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• सौर मंडल में सर्

ू य और वह खगोलीर् प डिं सम्मललत हैं, जो इस


मिंडल में एक दस
ू रे से गरु
ु त्वाकर्यण बल द्वारा बिंधे हैं।

• ककसी तारे के इदय गगदय ररक्रमा करते हुई उन खगोलीर्


वस्तुओिं के समह ू को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्र् तारे
न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृततक
उ ग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का,धूमकेतु और खगोलीर् धूल।

• हमारे सरू ज और उसके ग्रहीर् मण्डल को लमलाकर हमारा सौर


मण्डल बनता है ।[

• इन प डिं ों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उ ग्रह, ााँच बौने


ग्रह और अरबों छोटे प डिं शालमल हैं।

• इन छोटे प डिं ों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइ र घेरा के


प डिं , धम
ू केत,ु उल्कार्ें और ग्रहों के बीच की धल ू शालमल हैं।
• सौर मिंडल के चार छोटे आिंतररक ग्रह बुध, शुक्र, थ्
ृ वी और मिंगल
ग्रह जजन्हें स्थलीर् ग्रह कहा जाता है , मख्
ु र्तर्ा त्थर और धातु
से बने हैं।

• और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार पवशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव
ग्रह, काइ र घेरा और बबखरा चक्र शालमल हैं।

• काल् तनक औटय बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गन


ु ा
दरू ी से रे मौजद
ू हो सकता है ।

• सर्
ू य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मिंडल को
भेदता है ।

• र्ह तारे के बीच के माध्र्म में एक बल


ु बल
ु ा बनाता है जजसे
हे ललओमिंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बबखरी हुई तश्तरी
के बीच तक जाता है ।
संरचना और संयोजन
सौरमंडल सर् ू य और उसकी ररक्रमा करते
ग्रह, क्षुद्रग्रह और धूमकेतुओिं से बना है ।
इसके केन्द्र में सर् ू य है और सबसे बाहरी
सीमा र वरुण (ग्रह) है । वरुण के रे
र्म (प्लट ु ो) जैसे बौने ग्रहो के अततररक्त
धम ू केतु भी आते है ।
सय
ू य

• सयू य अथवा सरू ज सौ


रमिंडल के केन्द्र में
जस्थत एक G2 श्रेणी
का मख्ु र्-अनक्र
ु म
तारा है जजसके इदय -
गगदय थ् ृ वी और
सौरमिंडल के अन्र्
अवर्व घम ू ते हैं।
• सर्ू य हमारे सौर मिंडल का सबसे बडा प डिं है , जजसमें हमारे
ूरे सौर मिंडल का ९९.८६% द्रव्र्मान तनहहत है और उसका
व्र्ास लगभग १३ लाख ९० हजार ककलोमीटर है , जो थ् ृ वी से
लगभग १०९ गन ु ा अगधक है ।
• ऊजाय का र्ह शजक्तशाली भिंडार मख्
ु र् रू से हाइड्रोजन और
हीललर्म गैसों का एक पवशाल गोला है ।

• रमाणु पवलर् की प्रकक्रर्ा द्वारा सर्


ू य अ ने केंद्र में ऊजाय ैदा
करता है ।

• सर्
ू य से तनकली ऊजाय का छोटा सा भाग ही थ् ृ वी र हुाँचता
है जजसमें से १५ प्रततशत अिंतररक्ष में रावततयत हो जाता है ,
३० प्रततशत ानी को भा बनाने में काम आता है और बहुत
सी ऊजाय ेड- ौधे समद्रु सोख लेते हैं।
सौर वायु
• सौरमिंडल सौर
वार्ु द्वारा बनाए गए
एक बडे बुलबुले से
तघरा हुआ है
जजसे हीलीर्ोजस्फर्र
कहते है । इस बल ु बल
ु े
के अिंदर सभी दाथय
सर् ू य द्वारा उत्सजजयत
हैं। अत्र्िंत ज़्र्ादा
उजाय वाले कण इस
बल ु बल ु े के अिंदर
हीलीर्ोस्फीर्र के
बाहर से प्रवेश कर
सकते है ।
• सौर वार्ु पवशेर्कर अत्र्गधक उजाय वाले इलेक्रॉन और प्रोटॉन
से बनी होती है , इनकी उजाय ककसी तारे के गरुु त्व प्रभाव से
बाहर जाने के ललए र्ायप्त होती है ।

• सौर वार्ु सर्


ू य से हर हदशा में प्रवाहहत होती है जजसकी गतत
कुछ सौ ककलोमीटर प्रतत सेकिंड होती है ।

• सर्
ू य के सिंदभय में इसे सौर वार्ु कहते है , अन्र् तारों के सिंदभय में
इसे ब्रह्माण्ड वार्ु कहते है ।

• र्म (बौना ग्रह) से काफी बाहर सौर वार्ु खगोलीर् माध्र्म (जो
हाइड्रोजन और हहलीर्म से बना हुआ है ) के प्रभाव से धीमी हो
जाती है ।

• र्ह प्रकक्रर्ा कुछ चरणों में होती है ।


• सौर वार्ु सु र सोतनक गतत से धीमी होकर सब-सोतनक गतत
में आने वाले चरण को टमीनेशन शॉक (Termination Shock) र्ा
समाप्ती सदमा कहते है ।

• सब-सोतनक गतत र सौर वार्ु खगोलीर् माध्र्म के प्रवाह के


प्रभाव में आने से दबाव होता है जजससे सौर वार्ु धम
ू केतु की
ुिंछ जैसी आकृती बनाती है जजसे हीललओलसथ (Helioseath)
कहते है ।

• हीललओलसथ की बाहरी सतह जहािं हीलीर्ोजस्फर्र खगोलीर्


माध्र्म से लमलता है हीलीर्ो ाज (Heliopause) कहलाती है ।

• हीलीओ ाज क्षेत्र सर्


ू य के आकाशगिंगा के केन्द्र की ररक्रमा के
दौरान खगोलीर् माध्र्म में एक हलचल उत् न्न करता है । र्ह
खलबली वाला क्षेत्र जो हीलीओ ाज के बाहर है बो-शाक (Bow
Shock) र्ा धनु सदमा कहलाता है ।
ग्रहीय मण्डल
• ग्रहीर् मण्डल उसी प्रकक्रर्ा से बनते हैं जजस से तारों की सजृ टट
होती है ।

• आधतु नक खगोलशास्त्र में माना जाता है के जब अिंतररक्ष में


कोई अणओ ु िं का बादल गरु
ु त्वाकर्यण से लसमटने लगता है तो
वह ककसी तारे के इदय -गगदय एक आहदग्रह चक्र (प्रोटोप्लैनॅटेरी
डडस्क) बना दे ता है ।

• हले अणु जमा होकर धल ू के कण बना दे ते हैं, कफर कण


लमलकर डले बन जाते हैं।

• गरु
ु त्वाकर्यण के लगातार प्रभाव से, इन डलों में टकराव और
जमावडे होते रहते हैं और धीरे -धीरे मलबे के बडे-बडे टुकडे बन
जाते हैं जो वक़्त से साथ-साथ ग्रहों, उ ग्रहों और अलग वस्तओ ु िं
का रू धारण कर लेते हैं।
• जो वस्तएु ाँ बडी होती हैं उनका गरु
ु त्वाकर्यण ताक़तवर होता है और
वे अ ने-आ को लसकोडकर एक गोले का आकार धारण कर लेती
हैं।

• ककसी ग्रहीर् मण्डल के सज


ृ न के हले चरणों में र्ह ग्रह और
उ ग्रह कभी-कभी आ स में टकरा भी जाते हैं, जजस से कभी तो
वह खिंडडत हो जाते हैं और कभी जड
ु कर और बडे हो जाते हैं।

• माना जाता है के हमारी थ् ृ वी के साथ एक मिंगल ग्रह जजतनी


बडी वस्तु का भर्िंकर टकराव हुआ, जजस से थ् ृ वी का बडा सा
सतही हहस्सा उखाडकर थ् ृ वी के इदय-गगदय ररक्रमा कक्षा में चला
गर्ा और धीरे -धीरे जड
ु कर हमारा चन्द्रमा बन गर्ा।
स्थलीय ग्रह
• सर्
ू य से उनकी दरू ी के क्रम में आठ ग्रह हैं:

बुध
शुक्र
पथ्
ृ वी
मंगल
बह ृ स्पति
शतन
अरुण
वरुण
बध

• बुध सौर मिंडल का सर्


ू य से सबसे तनकट
जस्थत और आकार में सबसे छोटा ग्रह
है ।

• र्ह सर्
ू य की एक ररक्रमा करने में ८८
हदन लगाता है । र्ह लोहे और जस्ते का
बना हुआ हैं।

• र्ह अ ने ररक्रमा थ र २९ मील


प्रतत क्षण की गतत से चक्कार लगाता
हैं। बुध सर्
ू य के सबसे ास का ग्रह है
और द्रव्र्मान से आिंठवे क्रमािंक र है ।
शक्र

• शुक्र सर्
ू य से दस
ू रा ग्रह है
और छठिं वा सबसे बडा ग्रह
है ।

• इसका ररक्रमा थ
108¸200¸000 ककलोमीटर
लम्बा है । इसका व्र्ास
12¸103.6 ककलोमीटर है ।

• शुक्र का आकार और बनाबट


लगभग थ् ृ वी के बराबर है ।
इसललए शुक्र को थ् ृ वी की
बहन कहा जाता है ।
पथ्
ृ वी
• थ्ृ वी बधु और शक्र ु के बाद सर् ु य से
तीसरा ग्रह है ।
• आतिंररक ग्रहों में से सब से बडा,
रू ी मालम ू कार्ानात में धरती एक
लौता ग्रह है जहााँ र जजन्दगी है ।
सर् ु य से थ्
ृ वी की औसत दरू ी
को खगोलीर् इकाई कहते हैं।
• र्े लगभग 15 करोड ककलोमीटर है ।
• र्े दरू ी वासर्ोग्र् क्षेत्र में है । ककसी
भी लसतारे के गगदय र्े एक खास
जोन होता है , जजस में जमीन की
सतह के उ र
का ानी तरल अवस्था में रहता है ।
इसे नीला ग्रह भी कहते हैै॑ ।
मंगल
• मिंगल सौरमिंडल में सर्ू य से
चौथा ग्रह है ।
• थ् ृ वी से इसकी आभा रजक्तम
हदखती है , जजस वजह से इसे "लाल
ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है ।
• सौरमिंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं
- "स्थलीर् ग्रह" जजनमें जमीन होती
है और "गैसीर् ग्रह" जजनमें
अगधकतर गैस ही गैस है ।
• थ् ृ वी की तरह, मिंगल भी एक
स्थलीर् धरातल वाला ग्रह है । इसका
वातावरण पवरल है ।

• इसकी सतह दे खने र चिंद्रमा के गतय और थ् ृ वी के ज्वालामयु खर्ों,
घाहटर्ों, रे गगस्तान और ध्रव
ु ीर् बफ़ीली चोहटर्ों की र्ाद हदलाती है ।
• हमारे सौरमिंडल का सबसे अगधक ऊाँचा वयत,ओलम् स मोन्स मिंगल
र ही जस्थत है ।
• अ नी भौगोललक पवशेर्ताओिं के अलावा, मिंगल का घूणन य काल और
मौसमी चक्र थ् ृ वी के समान हैं|
• 1965 में मेररनर ४ के द्वारा की हली मिंगल उडान से हले तक
र्ह माना जाता था कक ग्रह की सतह र तरल अवस्था में जल हो
सकता है ।
• र्ह हल्के और गहरे रिं ग के धब्बों की आवततयक सच ू नाओिं र
आधाररत था पवशेर् तौर र, ध्रुवीर् अक्षािंशों, जो लिंबे होने र समद्र ु
और महाद्वी ों की तरह हदखते हैं।
• इन ् सीधी रे खाओिं की मौजद ू गी बाद में लसद्ध नहीिं हो ार्ी और र्े
माना गर्ा कक र्े रे खार्ें मात्र प्रकाशीर् भ्रम के अलावा कुछ और
नहीिं हैं। कफर भी, सौर मिंडल के सभी ग्रहों में हमारी थ् ृ वी के
अलावा, मिंगल ग्रह र जीवन और ानी होने की सिंभावना सबसे
अगधक है ।
बह
ृ स्पति
• बह ृ स् तत सर् ू य से ािंचवााँ और हमारे
सौरमिंडल का सबसे बडा ग्रह है ।
• र्ह एक गैस दानव है जजसका
द्रव्र्मान सर् ू य के हजारवें भाग के
बराबर तथा सौरमिंडल में मौजद ू
अन्र् सात ग्रहों के कुल द्रव्र्मान
का ढाई गन ु ा है ।
• बह ृ स् तत को शतन,र्रु े नस
और नेप्चन ू के साथ एक गैसीर् ग्रह
के रू में वगीकृत ककर्ा गर्ा है ।
• इन चारों ग्रहों को बाहरी ग्रहों के रू
में जाना जाता है ।
• रोमन सभ्र्ता ने अ ने
दे वता जपु टर के नाम र इसका
नाम रखा था।
शतन
• शतन सौरमण्डल का एक सदस्र् ग्रह है । र्ह सरू ज से छटे स्थान
र है और
• सौरमिंडल में बह
ृ स् तत के बाद सबसे बडा ग्रह हैं। इसके कक्षीर्
ररभ्रमण का थ १४,२९,४०,००० ककलोमीटर है ।
• शतन के ६० उ ग्रह हैं। जजसमें टाइटन सबसे बडा है । टाइटन
बह ृ स् तत के उ ग्रह गगतनमेड के बाद दस ू रा सबसे बडा उ ग्रह्
है ।
• शतन ग्रह की खोज प्राचीन काल में ही हो गई थी। गैलीललर्ो
गैललली ने सन ् १६१० में दरू बीन की सहार्ता से इस ग्रह को
खोजा था।
• शतन ग्रह की रचना ७५% हाइड्रोजन और २५% हीललर्म से हुई
है । जल, लमथेन, अमोतनर्ा और त्थर र्हााँ बहुत कम मात्रा में
ाए जाते हैं।
• हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है ,
क्र्ोंकक इनमें लमटटी- त्थर की बजार् अगधकतर गैस है और
इनका आकार बहुत ही पवशाल है ।
• शतन इनमे से एक है - बाकी तीन बह ृ स् तत, अरुण (र्रु े नस)
और वरुण (नॅप्टर्ून) हैं।
अरुण
• अरुण र्ा र्ुरेनस हमारे सौर मण्डल में
सर् ू य से सातवााँ ग्रह है ।
• द्रव्र्मान में र्ह थ् ृ वी से १४.५ गन ु ा
अगधक भारी और अकार में थ् ृ वी से
६३ गन ु ा अगधक बडा है ।
• हालािंकक अरुण को बबना दरू बीन के
आाँख से भी दे खा जा सकता है , र्ह
इतना दरू है और इतनी माध्र्म रोशनी
का प्रतीत होता है के प्राचीन पवद्वानों
ने कभी भी इसे ग्रह का दजाय नहीिं
हदर्ा और इसे एक दरू हटमहटमाता
तारा ही समझा।
• १३ माचय १७८१ में पवललर्म हरशल ने
इसकी खोज की घोर्णा करी। अरुण
दरू बीन द्वारा ाए जाने वाला हला
ग्रह था।
वरुण
• वरुण, नॅप्टयन ू र्ा नॅप्चयनू हमारे
सौर मण्डल में सर् ू य से आठवााँ ग्रह
है ।
• व्र्ास के आधार र र्ह सौर मण्डल
का चौथा बडा और द्रव्र्मान के
आधार र तीसरा बडा ग्रह है ।
• खगोलीर् इकाई के हहसाब से वरुण
की कक्षा सरू ज से ३०.१ ख॰ई॰ की
औसत दरू ी र है , र्ातन वरुण थ् ृ वी
के मक़ ु ाबले में सरू ज से लगभग
तीस गन ु ा अगधक दरू है ।
• वरुण को सरू ज की एक रू ी
ररक्रमा करने में १६४.७९ वर्य लगते
हैं, र्ातन एक वरुण वर्य १६४.७९
थ्
ृ वी वर्ों के बराबर है ।
क्षुद्रग्रह घेरा
• क्षुद्रग्रह घेरा र्ा ऐस्टरौएड बॅल्ट हमारे सौर मण्डल का एक क्षेत्र है
जो मिंगल ग्रह (मासय) और बह ृ स् तत ग्रह (ज्र्पू टर) की कक्षाओिं के
बीच जस्थत है और जजसमें हजारों लाखो क्षुद्रग्रह (ऐस्टरौएड) सरू ज की
ररक्रमा कर रहे हैं।

• इनमें एक ९५० ककमी के व्र्ास वाला सीरीस नाम का बौना ग्रह भी


है जो अ ने स्वर्िं के गरु
ु त्वाकर्यक यखचाव से गोल अकार ा चक
ु ा
है ।

• र्हााँ तीन और ४०० ककमी के व्र्ास से बडे क्षुद्रग्रह ाए जा चक


ु े हैं -
वॅस्टा, ैलस और हाइजजआ।

• रू े क्षुद्रग्रह घेरे के कुल द्रव्र्मान में से आधे से ज़्र्ादा इन्ही चार


वस्तुओिं में तनहहत है । बाक़ी वस्तुओिं का अकार लभन्न-लभन्न है -
कुछ तो दलसर्ों ककलोमीटर बडे हैं और कुछ धल ू के कण मात्र हैं।

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