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Holi
Holi
होली का योितषीय और वैज्ञािनक मह व
होली का पौरािणक मह व -
होली के पवर् से अनेक पौरािणक कथा और कहािनयां जड़
ु ी ह िजनम िहरण क यप और प्रहलाद
की कहानी मह वपूण र् ह ,इसके अलावा होली का पवर् राक्षसी डूड़ी की कथा, राधा कृ ण के रास
और कामदे व के पुनजर् म से भी जड़
ु ा हुआ है . कुछ लोग का यह भी मानना है िक भगवान
ीकृ ण ने इस िदन पूतना नामक राक् सी का वध िकया था इसी खुशी म गोिपय और ग्वाल
ने रासलीला की और रं ग खेला था होली के पवर् की अनेक पर पराए ह जो थान दे श प्रदे श के
अनस
ु ार बदलती रहती ह. भारत के अलावा कई दे शो म होली िकसी न िकसी प म मनाई
जाती ह.
भारत म इन ऋतुय को 6 भाग म बांटा गया है िजनके नाम इस प्रकार ह वसंत, ग्री म, वषार्,
शरद, हे मत
ं , िशिशर, जब िशिशर ऋतु समा त होती है और बसंत ऋतु का आगमन होता है
तब होली का पवर् मनाया जाता है .'
होली का वैज्ञािनक मह व-
होिलका पज
ू न के समय िन न मंत्र का उ चारण करना चािहए-
होिलका दहन का वैज्ञािनक मह व-
होिलका दहन म िजन सामग्री का उपयोग िकया जाता ह उन सामग्री का जलना हमारे
वातावरण को शु ध बनता ह. होिलका से िनकली हुई गमीर् शरीर और आसपास के पयार्वरण म
मौजद
ू बैक्टीिरया को न ट कर दे ती है . पूरे दे श म एक ही िदन रात के समय होली जलाने से
हमारे वायुमड
ं ल के कीटाण ु जल कर भ म म जाते ह. परं परा के अनुसार जलती होिलका के चार
ओर पिरक्रमा करने से हमारे शरीर म जो गमीर् शरीर म प्रवेश कर जाती है उसके बाद यिद
रोग उ प न होने वाले जीवाणु हम पर आक्रमण करते ह तो उनका प्रभाव हम पर नहीं होता
बि क हमारे अंदर आ चुकी गमीर् से वे खुद ही न ट हो जाते ह.
रं गो का वैज्ञािनक आधार और उनका मह व-
िकन लोग के साथ िकस रं ग से खेले होली-