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Sans Kars in Chan
Sans Kars in Chan
बालक ही देश का असली धन है। वे भारत के भिवषय, िवश के गौरव और अपने माता-िपता की शान है। वे
देश के भावी नागिरक है और आगे चलकर उनही के कंधो पर देश की सवतंतता एवं संसकृित की रका तथा उनकी
पिरपुिष का भार पडने वाला है। बालयकाल के संसकार एवं चिरतिनमाण ही मनुषय के भावी जीवन की आधारिशला है।
हमारे देश के िवदािथरयो मे सुसंसकार िसंचन हेत,ु उनके िववेक को जागृत करने हेत,ु उनके सुंदर भिवषय के
िनमाण हेत,ु उनके जीवन को सवसथ व सुखी बनाने हेतु शोितय बहिनष संत शी आसाराम जी बापू के पावन पेरक
मागरदशरन मे देश-िवदेश के िविभन भागो मे 'बाल संसकार केनद' चलाये जा रहे है.
इन केनदो मे बालको को सुसंसकािरत करने हेतु िविभन पयोग िसखाये जाते है। िजससे उनकी शारीिरक,
मानिसक, बौिदक, नैितक तथा आधयाितमक शिकतयो का िवकास होता है और वे अपने कायर मे पूणर रप से सफलता
पापत करने मे सकम बन जाते है। यह भी कहा जा सकता है िक बचचो के जीवन मे सवागीण िवकास की कु ंिजया
पदान करता है पूजयशी की कृपा-पसादी 'ददद ददददददद ददददददद'।
ददददददददद
"बाल संसकार केनद मे आकर हमने सीखा िक अपने माता-िपता, बाधवो, िरशतेदारो
से हमारा जैसा समबनध होता है, उससे गहरा समबनध परम िपता परमेशर से होता है। अब हम
हररोज ईशर से बात करते है, उनकी पाथरना करते है।
ईशर के साथ सीधा समबनध जोडने का सुलभ हेतु है पाथरना। पाथरना से
शाित और शिकत िमलती है।
पाथरना पावन धयान अर,
वंदन सतय िवचार।
'बाल संसकार केनद' मे,
होता िवमल िवचार।।
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दददददद दद ददददददददद
"सूयर उपासना सवसथ जीवन की सवरसुलभ कु ंजी है। 'बाल संसकार केनद'
मे हमे इसका िनयिमत अभयास कराया जाता है। हम रोज सुबह सूयरदेव को अघयर
देते है एवं सूयरनमसकार करते है।"
ददददद ददददददददददद दद दददददद ददद। ददददद दद
दददददद दददददद दददद दद ददद दददददददददददद दददद दद दद-
दद दददददददद, दददददददददद ददद द दददद ददद दददददददददद
ददददद दददद दद। दददददददद दद दददददद दददददद दद दददददद
दद दददद दद।
"सूयर नमसकार मे बुिदशिकत, समृितशिकत, धारणाशिकत व मेधाशिकत बढाने
की यौिगक िकयाएँ सवतः हो जाती है।" - पूजय बापू जी
दददददद दद ददददददददद,
ददददद ददददद दददददद।
ददद ददद दददद ददद,
ददददददद ददद ददददददद।।
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"अपनी सोयी हुई शिकतयो को जगाने की कला अब हमने जानी है। सारसवतय मंत के िनयिमत जप एवं कुछ
समय मौन का िनयम िलया है। हम रोज ताटक का अभयास करते है। ददद द का दीघर उचचारण करते हुए धयान मे
भी बैठते है।
हमारे सूकम शरीर मे पसुपत यौिगक केनद, गंिथया एवं चकािद है, जो मंतजप के दारा जागृत होकर िवराट
ईशरीय शिकत से हमारा समबनध जोडकर हमे अतुिलत सामथयर पदान करते है।
सासवरतय मंत के जप से समरणशिकत का िवकास होता है एवं बुिद कुशाग बनती है। बालक के जीवन मे
िनखार आता है।
मौन रखने से आंतिरक शिकतया िवकिसत होती है और मनोबल मजबूत होता है।
सविसतक, इषदेव या गुर देव के िचत पर ताटक करने से एकागता का िवकास होता है।
धयान परमातमा से एकतव सथािपत करने का सरल उपाय है।
दददददद ददददद दद ददद, दद दद दददद दददददददददद ।
ददददद ददद दददददद, ददद ददददददद।।ददद ददददद
ददद दद ददददददद, ददददद दद ।ददद दददद
'ददद ददददददद ददददददद' ददद, ददददददद दद ददद।।
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दददददद दद ददददद
बाल संसकार केनद मे आकर हमने अपनी संसकृित के महान पवों का महततव
जाना है एवं ऋतुचया के अनुसार सवसथ जीवन जीने की कला पायी है।"
तयोहारो का अपना सामािजक, नैितक, सासकृितक एवं धािमरक महततव है।
रकाबंधन, जनमाषमी, शाद, नवरात, दशहरा, दीपावली, मकर-सकािनत, िशवराती, होली,
रामनवमी, वट-सािवती, गुर-पूिणरमा आिद पवर अपने -आपमे हमारी सवागीण उनित की
कु ंिजया संजोये हुए है।
दददददददद दद दददद दद,
ददददद दददद ददद।
'ददद ददददददद ददददददद' ददद,
ददददददद दद ददददद।।
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दददद ददद ददद दददद
"संतो महापुरषो के कथा पसंगो, बोध-कथाओं तथा उनके िशकापद
संदेशो ने जीवन को ओजसवी, तेजसवी एवं यशसवी बनाने की कला िसखा दी। हमे
गवर है िक हम इस महान पाचीन भारतीय संसकृित के सपूत है।"
महापुरषो के जीवन से यह सपष होता है िक उनका बालयकाल पूणर
अनुशािसत, सुसंसकृत तथा आतमसममान से पिरपूणर था। बचपन से ही उनमे
साहस, आतमिवशास, धैयर एवं मानवीय संवेदना की उदार भावनाएँ थी, िजनहोने उनहे
महापुरष बना िदया।
दददद-दददददद
"बाल संसकार केनद मे आने से कया खाना-पीना उिचत है – कया नही, कया देखने -सुनने योगय है – कया नही
इसके बारे मे िववेक-बुिद िवकिसत होती है। जीवन मे संयम-सदाचार सहज आ जाता है।"
जैसे पकी दो पंखो से उडान भरता है, वैसे ही बालक संयम और सदाचार रपी दो पंखो से जीवनरपी उडान
भरकर अपने अमर आतमा को पाने मे सफलता पापत कर लेता है।
दददद ददददददद दददद, दददददद दददददददद ।
'ददद ददददददद ददददददद' ददद ददददद ददददददददद।।
ददददद ददद दददददद, ददददद ददद ददददद।
'ददद ददददददद ददददददद' ददद, दददद ददददद दददददद।।
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दद-ददददद
"भगवान ने अपनी अनुपम सृिष मे मनुषयो के जीवन-िनवाह के िलए िजतने उतमोतम पदाथर बनाये है, उनमे
गाय का दूध एवं घी सवोतम माने गये है। अब हम रोज गौमाता के दूध एवं घी का सेवन करते है।"
ददददददददद दद ददद दददद ददद दद ददद दद
दददददददददद दद ददद दददद दद ददददद दददद दद
दददद दद दददददददद दददद।दद दददददद दददद ददद
"अब हम जान चुके है िक समय बहुत मूलयवान है, उसे वयथर नही गँवाना चािहए। अब हम छुिटयो मे िविवध
सुनदर कायर सीखकर, सेवाकायर करके अपना जीवन साथरक बना रहे है।"
िवदाथी अपने कीमती समय को टी.वी., िसनेमा आिद देखने मे, गंदी व फालतू पुसतके पढने मे बरबाद कर देते
है। िमली हुई योगयता और िमले हुए समय का उपयोग उतम-से-उतम कायर मे करना चािहए, जप-धयान एवं सतसंग
तथा सतशासत पठन मे लगाना चािहए।
ददददददददद दददद दददददद,
ददद दददददद । द दददद
'ददद ददददददद ददददददद' ददद,
दददद दद ददद।। ददददद
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ददददद दद ददददददद दददद
"पदूषण के इस माहौल मे जहा वृक काटने मे देर नही लगती, वहा तुलसी, नीम आिद पौधे लगाने का सदिवचार
पाया। सामूिहक पुरषाथर दारा हम बचचे अब गली-गली, मोहलले-मोहलले नीम, तुलसी आिद के पौधे लगायेगे।"
दददददददददद दद ददद, दददद ददददद ददद।
ददद ददद दद दददददद ददद, ददद द ददद ।। दददददद
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"हमने आयुवेद के सरल, सचोट घरेलु नुसखो का जान पाया। अब जीवन सवासथयमय जीयेगे।
यथायोगय आहार-िवहार एवं िववेकपूवरक वयविसथत जीवन उतम सवासथय का आधार है। सवसथ शरीर से ही
माता-िपता एवं गुरजनो की सेवा, समाज के उतथान तथा देश व राषट के िनमाण मे योगदान िदया जा सकता है।
ददददददददद ददददददद दददददददद, दद ददददद दददद।
'ददद ददददददद ददददद' ददद, दददद ददद ददददद।।
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दददद ददददद
"पूजय बापू जी के आशीवाद से मुझे अकटू बर 18 मे पपपनकला के िशिवर मे सारसवतय मंत
की दीका िमली।
मैने दीका के बाद िदलली आशम के 'बाल संसकार केनद' मे जाना शुर िकया। वहा पर मुझे
सािखया, कहािनया तथा िशषाचार की बाते आिद िसखायी गयी, िजनका पालन करते हुए मेरा
सवागीण िवकास हुआ। मै कका मे पथम से लेकर छठी कका तक पथम आ रही हूँ। मुझे छठी कका
मे 94 % पितशत अंक पापत हुए और सकूल से छातवृित भी िमल रही है। सकूल की अनय
गितिविधयो मे भी भाग लेकर पुरसकृत हुई हूँ।
मुझे ऐसा पतीत होता है िक बापूजी मुझे कहते रहते है िक तू आगे बढ, मै तेरे साथ हूँ।"
-किनका गुलाटी, कका 7 वी, उम – 11, 1559 कोलापुर रोड, िदलली-7
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दददद ददददद
"परम पूजय बापू जी के चरणो मे कोिट-कोिट पणाम। मै हर रिववार को 'बाल संसकार
केनद' मे जाती हँू। मै तीसरी कका मे 60 % अंक लेकर पास हुई और इस बार मुझे 94 % अंक
िमले है। बापूजी से सारसवतय मंतदीका लेने के बाद मैने मास-मचछी खाना छोड िदया। िफर मेरे
माता-िपता ने भी मेरा अनुकरण करते हुए यह सब छोड िदया। जब मै छुिटयो मे गाव गयी तब
मेरे दादा-दादी ने मुझे जप करते हे देखा त वे कहने लगेः "हमारी इतनी उम हो गयी है िफर भी
हमे इस सचची कमाई का पता नही है और इस ननही बािलका को देखो, अभी से इसे सचची कमाई
के संसकार िमले है। धनय है बापू जी के 'बाल संसकार केनद' ! जब बापू जी आयेगे तब हम भी
उनसे जरर मंतदीका लेगे।'
इस तरह हमारे पिरवार मे सभी का जीवन बापू जी ने पिरवितरत कर िदया।"
- शालू िसंह, वरली (मुब
ं ई)
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दददद ददददद
"मै िकशनगढ रेनवाल (राजसथान) का रहने वाला हँू। मै पतयेक रिववार को 'बाल संसकार
केनद' मे जाता हूँ। 'बाल संसकार केनद' मे िसखाये हुए िनयमो का पालन करते हुए मेरी एकागता बढी,
पाणायाम से आितमक शिकत का िवकास हुआ व आतमबल बढा। इसका पिरणाम यह हुआ िक कका 8
के बोडर पैटनर परीका (गोनेर, िज. जयपुर) मे मुझे पथम 10 की मेिरट मे छठा सथान पापत हुआ। मुझे 96 % अंक पापत
हुए। गिणत मे मुझे 100 मे से 100 अंक पापत हुए।"
पुनीत कुमार खणडल, माडनर पिबलक सकूल, रेनवाल (राजसथान)
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