सुभाषित

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1 अलपानामिप वसतूना संहित: कायरसािधका तॄणैगुरणतवमापनैर् बधयनते मतदिनतन:

छोटीछोटी वसतूएÐ एकत करनेसे बडे काम भी हो सकते है| घास से बनायी हुर्इ डोरी से मत
हाथी बाÐधा जा सकता है|

2 यादॄशै: सिनिवशते यादॄशाशोपसेवते |

यादॄिगचछेचच भिवतुं तादॄगभवित पूरष:

मनुषय , िजस पकारके लोगोके साथ रहता है , िजस पकारके लोगोकी सेवा करता है , िजनके
जैसा बनने की इचछा करता है , वैसा वह होता है |

3 पदाहतं सदुतथाय मूधानमिधरोहित |

सवसथादेवाबमानेिप देिहनसवदरं रज

जो पैरोसे कुचलने पर भी उपर उठता है ऐसा िमटी का कण अपमान िकए जाने पर भी चुप
बैठनेवाले वयिकत से शेष है |

4. इंिदयािण पराणयाहु: इंिदयेभय: परं मन: |

मनससतु परा बुिद: यो बुदे: परतसतु स:

इंिदयो के परे मन है मन के परे बुिद है और बुिद के भी परे आतमा है |

5. आकाशात् पिततं तोयं यथा गचछित सागरम् |

सवरदेवनमसकार: केशवं पित गचछित

िजस पकार आकाश से िगरा जल िविवध नदीयो के माधयम से अंितमत: सागर से जा िमलता है
उसी पकार सभी देवताओं को िकया हुवा नमन एक ही परमेशर को पापत होता है |
6.कलहानतिन हमरयािण कुवाकयाना च सौ)दम् कुराजानतािन राषटािण कुकमानतम् यशो नॄणाम्

झगडोसे पिरवार टू ट जाते है| गलत शबदपयोग करनेसे दोसत टू टते है| बुरे शासकोके कारण
राषटका नाश होता है| बुरे काम करनेसे यश दरू भागता है|

7. िदवसेनैव तत् कुयाद् येन रातौ सुखं वसेत् |

यावजजीवं च ततकुयाद् येन पेतय सुखं वसेत्

िदनभर ऐसा काम करो िजससे रातमे चैनकी नीद आ सके |

वैसेही जीवनभर ऐसा काम करो िजससे मॄतयूपशात सुख िमले हअथात सदगती पापत हो

8. वॄतं यतेन संरकयेद् िवतमेित च याित च |

अकीणो िवतत: कीणो वॄततसतु हतो हत:

सदाचार की मनुषयने पयनतपूवर रका करनी चािहए , िवत तो आता जाता रहता है |

धनसे कीण मनुषय वसतुत: कीण नही , बिलक सदतरनहीन मनुषय हीन है

9. शैले शैले न मािणकयं मौिकतकं न गजे गजे साधवो न िह सवरत चनदनं न वने वने िहतोपदेश

हर एक पवरतपर मािणक नही होते, , हर एक हाथी मे हउसके गंडसथलमे ) मोती नही िमलते |

साधु सवरत नही होते , हर एक वनमे चंदन नही होता |

ह दुिनया मे अचछी चीजे बडी तादात मे नही िमलती |

10.एकवणर ं यथा दुगधं िभनवणासु धेनुषु |

तथैव धमरवैिचतयं तततवमेकं परं समॄतम्

िजस पकार िविवध रंग की cows एकही रंग का हसफेद) दध


ू देती है, उसी पकार िविवध
ं एकही तततव की सीख देते है
धमरपथ

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