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नक भारत का इ तहास "


"आधु

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आधुनक भारत केइ तहास” क अ ययन साम ी घटना के


म केअनु
सार 5 भां
ग म बां
टा है
|

1. आधु नक भारत : मु
गल सा ा य का पतन और
मराठ का उदय

1.1 मु
ग़ल उ रा धकारी
1.2 शवाजी
1.3 मराठा शासन
1.4 मराठा केअधीन पेशवा
1.5 शवाजी केउ रा धकारी

2. आधु
नक भारत: ेीय रा य का उदय और यू
रोपीय

2.1 पंजाब
2.2 राजपू त
2.3 मैसूर
2.4 अवध
2.5 बंगाल
2.6 है
दराबाद
2.7 जाट
2.8 पुतगाली उप नवेश क थापना
2.9 डच उप नवे श क थापना
2.10 ां सीसी उप नवे
श क
थापना
2.11 अंे ज उप नवेश क थापना

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3. आधु
नक भारत : टश सव चता और अ ध नयम

3.1 ब सर क लड़ाई
3.2 सहायक सं ध
3.3 पगत का स ां त
3.4 रेयु
लेटग ए ट, 1773
3.5 पट् स इंडया ए ट 1784
3.6 चाटर अ ध नयम,1793
3.7 1813 का चाटर अ ध नयम
3.8 1833 ई. का चाटर अ ध नयम
3.9 1853 ई. का चाटर अ ध नयम
3.10 1858 ई. का भारत सरकार
अ ध नयम
3.11 1861 का अ ध नयम
3.12 1892 ई. का अ ध नयम
3.13 1909 ई. का भारतीय प रषद्
अ ध नयम
3.14 भारत सरकार अ ध नयम -
1935
3.15 म ट यु-चे
सफोड सु धार अथात
भारत सरकार अ ध नयम-1919

4. आधु
नक भारत:18व सद केव ोह और सु
धार

4.1 रामकृण और ववे कानं



4.2 ई रचंद व ासागर
4.3 डेजेरयो और यं
ग बं
गाल

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4.4 राममोहन रॉय और समाज


4.5 1857 का व ोह
(कारण और असफलताए)
4.6 टश शासन म सामा जक
अ ध नयम
4.7 द ण भारत म सु धार
4.8 प मी भारत म सु धार
आ दोलन
4.9 सै यद अहमद खान और
अलीगढ़ आ दोलन
4.10 मुलम सु धार आ दोलन
4.11 थओसो फकल समाज

5. आधु
नक भारत: भारतीय रा ीय आ दोलन

5.1 श ा का वकास
5.2 भारतीय े स का वकास
5.3 भारतीय रा ीय कांे

5.4 ज लयाँवाला बाग
5.5 उदारवाद
5.6 उ पंथ और बं गाल वभाजन
5.7 मुलम लीग क थापना
5.8 रौलट वरोधी स या ह
5.9 वदेशी आ दोलन
5.10 अराजक और रवो यू शनरी
अपराध अ ध नयम, 1919
5.11 खलाफ़त और असहयोग
आ दोलन

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5.12 वराज दल
5.13 मुडीमैन स म त (1924)
5.14 बटलर स म त (1927 ई.)
5.15 साइमन कमीशन
5.16 नेह रपोट
5.17 सा दा यक अ ध नणय और
पूना समझौता
5.18 अग त ताव
5.19 गत स या ह
5.20 स मशन
5.21 भारत छोड़ो आ दोलन
5.22 सुभाषचंबोस और आई.एन.ए.
(आजाद ह द फ़ौज)
5.23 राजगोपालाचारी फामू
ला
(1944 ई.)
5.24 दे
साई- लयाकत ताव
(AD 1945)
5.25 बेवल योजना और शमला
स मले न
5.26 कै बनेट मशन लान
5.27 अंत रम सरकार
5.28 संवैधा नक सभा
5.29 माउंटबेटन योजना और भारत
केवभाजन

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1. आधुनक भारत : मु
गल सा ा य का पतन और
मराठ का उदय

1.1 मु
ग़ल उ रा धकारी
1.2 शवाजी
1.3 मराठा शासन
1.4 मराठा केअधीन पेशवा
1.5 शवाजी केउ रा धकारी

1.1 मु
ग़ल उ रा धकारी
औरं गजे
ब क मृ युनेमु ग़ल सा ा य केपतन क न व डाली
य क उसक मृ युकेप ात उसकेतीन पु-मु अ जम,आज़म
और कामब श के म य ल बेसमय तक चलनेवाले
उ रा धकार केयु नेश शाली मु ग़ल सा ा य को कमजोर
कर दया. औरं गजेब नेअपनेतीन पु को शास नक उ े य
सेअलग अलग े का गवनर बना दया था,जै से
-मु
अ ज़म
काबुल का,आज़म गु जरात और कामब श बीजापु र का गवनर
था .इसी कारण इन तीन केम य मतभे द पैदा ए, जसने
उ रा धकार को ले
कर गु टबं
द को ज म दया.औरंगजेब क मृयु
केबाद उ रवत मु ग़ल केम य होनेवालेउ रा धकार-यु का
ववरण न न ल खत है -

मु
अ ज़म(1707-1712 ई.)

वह शाह आलम थम केनाम सेजाना जाता था, जसेखफ

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खांने‘शाह-ए–बेखबर’ भी कहा है य क वह शासक य काय


के त ब त अ धक लापरवाह था.
वह अपनेदो भाइय क ह या करनेऔर कामब श को जाजऊ
केयु म हरानेकेबाद 1707 ई. म मु ग़ल राजग पर
बै
ठा.वह अपनेशासक य अ धकार का वतं प से योग
करने वाला अंतम मु
ग़ल शासक था.
उसनेस ख एवंमराठ केसाथ मधु र स ब ध था पत करने
का यास कया.उसनेइसी लए मराठ को द कन क
सरदेशमु
खी वसू लनेका अ धकार देदया ले कन चौथ वसू लने
का अ धकार नह दया.
मु
अ ज़म क मृ युकेबाद उसकेपु- जहाँ दार शाह ,अज़ीम-
उस-शाह, रफ़ -उस-शाह और जहाँ शाह, केम य नए सरेसे
उ रा धकार को लेकर यु ारंभ हो गया

जहाँ
दार शाह(1712-1713 ई.)

उसनेमु गल दरबार म ईरानी गुट केनेता जुफकार खान के


सहयोग सेअपनेतीन भाइय क ह या केबाद राजग ात
क .
वह जुफकार खान ,जो वा त वक शासक के प म काय
करता था ,केहाथ क कठपु तली मा था.यह सेशासक
नमाताओ क सं क पना का उदय आ .वह अपनी े मका
लाल कुं
वर केभी भाव म था जो क मु ग़ल शासन पर नू
रजहाँ
के भाव क याद दलाता है .
उसनेमालवा केजय सह को ‘ मजा राजा’ और मारवाड़ के
अ जत सह को ‘महाराजा’ क उपा ध दान क .
उसके ारा मराठ को चौथ और सरदे शमु
खी वसूलनेके
अ धकार दान करनेकेकदम नेमु ग़ल शासन के भु व को
कमजोर बनाने क शुआत क .
उसनेइजारा प त अथात्राज व कृ ष/अनु
बं
ध कृ ष को
बढावा दया और ज जया कर को बं द कया.

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वह थम मु ग़ल शासक था जसक ह या सैयद बंधु-


अ लाह खान और सै न अली(जो ह तानी गु
ट केने
ता थे
)
के ारा कै
दखानेम क गयी थी.

फ ख सयर(1713-1719 ई.)

वह ‘सा हद-ए-मजलूम’ केनाम सेजाना जाता था और अज़ीम-


उस-शाह का पु था.
वह सै यद बंधु केसहयोग सेमु ग़ल शासक बना था.
उसने‘ नज़ाम-उल-मु क’ केनाम सेमश र चन क लच खान को
द कन का गवनर नयु कया, जसनेबाद म वतं रा य-
है
दराबाद क थापना क .
उसकेसमय म ही पे शवा बालाजी व नाथ मराठा- े पर
सरदेशमुखी और चौथ बसू ली केअ धकार को ा त करनेके
लया मुग़ल दरबार म उप थत ए थे .

रफ़ -उद-दरजात(1719 ई.)

वह कुछ महीन तक ही शासन करनेवालेमुग़ल शासक म से


एक था.
उसने नकुसयर के व ोह केदौरान आगरा के कलेपर
क ज़ा कर लया और खु द को शासक घो षत कर दया.

रफ़ -उद-दौला(1719 ई.)

वह ‘शाहजहाँ तीय’ केनाम सेजाना जाता है


.
उसकेशासनकाल केदौरान ही अ जत सह अपनी वधवा पुी
को मुग़ल हरम सेवापस लेगए थेऔर बाद म उसनेह
धम अपना लया .

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मु
ह मद शाह(1719-1748 ई.)

उसका नाम रोशन अ तर था जो क भाव-हीन और आराम-


पसंद मुग़ल शासक था.अपनी आराम-पसं दगी क वृ के
कारण ही वह ‘रं
गीला’ नाम सेभी जाना जाता था.
उसके शासनकाल के दौरान ही मराठ नेबाजीराव के
ने
तृव म ,मु
ग़ल इ तहास म पहली बार, द ली पर धावा बोला.
इसी केशासनकाल म फारस केना दर शाह ने,सादत खान क
सहायता से, द ली पर आ मण कया और करनाल केयु म
मु
ग़ल सेना को परा जत कया.

अहमद शाह(1748-1754 ई.)

इसके शासनकाल के दौरान ना दरशाह के पू व सेनाप त


अहमदशाह अ दाली नेभारत पर पां
च बार आ मण कया .
इसेइसी केवजीर इमाद-उल-मुक ारा शासन सेअपद थ कर
आलमगीर तीय को नया शासक नयु कया गया .

आलमगीर तीय(1754-1759ई.)

वह ‘अजीजुन’ केनाम सेजाना जाता था .


इसी केशासनकाल केदौरान लासी का यु आ .
इसेइसी केवजीर इमाद-उल-मु
क ारा शासन सेअपद थ कर
शाहआलम तीय को नया शासक नयु कया गया

शाहआलम तीय(1759-1806ई.)

‘अली गौहर’ केनाम से स इस मु ग़ल शासक क ब सर


केयु (1764ई .)म हार ई थी .
इसी केशासनकाल केदौरान पानीपत क तीसरा यु आ .
ब सर केयु केबाद इलाहाबाद क सं ध केतहत मु
गल

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ारा बं
गाल , बहार और उड़ीसा केद वानी अ धकार अंे
जो को
देदए ज ह 1772 ई. केबाद महादजी स धया केसहयोग से
पु
नः मुगल ने ा त कया .
वह थम मु ग़ल शासक था जो ई ट इं डया क पनी का
पशनया ता था .

अकबर तीय(1806-1837ई.)

वह अंे
जो केसं
र ण म बननेवाला थम मु
ग़ल बादशाह था.
इसकेशासनकाल म मुग़ल स ा लाल कलेतक समटकर रह
गई .

बहा रशाह तीय( 1837-1862ई.)

वह अकबर तीय और राजपू त राजकु


मारी लालबाई का पु
एवम् मु
ग़ल सा ा य का अंतम शासक था.
इसकेशासनकाल केदौरान 1857 क ांत ई और उसी के
बाद इसेबंद के प म रं गन
ू नवा सत कर दया गया जहाँ
1862 ई.म इसक मृ युहो गई.
वह ‘जफ़र’ उपनाम सेबे
हतरीन उ शायरी लखा करता था.
मु
ग़ल सा ा य केपतन केकारण

मु
ग़ल सा ा य का पतन एकाएक न होकर मक प म आ
था, जसके मु
ख कारण न न ल खत थे-

सा ा य का बृ
हद व तार: इतनेव तृ
त सा ा य पर सहकारी
संघवाद के बना शासन करना आसान नह था. अतः मु ग़ल
सा ा य अपनेआतं रक कारण सेही डू
बनेलगा .
क कृ त शासन:इतनेवृ हद्सा ा य को वक करण और
व भ शासक य इकाइय के आपसी सहयोग केआधार पर
ही शा सत कया जा सकता था.

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औरंगजे ब क नी तयाँ
: उसक धा मक नी त,राजपू
त नी त और
द कन नी त नेअसं तोष को ज म दया जसकेकारण मु ग़ल
सा ा य का वघटन ारं भ हो गया.
उ रा धकार का यु: उ रा धकार को लेकर ल बेसमय तक
चलनेवालेयु नेमु ग़ल क शास नक इकाइय म दरार पै दा
कर द .
उ च वग क कमजोरी: मु ग़ल उ च वग मु
ग़ल के त अपनी
वफ़ादारी केलए जाना जाता था ले कन उ रा धकार केयु
केकारण उनक वफ़ादारी बं ट गयी.

न कष

अतः श शाली मु
ग़ल सा ा य औरंगजे
ब क मृयुकेबाद
पतन क ओर अ सर आ जसम ज द ज द होनेवालेस ा
प रवतन और उ रा धकार के यु नेमह वपू
ण भूमका
नभायी.

1.2 शवाजी
स हवी सद के ारं भक वष म जब पू ना जलेकेभ सले
प रवार ने थानीय नवासी होनेका लाभ उठाते ए
अहमदनगर रा य सेसै नक व राजनी तक लाभ ा त कयेतो
एक नई लड़ाकूजा त का उदय आ जसे‘मराठा’ कहा गया.
उ ह न बड़ी संया म मराठा सरदार और सै नक को अपनी
सेना म भत कया. शवाजी शाह जी भ सलेऔर जीजा बाई
केपु थे . शवाजी का पालन-पोषण पू
ना म उनक माता और
एक यो य ा ण दादाजी क डदे व केदेख-रे
ख म आ था.
दादाजी क डदे
व नेशवाजी को एक अनु भवी यो दा और स म
शासक बनाया. शवाजी गु रामदास केधा मक भाव म भी

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आये
, जसनेउनमेअपनी ज मभू
म के त गौरव भाव जा त
कया.

शवाजी केजीवन क मह वपू


ण घटनाएँ

तोरण क वजय: यह मराठा सरदार के प म शवाजी ारा


क जाया गया पहला कला था, जसनेसोलह वषा क उ म
ही उनम न हत परा म, ढ़ न य और शासक य गु ण का
प रचय देदया.इस जीत नेउ ह रायगढ़ और तापगढ़ जै से
कल पर क ज़ा करनेके लये े रत कया. शवाजी क इन
जीत सेपरे शां
होकर बीजापु र केसु तान नेउनकेपता शाहजी
को कै द म डाल दया. 1659 ई. म,जब शवाजी नेपु नः
बीजापुर पर आ मण करनेका यास कया,तो बीजापु र के
सु तान नेअपनेसे नाप त अफजल खान को शवाजी को
पकड़नेके लयेभे जा लेकन शवाजी भागनेम सफल रहेऔर
अफजल खान क ,अपने‘बाघनख’ या ‘शे र का पं
जा’ कहेजाने
वालेखतरनाक ह थयार से ,ह या कर द . अंततः 1662 ई. म
बीजापुर केसु तान नेशवाजी केसाथ शां त समझौता कर
लया और शवाजी को उनके ारा जीतेगए े का वतं
शासक बना दया.

क डाना कलेक जीत: यह कला नीलकं ठ राव के नयंण म


था जसके लए मराठा शासक शवाजी केसे नाप त तानाजी
मालसु रेऔर जय सह केअधीन कले दार उदयभान राठौर के
बीच यु आ.
शवाजी का रा या भषेक: 1674 ई. म रायगढ़ म शवाजी ने
खुद को मराठा रा य का वतं शासक घो षत कया और
‘छ प त’ क उपा ध धारण क . उनका रा या भषे क मुग़ल
आ धप य को चु नौती दे
नेवालेलोग केउ थान का तीक
था.रा या भषे
क केबाद उ ह नेनव- न मत ‘ ह दवी वरा य’ के
शासक के प म ‘है दव धम ारक’ ( ह आ था का सं र क)

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क उपा ध धारण क . इस रा या भषे क नेशवाजी को भू -


राज व वसू लनेऔर लोग पर कर लगानेका वै धा नक अ धकार
दान कर दया.
गोलकुंडा केकुतु
बशाही शासक केसाथ गठबं धन: इस गठबंधन
केसहयोग सेउ ह नेबीजापु र,कनाटक (1676-79ई.) पर चढाई
क और जजी,वे लोर और कनाटक केकई अ य कल को
जीता.

शवाजी का शासन

शवाजी का शासन द कन के शासन सेकाफ भा वत था.


उसनेआठ मंय को नयु कया ज ह ‘अ धान’ कहा
जाता था. ‘अ धान’ उसे शास नक काय केस ब ध म सलाह
दान करतेथे.

‘पेशवा’ सबसे मु ख मंी था जो व और सामा य शासन


क दे ख-रेख करता था.
‘सेनाप त’(सर-ए-नौबत) सेना क भत ,सं गठन,रसद आपू त क
देख-रेख करता था.
‘मजमु आदर’ आय- य केले ख क जाँ च करता था.
‘वा कया-नवीस’ आसू चना एवंगृ
ह काय क दे ख-रेख करता था.
‘शुर-नवीस’ या ‘ चट नस’ राजा को राजक य प - वहार म
सहयोग दान करता था.
‘दबीर’ राजा को वदे श काय म सहायता दान करता था.
‘ यायाधीश’ और ‘पं डतराव’ याय और धमाथ अनु दान के मु

थे.
उसनेभू म पर भू -राज व केएक-चौथाई क दर सेशु क
लगाया जसे‘चौथ’ या ‘चौथाई’ कहा गया. शवाजी नेवयंको
न के वल एक कु शल रणनी तकार,यो य सेनाप त और चतु र
कू टनी त के प म सा बत कया ब क दे शमुखी क श य
का योग कर एक श शाली रा य क न व रख द .

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न कष
अतः मराठ का उदय सामा जक,आ थक,राजनी तक और
संथागत कारक का स म लत प रणाम था.जहाँतक शवाजी
क बात हैतो वेएक स शासक थे ज ह नेमुग़ल
अ त मण के व जन-आकांा का त न ध व कया.
हालाँक मराठा ाचीन जा त थी ले
कन स रहव सद नेउ ह
वयंको शासक के प म था पत होनेका अवसर दान
कया.

1.3 मराठा शासन


मराठा रा य नेह को उ च पद पर नयु कया और
फारसी क जगह मराठ को राजभाषा का दजा दया.उ ह ने
राजक य योग हे तु‘राज ाकरण कोश’ नाम सेवयंका एक
श दकोश न मत कया. मराठा सा ा य का अ ययन
न न ल खत तीन शीषक केतहत कया जा सकता है -क य
शासन,राज व शासन और सै य शासन.

क य शासन:

इसक थापना शवाजी ारा समथ शास नक णाली हे तुक


गयी थी जो क मुयतः द कन क शास नक शैली से ेरत
था. अ धकतर शास नक सु धार क ेरणा अहमदनगर म
मा लक अ बर ारा कये शास नक सु धार सेमली थी.
राजा सव च पदा धकारी था जसक सहायता ‘अ धान’ नाम
सेजाना जानेवाला आठ मंय का समू ह करता था.

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अ धान

पेशवा या धानमंी-यह सामा य शासन क दे ख-रे


ख करता था.
अमा य या मजू मदार-यह लेखा मुख था जो बाद म राज व एवं
व मंी बन गया.
स चव या शु-नवीस- इसेचट नस भी कहा जाता था और ये
राजक य प ाचार का काय दे खता था.
सुमत
ं या दबीर- यह राजक य समारोह और वदे श मामल का
मु
ख मंी था.
सेनाप त या सर-ए-नौबत- यह से ना मु
ख था जो सै य
भत , श ण एवंअनु शासन क देख-रेख करता था.
मंी या वा कया-नवीस- यह आसू चना,राजा क नजी सुर ा एवं
अ य गृ ह-काय का मु ख था.
यायाधीश- यह याय शासन का मु ख था.
पंडतराव- यह रा य केधमाथ एवंधा मक काय का मु ख था
और जनता केनै तक उ थान केलए काय करता था.
पेशवा,मंी एवंस चव नाम केतीन मंय को अपनेवभागीय
दा य व केअ त र बड़े ा त के भारी का दा य व भी
स पा जाता था.
यायाधीश और पं डतराव को छोड़कर बा क सभी मंय को
अपनेअसै नक दा य व केअ त र सै नक कमान भी सं
भाली
होती थी.
मंी को न न ल खत आठ मु ं
शय / ल पक ारा सहयोग दान
कया जाता था-

द वान- स चव.

मजु
मदार- ले
खा परी क एवं
ले
खाकार.

फडनीस- उप-ले
खा परी क.

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सबनीस या द तरदार- द तर का मु
ख.

चट नस- प ाचार ल पक.

जामदार- कोषा धकारी.

पोतनीस- रोकड़ अ धकारी.

कारखानीस- त न ध.

शवाजी नेअपनेसं पू
ण रा य को चार ा त म वभ कया
और ये क ा त एक राज- त न ध(वायसराय) केअधीन होता
था.उसने ा त (सू
ब ) को पुनः परगन और तालु क म वभ
कया.परगन केअं तगत तरफ और मौजेआतेथे . शासन क
सबसेछोट इकाई ाम होती थी जसका मु खया पा टल(पटे
ल)
होता था.

राज व शासन:

शवाजी नेजम दारी णाली को समा त कर दया और उसक


जगह रै यतवारी णाली लागूक और दे शमु
ख,दे
शपांडे
,पा टल
और कु लकण नाम से स वं शानु
गत राज व कमचा रय क
थ त म प रवतन कया.
शवाजी नेमरासदार , जनकेपास भू म केवं शानु
गत अ धकार
थे,पर कड़ी नगरानी रखी.
राज व णाली मा लक अ बर क काठ णाली पर आधा रत
थी.इस णाली केअनु सार, भू
म के ये क भाग क माप छड़ी
या काठ सेक जाती थी.
चौथ और सरदे शमु
खी उनक आय केअ य ोत थे . चौथ कु ल
राज व का चौथाई भाग था जसेगै र-मराठा े से,मराठा

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आ मण सेबचनेकेएवज म, मराठ ारा वसूला जाता


था.सरदे
शमुखी एक अ त र कर था जो आय का दस तशत
होता था और रा य सेबाहर थत े सेवसू ला जाता था.

सै
य शासन:

शवाजी नेएक अनु शा सत और कु शल सेना तै


यार क .सामा य
सै नक को नकद भु गतान कया जाता था ,ले कन बड़े -बड़े
सरदार और से नाप त को भु गतान जागीर अनुदान(सरं
जाम या
मोकासा) के प म कया जाता था.
सेना म पै
दल से ना (जैसे-मावली सै
नक), घु
ड़सवार (जैसे-बारगीर
एवंसले दार ),साजो-सामान ढोन वालेऔर नौसेना शा मल थी.

सै
य अ धकारी/कमचारी

सर-ए-नौबत(से
नाप त)- से
ना मु

कलादार- कल का अ धकारी

पायक- पै
दल सै
नक

नायक- पै
दल से
ना क एक टु
कड़ी का मु

हवलदार- पां
च नायक का मु

जु
मलादार- पां
च हवलदार का मु
ख.

घु
राव- बंक सेलद नाव

ग लवत- 40-50 खे
वै
य ारा खे
नेवाली नाव

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मराठा रा य ,जहाँ व रत सै य अ भयान मह वपू ण थे


, क
नी तय के नधारण म से ना एक भावी उपकरण थी. के वल
वषा ऋतुम से ना आराम करती थी अ यथा पू
रेसाल अ भयान
म त रहती थी.
पडा रय को से ना केसाथ जानेक अनु म त थी ज ह “पाल-
प ”,जो क यु म लु टेगए माल का 25 तशत थी ,को
वसूलने क अनु म त दान क गयी थी .

न कष:
मराठ क शास नक णाली ब त हद तक द कन रा य के
शास नक वहार से भा वत थी. फर भी मराठ का अपने
समकालीन रा य , वशे
ष प सेबीजापु र और अहमदनगर, के
सं
दभ म शास नक एवंसै य णाली क सेमह वपू

थान था.

1.4 मराठा केअधीन पे


शवा
मराठा एक अ य धक लड़ाकू / हसक जा त थी जसनेद कन
े म श शाली संघ क थापना क | मु ग़ल शासक औरंगजे

क मृ युकेबाद वेराजनी त और स ा केक म आ गए|
थानीय ने
ता शवाजी ने1674 ई. म वतं मराठा रा य क
थापना क | उनक शास नक णाली ह और मुलम
संथा का म ण थी. पे
शवा राज क थापना केबाद मराठ
क शास नक णाली म कई प रवतन कयेगए|

मराठा सं
घ:

मराठा सं
घ केउदय म राजाराम ारा मराठा सरदार को जागीर
दान करनेकेकदम का मह वपूण योगदान था|

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इस सं घ क आधार का नमाण बाजीराव थम केसमय म


आ जब शा नेव भ मराठा सरदार को अलग अलग े
पर चौथ व सरदेशमुखी वसू
लनेकेअ धकार दान कर दए |
मराठा संघ केसवा धक मह वपू
ण मराठा सरदार न न ल खत थे
-1. बरार केभ सले2. बड़ोदरा केगायकवाड़ 3. इं दौर के
होलकर 4. वा लयर केस धया 5. पूना केपे
शवा |

मराठ केअधीन पे
शवा

पे
शवा मराठ के त वफादार मंी थेजनक नयु राजा को
वभ शास नक एवंराज न तक मु पर सलाह देनेके लए
क गयी थी| कु ल सात पेशवा म सवा धक यो य पेशवा
बाजीराव थम था
बालाजी व नाथ (1713-1721 ई.) - वह 1713 ई. म शा जी
ारा पेशवा के प नयु कया था ता क सा ा य को
सं
ग ठत कया जा सके | उसनेलगभग सभी सरदार पर जीत
हा सल कर मराठा सा ा य का व तार कया और पे शवा के
पद को अ य धक मह वपू ण बना दया|

बाजीराव थम (1721-1740 ई.) - वह बालाजी व नाथ का


बड़ा पु था और बीस वष क आयुम ही अपनेपता केबाद
पे
शवा का पद हण कया| वह शवाजी केबाद गु र ला
तकनीक का सबसेबड़ा तपादक था|

बालाजी बाजीराव (1740-1761 ई.) – वह नाना साहब केनाम


सेभी जाना जाता था जो अपनेपता बाजीराव क मृ युके
बाद पेशवा बन था| पानीपट केतृ तीय यु म अपनेपु
( व ास राव) और चचे रेभाई (सदा शव राव) क मृयुकेसदमे
केकारण 1761 ई. म उसक मृ युहो गयी|

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माधव राव थम(1761-1772 ई.) – बालाजी बाजीराव क


मृयुकेबाद उनका स ह वष य पु माधव राव थम पे शवा
बना और पेशवा प रवार केसबसेबड़ेसद य रघु नाथ राव को
अ पवय क पेशवा का सं र क बनाया गया| माधव राव थम
क मृ युकेबाद पे
शवा पद का मह व कम हो गया|

पे
शवा का शासन

पूना म थत पे शवा का स चवालय ‘ जु र द तर’ कहलाता था|


पेशवा काल म सामं त अपनी जागीर पर वतं प सेशासन
करतेथे |
उ ह ने ाम को छोट इकाइय म बाँ ट दया जसका मु ख
‘पा टल’ कहलाता था और कु लकण ामीण द तावे ज केरख-
रखाव म उनक मदद करतेथे |’पोतार’ नकद /रोकड़ का नरी ण
करता था|
बलू टे णाली केतहत कसान को भु गतान माल के प म
करना पड़ता था ले कन यादातर समय उ ह तवष फसल के
बाद कृ ष उ पाद का भुगतान करना पड़ता था|
ाचार क रोकथाम के लए उ ह नेदे शमुख ,देशपां
डेऔर
दरा दार क नयु क |

न कष:
वतं मराठा रा य क थापना का राजनी तक आधार मु गल
सेना केद ण क ओर बढनेकेसाथ ही तै यार हो गया था
खानदेश का पतन ,अहमदनगर का धीरे -धीरेख़ म होतेजाने
और द कन े म मु ग़ल सुबेदारी व था नेमराठ केजीवन
के ये क प को भा वत कया और शवाजी केने तृव म
मराठ को एक रा के प म सं ग ठत होनेके लए े रत
कया| लेकन भा य से, मराठा संघ टश सा ा य केसामने

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टक नह पाया और समा त हो गया|

1.5 शवाजी केउ रा धकारी


मराठा सा ा य या मराठा सं
घ,जो व मान भारत केद ण-
प म भाग म थत है ,ने1674 से1818 ई. तक शासन
कया और अपने े का व तार कया. शवाजी को मराठा
सा ा य का सं थापक माना जाता है
, ज ह नेइसेसं ग ठत प
दान कया.पर तुपे
शवा (सा ा य के धान मंी) केअधीन
इस सा ा य का ते जी से व तार आ. मोरे ,घाटगेऔर
न बालकर सवा धक भावशाली मराठा प रवार थे.

श भाजी(1680-1689 ई.)

वेशवाजी केछोटेपु थेजो अपनेबड़ेभाई राजाराम के


व उ रा धकार केयु म वजय ा त करनेकेबाद
सहासना ढ़ ए.
उसनेराजपू त-मराठा गठबंधन को टालनेके लए और द कन
स तनत सेअपनेपु रानेसंबं
ध क पु न: थापना करनेके
लए,अपनेपता क व तारवाद नी तय को पु नः लागूकया.
1682 ई. म मु ग़ल शासक औरं गजे
ब अपनेव ोही पु शहजादा
अकबर का पीछा करते ए द ण भारत पंचा.श भाजी ारा
शहजादा अकबर को शरण दे नेकेकारण औरं गजे
ब नेउसक
ह या करवा द .

राजाराम(1689-1700 ई.)

श भाजी क मृ युकेबाद शवाजी के सरेपु राजाराम ने


शासन संभाला और मराठ क परं
परा को आगेबढाया.

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उसनेमराठ क व तारवाद नी त को जारी रखा और द कन


केमुग़ल े पर आ मण करने क परंपरा क शुआत क .
अ टूबर 1689 म,जुफकार खान केने तृव म, मु ग़ल से
ना ने
रायगढ़ पर आ मण कर दया और श भाजी केपु रेप रवार,
जसमे उनकेपु शा भी शा मल थे , को बंद बना लया गया.
1700 ई. म सतारा,जो क जजी केपतन केमराठ क
राजधानी बन गयी थी, म शं
भाजी क मृ युहो गयी.

शवाजी तीय और ताराबाई(1700-1707 ई.)

राजाराम क मृ युकेबाद उसक वधवा ताराबाई नेअपनेपु


शवाजी तीय को ग पर बठाया और वयंउसक सं र क
बन गयी.उसनेनाग रक व सैय दोन स दभ म सं कट केसमय
मराठा रा य को थरता दान क .
मुगल नेचतपावन ाहमण बालाजी व नाथ केसहयोग से
ताराबाई को ग सेउतर दया.

शा (1707-1749 ई.)

मुग़ल शासक बहा रशाह नेशा को कै द सेमु कर दया


जसकेकारण ताराबाई और शा केम य मराठा ग को ले कर
संघष ारं भ हो गया.शा ने‘खेड़ा केयु’ (12अ टू बर,1707)
म ताराबाई को परा त कर सतारा पर क ज़ा कर लया.
उसकेशासनकाल म ही पे शवा क श का उदय होना
ारं
भ आ और मराठा रा य केमराठा सं घ म पां तरण क
या शु ई.
उसी केशासनकाल केदौरान मराठा रा य दो भाग -ताराबाई के
नेतृव म को हापु
र और शा केने तृव म सतारा ,म बं
ट गया.
इन दोन त ंद श य केम य श त ुा अंततः 1731 ई. क
‘वना संध’ के ारा समा त ई.

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न कष
अतः हम कह सकतेहैक शवाजी मराठा रा य केसंथापक
थेलेकन उसका अ य धक व तार पे
शवा-काल केदौरान ही
आ.

2. आधु
नक भारत: ेीय रा य का उदय और यू
रोपीय

2.1 पंजाब
2.2 राजपूत
2.3 मैसरू
2.4 अवध
2.5 बंगाल
2.6 है
दराबाद
2.7 जाट
2.8 पुतगाली उप नवे
श क थापना
2.9 डच उप नवे श क थापना
2.10 ां सीसी उप नवे
श क थापना
2.11 अंे ज उप नवेश क थापना

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2.1 पं
जाब
दसव एवंअं तम गु गु गो व द सह स ख को एक लड़ाकू
समूह के प म संग ठत तो कर दया था ले कन औरं गजे
ब के
शासनकाल तक वेकोई भी रा य ा त करनेम सफल न हो
सके। उनक मृ युकेबाद स ख को बं दा बहा र (1708-
1716 ई।) के प म एक एक यो य ने ता ा त आ। उ ह ने
बड़ी संया म स ख को सं ग ठत कया और सर हद पर
क ज़ा कर लया। उसनेएक वतं रा य क थापना का
यास कया और गुनानक व गु गो व द सह केनाम पर
स केचलवाए तथा अपनी मु हर लगे ए आदे श जारी कये ।
उसकेनेतृव म स ख नेमु ग़ल का बहा रीपू वक वरोध कया
और लाहौर सेद ली केबीच केपू रे े पर जमकर लू टपाट
क । मु
गल के व अपनेसं घष केदौरान उसेगुदासपु र के
कलेम बंद लया गया। उसकेबाद बं दा बहा र और उसके
समथक को द ली भे ज दया गया जहाँउनकेसाथ ब त
अमानवीय वहार कया गया। बं दा बहा र केयु वा पु क
ह या कर द गयी और वयंउसेभी अने क तरह सेउ पी ड़त
कया और उसक भी ह या कर द गयी। बं दा बहा र के
समथक उसे‘स चा पादशाह’ (स चा बादशाह) कहतेथे ।

गुनानक और गु गो व द सह केमत / स ां त नेलोग के


दल म गहरी जड़ जमा ली थी। स ख नेवयंको धीरेधीरे
एक सख रा य के प म सं ग ठत कर लया।पं
जाब म
ना दरशाह और अहमदशाह अ दाली केआ मण केबाद उपजी
अ व था और सं दे
ह क थ त नेसख को एक श के
प म उभरनेम मदद क । 1764 ई म सख अमृ तसर म

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इक े ए और पहली बार ‘दे ग,ते


ग और फ़तेह’ नाम सेशु
चां
द के स केढाले ।येपं जाब रा य म सख-स भु ता क
पहली उ ोषणा थी। उ ह नेवयंको बारह मसल (लोकतांक
ढां
चेपर आधा रत सैय भाईचारा) म संग ठत कया और पंजाब
े पर नयंण था पत कर लया।इन मसल के मु ख ने
आपस म े का बं टवारा कर लया था।यहाँतक क
अहमदशाह अ दाली भी इन मसल को न करनेम सफल
नह हो पाया और उसकेभारत सेलौटनेकेदो साल केभीतर
ही सर हद और लाहौर म उसके ारा नयु कयेगए गवनर
को बाहर खदेड़ दया गया। नाभा, प टयाला और कपू रथला
जैसी छोट –छोट जागीर का उदय आ। 18व सद केअं त
म महाराजा रणजीत सह ने मसल को सं यु कर एक
श शाली रा य क थापना क ।

मसल का नाम मसल का सं


थापक
सहपुरया मसल नवाब कपूर सह
अहलुवा लया मसल ज सा सह
रामग ढ़या मसल ज सा सह रामग ढ़या
फुल कयाँमसल फूल सह
क हीवा मसल जय सह
भागी मसल हरी सह
सुकरच कया मसल चरत सह
नशानवा लया मसल सरदार सां
गत सह
करोढ़ स घया मसल भगेल सह
नक मसल हीरा सह
शहीद मसल बाबा द प सह

25
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थम आं
ल- सख यु

अंेज नेदलीप सह केशासनकाल म पं जाब पर आ मण


कया और लाहौर पर क ज़ा कर लया तथा 9 माच 1846 ई
म लाहौर क संध पर ह ता र ए।
यु हजानेका भु गतान न कर पानेकेकारण पंजाब दरबार
कंपनी को थानां
त रत कर दया गया। कं
पनी नेसमझोतेम
मु
ख भू मका नभानेवालेगुलाब सह को क मीर स प
दया।

तीय आं
ल- सख यु

संध क शत और समझौतेकेबावजू द पं
जाब क थत म
कोई सु
धार नह आ था जसने तीय आं ला- सख यु का
आधार तैयार कर दया।
यु केप ात् ,लाड डलहौजी ारा पं
जाब को कंपनी म मला
लया गया और लॉरस को पं जाब का थम क म र बनाया
गया।

न कष:
18 व सद म मुग़ल सा ा य केवघटन और पतन का पू
व म
अधीन कयेगए राजा और उन ेीय नेता ारा वागत
कया गया जो अपना खुद का एक रा य न मत करना चाहते
थे
।पं
जाब एक ऐसा ही े था जसका मु ग़ल सा ा य के
कमजोर पड़नेकेबाद उदय आ।

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2.2 राजपू

औरं गजे ब क धा मक और शास नक नी तय सेअसं तु होकर
मेवाड (उदयपु र) ,मारवाड (जोधपु
र) और आमे र (जयपु
र) जैसे
मुख राजपू त रा य मु ग़ल सा ा य सेअलग हो गए।जोधपु र
और जयपु र केशासक को गु जरात और मालवा का मु ग़ल
गवनर नयु कया गया था। एक समय तो ऐसा लगा क
राजपू त मुगल सा ा य म अपनी थ त और भाव को फर से
ा त कर रह है और जाट एवंमराठ केव मु
ग़ल सा ा य
के मु ख सहयोगी के प म उभर रहेहै । जोधपु
र और जयपुर
केराजा नेउ रवत मु गल केकाल म मु ग़ल सा ा य के
काफ बड़ेह सेको अपने भाव म लेलया।औरं गजे
ब क
मृ युकेबाद जोधपु र और जयपु र केराजा द ली क राजनी त
म मु ख भू मका नभाने लगे

इस समय केसबसे मु ख राजपूत राजा आमे र केसवाई राजा


जय सह थेज ह पहलेसू रत और बाद म आगरा का गवनर
नयु कया गया था। उ ह नेजयपु र जैसेसु दर शहर क
थापना क और द ली, जयपु र ,वाराणसी ,उ जैन और मथुरा
म न वे
धशाला तर-मं
(जं तर) का नमाण कराया। आगरा से
लेकर सूरत तक के े का उनकेहाथ म होनेसेउ ह अपने
रा य को मजबू त और समृ बनानेम मदद मली।जाट ,मराठ
और अ य ेीय रा य केउदय होनेसेअपनेरा य केबाहर
उनक जागीर कम होनेलगी और उनका भाव भी धीरे -धीरे
कम होने लगा।

हालाँ
क, राजपू
त क राजनी तक श का ास हो गया था
लेकन एक राज थानी समू
ह का दे
श क अथ व था म भाव

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बढ़ गया था। येवे ापारी थेजो उस समय गु जरात


, द ली,आगरा केमह वपू
ण के केबीच होनेवाले ापार म
शा मल थे ।सा ा य के पतन के साथ ही इन के का
वसा यक मह व भी कम होनेलगा। अतः ये ापारी नए
के क और बढ़ेऔर बं गाल, अवध एवंद कन म ापार
और वा ण य को नयंत करने लगे

न कष
राजपू
त नेस ाट औरं
गजेब क नी तय सेअसं तु होकर वयं
को वतं घो षत कर दया। मु
ग़ल सा ा य केटूटनेसेसं
पू

भारत क राजनी तक प र थ तयाँबदल गय ।इन बदलती
प र थ तय केकारण पूरेभारत केराजनी तक,आ थक और
सैय गठबंधन म आमू
ल-चू
ल बदलाव आ गया।

2.3 मै
सू

वजयनगर सा ा य केपतन केबाद, 1565 ई। म ह
वो डयार वं
श ारा मै सू
र रा य को वतं रा य घो षत कर
दया गया। वो डयार वं
श केअं तम शासक च का कृणराज
तीय केशासनकाल म वा त वक स ा दे वराज (दलवाई या
सेनाप त) और नं जराज (सवा धकारी या व एवंराज व
नयंक) केहाथ म आ गयी थी।ये े पे शवा और नज़ाम के
बीच ववाद का वषय बन गया था। नं जराज तीय कनाटक
यु म अंे ज केसाथ मल गया और चु राप ली(त मलनाडु
)
पर क ज़ा कर लया।

1761 ई. म है
दर अली , जसनेअपनेजीवन क शुआत एक

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सै नक के प म क थी,ने मै
सूर केराजवं श को हटाकर रा य
पर अपना क ज़ा कायम कर लया। है दर अली(1760-1782) ने
मैसूर रा य क स ा पर क ज़ा कर लया ,जो दो वो डयार
भाइय –दे वराज और नं जराज ारा शा सत था। उसेअपने
रा य क वतंता को कायम रखनेकेलए नज़ाम और मराठ
सेभी लड़ना पड़ा।उसने नज़ाम और ां
सी सय केसाथ
मलकर 1767-1769 केम य ए थम आं ल –मैसूर यु मे
अंे ज को करारी शक त द और अ ै ल 1769 म उ ह म ास
क सं ध के प म अपनी शत माननेपर मजबू र कर दया।
1780-1784 ई केम य ए तीय आं ल-मैसूर यु म भी
उसनेनज़ाम और मराठ केसाथ मलकर 1782 ई म अंे ज
को हराया ले कन यु म घायल हो जाने केकारण 1782 ई म
उसक मृ युहो गयी। उसकेबाद उसकेपु ट पूसु तान
(1782-1799 ई) नेकमान सं भाली , जसनेवीरतापूवक अंे ज
सेयु लड़कर अपनेरा य क र ा क । ट पूसु तान पहला
शासक था जसनेप मी प तय को अपने शासन म लागू
करनेका यास कया। उसनेसै य श ण म आधु नक
तकनीक का योग कया और आधु नक ह थयार केउ पादन
के लए एक कारखाना भी था पत कया ।उसनेअंे ज और
नजाम व मराठ क सं यु से ना के व तृ
तीय आं ल-मै
सूर
यु लड़ा अं तत; उसे ीरं
गप नम क सं ध करनी पड़ी और
सं ध क शत केतहत ट पूको अपना आधा रा य अंे ज और
उनकेसहयो गय को दे ना पड़ा। चतुथ आं ल-मैसूर यु (1799)
केदौरान लड़ते ए उसक मृ युहो गयी।

ट पूसु
तान सेजु
डी मह वपू
ण जानका रयाँ

1. वह गंे
री केजगतगु शंकराचाय का महान शंसक था
और उसनेमराठ ारा न क गयी दे वी शारदा क मूत के
नमाण केलए उ ह धन दान कया।

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2. उसक आ मकथा का नाम तारीख-ए-खु


दाई था।

3. उसनेफ़ता ल मु जा हद न नाम सेएक सै


य पु
तक भी
लखी जसमेराके ट साइं
स और राके ट गे
ड सेस बं
धत
जानकारी द गयी है

4. उसनेअपनेपता है दर अली ारा ारं


भ क गयी लाल
बाग प रयोजना (बगलोर) को पू
रा कया और कावे
री नद पर
कृणराज सागर बांध का नमाण कराया।

2.4 अवध
अवध उ र भारत का ऐ तहा सक े था , जसमेव मान
उ र दे श का उ र पूव भाग शा मल था। ाचीन कोसल
देश केनाम क राजधानी अयो या केनाम पर इसका नाम
अवध पड़ा था। सोलहव सद म यह मु ग़ल सा ा य का ह सा
बन गया और 1856 ई. म इसे टश सा ा य म मला लया
गया। 1722 ई. म ,मु
ग़ल बादशाह मुहमदशाह ारा फारस के
शया सादत खां को अवध का सू बे
दार बनायेजानेकेबाद
अवध सू बे को वतं रा य घो षत कर दया गया। सादत खां
नेसैयद बंधु को हटानेम सहयोग दया। बादशाह नेसादत
खांको ना दरशाह केसाथ वाता के लए नयु कया ता क
वह एक बड़ी रकम केभु गतान केएवज म अपनेदे श लौट
जायेऔर शहर को तबाह करनेसेउसेरोका जा सके । ले
कन
जब ना दरशाह को उस रकम का भु गतान नह कया गया तो
उसका प रणाम द ली क जनता को नरसं हार के प म
भुगतना पड़ा। सादत खांनेभी शम और अपमान केकारण
आ मह या कर ली ।

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सादत खांकेबाद अवध का अगला नवाब सफदरजं ग बना


जसेमु ग़ल सा ा य का वजीर भी नयु कया गया था।
उसका पु शु जाउ ौला उसका उ रा धकारी बना। अवध नेएक
श शाली से ना का गठन कया जसमेमुलम केसाथ साथ
ह ,नागा,स यासी भी शा मल थे ।अवध के शासक का
ा धकार द ली केपू व म थत हे लखंड े तक था। उ र
–प मी सीमा त क पवत खंला से बड़ी संया म
अफ़ग़ान , ज ह रो ह ला कहा जाता था ,वहाँआकर बस गए
थे।अवध केनवाब का ववरण न न ल खत है -

सादत खां बु
रहान-उल-मु
क (1722-1739 ई।): इ होने
1722 ई.
म अवध क वाय रा य के प म थापना क उसेमु ग़ल
बादशाह मुह मदशाह ारा गवनर नयु कया गया था ।उसने
ना दरशाह केआ मण केसमय सा ा य क ग त व धय म
मह वपूण भू मका नभाई थी। अं
ततः इ ज़त और स मान क
खा तर आ मह या कर ली।

सफ़दर जं ग अ ल मंसू
र (1739-1754 ई।): वह सादत खां
का
दामाद था जसने1748 ई. म अहमदशाह अ दाली के व
मानपुर केयु म भाग लया था।

शु
जाउ ौला (1754-1775 ई।): वह सफदरजंग का पु और
अहमदशाह अ दाली का सहयोगी था। उसनेअंे
ज केसहयोग
सेरो ह ल को हराकर 1755 ई. म हे
लखंड को अपने
सा ा य म मला लया था।

आसफ-उद-दौला: वह लखनऊ क सं कृ
त को ो सा हत करने
और इमामबाड़ा तथा मी दरवाजा जै
सी ऐ तहा सक इमारत
बनवानेके लए स है । उसने1755 ई. म अंे ज केसाथ
फ़ै
जाबाद क सं ध क।

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वा जद अली शाह: वह अवध का अं तम नवाब था जसे


अ तर या और जान-ए-आलम नाम सेजाना जाता है। उसके
समय म ही टश गवे
नर जनरल लाड डलहौजी ारा अवध
को कुशासन केआधार पर टश सा ा य म मला लया गया
था। वह शा ीय संगीत और नृ य का शौक़ न था जसने
कालका- बदा जै
सेकलाकार भाइय को अपनेदरबार म शरण
द थी।

न कष
अवध अपनी उपजाऊ भू म केकारण केहमेशा सेआकषण
का क रहा है। अंे ज नेभी अपनेवाथ के लए इसक
उपजाऊ भूम का दोहन कया। इसी लए अंे
ज ने1856 ई.
म इसेअपनेसा ा य म मला लया।

2.5 बं
गाल
औरंगजेब ारा मुशद कु ली खांको बं गाल का द वान नयु
कया गया था। गवनर मु शद कुली खां(1717-1727 ई.) ने
बं
गाल क राजधानी ढाका सेमु शदाबाद थानां
त रत कर द ।
उसनेअंे ज ई ट इंडया कंपनी ारा राज व वसूली को रोककर
अपनेरा य केहत क र ा का यास कया। उसका दामाद
शुजाउ न खांउसका उ रा धकारी बना जसनेबहार केसू बे
को बंगाल रा य म मला लया। मु शद कु ली खांऔर उसके
उ रा धकारी नवाब ारा बंगाल, बहार और उड़ीसा का
शासन वतं शासक क तरह कया गया फर भी उ ह ने
मु
ग़ल शासक को राज व भे जना जारी रखा।

बं
गाल केनवाब का ववरण न न ल खत है
-

32
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मुशद कुली खां को औरंगजेब ारा बंगाल का द वान नयु


कया गया था। उसनेअंे ज ई ट इंडया कंपनी ारा राज व
वसूली को रोककर अपनेरा य के हत क र ा का यास
कया।
शुजाउ न खां जो मु शद कुली खांका दामाद था ,उसका
उ रा धकारी बना और उसनेबहार केसू बे को बंगाल रा य
म मला लया।
सरफराज खां,जो शु जा का पु था , नेआलम-उद-दौला हैदर
जंग क उपा ध धारण क ।

अली बद खां नेमु ग़ल शासक को दो करोड़ पयेका


भुगतान कर फरमान ा त कया और अपने शासन को वैधा नक
आधार दान कया। उसनेअपनी सबसेछोट पुी केपु
सराज-उद-दौला को अपना उ रा धकारी घो षत कया ।
सराज-उद-दौला नेकलक ा म अंे ज को अपनी फै य क
कले बं
द करनेसेरोका ले कन अंेज ारा उसकेआदे श को
न माननेकेप रणाम व प अंे ज और सराज-उद-दौला के
म य लासी का यु लड़ा गया।
मीर का सम नेबदवान, मदनापु र और चटगां व क जम दारी
अंे ज को स प द । उसनेअपनी थ त को मजबू त करनेके
लए अने क राज व और सै य सु
धार को लागूकया ।
मीर जाफर नेबं गाल, बहार और उड़ीसा म मु ापार करने
का अ धकार और चौबीस परगना क ज़म दारी टश को
दान कर द । मीर का सम सेयु ारं भ होनेकेबाद 1763
ई.म उसे टश ारा बारा ग पर बठाया गया।
न म-उद-दौला मीर जाफर का पु था और ै ध शासनकाल के
दौरान अंेज केहाथ क कठपु तली मा था।

33
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न कष
औरंगजे
ब क मृयुकेबाद मु
ग़ल सा ा य केपतन केसाथ ही
बं
गाल मुशद कु
ली खांकेने
तृ व सेवतं हो गया। मु शद
कु
ली खांनेअपनी यो य बंधन मता के ारा बं गाल को
समृता केशखर तक प चँाया।

2.6 है
दराबाद
है
दराबाद केइ तहास का नमाण अने क रा य व शासक जै से-
चालुय वं श ,काकतीय वंश , द ली स तनत,बहमनी स तनत,
वजयनगर सा ा य , नज़ाम और अंे ज के ारा आ है ।इसी
कारण उसका इ तहास अ य धक व वधतापू ण है। मु
ग़ल बादशाह
ारा चन क लच खांको नज़ाम-उल-मु क क उपा ध दान क
गयी और द कन का गवनर बना दया गया । 1722 ई.म उसे
मुग़ल सा ा य का वजीर नयु कया गया ले कन उसकेतु रं

बाद वह द कन लौट गया और उस े पर अपनी पकड़ को
मजबू त कया । उसके उ रा धकारी है दराबाद के नज़ाम
कहलाये । है
दराबाद के नजाम ारा लगभग दो सद तक
है
दराबाद पर शासन कया गया और है दराबाद का सांकृतक
एवंआ थक से वकास कया ।

है
दराबाद केशासक का ववरण न न ल खत है

नज़ाम-उल-मु
क: वह हैदराबाद रा य का संथापक था जसने
1738 ई.म पेशवा केसाथ भोपाल क सं ध क और 1739
ई.म करनाल केयु म म य थ क भू मका नभाई।

ना सर जं
ग: इसक ह या पठान ह मत खां ारा ज जी के

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नकट कर द गयी थी।

मु
ज़ फर जं
ग :वह ासी सय क मदद सेसहासन पर बै
ठा
ले
कन ज द ही उसक घटनावश मृ
युहो गयी।

सलाबत जंग : यह भी ांसी सयो क मदद सेशासक बना।


है
दराबाद के नज़ाम कला,सं कृत और सा ह य केब त बड़े
अनुयायी थे
। उ ह नेहै
दराबाद म सलारजं
ग संहालय और
चौमहला महल का नमाण कराया।

न कष
है
दराबाद रा य का इ तहास राजवं
श केउदय और पतन से
भरा आ है लेकन उसकेवा त वक सं
थापक नजाम-उल-मु

थेज ह नेन के वल रा य क सीमा का नधारण कया
ब क उसेसां कृतक और आ थक प सेसमृ भी बनाया।

2.7 जाट
मुग़ल शासक औरंगजेब के व व ोह करनेकेबाद 17 व
सद म श शाली भरतपु र रा य क थापना केसाथ जाट
रा य अ त व म आया। व ोही मुयतः ह रयाणा,पंजाब और
गंगा दोआब केप मी भाग के ामीण इलाक म के त थे
और पू व े म अनेक छोटेछोटेरा य मलतेथे । ये ाचीन व
म यकालीन कृषक केसाथ साथ महान यो ा भी थेज ह ह
और मुलम शासक ारा सै नक के प भत कया गया था।

35
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आगरा े के कु छ मह वाकांी जाट ज़म दार का


मु
ग़ल,राजपू
त और अफगान केसाथ सं घष भी आ यो क वे
जाट जम दार एक वतं रा य क थापना करना चाहतेथे

सू
रजमल एकमा जाट नेता था, जसनेबखरे ए जाट को
एक श शाली रा य के प म संग ठत कया।

कु
छ मु
ख जाट ने
ता का ववरण न न ल खत है
-

गोकला: वह तलपत का जम दार था जसने1669 ई.म जाट


व ोह का ने
तृव कया था।लेकन मु
ग़ल गवनर हसन अली ारा
व ोह को दबा दया गया और गोकला क मृयुहो गयी।

राजाराम: वह ससना का जम दार था जसने1685 ई.म जाट


व ोह का नेतृ
व कया।अमर केरजा बशन सह कछवाहा ारा
इस व ोह को दबा दया गया।

चु
डामन: वह राजाराम का भतीजा था जसने1704 ई.म मुगल
को हराकर ससनी पर क ज़ा कर लया। इसनेभरतपु र रा य
क थापना क और बहा र शाह नेइसेमनसब दान कया
था। इसनेबं
दा बहा र के व मु
ग़ल अ भयान म मु
गल का
साथ दया था।

बदन सह: वह चु डामन का भतीजा था जसेअहमद शाह


अ दाली नेराजा क उपा ध दान क थी। उसेजाट रा य
भरतपुर का वा त वक संथापक माना जाता है

सू
रजमल: वह बदन सह ारा गोद लया गया पु था ।उसेजाट
श का लेटो और जाट अफलातू न भी कहा जाता है
य क उसनेजाट रा य को चरमो कष पर प चँाया था। उसने
द ली,आगरा और मेवाड के े म जाट अ भयान का ने तृ

कया और पानीपत क तीसरी लड़ाई म मराठ क सहायता

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करनेके लए भी सहमत आ। पठान ारा द ली केपास


उसक ह या कर द गयी।

न कष
17 व सद म मु गल के वघटन केकारण जाट के प म
एक नयी लड़ाकूजा त का उदय आ, ज ह नेवयंको म य
ए शया सेभारत म वे श करनेवालेइं डो-सी थयन का वंशज
घो षत कया। हालाँक उ ह नेरा य का गठन तो कया ले कन
उनक आतं रक सं रचना जनजातीय संघ जै
सी ही बनी रही।

2.8 पु
तगाली उप नवे
श क थापना
पु
तगाली पहलेयूरोपीय थेज ह नेभारत तक सीधेसमु माग
क खोज क । 20 मई 1498 को पु तगाली ना वक वा को-डी-
गामा कालीकट प च ंा, जो द ण-प म भारत म थत एक
मह वपूण समु बं दरगाह है। थानीय राजा जमो रन नेउसका
वागत कया और कु छ वशे षा धकार दान कये । भारत म
तीन महीनेरहनेकेबाद वा को-डी-गामा सामान सेलदेएक
जहाज केसाथ वापस लौट गया और उस सामान को उसने
यू
रोपीय बाज़ार म अपनी या ा क कु ल लागत केसाठ गु ने
दाम म बे
चा।

1501 ई.म वा को-डी-गामा सरी बार फर भारत आया और


उसनेक ानौर म एक ापा रक फै था पत क । ापा रक
सं
बं
ध क थापना हो जानेकेबाद भारत म कालीकट,

37
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क ानौर और कोचीन मु ख पुतगाली के के प म उभरे ।


अरब ापारी, पु
तगा लयो क सफलता और ग त सेजलने
लगेऔर इसी जलन नेथानीय राजा जमो रन और पु तगा लयो
केबीच श त ुा को ज म दया। यह श त ुा इतनी बढ़ गयी क
उन दोन केबीच सै य संघष क थ त पै
दा हो गयी। राजा
जमो रन को पु तगा लय नेहरा दया और इसी जीत केसाथ
पु
तगा लय क सै नक सव चता था पत हो गयी।

भारत म पु
तगाली श का उदय

1505 ई म ां
स को देअ मीडा को भारत का पहला
पु
तगाली गवनर बनाया गया। उसक नी तय को लूवाटर
पा लसी कहा जाता था यो क उनका मुय उ े य हद
महासागर को नयंत करना था। 1509 ई म ां स को दे
अ मीडा क जगह अ बु कक भारत म पु तगाली गवनर बनकर
आया जसने1510 ई.म बीजापु र केसु तान सेगोवा को अपने
क जेम लेलया। उसेभारत म पु तगाली श का वा त वक
सं थापक माना जाता है । बाद म गोवा भारत म पु तगाली
ब तय का मुयालय बन गया। तट य े पर पकड़ और
नौसेना क सव चता नेभारत म पु तगा लय के था पत होनेम
काफ मदद क ।16 व सद केअं त तक पु तगा लय नेन
केवल गोवा,दमन,द व और सालसे ट पर क ज़ा कर लया ब क
भारतीय तट केसहारेव तृ त ब त बड़े े को भी अपने
भाव म लेलया।

पु
तगाली श का पतन

भारत म पुतगाली श अ धक समय तक टक नह सक


यो क नए यू
रोपीय ापा रक त ं दय नेउनकेसामनेचु
नौती
पे
श कर द । व भ ापा रक त ं दय केम य ए संघष म
पु
तगा लय को अपनेसेश शाली और ापा रक से

38
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अ धक स म त ं
द केसम समपण करना पड़ा और धीरे
धीरेवेसी मत े तक समट कर रह गए।

पु
तगाली श केपतन केमुय कारण

भारत म पुतगाली श के पतन के मु


ख कारण म
न न ल खत शा मल है
-

पुतगाल एक देश के प म इतना छोटा था क वह अपनेदे श


से र थत ापा रक कॉलोनी केभार को वहन नही कर
सकता था।
उनक समु डाकु के प म स नेथानीय शासक के
मन म उनकेव श त
ुा का भाव पैदा कर दया।
पुतगा लयो क कठोर धा मक नी त नेउ ह भारत के ह और
मुसलमान दोन सेर कर दया।
इसकेअ त र डच और टशो केभारत म आगमन नेभी
पुतगा लयो केपतन म योगदान दया।
वडंबना यह हैक पु तगाली श , जो भारत म सबसेपहले
आनेवाली यू रोपीय श थी ,वही 1961 ई.म भारत सेलौटने
वाली अं तम यूरोपीय श भी थी, जब भारत सरकार ने
गोवा ,दमन और द व को उनसेपु नः अपने क जेम लेलया।

भारत को पु
तगा लयो क दे

उ ह नेभारत म तं
बाकूक कृ ष आरं
भ क।
उ ह नेभारत केप मी और पू व तट पर कैथो लक धम का
सार कया।
उ ह ने1556 ई.म गोवा म भारत क पहली टग ेस क
थापना क । द इं डयन मेडसनल लांट्
स पहला वैा नक
काय था जसका काशन 1563 ई.म गोवा सेकया गया ।
सव थम उ ह ने ही काटज णाली केमा यम सेयह बताया क

39
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कैसेसमु और समु ापार पर सव चता था पत क जाए।


इस णाली केतहत कोई भी जहाज अगर पु तगाली े से
गु
जरता हैतो उसेपुतगा लय सेपर मट ले
ना पडेगा अ यथा
उ ह पकड़ा जा सकता है

वेभारत और ए शया म ईसाई धम का चार करनेवाले थम
यू
रोपीय थे

2.9 डच उप नवे
श क थापना
हॉलड (व मान नीदरलड) के नवासी डच कहलातेहै ।
पु
तगा लयो के बाद डच नेभारत म अपनेकदम रखे ।
ऐ तहा सक सेडच समु ापार म नपु ण थे
। 1602 ईम
नीदरलड क यू नाइटे
ड ई ट इं
डया कं
पनी क थापना क गयी
और डच सरकार ारा उसेभारत स हत ई ट इं डया केसाथ
ापार करने
क अनु म त दान क गयी।

डच का उ थान

1605 ई म डच नेआं दे श केमु सलीप नम म अपनी


पहली फै था पत क । बाद म उ ह नेभारत केअ य भाग
म भी अपने ापा रक क था पत कये । डच सूरत और डच
बं
गाल क थापना मशः 1616 और 1627 म क गयी थी।
डच ने1656 ई म पु तगा लय सेसीलोन जीत लया और
1671 ई म पु तगा लय केमालाबार तट पर थत कल पर
भी क ज़ा कर लया। पु तगा लय सेनागाप नम जीतनेकेबाद
डच काफ स म गए और द ण भारत म अपनेपै र जमा
लए। उ ह नेकाली मच और मसाल के ापार पर एका धकार
था पत कर आ थक सेअ य धक लाभ कमाया। कपास,

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अफ म, नील, रे
शम और चावल वे मुख भारतीय व तु
एंहै
जनका ापार डच ारा कया जाता था।

डच स के

डच नेभारत म रहनेकेदौरान स क क ढलाई पर भी हाथ


आजमाए। जै सेजैसेउनके ापार म वृ होती गयी उ ह ने
कोचीन, मू
सलीप नम, नागाप नम , प डचे
री और पुलीकट म
टकसाल क थापना क । पु लीकट थत टकसाल सेभगवान
वकटेर (भगवान व णु) के च वालेसोनेकेपैगोडा स के
जारी कयेगए। डच ारा जारी कयेगए सभी स के थानीय
स का ढलाई केनमू
न पर आधा रत थे।

डच श का पतन

भारतीय उप-महा प पर डच क उप थ त 1605 ई सेले कर


1825 ई तक रही थी। पू
व केसाथ ापार म टश श के
उदय नेडच के ापा रक हत के त एक चु नौती तुत क
जसकेप रणाम व प दोन केम य खूनी सं
घष ए। इन संघष
म प प से टश क वजय ई यो क उनकेपास
अ धक सं साधन थे
। अ बोयना म डच ारा कुछ टश
ापा रय क नृ शं
स ह या नेप र थ तय को और बगाड़
दया। टश ारा एक केबाद एक लगभग सभी डच े
को अपने क जेम लेलया गया।

मालाबार े म डच श क घोर पराजय

डच-अंेज सं
घष केम य ावणकोर केराजा मातड वमा ारा
1741 ई म कोलाचे ल केयु म डच ई ट इं
डया कं
पनी को
परा जत करनेकेसाथ ही मालाबार े म डच श का
पू
णतः पतन हो गया।

41
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टश केसाथ सं
धयाँऔर सं
घष

हालाँ
क 1814 ई क एं लो-डच सं ध केतहत डच कोरोमं डल
और डच बं गाल पुनः डच शासन केअधीन आ गए थेले कन
1824 ई म ह ता रत एं लो-डच संध के ावधान केतहत
फर से टश शासन केअधीन आ गए यो क इस सं ध के
तहत डच के लये1 माच 1825 ई तक सारी सं प और
े को ह तांत रत करना बा यकारी बना दया गया। 1825 ई
केम य तक डच भारत म अपनेसभी ापा रक े से
वंचत हो चु केथे। एक समझौतेकेतहत टश नेआपसी
अदला-बदली केतरीकेकेआधार पर खु द को इं डोनेशया के
साथ ापार सेअलग कर लया और बदलेम डच नेभारत
केसाथ अपना ापार बं द कर दया।

भारत म डे
नश औप नवे
शक े

डे
नमाक सेस बं धत कसी भी या व तुको डे
नश कहा
जाता है
। डे
नमाक ारा लगभग 225 वष तक भारत म अपने
उप नवे
श बनायेरखेगए। भारत म था पत डे नश ब तय मे

ंोबार (त मलनाडु रामपु
) ,से र (प म बं गाल) और नकोबार
प शा मल थे

डे
नश ापा रक एका धकार क थापना

एक डच साहसी मस लस देबोशौवे
र नेभारतीय उप-महा प म
डेनश ह त पे के लए ेरणा दान क । वह सहयोगी दल से
सभी तरह के ापार पर एका धकार के वादेके साथ
पु
तगा लय केव सै
य सहयोग चाहता था। उसक अपील ने
डे
नमाक-नॉव केराजा चयन चतुथ को भा वत कया
जसनेबाद म 1616 ई म एक चाटर जारी कया जसकेतहत

42
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डेनश ई ट इंडया कंपनी को डेनमाक और ए शया केम य


होनेवाले ापार पर बारह वष के लए एका धकार दान कर
दया गया।

डे
नश चाटड कं
प नयां

दो डे नश चाटड कंप नयांथी। थम कं पनी डेनश ई ट इंडया


कंपनी थी , जसका कायकाल 1616 ई सेले कर 1650 ई
तक था। डे नश ई ट इं डया कंपनी और वी डश ई ट इं डया
कंपनी मलकर टश ई ट इं डया कंपनी से यादा चाय का
आयात करती थ और उसमेसेअ धकां श को अ य धक लाभ
पर अवै ध तरीकेसे टे न म बेचता था। इस कंपनी का 1650
ई म वलय कर दया गया। सरी कं पनी 1670 ई सेले कर
1729 ई तक स य रही । 1730 ई म ए शया टक कं पनी के
प म इसक पु नः थापना क गयी। 1732 ई म इसेशाही
लाइसस दान कर अगलेचालीस वष के लए आशा अं तरीप
केपू व सेहोनेवालेडे नश ापार पर एका धकार दान कर
दया गया। 1750 ई तक भारत से27 जहाज भे जेगए जनमे
से22 जहाज सफलतापू वक या ा पूरी कर कोपेनहे
गे
न प चे।
लेकन 1722 ई म कं पनी ने अपना एका धकार खो दया।

से
रामपु
र मशन े

यहाँयह उ ले ख करना ज री हैक सेरामपु


र मशन े स क
थापना ,जो क एक ऐ तहा सक एवंयुगां
तरकारी कदम था,
से
रामपु
र म डे नश मशनरी ारा 1799 ई म क गयी थी।
1801 ई सेले कर 1832 ई तक से
रामपुर मशन े स ने40
व भ भाषा म कताब क 212,000 तयाँछाप ।

43
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भारत म डे
नश ब तय क समा त

ने
पो लयन यु (1803-1815 ई।) केदौरान टश नेडे नश
जहाज पर हमला कर डे नश ई ट इं
डया कं
पनी केभारत के
साथ होनेवाले ापर को न कर दया और अं ततः डेनश
ब तय पर क ज़ा कर उ ह टश भारत का ह सा बना
लया। अंतम डच ब ती से रामपु
र को 1845 ई म डे नमाक
ारा टे
न को ह तां
त रत कर दया गया।

2.10 ां
सीसी उप नवे
श क थापना
भारत आनेवालेअं तम यू
रोपीय ापारी ां
सीसी थे
। ां सीसी
ई ट इंडया कंपनी क थापना 1664 ई म लु ई सोलहव के
शासनकाल म भारत केसाथ ापार करनेकेउ े य सेक
गयी थी। ां
सी सय ने1668 ई म सू रत म पहली फै
था पत क और 1669 ई म मसु लप नम म एक और फै
था पत क ।1673 ई म बं
गाल केमु ग़ल सूबे
दार ने ां
सी सय
को च नगर म ब ती बनाने क अनु म त दान कर द ।

प डचे री और ां
सीसी वा ण यक वृ : 1674 ई म
ां
सी सय नेबीजापुर केसु तान सेप डचे री नाम का गाँव
ा त कया और एक स प शहर क थापना क जो बाद म
भारत म ां सी सय का मु ख क बनकर उभरा। धीरेधीरे
ां
सीसी ई ट इंडया कंपनी नेमाहे ,कराइकल, बालासोर और
का सम बाज़ार म अपनी ापा रक ब तयां था पत कर ल ।
ां
सी सय का भारत आनेका मु ख उ े य ापर एवं
वा ण य था। भारत आनेसेले कर 1741 ई तक ां सी सय

44
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का मु ख उ े य , टश केसमान,पूणतः वा ण यक ही था।
ां
सीसी ई ट इंडया कं
पनी ने1723 ई म यनम, 1725 ई म
मालाबार तट पर माहेऔर 1739 ई म कराइकल पर क ज़ा
कर लया।

ां
सी सय केराजनी तक उ े य और मह वाकांा: समय के
गुजरनेकेसाथ साथ ां सी सय का उ े य म भी प रवतन
होनेलगा और भारत को अपनेएक उप नवे श के प म मानने
लगे । 1741 ई म जोसफ कोइस डू लेको ां सीसी ई ट
इं डया कं पनी का गवनर बनाया जाना इस (उप नवे श)
वा त वकता और उ े य क तरफ उठाया गया पहला कदम था।
उसकेकाल म कं पनी केराजनी तक उ े य प प सेसामने
आनेलगेऔर कह कह तो उ ह कं पनी केवा ण यक उ े य
से यादा मह व दया जानेलगा। डू लेअ य धक बु मान था
जसनेथानीय राजा क आपसी मनी का फायदा उठाया
और इसेभारत म ासीसी सा ा य क थापना हे तुभगवान
ारा दए गए मौकेके प म वीकार कया। उसनेअपनी
चतु रता और कूटनी त केबल पर भारतीय राजनी तक प र य
म स मा नत थान ा त कया। ले कन टश नेडू लेऔर
ां
सी सय केसम चु
नौती तु
त क जो बाद म दोन
श य केबीच सं घष का कारण बना। डू लेक से ना ने
मा वस द बु सी केने तृव म है
दराबाद और के प कोमो रन के
म य के े पर क ज़ा कर लया। 1744 ई म टश अफसर
रोबट लाइव भारत आया जसनेडू लेको परा जत कया। इस
पराजय केबाद 1754 ई म डू लेको वापस ां स बु
ला लया
गया।

कुछ े पर ां सीसी तब ध: लाली, जसे ां


सीसी सरकार
ारा भारत से टश को बाहर करनेलए भेजा गया था, को
ारं
भ म कु छ सफलता ज र मली ,जैसे1758 ईम कुलौर
जलेके फोट सट डे वड पर वजय ा त करना। ले कन

45
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टश और ां सी सय केम य ई बां द वाश क लड़ाई म


है
दराबाद े को खो दे नेकेकारण ां सी सय क कमर टू ट
गयी और इसी का फायदा उठाकर 1760 ई म टश ने
प डचेरी क घेराबं
द कर द । 1761 ई म टश नेप डचेरी
को न कर दया और अं ततः ां
सीसी द ण भारत पर पकड़
खो बैठे। बाद म 1763 ई म टश केसाथ ई शा त-सं ध
क शत केअधीन 1765 ई म प डचे री को ांसी सय को
लौटा दया । 1962 ई म भारत और ां स केम य ई एक
संध केतहत भारत म थत ां सीसी े को वै धा नक प
सेपुनः भारत म मला लया गया

2.11 अंज
े उप नवे
श क थापना
अंेज का भारत आगमन और ई ट इं डया कं पनी क थापना
का मु ख कारण पु तगाली ापा रय ारा भारत म अपनी
व तु को बे चनेसेहोनेवाला अ य धक लाभ था जसने
टश ापा रय को भारत केसाथ ापार करनेके लए
ो सा हत कया । अतः पु तगाली ापा रय क ापा रक
सफलता से े रत होकर अंेज ापा रय केएक समू ह –मचट
एडवचरस ने1599 ई. म ई ट इं डया कंपनी क थापना क ।
महारानी वयंभी ई ट इं डया कं पनी क साझे दार/शे
यरहो डर
थ|

प म और द ण म व तार

बाद म 1608 ई. म ई ट इंडया कं


पनी नेशाही सं
र ण ात
करनेके लए कैटन हॉ क स को मु ग़ल शासक जहाँगीर के
दरबार म भे
जा । वह भारत केप मी तट पर अपनी फै यां
था पत करनेहेतुशाही पर मट ा त करनेम सफल रहा।
1605 ई. म इंलड केराजा जे स थम नेसर थॉमस रो को

46
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कंपनी के लए और अ धक छू ट ा त करनेकेउ े य से
जहाँ गीर केदरबार म भे जा। रो ब त कुटनी त था और अपनी
कूटनी त केबल पर वह पू रेमुग़ल े पर व तापू वक
ापार करनेहे तुशाही चाटर ा त करनेम सफल रहा । बाद
केवष म ई ट इं डया कंपनी अपनेआधार को व तृ त करती
गयी । कं पनी को पु तगाली, डच और ां सीसी ापा रय ारा
तुत चुनौ तय का भी सामना करना पड़ा। नणायक ण तब
आया जब 1662 ई. म इं लड केचा स तीय का ववाह
पुतगाली राजकु मारी कैथरीन से आ और इं लड को ब बई.
दहेज़ के प म ा त आ । इं लड ारा 1668 ई. म ब बई.
को दस प ड तवष क दर पर ई ट इं डया कं पनी को स प
दया गया। कं पनी नेअपनेप मी तट पर अपना ापा रक
मुयालय सू रत सेब बई. थानां त रत कर दया। 1639 ई. म
ई ट इं डया कंपनी नेथानीय राजा सेम ास को प ेपर ा त
कर लया और वहांपर अपनी फै क सु र ा हेतुफोट सट
जॉज का नमाण कराया । बाद म म ास कं पनी का द ण
भारतीय मुयालय बन गया।

पू
व म कं
पनी का व तार

द ण एवंप मी भारत म सफलतापू वक अपनी फै यां


था पत करनेकेबाद कं पनी नेपू
व क ओर यान के त
कया । क पनी नेपू व म अपना यान मुय प सेमु ग़ल
ा त बंगाल पर लगाया। बं गाल केगवनर सुजाउ न ने1651
ई. म ई ट इं डया कंपनी को बंगाल म अपनी ापा रक
ग त व धयांचलनेहे तुअनुम त दान कर द । गली म एक
फै था पत क गयी और 1668 ई. म फै था पत करने
हे
तुसु तानती,गो वदपु
र व कोलकाता नाम केतीन गाव को
खरीद लया गया। बाद म फै क सु र ा केलए उसकेचार
ओर फोट व लयम का नमाण कराया गया। इसी थान पर
व मान कोलकाता शहर का वकास आ|

47
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फ सयर ारा जारी शाही फरमान

मु
ग़ल शासक फ सयर ने1717 ई. म शाही फरमान जारी
कर कंपनी को बं
गाल म कु छ ापा रक वशे षा धकार दान
कर दए , जसमेबगैर कर अदा कयेबं गाल म टश व तु
केआयात- नयात क अनुम त भी शा मल थी। इस फरमान ारा
कं
पनी को व तु क आवाजाही हे तुद तक (पास ) जारी
करनेका अ धकार भी दान कर दया गया।

ापार एवंवा ण य के े म मजबू ती से था पत होनेके


बाद कंपनी नेभारत म स ा ा त करनेकेसपनेदे खना शु
कर दया|

भारत म टश स ा केउदय म सहायक मु


ख कारक

मु
ख कारण, ज होन टश को लगभग दो सौ वष तक भारत
पर शासन करनेका अवसर दान कया, न न ल खत है
-

1707 ई. म औरं गजेब क मृ युकेसाथ ही भारत म मु ग़ल


सा ा य का पतन क ओर अ सर होना तथा भारत म मु गल
जैसी कसी क य श का उप थत न होना |
त कालीन भारतीय शासक म राजनी तक एकजु टता का आभाव
था और वे ायः अपनी सु र ा हे
तुअंे
ज क मदद पर नभर
थे। ऐसेम अंे ज नेउनक कमजोरी का फायदा उठाया और
अपनेहत केलए रा य केआतं रक मामल म ह त प े करने
लगे|

यू
रोपीय श य केबीच सं
घष

भारत म मु
ख यू
रोपीय श याँ
: पु
तगाली,डच ,अंे
ज और

48
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ां
सीसी चार मुख यू रोपीय श यांथी जो ापा रक सं
बं

क थापना हे तुभारत आयेले कन बाद म उ ह नेयहाँअपने
उप नवेश था पत कये । इन यू रोपीय श य के बीच
वा ण यक और राजनी तक भु ता हेतुछोटे
-मोटेसं घष होते
रहतेथेले कन अंत म टश सबसेताकतवर श के प म
उभरेज ह नेअ य तीन श य को पीछेछोड़ लगभग दो सौ
साल तक भारत पर शासन कया। भारत म सबसेपहले
पु
तगाली आये ज होन अपनी फै यांऔर औप नवे शक
ब तयांथा पत क । डच केसाथ उ ह कड़ी त पधा का
सामना करना पड़ा ले कन डच उनकेसामनेकमजोर सा बत ए
और पु तगाली व टश क त पधा केसामनेटक न सकने
केकारण डच वापस चलेगए|

मुय त पध : टश को भारत म वे श करनेकेसमय से


ही डच,पु तगाली और ां सीसी श य से त पधा करनी पड़ी
थी ले कन पु तगाली व डच त पध न तो अ धक गं भीर थे
और न ही अ धक स म । अतः टश केसबसेमजबू त
त ंद ां
सीसी थे,जो भारत म सबसेबाद म आयेथे ।
टश ारा भारत के ापार एवंवा ण य पर पू ण एका धकार
ा त करनेके यास ने ां सी सय केसाथ उनकेसंघष को
ज म दया|1744 ई. सेले कर 1763 ई. केम य के20 वष
म वा ण यक व ेीय नयंण केउ े य को लेकर टश व
ां
सी सय केम य तीन बड़ेयु लड़ गए। अं तम और
नणायक यु 22 जनवरी, 1763 ई. को बां डीवाश म लड़ा गया
था|

कनाटक यु: कनाटक और है दराबाद दोन रा य म


उ रा धकार को ले कर ववाद था जसने टश और ां सीसी
श य के लए म य थ क भू मका नभानेके ार खोल दए
। इन दोन यूरोपीय श य अपनी आपसी श त ुा क आड़ म
कनाटक और है दराबाद केउ रा धकार हेतुअलग-अलग भारतीय

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दावेदार का समथन कया । उ रा धकार केइस सं घष म


प डचे री केगवनर डू लेकेनेतृव म ांसी सय क जीत ई.
और अपनेदावे दार को ग पर बठानेकेएवज म उ ह उ री
सरकार का े ा त आ जसे ां सीसी अफसर बु सी ने
सात साल तक नयंत कया। ले कन ां सी सय क यह जीत
ब त कम समय क थी यो क 1751 ई. म रोबट लाइव के
नेतृव म टश श नेयु क प र थ तयाँबदल द थी।
रोबट लाइव केने तृव म टश श नेएक साल बाद ही
उ रा धकार हे तु ां सीसी सम थत दावे
दार को परा जत कर
दया|अं ततः ां
सी सय को टश केसाथ चु
राप ली क
सं ध करनी पड़ी|

अगलेसात वष य यु (1756-1763 ई.।) अथात तृ तीय


कनाटक यु म दोन यू रोपीय श य क श त ुा फर से
सामनेआ गयी । इस यु क शुआत ां
सीसी से
नाप त
काउंट देलाली ारा म ास पर आ मण केसाथ ई. थी
|लाली को टश से नाप त सर आयरकू ट ारा हरा दया
गया|1761 ई. म टश नेप डचे री पर क ज़ा कर लया और
लाली को जजी और कराइकल केसमपण हे तुबा य कर
दया|अतः ां
सीसी बांडीवाश म लडेगयेतीसरेकनाटक
यु(1760 ई.) म हार गए और बाद म यू रोप म उ ह टे न के
साथ पे रस क सं ध करनी पड़ी|

टश सव चता क थापना

कनाटक केयु म ा त वजय नेभारत म टश सव चता


क थापना हेतुजमीन तै यार कर द थी और साथ ही
ां
सी सय केभारतीय सा ा य केसपनेको चकनाचू र कर
दया था। इस जीत केबाद भारत म टश ई ट इंडया कंपनी
का कोई. यू रोपीय त ं
द नह बचा था। टश को सर
आयरकू ट,मे
जर ं
गर लॉरस ,रोबट लाइव जैसेकु शल

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ने
तृवकता केसाथ साथ एक मजबू
त नौसै
नक श होने
का भी लाभ मला। इन कारक केकारण ही वेभारत के
व सनीय शासक बन सके
|

3. आधु
नक भारत : टश सव चता और अ ध नयम
3.1 ब सर क लड़ाई
3.2 सहायक सं ध
3.3 पगत का स ां त
3.4 रेयु
लेटग ए ट, 1773
3.5 पट्स इंडया ए ट 1784
3.6 चाटर अ ध नयम,1793
3.7 1813 का चाटर अ ध नयम
3.8 1833 ई. का चाटर अ ध नयम
3.9 1853 ई. का चाटर अ ध नयम
3.10 1858ई.का भारत सरकार अ ध नयम
3.11 1861 का अ ध नयम
3.12 1892 ई. का अ ध नयम
3.13 1909 ई. का भारतीय प रषद्
अ ध नयम
3.14 भारत सरकार अ ध नयम - 1935
3.15 म ट यु
-चेसफोड सुधार अथात भारत
सरकार अ ध नयम-1919

51
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3.1 ब सर क लड़ाई
ब सर का यु बं गाल केनवाब मीर का सम,अवध केनवाब
सु
जाउ ौला व मु
ग़ल शासक शाह आलम तीय क सं यु से
ना
और अंे ज केम य लड़ा गया था | यही वह नणायक यु
था जसनेअंे ज को अगलेदो सौ वष के लए भारत के
शासक के प म था पत कर दया| यह यु अंे ज ारा
फरमान और द तक के पयोग और उनक व तारवाद
ापा रक आकांा का प रणाम था|

22 अ टू बर,1764 ई. को लड़ेगए ब सर केयु म सं यु


भारतीय से ना क पराजय ई| ब सर का यु भारतीय इ तहास
क यु गां
तरकारी घटना सा बत ई |1765 ई. म सु जाउ ौला
और शाह आलम ने इलाहाबाद म कंपनी गवनर लाइव केसाथ
सं ध पर ह ता र कये | इस सं ध के तहत,कं पनी को
बंगाल, बहार और उड़ीसा केद वानी अ धकार दान कर दए
गए, जसनेकं पनी को इन े सेराज व वसू ली के लए
अ धकृ त कर दया|कं पनी नेअवध केनवाब सेकड़ा और
इलाहाबाद के े ले कर मु ग़ल शासक को स प दए,जो क अब
इलाहाबाद म अंे जी से ना केसंर ण म रहनेलगा था|कं पनी ने
मुगल शासक को तवष 26 लाख पयेकेभु गतान का वादा
कया ले कन थोड़ेसमय बाद ही कं पनी ारा इसेबंद कर दया
गया|कंपनी नेनवाब को कसी भी आ मण के व सैय
सहायता दान करनेका वादा कया ले कन इसके लए नवाब
को भु गतान करना होगा|अतः अवध का नवाब कं पनी पर नभर
हो गया| इसी बीच मीर जाफर को दोबारा बंगाल का नवाब बना
दया गया| उसक मृ युकेबाद उसकेपु को नवाब क ग
पर बैठाया गया| कंपनी केअफसर नेनवाब सेधन ठ कर
गत प सेकाफ लाभ कमाया|

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यु केलए ज मे
दार घटनाएँ

टश ारा द तक और फरमान का पयोग, जसनेमीर


का सम के ा धकार और भु स ा को चुनौती द
टश केआतं रक ापार पर सभी तरह केशु क क
समा त
कंपनी केकमचा रय का वहार : उ ह नेभारतीय द तकार ,
कसान और ापा रय को अपना माल स तेम बे चनेकेलए
बा य कया और र त व उपहार ले नेक परं परा क भी
शुआत कर द |
टश का लु टे
र जै सा वहार जसनेन के वल ापार के
नयम का उ लं घन कया ब क नवाब के ा धकार को भी
चुनौती द |

न कष
ब सर का यु भारतीय इ तहास क यु गां
तरकारी घटना सा बत
ई | टश क च तीन तट य े कलक ा ,ब बई और
म ास म अ धक थी| अंे ज व ां सी सय केबीच लड़े गए
कनाटक यु , लासी केयु और ब सर केयु नेभारत म
टश सफलता केदौर को ारं भ कर दया|1765 ई. तक
टश बं
गाल, बहार और उड़ीसा केवा त वक शासक बन गए|
अवध और कनाटक केनवाब( जसेउ ह नेही नवाब बनाया था)
उन पर नभर हो गए|

3.2 सहायक सं

टश ई ट इं
डया कं
पनी नेह त प
े क नी त को ारं
भ कया
और और पूव म अपनेअधीन कयेगयेशासक के े का

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योग अपनी राजनी तक मह वाकांा अथात भारतीय रा य


को टश श केअधीन लानेके लए कया| सहायक सं ध
हत पे क नी त थी जसका योग भारत केगवनर जनरल
लॉड वे
लेजली (1798-1805 ई.) ारा भारत म टश सा ा य
क थापना के लए कया गया| इस णाली म यह कहा गया
क ये
क भारतीय शासक को अपनेरा य म टश से
ना के
रख-रखाव के लए धन का भु गतान करना होगा और इसके
बदलेम टश उनक उनके वरो धय सेसु र ा करगे|इस
संध ने टश सा ा य का अ य धक व तार कया |

इसका सव थम योग लॉड वे लेजली ारा कया गया जसने


हत प े क नी त को सहायक संध के प म सं थागत प
दान कया| उसनेऐसी लगभग सौ सं धय पर ह ता र के
ारा नवाब व नजाम को अपना सहायक बना लया| इस
णाली केमुय ब न न ल खत ह-

• सहायक संध पर ह ता र करनेवालेरा य को अपनेरा य


म टश से
ना क एक थायी रे जीमट को रखना पड़ता था
और उसकेरख-रखाव हेतुधन दे
ना पड़ता था|

• टश क पू व अनुम त ा त कयेबगै र कोई भी भारतीय


शासक कसी भी यूरोपीय को अपनी से
वा म नयु नह नह
कर सकता था|

• भारतीय शासक गवनर जनरल सेसलाह कयेबगै र कसी भी


सरेभारतीय शासक सेकोई समझौता नह करे
गा|

सं
ध को वीकार करने
वालेरा य

• सव थम इस सं ध पर ह ता र है
दराबाद के नज़ाम नेकये
थे| 1798 ई. म नज़ाम के ां सीसी संबं
ध को समा त कर

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दया और टश अनु
म त केबना वेमराठ सेकोई सं
ध नह
कर सकतेथे
|

• मैसू
र सरा रा य था जसने1799 ई. म इस सं
ध पर
ह ता र कये
|

• 1801 ई. म वे
ले
ज़ली नेअवध केनवाब को इस सं
ध पर
ह ता र करनेकेलया बा य कया|

• 1802 ई. म पे
शवा बाजीराव तीय भी अपनेरा य को इस
सं ध केतहत लेआये|ब त सेअ य मराठा रा य ,जै
से1803
ई. म स धया व भोसलेनेभी इस सं ध पर ह ता र कये |
अं तम मराठा सं
घ जै
सेहो कर नेभी इस संध क शत को
वीकार कर लया|

न कष
सहायक सं ध वा तव म कसी भी रा य क संुभता को छ नने
वाला द तावे
ज था जसकेतहत रा य को वयंअपनी र ा
करनेका, कूटनी तक स ब ध था पत करनेका , वदेशय को
नयु करनेका और यहाँतक क अपनेपड़ोसी केसाथ
ववाद का समाधान करनेका भी अ धकार ा त नह था |

3.3 पगत का स ां

पगत का स ां त एक सा ा यवाद समथक उपागम था
जसका उ ेय भारत म टश रा य े का व तार करना था|
इस स ांत का ारंभ लॉड डलहौजी ारा कया गया था| इस

55
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स ां
त के अनु सार वे रा य, जनका कोई वं शानु
गत
उ रा धकारी नह था, अपनेशासन करनेकेअ धकार खो दे ते
थे|साथ ही उ रा धकारी को गोद ले
नेपर भी उनकेरा य को
वापस ा त नह कया जा सकता था|

1818 ई. सेपू व ,ई ट इंडया कं पनी क नी तयाँऔर


ग त व धयाँ ापा रक थी न क एक संभुशासक क ले कन
उसकेबाद उनक मह वाकांा सं पू
ण भारत पर शासन करनेक
इ छा म बदल गयी, जसक प रण त पहलेसहायक सं ध
णाली और अब पगत स ां त के प म दे खनेको मली |
इन नी तय को अपनानेका उ े य रा य केसंपू
ण अ धकार
पर नयंत था पत कर उ ह टश उप नवेश बनाना था|
मुय ज टलता उन रा य को ले कर थी जनका का कोई
उ रा धकारी नह था | पगत क नी त ऐसेही रा य को
हड़पनेकेलए बनाय गयी थी | इस नी त केतहत ऐसेरा य
से,उ रा धकारी न होनेकेआधार पर, शासन करनेका
अ धकार छ न लया गया |

डलहौजी ारा पगत के स ांत केआधार पर न न ल खत


रा य का टश सा ा य म वलय कर लया गया था-

• सतारा(1848 ई.)
• जयपुर(1849 ई.)
• सं
भलपु र(1849 ई.)
• बाहत(1850 ई.)
• उदयपुर(1852 ई.)
• झाँ
सी(1853 ई.)
• नागपु
र(1854 ई.)

ले
कन कु
छ समय बाद इस नी त के ावधान केकारण जनता
केम य काफ रोष पैदा हो गया और उड़ीसा केमहान

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ांतकारी सु
रे देसाई ने पगत के स ां
त के वरोध म
आवाज उठाई| आगेचलकर इसी रोष ने1857 ई. के व ोह
का आधार तैयार कया|

पगत केस ां
त केमुय ब

• सा ा यवाद -समथक उपागम केआधार पर भारत म टश


े का व तार करने क नी त
• य द कसी रा य म कोई उ रा धकारी नह है ,तो उसका
वलय टश सा ा य म कर ले ना
• उ रा धकार हेतुसं
तान को गोद ले
नेपर तब ध
• शासक ारा गोद ली गयी सं तान को उपा ध और पशन देने
पर तब ध
• गोद ली गयी सं तान को शासक क के वल नजी सं प ही
उ रा धकार म ा त होना
• उपा धय और पशन क समा त

न कष
हालाँक , टश भारत म ापार केउ ेय सेआयेथेले कन
संसाधन पर एका धकार ा त करनेक उनक मह वाकांा ने
उ ह भारत म श शाली बना दया | पगत का स ां त वा तव
म व तारवाद नी त थी, जो कसी भी तरह सेअ य रा य का
टश भारत म वलय कर भारत म टश ई ट इं डया के
रा य े म व तार करना चाहती थी| इस नी त का ारं भ
डलहौजी ारा कया गया था ता क अ य रा य को अपना
उप नवेश बनानेक श ई ट इंडया कंपनी को दान क
जा सकेऔर कं पनी केराज व म भी वृ हो सके | इस नी त
केकारण एक तरफ तो जनता केम य टश क छ व ख़राब
ई तो सरी तरफ इस नी त नेव भ रा य केशासक को

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टश का घोर वरोधी बना दया ,बाद म यही 1857 ई. क


ां
त का एक मुय कारण बना|

3.4 रे
यु
ले
टग ए ट, 1773
बं
गाल केकुशासन सेउपजी प र थ तय ने टश सं सद को
ई ट इंडया कंपनी केकाय क जाँ च हे तुबा य कर दया| इस
जाँच म कंपनी केउ च अ धका रय ारा अपनेअ धकार के
पयोग केअनेक मामलेसामने आये | उस समय कं पनी व ीय
संकट सेभी गु जर रही थी और टश सरकार केसम एक
म लयन प ड केऋण हे तुआवेदन भी भे ज चुक थी| टश
संसद नेपाया क भारत म कं पनी क ग त व धय को नयंत
करनेक ज रत हैऔर इसी ज रत क पू त केलए 1773
ई. म रेयु
लेटग ए ट पा रत कया गया|

यह ए ट भारत केस ब ध य हत प े हे
तु टश सरकार
ारा उठाया गया पहला कदम था |इस ए ट का उ े य
ापा रक कं
पनी केहाथ सेराजनी तक श छ ननेक ओर
एक कदम बढाना था| इस ए ट ारा नए शास नक ढां चेक
थापना के लए भी कु छ वशे
ष कदम उठायेगए| कं पनी क
कलक ा फै केअ य , जसेबं गाल का गवनर कहा जाता
था, को कं पनी केभारत म थत सभी े का गवनर जनरल
बना दया गया और ब बई व म ास केदो अ य गवनर को
उसकेअधीन कर दया गया|उसक सहायता के लए चार
सद य क एक प रषद्का गठन कया गया| इस ए ट म
या यक शासन के लए कलक ा म एक सुीम कोट क
थापना का ताव भी शा मल कया गया|

ब त ज द ही रे
यु
ले
टग ए ट क क मयांउजागर होनेलग |
थम गवनर जनरल वारे
न हेटं
स और प रषद्केसद य के

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बीच लगातार ववाद क थ त बनी रही| सुीम कोट भी


अपना काय बे हतर ढ़ं
ग सेनह कर पा रही थी य क उसके
याया धकरण और प रषद केसाथ उसकेसं बं
ध को ले कर
थ त प नह थी|साथ ही यह भी प नह था क वे
भारतीय कानू न का अनु सरण करेया फर टश कानू
न का|
इस यायालय नेमु शदाबाद केपू व द वान और जा त से ा ण
–न द कु मार,को जालसाजी केआरोप म मृ यु
दं
ड क सजा
सुनायी जब क भारत म इस अपराध के लए कसी भी ा ण
को मृ यु
दं
ड क सजा नह द जा सकती थी| इस मामलेने
बंगाल म काफ सनसनी पै दा कर द | इस ए ट केलागूहोने
केबाद भी कं पनी केऊपर टश सरकार का नयंण प
नह था|

3.5 पट्
स इं
डया ए ट 1784
1773 ई. केरे यु
लेटग ए ट क क मय को र करनेऔर
कं
पनी केभारतीय े के शासन को अ धक स म और
उ रदा य वपू
ण बनानेकेलयेअगलेएक दशक केदौरान जाँ

केकई दौर चलेऔर टश सं
सद ारा अने
क कदम उठाये
गए|

इनम सबसेमह पूण कदम 1784 ई. म पट् स इं


डया ए ट को
पा रत कया जाना था, जसका नाम टेन केत कालीन यु वा
धानमंी व लयम पट के नाम पर रखा गया था| इस
अ ध नयम ारा टे न म बोड ऑफ़ क ोल क थापना क
गयी जसकेमा यम से टश सरकार भारत म कं पनी के
नाग रक,सै
य और राज व स ब धी काय पर पू
ण नयंण रखती

59
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थी|

अभी भी भारत केसाथ ापार पर कंपनी का एका धकार बना


रहा और उसेकं पनी केअ धकारीय को नयु करने या
हटानेका अ धकार ा त था |अतः टश भारत पर टश
सरकार और कं पनी दोन केशासन अथात ै ध शासन क
थापना क गयी|

गवनर जनरल को मह वपू


ण मु पर प रषद्के नणय को न
माननेक श दान क गयी| म ास व ब बई े सीड़सी को
उसके अधीन कर दया गया और उसेभारत म टश
सेना,कं
पनी और टश सरकार दोन क सेना,का से
नाप त बना
दया गया |

1784 ई. केए ट ारा था पत स ां त नेभारत म टश


शासन का आधार तैयार कया | सेना,पुलस,नाग रक से
वा और
यायालय वे मु ख एज सयां / नकाय थी जनकेमा यम से
गवनर जनरल श य का योग और उ रदा य व का नवाह
करता था| कंपनी क से ना म एक बड़ा भाग भारतीय सै नक
का भी था जसका आकार टश े के व तार केसाथ
बढता गया और एक समय इन सपा हय क संया लगभग
200,000 हो गयी थी| इ ह नय मत प सेवे तन दान कया
जाता था और अ याधु नक ह थयार के योग हे तु श ण भी
दान कया जाता था| भारतीय शासक केयहाँनौकरी करने
वालेसै नक को ायः येसु वधाएँ ा त नह थ | आगेचलकर
एक केबाद एक सफलता ा त करनेकेकारण कं पनी क
सेना केस मान म वृ होती गयी जसनेनए रं ग ट को
इसक ओर आक षत कया| ले कन से ना केसभी अफसर
यूरोपीय थे
| भारत म कं पनी क से ना केअ त र टश
सै नक क भी उप थ त थी|

60
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हालाँ
क कं
पनी क से ना म नयु भारतीय सै
नक नेअ य धक
स म होनेक या त अ जत क थी ,ले कन वेऔप नवेशक
श केभाड़ेकेसै नक मा थे यो क न तो उनमेवह गव
क भावना थी जो कसी भी रा ीय से
ना केसै
नक को उ साह
दान करती हैऔर न ही पदो त केब त अ धक अवसर
उ ह ा त थे| इ ह कारक नेकई बार उ ह व ोह करनेके
लए उकसाया जनम सबसेमहान व ोह 1857 का व ोह था|

पट्स इंडया ए ट म एक ावधान वजय क नी त पर रोक


लगानेसेभी स बं धत था ले कन उस ावधान को नज़रअं दाज़
कर दया गया य क टे न केआ थक हत ,जै से टेन क
फै य सेनकलनेवालेतै यार माल के लए बाज़ार बनाने
और क चेमाल केनए ोत क खोज करने , के लए नए
े पर वजय ा त करना ज री था| साथ ही इन उ े य क
ा त के लए नए व जत े पर ज द सेज द कानू न-
व था क थापना करना भी आव यक था| अतः एक
नय मत पु लस बल क व था क गयी ता क कानून एवं
व था को बनायेरखा जाये
|

कानवा लस केसमय म इस बल को एक नय मत प दान


कया गया |1791 ई. म कलक ा केलए पु लस अधी क क
नयु क गयी और ज द ही अ य शहर म भी कोतवाल
क नयु कया गया | जल को थान म वभा जत कया
गया और ये क थानेका भार एक दरोगा को स पा गया|गाव
केवंशानु
गत पु लस कमचा रय को चौक दार बना दया गया |
बाद म जला पु लस अधी क का पद सृ जत कया गया |

हालाँ
क पु
लस नेकानू
न एवं व था क थापना म मह वपूण
भूमका नभाई ले
कन वह कभी भी लोक य नह बन पाई
ब क उसने ाचार और सामा य जनता को तं ग करनेक
वृ केकारण बदनामी ही अ जत क |अतः यह पू
रेदे
श म

61
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सरकारी ा धकार का तीक बन गयी| इसके नचलेदज के


सपाही को ब त ही कम वेतन दया जाता था से
ना क ही
तरह यहाँभी उ च पद पर केवल यू
रोपीय को नयु
कया जाता था|

न कष
यह ए ट इस सेब त मह वपू
ण हैक इसनेकंपनी क
ग त व धय और शासन केस ब ध म टश सरकार को
सव च नयंण श दान कर द | यह पहला अवसर था
जब कं पनी केअधीन े को टे न केअधीन े कहा गया|

3.6 चाटर अ ध नयम,1793


1793 ई. म पा रत चाटर अ ध नयम ारा कं पनी केभारत के
साथ ापा रक एका धकार को अगलेबीस वष के लए बढ़ा
दया गया और गवनर जनरल केअ धकार े म ब बई और
म ास केगवनर को भी शा मल कर दया| सुीम कोट के
अ धकार े को खु लेसागर तक बढ़ा दया |वेनाग रक सेवा
के कसी भी सद य को शां त – यायाधीश के प म नयु
कर सकतेथे |वे े
सीडसी नगर के लए सफाई कमचारी भी
नयु कर सकतेथे और बना लाइसस केशराब क ब पर
तब ध भी लगा सकतेथे |

अ ध नयम क वशे
षताएं

• अ ध नयम क पनी को ापा रक वशे


षा धकार दान करता है
और अगलेबीस वष केलए उ ह नवीनीकृ त करता है
|

62
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• गवनर जनरल केअ धकार े म ब बई और म ास के


गवनर को भी शा मल कर दया |

3.7 1813 का चाटर अ ध नयम


ल बेसमय तक चलेनै पो लयन यु और महा पीय णाली के
या वयन केकारण . टश ापार म उ लेखनीय कमी दज
क गयी| सरी ओर, टश ापारी लगातार कं पनी- ापार को
सभी नजी ापा रय हे तुखोलनेक मां ग कर रहेथे | अतः
उनक मां ग को पू रा करनेके लए चाटर अ ध नयम पा रत
कया गया | इसे1813 ई. का ई ट इं डया कं पनी अ ध नयम
भी कहा गया| यह टश संसद ारा पा रत एक ऐसा
अ ध नयम था जसनेभारत म ई ट इं डया कंपनी केशासन को
जारी रखा|

अ ध नयम के ावधान

• इसनेभारत म टश क संवै
धा नक थ त क ा या के
मा यम से टश भारत पर टे
न केराजा क स भु ता
सा बत क गयी |
• यह अ ध नयम थानीय नकाय को ,सुीम कोट के या यक-
े म आनेवालेलोग पर, कर लगानेका भी अ धकार
दान करता है
|
• भारत म ांतीय सरकार व यायालय क श य केसं दभ
म यूरोपीय टश केमामल को मजबू ती दान क गयी|

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• भारतीय सा ह य केनवीनीकरण और व ान केउ थान हे


तु
व ीय ावधान को शा मल कया गया|
• इस अ ध नयम म यह भी शा मल था क मशनरीज भारत म
जाकर ईसाई धम का सार कर सकतेहै
|

3.8 1833 ई. का चाटर अ ध नयम


1833 ई. का चाटर अ ध नयम इं लड म ई औ ो गक ां त
का प रणाम था ता क इंलड म मु ापार नी त केआधार
पर बड़ी मा ा म उ पा दत माल हे
तुबाज़ार के प म भारत
का उपयोग कया जा सके | अतः चाटर अ ध नयम उदारवाद
सं
क पना केआधार पर तै यार कया गया था| टश सं
सद के
इस अ ध नयम ारा ई ट इं डया कं
पनी को अगलेबीस वष
तक भारत पर शासन करने का अ धकार दान कर दया गया|

चाटर अ ध नयम क वशे


षताय

• इस अ ध नयम ारा कंपनी केअधीन े व भारत के


उप नवे
शीकरण को वै
धता दान कर द गयी|

• इस अ ध नयम ारा टश ई ट इं
डया कं
पनी का ापा रक
कंपनी का दजा समा त कर दया गया और वह अब के वल
शास नक नकाय मा रह गयी थी|

• बं
गाल केगवनर जनरल को भारत का गवनर जनरल कहा
जानेलगा| लॉड व लयम ब टक को “ टश भारत का थम
गवनर जनरल” बनाया गया|

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• सप रषद गवनर जनरल को कं


पनी केनाग रक व सै
य संबं

के नयंण, अधी ण और नद शत करनेक श दान क
गयी| क य सरकार का राज व वृ और य पर पूण
नयंण था पत कया गया| अतः सभी व ीय व शास नक
श य का के करण गवनर जनरल केहाथ म कर दया
गया|

• गवनर जनरल क प रषद्केसद य क संया, जसेपट् स


इंडया ए ट ारा घटाकर तीन कर दया गया था, को पु
नः
बढ़ाकर चार कर दया|

3.9 1853 ई. का चाटर अ ध नयम


1853 ई. केचाटर अ ध नयम नेकं पनी को, ाउन के त
न ा बनायेरखते ए, भारत थत अपने े को बनायेरखने
और राज व केअ धकार दान कर दए| येअ धकार पू व के
चाटर अ ध नयम केसमान कसी न त समयसीमा म बं धे
नह थेब क तब तक केलए दान कर दए गए जब तक
टश संसद अ यथा नदश न दे | 1853 ई. का चाटर ए ट,
1852 ई. क से लेट कमे ट क जाँ च रपोट केआधार पर
तैयार कया गया था| राजा राममोहन राय क इंलड या ा और
बॉ बेएसो सएशन व म ास ने टव एसो सएशन क या चका
का प रणाम 1853 ई. का चाटर ए ट था|

अ ध नयम क वशे
षताएं

• इस अ ध नयम ारा शासन क सं


सद य णाली, जै
से

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–कायपा लका व वधानप रषद ,के वचार को तु


त कया गया
जसमेवधानप रषद टश सं सद य मॉडल केअनु
सार काय
करती थी|

• इसनेई ट इं
डया कं
पनी केशासन को अ न तकाल केलए
नवीनीकृ
त कर दया|

• इसनेनयंण बोड केसद य क संया 24 सेघटाकर 18


कर द जनम से6 सद य नाम नद शत होतेथे
|

• गवनर जनरल क प रषद्केचौथेसद य क थ त भी


बाक सद य केसमान हो गयी यो क उसेभी मत दे नेका
अ धकार दान कर दया गया| बाद म शा मल कयेगए छह
सद य को ‘ वधान प रषद्केसद य’ कहा गया| अतः इस
अ ध नयम केलागूहोनेकेबाद गवनर जनरल क सहायता
छह वधान प रषद्केसद य ,चार गवनर जनरल क प रषद्
केसद य और एक से नाप त ारा क जाती थी|

• इस अ ध नयम म भारतीय स वल से वा केसद य क


नयु खु ली त पधा ारा करनेका ावधान भी शा मल था|
मैकालेको स म त का अ य बनाया गया |

• इस अ ध नयम ारा भारतीय (क य) वधान प रषद्म


सव थम ेीय त न ध व के स ांत को तपा दत कया
गया|गवनर जनरल क प रषद् म म ास,बॉ बे
, बं
गाल और आगरा
क थानीय ( ांतीय) सरकार ारा छह नए वधान प रषद्के
सद य नयु कयेगए|

• सव थम इसी अ ध नयम ारा गवनर जनरल क प रषद के


कायपा लका व वधायी काय को अलग कया गया|

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3.10 1858 ई. का भारत सरकार


अ ध नयम
अग त 1858 ई. म टश संसद नेएक अ ध नयम पा रत कर
भारत म कं पनी केशासन को समा त कर दया| इस अ ध नयम
ारा भारत केशासन का नयंण टश स ाट को स प दया
गया| इस समय व टो रया टे
न क महारानी थ | टे न का
सव च नकाय टश संसद थी जसके त टे न क सरकार
उ रदायी थी| टे
न क सरकार ारा कयेजानेवालेसभी
काय स ाट केनाम पर कयेजातेथे | टेन क सरकार के
एक मंी , जसेभारत स चव कहा जाता था ,को भारतीय
सरकार का उ रदा य व स पा गया | चू ँक टे न क सरकार
संसद के त उ रदायी थी अतः भारत के लए भी सव च
नकाय टे न क सं सद ही थी| इस अ ध नयम ारा भारत के
गवनर जनरल को वायसराय , जसका अथ था-स ाट का
त न ध ,कहा जानेलगा| महारानी व टो रया ारा एक
घोषणा क गयी जसेलाड कै नग ारा 1 नव बर,1858 ई.
इलाहाबाद केदरबार म पढ़ा गया|

• उ ोषणा म सभी भारतीय राजा केअ धकार केस मान


वादा कया गया और भारत म टश े केव तार पर रोक
लगा द गयी|

• इसम लोग के ाचीन अ धकार व पर परा आ द के


स मान और याय,स ाव व धा मक स ह णु
ता क नी त का
अनुसरण करने
का वादा कया गया |

• इसम घो षत कया गया क ये क ,जा त और धम के


भेदभाव केबना,के
वल अपनी यो यता और श ा केआधार पर

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शास नक से
वा म वे
श पाने
का हक़दार होगा|

• घोषणा म एक तरफ राजा को सु


र ा का आ ासन दया
गया तो सरी तरफ म य वग सेभी वकास हे तुअवसर को
उपल ध करानेका वादा कया|

लेकन धीरेधीरेयह सा बत हो गया क जस अवसर क


समानता क बात उ ोषणा म क गयी उसेलागूनह कया
गया| भारत क ाचीन पर परा के त स मान केनाम पर
टश नेसामा जक बुराइय को सं र ण देनेक नी त अपना
ली | अतः वदेशी शासक ारा सामा जक सुधार क ओर
ब त ही कम यान दया गया और जब भी भारतीय ने ता ने
इन सुधार क मां
ग क तो उनका वरोध कया गया |

1858 ई. केबाद भारतीय केहत को पु नः टे न केहत के


अधीन थ बना दया गया | टे न व अ य सा ा यवाद ताकत
केसं घष म भारत का उपयोग टे न केआ थक हत क पू त
केमा यम के प म कया गया|भारत केसं साधन का योग
व केअ य भाग म टश सा ा य के हत क पू त और
अ य देश के व चलायेगए महं गेयु क पू त हे
तुकया
गया|

न कष
महारानी व टो रया ारा क गयी उ ोषणा 1857 ई. केव ोह
का प रणाम थी और इस उ ोषणा म यह व ास दलाया गया
क भारतीय लोग केसाथ जा त,धम,रं ग और जा त केआधार
पर कोई भेदभाव नह कया जाये गा |इसम भारतीय राजा को
भी यह व ास दलाया गया क उनक त ा,अ धकार और
ग रमा का स मान कया जायेगा और उनकेअधीन थ े पर

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कसी तरह का अ त मण नह कया जाये


गा|

3.11 1861 का अ ध नयम


भारतीय प रषद्
अ ध नयम-1861 का नमाण देश के शासन म
भारतीय को शा मल करनेकेउ े य सेबनाया गया था|इस
अ ध नयम नेसरकार क श य और कायकारी व वधायी
उ ेय हेतुगवनर जनरल क प रषद्क सं रचना म बदलाव
कया| यह थम अवसर था जब गवनर जनरल क प रषद्के
सद य को अलग-अलग वभाग स पकर वभागीय णाली क
शुआत क | इस अ ध नयम केअनु सार ब बई व म ास क
प रषद को अपनेलए कानू न व उसम संशोधन करनेक श
पु
नः दान क गयी जब क अ य ा त म अथात बं गाल म
1862 म,उ र-प मी सीमा त ा त म 1886 म और बमा व
पं
जाब म 1897 म इन प रषद क थापना क गयी|

अ ध नयम केमुय ब

• तीन अलग-अलग े सीड सय (ब बई,म ास और बं


गाल) को
एक सामा य णाली केतहत लाया गया|

• इस अ ध नयम ारा वधान प रषद क थापना क गयी|

• इस अ ध नयम ारा वायसराय क प रषद्म व धवेा के


प म एक पां
चव सद य को शा मल कया गया|

• वायसराय क प रषद का व तार कया गया और कानू



नमाण केउ ेय सेअ त र सद य क संया यू नतम 6
और अ धकतम 12 तक कर द गयी| येसद य गवनर जनरल

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ारा ना मत कयेजातेथेऔर इनका कायकाल दो साल


था|अतः कुल सद य संया बढ़कर 17 हो गयी|

• इन नामां कत सद य केकम सेकम आधेसद य गै


र-
सरकारी होना ज री था|

• इस अ ध नयम केअनु सार ब बई व म ास क प रषद को


अपनेलए कानून व उसम सं शोधन करनेक श पु
नः दान
क गयी जब क अ य ा त म अथात बं गाल म 1862
म,उ र-प मी सीमा त ा त म 1886 म और बमा व पं जाब
म 1897 म इन प रषद क थापना क गयी|

• कैनग ने1859 ई. म वभागीय णाली क शुआत क


जसकेतहत गवनर जनरल क प रषद्केसद य को अलग-
अलग वभाग स पेगए | कोई भी सद य अपनेवभाग से
स बं
धत मामल म अं तम और नणायक आदे श जारी कर
सकता था|

• लॉड कैनग ने1862 ई. म तीन भारतीय सद य को अपनी


प रषद्म शा मल कया जनम बनारस केराजा,प टयाला के
राजा और सर दनकर राव शा मल थे
|

न कष
भारतीय प रषद्अ ध नयम-1861 भारतीय को शासन म
भागीदारी दान कर और भारत म कानू न नमाण क ु टपू

या को सुधार कर भारतीय आकांा क पूत क |अतः
इस अ ध नयम ारा भारत म शास नक णाली क थापना
क गयी जो क भारत म टश शासन केअंत तक जारी रही|

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3.12 टेन क संसद ारा 1892 ई. म


पा रत कयेगए अ ध नयम
नेवधान प रषद क सद य संया म वृ कर उ ह सश
बनाया, जसनेभारत म सं
सद य णाली क आधार शला रखी|
इस अ ध नयम सेपू व भारतीय रा ीय कांे
स 1885 ई. से
ले
कर 1889 ई. तक केअपनेअ धवे शन म कुछ मां
गे तु

कर चुक थी जनम से मुख मांगेन न ल खत थ -

• आईसीएस परी ा भारत और इं


लड दोन जगह आयो जत क
जाये
|

• प रषद म सुधर कयेजाएँऔर नाम नदशन के थान पर


नवाचन णाली को अपनाया जाये
|

• ऊपरी वमा का वलय न कया जाये


|

• सै
य य म कटौती क जाये
|

भारतीय रा ीय कांेस क इन मां ग नेइस अ ध नयम के


नमाण क भू मका तै
यार कर द |

अ ध नयम के ावधान

• क य और ां तीय दोन वधान प रषद म गै


र-सरकारी
सद य क संया म वृ क गयी|

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• व व ालय ,ज़म दार ,नगरपा लका आ द को ां


तीय
प रषद्केसद य को अनु मो दत करनेके लए अ धकृ
त कर
दया गया| इस ावधान ारा त न ध व केस ांत को ारंभ
कया गया|

• इस अ ध नयम ारा प रषद्केसद य को वा षक व ीय


ववरण अथात बजट पर बहस करनेका अ धकार दान कया
गया|

• गवनर जनरल क कायकारी प रषद्म अ त र सद य क


संया बढ़ाकर 16 तक कर द गयी|

• इस अ ध नयम केअनु
सार प रषद्
के2/5 सद य गै
र-सरकारी
हो सकतेथे|

• इस अ ध नयम ने
प रषद केअ त र सद य को जन हत के
मु पर पू
छनेका अ धकार दान कया|

• ां
तीय प रषद म भी अ त र सद य क संया म वृ
क गयी,जै
से-बं
गाल म इनक संया 20 और अवध म 15 कर
द गयी|

न कष
1892 ई. म पा रत कयेगए अ ध नयम नेभारत म सं सद य
णाली क आधार शला रखी और भारत केसं वै
धा नक वकास
म मील का प थर सा बत आ| इस अ ध नयम ारा भारत म
पहली बार चुनाव णाली क शुआत क गयी| इन सबके
बावजू
द यह अ ध नयम रा ीय मांग क पू त करनेम सफल
नह हो पाया और न ही कोई मह वपू
ण योगदान देसका|

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3.13 1909 ई. का भारतीय प रषद्


अ ध नयम
1909 ई. केभारत शासन अ ध नयम को ,भारत स चव और
वायसराय के नाम पर, मॉल- म टो सु धार भी कहा जाता
है
|इसका नमाण उदारवा दय को सं तु करनेके लए कया
गया था| इस अ ध नयम ारा क य व ां तीय वधान प रषद
केसद य क संया म वृ क गयी ले कन इन प रषद म
अभी भी नवा चत सद य क संया कु ल सद य संया के
आधेसेभी कम थी अथात अभी भी नाम नद शत सद य का
ब मत बना रहा| साथ ही नवा चत सद य का नवाचन भी
जनता ारा न होकर
जम दार , ापा रय ,उ ोगप तय , व व ालय और थानीय
नकाय ारा कया जाता था| टश नेसांदा यक नवाचन
मंडल का भी ारं भ कया जसका उ े य ह व मुलम के
बीच मतभे द पैदा कर उनक एकता को ख़ म करना था| इस
व था केतहत प रषद्क कु छ सीट मुलम के लए
आर त कर द गयी जनका नवाचन भी मुलम मतदाता
ारा ही कया जाना था|

इस व था के ारा टश मुलम को रा वाद आ दोलन से


अलग करना चाहतेथे | उ ह नेमुलम को बहकाया क उनके
हत अ य भारतीय सेअलग है| भारत केरा वाद आ दोलन
को कमजोर करनेके लए अंे ज लगातार स दायवाद को
बढ़ावा दे
नेवाली नी तय का अनु सरण करतेरहे
| स दायवाद
के सार नेभारतीय एकता और वतंता केआ दोलन को
गंभीर प से भा वत कया| भारतीय रा ीय कांेस ने1909
ई. केअपनेअ धवे शन म इस अ ध नयम केअ य सु धार का
तो वागत कया ले कन धम केआधार पर थक नवाचक

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मं
डल क थापना के ावधान का वरोध कया|

मॉल- म टो सुधार नेप रषद क श य म कोई मह वपू ण


प रवतन नह कया |इन सु धार ने
, वराज तो र, त न धक
सरकार क थापना क ओर भी कोई कदम नह बढ़ाया |
वा तव म भारत स चव ने वयंकहा क भारत म सं सद य
सरकार क थापना का उनका बलकु ल इरादा नह है| जस
नरं
कुश सरकार क थापना 1857 के व ोह केबाद क गयी
थी,उसमेमॉल- म टो सुधार केबाद भी कोई बदलाव नह आया
था |इतना अंतर ज र आया क सरकार अपनी पसं द केकु छ
भारतीय को उ च पद पर नयु करनेलगी| स ये साद
स हा ,जो बाद म लॉड स हा बन गए ,गवनर जनरल क
कायकारी प रषद्म सद य नयु होनेवाले थम भारतीय थे |
बाद म उ ह एक ा त का गवनर बना दया गया| वेभारत म
पूरे टश शासनकाल केदौरान इतनेउ च पद पर प च ँनेवाले
एकमा भारतीय थे | वे1911 म द ली म आयो जत कयेगए
शाही दरबार, जसम टश स ाट जॉज पं चम और उनक
महारानी उप थत ई थ , म भी उप थत रहेथे | दरवार म
भ तया रजवाड़ेभी शा मल ए ज ह ने टश स ाट के त
अपनी न ा कट क | इस दरवार म दो मह वपू ण घोषणाएंक
गय , थम -1905 ई. से भावी बं गाल के वभाजन को र
कर दया गया , तीय – टश भारत क राजधानी कलक ा से
द ली थान त रत कर द गयी|

अ ध नयम क वशे
षताएं

• इस अ ध नयम ने वधान प रषद क सद य संया का


व तार कया और य नवाचन को ारं
भ कया|

• एक भारतीय को गवनर जनरल क कायकारी प रषद्का


सद य नयु कया गया |

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• क य वधान प रषद्के नवा चत सद य क संया 27


थी( जो 2 वशे
ष नवाचन मं
डल ,13 सामा य नवाचन मं
डल
और 12 वग य नवाचन मं डल अथात 6 जम दार ारा
नवा चत व 6 मुलम े सेनवा चत सद य सेमलकर
बनतेथे )

• स ये साद स हा गवनर जनरल क कायकारी प रषद्म


सद य नयु होने
वाले थम भारतीय थे
|

• ‘ थक नवाचन मं डल ‘ के स ां
त का ारं
भ कया गया|लॉड
म टो को ‘सांदा यक नवाचन मं
डल का पता’ कहा गया |

न कष
1909 ई. केभारत शासन अ ध नयम का नमाण उदारवा दय
को संतु करनेके लए और ‘ थक नवाचन मं डल ‘ के
स ांत ारा मुलम को रा ीय आ दोलन सेअलग करनेके
लए कया गया था|

3.14 भारत सरकार अ ध नयम - 1935


भारत सरकार अ ध नयम -1935 टश सं सद ारा
अग त,1935 म भारत शासन हेतुपा रत कया सवा धक व तृत
अ ध नयम था| इसम वमा सरकार अ ध नयम-1935 भी शा मल
था| भारत सरकार अ ध नयम-1935 म यह अ धक थत था
क,य द आधेभारतीय रा य सं घ म शा मल होनेके लए

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सहमत होतेहैतो, भारत को एक संघ बनाया जा सकता है|


इस थ त म उ ह क य वधा यका केदोन सदन म अ धक
त न ध व दान कया जाये गा, लेकन सं घ सेस बं धत
ावधान को लागूनह कया जा सका| इस अ ध नयम म
वतंता क बात तो र , भारत को डो म नयन का दजा दे
ने
क भी कोई चचा नह क गयी थी|

1935 केअ ध नयम ने ा त क त कालीन थ त म सु धार


कया था य क इसम ां तीय वाय ता के ावधान को
शा मल कया गया था| इस व था केअनु सार ां
तीय सरकार
केमंय को वधा यका के त उ रदायी बनाया गया, साथ
ही वधा यका केअ धकार म वृ भी क गयी| हालाँ क
पुलस जैसेकुछ वषय अभी भी सरकार के ा धकार म ही थे |
मतदान केअ धकार भी सी मत ही रहे य क अभी भी कु ल
जनसंया के14% भाग को ही मतदान करनेका अ धकार
ा त था| गवनर जनरल और गवनर क नयु अभी भी
टश सरकार के ारा क जाती थी और वेवधा यका के
त उ रदायी भी नह थे
| यह अ ध नयम कभी भी उन उ े य
को ा त नह कर पाया जनक ा त के लए रा ीय
आ दोलन संघष कर रहा था|

अ ध नयम के ावधान

• इस अ ध नयम ने ै
ध शासन णाली को समा त कया|

• टश भारत और कुछ या सभी रयासत केलए भारत सं



क थापना का यास कया|

• य नवाचन णाली क थापना क और मत दे नेके


अ धकार का व तार कया गया और 35 म लयन लोग को
मत दे
नेका अ धकार दान कर दया|

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• ा त को भी आं
शक प सेपु
नसग ठत कया|

• सध ा त को ब बई सेअलग कर दया गया|

• बहार एवंउड़ीसा ां
त को बहार और उड़ीसा नाम केदो
अलग-अलग ा त म बाँट दया गया|

• बमा को भारत सेपू


णतः अलग कर दया गया|

• अदन को भी भारत सेअलग कर एक वतं उप नवे


श बना
दया|

• ांतीय सदन क सद यता म भी बदलाव कया गया ता क


और अ धक नवा चत भारतीय त न धय को उसम शा मल
कया जा सके | अब येभारतीय सद य ब मत ा त कर
सरकार भी बना सकतेथे
|

• सं
घीय यायालय क थापना क गयी|

न कष
इस अ ध नयम का मु ख उ े य भारत सरकार को टश
स ाट केअधीन लाना था| अतः भारत सरकार केअ धकार
का ोत टश स ाट था| यह सं क पना ,जो क डो म नयन
संवधान सेमलती-जु
लती थी, पू
व म पा रत कयेगए भारतीय
अ ध नयम म अनु
प थत थी|

हालाँ
क 1935 केअ ध नयम म ां
तीय वंता जै
सेकु

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उपयोगी और मह वपू
ण सु
धार शा मल थेलेकन फर भी भारत
सरकार अ ध नयम-1935 भारत के सं वै
धा नक वकास के
इ तहास का वह ब था जहाँसेपीछेक ओर नह लौटा जा
सकता था|

3.15 म ट यु-चे
सफोड सु धार अथात
भारत सरकार अ ध नयम-1919
थम व यु केदौरान टे न और उसकेसहयोगी दे श ारा
यह चार कया गया क वेअपनी रा ीय वतंता का यु
लड़ रहेहै|ब त सेभारतीय ने ता नेऐसा व ास कया क
टेन यु क समा त पर भारत को वराज दान कया
जायेगा लेकन टश सरकार क ऐसी कोई मं शा नह थी| यु
केबाद भारत क शास नक व था म जो बदलाव लायेगए
वेम ट यु-चे
सफोड सुधार , जसेभारत सरकार अ ध नयम-1919
भी कहा जाता है
,केप रणाम थे | इन सु धार ारा क य वधान-
मंडल को सदनीय बना दया गया |इनम सेएक सदन को
रा य प रषद्और सरेसदन को क य वधान सभा कहा गया
|दोन सदन म नवा चत सद य का ब मत था| क य
वधा यका क श य म कोई प रवतन नह कया गया , सवाय
क म दो सदन क थापना के |कायकारी प रषद्केसद य,
जो क मंय केसमान थे , वधा यका के त उ रदायी नह थे
अथात वेस ा म बनेरह सकतेथे चाहे वधा यका केसद य
केब मत का समथन उ ह ा त हो या नह |प तया वधान
मंडल क संया म भी वृ क गयी और उनमेनवा चत
सद य को ब मत दान कया गया| ा त म यु ै ध
शासन णाली ारा ां तीय वधान मं डल को अ धक श यां

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दान क गय |

इस व था केतहत श ा और जन वा य जै सेवभाग को
वधा यका के त उ रदायी मंय को स पा गया और पु लस
व व जै सेमह वपूण वभाग को गवनर केसीधेनयंण म
बनेरहे |गवनर को मंय ारा लए गए कसी भी नणय को
अ वीकार करनेक श दान क गयी| ा त म मंय और
वधान मं डल , जनके त मंी उ रदायी थे,क श यांसी मत
ही थी| जै सेक अगर कोई मंी श ा के सार क योजना
बनता हैतो उसके लए आव यक धन का अनु मोदन गवनर
ारा ही कया जायेगा और गवनर चाहेतो उस मंी के नणय
को अ वीकार भी कर सकता था|

इसकेअ त र गवनर जनरल भी कसी ा त ारा लए गए


नणय को अ वीकार कर सकता था| क य वधा यका केदोन
सदन और ां तीय वधान मंडल के नवा चत त न धय का
चुनाव करनेवालेमतदाता क संया अ यं त सी मत
थी|उदहारण केलए क य वधान सभा केनवा चत सद य के
नवाचन हेतुमत दे
नेका अ धकार टश भारत क कुल क
जनसंया केके वल 1% भाग को ही ा त था|सभी मह वपू

श यांसप रषद गवनर जनरल म न हत थी ,जो क टश
सरकार के त उ रदायी बना रहा न क भारतीय लोग के
त| ा त म गवनर भी अपनी ापक श य का योग
करता था|

जो भी प रवतन कयेगए थेवेकह सेभी वराज क


थापना म सहायक नह थे , जसक उ मीद भारतीय को यु के
बाद ा त होनेक थी| पू रेदे
श म असंतोष क लहर थी और
इसेदबानेके लए टश सरकार नेदमन का सहारा लया|
इसी म म माच 1919 ई. म ,रौले ट आयोग क रपोट के
आधार पर, रौलेट अ ध नयम पा रत कया गया|सदन नेइसका

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वरोध कया|

ब त सेने ता ने,जो क सदन केसद य थे , वरोध व प


अपनी सद यता सेयागप देदया| मोह मद अली ज ा ने
अपने यागप म कहा क शां त काल म कोई भी सरकार
अगर इस तरह केकानू न पा रत करती हैतो उसेकसी भी
प म स य सरकार नह कहा जा सकता है | इस अ ध नयम
केपा रत होनेसेभारतीय जनता म रोष को बढ़ावा दया| दमन
केइस नए अ ध नयम को काला कानू न कहा गया|

गाँ
धी, ज ह नेरौले
ट अ ध नयम के वरोध हे
तुस या ह सभा का
नमाण कया था, नेदे श ापी वरोध का आ ाहन कया| पू रे
दे
श म 6 अ ै ल 1919 को रा ीय अवमानना दवस के प म
मनाया गया| इस दन पू रेदे
श म वरोध दशन और हड़ताल
का आयोजन कया गया|पू रेदे
श का ापार थम गया| भारत म
इससेपू व कभी भी इस तरह का सं ग ठत वरोध दशन दे खने
को नह मला था|सरकार नेभी इसेदबानेके लए कई थान
पर लाठ -चाज और गोली चलानेजै से ूर उपाय का योग
कया था|

अ ध नयम के ावधान

• भारत म ांतीय ै ध शासन णाली क थापना क गयी |यह


एक ऐसी व था थी मनोनीत पाषद और नवा चत सद य
ारा शासन कया जाता था| गवनर अभी भी ांतीय शासन
का मु खया बना रहा|

• ांतीय वषय को दो भाग - आर त और ह तां


त रत म बां
टा
गया था|

• वधा यका का व तार कया गया और उसके70%

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सद य का नवा चत होना ज री कया| थक नवाचन मं


डल
का वग य और सांदा यक आधार पर व तार कया|

• म हला को मत दे
नेका अ धकार दान कया गया|

• क य सरकार अभी भी उ रदा य व वहीन बनी रही|

न कष
यह अ ध नयम भारतीय क आकांा क पूत करनेम
असफल रहा |यह वा तव म भारत का आ थक शोषण करने
और उसेल बेसमय तक गु लाम बनायेरखनेकेउ ेय से
लाया गया था|

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4. आधु
नक भारत:18व सद केव ोह और सु
धार
4.1 रामकृण और ववे कानंद
4.2 ई रचंद व ासागर
4.3 डेजेरयो और यं ग बं
गाल
4.4 राममोहन रॉय और समाज
4.5 1857 का व ोह(कारण और असफलताए)
4.6 टश शासन म सामा जक अ ध नयम
4.7 द ण भारत म सु धार
4.8 प मी भारत म सु धार आ दोलन
4.9 सै यद अहमद खान और अलीगढ़
आ दोलन
4.10 मुलम सु धार आ दोलन
4.11 थओसो फकल समाज

4.1 रामकृण और ववे


कानं

19 व सद केधा मक मानव नेन तो कसी स दाय का
समथन कया और न ही मो का कोई नया रा ता दखलाया|
उ ह नेई रीय चे
तना का स दे
श दया|उनकेअनुसार ई रीय
चे
तना केआभाव म पर पराएँ ढ़ और दमना मक हो जाती है
और धा मक श ाएंअपनी प रवतनकारी श को खोनेलगती
है
|

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रामकृण मशन (1836-1886 ई.)

रामकृण परमहं स कलक ा केपास थत द णेर मं दर के


पुजारी थे
| अ य धम केने ता केसं पक म आनेकेबाद
उ ह नेसभी तरह के व ास क प व ता को वीकार कया|
उनकेसमय केलगभग सभी धा मक सु धारक, जनम केशवचं
सेन और दयानं द भी शा मल थे , उनकेपास धा मक चचाएँ
करनेऔर मागदशन ा त करनेके लए आतेथे | समकालीन
भारतीय व ान , जनक अपनी सं कृ त पर आ था प म ारा
तु
त चुनौती केकारण डगमगानेलगी थी,केमन म रामकृण
क श ा केकारण पु नः अपनी सं कृत के त आ था का
भाव मजबू त आ| रामकृण क श ा का चार करनेऔर
उह वहार म लानेके लए उनके य श य ववे कानं
द ने
1897 ई. म रामकृण मशन क थापना क थी| मशन का
उ े य समाज से वा थी यो क उसका मानना था क ई र क
सेवा करनेका सबसेबे हतर तरीका मानव क से वा करना है
|
रामकृण मशन अपनी थापना केसमय सेही जन-ग त व धय
केश शाली क के प म था पत हो गया था| इन जन-
ग त व धय म बाढ़,सू खा और महामारी जैसी आपदा केसमय
सहायता प च ँाना,अ पताल क थापना करना और श ा
सं था क थापना जै सेकाय शा मल थे |

ववे
कानं
द(1863-1902 ई.)

ववे
कानं
द का च र अपनेगु केच र सेब कु ल अलग था|
उ ह नेभारतीय व प मी दशन का अ ययन कया ले कन जब
तक वेरामकृण सेनह मलेउ ह मान सक शां त नह ा त
ई | उनका मन के वल अ या म सेही नह जु ड़ा था ब क
अपनी मातृभूम क त कालीन प र थ तयाँभी उनकेमन को
आंदो लत करती रहती थ |संपू
ण भारत म मण करनेकेबाद
उ ह नेपाया क गरीबी,ग दगी,मान सक उ साह का अभाव और

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भ व य के त आशा वत न होनेजै
सी प र थ तयांहर कह
ा त है
|

ववेकानं
द ने प प सेकहा क -“अपनी सभी कार क
गरीबी और पतन के लए वयंहम ही ज मे दार ह| उ ह ने
अपनेदे शवा सय को अपनी मु के लए वयं यास करने
का स दे श दया| उ ह नेवयंभी अपनेदे शवा सय को जा त
करनेऔर उनक कमजो रय क ओर उनका यान दलानेका
दा य व संभाला| उ ह नेउ ह जीवन भर संघष करनेऔर मृ यु
ारा नया प धारण करने ,गरीब के त दया-भाव रखने,भूख
को भोजन उपल ध करानेऔर वृ हद्तर पर लोग को जागृ त
करने केलए े रत कया|

ववे
कानं
द ने1893 ई. म अमे
रका के शकागो म आयो जत
व धम सभा म भाग लया| इनके ारा वहांदए गए भाषण
नेअ य देश केलोग केमन को गहराई तक भा वत कया
और व क नजर म भारतीय सं कृत क त ा म वृ क |

न कष
रामकृण परमहं
स और ववे कानं
द का दशन धा मक सौहा पर
आधा रत था और इस सौहा का अनु भव गत ई रीय
चेतना केआधार पर ही कया जा सकता है
|

4.2 ई रचं
द व ासागर
ई र च व ासागर का ज म 1820 ई. म एक नधन ा ण
प रवार म आ था और उ ह नेसं कृ
त केछा के प म एक

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बे
हतरीन उपल ध हा सल क थी| उनक महान श ा के
लए कलक ा केसं कृ
त कॉले ज, जसकेवेकुछ वष के लए
सपल रहेथे,नेउ ह ‘ व ासागर’ क उपा ध दान क | वे
अपनेसादगीपूण रहन-सहन, नभ क वभाव,आ म-ब लदान के
भाव, श ा के त अपनेसमपण-भाव केकारण द लत व
वंचत केबीच एक महान व स व के प म उभरे |
उ ह नेसंकृ
त कॉलेज म आधु नक प मी वचार का अ ययन
आर भ कराया और तथाक थत न न जा त केछा को सं कृ

पढ़ने हे
तुकॉले
ज म वे श दया|

पहलेसं कृ
त कॉले
ज म केवल परंपरागत वषय का ही अ ययन
होता था| संकृ
त केअ ययन पर भी ा ण का एका धकार
था और तथाक थत न न जा तय को सं कृत केअ ययन क
अनुम त नह थी| उ ह नेबं गाली भाषा के वकास म भी
योगदान दया था और इसी योगदान केकारण उ ह आधु नक
बं
गाली भाषा का जनक माना जाता है| वेकई समाचार-प व
प का केसाथ भी गं
भीरता सेजु ड़े ए थेऔर सामा जक
सु
धार क वकालत करने वालेकई मह वपू ण लेख भी लखे|

उनका सबसेमह वपू ण योगदान वधवा क थ त म सु धार


और ी श ा का सार था| वधवा-पु न ववाह को क़ानू
नी वै
धता
दान करनेवालेअ ध नयम को पा रत करानेम उनक
मह वपूण भू मका थी| 1856 ई. म कलक ा म ए थम
वधवा-पुन ववाह म वे गत प सेशा मल ए थे | वधवा-
पुन ववाह एवं ी श ा के लए कयेजानेवाले यास के
कारण ढ़वाद ह ारा उन पर हमलेभी कये
गए|1855 ई. म जब उ ह कू ल- नरी क/इं पेटर बनाया गया
तो उ ह नेअपनेअ धकार- े म आनेवाले जल म
बा लका के लए कू ल स हत अने क नए कू ल क थापना
क थी| उ च अ धका रय को उनका येकाय पसं द नह आया
और अं ततः उ ह नेअपनेपद सेइ तीफ़ा देदया| वेबे थन
ु के

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साथ भी जु
ड़े ए थे, ज होन 1849 ई. म कलक ा म य
क श ा हेतु थम कू ल क थापना क थी|

वचार और श ाएं

• उ ह नेसं
कृत कॉले ज म आधु
नक प मी वचार का
अ ययन आर भ कराया|

• वधवा-पु
न ववाह एवं ी श ा के लए उ ह नेमह वपू

काय कया|

• वधवा-पु
न ववाह को क़ानू नी वै
धता दान करनेवाले
अ ध नयम को पा रत कराने
वाल म एक नाम उनका भी था|

• वेवधवा-पु
न ववाह के बल समथक थे
|

• वेकई समाचार-प व प का केसाथ भी गंभीरता से


जुड़े ए थेऔर सामा जक सु
धार क वकालत करनेवालेकई
मह वपू
ण लेख भी लखे|

• उ ह नेबं
गाली भाषा केवकास म भी योगदान दया था और
इसी योगदान केकारण उ ह आधु नक बंगाली भाषा का जनक
माना जाता है
|

4.3 डे
जेरयो और यं
ग बं
गाल
बं
गाल म आधुनक आ दोलन क शुआत करनेम 1817 म
था पत कलक ा के ह कॉले
ज क मह वपू
ण भू
मका थी|

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डेवड हेयर,जो क राम मोहन राय केसहायक थे ,नेइस कॉले



को ारं
भ करनेम ब त मह वपू ण योगदान दया| वेघ ड़य को
बे
चनेके लए कॉटलड सेकलक ा आयेथे ,लेकन बाद म
बं
गाल म आधु नक श ा का सार ही उनकेजीवन का उ े य
बन गया|

1826 ई. म 17 साल केयु वा हे


नरी व वयन डे
रेजयो, जनके
पता पु
तगाली मूल केथेऔर माता एक अंे ज थी, नेश क
के प म ह कॉले ज म वे श कया| उ ह नेकुछ ही समय
मं कॉले ज केसबसेबे हतरीन लड़क को अपनेअपनी ओर
आक षत कर लया और उ ह लगातार बं धन सेमु होकर
सोचनेकेलए े रत करतेरहेऔर था पत स य व ा धकार
के त ाकु
लता का भाव जगातेरहे | डे
रे
जयो नेअपनी
श ा और व ान,इ तहास,दशन, सा ह य आ द पर चचा के
आयोजन केमा यम से ां तकारी वचार को ो सा हत कया|
अपनी इन ग त व धय के ारा डे रे
जयो नेकलक ा केयु वा
को वहा रक प से भा वत कया और उनकेबीच एक
बौ क आ दोलन क शुआत क |

डे
रे
जयो और यं
ग बं
गाल

डेरेजयो केछा , ज ह स म लत प सेयं ग बंगाल कहा जाता


था,नेसभी पु रानी सामा जक पर परा व री त- रवाज का
उपहास उड़ाया,ई र केअ त व को ले कर चचाएँआयो जत
क ,सामा जक व धा मक ढ़य को चु नौती द , वचार व
अभ क वतंता क मां ग क और म हला के लए
श ा क वकालत क | उ ह ने ां स क ां
त केआदश और
इंलड क उदारवाद सोच को मह व दया|इस समू ह के
अ य धक उ वाद वचार व धा मक मू तय के त आदर
द शत न करनेजै सेउनकेकाय नेबं गाल के ढ़वाद
ह को नाराज कर दया| उनका मानना था क यं ग बं
गाल

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क इस उ सोच के लए डे रेजयो क श ाएंज मे दार है


और उ ह नेह कॉले ज केस म अ धका रय पर डे
रे
जयो को
बखा त करनेकेलए दबाव डाला| डेरे
जयो क बखा तगी और
1831 ई. म अचानक उनक मृ युकेबाद भी यंग बंगाल
आ दोलन जारी रहा| ने
तृ
व केआभाव म भी इस समू ह के
सद य श ा व प का रता केमा यम सेअपनेउ वचार का
सार करतेरहे
|

वचार एवंश ाएं

• डे
रे
जयो नेअपनी श ा और व ान,इ तहास,दशन, सा ह य
आ द पर चचा केआयोजन केमा यम से ां तकारी वचार
को ो सा हत कया|

• डे
रेजयो यु
वा छा केबीच बौ क ां
त का सार करना
चाहतेथे
|

• वेउदारवाद सोच के बल समथक थे


|

• वेवचार व अ भ क वतंता और म हला के लए


श ा केभी बल समथक थे
|

• सामा जक व धा मक ढ़य का वरोध कया |

• उ ह नेकहा क उ या ां
तकारी वचार धम-दशन का मू

थे|

• उ ह नेपुरानी सामा जक पर परा व री त- रवाज का


उपहास उड़ाया,ई र केअ त व को ले कर चचाएँआयो जत क |

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4.4 राममोहन रॉय और समाज


सामा जक और धा मक जीवन केकु छ पहलु केसु धार से
ारं
भ होनेवाला जागरण नेसमय केसाथ दे श केसामा जक,
आ थक, सां कृतक और राजनी तक जीवन केसभी पहलु
को भा वत कया|18व सद केउ राध म कु छ यू
रोपीय और
भारतीय व ान ने ाचीन भारतीय दशन, व ान,धम और
सा ह य का अ ययन ारं भ कया| इस अ ययन के ारा
भारतीय अपने ाचीन भारतीय ान सेप र चत ए, जसनेउनम
अपनी स यता के त गौरव का भाव जा त कया|

इसनेसु धारक को उनकेसामा जक और धा मक सु धार के


काय म भी सहयोग दान कया| उ ह नेसामा जक ढ़य ,
अंध व ास और अमानवीय वहार व पर परा के त
अपनेसं घष म जनमत तै यार करनेके लए ाचीन भारतीय

थ के ान का उपयोग कया| ऐसा करनेकेदौरान, उनम से
अ धकांश नेव ास और आ था के थान पर तक का सहारा
लया| अतः भारतीय सामा जक व धा मक सुधारक नेअपने
उ ेय क ा त के लए एक तरफ अपनेपा ा य ान का
योग कया तो सरी तरफ ाचीन भारतीय वचार को भी
मह व दान कया|

राजा राममोहन राय

राजा राममोहन राय का ज म,सं


भवतः1772 ई. म,बं
गाल केएक
स प प रवार म आ था| उ ह नेपारं प रक सं कृत श ा
बनारस म और पारसी व अरबी का ान पटना म ा त कया|
बाद म उ ह नेअंे जी, ीक और ह ूभाषा भी सीखी |वे च
और लै टन भाषा केभी जानकार थे | उ ह नेन केवल ह
ब क इ लाम,ईसाई और य द धम का भी गहन अ ययन कया

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था| उ ह नेसंकृत,बं
गाली, हद ,पारसी और अंे जी भाषा म
अनेक पु तक लखी थी| उ ह नेएक बं गाली भाषा म और एक
पारसी भाषा म अथात दो समाचार प भी नकाले | मु
ग़ल
शाशक नेउ ह ‘राजा’ क उपा ध दान क और अपने त के
प म इं लड भे
जा| वे1831 ई. म इं लड प चेऔर वह
1833 म उनक मृ युहो गयी| वेभारत म अंे जी श ा के
समथक थेऔर मानतेथेक नवजागरण के सार और व ान
क श ा के लए अंे जी का ान आव यक है |वे े
स क
वतंता के बल प धर थेऔर इसी कारण उ ह ने े स पर
लगे तबं ध को हटानेकेलए आ दोलन भी चलाया|

राजा राममोहन राय का मानना था क ह धम म वे श कर


चुक बु राईय को र करनेकेलए और उसकेशुदकरण के
लए उस धम केमू ल ंथ के ान सेलोग को प र चत करना
आव यक है | इस उ ेय क ा त केलए ही उ होन वे द व
उप नषद का बं गाली भाषा म अनु
वाद कर का शत करनेका
क ठन काय कया|

वेएक ऐसेसावभौ मक धम केसमथक थेजो क एक परम-


स ा के स ांत पर आधा रत था| उ होन मू
त-पू
जा और
अं
ध व ास व पाखं
ड का वरोध कया|

समाज

धा मक सु
धार के े म उनका सबसेबड़ा योगदान उनके ारा
1928 ई. म हम समाज क थापना करना था जो क धा मक
सुधार आ दोलन केतहत था पत थम मह वपू ण संगठन था|
उ होन मूत-पू
जा और अता कक अंध व ास व पाखं ड का
वरोध कया| हम समाज केसद य कसी भी धम पर हमले
केखलाफ थे |

90
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सामा जक सु धार केअं तगत हम समाज का सबसेबड़ा


योगदान 1829 ई. म सती था का उ मूलन था|उ ह नेदे
खा था
क कै सेउनकेबड़ेभाई क प नी को जबरद ती सती होनेके
लए ववश कया गया था| उ ह सती था का वरोध करनेके
कारण ढ़वाद ह का ती वरोध भी झे लना पड़ा था|
राममोहन राय केअनु सार सती था का मु ख कारण ह
म हला क अ य धक न न थ त थी| वेब ववाह के
खलाफ थेऔर म हला को श त करनेतथा उ ह पै तृ

संप ा त करनेकेअ धकार दान केप धर थे |

हम समाज का भाव बढता गया और दे श केव भ भाग


म हम समाज शाखाएंखु ल गय | हम समाज के दो
मह वपू ण ने ता दे
वेनाथ टै गोर और के शवचं से न थे| हम
समाज केस दे श को सा रत करनेके लए के शवचं से न ने
म ास और ब बई े सडसी क या ाएँक और बाद म उ र
भारत म भी या ाएँक |1866 ई. म हम समाज का वभाजन
हो गया यो क के शवचं से न के वचार मू ल हम समाज के
वचार क तु लना म अ य धक ां तकारी व उ थे |वेजा त व
री त- रवाज केबं धन और धम- ं थ के ा धकार सेमु के
प धर थे|उ ह नेअं तर-जातीय ववाह और वधवा-पु न ववाह क
वकालत क और ऐसेअने क ववाह स प भी कराय,पदा- था
का वरोध कया और जा त-गत वभाजन क आलोचना
क |उ ह नेजा त-गत कठोरता पर हमला कया,तथाक थत ह
न न जा तय व अ य धम के य केयहाँभोजन करने
लगे ,खान-पान पर लगे तबं ध का वरोध कया,अपना सं पू

जीवन श ा के सार हे तुसम पत कर दया और समु
या ा पर तब ध जै सेपु राने ह वचार का वरोध
कया|इस आ दोलन नेदे श केअ य भाग म भी ऐसेही अने क
सुधार-आ दोलन को े रत कया |ले कन इस समू ह का भाव
बढ़ता गया जब क अ य समू ह,जो क सामा जक सु धार के त
उनकेउतने अ धक तब नह थे , का पतन हो गया|

91
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4.5 1857 का व ोह (कारण और


असफलताए)
सन1857 का व ोह उ री और म य भारत म टश
अ ध हण के व उभरेसैय असंतोष व जन- व ोह का
प रणाम था| सै य असं तोष क घटनाएँजैसे
- छावनी े म
आगजनी आ द जनवरी सेही ारं भ हो गयी थ ले कन बाद म
मई म इन छटपु ट घटना नेस बं
धत े म एक ापक
आ दोलन या व ोह का प लेलया| इस व ोह नेभारत म
टश ई ट इंडया केशासन को समा त कर दया और अगले
90 वष के लए भारतीय उपमहा प केअ धकां श भाग को
टश सरकार ( टश राज) के य शासन केअधीन लाने
का रा ता तै
यार कर दया|

व ोह केकारण

चब यु कारतू स के योग और सै नक सेस बंधत मु को


इस व ोह का मुय कारण माना गया ले कन व मान शोध
ारा यह स हो चुका हैक कारतू स का योग न तो व ोह
का एकमा कारण था और न ही मुय कारण | वा तव म यह
व ोह सामा जक-आ थक-राजनी तक-धा मक आ द अने
क कारण
का स म लत प रणाम था|

• साम जक और धा मक कारण: टश नेभारतीय के


साम जक-धा मक जीवन म दखल न देनेक नी त सेहटकर
सती- था उ मू
लन (1829) और ह - वधवा पु
न ववाह(1856)
जै
सेअ ध नयम पा रत कये| ईसाई मशन रय को भारत म
वे
श करनेऔर धम चार करनेक अनु म त दान कर द

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गयी|1950 ई. केधा मक नय यता अ ध नयम के ारा ह


केपरंपरागत कानू
न म संशोधन कया गया |इस अ ध नयम के
अनुसार धम प रवतन करनेकेकारण कसी भी पु को उसके
पता क संप सेवं चत नह कया जा सके गा|

• आ थक कारण: टश शासन ने ामीण आ म नभरता को


समा त कर दया | कृष केवा ण यीकरण नेकृ षक-वग पर
बोझ को बढ़ा दया| इसकेअलावा मु ापार नी त को
अपनाने,उ ोग क थापना को हतो सा हत करनेऔर धन के
ब हगमन आ द कारक नेअथ व था को पू री तरह सेन कर
दया|

• सै
य कारण: भारत म टश उप नवेश के व तार ने
सपा हय क नौकरी क प र थ तय को बु री तरह से भा वत
कया |उ ह बगैर कसी अ त र भ ेकेभु गतान केअपनेघर
से र नयु यां दान क जाती थ |सै य असंतोष का
मह वपूण कारण जनरल स वस ए ल टमट ए ट ,1856
था, जसके ारा सपा हय को आव यकता पड़नेपर समु पार
करनेको अ नवाय बना दया गया | 1954 केडाक कायालय
अ ध नयम ारा सपा हय को मलनेवाली मुत डाक सु वधा
भी वापस लेली गयी|

• राजनी तक कारण: भारत म टश े का अं तम प से


व तार डलहौजी केशासन काल म आ था| डलहौजी ने
1849 ई. म घोषणा क क बहा रशाह तीय के
उ रा धका रय को लाल कला छोड़ना होगा| बाघट और
उदयपुर केस मलन को कसी भी तरह सेर कर दया गया
और वेअपनेशासक-घरान केअधीन बनेरहे
| जब डलहौजी ने
करौली (राज थान) पर पगत के स ां
त को लागूकरनेक
को शश क तो उसके नणय को कोट ऑफ़ डायरेटस ारा
नर त कर दया गया|

93
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1857 केव ोह सेजु


ड़ेव भ ने
ता

बै
रकपु
र - मं
गल पां
डे

द ली -. बहा रशाह तीय ,जनरल ब त खां

द ली - हा कम अहसानु
लाह(बहा रशाह तीय का मुया
सलाहकार)

लखनऊ - बेगम हजरत महल, बज रस का दर,अहम लाह(अवध


केपू
व नवाब केसलाहकार)

कानपु
र - नाना सा हब ,राव सा हब(नाना सा हब के
भतीजे या टोपे
),तां ,अज़ीमु
लाह खान (नाना सा हब केसलाहकार)

झाँ
सी - रानी ल मीबाई

बहार(जगद शपु
र) - कु

वर सह ,अमर सह

इलाहाबाद और बनारस -. मौलवी लयाकत अली

फैजाबाद - मौलवी अहम लाह (इ होन व ोह को अंज के


व जहाद के प म घो षत कया)

फ खाबाद - तु
फजल हसन खान

बजनौर - मोह मद खान

मु
रादाबाद -. अ ल अली खान

94
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बरे
ली - खान बहा र खान

मं
दसौर - फरोजशाह

वा लयर/कानपु
र - तां
या टोपे

असम - कं
दपरेर सह ,मनीराम द ा

उड़ीसा -. सु
रे शाही ,उ जवल शाही

कुलू- राजा ताप सह

राज थान - जयदयाल सह ,हरदयाल सह

गोरखपु
र - गजधर सह

मथु
रा - से
वी सह ,कदम सह

व ोह सेस बं
धत टश अ धकारी

जनरल जॉन नको सन


20 सत बर,1857 को द ली पर अ धकार कया( ज द ही
लड़ाई म मलेघाव केकारण नको सन क मृयुहो गयी|)

मे
जर हडसन
द ली म बहा रशाह केपु व पोत क ह या कर द |

सर यू
ग हीलर
26 जू
न 1857 तक नाना सा हब क से
ना का सामना कया ।

95
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27 तारीख को टश से
ना नेइलाहाबाद सेसु
र त नकलने
का आ ासन ा त करनेकेबाद आ मसमपण कर दया|

जनरल नील
जू
न 1857 म बनारस और इलाहाबाद को पु
नः अपनेक जेम
लया | नाना सा हब क से ना ारा अंेज क ह या के
तशोध व प उसनेकानपु र म भारतीय क ह या क |
व ो हय सेसं
घष केदौरान लखनऊ म उसक मृ युहो गयी|

सर कॉ लन का पबे

इ होन 6 दसंबर 1857 को अं
तम प सेकानपु र पर क ज़ा
कया | 21 माच 1858 को अं
तम प सेलखनऊ पर क ज़ा
कर लया |5 मई 1858 को बरे
ली को पु
नः ा त कया|

हे
नरी लॉरस
अवध केमुय शासक, जनक ह या व ो हय ारा 2 जुलाई
1857 को लखनऊ रे
जीडसी पर क जेकेदौरान कर द गयी
थी |

मे
जर जनरल है
वलॉक
17 जु
लाई 1857 को नाना सा हब क से ना को हराया |
दसं
बर 1857 को लखनऊ म इनक मृ युहो गयी|

व लयम टे
लर और आयर
अग त 1857 म आरा म व ोह का दमन कया|

यू
ग रोज
झाँसी म व ोह का दमन कया और 20 जू न 1858 को
वा लयर पर पु
नः क ज़ा कया |उ ह नेसं
पू
ण म य भारत और
बुं
दे
लखंड को पु
नः टश शासन केअधीन ला दया|

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कनल से

बनारस पर क ज़ा कया|

न कष:
1857 का व ोह भारतीय इ तहास क एक मह वपू
ण घटना थी
क इसका आर भ सै
|हालाँ नको केव ोह ारा आ था ले कन
यह क पनी के शासन सेअसं तु और वदे शी शासन को
नापसंद करनेवाल क शकायत व सम या क स म लत
अभ थी|

4.6 टश शासन म सामा जक


अ ध नयम
19व सद क शुआत म टश क नी तय नेहालाँ क
त कालीन सामा जक समाज म ा त बु
राइय केउ मू
लन म
सहयोग दया ले कन धीरे
-धीरेभारत क सामा जक-धा मक
बु
नावट को कमजोर करनेका काय भी कया यो क वेमुयतः
अंेजी सोच व समझ पर आधा रत थ |

ा यवाद के ा याता नेकहा क भारतीय समाज को


आधु नक करण और प मीकरण क आव यकता है |उ ह अने

वचारधारा क ती आलोचना का सामना करना पड़ा| व लयम
व बरफोस व चा स ां ट जै
से य केअनुसार ‘भारतीय
समाज अं ध व ास ,मू
त पू
जा व पु
जा रय क तानाशाही सेभरा
पड़ा है
|’

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उ ह नेभारत का आधु नक करण ईसाई मशन रय केमा यम से


करना चाहा | टश नेभारत केसामा जक वहार म अने क
प रवतन कये |
टश नेम हला क थ त को सुधारनेऔर अने क
सामा जक बुराइय को समा त करनेके लए न न ल खत कदम
उठाये-

बा लका ण ह या: यह
ू था उ च वग केबं गा लय व
राजपूत , जो क म हला को आ थक बोझ मानतेथे , म ब त
च लत थी| अतः भारतीय समाज क सोच म सु धार लानेके
म म 1795 व 1804 केबं गाल रे
गल
ुेशन ए ट नेबा लका
शशुक ह या को अवै ध घो षत कया और 1870 म बा लका
शशुह या पर तब ध लगानेके लए एक अ ध नयम भी
पा रत कया गया था| इस अ ध नयम के ारा माता- पता ारा
सभी ब च केज म का पं जीकरण कराना अ नवाय बना दया
गया और बा लका शशुकेस दभ म ज म केबाद केकु छ
वष तक भी नगरानी रखनेक व था थी| इसेवै
से े म
वशेष प सेलागूकया गया जहाँ यह था अ धक चलन म
थी|

सती था क समा त: यह राजा राममोहन राय के यास से


भा वत था| टश सरकार नेसती था या वधवा ी को
ज दा जलानेक था को समा त करनेका नणय लया और
इसेआपरा धक ह या घो षत कर दया|1829 का सती था
उ मू
लन कानू न पहलेबं
गाल तक सी मत था ले
कन 1830 म
उसेकु छ सं
सोधन केसाथ म ास व ब बई े सडे
सय म भी
लागू कर दया गया|

दास था का उ मू
लन: यह एक अ य कुथा थी जो टश
क नजर म आई और उ ह ने1833 केचाटर अ ध नयम ारा

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भारत म दास था को समा त कर दया तथा 1843 केपां


चवे
ए ट ारा इस था को क़ानू नी प सेसमा त कर दया गया
और गैर-क़ानू
नी घो षत कया गया|

वधवा पु
न ववाह: हम समाज नेइसेसवा धक मह व दान
कया और लोग का यान इस ओर आक षत कया| वधवा
पु
न ववाह को ो सा हत करने के लए अने क म हला
कॉलेज, व व ालय ,संगठन क थापना क गयी और वै दक
यु
ग सेवधवा पुन ववाह केप म माण जु टाए गए |

बाल ववाह पर रोक: 1872 का ने


टव मै
रज ए ट ( स वल
मैरज ए ट) इसेरोकनेकेउ े
य सेही लाया गया था ले कन
वह अ धक भावी नह रहा यो क वह ह ,मुलम व अ य
कई धम पर लागूनह होता था|1891 ई. म बी.एम.मालाबारी
के यास सेएज ऑफ़ कं सट ए ट पा रत कया गया और 12
वषा सेकम उ क लड़क के ववाह पर रोक लगा द गयी|
अं
ततः वतंता के बाद बाल ववाह नरोध (सं शोधन)
अ ध नयम ारा इसम बदलाव कया गया और ववाह क आयु
लड़क केलए 18 वष व लड़केकेलए 21 वष नधा रत क
गयी|

4.7 द ण भारत म सु
धार
बंगाल सेशु होकर धा मक व सामा जक सु धार आ दोलन
भारत केअ य भाग म भी फै ल गए| हम समाज से े रत
होकर 1864 ई. म म ास म वे
द समाज क थापना क गयी|
इसनेजा तगत भेदभाव का वरोध कया और वधवा पुन ववाह
व ी श ा को ो सा हत कया| हम समाज केसमान,वे द

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समाज नेभी अं ध व ास व ह धम के ढ़वाद री त-


रवाज का वरोध कया और एक परमस ा म व ास
कया| वेद समाज केसबसे मुख ने
ता चेबे
ती ीधरालूनायडू
थे| उ ह ने हम समाज क पुतक का त मल और ते लगूभाषा
म अनु वाद कया|बाद म आं देश,कनाटक व त मलनाडुके
कुछ शहर म हम समाज क शाखाएंथा पत और इसके
तुरं
त बाद ाथना समाज क भी शाखाएंथा पत | इन दोन
समाज नेमलकर सामा जक व धा मक सु धार को ो सा हत
करने का काय कया|

द ण भारत केसु धार आंदोलन केसबसे मुख ने ता क कु


री
वीरे
स लगम थे| इनका ज म 1848 ई. म आं दे श केएक
ढ़वाद ा ण प रवार म आ था| उ ह ने हम समाज, वशेष
प सेके शवच से न,के वचार से भा वत होकर वयंको
सामा जक सु धार के त सम पत कर दया| 1876 ई. म
उ ह नेएक ते लगूप नकाला जो लगभग पू री तरह से
सामा जक सुधार के त सम पत था|उनका सबसेबड़ा योगदान
म हला क मु के े म था जसम ी श ा और
वधवा पु
न ववाह भी शा मल था|

केरल म नारायण गु ारा वशेष प सेसमाज केद लत व


शो षत के उ थान के लए एक आ दोलन शु कया
गया|नारायण गु का ज म 1854ई. म एक एजावा प रवार म
आ था| एजावा व कुछ अ य जा तय को के रल म तथाक थत
ह उ च जा तय ारा अछू त माना जाता था| नारायण गु ने
सं कृ
त श ा ा त क और वयंकेजीवन को एजावा व अ य
द लत लोग केउ थान के लए सम पत कर दया| उ ह नेऐसे
मंदर क थापना क जो जनम भगवान व उनक मू तय के
लए कोई थान नह था| इ होन थम ऐसेमं दर क थापना
पास म रहनेवाली नद सेप थर नकाल कर क गयी थी| इस
प थर पर न न ल खत श द लखेथे -“यह एक ऐसा थान है

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जहाँसभी लोग जा तगत भे दभाव व धा मक श त


ुा के बना
भाईचारेकेसाथ रहतेहै
| नारायण गु ने1903 ई. म नारायण
धम प रपालन योगम क थापना क ,जो सामा जक सु धार के
लए एक मह वपू ण सं
गठन बन गया| उ ह नेसभी केलए ‘एक
जा त,एक धम और एक ई र’ क वकालत क |

द ण भारत केअने क समाज सुधारक नेवयंको ह मं दर


सेस बं धत सुधार केसाथ स ब कया| इसी म म उ ह ने
ह मं दर म च लत दे वदासी था केउ मू लन क वकालत
क | उ ह नेयह मां
ग भी क क मं दर क सं प पर पुजा रय
का अ धकार न होकर जनता का अ धकार होना चा हए| ब त
सेमं दर म तथाक थत न न जा तय को वे श का अ धकार
नह था,यहाँतक क मं दर सेसट ई सड़क भी उनके लए
तबंधत थ | सुधारक नेमं दर- वे
श व मं दर सेजुड़ी अ य
अनेक कुथा को समा त करनेके लए सश आ दोलन
चलाया|

4.8 प मी भारत म सु
धार आ दोलन
सन 1867 ई. म ब बई म ाथना समाज क थापना क गई|
महादेव गो व द रानाडेऔर रामकृण भं डारकर इसकेमुय
सं थापक थे | ाथना समाज केने ता हम समाज से भा वत
थे|उ ह नेजा त- था और छुआछुत के वहार का वरोध कया|
उ ह नेम हला क थ त म सु धार के लए काय कया और
वधवा-पुन ववाह क वकालत क | रानाडे,जो क भारतीय रा ीय
कांे स केभी सं थापक म सेएक थे ,ने1887 ई. म इं डयन
नेशनल सोशल कांस क थापना क जसका उ े य संपू

भारत म सामा जक सु धार के लए भावशाली तरीकेसेकाय

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करना था| इस कांस का आयोजन भी तवष सामा जक


सम या पर चचा के लए भारतीय रा ीय कांे स के
अ धवेशन केसाथ ही होता था| रानाडेका मानना था क
सामा जक सुधार के बना राजनी तक व आ थक े म उ त
सं
भव नह है | वेह -मुलम एकता केबड़ेसमथक थेऔर
घो षत कया क भारत जै सा वशाल देश तभी कोई उ त कर
सकता हैजब ह व मुलम दोन हाथ मलाकर एक साथ
आगेबढ़| प मी भारत केदो अ य महान सु धारक गोपाल ह र
दे
शमुख लोक हतवाद और यो तराव गो वदराव फु ले ,जो
यो तबा या महा मा फु ले के नाम से स रहे
,थे
|
लोक हतवाद अने क साम जक सु धार सं
गठन सेजु ड़े ए थे |
उ ह नेम हला क थ त म उ थान केलए काय कया और
जा त- था क आलोचना क |

महा मा फु लेनेअपना सं
पू
ण जीवन समाज केशो षत व द लत
वग केउ थान और म हला क थ त म सु
धार लानेको
सम पत कर दया| उ ह ने 1848 ई. म तथाक थत न न वग क
बा लका केलए कू ल क थापना क और अपनी प नी को
श त कया ता क वेउस कू ल म पढ़ा सक| 1873 ई. म
उ ह नेस यशोधक समाज क थापना क जसम जा त व धम
केभे दभाव के बना कोई भी वेश पा सकता था| येसमाज
केद लत व पछड़ेवग केलोग को समान अ धकार दलानेके
लए काय करती थी| महा मा फु
लेने ा ण क सव चता का
वरोध कया और ा ण के बना ही ववाह स प करानेक
परंपरा का ारंभ कया| द लत के लए उनके ारा कयेगए
काय केकारण ही उ ह महा मा क उपा ध दान क गयी थी|

दयानं
द सर वती और आय समाज

दयानं
द सर वती, जनका वा त वक नाम मू
ल शंकर था, का
ज म का ठयाबाढ़ म 1824 ई. म आ था| चौदह वष क उ

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म ही उ ह नेमूत पूजा करनेसेमना कर अपनेव ोही वभाव


का प रचय देदया था| उसकेतु रं
त बाद उ ह नेघर छोड़ दया
और ान क खोज म अपनेजीवन को सम पत कर दया| इस
दौरान उ ह नेसं
कृत भाषा और सा ह य म वीणता हा सल क
1863 ई. म उ ह नेअपनेइस स ां त का उपदेश देना ारं

कर दया क ई र के वल एक हैजसक पू जा मू तय के प
म नह ब क अं तमन केकरनी चा हए| उ ह नेइस मत का
चार कया क वे द म वह ान समा हत हैजसेई र ने
मनु य को दान कया हैऔर आधु नक व ान सेस बं धत
ज री बात को भी उनम खोजा जा सकता है | अपनेइस
स देश केसाथ उ ह नेसं पू
ण भारत का मण कया और
1875 ई. म ब बई म आय समाज क थापना क | दयानं द ने
अपनेउपदे श व ले खन क भाषा के प म हद को चु ना|
स याथ काश उनके ारा लखी गयी सबसेमह वपू ण पुतक
है
|

हद भाषा के योग केकारण उनके वचार उ र भारत के


सामा य जन तक प चन म स म हो सके | उ र दे श,
राज थान,गुजरात म आय समाज का ब त ते जी से सार आ
और पं जाब म तो यह एक मह वपू ण सामा जक व राजनी तक
श के प म उभरा| आय समाज केसद य दस स ां त का
अनु सरण करतेथे , जनम सबसेपहला स ां त वे
द का अ ययन
था| अ य स ां त सदाचार व नै
तकता सेस बंधत थे
|दयानं
द ने
इनके लए एक सामा जक वहार संहता भी तैयार क
थी, जसम जा तगत भे दभाव व सामा जक असमानता के लए
कोई जगह नह थी|

आय समाजवा दय बाल ववाह का वरोध कया और वधवा


पु
न ववाह को ो सा हत कया| पू
रेउ र भारत म श ा के
सार हेतुउ ह नेबालक व बा लका के लए कूल व
कॉलेज केएक तं क थापना क जसक शुआत लाहौर

103
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केदयानं द एं
लो वैदक कू ल से ई थी,जो ज द ही पंजाब के
मुख कॉलेज के प म वक सत हो गया| यहाँआधु नक तज
पर अंे जी व हद म श ा दान क जाती थी| दयानं द के
कु छ श य जो दयानंद केमू ल अ भ ाय को बनायेरखना चाहते
थे,नेश ा क ाचीन आ म प त केआधार पर ह र ार म
गुकु ल क थापना क | दयानं द नेवेद को परमस य माना
यो क वेह को धा मक व ास का एक न त ढां चा
दान करना चाहतेथे| उ ह नेइ लाम व इसाई धम वीकार कर
चुके ह को पु
नः ह धम म वापस ले न के लए शु
आ दोलन भी चलाया| अने क सु धारक नेअपनेसामा जक व
धा मक वचार को पु करनेकेलए वे द व अ य ाचीन धम-

थ सेउदहारण तुत कये | उ ह नेतक केआधार पर अपने
वचार को बल दया जब क कु छ अ य नेखुलेतौर पर इन
ाचीन धम- ं
थ क आलोचना भी क | श ा के ो साहन, य
केउ थान और जा त- था केबं धन को कमजोर करनेके
स दभ म दयानं द और आय समाज का योगदान कसी भी अ य
सुधार आ दोलन क तु लना म अ धक मह वपू ण था|

4.9 स यद अहमद खान और अलीगढ़


आ दोलन
मुलम केबीच श ा के सार और सामा जक सु धार केलए
सबसेमह वपू ण आ दोलन सर सै यद अहमद खान (1817-
1898 ई.) ारा ारं
भ कया गया था| वेएक ऐसेप रवार से
ता लु
क रखतेथेजसकेसद य मु ग़ल दरबार म उप थत रहते
थे
|उ ह नेया यक अ धकारी के प म ई ट इंडया कंपनी क
से
वाएँ दान क और 1857 केव ोह, जसम टश शासक ने

104
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मुलम को अपना ‘वा त वक श ुव सबसेखतरनाक मन’


करार दया था और उनके त भे द-भाव पू
ण नी त का
अनु सरण कया था,केदौरान भी ये टश के त वफादार बन
रहे
|

सर सै यद अहमद खान मुलम क दयनीय थ त को ले कर


ब त च तत थेऔर उनको उनके पछड़े पन सेऊपर उठाना
उनकेजीवन का उ े य बन गया| उ ह ने टश शासक केमन
म मुलम के त श त ुा केभाव को समा त करनेके लए
अथक यास कया| उ ह नेमुलम सेसादगी व शुता के
मू
ल इ ला मक सधा त क ओर लौटनेक अपील क और
भारत केमुलम केलए अंे जी श ा क वकालत क | उनके
ारा व ान पर अ य धक बल देनेकेकारण ढ़वाद मुलम
उनसेनाराज हो गए और उ ह इनका वरोध भी झे लना पड़ा
था| लेकन अपनेसाहस और ववे क केबल पर वेइन बाधा
को पार कर गए|

1864 ई. म इ होन अनुवाद सोसाइट क थापना क जो बाद


म द साइंट फक सोसाइट म बदल गयी| यह सोसाइट अलीगढ़
म थत थी और व ान अ य वषय क अंे जी पुतक का
उ भाषा म अनु वाद कर का शत करती थी,साथ ही सामा जक
सु
धार सेस बं धत उदारवाद वचार को सा रत करनेके लए
एक अंेजी-उ प भी नकालती थी| उ ह नेमुलम समु दाय
के पछड़ेपन के लए ज मे दार ब त सेसामा जक पूवा ह को
समा त करने क वकालत क |

उनका सबसेबड़ा योगदान 1875 ई. म अलीगढ़ म मोह मडन


एंलो ओ रए टल कॉलेज क थापना था| समय केसाथ यह
भारतीय मुलम के लए सवा धक मह वपूण शैणक सं सथान
बन गया| यह मान वक व व ान के वषय सेस बं धत श ा
को पूरी तरह सेअंे
जी मा यम म दान करता था और इसके

105
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कई अ यापक इं
लड सेभी आयेथे
| कॉले
ज को देश भर मु

मुलम सेसमथन ा त आ और टश नेभी इस कॉले

केवकास म हर तरह सेअपनी च द शत क |

मोह मडन एं लो ओ रए टल कॉले ज ,जो बाद म अलीगढ़


मुलम व व ालय बन गया, नेवहांपढ़नेवाली पी ढ़य को
आधु नक कोण सेस प बनाया| सर सै यद अहमद खान
और मोह मडन एं लो ओ रए टल कॉलेज सेस ब मुलम
जागरण आ दोलन को अलीगढ़ आ दोलन का नाम दया गया|
उ ह नेभारतीय रा ीय कांे
स क ग त व धय का वरोध कया|
उस समय केकई अ य ने ता केसमान उनका भी व ास था
क भारतीय अभी भी वयंशासन सं भालनेके लए तै यार नह
हैऔर टश शासन के त वफादार बनेरहनेसेही उनके
हत क सव म तरीकेसेपू त हो सकती है
|उ ह नेकुछ ह
व मुलम ने ता केसाथ मलकर कांे स का वरोध करनेके
लए इं डयन पैयो टक एसो सएशन क थापना क और
मुलम को कांे स म शा मल होनेसेरोकनेका यास कया|
उनके ारा ह व मुलम क एकता पर बल दया गया|

न कष
सर सैयद अहमद खान भारत केमहानतम मुलम सु धारक म
सेएक थे | उ ह नेआधु नक तकवाद व व ान के काश म
कु
रान क ा या क | उ ह नेधमा धता,सं
क ण मान सकता व
क रपन का वरोध कया और वतं सोच को बढ़ावा दे नेपर
बल दया|

106
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4.10 मुलम सु
धार आ दोलन
19 व सद केआर भ म मुलम उ ोधन केच ह उ र दे श
म बरेली केसर सैयद अहमद खांऔर बं गाल केशरीयतुला
केने तृ
व म उभरकर सामनेआये |ऐसा ईसाई मशन रय ,प मी
वचार के भाव और आधु नक श ा केकारण सं भव हो
सका| उ ह ने वयंको इ लाम केशु करण व उसेमजबू त
बनानेऔर इ ला मक श ा के ो साहन के लए सम पत
कर दया था|

शरीयतु
ला नेबंगाल केफरायजी आंदोलन क शुआत क ,
जसनेकृ षक केहत म कई कदम उठायेथे | उ ह नेमुलम
समाज क जा त- व था का ती वरोध कया था|

शरीयतु ला नेबंगाल केफरायजी आं दोलन क शुआत क ,


जसनेकृ षक केहत म कई कदम उठायेथे | उ ह नेमुलम
समाज म च लत जा त- व था का ती वरोध कया था| 19
व सद के थम पचास वष केदौरान द ली व कलक ा के
कुछ मु भर लोग ही अंे जी श ा हा सल कर पाए थे |
अ धकां श मुलम नेवयंको अंे जी श ा से र ही रखा,
जसका कारण उले मा व मुलम का जय का रवै या और
उ च मुलम वग क टश राज केसाथ मे
ल- मलाप बढानेके
त च का न होना था| सन 1857 के व ोह म मुलम
क स य भागीदारी ने टश केमन म मुलम के त
असं तोष का भाव पै
दा कर दया|

फर भी जागृ
त और श त मुलम का एक ह सा केनाते
शरीयतु
ला नेशासक के त सहयोगपू
ण नी त को अपनाने
और टश क सहायता सेमुलम समाज क सामा जक

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थ त म सु धार लानेक ज रत महसू स क | आधु नक श ा


के सार और पदा व ब ववाह जै सी सामा जक बुराइय को र
करनेकेलए कु छ आ दोलन भी चलायेगए थे | नवाब अ ल
लतीफ़ (1828-1893) ारा 1863 ई. म था पत कलक ा क
मोह मदन लटरे सी सोसाइट उन कु
छेक ारं भक सं था म से
एक थी जसनेइस दशा म कदम बढायेथे |इसनेश ा के
सार, वशे
ष प सेबं गाल केमुलम केबीच,केसाथ साथ
ह -मुलम एकता को भी बढावा दया|

वहाबी आ दोलन

इसे‘वलीउ लाह आ दोलन’ केनाम सेभी जाना जाता है ,


जसक शुआत प मी भाव क त या व प ई थी| यह
आ दोलन शाह वलीउ लाह, ज ह थम भारतीय मुलम ने ता
भी माना जाता है
, क श ा से ेरत था| यह पू
रा का पू
रा
आ दोलन कु रान और हद स क श ा पर आधा रत था|

अहम दया आ दोलन

इस आ दोलन क शुआत मज़ा गु लाम अहमद ारा 1889 ई.


म भारतीय मु सलमान केबीच प मी श ा के सार के
उ ेय से क गयी थी|यह आ दोलन, हम समाज के
समान,उदारवाद मू
य पर आधा रत था|

दे
वबं
द कू

यह उदारवाद आ दोलन के वरोध म कु छ ढ़वाद मुलम


उलेमा ारा शु कया गया आ दोलन था जो क कुरान और
हद स केआधार पर इ लाम केवा त वक सार क श ा दे ना
चाहता था और इ होने टश शासन के खलाफ जहाद क

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सं
क पना का भी तपादन कया|

न कष
19व सद न के वल ह -मुलम ब क दे श केसं पू
ण समाज
के लए जागरण का काल थी| इस काल म सभी धम म धम
केनाम पर च लत कुथा को र करनेके लए अने क
सु
धारक सामनेआयेऔर भारतीय सं कृत व दशन क महानता
का तपादन कया| रा ीय गौरव, आ म-स मान, आ म- नभरता
जै
सेवचार का चार- सार कया गया|

4.11 थओसो फकल समाज


‘ थओसोफ ’ सभी धम म न हत आधारभू त ान हैलेकन यह
कट तभी होता हैजब वेधम अपने -अपनेअ ध व ास से
मु हो| वा तव म यह एक दशन हैजो जीवन को
बु म ापू वक तुत करता हैऔर हम यह बताता हैक
‘ याय’ तथा ‘ यार’ ही वेमूय हैजो सं पू
ण व को दशा
दान करतेहै | इसक श ाएं , बना कसी बा प रघटना पर
नभरता के , मानव केअ दर छु पी ई आ या मक कृ त को
उ ा टत करती ह|

थओसोफ ’ या है
?

‘ थओसोफ ’ एक ीक श द है; जसका शा दक अथ है-“ई रीय


ान”|यह उन गू
ढ़ दशन क ओर सं के
त करता हैऔर उनके
बारेम य ान ा त करना चाहता , जो अ त व और

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कृ त के, वशेष प सेई रीय/दै वीय कृ त के व-अनु


,पू मा नत
रह य सेस बं धत ह|सार प म यह उस छु पे ए ान क
ओर सं के
त करता हैजो को बोधन और मो क ओर
लेजाता है | थओसोफर ा ड केउन रह य और सं बं
ध को
जाननेक को शश करता हैजो ा ड, ई र व मानवीयता
को जोड़े रखते ह| अतः ‘ थओसोफ ’ का उ े य
ई र व ,मानवीयता तथा ा ड क उ प का अ वे षण करना
है
|इन वषय केअनु स धान केमा यम से , थओसोफर ा ड
क उ प एवंउसकेउ े य क सं गत ा या करना चाहता है |

‘ थओसो फकल सोसाइट ’ क थापना मै डम लावा सक और


कनल अ कॉट ारा 1875 ई म यू यॉक म क गयी थी ,ले
कन
भारतीय समाज एवंसंकृ त म इस दशन क जड़ 1879 ई म
ही पनपनी शु |भारत म इसक शाखा म ास े सीडसी म
था पत ई जसका मुयालय अ ार म था| भारत म इस
आ दोलन का चार- सार एनी बे
सट ारा कया गया था|

थओसोफ न न ल खत तीन स ां
तो पर आधा रत थी:

1. व वं
धु
व क भावना

2.धम एवंदशन का तु
लना मक अ ययन

3.अ ा या यत रह यमयी नयम को समझनेके लए ाकृ


तक
नयम का अनु स धान

‘ थओसो फ त’ सभी धम का समान प सेआदर करतेथे |वे


धमा तरण केखलाफ थेऔर अं तःकरण क शु दता तथा पंथ
रह यवाद म व ास रखतेथे| थओसो फकल सोसाइट भारत म
ह धम केपु न थान का अ भ अं ग थी, जसनेकुछ सीमा
तक सामा जक सौहा क भी थापना क |एनी बे सट के

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अनुसार “ ह धम केबना भारत का कोई भ व य नह है


|ह
धम वह जमीन हैजस पर भारत क जड़ जमी ई हैऔर
उससेअलग होनेपर भारत वै
सा ही हो जाये
गा जै
सेकसी पेड़
को उसके थान सेउखाड़ दया जाये|”

‘ थओसो फ त ’ नेजा त एवंअछूत व था केउ मू लन का भी


यास कया तथा आ मसा वीकरण केदशन म व ास कट
कया| उ ह नेहा शयेकेसमाज को सामा जक वीकायता
दलानेके लयेस चेमन सेकाय कया|वेसामा जक प से
अ वीकाय वग को श त कर उनक प र थ तय म सु धार
लाना चाहतेथे |इसी लए एनी बे
सट नेअने क श ा स म तयां
था पत क और आधु नक श ा क पु रजोर वकालत क |
श ा,दशन एवंराजनी त उन कु छ वषय म शा मल थेजन
पर ‘ थओसो फकल सोसाइट ’ ने काय कया|

एनी बे
सट का प रचय:

एनी बेसट 1889 ई म ‘ थओसो फकल सोसाइट ’ म शा मल


ई|वेवेद एवंउप नषद क श ा म गहरा व ास रखती
थ और भारत को मु एवं बोधन क भू म मानती थी|बाद
म उ ह नेइसेही अपना रा और थायी घर बना लया |उ ह ने
उस समय केभारतीय समाज म ा त बाल- ववाह,अछूत-
व था और वधवा-पुन ववाह क मनाही जै सी बु राइय के
खलाफ आवाज उठायी| श ा को सभी तक प चानेके लए
उ ह ने‘बनारस स ल कू ल’ शु कया जो बाद म ‘बनारस
ह व व ालय’ के प म प रव तत हो गया|द ण भारत म
भी उनके यास सेअने क कू ल व महा व ालय क थापना
क गयी|
एनी बेसट ने‘आय रश लीग आ दोलन’ क तज पर भारत म
1916 ई| म ‘होम- ल लीग’ क थापना क | एनी बे सट एक
स एवं भावशाली ले खक भी थ | थओसो फकल सोसाइट

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के कोण को सा रत करनेके लए “द यूइं डया” एवं


“कॉमन वील” नाम केदो प का काशन भी उनके ारा
कया गया|हालां
क थओसो फकल आ दोलन का भाव सामा य-
जन क तु लना म बौ क वग पर अ धक पड़ा, फर भी उसने
उ ीसव सद म अपनी एक पहचान बनाय |

‘ थओसो फकल सोसाइट ’ केमुय ब

I. ‘ थओसो फकल सोसाइट ’ केअनु


सार चतन-मनन, ाथना एवं
वण केमा यम सेई र एवं केअंतःकरण केम य एक
व श स ब ध क थापना क जा सकती है |

II. ‘ थओसो फकल सोसाइट ’ नेपु


नज म एवंकम जै
सी ह
मा यता को वीकार कया और उप नषद, सांय,योग एवं
वेदांत दशन से े
रणा हण क |

III. इसने जा त,जा त,रं


ग एवंलालच जै
सेभे
द सेऊपर उठकर
व बं धुव का आ ाहन कया|

IV. सोसाइट कृत केअ ा या यत नयम और मानव के


अ दर छुपी ई श क खोज करना चाहती थी|

V. इस आ दोलन नेपा ा य बोधन केमा यम से ह


आ या मक ान क खोज करनी चाही |

VI. इस सोसाइट नेह के ाचीन स ां


त तथा दशन का
नवीनीकरण कया और उनसेस बंधत व ास को मजबूती
दान क |

VII. आय दशन व धम का अ ययन तथा चार कया |

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VIII. इस सोसाइट का मानना था क उप नषद


परमस ा, ा ड व जीवन केस य का उ ाटन करतेहै
|

IX. इसका दशन इतना सावभौम था क धम केसभी प


तथा उपासना केसभी कार क शं सा करता था |

X. सोसाइट नेआ या मक एवंदाश नक वमश केअ त र


अपनी अनुस धान तथा सा ह यक ग त व धय ारा ह के
जागरण म मह वपूण योगदान दया|

XI. इसनेह धम- ं


थ का काशन एवंअनु
वाद भी कया |

XII. सोसाइट नेसु


धार को े रत कया और उन पर काय
करने केलए श ा-नी तयाँतै
यार क |

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5. आधु
नक भारत: भारतीय रा ीय आ दोलन
5.1 श ा का वकास
5.2 भारतीय स े का वकास
5.3 भारतीय रा ीय कांेस
5.4 ज लयाँवाला बाग
5.5 उदारवाद
5.6 उ पं थ और बं गाल वभाजन
5.7 मुलम लीग क थापना
5.8 रौलट वरोधी स या ह
5.9 वदे शी आ दोलन
5.10 अराजक और रवो यू शनरी अपराध
अ ध नयम, 1919
5.11 खलाफ़त और असहयोग आ दोलन
5.12 वराज दल
5.13 मुडीमैन स म त (1924)
5.14 बटलर स म त (1927 ई.)
5.15 साइमन कमीशन
5.16 नेह रपोट
5.17 सा दा यक अ ध नणय और पू ना
समझौता
5.18 अग त ताव
5.19 गत स या ह

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5.20 स मशन
5.21 भारत छोड़ो आ दोलन
5.22 सुभाषचंबोस और आई. एन. ए.
(आजाद ह द फ़ौज)
5.23 राजगोपालाचारी फामू
ला (1944 ई.)
5.24 दे
साई- लयाकत ताव (AD 1945)
5.25 बेवल योजना और शमला स मले न
5.26 कै बने
ट मशन लान
5.27 अंत रम सरकार
5.28 संवै
धा नक सभा
5.29 माउंटबे
टन योजना और भारत के
वभाजन

5.1 श ा का वकास
श ा एक ऐसा श शाली औजार हैजो वतंता के व णम
ार को खोलकर नया को बदल सकनेक मता रखता है
|
टश केआगमन और उनक नी तय व उपाय केकारण
परं
परागत भारतीय श ा णाली क वरासत का पतन हो गया
और अधीन थ वग के नमाण हे तुअंेजयत सेयु श ा
णाली का आर भ कया गया|

ारं
भ म टश ई ट इं
डया कं
पनी श ा णाली केवकास के
त गंभीर नह थी यो क उनका ाथ मक उ े य ापार

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करना और लाभ कमाना था| भारत म शासन करनेके लए


उ ह नेउ च व म यम वग केएक छोटेसेह सेको श त
करनेक योजना बनाय ता क एक ऐसा वग तैयार कया जाये
जो र और रं ग सेतो भारतीय हो ले
कन अपनी पसं
द और
वहार केमामलेम अंेज केसमान हो और सरकार व
जनता केबीच आपसी बातचीत को सं भव बना सके| इसे
‘ न पं
दन स ांत’ क संा द गयी| श ा के वकास हे तु
टश नेन न ल खत कदम उठाये-

श ा और 1813 का अ ध नयम

• चा स ांट और व लयम व बरफोस,जो क मशनरी कायकता


थे,ने टश पर अह त प े क नी त को यागनेऔर अंे जी
श ा के सार हे
तुदबाव डाला ता क पा ा य सा ह य को पढ़ा
जा सकेऔर ईसाईयत का चार हो सके | अतः टश सं
सद
ने1813 केअ ध नयम म यह ावधान कया क ‘सप रषद
गवनर जनरल’ एक लाख पयेश ा के वकास हे तुखच कर
सकतेहैऔर ईसाई मशन रय को भारत म अपनेधम के
चार- सार क अनु
म त दान कर द |

• इस अ ध नयम का इस सेमह व हैक यह पहली बार


था जब ई ट इंडया कं
पनी नेभारत म श ा के वकास हे
तु
कदम उठाया |

• राजा राममोहन राय के यास सेपा ा य श ा दान करने


केलए ‘कलक ा कॉले ज’ क थापना क गयी | कलक ा म
तीन सं कृत कॉले
ज भी खोलेगए|

जन नदश हे
तुसामा य स म त,1823

इस स म त का गठन भारत म श ा केवकास क समी ा के

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लए कया गया था| इस स म त म ा यवा दय का बा य


था,जो क अंेजी केबजाय ा य श ा केब त बड़ेसमथक
थे|इ होने टश सरकार पर पा ा य श ा के ो साहन हे
तु
दबाव डाला प रणाम व प भारत म श ा का सार ा यवाद
और अंे जी श ा केभं वर म फं
स गयी |अं
ततः मै
कालेके
ताव केआनेसे टश श ा णाली का व प प हो
सका|

लॉड मै
काले
क श ा णाली,1835

• यह भारत म श ा णाली क थापना का एक यास था


जसम समाज केकेवल उ च वग को अंे
जी मा यम सेश ा
दान करनेक बात थी|

• फारसी क जगह अंे


जी को यायालय क भाषा बना दया
गया |

• अंे
जी पुतक क छपाई मुत म होनेलगी और उ ह स ते
दाम पर बे
चा जाने
लगा |

• ा य श ा क अपेा अंे
जी श ा को अ धक अनु
दान
मलनेलगा |

• 1849 म बे
थन
ुने थन
‘बेु कू
ल’ क थापना क |

• पू
सा ( बहार) म कृ
ष सं
थान खोला गया |

• ड़क म इं
जी नय रग सं
थान खोला गया|

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वु
ड ड पै
च ,1854

• इसे‘भारत म अंेजी श ा का मै
नाकाटा’ कहा जाता है
यो क इसम भारत म श ा के सार के लए सम वत
योजना तु त क गयी|

• इसम जनता म श ा के सार क ज मे


दारी रा य को
स पनेक बात कही गयी|

• इसनेश ा केएक पदानुम का ताव दया-सबसेनचले


तर पर वनाकु
लर ाथ मक कू ल, जला तर पर वनाकुलर
हाई कू
ल और स ब कॉले ज ,और कलक ा, म ास व ब बई
ेसडसी केस ब व व ालय |

• इसनेउ च श ा हे तुअंेजी मा यम और कू ल श ा के
लए दे
शी भाषा (वनाकु
लर) मा यम क वकालत क |

हं
टर आयोग(1882-83)

• इस आयोग का गठन ड लू
.ड लू
.हं
टर क अ य ता म 1854
केवुड ड पै
च केतहत वकास क समी ा हेतुकया गया था|

• इसने ाथ मक और से कडरी श ा म सु
धार व सार म
सरकार क भू मका को मह व दया |

• इसनेश ा के नयंण क ज मे
दारी जला और यु
न सपल
बोड को दे
नेक बात कही|

• इसनेसे
कडरी श ा के दो प म वभाजन कया

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–व ालय तक सा ह यक;वा ण यक भव य हे
तु
रोजगारपरक श ा |

सै
डलर आयोग

• वै
सेतो इस आयोग का गठन कलक ा व ालय क
सम या क केअ ययन हेतुकया गया था ले
कन इसके
सु
झाव अ य व व ालय पर भी लागू
होतेथे
|

• इसकेसु
झाव न न ल खत थे
:

a. 12 वष य कू
ल पा म

b. 3 वष य ड ी पा म(इं
टरमी डएट केबाद)

c. व व ालय क क कृ
त काय णाली,

d. योगा मक वैा नक और तकनीक श ा हे


तुसुवधा म
वृ , श क के श ण और म हला श ा का सु
झाव दया|

न कष
अतःहम कह सकतेहैक टश श ा णाली ईसाई
मशन रय क आकांा से भा वत थी| इसका वा त वक
उ ेय कम खच पर अधीन थ शास नक पद पर श त
भारतीय को नयु करना और टश वा ण यक हत क
पूत करना था| इसी लए उ ह नेश ा केमा यम के प म
अंेजी को मह व दया और टश शासन व टश क
वजयगाथा को म हमामं डत कया |

119
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5.2 भारतीय स
े का वकास
1780 ई. म जे स ऑग टस ह क ने‘बं गाल गजट’ या
‘कलक ा जनरल एडवरटाइजर’ प शु कया जसे1872 ई.
म सरकार क प आलोचना करनेकेकारण ज त कर लया
गया|ले कन ह क केइस यास नेभारत म े स क थापना
क |
बाद म अने क समाचार प और जनल का शत ए,
जैसे
- बंगाल जनल,कलक ा ो नकल,म ास को रयर और बॉ बे
हे
रा ड|

भारतीय े
स का वकास म नीचे
व णत है
-

• लॉड वे
ले
जली नेभारत पर च हमलेक आशं का केचलते

स ए ट,1799 केतहत ेस पर ससर शप लगा द |

• े
स ए ट,1835 या मे टकाफ ए ट: मे टकाफ (गवनर
जनरल,1835-36) ने1823 केआप जनक अ यादे श को
वापस लेलया ,इसी कारण सेउ ह ‘भारतीय े
स का मु दाता’
कहा जाता है
|

• लाइस सग ए ट,1857: इस अ ध नयम नेलाइसस तब ध


लागूकया और पुतक के काशन व वतरण ,समाचार प व
अ य छपी ई साम ी को रोकनेका अ धकार सरकार को
दान कर दया गया|

• रज ेशन ए ट,1867: इस अ ध नयम ने1935 केमे टकाफ


ए ट ारा लगाये तबं ध म ढ ल दान क और कहा क
सरकार नयामक य भूमका नभाए न क तबं धा मक |

120
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• वनाकु लर ेस ए ट,1878: इसका नमाण देशी भाषा केप


पर बे हतर नयंण था पत करने , भावी द ड दे
नेऔर सरकार
वरोधी लेखन केदमन हे तु कया गया था| इस ए ट के
ावधान न न ल खत ह-

1. जला म ज े ट को यह श दान क गयी क वह कसी


भी दे शी भाषा केसमाचार प के काशक व मुक को को
बु
लाकर सरकार के साथ एक ऐसेअनु बं
धप पर ह ता र
करनेको कह सकता हैजसमे यह व णत होता था क
सरकार के व कसी भी तरह क साम ी का शत नह
करे गा और न ही व भ धम ,जा तय , जा तय केलोग के
मय व े ष फ़ैलानेवाली साम ी का शत करे गा| मुक व
काशक को तभू त रा श भी जमा करनी पड़ती थी जसे
अनु बंधप का उ लंघन करनेपर ज त भी कया जा सकता
था|

2. म ज े
ट का नणय अं
तम होता था जसकेव यायालय
म अपील नह क जा सकती थी|

3. दे
शी भाषा केसमाचार प को इस ए ट सेतभी छू
ट मल
सकती थी जब वह काशन सेपू व स बंधत साम ी को
सरकार केपास जमा करे|

• समाचार प (अपराध हे
तु े
रणा)ए ट ,1908: इस ए ट ारा
मज े ट को यह अ धकार दया गया क वह आप जनक
साम ी,जै
से
-ह या हे
तुभड़काना, हसा को बढ़ावा दे
ना आ द,को
का शत करनेवालेप क े स संप को ज त कर सकता
है
|

• भारतीय ेस ए ट,1910: यह वनाकु


लर ए ट का ही नया
प था जो थानीय सरकार को यह अ धकार दे
ता था क वे

121
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रज ेशन केसमय मुक/ काशक से तभू त रा श क जमा


करायेऔर य द समाचार प ारा कसी कार का कोई
उ लं
घन कया कया जाता हैतो उसेज त कर सकती हैया
फर र ज ेशन र कर सकती है |साथ ही समाचार प के
मुक को ये
क संसकरण क दो तयाँथानीय सरकार के
पास जमा करनी पड़ती थ |

न कष
अतः भारतीय े
स का उ व वकासा मक
क ठनाइय , नर रता,औप नवे
शक तबं
ध और दमन सेभरा
आ था| इसनेवतंता के वचार को लोग तक प च ँाया और
वतंता संाम केलए मह वपू ण उपकरण बन गया|

5.3 भारतीय रा ीय कांस



भारतीय रा ीय कांे स क थापना 28 से30 दसं बर 1885
केम य ब बई म तब ई जब भारत क व भ े
सीड सय
और ा त के72 सद य ब बई म एक ए| भारत के
से
वा नवृ टश अ धकारी एले न ओ टो वयन यु म नेकांे स
केगठन म मह वपू ण भू मका नभाई थी| उ ह नेपु रेभारत के
कुछ मह वपू ण ने ता सेसंपक था पत कया और कांे स के
गठन म उनका सहयोग ा त कया| दादाभाई नै रोजी, काशीनाथ
य बक तै लंग, फरोजशाह मे हता,एस. सुम यम अ यर, एम.
वीराराघवाचारी,एन.जी.चंावरकर ,र ु ला एम.सयानी, और
ोमेश च बनज उन कु छ मह वपू ण नेता म शा मल थे
जो गोकु लदास ते जपाल सं कृ
त कॉले ज म आयो जत कांे स के
थम अ धवे शन म शा मल ए थे | मह वपू
ण नेता सुरे नाथ

122
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बनज इसम शा मल नह ए यो क उ ह नेलगभग इसी समय


कलक ा म ने
शनल कांस का आयोजन कया था|

भारत म थम रा ीय राजनी तक सं गठन केगठन का मह व


महसू स कया गया| अ धवेशन समा त होनेकेलगभग एक ह ते
बाद ही कलक ा केसमाचारप द इंडयन मरर नेलखा
क “ब बई म ए थम रा ीय कांे स नेभारत म टश
शासन केइ तहास म एक नया अ याय जोड़ दया है | 28
दसंबर 1885 अथात जस दन इसका गठन कया गया था,
को भारत केनवा सय क उ त केलए एक मह वपू ण दवस
के प म मा य जाये गा| यह हमारेदे
श केभ व य क सं सद
का क ब हैजो हमारेदे शवा सय क बे हतरी केलए काय
करेगा| यह एक ऐसा दन था जब हम पहली बार अपनेम ास,
ब बई,उ र प मी सीमा ा त और पं जाब के भाइय से
गोकु लदास ते
जपाल सं कृत कॉलेज क छत केनीचे मल
सके |इस अ धवे
शन क तारीख सेहम भ व य म भारत के
रा ीय वकास क दर को ते जी सेबढ़ते ए देख सकगे”|

कांेस के थम अ य ोमे
श च बनज थे |कांे
स केगठन
का उ े य,जै
सा क उसके ारा कहा गया,जा त, धम और े
क बाधा को यथासं
भव हटाते ए दे
श केव भ भाग के
ने
ता को एक साथ लाना था ता क दे
श केसामनेउप थत
मह वपूण सम या पर वचार वमश कया जा सके | कांे
स ने
नौ ताव पा रत कये, जनम टश नी तय म बदलाव और
शासन म सु धार क मां
ग क गयी|

भारतीय रा ीय कांे
स केल य और उ े

• दे
शवा सय केम य मैी को ो सा हत करना

• जा त,धम जा त और ां
तीय भे
दभाव सेऊपर उठकर रा ीय

123
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एकता क भावना का वकास करना

• लोक य मां
ग को या चका केमा यम सेसरकार के
सामने तु
त करना

• रा ीय एकता क भावना को सं
ग ठत करना

• भ व य केजन हत काय म क परे


खा तै
यार करना

• जनमत को सं
ग ठत व श त करना

• ज टल सम या पर श त वग क राय को जानना

भारतीय रा ीय कांे
स केअ धवे
शन

वष - थान - अ य

1985,1882 - ब बई,इलाहाबाद - ड लू
.सी.बनज

1886 - कलक ा - दादाभाई नै


रोजी

1893 - लाहौर - दादाभाई नै


रोजी

1906 - कलक ा - दादाभाई नै


रोजी

1887 - म ास - बद न तै
यब जी

1888 - इलाहाबाद - जॉज यु


ले( थम अंे
ज अय )

1889 - ब बई - सर व लयम बे
डरबन

124
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1890 - कलक ा - सर फरोजशाह मे


हता

1895,1902 - पू
ना,अहमदाबाद - सु
रेनाथ बनज

1905 - बनारस - गोपालकृण गोखले

1907,1908 - सू
रत,म ास - रास बहारी घोष

1909 - लाहौर - एम.एम.मालवीय

1916 - लखनऊ - ए.सी.मजु


मदार

1917 - कलक ा - एनी बे


सट

1919 - अमृ
तसर - मोतीलाल ने

1920 - कलक ा( वशे


ष अ धवे
शन) - लाला लाजपत राय

1921,1922 - अहमदाबाद,गया - सी.आर.दास

1923 - द ली( वशे


ष अ धवे
शन) - अ ल कलाम आज़ाद
(सबसेयु
वा अ य )

1924 - बे
लगाँ
व - महा मा गाँ
धी

1925 - कानपु
र - सरोजनी नायडू
( थम भारतीय म हला अ य )

1928 - कलक ा - मोतीलाल ने


1929 - लाहौर - जे
.एल.ने

125
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1931 - कराची(यहाँमू
ल अ धकार के ताव और रा ीय
आ थक काय म को पा रत कया गया) - व लभभाई पटे

1932,1933 - द ली,कलक ा - अ धवे


शन तबं
धत

1934 - ब बई - राज साद

1936 - लखनऊ - जे
.एल.ने

1937 - फै
जपु
र - जे
.एल.ने
ह ( थम बार गाँ
व म अ धवे
शन)

1938 - ह रपु
रा - एस.सी.बोस(जवाहरलाल ने
ह क अ य ता
म रा ीय आयोजन स म त का गठन कया गया)

1939 - पु री - एस.सी.बोस को दोबारा चु


ना गया ले
कन गां
धी
जी के दशन केकारण यागप देदया( यो क गाँ धी जी ने
प ा भसीतारमै
या को समथन दया था) उसकेबाद राज साद
को अ य बनाया गया

1940 - रामगढ़ - अ ल कलाम आजाद

1946 - मे
रठ - आचाय जे
.बी.कृ
पलानी

1948 - जयपु
र - डॉ. प ा भसीतारमै
या

126
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5.4 ज लयाँ
वाला बाग
ज लयांवाला बाग ह याकां
ड ने टश केअमानवीय चे हरेको
सामनेला दया | टश सै नक नेएक लगभग बं द मै
दान म हो
रही जनसभा म एक त नह थी भीड़ पर, बगै र कसी चे तावनी
के, जनरल डायर केआदे श पर गोली चला द गई यो क वे
तब ध केबावजू द जनसभा कर रहे थे
|

13 अ ै ल को यहाँएक त यह भीड़ दो रा ीय ने ता
–स यपाल और डॉ.सै फुन कचलू,क गर तारी का वरोध
कर रही थी| अचानक टश सै य अ धकारी जनरल डायर ने
अपनी से ना को नह थी भीड़ पर, ततर- बतर होने का मौका दए
बगैर, गोली चलानेकेआदे श देदए और 10 मनट तक या
तब तक गो लयांचलती रह जब तक वेख़ म नह हो गय |
इन 10 मनट , (कांे स क गणना केअनु सार) एक हजार लोग
मारेगए और लगभग दो हजार लोग घायल ए| गो लय के
नशान अभी भी ज लयां वाला बाग़ म दे खेजा सकतेहै , जसे
क अब रा ीय मारक घो षत कर दया गया है | यह नरसं हार
पूव- नयो जत था और जनरल डायर नेगव केसाथ घो षत
कया क उसनेऐसा सबक सखानेके लए कया था और
अगर वेलोग सभा जारी रखतेतो उन सबको वह मार डालता|
उसेअपनेकयेपर कोई श मदगी नह थी| जब वह इं लड गया
तो कु छ अंे ज नेउसका वागत करनेके लए चं दा इक ा
कया| जब क कु छ अ य डायर के इस जघ य कृय से
आ यच कत थेऔर उ ह नेजां च क मां ग क | एक टश
अख़बार नेइसेआधु नक इ तहास का सबसे यादा खू न-खराबे
वाला नरसं हार कहा|

21 वष बाद ,13 माच,1940 को,एक ां


तकारी भारतीय ऊधम

127
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सह नेमाइकल ओ डायर क गोली मारकर या कर द


य क ज लयांवाला ह याकां
ड क घटना केसमय वही पं जाब
का लेटनट गवनर था| नरसं हार नेभारतीय लोग म गु सा भर
दया जसेदबानेके लए सरकार को पु नः बबरता का सहारा
लेना पड़ा| पं
जाब केलोग पर अ याचार कयेगए,उ ह खु ले
पजड़ म रखा गया और उन पर कोड़ेबरसाए गए| अख़बार
पर तब ध लगा दए गए और उनकेसं पादक को या तो जेल
म डाल दया गया या फर उ ह नवा सत कर दया गया| एक
आतं क का सा ा य ,जै सा क 1857 के व ोह केदमन के
दौरान पै
दा आ था,चार तरफ फै ला आ था| र व नाथ टै गोर
नेअंे ज ारा उ ह दान क गयी नाईट ड क उपा ध वापस
कर द | येनरसंहार भारतीय वतंता संाम केइ तहास म एक
मह वपूण मोड़ सा बत आ|

दसं
बर,1919 म अमृतसर म कांे
स का अ धवे
शन आ| इसम
कसान स हत बड़ी संया म लोग नेभाग लया| यह प है
क इस नरसंहार नेआग म घी का काम कया और लोग म
दमन केवरोध और वतंता के त इ छाश को और बल
कर दया

5.5 उदारवाद
उदारवा दय ने1885-1905 तक भारतीय रा ीय कांे स पर
अपना भु व बनायेरखा| वेथेतो भारतीय ले कन वा तव म
अपनी पसं द,बु , वचार और नै तकता केमामलेम टश थे |वे
धै
य,संयम,समझौत और सभा म व ास रखते थे |
ए.ओ. यू म,ड लू
.सी.बनज ,सु रेनाथ बनज ,दादाभाई
नै
रोजी, फरोजशाह मे हता,गोपालकृण गोखले ,पंडत मदन मोहन
मालवीय,बद न तै यब जी,ज टस रानाडे ,जी.सुम यम अ यर

128
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आ द रा ीय आ दोलन के थम चरण के ने ता थे
| इह
उदारवाद कहा गया यो क ये टश सेन ा ा त करनेके
लए या चका ,भाषण ,और ले
ख का सहारा ले
तेथेऔर खुले
आम टश राज के त न ा द शत करतेथे|

उदारवा दय क मां
गे

• वे वधान प रषद के व तार ारा शासन शासन पर


लोक य नयंण था पत करना चाहतेथे
|

• े
स और भाषा क वतंता पर लगे तबं
ध क समा त|

• लोग क वतंता को बा धत करनेवालेआ स ए ट का


उ मू
लन|

• यायपा लका व कायपा लका का वभाजन|

• लोकतं व रा वाद केसमथक|

• टश क शोषणकारी नी तय क समा त|

उदारवा दय क उपल धयां

• उ ह नेअपनेसमय म सबसेआ ामक श क भू मका


नभाई, जसने
भारतीय राजनी तक प र य को बदल दया|

• वेन न म य वग,म य वग व बु जी वय केबीच राजनै


तक
जाग कता क लौ जगाने म सफल रहे
|

• उ ह नेनाग रक वतंता व लोकतं के वचार को सा रत


कया|

129
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• उ ह नेरा वाद क भू
मका तै
यार क और रा ीय आ दोलन
क न व रखी|

न कष
हालाँ
क हम यह कह सकतेहै क उदारवाद जनता और
टश केम य सेट वा व क भू मका नभा रहेथेले कन
कुछ समय बाद उनका भारतीय खू
न जागा और उ ह नेसं
थागत
यास ारा टश को उखाड़ फकने क को शश क |

5.6 उ पं
थ और बं
गाल वभाजन
उ पं थय का राजनी तक उदय कांे स केअ दर ही बं गाल
वभाजन वरोधी दशन से आ था|जब टश सरकार ने
बंगाल केलोग ारा कयेजा रहेजन दशन केबावजू द
बंगाल के वभाजन को र करनेसेमना कर दया तो अने क
युवा नेता का सरकार सेमोहभं ग हो गया, इ ह ही नव-
रा वाद या उ पंथी कहा गया| लाला लाजपत राय,बाल गं
गाधर
तलक, ब पन चं पाल और अर व द घोष मु ख उ पं थी ने
ता
थे|उ ह उ पं
थी कहा गया यो क उनका मानना था क सफलता
के वल उ मा यम सेही ा त क जा सकती है |

उ पं
थ केउदय केकारण

थय /उदारवा दय
1.नरमपं ारा सवाय भारतीय प रषद्
अ ध नयम(1909) केतहत वधान प रषद के व तार के
,कोई
मह वपू
ण उपल ध हा सल न कर पाना |

130
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2.1896-97 के ले ग और अकाल,जो भारत केलोग क


आ थक थ त म ास का कारण बना,केबाद भी टश क
शोषणकारी नी तय म कोई बदलाव नह आया|

3.द ण अ का म भार तय केसाथ रं


ग-भे
द|

4.1904-05 क स-जापान यु क घटना नेरा ीय जागरण


म मह वपूण भूमका नभाई थी|

मु
ख उ पं
थी/गरमपं
थी

• बाल गं
गाधर तलक: इ ह ‘लोकमा य’ भी कहा जाता है|
इनके ारा नकालेगए ‘मराठा’(अंेजी म) व ‘केसरी’( हद म)
नाम के सा ता हक प ने टश शासन पर हमल म
ां
तकारी भू
मका नभाई|1916 म इ होनेपूना म होम ल लीग
क थापना क और नारा दया क “ वरा य मे रा ज म स
अ धकार है और मैइसेलेकर र ग
ँा”|

• लाला लाजपत राय: इ ह ‘शे


रे
-पं
जाब’ या ‘पं
जाब का शे
र’
कहा जाता था|इ होनेवदेशी आ दोलन म मह वपू ण भूमका
नभाई थी| ‘साइमन वापस जाओ’ का नारा इ होने
ही दया था|

• ब पन च पाल: येपहलेउदारवाद थेले


कन बाद म
उ पंथी बन गए| इ होनेवदे
शी आ दोलन म मह वपू ण भू
मका
नभाई थी|अपने भावशाली भाषण व ले खन के ारा इ होन
रा वाद केवचार को देश केकोने
-कोनेतक प च
ँाया|

• अर व द घोष: येएक अ य उ पं
थी ने
ता थेज होन वदे
शी
आ दोलन म स य भागीदारी नभाई थी|

131
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बं
गाल का वभाजन

बं
गाल वभाजन भारत म टश वायसराय लॉड कजन ने
1905 म लागूकया कया था जसकेकारण न न ल खत थे
-

• बं
गाली रा वाद क ताकत को तोड़ना यो क बं
गाल भारतीय
रा वाद का क था|

• बं
गाल म ह व मुलम को वभा जत करना|

• यह दशाना क टश सरकार इतनी श शाली हैक वह


जो चाहे
कर सकती है
|

लेकन वभाजन नेवतंता संाम के त जन को जागृत कर


जन-आ दोलन का प देदया जसका प रणाम ब ह कार और
वदे
शी आ दोलन के प म दखाई दया|

5.7 मुलम लीग क थापना


बंगाल के वभाजन नेसांदा यक वभाजन को भी ज म दे
दया| 30 दसंबर,1906 को ढाका केनवाब आगा खांऔर
नवाब मोह सन-उल-मु क केने तृ
व म भारतीय मुलम के
अ धकार क र ा के लए मुलम लीग का गठन कया गया|
ारं
भ म इसे टश ारा काफ सहयोग मला ले कन जब
इसनेव-शासन केवचार को अपना लया,तो टश सेमलने
वाला सहयोग समा त हो गया|1908 म लीग केअमृ तसर
अ धवे शन म सर सै यद अली इमाम क अ य ता म मुलम
केलए पृ थक नवाचन मं डल क मां ग क गयी जसे टश
ने1909 केमॉल- म टो सु धार ारा पू
रा कर दया|मौलाना

132
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मु
ह मद अली नेअपनेलीग वरोधी वचार का चार- सार
करनेकेलए अंे जी जनल ‘कामरे
ड’ और उ प ‘हमदद’
को ारंभ कया| उ ह ने‘अल- हलाल’ क भी शुआत क
जो क उनकेरा वाद वचार का मु
खप था|

मुलम लीग को ो सा हत करनेवाले


कारक

• टश योजना- टश भारतीय को सा दा यक आधार पर


बाँ
टना चाहतेथेऔर इसी लए उ ह नेभारतीय राजनी त म
वभाजनकारी वृ का समावे श कया,इसका माण पृ थक
नवाचन मं
डल क व था करना और ा ण व गै र- ा ण
केबीच जा तगत राजनी त का खे
ल खे
लना थे
|

• श ा का अभाव-मुलम प मी व तकनीक श ा सेअछू


ते
थे
|

• मुलम क संभु ता का पतन-1857 क ां


त ने टश
को यह सोचने पर मजबू र कया क मुलम उनक
औप नवेशक नी तय के लए खतरा हो सकतेहै यो क मु ग़ल
स ा को हटाकर ही उ ह ने
अपनेशासन क न व रखी थी|

• धा मक भावना क अभ -अ धकतर इ तहासकार और


उ -रा वा दय नेभारतीय सामा सक सं कृत केएक प को
ही म हमामंडत कया| उ ह नेशवाजी,राणा ताप आ द क तो
शंसा क ले कन अकबर,शे रशाह सूरी,अलाउ न खलजी,ट पू
सु तान आ द केबारेम मौन बने रहे
|

• भारत का आ थक पछड़ापन- औ ोगीक करण केअभाव म


बे
रोजगारी नेभीषण प धारण कर लया था और घरे
लुउ ोग
के त टश का रवै
या दयनीय था|

133
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लीग केगठन केउ े


• भारतीय मुलम म टश सरकार के त न ा को


ो सा हत करना

• भारतीय मुलम केराजनी तक व अ य अ धकार क र ा


करना और उनक ज रत व उ मीद को सरकार केसम
तु
त करना

• मुलम म अ य समु
दाय के त वरोध भाव को कम करना

5.8 रौलट वरोधी स या ह


महा मा गाँधी नेरौलट ए ट के व अ भयान चलाया और
ब बई म 24 फ़रवरी 1919 ई. को स या ह सभा क थापना
क | रौलट वरोधी स या ह केदौरान,महा मा गाँ
धी नेकहा क
“यह मे रा ढ़ व ास हैक हम मु के वल संघष के ारा ही
ा त करगेन क अंे ज ारा हम दान कयेजा रहेसु धार
से”| 13अ ैल,1919 को घ टत ज लयांवाला बाग ह याकां
ड के
बाद ,रौलट वरोधी स या ह नेअपनी ग त खो द | यह
आ दोलन े स क वतंता पर तबं ध और बना ायल के
कैद म रखने केवरोध म था|

रौलट ए ट टश को बं द य ीकरण केअ धकार को


थ गत करनेस ब धी श यां दान करता था| इसनेरा ीय
नेता को च तत कर दया और उ ह ने
इस दमनकारी ए ट के
व वरोध दशन ारं भ कर दए| माच-अ ैल 1919 के

134
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दौरान देश एक अ त ु राजनी तक जागरण का सा ी बना|


हड़ताल ,धरन , वरोध दशन का आयोजन कया गया |
अमृ तसर म 9 अ ै ल को थानीय ने ता स यपाल व कचलूको
कैद कर लया गया | इन थानीय ने ता क गर तारी के
कारन टश शासन के तीक पर हमले कयेगए और
11अ ै ल को जनरल डायर केम ने तृव म माशल लॉ लगा
दया गया|
13 अ ै ल,1919 को शां तपू
ण व नह थी भीड़ ( जसम
अ धकतर वे ामीण शा मल थेजो आस-पास केगाव से
बैशाखी उ सव मानाने आये थे ) एक लगभग बं द
मैदान(ज लयांवाला बाग़) म जनसभा को सु नने के
लए,जनसभा पर पाब द के बावजू द,एक त ए, जनक
बना कसी चे तावनी के ू रतापू
वक ह या कर द गयी|
ज लयांवाला बाग़ ह याकांड नेपूरेदे
श को त ध कर दया और
दे
शभ केम त क को उ तशोध के लए भड़का दया|
हसक माहौल केकारण गाँ धी जी नेइसेहमालय केसमान
गलती मानी और 18 अ ै ल को आ दोलन को वापस लेलया|

न कष
13अ ै ल,1919 को घ टत ज लयां
वाला बाग ह याकां
ड केबाद
,रौलट वरोधी स या ह नेअपनी ग त खो द | इसकेअलावा
पं
जाब,बंगाल और गुजरात म ई हसा नेगां धी जी को आहत
कया|अतः महा मा गाँ
धी ने
आ दोलन को वापस लेलया|

135
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5.9 वदे
शी आ दोलन

वदेशी आ दोलन क शुआत बं गाल वभाजन केवरोध म ई


थी और इस आ दोलन क औपचा रक शुआत कलक ा के
टाउन हॉल म 7 अग त ,1905 को एक बै ठक म क गयी
थी|इसका वचार सव थम कृण कु मार म केप सं जीवनी
म 1905 ई. म तु त कया गया था| इस आ दोलन म वदेशी
ने
ता ने भार तय से अपील क क वे सरकारी
सेवा , कू
ल , यायालय और वदे शी व तु का ब ह कार कर
और वदे शी व तु को ो सा हत कर व रा ीय कोले ज व
कूल क थापना के ारा रा ीय श ा को ो सा हत कर
|अतः येकेवल राजनी तक आ दोलन ही नह था ब क आ थक
आ दोलन भी था|

वदेशी आ दोलन को अपार सफलता ा त ई थी| बं गाल म


जम दार तक नेइस आ दोलन म भाग लया था| म हला व
छा नेपके टग म भाग लया |छा नेवदे शी कागज सेबनी
पुतक का ब ह कार कया| बाल गं गाधर तलक,लाला लाजपत
राय, ब पन च पाल और अर व द घोष जै सेअनेक नेता को
जेल म बं द कर दया गया | अनेक भारतीय नेअपनी नौकरी
खो द और जन छा नेआ दोलन म भाग लया था उ ह
कूल व काले ज म वे श करनेरोक दया गया | आ दोलन के
दौरान व देमातरम को गानेका मतलब दे श ोह था| यह थम
अवसर था जब दे श म न मत व तु के योग को यान म
रखा गया |

136
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न कष
वदे
शी आ दोलन का सबसेमह वपू ण पहलू आ म- व ास या
आ मश (र व नाथ टै
गोर केअनुसार) पर बल दे ना था|
बं
गाल के मकल वदे शी टोस(आचाय पी.सी.राय ारा खोली
गयी),ल मी कॉटन मल,मो हनी मल और ने शनल टैनरी जैसे
अनेक भारतीय उ ोग को इसी समय खोला गया|

5.10 अराजक और रवो यू


शनरी अपराध
अ ध नयम, 1919
गवनर जनरल चे सफोड ने1917 म ज टस सडनी रौलट क
अ य ता म एक स म त ग ठत क | इस स म त का गठन
व ोह क कृ त को समझनेऔर सु झाव दे
नेके लए कया
गया था| इसे‘रौलट स म त’ केनाम सेभी जाना जाता है
| इस
अ ध नयम, जो क कसी भी े/भाग पर लागू कया जा
सकता था, म कसी भी को कायपा लका के नयंण म
लानेके लए दो तरह केउपाय शा मल थे -दं
डा मक और
तबंधा मक| इस अ ध नयम केतहत सरकार कसी भी
को बना वारंट केगर तार कर सकती थी और बना सु नवाई
केदो साल तक कै द म रख सकती थी|

अ ध नयम के ावधान

• गवनर जनरल को इस अ ध नयम को कसी भी े म लागू


करनेका अ धकार दया गया

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• अ ध नयम म अपराध क व रत सु
नवाई क व था क
गयी

• जन सु
र ा के कोण सेकसी भी को गर तार कर
जेल म डाला जा सकता था

• भारत र ा अ ध नयम केतहत गर तार कयेगए को


न छोड़ा जाये

• ऐसेमु कदम क सु
नवाई का अ धकार यू
री पर छोड़ दया
गया था|

न कष
टश राजनी तक व था म यह अ ध नयम उस समय क
राजनी तक ग त व धय और च चत वतंता पर नयंण
था पत करनेकेउ े य सेलाया गया था| इस अ ध नयम,
जो क कसी भी े/भाग पर लागूकया जा सकता था, म
कसी भी को कायपा लका केनयंण म लानेकेलए
दो तरह केउपाय शा मल थे-दं
डा मक और तबं
धा मक|

5.11 खलाफ़त और असहयोग आ दोलन


टश शासन के त बढ़ते ोध नेखलाफत आ दोलन और
असहयोग आ दोलन को ज म दया| तुक ने थम व यु म
टे
न के व भाग लया था| तु
क ,जो क परा जत दे
श म से

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एक था,केसाथ टे न नेअ याय कया|1919 ई. म मोह मद


अली और शौकत अली (अली बं धु केनाम से स ),
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद,हसरत मोहानी व कु छ अ य के
ने
तृव म तु क केसाथ ए अ याय के वरोध म खलाफत
आ दोलन चलाया गया| तु क केसु तान को खलीफा अथात
मुलम का धमगु भी माना जाता था| अतः तुक केसाथ ए
अ याय केमु ेको ले कर जो आ दोलन शु आ,उसेही
खलाफत आ दोलन कहा गया| इसनेअसहयोग का आ ाहन
कया| खलाफत केमु ेको लेकर शु आ आ दोलन ज द
ही वराज और पं जाब म दमन के वरोध म चलायेजा रहे
आ दोलन केसाथ मल गया| गाँ धी जी ने
तृव म 1920 ई. म
कलक ा म कांे स केवशे ष अ धवे
शन म पहली बार और बाद
म नागपुर केकांे
स केवा षक अ धवेशन म सरकार के व
संघष हेतुएक नए काय म को वीकृ त कया गया | नागपु

अ धवेशन, जसमे15000 त न धय नेभाग लया था,म कांे स
केसं वधान म संशोधन कया गया और “वैधा नक व शां
तपूण
तरीक सेभारतीय के ारा वरा य क ा त” को कांे स के
संवधान का थम ावधान बना दया गया|

यह आ दोलन तु क और पं जाब म ए अ याय केवरोध और


वरा य क ा त के लए शु आ था| इसम अपनायेगए
तरीक केकारण इसेअसहयोग आ दोलन कहा गया, इसक
शुआत टश ारा भारतीय को दान क जानेवाली ‘सर’
क उपा ध क वापसी केसाथ ई| सुम यम अ यर और
र ब नाथ टै
गोर पहलेही ऐसा कर चु केथे
| अग त 1920 म
गाँ
धी नेअपनी कैसर-ए- ह द क उपा ध लौटा द | अ य लोग
नेभी ऐसा ही कया| टश सरकार सेइन उपा धय का ा त
करना अब भारतीय के लए स मान का वषय नह रह गया
अतः सरकार के साथ असहयोग कया गया| बाद म
वधा यका का भी ब ह कार कया गया|

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अनेक लोग नेवधा यका केचु


नाव म अपना मत दे नेसे
इं
कार कर दया| हजार छा व श क नेकू ल व कॉले ज
को छोड़ दया| जा मया म लया इ ला मया,अलीगढ (जो बाद म
द ली म था पत हो गया था) और कशी व ापीठ,बनारस जै से
नए श ा सं थान क थापना रा वा दय ारा क गयी|
सरकारी कमचा रय नेअपनी नौकरी छोड़ द ,वक ल ने
यायालय का ब ह कार कया, वदेशी व तु क होली जलाई
गयी और पू रेदे
श म बं
द व हड़ताल का आयोजन कया गया|
आ दोलन को अपार सफलता मली और गोलीबारी व
गर ता रयांइसेरोक न सक |

वष 1921 क समा त सेपू व तक लगभग 30,000 लोग को


जे
ल म डाल दया गया था| इनमेकई मु ख ने
ता भी शा मल
थे
| गाँ
धी जी को कसी भी तरह सेअभी गर तार नह कया
जा सका था| केरल केकु छ ह स म व ोह भड़क गया जसमे
यादातर व ोही मोपला कसान थे ,इसी लए इसेमोपला व ोह
कहा गया| व ोह को ू र तरीक सेदबा दया गया | 2000 से
यादा मोपला व ोही मार दए गए और 45,000 को गर तार
कर लया गया| एक थान से सरे थान पर लेजातेसमय
67 कै दय क एक रे लवेवैगन म दम घु टनेसे ई मृ युइस

रता का ही जीता जागता उदाहरण था|

1921 का कांे
स अ धवेशन अहमदाबाद म आयो जत आ था
जसक अ य ता हक म अजमल खान नेक थी| इस
अ धवे
शन म आ दोलन को जारी रखनेका नणय कया गया
और असहयोग आ दोलन केअं तम चरण क शुआत करनेका
भी नणय कया गया|इस चरण क शुआत लोग सेकर अदा
न करनेक अपील केसाथ होनी थी| इसक शुआत गां धीजी
नेगु
जरात केबारदोली सेक | यह चरण ब त मह वपूण था
य क जब लोग सरकार को कर अदा करना सेमन कर दगे
तो सरकार क वैधा नकता पर ही च लग जायेगा| गाँ
धी

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जी हमेशा इस बात पर बल दया क पू रा आ दोलन शं तपू



ढंग सेहोना चा हए| लेकन लोग वयंको सं य मत नह रख
सके|उ र दे श केचौरी-चौरा म 5 फरवरी ,1922 को पु लस
नेबगैर कसी पू व सूचना के दशन कर रही भीड़ पर गोली
चला द | लोग नेगु सेम आकर पु लस टे शन पर धावा बोल
दया और उसमे आग लगा द | पु लस टेशन केअ दर कै द 22
पु लस वालेइस आग म मारेगए| चू ँक गाँधी जी नेयह शत
रखी थी क पू रा आ दोलन शं तपू
ण होगा अतः इस घटना क
खबर सुनने केबाद ही उ ह नेआ दोलन को वापस लेलया |

10 माच,1922 को उ ह गर तार कर लया गया और छह


साल क सजा सु नाई गयी| इस आ दोलन को वापस ले
नेके
साथ ही रा वाद आ दोलन का एक और चरण समा त हो गया|
इस आ दोलन म पु रेदे
श सेलोग नेबड़ी संया म भाग लया
था| यह गाव तक फ़ै ल गया था| लोग नेखु
लकर सरकार का
वरोध कया और वरा य क मां ग क | आ दोलन नेह
व मुलम केबीच एकता को मजबू त कया | इस आ दोलन
का स नारा ‘ ह मु सलमान क जय’ था|

5.12 वराज दल
असहयोग आ दोलन को वापस ले नेकेबाद कांे स पाट दो
भाग म बं ट गयी| जब असहयोग आ दोलन ारं भ आ था तो
उस समय वधा यका केब ह कार का नणय लया गया
था| चतरं
जन दास,मोतीलाल नेह और व लभाई पटे ल केनेतृव
वालेएक गु ट का मानना था क कांेस को चुनाव म भाग ले ना
चा हए और वधा यका केअ दर प च ँकर उनकेकाम को
बा धत जाना चा हए| व लभभाई पटे
ल,सी.राजगोपालाचारी और

141
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राज साद केनेतृव वालेगु


ट नेइसका वरोध कया| वे
कांेस को रचना मक काय म लगाना चाहतेथे
|

1922 म गया म आयो जत कांे स के अ धवे शन, जसक


अ य ता चतरं जन दास नेक थी,म वधा यका म वे श
स ब धी ताव अ वीकृत हो गया |इस ताव केसमथक ने
1923 म कांे स खलाफत वराज पाट ,जो वराज पाट के
नाम से स ई,क थापना क |1923 म अबु ल कलाम
आज़ाद क अ य ता म द ली म आयो जत कांे स केवशे ष
अ धवे शन म कांे स ने वरा जय को चु नाव म भाग ले नेक
अनु मत दान कर द | वरा जय नेक य व ां
तीय
वधा यका म बड़ी संया म सीट जीत | वृ हद् तर क
राजनी तक ग त व धय केअभाव केइस दौर म वारा जय ने
टश वरोधी दशन व भावना को जी वत बनायेरखनेम
मह वपू ण योगदान दया था| उ ह ने टश शासक क नी तय
व ताव का वधा यका सेपा रत होना लगभग असं भव
बना दया |उदाहरण के लए 1928 म एक बल लाया गया
जसम टश सरकार को यह श दान करनेका ावधान
था क वह कसी भी ऐसेगै र-भारतीय को भारत सेबाहर
नकाल सकती हैजो भारतीय वतंता संाम का समथन
करता हो| वरा जय केवरोध केकारण यह बल पा रत न हो
सका| जब सरकार नेइस बल को दोबारा पे श कया तो
व लभाई पटे ल,जो क सदन केअ य थे , नेऐसा करनेक
अनु म त दान नह क | वधा यका म होनेवाली बहस , जनम
भारतीय सद य ायः अपनी दलील सेसरकार को मत देदे ते
थे,को पूरेभारत म जोश और च केसाथ पढ़ा जाता था|

सन 1030 म जब जन राजनी तक सं घष को पु
नः ारं
भ कया
तो फर सेवधा यका का ब ह कार कया जानेलगा| गाँ
धी
जी को फरवरी 1924 म जे
ल सेरहा कर दया गया और

142
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रचना मक काय म, ज ह कांे स केदोन गुट नेवीकृ त कया


था,कांे
स क मु ख ग त व धयाँबन गय | रचना मक काय म
केसबसेमह वपू ण घटक खाद का सार, ह -मुलम एकता
को बढावा और अ पृ यता क समा त थे | कसी भी कांे स
स म त केसद य के लए यह अ नवाय कर दया गया क वह
कसी राजनी तक या कांे
स क ग त व धय म भाग ले तेसमय
हाथ सेबु नी ई ख र ही धारण करेऔर त माह 2000
याड सूत क बु नाई करे| अ खल भारतीय बु नकर संघ क
थापना क गयी और पू रेदेश म ख र भंडार खोलेगए| गाँधी
जी खाद को गरीब को उनक नधनता सेमु का और दे श
क आ थक समृ का मु ख साधन मानतेथे | इसनेलाख
लोग को आजी वका केअवसर दान कयेऔर वतंता सं घष
केस देश को देश केकोने -कोनेतक प च
ँाया, वशेषकर ामीण
भाग म| इसनेआम आदमी को कांे स केसाथ जोड़ा और
आम जनता केउ थान को कांे स केकाय का अ भ अं ग
बना दया| चरखा वतंता सं घष का तीक बन गया|

असहयोग आ दोलन को वापस ले नेकेबाद दे


श केकु छ भाग
म सांदा यक दंगेभड़क गए | वतंता संघष को जारी रखने
और लोग क एकता को बनायेरखनेऔर मजबू त करनेके
लए सा दा यकता केजहर सेलड़ना ज री था| गाँ धी जी का
छुआछुत/अ पृयता वरोधी काय म भारतीय समाज क सबसे
भयंकर बु
राई को समा त करनेऔर समाज केद लत वग को
वतंता सं
घष सेजोड़ने केलए ब त मह वपूण था|

143
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5.13 मु
डीमै
न स म त (1924)
भारतीय नेता क मांग को पूरा करनेऔर 1920 केदशक
केआरं भक वष म वराज पाट ारा वीकृ त कयेगए
ताव को यान म रखते ए टश सरकार नेसर अलेजडर
मुडीनमैन क अ य ता म एक स म त, जसेमु डीनमैन स म त के
नाम सेभी जाना जाता है ,ग ठत क | स म त म टश के
अ त र चार भारतीय सद य भी शा मल थे | भारतीय सद य म
न न ल खत शा मल थे
-

a. सर शवा वामी अ यर,

b. डॉ.आर.पी.परां
जपे
,

c. सर ते
ज बहा र स े

d. मोह मद अली ज ा

इस स म त केगठन केपीछेका कारण भारतीय प रषद्


अ ध नयम,1919 केतहत 1921 म था पत सं वधान और ै

शासन णाली क कामकाज क समी ा करना था| इस स म त
क रपोट को 1925 म तु
त कया गया जो दो भाग म
वभा जत थी-अ पसंयक और ब संयक रपोट|

• ब संयक/ब मत रपोट: इसम सरकारी कमचारी और


न ावान लोग शा मल थे
| इ होनेघो षत कया क ै
ध शासन
था पत नह हो सका है| उनका यह भी मानना था क
णाली को सही तरह सेमौका नह दया गया हैअतः के
वल
छोटे-मोटेबदलाव क अनुशं
सा क |

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• अ पसंयक/अ पमत रपोट: इसम के वल गै


र-सरकारी भारतीय
शा मल थे| इसका मानना था क 1919 का ए ट असफल
सा बत आ है | इसम यह भी बताया गया क थायी और
भ व य क ग त को वयं े रत करनेवालेसं वधान म या
या शा मल होना चा हए|

अतः इस स म त नेशाही आयोग/रॉयल कमीशन क नयु


क सफा रश क | भारत स चव लॉड बकनहे ड नेकहा क
ब मत/ब संयक क रपोट केआधार पर कदम उठायेजायगे
|

5.14 बटलर स म त (1927 ई.)


भारतीय रा य स म त नेसर हाटकोट बटलर क अ य ता म
1927 म एक स म त ग ठत क , जसेबटलर स म त भी कहा
जाता है| इस स म त का गठन परमस ा और दे
शी राजा के
बीच केसं बं
ध क जां च और प ीकरण के लया कया गया
था| स म त ने16 रा य का दौरा कया और 1929 म अपनी
रपोट दा खल क |

स म त क अनु
शस
ंाएं

• परमस ा और रा य केबीच केस ब ध के


वल समझौता भर
नह हैब क जी वत और वृ शील स ब ध ह, जनका नधारण
प र थ तय और नी तय केतहत आ हैजसमेइ तहास और
स ां
त भी शा मल है
|

• टश परमस ा रयासत क र ा करती है


|

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• रा य का थानांतरण वयंउनकेसमझौतेके बना भारतीय


वधा यका के त उ रदायी टश भारत क नयी सरकार को
नह करना चा हए|

न कष
इसकेगठन केउ े य परमस ा और भारतीय राजा केम य
केसं बं
ध क जाँच करना और उनकेम य केइन सं बंध क
बेहतरी केलए सुझाव दे
ना था ता क टश भारत और दे
शी
रयासत केबीच सं
तोषजनक सं बं
ध क थापना क जा सके|

5.15 साइमन कमीशन


भारत म 1922 केबाद सेजो शां त छाई ई थी वह 1927
म आकर टू ट |इस साल टश सरकार नेसाइमन आयोग का
गठन सर जॉन साइमन केने तृव म भारत म भारतीय शासन
अ ध नयम -1919 क काय णाली क जां च करनेऔर शासन
म सु धार हे
तुसु झाव दे
नेकेलए कया|इसकेअ य सर जॉन
साइमन केनाम पर इस आयोग को साइमन आयोग केनाम से
जाना गया|इसक नयु भारतीय लोग के लए एक झटके
जैसी थी यो क इसकेसारेसद य अंे ज थेऔर एक भी
भारतीय सद य को इसम शा मल नह कया गया था|सरकार ने
वराज क मां ग के त कोई झु काव द शत नह कया|आयोग
क सं रचना नेभार तय क शं का को सच सा बत कर
दया|आयोग क नयु सेपू रेभारत म वरोध दशन क
लहर सी दौड़ गयी|

1927 म कांे
स का वा षक अ धवे
शन म ास म आयो जत

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कया गया जसमेआयोग के ब ह कार का नणय लया


गया|मुलम लीग ने भी इसका ब ह कार कया|आयोग 3 फरवरी
1928 को भारत प च ंा और इस दन वरोध व प पु रेभारत
म हड़ताल का आयोजन कया गया|उस दन दोपहर के
बाद,आयोग केगठन क नदा करनेकेलए,पू रेभारत म सभाएं
क गय और यह घो षत कया क भारत केलोग का इस
आयोग सेकोई ले ना-दे
ना नह है
|म ास म इन दशनका रय पर
गो लयांचलाय गय और अने क अ य जगह पर लाठ -चाज क
गय |आयोग जहाँभी गया उसेवरोध दशन और हड़ताल का
सामना करना पड़ा|क य वधा यका नेब मत सेयह नणय
लया क उसेइस आयोग सेकु छ लेना-दे
ना नह है |पू
रा भारत
‘साइमन वापस जाओ’ केनारेसेगूँ
ज रहा था|

पुलस नेदमना मक उपाय का सहारा लया और हजार लोग


क पटायी क गयी |इ ह वरोध दशन केदौरान शे र-ए-पं
जाब
नाम से स महान ने ता लाला लाजपत राय क पु लस ारा
बबरता सेपटाई क गयी| पु लस ारा क पटायी सेलग
चोट केकारण उनक मृ युहो गयी|लखनऊ म ने ह और
गो व द ब लभ प त को भी पु लस क ला ठयांखानी पड़ | इन
ला ठय क मार नेगो व द ब लभ प त को जीवन भर केलए
अपं ग बना दया था|
साइमन आयोग केवरोध केदौरान भार तय नेएक बार फर
द शत कर दया क वे वतंता केएकजु ट और ढ़ त
ह|उ ह ने वयंको अब एक बड़ेसं घष के लए तै यार कर
लया|डॉ. एम.ए.अं सारी क अ य ता म म ास म ए कांे स के
अ धवे शन म एक ताव पा रत कया गया और पूण वतंता
क ा त को भारत केलोग का ल य घो षत कया गया|यह
ताव नेह ारा तु
त कया गया था और एस.स यमू त ने
इसका समथन कया था|इसी दौरान पू ण वतंता क मां ग को
मजबू ती से तु त करनेके लए इ डयन इं डपडस लीग नाम
केएक सं गठन क थापना क गयी|लीग का ने तृव जवाहर

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लाल ने ह ,सु
भाष च बोस व उनकेबड़ेभाई शरत च
बोस, ी नवास अयं
गर,स यमूत जै
सेमह वपू
ण ने
ता नेकया|

दसं बर 1928 म मोतीलाल नेह क अ य ता म कलक ा म


कांे स का स मलेन आयो जत आ|इस स मले न म जवाहर लाल
नेह ,सुभाष च बोस और कई एनी ने ता नेकांे
स पर पूण
वतंता क मां ग करनेके लए दबाव डाला|ले कन कांेस ने
डो म नयन दज क मां ग सेस बंधत ताव पा रत कया जो क
पूण वतंता क तु लना म कमतर थी| ले कन यह घो षत कया
गया क अगर एक साल केभीतर डो म नयन का दजा भारत
को दान नह कया गया तो कांे स पूण वतंता क मां ग
करे गी और उसक ा त के लए एक जन-आ दोलन भी
चलाएगी|1929 केपू रेसाल केदौरान इ डयन इंडपडस लीग
पूण वतंता क मां ग को लेकर लोग को रैलय केमा यम से
तैयार करती रही|जब तक कांे स का अगला वा षक अ धवेशन
आयो जत होता तब तक लोग क सोच म प रवतन आ चु का
था|

न कष
साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन केने तृव म भारत
म संवै
धा नक णाली क काय णाली क जां च करने और उसमे
बदलाव हे तुसुझाव दे नेके लए कया गया था|इसका
औपचा रक नाम ‘भारतीय सं वधायी आयोग’ था और इसम
टश सं सद केदो कं जरवेटव,दो ले
बर और एक लबरल
सद य शा मल थे |आयोग का कोई भी सद य भारतीय नह
था|इसी लए उनकेभारत आगमन का वागत ‘साइमन वापस
जाओ’ केनारेकेसाथ कया गया था| वरोध दशन को शां त
करनेके लए वायसराय लॉड इर वन नेअ टू बर 1929 म
भारत को ‘डो म नयन’ का दजा दे
ने क घोषणा क और भ व य

148
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केसंवधान पर वचार- वमश करनेके लए गोलमे


ज स मे
लन
को आयो जत करनेक भी घोषणा क गयी|

5.16 ने
ह रपोट क मुय वशे
षताएं
12 फरवरी, 1 9 28 को, द ली म ई सभी पा टय स मे
लन म
साइमन कमीशन क नयु केजवाब म 29 सं गठन के
त न धय नेभाग लया और भारत केरा य केभगवान ी
बरचद स चव ारा चु नौती द । इसक अ य ता एम.ए अंसारी
नेक थी। 1 9 मई, 1 9 28 को बॉ बेम अपनी बै
ठक म, ऑल
पा टस कॉ स नेमोतीलाल ने ह केअ य के प म एक
स म त नयु क इसका उ े य भारत के लए संवधान के
स ांत पर वचार करना और नधा रत करना था।

ने
ह रपोट क सफा रश

• भारत को संसद य फॉम केसाथ डो म नयन टे


टस दया
जाना चा हए जसम -कै मरन वधा यका हैजसम से
नटे और
हाउस ऑफ र े जे
टेटव शा मल ह।

• सीने
ट म सात सौ साल के लए चु नेगए दो सौ सद य का
समावे
श होगा, जब क त न ध सभा म पां च साल तक पांच
सद य चु नेजानेचा हए। गवनर जनरल कायकारी प रषद क
सलाह पर काय करे गा। यह सं
सद के लए सामू हक प से
ज मे
दार होना था।

• क म न हत होनेके लए अव श श य केसाथ भारत


म सरकार का सं
घीय प होना चा हए। अ पसंयक केलए

149
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कोई अलग मतदाता नह होगा य क यह सांदा यक भावना


को जागृ
त करता हैइस लए इसेसमा त कर दया जाना चा हए
और संयु मतदाता को पे
श करना चा हए "।

• पं
जाब और बं गाल म समु
दाय के लए कोई आर त सीट
नह होगी। हालांक, मु
सलमान क सीट का आर ण ांत म
संभव हो सकता हैजहांमुलम आबाद कम सेकम दस
तशत होनी चा हए।

• यायपा लका को कायकारी सेवतं होना चा हए

• के म 1/4 मुलम त न ध व होना चा हए

• सध को बं
बई सेअलग कया जाना चा हए, बशत वह
आ थक प सेआ म नभर हो।

न कष
ने
ह रपोट नेमां
ग क क भारत केलोग के लए मौ लक
अ धकार को ज त नह कया जाएगा। रपोट नेअमे रका के
अ धकार के बल से े रणा ली थी, जो भारतीय सं
वधान म
मौ लक अ धकार के ावधान क न व रखी गई थी।

5.17 सा दा यक अ ध नणय और पू
ना
समझौता
16 अग त,1932 को मै
कडोना ड नेसांदा यक अ ध नणय के

150
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प म च चत ताव क घोषणा क , जसम सांदा यक


नवाचक मंडल क सं तु
त क गयी थी| इसे‘मै कडोना ड
अवाड’ के प म भी जाना जाता है | दे
श म लगभग सभी
जगह जनसभाएंआयो जत क गय , मदनमोहन मालवीय,
बी.आर.अ बे
डकर और एम.सी.रजा जै सेव भ धड केने ता
स य हो गए|इसका अं त एक समझौतेके प म आ जसे
ना समझौता’ के प म जाना गया|
‘पू

सांदा यक अ ध नणय (16 अग त,1932)

16 अग त,1932 को टश धानमंी रै मसेमै कडोना ड ने


टश भारत म उ च जा तय , न न जा तय , मुलम , बौ ,
सख , भारतीय ईसाईय , आंल-भार तय ,यू
रो पय , और अछू त
( ज ह अब द लत के प म जाना जाता है ) के लए पृ थक
नवाचक मंडल क व था दान करनेके लए इसक घोषणा
क|

पू
ना समझौता (24 सत बर1932)

यह समझौता बी.आर.अ बे
डकर और महा मा गाँ
धी केबीच पु
णे
क यरवदा स ल जे ल म आ था और सरकार नेइस समझौते
को सांदा यक अ ध नणय म सं
शोधन के प म अनु म त दान
क|

समझौतेके मु
ख ब

• समझौतेम द लत वग के लए पृ थक नवाचक मंडल को


याग दया गया ले कन द लत वग केलए आर त सीट क
संया ां तीय वधानमं
डल म 71 सेबढ़ाकर 147 और के य
वधा यका म कु
ल सीट क 18% कर द गय |

151
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• सीट का चु नाव संयु नवाचक मं डल ारा होगा ले कन


उसक या न न ल खत होगी: कसी नवाचन े क
सामा य नवाचन सू ची म दज सभी द लत सद य मलकर एक
नवाचक मं डल बनायगे | यह नवाचक मं
डल ये
क आर त
नवाचन े के लए, एक मत णाली केमा यम से , द लत
वग केचार सद य केएक पै नल का चयन करे गा| इस
ाथ मक मतदान म सबसेयादा मत को ा त करनेवालेचार
ही सामा य नवाचन मं डल केलए याशी ह गे
|

• ाथ मक नवाचन और चार सद यीय पै


नल क ऊपर व णत
णाली दस वष केबाद समा त हो जाएगी,बशत उससेपू

आपसी सहम त के ारा इसेख़ म न कया गया हो|

• आर त सीट केमा यम सेद लत वग के त न ध व क


णाली न त समय तक ही लागूहोगी अ यथा इसेस बंधत
समुदाय क आपसी सहम त के ारा समा त कया जा सकता
है
|

• द लत वग का मता धकार लो थयन स म त (भारतीय


मता धकार स म त) क रपोट केअनु
सार होगा|

• थानीय नकाय केचुनाव और लोक से


वा म नयु केलए
कोई भी केवल इस आधार पर नय य नह माना जाये
गा
क वह कसी द लत वग का सद य है| इस स दभ म द लत
वग केउ चत त न ध व क र ा करनेके लए हर तरह का
यास कया जाये
गा|

152
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5.18 अग त ताव
भारत केवायसराय लॉड लन लथगो ने8 अग त 1940 को
शमला सेएक व जारी कया, जसेअग त ताव कहा
गया|यह ताव कांे
स ारा टे
न सेभारत क वतंता के
ल य को ले
कर पूछेगए सवाल केजबाव म लाया गया था|

अग त ताव के ावधान

• सलाहकारी यु प रषद्
क थापना

• यु केप ात भारत केसंवधान नमाण केलए त न धक


भारतीय नकाय क थापना करना

• वायसराय क कायकारी प रषद्


का त काल व तार

• अ पसंयक को यह आ ासन दया गया क टश


सरकार,शासन केकसी ऐसेतं को स ा नह स पे
गी जसके
ा धकार को भारतीय रा ीय जीवन के कसी बड़ेऔर
श शाली तबके ारा वीकार न कया गया हो

यह थम अवसर था जब भारतीय केसं वधान नमाण के


अ धकार को वीकार कया गया और कांे स नेसं वधान सभा
केगठन को सहम त दान क | कांे स नेअग त ताव को
अ वीकार कर दया| जवाहर लाल ने
ह नेकहा क डो म नयन
दज का स ां त अब मृ
त ाय हो चु
का है
| गाँ
धी नेकहा क इस
घोषणा ने
रा वा दय और टश शासक केबीच क खाई को
और चौड़ा कर दया है | मुलम लीग इसम दए गए वीटो
अ धकार केचलतेखु श थी और उसनेकहा क राजनी तक

153
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ग तरोध को र करनेका एकमा उपाय वभाजन है | कांे



ारा तु
त क गयी मां ग को वीकार न करनेसे ा त
ापक असंतोष केस दभ म गाँ
धी नेवधा म ई कांेस काय
स म त क बैठक म अपनी गत स वनय अव ा को शु
करने क योजना को तु त कया|

न कष
यह भारत केवायसराय लॉड लन लथगो के ारा जारी कया
गया औपचा रक व था, जसनेसंवधान नमाण या क
न व रखी और कांे
स नेसं वधान सभा केगठन को सहम त
दान क |

5.19 गत स या ह
गत स या ह अग त ताव का प रणाम था| इसका ारं

जन स वनय अव ा आ दोलन के प म आ था ले कन
महा मा गाँ
धी नेइसे गत स या ह म बदल दया| यह
आ दोलन के वल वतंता ा त करनेकेलए ही नह था ब क
इसम अ भ केअ धकार को भी ढ़तापूवक तु
त कया
गया| कांे
स नेएक बार फर 1940 केअंत म कमान संभालने
के लए कहा और इसनेव तृ त रणनी तक प र य केसाथ
जन आ दोलन म बदल दया|

गत स या ह केउ े

• यह द शत करना क रा वा दय का धै
य उनक कमजोरी के

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कारण नह है

• जन भावना को अ भ करना अथात यह बताना क


जनता यु म च नह रखती हैऔर वह नाजीबाद तथा
दोहरी नरं
कु
शता, जसके ारा भारत पर शासन कया जा रहा
है
, केबीच कोई भे
द नह मानती है

• कांे
स क मां
ग को शां
तपू
ण ढ़ं
ग सेमाननेके लए सरकार
को एक और मौका दान करना

इसम स या ही क मां ग यु- वरोधी घोषणा केमा यम सेयु


का वरोध करनेके लए अ भ क वतंता का योग
करनेक थी|य द स या ही को सरकार ारा गर तार नह
कया जाता हैतो वह गांव सेहोते ए द ली क ओर माच
करेगा (“ द ली चलो आ दोलन)| गत स या ह का क ब
अ हसा था जसेस या हय केचयन ारा ही पाया जा सकता
था|आचाय वनोबा भावे , पंडत जवाहर लाल ने ह और
द मशः थम, तीय और तृ तीय चय नत स या ही थे
|

न कष
अतः वतंता को सम पत गत स या ह अग त ताव का
प रणाम था और यह आ दोलन केवल वतंता ा त करनेके
लए ही नह था ब क इसम अ भ केअ धकार को भी
ढ़तापू
वक तु त कया गया|

5.20 स मशन
सन 1942 क शुआत म यु क प र थय ने टश को

155
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भारतीय ने
ता सेबात करनेपर मजबू र कर दया| द ण पू व
ए शया के व भ दे श म जापानी से ना केहाथ टश सेना
को हार का सामना करना पड़ा था|जापा नय नेभारत केभी
कई े पर हवाई हमलेकयेथे |इसी समय टश मंमं डल
केसद य सर टै फोड स को भारतीय नेता केसाथ बात
करनेके लए भारत भे जा गया| इसे स मशन केनाम से
जाना गया| यह वाता वफल रही| टश,भारत म वा त वक
रा ीय सरकार क थापना करनेकेइ छु क नह थे | उ ह ने
रजवाड़ के हत को बढावा दे नेका भी यास कया| हालाँ क
उ ह नेसंवधान सभा क मां ग वीकार ली थी ले कन इस बात
पर जोर दया क सभा म भारतीय रा य का तनधव
रजवाड़ ारा ना मत सद य के ारा कया जायेऔर रा य
क जनता का इसम कोई त न ध त व न हो|

स मशन के ताव

• डो म नयन केदज केसाथ एक भारतीय सं


घ क थापना क
जाएगी जो क रा मंडल केसाथ संबं
ध को तय करनेके लए
वतं होगा साथ संयु रा व अ य अं तरा ीय नकाय म
भागीदारी केलए वह वतं होगा|

• यु क समा त केबाद एक नए सं वधान का नमाण करने


के लए संवै
धा नक सभा बु लाई जाएगी|इस सभा केसद य
आं शक प से ां तीय सभा के ारा आनुपा तक त न ध व
केआधार चु नेजायगेऔर आं शक प सेरजवाड़ ारा
ना मत कयेजायगे
|

• टश सरकार नए सं वधान को न न ल खत शत पर ही
वीकार करे
गी: (क) जो भी ा त सं
घ म शा मल नह होना
चाहता हैवह अपना अलग सं घ और अलग सं वधान न मत
कर सकता है| (ब) नए सं
वधान का नमाण करनेवाला नकाय

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और टश सरकार श य केह तांतरण और जातीय व


धा मक अ पसंयक क र ा केलए एक संध करे
गा|

• गवनर जनरल का पद यथावत रहेगा और भारत क र ा का


दा य व टश हाथ म ही बना रहे
गा|

न कष
स मशन तीय व यु म टश के त भारतीय का
पूण सहयोग ा त करनेकेउ े य भे
जा गया था| जब टै फोड
स वापस गए तो अपनेपीछेहताशा और कड़वाहट सेभरे
भारतीय को छोड़ गये, जनकेमन म अभी भी फासीवाद
आ ोश केशकार लोग के त सं वे
दना थी, जो यह महसूस
करतेथेक दे श क वतमान प र थ तयाँअसहनीय हो चुक है
और अब समय आ गया हैक सा ा यवाद पर अं तम और
नणायक हार कया जाये|

5.21 भारत छोड़ो आ दोलन


अ ैल 1942 म स मशन केअसफल होनेकेलगभग चार
महीनेबाद ही वतंता के लए भारतीय का तीसरा जन
आ दोलन आर भ हो गया| इसेभारत छोड़ो आ दोलन केनाम
सेजाना गया| 8 अग त, 1942 को ब बई म ई अ खल
भारतीय कांे
स क मट क बै ठक म एक ताव पा रत कया
गया| इस ताव म यह घो षत कया गया था क अब भारत
म टश शासन क त काल समा त भारत म वतंता तथा
लोकतं क थापना के लए अ यं त ज री हो गयी है, जसके
लए सं यु रा केदे श फासीवाद जमनी, इटली और जापान
सेलड़ रहेह| यह ताव भारत से टश शासन क समा त

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के लए लाया गया था| इसम कहा गया क एक बार वतं


होनेकेबाद भारत अपनेसभी सं साधन केसाथ फासीवाद
और सा ा यवाद ताकत केव लड़ रहेदे
श क ओर से
यु म शा मल हो जाये
गा|

इस ताव म दे
श क वतंता केलए अ हसा पर आधा रत
जन आ दोलन क शुआत को अनु मोदन दान कया गया|इस
ताव केपा रत होनेकेबाद गाँ धी नेकहा था क एक छोटा
सा मं हैजो मैआपको दे ता है| इसेआप अपने दय म
अं कत कर ल और अपनी हर सां स म उसेअ भ कर| यह
मं है-“करो या मरो”| अपनेइस यास म हम या तो वतंता
ा त करग या फर जान देदगे | भारत छोड़ो आ दोलन के
दौरान ‘भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ भारतीय लोग का नारा
बन गया|

9 अग त 1942 क सु बह ही कांेस केअ धकां श ने ता


गर तार कर लए गए और उ ह दे श केअलग अलग भाग म
जेल म डाल दया गया साथ ही कांेस पर तब ध लगा दया
गया| देश के ये क भाग म हड़ताल और दशन का
आयोजन कया गया| सरकार ारा पू रेदे श म गोलीबारी,
लाठ चाज और गर ता रयांक गय | लोग का गु सा भी हसक
ग त व धय म बदल गया था| लोग नेसरकारी सं प य पर
हमलेकये , रे
लवेपट रय को उखाड़ दया और डाक व तार
व था को अ त- त कर दया| अने क थान पर पु लस और
जनता केबीच सं घष भी ए| सरकार नेआ दोलन सेस बं धत
समाचार के का शत होने पर रोक लगा द | अनेक समाचारप
नेइन तबं ध को माननेक बजाय वयंबं द करना ही बे
हतर
समझा|

1942 केअंत तक लगभग 60,000 लोग को जे ल म डाल


दया गया और कई हजार मारेगए|मारेगए लोग म म हलाएं

158
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और ब चेभी शा मल थे | बंगाल केतामलुक म 73 वष य


मतंगनी हाजरा, असम केगोहपु र म 13 वष य कनकलता
ब आ, बहार केपटना म सात यु वा छा व सै कड़ अ य
दशन म भाग ले नेकेदौरान गोली लगनेसेमारेगए| दे
श के
कई भाग जै से, उ र दे श म ब लया, बंगाल म तामलू क,
महारा म सतारा, कनाटक म धारवाड़ और उड़ीसा म तलचर
व बालासोर, टश शासन सेमु हो गए और वहांकेलोग
ने वयंक सरकार का गठन कया| जय काश नारायण,
अ णा आसफ अली, एस.एम.जोशी.राम मनोहर लो हया और
कई अ य ने ता नेलगभग पू रेयु काल केदौरान ां तकारी
ग त व धय का आयोजन कया|

यु केसाल लोग के लए भयानक सं घष के दन थे| टश


से
ना और पु लस केदमन केकारण पै दा गरीबी केअलावा
बं
गाल म गंभीर अकाल पड़ा जसमेलगभग तीस लाख लोग
मरेगए| सरकार नेभू
ख सेमर रहेलोग को राहत प च ँानेम
ब त कम च दखाई|

5.22 सु
भाषचं बोस और आई. एन. ए.
(आजाद ह द फ़ौज)
तीय व यु केदौरान वतंता सं घष के वकास म
आजाद ह द फ़ौज केगठन और उसक ग त व धय का
मह वपूण थान था|इसेइ डयन ने शनल आम या आईएनए के
नाम सेभी जाना जाता है| रास बहारी बोस नाम केभारतीय
ां
तकारी, जो कई साल सेभारत सेभागकर जापान म रह
रहेथे, नेद ण पूव ए शया म रह रहेभारतीय केसहयोग से
इ डयन इ डपडस लीग का गठन कया| जब जापान ने टश

159
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सेना को हराकर द ण पू व ए शया केलगभग सभी दे श पर


क ज़ा कर लया तो लीग नेभारतीय युबं दय को मलाकर
इ डयन नेशनल आम को तै यार कया ता क भारत को टश
शासन सेमु दलाई जा सके | टश भारतीय से ना म
अ धकारी रहेजनरल मोहन सह नेइस आम केगठन म
मह वपूण भू मका नभाई थी| इसी दौरान 1941 म सुभाष च
बोस भारत क वतंता के लए भारत सेभागकर जमनी चले
गए| 1943 म वेइ डयन इ डपडस लीग का ने तृव करनेके
लए सगापुर आयेऔर इ डयन ने शनल आम (आजाद ह द
फ़ौज) का पु नगठन कया ता क वह भारत क वतंता को
ा त करनेका मह वपूण ह थयार बन सके | आजाद ह द फ़ौज
म लगभग 45,000 सै नक शा मल थे , जनमेभारतीय
युबं दय केअलावा वेभारतीय भी शा मल थेजो द ण पू व
ए शया केअने क देश म बस गए थे |

21 अ टू बर ,1943 म सु
भाष बोस, ज ह अब नेताजी केनाम
सेजाना जानेलगा था, नेसगापुर म वतं भारत क अ थायी
सरकार (आजाद ह द) केगठन क घोषणा कर द | ने ताजी
अंडमान गए,जो उस समय जापा नय केक जेम था,और वहां
भारतीय झंडेका वजारोहण कया| 1944 केआर भ म
आजाद ह द फ़ौज (आईएनए) क तीन इकाइय नेभारत के
उ र पू व भाग पर ए हमलेम भाग लया ता क टश को
भारत सेबाहर कया जा सके | आजाद ह द फ़ौज केसबसे
च चत अ धका रय म सेएक शाहनवाज खान केअनु सार जन
सैनक नेभारत म वे श कया वे वयंजमीन पर ले ट गए
और भावु क होकर अपनी प व मातृ भूम को चू मनेलगे |
हालाँ
क,भारत को मु करनेका आजाद ह द फ़ौज का यास
सफल नह हो सका|

भारतीय रा ीय आ दोलन नेजापानी सरकार को भारत के म


के प म नह दे खा|उसक सहानुभूत जापानी हमल के

160
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शकार ए दे श केलोग के त थी|हालाँ क,ने


ताजी का मानना
था क जापान केसमथन,आजाद ह द फ़ौज केसहयोग और
दे
श केअ दर होनेवालेव ोह के ारा भारत से टश शासन
को उखाड़कर फका जा सकता है | आजाद ह द फ़ौज का
द ली चलो का नारा और जय ह द क सलामी दे श के
अ दर और बाहर दोन जगह भारतीय क े
रणा क ोत
थी|भारत क वतंता के लए ने ताजी नेद ण पू व ए शया म
रह रहेसभी धम और े केभारतीय को एक कया|
भरतीय वतंता क ग त व धय म भारतीय म हला नेभी
मह वपूण भू मका नभाई थी|आजाद ह द फ़ौज क म हला
रे
जीमट का गठन कया गया, जसक कमान कैटन ल मी
वामीनाथन केहाथ म थी| इसेरानी ल मीबाई रेजीमट कहा
जाता था| आजाद ह द फ़ौज भारत केलोग के लए एकता
का तीक और वीरता का पयाय बन गयी|जापान ारा
आ मसमपण करनेकेकु छ दन बाद ही ने ताजी,जो भारतीय
वतंता संघष केमहानतम ने
ता म सेएक थे ,क एक हवाई
घटना म मौत क खबर आई|

तीय व यु 1945 म फासीवाद जमनी और इटली क


पराजय केसाथ समा त हो गया| यु म लाख लोग मारेगए|
जब यु समा त केकरीब था और जमनी व इटली क हार
हो चु क थी, तभी सं
यु रा य अमेरका नेजापान केदो शहर
- हरो शमा और नागासाक पर परमाणुबम गरा दए| कु छ ही
ण म येशहर धराशायी हो गए और 200,000 सेभी यादा
लोग मारेगए| इसकेतु रं
त बाद जापान नेआ मसमपण कर
दया| हालाँ
क,परमाणुबम के योग केकारण यु तो समा त
हो गया ले कन इसनेव म एक नए तरह का तनाव पै दा कर
दया और एक सेबढकर एक ऐसेखतरनाक ह थयार को
बनानेक होड़ लग गयी जो क स पू ण मानव-जा त को ही न
कर सकतेहै |

161
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न कष
आल इं डया फारवड लॉक भारत का वामपं थी रा ीय
राजनी तक दल था, जसका उदय 1939 म कांे स केअ दर से
एक धड़ेके प म आ था और इसका ने तृ व सुभाष च
बोस नेकया था| थम आईएनए का पतन हो चु का था बाद म
सुभाष च बोस ारा 1943 म आईएनए का पु नगठन कया
गया और बोस क से ना को अग कू मत-ए- ह द घो षत कया
गया|

5.23 राजगोपालाचारी फामू


ला (1944 ई.)
रा स ांत और टश सेभारत क वतंता को ले कर
मुलम लीग और भारतीय रा ीय कांे स केअलग अलग
वचार केकारण पै दा ए मतभे द को सुलझानेकेउ े य से
राजगोपालाचारी फामू
ला लाया गया था| सी. राजगोपालाचारी,
जो क कांे स केमह वपूण ने
ता थे
, नेमुलम लीग और कांे स
केबीच केराजनी तक ग तरोध को र करनेके लए एक
फामू ला तै
यार कया| यह फामू ला, जसेमहा मा गाँ धी का
समथन ा त था, वा तव म लीग क पा क तान मां ग क मौन
वीकृ त थी|

राजगोपालाचारी फामू
ला

• मुलम लीग कांे


स क वतंता क मां
ग का समथन करे

• लीग कांे
स को क म अ थायी सरकार केगठन म सहयोग
दान करे

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• यु क समा त केबाद एक आयोग ग ठत कया जाये गा जो


उन जल क पहचान करे गा जहाँमुलम का प ब मत है
और इन े (गै र मुलम को शा मल कर) म, यह जाननेके
लए क वेपृ थक संभुरा य का गठन चाहतेह या नह ,
वय क मता धकार केआधार पर चु
नाव करायेजायगे
|

• सभी दल को चु
नाव या मतदान सेपू
व वभाजन केस ब ध
म अपनेमत और अपनेवचार को करनेक अनुमत
होगी|

• य द वभाजन के ताव को वीकृ


त मल जाती हैतो र ा,
वा ण य और सं चार आ द वषय को लेकर एक सं यु
समझौता कया जाये
गा|

• ऊपर द गयी सभी शत तभी लागूहोगी जब इं


लड स पू

स ा भारत को ह तां
त रत कर दे
|

न कष
राजगोपालाचारी फामू
लेक मू
ल संक पना रा स ां
त और
टश सेभारत क वतंता को ले कर मुलम लीग और
भारतीय रा ीय कांेस केअलग अलग वचार केकारण पै
दा
ए मतभेद को सुलझानेक थी|

5.24 दे
साई- लयाकत ताव (AD 1945)
महा मा गाँ
धी येमान चु
केथेक जब तक कांेस और मुलम
लीग देश केभ व य या अं त रम सरकार केगठन को ले
कर

163
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कसी न कष तक नह प च ँ जाती तब तक टश शासक दे श


को वतंता दान नह करगे । इसी लए महा मा गां
धी ने
भू
लाभाई जीवनजी दे
साई को मुलम लीग केने
ता को सं
तु
करनेऔर 1942-1945 केराजनी तक ग तरोध को र करने
का एक और यास करने का नदश कया|

दे
साई, क य सभा म कांे स केनेता और लयाकत अली
(मुलम लीग केने ता) केम होनेकेनाते,नेलयाकत अली
सेमुलाकात कर जनवरी 1945 म क म अं त रम सरकार के
गठन सेस बं धत एक ताव स पा| दे
साई क घोषणा केबाद,
लयाकत अली नेसमझौतेको का शत कया, जसके मु ख
ब न न थे-

• दोन ारा के य कायपा लका म समान संया म लोग को


ना मत करना

• अ पसंयक , वशे
षकर अनु
सू
चत जा त और सख , का
तनधतव

• सरकार का गठन करना जो क उस समय च लत भारत


शासन अ ध नयम, 1935 केढ़ां
चेकेअनु
सार काय करती

न कष
महा मा गां
धी नेभूलाभाई जीवनजी दे
साई को मुलम लीग के
ने
ता को संतु करनेऔर राजनी तक ग तरोध को र करने
के लए एक ताव तै
यार करनेका नदश दया ले कन इस
ताव को न तो कांेस नेऔर न ही लीग नेऔपचा रक प
सेअनुमो दत कया|

164
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5.25 बे
वल योजना और शमला स मले

लॉड लन लथगो के थान पर अ टू बर, 1943 म लॉड वेबे

को गवनर जनरल के प म नयु कया गया|लॉड वे बे
ल ने
उस समय केभारत म उप थत ग तरोध को र करनेके लए
यास कया| वेमाच 1945 म वचार वमश के लए इं लड
गए| उ ह ने14 जून को भारतीय राजनी तक ग तरोध को र
करनेके लए टश सरकार केएक ताव, जसेवेबे

योजना कहा गया,को भारतीय जनता केलए जारी कया|

वे
बे
ल योजना के ावधान

• क म नई कायकारी प रषद्
का गठन करना, जसमेवायसराय
और कमां
डर इन चीफ को छोड़कर अ य सभी सद य भारतीय
हग

• र ा को छोड़कर अ य सभी वभाग भारतीय सद य के


नयंण म रहगे

• ता वत कायकारी प रषद्
, जसमे14 सद य शा मल होने थे
,
म मुलम ,जो क दे
श क कु ल जनसंया के25% ही थे , को
उनकेजनसंया अनु पात सेअ धक अथात 6 सद य को चु नने
का अ धकार दया गया|

कांे
स नेमां
ग क क उसेकांे स ारा प रषद्म ना मत
सद य का चुनाव मुलम स हत कसी भी समु दाय के
त न धय सेकरनेका अ धकार दान कया जाये
|

शमला स मले

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• लॉड वेबे
ल नेवे
बे
ल योजना के ावधान पर वचार करनेके
लए टश भारत क ी मकालीन राजधानी शमला म 21
भारतीय ने
ता का एक स मले न आयो जत कया|

• वे
बे
ल योजना ऐसेभारतीय व-शासन पर सहम त बनानेके
लए आई थी जसमेमुलम के लए पृ थक त न ध व और
दोन समु
दाय को उनकेब मत वाले े म ब मत क
श य को घटा दया गया|

• वाता मुलम त न धय केचयन केमु ेको ले


कर अटक
गयी| ज ा नेकहा क कोई भी गै र-लीग मुलम कायकारी
प रषद्म शा मल नह होगा यो क भारतीय मुलम का
त न ध व करनेका अ धकार सफ मुलम लीग को है ,
जब क कांे स का मानना था क उसेमुलम स हत कसी भी
संदाय केलोग को कायकारी प रषद्म शा मल करनेका
अ धकार है|

• वेबे
ल नेकायकारी प रषद्केकु ल 14 थान म से6 थान
मुलम को दान कयेऔर टश नेउ ह कसी भी ऐसे
संवै
धा नक ताव, जो उनके हत म न हो, केस दभ म वीटो
श दान क | मुलम क जनसंया भारत क कु ल
जनसंया क 25% थी| अतः इन अता कक मां ग का कांे
स ने
वरोध कया| मुलम लीग भी झु कनेको तैयार नह थी और
वेबे
ल योजना समा त हो गयी|

न कष
वे
बे
ल योजना उस समय भारत म उप थत राजनी तक ग तरोध
को र करनेकेलए तैयार कया गया था ले
कन मुलम लीग

166
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और कांेस केने
ता केबीच समझौता न हो पानेकेकारण
उ ह ने ताव का ब ह कार कर दया और अं ततः शमला
स मलेन म ताव समा त हो गया|

5.26 कै
बने
ट मशन लान
22 जनवरी को कै बने
ट मशन को भेजनेका नणय लया गया
था और 19 फरवरी, 1946 को टश धानमंी सी.आर.एटली
क सरकार नेहाउस ऑफ़ लॉड् स म कै बनेट मशन केगठन
और भारत छोड़नेक योजना क घोषणा क | तीन टश
कैबने
ट सद य का उ च श सप मशन, जसमेभारत
स चव लॉड पै थक लारस, बोड ऑफ़ े ड केअ य सर
टै
फोड स और नौसेना मुख ए.वी.अलेजडर शा मल थे ,
24 माच, 1946 को द ली प च
ँा|

मशन के ताव

• मशन ने टश भारत के नवा चत त न धय और भारतीय


रजवाड़ सेसंवधान के नमाण केस ब ध म वचार- वमश कर
एक समझौतेको तै
यार करनेका ताव रखा|

• सं
वै
धा नक नकाय केगठन का ताव

• मुख भारतीय दल केसमथन सेएक कायकारी प रषद्के


गठन का ताव

मशन का उ े

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• भारतीय रा ीय कांे
स और अ खल भारतीय मुलम लीग के
म य केराजनी तक ग तरोध को र करना और सा दा यक
ववाद को रोकना था| इन दोन म इस बात को ले
कर मतभेद
था क एक कृ त या वभा जत कौन सा वक प टश भारत
केलए बे हतर होगा?

• कांे
स पाट चाहती थी क क म एक सश सरकार हो
जसक श यां ांतीय सरकार क तु
लना म अ धक ह |

• ज ा केने तृ
व म अ खल भारतीय मुलम लीग भारत को
अ वभा जत रखना चाहती थी लेकन तभी जब मुलम को
कुछ राजनी तक सु र ोपाय दान कये जाये
, जै
से क
वधा यका म समानता क गारं
ट|

• 1945 म ए शमला स मले न केबाद 16 मई,1946 को


कैबने
ट मशन योजना क घोषणा क गयी|

मशन क अनु
शस
ंाएं

• भारत क एकता को बनायेरखा जाये


|

• इसनेसभी भारतीय े को मलाकर एक ब त ही कमजोर


संघ केगठन का ताव रखा, जसेके वल र ा, वदे
शी मामल
और सं चार पर ही नयंण ा त था|संघ को यह श ात
होगी क वह इन सभी वषय के बं धन के लए आव यक
व जु टा सके
|

• सं
घीय श य केअ त र अ य सभी श यांऔर अव श
श यां टश भारत के ा त को दान क गय |

• एक सं
वधान नमा ी नकाय या सं
वधान सभा का चु
नाव

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कया जायेजसमेसभी रा य को उनक जनसंया केअनु


पात
म न त सीट दान क जाएँ|

• इसने ता वत सं
वधान सभा म 292 सद य को टश
भारत सेऔर 93 सद य को रयासत सेशा मल करनेका
ताव रखा |

• मशन नेक म त काल अं त रम सरकार केगठन को


ता वत कया, जसेसभी राजनी तक दल का समथन ा त हो
और जसकेसभी वभाग भारतीय केपास ह |

न कष
कैबनेट मशन का मु ख उ े य भारत म स ा केशां तपू

ह तां
तरण केतरीक को खोजना और सं वधान का नमाण
करनेवालेतं केबारेम सुझाव दे
ना था| अं
त रम सरकार का
गठन करना भी इसका एक उ ेय था|

2.27 अं
त रम सरकार
2 सत बर 1946, को नव नवा चत संवधान सभा नेभारत क
अंत रम सरकार का गठन कया जो क 15 अग त 1947 तक
अ त व म बनी रही|अंत रम सरकार क कायकारी शाखा का
काय वायसराय क कायकारी प रषद करती थी जसक
अ य ता वायसराय ारा क जाती थी| इसम कांे स ारा
ना मत 3 मुलम सद य स हत कु ल 12 सद य शा मल थे |
भारत म टश केआनेकेबाद यह थम अवसर था जब
भारत क सरकार भारतीय केहाथ म थी| 26 अ टू बर को

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लीग ारा ना मत 5 सद य इसम शा मल ए और इन नए


सद य के लए थान बनानेके लए कांे स ारा नयु
सद य म हे
र-फेर कया गया (दो सीट पहलेसेही खाली थ
इसकेअलावा शरत बोस, सै यद अली जहीर व सर शफात
अहमद खान नेयागप देदया)|

सरकार केसभी चौदह सद य के वभाग न न ल खत


थे
-

अं
त रम सरकार केसद य

पंडत जवाहर लाल ने



कायकारी प रषद्के उपा य , वदे
श वभाग, रा मं
डल से
स बंधत मामले

व लभभाई पटेल
गृ
ह, सु
चना एवं सारण

बलदेव सह
र ा

डॉ.जॉन
उ ोग एवंआपू

सी.राजगोपालाचारी
श ा

सी.एच.भाभा
काय, खनन एवंश

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राज साद
खा एवंकृष

आसफ अली
रे
लवे

जगजीवन राम

लयाकत अली

ट .ट .चु

दरीगर
वा ण य

अ ल रब न तर
सं
चार

गजा फर अली खान


वा य

जोग नाथ मं
डल
वध

न कष
अग त 1946 म कांे
स नेअंत रम सरकार म शा मल होनेका
नणय लया ता क टश सरकार के लए स ा ह तां
तरण क
या को सरल बनाया जा सके | अंत रम सरकार ने2
सत बर 1946 सेकाय करना आर भ कया|

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5.28 सं
वै
धा नक सभा
कै बनेट मशन योजना केतहत 16 मई 1946 को सं वधान
सभा का गठन कया गया| इसकेसद य का चु नाव आनु
पा तक
त न ध व प त केतहत एकल ह ता तरणीय मत णाली
ारा कया गया था| सं
वधान सभा क थम बै ठक 9 दसं बर
1946 को द ली क सल चबर केपु तकालय म ई थी
जसमे205 सद य नेभाग लया था| लीग के त न ध और
रयासत ारा ना मत सद य इसम शा मल नह ए| 11 दसं बर
को सभा नेडॉ. राज साद को इसके थायी अ य के प
म चु ना|

सं
वधान सभा क स म तयाँ

• या स ब धी नयम स म त, संचालन स म त, व एवंटाफ


स म त, रा ीय झं
डा पर तदथ स म त- राज साद

• प रचय स म त-अ लाद कृणा वामी अ यर

• गृ
ह स म त-बी.प ा भ सीतार मै
या

• ापार स म त-के श
ंी
.एम.मु

• सं
वधान सभा काय णाली स म त-जी.वी.मावलं
कर

• रा य स म त,सं
घ श स म त, सं
घीय सं
वधान स म त-जवाहर
लाल नेह

• मू
ल अ धकार सलाहकार स म त, अ पसंयक, जनजातीय

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और बा े-व लभ भाई पटे


• अ पसंयक उप-स म त-एच.सी.मु


खज

• मू
ल अ धकार उप-स म त-जे
.बी.कृ
पलानी

• उ र-पू
व सीमा त जनजातीय े और असम बा और
आंशक बा े उप-स म त-गोपीनाथ बारदोलई

• बा और आं शक बा े (असम केअ त र ) उप-स म त


-ए.वी.ठ कर

• ा प स म त-बी.आर.अ बे
डकर

5.29 माउं
टबे
टन योजना और भारत के
वभाजन
लॉड माउंटबे
टन, भारत के वभाजन और स ा के व रत
ह तां
तरण केलए भारत आये । ार भ म यह स ा ह तांतरण
वभा जत भारत क भारतीय सरकार को डो म नयन केदज के
प म द जानी थ । 3 जू न 1947 को लॉड माउं टबे
टन ने
अपनी योजना तु
त क जसमेभारत क राजनी तक सम या
को हल करनेके व भ चरण क परे खा तु
त क गयी
थी। ार भ म यह स ा ह तां
तरण वभा जत भारत क भारतीय
सरकार को डो म नयन केदज के प म द जानी थ ।

माउं
टबे
टन योजना

• भारत को भारत और पा क तान म वभा जत कया जाये


गा

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• बं
गाल और पं जाब का वभाजन कया जाये
गा और उ र पू

सीमा ा त और असम के सलहट जलेम जनमत संह
कराया जाये
गा।

• पा क तान के लए सं
वधान नमाण हे
तुएक पृ
थक सं
वधान
सभा का गठन कया जायेगा।

• रयासत को यह छूट होगी क वेया तो पा क तान या भारत


म स म लत हो जायेया फर खुद को वतं घो षत कर द।

• भारत और पा क तान को स ा ह तां


तरण के लए 15
अग त 1947 का दन नयत कया गया।

टश सरकार ने भारतीय वतंता अ ध नयम, 1947 को जु


लाई
1947 म पा रत कर दया। इसम ही वे मुख ावधान शा मल
थेज ह माउं
टबेटन योजना ारा आगेबढ़ाया गया था|

वभाजन और वतंता

• सभी राजनी तक दल नेमाउं


टबे
टन योजना को वीकार कर
लया|

• सर रे
ड लफ क अ य ता म दो आयोग का टश सरकार
नेगठन कया जनका काय वभाजन क दे ख-रे
ख और नए
ग ठत होनेवालेरा क अ तरा ीय सीमा को नधा रत
करना था|

• वतंता केसमय भारत म 562 छोट और बड़ी रयासत थ

• भारत के थम गृ
हमंी ब लभभाई पटे
ल नेइस स दभ म

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कठोर नी त का पालन कया| 15 अग त 1947 तक ज मू


क मीर, जू
नागढ़ व हैदराबाद जैसेकुछ अपवाद को छोड़कर
सभी रयासत नेवलय प पर ह ता र कर दए थे | गोवा पर
पु
तगा लय और पुचेरी पर ां सी सय का अ धकार था|

न कष
माउं
टबेटन योजना, के
वल भारत के वभाजन को काय प दे ने
के लए ही नह थी ब क पा क तान क मां ग ारा भा वत
े के लए एक तं क थापना क | यह तय कया क
पा क तान म शा मल होनेवाले े का नणय वधान सभा के
त न धय ारा कया जाये गा या फर जनमत-संह ारा साथ
ही कै बने
ट मशन केअनुप एक ही सं वधान सभा होगी या
फर नए ग ठत रा के लए अलग सेसं वधान सभा बनायी
जाएगी| अतः हम कह सकतेहैक माउं टबे
टन योजना का मुय
उ ेय भारत का वभाजन और स ा का व रत ह तां
तरण
था। ार भ म यह स ा ह तांतरण वभा जत भारत क भारतीय
सरकार को डो म नयन केदज के प म द जानी थ ।

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