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प्रककाशक

ममंतत
सस्तका सकाहहित्य मण्डल
एन-७७, कननॉट सकरस, नई हदिलत-११०००१

चचौथत बकार : २००१


प्रहतयनॉय : १,०००
ममूल्य : र. २०.००

ममुद्रक
बमुकममैन हप्रन्टसर
हदिलत-६२
यहि मकालका

इस मकालका मम बडत सरल-समुबबोध भकाषका मम भकारत कक आत्मका कक झकामंकक हदिखकानन कका प्रयत्न हकयका गयका हिमै। भकारत समंतत, हविदकानत,
वितरत, पविरतत, ततथर, नहदियत, विनत आहदि-आहदि कका दिनश हिमै। उत्तर उसन लनकर दिहक्षिण तक और पमूविर सन लनकर पहशचम तक
समंस्कक हतक कक ऐसत धकारका प्रविकाहहित हिबोतत हिमै, जबो सकारन दिनश कबो एक और अखमंड बनकातत हिमै।
भकारत मम अननक धमर हिह, अननक भकाषकाएमं हिह, नकानका प्रककार कन आचकार-हविचकार हिह, लनहकन हफिर भत अननकतका कन बतच
एकतका हदिखकाई दिनतत हिमै। इसकका ककारण यहि हिमै हक हिमकारन समंतत और महिकापमुरषत नन कभत मनमुष्य कन बकाहिरत भनदित पर जबोर नहिह
हदियका। उन्हितनन इमंसकान कबो इमंसकान कन रप मम दिनखका। हिमकारन ततथर, पविरत, नहदियकामं, आहदि हकसत धमर-हविशनष कन नहिह हिह, सबकन हिह।
इस मकालका कक पमुस्तकत कन पतछन हिमकारत यहित भकाविनका हिमै हक पकाठक अपनन दिनश कबो अच्छत तरहि दिनखम, उसकन असलत
रप कबो पहिचकानम और एक महिकान दिनश कन नकागररक कन नकातन उनकन जबो कतरव्य हिह, उनकका पकालन करम।
पमुस्तकत कक भकाषका इतनत आसकान हिमै हक कम पढन-हलखन पकाठक भत इन्हिम अच्छत तरहि पढ और समझ सकतन हिह।
प्रत्यनक पमुस्तक मम कई-कई हचत भत हदियन गए हिह।
हिम आशका करतन हिह हक पकाठक इन पमुस्तकत कबो बडन चकावि सन पढमगन, दिस मू रत कक पढविकायन और इनकका भरपमूर लकाभ लमगन।
-ममंतत
पकाठकत सन

इस पमुस्तक मम ऐसत सकामगत दित गई हिमै, जबो पकाठकत कबो, हविशनषकर नई पतढत कबो, चररत-हनमकारण कक हशक्षिका दिनतत हिमै। विनदित,
उपहनषदित और महिकाभकारत कन चमुनन हिहए समुभकाहषतत कन सकाथ-सकाथ ततथर्थंकर महिकावितर, गचौतम बमुद, ईसका मसतहि, हिज़रत ममुहिम्मदि
औरगमुर नकानक कन हविचकार-रत्न हदियन हिह। इसकन अहतररक महिकात्मका गकामंधत, आचकायर हविनबोबका और रवितन्द्रनकाथ ठकाकमुर कक प्रनरक
कक हतयत कका समकाविनश हकयका गयका हिमै। महिहषर टकाल्सटकाय कक एक मकाहमरक कहिकानत और खलतल हज़बकान ककएक उदबोधक रचनका दित
हिमै। कमु ल हमलकाकर यहि पमुस्तक ऐसत बन गई हिमै हक इसन जबो भत पढनगका, उसन लकाभ हिबोगका।
पकाठकत सन हिमकारका अनमुरबोध हिमै हक विन इस तथका इस मकालका कक अन्य पमुस्तकत कबो चकावि सन पढन और दिसमू रत कबो पढनन कन हलए
प्रनररत करम।
-सम्पकादिक

अनमुक्र म
समं.ममंगलदिनवि शकासत विमैहदिक धकारका कका अमकत सबोत
समं. सख्यसकाचत उपहनषदित कक प्रसकादित
समं. ‘कमु मकार’ महिकाभकारत कक हसखकाविन
हलयबो टकाल्सटकाय प्रनम मम भगविका
ततथर्थंकर महिकावितर ममंगल-मकागर
गचौतम बमुद धमर कका पथ
ईसका मसतहि स्विगर कका रकाज्य
नकानक दिनवि गमुर नकानक कन सबदि
मबोहिनदिकास करमचन्दि गकामंधत नतहत कन हनयम
सकानन गमुरजत प्रनम कका प्रभकावि
हविनबोबका रबोज कक प्रकाथरनका
खलतल हजबकान प्रनम
स्विकामत ममुककानन्दि परमहिमंस अभनदि दृहष
रवितन्द्रनकाथ ठकाकमुर प्रभमु-कक पका
रकामनशविरदियकाल दिबमु न जबो जकानतन हिमै, उसन हजयन
यशपकाल जमैन बमुहढयका कक बकानत
हिज़रत ममुहिम्मदि सकाहिनब खमुदिका कन बन्दित कबो नसतहितम
विमैह दिक धकारका कका अमकत -सबोत
□स. ममंग लदिनवि शकासत

मनरन मन कन समंकल्प शमुभ और कल्यकाण-मय हित। (यजमु० ३४/१)


हिन दिनवि! समस्त दिगमु मुरणत कबो हिमसन दिरमू ककहजए और जबो कल्यकाण-प्रदि हिमै उसन हिमम प्रकाप करकाइयन।
(यजमु० ३०/३)
हिन प्रककाश-स्विरप अहग-दिनवि! ममुझन दिष्मु कमर सन बचकाकर सत्कमर मम दृढतका सन स्थकाहपत ककहजए।
(यजमु० ४/२८)
भगविकानन! ऐसत प्रनरणका ककहजए, हजससन हिमकारका मन कल्यकाण अथविका शमुभ मकागर कका हित अनमुसरण करन।
(ऋगन० १०/२०/१)
हिम ककानत सन शमुभ समुनम और आमंखत सन शमुभ हित दिनख।म (यजमु० २५/२१)
हिमम ऐसन शमुभ समंकल्प प्रकाप हित, जबो सविरथका अहविचल हित, हजनकबो सकाधकारण मनमुष्य नहिह समझतन और जबो हिमम उत्तरबोत्तर
उत्कक ष जतविन कक ओर लन जकानन विकालन हित।
(यजमु० २५/१४)

मनमुष्य कबो चकाहहिए हक विहि अपनन कत्तरव्य-कमर कबो करतका हिहआ हित पमूणर आयमु-पयरन्त जतनन कक, अथकारतन अपनन कबो
सममुन्नत करनन कक, इच्छका करन। उसकका कल्यकाण इसत मम हिमै; कत्तरव्य-कमर कबो छबोडकर भकागनन मम नहिह। कमर-बन्धन सन बचनन
कका यहित उपकाय हिमै।
(यजमु० ४०/२)

सकारन हविशवि मम अन्तयकारमत भगविकान व्यकाप हिमै। कमर करनन पर ईशविर दकारका जबो भत फिल प्रकाप हिबो, उसकका तमुम उपभबोग करबो।
मू रन कबो प्रकाप हिमै, उस पर अपनका मन मत चलकाओ।
जबो दिस
(यजमु० ४०/१)

जबो श्रम नहिह करतका, उसकन सकाथ दिनवितका हमततका नहिह करतन। (ऋगन० ४/३३/११)

मनमुष्य अपनन ध्यनय कबो श्रम और तप सन हित प्रकाप कर सकतका हिमै। (ऋगन० ५/४४/८)

हनष्पकाप मनमुष्य कन हलए अममूल्य रत्न स्वियमं उपहस्थत हिबो जकातन हिह। (ऋगन ८/६७/७)

अजकानरपत अन्धककार सन उत्तरबोत्तर प्रककाश कक ओर बढतन हिहए हिम, दिनवितकाओमं मम समूयर कन समकान उत्तम ज्यबोहत अथकारतन
सविर्वोत्कक ष व्यविस्थका कबो प्रकाप करम। (यजमु० २०/२१)
भगविकानन! अपमूणर जतविन कक अविस्थका सन हिमम पमूणरतका कन जतविन कका प्रकाप करकाइए।
(अथविर १८/३/६२)

हिम उत्कक ष और शमुभ जतविन कन हलए उदबोगशतल हित। (यजमु० ४/८८)


हिम नवितन सन नवितनतर और उत्कक ष सन उत्कक षतर जतविन कक ओर बढतन रहिम।
(ऋगन १०/५९/१)

हिम सचौ, और सचौ सन भत अहधक, विषर तक जतविन-यकातका करम, अपनन जकान कबो बरकाबर बढकातन रहिम, उत्तरबोत्तर
उत्कक ष उन्नहत कबो प्रकाप करतन रहिम, पमुहष और दृढतका कबो प्रकाप करतन रहिम, आनन्दि-मय जतविन व्यततत करतन रहिम और समकहद,
ऐशवियर तथका सदणमु त सन अपनन कबो भमूहषत करतन रहिम। (अथविर० १९/६७/२-८)

हिम सदिका प्रसन्न-हचत्त रहितन हिहए उगतन हिहए समूयर कबो दिनखम, अथकारतन उलकास कन सकाथ जतविन कन प्रत्यनक हदिन कका
स्विकागत करम। (ऋगन० ६/५२/५)

हिमकारत जतविन-चयकार ऐसत हिबो, हजससन यहि सकारका जगत हिमकबो व्यकाहधयत सन बचकाकर प्रसन्नतका दिननन विकालका बनन।
(यजमु० १६/४)

बह्मचयर व्रत कबो धकारण करननविकालका प्रककाशमय बह्म समकाहष-रप (बह्म अथविका जकान) कबो धकारण करतका हिमै और
उसमम समस्त दिनवितका ओतप्रबोत हिबोतन हिह, अथकारतन विहि समस्त दिमैवित शहकयत सन प्रककाश और प्रनरणका कबो प्रकाप कर सकतका हिमै।
बह्मचकारत तप और श्रम कका जतविन व्यततत करतका हिहआ समस्त रकाषष कन उत्थकान मम सहिकायक हिबोतका हिमै।
(अथविर० ११/५/४)

सत्य भकाषण दकारका हित मह अपनन कबो सब बमुरकाइयत सन बचका सकतका हिहमं।
(ऋगन० १०/३७/२)
तमुम न भयभतत हिबोओ न, उहदग। (यजमु० १/२३)

जमैसन आककाश और पकथ्वित अपनन-अपनन कत्तरव्य कन पकालन मम न तबो डरतन हिह, न कबोई उनकबो हिकाहन पहिहमंचका सकतका हिमै, इसत
प्रककार हिन मनरन प्रकाण! तमू भत भय कबो प्रकाप न हिबो।
जमैसन समूयर और चन्द्रमका न तबो भय कबो प्रकाप हिबोतन हिह, न कबोई उनकबो हिकाहन पहिहमंचका सकतका हिमै, इसत प्रककार हिन मनरन प्रकाण! तमू भत
भय कबो प्रकाप न हिबो। (अथविर० २/१५/१३)

हिम चकाहितन हिह हक हिमकारन शरतर पत्थर कन समकान समुदृढ हित। (यजमु० २/१५/१३)

हिम कल्यकाण-मकागर पर चलतन हिहए विकदकाविस्थका कबो प्रकाप हित। (यजमु० १०/३७/६)
हिन गकहिस्थबो! तमुम्हिकारन पकाररविकाररक जतविन मम परस्पर ऐक्य, सचौहिकादिर और सदकाविनका हिबोनत चकाहहिए। दनष कक गमंध भत न हिबो। तमुम एक-
दिसमू रन सन उसत तरहि प्रनम करबो, जमैसन गचौ अपनन तमुरन्त जन्मन बछडन कबो प्यकार करतत हिमै।

पमुत अपनन मकातका-हपतका कका आजकाककारत और उनकन सकाथ एकमन हिबोकर रहिन। पत्नत अपनन पहत कन प्रहत मधमुर और स्ननहि-यमुक
विकाणत कका हित व्यविहिकार करन। (अथविर० ३/३०/१-३)

मह मनमुष्य क्यका, सब प्रकाहणयत कबो हमत कक दृहष सन दिनखमूमं। हिम सब परस्पर हमत कक दृहष सन दिनख।म
(यजमु० ३६/१८)

एक-दिस
मू रन कक सविरथका रक्षिका और सहिकायतका करनका मनमुष्यत कका प्रथम कत्तरव्य हिमै।
(ऋगन० ३/७५/१४)
मह इन्द्र अथकारतन शहक कका कन न्द्र हिहमं। मनरत परकाजय नहिह हिबो सकतत (ऋगन० १०/४८/५)
सब प्रकाहणयत मम मनमुष्य सकहषकतकार परमनशविर कन अत्यन्त समतप हिमै।
(शतपथ बकाह्मण २/५/१/१)

सकाविधकान रहिबो हक तमुम्हिकारत विकास्तहविक उन्नहत कन बकाधक शतमु तमुम पर हविजय प्रकाप न कर सकम ।
(यजमु० ४/३४)

हिमकारन जतविन मम ईशविर सन प्रकाप पदिकाथर मम सदिका हित यबोग्यतका और औहचत्य कका आधकार हिबोतका हिमै।
मनरन समस्त अमंग पमूणर स्विस्थतका सन अपनका-अपनका ककायर करम, यहित मह चकाहितका हिहमं। मनरत विकाणत, प्रकाणत और ककान अपनका-अपनका
ककाम कर सकम । मनरन बकाल ककालन रहिम। दिकामंतत मम कबोई रबोग न हिबो। बकाहिहओमं मम बहिहत बल हिबो। मनरत उरओमं मम ओज, जकामंघत मम विनग
और पमैरत मम दृढतका हिबो।
(अथविर० १९/६०/१-२)

हिन मनमुष्यबो! जमैसन सनकातन सन हविदमकान, हदिव्य शहकयत सन सम्पन्न, समूयर, चन्द्र, विकाय,मु अहग आहदि दिनवि परस्पर अहविरबोध भकावि
सन, प्रनम सन, अपनन-अपनन ककायर कबो करतन हिह, विमैसन हित तमुम भत समहष-भकाविनका सन प्रनररत हिबोकर एक सकाथ ककायर मम प्रविकत हिबोओ,
ऐकमत्य सन रहिबो और परस्पर सदकावि बरतबो। (ऋगन०
१०/१९१/२)

तमुम्हिकारन अहभप्रकायत मम, तमुम्हिकारन हृदियत (अथविका भकाविनकाओमं) मम और तमुम्हिकारन मनत मम एकतका कक भकाविनका रहिनत चकाहहिए, हजससन
तमुम्हिकारत सकाममुदिकाहयक शहक कका हविककास हिबो सकन ।
(ऋगन० १००/१९/४)
जनतका हित रकाषष कबो बनकातत हिमै। (ऐतरनय बकाह्मण ८/२३)

रकाजका कक हस्थहत प्रजका पर हित हनभरर हिबोतका हिमै। (यजमु० २०/९)

भगविकानन! ऐसत कक पका ककहजए, हजससन मह मनमुष्य-मकात कन प्रहत, चकाहिन मह उनकबो जकानतका हिहमं अथविका नहिह, सदकाविनका रख
सकमूमं । (अथविर० १७/१/७)

आओ, हिम सब हमलकर ऐसत प्रकाथरनका करम, हजससन मनमुष्यत मम परस्पर समुमहत और सदकाविनका कका हविस्तकार हिबो।
(अथविर० ३/३०/४)

अत्यन्त हविस्तकत तनज सन यमुक समूयर कका उदिय हिम सबकन हलए शकाहन्तदिकायक हिबो। चकारत हदिशकाएमं हिमकारन हलए शकामंहत
दिनननविकालत हित। (ऋगन० ७/३५/८)
विकायमु हिमकारन हलए समुख-रप हिबोकर चलन। समूयर हिमकारन हलए समुख-रप हिबोकर तपन। अत्यन्त गरजनन विकालन पजरन्य दिनवि भत
हिमकारन हलए समुख-रप हिबोकर अच्छत तरहि बरसम।
(यजमु० ३६/१०)

उपहनषदित कक प्रसकादित
□समं० सव्यसकाचत
जबो समस्त प्रकाहणयत कबो अपनन मम और अपनन कबो समस्त प्रकाहणयत मम दिनखतका हिमै, विहि एककात्म-दिशरन कन ककारण हकसत
कबो घकणका यका उपनक्षिका कका पकात नहिह समझतका, अथकारतन विहि सबकन हहित मम हित अपनन हहित कबो समझतका हिमै।
(ईशबोपहनषदि-६)

मह बह्म कका, मनमुष्य-जतविन कन सविर्वोत्कक ष लक्ष्य कका, हनरकाकरण न करमं। बह्म मनरका हनरकाकरण न करन। मह बरकाबर
आत्मबोत्कषर कन मकागर पर अगसर हिबोतका रहिहमं।
(कन नबोपहनषदि-शकाहन्तपकाठ)

मनमुष्य कक तकहप धन सन नहिह हिबो सकतत। (कठबोपहनषदि १/२/२७)

जबो बमुरन आचरण सन नहिह हिटका हिमै, जबो अशकान्त हिमै, हजसकका हचत्त असमकाहहित यका अशकामंत हिमै, विहि प्रजकान सन-कन विल
बमुहदविकादि सन-आत्म-तत्वि कबो नहिह पका सकतका।
(कठबोपहनषदि १/२/२४)

तमू आत्मका कबो रथत और शरतर कबो रथ समझ, बमुहद कबो सकारथत जकान और मन कबो लगकाम समझ। मनतषत लबोग
इहन्द्रयत कबो घबोडन और हविषयत कबो उनकका मकागर कहितन हिह। विन इहन्द्रय और मन सन यमुक आत्मका कबो भबोकका कहितन हिह। जबो मनमुष्य
हविविनकशतल और सदिका

समंयत-हचत्त रहितका हिमै, उसकक इहन्द्रयकामं उसकन विश मम रहितत हिह, जमैसन अच्छन घबोडन सकारथत कन अधतन रहितन हिह।
जबो हविविनक शतल बमुहद-सकारथत सन यमुक और मन कबो समंयत रखननविकालका हिबोतका हिमै, विहि जतविन कक यकातका कबो समकाप कर
व्यकापक परमकात्मका कन परम पदि कबो प्रकाप कर लनतका हिमै।
(कठबोपहनषदि १/३/३, ४, ६,९)

(हिन अजकान सन गस्त लबोगबो!) उठबो, जकागबो, और श्रनष जनत कन पकास जकाकर जकान प्रकाप करबो। हजस प्रककार छमु रन कक धकार
ततक्ष्ण हिबोतत हिमै और छमु ई नहिह जका सकतत, बमुहदमकान पमुरष आत्म-जकान कन मकागर कबो उसत प्रककार दिगमु रम बतकातन हिह।
(कठबोपहनषदि १/३/१४)

सत्य कक हित जय हिबोतत हिमै, असत्य कक नहिह। दिनवितकाओमं कन हविचरण कका मकागर सत्य सन हित हविस्तकत हिमै। पमूणर-ककाम ऋहष-
जन सत्य दकारका हित उस पदि कबो प्रकाप हिबोतन हिह, जहिकामं सत्य कका विहि परम हनधकान हविदमकान हिमै।
(कठबोपहनषदि ३/१/६)

हजसकका अन्त:करण शमुद हिमै, पकापत सन रहहित हिमै, ऐसका आत्मविनत्तका मन सन हजस-हजस लबोक (अथकारतन उत्कक ष
अविस्थका) कक भकाविनका करतका हिमै और हजन-हजन ककामत (प्रकापव्य आदिशर) कबो चकाहितका हिमै, विहि उस-उस लबोक कबो और उन
आदिशर कबो प्रकाप कर लनतका हिमै। इसहलए जबो अपनका कल्यकाण चकाहितका हिमै, उसन आत्म-विनत्तका कक अचरनका यका उपकासनका करनत
चकाहहिए। (कठबोपहनषदि ३/१/१०)

सत्य, धमर, आत्म-कल्यकाण तथका समकहद कन मकागर सन हविचहलत न हिबोइयन, उसमम प्रमकादि न ककहजए, स्विकाध्यकाय और
प्रविचन दकारका अपनन जकान कक विकहद करतन रहहिए और हविदका-प्रचकार मम तत्पर रहहिए।
मकातका, हपतका, गमुर तथका अहतहथ मम पमूज्य बमुहद रहखयन।
जबो श्रनष कमर हिह, उन्हिह कका अनमुसरण कररयन। हिमकारन जबो अच्छन आचरण हिह, उन्हिह कका अनमुकरण कररयन, अन्यत कका
नहिह। जबो हविदकान हिमकारन मकान्य हिह, उनकका उहचत सम्मकान ककहजए।
दिसमू रत कक आहथरक सहिकायतका करनका आपकका प्रथम कत्तरव्य हिमै, परन्तमु विहि सहिकायतका श्रदका सन, न हक अश्रदका सन,
प्रसन्नतका सन, नम्रतका सन, न हक डर सन, और सहिकानमुभमूहत तथका प्रनम सन करनत चकाहहिए।
(तमैहत्तरतय उपहनषदि १/११)

जबो हविशकाल हिमै महिकान हिमै, विहित समुख-रप हिमै। अल्प मम, लघमु मम समुख नहिह रहितका। हनस्समंदिनहि, महिकान हित समुख हिमै। इसहलए
महिकान कबो हित हविशनष रप मम जकाननन कक इच्छका करनत चकाहहिए।
(छकान्दिबोग्य उप० ७/२/१)

मनमुष्य सम्पहत्त सन, धन सन, अमकतत्वि कक, पमूणर समंतबोष कक, शकाशवित जतविन कक, आशका नहिह कर सकतका।
(बकहिकादिकारण्यकबोपहनषदि २/४/२)

जमैसन फिमूलन हिहए, विकक्षि कक समुगन्ध दिरमू -दिरमू तक फिल जकातत हिमै, विमैसन हित पहवित कमर कक समुगन्ध दिरमू -दिरमू तक पहिहमंच जकातत
हिमै। (नकारकायणबोपहनषदि २/११)
मनमुष्य कक विकासनका-रपत नदित कन शमुभ और अशमुभ दिबो मकागर हिह। मनमुष्य कबो चकाहहिए हक विहि पमूणर प्रयत्न सन उसन शमुभ मकागर मम हित
प्रविकत्त करन। (ममुहककबोपहनषदि २/५/६)

महिकाभकारत कक हसखकाविन
□समं० ‘कमु मकार’

जबो शकात हिहए विमैर कबो हफिर सन नहिह भडककातका, गविर नहिह करतका, हितन भकाविनका नहिह धकारण करतका, ‘मह सकमंट मम पडका
हिहमं’—ऐसका सबोचकर अनमुहचत ककायर नहिह करतका, उसकबो श्रनष मनमुष्य, हविशनषत:आयरशतल (श्रनष आचरण विकालका) कहितन हिह।
(१/११७)
क्षिमका अशकत कन हलए गमुण हिमै और समथर लबोगत कन हलए भमूषण हिमै। (१/५४)
हकसत कन प्रहत कठबोर विचन न बबोलनका और असत्यपमुरषत कका आदिर न करनका—इन दिबो बकातत सन मनमुष्य इस लबोक
मम शबोभका कबो प्रकाप हिबोतका हिमै। (१/५९)
तमुम्हिकारका अहधककार कन विल कमर करनन मम हिमै, उसकन फिल मम तहनक नहिह। इसहलए न तबो कमर-फिल कक अपनक्षिका करबो
और न ऐसका करबो हक अपनन कत्तरव्य-कमर कबो हित छबोड दिबो।
(गततका २/४७)
जबो अपनका कल्यकाण चकाहितका हिमै, उसन हनद्रका, तमंद्रका, भय, क्रबोध, आलस्य और दिनर सन ककाम करनन कका स्विभकावि, इन छ:
दिगमु मुरणत कबो छबोड दिननका चकाहहिए १/८३)
बमुहद, कमु लतनतका, इमंहद्रय समंयम, अध्ययन, शमूरतका, हमतभकाषण, शहक कन अनमुसकार दिकान दिननका और हकयन हिहए उपककार
कबो मकाननका-यन आठ गमुण पमुरष कक शबोभका कबो बढकातन हिह।
(१/१०४)
जमैसन मनमुष्य पमुरकानन विसत कबो छबोडकर, नवितन विसत कबो धकारण कर लनतका हिमै, विमैसन हित जतविकात्मका पमुरकानन शरतर कबो
छबोडकर नयन शरतर कबो प्रकाप कर लनतका हिमै। (२/२/२)
इहन्द्रयत पर हजसकका पमूरका अहधककार हिबोतका हिमै, उसत कबो बमुहद प्रहतहषत अथविका समुहस्थर हिबो सकतत हिमै।
(गततका २/६१)
दिमंभ, दिपर, अहभमकान, क्रबोध, पकारष्य, अजकान, इतनन आसमुरत सम्पदिन लनकर जन्मनन विकालत
हिबोतन हिह, अथकारतन जबो अपनन मम नहिह हिमै, विहि हदिखकानका दिमंभ हिमै, ढतग हिमै, पकाखण्ड हिमै। दिपर यकानत अमंहिककार पकारष्य कका अथर हिमै
कठबोरतका। (१६/१४)
जबो मनमुष्य शकास-हविहध कबो छबोड स्विनच्छका सन भबोगत मम लतन हिबोतका हिमै, विहि न हसहद पकातका हिमै। समुख पकातका हिमै, न परम
गहत पकातका हिमै, अथकारतन व्यहकगत हनयम बनकाकर स्विनच्छकारत नहिह बननका चकाहहिए।
(१६/२६)
ककाम, क्रबोध और लबोभ, नरक कन यन ततन प्रककार कन दकार हिह। यन आत्म कका नकाश करनन विकालन हिह। इसहलए मनमुष्य इन
ततनत कबो छबोड दिन। (गततका १६/२१)
सकाहत्विक, रकाजस और तकामस भनदि सन दिकान ततन प्रककार कका हिबोतका हिमै। कत्तरव्य-बमुहद सन जबो दिकान दिनश, ककाल और पकात
कका हविचकार करकन अपनका उपककार न करननविकालन व्यहक कन हलए हदियका जकातका हिमै, उसन सकाहत्विक दिकान कहिका जकातका हिमै।
जबो दिकान उपककार कन बदिलन मम अथविका फिल पकानन कक इच्छका सन हदियका जकातका हिमै और हजसकन दिननन मम कमु छ कन श हिबोतका हिमै,
उसन रकाजस दिकान कहिका गयका हिमै।
जबो दिकान हबनका सत्ककार हकयन अथविका हतरस्ककार-पमूविरक, दिनश-ककाल कका हविचकार हकयन हबनका, कमु पकात कबो हदियका जकातका हिमै,
उसन तकामस दिकान कहिका गयका हिमै। (गततका १७/२०/२२)
मनमुष्य अपनन-अपनन कत्तरव्य-कमर कबो तत्परतका कन सकाथ करतका हिहआ पमूणर सफिलतका पका लनतका हिमै।
(गततका १८/४५) अपनन धमर कका
कमु छ तमुहट कन सकाथ भत पकालन अच्छत तरहि सन हकयन गए दिस मू रन कन धमर सन कहिह अच्छका हिबोतका हिमै।
(गततका १७/४७)

प्रनम मम भगविकान
□हलयबो टकाल्सटकाय

एक नगर मम मकाहटरन नकाम कका एक मबोचत रहिका करतका थका। नतचन कन तलन मम एक तमंग कबोठरत उसकक थत। विहिकामं सन
हखडकक कक रकाहि सडक नजर आतत, जहिकामं आनन-जकानन विकालत कन चनहिरन तबो नहिह, पर पमैर हदिखकाई हदियका करतन थन। मकाहटरन लबोगत
कन जमूतत सन उनकबो पहिचकाननन कका आदित हिबो गयका थका, क्यतहक विहिकामं एक ममुद्दत सन रहितका थका और बहिहतनरन लबोगत कबो जकानतका थका।
पकास-पडबोस मम शकायदि हित कबोई जबोडका जमूतका हिबोगका जबो उसकन हिकाथत न हनकलका हिबो। सबो हखडकक कक रकाहि विहि अपनका हित ककाम
दिनखका करतका। ककाम विहि सचकाई सन करतका थका। मकाल अच्छका लगकातका
और दिकाम भत विकाहजब सन ज्यकादिका नहिह लनतका थका। बडत बकात यहि थत हक विहि विचन कका पकका थका। इसहलए आस-पकास सरनकाम थका
और ककाम कक उसकन पकास कभत कमत नहिह हिबोतत थत।

आदिमत विहि ननक थका। नतहत कक रकाहि उसनन कभत नहिह छबोडत। उमर ज्यकादिका हिबोनन पर तबो विहि और भत आत्मका कक
भलकाई कक और ईशविर कक बकातम सबोचनन लग गयका थका। अपनका हनजत ककाम शमुर करनन कका विक आनन सन पहिलन हित, यकानत जब विहि
दिस
मू रन कन यहिकामं मजमूरत पर ककाम हकयका करतका थका, तभत उसकक सत कका दिनहिकामंत हिबो गयका थका। पतछन एक ततन बरस कका बचका विहि
छबोड गई थत। बकालक तबो और भत हिहए थन, पर छमु टपन मम हित सब जकातन रहिन थन। पहिलन तबो मकाहटरन नन सबोचका हक बचन कबो दिनहिकात मम
बहिन कन यहिकामं भनज दिमं,मू पर हफिर बकालक कबो पकास सन हिटकानन कबो उसकका जत नहिह हिहआ।

सबो मकाहटरन नचौकरत छबोड, घर हकरकाए पर लन, बचन कन सकाथ विहिह रहिनन और अपनका ककाम करनन लगका। पर बकालक कका
समुख उसकन हकस्मत मम न हलखका थका। बकालक बकारहि विषर कका हिबो चलका थका और उम्मतदि बमंधनन लगत थत हक बकाप कन ककाम मम अब
कमु छ सहिकाई हिबोनन लगनगका हक तभत आयका बमुखकार, हिफ्तन भर रहिका हिबोगका, और बकालक उसमम चल बसका। मकाहटरन नन बचन कबो
दिफ़नकायका, लनहकन मन मम उसकन ऐसका दि:मु ख समका गयका, ऐसका दि:मु ख हक ईशविर तक कबो कबोसनन कबो उसकका जत हिबोतका थका। दि:मु ख
मम बकार-बकार कहितका हक हिन भगविकानन! ममुझन भत उठका लबो। तमुम कमै सन हिबो हक मनरका इकलचौतका, नन्हिह-सत उमर कका, जबो मनरन प्यकार कका
बचका थका, उसन तबो तमुमनन उठका हलयका और ममुझन बमूढन कबो छबोड हदियका। सबो इस करनत पर जमैसन उसनन हिठ ठकानकर परमकात्मका कबो
अपनन सन हबसकार हदियका।

एक हदिन उसत कन गकामंवि कन एक बमुजमुगर, जबो घर छबोड हपछलन आठ बरस सन ततरथ-ततरथ घमूम रहिन थन, यकातका कक रकाहि
मम मकाहटरन कन पकास आयन। मकाहटरन नन अपनन हदिल कका घकावि उनकन आगन खबोल हदियका और सब दि:मु ख कहि समुनकायका। बबोलका, “अब
भकाई, ममुझन जतनन कक भत चकाहि नहिह रहि गई। बस भगविकान करन, मह जल्दित सन यहिकामं सन उठ जकाऊमं। तमुम्हिह कहिबो, जग मम अब कचौन
आस ममुझन बकाकक हिमै?”

उस विकद यकातत नन कहिका, “ऐसत बकात ममुमंहि सन नहिह कहितन मकाहटरन। ईशविर कक लतलका भलका हिम क्यका जकानम! कबोई हिमकारका
चकाहिका यहिकामं थबोडका हित हिबोतका हिमै। ईशविर कक मजर हित चलतत हिमै। उनकक ऐसत हित मजर हिमै हक बचका चलका जकाय और तमुम जतओ, तबो
इसत मम कबोई भलकाई हिबोगत, और जबो हनरकाशका कक बकात करतन हिबो सबो विजहि हिह हक तमुम बस अपनन हित समुख कन हलए रहिनका चकाहितन
हिबो।”
मकाहटरन नन पमूछका, “नहिह तबो भलका हकसकन हलए रहिनका चकाहहिए?”

विकद नन कहिका, “ईशविर कन हलए, मकाहटरन। उसनन हिमम जतविन हदियका। सबो उसत कन हलए हिमम
रहिनका चकाहहिए। उसकन हनहमत्त रहिनका सतख जकाओ हक हफिर कबोई कन श भत न रहिन। हफिर सब सहिल हिबो जकाय।”
समुनकर मकाहटरन कमु छ दिनर चमुप रहिका। हफिर बबोलका, “पर ईशविर कन हलए रहिनका कमै सन हिबोगका?”

विकद नन उत्तर हदिय, “समंत लबोगत कन चररत सन पतका लग सकतका हिमै हक ईशविर कन हलए जतनन कका भकावि क्यका हिमै। अच्छका,
तमुम बकामंच सकतन हिबो न? तबो इमंजतल कक एक पबोथत लन आनका। उसन पढनका। उसमम सब हलखका हिमै। उससन पतका लग जकायगका हक
ईशविर कक मजर कन अनमुसकार रहिनका कमै सका हिबोतका हिमै?”

यन विचन मकाहटरन कन मन मम बस गयन। उसत हदिन विहि बकाजकार गयका और बडन छकापन कक इमंजतल कक पबोथत लन आयका और
पढनका शमुर कर हदियका।
पहिलन हविचकार थका हक छमु टत कन हदिन सकातविम रबोज पढका करमंगका, लनहकन एक बकार पढनका शमुर हकयका हक उसकका मन बडका
हिल्कका मकालमूम हिहआ। सबो विहि रबोज-रबोज पढनन लगका। कभत तबो पढनन मम इतनका लतन हिबो जकातका हक लकालटनन कक बत्तत धतम पडतन-
पडतन बमुझ तक जकातत, तब कहिह पबोथत हिकाथ सन छमूटतत। दिनर रकात तक पढतका रहितका और हजतनका पढतका उसन सकाफ़ दितखतका हक
ईशविर भत आदिमत सन क्यका चकाहितका हिमै और ईशविर मम हिबोकर आदिमत कबो कमै सन जतविन हबतकानका चकाहहिए। उसकका हदिल खमूब हिल्कका
हिबो गयका थका। पहिलन रकात कबो जब सबोनन लनटतका तबो मन पर बहिहत बबोझ मकालमूम हिहआ करतका थका। बचन कक यकादि करकन विहि बडका
शबोक मकानतका थका। लनहकन अब विहि बकार-बकार हिल्कन हचत्त सन यहित कहितका थका हक हिन भगविकानन! तमू हित जगदिकाधकार हिमै। तनरका हित चकाहिका
हिबो।

मकाहटरन कक सकारत हजन्दिगत बदिल गई। पहिलन चकाय हपयका करतका थका और कभत-कभत दिकार भत लन लनतका थका। लनहकन
अब यन सब बकातम जकातत रहिह। जतविन मम उसकन अब शकामंहत आ गई और आनन्दि सन रहिनन लगका। सविनरन विहि अपनन ककाम पर बमैठ
जकातका और हदिन-भर ककाम करनन कन बकादि शकाम हिहई हक हदियका जलकायका और इमंजतल कक पबोथत खबोल बकामंचनन बमैठ गयका। हजतनका
पढतका, उतनत हित उसकक बमुहद सकाफ़ हिबोतत और मन खमुलकर प्रसन्न हिबोतका हिहआ मकालमूम हिबोतका।

एक बकार ऐसका हिहआ हक इमंजतल कक पमुस्तक लनकर मकाहटरन रकात बहिहत दिनर तक बमैठका रहि गयका। समंत ल्यमूक कक कथनत
विहि पढ रहिका थका। छठन अध्यकाय मम उसनन बकामंचका:

“जबो तमुझन एक गकाल पर मकारन, तमू दिस


मू रका भत गकाल उसकन आगन कर दिन, जबो कबोट उतकारनका चकाहिन, कमु रतका भत उसन ससौंप
दिन, जबो मकामंगन, सबकबो दिन, और जबो लन जकाय, उससन तमू विकापस कमु छ न मकामंग, और जबो तमू चकाहितका हिमै हक लबोग तमुझसन ऐसन बरतम,
विमैसन हित तमू उनसन बरत।”

हफिर विहि प्रसमंग उसनन पढका, जहिकामं प्रभमु मसतहि कहितन हिमै:
“तमुम ‘प्रभमु’ तबो ममुझन कहितन हिबो, पर मनरका कहिका करतन नहिह हिबो। जबो मनरन पकास आतका हिमै, मनरका कहिका समुनतका हिमै और समुनका
करतका हिमै, विहि उस आदिमत कन समकान हिमै, हजसनन गहिरन खबोदि अपनन मककान कक नहवि चटकान पर जमकाई हिमै। बकाढ आई और लहिरम
टकरका-टकरकाकर हिकार गई,मं पर मककान न हहिलका, क्यतहक नहवि चटकान पर खडत थत। पर जबो समुनतका हिमै और करतका नहिह, विहि उस
आदिमत कन समकान हिमै, हजसनन रनत पर मककान खडका हकयका, पर बमुहनयकादि न दित। आई पकानत कक बकाढ और टकरकाई हक मककान
ढहि पडका। उसकका सब डमू ब गयका।”
मकाहटरन नन यन विचन पढन तबो मन भततर सन गददिन हिबो गयका। आमंख सन ऐनक उतकार उसनन पबोथत पर रख दित और मकाथन
पर अमंगमुलत दिनकर उस कथप पर विहि गहिरका सबोच करनन लगका। उन विचनत सन विहि अपनन जतविन कक तचौल-परख कर रहिका थका।
अपनन सन हित विहि पमूछनन लगका हक अब मनरका मककान चटकान पर हिमै हक रनत पर खडका हिमै? चटकान पर हिमै तबो ठतक हिमै। पर
यहिकामं अकन लन मम बमैठम तबो सब सहित-दिरमु स्त मकालमूम हिबोतका हिमै, जमैसन ईशविर कक मजर कन ममुतकाहबक हित मह चल रहिका हिहमं, लनहकन आमंख
झपकक हक मन मम हविककार हिबो जकातका हिमै। तबो भत जतन ममुझन छबोडनका नहिह चकाहहिए, जतन मम हित आनन्दि हिमै। हिन भगविकान! तमुम्हिह
मकाहलक हित!
यहि सब हविचकार कर विहि हफिर सबोनन कबो हिहआ। पर पबोथत उससन नहिह छमूटत। विहि सकातविकामं अध्यकाय बकामंचनन लगका-विहिकामं,
जहिकामं सचौ बरस कका बमूढका प्रभमु कन पकास आतका हिमै और हविधविका कन पमुत कका हजक्र हिमै और समंत जनॉन कन हशष्य लबोग हमलतन हिह।
पढतन-पढतन हफिर विहि जगहि आई, जहिकामं एक धनतमकानत ईशमु मसतहि कबो अपनन घर भबोजन दिनतन हिह। हफिर विहि एक स्थल हक जहिकामं
एक पकाहपनत आमंसमुओमं सन उनकन चरण पखकारतत और बकालत सन पतछतत हिमै। उस समय प्रभमु उसकका पक्षि लनतन और उसन आशतष
और आजका दिनतन हिह। पमुस्तक कका चविकालतसविकामं बन्ध आयका और मकाहटरन नन पढका:
“तब प्रभमु उस सत कक ओर हिबोकर सकाइमन सन बबोलन, ‘इस सत कबो दिनखबो। मह तमुम्हिकारन घर अहतहथ हिहमं। पर तमुमनन मनरन
पमैरत पर पकानत नहिह हदियका और यहि हिमै हक अपनन आमंसमुओमं सन इसनन मनरन पमैर धबोयन हिह और अपनन बकालत सन उन्हिम पतछका हिमै! तमुम
ममुझसन बचन हिबो और जब सन मह आयका हिहमं, यहि मनरन पमैरत कबो हित चमूमतत रहित हिमै। तमुमनन मनरन हसर पर भत तनल नहिह हदियका, और यहि हिमै
हक मनरन पकामंवि स्ननहि सन हभगबोतत रहित हिमै।”
यन शब्दि पढतन-पढतन मकाहटरन सबोचनन लगका-उसनन पमैरत पर पकानत नहिह हदियका, उन्हिम छमूनन सन बचका। हसर कबो तनल नहिह
हदियका। मकाहटरन नन ऐनक उतकार विहिह पबोथत पर रख दित और सबोच मम डमू ब गयका-विहि आदिमत मनरत तरहि कका रहिका हिबोगका। अपनत-हित-
अपनत सबोचतका हिबोगका। कमै सन खमुदि अच्छका खका लननका आरकाम सन रहि लननका। बस, अपनका हित सबोच, मनहिमकान कक
हचन्तका नहिह। और मनहिमकान कचौन? स्वियमं भगविकान। जबो कहिह विहि मनरन यहिकामं पधकार जकायमं तबो क्यका मह भत विमैसका हित करमं?

उस समय दिबोनत बकामंहि चचौकक पर डकाल उसत पर मकाहटरन नन अपनका हसर टनक हदियका। ऐसन बमैठन-बमैठन जकानन कब उसन नहदि
आ गई।
इतनन मम जमैसन हबल्कमु ल पकास सन बडन समूक्ष्म स्विर मम हकसत नन कहिका, “मकाहटरन!”
मकाहटरन मकानबो नहदि सन चसौंककर उठका। बबोलका, “कचौन हिमै?” ममुडकर दिरविकाजन कन बकाहिर झकामंकका, पर कबोई न थका। उसनन
हफिर पमुककारका। पमुककार कन जविकाब मम उसन सकाफ़-सकाफ़ समुनकाई हदियका, “मकाहटरन, कल गलत पर ध्यकान रखनका। मह जकाऊमंगका।”
अब मकाहटरन उठका। खडका हिबो गयका, आमंखम मलह। समझ नहिह सकका हक यन शब्दि जकागतन मम समुनन थन हक सपनन मम! हफिर
उसनन हदियका बमुझ हदियका और सबो गयका।
अगलन हदिन तडकका फिमूटनन सन पहिलन हित उठका और भजन-प्रकाथरनका कर, आग जलका, अमंगतठत पर खकानका चढका हदियका।
हफिर अपनत हखडकक कन नतचन आकर ककाम मम जमुट गयका। ककाम करतन-करतन रकात कक बकात सबोचनन लगका। कभत तबो उसन मकालमूम
हिबोतका हक विहि सब सपनका थका। कभत जकान पडतका हक सचममुच कक हित आविकाज़ उसनन समुनत थत। सबोचका हक ऐसत बकातम पहिलन भत
तबो घटतत रहित हिह।
हखडकक कन नतचन बमैठका, रहि-रहिकर विहि सडक पर दिनखनन लगतका थका। ककाम सन ज्यकादिका उसन हकसत कन आनन कका ध्यकान
थका। अनपहिचकानन जमूतन गलत पर चलतन दिनखतका तबो झकामंक उठतका हक उनकका पहिनननविकालका जकानन कचौन हिमै। इस तरहि एक झलतविकालका
नयन चमचमकातन जमूतत मम उधर कबो हनकलका। हफिर एक कहिकार गयका। इतनन मम एक बमूढका हसपकाहित, हजसनन पमुरकानन रकाजका कका रकाज
दिनखका थका, उसत गलत मम आयका! हिकाथ मम उसकन फिकाविडका थका। जमूतत सन मकाहटरन उसन पहिचकान गयका। पमुरकानत चकाल कन हघसन-सन जमूतन
थन। पहिनननविकालन कका नकाम स्टनपकान थका। एक पडबोसत लकालकाजत कन घर मम विहि रहितका थका और उनकका कमु छ ककाम-धकाम कर हदियका
करतका थका। यहित झकाडमू-सफिकाई विगमैरका। दियका-भकावि सन लकालका नन उसन रखका हिहआ थका, विहित स्टनपकान गलत मम आकर शहिर सन बरफि
हिटकानन लग गयका थका। रकात बरफि खमूब पडत थत और जमका हिबो गई थत। मकाहटरन नन उसन एक हनगकाहि दिनखका। कमु छ दिनर दिनखतन रहिकर
हफिर हसर नतचन करकन अपनन ककाम मम लग गयका।
मन-हित-मन विहि हिमंस पडका। बबोलका, “मह भत सहठयका गयका हिहमं, नहिह तबो दिनखबो, आयका तबो स्टनपकान हिमै गलत सकाफ़ करनन,
और ममुझन समूझका हक मसतहि प्रभमु हित आ गयन हिह।”
लनहकन कमु छ टकामंकन भरन हितगन हक हखडकक कक रकाहि विहि हफिर बकाहिर दिनख उठका। दिनखका हक फिकाविडका जरका टनककर दितविकार
कका सहिकारका लन स्टनपकान यका तबो समुस्तका रहिका हिमै, यका हफिर गमर हिबोनन कन हलए सकामंस लन रहिका हिमै। स्टनपकान कक उमर ककाफिक थत। कमर
झमुक चलत थत और दिनहि मम दिम
बहिहत नहिह रहिका थका। बरफ़ हिटकानन कन लकायक भत दिम नहिह थका। हिकामंफि-सका रहिका थका।
मकाहटरन नन सबोचका-बमुलकाकर मह उसन चकाय कबो पमूछमूमं तबो कमै सका! चकाय बनत हिहई हिमै हित।
सबो, आरत कबो विहिह जमूतन मम उडकासका छबोड, खडन हिबोकर झटपट चकाय तमैयकार कक। हफिर हखडकक कन पकास जकाकर
थपथपकाकर स्टनपकान कबो इशकारका हकयका। स्टनपकान समुनकर हखडकक पर आयका। मकाहटरन नन उसन अन्दिर बमुलकायका और आगन बढकर
दिरविकाज़का खबोल हदियका। बबोलका, “आओ, थबोडका गरमका लबो। तमुम्हिम ठमंड लग रहित मकालमूम हिबोतत हिमै।”
स्टनपकान बबोलका, “भगविकान तमुम्हिकारका भलका करम! हिका,मं मनरत दिनहि मम सदिर बमैठ गई हिमै और जबोड दिदिर करतन हिह।”

यहि कहिकर दिनहि कक बरफ़ दकार कन बकाहिर कक झकाड स्टनपकान अन्दिर आयका।
दिबो हगलकास भरकर एक मकाहटरन नन स्टनपकान कन आगन सरकका हदियका और रककाबत मम डकालकर दिस मू रन मम सन खमुदि पतनन लगका।
स्टनपकान नन अपनका हगलकास खत्म कर औमंधका रख हदियका। विहि चकाय कन हलए बहिहत धन्यविकादि दिननन लगका, लनहकन प्रकट थका
हक और भत एक हगलकास हमल जकाय तबो बमुरत बकात न हिबोगत।
मकाहटरन नन हगलकास भरतन हिहए कहिका, “एक हगलकास और लबो, अरन, लबो भत।”
कहिकर सकाथ हित उसनन अपनका भत हगलकास भर हदियका, पर पततका जकातका थका और रहि-रहिकर मकाहटरन सडक कक तरफि
दिनखतका जकातका थका।
स्टनपकान नन पमूछका, “क्यका हकसत कक बकाट जबोहितन हिबो?”
“बकाट? भकाई, क्यका बतकाऊमं। कहितन लकाज आतत हिमै। सच पमूछबो तबो इमंतजकार तबो नहिह हिमै, पर रकात एक आविकाज समुनत
थत, जबो मन सन दिरमू नहिह हिबोतत हिमै। विहि सचममुच कबोई थका, यका सपनका थका, कहि नहिह सकतका। कल रकात कक बकात यहि हिमै हक मह
इमंजतल बकामंच रहिका थका। उसमम प्रभमु ईसका कका विणरन हिमै न, हक कमै सन उन्हितनन दि:मु ख उठकायन और हकस भकामंहत विहि इस धरतत पर प्रनम
और भहक सन रहिन। सबो तमुमनन भत जरर समुनका हिबोगका।”
स्टनपकान नन कहिका, “समुनका तबो महनन भत हिमै। पर मह अनपढ आदिमत हिहमं और समझतका-बमुझतका कम हिहमं।”
“तबो समुनबो, भकाई। उनकन जतविन कन हविषय कक बकात हिमै। मह पढ रहिका थका। पढतन-पढतन विहि प्रसमंग आयका, जहिकामं मसतहि
एक धनविकान आदिमत कन यहिकामं आतन हिह। विहि धनत आदिमत मन सन उनकक आविभगत नहिह करतका। अब तमुम्हिम मह क्यका कहिहमं? मह
सबोचनन लगका हक उस आदिमत नन उनकका पमूरका आदिर कमै सन नहिह हकयका। महनन सबोचका हक कहिह मह हिबोतका तबो जकानन क्यका न करतका?
पर दिनखबो हक उस आदिमत नन मकाममूलत भत कमु छ नहिह हकयका। इसत तरहि कक बकात सबोचतन-सबोचतन
ममुझन नहदि आ गई। हफिर एककाएक जबो जकागकर उठका हक तबो ऐसका लगका हक कबोई ममुझन नकाम लनकर धतमन सन कहि रहिका हिमै हक
दिनखनका, इन्तजकार मम रहिनका, मह कल आऊमंगका। ऐसका दिबो बकार हिहआ। सच कहिहमं, विहि बकात मनरन मन मम बमैठ गई। यत तबो ममुझन खमुदि
शरम आ रहित हिमै, पर क्यका बतकाऊमं, मन मम आस लगत हिमै हक विहि भगविकान कहिह न आतन हित!”
स्टनपकान समुनकर चमुप रहिका और हसर हहिलका हदियका। हफिर हगलकास कक चकाय खत्म कर हगलकास कबो अलग रख हदियका।
लनहकन मकाहटरन नन सतधका कर हफिर उसन चकाय सन भर हदियका।
“लबो, लबो, भकाई! पतओ भत! हिका,मं मह सबोच रहिका थका हक इस धरतत पर मसतहि प्रभमु कमै सन रहितन थन। नफ़रत हकसत सन
नहिह करतन थन और मकाममूलत-सन-मकाममूलत लबोगत कन बतच हमल-जमुलकर रहितन थन। सकाथत उनकन सकाधकारण जन थन और हिम जमैसन
अधम और पकापत लबोगत कबो उन्हितनन शरण दिनकर उठकायका थका। उन्हितनन कहिका थका हक जबो तननगका, उसकका हसर नतचका हिबोगका, जबो
झमुकनगका विहित उठनगका। उन्हितनन कहिका, तमुम ममुझन बडका कहितन हिबो, और मह हिहमं हक तमुम्हिकारन पमैर धबोऊमंगका। कहिका, सबसन आगन विहित हगनका
जकायगका जबो सबसन पतछन रहिकर सनविका करनगका, क्यतहक जबो दितन हिह और दियकाविकान हिह और प्रनम रखतन हिह, विहित धनत हिह।”

स्टनपकान समुनतन-समुनतन अपनत चकाय भमूल गयका। बमुडका आदिमत थका और जल्दित उसन आमंसमू आ जकातन थन। सबो विहिकामं बमैठन-बमैठन
भगविदि-न विकाणत समुनकर उसकन दिबोनत गकालत पर आमंसमू लमुढकनन लगन।
मकाहटरन नन कहिका, “लबो, लबो। बस, एक और।”
लनहकन स्टनपकान नन मकाफिक मकामंगत, धन्यविकादि हदियका और हगलकास कबो अलग कर उठ खडका हिहआ।
“तमुम्हिकारका ममुझ पर बडका अहिसकान हिहआ, मकाहटरन। तमुमनन मनरन तन और मन दिबोनत कबो खमुरकाक दित और समुख पहिहमंचकायकाय
हिमै।”
मकाहटरन बबोलका, “कब तबो अहतहथ हमलतन हिह! हफिर भत इधर आयका करनका। ममुझन बडत खमुशत हिबोगत।”
स्टनपकान चलका गयका। उसकन बकादि बकाकक बचत चकाय मकाहटरन नन हनबटकाई, फिमैलका सकामकान सम्भकालका और ककाम पर आ बमैठका।
बमैठकर विहि आरत सन जमूतन कन तलन कक सतविन ठतक करनन लगका। तलका सततका जकातका थका और हखडकक सन बकाहिर दिनखतका
जकातका थका। ईशमु कक तस्वितर उसकन मन मम थत और उन्हिह कक करनत और कथनत कक यकादि सन उसकका अन्त:करण भरका थका।
इतनन मम दिबो हसपकाहित उधर सन हनकलन। एक सरककारत जबोडत पहिनन थका। दिस मू रन कन पमैरत मम दिनशत जमूतन थन। हफिर पडबोस कन
एक मककान-मकाहलक हनकलन, हजनकका बहढयका ककामदिकार जबोडका
थका। हफिर एक झकाविका हलए नकानबकाई उधर सन गमुजरका। ऐसन बहिहत-सन लबोग चलन हिहए गयन। बकादि मम एक सत आई, हजसकन पमैरत मम
दिनहिकातत जमूहतयकामं थह। विहि हखडकक कन सकामनन सन गमुजरत, लनहकन आगन दितविकार कन पकास जकातन-जकातन रक गई। मकाहटरन नन हखडकक मम
सन उसन दिनखका। विहि इधर कन हलए अनजकान मकालमूम हिबोतत थत। बचन कबो हिविका कक शतत सन बचनन कबो विहि उसन बकार-बकार ढकनन कका
जतन करनन लगत। लनहकन उढकानन कबो कपडका उसकन पकास नहिह कन बरकाबर थका। इन जकाडन कन हदिनत मम गरमत कन -सन कपडन विहि
पहिनन थत। विन भत झतनन और फिटन थन। हखडकक मम सन मकाहटरन नन बचन कका रबोनका समुनका। सत उसन मनका-मनकाकर चमुप करकानका चकाहितत
थत और विहि चमुप नहिह हिबोतका थका। मकाहटरन उठका और दकार सन बकाहिर जकाकर बबोलका, “समुननका मकाई, इधर समुनबो।”
समुनकर सत ममुडत।

“विहिकामं सदिर मम खमुलन मम बचन कबो लनकर क्यत खडत हिबो? अन्दिर आ जकाओ। यहिकामं बचन कबो ठतक तरहि उढका भत लननका।
इधर आओ, इधर।”
एक बमुडका आदिमत, नकाक पर ऐनक चढकाए इस तरहि सन बमुलका रहिका हिमै, यहि दिनखकर सत कबो अचरज हिहआ। लनहकन विहि
चलत आई।
सकाथ-सकाथ दिबोनत अन्दिर आयन और कमरन मम पहिहमंचन। विहिकामं मकाहटरन नन हिकाथ सन बतकाकर कहिका, “विहि खकाट हिमै, विहिकामं बमैठ
जकाओ। आग हिमै हित, जरका गरमका लबो और बचन कबो भत दिधमू हपलका लबो।”
“दिधमू मनरन कहिकामं हिमै? सविनरन सन महनन कमु छ खकायका हित नहिह हिमै।” यहि कहिनन पर भत बचन कबो उसनन छकातत सन लगका हलयका।
मकाहटरन नन हसर खमुजलकायका। हफिर रबोटत हनककालत और एक तशतरत। अमंगतठत सन उतकारकर कमु छ शबोरबका रककाबत मम दिन
हदियका। दिहयलन कक पततलत भत उतकारत, लनहकन अभत विहि तमैयकार नहिह हिहआ थका। इसहलए रबोटत-रसका हित सकामनन रख हदियका।
“लबो, बमैठ जकाओ और शमुर करबो। बचका लकाओ, ममुझन दिबो। दिनखतत क्यका हिबो, बचन क्यका ममुझन नहिह हिहए हिह? दिनख लननका, मह
बचन कबो खमूब मनका लनतका हिहमं।”
सत बमैठकर खकानन लगत। मकाहटरन नन बचन कबो हबछचौनन पर हलटका हदियका और खमुदि बमैठ गयका। विहि तरहि-तरहि सन बचन कबो
बहिलकानन लगका। कभत कमै सत आविकाज़ हनककालतका और कभत कमु छ बबोलत हनककालतका। लनहकन दिकामंत थन नहिह और आविकाज़ ठतक नहिह
हनकलतत थत। बचन कका रबोनका जकारत रहिका। तब उमंगलत दिन-दिनकर विहि बचन कबो गमुदिगमुदिकानन लगका। हफिर एक खनल हकयका। उमंगलत सतधन
बचन कन ममुमंहि तक लन जकातका, हफिर चट सन खहच लनतका। यहि उसनन बकार-बकार हकयका, पर उमंगलत बकालक कबो ममुमंहि मम नहिह लननन दित,
क्यतहक उसकक उमंगलत ककाम सन तमकाम ककालत हिबो रहित थत। मबोम-विबोम जकानन क्यका उसमम लगका थका। बचका पहिलन तबो इस उमंगलत कन
खनल कबो ध्यकान सन दिनखनन लगका और चमुप हिबो गयका। हफिर तबो विहि एकदिम हिमंस पडका। मकाहटरन यहि दिनख बडका खमुश हिहआ।
सत बमैठत खकातत जकातत थत और बतलकातत जकातत थत हक मह कचौन हिहमं और क्यत ऐसत हिकालत मम हिहमं।
बबोलत, “मनरन आदिमत कक हसपकाहित कक नचौकरत थत। हफिर कबोई आठ महितनन हिहए जकानन उन्हिम कहिकामं भनजका गयका। तबसन कमु छ खबर
उनकक नहिह हमलत। उसकन बकादि महनन रबोटत पककानन कक नचौकरत कर लत। रबोटत बनकातत थत, लनहकन यहि बकालक हिबोनन कबो हिहआ तबो
ममुझन ककाम सन उन्हितनन हिटका हदियका। ततन महितनन सन मह भटक रहित हिहमं हक नचौकरत हमल जकाय। जबो पकास थका, पनट कक खकाहतर सब बनच
चमुकक। अब कचौडत न रहि गई हिमै। सबोचका, मह धकाय बन जकाऊमं। लनहकन कबोई ममुझन रखनन कबो रकाज़त नहिह हिहआ। कहितन थन हक मह बहिहत
दिबमु लत और दिहमु खयका दितखतत हिहमं,सबो दिधमू क्यका उतरनगका। मह यहिकामं एक सनठकानत कक बकात पर आई थत। विहिकामं हिमकारन गकामंवि कक एक
नचौकरकानत हिमै। उन्हितनन ममुझन रखनन कबो कहिका थका। मह समझतत थत हक सब ठतक-ठकाक हिमै। पर विहिकामं गई तबो कहिका हक अगलन हिफ्तन
तक हिमम फ़समुरत नहिह हिमै, हफिर आनका। विहि दिरमू जगहि थत और आतन-आतन मनरका दिम हिकार गयका। बचका हबचकारका भमूखका हिमै। दिनखत, कमै सत
आमंखम हिबो गई हिह! भकाग्य कक बकात हिमै हक विहि तबो मककान मकालहकन दियकालमु हिह। भकाडका नहिह लनतह, नहिह तबो मनरका और हठककानका न
थका।”
मकाहटरन नन समुनकर लम्बत सकामंस भरत। पमूछका, “कबोई गमर कपडन पकास नहिह हिह?”
बबोलत, “गमर कपडका कहिकामं सन हिबो! अभत कल हित छ: आनन मम अपनत चद्दर हगरवित रख चमुकक हिहमं।”
इतनका कहिकर सत बढत और बचन कबो गबोदि मम लन हलयका। मकाहटरन खडका हिबो गयका और अपनन कपडत मम खबोज-बतन करनन लगका।
आहखर एक बडका गमर चबोगका उसनन हनककालका और कहिका, “यहि लबो। चतज तबो फिटत-पमुरकानत हिमै, पर बचन कन कमु छ ककाम तबो आ हित
जकायगत।”
सत नन उस चबोगन कबो दिनखका। हफिर उस दियकाविकान बमूढन कक तरफि आमंख उठकाई, हफिर चबोगन कबो हिकाथ मम लनतन-लनतन रबो पडत।
मकाहटरन नन ममुडकर खकाट कन नतचन झमुककर विहिकामं सन एक छबोटका-सका बक्स हनककालका। उसमम इधर-उधर कमु छ खबोजका और हफिर
धतरन-सन सरककाकर बमैठ गयका।

सत बबोलत, “भगविकान तमुम्हिकारका भलका करन, बकाबका! सचममुच ईशविर नन हित ममुझन इधर भनज हदियका, नहिह तबो बचका हठठमु र कर मर गयका
हिबोतका। मह चलत, तब सदिर इतनत नहिह थत। अब तबो कमै सत गजब कक ठमंडत हिविका चल रहित हिमै। जरर यहि ईशविर कक करनत हिमै हक
तमुमनन हखडकक सन बकाहिर झकामंकका और ममुझ गरतहबनत पर दियका कक।”
मकाहटरन ममुस्करकायका। बबोलका, “यहि सच बकात हिमै। उसत नन ममुझन आज इधर दिनखनन कबो कहिका थका। कबोई यहि समंयबोग हित नहिह
हिमै हक महनन तमुम्हिम दिनखका।”
यहि कहिकर मकाहटरन नन उसन अपनन सपनन कक बकात समुनकाई।

सत बबोलत, “कचौन जकानन, ईशविर क्यका नहिह कर सकतका!” विहि उठत और अपनन बचन कबो चकारत ओर सन ढकतन हिहए
चबोगका कमंधत पर डकाल हलयका। तब झमुककर मकाहटरन कबो हफिर एक बकार धन्यविकादि हदियका।
“प्रभमु कन नकाम पर यहि लबो।” मकाहटरन नन कहिका और चद्दर हगरवित सन छमु डकानन कन हलए छ: आनन सत कन हिकाथ मम थमका
हदियन। सत नन ईशमु प्रभमु कबो स्मरण हकयका। मकाहटरन नन प्रभमु कका नकाम हलयका और हफिर उसन बकाहिर पहिहमंचका आयका।
सत कन चलन जकानन पर मकाहटरन नन दिनगचत उतकार कमु छ खकायका-हपयका, हफिर बतरन समंभकालकर रख हदियन और ककाम करनन
बमैठ गयका। विहि बमैठका रहिका, बमैठका रहिका और ककाम करतका रहिका। लनहकन हखडकक कबो नहिह भमूलका। छकायका कबोई हखडकक पर पडतत हक
विहि तमुरन्त हनगकाहि करतका हक दिनखमूमं, कचौन जका रहिका हिमै।
थबोडत दिनर बकादि एक सनब विकालत सत कबो मकाहटरन नन ठतक अपनत हखडकक कन सकामनन रकतन दिनखका। विहि एक बडत टबोकरत
हलयन थत, लनहकन सनब उसमम बहिहत नहिह रहि गयन दितखतन थन। सकाज़ थका हक विहि बहिहत-कमु छ उसमम सन बनच चमुकक हिमै। उसकक कमर
पर एक बबोरका थका, हजसमम हछपहटयकामं भरत थह। उसन विहि घर लन जका रहित थत। कहिह इमकारत कक मदिदि लगत हिबोगत, विहिह सन
बटबोरकर लकाई हिबोगत। बबोरका उसन चमुभ आयका थका और एक कमंधन सन दिस मू रन कमंधन पर बदिलनका चकाहितत थत। बबोरन कबो उसनन रकास्तन कन
एक ओर रख हदियका और टबोकरत कबो हकसत खम्भन सन हटकका हदियका। हफिर बबोरन कक हछपहटयत कबो हिलहिलकानन लगत। लनहकन तभत
फिटत-सत टबोपत ओढन एक लडकका उधर दिचौडका और टबोकरत सन एक सनब लनकर भकागनन कबो हिहआ। बमुहढयका नन दिनख हलयका और
ममुडकर चट सन उसकक बकामंहि पकड लत। लडकन नन बहिहतनरत खहचकातकानत कक हक टमू ट जकाय, लनहकन बमुहढयका नन अपनन हिकाथ जमकायन
रखन। टबोपत बकालक कक उतकारकर फिम क दित और उसन बकालत सन पकडकर झमंझबोडनन लगत। लडकका हचलकायका, इस पर बमुहढयका और
तनज हिबो उठत। यहि दिनख मकाहटरन हिकाथ कक आरत विहिह डकाल झट सन दिरविकाजन कन बकाहिर आ गयका। जल्दित मम ऐनक भत
छमूटत। लडखडकातन पमैरत विहि सतढत उतरका और दिचौडकर सडक पर आ खडका हिहआ। बमुहढयका लडकन कन बकाल झकझबोर रहित थत और
गकाहलयकामं दिन रहित थत, “तमुझन पमुहलस मम दिमंगमू त” लडकन छमूटनन कबो मचल रहिका थका। हचलका रहिका थका हक महनन कमु छ नहिह हलयका, ममुझन
क्यत मकार रहित हिबो? ममुझन छबोड दिबो।

मकाहटरन नन आकर उन्हिम अलग कर हदियका। बबोलका, “जकानन दिबो, भकाई। भगविकान कन हलए उसन अब मकाफि कर दिबो।”

“अजत, मह उसन हदिखका दिमंगमू त, हजससन सकाल-एक यकादि तबो रखन। बदिमकाश कबो थकानन लन जकाऊमंगत।”
मकाहटरन बमुहढयका कबो हनहिबोरनन लगका, “जकानन दिबो, भकाई। हफिर ऐसका नहिह करनगका। भगविकान कन हलए उसन जकानन दिबो।”
बमुहढयका नन लडकन कबो छबोड हदियका। लडकका भकाग जकानन कबो हिहआ, लनहकन मकाहटरन नन उसन रबोक हलयका।
लडकका रबो पडका और मकाफिक मकामंगनन लगका।
“ठतक हिमै। यहि लबो एक सनब।” कहितन हिहए मकाहटरन नन टबोकरत सन एक सनब हलयका और लडकन कबो दिन हदियका। हफिर बबोलका,
“इसकन पमैसन मह दिमंगमू का, मकाई।”
“इस तरहि इन छबोकरत कबो तमुम हबगकाड दिबोगन।” बमुहढयका बबोलत, “इसन कबोडन लगनन चकाहहिए थन हक हिफ्तन भर तबो यकादि
रहितत।”

“ओहि, भकाई”, मकाहटरन बबोलका, “छबोडबो-छबोडबो, यहि तरतकका हिम लबोगत कका हिबो, ईशविर कका नहिह हिमै। अगर एक सनब कक
चबोरबो कन हलए उसन कबोडन लगनन चकाहहिए तबो हिमम अपनन पकापत कन हलए क्यका हमलनका चकाहहिए? सबोचबो तबो।”
बमुहढयका चमुप रहि गई।

तब मकाहटरन नन उसन उस कथका कक यकादि हदिलकाई, जहिकामं प्रभमु तबो अपनन सनविक पर सकारका ऋण छबोड दिनतन हिह, पर विहि दिकास
जरका-सन कन हलए अपनन कजरदिकार कका गलका जका दिबबोचतका हिमै। बमुहढयका नन यहि सब समुनका और लडकका भत पकास खडका समुनतका रहिका।
“सबो प्रभमु कक बकानत हिमै हक हिम मकाफ़ करम”, मकाहटरन नन कहिका, “नहिह तबो हिम भत मकाफ़क नहिह पकायमगन। हिर हकसत कबो
मकाफ़ करबो। अनज़कान बकालक कबो तबो और भत पहिलन मकाफ़क हमलनत चकाहहिए।”
बमुहढयका नन हसर हहिलकायका और सकामंस भरत।
बबोलत, “यहि तबो सच हिमै। लनहकन विन इतनन हबगडन जबो जका रहिन हिह।”
मकाहटरन बबोलका, “यहि तबो हिम बडत पर हिमै न हक अपनन उदिकाहिरण सन उन्हिम हिम अच्छत रकाहि हदिखकाएमं?”

“यहित तबो मह कहितत हिहमं,” बमुहढयका बबोलत, “मनरन खमुदि सकात बचन हिबो चमुकन हिह। उनमम हसफिर अब एक लडकक हिमै।” बमुहढयका बतकानन
लगत हक कमै सन और कहिका विहि अपनत बनटत कन सकाथ रहिका करतत थत और हकतनन धनवितत-धनवितन और उसकन सकाथ थन। बबोलत,
“यहि दिनखबो, अब ममुझमम अगचर कमु छ कस नहिह रहि गयका हिमै हफिर भत उनकन हलए मह ककाम मम जमुटत हित रहितत हिहमं, और बचन भत विन
भलन हिह। उन्हिम छबोड और कबोई भत तबो मनरन पकास नहिह रहितका। नन्हिह ऐनत तबो अब ममुझन छबोड हकसत कन पकास जकायगत हित नहिह।
कहिनगत, ‘हिमकारत नकानत, हिमकारत प्यकारत अच्छत नकानत!”...और ऐनत कक यहि यकादि आतन हित बमुहढयका कक आमंखम एकदिम भतग गई।मं

लडकन कन हलए बबोलत, “सच तबो हिमै। बनचकारन कका बचपन थका, और क्यका! ईशविर उसकका सहिकाई हिबो!”
यहि कहिकर जमैसन हित विहि बबोरका उठकाकर अपनत कमर पर रखनन कबो हिहई हक लडकका कमू दिकर उसकन सकामनन आ खडका हिहआ
बबोलका, “लकाओ, यहि मह लन चलमूमं, मकामं। मह उसत तरफि जका रहिका हिहमं।”
बमुहढयका नन ‘हिका’मं मम हसर हहिलकायका और बबोरका लडकन कक कमर पर रख हदियका। हफिर दिबोनत सकाथ-सकाथ गलत सन चलतन चलन। मकाहटरन
सन सनब कन पमैसन मकामंगनका बमुहढयका हबल्कमु ल हित भमूल गई। दिबोनत आपस मम बबोलतन-चलकातन विहिकामं सन गयन, और मकाहटरन खडका-खडका
उन्हिम दिनखतका रहिका।
आमंख सन विन ओझल हिबो गयन तबो मकाहटरन घर विकापस आयका। जतनन पर उसन अपनत ऐनक पडत हमलत, जबोहक टमू टत नहिह थत। उसन
उठका और आरत हिकाथ मम लन विहि हफिर ककाम पर बमैठ गयका। थबोडका-सका ककाम हकयका थका हक चमडन कन समूरकाखत सन समूआ हनककालनका
उसकक आमंखत कबो ममुहशकल हिबोनन लगका। तभत बकाहिर क्यका दिनखतका हिमै हक लहप विकालका गलत कन लहप जलकानन गलत सन हनकलका जका रहिका
हिमै।

सबोचका, रबोशनत कका समय हिबो गयका दितखतका हिमै। उसनन लहप ठतक हकयका, उसन टकामंगका और हफिर अपनन ककाम पर बमैठ गयका। एक जमूतका
उसनन पमूरका कर हलयका। हफिर अदिल-बदिलकर उसन जकामंचनन लगका। सब दिरमु स्त थका। उसनन अपनन औजकारत कबो समनटका, कटनत-
छटनत कबो बमुहिकार हदियका और मबोम-धकागका और सब चतज-विस कबो ठतक-ठकाक रख हदियका। हफिर लहप उतकार मनज पर रख आलन सन
अपनत इमंजतल कक पबोथत लत। चकाहितका थका हक विहिह सन खबोलमूमं, जहिकामं पहिलन हदिन हनशकान लगका छबोडका थका। लनहकन हकतकाब दिस मू रत
जगहि खमुल गई। उसन खबोलनका थका हक कल कका
सपनका हफिर मकाहटरन कन सकामनन आ गयका। सकाथ हित उसन पमैरत कक आहिट-सत समुनकाई दित, मकानबो कबोई उसकन पतछन चल-हफिर रहिका
हिबो। मकाहटरन ममुडका। उसन लगका, जमैसन अमंधनरन कबोनन मम कई आदिमत खडन हित। लनहकन विहि पहिचकान न सकका हक कचौन हिमै। उसत समय
एक आविकाज फिमु सफिमु सकाकर जमैसन ककान मम बबोलत, “मकाहटरन, मकाहटरन, क्यका तमुम ममुझन नहिह पहिचकानतन?”
मकाहटरन समंदिनहि कन स्विर मम बबोलका, “कचौन?”
आविकाज बबोलत, “यहि, मह।”
कहिनन कन सकाथ अमंहधयकारन कबोनन सन हनकल आगन स्टनपकान आ गयका। विहि ममुस्करकायका और बकादिल कक भकामंहत हफिर अन्तधकारन हिबो
गयका।
हफिर आविकाज हिहई, “और यहि, मह।”
और इस पर अन्धनरन मम विहि सत गबोदि मम बचका हलयन आ हनकलत। विहि ममुस्करकाई, बचका हिमंसका और यन दिबोनत अन्तधकारन हिबो गयन।
हफिर ततसरत आविकाज आई, “और यहि, मह।”
और कहिनन कन सकाथ हित विहि बमुहढयका और सनब हलयन विहि लडकका आ सकामनन हिहए, दिबोनत ममुस्करकायन और अन्तधकारन हिबो गयन।,
इस पर मकाहटरन कका हृदिय आनन्दि सन भर आयका। उसनन प्रभमु कबो स्मरण हकयका, ऐनक आमंखत पर रखत और ठतक जहिकामं इमंजतल
खमुलत थत, पढनन लगका। सफिन कन ऊपर हित पढका:
“मह भमूखका थका और तमूनन ममुझन खकानका हदियका, मह प्यकासका थका, तमूनन ममुझन पकानत हदियका, मह अजनबत थका और तमूनन ममुझन गहिण
हकयका।”

और सफिन कन अन्त मम पढका:


“इन भकाइयत मम सन एक कन हलए, मकाममूलत-सन-मकाममूलत कन हलए, जबो तमूनन हकयका, विहि ममुझकबो हकयका समझ। जबो हदियका, ममुझन पहिहमंचका
समझ।”
उस समय मकाहटरन कबो प्रत्यक्षि हिहआ हक उसकका सपनका सचका हिहआ हिमै। उसकबो प्रततत हिहआ हक रक्षिक प्रभमु सचममुच हित उसकन
घर पधकारन थन और उन्हिह नन उनकका आहतथ्य पकायका थका।
-अनमु० जमैननन्द्रकमु मकार
ममंग ल मकागर
□ततथर्थंक र महिकावितर

जबो रकात और हदिन एक बकार अततत कक ओर चलन जकातन हिह, विन हफिर कभत विकापस नहिह आतन, जबो मनमुष्य धमर करतका हिमै
उसकन विन रकात और हदिन सफिल हिबो जकातन हिह।
(उत्तरकाध्ययन अ० १४ गका० २५)
जबो मनमुष्य प्रकाहणयत कक स्वियमं हहिमंसका करतका हिमै, दिस
मू रत सन हहिमंसका करविकातका हिमै और हहिमंसका करननविकालत कका अनमुमबोदिन करतका हिमै, विहि
समंसकार मम अपनन हलए विमैर कबो बढकातका हिमै।
(समूत कक तकामंग श्रमु० १, अ० १ उ० १ गका० ३)

भय और विमैर सन हनविकत्त सकाधक कबो, जतविन कन प्रहत मबोहि-ममतका रखननविकालका सब प्रकाहणयत कक सविरत अपनत हित आत्मका कन
समकान जकानकर कभत हहिमंसका नहिह करनत चकाहहिए।
(उत्तरका० अ० ६ गका० ७)
अपनन स्विकाथर कन हलए अथविका दिस मू रत कन हलए क्रबोध सन यका भय सन हकसत भत प्रसमंग पर दिस मू रत कबो पतडका पहिहमंचकाननविकालका असत्य
विचन न तबो स्वियमं बबोलनका, न दिस मू रत सन बमुलविकानका चकाहहिए।
(दिशविमैककाहलक अ० ६ गका० १२)
जबो मनमुष्य भमूल सन भत ममूलत: असत्य, हकन्तमु ऊपर सन सत्य मकालमूम हिबोननविकालत भकाषका बबोलतका हिमै, और विहि भत आपसन अछमूतका
नहिह रहितका, तब भलका जबो जकान-बमूझकर असत्य बबोलतका हिमै, उसकन पकाप कका तबो कहिनका हित क्यका!
(दिस० अ० ७ गका० ५)
जकानत पमुरष, समंयम-सकाधक उपकरणत कन लननन और रखनन मम कहिह भत हकसत भत प्रककार कका महित्वि नहिह करतन। और तबो क्यका,
अपनन शरतर तक पर भत ममतका नहिह रखतन।
(दिश० अ० ६ गका० २२)
विकक्षि कन ममूल सन सबसन पहिलन स्कन्ध पमैदिका हिबोतका हिमै, स्कन्ध कन बकादि शकाखकाएमं और शकाखकाओमं सन दिस
मू रत छबोटत-छबोटत टहिहनयकामं
हनकलतत हिह। छबोटत टहिकाहनयत सन पत्तन पमैदिका हिबोतन हिह। इसकन बकादि क्रमश: फिमूल, फिल और रस उत्पन्न हिबोतन हिह। इसत भकामंहत धमर
कका ममूल हविनय हिमै और मबोक्षि

उसकका अहन्तम रस हिमै। हविनय सन हित मनमुष्य बहिहत जल्दित समंपणमू र शकास-जकान तथका ककहतर सम्पकादिन करतका हिमै।
(दिश० अ० ९ उ० २ गका० १-२)
जबो बकार-बकार क्रबोध करतका हिमै, हजसकका क्रबोध शतघ हित शकान्त नहिह हिबोतका, जबो हमततका रखननविकालत कका भत हतरस्ककार करतका हिमै,
जबो शकास पढकर गविर करतका हिमै, जबो दिस मू रत कन दिबोष कबो प्रकट करतका हिमै, जबो अपनन हमतत पर भत क्रमुद हिबो जकातका हिमै, जबो अपनन
प्यकारन-सन-प्यकारन हमत कक भत पतठन-पतछन बमुरकाई करतका हिमै, जबो मनमकानका बबोल उठतका हिमै-बकविकादित हिमै, जबो स्ननहि-जनत सन भत द्रबोहि
रखतका हिमै, जबो अहिमंककारत हिमै, जबो लमुब्ध हिमै, जबो इहन्द्रयहनगहित नहिह, जबो आहिकार आहदि पकाकर अपनन सकाधमर कबो न दिनकर अकन लका
हित पकाननविकालका अहविसमंभकागत हिमै, जबो सबकबो अहप्रय हिमै, विहि अहविनतत कहिलकातका हिमै।
(उत्तरका० अ० ११ गका० ७-८-९)
जबो मनमुष्य हनष्कपट तथका सरल हिबोतका हिमै, उसत कक आत्मका शमुद हिबोतत हिमै, और हजसकक आत्मका शमुद हिबोतत हिमै, उसत कन पकास
धमर ठहिर सकतका हिमै। घत सन खहचत हिहई अहग हजस प्रककार पमूणर आककाश कबो पकातत हिमै, उसत प्रककार सरल और शमुद सकाधक हित
पमूणर हनविकारण कबो प्रकाप हिबोतका हिमै। (उत्तरका० अ० ३ गका० १२)
प्रमत्त पमुरष धन कन दकारका न तबो इस लबोक मम हित अपनत रक्षिका कर सकतका हिमै और न परलबोक मम। हफिर भत धन कन असतम मबोहि
सन ममूढ मनमुष्य, दितपक कन बमुझ जकानन पर जमैसन मकागर नहिह दितख पडतका, विमैसन हित न्यकाय-मकागर कबो दिनखतन हिहए भत नहिह दिनख पकातका।
(उत्तरका० अ० ४ गका० ५)
समंसकारत मनमुष्य अपनन हप्रय कमु टमु हम्बयत कन हलए बमुरन-सन-बमुरन पकाप-कमर भत कर डकालतका हिमै, पर जब उनकन दिष्मु फिल भबोगनन कका
समय आतका हिमै, तब अकन लका हित दि:मु ख भबोगतका हिमै, कबोई भत भकाई-बन्धमु उसकका दि:मु ख बमंटकाननविकालका, सहिकायतका पहिहमंचकाननविकालका नहिह
हिबोतका।
(उत्तरका० अ० ४ गका० ५)
समंसकार मम जबो धन-जन आहदि पदिकाथर हिह, उन सबकबो पकाशरप मकानकर ममुममुक्षिमु कबो बडत सकाविधकानत सन फिमूमंक-फिमूमंककर पकामंवि रखनका
चकाहहिए। जब तक शरतर सशक हिमै, तब तक उसकका उपयबोग अहधक-सन-अहधक समंयम-धमर कक सकाधनका कन हलए कर लननका
चकाहहिए। बकादि मम जब विहि हबलकमु ल हित अशक हिबो जकाय तब हबनका हकसत मबोहि-ममतका कन हमटत कन ढनलन कन समकान उसकका त्यकाग
कर दिननका चकाहहिए। (उत्तरका० अ० ४ गका० ७)
शकाशवित-विकादित लबोग कल्पनका हकयका करतन हिह हक “सत्कमर सकाधनका कक अभत क्यका जल्दित हिमै, आगन कर लमगन।” परन्तमु यत करतन-
करतन भबोग-हविलकास मम हित उनकका जतविन समकाप हिबो

जकातका हिमै और एक हदिन मकत्यमु सकामनन आ खडत हिबोतत हिमै, शरतर नष हिबो जकातका हिमै। अहन्तम समय मम कमु छ भत नहिह बन पकातका, उस
समय तबो ममूखर मनमुष्य कन भकाग्य मम कन विल पछतकानका हित शनष रहितका हिमै।
(उत्तरका० अ० ४ गका० ९)

जतविन मम मन्दितका लकानन विकालका ककाम-भबोग बहिहत हित लमुभकाविनन मकालमूम हिबोतन हिह। परन्तमु समंयमत पमुरष उनकक ओर अपनत मन कबो
अभत आकक ष न हिबोनन दिन। आत्म-शबोधक सकाधक कका कत्तरव्य हिमै हक क्रबोध कबो दिबकाए, अहिमंककार कबो दिरमू करन, मकायका कन विशतभमूत न
हिबो और लबोभ कबो छबोड दिन।
(उत्तरका० अ० ४ गका० १२)

जमैसन विकक्षि कका पत्तका पतणझ ऋतमुककाहलक रकाहत कन बतत जकानन कन बकादि पतलका हिबोकर हगर जकातका हिमै, विमैसन हित मनमुष्यत कका जतविन भत
आयमु समकाप हिबोनन पर सहिसका नष हिबो जकातका हिमै। इसहलए हिन गचौतम! क्षिण-मकात भत प्रमकादि न कर।
जमैसन ओस कक बमूमंदि कमु शका कक नबोक पर थबोडत दिनर तक हित रहितत हिमै, विमैसन हित मनमुष्यत कका जतविन भत बहिहत अल्प हिमै-शतघ हित नष
हिबो जकाननविकालका हिमै। अत: क्षिण-मकात भत प्रमकादि न कर।
(अनमुयबोगदकार समु०)

अननक प्रककार कन हविघ्नत सन यमुक अत्यन्त अल्प आयमुविकालन इस मकानवि-जतविन मम पमूविर समंहचत कमर कक धमूल कबो पमूरत तरहि झटक
दिन। (अ० समु०)

मु भर हिमै, क्यतहक कक त-कमर कन हविपकाक अत्यनत प्रगकाढ हिबोतन


दितघरककाल कन बकादि भत प्रकाहणयत कबो मनमुष्य जन्म कका हमलनका बडका दिल
हिह। (अ० समु०)

तनरका शरतर हदिन-प्रहत-हदिन जतणर हिबोतका जका रहिका हिमै, हसर कन बकाल शविनत हिबोनन लगन हिह, अहधक क्यका, शकारतररक और मकानहसक
बल घटतका जका रहिका हिमै। इसहलए प्रमकादि मत कर।
(अ० समु०)

जमैसन कमल शरतककाल कन हनमरल जल कबो भत नहिह छमूतका, जल सन अहलप रहितका हिमै, उसत प्रककार तमू भत समंसकार सन
अपनत समस्त आसहकयकामं दिरमू कर, सब प्रककार कन स्ननहि-बन्धनत सन रहहित हिबो जका।
(अ० समु०)
घमुमकाविदिकार हविषम मकागर कबो छबोडकर तमू सतधन और सकाफि रकास्तन पर चल। हविषम मकागर पर चलननविकालन हनबरल भकारविकाहिक कक तरहि
बकादि मम पछतकाननविकालका न बन। (अ० समु०)

तमू हविशकाल समंसकार सममुद्र कबो तमैर चमुकका हिमै, अब भलका हकनकारन आकर क्यत अटक रहिका हिमै? उस पकार पहिहमंचनन कन हलए हजतनत भत
हिबो सकन , शतघतका कर। (अ० समु०)
रकाग और दनष दिबोनत कमर कन बतज हिह। मबोहि कमर कका उत्पकादिक मकानका गयका हिमै। कमर-

हसदकान्त कन अनमुभवित लबोग कहितन हिह हक समंसकार मम जन्म-मरण कका ममूल कमर हिमै, और जन्म-मरण यहित एकमकात दि:मु ख हिमै।
(पमकायटकाण समुत्तमं)

हजसन मबोहि नहिह, उसन दि:मु ख नहिह, हजसन तकष्णका नहिह उसन मबोहि नहिह,हजसन लबोभ नहिह, उसन तकष्णका नहिह, और हजसकन पकास लबोभ
करनन यबोग्य कबोई पदिकाथर-समंगहि नहिह हिमै, उसमम लबोभ भत नहिह।
(पमकायटकाण समुत्तमं)

जबो ममूखर मनमुष्य समुन्दिर रप कन प्रहत ततव्र आसहक रखतका हिमै, विहि अककाल मम हित नष हिबो जकातका हिमै। रकागकातमुर व्यहक रपदिशरन कक
लकालसका मम विमैसन हित मकत्यमु कबो प्रकाप हिबोतका हिमै, जमैसन दितपक कक ज्यबोहत कबो दिनखनन कक लकालसका मम पतमंग।
(पमकायटकाण समुत्तमं)

जबो मनमुष्य अपनका हहित चकाहितका हिमै, उसन पकाप कबो बढकानन विकालन क्रबोध, मकान, मकायका और लबोभ-इन चकारत दिबोषत कबो सदिका कन हलए
छबोड दिननका चकाहहिए। (कसकाय समुत्तमं)

शकाहन्त सन क्रबोध कबो मकारबो, नम्रतका सन अहभमकान कबो जततबो, सरलतका सन मकायका कका नकाश करबो और सन्तबोष सन लबोभ कबो ककाबमू मम
लकाओ। (कसकाय समुत्तमं)

चकामंदित और सबोनन कन कमै लकास कन समकान हविशकाल असमंख्य पविरत भत यहदि पकास मम हित तबो भत लबोभत मनमुष्य कक तकहप कन हलए विन
कमु छ भत नहिह हिह। ककारण हक तकष्णका आककाश कन समकान अनन्त हिमै।
(कसकाय समुत्तमं)

परलबोक मम सम्यकन बबोहध कका प्रकाप हिबोनका कहठन हिमै। बततत हिहई रकाहतयकामं कभत लचौटकर नहिह आतह। हफिर सन मनमुष्य जतविन पकानका
आसकान नहिह। (समूत० समू० १ अ० २ उ० १ गका० १)
हजस तरहि हसमंहि हहिरण कबो पकडकर लन जकातका हिमै, उसत तरहि अन्त समय मकत्यमु भत मनमुष्य कबो उठका लन जकातत हिमै। उस समय
मकातका, हपतका, भकाई आहदि कबोई भत उसकन दि:मु ख मम भकागतदिकार नहिह हिबोतन। परलबोक मम उसकन सकाथ नहिह जकातन।
(उत्तरका० अ० १३ गका० २२)

समंसकार मम हजतनन भत प्रकाणत हिह, सब अपनन कक त-कमर कन ककारण हित दि:मु खत हिबोतन हिह। अच्छका यका बमुरका जमैसका भत कमर हिबो, उसकका
फिल भबोगन हबनका छमु टककारका नहिह हिबो सकतका।
(समूत० श्रमु० १ अ० २ उ० १ गका० ४)

विमैर रखननविकालका मनमुष्य हिमनशका विमैर हित हकयका करतका हिमै, विहि विमैर मम हित आनन्दि पकातका हिमै। हहिमंसका-कमर पकाप कबो उत्पन्न करननविकालन हिह,
अन्त मम दि:मु ख पहिहमंचकानन विकालन हिह।
(समूत० श्रमु० १ अ० ८ गका० ७)

जबो मनमुष्य समुन्दिर और हप्रय भकागत कबो पकाकर भत पतठ फिन र जकातका हिमै, सब प्रककार सन स्विकाधबोन भबोगत कका पररत्यकाग कर दिनतका हिमै,
विहित सहित सचका त्यकागत कहिलकातका हिमै।
(दिश० अ० २ गका० ३)

मु रय समंगकाम मम लकाखत यबोदकाओमं कबो जतततका हिमै, यहदि विहि एक अपनत आत्मका कक जतत लन, तबो यहित उसकक सविरश्रनष
जबो वितर दिज
हविजय हिबोगत। (उत्तरका० अ० ९ गका० ३४)

जबो मनमुष्य प्रहतमकास लकाखत गकायम दिकान मम दिनतका हिमै, उसकक अपनक्षिका कमु छ भत न दिननन विकालन कका समंयमकाचरण श्रनष हिमै।
(उत्तरका० अ० ९ गका० ४०)

शरतर कबो नकावि कहिका हिमै, जतविन कबो नकाहविक कहिका जकातका हिमै और समंसकार कबो सममुद्र बतलकातका हिमै, इसत समंसकार-सममुद्र कबो महिहषरजन
पकार करतन हिह। उत्तरका० अ० २३ गका० ७३)

हविरबोहधयत कक ओर सन पडननविकालत दिविमु रचन कक चबोटम ककानत मम पहिहमंचकर बडत ममकारनतक पतडका पमैदिका करतत हिह, परन्तमु जबो क्षिमकाशमूर
हजतनहन्द्रय पमुरष उन चबोटत कबो अपनका धमर जकानकर समभकावि सन सहिन कर लनतका हिमै, विहित पमूज्य हिमै।
(पमुज्य समुत्तमं)

मतका सन श्रमण हिबोतका हिमै। बह्मचयर सन बकाह्मण हिबोतका हिमै, जकान सन ममुहन हिबोतका हिमै, और तप सन तपस्वित बन जकातका हिमै।
(मकाहिण० समुत्त)

जबो कलहिककारत विचन नहिह कहितका, जबो क्रबोध नहिह करतका, हजसकक इहन्द्रयकामं अचमंचल हिह, जबो प्रशकान्त हिमै, जबो समंयम मम धमुवियबोगत
(सविरथका तलतन) रहितका हिमै, जबो समंकट आनन पर व्यकाकमुल नहिह हिबोतका, जबो कभत यबोग्य कतरव्य कका अनकादिर नहिह करतका, विहित
हभक्षिमु हिमै। (हभक्खमु समुत्तमं)
धमर कका पथ
□ गचौतम बमुद
1. उसत ककाम कका करनका ठतक हिमै, हजसन करनन कन पतछन पछतकानका न पडन, और हजसकका फिल मनमुष्य
प्रसन्न-हचत्त सन गहिण करन।
2. पकाप-कमर दिधमू कक तरहि तमुरन्त नहिह जम जकातका हिमै। विहि तबो भस्म सन ढकक हिहई आग कक तरहि थबोडका-
थबोडका जलकर ममूढ मनमुष्य कका पतछका करतका हिमै।

3 जमैसन महिकान पविरत हिविका कन झकबोरत सन हविकमंहपत नहिह हिबोतका, विमैसन हित बमुहदमकान लबोग हनन्दिका और स्तमुहत सन
हविचहलत नहिह हिबोतन।
4 सहिसत अनथरक विकाक्यत सन एक सकाथरक पदि श्रनष हिमै, हजसन समुनकर शकाहन्त प्रकाप हिबोतत हिमै।
5 सहिसत अनथरक गकाथकाओमं सन एक सकाथरक गकाथका श्रनष हिमै, हजसन समुनकर शकाहन्त प्रकाप हिबोतत हिमै।
6 जबो अहभविकादिनशतल और सदिका विकदत कक सनविका करननविकालन हिह, उनकन यन चकारत धमर बढतन हिह-आयमु, विणर, समुख और
बल।
7 एक हदिन कका सदिकाचकारयमुक और जकानपमूविरक जतविन सचौ विषर कन शतलरहहित और असमकाहहित जतविन सन अच्छका हिमै।
8 यहि समझकर पकापत कक अविहिनलनका न करन हक ‘विहि मनरन पकास नहिह आयनगका।’ एक-एक बमूमंदि पकानत सन घडका भर
जकातका हिमै, इसत तरहि ममूखर मनमुष्य अगर थबोडका-थबोडका भत पकाप समंचय करतका हिमै, तबो विहि एक हदिन पकाप कन सममुद्र
मम डमू ब जकातका हिमै।
9 जबो शमुद, पहवित और हनदिर्वोष पमुरष कबो दिबोष लगकातका हिमै, उस ममूखर कबो उसकका पकाप लचौटकर लगतका हिमै, जमैसन विकायमु
कन रख फिम कक हिहई धमूल अपनन ऊपर सहिज पडतत हिमै।
10 मनमुष्य स्वियमं हित अपनका स्विकामत हिमै, दिसमू रका कचौन उसकका स्विकामत यका सहिकायक हिबो सकतका हिमै? अपनन कबो हजसनन
भलत-भकामंहत दिमन कर हलयका, विहि हित एक दिल मु भर स्विकाहमत्वि प्रकाप कर लनतका हिह।
11 अनमुहचत और अहहितकर कमर कका करनका आसकान हिमै। हहितकर और शमुभ कमर परम दिष्मु कर हिह।
12 जबो पहिलन प्रमकादि मम थका और अब प्रमकादि सन हनकल गयका, विहि इस लबोक कबो मनघमकालका सन उन्ममुक चन्द्रमका कक
भकामंहत प्रककाहशत करतका हिमै।
13 श्रनष पमुरष कबो पकानका कहठन हिमै। विहि हिर जगहि जन्म नहिह लनतका। धन्य हिमै विहि समुख-सम्पन्न कमु ल, जहिकामं ऐसका धतर
पमुरष उत्पन्न हिबोतका हिमै!
14 हविजय सन विमैर पमैदिका हिबोतका हिमै, परकाहजत पमुरष दि:मु खत हिबोतका हिमै। जबो जय और परकाजय छबोड दिनतका हिमै, विहित समुख कक
नहदि सबोतका हिमै।
15 रकाग कन समकान कबोई आग नहिह, दनष कन समकान कबोई पकाप नहिह। पमंचस्कमंधत (रप, विनदिनका, समंजका, समंस्ककार और
हविजकान) कन समकान कबोई दि:मु ख नहिह शकाहनत कन समकान कबोई समुख नहिह।

16. भमूख सबसन बडका रबोग हिमै, शरतर सबसन बडका दि:मु ख हिमै- इस बकात कबो अच्छत तरहि समझ
लननका चकाहहिए। यथकाथर्थं मम हनविकारण हित परम समुख हिमै।
17. आरबोग्य परम लकाभ हिमै। समंतबोष परम धन। हविशविकास परम बन्धमु हिमै और हनविकारण परम समुख हिमै।
18. सत्पमुरषत कका दिशरन अच्छका हिमै। समंतत कन सकाथ रहिनका सदिका समुखककारक हिमै। ममूखर कन अदिशरन सन (अलग
रहिनन सन) मनमुष्य सचममुच समुखत रहितका हिमै।
19. ममूखर कक समंगहत मम रहिननविकालका मनमुष्य हचरककाल तक शबोक-हनमग रहितका हिमै। ममूखर कक समंगहत शतमुओमं कक
तरहि सदिका हित दि:मु खदिकायक हिबोतत हिमै और धतर पमुरषत कका सहिविकास अपनन बन्धमु-बकामंधवित कन समकागम कन समकान
समुखदिकायत हिबोतका हिमै।
20. सदिका सच बबोलनका, क्रबोध न करनका और यकाचक कबो यथनच्छ दिकान दिननका-इन ततन बकातत सन मनमुष्य दिनवितकाओमं
कन हनकट स्थकान पकातका हिमै।
21. रकाग कन समकान कबोई आग नहिह, दनष कन समकान कबोई अररष गहि नहिह, मबोहि कन समकान कबोई जकाल नहिह और
तकष्णका कन समकान कबोई नदित नहिह।
22. जमैसन समुनकार चकामंदित कन ममैल कबो दिरमू करतका हिमै, उसत तरहि बमुहदमकान पमुरष कबो चकाहहिए हक विहि मलत (पकापत)
कबो प्रहतक्षिण थबोडका-थबोडका दिरमू करतका रहिन।
23. जबो प्रकाहणयत कक हहिमंसका करतका हिमै, जबो झमूठ बबोलतका हिमै, जबो समंसकार मम न दित हिहई चतज कबो उठका लनतका हिन
अथकारतन चबोरत करतकाहिमै, जबो परकाई सत कन सकाथ सहिविकास करतका हिमै, जबो शरकाब पततका हिमै, विहि मनमुष्य लबोक मम
अपनत जड आप हित खबोदितका हिमै।
24. मू रन कका दिबोष दिनखनका आसकान हिमै, हकन्तमु अपनका दिबोष दिनखनका कहठन हिमै। लबोग दिस
दिस मू रन कन दिबोषत कबो भमुस कन
समकान झटकतन हफिरतन हिह, हकन्तमु अपनन दिबोषत कबो इस तरहि हछपकातन हिह, जमैसन चतमुर जमुआरत हिकारननविकालन पकासन कबो
हछपका लनतका हिमै।
25. श्रदकाविकान, शतलविकान, यशस्वित और धनत पमुरष हजस दिनश मम जकातका हिमै, विहिकामं विहि पमूजका जकातका हिमै।
26. हहिमकालय कन धविल हशखरत कन समकान समंतजन दिरमू सन हित प्रककाशतन हिह और असन्त लबोग इस तरहि अदृष
रहितन हिह, जमैसन रकात मम छबोडका हिहआ बकाण।
27. कबोई भत समुगन्ध चकाहिन विहि चन्दिन कक हिबो, चकाहिन तगर कक यका चमनलत कक, विकायमु सन उलटत ओर नहिह जकातत।
हकन्तमु सत्पमुरषत कक समुगन्ध विकायमु सन उलटत ओर भत जकातत हिमै।
सत्पमुरषत कक समुगन्ध सभत हदिशकाओमं कबो समुविकाहसत करतत हिमै।
28. हजस प्रककार कलछत दिकाल-तरककारत कन स्विकादि कबो नहिह समझ सकतत, उसत प्रककार ममूखर मनमुष्य सकारत
हजन्दिगत पहण्डतत कक सनविका मम रहिकर भत धमर और जकान कका रस प्रकाप नहिह कर सकतका।
29. ध्यकान मम रत रहिबो, प्रमकादि मत करबो। तमुम्हिकारका हचत्त भबोगत कन चकर मन न पडन। प्रमकादि कन ककारण तमुम्हिम लबोहिन कका
लकाल-लकाल गबोलका न हनगलनका पडन और दि:मु ख कक आग सन जलतन समय तमुम्हिम यहि कहिकर क्रन्दिन न करनका
पडन हक ‘हिकाय! यहि दि:मु ख हिमै!’

30. जमैसन जमूहित कक लतका कमु म्हिलकायन हिहए फिमूलत कका त्यकाग कर दिनतत हिमै, विमैसन हित तमुम रकाग और दबोष कबो छबोड दिबो।
31. जबो हनन्दिनतय मनमुष्य कक प्रशमंसका अथविका प्रशमंसनतय पमुरष कक हनन्दिका करतका हिमै, विहि अपनन हित ममुख सन अपनत
हिकाहन करतका हिमै और इस हिकाहन कन ककारण उसन समुख प्रकाप नहिह हिबोतका।
32. जमुए मम धन गमंविकानन सन जबो हिकाहन हिबोतत हिमै विहि कम हिमै, हकन्तमु सत्पमुरषत कन सम्बन्ध मम अपनका मन कलमुहषत
करनका तबो सविरस्वि-हिकाहन सन भत बढकर आत्महिकाहन हिमै।
33. जबो हछछलका यका हछछबोरका हिबोतका हिमै, विहित ज्यकादिका आविकाज करतका हिमै, पर जबो गमंभतर हिबोतका हिमै, विहि शकामंत रहितका
हिमै। ममूखर अधभरन घडन कक तरहि शबोर मचकातन हिह, पर प्रकाजविकान गमंभतर मनमुष्य सरबोविर कक भकामंहत सदिका शकान्त रहितन
हिह।
34. इस सकारन प्रपमंच कका ममूल अहिमंककार हिमै। इसकका जडममूल सन नकाश कर दिननका चकाहहिए। अहिमंककार कन सममूल नकाश सन
हित अन्त:करण मम रमननविकालत तकष्णकाओमं कका अन्त हिबो जकातका हिमै।
35. सबोनन-चकामंदित कन लकाखत-करबोडत हसकत कबो मह श्रनष धन नहिह कहितका। उसमम तबो भय-हित-भय हिमै-रकाजका कका,
अहग कका, जल कका, चबोर कका, लमुटनरन कका और अपनन समंगन-समंबमंहधयत तक कका।
36. श्रनष और अचचमंल तबो मह इन सकात धनत कबो मकानतका हिहमं-श्रदका, शतल, लजका, लबोकभय, श्रमुत, त्यकाग और
प्रजका। इस सपहविध धन कबो कचौन लमूट सकतका हिमै और कचौन छतन सकतका हिमै?
37. जबो स्मकहतविकान मनमुष्य अपनन भबोजन कक मकातका जकानतका हिमै, उसन अजतणर कका कष नहिह हिबोतका। विहि आयमु कका
पकालन करतन-करतन बहिहत विषर कन बकादि विकद हिबोतका हिमै।
38. कक पण कन धन कक कमै सत बमुरत गहत हिबोतत हिमै? कक पण मनमुष्य सन उसकन जतविन-ककालमम हकसत कबो समुख नहिह
पहिहमंचतका, उसकका इकटका हकयका हिहआ सकारका धन अन्त मम रकाजका कन खजकानन मम जकातका हिमै, यका चबोर लमूट लनतन हिह,
अथविका उसकन शतमु हित उसन उडका दिनतन हिह।
39. अपनन हिकाथ सन कबोई अपरकाध हिबो गयका हिबो तबो उसन स्वितककार करनका और भहविष्य मम हफिर कभत अपरकाध न
करनका, यहि आयर-गकहिस्थ कका कत्तरव्य हिमै।
40. लबोभ कन फिमंदिन मम फिमंसका हिहआ मनमुष्य हहिमंसका भत करतका हिमै, चबोरत भत करतका हिमै, पर-सत गमन भत करतका हिमै,
झमूठ भत बबोलतका हिमै और दिस
मू रत कबो भत विमैसका हित करनन कन हलए प्रनररत करतका हिमै।
41. हित्यका कका फिल हित्यका हिमै, हनन्दिका कका फिल हनन्दिका हिमै, और क्रबोध कका फिल क्रबोध। जबो जमैसका करतका हिमै, विमैसका हित
फिल उसन हमलतका हिमै।
42. परम लकाभ आरबोग्य हिमै और परम समुख हनविकारण।
43. विहित बकात बबोलनत चकाहहिए, हजससन अपनन कबो समंतकाप न हिबो और हजससन हकसत कबो दि:मु ख न पहिहमंचन। यहित
समुभकाहषत विकाक्य हिमै।

44. सन्तत नन कहिका हिमै हक समुभकाहषत विकाक्य हित उत्तम हिमै। धमर कक बकात कहिनका,
अधमर कक न कहिनका, यहि दिस मू रका समुभकाषण हिमै। हप्रय बबोलनका, अहप्रय न बबोलनका, यहि ततसरका समुभकाषण हिमै। सत्य
बबोलनका, असत्य न बबोलनका, यहि चचौथका समुभकाषण हिमै।
स्विगर कका रकाज्य
□ईसका मसतहि

जब एक खनत मम बतज बबोयन जकातन हिह तबो सब-कन -सब एक-सन नहिह उगतन। हिबोतका प्रकाय: इस प्रककार हिमै-कमु छ बतच रकास्तन
पर हगर जकातन हिह और पमंछत आकर उन्हिम चमुग जकातन हिह। कमु छ पथरतलत धरतत पर हगरतन हिह और अगचर विन उगतन तबो हिह, लनहकन
थबोडन हित समय कन हलए उगतन हिह, क्यतहक उनकन आसपकास इतनत हमटत नहिह हिबोतत हक उसमम विहि अपनत जडत कबो जमका लम
और इसहलए उनकन अमंकमुर जल्दित हित समूख जकातन हिह। कमु छ बतज ककामंटत पर हगरतन हिह और ककामंटन उन्हिम दिबका लनतन हिह। लनहकन कमु छ
ऐसन भत हिबोतन हिह, जबो अच्छत जमतन पर हगरतन हिह, पमैदिका हिबोकर बडन हिबो जकातन हिह और एक-एक दिकानन सन ततस यका सकाठ दिकानन फिलतन
हिह।
यहित दिशका आदिहमयत कक हिह। कमु छ ऐसन हिह, जबो अपनन हदिलत मम ‘स्विगर कका रकाज्य’ प्रकाप
नहिह करतन, उन्हिम बकाहिरत प्रलबोभन आ घनरतन हिह और जबो बबोयका थका, उसन चमुरका लनतन हिह। यन विन बतज हिह, जबो रकास्तन पर बबोयन गए थन।
इनकन बकादि विन आदिमत हिह, जबो पहिलन तबो खमुशत-खमुशत उपदिनशत कबो स्वितककार करतन हिह, लनहकन जब उनकका अपमकान हिबोतका हिमै और
उसकन हलए उन्हिम पतडका दित जकातत हिमै, तबो विन उससन हविममुख हिबो जकातन हिह। यन विन बतज हिह, जबो पथरतलत ज़मतन पर बबोयन गए थन।
इसकन बकादि विन लबोग हिह, जबो ‘स्विगर कन रकाज्य’ कन अथर समझतन हिह, लनहकन उनकन भततर कका समंसकारत मबोहि और समंपहत्त कका लबोभ
उन्हिम दिबका लनतका हिमै। यन विन बतज हिह, जबो ककामंटत मम बबोयन गए थन। लनहकन विन बतज, जबो अच्छत धरतत पर बबोयन गए थन, विन हिह, जबो
‘स्विगर कन रकाज्य’ कन अथर समझतन हिमै और उसन अपनन हदिलत मम जगहि दिनतन हिह। यन लबोग फिमूलतन-फिमूलतन हिह, कमु छ तबो ततस गमुनका
और कमु छ सकाठ गमुनका और कमु छ सचौ गमुनका।
मतलब यहि हक हजसन जबो हदियका गयका थका, उसनन विहि समंभकाल रखका हिमै, तबो उसन और भत ज्यकादिका हमलनगका, लनहकन उस
व्यहक सन सबकमु छ छतन हलयका जकायगका, हजसनन हदियन हिहए कबो समंभकाल कर नहिह रखका। इसहलए ‘स्विगर कन रकाज्य’ मम प्रविनश करनन
कन हलए अपनत सकारत शहक कन सकाथ यत्न करबो। अगर आप उसमम प्रहविष हिबो सकतन हिह, तबो और हकसत भत बकात कन हलए इच्छका
मत करबो।
उस आदिमत कक तरहि ककाम करबो, हजसन, जब यहि पतका चल गयका हक अममुक खनत मम बडका भकारत खजकानका दिबका पडका
हिमै, तबो उसनन जबो-कमु छ उसकन पकास थका सब बनचकर उस खनत कबो खरतदि हलयका और अमतर बन गयका। आपकबो भत विमैसका हित
करनका चकाहहिए।
सदिका यकादि रखबो हक हजस प्रककार एक छबोटका-सका बतज बढकर एक बडका पनड हिबो जकातका हिमै, उसत तरहि ‘स्विगर कन
रकाज्य’ कन हलए थबोडन-सन यत्न कका बहिहत बडका पररणकाम हमलतका हिमै।
हिर कबोई अपनन हनजत यत्न सन ‘स्विगर कका रकाज्य’ प्रकाप कर सकतका हिमै, क्यतहक विहि आपकन भततर हविदमकान हिमै।

...स्विगर कका रकाज्य हिमकारन भततर हिमै, इसकका अथर यहि हिमै हक उसमम प्रहविष हिबोनन कन हलए हिमम हफिर सन जन्म लननका हिबोगका।
हफिर सन जन्म लननन कका मतल यहि नहिह हक हजस प्रककार एक हिकाड-मकामंस कका बचका अपनत मकामं कन गभर सन जन्म लनतका हिमै, उसत
तरहि जन्म हलयका जकाय, बहल्क इसकका मतलब यहि हिमै हक उस शहक कका उदिय हिबो जकाय। शहक कन उदिय हिबोनन कका अथर यहि
समझ लननका हिमै हक मनमुष्य मम परमकात्मका कक शहक कका विकास हिमै। हजस प्रककार प्रत्यनक मनमुष्य अपनत मकातका कन गभर सन जन्म लनतका
हिमै, उसत प्रककार परमकात्मका कक शहक सन भत जन्म लनतका हिमै। जबो-कमु छ शरतर सन जन्मतका हिमै, विहि शरतर कका हित अमंश हिमै। उसन यकातनका
अनमुभवि हिबोतत हिमै और मरतका भत हिमै। जबो-कमु छ शहक मम सन जन्मतका हिमै, विहि शहक कका अमंश हिबोतका हिमै। और विहि जतहवित रहितका हिमै। न
तबो उसन यकातनका हिबो सकतत हिमै और न विहि मरतका हिमै।परमकात्मका नन मनमुष्यत मम अपनत शहक इसहलए उत्पन्न नहिह कक हक विन पतहडत
हित और मर जकायमं, बहल्क इसहलए हक उनकका जतविन समुखदि और हचरस्थकायत हिबो। प्रत्यनक मनमुष्य उस जतविन कबो प्रकाप कर
सकतका हिमै। ऐसत जतविन ‘स्विगर कका रकाज्य’ हिमै।
इसहलए ‘स्विगर कका रकाज्य’ कका यहि अथर नहिह समझनका चकाहहिए हक हकसत समय-हविशनष और स्थकान-हविशनष मम हिर
हकसत कन हलए ‘प्रभमु कन रकाज्य’ कका उदिय हिबोगका, बहल्क यहि हक यहदि लबोग अपनन अन्दिर कक परमकात्मका कक शहक कबो जकान लमगन
और उसकन अनमुसकार आचरण करमगन, तभत विन ‘स्विगर कन रकाज्य’ मम प्रहविष हितगन और उन्हिम यकातनका अथविका मकत्यमु सहिन नहिह करनत
हिबोगत। लनहकन अगर लबोग अपनन अन्दिर कक शहक कका अनमुभवि नहिह करतन और अपनन शरतरत कन हलए हित जततन हिह, तब विन यकातनका
सहिमगन और मरमगन।
गमुर नकानक कन सबदि
□नकानक दिनवि

1. दिमैवित गमुण विकालन शमुभ गमुणत कका हविस्तकार करतन हिह, दिगमु मुरण विकालन पशचकात्तकाप करतन हिह।
2. हिन हजजकासमु रपत सत! यहदि तमू परमनशविर-रपत पहत कबो प्रकाप करनत चकाहितत हिमै, तबो विहि हमथ्यका-भकाषण सन
नहिह हमलनगका। तनरन पकास न तबो भहक-रपत नकावि हिमै, न प्रनम रपत दिल्मु हिका हिमै, अत: तमू उसन प्रकाप नहिह कर
सकन गत। विहि तमुझसन दिरमू हित रहिनगका। मनरका स्विकामत पमूणर, सबकका आश्रय और हनशचल हिमै। जब पमूणर गमुर उपदिनश
करतका हिमै तब सत्य-स्विरप अतमुलनतय परमनशविर प्रकाप हिबोतका हिमै।
3. शरतर मम प्रभमु कका समुन्दिर महन्दिर हिमै और उसमम मकाहणक और लकाल लगन हिह। इसमम हनमरल हितरन और मबोतत हिह,
विहि स्विणर कका हकलका हिमै, हबनका सतहढयत कन इस गढ पर कमै सन चढका जका सकतका हिमै? जब गमुर दकारका बतकायन
तरतकन सन हिरर कका ध्यकान हकयका जकातका हिमै, तभत हजजकासमु कक तकाथर हिबोतका हिमै।
4. गमुर हित सतढत हिमै, नकावि हिमै, हिररनकाम दिल्मु हिका हिमै।
5. गमुर समंसकार-सकागर कका जहिकाज हिमै, गमुर हित चलतका-हफिरतका ततथर रकाज हिमै। जब परमनशविर कबो आचकार-हविचकार
अच्छका लगतका हिमै तबो बमुहद हनमरल हिबोतत हिमै और विहि सत्समंग-रपत नदित मम स्नकान करनन जकातका हिमै। उसत पमूणर
परमनशविर कक उपकासनका करनत चकाहहिए विहि पमूणर ईशविर सत्समंग-रपत हसमंहिकासन पर हनविकास करतका हिमै। पमूणर
गमुर हजस स्थकान पर भत आतका हिमै, उसन समुशबोहभत कर दिनतका हिमै और हनरकाश लबोगत कक भत आशका पमूरत कर
दिनतका हिमै। यहदि ऐसका पमूणर गमुर हमल जकाय तबो हजजकासमु कन गमुण कमै सन घट सकतन हिह?
6. अच्छका हिहआ जबो मनरत बमुहद दिगमु मुरणत सन बच गई और अहिमं भत हृदिय मम मर गयका।
7. सदरमु कन हविशविकास पर मनरत इहन्द्रयकामं सनविका मम लग गई।मं हजसनन व्यथर समझकर कल्पनकाएमं त्यकाग दिह, विहित
सचका हनस्पकहि हिमै। हिन मन! सत्य कन हमलनन पर भय दिरमू हिबो जकातका हिमै।
8. परमनशविर कन भय कन हबनका यहि जतवि कमै सन हनभरय हिबो सकतका हिमै? गमुर कन दकारका हित जतवि बह्म मम लतन हिबोतका
हिमै।
9. उस परमनशविर कका हकतनका हित विणरन करम, विणरन करनन सन उसकन गमुणत मम कमत नहिह आतत।
10. उससन मकामंगनन विकालन अननक हिह, हकन्तमु दिकातका एक विहित हिमै। हजस ईशविर नन प्रकाण हदियन हिह, उसत कन मन मम
हनविकास करनन पर समुख हमलतका हिमै।
11. ईशविर कन हबनका समंसकार स्विप्न हिमै, मदिकारत कका खनल हिमै और क्षिणभर मम नष हिबो जकातका हिमै।
12. कमर कन समंयबोग सन जतवि हमलकर एक हिबोतन हिह और कमर कन हबनका उठकर चलन जकातन हिह।

13. जबो उस ईशविर कबो अच्छका लगतका हिमै, विहित हिबोतका हिमै, अन्य कमु छ नहिह हिबो सकतका।
14. हजजकासमु गमुरओमं सन सचत पमूमंजत कन दकारका परमकात्मका-रपत सचका सचौदिका खरतदितका हिमै।
15. हजन्हितनन पमूणर गमुर सन सत्य विस्तमु खरतदित हिमै, उन्हिम ईशविर कन दिरबकार मम आशतविकारदि हमलतन हिह।
16. हजसकन पकास सचका सचौदिका हिमै, विहित सत्य विस्तमु कबो पहिचकानतका हिमै।
17. जमैसन हविहभन्न धकातमुएमं अहग कन तकाप सन एक आकर कक हिबो जकातत हिह, विमैसन हित गमुणत कन सकागर परमकात्मका मम
जकानविकान समका जकातन हिह।
18. पबोस्त कन रमंग जमैसका लकाल, गकाढका, सचन स्विरप कका रमंग जकाहनयत पर चढतका हिमै।
19. जबो लबोग एक-रस हिबोकर हिरर कबो जपतन हिह, उन्हिह समंतबोषत लबोगत कबो सचका स्विप्न प्रकाप हिबोतका हिमै।

हिन भकाई! इसकन हलए सतजनत कन चरणत कक धमूल बनबो।


20. समंत-सभका मम हित ऐसन गमुर कक प्रकाहप हिबोतत हिमै, जबो ममुहक पदिकाथर कबो दिननन मम ककामदिनवि कन समकान हिमै।
21. मनमुष्य शरतर सकारत यबोहनयत मम ऊमंचका और समुन्दिर हिमै। उसकन ऊपर परमकात्मका नन अपनका हनविकास-स्थकान
बनकायका हिमै।
22. हनष्पकाप कमर ईशविर कबो अहपरत करकन हित शरतर मम ईशविर कन स्विरप और प्रनम कबो प्रकाप हकयका जका सकतका
हिमै।
23. दमैत भकाविनका सन ठगन हिहए दिरमु काचकारत पमुरष कका जतविन हधककार हिमै। उनकका जतविन कलर (रनहि) कक दितविकार कक
तरहि रकात हदिन धतरन-धतरन हगरकर अन्तत: पमूरत तरहि हगर जकातका हिमै।
24. गमुर कन उपदिनश कन हबनका समुख नहिह हमलतका और परमनशविर-रपत पहत कन हमलन कन हबनका दि:मु खत कक
हनविकहत्त नहिह हिबोतत।
25. परमनशविर बडका चतमुर हिमै। विहि जतवित कन कमर कबो नहिह भमूलतका। विहि महिकान कक षक हिमै। अत: सबसन पहिलन
अन्त:करण-रपत भमूहम कबो शमुद करकन सचन नकाम-रपत बतज बबोओ।
26. एक नकाम कन बबोनन मकात सन नवित हनहधयकामं उत्पन्न हिबोतत हिह और बबोनन विकालन कका नकाम प्रहसद हिबो जकातका हिमै। जबो
गमुर कन महित्वि कबो जकानकर भत नहिह जकानतन, उनकका आचकार-हविचकार व्यथर हिमै।

नतहत कन हनयम
□मबोहिनदिकास करमचन्दि गकामंध त

अममुक ककाम अच्छका हिमै यका बमुरका, इस बकारन मम हिम सदिका मत प्रकट हकयका करतन हिह। कमु छ ककामत सन हिमम समंतबोष हमलतका हिमै
और कमु छ हिमकारत अप्रसन्नतका कन ककारण हिबोतन हिह। ककायर-हविशनष कन भलन यका बमुरन हिबोनन कका आधकार इस बकात पर नहिह हिबोतका हक विहि
ककाम हिमकारन हलए लकाभजनक हिमै यका हिकाहनककारक, पर उसकक तमुलनका करनन मम हिम जमुदिन हित पमैमकानन सन ककाम हलयका करतन हिह। हिमकारन
मन मम कमु छ हविचकार रम रहिन हिबोतन हिह, उन्हिह कन आधकार पर हिम दिस मू रन आदिहमयत कन ककामत कक परतक्षिका हकयका करतन हिह। एक आदिमत
नन दिसमू रन आदिमत कका कबोई नमुकसकान हकयका हिबो
उसकका असर अपनन ऊपर हिबो यका न हिबो, उस ककाम कबो हिम खरकाब मकानतन हिह। हकतनत हित बकार नमुकसकान करननविकालन कक ओर
हिमकारत हिमदिदिर हिबो तबो उसकका ककाम बमुरका हिमै, विहि कहितन हिमम तहनक भत हहिचक नहिह हिबोतत। यहि भत हिबो सकतका हिमै हक हकतनत हित
बकार हिमकारन रकाय गलत ठहिरन। मनमुष्यत कका हिनतमु हिम सदिका दिनख नहिह सकतन, इससन हिम परतक्षिका हकयका करतन हिह। हफिर भत हिनतमु कन
प्रमकाण मम ककाम कक परतक्षिका करनन मम बकाधका नहिह हिबोतत। कमु छ बमुरन ककामत मम हिमम लकाभ हिबोतका हिमै, हफिर भत हिम मन मम तबो समझतन हित
हिह हक विन बमुरन हिह।

अत: यहि हसद हिहआ हक हकसत ककाम कन भलन यका बमुरन हिबोनन कका आधकार मनमुष्य कका स्विकाथर नहिह हिबोतका। उसकक इच्छकाएमं
भत इसकका आधकार नहिह हिबोतह। नतहत और मन कक विकहत्त कन बतच सदिका सम्बन्ध दिनखनन मम नहिह आतका। बचन पर ममतका हिबोनन कन
ककारण हिम उसन कबोई खकास चतज दिनखका चकाहितन हिह हक उसन दिननन मम अनतहत हिमै। स्ननहि हदिखकानका बनशक अच्छत बकात हिमै, पर नतहत-
हविचकार कन दकारका उसकक हिदि न बकामंध दित गई हिबो तबो विहि हविषरप हिबो जकातका हिमै।

हिम यहि भत दिनखतन हिह हक नतहत कन हनयम अचल हिह। मत बदिलका करतन हिह, पर नतहत नहिह बदिलतत। हिमकारत आमंखम
खमुलत हित तबो हिमम समूरज हदिखकाई दिनतका हिमै, बन्दि हित तबो नहिह हदिखकाई दिनतका। इसमम हिमकारत हनगकाहि मम हिनर-फिन र हिहआ, न हक समूरज कन
हिबोनन मम। नतहत कन हनयमत कन बकारन मम भत यहित समझनका चकाहहिए। हिबो सकतका हिमै हक अजकान दिशका मम हिम नतहत कबो न समझ सकम ।
जब हिमकारका जकानचक्षिमु खमुल जकातका हिमै तब हिमम समझनन मम कहठनकाई नहिह पडतत। मनमुष्य सदिका भलन कक ओर हित हनगकाहि रखन, ऐसका
क्वहचतन हित हिबोतका हिमै। इससन अक्सर स्विकाथर कक दृहष सन दिनखकर अनतहत कबो नतहत कहितका हिमै। ऐसका समय तबो अभत आनन कबो हिमै
जब मनमुष्य स्विकाथर कका हविचकार त्यकाग कर नतहत-हविचकार कक ओर हित ध्यकान दिनगका। नतहत कक हशक्षिका अभत हबलकमु ल बचपन कक
अविस्थका मम हिमै। बनकन और डकाहविरन कन पहिलन शकास कक जबो हस्थहत थत विहित आज नतहत कक हिमै। लबोग सचका क्यका हिमै, उसन दिनखनन
कबो उत्समुक थन। नतहत कन हविषय कबो समझनन कन बदिलन विन पकथ्वित आहदि कन हनयमत कक खबोज मम लगन हिहए थन। ऐसन हकतनन हविदकान
आपकबो हदिखकाई हदियन हिह, हजन्हितनन लगन कन सकाथ कष सहिकर हपछलन विहिमत कबो एक ओर रखकर नतहत कक खबोज मम हजन्दिगत
हबतकाई हिबो? जब प्रकाककहतक रहिस्यत कक खबोज करनन मम तलतन रहिम तब हिम यहि मकानम हक अब

नतहत-हविचकार कन हविषय कन हविचकार इकटन हकयन जका सकतन हिह। शकास यका हविजकान कन हविचकारत कन हविषय मम आज भत हविदकानत मम
हजतनका मतभनदि रहितका हिमै उतनका नतहत कन हनयमत कन हविषय मम हिबोनका ममुमहकन नहिह। हफिर भत हिबो सकतका हिमै हक कमु छ अरसन तक
हिम नतहत कन हनयमत कन हविषय मम एक रकाय न रख सकम , पर उसकका अथर यहि नहिह हिमै हक हिम खरन-खबोटन कका भनदि नहिह समझ
सकतन। हिमनन दिनख हलयका हक मनमुष्यत कक इच्छका सन अलग नतहत कका कबोई हनयम हिमै, हजसन हिम ‘नतहत कका हनयम’ कहि सकतन
हिह। जब रकाजनमैहतक हविषयत मम हिमम हनयम-ककानमून दिरककार हिमै तब क्यका हिमम नतहत कन हनयमत कका प्रयबोजन नहिह हिमै, भलन हित विन
हनयम मनमुष्य-हलहखत न हित? विहि मनमुष्य-हलहखत हिबोनका भत न चकाहहिए। और अगर हिम नतहत-हनयमत कबो अहस्तत्वि स्वितककार
करम तबो जमैसन हिमम रकाजनमैहतक हनयमत कन अधतन रहिनका पडतका हिमै, विमैसन हित नतहत कन हनयमत कन अधतन रहिनका कतरव्य हिमै। नतहत कन
हनयम रकाजनमैहतक और व्यविसकाहयक हनयमत सन अलग तथका उत्तम हिह। ममुझसन यका दिसमु रन हकसत सन यहि नहिह बन सकतका हक
व्यविसकाहयक हनयमत कन अनमुसकार न चलकर मह गरतब बनका हिहमं तबो क्यका हिहआ?

यत नतहत कन हनयम और दिहमु नयकादिकारत कन हनयम कन बतच भकारत भनदि हिमै, क्यतहक नतहत कका विकास हिमकारन हृदिय मम हिमै।
अनतहत कका आचरण करननविकालका मनमुष्य भत अपनत अनतहत कबमूल करनगका—झमूठका सचका कभत नहिह हिबो सकतका। और जहिकामं जन-
मकानस बहिहत दिषमु हिबो, विहिकामं भत लबोग नतहत कन हनयमत कका पकालन न करतन हित तबो भत पकालन कबो ढतग करमगन, अथकारतन नतहत कका
पकालन कत्तरव्य हिमै, यहि बकात विमैसन आदिहमयत कबो भत कबमूल करनत पडतत हिमै। ऐसत नतहत कक महहिमका हिमै। इस प्रककार कक नतहत
रतहत-हकरविकाज जहिकामं तक नतहत कन हनयम कका अनमुसरण करतका हदिखकाई दिन, विहिह तक नतहतमकान पमुरष कबो विहि बमंधनककारक हिमै।

ऐसका नतहत कका हनयम कहिकामं सन आयका? कबोई रकाजका, बकादिशकाहि उसन गढतका नहिह, क्यतहक हभन्न-हभन्न रकाज्यत मम जमुदिका-
जमुदिका ककानमून-ककायदिन दिनखनन मम आतन हिह। समुकरकात कन जमकानन मम, हजस नतहत कका अनमुसरण विहि करतका थका, बहिहत-सन लबोग उसकन
हविरद थन, हफिर भत सकारत दिहमु नयका कबमूल करतत हिमै हक जबो नतहत उसकक थत विहि सदिका रहित हिमै और रहिनगत। अमंगनजत कहवि रकाबटर
बकाउहनमंग कहि गयका हिमै हक कभत कबोई शमैतकान दिहमु नयका मम दनष और झमूठ कक दिहिमु काई हफिरका दिन तबो भत न्यकाय, भलकाई और सत्य
ईशविरतय हित रहिमगन। इस पर सन यहि कहि सकतन हिह हक नतहत कन हनयम सविर्वोपरर और ईशविरतय हिह।

ऐसन हनयम कका भमंग कबोई प्रजका यका मनमुष्य अमंत तक नहिह कर सकतका। कहिका हिमै हक जमैसन भयकानक बविमंडर अमंत मम उड
जकातका हिमै, विमैसन हित अनतहतमकान पमुरष कका भत नकाश हिबोतका हिमै। असतररयका और बनबतलबोन मम अनतहत कका घडका भरका नहिह हक तत्ककाल
फिमूट गयका। रबोग नन जब अनतहत कका रकास्तका पकडका तब उसकन महिकान पमुरष कका बचकावि न कर सकन । गतस कक जनतका बमुहदमकान
थत, पर उसकक बमुहदमकानत अनतहत कबो हटकका न सकक। फकामंस मम जब हविप्लवि हिहआ, विहि भत अनतहत कन हिह हविरबोध मम। विमैसन हित
अमनररकका मम भलका विमडल हफिहलप्स कहितका हिमै हक अनतहत रकाजगद्दत पर बमैठत हिबो तबो भत हटकनन कक नहिह। नतहत कन इस अदतमू
हनयम कका जबो मनमुष्य पकालन करतका हिमै विहि ऊपर उठतका हिमै; जबो कमु टमु म्ब-पकालन करतका हिमै विहि बनका रहि सकतका
हिमै और हजस समकाज मम उसकका पकालन हिबोतका हिमै, उसकक विकहद हिबोतत हिमै; जबो प्रजका इस उत्तम हनयम कका पकालन करतत हिमै विहि
समुख, स्वितमंततका और शकामंहत कबो भबोगतत हिमै।

ऊपर कन हविषय सन मनल खकानन विकालत एक कहवितका हिमै:

मन तमुह हिमं तमुह हिमं बबोलन रन, आसमुप नका जनवि मु तल तकारमं ;
अचकानक उडत जकाशन रन, जनम दिनवि तकामकामं दिकारमं ।
झकाकल जलपलमका विलतजकाशन, जनम ककागलनन पकाणत;
ककायका विकाडत तकारत एम करमकाशन, थइ जकाशन धमूल धकाणत।
मकाछलथत पस्तकाशनर न, हमथ्यका करत मकारमं मकारमं ।
ककाचनबो कमुमं पबो ककायका तकारत, विणसतकामं न लकागन विकार।
जतवि ककायका नन सगकाई कन टलत, ममूक क चकालन बनमबोझकार
फिबोकट पमुल् यकामं फिरविमुमंर न, आहचन्तमु थकाशन अधकारमं ।
जकायमुमं तन तबो सविर जविकानमुमं, अगरविकानबो उधकारबो;
दिनवि , गकामंध विर रकाक्षिसनन मकाणस सउनन मरणकानबो विकारबो।
आशकानबो महिनल उमंच बोरन, नतचमुमंआ ककाचमुमंक कारभकारमं ।
चमंच ल हचत्तमकामं चनत त नन चकालबो, भकालबो हिरररमं नकाम,
परमकारथ जन हिकाथन तन सकाथन करबो रहिनवि कानबो हविश्रकाम।
धतरबो धरकाधरथतरन कबोई न थत रहिनन कारमं ....मन०

भकाविकाथर—मन, यहि जबो तमू अपनका-अपनका कहितका हिमै तनरका सपनन कन जमैसका हिमै अचकानक इस तरहि उजड जकायगका ककागज पर पकानत
कन समकान। उसत प्रककार तनरत ककायकारप बकाडत समूखकर नष हिबो जकायनगत। पतछन पछतकायगका। तमू व्यथर ‘मनरका’ ‘मनरका’ करतका हिमै। तनरत
ककायका शतशन कक कमु प्पत जमैसत हिमै, उसकन नष हिबोतन दिनर न लगनगत। जतवि और दिनहि कका नकातका हित हकतनका? एक हदिन अमंधककार हिबो
जकायगका। जबो जन्मका हिमै विहि सभत जकानन विकालका हिमै, इसमम सन बचनका कहठन हिमै। दिनवितका, गमंधविर, रकाक्षिस, मनमुष्य सबकन मरण कका हदिन
हनयत हिमै। आशका कका महिल ऊमंचका और इस दिहमु नयका कका कचका ककारबोबकार नतचका हिमै। तमू चमंचल हचत्त मम चनतकर चल और भगविकान
कका नकाम लन। जबो परमकाथर कमका लनगका विहित सकाथ जकायगका। ऐसका हठककानका पकानन कका उपकाय कर, जहिकामं तनरत आत्मका कबो हविश्रकाम हमलन।
‘धतरबो’ (भगत) कहितका हिमै हक इस पकथ्वित कन ऊपर कबोई नहिह रहिनन विकालका हिमै।
प्रनम कका प्रभकावि
□ सकानन गमुर जत

भकारततय समंस्कक हत मम सविरत अदमैत कक ध्विहन गमूमंज रहित हिमै। भकारततय समंस्कक हत मम सन अदमैत कक ममंगलककारत समुगधमं आ
रहित हिमै। हहिन्दिस्मु तकान कन उत्तर मम हजस प्रककार गचौरतशमंकर कका उच हशखर हस्थत हिमै, उसत प्रककार समंस्कक हत कन पतछन भत उच और
भव्य अदमैत दिशरन हिमै। कमै लकास-हशखर पर बमैठकर जकानमय भगविकानन शमंकर अनकाहदिककाल सन अदमैत कका डमर बजका रहिन हिह। हशवि कन
पकास हित शहक रहिनगत, सत्य कन पकास सकामथ्यर रहिनगत, प्रनम कन पकास हित परकाक्रम रहिनगका। अदमैत कका अथर हिमै हनभरयतका। अदमैत कका
समंदिनश हित इस समंसकार मम समुखसकागर कका हनमकारण कर सकन गका।

भकारततय ऋहषयत नन इस महिकानन विस्तमु कबो पहिचकानका। उन्हितनन समंसकार कबो अदमैत कका ममंत हदियका। इस ममंत कन बरकाबर
पहवित अन्य कबोई दिस मू रका नहिह हिमै। समंसकार मम परकायकापन हिबोनन कका हित मतलब हिमै दि:मु ख हिबोनका और समभकावि हिबोनन कका मतलब हित हिमै
समुख हिबोनका। समुख कन हलए प्रयत्नशतल मकानवि कबो अदमैत कका पलका पकडन हबनका कबोई तरणबोपकाय नहिह हिमै।

ऋहष बडत उत्कट भकाविनका सन कहितन हिह हक हजन-हजनकन प्रहत तमुम्हिकारन मन मम परकायकापन अनमुभवि हिबो, उन-उनकन पकास
जकाकर उन्हिम प्रनम सन गलन लगकाओ।

सहिनकाविवितमु सहि नचौ भमुन कमु सहि वितयर करविकाविहिमै।


तनज हस्विनकाविधततमस्तमु, मका हविहदषकाविहिमै।
ॐ शकामंह त: शकामंह त: शकामंह त: ।।

इस महिकान ममंत कका गमूढ अथर क्यका हिमै? हिमम इस ममंत कबो एक हित स्थकान पर नहिह बबोलनका चकाहहिए। इस ममंत कका उचकारण
सब जगहि हिबोनका चकाहहिए और इसत कन अनमुसकार आचरण भत करनका चकाहहिए। यहि ममंत कन विल गमुर-हशष्य कन हलए नहिह हिमै। क्यका
बकाह्मण बकाह्मणनतर कन सकाथ और बकाह्मणनत बकाह्मणत कन सकाथ परकायकापन रखतन हिह? उन दिबोनत कबो एक स्थकान पर आनन दिबो और
उन्हिम यहि ममंत कहिनन दिबो। क्यका स्पकशय-अस्पकशय एक-दिस मू रन सन दिरमू हिह? उन्हिम पकास-पकास आनन दिबो और करनन दिबो इस ममंत कका
उचकारण। क्यका हहिमंदिमू-ममुसलमकान आपस मम जकानत दिशमु मन हिह? उन्हिम पकास-पकास आनन दिबो और हिकाथ-मम-हिकाथ पकडकर इस ममंत कका
करनन दिबो। क्यका गमुजरकात और महिकारकाषष कन लबोग एक-दिसमु रन सन दनष रखतन हिह? उन्हिम पकास-पकास आनन दिबो और इस ममंत कका
उचकारण करनन दिबो।

जबो एक-दिसमु रन कन प्रहत परकायकापन अनमुभवि करतन नहिह करतन, उनकन कन हलए यहिमं ममंत नहिह हिमै। यहि ममंत तबो परकायकापन
दिरमू करनन कन हलए हिमै। समंसकार मम सविरत हदिखकाई दिननन विकालन दमैतभकाविरपत अमंधककार कबो दिरमू करनन कन हलए ऋहष नन यहि महिकान दितप
जलकायका हिमै। आइए, इस दितपक कबो हिकाथ मम लनकर दिनख।म इसकका उपयबोग करम। आप हबनका आनमंदि प्रकाप हकयन रहिमगन नहिह।

अदमैत कका अथर हिमै—ऐसत भकाविनका हक मनरन जमैसका हित दिसमु रका भत हिमै। समथर रकामदिकास नन सकारका अदमैत तत्विजकान एक ओवित
(मरकाठत छमंदि) मम भर हदियका हिमै। उसमम उन्हितनन अदमैत कन प्रत्यक्षि व्यकाविहिकाररक स्विरप कक हशक्षिका दित हिमै—
आपणकास हचमबोटका घनत लका। तनण म जतवि ककासकावितस झकालका। आपणकाविरन दिमुस यकारल का। ओलखहत जकाविम।
यहदि हिमम कबोई मकारतका हिमै तबो दि:मु ख हिबोतका हिमै। यहदि हिमम अन्न-पकानत नहिह हमलतका तबो हिमकारन प्रकाण कण्ठ मम आ जकातन हिह ।
यहदि कबोई हिमकारका अपमकान करतका हिमै तबो विहि हिमम मकत्यमु सम भत अहधक दि:मु खदिकायत प्रततत हिबोतका हिबोगका। मनरन मन, बमुहद विहि हृदिय हिह।
दिस
मू रत कन भत विन हिह। हिमकारत इच्छका हिबोतत हिमै हक हिमकारका हविककास हिबो। ऐसत हित इच्छका दिस मू रत कबो भत हिबोतत हिमै। जमैसका हिमकारका हसर
ऊमंचका हिबो, विमैसका हित दिस
मू रत कका भत हिबोनका चकाहहिए। सकारकामंश यहि हिमै हक हिमम समुख-दि:मु ख कका जबो अनमुभवि हिबोतका हिमै ऊपर सन दिस मू रत कन
समुख-दि:मु ख कक कल्पनका करनका हित एक प्रककार सन अदमैत हिमै।

हजन बकातत सन हिमम दि:मु ख हिबोतका हिमै विन बकातम हिम दिस
मू रत कन प्रहत नहिह करम, यहित हशक्षिका हिमम उससन हमलतत हिह। हजन बकातत
सन हिमन आनमंदि प्रकाप हिबोतका हिमै, उनसन दिस
मू रत कबो भत लकाभ हिबो, कल्पनका नहिह हिमै। अदमैत कका अथर प्रत्यक्षि व्यविहिकार। अदमैत कका अथर
चचकार नहिह, अदमैत कका अथर हिमै अनमुभमूहत।

ऋहष लबोग कन विल अदमैत कक कल्पनका मम हित नहिह रहिन, विन सकारन समंसकार सन—सकारन चरकाचरत सन—एकरप हिबो गए।
रद्रसमूक हलखननविकालका ऋहष इस बकात कक हचमंतका कर रहिका हिमै उसन अपनत हित आविशयकतकाएमं प्रततत हिबोतत हिह। विहि शरतर कक, बमुहद
कक भमूख अनमुभवि करतका हिमै।

“धकत मं च मन, मधमु च मन, गबोधमूम काशच मन, समुखमं च मम, शयनमं च मन, हतशच मन, श्रतशच मन, हधषणका च मन। ”
“ममुझन घत चकाहहिए, मधमु चकाहहिए, गनहिहमं चकाहहिए, समुख चकाहहिए, ओढनका-हबछचौनका चकाहहिए, हविनय चकाहहिए, समंपहत्त चकाहहिए,
बमुहद चकाहहिए धकारणका चकाहहिए, ममुझन सब चकाहहिए।”
विहि ऋहष यन सब चतजम अपनन हलय नहिह मकामंगतका हिमै। विहि तबो जगदिकाककार हिबो गयका हिमै। विहि अपनन आस-पकास कन सकारन
मकानवित कबो हविचकार करतका हिमै। उसन इस बकात कक बमैचननत हिमै हक यन सब चतजम मनमुष्य कबो कब हमलमगत। इस सकारन भकाई-बहिनत कबो
पनट-भर भबोजन और पहिननन कबो तन-भर विस कब हमलमगन, इन सबकबो जकान कका प्रककाश कब हमलनगका, इन सबकबो समुख-
समकाधकान कमै सन प्रकाप हिबोगका, इसकक हचमंत उस महिहषर कबो हिमै।
समथर रकामदिकास स्विकामत कक भत ऐसत हित मकामंग हिमै। रकाषष कबो हजन-हजन चतजत कक आविशयकतका हिमै उन-उन चतजत कक
हभक्षिका उन्हितनन ईशविर सन उस स्तबोत मम कक हिमै। उस स्तबोत कका

उन्हितनन ‘पकाविन हशक्षिका’, यहि समुदिमंर नकाम रखका हिमै। हविदका दिन, गकायन दिन, समंगतत दिन, इस प्रककार सकारत मनविकामंहछत और ममंगल विस्तमुएमं
उन्हितनन मकामंगत हिह।
रद्रसमूक मम कहवि समकाज कक आविशयकतका विस्तमुएमं मकामंगतका हिमै और उन आविशयकतकाओमं कक पमूहतर करननविकालत कक विमंदिनका
करतका हिमै। उस ऋहष कबो कहिह अममंगल और अपहविततका तहनक भत नहिह हदिखकाई दिनतत।
“चमरक कारनभ् यबो नमबो, रथककारनभ् यबो नमबो, कमु लकालनभ् यबो नमबो।”
“हिन चमकार! तमुझन नमस्ककार; हिन बढई! तमुझन नमस्ककार; हिन कमु म्हिकार! तमुझन नमस्ककार।”
समकाज कक कमरमय पमूजका करननविकालन यन सकारन श्रमजतवित उस महिकानन ऋहष कबो विमंदिनतय प्रततत हिबोतन हिह। चमकार कबो
अस्पकशय नहिह मकानतका, विहि कमु म्हिकार कबो तमुच्छ नहिह समझतका, विहि मटकक दिनननविकालन कक यबोग्यतका भत समकाज कबो जतहवित हविचकार
दिनननविकालन हविचकार-स्रषका जमैसत हित मकानतका हिमै।
“ईशविर कक दृहष मम समकाज सनविका कका कबोई ककाम उच यका तमुच्छ नहिह हिमै।” उन सनविका-कमर कबो करननविकालन सकारन ममंगल
और पहवित हित हिबोतन हिह।
लनहकन यहि बकात नहिह हक रद्रसमूक कका ऋहष सनविका करननविकालत कक हित विमंदिनका करतका हिमै। विहि तबो पहततत कबो भत प्रणकाम
करतका हिमै। मनमुष्य पहतत क्यत हिबोतन हिह? समकाज कन दिबोषत सन हित विन पहतत हिबोतन हिह?
“स्तनन कानकामं पतयन नमबो।”

ऐसका कहि रहिका हिमै यहि ऋहष। यहि ऋहष चबोरत और चबोरत कन नकायकत कबो भत प्रणकाम करतका हिमै। यहि ऋहष पकागल नहित हिमै। चबोर
आहखर चबोरत क्यत करतका हिमै.? धनविकान कन बकालक कन पकास समैकडत हखलसौंनन हिबोतन हिह। गरतब कन बकालक कन पकास एक भत नहिह
हिबोतका। विहि गरतब कका बकालक यहदि एक-आध हखलसौंनका चमुरका लनतका हिमै तबो उसकबो कबोडन लगकायन जकातन हिमै। खनत मम मर-मरकर ककाम
करननविकालन मजदिरमू कबो जब पनट-भर खकानका नहिह हमलतका तबो विहि अनकाज चमुरकातका हिमै। इसमम उसकका क्यका दिबोष? विहि चबोर नहिह हिमै।
उसन भमूखत मकारननविकालन समकाज चबोर हिह। ऋहष व्यकाकमुल हिबोकर कहितका हिमै, “अरन चबोरत, तमुम चबोर नहिह हिबो। यहदि समकाज तमुम्हिकारन
सकाथ ठतक तरहि व्यविहिकार करन तबो तमुम चबोरत नहिह करबोगन। मह तमुममम मनमुष्यतका दिनख रहिका हिहमं। ममुझन तमुम्हिकारन अन्दिर हदिव्यतका हदिखकाई दिन
मू रन व्यहकयत कबो हदिखकाई न दिन तबो ममुझ-जमैसन हनमरल दृहषविकालन कबो यहि कमै सन हदिखकाई
रहित हिमै। यहदि तमुम्हिकारत आत्मका कका विमैभवि दिस
नहिह दिनगका? ”

जबो समकाज अदमैत कबो भमूल जकातका हिमै उसमम बकादि मम क्रकामंहत हिबोतत हिमै। ईशविर समंसकार कबो हशक्षिका दिननका चकाहितका हिमै। पडबोसत
भकाई हदिन-रकात श्रम करनन पर भत रहिनन कबो घर वि खकानन कबो पनट-भर अन्न नहिह हमलतका और मह अपनन हविशकाल बमंगलन मम बमैठकर
रनहडयत समुनतका हिहमं। यहि भकारततय समंस्कक हत नहिह हिह। यहि तबो भकारततय समंस्कक हत कका खमून हिमै। भमूखन लबोगत कबो दिनखकर दिकामकाजत नन
भमंडकार खबोल हदियन थन। चबोरत करनन कन उद्दनशय सन आननविकालन व्यहक सन एकनकाथ नन कहिका थका--“जरका और लन जकाओ।” चबोरत करनन
विकालन व्यहक कबो दिनखकर हिमम अपनन ऊपर लजका आनत चकाहहिए। अपनन समकाज पर क्रबोध आनका चकाहहिए।

अदमैत मकानबो एक मजकाक हिबो गयका हिमै। पनट भर कर अदमैत कक चचकार करनन बमैठतन हिह। परमंतमु जतविन मम अदमैत कबो जकाननन
विकालन भगविकानन बमुद शनरनत कबो भमूखत और बतमकार दिनखकर उसकन ममुमंहि मम अपनका पकामंवि दिन दिनतन हिह। अदमैत कबो अनमुभवि करकानन विकालका
तमुलसत दिकास विकक्षि ककाटननविकालन कन सकामनन अपनत गरदिन झमुकका दिनतका हिमै और उस फिलनन-फिमूलनन और छकायका दिनननविकालन चमैतन्यमय
पनड कबो बचकानका चकाहितका हिमै। अदमैत कका अनमुभवि करननविकालका कसकाल घकास ककाटनन विकालन कन जमंगल मम जकाकर, चलतत ममंदि समतर मम
डबोलनन लगतका हिमै और उपविन कका दृशय दिनखकर द्रहवित हिबो जकातका हिमै। उसन घकास यहि कहितका हिहआ प्रततत हिबोतका हिमै, “मत ककाट रन,
मत ककाट ।” उसकन हिकाथ सन हिमंहसयका हगर पडतका हिमै। अदमैत कका अनमुभवि करकानन विकालन ऋहष कन आश्रम मम शनर और बकरत एक
सकाथ प्रनम सन रहितन हिह। हिररण शनर कक अयकाल खमुजलकातका हिमै। सकामंप ननविलन कका आहलमंगन करतका हिमै। अदमैत कका अथर हिमै उत्तरबोत्तर
बढननविकालका प्रनम, हविशविकास कन सकाथ हविशवि कबो आहलमंगन करननविकालका प्रनम।

लनहकन अदमैत कबो जन्म दिनननविकालन वि जतविन मम अदमैत कका अनमुभवि करननविकालन महिकान समंतत कक इस भकारत भमूहम मम आज
अदमैत पमूरत तरहि अस्त हिबो चमुकका हिमै। हिमकारका कबोई पकास-पडबोसत
नहिह हिमै। हिमम आस-पकास कका हविरकाट दि:मु ख हदिखकाई नहिह दिनतका हिमै। हिमकारन ककान बहिरन हिबो गयन हिह। आमंखम अमंधत हिबो गई हिह। सबकबो
हृदिय-रबोग हिबो गयका हिमै।
विनदि मम एक ऋहष व्यकाकमुल हिबोकर कहितका हिमै—
मबोघमन्नमं हविन्दितन अप्रचनत का:, सत्यमं बवितहम विध इतन स तस्य।
न अयरम णमं पमुष् यहत नबो सखकायमं, कन विलकाघबो भविहत कन विलकादित।
“समंकमुहचत दृहष कन मनमुष्य कन पकास कक धन-रकाहश व्यथर हिमै। उसनन अपनन घर मम यहि अनकाज इक्टका नहिह हकयका हिमै,
बहल्क अपनत मकत्यमु इकटत कक हिमै। जबो भकाई-बहिन कबो नहिह दिनतका, यबोग्य व्यहकयत कबो नहिह दिनतका और अपनका हित ख्यकाल रखतका
हिमै, विहि कन विल पकाप-रप हिमै।”
अपनन आस-पकास लकाखत श्रहमकत अन्न विस-हविहितन मनमुष्यत कन हिबोतन हिहए अपनन बमंगलत मम कपडन कन ढनर और अनकाज
कन कबोठन भरनका खतरनकाक हिमै। ऋहष कहितका हिमै, “विन तमुम्हिम चकनकाचमूर करनन विकालन बम हिह।” ऋहष कन इस कथन कका दिस मू रन दिनशत मम
भत अनमुभवि हिबो रहिका हिमै। अपनन दिनश मम भत यहि अनमुभवि हिबोगका।
नकामदिनवि नन भमूखन कमु त्तन कबो घत-रबोटत हखलकाई। उन्हिह कक समंतकान कन दिनश मम आज भमूखन आदिहमयत कक भत कबोई पमूछ
नहिह करतका। कबोई अदमैत कका अहभमकानत शमंकरकाचकायर रकाजकाओमं सन यहि नहिह कहितका हक—‘कर कम करबो।’ सकाहिहककारत सन यहि नहिह
कहितका हक –‘ब्यकाज मम कमत करबो।’ ककारखकाननविकालत कबो नहिह कहितका हक—‘मजदिरमू त बढकाओ और ककाम कन घमंटन कम करबो।’
नमैविनद पर लमंबन-लमंबन हिकाथ मकारकर और पकाद पमूजका करविकाकर घमूमनन-हफिरनन विकालन श्रह शमंकरकाचकायर क्यका विन मम अदमैत लकानन कन हलए
व्यकाकमुल रहितन हिह?
सविरय त समुह खनबो: समंत मु। सविरस मंत मु हनरकामयका:।
“सब समुखत हित, सब स्विस्थ्य हित,” इस ममंत कका जकाप करनन सन समुख और स्विकास्थ्य नहिह हमलतका। ममंत कका अथर हिमै
ध्यनय। उस ममंत कबो ककायररप मम पररणत करनन मरनका पडतका हिमै, ममुसतबत उठकानत पडतत हिमै। इस ममंत कका जकाप करतन हिहए भत लबोग
समुखत नहिह हिह, हकतनन हित लबोगत कन पकास दिविकाएमं नहिह हिह, हकतनन हित लबोगत कबो गमंदिन मककानत मम रहिनका पडतका हिमै, हकतनन हित

लबोगत कबो स्विच्छ हिविका नहिह हमलतत, सकाफि पकानत नहिह हमलतका, हकतनन हित लबोगत कबो आरबोग्य कका जकान नहिह, क्यका कभत यहि
हविचकार भत मन मम आतका हिमै। हिमकारन अहधककामंश लबोगत पर चकारत ओर दिमंभ नन सविकारत गकामंठ रखत हिमै। बडन-बडन विचन उनकक जबकान
पर हिबोतन हिह, मन मम नहिह। जबतक धमर कबो जतविन मम नहिह उतकारतन तब तक जतविन समुमंदिर नहिह चलतका। उसन पनट मम लन जकानका
पडतका हिमै, तभत शरतर सतनज और समथर हिबोतका हिमै। जब महिकानन विचन ककायर-रप मम पररणत हितगन तभत समकाज समुखत और
स्विस्थ्य हिबोगका।
ऋहष कन आश्रम मम प्रनम कन प्रभकावि सन सपर और चमूहिन एक हित जगहि रहितन थन। यहि सत्य हिमै हक हिम इस आदिरश सन
बहिहत दिरमू हिह। यहि आदिरश शकायदि हिमकारत दृहष मम हित नहिह आतका हक मनमुष्य अपनन प्रनम-प्रकषर सन हविशवि कन सकारन हविरबोध दिरमू कर
सकतका हिमै। लनहकन सकारत मकानवि-जकाहत प्रनम सन एक सकाथ हहिल-हमलकर रहिन, इसमम क्यका कहठनकाई हिमै? इस भकारतभमूहम मम ऋहष
यहि प्रयबोग करनन कका प्रयत्न करतन थन, लनहकन उनकक परम्परका कबो आगन बढकानन विकालन भनदिभकावि फिमैलका रहिन हिह, हविषमतका बढका रहिम हिह।
यहि सकहष एक प्रककार सन अदमैत कक हित हशक्षिका दिन रहित हिमै। बकादिल सकारका पकानत दिन डकालतन हिमै, विकक्षि सकारन फिल दिन डकालतन हिह,
फिमूल समुगधमं दिन डकालतन हिमै, नहदियकामं पकानत दिन डकालतत हिह, समूयर-चमंद्र प्रककाश दिन डकालतन हिह। उसत प्रककार जबो-कमु छ भत हिमै विहि सबकबो दिन
डकालम। सब हमलकर उसकका उपयबोग करम। आककाश कन सकारन तकारन सबकन हलए हिह। ईशविर कक जतविनदिकाहयनत हिविका सबकन हलए हिमै।
लनहकन मनमुष्य दितविकारम खडत करकन अपनन स्विकाहमत्वि कक जकायदिकादि बनकानन लगतका हिमै। जमतन सबकक हिमै। सब हमलकर उसन जबोतम,
बबोएमं वि अनकाज पमैदिका करम। लनहकन मनमुष्य उसमम सन एक अलग टमु कडका करतका हिमै और कहितका हिमै हक यहि मनरका टमु कडका हिमै। उसत सन
हित समंसकार मम अशकामंहत पमैदिका हिबोतत हिमै, दनष-मत्सर उत्पन्न हिबोतन हिह। स्वियमं कबो समकाज मम घमुलका-हमलका दिननका चकाहहिए। हपण्ड कबो
बह्मकाण्ड मम हमलका दिननका चकाहहिए। व्यहक आहखर समकाज कन हलए हिमै, पत्थर इमकारत कन हलए हिमै, बमूमंदि सममुद्र कन हलए हिमै। यहि अदमैत
हकसकत हदिखकाई दिनतका हिमै? कचौन अनमुभवि करतका हिमै? इस अदमैत कबो जतविन मम लकानका हित महिकान आनमंदि हिमै?
हजसन चकारत ओर लकाखत भकाई हदिखकाई दिनतन हिह, उसन हकतनत कक तकक त्यतका अनमुभवि हिबोगत। समंतबो कबो इसत बकात कक प्यकास
थत, यहित धमुन थत—
यहि सचौभकाग्य प्रकाप कब हिबोगका, जब इसमम दिनखमूमं ग का बह्मरप।
तब हिबोगका समुख कका पकार नहिह, लहिरनग का समुख सकागर अनमुप ।।
हजसन सकारका समकाज अपनन सकामनन हित पमूज्य प्रततत हिबोतका हिमै, उसकन भकाग्य कका विणरन कचौन कर सकतका हिह?
हजधर दिनख का उधर, चमैत न्य ममूह तर हदिखकाई दिनत त हिमै।
जहिकामं-तहिकामं चमैतन्यमय ममूहतर हित हदिखकाई दिन रहित हिमै। कमंकर-पत्थर मम चमैतन्य दिनखकर झमूमनन विकालका समंत क्यका मनमुष्यत मम
चमैतन्य नहिह दिनखनगका?
सविरत तमुम् हिकारन चरण दिनख तका, सब दिमू र तमुम् हिकारका रप भरका।
सब दिरमू स्विरप हिमै, चमैतन्यमय आत्मका कका स्विरप हिमै।

इस चच तनयमय ममरतर कक सस वव करनस कस रलए सस त वयवककल रहतव हच । उसस ऐसव


पपरतकत हहतव हच रक मस रस हजवर हवथ हहतस तह मम हजवर बहलतक-चवलतक सजकव ममरतरयय कह
कपडस पहनवतव और रखलवतव-रपलवतव।
लस रकन लवखय वसतपरहकन, अननहकन चच तनयमय दस वय कक पमजव करनस कस रलए ककन
खडव रहतव? अदच त कव अथर हच मम तयक , सवयस कक मम तयक ।

मम नन दन खख ननज मरण सवयय आयखखय सन ।


जब तक सवयस नहकस मरतस , चवरय ओर फचलस हकए परमस शवर कव दररन नहक हह सकतव।
अपनव अहस कवर कम करह। अपनक पमजव कम करह। जच सस-जच सस तक महवरस ‘अहस ’ कव रप कम
हहतव जवयस गव, वच सस-वच सस तक महह परबपरह दकखनस लगस गव। बक द नस अपनव रनववरण कर रदयव,
अपनस -आपकय बक झव रदयव। तभक वह चरवचर कह अरमत पयवर दस सकस।
अदच त कव उचचवरण करनव मवनय अपनस सववथकर सक खय मह आगस लगवनव हच ।

तत कख कहन तयखग मखह पपरखणखय कख, अनयथख बखतत करनख छखड।


म रय कस
यरद पपरवणय कव उतसगर करनस कस रलए तच यवर हह तह वस दवस त कक बवतह करह। दस
रलए दह पच सस नहकस, अपनव सवरसव अपरण करनस कस रलए तच यवर हहनव हक अदच त कक दककव
हच ।

जख अपनन पपरखण नबछखतन हम भभतमखतपर कन नलए सदख।


जह दस म रय कस रलए अपनस पपरवणय कस पवस वडस रबछवतस हम वस हक अदच त कस अरधकवरक हम ।
कहव जवतव हच रक रस करवचवयर कस अदच त ततवजवन कक रसस ह-गजरनव सस दस म रस सवरस ततवजवन
भवग खडस हकए। रसस ह कह दस खतस हक सयवर-ककतय कक ककन कहस , जबरदसत हवथक कस भक
छककस छट म जवतस हम । रस करवचवयर कस अदच त कस कवरण दच तववदक भवग छट म स , लस रकन समवज सस
दच त नहकस भवगव। समवज कस दस भ, आलसय, अजवन, ररढ, भस दभवव, ऊसच-नकचपन, सपम शयव-
असपम शयतव, रवषमतव, दवररदपरय, दच नय दवसतव, रनबरलतव, भय आरद नहकस भवगस हम । यस सब
दच त कक पपरजव हम । जहवस समवज मह परवयपन पच दव हकआ रक यस सवरस भस यकर दमशय रदखवई दस नस
लगतस हम । यरद भवरतकय समवज मह बवतय कव अदच त दच रनक, वयवहवर मह थहडव भक रदखवनस
दस नस लगतस हम । यरद भवरतकय समवज मह बवतय कव अदच त दच रनक वयवहवर मह थहडव भक
रदखवनस कस रलए कहई सचचस मन सस जक ट जवतव हच तह भवरत कक यह दकगरर त न हहतक।
सववमक रववस कवननद नस भक इसकरलए बडस खस द कस सवथ कहव थव, “रहनद-म धमर कस समवन
उदवर ततवय कह बतवनस ववलव कहई दस म रव धमर नहकस हच और रहनद म लहगय कस समवन पपरतयक
आचवर मह इतनस अनक दवर लहग भक दस म रक जगह नहकस रमलह गस ।”
सच कडह वषहरस सस अदच त कव डस कव बज रहव हच , लस रकन अपनस मठ छहडकर जस गलय मह
जस गलक लहगय कस पवस हम कभक नहकस गयस । बक नकर, भकल, गयड आरद जवरतयवस हम रजनसस

अहिमंककार कन ककारण हिम दिरमू रहिन। अदमैत कन ऊपर भकाष्य हलखननविकालन और उसन पढननविकालन प्रत्यक्षि दिमैहनक व्यविहिकार मम मकानत
अदमैत-शमून्य दृहष सन आचरण करतन हिह।
अदमैत भकारततय समंस्कक हत कक आत्मका हिमै। जतविन मम इस तत्वि कबो उत्तरबोत्तर अहधक अनमुभवि करतन जकानका हित भकारततय
समंस्कक हत कका हविककास करनका हिमै। जमैसन-जमैसन हिमकारत अमंतबकारह कक हत मम सन अदमैत कक समुगधमं आनन लगनगत, विमैसन-विमैसन यहि कहिका
जकायनगका हक हिम भकारततय समंस्कक हत

कक आत्मका समझनन लगन हिह। तब तक उस समंस्कहत कका नकाम लननका उस महिकानन ऋहष वि महिकानन समंत कका मजकाक उडकानका नहिह तबो
और क्यका हिमै?

रबोज कक प्रकाथरन का
□हविनबोविका

ॐ असतबो मका सदमय।


तमसबो मका ज्यबोहतगरम य।
मकत् यबोमकारय मकत मं गमय।।
--हिन प्रभबो! ममुझन असत्य मम सन सत्य मम लन जका। अमंधककार मम सन प्रककाश मम लन जका। मकत्यमु मम सन अमकत मम लन जका।
इस ममंत मम हिम कहिकामं हिह, अथकारतन हिमकारका जतविन जतवि-स्विरप क्यका हिमै, और हिमम कहिकामं जकानका हिमै, अथकारतन हिमकारका हशवि-
स्विरप क्यका हिमै, यहि हदिखकायका हिमै। हिम असत्य मम हिह, अमंधककार मम हिह, मकत्यमु मम हिह। यहि हिमकारका जतवि-स्विरप हिमै। हिमम सत्य कक ओर
जकानका हिमै, प्रककाश कक ओर जकानका हिमै, अमरत्वि कबो प्रकाप कर लननका हिमै। यहि हिमकारका हशवि-स्विरप हिमै।
दिबो हबमंदिमु हनहशचत हिहए हक समुरनखका हनहशचत हिबो जकातत हिमै। जतवि और हशवि—यन दिबो हबमंदिमु हनहशचत हिहए हक परमकाथर मकागर
तमैयकार हिबो जकातका हिमै। ममुहकत कन हलए परमकाथर-मकागर नहिह हिमै। ककारण, उसकका जतवि-स्विरप जकातका रहिका हिमै। हशवि-स्विरप कका एक हित
हबमंदिमु बकाहक रहि गयका हिमै इसहलए मकागर पमूरका हिबो गयका। जड कन हलए परमकाथर-मकागर नहिह हिमै। ककारण, उसन हशवि-स्विरप कका भकान नहिह
हिमै। जतवि-स्विरप कका एक हित हबमंदिमु नजर कन सकामनन हिमै, इसहलए मकागर आरमंभ हित नहिह हिबोतका । मकागर बतच विकालन लबोगत कन हलए हलए
हिमै। बतच विकालन लबोग अथकारतन मकागर आरमंभ हलए मकागर हिमै और उन्हित कन हलए इस ममंत विकालत प्रकाथरनका हिमै।
“ममुझन असत्य मम सन सत्य मम लन जका,” ईशविर सन विहि प्रकाथरनका करनन कन मकानत हिमै, “मह
असत्य मम सन सत्य कक ओर जकानन कका बरकाबर प्रयत्न करमंगका,’’ इस तरहि कक प्रहतजका-सत करनका। प्रयत्नविकादि कक प्रहतजका कन
हबनका प्रकाथरनका कका कबोई अथर हित नहिह रहितका। यहदि मह प्रयत्न नहिह करतका और चमुप बमैठ जकातका हिहमं, अथविका हविरद हदिशका मम जकातका
हिहमं,और जबकान सन “ममुझन असत्य मम सन सत्य मम लन जका” यहि प्रकाथरनका हकयका करतका हिहमं, तबो इससन क्यका हमलनन कका? नकागपमुर सन
कलकत्तन कक ओर जकानन विकालत गकाडत मम बमैठकर हिम “हिन प्रभबो! ममुझन बम्बई लन जका” कक हकततन हित प्रकाथरनका करम, तबो क्यका
फिकायदिका हिबोनका हिमै? असत्य सन सत्य कक ओर लन चलनन कक प्रकाथरनका करनत हिबो तबो असत्य सन सत्य कक ओर जकानन कका प्रयत्न भत
करनका चकाहहिए। प्रयत्नहितन प्रकाथरनका प्रकाथरनका हित नहिह हिबो सकतत। इसहलए ऐसत प्रकाथरनका करनन मम यहि शकाहमल हिन हक “मह अपनका
रख असत्य सन सत्य कक ओर करमंगका और शहक भर सत्य कक ओर जकानन कका भरपमूर प्रयत्न करमंगका।”
प्रयत्न करनका हिमै तबो हफिर प्रकाथरनका क्यत? प्रयत्न करनका हिमै, इसतहलए तबो प्रकाथरनका चकाहहिए। मह प्रयत्न करननविकालका हिहमं। पर
फिल मनरत ममुटत मम थबोडन हित हिमै। फिल तबो ईशविर कक इच्छका पर अविलमंहबत हिमै। मह प्रयत्न करकन भत हकतनका करमंगका? मनरत शहक
हकतनत अल्प हिमै? ईशविर कक सहिकायतका कन हबनका मह अकन लका क्यका कर सकतका हिहमं? मह सत्य कक ओर अपनन कदिम बढकातका रहित

तबो भत ईशविर कक कक पका कन हबनका मह ममंहजल पर नहिह पहिहमंच सकतका। मह रकास्तका ककाटनन कका प्रयत्न तबो करतका हिहमं, पर अमंत मम मह
रकास्तका ककाटमूमंगका हक बतच मम मनरन पमैर हित कट जकानन विकालन हिह, यहि कचौन कहि सकतका हिह? इसहलए अपनन हित बलबमूतन मह ममंहजल पर
पहिहमंच जकाऊमंगका, यहि घममंड हफ़जमूल हिमै। ककाम कका अहधककार मनरका हिमै, पर फिल ईशविर कन हिकाथ मम हिमै। इसहलए प्रयत्न कन सकाथ-सकाथ
ईशविर कक प्रकाथरनका आविशयक हिमै। प्रकाथरनका कन समंयबोग सन हिमम बल हमलतका हिमै। यत कहिबो न हक अपनन पकास कका सम्पमूणर बल ककाम मम
लकाकर बल कक ईशविर सन मकामंग करनका, यहित प्रकाथरनका कका मतलब हिमै।
प्रकाथरनका मम दिनविविकादि और प्रयत्नविकादि कका समन्विय हिमै दिमैविविकादि मम पमुरषकाथर कबो अविककाश नहिह हिमै, इससन विहि बकाविलका हिह,
प्रयत्नविकादि मम हनरहिमंककार विकहत्त नहिह हिमै, इससन विहि घममंडत हिमै। फिलत: दिबोनत गहिण नहिह हकयन जका सकतन। हकमंतमु दिबोनत कबो छबोडका
भत नहिह जका सकतका। ककारण, दिमैविविकादि मम जबो नम्रतका हिमै, विहि जररत हिमै। प्रयत्नविकादि मम जबो परकाक्रम हिमै, विहि भत आविशयक हिमै
प्रकाथरनका इनकका मनल सकाधतत हिमै “ममुकसमंगबोयनहिमंविकादित धकत्यमुत्सकाहिसमहन्वित:”* गततका मम सकाहत्विक कत्तकार कका यहि जबो लक्षिण कहिका
गयका हिमै, उसमम प्रकाथरनका कका रहिस्य हिमै। प्रकाथरनका मकानत अहिमंककार रहहित प्रयत्न।
*तमुम्हिकारका हकयका तमुम्हिकारन ककाम आयनगका और हिमकारका हकयका हिमकारन ककाम आयनगका। एक कका ककाम दिस मू रन कक मदिदि नहिह कर
सकतका।
--हिजरत ममुहि म्मदि
सकारकाशमं, “ममुझन असत्य मम सन सत्य मम लन जका”, इस प्रकाथरनका कका सम्पमूणर अथर हिबोगका हक“मह असत्य मम सन सत्य कक ओर जकानन
कका, अहिमंककार छबोडकर, उत्सकाहिपमूविरक सतत प्रयत्न करमंगका।” यहि अथर ध्यकान मम रखकर हिमम रबोज प्रभमु सन प्रकाथरनका करनत चकाहहिए

“हिन प्रभबो! तमू ममुझन असत्य मम सन सत्य मम लन जका। अमंधककार मम सन प्रककाश मम लन जका। ममुत्यमु मम सन अमकत मम लन जका।”
प्रनम
□खलतल हजबकान

तब अहल्मतका नन कहिका:
हिमसन प्रनम कन बकारन मम कमु छ कहिबो।
तब उसनन अपनका मस्तक ऊमंचका हकयका और लबोगत पर दृहष डकालत। सब पर शकामंहत छका गई और गमुर गम्भतर स्विर सन उसनन
कहिका:
“जब प्रनम तमुम्हिम अपनत ओर बमुलकायन तबो उसकका अनमुमकान करबो, यदहप उसकक रकाहिम हविकट और हविषम हिह।
जब उसकन पमंख तमुम्हिन ढक लननका चकाहिम, तबो तमुम आत्म-समपरण कर दिबो।
भलन हित उन पमंखत कन नतचन हछपत तलविकार तमुम्हिम घकायल करन।
और जब विहि तमुमसन बबोलन तबो उसमम हविशविकास रखबो,
भलन हित उसकक आविकाज तमुम्हिकारन सपनत कबो चकनकाचमूर कर डकालन, हजस तरहि झमंझकाविकात उपविन कका उजकाड डकालतका
हिमै।
क्यतहक प्रनम हजस तरहि तमुम्हिम ममुकमुट पहिनकायगका, उसत तरहि शमूलत पर भत चढकाएगका। हजस तरहि विहि तमुम्हिकारन हविककास कन
हलए हिमै, उसत तरहि तमुम्हिकारत ककाट-छकामंट कन हलए भत।
हजस प्रककार विहि तमुम्हिकारत ऊमंचकाईयत तक चढकर समूयर कक हकरणत मम ककामंपतत हिहई तमुम्हिकारत कबोमलतम कतपलत कबो भत
दिनखभकाल करतका हिमै,
उसत प्रककार विहि तमुम्हिकारत नतचकाइयत तक उतरकर, भमूहम मम दिरमू तक गडत हिहई, तमुम्हिकारत जडत कबो भत झकझबोर डकालतका
हिमै।
अनकाज कक ‘बकालबो*’कक तरहि विहि तमुम्हिम अपनन अमंदिर भर लनतका हिमै।
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* हजस तरहि गमहिह कक बकालत मम गनहिहमं कन दिकानन, मकका कन भमुटन मम मकका कन दिकानन भरन रहितन हिमै।

तमुम्हिन नमंगका करनन कन हलए कमू टतका हिमै।


तमुम्हिकारत भमूसत दिरमू करनन कन हलए तमुम्हिन फिटकतका हिमै।
तमुम्हिन पतसकर शविनत बनकातका हिमै।
तमुम्हिन नरम बनकानन तक गमूयथतका हिमै।
और तब तमुम्हिन अपनत पहवित अहग पर समकतका हिमै हजससन तमुम प्रभमु कन पकाविन-थकाल कक पहवित रबोटत बन सकबो।
प्रनम तमुम्हिकारन सकाथ यहि सकारत लतलका इसहलए करतका हिमै हक तमुम अपनन अमंतरकाम कन रहिस्यत कका जकान पका सकबो, और
उसत जकान दकारका जगजतविन कन हृदिय कका एक अमंश बन सकबो।
लनहकन यहदि भयविश तमुम कन विल प्रनम कक शकामंहत और प्रनम कन उलकास कक हित ककामनका करतन हिबो,
तबो, तमुम्हिकारन हलए यहित भलका हिमै हक तमुम अपनत नगतका कबो ढक लबो और प्रनम कबो कमू टनन विकालन खहलहिकान सन बकाहिर
जकाओ।
और ऋतमु-हितन* समंसकार मम जका बसबो, जहिकामं तमुम हिमंसबोगन तबो, लनहकन पमूरत हिमंसत नहिह, जहिकामं तमुम रबोओगन तबो, लनहकन
सकारन आमंसमुओमं कन सकाथ नहिह।

प्रनम हकसत कबो अपनन-आपकन हसविका न कमु छ दिनतका हिमै, न हकसत सन अपनन-आपकन हसविका कमु छ लनतका हिमै।
प्रनम न हकसत कका स्विकामत बनतका हिमै, न हकसत कबो अपनका स्विकामत बनकातका हिमै।
क्यतहक प्रनम मम हित पररपमूणर हिमै।
जब तमुम प्रनम करबो तब यहि न कहिबो—‘ईशविर मनरन हृदिय मम हिह।’ बहल्क कहिबो—मह ईशविर कन हृदिय मम हिहमं।’
और कभत न सबोचनका हक तमुम प्रनम कका पथ हनधकारररत कर सकतन हिबो, क्यतहक प्रनम यहदि तमुम्हिन अहधककारत समझतका हिमै
तबो स्वियमं तमुम्हिकारत रकाहि हनधकारररत करतका हिमै।
प्रनम अपनन-आपकबो समंपणमू र करनन कन हसविका और कमु छ नहिह चकाहितका।
यहदि तमुम प्रनम करबो और तमुम्हिकारन हृदिय मम ककामनकाएमं उठम हित थत तबो विन यन हित:
मह द्रहवित हिबो सकमूमं —बहितन हिहए झरनन कक तरहि रजनत कबो समुमधमुर गतत सन भर सकमूमं ।
अत्यमंत कबोमलतका कक विनदिनका मह अनमुभवि कर सकमूमं
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*पररवितरन-हितन, जतविन-हितन।
अपनन प्रनम कक अनमुभमूहत सन मह घकायल हिबो सकमूमं ।
अपनत इच्छका सन और हिमंसतन-हिमंसतन मह अपनका रक-दिकान कर सकमूमं ।
पमंख फिमैलकातका हिहआ हृदिय लनकर प्रभकात-विनलका मम जकाग सकमूमं और प्रनममय हदिन पकानन कन हलए धन्यविकादि कर सकमूमं ।
दिबोपहिर कबो हविश्रकाम कर सकमूमं और प्रनम कन परम आनमंदि मम तलतन हिबो सकमूमं ।
हदिन ढलनन पर कक तजतका-भरका हृदिय लनकर घर लचौट सकमूमं ;
और हफिर रकाहत मम हृदिय मम हप्रयतम कन हलए प्रकाथरनका और हिबोठत पर उसकक प्रशमंसकाका कका गतत लनकर सबो सकमूमं ।”
अभनदि -दृहष
□स्विकामत ममुक कानमंदि परमहिमंस

धमर कन हबनका जतनका मकानवितका कन यबोग्य नहिह। धमर कबो पकालबो, धमर कबो जकानबो, धमर हित परमनशविर हिमै।

सभत मम एककात्मभकाविनका, क्षिमकाशतल हृदिय, स्विकष-हनभररतका, ‘परस्पर दिनविबो भवि’ कका आचरण मकाविनधमर हिमै।

हविषम व्यविहिकार मम भत समदिशरन आविशयक हिमै। समत्वि हित यबोग कका लक्षिण हिमै। हिमकारत इमंहद्रयत मम आमंखम दिनखतत हिह, कणर समुनतन हिह,
हजहका बबोलतत हिमै, हफिर भत एक शरतर कन हिबोनन सन सम हिह।

भनदिदृहष, हविषम व्यहिकार, ऊमंच-नतच भकाविनका अन्त:करण कक हस्थहत कबो नष करतन हिह। समतका हित समुखककारक हिमै।

जमैसन एक बडन कमु टमु म्बत कबो अपनका पररविकार पमूरका अपनका हित हिमै, बहिहत हिबोनन सन भत एक हिमै, अभनदि हिमै, एक सन उपजका हिहआ सब हिमै,
विमैसन परमकात्मका कका हविशविव्यकापत विकासमुदिनवि कमु टमु म्ब हिमै।

जब तक ‘विकासमुदिनविस्यनवि कमु टमु म्बकम’ कका जकान और हविशवि बमंधमुत्वि-प्रनम कका आचरण नहिह, तब तक समुखत समंसकार नहिह।

‘परस्पर दिनविबो भवि’ कका अभ्यकास और सकाधनका, अनन्तर विमैसका हित आचरण करबो, यहि मकानवि-धमर हिमै। इसमम रकाषष कक उन्नहत हिमै,
भहक हिमै और हविककास कक पमूणर यबोजनका हिमै।

जबतक सब कबोई ‘परस्पर दिनविबो भवि’ कन ममंत कबो जपतका नहिह, भनदि-ममंत कबो हृदिय सन बकाहिर हनककालतका नहिह, परस्पर एक-
दिसमु रन कन प्रहत पमूज्य सम्मकाननतय भकावि रखतका नहिह, तब तक विहि शकामंहत स्विप्न मम भत दिनख सकतका नहिह।

जमैसन उलमूक हदिन मम प्रककाश नहिह दिनखतका, कचौविका रकाहत मम प्रककाश नहिह दिनखतका, विमैसन हित जकानदिशका मम हविदमकान मनमुष्य व्यकाविहिकाररक
जगत मम भत अजकान कन दिशरन नहिह करतका।

तत्वि-सममुदिकाय सन पकथक हकयका हिहआ शमुदकात्मका हफिर अपनत शमुदतका नहिह छबोडतका।

सबोयका हिहआ पमुरष व्यविहिकार नहिह दिनख पकातका, जकागका हिहआ पमुरष स्विप्न नहिह दिनख पकातका। जकानत भत जकानकाविस्थका मम जगत नहिह दिनख
पकातका।

बहिरका ककान हिबोनन पर भत नहिह समुनतका, अमंधका हदिन मम भत हृदिय नहिह दिनख पकातका, गमूमंगका जतभ कन हिबोनन पर भत बबोल नहिह पकातका, विमैसन
हित गमुरप्रसकादि प्रकाप मनमुष्य इस जगत मम व्यविहिकार नहिह दिनख पकातका।

अमंतर शकामंहत, सचौम्य हस्थहत, दमैतविकहत्त-हनविकहत्त, कल्पनकाततत गहत—विहित अ-व्यविहिकार हिमै, विहिह प्रकाहप हिमै।

नर-नकारत कन सममुदिकाय मम, समंसकार मम एक आत्मका कका हित हविलकास हिमै, दिज
मू का नहिह।

विकहत्त कबो हनविकहत्त करकन दिनखबो, अमंदिर क्यका-क्यका भकासतका हिमै? नकानकात्वि नकाममकात कका हिमै, पमूणर सत्य हिमै।
जबो सत्य सन हनकलका, विहि सत्य सन हभन्न नहिह हिमै, सत्य मम हिमै, सत्य हित हिमै, जबो दितखन विहि भत सत्य, सत्य हित मनरका स्विकात्म-
हविमशर हिमै।

पमंच-तत्वित कन पचतस हविभकागत मम न्यमूनकाहधक रप मम अण्डज, जरकायज


मु , स्विनदिज, उहदज आहदि चकार शरतरत कक रचनका हिह, हजनमम
मकानवि-शरतर भत हिमै। सबसन पकामंच-पचतस कका हित खनल हिमै।

व्यविहिकाररक जगत कबो अलग मत समझबो। यहि हनत्यकानमंदि विकाहटकका हिमै, विनदिकान्तशकालका हिमै, इसमम सतखबो, परतक्षिका उत्ततणर करबो, हडगत
पकाओ।

हृदिय हित विमैकमुण्ठ, भमूलबोक, गबोलबोक, कमै लकास हिमै। हृदिय मम नहिह दिनखका तबो विमैकमुण्ठ कक बकातत सन क्यका प्रकायबोजन!

एक परम हपतका, एक अव्यय मकातका कका कमु टमु म्ब यहि मकानवि-समंसकार हिमै। जब तक मनमुष्य इस जकानदिशका कका पमुजकारत नहिह बनतका,
तब तक उसकका रबोनका नहिह हमटनगका।

मबोहि, आशका, ईष्यकार मम हित भनदि कका हनविकास हिमै। भनदि-भ्रम सन अजकान बढतका हिमै। दिस
मू रन कन प्रहत परभकावि हित, दि:मु खकालय हिमै, विहिकामं
शकामंहत दिरमू हिमै।

भनदि कन विल ममूढतका हिमै, विहि न शकासतय हिमै, न मकानवितय हिमै और न नतहत हिमै। भनदिविकादि हित जगत मम नरविकादि हिमै।

परमकात्मका एक हिमै। उसकक दृहष एक हिमै, उसकक समंतकानम एकसम हिह। उसमम भनदि नहिह हिह और न तबो न्यमूनकाहधक हित हिमै। उस एक मम
अननकतका मकाननका हित मचौत कका महिकाममंत हिमै।

दिनश-दिनशन कका भनदि, भकाषका-भकाषका कका भनदि, नकाम-रप कका भनदि, मत-मतकान्तर कका भनदि, यहि हित नरक कन यजकमु ण्ड हिह।

हविशकाल पकहथवित एक, दिमैवितभमूत जल एक, बहितत विकायमु एक, जलतत अहग एक, अविककाश कका आककाश एक, सविकारधकारणमय
परमकानमंदि चमैतन्यकात्मका एक। बतकाओ, दिस
मू रका हिमै कहिकामं?

प्रभमु-कक पका
□रवितन्द्रनकाथ ठकाकमु र
घम-घमूमकर गकामंवि-गलत मम, भतख मकामंगतका थका जब दिर-दिर;
दिनखका तभत दिरमू सन आतन, तमुम्हिम स्विणर कन रथ पर चढकर।
हिहआ प्रततत हक जमैसन हिबो विहि, कबोई स्विप्न अपमूविर मनबोहिर;
सबोचका हिबोकर हविहस्मत महनन, कचौन आ रहिका यहि रकाजनशविर?
हिहई बलवितत मनरत आशका, मनरन दिहदिरन हिहए दिरमू अब,
खडका रहिका मह यहित दिनखतका, भतख अयकाहचत हमलन ममुझन कब!
और हमलन कब पडका चतमुहदिरक, हबखरका हिहआ धमूल मम जबो घर;
खडका हिहआ थका जहिकामं, अचकानक, आकर रकका तमुम्हिकारका रथ तब।
दिनखका तमुमनन ममुझन दृहष भर, उतर पडन रथ सन ममुस्करकाकर;
लगका ममुझन मनरन जतविन कका, आ पहिहमंचका सचौभकाग्य विहिह पर।

सहिसका हिकाथ बढकायका तमुमनन, बबोलन तमुम यत ममुझसन हिमंसकर;


“क्यका हिमै झबोलत मम बतलकाओ, दिन सकतन हिबो ममुझकबो सत्विर?”
कमै सका थका उपहिकास तमुम्हिकारका, मकामंग रहिन थन तमुम यकाचक सन!
दिनतका क्यका विहि तमुम्हिन अरन, जबो, विमंहचत थका कचौडत-कचौडत सन!
खडका रहिका मह समुध-बमुध भमूलन, भरका अहनशचय सन मनरका मन;
धतरन-सन तब लन झबोलत सन, हदियका अन्न कका छबोटका-सका कण।
समंध्यका कबो हभक्षिका कक झबोलत, कक खकालत महनन घर जकाकर;
स्तमंहभत रहि गयन नमैन तब, एक स्विणर-कण पडका दिनखकर।
रकाज-हभक्षिमु कबो हदियका अन्नकण, आयका थका सबोनन कका बनकर;
“हिकाय, क्यत न दिन डकालका सब-कमु छ?” रबोयका मह तब फिमूट-फिमूटकर।
अनमु० ---- यशपकाल जमैन

जबो जकानतन हिह, उसन हजयम


□रकामनश विरदियकाल दिमुब न

समंसकार मम सबसन अहधक जबो चतज दित जकातत हिमै विहि सतख, और शकायदि सबसन अहधक न लत जकानन विकालत चतज भत
सतख हित हिमै। सतखत कका अम्बकार लगका हिमै, जबो चकाहिन हजतनका उठका लन, हकमंतमु हडम्बनका यहि हिमैहक समुमंदिर सतखत कका सब-सम्मकान
करतन हिह, पमुष्प चढकाकर पमूजका करतन हिह, पर उस पर आचरण करनन कका अविसर आतका हिमै तबो दिरमू सन नमस्ककार करतन हिह।
तब सहिज प्रशन उठतका हिमै हक सतखत कक अमकत-विषकार कका क्यका महित्वि हिमै? स्विकाहत नक्षित मम जब पकानत बरसतका हिमै,
तब, कहितन हिह, सतप मम मबोतत बन जकातका हिमै, कन लका मम कपमूरर बन जकातका हिमै, और सपर कन ममुमंहि मम हविष। इनमम कमु छ बनतका तबो हिमै,
हकमंतमु अहधककामंश जल तबो मकाटत कबो गतलका करकन हित रहि जकातका हिमै। समंभवि हिमै, यहि जल कक हष कन हलए उपयबोगत हिबोतका हिबो, परमंतमु
यहिकामं दिनखनन कक बकात यहि हिमै हक महित्वि जल कका हिमै अथविका उसन गहिण करनन विकालन पकात कका?
स्पष हिमै हक अगर हिमम मबोतत प्रकाप करनन हिह, तबो सतप-सत सकाधनका करनत पडनगत, सतप कक क्षिमतका प्रकाप करनत हिबोगत,
नहिह तबो स्विकाहत कका जल भत सकामकान्य जल हित बनका रहि जकायनगका।
मनरन जतविन कक एक घटनका हिमै। हदिलत हविशविहविदकालय कका छकात थका। घरनलमू समंस्ककार ऐसन हमलन थन हक सकाधमु-समंतत कन
हनकट जकानका अच्छका लगतका थका। एक बकार अपनन एकहमत कन सकाथ जमुमनका कन हकनकारन कक रनतत घमूम रहिका थका। दिनखका, एक महिकात्मका
विहिकामं बमैठन हिह। हनकट पहिहमंचकर हिमदिबोनत नन आदिर-सहहित प्रणकाम हकयका। आशतष मम कन विल एक दृहषभर हमलत। कमु छ दिनर खडन रहिनन
कन बकादि महनन हविनम्रतका सन कहिका, “महिकात्मनन! हिम हविदकाथर हिह। कमु छ सतख दितहजए।”
महिकात्मका नन बडत विक्र दृहष सन हिमदिबोनत कबो नतचन सन ऊपर तक दिबो-ततन बकार दिनखका। ककारणन न समझकर हिमलबोग
थबोडका डर गयन। सबोचका, कबोई अपरकाध हिबो गयका, कहिह कबोई शकाप न दिन बमैठम। हिम यहि सबोच हित रहिन थन हक सकाधमु महिकारकाज नन कमु छ
उग विकाणत मम हित कहिका, “हिकामं बमैठबो, मह तमुम्हिन उपदिनश दिमंगमू का।” सकाधमु महिकारकाज नन गरदिन झमुकका लत।
उपदिनश पकानन कक आशका तबो समुख दिनख रहित थत, परमंतमु विकाणत कका अक्खडपन भय भत पमैदिका कर रहिका थका। डरतन-डरतन
हिमलबोग बमैठ गयन। थबोडत दिनर मम सकाधमु नन अपनका हसर उठकायका और पमुन: पमुरकानन लहिजन मम कहिका, “मह तमुम्हिम उपदिनश दिनतका हिहमं हक
आज सन हकसत सन उपदिनश न मकामंगनका।” इतनका कहिकर उन्हितनन हफिर अपनत गरदिन झमुकका लत।
इस अनबोखन उपदिनश कबो समुनकर हिमलबोग चहकत रहि गयन—एक-दिसमु रन कबो दिनखनन लगन। आगन क्यका करनका चकाहहिए,
समझ मम हित नहिह आयका। इच्छका हिहई हक उठकर चल दिम, पर सबोचका, चलनका तबो हिमै हित, इस उपदिनश कका ममर तबो जकान लम।
हहिम्मत करकन महनन हनविनदिन हकयका, “महिकारकाज, मह कमु छ समझका नहिह। आपनन तबो कबोई उपदिनश नहिह हदियका, इतनका हित
क्यबो, आपनन तबो हकसत अन्य सन भत उपदिनश प्रकाप करनन कका कका मकागर बमंदि कर हदियका।”
सकाधमु महिकारकाज नन अपनका हसर उठकायका और पमुरकानन लहिजन मम हित पमूछतन चलन गयन, “क्यका नहिह समझन?” तमुम उपदिनश
मकामंगतन हफिरतन हिबो। ऐसका क्यत करतन हिबो? क्यका तमुम नहिह जकानतन हक सत्य बबोलनका अच्छका हिमै, चबोरत करनका बमुरका हिमै? क्यका तमुम नहिह
जकानतन हक दिस मू रत कक सनविका

समुदिपयबोग करनका अच्छका हिमै, आलस्य मम समय हबतकानका बमुरका हिमै? मह पमूछतका चलका जकातका हिहमं, तमुम उत्तर क्यत नहिह दिनतन? ”
“जकानतका हिहमं।” महनन धतरन-सन उत्तर हदियका।
“तब हफिर क्यका उपदिनश चकाहितन हिबो? जकाओ, जबो जकानतन हिबो, उसन हजओ।

इतनका कहिकर सकाधमु महिकारकाज उठन और एक ओर चल हदियन। हिमलबोगत नन भत अपनका रकास्तका हलयका। हिमदिबोनत थबोडत दिनर
तक खकामबोश रहिन। मन मम सकाधमुजत कका एक हित विकाक्य गमंज रहिका थका--“तमुम क्यका नहिह जकानतन? जबो जकानतन हिबो, उसन हजओ।”
मह सतपत बननन कक, सकाधनका कक बकात कहि रहिका थका सतखत और उपदिनशत कक कमत नहिह, और कचौन-सत सतख हिमै और
कचौन-सका उपदिनश हिमै, हजसन हिम नहिह जकानतन ?
तब प्रशन उठतका हिमै हक क्यका सतख और उपदिनश प्रकाप करनन कका प्रयत्न न हकयका जकाय, सकाधमु-समंतत कका सत्समंग न
हकयका जकाय, सत्सकाहहित्य कका अध्ययन न हकयका जकाय?
उत्तर हिमै, अविशय हकयका जकाय, हकमंतमु एक शतर कन सकाथ। भबोजन उतनका हित करम, हजतनका पचका लम। पचौहषक भबोजन कबो
गलन कन नतचन उतकारतन जकानन सन हित आदिमत पमुष नहिह बन सकतका। इस प्रसमंग मम आचकायर हविनबोबका कका एक कथन यकादि आ रहिका हिमै।
पविनकार आश्रम मम एक हदिन ‘हविष्णमु सहिस्रनकाम’कन पकाठ कन पशचकात हविनबोबकाजत नन कहिका थका, “प्रकाहणयत मम अपनन कबो श्रनष
समझनन विकालन हिम मकानवित कबो पशमुओमं सन भत कमु छ सतखनका चकाहहिए। भमूख लगनन पर पशमु चकारका खका लनतका। उतनका हित खकातका हिमै,
हजतनन कक उसन आविशकतका हिमै। पनट भर गयका, चकारका छबोड हदियका। हफिर एककामंत मम बमैठकर एककागमन हिबोकर जमुगकालत करतका हिमै।
खकायन हिहए चकारन ककाक एक तरहि सन दिबमु कारका खकातका हिमै। इसन हित ‘जमुगकालत करनका’ कहितन हिह। हिम मकानवि जकान कन क्षिनत मम चर तबो
बहिहत लनतन हिह, हकतनत सतखम समुन लनतन हिह, हकतनन उपदिनश श्रविण कर लनतन हिह, समंतत और हविदकानत सन जकान कक हकतनत हित बकातम
समुनकर प्रसन्न हिबो लनतन हिह, परमंतमु बकादि कक जमुगकालत करतन हित नहिह। प्रत्यनक मनमुष्य जमुगकालत अथकारतन मनन करनका चकाहहिए। मनन
और हविचकार-ममंथन सन हित प्रकाप कक हिहई सतख, प्रकाप हकयका हिहआ उपदिनश फिलदिकायत हिबोगका, नहिह तबो एक ककान सन समुनकर दिस मू रन
ककान सन हनककाल दिननन सन कबोई लकाभ न हिबोगका।”
बमुह ढयका कक बकानत
□ यशपकाल जमैन

एक सकाधमु हकसत स्थकान पर अपनत कमु हटयका बनकाकर रहितका थका। बडका रमणतक स्थकान थका। नदित कका हकनकारका थका। घनका
विन थका। सकाधमु कबो सब प्रककार कका आनमंदि प्रकाप थका
लनहकन एक कहठनकाई थत। जमंगल कन पशमु-पक्षित विहिकामं आ जकातन थन और आमंख बचनन पर
उसकका कमु छ-न-कमु छ हबगकाड कर जकातन थन। इससन सकाधमु हिर घडत हिमैरकान रहिनन लगका।
एक बकार सकाधमु ततथकारटन कन हलए हनकलका। अननक स्थकानत पर गयका। ततथर-दिशरन कन सकाथ-सकाथ सकाधमु-समंतत कन
सत्समंग कका भत लकाभ हलयका।
अपनत यकातका मम एक हदिन विहि एक गकामंवि सन गमुजरका। चकारत ओर खनत फिमैलन थन, हजनमम अनकाज कक फिसल तमैयकार खडत
थत।
अचकानक उसनन दिनखका हक एक खनत कन मचकान पर एक बमुहढयका बमैठत फिसल कक रखविकालत कर रहित हिमै। लनहकन खनत
पर पहक्षियत नन हिमलका बबोल रखका हिमै।
बमुहढयका कन नमुकसकान कक कल्पनका करकन सकाधमु कबो बडका बमुरका लगका। विहि बमुहढयका कन पकास गयका और बबोलका, “मकाई, तमुम
यहिकामं बमैठत-बमैठत क्यका करतत हिबो?हचहडयकामं तमुम्हिकारत खनत कबो चमुगन जका रहित हिह।”
बमुहढयका कक आमंखम चमक उठह। विकात्सल्यभरन स्विर मम बबोलत, “भमैयका, हचहडयत कबो भत भगविकान नन पमैदिका हकयका हिमै। उनकन
घर मम अनकाज तबो भरका हिमै नहिह, बनचकारत जकानन कहिकामं सन उडकर यहिकामं आई हिह! हफिर भमैयका, चमुगमगत तबो हकतनका! उनकका पनट हित
हकतनका बडका हिमै!”
बमुहढयका एक सकामंस मम सकारत बकात कहि गई। सकाधमु उसकन चनहिरन कबो दिनखतका रहि गयका। उसन अपनत कमु हटयका यकादि आई।
उसमम आनन विकालन पशमु-पक्षित यकादि आयन। पर आज उसकन मन मम उनकम प्रहत कटमु तका नहिह थत, प्रनम थका। बमुहढयका नन उसकक आमंखम
खबोल दित थह।
खमु दि का कन बमंदि त कबो नसतहितम
हिजरत ममुहि म्मदि सकाहिनब

1. इमंसकानत मम कमु छ ऐसन भत हिबोतन हिह, जबो कहितन हिह हक हिम अलकाहि पर और कयकामत पर यककन करतन हिह, हिकालकामंहक विन
यककन करतन नहिह। ऐसन लबोग अलकाहि कबो और उन आदिहमयत कबो, जबो यककन कर चमुकन हिमै, धबोखका दिनतन हिह, लनहकन विन
नहिह जकानतन हक विन अपनन आपसन छल करतन हिह।
2. जब कयकामत हिबोगत तब हिरनक कन भलन-बमुरन ककामत कका लनखका-जबोखका हिबोगका। उस विक कबोई हसफ़काररश ककाम नहिह दिनगत,
हकसत तरहि कक दियका भत नहिह हिबोगत।।

3. हजन लबोगत नन ननक ककाम हकयन हिह, उनकबो खमुदिका पमूरका बदिल दिनगका।

4. जब तक तमुम अपनत प्यकारत चतजत मम सन दिकान नहिह करबोगन, तमुम्हिन भलकाई नहिह हमलनगत। तमुम जबो दिकान करतन हिबो, उसकक
जकानककारत खमुदिका कबो रहितत हिमै।

5. जबो बमूरन ककाम करतन हिह, उन्हिम अलकाहि मकाफ़ नहिह करतका, यहिकामं तक हक उनमम सन जअ हकसत कन आगन मचौत आ खडत
हिबोतत हिमै और विहि कहितका हिमै हक ममुझन मकाफि करबो, तब भत मकाफ़क नहिह हमलतत।

6. महदिरका, जमुआ और पकासन—यन गमंदिन शमैतकानत ककाम हिह, इनसन बचबो। तमुम्हिकारका भलका हिबोगका।

7. अपनत जकान कका ख्यकाल रक्खबो। तमुम सबकबो अलकाहि कक तरहि लचौटकर जकानका हिमै तबो जबो कमु छ करतन रहिन हिबो, तमुमकबो
विहि बतकायनगका।

८ इस बकात कबो ख्यकाल मम रक्खत हक अलकाहि सज़का दिननन मम सख्त हिमै और यहि भत हक अलकाहि मकाफि करननविकालका
रहिमहदिल भत हिमै। जबो कमू छ तमुम जकाहहिरका करतन हिबो,और जबो कमु छ हछपकाकर करतन हिबो, अलकाहि सबकमु छ जकानतका हिमै, इसहलए
हिन अकममंदिबो! खमुदिका सन डरबो।

९. अलकाहितकालका नन जबो जकाहहिरका चतजम तमुम्हिकारन हलए पकाक कर दित हिह, उनकबो नकापकाक मत करबो और हिदि सन आगन न जकाओ,
क्यतहक अलकाहि हिदि सन बढनन विकालत कबो नहिह चकाहितका।
१०. तमुम्हिकारन बनतमूकन अहिदित पर खमुदिका तमुमकबो नहिह पकडनगका, लनहकन तहिन-हदिल सन कसम खका लबोगन तबो खमुदिका
तमुमकबो बख्शनगका नहिह।

११.जबो कमु छ भत आसमकान और जमतन पर हिमै, सब अलकाहि कका हिमै। इसहलए अपनन परविरहदिगकार कका हिहक्म न मकाननन विकालन
कबो खमुदिका कयकामत कन रबोज हिहकमुमउदिल
मू त कक सजका दिनगका।

१२. दिहमु नयकावित हजमंदिगत तबो महिज खनल और तमकाशका हिमै और इसमम शक नहिह हक जबो इमंसकानत समंयमत हिह, उनकन हलए
कयकामत यकानत परलबोक कका घर कहिह अच्छका हिमै।

१३.परविरहदिगकार नन इमंसकाफि कक हिर मसहजदि मम सतधका ममुमंहि रखनन कका हिहक्म हदियका हिमै। इन्सकानत नन अलकाहि कबो छबोडकर
शमैतकान कबो पकडका और समझतन हिह हक विन सतधन रकास्तन पर हिह। ऐ आदिम कन बनटबो! हफ़जमुलखचर न करबो, क्यतहक
हफ़जमुलखचर करनविकालत कबो अलकाहि नहिह चकाहितका।

१४.अलकाहि कन नकाम सन डरबो, जबो मनहिरबकान और रहिमहदिल हिमै, सबकक परविररश करननविकाल हिमै, क्यतहक जलजलका एक
बडत चतज हिमै। हजस हदिन यहि जलजलका तमुम्हिकारन सकामनन आएगका, हिर दिधमू हपलकानन विकालत मकामं अपनन दिधमू पततन बचन कबो भमूल
जकायनगत। लबोग नशन मम नजर आययगग, हहालहालांकक वग मतवहालग नहहलां। अल्लहाह कक सजहा बडड सख्त
हहै ।
15. ककछ ललोग अनजहानग मय अल्लहाह कग बहारग मय बहस करहातग, झगडतग हह और
शहैतहान कग पडछग चल पडतग हहै । शहैतहान कग बहारग मय ललखहा हहै कक जलो उसकहा दलोस्त बनगगहा
यहा जजसकहा वह दलोस्त बनगगहा, उसग भटकहाकर दलोज़ख कक रहाह बतहायगगहा।
16. दनक नयहा मय ककछ ऐसग ललोग भड हह, जलो अल्लहाह कक इबहादत पपरग ददल सग नहहलां करतग।
अगर उनकलो कलोई फहायदहा पहकलांचहा तलो जजधर सग आयहा थहा, उधर हह ललौट गयहा,
इसनग दनक नयहा और जन्नत दलोनन हह गलांवहायग।
17. जलो ललोग अल्लहाह कलो महानतग हह, उसकक इबहादत करतग हह, नगक कहाम करतग हह,
उनकलो अल्लहाह बहागलो मय भगजगगहा, जजनकग नडचग नहरय बह रहह हनगड।
18.खकदहा सग हटकर कहामयहाबड कक उम्मडद कहैसग रख सकतहा हहै ? कटह हकई रस्सड पर
चढ़कर कलोई कहैसग पहार उतर सकतहा हहै ? टपटह हकई ककश्तड पर बहैठकर डपबनग सग कहैसग बच
सकतहा हहै ?

‘मण्डल’ दकारका प्रककाहशत


समुब बोध सकाहहित्य-मकालका
 हिमकारत आदिशर नकाररयकामं
 भकारततय लबोक-कथकाएमं
 हिमकारन समंत-महिकात्मका
 हविशवि कक श्रनष कहिकाहनयकामं
 हिमकारत नहदियकामं
 हिमकारत बबोध-कथकाएमं
 मकातकाजत कका हदिव्य दिशरन
 बकापमू कका पथ
 बडत कक बडत बकातम
 बनतकाल पचतसत
 पथ कन आलबोक
 ईटमं कक दितविकार
 हसमंहिकासन बत्ततसत
 सफिलतका कक कमुमं जत
 हिमकारन प्रममुख ततथर
 समंतत कक सतख

सस्तका सकाहहित्य मण्डल प्रककाशन


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