Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 5

चम का रक फल देने वाला स कुं जका तो

By मे कंग इं डया डे क - 17th December 2016

स कुं जका तो और बीसा यं का अनु ान चम का रक फल देने वाला है . इसका योग कभी न फल नह ं होता है . इससे न सफ
अनु ान करने वाले ब क कई अ य लोग का भी भला होता है . शत सफ इतनी है क अनु ान करने वाले का मन शु हो और उसम
जनक याण क भावना न हत हो.

दरअसल सं पूण दुगा स शती ह एक महान मां क-तां क ं थ है . उसम भी स कुं जका तो और बीसा यं अनु ान सवा धक
भावशाली अनु ान म से है . इस अनु ान को पूण करने पर साधक कई व ाओं का पारं गत होने के साथ ह धन का अभाव, ह
अ र , भू म-मकान क ह नता, मुकदमे के सं कट, ववाह म कावट, तलाक सम या, घरेलु अशां त, पु का अभाव, रोजगार क कमी,
द र ता, कारोबार म अवन त आ द दूर होकर पूण अनुकूल फल मलता है .

आ थक से आने वाली क ठनाइयां तो इसे ारं भ करते ह समा हो जाती ह. चं हण, सूय हण, द पावली के तीन दन
(धनतेरस, चौदह, अमावस), र व-पु य-योग, र व-मूल-योग तथा महा-नवमी के दन रजत-यं   क ाण- त ा, पूजा द वधान कर.
इनम से जो समय आपको मले, साधना ारं भ कर.

41 दन तक व ध-पूवक पूजा द करने से स होती है . 42 दन नहा-धोकर अ -गंध से व छ भोज-प पर 41 यं बनाएं. पहला


यं अपने गले म धारण कर. बाक द न-दुखी, द र क सेवा म आव यकतानुसार बांट द.

ाण- त ा व ध

सव थम कसी वणकार से पं ह ाम का तीन इं च चौकोर चांद का प (यं ) बनवाएं. अनु ान ारं भ करने के दन ा -मुहुत म
उठकर नान करके सफे द धोती-कुता पहन.
कुशा का आसन बछाकर उस पर मृग-छाला बछाएं. मृग-छाला न मले तो कंबल बछाएं. उसके ऊपर पूव को मुख कर बै ठ जाएं.अपने
सामने लकड़ का एक पाटा रख. पाटे पर लाल कपड़ा बछाकर उस पर एक थाली ( ट ल क नह ं ) रख.

थाली म पहले से बनवाए हु ए चौकोर रजत-प को रख. रजत-प पर अ -गंध से यं लख. चं दन, अगर, के सर, कुंकुम, गोरोचन, शला-
रस, जटामासी, कपूर——- इन आठ को अ -गंध कहते ह. इ ह पीस कर याह बना ल और अनार या ब व या ब व वृ क टहनी
क लेखनी बना ल.

पहले यं क रेखाएं बनाएं. रेखाएं बनाकर बीच म ऊं लख. फर म य म (सारे अं क हं द म) ७, तब २, फर ३, तब ८ लख. इसके बाद
पहले खाने म १, दूसरे म ९ तीसरे म १०, चौथे म १४, छठे म ६ सातव म ५, आठव म ११ और नव म ४ लख. फर यं के ऊपर भाग
म- ऊं ऐं ऊं – लख. यं के नचली तरफ- ऊं लीं ऊं – लख. यं के उ र क तरफ-  ऊं ीं ऊं  - लख. यं के द ण क तरफ-  ऊं
लीं ऊं – लख.

ाण त ा

अब यं क ाण त ा कर. यथा- बायां हाथ दय पर रख और दाएं हाथ म पु प लेकर उससे यं को छुएं और न न ाण- त ा
मं को पढ़—ऊं आं ं यं रं लं वं शं षं सं हं हं सः सो-हं मम ाणः इह ाणाः, ऊं आं ं यं रं लं वं शं षं सं हं हं सः सोहं मम सव-
इ या ण इह-सव इ या ण, ओं आं ं यं रं लं वं शं षं सं हं हं सः सोहं मम वां- न ु - ो - ज ा- ाण- ाणा इहाग य सुखं चरं
त तु वाहा.

यं का पूजन

इसके बाद रजय यं के नीचे थाली पर एक पु प आसन के प म रखकर यं को सा ात भगवती च ड - व प मानकर पा ा द


उपचार से उनक पूजा कर. येक उपचार के साथ – समपया म च ड -यं े नमो नमः – वा य का उ चारण कर.

यथा—१-पा ं (जल) समपया म च ड -यं े नमो नमः.

२-अ य (जल) समपया म च ड -यं े नमो नमः.

३-आचमनं (जल) समपया म च ड -यं े नमो नमः.

४-गंगा-जलं समपया म च ड -यं े नमो नमः.

५-दु धं समपया म च ड -यं े नमो नमः.

६-घृतं समपया म च ड -यं े नमो नमः.

७-त पु पं (शहद) समपया म च ड -यं े नमो नमः.

८-इ ु - ारं (चीनी) समपया म च ड -यं े नमो नमः.


९-पं चामृतं (दूध, दह , घी, शहद, गंगाजल) समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१०-गंधम् (चं दन) समपया म च ड -यं े नमो नमः.

११-अ तान समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१२- पु प-मालां समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१३- म ा न- यं समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१४-धूपं समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१५-द पं समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१६-पूगी-फंल (सुपार ) समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१७-फलं समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१८-द णां समपया म च ड -यं े नमो नमः.

१९-आरतीं समपया म च ड -यं े नमो नमः.

तदं तर यं पर पु प चढ़ाकर न न मं बोल——–पु पे देवा सीद त, पु पे देवा सं थताः.


अब स -कुं जका- ते का पाठ कर यं को जागृत कर.

स -कुं जका- ते का पाठ

शव उवाच- ृ णु दे व! व या म, कुं जका- तो मु मम्. येन मं - भावेण, चं ड -जापः शुभो भवेत.् न कवचं नागला- तो ं , क लकं न
रह यकम्. न सू ं ना प यानं चं , न यास न च वाचनम्..कुं जका-पाठ-मा ेण, दुगा-पाठ-फलं लभेत.् अ त-गु तरं दे व! देवनाम प
दुलभम्. मारणं मोहनं व यं , तं भनो चाटना दकम्. पाठ-मा ेण सं स येत कुं जका- तो मु मम्..

मं ———ऊं ऐं ं लीं चामुंडायै व चे. ऊं ल हु ं लीं जं ू सः वालय वालय वल वल वल ऐं ं लीं चामुंडायै व चे वल हं


सं लं ंफ वाहा.
नम ते - प यै , नम ते मधु-म द न. नमः कैटभ-हा र यै , नम ते म हषा द न.नम ते शुंभ-हं यै च नशुभांसुर-घा तनी. जा तं ह
महादेवी! जपं स ं कु व म. ऐंकार सृ ृ पायै , ं कार तपा लका. लीकार काल- प यै , बीज- पे नमो तुत.े चामुंडा चं डघाती
च, यै कार वर-दा यनी. व चै चाभयदा न यं , नम ते मं - प ण. धां धीं धंू धूजटेः प ी, वां वीं वागधी र तथा. ां ं ंू का लका
देवी शां शीं शंू मे शुभं कु . हु ं हु ं हु ं कार प यै जं जं जं ज भना दनी. ां ीं ं ू भै रवी भ !े भवा यै ते नमो नमः. अं कं चं टं तं पं यं शं वीं
दुं ऐं वीं हं ं धजा ं धजा ं ोटय ोटय द ं ं कु -कु वाहा. पां पीं पंू पावती पूणा, खां खीं खं ू खेचर तथा. सां सीं संू स शती दे या
मं स ं कु व म.
फल ु त

इदं तु कुं जका- तो ं मं -जाग त-हेतवे. अभ े नैव दात यं , गो पतं र पाव त. य तु कुं जकया दे व! ह नां स शतीं पठे त.् न त य
जायते स रर ये रोदनं यथा.

फर यं क तीन बार द णा करते हु ए यह मं बोल———-या न का न च पापा न, ज मा तर-कृता न च. ता न ता न ण य तस


द णं पदे पदे. द णा करने के बाद यं को पुनः नम कार करते हु ए यह मं पढ़——एत या वं सादन, सव-मा यो भ व य स.
सव- प-मयी देवी, सव-देवी-मयं जगत्.अतो-हं व - पां तां, नमा म परमे र म्.

अं त म हाथ जोड़कर ाथना कर. यथा—-अपराध-सह ा ण, य ते-ह नशं मया. दासो-य म त मां म वा, म व परमे र.आवाहनं न
जाना म, न जाना म वसजनम्. पूजां चैव न जाना म, यतां परमे र.मं -ह नं या-ह नं , भ -ह नं सुरे र. यत्-पू जतं मया दे व!
प रपूण तद तु मे.आपराध-शतं कृ वा, जगद बे त चो चरेत.् या ग तः समवा नो त, न तां ादयः सुराः.सापराधो- म शरणं ,
ा य वां जगद बके . इदानीमनुक यो-हं , यथे छ स तथा कु .अ ाना व मृते ा या, य यूनम धकं कृतम्. तत् सव यतां
दे व! सीद परमे र.कामे र जग मातऋ, स चदानं द- व हे! गृहाणाचा ममां ी या, सीद परमे र.गु ा त-गु -गो ी वं ,
गृहाणा मत्-कृतं जपम्. स भवतु म दे व! वत् सादात् सुरे र.

वशेष

उ कार से 41 दन तक यं का पूजन कर स कुं जका तो का पाठ कर और व धवत नम कार कर. 42व दन जन-क याण
हेतु रोग, शोका द से पी ड़त दु खय का क दूर करने के लए ह इस यं का योग कर. य द नल भ भाव से पूजन और त ाक
जाएगी, तो सभी कार क सफलता मलेगी ह , साथ ह मां क कृपा भी योग-कता पर बनी रहेगी.

Share this:

 WhatsApp Share Share Save  Telegram

 Email  Print

Comments
2 comments
मे कंग इं डया डे क
http://makingindiaonline.in

You might also like