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शिव जी ……………..

शिवश िंगकहीिं से टू ट जाने पर भी पशवत्र और पू जनीय माना गया है । ऐसा इसश ए है शक भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के
कारण शनष्क अर्ाा त शनराकार कहे गए हैं । भो ेनार् का कोई रूप नहीिं है उनका कोई आकार नहीिं है वे शनराकार
हैं । महादे व का ना तो आशद है और ना ही अिं त। श िं ग को शिवजी का शनराकार रूप ही माना जाता है । केव शिव
ही शनराकार श िंग के रूप में पू जे जाते है । इस रूप में समस्त ब्रह्मािं ड का पू जन हो जाता है क्ोिंशक वे ही समस्त
जगत के मू कारण माने गए हैं ।
शिवश िंग बहुत ज्यादा टू ट जाने पर भी पू जनीय है । अत: हर पररस्थर्शत में शिवश िंग का पू जन सभी मनोकामनाओिं को
पू रा करने वा ा जाता है । िास्त्ोिं के अनुसार शिवश िंग का पू जन शकसी भी शदिा से शकया जा सकता है ेशकन पू जन
करते वक्त भक्त का मुिंह उत्तर शदिा की ओर हो तो वह सवाश्रेष्ठ माना जाता है ।
1. वाहन सुख :- शिव पू जा में चमे ी के फू चढाने पर कामना पू री होती है ।
2. धन की प्रास्ि :- भगवान शिव को चाव अशपा त करे । कम , ििंखपु ष्प, और शबल्वपत्र भगवान पर अशपा त करे ।
3. शकसी भी तरह का रोग :- शत चढाने से रोगोिं का नाि हो जाता है ।
4. वस्त्ोिं की कमी :- कनेर के फू ोिं से पू जा करे ।
5. जीवन में सुख :- जौ अशपा त करने से सुख में वृस्ि होती है । मूिं ग दा अशपा त करें ।
6. पु त्र कामना :- ा फू वा ा धतूरा अशपा त करे । (अभाव में सामान्य धतूरा भी चढा सकते हैं । ), गेहिं चढाने से
सिंतान में वृस्ि होती है ।
7. शववाह :- मक्का अशपा त करे ।
8. सेहत व िं बी उम्र :- दू वाा चढाए।
9. अन्न प्रास्ि :- जूही के फू ोिं से पू जा करे ।
10. सम्मान प्रास्ि :- अगस्त्य के फू अशपा त करें ।
11. शदमाग तेज :- िक्कर शम ा हुआ दू ध अशपा त करें ।
12. अिािं शत और तनाव :- िे फाश का के फू अशपा त करें ।
13. आनन्द प्रास्ि :- गन्ना के रस से पू जा करे ।
14. मोक्ष प्रास्ि :- गिं गाज और सफेद कम के फू ोिं को अशपा त करें ।
15. सभी मनोकामनाएिं :- शिवश िंग पर प्रशतशदन कच्चा गाय का दू ध अशपा त करें । गाय को माता माना गया है अत:
गौमाता का दू ध पशवत्र और पू जनीय है ।
(अन्न शिव जी को अपा ण करने के पश्चात गरीबोिं में शवतरीत
करे |

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