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धरती कि शान तू भारत िी सन्तान

तेरी मुकथियों में बन्ध तफ़


ू ान है रे
मनुष्य तू बडा महान है भल
ू मत
मनुष्य तू बडा महान है

तू जो चाहे पर्व त पहाडो िो फोड दे

तू जो चाहे नकदयों िे मुख िो भी मोड दे

तू जो चाहे माटी से अमत


ृ कनचोड दे
तू जो चाहे धरती िो अम्बर से जोड दे

अमर तेरे प्राण -२

कमला तुझ िो र्रदान

तेरर आत्मा में स्र्यं भगर्ान है रे

मनष्ु य तू बडा महान है .....

नयनो से ज्र्ाल तेरी गकत में भच


ू ाल
तेरी छाकत में छुपा महा िाल है

पथृ र्ी िे लाल तेरा कहमकगरर सा भाल

तेरी भि
ृ ु कट में तान्डर् िा ताल है
कनज िो तू जान -२

जरा शकि पह्चान

तेरी र्ाणी में युग िा आह्वान है रे

मनुष्य तू बडा महान है .....


धरती सा धीर तू है अकनन सा र्ीर

तू जो चाहे तो िाल िो भी िाम ले

पापों िा प्रलय रुिे पशुता िा शीश झुिे

तू जो अगर कहम्मत से िाम ले

गुरु सा मकतमान -२

पर्न सा गकतमान

तेरी नभ से ऊँची उडान है रे

मनुष्य तू बडा महान है .....

धरती कि शान तू है भारत िी सन्तान...


उठो जवान दे श की वसुंधरा पकारती,

ये दे श है पकारता, पकारती मााँ भारती ।

रगों में तेरे बह रहा है खन


ू राम-श्याम का,
जगदगरु गोववन्द और राजपत
ू ी शान का ।
तू चल पड़ा तो चल पड़े गी साथ तेरे भारती,

ये दे श है पकारता,पकारती मााँ भारती ॥

है शत्र दनदना रहा चहाँ वदशा में दे श की,

पता बता रही हमे वकरण वकरण वदनेश की ।

वो चक्रवती ववश्वजयी मातभ


ृ म
ू ी हारती,
ये दे श है पकारता,पकारती मााँ भारती ॥

उठा कदम,बढ़ा कदम,कदम-कदम बढ़ाये जा,

कदम-कदम पे दश्मनों के धड़ से सर उड़ाए जा ।

उठे गा ववश्व हााँथ जोड़ करने तेरी आरती ,

ये दे श है पकारता,पकारती मााँ भारती ॥

उठो जवान दे श की वसुंधरा पकारती,

ये दे श है पकारता,पकारती मााँ भारती |

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