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आधुनिक भारत का इतिहास
आधुनिक भारत का इतिहास
1
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1. आधु नक भारत : मु
गल सा ा य का पतन और
मराठ का उदय
1.1 मु
ग़ल उ रा धकारी
1.2 शवाजी
1.3 मराठा शासन
1.4 मराठा केअधीन पेशवा
1.5 शवाजी केउ रा धकारी
2. आधु
नक भारत: ेीय रा य का उदय और यू
रोपीय
श
2.1 पंजाब
2.2 राजपू त
2.3 मैसूर
2.4 अवध
2.5 बंगाल
2.6 है
दराबाद
2.7 जाट
2.8 पुतगाली उप नवेश क थापना
2.9 डच उप नवे श क थापना
2.10 ां सीसी उप नवे
श क
थापना
2.11 अंे ज उप नवेश क थापना
2
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3. आधु
नक भारत : टश सव चता और अ ध नयम
3.1 ब सर क लड़ाई
3.2 सहायक सं ध
3.3 पगत का स ां त
3.4 रेयु
लेटग ए ट, 1773
3.5 पट् स इंडया ए ट 1784
3.6 चाटर अ ध नयम,1793
3.7 1813 का चाटर अ ध नयम
3.8 1833 ई. का चाटर अ ध नयम
3.9 1853 ई. का चाटर अ ध नयम
3.10 1858 ई. का भारत सरकार
अ ध नयम
3.11 1861 का अ ध नयम
3.12 1892 ई. का अ ध नयम
3.13 1909 ई. का भारतीय प रषद्
अ ध नयम
3.14 भारत सरकार अ ध नयम -
1935
3.15 म ट यु-चे
सफोड सु धार अथात
भारत सरकार अ ध नयम-1919
4. आधु
नक भारत:18व सद केव ोह और सु
धार
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5. आधु
नक भारत: भारतीय रा ीय आ दोलन
5.1 श ा का वकास
5.2 भारतीय े स का वकास
5.3 भारतीय रा ीय कांे
स
5.4 ज लयाँवाला बाग
5.5 उदारवाद
5.6 उ पंथ और बं गाल वभाजन
5.7 मुलम लीग क थापना
5.8 रौलट वरोधी स या ह
5.9 वदेशी आ दोलन
5.10 अराजक और रवो यू शनरी
अपराध अ ध नयम, 1919
5.11 खलाफ़त और असहयोग
आ दोलन
4
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5.12 वराज दल
5.13 मुडीमैन स म त (1924)
5.14 बटलर स म त (1927 ई.)
5.15 साइमन कमीशन
5.16 नेह रपोट
5.17 सा दा यक अ ध नणय और
पूना समझौता
5.18 अग त ताव
5.19 गत स या ह
5.20 स मशन
5.21 भारत छोड़ो आ दोलन
5.22 सुभाषचंबोस और आई.एन.ए.
(आजाद ह द फ़ौज)
5.23 राजगोपालाचारी फामू
ला
(1944 ई.)
5.24 दे
साई- लयाकत ताव
(AD 1945)
5.25 बेवल योजना और शमला
स मले न
5.26 कै बनेट मशन लान
5.27 अंत रम सरकार
5.28 संवैधा नक सभा
5.29 माउंटबेटन योजना और भारत
केवभाजन
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1. आधुनक भारत : मु
गल सा ा य का पतन और
मराठ का उदय
1.1 मु
ग़ल उ रा धकारी
1.2 शवाजी
1.3 मराठा शासन
1.4 मराठा केअधीन पेशवा
1.5 शवाजी केउ रा धकारी
1.1 मु
ग़ल उ रा धकारी
औरं गजे
ब क मृ युनेमु ग़ल सा ा य केपतन क न व डाली
य क उसक मृ युकेप ात उसकेतीन पु-मु अ जम,आज़म
और कामब श के म य ल बेसमय तक चलनेवाले
उ रा धकार केयु नेश शाली मु ग़ल सा ा य को कमजोर
कर दया. औरं गजेब नेअपनेतीन पु को शास नक उ े य
सेअलग अलग े का गवनर बना दया था,जै से
-मु
अ ज़म
काबुल का,आज़म गु जरात और कामब श बीजापु र का गवनर
था .इसी कारण इन तीन केम य मतभे द पैदा ए, जसने
उ रा धकार को ले
कर गु टबं
द को ज म दया.औरंगजेब क मृयु
केबाद उ रवत मु ग़ल केम य होनेवालेउ रा धकार-यु का
ववरण न न ल खत है -
मु
अ ज़म(1707-1712 ई.)
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जहाँ
दार शाह(1712-1713 ई.)
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फ ख सयर(1713-1719 ई.)
रफ़ -उद-दरजात(1719 ई.)
रफ़ -उद-दौला(1719 ई.)
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मु
ह मद शाह(1719-1748 ई.)
आलमगीर तीय(1754-1759ई.)
शाहआलम तीय(1759-1806ई.)
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ारा बं
गाल , बहार और उड़ीसा केद वानी अ धकार अंे
जो को
देदए ज ह 1772 ई. केबाद महादजी स धया केसहयोग से
पु
नः मुगल ने ा त कया .
वह थम मु ग़ल शासक था जो ई ट इं डया क पनी का
पशनया ता था .
अकबर तीय(1806-1837ई.)
वह अंे
जो केसं
र ण म बननेवाला थम मु
ग़ल बादशाह था.
इसकेशासनकाल म मुग़ल स ा लाल कलेतक समटकर रह
गई .
मु
ग़ल सा ा य का पतन एकाएक न होकर मक प म आ
था, जसके मु
ख कारण न न ल खत थे-
सा ा य का बृ
हद व तार: इतनेव तृ
त सा ा य पर सहकारी
संघवाद के बना शासन करना आसान नह था. अतः मु ग़ल
सा ा य अपनेआतं रक कारण सेही डू
बनेलगा .
क कृ त शासन:इतनेवृ हद्सा ा य को वक करण और
व भ शासक य इकाइय के आपसी सहयोग केआधार पर
ही शा सत कया जा सकता था.
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औरंगजे ब क नी तयाँ
: उसक धा मक नी त,राजपू
त नी त और
द कन नी त नेअसं तोष को ज म दया जसकेकारण मु ग़ल
सा ा य का वघटन ारं भ हो गया.
उ रा धकार का यु: उ रा धकार को लेकर ल बेसमय तक
चलनेवालेयु नेमु ग़ल क शास नक इकाइय म दरार पै दा
कर द .
उ च वग क कमजोरी: मु ग़ल उ च वग मु
ग़ल के त अपनी
वफ़ादारी केलए जाना जाता था ले कन उ रा धकार केयु
केकारण उनक वफ़ादारी बं ट गयी.
न कष
अतः श शाली मु
ग़ल सा ा य औरंगजे
ब क मृयुकेबाद
पतन क ओर अ सर आ जसम ज द ज द होनेवालेस ा
प रवतन और उ रा धकार के यु नेमह वपू
ण भूमका
नभायी.
1.2 शवाजी
स हवी सद के ारं भक वष म जब पू ना जलेकेभ सले
प रवार ने थानीय नवासी होनेका लाभ उठाते ए
अहमदनगर रा य सेसै नक व राजनी तक लाभ ा त कयेतो
एक नई लड़ाकूजा त का उदय आ जसे‘मराठा’ कहा गया.
उ ह न बड़ी संया म मराठा सरदार और सै नक को अपनी
सेना म भत कया. शवाजी शाह जी भ सलेऔर जीजा बाई
केपु थे . शवाजी का पालन-पोषण पू
ना म उनक माता और
एक यो य ा ण दादाजी क डदे व केदेख-रे
ख म आ था.
दादाजी क डदे
व नेशवाजी को एक अनु भवी यो दा और स म
शासक बनाया. शवाजी गु रामदास केधा मक भाव म भी
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आये
, जसनेउनमेअपनी ज मभू
म के त गौरव भाव जा त
कया.
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शवाजी का शासन
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न कष
अतः मराठ का उदय सामा जक,आ थक,राजनी तक और
संथागत कारक का स म लत प रणाम था.जहाँतक शवाजी
क बात हैतो वेएक स शासक थे ज ह नेमुग़ल
अ त मण के व जन-आकांा का त न ध व कया.
हालाँक मराठा ाचीन जा त थी ले
कन स रहव सद नेउ ह
वयंको शासक के प म था पत होनेका अवसर दान
कया.
क य शासन:
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अ धान
द वान- स चव.
मजु
मदार- ले
खा परी क एवं
ले
खाकार.
फडनीस- उप-ले
खा परी क.
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सबनीस या द तरदार- द तर का मु
ख.
कारखानीस- त न ध.
शवाजी नेअपनेसं पू
ण रा य को चार ा त म वभ कया
और ये क ा त एक राज- त न ध(वायसराय) केअधीन होता
था.उसने ा त (सू
ब ) को पुनः परगन और तालु क म वभ
कया.परगन केअं तगत तरफ और मौजेआतेथे . शासन क
सबसेछोट इकाई ाम होती थी जसका मु खया पा टल(पटे
ल)
होता था.
राज व शासन:
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सै
य शासन:
सै
य अ धकारी/कमचारी
सर-ए-नौबत(से
नाप त)- से
ना मु
ख
कलादार- कल का अ धकारी
पायक- पै
दल सै
नक
नायक- पै
दल से
ना क एक टु
कड़ी का मु
ख
हवलदार- पां
च नायक का मु
ख
जु
मलादार- पां
च हवलदार का मु
ख.
घु
राव- बंक सेलद नाव
ग लवत- 40-50 खे
वै
य ारा खे
नेवाली नाव
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न कष:
मराठ क शास नक णाली ब त हद तक द कन रा य के
शास नक वहार से भा वत थी. फर भी मराठ का अपने
समकालीन रा य , वशे
ष प सेबीजापु र और अहमदनगर, के
सं
दभ म शास नक एवंसै य णाली क सेमह वपू
ण
थान था.
मराठा सं
घ:
मराठा सं
घ केउदय म राजाराम ारा मराठा सरदार को जागीर
दान करनेकेकदम का मह वपूण योगदान था|
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मराठ केअधीन पे
शवा
पे
शवा मराठ के त वफादार मंी थेजनक नयु राजा को
वभ शास नक एवंराज न तक मु पर सलाह देनेके लए
क गयी थी| कु ल सात पेशवा म सवा धक यो य पेशवा
बाजीराव थम था
बालाजी व नाथ (1713-1721 ई.) - वह 1713 ई. म शा जी
ारा पेशवा के प नयु कया था ता क सा ा य को
सं
ग ठत कया जा सके | उसनेलगभग सभी सरदार पर जीत
हा सल कर मराठा सा ा य का व तार कया और पे शवा के
पद को अ य धक मह वपू ण बना दया|
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पे
शवा का शासन
न कष:
वतं मराठा रा य क थापना का राजनी तक आधार मु गल
सेना केद ण क ओर बढनेकेसाथ ही तै यार हो गया था
खानदेश का पतन ,अहमदनगर का धीरे -धीरेख़ म होतेजाने
और द कन े म मु ग़ल सुबेदारी व था नेमराठ केजीवन
के ये क प को भा वत कया और शवाजी केने तृव म
मराठ को एक रा के प म सं ग ठत होनेके लए े रत
कया| लेकन भा य से, मराठा संघ टश सा ा य केसामने
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श भाजी(1680-1689 ई.)
राजाराम(1689-1700 ई.)
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शा (1707-1749 ई.)
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न कष
अतः हम कह सकतेहैक शवाजी मराठा रा य केसंथापक
थेलेकन उसका अ य धक व तार पे
शवा-काल केदौरान ही
आ.
2. आधु
नक भारत: ेीय रा य का उदय और यू
रोपीय
श
2.1 पंजाब
2.2 राजपूत
2.3 मैसरू
2.4 अवध
2.5 बंगाल
2.6 है
दराबाद
2.7 जाट
2.8 पुतगाली उप नवे
श क थापना
2.9 डच उप नवे श क थापना
2.10 ां सीसी उप नवे
श क थापना
2.11 अंे ज उप नवेश क थापना
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2.1 पं
जाब
दसव एवंअं तम गु गु गो व द सह स ख को एक लड़ाकू
समूह के प म संग ठत तो कर दया था ले कन औरं गजे
ब के
शासनकाल तक वेकोई भी रा य ा त करनेम सफल न हो
सके। उनक मृ युकेबाद स ख को बं दा बहा र (1708-
1716 ई।) के प म एक एक यो य ने ता ा त आ। उ ह ने
बड़ी संया म स ख को सं ग ठत कया और सर हद पर
क ज़ा कर लया। उसनेएक वतं रा य क थापना का
यास कया और गुनानक व गु गो व द सह केनाम पर
स केचलवाए तथा अपनी मु हर लगे ए आदे श जारी कये ।
उसकेनेतृव म स ख नेमु ग़ल का बहा रीपू वक वरोध कया
और लाहौर सेद ली केबीच केपू रे े पर जमकर लू टपाट
क । मु
गल के व अपनेसं घष केदौरान उसेगुदासपु र के
कलेम बंद लया गया। उसकेबाद बं दा बहा र और उसके
समथक को द ली भे ज दया गया जहाँउनकेसाथ ब त
अमानवीय वहार कया गया। बं दा बहा र केयु वा पु क
ह या कर द गयी और वयंउसेभी अने क तरह सेउ पी ड़त
कया और उसक भी ह या कर द गयी। बं दा बहा र के
समथक उसे‘स चा पादशाह’ (स चा बादशाह) कहतेथे ।
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थम आं
ल- सख यु
तीय आं
ल- सख यु
संध क शत और समझौतेकेबावजू द पं
जाब क थत म
कोई सु
धार नह आ था जसने तीय आं ला- सख यु का
आधार तैयार कर दया।
यु केप ात् ,लाड डलहौजी ारा पं
जाब को कंपनी म मला
लया गया और लॉरस को पं जाब का थम क म र बनाया
गया।
न कष:
18 व सद म मुग़ल सा ा य केवघटन और पतन का पू
व म
अधीन कयेगए राजा और उन ेीय नेता ारा वागत
कया गया जो अपना खुद का एक रा य न मत करना चाहते
थे
।पं
जाब एक ऐसा ही े था जसका मु ग़ल सा ा य के
कमजोर पड़नेकेबाद उदय आ।
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2.2 राजपू
त
औरं गजे ब क धा मक और शास नक नी तय सेअसं तु होकर
मेवाड (उदयपु र) ,मारवाड (जोधपु
र) और आमे र (जयपु
र) जैसे
मुख राजपू त रा य मु ग़ल सा ा य सेअलग हो गए।जोधपु र
और जयपु र केशासक को गु जरात और मालवा का मु ग़ल
गवनर नयु कया गया था। एक समय तो ऐसा लगा क
राजपू त मुगल सा ा य म अपनी थ त और भाव को फर से
ा त कर रह है और जाट एवंमराठ केव मु
ग़ल सा ा य
के मु ख सहयोगी के प म उभर रहेहै । जोधपु
र और जयपुर
केराजा नेउ रवत मु गल केकाल म मु ग़ल सा ा य के
काफ बड़ेह सेको अपने भाव म लेलया।औरं गजे
ब क
मृ युकेबाद जोधपु र और जयपु र केराजा द ली क राजनी त
म मु ख भू मका नभाने लगे
।
हालाँ
क, राजपू
त क राजनी तक श का ास हो गया था
लेकन एक राज थानी समू
ह का दे
श क अथ व था म भाव
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न कष
राजपू
त नेस ाट औरं
गजेब क नी तय सेअसं तु होकर वयं
को वतं घो षत कर दया। मु
ग़ल सा ा य केटूटनेसेसं
पू
ण
भारत क राजनी तक प र थ तयाँबदल गय ।इन बदलती
प र थ तय केकारण पूरेभारत केराजनी तक,आ थक और
सैय गठबंधन म आमू
ल-चू
ल बदलाव आ गया।
2.3 मै
सू
र
वजयनगर सा ा य केपतन केबाद, 1565 ई। म ह
वो डयार वं
श ारा मै सू
र रा य को वतं रा य घो षत कर
दया गया। वो डयार वं
श केअं तम शासक च का कृणराज
तीय केशासनकाल म वा त वक स ा दे वराज (दलवाई या
सेनाप त) और नं जराज (सवा धकारी या व एवंराज व
नयंक) केहाथ म आ गयी थी।ये े पे शवा और नज़ाम के
बीच ववाद का वषय बन गया था। नं जराज तीय कनाटक
यु म अंे ज केसाथ मल गया और चु राप ली(त मलनाडु
)
पर क ज़ा कर लया।
1761 ई. म है
दर अली , जसनेअपनेजीवन क शुआत एक
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सै नक के प म क थी,ने मै
सूर केराजवं श को हटाकर रा य
पर अपना क ज़ा कायम कर लया। है दर अली(1760-1782) ने
मैसूर रा य क स ा पर क ज़ा कर लया ,जो दो वो डयार
भाइय –दे वराज और नं जराज ारा शा सत था। उसेअपने
रा य क वतंता को कायम रखनेकेलए नज़ाम और मराठ
सेभी लड़ना पड़ा।उसने नज़ाम और ां
सी सय केसाथ
मलकर 1767-1769 केम य ए थम आं ल –मैसूर यु मे
अंे ज को करारी शक त द और अ ै ल 1769 म उ ह म ास
क सं ध के प म अपनी शत माननेपर मजबू र कर दया।
1780-1784 ई केम य ए तीय आं ल-मैसूर यु म भी
उसनेनज़ाम और मराठ केसाथ मलकर 1782 ई म अंे ज
को हराया ले कन यु म घायल हो जाने केकारण 1782 ई म
उसक मृ युहो गयी। उसकेबाद उसकेपु ट पूसु तान
(1782-1799 ई) नेकमान सं भाली , जसनेवीरतापूवक अंे ज
सेयु लड़कर अपनेरा य क र ा क । ट पूसु तान पहला
शासक था जसनेप मी प तय को अपने शासन म लागू
करनेका यास कया। उसनेसै य श ण म आधु नक
तकनीक का योग कया और आधु नक ह थयार केउ पादन
के लए एक कारखाना भी था पत कया ।उसनेअंे ज और
नजाम व मराठ क सं यु से ना के व तृ
तीय आं ल-मै
सूर
यु लड़ा अं तत; उसे ीरं
गप नम क सं ध करनी पड़ी और
सं ध क शत केतहत ट पूको अपना आधा रा य अंे ज और
उनकेसहयो गय को दे ना पड़ा। चतुथ आं ल-मैसूर यु (1799)
केदौरान लड़ते ए उसक मृ युहो गयी।
ट पूसु
तान सेजु
डी मह वपू
ण जानका रयाँ
1. वह गंे
री केजगतगु शंकराचाय का महान शंसक था
और उसनेमराठ ारा न क गयी दे वी शारदा क मूत के
नमाण केलए उ ह धन दान कया।
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2.4 अवध
अवध उ र भारत का ऐ तहा सक े था , जसमेव मान
उ र दे श का उ र पूव भाग शा मल था। ाचीन कोसल
देश केनाम क राजधानी अयो या केनाम पर इसका नाम
अवध पड़ा था। सोलहव सद म यह मु ग़ल सा ा य का ह सा
बन गया और 1856 ई. म इसे टश सा ा य म मला लया
गया। 1722 ई. म ,मु
ग़ल बादशाह मुहमदशाह ारा फारस के
शया सादत खां को अवध का सू बे
दार बनायेजानेकेबाद
अवध सू बे को वतं रा य घो षत कर दया गया। सादत खां
नेसैयद बंधु को हटानेम सहयोग दया। बादशाह नेसादत
खांको ना दरशाह केसाथ वाता के लए नयु कया ता क
वह एक बड़ी रकम केभु गतान केएवज म अपनेदे श लौट
जायेऔर शहर को तबाह करनेसेउसेरोका जा सके । ले
कन
जब ना दरशाह को उस रकम का भु गतान नह कया गया तो
उसका प रणाम द ली क जनता को नरसं हार के प म
भुगतना पड़ा। सादत खांनेभी शम और अपमान केकारण
आ मह या कर ली ।
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सादत खां बु
रहान-उल-मु
क (1722-1739 ई।): इ होने
1722 ई.
म अवध क वाय रा य के प म थापना क उसेमु ग़ल
बादशाह मुह मदशाह ारा गवनर नयु कया गया था ।उसने
ना दरशाह केआ मण केसमय सा ा य क ग त व धय म
मह वपूण भू मका नभाई थी। अं
ततः इ ज़त और स मान क
खा तर आ मह या कर ली।
सफ़दर जं ग अ ल मंसू
र (1739-1754 ई।): वह सादत खां
का
दामाद था जसने1748 ई. म अहमदशाह अ दाली के व
मानपुर केयु म भाग लया था।
शु
जाउ ौला (1754-1775 ई।): वह सफदरजंग का पु और
अहमदशाह अ दाली का सहयोगी था। उसनेअंे
ज केसहयोग
सेरो ह ल को हराकर 1755 ई. म हे
लखंड को अपने
सा ा य म मला लया था।
आसफ-उद-दौला: वह लखनऊ क सं कृ
त को ो सा हत करने
और इमामबाड़ा तथा मी दरवाजा जै
सी ऐ तहा सक इमारत
बनवानेके लए स है । उसने1755 ई. म अंे ज केसाथ
फ़ै
जाबाद क सं ध क।
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न कष
अवध अपनी उपजाऊ भू म केकारण केहमेशा सेआकषण
का क रहा है। अंे ज नेभी अपनेवाथ के लए इसक
उपजाऊ भूम का दोहन कया। इसी लए अंे
ज ने1856 ई.
म इसेअपनेसा ा य म मला लया।
2.5 बं
गाल
औरंगजेब ारा मुशद कु ली खांको बं गाल का द वान नयु
कया गया था। गवनर मु शद कुली खां(1717-1727 ई.) ने
बं
गाल क राजधानी ढाका सेमु शदाबाद थानां
त रत कर द ।
उसनेअंे ज ई ट इंडया कंपनी ारा राज व वसूली को रोककर
अपनेरा य केहत क र ा का यास कया। उसका दामाद
शुजाउ न खांउसका उ रा धकारी बना जसनेबहार केसू बे
को बंगाल रा य म मला लया। मु शद कु ली खांऔर उसके
उ रा धकारी नवाब ारा बंगाल, बहार और उड़ीसा का
शासन वतं शासक क तरह कया गया फर भी उ ह ने
मु
ग़ल शासक को राज व भे जना जारी रखा।
बं
गाल केनवाब का ववरण न न ल खत है
-
32
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33
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न कष
औरंगजे
ब क मृयुकेबाद मु
ग़ल सा ा य केपतन केसाथ ही
बं
गाल मुशद कु
ली खांकेने
तृ व सेवतं हो गया। मु शद
कु
ली खांनेअपनी यो य बंधन मता के ारा बं गाल को
समृता केशखर तक प चँाया।
2.6 है
दराबाद
है
दराबाद केइ तहास का नमाण अने क रा य व शासक जै से-
चालुय वं श ,काकतीय वंश , द ली स तनत,बहमनी स तनत,
वजयनगर सा ा य , नज़ाम और अंे ज के ारा आ है ।इसी
कारण उसका इ तहास अ य धक व वधतापू ण है। मु
ग़ल बादशाह
ारा चन क लच खांको नज़ाम-उल-मु क क उपा ध दान क
गयी और द कन का गवनर बना दया गया । 1722 ई.म उसे
मुग़ल सा ा य का वजीर नयु कया गया ले कन उसकेतु रं
त
बाद वह द कन लौट गया और उस े पर अपनी पकड़ को
मजबू त कया । उसके उ रा धकारी है दराबाद के नज़ाम
कहलाये । है
दराबाद के नजाम ारा लगभग दो सद तक
है
दराबाद पर शासन कया गया और है दराबाद का सांकृतक
एवंआ थक से वकास कया ।
है
दराबाद केशासक का ववरण न न ल खत है
–
नज़ाम-उल-मु
क: वह हैदराबाद रा य का संथापक था जसने
1738 ई.म पेशवा केसाथ भोपाल क सं ध क और 1739
ई.म करनाल केयु म म य थ क भू मका नभाई।
ना सर जं
ग: इसक ह या पठान ह मत खां ारा ज जी के
34
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मु
ज़ फर जं
ग :वह ासी सय क मदद सेसहासन पर बै
ठा
ले
कन ज द ही उसक घटनावश मृ
युहो गयी।
न कष
है
दराबाद रा य का इ तहास राजवं
श केउदय और पतन से
भरा आ है लेकन उसकेवा त वक सं
थापक नजाम-उल-मु
क
थेज ह नेन के वल रा य क सीमा का नधारण कया
ब क उसेसां कृतक और आ थक प सेसमृ भी बनाया।
2.7 जाट
मुग़ल शासक औरंगजेब के व व ोह करनेकेबाद 17 व
सद म श शाली भरतपु र रा य क थापना केसाथ जाट
रा य अ त व म आया। व ोही मुयतः ह रयाणा,पंजाब और
गंगा दोआब केप मी भाग के ामीण इलाक म के त थे
और पू व े म अनेक छोटेछोटेरा य मलतेथे । ये ाचीन व
म यकालीन कृषक केसाथ साथ महान यो ा भी थेज ह ह
और मुलम शासक ारा सै नक के प भत कया गया था।
35
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कु
छ मु
ख जाट ने
ता का ववरण न न ल खत है
-
चु
डामन: वह राजाराम का भतीजा था जसने1704 ई.म मुगल
को हराकर ससनी पर क ज़ा कर लया। इसनेभरतपु र रा य
क थापना क और बहा र शाह नेइसेमनसब दान कया
था। इसनेबं
दा बहा र के व मु
ग़ल अ भयान म मु
गल का
साथ दया था।
सू
रजमल: वह बदन सह ारा गोद लया गया पु था ।उसेजाट
श का लेटो और जाट अफलातू न भी कहा जाता है
य क उसनेजाट रा य को चरमो कष पर प चँाया था। उसने
द ली,आगरा और मेवाड के े म जाट अ भयान का ने तृ
व
कया और पानीपत क तीसरी लड़ाई म मराठ क सहायता
36
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न कष
17 व सद म मु गल के वघटन केकारण जाट के प म
एक नयी लड़ाकूजा त का उदय आ, ज ह नेवयंको म य
ए शया सेभारत म वे श करनेवालेइं डो-सी थयन का वंशज
घो षत कया। हालाँक उ ह नेरा य का गठन तो कया ले कन
उनक आतं रक सं रचना जनजातीय संघ जै
सी ही बनी रही।
2.8 पु
तगाली उप नवे
श क थापना
पु
तगाली पहलेयूरोपीय थेज ह नेभारत तक सीधेसमु माग
क खोज क । 20 मई 1498 को पु तगाली ना वक वा को-डी-
गामा कालीकट प च ंा, जो द ण-प म भारत म थत एक
मह वपूण समु बं दरगाह है। थानीय राजा जमो रन नेउसका
वागत कया और कु छ वशे षा धकार दान कये । भारत म
तीन महीनेरहनेकेबाद वा को-डी-गामा सामान सेलदेएक
जहाज केसाथ वापस लौट गया और उस सामान को उसने
यू
रोपीय बाज़ार म अपनी या ा क कु ल लागत केसाठ गु ने
दाम म बे
चा।
37
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भारत म पु
तगाली श का उदय
1505 ई म ां
स को देअ मीडा को भारत का पहला
पु
तगाली गवनर बनाया गया। उसक नी तय को लूवाटर
पा लसी कहा जाता था यो क उनका मुय उ े य हद
महासागर को नयंत करना था। 1509 ई म ां स को दे
अ मीडा क जगह अ बु कक भारत म पु तगाली गवनर बनकर
आया जसने1510 ई.म बीजापु र केसु तान सेगोवा को अपने
क जेम लेलया। उसेभारत म पु तगाली श का वा त वक
सं थापक माना जाता है । बाद म गोवा भारत म पु तगाली
ब तय का मुयालय बन गया। तट य े पर पकड़ और
नौसेना क सव चता नेभारत म पु तगा लय के था पत होनेम
काफ मदद क ।16 व सद केअं त तक पु तगा लय नेन
केवल गोवा,दमन,द व और सालसे ट पर क ज़ा कर लया ब क
भारतीय तट केसहारेव तृ त ब त बड़े े को भी अपने
भाव म लेलया।
पु
तगाली श का पतन
38
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अ धक स म त ं
द केसम समपण करना पड़ा और धीरे
धीरेवेसी मत े तक समट कर रह गए।
पु
तगाली श केपतन केमुय कारण
भारत को पु
तगा लयो क दे
न
उ ह नेभारत म तं
बाकूक कृ ष आरं
भ क।
उ ह नेभारत केप मी और पू व तट पर कैथो लक धम का
सार कया।
उ ह ने1556 ई.म गोवा म भारत क पहली टग ेस क
थापना क । द इं डयन मेडसनल लांट्
स पहला वैा नक
काय था जसका काशन 1563 ई.म गोवा सेकया गया ।
सव थम उ ह ने ही काटज णाली केमा यम सेयह बताया क
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2.9 डच उप नवे
श क थापना
हॉलड (व मान नीदरलड) के नवासी डच कहलातेहै ।
पु
तगा लयो के बाद डच नेभारत म अपनेकदम रखे ।
ऐ तहा सक सेडच समु ापार म नपु ण थे
। 1602 ईम
नीदरलड क यू नाइटे
ड ई ट इं
डया कं
पनी क थापना क गयी
और डच सरकार ारा उसेभारत स हत ई ट इं डया केसाथ
ापार करने
क अनु म त दान क गयी।
डच का उ थान
40
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अफ म, नील, रे
शम और चावल वे मुख भारतीय व तु
एंहै
जनका ापार डच ारा कया जाता था।
डच स के
डच श का पतन
डच-अंेज सं
घष केम य ावणकोर केराजा मातड वमा ारा
1741 ई म कोलाचे ल केयु म डच ई ट इं
डया कं
पनी को
परा जत करनेकेसाथ ही मालाबार े म डच श का
पू
णतः पतन हो गया।
41
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टश केसाथ सं
धयाँऔर सं
घष
हालाँ
क 1814 ई क एं लो-डच सं ध केतहत डच कोरोमं डल
और डच बं गाल पुनः डच शासन केअधीन आ गए थेले कन
1824 ई म ह ता रत एं लो-डच संध के ावधान केतहत
फर से टश शासन केअधीन आ गए यो क इस सं ध के
तहत डच के लये1 माच 1825 ई तक सारी सं प और
े को ह तांत रत करना बा यकारी बना दया गया। 1825 ई
केम य तक डच भारत म अपनेसभी ापा रक े से
वंचत हो चु केथे। एक समझौतेकेतहत टश नेआपसी
अदला-बदली केतरीकेकेआधार पर खु द को इं डोनेशया के
साथ ापार सेअलग कर लया और बदलेम डच नेभारत
केसाथ अपना ापार बं द कर दया।
भारत म डे
नश औप नवे
शक े
डे
नमाक सेस बं धत कसी भी या व तुको डे
नश कहा
जाता है
। डे
नमाक ारा लगभग 225 वष तक भारत म अपने
उप नवे
श बनायेरखेगए। भारत म था पत डे नश ब तय मे
क
ंोबार (त मलनाडु रामपु
) ,से र (प म बं गाल) और नकोबार
प शा मल थे
।
डे
नश ापा रक एका धकार क थापना
एक डच साहसी मस लस देबोशौवे
र नेभारतीय उप-महा प म
डेनश ह त पे के लए ेरणा दान क । वह सहयोगी दल से
सभी तरह के ापार पर एका धकार के वादेके साथ
पु
तगा लय केव सै
य सहयोग चाहता था। उसक अपील ने
डे
नमाक-नॉव केराजा चयन चतुथ को भा वत कया
जसनेबाद म 1616 ई म एक चाटर जारी कया जसकेतहत
42
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डे
नश चाटड कं
प नयां
से
रामपु
र मशन े
स
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भारत म डे
नश ब तय क समा त
ने
पो लयन यु (1803-1815 ई।) केदौरान टश नेडे नश
जहाज पर हमला कर डे नश ई ट इं
डया कं
पनी केभारत के
साथ होनेवाले ापर को न कर दया और अं ततः डेनश
ब तय पर क ज़ा कर उ ह टश भारत का ह सा बना
लया। अंतम डच ब ती से रामपु
र को 1845 ई म डे नमाक
ारा टे
न को ह तां
त रत कर दया गया।
2.10 ां
सीसी उप नवे
श क थापना
भारत आनेवालेअं तम यू
रोपीय ापारी ां
सीसी थे
। ां सीसी
ई ट इंडया कंपनी क थापना 1664 ई म लु ई सोलहव के
शासनकाल म भारत केसाथ ापार करनेकेउ े य सेक
गयी थी। ां
सी सय ने1668 ई म सू रत म पहली फै
था पत क और 1669 ई म मसु लप नम म एक और फै
था पत क ।1673 ई म बं
गाल केमु ग़ल सूबे
दार ने ां
सी सय
को च नगर म ब ती बनाने क अनु म त दान कर द ।
प डचे री और ां
सीसी वा ण यक वृ : 1674 ई म
ां
सी सय नेबीजापुर केसु तान सेप डचे री नाम का गाँव
ा त कया और एक स प शहर क थापना क जो बाद म
भारत म ां सी सय का मु ख क बनकर उभरा। धीरेधीरे
ां
सीसी ई ट इंडया कंपनी नेमाहे ,कराइकल, बालासोर और
का सम बाज़ार म अपनी ापा रक ब तयां था पत कर ल ।
ां
सी सय का भारत आनेका मु ख उ े य ापर एवं
वा ण य था। भारत आनेसेले कर 1741 ई तक ां सी सय
44
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का मु ख उ े य , टश केसमान,पूणतः वा ण यक ही था।
ां
सीसी ई ट इंडया कं
पनी ने1723 ई म यनम, 1725 ई म
मालाबार तट पर माहेऔर 1739 ई म कराइकल पर क ज़ा
कर लया।
ां
सी सय केराजनी तक उ े य और मह वाकांा: समय के
गुजरनेकेसाथ साथ ां सी सय का उ े य म भी प रवतन
होनेलगा और भारत को अपनेएक उप नवे श के प म मानने
लगे । 1741 ई म जोसफ कोइस डू लेको ां सीसी ई ट
इं डया कं पनी का गवनर बनाया जाना इस (उप नवे श)
वा त वकता और उ े य क तरफ उठाया गया पहला कदम था।
उसकेकाल म कं पनी केराजनी तक उ े य प प सेसामने
आनेलगेऔर कह कह तो उ ह कं पनी केवा ण यक उ े य
से यादा मह व दया जानेलगा। डू लेअ य धक बु मान था
जसनेथानीय राजा क आपसी मनी का फायदा उठाया
और इसेभारत म ासीसी सा ा य क थापना हे तुभगवान
ारा दए गए मौकेके प म वीकार कया। उसनेअपनी
चतु रता और कूटनी त केबल पर भारतीय राजनी तक प र य
म स मा नत थान ा त कया। ले कन टश नेडू लेऔर
ां
सी सय केसम चु
नौती तु
त क जो बाद म दोन
श य केबीच सं घष का कारण बना। डू लेक से ना ने
मा वस द बु सी केने तृव म है
दराबाद और के प कोमो रन के
म य के े पर क ज़ा कर लया। 1744 ई म टश अफसर
रोबट लाइव भारत आया जसनेडू लेको परा जत कया। इस
पराजय केबाद 1754 ई म डू लेको वापस ां स बु
ला लया
गया।
45
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2.11 अंज
े उप नवे
श क थापना
अंेज का भारत आगमन और ई ट इं डया कं पनी क थापना
का मु ख कारण पु तगाली ापा रय ारा भारत म अपनी
व तु को बे चनेसेहोनेवाला अ य धक लाभ था जसने
टश ापा रय को भारत केसाथ ापार करनेके लए
ो सा हत कया । अतः पु तगाली ापा रय क ापा रक
सफलता से े रत होकर अंेज ापा रय केएक समू ह –मचट
एडवचरस ने1599 ई. म ई ट इं डया कंपनी क थापना क ।
महारानी वयंभी ई ट इं डया कं पनी क साझे दार/शे
यरहो डर
थ|
प म और द ण म व तार
46
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कंपनी के लए और अ धक छू ट ा त करनेकेउ े य से
जहाँ गीर केदरबार म भे जा। रो ब त कुटनी त था और अपनी
कूटनी त केबल पर वह पू रेमुग़ल े पर व तापू वक
ापार करनेहे तुशाही चाटर ा त करनेम सफल रहा । बाद
केवष म ई ट इं डया कंपनी अपनेआधार को व तृ त करती
गयी । कं पनी को पु तगाली, डच और ां सीसी ापा रय ारा
तुत चुनौ तय का भी सामना करना पड़ा। नणायक ण तब
आया जब 1662 ई. म इं लड केचा स तीय का ववाह
पुतगाली राजकु मारी कैथरीन से आ और इं लड को ब बई.
दहेज़ के प म ा त आ । इं लड ारा 1668 ई. म ब बई.
को दस प ड तवष क दर पर ई ट इं डया कं पनी को स प
दया गया। कं पनी नेअपनेप मी तट पर अपना ापा रक
मुयालय सू रत सेब बई. थानां त रत कर दया। 1639 ई. म
ई ट इं डया कंपनी नेथानीय राजा सेम ास को प ेपर ा त
कर लया और वहांपर अपनी फै क सु र ा हेतुफोट सट
जॉज का नमाण कराया । बाद म म ास कं पनी का द ण
भारतीय मुयालय बन गया।
पू
व म कं
पनी का व तार
47
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मु
ग़ल शासक फ सयर ने1717 ई. म शाही फरमान जारी
कर कंपनी को बं
गाल म कु छ ापा रक वशे षा धकार दान
कर दए , जसमेबगैर कर अदा कयेबं गाल म टश व तु
केआयात- नयात क अनुम त भी शा मल थी। इस फरमान ारा
कं
पनी को व तु क आवाजाही हे तुद तक (पास ) जारी
करनेका अ धकार भी दान कर दया गया।
मु
ख कारण, ज होन टश को लगभग दो सौ वष तक भारत
पर शासन करनेका अवसर दान कया, न न ल खत है
-
यू
रोपीय श य केबीच सं
घष
भारत म मु
ख यू
रोपीय श याँ
: पु
तगाली,डच ,अंे
ज और
48
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ां
सीसी चार मुख यू रोपीय श यांथी जो ापा रक सं
बं
ध
क थापना हे तुभारत आयेले कन बाद म उ ह नेयहाँअपने
उप नवेश था पत कये । इन यू रोपीय श य के बीच
वा ण यक और राजनी तक भु ता हेतुछोटे
-मोटेसं घष होते
रहतेथेले कन अंत म टश सबसेताकतवर श के प म
उभरेज ह नेअ य तीन श य को पीछेछोड़ लगभग दो सौ
साल तक भारत पर शासन कया। भारत म सबसेपहले
पु
तगाली आये ज होन अपनी फै यांऔर औप नवे शक
ब तयांथा पत क । डच केसाथ उ ह कड़ी त पधा का
सामना करना पड़ा ले कन डच उनकेसामनेकमजोर सा बत ए
और पु तगाली व टश क त पधा केसामनेटक न सकने
केकारण डच वापस चलेगए|
49
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टश सव चता क थापना
50
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ने
तृवकता केसाथ साथ एक मजबू
त नौसै
नक श होने
का भी लाभ मला। इन कारक केकारण ही वेभारत के
व सनीय शासक बन सके
|
3. आधु
नक भारत : टश सव चता और अ ध नयम
3.1 ब सर क लड़ाई
3.2 सहायक सं ध
3.3 पगत का स ां त
3.4 रेयु
लेटग ए ट, 1773
3.5 पट्स इंडया ए ट 1784
3.6 चाटर अ ध नयम,1793
3.7 1813 का चाटर अ ध नयम
3.8 1833 ई. का चाटर अ ध नयम
3.9 1853 ई. का चाटर अ ध नयम
3.10 1858ई.का भारत सरकार अ ध नयम
3.11 1861 का अ ध नयम
3.12 1892 ई. का अ ध नयम
3.13 1909 ई. का भारतीय प रषद्
अ ध नयम
3.14 भारत सरकार अ ध नयम - 1935
3.15 म ट यु
-चेसफोड सुधार अथात भारत
सरकार अ ध नयम-1919
51
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3.1 ब सर क लड़ाई
ब सर का यु बं गाल केनवाब मीर का सम,अवध केनवाब
सु
जाउ ौला व मु
ग़ल शासक शाह आलम तीय क सं यु से
ना
और अंे ज केम य लड़ा गया था | यही वह नणायक यु
था जसनेअंे ज को अगलेदो सौ वष के लए भारत के
शासक के प म था पत कर दया| यह यु अंे ज ारा
फरमान और द तक के पयोग और उनक व तारवाद
ापा रक आकांा का प रणाम था|
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यु केलए ज मे
दार घटनाएँ
न कष
ब सर का यु भारतीय इ तहास क यु गां
तरकारी घटना सा बत
ई | टश क च तीन तट य े कलक ा ,ब बई और
म ास म अ धक थी| अंे ज व ां सी सय केबीच लड़े गए
कनाटक यु , लासी केयु और ब सर केयु नेभारत म
टश सफलता केदौर को ारं भ कर दया|1765 ई. तक
टश बं
गाल, बहार और उड़ीसा केवा त वक शासक बन गए|
अवध और कनाटक केनवाब( जसेउ ह नेही नवाब बनाया था)
उन पर नभर हो गए|
3.2 सहायक सं
ध
टश ई ट इं
डया कं
पनी नेह त प
े क नी त को ारं
भ कया
और और पूव म अपनेअधीन कयेगयेशासक के े का
53
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सं
ध को वीकार करने
वालेरा य
• सव थम इस सं ध पर ह ता र है
दराबाद के नज़ाम नेकये
थे| 1798 ई. म नज़ाम के ां सीसी संबं
ध को समा त कर
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दया और टश अनु
म त केबना वेमराठ सेकोई सं
ध नह
कर सकतेथे
|
• मैसू
र सरा रा य था जसने1799 ई. म इस सं
ध पर
ह ता र कये
|
• 1801 ई. म वे
ले
ज़ली नेअवध केनवाब को इस सं
ध पर
ह ता र करनेकेलया बा य कया|
• 1802 ई. म पे
शवा बाजीराव तीय भी अपनेरा य को इस
सं ध केतहत लेआये|ब त सेअ य मराठा रा य ,जै
से1803
ई. म स धया व भोसलेनेभी इस सं ध पर ह ता र कये |
अं तम मराठा सं
घ जै
सेहो कर नेभी इस संध क शत को
वीकार कर लया|
न कष
सहायक सं ध वा तव म कसी भी रा य क संुभता को छ नने
वाला द तावे
ज था जसकेतहत रा य को वयंअपनी र ा
करनेका, कूटनी तक स ब ध था पत करनेका , वदेशय को
नयु करनेका और यहाँतक क अपनेपड़ोसी केसाथ
ववाद का समाधान करनेका भी अ धकार ा त नह था |
3.3 पगत का स ां
त
पगत का स ां त एक सा ा यवाद समथक उपागम था
जसका उ ेय भारत म टश रा य े का व तार करना था|
इस स ांत का ारंभ लॉड डलहौजी ारा कया गया था| इस
55
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स ां
त के अनु सार वे रा य, जनका कोई वं शानु
गत
उ रा धकारी नह था, अपनेशासन करनेकेअ धकार खो दे ते
थे|साथ ही उ रा धकारी को गोद ले
नेपर भी उनकेरा य को
वापस ा त नह कया जा सकता था|
• सतारा(1848 ई.)
• जयपुर(1849 ई.)
• सं
भलपु र(1849 ई.)
• बाहत(1850 ई.)
• उदयपुर(1852 ई.)
• झाँ
सी(1853 ई.)
• नागपु
र(1854 ई.)
ले
कन कु
छ समय बाद इस नी त के ावधान केकारण जनता
केम य काफ रोष पैदा हो गया और उड़ीसा केमहान
56
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ांतकारी सु
रे देसाई ने पगत के स ां
त के वरोध म
आवाज उठाई| आगेचलकर इसी रोष ने1857 ई. के व ोह
का आधार तैयार कया|
पगत केस ां
त केमुय ब
न कष
हालाँक , टश भारत म ापार केउ ेय सेआयेथेले कन
संसाधन पर एका धकार ा त करनेक उनक मह वाकांा ने
उ ह भारत म श शाली बना दया | पगत का स ां त वा तव
म व तारवाद नी त थी, जो कसी भी तरह सेअ य रा य का
टश भारत म वलय कर भारत म टश ई ट इं डया के
रा य े म व तार करना चाहती थी| इस नी त का ारं भ
डलहौजी ारा कया गया था ता क अ य रा य को अपना
उप नवेश बनानेक श ई ट इंडया कंपनी को दान क
जा सकेऔर कं पनी केराज व म भी वृ हो सके | इस नी त
केकारण एक तरफ तो जनता केम य टश क छ व ख़राब
ई तो सरी तरफ इस नी त नेव भ रा य केशासक को
57
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
3.4 रे
यु
ले
टग ए ट, 1773
बं
गाल केकुशासन सेउपजी प र थ तय ने टश सं सद को
ई ट इंडया कंपनी केकाय क जाँ च हे तुबा य कर दया| इस
जाँच म कंपनी केउ च अ धका रय ारा अपनेअ धकार के
पयोग केअनेक मामलेसामने आये | उस समय कं पनी व ीय
संकट सेभी गु जर रही थी और टश सरकार केसम एक
म लयन प ड केऋण हे तुआवेदन भी भे ज चुक थी| टश
संसद नेपाया क भारत म कं पनी क ग त व धय को नयंत
करनेक ज रत हैऔर इसी ज रत क पू त केलए 1773
ई. म रेयु
लेटग ए ट पा रत कया गया|
यह ए ट भारत केस ब ध य हत प े हे
तु टश सरकार
ारा उठाया गया पहला कदम था |इस ए ट का उ े य
ापा रक कं
पनी केहाथ सेराजनी तक श छ ननेक ओर
एक कदम बढाना था| इस ए ट ारा नए शास नक ढां चेक
थापना के लए भी कु छ वशे
ष कदम उठायेगए| कं पनी क
कलक ा फै केअ य , जसेबं गाल का गवनर कहा जाता
था, को कं पनी केभारत म थत सभी े का गवनर जनरल
बना दया गया और ब बई व म ास केदो अ य गवनर को
उसकेअधीन कर दया गया|उसक सहायता के लए चार
सद य क एक प रषद्का गठन कया गया| इस ए ट म
या यक शासन के लए कलक ा म एक सुीम कोट क
थापना का ताव भी शा मल कया गया|
ब त ज द ही रे
यु
ले
टग ए ट क क मयांउजागर होनेलग |
थम गवनर जनरल वारे
न हेटं
स और प रषद्केसद य के
58
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
3.5 पट्
स इं
डया ए ट 1784
1773 ई. केरे यु
लेटग ए ट क क मय को र करनेऔर
कं
पनी केभारतीय े के शासन को अ धक स म और
उ रदा य वपू
ण बनानेकेलयेअगलेएक दशक केदौरान जाँ
च
केकई दौर चलेऔर टश सं
सद ारा अने
क कदम उठाये
गए|
59
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
थी|
60
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
हालाँ
क कं
पनी क से ना म नयु भारतीय सै
नक नेअ य धक
स म होनेक या त अ जत क थी ,ले कन वेऔप नवेशक
श केभाड़ेकेसै नक मा थे यो क न तो उनमेवह गव
क भावना थी जो कसी भी रा ीय से
ना केसै
नक को उ साह
दान करती हैऔर न ही पदो त केब त अ धक अवसर
उ ह ा त थे| इ ह कारक नेकई बार उ ह व ोह करनेके
लए उकसाया जनम सबसेमहान व ोह 1857 का व ोह था|
हालाँ
क पु
लस नेकानू
न एवं व था क थापना म मह वपूण
भूमका नभाई ले
कन वह कभी भी लोक य नह बन पाई
ब क उसने ाचार और सामा य जनता को तं ग करनेक
वृ केकारण बदनामी ही अ जत क |अतः यह पू
रेदे
श म
61
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
न कष
यह ए ट इस सेब त मह वपू
ण हैक इसनेकंपनी क
ग त व धय और शासन केस ब ध म टश सरकार को
सव च नयंण श दान कर द | यह पहला अवसर था
जब कं पनी केअधीन े को टे न केअधीन े कहा गया|
अ ध नयम क वशे
षताएं
62
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
अ ध नयम के ावधान
• इसनेभारत म टश क संवै
धा नक थ त क ा या के
मा यम से टश भारत पर टे
न केराजा क स भु ता
सा बत क गयी |
• यह अ ध नयम थानीय नकाय को ,सुीम कोट के या यक-
े म आनेवालेलोग पर, कर लगानेका भी अ धकार
दान करता है
|
• भारत म ांतीय सरकार व यायालय क श य केसं दभ
म यूरोपीय टश केमामल को मजबू ती दान क गयी|
63
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
• इस अ ध नयम ारा टश ई ट इं
डया कं
पनी का ापा रक
कंपनी का दजा समा त कर दया गया और वह अब के वल
शास नक नकाय मा रह गयी थी|
• बं
गाल केगवनर जनरल को भारत का गवनर जनरल कहा
जानेलगा| लॉड व लयम ब टक को “ टश भारत का थम
गवनर जनरल” बनाया गया|
64
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अ ध नयम क वशे
षताएं
65
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
• इसनेई ट इं
डया कं
पनी केशासन को अ न तकाल केलए
नवीनीकृ
त कर दया|
66
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67
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
शास नक से
वा म वे
श पाने
का हक़दार होगा|
न कष
महारानी व टो रया ारा क गयी उ ोषणा 1857 ई. केव ोह
का प रणाम थी और इस उ ोषणा म यह व ास दलाया गया
क भारतीय लोग केसाथ जा त,धम,रं ग और जा त केआधार
पर कोई भेदभाव नह कया जाये गा |इसम भारतीय राजा को
भी यह व ास दलाया गया क उनक त ा,अ धकार और
ग रमा का स मान कया जायेगा और उनकेअधीन थ े पर
68
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अ ध नयम केमुय ब
69
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न कष
भारतीय प रषद्अ ध नयम-1861 भारतीय को शासन म
भागीदारी दान कर और भारत म कानू न नमाण क ु टपू
ण
या को सुधार कर भारतीय आकांा क पूत क |अतः
इस अ ध नयम ारा भारत म शास नक णाली क थापना
क गयी जो क भारत म टश शासन केअंत तक जारी रही|
70
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• सै
य य म कटौती क जाये
|
अ ध नयम के ावधान
71
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• इस अ ध नयम केअनु
सार प रषद्
के2/5 सद य गै
र-सरकारी
हो सकतेथे|
• इस अ ध नयम ने
प रषद केअ त र सद य को जन हत के
मु पर पू
छनेका अ धकार दान कया|
• ां
तीय प रषद म भी अ त र सद य क संया म वृ
क गयी,जै
से-बं
गाल म इनक संया 20 और अवध म 15 कर
द गयी|
न कष
1892 ई. म पा रत कयेगए अ ध नयम नेभारत म सं सद य
णाली क आधार शला रखी और भारत केसं वै
धा नक वकास
म मील का प थर सा बत आ| इस अ ध नयम ारा भारत म
पहली बार चुनाव णाली क शुआत क गयी| इन सबके
बावजू
द यह अ ध नयम रा ीय मांग क पू त करनेम सफल
नह हो पाया और न ही कोई मह वपू
ण योगदान देसका|
72
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73
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मं
डल क थापना के ावधान का वरोध कया|
अ ध नयम क वशे
षताएं
74
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• ‘ थक नवाचन मं डल ‘ के स ां
त का ारं
भ कया गया|लॉड
म टो को ‘सांदा यक नवाचन मं
डल का पता’ कहा गया |
न कष
1909 ई. केभारत शासन अ ध नयम का नमाण उदारवा दय
को संतु करनेके लए और ‘ थक नवाचन मं डल ‘ के
स ांत ारा मुलम को रा ीय आ दोलन सेअलग करनेके
लए कया गया था|
75
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अ ध नयम के ावधान
• इस अ ध नयम ने ै
ध शासन णाली को समा त कया|
76
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• ा त को भी आं
शक प सेपु
नसग ठत कया|
• बहार एवंउड़ीसा ां
त को बहार और उड़ीसा नाम केदो
अलग-अलग ा त म बाँट दया गया|
• सं
घीय यायालय क थापना क गयी|
न कष
इस अ ध नयम का मु ख उ े य भारत सरकार को टश
स ाट केअधीन लाना था| अतः भारत सरकार केअ धकार
का ोत टश स ाट था| यह सं क पना ,जो क डो म नयन
संवधान सेमलती-जु
लती थी, पू
व म पा रत कयेगए भारतीय
अ ध नयम म अनु
प थत थी|
हालाँ
क 1935 केअ ध नयम म ां
तीय वंता जै
सेकु
छ
77
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
उपयोगी और मह वपू
ण सु
धार शा मल थेलेकन फर भी भारत
सरकार अ ध नयम-1935 भारत के सं वै
धा नक वकास के
इ तहास का वह ब था जहाँसेपीछेक ओर नह लौटा जा
सकता था|
3.15 म ट यु-चे
सफोड सु धार अथात
भारत सरकार अ ध नयम-1919
थम व यु केदौरान टे न और उसकेसहयोगी दे श ारा
यह चार कया गया क वेअपनी रा ीय वतंता का यु
लड़ रहेहै|ब त सेभारतीय ने ता नेऐसा व ास कया क
टेन यु क समा त पर भारत को वराज दान कया
जायेगा लेकन टश सरकार क ऐसी कोई मं शा नह थी| यु
केबाद भारत क शास नक व था म जो बदलाव लायेगए
वेम ट यु-चे
सफोड सुधार , जसेभारत सरकार अ ध नयम-1919
भी कहा जाता है
,केप रणाम थे | इन सु धार ारा क य वधान-
मंडल को सदनीय बना दया गया |इनम सेएक सदन को
रा य प रषद्और सरेसदन को क य वधान सभा कहा गया
|दोन सदन म नवा चत सद य का ब मत था| क य
वधा यका क श य म कोई प रवतन नह कया गया , सवाय
क म दो सदन क थापना के |कायकारी प रषद्केसद य,
जो क मंय केसमान थे , वधा यका के त उ रदायी नह थे
अथात वेस ा म बनेरह सकतेथे चाहे वधा यका केसद य
केब मत का समथन उ ह ा त हो या नह |प तया वधान
मंडल क संया म भी वृ क गयी और उनमेनवा चत
सद य को ब मत दान कया गया| ा त म यु ै ध
शासन णाली ारा ां तीय वधान मं डल को अ धक श यां
78
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दान क गय |
इस व था केतहत श ा और जन वा य जै सेवभाग को
वधा यका के त उ रदायी मंय को स पा गया और पु लस
व व जै सेमह वपूण वभाग को गवनर केसीधेनयंण म
बनेरहे |गवनर को मंय ारा लए गए कसी भी नणय को
अ वीकार करनेक श दान क गयी| ा त म मंय और
वधान मं डल , जनके त मंी उ रदायी थे,क श यांसी मत
ही थी| जै सेक अगर कोई मंी श ा के सार क योजना
बनता हैतो उसके लए आव यक धन का अनु मोदन गवनर
ारा ही कया जायेगा और गवनर चाहेतो उस मंी के नणय
को अ वीकार भी कर सकता था|
79
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
वरोध कया|
गाँ
धी, ज ह नेरौले
ट अ ध नयम के वरोध हे
तुस या ह सभा का
नमाण कया था, नेदे श ापी वरोध का आ ाहन कया| पू रे
दे
श म 6 अ ै ल 1919 को रा ीय अवमानना दवस के प म
मनाया गया| इस दन पू रेदे
श म वरोध दशन और हड़ताल
का आयोजन कया गया|पू रेदे
श का ापार थम गया| भारत म
इससेपू व कभी भी इस तरह का सं ग ठत वरोध दशन दे खने
को नह मला था|सरकार नेभी इसेदबानेके लए कई थान
पर लाठ -चाज और गोली चलानेजै से ूर उपाय का योग
कया था|
अ ध नयम के ावधान
80
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• म हला को मत दे
नेका अ धकार दान कया गया|
न कष
यह अ ध नयम भारतीय क आकांा क पूत करनेम
असफल रहा |यह वा तव म भारत का आ थक शोषण करने
और उसेल बेसमय तक गु लाम बनायेरखनेकेउ ेय से
लाया गया था|
81
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4. आधु
नक भारत:18व सद केव ोह और सु
धार
4.1 रामकृण और ववे कानंद
4.2 ई रचंद व ासागर
4.3 डेजेरयो और यं ग बं
गाल
4.4 राममोहन रॉय और समाज
4.5 1857 का व ोह(कारण और असफलताए)
4.6 टश शासन म सामा जक अ ध नयम
4.7 द ण भारत म सु धार
4.8 प मी भारत म सु धार आ दोलन
4.9 सै यद अहमद खान और अलीगढ़
आ दोलन
4.10 मुलम सु धार आ दोलन
4.11 थओसो फकल समाज
82
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
ववे
कानं
द(1863-1902 ई.)
ववे
कानं
द का च र अपनेगु केच र सेब कु ल अलग था|
उ ह नेभारतीय व प मी दशन का अ ययन कया ले कन जब
तक वेरामकृण सेनह मलेउ ह मान सक शां त नह ा त
ई | उनका मन के वल अ या म सेही नह जु ड़ा था ब क
अपनी मातृभूम क त कालीन प र थ तयाँभी उनकेमन को
आंदो लत करती रहती थ |संपू
ण भारत म मण करनेकेबाद
उ ह नेपाया क गरीबी,ग दगी,मान सक उ साह का अभाव और
83
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
भ व य के त आशा वत न होनेजै
सी प र थ तयांहर कह
ा त है
|
ववेकानं
द ने प प सेकहा क -“अपनी सभी कार क
गरीबी और पतन के लए वयंहम ही ज मे दार ह| उ ह ने
अपनेदे शवा सय को अपनी मु के लए वयं यास करने
का स दे श दया| उ ह नेवयंभी अपनेदे शवा सय को जा त
करनेऔर उनक कमजो रय क ओर उनका यान दलानेका
दा य व संभाला| उ ह नेउ ह जीवन भर संघष करनेऔर मृ यु
ारा नया प धारण करने ,गरीब के त दया-भाव रखने,भूख
को भोजन उपल ध करानेऔर वृ हद्तर पर लोग को जागृ त
करने केलए े रत कया|
ववे
कानं
द ने1893 ई. म अमे
रका के शकागो म आयो जत
व धम सभा म भाग लया| इनके ारा वहांदए गए भाषण
नेअ य देश केलोग केमन को गहराई तक भा वत कया
और व क नजर म भारतीय सं कृत क त ा म वृ क |
न कष
रामकृण परमहं
स और ववे कानं
द का दशन धा मक सौहा पर
आधा रत था और इस सौहा का अनु भव गत ई रीय
चेतना केआधार पर ही कया जा सकता है
|
4.2 ई रचं
द व ासागर
ई र च व ासागर का ज म 1820 ई. म एक नधन ा ण
प रवार म आ था और उ ह नेसं कृ
त केछा के प म एक
84
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
बे
हतरीन उपल ध हा सल क थी| उनक महान श ा के
लए कलक ा केसं कृ
त कॉले ज, जसकेवेकुछ वष के लए
सपल रहेथे,नेउ ह ‘ व ासागर’ क उपा ध दान क | वे
अपनेसादगीपूण रहन-सहन, नभ क वभाव,आ म-ब लदान के
भाव, श ा के त अपनेसमपण-भाव केकारण द लत व
वंचत केबीच एक महान व स व के प म उभरे |
उ ह नेसंकृ
त कॉलेज म आधु नक प मी वचार का अ ययन
आर भ कराया और तथाक थत न न जा त केछा को सं कृ
त
पढ़ने हे
तुकॉले
ज म वे श दया|
पहलेसं कृ
त कॉले
ज म केवल परंपरागत वषय का ही अ ययन
होता था| संकृ
त केअ ययन पर भी ा ण का एका धकार
था और तथाक थत न न जा तय को सं कृत केअ ययन क
अनुम त नह थी| उ ह नेबं गाली भाषा के वकास म भी
योगदान दया था और इसी योगदान केकारण उ ह आधु नक
बं
गाली भाषा का जनक माना जाता है| वेकई समाचार-प व
प का केसाथ भी गं
भीरता सेजु ड़े ए थेऔर सामा जक
सु
धार क वकालत करने वालेकई मह वपू ण लेख भी लखे|
85
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
साथ भी जु
ड़े ए थे, ज होन 1849 ई. म कलक ा म य
क श ा हेतु थम कू ल क थापना क थी|
वचार और श ाएं
• उ ह नेसं
कृत कॉले ज म आधु
नक प मी वचार का
अ ययन आर भ कराया|
• वधवा-पु
न ववाह एवं ी श ा के लए उ ह नेमह वपू
ण
काय कया|
• वधवा-पु
न ववाह को क़ानू नी वै
धता दान करनेवाले
अ ध नयम को पा रत कराने
वाल म एक नाम उनका भी था|
• वेवधवा-पु
न ववाह के बल समथक थे
|
• उ ह नेबं
गाली भाषा केवकास म भी योगदान दया था और
इसी योगदान केकारण उ ह आधु नक बंगाली भाषा का जनक
माना जाता है
|
4.3 डे
जेरयो और यं
ग बं
गाल
बं
गाल म आधुनक आ दोलन क शुआत करनेम 1817 म
था पत कलक ा के ह कॉले
ज क मह वपू
ण भू
मका थी|
86
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
डे
रे
जयो और यं
ग बं
गाल
87
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
• डे
रे
जयो नेअपनी श ा और व ान,इ तहास,दशन, सा ह य
आ द पर चचा केआयोजन केमा यम से ां तकारी वचार
को ो सा हत कया|
• डे
रेजयो यु
वा छा केबीच बौ क ां
त का सार करना
चाहतेथे
|
• उ ह नेकहा क उ या ां
तकारी वचार धम-दशन का मू
ल
थे|
88
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
89
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
था| उ ह नेसंकृत,बं
गाली, हद ,पारसी और अंे जी भाषा म
अनेक पु तक लखी थी| उ ह नेएक बं गाली भाषा म और एक
पारसी भाषा म अथात दो समाचार प भी नकाले | मु
ग़ल
शाशक नेउ ह ‘राजा’ क उपा ध दान क और अपने त के
प म इं लड भे
जा| वे1831 ई. म इं लड प चेऔर वह
1833 म उनक मृ युहो गयी| वेभारत म अंे जी श ा के
समथक थेऔर मानतेथेक नवजागरण के सार और व ान
क श ा के लए अंे जी का ान आव यक है |वे े
स क
वतंता के बल प धर थेऔर इसी कारण उ ह ने े स पर
लगे तबं ध को हटानेकेलए आ दोलन भी चलाया|
समाज
धा मक सु
धार के े म उनका सबसेबड़ा योगदान उनके ारा
1928 ई. म हम समाज क थापना करना था जो क धा मक
सुधार आ दोलन केतहत था पत थम मह वपू ण संगठन था|
उ होन मूत-पू
जा और अता कक अंध व ास व पाखं ड का
वरोध कया| हम समाज केसद य कसी भी धम पर हमले
केखलाफ थे |
90
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91
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
व ोह केकारण
92
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
• सै
य कारण: भारत म टश उप नवेश के व तार ने
सपा हय क नौकरी क प र थ तय को बु री तरह से भा वत
कया |उ ह बगैर कसी अ त र भ ेकेभु गतान केअपनेघर
से र नयु यां दान क जाती थ |सै य असंतोष का
मह वपूण कारण जनरल स वस ए ल टमट ए ट ,1856
था, जसके ारा सपा हय को आव यकता पड़नेपर समु पार
करनेको अ नवाय बना दया गया | 1954 केडाक कायालय
अ ध नयम ारा सपा हय को मलनेवाली मुत डाक सु वधा
भी वापस लेली गयी|
93
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
बै
रकपु
र - मं
गल पां
डे
द ली - हा कम अहसानु
लाह(बहा रशाह तीय का मुया
सलाहकार)
कानपु
र - नाना सा हब ,राव सा हब(नाना सा हब के
भतीजे या टोपे
),तां ,अज़ीमु
लाह खान (नाना सा हब केसलाहकार)
झाँ
सी - रानी ल मीबाई
बहार(जगद शपु
र) - कु
ं
वर सह ,अमर सह
फ खाबाद - तु
फजल हसन खान
मु
रादाबाद -. अ ल अली खान
94
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
बरे
ली - खान बहा र खान
मं
दसौर - फरोजशाह
वा लयर/कानपु
र - तां
या टोपे
असम - कं
दपरेर सह ,मनीराम द ा
उड़ीसा -. सु
रे शाही ,उ जवल शाही
गोरखपु
र - गजधर सह
मथु
रा - से
वी सह ,कदम सह
व ोह सेस बं
धत टश अ धकारी
मे
जर हडसन
द ली म बहा रशाह केपु व पोत क ह या कर द |
सर यू
ग हीलर
26 जू
न 1857 तक नाना सा हब क से
ना का सामना कया ।
95
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
27 तारीख को टश से
ना नेइलाहाबाद सेसु
र त नकलने
का आ ासन ा त करनेकेबाद आ मसमपण कर दया|
जनरल नील
जू
न 1857 म बनारस और इलाहाबाद को पु
नः अपनेक जेम
लया | नाना सा हब क से ना ारा अंेज क ह या के
तशोध व प उसनेकानपु र म भारतीय क ह या क |
व ो हय सेसं
घष केदौरान लखनऊ म उसक मृ युहो गयी|
सर कॉ लन का पबे
ल
इ होन 6 दसंबर 1857 को अं
तम प सेकानपु र पर क ज़ा
कया | 21 माच 1858 को अं
तम प सेलखनऊ पर क ज़ा
कर लया |5 मई 1858 को बरे
ली को पु
नः ा त कया|
हे
नरी लॉरस
अवध केमुय शासक, जनक ह या व ो हय ारा 2 जुलाई
1857 को लखनऊ रे
जीडसी पर क जेकेदौरान कर द गयी
थी |
मे
जर जनरल है
वलॉक
17 जु
लाई 1857 को नाना सा हब क से ना को हराया |
दसं
बर 1857 को लखनऊ म इनक मृ युहो गयी|
व लयम टे
लर और आयर
अग त 1857 म आरा म व ोह का दमन कया|
यू
ग रोज
झाँसी म व ोह का दमन कया और 20 जू न 1858 को
वा लयर पर पु
नः क ज़ा कया |उ ह नेसं
पू
ण म य भारत और
बुं
दे
लखंड को पु
नः टश शासन केअधीन ला दया|
96
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कनल से
ल
बनारस पर क ज़ा कया|
न कष:
1857 का व ोह भारतीय इ तहास क एक मह वपू
ण घटना थी
क इसका आर भ सै
|हालाँ नको केव ोह ारा आ था ले कन
यह क पनी के शासन सेअसं तु और वदे शी शासन को
नापसंद करनेवाल क शकायत व सम या क स म लत
अभ थी|
97
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बा लका ण ह या: यह
ू था उ च वग केबं गा लय व
राजपूत , जो क म हला को आ थक बोझ मानतेथे , म ब त
च लत थी| अतः भारतीय समाज क सोच म सु धार लानेके
म म 1795 व 1804 केबं गाल रे
गल
ुेशन ए ट नेबा लका
शशुक ह या को अवै ध घो षत कया और 1870 म बा लका
शशुह या पर तब ध लगानेके लए एक अ ध नयम भी
पा रत कया गया था| इस अ ध नयम के ारा माता- पता ारा
सभी ब च केज म का पं जीकरण कराना अ नवाय बना दया
गया और बा लका शशुकेस दभ म ज म केबाद केकु छ
वष तक भी नगरानी रखनेक व था थी| इसेवै
से े म
वशेष प सेलागूकया गया जहाँ यह था अ धक चलन म
थी|
दास था का उ मू
लन: यह एक अ य कुथा थी जो टश
क नजर म आई और उ ह ने1833 केचाटर अ ध नयम ारा
98
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वधवा पु
न ववाह: हम समाज नेइसेसवा धक मह व दान
कया और लोग का यान इस ओर आक षत कया| वधवा
पु
न ववाह को ो सा हत करने के लए अने क म हला
कॉलेज, व व ालय ,संगठन क थापना क गयी और वै दक
यु
ग सेवधवा पुन ववाह केप म माण जु टाए गए |
4.7 द ण भारत म सु
धार
बंगाल सेशु होकर धा मक व सामा जक सु धार आ दोलन
भारत केअ य भाग म भी फै ल गए| हम समाज से े रत
होकर 1864 ई. म म ास म वे
द समाज क थापना क गयी|
इसनेजा तगत भेदभाव का वरोध कया और वधवा पुन ववाह
व ी श ा को ो सा हत कया| हम समाज केसमान,वे द
99
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100
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4.8 प मी भारत म सु
धार आ दोलन
सन 1867 ई. म ब बई म ाथना समाज क थापना क गई|
महादेव गो व द रानाडेऔर रामकृण भं डारकर इसकेमुय
सं थापक थे | ाथना समाज केने ता हम समाज से भा वत
थे|उ ह नेजा त- था और छुआछुत के वहार का वरोध कया|
उ ह नेम हला क थ त म सु धार के लए काय कया और
वधवा-पुन ववाह क वकालत क | रानाडे,जो क भारतीय रा ीय
कांे स केभी सं थापक म सेएक थे ,ने1887 ई. म इं डयन
नेशनल सोशल कांस क थापना क जसका उ े य संपू
ण
भारत म सामा जक सु धार के लए भावशाली तरीकेसेकाय
101
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महा मा फु लेनेअपना सं
पू
ण जीवन समाज केशो षत व द लत
वग केउ थान और म हला क थ त म सु
धार लानेको
सम पत कर दया| उ ह ने 1848 ई. म तथाक थत न न वग क
बा लका केलए कू ल क थापना क और अपनी प नी को
श त कया ता क वेउस कू ल म पढ़ा सक| 1873 ई. म
उ ह नेस यशोधक समाज क थापना क जसम जा त व धम
केभे दभाव के बना कोई भी वेश पा सकता था| येसमाज
केद लत व पछड़ेवग केलोग को समान अ धकार दलानेके
लए काय करती थी| महा मा फु
लेने ा ण क सव चता का
वरोध कया और ा ण के बना ही ववाह स प करानेक
परंपरा का ारंभ कया| द लत के लए उनके ारा कयेगए
काय केकारण ही उ ह महा मा क उपा ध दान क गयी थी|
दयानं
द सर वती और आय समाज
दयानं
द सर वती, जनका वा त वक नाम मू
ल शंकर था, का
ज म का ठयाबाढ़ म 1824 ई. म आ था| चौदह वष क उ
102
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103
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केदयानं द एं
लो वैदक कू ल से ई थी,जो ज द ही पंजाब के
मुख कॉलेज के प म वक सत हो गया| यहाँआधु नक तज
पर अंे जी व हद म श ा दान क जाती थी| दयानं द के
कु छ श य जो दयानंद केमू ल अ भ ाय को बनायेरखना चाहते
थे,नेश ा क ाचीन आ म प त केआधार पर ह र ार म
गुकु ल क थापना क | दयानं द नेवेद को परमस य माना
यो क वेह को धा मक व ास का एक न त ढां चा
दान करना चाहतेथे| उ ह नेइ लाम व इसाई धम वीकार कर
चुके ह को पु
नः ह धम म वापस ले न के लए शु
आ दोलन भी चलाया| अने क सु धारक नेअपनेसामा जक व
धा मक वचार को पु करनेकेलए वे द व अ य ाचीन धम-
ं
थ सेउदहारण तुत कये | उ ह नेतक केआधार पर अपने
वचार को बल दया जब क कु छ अ य नेखुलेतौर पर इन
ाचीन धम- ं
थ क आलोचना भी क | श ा के ो साहन, य
केउ थान और जा त- था केबं धन को कमजोर करनेके
स दभ म दयानं द और आय समाज का योगदान कसी भी अ य
सुधार आ दोलन क तु लना म अ धक मह वपू ण था|
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कई अ यापक इं
लड सेभी आयेथे
| कॉले
ज को देश भर मु
ख
मुलम सेसमथन ा त आ और टश नेभी इस कॉले
ज
केवकास म हर तरह सेअपनी च द शत क |
न कष
सर सैयद अहमद खान भारत केमहानतम मुलम सु धारक म
सेएक थे | उ ह नेआधु नक तकवाद व व ान के काश म
कु
रान क ा या क | उ ह नेधमा धता,सं
क ण मान सकता व
क रपन का वरोध कया और वतं सोच को बढ़ावा दे नेपर
बल दया|
106
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4.10 मुलम सु
धार आ दोलन
19 व सद केआर भ म मुलम उ ोधन केच ह उ र दे श
म बरेली केसर सैयद अहमद खांऔर बं गाल केशरीयतुला
केने तृ
व म उभरकर सामनेआये |ऐसा ईसाई मशन रय ,प मी
वचार के भाव और आधु नक श ा केकारण सं भव हो
सका| उ ह ने वयंको इ लाम केशु करण व उसेमजबू त
बनानेऔर इ ला मक श ा के ो साहन के लए सम पत
कर दया था|
शरीयतु
ला नेबंगाल केफरायजी आंदोलन क शुआत क ,
जसनेकृ षक केहत म कई कदम उठायेथे | उ ह नेमुलम
समाज क जा त- व था का ती वरोध कया था|
फर भी जागृ
त और श त मुलम का एक ह सा केनाते
शरीयतु
ला नेशासक के त सहयोगपू
ण नी त को अपनाने
और टश क सहायता सेमुलम समाज क सामा जक
107
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वहाबी आ दोलन
दे
वबं
द कू
ल
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सं
क पना का भी तपादन कया|
न कष
19व सद न के वल ह -मुलम ब क दे श केसं पू
ण समाज
के लए जागरण का काल थी| इस काल म सभी धम म धम
केनाम पर च लत कुथा को र करनेके लए अने क
सु
धारक सामनेआयेऔर भारतीय सं कृत व दशन क महानता
का तपादन कया| रा ीय गौरव, आ म-स मान, आ म- नभरता
जै
सेवचार का चार- सार कया गया|
थओसोफ ’ या है
?
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थओसोफ न न ल खत तीन स ां
तो पर आधा रत थी:
1. व वं
धु
व क भावना
2.धम एवंदशन का तु
लना मक अ ययन
110
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एनी बे
सट का प रचय:
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5. आधु
नक भारत: भारतीय रा ीय आ दोलन
5.1 श ा का वकास
5.2 भारतीय स े का वकास
5.3 भारतीय रा ीय कांेस
5.4 ज लयाँवाला बाग
5.5 उदारवाद
5.6 उ पं थ और बं गाल वभाजन
5.7 मुलम लीग क थापना
5.8 रौलट वरोधी स या ह
5.9 वदे शी आ दोलन
5.10 अराजक और रवो यू शनरी अपराध
अ ध नयम, 1919
5.11 खलाफ़त और असहयोग आ दोलन
5.12 वराज दल
5.13 मुडीमैन स म त (1924)
5.14 बटलर स म त (1927 ई.)
5.15 साइमन कमीशन
5.16 नेह रपोट
5.17 सा दा यक अ ध नणय और पू ना
समझौता
5.18 अग त ताव
5.19 गत स या ह
114
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5.20 स मशन
5.21 भारत छोड़ो आ दोलन
5.22 सुभाषचंबोस और आई. एन. ए.
(आजाद ह द फ़ौज)
5.23 राजगोपालाचारी फामू
ला (1944 ई.)
5.24 दे
साई- लयाकत ताव (AD 1945)
5.25 बेवल योजना और शमला स मले न
5.26 कै बने
ट मशन लान
5.27 अंत रम सरकार
5.28 संवै
धा नक सभा
5.29 माउंटबे
टन योजना और भारत के
वभाजन
5.1 श ा का वकास
श ा एक ऐसा श शाली औजार हैजो वतंता के व णम
ार को खोलकर नया को बदल सकनेक मता रखता है
|
टश केआगमन और उनक नी तय व उपाय केकारण
परं
परागत भारतीय श ा णाली क वरासत का पतन हो गया
और अधीन थ वग के नमाण हे तुअंेजयत सेयु श ा
णाली का आर भ कया गया|
ारं
भ म टश ई ट इं
डया कं
पनी श ा णाली केवकास के
त गंभीर नह थी यो क उनका ाथ मक उ े य ापार
115
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श ा और 1813 का अ ध नयम
जन नदश हे
तुसामा य स म त,1823
116
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लॉड मै
काले
क श ा णाली,1835
• अंे
जी पुतक क छपाई मुत म होनेलगी और उ ह स ते
दाम पर बे
चा जाने
लगा |
• ा य श ा क अपेा अंे
जी श ा को अ धक अनु
दान
मलनेलगा |
• 1849 म बे
थन
ुने थन
‘बेु कू
ल’ क थापना क |
• पू
सा ( बहार) म कृ
ष सं
थान खोला गया |
• ड़क म इं
जी नय रग सं
थान खोला गया|
117
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वु
ड ड पै
च ,1854
• इसे‘भारत म अंेजी श ा का मै
नाकाटा’ कहा जाता है
यो क इसम भारत म श ा के सार के लए सम वत
योजना तु त क गयी|
• इसनेउ च श ा हे तुअंेजी मा यम और कू ल श ा के
लए दे
शी भाषा (वनाकु
लर) मा यम क वकालत क |
हं
टर आयोग(1882-83)
• इस आयोग का गठन ड लू
.ड लू
.हं
टर क अ य ता म 1854
केवुड ड पै
च केतहत वकास क समी ा हेतुकया गया था|
• इसने ाथ मक और से कडरी श ा म सु
धार व सार म
सरकार क भू मका को मह व दया |
• इसनेश ा के नयंण क ज मे
दारी जला और यु
न सपल
बोड को दे
नेक बात कही|
• इसनेसे
कडरी श ा के दो प म वभाजन कया
118
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–व ालय तक सा ह यक;वा ण यक भव य हे
तु
रोजगारपरक श ा |
सै
डलर आयोग
• वै
सेतो इस आयोग का गठन कलक ा व ालय क
सम या क केअ ययन हेतुकया गया था ले
कन इसके
सु
झाव अ य व व ालय पर भी लागू
होतेथे
|
• इसकेसु
झाव न न ल खत थे
:
a. 12 वष य कू
ल पा म
b. 3 वष य ड ी पा म(इं
टरमी डएट केबाद)
c. व व ालय क क कृ
त काय णाली,
न कष
अतःहम कह सकतेहैक टश श ा णाली ईसाई
मशन रय क आकांा से भा वत थी| इसका वा त वक
उ ेय कम खच पर अधीन थ शास नक पद पर श त
भारतीय को नयु करना और टश वा ण यक हत क
पूत करना था| इसी लए उ ह नेश ा केमा यम के प म
अंेजी को मह व दया और टश शासन व टश क
वजयगाथा को म हमामं डत कया |
119
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5.2 भारतीय स
े का वकास
1780 ई. म जे स ऑग टस ह क ने‘बं गाल गजट’ या
‘कलक ा जनरल एडवरटाइजर’ प शु कया जसे1872 ई.
म सरकार क प आलोचना करनेकेकारण ज त कर लया
गया|ले कन ह क केइस यास नेभारत म े स क थापना
क |
बाद म अने क समाचार प और जनल का शत ए,
जैसे
- बंगाल जनल,कलक ा ो नकल,म ास को रयर और बॉ बे
हे
रा ड|
भारतीय े
स का वकास म नीचे
व णत है
-
• लॉड वे
ले
जली नेभारत पर च हमलेक आशं का केचलते
े
स ए ट,1799 केतहत ेस पर ससर शप लगा द |
• े
स ए ट,1835 या मे टकाफ ए ट: मे टकाफ (गवनर
जनरल,1835-36) ने1823 केआप जनक अ यादे श को
वापस लेलया ,इसी कारण सेउ ह ‘भारतीय े
स का मु दाता’
कहा जाता है
|
120
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2. म ज े
ट का नणय अं
तम होता था जसकेव यायालय
म अपील नह क जा सकती थी|
3. दे
शी भाषा केसमाचार प को इस ए ट सेतभी छू
ट मल
सकती थी जब वह काशन सेपू व स बंधत साम ी को
सरकार केपास जमा करे|
• समाचार प (अपराध हे
तु े
रणा)ए ट ,1908: इस ए ट ारा
मज े ट को यह अ धकार दया गया क वह आप जनक
साम ी,जै
से
-ह या हे
तुभड़काना, हसा को बढ़ावा दे
ना आ द,को
का शत करनेवालेप क े स संप को ज त कर सकता
है
|
121
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
न कष
अतः भारतीय े
स का उ व वकासा मक
क ठनाइय , नर रता,औप नवे
शक तबं
ध और दमन सेभरा
आ था| इसनेवतंता के वचार को लोग तक प च ँाया और
वतंता संाम केलए मह वपू ण उपकरण बन गया|
122
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
कांेस के थम अ य ोमे
श च बनज थे |कांे
स केगठन
का उ े य,जै
सा क उसके ारा कहा गया,जा त, धम और े
क बाधा को यथासं
भव हटाते ए दे
श केव भ भाग के
ने
ता को एक साथ लाना था ता क दे
श केसामनेउप थत
मह वपूण सम या पर वचार वमश कया जा सके | कांे
स ने
नौ ताव पा रत कये, जनम टश नी तय म बदलाव और
शासन म सु धार क मां
ग क गयी|
भारतीय रा ीय कांे
स केल य और उ े
य
• दे
शवा सय केम य मैी को ो सा हत करना
• जा त,धम जा त और ां
तीय भे
दभाव सेऊपर उठकर रा ीय
123
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
• लोक य मां
ग को या चका केमा यम सेसरकार के
सामने तु
त करना
• रा ीय एकता क भावना को सं
ग ठत करना
• जनमत को सं
ग ठत व श त करना
• ज टल सम या पर श त वग क राय को जानना
भारतीय रा ीय कांे
स केअ धवे
शन
वष - थान - अ य
1985,1882 - ब बई,इलाहाबाद - ड लू
.सी.बनज
1887 - म ास - बद न तै
यब जी
1889 - ब बई - सर व लयम बे
डरबन
124
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1895,1902 - पू
ना,अहमदाबाद - सु
रेनाथ बनज
1907,1908 - सू
रत,म ास - रास बहारी घोष
1919 - अमृ
तसर - मोतीलाल ने
ह
1924 - बे
लगाँ
व - महा मा गाँ
धी
1925 - कानपु
र - सरोजनी नायडू
( थम भारतीय म हला अ य )
1929 - लाहौर - जे
.एल.ने
ह
125
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1931 - कराची(यहाँमू
ल अ धकार के ताव और रा ीय
आ थक काय म को पा रत कया गया) - व लभभाई पटे
ल
1936 - लखनऊ - जे
.एल.ने
ह
1937 - फै
जपु
र - जे
.एल.ने
ह ( थम बार गाँ
व म अ धवे
शन)
1938 - ह रपु
रा - एस.सी.बोस(जवाहरलाल ने
ह क अ य ता
म रा ीय आयोजन स म त का गठन कया गया)
1946 - मे
रठ - आचाय जे
.बी.कृ
पलानी
1948 - जयपु
र - डॉ. प ा भसीतारमै
या
126
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5.4 ज लयाँ
वाला बाग
ज लयांवाला बाग ह याकां
ड ने टश केअमानवीय चे हरेको
सामनेला दया | टश सै नक नेएक लगभग बं द मै
दान म हो
रही जनसभा म एक त नह थी भीड़ पर, बगै र कसी चे तावनी
के, जनरल डायर केआदे श पर गोली चला द गई यो क वे
तब ध केबावजू द जनसभा कर रहे थे
|
13 अ ै ल को यहाँएक त यह भीड़ दो रा ीय ने ता
–स यपाल और डॉ.सै फुन कचलू,क गर तारी का वरोध
कर रही थी| अचानक टश सै य अ धकारी जनरल डायर ने
अपनी से ना को नह थी भीड़ पर, ततर- बतर होने का मौका दए
बगैर, गोली चलानेकेआदे श देदए और 10 मनट तक या
तब तक गो लयांचलती रह जब तक वेख़ म नह हो गय |
इन 10 मनट , (कांे स क गणना केअनु सार) एक हजार लोग
मारेगए और लगभग दो हजार लोग घायल ए| गो लय के
नशान अभी भी ज लयां वाला बाग़ म दे खेजा सकतेहै , जसे
क अब रा ीय मारक घो षत कर दया गया है | यह नरसं हार
पूव- नयो जत था और जनरल डायर नेगव केसाथ घो षत
कया क उसनेऐसा सबक सखानेके लए कया था और
अगर वेलोग सभा जारी रखतेतो उन सबको वह मार डालता|
उसेअपनेकयेपर कोई श मदगी नह थी| जब वह इं लड गया
तो कु छ अंे ज नेउसका वागत करनेके लए चं दा इक ा
कया| जब क कु छ अ य डायर के इस जघ य कृय से
आ यच कत थेऔर उ ह नेजां च क मां ग क | एक टश
अख़बार नेइसेआधु नक इ तहास का सबसे यादा खू न-खराबे
वाला नरसं हार कहा|
127
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दसं
बर,1919 म अमृतसर म कांे
स का अ धवे
शन आ| इसम
कसान स हत बड़ी संया म लोग नेभाग लया| यह प है
क इस नरसंहार नेआग म घी का काम कया और लोग म
दमन केवरोध और वतंता के त इ छाश को और बल
कर दया
5.5 उदारवाद
उदारवा दय ने1885-1905 तक भारतीय रा ीय कांे स पर
अपना भु व बनायेरखा| वेथेतो भारतीय ले कन वा तव म
अपनी पसं द,बु , वचार और नै तकता केमामलेम टश थे |वे
धै
य,संयम,समझौत और सभा म व ास रखते थे |
ए.ओ. यू म,ड लू
.सी.बनज ,सु रेनाथ बनज ,दादाभाई
नै
रोजी, फरोजशाह मे हता,गोपालकृण गोखले ,पंडत मदन मोहन
मालवीय,बद न तै यब जी,ज टस रानाडे ,जी.सुम यम अ यर
128
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आ द रा ीय आ दोलन के थम चरण के ने ता थे
| इह
उदारवाद कहा गया यो क ये टश सेन ा ा त करनेके
लए या चका ,भाषण ,और ले
ख का सहारा ले
तेथेऔर खुले
आम टश राज के त न ा द शत करतेथे|
उदारवा दय क मां
गे
• े
स और भाषा क वतंता पर लगे तबं
ध क समा त|
• टश क शोषणकारी नी तय क समा त|
129
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• उ ह नेरा वाद क भू
मका तै
यार क और रा ीय आ दोलन
क न व रखी|
न कष
हालाँ
क हम यह कह सकतेहै क उदारवाद जनता और
टश केम य सेट वा व क भू मका नभा रहेथेले कन
कुछ समय बाद उनका भारतीय खू
न जागा और उ ह नेसं
थागत
यास ारा टश को उखाड़ फकने क को शश क |
5.6 उ पं
थ और बं
गाल वभाजन
उ पं थय का राजनी तक उदय कांे स केअ दर ही बं गाल
वभाजन वरोधी दशन से आ था|जब टश सरकार ने
बंगाल केलोग ारा कयेजा रहेजन दशन केबावजू द
बंगाल के वभाजन को र करनेसेमना कर दया तो अने क
युवा नेता का सरकार सेमोहभं ग हो गया, इ ह ही नव-
रा वाद या उ पंथी कहा गया| लाला लाजपत राय,बाल गं
गाधर
तलक, ब पन चं पाल और अर व द घोष मु ख उ पं थी ने
ता
थे|उ ह उ पं
थी कहा गया यो क उनका मानना था क सफलता
के वल उ मा यम सेही ा त क जा सकती है |
उ पं
थ केउदय केकारण
थय /उदारवा दय
1.नरमपं ारा सवाय भारतीय प रषद्
अ ध नयम(1909) केतहत वधान प रषद के व तार के
,कोई
मह वपू
ण उपल ध हा सल न कर पाना |
130
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मु
ख उ पं
थी/गरमपं
थी
• बाल गं
गाधर तलक: इ ह ‘लोकमा य’ भी कहा जाता है|
इनके ारा नकालेगए ‘मराठा’(अंेजी म) व ‘केसरी’( हद म)
नाम के सा ता हक प ने टश शासन पर हमल म
ां
तकारी भू
मका नभाई|1916 म इ होनेपूना म होम ल लीग
क थापना क और नारा दया क “ वरा य मे रा ज म स
अ धकार है और मैइसेलेकर र ग
ँा”|
• अर व द घोष: येएक अ य उ पं
थी ने
ता थेज होन वदे
शी
आ दोलन म स य भागीदारी नभाई थी|
131
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बं
गाल का वभाजन
बं
गाल वभाजन भारत म टश वायसराय लॉड कजन ने
1905 म लागूकया कया था जसकेकारण न न ल खत थे
-
• बं
गाली रा वाद क ताकत को तोड़ना यो क बं
गाल भारतीय
रा वाद का क था|
• बं
गाल म ह व मुलम को वभा जत करना|
132
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मु
ह मद अली नेअपनेलीग वरोधी वचार का चार- सार
करनेकेलए अंे जी जनल ‘कामरे
ड’ और उ प ‘हमदद’
को ारंभ कया| उ ह ने‘अल- हलाल’ क भी शुआत क
जो क उनकेरा वाद वचार का मु
खप था|
133
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• मुलम म अ य समु
दाय के त वरोध भाव को कम करना
134
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न कष
13अ ै ल,1919 को घ टत ज लयां
वाला बाग ह याकां
ड केबाद
,रौलट वरोधी स या ह नेअपनी ग त खो द | इसकेअलावा
पं
जाब,बंगाल और गुजरात म ई हसा नेगां धी जी को आहत
कया|अतः महा मा गाँ
धी ने
आ दोलन को वापस लेलया|
135
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5.9 वदे
शी आ दोलन
136
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न कष
वदे
शी आ दोलन का सबसेमह वपू ण पहलू आ म- व ास या
आ मश (र व नाथ टै
गोर केअनुसार) पर बल दे ना था|
बं
गाल के मकल वदे शी टोस(आचाय पी.सी.राय ारा खोली
गयी),ल मी कॉटन मल,मो हनी मल और ने शनल टैनरी जैसे
अनेक भारतीय उ ोग को इसी समय खोला गया|
अ ध नयम के ावधान
137
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• अ ध नयम म अपराध क व रत सु
नवाई क व था क
गयी
• जन सु
र ा के कोण सेकसी भी को गर तार कर
जेल म डाला जा सकता था
• ऐसेमु कदम क सु
नवाई का अ धकार यू
री पर छोड़ दया
गया था|
न कष
टश राजनी तक व था म यह अ ध नयम उस समय क
राजनी तक ग त व धय और च चत वतंता पर नयंण
था पत करनेकेउ े य सेलाया गया था| इस अ ध नयम,
जो क कसी भी े/भाग पर लागूकया जा सकता था, म
कसी भी को कायपा लका केनयंण म लानेकेलए
दो तरह केउपाय शा मल थे-दं
डा मक और तबं
धा मक|
138
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139
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1921 का कांे
स अ धवेशन अहमदाबाद म आयो जत आ था
जसक अ य ता हक म अजमल खान नेक थी| इस
अ धवे
शन म आ दोलन को जारी रखनेका नणय कया गया
और असहयोग आ दोलन केअं तम चरण क शुआत करनेका
भी नणय कया गया|इस चरण क शुआत लोग सेकर अदा
न करनेक अपील केसाथ होनी थी| इसक शुआत गां धीजी
नेगु
जरात केबारदोली सेक | यह चरण ब त मह वपूण था
य क जब लोग सरकार को कर अदा करना सेमन कर दगे
तो सरकार क वैधा नकता पर ही च लग जायेगा| गाँ
धी
140
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5.12 वराज दल
असहयोग आ दोलन को वापस ले नेकेबाद कांे स पाट दो
भाग म बं ट गयी| जब असहयोग आ दोलन ारं भ आ था तो
उस समय वधा यका केब ह कार का नणय लया गया
था| चतरं
जन दास,मोतीलाल नेह और व लभाई पटे ल केनेतृव
वालेएक गु ट का मानना था क कांेस को चुनाव म भाग ले ना
चा हए और वधा यका केअ दर प च ँकर उनकेकाम को
बा धत जाना चा हए| व लभभाई पटे
ल,सी.राजगोपालाचारी और
141
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सन 1030 म जब जन राजनी तक सं घष को पु
नः ारं
भ कया
तो फर सेवधा यका का ब ह कार कया जानेलगा| गाँ
धी
जी को फरवरी 1924 म जे
ल सेरहा कर दया गया और
142
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143
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5.13 मु
डीमै
न स म त (1924)
भारतीय नेता क मांग को पूरा करनेऔर 1920 केदशक
केआरं भक वष म वराज पाट ारा वीकृ त कयेगए
ताव को यान म रखते ए टश सरकार नेसर अलेजडर
मुडीनमैन क अ य ता म एक स म त, जसेमु डीनमैन स म त के
नाम सेभी जाना जाता है ,ग ठत क | स म त म टश के
अ त र चार भारतीय सद य भी शा मल थे | भारतीय सद य म
न न ल खत शा मल थे
-
b. डॉ.आर.पी.परां
जपे
,
c. सर ते
ज बहा र स े
d. मोह मद अली ज ा
144
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स म त क अनु
शस
ंाएं
145
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न कष
इसकेगठन केउ े य परमस ा और भारतीय राजा केम य
केसं बं
ध क जाँच करना और उनकेम य केइन सं बंध क
बेहतरी केलए सुझाव दे
ना था ता क टश भारत और दे
शी
रयासत केबीच सं
तोषजनक सं बं
ध क थापना क जा सके|
1927 म कांे
स का वा षक अ धवे
शन म ास म आयो जत
146
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147
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लाल ने ह ,सु
भाष च बोस व उनकेबड़ेभाई शरत च
बोस, ी नवास अयं
गर,स यमूत जै
सेमह वपू
ण ने
ता नेकया|
न कष
साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन केने तृव म भारत
म संवै
धा नक णाली क काय णाली क जां च करने और उसमे
बदलाव हे तुसुझाव दे नेके लए कया गया था|इसका
औपचा रक नाम ‘भारतीय सं वधायी आयोग’ था और इसम
टश सं सद केदो कं जरवेटव,दो ले
बर और एक लबरल
सद य शा मल थे |आयोग का कोई भी सद य भारतीय नह
था|इसी लए उनकेभारत आगमन का वागत ‘साइमन वापस
जाओ’ केनारेकेसाथ कया गया था| वरोध दशन को शां त
करनेके लए वायसराय लॉड इर वन नेअ टू बर 1929 म
भारत को ‘डो म नयन’ का दजा दे
ने क घोषणा क और भ व य
148
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5.16 ने
ह रपोट क मुय वशे
षताएं
12 फरवरी, 1 9 28 को, द ली म ई सभी पा टय स मे
लन म
साइमन कमीशन क नयु केजवाब म 29 सं गठन के
त न धय नेभाग लया और भारत केरा य केभगवान ी
बरचद स चव ारा चु नौती द । इसक अ य ता एम.ए अंसारी
नेक थी। 1 9 मई, 1 9 28 को बॉ बेम अपनी बै
ठक म, ऑल
पा टस कॉ स नेमोतीलाल ने ह केअ य के प म एक
स म त नयु क इसका उ े य भारत के लए संवधान के
स ांत पर वचार करना और नधा रत करना था।
ने
ह रपोट क सफा रश
• सीने
ट म सात सौ साल के लए चु नेगए दो सौ सद य का
समावे
श होगा, जब क त न ध सभा म पां च साल तक पांच
सद य चु नेजानेचा हए। गवनर जनरल कायकारी प रषद क
सलाह पर काय करे गा। यह सं
सद के लए सामू हक प से
ज मे
दार होना था।
149
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• पं
जाब और बं गाल म समु
दाय के लए कोई आर त सीट
नह होगी। हालांक, मु
सलमान क सीट का आर ण ांत म
संभव हो सकता हैजहांमुलम आबाद कम सेकम दस
तशत होनी चा हए।
• सध को बं
बई सेअलग कया जाना चा हए, बशत वह
आ थक प सेआ म नभर हो।
न कष
ने
ह रपोट नेमां
ग क क भारत केलोग के लए मौ लक
अ धकार को ज त नह कया जाएगा। रपोट नेअमे रका के
अ धकार के बल से े रणा ली थी, जो भारतीय सं
वधान म
मौ लक अ धकार के ावधान क न व रखी गई थी।
5.17 सा दा यक अ ध नणय और पू
ना
समझौता
16 अग त,1932 को मै
कडोना ड नेसांदा यक अ ध नणय के
150
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पू
ना समझौता (24 सत बर1932)
यह समझौता बी.आर.अ बे
डकर और महा मा गाँ
धी केबीच पु
णे
क यरवदा स ल जे ल म आ था और सरकार नेइस समझौते
को सांदा यक अ ध नणय म सं
शोधन के प म अनु म त दान
क|
समझौतेके मु
ख ब
151
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152
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5.18 अग त ताव
भारत केवायसराय लॉड लन लथगो ने8 अग त 1940 को
शमला सेएक व जारी कया, जसेअग त ताव कहा
गया|यह ताव कांे
स ारा टे
न सेभारत क वतंता के
ल य को ले
कर पूछेगए सवाल केजबाव म लाया गया था|
अग त ताव के ावधान
• सलाहकारी यु प रषद्
क थापना
153
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
न कष
यह भारत केवायसराय लॉड लन लथगो के ारा जारी कया
गया औपचा रक व था, जसनेसंवधान नमाण या क
न व रखी और कांे
स नेसं वधान सभा केगठन को सहम त
दान क |
5.19 गत स या ह
गत स या ह अग त ताव का प रणाम था| इसका ारं
भ
जन स वनय अव ा आ दोलन के प म आ था ले कन
महा मा गाँ
धी नेइसे गत स या ह म बदल दया| यह
आ दोलन के वल वतंता ा त करनेकेलए ही नह था ब क
इसम अ भ केअ धकार को भी ढ़तापूवक तु
त कया
गया| कांे
स नेएक बार फर 1940 केअंत म कमान संभालने
के लए कहा और इसनेव तृ त रणनी तक प र य केसाथ
जन आ दोलन म बदल दया|
गत स या ह केउ े
य
• यह द शत करना क रा वा दय का धै
य उनक कमजोरी के
154
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
कारण नह है
• कांे
स क मां
ग को शां
तपू
ण ढ़ं
ग सेमाननेके लए सरकार
को एक और मौका दान करना
न कष
अतः वतंता को सम पत गत स या ह अग त ताव का
प रणाम था और यह आ दोलन केवल वतंता ा त करनेके
लए ही नह था ब क इसम अ भ केअ धकार को भी
ढ़तापू
वक तु त कया गया|
5.20 स मशन
सन 1942 क शुआत म यु क प र थय ने टश को
155
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भारतीय ने
ता सेबात करनेपर मजबू र कर दया| द ण पू व
ए शया के व भ दे श म जापानी से ना केहाथ टश सेना
को हार का सामना करना पड़ा था|जापा नय नेभारत केभी
कई े पर हवाई हमलेकयेथे |इसी समय टश मंमं डल
केसद य सर टै फोड स को भारतीय नेता केसाथ बात
करनेके लए भारत भे जा गया| इसे स मशन केनाम से
जाना गया| यह वाता वफल रही| टश,भारत म वा त वक
रा ीय सरकार क थापना करनेकेइ छु क नह थे | उ ह ने
रजवाड़ के हत को बढावा दे नेका भी यास कया| हालाँ क
उ ह नेसंवधान सभा क मां ग वीकार ली थी ले कन इस बात
पर जोर दया क सभा म भारतीय रा य का तनधव
रजवाड़ ारा ना मत सद य के ारा कया जायेऔर रा य
क जनता का इसम कोई त न ध त व न हो|
स मशन के ताव
• टश सरकार नए सं वधान को न न ल खत शत पर ही
वीकार करे
गी: (क) जो भी ा त सं
घ म शा मल नह होना
चाहता हैवह अपना अलग सं घ और अलग सं वधान न मत
कर सकता है| (ब) नए सं
वधान का नमाण करनेवाला नकाय
156
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न कष
स मशन तीय व यु म टश के त भारतीय का
पूण सहयोग ा त करनेकेउ े य भे
जा गया था| जब टै फोड
स वापस गए तो अपनेपीछेहताशा और कड़वाहट सेभरे
भारतीय को छोड़ गये, जनकेमन म अभी भी फासीवाद
आ ोश केशकार लोग के त सं वे
दना थी, जो यह महसूस
करतेथेक दे श क वतमान प र थ तयाँअसहनीय हो चुक है
और अब समय आ गया हैक सा ा यवाद पर अं तम और
नणायक हार कया जाये|
157
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इस ताव म दे
श क वतंता केलए अ हसा पर आधा रत
जन आ दोलन क शुआत को अनु मोदन दान कया गया|इस
ताव केपा रत होनेकेबाद गाँ धी नेकहा था क एक छोटा
सा मं हैजो मैआपको दे ता है| इसेआप अपने दय म
अं कत कर ल और अपनी हर सां स म उसेअ भ कर| यह
मं है-“करो या मरो”| अपनेइस यास म हम या तो वतंता
ा त करग या फर जान देदगे | भारत छोड़ो आ दोलन के
दौरान ‘भारत छोड़ो’ और ‘करो या मरो’ भारतीय लोग का नारा
बन गया|
158
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5.22 सु
भाषचं बोस और आई. एन. ए.
(आजाद ह द फ़ौज)
तीय व यु केदौरान वतंता सं घष के वकास म
आजाद ह द फ़ौज केगठन और उसक ग त व धय का
मह वपूण थान था|इसेइ डयन ने शनल आम या आईएनए के
नाम सेभी जाना जाता है| रास बहारी बोस नाम केभारतीय
ां
तकारी, जो कई साल सेभारत सेभागकर जापान म रह
रहेथे, नेद ण पूव ए शया म रह रहेभारतीय केसहयोग से
इ डयन इ डपडस लीग का गठन कया| जब जापान ने टश
159
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
21 अ टू बर ,1943 म सु
भाष बोस, ज ह अब नेताजी केनाम
सेजाना जानेलगा था, नेसगापुर म वतं भारत क अ थायी
सरकार (आजाद ह द) केगठन क घोषणा कर द | ने ताजी
अंडमान गए,जो उस समय जापा नय केक जेम था,और वहां
भारतीय झंडेका वजारोहण कया| 1944 केआर भ म
आजाद ह द फ़ौज (आईएनए) क तीन इकाइय नेभारत के
उ र पू व भाग पर ए हमलेम भाग लया ता क टश को
भारत सेबाहर कया जा सके | आजाद ह द फ़ौज केसबसे
च चत अ धका रय म सेएक शाहनवाज खान केअनु सार जन
सैनक नेभारत म वे श कया वे वयंजमीन पर ले ट गए
और भावु क होकर अपनी प व मातृ भूम को चू मनेलगे |
हालाँ
क,भारत को मु करनेका आजाद ह द फ़ौज का यास
सफल नह हो सका|
160
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161
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न कष
आल इं डया फारवड लॉक भारत का वामपं थी रा ीय
राजनी तक दल था, जसका उदय 1939 म कांे स केअ दर से
एक धड़ेके प म आ था और इसका ने तृ व सुभाष च
बोस नेकया था| थम आईएनए का पतन हो चु का था बाद म
सुभाष च बोस ारा 1943 म आईएनए का पु नगठन कया
गया और बोस क से ना को अग कू मत-ए- ह द घो षत कया
गया|
राजगोपालाचारी फामू
ला
• लीग कांे
स को क म अ थायी सरकार केगठन म सहयोग
दान करे
162
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• सभी दल को चु
नाव या मतदान सेपू
व वभाजन केस ब ध
म अपनेमत और अपनेवचार को करनेक अनुमत
होगी|
न कष
राजगोपालाचारी फामू
लेक मू
ल संक पना रा स ां
त और
टश सेभारत क वतंता को ले कर मुलम लीग और
भारतीय रा ीय कांेस केअलग अलग वचार केकारण पै
दा
ए मतभेद को सुलझानेक थी|
5.24 दे
साई- लयाकत ताव (AD 1945)
महा मा गाँ
धी येमान चु
केथेक जब तक कांेस और मुलम
लीग देश केभ व य या अं त रम सरकार केगठन को ले
कर
163
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
दे
साई, क य सभा म कांे स केनेता और लयाकत अली
(मुलम लीग केने ता) केम होनेकेनाते,नेलयाकत अली
सेमुलाकात कर जनवरी 1945 म क म अं त रम सरकार के
गठन सेस बं धत एक ताव स पा| दे
साई क घोषणा केबाद,
लयाकत अली नेसमझौतेको का शत कया, जसके मु ख
ब न न थे-
• अ पसंयक , वशे
षकर अनु
सू
चत जा त और सख , का
तनधतव
न कष
महा मा गां
धी नेभूलाभाई जीवनजी दे
साई को मुलम लीग के
ने
ता को संतु करनेऔर राजनी तक ग तरोध को र करने
के लए एक ताव तै
यार करनेका नदश दया ले कन इस
ताव को न तो कांेस नेऔर न ही लीग नेऔपचा रक प
सेअनुमो दत कया|
164
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
5.25 बे
वल योजना और शमला स मले
न
लॉड लन लथगो के थान पर अ टू बर, 1943 म लॉड वेबे
ल
को गवनर जनरल के प म नयु कया गया|लॉड वे बे
ल ने
उस समय केभारत म उप थत ग तरोध को र करनेके लए
यास कया| वेमाच 1945 म वचार वमश के लए इं लड
गए| उ ह ने14 जून को भारतीय राजनी तक ग तरोध को र
करनेके लए टश सरकार केएक ताव, जसेवेबे
ल
योजना कहा गया,को भारतीय जनता केलए जारी कया|
वे
बे
ल योजना के ावधान
• क म नई कायकारी प रषद्
का गठन करना, जसमेवायसराय
और कमां
डर इन चीफ को छोड़कर अ य सभी सद य भारतीय
हग
• ता वत कायकारी प रषद्
, जसमे14 सद य शा मल होने थे
,
म मुलम ,जो क दे
श क कु ल जनसंया के25% ही थे , को
उनकेजनसंया अनु पात सेअ धक अथात 6 सद य को चु नने
का अ धकार दया गया|
कांे
स नेमां
ग क क उसेकांे स ारा प रषद्म ना मत
सद य का चुनाव मुलम स हत कसी भी समु दाय के
त न धय सेकरनेका अ धकार दान कया जाये
|
शमला स मले
न
165
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
• लॉड वेबे
ल नेवे
बे
ल योजना के ावधान पर वचार करनेके
लए टश भारत क ी मकालीन राजधानी शमला म 21
भारतीय ने
ता का एक स मले न आयो जत कया|
• वे
बे
ल योजना ऐसेभारतीय व-शासन पर सहम त बनानेके
लए आई थी जसमेमुलम के लए पृ थक त न ध व और
दोन समु
दाय को उनकेब मत वाले े म ब मत क
श य को घटा दया गया|
• वेबे
ल नेकायकारी प रषद्केकु ल 14 थान म से6 थान
मुलम को दान कयेऔर टश नेउ ह कसी भी ऐसे
संवै
धा नक ताव, जो उनके हत म न हो, केस दभ म वीटो
श दान क | मुलम क जनसंया भारत क कु ल
जनसंया क 25% थी| अतः इन अता कक मां ग का कांे
स ने
वरोध कया| मुलम लीग भी झु कनेको तैयार नह थी और
वेबे
ल योजना समा त हो गयी|
न कष
वे
बे
ल योजना उस समय भारत म उप थत राजनी तक ग तरोध
को र करनेकेलए तैयार कया गया था ले
कन मुलम लीग
166
ONLINE TAIYARI GROUP --> +91-9555951655
और कांेस केने
ता केबीच समझौता न हो पानेकेकारण
उ ह ने ताव का ब ह कार कर दया और अं ततः शमला
स मलेन म ताव समा त हो गया|
5.26 कै
बने
ट मशन लान
22 जनवरी को कै बने
ट मशन को भेजनेका नणय लया गया
था और 19 फरवरी, 1946 को टश धानमंी सी.आर.एटली
क सरकार नेहाउस ऑफ़ लॉड् स म कै बनेट मशन केगठन
और भारत छोड़नेक योजना क घोषणा क | तीन टश
कैबने
ट सद य का उ च श सप मशन, जसमेभारत
स चव लॉड पै थक लारस, बोड ऑफ़ े ड केअ य सर
टै
फोड स और नौसेना मुख ए.वी.अलेजडर शा मल थे ,
24 माच, 1946 को द ली प च
ँा|
मशन के ताव
• सं
वै
धा नक नकाय केगठन का ताव
मशन का उ े
य
167
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• भारतीय रा ीय कांे
स और अ खल भारतीय मुलम लीग के
म य केराजनी तक ग तरोध को र करना और सा दा यक
ववाद को रोकना था| इन दोन म इस बात को ले
कर मतभेद
था क एक कृ त या वभा जत कौन सा वक प टश भारत
केलए बे हतर होगा?
• कांे
स पाट चाहती थी क क म एक सश सरकार हो
जसक श यां ांतीय सरकार क तु
लना म अ धक ह |
• ज ा केने तृ
व म अ खल भारतीय मुलम लीग भारत को
अ वभा जत रखना चाहती थी लेकन तभी जब मुलम को
कुछ राजनी तक सु र ोपाय दान कये जाये
, जै
से क
वधा यका म समानता क गारं
ट|
मशन क अनु
शस
ंाएं
• सं
घीय श य केअ त र अ य सभी श यांऔर अव श
श यां टश भारत के ा त को दान क गय |
• एक सं
वधान नमा ी नकाय या सं
वधान सभा का चु
नाव
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• इसने ता वत सं
वधान सभा म 292 सद य को टश
भारत सेऔर 93 सद य को रयासत सेशा मल करनेका
ताव रखा |
न कष
कैबनेट मशन का मु ख उ े य भारत म स ा केशां तपू
ण
ह तां
तरण केतरीक को खोजना और सं वधान का नमाण
करनेवालेतं केबारेम सुझाव दे
ना था| अं
त रम सरकार का
गठन करना भी इसका एक उ ेय था|
2.27 अं
त रम सरकार
2 सत बर 1946, को नव नवा चत संवधान सभा नेभारत क
अंत रम सरकार का गठन कया जो क 15 अग त 1947 तक
अ त व म बनी रही|अंत रम सरकार क कायकारी शाखा का
काय वायसराय क कायकारी प रषद करती थी जसक
अ य ता वायसराय ारा क जाती थी| इसम कांे स ारा
ना मत 3 मुलम सद य स हत कु ल 12 सद य शा मल थे |
भारत म टश केआनेकेबाद यह थम अवसर था जब
भारत क सरकार भारतीय केहाथ म थी| 26 अ टू बर को
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अं
त रम सरकार केसद य
व लभभाई पटेल
गृ
ह, सु
चना एवं सारण
बलदेव सह
र ा
डॉ.जॉन
उ ोग एवंआपू
त
सी.राजगोपालाचारी
श ा
सी.एच.भाभा
काय, खनन एवंश
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राज साद
खा एवंकृष
आसफ अली
रे
लवे
जगजीवन राम
म
लयाकत अली
व
ट .ट .चु
ं
दरीगर
वा ण य
अ ल रब न तर
सं
चार
जोग नाथ मं
डल
वध
न कष
अग त 1946 म कांे
स नेअंत रम सरकार म शा मल होनेका
नणय लया ता क टश सरकार के लए स ा ह तां
तरण क
या को सरल बनाया जा सके | अंत रम सरकार ने2
सत बर 1946 सेकाय करना आर भ कया|
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5.28 सं
वै
धा नक सभा
कै बनेट मशन योजना केतहत 16 मई 1946 को सं वधान
सभा का गठन कया गया| इसकेसद य का चु नाव आनु
पा तक
त न ध व प त केतहत एकल ह ता तरणीय मत णाली
ारा कया गया था| सं
वधान सभा क थम बै ठक 9 दसं बर
1946 को द ली क सल चबर केपु तकालय म ई थी
जसमे205 सद य नेभाग लया था| लीग के त न ध और
रयासत ारा ना मत सद य इसम शा मल नह ए| 11 दसं बर
को सभा नेडॉ. राज साद को इसके थायी अ य के प
म चु ना|
सं
वधान सभा क स म तयाँ
• गृ
ह स म त-बी.प ा भ सीतार मै
या
• ापार स म त-के श
ंी
.एम.मु
• सं
वधान सभा काय णाली स म त-जी.वी.मावलं
कर
• रा य स म त,सं
घ श स म त, सं
घीय सं
वधान स म त-जवाहर
लाल नेह
• मू
ल अ धकार सलाहकार स म त, अ पसंयक, जनजातीय
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• मू
ल अ धकार उप-स म त-जे
.बी.कृ
पलानी
• उ र-पू
व सीमा त जनजातीय े और असम बा और
आंशक बा े उप-स म त-गोपीनाथ बारदोलई
• ा प स म त-बी.आर.अ बे
डकर
5.29 माउं
टबे
टन योजना और भारत के
वभाजन
लॉड माउंटबे
टन, भारत के वभाजन और स ा के व रत
ह तां
तरण केलए भारत आये । ार भ म यह स ा ह तांतरण
वभा जत भारत क भारतीय सरकार को डो म नयन केदज के
प म द जानी थ । 3 जू न 1947 को लॉड माउं टबे
टन ने
अपनी योजना तु
त क जसमेभारत क राजनी तक सम या
को हल करनेके व भ चरण क परे खा तु
त क गयी
थी। ार भ म यह स ा ह तां
तरण वभा जत भारत क भारतीय
सरकार को डो म नयन केदज के प म द जानी थ ।
माउं
टबे
टन योजना
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• बं
गाल और पं जाब का वभाजन कया जाये
गा और उ र पू
व
सीमा ा त और असम के सलहट जलेम जनमत संह
कराया जाये
गा।
• पा क तान के लए सं
वधान नमाण हे
तुएक पृ
थक सं
वधान
सभा का गठन कया जायेगा।
वभाजन और वतंता
• सर रे
ड लफ क अ य ता म दो आयोग का टश सरकार
नेगठन कया जनका काय वभाजन क दे ख-रे
ख और नए
ग ठत होनेवालेरा क अ तरा ीय सीमा को नधा रत
करना था|
• भारत के थम गृ
हमंी ब लभभाई पटे
ल नेइस स दभ म
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न कष
माउं
टबेटन योजना, के
वल भारत के वभाजन को काय प दे ने
के लए ही नह थी ब क पा क तान क मां ग ारा भा वत
े के लए एक तं क थापना क | यह तय कया क
पा क तान म शा मल होनेवाले े का नणय वधान सभा के
त न धय ारा कया जाये गा या फर जनमत-संह ारा साथ
ही कै बने
ट मशन केअनुप एक ही सं वधान सभा होगी या
फर नए ग ठत रा के लए अलग सेसं वधान सभा बनायी
जाएगी| अतः हम कह सकतेहैक माउं टबे
टन योजना का मुय
उ ेय भारत का वभाजन और स ा का व रत ह तां
तरण
था। ार भ म यह स ा ह तांतरण वभा जत भारत क भारतीय
सरकार को डो म नयन केदज के प म द जानी थ ।
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