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होली का  योितषीय और वैज्ञािनक मह व 

हमारे   भारत म हमारे  िजतनी भी परं पराएं चली आ रही ह उनका पौरािणक मह व होने के 


साथ-साथ वैज्ञािनक मह व भी  होता है  यह िस द हो चक
ू ा ह. हमारे  ऋिष मिु नयो ने िजतनी भी 
प्राचीन पर पराओं को बनाया था उनको आज हमारे  वैज्ञािनक भी मानने लगे ह. प्राचीन 
पर पराओ का पालन करने से  यिक्त  वा य की  ि ट से लाभकारी रहता ह. जैसे मंत्रो का 
उ चारण आपके शरीर म जो क पन पैदा करता ह. वह लाभकारी होता ह. पीपल िजसे हम 
दे वता मानत ह जल चढात ह. वैज्ञािनको का मानना है  की पीपल बहुत ही अिधक मात्रा म 
ऑक्सीजन छोड़ता ह. िजतने समय आप उसके नीचे रहते ह आपको  वा य ऑक्सीजन प्रा त 
होती ह. उसी प्रकार सय
ू  को जल चढ़ाने से भी हमारे  आँख  की रोशनी बढ़ती ह और ह िडया भी 
मजबूत होती ह. उ ही पर पराओं म नाम आता है  होली का िजसमे. होली पर जो गीत गाये 
जाते ह वे भी बहुत उची आवाज़ म गाये जात है . िजससे शरीर म गमीर् पैदा होती रहीं, होली का 
हुड़दं ग आपके शरीर से आल य को दरू  भागने का काम करता ह. होली  के िदन घर के छोटे  
यिक्तय  को अपने से बढ़ो का आशीवार्द अव य लेना चािहय. 

होली का पौरािणक मह व -  

होली के पवर् से अनेक पौरािणक कथा और कहािनयां जड़
ु ी ह  िजनम िहरण क यप और प्रहलाद 
की कहानी मह वपूण र् ह ,इसके अलावा होली का पवर्  राक्षसी डूड़ी की कथा,  राधा कृ ण के रास 
और कामदे व के पुनजर् म से भी जड़
ु ा हुआ है . कुछ लोग  का यह भी मानना है  िक भगवान 
ीकृ ण ने इस िदन पूतना नामक राक् सी  का वध िकया था इसी खुशी म गोिपय  और ग्वाल  
ने रासलीला की और रं ग खेला था होली के पवर् की अनेक पर पराए ह जो  थान दे श प्रदे श के 
अनस
ु ार  बदलती रहती ह. भारत के अलावा कई दे शो म होली िकसी न िकसी  प म मनाई 
जाती ह.  
भारत म इन ऋतुय  को 6 भाग  म बांटा गया है  िजनके नाम इस प्रकार ह वसंत, ग्री म, वषार्, 
शरद, हे मत
ं , िशिशर, जब  िशिशर ऋतु समा त होती है  और बसंत ऋतु का आगमन होता है  
तब होली का पवर् मनाया जाता है .' 

होली का वैज्ञािनक मह व-  

िशिशर ऋतु के अंत म  ठं डक का अंत होता है . जबिक बसंत ऋतु की शु आत म सह


ु ानी धूप 
िव व को सक
ु ू न पहुंचाती है . इस  िशिशर ऋत ु की ठ ड और  वसंत ऋत ु की गमीर् की वजह से 
संक्रमण पैदा होता ह. जो की मनु य के शरीर म वात कफ िप  का संतुलन िबगड़ दे ता ह. शरीर 
म  कफ अिधकता की वजह से सांस की बीमारी, खांसी आिद ब च  और बड़  को होने लगती ह.  
मौसम पिरवतर्न की वजह से हमारे  वायुमड
ं ल म पिरवतर्न आते ह. वायम
ु ड
ं ल के इन  बेिक्टरय   
का बरु ा प्रभाव हमारे  शरीर पर पढ़ते ह. िजसकी वजह से हमारा शरीर आल य की चपेट म आ 
जाता ही ऐसे ही पढ़ने बाले   इन  प्रभावो को हमारे  ऋिष-मिु नय  ने अपने ज्ञान और अनभ
ु व से 
पहले ही जान िलया था.  इसीिलये आयुवद म ऐसे उपाय बताए थे िजससे िक हमारे  शरीर को 
रोग  से बचाया जा सके. होली का  यौहार इन रोग  से लड़ने म हमारी मदद करती ह.   

होिलका दहन का  योितषीय मह व-                    

 होिलका दहन की मा यता इतनी अिधक है  की शुभ मह


ु ू त र् म पूजा न करने से दख
ु  और दभ
ु ार्ग्य 
अव य िमलता है .  होिलका दहन की अिग्न की राख बहुत  पिवत्र होती है  िजसे  अगले िदन 
सब
ु ह इसे इक्कठा िकया जाता है  और शरीर पर लगाया जाता है । होिलका दहन का दशर्न करने 
से सभी प्रकार के अिन ट तथा सभी बाधाएं समा त होती है  और ल मी जी प्रस न होती है . 

होिलका पज
ू न के समय िन न मंत्र का उ चारण करना चािहए- 

अहकूटा भयत्र तैः कृता  वं होिल बािलशैः अत वां पूजिय यािम भिू त-भिू त प्रदाियनीम 

इस मंत्र का उ चारण कम से कम 1,3 या5 माला के  प म करना चािहए. 


होिलका दहन की राख को शरीर पर लगाते समय इस मंत्र का जाप कर- 

वंिदतािस सरु े द्रे ण ब्र हणा शंकरे ण च अत वं पािह माँ दे वी! भिू त भिू तप्रदा भव ॥ 

होिलका दहन का वैज्ञािनक मह व- 

होिलका दहन म िजन सामग्री का उपयोग िकया जाता ह उन  सामग्री का जलना हमारे  
वातावरण को शु ध बनता ह. होिलका से िनकली हुई गमीर् शरीर और आसपास के पयार्वरण म 
मौजद
ू  बैक्टीिरया को न ट कर दे ती है . पूरे दे श म एक ही िदन रात के समय होली जलाने से 
हमारे  वायुमड
ं ल के कीटाण ु जल कर भ म म जाते ह. परं परा के अनुसार जलती होिलका के चार  
ओर पिरक्रमा करने से हमारे  शरीर म जो  गमीर् शरीर म प्रवेश कर जाती है  उसके बाद यिद 
रोग उ प न होने वाले जीवाणु हम पर आक्रमण करते ह तो उनका प्रभाव हम पर  नहीं होता 
बि क हमारे  अंदर आ चुकी गमीर् से वे खुद ही  न ट हो जाते ह.  

रं गो का वैज्ञािनक आधार और उनका मह व- 

 रं ग िचिक सा के बारे  म तो आपने सन


ु ा ही होगा, बस होली को उसी का प्रतीक भी मान सकते 
ह. कुछ वैज्ञािनक  का मानना है  िक शरीर म िकसी न िकसी  रं ग की कमी से आप म बीमारी 
उ प न कर सकती है . कलर आपको प्रस निचत बनाते ह , हर रं ग का अपना एक  वभाव भी 
होता है ।  इ हीं बात  को  यान म रखकर होली म रं ग  का जमकर प्रयोग िकया जाता है .  यह 
रं ग आप म पॉिजिटिवटी पैदा करते ह. लाल गल
ु ाबी पीला नीला ऐसे रं ग ह िजनका बहुत ही 
मात्रा म होली म  प्रयोग िकया जाता है  अगर प्राकृितक रं ग  की बात की जाए तो पलाश के 
फूल  से बनाए गए रं ग और पानी आप को सक
ु ू न दे ने वाला होता है  यह पानी आप म ताजी 
दे ता है  वैज्ञािनक  का मानना है  िक िविभ न रं ग  का प्रयोग आपके मि त क पर भी पड़ता है  
िजससे आप प्रस निचत होकर इन रं ग  म खो जाते ह. 

 
िकन लोग के साथ िकस रं ग से खेले होली-
 

प्रेिमका या प नी के साथ -  लाल या केसिरया रं ग जोश का प्रतीक माना जाता ह.  लाल रं ग शिक्त, 


प्रस नता प्रफु लता और  यार का प्रो सािहत करने वाला रं ग है . नारं गी रं ग रचना मकता और 
आ मस मान को बढ़ाता है . लाल और केसिरया प्रेम का भी प्रतीक माना जाता ह.  प्रेिमका या प नी के 
साथ आप लाल और केसिरया रं ग के साथ होली खेले. अगर आपकी प नी और प्रेिमका की रािश मेष 
और  ि चक रािश की है  तो उसे आप लाल या केसिरया  रं ग लगाना न भल
ू े. और िजनसे आप  यार 
करते ह उनके साथ भी लाल और केसिरया रं ग लगाएं.  लोग भूिम से संबंिधत  यवसाय म लगे ह उन 
लोग  को लाल रं ग से होली खेलनी चािहए. उनको लाभ िमलेगा. 

जीवनसाथी या बॉयफ्रड के साथ -  नीला रं ग ठं डा होने की वजह से उच ्च रक् तचाप को कम रखने म 


मदद करता है . यह सदीर् व खांसी के उपचार म भी यह रं ग प्रयोग िकया जाता है . अपने जीवनसाथी या 
बॉयफ्रड के साथ आप लाल या नील रं ग के साथ होली खेल सकते ह. अगर आपका जीवनसाथी या 
बॉयफ्रड की रािश मकर या कु भ है  तो उसे होली के िदन नीला रं ग लगाना न भूले. क्य िक नीला रं ग 
सबको साथ लेकर चलता ह. और पके पित आपके पुरे पिरवार को साथ लेकर चलते ह इसिलये उनके 
साथ होली नीले रं ग से खेल.  कला क्षेत्र से जुड़ े लोग  को नीले रं ग के गुलाल से होली खेलनी चािहए. 

छोटी उम्र के लोगो के साथ- अपन  से छोटी उम्र के लोगो के साथ आप हरे  रं ग से होली खेल. हरे   रं ग 


को प्रकृित का रं ग माना जाता है , यह रं ग हाम न को संतुिलत रखता है . इस  रं ग म शरीर म प्रितरोधक 
क्षमता बढ़ाने की क़ाबिलयत होती है . अगर आपसे छोटे  लोग िजनसे आप प्रेम करते ह और उनकी रािश 
िमथुन और क या रही के है  तो आप उ ह हरा रं ग ज र लगाएं.  िव याथीर्, िशक्षक, वकील , लेखक, 
पत्रकािरता और क यूटर के क्षेत्र से जुड़ े क्षेत्र वाल  को हरे  रं ग के साथ होली खेलना चािहए. 

   

 अपनी उम्र से बड़े लोगो के साथ-  पीला रं ग आ मस मान का प्रतीक माना जाता  ह.  यह तंित्रका तंत्र 


को भी मजबूत बनाता है . पेट खराब होने व खाज खुजली के उपचार म यह रं ग बहुत उपयोगी है . अपनी 
उम्र से बड़े लोगो के साथ आप पीले रं ग के साथ होली खेले. धनु व मीन रािश के लोग अगर आपके 
पिरवार म आपसे उम्र म बड़े ह.  आप उ ह स मान दे ते ह तो उनके साथ पीले रं ग या गुलाल के साथ 
खेल. अनाज, सोना-चांदी आिद से जड़
ु ा कारोबार करने वाले को पीले रं ग से होली खेलना चािहए. 

वेसे होली का  यौहार कई रं ग  का िम ण ह. यह  यौहार आपके जीवन को रं ग  से भर दे ता ह.  हर रं ग 


की तरह  गल
ु ाबी रं ग का भी िवशेष मह व है . गल
ु ाबी रं ग को पसंद करने वाले शरीर से कमजोर होते ह 
लेिकन मन से काफी मजबूत होते ह. यह रं ग नकारा मक िवचार  से दरू  करता है . सफेद रं ग रोग  का 
ज दी उपचार होता ह.  अगर िकसी  यिक्त को कोई भी रं ग पसंद न हो तो वो सफेद रं ग का प्रयोग कर 
सकता है .  दो त  के साथ आप हरा, नीला, गुलाबी, सफेद या िकसी भी रं ग का प्रयोग कर होली खेल 
सकते ह. 

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