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कुतुब मीनार

कुतुब मीनार का ननमाा ण कुतुब-उद-दीन ऐबक ने शुरु 1199 में शुरु करवाया था और
इल्तुनमश ने 1368 में इसे पूरा कराया। इस इमारत का नाम ख्वाजा कुतबुद्दीन बख्तियार
काकी के नाम पर रखा गया। ऐसा माना जाता है नक इसका प्रयोग पास बनी मख्तिद की
मीनार के रूप में होता था और यहाां से अजान दी जाती थी। लाल और हल्के पीले पत्थर से
बनी इस इमारत पर कुरान की आयतें नलखी हैं । कुतुबमीनार मूल रूप्‍ा से सात मांनजल का था
लेनकन अब यह पाां च मांनजल का ही रह गया है । कुतुब मीनार की कुल ऊांचाई 72.5 मी. है
और इसमें 379 सीऩियाां हैं । समय-समय पर इसकी मरम्मत भी हुई हैं । नजन बादशाहोां ने
इसकी मरम्मत कराई उनका उल्लेख इसकी दीवारोां पर नमलता है । कुतुब मीनार पररसर में
और भी कई इमारते हैं । भारत की पहली कुव्वत-उल-इस्लाम मख्तिद, अलई दरवाजा और
इल्तुनमश का मकबरा भी यहाां बना हुआ है । मख्तिद के पास ही चौथी शताब्दी में बना
लौहस्तांभ भी है जो पयाटकोां को खूब आकनषात करता है

ताजमहल
आगरे का ताजमहल, शाहजहााँ की नप्रय बेगम़ मुमताज महल का मकबरा, नवश्व की सबसे
प्रनसद्ध इमारतोां मे से एक है । यह नवश्व के नये ७ अजूबोां में से एक है और आगरा की तीन
नवश्व साां स्कृनतक धरोहरोां मे से एक है । अन्य दो धरोहरें आगरा नकला और फतेहपुर सीकरी
है ।

इसका 1653 में ननमाा ण पूरा हुआ था। यह मुगल बादशाह शाहजहाां ने अपनी बेगम मुमताज
महल की याद में बनवाया था। पूरे श्वेत सांगममार में तराशा हुआ, यह भारत की ही नहीां नवश्व
की भी अत्युत्तम कृनत है । पूणातया समनमतीय स्मारक के बनने में बाईस वषा लगे (1630-
1652), व बीस हजार कारीगरोां की अथक मेहनत भी। यह मुगल शैली के चार बाग के साथ
ख्तथथत है । फारसी वास्तु कार उस्ताद ईसा खाां के नदशा ननदे श में इसे यमुना नदी के नकनारे
पर बनवाया गया। इसे मृगतृष्णा रूप में आगरा के नकले से दे खा जा सकता है , जहाां से
शाहजहाां जीवन के अांनतम आठ वषों में, अपने पुत्र औरां गजेब द्वारा कैद नकये जाने पर दे खा
करता था। यह समनमनत का आदशा नमूना है , जो नक कुछ दू री से दे खने पर हवा में तैरता
हुआ प्रतीत होता है । इसके मुख्य द्वार पर कुरआन की आयतें खुदी हुई हैं । उसके ऊपर
बाइस छोटे गुम्बद हैं , जो नक इसके ननमाा ण के वषों की सांख्या बताते हैं । ताज को एक
लालबलुआ पत्थर के चबूतरे पर बने श्वेत सांगममार के चबूतरे पर बनाया गया है । ताज की
सवाा नधक सुांदरता, इसके इमारत के बराबर ऊांचे महान गुम्बद में बसी है । यह 60 फीट व्यास
का, 80 फीट ऊांचा है । इसके नीचे ही मुमताज की कब्र है । इसके बराबर ही में शाहजहाां की
भी कब्र है । अांदरूनी क्षे त्र में रत्ोां व बहुमूल्य पत्थरोां का काया है । खुलने का समय : ६ प्रातः
से ७:३० सााँ यः (शुक्रवार बन्द)

इण्डिया गे ट
इण्डिया गेट (भारत द्वार) नई नदल्ली के राजपथ पर ख्तथथत ४३ मीटर ऊाँचा द्वार है व भारत
का राष्ट्रीय स्मारक है । यह सर एडनवन लुनटयन द्वारा नडजाइन नकया गया था। यह स्मारक
पेररस के आका डे टर ॉयम्फ़ से प्रेररत है । यह १९३१ में बनाया गया था। मूल रूप से अख्तखल
भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाना जाने वाला इस स्मारक क ननमाा ण उन ९०,००० नब्रनटश
भारतीय सेना के सैननकोां की स्मृनत में हुआ था नजन्हें प्रथम नवश्वयुद्ध और अ़गान युद्धोां में
शहीद हुए। यह स्मारक लाल और पीला बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बना है ।

शुरु में इां नडया गेट के सामने अब खाली चांदवा के तहत जाजा पांचम के एक मूनता थी, लेनकन
बाद में अन्य नब्रनटश राज - युग मूनतायोां के साथ इसे कोरोनेशन पाका में हटा नदया गया।
भारत की स्वतां त्रता के बाद, इां नडया गेट भारतीय सेना के अज्ञात सैननक के मकबरे की साइट
बन गया है तथा अब इसे अमर जवान ज्योनत के रूप में जाना जाता है । सैननकोां की स्मृनत
में यहााँ एक राइ़ल के ऊपर सैननक की टोपी सजाई गई है नजसके चार कोनोां पर सदै व
अमर जवान ज्योनत जलती रहती है । इसकी दीवारोां पर हजारोां शहीद सैननकोां के नाम खुदे हैं ।
इसके सबसे ऊपर अांग्रेजी में नलखा है ः

लाल ककला
लाल नकले की नीांव शाहजहाां के शासन काल में पडी थी। इसे पूरा होने में 9 साल का
समय लगा। अनधकाां श इस्लानमक इमारतोां की तरह यह नकला भी अष्ट्भुजाकार है । उत्तर में
यह नकला सलीमग़ि नकले से जुडा हुआ है । लाहौरी गेट के अलावा यहाां प्रवेश का दू सरा द्वार
हाथीपोल है । इसके बारे में माना जाता है नक यहाां पर राजा और उनके मेहमान हाथी से
उतरते थे। लाल नकले के अन्य प्रमुख आकषाण हैं मुमताज महल, रां ग महल, खास महल,
दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, हमाम और शाह बुजा। यह नकला भारत की शान है । इसी
नकले पर स्वतांत्रता नदवस के नदन भारत के प्रधानमांत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और भाषण दे ते
हैं । हुमायूां का मकबरा

हुमायुां का मकबरा}}हुां मायूां एक महान मुगल बादशाह था नजसकी मृत्यु शेर मांडल पुस्तकालय
की सीऩियोां से नगर कर हुई थी। हुमायूां का मकबरा उनकी पत्ी हाजी बेगम ने हुमायूां की
याद में बनवाया था। 1562-1572 के बीच बना यह मकबरा आज नदल्ली के प्रमुख पयाटक
थथलोां में एक है । इसके फारसी वास्तु कार नमरक नमजाा नगयायुथ की छाप इस इमारत पर
साफ दे खी जा सकती है । यह मकबरा यमुना नदी के नकनारे सांत ननजामुद्दीन औनलया की
दरगाह के पास ख्तथथत है । यूनेस्कोां ने इसे नवश्वश धरोहर का दजाा नदया है ।
 The best survival tip is prevention. Avoid swimming in beaches when rip current advisories are in
effect.
 Swim only at guarded beaches during lifeguard duty hours, and ask them about surf conditions
before entering the water.
 Never swim alone, the buddy system works! Keep an extra careful watch on children and elderly
swimmers.
 If you do get caught in a rip current, remain calm and don’t try to swim against the current.
Instead, swim out of the current in a perpendicular direction, following the shoreline. Once you are
out of the current, swim back to shore.
 If you cannot swim out of the current, float or lightly tread water to conserve your energy until you
are out of the current, then swim to shore.

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