Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 7

चम्मच चालीसा

चम्मच जिनके पास है, चम्मच उनके खास।


जिनसे चम्मच दूर है ,उनको जमलता त्रास।।
जनत चम्मच सेवा करे , जमलता अंतज्ञ
त ान।
जहय चम्मच जिनके बसे ,रहता अंततध्यान।।2।।दोहा
जिय चम्मच तू िगत अधारा। सबका रहे सशक्त सहारा।।
बहुरुप ये जनमतल मन िेमी ।सकल सकू प कु शल धन क्षेमी।। 2
चम्मच जमलते गुर के ज्ञानी। घाट - घाट का पीते पानी।।
चम्मच सवतत्र पाये िाते। िजतभा अपनी नहीं जिपाते।।4
अपनी रचना आप सुहाये। चमचे सँग - सँग लुत्फ उठाये।।
घर घर में है इसकी शोभा। चम्मच पद का िरा न लोभा।।6

काम हमेशा करते ररस्की। महफफल में फफर पीते जहहस्की।।


लल्लो-चप्पो काम सुहाया। बदले में जमलती है माया।।8

जमलते हैं सुर अलाप ऐसे ।िनम -िनम के बंधन िैसे।।


जिनके समीप चमचे रहते। चमचे ही चमचे को सहते।।10

चम्मच अमृत पान कराता । चमचों को चमचा न सुहाता।।


मौनी बन गरल घूटं पीते । मन मसोस अधरों को सीते।।12
बच्चे - बूढे चम्मच भाये । िीवन घुट्टी उन्हें जपलाये।।
चम्चच से िो दूध जपलाते। सेहत सुखमय खूब बनाते।।14

दवा घुट्टी चमम्च की खुराकें । पीते बच्चे मुँह को बनाके ।।


चम्मच जनि भोिन देवे। सूप धूप सब चाखन लेवे ।।16
खाना में चम्मच शोजभत। रसाल टपके सचमुच लोजभत।।
बाबा िी का टाजनक खाते । िीभ चाटकर उसे िु डाते।।18
पूिन- हवन आचमन होता । चम्मच से ही अचतन होता ।।
भगवन को िो भोग लगाते । चम्मच घृत ले उन्हें अघाते।।20
जडब्बे से िब जनकले बाती।फदया को चम्मच घी जपलाती।।
संत समागम चम्मच करते । अपनी मिी से दम भरते।।22

िसाद पत्रक के तुम जवक्रेता । युगों - युगों के हैं हम क्रेता।।


कथा पुराण तुमसे कम है । सबके सेवक साथ जवषम हैं ।।24

गलत साजहत्य चमचा पाले। सही साजहत्य सहता चाले।।


फू हडता के गीत बनाये । साजहत्य सूर उन्हें बनाये।।26

पँजक्त के सुर मात्रा गायब । वाह वाही के पात्र नायब।।


स्तुजत करते है अपनी अपनी । फे रें माला िपनी िपनी।।28
िग में चमचालोक बनाते। शब्द ये दंभ लोभ जगनाते।।
घर आँफफस क्या संसद बाकी। चम्मच के पैमाने साकी।।30

जमली भगत से काम बनाये । टोप इसकी उसे पहनाये।।


आँफफस में चक्कर से रोके ।पैसे के िब जमलते मौके ।।32

नेता के तुम िाण अधारे । ऊपरी दौलत आप सहारे ।।


चम्मचिी नेता जियदेही । सफल काि के परम सनेही।।34

जबन नेता के चम्मच सूना। आमद सबकी करता दूना।।


िय चम्मच िय चमचावासी। चम्मच जवहीन रहे उदासी।।36
चम्मच राष्ट्र धरोहर मानें ।जवपजत सभी की हररहर िानें।।
राष्ट्र संपजि चम्मच हो िाये ।हम राष्ट्र जचन्ह उसे बनायें।।38
राम बाण चम्मच को साधे । पुलफकत जहय िेम अगाधे।।
िो पढ़ते चम्मच चालीसा ।अबाध धन पाये आशीषा ।।40
चम्मच कबहुँ न िोजडए,चम्मच हरता ताप।
जिनके सँग चम्मच रहे, उसे नहीं संताप।।दोहा।।
डॉ.रामकु मार चतुवेदी LL.M.Ph.D.
जिला जसवनी(म.ि.) 480661
मो.9425888876,7000041610
Email: rkchatai@gmail.com

You might also like