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कनकधारा स्तोत्र

अंग हये ऩुरकबूषणभाश्रमंती , बंगागनेव भुकराबयणं तभारभ | ु अंगीकताखिरववबूततय ऩांग रीरा, भांगल्मदास्तु भभ भंगदे वतामा || १ || भुग्धा भुहुवविदधातत वदने भुयाये ् , प्रेभत्रऩाप्रखणहहतातन गतागतातन | भारा दशोभिधकयीम भहोत्ऩरे मा, सा भें श्रश्रमं हदशतु सागयसंबवामा् || २ || ु ु भधववद्ववषो वऩ | ु

ववश्वासभये न्द्रऩदववभ्रभदानदऺ , भानन्द्दहे तुयश्रधक ं

इषन्न्द्नषीदतु भमी ऺणभीऺणाि, मभन्द्दीवयोदयसहोदयमभन्न्द्दयामा् || ३ || आभीमरताऺभश्रधगम्म भुदा भकन्द्द, भानन्द्दकन्द्भतनभेषभनंगतन्द्त्रभ ु ु आककयन्स्थततकनीककभऩक्ष्भ नेत्रं, बूत्मै े फाह्मंतये भधन्जत् ु

बवेन्द्भभ बुजंगशमांगनामा् || ४ || ववबातत |

श्रश्रतकौस्तबे मा, हायावरीव हयीतनरभमी ु

काभप्रदा बागवतोऩी कटाऺ भारा, कल्माणभावहतु भे कभरारामामा् || ५ || काराम्फुदामरतमरसोयसी कटभाये , धरयधये स्पयतत मा तु तडंग ै ु दन्द्मै |

भात् सभस्तजगताभ भहनीमभूतति , बिराखण भे हदशतु बागिवनन्द्दनामा् ु प्राप्तभ ऩदं प्रथभत् ककर मत्प्रबावान, भांगल्मबान्ज भधभाश्रथनी भन्द्भथेन ु

|| ६ || |

भममाऩतेत्तहदह भन्द्थन भीऺणाि, भन्द्दारसभ दाद

च भकयारमकन्द्मकामा् || ७ || ववऩाणे |

दमानऩवनो रववणाम्फुधाया, भन्स्भन्द्न वव ककं धनववहं गमशशौ ु

दष्कभिधभि भाऩनीम श्रचयाम दयं, नायामणप्रगणतमनीनमनाम्फुवाह् || ८ || ु ू इष्ट दृन्ष्ट् ववमशष्टभतमोऩी ममा दमारि , दष्टमा त्रत्रववष्टऩऩदं ु सरबं रबिते | ु

प्रहष्टकभरोदयदीन्प्तयीष्टां, ऩुन्ष्ट कऩीष्ट भभ ऩुष्कयववष्टयामा् || ९ ||

गीतेवतेती गरुड़ध्वजबामभनीतत, शाकम्बयीतत शमशशेियवल्रबेतत | सन्ष्टन्स्थततप्ररमकमरषु े क्ष्पत्मै शक्तत्मै संन्स्थतामै, तस्मै नभान्स्त्रबुवनैकगुयोस्तरुन्द्मै नभोस्तु नभोस्तु

|| १० ||

नभोस्तु शुबकभिपरप्रसत्मै, यत्मै ू नभोस्तु शतऩतनकतनामै, ऩुष््मै े

यभणीमगणाणिवामै | ु ऩुरुषोत्तभ वल्रबामै || ११ ||

नभोस्तु नभोस्तु

नारीकतनबान्द्नामै, नभोस्तु सोभाभतसोदयामै , नभोस्तु

दग्धोदश्रधजन्द्भ बत्मै | ु ू नायामणवल्रबामै

|| १२ |
सयोरुहाक्षऺ

सम्ऩत्कयाखण

सकरेन्न्द्रमनन्द्दनातन, साम्राज्मदान ववबवातन

त्वद्वन्द्द्वनातन दरयताहयणोद्मतानी , भाभेव भातयतनशं करमन्द्तु नान्द्मभ || १३ || ु मत्कटाऺ सभऩासनाववश्रध्, सेवकस्म सकराथि सम्ऩद् | ु संतनोतत वचनांगभान, सैस्त्वां भयायीरृदमेश्वयीं बजे || १४ || ु सयसीजतनरमे सयोजहस्ते, धवरतभांशु -कगंधभाल्म बगवती हरयवल्रबे भनोऻे, त्रत्रबुवन बूततकरय शोबे |

प्रसीद भह्मं || १५ ||

हदग्धन्स्तमब् कनककम्बभुिावसष्ट, स्ववािहहनीततभराचरूजरप्तुतांगभ | ु प्रातनिभामभ जगताभ जननीभशेष, रोकाश्रधनाथ गहहणीभ भतान्धधऩत्रत्रभ || १६ || ु

कभरे कभराऺवल्रबे, त्वभ,् करुणाऩूयतयं श्रगतैऩयऩाडमै

अवरोकम भभाककं चनानां, प्रथभं ऩात्रभकत्रत्रभं दमामा् || १७ || स्तवन्न्द्त मे स्तुततमबयभू मबयन्द्वहं , त्रमोभमीं ु त्रत्रबुवनभातयभ यभाभ |

गणाश्रधका गरुतयबाग्मबामभनी, बवन्न्द्त ते बवव फधबाववताशमा् ु ु ु ु

|| १८ ||

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