Professional Documents
Culture Documents
Aam Aadami Aur Aarthik Vikas by Pramod Bhargav
Aam Aadami Aur Aarthik Vikas by Pramod Bhargav
Aam Aadami Aur Aarthik Vikas by Pramod Bhargav
मोद भाग व
रजनी काशन
आईएसबीएन नं 978.81.88515.06.
सवाधकार @
मोद भागव
काशक : रजनी
काशन
5/288, गल नं 5, वैट कातीनगर
दल-110051
थम संकरण : 2010
मूय - 250.00
श!दांकन : राजेश लेजर "
ं#स
शाहदरा, दल-110032
मु%क : बी. वे+. ऑफसेट, शाहदरा, दल-110032
समपण
अपनी बड़ी बहन
म
ु नी (ीमती उषा भागव)
को
िजसने मुझे अंगुल पकड़कर
लखना-पढ़ना सखाया
और
अपने बहनोई
ी ह#रगोपाल जी भागव
को
िजनके असीम %नेह का
म& ऋणी हूं...।
- )मोद भागव
आम आदमी के बहाने
प
ु तक म! आ"थ'क वकास के साथ आम आदमी से स>बि+धत अ+य समयाओं को भी ववे"चत कया
है । इसम! 5मख
ु समया है पानी क। जीवन के लए पानी /नतांत आवNयक है । आदमी भख
ू सहन कर सकता है ,
\यास नहं। पीने क समया चतु
द' क Dया\त है । खेती के लए पानी क अ/नवाय'ता को सभी जानते ह&। मानसून
धोखा दे ता है , न
दयां सूख रहं ह&, तालाबC का संह उतना नहं हो पा रहा है िजतना होना चा
हये। पुतक म! चार
आलेख पानी के बारे म! ह&, िजसम! पानी के बारे म! J
ढ.वाद सोच से हटकर वचार कया गया है । लेखक क
मा+यता है क पानी क उपलधता का अ"धकार आम आदमी को है एवं िजसे नल कूप (ां/त कहा जा रहा है वह
वातव म! तबाह क पूव' सूचना है ।
पया'वरण-5दष
ू ण क बड़ी भयावह िथ/त है । औMयोगीकरण और शहरकरण के आ"थ'क वकास के
Mवारपाल इसके लए वशेष Jप जो िज>मेवार ह&। इस वषय के लेख पुतक म! अ0छ_ सं4या म! ह&। सात लेखC
म! 5दष
ू ण क चचा' के साथ उसके कारण और `Eटाचार के कारण वाaय क समया से जझ
ु ते आम आदमी क
पीड़ा का ववेचन चार लेखC म! पाठक को मलता है । घटती हुई वन स>पदा, 5कृ/त क वकृ/त, श2ा क
समया, मानवा"धकार और व+य-जीवC के संर2ण संबंधी समयाओं पर वचार करने के साथ ह लेखक ने एक
मह:वपूण' आ"थ'क समया को पाठकC के वचाराथ' 5तत
ु कया है -वह है कालेधन क समया।
K
टश राज म! जब दे श का धन वदे श म! चला जाता था, तब ‘भारत दद
ु ' शा' नाटक म! भारते+द ु हQरNच+Z
ने बड़ी "च+ता DयXत क थी। अब दे श के लोग ह वदे शC म! धन ले जा रहे ह&। यह धन कालाधन होता है ।
इसक इतनी बड़ी राश है क य
द यह भारत सरकार 5ापत
् कर सके तो दे श क तवीर लैक एHड Dहाइट से
रं गीन बन सकती है ।
---
लोभ, वाथ' एवं वासना Mवारा 5तुत हो रह हC तो सव'5थम वकास एवं वकास के नाम पर 5तुत होने वाल
शासकय Nलाघाओं को 5Nन"च+हC के कठघरे म! खड़ा होना वाभावक है । इसी पQर5ेOय म! यह भी /नता+त
िथ/त म! स:यम-शवम
् -स
् ु+दरम ् का वर दे ने म! स2म हो XयCक यह (ूर यथाथ' है क तथाक"थत वकास क
वातंयो::
् ार भारतवष' क क/तपय ास
दयC म! यह एक ासद भी संलiन क जानी चा
हए क नी/त-/नयंताओं
को जमीनी यथाथ' से अनभd होकर योजनाओं और काय'(मC के असफल (यावयन का दद' कभी नहं हुआ है ।
होता रहा है । पEट है क वतं आया'वत' म! ‘5/त-उ::ारदा/य:व' के सVांत क स:ताJपी मठC म! वांछनीय 5ाण-
5/तEठा कभी नहं क गयी। पQरणामवJप 5:येक नी/त-/नयंता एवं उनके काQर+दे 5योगधमj होने का संबोधन
5ा\त करने तक ह वातवक Jप से ‘परा(मी' रहे । 5योग के फलवJप 5तुत होने वाले दEु 5भावC के उपचार के
5/त /नNचय ह /नEठावान नी/त /नधा'रक कदा"चत लेशमा भी नहं रहे ह&। गोया, वातंयो::
् ार भारतवष' पछल
इस kिEट से मोद भाग व क समीत पुतक ‘आम आदमी और आथ क वकास' इ+हं सब
ब+दओ
ु ं का पड़ताल करने का एक सशXत व साथ'क 5यास है । बीसवीं सद के पांचव! दशक से ह योजनाओं,
काय'(मC, महो:सवC, पव<, 5योगC और अंततः उदारकरण एवं /नजीकरण के नाम पर िजस 5कार आम आदमी
भाषावाद एवं 2ेवाद क राजनी/त का अnयत बनाया गया, उसी का यह पQरणाम हुआ क जनगण और
थापत सा
ह:यकार एवं वQरEठ पकार 5मोद भाग'व क यह पुतक वतं भारतवष' के वकास के 5पंच का
दतावेजी शव-व0छे दन करती है । इस पुतक म! वभ+न वषयC पर केि+Zत लगभग प&तालस आलेख ह&। इनम!
से तीस लेख आम आदमी के वभ+न अ"थ'क मुMदC से संबV ह&, दस लेख पया'वरण संकट क समया से एवं
पांच आलेख मानव अ"धकारC और समानता के अ"धकारC क चुनौती से JबJ ह&। /नस+दे ह, वत'मान मानव
जीवन इन सभी समयाओं से कंु
ठत होने क सीमा तक Dया"धत है । 5मोद भाग'व के ये आलेख पूर
लेखक ने भारतीय कृष 2े क इस परं परा, िजसम! बा9यावथा से ह बालकC को कृष काय< म! द2 बनाने का
5यास 5ारं भ हो जाता है , का अपेp2त स>मान कये जाने का समथ'न कया है XयCक एक तो इस Aम के
बाजार म! चरखा' आलेख म! लेखक ने ताक'क ढं ग से थापत कया है । इस लेख म! उ9लेख है क ‘दरअसल
आ"थ'क उ+न/त का अथ' हम 5कृ/त के दोहन से मालामाल हुए अरब-खरबप/तयC क ‘फोब'स' पका म! छप रह
सू"चयC से /नकालने लगे ह&। आ"थ'क उ+न/त का यह पैमाना पूंजीवाद मानसकता क उपज है , िजसका सीधा
जब वह पाते ह& क राES क पवता और सं5भुता बाजारवाद क भ! ट चढ़ायी जा रह है । ‘बाजारवाद' क मHडी म!
राES शीष'क से संबV आलेख म! उ+हCने सांसदC-वधायकC क खरद फरो4त क ऐ/तहासक पड़ताल पूर पकारय
द2ता से क है और यह सV करने म! सफल भी हुए ह& क अ"धकांश जन-5/त/न"ध ‘सेवाभाव' को /तलांजल
दे कर ‘लाभ क मानसकता' के दास होना चाहते ह&। इसी आलेख म! लेखक बाजारवाद क बढ़ती वंशबेल के आधार
पर ह कदा"चत परू kंढ़ता से यह भवEयवाणी करते ह& क ‘․․․․․मंहगाई तो अभी और परवान चढ़े गी'। और इस
वशलेषण के अMभुत मAण म! अनुभूत हुई है । साOयवJप ‘नमक के नुXस और +यायालय' आलेख म! जन
सामा+य क अ:यावNयक खाMयसामी नमक को िजस 5कार लाभ कमाने मा क kिEट से वभ+न Dया"धयC का
हौवा खड़ाकर मंहगा कया जा रहा है , के षड़यं का वैdा/नक ढं ग से तो पदा'फाश कया ह है , साथ ह ऐलान
करते ह& क ‘․․․․․सरकार क संवेदनाओं का नमक भले ह मर गया हो लेकन आम आदमी क लड़ाई लड़ने
वाले गांधी अभी भी िजंदा ह&।' इसी अ?याय म! उ+हCने एक रोचक जानकार भी द है क ‘सेलर' शद क
लेखक को पकाQरता का एक लंबा अनुभव है । उनके इस अनुभव क पQरपXवता तब 5कट होती है जब वे ‘मानव
अ"धकारC का हनन और `Eटाचार' शीष'क के आलेख म! अनेक तaयC के आधार पर `Eटाचार क सशXतता के तt
‘सूचना का अ"धकार' जैसे कानूनC क /नब'लता को रे खांकत करते ह&। इस आलेख म! लेखक ने नौकरशाह के
अTडयलपन को बड़े सटक तरके से /नशाने पर लया है । लेखक क चैत+य लेखनी तब और मुखर हो जाती है
जब वे अपने एक आलेख म! यह रे खांकत करते ह& क कसान जीवन के बदले म:ृ यु को अपनाना उ"चत समझ
रहे ह& XयCक िजस 5कार अपना सब कुछ दॉव पर लगाकर कृषक उपज 5ा\त करता है , उस अनुपात म! उसे
समु"चत मू9य नहं मलता है । लेखक ने सभी दलC क सरकारC क भूमहन एवं सीमांत कसान वरोधी नी/तयC
क 5ासं"गक आलोचना क है ।
‘रोट को खतरे म! डालता आ"थ'क वकास' आलेख म! 5मोद भाग'व ने आ"थ'क वकास क उस 5विृ :त क
"चक:सकय /नEठुरता से श9य(या क है िजसम! आम आदमी, आ
दवासी, छोटे कसान और मजदरू
स>मानजनक थान पाने म! सफल नहं हो पा रहे ह&। होना तो यह चा
हए था क आ"थ'क वकास गरब क रोजी-
रोट क गारं ट बनता परं तु वडंबना यह है क तथाक"थत आ"थ'क वकास के िजस वJप को वभ+न अभकरणC
Mवारा 5ो:सा
हत कया जा रहा है वह जल, जंगल और जमीन को हड़पने का मा?यम बन रहा है । अतः लेखक
जाय!गी तो उनके सम2 रोट का संकट मुंह बाए खड़ा होगा। और इस संकट से उबरने का जब कोई समाधान
सामने नहं होगा तो लाचार जन समूह आ(ोश, अराजकता और उवाद का राता नहं अपनाय!गे तो Xया कर! गे?'
नXसलवाद क यह आधारभूम है । पया'वरण 5दष
ू ण वत'मान वNव क सवा'"धक 5मुख समया है । इस पुतक म!
कई अ?याय इस समया पर केि+Zत ह&। ‘5कृ/त के लए संकट बनता आधु/नक वकास' लेख म! इस 5मुख
समया के समाधान हे तु लेखक पEट करते ह& क ‘․․․․․अब औMयो"गक वकास को सकल घरे लू उ:पाद क
केल अथवा वाlणिYयक लाभ-हा/न के गुणाभाग से परे इस क"थत आ"थ'क वकास का मू9यांकन जल, जंगल
लेखक ने सामा+य बोल-चाल के शदC का सहारा लया है । अतः उद' ,ू अंेजी और कहं-कहं आंचालक शदC का
5चुर माा म! 5योग हुआ है । पुतक म! भाषाई 5ांजलता के चलते पठनीय रोचकता और 5वाहमान हुई है । पुतक
म! कुछ कमयां भी रे खांकन योiय ह&, यथा-पQरचय 5ाXकथन क आवNयक परं परा का इस पुतक म! पालन नहं
वयं के अMयतन होने अथवा न होने का संदेह न होता। पुतक ‘आम आदमी और आ"थ'क वकास' म! आ"धकांश
आलेख उन नकारा:मक नी/तयC पर केि+Zत ह& जो वत'मान भारत के जनगण क /नय/त बनती जा रह ह&।
कदा"चत लेखक के अंदर का संवेदनशील पकार इस वचार का समथ'क है क य
द नकारा:मक वकास का
उ+मूलन हो जाता है तो 5ग/त क वह राह वयमेव पEट होगी जो समाज के कोने म! खडे अं/तम मनुEय तक
वयं पहुंचग
े ी।
‘वकास' यMयप तीन शदC क एक रचना है , पर+तु यह अ:यंत सारगभ'त व अथ'वान भाव 5तुत करता है । इस
भाव म! dान, /नयोजन, तकनीक और 5ौMयो"गक कौशल तथा आ"थ'क एवं मानव संसाधन क रचना:मक
भू मका आ
द सभी त:व समा
हत होते ह&। ‘वकास' एक ग/तशील धारणा भी है , जो क दे श व काल सापे2 है ।
उ::ारो::ार 5ग/त के वांछनीय मानकC से पQर"चत कराया है । परं तु ‘वकास' को मानवीय पश' तभी 5ा\त हो
सकता है जब उसके पटल पर आम आदमी को स>मानीय थान 5ा\त हो। समीp2त पुतक ‘आम आदमी और
ह&, उस वातावरण म! लेखनी क धार से रचना:मक वकास के कैनवास से जनगण के जज'र हो रहे सरोकारC को
वांछनीय रं ग दे ने का जो जोlखम भरा काय' 5मोद भाग'व ने इस पुतक के मा?यम से कया है वह /निNचत ह
मा साहसक ह नहं, 5शंसनीय भी है । ‘जोlखम' इस अथ' म! क स>पूण' पुतक स:ता 5/तEठानC के 5:येक
आकाशवाणी के पीछे
कृष से जड़
ु ा बाल म मजदरू नहं
महा'मा गांधी ने )म आधा+रत ,श-ा क. वकालत क. थी ले/कन हमारे बाल )म अथवा बाल मजदरू उमूलन के
वतमान
यास और भावी उप5म )म को अ,भशाप के दायरे म6 समेट दे ने क. को,शश6 भर रह गये ह7। हाल ह म6
बचपन क. चंता करने वाल संथा रा:;य बाल अधकार संर-ण आयोग क. अ=य- शांता ,सहा ने खेती और
पशुपालन से जुड़े बालक-बा,लकाओं को इनसे वंचत कर दे ने का ,शगूफा छोड़ा है । यद कृ"ष और पशुपालन से जुड़े
दै नंदन बाल )म को बाल मजदरू के बहाने इन कायE से वंचत /कया जाता है तो यह कायवाह दनचया म6 शा,मल
)म और Fान परं परा से खेलते-खेलते बहुत कुछ सीख व समझ लेने क. वभा"वक और Iयावहा+रक जीवन के ,लए
जKर
/5याओं म6 बाधक ,सL होगी। दरअसल Iयावहा+रक गण ु व'तापण
ू ,श-ा के साथ बचपन बचाने के ,लए उस
न म6 दया-भाव उपजाती है । मौजूदा हालातN म6 आथक सम"ृ L का दं भ और कानून
संवेदनशीलता क. जKरत है जो अंतम
के रखवालN Oवारा ह कानून से Pखलवाड़, बाल शोषण एवं अ'याचार के सबसे बड़े कारण बन रहे ह7।
आधुQनक "वकास, पाRचा'य जीवनशैल, आथक सम"ृ L और पा+रवा+रक इकाई का "वघटन बाल )म के "वतार और
"व'तीय शोषण का कारण बने हुये ह7। महं गी अंUेजी ,श-ा और गरब का सरकार वाVय लाभ से वंचत होते जाने के
हालातN से भी बाल मजदरू बढ़ रह है । ऐसे "वपरत हालातN म6 कृ"ष Uामीण "वकास व संरचना से जुड़े कायY से बालकN
को )म क. कानूनी जद म6 लाकर बाल समया को और भयावह ह बनाएंगे? दरअसल बाल )म संबंधी जो भी कानून
अब तक सामने आये ह7 वे गरब व लाचार के ,लए संकट और अमल म6 ईमानदार न बरती जाने के कारण सफेद हाथी
बनी सरकार Iयवथा के ,लए शोषण व Z:टाचार के कारगर व लाभकार हथयार ह सा[बत हुये ह7। ये कानून बाल
)म क. बुQनयाद पर कुठाराघात के औजार कभी सा[बत नहं हुये। इन कानूनN के संदभ म6
चार-
सार से यह
अवधारणा जKर "वक,सत हुई है /क पहले िजस बाल )म को हम कयाण का कारक मानते थे उसे अब शोषण का
कारक मानने लगे ह7। ले/कन श!दावल क. इस "वभाजक मान,सकता से बाल )म क. िथQतयN म6 कोई वतुपरक
प+रवतन नहं आया है ।
बाल )म उमूलन संबंधी "वध संहताएं बाल )म को भेद क. ^ि:ट से दे खती ह7। 10 अ_टूबर 2006 से
भावी हुये
बाल )म Qनवारण कानून के ज+रये 14 साल से कम उ` के बaचे को घरे लू नौकर के Kप म6 काम करने के अलावा
ढावN, रे तरां, होटलN, दक
ु ानN, कारखानN, प'थर या कोयला खदानN, ईट भ#टN और रे ल ),मकN पर रोक लगाई हुई है ।
बावजूद इसके इन सभी संथानN म6 बाल )म जार है । हम ,श-ा को जागKकता का मूल कारण व आधार बताते ह7,
ले/कन बतौर घरे लू नौकर िजतने भी बाल ),मक ह7 वे ऐसे ह उaच ,शc-त घरN म6 ह7, िजहNने ,श-ा से
Qत:ठा,
ओहदा और आथक सम"ृ L हा,सल क. है । इस ,सल,सले म6 "वरोधाभास यहां तक है /क िजन सरकार अधकार और
कमचा+रयN का दाQय'व बाल ),मकN को बाल )म से मुि_त दलाने का है उनके घरN म6 भी बाल-गोपाल नौकर ह7। बाल
),मकN का यौन शोषण घरे लू नौकर के Kप म6 सबसे dयादा है । ऐसे बाल )म उमूलन के उपचार थोथे और कागजी
सा[बत हो रहे ह7। 2001 क. जनगणना के अनुसार समूचे दे श म6 5 से 14 आयु वग के 1 करोड़20 लाख से dयादा
बaचे बतौर मजदरू काम करते ह7। इनम6 से 18 लाख 50 हजार 595 बaचे ऐसे ह7◌ं जो घरे लू नौकर का अ,भशाप
झेलने के ,लए अ,भशfत ह7।
इधर नई को,शशN म6 रा:;य बाल अधकार संर-ण आयोग ने बाल मजदरू क. अधकतम आयु 14 साल से बढ़ाकर
15 साल /कये जाने क. वकालत भी क. है । 14 साल या उससे कम उ` के ऐसे बaचे जो जी"वकोपाजन के ,लए
मजदरू करते ह7 बाल ),मक क. )ेणी म6 आते ह7 सं"वधान म6 Qनधा+रत मौ,लक अधकारN के अनुaछे द 23 म6 यह
ावधान है /क वेगार तथा जब+रया बाल )म Qनषेध होने के साथ दं डनीय अपराध भी है। कोई भी बाल गोपाल वेaछा
से बाल )म नहं करना चाहता। आथक तंगी और संसाधनN के अभाव से उसे बाल )म करना पड़ता है । लघु व सीमांत
/कसान और खेतीहर सवहारा वग क. मजबूर हो जाती है /क कृ"षजय जKरतN के अलावा अय आवRयकताओं क.
आपूQत वे मजदरू से कर6 । ऐसे बaचN को कृ"ष संबंधी मजदरू से जोड़ने के अलावा उनके पास कोई दस
ू रा "वकप नहं
होता। कृ"ष काय म6 भी Uामीण बालक इस,लए द- हो जाता है _यN/क वह खेल-खेल म6 अ,भभावकN के साथ हल
चलाना , बीज बोना, गड़
ु ाई करना, ह+रया तोतN से फसल क. सुर-ा करना और पकने पर फसल काटना, जैसे काय
सीख लेता है । खेती से जुड़ा )म एक ऐसा )म है जो आ'म"वRवास बढ़ाता है । बालक से /कशोर और /फर युवा हो रहे
इन बाल-गोपालN म6 खेती का हुनर सीखते हुए यह भाव भी घर करता जाता है /क पढ़ ,लख कर नौकर नहं ,मल तो
खेती बाड़ी से ह पेट पाल ल6गे। UामीणN के ,लए यह िजजी"वषा संजीवनी भी दे ती रहती है ।
यह सह है /क बाल )म मनु:यता के "वकास को बाधत करने वाला एक
मुख कारण है, ले/कन खेती से जुड़ा )म
"वकास म6 बाधा नहं बनाता। यद ऐसा हुआ तो /कसान का बेटा और कृषक होने का दावा करने वाले लाल,ू मुलायम
और नीQतश कुमार जैसे नेता हमारे पास नहं होते। दरअसल बाल संर-ण संथाएं वहां चोट नहं कर पा रह ह7 जहां
उह6 चोट करनी चाहए। इन संथाओं को इस पड़ताल क. जKरत है /क आथक "वकास से जुड़े UामीणN के हक कौन
मार रहा है? म=याह भोजन क. रा,श कौन डकार रहा है ? Uाम पाठशालाओं म6 ,श-क Qनय,मत _यN नहं जा रहे और
,श-ा म6 गुणा'मक सुधार के ,लए _या-_या जKरत6 ह7। ,श-ा म6 समानता क. पहल पर अमल _यN नहं हो पा रहा है ।
रोजगार गारं ट योजना Z:टाचार क. गारं ट _यN बनी हुई है ? यद उपरो_त योजनाओं म6 "वRवसनीयता कायम होती है
तो बाल )म भी कम होगा। आज Uामीण अंचल म6 आथक द+र%ता, ,श-ा अथवा जागKकता म6 कमी के बजाय
सरकार Z:टाचार व कतIयहनता के कारण बनी हुई है ।
रा:;य बाल अधकार संर-ण आयोग क. अIयावहा+रक गवEि_त है /क बाल )म के संबंध म6 िजतने भी कानून बने ह7
उनम6 से कोई भी बaचN को कृ"ष -ेh म6 काम करने से रोकने वाला नहं है । बaचे खेती और पशु पालन के काम म6 लगे
रहते ह7 इस,लए उनक. पढ़ाई
भा"वत होती है । वतमान िथQतयN म6 हमने ,श-ा को िजस तरह से ,श-ा के Iयवसाय
म6 त!दल कर दया है उस
Qतपधा म6 कमजोर आथक प- वाला तबका भागीदार से ह वंचत हो गया है । वैसे भी
जबसे ,श-ा अंकN के होड़ का मूयांकन बनी हुई है तबसे रोजगारमूलक और आ'मबल को सश_त बनाये रखने का
दाQय'व ,श-ा कहां संभाल पा रह है । पर-ा प+रणामN के बाद बढ़ती आ'मह'याएं इस खोखल ,श-ा Iयवथा के
आ'मघाती द:ु प+रणामN क. सा-ी है । अब शैc-क तर पर को,शश6 होनी चाहए /क हम ,श-ा को रोजगार तक सी,मत
रखने क. बजाय उसे Iयि_त के सश_तीकरण का मा=यम बनाएं।
बाल )म को िजस ^ि:ट से हम दे खते ह7 उसम6 भेद है । हम वंचतN के बaचN को तो बाल )म अथवा बाल ),मक के
Kप म6 दे खते ह7, ले/कन ट.वी. धारावाहकN, "वFापनN और गीत संगीत क.
Qतपधा म6 लगे बaचN के )म को )म के
नज+रये से नहं दे खते? _यN/क ये बaचे आथक Kप से संपन घरानN से आते ह7 और इनके साथ iलैमर का वैभव जुड़ा
होता है ले/कन भू,मका के अjयास के ,लए बaचे लगातार जो 10-15 घंटे Iयत व =यानथ रहते ह7। वह भी परो-
Kप से शोषण का ह एक ल-ण है । अjयास म6 यह Qनरं तरता बाल वाVय को
भा"वत करती है और बालक क.
वVय चेतना कंु ठत होती है । Qनय,मत ,श-ा से भी वे वंचत हो जाते ह7◌ं। संभवतः इस,लए dयादातर बाल कलाकार
बड़े होने पर अपनी
Qतभा अनवरत नहं रख पाते और उनक. पहचान लुfत हो जाती है । यह भी बाल अधकारN का
हनन है और इसे भी बाल अधकार संर-ण के दायरे म6 लाना चाहए।
वैसे तो हमार सामािजक, राजनीQतक और आथक ^ि:ट म6 /कसान और कृ"ष नदारत ह7, ऐसे म6 खेती से बाल )म को
कानूनन वंचत कर द6 गे तो एक बड़ी आबाद को हम भगवान भरोसे छोड़ द6 गे। बाल अधकारN के संबंध म6 हमार
चुनौती Z:टाचार मु_त शासन
णाल और संवेदनशील जाबवदे ह होनी चाहए। कानून तो वैसे भी हमारे दे श म6 कागजी
खानापQू त भर रह गये ह7।
विृ 'तयN ने सिृ :ट को ह आसन संकटN के हवाले छोड़ दया है । बढ़ते औOयोगक उ'पादन के चलते जलवायु प+रवतन
और दQु नया म6 बढ़ते तापमान जैसे "वनाशकार जो अनथ पVृ वी को
लय म6 बदलने के कारण गनाये जा रहे ह7, उनसे
Qनपटने म6 चरखा क. अहं भू,मका सामने आ सकती है ।
गांधीजी ने क6%य उOयोग समूहN के "वKL चरखे को बीच म6 रखकर लोगN के ,लए उ'पादन क. जगह, उ'पादन लोगो
Oवारा हो, का आंदोलन चलाया था। िजससे एक बढ़ आबाद वाले दे श म6 बहुसंlयक लोग रोजगार से जुड6◌़ और बढ़े
उOयोगN का "वतार सी,मत रहे। इस ^ि:टकोण के पीछे महा'मा का उOदे Rय यां[hक.करण से मानव माhा को छुटकारा
दलाकर उसे सीधे वरोजगार से जोड़ना था। _यN/क दरू ^:टा गांधी क. अंतद
िु :ट ने तभी अनुमान लगा ,लया था /क
औOयोगक उ'पादन और
ौOयोगक. "वतार म6 सिृ :ट के "वनाश के कारण अंतQनहत ह7। आज दQु नया के वैFाQनक
अपने
योगN से जल, थल और नभ को एक साथ द"ू षत कर दे ने के कारणN म6 यह कारण गनाते हुए,
लय क. ओर
कदम बढ़ा रहे इंसान को औOयोगीकरण घटाने के ,लए परु जोर से आगाह कर रहे ह7। ले/कन अभी इंसान क.
मान,सकता गलQतयां सध
ु ारने के ,लए तैयार नहं हो पाई है ।
गांधी गरब क. गरबी से कटु यथाथ के Kप म6 प+रचत थे। इस Qनवसन गरबी से उनका सा-ा'कार उड़ीसा के एक
गांव म6 हुआ। यहां एक बढ़
ू ़ी औरत ने गांधी से मुलाकात क. थी। िजसके प7बद लगे वh बेहद मैले-कुचेले थे। गांधी ने
शायद साफ-सफाई के
Qत लापरवाह बरतना महला क. आदत समझी। इस,लए उसे हदायत दे ते हुए बोले, ‘अnमां _यN
नहं कपड़N को धो लेती हो?' बुढ़या बेवाक. से बोल, ‘बेटा जब बदलने को दस
ू रे कपड़े हN, तब न धो पहनूं।' महा'मा
न म6 गरब क. दगंबर दे ह, वh से ढकने के उपाय
आपादमतक सन व QनK'तर रह गए। इस घटना ने उनके अंतम
के Kप म6 ‘चरखा' का "वचार कoधा। साथ ह उहNने वयं एक वh पहनने व ओढ़ने का संकप ,लया। दे खते-दे खते
उहNने ‘वh के वावलंबन' का एक पूरा आंदोलन ह खड़ा कर दया। लोगN को तकल-चरखे से सूत कातने को उ'
े+रत
/कया। सुखद प+रणामN के चलते चरखा वQन,मत वhN से दे ह ढकने का एक कारगर अh ह बन गया।
इधर वैिRवक अथIयवथा के पैरोकार
धानमंhी मनमोहन ,संह कज म6 डूबे और आ'मह'या कर रहे /कसानN को उOयोग
लगाने क. सलाह दे ते ह7। यहां Iयावहा+रक Fान का संकट है । अब भला मनमोहन ,संह से कौन पछ
ू े /क बदतर माल
हालत के चलते आजी"वका का संकट झेल रहा /कसान [बना पंज
ू ी और [बना /कसी औOयोगक थापना संबंधी
Fानाभाव म6 उOयोग कैसे लगाएगा? हां चरखा चलाकर सूत कात सकता है । बशतp सरकार उसे खरदने क. गारं ट ले?
मगर मनमोहन तो जवाहरलाल नेहK के अनुआयी ह7 जो इंqडया के पैरोकार थे। बेचारे , गांधी तो ‘भारत' म6 रहने वाले
लाचारN के नेता और
णेता थे, ऐसे गांधी का अनुसरण एक अंUेजीदां नौकरशाह कैसे करे ? वह भी बहुरा:;य कंपQनयN
के हतN के सापे- आमजन के हत साधन क.?
"पछले डेढ़-पौने दो दशक के भीतर उOयोगN क. थापना के ,सल,सले म6 हमार जो नीQतयां सामने आयी ह7 उनम6
अकुशल मानव )म क. उपे-ा उसी तज पर है िजस तज पर अठारहवीं सद म6 अंUेजN ने [rटे न म6 मशीनN से Qन,मत
कपड़N को बेचने के ,लए ढांका (बांगलादे श) के मलमल बुनकरN के हत उOयोग को हुकूमत के बल पर नेतनाबूद ह
नहं /कया, उह6 भूखN मरने के ,लए भगवान भरोसे छोड़ दया। आज वतंh भारत म6 पूंजीवाद अ,भयान के चलते
+रलांयस sेस और वालमाट के हत साधन को ^ि:टगत रखते हुए खुदरा Iयापार से मानव)म को बेदखल /कया जा रहा
है , वहं सेज के ,लए कृ"ष भू,म हथया कर /कसानN को खेती से खदे ड़ दे ने क. मुहम चल पड़ी है । जब/क होना यह
चाहए था /क हम अपने दे श के समU कुशल-अकुशल मानव समुदायN के हत साधनN के ^ि:टकोण सामने लाएं। हमार
अथIयवथा गांधी क. सोच वाल आथक
/5या क. थापना और "वतार म6 न मनु:य के हतN पर कुठाराघात होता
ू ीवादयN के हतN पर? जब/क मौजूदा आथक हतN के सरोकार
है और न ह
ाकृQतक संपदा के हतN के सरोकार पंज
पूंजीवादयN के हत तो साधते ह7, इसके "वपरत मानव)म से जुड़े हतN को Qतर:कृत करते ह7 और
ाकृQतक संपदा को
न:ट करते ह7। मानव समुदायN के बीच असमानता क. खाई इहं से उ'तरोतर बढ़ती चल जा रह है ।
चरखा और खाद परपर एक दस
ू रे के पयाय ह7। गांधी क. ,श:या Qनमला दे शपाtडे ने अपने एक संमरण का उOघाटन
करते हुए कहा था, नेहK ने पहल पंचवषuय योजना का वKप तैयार करने से पहले आचाय "वनोबा भावे को मागदशन
हे तु आमं[hत /कया। राजघाट पर योजना आयोग के सदयN के साथ हुई बातचीत के दौरान आचाय ने कहा /क ऐसी
योजनाएं बननी चाहए िजनसे हर भारतीय को रोट और रोजगार ,मले। _यN/क गरब इंतजार नहं कर सकता। उसे
अ"वलंब काम और रोट चाहए। आप गरब को काम नहं दे सकते, ले/कन मेरा चरखा ऐसा कर सकता है । वाकई यद
पहल पंचवषuय योजना को अमल म6 लाने के
ावधानN म6 चरखा और खाद को रखा जाता तो मौसम क. मार और कज
का संकट झेल रहा /कसान आ'मह'या करने को "ववश नहं होता।
दरअसल आथक उनQत का अथ
कृQत के दोहन से मालामाल हुए अरबपQतयN-खरबपQतयN क. फो!स प[hका म6 छप
रह सूचयN से Qनकालने लगे ह7। आथक उनQत का यह पैमाना पूंजीवाद मान,सकता क. उपज है , िजसका सीधा संबंध
भोगवाद लोग और उपभोग वाद संकृQत से जुड़ा है । जब/क हमारे परं परावाद आदश /कसी भी
कार के भोग म6
अQतवादता को अवीकार तो करते ह ह7, भोग क. द:ु प+रणQत पतन म6 भी दे खते ह7। अनेक
ाचीन संकृQतयां जब
उaचता के चरम पर पहुंचकर "वला,सता म6 ,लfत हो गv तो उनके पतन का ,सल,सला शुK हो गया। र-, ,म), रोमन,
नंद और मुगल संकृQतयN का यह ह) हुआ। भगवान कृ:ण के सगे-संबंधी जब दरु ाचार और भोग"वलास म6 संलiन हो
गए तो वयं भगवान कृ:ण ने उनका अंत कर दया। इQतहास ^ि:ट से सबक लेते हुए गांधी ने कहा था, ‘/कसी भी
सुIयविथत समाज म6 रोजी कमाना सबसे सुगम बात होनी चाहए और हुआ करती है । बेशक /कसी दे श क. अaछw
अथIयवथा क. पहचान यह नहं है /क उसम6 /कतने लखपQत लोग रहते ह7 बिक जनसाधारण का कोई भी Iयि_त
भूखN तो नहं मर रहा है , यह होनी चाहए।' यह /कतनी "वडंबना /क बात है आज हम अंबानी बंधुओं क. आय क.
तुलना उस आम आदमी क. मा,सक आय से करते ह7 जो 20 और 9 Kपये रोज कमाता है । औसत आय का यह पैमाना
_या आथक द+र%ता पर पदा डालने का उप5म नहं है ?
गांधी के वरोजगार और वावलंबन के चंतन और समाधन क. जो धाराएं चरखे क. गQतशीलता से फूटती थीं, उस
गांधी के अनुआयी वैिRवक बाजार म6 समत बेरोजगारN के रोजगार का हल ढूढ़ रहे ह7। यह मग
ृ -मारचका नहं तो और
_या है ? अब तो वैिRवक अथIयवथा के चलते रोजगार और औOयोगक उ'पादन दोनN के ह घटने के आंकड़े सामने
आने लगे ह7। इन नतीजN से साफ हो गया है /क भू-मtडलकरण ने रोजगार के अवसर बढ़ाने क. बजाय घटाये ह7। ऐसे
म6 चरखे से खाद का Qनमाण एक बढ़ आबाद को रोजगार से जोड़ने का काम कर सकता है । वतमान म6 भी सात हजार
खाद आउटले#स ह7। इनसे सालाना पचास करोड़ Kपये क. खाद का Qनयात कर "वदे शी पूंजी कमाई जाती है । यद घरे लू
तर पर ह बुनकारN को समुचत कaचा माल और बाजार मुहैया कराए जाएं तो खाद का उ'पादन और "वपणन दोनN
म6 ह आशातीत व"ृ L हो सकती है और बेरोजगार क. समया को एक हद तक Qनयं[hत /कया जा सकता है । इस संदभ
म6 गांधी कह चुके ह7 /क भारत के /कसान क. र-ा खाद के [बना नहं क. जा सकती है । गांधी क. इस साथक ^ि:ट का
आकलन हम "वदभ, आंध
दे श और बुदे लखtड म6 आ'मह'या कर रहे /कसानN के
संग से जोड़कर दे ख सकते ह7।
ृ शाल नहं हो सकती, बिक वैिRवक आथक. से मुि_त
भारत क. "वशाल आबाद पूंजीवाद मु_त अथIयवथा से समL
दलाकर, "वकास को समतामूलक कारकN से जोड़कर इसे सुखी और संपन बनाया जा सकता है । इस ^ि:ट से चरखा
एक साथक औजार के Kप म6 खासतौर से Uामीण प+रवेश म6 UामीणN के ,लए एक नया अथशाh रच सकता है ।
वदे शी पंज
ू ी का कसता )शकंजा
कांUेस क. मनमोहन ,संह सरकार ने Qनधा+रत हदN व नैQतक मयादाओं का उलंघन कर "वRवास मत हा,सल /कया
उससे तय हो गया है /क भारतीय राजनीQत के मल
ू व सैLांQतक आधार का "वचारधारा से कोई वाता नहं रह गया है ।
स'ता म6 बने रहने के गPणत ने स'ताधा+रयN और स'ता को टकाये रखने वालN को इतना दिiZ,मत कर दया है /क
उहNने दे श पर Qनरं तर कसते जा रहे अमे+रक. पूंजी के ,शकंजे क. तरफ से आंख6 ह मूंद ल ह7। परमाणु करार के
प+रणाम तो /फलहाल भ"व:य के गभ म6 ह7, ले/कन वामपंथयN का अंकुश हट जाने से "वदे शी पूंजी भारतीय बाजार पर
िजस आ5मकता से हमला बोलने वाल है , उसके नतीजे बहुसंlयक आबाद के हत कतई साधने वाले नहं ह7। उसके
,लए तो जल, जमीन और जंगल के संकट गहराते ह जा रहे ह7।
कुछ भूल6 हमने दे श "वभाजन क. शत पर ,मल आजाद के समय क. थीं, िजनका खा,मयाजा आज तक भुगतने को
हम "ववश ह7। दस
ू र बड़ी भूल बाजारवाद और भूमtडलकरण के साथ आथक "वकास के बहाने अमे+रक. मॉडल अपना
कर क.। ,लहाजा अमे+रक. पूंजी का
वाह भी बढ़ गया है । नतीजतन आजाद के पहले जहां भारतीय जनमानस पर
[rतानी
भाव था, वह अब अमे+रक.
भाव कायम हो गया है । इन पूंजीवाद नीQतयN के "वतार क. Qनरं तरता से
उ'तरोतर असमानता क. खाई
शत होती जाने से असंतोष भी बढ़ता रहा। आज यह असंतोष भयानक अराजकता क.
िथQत म6 है । आग, लूटजनी, हंसा और बला'कार क. घटनाएं िजस तरह से रोजमरा क. चीज हो गई ह7, उससे जाहर
है /क दे श म6
शासन, अनुशासन और कानून Iयवथा जैसे कोई इंतजामात ह नहं ह7। दे श भर म6 आतंकवादयN Oवारा
/कए जा रहे "वफोटN ने लोकतंh क. चूल6 हला द ह7। सुर-ा एज6,सयN और पु,लस बलN के खु/फया तंh बेमानी सा[बत
हो रहे ह7। हर आतंकवाद गQत"वध के बाद कुछ आतंकवादयN के काफQनक रे खाचhा जार करने के अलावा हमार
हाईटे क टे _नोलॉजी /कसी साथक नतीजे पर पहुंचने के ,सल,सले म6 पRत ह नजर आती है ।
दे श म6 िजस तेजी से बहुरा:;य कंपQनयN का पूंजी Qनवेश बड़ा, उतनी ह तेजी से सां
दाQयक सदभाव और सामािजक
याय के हत हा,शये पर चले गए। खुद को रा:;वाद राजनीQतक शि_त कहने वाले सं
दायवाद क. गर|त म6 आ गए।
सामािजक याय के समाजवाद पुरोधा अवैधाQनक तरकN से हाथ म6 लगी पूंजी के माफत राजनीQतक हथकंडN के
Pखलाड़ी बन गए। ऐसी ह द"ू षत मान,सकता के चलते लालू
साद यादव जब मुस,लम बहुल इलाकN म6
चार के ,लए
Qनकलते ह7 तो एक ऐसे शlस को साथ लेकर चलते ह7 िजसक. श_ल और कद-कांठw ओसामा [बन लादे न से मेल खाती
है । आPखर लादे न को रोल मॉडल के Kप म6 मुस,लमN के बीच
तुत कर आप _या संदेश दे ना चाहते है ? लादे न क.
नजर म6 तो इलाम को नहं मानने वाले सब का/फर ह7। बा,मयान म6 च#टानN पर उ'खचत मूQतयN को "वफोट से उड़ा
दे ने म6 उसे कोई संकोच नहं होता? आPखर लादे न /कस वैचा+रक Qन:ठा का
QतKप है , जो आप उसके हमश_ल को
साथ लेकर चल रहे ह7। _या यह हथकंडा मुस,लम मान,सकता के दोहन का
तीक नहं ह7? लालू का यह हथकंडा
मुस,लमN क. रा:;यता पर भी सवाल खड़े करता है ?
आजाद के साथ [rटश पूंजी बनी रहने के कारण ह हम6 मुस,लम सां
दाQयकता "वरासत म6 ,मल। जब/क पा/कतान
ने तो सां
दाय/क संकट का हल पा/कतान को इला,मक रा:; बनाकर Qनकाल ,लया और भारत आज भी हद-ु
मुिलम सां
दाQयता का दं ड भोग रहा है । वतंhता के समय कRमीर म6 मुिलम सं
दायवाद नहं था, ले/कन असी के
दशक म6 इतनी शि_तशाल ताकत के Kप म6 उभरा /क आज भारत के न_शे पर कRमीर ,सफ सुर-ा बलN क. दम पर
ह है । ,सख-सं
दायवाद और पंजाब को खा,लतान के Kप म6 वतंh रा:; क. मांग [rटश पज
ूं ी और दे श "वभाजन के
कारण ह संकट के Kप म6 उपजे और दे श को इस समया से Qनजात पाने के ,लए इंदरा गांधी जैसी
धानमंhी असमय
रा:; क. अखtडता क. ब,लवेद पर भ6 ट चढानी पड़ी। यूरोप के अनेक दे शN और सो"वयत संघ का "वघटन "वदे शी पूंजी
के कारण ह हुए। और हम ह7 /क "वदे शी पूंजी के आगमन के ,लए नीQत दर नीQत बनाए जा रहे ह7।
1991 म6 वतमान
धानमंhी और ता'का,लक "व'त मंhी मनमोहन ,संह ने भूमtडलकरण और मु_त बाजारवाद
Iयवथा संबंधी नीQतयN क. शुKआत क. थी। इहं नीQतयN के चलते एक ओर तो दे श के सावजQनक
Qत:ठानN को
बेचने के ,लए पूंजी "वQनमेश का ,सल,सला शुK /कया गया वहं दस
ू र ओर सरकार नौक+रयN म6 भतu पर
Qतबंध लगा
दया गया। ,शc-त बेरोजगारN को नए अवसर न ,मल6 इस,लए के% और राdय सरकारN के सेवारत कमचा+रयN क.
सेवाQनवQृ त क. उ` बढ़ाई गई। "वदे शी पंज
ू ी के
भाव म6 ह एक ओर तो हम दयालतु ा बरतते हुए के% व राdय सरकारN
के प6शनधा+रयN क. प6शन म6 व"ृ L के साथ अय सु"वधाओं पर खच बढ़ाते जा रहे ह7 दसू र ओर युवा शि_त को
बेरोजगार बनाए रखते हुए अराजक प:ृ ठभू,म तैयार करने म6 लगे ह7। /कसी भी रा:; का भ"व:य बेवजह बज
ु ुगY पर अथ
और ऊजा खचने से नहं संवरता, भ"व:य युवा ऊजा को ह दे श के "वकास म6 सकारा'मक ढं ग से जोड़ने से संवरता है ।
N के तारतnय म6 संवेदनशीलता बरतना कोई बुर बात नहं है , ले/कन अनुकंपा के आधार पर कोई नीQत ह बना
बुजग
ल जाए, तो उससे हमारे समाज का नैQतक ताना-बाना Qतर-[बर होता चला जाएगा। चहुंओर फैल अराजकता यह संकेत
दे रह है ।
जब हम जल, जंगल और जमीन "वदे शी शि_तयN और दे शी-"वदे शी बहुरा:;य कंपQनयN के हवाले करते जा रहे ह7 तो
परमाणु ताकत चाहे वह बम के Kप म6 हो अथवा [बजल के Kप म6 /कसके ,लए उपयोगी सा[बत होगी? और /फर इस
परमाणु ऊजा से हमार /कतनी जKरत क. पूQत हो पाएगी? वह भी तब जब बीस साल बाद परमाणु ऊजा को उपयोग
म6 लाए जाने का ,सल,सला शुK होगा। इस ना,भक.य ऊजा से उ'पन होने वाले खतरN क. भी हम अनदे खी कर रहे ह7।
िजन -ेhN म6 यूरेQनयम संबधन का काम होता है और जहां परमाणु सयंh लगाए जाएंगे, वहां के Qनवा,सयN के वाVय
पर परमाणु "व/करण का _या द:ु
भाव पड़ेगा? परमाणु भ#टयN से Qनकलने वाले लाखN टन कचरे के शोधन अथवा
"वन:टकरण का कोई उपाय है हमारे पास? /फलहाल तो हम fलािटक, कnfयूटर और इले_;ोQनक कचरे को ह
ठकाने लगाने का कोई कारगर उपाय नहं खोज पा रहे, तब परमाणु कचरे का _या तलाश पाएंगे? परमाणु ऊजा के
,लए युरेQनयम के भtडार _या अ-य ~ोत बने रह6 गे? यह सवाल भी "वचारनीय है ।
"वदे शी पूंजी के बहाने जो उदारवाद बाजार सुरसामुख क. तरह फैल रहा है वह हमार वदे शी शि_तयN और
आ'मQनभरता के मंhा को लगातार Qनगलता जा रहा है । इह6 बचाना व_त क. जKरत और नीQत Qनयंताओं के सम-
सबसे बड़ी और मह'वपूण चुनौQतयां ह7। आथक उपलि!धयN क. चकाचoध ने दे श क. आंत+रक समयाओं से =यान हटा
दया है । इनके हल समय रहते नहं ढूंढ़े गए तो सो"वयत संध जैसे शि_तशाल दे श के "वखtडन का ह) हमारे सामने
है । /कसी भी दे श का तकनीक. "वकास रा:; क. नैQतक व सांकृQतक ह) क. शत पर नहं /कया जाता? ले/कन
तकनीक. होड़ के "वतार के चलते दे श पर आथक पूंजी का ,शकंजा इसी तरह से कसता चला गया, तो युवा पीढ़ को
दो तरह के खतरे झेलने हNगे, एक तो वह इस "वकास का हसा बनकर वैयि_तक उपभोग म6 लग जाएगी और दस
ू र
वह जो इस "वकास से न जुड़ पाने के रं ज म6 कंु ठत हे ाती चल जायेगी। दोनN ह खतरे युवा पीढ़ को अकेलेपन का
,शकार बना दे ने के राते पर डालने वाले ह7। और /कसी भी दे श का रा:;य व समU "वकास एकाक.पन से नहं
सामूहक सामुदाQयकता से होता है ? इस सामुदाQयक भावना को हम अपने ह बीच म6 "वलो"पत करते जा रहे ह7।
धानमंhी राव समेत सांसदN पर भी मामला चला। ले/कन संसद के "वशेषाधकार के दायरे म6 इस राजनीQतक Z:टाचार
के मामले के आ जाने के कारण यायालय ने लाचार
कट कर द थी। सु
ीम कोट ने इन आरो"पयN को सं"वधान के
इस
ावधान के अंतगत छूट दे द थी /क सांसद को /कसी भी यायालय म6 चुनौती नहं द जा सकती। ये
ावधान
संभवतः सं"वधान Qनमाताओं ने इस,लए रखे हNगे िजससे जन
QतQनध अपने काम को परू Qनभuकता से अंजाम द6। उह6
अपनी अवाम पर इतना भरोसा था /क इस अवाम के बीच से Qनवाचत
QतQनध नैQतक ^ि:ट से इतना मजबूत तो
होगा ह /क +रRवत लेकर न तो अपने मत का
योग करे गा और न ह
Rन पूछेगा? आज सं"वधान Qनमाताओं क.
आ'माऐं अपनी भूल का पRचाताप संसद भवन क. दवारN से ,सर पीटकर कर रह हNगी? इन ग,लयN से बच Qनकलने
के राते जब मुखर होकर
चलन म6 आ गए तो 22 जुलाई को खुद को नीलाम कर दे ने वाले सांसदN क. संlया भी बढ़
गई।
खर वाक् पटु और लोक लुभावन नहं है /क घाट-घाट का पानी पीने वाले सांसद उनसे सnमोहत हो गए हN? इससे तय
है /क स'ता को बचाये रखने और गराये जाने क. कसरत म6 लगे कणधारN ने वे सभी हथकंडे अपनाए जो बाजारवाद
को
)य दे ते ह7। मसलन जमीन बदलने के ,लए धन बंटा, टकट और मंhी पद से नवाज दे ने के मौPखक अनुबंध हुए।
वरना सरकार बचाने म6
मुख भू,मका अ,भनीत करने वाल अमर-मुलायम क. जो जोड़ी परमाणु समझौते का संसद म6
ह जबरदत "वरोध दज करा चुक. थी, वह परमाणु करार के मसौदे म6 [बना कोई त!दल /कए सहमत कैसे हो गई?
इसम6 भी कोई दो राय नहं है /क मायावती के
ेत ने भी अमर-मुलायम को के%य स'ता तंh के सम- शरणागत होने
को "ववश /कया। ले/कन इस पूर कवायद म6 रा:;हत कहां था? धम Qनरपे-ता कहां थी? _या अमे+रक. हतN को
ू करने से ह सaचर कमेट अमल म6 आकर मुस,लम हत साधेगी?
मजबत
अजीत ,संह इस-उस पाले म6 इस,लए डोलते रहे /क भाव कहां dयादा ,मलता है । इस बीच कांUेस से कोई वादा /कए
[बना ह लखनऊ हवाई अ{डे का नामाकरण अपने "पता चौधर चरण,संह के नाम पर करा ह ,लया। /फर भी मायावती
व वामदलN से कुछ dयादा Qनचोड़ लेने के फेर म6 वे चूक ह गए। अब पRचाताप कर रहे हNगे। दे वगौड़ा का रा:;य
दायरा तो इतना संक.ण हो गया है /क उनका सोच
धानमंhी जैस पद पर रह चुकने के बावजूद पा+रवा+रक हत क.
संक.णता से मु_त नहं हो पा रहा है । इस,लए कनाटक सरकार गराने का दtड इहे जनता ने भाजपा को प:ट बहुमत
दे कर दया। अब वैयि_तक हत-साधन म6 लगे दे वगौड़ा और अजीत ,संह जैसे मंडी म6 िजंस बनकर खड़े न हN तो _या
कर6 ?
वामदलN क.
QतबLता को तो हम सलाम करते ह7 ले/कन परमाणु करार के मुOदे पर उनका ^ि:टकोण Qन"ववाद था या
चीन
भा"वत, यह कहना जरा मुिRकल ह है । _यN/क चीन भारत क. सं
भुता व साम+रक शि_त से इस,लए चंQतत
रहता है _यN/क उनक. सीमाएं सट ह7 और तनाव बना रहता है। ऐसे म6 यद परमाणु करार के चलते भारत परमाणु
शि_त से मजबत
ू होता है तो उसक. चंता जायज है । वैसे भी मनमोहन सरकार ने वामपंथयN को करार के दतावेज
यह बहाना बनाकर नहं दखाए /क उहNने गोपनीयता क. शपथ नहं ल है? _या बाजारवाद के माहौल म6 गोपनीयता
को बनाए रखने के ,लए शपथ पयाfत है? वैसे भी वामपंथी दे श के सं"वधान से बड़ा पाट के सं"वधान को मानते ह7
इस,लए उहNने लोकतां[hक और संवैधाQनक ग+रमा को बनाए रखने वाले सोमथान चटजu को पाट से Qन:का,सत करने
म6 कोई दे र नहं लगाई।
नैQतक मापदtडN के पैमाने पर भाजपा भी खर नहं उतर। िजस ,शबू सोरे न क. लालकृ:ण आडवाणी ने मनमोहन,संह
Oवारा मंhी बनाए जाने पर मंhीमtडल म6 अपराधीकरण क. बात कह थी वह आडवाणी "वRवासमत के दौरान ,शबू को
अपने प- म6 लेने के ,लए झारखtड का मुlयमंhी बना दे ने का
लोभन दे रहे थे। _या भाजपा क. यह राजनीQतक
शुचता है ?
बहरहाल वामपंथयN के अंकुश से मु_त होने के बाद सरकार का गठबंधन मनमोहन,संह, पी. चदं बरम ् और मNट6 क,संह
अहलुवा,लया जैसे नव उदारवादयN के हाथ है जो रा:; को बाजारवाद क. मंडी बना दे ने म6 लगे ह7। कृ"ष व /कसान,
खुदरा Iयापार व Iयापार और गरबी रे खा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगN के हत कैसे सध6गे इस पर
अQनिRचता के बादल मंडराने लगे ह7। साथ ह रा:;य Uामीण रोजगार गारं ट और म=याह भोजन जैसी जन
कयाणकार योजनाएं /कस करवट बैठती ह7, सवाल उठने लगे ह7। मंहगाई तो अभी और परवान चढ़े गी। सबकुल
,मलाकर बाजारवाद का ,शकंजा मजबत
ू होता लग रहा है ।
मुख कारण /फजूलखचu और आवRयकता से अधक कमचा+रयN क. भतu रहा है , िजसे नजरअंदाज नहं /कया जा
सकता है ।
यहां गौरतलब यह भी है /क वाPणिdयक अखबार, आथक सुधारN के पैरोकार और कापEरे ट जगत का एक बड़ा गुट
"वमानन कंपQनयN को घाटे से उबारने के ,लए तो बड़े से बड़े राहत पैकेज क. वकालत कर रहा है । ले/कन जब यह
पैकेज गलत आथक नीQतयN के कारण आ'मह'या कर रहे /कसानN को कज से उबारने के ,लए दया जा रहा था तो
इसक. उ_त कापEरे ट जगत के रहनुमा मुखर आलोचना कर रहे थे। यहां तक क. ब7कN के दवा,लया हो जाने तक का
दावा /कया गया था। जब/क बड़े कॉरपोरे ट समूहN और औOयोगक घरानN का बाक. कज नॉन पफा,मyग एसेट (एनपीए)
बताकर माफ कर दया जाता है। +रजब ब7क क. सूची के मुता[बक केवल रा:;यकृत ब7कN को दस लाख करोड़ से dयादा
का चूना दे श के उOयोगपQत अब तक लगा चुके ह7। इस पर ल!बोलुआव यह है /क अब तक कापEरे ट जगत के एक भी
Iयि_त को आ'मह'या करने क. नौबत का सामना नहं करना पड़ा, जब/क लाचार बना दए गए दो लाख से dयादा
/कसान आ'मह'या कर चुके ह7।
इस,लए सरकार धन और
ाकृQतक संपदा के दोहन के बत
ू े पैर पसारने वाल कंपQनयां डूब रह ह7 तो उह6 डूब जाने द6 ।
आम नाग+रक तो इनके डूबने से अ
'य- लाभ म6 ह रहे गा। शहरकरण का दबाव कम होगा। ,श-ा के Iयवसायीकरण
पर अंकुश लगेगा।
ाकृQतक संपदा का दोहन थमेगा। नतीजतन औOयोगक "वकास के बहाने जो आथक "वषमताएं और
सामािजक असमानताएं बढ़ रह ह7 वह भी थमेगीं। इस,लए आथक मंद पर न तो "वच,लत होने क. जKरत है और न
ह घqड़याल आंसू बहाने क.?
फसल/ के घटते म1
ू य और दम तोड़ता 4कसान
वतंhता-
ािfत के समय िजस दे श क. छवी कृ"ष
धान दे श और Uाम आधा+रत अथIयवथा क. थी वह छवी नव6
दशक क. उदारवाद अथIयवथा एवं बहुरा:;य कnपQनयN के दौर म6 आकर दम तोड़ रहे /कसान और उसके Oवारा
आ'मह'या कर लेने क. "ववशता पर आकर अटक गई है । अब सकल रा:;य उ'पाद म6 कृ"ष का योगदान 52
Qतशत
से घटकर 19
Qतशत और कृ"ष "वकास क. औसत दर 4.5
Qतशत से घटकर 3.3
Qतशत रह गई है । दे श के कुल
Qनयात म6 कृ"ष उ'पादN का मूय भी 60
Qतशत से घटकर 10
Qतशत से भी कम रह गया है । इस कठन प+रथQत
के चलते ह 2 लाख से भी dयादा /कसान अब तक आ'मह'या कर चुके है । इसके बावजूद दे श के
धानमंhी गव से
कह रहे ह7 /क जद ह आथक "वकास दर 9-10 फ.सद होने वाल है । बहरहाल "वकास दर के बहाने िजस खुशहाल
का दावा /कया जा रहा है वह गरब को दाल-रोट सती दरN म6 मुहैया कराने के ,लए कारगर सा[बत नहं हो पा रह है ।
/फर ऐसी "वकास दर से आPखर /कसे लाभ हो रहा है ?
यह भारत दे श म6 ह सnभव है /क खेतN म6 हाड़-मांस गलाकर व खून-पसीना बहाकर जो /कसान फसल का उ'पादन कर
बाजार म6 लाकर बेचता है तो उसे अपनी उपज के उतने बािजव दाम नहं ,मलते िजतने /क Iयापार के हाथ आने के
बाद Iयापार को ,मलते ह7। यद Iयापार इसी उपज को पै/कं ग कर rांड म6 बदल दे तो इसके दाम कई गन
ु ा बढ़ जाते
ह7। यह कड़वी सaचाई है /क फसल के मूय पर Qनयंhण /कसान का तो खैर कभी रहा ह नहं, अब सरकार का भी
नहं रह गया है । सरकार का Qनयंhण मूयN पर नहं रहा यह इस बात से भी
माPणत होता है /क महं गाई घटाने के
नाम पर संसद म6 काफ. हं गामे के बाद 28 जून 2006 को अनेक कृ"ष उ'पादN एवं उनसे Qन,मत वतुओं के Qनयात
पर रोक लगा द गई थी, इसके बावजूद Qनयात पर रोक लगी वतुओं क. क.मतN म6 मंद आने क. बजाए तेजी बनी
हुई है । इससे प:ट होता है /क बहुरा:;य कंपQनयN क. ताकत के आगे संसद म6 पा+रत नीयम-अधQनयम उOयोगपQतयN
के सम- झुनझुना माhा रह गए ह7?
वतमान के% सरकार क. पकड़ व दबाव न Iयापा+रक
Qत:ठानN पर है और न ह राdय सरकारN पर। तभी तो 29
अगत 2006 को संसद ने आवRयक वतु अधQनयम पा+रत कर 6 माह तक लागू करने के ,लए राdय सरकारN के
पास भेज दया था। इसम6 वतु क. भtडारण सीमा का भी QनिRचत समय के ,लए
ावधान था। ले/कन इस अधQनयम
को बहुरा:;य कंपQनयN के दबाव के चलते दे श क. /कसी भी राdय सरकार ने लागू नहं /कया। यहाँ तक /क लाल और
केस+रया झtडे थामने वाल सरकारN ने भी नहं? फलवKप महँगाई अQनयं[hत होती चल जा रह है , िजस पर लगाम
लगाने क. इaछाशि_त /फलहाल के% व /कसी भी राdय सरकार म6 दखाई नहं दे ती?
दरअसल नई बाजार Iयवथा म6 मांग और आपूQत का जो अथशाh है और िजस उदारवाद अथशाh के बाद भारत
Qनमाण का तथाकथत विfनल नारा "पछले एक दशक के भीतर गढ़ा जाता रहा है उसने शहर उOयोगपQत को अमीर
से और अमीर जKर बनाया है ले/कन आम आदमी क. कमर तोड़ दे ने के साथ उसक. िजFासा व संभवनाओं को भी
मार ह दया है । आम आदमी एक तरफ कुदरत क. अQतविृ :ट व अपविृ :ट जैसे अ,भशाप झेल रहे ह7 तो दस
ू र तरफ
चकनगुQनया और ड6गू जैसी महामा+रयN का Kप ले चुक. बीमा+रयां उसे डेढ़-दो माह तक खाट ह नहं छोड़ने दे रह ह7।
दखावा व आरामपरत क. आद हो चुक. नौकरशाह अब कर वसूल के ऐसे आसान तरके खोज रह है िजनक.
/5या
वमेव
णाल से संचा,लत हो। ऐसी खोजN म6 सेवा कर का दायरा बढ़ाना
समयावध ब7क जमा योजनाओं पर कर लगाना, [बजल, पानी, डीजल-पे;ोल क. दरN म6 Qनरं तर बढ़ो'तर करते जाना
इसके अलावा थानीय करN का बोझ पथ
ृ क से। जब/क यह नौकरशाह बड़े लोगN पर चढ़े ब7क कजY क. वसूल न तो
ठwक से करते है और न ह करN क. वसूल ईमानदार से कर पाते ह7। यहां तक क. उOयोगपQतयN को [बजल-पानी क.
चोर तो अब सरकार मशीनर ह करा रह है । नौकरशाहN ने नीयम-कानूनN म6 इतनी तकनीक. क,मयां और "वकप
छोड़ दए ह7 /क िजनका लाभ उOयोगपQत व उOयोग धड़ले से उठा रहे ह7। ऐसी खा,मयां व "वकपNकेचलते ,मलावट
खाOय वतुओं व नकल वतुओं के Qनमाण का गोरखधंधा इतने जोरN पर है /क
शासQनक अमले का अब उस पर
कोई काबू ह नहं रह गया है ।
हालां/क ह+रत 5ांQत क. शुKआत के बाद दे श का खाOयान उ'पादन 5 करोड़ टन से बढ़कर 20 करोड़ टन हुआ है ।
ले/कन इसी अनुपात म6 दे श क. आबाद भी 33 करोड़ से बढ़कर एक अरब से ऊपर पहुँच गई है । इसी,लये आबाद के
औसत अनुपात म6 पैदावार को पयाfत ह कहा जा सकता है । कम वषा, अवषा और लगातार घटते भू,मगत जलतर के
चलते ह+रत 5ांQत का दौर भी मुरझाने लगा है और कालांतर म6 खाOयान उतपादन
् तेजी से घटने क. संभावनाएं
बढ़ती जा रह ह7। वैसे भी इस दौर का सबसे dयादा लाभ बड़े /कसानN को ह ,मला। सीमांत व भू,महन कृषक क.
फटे हाल तो और बढ़ ह है? इस /कसान को इस बOतर िथQत से उबारने का भी कोई राता शासन-
शासन को नहं
सूझ रहा है । बहुरा:;य कंपQनयN ने मोडीफाइड जै"वक बीजN के बहाने जKर /कसानN के कामकाज म6 हाथ बंटाने क.
को,शश क.। मगर प+रणाम सामने आने पर ये को,शश6 भयावह मायावी छलावा भर सा[बत हुv। आनुवं,शक खेती के
बहाने जो स!जबाग /कसानN को दखाए थे, फसल पकने पर वे उnमीदN पर खरे नहं उतरे । दस
ू रे , कंपQनयN ने अपनी
धनरा,श वसूलने के ,लए बाहुब,ल लठै त भेजना शुK कर दए। इन बदमाशN क. Qनगाह लाचार /कसान क. बहु-बेटयN क.
इdजत-आबK से खेलने क. भी रह। ऐसी "वकट प+रथQत म6 /कसान आ'मह'या न करे तो _या करे ?
के% सरकार Oवारा दए जा रहे आथक पैकेज भी /कसान को इस दग िथQत से नहं उबार पाएंगे? _यN/क कथत
ु म
आथक पैकेजN का Z:ट नौकरशाह क. ब,ल चढ़ना तय है । /कसान को वाकई पूव िथQत म6 लाने क. मंशा है तो
/कसान क. कथत Kप से हतैषी बनी बहुरा:;य कंपQनयN पर ह लगाम कसनी होगी। _यN/क दे श का गुलामी से लेकर
आजाद भारत म6 बहुरा:;य कंपQनयN के आगमन से पहले का इQतहास /कसी भी ^ि:ट से पढ़ डा,लए उसम6 कहं भी
/कसान आ'मह'या करते नहं ,मलेगा? पूरा भारतीय साह'य उठा लिजए उसम6 भी कहं भी /कसान ने ऐसी "वषम
िथQत का सामना नहं /कया /क उसे आ'मह'या करने क. सोचने क. जKरत भी कभी पड़ी हो । भारतीय /कसान के
चतेरे साह'यकार
ेमचं% का साह'य भी /कसान क. आ'मह'या से पूर तरह अछूता है ? /फलहाल ऐसी इaछाशि_त
के% सरकार म6 दखाई नहं दे ती /क वह इन कंपQनयN पर लगाम लगा सके।
उदारकरण के दौर म6 आम जनता सुखी होने क. बजाए िजस बेरहमी से दख
ु ी हुई है उसका सटक उदाहरण भारतीय
/कसान यूQनयन के नेता और पूव राdयसभा सदय भूपे% ,संह मान ने दे शी हसाब लगाकर पेश /कया है , उनके
अनुसार 1967 म6 एक सौ /कलो गेहूँ म6 121 लटर डीजल आता था, अब ,मलता है माhा 21 लटर। 1967 म6 ह
इतने ह /कलो गेहूँ म6 1800 vट6 और साढ़े नौ बोर सीम6 ट आ जाता था। 206 /कलो गेहूँ म6 एक तोला सोना आ जाता
था। बाजार म6 मूयN क. ऐसी "वषगंQतयN के चलते /कसान क. प'नी सोने का तो _या चांद का भी मंगलसूhा नहं
खरद पा रह है । उसके शरर से अय गहने भी उतरते जा रहे ह7। और हमार सरकार है /क उदारवाद अथIयवथा के
चलते दे श का "वकास होने के जयकारे लगाती जा रह है ।
के% म6 सरकार, दनदयाल उपा=याय का अं'योदयी नारा लगाने वाले अटल [बहार वाजपेयी क. रह हो चाहे पी.वी.
नर,सnहाराव के समय उदारवाद अथIयवथा के ^ि:टगत बहुरा:;य कंपQनयN के ,लए भारत के दरवाजे खोलने वाले
मनमोहन ,संह क.। ये सभी सरकार6 नारे तो समाजवाद के बहाने समाज म6 समरसता लाने के लगाती रह ह7 ले/कन
वातव म6 इन सरकारN ने पँज
ू ीवाद "वकास को ह पुlता कर समाज म6 "वषमता बढ़ाई है । पँज
ू ीवाद "वकास के लzय
क. अवधारणा गढ़ने वाल सरकारN को न तो ईमानदार से फसलN के घटते मूयN क. चंता है और न ह आ'मह'या
कर रहे /कसानN क.?
Qत /कलो [बना मोल व तोल /कये मारा-मारा /फरता था, वह नमक Iयापा+रयN के हाथ का हथयार बनते ह सात-
आठ Kपये /कलो के भाव तक जा पहुंचा है । जब/क नमक को आयोडीन यु_त बनाने क. कैमे; का खच माhा 5-10
पैसे
Qत /कलोUाम भर है । इस,लए आयोqडन यु_त नमक बनाने वाले िजन कारखानN क. संlया सन ् 2000 म6 886
थी, 2006 म6 उनक. संlया बढ़कर 2375 हो गई। इनम6 से कई कंपQनयां बहुरा:;य ह7, िजनका पयापत
् दबाव
यूनीसेफ पर है और इस,लए यूनीसेफ क6% सरकार पर दबाव बनाए हुए है । अब नमक क. महंगाई बढ़ाकर इस Iयापार के
लाभ के खेल के Pखलाड़ी कौन लोग ह7? QनिRचत ह, मजदरू -/कसान और घ6घा रोगी तो नहं?
नमक क. महमा दQु नया म6 आम आदमी क. तरह आम-फहम है । नमक मानव इQतहास क. गाथा म6 बेहद मह'वपूण
वतु रहा है । कभी आदमानव भी वय-
ाPणयN क. दे खादे खी नमक क. च#टान6
ाPणयN क. तज पर ह चाटकर
वाVय लाभ उठाया करते थे। छठवीं शता!द म6 नमक के Iयापार क. शुKआत हुई, तब एक तोला नमक के बदले एक
तोला सोना आसानी से "वQनमय करके ,मल जाया करता था। तब नमक का सेवन खाOय सामUी म6 ,मलाने के अलावा
खाOय सामUी को खराब होने से बचाने के ,लए भी /कया जाता था। मसलन नमक पुरातन युग म6 /sज का काम
करता था।
ा ‘सेलर‘ नामकरण एवं
चलन नमक के
आप लोगN को यह जानकर आRचय होगा /क वेतन अथवा तनlवाह का तजुम
अय वतुओं से "वQनमय के चलते ह हुआ। बताते ह7, रोम क. ‘"वया सले+रया‘ नाम क. सड़क पर नमक क. [ब5. के
,लए दक
ु ान6 लगा करती थीं और फौजी ,सपाह तनlवाह के बदले सले+रयम नमक ह ले ,लया करते थे। यह सले+रयम
कालातर म6 अपZंश होकर ‘सेलर‘ नाम से
चलन म6 आ गया। ईसाई शाhN म6 भी चढ़ावे के Kप म6 नमक क. महमा
का बखान है ।
महा'मा गांधी ने आम आदमी क. दाल-रोट से जुड़े नमक क. महमा का भान आजाद क. लड़ाई म6 कूदने के साथ ह
कर ,लया था। तभी तो उहNने ‘नमक कानून' के माफत अंUेजN Oवारा
Qतबंधत /कये नमक को औजार बनाकर अंUेजी
हुकुमत को बेदखल करने क. जबरदत मुहम ह छे ड़ द थी। नमक से केवल गरब ह
भा"वत नहं था, पूरा समाज
भा"वत हो रहा था। गांधी ने नमक कानून क. अवFा करने से पहले वायसराय को चेतावनी भी द थी /क सरकार
नीQतयां भारत का राजनीQतक, आथक व सांकृQतक शोषण कर रह ह7। ले/कन वतंh भारत म6 गांधी के ह Qन:ठावान
अनुयाQयओं ने आयोडीन के बहाने कानून बनाकर सादा नमक के खाने पर ह कानूनी
Qतबंध लगा, गरब को नमक से
महKम कर दया। और बेचारा दे वदास माझी नमक नहं ,मलने पर खुद क. िजंदगी से ह मौत का खेल, खेल गया?
गांधी क. आ'मा ने कहं दे वदास माझी को नमक के ,लए मरते दे ख ,लया होता और यद उहNने स'ताधीशN से जवाब
तलव /कया होता तो QनिRचत ह हमारे उOयोग-हतैषी क+रRमाई नेताओं ने ऐसी भाषा गढ़कर जवाब दया होता /क
नमक /क महं गाई को लेकर गांधी भी है रान रह गये होते?
बहरहाल नमक के आभाव म6 दे वदास माझी के आ'मह'या कर लेने पर भी के% व राdय सरकारN के नुमाइंदो◌े◌◌
ं ं के
माथे पर कोई ,शकन नहं है । वे अपने को आम आदमी का हमायती बताते हुये Qनरं तर नमक के महं गे होते जाने को
भी आयोडीन नमक वाVय के ,लए अचूक नुखा जताकर भारतीय नमक क. "वRव बाजार से तल ु ना करते हुए सता
ह बता रहे ह7। नतीजतन नमक गरब के ,लए हराम होता जा रहा है । ले/कन अब नमक म6 नु_स Qनकालकर यायालय
म6 जो जनहत याचका लगाई गई है उससे जKर गरब को आशा क. /करण दखाई दे रह है । इन याचकाकताओं ने
यह भी सा[बत /कया है /क सरकार क. संवेदनाओं का नमक भले ह मर गया हो ले/कन आम आदमी क. लड़ाई लड़ने
वाले गांधी अभी िजंदा है ।
भा"वत हुए।
ू रे छोर तक "वतार पाने वाल ये
ाकृQतक आपदाएं अनायास नहं ह7? इनक. प:ृ ठभू,म म6
दQु नया के एक छोर से दस
औOयोगक.करण क.
मुखता है। िजसक. वजह से काबनडाईऑ_साईड के उ'सजन क. माhा म6 लगातार व"ृ L
हो रह है , जो तापमान म6 व"ृ L का करण बनी हुई है । ऊजा उ'पादन के कारण दQु नया म6 काबनडाईऑ_साईड का
उ'सजन वष म6 11.4 अरब टन होने का अनुमान है । सन ् 2000 म6 यह माhा 8.5 अरब टन से भी कम थी। इसम6
चीन के ऊजा संयंh 3.1 अरब टन, अमे+रका के 2.8 तथा भारत के 63.8 करोड़ टन काबनडाईऑ_साईड का उ'सजन
करते ह7। यह ऊजा वैिRवक तापमान को जबरदत तरके से
भा"वत कर रह है । नतीजतन हमालय के
मुख हमनद
इ_क.स फ.सद से भी dयादा संकुचत हे ाकर समु% म6 समा गए ह7। इस कारण समु% का बढ़ता जल तर तटवतu
आबादयN के ,लए बढ़ा खतरा बनता जा रहा है । यद इस बढ़ते जल तर को Qनयं[hत करने के उपाय नहं तलाशे गए
तो करोड़N क. आबाद अपने रहवासN से पलायन करे गी, तब इस मानवीय आपदा को Qनयं[hत करने क. ^ि:ट से शायद
दQु नया क. सार वैFाQनक कह जाने वाल आधुQनक शि_तयां बेकाबू सा[बत हो जाएं। तब अकाल और महामार का
संकट भी सुरसा क. तरह मंुह फैलायेगा, िजस पर पार पाना "वRव क. महाशि_तयN को नमुम/कन ह होगा?
जो ऑटे र् ,लया एक समय दQु नया म6 गेहूं का बड़ा उ'पादक और Qनयातक दे श था, उसी ऑटे र् ,लया म6 पड़े अकाल के
पीछे जलवायु प+रवतन क. अहम भू,मका आंक. गई है । चीन भारत और कई अय "वकासशील दे शN म6 औOयोगक
"वकास ने जलवायु प+रवतन क. उस गQत को बढ़ा दया है, जेा क. पहले ह यूरोप क. उपभो_तावाद जीवन शैल क.
वजह से संकट का सबब बन रह थी। आथक संपनता ने यहां के लोगN म6 कुछ भी खरद लेने क. ताकत बढ़ाई। इस
कारण यहां के लोगN म6 मांसाहार क. आदत बढ़ती गई। अब यद खान-पान क. इस शैल का वैFाQनक ढं ग से पड़ताल
कर6 तो सौ कैलोर के बराबर गौ मांस (बीफ) तैयार करने के ,लए सात सौ कैलोर के बराबर का अनाज खच करना
पड़ता है । इसी
कार यद बकरे और मुगयN के पालन म6 िजतना अनाज खच होता है , उतना अगर सीधे खाना हो तो
वह कहं dयादा लोगN क. भूख ,मटा सकता है । ऐसी ह "वसंगQतयN के चलते भूख और उससे उपजी बीमा+रयN के कारण
Qतदन चौबीस हजार लोग अकाल मौत मारे जाते है । आधुQनक जीवन शैल क. खानपान संबंधी ऐसे ह "वरोधाभासN के
चलते दQु नया म6 प%ह करोड़ से भी dयादा बaचे कुपोषण का ,शकार रहते हुए Qतल-Qतलकर मर रहे है । बहरहाल
Qतवेदन जार /कया है, उसम6 कहा गया है /क दे श म6 गरबी रे खा के नीचे जीवन-यापन करने वाले प+रवारN को "पछले
एक साल म6 मूलभत
ू अQनवाय व जनकयाणकार सेवाओं को
ाfत करने के ,लए तकरबन नौ सौ करोड़ पये क.
+रRवत दे नी पड़ी। यह दलल सांकृQतक प से सjय, मान,सक प से धा,मक और भावना'मक प से कमोवेश
संवेदनशील समाज के ,लए ,सर पीट लेने वाल है । इस अ=ययन ने
कारांतर से यह तय कर दया है /क हमारे दे श म6
सावजQनक "वतरण
णाल, रोजगार गारं ट, म=यान भोजन, पो,लयो उमूलन के साथ वाVय लाभ व भोजन के
अधकार संबंधी योजनाएं /कस हद तक जमीनी तर पर लूट व Z:टाचार क. हसा बनी हुई ह7।
यह कारण है /क
शासQनक पारद,शता के िजतने भी उपाय एक कारगर औजार के प म6 उठाए गए वे सब के सब
कृQतजय वभाव के कारण औरतN को dयादा भूख सहनी पड़ती है । दQु नयाभर म6 भूख क. ,शकार हो रह आबाद म6
से 60
Qतशत महलाएं ह होती ह7। _यN/क उह6 वयं क. -ुधा-पूQत से dयादा अपनी संतान क. भूख ,मटाने क. चंता
होती है । कुछ ऐसी ह वजहN के चलते भूख, कुपोषण व अप पोषण से उपजी बीमा+रयN के कारण हर रोज 12 हजार
औरत6 मौत क. गोद म6 समा जाती ह7। मसलन महज सात सेकेtड म6 एक औरत!
आधी दQु नयां क. हक.कत यह है /क प+रवार को भरपेट भोजन कराने वाल मां को एक समय भी भोजन आधा-अधूरा ह
नसीब हो पाता है । प+रजनN क. सेहत के ,लए तमाम नुखे अपनाने वाल ‘‘hी'' खुद अपना जीवन बचाने के नुखे का
योग नहं करती। अपनी शार+रक रचना क. इसी "वल-ण सहनशीलता के कारण भूखी महलाओं क. संlया म6 इजाफा
हो रहा है ।
1996 म6 हुये "वRव खाOय ,शखर सnमेलन के 12 वष बाद भी दQु नया म6 ऐसे लोगN क. संlया करोड़N म6 है, िजह6
अप पोषण पाकर ह संतोष करना पड़ता है । ऐसे सवाधक 82 करोड़ लोग "वकासशील दे शN म6 रहते ह7। "वRव के करब
15 करोड़ बaचे और 35 करोड़ कुपो"षत महलाओं म6 70 फ.सद ,सफ 10 दे शN म6 रहते ह7 और उनम6 से भी आधे से
अधक केवल दc-ण ए,शया म6 ।
बढ़ती आथक "वकास दर पर गव करने वाले भारत म6 भी कुपो"षत महला व बaचN क. संlया करोड़N म6 है । म=य
दे श,
छ'तीसगढ़, उड़ीसा और [बहार जैसे राdयN म6 कुपोषण के हालात कमोबेश अs.का के इथो"पया, सोमा,लया और चांड
जैसे ह ह7।
म=य
दे श म6 तमाम लोक लुभावन कयाणकार योजनाओं के सरकार तर पर लागू होने के बावजूद नौ हजार से 11
हजार के बीच गभवती महलाओं क. मौत
सव के दौरान हो जाती है । गभावथा या
सव के 42 दन के भीतर यद
महला क. म'ृ यु हो जाती है तो इसे मात'ृ व म'ृ यु दर माना जाता है । इन मौतN म6 50 फ.सद
सव के 24 घंटN के
भीतर, गभावथा के दौरान 25 फ.सद और
सव के 2 से 7 दन के भीतर 25
Qतशत महलाओं क. मौत होती है ।
25
Qतशत महलाओं क. मौत अ'याधक र_तhाव, 14 फ.सद सं5मण, 13 फ.सद उaच र_तचाप से और 13 ह
फ.सद गभपात के कारण महलाएं काल के मुंह म6 समा जाती ह7। शहर -ेh म6 28.2 और Uामीण इलाकN म6 41.8
Qतशत महलाएं मानक तर से नीचे जीवन यापन करने को अ,भशfत ह7।
महानगरN क. झुiगी बितयN म6 रहने वाल महलाओं क. िथQत बेहद चंताजनक है । इन बितयN म6 रहने को
अ,भशfत कुल आबाद म6 से 75
Qतशत महलाएं कमजोर, एनी,मया, आंhाशोथ, ए,मबायो,सस क. ,शकार ह7।
कुपोषण के चलते लकवाUत हो जाना इनक. मौत का
मख ु ई क. झiु गी बितयN म6 रोजाना 700 बaचे
ु कारण है। मंब
पैदा होते ह7 िजनम6 रोजाना 205 मर भी जाते ह7। कथत उदारकरण क. चमक ने गरब के हालात इतने बOतर बना
दए ह7 /क िथQत Qनचोड़ कर सुखाने क. भी नहं रह गई है ।
"पछले डेढ़-दो दशक के भीतर वैिRवक आथक. ने असमानता के हालात इतने भयावह बना दए ह7 /क आज दQु नयां के
20
Qतशत लोगN के हाथN म6 "वRव का 86
Qतशत सकल रा:;य उ'पाद, "वRव का 82
Qतशत Qनयात और 68
Qतशत "वदे शी
'य- Qनवेश है। फो!स प[hका के आवरण क. सुPखयां बनने वाले इन पूंजीपQतयN म6 से भी dयादातर
"वक,सत दे शN के रहनुमा ह7। इसके ठwक उलट "वकासशील दे शN म6 रहने वाले 20
Qतशत लोग ऐसे ह7 जो माhा एक
डॉलर
Qतदन क. आमदनी पर जीवन गुजारने को अ,भशfत ह7। भारत म6 तो 7 करोड़ 30 लाख लोग ऐसे ह7 जो 9
Kपये
Qत रोज क. आय पर जीवन यापन करने को "ववश ह7। ऐसी ह बOहाल क. चलते "वकासशील दे शN के दो करोड़
शहर बaचे
Qतवष द"ू षत पेयजल के सेवन से काल के गाल म6 समा जाते ह7।
असमानता के ऐसे ह हालातN ने भारत म6 ऐसी िथQतयां उपजा दं ह7 /क खnमम म6 एक लाचार महला केा अपताल
का [बल न चुका पाने के कारण अपने कलेजे के टुकड़े को बेचना पड़ा। हालां/क गरबी और भुखमर क. लाचार जो करा
दे , सो कम है /क तज पर छ'तीसगढ़,उडीसा, ब
ु दे लखtड सहत दे श के अय राdयN म6 बaचN को बेचे जाने क. घटनाएं
सुPखयN म6 आना आम हो गई ह7। इन
दे शN म6 गरबी के अ,भशाप के चलते मां-बाप जवान बेटयN को भी बेचने को
अ,भशfत ह7।
वैिRवक आथक. के चलते महलाओं के आथक Kप से मजबतू व वावलंबी होने का
Qतशत बहुत छोटा है । ले/कन इस
आथक. के चलते िजस तेजी से असमानता क. खाई चौड़ी हुई और बढ़ती मंहगाई के कारण आहारजय वतुएं आम
जन क. 5य शि_त से िजस तरह से बाहर हुv, उसका सबसे dयादा खा,मयाजा गरब महला को भुगतना पड़ा है ।
अपने बaचN क. परव+रश क. िजnमेबार के चलते भूख और कुपोषण क. ,शकार भी वह हुई। गरब महला को यद
भूख और कुपोषण से उबारना है तो जKर है /क उदारवाद नीQतयN पर अंकुश लगे और Uामीण आबाद को
कृQत और
ाकृQतक संपदा से जोड़े जाने के उप5म जार हN? तभी नार के समU उ'थान व सबलकरण के सह अथ तलाशे जा
सकते ह7। और तभी खnमम जैसी घटनाओं क. पुनराविृ 'त थमेगी।
बंधन Iयवथा म6 Qनहत ह7। जब तक हम उ'पादक के मूल ~ोत, खेती और उसके साधक /कसान क. सुध नहं ल6गे
तब तक आ
थक सम"ृ L क. पुनरावतu संभव नहं है । गांधी भी भारत क. परं परागत अथIयवथा और थानीयता के
धरातल पर रोजगारमूलक ,श-ा पLQत के
बल प-धर थे। ले/कन हमार सम"ृ L
ाचीन भारतीय Fान परं परा और
गांधी क. सोच दोनN को ह कामोबेश नकार दया गया है । आज हम6 सव
थम आ
थक सम"ृ L क. दशा तय करनी
होगी /क _या हम गांधी क. सोच से उपजने वाल दे शज अथIयवथा चाहते ह7 अथवा मु_त बाजार और उपभोग को
बढ़ावा दे ने वाल अमे+रक. पूंजीवाद अथIयवथा?
योग /कए। कृ"ष भी "व"वध उ'पादनN से जुड़ी। नतीजन अनाज, दलहन, चावल आरै र मसालN क. हजारN /कम6
कृQत क. दे नN को
ाणी जगत के ,लए उपयोगी बनाए रखा। बL
ु महावीर ओर गांधी के दशन म6 यह असंचयी भाव है ।
है रानी क. बात यह है /क वतंhता के बाद तमाम
कार क. शैc-क उपलि!धयां हा,सल कर लेने के बावजूद हम इस
साह'य को न तो धा
मक मायता से "वलग कर पाए और न ह इसका पुनलpखन कर इसे जनोपयोगी बना पाए।
इसक. तह म6 शायद मैकाले क. द हुई वह जड़ता है जो अंUेजी ने घु#ट म6 हम6 "पलाई है । यह कारण है /क आजाद
के बाद हमारा नैQतक और चा+र[hक पतन तेजी से होता चला आ रहा है। स'ता पर का[बज बने रहने क. वाथ ,लfसा
ने हम6 "वराट सांकृQतक परnपरा से काटकर छोटे और -ेhीय वाय'त राdयN क. इकाईयN म6 बांटने हे तु "वषवमन जैसी
भाषा का सहारा ,लया हुआ है । नतीजतन हमम6 अराजक व हंसक
विृ 'तयां घर कर रह ह7। -ेhीयता से जुड़े ऐसे
सांकृQतक दरु ाUह संघीय राdयN क. प:ृ ठभू,म रचने म6 लगे ह7।
खंqडत वतंhता
ािfत के बावजूद भारत उOयोग, कुटर उOयोग, खQनज ओर अय
ाकृQतक संपदा क.
चुर उपल!धता
के चलते अय ए,शयाई दे शN क. तुलना म6 अपे-ाकृत एक धनी दे श था। रे ल और यातायात के अय साधन भी सुलभ
थे। इसके बावजूद पंqडत नेह ने परnपरागत भारतीय अथIयवथा के बजाए ,म)त आ
थक मॉडल अपनाया। आजाद
के त'काल बाद गांधी जी क. ह'या हो जाने के कारण नेह पर गांधी के आ
थक ¯चतन का नैQतक दबाव भी नहं रह
गया था।
यद हम वाकई दे श क. उ'पादन शि_त बढ़ाना चाहते ह7 तो हम6 खेती और /कसान क. सुध लेनी होगी। खेती को घाटे
के सौदे से उबारना होगा। 40
Qतशत /कसान जो जी"वकोपाजन के वैकिपक साधन तलाशने क. उnमीद म6 कृ"ष काय
छोड़ने को त'पर ह7 उह6 कृ"ष आधा+रत छोटे उOयोग, UामN व कबN म6 लगाकर उनसे जोड़ना होगा। भारत म6 /फलहाल
दो
Qतशत कृ"ष उ'पादN को ह
संकृत /कया जाता है, इसम6 व"ृ L क. बहुत संभावना है । यद ऐसा /कया जाता है तो
खेतN म6 गना जलाने और टमाटरN को नालN म6 बहा दे ने के जो हालात Qन
मत होते ह7 उनसे /कसानN को छुटकारा
,मलेगा?
पूंजीवाद लाभ क. इस आ
थक. ने उपभोग क. िजस जीवन शैल को जम दया, उससे हमारे
ाणN को जीवन शि_त
दे ने वाले
ाकृQतक संसाधनN का -रण तो हुआ ह हवा, पानी और ,म#ट को भी द"ू षत कर
ाणी जगत के ,लए
कृQतजनय सुर-ा कवचN को खतरे म6 डाल दया। ऐसे बOतर हालातN के चलते ह iलोबल वा²मग और जलवायु
प+रवतन क. आशंकाएं
कट हुv। कृ"ष का रकबा घटा। िजस कृ"ष पर आधी से dयादा आबाद आ)त है उसक. व"ृ L
दर गरकर 2.6 फ.सद रह गई। मसलन आ
थक "वषमता क. खाई और चौड़ी हो गई। ऐसे म6 माhा कज माफ. से
/कसान क. हालत सुधरने वाल नहं है । भारत क. "वशाल मानव संपदा पूंजीवाद कुच5N और केवल
ौOयोगक.
बंधN
से खुशहाल नहं हो सकती। उ'पादन के कृ"ष जैसे आंत+रक hNतN क. मजबूती और गांधीवाद आ
थक. के अमलकरण
म6 ह आ
थक सम"ृ L के पुरातन Qनहताथ ह7। बहुसंlयक समाज क. शोषण से मुि_त और सामािजक समरसता ह
भारत को समL
ृ व सुखी बना सकती है ।
भूख से भयभीत दे श
दे श को भूख से परािजत होने का भय सता रहा है । इसी कारण हाल ह म6 रा:;पQत
Qतभा पाटल ने दस
ू र ह+रत 5ांQत
लाने का आनान करते हुए भूख के भय को रे खां/कत /कया। दस ू र तरफ
धानमंhी मनमोहन ,संह ने खाOय भंडारN क.
कमी जताते हुए महं गाई के संकट को काबू से बाहर बताया। मुlयमं[hयN के सnमेलन म6 उहNने दालN पर रा:;य
,मशन गठत /कए जाने का ऐलान भी /कया। _यN/क "पछले छह साल से दालN का उ'पादन िथर है और इनक. दरN
म6 बेतहाशा व"ृ L दज क. गई है । दे श के कृ"ष वैFाQनक वामीनाथन ने भी संकेत /कया है /क जलवायु प+रवतन के
चलते धरती का तापमान यद एक qडUी सेिसयस ह बढ़ जाता है तो गेहूं का उ'पादन स'तर लाख टन घट सकता है ।
ये हदायत6 ऐसी भ"व:यवाPणयां ह7 जो प:ट करती ह7 /क यद भूख क. अनदे खी क. गई तो दे श को भयाभय खाOय
सुर-ा के संकट से जूझना पड़ सकता है ।
भूख और खाOयान का भय इस समय भारत म6 ह नहं पूर दQु नया म6 कायम है । संयु_त रा:; "वRव खाOय काय5म
के आकलन ने प:ट /कया है /क दQु नया म6 भूख से पीqड़त लोगN क. संlया बढ़कर एक अरब से ऊपर पहुंच गई है । ये
हालात उस अथIयवथा क. दे न ह7 िजसके चलते हमने असंतु,लत "वकास के ,सLांत को ह मौजूदा जीवन-शैल क.
साथकता मान ,लया। इस कथत आथक और तकनीक. "वकास क. होड़ म6 हमने ऐसे मानवीय नैQतक और सांकृQतक
सरोकारN से भी पला झाड़ ,लया है , जो हम6 संवेदनशील बनाते ह7। नतीजतन जमाखोर और स#टा (वायदा) बाजार क.
द:ु
विृ 'तयN ने महं गाई को आसमान पर पहुंचा दया है । नतीजतन जो गरब बढ़ती महं गाई के पूव गरबी रे खा से नीचे
के दायरे म6 नहं थे वे भी गरबी के दायरे म6 आ गये। गोया, गरब क. पहचान का संकट नए ,सरे से खड़ा हो गया है ।
खाOय सुर-ा का मकसद भूख और कुपोषण को दरू करता है । इस,लए जKर हो जाता है /क इस काय5म का लाभ
उसी तबके को ,मले जो वातव म6 गरब व लाचार है । संयु_त रा:; Oवारा जार "वRव सामािजक िथQत +रपोट 2010
म6 "वकास क. वतमान अवधारणा को झुठलाते हुए खुलासा /कया है /क भारतीय समाज म6 जाQत आधा+रत Iयवथा के
चलते समाज के सबसे कमजोर तबकN क. सामािजक, आथक व शैc-क िथQत समुदाय से बह:कृत मनु:यN क. )ेणी
म6 है । हालात इतने बOतर ह7 /क भोजन क. कमी के चलते द,लत व वंचत प+रवारN म6 जम6 54
Qतशत नवजात ,शशु
औसत वजन से कम होते ह7। इनम6 से भी
Qत हजार म6 Qतरासी बaचे पैदा होने के साथ ह काल के गाल म6 समा जाते
ह7। इसके बाद
Qत एक हजार म6 से 119 ,शशु पांच साल के भीतर चल बसते ह7। जाहर है इन तबकN के लोग भोजन
के अधकार क. यूनतम जKरत और िजदा रहने क. जKर च/क'सा सु"वधा से बाहर ह7।
गरब क. मुकnमल पहचान के साथ यह भी जKर है /क उसके पास सता अनाज खरदने लायक पैसे भी हN? अयथा
क6% सरकार जो ‘खाOय सुर-ा काय5म "वधेयक' ला रह है उसक. साथकता गरब के बजाय दबंगN व धQनयN तक
सी,मत रह जाएगी। दल के आथक शोध संथान ‘नेशनल काउं ,सल ऑफ एfलाइड इकलो,मक +रसच' क. एक सवp
+रपोट के अनुसार दे शभर म6 दो करोड़ से dयादा बीपीएल काड जार /कए जा चुके ह7। इसके बावजूद डेढ़ करोड़ प+रवार
ऐसे ह7 जो काड पा लेने के अधकार -ेh म6 आते ह7। इसके साथ ह अं'योदय अन योजना और ए.ए.वाई. काडधार भी
ह7 जो सता अनाज पाने के हकदार ह7।
"वषमता क. बुQनयाद पर आKढ़ आथक "वकास दे श क. बढ़ आबाद को लगातार खाOय असुर-ा के घेरे म6 धकेल रहा
है । हाल ह म6 जमन और आय+रश क. संथाओं ने दो अ=ययन /कए ह7, िजनम6 उजागर हुआ है /क 84 दे शN के
‘वैिRवक भूख सूचकांक' म6 भारत 65वीं पायदान पर है । इस हक.कत से KबK होने के बावजूद दे श म6 ऐसी नीQतयां
अमल म6 लाई जा रह ह7 िजससे कंपQनयN के कारोबार फल6-फूल6।
दे श क. 66 से 70
Qतशत आबाद क. Qनभरता कृ"ष आधा+रत है । ले/कन दे श क. सकल आय म6 इस आबाद का
हसा केवल 17 फ.सद है । इसके "वपरत Qनजी कंपQनयN क. भागीदार एक
Qतशत से भी कम होने के बावजूद वे
दे श क. सकल आय म6 33 फ.सद का दावा करती ह7। करN और खQनजN से होने वाल आय पर 55
Qतशत दावा
सरकार अमले का है । बावजूद इसके कंपQनयN को करN म6 राहत व कर वसूल म6 ढलाई द जा रह है । 2008-09 म6
क6% सरकार Oवारा कंपQनयN को 4 लाख 18 हजार 95 करोड़ क. राजव करN म6 छूट द गई।
इसके उलट एक ओर तो क6% सरकार रा:;य Uामीण रोजगार गारं ट योजना को पूरे दे श म6 लागू करने का दावा कर
सती व झूठw लोक"
यता बटोर रह है , वहं कंपQनयN को द गई छूट क. तुलना म6 नरे गा को माhा 39 हजार करोड़
पये और सते राशन पर माhा 55 हजार करोड़ पये का ह
ावधान रखा गया है । जब/क कंपQनयN को द गई छूट
जन-कयाण योजनाओं के मद म6 /कए जाने वाले खच क. तुलना म6 करब चार गुना अधक है ।
दे श म6 1984 तक खाOयान उ'पादन व"ृ L क. दर जनसंlया-व"ृ L दर से अधक रह। इस,लए दे श क. समूची आबाद
को अनाज क. आपूQत होती रह। ले/कन इसके बाद औOयोगीकरण और भूमंडलकरण क. आई बाढ़ खेती के ,लए
उपयोगी जमीन और ,संचाई के पानी को क!जाती चल गई। नतीजतन वतमान म6 कृ"ष भू,म का रकबा घटकर ,सफ
12 करोड़ हे _टे यर रह गया है । कालांतर म6 लगातार आती जा रह पानी क. कमी ने भी ,संचत कृ"ष भू,म का रकबा
घटा दया है । वैसे भी हमार 60 फ.सद कृ"ष भू,म हमेशा मानसून पर Qनभर रह है । इन हालातN के द:ु प+रणाम ये
Qनकले /क कृ"ष उ'पादन म6 कुछ समय तो िथरता रह ले/कन अब गरावट दज क. जा रह है । जो खाOयान
उपल!धता 1991 म6
Qत Iयि_त 510 Uाम थी वह घटकर 2007-08 म6 440 Uाम रह गई।
अब तक हमारे दे श म6 गरबी अथवा अप पो"षत लोगN का आकलन आहार म6 मौजूद पोषक त''वN के आधार पर /कया
जाता था। मसलन शहर Iयि_त क. आय इतनी हो /क वह 2100 कैलोर और Uामीण Iयि_त 2400 कैलोर ऊजा दे ने
वाले खाOयान खरद सके। भारतीय च/क'सा अनुसंधान प+रषद क. सलाह है /क
'येक वथ Iयि_त के ,लए 2800
कैलोर ऊजा क. जKरत रहती है । इसे आधार [बद ु माना जाए तो हरे क प+रवार के ,लए 50 से 65 /कलोUाम अनाज,
6 से 8 /कलोUाम दाल और 3 से 5 /कलोUाम तेल ,मलना चाहए। खाOयान क. यह उपल!धता केवल उदरपूQत से
जुड़ी है जब/क मनु:य क. बुQनयाद जKरत6 उदरपूQत के इतर भी ह7।
,लहाजा गरबी क. इस
च,लत अवधारणा को नकारा गया और गरबी नापने क. नई पLQत "वक,सत हुई। िजसम6
पोषक खाOयान के साथ vधन, [बजल, कपड़े और जूते-चfपल शा,मल /कए गए। सुरेश त6 दल
ु कर Oवारा /कए गए
गरबी के आकलन का आधार यह है । इस +रपोट ने तय /कया है /क दे श म6
41 करोड़ लोग ऐसे ह7 जो जीने के अधकार से वंचत रहते हुए भुखमर के दायरे म6 जीने को अ,भशfत ह7। ये आंकड़े
इस हक.कत क. बानगी ह7 /क भारत म6
40 फ.सद से भी dयादा लोग
Qतदन भूखे सोते ह7।
ु कर स,मQत ने तय /कया है /क 41.8
Qतशत आबाद, मसलन 45 करोड़ लोग
Qतमाह
QतIयि_त 447 पये
त6 दल
म6 बमुिRकल जीवन-यापन कर रहे ह7। गोया, तेरह-चौदह पये
Qतदन क. आमदनी से आदमी _या खाए और _या
Qनचोड़े? हमारा गरबी नापने का मानक पैमाना है रानी से आंख6 फाड़ दे ने वाला है । 14 पये से dयादा और 25 पये से
कम आय वाले Uामीण Iयि_त को गरबी रे खा के दायरे म6 माना जाता है । शहर म6 580 पये
Qतमाह कमाने वाला
Iयि_त गरबी के दायरे म6 आता है । "वRव म6
च,लत गरबी क. प+रभाषा के दायरे म6 भारत का आकलन कर6 तो यह
कड़वी सaचाई है /क भारत क. कुल आबाद दQु नया क. कुल आबाद क. 17
Qतशत है , वहं दQु नया के 36
Qतशत
गरब भारत म6 रहते ह7। वैसे हमारे सं"वधान के अनुaछे द 21 म6 जीने के हक का अधकार हरे क नाग+रक को दया गया
है । ले/कन इसे प:ट तौर से प+रभा"षत नहं /कया गया। इस कारण भूख से हुई वात"वक मौत को भी ‘भूख' से हुई
मौत सा[बत करना मुिRकल होता है । ऐसी मौतN को अकसर कुपोषण से हुई मौत मान ,लया जाता है । वैसे कुपोषण भी
पेट भर आहार न ,मलने से उपजी बीमार का ल-ण है ।
हम अमे+रका क. िजन बाजारवाद आथक नीQतयN का अनुकरण करने को 1990 से "ववश हुए, उस अमे+रका क. 20
Qतशत आबाद आज आथक मद और खाOयान क. क.मतN म6 उछाल के चलते दो व_त क. रोट जुटाने म6 तमाम
मुिRकलN से KबK हो रह है । अमे+रका क. ह ‘फूड +रसच एंड ए_शन स6टर' ने एक सवp के बाद खुलासा /कया है /क हर
पांच म6 से एक अमे+रक. भूख से संघष क. िथQत म6 है । ये हालात दे श के हर इलाके म6 ह7। इन कड़वी सaचाइयN के
उजागर होने के बावजूद हम अमे+रक. नीQतयN का जुआ अपने कधN से उतार नहं पा रहे । "वRव क"व रवी%नाथ टै गोर
ने ठwक ह कहा है /क उaच कोट के मानव-समाजN का Qनमाण मुनाफाखोरN Oवारा कभी नहं होता है । वे करोड़पQत
िजहNने बड़ी माhा म6 माल-असबाब का उ'पादन /कया है । उहNने अब तक एक भी मानव सjयता का Qनमाण नहं
/कया। इस,लए अब समय आ गया है /क भूख के भय से मुि_त का उपाय आथक "वकास क. बजाय दे शज कृ"ष
Iयवथा म6 तलाशा जाए?
Qतशत तक बढ़ जाएगी। इस तरह के तूफान दc-ण भारतीय तटN के ,लए "वनाशकार सा[बत हNगे। iलोबल वा²मग का
साफ असर भारत के उ'तर पिRचम -ेh म6 दे खने को ,मलने लगा है । "पछले कुछ सालN म6 मानसून इस -ेh म6 काफ.
नकारा'मक संकेत दखा रहा है । केवल भारत ह नहं इस तरह के संकेत नेपाल, पा/कतान, )ीलंका व बांiलादे श म6 भी
दे खने को ,मल रहे ह7।
दे श के पिRचमी तट िजनम6 उ'तर आं
दे श का कुछ हसा आता है तथा उ'तर-पिRचमी मानसून क. बा+रश बढ़ रह
है और पूवu-पिRचमी मानसून क. बा+रश रह। और पूवu म=य
दे श, उड़ीसा व उ'तर पूवu भारत म6 यह कम होते जा रह
है । पूरे दे श म6 मानसून क. वषा का संतुलन [बगड़ सकता है । iलोबल वा²मग के भारत पर असर क. एक खास बात यह
रहे गी /क स
दयN के मौसम म6 तापमान dयादा बढ़े गा। ,लहाजा स
दयां उतनी कड़क नहं हNगी िजतनी अमुमन होती
ह7। मौसम छोटे होते जाएंगे िजसका सीधा असर वनपQतयN पर पड़ेगा। फलवKप dयादा समय म6 होने वाल सि!जयN
को तो पकने का भी पूरा समय नहं ,मल सकेगा।
"व,भन अ=ययनN ने खुलासा /कया है /क सन ् 2050 तक भारत का धरातलय तापमान 3 qडUी सेिसयस से dयादा
बढ़ चुका होगा। स
दयN के दौरान यद यह उ'तर व म=य भारत म6 3 qडUी सेिसयस तक बढ़े गा तो दc-ण भारत म6
अय पड़ोसी दे शN को भी लल सकता है ।
डॉ. अQनल बी. कुलकणu और उनक. टम Oवारा हमाचल
दे श म6 आने वाले िजन 466 हमनदN के उपUह चhN और
जमीनी पड़ताल के ज+रये जो नतीजे सामने आए ह7, वे चoकाने वाले ह7। सन ् 1962 के बाद से एक वग /कलोमीटर के
-ेhफल वाले 162 हमनदN का आकार 38 फ.सद कम हो गया है । बड़े हमनद तो और तेजी से खिtडत हो रहे ह7। वे
लगभग 12
Qतशत छोटे हो गए ह7। सवp-णN से पता चला है /क हमाचल
दे श के इलाकN म6 "पछले दशकN म6
हमनदN का कुल -ेhफल 2077 वग /कलोमीटर से घटकर 1628 वग /कलोमीटर रह गया है । मसलन बीते चार दशकN
म6 हमनदN का आकार 21 फ.सद घट गया है । अ=ययनN से पता चलता है /क हमालय के dयादातर हमनद अगले
चार दशकN म6 /कसी दल
ु भ
ाणी क. तरह लुfत हो जाएं◌े◌ंगे। यद ये हमनद लुfत होते ह7 तो भारत क. पन [बजल
प+रयोजनाएं भयंकर संकट से Qघर जाएगीं। फसलN को भी पानी का जबरदत संकट झेलना होगा और मौसम म6 थायी
प+रवतन आ जायेगा। ये प+रवतन मानव एवं पVृ वी पर जीवन के ,लए अ'यंत खतरनाक ह7।
जलवायु म6 Qनरं तर हो रहे प+रवतन के कारण दQु नया भर म6 पc-यN क. 72 फ.सद
जाQतयN पर "वलुfत होने का
खतरा मंडरा रहा है । वड वाइड लाइफ फंड क. हा,लया +रपोट के अनुसार इह6 बचाने का यह समय है । केया म6
संयु_त रा:; सnमेलन म6 जार
Qतवेदन के अनुसार वातावरण म6 हो रहे "वRवIयापी "वनाशकार प+रवतन से सबसे
dयादा खतरा क.टभ-ी
वासी पc-यN, हाQन5.पस और ठं डे पानी म6 रहने वाले प-ी प6iयूइन के ,लए है । पc-यN ने
संकेत दे ना शुK कर दए है /क iलोबल वा²मग ने दQु नया भर के जीवN के प+रिथQतक.य तंh म6 स6ध लगा ल है । इन
सब संकेतN और चेतावQनयN के बावजुद इंसान नहं चेतता है तो उसे समु% के लगातार बढ़ रहे जलतर म6 डुबक.
लगानी ह होगी।
मुख Uीन हाउस गैस काबन डाईऑ_साइड +रकाड तर पर पहुंच गई है । इस समय इसका घन'व 387पीपी.एम हो
गया है, जो /क औOयोगक 5ांQत के समय मौजूदा तर से 40 फ.सद dयादा है । दस
ू र तरफ जलवायु प+रवतन से
उपजे संकट लोगN का मान,सक वाVय [बगाड़ रहे ह7। बड़ी औOयोगक, ,संचाई व वन प+रयोजनाओं को अमल के
प+र
ेzय म6 िजन वनवा,सयN को "वथा"पत /कया गया है , उनका समुचत पुनवास न होने के कारण उनक. आय है रानी
क. हद तक घट है और उनका जीवन यापन /कसी तरह भगवान भरासे चल रहा है ।
दQु नया म6 औOयौगक 5ांQत का "वतार िजस गQत से हो रहा है उसी गQत से पयावरण का "वनाश भी हो रहा है । "वRव
वाVय संगठन क. हाल ह म6 आई एक +रपोट म6 दशाया गया है /क पयावरण म6 सुधार लाकर हर साल होने वाल
एक करोड़ तीस लाख मौतN को रोका जा सकता है और कुछ दे शN म6 "व,भन बीमा+रयN के कारण होने वाले एक Qतहाई
ू ण,
द"ू षत काय थल, "व/करण,
आथक खच को भी कम /कया जा सकता है । पयावरणीय घातक कारकN म6
दष
शोर, कृ"ष संबंधी जोPखम, क.टनाशक, जीवाRम vधन और जलवायु प+रवतन ह7। दQु नयां के 23 दे शN म6 दस
Qतशत से
अधक मौत6 गंदगी, खराब मल "वसजन Iयवथा, द"ू षत पेयजल और घरN म6 भोजन पकाने के ,लए लकड़ी या गोबर के
कंडN के
योग से होती ह7। इन घातक कारकN म6 सबसे dयादा
भा"वत दे शN म6 अंगोला, बुर/कना, फासो, माल और
ू ण होता है , िजसका द:ु
भाव
अफगाQनतान ह7। भारत म6 भी जीवाRम vधन के बड़ी माhा म6 इतेमाल से वायु
दष
Uामीण अंचलN म6 दे खने को ,मलता है ।
पयावरणीय घातक कारकN का सबसे अधक
भाव कम आय वाले दे शN पर पड़ता है । शोध बताते ह7 /क कम आय वाले
दे शN म6 रहने वाले हर Iयि_त का वाVय जीवन उaच आय वाले दे शN म6 रहने वाले Iयि_त के मुकाबले हरसालबीस
गन
ु ा कम होता जाता है । जब/क ये आंकड़े इस बात को भी प:ट करते ह7 /क आज दQु नया म6 कोई भी दे श पयावरणीय
घातक कारकN के
भाव से अछूता नहं है । यहां तक क. िजन दे शN म6 पयावरणीय िथQत अaछw है वे पयावरणीय
घातक कारकN से होने वाल बीमा+रयN के कारण पड़ने वाले आथक बोझ का छह म6 से एक भाग कम कर सकते ह7।
इतना ह नहं पयावरणीय घातक कारकN म6 सध
ु ार लाकर दय संबंधी रोगN और सडक दघ
ु ट
नाओं म6 भी कमी लाई जा
सकती है ।
औOयौगक.करण क. सुरसामुखी भूख, खदानN म6 वैOय-अवैOय उ'खनन, जंगलN का सफाया और Iयापार के ,लए जल
~ोतN पर क!जे क. हवस बढ़ जाने के कारण हमारे यहां भी वनवा,सयN के हालात भयावह हुए ह7। "पछले 35-40 साल
के भीतर करब चार करोड़ आदवासी आधुQनक "वकास क. प+रयोजनाएं खड़ी करने के ,लए अपने पुRतैनी अधकार -ेhN
जल, जंगल और जमीन से खदे ड़े गए ह7। िजनका उचत पन
ु व
ास लालफ.ताशाह और Z:टाचार के चलते आज तक नहं
हो पाया है । अपने जायज हकN के ,लए जब ये अनपढ़ और साधन"वहन वनवासी संघष करते ह7 तो इह6 कानूनी
पे◌े◌ंचीदगयN म6 उलझा दया जाता है । वन "वभाग और िजला
शासन क. ये हरकत6 इह6 वन और वय
ाPणयN का
शhा◌ु बना दे ने के ,लए भी बा=य करती ह7। छ'तीसगढ़, आं
दे श और उडीसा म6 पसरा न_सलवाद गलत वन नीQतयN
का भी द:ु प+रणाम है ।
अकेले म=य
दे श क. ह बात कर6 तो वय
ाPणयN के
जनन, आहार, आवास और संवLन क. ^ि:ट से ऐसे दस
Qतशत वन UामN को "वथा"पत क. जाने क. कायवाह जार है जो रा:;य उOयानN व अjयारtय -ेhN म6 बसे ह7। ऐसे
कुल 784 UामN क. पहचान क. गई है , िजनम6 82 Uाम या तो बेदखल कर दए गए ह7 या उनक. बेदखल का
,सल,सला जार है । वन "वभाग दावा तो यह करता है /क ऐसे 19 हजार 908 प+रवारN को "वकास क. मुlय धारा म6
ु यधारा का वfनलोक तब दरक गया जब ,शवपरु के माधव रा:;य उOयान, Rयोपरु के
लाया जा रहा है । ले/कन मl
कूनN पालपुर अjयारtय और सतपुड़ा टाइगर +रजव फारे ट -ेhN से िजन रहवा,सयN क. बेदखल के बाद उनक. आथक
आय और जीवन तर का आकलन /कया गया तो पाया गया /क इनक. आमदनी 50 से 90
Qतशत तक घट गई है ।
उड़ीसा के अjयारणयN से "वथा"पतN का भी यह ह) हुआ। कनाटक के [ब,लगर रं गावामी मंदर अjयारtय म6 लगी
पाबंद के कारण सो,लंगा आदवा,सयN को दो दन म6 एक ह मतबा भोजन नसीब हो रहा है । ऐसा ह ह) बड़ी बांध
प+रयोजनाओं के ,लए /कए गए "वथा"पतN का है । ऐसे ह लोग ‘‘भारत क. रा:;य
Qतदश'' +रपोट म6 शा,मल ह7,
िजनक. आमदनी
Qतदन माhा नौ Kपये आंक. गई है ।
एक बड़ी आबाद पर ये संकट पयावरणीय "वनाश का नतीजा ह7। यद हम6 इस आबाद के
Qत जरा भी सहानुभूQत है तो
त'काल उन वन नीQतयN को बदलने क. जKरत है , िजससे जैव "व"वधता, जल ~ोत और आदवासी कह जाने वाल
मानव नलN को बचाया जा सके। इनके भ"व:य से हम Pखलवाड़ कर6 गे तो हमार पीढ़यN का भ"व:य भी सुरc-त रहने
वाला नहं है । _यN/क आम लोगN क. उदासीनता और आथक असुर-ा उनम6 आ5ोश और
Qतकार क. भावना जगा रह
है । हाल ह म6 कूनो पालपुर अjयारtय के "वथा"पतN और वनक,मयN के बीच टकराव के हालात ऐसे ह असंतोष क.
उपज ह7।
बेतहाशा हुई औOयौगक 5ांQत के ह द:ु फलवKप जलवायु प+रवतन हुआ। वायुमtडल म6 काबन डाईऑ_साइड के घन'व
म6 हुई बढ़त ने पVृ वी क. जो
Qतवष अरबN टन काबन सोखने क. -मता थी, वह -मता कम हुई। Uीन हाउस गैस6
िजतनी बड़ी माhा म6 उ'सिजत क. जा रह ह7 उनके द:ु
भाव को 25
Qतशत सोखने क. ह -मता अब पVृ वी म6 रह
गई है । यह पयावरणीय "वकास मानव और
ाणी समुदायN के ,लए घातक ,सL हो रहा है ।
जलवायु प+रवतन के चलते सामने आ रह
ाकृQतक आपदाएं Iयि_त के वाVय पर
Qतकूल असर डाल रह ह7।
सुनामी च5वात के बाद 20 से 30
Qतशत लोग मनोवैFाQनक "वकारN क. गर|त म6 थे। अमे+रका म6 आया समु%
तूफान कैटरना भी मान,सक "वकारN का कारण बना। उड़ीसा म6 आया तूफान भी लोगN के ,लए मान,सक संकट बना।
जलवायु प+रवतन से उपजी आपदाएं कृ"ष पर Qनभर रहने वाले लोगN पर भी असरकार सा[बत हो रह ह7। भारत के
/कसान इस प+रवतन के सबसे dयादा ,शकार हुए। /कसानN ने सूखे क. मार झेल। उन पर दे नदा+रयां बढ़ं। नतीजतन
/कसानN ने बड़ी संlया म6 आ'मह'याएं क.। भार भरकम पैकेज के बाद भी यह ,सल,सला अभी थमा नहं है । यह
कारण है /क 71 हजार करोड़ के कृ"ष ऋण पैकेज क. घोषणा के वाबजूद 448 /कसान आ'मह'या कर चुके ह7।
पयावरणीय "वनाश का "वकप मनु:य के हाथ म6 नहं है । इस,लए जKर है /क औOयौगक "वकास को लगाम लगाई
जाए। यह कथत 5ांQत थमती है तो पयावरण क.
कृQत वभा"वक "वकास करे गी और पयावरण सुरc-त होगा तो उन
मौतN को रोका जा सकेगा जो पयावरणीय -Qत के कारण हो रह ह7।
मुसीबत का मानसून
"पछले कुछ सालN से मानसून तबाह क. मुसीबत6 लेकर आ रहा है । मौसम के इस बदले ,मजाज को लेकर पूर दQु नया
म6 अफरा-तफर मची है । वैFाQनकN के कुछ समूह इसे भू-मंडल म6 बढ़ते तापमान का कारण मान रहे ह7 तो कुछ मौसम
प+रवतन क. इन भ"व:यवाPणयN को नकारते हुए कह रहे ह7 /क जब मौसम के ,सल,सले म6 ता'का,लक भा"व:यवाPणयां
सटक नहं बैठ रह तो सौ साल के पूवानुमानN पर कैसे "वRवास /कया जा सकता है । बहरहाल मौसम वैFाQनकN क.
अटकल6 कुछ भी हN बरसात के Kप म6
कृQत का कहर कठोर Qनममता के साथ जार है ।
जून माह से मानसून आ जाने क. अटकलN का दौर शुK हो जाता है । यद औसत मानसून आये तो दे श म6 ह+रयाल
और सम"ृ L क. संभावना बढ़ती है और औसत से कम आये तो पपड़ाई धरती और अकाल क. 5ूर परछाईयां दे खने म6
आती ह7। ले/कन इस बार मौसम "वFाQनयN क. भ"व:यवाPणयN से परे मानसून ने जो तेवर दखाये ह7 उससे दे श के
दc-णी और पिRचमी भारत का बहुत बड़ा भू-भाग बाढ़ क. "वमयकार चपेट म6 है, तो उ'तर भारत कमोबेश औसत से
कम वषा होने के कारण /फलहाल सूखे क. आशंकाओं से Uत है । मानसून क. इस लला के आंख,मचौनी खेल क.
पड़ताल आधुQनक तकनीक से समL
ृ मौसम "वभाग आPखर ठwक समय पर _यN नहं कर पाता और _यN तबाह के
मंजर म6 स7कड़N लोगN क. जान और अरबN-खरबN का नुकसान दे श को उठाना पड़ता है ....?
टवी समाचार चैनल खोलने और समाचार पhN के पने पलटने पर
मुखता से बाढ़ से तबाह क. खबर6 दे खने व सुनने
को ,मल रह ह7। बाढ़ से आई तबाह का आंकलन कर6 तो पता चलता है /क 32 हजार गांव हर साल बाढ़ का कहर
झेलते ह7। 2 करोड़ लोगN पर मानसून क. मार सीधे-सीधे पड़ती है । 22 लाख घर जमींदोज हो जाते ह7। 18 लाख
हे _टे यर फसल न:ट हो जाती है, िजससे 20 लाख /कसान
भा"वत होते ह7। अब तो बाढ़ का
कोप मुंबई, कोलकाता,
अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, राजकोट, ना,सक, रायगढ़, रायपरु आद "वक,सत माने जाने वाले शहरN म6 भी दे खा जाने
लगा है । स7कड़N नगरय लोग और मवेशी बे-मौत मार जा रहे ह7।
मौसम "वभाग Oवारा कुछ -ेhN म6 औसत अथवा कुछ म6 औसत से कम बा+रश होने क. संभावना जताई थी ले/कन वषा
ऋतु ने जबदत बरसकर यह बाढ़ का कहर बरपा दया। आPखर हमारे मौसम वैFाQनकN के पव
ू ानुमान आसन संकटN
क. _यN सटक जानकार दे ने म6 खरे नहं उतरते? _या हमारे पास तकनीक. Fान अथवा साधन कम ह7 अथवा हम
उनके संकेत समझने म6 अ-म ह7...? मौसम वैFाQनकN क. बात मान6 तो जब उ'तर-पिRचमी भारत म6 मई-जून तपता है
और भीषण गमu पड़ती है तब कम दाव का -ेh बनता है । इस कम दाव वाले -ेh क. ओर दc-णी गोलाध से भूम=य
रे खा के Qनकट से हवाऐं दौड़ती ह7। दस
ू र तरफ धरती क. प+र5मा सूरज के गद अपनी धुर पर जार रहती है । Qनरं तर
च_कर लगाने क. इस
/5या से हवाओं म6 मंथन होता है और उह6 नई दशा ,मलती है । इस तरह दc-णी गोलाध से
आ रह दc-णी-प◌ूवu हवाऐं भूम=य रे खा को पार करते ह पलटकर कम दबाव वाले -ेh क. ओर गQतमान हो जाती
ह7◌ं। ये हवाऐं भारत म6
वेश करने के बाद हमालय से टकराकर दो हसN म6 "वभािजत होती ह7। इनम6 से एक हसा
ू रा बंगाल क. खाड़ी क. ओर से
वेश कर उड़ीसा,
अरब सागर क. ओर से केरल के तट म6
वेश करता है और दस
पिRचम बंगाल, [बहार, झारखtड, पूवu उ'तर
दे श, उ'तरांचल, हमाचल ह+रयाणा और पंजाब तक बरसती ह7। अरब
सागर से दc-ण भारत म6
वेश करने वाल हवाऐं आ
दे श, कनाटक, महारा:;, म=य
दे श और राजथान म6
बरसती ह7। इन मानसूनी हवाओं पर भूम=य और कRयप सागर के ऊपर बहने वाल हवाओं के ,मजाज का
भाव भी
पड़ता है ।
शांत महासागर के ऊपर
वाहमान हवाऐं भी हमारे मानसून पर असर डालती ह7। वायुमtडल के इन -ेhN म6
जब "वपरत प+रिथQत Qन,मत होती है तो मानसून के ख म6 प+रवतन होता है और वह कम या dयादा बरसाती Kप
म6 भारतीय धरती पर गरता है ।
महासागरN क. सतह पर
वाहत वायुमtडल क. हरे क हलचल पर मौसम "वFाQनयN को इनके ,भन-,भन ऊंचाईयN पर
Qन,मत यंh तापमान और हवा के दबाव, गQत और दशा पर Qनगाह रखते ह7। इसके ,लये कnfयूटरN, गु!बारN, वायुयानN,
समु% जहाजN और रडारN से लेकर उपUहN तक क. सहायता ल जाती है । इनसे जो आंकड़6 इक#ठे होते ह7 उनका
"वRलेषण कर मौसम का पव ु ान लगाया जाता है । हमारे दे श म6 1875 म6 मौसम "वभाग क. बQु नयाद रखी गई थी।
ू ानम
आजाद के बाद से मौसम "वभाग म6 आधुQनक संसाधनN का Qनरं तर "वतार होता चला आ रहा है । "वभाग के पास
550 भू-वेधशालाय6, 63 गु!बारा के%, 32 रे qडयो पवन वेधशालाएं, 11 तूफान संवद
े और 8 तूफान सचेतक रडार के%
ह7, 8 उपUह चhा
ेषण और Uाह के% ह7। इसके अलावा वषा दज करने वाले 5 हजार पानी के भाप बनकर हवा होने
पर Qनगाह रखने वाले के% 214 पेड़ पौधN क. पि'तयN से होने वाले वा:पीकरण को मापने वाले, 35 तथा 38
"व/करणमापी एवं 48 भूकंपमापी वेधशालाऐं ह7। अब तो अंत+र- म6 छोड़े गये उपUहN के मा=यम से सीधे मौसम क.
जानकार कnfयूटरN म6 दज हो रह है ।
बरसने वाले बादल बनने के ,लये गरम हवाओं म6 नमी का समवय जKर होता है । हवाऐं जैसे-जैसे ऊंची उठती ह7
तापमान गरता जाता है । अनुमान के मुता[बक
Qत एक हजार मीटर क. ऊंचाई पर पारा 6 qडUी नीचे आ जाता है । यह
अनुपात वायुमtडल क. सबसे ऊपर परत ;ोपोपॉज तक चलता है । इस परत क. ऊंचाई यद भम
ू =य रे खा पर नाप6 तो
करब 15 हजार मीटर बैठती है । यहां इसका तापमान लगभग शूय से 85 qडUी सेटUेड नीचे पाया गया। यह परत
धु ्रव
दे शN के ऊपर कुल 6 हजार मीटर क. ऊंचाई पर भी बन जाती है । और तापमान शूय से 50 qडUी सेटUेड
नीचे होता है । इसी परत के नीचे मौसम का गोला या ;ोपोिफयर होता है , िजसम6 बड़ी माhा म6 भाप होती है । यह भाप
ऊपर उठने पर ;ोपोपॉज के संपक म6 आती है । ठं डी होने पर भाप %"वत होकर पानी क. नहं-नहं बूंद6 बनाती है ।
पVृ वी से 5-10 /कलोमीटर ऊपर तक जो बादल बनते ह7 उनम6 बफ के बेहद बारक कण भी होते ह7। पानी क. बूंद6 और
बफ के कण ,मलकर बड़ी बूंदN म6 त!दल होते ह7 और बषा के Kप म6 धरती पर टपकना शुK होते ह7।
दQु नया के /कसी अय दे श म6 मौसम इतना दलचप, हलचल भरा और
भावकार नहं है िजतना /क भारत म6 , इसका
मुlय कारण है भारतीय
ायदप क. "वल-ण भौगो,लक िथQत। हमारे यहां एक ओर अरब सागर और दस
ू र ओर
बंगाल क. खाड़ी है और ऊपर हमालय के ,शखर। इस कारण हमारे दे श का जलवायु "व"वधतापण
ू होने के साथ
ाPणयN
के ,लये बेहद हतकार है । इसी,लये परू े दQु नया के मौसम वैFाQनक भारतीय मौसम को परखने म6 अपनी मनीषा लगाते
रहते ह7। इतने अनूठे मौसम का
भाव दे श क. धरती पर _या पड़ेगा इसक. भ"व:यवाणी करने म6 हमारे वैFाQनक _यN
अ-म रहते ह7 इस ,सल,सले म6
,सL वैFाQनक डॉ. राम )ीवातव का कहना है /क सुपर कnfयूटरN का बड़ा जखीरा
हमारे मौसम "वभाग के पास होने के बावजूद सटक भ"व:यवाPणयां इस,लये नहं कर पाते _यN/क हम कnfयूटरN क.
भाषा ''अलगो+रथम'' नहं पढ़ पाते। वातव म6 हम6 सटक भ"व:यवाणी के ,लये माhा दो सुपर कnfयूटरN क. जKरत है,
ले/कन हमने करोडN Kपये खच करके ए_स.एम.जी. के-14 कnfयूटर आयात /कये ह7। अब इनके 108 ट,मनल काम
नहं कर रहे ह7, _यN/क इनम6 दज आयाQतत भाषा अलगो+रथम पढ़ने म6 हम अ-म ह7। कnfयट
ू र भले ह आयाQतत हN
ले/कन इनम6 मानसून के डाटा मरण म6 डालने के ,लये जो भाषा हो, वह दे शी हो, हम6 सफल भ"व:यवाणी के ,लये
कnfयूटर क. दे शी भाषा "वक,सत करनी होगी _यN/क अरब सागर, बंगाल क. खाड़ी और हमालय भारत म6 है , अमे+रका
अथवा [rटे न म6 नहं। ,लहाजा जब हम बषा के आधार )ोत क. भाषा पढ़ने व संकेत परखने म6 स-म हो जाऐंगे तो
मौसम क. भ"व:यवाणी सटक बैठने लग6 गी।
हांलाक. मौसम क. भ"व:यवाPणयां बांच लेने भर से िथQतयां नहं बदल जातीं। वैसे मानसून क. जटलता को दे खते हुए
यह कहा जा सकता है /क सारे
ासंगक आंकड़N क. पहचान करना, उह6 नापना और उनका "वRलेषण करना आसान
काम नहं है यद ये -मताएं "वक,सत होती ह7 तो क. गv भ"व:यवाPणयां भी मौसम पर खर उतरने क. उnमीद क. जा
सकती है ।
Qतबंध लगाने थे। अमे+रका ने अs.का म6 इस सं5मण के फैलने का आधार बताया /क वहां समल7गक और यौन
़
संबंधN म6 उमु_तता तो है ह, वैRयावQृ त भी बहुत बडे तर पर है । ले/कन _या यह उमु_तता अमेरका तथा अय
पिRचमी दे शN म6 नहं है ? बिक यौन संबंधN के मामलN म6 पिRचमी दे शN क. और बदतर हालत है । यह तVय इस बात
से भी स'या"पत होता है /क दQु नया म6 सबसे dयादा यौन अपराध अमेरका म6 होते ह7। ले/कन यह सवाल जब अमेरका
के सम- उठाया जाता है तो उसका जवाब होता है /क हमने इस महामार पर अकंु श लगाने के ,लए अ'याधुQनक दवाओं
एवं संसाधनN का आ"व:कार कर ,लया है । फलवKप ए{स हमारे यहां काबू म6 है और अब इस पर "वकासशील दे शN को
Qनयंhण क. जKरत है ।
भारत म6 भारत के Pखलाफ जो हला बोला जा रहा है, उससे जाहर होता है /क इसे एक सािजश के तहत हथयार के
Kप म6 इतेमाल /कया जा रहा है । यह बात ए{स रोगयN के ,सल,सले म6 सरकार और गैर सरकार आंकड़N से एकदम
साफ हो जाती है । सरकार आंकड़N के अनुसार अब तक 27 हजार लोगN म6 ए{स के एचआईवी जीवाणु पाए गए ह7,
जब/क हमारे दे श म6 अमेरका और अय पिRचमी दे शN क. आथक मदद से चलने वाले Qनजी वाVय संगठनN का यह
आंकड़ा 25 लाख पर जाकर ठहरता है । यह नहं लंदन के टे _सवैल "वRव"वOयालय Oवारा /कये गये अ=ययन क. जो
+रपEट सामने आई है उसके अनुसार तो भारत क. एक चौथाई आबाद पर इस रोग के सं5मण का खतरा मंडरा रहा है ।
+रपोट म6 कहा गया है क. भारत म6 कम से कम 22 करोड़ 30 लाख मद सै_स के मामले म6 स/5य ह7 इनम6 से 10
Qतशत वैRयागामी ह7। मसलन भारत म6 कुल वयक पK
ु षN क. संlया म6 से आधे से कहं dयादा रोजी रोट क. चंता
छोड़ सै_स के फेर म6 लगे रहते ह7। यद इस संlया म6 संभा"वत ए{स के सं5मण से पीqड़त महलाओं और बaचN को
ू रा नाग+रक ए{स क. गर|त म6 होना चाहए?
जोड़ दया जाए तो भारत का हर दस
अब सवाल यह उठता है /क वातव म6 ए{स क. महामार भारत के ,लए आसन खतरा है और अमेरका ने इस पर
Qनयंhण के ,लए दवाएं खोज ल ह7 तो वह मानवता के नाते भारत व अय "वकासशील दे शN को दवाएं व तकनीक
उपल!ध _यN नहं करता? ए{स का Qनदान खोजने के संदभ म6 भारत क. हालत भी हायापद है। भारत इस समया
से Qनपटने के ,लए बQु नयाद और थाई हल तलाशने क. बजाय ए{स के ,लए जो धनरा,श बंटत कर रहा है, वह ए{स
के संदभ म6
चार-
सार, प+रचचा तथा गोि:ठयN क. मद म6 श,मल है । जब/क एकाध करोड़ खच करके एक आधुQनक
योगशाला सुसिdजत क. जाए और उसम6 ए{स के जीवाणु का गंभीरता से अ=ययन कर उसके जम क. जड़ से लेकर
अंत करने के उपाय तलाशे जाएं? ले/कन अभी तक हमार सरकार के हाथN ऐसी कोई कारगर योजना नहं है ।
भारतीय च+रhा के मामले म6 मल
ू तः सांकृQतक संकार व सरोकार वाले ह7। उनके Iयवहार म6 प+रवार व समाज के तर
पर +रRतN म6 मयादा क. एक लzमण रे खा है , िजसे लांघ कर पशचमी
् दे शN क. तरह यौन आनंद क. सामािजक
वीकृQत कभी नह बन सकती? जब/क पिRचमी दे शN म6 यौन संबंधN को लेकर hी व पुKषN के बीच जो "व5Qत,
उमु_तता और सै_स क. जो अQनवायता है उसकेचलते ए{स जैसी महामर का खतरा भारत क. अपे-ा पिRचमी दे शN
को अधक है ।
भारत के बु"Lजीवी भी इस महामार के संदभ म6 नए ,सरे से सोचने लगे ह7। उनका कहना है /क ए{स दQु नया क.
बीमा+रयN म6 एक माhा ऐसी बीमार है जो दन-हन, लाचार, कमजोर और गरब लोगN को ह गर|त म6 लेती है, ऐसा
_यN? ए{स से पीqड़त अभी तक िजतने भी मरज सामने आये ह7 उनम6 न कोई उOयोगपQत है , न राजनेता, न आला
अधकार, न डा_टर-इजीQनयर, न लेखक-पhाकार और न ह जन सामाय म6 अलग पहचान बनाये रखने वाला कोई
Iयि_त? जब/क अय बीमा+रयां के साथ ऐसा नहं है । इससे प:ट होता है /क ए{स के मूल म6 _या है और उसका
उपचार कैसे संभव है अभी साफ नहं है । इस पर अभी खुले दमाग से नये अनुसंधानN क. और जKरत है । ए{स से
बचाव को लेकर ‘कंडोम' को अपनाऐं जाने पर िजस तरह से जोर दया जा रहा है उससे प+रभा"षत होता है /क ए{स क.
बचाव क. बजाए कंडोम के Iयापार के "वतार पर जोर dयादा है ।
Qतदन उगलती ह7। इन उपकरणN क. बढ़ती जKरत और खपत के चलते यह अंदाज भी लगाया जा रहा है /क साल
2012 तक इस कचरे क. माhा बढ़कर दो गुनी हो जाएगी। यानी 15 फ.सद क. दर से यह कचरा बढ़े गा और एक साल
म6 इसका वजन आठ लाख टन होगा। बीते साल इस कचरे का वजन तीन लाख 80 हजार टन था। इस कचरे म6 एक
अनुमान के मुता[बक 50 हजार टन वह कचरा भी शा,मल होगा जो "वक,सत दे शN से भारत जैसे "वकासशील दे शN म6
धमाथ भेजा जाता है या इस बहाने दोबारा उपयोग के ,लए आयात /कया जाता है । जब/क सaचाई यह है /क इस कचरे
का एक बड़ा हसा [बना
योग /कए ह कचरे का हसा बना दया जाता है । बचे-खुचे उपकरण दो-चार मतबा
बमुिRकल इतेमाल के लायक होते ह7। _यN/क इनका उपयोग पहले ह इतना कर ,लया गया होता है /क ये उपकरण
भारत म6 आने के बाद इतेमाल के लायक रह ह नहं जाते ह7।
दरअसल धमाथ आयात /कया जा रहे ये उपकरण बहूरा:;य कंपQनयN के ऐसे औOयोगक-
ौOयोगक अवशेष ह7 जो कूड़े
म6 त!दल हो चुके होते ह7। इस कचरे को ठकाने लगाने के ,लए दQु नया के 105 दे शN ने भारत को ‘कूड़ादान' (डं"पग
Uाउड) समझा हुआ है , इस,लए ये दे श /कसी न /कसी बहाने इस कचरे को भारत भेजते रहते ह7। सबसे dयादा कचरा
चीन, अमे+रका, आ;े ,लया, जमनी और [rटे न से आता है । चीन तो Qत!बत के कई -ेhN से अपने परमाणु व
इले_;ोQनक कचरे को भारत क. नदयN म6 तक बहा दे ता है । िजससे नदयां
द"ू षत होने के साथ उथल भी हो रह ह7।
भारत म6 जो कचरा आता है व पैदा होता है उसम6 से तीन
Qतशत कचरे को Qनपटाने क. कानून सnमत Iयावथा है ।
बाक. कचरे को जहां-तहां, जैसे-तैसे खपा दया जाता है । िजसके नतीजे कलांतर म6 बेहद खतरनाक Kप म6 सामने आते
ह7। इस कचरे म6 शीशा, पारा, 5ो,मयम, पॉल"वनाइल _लोराइड (पीवीसी) बे+र,लयम, जता जैसे जहरले पदाथY का
इतेमाल होता है । इनके संपक म6 लगातार रहने पर Iयि_त के तां[hका तंh, मितषक
् , दय, गुदp, हq{डयN, जननांगN
व अंतः ~ावी UंथयN पर घातक असर पड़ता है । इन अवशेषN को अवैFाQनक तरके से न:ट करने पर जल, जमीन और
वायु समेत पूरे प+रवेश का पयावरण
द"ू षत हो जाता है ।
इले_;ोQनक कचरे को न:ट करने का सबसे आसान तरका एक दशक पहले तक धरती म6 ग{ढ़ा खोदकर दफनाने का
था। ले/कन िजन-िजन -ेhN म6 यह कचरा दफनाया गया, वहां पयावरण बेतरह
भा"वत हुआ और अनेक बीमा+रयां
पनपने लगीं। इन बीमा+रयN म6 लाइलाज 'वचा रोग
मुख था, जो महामार क. तरह फैला। तमाम लोग व पशु काल-
कव,लत हुए। इसके बाद इन दे शN का शासन-
शासन सlत हुआ और उसने इस औOयोगक-
ौOयोगक कचरे को अपने
दे शN म6 न:ट करने पर
Qतबंध लगा दया। और यह कचरा धमाथ ठकाने लगाने के बहाने भारत भेजा जाने लगा।
भारत म6 20 ऐसी बड़ी कंपQनयां ह7 िजनसे बड़ी माhा म6 इले_;ोQनक कचरा Qनकलता है । इनम6 ‘Uीन पीस' के अ=ययन
के मुता[बक सबसे बुर हालत सैमसंग क. है । इसके अलावा एfपल, माइ5ोसॉ|ट, पेनासोQनक, पीसीएस, /फ,लfस, शाप,
सोनी, सोनी इरे _सन और तोशीबा ऐसी कंपQनयां ह7 िजनके पास ऐसी कोई सु"वधा नहं ह7 /क अपने उपकरण खराब होने
पर वापस लेकर उसका Qनपटान कर6 । "व
ो और एचसीएल दा ऐसी कंपQनयां जKर ह7, िजनके पास समुचत Iयवथा है ।
नो/कया, मोटोरोला, एसार और एलजी ऐसी कंपQनयां ह7 िजनक. कचरा Qनपटान के ,सल,सले म6 िथQत बेहतर मानी
जा सकती है । है रानी क. बात यह है /क dयादातर बहुरा:;य कंपQनयां अपने इले_;ोQनक कचरे का Qनपटारा अय दे शN
म6 खुद करती ह7 ले/कन भारत म6 शासन और
शासन क. ढलाई के चलते इस कचरे को न:ट करने का दाQय'व वे नहं
Qनभातीं? भारत म6 जनहत व पयावरण सुर-ा क. दिु :ट से ‘इले_;ोQनक कचरा
बंधन संबंधी कोई कानून भी नहं है
जो कंपQनयN पर अंकुश लगाए जाने के साथ इले_;ोQनक उ'पादन म6 जहरले त'वN का
योग न करने के ,लए कंपQनयN
को बा=य कर सके? बहरहाल सबसे पहले इस कचरे से वैधाQनक वKप म6 Qनपटने क. ^ि:ट से के% सरकार को
कानून बनाने क. जKरत है ।
अJलय 5दष
ू ण से दू षत होती न:दयां
जल संपदा क. ^ि:ट से भारत क. गनती दQु नयां ऐसे दे शN म6 है , जहां बड़ी तादात म6 आबाद होने के बावजूद उसी
अनुपात म6 "वपुल जल के भंडार अमूय धरोहर के Kप म6 उपलIध ह7। जल के िजन अजh ~ोतN को हमारे पूवज
N व
मनी"षयN ने प"वhाता और शL ू नीय बनाकर सुरc-त कर दया था, आज वहं ~ोत हमारे
ु ता के पयाय मानते हुये पज
अवैFाQनक ^ि:टकोण, आथक दोहन क. उOदामलालसा, औOयोगक लापरवाह,
शासQनक Z:टाचार और राजनैQतक
अदरू द,शता के चलते अपना अित'व खो रहे ह7। गंगा और यमुना जैसी सांकृQतक व एQतहा,सक मह'व क. नदयN क.
बात तो छोqड़ये,
ादे ,शक तर क. -े[hय नदयां भी गंदे नालN म6 त!दल होने लगी ह7। टल fलांटN से Qनकले तेजाब
ने म=य
दे श के मालवा -ेh क. नदयN के जल को
द"ू षत कर अnलय बना दया है । वहं छ'तीसगढ़ क. नदयN को
खदानN से उगल रहे मलवे लल रहे ह7। उ'तर
दे श क. गोमती का पानी जहरला हो जाने के कारण उसक. कोख म6
मछ,लयो◌े◌ं क. संlया Qनरं तर घटती जा रह है ।
भारत म6 औषत वषा का अधकतम अनुपात उ'तर-पव
ू u चेरापँज
ू ी म6
11,400 ,ममी और उसके ठwक "वपरत रे गतान के अंQतम छोर जैसलमेर म6 यूनतम 210 ,ममी के आसपास है ।
यह वषा जल हमारे जल भtडार नदयां, तालाब, बांध, कुओं और नलकूपN को बारह महने लबालव भरा रखते
ह7।
ाकृQतक वषा क. यह दे न हमारे ,लये एक तरह से वरदान है । ले/कन हम अपने ता'का,लक लाभ के चलते इस
वरदान को अ,भशाप म6 बदलने म6 लगे हुये ह7। औOयोगक -ेh क. अथ दोहन क. ऐसी ह लापरवाहयN के चलते
म=य
दे श के मालवा -ेh म6 लगे टल संयंh रोजाना करब 60 टन द"ू षत मलवा नदयN म6 बहाकर उह6 जहरला तो
बना ह रहे ह7, मनु:य-मवेशी व अय जलय जीव-जतुओं के ,लये जानलेवा भी सा[बत हो रहे ह7। दरअसल इन टल
संयंhN म6 लोह के तार व चOदरN को जंग से छुटकारा दलाने के ,लये 32
Qतशत सा%ता वाले हाइो_लो+रक अnल
का इतेमाल /कया जाता है । तारN और चOदरN को तेजाब से भर बड़ी-बड़ी होदयN म6 जब तक बार-बार डुबोया जाता है
तब तक ये जंग से मु_त नहं हो जातीं? बाद म6 बेकार हो चुके तेजाब को चामला नद से जुड़े नालN म6 बहा दया
जाता है । इस कारण नद का पानी लाल होकर
द"ू षत हो जाता है , जो जीव-जतुओं को हाQन तो पहुंचाता ह है यद
इस जल का उपयोग ,संचाई के ,लये /कया जाता है तो यह जल फसलN को भी पयाfत नुकसान पहुंचाता है । पूरे
म=य
दे श म6 इस तरह क. पं%ह औOयोगक इकाईयां ह7। ले/कन अकेले मालवा -ेh और इंदौर के आसपास ऐसी दस
इकाईयां है , जो खराब तेजाब आजू-बाजू क. नदयN म6 बहा रह ह7।
Qनयमानुसार इस द"ू षत तेजाब को साफ करने के ,लये +रकवर यूQनट लगाये जाने का
ावधान उOयोगN म6 है ◌,े पर
दे श क. /कसी भी इकाई म6 ;टम6 ट fलांट नहं लगे ह7। दरअसल एक ;टम6 ट fलांट क. क.मत करब आठ करोड़ Kपये
ू ण मु_त रखना नहं चाहता? कभी-
है । कोई भी उOयोगपQत इतनी बड़ी धनरा,श Iयथ खच कर अपने संयंh को
दष
कभी जनता क. मांग पर
ाशसQनक दबाव बढ़ने के बाद औOयोगक इकाईयां इतना जKर करती ह7 /क इस अnलय
रसायन को ट6 करN म6 भरवाकर दरू /फकवाने लगती ह7। इसे नदयN और आम आद,मयN का दभ
ु ाiय ह कहये /क इसी
मालवा अंचल म6 चंबल, c-
ा और गंभीर नदयां ह7, ट6 कर चालक इस मलवे को UामीणN क. "व%ोह नजरN से बचाकर
इह नदयN म6 जहां तहां बहा आते ह7। नतीजतन औOयोगक अ,भशाप अंततः नदयN और मानव जाQत को ह झेलना
पड़ता है । Uामीण यद जब कभी इन ट6 करN से रसायन नदयN म6 बहाते हुये चालकN को पकड़ भी लेते ह7 तो पु,लस और
शासन न तो कोई ठोस कायवाह करता है और न ह इस समया के थायी समाधान क. दशा म6 कोई पहल करता
है । ऐसे म6 अंततः Uामीण अ,भशाप भोगने के ,लये मजबूर ह बने रहते ह7।
इसी तरह गुना िजले के "वजयपुर म6 िथत खाद कारखाने का मलवा उसके पीछे बहने वाले नाले म6 बहा दे ने से हर
साल इस नाले का पानी पीकर दजनN मवेशी मर जाते ह7। मलवे से नाले का पानी लाल होकर जहरला हो जाता है ।
,संचाई के ,लये इतेमाल करने पर यह पानी फसलN क. जहां पैदावार कम करता है, वहं इन फसलN से Qनकले अनाज
का सेवन करने पर शरर म6 बीमा+रयां भी घर करने लगती ह7। Uामीण हर साल नाले म6 द"ू षत मलवा नहं बहाने के
,लये अपनी जुबान खोलते ह7 ले/कन खाद कारखाने एवं िजले के आला
शासQनक अधका+रयN के कानN म6 जूं तक नहं
र6 गती? ,शवपरु िजले क. जीवन-रे खा ,संध नद के /कनारे बेशक.मती इमारती प'थर क. खदान6 ह7। इन खदानN से एक
ओर प'थर का दोहन करने के ,लये हजारN है _टे यर जंगल न:ट /कये जाते ह7, वहं दस
ू र ओर प'थर के उ'खनन के
बाद जो मलवा Qनकलता है उसे ,संध म6 बेरोकटोक बहा दया जाता है । इससे एक ओर ,संध उथल हो रह है वहं दस
ू र
ओर
द"ू षत भी हो रह है और इसक. जल Uहण -मता भी Qनरं तर
भा"वत हो रह है ।
छ'तीसगढ़ म6 कaचे लोहे क. प+रयोजना बेलाqडला से लोहे अयक के अवैFाQनक दोहन ने शंPखनी नद को ह पूर तरह
द"ू षत करके रख दया है । बेलाqडला से जो लोहे त'व अवशेष के Kप म6 Qनकलते ह7, वे /करंदल नाले के ज+रये
शंPखनी नद म6 ,मलते है, इस कारण नद और नाले का पानी अnलय होकर लाल हो जाता है, जो न तो पीने लायक
ू ण से छ'तीसगढ़ के 51 गांवN के करब 50,000 आदवासी
रह गया है और न ह ,संचाई के लायक। इस जल
दष
भा"वत हुये ह7। ले/कन वे आदवासी ह7 इसी,लये उनक. गुहार क. कहं कोई सुनवायी नहं है । ◌ं
लखनऊ क. जीवन रे खा बनी गोमती नद का पानी म6 गटर खोल दए जाने के कारण इतना जहरला हो गया है /क
गोमती क. कोख म6 मछ,लयN क. संlया लगातार घटती जा रह है । उ'तर
दे श के ह ब,लया से लेकर पिRचम बंगाल
तक जाने वाल गंगा /कनारे क. तराई प#ट का पानी संPखया (आसpQनक) क. माhा dयादा होने के कारण इतना
जहरला हो गया है /क इस -ेh के बहुसंlयक लोगN के लवर खराब होने लगे ह7 व 'वचा क7सर के रोगयN क. संlया
म6 भी इजाफा हुआ है । ये दोनN ह बीमा+रयां जानलेवा ह7। "वRव वाVय संगठन के मानक के अनुसार भारत,
बंगलादे श, नेपाल और चीन म6 पीने के पानी म6 .05 ,मल Uाम
Qतलटर से अधक संPखया वाVय के ,लए
हाQनकारक है । दभ
ु ाiय से गंगा म6 उOयोगN के गटर खुले होने के कारण तराई प#ट म6 संPखया का मानक पांच-सात
ु ा अधक है । संPखया अ'याधक उभयधमu (लवण और -ार यु_त त'व है ) इसका उपयोग प6ट, कपड़े क. छपाई,
गन
शीशा उOयोग और क.टनाशक चूहे मारने क. दवा म6 /कया जाता है । मानव शरर म6 इसक. माhा सीमा से अधक
पहुंचने पर र_त वाहQनयN , दल और दमाग को घातक Kप से Uत करती ह7। संPखया से 'वचा, फ6फड़े और मूhाशय
का भी क7सर हो सकता है । यह िथQत गंगा नद म6 अnलयता बढ़ने के कारण Qन,मत हुई है ।
उOयोगN से Qनकला यह तेजाब UामीणN म6 बीमा+रयN का कारण भी बन रहा है । पेट म6 कुपच, 'वचा संबंधी रोग और
असर जैसी बीमा+रयां इन उOयोग -ेhN म6 आम-फहम हो गयी ह7। इसके बावजूद इन अ,भशfत लोगN को जहरले पानी
से अ,भशाप मु_त करने के कोई उपाय न तो
शासन कर रहा है और न ह
दष
ू ण फैलाकर
ाकृQतक धरोहर वKप
नदयN के अित'व को खतरा बने औOयोगक संयंhN पर Qनयंhण के ,लये उOयोग "वभाग साथक कदम उठा रहा है । जो
दष
ू ण Qनयंhण बोड
दष
ू ण मुि_त के ,लये वजूद म6 लाये गये ह7 उनके Oवारा क. जाने वाल कायवाह इन इकाईयN के
,लये मुफ.द ह सा[बत होती है? जब/क
दष
ू ण Qनयंhण बोड को ईमानदार से
दष
ू ण मुि_त के अ,भयान को अंजाम
दे ने के ,लये साथक पहल करनी चाहये। सफेद हाथी बने ये कायालय कागजी कायवाह कर जेब6 भरने म6 लगे ह7।
बहरहाल िथQत भयावह है ?
भा"वत हो रहा है । आए दन समु% तल पर 2000 मी;क टन से भी dयादा तेल फैलने व आग लगने के समाचार
दष
ू ण फ6फड़N का क7सर, दमा, rोकाइटस, टबी, दय रोग और अनेक 'वचा
पे;ो,लयम पदाथE के जलने से उ'पन
दष
संबंधी रोगN का कारक बना हुआ है । क7सर के मरजN क. संlया म6 80 फ.सद रोगी वायुमtडल म6 फैले "वषैले रसायनN
के कारण ह होते ह7। दल म6 फेफड़N के मरजN क. संlया कुल आबाद क. 30
Qतशत है, जो द"ू षत वायु के ,शकार
ह7। दल म6 अय इलाकN क. तुलना म6 सांस और गले क. बीमा+रयN के रोगयN क. संlया 12 गुना अधक है । इन
बीमा+रयN से Qनजात पाने के ,लए भारत के
'येक नगरय Iयि_त को 1500 पये खचने होते ह7। "वRव ब7क ने जल
ू ण के कारण वाVय पर पड़ने वाले असर क. क.मत 110 .
Qत Iयि_त आंक. है, जो समु%तटय -ेhN म6 रहते
दष
ह7। समु% खाOय पदाथE पर पे;ो,लयम अप,श:टN का असर भी पड़ता है । इस द"ू षत जल से ओटर शेल /फश क7सर से
पीqड़त हो जाती ह7। अनजाने म6 मांसाहार लोग इहं रोगालु जीवN को आहार भी बना लेते ह7। इस कारण मांसाहा+रयN म6
'वचा संबंधी रोग व अय लाइलाज बीमा+रयां घर कर जाती ह7। बहरहाल लगातार बढ़ती पे;ो,लयम पदाथNर् क. खपत
वायुमtडल और मानव जीवन को संकट म6 डालने वाले सा[बत हो रहे ह7।
सेहत के )लए संकट बनती दवाएं
यह भारत वष म6 ह संभव है जहां दवाओं का एक बड़ा अनुपात मज को कम या ख'म करने क. बजाय मज को बढ़ाने
का काम करता हो। सेहत के ,लए दो तरह क. दवाएं खतरनाक सा[बत हो रह ह7। एक वे जो या तो नकल दवाएं ह7,
या Qनnन तर क. ह7, दस
ू र दवाएं ओटसी मसलन ‘ओवर द काउtटर' दवाएं ह7, िजनके उपयोग के ,लए न तो
च/क'सक के पचp क. जKरत पड़ती है और न ह "व5य के ,लए ग लायस6स क. आवRयकता रहती है । ऐसी दवाएं बडी
संlया म6 रोगी क. सेहत सुधारने क. बजाय [बगाड़ने का ह काम dयादा कर रह ह7।
नकल और ,मलावट दवाओं का कारोबार का दे श म6 Qनरं तर "वतार हो रहा है । "वRव वाVय संगठन और इंqडयन
मेडीकल ऐसो,सयेशन क. माने तो नकल और ,मलावट दवाओं का Iयवसाय कुल दवाओं के कारोबार का 35
Qतशत
तक पहुंच गया है । इस समय दे श म6 दवाओं का कुल कारोबार 22 हजार करोड़ Kपये से अधक का है । िजसम6 से 7
हजार करोड़ क. नकल दवाएं होती ह7। इसके बावजूद दQु नयां म6 दवाओं के Qनमाण म6 भारत का
मुख दस दे शN म6
थान है । ले/कन नए -ेhN म6 िजस तेजी से यह Iयवसाय फैल रहा है , वह चंता का कारण है । वतमान म6 इस कारोबार
ने उ'तर
दे श, म=य
दे श, [बहार, ह+रयाणा, दल, पंजाब, राजथान, पिRचम बंगाल और महारा:; को अपने चंगुल म6
फांस ,लया है ।
दरअसल सुरसामुख क. तरह फैलते इस कारोबार पर अंकुश लगाने क. मंशा, सरकार म6 दखाई नहं दे ती है । न तो
जानलेवा कारोबार को रोकने के ,लए पदाथ Qनयंhण कानून क. तरह कोई सlत कानून बनाये जाने क. पहल क. जा
रह है और न ह दवाओं क. जांच के ,लए पयाfत
योगशालाओं क. उपल!धता है । दवाओं क. गुणव'ता क. जांच के
,लए दे शभर म6 कुल 37
योगशालाएं ह7। जो परू े साल म6 बमुिRकल लगभग ढ़ाई हजार नमूनN क. जांच कर पाती ह7।
नमूने क. जांच का
Qतवेदन दे ने म6 भी उह6 छह से नौ माह का समय लग जाता है । दवा Qनर-कN क. कमी और
उनम6 Iयाfत Z:टाचार क. वजह से नकल दवा Qनमाता व "व5ेताओं का कारोबार खूब फल फूल रहा है । इसी कारण
नकल दवाओं के कारोबा+रयN क. दलचपी अब केवल मामूल बुखार, सद, जुकाम, हाथ पैरN म6 दद क. दवाएं बनाने
तक सी,मत नहं रह गई है, वे टबी, मधुमेह, र_तचाप और दयरोगN क. भी दवाएं बनाने लगे ह7।
आईएमए इस पर Qनयंhण के ,लए मादक पदाथ Qनयंhण कानून क. तरह एक कड़ा कानून बनाये जाने क. अपील
सरकार से कई मतबा कर चुका है । ले/कन सरकार Iयि_त क. सेहत और जीवन से जुड़ा मामला होने के बावजूद इस
कारोबार पर लगाम लगाने क. ^ि:ट से कोई कड़ा कानून नहं बना रह। हालां/क अटल [बहार वाजपेयी क. राजग
सरकार ने इस संदभ म6 पहल जKर क. थी, ले/कन आरो"पयN को मौत क. सजा दे ने का
ावधान रखा जाने के कारण
कुछ मानवाधकार संगठनN ने इसके "वKL आवाज उठाई और कानून को ठtडे बते म6 डाल दया गया। है रानी होती है
/क जो कारोबार दवा के Kप म6 जहर बेचकर लाखN लोगN क. सेहत और जान से Pखलवाड़ कर रहे ह7 उह6 फांसी के फंदे
पर लटकाने म6 हचक _यN? इसे हम राजनीQतक इaछाशि_त क. कमजोर भी कह सकते ह7।
दस
ू र तरफ सेहत के ,लए ओ.ट.सी. दवाएं खतरनाक सा[बत हो रह ह7। तकनीक क. भाषा म6 ऐसी दवाओं को ओवर द
काउtटर दवाएं कहा जाता है । इनके उपयोग के ,लए न तो च/क'सक के पचp क. और न ह बेचने वालN के ,लए
लायस6स क. जKरत होती है । इस,लए परचून, जनरल टोर और पान क. दक
ु ानN पर ये दवाएं आसानी से सुलभ ह7। अब
तो आधQु नक कहे जाने वाले मॉलN म6 भी ये दवाएं धड़ले से बेची जाकर सेहत [बगाड़ने का काम कर रह ह7। ,लहाजा ये
दवाय6 इतेमाल क. तय अवध समाfत हो जाने के बावजूद बेच द जाती ह7। उपभो_ताओं को गलत सलाह दे ने से ऐसी
दवाएं वाVय को लाभ पहुंचाने क. बजाय नुकसान पहुंचाती ह7।
ऐसी दवाएं िजनक. बाजार म6 सलु भता है वे उपचार कम "वकार dयादा पैदा करती ह7। जैसे गोरे बनने या 'वचा चकनी
बनाये जाने क. चाहत म6 5.म पावडर लगाएं तो चेहरे पर झु+रयां पड़ जाएं और 'वचा खुRक हो जाए। काया को सुडौल
व गठwल बनाने क. दवा खाई तो शरर थुल-थुल व ,शथल हो गया। गंजापन दरू करने क. दवा खाई हो तो बाल शेष
थे, वे और झड़ जाएं। बाल काले करने क. दवाओं तक तो /फर भी ठwक है , मधुमेह, दयरोग, पेट दद और भूख व
कामवधक दवाएं भी खुलेआम बेची जा रह ह7। उपभो_ता या रोगी को गम
ु राह कर बेची जा रह ये दवाएं सेहत [बगाड़ने
का ह काम dयादा कर रह ह7।
दरअसल दवा Qनमाता, "व5ेता और कानून Qनमाताओं का गठजोड़ ओटसी बाजार को बढ़ावा दे ने क. ^ि:ट से अनेक
दवाएं पेट6ट और ग लायस6स के दायरे से Qनकालता जा रहा है । इन दवाओं का "वFापन भी /कया जाता है । होnयोपैथी
ु त करने के नाम पर बेची जा रह है , ले/कन इसके
क. म6 सोले_स जो महलाओं के मा,सक च5 म6 आई खराबी को दK
"वFापन म6 दया जाता है /क गभवती महला इस दवा का इतेमाल न कर6 वरना गभपात हो सकता है । नतीजतन
गभवती महलाएं इस दवा का इतेमाल गभपात करने म6 करती ह7। अ"ववाहत यौन संपकY को भी ये दवाएं बढ़ावा दे ने
का कारण बनी हुई ह7।
ग एंड कामेट_स ए_ट के मुता[बक शे{यूल ‘के' म6 शा,मल दवाओं के ,लए च/क'सकN के नुखे क. जKरत नहं
होती है । इनम6 सामाय Kप से बुखार ठwक करने क. दवा 5ो,सन से लेकर कफ और सीरप के अलावा तमाम आयुवpदक
व हौnयोपैथी दवाय6 शा,मल ह7। इह6 "व5य क. छूट है । शे{यूल ‘‘एच'' म6 शा,मल दवाओं के ,लए च/क'सक के पचp का
होना लािजमी है । इन दवाओं क. [ब5. ग लायस6स
ाfत दक
ु ानN पर ह क. जा सकती है ।
बाजारबाद क. अवधारणा ने भी ओटसी दवाओं के बाजार को "वतार दया है । बहुरा:;य कंपQनयN के आगमन के बाद
इस बाजार म6 तेजी तो आई ह है , भयमु_त भी हुआ है । दवा कंपQनयN के बीच ऐसी दवाओं क. [ब5. को लेकर
दे श म6 अपदथ मुलायम सरकार ने मुिलम वोट ब7क क. राजनीQत के तहत इलाम से संचा,लत मदरसN को धन और
सु"वधाएं दे कर बढ़ावा दया। ये मदरसे मिजदN म6 भी चल रहे ह7। इस तरह क. कठमुलई और सीधे-सीधे वोट ब7क क.
राजनीQत से जुड़ी ,श-ा से कैसे संभव है मानवाधकारN का पाठ पढ़ाया जाना?
इस तरह क. नादानीपण
ू खा,मयN का बीज रोपने का ,सल,सला कोई नया नहं है । वतंhता के त'काल बाद जब
धमQनरपे- ,श-ा क. परू े दे श म6 वकालत क. जा रह थी और सरकार ने यह भी शत रखी थी /क उहं शै-Pणक
संथाओं को सरकार मायता और आथक मदद द जाएगी, जो अपनी संथाओं म6 धा,मक ,श-ा नहं द6 ग,े ले/कन
इस शत से अलगढ़ मुिलम "वRव "वOयालय और बनारस हद ू "वRव"वOयालय को मु_त रखा गया, बिक भारतीय
सं"वधान बनने से पूव ह कानून म6 यह
ावधान रख दया गया था /क ये "वRव"वOयालय धा,मक ,श-ा दे ने के ,लए
वतंh रह6 गे। इसी कारण ,श-ा म6 इन सब खा,मयN और वैकिपक सु"वधाओं के चलते मानव मूयN को दर/कनार कर
जमाते इलामी, मुिलम लग, सरवती ,शशु मंदर जैसी संथाएं रा:;य सांकृQतक एक.करण तथा मानवीय
भावनाओं म6 साझा संकार पैदा करने के "वपरत शै-c-क मूयN का अवमूयन करती नजर आती ह7◌ं।
िजस ,श-ा के मा=यम से हम मानवाधकारN के उलंघन क. वकालत कर रहे ह7, वहं ,श-ा छाhN म6 मानवाधकारN के
हनन का एक
मुख कारण बनी हुई है । अंUेजी भाषा के मा=यम से ,श-ा म6 "वभाजक रे खा Qनरं तर मजबूत होती जा
रह है । अंUेजी का
योग करने वाल बहुत छोट आबाद Fान और आधुQनक चंतन का भरपूर लाभ उठा रह है ।
अंUेजी का वचव बनाए रखते हुए एक "व,श:ट वग ने भारत जैसे
गQतशील लोकतां[hक दे श म6 ,श-ा, संकृQत,
राजनीQत और आथक -ेhN म6 एक पिRचमोमुख औपQनवे,शक दासता क. मजबत
ू िथQत Qन,मत कर द है । जब तक
इस अंUेजी भाषाई Qत,लम को तोड़कर भारतीय भाषाओं के मा=यम से समान ,श-ा क. अQनवायता सुQनिRचत नहं क.
जाएगी, तब तक सह मायनN म6 मनु:य को मानवाधकारN के
Qत जागKक व संवेदनशील बनाए जाने क. नींव ह नहं
पड़ सकती।
जायज-नाजायज तरकN से लोगN के पास पैसे क. जो बेतहाशा आमद हुई है , उससे आथक Qनरं कुशता को जबदत
बढ़ावा ,मला है । आथक, यौन और दहे ज ह'या जैसे अपराधN के पीछे यह Qनरं कुशता काम कर रह है । अब
'येक
समाज अथवा समुदाय म6 जातीय और नलय भेद क. तरह आथक हालात "वभाजन का कारण बन गए है ◌ै◌ं। महला
और बाल मजदरू को बढ़ावा व
)य दे ने म6 भी आथक Qनरं कुशता काम कर रह है । इस "वभाजक रे खा के दस
ू र तरफ
जो लोग ह7, वे इस आथक अपमान बोध से हनताबोध व कुtठा का ,शकार हो रहे ह7। आ'मह'या करने वाले लोगN के
औसत म6 ऐसे ह लोगN का अनुपात dयादा है । िजन यूरोपीय दे शN म6 मानवाधकारN का ढंढोरा पीटा जा रहा है , वह
यूरोपीय दे श अपने यहां आई _यू जैसे पर-ण कराकर ब"ु L और योiयता के औच'य को जातीय और नलय आधार
पर ,सL करने क. परु जोर को,शश6 कर रहे ह7। अब तो इन दे शN के वैFाQनक और ब"ु Lजीवी अपने वंशजN का
भु'व
थायी तौर से बनाए रखने के ,लए यह भी मांग करने लगे ह7 /क गरबN के उ'थान, संवLन, ,श-ा और वाVय के
,लए जो आथक मदद और सु"वधाएं यूरोपीय दे शN Oवारा मुहैया कराई जा रह ह7, उह6 बंद /कया जाए, _यN/क बु"L का
संबंध तो वंशानुगत जीनN से है । कुछ ऐसे ह पर-णN के चलते अमे+रका म6 दस
ू रे दे शN के रहने वाले लोगN पर
अ'याचार बढ़ने लगे ह7। पाय5मN म6 मानवाधकार जैसे संवेदनशील "वषय को अनगल तरके से थान दया गया और
उसे पढ़ाने के ,लए अQनवायता थोपी गई तो बालमनN म6 मानवाधकारN के
Qत चेतना अथवा संवेदना क. जगह "वकृQत
ृ ा पैदा होगी। मानवाधकारN के उलंघन के ,लए /कसी हद तक राजनीQतक,
शासQनक Qनरं कुशता को ख'म
और घण
अथवा
Qतबंधत करने के ,लए आज क. िथQत म6 भारतीय प+रवेश म6 न तो कोई पाय5म का सुझाव है और न कोई
कानून? अदालत6 भी इस Qनरं कुशता को दिtडत करने के ,लए लाचार नजर आती ह7।
चलन म6 लाए जाने के बावजूद /कसानN को अपेc-त लाभ तो ,मला ह नहं उटे भू,म क. उवरता व उ'पादन -मता
और
भा"वत हुई। कई /कसानN ने तो इतनी हाQन उठाई /क इससे उबरने का जब कोई राता नहं सूझा तो उह6
आ'मघाती कदम तक उठाने को "ववश होना पड़ा।
मानव वाVय के ,लए आनुवं,शक बीज /कतने हाQनकारक ह7 इसका वैFाQनक ढं ग से खुलासा करते हुए
,सL अमे+रक.
वैFाQनक जेs. िमथ ने तो पूर एक /कताब ह ,लख द। इन बीजN से तैयार फसल /कडनी, फेफड़े, दय और आंतN
को नुकसान पहुंचाकर शरर क. आंत+रक संरचना म6 प+रवतन लाती ह7। िमथ ने अपनी /कताब म6 65 तरह क.
बीमा+रयN का उलेख /कया है ।
ो. िमथ ने तो यहां तक कहा /क म7 जैनेटक वैFाQनक होने के नाते यह दावे के साथ
कह सकता हूं /क इससे आज तक /कसी भी दे श को फायदा नहं हुआ। जीई फसल "वनाश लेकर खेतN म6 उतर रह है ,
इसे रो/कए।
आनुवं,शक बीजN के माफत कपास क. खेती को बबाद /कए जाने का ,सल,सला महारा:; म6 तो आठ साल पहले हो ह
चुका है अब उ'तर भारत व बासमती चावल क. प#ट और कनाटक म6 ब7गन क. म#टूगुला /कम को बीट बीजN के
ज+रए न:ट करने क. Iयूहरचना क. जा रह है । हालां/क वदे शी संथाएं व रा:;य सोच के जागKक वैFाQनक इन
योगN का अपने-अपने तर पर "वरोध करने म6 लगे ह7 ले/कन मुनाफाखोर बहरा◌ु:;य कंपQनयN के दबाव के चलते क6%
व राdय सरकार6 इन बीजN के
योग पर कोई अंकुश नहं लगा पा रह ह7।
जेनेटक मोqडफाइड ब7गन के बीज तैयार क.
/5या धारवाड़ के कृ"ष "वFान "वRव"वOयालय म6 चल रह है । इस
प+रयोजना के ,लए "व'तीय पोषण का काम अमे+रका कर रहा है । इसके तहत बीट ब7गन यानी बे,सलस थु+रनिजन,सस
जीन ,मला हुआ ब7गन खेतN म6 बोया जा रहा है । इसक. "व,भन /कमN पर काम /कया जा रहा है । इस
योग के ,लए
बहाना यह बनाया जा रहा है /क बीट ब7गन क.टN के हमले से बचा रहे गा। /कसानN को क.टनाशकN का इतेमाल खेतN
म6 नहं करना पड़ेगा।
जब/क रा:;य पोषण संथान, है दराबाद के lयाQतल!ध जीव "वFानी रमेश भ#ट ने चेतावनी द है /क बीट जीन क.
वजह से यहां ब7गन क. थानीय /कम म#टूगुला बुर तरह
भा"वत होकर लगभग समाfत हो जाएगी। ब7गन के
म#टूगुला बीज से पैदावार
चलन क. शुआत पं%हवीं सद म6 संत वदराज के कहने से म#टू गांव के लोगN ने क. थी।
इसका बीज भी उहं संत ने दया था। इस तVय क. जानकार करं ट साइंस नामक प[hका म6 वैFाQनक रमेश भ#ट ने
ह द है ।
कनाटक म6 म#टू /कम का उपयोग हर साल /कया जाता है । थानीय पवY के अवसर पर इस ब7गन को पूजा जाता है
व "वशेष तौर से स!जी बनाकर खाया जाता है । इसके "व,श:ट वाद और पौि:टक "व,श:टता के कारण हरे रं ग के इस
भटे को अaछा माना जाता है । खाल पेट इसे खाने से यकृत (लवर) के "वकार
ाकृQतक Kप से ठwक होते ह7।
परतंhता से मुि_त के बाद हमने "व,भन
गQतशील योजनाओं क. मदद से ह+रत 5ांQत क.। फसल उ'पादन और उसके
उचत भंडारण म6 हम इतने आ'मQनभर हो गए /क गेहूं व अय फसलN का आयात बंद कर हम एक Qनयातक रा:; बन
गए। आज भी हम अपनी अनाज, दाल, Qतलहन, फल व सि!जयN क. जKरत के मुता[बक आपूQत करने के साथ हम6
एक Qनयातक दे श का गौरव हा,सल है । यहां सवाल यह उठता है /क [बना आनुवं,शक बीजN के
योग के जब हम अन
के -ेh म6 आ'मQनभर व Qनयातक दे श ह7 /फर हम6 आनुवं,शक बीजN से फसल उ'पादन के ,लए _यो बा=य /कया जा
रहा है ? _यN बौ"Lक संपदा कानून के ज+रए हमारे पारं प+रक बीजN को अमे+रक. बहुरा:;य कंपQनयN ने पेट6ट /कया? इन
कंपQनयN क. लाभ कमाने क. कुटल चालN के पीछे इन कंपQनयN Oवारा उ'पादत घटया माल को महं गी दर पर खफाने
का मकसद तो था ह और Qनजी हत साधन के ,लए बड़ा मकसद यह भी था /क औOयोगक और
ौOयोगक -ेhो म6
"पछड़े भारत समेत तीसर दQु नया के अय दे श कहं खेती-/कसानी म6 अUणी न बने रह6 ? इस,लए अमे+रका ने गैट के
ज+रए बौ"Lक संपदा कानून के दायरे म6 भारत को लाकर बीजN का पेट6ट /कया और आनुवं,शक बीजN के ज+रए वह खेती
क. पारं प+रक व आधुQनक संरचना को ह ख'म करने म6 लगा है ।
हमार पारं प+रक खेती क. भौगो,लक िथQत ओर प+रवतनशील जलवायु के मेनजर संरचना बड़ी मजबूत थी। दे श का
82 फ.सद बीज /कसान खुद ह बचाता था। उसका पारं प+रक तरकN से संर-ण करता था। ले/कन अब कंपQनयN के
इशारे पर सरकार बता रह है /क यह नहं वह फसल उपजाओ। जीई बीजN का
योग करो। नौकरशाह जानबझ
ू कर और
नेता अनजाने म6 दे श के कृ"ष और /कसान को काल के मंुह म6 धकेल रहे ह7। जो लोग इस गठजोड़ म6 जानते हुए भी
शा,मल ह7 उन पर _यN न दे श%ोह का मुकदमा चले?
वदभ% क* राह पर बंद
ु े लखंड
खेती क. बदहाल और /कसान क. hासद मनःिथQत क. जो भयावहता "वदभ म6 पसर है उसका "वतार अब बंद
ु े लखंड
म6 पसर रहा है । कृ"ष ऋण राहत योजनाओं के तमाम राहत पैकेजN क. Iयवथा के बावजूद अ_टूबर 2008 म6 पांच
/कसानN ने खेती के अ,भशाप से मुि_त के ,लए मौत का फंदा गले म6 डालकर थायी राहत पाई। मौजूदा दौर म6 कृ"ष
और /कसान इतनी बOतर हालत म6 ह7 /क 46 /कसान रोजाना आ'मह'या कर रहे ह7।मसलन एक साल म6 करब 16
हजार 790 /कसान? इसके बावजूद भारत सरकार ने आथक मंद से उबारने के ,लए उन स#टे बाजN अरब- खरबपQतयN
के
Qत त'काल त'परता व उदारता दखाई ले/कन अनदाता /कसान क. अभी भी बािजव चंता नहं है । जब/क वैिRवक
मु_त बाजार के िजस उदारवाद रवैये क. अमे+रक. अथIयवथा दQु नया म6 आथक मंद का कारण बनी भारतीय /कसान
को पारं प+रक खेती से "वमुख और कज म6 डूबने म6 अहम ् भू,मका भी इसी अथIयवथा और मुनाफाखोर बहुरा:;य
कंपQनयN क. रह।
रा:;य अपराध आंकड़े !यूरो (एन.सी.आर.बी.) ने अपनी ताजा +रपोट म6 झकझोर दे ने वाला खुलासा /कया है । +रपोट क.
मान6 तो 2007 म6 दे शभर म6 एक लाख 22 हजार 637 /कसानN ने आ'मह'या क.। आ'मह'या करने वालN क. संlया
म6 /कसानN का
Qतशत 14.4 रहा। जब/क 2006 म6 यह आंकड़ा 17 हजार 60 थी। 1997 म6 1 लाख 82 हजार
936 /कसानN ने आ'मह'या क. थी। कृ"ष
धान इस दे श म6 /कसानN क. दयनीय हालत दशाने वाल इस +रपोट के
मुता[बक महारा:; म6 4238, कनाटक म6 2135, आं
दे श म6 1797, छ'तीसगढ़ म6 1593, म=य
दे श म6 1263,
केरल म6 1263 और पिRचम बंगाल म6 1102 /कसानN ने आ'मह'या क.। बाक. /कसानN ने दे श के अय -ेhN म6 मौत
को गले लगाया। दे श क. राजधानी दल म6 23 और महानगर चेनई म6 17 /कसानN ने आ'मह'या क.। गोवा,
मPणपरु , ,मजोरम, नागाल7ड और [hपरु ा ऐसे राdय ह7, जहां एक /कसान भी नहं मरा। वैसे तो कृ"ष और /कसान के
बOतर हाल के संदभ म6 "वदभ का "वतार परू े दे श म6 हुआ है ले/कन बंद
ु े लखंड म6 इसक.
Qतaछाया बेहद घनीभत
ू है
और क6% सरकार Oवारा जा◌ार 60 हजार करोड़ का ऋण माफ. पैकेज बेअसर रहा है । _यN/क महोबा िजले म6 अ_टूबर
2008 म6 उन पांच /कसानN ने आ'मह'या क. है, िजनके कज माफ हो गए थे। इस िजले के Uाम )ीनगर के 45 वषuय
परमानंद कुशवाह ने आग लगाकर, चंदोल गांव के 40 वषuय नरे % कुमार ने क.टनाशक पीकर, पंवार के 55 वषuय
मुना लाल +रछा+रया ने ओर महोबा के 45 वषuय fयारे लाल ने जहरल दवा खाकर आ'मह'याएं क.ं। "पछले चार साल
से सूखे क. मार झेल रहे इन /कसानN को ऋण से मुि_त तो ,मल गई थी ले/कन इस साल पयाfत बा+रश होने के
कारण अपने खेतN म6 बोने के ,लए न तो उनके पास बीज के ,लए पैसे थे और न ह खाद के ,लए। उधार दे ने के ,लए
न ब7क तैयार थे और न ह साहूकार। दरअसल dयादातर ब7कN ने कज माफ कर दे ने के बावजद
ू /कसानN को ऋण मुि_त
के
माण-पhा जार नहं /कए ह7। इस
माण-पhा को दखाए बगैर अय ब7क /कसान को नया कज दे ने को तैयार नहं
ह7। Qनदे शक रॉ[बन रॉय Qनजी ब7कN को सलाह दे रहे ह7 /क ऋण माफ. से ऋण संकृQत से "वकृQत आएगी और ऋण
वसूल म6 परे शाQनयां खड़ी हNगी। यह अजीब "वडंबना है /क जब गरब के हत म6 ऋण माफ. अथवा अनुदान क. पहल
क. जाती है तो इसे "वकार क. संकृQत या /फजूलखच कहकर नकारा जाता है ले/कन मंद क. मार झेल रहे कॉपEरे ट
से_टर क. बात आई तो क6% सरकार ने आनन-फानन म6 राहत का खजना खोल दया। ब7कN क. !याज दर6 घटा दं। करN
म6 छूट दे द। यह मुनाफाखोर कंपQनयN जब बेहतर लाभ म6 थीं तब इह6 कोई सरकार दखल बरदाRत नहं था? ले/कन
जब स#टे के कारोबार और बेलगाम /फजूलखचu के चलते यह औOयोगक -ेh मंद के ,शकंजे म6 आगया तो इस मार
से उबरने के ,लए इह6 सरकार क. आथक मदद क. दरकार जKर हो गई।
जब नवउदारवाद क. अवधारणा को प:ु ट करने के ^ि:टगत सामािजक सुर-ा को मजबत
ू बनाए रखने वाले राdयN क.
कयाणकार अवधारणाओं पर कुठाराघात कर उह6 सी,मत कर ऐलान /कया गया /क आथक मामलN म6 बाजार क.
शि_तयN को Qनबाध काम करने के अवसर मुहैया कराने चाहए। वैिRवक बाजारवाद के "वतार के समय पे;ो और यूरो
डॉलर क. चमक सातव6 आसमान पर थी और भंडार भरपरू थे। ,लहाजा पंज
ू ीवाद दे शN ने "वकासशील दे शN क. सरकारN
को ऋण क. संकृQत अपनाने के ,लए उ'
े+रत /कया। मुनाफे के इन हतN क. मकसदपQू त के ,लए संसद म6 वैधाQनक
ावधान लाकर राजय क. कयाणकार अवधारणा क. बQु नयाद ह हलाकर रख द। /फर _या था औOयोगक व
ोOयौगक -ेh और "व'तीय कंपQनयां बेलगाम होकर धन बटोरने क. होड़ म6 शा,मल हो गv। /फजूलखचu और भोग क.
विृ 'तयN क. हवाई उड़ानN के चलते भू-मंडलय
Qतदश क. तो कमर डेढ़ दशक म6 ह टूट गई, ले/कन इसने असमानता
क. खाई को इतना चौड़ा कर दया /क भारत का मजदरू और /कसान दो व_त क. रोट तक जुटाने म6 असमथ हो गया।
अब से सौ साल पहले भारत क. सामािजक, आथक और सांकृQतक िथQतयN का आकलन करते हुए महा'मा गांधी ने
कहा था यद Iयि_तगत उपभोग के योरोपीय मानदं डN को भारत ने वीकार कर ,लया तो भीषण संकट क. िथQत
Qन,मत होगी। ले/कन गांधी के अनुयाQययN ने िजस तरह से पज
ूं ीवाद के "वतार को मायता द और इन पूंजीपQतयN ने
िजस बेहूदा ढं ग से Iयि_तगत उपभोग को बढ़ावा दया उसी के चलते समाज म6 हर तर पर असमानता और
"वसंगQतयN का दायरा बढ़ने लगा। नतीजतन िजस /कसान या मजदरू को 1967 म6 100 /कलो गेहूं म6 121 लटर
डीजल ,मलता था, अब उसे माhा 21 लटर ,मलता है । 1967 म6 ह 100 /कलो गेहूं म6 1800 vट6 और साढ़े नौ बोर
सीम6 ट आ जाती थी। और 206 /कलो गेहूं म6 एक तोला सोना आ जाता था। फलवKप /कसान का सामािजक तर
बरकरार रहता था और वह हन भावना से मु_त रहता था।
आज /कसान और उOयोग जगत को जो भी आथक पैकेज मह
ु ै या कराए जा रहे ह7 वह रा,श पंिू जपQतयN के कर से
सुरc-त रा,श नहं है बिक वह "व,भन ब7कN क. Qनजी खातN क. वह दस अरब धन रा,श है िजनका कोई दावेदार नहं
हे । यह रा,श भी पंज
ू ीपQतयN क. नहं है । इस रा,श का एक बड़ा हसा उन Z:ट सरकार अधकार व कमचा+रयN का
है , िजहNने सरकार योजनाओं को पलता लगाकर बेइंतहा धन इक#ठा /कया। दस
ू रा बड़ा हसा उन लोगN का है जो
कंजूसी क.
विृ 'त के चलते जीवनभर धन-संUह करते रहे और /फर अचानक चल बसे। इस,लए इस पूंजी को कज म6
डूबे /कसान को उबारने से लगाया जा रहा है तो इसम6 हज _या है ? अनदाता को चारN ओर से मदद ,मलनी चाहए।
_यN/क आPखरकार सम"ृ L क. मूल फसल अपने खून-पसीने से सींचकर वह उपजाता है । अनदाता को
ो'साहन दे ने से
ह "वदभ का दायरा ,समटे गा?
दे श क. सरकार6 सं"वधान के अनुaछे द इ_क.स पर कोई बहस-मुवाहशा करने क. बजाय कंु डल मारे बैठw ह7।
इस सबके बावजूद ऐसा नहं है /क हवा क. तरह
कृQत क. दे ने पानी पर हमारे नीQत-Qनयंताओं ने कभी सोचा ह न हो।
2002 म6 जब अटल [बहार वाजपेयी के
धानमं[h'व म6 एनडीए क. सरकार क6% म6 थी तब तथाकथत जल नीQत के
अंतगत इस सरकार ने पानी के बेलगाम दोहन करने के कारोबार क. छूट Qनजी व बहुरा:;य कंपQनयN को दे कर पानी से
मानव-समूहN के साझा हक से बेदखल कर दे ने का राता खोल दया। भारत म6 Qनजी तर पर पानी के कारोबार क.
शुआत छ'तीसगढ़ म6 बहने वाल ,शवना नद पर संयंh लगाकर शुK हुई थी। इसी आधार पर हराकंु ड बांध का पानी
/कसानN से छwनकर बड़े कारखानN को दे ने क. चाल उड़ीसा सरकार ने चल। ले/कन /कसानN व आम आदमी के
बल
"वरोध के कारण यह चाल फलभूत नहं हो सक.।
बहुरा:;य कंपQनयN को भारत म6 पानी का Iयापार करने क. छूट योरोपीय यूQनयन के दबाव म6 द गई। पानी को "वRव
Iयापार संगठन के दायरे म6 लाकर "पछले सात-आठ साल के भीतर एक-एक कर "वकासशील दे शN के जल~ोत उमु_त
दोहन के ,लए इन कंपQनयN के सुपुद कर दए गए। पिRचमी दे शN के ,लए इसी योरोपीय यूQनयनने प-पातपूण मापदं ड
अपनाकर ऐसे Qनयम-कानून बनाए हुए ह7 /क "वRव के अय दे श पिRचमी दे शN म6 आकर पानी का कारोबार न कर सक6।
यह यूQनयन "वकासशील दे शो के जल को dयादा से dयादा माhा म6 बढ़ावा दे कर दोहन कर लेना चाहती है, िजससे इन
दे शN क. अनमोल "वरासत से अथ लाभ सहजता से कमाया जा सके। बहुरा:;य कंपQनयN को यूरो"पयन संघ "वकासशील
दे शN म6 जल दोहन संयंh थापना के ,लए आथक छूट भी दे ता है । यह छूट 1.4 [ब,लयन यूरो
Qतवष है । तीसर
दQु नया के दे शN क.
ाकृQतक संपदा को नकदकरण म6 बदलने का यह "वचhा खेल आPखर /कसके हत साध रहा है ?
भारतीय जल को वैिRवक बाजार के हवाले कर दे ने का मतलब है , अपने ह पैरN पर कुहाड़ी मारना। _यN/क पानी अब
केवल साधारण पेयजल न रहकर "वRव बाजार म6 नीला सोना बन चुका है । दQु नया म6 िजस तेजी से आबाद बढ़ रह है
और जल ~ोत घटने के साथ उनका Qनजीकरण भी होता जा रहा है , ऐसे म6 पानी को लाभ के बाजार म6 त!दल करके
एक बड़ी गरब व लाचार आबाद का जीवनदायी जल से वंचत हो जाना तय है । "वRव तर पर पानी पर अधकार के
अ,भयान के पीछे /फलहाल तो अमे+रका और [rटे न ह7 ले/कन डेढ़-दो दशक के भीतर इस कुच5 म6 अनेक योरोपीय और
ए,शयाई दे शN का जुड़ना तय है ।
यह "वडंबना हमारे ह दे श म6 संभव है /क हम Iयापार के ,लए तो पानी के असी,मत दोहन का अधकार Qनजी कंपQनयN
को सहजता से दे दे ते ह7, ले/कन
कृQत
द'त जल पर समत मानव-समुदाय व जीव-जगत का समान अधकार है
उसके तv अनुaछे द इ_क.स के अंतगत हमार संसद और "वधानसभाओं ने आज तक तय नहं /कया /क पानी का
असमान दोहन
Qतबंधत हो और आम आदमी को उपयोग के ,लए आसानी से पानी सुलभ हो। यह तय करना अब
लािजमी हो गया है /क सिृ :ट क. अनमोल "वरासत पानी Qनजी कंपQनयN का नहं मानव समाज क. थाती है । _यN/क
भारत समेत दQु नया के अय दे श पानी के वात"वक संकट से नहं बिक छOम संकट और जल
बंधन क. गलत
नीQतयN के कारण जलाभाव से जूझ रहे ह7। वैसे भी जल, हवा और भोजन क. उपल!धता
'येक नाग+रक के जीने के
बुQनयाद अधकार के नैसगक दायरे म6 है इस,लए इसके Iयापार पर तो अंकुश लगना ह चाहए?
ाकृQतक संपदा को खतरे म6 डालने वाले कानून वजूद म6 लाना भारत म6 ह संभव है । हाल ह म6 लोकसभा म6 एक ऐसा
"वधेयक पा+रत हुआ है , िजसक. इबारत कारपोरे ट घरानN को लाभ पहुंचाने क. मकसद पूQत के ,लए तैयार क. गई है ।
जब/क इस ‘-QतपQू त वयरोपण "वधेयक 2008' को गैर जKर मानते हुए संसद क. उस थायी स,मQत ने भी इसे
खा+रज कर दया था, िजसे जांच-पड़ताल के बाद "वधेयक को पा+रत /कए जाने क. ,सफा+रश करनी थी। इसे "वडंबना
ह कहए /क इसके बावजूद आनन-फानन म6 मानव आबाद, जल, जंगल ओर जमीन को भयावह संकट म6 डाल दे ने
वाले इस "वधेयक को कानूनी वKप दे दयागया।बीते साल म=य
दे श सरकार भी कुछ ऐसे ह वन-"वनाश के कानून
अमल म6 लाई है ।
इस एक "वधेयक से कारपोरे ट जगत को दो तरह से आथक हत साधने क. छूट द गई है । पहल छूट के अंतगत यद
/कसी कारपोरे ट घराने को जंगल क. जमीन औOयोगक इकाई था"पत करने के ^ि:टगत उपयोग म6 लानी है तो वह
इस गारं ट के साथ जमीन का उपयोग कर सकता है /क उपयोग म6 लाई गई जमीन के बराबर कहं और उतनी ह
जमीन म6 वनरोपण करे ? अब यहां सवाल यह उठता है /क कोई भी औOयोगक इकाई था"पत करने के ,लए हजारN
हे _टे यर जमीन क. जKरत पड़ती है , अब यद जंगलN का "वनाश कर औOयोगक इकाई लगाने क. छूट इस शत पर द
जा रह है /क वह उतनी ह जमीन म6 /कसी भू-खंड पर पौधारोपण करे गी, तो /फर इस इकाई को था"पत पौधारोपण
करने वाल खाल जमीन पर ह _यN नहं /कया जा रहा है ? दरअसल अब हमारे दे श म6 सरकार आधप'य क. खाल
जमीन रह ह नहं गई ह7। और कुछ थोड़ी बहुत शेष ह7 भी तो वे उOयोगपQतयN के ,लए औOयोगक इकाई लगाई जाने
क. ^ि:ट से अनुपयोगी व संसाधनN क. ^ि:ट से
Qतकूल ह7। इसी,लए टाटा क. नैनो कार संयंh के ,लए पिRचम बंगाल
क. साnयवाद सरकार को नंदUाम के /कसानN को बेदखल कर कृ"ष भू,म के अधUहण का कदम उठाना पड़ा। थानीय
/कसान संगठनN एवं तण
ृ मूल कांUेस के जबरदत "वरोध के चलते सरकार और टाटा के मंसूबN पर पानी /फर गया और
यह औOयोगक संयंh गुजरात थानांत+रत हो गया। ले/कन गुजरात सरकार के पास नैनो उOयोग को जKरत के
मुता[बक दे ने को खाल पड़ी सरकार भू,म नहं थी, नतीजतन उस कृ"ष "वRव"वOयालय क. कृ"ष भू,म नैनो कार के
Qनमाण के ,लए दे द गई जो खेती क. नई /कमN के आ"व:कार के
योग हे तु सुरc-त थी। बहरहाल यह औOयोगक
पहल इस बात क.
तीक है /क हम जीने क. शत ‘रोट' के बुQनयाद मह'व को नकारकर एं%य सुख एवं "वलास संबंधी
भौQतक उपकरण नैनN के ,लए dयादा चंQतत ह7।
यहां एक "वचारणीय पहलू यह भी है /क औOयोगक घराने जंगल -ेhN म6 ह _यN उOयोग लगाना चाहते ह7? दरअसल
हमारे दे श म6 जो भी शेष
ाकृQतक संपदा है वह शेष बचे वनाaछादत भू-खंडN म6 ह है । िजसके आसान दोहन से करोड़N-
अरबN के बारे यारे /कए जा सकते ह7। इसी
ाकृQतक संपदा के भंडारN के इदगद सरल व सहज
कृQत क. आदवासी
कह जाने वाल मानव
जाQतयां रहती ह7। िजह6 आसानी से बेदखल तो /कया ह जा सके सते मानव )म के Kप म6
उनका शार+रक और आथक दोहन भी /कया जा सके? ये कुटल चाला/कयां ह कारपोरे ट जगत को जंगल म6 मंगल के
,लए उOयोग थापना हे तु बा=य करती ह7। ले/कन कयाणकार सरकार6 भी जब गलत मंसूबN को सा=य बनाए जाने के
^ि:टगत लचर कानून वजूद म6 लाने लगती ह7 तो सरकार क. मंशा म6 भी वाथ क. संदiधता ^ि:टगोचर होने लगती
है ।
इस "वधेयक से दस
ू रा हत उस संथा को अित'व म6 लाकर साधा जा रहा है िजसके सवpसवा
धानमंhी मनमोहन ,संह
ह7। ‘ह+रत-भारत' (Uीन इंqडया) नाम क. यह संथा करोड़N पेड़ दे श क. खाल पड़ी जमीन पर लगाने का एक काय5म
बनाकर उस पर अमल करने जा रह है । ‘-QतपूQत वयरोपण "वधेकय 2008' म6 यह
ावधान रखा गया है /क पूरे दे श
क. अनेक वनरोपण समीQतयN म6 जो आठ हजार करोड़ पये क. धनरा,श जमा है उसे थानांत+रत कर ‘Uीन इंqडया' म6
एक[hत /कया जाएगा और /फर वन लगाने क. जवाबदार इस धनरा,श से कारपोरे ट घरानN को सoपी जाएगी। लोकतंh
म6 धन एवं अधकारN का "वक6%करण कर बहुसंlयक आबाद को लाभ पहुंचाने क. उदा'त परं पराएं रह ह7, ले/कन हमारे
धानमंhी वन स,मQतयN म6 बंटे धन का ुवीकरण कर कंपQनयN को लाभ पहुंचाने के ,लए आमादा दखाई दे रहे ह7। इस
"वधेयक म6 Qनहत वहतN का कूट पर-ण करने के बाद ह संसद क. थायी स,मQत के अ=य- डॉ. वी. मैhोयन एवं
अय सदयN ने इस "वधेयक को ‘गैर जKर मानते हुए' संसद से प:ट श!दN म6 अपील क. थी /क इस "वधेयक को
खा+रज कर दया जाए। ले/कन इसके बावजूद यह है रानी क. बात रह /क /कसी "वधेयक को ,सरे से Qनरत करने क.
अनुशंसा करने के बाद भी इस "वधेयक को लोकसभा म6 आनन-फानन म6 पा+रत कर दया गया। जदबाजी म6 "वधेयक
पा+रत /कए जाने पर सरकार के इरादे कठघरे म6 ह7, आPखर उसने कारपोरे ट घरानN को लाभ पहुंचाने के नज+रए से ह
इस "वधेयक को हड़बड़ी म6 पा+रत /कया? बीते साल म=य
दे श सरकार ने भी औOयोगक इकाइयN को लाभ पहुंचाने के
ृ N क. 15
जाQतयां छोड़ बाक. व-
^ि:टगत व- ृ काटने के QनयमN म6 ढलाई दे द। इससे वन मा/फया वन "वनाश म6
बढ़-चढ़कर लग गया है । इसी
कार 1988 म6 संसद म6 एक वन अधQनयम पा+रत हुआ था िजसके तहत उOयोगN को
वन भू,म लज पर दे ने के QनयमN म6 ,शथलता बरती गई थी। फलवKप उOयोग समूहN ने लाखN हे _टे यर वन भू,म
लज पर लेकर लकड़ी के "वनाश से जुड़े कारोबार था"पत कर ,लए।
सरकार आंकड़N पर गौर कर6 तो हमारे दे श म6 3200 लाख हे _टे यर म6 फैले भू--ेh म6 जंगल ह7। 1987-89 के दौरान
उपUह से ,लए छायाचhN के अनुसार 19.5
Qतशत भू-भाग म6 जंगल थे। ले/कन उपUह से ह 2008 म6 ,लए चhN से
जो आंकड़े सामने आए ह7, वे बताते ह7 /क लगातार वनN क. कटाई के चलते अब 8
Qतशत भू-भाग म6 ह शेष जंगल
बचे ह7। "वडंबना यह है /क जंगलN से संबंधत सरकार योजनाओं का /5यावयन 19.5
Qतशत जंगलN के हसाब से ह
/कया जा रहा हे । /फलहाल क. िथQत म6 भारत म6 4 हजार वग /कमी.
Qतवष के हसाब से जंगलN का "वनाश हो रहा
है । इस नये कानून के अित'व म6 आने के बाद वनN के "वनाश म6 और तेजी आना वाभा"वक है । वैसे भी हमारे दे श
म6 औOयोगीकरण क. सुरसामुखी भूख, खदानN म6 वैध-अवैध उ'खनन, जंगलN का सफाया और Iयापार के ,लए जल-~ोतN
पर क!जे क. हवस बढ़ जाने के कारण वनवा,सयN के हालात भयावह व दयनीय हुए ह7। "पछले 35-40 साल के भीतर
करब 4 करोड़ आदवासी समूह आधुQनक "वकास क. प+रयोजनाएं खड़ी करने के ,लए अपने पुRतैनी अधकार -ेhN जल,
जंगल और जमीन से खदे ड़े गए ह7। इन समूहN क. आथक आय और जीवन तर का आकलन /कया गया तो पाया गया
/क इनक. आमदनी 50 से 90
Qतशत तक घट गई है । ऐसे ह दभ
ु ाiयशाल लोग ‘भारत क. रा:;य
Qतदश' +रपोट म6
शा,मल ह7 िजनक. आमदनी
Qतदन माhा नौ पये आंक. गई है । ऐसे चंताजनक हालातN म6 वन कानूनN को ,शथल
/कया जाना एक बड़ी मानव आबाद और वनN के अित'व के ,लए नये संकट खड़ा कर6 गे।
णेता मनमोहन ,संह ने भूमंडलकरण को बढ़ावा दया, वह अब लोक-लुभावन नारN के साथ गरब को सता अनाज
दे ने का वादा कर रहे ह7। सच पछ
ू ा जाए तो कांगेस आम-आदमी को समL
ृ बनाने क. ^ि:ट से कोई रचना'मक उपाय
करने क. बजाय एक बड़ी आबाद के हाथ म6 म=यान भोजन क. तरह भीख का कटोरा थमाने का काम कर रह है ।
कुछ ऐसी ह नीQतयN क. अनुगामी बनती हुई भाजपा ने भी अपने घोषणा-पhा म6 दो पये
Qत /कलो अनाज दे ने का
लोक लुभावन वादा गरब जनता से /कया है । जब/क इन घोषणा-पhN म6 गरब को
ाकृQतक संपदा से जोड़कर उसक.
5य शि_त बढ़ाने और वाVय व ,श-ा जैसी बुQनयाद जKरतN के उपाय संबंधी वादN क.
Qतaछाया होनी चाहए थी।
कांUेस के चुनावी घोषणा-पhा म6 जनता से वादा /कया है /क वह गरबN को तीन पये /कलो अनाज दे गी। सच पूछा
जाए तो वे वादे वोट क. राजनीQत के चलते लोक लुभावने जKर ह7 गरब के थायी Kप से हत साधने वाले नहं ह7।
कांUेस ने यह Zम जKर बनाने क. को,शश क. है /क उसका हाथ आम-आदमी के साथ है । इस चुनावी इरादे के साथ
वह गरबी रे खा से नीचे जीवन-यापन करने वाल आबाद को तीन पये /कलो अनाज तो दे गी ह, आथक अनुदान के
बूते सते सामुदाQयक भोजनालय, गरब प+रवारN को सामािजक सुर-ा, वाVय बीमा क. सु"वधा और Uामीण रोजगार
गारं ट म6 जKर सुधार /कए जाने के लुभावने वादे भी कर रह है ।
दरअसल इस तरह के फौर लाभ पहुंचाने वाले वादN क. शुआत आठव6 दशक म6 आ
दे श के त'कालन मुlयमंhी
एन. ट. रामाराव ने क. थी। उहNने राdय म6 दो पये /कलो के भाव चावल उपल!ध भी कराया। ले/कन दे खते-दे खते
दे श क. अथIयवथा चौपट हो गई। आPखरकार पांच साल वादा Qनभाने के वायदे से रामाराव मुकर गए और उहNने
इस लोक हतकार फैसले को उलट दया। वोट बटोरने के ता'का,लक लाभ के ,लए कुछ अय नेता भी ऐसी योजनाएं
अमल म6 लाए ले/कन उनका ह) भी आं
दे श क. तरह ह हुआ। अब आं म6 /फर से चं%बाबू नायडू सता चावल
मुहैया कराने क. शत पर चुनाव समर म6 ह7। हालां/क पांच साल पहले जब नायडू आं
दे श के मुlयमंhी थे तब उहNने
भी आथक सुधारN क. शुआत क. थी। जन कयाणकार योजनाओं को द जाने वाल छूट (सब,सडी) भी
Qतबंधत कर
द थी। इस कायवाह पर "वRव ब7क ने उनक. पीठ भी खूब थपथपाई थी। उनके आधुQनक "वकास कायY को एक ,मशाल
भी माना जाने लगा था। ले/कन असानता बढ़ाने वाल ये योजनाएं आम आदमी को पसंद नहं आv, नतीजतन उनके
दल को परािजत होना पड़ा। त,मलनाडु म6 कणाQनध ओर उड़ीसा म6 नवीन पटनायक भी सते चावल के वादे के साथ
पांच साल पहले स'ता म6 आए थे। ले/कन यह चावल गरब के पेट म6 गया अथवा कालाबाजार का ,शकार होकर
पूंजीपQतयN क. Qतजोर म6, इसका जवाब तो जनता आने वाले "वधानसभा चुनाव म6 दे गी।
ये योजनाएं QनिRचत Kप से अaछw ह7 ले/कन उनका अमल उस सावजQनक "वतरण
णाल पर Qनभर है जो दे शIयापी
Z:टाचार क. गुंजलक म6 जकड़ी है और इसे द
ु त बनाने म6 न राजनीQतक दलN क. च है और न ह सरकार अमले
क.? हां, गरब क. भूख के हसे का गेहूं-चावल क. कालाबाजार कर काले धन क. बंदरबाट म6 सब शा,मल ह7।
दरअसल, आथक सुधारN के अब तक िजतने भी उपाय सामने आए, उनसे गरब के हत कतई नहं सधे। इसी,लए उनम6
इन उपायN के
Qत कोई उ'साह दखाई नहं दे ता। गरब उ'साहत, उ'
े+रत होकर मुlयधारा म6 शा,मल हN इसके ,लए
दरअसल ऐसे बQु नयाद उपायN क. जKरत है, िजससे उनक. 5य शि_त बढ़े । "वकास क. अवधारणा यायसंगत होने के
साथ समावेशी सा[बत हो। शायद इसी,लए सते अनाज के साथ नौक+रयN म6 आथक आधार पर आर-ण के साथ
"वधानमंडलN म6 महलाओं के 33 फ.सद और पंचायतN व नगरपा,लकाओं म6 युवाओं के ,लए आर-ण उपल!ध कराने क.
बात कह गई है । हालां/क इस तरह के वादे मायावती के साथ अय दल भी कर रहे ह7। ले/कन ये वादे खयाल पुलाव
पकाने क. ^ि:ट से वोट बटोरने के ता'का,लक उपाय भर ह7 _यN/क वाकई राजनीQतक दल महलाओं व युवाओं के इतने
ह हतैषी ह7 तो वे इनक. मदद कानून म6
ावधान लागू होने के बाद ह _यN करना चाहते ह7, अपने-अपने दलो म6
त'काल महलाओं और युवाओं को टकट दे ने क.
/5या के साथ शुK _यN नहं कर दे त?
े महला आर-ण "वधेयक को
पास कराने मे कांUेस सरकार ने उतनी ^ढ़ता व दलचपी _यN नहं दखाई िजतनी परमाणु करार क. शतY को अमल
म6 लाने के ,लए लोकसभा म6 दखाई। इससे जाहर होता है /क महला आर-ण राजनीQतक दलN क.
ाथ,मकता म6 नहं
है ।
यायसंगत व समावेशी "वकास क. अवधारणा के तहत ह कांUस
े ने /कसानN को लुभाने के ,लए तीन
मुख वादे /कए
ह7। एक, भू,म अधUहण के तहत जो जमीन ल जाए, उसक. बाजार दर से क.मत तय हो। दो, जो /कसान ब7क कज
चुका रहे ह7, उह6 !याज म6 राहत द जाएगी। तीन, खेती को लाभकार बनाया जाएगा।
ले/कन िजस Zामक भाषा म6 कांUेस ने वादे /कए ह7 उनसे यह जाहर होता है /क वह वतमान नीQतयN और
ाथ,मकताओं को आगे भी जार रखने के ,लए हक.कत पर पदा डालने का काम कर रह है । _यN/क भू,म अधUहण
संबंधी शत म6 बाजार मूय से भू,म क. क.मत चक
ु ाने क. बात तो कह गई है ले/कन /कसान को न तो कारखाने म6
शेयर धारक बनाए जाने क. बात कह गई है और न ह /कसान प+रवार के /कसी सदय को कारखाने म6 नौकर दे ने क.
े ने /कया है , ले/कन कृ"ष म6 आथक सुधारN के चलते
शत रखी गई है । खेती को लाभकार बनाने का वायदा भी कांUस
जो 2.2
Qतशत क. गरावट आई है उसम6 कैसे उभार लाया जाएगा इसका कोई संकेत नहं है । दरअसल लघु व कुटर
ृ ? ले/कन इन
उOयोगN को बढ़ावा दए [बना खेती को न तो लाभकार बनाया जा सकता और न ह /कसान को समL
उOयोगN के ,लए कांUेस के वादे साफ नहं ह7। उनके अथ मनोनुकूल लगाए जा सकते ह7। _यN/क /कसान को जब तक
डेयर और फसल के
संकरण संबंधी उOयोगN से नहं जोड़ा जाएगा तब तक न /कसान का भलाहोनेवाला है और न
खेती का? आदवासी व अय
कृQत पर Qनभर जनजाQतयN को
ाकृQतक संपदा से जोड़े जाने का कोई इरादा भी इस
घोषणा-पhा म6 नजर नहं आता।
दे श के करब बयालस करोड़ लोग असंगठत -ेh म6 काम करते ह7। यह हमारे दे श क. कुल )मशि_त का 92 फ.सद
ह7। इनम6 से करब 90
Qतशत लोग अ_सर सरकार क. ओर से Qनधा+रत यूनतम मजदरू से भी कम पर काम करते
ह7। इस "वशाल आबाद क. आय बढ़ाकर इनक. 5यशि_त बढ़े इस ओर भी घोषणा-पhा म6 कोई =यान नहं दया गया
है । इससे लगता है कांUेस समावेशी "वकास का केवल बहाना गढ़ रह है , गरब को गरबी से उबरने के ,लए कोई
रचना'मक उपाय नहं तलाश रह? इसी,लए कांUेस का लोक लुभावन घोषणाओं व वायदN का "पटारा मतदाता को फौर
तौर से भुलावे डालकर छलने का थोथा उपाय भर है ।
सरु सामख
ु बनती भख
ू
दQु नया म6 भूख का दायरा सुरसामुख क. तरह फैल रहा है । संय_
ु त रा:; के "वRव खाOय काय5म (ड!यू.एफ.पी.) क.
एक +रपोट से जाहर हुआ है /क दc-ण ए,शया म6 भूखमर के हालात "पछले 40 साल म6 इतने बOतर कभी नहं रहे,
िजतने मौजूदा हाल म6 ह7। बीते दो साल के भीतर भूखN क. तादात म6 10 करोड़ लोगN का इजाफा हुआ है । दQु नया के
तमाम मुकN म6 हालात इतने बेहाल हो गए ह7 /क इन दे शN म6 सकल घरे लू उ'पाद पर भूख का दबाव 11
Qतशत तक
बढ़ गया है । ये हालात पैदा तो उस आ,भजातय वग ने /कए ह7 िजसने Qनजी भोग-"वलास क. जीवन पLQत अपनाकर
पानी, खाOय, ऊजा और पयावरण को संकट म6 डाला, ले/कन इसके द:ु प+रणाम उस वग को भोगने पड़ रहे ह7 िजनक.
बOतर-हालात के Qनमाण म6 कोई भू,मका कभी नहं रह।
इस
Qतवेदन के आने से पहले तक भूख से जूझ रहे लाचार लोगN क. संlया 96 करोड़ थी। भख
ू N क. संlया घटाने के
^ि:टगत नौ साल पहले दQु नया के तमाम दे शN ने ,मलकर यह लzय सुQनिRचत /कया था /क 2015 तक यह संlया
घटकर आधी रह जाए। ले/कन तमाम
यासN और अनुदान के उप5मN के बाद जो तसबीर सामने आई है वह और
बदरं ग ह रह। "वRवUाम, बाजारवाद और उदारकरण का जो हला 1990 से तेज हुआ था, उसने 12 करोड़ से भी
dयादा लोगN को और अपनी गर|त म6 ले ,लया। नतीजतन
'येक प%ह Iयि_तयN म6 से एक भूखा है ।
भूख से भयभीत ये चेहरे उन नेत'ृ वकताओं के गाल पर तमाचा ह7 जो गरबी दरू करने और समतामूलक समाज क.
थापना के नारN के साथ स'ताताओं पर का[बज बने रहते ह7। दरअसल उनक. जो भी नीQतयां अित'व म6 आती ह7 वे
गरब को और गरब बनाने म6 कारगर हथयार सा[बत होती है । फलवKप
Qतदन
Qत Iयि_त आमदनी म6 कमी होती
जाती है और "वडnबना यह /क खाOयानN क. क.मत6 बढ़ती जाती ह7। ,लहाज गरब क. ‘रोट' से दरू बढ़ती जाती है ।
इस,लए संयु_त रा:; चेतावनी दे रहा है /क वतमान आथक संकट से गरब दे श सबसे dयादा
भा"वत हो सकते ह7।
इनम6 से पचास दे श तो ऐसे ह7 िजनक. खाOयान-Qनभरता Qनयात पर ह टक. है । ऐसे दे शN म6 अंगोला, पा/कतान,
बांiलादे श, नेपाल, सूडान और इ_वेटो+रयल गनी जैसे दे शN क. गनती क. जा सकती है ।
वैसे भी /फलव_त दQु नया दो तरह के दे शN म6 "वभािजत है एक वे िजनके पास तेल व गैस के अ-य भंडार ह7 और दस
ू रे
वे जो ऊजा के इन ~ोतN से अछूते ह7। शायद इसी,लए हे नर /क,संगर ने बहुत पहले कहा था /क यद अमे+रका तेल-
उ'पादन वाले दे शN को Qनयं[hत कर लेता है तो वह परू दQु नया को काबू कर लेगा और यद केवल खाOयानN पर
Qनयंhण कर पाता है तो एक QनिRचत जनसंlया वाले दे श ह उसके मातहत हNगे। गौरतलब है /क अमे+रका ने जै"वक
हथयारN के बहाने इसी मकसद के ^ि:टगत इराक पर हमला बोला और उसे नेतनाबद
ू कर उसके तेल भंडारN को अपने
आधप'य म6 ले ,लया। फलवKप आज अमे+रका के क!जे म6 तेल भी है और खाOयान भी। और इसी,लए वह
जबरदत आथक मंद के बावजूद दQु नया का ,सरमौर दे श बना बैठा है । "वकासशील दे शN क. अथIयवथा क. वलगाएं
तो उसके हाथN म6 ह7 ह वह दQु नया के र-ा मामलN म6 भी दखल दे ना चाहता है । इस ,सल,सले म6 हाल ह म6 अमे+रक.
"वदे श उपमंhी [ब,लयम जे बस भारत पर एक ऐसे समझौते का दबाव बना रहे ह7 िजसके तहत वह भारत को बेचे गए
हथयारN क. हर तर पर जांच कर सक6। आथक मंद के पव
ू दQु नया म6 ऊजा के ~ोत और खाOयान महं गे होते जाने
का कारण था, अमे+रका का इन ~ोतN पर एकाधप'य।
बढ़ती क.मतN और घटती आमदनी के कारण ह होती, /फल"पंस और इथो"पया जैसे दे शN म6 आहार जय वतुओं को
लेकर दं गे हुए। भारत, पा/कतान और बांiलादे श म6 अनाज के भंडार लूटे गए। भारत ने अपनी आबाद को भूखमर से
Qनजात दलाने क. ^ि:ट से ह खाOयान QनयातN पर रोक लगाई जो आज तक कई दे शN म6 महं गाई का कारण बनी हुई
है । इसके बावजूद भारत के इ_क.स करोड़ से भी अधक लोगN को पयाfत भोजन नहं ,मल पाता। जब/क संयु_त रा:;
क. +रपोट म6 दो व_त क. रोट को मूल मानव अधकार म6 शा,मल /कया गया है । भारत क. रा:;य सवp-ण क. +रपोट
कहती है /क सात करोड़ तीस लाख से भी dयादा लोगN का दै Qनक खच नौ पये से भी कम है । जब/क अंतरा:;य
मानक के अनुसार गरब का खच
Qतदन एक डॉलर मसलन, चालस पये होना चाहए। ऐसे म6 गरब पहने _या _या
Qनचोड़े _या?
दQु नया के करोड़N लोग भूख के सुरसामुख का आहार बनने के ,लए "ववश हो रहे ह7, इसके ,लए औOयोगक "वकास भी
दोषी है । आ;े ,लया म6 पड़े अकाल के पीछे औOयोगक "वकास के चलते जलवायु प+रवतन क. खास भू,मका जताई गई
है । इस कारण यहां गेहूं के उ'पादन म6 60 फ.सद क. बेतहाशा कमी आई और दQु नया को एक समय बड़ी माhा म6 गेहूं
Qनयात करने वाला दे श खुद भूख क. चपेट म6 आ गया। भारत और चीन म6 भी औOयोगक "वकास ने जलवायु प+रवतन
क. गQत तेज कर द। इस र|तार ने पिRचम क. उपभो_तावाद और एं%य सुख वाल भोग-"वलाशी जीवन-शैल को हवा
द। इस कारण 5य शि_त म6 इजाफा और धनी तबकN म6 उपभोग क.
विृ 'त बढ़। साथ ह खाOयानN क. खपत म6 भी
व"ृ L हुई। नतीजतन मांसाहारN क. संlया म6 आशातीत व"ृ L हुई। जानकारN क. मान6 तो सौ कैलोर के बराबर बीफ
(गोमांस) तैयार करने के ,लए सात सौ कैलोर के बराबर का अनाज खच करना पड़ता है । इसी तरह बकरे या मुगयN के
पालन म6 िजतना अनाज खच होता है , उतना अगर सीधे आहार बनाना हो तो वह कहं dयादा लोगN क. भूख ,मटा
सकता है । एक आम चीनी नाग+रक अब
Qत वष औसतन 50 /कUा मांस खा रहा है, जब/क 90 के दशक के म=य म6
यह खपत महज 20 /क.Uा. थी। कुछ ऐसी ह वजहN से चीन म6 करब 15
Qतशत और भारत म6 20
Qतशत लोग
भूखमर का अ,भशाप झेल रहे ह7। ले/कन पिRचमी जीवन-शैल बाधत हो ऐसा मौजूदा हालातN म6 तो लगता नहं?
भुखमर का दायरा बढ़ने क. "वडंबना यह भी रह /क जब बीते कुछ सालN के भीतर खाOय संकट गहरा रहा था तब
अमे+रका और अय "वक,सत दे श गेहूं, चावल, म_का, गना, सोयाबीन आद फसलN से वाहनN का vधन जुटाने म6 लगे
थे। ऊजा के इन वैकिपक ~ोतN को vधन म6 Kपांतरण क. वजह से भी खाOयान संकट गहराया और भूखN क. संlया
बढ़। यहां यह Qन:प- आकलन करना भी थोड़ा मुिRकल होता है /क दQु नया म6 गेहूं क. कमी के कारण भूख का दायरा
बढ़ा अथवा अमे+रका Oवारा लाखN टन अनाज को जै"वक vधन म6 रासायQनक प+रवतन से?
अनाज के बेजा इतेमाल और उ'पादन म6 कमी के कारण ह भूख के पहले ल-ण कुपोषण का दायरा बढ़ रहा है । भारत
सरकार खरद से आधे मूय पर पे;ोल- डीजल उपभो_ता को उपल!ध कराकर डेढ़ लाख करोड़ का सालाना घाटा उठा
रह है । मसलन
Qतदन साढ़े चार सौ करोड़ का घाटा? िजससे महं गाई काबू म6 रहे और बेशम उपभो_तावादयN क.
मौज-मती क. जीवन-शैल का रं ग, भंग न हो? अथIयवथा का यह समीकरण /कसके ,लए है ? बहरहाल भारत म6
वतमान िथQत म6 "वकास क. जो दर छह से सात
Qतशत है भुखमर क. चाल क. गQत भी कमोवेश यह है । जब/क
धनाय दे शN म6 इनक. संlया ढाई करोड़ और औOयोगक दे शN म6 करब एक करोड़ है ।
1996 म6 हुए "वRव खाOय ,शखर सnमेलन के 12 वष बाद भी दQु नया म6 ऐसे लोगN क. संlया करोड़N म6 है िजह6
अप पोषण पाकर ह संतोष करना पड़ता है । ऐसे सवाधक 82 करोड़ लोग "वकासशील दे शो म6 रहते ह7। "वRव के करब
15 करोड़ कुपो"षत बaचN म6 से 70 फ.सद ,सफ 10 दे शN म6 रहते ह7 और उनम6 से भी आधे से अधक केवल दc-ण
ए,शया म6 । बढ़ती आथक "वकास दर पर गव करने वाले भारत म6 भी 20 करोड़ से dयादा बaचे कुपोषण के ,शकार ह7।
म=य
दे श, छ'तीसगढ़, उड़ीसा और [बहार जैसे राdयN म6 कुपोषण के हालात कमोवेश अs.का के इथो"पया, सोमा,लया
और चांड जैसे ह है ।
कृQतजय वभाव के कारण औरतN को dयादा भूख सहनी पड़ती है । दQु नयाभर म6 भूख के ,शकार हो रहे लोगN म6 से
60 फ.सद महलाएं ह होती ह7। _यN/क उह6 वयं क. -ुधा-पूQत से dयादा अपनी संतान क. भूख ,मटाने क. चंता
होती है । कुछ ऐसी ह वजहN के चलते भूख, कुपोषण व अप पोषण से उपजी बीमा+रयN के कारण हर रोज 24 हजार
लोग मौत क. गोद म6 समा जाते ह7। मसलन महज साढ़े तीन सेक6ड म6 एक इंसान!
यद भुखमर व कुपोषण क. समया के Qनदान म6 जाना है तो दQु नया को Iयापक मानवीय ^ि:टकोण अपनाना होगा।
वैिRवक आथक. के चलते िजस भोगवाद संकृQत के कारण जो सामािजक असमानता बढ़ है उसके ,लए सबसे पहले
अनाज को जै"वक vधन म6 बदलने क.
विृ 'त और अंधाधुंध औOयोगक "वकास पर अंकुश लगाते हुए मानव का +रRता
कृQत से जोड़ने के उप5म करने हNगे? _यN/क भोगवाद लोगN के जीवन म6 सम"ृ L
ाकृQतक संपदा के बेतहाशा दोहन
और
कृQत पर Qनभर लोगN क. बेदखल क. नीQतयN से ह आई है और
कृQत पर Qनभर यह लोग भूख व कुपोषण के
दायरे म6 ह7।
आ#थ%क संकट बढ़ाते BेQडट काड%
जो 5ेqडट काड ता'का,लक आथक समया के हल के कारक हुआ करते थे वे आथक मंद के चलते उपभो_ता के ,लए
बड़े आथक संकट का कारण बन रहे ह7।
Qत:ठा व सnमान का मजबत
ू आधार माने जाने वाले ये काड अब उं +ची
!याज दरN क. वजह से ,सर पर बोझ सा[बत हो रहे ह7। हमारे दे श म6 करब 2 करोड़ 80 लाख 5ेqडट काडधार ह7 और
इन उपभो_ताओं ने करब 30 करोड़ उधार ब7कN से ,लया हुआ है । आथक मंद के चलते भारत म6 करब 15 लाख लोग
जनवर 9 तक नौकर से Qनकाले गए ह7। इनम6 से dयादातर 5ेqडट काडधार ह7। दभ
ु ाiय के मारे ये लाचार अब 5ेqडट
काड से ल गई उधार क. सामUी का भुगतान समय पर नहं कर पाने के कारण 48 फ.सद क. !याज दर से भुगतान
करने का अ,भशाप भोग रहे ह7।
आथक मंद क. मार पड़ने के साथ ह भूमंडलय नवउदारवाद क. हवा Qनकल गई। इसका असर भारत ह नहं दQु नया
के उन सभी दे शो म6 दे खने म6 आया है जो अमे+रक. नीQतयN के दबाव के चलते इसके अनुयायी बने थे। अमे+रका भी
इस मार से अछूता नहं रह सका। अ_टूबर 7 से जनवर 9 तक वहां 36 लोख लोग नौकर से हाथ धो बैठे। "वRवUाम
के बहाने नवउदारवाद अवतार के सोलह साल के भीतर बेरोजगार का अमे+रका म6 यह सबसे बड़ा दौर है । रा:;पQत
ओबामा इस संकट से Qनपटने के ,लए कंपQनयN के अनगल खचY और सी.ई.ओ. क. उं +ची तनखाओं पर लगाम लगाने
क. बाजय इस मंद क. मार से उबरने के ^ि:टगत आठ सौ अरब का पैकेज दे ने क. तैयार म6 लगे ह6 ।
5ेqडट काड क. !याजी माया एक जाल है । िजसका सामाय !याज छ'तीस
Qतशत और समय पर /कत न चुका सकने
क. हालत म6 48
Qतशत तक दे ना होता है । छोट 5ेqडट पर लगे !याज पर तो उपभो_ता =यान इस,लए नहं दे पाता
_यN/क !याज के Kप म6 काट गई रा,श खाते म6 एकाएक बहुत बड़ी माhा म6 कम नहं होती। ले/कन मान लो आपने डेढ़
लाख का थीयेटर ट.वी. ,सटम 5ेqडट काड क. [बना पर उठाया है और आप समय पर पैसा /कसी कारणवश नहं चुका
पाए और एक लाख क. उधार शेष है तो उस पर जुमाना सहत जो 48
Qतशत !याज कटे गा उस गुणाभाग के चलते
आपके खाते म6 जाम रा,श से एकाएक 48 हजार क. बड़ी रकम कम हो जाएगी। इस रा,श के एकाएक घट जाने क.
जानकार जब आपको ,मलेगी तब पता चलेगा /क आपके बेहतर िजंदगी के वfन चकनाचूर हो गए ह7। "वदे शी Qनजी
ब7कN म6 तो लूट का यह कारोबार धड़ले से चल रहा है ।
एक अ=ययन से पता चला है /क उपभोगवाद समाज क. संरचना म6 लगे अमे+रका म6 25 साल पहले लगभग तीन
लाख अमे+रक. आथक Kप से दवा,लए थे, वहं भूमंडलकयकरण के दौर म6 इनक. संlया बढ़कर करब 20 लाख हुई
और अब मंद क. मार ने इन दवा,लयN क. संlया 25 लाख के आंकड़े तक पहुंचा द है । इन बOतर हालातN के पीछे
कज लेकर दखावे और शोशोबाजी का दशन
मुख रहा है ।
अमे+रका क. इस आथक. का "वतार अब भारत के उन नगरN म6 प:ट दखाई दे ने लगा है जहां 5ेqडट काडधा+रयN क.
संlया dयादा है । इनके हालात तब और भयावह हो गए जब "वRवIयापी मंद ने Qनयात म6 20 फ.सद क. कमी ला द।
हरे -जवाहरात के 35-40 हजार कारखाने बंद हो गए। स'यम कंfयूटर के दवाले ने आईट क. चमक पर क.चड़ उछाल
द। खबरN का कारोबार करने वाले कई यूज चैनल डूब गए। दे खते-दे खते 15 लाख से भी dयादा लोग नौकर से हाथ
धो बैठे।
जो आथक. केवल वतुओं के उ'पादन, उपयोग और उपभोग क. Zामक संकृQत पर टक. हो उसका यह ह) होता है ।
_यN/क यह उपभो_तावादसंकृQत संचय और अपIयय के सनातनी भारतीय दशन को ललने का काम करती हे ।
अमे+रका क. तज पर हम अपने दे श म6 िजस कथत "वकास और सुख-सम"ृ L के छलावे म6 लगे ह7 वह दरअसल "वकास
और सम"ृ L का "वकृत वKप है जो Iयि_त म6 भोगवाद
विृ 'तयN को बढ़ावा दे ते हएु असमानता को बढ़ावा दे ता है ।
सबसे बड़ा संकट तो वतमान म6 यह है /क नवउदारवाद के बहाने अमे+रका हमारे घर म6 बैठकर हम6 अमे+रकन बनाने का
छल कर रहा है और हम छले जाने के बावजूद भी कमोवेश उसी तरह छले जाने क. खुशफहमी ह7 जब अंUेज हमारे दे श
म6 Iयापार के बहाने आए थे और /फर हमारे शासक बन बैठे थे।
हालां/क अमे+रका म6 बहुत पहले गैलप पोल के अ=ययन ने यह सा[बत कर दया था /क अमे+रक. अथIयवथा रसातल
म6 जा रह है , ऐसा तीन चौथाई अमे+र/कयN ने गैलप पोल के ज+रए माना था। उनका यह भी मानना था /क कालांतर म6
अमे+रका क. "वकास दर गरे गी और रोजगार के बड़े संकट उभर6 गे। इस दशन को मानने वाले अमे+र/कयN ने दरू द,शता
से काम लेते हुए अपने बaचN को चाइनीज सीखने व पढ़ने के ,लए भी उ'
े+रत /कया। _यN/क उनका मानना था /क
चाइनीज पढ़ाना भ"व:योमुखी सोच है, _यN/क िजसे अंUेजी के साथ चाइनीज भी आती होगी उसी के ,लए के+रयर क.
बेहतर संभावनाएं ह7।
अमे+रका क. इन सब अंदनी बOतर हालातN क. जानकार होने केबावजूद हम उसक. मु_त Iयापार क. नीQतयN का
अंधानुकरण करने म6 लगे हुए ह7। 5ेqडट काड के सबसे dयादा उपभोकता उन Qनजी ब7कN के ह7 िजनका मा,लकाना हक
अमे+रका के पूंजीपQतयN का है और वे 5ेqडट काड के माफत 36 से 48
Qतशत बयाज वसूलने का तंh धड़ले से हमारे
यहां संचा,लत /कए हुए ह7। जब/क भारत के रा:;यकृत ब7कN म6 ये !याज दर6 20 से 30 फ.सद तक ह ,समट ह7।
मुनाफे का यह Qनजीकरण /कसके हत साध रहा है ? लाभ-हाQन के इस "वसंगQतपूण समीकरण का उलेख करते हुए
ू मुlय अथशाhी एवं नोबेल परु कार "वजेता
ो. जोसेफ ि#ग,ल#स को नई दल म6 ‘आज का
"वRव ब7क के पव
संकट और पूंजीवाद का भ"व:य' "वषय पर बोलते हुए कहना पड़ा /क ‘अमे+रका ने लाभ का Qनजीकरण और हाQन का
समाजीकरण /कया हुआ है '।
ले/कन हम इन संकेतN और "वRवIयापी मंद क. आहट से भी चेत नहं रहे ह7 अंततः हमार नQतयां कारपोरे ट जगत क.
ह पोषक बनी हुई गQतशील ह7। इसी कारण वतमान म6 पूंजी का आRचयजनक ढं ग से क6%यकरण होता चला जा रहा है ।
दQु नया के पांच हजार पूंजीपQतयN क. Qतजो+रयN म6 दQु नया क. पूंजी 5ेqडट काड जैसे तरकN से समाती जा रह है । अभी
भी भारत म6 "वकास क. दर 7
Qतशत के करब है और इसम6 मु_त Iयापार क. तरलता मौजूद है इसी तरलता पर
दे शी और "वदे शी पूंजीपQतयN क. गL ^ि:ट है । नतीजतन वे सरकार नीQतयN म6 अपने हतN के ^ि:टगत बदलाव लाकर
ऐसे उपभो_तावाद समाज को गढ़ने म6 लगे ह7 जो आPखर म6 5ेqडट काड का Uाहक बनने क. तरह खुद को आथक
जंजाल म6 फंसा पाता है ।
Qतदन मुहैया कराना है । जब/क दल के ,लए हथनी कंु ड और वजीराबाद बैराज पहले से ह जल संर-ण और जल
दे श समझौता करने एकजुट हुए थे। ले/कन राजथान ने इस समझौते पर हता-र करने से इंकार कर दया था। ऐसी
िथQत म6 प+रयोजना र मानी जानी चाहए। ले/कन ऐसा है नहं। धीमी गQत से प+रयोजना को गQतशील बनाने के
,लए कारवाइयां जार है ।
"वशेषFN का मानना है /क यह प+रयोजना यद अमल म6 आती है तो Qनचले हमाचल -ेh म6 दो हजार हे _टे यर म6 फैले
जंगल और कृ"ष -ेh डूब म6 आएंगे। रे णुका अjयारtय डूब म6 आएगा। सात सौ से dयादा प+रवार
भा"वत हNगे जो
वनो'पाद से अपना जीवनयापन करते ह7। साथ ह लहसुन, अदरक और टमाटर क. नगद फसलN पर आधा+रत यहां क.
कृ"ष अथIयवथा न:ट हो जाएगी। बड़े पैमाने पर "व,भन समुदायN के लोगN क. धा,मक संकृQत व धरोहरN का भी
"वनाश होगा।
दरअसल दल को /फलहाल रे णुका बांध से जलापूQत क. जKरत नहं है । दल जलबोड क. जो ऑqडट +रपोट 2008
आई है , उसम6 प:ट उलेख है /क दल म6 कुल जल
दायगी का 40
Qतशत "वतरण के दौरान +रसाव के चलते
बबाद हो जाता है । दल जल बोड इस बबाद को रोक ले तो उसे जलापूQत के ,लए /कसी नये "वकप क. जKरत नहं
रह जाती है । ले/कन हमारे दे श म6 कथत "वकास के ठे केदारN का एक ऐसा मा/फया तंh खड़ा हो गया है जो राजनीQतF
और अधका+रयN का आथक हत संर-क बना हुआ है । "वकास के इसी गठजोड़ के हत-पोषण के हे तु 50 साल के
भीतर
कृQत पर Qनभर करब चार करोड़ आदवासी व अय समुदायN के लोग आधुQनक "वकास प+रयोजनाएं खड़ी करने
के ,लए अपने पुRतैनी अधकार -ेhN जल, जंगल और जमीन से खदे ड़े गए ह7। िजनका उचत पुनवास लालफ.तीशाह
और Z:टाचार के चलते आज तक नहं हो पाया है ।
अब यहां समया यह उठती है /क हम "वकास का ऐसा कौन-सा आदश
Qतदश (मॉडल) तैयार कर6 िजसके अंतगत
"वकास क. गQतशीलता भी बनी रहे और पयावरण संर-ण क. दशा म6 समानांतर सुधार होता रहे ? आधुQनक "वकास का
आधार
ाकृQतक संसाधन ह7 ले/कन इनके "वनाश क. शत पर खQनजN के दोहन का वतमान ,सल,सला जार रहा तो
आ#थ%क सध
ु ार/ के दौरान घटा रोजगार
अजुन
सेन गfु त आयोग और /फ_क. के आथक व"ृ L और रोजगार के अवसर संबंधी अ=ययनN से बेहद चoकाने वाले
एवं "वरोधाभासी Qन:कष सामने आए ह7। गुfत ने अपने 1999 से 2005 के दौरान रोजगार क. िथQत म6 आए
प+रवतनN के आकलन का खुलासा करते हुए कहा है , इस बीच रोजगार के अवसर दो
Qतशत घटे ह7। जब/क इहं दो
दशकN म6 आथक सुधारN का बोलबाला रहा और सकल घरे लू उ'पाद दर म6 भी आशातीत व"ृ L दज क. गई। यह "वचhा
"वरोधाभास _यN? िजसम6 "वकास दर का Uाफ तो ऊपर जा रहा है ले/कन रोजगार के अवसर घट रहे ह7। /फ_क.
(फेडरे शन ऑफ इंqडया च6 बस ऑफ कॉमस एंड इंड;) भी भूमंडलकरण के अमल के दौरान डेढ़ दशक के अ=ययन से
इस नतीजे पर पहुंचा है /क आथक "वकासN के अनुपात म6 रोजगार के अवसर नहं बढ़े । गfु त ने यह अ=ययन पांच
साल पहले उस समय शK ु /कए थे जब सकल घरे लू उ'पाद दर चरम पर थी।
रा:;य कड़वी सaचाइयN से ब कराने का काम अजुन
सेन गfु त आयोग परू Qन:प-ता से करता रहा है । गप
ु त आयोग
ने ह बताया था /क दे श म6 7 करोड़ 30 लाख लोग 9 पये
Qतदन और 84 करोड़ लोग 20 पये
Qतदन क.
मामूल आय से गुजारा करते ह7। और अब उहNने आथक सुधारN के मुगालते को तोड़ते हुए तVय व साzयN से ताक.द
क. है /क बाजारवाद को बेलगाम बढ़ावा दे ने के युग म6 रोजगार क. दर दो
Qतशत घट है । गfु त आयोग ने यह भी
सुQनिRचत /कया है /क इस दौरान रोजी-रोट कमाने के अवसरN म6 बढ़ोतर संगठत -ेhN क. बजाय उन असंगठत -ेhN
म6 हुई है िजह6 सरकार संर-ण तो ,मला ह नहं बिक उनके कारोबार को बहुरा:;य कंपQनयN को सoपने के उपाय
/कए गए। हमारे दे श क. एक अरब से dयादा सबसे बड़ी आबाद का हसा असंगठत IयावसाQयक संथानN से ह
अपनी आजी"वका चलाता है । इन -ेhN म6 लघु व कुटर उOयोगN के साथ हाट बाजार, फल-स!जी व अय ऐसे छोटे
कारोबार आते ह7 िजनक. आय के ~ोत QनिRचत नहं ह7। ऐसे ह उOयोग-धंधN से 85
Qतशत आबाद जुड़ी हुई है ।
असंगठत -ेhN म6 रोजगार के अवसर बढ़ने के बावजूद आRचयजनक "वरोधाभास यह सामने आया है /क इनक. मा,सक
आमदनी क. दर म6 गरावट दज क. गई है । जब/क इहं दो दशकN म6 संगठत -ेh िजनम6 सरकार कायालय और
उप5म भी शा,मल ह7, उनम6 उचच
् पदN पर बैठे लोगN क. आय म6 जबरदत व"ृ L दर दज क. गई है । छठे वेतन आयोग
क. ,सफा+रश6 लागू हो जाने के बाद तो यह असमानता संघषशील वग के ,लए ई:या, कंु ठा व असंतोष का कारण बन
रह है । उaच वेतनमान पंज
ू ीवाद-भोगवाद संकृQत को बढ़ावा दे ने के साथ पयावरण द"ू षत करने के कारक के Kप म6
भी सामने आ रहे ह7। जो सामािजक असंतोष के "वफोटक कारण सा[बत हो सकते ह7?
यहां "वडंबना यह भी दे खने म6 आ रह है /क हमारे स'ताधार दल समेत अय राजनीQतक दलN के ,लए न तो
असंगठत -ेh का संर-ण कोई मुा है और न ह वे रोजगार के नये अवसर उ'सिजत करने के
Qत चंQतत दखाई
दे ते ह7। इस,लए चुनावी घोषणा-पhN म6 ये मुे कमोबेश नदारद ह7। इसके उलट दलल6 द जाती ह7 /क उaच वेतनमान
और उOयोग जगत को दए जाने वाले राहत पैकेजN से पैदा होने वाल सम"ृ L +रस-+रस कर असंगठत सम"ृ L क. आय
बढ़ाएगी।
के% म6 /फर से मनमोहन ,संह सरकार के का[बज होने के बाद उOयोग जगत इस,लए खुश है _यN/क उह6 उnमीद है
/क सरकार ऐसी आथक नीQतयN पर चलेगी िजससे औOयोगक "वकास तो कायम रहे ह उOयोग जगत को आथक
मंद से उबारने के बर_स राहत पैकेज ,मल6। _यN/क वैिRवक मंद ने ए,शया क. तीसर बड़ी अथIयवथा भारत पर
अनुमान से अधक असर डाला है । िजसके चलते अंदाजा लगाया जा रहा है /क साल 2009-10 म6 दे श के आथक
"वकास क. दर 6
Qतशत तक ,समटकर रह जाएगी। वैसे भी मनमोहन ,संह चुनाव
चार अ,भयान के दौरान ऐलान
करते रहे थे /क उनक. सरकार क. वा"पसी होती है तो वे 100 दन के भीतर [बगड़ी अथIयवथा सुधार द6 गे। इसी,लए
उOयोग जगत उnमीद लगाए बैठा है /क "वQनमाण और रोजगारोमुख उOयोगN के ,लए सरकार बड़ा आथक पैकेज ला
सकती है ।
यहां सरकार को यह खयाल रखने क. जKरत होगी /क औOयोगक "वकास और कृ"ष -ेh के "वकास के बीच बेहतर
संतुलन तो बना ह रहे , वंचत तबका भी असंतोष क. आग म6 न झुलसे इसके ,लए रा:;य Uामीण रोजगार योजना क.
तज पर खाOय का अधकार कानून भी लागू करना होगा। यह कानून सभी लोगN को पयाfत खाOय क. सुQनRचतता क.
गारं ट दे ता है । कांUेस ने अपने चुनावी घोषणा-पhा म6 इस कानून को लागू करने का वादा भी /कया है । _यN/क दे श के
कुलन व राजनीQतक पहुंच वाले लोगN ने
ाकृQतक संपदा से लेकर सावजQनक "वतरण
णाल से जुड़ी खाOय-सामUी पर
िजस तरह से जायज-नाजायज क!जा /कया हुआ है उससे भी "वषमता क. खाई बढ़ है । इसे भी कम करने के नज+रए
से खाOय सुर-ा कानून अमल म6 लाना जKर है । _यN/क
ाकृQतक संपदा व संसाधनN और सरकार काय Qन:पादन
संबंधी -ेhN म6 एकाधकार से भी असंगठत -ेhN म6 रोजगार के अवसर घटे ह7। यद ऐसे उपायN को अमल म6 लाया
जाता है तो आथक वL
ृ क. दर के साथ रोजगार के अवसरN म6 भी संतुलन बना रहे गा।
आ#थ%क वकास ने बढ़ाया भख
ू का दायरा
आथक "वकास के तमाम उप5मN के बीच भूख का लगातार बढ़ता दायरा भारत के आथक महाशि_त बनने के वfन
को Zम म6 त!दल कर रहा है । संयु_त रा:; के "वRव खाOय काय5म क. जो ताजा +रपोट सामने आई है उसने तय
/कया है /क "वकासशील दे शN क. दौड़ म6 शा,मल भारत म6 अमीर-गरबी क. खाई लगातार चौड़ी होते जाने के अनुपात
म6 भूख, "वषमता और असमानता का दायरा भी फैलता जा रहा है । यहां तक /क हम अ"वक,सत दे शN क. �)ंख
ृ ला म6
भी बेहद शमनाक िथQत म6 ह7।बहरहाल इस +रपोट ने यह तय कर दया है /क उं +ची व Zामक "वकास दर के आंकड़N
पर टका "वकास ढोल म6 पोल भर है ।
संयु_त रा:; "वRव खाOय सुर-ा क. +रपोट ने तय /कया है /क दQु नया म6 कुपोषण क. ,शकार कुल आबाद का 27
जाQतयN को बचाने के काम म6 लगे अंतरा:;य संर-ण संघ (आई.यू.सी.एन.) Oवारा जार क. गई 2007 क. रे ड ,लट
से खुलासा हुआ है /क पशु-पc-यN और पेड़-पौधN के ,लए धरती पर बड़ा संकट पैदा होता जा रहा है । 2008 तक खतरे
के दायरे म6 आने वाल
जाQतयN क. संlया 16 हजार 118 थी, जो अब बढ़कर 41 हजार 415 के आंकड़े को छू गई
है । यद दे श और उनक. सरकारN ने इनके संर-ण क. दशा म6 जKर और सlत कदम नहं उठाए तो जैव "व"वधता के
ास क. दर Qनरं तर बढ़ती चल जाएगी।
एक समय था जब मनु:य वय पशुओं के भय से गफ
ु ाओं म6 और पेड़N पर आ)य ढूढ़ता /फरता था। ले/कन dयN-dयN
मानव
गQत करता गया
ाPणयN का वामी बनने क. उसक. चाह बढ़ती गई। इस चाहत के चलते पशु असुरc-त हो
गए। वय जीव "वशेषFN ने जो ताजा आंकड़े
ाfत /कए ह7 उनसे संकेत ,मलते ह7 /क इंसान ने अपने Qनजी हतN क.
र-ा के ,लए "पछल तीन शताि!दयN म6 दQु नयासे लगभग 200 जीव-जंतुओं का अित'व ह ,मटाकर रख दया है ।
भारत म6 वतमानम6 करब 140 जीव-जंतु "वलोपशील अथवा संकटUत अवथा म6 ह7। आई.यू.सी.एन. क. इस साल क.
रे ड ,लट म6 /कए गए खुलासे के अनुसार
'येक चार तनधा+रयN म6 से एक, पc-यN म6 से एक, उभयचरN (जलचर
और थलचरN) क. एक-Qतहाई और "वRवभर के पेड़-पौधN क.
जाQतयां आसन खतरे का संकट झेल रह ह7। इन
जाQतयN के लुfत होते चले जाने से पा+रिथQतक. असंतुलन का खतरा भी मंडरा रहा है । इस रे ड ,लट से यह भी
संकेत ,मलते ह7 /क वय
ाPणयN क. सुर-ा क. गारं ट दे ने वाले रा:;य उOयान, अjयारtय और चqड़याघरN क. संपूण
Iयवथा इनका संर-ण कर पाने म6 असमथ सा[बत हो रह है । नतीजतन जैव "व"वधता का ास लगातार बना हुआ है ।
दरअसल अjयारणय वय
ाPणयN को बचाने का एक
य'न भर ह7। इन सरकार उप5मN म6 वन और वय
ाPणयN के
दष
ू ण क. संभावनाएं बढ़ ह7। नलकूपN के बड़ी माhा म6 खनन से कुओं के जलतर पर जबदत
Qतकूल
भाव पड़ा है ।
कुओं क. हालत यह है /क 75
Qतशत कुएं हर साल दसंबर माह म6, 10
Qतशत जनवर म6 और 10
Qतशत अ
ैल
माह म6 सूख जाते ह7। पूरे
दे श म6 केवल दो
Qतशत ऐसे कुएं ह7, िजनम6 बरसात के पहले तक पानी रहता है । Uाम
,संहQनवास (,शवपुर) के कृषक बुLाराम कहते ह7 इस इलाके म6 जब से #यूबवैल बड़ी माhा म6 लगे ह7 तब से कुओं का
पानी जद सूखने लगा है । ,शवपुर िजला पंचाय के पूव अ=य- राम,संह यादव का कहना है , ‘एक #यूबवैल 5 से 10
कुओं का पानी सोख लेता है ।' जल "वशेषF और पयावरण"वO भी अब मानने लगे ह7 /क जल तर को न:ट करने और
जलधाराओं क. गQत अवL करने म6 नलकूपN क. मुlय भू,मका रह है । नलकूपN के खनन म6 तेजी आने से पहले तक
कुओं म6 लबालब पानी रहता था, ले/कन सफल नलकूपN क. पूर एक �)ंख
ृ ला तैयार होने के बाद कुएं समय से पहले
सूखने लगे।
भू,म संर-ण "वभाग के अधका+रयN का इस ,सल,सले म6 कहना है /क भू,म म6 210 से लेकर 330 फ.ट तक छे द
(बोर) कर दए जाने से धरती क. परतN म6 बह रह जलधाराएं नीचे चल गv। इससे जलतर भी नीचे चला गया और
dयादातर कुएं समय से पूव ह सूखने लगे।
नलकूपN का खनन करने वाल +रiग और गेज मशीनN के चलने म6 धरती क. परतN का बहुत बड़ा -ेh
कं"पत होता है ।
इससे अ"वरल बह रह जलधाराओं पर
Qतकूल
भाव पड़ा और जलधाराओं क. पूर संरचना अत-Iयत होकर [बखर
गई जो जलतर िथर बनाए रखने म6 सहायक रहती थी। अब हालात इतने बदतर हो गए ह7 /क जलतर तीन सौ से
आठ सौ फ.ट नीचे तक चला गया है । ये मशीन6 आठ इंच तक का चौड़ा छे द करती ह7। ,लहाजा यह तो QनिRचत है /क
ू ण क. समया भी खड़ी कर6 गी, _यो/क अधक गहराई से Qनकाले
ये मशीन6 जलतर क. समया बढ़ाएंगी ह जल
दष
गए जल म6 अनेक
कार के खQनज व लवण घुले होते ह7 और जल क. सतह पर जहरल गैस6 छा जाती ह7 जो अनेक
रोगN को जम दे ती ह7। ये गैस6 गहरे कुओं के ,लए और भी घातक होती ह7।
,भंड िजले के कुओं म6 हर साल जहरल गैसN का +रसाव होता है । "पछले 6-7 सालN के भीतर यहां दो दजन से dयादा
लोग जहरल गैसN क. गर|त म6 आकर
ाण गंवा चुके ह7। ,भंड िजले के UामN म6 कुएं 75 से 125 फ.ट तक गहरे ह7।
पानी खींचने के ,लए पानी क. मोटर6 लगी हुई ह7। जब कभी मोटर खराब हो जाती है तो /कसान को खराबी दे खने के
,लए कुओं म6 उतरना होता है और अनजाने म6 ह /कसान जल क. सतह तक Qनकलकर फैल गेस क. चपेट म6 आकर
ाकृQतक संसाधनN म6 से एक है ‘पानी' के साथ हमारे दे श म6 ऐसा ह ह) हुआ है । ‘जल ह जीवन है ' क. वात"वकता
से अवगत होने के बावजूद पानी क. उपल!धता भू,म के नीचे और ऊपर Qनरं तर कम होती रह है । आजाद के दौरान
Qत Iयि_त सालाना दर के हसाब से पानी क. उपल!धता छः हजार घनमीटर थी, जो अब घटकर करब एक हजार दो
सौ घनमीटर रह गई है । िजस तेजी से पानी के इतेमाल के ,लए दबाव बढ़ रहा है और िजस बेरहमी से भू,म के नीचे
के जल का दोहन नलकूपN से और नद, नालN, कुओं व छोटे ताल-तलैयN से पंपN के ज+रए /कया जा रहा है उससे यह
QनिRचत-सा हो जाता है /क अगले कुछ सालN बाद जल क. उपल!धता घटकर बमुिRकल एक हजार घनमीटर से भी कम
रह जाएगी।
पूव म6 टाटा एनजu +रसच इंट#यूट (टे र) के अनुसंधानपरक अ=ययनN से यह सा[बत हुआ है /क भू,मगत जल के
आवRयकता से अधक
योग से भावी पीढ़यN को कालांतर म6 जबरदत जल समया और जल संकट का सामना करना
होगा। नलकूपN के उ'खनन संबंधी िजन आंकड़N को हमने ‘5ांQत' क. संFा द, दरअसल यह संFा तबाह क. पव
ू सूचना
है िजसे हम नजरअंदाज करते चले आ रहे ह7। दे श म6 खाOयान सुलभता को आंकड़N को "पछले साठ साल क. एक बड़ी
उपलि!ध बताया जा रहा है , ले/कन इस खाOयान उ'पादन के ,लए िजस ह+रत 5ांQत
ौOयोगक. का उपयोग /कया
गया है उसके कारण नलकूपN क. संlया कुकुरमु'तN क. तरह बढ़ है , ले/कन उतनी ह तेजी से भू,मगत जल क.
उपल!धता घट है ।
अभी तक भू,मगत जल का ह संकट प+रलc-त हो रहा था ले/कन अब क6%य जल आयोग ने जलाशयN म6 जलाभाव
संबंधी जो आंकड़े दए ह7, उनसे यह आशंकाएं बढ़ गयी ह7 /क बबाद क. बQु नयाद पर िजन बड़े जलाशयN क.
आधार,शला रखी गई थीं और उनसे जल व "वOयुत उपल!धता के जो दावे बढ़ा-चढ़ाकर पेश /कए जा रहे थे वे खोखले
सा[बत होने लगे ह7। हालां/क आजाद के बाद भारतीय जन-मानस िजस तेजी से ,शc-त होने के बाद उपभो_तावाद
संकृQत का अनुयायी हुआ, उसी तेजी से उसने जल और "वOयुत दोनN का बेरहमी से द
ु पयोग भी करना शुK कर
दया। इस द
ु पयोग म6 सरकार मशीनर भी भागीदार है । सरकार और कापEरे ट द|तरN के क-N को वातानुकू,लत बनाए
रखने के ,लए चौबीसN घंटे एयर कंडीशनर का
योग /कया जाने लगा, वहं खेतN म6 फसल क. ,संचाई के ,लए [बजल
क. उपल!धता नहं है । ग,मयN म6 भी इन द|तरN म6 इतनी ठं डक पैदा कर द जाती है /क द|तरN म6 कायरत लोगN को
ु पयोग नहं तो और _या है ? [बजल के ऐसे द
गम कपड़े पहनने होते ह7। यह [बजल का द ु पयोग पर हर -ेh म6
अंकुश लगाया जाना अ'यत जKर है । यद केवल ए.सी. पर अंकुश लगाया जाता है तो हजारN मेगावाट [बजल
द
ु पयोग से बचेगी।
बड़े बांध (जलाशय) हजारN एकड़ भू,म पर खड़े जंगलN को काटकर बनाए जाते ह7। जब/क ये जंगल जलवायु को संतु,लत
बनाए रखने के साथ, धरती म6 नमी बनाए रखने के ,लए भी जKर ह7। इस नमी से भी ,म#ट म6 0.2
Qतशत आ%ता
रहती है । इसी आ%ता से वायु म6 0.1
Qतशत शीतलता बनी रहती है । जंगल और दल
ु भ
वय
ाPणयN के ,लए भी इन
जंगलN का अित'व बनाए रखना जKर है । ले/कन हम वय
ाPणयN क. तो _या, बड़े बांधN के ,लए उन बितयN और
उनम6 रहने वाले लोगN को भी उजाड़ दे ते ह7 जो जल और जंगल से आ'मसात होते हुए सदयN से जीवन गुजारते चले
आ रहे होते ह7। जब इन लोगN का संबंध बांध -ेhN क. जमीन और जंगल से "वथापन के बहाने टूट जाता है तो इनक.
कई पीढ़यां कई दशकN तक दाने-दाने को मोहताज बनी रहती ह7। भले ह सरकार इनके ठwक से पन
ु था"पत /कए जाने
के चाहे िजतने ह दावे करती रहे ?
पाRचा'य और आयात ,श-ा तंh के बहाने हमारे राजनेताओं और नौकरशाहN ने पारं प+रक जीवन-पLQतयN क. अवहलेना
कर "वकास के नये ढांचN को सदयN के ,लए उपयोगी जताकर भले ह खड़ा /कया हो? दे श क. आजाद के पचास-साठ
साल के भीतर ह "वकास क. कथत अवधारणाएं खंqडत होने लगी ह7 ओर इनके नतीजे Qनरथक सा[बत होने के साथ
कृQत के साथ /कए Pखलवाड़ को भी प:ट करने लगे ह7। यह कारण है /क आज हम अवषा अथवा कम वषा जल और
"वOयुत संकट का सामना करने के ,लए "ववश और लाचार दखाई दे रहे ह7।
इस समया के Qनराकरण के साथक उपाय बड़ी माhा म6 पारं प+रक जलUहण के भंडार तैयारन करना है । पारं प+रक
मानते हुए जलUहण क. इन तकनीकN क. हमने "पछले पचास-साठ सालN म6 घोर उपे-ा क. है , नतीजतन आज हम जल
समया से जूझ रहे ह7, जब/क इहं तकनीकN के ज+रए थानीय ,म#ट और प'थर से पOम)ी और पOम"वभूषण से
ु ई से महारा:; के गांव रालेगन ,स"L म6 जो जल भंडार तैयार /कए गए ह7, उनके
सnमाQनत अtणा हजारे क. अगआ
Qन:कष समाज के सवाyगीण "वकास, सम"ृ L और रोजगार के इतने ठोस आधार बने ह7 /क वे जल संUहण क.
अ,भयां[hक. तकनीक (वाटर +रसोसpज इंजीQनय+रंग टे _नोलॉजी) और रोजगार मूलक सरकार काय5मN के ,लए जबदत
चुनौती सा[बत हुए ह7।
अtणा हजारे Oवारा इजाद /कए कुशल जल
बंधन पयावरण क. एक साथ तीन समयाओं का Qनदान खोजने म6 भी
सहायक ह7। इस तकनीक से भूगभuय जलतर बढ़ा है । भू--रण का है और बड़े बांधN के जल +रसाव से खेती के ,लए
उपयोगी जो हजारN बीघा जमीन दलदल बन जाती है उसक. कोई गुंजाइश नहं है, साथ ह जंगलN का "वनाश करने क.
भी जKरत नहं है । ऐसी तकनीक इजाद करने म6 हमारे वैFाQनक और इंजीQनयर नाकाम रहे ह7। जल संUहण क. इन
तकनीकN क. एक खा,सयत यह भी है /क इनक. संरचना के Qनमाण म6 /कसी भी सामUी को बाहर से लाने क. जKरत
नहं है । थानीय ,म#ट, पानी और प'थर से ह जल संUहण क. ये सफल तकनीक6 तैयार होती ह7। यद इन तकनीकN
का गंभीरता से अनुसरण नहं /कया गया तो पूरे रा:; को जल "वOयुत और न जाने कौन-कौन सी
ाकृQतक आपदाओं
का सामना करना पड़ेगा। िजनसे Qनपटना सरकार और
शासन के सामVय क. बात नहं रह जाएगी।
ाकृQतक संपदा कुछ Qनजी हाथN क. संपि'त म6 त!दल होती चल गई।
जैव "व"वधता के ,लए जKर पांच त'वN म6 से सबसे dयादा हाQन जल और पVृ वी क. हुई। औOयोगक इकाइयN ने जल
का इस हद तक दोहन /कया /क जल संकट तो बढ़ा ह पVृ वी क. नमी भी जाती रह। नमी क. कमी से जैव "व"वधता
क. जड़6 भी मुरझाती चल गv। उOयोगN के कारण शहरकरण बढ़ा और शहरकरण के "वतार से कृ"ष भू,म घट इस
"वतार ने भी जैव "व"वधता को रoदा।नतीजतन भारत म6 उपल!ध 33
Qतशत वनपQतयां तथा 62
Qतशत जीव-
जंतुओं काअित'व संकट म6 है । यद "वकास क. यह गQत रह तो 2050 तक "वRव क. एक चौथाई
जाQतयां लुfत हो
जाएंगी और मानव के ,लए भूख का संकट और गहरा जाएगा।
क.टनाशक भी जैव "व"वधता के "वनाश के कारण बने। यद "वRव वाVय संगठन क. मान6 तो करब बीस हजार लोग
ाकृQतक Kप से उ'पन होने वाल पु:प बल+रयां न:ट हो रह ह7। इन पु:पN क. कई /कमN का उपयोग वनवासी
भोdय पदाथ के Kप म6 करते चले आ रहे ह7, िजससे अब उह6 नये कानूनी
ावधानN के माफत वंचत /कया जा रहा है ।
न:ट होती जैव "व"वधता से बेतरह
भा"वत होने वाले वे छोटे सीमांत /कसान और वनवासी ह7 िजनके ,लए भू,म के
टुकड़े, जल~ोत और वन
दे श
ाकृQतक धरोहर6 थीं। ले/कन कृ"ष -ेh म6 आधुQनक.करण, औOयोगक "वकास और
शहरकरण ने पा+रिथQतक. तंh के ढांचे को =वत /कया। नतीजतन जैव "व"वधता के -रण का 5म शुK हुआ।
भूमंडलकरण क. शुआत के समय यह आशा क. गई थी /क वतुओं क. गण
ु व'ता और
ाकृQतक संपदा के संर-ण पर
सरकार ,शकंजा और मजबूत होगा, ले/कन बहुरा:;य कंपQनयN और दे शी मा/फयाओं के सम- जैसे पूरे सरकार तंh ने
घुटने टे क दए। जब/क सरकार तंh को =यान रखना चाहए /क जैव "व"वधता, "वल-णता का वैकिपक अवतरण
सरल व संभव नहं है । जैव "व"वधता के "वनाश ने भी गरब को भोजन से वंचत /कया हुआ है । िजसे
खरता से
रे खां/कत नहं /कया गया।