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Gurutva Jyotish Monthly E-Magazine November-2018
Gurutva Jyotish Monthly E-Magazine November-2018
com
151
ध त
ॊ न जोळी (स्लतॊि) रेखकों का स्लागत
वॊऩका
गुरुत्ल ज्मोततऴ वलबाग शैं...
गुरुत्ल कामाारम
गरु
ु त्ल ज्मोततऴ भासवक ई-ऩत्रिका
92/3. BANK COLONY,
BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018,
(ODISHA) INDIA
भें आऩके द्वारा सरखे गमे भॊि,
पोन
91+9338213418,
मॊि, तॊि, ज्मोततऴ, अॊक ज्मोततऴ,
91+9238328785, लास्तु, पेंगळई
ु , टै यों, ये की एलॊ
ईभेर
gurutva.karyalay@gmail.com,
अन्म आध्मात्त्भक सान लधाक
रेख को प्रकासळत कयने शे तु बेज
gurutva_karyalay@yahoo.in,
लेफ
www.gurutvakaryalay.com वकते शैं।
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ऩत्रिका प्रस्तुतत BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA
ध त
ॊ न जोळी, Call Us: 91 + 9338213418,
गुरुत्ल कामाारम 91 + 9238328785
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ध त
ॊ न जोळी,
gurutva.karyalay@gmail.com
गुरुत्ल कामाारम
अनुक्रभ
5- -2018 7 63
7- -2018 8 65
? 9 67
11 73
औ 14 76
- औ
16 78
18 । 80
औ
20 81
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22 82
23 84
151 27 87
35 89
39 90
41 92
42 93
45 97
औ - -
46 102
61
फॊध/ु फदशन
जम गुरुदे ल
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औ , ।
। । औ
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।
दशन्द ू धभा ळास्िों भें लर्णात शैं की धन फक दे ली रक्ष्भी शैं जो धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा प्रदान कयती शैं।
रेफकन त्रफना फवु ि के धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा व्मथा शैं। इवके ऩीछे भख्
ु म कायण शैं की बगलान श्री गणेळ वभस्त
वलघ्नों को टारने लारे शैं, दमा एलॊ कृऩा के भशावागय शैं, एलॊ तीनो रोक के कल्माण शे तु बगलान गणऩतत वफ प्रकाय वे
मोग्म शैं। वभस्त वलघ्न फाधाओॊ को दयू कयने लारे गणेळ वलनामक शैं। अत् फुवि फक प्रात्तत के सरमे फुवि औय वललेक
के अधधऩतत दे लता गणेळ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। गणेळजी वभस्त सवविमों को दे ने लारे दे लता भाना गमा
शै । क्मोफक वभस्त सवविमाॉ बगलान गणेळ भें लाव कयती शैं। इव सरमे रक्ष्भीजी के वाथ भें श्री गणेळजी फक
आयाधना आलश्मक शैं।
एवी ऩौयार्णक भान्मता शैं फक धन तेयव के ददन धनलॊतयी नाभक दे लता अभत
ृ करळ के वाथ वागय
भॊथन वे उत्ऩन्न शुए थे। धनलॊतयी धन, स्लास्थम ल आमु के अधधऩतत दे लता शैं। धनलॊतयी को दे लों के लैध ल
ध फकत्वक के रुऩ भें जाना जाता शैं।
धन तेयव के ददन ाॊदी के फतान-सवक्के खयीदना वलळेऴ ळुब शोता शैं। क्मोफक ळास्िों भें धनलॊतयी दे ल
को ॊद्रभा के वभान भाना गमा शैं। धन तेयव के धनलॊतयी के ऩूजन वे भानसवक ळात्न्त, भन भें वॊतोऴ एल
स्लबाल भें वौम्मता का बाल आता शैं। जो रोग अधधक वे अधधक धन एकि कयने फक काभना कयते शों उन्शें
धनलॊतयी दे ल फक प्रततददन आयाधना कयनी ादशए।
धनतेयव ऩय ऩज
ू ा कयने वे व्मत्क्त भें वॊतोऴ, स्लास्थम, वख
ु ल धन फक वलळेऴ प्रात्तत शोती शैं। त्जन
व्मत्क्तमों के उत्तभ स्लास्थम भें कभी तथा वेशत खयाफ शोने फक आळॊकाएॊ फनी यशती शैं उन्शें वलळेऴ रुऩ वे
इव ळुब ददन भें ऩूजा आयाधना कयनी ादशए। धनतेयव भें खयीदायी ळुब भानी जाती शैं। रक्ष्भी जी एलॊ गणेळ
जी फक ाॊदी फक प्रततभा-सवक्को को इव ददन खरयदना धन प्रात्तत एलॊ आधथाक उन्नतत शे तु श्रेष्ठ शोता शैं।
धनतेयव के ददन बगलान धनलन्तयी वभुद्र वे अभत ृ करळ रेकय प्रकट शुए थे, इवसरमे धनतेयव के ददन खाव
तौय वे फतानों फक खयीदायी फक जाती शैं। इव ददन स्टीर के फतान, ाॊदी के फतान खयीदने वे प्रातत शोने लारे
ळुब परो भें कई गुणा लवृ ि शोने फक वॊबालना फढ़जाती शैं।
भाॊ रक्ष्भी फक कृऩा प्रातत कयने शे तु एलॊ उनका स्थामी तनलाव शो वके इव उद्देश्म वे घय-दक
ु ान-
व्मलवातमक कामाारम भें दीऩालरी के ददन रक्ष्भी ऩूजन शे तु ददन के वफवे ळुब भुशूता को सरमा जाता शैं।
दीऩालरी ौ़डडमा भश ु ू ता वभम को घय ल ऩरयलाय भें रक्ष्भी ऩूजन कयने के सरमे ळुब भाना जाता शैं।
श्रीभशारक्ष्भी ऩूजन एलॊ दीऩालरी का भशाऩला कातताक कृष्ण अभालस्मा भें प्रदोऴ कार एलॊ यात्रि वभम भें त्स्थय
रग्न वभम भें कयना ळुब शोता शै रक्ष्भी ऩूजन, दीऩ प्रजलत्ल्रत कयने के सरमे प्रदोऴकार भुशूता वभम शी
वलळेऴतमा ळुब भाना गमा शैं।
आज के बौततक मुग भें शय व्मत्क्त की ाश शोती शैं की उवे अधधक वे अधधक धन-वॊऩत्त्त एलॊ ऐश्लमा
प्रातत शो। शय व्मत्क्त अऩनी धन-वॊऩत्त्त को ददन दोगुनी यात ौगुनी यफ्ताय वे फढ़ाना ाशते शैं, इवसरए
व्मत्क्त रक्ष्भी प्रात्तत शे तु वलसबन्न भॊि, मॊि एलॊ तॊि के प्रमोगो को अऩना कय रक्ष्भी कायक वलसबन्न
वाभग्रीमों को अऩने घय, दक
ु ान, ऑफपव आदद व्मलवामीक स्थान ऩय स्थावऩत कय उवका ऩूजन-अ न
ा कयते
शैं।
त्जन रोगों ने रक्ष्भी प्रात्तत के सरए अऩने घय भें वख
ु वभवृ ि कायक वलसबन्न दर
ु ब
ा वाभग्रीमाॊ जैवे
श्रीमॊि, दक्षषणालतता ळॊख इत्मादद वाभग्री को अऩने घय भें ऩशरे वे स्थावऩत कय उवका तनमसभत ऩूजन-अ न
ा
कय यशे शो, उन्शें अधधक राब की प्रात्तत शे तु रक्ष्भी प्रात्तत के अन्म वयर उऩामों को बी अऩने जीलन भें
अलश्म आजभाना ादशए अथला त्जन रोगों ने इन रक्ष्भी कायक दर
ु ब
ा लस्तुओॊ को अबी तक अऩने घय भें को
स्थावऩत नशीॊ फकमा शैं मा लश रोग इव वाभग्रीमों को स्थावऩत कयने भें अवभथा शैं, उन रोगों को रक्ष्भी
प्रात्तत शे तु मशाॊ ददमे गमे अनुबूत उऩामो को अऩनाकय जीलन भें तनत्श् त रुऩ वे वुख-वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा प्रातत
कयने का प्रमाव कयना ादशए एलॊ इन उऩामों वे राब की प्रात्तत शोने ऩय वलसबन्न दर
ु ब
ा लस्तुओॊ को प्रातत
कय अऩने घय भें अलश्म स्थावऩत कय उवना तनमसभत ऩूजन-अ न
ा कयना ादशए। दीऩालरी के ळुब भुशूता भें
धन प्रात्तत के वलळेऴ उऩामों को प्रायॊ ब कय तनत्श् त रुऩ वे अऩने जीलन भें धन-लैबल, वख ु -वभवृ ि का
आगभन फकमा जा वकता शैं।
इव अॊक भें ऩाठको के भागायळन शे तु रक्ष्भी प्रात्तत के वयर उऩामों को 3 बागों भें ददमा गमा शैं, जो
क्रभळ: दीऩलरी ऩय कयें धन प्रात्तत शे तु वलळेऴ उऩाम, दै तनक जीलन भें अऩनामे रक्ष्भी प्रात्तत के वयर उऩाम
औय दरयद्रता तनलायण शे तु वलळेऴ उऩाम शैं।
दीऩालरी ऩय फकमे जाने लारे उऩामों को आलश्मक्ता अनुवाय अन्म ळुब भुशूता एलॊ अलवयों ऩय फकमा
जा वकता शैं। वलद्वानों का अनुबल शैं की इन दीऩालरी ऩला ऩय फकमे जाने लारे धन प्रात्तत के उऩामों को
दीऩालरी ऩय कयने वे वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं।
इव अॊक भें प्रकासळत दीऩोत्वली वलळेऴ वे वॊफॊधधत जानकायीमों के वलऴम भें वाधक एलॊ वलद्वान ऩाठको वे
अनयु ोध शैं, मदद दळाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामों के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन,
प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भें, डडजाईन भें , टाईऩीॊग भें , वप्रॊदटॊग भें , प्रकाळन भें कोई िुदट यश गई शो, तो उवे
स्लमॊ वुधाय रें मा फकवी मोग्म ज्मोततऴी, गुरु मा वलद्वान वे वराश वलभळा कय रे । क्मोफक वलद्वान
ज्मोततऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के तनजी अनुबल वलसबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना, उऩाम के प्रबालों का
लणान कयने भें बेद शोने ऩय रक्ष्भी प्रात्तत शे तु की जाने लारी ऩूजन वलधध एलॊ उवके प्रबालों भें सबन्नता
वॊबल शैं।
आऩका जीलन वख
ु भम, भॊगरभम शो भाॊ रक्ष्भी की कृऩा आऩके ऩरयलाय ऩय
फनी यशे । भाॊ भशारक्ष्भी वे मशी प्राथना शैं…
ध त
ॊ न जोळी
6 - 2018
2018 (दीऩालरी) को बायतीम वभम अनुवाय नई ददल्री भें वूमाास्त वॊध्मा 05 फज कय 31 सभतनट ऩय शोगा। वॊध्मा
05 फज कय 31 सभतनट वे आयम्ब शोकय यात के 07 फजकय 55 सभनट तक का वभम प्रदोऴ कार यशे गा। 7 नलम्फय
2018 को वाॊम 05:58 वे रेकय यात 07:54 के भध्म त्स्थय रग्न (लऴ
ृ ब) यशे गा, मश वॊमोग प्रदोऴ भुशुता वभम भें शोने
के कायण घय-ऩरयलाय भें स्थामी रक्ष्भी की प्रात्तत शोती शै । प्रदोऴ कार ल त्स्थय रग्न दोनों का वॊमोग वॊध्मा 05.58:00
फजे वे रेकय यािी 07:54:00 फजे तक का वभम यशे गा त्जववे भश
ु ु ता की ळब
ु ता भें लवृ ि शोती शैं। प्रदोऴ कार के दौयान
वॊध्मा 06:00 फजे तक राब ौघडडमा एलॊ 07:30 वे ळुब ौघडडमा शोने वे भुशुता की ळुबता भें लवृ ि शोती शैं।
त्जवभें वलळेऴ रूऩ वे श्री गणेळऩूजन, श्री भशारक्ष्भी ऩूजन, कुफेय ऩूजन, व्माऩारयक खातों का ऩूजन, दीऩदान एलॊ
इव वभम के अॊतगात अऩने वेलकों को उऩशाय दे ना ळुब यशता शैं। इव भुशूता वभम भें अऩने ऩरयलाय के फडे वदस्मों एलॊ
सभि लगा वे आळीलााद रेना एलॊ उन्शें सभठाईमाॊ, लस्ि ल उऩशाय आदद दे ना बी ळुब यशता शैं। वलद्वानो के भत वे इव
भुशूता भें ऩरयलाय के फडे वदस्मों एलॊ सभि लगा वे प्रातत शोने लारा आळीलााद ळुब परप्रद सवि शोता शैं। इव भुशूता वभम
भें भॊददय इत्मादद धभास्थरो ऩय दान इत्मादद कयना बी वलळेऴ राब दामश एलॊ कल्माणकायी शोता शैं।
दीऩालरी ौघडडमाॊ भश
ु ू ता
दीऩालरी ौ़डडमा भश
ु ू ता वभम को घय ल ऩरयलाय भें रक्ष्भी ऩज
ू न कयने के सरमे ळब ु भाना जाता शैं। श्रीभशारक्ष्भी
ऩज
ू न एलॊ दीऩालरी का भशाऩला कातताक कृष्ण अभालस्मा भें प्रदोऴ कार एलॊ यात्रि वभम भें त्स्थय रग्न वभम भें कयना ळब ु
शोता शै रक्ष्भी ऩज
ू न, दीऩ प्रजलत्ल्रत कयने के सरमे प्रदोऴकार भश
ु ू ता वभम शी वलळेऴतमा ळब
ु भाना गमा शैं।
रक्ष्भी ऩूजा भुहूतत दीऩावारी के ददन
राब भह ु ू तत सफ
ु ह 06.00 से 07.30 तक शब
ु भह
ु ू तत यात 07.30 से 09.00 तक
अभत
ृ भह
ु ू तत सफ
ु ह 07.30 से 09.00 तक अभत
ृ भह
ु ू तत यात 09.00 से 10.30 तक
शब
ु भहु ू तत ददन 10.30 से 12.00 तक राब भह
ु ू तत यात 03.00 से 04.30 तक
राब भह ु ू तत ददन 04.30 से 06.00 तक
नोट: उऩयोक्त लर्णात वम
ू ाास्त का वभम तनयधायण नई ददल्री के अषाॊळ ये खाॊळ के अनव
ु ाय आधुतनक ऩितत वे फकमा गमा शैं।
इव वलऴम भें वलसबन्न भत एलॊ वम
ू ाास्त सात कयने का तयीका सबन्न शोने के कायण वम
ू ाास्त वभम का तनयधायण सबन्न शो
वकता शैं। वम
ू ाास्त वभम का तनयधायण स्थातनम वम
ू ाास्त के अनव
ु ाय दश कयना उध त शोगा।
9 - 2018
रगाने लारे उन ऩयभ भॊगरभम भशात्भा ऋवऴमों ने उन भथने रगे। उव वभम उव वभद्र
ु वे भददया, बाॉग,
गौओॊ का दान स्लीकाय फकमा। तत्ऩश् ात वफ रोग फडे काकडासवॊगी, रशवन
ु , गाजय, अत्मधधक उन्भादकायक
जोळ भें आकय षीयवागय को भथने रगे। तफ वभद्र
ु वे धतयू तथा ऩष्ु कय आदद फशुत-वी लस्तए
ु ॉ प्रकट शुईं। इन
कल्ऩलष
ृ , ऩारयजात, आभ का लष
ृ औय वन्तान- मे ाय वफको बी वभुद्र के फकनाये एक स्थान ऩय यख ददमा
ददव्म लष
ृ प्रकट शुए। गमा। तत्ऩश् ात ले श्रेष्ठ दे लता औय दानल ऩन
ु : ऩशरे
वभुद्र भॊथन आयम्ब फकमा। इव फाय के भॊथन वे वे वम्ऩूणा दळों ददळाओॊ भें ददव्म प्रकाळ व्मातत शो गमा
यत्नों भें वफवे उत्तभ यत्न कौस्तुब उव ददव्म प्रकाळ वे दे ली भशारक्ष्भी प्रकट
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11 - 2018
रक्ष्भी जी लशीॊ खडी फशन ज्मेष्ठा के क्रोध ओय त्रफक गईं। औय आगे दे खती जाओॊ मश लन्नी बी
अशॊ काय ऩय भस्
ु कयाती यशीॊ। दव
ू ये ददन दोनों फशनें तम्
ु शाये बक्त के ऩाव नशीॊ रूकेगी। रो, उवके ऩीछे
अनयु ाधाऩयु के वलष्णु भॊददय भें लेळ फदर कय ऩशुॉ ीॊ। रते शैं औय दे खते शैं फक क्मा शोता शैं। दोनों फशने
वाधायण त्स्िमों फक तयश ले दोनों भॊददय के द्वाय ऩय फैठ दीनानाथ के ऩीछे −ऩीछे रने रगीॊ। एक ताराफ के ऩाव
गईं। स्थातनम रोगों ने दोनों को दे खा अलश्म, फकॊतु दीनानाथ ने डोर ी यख दी औय कभर के पूर तोडने
फकवी ने उनकी ओय कोई ऺाव ध्मान नशीॊ ददमा। ध्मान रगा। उवी फी एक यलाशे का रडका आमा औय
दे ने लारी कोई ऺाव फात बी नशीॊ थी । लश भॊददय था डोर ी भें यखी शुई लन्नी रेकय बाग गमा। दीनानाथ
औय लशाॉ शय योज दीन द्ु खी आते−जाते यशते थे। ऩॊडडत को ऩता शी नशीॊ रा। पूर तोडकय लश अऩने घय
थोडी दे य फाद लशाॉ दीनानाथ ऩॊडडत आमा। दोनों जाने रगा। इतने भें लशी रडका आता शुआ ददखाई ददमा
फशनों फक नजयें उव ऩय जभ गईं। ऩूजा कयके जफ त्जवने लन्नी दे कय उववे फाॊव रे सरमा था। कयीफ
दीनानाथ रौटने रगा तो ज्मेष्ठा ने कशा, रक्ष्भी लश आकय लश फोरा, ऩॊडडत जी मश फाॊव तो फशुत लज़नी शैं।
तुम्शाया बक्त आ यशा शैं। फन ऩडे तो उवकी कोई दादाजी ने कशा शैं फक कोई शल्का फाॊव ादशए। इवकी
वशामता कयो। शाॉ, कयती शूॉ। कशकय रक्ष्भी जी ने एक ायऩाई ठीक न शोगी। मश रीत्जए, आऩ अऩना फाॊव
ऩोरा फाॊव दीनानाथ के यास्ते भें यख ददमा त्जवभें वोने लाऩव रे रीत्जए। कशकय उवने फाॊव ऩॊडडत जी के शलारे
फक भोशयें बयी शुई थीॊ। ज्मेष्ठा ने फाॊव को छूकय कशा, कय ददमा।
अफ तुभ भेया प्रबाल बी दे ख रो। ऩज ू ा कयके रौट यशे दीनानाथ ने फाॊव रे सरमा। लन्नी लाऩव कयने
दीनानाथ ने यास्ते भें ऩडा शुआ लश फाॊव का टुकडा उठा के सरमे डोर ी भें शाथ डारा तो दे खा लन्नी तो
सरमा। उवने वल ाय फकमा फक लश फकवी काभ आ डोर ी भें शैं नशीॊ। तफ उवने कशा, फेटा, लन्नी तो कशीॊ
जाएगा। घय भें वौ ज़रूयतें शोती शैं। धगय गई। तुभ भेये वाथ घय रो, लशाॉ वे तुम्शें दव
ू यी दे
अबी लश ऩॊडडत कुछ शी आगे फढ़ा था फक उवे दॉ ग
ू ा। इव वभम भेये ऩाव एक बी ऩैवा नशीॊ शैं। ऩॊडडत
यास्ते भें एक रडका सभरा। रडके ने ऩशरे दीनानाथ जी तफ आऩ जाइए। भैं ळाभ को आकय घय वे रे रॉ ग
ू ा।
ऩॊडडत वे याभ−याभ फक, फपय फडी शी नम्रता वे फोरा, मश कशकय रडका अऩनी याश रौट गमा। फाॊव फपय वे
ऩॊडडत जी भुझे अऩनी ायऩाई के सरए त्रफल्कुर ऐवा शी ऩॊडडत जी के शी ऩाव आ गमा औय रक्ष्भी जी शौरे वे
फाॊव ादशए। दादा जी ने मश कशकय बेजा शैं फक जाओ, भुस्कयाईं। उनको इव प्रकाय भुस्कयाते दे खकय ज्मेष्ठा
फाज़ाय वे रे आओ। ऐवा फाॊव ऩॊडडत जी कशाॉ सभरेगा? भन शी भन भें जर उठीॊ। लश फोरीॊ, 'अबी तो खेर ळरू
ु
दीनानाथ ने कशा, भैंने इवे भोर दे कय नशीॊ सरमा। यास्ते शी शुआ शैं।
भें ऩडा था; वो उठा रामा। रो, तम्
ु शें ज़रूयत शै तो तभ
ु दे खती रो भैं इवे कैवे ना
न ाती शूॉ।
शी यख रो। लैवे फाज़ाय भें एक रुऩमे वे कभ का नशीॊ दीनानाथ ऩॊडडत फे ाया इन वफ फातों वे फेऺफय अऩनी
शैं। रडके ने लन्नी दे ते शुए कशा, भगय भेये ऩाव तो मश शी धन
ु भें आगे फढ़ा रा जा यशा था। आगे रकय
लन्नी शी शैं, ऩॊडडत जी। अबी तो आऩ इवे शी यर्खए, गाॉल का एक अशीय सभरा। उवने दीनानाथ ऩॊडडत को
फाकी फायश आने ळाभ को दे जाऊॉगा। ऩॊडडत जी खळ
ु थे लन्नी लाऩव कयते शुए फतामा, ऩॊडडत जी भेया रडका
फक त्रफना फकवी भशे नत के एक रुऩमा कभा सरमा। आऩकी डोर ी वे मश लन्नी उठा रामा था। लश फडा
दीनानाथ ऩॊडडत ने लन्नी रेकय फाॊव रडके को दे ददमा शी ळैतान शैं। भैं आऩकी लशी लन्नी रौटाने आमा शूॉ।
औय लश लन्नी अऩनी डोर ी भें यख दी। शो वके तो उव ळैतान को भाप कय दीत्जएगा। दीनानाथ
भॊददय के ऩाव खडी दोनों फशनें मश वायी रीरा ऩॊडडत ने आळीलााद दे कय लन्नी रे री औय प्रवन्न भन
दे ख यशी थीॊ। ज्मेष्ठा ने कशा, रक्ष्भी दे खा तुभने? वे उव रडके को ऩुकायने रगा जो ळाभ को घय आकय
तुम्शायी इतनी वायी वोने फक भोशयें भाि एक लन्नी भें लन्नी रेने फक फात कशकय रौटा जा यशा था। आलाज़
13 - 2018
वन
ु कय रडका रौट आमा। अऩनी लन्नी लाऩव ऩाकय शो गए औय उवके बीतय बयी शुईं वोने फक भोशयें
लश बी प्रवन्न शो गमा। दीनानाथ ऩॊडडत तनत्श् त
ॊ भन खन−खनाकय त्रफखय गईं, जैवे रक्ष्भी शॉ व यशी शो।
वे घय फक ओय फढ़ने रगा। उवके एक शाथ भें ऩज
ू ा फक दीनानाथ ऩॊडडत के भॉश
ु वे शै यतऩण
ू ा ीख−वी
डोर ी थी औय दव
ू ये भें लशी रम्फा फाॊव। तनकरी, अये थोडी दे य के सरए लश ठगा−वा खडा आॉखें
याश रते दीनानाथ ऩॊडडत वो यशा था, मश फाॊव पाडे, उन भोशयों फक ओय दे खता यशा। एक ऩर के सरए
तो काफी लज़नी शैं। लज़नी शैं तो भजफत
ू बी शोगा, तो लश वाॉऩ को बर
ू शी गमा था। कुछ ऩर फाद जैवे
क्मोंफक ठोव शैं। इवे दयलाजे के छतऩय भें रगा दॉ ग
ू ा। उवे झटका−वा रगा। वाॉऩ का ध्मान आते शी उवने
ज्मेष्ठा को उवके वल ाय ऩय क्रोध आ गमा। रक्ष्भी जी उवकी ओय गयदन घुभामी, तो दे खा फक फाॊव फक ोट वे
के प्रबाल वे दीनानाथ ऩॊडडत को राब शोता दे ख लश भन वाॉऩ फक कभय टूट गमी शैं औय लश रशूरुशान अलस्था
शी भन फुयी तयश जरी जा यशीॊ थीॊ। जफ उन्शोंने दे खा भें झाडी फक ओय बागा जा यशा शैं।
फक ऩॊडडत का घय हयीफ आ गमा शै तो कोई उऩाम न दव
ू ये षण लश भोशयों ऩय रोट गमा औय कशने
ऩाकय उन्शोंने दीनानाथ को भायने डारने का वल ाय रगा, तेयी जम हो रक्ष्भी भाता! जीलन−बय का दारयद्रम
फकमा। उन्शोंने कशा, रक्ष्भी धन−वम्ऩत्त्त तो भैं छीन शी आज दयू शो गमा। तेयी भदशभा कौन जान वकता शैं।
रेती शूॉ, अफ तुम्शाये बक्त के प्राण बी रे रॉ ग
ू ी। दे खो, लश रो, अफ घय भें फैठकय तुम्शायी ऩूजा−आयती करूॉगा।
फकव तयश तडऩ−तडऩ कय भयता शैं। औय फपय जल्दी−जल्दी उवने वायी भोशयें अॊगोछे भें फाॉध
इतना कशकय ज्मेष्ठा तुयॊत वाॉऩ फनकय दीनानाथ दीॊ औय रम्फे−रम्फे कदभों वे घय फक ओय र ददमा।
फक ओय दौड ऩडीॊ। रक्ष्भी जी को ततनक बी घफयाशट ऩीछे एक ऩेड फक छामा भें खडी रक्ष्भी अऩनी
नशीॊ शुई। लश उवी तयश खडी भुस्कयाती यशीॊ। वाॉऩ दे ख फशन ज्मेष्ठा वे भुस्कयाकय ऩूछ यशीॊ थीॊ, कशो फशन व
कय वशवा दीनानाथ ऩॊडडत ौंक ऩडा। वाॉऩ पन उठाए फताना, फडतऩन फक थाश सभरी फक अबी नशीॊ? फडतऩन
उवकी ओय झऩट यशा था। प्राण तो वबी को वप्रम शोते फकवी को कुछ दे ने भें शी शै , उववे छीनने भें नशीॊ।
शैं। उऩाम यशते कोई अऩने को वॊकट भें नशीॊ ऩडने दे ता। ज्मेष्ठा ने कोई उत्तय नशीॊ ददमा। लश ऩ
ु ाऩ
दीनानाथ ने ऩगडॊडी लारा यास्ता छोड ददमा औय एक उदाव खडी यशीॊ। रक्ष्भी जी ने उनका शाथ ऩकडकय
ओय को बागने रगा। रेफकन वाॉऩ फनी ज्मेष्ठा उवे कशा, फपय बी, शभ दोनों फशनें शैं। जशाॉ यशें गीॊ, वाथ शी
बरा कशाॉ छोडने लारी थीॊ। लश तो उव ऻयीफ के प्राणों यशें गीॊ। आओ, अफ रें।
फक तमावी शो क
ु ी थीॊ। लश बी दीनानाथ के आगे−ऩीछे ,
दाएॊ−फाएॊ फयाफय दौडती शी यशीॊ। दीनानाथ घफया गमा।
उवने शाथ जोडकय कशा, नाग दे लता भैंने तम्
ु शाया कुछ
नशीॊ त्रफगाडा। ळाॊतत वे अऩनी याश रौट जाओ। आर्खय
क्मों भझ
ु ऻयीफ के ऩीछे ऩडे शो? व्मथा भें फकवी ब्राह्भण
को वताना अच्छी फात नशीॊ शै ।
रेफकन लश नाग तो ज्मेष्ठा का रूऩ था, जो
दीनानाथ ऩॊडडत को फकवी बी तयश डवना ाशता था।
प्राथाना ऩय कुछ बी ध्मान न दे कय लश वाॉऩ एक फायगी
पुपकायता शुआ झऩट ऩडा। जफ दीनानाथ ने दे ख सरमा
फक त्रफना वॊघऴा फकए अफ जान नशीॊ फ ग
े ी तो उवने 11 Pcs x 4 Colour Only Rs.370
प्राण−यषा के सरए बयऩयू जोय रगाकय लशी फाॊव वाॉऩ 21 Pcs x 4 Colour Only Rs.505
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14 - 2018
प्राध न कार वे दश बायतीम वॊस्कृतत भें अनेक ऩला-त्मौशाय भनाए
जाते शैं। इन त्मौशायों भें कातताक भाव फक अभालस्मा को दीऩालरी का
वलळेऴ भशत्ल शैं। क्मोफक दीऩालरी खसु ळमों का त्मौशाय शैं। दीऩालरी
के ददन बगलान गणेळ ल रक्ष्भी के ऩूजन का वलळेऴ भशत्ल शैं।
इव ददन गणेळ जी फक ऩूजा वे ऋवि-सववि फक प्रात्तत शोती शैं
एलॊ रक्ष्भी जी के ऩूजन वे धन, लैबल, वुख, वॊऩत्त्त फक प्रात्तत
शोती शैं।
ऩूजन साभग्री :
ऩूजन ववधध :
दीऩक ऩज
ू न :
दीऩक जीलन वे असान रुऩी अॊधकाय को दयू कय जीलन भें सान के प्रकाळ का प्रतीक शैं। दीऩक को इश्लय
का तेजस्ली रूऩ भान कय इवकी ऩूजा कयनी ादशए। ऩूजा कयते वभम अॊत्कयण भें ऩूणा श्रिा एलॊ ळुि बालना
यखनी ादशए। दीऩालरी के ददन ऩारयलारयक ऩयॊ ऩयाओॊ के अनुवाय ततर के तेर के वात, ग्मायश, इक्कीव अथला इनवे
अधधक दीऩक प्रज्लसरत कयके एक थारी भें यखकय कय ऩूजन कयने का वलधान शैं।
उऩयोक्त ऩज
ू न के ऩश् मात घय फक भदशराएॊ अऩने शाथ वे वोने- ाॊदी के आबऴ
ू ण इत्मादद वश
ु ाग फक वॊऩण
ू ा
वाभग्रीमाॊ रेकय भाॊ रक्ष्भी को अवऩात कयदें । अगरे ददन स्नान इत्मादद के ऩश् मात वलधध-वलधान वे ऩज
ू न के फाद
आबऴ
ू ण एलॊ वश
ु ाग फक वाभग्री को भाॊ रक्ष्भी का प्रवाद वभजकय स्लमॊ प्रमोग कयें । एवा कयने वे भाॊ रक्ष्भी फक
कृऩा वदा फनी यशती शै।
जीलन भें वपरता एलॊ आधथाक त्स्थतत भें उन्नतत के सरए सवॊश रग्न अथला त्स्थय रग्न का न
ु ाल कय
श्रीवूक्त, कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयें ।
दीऩालरी ऩज
ू न के वभम गणेळ एलॊ रक्ष्भी के वाथ वलष्णु जी का ऩज
ू न अलश्म कयें त्जस्वे घयभें त्स्थय
रक्ष्भी का तनलाव शो वके। रक्ष्भी जी के दादशनी ओय वलष्णु जी औय फाईं ओय गणेळ जी फक स्थाऩना कयनी
ादशए।
त्स्थय रक्ष्भी फक काभना शे तु दक्षषणालतॉ ळॊख, भोती ळॊख, गोभती क्र इत्मादद को ळास्िों भें रक्ष्भी के
वशोदय बाई भाना गमा शैं। इन दर
ु ब
ा लस्तुओॊ फक स्थाऩना कयने वे रक्ष्भी जी प्रवन्न शोती शैं।
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16 - 2018
लऴो तक घोय तऩस्मा फक त्जववे प्रवन्न शोकय सळलजी वाषात भशारक्ष्भी तनत्म लाव कयती शैं। याजाधधयाज
ने कुफेय को मषों का अधधश्लय फना ददमा धनाध्मष कुफेय अऩनी वबा भें फैठकय अऩने लैबल(धन)
कुफेय ने त्जव स्थान ऩय तऩस्मा फक उव स्थान एलॊ तनधधमों का दान कयते शैं।
का नाभ कुफेय तीथा ऩडा, जशाॊ कुफेय को अनेक लयदान इवसरए कुफेय फक ऩूजा-अ न
ा ा वे उनकी
प्रातत शुले। रूद्र के वाथ सभिता, धन का स्लासभत्ल, प्रवन्नता प्रातत कय भनुष्म लैबल(धन) प्रातत कय रेता
ददक्ऩारत्ल एलॊ नर कुफेय नाभक ऩि
ु आदद लय प्रातत शैं। धन िमोदळी एलॊ दीऩालरी ऩय कुफेय वलळेऴ ऩज
ू ा-
शोते शी धन एलॊ नल तनधधमों का स्लाभीत्ल कुफेय को अ न
ा ा फक जाती शैं जो ळीघ्र पर प्रादान कयने लारी
प्रातत शुलाॊ। उव स्थान ऩय आकय भरूद्गणों ने कुफेय का भानी जाती शैं।
असबऴेक फकमा, ऩुष्ऩक वलभान बेट दे कय कुफेय को मषों
का याजा फना ददमा। उव स्थान ऩय याज्मश्री के रूऩ भें
***
दीऩालरी वे जुडी रक्ष्भी कथा
बायतीम वॊस्कृतत भें दीऩालरी के त्मोशाय फक फडी रोक वप्रम कथा प्र सरत शैं।
कथा: एक फाय कातताक भाव की अभालव को रक्ष्भीजी ऩथ्
ृ ली भ्रभण ऩय तनकरीॊ। अभालव फक कारी छामा के कायण
ऩथ्
ृ ली के ायों ओय अॊधकाय व्मातत था। त्जव कायण दे ली रक्ष्भी यास्ता बूर गईं। रक्ष्भी जी नी तनश् म फकमा फक
यात्रि का प्रशय ले भत्ृ मुरोक भें व्मतीत कय रेंगी औय वूमोदम के ऩश् ात ऩुन् फैकॊु ठधाभ रौट जाएॉगी, ऩयॊ तु रक्ष्भी जी
ने ऩामा फक ऩथ्
ृ ली ऩय वबी रोग अऩने-अऩने घयों भें द्वाय फॊद कय वो यशे शैं।
तबी अॊधकाय वे बये ऩथ्
ृ ली रोक भें उन्शें एक द्वाय खर
ु ा ददखा त्जवभें एक दीऩक फक ज्मोतत दटभदटभा यशी
थी। रक्ष्भी जी उव प्रकाळ फक ओय ऩशुॊ कय लशाॉ उन्शोंने एक लि
ृ भदशरा को यखा राते दे खा। लि
ृ भदशरा वे
यात्रि वलश्राभ की अनुभतत भाॉग कय रक्ष्भी जी फुदढ़मा की कुदटमा भें रुकीॊ।
ल ृ ्ि भदशरा ने रक्ष्भी जी को वलश्राभ के सरमे त्रफस्तय प्रदान कय ऩुन: अऩने कामा भें व्मस्त शो गई। यखा
राते- राते लिा
ृ ् की आॉख रग गई। दव
ू ये ददन उठने ऩय लि
ृ भदशरा ने ऩामा फक अततधथ भदशरा लशाॊ वे जा क
ु ी
शैं रेफकन कुदटमा के स्थान ऩय वलळारभशर खडा था। त्जवभें ायों ओय धन-धान्म, यत्न-जेलयात इत्मादद त्रफखये शुए
थे।
एवी भान्मता शैं फक तबी वे कातताक अभालव (दीऩालरी)फक यात को दीऩ जराने की प्रथा री आयशी शैं।
दीऩालरी के यािी कार भें रोग द्वाय खोरकय रक्ष्भीदे ली के आगभन फक प्रतीषा कयने फक ऩयॊ ऩया री आयशी शैं।
क्मोकी रोगो का तत्ऩमा मश शैं फक भाॉ रक्ष्भी दे ली त्जव प्रकाय उव लि
ृ ा ऩय प्रवन्न शुईं उवी प्रकाय वफ ऩय
प्रवन्न शों।
कथा साय: दीऩालरी फक यात भाि दीऩ जराने औय द्वाय खर
ु े यखने वे रक्ष्भी जी घय भें तनलाव नशीॊ कयती! रक्ष्भी
जी वलश्राभ कयती शैं। क्मोंफक दे ली रक्ष्भी तो ॊ र शैं। लश एक स्थान ऩय अत्स्थय नशीॊ यशती। अऩना आसळऴ दे कय
रीजाती शैं। त्जवके पर स्लरुऩ आने लारे लऴा बल भें भाॊ रक्ष्भी के बक्त को फकवी प्रकाय के द्ु ख, दरयद्रता एलॊ
आधथाक वॊकट का वाभना नशीॊ कयना ऩडता।
***
18 - 2018
दशन्द ू धभा भें धन फक दे ली रक्ष्भी एलॊ धन के दे लता कुफेय भाने
जाते शैं। इव सरमे कातताक कृष्ण िमोदळी (धनतेयव) एलॊ दीऩालरी ऩय भाॊ
रक्ष्भी के वाथ धनके दे लता एलॊ नल तनधधओॊ के स्लाभी कुफेय फक ऩज
ू ा-
अ न
ा ा फक जाती शैं। रक्ष्भी एलॊ कुफेय फक ऩूजा वे व्मत्क्त फक वभस्त
बौततक भनोकाभनाएॊ ऩण
ू ा शोकय धन-ऩि
ु इत्मादद फक प्रात्तत शोती शैं।
क्मोफक आज के बौततकता लादी मुग भें भानल जीलन का वॊ ारन वु ारु
रुऩ वे र वके इव सरमे अथा(धन) वफवे भशत्ल ऩूणा वाधन शैं।
अथा(धन) के त्रफना भनुष्म जीलन द्ु ख, दरयद्रता, योग, अबालों वे ऩीडडत
शोता शैं। अथा(धन) वे मुक्त भनुष्म जीलन भें वभस्त वुख-वुवलधाएॊ
बोगता शैं।
भाां भहारक्ष्भी के साथ कुफेय का ऩूजन कयने का ववशेष भहत्व हभाये
शास्त्रों भे वर्णतत हैं।
कुफेय दळो ददळाओॊ के ददक्ऩारों भें वे एक उत्तय ददळा के अधधऩतत दे लता
शैं। कुफेय भनष्ु म फक वबी बौततक काभनाओॊ को ऩण
ू ा कय धन लैबल प्रदान
कयने भें वभथा दे ल शैं। इवसरए कुफेय फक ऩूजा-अ न
ा ा वे उनकी प्रवन्नता प्रातत कय भनुष्म वबी प्रकाय के
लैबल(धन) प्रातत कय रेता शैं। धन िमोदळी एलॊ दीऩालरी ऩय कुफेय फक वलळेऴ ऩज
ू ा-अ न
ा ा फक जाती शैं जो ळीघ्र पर
प्रदान कयने लारी भानी जाती शैं। जो भनुष्म धन प्रात्तत फक काभना कयते शैं, उनके सरमे प्राण-प्रततत्ष्ठत कुफेय मॊि
श्रेष्ठ शैं। व्माऩाय-धन-लैबल भें लवृ ि, वख
ु ळाॊतत फक प्रात्तत शे तु कुफेय मॊि
श्रेष्ठ शैं।
ध्मान के ऩश् मात नी े ददमे भॊि भें वे फकवी एक भॊि का 1,3,5,7,11,21 भारा मथाळत्क्त भारा जऩ कयें ।
कुफेय भांत्र-
षोडशाऺय भांत्र- ॐ श्री ऊॉ ह्ीॊ श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ वलतेश्लयाम नभ:।
.
ऩांच त्त्रांशदऺय भांत्र- ॐ मषाम कुफेयाम लैश्रलणाम धन धान्माधथऩतमे धनधान्मावभृवि दोदश द्राऩम स्लाशा।
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20 - 2018
तनलाव कयती शूॉ। वदा लेदों के स्लाध्माम भें तत्ऩय यशने लारे ब्राह्भणों, स्लधभाऩयामण षत्रिमों, कृवऴ-कभा भें रगे शुए
लैश्मों तथा तनत्म वेलाऩयामण ळूद्रों के मशाॉ बी भैं वदा तनलाव कयती शूॉ।
भैं भतू ताभतत तथा अनन्मध त्त शोकय तो बगलान नायामण भें शी वॊऩण
ू ा बाल वे तनलाव कयती शूॉ, क्मोंफक
उनभें भशान धभा वभादशत शै । उनका ब्राह्भणों के प्रतत प्रेभ शै औय उनभें स्लमॊ वलावप्रम शोने का गुण बी शै ।
दे ली ! भैं नायामण के अराला अन्मि ळयीय वे नशीॊ तनलाव कयती शूॉ। भैं मशाॉ ऐवा नशीॊ कश वकती फक वलाि
इवी रूऩ भें यशती शूॉ। त्जव ऩुरुऴ भें बालना द्वाया तनलाव कयती शूॉ, लश, धभा, मळ औय धन वे वॊऩन्न शोकय वदा
फढ़ता यशता शै । (भशाबायत, अनुळावन ऩला, अध्माम्11)
धनतेयव वे जड
ु ी ऩौयार्णक कथा
बायत भें धनतेयव ऩला वे वॊफॊतघत रोकवप्रम कथा की, तो योळनी की लजश वे उनकी आॊखें धॊु धमा गईं।
प्र सरत शै । ऩुयाने जभाने भें एक याजा दशभ शुए। उनके इव कायण वाॊऩ दव
ू या यास्ता खोजने रगा औय यें गते शुए
मशाॊ ऩुि शुआ, तो उवकी जन्भ-कॊु डरी फनलाई गई। उव जगश ऩशुॊ गमा, जशाॊ वोने तथा ाॊदी के सवक्के
ज्मोततवऴमों ने कॊु डरी का वलश्रेऴण कय के कशा फक यखे शुए थे। डवने का भौका न सभरता दे ख, वलऴधय बी
याजकुभाय अऩनी ळादी के ौथे ददन वाॊऩ के काटने वे लशीॊ कॊु डरी रगाकय फैठ गमा औय याजकुभायी के गाने
भय जाएगा। इव ऩय याजा ध तॊ तत यशने रगे। याजकुभाय वुनने रगा। इवी फी वूमा दे ल ने दस्तक दी, मानी
की उम्र 16 वार की शुई, तो उवकी ळादी एक वुॊदय, वुफश शो गई। मभ दे लता लाऩव जा क
ु े थे। इव तयश
वुळीर औय वभझदाय याजकुभायी वे कय दी गई। याजकुभायी ने अऩनी ऩतत को भौत के ऩॊजे भें ऩशुॊ ने वे
याजकुभायी भाॊ रक्ष्भी की ऩयभ बक्त थीॊ। याजकुभायी को ऩशरे शी छुडा सरमा। मश घटना त्जव ददन घटी थी, लश
बी अऩने ऩतत ऩय आने लारी वलऩत्त्त के वलऴम भें ऩता धनतेयव का ददन था, इवसरए इव ददन को 'मभदीऩदान'
र गमा। बी कशते शैं।इव ददन ऩूयी यात घय के फाशय दीऩ जराकय
याजकुभायी कापी दृढ़ इच्छाळत्क्त लारी थीॊ। उवने यखते शैं ताफक भत्ृ मु के दे लता मभयाज को घय भें प्रलेळ
ौथे ददन का इॊतजाय ऩूयी तैमायी के वाथ फकमा। त्जव कयने वे योका जा वके।
यास्ते वे वाॊऩ के आने की आळॊका थी, लशाॊ वोने- ाॊदी के ववष्णु का धनवांतरय अवताय
सवक्के औय शीये -जलाशयात आदद त्रफछा ददए गए। ऩूये घय धनतेयव वे वॊफॊधधत रोगों के फी एक औय कथा बी
को योळनी वे जगभगा ददमा गमा। कोई बी कोना खारी प्र सरत शैं। जफ वुय औय अवुय सभरकय वागय भॊथन
नशीॊ छोडा गमा अथाात वाॊऩ के कभये भें आने के सरए कय यशे थे, तो कई फशुभल्
ू म ीजों की प्रात्तत शुई। इनभें
कोई यास्ता अॊधेया नशीॊ छोडा गमा। इतना शी नशीॊ, वफवे अशभ था अभत ृ । मश अभत ृ करळ धनलॊतरय के
याजकुभायी ने अऩने ऩतत को जगाए यखने के सरए उवे शाथों भें था। धनलॊतरय को मूॊ तो दे लताओॊ का लैद्म
ऩशरे कशानी वन
ु ाई औय फपय गीत गाने रगी। कशते शैं, ऩय उनभें बगलान वलष्णु का अॊळ बी भौजद
ू
इवी दौयान जफ भत्ृ मु के दे लता मभयाज ने वाॊऩ था। धनतेयव के ददन धनलॊतरय की उत्ऩत्त्त शोने के
का रूऩ धायण कयके कभये भें प्रलेळ कयने की कोसळळ कायण शभ धनतेयव भनाते शैं।
वद्वतीम अध्माम: स्िी के ऩाॉ ऩुि शुए। ले क्रभळ् आभलात, तरीशा, कुष्ठ,
बगलान ् वलष्णु के उक्त ल नों को वुनकय नायद खाॉवी औय श्लाव वे ऩीडडत शुए। उनको बी योग वे
भुतन अतत प्रवन्न शुए औय शऴा वे फोरे-शे बगलन ् आऩ छुटकाया न सभरा। याजा औय यानी अऩने ऩुिों को योगाता
‘धनलॊतरय ऩूजा’ की वलधध फताइए। ‘धनलॊतरय ऩूजा भें दे खकय अत्मन्त द्ु खी शुए।
(धनतेयव) नाभ वे प्रसवि शोगा। मश ततधथ वबी बयद्वाज ने कशा-शे भशाबाग याजन ् उव वलधध को भैं
नायद जी ने ऩछ
ू ा- शे बगलन ् कृऩमा वलस्ताय कातताक कृष्ण िमोदळी के ळुब ददन, प्रात् कार
ऩूलक
ा फताइए फक फड फागी धनगुतत कशाॉ शुआ औय उठकय ळौ -भख
ु भाजान आदद वे तनलत्ृ त शोकय स्नान
आऩके दळान की प्रात्तत के सरए उवने कौनवा व्रत फकमा कये । ळि
ु लस्ि आदद धायण कय गरु
ु वे प्रातत
था औय शे दमावागय नायामण उवने आऩका ऩूजन क्मों
फकमा था?
श्री बगलान ् ने कशा- ऩशरे अलन्तीऩयु (उज्जैन)
भें ‘धनगुतत’ नाभक याजा धभाभागा वे प्रजा का ऩारन
कयने लारा शुआ था। लश वबी रोगों का तमाया,
उदायध त्त था। उवे षमयोग शो गमा। उववे लश ददन-
यात ऩीडडत शोने रगा। ऩीडा की तनलत्ृ त्त के सरए उवने
जऩ, शोभ, नाना प्रकाय की औऴधधमाॉ की, ऩयन्तु नीयोग
न शुआ। तफ लश र्खन्न शोकय वलराऩ कयने रगा।
याजा की स्िी त्रिरोक भें प्रसवि, ऩततव्रता,
वदा ारयणी थी। उवने बी ऩतत के भॊगर की आकाॊषा वे
अनेक तनमभ, उऩलाव आदद फकए, ऩय इववे बी याजा
Rs. 370, 550, 730, 1450, 1900
नीयोग न शुआ औय अन्त भें लश स्िी बी अतीवाय योग
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वे योधगणी शो गई। शे भुने उव याजा वे उव ऩततव्रता
25 - 2018
उऩदे ळानव
ु ाय बगलान ् धनलॊतरय का ध्मान कये । तनम्न अघ्मा प्रदान कयने के फाद ब्राह्भण को फामन
भन्ि ऩढ़कय व्रत का प्रायम्ब कये : दान कये । फामन दान के सरए गेशूॉ के आटे भें दध
ू , घी
करयष्मासभ व्रतॊ दे ल त्लद् बक्तस्त्लत ् ऩयामण्। डारकय ऩकाए। ऩकने ऩय ळक्कय डारे। केवय, कऩूय,
धश्रमॊ दे दश जमॊ दे दश, आयोग्मॊ दे दश भे प्रबो
इराम ी, रौंग, जावलिी डारकय इव सवि नैलेद्म को
अथाात ् शे दे ल भैं आऩका बक्त शूॉ, आऩ भें ध त्त बगलान ् को अवऩात कये । आधा प्रवाद लेदस ब्राह्भण को
रगाकय आऩका व्रत करुॉ गा। आऩ भझ
ु े रक्ष्भी दीत्जए, अवऩात कये औय आधा स्िी ऩुिादद वदशत स्लमॊ प्रवाद
वलजम दीत्जए, आयोग्म दीत्जए। स्लरुऩ ग्रशण कये । शे याजन ् इव वलधध वे व्रत कयने वे
दे ल धनलॊतरय वे उक्त प्राथाना कय, उनकी वाषात ् धनलॊतरय स्लमॊ प्रकट शोकय तुम्शाया अबीष्ट
सवि कयें गे। इतनी कथा वुनाकय बयद्वाज भुतन ने
ऴोडळोऩ ाय वे ऩूजा कये । ऩूजा कयने के फाद तेयश धागों
वलश्राभ सरमा।
का वूि रेकय तेयश गाॉठ लारा ‘दोयक’ फनाए। इव
तत
ृ ीम अध्माम:
‘दोयक’ की बत्क्तऩूलक
ा ऩूजा कये औय तनम्न भन्ि ऩढ़कय
वूत जी फोरे-शे भुतन लयों याजा धनगुतत ने भुतन
ऩरु
ु ऴों के दादशने शाथ भें तथा त्स्िमों के फाॉएॉ शाथ भें
की आसा ऩाकय उनके कशे अनुवाय तेयश लऴा ऩमान्त
फाॉधे:
बत्क्त ऩूलक
ा व्रत फकमा।
धन्लन्तये भशाबाग जयायोगतनलायक।
एक ददन व्रत वभात्तत के अलवय ऩय वाषात ्
दोयरुऩेण भाॊ ऩादश, वकुटुम्फॊ दमातनधे॥
धनलॊतरय प्रकट शुए। याजा ने वाष्टाॊग प्रणाभ कय उनकी
आधधव्माधधजया भृत्मु बमादस्भादशतनाळभ ्।
स्तुतत की। बत्क्त ऩूलक
ा की गई स्तुतत स्लीकाय कय
ऩीड्मभानॊ दे लदे ल यष भाॊ ळयणागतभ ्॥
अथातत ्-शे धन्लन्तये शे भशाबाग आऩ जया (फुढाऩा) औय बगलान ् धनलॊतरय ने कशा-शे याजन ् अफ तुभ डयो भत,
योग के सभटाने लारे शैं। इवसरए शे दमातनधे आऩ इव तम्
ु शाया भॊगर शोगा। तभ
ु शभवे लय भाॉगो। याजा ने मश
वूिरुऩ वे वकुटुम्फ भेयी यषा कीत्जमे। भैं ददन-यात वुनकय उन्शें ऩुन्वाष्टाॊग प्रणाभ फकमा औय उनकी स्तुतत
आधध (भानसवक द्ु ख) औय व्माधध (योग), जया (फुढाऩा)
की:
तथा भत्ृ मु के बम वे िस्त शो यशा शूॉ। शे दे ल-दे ल ळयण
भें आए शुए भेयी अफ आऩ यषा कयें । वि ू फन्धन के धन्लन्तये नभस्तु्मॊ, नभो ब्रह्भाण्ड नामक।
फाद ‘दे ल दे ल धनलॊतरय’ को बत्क्त ऩूलक
ा ‘अघ्मा’ तनलेदन वुयावुयायाधधताॊघ्रे, नभो लेदैक गो य ।
कये । अघ्मा प्रदान कयने का भन्ि इव प्रकाय शैं : आमुलेद स्लरुऩाम, नभस्ते जगदात्भने॥१॥
प्रऩन्नॊ ऩादश दे लेळ जगदानन्द दामक।
जातो रोक दशताथााम, आमुलेदासबलि
ृ मे।
दमा तनधे भशा दे ल िादश भाभऩयाधधनभ ्।
जया भयण नाळाम, भानलानाॊ दशताम ॥
जन्भ भृत्मु जयायोगै्, ऩीडडतॊ वकुटुत्म्फनभ ्॥२॥
दष्ु टानाॊ तनधनामाम, जात्त धन्लन्तये प्रबो।
अथातत ्- शे धन्लन्तये ब्रह्भाण्ड नामक आऩको नभस्काय!
गृशाणाघ्मं भमा दत्तॊ, दे ल दे ल कृऩा कय॥ आमुलेद स्लरुऩ जगत ् के अन्तमााभी आऩको नभस्काय। शे
अथातत ्- शे दे ल दे ल, दमा कायी धनलॊतरय! आऩ जगत ् के वुखदामी दे ल दे ल दमा वागय, भशा दे ल आऩ
रोकाऩकाय के सरए, आमुलेद की असबलवृ ि के तनसभत्त, भुझ ळयणागत अऩयाधी की यषा कयें ।
भनुष्मों के दशत तथा जया भयण का नाळ कयने के सरए भैं कुटुम्फ वदशत जन्भ भत्ृ मु जया आदद योगों वे ऩीडडत
अलतरयत शुए शैं। भैं आऩको अघ्मा प्रदान कयता शूॉ। इवे शूॉ।
स्लीकाय कीत्जए।
26 - 2018
अथला त्जन रोगों ने इन रक्ष्भी कायक दर दीऩालरी ऩय फकमे जाने लारे उऩामों को आलश्मक्ता
ु ब
ा लस्तुओॊ
अनव
ु ाय अन्म ळब
ु भश
ु ू ता एलॊ अलवयों ऩय फकमा जा
को अबी तक अऩने घय भें को स्थावऩत नशीॊ फकमा शैं
वकता शैं। वलद्वानों का अनब
ु ल शैं की इन दीऩालरी ऩला
मा लश रोग इव वाभग्रीमों को स्थावऩत कयने भें
ऩय फकमे जाने लारे धन प्रात्तत के उऩामों को दीऩालरी
अवभथा शैं, उन रोगों को रक्ष्भी प्रात्तत शे तु मशाॊ ददमे ऩय कयने वे वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं।
उऩयोक्त वबी मॊिो को द्वादश भशा मॊि के रुऩ भें ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे भॊि सवि ऩण
ू ा प्राणप्रततत्ष्ठत एलॊ त
ै न्म मक्
ु त
फकमे जाते शैं। त्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩज
ू ा अ न
ा ा-वलधध वलधान वलळेऴ राब प्रातत कय वकते शैं।
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28 - 2018
दीऩवरी ऩय कयें धन प्रात्तत हे तु ववशेष उऩाम 8. दीऩालरी के ददन प्रात् फकवी बी रक्ष्भी भॊददय
दीऩलरी ऩय कयें धन प्रात्तत शे तु वलळेऴ उऩाम भें मा रक्ष्भी नायामण भॊददय भें भाॊ रक्ष्भी को रार
1. दीऩालरी ऩूजन के फाद ळॊख ध्लतन वे दरयद्रता 9. दीऩालरी के ददन ऩूजन भें रक्ष्भी भॊि का जऩ
दयू शोकय रक्ष्भी का तनलाव शोता शैं। कभर गट्टे वे कये एलॊ भाॊ रक्ष्भी को कभर का
2. दीऩालरी ऩूजन भें असबभॊत्रित शकीक का ऩूजन पूर ढ़ाने वे भाॊरक्ष्भी की वलळेऴ कृऩा शोती शैं।
कय उवे धायण कयने वे धायण कताा की आधथाक 10. दीऩालरी के ददन भाॊ रक्ष्भी को वपेद सभष्ठान
त्स्थती भें वुधाय शोने रगता शैं। का बोग रगाकय उवे गयीफों को फाॊटने वे ऩुयाने
3. दीऩालरी ऩूजन भें असबभॊत्रित शकीक का ऩूजन कजा वे जल्द याशत सभरती शैं।
कय उवे उवे अऩने गल्रे (कैळ फॉक्व), ततजोयी 11. दीऩालरी के ददन इभरी के ऩेड की टशनी का
भनी ऩवा भें यखने वे धन वॊ म शोने रगता शैं टुकडा अऩने गल्रे मा ततजोयी भें यखने वे धन
4. धन-वॊऩत्त्त की प्रात्तत शे तु अऩने व्मलवामीक 12. दीऩालरी के ददन वामॊकार वूमाास्त वे कुछ ऩर
5. धनतेयव के ददन ऩीवे ालर का घोर ल शल्दी, प्रात्तत के फाद उव फाॊधध शुई गाॊठ को खोर दे ना
धनतेयव के ददन इव प्रमोग को ऩुन् दोशयामे। वलळेऴ रुऩ वे धन राब का मोग फनता शैं।
6. अऩाय धन-वॊऩत्त्त की काभना यखने लारे व्मत्क्त 14. दीऩालरी के अगरे ददन सभट्टी के दीऩक भें भीठे
को श्रीमॊि, गणेळ रक्ष्भी मॊि, कनकधाया मॊि तेर का दीमा भुख्म द्वाय ऩय यखने वे घय भें
औय कुफेय मॊि का ऩूजन अलश्म कयना ादशए। तनयॊ तय वुख वभवृ ि फढ़ती यशे गी।
वलद्वानों का अनुबल शैं की इन मॊि को ऩूजन 15. दीऩालरी के ददन वॊध्मा वभम भें ऩीऩर के ऩेड
कयने लारा भनुष्म को कबी धन का अबाल नशीॊ के नी े वात दीऩक प्रज्लसरत कयके ऩीऩर के
मा ततजोयी भें यखने वे धन की लवृ ि शोने रगती स्थान भें गाढ़ दें । इव प्रमोग वे वबी प्रकाय के
17. दीऩालरी के ददन प्रात्कार भाॊ भशारक्ष्भी को पोंक ने वे आधथाक शानी वे यषा शोती औय धन
तुरवी के ऩत्तो वे फनी भारा अवऩात कयने वे राब प्रातत शोता शैं।
धन की लवृ ि शोती शैं। दै ननक जीवन भें अऩनामे रक्ष्भी प्रात्तत के
18. दीऩालरी के ददन कारी शल्दी को ‘ॐ ऐॊ ह्ीॊ क्रीॊ सयर उऩाम
ाभुॊडामै वलच् ।ै ’ भॊि का 108 फाय जाऩ कयके दै तनक जीलन भें अऩनामे रक्ष्भी प्रात्तत भें ददमे गमें
कारी शल्दी को ऩरयलाय के वबी वदस्मों के सवय वबी उऩाम वलळेऴ प्रबालळारी एलॊ अनुबूत शैं इन उऩामों
ऩय वे घुभाकय घय वे फाशय दक्षषण ददळा भें पेंक को वाधायण वे वाधायण व्मत्क्त बी अऩने दै तनक जीलन
दें , इव प्रमोग वे धन की लवृ ि शोती शैं एलॊ ळिु भें अऩना कय तनत्श् त रुऩ वे धन लैबल एलॊ ऐश्लमा
प्रातत कय वकते शैं, इव भें जया बी वॊदेश नशीॊ शैं।
द्वाया उत्ऩन्न ऩीडाएॊ बी ळाॊत शो जाती शैं।
1. प्रात् उठते शी शस्तदळान (प्रात् कय दळानभ ्) कय
19. दीऩालरी की वॊध्मा को ऩीऩर के ऩेड के नी े
दोनों शथेसरमों को 2-3 फाय भुॊश ऩय पेयना ादशमे।
एक वाफत
ू वऩ
ु ायी ल एक ताफें का सवक्का यख 2. जफ बी फकवी कामा वे फाशय तनकरे तो घय ऩय आते
कय उवे ऩय शल्दी एलॊ कुभकुभ रगा कय यख दें । वभम कुछ ना कुछ वाथ रेकय शी आए खारी शाथ
यवललाय को उवी ऩेड के ऩीऩर का एक अखॊडडत नशीॊ आए ाशे ऩेड का ऩत्ता-अखफाय मा जीलन
ऩत्ता राकय अऩने कामा स्थर ऩय गद्दी के नी े जरुयत फक लस्तुएॊ रेकय आमें। (वूमाास्त के फाद भें
ऩेड के ऩत्ते तोडना शानी कायक शोता शैं।)
मा गद्दी के ऩाव यख ने वे तनयॊ तय व्माऩाय भें
3. धन मा व्माऩाय वे वॊफॊधीत रेन-दे न के खाते ऩय मा
लवृ ि शोती शैं।
ऩि व्मलशाय कयते वभम शल्दी मा केळय रगामें।
20. ऩौयार्णक कथाओॊ के अनुवाय भाॊ भशारक्ष्भी
4. गल्रे भें , ऩैवे के रेन-दे न वे वॊफॊधधत, क
ै फुक-
वभुद्र की ऩुिी शैं, वभुद्र वे उत्ऩन्न दक्षषणालतॉ ऩावफुक, ऩूॊजी तनलेळ वे वॊफॊधधत कागजात इत्मादद
ळॊख, भोती ळॊख एलॊ गोभती क्र इत्मादद वभुद्र श्री मॊि के वाथ भें यखें।
वे प्रातत शोने लारी वाभग्रीमाॊ रक्ष्भी के वशोदय 5. प्रततददन बोजन के सरए फनी ऩशरी योटी गाम को
12. फध
ु लाय को धन का वॊ म कयें । फैंक भें धन जभा ऩोछकय दक
ु ान भें मा व्मलवामीक स्थर ऩय भार
कयलाते वभम रक्ष्भी भॊि जऩा कये । वाभान यखने फक जगश ऩय यखने वे व्माऩय भें लवृ ि
13. घय भें फकवी बी दे ली दे लता फक एक वे ज्मादा शोती शैं।
तस्लीय, भतू ता ऩज
ू ा ऩय स्थान नशीॊ यखे। 26. प्रतत फध
ु लाय के ददन अळोक लष
ृ के अखॊडडत ऩत्ते
14. जरुयत भॊद व्मत्क्त, गरयफो को मथावत्क्त भदद कय राकय ळि
ु जर मा गॊगाजर वे धोकय रार कऩडेवे
उन्शें दान इत्मादद वभम-वभम ऩय दे ते यशें । ऩोछकय अरभायी, गल्रे भें मा धन यखने के फक्वे
15. ऩुयानी, यद्दी बॊगाय इत्मादद ळतनलाय के ददन घय वे भें यखने वे धन फवृ ि शोती शैं।
फाशय तनकार दे नी ादशमे औय जो ऩैसा मभरे उससे 27. अळोक के भूर की जड का एक टुकडा ऩूजा घय भें
घय के मरए त्स्टर के फयतन खरयदना अधधक यखने औय योजाना धऩ
ू -दीऩ वे ऩूजन कयने वे धन
राबप्रद होता हैं। मदद फततन का भूल्म अधधक हो तो फक कभी नशीॊ शोती।
उस भें अरग से ऩैसे जोड कय खयीदे जा सकते हैं 28. ततजोयी के रॉकय भें शभेळा दो फॉक्व यखें। एक भें
16. ळतनलाय के ददन कारे यॊ ग फक लस्तु, स्टीर, रोशा योजाना कुछ रूऩमे यख कय फॊद कय दें , उवभें वे
इत्मादद उऩशाय भें नशीॊ रेनी ादशमे।
रूऩमे नशीॊ तनकारें मा अत्माधधक आलश्मकता शोने
17. फकवी कमा के सरमे जाते वभम खारी ऩेट कबी बी
ऩय तनकारे। दव
ू ये फॉक्व भें वे काभ के रेन-दे न के
घय वे ना तनकरे। कामा भें फाधा वलघ्न आते शैं,
सरए रूऩए तनकारें।
अवपरता प्रातत शोती शैं।
18. भॊगरलाय, गुरुलाय, ळतनलाय को फार-नाखन नशीॊ 29. प्रततददन आभदनी का करेक्ळन दव
ू ये ददन स्लमॊ के
ू
काटने ादशमे। ख े के सरमे मा फकवी व्माऩायी को क
ु ाने शे तु
19. त्स्थय रक्ष्भी फक काभना शे तु रुऩमा-ऩैवा-शीये तनकारे। आभदनी मा करेक्ळन को कभ वे कभ 24
जलाशयात ऩीरा कऩडा त्रफछाकय मा ऩीरे कऩडे भें घॊटे के फाद शी ख ा के सरमे तनकारने वे अत्माधधक
रऩेटकय यखें।
धन राब शोता शैं।
20. लऴा भें कभ वे कभ एक फाय ऩरयलाय के वाथ तीथा
30.
मािा अलश्म कयें । ऩरयलाय के वाथ फकवी दे ली भें ददय
24
भदशने भें कभ वे कभ एक फाय भें अलश्म जामे।
21. वम
ू ोदम के वभम मदद घय की छत ऩय कारे ततर
त्रफखेयने वे घय भें वख
ु वभवृ ि शोती शैं। ।
22. अळोक का ऩेड रगाकय उवको वीॊ ने वे धन भें
दरयद्रता ननवायण हे तु ववशेष उऩाम
लवृ ि शोती शैं।
दरयद्रता तनलायण को बी दो बाग भें फाॊटा गमा शैं
23. वफ
ु श भख्
ु म दयलाजे के फाशय वे झाडू वे वपाई
एक भें दरयद्रता आने के कायण औय दव
ू ये बाग भें
कयके थोडा ऩानी तछडक ने वे घय भें धन फक लवृ ि
दरयद्रता भुक्त के वयर उऩाम ददमे गमे शैं।
शोती शैं।
24. प्रतत वोभलाय, फुधलाय, ळुक्रलाय अळोक लष
ृ के क्मों आती हैं दरयद्रता ?
अखॊडडत ऩत्ते घयभें राकय ळुि जर मा गॊगाजर वे 1. प्रततददन दे य उठने वे दरयद्रता आती शैं।
धोकय रार कऩडेवे ऩोछकय घय भें मा व्मलवामीक 2. घय का वाया क या झाडू रगाकय एक कोने भें
स्थान ऩय यखने वे धनराब शोता शैं। वभेट कय यखने वे आती शैं। क ये को घय वे
25. प्रतत वोभलाय के ददन अळोक लष
ृ के अखॊडडत ऩत्ते फाशय पेक दें ।
राकय ळुि जर मा गॊगाजर वे धोकय रार कऩडे वे
31 - 2018
8. गुरुलाय के ददन ऩीरी सभट्टी वे फार धोने वे फजाम उऩशाव कयने वे तनधानता आती शैं।
तनधानता आती शैं। 21. जया-जया फात भें र्खन्न शोने लारे जया-जया फात
9. वूमाास्त शोने के फाद घय भें झाडू रगाने वे घय भें अऩने ल नों वे भुकय ने लारे व्मत्क्त दरयद्र
भें दरयद्रता आती शैं। शो जाता शैं।
10. अिालत्ृ ताकय (अधा गोराकाय) बूखड
ॊ मा बलन के 22. छर-कऩट औय स्लाथा का आश्रम रेकय, दव
ू यों के
स्लासभत्ल वे दरयद्रता प्रातत शोती शैं। ळोऴण का आश्रम रेकय धन प्रातत कयने वे
11. गुरु का ददमा गमे भॊि के त्माग कयने वे व्मत्क्त तनधानता आती शैं। उवके ऩाव धन आ वकता शै
दरयद्र शो जाता शैं। ऩयन्तु उवके ऩाव धन भशारक्ष्भी नशीॊ आ
12. गुरु वे कऩट ल सभि वे ोयी कयने वे दरयद्रता वकती।
आती शैं। 23. जठ
ू े भॉश
ु यशने वे दरयद्रता आती शैं।
13. कऩडे के आवन ऩय फैठ कय ऩूजा-ऩाठ भॊि जऩ 24. भैरे-कु र
ै े-पेटे शुए कऩडे ऩशनने वे तनधानता
अनुष्ठान इत्मादद कयने वे दरयद्रता आती शैं। आती शैं।
14. ऩत्थय एलॊ सभट्टी के फतानों भें बोजन कयने वे 25. दीन-द्ु र्खमों को वताने वे तनधानता आती शैं।
तनधानता आती शैं। 26. भाता-वऩता के आसळलााद नशीॊ रेने वे तनधानता
15. बोजन औय दध
ू को त्रफना ढके यखने वे तनधानता आती शैं।
27. धभा, ळास्ि औय वॊतों फक तनॊदा कयने वे व्मत्क्त 46. अऩने ळयीय ऩय त्रफना लजश वे फजाने (ढोर जेव)े
दरयद्र शो जाता शैं। वे तनधानता आती शैं।
28. घी को जठ
ू े शाथ वे छूने वे तनधानता आती शैं। 47. स्नान कयने वे उऩयाॊत ळयीय ऩय तेर रगाने वे
29. जठ
ू ा शाथ सवय ऩय रगाने वे तनधानता आती शैं। तनधानता आती शैं। (स्नान वे ऩल
ू ा तेर रगारे)
30. जठ
ू े भॉश
ु ळब
ु लस्तओ
ु ॊ का स्ऩळा कयने वे दरयद्रता 48. अऩने ऩैय फक एडी का भस्तक ऩय स्ऩळा कयने वे
आती शैं। तनधानता आती शैं।
31. भॊगरलाय को ऋण रेने वे दरयद्रता आती शैं। 49. अॊधेये कभये भें वोने वे तनधानता आती शैं। (कभये
32. ऩाऩकभा भें यत यशने वे तनधानता आती शैं। भें थोडी वे योळनी जरुय यखे)
33. कठोय-कडक ल नो का प्रमोग कयने वे तनधानता 50. यािी कार भे धायण कयने लारे लस्ि ददन भें
आती शैं। धायण कयने वे तनधानता आती शैं।( यात भें एलॊ
34. फडे-फुजुगो का अनादय कयने वे उनकी फात नशीॊ ददन भें धायण कयने लारे कऩडे अरग-अरग
भानने वे तनधानता आती शैं। यखें। ददन के यात भें एलॊ यात के ददन भें कबी
35. जो स्िी-ऩुरुऴ अऩने ऩतत-ऩत्नी को दफाकय यखने नशीॊ ऩशने)
फक इच्छा यखने वे तनधानता आती शैं। 51. लावी एलॊ ळुष्क बोजन खाने वे दरयद्रता आती
शैं।
36. लावी पूर का उऩमोग कयने वे तनधानता आती शैं।
52. ळुक्रलाय एलॊ अभालस्मा के ददन तेर-गॊध-द्रव्म को
37. दग
ु ध
ं मुक्त स्थान ऩय अधधक रोगो के वाथ भें
ळयीय ऩय रागने वे दरयद्रता आती शैं।
वोने वे तनधानता आती शैं।
53. अऩने फाएॊ शाथ वे भाता का स्ऩळ कयने वे
38. पटा-टूटा आवन का उऩमोग कयने वे तनधानता
दरयद्रता आती शैं। ( मदद स्ऩळा कये तो दोनो
आती शैं।
शाथो वे कयें केलर फाएॊ शाथ वे स्ऩळा न कयें ।)
39. स्भळान फक ध ता के अॊगाये , अत्स्थ, बस्भ, गाम,
54. अऩवलि अलस्था भें वम
ू -ा द्र
ॊ -तायों का दळान कयने
कऩाव(रुई), ऩूज्म एलॊ गरु
ु जन, ब्राह्भण को ऩैय
वे तनधानता आती शैं।
रगाने वे तनधानता आती शैं।
55. वूमाास्त का दळान कयने वे तनधानता आती शैं।
40. अऩने एक ऩैय को दव
ू ये ऩैयवे घीवने वे दफाने वे 56. ऩयस्िी-ऩयऩुरुऴ को नग्न अलस्था भें दे खने वे
तनधानता आती शैं। तनधानता आती शैं।
41. त्जव जर भें नाखन
ू मा फार धगये शों उव जर 57. ऩय धन,स्िी, वॊऩत्त्त फक इच्छा कयने वे दरयद्रता
का वेलन मा स्ऩळा कयने वे तनधानता आती शैं। आती शैं।
42. तुदाळी एलॊ अभालस्मा के ददन ळायीरयक वुख 58. नाखन
ू , काटे , खन
ू , सभट्टी, कोमरा मा ऩानी वे
बोगने वे तनधानता आती शैं। बूसभ ऩय अनालश्मक रेखन-ध िण कयने वे
43. त्रफना लस्ि के वोने वे तनधानता आती शैं। दरयद्रता आती शैं।
44. क या तनकारते लक्त उडने लारी धक
ु का स्ऩळा 59. स्लमॊ भारा गॊथ
ू (भारा फना) कय स्लमॊ धायण
ळयीय को शोने वे दरयद्रता आती शैं। (झाडू रगाते कयने वे दरयद्रता आती शैं।
लक्त वालधानी फयते जेवे धर
ू का स्ऩळा आऩके 60. स्लमॊ द
ॊ न घीव कय स्लमॊ रगाने वे दरयद्रता
ळयीय को नशों) आती शैं। (फकवी औय वे घीवलाकय रगामे)
45. फैठे-फैठे खयु ळी-टे फर-ऩरॊग इत्मादद ऩय त्रफना 61. ब्राह्भण फक तनन्दा कयने वे दरयद्रता आती शैं।
लजश वे फजाने (ढोर जेवे) वे तनधानता आती शैं।
33 - 2018
62. फेठे-फेठे मा वोते शुए दोनो ऩैयो को त्रफना लजश दरयद्रता ननवायण के सयर उऩाम
दशराने-न ाने वे दरयद्रता आती शैं। 1. प्रततददन प्रात: जल्दी उठ कय इष्ट आयाधना कयने
63. बोजन के फाद तयु ॊ त दातन
ु कयने वे दरयद्रता वे दरयद्रता दयू शोती शैं।
आती शैं। 2. गुरुलाय के ददन घय भें गाम के गोफय का रेऩन
64. अन्म का झठ
ु ा अन्न खाने वे दरयद्रता आती शैं। आदद कयने वे दरयद्रता दयू शोती शैं।
65. अऩने इष्ट का त्माग कय अन्म के इष्ट भें 3. गुरुलाय के ददन ऩीरी लस्तु का बोजन कयने वे
आस्था यखने वे दरयद्रता आती शैं। दरयद्रता दयू शोती शैं।
66. ऩय स्िी-ऩुरुऴ फक वेला कय के अऩने ऩरयलाय के 4. दान-ऩुण्म इत्मादद कभा कयते यशने वे दरयद्रता दयू
रोगो को कष्ट दे ने वे दरयद्रता आती शैं। शोती शैं।
67. ऩरयश्रभ-ऩुरुऴाथा वे र्खन्न शोने लारे व्मत्क्त फक 5. प्राण-प्रततत्ष्ठत वात भुखी रुद्राष धायण कयने वे
वशामता कयने वे दरयद्रता आती शैं। दरयद्रता वे भुत्क्त सभरती शैं।
68. अमोग्म भनुष्म को दान दे न मा वशामता कयने 6. घय भें प्राण-प्रततत्ष्ठत प्राण-प्रततत्ष्ठत दक्षऺणावती
वे दरयद्रता आती शैं। शांख कक घयभें स्थाऩना से रक्ष्भी का स्थामी
69. प्रततऩदा को गश
ृ ायम्ब कयने वे दरयद्रता आती शैं। लाव शोता शैं, ळिओ
ु ॊ वे यषा शोती शै , योग, कण,
70. घय का द्वाय आध्भात (पूरा शुआ) शोनेऩय असानता एलॊ दरयद्रता वे ळीघ्र भुत्क्त सभरती शैं।
दरयद्रता आती शैं। 7. घय भें प्राण-प्रततत्ष्ठत ववष्णु शांख (श्लेत यॊ ग का
71. भुख्म द्वायके ऊऩय द्वाय औय द्वायके वाभने ळॊख) स्थावऩत कयने वे एलॊ तनत्म ऩूजन कयने वे
(आभने-वाभने) द्वाय शोने वे दरयद्रता आती शैं। दरयद्रता दयू शोती शैं।
72. बलन भें ईळान, आग्नेम ल ऩत्श् भभें ऊॉ ी औय 8. श्री वक्
ू त का ऩठन कयने वे बी दरयद्रता वे
नैऋत्म नी ी बूसभ शोने वे दरयद्रता आती शैं। भत्ु क्त सभरती शैं।
73. भुख्म द्वायके वाभने दीलाय मा फालडी शोनेवे 9. श्री वक्
ू त फक ऋ ाओॊ का श्रलण मा ऩठन कयके
दरयद्रता शोती शै । तनमसभत शलन कयने वे वलसबन्न कष्ट दयू शोकय
74. नर वे ऩानी टऩकते यशने वे दरयद्रता आती शैं, ऐश्लमा प्रात्तत शोती शैं। रक्ष्भी जी फक कृऩा प्रातत
ऩानी का अऩव्मम शोने वे लरुण दे ल का श्राऩ शोने वे द्ु ख, दरयद्रता, योग, कष्ट, कजा वे स्लत्
रगता शैं। भत्ु क्त सभरती शैं।
75. वॊध्मा वभम बोजन औय ऩढ़ने वे धन नाळ शोता 10. भान्मता शैं फक दीऩालरी के ददन जर भें तथा
शैं। तेर भें रक्ष्भी का लाव शोता शैं। इव सरमे
76. दे ली-दे लताओॊ ऩय ढ़ामे गमे पूर मा शाय के दीऩालरी के ददन ळयीय ऩय तेर फक भासरळ
वख
ू ने ऩय बी घय भें यकखने वे दरयद्रता आती कयके जर (गॊगा स्नान मा जर भें गॊगाजर
शैं। ( पूर-शाय शो फकवी तरास्टीक फैग भें बयकय
जर सभराकय) वे स्नान कयने वे दरयद्रता वे
यख दें फपय उवे एक-दो भाश भें फाय इकठ्ठे फशते
भुत्क्त सभरती शैं।
जर भें वलवत्जात कयदें ।)
11. कनकधाया स्तोि के ऩाठ के ऩठन एलॊ श्रलण वे
77. टूटा-पूटा पनॉ य, फतान, काॊ , पटे शुए कऩडे
दरयद्रता वे भुत्क्त सभरती शैं।
यखने वे दरयद्रता आती शैं।
12. कनकधाया मॊि को दरयद्रता का नाळ कयने शे तु
78. घय फक ददलायो ऩय, पळा ऩय ऩेन, ऩैंसवर, ाक
याभफाण भाना जाता शैं इव सरमे कनकधाया मॊि
इत्मादद वे सरखना-ध िकायी कयने वे दरयद्रता
आती शैं।
34 - 2018
शल्दी को शरयद्रा बी कशा जाता शै । तॊि विद्या के वे धन वे वॊफॊधधत वभस्माएॊ दयू शोती शै ,
जानकायों का तो मशाॊ तक भानना शैं की अवरी कारी योजगाय भें लवृ ि शोती शैं।
शल्दी प्रातत शोना वौबाग्म की फात शैं। त्जव घय भें कारी शल्दी के प्रबाल वे नकायात्भक उजाा को
कारी शल्दी का ऩज
ू न शोता शो लश घय भें तनलाव कताा दयू फकमा जा वकता शै ।
वौबाग्मळारी शोते शैं। फकवी ळब
ु भुशूता भें कारी शल्दी को सवॊदयू भें
ऐवी धासभाक भान्मता शैं की अषम तत
ृ ीमा, यखकय धऩ
ू -दीऩ वे ऩज
ू न कय रार कऩडे भें एक
धनिमोदळी, दीऩालरी, ग्रशण, गुरु ऩुष्माभत
ृ मोग, सवक्के के वाथ फाॊधय ततजोयी मा गल्रे भें यखने
त्रिऩुष्कय मोग, वद्वऩुष्कय मोग, कामा सववि मोग, अभत
ृ वे धन की लवृ ि शोने रगती शै ।
सववि मोग आदद फकवी ळुब भुशूता भें कारी शल्दी को
अऩने ऩूजा स्थान भें स्थावऩत कय उवका तनमसभत प्रफर धन प्रात्तत प्रमोग
ऩूजन कयने वे कारी शल्दी का भत्कायी प्रबाल
प्रफर धन की इच्छा यखने लारे व्मत्क्त को भॊि
आश् माजन रुऩ वे अतत ळीघ्र प्रातत शोता शैं।
सवि 11 गोभती क्र, 11 ऩीरी कौडडयाॊ औय कारी
शल्दी के 11 टुकडों को दीऩालरी मा धनिमोदळी आदद
धन प्रात्तत प्रमोग ळब
ु अलवय ऩय ऩज
ू न के वभम भाॊ रक्ष्भी की प्रततभा
कारी शल्दी को अऩने ऩूजन स्थान भें रक्ष्भी मा ध ि के वाथ स्थावऩत कय वलधधलत ऩज
ू न कयने वे
नायामण की प्रततभा मा ध ि के ऩाव स्थावऩत ळीघ्र वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं। ऩूजन के ऩश् मात
कय उवका वलधधलत ऩूजन कयें । गोभती क्र, कौडड औय शल्दी के टुकडों को ऩीरे कऩडे
वलद्वानों का अनुबल शैं की कारी शल्दी को घय भें भें फाॊध कय ऩोटरी फना कय अऩनी ततजोयी मा गल्रे भें
स्थावऩत कय ऩूजन कयने वे घय भें तनयॊ तय वुख- यखरें। तनमसभत मथा वॊबल रक्ष्भी भॊि का जऩ कयते
ळाॊतत की लवृ ि शोने रगती शै । यशें । इव वलधध वे ऩूजन कयने वे धन वॊफॊधधत रुकालट
तॊि ळास्ि के जानकायों का कथन शैं की कारी ळीघ्र दयू शोने रगती शैं औय ऩरयलाय भें तनयॊ तय धन,
शल्दी के तनमसभत ऩूजन वे व्मत्क्त को कबी वुख, वभवृ ि भें लवृ ि शोती शैं।
ऩैवा की कभी नशीॊ शोती। मदद व्मलवाम भें तनयन्तय राब के स्थान ऩय
कारी शल्दी की गाॊठ को ाॊदी, स्टीर मा घाटा शो यशा शो तो बी मश प्रमोग अत्मॊत राबप्रद शोता
दे लता के वाथ धऩ
ू -दीऩ वे ऩूजन कयें ।
कारी शल्दी की गाॊठ को वोने मा ाॊदी के कामा सववि प्रमोग
सवक्के के वाथ रार लस्ि भें फाॊधकय ऩोटरी कारी शल्दी के टुकडे ऩय भौरी रगाकय गूगर औय
फना कय उवे अन्म दे ल प्रततभाओॊ के वाथ ऩज
ू ा रोफान के धऩ
ू वे ळोधन कयके अऩने ऩूजा स्थान भें
कयने वे वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शै । (वोने यखदें , फकवी भशत्लऩूणा कामा ऩय जाते वभम उवे
मा ाॊदी के सवक्के न शो तो रुऩमे-ऩैवे के नमे शभें ळा अऩनी जेफ के उऩयी दशस्वे भें मा फैग भें यखें,
सवक्के के वाथ यखा जा वकता शैं) इव प्रमोग वे कामा त्रफना फकवी फाधा वलध्न के ऩूणा
कारी शल्दी की ऩोटरी को को अऩने गल्रे (कैळ शोने की वॊबालनाएॊ प्रफर शो जाती शैं।
फॉक्व), ततजोयी आदद भें बी यख वकते शैं। फकवी नमे कामा मा भशत्लऩूणा कामा के सरए जाते
वलद्वानों का अनुबल शैं की कारी शल्दी के ऩूजन वभम कारी शल्दी को द
ॊ न की तयश घीव कय
उवका ततरक रगाकय जाने वे कामा भें वपरता
37 - 2018
प्रातत शोने की वॊबालना प्रफर शो जाती शैं। वलद्वानों फनाकय उवभें थोडी गीरी ीने की दार, थोडा गड
ु औय
का अनब
ु ल शैं की नौकयी व्मलवाम वे जड
ु े रोगों के थोडी वी वऩवी शुइ कारी शल्दी को दफाकय योगी व्मत्क्त
सरए मश प्रमोग अत्मॊत राबप्रद सवि शोता शैं। के उऩय वे वात फाय घडी की ददळा
(दक्षषणालता/Clockwise) भें उताय कय गाम को र्खरा
ताॊत्रिक प्रबाल तनलायण प्रमोग दें । मश उऩाम रगाताय तीन गरू
ु लाय कयने वे वलळेऴ
राब ददखने रगता शैं।
मदद फकवी व्मत्क्त ऩय टोने-टोटके आदद ताॊत्रिक
प्रबाल शो तो उवे कारी शल्दी के छोडे टुकडे को छे द
नजय यषा प्रमोग
कयके धागा भें वऩयोकय मा फकवी तावलज भें बय कय
मदद फकवी को नजय रग गमी शै , तो कारे कऩडे भें
धायण कयलामा जामे तो ळीघ्र शी अळब
ु प्रबालों वे भत्ु क्त
कारी शल्दी को फाॊधकय वात फाय नज़य रगे व्मत्क्त
सभर वकती शैं। कुछ वलद्वानों का अनब
ु ल शैं की कारी
मा फच् े के उऩय वे घडी की ददळा
शल्दी को नलग्रश भॊि वे असबभॊत्रित कय धायण कयने वे
ग्रश जतनत ऩीडाएॊ दयू शोती शैं। (दक्षषणालता/Clockwise) भें उताय कय फशते शुमे जर
भें प्रलादशत कय दें मा फकवी वलयान जगश भें पैक दें ।
मदद फकवी के कामा मा व्मलवामीक स्थान ऩय फाय-
आकऴाण प्रमोग
फाय फकवी की नज़य रग गई शो तो कारी शल्दी को
वलद्वानों का भत शैं की कारी शल्दी को तॊि
कारे कऩडे भें फाॊधकय दोनों शाथों वे ऩूये कामा स्थर
ळास्ि भें लळीकयण भें अत्मॊत राब प्रद जडी फूटी भाना
के सबतय वात फाय घूभाकय फशते शुमे जर भें
जाता शै । तॊि विद्या के जानकायों का भानना शैं की
कारी शल्दी भें अद्भत प्रलादशत कय दें मा फकवी वलयान जगश भें पैक दें ।
ु आकऴाण ळत्क्त शोने के कायण
लळीकयण आदद भें बी कारी शल्दी का प्रमोग वलळेऴ नज़य यषा के सरए कारी शल्दी ऩय भौरी रऩेट कय
राबप्रद शोता शैं। ऩीरे कऩडे भें फाॊधकय अऩने व्मलवामीक स्थान के
प्रततददन कारी शल्दी का ततरक रगाने वे वबी प्रकाय भुख्म द्वाय ऩय रटका दें । इव प्रमोग वे नज़य वे
के इत्च्छत भनष्ु मों का आकऴाण शो वकता शैं। कारी यषा शोगी एलॊ धन की लवृ ि बी शोती यशे गी।
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39 - 2018
धन प्रात्तत का अ क
ू उऩाम स्पदटक श्रीमॊि का ऩज
ू न
आज के बौततक मग
ु भें अथा (धन) जीलन फक भख्
ु म आलश्मक्ताओॊ भें वे एक शै । धनाढ्म व्मत्क्तओॊ की जीलनळैरी को
दे खकय प्रबावलत शोते शुले वाधायण व्मफक की बी काभना शोती शैं, फक उवके ऩाव बी इतना धन शो फक लश अऩने
जीलन भें वभस्त बौततक वख ु ो को बोग ने भें वभथा शों। एवी त्स्थभें भेशनत, ऩरयश्रभ वे कभाई कयके धन अत्जात
कयने के फजाम कुछ रोग अल्ऩ वभम भें ज्मादा कभाने फक भानसवकता के कायण कबी-कबी गरत तयीकें अऩनाते
शैं।
त्जवके पर स्लरुऩ एवे रोग धन का लास्तवलक वुख बोगने वे लॊध त यश
जाते शैं औय योग, तनाल, भानसवक अळाॊतत जेवी अन्म वभस्माओॊ वे ग्रस्त शो जाते
शैं।
जशाॊ गरत तयीकें वे कभामे शुले धन के कायण वभाज एवे रोगो को शीन
बाल वे दे खते शैं। जफफक भेशनत, ऩरयश्रभ वे काभामे शुले धन वे स्लमॊ का
आत्भवलश्लाव फढता शैं एलॊ वभाज भें प्रततष्ठा औय भान वम्भान बी वयरता वे
प्रातत शो जाता शैं।
जो व्मत्क्त धासभाक वल ाय धायाओॊ वे जुडे शो लश इश्लय भें वलश्लाय यखते शुले स्लमॊ
फक भेशनत, ऩरयश्रभ के फर ऩय कभामे शुले धन को दश वच् ा वुख भानते शैं। धभा भें
आस्था एलॊ वलश्लाव यखने लारे व्मत्क्त के सरमे भेशनत, ऩरयश्रभ कयने के उऩयाॊत अऩनी
आधथाक त्स्थभें उन्नतत एलॊ रक्ष्भी को त्स्थय कयने शे तु, श्री मॊि के ऩूजन का उऩाम अऩनाकय जीलन भें फकवी बी
वुख वे लॊध त नशीॊ यश वकते, उन्शें अऩने जीलन भें कबी धन का अबाल नशीॊ यशता। उनके वभस्त कामा वु ारु रुऩ
वे रते शैं। रक्ष्भी कृऩा प्रात्तत के सरए श्रीमॊि का वयर ऩूजन वलधान त्जवे अऩना कय वाधायण व्मत्क्त वलळेऴ राब
प्रातत कय वकते शैं। इव भें जया बी वॊळम नशीॊ शैं।
श्रीमॊि का ऩज
ू न यॊ क वे याजा फनाने लारा एलॊ व्मत्क्त फक दरयद्रता को दयू कयने लारा शैं।
अऩने ऩूजा स्थान भें प्राण-प्रततत्ष्ठत श्रीमॊि को ऩूजन के सरमे स्थावऩत कयें । (प्राण-प्रततत्ष्ठत श्रीमॊि फकवी
बी मोग्म वलद्वान ब्राह्भण मा मोग्म जानकाय वे सवि कयलारे)
श्री मॊि को प्रत्मेक ळुक्रलाय को दध
ु , दशी, ळशद, घी औय ळक्कय (गुड) अथाात ऩॊ ाभत
ृ फनाकय स्नान कयामे।
स्नान के ऩश् मात उवे रार कऩडे वे ऩोछ दें ।
श्री मॊि को फकवी ाॊदी मा ताॊफे फक तरेट भें स्थाऩीत कयें ।
श्री मॊि के नी े 5 रुऩमे मा 10 रुऩमे का नोट यखदें । (5,10 रुऩमे का सवक्का नशीॊ)
श्री मॊि स्थावऩत कयने लारी तरेट भें श्रीमॊि ऩय स्पदटक फक भारा को ायों ओय घुभाते शुले स्थावऩत कयें ।
श्री मॊि के उऩय भौरी का टुकडा 3-5 फाय घुभाते शुले अवऩात कयें ।
श्री मॊि के उऩय वुखा अष्ट गॊध तछडकें।
मदद वॊबल शो तो रार ऩष्ु ऩ अवऩात कयें । (कभर, भॊदाय(जावद
ू ) मा गर
ु ाफ शो तो उत्तभ)
धऩ
ू -दीऩ इत्मादी वे वलधधलत ऩूजन कयें ।
उऩयोक्त वलधन प्रतत ळुक्रलाय कयें एलॊ अन्म ददन केलर धऩ
ू -दीऩ कयें ।
40 - 2018
उदाहण: मदद ऩशरे 5 रुऩमे का नोट यखा शैं तो उस्वे राब शोने के ऩश् मात नोट फदरते शुले 10 रुऩमे का नोट यखे। 10 रुऩमे
का नोट यखने वे राब शोने के ऩश् मात नोट फदरते शुले 20 रुऩमे का नोट यखे। इवी प्रकाय नोट को फदते यशें इस्वे अधधक राब
प्रातत शोता शैं।
भल्
ू म:- प्रनत ग्राभ Rs. 28 से Rs.100 >>Order Now
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41 - 2018
रक्ष्भी मॊि
श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भशारक्ष्भमै फीज मॊि लैबल रक्ष्भी मॊि
श्री मॊि (भॊि यदशत) भशारक्ष्भी फीवा मॊि कनक धाया मॊि
श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वदशत) रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि श्री श्री मॊि (रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै
श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि श्री भशारक्ष्भमैं श्री भशामॊि)
श्री मॊि श्री वूक्त मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि अॊकात्भक फीवा मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) रक्ष्भी गणेळ मॊि ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
मॊि के वलऴम भें अधधक शे तु वॊऩका कयें । >> Order Now
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42 - 2018
प्रात्तत शोती शैं। अभोघ भाना गमा शैं। धासभाक भान्मताओॊ के अनुवाय
वलसबन्न स्िोत वे आधथाक राब सभरने के मोग फनते ऐवा भाना जाता शैं की बैयलजी की ऩूजा-उऩावना
शैं। वल
ु णा रक्ष्भी कल के प्रबाल वे धायणकताा की श्रीगणेळ, वलष्णु, द्र
ॊ भा, कुफेय आदद दे लताओॊ ने बी फक
वुलणा वे वॊफॊधधत वबी असबराऴाएॊ ळीघ्र शी ऩूणा शोने थी, बैयल उऩावना के प्रबाल वे बगलान वलष्णु
की प्रफर वॊबालनाएॊ फनती शैं। रक्ष्भीऩतत फने थे, वलसबन्न अतवयाओॊ को वौबाग्म
भूल्म भात्र: 4600 सभरने का उल्रेख धभाग्रॊथो भें सभरता शैं। मदश कायण शैं
43 - 2018
बगलान वलष्णु प्रवन्न शोते, कृऩा कयते शैं, उव बक्त ऩय कताा ऩय मषयाज कुफेय प्रवन्न शो कय उवे अतुर
वम्ऩत्त्त का लयदान दे ते शैं। कुफेय फीवा कल के प्रबाल
दे ली भशारक्ष्भी बी स्लत् प्रवन्न शोती शैं औय अऩनी
वे धायण कताा के सरए अषम धन कोऴ की प्रात्तत एलॊ
कृऩा ल आळीलााद दे ती शैं। वलष्णु फीवा कल को धायण
आम लवृ ि के नमे-नमे स्िोत फनने रगते शैं। ऐवा
कयने वे व्मत्क्त को कामों भें सववि ल वपरता की ळास्िोक्त ल न शैं की स्लणा राब, यत्न राब, ऩैतक
ृ
प्रात्तत, स्लास्थ्म औय वाॊवारयक वख
ु ों भें लवृ ि शोती शैं। वम्ऩत्ती एलॊ गडे शुए धन वे राब प्रात्तत फक काभना
वलद्वानों का अनुबल यशा शैं की श्री वलष्णु फीवा कयने लारे व्मत्क्त के सरमे कुफेय फीवा कल धायण
कल को धायण कयने वे ळीघ्र शी धायणकताा के घय- कयना अत्मन्त राब दामक शो वकता शैं। कुफेय फीवा
कल को धायण कयने वे व्मत्क्त को एकाधधक स्िोि वे
ऩरयलाय भें वुख-वभवृ ि-ऐश्लमा भें लवृ ि शोने रगती शैं।
धन का प्रातत शोकय उवका धन वॊ म शोने रगता शैं।
वलष्णु फीवा कल को धायण कयने वे व्मत्क्त भें
धन-वॊऩत्त्त एलॊ ऐश्लमा की प्रात्तत शे तु कुफेय फीवा कल
वकायात्भक ऊजाा का वॊ ाय शोता शैं। वलष्णु फीवा कल
वलाश्रेष्ठ भाध्मभ शैं।
के प्रबाल वे उवके रुके शुले कामा वॊऩन्न शोने रगते शैं। भूल्म भात्र: 2350
44 - 2018
ॐ श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ ऐॊ वौं ॐ ह्ीॊ क ए ई र ह्ीॊ श व क श र ह्ीॊ वकर ह्ीॊ वौं ऐॊ क्रीॊ ह्ीॊ श्री ॐ ।
(Om Shreem Hreem Kleem Aim Soum Om Hreem Ka Ae Ee La Hreem Ha Sa Ka Ha La Hreem
Sakal Hreem Soum Aim Kleem Hreem Shreem Om)
धनतेयव मा दीऩालरी के ददन वॊकल्ऩ रेकय प्रात्कार स्नान कयके ऩूला मा उत्तय ददळा फक औय भुख कयके रक्ष्भी फक
भूतता मा ध ि की ऩॊ ोऩ ाय मा दषोऩ ाय मा ऴोड्ऴोऩ ाय वे ऩूजा कयें ।
ळुि-ऩवलि आवन ग्रशण कय स्पदटक फक भारा वे भॊि का जाऩ १,५,७,११ भारा जाऩ ऩूणा कय अऩने कामा उद्देश्म फक
ऩूतता शे तु भाॊ रक्ष्भी वे प्राथना कयें ।
अधधकस्म अधधकॊ परभ ्।
जऩ त्जतना अधधक शो वके उतना अच्छा शै । मदद भॊि अधधक फाय जाऩ कय वकें तो श्रेष्ठ।
प्रततददन स्नान इत्माददवे ळुि शोकय उऩयोक्त फकवी एक रक्ष्भी भॊि का जाऩ 108 दाने फक भारा वे कभ वे कभ
एक भारा जाऩ अलश्म कयना ादशए।
उऩयोक्त भॊि के वलधध-वलधान के अनव
ु ाय जाऩ कयने वे भाॊ रक्ष्भी फक कृऩा वे व्मत्क्त को धन की प्रात्तत शोती शै
औय तनधानता का तनलायण शोता शै ।
46 - 2018
दीऩालरी ऩज
ू न का भशत्ल औय वॊऩण
ू ा ळास्िोक्त रक्ष्भी ऩज
ू न
दीऩोत्वल अथाात दीऩालरी ऩला को ऩयु ातन कार शास्त्रों भें दे वी भहारक्ष्भी कक उत्ऩत्त्त से
वे शी बायतलऴा भें ज्मोततऩला के रुऩ भें भनामा जाता शैं।
ा़ ा़ सांफांधधत ववमबन्न भत हैं
फडे-फडे भशानगयों वे रेकय छोटे वे छोटे गालों भें बी
वलसबन्न धभा ळास्िो भें रक्ष्भी फक उत्ऩत्त्त के
धनी वे रेकय गयीफ वे गयीफ व्मत्क्त की ौखट बी इव
वलऴम भें अनेक कथाएॊ उल्रेर्खत शैं। उन प्रा ीन कथाओॊ
ऩालन ऩला के अलवय ऩय दीऩक की ऩॊत्क्तमों के जगभगा
भें वभुद्र भॊथन के दौयान भाॊ भशारक्ष्भी फक उत्ऩत्त्त
उठती शैं। दीऩालरी के ददन अभालस्मा शोने के कायण
भानी जाती शैं। वलसबन्न ग्रॊथो भें रक्ष्भी एलॊ वभुद्र भॊथन
इव ददन वकर रोक भें ायों ओय अॊधकाय पैरा शोता
फक कथाओॊ भें अॊतय दे खने को सभरता शैं। ऩयॊ तु भूरत्
शैं, रेफकन भनुष्म को अॊधकाय ऩवॊद नशीॊ शैं, इव सरए
वफ कथाओॊ भें अॊतय शोने के उऩयाॊत बी अधधकतय
लशॉ उववे भुकाफरा कयने के उद्देश्म वे अऩने घय-दक
ु ान
वभान शैं।
आदद स्थानों ऩय दीऩों की ऩॊत्क्तमों भें वजाकय अॊधेये को
दयू बगाने का वाथाक प्रमाव कयता शैं। प्रजाऩत्म कल्ऩ के अनुसाय:
बगलान ब्रह्भा ने रुद्र रूऩ को शी स्लमॊबु भनु
ऩौयार्णक भान्मताओॊ के अनुवाय ऩुयातन कार भें
औय स्िी रूऩ भें वतरूऩा को प्रकट फकमा औय उवके
दीऩालरी ऩला को "रोकोत्वल" के रुऩ भें भनामा जाता
फाद वप्रमव्रत उत्तानऩाद, प्रवतू त औय आकूतत नाभ फक
था। रेफकन आज दीऩालरी ऩला की भुख्मत् दो प्रभुख
वॊतानों को जन्भ ददमा। फपय आकूतत का वललाश रुध वे
वलळेऴता दे खने को सभरती शैं। एक शैं, दीऩों की
औय प्रवूतत का वललाश दष वे फकमा गमा। दष ने प्रवूतत
जगभगाशट वे अॊधकायको दयू कयना औय दव
ू यी शै , लैबल
वे 24 कन्माओॊ को जन्भ ददमा। इवके नाभ श्रिा, रक्ष्भी,
एलॊ वुख-वभवृ ि की दे ली भाॉ भशारक्ष्भी के ऩूजन का
ऩुत्ष्ट, धतु त, तुत्ष्ट, भेधा, फक्रमा, फुवि, रज्जा, लऩु, ळात्न्त,
आमोजन।
ऋवि, औय कीतता इत्मादी शैं।
धासभाक भान्मताओॊ के अनव
ु ाय दीऩालरी के ददन
घय-दक
ु ान आदद स्थानों के अराला अन्म वालाजतनक ववष्णु ऩुयाण के अनुसाय:
स्थानों ऩय बी दीऩकों की ऩॊत्क्तमाॉ यखने का वलधान शैं।
एवी भान्मता शैं की श्राि ऩष वे रेकय कातताक । लश वुगत्न्धत भारा थी।
भाव की अभालस्मा तक वऩतयों को ऩन
ु ् अऩने रोक भें ऋवऴ ने उव भारा को अऩने जटाओॊ ऩय धायण कयने के
रोटना शोता शैं। ऩरयलाय के रोग वऩतयों का आह्लान सरए भाॊगा औय प्रातत कय सरमा। दल
ु ाावा ने वो ा फक
कयते शैं, उनका ऩज
ू न कय दीऩों वे उनका ऩन
ु ् लाऩव मश भारा प्रेभ के कायण, उवे प्रातत कय ले काभातुय शो
जाने लारा अॊधधमाया भागा प्रकासळत कयके उन्शें अगरे उठे शैं, ले अऩने काभ के आलेग को योकने के सरए
लऴा तक के सरए वलदाई दे ते शैं। इधय-उधय घूभते-घूभते स्लगा रोक ऩशुॊ ।े लशाॊ उन्शोंने
दीऩावरी के सांफांध भें बववष्मऩुयाण भें उल्रेख हैं की अऩने सवय वे भारा शटाकय इन्द्र को दे दी। इन्द्र ने उव
लस्ि-ऩुष्ऩै् ळोसबतव्मा क्रम-वलक्रम-बूभम्। भारा को ऐयालत के गरे भें डार ददमा औय ऐयालत वे
अथातत ्: आज के ददन धनऩतत कुफेय का बी ऩूजन शोता लश भारा धयती ऩय धगय गई औय ऩैयों वे कु र गई।
शैं। दशन्द ू धभाळास्िों के अनुवाय कुफेय धनऩतत शैं। दल
ु ाावा ने जफ मश दे खा फक उवकी भारा की मश दग
ु ता त
एवा भानाजाता शैं की आज के ददन शी दे ली शुई तो लश क्रोधधत शुए औय उन्शोंने इन्द्र को श्रीशीन
रक्ष्भी का जन्भ शुला था। शोने का ळाऩ ददमा। जफ इन्द्र ने मश वुना तो बमबीत
47 - 2018
शोकय ऋवऴ के ऩाव आमे ऩय उनका ळाऩ रौट नशीॊ कय ददमा। तदनन्तय, ध न्ताभर्ण को भध्म भें यखकय
वकता था। इवी ळाऩ के कायण अवयु ों ने इन्द्र औय दे लताओॊ औय दै त्मों ने ऩन
ु : वभद्र
ु को भथना आयम्ब
दे लताओॊ को स्लगा वे फाशय तनकार ददमा। दे लता ब्रह्भा फकमा। ले वबी फर भें फढ़े - ढ़े थे औय फाय-फाय गजाना
जी की ळयण भें गमे औय उनवे अऩने कष्ट के वलऴम कय यशे थे। अफ की फाय उवे भथे जाते शुए वभद्र
ु वे
भें कशा। उच् ै:श्रला नाभक अश्ल प्रकट शुआ। लश वभस्त
ब्रह्भा जी दे लताओॊ को रेकय वलष्णु के ऩाव गमे अश्लजातत भें एक अद्भत ु यत्न था। उवके फाद गज जातत
औय उनवे वायी फात कशी तफ वलष्णु ने दे लताओॊ को भें यत्न बूत ऐयालत प्रकट शुआ। उवके वाथ श्लेतलणा के
दानल वे वुरश कयके वभुद्र भॊथन कयने की वराश दी ौवठ शाथी औय थे। ऐयालत के ाय दाॉत फाशय तनकरे
औय स्लमॊ बी वशामता का आश्लावन ददमा। उन्शोंने शुए थे औय भस्तक वे भद की धाया फश यशी थी। इन
फतामा फक वभुद्र भॊथन वे उन्शें रक्ष्भी औय अभत
ृ ऩुन् वफको बी भध्म भें स्थावऩत कयके ले वफ ऩन
ु : वभुद्र
प्रातत शोगा। अभत
ृ ऩीकय ले अजय औय अभय शो जाएॊगे। भथने रगे। उव वभम उव वभुद्र वे भददया, बाॉग,
दे लताओॊ ने बगलान वलष्णु की फात वुनकय वभुद्र भॊथन काकडासवॊगी, रशवुन, गाजय, अत्मधधक उन्भादकायक
का आमोजन फकमा। उन्शोंने अनेक औऴधधमाॊ एकत्रित धतूय तथा ऩुष्कय आदद फशुत-वी लस्तुएॉ प्रकट शुईं। इन
की औय वभुद्र भें डारी। फपय भॊथन फकमा गमा। वफको बी वभुद्र के फकनाये एक स्थान ऩय यख ददमा
भॊथन के सरमे जाते शुए वभुद्र के ायों ओय फडे गमा। तत्ऩश् ात ले श्रेष्ठ दे लता औय दानल ऩुन: ऩशरे
जोय की आलाज उठ यशी थी। इव फाय के भॊथन वे की शी बाॉतत वभुद्र-भॊथन कयने रगे। अफ की फाय वभुद्र
दे लकामों की सववि के सरमे वाषात ् वुयसब काभधेनु वे वम्ऩूणा दळों ददळाओॊ भें ददव्म प्रकाळ व्मातत शो गमा
प्रकट शुईं। उन्शें कारे, श्लेत, ऩीरे, शये तथा रार यॊ ग की उव ददव्म प्रकाळ वे दे ली भशारक्ष्भी प्रकट शुईं। इवसरए
वैकडों गौएॉ घेये शुए थीॊ। उव वभम ऋवऴमों ने फडे शऴा रक्ष्भी को वभुद्र की ऩुिी के रूऩ भें जाना जाता शै ।
भें बयकय दे लताओॊ औय दै त्मों वे काभधेनु के सरमे भशारक्ष्भी ने दे लता, दानल, भानल वम्ऩूणा प्रार्णमों
मा न की औय कशा आऩ वफ रोग सभरकय सबन्न- की ओय दृत्ष्टऩात फकमा। भाता भशारक्ष्भी की कृऩा-दृत्ष्ट
सबन्न गोिलारे ब्राह्भणों को काभधेनु वदशत इन वम्ऩूणा ऩाकय वम्ऩूणा दे लता उवी वभम ऩुन् श्रीवम्ऩन्न शो
गौओॊ का दान अलश्म कयें । ऋवऴमों के मा ना कयने ऩय गमे। ले तत्कार याज्माधधकायी के ळुब रषणों वे
दे लताओॊ औय दै त्मों ने बगलान ् ळॊकय की प्रवन्नता के वम्ऩन्न ददखामी दे ने रगे।
सरमे ले वफ गौएॉ दान कय दीॊ तथा मस कभों भें बरी- रक्ष्भी की उत्ऩत्त्त
बाॉतत भन को रगाने लारे उन ऩयभ भॊगरभम भशात्भा वत्ृ ष्ट य ना के वलऴम भें सान प्रातत कयते शुले
ऋवऴमों ने उन गौओॊ का दान स्लीकाय फकमा। तत्ऩश् ात बीष्भ ने ऩुरस्त्म ऋवऴ वे प्रश्न फकमा ऋवऴ श्रेष्ठ,
वफ रोग फडे जोळ भें आकय षीयवागय को भथने रगे। रक्ष्भी की उत्ऩत्त्त के वलऴम भें आऩ भुझे वलस्ताय वे
तफ वभद्र
ु वे कल्ऩलष
ृ , ऩारयजात, आभ का लष
ृ औय फताइए। क्मोंफक इव वलऴम भें कथा अनेक शैं। मश
वन्तान- मे ाय ददव्म लष
ृ प्रकट शुए। वुनकय ऩुरस्त्म ऋवऴ फोरे फक भशवऴा बग
ृ ु फक ऩत्नी
उन वफको एकि यखकय दे लताओॊ ने ऩन
ु : फडे ख्मातत के गबा वे एक त्रिरोकवुन्दयी कन्मा उत्ऩन्न शुई।
लेग वे वभुद्र भॊथन आयम्ब फकमा। इव फाय के भॊथन वे लश वभस्त ळुब रषणों वे वुळोसबत थी। इवसरए उवका
यत्नों भें वफवे उत्तभ यत्न कौस्तुब प्रकट शुआ, जो नाभ रक्ष्भी यखा गमा।
वूमभा ण्डर के वभान ऩयभ कात्न्तभान था। लश अऩने ऩौयार्णक कथा औय भान्मताओॊ के अनुवाय
प्रकाळ वे तीनों रोकों को प्रकासळत कय यशा था। रक्ष्भी, न्द्रभा आदद वबी यत्न की उत्ऩत्त्त वभुद्र
दे लताओॊ ने ध त
ॊ ाभर्ण को आगे यखकय कौस्तब
ु का भॊथन के दौयान शुई थी, रेफकन वभुद्र-भॊथन की तनत्श् त
दळान फकमा औय उवे बगलान वलष्णु की वेला भें बें ट ततधथ का लणान धभाळास्िों भें नशीॊ शैं। इव सरमे एवी
48 - 2018
भान्मता शैं की बगलान श्रीयाभ ने आज शी के ददन लऴा भें एक फाय शी वशी रेफकन ऩण
ू ा वलधध-वलधान वे शी
याज्मायोशण उत्वल भनामा था औय तफ वे वभग्र दे ली रक्ष्भी की ऩज
ू ा कयनी ादशए।
अमोध्मा नगयी दीऩों के प्रकाळ वे जगभगा उठी। मदद आऩने ऩशरे वे कोई रक्ष्भी मॊि जैवे श्री मॊि
(बवलष्म ऩयु ाण) (रक्ष्भी मॊि) श्री मॊि (भॊि यदशत) श्री मॊि (वॊऩण
ू ा
दीऩालरी के ददन घय के वबी वदस्मको प्रात् भॊि वदशत) श्री मॊि (फीवा मॊि) श्री मॊि श्री
जल्दी उठकय प्रपुत्ल्रत भन वे घय, दक
ु ान आदद वक्
ू त मॊि श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) श्री रषभी
व्मलवामीक स्थानों की वाप-वपाई कयके उवे ळुि कुफेय धनाकऴाण मॊि आकत्स्भक धन प्रात्तत मॊि
जरवे धो रेना ादशए। व्मलवामीक स्थान ऩय नमे भशारक्ष्भमै फीज मॊि भशारक्ष्भी फीवा मॊि
लस्ि, गादी आदद वे ऩुयाने कलय आदद शटाकय नमे रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि रक्ष्भी दाता फीवा
रगादे (मदद नमे रेने का वाभथ्मा न शो तो उवे आगे वे मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि रक्ष्भी गणेळ मॊि
धो कय स्लच्छ कय वुखारे), व्मलवामे वे वॊफॊधधत नमे कनक धाया मॊि लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सववि
फशी-खाता आदद को स्थावऩत कयना ादशमे। वलद्वानो के दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि) श्री श्री मॊि (रसरता
भतानुवाय कैळ फॉक्व, फशी-खाता, तुरा, रेखनी, आदद भशात्रिऩुय वुन्दमै श्री भशारक्ष्भमैं श्री भशामॊि)
का कॊु कुभ वे स्लत्स्तक फनाकय ऩूजन कयना ादशए उव अॊकात्भक फीवा मॊि ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन
ऩय शल्दी का घोर फनाकय छीॊटे रगाने ादशमे। मॊि धनदा मॊि शो एलॊ मदद आऩके ऩाव कोई जैन
ळास्िोक्त वलधान वे रक्ष्भी ऩूजन केलर त्स्थय रग्न भें मॊि शों जैवे श्री ऩद्मालती मॊि श्री ऩद्मालती
की वॊऩन्न कयना ादशए। दीऩालरी के ददन भें प्राम् फीवा मॊि श्री ऩाश्लाऩद्मालती ह्ींकाय मॊि ऩद्मालती
वाॊम कार भें ऩूजन शे तु त्स्थय रग्न भें लऴ
ृ ब रग्न एलॊ व्माऩाय लवृ ि मॊि श्री मॊि श्री रक्ष्भी प्रात्तत औय
यािी कार भें सवॊश रग्न शोता शैं। इव सरए उक्त रग्नों व्माऩाय लधाक मॊि श्री रक्ष्भीकय मॊि रक्ष्भी
भें शी भाॉ रक्ष्भी का ऩूजन वला श्रेष्ठ भाना जाता शैं। प्रात्तत मॊि शो तो आऩ उव मॊि को स्थावऩत कय उवका
दीऩालरी के ददन प्रात् स्नानादद तनत्म कभा वे धऩ
ू -दीऩ-नैलेद्म आदद वे ऩूजन कय वकते शैं। मदद
तनलत्ृ त शोकय एक सभट्टी के ऩाि भें सवॊदयू को घी के आऩके ऩाव कोई बी रक्ष्भी मॊि उऩल्फध नशीॊ शो, तो
वाथ सभराकय उवका रेऩ फनारे, फपय उववे अऩने ऩूजा आऩ गुरुत्व कामातरम द्वाया प्रातत कय वकते शैं। मदद
स्थान, घय के भुख्म द्वाय मा व्मलवामीक स्थान ऩय ॐ, आऩ लताभान वभम भें भॊि सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत मॊि
श्रीॊ, श्री, स्लत्स्तक, ळब
ु -राब, रयवि-सववि आदद अऩनी प्रातत कयने भें अवभथा शो तो, आऩ सततश्री मांत्र का
श्रिा एलॊ वलश्लाव वे भाॊगसरक ध न्श मा ळब्दों को तनभााण कयरें , औय जफ आऩका वाभथ्मा शो जामे तफ
अॊफकत कयें । कुछ वलद्वानो का भत शैं की सवॊदयू वे मदद आऩ अऩनी आलश्मक्ता के अनव
ु ाय रक्ष्भी मॊि प्रातत
रक्ष्भीजी का फीज भॊि अॊफकत कयना अतत राबप्रद शोता कय वकते शैं।
शैं। क्मोकी, प्राम् घयों एलॊ व्मलवामीक स्थानों ऩय ॐ,
श्री, स्लत्स्तक, ळब
ु -राब एलॊ रयवि-सववि सरखा शुला वबी वलळेऴ नोट:
ने दे खा शी शोगा! रक्ष्भी ऩजू न के वभम घय के वबी मदद आऩके ऩाव ऩशरे वे असबभॊत्रित मा प्राण-
वदस्मों को वाथ सभरकय ऩूणा श्रिा वे दे ली भशारक्ष्भी प्रततत्ष्ठत मॊि उऩरब्ध शो तो उवकी केलर धऩ
ू -दीऩ
का ऩूजन कयना ादशए। वे शी ऩूजा कयें , उव मॊि की ऩुन् प्राण-प्रततष्ठा मा
दे ली भशारक्ष्भी की ऩूजा ाशे आऩ स्लमॊ कययशे शो मा उवे असबभॊत्रित कयलाने की आलश्मक्ता नशीॊ शोती।
फकवी वलद्लान ऩॊडडत वे कयला यशे शो, ऩूजा ऩूणा वलधध- गुरुत्ल कामाारम द्वाया उऩल्फध कयलामे गमे वबी मॊि
वलधान वे कयें । जल्दी-जल्दी ऩूजा खत्भ कयने का ऩूणत
ा ् ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे वलसळष्ट तेजस्ली
वलधान ळास्िोक्त भत वे बी लत्जात शैं। क्मोकी केलर भॊिो द्वाया सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा त
ै न्म मक्
ु त
49 - 2018
शोते शैं, शभाये मशाॊ वे उऩरब्ध कयलामे गमे मॊि ॐ वलष्णु् भावोत्तभें भावे कातताकभावे कृष्णऩषे
ऩण
ू त
ा ् अखॊडडत एलॊ ळि
ु धातु भें तनसभात शोते शैं। ऩण्
ु मामाभभालास्मामाॊ ततथौ लावये ............(लाय का नाभ रे),
म् स्भये त ् ऩुण्डयीकाषॊ व फाह्मा्मन्तय् ळुध ्॥ ऩाद ऩॊकजभ॥् ॐ सवविफवु ि वदशत श्री गणेळाम नभ् गणेळॊ
इव भॊि वे ळयीय औय ऩज
ू न वाभग्री ऩय जर छीटें इवे अॊदय ध्मामासभ भॊि का उच् ायण कयें ।
फाशय औय फशाय दोनों ळि
ु शो जाता शै आह्वानां:-
आचभन:- इव भॊि वे श्री गणेळ का आशलान कये मा भन शी भन भें श्री
गणेळ जी को ऩधायने के सरमे वलनतत कयें । शाथभें अषत रेकय
ॐ केळलाम नभ: ॐ नायामण नभ:
आशलान कयें ।
ॐ भध्लामे नभ:
आगच्छ बगलन्दे ल स्थाने ाि त्स्थयो बल
शस्तो प्रषल्म शसळाकेळम नभ :
मालत्ऩूजाॊ करयष्मासभ तालत्लॊ वत्न्नधौ बल।।
आसान सवु ि:-
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ्
ॐ ऩथ्
ृ ली त्लमा धृता रोका दे वल त्ल वलद्गणुनाधृता्। गणेळॊ ध्मामासभ भॊि का उच् ायण कयके अषते डारदें .....
त्ल धायम भा दे वल ऩवलि कुरू आवनभ॥् इव भॊि वे श्री गणेळ की भतू ता मा प्रततभा ऩय शल्दी मा
कुभकुभ वे यॊ गे ारल डारें। मदद प्रततभा के प्रशरे वे प्राण-
प्रततष्ठा शो गई शैं तो आलश्मक्ता नशीॊ शैं तफ केलर वऩ
ु ायी
यऺा भांत्र:- ऩय शी ारल डारें।
अऩक्राभन्तु बत
ू ातन वऩळा ा् वलातो ददळा। स्भयण:-
वलेऴाभलयोधेन ब्रह्भकभा वभायबे। शाथभें ऩुष्ऩ रेकय श्री गणेळजी का स्भयण कयें ।
अऩवऩान्तु ते बत
ू ा् मे बत
ू ा् बसू भवॊत्स्थता्। नभस्तस्भै गणेळाम वला वलध्न वलनासळने॥
मे बत
ू ा वलनकताायस्ते नष्टन्तु सळलासमा।' कामाायॊबेऴु वलेऴु ऩूत्जतो म् वुयैयवऩ।
इव भॊि वे दळों ददळाओॊ भैं वऩरा वयवों तछटके त्जवेव वुभुखश् ैक दॊ तश् कवऩरो गजकणाक्॥
वभस्त बत
ू प्रेत फाधाओॊ का तनलायण शोता शै रॊफोदयश् वलकटो वलघ्ननाळो वलनामक्।
स्नानां:- चांदन:-
धूऩ:- दक्षऺणा:-
ततऩश् मात धूऩ आदद जरामे। ततऩश् मात दक्षषणा अवऩात कयें ।
लनस्ऩतत यवोद्भूतो गॊधाढ्मो गॊध उत्तभ्। दशयण्म गबा गबास्थॊ शे भफीजॊ वलबालवो।
आध्नम वला दे लानाॊ धूऩोमॊ प्रततगह्
ृ मताभ ्॥ अनॊत ऩूण्म परदभत् ळाॊततॊ प्रमच्छ भे॥।
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् धूऩॊ वभऩामासभ॥ ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् दक्षषणाॊ वभऩामासभ।
दीऩ:-
ततऩश् मात दीऩ आदद जरामे। प्रदक्षऺणा:-
आज्मेन लतताना मुक्तॊ लत्ह्नना प्रमोत्जतभ ् भमा। ततऩश् मात प्रदक्षषणा कयें ।
दीऩॊ गश
ृ ाण दे लेळ िेरोक्म ततसभयाऩश॥। मातन कातन ऩाऩातन जन्भान्तय कृतातन ।
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् दीऩॊ दळामासभ॥ तातन वलाार्ण नश्मन्तु प्रदक्षषणा ऩदे ऩदे ।
नैवेद्म:- ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् प्रदक्षषणाॊ कयोसभ।
ततऩश् मात नैलेद्म अवऩात कयें । आयती:-
ळकाया खॊडखाद्मातन दधधषीय घत
ृ ातन । नीयाजन-आयती प्रगट कय उवभें ॊदन-ऩष्ु ऩ रगामे
आशायॊ बक्ष्मॊ बोज्मॊ गश
ृ ाण गणनामक। कऩयु प्रज्लसरत कयें ।
53 - 2018
फाॉझन को ऩि
ु दे त तनधान को भामा॥ जम गणेळ..... आत्भन् कुरदे वता रोकभातय् दे वसेना भेधा
' वयू ' श्माभ ळयण आए वपर कीजे वेला 16 12 8 4
सवॊदशका गबा वॊबतू ॊ तॊ याशुॊ प्रणभाम्मशभ ्॥८॥ करळस्म भुखे वलष्णु् कॊठे रुद्र् वभाधश्रत् । भूरे त्लस्म स्थतो
ऩराळ ऩष्ु ऩ वॊकाळॊ तायका ग्रश भस्तकभ ्। ब्रह्भा भध्मे भातगृ णा् स्भृता् ॥ कुषौ तु वागया् वले, वततद्लीऩा
यौद्रॊ यौद्रात्भकॊ घोयॊ तॊ केतुॊ प्रणभाम्मशभ ्॥९॥ लवुध
ॊ या् । अजुना ी गोभती ल ै ॊद्रबागा वयस्लती ॥
इतत व्माव भख
ु ोद् गीतॊ म् ऩठे त ् वव
ु भादशत्। कालेयी कृष्णलेणी गॊगा ैल भशानदी । तातती गोदालयी ैल
ददला ला मदद ला यािौ वलघ्न ळात्न्त् बवलष्मतत॥१०॥ भाशे न्द्री नभादा तथा ॥ नदाश् वलवलधा जाता नद्म्
नय नायी नऩ
ृ ाणाॊ बलेद् द्ु स्लतन नाळनभ ्। वलाास्तथाऩया् ।
ऐश्लमं अतर
ु ॊ तेऴाभ ् आयोग्मॊ ऩत्ु ष्ट लधानभ ्॥११॥ ऩधृ थव्माॊ मान तीथाातन करळस्तातन तातन लै् ॥ वले वभुद्रा्
गश
ृ नषिजा् ऩीडा स्तस्कयात्ग्न वभद्भ
ु ला्। वरयतस्तीथमाातन जरदा नदा् । आमान्तु भभ काभस्म
ता् वलाा् प्रळभॊ मात्न्त व्मावो ब्रू ते न वॊळम्॥१२॥ दरु यतषमकायका् ॥ ॐ अऩाॊ ऩतमे लरुणाम नभ् । ॐ
॥ इतत श्रीव्माव वलयध तॊ नलग्रशस्तोिॊ वॊऩण
ू भ
ा ्॥ लरुणाद्मालादशत दे लता्मो नभ्।
करळ ऩज
ू न(लरुण ऩज
ू न ) सभऩतण :-
घत
ृ स्नानॊ वभऩामासभ । घत
ृ स्नानान्ते ळुिोदकस्नानॊ ळि
ु ोदक स्नान कयामे मदद ऩष्ु ऩा न
ा मा जर असबऴेक नशीॊ
वभऩामासभ। कयना शो तो वीधे ळि
ु ोदक स्नान कयामे।)
(घत
ृ [घी] स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।) असबऴेक शे तु ळि
ु जर मा दग्ु ध वे श्रीवक्
ू त के ऩाठ के वभम
अखण्ड जरधाया वे स्नान अथाात असबऴक कयामे। अखण्ड
भधु स्नान :- जरधाया शे तु धातु की प्रततभा मा द्रव्मरक्ष्भी श्रेष्ठ यशती शैं।
तरुऩुष्ऩवभुद्भूतॊ वुस्लादु भधुयॊ भधु । तेज् ऩुत्ष्टकयॊ ददव्मॊ अखण्ड जरधाया असबऴेक अरग ऩाि भें कयना ादशए।
स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ ॐ भधुलाता ऋतामते भधु षयत्न्त * सभट्टी की प्रततभा शो तो अखण्ड जरधाया वे प्रततभा
सवन्धल्। भाध्लीना् वन्त्लोऴधी् ॥ भधु नक्तभुतोऴवो षततग्रस्त शो वकती शैं। श्री वक्
ू त इव अॊक भें उऩरब्ध
भधुभत्ऩाधथालॎ घूॊ यज्। भधु द्मौयस्तु न् वऩता॥ भधुभान्नों कयामा गमा शैं।
लनस्ऩततभेधुभाॉऽअस्तु वूम्ा । भाध्लीगाालो बलॊतु न् ॥ ॐ शि
ु ोदक स्नान :
भशारक्ष्म्मै नभ्। भधुस्नानॊ वभऩामासभ। भधुस्नानन्ते भन्दाफकन्मास्तु मद्वारय वलाऩाऩशयॊ ळुबभ ् ।
ळुिोदकस्नानॊ वभऩामासभ । तदददॊ कत्ल्ऩतॊ तु्मॊ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
(ळशद स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।) ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ळि
ु ोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।
(ळि
ु ोदक स्नान के सरए गॊगाजर अथला ळि
ु जर वे दे ली को
शकतया स्नान :- स्नान कयामे। तदनॊतय प्रततभा का अॊग-प्रोषण(ऩोंछना) कयके
इषुवायवभुद्भूता ळकाया ऩुत्ष्टकारयका । उवे मथास्थान आवान ऩय स्थावऩत कयें ।)
भराऩशारयका ददव्मा स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
ॐ अऩा घूॊ यवभुद्वमवॎ वूमे वन्त घूॊ वभादशतभ ् । आचभन :-
अऩा घूॊ यवस्म मो यवस्तॊ लो तत्ऩश् ात 'ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्' कशकय आ भनी वे जर
गह्
ृ णाम्मुत्तभभुऩमाभगश ृ ीतोऽवीन्द्राम अवऩात कयें ।
त्ला जुष्टॊ गह्ृ णाम्मेऴ ते मोतनरयन्द्राम त्ला जुष्टतभभ ् ॥
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ् । ळकायास्नानॊ वभऩामासभ, ळकाया वस्त्र :-
स्नानान्ते ऩुन् ळुिोदक स्नानॊ वभऩामासभ । ददव्माम्फयॊ नूतनॊ दश षौभॊ त्लततभनोशयभ ् ।
(ळक्कय वे स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।) दीमभानॊ भमा दे वल गशृ ाण जगदत्म्फके ॥
ऩांचाभत
ृ स्नान :- ॐ उऩैतु भाॊ दे लवख् कीतताश् भर्णना वश ।
दध
ू , दशी, घी, ळकय एलॊ ळशद सभराकय ऩॊ ाभत
ृ फनाएॉ ल प्रादब
ु ूत
ा ोऽत्स्भ याष्ट्रे ऽत्स्भन ् कीतताभृविॊ ददातु भे ॥
तनम्न भॊि वे स्नान कयाएॉ। ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। लस्िॊ वभऩामासभ,
ऩमो दधध घतृ ॊ ैल भधुळकायमात्न्लतभ ् । आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।
ऩॊ ाभृतॊ भमानीतॊ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ (लस्ि अवऩात कयें , आ भनीम जर अवऩात कयें ।)
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ऩॊ ाभतृ स्नानॊ वभऩामासभ, उऩवस्त्र :-
ऩॊ ाभृतस्नानान्ते ळुिोदकस्नानॊ वभऩामासभ । कॊ ुकीभुऩलस्िॊ नानायत्नै् वभत्न्लतभ ् ।
(ऩॊ ाभत
ृ स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।) गश
ृ ाण त्लॊ भमा दत्तॊ भॊगरे जगदीश्लरय ॥
गन्धोदक स्नान :- ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। उऩलस्िॊ वभऩामासभ,
भरमा रवम्बूतॊ न्दनागरुवम्बलभ ् । आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।
न्दनॊ दे लदे लेसळ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ (कॊ ुकी,अॉधगमा आदद उऩलस्ि ढ़ाएॉ,आ भन के सरए जर
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। गन्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ । दें ।)
(गॊध ( ॊदन) मक्
ु त जर वे स्नान कयाएॉ।) भधुऩकत :-
वलळेऴ:- काॊस्म काॊस्मेन वऩदशतो दधधभध्लाज्मवॊमुत् । भधुऩको
(काॊस्म ऩि भें त्स्थत भधुऩका (अथाात वोने ाॊदी के सवक्के (दे ली रक्ष्भी को सवन्दयू ढ़ाएॉ।)
इत्मादद) अवऩात कयें ) कांु कुभ :-
मऻोऩवीत :- कुॊकुभॊ काभदॊ ददव्मॊ कुॊकुभॊ काभरूवऩणभ ् ।
श्रीगणेळ, श्रीनायामण आदद दे लता को स्थावऩत फकमा शो तो अखण्डकाभवौबाग्मॊ कुॊकुभॊ प्रततगह्ृ मताभ ् ॥
मसोऩवलत ढ़ाए, अन्मथा वीधे आबऴ
ू ण वे ऩज
ू न कयें ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, कुॊकुभॊ वभऩामासभ ।
ॐ तस्भादअकूला अजामॊत मे के ोबमादत् । गालोश मक्षसये (कॊु कुभ अवऩात कयें ।)
तस्भात्तस्भाज्जाता अजालम् ॥ ॐ मसोऩलीतॊ ऩयभॊ ऩवलिॊ ऩष्ु ऩसाय :-
प्रजाऩतमेत्वशजॊ ऩयु स्तात ् ॥ आमष्ु मभग्र्मॊ प्रततभञ्
ु ळभ्र
ु ॊ तैरातन वुगन्धीतन द्रव्मार्ण वलवलधातन ।
मसोऩलीतॊ फरभस्तत
ु ज
े ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, ॐ भमा दत्तातन रेऩाथं गश ृ ाण ऩयभेश्लरय ॥
श्रीगणेळाम नभ्, ॐ बगलते लावद
ु े लाम नभ् । मसोऩलीतॊ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। वुगत्न्धततैरॊ ऩुष्ऩवायॊ वभऩामासभ ।
वभऩामासभ । (ऩष्ु ऩवाय भें वग
ु त्न्धत तेर ल इि अवऩात कयें ।)
(श्रीगणेळ, श्रीनायामण आदद दे लता कोमसोऩवलत ढ़ामे, अऺत :-
आ भन के सरए जर दें ।) अषताश् वुयश्रेष्ठे कुॊकुभाक्ता् वुळोसबता् ।
आबष
ू ण :- भमा तनलेददता बक्त्मा गश ृ ाण ऩयभेश्लरय ॥
यत्नकॊकणलैदम
ू भ
ा ुक्ताशायाददकातन । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। अषतान ् वभऩामासभ ।
वुप्रवन्नेन भनवा दत्तातन स्लीकुरुष्ल बो् ॥ (कॊु कुभ वे यॊ गे शुए अषत अवऩात कयें ।)
ॐ षुत्त्ऩऩावाभराॊ ज्मेष्ठाभ-अरक्ष्भीॊ
् नाळमाम्मशभ ् । ऩष्ु ऩ एवां ऩष्ु ऩभारा :-
अबूततभवभृविॊ वलां तनणुद
ा भे गशृ ात ् ॥ भाल्मादीतन वुगन्धीतन भारत्मादीतन लै प्रबो ।
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। नानावलधातन कुॊडरकटकादीतन भमानीतातन ऩुष्ऩार्ण ऩूजाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
आबूऴणातन वभऩामासभ । (आबऴ
ू ण वभवऩात कयें ।) ॐ भनव् काभभाकूततॊ ला ् वत्मभळीभदश । ऩळूनाॊ
गन्ध :- रूऩभन्नस्म भतम श्री् श्रमताॊ मळ् ॥
श्रीखण्डॊ न्दनॊ ददव्मॊ गन्धाढ्मॊ वुभनोशयभ ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ऩुष्ऩॊ ऩुष्ऩभाराॊ वभऩामासभ ।
वलरेऩनॊ वुयश्रेष्ठे न्दनॊ प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ (उक्त भॊि का उ ायण कय दे ली रक्ष्भी जी को ऩष्ु ऩों वे ल
ॐ गन्धद्वायाॊ दयु ाधऴांतनत्म ऩुष्टाॊ कयीवऴणीभ ् । ऩष्ु ऩ भाराओॊ वे अरॊकृत कयें । रक्ष्भीजी का ऩज
ू न कभर के
ईश्लयीॊ वलाबूतानाॊ तासभशोऩ ह्लमे धश्रमभ ् ॥ ऩष्ु ऩ वे श्रेष्ठ भाना जाता शैं।)
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। गन्धॊ वभऩामासभ । दव
ू ात :-
(अनासभका अॊगर
ु ी वे केवय सभधश्रत न्दन अवऩात कयें ।) वलष्ण्लाददवलादेलानाॊ वप्रमाॊ वलावुळोबनाभ ् ।
यक्त चन्दन :- षीयवागय वम्बूते दल ू ां स्लीकुरू वलादा ॥
यक्त न्दनवत्म्भश्रॊ ऩारयजातवभुद्भलभ ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दलू ांकुयान ् वभऩामासभ ।
भमा दत्तॊ भशारत्क्ष्भ न्दनॊ प्रततगह्
ृ मताभ ॥ (दल
ू ांकुय (अथाात ् दफ
ू के अॊकुय) अवऩात कयें ।)
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। यक्त न्दनॊ वभऩामासभ । अांग ऩज
ू ा :-
(अनासभका अॊगर
ु ी वे यक्त ॊदन ढ़ाएॉ।) तदनॊतय भशारक्ष्भीजी के वलसबन्न अॊगों का कॊु कुभ एलॊ अषत
मसन्दयू :- सभधश्रत ऩष्ु ऩों वे दे ली का एक-एक नाभ रेते शुले अॊगऩज
ू न
सवन्दयू ॊ यक्तलणं सवन्दयू ततरकवप्रमे । कयें
बक्त्मा दत्तॊ भमा दे वल सवन्दयू ॊ प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ ॐ ऩरामै नभ्, ऩादौ ऩज
ू मासभ। (ऩैयों ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात कयें )
ॐ सवन्धोरयल प्राध्लने ळूघनावो लात प्रसभम् ऩतमत्न्त मह्ला् ॐ ॊ रामै नभ्, जानन
ु ी ऩज
ू मासभ। (जानु प्रदे ळ ऩय ऩुष्ऩ अवऩात
। कयें )
घत
ृ स्म धाया अरुऴो न लाजी काष्ठा सबन्दन्नूसभासब् ॐ कभरामै नभ्,कदटॊ ऩज
ू मासभ। (कभय ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात कयें )
वऩन्लभान्॥ ॐ कात्मामन्मै नभ्,नासबॊ ऩज
ू मासभ। (नासब ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। सवन्दयू ॊ वभऩामासभ । कयें )
59 - 2018
ॐ ईसळतामै नभ् (उत्तय ददळा भें ), 8 ॐ लसळतामै ळीतरॊ तनभारॊ तोमॊ कऩूया े ण वुलासवतभ ् ।
नभ्(ईळान कोण भें ) | आ म्मताॊ जरॊ ह्मेतत ् प्रवीद ऩयभेश्लरय ॥
अष्टरक्ष्भी ऩज
ू न :- ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।
इवके ऩश् ात दक्षषणालता अथाात ् घडी की ददळा भें आठों (आ भन के सरए जर दें ।)
धश्रमॊ लावम भें कुरे भातयॊ ऩद्मभासरनीभ ् ॥ एरा ूणााददवॊमुक्तॊ ताम्फूरॊ प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। धूऩभाघ्राऩमासभ । ॐ आद्रां म् करयणीॊ मत्ष्टॊ वुलणां शे भभासरनीभ ् ।
(दोनों शाथों वे रक्ष्भीजीको धूऩ आघ्रावऩत कयें ।) वूमां दशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ जातलेदो भ आ लश ॥
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। भुखलावाथे ताम्फूरॊ वभऩामासभ ।
दीऩ :-
(रलॊग, इराम ी ल ऩग
ू ीपर(वऩ
ु ायी) यखकय ताम्फर
ू (ऩान)
काऩाावलततावम
ॊ ुक्तॊ घत
ृ मुक्तॊ भनोशयभ ् ।
अवऩात कयें ।)
तभोनाळकयॊ दीऩॊ गश ृ ाण ऩयभेश्लरय ॥
दक्षऺणा :-
60 - 2018
1. लैश्रलण 3. वऩॊगर 5. वलत्तेळ
2. ऩक्लाळ 4. वलवलध 6. कुफेय
आदद गुरु ळॊकया ामाजी के अनुवाय उक्त छ: नाभों को; शाथों भें स्लणा वे बये करळ, फडी तोंदलारे, स्लणा की आबा
मुक्त, वलवलध यत्नों-आबुऴण वे दीत्ततभान, नौ तनधधमों वे प्रकासळत दर
ु ाब यत्नों वे तनसभात कभर आवन ऩय,
लटलष
ृ के नी े वलयाजभान धन के अधधऩतत कुफेयजी का ध्मान कयते शुए जऩ-ऩज
ू न इत्मादद कयना ादशए।
कुफेय जी के उक्त 6 नाभों का जऩ-शलन कयने वे वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं।
वुख-वभवृ ि, रक्ष्भी प्रात्तत तथा ऋणभुत्क्त के सरए घी ल खीय का शलन कयना ादशए।
घी के वाथ ततरों वे शलन कयने वे ऋण भुत्क्त शोती शै ।
घी के वाथ त्रफल्ल वे शलन कयने वे अषत धन-वम्ऩत्त्त की प्रात्तत शोती शै ।
कुफेय आयती
ॐ जै मष कुफेय शये , स्लाभी जै मष जै मष कुफेय शये । स्लाभी व्मॊजन फशुत फने।
ळयण ऩडे बगतों के, बण्डाय कुफेय बये । भोशन बोग रगालैं, वाथ भें उडद ने॥
सळल बक्तों भें बक्त कुफेय फडे, स्लाभी बक्त कुफेय फडे। फर फुवि दाता, शभ तेयी ळयण ऩडे,
दै त्म दानल भानल वे, कई-कई मुि रडे ॥ स्लाभी शभ तेयी ळयण ऩडे अऩने बक्त जनों के , वाये
स्लाभी सवय ऩय छि फपये । मोधगनी भॊगर गालैं, भुकुट भणी की ळोबा, भोततमन शाय गरे,
गदा त्रिळर
ू शाथ भें , ळस्ि फशुत धये , ॥ॐ जै मष कुफेय शये ...॥
भॊि सवि दर
ु ब
ा वाभग्री
कारी शल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 शल्दी भारा - Rs- 280
धन लवृ ि शकीक वेट Rs-280 (कारी शल्दी के वाथ Rs-550) तर
ु वी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
शकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-145 भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
वपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 लैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राष भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above वलधुत भारा - Rs- 190, 280
कासभमा सवॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भूल्म भें अॊतय छोटे वे फडे आकाय के कायण शैं।
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63 - 2018
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65 - 2018
"श्री मॊि" भनष्ु म जीलन भें उत्ऩन्न शोने लारी आदद की काभना यखता शैं तो उवके सरए श्री
वभस्मा-फाधा एलॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि वलाश्रेऴ मॊि शैं। भनुष्म को
वकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे वभथा शै। "श्री रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि के ऩूजन वे जीलन के
धन लऴाा का अथा मशाॊ आवभान वे धन की फारयळ शोना नशीॊ शैं। धन लऴाा का अथा मशाॊ जीलन वे धन
अबाल को दयू कयना भाि शैं। अत् फुविजीली ऩाठकों वे तनलेदन शैं की अऩनी फुवि वललेक वे इव अथा के गूढ़
यशस्म को वभझने का प्रमाव कयें । वच् े धन की प्रात्तत भनुष्म को केलर ऩुरुऴाथा औय ऩूणा ऩरयश्रभ वे शी वॊबल
शैं।
वल नों के भतानव
ु ाय की त्रफना ऩरयश्रभ वे प्रातत धन त्स्थय नशीॊ यशता। धन की प्रात्तत फकवी भत्काय वे
नशीॊ शोती, धन की प्रात्तत केलर ऩरयश्रभ वे शोती शैं। ळास्िोक्त लर्णात उऩामों वे भनुऴ या फकमे गमे ऩरयश्रभ के
पर भें लवृ ि वॊबल शैं। इन उऩामों का भुख्म उद्देश्म भनुष्म को शोने लारे राब की प्रात्तत भें आने लारे वलघ्न-फाधा
एलॊ रुकालटों को दयू कयना एलॊ राब के पर भें लवृ ि कयना शैं।
धन रक्ष्भी वाधना
वाधना शे तु वाभग्री:-
भारा: कभरगट्टे की मा स्पदटक की
ददळा: उत्तय | आवन: ऩीरा | लस्ि: ऩीरा
प्रवाद: दध
ू वे फने प्रवाद का बोग रगामे
भॊि:–
ॐ श्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी आगच्छ आगच्छ भभभॊदे ततष्ठ ततष्ठ स्लाशा ||
Om Shreem Shreem Kleem Shreem Lakshmi Aagachchha Aagachchha
Mamamande Tishtha Tishtha Swaha
वलधध:–
मश वाधना फकवी बी ळुक्रलाय को ळुरू फक जा वकती शैं, उक्त भॊि का 11 भारा
जऩ 43 ददन तक कयने वे भॊि सवि शोता शै , रेफकन मदद अषम तत
ृ ीमा, धन तेयव औय दीऩालरी आदी ळुब
भुशूता शोत तो इवे 21 ददन कयके सवि कय वकते शैं।
वाधना शे तु वॊध्मा 7 फजे वे यात 10 फजे तक का वभम श्रेष्ठ शोता शैं। मदद वभम के अनुकूरता नशो तो
अऩनी वुवलधानुवाय वभम न
ू वकते शैं।
ऩूजन के वभम ळुि घी का ददऩक जरामे जो वाधना ऩूणा शोने तक जरता यशे औय वुगॊधधत अगयलती जरामे
यखे।
दे ली रक्ष्भी जी को बोग भें खीय मा घय भें फनी सभठाई का बोग रगामे।
श्री गणेळ जी औय अऩने गरु
ु दे ल का स्भयण कय वाधना भें वपरता की काभना कयते शुले वाधना कयें ।
वाधना की वभात्तत लारे ददन भॊि का 11 भारा अथाात(1188) फाय शलन कयें , शलन भें घी की आशुती दे । मदद
फकवी कायण वे आशुतत दे ने भें अवभथा शो तो आशुतत की वॊख्मा वे दोगन
ु ा भॊिजाऩ वम्तऩन कय वकते शैं।
इव रक्ष्भी वाधना के प्रबाल वे व्मत्क्त के ऩाव फकवी ना फकवी भाध्मभ वे धन आने रगता शैं। मश वॊबल नशीॊ
की इव वाधना के फाद बी व्मत्क्त तनधान यशें ।
68 - 2018
भॊि:
ॐ ऐॊ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ शॊ वौ जगत्प्रवूत्मै नभ्।
Om Aim Hreem Shreem Kleem Ham Sou
Jagatprasootyai Namah
वलधध:
प्रात्कार स्नानइत्मादद वे तनलत्ृ त शोकय स्लच्छ लस्ि
धायण कय ऩीरे आवन ऩय फैठ जामे। रक्ष्भीजी के
ध ि मा भूतता को एक रकडी के ौकी ऩय यखदे ।
रक्ष्भीजी को धऩ
ू -दीऩ इत्मादद वे वलधधलत ऩूजन कयें ,
वाधन कार भें धऩ
ू -दीऩ ारु यखें। ऩीरे मा स्लेत
पूर रक्ष्भीजी को अवऩात कयें । मदद वॊबल शो तो एक
पर बी रक्ष्भीजी को अवऩात कयें ।
फपय उऩयोक्त भॊि की 10 मा 20 भारा जाऩ कयें ।
भॊि की सववि शे तु कुर 25000 जाऩ कयें ।
भॊि जाऩ ऩण
ू ा शोने के ऩश् मात प्रततददन 1 भारा जऩ
जये । इव वाधना को कयने वे वाधक को धनराब
शोता शैं औय इत्च्छत कामा भें वपरता प्रातत शोतत शैं
( मदद अनुकूरता शोतो प्रततददन 1000, 3000 मा 5000 जाऩ बी कय वकते शैं।
जाऩ त्जतना अधधक शोगा उतना अधधक राब सभरेगा। भॊि सववि 25000 जाऩ ऩूणा शोने के ऩश् मात
प्रततददन तनमभ वे एक तनत्श् त भािा भें शी जाऩ कयें , जऩ वॊख्मा को कभ मा अधधक कयने ऩय प्रततकूर
ऩरयणाभ वॊबल शैं।
ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मततृ तमा आदद अफूझ भुशूता भुशूता ऩय अधधक पर प्रात्तत शे तु एलॊ भॊि के
प्रबाल को फढ़ाने शे तु अधधक भािा भें जऩ फकमा जा वकता शैं, क्मोफक, प्रततददन फकमे जायशे भॊि जऩ फक
अऩेषा इन अलवयों ऩय प्रततकूर ऩरयणाभों की वॊबालना नशीॊ शोती इव सरमे इन अलवयों ऩय जऩ अधधक
वॊख्मा भें फकमे जा वकते शैं।
69 - 2018
अनब
ु त
ू भशारक्ष्भी भॊि वाधना
वाधना शे तु वाभग्री:
भारा: कभर गट्टे की मा स्पदटक की
ददळा: उत्तय मा ऩूला
आवन: ऩीरा
लस्ि: वफेद
प्रवाद: पर मा सभश्री
भॊि:
ॐ श्रीॊ ह्ीॊ श्रीॊ कभरे कभरारमे प्रवीद प्रवीद श्रीॊ ह्ीॊ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्।
Om Shreem Hreem ShreeM Kamale Kamalalaye Praseeda Praseeda
Shreem Hreem Om Mahalakshmyai Namah
वलधध:
कातताक ळुक्र प्रततऩदा वे (मा ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मततृ तमा आदद
फकवी ळुब भुशूत)ा वे भॊि जाऩ ळुरु कयें । औय एक भाव भें वला राख भॊि
जाऩ ऩूणा कयें । फपय उऩयोक्त भॊि की प्रततददन 1 भारा जऩ कयें । इव वाधना
वे अत्माधधक धन राब शोने के मोग फनने रगते शैं। रक्ष्भीजी को धऩ
ू -दीऩ
इत्मादद वे वलधधलत ऩूजन कयें , वाधन के वभम भें धऩ
ू -दीऩ ारु यखें ।
वुगॊधधत पूर रक्ष्भीजी को अवऩात कयें । मदद वॊबल शो तो एक पर मा सभश्री
बी रक्ष्भीजी को अवऩात कयें । भॊि जाऩ ऩूणा शोने वे ऩशरे शी वाधक को
आधथाक राब सभरना ळुरु शो जाता शैं, इव भें जया बी वॊदेश नशीॊ शैं।
ळीघ्र परदामी रक्ष्भी भॊि वाधना
वाधना शे तु वाभग्री:
भारा: स्पदटक की
ददळा: उत्तय मा ऩूला
आवन: ऩीरा
लस्ि: वफेद
भॊि:
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ रक्ष्भी भशारक्ष्भीॊ वला काभ प्रदे वला वौबाग्मदातमनी असबभॊि
प्रमच्छ वला वलागते वुरुऩे वलादज
ु म
ा वलभोध नी ह्ीॊ व् स्लाशा।
Om Hreem Shreem Lakshmi Mahalakshmim Sarv Kam Prade Sarv Soubhagyadaayinee
Abhimantra Prayachchha Sarv Sarvagate Surupe Sarvdurjaya Vimochini Hreem Sah Swaha
वलधध:
प्रततददन तनमसभत वभम ऩय भॊि जऩ कयें । रकडी की ौकी ऩय रक्ष्भीजी का ध ि स्थावऩत कय उवका धऩ
ू -दीऩ
इत्मादद वे वलधधलत ऩूजन कयें , वाधन के वभम भें धऩ
ू -दीऩ ारु यखें। वग
ु ॊधधत पूर रक्ष्भीजी को अवऩात कयें । 20
ददन भें एक राख जाऩ ऩूणा कयें । जाऩ ऩूणा शोने के ऩश् मात प्रततददन 1 भारा जाऩ कयें । इव वाधना वे वाधन की
आधथाक त्स्थतत भें वुधाय शोने रगता शैं, औय उवे भाॉ रक्ष्भी की कृऩा वे वुख-वॊऩत्त्त औय लैबल की प्रात्तत शोती शैं।
70 - 2018
ध त
ॊ ा भर्ण रक्ष्भी वाधना
वाधना शे तु वाभग्री:
भारा: स्पदटक की
ददळा: ऩत्श् भ
आवन: ऩीरा
लस्ि: वफेद
प्रवाद: दध
ू वे फने प्रवाद का बोग रगामे
भॊि:
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी भभ ग्रशभ ् धनऩूय ध त
ॊ ा दयू दयू वलाशा !
Om Hreem Shreem Shreem, Shreem, Shreem Shreem Shreem Shreem
Lakshmi Mam Graham Dhanpur Chinta Door Door Swaha
वलधध:
श्री गणेळ जी औय अऩने गुरुदे ल का स्भयण कय वाधना भें वपरता की काभना कयते शुले वाधना कयें ।
ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मततृ तमा आदद अफूझ भुशूता भें दे ली रक्ष्भी का धऩ
ू -ददऩ आदद वे ऩूजन कय
इव भॊि को 108 फाय जऩ कयके सवि कय रे।
फपय जफ कोई भशत्लऩूणा व्मलवामीक कामा कयना शो तो तफ उक्त भॊि का ऩुन् 108 फाय जऩ कयके कामा
स्थर ऩय जाने वे व्माऩाय आदद भशत्लऩूणा कामों भें फढोतयी
ा़ एलॊ अत्माधधक राब की प्रात्तत शोती शैं।
रक्ष्भी प्रात्तत के एकाधधक स्तोि फनने रगें गे औय मदद कोई फेयोजगाय शो व्मत्क्त को आभदनी का कोई
वाधन नजय नशीॊ आ यशा शो तो बी इव भॊि को सवि कय वकता शैं औय सवि कयने के ऩश् मात 11 ददन
108 फाय जऩ कयने वे व्मत्क्त को उत्तभ योजगाय की प्रात्तत के मोग फनने रगते शै ।
मदद ऩरयलाय भें कोई न कोई कभी यशती शैं मा घय की प्रगतत मा उन्नतत के भागा प्रवस्त नशीॊ शो ऩायशे शो
मा अत्माधधक कजा वय ऩय ढ़ गमा शो तो बी इव भॊि को सवि कय वकते शैं।
मदद अफूझ भुशूता के आने वे ऩशरे इव भॊि को सवि कयने की आलश्मक्ता मा इच्छा शो तो इव भॊि का
जाऩ 11 ददन तक 108 लाय शय योज जऩने वे बी भॊि सवि शोता शै ।
आकत्स्भक धन प्रात्तत कल
आकत्स्भक धन प्रात्तत कल अऩने नाभ के अनुवाय शी भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्तत शे तु परप्रद शैं इव कल
को धायण कयने वे वाधक को अप्रत्मासळत धन राब प्रातत शोता शैं। ाशे लश धन राब व्मलवाम वे शो, नौकयी वे
शो, धन-वॊऩत्त्त इत्मादद फकवी बी भाध्मभ वे मश राब प्रातत शो वकता शैं। शभाये लऴों के अनुवध
ॊ ान एलॊ अनुबलों
वे शभने आकत्स्भक धन प्रात्तत कल को धायण कयने वे ळेमय ट्रे डडॊग, वोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्मादद वॊफॊधधत षेि
वे जुडे रोगो को वलळेऴ रुऩ वे आकत्स्भक धन राब प्रातत शोते दे खा शैं। आकत्स्भक धन प्रात्तत कल वे वलसबन्न
स्रोत वे धनराब बी सभर वकता शैं। भूल्म भात्र: 1250 >> Order Now
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71 - 2018
भॊि:
ॐ ऩद्मालती ऩद्मनेिे रक्ष्भीदातमनी वला कामा सववि
करय करय ॐ ह्ीॊ श्रीॊ ऩद्मालत्मै नभ्।
Om Padmavati Padmanetre Lakshmidayinee Sarv Karya Siddhi
Kari Kari Om Hreem Shreem Padmavatyai Namah
वलधध:
फकवी बी फुधलाय वे भॊि जाऩ प्रायॊ ब कयें । रकडी की ौकी ऩय वपेद लस्त
त्रफछा कय उव ऩय भॊिसवि प्राणप्रततत्ष्ठत श्री मॊि को स्थावऩत कयें । मॊि को
ळुि जर वे स्नान कयाके, उवऩय केवय रगामे, उवका धऩ
ू -दीऩ इत्मादद वे
वलधधलत ऩूजन कयें , वाधन के वभम भें धऩ
ू -दीऩ ारु यखें ।
उक्त भॊि का 5 मा 11 ददनों भें वला राख जऩ कयने वे भॊि सवि शो जाता
शैं। भॊि जाऩ ऩण
ू ा शोने ऩय कॊु लायी कन्माओॊ को बोजन कयामे, मथा ळत्क्त वाभथ्मा के अनुवाय बेट भें लस्ि इत्मादद
दें । फपय उव मॊि को अगरे ददन अऩने व्मलवामेक प्रततष्ठान मा ततजोयी, कैळ फोक्व मा ऩज
ू ा स्थान भें स्थावऩत
कयदे इववे व्मलवामे भेभ वलवि शोती शैं , वभाज भें ायों औय वाधन का मध कीतता यों औय पैरने रगती शैं।
वाधन ददन प्रतत-ददन वभि
ृ शोता जाता शैं। जफ तक मॊि वाधन के ऩाव यशे गा तफ-तफ उवे जीलन भें फकवी ध ज
की कभी नशीॊ शोगी।
वुलणा रक्ष्भी कल
वुलणा रक्ष्भी कल को धायण कयने वे धन-वॊऩत्त्त, यत्न-आबूऴण आदद की लवृ ि शोती शैं। वुलणा रक्ष्भी कल
को धायण कयने वे धायणकताा को वल
ु णा वे वॊफॊधधत कामों भें वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं। वलसबन्न स्िोत
वे आधथाक राब सभरने के मोग फनते शैं। वुलणा रक्ष्भी कल के प्रबाल वे धायणकताा की वुलणा वे वॊफॊधधत
वबी असबराऴाएॊ ळीघ्र शी ऩूणा शोने की प्रफर वॊबालनाएॊ फनती शैं। भूल्म भात्र: 4600 >> Order Now
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72 - 2018
वलधध:
मश वाधना मदद दीऩालरी भें धन िमोदळी वे आयॊ ब की जामे तो श्रेष्ठ शैं
ा़
मदद अन्म कार भें ळरु
ु कयनी ऩडेतो फकवी बी गरु
ु लाय वे इवे आयॊ ब कय
वकते शैं।
धन िमोदळी (धनतेयव) के ददन उक्त भॊि की 40 भारा, रुऩ तद
ु ा ळी (अथाात
नयकशया तद
ु ा ळी, नयका ौदव, कारी तद
ु ा ळी, काऱी ौदव,) को 42, दीऩालरी के
ददन 43, भारा जाऩ कयें । मदद अन्म ददन वे आयॊ ब कय यशे शो तो गरु
ु लाय को 40, ळक्र
ु लाय को 42 औय ळतनलाय को
43 भारा भॊि जऩ कयें ।
रकडी की ौकी ऩय वपेद लस्त त्रफछा कय उव ऩय भॊिसवि प्राणप्रततत्ष्ठत श्री घॊटाकणा भशावलय मॊि मा ध ि को
स्थावऩत कयें । ळुि द
ॊ न औय केवय का वुखा सभश्रण (लावकेऩ) तछडके, मदद मश द्रव्म अप्रातत शो तो अष्टगॊध
तछडके(नोट:द्रव्म केलर वुखा तछडके श्री घॊटाकणा भशावलय के ऩूजन भें जर सभधश्रत घोर का प्रमोग न कयें ।), उवका
धऩ
ू -दीऩ (ळुि ॊदन धऩ
ू का प्रमोग श्रेष्ठ)इत्मादद वे वलधधलत ऩूजन कयें , वाधन के वभम भें धऩ
ू -दीऩ ारू यखें ।
वुगॊधधत दे ळी रार गुराफ पूर के प्रातत शो जामे तो रगामे अन्मथा ऩीरा, वपेद, गुराफी यॊ ग का गुराफ बी रागा
वकते शैं।
फपय श्री घॊटाकणा भशावलय के उऩयोक्त भॊि का ऩूणा श्रि एलॊ तनष्ठा वे जाऩ कयें । वाधना ऩूणा शोने ऩय श्री घॊटाकणा
भशावलय प्रवन्न शोते शैं ळीध्र शी वाधक को रक्ष्भी की प्रात्तत के मोग फनने रगते शैं। वाधना वॊऩन्न शोने ऩय
प्रततददन उक्त भॊि फक 1 भारा जऩ कयें ।
वलळेऴ नोट: श्री घॊटाकणा भशावलय का ऩूजन कयने लारे वाधको शे तु भावॊ-भददया, कुवॊग इत्मादद तनऴेध शैं। अत्
भाॊव-भछरी, ळयाफ इत्मादद का वेलन कयने लारे व्मत्क्त कृतमा मश प्रमोग न कयें । अन्मथा श्री घॊटाकणा भशावलय के
प्रकोऩ वे वाधना का प्रततकूर ऩरयणाभ वॊबल शैं। श्री घॊटाकणा भशावलय इव कसरमुग भें ळीघ्र प्रवन्न शोने लारे
वाषात दे ल शैं, इव भे जयाबी वॊदेश नशीॊ शैं। इव वाधना के ऩश् मात भावॊ-भददया, ऩयस्िी-ऩरु
ु ऴ इत्माददका वेलन कयने
दीऩालरी के ददन ऩज
ू ान के वभम 21 शकीक को कारी शल्दी
स्थाऩीत कयदे ऩूजन के ऩश् मात उवे दीऩालरी के त्जव प्रकाय वे शल्दी ऩीरे यॊ गी को शोती शैं। उवी
ददन शी जभीन भें गाढ़दे ने वे व्मत्क्त को तनयॊ तय प्रकाय एक दर
ु ब
ा जाती की कारे यॊ गकी शल्दी बी ऩाई
धन राब शोता यशता शैं। जाती शैं। कारी शल्दी को कृष्ण शरयद्रा के नाभ वे जाना
भनोकाभना ऩूतता शेतु ग्मायश शकीक ऩत्थय को अऩने जाता शैं। कारी शल्दी की वुगॊध कऩूय वे सभरती-जुरती
ऩूजा स्थान ऩय यख कय अरगरे ददन उवे भॊददय भें शोती शैं। कारी शल्दी को भुख्मत् तॊि फक्रमाओॊ एलॊ
ढाने वे भनोकाभना ळीघ्र ऩूणा शोती शैं। रक्ष्भी प्रात्तत शे तु एक दर
ु ब
ा औऴधध भानते शैं।
दीऩालरी के ददन शकीक भारा वे रक्ष्भी भॊि का त्जव बलन भें भॊि सवि कारी शल्दी का ऩूजन कयने
एक भारा जऩ कयके। भारा को धायण कयने वे दे ली वे बलन भें धन-वौबाग्म की स्लत् लवृ ि शोने रगती
रक्ष्भी की शभें ळा कृऩाद्रत्ष्ट फनी यशती शैं। भॊि: "ॐ शैं।
ह्ीॊ ह्ीॊ श्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी लावुदेलाम नभ्।" दीऩालरी के ददन मा अन्म फकवी ळुब भुशूता भें कारी
रक्ष्भी जी के ध ि को 27 शकीक ऩत्थय के उऩय शल्दी को धऩ
ू -दीऩ आदद वे ऩूजन कय के अऩनी ततजोयी
स्थावऩत कयने वे व्मत्क्त को तनत्श् त रुऩ वे मा धन यखने लारे स्थान ऩय यखने वे धन का कबी
आधथाक राब प्रातत शोता शैं। अबाल नशीॊ यशता शैं।
रघु श्रीपर
रघु श्रीपर एक प्रकाय का छोटे स्लरुऩ का
नारयमर शोता शैं। त्जवके ऊऩय नारयमर के वभान शी गणेळ रक्ष्भी मॊि
जटाएॊ शोती शैं जो कयीफ एक ई त्जतना फडा ा़ शोता शैं।
रघु श्रीपर को नारयमर का रघुरुऩ भाना जाता शैं। रघु
श्रीपर का प्रमोग वलळेऴ रुऩ वे रक्ष्भी प्रात्तत शे तु फकमा
जाता शैं।
क्मोफक रघु श्रीपर भाॊ भशारक्ष्भी का मश वप्रम
पर भानाजाता शैं औय एवी भान्मता शैं की त्जवके ऩाव
रघु श्रीपर शोता शैं दे ली रक्ष्भी तनत्श् त रुऩ वे उव ऩय
कृऩा कयती शैं। रघु श्रीपर के ऩज
ू न वे भाॊ रक्ष्भी र्खॊ ी
री आती शैं। प्राण-प्रततत्ष्ठत गणेळ रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-
त्जव बी घय भें रघु श्रीपर शोता शैं लशाॊ वुख- दक
ु ान-ओफपव-पैक्टयी भें ऩूजन स्थान, गल्रा मा
वॊऩन्नता औय लैबल का लाव शोता शैं।
अरभायी भें स्थावऩत कयने व्माऩाय भें वलळेऴ राब
मदद रघु श्रीपर को व्मलवामीक स्थान ऩय यखने वे
प्रातत शोता शैं। मॊि के प्रबाल वे बाग्म भें उन्नतत,
व्माऩाय भें ददन प्रतत ददन उन्नतत शोती यशती शैं।
भान-प्रततष्ठा एलॊ व्माऩय भें लवृ ि शोती शैं एलॊ आधथाक
वल नो का कथन शैं की मदद फकवी व्मत्क्त को
त्स्थभें वुधाय शोता शैं। गणेळ रक्ष्भी मॊि को स्थावऩत
वौबाग्म वे 11 रघु श्रीपर प्रातत शो जामे तो उवके
जन्भों-जन्भ की दरयद्रता का अॊत शो जाता शैं औय कयने वे बगलान गणेळ औय दे ली रक्ष्भी का वॊमुक्त
मदद फकवी व्मत्क्त के घय भें 1 रघु श्रीपर का आळीलााद प्रातत शोता शैं।
ऩज
ू न शोता शों लशाॊ वे दख
ु ्, दरयद्रता कोवो दयू यशती
Rs.325 से Rs.12700 तक
शैं।
76 - 2018
रेन-दे न शे तु भख्
ु म तनमभ शैं।
ऋणे बौभे न ग्रशीमात, न दे मभ ् फुधलावये ।
ऋणच्छे दनभ ् बौभे कुमाात,् वॊ मे वोभ नॊदने॥
अथातत् धन के रेनदे न शे तु भॊगरलाय औय फुधलाय ब़डे भशत्ल ऩूणा शैं। भॊगरलाय को उधाय रेना अळुब शोता शैं तथा
फुधलाय को उधाय दे ना अळुब शोता शैं।
कजा रेने फक आलश्मकता प़ड जामे तो भॊगरलाय को कबी कजा नशीॊ रेना ादशमे। भॊगरलाय को सरमे उधाय
को क
ु ाने भें ब़डी कदठनाई आती शैं। कजा दे ने फक आलश्मकता प़ड जामे तो फुधलाय को कजा नशीॊ दे ना ादशमे
फुधलाय को ददमे गमे कजा को प्रातत कयने भें कदठनाई आती शैं।
मश ज्मोततऴ का एक वयर तनमभ शैं जो वयरता वे माद यखा जा वकता शैं औय दै तनक जीलन भें उऩमोग
फकमा जा वकता शैं।
ज्मोततऴ भत वे भॊगरलाय ऋण क
ु ाने के सरए श्रेष्ठ शैं। फुधलाय धन वॊ म(वेवलॊग) के वला श्रेष्ठ ददन शैं।
फुधलाय को फैंक भें धन जभा कयना, फफक्व डडऩोजीट इत्मादद शे तु श्रेष्ठ शैं।
मदद धन का कशीॊ तनलेळ (जभीन-जामदाद, ळेयभाकेट, इन्स्मोयें व, वोना, ाॊदद, वलदे ळी भुद्रा, इत्मादी) भें कयना शो
तो भॊगरलाय औय फुधलाय के अततरयक्त अन्म लायों का न
ु ाल कयें । इवके अततरयक्त ऩुनलाव-ु स्लातत-भग
ृ सळया-ये लती-
ध िा-अनुयाधा-वलळाखा-ऩुष्म-श्रलण-धतनष्ठा-ळतसबऴा औय अत्श्लनी नषिों भें फकमा गमा तनलेळ ळुब यशता शैं। तनलेळ
य (भेऴ-कका-तुरा-भकय) रग्नो भें कयना उत्तभ शोता शैं। तनलेळ कयने वे ऩूला मश दे ख रे फक रग्न वे 8लें बाल भें
कोई ग्रश न शो, इव वभम भें फकमा गमा ऩूॊत्ज तनलेळ धन को फढ़ाता शैं।
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78 - 2018
रक्ष्भी-गणेळ के ऩज
ू न वे धन, वख
ु औय वौबाग्म की प्रात्तत शोती शैं
बायतीम धासभाक एलॊ वॊस्कृततक भान्मता के त्लवद्वधॊ रषकोदटॊ शन्तुॊ ळक्तो गणेश्लय्।
अनव
ु ाय रक्ष्भीजी के वाथ श्री वलष्णु फक ऩूजा शोनी त्जतेत्न्द्रमाणाॊ प्रलयो नदश शत्न्त भक्षषकाभ ्।।
ादशए। फकन्तुॊ दीऩालरी ऩूजन भें भाॊ रक्ष्भी के वाथ
तेजवा कृष्णतुल्मोऽमॊ कृष्णाॊश् गणेश्लय्।
गणेळजी फक ऩूजा क्मों फक जाती शैं।
धन फक दे ली रक्ष्भी शैं जो धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा दे लाश् ान्मे कृष्णकरा् ऩूजास्म ऩुयतस्तत्।।
प्रदान कयती शैं। रेफकन त्रफना फवु ि के धन, वभवृ ि एलॊ (ब्रह्भलैलताऩु., गणऩततख., 44। 26-27)
ऐश्लमा व्मथा शैं। इवके ऩीछे भख्
ु म कायण शैं की बगलान श्री बावाथत: त्जतेत्न्द्रम ऩुरूऴों भें श्रेष्ठ गणेळ तुभभें जैवे
गणेळ वभस्त वलघ्नों को टारने लारे शैं, दमा एलॊ कृऩा के राखों-कयोडों जन्तुओॊ को भाय डारने की ळत्क्त शै ; ऩयन्तु
भशावागय शैं, एलॊ तीनो रोक के कल्माण शे तु बगलान गणऩतत तुभने भक्खी ऩय बी शाथ नशीॊ उठामा। श्रीकृष्ण के अॊळ
वफ प्रकाय वे मोग्म शैं। वभस्त वलघ्न फाधाओॊ को दयू कयने वे उत्ऩन्न शुआ लश गणेळ तेज भें श्रीकृष्ण के शी वभान
लारे गणेळ वलनामक शैं। अत् फुवि फक शै । अन्म दे लता श्रीकृष्ण की
प्रात्तत के सरमे फुवि औय वललेक कराएॉ शैं। इवीवे इवकी
के अधधऩतत दे लता गणेळ अग्रऩूजा शोती शै ।
का ऩूजन कयने का
मरांगऩुयाण के
वलधान शैं। गणेळजी
अनुवाय (105।
वभस्त सवविमों को दे ने
15-27)
लारे दे लता भाना गमा
शै । क्मोफक वभस्त सळल ने अऩने
सवविमाॉ बगलान गणेळ ऩुि को आळीलााद
ब्रह्भवैवततऩुयाण भें उल्रेख हैं ळुब कभों का अनुष्ठान कये गा, उवका
बगलान ् वलष्णु ने स्लमॊ गणेळ जी को लयदान ददमा फक भॊगर बी अभॊगर भें ऩरयणत शो जामेगा। जो रोग पर
की काभना वे ब्रह्भा, वलष्णु, इन्द्र अथला अन्म दे लताओॊ
वलााग्रे तल ऩूजा भमा दत्ता वुयोत्तभ।
की बी ऩूजा कयें गे, फकन्तु तुम्शायी ऩूजा नशीॊ कयें गे, उन्शें
वलाऩूज्मश् मोगीन्द्रो बल लत्वेत्मुला तभ ्।।
तुभ वलघ्नों या फाधा ऩशुॉ ाओगे।
(गणऩततखॊ. 13। 2)
इव वबी कायण वे भाॊ रक्ष्भी के वाथ भें गणेळजी का
बावाथत: „वुयश्रेष्ठ! भैंने वफवे ऩशरे तुम्शायी ऩूजा फक शै , ऩूजन कयने का वलधान शैं। रक्ष्भी प्रात्तत के फाद भें उवे
अत् लत्व! तुभ वलाऩूज्म तथा मोगीन्द्र शो जाओ।‟ त्स्थय कयने शे तु फुवि फक आलश्मकता शोती शैं। रक्ष्भी के
ब्रह्भवैवतत ऩुयाण भें शी एक अन्म प्रवॊगान्तगात भाता वाथ गणेळ के ऩूजन वे वॊफॊध भें अनेकों कथाएॊ प्र सरत
ऩालाती ने गणेळ भदशभा का फखान कयते शुए ऩयळुयाभ शैं। कुछ रोकवप्रम कथाएॊ मशा प्रस्तुत शैं।
वे कशा – ळास्िोक्त कथा:
79 - 2018
वलष्णु धाभ भें बगलान वलष्णु एलॊ भाता रक्ष्भी प्रस्ताल स्लीकाय कय सरमा। वॊन्मावी के ऩयाभळा वे याज
वलयाजभान शोकय आऩव भें लातााराऩ कय यशे थे, फात-फात कामा वु ारु रुऩ वे रने रगा।
भें अशॊ के कायण रक्ष्भी जी फोर उठे फक भैं वबी रोक
एक ददन वॊन्मावी ने याजदयफाय भें उऩत्स्थत
भें वफ वे अधधक ऩज
ू नीम एलॊ वफवे श्रेष्ठ शुॊ। रक्ष्भी जी को वफको फाशय तनकर जाने को कशा। वॊन्मावी ऩय
इव प्रकाय अऩनी अशॊ वे स्लमॊ फक प्रळॊवा कयते दे ख
वलश्लाव यखते शुए याजा एलॊ अन्म वफ दयफायी लशाॊ वे
बगलान वलष्णु जी को अच्छा नशीॊ रगा। उनका अशॊ दयू कयने
तनकर कय एक भैदान भें ऩशुॊ गमे औय तफ याजभशर
के सरए उन्शोंने कशा तुभ वला वॊऩन शोते शुए बी आज तक भाॉ
फक दीलायें ढश गमीॊ। मश द्रश्म दे ख कय याजा फक आस्था
का वुख प्रातत नशीॊ कय ऩाई। इव फात को वुन कय रक्ष्भीजी
वॊन्मावी ऩय ऐवी जभी, फक वभस्त याजकामा उव
को फशुत द्ु खी शोगई औय लो अऩनी ऩीडा वुनाॊने के सरमे
वॊन्मावी के आदे ळ ऩय शोने रगा। वभम के वाथ
भाता ऩालाती के ऩाव गमीॊ औय उनवे वलनती फक लो अऩने ऩुि
वॊन्मावी को स्लमॊ ऩय घभॊड शोने रगा। याजभशर के
कातताकेम औय गणेळजी भें वे फकवे एक ऩुि को उनशें
बीतय बगलान गणेळ फक एक भतू ता स्थावऩत थी। घभॊड
दत्तक ऩुि के रूऩ भें प्रदान कय दें । रक्ष्भीजी फक ऩीडा दे ख
भें यू वॊन्मावी ने वेलकों को गणेळ भतू ता लशाॊ वे शटाने
कय ऩालातीजी ने गणेळ जी को रक्ष्भीजी को दत्तक ऩुि के
का आदे ळ ददमा, क्मोंफक उवके वल ाय भें लश भतू ता
रूऩ भें दे ने का स्लीकाय कय सरमा। ऩालातीजी वे गणेळ जी को
याजऩरयवय फक ळोबा त्रफगाड यशी थी।
ऩुि के रूऩ ऩाकय रक्ष्भीजी नें शवऴात शोते शुले कशाॊ भैं
अगरे ददन वॊन्मावी ने याजा वे कशा फक लश
अऩनी वबी सवविमाॊ, वुख अऩने ऩुि गणेळ जी को प्रदान
पौयन अऩनी ऩोळाक उताय दें , क्मोंफक उवभें नाग शै।
कयती शूॉ। इव के वाथ वाथ भें भेयी ऩुिी के वभान वप्रम
याजा को वॊन्मावी ऩय अगाध वलश्लाव था। इवसरए,
रयत्ध्ध औय सवत्ध्ध जो के ब्रह्भा जी फक ऩुत्रिमाॉ शैं, उनवे
दयफारयमों फक ऩयलाश न कयते शुए, उन्शोनें अऩनी ऩोळाक
गणेळजी का वललाश कयने का ल न दे ती शूॉ । मदद उताय दी, ऩयॊ तु उवभें वे कोई नाग नशीॊ तनकरा। मश दे ख
वम्ऩूणा त्रिरोकों भें जो व्मत्क्त, श्री गणेळ जी फक ऩूजा नशीॊ कय याजा को वॊन्मावी ऩय फशुत गुस्वा आमा औय उवे
कये गा लयन उनकी तनॊदा कये गा भैं उनवे कोवों दयू यशूॉगी । कैद भें यखने का आदे ळ दे ददमा।
जफ बी भेयी ऩूजा शोगी उवके वाथ दशॊ गणेळ फक बी
कैददमों फक बाॊतत कुछ ददन गुजायने ऩय वॊन्मावी
ऩूजा अलश्म शोगी।
का घभॊड उतय गमा। वॊन्मावीने ऩुन् दे ली रक्ष्भी फक
अन्म कथा:
आयाधना ळुरू कय दी। रक्ष्भी ने स्लतन भें उवे दळान दे ते
प्राध न कार भें एक वॊन्मावी ने दे ली रक्ष्भी को शुए फतामा, फक तुम्शायी एवी दद ु ा ळा गणेळ जी का
कडी तऩस्मा या प्रवन्न कय के वभस्त वख
ु ववु लधा वे अऩभान कयने फक लजश वे शुई शैं। गणेळ फुवि के दे लता
जीलन व्मतीत कयने का लयदान भाॊगा। रक्ष्भी तथास्तु शैं, अत् उनको नायाज कयने वे तुम्शायी फुवि भ्रष्ट शो
कश कय अॊतध्माान शो गमीॊ। लयदान प्रात्तत के फाद गमी शैं। अफ वॊन्मावी ने ऩश् ाताऩ कयते शुए गणेळ
वॊन्मावी लशाॊ के याजदयफाय भें जाकय याजा के ऩाव ऩशुॊ बगलान वे षभा भाॊगी। अगरे ददन याजा ने स्लमॊ लशाॊ
कय एक झटके भें याजभक ु ु ट को नी े धगया ददमा। ऩशुॊ कय उवे भुक्त कय ददमा औय ऩुन् भॊिी ऩद ऩय
वॊन्मावी का मश कामा दे ख कय याजा का श
े या गस्
ु वे वे फशार कय ददमा। वॊन्मावी ने गणेळ फक भूतता को ऩूला
रार शो उठा। उवी षण याजा ने दे खा फक याजभुकुट वे स्थान ऩय स्थावऩत कयला ददमा तथा उनके वाथ-वाथ
एक त्रफच्छू फाशय तनकर यशा शैं। मश दे ख याजा के भन रक्ष्भी फक ऩज
ू ा ळरू
ु फक, ताफक धन एलॊ फवु ि दोनों वाथ-
भें वॊन्मावी के प्रतत श्रिा बाल जाग गमा, याजाने वाथ यशें । भाना जाता शैं, तबी वे दीलारी ऩय दे ली
वॊन्मावी को अऩना भॊिी फनने के सरए आग्रश फकमा। रक्ष्भी के वाथ गणेळ जी का ऩूजन कयने फक प्रथा
वॊन्मावी तो मशी ाशते थे। वॊन्मावी ने तुयॊत याजा का आयॊ ब शुई।
80 - 2018
एक फाय की फात शै , याजा फसर वभम त्रफताने के सरए एकान्त स्थान ऩय गधे का लेळ रेकय तछऩे शुए थे।
दे लयाज इन्द्र उनवे सभरने के सरए जगश-जगश उन्शें ढूॉढ यशे थे।
एक ददन इन्द्र ने उन्शें खोज तनकारा औय उनके तछऩने का कायण जानकय उन्शें कार का भशत्ल फताकय उन्शें
तत्लसान का फोध कयामा।
तबी याजा फसर के ळयीय वे एक ददव्म तेज लारी स्िी तनकरी। उवे दे खकय इन्द्र ने ऩूछा दै त्मयाज! मश स्िी
कौन शै ? मश दे ली, भानष्ु म अथला आवयु ी ळत्क्त भें वे कौन-वी ळत्क्त शै ?” याजा फसर फोरे-“दे लयाज! मे दे ली तीनों
आती-जाती यशती शूॉ। जैवा कार का प्रबाल शोता शै भैं उतने शी वभम तक उवके ऩाव यशती शूॉ। भैं वभम के
अनुवाय एक को छोडकय दव
ू ये के ऩाव तनलाव कयती शूॉ।”
इन्द्र फोरे दे ली! आऩ अवुयों के मशाॉ तनलाव क्मों नशीॊ कयतीॊ?” रक्ष्भी फोरीॊ दे लेन्द्र! भेया तनलाव लशीॊ शोता शै जशाॉ
वत्म एलॊ धभा के अनुवाय कामा शोते शों, व्रत औय दान दे ने के कामा शोते शों।
अवयु वत्मलादी थे, ब्राह्भणों की यषा कयते थे, ऩशरे इत्न्द्रमों को लळ भें कय वकते थे, अफ इनके मे गण
ु
नष्ट शोते जा यशे शैं। अवुय अफ तऩ-उऩलाव नशीॊ कयते, मस, शलन, दान आदद वे इनका कोई वॊफॊध ळेऴ नशीॊ शै ।
दे लताओॊ का भन अफ धभा भें आवक्त शो यशा शै। इवसरए अफ भैं इन्शें छोडकय दे लताओॊ के ऩाव तनलाव
करूॉगी। भेये वाथ श्रिा, आळा, षभा, जमा, ळात्न्त, वॊततत, धतृ त औय वलजतत मे आठों दे वलमाॉ बी तनलाव कयें गी।
दे लेन्द्र! अफ आऩको सात शो गमा शोगा फक भैंने इन्शें क्मों छोडा शै । वाथ शी आऩको इनके अलगुणों का बी
सान शो गमा शोगा।” तफ इन्द्र ने रक्ष्भी को प्रणाभ फकमा औय उन्शें आदय वदशत स्लगा रे गए।
81 - 2018
धन प्रात्तत औय वख
ु वभवृ ि के सरमे लास्तु सविाॊत
आज के बौततक मग
ु भें शय कामा धन के उऩय एवे यखे फक उवका भख
ु उत्तय फक तयप यशे मा आऩका
प्रत्मष मा अप्रत्मष रुऩवे तनबाय कयता शैं इव सरमे भुख अरभायी खोरते मा फॊध कयते वभम दक्षषण ददळा
प्रत्मेक व्मत्क्त फक मशी इच्छा शोती शैं फक उवके ऩाव फक औय यशें । उत्तय फक औय खर
ु ने लारी अरभायी एलॊ
अऩाय धन दौरत एलॊ जीलन उऩमोगी वायी वुख वुवलधाए कैळ फोक्व भें यखे गमे धन एलॊ आबूऴण फक तनयॊ तय
उतरब्ध शो जो एक वभि
ृ व्मत्क्त के लवृ ि शोती यशती शैं।
ऩाव भें शोती शैं, एलॊ उवकी वभवृ ि ऩूवत - ऩूला फक औय खर
ु ने लारी
एलॊ उन्नतत ददन प्रततददन फढती अरभायी एलॊ कैळ फोक्व भें धन
जाए। यखने वे उवभें फढ़ोतयी शोती यशती
आऩ अऩने घय भें धन एलॊ शै । रेफकन उत्तय को वला श्रेष्ठ
फशुभूल्म आबूऴण, जलाशयात इत्मादद भानागमा शैं।
फक वयु षा शे तु अरभायी मा कैळ दक्षऺण - दक्षषण फक औय खर
ु ने
फोक्व यखते शैं, त्जस्वे धन वुयक्षषत लारी अरभायी एलॊ कैळ फोक्व भें
यशे औय उवभे फढ़त शोती यशें । इवके धन यखने वे धन एलॊ आबूऴण जो
सरमे लास्तु वे वॊफॊधधत धन वॊ म शैं उवभे भें कभी आजातत शैं
शे तु कुछ उऩाम। क्मोफक एवी त्स्थतत भे अरभायी मा
लास्तु के अनुवाय धन एलॊ कैळ फोक्व शोने वे आभदनी वे
फशु भूल्म वाभग्री को उत्तय ददळा भें ख ाा अधधक शोता शैं एलॊ वॊ म
यखे। उत्तय ददळा भें कुफेय का लाव फकमे गमे धन भें बी कभी आजाती
शोता शैं। एलॊ कुफेय धन के दे लता शैं एलॊ शैं। एलॊ व्मत्क्त ऩय कजा ढ जाता शैं।
उत्तय ददळा ऩय उनका प्रबाल यशता शैं। इव सरमे अऩने ऩत्श्चभ - ऩत्श् भ फक औय खर
ु ने लारी अरभायी एलॊ
व्मलवाम स्थान मा घय भें धन को वयु क्षषत यखने शे तु कैळ फोक्व भें धन एलॊ आबऴ
ू ण यखने वे उव घय भे
उत्तय ददळा का न
ु ाल कयें । धन कडी भेशनत वे कबी कबाय प्रातत शोता शैं एलॊ दटक
उत्तय - व्मलवाम स्थान मा घय भें अरभायी को उत्तय ऩाता शैं, अन्म था अन्म वॊफॊधध मा सभि लगा वे वशामता
ददळा के कभये भें उवे दक्षषण ददळा की दीलाय वे वटाकय वे प्रातत शोने लारा धन बी दटकता नशीॊ शैं।
धन लवृ ि डडब्फी
धन लवृ ि डडब्फी को अऩनी अरभायी, कैळ फोक्व, ऩूजा स्थान भें यखने वे धन लवृ ि शोती शैं त्जवभें कारी
हल्दी, रार- ऩीरा-वपेद रक्ष्भी कायक शकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पदटक यत्न, 3 ऩीरी कौडी, 3
वपेद कौडी, गोभती क्र, वपेद गुॊजा, यक्त गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊद्र जार, भामा जार, इत्मादी दर
ु ब
ा
लस्तुओॊ को ळुब भशुता भें तेजस्ली भॊि द्लाया असबभॊत्रित फकम जाता शैं।
याजा फक फात वन
ु कय लश फोरा- भशायाज! मदद वलश्लाव न शो तो वाथ रकय दे ख रें। याजा एक ऩेड के ऩीछे तछऩकय
फैठ गमा। उव व्मत्क्त ने बोजन फनामा तथा बगलान को ळाभ तक ऩुकायता यशा, ऩयॊ तु बगलान न आए। अॊत भें उवने कशा- शे
बगलान! मदद आऩ नशीॊ आए तो भैं नदी भें कूदकय प्राण त्माग दॉ ग
ू ा।
रेफकन बगलान नशीॊ आए, तफ लश प्राण त्मागने के उद्देश्म वे नदी फक तयप फढ़ा। प्राण त्मागने का उवका दृढ़ इयादा
जान ळीघ्र शी बगलान ने प्रकट शोकय उवे योक सरमा औय वाथ फैठकय बोजन कयने रगे। खा-ऩीकय ले उवे अऩने वलभान भें
त्रफठाकय अऩने धाभ रे गए। मश दे ख याजा ने वो ा फक व्रत-उऩलाव वे तफ तक कोई पामदा नशीॊ शोता, जफ तक भन ळि
ु न शो।
इववे याजा को सान सभरा। लश बी भन वे व्रत-उऩलाव कयने रगा औय अॊत भें स्लगा को प्रातत शुआ।
दस
ू यी कथा
एक याजा था। उवके याज्म भें प्रजा वुखी थी। एकादळी को कोई बी अन्न नशीॊ फे ता था। वबी पराशाय कयते थे। एक
फाय बगलान ने याजा फक ऩयीषा रेनी ाशी। बगलान ने एक वॊद
ु यी का रूऩ धायण फकमा तथा वडक ऩय फैठ गए। तबी याजा उधय
वे तनकरा औय वॊद
ु यी को दे ख फकत यश गमा। उवने ऩछ
ू ा- शे वॊद
ु यी! तभ
ु कौन शो औय इव तयश मशाॉ क्मों फैठी शो?
तफ वुॊदय स्िी फने बगलान फोरे- भैं तनयाधश्रता शूॉ। नगय भें भेया कोई जाना-ऩश ाना नशीॊ शैं, फकववे वशामता भाॉगू? याजा
उवके रूऩ ऩय भोदशत शो गमा था। लश फोरा- तुभ भेये भशर भें रकय भेयी यानी फनकय यशो।
वुॊदयी फोरी- भैं तुम्शायी फात भानॉग
ू ी, ऩय तुम्शें याज्म का अधधकाय भुझे वौंऩना शोगा। याज्म ऩय भेया ऩूणा अधधकाय
शोगा। भैं जो बी फनाऊॉगी, तम्
ु शें खाना शोगा। याजा उवके रूऩ ऩय भोदशत था, अत् उवने उवकी वबी ळतें स्लीकाय कय रीॊ।
अगरे ददन एकादळी थी। यानी ने शुक्भ ददमा फक फाजायों भें अन्म ददनों फक तयश अन्न फे ा जाए। उवने घय भें भाॊव-भछरी
आदद ऩकलाए तथा ऩयोवकय याजा वे खाने के सरए कशा। मश दे खकय याजा फोरा-यानी! आज एकादळी शैं। भैं तो केलर पराशाय
शी करूॉगा। तफ यानी ने ळता फक माद ददराई औय फोरी- मा तो खाना खाओ, नशीॊ तो भैं फडे याजकुभाय का सवय काट रॉ ग
ू ी। याजा
ने अऩनी त्स्थतत फडी यानी वे कशी तो फडी यानी फोरी- भशायाज! धभा न छोडें, फडे याजकुभाय का सवय दे दें । ऩुि तो फपय सभर
जाएगा, ऩय धभा नशीॊ सभरेगा।
इवी दौयान फडा याजकुभाय खेरकय आ गमा। भाॉ फक आॉखों भें आॉवू दे खकय लश योने का कायण ऩूछने रगा तो भाॉ ने उवे
वायी लस्तुत्स्थतत फता दी। तफ लश फोरा- भैं सवय दे ने के सरए तैमाय शूॉ। वऩताजी के धभा फक यषा शोगी, जरूय शोगी।
याजा द्ु खी भन वे याजकुभाय का सवय दे ने को तैमाय शुआ तो यानी के रूऩ वे बगलान वलष्णु ने प्रकट शोकय अवरी फात फताई-
याजन! तुभ इव कदठन ऩयीषा भें ऩाव शुए। बगलान ने प्रवन्न भन वे याजा वे लय भाॉगने को कशा तो याजा फोरा- आऩका ददमा
वफ कुछ शैं। शभाया उिाय कयें । उवी वभम लशाॉ एक वलभान उतया। याजा ने अऩना याज्म ऩुि को वौंऩ ददमा औय वलभान भें
फैठकय लैकॊु ठ धाभ को रा गमा।
शभाये प्रभख
ु धभा ग्रॊथो भें एक ऋग्लेद का वला प्रथभ भॊि शी
प्रकाळ वे ळरू
ु शोता शै ।
भांत्र:
गमा शै फक कार के वॊघऴा-भॊथन वे उवका जन्भ शुआ। फक कशीॊ ले स्लगा भें तो नशीॊ आ गए। उन्शें लशाॊ ऩीरे
वम
ू ा फक अत्ग्न अॊधकाय को सभटाता शै , अवयु ी ळत्क्त को औय जरते शुए स्लणादीऩ ददखाई ददए।
डयाता, प्रकाळ का आह्लान कयता, ध य मल
ु ा औय प्रा ीन
बायतीम ळास्िो भे उल्रेख सभरता शै , फक अत्ग्न का
ऩयु ोदशत शै । ऋग्लेद के अनव
ु ाय भशावऴा बग
ृ ु ऋवऴ ने
वॊफॊध भनुष्म के जन्भ वे रेकय भयण तक शोता शैं। मशी
अत्ग्न की खोज की।
कायण शैं शभायी वॊस्कृतत भें वलसबन्न व्रत-त्मोशाय इत्मादद
भें दीऩ क भशत्ल शैं। दीऩलरी बी शभाये प्रभख
ु त्मौशायो
अत्ग्न के मरमे ऋग्वेद भें कहा गमा हैं।
भें वे एक शै , त्जव भें उजाा के प्रततक के रुऩ भें दीऩक
अथातत: शभे ळब
ु , वन्
ु दय औय कल्माणकायी, आयोग्म औय ऩाऩनाळक, ळिओ
ु ॊ फक लवृ ि योकने लारी, आमु एलॊ
वॊऩदा को दे ने लारे शे दीऩक फक ज्मोतत, शभाये ळिों फक आयोग्म प्रदान कयने लारी शैं।
फवु ि के वलनाळ के सरए शभ तम्
ु शें नभस्काय कयते शैं।
दीऩो ज्मोतत् ऩयभ ् ब्रह्भ दीऩो ज्मोततजानादा न्।
ऩूयातन कार भें दीऩ का ऩाि स्पदटक, ऩाऴाण मा
दीऩो शयतु भें ऩाऩभ ् वाध्मदीऩ नभोऽस्तु ते।।
वीऩ का शोता था। कारान्तय भें सभट्टी को गढने औय
ळुबभ ् कयोतु कल्माणभ ् आयोग्मभ ् वुखवम्ऩदभ ्।
ऩकाने के आवलष्काय के वाथ दीऩ सभट्टी का फनने रगा।
ळिुफुविवलनाळभ ् दीऩज्मोततनाभोऽस्तु ते।।
प्रा ीन कार वे धतनकों या फडे करात्भक ददमों का
प्रमोग फकमा जाता था, जो ऩत्थय, धात,ु कीभती यत्नों, भान्मता शैं फक मदद घय भें दीऩक की रौ ऩूला
वोने औय ाॊदी के शोते थे। मे छोटे फडे वबी आकायों के ददळा की ओय शो, तो आमु फक लवृ ि कयती शैं।
थे। दीऩक की रौ ऩत्श् भ ददळा की ओय शो, तो
वभम के वाथ वाथ दीऩ स्तॊब बी प्र रन भें आए। द्ु ख की लवृ ि कयती शैं।
याभामण भें उल्रेख सभरता शैं फक जफ शनुभान दीऩक की रौ उत्तय ददळा की ओय शो, तो
रॊका ऩशुॉ े तो उन्शें वुनशये दीऩों को दे ख कय भ्रभ शुआ स्लास्थ्म औय प्रवन्नता फक लवृ ि कयती शैं।
86 - 2018
॥श्री वूक्त॥
ॐ दशयण्म-लणां शरयणीॊ, वुलणा-यजत-स्िजाभ ्। न्द्राॊ दशयण्मभमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भ आलश॥
ताॊ भ आलश जात-लेदो, रक्ष्भीभनऩ-गासभनीभ ्। मस्माॊ दशयण्मॊ वलन्दे मॊ, गाभश्लॊ ऩुरूऴानशभ ्॥
काॊवोऽत्स्भ ताॊ दशयण्म-प्राकायाभाद्राा ज्लरन्तीॊ ततृ ताॊ तऩामन्तीॊ। ऩद्मे त्स्थताॊ ऩद्म-लणां तासभशोऩह्लमे धश्रमभ ्॥
लण
ृ ोसभ॥ आददत्म-लणे तऩवोऽधधजातो लनस्ऩततस्तल लष
ृ ोऽष त्रफल्ल्। तस्म परातन तऩवा नद
ु न्तु भामान्तयामाश्
फाह्मा अरक्ष्भी्॥
कदा भेन प्रजा-बूता, भतम वम्भ्रभ-कदा भ। धश्रमॊ लावम भे कुरे, भातयॊ ऩद्म-भासरनीभ ्॥
आऩ् वज
ृ न्तु त्स्नग्धातन, ध क्रीत लव भे गश
ृ े । तन -दे ली भातयॊ धश्रमॊ लावम भे कुरे॥
आद्रां ऩुष्करयणीॊ ऩुत्ष्टॊ , वुलणां शे भ-भासरनीभ ्। वूमां दशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भभालश॥
आद्रां म् करयणीॊ मत्ष्टॊ , वऩॊगराॊ ऩद्म-भासरनीभ ्। न्द्राॊ दशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भभालश॥
भत्ृ मन
ु ा ऩाशदण्डाभमाां कारेन च भमा सह। भन्ि का उच् ायण कयते शुए उवे दीऩक के वभीऩ शी
त्रमोदश्माां दीऩदानात ् सम
ू तज् प्रीमतामभनत॥ यख दें ।
अथातत ्: िमोदळी को दीऩदान कयने वे भत्ृ म,ु ऩाळ, दण्ड, ॐ मभदे वाम नभ्। नैवेद्मां ननवेदमामभ॥
कार औय रक्ष्भी के वाथ वम
ू न
ा ॊदन मभ प्रवन्न शों।
उक्त भन्ि के उच् ायण के ऩश् ात ् शाथ भें ऩष्ु ऩ रेकय तत ऩश् मात शाथ भें थोडा वा जर रेकय आ भन के
तनम्नसरर्खत भन्ि का उच् ायण कयते शुए मभदे ल को तनसभत्त तनम्नसरर्खत भन्ि का उच् ायण कयते शुए
दक्षषण ददळा भें नभस्काय कयें । दीऩक के वभीऩ जर को छोडे।
ॐ मभदे वाम नभ्। आचभनाथे जरां सभऩतमामभ॥
ॐ मभदे वाम नभ्। नभस्कायां सभऩतमामभ॥
तत ऩश् मात ऩन
ु ् मभदे ल को ॐ मभदे वाम नभ्। भन्ि
तत ऩश् मात ऩुष्ऩ दीऩक के ऩाव यख दें औय ऩुन् शाथ का उ ायण कयते शुए दक्षषण ददळा भें नभस्काय कयें ।
भें नैलेद्मॊ के रुऩ भें एक फताळा रें तथा तनम्नसरर्खत
कनकधाया मॊि
आज के बौततक मुग भें शय व्मत्क्त अततळीघ्र वभि
ृ फनना ाशता शैं।
कनकधाया मॊि फक ऩज
ू ा अ न
ा ा कयने वे व्मत्क्त के जन्भों जन्भ के ऋण औय
दरयद्रता वे ळीघ्र भुत्क्त सभरती शैं। मॊि के प्रबाल वे व्माऩाय भें उन्नतत शोती
शैं, फेयोजगाय को योजगाय प्रात्तत शोती शैं। कनकधाया मॊि अत्मॊत दर
ु ब
ा मॊिो भें
वे एक मॊि शैं त्जवे भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्तत शे तु अ ूक प्रबाला ळारी भाना गमा
शैं। कनकधाया मॊि को वलद्वानो ने स्लमॊसवि तथा वबी प्रकाय के ऐश्लमा प्रदान
कयने भें वभथा भाना शैं। आज के मुग भें शय व्मत्क्त अततळीघ्र वभि
ृ फनना
ाशता शैं। धन प्रात्तत शे तु प्राण-प्रततत्ष्ठत कनकधाया मॊि के वाभने फैठकय कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयने वे
वलळेऴ राब प्रातत शोता शैं। इव कनकधाया मॊि फक ऩूजा अ न
ा ा कयने वे ऋण औय दरयद्रता वे ळीघ्र भुत्क्त
सभरती शैं। व्माऩाय भें उन्नतत शोती शैं, फेयोजगाय को योजगाय प्रात्तत शोती शैं। जैवे श्री आदद ळॊकया ामा द्वारा
कनकधाया स्तोि फक य ना कुछ इव प्रकाय की गई शैं, फक त्जवके श्रलण एलॊ ऩठन कयने वे आव-ऩाव के
लामुभॊडर भें वलळेऴ अरौफकक ददव्म उजाा उत्ऩन्न शोती शैं। दठक उवी प्रकाय वे कनकधाया मॊि अत्मॊत दर
ु ब
ा
मॊिो भें वे एक मॊि शैं त्जवे भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्तत शे तु अ ूक प्रबाला ळारी भाना गमा शैं। कनकधाया मॊि को
वलद्वानो ने स्लमॊसवि तथा वबी प्रकाय के ऐश्लमा प्रदान कयने भें वभथा भाना शैं। जगद्गुरु ळॊकया ामा ने दरयद्र
ब्राह्भण के घय कनकधाया स्तोि के ऩाठ वे स्लणा लऴाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ ळॊकय ददत्ग्लजम भें सभरता शैं।
कनकधाया भॊि:- ॐ लॊ श्रीॊ लॊ ऐॊ ह्ीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायमै स्लाशा'
GURUTVA KARYALAY
BHUBNESWAR-751018, (ODISHA),
ळास्िोंक्त भत के अनुवाय धनिमोदळी के फकमे जाने लारे कभो भें मभदीऩदान को वलळेऴ प्रभख
ु ता दी जाती शैं।
रेफकन धनिमोदळी ऩय मभदीऩदान क्मों फकमा जाता शैं इव के ऩीछे छुऩी धासभाक भान्मता वे कभ रोग शी ऩयीध त
शोंगे!
दशन्द ू धभा भें फकमे जाने लारी प्रत्मेक व्रत-तमोशाय, उत्वल, ऩूजन वलधध-वलधान, इत्मादद के ऩीछे कोई न कोई
ऩौयार्णक कथा अलश्म जड
ु ी शोती शैं । इवी प्रकाय धनिमोदळी ऩय मभदीऩदान कयना बी इवी प्रकाय ऩौयार्णक कथा वे
जुडा शुआ शैं। स्कन्दऩुयाण भें लैष्णलखण्ड के अन्तगात कातताक भाव भशात्म्म भें इववे वम्फत्न्धत ऩौयार्णक कथा का
वॊक्षषतत उल्रेख फकमा गमा शैं।
ऩौयार्णक कथा के अनव
ु ाय एक फाय मभदत
ू फारकों एलॊ मल
ु ाओॊ के प्राण शयते वभम ऩये ळान शो उठे । मभदत
ू को
फडा द्ु ख शुआ फक ले फारकों एलॊ मुलाओॊ के प्राण शयने का कामा कयते शैं, ऩयन्तु मभदत
ू कयते बी क्मा? उनका कामा शी
प्राण शयना शी शैं। मभदत
ू अऩने कताव्म वे ले कैवे वलभुख शोते? मभदत ू के सरए एक औय कताव्मतनष्ठा का प्रश्न था,
दव
ु यी ओय त्जन फारक एलॊ मुलाओॊ का प्राण शयकय राते थे, उनके ऩरयजनों के द्ु ख एलॊ वलराऩ को दे खकय स्लमॊ को
शोने लारे भानसवक क्रेळ का प्रश्न था। ऐवी त्स्थतत भें जफ मभदत
ू फशुत ददन तक यशने रगे, तो वललळ शोकय ले अऩने
स्लाभी मभयाज के ऩाव ऩशुॉ े औय कशा फक भशायाज आऩके आदे ळ के अनव ु ाय शभ प्रततददन लिृ , फारक एलॊ मुला
व्मत्क्तमों के प्राण शयकय राते शैं, ऩयन्तु जो अऩभत्ृ मु के सळकाय शोते शैं, उन फारक एलॊ मल
ु ाओॊ के प्राण शयते वभम शभें
भानसवक क्रेळ शोता शैं। उवका कायण मश शै फक उनके ऩरयजन अत्माधधक वलराऩ कयते शैं औय त्जववे शभें फशुत
अधधक द्ु ख शोता शैं। क्मा फारक एलॊ मुलाओॊ को अवाभतमक भत्ृ मु वे छुटकाया नशीॊ सभर वकता शै ?
मभदत ू के भुख वे इतना वुनकय धभायाज फोरे दतू गण तुभने फशुत अच्छा प्रश्न फकमा शैं। इववे भत्ृ मु
रोकलासवमों का कल्माण शोगा। कातताक कृष्ण िमोदळी को प्रततलऴा प्रदोऴकार भें जो अऩने घय के दयलाजे ऩय
तनम्नसरर्खत भन्ि वे उत्तभ दीऩ दे ता शैं, लश अऩभत्ृ मु शोने ऩय बी मशॉ ॊ रे आने के मोग्म नशीॊ शै ।
भत्ृ मुना ऩाश्दण्डा्माॊ कारेन भमा वश।
िमोदश्माॊ दीऩदानात ् वूमज
ा ् प्रीमतासभतत॥
उवके फाद वे शी अऩभत्ृ मु अथाात ् अवाभतमक भत्ृ मु वे फ ने के उऩाम के रूऩ भें धनिमोदळी ऩय मभ के तनसभत्त
दीऩदान एलॊ नैलेद्म वभवऩात कयने का कभा प्रततलऴा फकमा जाता शैं।
मभयाज की सबा: मभयाज की वबा का लणान कयते शुए ग्रॊथ कायों ने सरखा शैं फक दे लरोक की ाय प्रभुख वबाओॊ भें वे
एक शै मभवबा । इव वबा का तनभााण वलश्लकभाा जी ने फकमा था। मभवबा अत्मन्त वलळार वबा शै , इवकी 100
मोजन रम्फाई एलॊ 100 मोजन ौडाई शै। इव प्रकाय मश लगााकाय शै । मभवबा का ताऩक्रभ अत्मन्त वश
ु ालना अथाात ् न
तो अधधक ळीतर शै औय न शी अधधक गभा शै । मभवबा वबी के भन को अत्मन्त आनन्द दे ने लारी शै । मभवबा भें न
ळोक, न फुढ़ाऩा शै , न बूख शै , न तमाव शै औय न शी मभवबा भें कोई अवप्रम लस्तु शैं। इव प्रकाय मभवबा द्ु ख, कष्ट एलॊ
ऩीडा के कयणों का अबाल यशता शैं। मभवबा भें दीनता, थकालट अथला प्रततकूरता नाभभाि को बी नशी शै । मभवबा भें
वदै ल ऩत्रित वुगन्ध लारी ऩुष्ऩ भाराएॉ एलॊ अन्म कई यम्म लस्तुएॉ विद्यभान यशती शैं।
मभवबा भें अनेक याजा, ऋवऴा औय ब्रह्भवऴा मभदे ल की उऩावना कयते यशते शैं। ममातत, नशुळ, ऩुरु, कातालीमा,
अरयष्टनेभी, कृतत, तनसभ, भान्धाता, प्रतदान, सळवल आदद याजा भत्ृ मु के उयान्त मशाॊ फैठकय धभायाज की उऩावना कयते शैं।
कठोय तऩस्मा कयने लारे, उत्तभ व्रत का ऩारन कयने लारे वत्मलादी, ळान्त, वॊन्मावी तथा अऩने ऩुण्मकभा वे ळुध्द एलॊ
ऩवलि भशाऩुरुऴों का शी मभवबा भें प्रलेळ शोता शैं।
90 - 2018
कयने वे अन्म ददनों की अऩेषा कई गुना अधधक राब प्रातत तथा जो मस के सरए घी दे ती शैं, लश गाम भाता भेये ऩाऩों का
शोता शैं। दीऩालरी के ददन ऩशरे वे शी स्लच्छ फकमे गश
ृ को नाळ कये ।
आमुष्म, कीतता तथा धन की लवृ ि शोती शैं। जो ळॊख अऩने भस्तक ऩय तछडकने, तथा अऩने वऩतओ
ृ ॊ का
के जर को भस्तक ऩय तछडकता शैं उवके घयभें नाभ रेकय ळॊख वे तऩाण कयने वे उवके वबी ऩाऩ
वल नों का कथन शैं की दक्षषणालता ळॊख भें जर बय वल नों कथन शैं की ब्रह्भ शत्मा, गो शत्मा जैवे
कय उववे बगलान वलष्णु का ऩूजन कयने वे उवके भशाऩातकों वे भुत्क्त ऩाने के सरए दक्षषणालतॉ ळॊख
वात जन्भ के ऩाऩों का नाळ शोता शैं।
के जर को वॊफॊधधत व्मत्क्त ऩय तछडकने वे उवे
जो दक्षषणालता ळॊख के जर वे स्नान कयता शैं उवे
ऩाऩों वे भत्ु क्त सभरती शैं।
वबी तीथों के स्नान का पर सभरता शैं।
दक्षषणालतॉ ळॊख का जर जाद-ू टोना, नज़य, काभण-
त्जव स्थान ऩय दक्षषणालता ळॊख शोता शैं लशाॊ बूत-
टूभण जैवे असब ाय लारे कभों के दष्ु प्रबालों को
प्रेत आदद वबी प्रकाय के उऩद्रलों वे यषा शोती शैं।
नष्ट कयने भें वभथा शैं।
ळास्िों भें ळॊख को वूमा द्र
ॊ भाॊ के वभान ददव्म गुणों
वे मुक्त फतामा गमा शैं। दक्षषणालता ळॊख के प्रकाय:
शास्त्रों भें दक्षऺणावतत शांख के दों बेद फतामे हैं:
धासभाक भान्मता शैं की तीनों रोक भें त्जतने तीथा शैं
दक्षषणालता ऩुरुऴ ळॊख औय दक्षषणालता स्िी ळॊख।
लश वफ बगलान वलष्णु की आसा वे ळॊख भें तनलाव
छोटे आकायों लारे कभ लजन के दक्षषणालता ळॊख को
कयते शैं। ळॊख के दळान वे ऩाऩों का नाळ शोता शैं।
स्िी दक्षषणालता ळॊख कशाॊ जाता शैं, धध
ुॊ रे यॊ ग लारे ळॊखों
ळॊख ध्लतन एलॊ ळॊख जर के वलळेऴ राब:
को बी स्िी दक्षषणालता ळॊख भाना जाता शैं।
आज तोऩ के गोरे मा फभ के ळोय का जो अवय
लणा के अनुवाय दक्षषणालता ळॊख ाय प्रकाय के फतामे गमे
शोता शैं लशीॊ अवय प्रा ीन कार भें ळॊख ध्लतन वे शोता
शैं।
था। ळॊख ध्लतन वे ळिओ
ु ॊ की वेना का भनोफर टूट जाता
1- ब्राह्भण दक्षऺणावतत शांख:
शैं।
जो ळॊख शये मा वपेद यॊ ग का शो, छूने ऩय उवकी वतश
मदद जॊगर भें जशाॊ ळॊख ध्लतन शोती शैं लशाॊ वे
कोभर भशवूव शो, ळॊख लजन भें शल्का शो उव ळॊख को
ळेय-फाध जैवे दशॊवक ऩळु आने की दशम्भत नशीॊ कयते।
ब्राह्भण दक्षषणालता ळॊख कशाॊ गमा शैं।
जशयी जीलजॊतु बी लशाॊ वे दयू यशते शैं।
2- ऺत्त्रम दक्षऺणावतत शांख:
कुछ जानकायों का भानना शैं की योग कायक ळूक्ष्भ
जो ळॊख शल्का यक्त लणा शो, ळॊख के अॊळ को अरग
जीलाणु मा वलऴाणु शला भें शोते शैं त्जवे लामयव कशते
कयने लारी कुछ ये खाएॊ फनी शो, ळॊख की ध्लतन ककाळ
शैं, जशाॊ प्रततददन प्रात् एलॊ वॊध्मा ळॊख ध्लतन शोती शैं,
शो उव ळॊख को षत्रिम दक्षषणालता ळॊख कशाॊ गमा शैं।
लशाॊ जीलाणु मा वलऴाणु अथाात लामयव का उऩद्रल पैरता
3- वैश्म दक्षऺणावतत शांख:
नशीॊ शैं।
जो ळॊख भोटा शो, ळॊख के शय अॊळ ऩय ये खा शो तथा लश
दक्षषणालतॉ ळॊख को धन के बॊडाय भें यखने वे धन
ऩीरे यॊ ग की शो उव ळॊख को लैश्म दक्षषणालता ळॊख कशाॊ गमा
की लवृ ि, अन्न-बॊडाय भें यखने वे अन्न की लवृ ि,
शैं।
लस्ि के बॊडाय भें यखने वे लस्ि की लवृ ि, अध्ममन 4- शद्र
ु दक्षऺणावतत शांख:
ल ऩूजन कष भें यखने वे सान की लवृ ि, ळमन कष जो ळॊख कठोय शो, ळॊख का आकाय टे डा भेडा शो, लजन
भें यखने वे वुख-ळाॊतत की लवृ ि शोती शैं। भें बायी शो, ळॊख की ध्लतन ककाळ, यॊ ग थोडा कारा शो
मदद ऐसा शांख ककसी कायण से टूट जामे तो टूटे हुवे ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीधय कयस्थातममोतनधध जाताम
बाग को सोने की वयख मा सोने के ऩत्तय से उसे ढां क
श्रीदक्षषणालता ळॊखम ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीकयाम
दे ना चादहए।
ऩूज्माम नभ्।
दक्षषणालतता ळॊख की ऩज उक्त भि का उच् ायण कयते शुले ळॊख को अष्ट द्रव्म ल
ू न वलधध:
वग
ु ॊधधत इि ढ़ाएॊ। ाॊदी के फयतन भें दध
ू भें ीनी,
प्रात् स्नान आदद वे तनलत्ृ त शो कय, स्लच्छ कऩडे ऩशन
केवय, फादाभ, इराम ी सभरा कय नैलेद्म तैमाय कयें ।
कय, प्रथभ दध
ू वे फपय ळुि जर वे ळॊख को स्नान
वॊबल शो तो वाथ भें पर बी यखें।
कयामे। फपव स्लच्छ रार लस्ि वे उवे ऩोछे । फपय ळॊख
कऩूय वे आयती कयें ।
को वोने मा ाॊदी के ऩि वे भढ़ना ादशए (अथाात ळॊख
की उऩयी वतश को वोने मा ाॊदी के ऩि का आलयण
रगाकय ढ़क दे ना ादशए), मदद वोने ाॊदी का ऩि ध्मान भॊि:
रगाना वॊबल न शो तो वोने मा ाॊदी की लयक (लयख, ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीधय कयस्थातम ऩमोतनधध
लका, लखा, ऩणा, ऩन्नी Foil आदद नाभों वे जाना जाता जाताम रक्ष्भी वशोदयाम ध त्न्तभाथा वॊऩादकाम
शैं) बी ढ़ा वकते शैं। फपय ळॊख का अष्ट द्रव्मों वे
श्री श्रीदक्षषणालता ळॊखाम श्री कयाम, ऩूज्माम क्रीॊ
ऴोडळोऩ ाय ऩज
ू न कयें ।
श्रीॊ ह्ीॊ ॐ नभ् वलााबयण बूवऴताम
ळॊख का ऩज
ू न प्रळस्मान्गोऩान्गवॊमुताम कल्ऩलष
ृ ाम त्स्थताम
वॊकल्ऩ काभधेनु ध न्ताभर्णनल तनधधरूऩाम तुदाळ यत्न
शाथ भें आ भनी भें रज रेकय नी े दे मे भॊि वे वॊकल्ऩ ऩरयलत्ृ ताम अष्टादळ भशासववि वदशताम श्रीरक्ष्भी
कयें (जशाॊ अभुक के स्थान ऩय वॊफॊधधत लऴा, भाव आदद
दे लता कृष्णदे ल कयतर रसरताम श्री
का उच् ायण कयें ।)
ळॊखभशातनधमे नभ्।
ॐ अिाद्म अभुक लऴे अभुक भावे अभुक ऩषे
ध्मान भॊि आलाशन अथाात ् स्तुतत भॊि शै । इवके
अभुक ततथौ अभुख लायवे ळुब नषि कयण मोग
अततरयक्त फीज भॊि अथला ऩाॊ जन्म गामिी ळॊख भॊि
रग्ने भभ सविमथे दशयण्म गोदावा लाशना दश का ग्मायश भारा जऩ कयना बी आलश्मक शै ।
वभवृ ि प्रातत्मथे श्री दक्षषणालतॉ ळॊखस्म ऩूजनभ ्
अशॊ करयष्मे। जऩ भांत्र:
अथातत: आजके अभुक लऴा, अभुक भाव, अभुक ऩष, ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ ब्रूॊ दक्षषण ळॊखतनधमे वभुद्र
अभुक ततधथ, अभुक लाय को भेये कामा की सववि के सरए प्रबलाम नभ्।
वुलणा, गाम, दाव, लाशन आदद वभवृ ि की प्रात्तत के
फीज भांत्र:
सरए भैं श्री दक्षषणालतॉ ळॊख जा ऩूजन कय यशा शूॊ।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ ब्रूॊ दक्षषणभुखाम ळॊखतनधमे
(उक्त भॊि उ ायण कय ळॊखका जर ऩािे भें छोड दे )
वभुद्रप्रबलाम नभ्।
ऩज
ू न भॊि:
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97 - 2018
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वद्व -वद्व । ॥
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99 - 2018
भूर कवच ऩाठ: ऩद्मालती दे ली भेये भस्तक की यषा कयो। शरयवप्रमा कण्ठ की यषा
भस्तकभ ् ऩातु भे ऩद्मा कण्ठॊ ऩातु शरयवप्रमा। कयो। रक्ष्भी नासवका की यषा कयो। कभरा नेि की यषा कयो।
नासवकाभ ् ऩातु भे रक्ष्भी् कभरा ऩातु रो नभ ्।। केळलकान्ता केळों की, कभरारमा कऩार की, जगज्जननी
केळान ् केळलकान्ता कऩारभ ् कभरारमा। दोनों कऩोरों की औय वम्ऩत्प्रदा वदा स्कन्ध की यषा कयो।
जगत्प्रवूगण्
ा डमुग्भॊ स्कन्धॊ वम्ऩत्प्रदा वदा।। ॐ श्रीॊ कभरलासवन्मै स्लाशा - भेये ऩष्ृ ठॊ बाग का वदा ऩारन
ॐ श्रीॊ कभरलासवन्मै स्लाशा ऩष्ृ ठॊ वदालत।ु कयो।
ॐ श्रीॊ ऩद्मारमामै स्लाशा लष् वदालतु।। ॐ श्रीॊ ऩद्मारमामै स्लाशा - लष्स्थर को वदा वयु क्षषत यखे।
ऩातु श्रीभाभ कॊकारॊ फाशुमुग्भॊ ते नभ्।। श्री दे ली को नभस्काय शैं आऩ भेये कॊकारॊ तथा दोनों बज
ु ाओॊ को
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ रक्ष्म्मै नभ् ऩादौ ऩातु भे वॊततभ ् ध यभ ्। फ ामे।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ नभ् ऩद्मामै स्लाशा ऩातु तनतम्फकभ ्।। ॐ ह्ीॊ श्रीॊ रक्ष्म्मै नभ् - ध यकार तक भेये ऩैयों का ऩारन कयो।
ॐ श्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा वलांगॊ ऩातु भे वदा। ॐ ह्ीॊ श्रीॊ नभ् ऩद्मामै स्लाशा - तनतम्फ बाग की यषा कयो।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा भाॊ ऩातु वलात्।। ॐ श्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा - भेये वलांग की वदा यषा कयो।
इव भॊि के ऩाठ वे भाॊ भशारक्ष्भी की कृऩा प्रातत शोती शै । ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा
परश्रुनत:
इतत ते कधथतभ ् लत्व वलावम्ऩत्कयभ ् ऩयभ ्। : वफ ओय वे वदा भेया ऩारन कयो। लत्व, इव प्रकाय
वलैश्लमाप्रदभ ् नाभ कल भ ् ऩयभाद्भत
ु भ ्।। भैंने तुभवे इव वलैश्लमाप्रद नाभक ऩयभोत्कृष्ट कल का लणान
गुरुभ्मच्मा वलधधलत ् कल भ ् ळयमेत्तु म्। कय ददमा। मश ऩयभ अद्भत
ु कल वम्ऩूणा वम्ऩत्त्तमों को दे ने
कण्ठे ला दक्षषणे फाॊशौ व वलावलजमी बलेत ्।। लारा शैं। जो भनष्ु म वलधधऩूलक
ा गुरु फक अ न
ा ा कयके इव कल
भशारक्ष्भीगश
ाृ भ ् तस्म न जशातत कदा न। को गरे भें अथला दादशनी बज
ु ा ऩय धायण कयता शैं, लश वफको
तस्म छामेल वततभ ् वा जन्भतन जन्भतन।। जीतने लारा शो जाता शैं। भशारक्ष्भी कबी उवके घय का त्माग
इदभ ् कल भसात्ला बजेल्रक्ष्भीॊ वुभन्दधी्। नशीॊ कयती; फत्ल्क प्रत्मेक जन्भ भें छामा की बाॉतत वदा उवके
ळतरषप्रजततोऽवऩ न भन्ि् सवविदामक्।। वाथ रगी यशती शैं। जो भन्दफुवि इव कल को त्रफना जाने शी
।।इतत श्रीब्रह्भलैलते इन्द्रभ ् प्रतत शरयणोऩददष्टभ ् रक्ष्भी की बत्क्त कयता शैं, उवे एक कयोड जऩ कयने ऩय बी
रक्ष्भीकल भ ्।। (गणऩततखण्ड २२।५-१७) भन्ि सवविदामक नशीॊ शोता।
100 - 2018
भशारक्ष्भी कल
नायामण उवाच ऩद्मा भाॊ दक्षषणे ऩातु नैऋात्माॊ श्रीशरयवप्रमा॥१०॥
वला वम्ऩत्प्रदस्मास्म कल स्म प्रजाऩतत्। ऩद्मारमा ऩत्श् भे भाॊ लामव्माॊ ऩातु श्री् स्लमभ ्।
ऋवऴश्छन्दश् फश
ृ ती दे ली ऩद्मारमा स्लमभ ्॥१॥ उत्तये कभरा ऩातु ऐळान्माॊ सवन्धक
ु न्मका॥११॥
धभााथक
ा ाभभोषेऴु वलतनमोग् प्रकीततात्। नायामणेळी ऩातूध्लाभधो वलष्णुवप्रमालतु।
ऩुण्मफीजॊ भशताॊ कल ॊ ऩयभाद्भत
ु भ ्॥२॥ वॊततॊ वलात् ऩातु वलष्णुप्राणाधधका भभ॥१२॥
ॐ ह्ीॊ कभरलासवन्मै स्लाशा भे ऩातु भस्तकभ ्। इतत ते कधथतॊ लत्व वलाभन्िौघवलग्रशभ ्।
श्रीॊ भे ऩातु कऩारॊ रो ने श्रीॊ धश्रमै नभ्॥३॥ वलैश्लमाप्रदॊ नाभ कल ॊ ऩयभाद्भत
ु भ ्॥१३॥
ॐ श्रीॊ धश्रमै स्लाशे तत कणामुग्भॊ वदालतु। वुलणाऩलातॊ दत्त्ला भेरुतुल्मॊ वद्वजातमे।
ॐ श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा भे ऩातु नासवकाभ ्॥४॥ मत ् परॊ रबते धभॉ कल न
े ततोऽधधकभ ्॥१४॥
ॐ श्रीॊ ऩद्मारमामै स्लाशा दन्तॊ वदालतु। गुरुभ्मच्मा वलधधलत ् कल ॊ धायमेत ् तु म्।
ॐ श्रीॊ कृष्णवप्रमामै दन्तयन्ध्रॊ वदालतु॥५॥ कण्ठे ला दक्षषणे लाशौ व श्रीभान ् प्रततजन्भतन॥१५॥
ॐ श्रीॊ नायामणेळामै भभ कण्ठॊ वदालतु। अत्स्त रक्ष्भीगश
ा ृ े तस्म तनश् रा ळतऩूरुऴभ ्।
ॐ श्रीॊ केळलकान्तामै भभ स्कन्धॊ वदालतु॥६॥ दे लेन्द्रै श् ावुयेन्द्रै श् वोऽिध्मो तनत्श् तॊ बलेत ्॥१६॥
ॐ श्रीॊ ऩद्मतनलासवन्मै स्लाशा नासबॊ वदालतु। व वलाऩुण्मलान ् धीभान ् वलामसेऴु दीक्षषत्।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ वॊवायभािे भभ लष् वदालतु॥७॥ व स्नात् वलातीथेऴु मस्मेदॊ कल ॊ गरे॥१७॥
ॐ श्रीॊ श्रीॊ कृष्णकान्तामै स्लाशा ऩष्ृ ठॊ वदालत।ु मस्भै कस्भै न दातव्मॊ रोबभोशबमैयवऩ।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ धश्रमै स्लाशा भभ शस्तौ वदालत॥
ु ८॥ गरु
ु बक्ताम सळष्माम ळयणाम प्रकाळमेत ्॥१८॥
ॐ श्रीॊ तनलावकान्तामै भभ ऩादौ वदालत।ु इदॊ कल भसात्ला जऩेल्रक्ष्भीॊ जगत्तवभ
ू ्।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ धश्रमै स्लाशा वलांगॊ भे वदालत॥
ु ९॥ कोदटवॊख्मॊ प्रजततोऽवऩ न भन्ि् वोविदामक्॥१९॥
प्राच्माॊ ऩातु भशारक्ष्भीयाग्नेयमाॊ कभरारमा। (गणऩततखण्ड ३८।६४-८२)
भॊि सवि दर
ु ब
ा वाभग्री
कारी शल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 शल्दी भारा - Rs- 280
धन लवृ ि शकीक वेट Rs-280 (कारी शल्दी के वाथ Rs-550) तुरवी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
शकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-145 भॊग
ू े की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
वपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 लैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राष भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above वलधुत भारा - Rs- 190, 280
- Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भल्
ू म भें अॊतय छोटे वे फडे आकाय के कायण शैं।
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101 - 2018
भशारक्ष्भी स्ततु त
नभस्तेस्तु भशाभामे श्री ऩीठे वुयऩूत्जते। भशारक्ष्भी तुम्शें प्रणाभ शैं॥2॥ वफ कुछ जानने लारी,
ळङ्ख क्रगदाशस्ते भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥१॥ वफको लय दे ने लारी, वभस्त दष्ु टों को बम दे ने लारी एलॊ
नभस्ते गरुडारूढे कोरावयु बमङ्करय। वफके द:ु खों को दयू कयने लारी, शे दे वल भशारक्ष्भी तुम्शें
नभस्काय शैं॥3॥ सववि, फुवि, बोग औय भोष दे ने लारी शे
वलाऩाऩशये दे वल भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥२॥
भॊिऩूत बगलतत भशारक्ष्भी तुम्शें वदा प्राभ शैं॥4॥ शे दे वल!
वलासे वलालयदे वलादष्ु ट बमङ्करय।
शे आदद-अन्त-यदशत आददळत्क्त ! शे भशे श्लरय! शे मोग वे
वलाद:ु खशये दे वल भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥३॥
प्रकट शुई बगलतत भशारक्ष्भी तम्
ु शें नभस्काय शैं ॥5॥ शे
सवविफवु िप्रदे दे वल बत्ु क्त भत्ु क्त प्रदातमतन।
दे वल! तुभ स्थर
ू , वूक्ष्भ एलॊ भशायौद्ररूवऩणी शो, भशाळत्क्त
भन्िऩूते वदा दे वल भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥४॥
शो, भशोदया शो औय फडे-फडे ऩाऩों का नाळ कयने लारी
आद्मन्तयदशते दे वल आद्मळत्क्त भशे श्लरय।
शो। शे दे वल भशारक्ष्भी तुम्शें नभस्काय शैं॥6॥ शे कभर
मोगजे मोगवम्बत
ू े भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥५॥ के आवन ऩय वलयाजभान ऩयब्रह्भस्लरूवऩणी दे वल! शे
स्थूरवूक्ष्भभशायौद्रे भशाळत्क्त भशोदये । ऩयभेश्लरय! शे जगदम्फ! शे भशारक्ष्भी तम्
ु शें भेया प्रणाभ
भशाऩाऩशये दे वल भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥६॥ शैं॥7॥ शे दे वल तुभ श्लेत लस्ि धायण कयने लारी औय
ऩद्मावनत्स्थते दे वल ऩयब्रह्भ स्लरूवऩर्ण। नाना प्रकाय के आबूऴणों वे वलबूवऴता शो। वम्ऩूणा जगत ्
ऩयभेसळ जगन्भत ् भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥७॥ भें व्मातत एलॊ अर्खर रोक को जन्भ दे ने लारी शो। शे
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घय ऩरयलाय भें ळाॊतत एलॊ फच् े को कुवॊगती वे छुडाने शे तु फच् े के नाभ वे गरु
ु त्ल कामाारत द्लाया ळास्िोक्त वलधध-
वलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण
ू ा त
ै न्म मक्
ु त लळीकयण कल एलॊ एव.एन.डडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने
घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩज
ू ा, वलधध-वलधान वे आऩ वलळेऴ राब प्रातत कय वकते शैं। मदद आऩ तो आऩ भॊि सवि
लळीकयण कल एलॊ एव.एन.डडब्फी फनलाना ाशते शैं, तो वॊऩका इव कय वकते शैं।
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122 - 2018
षीयवभद
ु बल भॊगररूवऩर्ण भॊितनलासवतन भॊिनत
ु े॥ यावेश्लमाधध दे ली त्लॊ त्लत्करा् वलामोवऴत्॥
जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन धान्मरत्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥2॥ स्लगे स्लगारक्ष्भीस्त्लॊ भत्मारक्ष्भीश् बूतरे॥
अङ्गायको मभश् ल
ै वलायोगाऩशायक्। ऩुि-ऩौि-धन-धान्मॊ, शस्त्मश्लादद-गले यथभ ्।
प्रजानाॊ बलतत भात्, अमुष्भन्तॊ कयोतु भाभ ्॥
व्रुष्टे ् कतााऽऩशताा वलाकाभपरप्रद्॥३॥
धनभत्ग्नधानॊ लामुधन
ा ॊ वूमो धनॊ लवु्।
एतातन कुजनाभतन तनत्मॊ म् श्रिमा ऩठे त ्।
धनसभन्द्रा लश
ृ स्ऩततलारुणो धनभश्नुते॥
ऋणॊ न जामते तस्म धनॊ ळीघ्रभलातनम
ु ात ्॥४॥
लैनतेम वोभॊ वऩफ, वोभॊ वऩफतु लि
ृ शा।
धयणीगबावम्बत
ू ॊ वलद्मत्ु कात्न्तवभप्रबभ ्।
वोभॊ धनस्म वोसभनो, भह्भॊ ददातु वोसभतन॥
कुभायॊ ळत्क्तशस्तॊ भङ्गरॊ प्रणभाम्मशभ ्॥५॥
न क्रोधो न भात्वमं, न रोबो नाळुबा भती्।
बलन्ती कृत-ऩुण्मानाॊ, बक्तानाॊ श्री-वूक्तॊ जऩेत ्॥
स्तोिभङ्गायकस्मैतत्ऩठनीमॊ वदा नसृ ब्।
मशी भोय अयदाव,शाथ जोड वलनती अऩनामा तोदश अन्तमााभी । करय वलश्लाव कयैं व्रत नेभा ।
वफवलधध कयौ वुलाव, जम जनतन तुभ वभ प्रफर ळत्क्त नदशॊ आनी । जम जम जम रक्ष्भी बालानी ।
सवॊधु वुता भैं वुसभयौं तोशी । भन क्रभ ल न कयै वेलकाई । तुम्शयो तेज प्रफर जग भाशी ।
सान फवु ि वलद्मा दो भोशी ॥ भन इत्च्छत लाॊतछत पर ऩाई ॥ तुभ वभ कोउ दमारु कशुॊ नादशॊ ॥
तुभ वभान नदशॊ कोई उऩकायी । तत्ज छ्र कऩट औय तुयाई । भोदश अनाथ की वुधध अफ रीजै ।
भॊि सवि दर
ु ब
ा वाभग्री
कारी शल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 शल्दी भारा - Rs- 280
धन लवृ ि शकीक वेट Rs-280 (कारी शल्दी के वाथ Rs-550) तर
ु वी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
शकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-145 भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
वपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 लैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राष भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above वलधुत भारा - Rs- 190, 280
कासभमा सवॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भूल्म भें अॊतय छोटे वे फडे आकाय के कायण शैं।
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126 - 2018
श्री गणेळ मॊि के ऩूजन वे व्मत्क्त को फुवि, विद्या, वललेक का वलकाव शोता शैं औय योग, व्माधध एलॊ वभस्त
वलध्न-फाधाओॊ का स्लत् नाळ शोता शै । श्री गणेळजी की कृऩा प्रातत शोने वे व्मत्क्त के भुत्श्कर वे भुत्श्कर कामा
बी आवान शो जाते शैं।
त्जन रोगो को व्मलवाम-नौकयी भें वलऩयीत ऩरयणाभ प्रातत शो यशे शों, ऩारयलारयक तनाल, आधथाक तॊगी, योगों वे
ऩीडा शो यशी शो एलॊ व्मत्क्त को अथक भेशनत कयने के उऩयाॊत बी नाकाभमाफी, द:ु ख, तनयाळा प्रातत शो यशी शो,
तो एवे व्मत्क्तमो की वभस्मा के तनलायण शे तु तुथॉ के ददन मा फुधलाय के ददन श्री गणेळजी की वलळेऴ ऩूजा-
अ न
ा ा कयने का वलधान ळास्िों भें फतामा शैं।
त्जवके पर वे व्मत्क्त की फकस्भत फदर जाती शैं औय उवे जीलन भें वुख, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा की प्रात्तत शोती
शैं। त्जव प्रकाय श्री गणेळ जी का ऩूजन अरग-अरग उद्देश्म एलॊ काभनाऩूतता शे तु फकमा जाता शैं, उवी प्रकाय श्री
गणेळ मॊि का ऩूजन बी अरग-अरग उद्देश्म एलॊ काभनाऩूतता शे तु अरग-अरग फकमा जाता वकता शैं।
श्री गणेळ मॊि के तनमसभत ऩूजन वे भनुष्म को जीलन भें वबी प्रकाय की ऋवि-सववि ल धन-वम्ऩत्त्त की प्रात्तत
शे तु श्री गणेळ मॊि अत्मॊत राबदामक शैं। श्री गणेळ मॊि के ऩूजन वे व्मत्क्त की वाभात्जक ऩद-प्रततष्ठा औय
कीतता ायों औय पैरने रगती शैं।
विद्वानों का अनुबल शैं की फकवी बी ळुब कामा को प्रायॊ ऩ कयने वे ऩूला मा ळुबकामा शे तु घय वे फाशय जाने वे ऩूला
गणऩतत मॊि का ऩूजन एलॊ दळान कयना ळुब परदामक यशता शैं। जीलन वे वभस्त वलघ्न दयू शोकय धन,
आध्मात्त्भक त
े ना के वलकाव एलॊ आत्भफर की प्रात्तत के सरए भनुष्म को गणेळ मॊि का ऩूजन कयना ादशए।
गणऩतत मॊि को फकवी बी भाश की गणेळ तुथॉ मा फुधलाय को प्रात: कार अऩने घय, ओफपव, व्मलवामीक
स्थर ऩय ऩूजा स्थर ऩय स्थावऩत कयना ळुब यशता शैं।
गुरुत्व कामातरम भें उऩरब्ध अन्म : रक्ष्भी गणेळ मॊि | गणेळ मॊि | गणेळ मॊि (वॊऩूणा फीज भॊि वदशत) | गणेळ
सवि मॊि | एकाषय गणऩतत मॊि | शरयद्रा गणेळ मॊि बी उऩरब्ध शैं। अधधक जानकायी आऩ शभायी लेफ वाइट ऩय
प्रातत कय वकते शैं।
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127 - 2018
वला कामा सववि कल के वाथ भें तांत्र यऺा कल के सभरे शोने की लजश वे ताॊत्रिक फाधाए दयू शोती शैं,
वाथ शी नकायात्भक ळत्क्तमो का कोइ कुप्रबाल धायण कताा व्मत्क्त ऩय नशीॊ शोता। इव कल के प्रबाल
वे इऴाा-द्वेऴ यखने लारे व्मत्क्तओ द्वारा शोने लारे दष्ु ट प्रबालो वे यषा शोती शैं।
वला कामा सववि कल के वाथ भें शत्रु ववजम कल के सभरे शोने की लजश वे ळिु वे वॊफॊधधत वभस्त
ऩये ळातनओ वे स्लत् शी छुटकाया सभर जाता शैं। कल के प्रबाल वे ळिु धायण कताा व्मत्क्त का ाशकय
कुछ नशी त्रफगाड वकते।
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129 - 2018
कल के वलऴम भें अधधक जानकायी शे तु गुरुत्ल कामाारम भें वॊऩका कयें । >> Order Now
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130 - 2018
श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि अॊकात्भक फीवा मॊि
श्री मॊि श्री वूक्त मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) रक्ष्भी गणेळ मॊि धनदा मॊि > Shop Online | Order Now
उऩयोक्त वबी मॊिो को द्वादळ भशा मॊि के रुऩ भें ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे भॊि सवि ऩण
ू ा
प्राणप्रततत्ष्ठत एलॊ ैतन्म मुक्त फकमे जाते शैं। त्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩूजा
अ न
ा ा-वलधध वलधान वलळेऴ राब प्रातत कय वकते शैं।
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घय ऩरयलाय भें ळाॊतत एलॊ फच् े को कुवॊगती वे छुडाने शे तु फच् े के नाभ वे गरु
ु त्ल कामाारत
द्वारा ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा ैतन्म मुक्त लळीकयण कल
एलॊ एव.एन.डडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩूजा, वलधध-वलधान वे
आऩ वलळेऴ राब प्रातत कय वकते शैं। मदद आऩ तो आऩ भॊि सवि लळीकयण कल एलॊ
एव.एन.डडब्फी फनलाना ाशते शैं, तो वॊऩका इव कय वकते शैं।
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134 - 2018
ऩरु
ु षाकाय शनन मांत्र
ऩरु
ु ऴाकाय ळतन मॊि (स्टीर भें ) को तीव्र प्रबालळारी फनाने शे तु ळतन की कायक धातु ळि
ु
स्टीर(रोशे ) भें फनामा गमा शैं। त्जव के प्रबाल वे वाधक को तत्कार राब प्रातत शोता शैं। मदद
जन्भ कॊु डरी भें ळतन प्रततकूर शोने ऩय व्मत्क्त को अनेक कामों भें अवपरता प्रातत शोती शै, कबी
व्मलवाम भें घटा, नौकयी भें ऩये ळानी, लाशन दघ
ु ट
ा ना, गश
ृ क्रेळ आदद ऩये ळानीमाॊ फढ़ती जाती शै
ऐवी त्स्थततमों भें प्राणप्रततत्ष्ठत ग्रश ऩीडा तनलायक ळतन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भें
ा़
स्थाऩना कयने वे अनेक राब सभरते शैं। मदद ळतन की ढै मा मा वाढ़े वाती का वभम शो तो इवे
अलश्म ऩज
ू ना ादशए। ळतनमॊि के ऩज
ू न भाि वे व्मत्क्त को भत्ृ मु, कजा, कोटा केळ, जोडो का ददा ,
फात योग तथा रम्फे वभम के वबी प्रकाय के योग वे ऩये ळान व्मत्क्त के सरमे ळतन मॊि अधधक
राबकायी शोगा। नौकयी ऩेळा आदद के रोगों को ऩदौन्नतत बी ळतन द्वारा शी सभरती शै अत् मश
मॊि अतत उऩमोगी मॊि शै त्जवके द्वारा ळीघ्र शी राब ऩामा जा वकता शै ।
भल्
ू म: 1225 से 8200 >> Shop Online | Order Now
वॊऩण
ू ा प्राणप्रततत्ष्ठत
22 गेज ळुि स्टीर भें तनसभात अखॊडडत
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135 - 2018
गरे भें शोने के कायण मॊि ऩवलि यशता शैं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो
जर त्रफॊद ु ळयीय को रगते शैं, लश गॊगा जर के वभान ऩवलि शोता शैं। इव सरमे इवे वफवे
तेजस्ली एलॊ परदातम कशजाता शैं। जैवे अभत
ृ वे उत्तभ कोई औऴधध नशीॊ, उवी प्रकाय
रक्ष्भी प्रात्तत के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भें नशीॊ शैं एवा ळास्िोक्त ल न शैं।
इव प्रकाय के नलयत्न जडडत श्री मॊि गरू
ु त्ल कामाारम द्वाया ळब
ु भश
ु ू ता भें प्राण प्रततत्ष्ठत
कयके फनालाए जाते शैं। Rs: 4600, 5500, 6400 वे 10,900 वे अधधक
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अधधक जानकायी शे तु वॊऩका कयें ।
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136 - 2018
श्री शनुभान मॊि ळास्िों भें उल्रेख शैं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमद
ा े ल ने ब्रह्भा जी के आदे ळ ऩय
शनुभान जी को अऩने तेज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीलााद प्रदान फकमा था, फक भैं शनुभान को वबी ळास्ि
का ऩूणा सान दॉ ग
ू ा। त्जववे मश तीनोरोक भें वला श्रेष्ठ लक्ता शोंगे तथा ळास्ि वलद्या भें इन्शें भशायत शासवर शोगी
औय इनके वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुवाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴों की
वलसबन्न फीभारयमों दयू शोती शैं, इव मॊि भें अद्भत
ु ळत्क्त वभादशत शोने के कायण व्मत्क्त की स्लतन दोऴ, धातु योग,
यक्त दोऴ, लीमा दोऴ, भूछाा, नऩुॊवकता इत्मादद अनेक प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भें अत्मन्त राबकायी शैं। अथाात
मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुष्ट कयता शैं। श्री शनुभान मॊि व्मत्क्त को वॊकट, लाद-वललाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, वलऴबम, ोय
बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्मादद वे वॊकटो वे यषा कयता शैं औय सववि प्रदान कयने भें वषभ शैं।
श्री शनुभान मॊि के वलऴम भें अधधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भें वॊऩका कयें ।
भूल्म Rs- 910 से 12700 तक
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137 - 2018
सान दाता भशा मॊि रग्न वलघ्न तनलायक मॊि कुदृत्ष्ट नाळक मॊि
कामा कल्ऩ मॊि रग्न मोग मॊि श्री ळिु ऩयाबल मॊि
दीधाामु अभत
ृ तत्ल वॊजीलनी मॊि दरयद्रता वलनाळक मॊि ळिु दभनाणाल ऩज
ू न मॊि
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139 - 2018
3 कातताक 27:2 ऩल
ू ाापाल्गन
ु ी 22:43 इन्द्र 27:30 फल 15:58 सवॊश
ळतन कृष्ण एकादळी -
9 कातताक 21:27 अनयु ाधा 20:34 ळोबन 15:11 फारल 09:14 लत्ृ श् क
ळक्र
ु ळक्
ु र द्वलतीमा -
11 कातताक 23:58 भर
ू 24:1 वक
ु भाा 14:23 लर्णज 11:06 धनु
यवल ळक्
ु र तथ
ु ॉ -
12 कातताक 26:8 ऩल
ू ााऴाढ़ 26:37 धतृ त 14:43 फल 12:59 धनु
वोभ ळक्
ु र ऩॊ भी -
15 कातताक वततभी- 7 ततधथ श्रलण 08:44 लवृ ि 17:21 लर्णज 07:24 भकय
गरु
ु ळक्
ु र लवृ ि 22:18
अष्टभी
07:24
18 कातताक 13:50 ऩल
ू ााबाद्रऩद 16:30 शऴाण 18:47 गय 13:50 कॊु ब
यवल ळक्
ु र दळभी 10:04
25 भागाळीऴा 08:59 भग
ृ सळया 13:25 वाध्म 25:40 लर्णज 17:14 लऴ
ृ ब
यवल कृष्ण वद्वतीमा 02:19
26 भागाळीऴा तत
ृ ीमा- 03:57- आद्रा 11:36 ळब
ु 22:26 फल 14:40 सभथुन
वोभ कृष्ण 25:23 -
तथ
ु ॉ
27 भागाळीऴा 22:55 ऩन
ु लावु 09:49 Shukla 19:15 कौरल 12:08 सभथुन
भॊगर कृष्ण ऩॊ भी 04:16
30 भागाळीऴा 16:39 ऩल
ू ाापाल्गन
ु ी 28:17 लैधतृ त 10:29 कौरल 16:39
ळक्र
ु कृष्ण अष्टभी सवॊश -
141 - 2018
1
गरु कातताक कृष्ण अष्टभी
08:54 याधा अष्टभी, दीलनलभी (उ.खॊ),
ु
4 कातताक 25:15 गोलत्व द्वादळी (गौ-फछडा फायव) व्रत, लवु द्वादळी, गुरु द्वादळी, लाघ फायव
यवल कृष्ण द्वादळी
(गुज.)
कातताक 21:11 अन्नकूट भशोत्वल, गोलधान-ऩूजन, श्रीभशालीय तनलााण वम्लत ् 2545 प्रायॊ ब,
8
गरु
ु ळक्
ु र एकभ फसर ऩूजा, नललस्िधायण, वामॊ भॊगर भासरका एलॊ गो-क्रीडा, गो-वॊलधान
वतताश प्रायम्ब
ळतन कातताक
10 22:23
ळक्
ु र तत
ृ ीमा वलश्लासभि जमन्ती,
(ऩ.फॊ),
16
ळक्र कातताक ळक्
10:00 वूमा लत्ृ श् क वॊक्राॊतत 18:38 फजे वे,
ु ु र अष्टभी
18
यवल कातताक ळक्
13:50
ु र दळभी आळा दळभी, कॊळलध रीरा भशोत्वल (भथुया),
कातताक 14:43 श्रीशरय प्रफोधधनी एकादळी, दे लउठनी ग्मायव, दे ल उठी अग्मायव, दे लोत्थान
19
वोभ ळक्
ु र एकादळी उत्वल, वलष्णु त्रियाि ऩूण,ा ातुभााव व्रत तनमभ वभातत, बीष्भऩॊ क प्रायॊ ब,
तुरवी वललाश, कारीदाव जमॊती,
20 कातताक 14:50 बोभ-प्रदोऴ व्रत, दाभोदय द्वादळी (ब्रज), श्माभफाफा द्वादळी, गरुड द्वादळी
भॊगर ळक्
ु र द्वादळी
(ओडीवा), भत्स्म द्वादळी, भेरा खाटूश्माभ (याज.),
24 08:57
ळतन भागाळीऴा कृष्ण एकभ गोऩ भाव प्रायॊ ब, कात्मामनी भासवक ऩज
ू ा ळरू
ु ,
25 भागाळीऴा 08:59
यवल कृष्ण वद्वतीमा वौबाग्मवद
ॊु यी व्रत,
26 भागाळीऴा तत
ृ ीमा- 03:57-
वोभ कृष्ण 25:23 वॊकष्टी श्रीगणेळ तुथॉ व्रत, ( ॊ. उदम.या.08:35)
तथ
ु ॉ
27 भागाळीऴा 22:55 लीड ऩॊ भी (श्रीभनवादे ली), अन्नऩूणााभाता व्रत प्रायॊ ब (काळी), ऩुष्म ददन
भॊगर कृष्ण ऩॊ भी
01:24 वे
28 भागाळीऴा 20:36
फध
ु कृष्ण ऴष्ठी ऩुष्म ददन 11:33 तक
29 भागाळीऴा 18:30
गरु
ु कृष्ण वततभी रुकभर्ण व्रत- द
ॊ ोदमी
30 भागाळीऴा 16:39 श्रीकार बैयलाष्टभी व्रत (काराष्टभी), कारबैयल दळान-ऩूजन, बैयलनाथ जमॊती
ळक्र
ु कृष्ण अष्टभी
भशोत्वल,
143 - 2018
यासळ यत्न
भेऴ यासळ: लऴ
ृ ब यासळ: सभथन
ु यासळ: कका यासळ: सवॊश यासळ: कन्मा यासळ:
भग
ूॊ ा शीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना
तुरा यासळ: लत्ृ श् क यासळ: धनु यासळ: भकय यासळ: कॊु ब यासळ: भीन यासळ:
शीया भग
ूॊ ा ऩुखयाज नीरभ नीरभ ऩुखयाज
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श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के वाथ व्मत्क्तको दृढ़ इच्छा ळत्क्त एलॊ उजाा प्रततत्ष्ठत ऩूणा त
ै न्म मुक्त कयके
प्रातत शोती शैं, त्जस्वे व्मत्क्त शभेळा एक बीड भें शभेळा आकऴाण का केंद्र तनभााण फकमा जाता शैं। त्जव के
पर स्लरुऩ धायण कयता व्मत्क्त
यशता शैं।
को ळीघ्र ऩूणा राब प्रातत शोता शैं।
मदद फकवी व्मत्क्त को अऩनी प्रततबा ल आत्भवलश्लाव के स्तय भें
कल को गरे भें धायण कयने वे
लवृ ि, अऩने सभिो ल ऩरयलायजनो के त्रफ भें रयश्तो भें वुधाय कयने की
लशॊ अत्मॊत प्रबाल ळारी शोता शैं।
ईच्छा शोती शैं उनके सरमे श्रीकृष्ण फीसा मांत्र का ऩूजन एक वयर ल वुरब
गरे भें धायण कयने वे कल
भाध्मभ वात्रफत शो वकता शैं।
शभेळा रृदम के ऩाव यशता शैं त्जस्वे
श्रीकृष्ण फीसा मांत्र ऩय अॊफकत ळत्क्तळारी वलळेऴ ये खाएॊ, फीज भॊि एलॊ
व्मत्क्त ऩय उवका राब अतत तीव्र
अॊको वे व्मत्क्त को अद्द्भत
ु आॊतरयक ळत्क्तमाॊ प्रातत शोती शैं जो व्मत्क्त एलॊ ळीघ्र सात शोने रगता शैं।
को वफवे आगे एलॊ वबी षेिो भें अग्रर्णम फनाने भें वशामक सवि शोती शैं।
भूरम भात्र: 2350 >>Order Now
श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के ऩूजन ल तनमसभत दळान के भाध्मभ वे बगलान
श्रीकृष्ण का आळीलााद प्रातत कय वभाज भें स्लमॊ का अद्वलतीम स्थान स्थावऩत कयें ।
श्रीकृष्ण फीसा मांत्र अरौफकक ब्रह्भाॊडीम उजाा का वॊ ाय कयता शैं, जो एक प्राकृत्त्त भाध्मभ वे व्मत्क्त के बीतय
वद्दबालना, वभवृ ि, वपरता, उत्तभ स्लास्थ्म, मोग औय ध्मान के सरमे एक ळत्क्तळारी भाध्मभ शैं!
श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के ऩूजन वे व्मत्क्त के वाभात्जक भान-वम्भान ल ऩद-प्रततष्ठा भें लवृ ि शोती शैं।
वलद्वानो के भतानव
ु ाय श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग केंदद्रत कयने वे व्मत्क्त फक ेतना ळत्क्त जाग्रत
शोकय ळीघ्र उच् स्तय को प्राततशोती शैं।
जो ऩुरुऴों औय भदशरा अऩने वाथी ऩय अऩना प्रबाल डारना ाशते शैं औय उन्शें अऩनी औय आकवऴात कयना ाशते
शैं। उनके सरमे श्रीकृष्ण फीसा मांत्र उत्तभ उऩाम सवि शो वकता शैं।
ऩतत-ऩत्नी भें आऩवी प्रभ की लवृ ि औय वख
ु ी दाम्ऩत्म जीलन के सरमे श्रीकृष्ण फीसा मांत्र राबदामी शोता शैं।
भल्
ू म:- Rs. 910 वे Rs. 12700 तक उतरब्ि >> Shop Online
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145 - 2018
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146 - 2018
ववर्घ्नकायक बद्रा
वाॊम 06:10 वे 03 नलॊफय प्रात् 05:10 तक यात 02:07 वे 19 नलॊफय दोऩशय 02:30 तक
02 19
(ऩथ्
ृ ली) (ऩथ्
ृ ली)
यात 11:47 वे 06 नलॊफय दोऩशय 11:04 तक दोऩशय 12:54 वे यात 12:05 तक
05 22
(ऩातार) (स्लगा)
मोग पर :
कामा सववि मोग भे फकमे गमे ळुब कामा भे तनत्श् त वपरता प्रातत शोती शैं, एवा ळास्िोक्त ल न शैं।
वद्वऩुष्कय मोग भें फकमे गमे ळुब कामो का राब दोगुना शोता शैं। एवा ळास्िोक्त ल न शैं।
त्रिऩुष्कय मोग भें फकमे गमे ळुब कामो का राब तीन गुना शोता शैं। एवा ळास्िोक्त ल न शैं।
ळास्िोंक्त भत वे वलघ्नकायक बद्रा मोग भें ळुब कामा कयना लत्जात शैं।
दै तनक ळब
ु एलॊ अळब
ु वभम सान तासरका
गसु रक कार (ळब
ु ) मभ कार (अळब
ु ) याशु कार (अळब
ु )
लाय वभम अलधध वभम अलधध वभम अलधध
यवललाय 03:00 वे 04:30 12:00 वे 01:30 04:30 वे 06:00
वोभलाय 01:30 वे 03:00 10:30 वे 12:00 07:30 वे 09:00
भॊगरलाय 12:00 वे 01:30 09:00 वे 10:30 03:00 वे 04:30
फुधलाय 10:30 वे 12:00 07:30 वे 09:00 12:00 वे 01:30
गुरुलाय 09:00 वे 10:30 06:00 वे 07:30 01:30 वे 03:00
ळुक्रलाय 07:30 वे 09:00 03:00 वे 04:30 10:30 वे 12:00
ळतनलाय 06:00 वे 07:30 01:30 वे 03:00 09:00 वे 10:30
149 - 2018
ददन के ौघडडमे
वभम यवललाय वोभलाय भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळतनलाय
यात के ौघडडमे
वभम यवललाय वोभलाय भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळतनलाय
ळास्िोक्त भत के अनुळाय मदद फकवी बी कामा का प्रायॊ ब ळुब भुशूता मा ळुब वभम ऩय फकमा जामे तो कामा भें
वपरता प्रातत शोने फक वॊबालना ज्मादा प्रफर शो जाती शैं। इव सरमे दै तनक ळुब वभम ौघडडमा दे खकय प्रातत फकमा जा
वकता शैं।
नोट: प्राम् ददन औय यात्रि के ौघडडमे फक धगनती क्रभळ् वूमोदम औय वूमाास्त वे फक जाती शैं। प्रत्मेक ौघडडमे फक अलधध
1 घॊटा 30 सभतनट अथाात डेढ़ घॊटा शोती शैं। वभम के अनव
ु ाय ौघडडमे को ळब
ु ाळब
ु तीन बागों भें फाॊटा जाता शैं, जो क्रभळ्
ळुब, भध्मभ औय अळुब शैं।
यवललाय वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गरु
ु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन
वोभलाय ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा
भॊगरलाय भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र
फध
ु लाय फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर
गुरुलाय गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु
ळक्र
ु लाय ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु
ळतनलाय ळतन गरु
ु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गरु
ु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु
द्र
ॊ भा फक शोया वबी कामों के सरमे उत्तभ शोती शैं।
फध
ु फक शोया वलद्या-फवु ि अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ शोती शैं।
गरु
ु फक शोया धासभाक कामा एलॊ वललाश के सरमे उत्तभ शोती शैं।
कवच के राब :
एवा ळास्िोक्त ल न शैं त्जव घय भें भशाभत्ृ मुॊजम मॊि स्थावऩत शोता शैं लशा तनलाव कताा शो नाना
प्रकाय फक आधध-व्माधध-उऩाधध वे यषा शोती शैं।
ऩूणा प्राण प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त वला योग तनलायण कल फकवी बी उम्र एलॊ जातत धभा के
रोग ाशे स्िी शो मा ऩरु
ु ऴ धायण कय वकते शैं।
जन्भाॊगभें अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रशो फक प्रततकूरता वे योग उतऩन्न शोते शैं।
कुछ योग वॊक्रभण वे शोते शैं एलॊ कुछ योग खान-ऩान फक अतनमसभतता औय अळुितावे उत्ऩन्न शोते शैं।
कल एलॊ मॊि द्वाया एवे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्लास्थ्म राब औय ळायीरयक यषण
प्रातत कयने शे तु वला योगनाळक कल एलॊ मॊि वला उऩमोगी शोता शैं।
आज के बौततकता लादी आधुतनक मुगभे अनेक एवे योग शोते शैं, त्जवका उऩ ाय ओऩये ळन औय दलावे
बी कदठन शो जाता शैं। कुछ योग एवे शोते शैं त्जवे फताने भें रोग दश फक ाते शैं ळयभ अनुबल कयते शैं
एवे योगो को योकने शे तु एलॊ उवके उऩ ाय शे तु वला योगनाळक कल एलॊ मॊि राबादातम सवि शोता शैं।
प्रत्मेक व्मत्क्त फक जेवे-जेवे आमु फढती शैं लैवे-लवै उवके ळयीय फक ऊजाा कभ शोती जाती शैं। त्जवके
वाथ अनेक प्रकाय के वलकाय ऩैदा शोने रगते शैं एवी त्स्थती भें उऩ ाय शे तु वलायोगनाळक कल एलॊ
मॊि परप्रद शोता शैं।
त्जव घय भें वऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक दश नषिभे जन्भ रेते शैं, तफ उवकी
भाता के सरमे अधधक कष्टदामक त्स्थती शोती शैं। उऩ ाय शे तु भशाभत्ृ मुॊजम मॊि परप्रद शोता शैं।
त्जव व्मत्क्त का जन्भ ऩरयधध मोगभे शोता शैं उन्शे शोने लारे भत्ृ मु तुल्म कष्ट एलॊ शोने लारे योग,
ध त
ॊ ा भें उऩ ाय शे तु वला योगनाळक कल एलॊ मॊि ळुब परप्रद शोता शैं।
नोट:- ऩण
ू ा प्राण प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩण
ू ा ैतन्म मुक्त वला योग तनलायण कल एलॊ मॊि के फाये भें अधधक
जानकायी शे तु वॊऩका कयें । >> Shop Online | Order Now
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Our Goal
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153 - 2018
उऩयोक्त कल के अराला अन्म वभस्मा वलळेऴ के वभाधान शे तु एलॊ उद्देश्म ऩतू ता शे तु कल का तनभााण फकमा जाता शैं। कल के वलऴम भें
अधधक जानकायी शे तु वॊऩका कयें ।
*कल भाि ळब
ु कामा मा उद्देश्म के सरमे >> Shop Online | Order Now
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Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -
Shastrokt Yantra
वू ना
ऩत्रिका भें प्रकासळत वबी रेख ऩत्रिका के अधधकायों के वाथ शी आयक्षषत शैं।
रेख प्रकासळत शोना का भतरफ मश कतई नशीॊ फक कामाारम मा वॊऩादक बी इन वल ायो वे वशभत शों।
ऩत्रिका भें प्रकासळत फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख मशाॊ फकवी बी व्मत्क्त वलळेऴ मा फकवी बी स्थान मा
घटना वे कोई वॊफॊध नशीॊ शैं।
प्रकासळत रेख ज्मोततऴ, अॊक ज्मोततऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत शोने के कायण
मदद फकवी के रेख, फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकवी के लास्तवलक जीलन वे भेर शोता शैं तो मश भाि
एक वॊमोग शैं।
प्रकासळत वबी रेख बायततम आध्मात्त्भक ळास्िों वे प्रेरयत शोकय सरमे जाते शैं। इव कायण इन वलऴमो फक
वत्मता अथला प्राभार्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय फक त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शैं।
अन्म रेखको द्वाया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभार्णकता एलॊ प्रबाल फक त्जन्भेदायी कामाारम मा
वॊऩादक फक नशीॊ शैं। औय नाशीॊ रेखक के ऩते दठकाने के फाये भें जानकायी दे ने शे तु कामाारम मा वॊऩादक
फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शैं।
ज्मोततऴ, अॊक ज्मोततऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत रेखो भें ऩाठक का अऩना
वलश्लाव शोना आलश्मक शैं। फकवी बी व्मत्क्त वलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन वलऴमो भें वलश्लाव कयने ना
कयने का अॊततभ तनणाम स्लमॊ का शोगा।
शभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे वबी रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय सरखे शोते शैं। शभ फकवी बी
व्मत्क्त वलळेऴ द्वारा प्रमोग फकमे जाने लारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नदशॊ रेते शैं।
मश त्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने लारे व्मत्क्त फक स्लमॊ फक शोगी। क्मोफक इन वलऴमो भें
नैततक भानदॊ डों, वाभात्जक, कानूनी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त मदद नीजी स्लाथा ऩूतता शे तु प्रमोग कताा शैं
अथला प्रमोग के कयने भे िदु ट शोने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ वॊबल शैं।
शभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे वबी भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग फकमे
शैं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्वारा तनत्श् त वपरता प्रातत शुई शैं।
ऩाठकों फक भाॊग ऩय एक दश रेखका ऩून् प्रकाळन कयने का अधधकाय यखता शैं। ऩाठकों को एक रेख के
ऩन
ू ् प्रकाळन वे राब प्रातत शो वकता शैं।
FREE
E CIRCULAR
गरु
ु त्ल ज्मोततऴ ऩत्रिका नलम्फय-2018
वॊऩादक
ध त
ॊ न जोळी
वॊऩका
गरु
ु त्ल ज्मोततऴ वलबाग
गरु
ु त्ल कामाारम
92/3. BANK COLONY,
BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018,
(ODISHA) INDIA
पोन
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161 - 2018
शभाया उद्देश्म
वप्रम आत्त्भम
फॊधु/ फदशन
जम गुरुदे ल
जशाॉ आधतु नक वलसान वभातत शो जाता शैं। लशाॊ आध्मात्त्भक सान प्रायॊ ब
शो जाता शैं, बौततकता का आलयण ओढे व्मत्क्त जीलन भें शताळा औय तनयाळा भें
फॊध जाता शैं, औय उवे अऩने जीलन भें गततळीर शोने के सरए भागा प्रातत नशीॊ शो
ऩाता क्मोफक बालनाए दश बलवागय शैं, त्जवभे भनुष्म की वपरता औय
अवपरता तनदशत शैं। उवे ऩाने औय वभजने का वाथाक प्रमाव शी श्रेष्ठकय
वपरता शैं। वपरता को प्रातत कयना आऩ का बाग्म शी नशीॊ अधधकाय शैं। ईवी
सरमे शभायी ळुब काभना वदै ल आऩ के वाथ शैं। आऩ अऩने कामा-उद्देश्म एलॊ
अनुकूरता शे तु मॊि, ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न औय दर
ु ब
ा भॊि ळत्क्त वे ऩूणा प्राण-
प्रततत्ष्ठत ध ज लस्तु का शभें ळा प्रमोग कये जो १००% परदामक शो। ईवी सरमे
शभाया उद्देश्म मशीॊ शे की ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे वलसळष्ट तेजस्ली भॊिो द्वाया
सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा ैतन्म मुक्त वबी प्रकाय के मन्ि- कल एलॊ ळुब
परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशो ाने का शैं।
वूमा की फकयणे उव घय भें प्रलेळ कयाऩाती शैं।
जीव घय के र्खडकी दयलाजे खुरे शों।
GURUTVA KARYALAY
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NOV
2018