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श्रमस्य महत्त्वम्
श्रमस्य महत्त्वम्
िह ी अनु वाद :
शरीर के ारा मन से िकया गया काय म कहलाता है । म के िवना जीवन, जीवन नही ं है
। म के िवना न िव ा होती है, न प रवार और समाज म म का मह दे खा जाता है
। आिव ार करने वाले वै ािनक शारी रक और मानिसक म के ारा ही नये-नये पदाथ
का आिव ार करते ह । प र म के िवना भोजन भी दू लभ हो जाता है । अतः वचपन से ही
हम प र म करना चािहए । म के ारा ही रा , समाज और प रवार उ ित माग पर
चलता है ।
म से सब िमलता है, म िबना कुछ नही ं । सीधी उँ गली से घी िनकलता नही ं ।