qच>हांHकत Hकया। उपयुIत गbय का9य कृत म कथानक टे ढ़ा-मेढ़ा बुना है । मEने चGरका9य से >याय करते
हुए मु)य कथानक को संaानत Hकया और सहज व सरल बनाते हुए ‘वीरांगना चेनमा’ के कथानक का
ताना-बाना तैयार Hकया तथा इसे आज क सबसे ].य गीतका9य शैल"- दोहा शैल. म .तुत Hकया। मEने
कथानक म आं!शक पGरवतन Hकए हE तथा भारतीय नार" के वा!भमान और राAB"य स`मान को सवe?चता
एवं .मुखता से .तुत Hकया है । हाँ, जो बात बौ]Dक कसौट" पर खर" नह"ं उतरती थी, उसे पGरवतत करते
हुए तकस`मत बना दया है Hक>तु महारानी चे>न`मा क वीरता, वा!भमान और अिमता तथा ऐतहा!सक
तfय से छे ड़-छाड़ नह"ं क है । वतुतः, इतहास तो नीरस व तfयपूण घटनाdम ह" होता है और का9य-
इतहास और कTपना को समि>वत करके चलता है तथा मनोरं जक, .ेरक, कौतूहल और िजaासापूण होता है ।
‘वीरांगना चेनमा’ नामक इस का9य कृत म ऐतहा!सक नाम को यथावत रखा है । इस!लए कह"ं-कह"ं
माRक दोष भी रचा- बसा है । भाषाई सरलता और सहजता को आbयोपा>त बनाये रखने का .यास Hकया
गया है , िजससे आम बोलचाल क जन सामा>य क भाषा का ^प और भी अQधक नखरकर सहज सं.े]षत
हो सके।
ु े आशा है Hक आपको यह चGरत का9य कृत ‘वीरांगना चेनमा’ अव=य रास आयेगी। यद यह
मझ
का9यकृत Hकसी भी ^प म आपके मम को छू सक तो मेरा Cम साथक हो जायेगा। ु टयाँ aान-hSतज
को बढ़ाती हE, सiदयता क .तीक होती हE, माग दशक से !मलाती हE। इस भावना से सदै व सबका वागत
है ।
माँ सरवती का यह सारवत .सून आपको सादर उपहार म दे ता हूँ। सjावनाओं सहत!
सbगण
ु से बनते यहाँ, सभी मनज
ु भगवान।।
ऋतओ
ु ं से रहते मु दत, तीज और यौहार।
दल
ु भ जीवन-रन हE, मंगलमय उपहार।
सय-अहंसा-.ेम का, दे ता यग
ु -स>दे श।
खश
ु होकर सT
ु तान ने, दये अ!मत उपहार।।
‘धल
ू 'पा दे साइ’ क, बेट" रह" अनाम।
वD
ृ ा को भगवान ने, दया-सुता-सा रन।
िजसको अनप
ु म [यार से, बड़ा Hकया कर यन।।
माँ से पछ
ू े बा!लका, .=न करे ग`भीर।
ऐसा जादक
ू र दया, फँसा धनक संवग।
माँ! मझ
ु को ^चता नह"ं, इन
ंथ का पाठ।
चप
ु होजा अब लाड़ल"! सुनता खड़ा नकेत।।
अपमान क शंख
ृ ला, करती है बेचन
ै ।
काटे भी कटते नह"ं, माता! दन औ’ रै न।।
दे खोगी तम
ु दे श म , आजाद"-मधम
ु ास।।
मr
ु ीभर अं
ेज ने, जीना Hकया मह
ु ाल।
सता-सख
ु क लालसा, भम Hकये पGरवार।।
घोर बढ़
ु ापा दे ख यह, खड़ा सामने काल।
सन
ु -सन
ु तेर" बात को, काँप रहा है गात।।
हँ सी-खश
ु ी बेट" ]वदा, जाय ]पया के साथ।।
माँ के सन
ु भावक
ु बचन, कहा बीच म टोक।
अँ
ेज़ ने दे श का, लट
ू !लया स`मान।
भारत माँ का कर रहे , पग-पग पर अपमान।।
!लखा प
ु तक म पड़ा, हE अं
ेज शर"फ़।।
अं
ेजी-आतंक म , तझ
ु े सन
ु ेगा कौन।।
माता! मझ
ु को दे खना, रानी बनँू ज^र।
अँ
ेज़ का एक दन, नीचा क^ँ गु^र।।
रायLणा-बालLणा दोन
सब
ु ह टहलने आते थे।
मँह
ु बोल" भQगनी चे>न`मा
चे>न`मा के ]पता धल
ू [पा
बालLणा-रायLणा के-
गोरे भारत लट
ू रहे हE
रोम-रोम से इन तीन के
भारत-.ेम छलकता था।
***********
सग-2
सुबह-सुबह थी बह रह", शीतल-म>द बयार।
चल" Hकशोर" झम
ू ती, मानो जाय बहार।।
चप
ु रहने को एक भी, होय नह"ं तैयार।।
अपना-अपना अ=व चन
ु , दौड़ लगाओ तात।।
चे>न!ू चन
ु ौती दे रह"ं, तम
ु ह" हमको आज।
मौसम बड़ा सह
ु ावना, सरू ज करता खेल।
समझ श^
ु म ह" गयी, चे>नू उसक चाल।
‘चे>न!ू तम
ु ने Iया Hकया, दया मनज
ु को मार।।
बाल सखा चप
ु रह गये, आगे कह" न बात।।
यD
ु कला औ’, aान क, बेट"! तम
ु भLडार।
साSात, दग
ु ा सWश, अjत
ु अ=व सवार।।
अ-श औ’ यD
ु का, !लया अपGर!मत aान।
इन बदमाश से मझ
ु ,े कौन बचाते आप?।
नर ने तो अपने !लये, खल
ु े रखे सब bवार।
‘धल
ू 'पा’ Hकतरू क, सेना म सरदार।
‘गB
ु /सC'पा’ नाम का, !मला मझ
ु े उपमान’।।
हर घटना के मल
ू म ,
***********
सग-3
बालLणा व रायLणा, दो बालक उपमान।
‘धल
ू 'पा दे साइ’ से, रह" अनठ
ू { .ीत।।
मँह
ु बोल" भQगनी बनी, कहती उनको तात।।
अjत
ु है लड़क बड़ी, नडर और नभnक।
धल
ू [पा सरदार क, एक मा स>तान।
घड़
ु सवार होकर चले, मनो !संहनी वीर।।
य तो वह यव
ु राज था, होता काश! सप
ु
ु ।।
गत]वQधयाँ यव
ु राज क, रIत चँ स
ू ती जाय।।
मानो Qच>ता धल
ु गयी, भरा कसकता घाब।।
तम
ु बड़ भागी हो बड़ी, राजा !मले उदार।
चे>नू थी जो चल
ु बल
ु ", रहने लगी उदास।।
चन
ु -चन
ु कर लाने लगे, नए-नए उपहार।।
मTलसज दT
ू हा बने, वागत करे घरात।।
दT
ू हा राजा को दया, सिsजत भवन अनूप।।
राजा को शभ
ु लlन म , दया चे>नू का हाथ।
एक-दस
ू रे के गले, पहनाई वर माल।
ह]षत नप
ृ Hकतूर ने, बँटवाये उपहार।।
राजा मTलसज क
नई रानी आयी है
Hकतूर क महारानी ने
वागत अनठ
ू ा ह" Hकया।
नाम नई रानी का
शाद" के उपरा>त क
नई रानी है अनमोल।
गँज
ू रहे थे बोल।
***********
सग - 4
चे>न`मा रानी बनी, हुआ साथक नाम।
दे वी सख
ु -सम]ृ D क, !मला वीरता धाम।।
खश
ु हाल" Hकतूर क, वैभव बढ़ा अपार।।
चग़
ु लखोर क मानकर, हुये !सतारे अत।।
घस
ु ते - खHु फया - तं म , चाटुकार-मIकार।
चग़
ु लखोर सबसे बड़े, होते हE ग़Vार।।
ग^
ु !सV[पा ने कहा, ध>य! ध>य! तम
ु ध>य!।
काय पण
ू करने जट
ु े , दे श-सरु Sा जान।
चन
ु -चन
ु वीर को दये, अलग-अलग संभार।
ग^
ु !सV[पा को दया, .मख
ु सरु Sा भार।।
अबला-बालक-वD
ृ सब, सह नह"ं अपमान।
तत
ृ ीय रानी ‘नीलमा’, गयीं वग !सधार।
एक मा जो प
ु था, ^m9वा का शेष।
बना वह" Hकतूर का, अब युवराज ]वशेष।।
धत
ू -नक`मा-तामसी, dोधी अत दय
ु elय।।
बन
ु ा जा रहा राsय म , षय> का जाल।
सन
ु चचा Hकतरू क, चक उठे अं
ेज।
दे ख-दे ख यव
ु राज को, रहते मन म Aट।।
बदल चक
ु ा था राज का, Qच>तामय पGरवेश।।
स>
ु दर वथ शर"र था, उ>नत उसका भाल।।
आये दन यव
ु राज तो, करता था छल-छं द।
प
ु -मोह म ^mvबा, भल
ू " सत
ु करतत
ू ।
करती अनज
ु ा क तरह, चे>न`मा से [यार।
आज ]वरोधी हो गयी, भूल गयी मनुहार।।
Iय न बसे यव
ु राज का, प
ु सहत पGरवार।।
राजा से क मंणा, खल
ु कर Hकया ]वचार।
प
ु और यव
ु राज के, Hकये सु नि=चत vयाह।
यथा समय शभ
ु लlन म , सत
ु bवय रचे ]ववाह।
दोन वधए
ु ँ थीं सुघड़, वथ और गुणवान।
सुख-दख
ु जीवन क नयत, दाय-बाय हाथ।
दख
ु क रे खा राsय को, कर न सक ]वभाsय।।
वह सुख-दख
ु को मानती, जैसे छाया-घाम।।
सुख-दख
ु dम चलता रहे , समय बD उपलvध।।
हुआ दे श पर आdमण, झल
ु स गये सब राग।।
डूब गये दख
ु -!स>धु म , दे ख प
ु क लाश।
Hकंकत9य]वमढ़
ू सब, था Hकतरू उदास।
राज महल-पGरवार - जन, भार" सभी हताश।।
पु-नधन से अत दख
ु द, घटना और न होय।
सत
ु -]वयोग म रात-दन, चे>न`मा लाचार।
प
ु -नधन के शोक से, सकता कौन उबार?
प
ु -नधन के साथ ह", हुये व[न भी चरू ।
प
ु -नधन के साथ ह", मनो लट
ु ा Hकतरू ।
अँ
ेज़ क WिAट भी, घायल करे ज^र।।
प
ु आमा ले गया, केवल शेष शर"र।।
आँख खल
ु " तो सामने, पड़ी हुई थी लाश।
दे खा-सन
ु ा न आज तक
Hकतूर ने सब कुछ सहा।
राsय यह Hकतूर का
राज मक
ु ु ट Hकसके धर ?
गु^!सV[पा द"वान को
बल
ु ा रानी ने !लया।
द"वान से कर मंणा
***********
सग - 5
राजा क मृ यु हुई, शोक
त सब राज।
गट
ु ब>द" पैदा करे , अ>दर-बाहर mोह।।
खाल" !संहासन रहे , उQचत नह"ं है सोच।
स>त-साधओ
ु ं ने Hकया, राजतलक का काज।
राज-धम-नAठा नह"ं, जड़
ु ता Iय ]व=वास।।
रानी-मन शंका पल", सहज नह"ं नमूल।
सरु ा-स>
ु दर" का नशा, चढ़ा रहे दन-रात।
झंठ
ू {-स?ची बात गढ़, बतलाते दAु कृय।।
Hकंकत9य]वमढ़
ू -सी, iदय रह मसोस।।
महाराज से एक दन, रानी ने क बात।
राजा क दन
ु nत का, ऐसा पड़ा .भाव।
रानी से पछ
ू े Rबना, लगा दये अQधभार।
अं
ेजी-सता मझ
ु ,े कभी न हो वीकार।।
पड़े चक
ु ाना एक दन, गVार को मोल।।
तम
ु जैसे ग़Vार ह", करते नह"ं ]वरोध।
शD
ु दे ह Hकतरू क, बने यह" थे रोग।।
उमड़ कTपना म रहा, ख़तर का तालाब।
मन म Qच>ता थी भर", सझ
ू े नह"ं ]वकTप।
शीत यD
ु -सा चल रहा, राजमहल के बीच।।
घर म जब अनबन रहे , वैचाGरक टकराव।
परतंता का छा गया।
ल"लने अं ेज भारत
पGरजन क मूखता
.=न का अ`बार था
***********
सग - 6
राजा को Qच>ता नह"ं, वह Iय बदले सोच?
रानी चे>न`मा उ>ह , कहे भले ह" पोच।।
दे ख अलौHकक प
ु को, कह ध>य! भगवान।।
रानी तब से थी दख
ु ी, दे ख दद
ु शा राज।।
दवा-दआ
ु -उपवास-जप, गये अ>ततः हार।।
हाय! हाय! दद
ु व रे ! कहाँ छुप गया भोर।
डूब आँसओ
ु ं म गया, !शव!लंग का पGरवार।
समय-चक
ू होती अगर, !मलती नह"ं सहाय।
चक
ु ा-समय आता नह"ं, कर लो लाख उपाय।।
घम
ू रहे मितAक म , एक-एक दAु कृय।।
सोच-सोच नप
ृ हारते, लेती नींद उचाट।
पर, दे ता संचत
े ना, रह-रह मानव-धम।।
चंगल
ु से अं
ेज के, लो Hकतरू छुड़ाय।।
नभा आँसओ
ु ं ने दया, राज मात का धम।।
द"न-दख
ु ी-असहाय को, दये व-आहार।
दतक-सत
ु -यव
ु राज यह, उ>ह नह"ं वीकार।।
हुआ भयानक भल
ू का, राजा को अहसास।
चे>न`मा क मानता, होता Iय उपहास??
यग
ु -यग
ु तक चभ
ु गे, ना समझी के शल
ू ।।
घोर lलान नप
ृ को हुई, करते प=चाताप।
बल
ु ा रहे नप
ृ आपको, शैया पड़े उदास।।
अँ
ेज़ के सामने, झक
ु े नह"ं Hकतरू ।
वाणी ओजवी सन
ु ी, लेश न आया जोश।।
हवन-जाप-गह
ृ -व?छता, पूरे Hकये तमाम।।
सुख-दख
ु जीवन क नयत, कोई सके न रोक।।
सुख-दख
ु हE परमाम के, दाय-बाय हाथ।
सुख-दख
ु दोन म रहे , परमे=वर क टे क।
सुख-दख
ु जो कुछ भी !मले, रहे समपण राम।।
सख
ु -दख
ु दोन क रहे , ई=वर हाथ कमान।
सुख-दख
ु दोन म रहे , मानव एक समान।।
राजा का भी हो गया, पण
ू .योजन काल।
Qचरनmा म सो गया, मTलसज का लाल।।
अँ ेज़ क WिAट अब
Hकतूर पर है लगी।
धू त सब अं ेज हE
वांछत तैयाGरयाँ भी
हम समपण से लड़।।
***********
सग - 7
महाराजा Hकतूर के, गये वग !सधार।
मTल[पा और वकट, लक
ु -छप करते खोज।
यD
ु कला का दे रह", यव
ु क को उपहार।।
अँ
ेज़ से यD
ु को, सेना रह" संभाल।।
मTल[पा और वकट, चग
ु ल" रहे लगाय।
भख
ू ी-[यासी एक दन, ख़म करे गी खेल’।।
ग
ु !सV[पा ने प वह, पढ़कर दया सन
ु ाय।
‘वाह! खब
ू संवेदना, वाह! थैकरे -मेल।
नह"ं चाहते यD
ु हम, नह"ं यD
ु से [यार।
यD
ु कभी करते नह"ं, समयाओं का अ>त।
धमक दे कर यD
ु क, चला गया अं
ेज।
घेर दग
ु Hकतरू का, हमला कर ज^र।।
गोरे घेर दग
ु को, कर न सक ]वफोट।
तोप औ’ ब>दक
ू पर, है गोर को नाज़।
नारा होगा यD
ु का, ‘बम-बम, हर-हर दे व’।
लट
ू पाट, अQधकार को, गोर का षयं।।
धत
ू , धAृ ट, हंसा भरा, चापलूस-मIकार।
चे>न`मा और थैकरे
sय धरती-आकाश।
आदकाल से लड़ रहे ,
.गत और ]वनाश।
बदले ^प ]वनाश।
अब पहुँचा Hकतूर म ,
***********
सग - 8
राी का .थम .हर, =वेत =याम आकाश।
भूत-नाच सब ओर है , कर चड़
ु ल
E गान।।
घम
ू रहे Hकतरू के, गोरे चार ओर।
रानी पहुँची दग
ु पर, सबको Hकया सचेत।
चे>न`मा Hफर दग
ु के, पहुँची चार bवार।
ग
ु !सV[पा - बालLणा, रायLणा, गजवीर।
चे>न`मा ने दग
ु का, घंटा दया बजाय।
बचे-खच
ु े सैनक भागे, ले-ले अपने .ान।।
मातश
ृ िIत के सामने, झक
ु ा थैकरे शीश।
तोप -ब>दक
ू सभी, जvत Hकया सामान।।
गँज
ू रहा Hकतूर म , ‘बम-बम, हर-हर’ बोल।।
चे>न`मा को कह रहे , दग
ु ा-दे ]व महान।।
पर, चप
ु बैठेगा नह"ं, अब गोर का राज।।
यह कुछ दन क है खश
ु ी, Hफर होगा अवरोध।
लेHकन, जनता दे चक
ु , उनको मृ यु !मलाप।।
पहुँचग
े ा Hकतूर म , करने दो-दो हाथ।।
कहाँ चलेगा यD
ु म , भाला औ’ तलवार।
तोप और ब>दक
ू से, करे थैकरे वार।।
भल
ू जाय Hकतरू सब, अपने ह" औसान।।
तोप और ब>दक
ू का, .चरु कर .ब>ध।
रख दग
ु - द"वार पर, तोप दशा अनस
ु ार।
भल
ू न पाया थैकरे , रानी अ=व सवार।
उधर चे>न`मा दग
ु म , कर सै>य तैयार।।
मानो होल" खन
ू क, खेल रहा हो काल।।
हुआ आज के युD म ,
थैकरे का अवसान।
.थम दवस का यD
ु ।
कूटनीत अव^D।
सोच-यD
ु क बात सब।
सोच-रहा था चैप!लन,
***********
सग - 9
मृ यु थैकरे क हुई, कई मरे क[तान।
एक तरह से यD
ु म , हाय! हुई है हार।
चक
ू गये अं
ेज तो, होय सभी कुछ राख।।
bवार पि=चमी दग
ु का, नवन!मत, कमजोर।
bवार पि=चमी दग
ु का, करना है बबाद।।
bवार पि=चमी दग
ु से, युD छड़े तकाल।।
सन
ु ा ग[ु तचर से सभी, रानी हुई सचेत।।
यD
ु हे तु तैयार थे, रानी के सब शेर।।
ग^
ु !सV[पा ने कहा, रहना सभी सचेत।
ध>
ु ध, धआ
ुँ औ’ आग ने, घेर !लया आकाश।
आग-धआ
ुँ के बीच म , जले पड़े इ>सान।।
गोरे चप
ु बैठ नह"ं, कर संगठत वार।।
ध>
ु ध, धआ
ँु औ’ आग का, कह"ं नह"ं था नाम।
मनज
ु कह"ं पर मर गया, बचा कहाँ अनरु ाग।
ईसा-मस
ू ा-राम भी, रमते साथ रसल
ू ।।
वह अनप
ु म वीरांगना, रखे ]व=व सjाव।
बल
ु ा चैप!लन ने सभी, Hकया बहुत स`मान।।
‘ध>यवाद’ सबको दया, Hकया बहुत आभार।
आदे श दे कर चैप!लन,
आज जीवन भी नया।।
अब आगे का योग।।
Iय चैन।।
दग
ु ा-मि>दर म गयी, कहा जोड़कर हाथ।
***********
सग - 10
अं
ेजी-सेना इधर करने चल" ]वCाम।
हार-जीत का फैसला, दग
ु ा करे ]वशुD।।
च[पा-च[पा चैप!लन, घम
ू े साथ जवान।।
bवार पि=चमी दग
ु पर, दया बहुत संaान।।
आज युD क नीत का, मु)य रहा आधार।
शेष bवार पर दग
ु के, सेना रह" सचेत।
तोप -ब>दक
ू चल"ं, चमक रह"ं तलवार।
धआ
ुँ -धआ
ुँ आकाश तक, बरस रह" थी आग।
चे>न`मा ने यD
ु म , Hकया बहुत संहार।
दे ख चैप!लन यD
ु को, भल
ू गया सब जोश।
]वbयत
ु जैसी चमकती, रानी क तलवार।
रानी पर ब>दक
ू से, लगा नशाना चोट।।
जाकर भाला घस
ु गया, !शवबस[पा के पेट।
Rबना हवा-तफ़
ू ान के, पलटे मनो ]वमान।।
त`
ु ह शपथ Hकतरू क, यह" हमारा दाय।।
]वदा Hकया यव
ु राज को, दया सरु Sा भार।
बचा !लया यव
ु राज को, Hकया वयं का दान।
पहुँची रानी दग
ु पर, जहाँ लड़ रह" तोप।
रानी कूद" यD
ु म , करने अि>तम काम।।
चे>न`मा के यD
ु से, कांप उठा वह शरू ।।
कनल Hं कन लड़ रहे , लड़ कई क[तान।
माते! दग
ु ा! आ रह", बेट"! तेरे धाम।।
गीत
मातभ
ृ !ू म के वा!भमान ने, आज हम ललकारा है ।
आज दे श क सीमाओं पर
शाि>त लट
ू ने इधर लट
ु े रा
दरू दे श से आया है ।।
मातभ
ृ !ू म के वा!भमान ने, आज हम ललकारा है ।।2
बेटा खद
ु आज़ाद" को।।
मातभ
ृ ू!म के वा!भमान ने, आज हम ललकारा है ।।3
उतर-दिIखन, पूरब-पि=चम,
मैदान क गम हवाय
मातभ
ृ ू!म के वा!भमान ने, आज हम ललकारा है ।।4
सख
ू गयी हE रIत-!शराय,
मातभ
ृ !ू म के वा!भमान ने, आज हम ललकारा है ।।5
माना आज अराजकता है ,
चार ओर अ>धेरा है ।
आQध-9याQध ने घेरा है ।।
मातभ
ृ ू!म के वा!भमान ने, आज हम ललकारा है ।।6
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गल
ु ाब!संह ह>द ू (नातकोतर) महा]वbयालय, चाँदपरु -याऊ (Rबजनौर) उ०.०, भारत
रे खाQच, संमरण, शोध, समीSा, स`पादन, पकाGरता, याावृ त, जीवनी, अनुवाद, साSाकार।
का/शत कृतयाँ :
(आ) समीOा-Tंथ
(ऊ) मU
ु तक-गीत संTह
१३.]व]वधा -२००३
१५.स
ू धार है मौन! -२००७
(औ) या?ा-व ृ त
२०.सौ>दय के दे श म - २००९
६.का9यधारा (’९५)
११.Iया कह कर पक
ु ा^ँ? (भिIत एवं आPयािमक गीत रचनाएँ)(’०३)
१४.आजू-राजू (’९८)
१५.न>ह -म>
ु न (’९८)
१.तल
ु सी वांगमय (’८९)
अ पव
ू " संयU
ु त सMचव - ह>द
ु तानी एकेडमी, इलाहाबाद (राsयपाल उ०.० bवारा ना!मत)(१३ दस`बर, २००१ से
१३ दस`बर, २००४)
अ तीन दज"न से अMधक शोध छा?D को पी-एच०डी० उपाMध नद[ शन।
अ डॉ० महे श ‘-दवाकर’ का सा-ह यः संवेदना और /श@प शीषक पर ^हे लखLड ]व=व]वbयालय म वैशाल.
माँग/लक को पी-एच०डी० .दत।
अ मरु ादाबाद जनपद के सा-ह यकारD के सदभ" म5 डा० महे श ‘-दवाकर’ के सा-ह य का अययन शीषक पर
^हे लखLड ]व=व]वbयालय म /मMथलेश को पी-एच०डी० .दत।
अ डॉ० महे श ‘-दवाकर’ : FयिUत और रचनाकार शीषक पर लखनऊ <वHव<वWयालय, लखनऊ से एम० Hफल०
लघु शोध .बंध- २००३
अ डॉ० महे श ‘-दवाकर’ का जीवन व सा-ह य शीषक पर कुBOे? <वHव<वWयालय स◌े एम०Hफल० लघु शोध
.बंध- २००३
अ डॉ० महे श ‘-दवाकर’ क का/शत कृतयD का समीOा मक अययन शीषक पर एम० जे० पी० Bहे लखVड
<वHव<वWयालय, बरे ल. से एम०ए० लघु .बंध।
अ डॉ० महे श ‘-दवाकर’ के काFय म5 रा _.य चेतना शीषक पर एम० जे० पी० Bहे लखVड <वHव<वWयालय, बरे ल.
स◌े एम० ए० लघु शोध .बंध
अ डॉ० महे श ‘-दवाकर’ के काFय म5 <व<वध वर शीषक पर एम० जे० पी० Bहे लखVड <वHव<वWयालय, बरे ल. से
एम० ए० लघु शोध .बंध
अ डॉ० महे श ‘-दवाकर’ : संवेदना व /श@प शीषक पर एम० जे० पी० Bहे लखVड <वHव<वWयालय, बरे ल. से एम०
ए० लघु शोध .बंध
अ डॉ० महे श ‘-दवाकर’ : क सा-ह य साधना शीषक पर कामराज मदरु ै <वHव<वWयालय से एम०Hफल० - २००७
सपक" :
‘सरवती भवन’,
E-mail: maheshdiwakar@yahoo.com
mcdiwakar@gmail.com