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Solarsysteminhindi 150903122738 Lva1 App6891 PDF
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• और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार पवशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव
ग्रह, काइ र घेरा और बबखरा चक्र शालमल हैं।
• सर्
ू य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मिंडल को
भेदता है ।
• सर्
ू य से तनकली ऊजाय का छोटा सा भाग ही थ् ृ वी र हुाँचता
है जजसमें से १५ प्रततशत अिंतररक्ष में रावततयत हो जाता है ,
३० प्रततशत ानी को भा बनाने में काम आता है और बहुत
सी ऊजाय ेड- ौधे समद्रु सोख लेते हैं।
सौर वायु
• सौरमिंडल सौर
वार्ु द्वारा बनाए गए
एक बडे बुलबुले से
तघरा हुआ है
जजसे हीलीर्ोजस्फर्र
कहते है । इस बल ु बल
ु े
के अिंदर सभी दाथय
सर् ू य द्वारा उत्सजजयत
हैं। अत्र्िंत ज़्र्ादा
उजाय वाले कण इस
बल ु बल ु े के अिंदर
हीलीर्ोस्फीर्र के
बाहर से प्रवेश कर
सकते है ।
• सौर वार्ु पवशेर्कर अत्र्गधक उजाय वाले इलेक्रॉन और प्रोटॉन
से बनी होती है , इनकी उजाय ककसी तारे के गरुु त्व प्रभाव से
बाहर जाने के ललए र्ायप्त होती है ।
• सर्
ू य के सिंदभय में इसे सौर वार्ु कहते है , अन्र् तारों के सिंदभय में
इसे ब्रह्माण्ड वार्ु कहते है ।
• र्म (बौना ग्रह) से काफी बाहर सौर वार्ु खगोलीर् माध्र्म (जो
हाइड्रोजन और हहलीर्म से बना हुआ है ) के प्रभाव से धीमी हो
जाती है ।
• गरु
ु त्वाकर्यण के लगातार प्रभाव से, इन डलों में टकराव और
जमावडे होते रहते हैं और धीरे -धीरे मलबे के बडे-बडे टुकडे बन
जाते हैं जो वक़्त से साथ-साथ ग्रहों, उ ग्रहों और अलग वस्तओ ु िं
का रू धारण कर लेते हैं।
• जो वस्तएु ाँ बडी होती हैं उनका गरु
ु त्वाकर्यण ताक़तवर होता है और
वे अ ने-आ को लसकोडकर एक गोले का आकार धारण कर लेती
हैं।
बुध
शुक्र
पथ्
ृ वी
मंगल
बह ृ स्पति
शतन
अरुण
वरुण
बध
ु
• र्ह सर्
ू य की एक ररक्रमा करने में ८८
हदन लगाता है । र्ह लोहे और जस्ते का
बना हुआ हैं।
• इसका ररक्रमा थ
108¸200¸000 ककलोमीटर
लम्बा है । इसका व्र्ास
12¸103.6 ककलोमीटर है ।