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गुरुत्ल कामाारम द्वारा प्रस्तुत भासवक ई-ऩत्रिका नवम्फय-2018

151

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E CIRCULAR
गुरुत्ल ज्मोततऴ ऩत्रिका गरु
ु त्ल ज्मोततऴ भासवक
नलम्फय-2018
ई-ऩत्रिका भें रेखन शे तु फ्रीराॊव
वॊऩादक

ध त
ॊ न जोळी (स्लतॊि) रेखकों का स्लागत
वॊऩका
गुरुत्ल ज्मोततऴ वलबाग शैं... 
गुरुत्ल कामाारम

गरु
ु त्ल ज्मोततऴ भासवक ई-ऩत्रिका
92/3. BANK COLONY,
BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018,
(ODISHA) INDIA
भें आऩके द्वारा सरखे गमे भॊि,
पोन
91+9338213418,
मॊि, तॊि, ज्मोततऴ, अॊक ज्मोततऴ,
91+9238328785, लास्तु, पेंगळई
ु , टै यों, ये की एलॊ
ईभेर
gurutva.karyalay@gmail.com,
अन्म आध्मात्त्भक सान लधाक
रेख को प्रकासळत कयने शे तु बेज
gurutva_karyalay@yahoo.in,

लेफ
www.gurutvakaryalay.com वकते शैं।
www.gurutvakaryalay.in
http://gk.yolasite.com/ अधधक जानकायी शे तु वॊऩका कयें ।
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www.gurutvakaryalay.blogspot.com/ GURUTVA KARYALAY
ऩत्रिका प्रस्तुतत BHUBNESWAR-751018, (ODISHA) INDIA
ध त
ॊ न जोळी, Call Us: 91 + 9338213418,
गुरुत्ल कामाारम 91 + 9238328785
पोटो ग्राफपक्व Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in,
ध त
ॊ न जोळी,
gurutva.karyalay@gmail.com
गुरुत्ल कामाारम
अनुक्रभ
5- -2018 7 63

7- -2018 8 65

? 9 67

11 73

औ 14 76

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16 78

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22 82

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151 27 87

35 89

39 90

41 92

42 93
45 97
औ - -
46 102

61

स्थामी औय अन्म रेख


वॊऩादकीम 4 दै तनक ळब
ु एलॊ अळब
ु वभम सान तासरका 149
नलम्फय 2018 भासवक ऩॊ ाॊग 140 ददन के ौघडडमे 150
नलम्फय 2018 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय 142 ददन फक शोया - वम
ू ोदम वे वम
ू ाास्त तक 151
नलम्फय 2018-वलळेऴ मोग 149
वप्रम आत्त्भम,

फॊध/ु फदशन

जम गुरुदे ल

। औ
औ , ।
। । औ

। औ

दशन्द ू धभा ळास्िों भें लर्णात शैं की धन फक दे ली रक्ष्भी शैं जो धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा प्रदान कयती शैं।
रेफकन त्रफना फवु ि के धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा व्मथा शैं। इवके ऩीछे भख्
ु म कायण शैं की बगलान श्री गणेळ वभस्त
वलघ्नों को टारने लारे शैं, दमा एलॊ कृऩा के भशावागय शैं, एलॊ तीनो रोक के कल्माण शे तु बगलान गणऩतत वफ प्रकाय वे
मोग्म शैं। वभस्त वलघ्न फाधाओॊ को दयू कयने लारे गणेळ वलनामक शैं। अत् फुवि फक प्रात्तत के सरमे फुवि औय वललेक
के अधधऩतत दे लता गणेळ का ऩूजन कयने का वलधान शैं। गणेळजी वभस्त सवविमों को दे ने लारे दे लता भाना गमा
शै । क्मोफक वभस्त सवविमाॉ बगलान गणेळ भें लाव कयती शैं। इव सरमे रक्ष्भीजी के वाथ भें श्री गणेळजी फक
आयाधना आलश्मक शैं।
एवी ऩौयार्णक भान्मता शैं फक धन तेयव के ददन धनलॊतयी नाभक दे लता अभत
ृ करळ के वाथ वागय
भॊथन वे उत्ऩन्न शुए थे। धनलॊतयी धन, स्लास्थम ल आमु के अधधऩतत दे लता शैं। धनलॊतयी को दे लों के लैध ल
ध फकत्वक के रुऩ भें जाना जाता शैं।
धन तेयव के ददन ाॊदी के फतान-सवक्के खयीदना वलळेऴ ळुब शोता शैं। क्मोफक ळास्िों भें धनलॊतयी दे ल
को ॊद्रभा के वभान भाना गमा शैं। धन तेयव के धनलॊतयी के ऩूजन वे भानसवक ळात्न्त, भन भें वॊतोऴ एल
स्लबाल भें वौम्मता का बाल आता शैं। जो रोग अधधक वे अधधक धन एकि कयने फक काभना कयते शों उन्शें
धनलॊतयी दे ल फक प्रततददन आयाधना कयनी ादशए।
धनतेयव ऩय ऩज
ू ा कयने वे व्मत्क्त भें वॊतोऴ, स्लास्थम, वख
ु ल धन फक वलळेऴ प्रात्तत शोती शैं। त्जन
व्मत्क्तमों के उत्तभ स्लास्थम भें कभी तथा वेशत खयाफ शोने फक आळॊकाएॊ फनी यशती शैं उन्शें वलळेऴ रुऩ वे
इव ळुब ददन भें ऩूजा आयाधना कयनी ादशए। धनतेयव भें खयीदायी ळुब भानी जाती शैं। रक्ष्भी जी एलॊ गणेळ
जी फक ाॊदी फक प्रततभा-सवक्को को इव ददन खरयदना धन प्रात्तत एलॊ आधथाक उन्नतत शे तु श्रेष्ठ शोता शैं।
धनतेयव के ददन बगलान धनलन्तयी वभुद्र वे अभत ृ करळ रेकय प्रकट शुए थे, इवसरमे धनतेयव के ददन खाव
तौय वे फतानों फक खयीदायी फक जाती शैं। इव ददन स्टीर के फतान, ाॊदी के फतान खयीदने वे प्रातत शोने लारे
ळुब परो भें कई गुणा लवृ ि शोने फक वॊबालना फढ़जाती शैं।
भाॊ रक्ष्भी फक कृऩा प्रातत कयने शे तु एलॊ उनका स्थामी तनलाव शो वके इव उद्देश्म वे घय-दक
ु ान-
व्मलवातमक कामाारम भें दीऩालरी के ददन रक्ष्भी ऩूजन शे तु ददन के वफवे ळुब भुशूता को सरमा जाता शैं।
दीऩालरी ौ़डडमा भश ु ू ता वभम को घय ल ऩरयलाय भें रक्ष्भी ऩूजन कयने के सरमे ळुब भाना जाता शैं।
श्रीभशारक्ष्भी ऩूजन एलॊ दीऩालरी का भशाऩला कातताक कृष्ण अभालस्मा भें प्रदोऴ कार एलॊ यात्रि वभम भें त्स्थय
रग्न वभम भें कयना ळुब शोता शै रक्ष्भी ऩूजन, दीऩ प्रजलत्ल्रत कयने के सरमे प्रदोऴकार भुशूता वभम शी
वलळेऴतमा ळुब भाना गमा शैं।
आज के बौततक मुग भें शय व्मत्क्त की ाश शोती शैं की उवे अधधक वे अधधक धन-वॊऩत्त्त एलॊ ऐश्लमा
प्रातत शो। शय व्मत्क्त अऩनी धन-वॊऩत्त्त को ददन दोगुनी यात ौगुनी यफ्ताय वे फढ़ाना ाशते शैं, इवसरए
व्मत्क्त रक्ष्भी प्रात्तत शे तु वलसबन्न भॊि, मॊि एलॊ तॊि के प्रमोगो को अऩना कय रक्ष्भी कायक वलसबन्न
वाभग्रीमों को अऩने घय, दक
ु ान, ऑफपव आदद व्मलवामीक स्थान ऩय स्थावऩत कय उवका ऩूजन-अ न
ा कयते
शैं।
त्जन रोगों ने रक्ष्भी प्रात्तत के सरए अऩने घय भें वख
ु वभवृ ि कायक वलसबन्न दर
ु ब
ा वाभग्रीमाॊ जैवे
श्रीमॊि, दक्षषणालतता ळॊख इत्मादद वाभग्री को अऩने घय भें ऩशरे वे स्थावऩत कय उवका तनमसभत ऩूजन-अ न

कय यशे शो, उन्शें अधधक राब की प्रात्तत शे तु रक्ष्भी प्रात्तत के अन्म वयर उऩामों को बी अऩने जीलन भें
अलश्म आजभाना ादशए अथला त्जन रोगों ने इन रक्ष्भी कायक दर
ु ब
ा लस्तुओॊ को अबी तक अऩने घय भें को
स्थावऩत नशीॊ फकमा शैं मा लश रोग इव वाभग्रीमों को स्थावऩत कयने भें अवभथा शैं, उन रोगों को रक्ष्भी
प्रात्तत शे तु मशाॊ ददमे गमे अनुबूत उऩामो को अऩनाकय जीलन भें तनत्श् त रुऩ वे वुख-वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा प्रातत
कयने का प्रमाव कयना ादशए एलॊ इन उऩामों वे राब की प्रात्तत शोने ऩय वलसबन्न दर
ु ब
ा लस्तुओॊ को प्रातत
कय अऩने घय भें अलश्म स्थावऩत कय उवना तनमसभत ऩूजन-अ न
ा कयना ादशए। दीऩालरी के ळुब भुशूता भें
धन प्रात्तत के वलळेऴ उऩामों को प्रायॊ ब कय तनत्श् त रुऩ वे अऩने जीलन भें धन-लैबल, वख ु -वभवृ ि का
आगभन फकमा जा वकता शैं।
इव अॊक भें ऩाठको के भागायळन शे तु रक्ष्भी प्रात्तत के वयर उऩामों को 3 बागों भें ददमा गमा शैं, जो
क्रभळ: दीऩलरी ऩय कयें धन प्रात्तत शे तु वलळेऴ उऩाम, दै तनक जीलन भें अऩनामे रक्ष्भी प्रात्तत के वयर उऩाम
औय दरयद्रता तनलायण शे तु वलळेऴ उऩाम शैं।

दीऩालरी ऩय फकमे जाने लारे उऩामों को आलश्मक्ता अनुवाय अन्म ळुब भुशूता एलॊ अलवयों ऩय फकमा
जा वकता शैं। वलद्वानों का अनुबल शैं की इन दीऩालरी ऩला ऩय फकमे जाने लारे धन प्रात्तत के उऩामों को
दीऩालरी ऩय कयने वे वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं।
इव अॊक भें प्रकासळत दीऩोत्वली वलळेऴ वे वॊफॊधधत जानकायीमों के वलऴम भें वाधक एलॊ वलद्वान ऩाठको वे
अनयु ोध शैं, मदद दळाामे गए भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना एलॊ उऩामों के राब, प्रबाल इत्मादी के वॊकरन,
प्रभाण ऩढ़ने, वॊऩादन भें, डडजाईन भें , टाईऩीॊग भें , वप्रॊदटॊग भें , प्रकाळन भें कोई िुदट यश गई शो, तो उवे
स्लमॊ वुधाय रें मा फकवी मोग्म ज्मोततऴी, गुरु मा वलद्वान वे वराश वलभळा कय रे । क्मोफक वलद्वान
ज्मोततऴी, गुरुजनो एलॊ वाधको के तनजी अनुबल वलसबन्न भॊि, श्रोक, मॊि, वाधना, उऩाम के प्रबालों का
लणान कयने भें बेद शोने ऩय रक्ष्भी प्रात्तत शे तु की जाने लारी ऩूजन वलधध एलॊ उवके प्रबालों भें सबन्नता
वॊबल शैं।

आऩका जीलन वख
ु भम, भॊगरभम शो भाॊ रक्ष्भी की कृऩा आऩके ऩरयलाय ऩय
फनी यशे । भाॊ भशारक्ष्भी वे मशी प्राथना शैं…

ध त
ॊ न जोळी
6 - 2018

***** दीऩालरी वलळेऴाॊक वे वॊफॊधधत वू ना *****


 ऩत्रिका भें दीऩालरी वलळेऴाॊक भें दीऩालरी वे वॊफॊधधत रेख गुरुत्ल कामाारम के अधधकायों के वाथ शी आयक्षषत शैं।
 दीऩालरी वलळेऴाॊक भें लर्णात रेखों को नात्स्तक/अवलश्लावु व्मत्क्त भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शैं।
 दीऩालरी का वलऴम आध्मात्भ वे वॊफॊधधत शोने के कायण बायततम धभाळास्िों वे प्रेरयत शोकय प्रस्तुत फकमा
शैं।
 दीऩालरी वलळेऴाॊक वे वॊफॊधधत वलऴमो फक वत्मता अथला प्राभार्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय की त्जन्भेदायी
कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शैं।
 दीऩालरी वलळेऴाॊक वे वॊफॊधधत वबी जानकायीकी प्राभार्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी कामाारम मा
वॊऩादक की नशीॊ शैं औय ना शीॊ प्राभार्णकता एलॊ प्रबाल की त्जन्भेदायी के फाये भें जानकायी दे ने शे तु
कामाारम मा वॊऩादक फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शैं।
 दीऩालरी वलळेऴाॊक वे वॊफॊधधत रेखो भें ऩाठक का अऩना वलश्लाव शोना आलश्मक शैं। फकवी बी व्मत्क्त
वलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन वलऴमो भें वलश्लाव कयने ना कयने का अॊततभ तनणाम स्लमॊ का शोगा।
 दीऩालरी वलळेऴाॊक वे वॊफॊधधत फकवी बी प्रकाय की आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।
 दीऩालरी वलळेऴाॊक वे वॊफॊधधत रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय ददए गमे शैं। शभ
फकवी बी व्मत्क्त वलळेऴ द्वारा प्रमोग फकमे जाने लारे धासभाक, एलॊ भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी
त्जन्भेदायी नदशॊ रेते शैं। मश त्जन्भेदायी भॊि- मॊि मा अन्म उऩामोको कयने लारे व्मत्क्त फक स्लमॊ फक
शोगी।
 क्मोफक इन वलऴमो भें नैततक भानदॊ डों, वाभात्जक, कानन
ू ी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त मदद नीजी
स्लाथा ऩतू ता शे तु प्रमोग कताा शैं अथला प्रमोग के कयने भे िदु ट शोने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ वॊबल शैं।
 दीऩालरी वलळेऴाॊक वे वॊफॊधधत जानकायी को भाननने वे प्रातत शोने लारे राब, राब की शानी मा शानी की
त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक की नशीॊ शैं।
 शभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे वबी जानकायी एलॊ भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म
शभाये फॊधुगण ऩय प्रमोग फकमे शैं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा कल , भॊि-मॊि मा उऩामो द्वारा तनत्श् त
वपरता प्रातत शुई शैं।
 दीऩालरी वलळेऴाॊक भें गुरुत्ल कामाारम द्वारा प्रकासळत वबी उत्ऩादों को केलर ऩाठको की जानकायी शे तु
ददमा गमा शैं, कामाारम फकवी बी ऩाठक को इन उत्ऩादों का क्रम कयने शे तु फकवी बी प्रकाय वे फाध्म नशीॊ
कयता शैं। ऩाठक इन उत्ऩादों को कशीॊ वे बी क्रम कयने शे तु ऩूणत
ा ् स्लतॊि शैं।

अधधक जानकायी शे तु आऩ कामाारम भें वॊऩका कय वकते शैं।

(वबी वललादो केसरमे केलर बुलनेश्लय न्मामारम शी भान्म शोगा।)


7 - 2018

धनतेयव ळुब भुशूता वोभलाय 5-नलम्फय-2018



एवी ऩौयार्णक भान्मता शैं फक धन तेयव के ददन धनलॊतयी नाभक दे लता अभत
ृ करळ के वाथ वागय भॊथन वे
उत्ऩन्न शुए थे। धनलॊतयी धन, स्लास्थम ल आमु के अधधऩतत दे लता शैं। धनलॊतयी को दे लों के लैध ल ध फकत्वक के रुऩ भें
जाना जाता शैं। धन तेयव के ददन ाॊदी के फतान-सवक्के खयीदना वलळेऴ ळब
ु शोता शैं। क्मोफक ळास्िों भें धनलॊतयी दे ल
को ॊद्रभा के वभान भाना गमा शैं। धन तेयव के धनलॊतयी के ऩूजन वे भानसवक ळात्न्त, भन भें वॊतोऴ एल स्लबाल भें
वौम्मता का बाल आता शैं। जो रोग अधधक वे अधधक धन एकि कयने फक काभना कयते शों उन्शें धनलॊतयी दे ल फक
प्रततददन आयाधना कयनी ादशए। धनतेयव ऩय ऩूजा कयने वे व्मत्क्त भें वॊतोऴ, स्लास्थम, वख
ु ल धन फक वलळेऴ प्रात्तत
शोती शैं। त्जन व्मत्क्तमों के उत्तभ स्लास्थम भें कभी तथा वेशत खयाफ शोने फक आळॊकाएॊ फनी यशती शैं उन्शें वलळेऴ रुऩ
वे इव ळुब ददन भें ऩूजा आयाधना कयनी ादशए। धनतेयव भें खयीदायी ळुब भानी जाती शैं। रक्ष्भी जी एलॊ गणेळ जी
फक ाॊदी फक प्रततभा-सवक्को को इव ददन खरयदना धन प्रात्तत एलॊ आधथाक उन्नतत शे तु श्रेष्ठ शोता शैं। धनतेयव के ददन
बगलान धनलन्तयी वभद्रु वे अभत ृ करळ रेकय प्रकट शुए थे, इवसरमे धनतेयव के ददन खाव तौय वे फतानों फक खयीदायी
फक जाती शैं। इव ददन स्टीर के फतान, ाॊदी के फतान खयीदने वे प्रातत शोने लारे ळब
ु परो भें कई गुणा लवृ ि शोने फक
वॊबालना फढ़जाती शैं।
धनतेयव ऩूजा भुशूता (18:06 से 20:01)
प्रदोऴ कार 2 घण्टे एलॊ 24 सभनट का शोता शैं। अऩने ळशय के वूमाास्त वभम अलधध वे रेकय अगरे 2 घण्टे 24
सभनट फक वभम अलधध को प्रदोऴ कार भाना जाता शैं। अरग- अरग ळशयों भें प्रदोऴ कार के तनधाायण का आधाय
वूमोस्त वभम के अनुवाय तनधाायीत कयना ादशमे। धनतेयव के ददन प्रदोऴकार भें दीऩदान ल रक्ष्भी ऩूजन कयना ळुब
यशता शै ।
इव लऴा 5 नलम्फय 2018 (धनतेयव) को बायतीम वभम अनव
ु ाय नई ददल्री भें वॊध्मा वम
ू ाास्त के फाद वाॊम 05
फज कय 33 सभतनट वे आयम्ब शोकय यात के 07 फजकय 57 सभनट तक का वभम प्रदोऴ कार यशे गा। इव वभमा
अलधध भें वाॊम 07:05:21 वे रेकय यात 09:00:48 के भध्म त्स्थय रग्न (लऴ ृ ब) यशे गा, मश वॊमोग प्रदोऴ भुशुता वभम
भें शोने के कायण घय-ऩरयलाय भें स्थामी रक्ष्भी की प्रात्तत शोती शै ।
5 नलम्फय 2018 को प्रदोऴ कार भें बी त्स्थय रग्न (लऴ
ृ ब यासळ) यशे गा, रक्ष्भी ऩूजन शे तु त्स्थय रग्न का वभम
वफवे उतभ भाना जाता शैं। धन तेयव के ददन प्रदोऴ कार ल त्स्थय रग्न दोनों का वॊमोग वॊध्मा 06:06 फजे से रेकय
यात्री 08:01 फजे तक का वभम यशे गा त्जववे भश
ु ु ता की ळुबता भें लवृ ि शोती शैं।
इसके अरावा अन्म चौघाडडमा भुहूतत
 अभत
ृ भश
ु ू ता वफ
ु श 06.00 वे 07.30 तक  राब भश
ु ू ता यात 10.30 वे 12.00 तक
 ळब
ु भश
ु ू ता वफ
ु श 09.00 वे 10.30 तक  ळब
ु भश
ु ू ता यात 01.30 वे 03.00 तक
 राब भश
ु ू ता ददन 03.00 वे 04.30 तक  अभत
ृ भश
ु ू ता यात 03.00 वे 04.30 तक
 अभतृ भशु ू ता ददन 04.30 वे 06.00 तक
ळब ु भशूता का वभम धन तेयव की ऩज ू ा के सरमे वलळेऴ ळबु यशे गा। राब भशु ू ता ऩूजन कयने वे प्रातत शोने लारे राबों भें
लवृ ि शोती शैं। ळुब कार भुशूता फक ळुबता वे धन, स्लास्थम ल आमु भें लवृ ि शोती शैं। वफवे अधधक ळुब अभत ृ कार भें
ऩूजा कयने का शोता शैं।
नोट: उऩयोक्त लर्णात वम
ू ाास्त का वभम तनयधायण नई ददल्री के अषाॊळ ये खाॊळ के अनव
ु ाय आधुतनक ऩितत वे फकमा गमा शैं।
इव वलऴम भें वलसबन्न भत एलॊ वम
ू ाास्त सात कयने का तयीका सबन्न शोने के कायण वम
ू ाास्त वभम का तनयधायण सबन्न शो
वकता शैं। वम
ू ाास्त वभम का तनयधायण स्थातनम वम
ू ाास्त के अनव
ु ाय दश कयना उध त शोगा।
8 - 2018

दीऩालरी ऩूजन भुशूता फुधलाय 7-नलम्फय-2018



भाॊ रक्ष्भी फक कृऩा प्रातत कयने शे तु एलॊ उनका स्थामी तनलाव शो वके इव उद्देश्म वे घय-दक
ु ान-व्मलवातमक
कामाारम भें दीऩालरी के ददन रक्ष्भी ऩूजन शे तु ददन के वफवे ळब
ु भश
ु ू ता को सरमा जाता शैं।
ु लाय, 7 नलम्फय 2018 को कातताक भाव फक अभालस्मा को वम
इव लऴा दीऩालरी का ऩला गरु ू ोदम कारीन नषि स्लातत
ऩयन्तु प्रदोऴकार भें वलळाखा नषि का कार यात 07:36 तक तत्ऩश् मात वलळाखा नषि यशे गा, आमष्ु भान मोग भें तथा
न्दभा का भ्रभण तर
ु ा यासळ भें यशे गा। दीऩालरी के ददन अभालस्मा ततधथ, प्रदोऴ कार, ळब
ु रग्न ल ौघाडडमा
ा़ भश
ु ू ता
वलळेऴ का अत्माधधक भशत्ल शोता शैं।
प्रदोऴ कार 2 घण्टे एलॊ 24 सभनट का शोता शैं। अऩने ळशय के वूमाास्त वभम अलधध वे रेकय अगरे 2 घण्टे 24
सभनट फक वभम अलधध को प्रदोऴ कार भाना जाता शैं। अरग- अरग ळशयों भें प्रदोऴ कार के तनधाायण का आधाय
वूमोस्त वभम के अनुवाय तनधाायीत कयना ादशमे। प्रदोऴ कार भुशूता अऩने ळशय के वूमाास्त वभम वे 2 घन्टे 24 सभनट
तक का वभम ळुब भुशूता वभम के सरमे प्रमोग फकमा जाता शैं. इवे प्रदोऴ कार वभम कशा जाता शैं। इव लऴा 7 नलम्फय

2018 (दीऩालरी) को बायतीम वभम अनुवाय नई ददल्री भें वूमाास्त वॊध्मा 05 फज कय 31 सभतनट ऩय शोगा। वॊध्मा
05 फज कय 31 सभतनट वे आयम्ब शोकय यात के 07 फजकय 55 सभनट तक का वभम प्रदोऴ कार यशे गा। 7 नलम्फय

2018 को वाॊम 05:58 वे रेकय यात 07:54 के भध्म त्स्थय रग्न (लऴ
ृ ब) यशे गा, मश वॊमोग प्रदोऴ भुशुता वभम भें शोने
के कायण घय-ऩरयलाय भें स्थामी रक्ष्भी की प्रात्तत शोती शै । प्रदोऴ कार ल त्स्थय रग्न दोनों का वॊमोग वॊध्मा 05.58:00
फजे वे रेकय यािी 07:54:00 फजे तक का वभम यशे गा त्जववे भश
ु ु ता की ळब
ु ता भें लवृ ि शोती शैं। प्रदोऴ कार के दौयान
वॊध्मा 06:00 फजे तक राब ौघडडमा एलॊ 07:30 वे ळुब ौघडडमा शोने वे भुशुता की ळुबता भें लवृ ि शोती शैं।
त्जवभें वलळेऴ रूऩ वे श्री गणेळऩूजन, श्री भशारक्ष्भी ऩूजन, कुफेय ऩूजन, व्माऩारयक खातों का ऩूजन, दीऩदान एलॊ
इव वभम के अॊतगात अऩने वेलकों को उऩशाय दे ना ळुब यशता शैं। इव भुशूता वभम भें अऩने ऩरयलाय के फडे वदस्मों एलॊ
सभि लगा वे आळीलााद रेना एलॊ उन्शें सभठाईमाॊ, लस्ि ल उऩशाय आदद दे ना बी ळुब यशता शैं। वलद्वानो के भत वे इव
भुशूता भें ऩरयलाय के फडे वदस्मों एलॊ सभि लगा वे प्रातत शोने लारा आळीलााद ळुब परप्रद सवि शोता शैं। इव भुशूता वभम
भें भॊददय इत्मादद धभास्थरो ऩय दान इत्मादद कयना बी वलळेऴ राब दामश एलॊ कल्माणकायी शोता शैं।

दीऩालरी ौघडडमाॊ भश
ु ू ता
दीऩालरी ौ़डडमा भश
ु ू ता वभम को घय ल ऩरयलाय भें रक्ष्भी ऩज
ू न कयने के सरमे ळब ु भाना जाता शैं। श्रीभशारक्ष्भी
ऩज
ू न एलॊ दीऩालरी का भशाऩला कातताक कृष्ण अभालस्मा भें प्रदोऴ कार एलॊ यात्रि वभम भें त्स्थय रग्न वभम भें कयना ळब ु
शोता शै रक्ष्भी ऩज
ू न, दीऩ प्रजलत्ल्रत कयने के सरमे प्रदोऴकार भश
ु ू ता वभम शी वलळेऴतमा ळब
ु भाना गमा शैं।
रक्ष्भी ऩूजा भुहूतत दीऩावारी के ददन
 राब भह ु ू तत सफ
ु ह 06.00 से 07.30 तक  शब
ु भह
ु ू तत यात 07.30 से 09.00 तक
 अभत
ृ भह
ु ू तत सफ
ु ह 07.30 से 09.00 तक  अभत
ृ भह
ु ू तत यात 09.00 से 10.30 तक
 शब
ु भहु ू तत ददन 10.30 से 12.00 तक  राब भह
ु ू तत यात 03.00 से 04.30 तक
 राब भह ु ू तत ददन 04.30 से 06.00 तक
नोट: उऩयोक्त लर्णात वम
ू ाास्त का वभम तनयधायण नई ददल्री के अषाॊळ ये खाॊळ के अनव
ु ाय आधुतनक ऩितत वे फकमा गमा शैं।
इव वलऴम भें वलसबन्न भत एलॊ वम
ू ाास्त सात कयने का तयीका सबन्न शोने के कायण वम
ू ाास्त वभम का तनयधायण सबन्न शो
वकता शैं। वम
ू ाास्त वभम का तनयधायण स्थातनम वम
ू ाास्त के अनव
ु ाय दश कयना उध त शोगा।
9 - 2018

भाशारक्ष्भी फक उत्ऩत्त्त कैवे शुई?



भाहारक्ष्भी कक उत्ऩत्त्त धयती ऩय धगय गई औय ऩैयों वे कु री गई। दल
ु ाावा ने
धभा ळास्िो के भत अनळ
ु ाय रक्ष्भी फक उत्ऩत्त्त जफ मश दे खा फक उवकी भारा की मश दग ु ता त शुई तो
के वलऴम भें अनेक कथाएॊ प्र सरत शैं। उन प्रा ीन लश क्रोधधत शुए औय उन्शोंने इन्द्र को श्रीशीन शोने का
ळाऩ ददमा। जफ इन्द्र ने मश वुना तो बमबीत शोकय
कथाओॊ भें वभुद्र भॊथन के दौयान भाॊ भशारक्ष्भी फक
ऋवऴ के ऩाव आमे ऩय उनका ळाऩ रौट नशीॊ वकता था।
उत्ऩत्त्त भानी जाती शैं। वलसबन्न ग्रॊथो भें रक्ष्भी वभुद्र
इवी ळाऩ के कायण अवुयों ने इन्द्र औय दे लताओॊ को
भॊथन फक कथाओॊ भें अॊतय दे खने को सभरता शैं। ऩयॊ तु
स्लगा वे फाशय तनकार ददमा। दे लता ब्रह्भा जी की ळयण
भूरत् वफ कथाओॊ भें अॊतय शोने के उऩयाॊत बी
भें गमे औय उनवे अऩने कष्ट के वलऴम भें कशा।
अधधकतय वभान शैं।
ब्रह्भा जी दे लताओॊ को रेकय वलष्णु के ऩाव गमे औय
प्रजाऩत्म कल्ऩ के अनश
ु ाय:
उनवे वायी फात कशी तफ वलष्णु ने दे लताओॊ को दानल
बगलान ब्रह्भा ने रुद्र रूऩ को शी स्लमॊबु भनु औय स्िी
वे वुरश कयके वभुद्र भॊथन कयने की वराश दी औय
रूऩ भें वतरूऩा को प्रकट फकमा औय उवके स्लमॊ बी वशामता का आश्लावन ददमा।
फाद वप्रमव्रत उत्तानऩाद, प्रवूतत औय उन्शोंने फतामा फक वभुद्र भॊथन वे
आकूतत नाभ फक वॊतानों को उन्शें रक् ķ््भी औय अभत

जन्भ ददमा। फपय आकूतत का ऩुन् प्रातत शोगा। अभत

वललाश रुध वे औय प्रवूतत ऩीकय ले अजय औय अभय शो

का वललाश दष वे फकमा गमा। जाएॊगे। दे लताओॊ ने बगलान


वलष्णु की फात वुनकय वभुद्र
दष ने प्रवूतत वे 24 कन्माओॊ
भॊथन का आमोजन फकमा।
को जन्भ ददमा। इवके नाभ
उन्शोंने अनेक औऴधधमाॊ एकत्रित
श्रिा, रक्ष्भी, ऩुत्ष्ट, धतु त, तुत्ष्ट, भेधा,
की औय वभुद्र भें डारी। फपय भॊथन
फक्रमा, फवु ि, रज्जा, लऩ,ु ळात्न्त, ऋवि, औय कीतता इत्मादी
फकमा गमा।
शैं।
भॊथन के सरमे जाते शुए वभद्र
ु के ायों ओय फडे जोय की
ववष्णु ऩयु ाण के अनश
ु ाय:
आलाज उठ यशी थी। इव फाय के भॊथन वे दे लकामों की
एक फाय घूभते शुए दल
ु ाावा ने अऩरूऩा विद्याधयी के ऩाव सववि के सरमे वाषात ् वयु सब काभधेनु प्रकट शुईं। उन्शें
एक फशुत वुन्दय भारा दे खी। लश गत्न्धत भारा थी। कारे, श्लेत, ऩीरे, शये तथा रार यॊ ग की वैकडों गौएॉ घेये
ऋवऴ ने उव भारा को अऩने जटाओॊ ऩय धायण कयने के शुए थीॊ। उव वभम ऋवऴमों ने फडे शऴा भें बयकय
सरए भाॊगा औय प्रातत कय सरमा। दल
ु ाावा ने वो ा फक दे लताओॊ औय दै त्मों वे काभधेनु के सरमे मा न की औय
मश भारा प्रेभ के कायण प्रातत कय ले काभातयु शो उठे । कशा आऩ वफ रोग सभरकय सबन्न-सबन्न गोिलारे
अऩने काभ के आलेग को योकने के सरए इधय-उधय ब्राह्भणों को काभधेनु वदशत इन वम्ऩूणा गौओॊ का दान
घभ
ू ते-घभ
ू ते स्लगा रोक ऩशुॊ ।े लशाॊ उन्शोंने अऩने सवय वे अलश्म कयें । ऋवऴमों के मा ना कयने ऩय दे लताओॊ औय
भारा शटाकय इन्द्र को दे दी। इन्द्र ने उव भारा को दै त्मों ने बगलान ् ळॊकय की प्रवन्नता के सरमे ले वफ
ऐयालत के गरे भें डार ददमा औय ऐयालत वे लश भारा गौएॉ दान कय दीॊ तथा मस कभों भें बरी-बाॉतत भन को
10 - 2018

रगाने लारे उन ऩयभ भॊगरभम भशात्भा ऋवऴमों ने उन भथने रगे। उव वभम उव वभद्र
ु वे भददया, बाॉग,
गौओॊ का दान स्लीकाय फकमा। तत्ऩश् ात वफ रोग फडे काकडासवॊगी, रशवन
ु , गाजय, अत्मधधक उन्भादकायक
जोळ भें आकय षीयवागय को भथने रगे। तफ वभद्र
ु वे धतयू तथा ऩष्ु कय आदद फशुत-वी लस्तए
ु ॉ प्रकट शुईं। इन
कल्ऩलष
ृ , ऩारयजात, आभ का लष
ृ औय वन्तान- मे ाय वफको बी वभुद्र के फकनाये एक स्थान ऩय यख ददमा
ददव्म लष
ृ प्रकट शुए। गमा। तत्ऩश् ात ले श्रेष्ठ दे लता औय दानल ऩन
ु : ऩशरे

उन वफको एकि यखकय दे लताओॊ ने ऩुन: फडे लेग वे की शी बाॉतत वभद्र


ु -भॊथन कयने रगे। अफ की फाय वभद्र

वभुद्र भॊथन आयम्ब फकमा। इव फाय के भॊथन वे वे वम्ऩूणा दळों ददळाओॊ भें ददव्म प्रकाळ व्मातत शो गमा

यत्नों भें वफवे उत्तभ यत्न कौस्तुब उव ददव्म प्रकाळ वे दे ली भशारक्ष्भी प्रकट

प्रकट शुआ, जो वूमभ


ा ण्डर के वभान शुईं। इवसरए रक्ष्भी को वभुद्र की ऩुिी

ऩयभ कात्न्तभान था। लश अऩने के रूऩ भें जाना जाता शै ।

प्रकाळ वे तीनों रोकों को भशारक्ष्भी ने दे लता, दानल,


प्रकासळत कय यशा था। भानल वम्ऩूणा प्रार्णमों की
दे लताओॊ ने ध त
ॊ ाभर्ण को ओय दृत्ष्टऩात फकमा। भाता
आगे यखकय कौस्तुब का भशारक्ष्भी की कृऩा-दृत्ष्ट
दळान फकमा औय उवे ऩाकय वम्ऩूणा दे लता उवी
बगलान वलष्णु की वेला भें वभम ऩुन् श्रीवम्ऩन्न शो
बें ट कय ददमा। तदनन्तय, गमे। ले तत्कार याज्माधधकायी
ध न्ताभर्ण को भध्म भें के ळुब रषणों वे वम्ऩन्न
यखकय दे लताओॊ औय दै त्मों ने ददखामी दे ने रगे।
ऩन
ु : वभद्र
ु को भथना आयम्ब रक्ष्भी की उत्ऩत्त्त
फकमा। ले वबी फर भें फढ़े - ढ़े थे
वत्ृ ष्ट य ना के वलऴम भें सान
औय फाय-फाय गजाना कय यशे थे। अफ
प्रातत कयते शुले बीष्भ ने ऩुरस्त्म ऋवऴ
की फाय उवे भथे जाते शुए वभद्रु वे
वे प्रश्न फकमा ऋवऴ श्रेष्ठ, रक्ष्भी की उत्ऩत्त्त
उच् ै:श्रला नाभक अश्ल प्रकट शुआ। लश वभस्त
के वलऴम भें आऩ भुझे वलस्ताय वे फताइए। क्मोंफक इव
अश्लजातत भें एक अद्भत
ु यत्न था। उवके फाद गज जातत
वलऴम भें कथा अनेक शैं। मश वुनकय ऩुरस्त्म ऋवऴ फोरे
भें यत्न बूत ऐयालत प्रकट शुआ। उवके वाथ श्लेतलणा के
फक भशवऴा बग
ृ ु फक ऩत्नी ख्मातत के गबा वे एक
ौवठ शाथी औय थे। ऐयालत के ाय दाॉत फाशय तनकरे
त्रिरोकवुन्दयी कन्मा उत्ऩन्न शुई। लश वभस्त ळुब
शुए थे औय भस्तक वे भद की धाया फश यशी थी। इन
रषणों वे वुळोसबत थी। इवसरए उवका नाभ रक्ष्भी
वफको बी भध्म भें स्थावऩत कयके ले वफ ऩन
ु : वभुद्र
यखा गमा।

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11 - 2018

भाॊ रक्ष्भी के भत्काय फक भदशभा



ऩौयार्णक कार फक फात शैं, एक ददन रक्ष्भी जी आलश्मकता नशीॊ शैं। मदद तुम्शें अऩने लैबल का अशॊ काय
वे उनकी फडी फशन ज्मेष्ठा ने कशा, रक्ष्भी फशुत ददनों शैं तो भेये ऩाव बी अऩना एक प्रबाल शैं। भैं जफ अऩनी
वे एक फात भेये भत्स्तष्क भें उठ यशी शैं। भैं वो यशी ऩय आ जाऊॉ तो तुम्शाये कयोडऩतत बक्त को बी ऩर बय
शूॉ फक तभ
ु वे ऩछ
ू ू ॊ मा नशीॊ। रक्ष्भीजी ने कशा ऐवी क्मा भें सबखायी फना वकती शूॉ। ज्मेष्ठा फक फात ऩय रक्ष्भी
फात शैं फशन? भन भें जो कुछ बी प्रश्न शैं, आऩ जी को शॉ वी आ गई औय कशने रगीॊ, फशन तभ ु फडी शो,
तन्वॊको ऩछ
ू ो। लैवे बी फवु िभानी उवी भें शैं फक फकवी इवसरए कुछ बी कश रो। रेफकन जशाॉ तक प्रबाल फक
बी फात को भन भें न यखकय उवका वभाधान कय फात शै , भैं तभ
ु वे कभ नशीॊ शूॉ। त्जवको तभु सबखायी
रेना। फनाओगी, उवे भैं दव ू ये ददन सबखायी वे फपय याजा फना
ज्मेष्ठा ने कशा भैं अक्वय मशी वो ती दॉ ग
ू ी। भेयी भदशभा का अबी तम्
ु शें ऩता शी
यशती शूॉ फक शभ दोनों वगी फशनें शैं, कशाॉ शैं। औय तुम्शें बी भेयी भदशभा का
वुॊदयता भें शभ दोनों फयाफय शैं, फपय बी ऩता शी नशीॊ शै । त्जवकी तुभ
रोग तुम्शाया आदय कयते शैं औय भैं वशामता कयोगी, उवे भैं दाने−दाने
जशाॉ बी जाती शूॉ, लशाॉ के भाशोर भें के सरए बी भोशताज कय दॉ ग
ू ी।
उदावी छा जाती शैं। फाय-फाय भुझे दे खो फशन दाने-दाने के सरए तो
रोगों फक घण
ृ ा औय क्रोध का सळकाय तुभ उवे भोशताज कय वकती शो
शोना ऩडता शैं। ऐवा क्मों? त्जववे भैं रूठ जाऊॉ। त्जवके
रक्ष्भी जी ने शॉवते शुले कशा, सवय ऩय भेया शाथ न शो, उवका
वगी फशन मा वभान वुॊदयता शोने वे तुभ कुछ बी त्रफगाड वकती शो।
शी आदय नशीॊ सभरता। आदय ऩाने के ऩयॊ तु त्जव ऩय भेयी कृऩा द्रत्ष्ट शैं ,
सरमे शभें स्लमॊ बी कुछ कयना ादशए। त्जवे भें या लयदान प्रातत शैं उवका
रोग भेया आदय इवसरए कयते शैं क्मोंफक कोई फार बी फाॊका नशीॊ कय
भैं उनके घय भें प्रलेळ कयते शी वुख के वकता।
वाधन जुटा दे ती शूॉ। इव सरमे वम्ऩत्त्त औय लैबल अगय तुभ अऩना प्रबाल ददखाने को
वे आनॊददत शोकय रोग भेया उऩकाय भानते शैं, भेयी ऩूजा इतनी शी उतालरी शो यशी शो तो कर अऩना प्रबाल
कयते शैं। औय तुभ त्जवके मशाॉ बी जाती शो, उवको ददखाकय दे ख रेना। फोरो, कशाॉ रें ? दयू क्मों जाएॉ, ऩाव
ऻयीफी, योग औय कष्ट प्रातत शोता शैं। इवी सरमे रोग शी अनुयाधाऩुय गाॊल शैं। उवभें एक ब्राह्भण यशता शैं
तुभवे घण
ृ ा कयते शैं। कोई आदय नशीॊ कयता। आदय ऩाने दीनानाथ। लश योज भॊददय भें ऩूजा कयने जाता शैं औय
के सरमे दव
ू यों को वुख ऩशुॉ ाओ। ज्मेष्ठा को रक्ष्भी जी भेया ऩयभ बक्त शैं। उवी ऩय शभें अऩनी−अऩनी भदशभा
फक मश फात ब ु गई। ज्मेष्ठा को रगा फक रक्ष्भी को ददखानी शैं। रक्ष्भी जी फक इव फात ऩय ज्मेष्ठा को ताल
अऩनी भदशभा का असबभान शो गमा शैं। आ गमा। उन्शोंने शाथ झटककय कशा, ठीक शै , ठीक शैं।
ज्मेष्ठाने क्रोध वे ततरसभराते शुले कय कशा, दे ख रेना, कर तम्
ु शाया सवय कैवें झक
ु जाएगा। कशकय
रक्ष्भी तभु भझ ु वे छोटी शो अलस्था भें बी औय प्रबाल लश री गई।
शय फात तभ
ु भझ
ु वे छोटी शो। तभ
ु शें भझ
ु े उऩदे ळ दे ने फक
12 - 2018

रक्ष्भी जी लशीॊ खडी फशन ज्मेष्ठा के क्रोध ओय त्रफक गईं। औय आगे दे खती जाओॊ मश लन्नी बी
अशॊ काय ऩय भस्
ु कयाती यशीॊ। दव
ू ये ददन दोनों फशनें तम्
ु शाये बक्त के ऩाव नशीॊ रूकेगी। रो, उवके ऩीछे
अनयु ाधाऩयु के वलष्णु भॊददय भें लेळ फदर कय ऩशुॉ ीॊ। रते शैं औय दे खते शैं फक क्मा शोता शैं। दोनों फशने
वाधायण त्स्िमों फक तयश ले दोनों भॊददय के द्वाय ऩय फैठ दीनानाथ के ऩीछे −ऩीछे रने रगीॊ। एक ताराफ के ऩाव
गईं। स्थातनम रोगों ने दोनों को दे खा अलश्म, फकॊतु दीनानाथ ने डोर ी यख दी औय कभर के पूर तोडने
फकवी ने उनकी ओय कोई ऺाव ध्मान नशीॊ ददमा। ध्मान रगा। उवी फी एक यलाशे का रडका आमा औय
दे ने लारी कोई ऺाव फात बी नशीॊ थी । लश भॊददय था डोर ी भें यखी शुई लन्नी रेकय बाग गमा। दीनानाथ
औय लशाॉ शय योज दीन द्ु खी आते−जाते यशते थे। ऩॊडडत को ऩता शी नशीॊ रा। पूर तोडकय लश अऩने घय
थोडी दे य फाद लशाॉ दीनानाथ ऩॊडडत आमा। दोनों जाने रगा। इतने भें लशी रडका आता शुआ ददखाई ददमा
फशनों फक नजयें उव ऩय जभ गईं। ऩूजा कयके जफ त्जवने लन्नी दे कय उववे फाॊव रे सरमा था। कयीफ
दीनानाथ रौटने रगा तो ज्मेष्ठा ने कशा, रक्ष्भी लश आकय लश फोरा, ऩॊडडत जी मश फाॊव तो फशुत लज़नी शैं।
तुम्शाया बक्त आ यशा शैं। फन ऩडे तो उवकी कोई दादाजी ने कशा शैं फक कोई शल्का फाॊव ादशए। इवकी
वशामता कयो। शाॉ, कयती शूॉ। कशकय रक्ष्भी जी ने एक ायऩाई ठीक न शोगी। मश रीत्जए, आऩ अऩना फाॊव
ऩोरा फाॊव दीनानाथ के यास्ते भें यख ददमा त्जवभें वोने लाऩव रे रीत्जए। कशकय उवने फाॊव ऩॊडडत जी के शलारे
फक भोशयें बयी शुई थीॊ। ज्मेष्ठा ने फाॊव को छूकय कशा, कय ददमा।
अफ तुभ भेया प्रबाल बी दे ख रो। ऩज ू ा कयके रौट यशे दीनानाथ ने फाॊव रे सरमा। लन्नी लाऩव कयने
दीनानाथ ने यास्ते भें ऩडा शुआ लश फाॊव का टुकडा उठा के सरमे डोर ी भें शाथ डारा तो दे खा लन्नी तो
सरमा। उवने वल ाय फकमा फक लश फकवी काभ आ डोर ी भें शैं नशीॊ। तफ उवने कशा, फेटा, लन्नी तो कशीॊ
जाएगा। घय भें वौ ज़रूयतें शोती शैं। धगय गई। तुभ भेये वाथ घय रो, लशाॉ वे तुम्शें दव
ू यी दे
अबी लश ऩॊडडत कुछ शी आगे फढ़ा था फक उवे दॉ ग
ू ा। इव वभम भेये ऩाव एक बी ऩैवा नशीॊ शैं। ऩॊडडत
यास्ते भें एक रडका सभरा। रडके ने ऩशरे दीनानाथ जी तफ आऩ जाइए। भैं ळाभ को आकय घय वे रे रॉ ग
ू ा।
ऩॊडडत वे याभ−याभ फक, फपय फडी शी नम्रता वे फोरा, मश कशकय रडका अऩनी याश रौट गमा। फाॊव फपय वे
ऩॊडडत जी भुझे अऩनी ायऩाई के सरए त्रफल्कुर ऐवा शी ऩॊडडत जी के शी ऩाव आ गमा औय रक्ष्भी जी शौरे वे
फाॊव ादशए। दादा जी ने मश कशकय बेजा शैं फक जाओ, भुस्कयाईं। उनको इव प्रकाय भुस्कयाते दे खकय ज्मेष्ठा
फाज़ाय वे रे आओ। ऐवा फाॊव ऩॊडडत जी कशाॉ सभरेगा? भन शी भन भें जर उठीॊ। लश फोरीॊ, 'अबी तो खेर ळरू

दीनानाथ ने कशा, भैंने इवे भोर दे कय नशीॊ सरमा। यास्ते शी शुआ शैं।
भें ऩडा था; वो उठा रामा। रो, तम्
ु शें ज़रूयत शै तो तभ
ु दे खती रो भैं इवे कैवे ना
न ाती शूॉ।
शी यख रो। लैवे फाज़ाय भें एक रुऩमे वे कभ का नशीॊ दीनानाथ ऩॊडडत फे ाया इन वफ फातों वे फेऺफय अऩनी
शैं। रडके ने लन्नी दे ते शुए कशा, भगय भेये ऩाव तो मश शी धन
ु भें आगे फढ़ा रा जा यशा था। आगे रकय
लन्नी शी शैं, ऩॊडडत जी। अबी तो आऩ इवे शी यर्खए, गाॉल का एक अशीय सभरा। उवने दीनानाथ ऩॊडडत को
फाकी फायश आने ळाभ को दे जाऊॉगा। ऩॊडडत जी खळ
ु थे लन्नी लाऩव कयते शुए फतामा, ऩॊडडत जी भेया रडका
फक त्रफना फकवी भशे नत के एक रुऩमा कभा सरमा। आऩकी डोर ी वे मश लन्नी उठा रामा था। लश फडा
दीनानाथ ऩॊडडत ने लन्नी रेकय फाॊव रडके को दे ददमा शी ळैतान शैं। भैं आऩकी लशी लन्नी रौटाने आमा शूॉ।
औय लश लन्नी अऩनी डोर ी भें यख दी। शो वके तो उव ळैतान को भाप कय दीत्जएगा। दीनानाथ
भॊददय के ऩाव खडी दोनों फशनें मश वायी रीरा ऩॊडडत ने आळीलााद दे कय लन्नी रे री औय प्रवन्न भन
दे ख यशी थीॊ। ज्मेष्ठा ने कशा, रक्ष्भी दे खा तुभने? वे उव रडके को ऩुकायने रगा जो ळाभ को घय आकय
तुम्शायी इतनी वायी वोने फक भोशयें भाि एक लन्नी भें लन्नी रेने फक फात कशकय रौटा जा यशा था। आलाज़
13 - 2018

वन
ु कय रडका रौट आमा। अऩनी लन्नी लाऩव ऩाकय शो गए औय उवके बीतय बयी शुईं वोने फक भोशयें
लश बी प्रवन्न शो गमा। दीनानाथ ऩॊडडत तनत्श् त
ॊ भन खन−खनाकय त्रफखय गईं, जैवे रक्ष्भी शॉ व यशी शो।
वे घय फक ओय फढ़ने रगा। उवके एक शाथ भें ऩज
ू ा फक दीनानाथ ऩॊडडत के भॉश
ु वे शै यतऩण
ू ा ीख−वी
डोर ी थी औय दव
ू ये भें लशी रम्फा फाॊव। तनकरी, अये थोडी दे य के सरए लश ठगा−वा खडा आॉखें
याश रते दीनानाथ ऩॊडडत वो यशा था, मश फाॊव पाडे, उन भोशयों फक ओय दे खता यशा। एक ऩर के सरए
तो काफी लज़नी शैं। लज़नी शैं तो भजफत
ू बी शोगा, तो लश वाॉऩ को बर
ू शी गमा था। कुछ ऩर फाद जैवे
क्मोंफक ठोव शैं। इवे दयलाजे के छतऩय भें रगा दॉ ग
ू ा। उवे झटका−वा रगा। वाॉऩ का ध्मान आते शी उवने
ज्मेष्ठा को उवके वल ाय ऩय क्रोध आ गमा। रक्ष्भी जी उवकी ओय गयदन घुभामी, तो दे खा फक फाॊव फक ोट वे
के प्रबाल वे दीनानाथ ऩॊडडत को राब शोता दे ख लश भन वाॉऩ फक कभय टूट गमी शैं औय लश रशूरुशान अलस्था
शी भन फुयी तयश जरी जा यशीॊ थीॊ। जफ उन्शोंने दे खा भें झाडी फक ओय बागा जा यशा शैं।
फक ऩॊडडत का घय हयीफ आ गमा शै तो कोई उऩाम न दव
ू ये षण लश भोशयों ऩय रोट गमा औय कशने
ऩाकय उन्शोंने दीनानाथ को भायने डारने का वल ाय रगा, तेयी जम हो रक्ष्भी भाता! जीलन−बय का दारयद्रम
फकमा। उन्शोंने कशा, रक्ष्भी धन−वम्ऩत्त्त तो भैं छीन शी आज दयू शो गमा। तेयी भदशभा कौन जान वकता शैं।
रेती शूॉ, अफ तुम्शाये बक्त के प्राण बी रे रॉ ग
ू ी। दे खो, लश रो, अफ घय भें फैठकय तुम्शायी ऩूजा−आयती करूॉगा।
फकव तयश तडऩ−तडऩ कय भयता शैं। औय फपय जल्दी−जल्दी उवने वायी भोशयें अॊगोछे भें फाॉध
इतना कशकय ज्मेष्ठा तुयॊत वाॉऩ फनकय दीनानाथ दीॊ औय रम्फे−रम्फे कदभों वे घय फक ओय र ददमा।
फक ओय दौड ऩडीॊ। रक्ष्भी जी को ततनक बी घफयाशट ऩीछे एक ऩेड फक छामा भें खडी रक्ष्भी अऩनी
नशीॊ शुई। लश उवी तयश खडी भुस्कयाती यशीॊ। वाॉऩ दे ख फशन ज्मेष्ठा वे भुस्कयाकय ऩूछ यशीॊ थीॊ, कशो फशन व
कय वशवा दीनानाथ ऩॊडडत ौंक ऩडा। वाॉऩ पन उठाए फताना, फडतऩन फक थाश सभरी फक अबी नशीॊ? फडतऩन
उवकी ओय झऩट यशा था। प्राण तो वबी को वप्रम शोते फकवी को कुछ दे ने भें शी शै , उववे छीनने भें नशीॊ।
शैं। उऩाम यशते कोई अऩने को वॊकट भें नशीॊ ऩडने दे ता। ज्मेष्ठा ने कोई उत्तय नशीॊ ददमा। लश ऩ
ु ाऩ
दीनानाथ ने ऩगडॊडी लारा यास्ता छोड ददमा औय एक उदाव खडी यशीॊ। रक्ष्भी जी ने उनका शाथ ऩकडकय
ओय को बागने रगा। रेफकन वाॉऩ फनी ज्मेष्ठा उवे कशा, फपय बी, शभ दोनों फशनें शैं। जशाॉ यशें गीॊ, वाथ शी
बरा कशाॉ छोडने लारी थीॊ। लश तो उव ऻयीफ के प्राणों यशें गीॊ। आओ, अफ रें।
फक तमावी शो क
ु ी थीॊ। लश बी दीनानाथ के आगे−ऩीछे ,
दाएॊ−फाएॊ फयाफय दौडती शी यशीॊ। दीनानाथ घफया गमा।
उवने शाथ जोडकय कशा, नाग दे लता भैंने तम्
ु शाया कुछ
नशीॊ त्रफगाडा। ळाॊतत वे अऩनी याश रौट जाओ। आर्खय
क्मों भझ
ु ऻयीफ के ऩीछे ऩडे शो? व्मथा भें फकवी ब्राह्भण
को वताना अच्छी फात नशीॊ शै ।
रेफकन लश नाग तो ज्मेष्ठा का रूऩ था, जो
दीनानाथ ऩॊडडत को फकवी बी तयश डवना ाशता था।
प्राथाना ऩय कुछ बी ध्मान न दे कय लश वाॉऩ एक फायगी
पुपकायता शुआ झऩट ऩडा। जफ दीनानाथ ने दे ख सरमा
फक त्रफना वॊघऴा फकए अफ जान नशीॊ फ ग
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14 - 2018

दीऩालरी का भशत्ल औय रक्ष्भी ऩज


ू न वलधध


प्राध न कार वे दश बायतीम वॊस्कृतत भें अनेक ऩला-त्मौशाय भनाए
जाते शैं। इन त्मौशायों भें कातताक भाव फक अभालस्मा को दीऩालरी का
वलळेऴ भशत्ल शैं। क्मोफक दीऩालरी खसु ळमों का त्मौशाय शैं। दीऩालरी
के ददन बगलान गणेळ ल रक्ष्भी के ऩूजन का वलळेऴ भशत्ल शैं।
इव ददन गणेळ जी फक ऩूजा वे ऋवि-सववि फक प्रात्तत शोती शैं
एलॊ रक्ष्भी जी के ऩूजन वे धन, लैबल, वुख, वॊऩत्त्त फक प्रात्तत
शोती शैं।

दीऩालरी के ददन फकमे जाने लारे भॊि-मॊि-तॊि का


प्रमोग अत्मधधक प्रबाली भाना जाता शैं। दीऩालरी अथाात्
दीऩकों फक भारा।

दीऩालरी के ददन प्रत्मेक व्मलवाम-नौकयी वे जुडे


व्मत्क्त अऩने व्मलामीक स्थान एलॊ घय ऩय भाॊ रक्ष्भी का
वलधधलत ऩूजन कय धन फक दे ली रक्ष्भी वे वुख-वभवृ ि
फक काभना कयते शैं।

ऩूजन साभग्री :

भशारक्ष्भी ऩूजन भें केवय, कूभकूभ, ालर, ऩान, वुऩायी,


पर, पूर, दध
ू , फताळे, सवॊदयू , भेले, ळशद, सभठाइमाॊ, दशी,
गॊगाजर, धऩ
ू , अगयफत्त्तमाॊ, दीऩक, रुई, कराला(भौरी),
नारयमर औय ताॊफे का करळ।

ऩूजन ववधध :

बूसभ को गॊगाजर इत्मादी वे ळुि कयके नलग्रश


मॊि फनाएॊ। मॊि के वाथ शी ताॊफे के करळ भें गॊगाजर, दध
ू ,
दशी, ळशद, वऩ
ु ायी, रौंग आदद डारकय करळ को रार कऩडे
वे ढककय एक जटा मक्
ु त नारयमर भौरी वे फाॊधकय यख दें ।
नलग्रश मॊि के ऩाव ाॊदी का सवक्का औय रक्ष्भी गणेळ फक
प्रततभा स्थावऩत कय ऩॊ ाभत
ृ वे स्नान कयाकय स्लच्छ रार
कऩडे वे ऩोछ कय रक्ष्भी गणेळ को द
ॊ न, अषत अवऩात कयके
पर-पूर आदद अवऩात कयें औय प्रततभा के दादशनी ओय ळि
ु घी
का एक दीऩक एलॊ फाई औय तेर (सभठे तेर) का एक दीऩक जराएॊ।

ऩवलि आवन ऩय फैठकय स्लत्स्त ला न कयें । गणेळ जी का स्भयण कय


अऩने दादशने शाथ भें गॊध, अषत, ऩुष्ऩ, दल
ू ाा, द्रव्म आदद रेकय गणेळ,
15 - 2018

भशारक्ष्भी, कुफेय आदद दे ली-दे लताओॊ के वलधधलत ऩज


ू न का वॊकल्ऩ कयें ।

वलाप्रथभ गणेळ औय रक्ष्भी का ऩूजन कयें । उवके ऩश् मात ऴोडळभातक


ृ ा ऩूजन ल नलग्रश ऩूजन कय अन्म दे ली-
दे लताओॊ का ऩूजन कयें ।

दीऩक ऩज
ू न :

दीऩक जीलन वे असान रुऩी अॊधकाय को दयू कय जीलन भें सान के प्रकाळ का प्रतीक शैं। दीऩक को इश्लय
का तेजस्ली रूऩ भान कय इवकी ऩूजा कयनी ादशए। ऩूजा कयते वभम अॊत्कयण भें ऩूणा श्रिा एलॊ ळुि बालना
यखनी ादशए। दीऩालरी के ददन ऩारयलारयक ऩयॊ ऩयाओॊ के अनुवाय ततर के तेर के वात, ग्मायश, इक्कीव अथला इनवे
अधधक दीऩक प्रज्लसरत कयके एक थारी भें यखकय कय ऩूजन कयने का वलधान शैं।

उऩयोक्त ऩज
ू न के ऩश् मात घय फक भदशराएॊ अऩने शाथ वे वोने- ाॊदी के आबऴ
ू ण इत्मादद वश
ु ाग फक वॊऩण
ू ा
वाभग्रीमाॊ रेकय भाॊ रक्ष्भी को अवऩात कयदें । अगरे ददन स्नान इत्मादद के ऩश् मात वलधध-वलधान वे ऩज
ू न के फाद
आबऴ
ू ण एलॊ वश
ु ाग फक वाभग्री को भाॊ रक्ष्भी का प्रवाद वभजकय स्लमॊ प्रमोग कयें । एवा कयने वे भाॊ रक्ष्भी फक
कृऩा वदा फनी यशती शै।

जीलन भें वपरता एलॊ आधथाक त्स्थतत भें उन्नतत के सरए सवॊश रग्न अथला त्स्थय रग्न का न
ु ाल कय
श्रीवूक्त, कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयें ।

दीऩालरी ऩज
ू न के वभम गणेळ एलॊ रक्ष्भी के वाथ वलष्णु जी का ऩज
ू न अलश्म कयें त्जस्वे घयभें त्स्थय
रक्ष्भी का तनलाव शो वके। रक्ष्भी जी के दादशनी ओय वलष्णु जी औय फाईं ओय गणेळ जी फक स्थाऩना कयनी
ादशए।

त्स्थय रक्ष्भी फक काभना शे तु दक्षषणालतॉ ळॊख, भोती ळॊख, गोभती क्र इत्मादद को ळास्िों भें रक्ष्भी के
वशोदय बाई भाना गमा शैं। इन दर
ु ब
ा लस्तुओॊ फक स्थाऩना कयने वे रक्ष्भी जी प्रवन्न शोती शैं।

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16 - 2018

धन के दे लता कुफेय के जन्भ फक कथा



ऩल
ू ा जन्भ भें कुफेय गण
ु तनधध नाभक लेदस ने एक कऩडे फक फती जराकय पर-ऩकलानों को रेकय
ब्राह्भण थे। गण
ु तनधध को ळास्िों का ऩण
ू ा न था औय बाग शी यशे थे फक उनका ऩैय एक वोए शुए ऩज
ु ायी के ऩैय
गुणतनधध प्रततददन दे ल लॊदन, वऩत ृ ऩूजा, अततधथ वेला वे टकया गमा औय लश ऩुजायी ोय- ोय ध ल्राने रगे।
तनमसभत रुऩवे कयते थे। गुणतनधध वबी प्रार्णमों के प्रतत ोय- ोय फक आलाज वुनकय अन्म ऩाव भें वोमें शुले
दमा, वेला एलॊ भैिी का बाल यखते थे। गुणतनधध फडे वबी वेलक जाग गए एलॊ गुणतनधध ऩय फाण छोडा,
धभाात्भा थे, ऩयॊ तु कुवॊगतत भें ऩडकय धीये -धीये भतत भ्रभ त्जववे उवी वभम गण
ु तनधध के प्राण तनकर गए।
के कायण गण
ु तनधध के वायें अच्छे गण
ु अलगण
ु ों भें मभदत
ू जफ गण
ु तनधध को रेकय जाने रगे तो
ऩरयलततात गमें। गुणतनधध के इव अलगुणों वे उनके वऩता बगलान ळॊकय फक आसा वे उनके गणों ने लशाॊ ऩशुॊ कय
असात थे ऩयॊ तु उनकी भाता इव वबी कामो वे बरी गुणतनधध मभदत
ू ों वे छीन कय गुणतनधध को सळलरोक
प्रकाय वे ऩरयध त थी ऩयॊ तु उन्शोने ऩुि भोशके कायण मश भें रे आमे। बगलान ळॊकय ने गुणतनधध के उवददन बूखे
फात अऩने ऩतत को नशीॊ फताई। त्जवके पर स्लरुऩ यशने को व्रत-उऩलाव, यात्रि जागयण, ऩज
ू ा-दळान तथा
गुणतनधध ने अऩनी वायी ऩैतक
ृ वॊऩतत का नाळ प्रकाळ के तनसभत जराए गए लस्ि फक फती को आयती
कयददमा। भानकय उव ऩय प्रवन्न शो गए औय उवे अऩना सळलत्ल
एक ददन फकवी प्रकाय गुणतनधध के वऩता को प्रदान फकमा। ऩुन: जन्भ धायण कय गुणतनधध कुफेय के
उनके दष्ु कभो का ऩता रा औय उन्शोंने गुणतनधध फक नाभ वे प्रसवि शुए।
भाता वे अऩनी वॊऩतत ल गण
ु तनधध के फाये भें जानकायी ळास्ि ऩयु ाणों भें कुफेय के वऩता वलश्रला एलॊ
ाशी। गुणतनधध वऩता के क्रोध एलॊ बम वे घय छोडकय वऩताभश प्रजाऩतत ऩुरस्त्म शोने का उल्रेख सभरता शैं।
बाग कय लन भें रे गए। लन भें इधय-उधय बटकने के कुफेय फक भाता बायद्वाज ऋवऴ फक कन्मा इडवलडा शैं,
फाद गुणतनधध ने वॊध्मा वभम एक सळल भॊददय दे खा। उव कुफेय फक वौतेरी भाता का नाभ केसळनी शैं। यालण,
ददन सळलयािी थी इवसरमे सळल भॊददय भें सळल बक्त कॊु बकयण औय वलबीऴण कुफेय के वौतेरे बाई शैं। कुफेय
सळलयात्रि का ऩज
ू न औय प्रवाद के वाथ सळल ऩूजा का फक ऩत्नी का नाभ बद्रा शैं। कुफेय के दो ऩि
ु नार कुफेय
वलधध-वलधान कय यशे थे। औय भणीग्रील। कैराळ ऩय त्स्थत अरकाऩुयी याज्म भें
घय वे बागने एलॊ लन भें बटकने के कायण तनलाव कयते शैं।
गुणतनधध ऩूये ददन बूख-तमाव वे ऩये ळान था, इव कायण कुफेय फक वबा भें वलोच् यत्न जडडत
ा़ सवॊशावन
प्रवाद आदद खाद्म लस्तुओॊ को दे खने ऩय गुणतनधध फक ऩय भशायाज कुफेय वलयाजते शैं। यॊ बा, उलाळी, भेनका, सभश्र
बख
ू औय ज्मादा फढ़ गई। गण
ु तनधध लशीॊ ऩाव भें छुऩकय केळी आदद अतवयाएॊ फकन्नय, मस औय गॊधलागण तथा
ऩूजन दे खते यशे एलॊ वो यशे थे फक इन रोगों को नीॊद ब्रह्भवऴा दे लवऴा तथा ऋवऴगण उनकी वबा भें वलयाजते शैं।
आने ऩय प्रवाद यु ाकय अऩनी बूख ळाॊत कयरूॊगा। यात्रि कुफेय फक वेला भें मष एलॊ याषव शय वभम
कार भें सळल बक्तों के वो जाने के ऩश् मात गण
ु तनधध उऩत्स्थत यशते शैं। कुफेय ने नभादा के कालेयी तट ऩय वौ
17 - 2018

लऴो तक घोय तऩस्मा फक त्जववे प्रवन्न शोकय सळलजी वाषात भशारक्ष्भी तनत्म लाव कयती शैं। याजाधधयाज
ने कुफेय को मषों का अधधश्लय फना ददमा धनाध्मष कुफेय अऩनी वबा भें फैठकय अऩने लैबल(धन)
कुफेय ने त्जव स्थान ऩय तऩस्मा फक उव स्थान एलॊ तनधधमों का दान कयते शैं।
का नाभ कुफेय तीथा ऩडा, जशाॊ कुफेय को अनेक लयदान इवसरए कुफेय फक ऩूजा-अ न
ा ा वे उनकी
प्रातत शुले। रूद्र के वाथ सभिता, धन का स्लासभत्ल, प्रवन्नता प्रातत कय भनुष्म लैबल(धन) प्रातत कय रेता
ददक्ऩारत्ल एलॊ नर कुफेय नाभक ऩि
ु आदद लय प्रातत शैं। धन िमोदळी एलॊ दीऩालरी ऩय कुफेय वलळेऴ ऩज
ू ा-
शोते शी धन एलॊ नल तनधधमों का स्लाभीत्ल कुफेय को अ न
ा ा फक जाती शैं जो ळीघ्र पर प्रादान कयने लारी
प्रातत शुलाॊ। उव स्थान ऩय आकय भरूद्गणों ने कुफेय का भानी जाती शैं।
असबऴेक फकमा, ऩुष्ऩक वलभान बेट दे कय कुफेय को मषों
का याजा फना ददमा। उव स्थान ऩय याज्मश्री के रूऩ भें
***
दीऩालरी वे जुडी रक्ष्भी कथा
बायतीम वॊस्कृतत भें दीऩालरी के त्मोशाय फक फडी रोक वप्रम कथा प्र सरत शैं।
कथा: एक फाय कातताक भाव की अभालव को रक्ष्भीजी ऩथ्
ृ ली भ्रभण ऩय तनकरीॊ। अभालव फक कारी छामा के कायण
ऩथ्
ृ ली के ायों ओय अॊधकाय व्मातत था। त्जव कायण दे ली रक्ष्भी यास्ता बूर गईं। रक्ष्भी जी नी तनश् म फकमा फक
यात्रि का प्रशय ले भत्ृ मुरोक भें व्मतीत कय रेंगी औय वूमोदम के ऩश् ात ऩुन् फैकॊु ठधाभ रौट जाएॉगी, ऩयॊ तु रक्ष्भी जी
ने ऩामा फक ऩथ्
ृ ली ऩय वबी रोग अऩने-अऩने घयों भें द्वाय फॊद कय वो यशे शैं।
तबी अॊधकाय वे बये ऩथ्
ृ ली रोक भें उन्शें एक द्वाय खर
ु ा ददखा त्जवभें एक दीऩक फक ज्मोतत दटभदटभा यशी
थी। रक्ष्भी जी उव प्रकाळ फक ओय ऩशुॊ कय लशाॉ उन्शोंने एक लि
ृ भदशरा को यखा राते दे खा। लि
ृ भदशरा वे
यात्रि वलश्राभ की अनुभतत भाॉग कय रक्ष्भी जी फुदढ़मा की कुदटमा भें रुकीॊ।
ल ृ ्ि भदशरा ने रक्ष्भी जी को वलश्राभ के सरमे त्रफस्तय प्रदान कय ऩुन: अऩने कामा भें व्मस्त शो गई। यखा
राते- राते लिा
ृ ् की आॉख रग गई। दव
ू ये ददन उठने ऩय लि
ृ भदशरा ने ऩामा फक अततधथ भदशरा लशाॊ वे जा क
ु ी
शैं रेफकन कुदटमा के स्थान ऩय वलळारभशर खडा था। त्जवभें ायों ओय धन-धान्म, यत्न-जेलयात इत्मादद त्रफखये शुए
थे।
एवी भान्मता शैं फक तबी वे कातताक अभालव (दीऩालरी)फक यात को दीऩ जराने की प्रथा री आयशी शैं।
दीऩालरी के यािी कार भें रोग द्वाय खोरकय रक्ष्भीदे ली के आगभन फक प्रतीषा कयने फक ऩयॊ ऩया री आयशी शैं।
क्मोकी रोगो का तत्ऩमा मश शैं फक भाॉ रक्ष्भी दे ली त्जव प्रकाय उव लि
ृ ा ऩय प्रवन्न शुईं उवी प्रकाय वफ ऩय
प्रवन्न शों।
कथा साय: दीऩालरी फक यात भाि दीऩ जराने औय द्वाय खर
ु े यखने वे रक्ष्भी जी घय भें तनलाव नशीॊ कयती! रक्ष्भी
जी वलश्राभ कयती शैं। क्मोंफक दे ली रक्ष्भी तो ॊ र शैं। लश एक स्थान ऩय अत्स्थय नशीॊ यशती। अऩना आसळऴ दे कय
रीजाती शैं। त्जवके पर स्लरुऩ आने लारे लऴा बल भें भाॊ रक्ष्भी के बक्त को फकवी प्रकाय के द्ु ख, दरयद्रता एलॊ
आधथाक वॊकट का वाभना नशीॊ कयना ऩडता।

***
18 - 2018

रक्ष्भी प्रद कुफेय वाधना


दशन्द ू धभा भें धन फक दे ली रक्ष्भी एलॊ धन के दे लता कुफेय भाने
जाते शैं। इव सरमे कातताक कृष्ण िमोदळी (धनतेयव) एलॊ दीऩालरी ऩय भाॊ
रक्ष्भी के वाथ धनके दे लता एलॊ नल तनधधओॊ के स्लाभी कुफेय फक ऩज
ू ा-
अ न
ा ा फक जाती शैं। रक्ष्भी एलॊ कुफेय फक ऩूजा वे व्मत्क्त फक वभस्त
बौततक भनोकाभनाएॊ ऩण
ू ा शोकय धन-ऩि
ु इत्मादद फक प्रात्तत शोती शैं।
क्मोफक आज के बौततकता लादी मुग भें भानल जीलन का वॊ ारन वु ारु
रुऩ वे र वके इव सरमे अथा(धन) वफवे भशत्ल ऩूणा वाधन शैं।
अथा(धन) के त्रफना भनुष्म जीलन द्ु ख, दरयद्रता, योग, अबालों वे ऩीडडत
शोता शैं। अथा(धन) वे मुक्त भनुष्म जीलन भें वभस्त वुख-वुवलधाएॊ
बोगता शैं।
भाां भहारक्ष्भी के साथ कुफेय का ऩूजन कयने का ववशेष भहत्व हभाये
शास्त्रों भे वर्णतत हैं।
कुफेय दळो ददळाओॊ के ददक्ऩारों भें वे एक उत्तय ददळा के अधधऩतत दे लता
शैं। कुफेय भनष्ु म फक वबी बौततक काभनाओॊ को ऩण
ू ा कय धन लैबल प्रदान
कयने भें वभथा दे ल शैं। इवसरए कुफेय फक ऩूजा-अ न
ा ा वे उनकी प्रवन्नता प्रातत कय भनुष्म वबी प्रकाय के
लैबल(धन) प्रातत कय रेता शैं। धन िमोदळी एलॊ दीऩालरी ऩय कुफेय फक वलळेऴ ऩज
ू ा-अ न
ा ा फक जाती शैं जो ळीघ्र पर
प्रदान कयने लारी भानी जाती शैं। जो भनुष्म धन प्रात्तत फक काभना कयते शैं, उनके सरमे प्राण-प्रततत्ष्ठत कुफेय मॊि
श्रेष्ठ शैं। व्माऩाय-धन-लैबल भें लवृ ि, वख
ु ळाॊतत फक प्रात्तत शे तु कुफेय मॊि
श्रेष्ठ शैं।

धनतेयव, दीऩालरी के ददन अऩने ऩज


ू ा स्थान भें कुफेय मॊि
स्थावऩत कयें ।
अखॊडडत कुफेय मॊि स्लणा, यजत, ताम्र ऩि तनसभात शो, तो अतत
उत्तभ मदद उऩरब्ध न शो, तो बोजऩि, कागज ऩय तनसभात कय ऩूजन
वकते शैं।

मांत्र स्थाऩना ववधध:


प्रात:कार स्नानादद वे तनलत
ृ शोकय उत्तय-ऩूला फक औय भुख कयके
स्लच्छ आवन ऩय फैठें। अऩने वाभने ऩज
ू न वाभग्री एलॊ भारा ल
अखॊडडत कुफेय मॊि को एक रकडी फक ोकी (फाजोट) ऩय यख दें । वला
19 - 2018

प्रथभ आ भन प्राणामाभ कयके वॊकल्ऩऩल


ू क
ा गणेळाधध दे लताओॊ का ध्मान कयके उनका ऩज
ू न कयें , फपय फकवी ताम्र
ऩाि भें कुफेय मॊि को यखकय कुफेय का ध्मान कयें ।
ध्मान भांत्र
भनुजलाह्म वलभानलयत्स्थतॊ गुरूडयत्नातनबॊ तनधधनाकभ ्। सळल वॊख मुकुताददवल बूवऴत लयगदे दध गतॊ बजतान्दरभ ्।।

ध्मान के ऩश् मात नी े ददमे भॊि भें वे फकवी एक भॊि का 1,3,5,7,11,21 भारा मथाळत्क्त भारा जऩ कयें ।
कुफेय भांत्र-

अष्टाऺय भांत्र- ॐ लैश्रलणाम स्लाशा:


.

षोडशाऺय भांत्र- ॐ श्री ऊॉ ह्ीॊ श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ वलतेश्लयाम नभ:।
.

ऩांच त्त्रांशदऺय भांत्र- ॐ मषाम कुफेयाम लैश्रलणाम धन धान्माधथऩतमे धनधान्मावभृवि दोदश द्राऩम स्लाशा।

भॊि जऩ वभातती के ऩश् मात मॊि को अऩने ऩज


ू न स्थान भें स्थाऩीत कयके प्रततददन धऩ
ू -दीऩ इत्मादी वे ऩज
ू न कय
प्रततददन वॊबल शोतो कभ वे कभ एक भारा जऩ कयें । प्रततददन जऩ कयने वे अधधक राब प्रातत शोता शैं।

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20 - 2018

जफ रुक्भणी जी ने प्रश्न फकमा फकवे प्रातत शोती शैं रक्ष्भीजी ?



बगलान श्रीकृष्ण के वाथ उऩत्स्थत रुक्भणी जी ने रक्ष्भी जी वे ऩछ
ू ा् शैं बगलान नायामण की वप्रमतभे !
आऩ इव जगत भें फकन प्रार्णमों ऩय कृऩा कयके उनके मशाॉ यशती शो? फकव स्थान तनलाव कयती शो औय फकन-
फकनका ऩदाथो का वेलन कयती शो? उन वफके वलऴम भें आऩ भुझे वलस्ताय वे फताओ।
रुक्भणी जी के इव प्रकाय ऩूछने ऩय रक्ष्भी जी ने प्रवन्न शोकय बगलान श्री कृष्ण के वाभने शी भीठी लाणी
भें रक्ष्भीजी फोरीॊ- दे वल ! भैं प्रततददन ऐवे ऩरु
ु ऴ भें तनलाव कयती शूॉ, जो वौबाग्मळारी, तनबॉक, कामाकुळर,
कभाऩयामण, क्रोधयदशत, बगलत्ऩयामण, कृतस, त्जतेत्न्द्रम तथा फढ़े शुए वत्त्लगुण वे मुक्त शों।
जो ऩुरुऴ अकभाण्म, नात्स्तक, लणावॊकय, कृतघ्न, दयु ा ायी, क्रूय, ोय तथा गुरुजनों के दोऴ दे खनेलारा शो, उवके
बीतय भैं तनलाव नशीॊ कयती शूॉ। त्जनभें तेज, फर औय वत्त्ल की भािा फशुत अल्ऩ शो, जो शय फात भें र्खन्न शो
उठते शों, जो भन भें दव
ू या बाल यखते शैं औय ऊऩय कुछ औय शी ददखाते शैं, ऐवे भनुष्मों भें भैं तनलाव नशीॊ कयती
शूॉ। त्जवका अॊत्कयण भूढ़ता वे आच्छान्न शै , ऐवे भनष्ु मों भें भैं बरीबाॉतत तनलाव नशीॊ कयती शूॉ।
जो स्लबालत् स्लधभाऩयामण, धभास, फडे-फूढ़ों फक वेला भें तत्ऩय, त्जतेत्न्द्रम, भन को लळ भें यखने लारे,
षभाळीर औय वाभथ्माळारी शैं, ऐवे ऩरु
ु ऴों भें भैं तनलाव कयती शूॉ। जो त्स्िमाॉ स्लबालत् वत्मलाददनी तथा वयरता वे
वॊमुक्त शैं, जो दे लताओॊ औय वद्वजों की ऩूजा कयने लारीॊ, उनभें बी भैं तनलाव कयती शूॉ।
जो अऩने वभम को कबी व्मथा नशीॊ जाने दे ते, वदा दान औय ळौ ा ाय भें तत्ऩय यशते शैं, त्जन्शें ब्रह्भ मा,
तऩस्मा, सान, गौ औय वद्वज ऩयभ वप्रम शैं, ऐवे ऩुरुऴों भें भैं तनलाव कयती शूॉ। जो त्स्िमाॉ, दे लताओॊ तथा ब्राह्भणों फक
वेला भें तत्ऩय, घय के फतान-बाॉडों को ळुि तथा स्लच्छ यखने लारी औय गौओॊ फक वेला तथा धान्म के वॊग्रश भें
तत्ऩय शोती शैं, उनभें बी भैं वदा तनलाव कयती शूॉ।
जो घय के फतानों को वुव्मलत्स्थत रूऩ वे न यखकय इधय-उधय त्रफखेये यशती शैं, वो -वभझकय काभ नशीॊ
कयती शैं, वदा अऩने ऩतत के प्रततकूर शी फोरती शैं, दव
ू यों के घयों भें घभ
ू ने फपयने भें आवक्त यशती शैं औय रज्जा
को वलाथा छोड फैठती शैं, उनको भैं त्माग दे ती शूॉ।
जो स्िी तनदा मताऩल
ू क
ा ऩाऩा ाय भें तत्ऩय यशने लारी, अऩवलि, टोय, धैमश
ा ीन, करशवप्रम, नीॊद भें फेवध
ु शोकय
वदा खाट ऩय ऩडी यशने लारी शोती शैं, ऐवी नायी वे भैं वदा दयू शी यशती शूॉ।
जो त्स्िमाॉ वत्मलाददनी औय अऩनी वौम्म लेळ-बऴ
ू ा के कायण दे खने भें वप्रम शोती शैं, जो वौबाग्मळासरनी,
वदगुणलती, ऩततव्रता औय कल्माणभम आ ाय-वल ाय लारी शोती शैं तथा जो वदा लस्िाबूऴणों वे वुवत्ज्जत यशती शैं,
ऐवी त्स्िमों भें वदा तनलाव कयती शूॉ।
जशाॉ शॉवों की भधयु ध्लतन गॉज
ू ती यशती शै , ऩषी के करयल त्जनकी ळोबा फढ़ाते शैं , जो अऩने तटों ऩय पैरे
शुए लष
ृ ों फक श्रेर्णमों वे ळोबामभान शैं, त्जनके फकनाये तऩस्ली, सवि औय ब्राह्भण तनलाव कयते शैं, त्जनभें फशुत जर
बया यशता शै तथा सवॊश औय शाथी त्जनके जर भें अलगाशन कयते यशते शैं , ऐवी नददमों भें बी भैं वदा तनलाव कयती
यशती शूॉ।
वत्ऩरु
ु ऴों भें भेया तनत्म तनलाव शै । त्जव घय भें रोग अत्ग्न भें आशुतत दे ते शैं, गौ, ब्राह्भण तथा दे लताओॊ की
ऩूजा कयते शैं औय वभम-वभम ऩय जशाॉ पूरों वे दे लताओॊ को उऩशाय वभवऩात फकमे जाते शैं, उव घय भें भैं तनत्म
21 - 2018

तनलाव कयती शूॉ। वदा लेदों के स्लाध्माम भें तत्ऩय यशने लारे ब्राह्भणों, स्लधभाऩयामण षत्रिमों, कृवऴ-कभा भें रगे शुए
लैश्मों तथा तनत्म वेलाऩयामण ळूद्रों के मशाॉ बी भैं वदा तनलाव कयती शूॉ।
भैं भतू ताभतत तथा अनन्मध त्त शोकय तो बगलान नायामण भें शी वॊऩण
ू ा बाल वे तनलाव कयती शूॉ, क्मोंफक
उनभें भशान धभा वभादशत शै । उनका ब्राह्भणों के प्रतत प्रेभ शै औय उनभें स्लमॊ वलावप्रम शोने का गुण बी शै ।
दे ली ! भैं नायामण के अराला अन्मि ळयीय वे नशीॊ तनलाव कयती शूॉ। भैं मशाॉ ऐवा नशीॊ कश वकती फक वलाि
इवी रूऩ भें यशती शूॉ। त्जव ऩुरुऴ भें बालना द्वाया तनलाव कयती शूॉ, लश, धभा, मळ औय धन वे वॊऩन्न शोकय वदा
फढ़ता यशता शै । (भशाबायत, अनुळावन ऩला, अध्माम्11)

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22 - 2018

धनतेयव वे जड
ु ी ऩौयार्णक कथा

बायत भें धनतेयव ऩला वे वॊफॊतघत रोकवप्रम कथा की, तो योळनी की लजश वे उनकी आॊखें धॊु धमा गईं।
प्र सरत शै । ऩुयाने जभाने भें एक याजा दशभ शुए। उनके इव कायण वाॊऩ दव
ू या यास्ता खोजने रगा औय यें गते शुए
मशाॊ ऩुि शुआ, तो उवकी जन्भ-कॊु डरी फनलाई गई। उव जगश ऩशुॊ गमा, जशाॊ वोने तथा ाॊदी के सवक्के
ज्मोततवऴमों ने कॊु डरी का वलश्रेऴण कय के कशा फक यखे शुए थे। डवने का भौका न सभरता दे ख, वलऴधय बी
याजकुभाय अऩनी ळादी के ौथे ददन वाॊऩ के काटने वे लशीॊ कॊु डरी रगाकय फैठ गमा औय याजकुभायी के गाने
भय जाएगा। इव ऩय याजा ध तॊ तत यशने रगे। याजकुभाय वुनने रगा। इवी फी वूमा दे ल ने दस्तक दी, मानी
की उम्र 16 वार की शुई, तो उवकी ळादी एक वुॊदय, वुफश शो गई। मभ दे लता लाऩव जा क
ु े थे। इव तयश
वुळीर औय वभझदाय याजकुभायी वे कय दी गई। याजकुभायी ने अऩनी ऩतत को भौत के ऩॊजे भें ऩशुॊ ने वे
याजकुभायी भाॊ रक्ष्भी की ऩयभ बक्त थीॊ। याजकुभायी को ऩशरे शी छुडा सरमा। मश घटना त्जव ददन घटी थी, लश
बी अऩने ऩतत ऩय आने लारी वलऩत्त्त के वलऴम भें ऩता धनतेयव का ददन था, इवसरए इव ददन को 'मभदीऩदान'
र गमा। बी कशते शैं।इव ददन ऩूयी यात घय के फाशय दीऩ जराकय
याजकुभायी कापी दृढ़ इच्छाळत्क्त लारी थीॊ। उवने यखते शैं ताफक भत्ृ मु के दे लता मभयाज को घय भें प्रलेळ
ौथे ददन का इॊतजाय ऩूयी तैमायी के वाथ फकमा। त्जव कयने वे योका जा वके।
यास्ते वे वाॊऩ के आने की आळॊका थी, लशाॊ वोने- ाॊदी के ववष्णु का धनवांतरय अवताय
सवक्के औय शीये -जलाशयात आदद त्रफछा ददए गए। ऩूये घय धनतेयव वे वॊफॊधधत रोगों के फी एक औय कथा बी
को योळनी वे जगभगा ददमा गमा। कोई बी कोना खारी प्र सरत शैं। जफ वुय औय अवुय सभरकय वागय भॊथन
नशीॊ छोडा गमा अथाात वाॊऩ के कभये भें आने के सरए कय यशे थे, तो कई फशुभल्
ू म ीजों की प्रात्तत शुई। इनभें
कोई यास्ता अॊधेया नशीॊ छोडा गमा। इतना शी नशीॊ, वफवे अशभ था अभत ृ । मश अभत ृ करळ धनलॊतरय के
याजकुभायी ने अऩने ऩतत को जगाए यखने के सरए उवे शाथों भें था। धनलॊतरय को मूॊ तो दे लताओॊ का लैद्म
ऩशरे कशानी वन
ु ाई औय फपय गीत गाने रगी। कशते शैं, ऩय उनभें बगलान वलष्णु का अॊळ बी भौजद

इवी दौयान जफ भत्ृ मु के दे लता मभयाज ने वाॊऩ था। धनतेयव के ददन धनलॊतरय की उत्ऩत्त्त शोने के
का रूऩ धायण कयके कभये भें प्रलेळ कयने की कोसळळ कायण शभ धनतेयव भनाते शैं।

श्री भहारक्ष्भी मांत्र


धन फक दे ली रक्ष्भी शैं जो भनष्ु म को धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा प्रदान कयती शैं। अथा(धन) के त्रफना भनष्ु म जीलन द्ु ख,
दरयद्रता, योग, अबालों वे ऩीडडत शोता शैं, औय अथा(धन) वे मुक्त भनुष्म जीलन भें वभस्त वुख-वुवलधाएॊ बोगता शैं। श्री
भशारक्ष्भी मॊि के ऩूजन वे भनुष्म की जन्भों जन्भ की दरयद्रता का नाळ शोकय, धन प्रात्तत के प्रफर मोग फनने रगते
शैं, उवे धन-धान्म औय रक्ष्भी की लवृ ि शोती शैं। श्री भशारक्ष्भी मॊि के तनमसभत ऩूजन एलॊ दळान वे धन की प्रात्तत शोती
शै औय मॊि जी तनमसभत उऩावना वे दे ली रक्ष्भी का स्थाई तनलाव शोता शै । श्री भशारक्ष्भी मॊि भनुष्म फक वबी बौततक
काभनाओॊ को ऩूणा कय धन ऐश्लमा प्रदान कयने भें वभथा शैं। अषम तत
ृ ीमा, धनतेयव, दीलालरी, गुरु ऩुष्माभत
ृ मोग
यवलऩष्ु म इत्मादद ळब
ु भश
ु ू ता भें मॊि की स्थाऩना एलॊ ऩूजन का वलळेऴ भशत्ल शैं। >> Shop Online | Order Now
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23 - 2018

श्री धनलॊतरय व्रत कथा



प्रथभ अध्माम यषा भें तत्ऩय आऩ भुझे ळयणागत जानकय वन्तुष्ट


वनकाददक भुतनमों ने वूत जी वे कशा-शे वूत कीत्जए।
भशाभन
ु े! आऩने बगलान ् धनलॊतरय की ऩज
ू ा-वलधध का शे बगलन ् भैंने ऩथ्
ृ ली आदद वबी रोकों भें ऩमाटन
वलस्ताय ऩूलक
ा लणान फकमा, फकन्तु इवे वुनने ऩय बी शभें फकमा औय लशाॉ के तनलावी जनों को नाना योगों वे द्ु खी
तत्ृ तत नशीॊ शुई। अत् श्री धनलॊतरय का भाशात्म्म अधधक ऩामा। फकवी को ज्लय ने धगयामा शैं, तो फकवी को याज
वलस्ताय वे फताइए। मक्ष्भा ने धय दफामा। कोई अततवाय, श्लाव,
भतु नश्रेष्ठ वत
ु जी ने कशा-शे खाॉवी,वॊग्रशणी औय ऩाण्डुयोगादद वे
भतु नमों! आऩ ऩाऩवलनासळनी कथा को
ऩीडडत शैं। कोई लातयोगों वे ऩीडडत
वतु नए। इव कथा को वुनने वे वबी
योगों का नाळ शोता शैं : शैं। कोई पोडे, धगल्टी, तरेग आदद
एक वभम नायद जी वबी वे मुक्त वत्न्नऩात योग औय
रोगों के कल्माण की इच्छा वे प्रभेशादद योगों वे घेये गमे शैं।
वभद्र
ु द्लीऩ ऩलात वदशत वम्ऩण
ू ा इव प्रकाय रोग अनेक योगों वे
ऩथ्
ृ ली का भ्रभण कय यशे थे। ग्रस्त औय द्ु खी शैं। उन्शें
लशाॉ उन्शोंने वबी रोगों को
दे खकय भुझे फडा द्ु ख शुआ
वलवलध योगों वे द्ु खी दे खा। मश
औय फायम्फाय भैंने ध न्ता की।
दे खकय नायद जी ध त्न्तत शुए
भैंने वो ा फक मे रोग कैवे
औय लशाॉ वे स्लगा जा ऩशुॉ ।े
नीयोग शोंगे औय प्रवन्न शोंगे ?
स्लगा भें इन्द्र आदद दे लता बी
इवी ध न्ता वे भन भैं व्माकुर
योगी शो यशे थे। मश दे खकय
शोकय भैं आऩकी ळयण भें आमा
नायद जी की ध न्ता औय फढ़
शूॉ।
गई। ध न्ता कयते शुए ले लैकुण्ठ
शे वलश्लात्भन ् ळयणागत
भें ऩशुॉ ।े
बूम्मादद रोकों की आऩ यषा
लैकुण्ठ भें नायद जी ने ळॊख
कीत्जमे। िैरोक्म भें आऩके
क्र अभत
ृ करळ धायी औय अबम
अततरयक्त इनका कोई यषक नशीॊ शैं।
शस्त धनलॊतरय वलष्णु को दे खा। श्री
बगलान ् श्री वलष्णु नायद जी के
(रक्ष्भी), बू (ऩथ्
ृ ली) औय नीरा दे ली उनकी
उक्त ल नों को वन
ु कय गम्बीय लाणी वे
यण वेला कय यशी थी। ऐवे भशात्भा धनलॊतरय
फोरे-शे भुने आऩ बम न कीत्जमे। भैं ‘आदद
रुऩी श्री वलष्णु को नायद जी ने बत्क्त ऩूलक
ा प्रणाभ
धनलॊतरय’ इन्द्र वे आमुलेद प्रातत कय ऩुन् अलताय रेकय
फकमा औय शाथ जोडकय उनकी स्तुतत कयने रगे।
वबी रोकों को नीयोग करुॉ गा। भैं कातताक भाव, कृष्ण
श्री नायद जी फोरे-शे दे लों के दे ल जगन्नाथ
बक्तों ऩय दमा कयने लारे दीनफन्धु दमावागय जगत ् की ऩष, िमोदळी, गरु
ु लाय, शस्त नषि के वभम अलताय
रेकय ‘आमुलेद’ का उिाय करुॉ गा। इवभें वन्दे श न कयो।
24 - 2018

वद्वतीम अध्माम: स्िी के ऩाॉ ऩुि शुए। ले क्रभळ् आभलात, तरीशा, कुष्ठ,
बगलान ् वलष्णु के उक्त ल नों को वुनकय नायद खाॉवी औय श्लाव वे ऩीडडत शुए। उनको बी योग वे
भुतन अतत प्रवन्न शुए औय शऴा वे फोरे-शे बगलन ् आऩ छुटकाया न सभरा। याजा औय यानी अऩने ऩुिों को योगाता
‘धनलॊतरय ऩूजा’ की वलधध फताइए। ‘धनलॊतरय ऩूजा भें दे खकय अत्मन्त द्ु खी शुए।

कौन वा ध्मान मा वलधान फकमा जाए ? उवका तनमभ स्िी-ऩि


ु ों को योग के वागय वे भक्
ु त कयाने की
इच्छा वे ध त्न्तत याजा घोय लन को रा गमा। लन भें
क्मा शैं ? उवका पर क्मा शैं ? फकव वभम, फकवने उव
याजा ने भशाभुतन ‘बयद्वाज’ को फैठे दे खा। याजा ने उन्शें
ऩूजा को फकमा शैं ? ऩूजा भें क्मा क्मा ीजें ादशए ? शे
बत्क्तऩूलक
ा प्रणाभ फकमा औय अऩना द्ु ख फतामा।
दे ल दे लेश्लय रोकों ऩय अनुग्रश कयने की इच्छा वे कृऩा
भशाभतु न बयद्वाज वे याजा ने योग-कष्ट तनलायण शे तु
ऩूलक
ा मश वफ भुझे फताइए। श्री बगलान ् ने कशा- शे भन
ु े
उऩाम ऩछ
ू ा।
तुभने रोकोऩकाय की इच्छा वे ऩूछा शैं। अतएल तुभवे
बयद्वाज भतु न ने कशा-शे याजन ् तम्
ु शाया लत्ृ तान्त
‘ऩाऩनासळनी, योगनासळनी कथा’ कशता शूॉ। भैंने जान सरमा। तभ
ु अतत ळीघ्र भशावलष्णु धनलॊतरय की
धनगतु त याजा के तनसभत्त कातताक कृष्ण ळयण भें जाओ। भनष्ु म उनके दळान भाि वे घोय दस्
ु तय
िमोदळी गरु
ु लाय शस्त नषि के वभम भैं यात्रि के प्रथभ योगों वे भक्
ु त शो जाता शैं। याजा ने बयद्वाज भतु न वे
प्रशय भें गुतत धन के वभान ‘धनलॊतरय’ नाभ वे अलतीणा उक्त फात वन
ु कय उनवे ऩछ
ू ा-शे भशात्भन ् आऩ कृऩा कय
शोता शूॉ। अतएल लश ददन वॊवाय भें ‘धनिमोदळी’ उनकी आयाधना वलधध भुझे बरी-बाॉतत फताइए। ऋवऴ

(धनतेयव) नाभ वे प्रसवि शोगा। मश ततधथ वबी बयद्वाज ने कशा-शे भशाबाग याजन ् उव वलधध को भैं

काभनाओॊ को दे ने लारी शैं। कशता शूॉ, वालधान ध त्त वे वुतनए।

नायद जी ने ऩछ
ू ा- शे बगलन ् कृऩमा वलस्ताय कातताक कृष्ण िमोदळी के ळुब ददन, प्रात् कार

ऩूलक
ा फताइए फक फड फागी धनगुतत कशाॉ शुआ औय उठकय ळौ -भख
ु भाजान आदद वे तनलत्ृ त शोकय स्नान
आऩके दळान की प्रात्तत के सरए उवने कौनवा व्रत फकमा कये । ळि
ु लस्ि आदद धायण कय गरु
ु वे प्रातत
था औय शे दमावागय नायामण उवने आऩका ऩूजन क्मों
फकमा था?
श्री बगलान ् ने कशा- ऩशरे अलन्तीऩयु (उज्जैन)
भें ‘धनगुतत’ नाभक याजा धभाभागा वे प्रजा का ऩारन
कयने लारा शुआ था। लश वबी रोगों का तमाया,
उदायध त्त था। उवे षमयोग शो गमा। उववे लश ददन-
यात ऩीडडत शोने रगा। ऩीडा की तनलत्ृ त्त के सरए उवने
जऩ, शोभ, नाना प्रकाय की औऴधधमाॉ की, ऩयन्तु नीयोग
न शुआ। तफ लश र्खन्न शोकय वलराऩ कयने रगा।
याजा की स्िी त्रिरोक भें प्रसवि, ऩततव्रता,
वदा ारयणी थी। उवने बी ऩतत के भॊगर की आकाॊषा वे
अनेक तनमभ, उऩलाव आदद फकए, ऩय इववे बी याजा
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नीयोग न शुआ औय अन्त भें लश स्िी बी अतीवाय योग
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वे योधगणी शो गई। शे भुने उव याजा वे उव ऩततव्रता
25 - 2018

उऩदे ळानव
ु ाय बगलान ् धनलॊतरय का ध्मान कये । तनम्न अघ्मा प्रदान कयने के फाद ब्राह्भण को फामन
भन्ि ऩढ़कय व्रत का प्रायम्ब कये : दान कये । फामन दान के सरए गेशूॉ के आटे भें दध
ू , घी
करयष्मासभ व्रतॊ दे ल त्लद् बक्तस्त्लत ् ऩयामण्। डारकय ऩकाए। ऩकने ऩय ळक्कय डारे। केवय, कऩूय,
धश्रमॊ दे दश जमॊ दे दश, आयोग्मॊ दे दश भे प्रबो
इराम ी, रौंग, जावलिी डारकय इव सवि नैलेद्म को
अथाात ् शे दे ल भैं आऩका बक्त शूॉ, आऩ भें ध त्त बगलान ् को अवऩात कये । आधा प्रवाद लेदस ब्राह्भण को
रगाकय आऩका व्रत करुॉ गा। आऩ भझ
ु े रक्ष्भी दीत्जए, अवऩात कये औय आधा स्िी ऩुिादद वदशत स्लमॊ प्रवाद
वलजम दीत्जए, आयोग्म दीत्जए। स्लरुऩ ग्रशण कये । शे याजन ् इव वलधध वे व्रत कयने वे

दे ल धनलॊतरय वे उक्त प्राथाना कय, उनकी वाषात ् धनलॊतरय स्लमॊ प्रकट शोकय तुम्शाया अबीष्ट
सवि कयें गे। इतनी कथा वुनाकय बयद्वाज भुतन ने
ऴोडळोऩ ाय वे ऩूजा कये । ऩूजा कयने के फाद तेयश धागों
वलश्राभ सरमा।
का वूि रेकय तेयश गाॉठ लारा ‘दोयक’ फनाए। इव
तत
ृ ीम अध्माम:
‘दोयक’ की बत्क्तऩूलक
ा ऩूजा कये औय तनम्न भन्ि ऩढ़कय
वूत जी फोरे-शे भुतन लयों याजा धनगुतत ने भुतन
ऩरु
ु ऴों के दादशने शाथ भें तथा त्स्िमों के फाॉएॉ शाथ भें
की आसा ऩाकय उनके कशे अनुवाय तेयश लऴा ऩमान्त
फाॉधे:
बत्क्त ऩूलक
ा व्रत फकमा।
धन्लन्तये भशाबाग जयायोगतनलायक।
एक ददन व्रत वभात्तत के अलवय ऩय वाषात ्
दोयरुऩेण भाॊ ऩादश, वकुटुम्फॊ दमातनधे॥
धनलॊतरय प्रकट शुए। याजा ने वाष्टाॊग प्रणाभ कय उनकी
आधधव्माधधजया भृत्मु बमादस्भादशतनाळभ ्।
स्तुतत की। बत्क्त ऩूलक
ा की गई स्तुतत स्लीकाय कय
ऩीड्मभानॊ दे लदे ल यष भाॊ ळयणागतभ ्॥
अथातत ्-शे धन्लन्तये शे भशाबाग आऩ जया (फुढाऩा) औय बगलान ् धनलॊतरय ने कशा-शे याजन ् अफ तुभ डयो भत,
योग के सभटाने लारे शैं। इवसरए शे दमातनधे आऩ इव तम्
ु शाया भॊगर शोगा। तभ
ु शभवे लय भाॉगो। याजा ने मश
वूिरुऩ वे वकुटुम्फ भेयी यषा कीत्जमे। भैं ददन-यात वुनकय उन्शें ऩुन्वाष्टाॊग प्रणाभ फकमा औय उनकी स्तुतत
आधध (भानसवक द्ु ख) औय व्माधध (योग), जया (फुढाऩा)
की:
तथा भत्ृ मु के बम वे िस्त शो यशा शूॉ। शे दे ल-दे ल ळयण
भें आए शुए भेयी अफ आऩ यषा कयें । वि ू फन्धन के धन्लन्तये नभस्तु्मॊ, नभो ब्रह्भाण्ड नामक।
फाद ‘दे ल दे ल धनलॊतरय’ को बत्क्त ऩूलक
ा ‘अघ्मा’ तनलेदन वुयावुयायाधधताॊघ्रे, नभो लेदैक गो य ।
कये । अघ्मा प्रदान कयने का भन्ि इव प्रकाय शैं : आमुलेद स्लरुऩाम, नभस्ते जगदात्भने॥१॥
प्रऩन्नॊ ऩादश दे लेळ जगदानन्द दामक।
जातो रोक दशताथााम, आमुलेदासबलि
ृ मे।
दमा तनधे भशा दे ल िादश भाभऩयाधधनभ ्।
जया भयण नाळाम, भानलानाॊ दशताम ॥
जन्भ भृत्मु जयायोगै्, ऩीडडतॊ वकुटुत्म्फनभ ्॥२॥
दष्ु टानाॊ तनधनामाम, जात्त धन्लन्तये प्रबो।
अथातत ्- शे धन्लन्तये ब्रह्भाण्ड नामक आऩको नभस्काय!
गृशाणाघ्मं भमा दत्तॊ, दे ल दे ल कृऩा कय॥ आमुलेद स्लरुऩ जगत ् के अन्तमााभी आऩको नभस्काय। शे
अथातत ्- शे दे ल दे ल, दमा कायी धनलॊतरय! आऩ जगत ् के वुखदामी दे ल दे ल दमा वागय, भशा दे ल आऩ
रोकाऩकाय के सरए, आमुलेद की असबलवृ ि के तनसभत्त, भुझ ळयणागत अऩयाधी की यषा कयें ।
भनुष्मों के दशत तथा जया भयण का नाळ कयने के सरए भैं कुटुम्फ वदशत जन्भ भत्ृ मु जया आदद योगों वे ऩीडडत
अलतरयत शुए शैं। भैं आऩको अघ्मा प्रदान कयता शूॉ। इवे शूॉ।
स्लीकाय कीत्जए।
26 - 2018

बगलान ् धनलॊतरय ने मश स्ततु त वन


ु कय भेघ आयोग्म प्रदान कय भैं उन्शें अऩनी त्स्थय बत्क्त दॉ ग
ू ा।
गजान के वभान गम्बीय लाणी वे भस्
ु कुयाते शुए कशा-शे वत
ू जी फोरे-बगलान ् धनलॊतरय मश कशकय अन्तधाान शो
भशा याज ठीक शैं, ठीक शैं, भैं तुम्शायी स्तुतत वे प्रवन्न गए औय याजा धनगतु त अऩनी ऩयु ी भें रौट गमा। याजा
शूॉ। अफ शभवे लय भाॉग रो। तनत्म स्िी-ऩि
ु ों वदशत अभत
ृ ऩार्ण धनलॊतरय की स्ततु त
याजा फोरे-शे दे ल मदद आऩ प्रवन्न शैं, तो वफवे कयने रगा। उवने ऩथ्
ृ ली रोक भें नाना प्रकाय के वख

बोगे औय अन्त भें बगलान ् धनलॊतरय की कृऩा वे भोष
ऩशरे स्िी ऩुिों वदशत भुझे आयोग्म दीत्जए।
ऩद प्रातत फकमा। इव प्रकाय भैंने तुभ रोगों को बगलान ्
मश प्राथाना वुनकय बगलान ् ने कशा-याजन ् तुभने
धनलॊतरय की जन्भोत्वल कथा वुनाई। इवके वुनने वे
जो प्राथाना की शैं, लश ऩण
ू ा शोगी। इवके अततरयक्त बी भैं
वबी ऩाऩों का नाळ शोता शैं।
लय दे ता शूॉ। उवे वालधान शोकय वुनो : तुभने त्जव
प्रकाय मश व्रत फकमा शैं। इवी तयश जो व्रत कयें गे, उनको
***

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27 - 2018

रक्ष्भी प्रात्तत के 151 वयर उऩाम



आज के बौततक मग
ु भें शय व्मत्क्त की ाश गमे अनब
ु त
ू उऩामो को अऩनाकय जीलन भें तनत्श् त रुऩ
शोती शैं की उवे अधधक वे अधधक धन-वॊऩत्त्त एलॊ वे वुख-वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा प्रातत कयने का प्रमाव कयना
ऐश्लमा प्रातत शो। शय व्मत्क्त अऩनी धन-वॊऩत्त्त को ददन ादशए एलॊ इन उऩामों वे राब की प्रात्तत शोने ऩय
दोगुनी यात ौगुनी यफ्ताय वे फढ़ाना ाशते शैं, इवसरए वलसबन्न दर
ु ब
ा लस्तुओॊ को प्रातत कय अऩने घय भें
व्मत्क्त रक्ष्भी प्रात्तत शे तु वलसबन्न भॊि, मॊि एलॊ तॊि के अलश्म स्थावऩत कय उवना तनमसभत ऩूजन-अ न
ा कयना
प्रमोगो को अऩना कय रक्ष्भी कायक वलसबन्न वाभग्रीमों ादशए।
को अऩने घय, दक
ु ान, ऑफपव आदद व्मलवामीक स्थान दीऩालरी के ळुब भुशूता भें धन प्रात्तत के वलळेऴ उऩामों
ऩय स्थावऩत कय उवका ऩूजन-अ न
ा कयते शैं। त्जन को प्रायॊ ब कय तनत्श् त रुऩ वे अऩने जीलन भें धन-
रोगों ने रक्ष्भी प्रात्तत के सरए अऩने घय भें वुख वभवृ ि लैबल, वुख-वभवृ ि का आगभन फकमा जा वकता शैं।
कायक वलसबन्न दर
ु ब
ा वाभग्रीमाॊ जैवे श्रीमॊि, दक्षषणालतता
ऩाठको के भागायळन शे तु रक्ष्भी प्रात्तत के वयर उऩामों
ळॊख इत्मादद वाभग्री को अऩने घय भें ऩशरे वे स्थावऩत
को 3 बागों भें ददमा गमा शैं, जो क्रभळ: दीऩलरी ऩय
कय उवका तनमसभत ऩूजन-अ न
ा कय यशे शो, उन्शें कयें धन प्रात्तत शे तु वलळेऴ उऩाम, दै तनक जीलन भें
अधधक राब की प्रात्तत शे तु रक्ष्भी प्रात्तत के अन्म वयर अऩनामे रक्ष्भी प्रात्तत के वयर उऩाम औय दरयद्रता
उऩामों को बी अऩने जीलन भें अलश्म आजभाना ादशए तनलायण शे तु वलळेऴ उऩाम शैं।

अथला त्जन रोगों ने इन रक्ष्भी कायक दर दीऩालरी ऩय फकमे जाने लारे उऩामों को आलश्मक्ता
ु ब
ा लस्तुओॊ
अनव
ु ाय अन्म ळब
ु भश
ु ू ता एलॊ अलवयों ऩय फकमा जा
को अबी तक अऩने घय भें को स्थावऩत नशीॊ फकमा शैं
वकता शैं। वलद्वानों का अनब
ु ल शैं की इन दीऩालरी ऩला
मा लश रोग इव वाभग्रीमों को स्थावऩत कयने भें
ऩय फकमे जाने लारे धन प्रात्तत के उऩामों को दीऩालरी
अवभथा शैं, उन रोगों को रक्ष्भी प्रात्तत शे तु मशाॊ ददमे ऩय कयने वे वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं।

द्वादश महा यंत्र


मॊि को अतत प्राध न एलॊ दर
ु ब
ा मॊिो के वॊकरन वे शभाये लऴो के अनुवॊधान द्वारा फनामा गमा शैं।
 ऩयभ दर
ु ब
ा लळीकयण मॊि,  वशस्िाषी रक्ष्भी आफि मॊि
 बाग्मोदम मॊि  आकत्स्भक धन प्रात्तत मॊि
 भनोलाॊतछत कामा सववि मॊि  ऩूणा ऩौरुऴ प्रात्तत काभदे ल मॊि
 याज्म फाधा तनलत्ृ त्त मॊि  योग तनलत्ृ त्त मॊि
 गश
ृ स्थ वुख मॊि  वाधना सववि मॊि
 ळीघ्र वललाश वॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि  ळिु दभन मॊि

उऩयोक्त वबी मॊिो को द्वादश भशा मॊि के रुऩ भें ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे भॊि सवि ऩण
ू ा प्राणप्रततत्ष्ठत एलॊ त
ै न्म मक्
ु त
फकमे जाते शैं। त्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩज
ू ा अ न
ा ा-वलधध वलधान वलळेऴ राब प्रातत कय वकते शैं।

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28 - 2018

दीऩवरी ऩय कयें धन प्रात्तत हे तु ववशेष उऩाम 8. दीऩालरी के ददन प्रात् फकवी बी रक्ष्भी भॊददय

दीऩलरी ऩय कयें धन प्रात्तत शे तु वलळेऴ उऩाम भें मा रक्ष्भी नायामण भॊददय भें भाॊ रक्ष्भी को रार

ददमे गमें वबी उऩामों वलळेऴ रुऩ वे अषम तत यॊ ग की न


ु यी मा लस्ि ढ़ाने वे आधथाक त्स्थती
ृ ीमा,
धनिमोदळी, दीऩालरी आदद वलळेऴ भुशूता कयना ादशए। प्रफर शो जाती शैं एलॊ धन की कभी नशीॊ यशती।

1. दीऩालरी ऩूजन के फाद ळॊख ध्लतन वे दरयद्रता 9. दीऩालरी के ददन ऩूजन भें रक्ष्भी भॊि का जऩ

दयू शोकय रक्ष्भी का तनलाव शोता शैं। कभर गट्टे वे कये एलॊ भाॊ रक्ष्भी को कभर का

2. दीऩालरी ऩूजन भें असबभॊत्रित शकीक का ऩूजन पूर ढ़ाने वे भाॊरक्ष्भी की वलळेऴ कृऩा शोती शैं।

कय उवे धायण कयने वे धायण कताा की आधथाक 10. दीऩालरी के ददन भाॊ रक्ष्भी को वपेद सभष्ठान

त्स्थती भें वुधाय शोने रगता शैं। का बोग रगाकय उवे गयीफों को फाॊटने वे ऩुयाने

3. दीऩालरी ऩूजन भें असबभॊत्रित शकीक का ऩूजन कजा वे जल्द याशत सभरती शैं।

कय उवे उवे अऩने गल्रे (कैळ फॉक्व), ततजोयी 11. दीऩालरी के ददन इभरी के ऩेड की टशनी का

भनी ऩवा भें यखने वे धन वॊ म शोने रगता शैं टुकडा अऩने गल्रे मा ततजोयी भें यखने वे धन

एलॊ धन की लवृ ि शोती शैं। वॊ म शोता शै ।

4. धन-वॊऩत्त्त की प्रात्तत शे तु अऩने व्मलवामीक 12. दीऩालरी के ददन वामॊकार वूमाास्त वे कुछ ऩर

स्थान मा घय की ऩूजा स्थान भें गणेळ रक्ष्भी ऩल


ू ा फयगद की जटा भें एक गाॊठ फाॊध दे ने वे

मॊि अलश्म स्थावऩत कयें । आकत्स्भक धन प्रात्तत के मोग फनते शैं, धन

5. धनतेयव के ददन ऩीवे ालर का घोर ल शल्दी, प्रात्तत के फाद उव फाॊधध शुई गाॊठ को खोर दे ना

केवय को सभराकय उवके घोर वे घय भें भख् ादशए।


ु म
द्वाय ऩय ॐ सरखने वे तनमसभत धन का 13. दीऩालरी के ददन दोऩशय के वभम ऩीऩर की जड

आगभन शोता शैं। इव प्रमोग को ऩुन् अगरे लऴा भें दध


ू , घी औय सभश्री ( ीनी) सभराकय डारने वे

धनतेयव के ददन इव प्रमोग को ऩुन् दोशयामे। वलळेऴ रुऩ वे धन राब का मोग फनता शैं।

6. अऩाय धन-वॊऩत्त्त की काभना यखने लारे व्मत्क्त 14. दीऩालरी के अगरे ददन सभट्टी के दीऩक भें भीठे

को श्रीमॊि, गणेळ रक्ष्भी मॊि, कनकधाया मॊि तेर का दीमा भुख्म द्वाय ऩय यखने वे घय भें

औय कुफेय मॊि का ऩूजन अलश्म कयना ादशए। तनयॊ तय वुख वभवृ ि फढ़ती यशे गी।

वलद्वानों का अनुबल शैं की इन मॊि को ऩूजन 15. दीऩालरी के ददन वॊध्मा वभम भें ऩीऩर के ऩेड

कयने लारा भनुष्म को कबी धन का अबाल नशीॊ के नी े वात दीऩक प्रज्लसरत कयके ऩीऩर के

शोता। लष की वात फाय ऩरयक्रभा कयने वे आधथाक

7. दीऩालरी ऩज वॊकटों का तनलायण शो जाता शैं।


ू न भें भाॊ रक्ष्भी को ऩज
ू ा भें 11
असबभॊत्रित ऩीरी कौडडमाॊ अऩाण कयें , दव 16. दीऩालरी के ददन सभट्टी के फतान भें ळशद बय
ू ये ददन
कौडडमों को रार कऩडे भें फाॊधकय अऩने गल्रे कय उवे उऩय वे ढॊ क कय फकवी वन
ु वान वलयान

मा ततजोयी भें यखने वे धन की लवृ ि शोने रगती स्थान भें गाढ़ दें । इव प्रमोग वे वबी प्रकाय के

शै । आधथाक वॊकटों का तनलायण शो जाता शैं।


29 - 2018

17. दीऩालरी के ददन प्रात्कार भाॊ भशारक्ष्भी को पोंक ने वे आधथाक शानी वे यषा शोती औय धन
तुरवी के ऩत्तो वे फनी भारा अवऩात कयने वे राब प्रातत शोता शैं।
धन की लवृ ि शोती शैं। दै ननक जीवन भें अऩनामे रक्ष्भी प्रात्तत के
18. दीऩालरी के ददन कारी शल्दी को ‘ॐ ऐॊ ह्ीॊ क्रीॊ सयर उऩाम
ाभुॊडामै वलच् ।ै ’ भॊि का 108 फाय जाऩ कयके दै तनक जीलन भें अऩनामे रक्ष्भी प्रात्तत भें ददमे गमें
कारी शल्दी को ऩरयलाय के वबी वदस्मों के सवय वबी उऩाम वलळेऴ प्रबालळारी एलॊ अनुबूत शैं इन उऩामों
ऩय वे घुभाकय घय वे फाशय दक्षषण ददळा भें पेंक को वाधायण वे वाधायण व्मत्क्त बी अऩने दै तनक जीलन

दें , इव प्रमोग वे धन की लवृ ि शोती शैं एलॊ ळिु भें अऩना कय तनत्श् त रुऩ वे धन लैबल एलॊ ऐश्लमा
प्रातत कय वकते शैं, इव भें जया बी वॊदेश नशीॊ शैं।
द्वाया उत्ऩन्न ऩीडाएॊ बी ळाॊत शो जाती शैं।
1. प्रात् उठते शी शस्तदळान (प्रात् कय दळानभ ्) कय
19. दीऩालरी की वॊध्मा को ऩीऩर के ऩेड के नी े
दोनों शथेसरमों को 2-3 फाय भुॊश ऩय पेयना ादशमे।
एक वाफत
ू वऩ
ु ायी ल एक ताफें का सवक्का यख 2. जफ बी फकवी कामा वे फाशय तनकरे तो घय ऩय आते
कय उवे ऩय शल्दी एलॊ कुभकुभ रगा कय यख दें । वभम कुछ ना कुछ वाथ रेकय शी आए खारी शाथ
यवललाय को उवी ऩेड के ऩीऩर का एक अखॊडडत नशीॊ आए ाशे ऩेड का ऩत्ता-अखफाय मा जीलन
ऩत्ता राकय अऩने कामा स्थर ऩय गद्दी के नी े जरुयत फक लस्तुएॊ रेकय आमें। (वूमाास्त के फाद भें
ऩेड के ऩत्ते तोडना शानी कायक शोता शैं।)
मा गद्दी के ऩाव यख ने वे तनयॊ तय व्माऩाय भें
3. धन मा व्माऩाय वे वॊफॊधीत रेन-दे न के खाते ऩय मा
लवृ ि शोती शैं।
ऩि व्मलशाय कयते वभम शल्दी मा केळय रगामें।
20. ऩौयार्णक कथाओॊ के अनुवाय भाॊ भशारक्ष्भी
4. गल्रे भें , ऩैवे के रेन-दे न वे वॊफॊधधत, क
ै फुक-
वभुद्र की ऩुिी शैं, वभुद्र वे उत्ऩन्न दक्षषणालतॉ ऩावफुक, ऩूॊजी तनलेळ वे वॊफॊधधत कागजात इत्मादद
ळॊख, भोती ळॊख एलॊ गोभती क्र इत्मादद वभुद्र श्री मॊि के वाथ भें यखें।
वे प्रातत शोने लारी वाभग्रीमाॊ रक्ष्भी के वशोदय 5. प्रततददन बोजन के सरए फनी ऩशरी योटी गाम को

शैं, अत् रक्ष्भी ऩज


ू न के वभम इन वाभग्रीमों र्खरामे।
6. ळक्र
ु लाय को वपेद लस्तओ
ु ॊ का दान कयने वे धन
को घय भें स्थावऩत कयने वे वलळेऴ राब की
मोग फनता शैं।
प्रात्तत शोती शैं।
7. प्रात : कार नाळता कयने वे ऩल
ू ा झाडू अलश्म
21. धन शानी वे फ ाल के सरए अऩने गल्रे भें मा
रगामे।
ततजोयी भें रक्ष्भी भॊि का 108 फाय जऩ कयके 8. यात को झठ
ू े फतान, क या इत्मादद यवोई भें नशीॊ
शुले कारी गुॊजा के 7 मा 11 दाने डार दें । इव यखे।
प्रमोग वे व्मलवामीक शानी दयू शो जामेगी औय 9. प्रततददन वॊध्मा वभम घय ऩय ऩज
ू ा तनमत वभम ऩय

राब की त्स्थती फनने रगेगी। कये ।


10. तनमसभत रुऩ वे ळतनलाय के ददन घय फक वाफ-
22. धन शानी वे फ ाल के सरए दीऩालरी की यात को
वपाई कयें ।
एक भठ्ठ
ु ी कारे ततर ऩरयलाय के वदस्मों के सवय
11. रुऩमा ऩैवा धन को थूक रगाकय धगनने वे दरयद्रता
ऩय वे 7 फाय उताय कय घय वे ऩत्श् भ ददळा भें आती शैं।
30 - 2018

12. फध
ु लाय को धन का वॊ म कयें । फैंक भें धन जभा ऩोछकय दक
ु ान भें मा व्मलवामीक स्थर ऩय भार
कयलाते वभम रक्ष्भी भॊि जऩा कये । वाभान यखने फक जगश ऩय यखने वे व्माऩय भें लवृ ि
13. घय भें फकवी बी दे ली दे लता फक एक वे ज्मादा शोती शैं।
तस्लीय, भतू ता ऩज
ू ा ऩय स्थान नशीॊ यखे। 26. प्रतत फध
ु लाय के ददन अळोक लष
ृ के अखॊडडत ऩत्ते
14. जरुयत भॊद व्मत्क्त, गरयफो को मथावत्क्त भदद कय राकय ळि
ु जर मा गॊगाजर वे धोकय रार कऩडेवे
उन्शें दान इत्मादद वभम-वभम ऩय दे ते यशें । ऩोछकय अरभायी, गल्रे भें मा धन यखने के फक्वे
15. ऩुयानी, यद्दी बॊगाय इत्मादद ळतनलाय के ददन घय वे भें यखने वे धन फवृ ि शोती शैं।
फाशय तनकार दे नी ादशमे औय जो ऩैसा मभरे उससे 27. अळोक के भूर की जड का एक टुकडा ऩूजा घय भें
घय के मरए त्स्टर के फयतन खरयदना अधधक यखने औय योजाना धऩ
ू -दीऩ वे ऩूजन कयने वे धन
राबप्रद होता हैं। मदद फततन का भूल्म अधधक हो तो फक कभी नशीॊ शोती।
उस भें अरग से ऩैसे जोड कय खयीदे जा सकते हैं 28. ततजोयी के रॉकय भें शभेळा दो फॉक्व यखें। एक भें
16. ळतनलाय के ददन कारे यॊ ग फक लस्तु, स्टीर, रोशा योजाना कुछ रूऩमे यख कय फॊद कय दें , उवभें वे
इत्मादद उऩशाय भें नशीॊ रेनी ादशमे।
रूऩमे नशीॊ तनकारें मा अत्माधधक आलश्मकता शोने
17. फकवी कमा के सरमे जाते वभम खारी ऩेट कबी बी
ऩय तनकारे। दव
ू ये फॉक्व भें वे काभ के रेन-दे न के
घय वे ना तनकरे। कामा भें फाधा वलघ्न आते शैं,
सरए रूऩए तनकारें।
अवपरता प्रातत शोती शैं।
18. भॊगरलाय, गुरुलाय, ळतनलाय को फार-नाखन नशीॊ 29. प्रततददन आभदनी का करेक्ळन दव
ू ये ददन स्लमॊ के

काटने ादशमे। ख े के सरमे मा फकवी व्माऩायी को क
ु ाने शे तु
19. त्स्थय रक्ष्भी फक काभना शे तु रुऩमा-ऩैवा-शीये तनकारे। आभदनी मा करेक्ळन को कभ वे कभ 24
जलाशयात ऩीरा कऩडा त्रफछाकय मा ऩीरे कऩडे भें घॊटे के फाद शी ख ा के सरमे तनकारने वे अत्माधधक
रऩेटकय यखें।
धन राब शोता शैं।
20. लऴा भें कभ वे कभ एक फाय ऩरयलाय के वाथ तीथा
30.
मािा अलश्म कयें । ऩरयलाय के वाथ फकवी दे ली भें ददय
24
भदशने भें कभ वे कभ एक फाय भें अलश्म जामे।
21. वम
ू ोदम के वभम मदद घय की छत ऩय कारे ततर
त्रफखेयने वे घय भें वख
ु वभवृ ि शोती शैं। ।
22. अळोक का ऩेड रगाकय उवको वीॊ ने वे धन भें
दरयद्रता ननवायण हे तु ववशेष उऩाम
लवृ ि शोती शैं।
दरयद्रता तनलायण को बी दो बाग भें फाॊटा गमा शैं
23. वफ
ु श भख्
ु म दयलाजे के फाशय वे झाडू वे वपाई
एक भें दरयद्रता आने के कायण औय दव
ू ये बाग भें
कयके थोडा ऩानी तछडक ने वे घय भें धन फक लवृ ि
दरयद्रता भुक्त के वयर उऩाम ददमे गमे शैं।
शोती शैं।
24. प्रतत वोभलाय, फुधलाय, ळुक्रलाय अळोक लष
ृ के क्मों आती हैं दरयद्रता ?
अखॊडडत ऩत्ते घयभें राकय ळुि जर मा गॊगाजर वे 1. प्रततददन दे य उठने वे दरयद्रता आती शैं।
धोकय रार कऩडेवे ऩोछकय घय भें मा व्मलवामीक 2. घय का वाया क या झाडू रगाकय एक कोने भें
स्थान ऩय यखने वे धनराब शोता शैं। वभेट कय यखने वे आती शैं। क ये को घय वे
25. प्रतत वोभलाय के ददन अळोक लष
ृ के अखॊडडत ऩत्ते फाशय पेक दें ।
राकय ळुि जर मा गॊगाजर वे धोकय रार कऩडे वे
31 - 2018

3. वॊध्मा वभम घयभें दीऩक नशीॊ जराने वे दरयद्रता आती शैं।


आती शैं। 16. घय भें वफ
ु श झाडू-फश
ु ायी कयके वाप नशीॊ कयने
4. गरु
ु लाय के ददन फार-दाढीॊ(शजाभत) काटने वे वे तनधानता आती शैं।
तनधानता आती शैं। 17. इत्न्द्रमों को वॊमभ भें नशीॊ यख कय ऩयस्िी एलॊ
5. दीऩ वे अगयफत्ती जराने वे दरयद्रता आती शैं। ऩयधन फक काभना कयने वे तनधानता आती शैं।
(अगयफत्ती अरग भाध व वे जरामे)
18. इश्लय भें श्रिा नशीॊ यखने वे व्मत्क्त दरयद्र शो
6. गुरुलाय के ददन बोजन भें भाॊवाशाय खाने वे
जाता शैं।
दरयद्रता आती शैं।
19. ददनभें अकायण वोने वे घय भें दरयद्रता आती शैं।
7. गुरुलाय के ददन धोफी को कऩडे धोने के सरमे दे ने
वे दरयद्रता आती शैं। 20. योग वे ऩीडडत व्मत्क्तमों को वाॊत्लना दे ने के

8. गुरुलाय के ददन ऩीरी सभट्टी वे फार धोने वे फजाम उऩशाव कयने वे तनधानता आती शैं।
तनधानता आती शैं। 21. जया-जया फात भें र्खन्न शोने लारे जया-जया फात
9. वूमाास्त शोने के फाद घय भें झाडू रगाने वे घय भें अऩने ल नों वे भुकय ने लारे व्मत्क्त दरयद्र
भें दरयद्रता आती शैं। शो जाता शैं।
10. अिालत्ृ ताकय (अधा गोराकाय) बूखड
ॊ मा बलन के 22. छर-कऩट औय स्लाथा का आश्रम रेकय, दव
ू यों के
स्लासभत्ल वे दरयद्रता प्रातत शोती शैं। ळोऴण का आश्रम रेकय धन प्रातत कयने वे
11. गुरु का ददमा गमे भॊि के त्माग कयने वे व्मत्क्त तनधानता आती शैं। उवके ऩाव धन आ वकता शै
दरयद्र शो जाता शैं। ऩयन्तु उवके ऩाव धन भशारक्ष्भी नशीॊ आ
12. गुरु वे कऩट ल सभि वे ोयी कयने वे दरयद्रता वकती।
आती शैं। 23. जठ
ू े भॉश
ु यशने वे दरयद्रता आती शैं।
13. कऩडे के आवन ऩय फैठ कय ऩूजा-ऩाठ भॊि जऩ 24. भैरे-कु र
ै े-पेटे शुए कऩडे ऩशनने वे तनधानता
अनुष्ठान इत्मादद कयने वे दरयद्रता आती शैं। आती शैं।
14. ऩत्थय एलॊ सभट्टी के फतानों भें बोजन कयने वे 25. दीन-द्ु र्खमों को वताने वे तनधानता आती शैं।
तनधानता आती शैं। 26. भाता-वऩता के आसळलााद नशीॊ रेने वे तनधानता
15. बोजन औय दध
ू को त्रफना ढके यखने वे तनधानता आती शैं।

नलयत्न जडडत श्री मॊि ळास्ि ल न के अनुवाय ळुि वल


ु णा मा यजत भें तनसभात श्री मॊि के ायों औय मदद
नलयत्न जडला ने ऩय मश नलयत्न जडडत श्री मॊि कशराता शैं। वबी यत्नो को उवके तनत्श् त स्थान ऩय जड कय रॉकेट
के रूऩ भें धायण कयने वे व्मत्क्त को अनॊत एश्लमा एलॊ रक्ष्भी की प्रात्तत शोती शैं। व्मत्क्त को एवा आबाव शोता शैं
जैवे भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शैं। नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशों की अळुब दळा का धायण कयने लारे व्मत्क्त
ऩय प्रबाल नशीॊ शोता शैं। गरे भें शोने के कायण मॊि ऩवलि यशता शैं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो
जर त्रफॊद ु ळयीय को रगते शैं, लश गॊगा जर के वभान ऩवलि शोता शैं। इव सरमे इवे वफवे तेजस्ली एलॊ परदातम
कशजाता शैं। जैवे अभत
ृ वे उत्तभ कोई औऴधध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रात्तत के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि
वॊवाय भें नशीॊ शैं एवा ळास्िोक्त ल न शैं। इव प्रकाय के नलयत्न जडडत श्री मॊि गरू
ु त्ल कामाारम द्वाया ळब
ु भश
ु ू ता भें
प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनालाए जाते शैं। Rs: 4600, 5500, 6400 वे 10,900 वे अधधक >> Order Now
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32 - 2018

27. धभा, ळास्ि औय वॊतों फक तनॊदा कयने वे व्मत्क्त 46. अऩने ळयीय ऩय त्रफना लजश वे फजाने (ढोर जेव)े
दरयद्र शो जाता शैं। वे तनधानता आती शैं।
28. घी को जठ
ू े शाथ वे छूने वे तनधानता आती शैं। 47. स्नान कयने वे उऩयाॊत ळयीय ऩय तेर रगाने वे
29. जठ
ू ा शाथ सवय ऩय रगाने वे तनधानता आती शैं। तनधानता आती शैं। (स्नान वे ऩल
ू ा तेर रगारे)
30. जठ
ू े भॉश
ु ळब
ु लस्तओ
ु ॊ का स्ऩळा कयने वे दरयद्रता 48. अऩने ऩैय फक एडी का भस्तक ऩय स्ऩळा कयने वे
आती शैं। तनधानता आती शैं।
31. भॊगरलाय को ऋण रेने वे दरयद्रता आती शैं। 49. अॊधेये कभये भें वोने वे तनधानता आती शैं। (कभये
32. ऩाऩकभा भें यत यशने वे तनधानता आती शैं। भें थोडी वे योळनी जरुय यखे)
33. कठोय-कडक ल नो का प्रमोग कयने वे तनधानता 50. यािी कार भे धायण कयने लारे लस्ि ददन भें
आती शैं। धायण कयने वे तनधानता आती शैं।( यात भें एलॊ
34. फडे-फुजुगो का अनादय कयने वे उनकी फात नशीॊ ददन भें धायण कयने लारे कऩडे अरग-अरग
भानने वे तनधानता आती शैं। यखें। ददन के यात भें एलॊ यात के ददन भें कबी
35. जो स्िी-ऩुरुऴ अऩने ऩतत-ऩत्नी को दफाकय यखने नशीॊ ऩशने)
फक इच्छा यखने वे तनधानता आती शैं। 51. लावी एलॊ ळुष्क बोजन खाने वे दरयद्रता आती
शैं।
36. लावी पूर का उऩमोग कयने वे तनधानता आती शैं।
52. ळुक्रलाय एलॊ अभालस्मा के ददन तेर-गॊध-द्रव्म को
37. दग
ु ध
ं मुक्त स्थान ऩय अधधक रोगो के वाथ भें
ळयीय ऩय रागने वे दरयद्रता आती शैं।
वोने वे तनधानता आती शैं।
53. अऩने फाएॊ शाथ वे भाता का स्ऩळ कयने वे
38. पटा-टूटा आवन का उऩमोग कयने वे तनधानता
दरयद्रता आती शैं। ( मदद स्ऩळा कये तो दोनो
आती शैं।
शाथो वे कयें केलर फाएॊ शाथ वे स्ऩळा न कयें ।)
39. स्भळान फक ध ता के अॊगाये , अत्स्थ, बस्भ, गाम,
54. अऩवलि अलस्था भें वम
ू -ा द्र
ॊ -तायों का दळान कयने
कऩाव(रुई), ऩूज्म एलॊ गरु
ु जन, ब्राह्भण को ऩैय
वे तनधानता आती शैं।
रगाने वे तनधानता आती शैं।
55. वूमाास्त का दळान कयने वे तनधानता आती शैं।
40. अऩने एक ऩैय को दव
ू ये ऩैयवे घीवने वे दफाने वे 56. ऩयस्िी-ऩयऩुरुऴ को नग्न अलस्था भें दे खने वे
तनधानता आती शैं। तनधानता आती शैं।
41. त्जव जर भें नाखन
ू मा फार धगये शों उव जर 57. ऩय धन,स्िी, वॊऩत्त्त फक इच्छा कयने वे दरयद्रता
का वेलन मा स्ऩळा कयने वे तनधानता आती शैं। आती शैं।
42. तुदाळी एलॊ अभालस्मा के ददन ळायीरयक वुख 58. नाखन
ू , काटे , खन
ू , सभट्टी, कोमरा मा ऩानी वे
बोगने वे तनधानता आती शैं। बूसभ ऩय अनालश्मक रेखन-ध िण कयने वे
43. त्रफना लस्ि के वोने वे तनधानता आती शैं। दरयद्रता आती शैं।
44. क या तनकारते लक्त उडने लारी धक
ु का स्ऩळा 59. स्लमॊ भारा गॊथ
ू (भारा फना) कय स्लमॊ धायण
ळयीय को शोने वे दरयद्रता आती शैं। (झाडू रगाते कयने वे दरयद्रता आती शैं।
लक्त वालधानी फयते जेवे धर
ू का स्ऩळा आऩके 60. स्लमॊ द
ॊ न घीव कय स्लमॊ रगाने वे दरयद्रता
ळयीय को नशों) आती शैं। (फकवी औय वे घीवलाकय रगामे)
45. फैठे-फैठे खयु ळी-टे फर-ऩरॊग इत्मादद ऩय त्रफना 61. ब्राह्भण फक तनन्दा कयने वे दरयद्रता आती शैं।
लजश वे फजाने (ढोर जेवे) वे तनधानता आती शैं।
33 - 2018

62. फेठे-फेठे मा वोते शुए दोनो ऩैयो को त्रफना लजश दरयद्रता ननवायण के सयर उऩाम
दशराने-न ाने वे दरयद्रता आती शैं। 1. प्रततददन प्रात: जल्दी उठ कय इष्ट आयाधना कयने
63. बोजन के फाद तयु ॊ त दातन
ु कयने वे दरयद्रता वे दरयद्रता दयू शोती शैं।
आती शैं। 2. गुरुलाय के ददन घय भें गाम के गोफय का रेऩन
64. अन्म का झठ
ु ा अन्न खाने वे दरयद्रता आती शैं। आदद कयने वे दरयद्रता दयू शोती शैं।
65. अऩने इष्ट का त्माग कय अन्म के इष्ट भें 3. गुरुलाय के ददन ऩीरी लस्तु का बोजन कयने वे
आस्था यखने वे दरयद्रता आती शैं। दरयद्रता दयू शोती शैं।
66. ऩय स्िी-ऩुरुऴ फक वेला कय के अऩने ऩरयलाय के 4. दान-ऩुण्म इत्मादद कभा कयते यशने वे दरयद्रता दयू
रोगो को कष्ट दे ने वे दरयद्रता आती शैं। शोती शैं।
67. ऩरयश्रभ-ऩुरुऴाथा वे र्खन्न शोने लारे व्मत्क्त फक 5. प्राण-प्रततत्ष्ठत वात भुखी रुद्राष धायण कयने वे
वशामता कयने वे दरयद्रता आती शैं। दरयद्रता वे भुत्क्त सभरती शैं।
68. अमोग्म भनुष्म को दान दे न मा वशामता कयने 6. घय भें प्राण-प्रततत्ष्ठत प्राण-प्रततत्ष्ठत दक्षऺणावती
वे दरयद्रता आती शैं। शांख कक घयभें स्थाऩना से रक्ष्भी का स्थामी
69. प्रततऩदा को गश
ृ ायम्ब कयने वे दरयद्रता आती शैं। लाव शोता शैं, ळिओ
ु ॊ वे यषा शोती शै , योग, कण,
70. घय का द्वाय आध्भात (पूरा शुआ) शोनेऩय असानता एलॊ दरयद्रता वे ळीघ्र भुत्क्त सभरती शैं।
दरयद्रता आती शैं। 7. घय भें प्राण-प्रततत्ष्ठत ववष्णु शांख (श्लेत यॊ ग का
71. भुख्म द्वायके ऊऩय द्वाय औय द्वायके वाभने ळॊख) स्थावऩत कयने वे एलॊ तनत्म ऩूजन कयने वे
(आभने-वाभने) द्वाय शोने वे दरयद्रता आती शैं। दरयद्रता दयू शोती शैं।
72. बलन भें ईळान, आग्नेम ल ऩत्श् भभें ऊॉ ी औय 8. श्री वक्
ू त का ऩठन कयने वे बी दरयद्रता वे
नैऋत्म नी ी बूसभ शोने वे दरयद्रता आती शैं। भत्ु क्त सभरती शैं।
73. भुख्म द्वायके वाभने दीलाय मा फालडी शोनेवे 9. श्री वक्
ू त फक ऋ ाओॊ का श्रलण मा ऩठन कयके
दरयद्रता शोती शै । तनमसभत शलन कयने वे वलसबन्न कष्ट दयू शोकय
74. नर वे ऩानी टऩकते यशने वे दरयद्रता आती शैं, ऐश्लमा प्रात्तत शोती शैं। रक्ष्भी जी फक कृऩा प्रातत
ऩानी का अऩव्मम शोने वे लरुण दे ल का श्राऩ शोने वे द्ु ख, दरयद्रता, योग, कष्ट, कजा वे स्लत्
रगता शैं। भत्ु क्त सभरती शैं।
75. वॊध्मा वभम बोजन औय ऩढ़ने वे धन नाळ शोता 10. भान्मता शैं फक दीऩालरी के ददन जर भें तथा
शैं। तेर भें रक्ष्भी का लाव शोता शैं। इव सरमे
76. दे ली-दे लताओॊ ऩय ढ़ामे गमे पूर मा शाय के दीऩालरी के ददन ळयीय ऩय तेर फक भासरळ
वख
ू ने ऩय बी घय भें यकखने वे दरयद्रता आती कयके जर (गॊगा स्नान मा जर भें गॊगाजर
शैं। ( पूर-शाय शो फकवी तरास्टीक फैग भें बयकय
जर सभराकय) वे स्नान कयने वे दरयद्रता वे
यख दें फपय उवे एक-दो भाश भें फाय इकठ्ठे फशते
भुत्क्त सभरती शैं।
जर भें वलवत्जात कयदें ।)
11. कनकधाया स्तोि के ऩाठ के ऩठन एलॊ श्रलण वे
77. टूटा-पूटा पनॉ य, फतान, काॊ , पटे शुए कऩडे
दरयद्रता वे भुत्क्त सभरती शैं।
यखने वे दरयद्रता आती शैं।
12. कनकधाया मॊि को दरयद्रता का नाळ कयने शे तु
78. घय फक ददलायो ऩय, पळा ऩय ऩेन, ऩैंसवर, ाक
याभफाण भाना जाता शैं इव सरमे कनकधाया मॊि
इत्मादद वे सरखना-ध िकायी कयने वे दरयद्रता
आती शैं।
34 - 2018

फक आयाधना कयने वे दरयद्रता वे भत्ु क्त सभरती 26. ऩीऩर लष


ृ की तनत्म तीन फाय ऩरयक्रभा कयने
शैं। औय जर ढाने ऩय दरयद्रता का नाळ शोता शैं।
13. दग
ु ाा फीळा मॊि के ऩूजन वे बी दरयद्रता का नाळ 27. सभष्ठान अकेरे नशीॊ खाकय ऩरयलाय एलॊ सभि लगा
शोता शैं। भें फाॊट कय खाने वे दरयद्रता का नाळ शोता शैं।
14. भाश फक दोनों वॊकट तुथॉ के तनमसभत व्रत वे 28. ऩीऩर के फने सळलसरॊग का ऩूजन कयने वे दरयद्रता
दरयद्रता का नाळ शोता शैं। का तनलायण शोता शैं।
15. रक्ष्भी गणेळ मॊि के ऩूजन वे दरयद्रता का नाळ 29. सळल ऩॊ ाषयी भॊि (ॐ नभ् सळलाम) का जऩ कयने
शोता शैं। लारे को दरयद्रता नशी आती शैं।
16. श्रीमॊि के ऩूजन वे दरयद्रता का नाळ शोकय 30. घय के भुख्म द्वाय के उऩय अॊदय फक ओय गणेळ
बौततक वुख, ळाॊतत ल वौबाग्म की प्रात्तत शोती प्रततभा मा ध ि रगाने वे घय वे दरयद्रता दयू
शैं। शोकय ऩन
ू ् प्रलळ नशीॊ कयती। ( घय के फाशय
17. ऩायद श्री मॊि मा सळलसरॊग का ऩूजन दरयद्रता वे रगाने वे दरयद्रता आतत शैं। मदद फशाय रगाना
भुत्क्त ददराता शैं। शो तो इव प्रकाय रगामे जेवे अॊदय फाशाय दोनो
18. रक्ष्भी मॊि मा अष्ट रक्ष्भी मॊि के ऩूजन वे ओय गणेळ जी फक दोनो ऩीठ एक दश स्थान ऩय
दरयद्रता का नाळ शोता शै । सभरती शों।)
19. याभामण फक तनम्न ौऩाइ का ऩाठ कयने वे 31. फध
ु लाय के ददन वपेद कऩडे का झॊडा फना के
दरयद्रता का नाळ शोता शैं। ऩीऩर के लष
ृ ऩय रगाने वे तनधानता दयू शोती
चौऩाइ शैं।
अततधथ ऩूज्म वप्रमतभ ऩुयारय के। 32. रक्ष्भी जी के वभष घी का दीऩक रगाने वे
काभद धन दारयद दलारयके ॥ तनधानता दयू शोती शैं।
20. फश
ृ स्ऩतत ग्रश का यत्न वन
ु ेरा धायण कयने वे 33. प्रतत ळक्र
ु लाय के ददन अळोक लष
ृ के 13
दरयद्रता दयू शोती शैं। अखॊडडत ऩत्ते राकय ळि
ु जर मा गॊगाजर वे
21. श्री मॊि जडडत नलयत्न धायण कयने वे वे धोकय रार कऩडेवे ऩोछकय इन 13 ऩत्तो का
दरयद्रता का नाळ शोता शैं। भौरी (कराला) वे तोयण फनाकय घय के भुख्म
22. दरयद्रता तनलायण शे तु आत्भा भें अ र श्रिा शो, द्वाय ऩय रगाने वे दरयद्रता एलॊ ळिु वे भत्ु क्त
तो दरयद्र भनुष्म बी धनलान शो जाते शैं। सभरती शैं।
23. कल्ऩलष
ृ मॊि के ऩूजन वे दरयद्रता का नाळ शोता नोट: जैवे आत्भफर भें श्रिा उत्ऩन्न शोते दश कामय
शैं। व्मत्क्त बी ळूयलीय शो जाते शैं, प्रभादी एलॊ आरवी
24. प्रदोऴ व्रत कयने वे ळतन वे ऩीडडत वभस्माए व्मत्क्त बी उद्मभी शो जाते शैं, भूखा व्मत्क्त बी वलद्वान
कभ शोती शैं एलॊ दरयद्रता का नाळ शोता शैं। शो जाते शैं, योगी व्मत्क्त बी तनयोग शो जाते शैं, उवी
25. आॊगन भें तुरवी का ऩौधा रगा कय उवका ऩूजन प्रकाय वे उध त कभा कयने वे दरयद्र व्मत्क्त बी धनलान
वे दरयद्रता दयू शोती शैं। शो जाते शैं।
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भॊि सवि कारी शल्दी के वलसबन्न राब



वलद्वानों का कथन शैं की ईश्लय की कृऩा प्रात्तत दशन्द ू वॊस्कृतत भें शल्दी को अत्मॊत ळब
ु एलॊ
शे तु एलॊ लाॊतछत कामा भें सववि की प्रात्तत एलॊ गण
ु कायी भाना जाता शैं इव सरए शल्दी का प्रमोग
भनोकाभना ऩतू ता शे तु भॊि, मॊि बोजन ल औऴधध के अराला
औय तॊि के अनेक उऩामो का भाॊगसरत कामा, दे ली-
लणान दशन्दॊ ू धभाग्रॊथों भें दे लताओॊ के ऩूजन-अ न

सभरता शैं। इत्मादद भें वलळेऴ रुऩ वे
आज के बौततक मुग प्रमोग फकमा जाता शैं।
भें शय कामा अथा (धन) के अधधकतय रोगों ने शल्दी
उऩय प्रत्मष मा अप्रत्मष रुऩवे केलर ऩीरे यॊ ग की शी दे खी
तनबाय शोता शैं इव सरमे शोगी। क्मोफक ऩीरी शल्दी
प्रत्मेक व्मत्क्त फक मशी इच्छा का प्रमोग शय घयों भें
शोती शैं फक उवके ऩाव बी भवारों के रुऩ भें प्रमोग
इतना धन शो फक लश अऩने शोता शी शैं, इव सरए ऩीरी
जीलन भें वभस्त बौततक शल्दी फाजायों भें आवानी वे
वुखो को बोग ने भें वभथा उऩरब्ध शो जाती शैं।
शों। शय व्मत्क्त की ाश शोती रेफकन शल्दी कारे
शैं की उवकी धन-वॊऩत्त्त ददन दोगुनी यात ौगुनी फढती यॊ ग की बी प्रातत शोती शैं। कारी शल्दी को तॊि ळास्िों
यशें ! भें अधधक दर
ु ब
ा औय दे लीम
दशन्द ू धभा भें धन औय गुणों वे मुक्त भाना गमा
ऐश्लमा की दे ली भाॊ भशारक्ष्भी शैं। कारी शल्दी औऴधधम
शैं जो धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा गुणों वे बयऩूय शोती शैं,
प्रदान कयती शैं। इव सरए भाॉ इवसरए इव का प्रमोग तॊि
भशारक्ष्भी की प्रवन्नता एलॊ प्रमोगो के अराला औऴधध
कृऩा वे धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा के तनभााण इत्मादद भें बी
की प्रात्तत के वयर उऩाम तॊि वलळेऴ रुऩ वे फकमा जाता
ळास्ि भें फतामे गमे शैं। शैं।
बायतीम ऩयॊ ऩया भें तॊि विद्या के
शल्दी का वलळेऴ भशत्ल फतामा जानकाय भानते शैं की धन
गमा शैं, शल्दी का उऩमोग प्रात्तत शे तु कारी शल्दी एक
प्राम् वबी व्मत्क्त के जीलन अद्भत
ु भत्कायी प्रबालों वे
भें बोजन के अराला अधधक्तय मुक्त शोती शैं, उनका
आध्मात्त्भक ल औऴधध के रुऩ भें बी शोता शैं। भानना शैं की कारी शल्दी के वलधध-वलधान वे ऩूजन वे
आध्मात्त्भक षेि भें शल्दी के प्रमोगो वे धन प्रात्तत वॊबल व्मत्क्त अवीभ धन-वॊऩत्त्त एलॊ ऐश्लमा प्रातत कयने भें
शैं! वभथा शो वकता शैं।
36 - 2018

शल्दी को शरयद्रा बी कशा जाता शै । तॊि विद्या के वे धन वे वॊफॊधधत वभस्माएॊ दयू शोती शै ,
जानकायों का तो मशाॊ तक भानना शैं की अवरी कारी योजगाय भें लवृ ि शोती शैं।
शल्दी प्रातत शोना वौबाग्म की फात शैं। त्जव घय भें  कारी शल्दी के प्रबाल वे नकायात्भक उजाा को
कारी शल्दी का ऩज
ू न शोता शो लश घय भें तनलाव कताा दयू फकमा जा वकता शै ।
वौबाग्मळारी शोते शैं।  फकवी ळब
ु भुशूता भें कारी शल्दी को सवॊदयू भें
ऐवी धासभाक भान्मता शैं की अषम तत
ृ ीमा, यखकय धऩ
ू -दीऩ वे ऩज
ू न कय रार कऩडे भें एक
धनिमोदळी, दीऩालरी, ग्रशण, गुरु ऩुष्माभत
ृ मोग, सवक्के के वाथ फाॊधय ततजोयी मा गल्रे भें यखने
त्रिऩुष्कय मोग, वद्वऩुष्कय मोग, कामा सववि मोग, अभत
ृ वे धन की लवृ ि शोने रगती शै ।
सववि मोग आदद फकवी ळुब भुशूता भें कारी शल्दी को
अऩने ऩूजा स्थान भें स्थावऩत कय उवका तनमसभत प्रफर धन प्रात्तत प्रमोग
ऩूजन कयने वे कारी शल्दी का भत्कायी प्रबाल
प्रफर धन की इच्छा यखने लारे व्मत्क्त को भॊि
आश् माजन रुऩ वे अतत ळीघ्र प्रातत शोता शैं।
सवि 11 गोभती क्र, 11 ऩीरी कौडडयाॊ औय कारी
शल्दी के 11 टुकडों को दीऩालरी मा धनिमोदळी आदद
धन प्रात्तत प्रमोग ळब
ु अलवय ऩय ऩज
ू न के वभम भाॊ रक्ष्भी की प्रततभा

 कारी शल्दी को अऩने ऩूजन स्थान भें रक्ष्भी मा ध ि के वाथ स्थावऩत कय वलधधलत ऩज
ू न कयने वे

नायामण की प्रततभा मा ध ि के ऩाव स्थावऩत ळीघ्र वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं। ऩूजन के ऩश् मात

कय उवका वलधधलत ऩूजन कयें । गोभती क्र, कौडड औय शल्दी के टुकडों को ऩीरे कऩडे

 वलद्वानों का अनुबल शैं की कारी शल्दी को घय भें भें फाॊध कय ऩोटरी फना कय अऩनी ततजोयी मा गल्रे भें

स्थावऩत कय ऩूजन कयने वे घय भें तनयॊ तय वुख- यखरें। तनमसभत मथा वॊबल रक्ष्भी भॊि का जऩ कयते

ळाॊतत की लवृ ि शोने रगती शै । यशें । इव वलधध वे ऩूजन कयने वे धन वॊफॊधधत रुकालट

 तॊि ळास्ि के जानकायों का कथन शैं की कारी ळीघ्र दयू शोने रगती शैं औय ऩरयलाय भें तनयॊ तय धन,

शल्दी के तनमसभत ऩूजन वे व्मत्क्त को कबी वुख, वभवृ ि भें लवृ ि शोती शैं।

ऩैवा की कभी नशीॊ शोती। मदद व्मलवाम भें तनयन्तय राब के स्थान ऩय

 कारी शल्दी की गाॊठ को ाॊदी, स्टीर मा घाटा शो यशा शो तो बी मश प्रमोग अत्मॊत राबप्रद शोता

तरात्स्टक की डडब्फी भें यख कय प्रतत-ददन दे ली- शैं।

दे लता के वाथ धऩ
ू -दीऩ वे ऩूजन कयें ।
 कारी शल्दी की गाॊठ को वोने मा ाॊदी के कामा सववि प्रमोग
सवक्के के वाथ रार लस्ि भें फाॊधकय ऩोटरी  कारी शल्दी के टुकडे ऩय भौरी रगाकय गूगर औय
फना कय उवे अन्म दे ल प्रततभाओॊ के वाथ ऩज
ू ा रोफान के धऩ
ू वे ळोधन कयके अऩने ऩूजा स्थान भें
कयने वे वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शै । (वोने यखदें , फकवी भशत्लऩूणा कामा ऩय जाते वभम उवे
मा ाॊदी के सवक्के न शो तो रुऩमे-ऩैवे के नमे शभें ळा अऩनी जेफ के उऩयी दशस्वे भें मा फैग भें यखें,
सवक्के के वाथ यखा जा वकता शैं) इव प्रमोग वे कामा त्रफना फकवी फाधा वलध्न के ऩूणा
 कारी शल्दी की ऩोटरी को को अऩने गल्रे (कैळ शोने की वॊबालनाएॊ प्रफर शो जाती शैं।
फॉक्व), ततजोयी आदद भें बी यख वकते शैं।  फकवी नमे कामा मा भशत्लऩूणा कामा के सरए जाते
वलद्वानों का अनुबल शैं की कारी शल्दी के ऩूजन वभम कारी शल्दी को द
ॊ न की तयश घीव कय
उवका ततरक रगाकय जाने वे कामा भें वपरता
37 - 2018

प्रातत शोने की वॊबालना प्रफर शो जाती शैं। वलद्वानों फनाकय उवभें थोडी गीरी ीने की दार, थोडा गड
ु औय
का अनब
ु ल शैं की नौकयी व्मलवाम वे जड
ु े रोगों के थोडी वी वऩवी शुइ कारी शल्दी को दफाकय योगी व्मत्क्त
सरए मश प्रमोग अत्मॊत राबप्रद सवि शोता शैं। के उऩय वे वात फाय घडी की ददळा
(दक्षषणालता/Clockwise) भें उताय कय गाम को र्खरा
ताॊत्रिक प्रबाल तनलायण प्रमोग दें । मश उऩाम रगाताय तीन गरू
ु लाय कयने वे वलळेऴ
राब ददखने रगता शैं।
मदद फकवी व्मत्क्त ऩय टोने-टोटके आदद ताॊत्रिक
प्रबाल शो तो उवे कारी शल्दी के छोडे टुकडे को छे द
नजय यषा प्रमोग
कयके धागा भें वऩयोकय मा फकवी तावलज भें बय कय
 मदद फकवी को नजय रग गमी शै , तो कारे कऩडे भें
धायण कयलामा जामे तो ळीघ्र शी अळब
ु प्रबालों वे भत्ु क्त
कारी शल्दी को फाॊधकय वात फाय नज़य रगे व्मत्क्त
सभर वकती शैं। कुछ वलद्वानों का अनब
ु ल शैं की कारी
मा फच् े के उऩय वे घडी की ददळा
शल्दी को नलग्रश भॊि वे असबभॊत्रित कय धायण कयने वे
ग्रश जतनत ऩीडाएॊ दयू शोती शैं। (दक्षषणालता/Clockwise) भें उताय कय फशते शुमे जर
भें प्रलादशत कय दें मा फकवी वलयान जगश भें पैक दें ।
 मदद फकवी के कामा मा व्मलवामीक स्थान ऩय फाय-
आकऴाण प्रमोग
फाय फकवी की नज़य रग गई शो तो कारी शल्दी को
वलद्वानों का भत शैं की कारी शल्दी को तॊि
कारे कऩडे भें फाॊधकय दोनों शाथों वे ऩूये कामा स्थर
ळास्ि भें लळीकयण भें अत्मॊत राब प्रद जडी फूटी भाना
के सबतय वात फाय घूभाकय फशते शुमे जर भें
जाता शै । तॊि विद्या के जानकायों का भानना शैं की
कारी शल्दी भें अद्भत प्रलादशत कय दें मा फकवी वलयान जगश भें पैक दें ।
ु आकऴाण ळत्क्त शोने के कायण
लळीकयण आदद भें बी कारी शल्दी का प्रमोग वलळेऴ  नज़य यषा के सरए कारी शल्दी ऩय भौरी रऩेट कय

राबप्रद शोता शैं। ऩीरे कऩडे भें फाॊधकय अऩने व्मलवामीक स्थान के

प्रततददन कारी शल्दी का ततरक रगाने वे वबी प्रकाय भुख्म द्वाय ऩय रटका दें । इव प्रमोग वे नज़य वे

के इत्च्छत भनष्ु मों का आकऴाण शो वकता शैं। कारी यषा शोगी एलॊ धन की लवृ ि बी शोती यशे गी।

शल्दी का ततरक एक अत्मॊत वयर तॊिोक्त प्रमोग शै ।


ग्रश ळाॊतत प्रमोग
ववशेष नोट: आकऴाण मा लळीकयण शे तु कारी शल्दी का
मदद फकवी व्मत्क्त की जन्भ कॊु डरी भें गुरू औय
प्रमोग कयने वे ऩूला कारी शल्दी को फकवी मोग्म
ळतन दोनो ऩीडडत शो, तो ग्रश ळाॊतत शे तु फकवी ळुक्रऩष
जानकाय वलद्वान वे लळीकयण भॊि वे असबभॊत्रित एलॊ
के प्रथभ गुरूलाय वे तनमसभत रूऩ वे कारी शल्दी को
भॊि सवि अलश्म कयलारें ।

ॊ न की तयश घीव कय ततरक रगाने वे मश प्रमोग
* आकऴाण प्रमोग केलर ळुब उद्देश्म शे तु राबप्रद शोता
दोनों ऩीडडत ग्रश ळुब पर प्रदान कयते शैं।
शैं, अनैततक कामा मा उद्देश्म शे तु फकमा गमा आकऴाण
प्रमोग तनत्श् त रुऩ वे अत्माधधक शानी कायक सवि धन वॊ म शे तु प्रमोग
शोता शैं। कुछ रोगों की आभदनी उत्तभ शोने के उऩयाॊत
बी धन वॊ म नशीॊ कय ऩाते। उन्शें फकवी बी ळुक्रऩष
स्लास्थ्म लधाक प्रमोग के प्रथभ ळक्र
ु लाय को एक ाॊदी की डडब्फी भें कारी
मदद कोई व्मत्क्त शभेंळा त्रफभाय मा अस्लस्थ शल्दी, नागकेळय ल रार यॊ ग का सवन्दयू को वाथ भें
यशता शो, तो फकवी बी गुरूलाय वे मश प्रमोग प्रायॊ ब कय सभराकय भाॊ रक्ष्भी की प्रततभा मा ध ि के यणों वे
के तीन गुरुलाय तक प्रमोग कयें । गेशूॊ के आटे के दो ऩेडे
38 - 2018

स्ऩळा कयला कय धन यखने के स्थान ऩय यख दें । इव अवरी कारी शल्दी ऩण


ू त
ा ् काजर के वभान कारी नशीॊ
प्रमोग के प्रबाल वे धन वॊ म शोने रगता शैं। शोती, फाजायों भें एकदभ काजर के वभान कारी शल्दी
सभर जाती शैं, त्जवे कारे यॊ ग की स्माशी मा यॊ ग आदद
* ाॊदी की डडब्फी उऩरब्ध न शो तो स्टीर मा तरात्स्टक
वे यॊ ग भें डूफा कय तैमाय फकमा जाता शैं। इव प्रकाय की
की डडब्फी का प्रमोग कयें । डडब्फी को स्थावऩत कयने शे तु
शल्दी को प्राम् तेर भें सबगो कय कुभकुभ सवॊदयू आदद
ळुक्रऩष के प्रथभ ळुक्रलाय के अराला अषम तत
ृ ीमा,
वे रेऩ कय फे ा जाता शैं त्जववे उवकी नकरी शोने की
धनिमोदळी, दीऩालरी का भश
ु ू ता बी ळब
ु शोता शैं।) फात वाधयण व्मत्क्त को आवानी वे नशीॊ रती।
भळीनों को खयाफी वे फ ाने शे तु प्रमोग रेफकन इव भें कऩूय वे सभरती झुरती वुगन्ध नशीॊ
शोती।
मदद व्मलवाम मा उद्मोग भें भळीनों भें फाय-फाय
अवरी कारी शल्दी की वुगन्ध कऩूय वे सभरती-
खयाफी शोती यशती शों, तो कारीशल्दी को द
ॊ न की तयश
झुरती शोती शैं मशी अवरी कारी शल्दी की ऩश ान शैं।
केळय ल गॊगा जर सभराकय घीव कय ळक्
ु रऩष के अवरी कारी शल्दी अॊदय वे शी गशये यॊ ग की मा कारे
प्रथभ फुधलाय को भळीन ऩय स्लात्स्तक फना दें । इव यॊ ग की शोती शैं उऩय वे नशीॊ उवका उऩय का दशस्वा
प्रमोग वे वे भळीन फाय-फाय खयाफ नशीॊ शोती। अदयख के उऩयी दशस्वे के वभान कत्थई यॊ ग वे सभरता
झुरता शोता शैं।
भाॊ रक्ष्भी की कृऩा प्रात्तत शे तु प्रमोग
तॊि विद्या के जानकायों का भत शैं की फकवी बी
दीऩालरी के ददन कारी शल्दी औय एक ाॊदी का
तॊि प्रमोग को कयने ऩय उववे प्रातत शोने लारे पर
सवक्का ऩीरे लस्िों भें रऩेट कय उवे धन यखने के
केलर प्रमोग कताा के आत्भवलश्लाव औय श्रिा ऩय शी
स्थान ऩय यख दें । इव प्रमोग को अगरी ददऩालरी ऩय
तनबाय कयते शैं। तॊि प्रमोग भें फकवी बी प्रकाय की ळॊका
ऩन
ु ् इवी प्रकाय कयें इव प्रमोग वे लऴा बय भाॊ रक्ष्भी
अथला वॊदेश शोने ऩय तॊि के प्रमोग नशीॊ कयने ादशए।
की कृऩा फनी यशती शै ।
ळॊका ल वॊदेश बाल वे फकमे गमे प्रमोगों का पर नगण्म
अवरी नकरी की ऩयख मा प्रातत नशीॊ शोता शैं।
मश कारी शल्दी का यॊ ग जफ मश शयी शोती शैं तफ
ऩाठको के भागादळान शे तु उऩय कारी शल्दी के अवरी ल
अॊदय वे शल्के नीरे यॊ ग की शोती शैं लश वख
ु ने ऩय
नकरीॊ ध ि उऩय ददमे गमे शैं।
अॊदय वे गशये कत्थई मा कारे यॊ ग की शो जाती शैं। रेफकन

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39 - 2018

धन प्रात्तत का अ क
ू उऩाम स्पदटक श्रीमॊि का ऩज
ू न

आज के बौततक मग
ु भें अथा (धन) जीलन फक भख्
ु म आलश्मक्ताओॊ भें वे एक शै । धनाढ्म व्मत्क्तओॊ की जीलनळैरी को
दे खकय प्रबावलत शोते शुले वाधायण व्मफक की बी काभना शोती शैं, फक उवके ऩाव बी इतना धन शो फक लश अऩने
जीलन भें वभस्त बौततक वख ु ो को बोग ने भें वभथा शों। एवी त्स्थभें भेशनत, ऩरयश्रभ वे कभाई कयके धन अत्जात
कयने के फजाम कुछ रोग अल्ऩ वभम भें ज्मादा कभाने फक भानसवकता के कायण कबी-कबी गरत तयीकें अऩनाते
शैं।
त्जवके पर स्लरुऩ एवे रोग धन का लास्तवलक वुख बोगने वे लॊध त यश
जाते शैं औय योग, तनाल, भानसवक अळाॊतत जेवी अन्म वभस्माओॊ वे ग्रस्त शो जाते
शैं।
जशाॊ गरत तयीकें वे कभामे शुले धन के कायण वभाज एवे रोगो को शीन
बाल वे दे खते शैं। जफफक भेशनत, ऩरयश्रभ वे काभामे शुले धन वे स्लमॊ का
आत्भवलश्लाव फढता शैं एलॊ वभाज भें प्रततष्ठा औय भान वम्भान बी वयरता वे
प्रातत शो जाता शैं।
जो व्मत्क्त धासभाक वल ाय धायाओॊ वे जुडे शो लश इश्लय भें वलश्लाय यखते शुले स्लमॊ
फक भेशनत, ऩरयश्रभ के फर ऩय कभामे शुले धन को दश वच् ा वुख भानते शैं। धभा भें
आस्था एलॊ वलश्लाव यखने लारे व्मत्क्त के सरमे भेशनत, ऩरयश्रभ कयने के उऩयाॊत अऩनी
आधथाक त्स्थभें उन्नतत एलॊ रक्ष्भी को त्स्थय कयने शे तु, श्री मॊि के ऩूजन का उऩाम अऩनाकय जीलन भें फकवी बी
वुख वे लॊध त नशीॊ यश वकते, उन्शें अऩने जीलन भें कबी धन का अबाल नशीॊ यशता। उनके वभस्त कामा वु ारु रुऩ
वे रते शैं। रक्ष्भी कृऩा प्रात्तत के सरए श्रीमॊि का वयर ऩूजन वलधान त्जवे अऩना कय वाधायण व्मत्क्त वलळेऴ राब
प्रातत कय वकते शैं। इव भें जया बी वॊळम नशीॊ शैं।

श्रीमॊि का ऩज
ू न यॊ क वे याजा फनाने लारा एलॊ व्मत्क्त फक दरयद्रता को दयू कयने लारा शैं।
 अऩने ऩूजा स्थान भें प्राण-प्रततत्ष्ठत श्रीमॊि को ऩूजन के सरमे स्थावऩत कयें । (प्राण-प्रततत्ष्ठत श्रीमॊि फकवी
बी मोग्म वलद्वान ब्राह्भण मा मोग्म जानकाय वे सवि कयलारे)
 श्री मॊि को प्रत्मेक ळुक्रलाय को दध
ु , दशी, ळशद, घी औय ळक्कय (गुड) अथाात ऩॊ ाभत
ृ फनाकय स्नान कयामे।
 स्नान के ऩश् मात उवे रार कऩडे वे ऩोछ दें ।
 श्री मॊि को फकवी ाॊदी मा ताॊफे फक तरेट भें स्थाऩीत कयें ।
 श्री मॊि के नी े 5 रुऩमे मा 10 रुऩमे का नोट यखदें । (5,10 रुऩमे का सवक्का नशीॊ)
 श्री मॊि स्थावऩत कयने लारी तरेट भें श्रीमॊि ऩय स्पदटक फक भारा को ायों ओय घुभाते शुले स्थावऩत कयें ।
 श्री मॊि के उऩय भौरी का टुकडा 3-5 फाय घुभाते शुले अवऩात कयें ।
 श्री मॊि के उऩय वुखा अष्ट गॊध तछडकें।
 मदद वॊबल शो तो रार ऩष्ु ऩ अवऩात कयें । (कभर, भॊदाय(जावद
ू ) मा गर
ु ाफ शो तो उत्तभ)
 धऩ
ू -दीऩ इत्मादी वे वलधधलत ऩूजन कयें ।
 उऩयोक्त वलधन प्रतत ळुक्रलाय कयें एलॊ अन्म ददन केलर धऩ
ू -दीऩ कयें ।
40 - 2018

 फकवी एक रक्ष्भी भॊि का एक भारा भॊि जऩ कयें । श्रीवक्


ू त, अष्ट रक्ष्भी स्तोि इत्मादी का ऩाठ कयें मदद ऩाठ कयने भें
आऩ अवभथा शोतो फाजाय भें श्रीवक्
ू त, अष्ट रक्ष्भी इत्मादी स्तोि फक केवेट वीडी सभरती शैं उवका श्रलण कयें ।
 ऩज
ू ा भें जाने-अनजाने शुई गरती के सरए रक्ष्भीजी का स्भयण कयते शुले षभा भाॊगकय वुख, वौबाग्म औय
वभवृ ि फक काभना कयें ।
 प्रतत ळक्र
ु लाय उऩयोक्त ऩज
ू न कयने वे जीलन भें फकवी बी प्रकाय का आधथाक वॊकट नशीॊ आता।
 मदी आधथाक वॊकट वे ऩये ळान शैं तो श्री मॊि के ऩज
ू न वे वभस्त प्रकाय के आधथाक वॊकट धीये -धीये दयू शो जाते
शैं।
नोट: श्री मॊि के के नी े यखा शुला नोट प्रतत एक-दो भाव भें एक फाय फकवी दे ली भॊदीय भें बेट कय दें । (राब प्रातत शोने ऩय फदरे)
 प्रथन फाय यखा शुला नोट श्री मॊि के ऩज
ू न वे राब शोने के फाद शी फदरे। राब प्रातत शोना ळरु
ु शोने तक नोट को यखे यशें ।
 राब प्रातत शोना ळुरु शोने के ऩश् मात प्रतत भाश भें एक फाये प्रततऩदा(एकभ) को ऩुयाना नोट फदर कय नमे नोट यखें।
 जेव-े जेवे राब प्रातत शोने रगे आऩ के अनुकूर कामा शो ने रगे तो नोट फक यकभ फढाते यशें । अधधक राब प्रातत शोता
शैं।

उदाहण: मदद ऩशरे 5 रुऩमे का नोट यखा शैं तो उस्वे राब शोने के ऩश् मात नोट फदरते शुले 10 रुऩमे का नोट यखे। 10 रुऩमे
का नोट यखने वे राब शोने के ऩश् मात नोट फदरते शुले 20 रुऩमे का नोट यखे। इवी प्रकाय नोट को फदते यशें इस्वे अधधक राब
प्रातत शोता शैं।

अधधक राब प्रात्तत हे तु साभान्म ननमभ:


ऩूजन के ददन ब्रह्भ मा का ऩारन कयें । ऩूजन के ददन वुगॊधधत तेर, ऩयफ्मूभ, इि का प्रमोग कयने वे फ ।े त्रफना तमाज-
रशवून का ळाकाशायी बोजन ग्रशण कयें । ळुक्रलाय वपेद सभष्ठान बोजन भें ग्रशण कयें ।

भॊि सवि स्पदटक श्री मॊि


"श्री मॊि" वफवे भशत्लऩूणा एलॊ ळत्क्तळारी मॊि शै । "श्री मॊि" को मॊि याज कशा जाता शै क्मोफक मश अत्मन्त ळब

फरदमी मॊि शै । जो न केलर दव
ू ये मन्िो वे अधधक वे अधधक राब दे ने भे वभथा शै एलॊ वॊवाय के शय व्मत्क्त के सरए
पामदे भॊद वात्रफत शोता शै । ऩण
ू ा प्राण-प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩण
ू ा ैतन्म मक्
ु त "श्री मॊि" त्जव व्मत्क्त के घय भे शोता शै उवके
सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फरदामी सवि शोता शै उवके दळान भाि वे अन-धगनत राब एलॊ वुख की प्रात्तत शोतत शै । "श्री
मॊि" भे वभाई अद्वलतीम एलॊ अद्रश्म ळत्क्त भनष्ु म की वभस्त ळब
ु इच्छाओॊ को ऩयू ा कयने भे वभथा शोतत शै । त्जस्वे
उवका जीलन वे शताळा औय तनयाळा दयू शोकय लश भनुष्म अवफरता वे वफरता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता
शै एलॊ उवे जीलन भे वभस्त बौततक वुखो फक प्रात्तत शोतत शै । "श्री मॊि" भनुष्म जीलन भें उत्ऩन्न शोने लारी वभस्मा-
फाधा एलॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय वकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे वभथा शै । "श्री मॊि" की स्थाऩन वे घय मा
व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने वे लास्तु दोऴ म लास्तु वे वम्फत्न्धत ऩये ळातन भे न्मुनता आतत शै ल वुख-वभवृ ि,
ळाॊतत एलॊ ऐश्लमा फक प्रत्तत शोती शै ।
गुरुत्व कामातरम भे "श्री मॊि" 12 ग्राभ वे 2250 Gram (2.25Kg) तक फक वाइज भे उतरब्ध शै
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41 - 2018

वतत श्री का भत्कायी प्रमोग



दीऩालरी के ददन फशी-खाते के ऩज
ू न के वभम फशी-खाते भें उऩयोक्त क्रभभें रार यॊ ग की करभ म ऩेन वे
श्री सरखे। ऩशरे एक फाय श्री सरखे, फपय दो फाय श्री श्री सरखे, फपय तीन फाय श्री श्री श्री, इव प्रकाय क्रभ को फढाते
जाए आखीय भें वात फाय श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री सरखे, वततश्री के
नी े अऩने ईष्ट का नाभ सरखे मा ॐ श्रीां रक्ष्भी दै व्मे नभ् मरखे।
श्री
फपय धऩ
ु -दीऩ, ऩुष्ऩ आदद वे उवका ऩूजन कयें । श्री श्री
उक्त प्रमोग कयने वे आनेलारा नमा लऴा व्मलवाम भें
श्री श्री श्री
आधथाक द्रत्ष्ट वे वुख, वभवृ ि रेकय आमेगा औय अत्माधधक
राबदामक यशे गा। श्री श्री श्री श्री
त्जन रोगो के ऩाव रक्ष्भी (धन) त्स्थय नशीॊ यशता। रक्ष्भी
श्री श्री श्री श्री श्री
आने वे ऩूला जाने को तत्ऩय शोती शैं। उन्शें अऩनी जेफ भें मा
भनीऩवा भें एक स्पेद कागज ऩय उऩयोक्त तयीके वे श्री सरख कय श्री श्री श्री श्री श्री श्री
यखना ादशए। वतत श्री सरखने वे रक्ष्भी रम्फे वभम तक त्स्थय श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
यशने के मोग फनते शैं लश नमे स्रोत वे धन राब के बी प्रफर मोग
ॐ श्रीां रक्ष्भी दै व्मे नभ्
फनते शैं। (अष्टगॊध की स्माशी फनाकय अनाय की करभ वे सरखना
अतत उत्तभ यशता शैं।)
 उक्त तयीके वे वतत श्री को अऩनी अरभायी, गल्रा (कैळ फोक्ळ) मा धन यखने के स्थान ऩय कुभकुभ मा
अष्टगॊध वे अऩने दाशीने शाथ की अनासभका उॊ गरी वे सरखने ऩय बी मश अत्माधधक राबप्रद यशता शैं।
 उक्त तयीके वे वतत श्री को ाॊदद मा वोने के ऩत्तय ऩय मॊि स्लरुऩ बी फनामा वकता शैं। ताॊफे ाॊदी के
ऩत्तय भें फनाते वभम ध्मान यखे की ऩत्तय की वतश ऩय श्री उऩय की ओय उबयी शुई शो, नी े की ओय खद
ु ी
शुई न शों।

रक्ष्भी मॊि
श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भशारक्ष्भमै फीज मॊि लैबल रक्ष्भी मॊि
श्री मॊि (भॊि यदशत) भशारक्ष्भी फीवा मॊि कनक धाया मॊि
श्री मॊि (वॊऩूणा भॊि वदशत) रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि श्री श्री मॊि (रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै
श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि श्री भशारक्ष्भमैं श्री भशामॊि)
श्री मॊि श्री वूक्त मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि अॊकात्भक फीवा मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) रक्ष्भी गणेळ मॊि ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
मॊि के वलऴम भें अधधक शे तु वॊऩका कयें । >> Order Now
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42 - 2018

रक्ष्भी प्रात्तत शे तु वलसबन्न भॊि सवि कल



याज याजेश्लयी कल स्लणााकऴाण बैयल कल
Raj Rajeshwari Kawach Swarnakarshan Bhairav Kawach
श्री याज याजेश्लयी कल को धायण कयने वे दशन्द ू धभा भें बैयल जी को बगलान सळल के
व्मत्क्त की वुख वभवृ ि, धन, ऐश्लमा, भान-वम्भान, द्वादळ स्लरूऩ के रुऩ भें ऩूजा जाता शैं। बैयलजी को
वौबाग्म आदद को प्रातत कयने की काभनाएॊ ळीघ्र ऩूणा भुख्म रुऩ वे तीन स्लरुऩ फटुक बैयल, भशाकार बैयल
शोने रगती शैं। याज याजेश्लयी कल याजकामा अथाात औय स्लणााकऴाण बैयल के रुऩ भें जाना जाता शैं। वलद्वानों
वयकाय वे जुडे कामों भें वलळेऴ वपरता प्रदान कयने ने स्लणााकऴाण-बैयल को धन-धान्म औय वम्ऩत्त्त के
लार शैं। याज याजेश्लयी कल के प्रबाल वे धायण कताा दे लता भाना शैं। धभाग्रॊथों भें उल्रेख सभरता शैं की त्जव
के वकर प्रकाय के याज कामा वयरता वे ऩूणा शो वकते भनुष्म की आधथाक त्स्थती ददन-प्रततददन खयाफ शोती जा
शैं। वयकायी वलबाग एलॊ वाभात्जक कामा कयने लारों को यशी शो, उव ऩय कजा का फोझ फढ़ता जा यशा शो,
याज याजेश्लयी कल के प्रबाल वे वलळेऴ राब की प्रात्तत वभस्मा के वभाधान शे तु व्मत्क्त को कोई यास्ता न
शोती शैं। ददखाई दे यशा शो, व्मत्क्त को वबी प्रकाय के ऩूजा ऩाठ,
भूल्म भात्र: 11000 भॊि, मॊि, तॊि, मस, शलन, वाधना आदद वे कोई वलळेऴ
वल
ु णा रक्ष्भी कल राब की प्रात्तत न शो यशी शो, तफ स्लणााकऴाण बैयल जी
Suvarn Lakshmi Kawach का भॊि, मॊि, वाधना इत्मादद का आश्रम रेना ादशए।
वल
ु णा रक्ष्भी जो व्मत्क्त स्लणााकऴाण बैयल की वाधना, भॊि
कल को धायण जऩ आदद को कयने भें अवभथा शो लश रोग स्लणााकऴाण

कयने वे धन- बैयल कल को धायण कय वलळेऴा राब प्रातत कय वकते


शैं। स्लणााकऴाण बैयल कल को धन प्रात्तत के सरए
वॊऩत्त्त, यत्न-
अ क
ू औय अत्मॊत प्रबालळारी भाना जाता शैं।
आबूऴण आदद की
स्लणााकऴाण बैयल कल को धायण कयने वे मश
लवृ ि शोती शैं। वुलणा
भनुष्म की वबी प्रकाय की आधथाक वभस्माओॊ को
रक्ष्भी कल को
वभातत कयने भें वभथा शैं। त्जवभें जया बी वॊदेश नशीॊ
धायण कयने वे
शैं। इव करमुग भें त्जव प्रकाय भत्ृ मु बम के तनलायण
धायणकताा को वुलणा
शे तु भशाभत्ृ मुॊजम कल अभोघ शैं उवी प्रकाय आधथाक
वे वॊफॊधधत कामों भें
वलळेऴ राब की वभस्माओॊ के वभाधान शे तु स्लणााकऴाण बैयल कल

प्रात्तत शोती शैं। अभोघ भाना गमा शैं। धासभाक भान्मताओॊ के अनुवाय

वलसबन्न स्िोत वे आधथाक राब सभरने के मोग फनते ऐवा भाना जाता शैं की बैयलजी की ऩूजा-उऩावना

शैं। वल
ु णा रक्ष्भी कल के प्रबाल वे धायणकताा की श्रीगणेळ, वलष्णु, द्र
ॊ भा, कुफेय आदद दे लताओॊ ने बी फक

वुलणा वे वॊफॊधधत वबी असबराऴाएॊ ळीघ्र शी ऩूणा शोने थी, बैयल उऩावना के प्रबाल वे बगलान वलष्णु
की प्रफर वॊबालनाएॊ फनती शैं। रक्ष्भीऩतत फने थे, वलसबन्न अतवयाओॊ को वौबाग्म
भूल्म भात्र: 4600 सभरने का उल्रेख धभाग्रॊथो भें सभरता शैं। मदश कायण शैं
43 - 2018

की स्लणााकऴाण बैयल कल आधथाक वभस्माओॊ के कामाषेि भें वध


ु ाय शोने रगता शैं। ळिु, योग आदद नाना
वभाधान शे तु अत्मॊत राबप्रद शैं। इव कल को धायण प्रकाय के बमों का तनलायण शो जाता शैं औय जीलन ऩयभ
कयने वे वबी प्रकाय वे आधथाक राब की प्रात्तत शोने वुखी शो जाता शैं।
रगती शैं। भूल्म भात्र: 2350
भूल्म भात्र: 4600 कुफेय फीवा कल
वलष्णु फीवा कल Kuber Visha Kawach
Vishnu Visha Kawach आज शय
वलष्णु फीवा व्मत्क्त की
इच्छा शोती शैं
कल को धन, मळ,
की उवके ऩाव
वपरता औय उन्नतत
अऩाय धन-
की प्रात्तत शे तु उत्तभ
वॊऩत्त्त शो।
भाना जाता शैं। वलष्णु उवके ऩाव
फीवा कल को बगलान दतु नमा का शय
श्री वलष्णु को प्रवन्न ऐळो-आयाभ

कयने औय उनका भौजुद शो, उवे


कबी फकवी
आसळलााद प्रातत कयने के
ीज की कभी
सरए धायण फकमा जाता
न शो। आजके
शैं। दशन्द ू धभाग्रॊथों भें
इव बौततक मुग
लर्णात शैं की जशाॉ भें दे लताओॊ के कोऴाध्मष कुफेय जी का श्री कुफेय फीवा
बगलान वलष्णु तनलाव कयते शैं, उव स्थान ऩय भाॉ कल भनुष्म की वभस्त बौततक काभनाओॊ को ऩूणा
भशारक्ष्भी का बी तनलाव शोता शैं। त्जव बक्त ऩय कयने भें वभथा शैं। कुफेय फीवा कल के प्रबाल वे धायण

बगलान वलष्णु प्रवन्न शोते, कृऩा कयते शैं, उव बक्त ऩय कताा ऩय मषयाज कुफेय प्रवन्न शो कय उवे अतुर
वम्ऩत्त्त का लयदान दे ते शैं। कुफेय फीवा कल के प्रबाल
दे ली भशारक्ष्भी बी स्लत् प्रवन्न शोती शैं औय अऩनी
वे धायण कताा के सरए अषम धन कोऴ की प्रात्तत एलॊ
कृऩा ल आळीलााद दे ती शैं। वलष्णु फीवा कल को धायण
आम लवृ ि के नमे-नमे स्िोत फनने रगते शैं। ऐवा
कयने वे व्मत्क्त को कामों भें सववि ल वपरता की ळास्िोक्त ल न शैं की स्लणा राब, यत्न राब, ऩैतक

प्रात्तत, स्लास्थ्म औय वाॊवारयक वख
ु ों भें लवृ ि शोती शैं। वम्ऩत्ती एलॊ गडे शुए धन वे राब प्रात्तत फक काभना
वलद्वानों का अनुबल यशा शैं की श्री वलष्णु फीवा कयने लारे व्मत्क्त के सरमे कुफेय फीवा कल धायण
कल को धायण कयने वे ळीघ्र शी धायणकताा के घय- कयना अत्मन्त राब दामक शो वकता शैं। कुफेय फीवा
कल को धायण कयने वे व्मत्क्त को एकाधधक स्िोि वे
ऩरयलाय भें वुख-वभवृ ि-ऐश्लमा भें लवृ ि शोने रगती शैं।
धन का प्रातत शोकय उवका धन वॊ म शोने रगता शैं।
वलष्णु फीवा कल को धायण कयने वे व्मत्क्त भें
धन-वॊऩत्त्त एलॊ ऐश्लमा की प्रात्तत शे तु कुफेय फीवा कल
वकायात्भक ऊजाा का वॊ ाय शोता शैं। वलष्णु फीवा कल
वलाश्रेष्ठ भाध्मभ शैं।
के प्रबाल वे उवके रुके शुले कामा वॊऩन्न शोने रगते शैं। भूल्म भात्र: 2350
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आकत्स्भक धन प्रात्तत कल भल्


ू म भात्र: 1250
Akashmik Dhan Prapti Kawach अष्ट रक्ष्भी कल
आकत्स्भक धन प्रात्तत कल अऩने नाभ के
Asht Lakshmi Kawach
अनव
ु ाय शी भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्तत शे तु
अष्ट रक्ष्भी कल को धायण कयने वे व्मत्क्त ऩय वदा
परप्रद शैं इव कल को धायण कयने वे वाधक को
अप्रत्मासळत धन राब प्रातत शोता शैं। ाशे लश धन राब भाॊ भशा रक्ष्भी की कृऩा एलॊ आळीलााद फना यशता शैं।
व्मलवाम वे शो, नौकयी वे शो, धन-वॊऩत्त्त इत्मादद त्जस्वे भाॊ रक्ष्भी के अष्ट रुऩ (१)-आदद रक्ष्भी, (२)-
फकवी बी भाध्मभ वे मश राब प्रातत शो वकता शैं। धान्म रक्ष्भी, (३)-धैयीम रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-
शभाये लऴों के अनुवॊधान एलॊ अनुबलों वे शभने वॊतान रक्ष्भी, (६)-वलजम रक्ष्भी, (७)- विद्या रक्ष्भी औय
आकत्स्भक धन प्रात्तत कल को धायण कयने वे ळेमय
(८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का स्लत् अळीलााद प्रातत
ट्रे डडॊग, वोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्मादद वॊफॊधधत षेि वे
शोता शैं।
जुडे रोगो को वलळेऴ रुऩ वे आकत्स्भक धन राब प्रातत
शोते दे खा शैं। आकत्स्भक धन प्रात्तत कल वे वलसबन्न भूल्म भात्र: 1250
स्रोत वे धनराब बी सभर वकता शैं।

अभोद्य भशाभत्ृ मॊज


ु म कल
अभोद्य् भशाभत्ृ मुॊजम कल ल उल्रेर्खत अन्म वाभग्रीमों को ळास्िोक्त
वलधध-वलधान वे वलद्वान ब्राह्भणो द्वाया सवा राख भहाभत्ृ मुांजम भांत्र जऩ
एलॊ दळाॊळ शलन द्वाया तनसभात कल अत्मॊत प्रबालळारी शोता शैं।

अभोद्य् भशाभत्ृ मुॊजम कल


अभोद्य् भशाभत्ृ मुॊजम
कल फनलाने शे तु:
अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ,
कल
गोि, एक नमा पोटो बेजे दक्षषणा भाि: 10900

कल के वलऴम भें अधधक जानकायी शे तु गुरुत्ल कामाारम भें वॊऩका कयें ।


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92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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45 - 2018

इव दीऩालरी ऩय स्लमॊ सवि कयें रक्ष्भी भॊि



भॊि :

1. ॐ श्री भशारक्ष्म्मै नभ्। (Om Shree Mahalakshmai Namah)


2. श्रीॊ ह्ीॊ श्रीॊ कभरे कभरारमे। (Shreem Hreem Shreem Kamale Kamalalaye)
3. श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ ऐॊ कभरलासवन्मै स्लाशा । (Shreem Hreem Kleem Aim Kamalavasinyai Swaha)
4. ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै नभ्। (Hreem Shreem Kleem Mahalakshmai Namah)
5. ॐ श्रीॊ धश्रमै नभ्। (Om Shreem Shriyai Namah)
6. ॐ ह्ी श्रीॊ क्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ क्रीॊ श्रीॊ भशारक्ष्भी भभ गश
ृ े धनॊ ऩयू म ऩयू म ध त
ॊ ामै दयू म दयू म स्लाशा ।
(Om Hreem Shreem Kreem Shreem Kreem Kleem Shreem Mahalakshmi Mam Gruhe Dhanam
Pooraya Pooraya Chintayai Dooraya Dooraya Swaha)
7. धन राब एलॊ वभवृ ि भॊि
ॐ श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ त्रिबुलन भशारक्ष्म्मै अस्भाॊक दारयद्र्म नाळम प्र ुय धन दे दश दे दश क्रीॊ ह्ीॊ श्रीॊ ॐ ।
(Om Shreem Hreem Kleem Tribhuvan Mahalakshmai Asmank Daridray Nashay Prachur Dhan
Dehi Dehi Kleem Hreem Shreem Om)
8. अषम धन प्रात्तत भॊि

ॐ श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ ऐॊ वौं ॐ ह्ीॊ क ए ई र ह्ीॊ श व क श र ह्ीॊ वकर ह्ीॊ वौं ऐॊ क्रीॊ ह्ीॊ श्री ॐ ।
(Om Shreem Hreem Kleem Aim Soum Om Hreem Ka Ae Ee La Hreem Ha Sa Ka Ha La Hreem
Sakal Hreem Soum Aim Kleem Hreem Shreem Om)

कैसे कयें भांत्र जाऩ :-

धनतेयव मा दीऩालरी के ददन वॊकल्ऩ रेकय प्रात्कार स्नान कयके ऩूला मा उत्तय ददळा फक औय भुख कयके रक्ष्भी फक
भूतता मा ध ि की ऩॊ ोऩ ाय मा दषोऩ ाय मा ऴोड्ऴोऩ ाय वे ऩूजा कयें ।

ळुि-ऩवलि आवन ग्रशण कय स्पदटक फक भारा वे भॊि का जाऩ १,५,७,११ भारा जाऩ ऩूणा कय अऩने कामा उद्देश्म फक
ऩूतता शे तु भाॊ रक्ष्भी वे प्राथना कयें ।
अधधकस्म अधधकॊ परभ ्।
जऩ त्जतना अधधक शो वके उतना अच्छा शै । मदद भॊि अधधक फाय जाऩ कय वकें तो श्रेष्ठ।
प्रततददन स्नान इत्माददवे ळुि शोकय उऩयोक्त फकवी एक रक्ष्भी भॊि का जाऩ 108 दाने फक भारा वे कभ वे कभ
एक भारा जाऩ अलश्म कयना ादशए।
उऩयोक्त भॊि के वलधध-वलधान के अनव
ु ाय जाऩ कयने वे भाॊ रक्ष्भी फक कृऩा वे व्मत्क्त को धन की प्रात्तत शोती शै
औय तनधानता का तनलायण शोता शै ।
46 - 2018

दीऩालरी ऩज
ू न का भशत्ल औय वॊऩण
ू ा ळास्िोक्त रक्ष्भी ऩज
ू न

दीऩोत्वल अथाात दीऩालरी ऩला को ऩयु ातन कार शास्त्रों भें दे वी भहारक्ष्भी कक उत्ऩत्त्त से
वे शी बायतलऴा भें ज्मोततऩला के रुऩ भें भनामा जाता शैं।
ा़ ा़ सांफांधधत ववमबन्न भत हैं
फडे-फडे भशानगयों वे रेकय छोटे वे छोटे गालों भें बी
वलसबन्न धभा ळास्िो भें रक्ष्भी फक उत्ऩत्त्त के
धनी वे रेकय गयीफ वे गयीफ व्मत्क्त की ौखट बी इव
वलऴम भें अनेक कथाएॊ उल्रेर्खत शैं। उन प्रा ीन कथाओॊ
ऩालन ऩला के अलवय ऩय दीऩक की ऩॊत्क्तमों के जगभगा
भें वभुद्र भॊथन के दौयान भाॊ भशारक्ष्भी फक उत्ऩत्त्त
उठती शैं। दीऩालरी के ददन अभालस्मा शोने के कायण
भानी जाती शैं। वलसबन्न ग्रॊथो भें रक्ष्भी एलॊ वभुद्र भॊथन
इव ददन वकर रोक भें ायों ओय अॊधकाय पैरा शोता
फक कथाओॊ भें अॊतय दे खने को सभरता शैं। ऩयॊ तु भूरत्
शैं, रेफकन भनुष्म को अॊधकाय ऩवॊद नशीॊ शैं, इव सरए
वफ कथाओॊ भें अॊतय शोने के उऩयाॊत बी अधधकतय
लशॉ उववे भुकाफरा कयने के उद्देश्म वे अऩने घय-दक
ु ान
वभान शैं।
आदद स्थानों ऩय दीऩों की ऩॊत्क्तमों भें वजाकय अॊधेये को
दयू बगाने का वाथाक प्रमाव कयता शैं। प्रजाऩत्म कल्ऩ के अनुसाय:
बगलान ब्रह्भा ने रुद्र रूऩ को शी स्लमॊबु भनु
ऩौयार्णक भान्मताओॊ के अनुवाय ऩुयातन कार भें
औय स्िी रूऩ भें वतरूऩा को प्रकट फकमा औय उवके
दीऩालरी ऩला को "रोकोत्वल" के रुऩ भें भनामा जाता
फाद वप्रमव्रत उत्तानऩाद, प्रवतू त औय आकूतत नाभ फक
था। रेफकन आज दीऩालरी ऩला की भुख्मत् दो प्रभुख
वॊतानों को जन्भ ददमा। फपय आकूतत का वललाश रुध वे
वलळेऴता दे खने को सभरती शैं। एक शैं, दीऩों की
औय प्रवूतत का वललाश दष वे फकमा गमा। दष ने प्रवूतत
जगभगाशट वे अॊधकायको दयू कयना औय दव
ू यी शै , लैबल
वे 24 कन्माओॊ को जन्भ ददमा। इवके नाभ श्रिा, रक्ष्भी,
एलॊ वुख-वभवृ ि की दे ली भाॉ भशारक्ष्भी के ऩूजन का
ऩुत्ष्ट, धतु त, तुत्ष्ट, भेधा, फक्रमा, फुवि, रज्जा, लऩु, ळात्न्त,
आमोजन।
ऋवि, औय कीतता इत्मादी शैं।
धासभाक भान्मताओॊ के अनव
ु ाय दीऩालरी के ददन
घय-दक
ु ान आदद स्थानों के अराला अन्म वालाजतनक ववष्णु ऩुयाण के अनुसाय:
स्थानों ऩय बी दीऩकों की ऩॊत्क्तमाॉ यखने का वलधान शैं।
एवी भान्मता शैं की श्राि ऩष वे रेकय कातताक । लश वुगत्न्धत भारा थी।
भाव की अभालस्मा तक वऩतयों को ऩन
ु ् अऩने रोक भें ऋवऴ ने उव भारा को अऩने जटाओॊ ऩय धायण कयने के
रोटना शोता शैं। ऩरयलाय के रोग वऩतयों का आह्लान सरए भाॊगा औय प्रातत कय सरमा। दल
ु ाावा ने वो ा फक
कयते शैं, उनका ऩज
ू न कय दीऩों वे उनका ऩन
ु ् लाऩव मश भारा प्रेभ के कायण, उवे प्रातत कय ले काभातुय शो
जाने लारा अॊधधमाया भागा प्रकासळत कयके उन्शें अगरे उठे शैं, ले अऩने काभ के आलेग को योकने के सरए
लऴा तक के सरए वलदाई दे ते शैं। इधय-उधय घूभते-घूभते स्लगा रोक ऩशुॊ ।े लशाॊ उन्शोंने
दीऩावरी के सांफांध भें बववष्मऩुयाण भें उल्रेख हैं की अऩने सवय वे भारा शटाकय इन्द्र को दे दी। इन्द्र ने उव
लस्ि-ऩुष्ऩै् ळोसबतव्मा क्रम-वलक्रम-बूभम्। भारा को ऐयालत के गरे भें डार ददमा औय ऐयालत वे
अथातत ्: आज के ददन धनऩतत कुफेय का बी ऩूजन शोता लश भारा धयती ऩय धगय गई औय ऩैयों वे कु र गई।
शैं। दशन्द ू धभाळास्िों के अनुवाय कुफेय धनऩतत शैं। दल
ु ाावा ने जफ मश दे खा फक उवकी भारा की मश दग
ु ता त
एवा भानाजाता शैं की आज के ददन शी दे ली शुई तो लश क्रोधधत शुए औय उन्शोंने इन्द्र को श्रीशीन
रक्ष्भी का जन्भ शुला था। शोने का ळाऩ ददमा। जफ इन्द्र ने मश वुना तो बमबीत
47 - 2018

शोकय ऋवऴ के ऩाव आमे ऩय उनका ळाऩ रौट नशीॊ कय ददमा। तदनन्तय, ध न्ताभर्ण को भध्म भें यखकय
वकता था। इवी ळाऩ के कायण अवयु ों ने इन्द्र औय दे लताओॊ औय दै त्मों ने ऩन
ु : वभद्र
ु को भथना आयम्ब
दे लताओॊ को स्लगा वे फाशय तनकार ददमा। दे लता ब्रह्भा फकमा। ले वबी फर भें फढ़े - ढ़े थे औय फाय-फाय गजाना
जी की ळयण भें गमे औय उनवे अऩने कष्ट के वलऴम कय यशे थे। अफ की फाय उवे भथे जाते शुए वभद्र
ु वे
भें कशा। उच् ै:श्रला नाभक अश्ल प्रकट शुआ। लश वभस्त
ब्रह्भा जी दे लताओॊ को रेकय वलष्णु के ऩाव गमे अश्लजातत भें एक अद्भत ु यत्न था। उवके फाद गज जातत
औय उनवे वायी फात कशी तफ वलष्णु ने दे लताओॊ को भें यत्न बूत ऐयालत प्रकट शुआ। उवके वाथ श्लेतलणा के
दानल वे वुरश कयके वभुद्र भॊथन कयने की वराश दी ौवठ शाथी औय थे। ऐयालत के ाय दाॉत फाशय तनकरे
औय स्लमॊ बी वशामता का आश्लावन ददमा। उन्शोंने शुए थे औय भस्तक वे भद की धाया फश यशी थी। इन
फतामा फक वभुद्र भॊथन वे उन्शें रक्ष्भी औय अभत
ृ ऩुन् वफको बी भध्म भें स्थावऩत कयके ले वफ ऩन
ु : वभुद्र
प्रातत शोगा। अभत
ृ ऩीकय ले अजय औय अभय शो जाएॊगे। भथने रगे। उव वभम उव वभुद्र वे भददया, बाॉग,
दे लताओॊ ने बगलान वलष्णु की फात वुनकय वभुद्र भॊथन काकडासवॊगी, रशवुन, गाजय, अत्मधधक उन्भादकायक
का आमोजन फकमा। उन्शोंने अनेक औऴधधमाॊ एकत्रित धतूय तथा ऩुष्कय आदद फशुत-वी लस्तुएॉ प्रकट शुईं। इन
की औय वभुद्र भें डारी। फपय भॊथन फकमा गमा। वफको बी वभुद्र के फकनाये एक स्थान ऩय यख ददमा
भॊथन के सरमे जाते शुए वभुद्र के ायों ओय फडे गमा। तत्ऩश् ात ले श्रेष्ठ दे लता औय दानल ऩुन: ऩशरे
जोय की आलाज उठ यशी थी। इव फाय के भॊथन वे की शी बाॉतत वभुद्र-भॊथन कयने रगे। अफ की फाय वभुद्र
दे लकामों की सववि के सरमे वाषात ् वुयसब काभधेनु वे वम्ऩूणा दळों ददळाओॊ भें ददव्म प्रकाळ व्मातत शो गमा
प्रकट शुईं। उन्शें कारे, श्लेत, ऩीरे, शये तथा रार यॊ ग की उव ददव्म प्रकाळ वे दे ली भशारक्ष्भी प्रकट शुईं। इवसरए
वैकडों गौएॉ घेये शुए थीॊ। उव वभम ऋवऴमों ने फडे शऴा रक्ष्भी को वभुद्र की ऩुिी के रूऩ भें जाना जाता शै ।
भें बयकय दे लताओॊ औय दै त्मों वे काभधेनु के सरमे भशारक्ष्भी ने दे लता, दानल, भानल वम्ऩूणा प्रार्णमों
मा न की औय कशा आऩ वफ रोग सभरकय सबन्न- की ओय दृत्ष्टऩात फकमा। भाता भशारक्ष्भी की कृऩा-दृत्ष्ट
सबन्न गोिलारे ब्राह्भणों को काभधेनु वदशत इन वम्ऩूणा ऩाकय वम्ऩूणा दे लता उवी वभम ऩुन् श्रीवम्ऩन्न शो
गौओॊ का दान अलश्म कयें । ऋवऴमों के मा ना कयने ऩय गमे। ले तत्कार याज्माधधकायी के ळुब रषणों वे
दे लताओॊ औय दै त्मों ने बगलान ् ळॊकय की प्रवन्नता के वम्ऩन्न ददखामी दे ने रगे।
सरमे ले वफ गौएॉ दान कय दीॊ तथा मस कभों भें बरी- रक्ष्भी की उत्ऩत्त्त
बाॉतत भन को रगाने लारे उन ऩयभ भॊगरभम भशात्भा वत्ृ ष्ट य ना के वलऴम भें सान प्रातत कयते शुले
ऋवऴमों ने उन गौओॊ का दान स्लीकाय फकमा। तत्ऩश् ात बीष्भ ने ऩुरस्त्म ऋवऴ वे प्रश्न फकमा ऋवऴ श्रेष्ठ,
वफ रोग फडे जोळ भें आकय षीयवागय को भथने रगे। रक्ष्भी की उत्ऩत्त्त के वलऴम भें आऩ भुझे वलस्ताय वे
तफ वभद्र
ु वे कल्ऩलष
ृ , ऩारयजात, आभ का लष
ृ औय फताइए। क्मोंफक इव वलऴम भें कथा अनेक शैं। मश
वन्तान- मे ाय ददव्म लष
ृ प्रकट शुए। वुनकय ऩुरस्त्म ऋवऴ फोरे फक भशवऴा बग
ृ ु फक ऩत्नी
उन वफको एकि यखकय दे लताओॊ ने ऩन
ु : फडे ख्मातत के गबा वे एक त्रिरोकवुन्दयी कन्मा उत्ऩन्न शुई।
लेग वे वभुद्र भॊथन आयम्ब फकमा। इव फाय के भॊथन वे लश वभस्त ळुब रषणों वे वुळोसबत थी। इवसरए उवका
यत्नों भें वफवे उत्तभ यत्न कौस्तुब प्रकट शुआ, जो नाभ रक्ष्भी यखा गमा।
वूमभा ण्डर के वभान ऩयभ कात्न्तभान था। लश अऩने ऩौयार्णक कथा औय भान्मताओॊ के अनुवाय
प्रकाळ वे तीनों रोकों को प्रकासळत कय यशा था। रक्ष्भी, न्द्रभा आदद वबी यत्न की उत्ऩत्त्त वभुद्र
दे लताओॊ ने ध त
ॊ ाभर्ण को आगे यखकय कौस्तब
ु का भॊथन के दौयान शुई थी, रेफकन वभुद्र-भॊथन की तनत्श् त
दळान फकमा औय उवे बगलान वलष्णु की वेला भें बें ट ततधथ का लणान धभाळास्िों भें नशीॊ शैं। इव सरमे एवी
48 - 2018

भान्मता शैं की बगलान श्रीयाभ ने आज शी के ददन लऴा भें एक फाय शी वशी रेफकन ऩण
ू ा वलधध-वलधान वे शी
याज्मायोशण उत्वल भनामा था औय तफ वे वभग्र दे ली रक्ष्भी की ऩज
ू ा कयनी ादशए।
अमोध्मा नगयी दीऩों के प्रकाळ वे जगभगा उठी। मदद आऩने ऩशरे वे कोई रक्ष्भी मॊि जैवे  श्री मॊि
(बवलष्म ऩयु ाण) (रक्ष्भी मॊि)  श्री मॊि (भॊि यदशत) श्री मॊि (वॊऩण
ू ा
दीऩालरी के ददन घय के वबी वदस्मको प्रात् भॊि वदशत) श्री मॊि (फीवा मॊि) श्री मॊि श्री
जल्दी उठकय प्रपुत्ल्रत भन वे घय, दक
ु ान आदद वक्
ू त मॊि श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) श्री रषभी
व्मलवामीक स्थानों की वाप-वपाई कयके उवे ळुि कुफेय धनाकऴाण मॊि आकत्स्भक धन प्रात्तत मॊि
जरवे धो रेना ादशए। व्मलवामीक स्थान ऩय नमे भशारक्ष्भमै फीज मॊि भशारक्ष्भी फीवा मॊि
लस्ि, गादी आदद वे ऩुयाने कलय आदद शटाकय नमे रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि रक्ष्भी दाता फीवा
रगादे (मदद नमे रेने का वाभथ्मा न शो तो उवे आगे वे मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि रक्ष्भी गणेळ मॊि
धो कय स्लच्छ कय वुखारे), व्मलवामे वे वॊफॊधधत नमे कनक धाया मॊि लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सववि
फशी-खाता आदद को स्थावऩत कयना ादशमे। वलद्वानो के दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि) श्री श्री मॊि (रसरता
भतानुवाय कैळ फॉक्व, फशी-खाता, तुरा, रेखनी, आदद भशात्रिऩुय वुन्दमै श्री भशारक्ष्भमैं श्री भशामॊि)
का कॊु कुभ वे स्लत्स्तक फनाकय ऩूजन कयना ादशए उव अॊकात्भक फीवा मॊि ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन
ऩय शल्दी का घोर फनाकय छीॊटे रगाने ादशमे। मॊि धनदा मॊि शो एलॊ मदद आऩके ऩाव कोई जैन
ळास्िोक्त वलधान वे रक्ष्भी ऩूजन केलर त्स्थय रग्न भें मॊि शों जैवे श्री ऩद्मालती मॊि श्री ऩद्मालती
की वॊऩन्न कयना ादशए। दीऩालरी के ददन भें प्राम् फीवा मॊि श्री ऩाश्लाऩद्मालती ह्ींकाय मॊि ऩद्मालती
वाॊम कार भें ऩूजन शे तु त्स्थय रग्न भें लऴ
ृ ब रग्न एलॊ व्माऩाय लवृ ि मॊि श्री मॊि श्री रक्ष्भी प्रात्तत औय
यािी कार भें सवॊश रग्न शोता शैं। इव सरए उक्त रग्नों व्माऩाय लधाक मॊि श्री रक्ष्भीकय मॊि रक्ष्भी
भें शी भाॉ रक्ष्भी का ऩूजन वला श्रेष्ठ भाना जाता शैं। प्रात्तत मॊि शो तो आऩ उव मॊि को स्थावऩत कय उवका
दीऩालरी के ददन प्रात् स्नानादद तनत्म कभा वे धऩ
ू -दीऩ-नैलेद्म आदद वे ऩूजन कय वकते शैं। मदद
तनलत्ृ त शोकय एक सभट्टी के ऩाि भें सवॊदयू को घी के आऩके ऩाव कोई बी रक्ष्भी मॊि उऩल्फध नशीॊ शो, तो
वाथ सभराकय उवका रेऩ फनारे, फपय उववे अऩने ऩूजा आऩ गुरुत्व कामातरम द्वाया प्रातत कय वकते शैं। मदद
स्थान, घय के भुख्म द्वाय मा व्मलवामीक स्थान ऩय ॐ, आऩ लताभान वभम भें भॊि सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत मॊि
श्रीॊ, श्री, स्लत्स्तक, ळब
ु -राब, रयवि-सववि आदद अऩनी प्रातत कयने भें अवभथा शो तो, आऩ सततश्री मांत्र का
श्रिा एलॊ वलश्लाव वे भाॊगसरक ध न्श मा ळब्दों को तनभााण कयरें , औय जफ आऩका वाभथ्मा शो जामे तफ
अॊफकत कयें । कुछ वलद्वानो का भत शैं की सवॊदयू वे मदद आऩ अऩनी आलश्मक्ता के अनव
ु ाय रक्ष्भी मॊि प्रातत
रक्ष्भीजी का फीज भॊि अॊफकत कयना अतत राबप्रद शोता कय वकते शैं।
शैं। क्मोकी, प्राम् घयों एलॊ व्मलवामीक स्थानों ऩय ॐ,
श्री, स्लत्स्तक, ळब
ु -राब एलॊ रयवि-सववि सरखा शुला वबी वलळेऴ नोट:
ने दे खा शी शोगा! रक्ष्भी ऩजू न के वभम घय के वबी  मदद आऩके ऩाव ऩशरे वे असबभॊत्रित मा प्राण-
वदस्मों को वाथ सभरकय ऩूणा श्रिा वे दे ली भशारक्ष्भी प्रततत्ष्ठत मॊि उऩरब्ध शो तो उवकी केलर धऩ
ू -दीऩ
का ऩूजन कयना ादशए। वे शी ऩूजा कयें , उव मॊि की ऩुन् प्राण-प्रततष्ठा मा
दे ली भशारक्ष्भी की ऩूजा ाशे आऩ स्लमॊ कययशे शो मा उवे असबभॊत्रित कयलाने की आलश्मक्ता नशीॊ शोती।
फकवी वलद्लान ऩॊडडत वे कयला यशे शो, ऩूजा ऩूणा वलधध-  गुरुत्ल कामाारम द्वाया उऩल्फध कयलामे गमे वबी मॊि
वलधान वे कयें । जल्दी-जल्दी ऩूजा खत्भ कयने का ऩूणत
ा ् ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे वलसळष्ट तेजस्ली
वलधान ळास्िोक्त भत वे बी लत्जात शैं। क्मोकी केलर भॊिो द्वाया सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा त
ै न्म मक्
ु त
49 - 2018

शोते शैं, शभाये मशाॊ वे उऩरब्ध कयलामे गमे मॊि ॐ वलष्णु् भावोत्तभें भावे कातताकभावे कृष्णऩषे
ऩण
ू त
ा ् अखॊडडत एलॊ ळि
ु धातु भें तनसभात शोते शैं। ऩण्
ु मामाभभालास्मामाॊ ततथौ लावये ............(लाय का नाभ रे),

रक्ष्भी ऩज (अऩने गोि का उच् ायण कयें ) गोिोत्ऩन्न: (अऩने नाभ का


 ू न के वभम प्राण-प्रततत्ष्ठत मॊिों को भाॉ
उच् ायण के वाथ भें अशॊ रगामे) जोळीअशॊ (जैवे ळभााअशॊ ,
रक्ष्भी की प्रततभा मा ध ि के वभीऩ स्थावऩत कय
लभााअशॊ , गतु ताअशॊ इत्मादद) श्रतु तस्भतृ त ऩयु ाणोक्त परप्रात्तत
उवका ऩज
ू न फकमा जा वकता शैं। रेफकन मॊि की
काभनामा सातासात कातमकलाध क भानसवक वकर
अरगवे ऩज
ू ा मा प्राण-प्रततष्ठा, भॊि जऩ इत्मादद नशीॊ
ऩाऩतनलत्ृ त्त ऩल
ू क
ा ॊ त्स्थयरक्ष्भीप्राततमे श्रीभशारक्ष्भीप्रीत्मथं
कयना ादशमे।
भशारक्ष्भीऩज
ू नॊ कुफेयादीनाॊ ऩज
ू नॊ करयष्मे। तदड्त्लेन
गौयीगणऩत्माददऩज
ू नॊ करयष्मे।
सबी ऩाठको के भागतदशतन हे तु श्री रक्ष्भी जी का
अथातत ्: शे बगलान ् वलष्णु आज कातताक भाव, कृष्ण ऩष की
सांऩण
ू त ऩज
ू न ववधान ददमा जा यहा हैं। ऩण्
ु म अभालस्मा अभख
ु लाय (ऩज
ू न के ददन के लाय का नाभ
रें) को भैं... (अऩना नाभ) भेये वऩता (अऩने वऩता का नाभ
रक्ष्भी ऩूजा: रें) त्जनका भैं ऩि
ु शूॊ अऩने ऩण्
ु मों के कायण जो सात-असात
राब को प्रातत कयने के सरए, त्स्थय रक्ष्भी प्रातत कयने के
ऩज
ू न साभग्री: सरमे भैं मश रक्ष्भी ऩज
ू न कय यशा शूॉ ।
योरी, भौरी, रौंग, ऩान, वऩ
ु ायी, धूऩ, कऩयूा , अगयफत्ती,
अषत (वाफत ालर), गड उक्त वॊकल्ऩ को ऩढ़कय जर, अषत आदद को गणेळजी के
ु ु , धतनमा, ऋतप
ु र, जौ, गेशूॉ, टूफ,
ऩष्ु ऩ, ऩष्ु ऩभारा, न्दन, सवन्दयू , दीऩक, रूई, प्रवाद, वभीऩ छोड दे । फपय गणेळजी का ऩज
ू न कयें ।

नारयमर, वलोऴधध, ऩॊ यत्न, मसोऩलीत, ऩॊ ाभत गणेळ ऩज


ू न वे ऩशरे नमी प्रततभा को वलधधलत प्राण-प्रततष्ठा
ृ , ळि
ु जर,
खीर, भजीठ, वपेद लस्ि, रार लस्ि, पुरेर, रक्ष्भी जील कयें ।

एलॊ गणेळ जी का ध ि मा ऩाना, ौकी (फाजौट), करळ, घी, प्रनतष्ठा:-

कभरऩष्ु ऩ, इराम ी, भाध व, दक्षषणा शे तु नकदी, ॊ के


ॉदी प्रततष्ठा शे तु फामें शाथ भें अषत रेकय इव भॊि का उ ायण
सवक्के, फशीखाता, करभ तथा दलात इत्मादद आलश्मक कयते शुए दादशने शाथ वे उन अषतों को गणेळजी की प्रततभा
वाभग्रीमाॊ। ऩय ढातेा़ जामे..

ऩववत्र कयण:- ॐ भनो जूततजऴ


ुा ताभाज्मस्म फश
ृ स्ऩततमाससभभॊ तनोत्लरयष्टॊ
दे ली ऩज मस वसभभॊ दधात।ु
ू न शे तु ऩज
ू न शे तु ऩल
ू ा मा उत्तय ददळा श्रेष्ठ शोती शैं।
इव सरए उत्तय मा ऩल वलश्ले दे लाव इश भादमन्ताभोम्प्रततष्ठ।।
ू ा दे ळा की औय भख
ु कयके वफवे ऩशरे
शाथ भें जर रेकय आ भन, ऩवलिीधायण, भाजान ल प्राणामाभ ॐ अस्मै प्राणा: प्रततष्ठन्तु अस्मै प्राणा: षयन्तु ।

कयके ऩज अस्मै दे लत्लभ ाामै भाभशे तत कश् न।।


ू न वाभग्री एलॊ स्लमॊ के ऊऩय इव भॊि का उच् ायण
कयते शुले जर तछडकें। उक्त वलधधवे प्रततष्ठा कय श्रीगणेळजी का ऴोडळोऩ ाय ऩज
ू न
कयें ।
ॐ अऩवलि् ऩवलिों ला वलाालस्थाॊ गतोऽवऩ ला। तत्ऩश् मात ऴोडवभातक
ृ ा (वोरश दे वलमों का) नलग्रश ल करळ
म् स्भये त ् ऩुण्डयीकाषॊ व फाह्मा्मन्तय् ळुध ्॥ ऩज
ू न कयें । तत्ऩश् मात भख्
ु म ऩज
ू न के रुऩ भें दे ली बगलती
अथातत ्: भनष्ु म अऩवलि शो मा ऩवलि मानी लश ाशे फकवी बी भाॉ भशारक्ष्भी का ऩज
ू न कयें ।
दळा भें शो, जो कभर जैवे आॊखो लारे बगलान श्री वलष्णु का
षोड़शोऩचाय गणेश ऩज
ू न
स्भयण कयता शैं लश फाशय औय बीतय वबी ओय वे ळि
ु शो
जाता शैं। ऩववत्र कयण:-
आवन ळवु ि औय स्लत्स्त-ऩाठ कय कयते शुले शाथ भें जर-
वफवे ऩशरे ऩज
ू न वाभग्री ल गणेळ प्रततभा मा ध िका ऩवलि
अषत आदद रेकय ऩजू न का वॊकल्ऩ कयें ।
कयण कयें
अऩवलि् ऩवलिो ला वलाालस्थाॊ गतो वऩ ला।
सांकल्ऩ:-
50 - 2018

म् स्भये त ् ऩुण्डयीकाषॊ व फाह्मा्मन्तय् ळुध ्॥ ऩाद ऩॊकजभ॥् ॐ सवविफवु ि वदशत श्री गणेळाम नभ् गणेळॊ
इव भॊि वे ळयीय औय ऩज
ू न वाभग्री ऩय जर छीटें इवे अॊदय ध्मामासभ भॊि का उच् ायण कयें ।
फाशय औय फशाय दोनों ळि
ु शो जाता शै आह्वानां:-
आचभन:- इव भॊि वे श्री गणेळ का आशलान कये मा भन शी भन भें श्री
गणेळ जी को ऩधायने के सरमे वलनतत कयें । शाथभें अषत रेकय
ॐ केळलाम नभ: ॐ नायामण नभ:
आशलान कयें ।
ॐ भध्लामे नभ:
आगच्छ बगलन्दे ल स्थाने ाि त्स्थयो बल
शस्तो प्रषल्म शसळाकेळम नभ :
मालत्ऩूजाॊ करयष्मासभ तालत्लॊ वत्न्नधौ बल।।
आसान सवु ि:-
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ्
ॐ ऩथ्
ृ ली त्लमा धृता रोका दे वल त्ल वलद्गणुनाधृता्। गणेळॊ ध्मामासभ भॊि का उच् ायण कयके अषते डारदें .....
त्ल धायम भा दे वल ऩवलि कुरू आवनभ॥् इव भॊि वे श्री गणेळ की भतू ता मा प्रततभा ऩय शल्दी मा
कुभकुभ वे यॊ गे ारल डारें। मदद प्रततभा के प्रशरे वे प्राण-
प्रततष्ठा शो गई शैं तो आलश्मक्ता नशीॊ शैं तफ केलर वऩ
ु ायी
यऺा भांत्र:- ऩय शी ारल डारें।

अऩक्राभन्तु बत
ू ातन वऩळा ा् वलातो ददळा। स्भयण:-
वलेऴाभलयोधेन ब्रह्भकभा वभायबे। शाथभें ऩुष्ऩ रेकय श्री गणेळजी का स्भयण कयें ।
अऩवऩान्तु ते बत
ू ा् मे बत
ू ा् बसू भवॊत्स्थता्। नभस्तस्भै गणेळाम वला वलध्न वलनासळने॥
मे बत
ू ा वलनकताायस्ते नष्टन्तु सळलासमा।' कामाायॊबेऴु वलेऴु ऩूत्जतो म् वुयैयवऩ।
इव भॊि वे दळों ददळाओॊ भैं वऩरा वयवों तछटके त्जवेव वुभुखश् ैक दॊ तश् कवऩरो गजकणाक्॥
वभस्त बत
ू प्रेत फाधाओॊ का तनलायण शोता शै रॊफोदयश् वलकटो वलघ्ननाळो वलनामक्।

स्वस्ती वाचन:- धुम्रकेतुय ् गणाध्मषो बार द्र


ॊ ो गजानन॥
द्वादळैतातन नाभातन म् ऩठे च्छृणु मादऽवऩ॥
स्लत्स्त न इन्द्रो लि
ृ श्रला: स्लत्स्त न: ऩूऴा वलश्ललेदा:। विद्यायॊ बे वललाशे प्रलेळे तनगाभे तथा।
स्लत्स्तनस्ता यषो अरयष्टनेसभ: स्लत्स्त नो फश
ृ स्ऩततादधात॥ वॊग्राभे वॊकटे ैल वलघ्नस्तस्म न जामते॥
इव के फाद श्री गणेळ जी के भॊगर ऩाठ कयना ादशए जो ळुक्राॊफय धयॊ दे लॊ ळसळलणं तुबुज
ा भ ्।
की इव प्रकाय शै प्रवन्न लदनॊ ध्मामेत ् वला वलघ्नोऩळाॊतमे॥
गणेश जी का भांगर ऩाठ:- जऩेद् गणऩतत स्तोिॊ ऴड्सबभाावे परॊ रबेत ्।
वॊलत्ॊ वये ण सवविॊ रबते नाि वॊळम्॥
वुभुखश् ैकदन्तश् कवऩरो गजकणाक:।
लक्रतुड
ॊ भशाकाम वूमक
ा ोदट वभ प्रब।
रम्फोदयश् वलकटो वलघ्रनाळो वलनामक:॥
तनवलाघ्नॊ कुरु भे दे ल वला कामेऴु वलादा॥
धूम्रकेतुगण
ा ाध्मषो बार न्द्रो गजानन:।
असबत्तवताथा सवद्ध्मथं ऩूत्जतो म् वुयावुयै्।
द्वाद्वळैतातन नाभातन म: ऩठे च्छे णुमादवऩ॥
वला वलघ्न शयस्तस्भै गणाधधऩतमे नभ्॥
विद्यायम्बे वललाशे प्रलेळे तनगाभे तथा।
वलघ्नेश्लयाम लयदाम वुयवप्रमाम रॊफोदयाम वकराम
वॊग्राभे वॊकटे ैल वलघ्रस्तस्म न जामते॥
जगत्त्धताम। नागाननाम श्रुततमस वलबुवऴताम
एकाग्रध न शोकय गणेळ का ध्मान कयना ादशए
गौयीवुताम गणनाथ नभो नभस्ते॥
श्री गणेश का ध्मान कयें :- ॐ सवविफवु ि वदशत श्री गणेळाम नभ् गणेळॊ स्भयासभ भॊि
का उच् ायण कयके ऩष्ु ऩ अवऩात कयें
गजाननॊ बत
ू गणादद वेवलतभ ् कवऩत्थ जम्फप
ू र
षोडशोऩचाय गणऩतीऩज
ू न:-
ारुबषणभ।् उभावत
ु भ ् ळोक वलनाळ कायकभ ् नभासभ वलघ्नेश्लय
अस्मै प्राण् प्रततष्ठन्तु अस्मै प्राणा् षयन्तु ।
अस्मै दे लतभ ीमा भाभशे तत कश् न॥
51 - 2018

आसनां:- इव के स्थान ऩय ऩम् स्नानभ ् वभऩामासभ गॊ गणेळाम नभ् का


आवन वभवऩात कयें । मदद ऩशरे वे लस्ि त्रफछामा शुला शैं तो उव उच् ायण कये तथा ऩम् के स्थान ऩय दध
ू कशें , दशीॊ कशें , धत
ृ भ्
स्थान ऩय शल्दी मा कुभकुभ वे यॊ गे अषत डारकय ऩष्ु ऩ अवऩात कशें , भधु कशें , ळकाया कशें के स्नान कयामे।
कयें । ऩमवस्तु वभुद्भूतॊ भधुयाम्रॊ ळसळप्रबभ।्
यम्मॊ वुळोबनॊ ददव्मॊ वला वौख्म कयॊ ळुबभ ्। दध्मानीतॊ भमा दे ल स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ॥्
आवनॊ भमादत्तॊ गश
ृ ाण ऩयभेश्लय॥ नलनीतवभुत्ऩन्नॊ वलावत
ॊ ोऴकायकभ।्
ॐ सवविफवु ि वदशत श्री गणेळाम नभ् आवनॊ वभऩामासभ॥ घत
ृ ॊ तु्मॊ प्रदास्मासभ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ॥्
मदद श्रोक ऩढने भें कदठनाई शो तो आवन वभऩाासभ श्री गॊ तरु ऩुष्ऩ वभुत्ऩन्नॊ वुस्लादु भधुयॊ भधु ।
गणेळाम नभ् का उच् ायण कयते शुले गणेळ जी के यण धोमे। तेज् ऩुत्ष्टकयॊ ददव्मॊ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ॥्
इषुवायवभुद्भूताॊ ळकायाॊ ऩुत्ष्टदाॊ ळुबाभ।्
ऩाद्मां:- भराऩशारयकाॊ ददव्मॊ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ॥्
उष्णोदकॊ तनभारॊ वला वौगन्ध वॊमुतभ ्। ऩमो दधध धृत ैल भधु ळकायामुतभ ्।
ऩाद प्रषारनाथााम दत्तॊ ते प्रततगह्
ृ मताभ ्॥ ऩॊ ाभृत भमानीतॊ वनानाथा प्रततघश
ृ मताभ॥
ॐ सवविफवु ि वदशत श्री गणेळाम नभ् ऩाद्मॊ वभऩामासभ॥ वस्त्रां:-
अर्घ्मं:- ऩॊ ाभत
ृ स्नान के फाद स्लच्छ कय के लस्ि ऩशनामे मा वभवऩात
आ भनीभें जर, पूर, पर, ॊदन, अषत, दक्षषणा इत्मादद शाथ भें कयें ।
यख कय तनम्न भॊि का उच् ायण कयें ... वला बूऴाददके वौम्मे रोकरज्जा तनलायणे ।
अध्मा गश
ृ ाण दे लेळ गॊध ऩुष्ऩषतै् वश। भमोऩऩाददते तु्मॊ लाववी प्रततगश
ृ ीताभ ् ॥
करुणा कुरु भें दे ल गश
ृ ाणाध्मै् नभोस्तुत॥
े ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् लस्िोऩलस्िे वभऩामासभ॥
ॐ सवविफवु ि वदशत श्री गणेळाम नभ् अघ्मं वभऩामासभ भॊि का
उच् ायण कयके अध्मा की वाभग्रीमा अवऩात कयदें । मऻोऩवीत:-
आचभन:- ततऩश् मात तनम्न भॊि वे मसोऩलीत ऩशनामे
वला तीथा वभामुक्तॊ वुगधॊ ध तनभार जरभ ्। नलसभस्तॊतुसबमुक्त त्रिगुणॊ दे लताभमॊ।
आ म्मताॊ भमा दत्तॊ गश
ृ ीत्ला ऩयभेश्लयॊ ॥ वऩफीतॊ भमा दत्तॊ गश
ृ ाण ऩयभेश्लयभ ्॥
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् आ भनॊ वभऩामासभ॥ ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् मसोऩवलतॊ वभऩामासभ॥

स्नानां:- चांदन:-

गॊगा मभुना ये ला तुग


ॊ बद्रा वयस्लतत। ततऩश् मात रार ॊदन ढामे।
कालेयी वदशता नद्म् वद्म् स्नाथाभवऩाता॥ श्रीखण्ड न्दन ददव्मॊ केळयादद वुभनीशयभ ्।
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् स्नानॊ वभऩामासभ भॊि का वलरेऩनॊ वुश्रष्ठ न्दनॊ प्रततगश
ृ मतभ ्॥ ॐ सवविफुवि वदशत श्री
उच् ायण कयते शुले स्नान कयामे। गणेळाम नभ् कुॊकुभॊ वभऩामासभ॥
कांु कांु भ:-
ऩांचाभत
ृ स्नान:- ततऩश् मात कुॊकुॊभ अलीय-गुरार ढामे।
तत ऩश् मात ऩॊ ाभत
ृ वे क्रभळ् दध
ू , दशी, घी, ळशद, ळक्कय वे कुॊकुॊभ काभना ददव्मॊ काभना काभ वॊबलभ ्।
स्नान कया कय ळि
ु जर मा गॊगाजर वे उक्त भॊि वे ऩन
ु ् स्लच्छ कुॊकुॊभ नाध त
ा ो दे ल गश
ृ ाण ऩयभेश्लयभ ्॥
कयरे। तत ऩश् मात ळि
ु लस्ि वे ऩोछ कय प्रततत्ष्ठत कयें । ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् कुॊकुभॊ वभऩामासभ॥
मसांदयू :-
दध
ू स्नान:-
ततऩश् मात सवॊदयू ढामे।
सवॊदयू ॊ ळोबनॊ यक्तॊ वौबाग्मॊ वुखलधानभ ्।
काभधेनु वभुत्ऩनॊ वलेऴाॊ जीलन ऩयभ ्।
ळुबदॊ काभदॊ ैल सवॊदयू ॊ प्रततगश
ृ मताभ।
ऩालनॊ मस शे तुश् ऩम: स्नानाथाभवऩातभ ्॥
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् सवॊदयू ॊ वभऩामासभ॥
52 - 2018

अऺत:- ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् नैलेद्मॊ तनलेदमासभ॥


ततऩश् मात शल्दी मा कुॊकुॊभ वे यॊ गे अषत ढामे।
ततऩश् मात नैलेद्म ऩय जर तछडके।
अषताश् वुयश्रेष्ठ कुॊकुभाक्ता् वुळोसबता्।
गॊ गणऩतमे नभ्
भमा तनलेददता बक्त्मा गश
ृ ाण ऩयभेश्लरय॥
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् अषतान ् वभऩामासभ॥
ततऩश् मात इव भॊि का उच् ायण कयते शुले ऩाॊ फाय बोजन
ऩष्ु ऩ:-
कयामे.....
ततऩश् मात ऩुष्ऩ भारा आदद ढामे। ॐ प्राणाम नभ्। ॐ अऩानाम नभ्। ॐ व्मानाम नभ्।
भाल्मादीतन वुगन्धीतन भारत्मादीतन लै प्रबो। ॐ उदानाम नभ्। ॐ वभानाम नभ्।
भमा नीतातन ऩुष्ऩार्ण गश
ृ ाण ऩयभेश्लय॥ ततऩश् मात इव भॊि का उच् ायण कयते शुले जर अवऩात कयें ।
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् ऩुष्ऩार्ण वभऩामासभ॥ भध्मे ऩानीमॊ वभऩामासभ।
दव
ू ात:- फपय वे उक्त भॊि का ऩाॊ फाय उच् ायण कयते शुले ऩाॊ फाय
ततऩश् मात दल
ू ाा ढामे। बोजन कयामे....
दल
ु ाा कयान्वश रयतान भृतन्भॊगर प्रदान।
आनी ताॊस्तल ऩूजाथा गश
ृ ाण ऩयभेश्लय॥ ततऩश् मात इव भॊि का उच् ायण कयते शुले तीन फाय जर अवऩात
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् दल
ू ांकुयान वभऩामासभ॥ कयें ....
आबष
ू ण:- ॐ गणेळाम नभ् उत्तय ऩोऴणॊ वभऩामासभ।
ततऩश् मात आबूऴण ढामे। ॐ गणेळाम नभ् शस्त प्रषारनॊ वभऩामासभ।
अरॊकायान्भशाददव्मान्नानायतन वलतनसभातान। ॐ गणेळाम नभ् भुख प्रषारनॊ वभऩामासभ।
गशृ ाण दे ल-दे लेळ प्रवीद ऩयभेश्लय॥
शाथ वे बोजन की गॊध दयू कयने शे तु ॊदनमक्
ु त ऩानी अवऩात कयें ।
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् आबूऴण वभऩामासभ॥
ॐ गणेळाम नभ् कयोद्वतानाथे गॊधॊ वभऩामासभ.
इत्र:-
ततऩश् मात इि अथाात ् वुगधॊ धत तेर ढामे। भख
ु ळवु ि शे तु ऩान-वऩ
ु ायी इराम ी औय रलॊग अवऩात कयें ।
म्ऩकाळो लकुरॊ भारती भोगयाददसब्। एरारलें ग वॊमुक्तॊ ऩुगीपरॊ वभत्न्लतभ,्
लासवतॊ त्स्नग्ध तावेरु तैरॊ ारु प्रगश
ृ मातभ ्॥ ताॊफुरॊ
भमा दत्तॊ गशृ ाण गणनामक.
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् तैरभ ् वभऩामासभ॥ ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् भुखलावॊ वभऩामासभ।

धूऩ:- दक्षऺणा:-
ततऩश् मात धूऩ आदद जरामे। ततऩश् मात दक्षषणा अवऩात कयें ।
लनस्ऩतत यवोद्भूतो गॊधाढ्मो गॊध उत्तभ्। दशयण्म गबा गबास्थॊ शे भफीजॊ वलबालवो।
आध्नम वला दे लानाॊ धूऩोमॊ प्रततगह्
ृ मताभ ्॥ अनॊत ऩूण्म परदभत् ळाॊततॊ प्रमच्छ भे॥।
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् धूऩॊ वभऩामासभ॥ ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् दक्षषणाॊ वभऩामासभ।
दीऩ:-
ततऩश् मात दीऩ आदद जरामे। प्रदक्षऺणा:-
आज्मेन लतताना मुक्तॊ लत्ह्नना प्रमोत्जतभ ् भमा। ततऩश् मात प्रदक्षषणा कयें ।
दीऩॊ गश
ृ ाण दे लेळ िेरोक्म ततसभयाऩश॥। मातन कातन ऩाऩातन जन्भान्तय कृतातन ।
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् दीऩॊ दळामासभ॥ तातन वलाार्ण नश्मन्तु प्रदक्षषणा ऩदे ऩदे ।
नैवेद्म:- ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् प्रदक्षषणाॊ कयोसभ।
ततऩश् मात नैलेद्म अवऩात कयें । आयती:-
ळकाया खॊडखाद्मातन दधधषीय घत
ृ ातन । नीयाजन-आयती प्रगट कय उवभें ॊदन-ऩष्ु ऩ रगामे
आशायॊ बक्ष्मॊ बोज्मॊ गश
ृ ाण गणनामक। कऩयु प्रज्लसरत कयें ।
53 - 2018

ॊद्राददत्मौ धयर्ण वलद्मुदत्ग्न त्लभेल । यष यष गणाध्मष यष िेरोक्म यषक।


त्लभेल वला ज्मोततवऴ आतॉक्मॊ प्रततगह्
ृ मताभ ्॥ बक्तनाभ बमॊकताा िाता बलबलाणालात ्॥
कऩुया ऩूयेण भनोशये ण वुलणा ऩािान्तय वॊत्स्थतेन। परेन पसरतॊ तोमॊ परेन पसरतॊ धनभ ्।
प्रददततबावा वशगतेन नीयाजनॊ ते ऩरयत कयोसभ। परास्मघ्मं प्रदानेन ऩूणाा वन्तु भनोयथा्॥
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् नीयाजनॊ वभऩामासभ। ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् वलळेऴाघ्मं वभऩामासभ।
ऺभाऩन:
॥श्री गणेळ आयतत॥ आह्लानॊ न जानासभ न जानासभ वलवजानभ ्।
जम गणेळ जम गणेळ जम गणेळ दे ला ऩूजाॊ ैल न जानासभ षभस्ल गणनामक॥
जम गणेळ जम गणेळ जम गणेळ दे ला. ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् षभाऩनॊ वभऩामासभ॥
भाता जाकी ऩायलती वऩता भशादे ला॥ जम गणेळ..... अनमा ऩूज्मा सवविफुवि वदशत श्री गणेळ् वप्रमताभ ्॥

एकदन्त दमालन्त ायबज


ु ाधायी
ऴोडळभातक
ृ ा ऩज
ू न
भाथे ऩय ततरक वोशे भव
ू े की वलायी॥ जम गणेळ.....
ऴोडळभातक
ृ ाओॊ की स्थाऩना शे तु पळा ऩय वोरश कोष्टकों का
ऩान ढ़े पर ढ़े औय ढ़े भेला
ौकोय भॊडर फनामे।
रड्डुअन का बोग रगे वन्त कयें वेला॥ जम गणेळ.....
अॊधे को आॉख दे त कोदढ़न को कामा ऩूला

फाॉझन को ऩि
ु दे त तनधान को भामा॥ जम गणेळ..... आत्भन् कुरदे वता रोकभातय् दे वसेना भेधा
' वयू ' श्माभ ळयण आए वपर कीजे वेला 16 12 8 4

जम गणेळ जम गणेळ जम गणेळ दे ला॥ जम गणेळ..... उ तुत्ष्ट् भातय् जमा शची द


त्त 15 11 7 3 क्षष
आयती के ायो औय जर घभ
ु ामे फपय गणेळजी को
ऩत्ु ष्ट् स्वाहा ववजमा ऩद्मा
आयती ददखामे खद
ु आयती रेकय शाथ धोरे। य ण
14 10 6 2
धनृ त् स्वधा साववत्री गणेश-गौयी
फपय दोनो शाथकी अॊजसरभें ऩष्ु ऩ रेकय ऩष्ु ऩाॊजसर दें ।
13 9 5 1
नाना वुगध
ॊ ी ऩुष्ऩार्ण ऋतुकारोद्भलातन ।
ऩत्श् भ
ऩुष्ऩाॊजसर प्रदानेन प्रवीद गणनामक।
ऩत्श् भ ददळा वे ऩल
ू ा ददळा की ओय क्रभळ् भातक
ृ ाओॊ की
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् ऩुष्ऩाॊजसर वभऩामासभ।
स्थाऩना कयें । प्रत्मेक कोष्ठक भें यक्त अषत, जौ मा गेशूॉ
प्राथतना: यखें । ऩशरे कोष्ठक भें गौयी का आह्लान कये । रेफकन गौयी के
वलघ्नेश्लयाम लयदाम वुयवप्रमाम रॊफोदयाम वकराम आह्लान वे ऩशरे बगलान गणेळ का आह्लान कयें । गणेळ का
जगविताम। नागाननाम श्रुततमस वलबुवऴताम गौयीवुताम गणनाथ आह्लान ऩष्ु ऩ औय अषत वे कयें । अन्म कोष्ठकों भें भॊि
नभो नभस्ते। बक्ताततानाळन ऩयाम गणेश्लयाम वलेश्लयाम उच् ारयत कयते शुए आह्लान कयें ।
ळुबदाम वुयेश्लयाम। विद्याधयाम वलकटाम लाभनाम बत्क्त
भातक
ृ ाओां का आह्वान एवां स्थाऩना भांत्र :-
प्रवन्न लयदाम नभो नभस्ते।
इव भॊिों भें ऴोडळभातक
ृ ाओॊ का आह्लान कयें ..
नभस्काय:
ॐ गणऩतमे नभ्। गणऩततभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥
रॊफोदय नभस्तु्मॊ वतत भोदक वप्रम।
ॐ गौमै नभ्। गौयीभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥१॥
तनवलाघ्नॊ कुरु भे दे ल वला कामेऴु वलादा।
ॐ सवविफुवि वदशत श्री गणेळाम नभ् नभस्कायान ् वभऩामासभ। ॐ ऩद्मामै नभ्। ॐ ऩद्मालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥२॥

ववशेष अध्मत: ॐ ळच्मै नभ्। ळ ीभालाशमासभ, स्थाऩमासभ॥३॥


आ भनी भें जर, ालर, पूर, पर, ॊदन दक्षषणा आदद अध्मा भें ॐ भेधामै नभ्। भेधाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥४॥
रे ॐ वावलत्र्मै नभ्। वावलिीभालाशमासभ स्थाऩमासभ ॥५॥
54 - 2018

ॐ वलजमामै नभ्। वलजमाभालाशमाभ, स्थाऩमासभ ॥६॥ प्राथाना एलॊ स्थाऩना भॊि :


ॐ जमामै नभ्। जमाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥७॥ ॐ ब्रह्भा भयु ारयत्स्िऩयु ान्तकायी बान्ु ळळी बसू भवतो फध
ु श् ।
गरु
ु श् ळक्र
ु ् ळतन याशुकेतल् वलेग्रशा् ळाॊततकया बलन्तु ॥
ॐ दे लवेनामै नभ्। दे लवेनाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥८॥
वम
ू ्ा ळौमाभथेन्दरु
ु च् ऩदलीभ ् वन्भॊगरभ ् भॊगर्।
ॐ स्लधामै नभ्। स्लधाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥९॥
वद्फवु िभ ् फध
ु ो गरु
ु श् गरु
ु ताभ ् ळक्र
ु वखु भ ् ळॊ ळतन् ।
ॐ स्लाशामै नभ्। स्लाशाभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥१०॥
याशुफााशुफरॊ कयोतु वततभ ् केत्ु कुरस्मोन्नततभ ्
ॐ भात्
ृ मोनभ्। भात्ृ आलाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥११॥ तनत्मभ ् प्रीततकया बलन्तु भभ ते वलेऽनकूरा ग्रशा् ॥
ॐ रोकभात्
ृ मो नभ्। रोकभात्ृ आलाशमासभ, स्थाऩमासभ॥१२॥ आह्वान :
ॐ धत्ृ मै नभ्। धतृ तभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥१३॥ इव भॊि वे नलग्रशों का आह्लान कयके उनका ऩज
ू न कयें :
ॐ ऩष्ु ्मै नभ्। ऩत्ु ष्टभालाशमासभ, स्थाऩमासभ ॥१४॥ अत्स्भन नलग्रशभॊडरे आलादशता् वम
ू ााददनलग्रशा दे ला्

ॐ तष्ु ्मै नभ्। तत्ु ष्टभालाशमासभ, स्थाऩमासभ॥१५॥ वप्र


ु ततत्ष्ठता लयदा बलन्तु ।
प्रनतष्ठा :-
ॐ आत्भन् कुरदे लतामै नभ्। आत्भन् कुरदे ताभालाशमासभ,
शाथ भें अषत रेकय इव भॊि वे का उच् ायण कय उवे नलग्रश
स्थाऩमासभ ॥१६॥
भॊडर भें प्रततष्ठा के सरए अवऩात कयें ।
इस भांत्र द्वाया षोडशभातक
ृ ाओां का आह्वान, स्थाऩना कयें - ॐ भनो जतू तजऴ
ुा ताभाज्मस्म फश
ृ स्ऩततमाससभभॊ ततनोत्लरयष्टॊ
ॐ भनोजूततजुऴ
ा ताभाज्मस्मफश
ृ स्ऩततमाससभभन्तनी मसॊ वसभभॊ दधात।ु
त्लरयष्टॊ मसठा वसभभॊदधातु॥ वलश्लेदेलाव इश
वलश्ले दे लाव इश भादमन्ताभोऽम्प्रततष्ठ ॥
भादमन्ताभोऽम्प्रततष्ठ॥
ऩज
ू न:-
अऺत छोड़ते हुए भातक
ृ ा-भांडर की प्रनतष्ठा कयें ।
तत्ऩश् ात इव भॊि के वाथ नलग्रशों का ऩॊ ोऩ ाय ऩज
ू न कयें
“ॐ गणेळवदशतगौमााददऴोडळभातक ृ ा्मो नभ्”
-
इव भॊि वे ऩॊ ोऩ ाय ऩज
ू न कयें । नैलेद्म भें गड
ु तथा घी का
“गॊधऩष्ु ऩधूऩदीऩनैलेद्माददनी वभऩामाभी” कशकय गॊध, ऩष्ु ऩ,
नेलद्
ै म रगामे ।
धूऩ, दीऩ, नैलेद्म अवऩात कयें ।
प्राथतना :-
ॐ गणेळ वदशतगौमाादद ऴोडळभातक
ृ ा्मो नभ्।
प्राथतना :-
अनमा ऩज
ू मा गणेळवदशत गौमााददऴोडळभातय् प्रीमन्ताभ,् न
भभ ।
जऩाकुवभ
ु वॊकाळॊ काश्मऩेमॊ भशद्मतु तभ ्।
इव भॊि के वाथ अषत अवऩात कयने के फाद नभस्काय कयें
तभोऽरयॊ वलाऩाऩघ्नॊ प्रणतोऽत्स्भ ददलाकयभ ् ॥१॥
औय फपय इव भॊि का उच् ायण कयें -
दधध ळॊख तऴ
ु ायाबॊ षीयोदाणाल वॊबलभ ्।
गौयी ऩद्मा ळ ी भेधा वावलिी वलजमा जमा ।
नभासभ ळसळनॊ वोभॊ ळम्बो् भक
ु ु ट बऴ
ू णभ ्॥२॥
दे लवेना स्लधा स्लाशा भातयो रोकभातय् ॥
धयणी गबा वॊबत
ू ॊ वलद्मत्ु कात्न्तवभप्रबभ ्।
धृतत् ऩुत्ष्टस्तथा तुत्ष्टयात्भन् कुरदे लता ।
कुभायॊ ळत्क्त शस्तॊ भॊगरॊ प्रणभाम्मशभ ्॥३॥
गणेळन े ाधधका ह्मेता लि ृ ौ ऩूज्माश् ऴोडळ् ॥
वप्रमॊगक
ु सरकाश्माभॊ रूऩेणाप्रततभॊ फध
ु भ ्।
भातक
ृ ाऩज
ू न के ऩश् मात नलग्रश ऩज
ू न कयें । वौम्मॊ वौम्मगण
ु ोऩेतॊ तॊ फध
ु ॊ प्रणभाम्मशभ ्॥४॥
दे लानाॊ ऋऴीणाॊ गरु
ु ॊ काञ् न वॊतनबभ ्।
नलग्रश ऩज
ू न फवु िबत
ू ॊ त्रिरोकेळॊ तॊ नभासभ फश
ृ स्ऩततभ ्॥५॥
नलग्रश-ऩज
ू न के सरए नलग्रश फीवा मन्ि अथला दशभ कुन्द भण
ृ ाराबॊ दै त्मानाॊ ऩयभॊ गरु
ु भ ्।
नलग्रश भॊडर की स्थाऩना रार लस्ि ऩय अषत के ऊऩय कयें वला ळास्ि प्रलक्तायॊ बागालॊ प्रणभाम्मशभ ्॥६॥
। ऩशरे ग्रशों का आह्लान कयके उनकी स्थाऩना की जाती शै । नीराॊजन वभाबावॊ यवलऩि
ु ॊ मभाग्रजभ ्।
फाएॉ शाथ भें अषत रेकय इव भॊि का उच् ायण कयते शुए छामाभाताण्डवॊबत
ू ॊ तॊ नभासभ ळनैश् यभ ्॥७॥
दाएॉ शाथ वे अषत अवऩात कयते शुए ग्रशों का आह्लान कयें । अधाकामॊ भशालीमं न्द्राददत्म वलभदा नभ ्।
55 - 2018

सवॊदशका गबा वॊबतू ॊ तॊ याशुॊ प्रणभाम्मशभ ्॥८॥ करळस्म भुखे वलष्णु् कॊठे रुद्र् वभाधश्रत् । भूरे त्लस्म स्थतो
ऩराळ ऩष्ु ऩ वॊकाळॊ तायका ग्रश भस्तकभ ्। ब्रह्भा भध्मे भातगृ णा् स्भृता् ॥ कुषौ तु वागया् वले, वततद्लीऩा
यौद्रॊ यौद्रात्भकॊ घोयॊ तॊ केतुॊ प्रणभाम्मशभ ्॥९॥ लवुध
ॊ या् । अजुना ी गोभती ल ै ॊद्रबागा वयस्लती ॥
इतत व्माव भख
ु ोद् गीतॊ म् ऩठे त ् वव
ु भादशत्। कालेयी कृष्णलेणी गॊगा ैल भशानदी । तातती गोदालयी ैल
ददला ला मदद ला यािौ वलघ्न ळात्न्त् बवलष्मतत॥१०॥ भाशे न्द्री नभादा तथा ॥ नदाश् वलवलधा जाता नद्म्
नय नायी नऩ
ृ ाणाॊ बलेद् द्ु स्लतन नाळनभ ्। वलाास्तथाऩया् ।
ऐश्लमं अतर
ु ॊ तेऴाभ ् आयोग्मॊ ऩत्ु ष्ट लधानभ ्॥११॥ ऩधृ थव्माॊ मान तीथाातन करळस्तातन तातन लै् ॥ वले वभुद्रा्
गश
ृ नषिजा् ऩीडा स्तस्कयात्ग्न वभद्भ
ु ला्। वरयतस्तीथमाातन जरदा नदा् । आमान्तु भभ काभस्म
ता् वलाा् प्रळभॊ मात्न्त व्मावो ब्रू ते न वॊळम्॥१२॥ दरु यतषमकायका् ॥ ॐ अऩाॊ ऩतमे लरुणाम नभ् । ॐ
॥ इतत श्रीव्माव वलयध तॊ नलग्रशस्तोिॊ वॊऩण
ू भ
ा ्॥ लरुणाद्मालादशत दे लता्मो नभ्।
करळ ऩज
ू न(लरुण ऩज
ू न ) सभऩतण :-

करळ स्थावऩत कयने शे तु रकडी की ौकी ऩय "कृतेन अनेन ऩज


ू नेन करळे लरुणाद्मालादशतदे लता् प्रीमन्ताॊ न
अष्टदर कभर फनाकय उव ऩय धान्म(गेशूॉ) त्रफछा दें । करळ भभ।"
(करळ शे तु सभट्टी अथला ताॊफे का रोटा रें) ऩय योरी वे
स्लात्स्तक का ध न्श फनाकय रोटे ऩय तीन धागे लारी भौरी रक्ष्भी ऩज
ू न
(नाडाछडी, ा़ कराला, ऩॊ यॊ गी धागा ) रऩेटें ल धान्म ऩय करळ ऩज
ू न वे ऩल
ू ा नमी रक्ष्भी प्रततभा तथा द्रव्मरक्ष्भी की
यखकय जर वे बय दें एलॊ उवभें ॊदन, दफ
ू , ऩाॉ ऩत्ते प्राणप्रनतष्ठा कयें :-
(फयगद, गर
ू य, ऩीऩर, आभ, ऩाकड अथला ऩान के ऩत्ते), प्रततष्ठा शे तु फामें शाथ भें अषत रेकय इव भॊि का उ ायण
कुळा एलॊ गौळारा आदद की सभट्टी, वऩ
ु ायी, ऩॊ यत्न कयते शुए दादशने शाथ वे उन अषतों को रक्ष्भीजी की प्रततभा
(मथाळत्क्त) ल द्रव्म छोड दें । नारयमर ऩय रार कऩडा ऩय ढातेा़ जामे..
रऩेटकय, ालर वे बये एक ऩण
ू ा ऩाि को करळ ऩय स्थावऩत ॐ भनो जूततजुऴ
ा ताभाज्मस्म फश
ृ स्ऩततमाससभभॊ
कय उव ऩय नारयमर यख दें । शाथ जोडकय करळ भें लरुण तनोत्लरयष्टॊ मस वसभभॊ दधातु।
दे लता का आह्लान कयें :- वलश्ले दे लाव इश भादमन्ताभोम्प्रततष्ठ।।
स्थाऩना :- ॐ अस्मै प्राणा: प्रततष्ठन्तु अस्मै प्राणा: षयन्तु ।
करळ भें जर बयकय तनम्न भॊि का उच् ायण कयें :- अस्मै दे लत्लभ ाामै भाभशे तत कश् न।।
ॐ लरुणस्मोत्तम्बनभसव लरुणस्म स्कम्बवजानी स्थो लरुणस्म। इत्मादद ळास्िोक्त भॊिों का उ ायण कय प्राण-प्रततष्ठा कयें ।
ऋतवदन्मसव लरुणस्म ऋतवदन्भसव लरुणस्म ऋतवदनभा ध्मान:-
वीद॥ तत्ऩश् मात शाथ भें ऩष्ु म रेकय इव भॊि का उच् ायण कयते
आह्वान :- शुले रक्ष्भी दे ली का ध्मान कयें ..
ततऩश् मात वऩ
ु ायी औय ऩॊ यत्न आदद जर करळ भें डार दें । मा वा ऩद्मावनस्था वलऩुरकदटतटी ऩद्मऩिामताषी,
इवके फाद करळ ऩय ालर का ऩाि यखकय रार लस्ि वे रऩेटा गम्बीयालतानासबस्तनबयनसभता ळुभ्रलस्िोत्तयीमा ।
नारयमर यखना दे । अफ लरुण दे लता का स्भयण कयते शुए आह्लान मा रक्ष्भीददा व्मरूऩैभर्ा णगणखध तै् स्नावऩता शे भकुम्बै्
कयें - वा तनत्मॊ ऩद्मशस्ता भभ लवतु गश
ृ े वलाभाॊगल्ममुक्ता ॥
ॐ बूबुल
ा ् स्ल् बो लरुण इशागच्छ, इशततष्ठ, स्थाऩमासभ ऩूजमासभ ॐ दशयण्मलणां शरयणॉ वुलणायजतस्िजाभ ् ।
। न्द्राॊ दशयण्भमी रक्ष्भीॊ जातलेदो भ आ लश ॥
ध्मान व प्राथतना :- ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ध्मानाथे ऩुष्ऩार्ण वभऩामासभ ।
(ध्मान के सरए शाथ भें सरमे शुले ऩष्ु ऩ दे ली को अवऩात कयें ।)
ततऩश् मात करळ ऩय वफ दे लताओॊ का ध्मान कयें एलॊ द
ॊ न,
आह्वान:-
अषत, धूऩ, दीऩ, नैलेद्म अवऩात कय ऩज
ू न कयें । इव भॊि का
तत्ऩश् मात शाथ भें ऩष्ु म रेकय इव भॊि का उच् ायण कयते
उच् ायण कयें :-
शुले रक्ष्भी दे ली का आह्लान कयें ..
56 - 2018

वलारोकस्म जननीॊ वलावौख्मप्रदातमनीभ ् ।वलादेलभमीभीळाॊ वलारोकस्म मा ळत्क्तब्रह्भवलष्ण्लाददसब् स्तत


ु ा ।
दे लीभालाशमाम्मशभ ् ॥ ॐ ताॊ भ आ लश जातलेदो ददाम्मा भनभ ् तस्मै भशारक्ष्म्मै भनोशयभ ् ॥
रक्ष्भीभनऩगासभनीभ।् मस्माॊ दशयण्मॊ वलन्दे मॊ गाभश्लॊ ॐ आददत्मलणे तऩवोऽधध जातो लनस्ऩततस्तल लष
ृ ोऽथत्रफल्ल्
ऩुरुऴानशभ ्॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। भशारक्ष्भीभालाशमासभ, ।
आलाशनाथे ऩुष्ऩार्ण वभऩामासभ । तस्म परातन तऩवा नद
ु न्तु भामा अन्तया माश् फाह्मा
(आह्लान के सरए शाथ भें सरमे शुले ऩष्ु ऩ दे ली को अवऩात अरक्ष्भी्॥
कयें ।) ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।
(आ भन के सरए सरमे शुले जर को ढ़ामे।)
आसन :- स्नान:-
तत्ऩश् मात शाथ भें कभर ऩष्ु म मा अन्म रेकय इव भॊि का तत्ऩश् मात स्नान के सरए जर रेकय इव भॊिका उच् ायण
उच् ायण कयें .. कयें ..
तततकाॊ नलणााबॊ भुक्ताभर्णवलयात्जतभ ् । भन्दाफकन्मा् वभानीतैशेशभाम्बोरुशलासवतै्। स्नानॊ कुरुष्ल
अभरॊ कभरॊ ददव्मभावनॊ प्रततगह् ृ मताभ ् ॥ दे लेसळ वसररैश् वुगत्न्धसब्॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। स्नानॊ
ॐ अश्लऩूलां यथभध्माॊ शत्स्तनादप्रभोददनीभ ् । वभऩामासभ।
धश्रमॊ दे लीभुऩह्लमे श्रीभाा दे ली जुऴताभ ् ॥ (स्नानीम जर अवऩात कयें ।)
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। आवनॊ वभऩामासभ । स्नानान्ते आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।
(आवन के सरए शाथ भें सरमे शुले ऩष्ु ऩ दे ली को अवऩात कयें ।) स्नानके फाद 'ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्' फोरकय आ भन शे तु जर
ऩाद्म :- दें ।
तत्ऩश् मात न्दन ऩष्ु ऩादद मक्
ु त जर रेकय इव भॊि का दग्ु ध स्नान :
उच् ायण कयें .. काभधेनुवभुत्ऩन्नॊ वलेऴाॊ जीलनॊ ऩयभ ् । ऩालनॊ मसशे तुश् ऩम्
गॊगाददतीथावम्बूतॊ गन्धऩुष्ऩाददसबमुत
ा भ् । स्नानाथाभवऩातभ ् ॥ ॐ ऩम् ऩधृ थव्माॊ ऩम औऴधीऴु ऩमो
ऩाद्मॊ ददाम्मशॊ दे वल गश ृ ाणाळु नभोऽस्तुते ॥ ददव्मन्तरयषे ऩमो धा् । ऩमस्लती् प्रददळ् वन्तु भह्मभ ् ॥
ॐ काॊ वोत्स्भताॊ दशयण्मप्राकायाभाद्रां ज्लरन्तीॊ ततृ ताॊ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, ऩम् स्नानॊ वभऩामासभ ।
तऩामन्तीभ।् ऩम् स्नानान्ते ळुिोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।
ऩद्मेत्स्थताॊ ऩद्मलणां तासभशोऩह्लमे धश्रमभ ् ॥ (गाम के कच् े दध
ू वे स्नान कयामे, ऩुन् ळुि जर वे स्नान कयामे।)
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ऩादमो् ऩाद्मॊ वभऩामासभ ।
(ऩाद्म शे तु शाथ भें सरमे शुले न्दन ऩुष्ऩददमुक्त जर अवऩात कयें ।) दधधस्नान :-
अर्घ्मत :- ऩमवस्तु वभुद्भूतॊ भधुयाम्रॊ ळसळप्रबभ ् । दध्मानीतॊ भमा दे वल
तत्ऩश् मात अष्टगन्धसभधश्रत जर रेकय इव भॊि का स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ ॐ दधधक्राव्णो अकारयऴॊ
उच् ायण कयें .. त्जष्णोयश्लस्म लात्जन् वुयसब नो भुखा कयत्प्र ण आमूवऴ
अष्टगन्धवभामुक्तॊ स्लणाऩािप्रऩूरयतभ ् । तारयऴत ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दधधस्नानॊ वभऩामासभ।
अघ्मं गश ृ ाण भद्दतॊ भशारत्क्ष्भ नभोऽस्तु ते ॥ दधधस्नानान्ते ळुिोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।
ॐ न्द्राॊ प्रबावाॊ मळवा ज्लरन्तीॊ धश्रमॊ रोके दे लजुष्टाभुदायाभ ् (दशी वे स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।)

ताॊ ऩद्मनीभीॊ ळयणॊ प्रऩद्मेऽअरक्ष्भीभे नश्मताॊ त्लाॊ लण
ृ े ॥ घत
ृ स्नान :-
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। शस्तमोयघ्मं वभऩामासभ । नलनीतवभुत्ऩन्नॊ वलावत
ॊ ोऴकायकभ ् । घत
ृ ॊ तु्मॊ प्रदास्मासभ
(अष्टगॊध सभधश्रत जर को दे ली के शाथों ऩय वभवऩात कयें ।) स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ ॐ घत
ृ ॊ घत
ृ ऩालन् वऩफत लवाॊ
लवाऩालन् वऩफतान्तरयषस्म शवलयसव स्लाशा । ददळ् प्रददळ
आचभन :-
आददळो वलददळ उदद्दळो ददग््म् स्लाशा ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्।
तत्ऩश् मात आ भन के सरए जर रेकय इव भॊि का
उच् ायण कयें ..
57 - 2018

घत
ृ स्नानॊ वभऩामासभ । घत
ृ स्नानान्ते ळुिोदकस्नानॊ ळि
ु ोदक स्नान कयामे मदद ऩष्ु ऩा न
ा मा जर असबऴेक नशीॊ
वभऩामासभ। कयना शो तो वीधे ळि
ु ोदक स्नान कयामे।)
(घत
ृ [घी] स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।) असबऴेक शे तु ळि
ु जर मा दग्ु ध वे श्रीवक्
ू त के ऩाठ के वभम
अखण्ड जरधाया वे स्नान अथाात असबऴक कयामे। अखण्ड
भधु स्नान :- जरधाया शे तु धातु की प्रततभा मा द्रव्मरक्ष्भी श्रेष्ठ यशती शैं।
तरुऩुष्ऩवभुद्भूतॊ वुस्लादु भधुयॊ भधु । तेज् ऩुत्ष्टकयॊ ददव्मॊ अखण्ड जरधाया असबऴेक अरग ऩाि भें कयना ादशए।
स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ ॐ भधुलाता ऋतामते भधु षयत्न्त * सभट्टी की प्रततभा शो तो अखण्ड जरधाया वे प्रततभा
सवन्धल्। भाध्लीना् वन्त्लोऴधी् ॥ भधु नक्तभुतोऴवो षततग्रस्त शो वकती शैं। श्री वक्
ू त इव अॊक भें उऩरब्ध
भधुभत्ऩाधथालॎ घूॊ यज्। भधु द्मौयस्तु न् वऩता॥ भधुभान्नों कयामा गमा शैं।
लनस्ऩततभेधुभाॉऽअस्तु वूम्ा । भाध्लीगाालो बलॊतु न् ॥ ॐ शि
ु ोदक स्नान :
भशारक्ष्म्मै नभ्। भधुस्नानॊ वभऩामासभ। भधुस्नानन्ते भन्दाफकन्मास्तु मद्वारय वलाऩाऩशयॊ ळुबभ ् ।
ळुिोदकस्नानॊ वभऩामासभ । तदददॊ कत्ल्ऩतॊ तु्मॊ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
(ळशद स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।) ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ळि
ु ोदकस्नानॊ वभऩामासभ ।
(ळि
ु ोदक स्नान के सरए गॊगाजर अथला ळि
ु जर वे दे ली को
शकतया स्नान :- स्नान कयामे। तदनॊतय प्रततभा का अॊग-प्रोषण(ऩोंछना) कयके
इषुवायवभुद्भूता ळकाया ऩुत्ष्टकारयका । उवे मथास्थान आवान ऩय स्थावऩत कयें ।)
भराऩशारयका ददव्मा स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
ॐ अऩा घूॊ यवभुद्वमवॎ वूमे वन्त घूॊ वभादशतभ ् । आचभन :-
अऩा घूॊ यवस्म मो यवस्तॊ लो तत्ऩश् ात 'ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्' कशकय आ भनी वे जर
गह्
ृ णाम्मुत्तभभुऩमाभगश ृ ीतोऽवीन्द्राम अवऩात कयें ।
त्ला जुष्टॊ गह्ृ णाम्मेऴ ते मोतनरयन्द्राम त्ला जुष्टतभभ ् ॥
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ् । ळकायास्नानॊ वभऩामासभ, ळकाया वस्त्र :-
स्नानान्ते ऩुन् ळुिोदक स्नानॊ वभऩामासभ । ददव्माम्फयॊ नूतनॊ दश षौभॊ त्लततभनोशयभ ् ।
(ळक्कय वे स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।) दीमभानॊ भमा दे वल गशृ ाण जगदत्म्फके ॥
ऩांचाभत
ृ स्नान :- ॐ उऩैतु भाॊ दे लवख् कीतताश् भर्णना वश ।
दध
ू , दशी, घी, ळकय एलॊ ळशद सभराकय ऩॊ ाभत
ृ फनाएॉ ल प्रादब
ु ूत
ा ोऽत्स्भ याष्ट्रे ऽत्स्भन ् कीतताभृविॊ ददातु भे ॥
तनम्न भॊि वे स्नान कयाएॉ। ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। लस्िॊ वभऩामासभ,
ऩमो दधध घतृ ॊ ैल भधुळकायमात्न्लतभ ् । आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।
ऩॊ ाभृतॊ भमानीतॊ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ (लस्ि अवऩात कयें , आ भनीम जर अवऩात कयें ।)
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ऩॊ ाभतृ स्नानॊ वभऩामासभ, उऩवस्त्र :-
ऩॊ ाभृतस्नानान्ते ळुिोदकस्नानॊ वभऩामासभ । कॊ ुकीभुऩलस्िॊ नानायत्नै् वभत्न्लतभ ् ।
(ऩॊ ाभत
ृ स्नान कयामें, फपय ळि
ु जर वे स्नान कयामें।) गश
ृ ाण त्लॊ भमा दत्तॊ भॊगरे जगदीश्लरय ॥
गन्धोदक स्नान :- ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। उऩलस्िॊ वभऩामासभ,
भरमा रवम्बूतॊ न्दनागरुवम्बलभ ् । आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।
न्दनॊ दे लदे लेसळ स्नानाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ (कॊ ुकी,अॉधगमा आदद उऩलस्ि ढ़ाएॉ,आ भन के सरए जर
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। गन्धोदकस्नानॊ वभऩामासभ । दें ।)
(गॊध ( ॊदन) मक्
ु त जर वे स्नान कयाएॉ।) भधुऩकत :-
वलळेऴ:- काॊस्म काॊस्मेन वऩदशतो दधधभध्लाज्मवॊमुत् । भधुऩको

गन्धोदक स्नान के ऩश् मात श्रीवक् भमानीत् ऩूजाथं प्रततगह्


ृ मताभ ् ॥ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्।
ू त, ऩरु
ु ऴ वक्
ू त अथला
वशस्रनाभ आदद वे ऩष्ु ऩा न
ा मा जर असबऴेक कयके फपय भधुऩकं वभऩामासभ, आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।
58 - 2018

(काॊस्म ऩि भें त्स्थत भधुऩका (अथाात वोने ाॊदी के सवक्के (दे ली रक्ष्भी को सवन्दयू ढ़ाएॉ।)
इत्मादद) अवऩात कयें ) कांु कुभ :-
मऻोऩवीत :- कुॊकुभॊ काभदॊ ददव्मॊ कुॊकुभॊ काभरूवऩणभ ् ।
श्रीगणेळ, श्रीनायामण आदद दे लता को स्थावऩत फकमा शो तो अखण्डकाभवौबाग्मॊ कुॊकुभॊ प्रततगह्ृ मताभ ् ॥
मसोऩवलत ढ़ाए, अन्मथा वीधे आबऴ
ू ण वे ऩज
ू न कयें ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, कुॊकुभॊ वभऩामासभ ।
ॐ तस्भादअकूला अजामॊत मे के ोबमादत् । गालोश मक्षसये (कॊु कुभ अवऩात कयें ।)
तस्भात्तस्भाज्जाता अजालम् ॥ ॐ मसोऩलीतॊ ऩयभॊ ऩवलिॊ ऩष्ु ऩसाय :-
प्रजाऩतमेत्वशजॊ ऩयु स्तात ् ॥ आमष्ु मभग्र्मॊ प्रततभञ्
ु ळभ्र
ु ॊ तैरातन वुगन्धीतन द्रव्मार्ण वलवलधातन ।
मसोऩलीतॊ फरभस्तत
ु ज
े ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, ॐ भमा दत्तातन रेऩाथं गश ृ ाण ऩयभेश्लरय ॥
श्रीगणेळाम नभ्, ॐ बगलते लावद
ु े लाम नभ् । मसोऩलीतॊ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। वुगत्न्धततैरॊ ऩुष्ऩवायॊ वभऩामासभ ।
वभऩामासभ । (ऩष्ु ऩवाय भें वग
ु त्न्धत तेर ल इि अवऩात कयें ।)
(श्रीगणेळ, श्रीनायामण आदद दे लता कोमसोऩवलत ढ़ामे, अऺत :-
आ भन के सरए जर दें ।) अषताश् वुयश्रेष्ठे कुॊकुभाक्ता् वुळोसबता् ।
आबष
ू ण :- भमा तनलेददता बक्त्मा गश ृ ाण ऩयभेश्लरय ॥
यत्नकॊकणलैदम
ू भ
ा ुक्ताशायाददकातन । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। अषतान ् वभऩामासभ ।
वुप्रवन्नेन भनवा दत्तातन स्लीकुरुष्ल बो् ॥ (कॊु कुभ वे यॊ गे शुए अषत अवऩात कयें ।)
ॐ षुत्त्ऩऩावाभराॊ ज्मेष्ठाभ-अरक्ष्भीॊ
् नाळमाम्मशभ ् । ऩष्ु ऩ एवां ऩष्ु ऩभारा :-
अबूततभवभृविॊ वलां तनणुद
ा भे गशृ ात ् ॥ भाल्मादीतन वुगन्धीतन भारत्मादीतन लै प्रबो ।
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। नानावलधातन कुॊडरकटकादीतन भमानीतातन ऩुष्ऩार्ण ऩूजाथं प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
आबूऴणातन वभऩामासभ । (आबऴ
ू ण वभवऩात कयें ।) ॐ भनव् काभभाकूततॊ ला ् वत्मभळीभदश । ऩळूनाॊ
गन्ध :- रूऩभन्नस्म भतम श्री् श्रमताॊ मळ् ॥
श्रीखण्डॊ न्दनॊ ददव्मॊ गन्धाढ्मॊ वुभनोशयभ ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। ऩुष्ऩॊ ऩुष्ऩभाराॊ वभऩामासभ ।
वलरेऩनॊ वुयश्रेष्ठे न्दनॊ प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ (उक्त भॊि का उ ायण कय दे ली रक्ष्भी जी को ऩष्ु ऩों वे ल
ॐ गन्धद्वायाॊ दयु ाधऴांतनत्म ऩुष्टाॊ कयीवऴणीभ ् । ऩष्ु ऩ भाराओॊ वे अरॊकृत कयें । रक्ष्भीजी का ऩज
ू न कभर के
ईश्लयीॊ वलाबूतानाॊ तासभशोऩ ह्लमे धश्रमभ ् ॥ ऩष्ु ऩ वे श्रेष्ठ भाना जाता शैं।)
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। गन्धॊ वभऩामासभ । दव
ू ात :-
(अनासभका अॊगर
ु ी वे केवय सभधश्रत न्दन अवऩात कयें ।) वलष्ण्लाददवलादेलानाॊ वप्रमाॊ वलावुळोबनाभ ् ।
यक्त चन्दन :- षीयवागय वम्बूते दल ू ां स्लीकुरू वलादा ॥
यक्त न्दनवत्म्भश्रॊ ऩारयजातवभुद्भलभ ् । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दलू ांकुयान ् वभऩामासभ ।
भमा दत्तॊ भशारत्क्ष्भ न्दनॊ प्रततगह्
ृ मताभ ॥ (दल
ू ांकुय (अथाात ् दफ
ू के अॊकुय) अवऩात कयें ।)
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। यक्त न्दनॊ वभऩामासभ । अांग ऩज
ू ा :-
(अनासभका अॊगर
ु ी वे यक्त ॊदन ढ़ाएॉ।) तदनॊतय भशारक्ष्भीजी के वलसबन्न अॊगों का कॊु कुभ एलॊ अषत
मसन्दयू :- सभधश्रत ऩष्ु ऩों वे दे ली का एक-एक नाभ रेते शुले अॊगऩज
ू न
सवन्दयू ॊ यक्तलणं सवन्दयू ततरकवप्रमे । कयें
बक्त्मा दत्तॊ भमा दे वल सवन्दयू ॊ प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥ ॐ ऩरामै नभ्, ऩादौ ऩज
ू मासभ। (ऩैयों ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात कयें )
ॐ सवन्धोरयल प्राध्लने ळूघनावो लात प्रसभम् ऩतमत्न्त मह्ला् ॐ ॊ रामै नभ्, जानन
ु ी ऩज
ू मासभ। (जानु प्रदे ळ ऩय ऩुष्ऩ अवऩात
। कयें )

घत
ृ स्म धाया अरुऴो न लाजी काष्ठा सबन्दन्नूसभासब् ॐ कभरामै नभ्,कदटॊ ऩज
ू मासभ। (कभय ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात कयें )
वऩन्लभान्॥ ॐ कात्मामन्मै नभ्,नासबॊ ऩज
ू मासभ। (नासब ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। सवन्दयू ॊ वभऩामासभ । कयें )
59 - 2018

ॐ जगन्भािे नभ्, जठयॊ ऩज


ू मासभ। (जठय ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात ॐ आऩ् वज
ृ न्तु त्स्नग्धातन ध क्रीत लव भे गश ृ े।
कयें ) तन दे लीॊ भातयॊ धश्रमॊ लावम भे कुरे ॥
ॐ वलश्ललल्रबामै नभ्, लष्स्थरभ ् ऩज
ू मासभ । (लषस्थर ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दीऩॊ दळामासभ ।
ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात कयें ) (रक्ष्भीजीको दीऩक ददखाकय शाथ धो रें।)
ॐ कभरलासवन्मै नभ्,शस्तौ ऩज
ू मासभ। (शाथ ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात
कयें ) नैवेद्म (सार की धानी सदहत ऩांचमभष्ठान्न व सख
ू े भेव)े :
ॐ ऩद्माननामै नभ्, भख
ु ॊ ऩज
ू मासभ। (भख
ु ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात नैलेद्मॊ गह्
ृ मताॊदेवल बक्ष्मबोज्मवभत्न्लतभ ् ।
कयें ) ऴड्यवैयत्न्लतॊ ददव्मॊ रत्क्ष्भ दे वल नभोऽस्तु ते ॥
ॐ कभरऩिाक्ष्मै नभ्, नेििमॊ ऩज
ू मासभ।(तीनों नेि ऩय ऩुष्ऩ अवऩात ॐ आद्रां ऩुष्करयणीॊ ऩुत्ष्टॊ वऩॊगराॊ ऩद्मभासरनीभ ् ॥
कयें ) न्द्राॊ दशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ जातलेदो भ आ लश ॥
ॐ धश्रमै नभ्, सळय् ऩज
ू मासभ । (सवय ऩय ऩष्ु ऩ अवऩात कयें ) ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। नैलेद्मॊ तनलेदमासभ,
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्, वलांङ्गॊ ऩज
ू मासभ । (दे ली के वभस्त भध्मे ऩानीमभ,् उत्तयाऩोऽळनाथाभ ् शस्तप्रषारनाथं
अॊग के ऩज
ू न शे तु ऩष्ु ऩ अवऩात कयें ) भुखप्रषारनाथं जरॊ वभऩामासभ ।
अष्टमसविऩज
ू न :- ( रक्ष्भीजी को नैलेद्म तनलेददत कय ऩानीम जर एलॊ
इवके ऩश् ात दक्षषणालता अथाात ् घडी की ददळा भें आठों शस्तप्रषारन के सरए जर अवऩात कयें ।)
ददळाओॊ भें लर्णात आठों सवविमों का ऩज
ू न कॊु कुभ एलॊ अषत
वे दे ली भशारक्ष्भी का ऩज
ू न कयें - कयोद्वततन :-
1 ॐ अर्णम्ने नभ् (ऩल
ू ा ददळा भें ), 2 ॐ भदशम्ने नभ् ॐ भशारक्ष्म्मै नभ् मश कशकय कयोद्वतान के सरए शाथों भें
(आग्नेम कोण भें ), 3 ॐ गरयम्णे नभ् (दक्षषण ददळा भें ), 4 न्दन उऩरेवऩत कयें ।
ॐ रतघम्ने नभ् (नैऋत्म कोण भें ), 5 ॐ प्रातत्मै नभ्
(ऩत्श् भ ददळा भें ), 6 ॐ प्रकाम्मै नभ् (लामव्म कोण भें ), 7 आचभन :-

ॐ ईसळतामै नभ् (उत्तय ददळा भें ), 8 ॐ लसळतामै ळीतरॊ तनभारॊ तोमॊ कऩूया े ण वुलासवतभ ् ।
नभ्(ईळान कोण भें ) | आ म्मताॊ जरॊ ह्मेतत ् प्रवीद ऩयभेश्लरय ॥
अष्टरक्ष्भी ऩज
ू न :- ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। आ भनीमॊ जरॊ वभऩामासभ ।

इवके ऩश् ात दक्षषणालता अथाात ् घडी की ददळा भें आठों (आ भन के सरए जर दें ।)

ददळाओॊ भें लर्णात आठों अष्ट रत्क्ष्भमों का ऩज


ू न कयें । ऋतप
ु र :-
(1) ॐ आद्मरक्ष्म्मै नभ् (2) ॐ विद्यारक्ष्म्मै नभ् (3) परेन पसरतॊ वलं िैरोक्मॊ व या यभ ् ।
ॐ वौबाग्मरक्ष्म्मै नभ् (4) ॐ अभत
ृ रक्ष्म्मै नभ् तस्भात ् परप्रदानेन ऩूणाा् वन्तु भनोयथा् ॥
(5) ॐ काभरक्ष्म्मै नभ् (6) ॐ वत्मरक्ष्म्मै नभ् ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। अखण्डऋतुपरॊ वभऩामासभ, आ भनीमॊ
(7) ॐ बोगरक्ष्म्मै नभ् (8) ॐ मोगरक्ष्म्मै नभ् जरॊ वभऩामासभ ।
धूऩ :- (ऋतप
ु र अवऩात कयें तथा आ भन के सरए जर दें ।)
लनस्ऩततयवोद्भूतो गन्धाढ्म् वुभनोशय् ।
ताम्फर
ू एवां ऩग
ू ीपर :-
आघ्रेम् वलादेलानाॊ धूऩोऽमॊ प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
ॐ कद्दाभेन प्रजा बूता भतम वॊबल कदा भ। ऩूगीपरॊ भशदद्दव्मॊ नागलल्रीदरैमुत
ा भ् ।

धश्रमॊ लावम भें कुरे भातयॊ ऩद्मभासरनीभ ् ॥ एरा ूणााददवॊमुक्तॊ ताम्फूरॊ प्रततगह्
ृ मताभ ् ॥
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। धूऩभाघ्राऩमासभ । ॐ आद्रां म् करयणीॊ मत्ष्टॊ वुलणां शे भभासरनीभ ् ।

(दोनों शाथों वे रक्ष्भीजीको धूऩ आघ्रावऩत कयें ।) वूमां दशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ जातलेदो भ आ लश ॥
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। भुखलावाथे ताम्फूरॊ वभऩामासभ ।
दीऩ :-
(रलॊग, इराम ी ल ऩग
ू ीपर(वऩ
ु ायी) यखकय ताम्फर
ू (ऩान)
काऩाावलततावम
ॊ ुक्तॊ घत
ृ मुक्तॊ भनोशयभ ् ।
अवऩात कयें ।)
तभोनाळकयॊ दीऩॊ गश ृ ाण ऩयभेश्लरय ॥
दक्षऺणा :-
60 - 2018

दशयण्मगबागबास्थॊ शे भफीजॊ वलबालवो् । (प्रदक्षषणा कयें ।)


अनन्तऩुण्मपरद्भत् ळात्न्त प्रमच्छ भे ॥ प्राथतना :-
ॐ ताॊ भ आ लश जातलेदो रक्ष्भीभनऩगासभनीभ ् । शाथ जोडकय प्राथना कयें :
मस्माॊ दशयण्मॊ प्रबूतॊ गालो दास्मोऽश्लान ् वलन्दे मॊ ऩुरुऴानशभ ् ॥ वुयवुयेंद्राददफकयीटभौत्क्तकैमुक्
ा तभ वदा मत्तल ऩादऩॊकॊजभ ् ।
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। दक्षषणाॊ वभऩामासभ । ऩयालयॊ ऩातु लयॊ वुभग
ॊ रभ ् नभासभ बक्त्मार्खरकाभसविमे ॥
(अऩनी श्रिा अनव
ु ाय रक्ष्भीजी को दक्षषणा ढ़ामे।) बलातन त्लॊ भशारक्ष्भी् वलाकाभप्रदातमनी ।
नीयाजन (आयती) :- वुऩूत्जता प्रवन्ना स्मान्भशारत्क्ष्भ ! नभोऽस्तु ते ॥
षुदं वलारोकानाॊ ततसभयस्म तनलायणभ ् । नभस्ते वलादेलानाॊ लयदावी शरयवप्रमे ।
आतताक्म कत्ल्ऩतॊ बक्त्मा गश
ृ ाण ऩयभेश्लरय ॥ मा गततस्त्लत्प्रऩन्नानॊ वा भे बूमात ् त्लद ना ात ् ॥
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। नीयाजनॊ वभऩामासभ । ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। प्राथानाऩूलक
ा ॊ नभस्कायान ् वभऩामासभ ।
(आयती कयें तथा जर छोडें ल शाथ धोरे।) (दे ली को प्राथाना कयते शुए नभस्काय कयें ।)
सभऩतण :-
प्रदक्षऺणा :- ऩज
ू न के अॊतभें "कृतेनानेन ऩज
ू नेन बगलती भशारक्ष्भी दे ली
मातन कातन ऩाऩातन जन्भान्तयकृतातन । प्रीमताभ ् न भभ।" इव भॊि का उच् ायण कयते शुले वभस्त
तातन वलाार्ण नश्मन्तु प्रदक्षषणाॊऩदे ऩदे ॥ ऩज ू न कभा दे ली भशारक्ष्भी को वभवऩात कयते शुले शाथ भें जर
ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्। प्रदक्षषणाॊ वभऩामासभ । रेकय छोड दें ।

श्री कनकधाया स्तोत्र


अॊगशये ऩर
ु कबऴ
ू ण भाश्रमन्ती बग
ृ ाॊगनैल भक
ु ु राबयणॊ तभारभ। अॊगीकृतार्खर वलबतू तयऩाॊगरीरा भाॊगल्मदास्तु भभ
भॊगरदे लतामा:॥1॥ भग्ु ध्मा भश
ु ु वलादधती लदनै भयु ायै : प्रेभिऩाप्रर्णदशतातन गतागतातन। भारा दृळोभाधुकय वलभशोत्ऩरे मा वा भै
धश्रमॊ ददळतु वागय वम्बलामा:॥2॥ वलश्लाभये न्द्रऩदवलभ्रभदानदषभानन्द शे तु यधधकॊ भधुवलवद्वऴोवऩ। ईऴत्न्नऴीदतु भतम
षणभीषणािासभन्दोलयोदय वशोदयसभत्न्दयाम:॥3॥ आभीसरताषभधधगम्म भद
ु ा भक
ु ु न्दभानन्दकन्दभ तनभेऴभनॊगतन्िभ ्। आकेकय
त्स्थत कनी तनकऩक्ष्भ नेिॊ बत्ू मै बलेन्भभ बज
ु ॊगयामाॊगनामा:॥4॥ फाह्मन्तये भधुत्जत: धश्रतकौस्तब
ु ै मा शायालरील शरयनीरभमी
वलबातत। काभप्रदा बगलतो वऩ कटाषभारा कल्माण बालशतु भे कभरारमामा:॥5॥ काराम्फद
ु ासररसरतोयसव कैटबाये धाायाधये
स्पुयतत मा तडडदॊ गनेल ्। भात:ु वभस्त जगताॊ भशनीम भतू ताबद्रार्ण भे ददळतु बागालनन्दनामा:॥6॥ प्राततॊ ऩदॊ प्रथभत: फकर
मत्प्रबालान्भाॊगल्म बात्ज: भधुभामतन भन्भथेन। भध्माऩतेत ददश भन्थय भीषणािा भन्दारवॊ भकयारमकन्मकामा:॥7॥
दद्माद दमानऩ
ु लनो द्रवलणाम्फध
ु ायाभ त्स्भबफकॊ न वलशॊ ग सळळौ वलऴण्ण। दष्ु कभाधभाभऩनीम ध याम दयू ॊ नायामण प्रणतमनी
नमनाम्फल
ु ाश:॥8॥ इष्टा वलसळष्टभतमो वऩ मथा ममाद्रादृष्टमा त्रिवलष्टऩऩदॊ वर
ु बॊ रबॊत।े दृत्ष्ट: प्रशूष्टकभरोदय दीत्तत रयष्टाॊ
ऩत्ु ष्ट कृऴीष्ट भभ ऩष्ु कय वलष्टयामा:॥9॥ गीदे लतैतत गरुडध्लज बासभनीतत ळाकम्बयीतत ळसळळेखय लल्रबेतत। वत्ृ ष्ट त्स्थतत
प्ररम केसरऴु वॊत्स्थतामै तस्मै नभत्स्ि बल
ु नैक गयु ोस्तरूण्मै ॥10॥ श्रुत्मै नभोस्तु ळब
ु कभापर प्रवत्ू मै यत्मै नभोस्तु यभणीम
गण
ु ाणालामै। ळक्तमै नभोस्तु ळतऩाि तनकेतानामै ऩष्ु टमै नभोस्तु ऩरू
ु ऴोत्तभ लल्रबामै ॥11॥ नभोस्तु नारीक तनबाननामै
नभोस्तु दग्ु धौदधध जन्भ बत्ू मै । नभोस्तु वोभाभत
ृ वोदयामै नभोस्तु नायामण लल्रबामै ॥12॥ वम्ऩतकयार्ण वकरेत्न्द्रम
नन्दातन वाम्राज्मदान वलबलातन वयोरूशाक्षष। त्ल द्लॊदनातन दरु यता शयणाद्मतातन भाभेल भातय तनळॊ करमन्तु नान्मभ ् ॥13॥
मत्कटाषवभऩ
ु ावना वलधध: वेलकस्म कराथा वम्ऩद:। वॊतनोतत ल नाॊगभानवॊवत्लाॊ भयु ारयरृदमेश्लयीॊ बजे ॥14॥ वयसवजतनरमे
वयोज शस्ते धलरभाॊळक
ु गन्धभाल्मळोबे। बगलतत शरयलल्रबे भनोसे त्रिबल
ु नबतू तकरय प्रवीद भह्मभ ् ॥15॥
दत्ग्धत्स्तसभ:कनकॊु बभख
ु ा ल वत्ृ ष्टस्ललाादशनी वलभर ारू जर तरत
ु ाॊगीभ। प्रातनाभासभ जगताॊ जननीभळेऴ रोकाधधनाथ गदृ शणी
भभत
ृ ात्ब्धऩि
ु ीभ ् ॥16॥ कभरे कभराषलल्रबे त्लॊ करुणाऩयू तयाॊ गतैयऩाडॊग:ै । अलरोकम भाभ फकॊ नानाॊ प्रथभॊ ऩािभकृत्रिभॊ
दमामा : ॥17॥ स्तल
ु त्न्त मे स्ततु तसबय बसू भयन्लशॊ िमीभमीॊ त्रिबल
ु नभातयॊ यभाभ ्। गण
ु ाधधका गरु
ु तयबाग्मबाधगनो बलत्न्त ते
फध
ु बावलतामा: ॥18॥इतत श्री कनकधाया स्तोिॊ वम्ऩण
ू भ

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1. लैश्रलण 3. वऩॊगर 5. वलत्तेळ
2. ऩक्लाळ 4. वलवलध 6. कुफेय
आदद गुरु ळॊकया ामाजी के अनुवाय उक्त छ: नाभों को; शाथों भें स्लणा वे बये करळ, फडी तोंदलारे, स्लणा की आबा
मुक्त, वलवलध यत्नों-आबुऴण वे दीत्ततभान, नौ तनधधमों वे प्रकासळत दर
ु ाब यत्नों वे तनसभात कभर आवन ऩय,
लटलष
ृ के नी े वलयाजभान धन के अधधऩतत कुफेयजी का ध्मान कयते शुए जऩ-ऩज
ू न इत्मादद कयना ादशए।
कुफेय जी के उक्त 6 नाभों का जऩ-शलन कयने वे वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं।
वुख-वभवृ ि, रक्ष्भी प्रात्तत तथा ऋणभुत्क्त के सरए घी ल खीय का शलन कयना ादशए।
घी के वाथ ततरों वे शलन कयने वे ऋण भुत्क्त शोती शै ।
घी के वाथ त्रफल्ल वे शलन कयने वे अषत धन-वम्ऩत्त्त की प्रात्तत शोती शै ।

कुफेय आयती
ॐ जै मष कुफेय शये , स्लाभी जै मष जै मष कुफेय शये । स्लाभी व्मॊजन फशुत फने।

ळयण ऩडे बगतों के, बण्डाय कुफेय बये । भोशन बोग रगालैं, वाथ भें उडद ने॥

॥ॐ जै मष कुफेय शये ...॥ ॥ॐ जै मष कुफेय शये ...॥

सळल बक्तों भें बक्त कुफेय फडे, स्लाभी बक्त कुफेय फडे। फर फुवि दाता, शभ तेयी ळयण ऩडे,

दै त्म दानल भानल वे, कई-कई मुि रडे ॥ स्लाभी शभ तेयी ळयण ऩडे अऩने बक्त जनों के , वाये

॥ ॐ जै मष कुफेय शये ...॥ काभ वॊलाये ॥

स्लणा सवॊशावन फैठे, सवय ऩय छि फपये , ॥ॐ जै मष कुफेय शये ...॥

स्लाभी सवय ऩय छि फपये । मोधगनी भॊगर गालैं, भुकुट भणी की ळोबा, भोततमन शाय गरे,

वफ जम जम काय कयैं॥ स्लाभी भोततमन शाय गरे। अगय कऩयू की फाती, घी की

॥ॐ जै मष कुफेय शये ...॥ जोत जरे॥

गदा त्रिळर
ू शाथ भें , ळस्ि फशुत धये , ॥ॐ जै मष कुफेय शये ...॥

स्लाभी ळस्ि फशुत धये । दख


ु बम वॊकट भो न, मष कुफेय जी की आयती , जो कोई नय गाले,

धनुऴ टॊ काय कयें ॥ स्लाभी जो कोई नय गाले । कशत प्रेभऩार स्लाभी,

॥ॐ जै मष कुफेय शये ...॥ भनलाॊतछत पर ऩाले।

बाॊतत बाॊतत के व्मॊजन फशुत फने, ॥ इतत श्री कुफेय आयती ॥


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भॊि सवि दर
ु ब
ा वाभग्री
कारी शल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 शल्दी भारा - Rs- 280
धन लवृ ि शकीक वेट Rs-280 (कारी शल्दी के वाथ Rs-550) तर
ु वी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
शकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-145 भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
वपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 लैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राष भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above वलधुत भारा - Rs- 190, 280
कासभमा सवॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भूल्म भें अॊतय छोटे वे फडे आकाय के कायण शैं।
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भॊि सवि स्पदटक श्री मॊि


"श्री मॊि" वफवे भशत्लऩण
ू ा एलॊ ळत्क्तळारी मॊि शै । "श्री मॊि" को मॊि याज कशा जाता शै क्मोफक मश अत्मन्त
ळब
ु फरदमी मॊि शै । जो न केलर दव
ू ये मन्िो वे अधधक वे अधधक राब दे ने भे वभथा शै एलॊ वॊवाय के शय
व्मत्क्त के सरए पामदे भॊद वात्रफत शोता शै । ऩण
ू ा प्राण-प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩण
ू ा त
ै न्म मक्
ु त "श्री मॊि" त्जव व्मत्क्त
के घय भे शोता शै उवके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फरदामी सवि शोता शै उवके दळान भाि वे अन-धगनत राब
एलॊ वख
ु की प्रात्तत शोतत शै । "श्री मॊि" भे वभाई अदद्रततम एलॊ अद्रश्म ळत्क्त भनष्ु म की वभस्त ळब
ु इच्छाओॊ
को ऩयू ा कयने भे वभथा शोतत शै । त्जस्वे उवका जीलन वे शताळा औय तनयाळा दयू शोकय लश भनष्ु म अवफरता
वे वफरता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता शै एलॊ उवे जीलन भे वभस्त बौततक वख
ु ो फक प्रात्तत शोतत
शै । "श्री मॊि" भनष्ु म जीलन भें उत्ऩन्न शोने लारी वभस्मा-फाधा एलॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय वकायत्भक
उजाा का तनभााण कयने भे वभथा शै । "श्री मॊि" की स्थाऩन वे घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने वे
लास्तु दोऴ म लास्तु वे वम्फत्न्धत ऩये ळातन भे न्मन
ु ता आतत शै ल वख
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भत्कायी रक्ष्भी मॊि वे दयू शोगी आधथाक वभस्माएॊ


  
श्री मॊि मॊि" की स्थाऩन वे घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय
स्थावऩत कयने वे लास्तु दोऴ म लास्तु वे वम्फत्न्धत
"श्री मॊि" वफवे भशत्लऩण
ू ा एलॊ ळत्क्तळारी मॊि
ऩये ळातन भे न्मुनता आतत शै ल वुख-वभवृ ि, ळाॊतत एलॊ
शै । श्री मॊि की भदशभा वे वामद शी कोई व्मत्क्त असात
ऐश्लमा फक प्रत्तत शोती शै। स्पदटक का श्री मॊि वलाश्रेष्ठ
शोगा क्मोफक "श्री मॊि" को मॊि याज कशा जाता शै
भाना जाता शैं।
क्मोफक मश अत्मन्त ळुब फरदमी मॊि शै । श्री मॊि
धनप्रात्तत शे तु न केलर दव
ू ये मन्िो वे अधधक वे अधधक
रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि
राब दे ने भे वभथा शै एलॊ वॊवाय के शय व्मत्क्त के सरए
श्रीमॊि को वभस्त प्रकाय के श्रीमॊिों भें वलाश्रेष्ठ
पामदे भॊद वात्रफत शोता शै । ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩूणा
भाना गमा शै औय कुफेय मॊि को दे लताओॊ भें धन के

ै न्म मुक्त "श्री मॊि" त्जव व्मत्क्त के घय भे शोता शै
दे लता कुफेय जी का वफवे प्रबालळारी मॊि भाना जाता शैं
उवके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फरदामी सवि शोता शै
इव मॊि के ऩूजन वे अषम धन कोऴ की प्रात्तत शोती शैं
उवके दळान भाि वे अन-धगनत राब एलॊ वुख की
औय भनुष्म के सरए नलीन आम के स्रोत फनते शैं।
प्रात्तत शोतत शै ।
प्रततददन रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि का ऩूजन एलॊ
"श्री मॊि" भे वभाई अवद्वतीम एलॊ अद्रश्म ळत्क्त
दळान कयने वे व्मत्क्त को जीलन भें धन औय ऐश्लमा
भनुष्म की वभस्त ळुब इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे वभथा
शोतत शै । त्जस्वे उवका जीलन वे शताळा औय तनयाळा की कबी बी कभी नशीॊ शोती शै । वल नों ने अऩने

दयू शोकय लश भनष्ु म अवफरता वे वफरता फक औय अनब


ु लों भें ऩामा शैं की जो भनष्ु म अऩने गश
ृ स्थ जीलन
तनयन्तय गतत कयने रगता शै एलॊ उवे जीलन भे वभस्त भें धन, लैबल, ऐश्लमा, वख
ु -वभवृ ि, व्माऩाय भें वपरता,
बौततक वख
ु ो फक प्रात्तत शोतत शै । वलदे ळ राब, याजनीतत भें वपरता, नौकयी भें ऩदौत्न्न्त

"श्री मॊि" भनष्ु म जीलन भें उत्ऩन्न शोने लारी आदद की काभना यखता शैं तो उवके सरए श्री

वभस्मा-फाधा एलॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि वलाश्रेऴ मॊि शैं। भनुष्म को

वकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे वभथा शै। "श्री रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि के ऩूजन वे जीलन के

नलयत्न जडडत श्री मॊि


ळास्ि ल न के अनुवाय ळुि वुलणा मा यजत भें तनसभात श्री मॊि के ायों औय मदद नलयत्न जडला ने ऩय मश
नलयत्न जडडत श्री मॊि कशराता शैं। वबी यत्नो को उवके तनत्श् त स्थान ऩय जड कय रॉकेट के रूऩ भें धायण
कयने वे व्मत्क्त को अनॊत एश्लमा एलॊ रक्ष्भी की प्रात्तत शोती शैं। व्मत्क्त को एवा आबाव शोता शैं जैवे भाॊ रक्ष्भी
उवके वाथ शैं। नलग्रश को श्री मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशों की अळुब दळा का धायण कयने लारे व्मत्क्त ऩय प्रबाल
नशीॊ शोता शैं। गरे भें शोने के कायण मॊि ऩवलि यशता शैं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो जर
त्रफॊद ु ळयीय को रगते शैं, लश गॊगा जर के वभान ऩवलि शोता शैं। इव सरमे इवे वफवे तेजस्ली एलॊ परदातम
कशजाता शैं। जैवे अभत
ृ वे उत्तभ कोई औऴधध नशीॊ, उवी प्रकाय रक्ष्भी प्रात्तत के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि
वॊवाय भें नशीॊ शैं एवा ळास्िोक्त ल न शैं। इव प्रकाय के नलयत्न जडडत श्री मॊि गुरूत्ल कामाारम द्लाया ळुब भुशूता
भें प्राण प्रततत्ष्ठत कयके फनालाए जाते शैं। Rs: 4600, 5500, 6400 वे 10,900 वे अधधक वे अधधक >> Order Now
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वबी षेि भें वख


ु -वभवृ ि एलॊ वौबाग्म की प्रातत शोने उन्नतत शोती शैं, फेयोजगाय को योजगाय प्रात्तत शोती शैं।
रगती शै । कनकधाया मॊि अत्मॊत दर
ु ब
ा मॊिो भें वे एक मॊि शैं
मदद फकवी व्मत्क्त को व्माऩाय भें मदद व्माऩाय त्जवे भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्तत शे तु अ क
ू प्रबाला ळारी
भें ऩण
ू ा ऩरयश्रभ एलॊ रगने वे कामा कयने ऩय बी अधधक भाना गमा शैं। कनकधाया मॊि को वल नो ने स्लमॊसवि
राब की प्रात्तत नशीॊ शो यशी शो, व्माऩाय भॊदा र यशा शो तथा वबी प्रकाय के ऐश्लमा प्रदान कयने भें वभथा भाना
मा फाय-फाय राब के स्थान ऩय शातन शो यशी शो तो उवे शैं।
रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि को अलश्म अऩने
व्मलवामीक स्थान ऩय स्थावऩत कयना ादशए। त्जववे कुफेय मॊि
व्माऩाय भें फाय-फाय शोने लारे घाटे मा नुकवान वे ळीघ्र आज के दौय भें शय व्मत्क्त की ाशता फक उवके
शी राब प्रातत शोने के मोग फनने रगते शैं। । ऩाव अऩाय धन-वॊऩत्त्त शो। उवके ऩाय दतु नमा का शय
ऐळो-आयाभ भौजुद शो, उवे कबी फकवी ीज की कभी न
गणेळ रक्ष्भी मॊि शो। एवे रोगो के सरमे कुफेय मॊि एक प्रकाय वे
प्राण-प्रततत्ष्ठत गणेळ रक्ष्भी मॊि को अऩने घय- भत्कायी मॊि शै कुफेय मॊि। कुफेय मॊि के ऩज
ू न वे स्लणा
दक
ु ान-ओफपव-पैक्टयी भें ऩूजन स्थान, गल्रा मा राब, यत्न राब, ऩैतक
ृ वम्ऩत्ती एलॊ गडे शुए धन वे
अरभायी भें स्थावऩत कयने व्माऩाय भें वलळेऴ राब प्रातत राब प्रात्तत फक काभना कयने लारे व्मत्क्त के सरमे
शोता शैं। मॊि के प्रबाल वे बाग्म भें उन्नतत, भान-प्रततष्ठा कुफेय मॊि अत्मन्त वपरता दामक शोता शैं। एवा
एलॊ व्माऩय भें लवृ ि शोती शैं एलॊ आधथाक त्स्थभें वुधाय ळास्िोक्त ल न शैं। कुफेय मॊि के ऩूजन वे एकाधधक
शोता शैं। गणेळ रक्ष्भी मॊि को स्थावऩत कयने वे स्िोि वे धन का प्रातत शोकय धन वॊ म शोता शैं। कुफेय
बगलान गणेळ औय दे ली रक्ष्भी का वॊमुक्त आळीलााद मॊि धन अधधऩतत धनेळ कुफेय का मॊि शै , इव सरमे कुफेय
प्रातत शोता शैं। श्री गणेळ रक्ष्भी मॊि के तनमसभत ऩूजन मॊि के प्रबाल वे मषयाज कुफेय प्रवन्न शोकय अतुर
एलॊ दळान वे व्मत्क्त के वकर वलध्नों एलॊ द्ु ख वम्ऩत्त्त का लयदान दे ते शैं।
दरयद्रताका नाळ शोता शैं। धभा ळास्िों भें लर्णात शैं रॊकाधधऩतत यालण ने
त्जव प्रकाय बगलान गणेळ के नाभ स्भयण औय बगलान भशादे ल वे कुफेय मॊि प्रातत कय उवका वलधध-
दळान भाि वे व्मत्क्त के वकर वलघ्नों, वॊकट, आदद वलधान वे ऩूजन फकमा था, मशी कायण शैं की यालण नें
फाधाओॊ का स्लत् शी नाळ शोता शैं , उवी प्रकाय दे ली दे लाधधयाज कुफेय को प्रळन्न कय सरमा था त्जवके कायण
रक्ष्भी के स्भयण औय दळान भाि वे व्मत्क्त का दब
ु ााग्म शी उवका याज्म ऩूणा रुऩ वे वभि
ृ औय लैबलळारी था।
वौबाग्म भें फदर जाता शैं उवके वभस्त दख
ु ् दरयद्रता कुफेय मॊि के प्रताऩ वे शी यालणने ऩूयी रॊका वोने की
का स्लत् शी नाळ शोता शैं। गणेळ रक्ष्भी मॊि के ऩज
ू न फनाई थी। इव सरए धन-वॊऩत्त्तकी काभना कयने लारे
वे ऩरयलाय भें वख
ु -ळाॊतत एलॊ वभवृ ि का आगभन शोने भनुष्म को कुफेय मॊि का ऩूजन अलश्म कयना ादशए।
रगता शैं मदश कायण शैं गणेळ रक्ष्भी मॊि की भदशभा रक्ष्भी प्रात्तत शे तु उयोक्त मॊि के अराला अन्म मॊि बी
अऩयॊ ऩाय शैं। वलळेऴ प्रबालळारी शोते शैं। त्जव मॊिों का मशाॊ वभालेळ
नशीॊ फकमा गमा शैं अत् उवकी भशत्लता का कभ शोना
कनकधाया मॊि मा लश कभ प्रबाली शैं एवा त्रफल्कुर नशीॊ शैं , केलर मशाॊ
आज के बौततक मुग भें शय व्मत्क्त अततळीघ्र वभम के अबाल भें एलॊ ऩाठको के ळीघ्र भागादळान शे तु
वभि
ृ फनना ाशता शैं। कनकधाया मॊि फक ऩूजा अ न
ा ा केलर अनब
ु त
ू मॊिों का वभालेळ फकमा गमा शैं।
कयने वे व्मत्क्त के जन्भों जन्भ के ऋण औय दरयद्रता
वे ळीघ्र भुत्क्त सभरती शैं। मॊि के प्रबाल वे व्माऩाय भें
67 - 2018

धन लऴााने लारी वात दर


ु ब
ा रक्ष्भी वाधनाएॊ
 ,

धन लऴाा का अथा मशाॊ आवभान वे धन की फारयळ शोना नशीॊ शैं। धन लऴाा का अथा मशाॊ जीलन वे धन
अबाल को दयू कयना भाि शैं। अत् फुविजीली ऩाठकों वे तनलेदन शैं की अऩनी फुवि वललेक वे इव अथा के गूढ़
यशस्म को वभझने का प्रमाव कयें । वच् े धन की प्रात्तत भनुष्म को केलर ऩुरुऴाथा औय ऩूणा ऩरयश्रभ वे शी वॊबल
शैं।
वल नों के भतानव
ु ाय की त्रफना ऩरयश्रभ वे प्रातत धन त्स्थय नशीॊ यशता। धन की प्रात्तत फकवी भत्काय वे
नशीॊ शोती, धन की प्रात्तत केलर ऩरयश्रभ वे शोती शैं। ळास्िोक्त लर्णात उऩामों वे भनुऴ या फकमे गमे ऩरयश्रभ के
पर भें लवृ ि वॊबल शैं। इन उऩामों का भुख्म उद्देश्म भनुष्म को शोने लारे राब की प्रात्तत भें आने लारे वलघ्न-फाधा
एलॊ रुकालटों को दयू कयना एलॊ राब के पर भें लवृ ि कयना शैं।
धन रक्ष्भी वाधना
वाधना शे तु वाभग्री:-
भारा: कभरगट्टे की मा स्पदटक की
ददळा: उत्तय | आवन: ऩीरा | लस्ि: ऩीरा
प्रवाद: दध
ू वे फने प्रवाद का बोग रगामे
भॊि:–
ॐ श्रीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी आगच्छ आगच्छ भभभॊदे ततष्ठ ततष्ठ स्लाशा ||
Om Shreem Shreem Kleem Shreem Lakshmi Aagachchha Aagachchha
Mamamande Tishtha Tishtha Swaha

वलधध:–
 मश वाधना फकवी बी ळुक्रलाय को ळुरू फक जा वकती शैं, उक्त भॊि का 11 भारा
जऩ 43 ददन तक कयने वे भॊि सवि शोता शै , रेफकन मदद अषम तत
ृ ीमा, धन तेयव औय दीऩालरी आदी ळुब
भुशूता शोत तो इवे 21 ददन कयके सवि कय वकते शैं।
 वाधना शे तु वॊध्मा 7 फजे वे यात 10 फजे तक का वभम श्रेष्ठ शोता शैं। मदद वभम के अनुकूरता नशो तो
अऩनी वुवलधानुवाय वभम न
ू वकते शैं।
 ऩूजन के वभम ळुि घी का ददऩक जरामे जो वाधना ऩूणा शोने तक जरता यशे औय वुगॊधधत अगयलती जरामे
यखे।
 दे ली रक्ष्भी जी को बोग भें खीय मा घय भें फनी सभठाई का बोग रगामे।
 श्री गणेळ जी औय अऩने गरु
ु दे ल का स्भयण कय वाधना भें वपरता की काभना कयते शुले वाधना कयें ।
 वाधना की वभात्तत लारे ददन भॊि का 11 भारा अथाात(1188) फाय शलन कयें , शलन भें घी की आशुती दे । मदद
फकवी कायण वे आशुतत दे ने भें अवभथा शो तो आशुतत की वॊख्मा वे दोगन
ु ा भॊिजाऩ वम्तऩन कय वकते शैं।
 इव रक्ष्भी वाधना के प्रबाल वे व्मत्क्त के ऩाव फकवी ना फकवी भाध्मभ वे धन आने रगता शैं। मश वॊबल नशीॊ
की इव वाधना के फाद बी व्मत्क्त तनधान यशें ।
68 - 2018

आधथाक राब एलॊ कामासववि शे तु रक्ष्भी भॊि वाधना


वाधना शे तु वाभग्री:
भारा: स्पदटक की
ददळा: उत्तय मा ऩूला
आवन: ऩीरा
लस्ि: वफेद
प्रवाद: पर

भॊि:
ॐ ऐॊ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ शॊ वौ जगत्प्रवूत्मै नभ्।
Om Aim Hreem Shreem Kleem Ham Sou
Jagatprasootyai Namah

वलधध:
 प्रात्कार स्नानइत्मादद वे तनलत्ृ त शोकय स्लच्छ लस्ि
धायण कय ऩीरे आवन ऩय फैठ जामे। रक्ष्भीजी के
ध ि मा भूतता को एक रकडी के ौकी ऩय यखदे ।
 रक्ष्भीजी को धऩ
ू -दीऩ इत्मादद वे वलधधलत ऩूजन कयें ,
वाधन कार भें धऩ
ू -दीऩ ारु यखें। ऩीरे मा स्लेत
पूर रक्ष्भीजी को अवऩात कयें । मदद वॊबल शो तो एक
पर बी रक्ष्भीजी को अवऩात कयें ।
 फपय उऩयोक्त भॊि की 10 मा 20 भारा जाऩ कयें ।
भॊि की सववि शे तु कुर 25000 जाऩ कयें ।
 भॊि जाऩ ऩण
ू ा शोने के ऩश् मात प्रततददन 1 भारा जऩ
जये । इव वाधना को कयने वे वाधक को धनराब
शोता शैं औय इत्च्छत कामा भें वपरता प्रातत शोतत शैं
( मदद अनुकूरता शोतो प्रततददन 1000, 3000 मा 5000 जाऩ बी कय वकते शैं।
 जाऩ त्जतना अधधक शोगा उतना अधधक राब सभरेगा। भॊि सववि 25000 जाऩ ऩूणा शोने के ऩश् मात
प्रततददन तनमभ वे एक तनत्श् त भािा भें शी जाऩ कयें , जऩ वॊख्मा को कभ मा अधधक कयने ऩय प्रततकूर
ऩरयणाभ वॊबल शैं।
 ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मततृ तमा आदद अफूझ भुशूता भुशूता ऩय अधधक पर प्रात्तत शे तु एलॊ भॊि के
प्रबाल को फढ़ाने शे तु अधधक भािा भें जऩ फकमा जा वकता शैं, क्मोफक, प्रततददन फकमे जायशे भॊि जऩ फक
अऩेषा इन अलवयों ऩय प्रततकूर ऩरयणाभों की वॊबालना नशीॊ शोती इव सरमे इन अलवयों ऩय जऩ अधधक
वॊख्मा भें फकमे जा वकते शैं।
69 - 2018

अनब
ु त
ू भशारक्ष्भी भॊि वाधना
वाधना शे तु वाभग्री:
भारा: कभर गट्टे की मा स्पदटक की
ददळा: उत्तय मा ऩूला
आवन: ऩीरा
लस्ि: वफेद
प्रवाद: पर मा सभश्री
भॊि:
ॐ श्रीॊ ह्ीॊ श्रीॊ कभरे कभरारमे प्रवीद प्रवीद श्रीॊ ह्ीॊ ॐ भशारक्ष्म्मै नभ्।
Om Shreem Hreem ShreeM Kamale Kamalalaye Praseeda Praseeda
Shreem Hreem Om Mahalakshmyai Namah
वलधध:
कातताक ळुक्र प्रततऩदा वे (मा ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मततृ तमा आदद
फकवी ळुब भुशूत)ा वे भॊि जाऩ ळुरु कयें । औय एक भाव भें वला राख भॊि
जाऩ ऩूणा कयें । फपय उऩयोक्त भॊि की प्रततददन 1 भारा जऩ कयें । इव वाधना
वे अत्माधधक धन राब शोने के मोग फनने रगते शैं। रक्ष्भीजी को धऩ
ू -दीऩ
इत्मादद वे वलधधलत ऩूजन कयें , वाधन के वभम भें धऩ
ू -दीऩ ारु यखें ।
वुगॊधधत पूर रक्ष्भीजी को अवऩात कयें । मदद वॊबल शो तो एक पर मा सभश्री
बी रक्ष्भीजी को अवऩात कयें । भॊि जाऩ ऩूणा शोने वे ऩशरे शी वाधक को
आधथाक राब सभरना ळुरु शो जाता शैं, इव भें जया बी वॊदेश नशीॊ शैं।
ळीघ्र परदामी रक्ष्भी भॊि वाधना
वाधना शे तु वाभग्री:
भारा: स्पदटक की
ददळा: उत्तय मा ऩूला
आवन: ऩीरा
लस्ि: वफेद
भॊि:
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ रक्ष्भी भशारक्ष्भीॊ वला काभ प्रदे वला वौबाग्मदातमनी असबभॊि
प्रमच्छ वला वलागते वुरुऩे वलादज
ु म
ा वलभोध नी ह्ीॊ व् स्लाशा।
Om Hreem Shreem Lakshmi Mahalakshmim Sarv Kam Prade Sarv Soubhagyadaayinee
Abhimantra Prayachchha Sarv Sarvagate Surupe Sarvdurjaya Vimochini Hreem Sah Swaha

वलधध:
प्रततददन तनमसभत वभम ऩय भॊि जऩ कयें । रकडी की ौकी ऩय रक्ष्भीजी का ध ि स्थावऩत कय उवका धऩ
ू -दीऩ
इत्मादद वे वलधधलत ऩूजन कयें , वाधन के वभम भें धऩ
ू -दीऩ ारु यखें। वग
ु ॊधधत पूर रक्ष्भीजी को अवऩात कयें । 20
ददन भें एक राख जाऩ ऩूणा कयें । जाऩ ऩूणा शोने के ऩश् मात प्रततददन 1 भारा जाऩ कयें । इव वाधना वे वाधन की
आधथाक त्स्थतत भें वुधाय शोने रगता शैं, औय उवे भाॉ रक्ष्भी की कृऩा वे वुख-वॊऩत्त्त औय लैबल की प्रात्तत शोती शैं।
70 - 2018

ध त
ॊ ा भर्ण रक्ष्भी वाधना
वाधना शे तु वाभग्री:
भारा: स्पदटक की
ददळा: ऩत्श् भ
आवन: ऩीरा
लस्ि: वफेद
प्रवाद: दध
ू वे फने प्रवाद का बोग रगामे
भॊि:
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी भभ ग्रशभ ् धनऩूय ध त
ॊ ा दयू दयू वलाशा !
Om Hreem Shreem Shreem, Shreem, Shreem Shreem Shreem Shreem
Lakshmi Mam Graham Dhanpur Chinta Door Door Swaha
वलधध:
 श्री गणेळ जी औय अऩने गुरुदे ल का स्भयण कय वाधना भें वपरता की काभना कयते शुले वाधना कयें ।
ग्रशण कार, दीऩालरी, शोरी, अक्ष्मततृ तमा आदद अफूझ भुशूता भें दे ली रक्ष्भी का धऩ
ू -ददऩ आदद वे ऩूजन कय
इव भॊि को 108 फाय जऩ कयके सवि कय रे।
 फपय जफ कोई भशत्लऩूणा व्मलवामीक कामा कयना शो तो तफ उक्त भॊि का ऩुन् 108 फाय जऩ कयके कामा
स्थर ऩय जाने वे व्माऩाय आदद भशत्लऩूणा कामों भें फढोतयी
ा़ एलॊ अत्माधधक राब की प्रात्तत शोती शैं।
 रक्ष्भी प्रात्तत के एकाधधक स्तोि फनने रगें गे औय मदद कोई फेयोजगाय शो व्मत्क्त को आभदनी का कोई
वाधन नजय नशीॊ आ यशा शो तो बी इव भॊि को सवि कय वकता शैं औय सवि कयने के ऩश् मात 11 ददन
108 फाय जऩ कयने वे व्मत्क्त को उत्तभ योजगाय की प्रात्तत के मोग फनने रगते शै ।
 मदद ऩरयलाय भें कोई न कोई कभी यशती शैं मा घय की प्रगतत मा उन्नतत के भागा प्रवस्त नशीॊ शो ऩायशे शो
मा अत्माधधक कजा वय ऩय ढ़ गमा शो तो बी इव भॊि को सवि कय वकते शैं।
 मदद अफूझ भुशूता के आने वे ऩशरे इव भॊि को सवि कयने की आलश्मक्ता मा इच्छा शो तो इव भॊि का
जाऩ 11 ददन तक 108 लाय शय योज जऩने वे बी भॊि सवि शोता शै ।

आकत्स्भक धन प्रात्तत कल
आकत्स्भक धन प्रात्तत कल अऩने नाभ के अनुवाय शी भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्तत शे तु परप्रद शैं इव कल
को धायण कयने वे वाधक को अप्रत्मासळत धन राब प्रातत शोता शैं। ाशे लश धन राब व्मलवाम वे शो, नौकयी वे
शो, धन-वॊऩत्त्त इत्मादद फकवी बी भाध्मभ वे मश राब प्रातत शो वकता शैं। शभाये लऴों के अनुवध
ॊ ान एलॊ अनुबलों
वे शभने आकत्स्भक धन प्रात्तत कल को धायण कयने वे ळेमय ट्रे डडॊग, वोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्मादद वॊफॊधधत षेि
वे जुडे रोगो को वलळेऴ रुऩ वे आकत्स्भक धन राब प्रातत शोते दे खा शैं। आकत्स्भक धन प्रात्तत कल वे वलसबन्न
स्रोत वे धनराब बी सभर वकता शैं। भूल्म भात्र: 1250 >> Order Now
GURUTVA KARYALAY:
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71 - 2018

ऋवि-सववि प्रद ऩद्मालती वाधना

वाधना शे तु वाभग्री: केवय,


मॊि: भॊिसवि प्राणप्रततत्ष्ठत श्री मॊि
भारा: कभर गट्टे की मा स्पदटक की
ददळा: उत्तय
आवन: वफेद
लस्ि: वफेद

भॊि:
ॐ ऩद्मालती ऩद्मनेिे रक्ष्भीदातमनी वला कामा सववि
करय करय ॐ ह्ीॊ श्रीॊ ऩद्मालत्मै नभ्।
Om Padmavati Padmanetre Lakshmidayinee Sarv Karya Siddhi
Kari Kari Om Hreem Shreem Padmavatyai Namah

वलधध:
फकवी बी फुधलाय वे भॊि जाऩ प्रायॊ ब कयें । रकडी की ौकी ऩय वपेद लस्त
त्रफछा कय उव ऩय भॊिसवि प्राणप्रततत्ष्ठत श्री मॊि को स्थावऩत कयें । मॊि को
ळुि जर वे स्नान कयाके, उवऩय केवय रगामे, उवका धऩ
ू -दीऩ इत्मादद वे
वलधधलत ऩूजन कयें , वाधन के वभम भें धऩ
ू -दीऩ ारु यखें ।
उक्त भॊि का 5 मा 11 ददनों भें वला राख जऩ कयने वे भॊि सवि शो जाता
शैं। भॊि जाऩ ऩण
ू ा शोने ऩय कॊु लायी कन्माओॊ को बोजन कयामे, मथा ळत्क्त वाभथ्मा के अनुवाय बेट भें लस्ि इत्मादद
दें । फपय उव मॊि को अगरे ददन अऩने व्मलवामेक प्रततष्ठान मा ततजोयी, कैळ फोक्व मा ऩज
ू ा स्थान भें स्थावऩत
कयदे इववे व्मलवामे भेभ वलवि शोती शैं , वभाज भें ायों औय वाधन का मध कीतता यों औय पैरने रगती शैं।
वाधन ददन प्रतत-ददन वभि
ृ शोता जाता शैं। जफ तक मॊि वाधन के ऩाव यशे गा तफ-तफ उवे जीलन भें फकवी ध ज
की कभी नशीॊ शोगी।

वुलणा रक्ष्भी कल
वुलणा रक्ष्भी कल को धायण कयने वे धन-वॊऩत्त्त, यत्न-आबूऴण आदद की लवृ ि शोती शैं। वुलणा रक्ष्भी कल
को धायण कयने वे धायणकताा को वल
ु णा वे वॊफॊधधत कामों भें वलळेऴ राब की प्रात्तत शोती शैं। वलसबन्न स्िोत
वे आधथाक राब सभरने के मोग फनते शैं। वुलणा रक्ष्भी कल के प्रबाल वे धायणकताा की वुलणा वे वॊफॊधधत
वबी असबराऴाएॊ ळीघ्र शी ऩूणा शोने की प्रफर वॊबालनाएॊ फनती शैं। भूल्म भात्र: 4600 >> Order Now

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72 - 2018

रक्ष्भी प्रात्तत शे तु घॊटाकणा भशावलय वाधना


वाधना शे तु वाभग्री: केवय, दॊ न, लावकेऩ, गुराफ पूर
मॊि: श्री घॊटाकणा भशावलय मॊि अथला घॊटाकणा भशावलय ऩताका मॊि(मदद मॊि
की वाभथ्माता न शो तो घॊटाकणा भशावलय जी का ध ि स्थावऩत कयरें।)
भारा: भूॊगे की
ददळा: उत्तय
आवन: ऩीरा
लस्ि: रार ऩीताॊफय
भॊि:
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ ठॊ ॐ घण्टाकणा भशालीय रक्ष्भी
ऩूयम ऩूयम वुख वौबाग्म कुरु कुरु स्लाशा।
Om Hreem Shreem Kleem Thah Om Ghantakarna Mahaveer Lakshmi
Pooray Pooray Sukha Soubhagya Kuru Kuru Swaha

वलधध:
मश वाधना मदद दीऩालरी भें धन िमोदळी वे आयॊ ब की जामे तो श्रेष्ठ शैं
ा़
मदद अन्म कार भें ळरु
ु कयनी ऩडेतो फकवी बी गरु
ु लाय वे इवे आयॊ ब कय
वकते शैं।
धन िमोदळी (धनतेयव) के ददन उक्त भॊि की 40 भारा, रुऩ तद
ु ा ळी (अथाात
नयकशया तद
ु ा ळी, नयका ौदव, कारी तद
ु ा ळी, काऱी ौदव,) को 42, दीऩालरी के
ददन 43, भारा जाऩ कयें । मदद अन्म ददन वे आयॊ ब कय यशे शो तो गरु
ु लाय को 40, ळक्र
ु लाय को 42 औय ळतनलाय को
43 भारा भॊि जऩ कयें ।
रकडी की ौकी ऩय वपेद लस्त त्रफछा कय उव ऩय भॊिसवि प्राणप्रततत्ष्ठत श्री घॊटाकणा भशावलय मॊि मा ध ि को
स्थावऩत कयें । ळुि द
ॊ न औय केवय का वुखा सभश्रण (लावकेऩ) तछडके, मदद मश द्रव्म अप्रातत शो तो अष्टगॊध
तछडके(नोट:द्रव्म केलर वुखा तछडके श्री घॊटाकणा भशावलय के ऩूजन भें जर सभधश्रत घोर का प्रमोग न कयें ।), उवका
धऩ
ू -दीऩ (ळुि ॊदन धऩ
ू का प्रमोग श्रेष्ठ)इत्मादद वे वलधधलत ऩूजन कयें , वाधन के वभम भें धऩ
ू -दीऩ ारू यखें ।
वुगॊधधत दे ळी रार गुराफ पूर के प्रातत शो जामे तो रगामे अन्मथा ऩीरा, वपेद, गुराफी यॊ ग का गुराफ बी रागा
वकते शैं।
फपय श्री घॊटाकणा भशावलय के उऩयोक्त भॊि का ऩूणा श्रि एलॊ तनष्ठा वे जाऩ कयें । वाधना ऩूणा शोने ऩय श्री घॊटाकणा
भशावलय प्रवन्न शोते शैं ळीध्र शी वाधक को रक्ष्भी की प्रात्तत के मोग फनने रगते शैं। वाधना वॊऩन्न शोने ऩय
प्रततददन उक्त भॊि फक 1 भारा जऩ कयें ।
वलळेऴ नोट: श्री घॊटाकणा भशावलय का ऩूजन कयने लारे वाधको शे तु भावॊ-भददया, कुवॊग इत्मादद तनऴेध शैं। अत्
भाॊव-भछरी, ळयाफ इत्मादद का वेलन कयने लारे व्मत्क्त कृतमा मश प्रमोग न कयें । अन्मथा श्री घॊटाकणा भशावलय के
प्रकोऩ वे वाधना का प्रततकूर ऩरयणाभ वॊबल शैं। श्री घॊटाकणा भशावलय इव कसरमुग भें ळीघ्र प्रवन्न शोने लारे
वाषात दे ल शैं, इव भे जयाबी वॊदेश नशीॊ शैं। इव वाधना के ऩश् मात भावॊ-भददया, ऩयस्िी-ऩरु
ु ऴ इत्माददका वेलन कयने

ऩय वाधन या सवि फकमा गमा भॊि प्रबाल शीन शो जाता शैं।


73 - 2018

त्स्थय रक्ष्भी के सरए कयें इन वात दर


ु ब
ा वाभग्रीमों के उऩाम

यक्त गॊज
ु ा  फकवी भशत्लऩण
ू ा कामा उद्देश्म की ऩतू ता शे तु भॊि सवि
यक्त गुॊजा के इक्कीव दानों को अऩने वाथ रेकय
गुॊजा एक दर
ु ब
ा लनस्ऩतत का फीज शैं। तॊि ळास्ि
घय वे फाशय तनकरे, कामा उद्देश्म ऩूणा शोने ऩय उवे
भें मश एक दर
ु ब
ा एलॊ अत्मन्त प्रबालळारी लस्तु भानी
फशते जर भें प्रलादशत कय दें ।
जाती शै । गॊज
ु ा प्राम् वपदे , रार ल कारें यगॊ के फीज
स्लरुऩ भें ऩामी जाती शैं। वलसबन्न तॊि फक्रमाओॊ भें गॊज
ु ा
नाग केळय
फीज के वाथ-वाथ गॊज
ु ा के जड का बी वलळेऴ रुऩ वे
नाग केवय अतत ऩवलि एलॊ उराब लनस्ऩततमों भें
प्रमोग फकमा जाता शैं।
वे एक भानी जाती शैं। इवे नागकेश्लय के नाभ वे बी
गॊज
ु ा फीजों का प्रमोग वलसबन्न कामा उद्देश्म की
जाना जाता शैं। धासभाक भान्मताओॊ भें नाग केळय का
ऩतू ता शे तु फकमा जाता शैं। रार गॊज
ु ा का प्रमोग वलळेऴ
स्थान प्रभुख लस्तुओॊ अग्रस्त शैं। तॊि गॊथों भें नाग केळय
रुऩ वे रक्ष्भी प्रात्तत के सरमे फकमा जाता शैं। रार गॊज
ु ा
के वलसबन्न प्रमोगों का लणान सभरता शैं। धनप्रात्तत एलॊ
ऩय एक कारे यॊ ग का छोटा त्रफॊद ू शोता शैं। एवा भाना
वुख-वभवृ ि शे तु बी नाग केळय का उऩमोग फकमा जाता
जाता शैं की यक्त गुॊजा वे घय भें वुख-वभवृ ि की लवृ ि
शैं।
तो शोती शी शैं वाथ शी वाथ भें भाॊ भशारक्ष्भी की कृऩा
 ाॊदी (मदद उऩल्फध नशों को अन्म धातु ) की एक
बी घय ऩय फनी यशती शैं।
छोटी वी डडब्फी भें नागकेळय को ळशद के वाथ
 दीऩालरी के ददन यक्त गुॊजा के इक्कीव मा ग्मायश
सभराकय ढ़क्कन रगाकय उवे फॊद कयदें । दीऩालरी
दानों को गॊगा जर वे ऩवलि कयके ऩूजा स्थान
की यात्रि भें उवे ऩूजन के फाद भें ततजोयी भें यखदे ।
यखदे ना ादशए। ऩूजा के ऩश् मात गुॊजा के दानों को
अगरी दीलारी को उव डडब्फी को खोर कय
अऩनी ततजोयी, कैळफोक्व, गल्रे भें रार कऩडे भें
नागकेळय औय ळशद को फदर दें । एकफाय डडब्फी
फाॊधकय वे ददनों ददन ऩरयलाय की आधथाक वभवृ ि
यखदे ने के फाद उवे खोरे नशीॊ उवे फॊध शी यशने दे ।
फढ़ती शैं।
 धन-वभवृ ि की प्रात्तत शे तु एक नवलन ऩीरे लस्ि भें
 भॊि या सवि यक्त गज
ुॊ ा के इक्कीव मा ग्मायश
नागकेळय, वाफत
ु शल्दी, वऩ
ु ायी, एक ताॊफे का सवक्का,
दानों को अऩने व्मलवाम मा ओफपव भें योकड यखने
एक ऩाॊ मा दव का सवक्का, अषत को एक वाथ
के वाथ भें यखने वे धन की कबी कभी नशीॊ शोती ा़
कय के उवको कऩडे भें फाॊध दें । फपव उवे धऩ
ू -दीऩ
औय कैळ फोक्व कबी खारी नशीॊ यशता, रक्ष्भी जी
वे ऩज
ू न कयके अऩनी ततजोयी भें यखकय प्रततददन
का आसळलााद फना यशता शैं।
ऩूजन के वभम उवे धऩ
ू दें तो धनराब शोने रगेगा।
 मदद भॊि सवि फक शुई यक्त गुॊजा की भारा को कोई
 दीऩालरी की यात मा अन्म फकवी ळुब भुशूता भें
व्मत्क्त गरे भें धायण कताा शैं तो लश वलाजन
नागकेळय औय ऩाॊ सवक्कों को रेकय उवे ऩूजा
लळीकय के वभान प्रबालळारी शोती शैं। यक्त गुॊजा
स्थान ऩय यखदे फपय ऩूजन की वभात्तत के फाद उवे
की भारा को केलर प्रमोग के वभम मा फकवी भशत्ल ा़
एक ऩीरे कऩडे भें फाॊध कय अऩने व्मलवामीक
ऩूणा कामा मा व्मत्क्त वे सभरते वभम शी धायण कयें ,
प्रततष्ठान के गल्रे, ततजोयी आदद धन यखने लारे
अनालश्म शोने ऩय उवे उताय कय अऩने ऩूजा वथान
स्थान ऩय यख दें । इव प्रमोग वे व्मत्क्त को कबी
भें यखदें ।
धन की कभी नशीॊ यशे गी।
74 - 2018

 धन प्रात्तत के सरए के सरए वोभलाय मक्


ु त ऩर्ू णाभा  दीऩालरी के ददन 11 गोभती क्र औय 11 ऩीरी
के ददन सळलभॊददय भें सळलसरॊग का कच् े, दघ
ू , दशी, कोडडमों दोनों को को एक ऩीरे कऩडे ऩय यख यखकय
ळशद ीनी औय घी अथाात ऩॊ ाभत
ृ वे असबऴेक कयें । कय ऩजू न कयें । फपय "ऐॊ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ" भॊि का ऩाॊ
ा़
फपय सळलसरग का गॊगाजर वे असबऴेक कयें । भारा कयके उवे कऩडे भें फाॊधकय अऩने ततजोयी भें
तत्ऩश् मात ऩाॊ त्रफल्लऩिों के वाथ भें ऩाॊ स्थावऩत कयने वे धन राब की प्रात्तत शोती शैं।
नागकेळय को सळलसरॊग ऩय अवऩात कयें । मश फक्रमा
प्रततददन अरगी ऩूर्णाभा तक तनमसभत रुऩ वे कयें । ऩीरी कौडडमाॊ
अॊततक ददन ढाएा़ गमे नागकेळय एलॊ त्रफल्लऩिों भें ऩौयार्णक कार वे शी कौडडमों को वौबाग्म कायक
वे एक त्रफल्लऩि एलॊ थोडा ा़ नागकेळय घय लाऩव रे भानी जाती शैं। दे ळ एलॊ वलदे ळ की वलसबन्न व्मताओॊ
आमे उवे अऩनी ततजोयी भें यखदें । इव प्रमोग वे एलॊ प्राॊतो भें कौडडमों के वलसबन्न छोट-फडे प्रमोग शोते
अत्माधधक धनराब की प्रात्तत शोती शैं। आमे शैं। ऩूयातन कार भें जन सवक्को का रन नशीॊ था
तफ रोग कौडडमों का नगद्दी के रुऩ भें प्रमोग कयते थे।
गोभतत क्र रोग कौडडमों का आदान-प्रदान कयके ध ज- स्तु खरयदते
गोभतत क्र वभद्र
ु वे प्रातत शोने लारी दर
ु ब
ा औय फे ते शैं।
लस्तओ
ु ॊ भें वे एक शैं। क्मोफक मश आवानी वे प्रातत धासभाक भान्मता के अनुवाय वभुद्र वे प्रातत शोने
नशीॊ शोता मश एक वपेद यॊ गका गोराकाय ददखने भें लारे वबी लस्तुमे प्राम् रक्ष्भी प्रात्तत शे तु ऩूजन भें
वीऩ वे सभरता-जर
ु ता प्रततत शोता शैं। शाराॊकी कई प्रमुक्त शोती शैं। कौडडमाॊ बी वभुद्र वे प्रातत शोता शैं औय
गोभतत क्र ऩणू त
ा ् वपेद नशीॊ शोती उवके उऩय गेशुलें ऩीरी कौडडमाॊ रक्ष्भी की अतत वप्रम लस्तु शोने वे रक्ष्भी
औय कारे यॊ ग की ऩरती धायीमा शोती शैं, जफ मश ऩूजन भें इवका वलळेऴ भशत्ल शैं।
धायीमा घीव मा उवे ऩोसरव फकमा जाता शैं तफ मश  दीऩालरी की यात भें 11 ऩीरी कौडडमों ऩूजा
वपेद यॊ ग का नजय आने रगता शैं। इव के उऩय क्र स्थान भें यखदें ऩूजन की वभात्तत ऩय उवे अऩने
जैवे आकृततमा कृदयतत औय ऩय ऩाई जाती शैं इव सरए ततजोयी भें गशने इत्मादद के वाथ भें यखदें तो
इवे गोभतत क्र कशते शैं। ऩरयलाय भें गशने-जेलयात की लवृ ि शोने रगती शैं।
धासभाक भान्मता के अनुवाय वभुद्र वे प्रातत शोने अगरे लऴा ऩन
ु ् दीऩालरी ऩज
ू न के वभम कौडडमों
लारे वबी लस्तुमे प्राम् रक्ष्भी प्रात्तत शे तु ऩूजन भें को फदरदे ।
प्रमुक्त शोती शैं। गोभतत क्र बी वभुद्र वे प्रातत शोता शैं  दीऩालरी की यात भें 11 ऩीरी कौडडमों को अऩने
औय रक्ष्भी की वप्रम लस्तु शोने वे रक्ष्भी ऩज
ू न भें घय मा व्मलवामीक स्थान भें ततजोयी भें यखने वे
इवका वलळेऴ भशत्ल शैं। व्माऩाय औय धन की भें लवृ ि शोती शैं।
ऩुयातन कार वे शी गोभतत क्र को रक्ष्भी शकीक
प्रात्तत के अरागा अन्म तॊि प्रमोगो एलॊ काभना ऩूतता शे तु
शकीक एक प्रकाय का उऩयत्न शैं, त्जवका उऩमोग
बी इवका वलळेऴ रुऩ वे प्रमोग फकमा जाता शैं। क्मोफक
वलसबन्न तॊि प्रमोग एलॊ धनप्रात्तत शे तु वलळेऴ रुऩ वे
वल नों के भतानव
ु ाय सवि गोभतत क्र वे वलसबन्न
फकमा जाता शैं। मश एक अत्मॊत प्रबालळारी ऩत्थय भाना
भनोकाभनाएॊ वयरता वे ऩूणा की जावकती शैं।
जाता शैं।
 दीऩालरी की यात को ऩाॊ भॊि सवि गोभतत क्र को
शकीक के प्रबालों के वलऴम कुछ जानकाय वल नो का
स्थावऩत कयके उवका वाषात रक्ष्भी रुऩ भें ऩूजन
अनुबल शैं की शकीक को मदद कोई व्मत्क्त धायण नशीॊ
कयने वे उवका वलधधलत ऩूजन कयने वे व्मत्क्त को
कयके केलर अऩने वाथ यखता शैं तो बी लश अऩना
जीलन भें तनयॊ तय धन की प्रात्तत शोती यशती शैं।
भत्कायी प्रबाल ददखा शी दे ता शैं।
75 - 2018

 दीऩालरी के ददन ऩज
ू ान के वभम 21 शकीक को कारी शल्दी
स्थाऩीत कयदे ऩूजन के ऩश् मात उवे दीऩालरी के त्जव प्रकाय वे शल्दी ऩीरे यॊ गी को शोती शैं। उवी
ददन शी जभीन भें गाढ़दे ने वे व्मत्क्त को तनयॊ तय प्रकाय एक दर
ु ब
ा जाती की कारे यॊ गकी शल्दी बी ऩाई
धन राब शोता यशता शैं। जाती शैं। कारी शल्दी को कृष्ण शरयद्रा के नाभ वे जाना
 भनोकाभना ऩूतता शेतु ग्मायश शकीक ऩत्थय को अऩने जाता शैं। कारी शल्दी की वुगॊध कऩूय वे सभरती-जुरती
ऩूजा स्थान ऩय यख कय अरगरे ददन उवे भॊददय भें शोती शैं। कारी शल्दी को भुख्मत् तॊि फक्रमाओॊ एलॊ
ढाने वे भनोकाभना ळीघ्र ऩूणा शोती शैं। रक्ष्भी प्रात्तत शे तु एक दर
ु ब
ा औऴधध भानते शैं।
 दीऩालरी के ददन शकीक भारा वे रक्ष्भी भॊि का  त्जव बलन भें भॊि सवि कारी शल्दी का ऩूजन कयने
एक भारा जऩ कयके। भारा को धायण कयने वे दे ली वे बलन भें धन-वौबाग्म की स्लत् लवृ ि शोने रगती
रक्ष्भी की शभें ळा कृऩाद्रत्ष्ट फनी यशती शैं। भॊि: "ॐ शैं।
ह्ीॊ ह्ीॊ श्रीॊ श्रीॊ रक्ष्भी लावुदेलाम नभ्।" दीऩालरी के ददन मा अन्म फकवी ळुब भुशूता भें कारी
 रक्ष्भी जी के ध ि को 27 शकीक ऩत्थय के उऩय शल्दी को धऩ
ू -दीऩ आदद वे ऩूजन कय के अऩनी ततजोयी
स्थावऩत कयने वे व्मत्क्त को तनत्श् त रुऩ वे मा धन यखने लारे स्थान ऩय यखने वे धन का कबी
आधथाक राब प्रातत शोता शैं। अबाल नशीॊ यशता शैं।

रघु श्रीपर
रघु श्रीपर एक प्रकाय का छोटे स्लरुऩ का
नारयमर शोता शैं। त्जवके ऊऩय नारयमर के वभान शी गणेळ रक्ष्भी मॊि
जटाएॊ शोती शैं जो कयीफ एक ई त्जतना फडा ा़ शोता शैं।
रघु श्रीपर को नारयमर का रघुरुऩ भाना जाता शैं। रघु
श्रीपर का प्रमोग वलळेऴ रुऩ वे रक्ष्भी प्रात्तत शे तु फकमा
जाता शैं।
क्मोफक रघु श्रीपर भाॊ भशारक्ष्भी का मश वप्रम
पर भानाजाता शैं औय एवी भान्मता शैं की त्जवके ऩाव
रघु श्रीपर शोता शैं दे ली रक्ष्भी तनत्श् त रुऩ वे उव ऩय
कृऩा कयती शैं। रघु श्रीपर के ऩज
ू न वे भाॊ रक्ष्भी र्खॊ ी
री आती शैं। प्राण-प्रततत्ष्ठत गणेळ रक्ष्भी मॊि को अऩने घय-
 त्जव बी घय भें रघु श्रीपर शोता शैं लशाॊ वुख- दक
ु ान-ओफपव-पैक्टयी भें ऩूजन स्थान, गल्रा मा
वॊऩन्नता औय लैबल का लाव शोता शैं।
अरभायी भें स्थावऩत कयने व्माऩाय भें वलळेऴ राब
 मदद रघु श्रीपर को व्मलवामीक स्थान ऩय यखने वे
प्रातत शोता शैं। मॊि के प्रबाल वे बाग्म भें उन्नतत,
व्माऩाय भें ददन प्रतत ददन उन्नतत शोती यशती शैं।
भान-प्रततष्ठा एलॊ व्माऩय भें लवृ ि शोती शैं एलॊ आधथाक
 वल नो का कथन शैं की मदद फकवी व्मत्क्त को
त्स्थभें वुधाय शोता शैं। गणेळ रक्ष्भी मॊि को स्थावऩत
वौबाग्म वे 11 रघु श्रीपर प्रातत शो जामे तो उवके
जन्भों-जन्भ की दरयद्रता का अॊत शो जाता शैं औय कयने वे बगलान गणेळ औय दे ली रक्ष्भी का वॊमुक्त
मदद फकवी व्मत्क्त के घय भें 1 रघु श्रीपर का आळीलााद प्रातत शोता शैं।
ऩज
ू न शोता शों लशाॊ वे दख
ु ्, दरयद्रता कोवो दयू यशती
Rs.325 से Rs.12700 तक
शैं।
76 - 2018

कजा वे शोना शैं भक्


ु त तो कबी न रे भॊगर लाय को कजा

आज के आधतु नक मग
ु भें ऋण असभय-भध्मभ-गयील शय लगा फक शैं। आज ज्मादातय व्मत्क्त कजा के भक्कड
जार भें उरझा शुआ शैं। आज कोई व्मत्क्त धन उधाय दे कय योते शुले सभरता शैं तो कोई धन रेकय ऩछता ते शुले
आवानी वे सभरता शैं। 10-20 लऴा ऩशरे फकवी वे कजाा रेने के सरए रयस्तेदय-सभि-वाशुकाय को ढे यों सभन्नतें कयनी
शोती थीॊ ऩय अफ वभम फदर गमा शैं गरी-गरी उधाय दे ने के सरमे फैंक लारे रोन/क्रेडडट काडा दे ते फपयते यशते शैं।
बयतीम ज्मोततऴ भें कजा के रेन-दे न वे वॊफॊधी इन वभस्माओॊ वे दयू यशने के उऩाम फतरामे शैं। ज्मोततऴ के
वलळेऴ तनमभो को अऩना कय जीलन भें कजा वे वॊफॊधधत वभस्माओॊ को अऩने अनुकूर फनामा जा वकता शैं,
व्मलवाम वे जुडे रोगो को व्मलवाम वे वॊफॊधधत रेनदे न तो योज कयने ऩडते शैं। एवे रोग मदद ज्मोततऴ के सविाॊतो
को अऩना ने धन वे वॊफॊधधतत रेन-दे न अच्छा शोता शैं।
रेनदे न के फडे बुगतान हे तु सभम अवधध को ध्मान भें यखते हुवे अधग्रभ एवां ऩश्चमात बुगतान ककमा जामे
तो ववशेष राब प्रातत होता हैं।

रेन-दे न शे तु भख्
ु म तनमभ शैं।
ऋणे बौभे न ग्रशीमात, न दे मभ ् फुधलावये ।
ऋणच्छे दनभ ् बौभे कुमाात,् वॊ मे वोभ नॊदने॥
अथातत् धन के रेनदे न शे तु भॊगरलाय औय फुधलाय ब़डे भशत्ल ऩूणा शैं। भॊगरलाय को उधाय रेना अळुब शोता शैं तथा
फुधलाय को उधाय दे ना अळुब शोता शैं।
कजा रेने फक आलश्मकता प़ड जामे तो भॊगरलाय को कबी कजा नशीॊ रेना ादशमे। भॊगरलाय को सरमे उधाय
को क
ु ाने भें ब़डी कदठनाई आती शैं। कजा दे ने फक आलश्मकता प़ड जामे तो फुधलाय को कजा नशीॊ दे ना ादशमे
फुधलाय को ददमे गमे कजा को प्रातत कयने भें कदठनाई आती शैं।
मश ज्मोततऴ का एक वयर तनमभ शैं जो वयरता वे माद यखा जा वकता शैं औय दै तनक जीलन भें उऩमोग
फकमा जा वकता शैं।
ज्मोततऴ भत वे भॊगरलाय ऋण क
ु ाने के सरए श्रेष्ठ शैं। फुधलाय धन वॊ म(वेवलॊग) के वला श्रेष्ठ ददन शैं।
फुधलाय को फैंक भें धन जभा कयना, फफक्व डडऩोजीट इत्मादद शे तु श्रेष्ठ शैं।

क्मा आऩ फकवी वभस्मा वे ग्रस्त शैं?


आऩके ऩाव अऩनी वभस्माओॊ वे छुटकाया ऩाने शे तु ऩूजा-अ न
ा ा, वाधना, भॊि जाऩ इत्मादद कयने का वभम नशीॊ शैं?
अफ आऩ अऩनी वभस्माओॊ वे फीना फकवी वलळेऴ ऩूजा-अ न
ा ा, वलधध-वलधान के आऩको अऩने कामा भें वपरता
प्रातत कय वके एलॊ आऩको अऩने जीलन के वभस्त वुखो को प्रातत कयने का भागा प्रातत शो वके इव सरमे गुरुत्ल
कामाारत द्लाया शभाया उद्देश्म ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे वलसळष्ट तेजस्ली भॊिो द्लाया सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा त
ै न्म
मुक्त वलसबन्न प्रकाय के मन्ि- कल एलॊ ळुब परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशो ाने का शै ।
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77 - 2018

मदद कजा रेने फक जरूयत शोतो भॊगरलाय, वम


ू ा वॊक्राॊतत का ददन, लवृ ि मोग, त्जव यवललाय को शस्त नषि शो,
इन वॊमोग ऩय ाशे फकतनी शी ब़डी जरूयत शो इन ददनों भें ऋण कबी नशीॊ रेना ादशमे, ऋण रेना अगरे ददन ऩय
टार दें ।
मदद कजा दे ने फक जरूयत शोतो फध
ु लाय, कृत्त्तका, योदशणी, आद्राा, आश्रेऴा, उत्तयापाल्गन
ु ी, उत्तयाऴाढ़ा,
उत्तयाबाद्रऩद नषिों भें , बद्रा, व्मततऩात औय अभालस्मा के वॊमोग ऩय ददमा गमा धन कबी लाऩव प्रातत नशीॊ शोता
मा धन प्रातत कयने भें अत्माधधक कदठनाईमा आती शैं। , धन प्रात्तत शे तु कोटा -केळ, झऻडे इत्माददके उऩयाॊत बी धान
प्रातत नशीॊ शोता। शभने अऩने अनुबलो भें इव वॊमोग ऩय धन रेने औय धन दे ने लारे दोनो को ऩये ळानीमाॊ झेरते
दे खा गमा शैं। इव वॊमोग ऩय धन रेने लारे का धन दटकता नशीॊ एलॊ उस्की आधथाक त्स्थती धन क
ु ाने रामक नशीॊ
यशजाती। उवे कजा क
ु ाने शे तु औय कजा रेने फक नौफत आन ऩडती शैं। इन सविाॊतों को अऩना कय जीलन भें
अऩनाने वे फशुत छोटे -ब़डे वललादों वे आवानी वे फ ा जा वकता शैं।
क्मोफक आज के वभम भें वलऴभ ऩरयत्स्थततमों भें बी त्जवका रेनदे न अच्छा शोता शैं, उवका वभाज भें अच्छा
प्रबाल फन जाता शैं। इन तनमभों को अऩनाकय वाधायण व्मत्क्त बी अवाधायण राब प्रातत कय वकता शैं।

मदद धन का कशीॊ तनलेळ (जभीन-जामदाद, ळेयभाकेट, इन्स्मोयें व, वोना, ाॊदद, वलदे ळी भुद्रा, इत्मादी) भें कयना शो
तो भॊगरलाय औय फुधलाय के अततरयक्त अन्म लायों का न
ु ाल कयें । इवके अततरयक्त ऩुनलाव-ु स्लातत-भग
ृ सळया-ये लती-
ध िा-अनुयाधा-वलळाखा-ऩुष्म-श्रलण-धतनष्ठा-ळतसबऴा औय अत्श्लनी नषिों भें फकमा गमा तनलेळ ळुब यशता शैं। तनलेळ
य (भेऴ-कका-तुरा-भकय) रग्नो भें कयना उत्तभ शोता शैं। तनलेळ कयने वे ऩूला मश दे ख रे फक रग्न वे 8लें बाल भें
कोई ग्रश न शो, इव वभम भें फकमा गमा ऩूॊत्ज तनलेळ धन को फढ़ाता शैं।

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78 - 2018

रक्ष्भी-गणेळ के ऩज
ू न वे धन, वख
ु औय वौबाग्म की प्रात्तत शोती शैं


बायतीम धासभाक एलॊ वॊस्कृततक भान्मता के त्लवद्वधॊ रषकोदटॊ शन्तुॊ ळक्तो गणेश्लय्।
अनव
ु ाय रक्ष्भीजी के वाथ श्री वलष्णु फक ऩूजा शोनी त्जतेत्न्द्रमाणाॊ प्रलयो नदश शत्न्त भक्षषकाभ ्।।
ादशए। फकन्तुॊ दीऩालरी ऩूजन भें भाॊ रक्ष्भी के वाथ
तेजवा कृष्णतुल्मोऽमॊ कृष्णाॊश् गणेश्लय्।
गणेळजी फक ऩूजा क्मों फक जाती शैं।
धन फक दे ली रक्ष्भी शैं जो धन, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा दे लाश् ान्मे कृष्णकरा् ऩूजास्म ऩुयतस्तत्।।

प्रदान कयती शैं। रेफकन त्रफना फवु ि के धन, वभवृ ि एलॊ (ब्रह्भलैलताऩु., गणऩततख., 44। 26-27)
ऐश्लमा व्मथा शैं। इवके ऩीछे भख्
ु म कायण शैं की बगलान श्री बावाथत: त्जतेत्न्द्रम ऩुरूऴों भें श्रेष्ठ गणेळ तुभभें जैवे
गणेळ वभस्त वलघ्नों को टारने लारे शैं, दमा एलॊ कृऩा के राखों-कयोडों जन्तुओॊ को भाय डारने की ळत्क्त शै ; ऩयन्तु
भशावागय शैं, एलॊ तीनो रोक के कल्माण शे तु बगलान गणऩतत तुभने भक्खी ऩय बी शाथ नशीॊ उठामा। श्रीकृष्ण के अॊळ
वफ प्रकाय वे मोग्म शैं। वभस्त वलघ्न फाधाओॊ को दयू कयने वे उत्ऩन्न शुआ लश गणेळ तेज भें श्रीकृष्ण के शी वभान
लारे गणेळ वलनामक शैं। अत् फुवि फक शै । अन्म दे लता श्रीकृष्ण की
प्रात्तत के सरमे फुवि औय वललेक कराएॉ शैं। इवीवे इवकी
के अधधऩतत दे लता गणेळ अग्रऩूजा शोती शै ।
का ऩूजन कयने का
मरांगऩुयाण के
वलधान शैं। गणेळजी
अनुवाय (105।
वभस्त सवविमों को दे ने
15-27)
लारे दे लता भाना गमा
शै । क्मोफक वभस्त सळल ने अऩने
सवविमाॉ बगलान गणेळ ऩुि को आळीलााद

भें लाव कयती शैं। इव सरमे ददमा फक जो

रक्ष्भीजी के वाथ भें श्री तुम्शायी ऩूजा फकमे त्रफना

गणेळजी फक आयाधना आलश्मक शैं। ऩूजा ऩाठ, अनुष्ठान इत्मादद

ब्रह्भवैवततऩुयाण भें उल्रेख हैं ळुब कभों का अनुष्ठान कये गा, उवका

बगलान ् वलष्णु ने स्लमॊ गणेळ जी को लयदान ददमा फक भॊगर बी अभॊगर भें ऩरयणत शो जामेगा। जो रोग पर
की काभना वे ब्रह्भा, वलष्णु, इन्द्र अथला अन्म दे लताओॊ
वलााग्रे तल ऩूजा भमा दत्ता वुयोत्तभ।
की बी ऩूजा कयें गे, फकन्तु तुम्शायी ऩूजा नशीॊ कयें गे, उन्शें
वलाऩूज्मश् मोगीन्द्रो बल लत्वेत्मुला तभ ्।।
तुभ वलघ्नों या फाधा ऩशुॉ ाओगे।
(गणऩततखॊ. 13। 2)
इव वबी कायण वे भाॊ रक्ष्भी के वाथ भें गणेळजी का
बावाथत: „वुयश्रेष्ठ! भैंने वफवे ऩशरे तुम्शायी ऩूजा फक शै , ऩूजन कयने का वलधान शैं। रक्ष्भी प्रात्तत के फाद भें उवे
अत् लत्व! तुभ वलाऩूज्म तथा मोगीन्द्र शो जाओ।‟ त्स्थय कयने शे तु फुवि फक आलश्मकता शोती शैं। रक्ष्भी के
ब्रह्भवैवतत ऩुयाण भें शी एक अन्म प्रवॊगान्तगात भाता वाथ गणेळ के ऩूजन वे वॊफॊध भें अनेकों कथाएॊ प्र सरत
ऩालाती ने गणेळ भदशभा का फखान कयते शुए ऩयळुयाभ शैं। कुछ रोकवप्रम कथाएॊ मशा प्रस्तुत शैं।
वे कशा – ळास्िोक्त कथा:
79 - 2018

वलष्णु धाभ भें बगलान वलष्णु एलॊ भाता रक्ष्भी प्रस्ताल स्लीकाय कय सरमा। वॊन्मावी के ऩयाभळा वे याज
वलयाजभान शोकय आऩव भें लातााराऩ कय यशे थे, फात-फात कामा वु ारु रुऩ वे रने रगा।
भें अशॊ के कायण रक्ष्भी जी फोर उठे फक भैं वबी रोक
एक ददन वॊन्मावी ने याजदयफाय भें उऩत्स्थत
भें वफ वे अधधक ऩज
ू नीम एलॊ वफवे श्रेष्ठ शुॊ। रक्ष्भी जी को वफको फाशय तनकर जाने को कशा। वॊन्मावी ऩय
इव प्रकाय अऩनी अशॊ वे स्लमॊ फक प्रळॊवा कयते दे ख
वलश्लाव यखते शुए याजा एलॊ अन्म वफ दयफायी लशाॊ वे
बगलान वलष्णु जी को अच्छा नशीॊ रगा। उनका अशॊ दयू कयने
तनकर कय एक भैदान भें ऩशुॊ गमे औय तफ याजभशर
के सरए उन्शोंने कशा तुभ वला वॊऩन शोते शुए बी आज तक भाॉ
फक दीलायें ढश गमीॊ। मश द्रश्म दे ख कय याजा फक आस्था
का वुख प्रातत नशीॊ कय ऩाई। इव फात को वुन कय रक्ष्भीजी
वॊन्मावी ऩय ऐवी जभी, फक वभस्त याजकामा उव
को फशुत द्ु खी शोगई औय लो अऩनी ऩीडा वुनाॊने के सरमे
वॊन्मावी के आदे ळ ऩय शोने रगा। वभम के वाथ
भाता ऩालाती के ऩाव गमीॊ औय उनवे वलनती फक लो अऩने ऩुि
वॊन्मावी को स्लमॊ ऩय घभॊड शोने रगा। याजभशर के
कातताकेम औय गणेळजी भें वे फकवे एक ऩुि को उनशें
बीतय बगलान गणेळ फक एक भतू ता स्थावऩत थी। घभॊड
दत्तक ऩुि के रूऩ भें प्रदान कय दें । रक्ष्भीजी फक ऩीडा दे ख
भें यू वॊन्मावी ने वेलकों को गणेळ भतू ता लशाॊ वे शटाने
कय ऩालातीजी ने गणेळ जी को रक्ष्भीजी को दत्तक ऩुि के
का आदे ळ ददमा, क्मोंफक उवके वल ाय भें लश भतू ता
रूऩ भें दे ने का स्लीकाय कय सरमा। ऩालातीजी वे गणेळ जी को
याजऩरयवय फक ळोबा त्रफगाड यशी थी।
ऩुि के रूऩ ऩाकय रक्ष्भीजी नें शवऴात शोते शुले कशाॊ भैं
अगरे ददन वॊन्मावी ने याजा वे कशा फक लश
अऩनी वबी सवविमाॊ, वुख अऩने ऩुि गणेळ जी को प्रदान
पौयन अऩनी ऩोळाक उताय दें , क्मोंफक उवभें नाग शै।
कयती शूॉ। इव के वाथ वाथ भें भेयी ऩुिी के वभान वप्रम
याजा को वॊन्मावी ऩय अगाध वलश्लाव था। इवसरए,
रयत्ध्ध औय सवत्ध्ध जो के ब्रह्भा जी फक ऩुत्रिमाॉ शैं, उनवे
दयफारयमों फक ऩयलाश न कयते शुए, उन्शोनें अऩनी ऩोळाक
गणेळजी का वललाश कयने का ल न दे ती शूॉ । मदद उताय दी, ऩयॊ तु उवभें वे कोई नाग नशीॊ तनकरा। मश दे ख
वम्ऩूणा त्रिरोकों भें जो व्मत्क्त, श्री गणेळ जी फक ऩूजा नशीॊ कय याजा को वॊन्मावी ऩय फशुत गुस्वा आमा औय उवे
कये गा लयन उनकी तनॊदा कये गा भैं उनवे कोवों दयू यशूॉगी । कैद भें यखने का आदे ळ दे ददमा।
जफ बी भेयी ऩूजा शोगी उवके वाथ दशॊ गणेळ फक बी
कैददमों फक बाॊतत कुछ ददन गुजायने ऩय वॊन्मावी
ऩूजा अलश्म शोगी।
का घभॊड उतय गमा। वॊन्मावीने ऩुन् दे ली रक्ष्भी फक
अन्म कथा:
आयाधना ळुरू कय दी। रक्ष्भी ने स्लतन भें उवे दळान दे ते
प्राध न कार भें एक वॊन्मावी ने दे ली रक्ष्भी को शुए फतामा, फक तुम्शायी एवी दद ु ा ळा गणेळ जी का
कडी तऩस्मा या प्रवन्न कय के वभस्त वख
ु ववु लधा वे अऩभान कयने फक लजश वे शुई शैं। गणेळ फुवि के दे लता
जीलन व्मतीत कयने का लयदान भाॊगा। रक्ष्भी तथास्तु शैं, अत् उनको नायाज कयने वे तुम्शायी फुवि भ्रष्ट शो
कश कय अॊतध्माान शो गमीॊ। लयदान प्रात्तत के फाद गमी शैं। अफ वॊन्मावी ने ऩश् ाताऩ कयते शुए गणेळ
वॊन्मावी लशाॊ के याजदयफाय भें जाकय याजा के ऩाव ऩशुॊ बगलान वे षभा भाॊगी। अगरे ददन याजा ने स्लमॊ लशाॊ
कय एक झटके भें याजभक ु ु ट को नी े धगया ददमा। ऩशुॊ कय उवे भुक्त कय ददमा औय ऩुन् भॊिी ऩद ऩय
वॊन्मावी का मश कामा दे ख कय याजा का श
े या गस्
ु वे वे फशार कय ददमा। वॊन्मावी ने गणेळ फक भूतता को ऩूला
रार शो उठा। उवी षण याजा ने दे खा फक याजभुकुट वे स्थान ऩय स्थावऩत कयला ददमा तथा उनके वाथ-वाथ
एक त्रफच्छू फाशय तनकर यशा शैं। मश दे ख याजा के भन रक्ष्भी फक ऩज
ू ा ळरू
ु फक, ताफक धन एलॊ फवु ि दोनों वाथ-
भें वॊन्मावी के प्रतत श्रिा बाल जाग गमा, याजाने वाथ यशें । भाना जाता शैं, तबी वे दीलारी ऩय दे ली
वॊन्मावी को अऩना भॊिी फनने के सरए आग्रश फकमा। रक्ष्भी के वाथ गणेळ जी का ऩूजन कयने फक प्रथा
वॊन्मावी तो मशी ाशते थे। वॊन्मावी ने तुयॊत याजा का आयॊ ब शुई।
80 - 2018

जफ इन्द्र भाॊ रक्ष्भी को स्लगा रोक रे गए।


एक फाय की फात शै , याजा फसर वभम त्रफताने के सरए एकान्त स्थान ऩय गधे का लेळ रेकय तछऩे शुए थे।
दे लयाज इन्द्र उनवे सभरने के सरए जगश-जगश उन्शें ढूॉढ यशे थे।
एक ददन इन्द्र ने उन्शें खोज तनकारा औय उनके तछऩने का कायण जानकय उन्शें कार का भशत्ल फताकय उन्शें
तत्लसान का फोध कयामा।
तबी याजा फसर के ळयीय वे एक ददव्म तेज लारी स्िी तनकरी। उवे दे खकय इन्द्र ने ऩूछा दै त्मयाज! मश स्िी

कौन शै ? मश दे ली, भानष्ु म अथला आवयु ी ळत्क्त भें वे कौन-वी ळत्क्त शै ?” याजा फसर फोरे-“दे लयाज! मे दे ली तीनों

ळत्क्तमों भें वे कोई नशीॊ शैं।


आऩ स्लमॊ इनवे ऩूछ रें । इन्द्र के ऩूछने ऩय ले ळत्क्त फोरीॊ दे लेन्द्र! भुझे न तो दै त्मयाज फसर जानते शैं औय

न शी तुभ मा कोई अन्म दे लगण। ऩथ्


ृ ली रोक ऩय रोग भुझे आददकार वे अनेक नाभों वे ऩुकायते शैं। श्री, रक्ष्भी
आदद भेये नाभ शैं। इन्द्र फोरे दे ली! आऩ इतने वभम वे याजा फसर के ऩाव शैं रेफकन ऐवा क्मा कायण शै फक आऩ

याजा फसर को छोडकय भेयी ओय आ यशी शैं?


रक्ष्भी फोरीॊ दे लेन्द्र! भुझे भेये स्थान वे कोई बी शटा मा डडगा नशीॊ वकता शै । भैं वबी के ऩाव कार के अनुवाय

आती-जाती यशती शूॉ। जैवा कार का प्रबाल शोता शै भैं उतने शी वभम तक उवके ऩाव यशती शूॉ। भैं वभम के

अनुवाय एक को छोडकय दव
ू ये के ऩाव तनलाव कयती शूॉ।”
इन्द्र फोरे दे ली! आऩ अवुयों के मशाॉ तनलाव क्मों नशीॊ कयतीॊ?” रक्ष्भी फोरीॊ दे लेन्द्र! भेया तनलाव लशीॊ शोता शै जशाॉ

वत्म एलॊ धभा के अनुवाय कामा शोते शों, व्रत औय दान दे ने के कामा शोते शों।
अवयु वत्मलादी थे, ब्राह्भणों की यषा कयते थे, ऩशरे इत्न्द्रमों को लळ भें कय वकते थे, अफ इनके मे गण

नष्ट शोते जा यशे शैं। अवुय अफ तऩ-उऩलाव नशीॊ कयते, मस, शलन, दान आदद वे इनका कोई वॊफॊध ळेऴ नशीॊ शै ।

ऩशरे मे योगी, त्स्िमों, लि


ृ ों, दफ
ु र
ा ों की यषा कयते थे, गुरुजन का आदय कयते थे, रोगों को षभादान दे ते थे।
रेफकन अफ अशॊ काय, भोश, रोब, क्रोध, आरस्म, अवललेक, काभ आदद ने इनके ळयीय भें जगश फना री शै ।
मे रोग ऩळु तो ऩार रेते शैं रेफकन उन्शें ाया नशीॊ र्खराते, उनका ऩूया दध
ू तनकार रेते शैं औय ऩळुओॊ के
फच् े बूख वे ीत्कायते शुए भय जाते शैं।
मे अऩने फच् ों का रारन-ऩारन कयना बर
ू ते जा यशे शैं। इनभें आऩवी बाई ाया वभातत शो गमा शै । रट
ू ,
खवोट, शत्मा, व्मसब ाय, करश, त्स्िमों की ऩततव्रता नष्ट कयना शी इनका धभा शो गमा शै । वम
ू ोदम के फाद तक
वोने के कायण स्नान-ध्मान वे मे वलभुख शोते जा यशे शैं। इवसरए भेया भन इनवे उ ट गमा।

दे लताओॊ का भन अफ धभा भें आवक्त शो यशा शै। इवसरए अफ भैं इन्शें छोडकय दे लताओॊ के ऩाव तनलाव
करूॉगी। भेये वाथ श्रिा, आळा, षभा, जमा, ळात्न्त, वॊततत, धतृ त औय वलजतत मे आठों दे वलमाॉ बी तनलाव कयें गी।
दे लेन्द्र! अफ आऩको सात शो गमा शोगा फक भैंने इन्शें क्मों छोडा शै । वाथ शी आऩको इनके अलगुणों का बी

सान शो गमा शोगा।” तफ इन्द्र ने रक्ष्भी को प्रणाभ फकमा औय उन्शें आदय वदशत स्लगा रे गए।
81 - 2018

धन प्रात्तत औय वख
ु वभवृ ि के सरमे लास्तु सविाॊत

आज के बौततक मग
ु भें शय कामा धन के उऩय एवे यखे फक उवका भख
ु उत्तय फक तयप यशे मा आऩका
प्रत्मष मा अप्रत्मष रुऩवे तनबाय कयता शैं इव सरमे भुख अरभायी खोरते मा फॊध कयते वभम दक्षषण ददळा
प्रत्मेक व्मत्क्त फक मशी इच्छा शोती शैं फक उवके ऩाव फक औय यशें । उत्तय फक औय खर
ु ने लारी अरभायी एलॊ
अऩाय धन दौरत एलॊ जीलन उऩमोगी वायी वुख वुवलधाए कैळ फोक्व भें यखे गमे धन एलॊ आबूऴण फक तनयॊ तय
उतरब्ध शो जो एक वभि
ृ व्मत्क्त के लवृ ि शोती यशती शैं।
ऩाव भें शोती शैं, एलॊ उवकी वभवृ ि ऩूवत - ऩूला फक औय खर
ु ने लारी
एलॊ उन्नतत ददन प्रततददन फढती अरभायी एलॊ कैळ फोक्व भें धन
जाए। यखने वे उवभें फढ़ोतयी शोती यशती
आऩ अऩने घय भें धन एलॊ शै । रेफकन उत्तय को वला श्रेष्ठ
फशुभूल्म आबूऴण, जलाशयात इत्मादद भानागमा शैं।
फक वयु षा शे तु अरभायी मा कैळ दक्षऺण - दक्षषण फक औय खर
ु ने
फोक्व यखते शैं, त्जस्वे धन वुयक्षषत लारी अरभायी एलॊ कैळ फोक्व भें
यशे औय उवभे फढ़त शोती यशें । इवके धन यखने वे धन एलॊ आबूऴण जो
सरमे लास्तु वे वॊफॊधधत धन वॊ म शैं उवभे भें कभी आजातत शैं
शे तु कुछ उऩाम। क्मोफक एवी त्स्थतत भे अरभायी मा
लास्तु के अनुवाय धन एलॊ कैळ फोक्व शोने वे आभदनी वे
फशु भूल्म वाभग्री को उत्तय ददळा भें ख ाा अधधक शोता शैं एलॊ वॊ म
यखे। उत्तय ददळा भें कुफेय का लाव फकमे गमे धन भें बी कभी आजाती
शोता शैं। एलॊ कुफेय धन के दे लता शैं एलॊ शैं। एलॊ व्मत्क्त ऩय कजा ढ जाता शैं।
उत्तय ददळा ऩय उनका प्रबाल यशता शैं। इव सरमे अऩने ऩत्श्चभ - ऩत्श् भ फक औय खर
ु ने लारी अरभायी एलॊ
व्मलवाम स्थान मा घय भें धन को वयु क्षषत यखने शे तु कैळ फोक्व भें धन एलॊ आबऴ
ू ण यखने वे उव घय भे
उत्तय ददळा का न
ु ाल कयें । धन कडी भेशनत वे कबी कबाय प्रातत शोता शैं एलॊ दटक
उत्तय - व्मलवाम स्थान मा घय भें अरभायी को उत्तय ऩाता शैं, अन्म था अन्म वॊफॊधध मा सभि लगा वे वशामता
ददळा के कभये भें उवे दक्षषण ददळा की दीलाय वे वटाकय वे प्रातत शोने लारा धन बी दटकता नशीॊ शैं।

धन लवृ ि डडब्फी
धन लवृ ि डडब्फी को अऩनी अरभायी, कैळ फोक्व, ऩूजा स्थान भें यखने वे धन लवृ ि शोती शैं त्जवभें कारी
हल्दी, रार- ऩीरा-वपेद रक्ष्भी कायक शकीक (अकीक), रक्ष्भी कायक स्पदटक यत्न, 3 ऩीरी कौडी, 3
वपेद कौडी, गोभती क्र, वपेद गुॊजा, यक्त गुॊजा, कारी गुॊजा, इॊद्र जार, भामा जार, इत्मादी दर
ु ब

लस्तुओॊ को ळुब भशुता भें तेजस्ली भॊि द्लाया असबभॊत्रित फकम जाता शैं।

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82 - 2018

दे लउठनी एकादळी की ऩौयार्णक व्रत कथा



दे लउठनी एकादळी फक व्रत कथा फक ऩौयार्णक कथा के अनुवाय फकवी एक याजा के याज्म भें वबी रोग एकादळी का व्रत
यखते थे। एकादळी के ददन याज्म फक प्रजा तथा नौकय- ाकयों वे रेकय ऩळओ
ु ॊ तक बोजन भें अन्न नशीॊ ददमा जाता था।
एक ददन दव
ू ये याज्म का एक व्मत्क्त याजा के ऩाव आकय फोरा- भशायाज! कृऩा कयके भुझे आऩके मशाॊ काभ ऩय यख
रें। तफ याजा ने उव व्मत्क्त के वाभने एक ळता यखी फक तुम्शें योज
खाने को वफ कुछ सभरेगा, ऩय एकादळी को बोजन भें अन्न नशीॊ
सभरेगा।
उव व्मत्क्त ने नौकयी फक रार भें उव वभम याजा को
शाॉ कय दी, ऩय एकादळी के ददन जफ उवे पराशाय का वाभान ददमा
गमा तो लश याजा के वाभने जाकय धगड-धगडाने रगा भशायाज!
पराशाय वे भेया ऩेट नशीॊ बये गा। भैं बूखा शी भय जाऊॉगा। कृतमा
भझ
ु े बोजन भें अन्न दे दो। याजा ने उवे ळता माद ददराई, ऩय लश
अन्न छोडने को याजी नशीॊ शुआ, तफ याजा ने उवे बोजन भें अन्न
फक वाभग्री आदद ददए।
लश अऩनी ददन माा के अनुवाय नदी फकनाये ऩशुॉ ा औय
स्नान कय बोजन ऩकाने रगा। जफ बोजन फन गमा तो लश
बगलान को फर
ु ाने रगा आओ बगलान! बोजन तैमाय शैं। फर
ु ाने
ऩय ऩीताम्फय धायण फकए बगलान तब
ु ज
ुा रूऩ भें आ ऩशुॉ े तथा
प्रेभ वे उवके वाथ बोजन कयने रगे। बोजनादद कयके बगलान
अॊतधाान शो गए तथा लश अऩने काभ ऩय रा गमा।
ऩॊद्रश ददन फाद अगरी एकादळी को लश याजा वे कशने रगा फक भशायाज, भुझे दग
ु ुना वाभान दीत्जए। उव ददन तो भैं
बख
ू ा शी यश गमा। याजा ने कायण ऩछ
ू ा तो उवने फतामा फक शभाये वाथ बगलान बी खाते शैं। इवीसरए शभ दोनों के सरए मे
वाभान ऩयू ा नशीॊ शोता। मश वन
ु कय याजा को फडा आश् मा शुआ। याजा फोरे भैं नशीॊ भान वकता फक तम्
ु शाये वाथ बगलान बी
खाते शैं। भैं तो इतना व्रत यखता शूॉ, ऩूजा कयता शूॉ, ऩय बगलान ने भुझे कबी दळान नशीॊ ददए।

ग्रश ळाॊतत शे तु वलळेऴ भॊि सवि कल


कारवऩा ळाॊतत कल 3700 भाॊगसरक मोग तनलायण कल 1450 सवि ळुक्र कल 820
ळतन वाडेवाती-ढ़ै मा कष्ट तनलायण कल 2350 नलग्रश ळाॊतत 1250 सवि ळतन कल 820
श्रावऩत मोग तनलायण कल 1900 सवि वूमा कल 820 सवि याशु कल 820
1900 सवि भॊगर कल 820 820
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83 - 2018

याजा फक फात वन
ु कय लश फोरा- भशायाज! मदद वलश्लाव न शो तो वाथ रकय दे ख रें। याजा एक ऩेड के ऩीछे तछऩकय
फैठ गमा। उव व्मत्क्त ने बोजन फनामा तथा बगलान को ळाभ तक ऩुकायता यशा, ऩयॊ तु बगलान न आए। अॊत भें उवने कशा- शे
बगलान! मदद आऩ नशीॊ आए तो भैं नदी भें कूदकय प्राण त्माग दॉ ग
ू ा।
रेफकन बगलान नशीॊ आए, तफ लश प्राण त्मागने के उद्देश्म वे नदी फक तयप फढ़ा। प्राण त्मागने का उवका दृढ़ इयादा
जान ळीघ्र शी बगलान ने प्रकट शोकय उवे योक सरमा औय वाथ फैठकय बोजन कयने रगे। खा-ऩीकय ले उवे अऩने वलभान भें
त्रफठाकय अऩने धाभ रे गए। मश दे ख याजा ने वो ा फक व्रत-उऩलाव वे तफ तक कोई पामदा नशीॊ शोता, जफ तक भन ळि
ु न शो।
इववे याजा को सान सभरा। लश बी भन वे व्रत-उऩलाव कयने रगा औय अॊत भें स्लगा को प्रातत शुआ।

दस
ू यी कथा
एक याजा था। उवके याज्म भें प्रजा वुखी थी। एकादळी को कोई बी अन्न नशीॊ फे ता था। वबी पराशाय कयते थे। एक
फाय बगलान ने याजा फक ऩयीषा रेनी ाशी। बगलान ने एक वॊद
ु यी का रूऩ धायण फकमा तथा वडक ऩय फैठ गए। तबी याजा उधय
वे तनकरा औय वॊद
ु यी को दे ख फकत यश गमा। उवने ऩछ
ू ा- शे वॊद
ु यी! तभ
ु कौन शो औय इव तयश मशाॉ क्मों फैठी शो?
तफ वुॊदय स्िी फने बगलान फोरे- भैं तनयाधश्रता शूॉ। नगय भें भेया कोई जाना-ऩश ाना नशीॊ शैं, फकववे वशामता भाॉगू? याजा
उवके रूऩ ऩय भोदशत शो गमा था। लश फोरा- तुभ भेये भशर भें रकय भेयी यानी फनकय यशो।
वुॊदयी फोरी- भैं तुम्शायी फात भानॉग
ू ी, ऩय तुम्शें याज्म का अधधकाय भुझे वौंऩना शोगा। याज्म ऩय भेया ऩूणा अधधकाय
शोगा। भैं जो बी फनाऊॉगी, तम्
ु शें खाना शोगा। याजा उवके रूऩ ऩय भोदशत था, अत् उवने उवकी वबी ळतें स्लीकाय कय रीॊ।
अगरे ददन एकादळी थी। यानी ने शुक्भ ददमा फक फाजायों भें अन्म ददनों फक तयश अन्न फे ा जाए। उवने घय भें भाॊव-भछरी
आदद ऩकलाए तथा ऩयोवकय याजा वे खाने के सरए कशा। मश दे खकय याजा फोरा-यानी! आज एकादळी शैं। भैं तो केलर पराशाय
शी करूॉगा। तफ यानी ने ळता फक माद ददराई औय फोरी- मा तो खाना खाओ, नशीॊ तो भैं फडे याजकुभाय का सवय काट रॉ ग
ू ी। याजा
ने अऩनी त्स्थतत फडी यानी वे कशी तो फडी यानी फोरी- भशायाज! धभा न छोडें, फडे याजकुभाय का सवय दे दें । ऩुि तो फपय सभर
जाएगा, ऩय धभा नशीॊ सभरेगा।
इवी दौयान फडा याजकुभाय खेरकय आ गमा। भाॉ फक आॉखों भें आॉवू दे खकय लश योने का कायण ऩूछने रगा तो भाॉ ने उवे
वायी लस्तुत्स्थतत फता दी। तफ लश फोरा- भैं सवय दे ने के सरए तैमाय शूॉ। वऩताजी के धभा फक यषा शोगी, जरूय शोगी।

याजा द्ु खी भन वे याजकुभाय का सवय दे ने को तैमाय शुआ तो यानी के रूऩ वे बगलान वलष्णु ने प्रकट शोकय अवरी फात फताई-
याजन! तुभ इव कदठन ऩयीषा भें ऩाव शुए। बगलान ने प्रवन्न भन वे याजा वे लय भाॉगने को कशा तो याजा फोरा- आऩका ददमा
वफ कुछ शैं। शभाया उिाय कयें । उवी वभम लशाॉ एक वलभान उतया। याजा ने अऩना याज्म ऩुि को वौंऩ ददमा औय वलभान भें
फैठकय लैकॊु ठ धाभ को रा गमा।

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84 - 2018

दीऩालरी को क्मों जराते शैं दीऩ जाने धासभाक भशत्ल



अत्ग्न को दे लता भनकय उवका ऩूजन फकमा जाता शैं।
क्मोफक एवा भाना जाता शैं, फक मदद अत्ग्न दे ल क्रोधधत
शोजामे तो फडे-फडे भशरों ल ऊॊ -े ऊॊ े बलनों को धर
ू भें उडादे
औय याख फनादे ।

इव सरमे प्रकाळ का ऩूजन कय उन्शें ळाॊत यखने का


प्रमाव फकमा जाता शैं।

शभाये प्रभख
ु धभा ग्रॊथो भें एक ऋग्लेद का वला प्रथभ भॊि शी
प्रकाळ वे ळरू
ु शोता शै ।

भांत्र:

प्रकाळभीरे ऩुयोदशतॊ मसस्म दे लभृत्त्लजभ ्।


शोतायॊ यत्नधातभभ ्॥
बावाथत:- वलाप्रथभ आयाधन फकए जाने लारे, मस को
प्रकाळ, तेज ऊजाा के कुदयतत स्िोत शैं। ऊजाा के त्रफना प्रकासळत कयने लारे, ऋतओ
ु ॊ के अनुवाय मस वम्ऩाददत कयने
भानल जीलन का कोई अत्स्तत्ल नशीॊ शैं। वभग्र ब्रह्भाॊड भें लारे, दे लताओॊ का आह्लान कयने लारे तथा धन प्रदान कयने
प्रकाळ ऊजाा का प्रभुख स्िोत एक भाि वूमा शैं, उव के अराला लारों भें वलाश्रेष्ठ अत्ग्न दे लता की भैं स्तुतत कयता शूॊ।
कोई औय प्रभुख स्िोत का अत्स्तत्ल नशीॊ शैं। मशी कायण शैं फक
अनाददकार वे भनुष्म का वफवे फडा ळिु
आज वूमा के तेज वे शी शभाया जीलन वु ारु रुऩ वे
अॊधकाय रुऩी असानता यशी शैं। इव सरमे ऩुयातन कारवे
प्रकाळभान शैं। लामु भॊडर भें व्मातत लामुकण (धर
ू ) औय
दश अॊधकाय को दयू कयने लारा प्रकाळ भनुष्म का वफवे
फादर इत्मादद वबी भें अऩनी म्
ु फकीम ळत्क्त शोती शैं
फडा सभि यशा शै ।
त्जवके कायण वफ एक दव
ू ये की ओय आकवऴात शोते यशते शैं।
क्मोफक प्रकाळ शभें दे खने की ळत्क्त दे ता शैं।
इवी आकवऴात शोने के कायण कण एक दव
ू ये वे ऩाव लामभ
ु ॊडर भें लस्तु फक वशी ऩश ान कयने के सरमे प्रकाळ
आते औय दयू शोते यशते शैं, त्जवके फर के कायण दश ऊजाा आलश्मक शै ।
उत्ऩन्न शोती शैं। इस्वे उत्ऩन्न शोने लारी उजाा को दश प्रकाळ उऩननषद भें इसी मरमे अांधकाय से ज्मोनत की ओय जाने
कशा जाता शैं। की काभना की गई है ।
प्रकाळ का शभाये जीलन भें फशुत भशत्ल शैं, इव भशत्ल अवतो भा वद्गभम
वे शय व्मत्क्त बरी बातत लाफकप शैं। शभायी बायततम तभवो भाॊ ज्मोततगाभम
वॊस्कृतत के धासभाक कामाक्रभ भें बी अत्ग्न का वलळेऴ भशत्ल भृत्मोभाा अभृतॊ गभम
शैं। एलॊ अत्ग्न प्रकाळ का प्रततक शैं जो मस, शलन, वललाश, शास्त्रो भें अत्ग्न के तीन रूऩों वणतन ककमा गमा
वॊस्काय जेवे अन्म धासभाक कभाकाॊडो भें त्रफना अत्ग्न के त्रफना हैं।
वॊऩन्न शोना अवॊबल वा प्रततत शोता शैं। इवी कायण बायततम ऩथ्
ृ ली ऩय अत्ग्न, अन्तरयष भें वलद्मत
ु औय
व्मताओॊ भें अत्ग्न को दे ल कशा गमा शैं। आकाळ भें वम
ू ।ा प्रकाळ के उद्दगभ के वलऴम भें कशा
85 - 2018

गमा शै फक कार के वॊघऴा-भॊथन वे उवका जन्भ शुआ। फक कशीॊ ले स्लगा भें तो नशीॊ आ गए। उन्शें लशाॊ ऩीरे
वम
ू ा फक अत्ग्न अॊधकाय को सभटाता शै , अवयु ी ळत्क्त को औय जरते शुए स्लणादीऩ ददखाई ददए।
डयाता, प्रकाळ का आह्लान कयता, ध य मल
ु ा औय प्रा ीन
बायतीम ळास्िो भे उल्रेख सभरता शै , फक अत्ग्न का
ऩयु ोदशत शै । ऋग्लेद के अनव
ु ाय भशावऴा बग
ृ ु ऋवऴ ने
वॊफॊध भनुष्म के जन्भ वे रेकय भयण तक शोता शैं। मशी
अत्ग्न की खोज की।
कायण शैं शभायी वॊस्कृतत भें वलसबन्न व्रत-त्मोशाय इत्मादद
भें दीऩ क भशत्ल शैं। दीऩलरी बी शभाये प्रभख
ु त्मौशायो
अत्ग्न के मरमे ऋग्वेद भें कहा गमा हैं।
भें वे एक शै , त्जव भें उजाा के प्रततक के रुऩ भें दीऩक

अत्ग्नभीऱे ऩुयोदशतॊ (ऋग्लेद) जराने फक ऩयॊ ऩया शैं।

ऋग्वेद शभाये ळास्िों भें दीऩज्मोतत फक भदशभा का


इॊद्र ज्मोतत् अभृतॊ भतेऴु वलस्तत
ृ लणान फकमा गमा शैं। ळास्िों भें दीऩज्मोतत को
वूमांळ वॊबलो दीऩ्
अथातत: वम
ू ा के अॊळ वे दीऩ की उत्ऩत्त्त शुई।
दीऩ जीलन की ऩवलिता, बत्क्त, अ न ा ा औय आळीलााद
स्लरुऩ भाना जाता शैं।
वम
ू ा के अॊळ वे उत्ऩन्न ऩथ्ृ ली की अत्ग्न को त्जव
ऩाि भें स्थावऩत फकमा गमा उवे आज दीऩक के रूऩ भें
शभाये घयों भें ऩूजा जाता शै ।
ळुबभ कयोतत करमाणभ ् आयोग्मभ ् धन वम्ऩदा
ळिुफुत्ध्द वलनाळाम दीऩज्मोतत नभस्तुते ।।

अथातत: शभे ळब
ु , वन्
ु दय औय कल्माणकायी, आयोग्म औय ऩाऩनाळक, ळिओ
ु ॊ फक लवृ ि योकने लारी, आमु एलॊ
वॊऩदा को दे ने लारे शे दीऩक फक ज्मोतत, शभाये ळिों फक आयोग्म प्रदान कयने लारी शैं।
फवु ि के वलनाळ के सरए शभ तम्
ु शें नभस्काय कयते शैं।
दीऩो ज्मोतत् ऩयभ ् ब्रह्भ दीऩो ज्मोततजानादा न्।
ऩूयातन कार भें दीऩ का ऩाि स्पदटक, ऩाऴाण मा
दीऩो शयतु भें ऩाऩभ ् वाध्मदीऩ नभोऽस्तु ते।।
वीऩ का शोता था। कारान्तय भें सभट्टी को गढने औय
ळुबभ ् कयोतु कल्माणभ ् आयोग्मभ ् वुखवम्ऩदभ ्।
ऩकाने के आवलष्काय के वाथ दीऩ सभट्टी का फनने रगा।
ळिुफुविवलनाळभ ् दीऩज्मोततनाभोऽस्तु ते।।
प्रा ीन कार वे धतनकों या फडे करात्भक ददमों का
प्रमोग फकमा जाता था, जो ऩत्थय, धात,ु कीभती यत्नों,  भान्मता शैं फक मदद घय भें दीऩक की रौ ऩूला
वोने औय ाॊदी के शोते थे। मे छोटे फडे वबी आकायों के ददळा की ओय शो, तो आमु फक लवृ ि कयती शैं।
थे।  दीऩक की रौ ऩत्श् भ ददळा की ओय शो, तो
वभम के वाथ वाथ दीऩ स्तॊब बी प्र रन भें आए। द्ु ख की लवृ ि कयती शैं।

याभामण भें उल्रेख सभरता शैं फक जफ शनुभान  दीऩक की रौ उत्तय ददळा की ओय शो, तो

रॊका ऩशुॉ े तो उन्शें वुनशये दीऩों को दे ख कय भ्रभ शुआ स्लास्थ्म औय प्रवन्नता फक लवृ ि कयती शैं।
86 - 2018

 दीऩक की रौ दक्षषण ददळा की ओय शो, तो शातन ऩरू


ु षोत्तभ भहात्त्म्म भें दीऩक कक ज्मोनत के
कयती शैं। मरमे कहा गमा हैं।
रूषैरक्ष्
ा भी वलनाळ्स्मात श्लैतेयन्नषमो बलेत ्
मदद घय भें आऩ दीऩक जरामें तो उवे आऩके घयके
अतत यक्तेऴु मुध्दातन भृत्मु्कृष्ण सळखीऴु ।।
उत्तय अथला ऩूला कोने भें शोना ादशए। दीऩज्मोतत के
प्रबाल वे ऩाऩ-ताऩ का शयण शोता शै , ळिफ
ु वु ि का ळभन अथाात: कोयी ळुष्क (रूखी) ज्मोतत रक्ष्भी का नाळ,
शोता शै औय ऩुण्मभम, वुखभम जीलन की लवृ ि शोती शै । श्लेतज्मोतत अन्नषम, अतत रार ज्मोतत मुि औय कारी
ज्मोतत भत्ृ मु की द्मोतक शोती शैं।

॥श्री वूक्त॥
ॐ दशयण्म-लणां शरयणीॊ, वुलणा-यजत-स्िजाभ ्। न्द्राॊ दशयण्मभमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भ आलश॥

ताॊ भ आलश जात-लेदो, रक्ष्भीभनऩ-गासभनीभ ्। मस्माॊ दशयण्मॊ वलन्दे मॊ, गाभश्लॊ ऩुरूऴानशभ ्॥

अश्लऩूलां यथ-भध्माॊ, शत्स्त-नाद-प्रभोददनीभ ्। धश्रमॊ दे लीभुऩह्लमे, श्रीभाा दे ली जुऴताभ ्॥

काॊवोऽत्स्भ ताॊ दशयण्म-प्राकायाभाद्राा ज्लरन्तीॊ ततृ ताॊ तऩामन्तीॊ। ऩद्मे त्स्थताॊ ऩद्म-लणां तासभशोऩह्लमे धश्रमभ ्॥

न्द्राॊ प्रबावाॊ मळवा ज्लरन्तीॊ धश्रमॊ रोके दे ल-जष्ु टाभद


ु ायाभ ्। ताॊ ऩद्म-नेसभॊ ळयणभशॊ प्रऩद्मे अरक्ष्भीभे नश्मताॊ त्लाॊ

लण
ृ ोसभ॥ आददत्म-लणे तऩवोऽधधजातो लनस्ऩततस्तल लष
ृ ोऽष त्रफल्ल्। तस्म परातन तऩवा नद
ु न्तु भामान्तयामाश्

फाह्मा अरक्ष्भी्॥

उऩैतु भाॊ दै ल-वख्, कीतताश् भर्णना वश। प्रादब


ु त
ूा ोऽत्स्भ याष्ट्रे ऽत्स्भन ्, कीततं लवृ िॊ ददातु भे॥

षुत ्-वऩऩावाऽभरा ज्मेष्ठा, अरक्ष्भीनााळमाम्मशभ ्। अबूततभवभवृ िॊ , वलाान ् तनणद


ुा भे गश
ृ ात ्॥

गन्ध- याॊ दयु ाधऴां, तनत्म-ऩष्ु टाॊ कयीवऴणीभ ्। ईश्लयीॊ वला-बत


ू ानाॊ, तासभशोऩह्लमे धश्रमभ ्॥

भनव् काभभाकूततॊ, ला ् वत्मभळीभदश। ऩळूनाॊ रूऩभन्नस्म, भतम श्री् श्रमताॊ मळ्॥

कदा भेन प्रजा-बूता, भतम वम्भ्रभ-कदा भ। धश्रमॊ लावम भे कुरे, भातयॊ ऩद्म-भासरनीभ ्॥

आऩ् वज
ृ न्तु त्स्नग्धातन, ध क्रीत लव भे गश
ृ े । तन -दे ली भातयॊ धश्रमॊ लावम भे कुरे॥

आद्रां ऩुष्करयणीॊ ऩुत्ष्टॊ , वुलणां शे भ-भासरनीभ ्। वूमां दशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भभालश॥

आद्रां म् करयणीॊ मत्ष्टॊ , वऩॊगराॊ ऩद्म-भासरनीभ ्। न्द्राॊ दशयण्भमीॊ रक्ष्भीॊ, जातलेदो भभालश॥

ताॊ भ आलश जात-लेदो रक्ष्भीभनऩ-गासभनीभ ्। मस्माॊ दशयण्मॊ प्रबत


ू ॊ गालो दास्मोऽश्लान ् वलन्दे मॊ ऩरू
ु ऴानशभ ्॥

म् ळुध ् प्रमतो बूत्ला, जुशुमादाज्मभन्लशभ ्। धश्रम् ऩॊ -दळ ं , श्री-काभ् वततॊ जऩेत ्॥


87 - 2018

धनिमोदळी ऩय मभ को कये दीऩदान शोगा अकारभत्ृ मु यषण ?



धनिमोदळी के ददन फकमे जाने लारे कभा भें एक
भशत्त्लऩूणा कभा मभ के तनसभत्त फकमा जाने लारा
दीऩदान शैं।
दशन्द ू धभा ळास्ि भें तनणामसवन्धु के अॊतगात
तनणामाभत
ृ औय स्कन्दऩुयाण उल्रेख शैं फक कातताक
कृष्ण िमोदळी की वॊध्मा प्रदोऴ कार के वभाम घय वे
फाशय मभ के तनसभत्त दीऩदान कयने वे ऩरयलाय भें
अकारभत्ृ मु का बम दयू शोता शैं।
ळास्िोंक्त भत के अनुवाय मभदे लता बगलान वूमा
औय भाता वॊसा के ऩुि शैं। लैलस्लत भन,ु अत्श्लनीकुभाय
एलॊ यै लॊत उनके बाई शैं तथा मभुना उनकी फशन शै ।
मभदे ल की वौतेरी भाॉ छामा वे ळतन, तऩती, वलत्ष्ट, वालर्णा
भनु आदद 10 वौतेरे बाई -फशन बी शैं। ऩौयार्णक
भान्मता के अनव
ु ाय मभ ळतन ग्रश के अधधदे लता शैं।
मभदे लता प्रत्मेक प्राणी के ळुब-अळुब कभों के
मभदीऩदान केलर प्रदोऴकार भें कयने का वलधान
अनुवाय पर दे ने का कामा कयते शैं। इवी कायण उन्शें
शैं। मभदीऩदान के सरए सभट्टी का एक फडा दीऩक रेकय
मभदे लता को धभायाज कशा गमा शैं। क्मोफक अऩने
उवे उवे स्लच्छ जर वे धो रेना ादशए। फपय स्लच्छ
कताव्म के प्रतत मभदे ल िदु ट यदशत कामा व्मलस्था की
रुई रेकय दो रम्फी फत्त्तमॉ ॊ फना रें ।
स्थाऩना कयते शैं। मभदे ल का अऩना अरग वे एक रोक
फत्त्तमाॊ इतनी रम्फी फनामे की दीऩक वे उवके
शैं, त्जवे उनके नाभ वे शी मभरोक कशा जाता शैं।
दोनों औय के छोय तनकरे शुए शो। फत्त्तमॉ ॊ को दीऩक भें
ऋग्लेद भें उल्रेख शै फक मभरोक भें तनयन्तय अनश्लय
एक-दव ू ये ऩय इव प्रकाय यखें फक दीऩक के फाशय फत्त्तमों
अथाात ् त्जवका नाळ न शो ऐवी ज्मोतत जगभगाती यशती
के ाय भॉश
ु ददखाई दें । अफ दीऩक को ततर के तेर वे
शैं। मभरोक अनश्लय शैं औय मभरोक भें कोई भयता
बय दें औय वाथ शी उवभें एक छुटकी कारे ततर बी
नशीॊ शैं।
डार दें ।
मभदे लताके स्लरुऩ का लणान कयते शुले ग्रॊथकायो ने
प्रदोऴकार भें इव प्रकाय वलधध वे तैमाय फकए गए
सरखा शैं। मभ की आॉखें रार शैं , उनके शाथ भें ऩाळ
दीऩक का योरी, अषत एलॊ ऩुष्ऩ वे ऩूजन कयना ादशए।
यशता शैं। इनका ळयीय नीरा शै औय मे दे खने भें उग्र शैं।
तत ऩश् ात ् घय के भुख्म य ऩय फाशय थोडी वी खीर,
बैंवा इनकी वलायी शैं। मे वाषात ् कार शैं।
ालर अथला गेशूॉ वे ढे यी फनाकय उवके ऊऩय दीऩक को
मभदीऩदान:
यखना ादशए।
मभदीऩदान के वलऴम भें स्कन्दऩुयाण भें कशा गमा शै
दीऩक को ढे यी ऩय स्थावऩत कयने वे ऩूला उवे
फक कातताक के कृष्णऩष भें िमोदळी के प्रदोऴकार भें
प्रज्लसरत कय रें औय दक्षषण ददळा की ओय दे खते शुए
मभयाज के तनसभत्त दीऩ औय नैलेद्म वभवऩात कयने ऩय
इव भन्ि का उच् ायण कयते शुए ायभॉुश के दीऩक को
अकार भत्ृ मु का नाळ शोता शैं। मश स्लमॊ मभयाज का
खीर, ालर, गेशूॉ आदद की ढे यी के ऊऩय यख दें ।
कथन था।
88 - 2018

भत्ृ मन
ु ा ऩाशदण्डाभमाां कारेन च भमा सह। भन्ि का उच् ायण कयते शुए उवे दीऩक के वभीऩ शी
त्रमोदश्माां दीऩदानात ् सम
ू तज् प्रीमतामभनत॥ यख दें ।
अथातत ्: िमोदळी को दीऩदान कयने वे भत्ृ म,ु ऩाळ, दण्ड, ॐ मभदे वाम नभ्। नैवेद्मां ननवेदमामभ॥
कार औय रक्ष्भी के वाथ वम
ू न
ा ॊदन मभ प्रवन्न शों।
उक्त भन्ि के उच् ायण के ऩश् ात ् शाथ भें ऩष्ु ऩ रेकय तत ऩश् मात शाथ भें थोडा वा जर रेकय आ भन के
तनम्नसरर्खत भन्ि का उच् ायण कयते शुए मभदे ल को तनसभत्त तनम्नसरर्खत भन्ि का उच् ायण कयते शुए
दक्षषण ददळा भें नभस्काय कयें । दीऩक के वभीऩ जर को छोडे।
ॐ मभदे वाम नभ्। आचभनाथे जरां सभऩतमामभ॥
ॐ मभदे वाम नभ्। नभस्कायां सभऩतमामभ॥
तत ऩश् मात ऩन
ु ् मभदे ल को ॐ मभदे वाम नभ्। भन्ि
तत ऩश् मात ऩुष्ऩ दीऩक के ऩाव यख दें औय ऩुन् शाथ का उ ायण कयते शुए दक्षषण ददळा भें नभस्काय कयें ।
भें नैलेद्मॊ के रुऩ भें एक फताळा रें तथा तनम्नसरर्खत

कनकधाया मॊि
आज के बौततक मुग भें शय व्मत्क्त अततळीघ्र वभि
ृ फनना ाशता शैं।
कनकधाया मॊि फक ऩज
ू ा अ न
ा ा कयने वे व्मत्क्त के जन्भों जन्भ के ऋण औय
दरयद्रता वे ळीघ्र भुत्क्त सभरती शैं। मॊि के प्रबाल वे व्माऩाय भें उन्नतत शोती
शैं, फेयोजगाय को योजगाय प्रात्तत शोती शैं। कनकधाया मॊि अत्मॊत दर
ु ब
ा मॊिो भें
वे एक मॊि शैं त्जवे भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्तत शे तु अ ूक प्रबाला ळारी भाना गमा
शैं। कनकधाया मॊि को वलद्वानो ने स्लमॊसवि तथा वबी प्रकाय के ऐश्लमा प्रदान
कयने भें वभथा भाना शैं। आज के मुग भें शय व्मत्क्त अततळीघ्र वभि
ृ फनना
ाशता शैं। धन प्रात्तत शे तु प्राण-प्रततत्ष्ठत कनकधाया मॊि के वाभने फैठकय कनकधाया स्तोि का ऩाठ कयने वे
वलळेऴ राब प्रातत शोता शैं। इव कनकधाया मॊि फक ऩूजा अ न
ा ा कयने वे ऋण औय दरयद्रता वे ळीघ्र भुत्क्त
सभरती शैं। व्माऩाय भें उन्नतत शोती शैं, फेयोजगाय को योजगाय प्रात्तत शोती शैं। जैवे श्री आदद ळॊकया ामा द्वारा
कनकधाया स्तोि फक य ना कुछ इव प्रकाय की गई शैं, फक त्जवके श्रलण एलॊ ऩठन कयने वे आव-ऩाव के
लामुभॊडर भें वलळेऴ अरौफकक ददव्म उजाा उत्ऩन्न शोती शैं। दठक उवी प्रकाय वे कनकधाया मॊि अत्मॊत दर
ु ब

मॊिो भें वे एक मॊि शैं त्जवे भाॊ रक्ष्भी फक प्रात्तत शे तु अ ूक प्रबाला ळारी भाना गमा शैं। कनकधाया मॊि को
वलद्वानो ने स्लमॊसवि तथा वबी प्रकाय के ऐश्लमा प्रदान कयने भें वभथा भाना शैं। जगद्गुरु ळॊकया ामा ने दरयद्र
ब्राह्भण के घय कनकधाया स्तोि के ऩाठ वे स्लणा लऴाा कयाने का उल्रेख ग्रॊथ ळॊकय ददत्ग्लजम भें सभरता शैं।
कनकधाया भॊि:- ॐ लॊ श्रीॊ लॊ ऐॊ ह्ीॊ-श्रीॊ क्रीॊ कनक धायमै स्लाशा'

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89 - 2018

मभदीऩदान के ऩीछे छुऩा गढ़


ू आध्मात्त्भक यशस्म


ळास्िोंक्त भत के अनुवाय धनिमोदळी के फकमे जाने लारे कभो भें मभदीऩदान को वलळेऴ प्रभख
ु ता दी जाती शैं।
रेफकन धनिमोदळी ऩय मभदीऩदान क्मों फकमा जाता शैं इव के ऩीछे छुऩी धासभाक भान्मता वे कभ रोग शी ऩयीध त
शोंगे!
दशन्द ू धभा भें फकमे जाने लारी प्रत्मेक व्रत-तमोशाय, उत्वल, ऩूजन वलधध-वलधान, इत्मादद के ऩीछे कोई न कोई
ऩौयार्णक कथा अलश्म जड
ु ी शोती शैं । इवी प्रकाय धनिमोदळी ऩय मभदीऩदान कयना बी इवी प्रकाय ऩौयार्णक कथा वे
जुडा शुआ शैं। स्कन्दऩुयाण भें लैष्णलखण्ड के अन्तगात कातताक भाव भशात्म्म भें इववे वम्फत्न्धत ऩौयार्णक कथा का
वॊक्षषतत उल्रेख फकमा गमा शैं।
ऩौयार्णक कथा के अनव
ु ाय एक फाय मभदत
ू फारकों एलॊ मल
ु ाओॊ के प्राण शयते वभम ऩये ळान शो उठे । मभदत
ू को
फडा द्ु ख शुआ फक ले फारकों एलॊ मुलाओॊ के प्राण शयने का कामा कयते शैं, ऩयन्तु मभदत
ू कयते बी क्मा? उनका कामा शी
प्राण शयना शी शैं। मभदत
ू अऩने कताव्म वे ले कैवे वलभुख शोते? मभदत ू के सरए एक औय कताव्मतनष्ठा का प्रश्न था,
दव
ु यी ओय त्जन फारक एलॊ मुलाओॊ का प्राण शयकय राते थे, उनके ऩरयजनों के द्ु ख एलॊ वलराऩ को दे खकय स्लमॊ को
शोने लारे भानसवक क्रेळ का प्रश्न था। ऐवी त्स्थतत भें जफ मभदत
ू फशुत ददन तक यशने रगे, तो वललळ शोकय ले अऩने
स्लाभी मभयाज के ऩाव ऩशुॉ े औय कशा फक भशायाज आऩके आदे ळ के अनव ु ाय शभ प्रततददन लिृ , फारक एलॊ मुला
व्मत्क्तमों के प्राण शयकय राते शैं, ऩयन्तु जो अऩभत्ृ मु के सळकाय शोते शैं, उन फारक एलॊ मल
ु ाओॊ के प्राण शयते वभम शभें
भानसवक क्रेळ शोता शैं। उवका कायण मश शै फक उनके ऩरयजन अत्माधधक वलराऩ कयते शैं औय त्जववे शभें फशुत
अधधक द्ु ख शोता शैं। क्मा फारक एलॊ मुलाओॊ को अवाभतमक भत्ृ मु वे छुटकाया नशीॊ सभर वकता शै ?
मभदत ू के भुख वे इतना वुनकय धभायाज फोरे दतू गण तुभने फशुत अच्छा प्रश्न फकमा शैं। इववे भत्ृ मु
रोकलासवमों का कल्माण शोगा। कातताक कृष्ण िमोदळी को प्रततलऴा प्रदोऴकार भें जो अऩने घय के दयलाजे ऩय
तनम्नसरर्खत भन्ि वे उत्तभ दीऩ दे ता शैं, लश अऩभत्ृ मु शोने ऩय बी मशॉ ॊ रे आने के मोग्म नशीॊ शै ।
भत्ृ मुना ऩाश्दण्डा्माॊ कारेन भमा वश।
िमोदश्माॊ दीऩदानात ् वूमज
ा ् प्रीमतासभतत॥
उवके फाद वे शी अऩभत्ृ मु अथाात ् अवाभतमक भत्ृ मु वे फ ने के उऩाम के रूऩ भें धनिमोदळी ऩय मभ के तनसभत्त
दीऩदान एलॊ नैलेद्म वभवऩात कयने का कभा प्रततलऴा फकमा जाता शैं।
मभयाज की सबा: मभयाज की वबा का लणान कयते शुए ग्रॊथ कायों ने सरखा शैं फक दे लरोक की ाय प्रभुख वबाओॊ भें वे
एक शै मभवबा । इव वबा का तनभााण वलश्लकभाा जी ने फकमा था। मभवबा अत्मन्त वलळार वबा शै , इवकी 100
मोजन रम्फाई एलॊ 100 मोजन ौडाई शै। इव प्रकाय मश लगााकाय शै । मभवबा का ताऩक्रभ अत्मन्त वश
ु ालना अथाात ् न
तो अधधक ळीतर शै औय न शी अधधक गभा शै । मभवबा वबी के भन को अत्मन्त आनन्द दे ने लारी शै । मभवबा भें न
ळोक, न फुढ़ाऩा शै , न बूख शै , न तमाव शै औय न शी मभवबा भें कोई अवप्रम लस्तु शैं। इव प्रकाय मभवबा द्ु ख, कष्ट एलॊ
ऩीडा के कयणों का अबाल यशता शैं। मभवबा भें दीनता, थकालट अथला प्रततकूरता नाभभाि को बी नशी शै । मभवबा भें
वदै ल ऩत्रित वुगन्ध लारी ऩुष्ऩ भाराएॉ एलॊ अन्म कई यम्म लस्तुएॉ विद्यभान यशती शैं।
मभवबा भें अनेक याजा, ऋवऴा औय ब्रह्भवऴा मभदे ल की उऩावना कयते यशते शैं। ममातत, नशुळ, ऩुरु, कातालीमा,
अरयष्टनेभी, कृतत, तनसभ, भान्धाता, प्रतदान, सळवल आदद याजा भत्ृ मु के उयान्त मशाॊ फैठकय धभायाज की उऩावना कयते शैं।
कठोय तऩस्मा कयने लारे, उत्तभ व्रत का ऩारन कयने लारे वत्मलादी, ळान्त, वॊन्मावी तथा अऩने ऩुण्मकभा वे ळुध्द एलॊ
ऩवलि भशाऩुरुऴों का शी मभवबा भें प्रलेळ शोता शैं।
90 - 2018

ळास्िोक्त वलधान वे दीऩालरी ऩूजन



शभाये धभाळास्िो भें कातताक भाव भें दीऩ दान का वलळेऴ इव ददन ऩज
ू न के फाद गाम को उडद के फडे र्खरा कय
भशत्ल फतामा गमा शै । दीऩालरी भें दीऩदान का वलळेऴ प्राथाना कयने का वलधान शैं।
भशत्ल फतामा शैं। वुयसब त्लॊ जगन्भातदे ली वलष्णुऩदे त्स्थता।
वलादेलभमे ग्रावॊ भमा दत्तसभभॊ ग्रव।।
श्रीऩष्ु कयऩयु ाण के अनस
ु ाय: तत् वलाभमे दे वल वलादेलैयरङ्कृते।
भातभाभासबरावऴतॊ वपरॊ कुरु नत्न्दनी।।
तुरामाभ ् ततरतैरेन वामॊकारे वभागते। अथातत: शे जगदम्फे, शे स्लगा लासवनी दे ली, शे वला दे लभमी,
आकाळदीऩभ ् मो दद्मान्भावभेकभ ् शरयभ ् प्रतत। भेये या अवऩात इव अन्न को ग्रशण कयो। शे वभस्त
भशतीभ ् धश्रमभातनोतत रूऩवौबाग्मवम्ऩदभ ्।।
दे लताओॊ या अरॊकृत भाता नॊददनी भेया भनोयथ ऩूणा कयो।
अथातत: जो व्मत्क्त कातताक भाव भें वॊध्मा वभम बगलान
इवके फाद याि के वभम इष्ट, ब्राह्भण, गौ, घय के लि
ृ जनों
श्री शरय(वलष्णु) के नाभ वे ततर के तेर का दीऩ जराता शैं, फक आयती उतायने का वलधान शैं।
उवे अतुर रक्ष्भी, रूऩ, वौबाग्म औय वॊऩत्त्त फक
त्रमोदशी (धनतेयस)
प्रात्तत शोती शैं।
कातताक कृष्ण िमोदळी को धनतेयव के
दे लवऴा नायदजी के अनुवाय दीऩालरी
रुऩ भें भनामा जाता शैं। ळास्िो भें
ऩला दळी, िमोदळी, तुदाळी,
उल्रेख सभरता शैं फक बगलान
अभालस्मा औय प्रततऩदा तक 5 ददन
धन्लॊतयी ने वभुद्र-भॊथन के दौयान
भनाना ादशए। दीऩालरी ऩला प्रत्मेक
प्रकट शोकय द्ु खी जनों के
ददन अरग-अरग प्रकाय फक ऩूजा का
योगतनलायणाथा आमुलेद का प्राक्म
वलधान शैं। फकमा था।
गोवत्स द्वादशी धनतेयव के ददन वॊध्मा के वभम घय औय आॊगन भें शाथ भें
कातताक भाव फक दळी को गोवत्स दशी के ददन दध
ू दे ने जरता शुआ दीऩ रेकय तन े ददमे भॊि वे बगलान मभयाज
लारी गाम को उवके फछडे वदशत स्नान कयाकय लस्ि ओढ़ा फक प्रवन्नता शे तु इव भॊि के वाथ दीऩदान कयने का वलधान
कय गरे भें ऩुष्ऩभारा ऩशनाना, उवके वीॊग भॉढ़ाना, द
ॊ न शैं।
का ततरक कयना तथा ताॉफे के ऩाि भें वुगन्ध, अषत, ऩुष्ऩ, भृत्मुना ऩाळदण्डा्माॊ कारेन श्माभमा वश।
ततर औय जर का सभश्रण कय तनम्न भॊि वे गौ के यणों का िमोदश्माॊ दीऩदानात ् वूमज
ा ् प्रीमताॊ भभ।।
प्रषारन कयना ादशए। अथातत: िमोदळी के ददन दीऩदान वे ऩाळ औय दॊ डधायी भत्ृ मु
षीयोदाणालवम्बूते वुयावुयनभस्कृते। तथा कार के अधधऩतत दे ल बगलान मभ, दे ली श्माभावदशत
वलादेलभमे भातगृश
ा ाणाघ्मं नभो नभ्।। भुझ ऩय प्रवन्न शों।
अथातत: वभद्र
ु -भॊथन के वभम षीय वागय वे उत्ऩन्न नयक चतुदतशी
दे लताओॊ तथा दानलों या नभस्काय फक गई वला कातताक कृष्ण तुदाळी को नयक तुदाळी के रुऩ भें भनामा
दे लस्लरूवऩणी भाता। आऩको फाय-फाय नभस्काय शैं। आऩ भेये जाता शैं। इव ददन तुभख
ुा ी दीऩ का दान कयने का वलधान
शैं। भान्मता शैं, दीऩ दान वे नयक बम वे भत्ु क्त सभरती शैं!
या ददमे शुए इव अघ्मा को स्लीकाय कयो।
91 - 2018

नयक तुदाळी फक यात को एक ाय भुख ( ाय फत्ती) लारा वव


ु त्ज्जत कय बगलान नायामण के वाथ भाॊ रक्ष्भी फक भतू ता
दीऩ जराकय तन े ददमे भॊि वे दीऩदान कयने का वलधान शैं। मा ध ि फक स्थाऩना कय उनका वलधधलत ऩज
ू न कयने का
दत्तो दीऩश् तुदाश्माॊ नयकप्रीतमे भमा। वलधान शैं।
तुलता तावभामुक्त् वलाऩाऩाऩनुत्तमे।। प्रनतऩदा
आज तुदाळी के ददन नयक के असबभानी दे लता फक कातताक ळक्
ु र प्रततऩदा को अन्नकूट ददलव के रुऩ भें भनामा
प्रवन्नता के सरए एलॊ वभस्त ऩाऩों के वलनाळ के सरए भैं जाता शैं। इव ददन गाम को वजाकय, उनकी ऩज
ू ा कयके तन े
ाय भुख लारा ौभुखा दीऩ अवऩात कयता शूॉ। ददमे भॊि उच् ायण कयने का वलधान शैं।
दीऩावरी रक्ष्भीमाा रोकऩारानाॊ धेनुरूऩेण वॊत्स्थता।
कातताक अभालस्मा को दीऩालरी के रुऩ भें भनामा जाता शैं। घत
ृ ॊ लशतत मसाथे भभ ऩाऩॊ व्मऩोशतु।।
इव ददन प्रात् उठकय स्नानादद वे तनलत्ृ त शोकय जऩ-तऩ अथातत: धेनुरूऩ भें त्स्थत जो रोकऩारों फक वाषात रक्ष्भी शैं

कयने वे अन्म ददनों की अऩेषा कई गुना अधधक राब प्रातत तथा जो मस के सरए घी दे ती शैं, लश गाम भाता भेये ऩाऩों का
शोता शैं। दीऩालरी के ददन ऩशरे वे शी स्लच्छ फकमे गश
ृ को नाळ कये ।

वलसबन्न दे ली के गामिी भॊि


दग
ु ात गामत्री भन्त्र दग
ु ात बैयवी गामत्री भन्त्र
ॐ धगरयजामे वलद्मशे सळलवप्रमाम धीभदश । ॐ त्रिऩुयामै वलद्मशे बैयव्मै धीभदश ।
तन्नो दग
ु ाा: प्र ोदमात ् ॥ तन्नो दे ली प्र ोदमात ् ॥
बुवनेश्वयी गामत्री भन्त्र
ॐ त्लरयता दे व्मै वलद्मशे भशातनत्मामै
ॐ नायामन्मै वलद्मशे बुलनेश्लमै धीभदश ।
धीभदश । तन्नो दे ली प्र ोदमात ् ॥
तन्नो दे ली प्र ोदमात ् ॥
भदहष भददतनी गामत्री भन्त्र
त्त्रऩयु सांद
ु यी गामत्री भन्त्र
ॐ भदशऴभदद्दामै दग
ु ाामै धीभदश ।
ॐ त्रिऩुया दै व्मै वलद्मशे क्रीॊ काभेश्लमै
तन्नो दे ली प्र ोदमात ् ॥
धीभदश । तन्नो दे ली प्र ोदमात ् ॥
भातांगी गामत्री भन्त्र
ताया गामत्री भन्त्र
ॐ भातॊगमे भतॊग्मै उत्च्छष्ट ाण्डाल्मै
ॐ तायामै वलद्मशे भशोग्रामै धीभदश ।
धीभदश । तन्नो दे ली प्र ोदमात ् ॥
वौस्तन्न: त्क्रन्नै प्र ोदमात ् ॥
फागरा भुखी गामत्री भन्त्र
कारी गामत्री भन्त्र
ॐ फागरा भुख्मॊ वलद्मशे स्तॊसबन्मै
ॐ कासरकामै वलद्मशे श्भळान लासवन्मै धीभदश ।
धीभदश । तन्नो दे ली प्र ोदमात ् ॥
तन्नो अगोया प्र ोदमात ् ॥
धभ
ू ावती गामत्री भन्त्र
अन्नऩूणात गामत्र भन्त्र
ॐ धभ
ू ालत्मै वलद्मशे वॊशारयन्मै धीभदश ।
ॐ बगलत्मै वलद्मशे भाशे श्लमै धीभदश । तन्नो
तन्नो धभ
ू ा प्र ोदमात ् ॥
अन्नऩूणाा प्र ोदमात ् ॥
नछन्नभस्ता गामत्री भन्त्र
गौयी गामत्री भन्त्र
ॐ लैयो न्मै वलद्मशे तछन्नभस्तामै धीभदश ।
ॐ वुबगामै वलद्मशे काभ भारामै धीभदश । तन्नो
तन्नो दे ली प्र ोदमात ् ॥
गौयी प्र ोदमात ् ॥
92 - 2018

दीऩालरी के ददन कैवे कयें फशीखाता तर


ु ा ऩज
ू न?

दशन्द ू धभा भें ऩॊ भशा ऩला दीऩालरी ऩय व्मलवाम शुए ऩज
ू न कयें । ऩजू न के ऩश् मात तनम्नसरर्खत भन्ि
कामा वे जुडे रोग गणेळ ऩूजन, रक्ष्भी ऩूजन, कुफेय वे शाथ जोडकय प्राथाना कये ।
ऩूजन, आदद ऩूजनो के वाथ-वाथ अऩने व्मलवाम वे जुडे ळास्िाणाॊ व्मलशायाणाॊ विद्यानाभातनुमाद्मत्।
दशवाफ-फकताफ यखने शे तु शय लऴा दीऩालरी ऩय फशी- अतस्त्लाॊ ऩूजतमष्मासभ भभ शस्ते त्स्थया बल॥
खाता, तुरा (तयाज)ू , रेखनी (करभ) आददका ऩूजन बी फहीखाता ऩज
ू न्
कयते शैं। दीऩालरी के ददन व्मलवाम वे जुडे रोग नए फशीखातों
वलाप्रथभ व्मलवामीक स्थान के भख्
ु म य के का ळुबायम्ब कयते शैं। ऩूजन शे तु नए फशीखाते रेकय
दोनों ओय की ददलाय ऩय सवन्दयू वे ळब
ु -राब औय ॐ उन्शें ळि
ु जर के छीॊटे दे कय ऩवलि कय रें । फशीखातों
औय स्लत्स्तक के ध ह्न अॊफकत कयें । ऩश् मात इन
को रार लस्ि त्रफछाकय तथा उव ऩय अषत एलॊ ऩुष्ऩ
ळब
ु ध ह्नों का योरी, ऩष्ु ऩ आदद वे ऩज
ू न कयें ।
डारकय स्थावऩत कयें । फशीखाते के प्रथभ
ऩूजन के वभम ॐ दे शरीवलनामकाम
ऩष्ृ ठ ऩय वलाप्रथभ उऩय रार करभ
नभ्। भॊि जा उच् ायण कयें ।
अफ क्रभळ दलात अथाात (Inkstand), मा ऩेन वे श्री गणेशाम नभ्। सरखे

फशीखाता, तुरा (तयाजू) आदद का ऩश् मात स्लत्स्तक का ध ह्न


ऩूजन कयना ादशए। द
ॊ न अथला योरी वे फनाएॉ।
दवात का ऩूजन: दलात को ऩश् मात अऩने इष्ट दे ली-दे लता
भशाकारी का रूऩ भाना जाता शैं।
का नाभ सरख वकते शैं। मदद फशी
वलाप्रथभ नई स्माशीमुक्त दलात को
खातो ऩय सतत श्री सरखा जाए तो
ळुि जर के छीटें दे कय ऩवलि कय रे,
बी आने लारे लऴा बय के सरमे
उवके फाद उवके भुख ऩय भौरी फॉधॊ दें ।
दलात को ौकी ऩय थोडे वे ऩुष्ऩ औय अषत आधथाक द्रत्ष्ट वे राबदामक यशता शैं। (वतत
डारकय स्थावऩत कय दें । दलात का योरी, ऩुष्ऩ आदद वे श्री सरखने की वलधध गुरुत्ल ज्मोततऴ भासवक ऩत्रिका भें
भशाकारी के भन्ि ॐ श्रीभहारक्ष्भै नभ्। का उच् ायण ऩष्ृ ठ वॊख्मा ऩय दी गई शैं।
कयते शुए ऩूजन कयें । ऩूजन के ऩश् मात इव प्रकाय ऩश् मात फशीखाते का योरी, ऩष्ु ऩ आदद वे वलधधलत
प्राथाना कये ।
ऩज
ू न कयना ादशए। ऩूजन के वभम ॐ श्रीसयस्वत्मै
कासरके त्लॊ जगन्भातभासवरूऩेण लतावे।
नभ् भन्ि का उच् ायण कयें ।
उत्ऩन्ना त्लॊ रोकानाॊ व्मलशायप्रसविमे॥
रेखनी ऩज तुरा का ऩूजन्
ू न्
दीऩालरी के ददन नमी रेखनी मा ऩेन को ळुि जर वे वलाप्रथभ तयाजू को ळुि कय रेना ादशए। तदऩ
ु यान्त

धोकय तथा उव ऩय भौरी फॉधकय रक्ष्भीऩज
ू न की ौकी उव ऩय योरी वे स्लत्स्तक का ध ह्न फनाएॉ। उव ऩय
ऩय कुछ अषत एलॊ ऩष्ु ऩ डारकय स्थावऩत कय दें ।
भौरी फॉधॊ दें तथा ॐ तर
ु ाधधष्ठातद
ृ े वतामै नभ्।
तदऩ
ु यान्त योरी, ऩष्ु ऩ आदद वे ॐ रेखनीस्थामै दे व्मै
उच् ायण कयते शुए योरी, ऩष्ु ऩ आदद वे तयाजू का ऩज
ू न
नभ्। का उच् ायण कयते शुए ऩज
ू न कयें । भन्ि फोरते
कयें ।
93 - 2018

रक्ष्भी प्रात्तत का अभोघ वाधन दक्षषणालता ळॊख



वख
ु -वभवृ ि, धन-वॊऩत्त्त, रयवि-सववि एलॊ ऐश्लमा  त्जव स्थान ऩय ळॊखनाद शोता शैं लशाॊ रक्ष्भी का
की प्रात्तत के सरए शभाये धभा ळास्िों भे दक्षषणालता ळॊख त्स्थय तनलाव शोता शैं।
का अत्माधधक भशत्ल फतामा गमा शैं। दक्षषणालता ळॊख  वल नों का भत शैं की त्जव घय भें दक्षषणालता ळॊख
का भुख दामीॊ औय वे खर
ु ा शोता शैं। का ऩज
ू न शोता शैं उव घय भें वलादा भाॊगसरक कामा
ळास्िोक्त भान्मता शैं की त्जव घय भें वलधध- वॊऩन्न शोते शैं, उव घय भें भाॊगसरक कामों के दौयान
वलधान वे दक्षषणालता ळॊख का ऩूजन शोता शैं, उव घय भें फकवी प्रकाय का वलघ्न-फाधाएॊ, वलरॊफ मा अळब
ु नशीॊ
धन, वुख, वभवृ ि, मळ-फकतता की लवृ ि शोती शैं। उव घय शोता शैं।
भें रक्ष्भी त्स्थत शोती शैं।  ळॊख के ऩीछे के दशस्वे को वोने वे जडलाना उत्तभ शोता
अवरी नकरी ऩश ान के सरए ळॊख को ऩाॊ शैं।
ददन औय ऩाॊ यात तक ठॊ डे ऩानी भें यखे, मदद नकरी  दक्षषणालता ळॊख को ऩज
ू ा स्थान भें स्थावऩत कय के
ळॊख शोगा तो टूट जामेगा। इव प्रकाय अवरी नकरी की प्रततददन स्नानादद के ऩश् मात स्लच्छ लस्ि धायण
ऩयख कयके ळॊख का ऩूजन भें प्रमोग कयें । कय प्रततददन ऩूजन कयें ।
दशीॊ मा दे ळी घी के वभान यॊ ग लारा ळॊख उत्तभ  ऩूला ददळा भें फशनेलारी नदी भें स्नान कय नदी के
शोता शैं, धसू भर मा धए
ु ॊ जैवे यॊ ग लारे ळॊख को ळॊर्खणी जर को दक्षषणालता ळॊख भें बय कय अऩने भस्तक
(अथाात स्िी जाती का ळॊख) कशाॊ जाता शैं। ऩय उव जर की धाय धगयाने वे वबी प्रकाय के ऩाऩों
 2.5 तोरा अथाात िीव ग्राभ वे अधधक लजन का का नाळ शोता शैं।
ळॊख ऩूजन शे तु उत्तभ वभझे औय 2 तोरा मा उस्वे  त्जव स्िी को वॊतान नशीॊ शो यशी शो, वॊतान जीवलत
कभ लजन के ळॊख को वाधायण वभझे। न यशती शो, भत
ृ वॊतान का जन्भ शो यशा शो ऐवी
 ळास्िों भें ळॊख को वलष्णु स्लरुऩ भाना गमा शैं, ळॊख
स्िी को दक्षषणालता ळॊख का ऩज
ू न कयके त्जव गाम
भें बगलान वलष्णु का लाव शोता शैं। इव सरए जशाॊ
के फछ़डे जीवलत शो ऐवी गाम का दध
ू ळॊख भें बय
दक्षषणालता ळॊख शोता शैं लशाॊ बगलान वलष्णु का लाव
रें। 108 फाय भॊि फोर कय ळॊख का दध
ू को प्रवाद
शोता शैं जशाॊ बगलान वलष्णु का लाव शोता शैं लशाॉ
के रुऩ भें वेलन कयें । मश प्रमोग दध
ू के फदरे घी
भाॉ रक्ष्भी तनलाव कयती शैं। त्जववे जशाॉ भाॉ रक्ष्भी
(थोडा गयभ कयरे) का इस्तेभार कय वकते शैं, इव
तनलाव कयती लशाॉ योग, दोऴ, द्ु ख, दरयद्रता आदद
प्रमोग वे स्िीको वॊतान शोने की वॊबालनाएॊ फढ़
घयभें यश नशीॊ वकतें ।
वकती शैं।
 ळॊख को रत्क्ष्भ प्रात्तत का उत्तभ वाधन भाना गमा
 जो रोग नदी मा तीथा तक नशीॊ जा वकते ऐवे रोग
शैं।
 त्जवके घय भें दक्षषणालता ळॊख शोता शैं उवके दक्षषणालता ळॊख भें नदी मा तीथा का जर के छीॊटे

आमुष्म, कीतता तथा धन की लवृ ि शोती शैं। जो ळॊख अऩने भस्तक ऩय तछडकने, तथा अऩने वऩतओ
ृ ॊ का

के जर को भस्तक ऩय तछडकता शैं उवके घयभें नाभ रेकय ळॊख वे तऩाण कयने वे उवके वबी ऩाऩ

रक्ष्भी त्स्थय शोती शैं। नष्ट शो जाते शैं, तथा वऩतओ


ृ ॊ का उिाय शोता शैं,
उनको वद्दगतत प्रातत शोती शैं।
94 - 2018

 वल नों का कथन शैं की दक्षषणालता ळॊख भें जर बय  वल नों कथन शैं की ब्रह्भ शत्मा, गो शत्मा जैवे
कय उववे बगलान वलष्णु का ऩूजन कयने वे उवके भशाऩातकों वे भुत्क्त ऩाने के सरए दक्षषणालतॉ ळॊख
वात जन्भ के ऩाऩों का नाळ शोता शैं।
के जर को वॊफॊधधत व्मत्क्त ऩय तछडकने वे उवे
 जो दक्षषणालता ळॊख के जर वे स्नान कयता शैं उवे
ऩाऩों वे भत्ु क्त सभरती शैं।
वबी तीथों के स्नान का पर सभरता शैं।
 दक्षषणालतॉ ळॊख का जर जाद-ू टोना, नज़य, काभण-
 त्जव स्थान ऩय दक्षषणालता ळॊख शोता शैं लशाॊ बूत-
टूभण जैवे असब ाय लारे कभों के दष्ु प्रबालों को
प्रेत आदद वबी प्रकाय के उऩद्रलों वे यषा शोती शैं।
नष्ट कयने भें वभथा शैं।
 ळास्िों भें ळॊख को वूमा द्र
ॊ भाॊ के वभान ददव्म गुणों
वे मुक्त फतामा गमा शैं। दक्षषणालता ळॊख के प्रकाय:
शास्त्रों भें दक्षऺणावतत शांख के दों बेद फतामे हैं:
 धासभाक भान्मता शैं की तीनों रोक भें त्जतने तीथा शैं
दक्षषणालता ऩुरुऴ ळॊख औय दक्षषणालता स्िी ळॊख।
लश वफ बगलान वलष्णु की आसा वे ळॊख भें तनलाव
छोटे आकायों लारे कभ लजन के दक्षषणालता ळॊख को
कयते शैं। ळॊख के दळान वे ऩाऩों का नाळ शोता शैं।
स्िी दक्षषणालता ळॊख कशाॊ जाता शैं, धध
ुॊ रे यॊ ग लारे ळॊखों
ळॊख ध्लतन एलॊ ळॊख जर के वलळेऴ राब:
को बी स्िी दक्षषणालता ळॊख भाना जाता शैं।
आज तोऩ के गोरे मा फभ के ळोय का जो अवय
लणा के अनुवाय दक्षषणालता ळॊख ाय प्रकाय के फतामे गमे
शोता शैं लशीॊ अवय प्रा ीन कार भें ळॊख ध्लतन वे शोता
शैं।
था। ळॊख ध्लतन वे ळिओ
ु ॊ की वेना का भनोफर टूट जाता
1- ब्राह्भण दक्षऺणावतत शांख:
शैं।
जो ळॊख शये मा वपेद यॊ ग का शो, छूने ऩय उवकी वतश
मदद जॊगर भें जशाॊ ळॊख ध्लतन शोती शैं लशाॊ वे
कोभर भशवूव शो, ळॊख लजन भें शल्का शो उव ळॊख को
ळेय-फाध जैवे दशॊवक ऩळु आने की दशम्भत नशीॊ कयते।
ब्राह्भण दक्षषणालता ळॊख कशाॊ गमा शैं।
जशयी जीलजॊतु बी लशाॊ वे दयू यशते शैं।
2- ऺत्त्रम दक्षऺणावतत शांख:
कुछ जानकायों का भानना शैं की योग कायक ळूक्ष्भ
जो ळॊख शल्का यक्त लणा शो, ळॊख के अॊळ को अरग
जीलाणु मा वलऴाणु शला भें शोते शैं त्जवे लामयव कशते
कयने लारी कुछ ये खाएॊ फनी शो, ळॊख की ध्लतन ककाळ
शैं, जशाॊ प्रततददन प्रात् एलॊ वॊध्मा ळॊख ध्लतन शोती शैं,
शो उव ळॊख को षत्रिम दक्षषणालता ळॊख कशाॊ गमा शैं।
लशाॊ जीलाणु मा वलऴाणु अथाात लामयव का उऩद्रल पैरता
3- वैश्म दक्षऺणावतत शांख:
नशीॊ शैं।
जो ळॊख भोटा शो, ळॊख के शय अॊळ ऩय ये खा शो तथा लश
 दक्षषणालतॉ ळॊख को धन के बॊडाय भें यखने वे धन
ऩीरे यॊ ग की शो उव ळॊख को लैश्म दक्षषणालता ळॊख कशाॊ गमा
की लवृ ि, अन्न-बॊडाय भें यखने वे अन्न की लवृ ि,
शैं।
लस्ि के बॊडाय भें यखने वे लस्ि की लवृ ि, अध्ममन 4- शद्र
ु दक्षऺणावतत शांख:
ल ऩूजन कष भें यखने वे सान की लवृ ि, ळमन कष जो ळॊख कठोय शो, ळॊख का आकाय टे डा भेडा शो, लजन
भें यखने वे वुख-ळाॊतत की लवृ ि शोती शैं। भें बायी शो, ळॊख की ध्लतन ककाळ, यॊ ग थोडा कारा शो

 दक्षषणालतॉ ळॊख भें ळुि जर बयकय व्मत्क्त, लस्तु, उव ळॊख को ळद्र


ु दक्षषणालता ळॊख कशाॊ गमा शैं।

बूसभ-बलन आदद ऩय तछडकने वे दब


दक्षषणालता ळॊख के भख्
ु म तीन गुण भाने गमे
ु ााग्म, असबळाऩ,
असब ाय, ग्रशों की अळब
शैं।
ु ता इत्मादद वभातत शो जाती
1- आकाय भें गोराकाय शो, 2- ळॊख की वतश भुरामभ
शैं।
शो तथा 3- तनभार शो
95 - 2018

मदद ऐसा शांख ककसी कायण से टूट जामे तो टूटे हुवे ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीधय कयस्थातममोतनधध जाताम
बाग को सोने की वयख मा सोने के ऩत्तय से उसे ढां क
श्रीदक्षषणालता ळॊखम ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीकयाम
दे ना चादहए।
ऩूज्माम नभ्।

दक्षषणालतता ळॊख की ऩज उक्त भि का उच् ायण कयते शुले ळॊख को अष्ट द्रव्म ल
ू न वलधध:
वग
ु ॊधधत इि ढ़ाएॊ। ाॊदी के फयतन भें दध
ू भें ीनी,
प्रात् स्नान आदद वे तनलत्ृ त शो कय, स्लच्छ कऩडे ऩशन
केवय, फादाभ, इराम ी सभरा कय नैलेद्म तैमाय कयें ।
कय, प्रथभ दध
ू वे फपय ळुि जर वे ळॊख को स्नान
वॊबल शो तो वाथ भें पर बी यखें।
कयामे। फपव स्लच्छ रार लस्ि वे उवे ऩोछे । फपय ळॊख
कऩूय वे आयती कयें ।
को वोने मा ाॊदी के ऩि वे भढ़ना ादशए (अथाात ळॊख
की उऩयी वतश को वोने मा ाॊदी के ऩि का आलयण
रगाकय ढ़क दे ना ादशए), मदद वोने ाॊदी का ऩि ध्मान भॊि:
रगाना वॊबल न शो तो वोने मा ाॊदी की लयक (लयख, ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ श्रीधय कयस्थातम ऩमोतनधध
लका, लखा, ऩणा, ऩन्नी Foil आदद नाभों वे जाना जाता जाताम रक्ष्भी वशोदयाम ध त्न्तभाथा वॊऩादकाम
शैं) बी ढ़ा वकते शैं। फपय ळॊख का अष्ट द्रव्मों वे
श्री श्रीदक्षषणालता ळॊखाम श्री कयाम, ऩूज्माम क्रीॊ
ऴोडळोऩ ाय ऩज
ू न कयें ।
श्रीॊ ह्ीॊ ॐ नभ् वलााबयण बूवऴताम
ळॊख का ऩज
ू न प्रळस्मान्गोऩान्गवॊमुताम कल्ऩलष
ृ ाम त्स्थताम
वॊकल्ऩ काभधेनु ध न्ताभर्णनल तनधधरूऩाम तुदाळ यत्न
शाथ भें आ भनी भें रज रेकय नी े दे मे भॊि वे वॊकल्ऩ ऩरयलत्ृ ताम अष्टादळ भशासववि वदशताम श्रीरक्ष्भी
कयें (जशाॊ अभुक के स्थान ऩय वॊफॊधधत लऴा, भाव आदद
दे लता कृष्णदे ल कयतर रसरताम श्री
का उच् ायण कयें ।)
ळॊखभशातनधमे नभ्।
ॐ अिाद्म अभुक लऴे अभुक भावे अभुक ऩषे
ध्मान भॊि आलाशन अथाात ् स्तुतत भॊि शै । इवके
अभुक ततथौ अभुख लायवे ळुब नषि कयण मोग
अततरयक्त फीज भॊि अथला ऩाॊ जन्म गामिी ळॊख भॊि
रग्ने भभ सविमथे दशयण्म गोदावा लाशना दश का ग्मायश भारा जऩ कयना बी आलश्मक शै ।
वभवृ ि प्रातत्मथे श्री दक्षषणालतॉ ळॊखस्म ऩूजनभ ्
अशॊ करयष्मे। जऩ भांत्र:
अथातत: आजके अभुक लऴा, अभुक भाव, अभुक ऩष, ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ ब्रूॊ दक्षषण ळॊखतनधमे वभुद्र
अभुक ततधथ, अभुक लाय को भेये कामा की सववि के सरए प्रबलाम नभ्।
वुलणा, गाम, दाव, लाशन आदद वभवृ ि की प्रात्तत के
फीज भांत्र:
सरए भैं श्री दक्षषणालतॉ ळॊख जा ऩूजन कय यशा शूॊ।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ ब्रूॊ दक्षषणभुखाम ळॊखतनधमे
(उक्त भॊि उ ायण कय ळॊखका जर ऩािे भें छोड दे )
वभुद्रप्रबलाम नभ्।
ऩज
ू न भॊि:
96 - 2018

शांख का शाफय भांत्र: ळॊख का ऩज


ू न ददन के वद्वतीम प्रशय भें कयने वे धन,

ॐ दक्षषणालते ळॊखाम भभ ् गश वॊऩत्त्त ल रक्ष्भी की प्रात्तत शोती शैं एलॊ फुवि का


ृ धनलऴाा कुरु कुरु
वलकाव शोता शैं।
नभ्॥
ळॊख का ऩूजन ददन के तत
ृ ीम प्रशय भें कयने वे वभाज
ळॊख गामिी भॊि:
भें मळ, कीतता एलॊ फुवि की लवृ ि शोती शैं।
ॐ ऩान् जन्माम वलद्मशे । ऩालभानाम धीभदश। तन्न
ळॊख का ऩज
ू न ददन के तथ
ु ा प्रशय भें कयने वे वॊतान
ळॊख् प्र ोदमात ्।
की प्रात्तत एलॊ लवृ ि शोती शैं।
प्रततददन उक्त फकवी एक भॊि का ळॊख के वम्भुख
ववशेष: ददन औय यािी के ाय- ाय प्रशय शोते शैं, कुर
फैठकय 1, 3, 5, 7, 11 भाराएॊ जऩ कयना ादशए। जऩ
आठ प्रशय का एक ददन शोता शैं। अथाात एक प्रशय तीन
की वभात्तत ऩय जर को आकाळ की ओय तछडके।
घॊटे का शोता शै । वूमोदम के वभम वे प्रथन प्रशय की
ऋवि-सववि तथा वख
ु -वभवृ ि की प्रात्तत के सरए शे तु मश
गणना कयनी ादशए। वूमोदम वभम भें 3 घॊटे का
प्रमोग अत्मॊत राब प्रद शैं।
वभम जोडने ऩय दव
ू या प्रशय प्रायॊ ब शोगा ऐवे तीन-तीन
दोऴ यदशत दक्षषणालतॉ ळॊख का उऩयोक्त वलधध वे ऩूजन
घॊटे जोडकय क्रभळ् तीवया औय ौथा प्रशय जान वकते
कयना अत्मॊत राबप्रद शोता शैं।
शैं।
ळॊख का ऩज
ू न ददन के प्रथभ प्रशय भें कयने वे याज्म
ऩष वे वम्भान की प्रात्तत शोती शैं। ***

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97 - 2018


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वद्व -वद्व । ॥
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98 - 2018

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भॊि सवि स्पदटक श्री मॊि


"श्री मॊि" वफवे भशत्लऩूणा एलॊ ळत्क्तळारी मॊि शै । "श्री मॊि" को मॊि याज कशा जाता शै क्मोफक मश
अत्मन्त ळुब फरदमी मॊि शै । जो न केलर दव
ू ये मन्िो वे अधधक वे अधधक राब दे ने भे वभथा शै एलॊ
वॊवाय के शय व्मत्क्त के सरए पामदे भॊद वात्रफत शोता शै । ऩूणा प्राण-प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त "श्री
मॊि" त्जव व्मत्क्त के घय भे शोता शै उवके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फरदामी सवि शोता शै उवके दळान
भाि वे अन-धगनत राब एलॊ वख
ु की प्रात्तत शोतत शै । "श्री मॊि" भे वभाई अदद्रततम एलॊ अद्रश्म ळत्क्त
भनष्ु म की वभस्त ळब
ु इच्छाओॊ को ऩूया कयने भे वभथा शोतत शै । त्जस्वे उवका जीलन वे शताळा औय
तनयाळा दयू शोकय लश भनष्ु म अवफरता वे वफरता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता शै एलॊ उवे जीलन
भे वभस्त बौततक वुखो फक प्रात्तत शोतत शै । "श्री मॊि" भनुष्म जीलन भें उत्ऩन्न शोने लारी वभस्मा-फाधा
एलॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय वकायत्भक उजाा का तनभााण कयने भे वभथा शै । "श्री मॊि" की स्थाऩन वे
घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने वे लास्तु दोऴ म लास्तु वे वम्फत्न्धत ऩये ळातन भे न्मुनता
आतत शै ल वुख-वभवृ ि, ळाॊतत एलॊ ऐश्लमा फक प्रत्तत शोती शै । >> Shop Online | Order Now

गुरुत्व कामातरम भे वलसबन्न आकाय के "श्री मॊि" उतरब्ध शै


भल्
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99 - 2018

वला ऐश्लमा प्रद-रक्ष्भी-कल



श्री भधुसद
ू न उवाच:- बावाथत्- भधुवूदन जी फोरे शें इन्द्र ! (रक्ष्भी-प्रात्तत के सरमे)
गश
ृ ाण कल भ ् ळक्र वलाद्ु खवलनाळनभ ्। तुभ मश रक्ष्भीकल ग्रशण कयो। मश वभस्त द्ु खों का
ऩयभैश्लमाजनकॊ वलाळिुवलभदा नभ ्।। वलनाळक, ऩयभ ऐश्लमा का उत्ऩादक औय वम्ऩूणा ळिुओॊ का
ब्रह्भणे ऩुया दत्तभ ् वॊवाये जरतरत
ु े। भदान कयने लारा शैं। ऩूलक
ा ार भें जफ वाया वॊवाय जरभग्न शो
मद् धत्ृ ला जगताॊ श्रेष्ठ् वलैश्लमामुतो वलधध्।। गमा था, उव वभम भैनें इवे ब्रह्भा को ददमा था। त्जवे धायण
फबल
ू ुभन
ा ल् वले वलैश्लमामत
ु ो मत्। कयके ब्रह्भा त्रिरोकी भें श्रेष्ठ औय वम्ऩूणा ऐश्लमों के बागी शुए
वलैश्लमाप्रदस्मास्म कल स्म ऋवऴवलाधध।। थे। दे लयाज, इव वलैश्लमाप्रद कल के ब्रह्भा ऋवऴ शैं, ऩङ्त्क्त
ऩङ्त्क्तश्छन्दश् वा दे ली स्लम ऩद्मारमा वुय। छन्द शैं, स्लमॊ ऩद्मारमा रक्ष्भी दे ली शैं औय सविैश्लमा के जऩों भें
सविैश्लमाजऩेष्लेल वलतनमोग् प्रकीततात।। इवका वलतनमोग कशा गमा शैं। इव कल के धायण कयने वे
मद् धत्ृ ला कल ॊ रोक् वलाि वलजमी बलेत ्।। रोग वलाि वलजमी शोते शैं।
.

भूर कवच ऩाठ: ऩद्मालती दे ली भेये भस्तक की यषा कयो। शरयवप्रमा कण्ठ की यषा
भस्तकभ ् ऩातु भे ऩद्मा कण्ठॊ ऩातु शरयवप्रमा। कयो। रक्ष्भी नासवका की यषा कयो। कभरा नेि की यषा कयो।
नासवकाभ ् ऩातु भे रक्ष्भी् कभरा ऩातु रो नभ ्।। केळलकान्ता केळों की, कभरारमा कऩार की, जगज्जननी
केळान ् केळलकान्ता कऩारभ ् कभरारमा। दोनों कऩोरों की औय वम्ऩत्प्रदा वदा स्कन्ध की यषा कयो।
जगत्प्रवूगण्
ा डमुग्भॊ स्कन्धॊ वम्ऩत्प्रदा वदा।। ॐ श्रीॊ कभरलासवन्मै स्लाशा - भेये ऩष्ृ ठॊ बाग का वदा ऩारन
ॐ श्रीॊ कभरलासवन्मै स्लाशा ऩष्ृ ठॊ वदालत।ु कयो।
ॐ श्रीॊ ऩद्मारमामै स्लाशा लष् वदालतु।। ॐ श्रीॊ ऩद्मारमामै स्लाशा - लष्स्थर को वदा वयु क्षषत यखे।
ऩातु श्रीभाभ कॊकारॊ फाशुमुग्भॊ ते नभ्।। श्री दे ली को नभस्काय शैं आऩ भेये कॊकारॊ तथा दोनों बज
ु ाओॊ को
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ रक्ष्म्मै नभ् ऩादौ ऩातु भे वॊततभ ् ध यभ ्। फ ामे।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ नभ् ऩद्मामै स्लाशा ऩातु तनतम्फकभ ्।। ॐ ह्ीॊ श्रीॊ रक्ष्म्मै नभ् - ध यकार तक भेये ऩैयों का ऩारन कयो।
ॐ श्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा वलांगॊ ऩातु भे वदा। ॐ ह्ीॊ श्रीॊ नभ् ऩद्मामै स्लाशा - तनतम्फ बाग की यषा कयो।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा भाॊ ऩातु वलात्।। ॐ श्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा - भेये वलांग की वदा यषा कयो।
इव भॊि के ऩाठ वे भाॊ भशारक्ष्भी की कृऩा प्रातत शोती शै । ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा
परश्रुनत:
इतत ते कधथतभ ् लत्व वलावम्ऩत्कयभ ् ऩयभ ्। : वफ ओय वे वदा भेया ऩारन कयो। लत्व, इव प्रकाय
वलैश्लमाप्रदभ ् नाभ कल भ ् ऩयभाद्भत
ु भ ्।। भैंने तुभवे इव वलैश्लमाप्रद नाभक ऩयभोत्कृष्ट कल का लणान
गुरुभ्मच्मा वलधधलत ् कल भ ् ळयमेत्तु म्। कय ददमा। मश ऩयभ अद्भत
ु कल वम्ऩूणा वम्ऩत्त्तमों को दे ने
कण्ठे ला दक्षषणे फाॊशौ व वलावलजमी बलेत ्।। लारा शैं। जो भनष्ु म वलधधऩूलक
ा गुरु फक अ न
ा ा कयके इव कल
भशारक्ष्भीगश
ाृ भ ् तस्म न जशातत कदा न। को गरे भें अथला दादशनी बज
ु ा ऩय धायण कयता शैं, लश वफको
तस्म छामेल वततभ ् वा जन्भतन जन्भतन।। जीतने लारा शो जाता शैं। भशारक्ष्भी कबी उवके घय का त्माग
इदभ ् कल भसात्ला बजेल्रक्ष्भीॊ वुभन्दधी्। नशीॊ कयती; फत्ल्क प्रत्मेक जन्भ भें छामा की बाॉतत वदा उवके
ळतरषप्रजततोऽवऩ न भन्ि् सवविदामक्।। वाथ रगी यशती शैं। जो भन्दफुवि इव कल को त्रफना जाने शी
।।इतत श्रीब्रह्भलैलते इन्द्रभ ् प्रतत शरयणोऩददष्टभ ् रक्ष्भी की बत्क्त कयता शैं, उवे एक कयोड जऩ कयने ऩय बी
रक्ष्भीकल भ ्।। (गणऩततखण्ड २२।५-१७) भन्ि सवविदामक नशीॊ शोता।
100 - 2018

भशारक्ष्भी कल
नायामण उवाच ऩद्मा भाॊ दक्षषणे ऩातु नैऋात्माॊ श्रीशरयवप्रमा॥१०॥
वला वम्ऩत्प्रदस्मास्म कल स्म प्रजाऩतत्। ऩद्मारमा ऩत्श् भे भाॊ लामव्माॊ ऩातु श्री् स्लमभ ्।
ऋवऴश्छन्दश् फश
ृ ती दे ली ऩद्मारमा स्लमभ ्॥१॥ उत्तये कभरा ऩातु ऐळान्माॊ सवन्धक
ु न्मका॥११॥
धभााथक
ा ाभभोषेऴु वलतनमोग् प्रकीततात्। नायामणेळी ऩातूध्लाभधो वलष्णुवप्रमालतु।
ऩुण्मफीजॊ भशताॊ कल ॊ ऩयभाद्भत
ु भ ्॥२॥ वॊततॊ वलात् ऩातु वलष्णुप्राणाधधका भभ॥१२॥
ॐ ह्ीॊ कभरलासवन्मै स्लाशा भे ऩातु भस्तकभ ्। इतत ते कधथतॊ लत्व वलाभन्िौघवलग्रशभ ्।
श्रीॊ भे ऩातु कऩारॊ रो ने श्रीॊ धश्रमै नभ्॥३॥ वलैश्लमाप्रदॊ नाभ कल ॊ ऩयभाद्भत
ु भ ्॥१३॥
ॐ श्रीॊ धश्रमै स्लाशे तत कणामुग्भॊ वदालतु। वुलणाऩलातॊ दत्त्ला भेरुतुल्मॊ वद्वजातमे।
ॐ श्रीॊ ह्ीॊ क्रीॊ भशारक्ष्म्मै स्लाशा भे ऩातु नासवकाभ ्॥४॥ मत ् परॊ रबते धभॉ कल न
े ततोऽधधकभ ्॥१४॥
ॐ श्रीॊ ऩद्मारमामै स्लाशा दन्तॊ वदालतु। गुरुभ्मच्मा वलधधलत ् कल ॊ धायमेत ् तु म्।
ॐ श्रीॊ कृष्णवप्रमामै दन्तयन्ध्रॊ वदालतु॥५॥ कण्ठे ला दक्षषणे लाशौ व श्रीभान ् प्रततजन्भतन॥१५॥
ॐ श्रीॊ नायामणेळामै भभ कण्ठॊ वदालतु। अत्स्त रक्ष्भीगश
ा ृ े तस्म तनश् रा ळतऩूरुऴभ ्।
ॐ श्रीॊ केळलकान्तामै भभ स्कन्धॊ वदालतु॥६॥ दे लेन्द्रै श् ावुयेन्द्रै श् वोऽिध्मो तनत्श् तॊ बलेत ्॥१६॥
ॐ श्रीॊ ऩद्मतनलासवन्मै स्लाशा नासबॊ वदालतु। व वलाऩुण्मलान ् धीभान ् वलामसेऴु दीक्षषत्।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ वॊवायभािे भभ लष् वदालतु॥७॥ व स्नात् वलातीथेऴु मस्मेदॊ कल ॊ गरे॥१७॥
ॐ श्रीॊ श्रीॊ कृष्णकान्तामै स्लाशा ऩष्ृ ठॊ वदालत।ु मस्भै कस्भै न दातव्मॊ रोबभोशबमैयवऩ।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ धश्रमै स्लाशा भभ शस्तौ वदालत॥
ु ८॥ गरु
ु बक्ताम सळष्माम ळयणाम प्रकाळमेत ्॥१८॥
ॐ श्रीॊ तनलावकान्तामै भभ ऩादौ वदालत।ु इदॊ कल भसात्ला जऩेल्रक्ष्भीॊ जगत्तवभ
ू ्।
ॐ ह्ीॊ श्रीॊ क्रीॊ धश्रमै स्लाशा वलांगॊ भे वदालत॥
ु ९॥ कोदटवॊख्मॊ प्रजततोऽवऩ न भन्ि् वोविदामक्॥१९॥
प्राच्माॊ ऩातु भशारक्ष्भीयाग्नेयमाॊ कभरारमा। (गणऩततखण्ड ३८।६४-८२)

भॊि सवि दर
ु ब
ा वाभग्री
कारी शल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 शल्दी भारा - Rs- 280
धन लवृ ि शकीक वेट Rs-280 (कारी शल्दी के वाथ Rs-550) तुरवी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
शकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-145 भॊग
ू े की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
वपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 लैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राष भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above वलधुत भारा - Rs- 190, 280
- Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भल्
ू म भें अॊतय छोटे वे फडे आकाय के कायण शैं।
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101 - 2018

भशारक्ष्भी स्ततु त
नभस्तेस्तु भशाभामे श्री ऩीठे वुयऩूत्जते। भशारक्ष्भी तुम्शें प्रणाभ शैं॥2॥ वफ कुछ जानने लारी,

ळङ्ख क्रगदाशस्ते भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥१॥ वफको लय दे ने लारी, वभस्त दष्ु टों को बम दे ने लारी एलॊ

नभस्ते गरुडारूढे कोरावयु बमङ्करय। वफके द:ु खों को दयू कयने लारी, शे दे वल भशारक्ष्भी तुम्शें
नभस्काय शैं॥3॥ सववि, फुवि, बोग औय भोष दे ने लारी शे
वलाऩाऩशये दे वल भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥२॥
भॊिऩूत बगलतत भशारक्ष्भी तुम्शें वदा प्राभ शैं॥4॥ शे दे वल!
वलासे वलालयदे वलादष्ु ट बमङ्करय।
शे आदद-अन्त-यदशत आददळत्क्त ! शे भशे श्लरय! शे मोग वे
वलाद:ु खशये दे वल भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥३॥
प्रकट शुई बगलतत भशारक्ष्भी तम्
ु शें नभस्काय शैं ॥5॥ शे
सवविफवु िप्रदे दे वल बत्ु क्त भत्ु क्त प्रदातमतन।
दे वल! तुभ स्थर
ू , वूक्ष्भ एलॊ भशायौद्ररूवऩणी शो, भशाळत्क्त
भन्िऩूते वदा दे वल भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥४॥
शो, भशोदया शो औय फडे-फडे ऩाऩों का नाळ कयने लारी
आद्मन्तयदशते दे वल आद्मळत्क्त भशे श्लरय।
शो। शे दे वल भशारक्ष्भी तुम्शें नभस्काय शैं॥6॥ शे कभर
मोगजे मोगवम्बत
ू े भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥५॥ के आवन ऩय वलयाजभान ऩयब्रह्भस्लरूवऩणी दे वल! शे
स्थूरवूक्ष्भभशायौद्रे भशाळत्क्त भशोदये । ऩयभेश्लरय! शे जगदम्फ! शे भशारक्ष्भी तम्
ु शें भेया प्रणाभ
भशाऩाऩशये दे वल भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥६॥ शैं॥7॥ शे दे वल तुभ श्लेत लस्ि धायण कयने लारी औय

ऩद्मावनत्स्थते दे वल ऩयब्रह्भ स्लरूवऩर्ण। नाना प्रकाय के आबूऴणों वे वलबूवऴता शो। वम्ऩूणा जगत ्

ऩयभेसळ जगन्भत ् भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥७॥ भें व्मातत एलॊ अर्खर रोक को जन्भ दे ने लारी शो। शे

श्लेताम्फयधये दे वल नानारङ्कायबूवऴते। भशारक्ष्भी तम्


ु शें भेया प्रणाभ शैं॥8॥ जो भनष्ु म बत्क्त
मक्
ु त शोकय इव भशारक्ष्म्मष्टक स्तोि का वदा ऩाठ
जगत्त्व ्थते जगन्भत ् भशारक्ष्भी नभोस्तु ते॥८॥
कयता शैं, लश वायी सवविमों औय याज्मलैबल को प्रातत कय
भशारक्ष्म्मष्टकॊ स्तोिॊ म: ऩठे द्भत्क्त भान्नय्॥
वकता शैं॥9॥ जो प्रततददन एक वभम ऩाठ कयता शैं,
वलासवविभलाऩनेतत याज्मभ ् प्राऩनेतत वलादा॥९॥
उवके फडे-फडे ऩाऩों का नाळ शो जाता शैं। जो दो वभम
एककारे ऩठे त्न्नत्मभ ् भशाऩाऩवलनाळनभ ्।
ऩाठ कयता शैं, लश धन-धान्म वे वम्ऩन्न शोता शैं॥10॥
वद्वकारॊ म: ऩठे त्न्नत्मभ ् धनधान्मवभत्न्लत॥१०॥
जो प्रततददन तीन कार ऩाठ कयता शैं उवके फडे-फडे
त्रिकारॊ म: ऩठे त्न्नत्मभ ् भशाळिवु लनाळनभ ्।
ळिओ
ु ॊ का नाळ शो जाता शैं औय उवके ऊऩय
भशारक्ष्भीबालेत्न्नत्भ ् प्रवन्ना लयदा ळुबा ॥११॥ कल्माणकारयणी लयदातमनी भशारक्ष्भी वदा शी प्रवन्न
|| इतत भशारक्ष्भी स्तुतत वम्ऩूणा || शोती शैं॥11॥
रक्ष्भी जी के इव स्तोि की य ना कयने लारे दे लयाज
बावाथत:- इन्द्र फोरे- श्रीऩीठऩय त्स्थत औय दे लताओॊ वे
इन्द्र शैं।
ऩूत्जत शोने लारी शे भशाभामे। तुम्शें नभस्काय शैं। शाथ
भें ळङ्ख, क्र औय गदा धायण कयने लारी शे भशारक्ष्भी उऩयोक्त स्तुनत का प्रनतददन तीन कार ऩाठ कयता
तम्
ु शें प्रणाभ शैं॥1॥ गरुडऩय आरूढ शो कोरावयु को बम है , शत्रओ
ु ां का नाश होता हैं एवां उसे जीवन भे सबी
दे ने लारी औय वभस्त ऩाऩों को शयने लारी शे बगलतत प्रकाय के सुखो की प्रात्तत होती हे ।
102 - 2018


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रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि


श्रीमॊि को वभस्त प्रकाय के श्रीमॊिों भें वलाश्रेष्ठ भाना गमा शै औय कुफेय मॊि को दे लताओॊ भें धन के दे लता कुफेय जी
का वफवे प्रबालळारी मॊि भाना जाता शैं इव मॊि के ऩूजन वे अषम धन कोऴ की प्रात्तत शोती शैं औय भनुष्म के
सरए नलीन आम के स्रोत फनते शैं। प्रततददन रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि का ऩूजन एलॊ दळान कयने वे व्मत्क्त को
जीलन भें धन औय ऐश्लमा की कबी बी कभी नशीॊ शोती शै । वलद्लानों ने अऩने अनुबलों भें ऩामा शैं की जो भनुष्म
अऩने गश
ृ स्थ जीलन भें धन, लैबल, ऐश्लमा, वुख-वभवृ ि, व्माऩाय भें वपरता, वलदे ळ राब, याजनीतत भें वपरता,
नौकयी भें ऩदौत्न्न्त आदद की काभना यखता शैं तो उवके सरए श्री रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि वलाश्रेऴ मॊि शैं।
भनुष्म को रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि के ऩूजन वे जीलन के वबी षेि भें वुख-वभवृ ि एलॊ वौबाग्म की प्रातत
शोने रगती शै । मदद फकवी व्मत्क्त को व्माऩाय भें मदद व्माऩाय भें ऩूणा ऩरयश्रभ एलॊ रगने वे कामा कयने ऩय बी
अधधक राब की प्रात्तत नशीॊ शो यशी शो, व्माऩाय भॊदा र यशा शो मा फाय-फाय राब के स्थान ऩय शातन शो यशी शो
तो उवे रक्ष्भीकुफेय धन आकऴाण मॊि को अलश्म अऩने व्मलवामीक स्थान ऩय स्थावऩत कयना ादशए। त्जववे
व्माऩाय भें फाय-फाय शोने लारे घाटे मा नुकवान वे ळीघ्र शी राब प्रातत शोने के मोग फनने रगते शैं। >> Order Now
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 क्मा आऩके फच् े कुवॊगती के सळकाय शैं?

 क्मा आऩके फच् े आऩका कशना नशीॊ भान यशे शैं?

 क्मा आऩके फच् े घय भें अळाॊतत ऩैदा कय यशे शैं?

घय ऩरयलाय भें ळाॊतत एलॊ फच् े को कुवॊगती वे छुडाने शे तु फच् े के नाभ वे गरु
ु त्ल कामाारत द्लाया ळास्िोक्त वलधध-
वलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩण
ू ा त
ै न्म मक्
ु त लळीकयण कल एलॊ एव.एन.डडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने
घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩज
ू ा, वलधध-वलधान वे आऩ वलळेऴ राब प्रातत कय वकते शैं। मदद आऩ तो आऩ भॊि सवि
लळीकयण कल एलॊ एव.एन.डडब्फी फनलाना ाशते शैं, तो वॊऩका इव कय वकते शैं।

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ऩढाई वे वॊफॊधधत वभस्मा


क्मा आऩके रडके-रडकी की ऩढाई भें अनालश्मक रूऩ वे फाधा-वलघ्न मा रुकालटे शो यशी शैं? फच् ो को अऩने ऩूणा
ऩरयश्रभ एलॊ भेशनत का उध त पर नशीॊ सभर यशा? अऩने रडके-रडकी की कॊु डरी का वलस्तत
ृ अध्ममन अलश्म
कयलारे औय उनके वलद्मा अध्ममन भें आनेलारी रुकालट एलॊ दोऴो के कायण एलॊ उन दोऴों के तनलायण के उऩामो के
फाय भें वलस्ताय वे जनकायी प्रातत कयें ।
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Beautiful Stone Bracelets


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122 - 2018

अष्टरक्ष्भी स्तोि दे लकृत रक्ष्भी स्तोिभ ्


वभ
ु नवलॊददत वॊद
ु रय भाधवल द्र
ॊ वशोदरय शे भभमे । षभस्ल बगलॊत्मल षभाळीरे ऩयात्ऩये ।
भुतनगण लॊददत भोषप्रदातमतन भॊजुऱबावऴर्ण लेदनुते ॥ ळुिवत्त्लस्लरूऩे कोऩाददऩरयलत्जाते॥
ऩॊकजलासवतन दे लवुऩूत्जत वदगुणलवऴार्ण ळाॊततमुते । उऩभे वलावाध्लीनाॊ दे लीनाॊ दे लऩत्ू जते।
जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन आददरत्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥1॥ त्लमा वलना जगत्वलं भत
ृ तुल्मॊ तनष्परभ ्॥

अतमकसर कल्भऴनासळतन कासभतन लैददकरूवऩर्ण लेदभमे । वलावॊऩत्स्लरूऩा त्लॊ वलेऴाॊ वलारूवऩणी।

षीयवभद
ु बल भॊगररूवऩर्ण भॊितनलासवतन भॊिनत
ु े॥ यावेश्लमाधध दे ली त्लॊ त्लत्करा् वलामोवऴत्॥

भॊगरदातमतन अॊफुजलासवतन दे लगणाधश्रत ऩादमुते । कैरावे ऩालाती त्लॊ षीयोदे सवन्धुकन्मका।

जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन धान्मरत्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥2॥ स्लगे स्लगारक्ष्भीस्त्लॊ भत्मारक्ष्भीश् बूतरे॥

जमलय लर्णातन लैष्णवलबागावल भॊिस्लरूवऩर्ण भॊिभमे । लैकॊु ठे भशारक्ष्भीदे लदे ली वयस्लती।

वुयगण ऩूत्जत ळीघ्र परप्रद सानवलकासवतन ळास्िनुते ॥ गॊगा तर


ु वी त्लॊ वावलिी ब्रह्भारोकत्॥

बलबमशारयर्ण ऩाऩवलभो तन वाधज कृष्णप्राणाधधदे ली त्लॊ गोरोके याधधका स्लमभ ्।


ु नाधश्रत ऩादमत
ु े।
यावे यावेश्लयी त्लॊ लॊद
ृ ालन लने- लने॥
जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन धैमर
ा त्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥3॥
कृष्णा वप्रमा त्लॊ बाॊडीये ॊद्रा द
ॊ नकानने।
जम जम दग
ु ता तनासळतन कासभतन वलापरप्रद ळास्िभमे ।
वलयजा ऩ
ॊ कलने ळतळॊग
ृ े वुॊदयी॥
यथगज तुयग ऩदाददवभानुत ऩरयजनभॊडडत रोकनुते ॥
ऩद्मालती ऩद्मलने भारती भारतीलने।
शरय-शय ब्रह्भ वुऩूत्जत वेवलत ताऩतनलारयर्ण ऩादमुते ।
कॊु ददॊ ती कॊु दलने वुळीरा केतकीलने॥
जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन श्री गजरत्क्ष्भ ऩारम भाभ ् ॥4॥
कदॊ फभारा त्लॊ दे ली कदॊ फकाननेऽवऩ ।
अतम खगलादशतन भोदशतन फक्रर्ण याग वललधधातन सानभमे ।
याजरक्ष्भी याजगेशे गश
ृ रक्ष्भीगश
ृ े गश
ृ े॥
गुणगणलारयधध रोकदशतैवऴर्ण वततस्लयलय गाननुते ॥
इत्मक्
ु त्ला दे लता् वलाा भन
ु मो भनलस्तथा।
वकर वुयावुय दे ल भुनीश्लय भानललॊददत ऩादमुते ।
रूरूदन
ु म्र
ा लदना् ळुष्ककॊठोष्ठ तारुका्॥
जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन वॊतानरत्क्ष्भ ऩारम भाभ ् ॥5॥
इतत रक्ष्भीस्तलॊ ऩण्
ु मॊ वलादेलै् कृतॊ ळब
ु भ ्।
जम कभरावतन वदगततदातमतन सान वलकासवतन गानभमे ।
म् ऩठे त्प्रातरूत्थाम व लै वलै रबेद् ध्रल
ु भ ्॥
अनदु दनभध त
ा कुकॊु भधव
ू य बवू ऴतलासवत लाद्मनत
ु े॥ अबामो रबते बामां वलनीताॊ वुवुताॊ वतीभ ्।
कनक धया स्तुतत लैबल लॊददत ळॊकय दे सळक भान्म ऩते।
वुळीराॊ वुॊदयीॊ यम्माभततवुवप्रमलाददनीभ ्॥
जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन वलजमरत्क्ष्भ जम ऩारम भाभ ् ॥6॥ ऩुिऩौिलतीॊ ळुिाॊ कुरजाॊ कोभराॊ लयाभ ्।
प्रणत वुयेश्लरय बायतत बागावल ळोकवलनासळतन यत्नभमे । अऩि
ु ो रबते ऩि
ु ॊ लैष्णलॊ ध यजीवलनभ ्॥
भर्णभम बूवऴत कणावलबूऴण ळाॊततवभालत
ृ शास्मभुखे ॥ ऩयभैश्लमामुक्तॊ वलद्मालॊतॊ मळत्स्लनभ ्।
नलतनधध दातमतन कसरभरशारयर्ण काम्म परप्रद शस्तमत
ु े। भ्रष्टयाज्मो रबेद्राज्मॊ भ्रष्टश्रीराबते धश्रमभ ्॥
जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन वलद्मारत्क्ष्भ ऩारम भाभ ् ॥7॥ शतफॊधर
ु ब
ा ेद्फॊधुॊ धनभ्रष्टो धनॊ रबेत ्।
धधसभ धधसभ धधभ ् धधसभ धधॊधधसभ धधॊधधसभ दॊ द
ु सु ब ्नाद वुऩूणभ
ा मे । कीतताशीनो रबेत्कीततं प्रततष्ठाॊ रबेद् ध्रल
ु भ ्॥
घुभघुभ घुॊघुभ घुॊघुभ घुॊघुभ ळॊखतननाद वुलाद्मनुते ॥ वलाभॊगरदॊ स्तोिॊ ळोकवॊताऩनाळनभ ्।
लेदऩुयाणेतत शाव वुऩूत्जत लैददकभागा प्रदळामुते । शऴाानॊदकयॊ ळश्लिभा भोषवुरृत्प्रदभ ्॥
जम जम शे भधव
ु ूदन कासभतन श्री धनरत्क्ष्भ ऩारम भाभ ् ॥8॥ ॥ इतत श्रीदे लकृत रक्ष्भीस्तोिॊ वॊऩूणभ
ा ्॥
123 - 2018

ऋणभो क भॊगर स्तोि ॥ रक्ष्भी स्तुतत-ऩाठ ॥


श्रीगणेळाम नभ् ऩद्मानने ऩतद्मतन ऩद्म-शस्ते ऩद्म-वप्रमे ऩद्म-दरामताक्षष।
वलश्ले-वप्रमे वलष्णु-भनोनुकूरे, त्लत ्-ऩाद-ऩद्मॊ भतम वत्न्नधत्स्ल॥

भङ्गरो बूसभऩुिश् ऋणशताा धनप्रद्। ऩद्मानने ऩद्म-उरु, ऩद्माषी ऩद्म-वम्बले।


त्स्थयावनो भशाकम् वलाकभावलयोधक् ॥१॥ त्लन्भा बजस्ल ऩद्माक्षष, मेन वौख्मॊ रबाम्मशभ ्॥

रोदशतो रोदशताषश् वाभगानाॊ कृऩाकय्। अश्ल-दातम गो-दातम, धनदामै भशा-धने।


धनॊ भे जऴ
ु ताॊ दे वल, वला-काभाॊश् दे दश भे॥
धयात्भज् कुजो बौभो बूततदो बूसभनन्दन्॥२॥

अङ्गायको मभश् ल
ै वलायोगाऩशायक्। ऩुि-ऩौि-धन-धान्मॊ, शस्त्मश्लादद-गले यथभ ्।
प्रजानाॊ बलतत भात्, अमुष्भन्तॊ कयोतु भाभ ्॥
व्रुष्टे ् कतााऽऩशताा वलाकाभपरप्रद्॥३॥
धनभत्ग्नधानॊ लामुधन
ा ॊ वूमो धनॊ लवु्।
एतातन कुजनाभतन तनत्मॊ म् श्रिमा ऩठे त ्।
धनसभन्द्रा लश
ृ स्ऩततलारुणो धनभश्नुते॥
ऋणॊ न जामते तस्म धनॊ ळीघ्रभलातनम
ु ात ्॥४॥
लैनतेम वोभॊ वऩफ, वोभॊ वऩफतु लि
ृ शा।
धयणीगबावम्बत
ू ॊ वलद्मत्ु कात्न्तवभप्रबभ ्।
वोभॊ धनस्म वोसभनो, भह्भॊ ददातु वोसभतन॥
कुभायॊ ळत्क्तशस्तॊ भङ्गरॊ प्रणभाम्मशभ ्॥५॥
न क्रोधो न भात्वमं, न रोबो नाळुबा भती्।
बलन्ती कृत-ऩुण्मानाॊ, बक्तानाॊ श्री-वूक्तॊ जऩेत ्॥
स्तोिभङ्गायकस्मैतत्ऩठनीमॊ वदा नसृ ब्।

न तेऴाॊ बौभजा ऩीडा स्लल्ऩाऽवऩ बलतत क्लध त ्॥६॥ वलधध्-


अङ्गायक भशाबाग बगलन्बक्तलत्वर। उक्त भशा-भन्ि के तीन ऩाठ तनत्म कये । „ऩाठ‟ के फाद कभर
के श्लेत पूर, ततर, भध,ु घी, ळक्कय, फेर-गूदा सभराकय फेर की
त्लाॊ नभासभ भभाळेऴभण
ृ भाळु वलनाळम॥७॥
रकडी वे तनत्म १०८ फाय शलन कये । ऐवा ६८ ददन कये ।
ऋणयोगादददारयद्रमॊ मे ान्मे ह्मऩभत्ृ मल्।
इववे भन-लात्ञ्छत धन प्रातत शोता शै ।
बमक्रेळभनस्ताऩा नश्मन्तु भभ वलादा॥८॥ शलन-भन्ि्- “ॐ श्रीॊ ह्ीॊ भशा-रक्ष्म्मै वलााबीष्ट सवविदामै
अततलक्ि दयु ायाध्मा बोगभुक्त त्जतात्भन्। स्लाशा।”
तुष्टो ददासव वाम्राज्मॊ रुश्टो शयसव तत्ख्ळणात ्॥९॥

वलरयॊध ळक्रवलष्णूनाॊ भनुष्माणाॊ तु का कथा। भॊि कारी शल्दी


तेन त्लॊ वलावत्त्लेन ग्रशयाजो भशाफर्॥१०॥ 11 नॊग वाफत
ू कारी शल्दी लजन 18 ग्राभ भाि रु.730/-
11 नॊग वाफत
ू कारी शल्दी लजन 27 ग्राभ भाि .910/-
ऩुिान्दे दश धनॊ दे दश त्लाभत्स्भ ळयणॊ गत्। शभायें मशाॊ कारी शल्दी की गाॊठ एलॊ टुकडे प्रतत नॊग
ऋणदारयद्रमद्ु खेन ळिण
ू ाॊ बमात्तत्॥११॥ लज़न 3 ग्राभ वे 21 ग्राभ तक उऩरब्ध रु. 370, 460,
एसबद्ालादळसब् श्रोकैमा् स्तौतत धयावत
ु भ ्। 550, 730, 910, 1050, 1250, 1450,

भशततॊ धश्रमभातनोतत ह्मऩयो धनदो मल


ु ा॥१२॥ GURUTVA KARYALAY
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॥इतत श्री ऋणभो क भङ्गरस्तोिभ ् वम्ऩन


ू भ
ा ्॥
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124 - 2018

श्री रक्ष्भी ारीवा


॥ दोशा ॥ जफ जफ जन्भ जशाॊ प्रबु रीन्शा । फायश भाव कयैं जो ऩज
ू ा ।
भातु रक्ष्भी करय कृऩ, कयो ह्र्दम भें रुऩ फदर तशॊ वेला कीन्शा ॥ तेदश वभ धन्म औय नदशॊ दज
ू ा ॥
लाव ॥ स्लॊम वलष्णु जफ नय तनु धाया । प्रततददन ऩाठ कयै भन भाशीॊ ।
भनोकाभना सवि करय, ऩुयलशु भेयी रीन्शे उ अलधऩुयी अलताया ॥ उन वभ कोई जग भें कशुॊ नाशी ॥
आव ॥ तफ तभ
ु प्रगट जनकऩयु भाशीॊ । फशुवलधध क्मा भैं कयौं फडाई ।
॥वोयठा ॥ वेला फकमो ह्र्दम ऩुरकाशीॊ ॥ रेम ऩयीषा ध्मान रगाई ॥

मशी भोय अयदाव,शाथ जोड वलनती अऩनामा तोदश अन्तमााभी । करय वलश्लाव कयैं व्रत नेभा ।

कॊरु । वलश्ल वलददत त्रिबुलन की स्लाभी ॥ शोम सवि उऩजै उय प्रेभा ॥

वफवलधध कयौ वुलाव, जम जनतन तुभ वभ प्रफर ळत्क्त नदशॊ आनी । जम जम जम रक्ष्भी बालानी ।

जगदॊ त्रफका ॥ कशॊ तक भदशभा कशौ फखानी ॥ वफ भें व्मावऩत शो गण


ु खानी ॥

सवॊधु वुता भैं वुसभयौं तोशी । भन क्रभ ल न कयै वेलकाई । तुम्शयो तेज प्रफर जग भाशी ।

सान फवु ि वलद्मा दो भोशी ॥ भन इत्च्छत लाॊतछत पर ऩाई ॥ तुभ वभ कोउ दमारु कशुॊ नादशॊ ॥

तुभ वभान नदशॊ कोई उऩकायी । तत्ज छ्र कऩट औय तुयाई । भोदश अनाथ की वुधध अफ रीजै ।

वफ वलधध ऩयु लशु आव शभायी ॥ ऩज वॊकट कादट बत्क्त भोदश दीजै ॥


ू दशॊ वलवलध बाॊतत भन राई ॥
जम जम जगत जनतन जगदम्फा । औय शार भैं कशौं फुझाई । बर
ू क
ू करय षभा शभायी ।
दळान दीजै दळा तनशायी ॥
वफकी तभ
ु शी शो अलरम्फा ॥ जो मश ऩाठ कयै भन राई ॥
त्रफन दळान व्माकुर अधधकायी ।
तुभ शी शो घट घट की लावी । ताको कोई कष्ट न शोई ।
तुभदश अषत द्ु ख वशते बायी ॥
वलनती मशी शभायी खावी ॥ भन इत्च्छत ऩालै पर वोई ॥
नदशॊ भोदशॊ सान फुवि शै तन भें ।
जगजननी जम सवॊधु कुभायी । िादश िादश जम द्ु ख तनलारयर्ण ।
वफ जानत शो अऩने भन भें ॥
दीनन की तुभ शो दशतकायी ॥ त्रिवलध ताऩ बल फॊधन शारयर्ण ॥
रुऩ तुबज
ुा कयके धायण ।
वलनलौं तनत्म तुभदशॊ भशायानी । जो मश ारीवा ऩढै ऩढालै ।
कष्ट भोय अफ कयशु तनलायण ॥
कृऩा कयौ जग जनतन बलानी ॥ ध्मान रगाकय वुनै वुनालै ॥
केदश प्रकाय भैं कयौं फडाई ।
केदश वलधध स्ततु त कयौं ततशायी । ताको कोई न योग वतालै ।
सान फवु ि भोदश नदशॊ अधधकाई ॥
वुधध रीजै अऩयाध त्रफवायी ॥ ऩुि आदद धन वम्ऩतत ऩालै ॥
॥ दोशा ॥
कृऩा दृत्ष्ट ध तलो भभ ओयी । ऩि
ु शीन अरु वॊऩतत शीना ।
िादश िादश दख
ु शारयणी,शयो लेधग वफ
जगजननी वलनती वुन भोयी ॥ अॊध फधधय कोढी अतत दीना ।
िाव।
सान फवु ि जम वख
ु की दाता । वलप्र फोराम कै ऩाठ कयालै ।
जमतत जमतत जम रक्ष्भी, कयो ळिु
वॊकट शयो शभायी भाता ॥ ळॊका ददर भें कबी न रालै ॥
का नाळ ॥
षीयसवॊधु जफ वलष्णु भथामो । ऩाठ कयालै ददन ारीवा ।
याभदाव धरय ध्मान तनत, वलनम
ौदश यत्न सवॊधु भें ऩामो ॥ ता ऩय कृऩा कयैं जो गौयीवा ॥
कयत कय जोय ।
ौदश यत्न भें तुभ वुखदावी । वुख वम्ऩतत फशुत वी ऩालै ।
भातु रक्ष्भी दाव ऩय, कयशु दमा की
वेला फकमो प्रबु फतन दावी ॥ कभी नशीॊ काशू की आलै ॥
कोय ॥
125 - 2018

भॊि सवि दर
ु ब
ा वाभग्री
कारी शल्दी:- 370, 550, 730, 1450, 1900 कभर गट्टे की भारा - Rs- 370
भामा जार- Rs- 251, 551, 751 शल्दी भारा - Rs- 280
धन लवृ ि शकीक वेट Rs-280 (कारी शल्दी के वाथ Rs-550) तर
ु वी भारा - Rs- 190, 280, 370, 460
घोडे की नार- Rs.351, 551, 751 नलयत्न भारा- Rs- 1050, 1900, 2800, 3700 & Above
शकीक: 11 नॊग-Rs-190, 21 नॊग Rs-370 नलयॊ गी शकीक भारा Rs- 280, 460, 730
रघु श्रीपर: 1 नॊग-Rs-21, 11 नॊग-Rs-190 शकीक भारा (वात यॊ ग) Rs- 280, 460, 730, 910
नाग केळय: 11 ग्राभ, Rs-145 भूॊगे की भारा Rs- 190, 280, Real -1050, 1900 & Above
स्पदटक भारा- Rs- 235, 280, 460, 730, DC 1050, 1250 ऩायद भारा Rs- 1450, 1900, 2800 & Above
वपेद ॊदन भारा - Rs- 460, 640, 910 लैजमॊती भारा Rs- 190, 280, 460
यक्त (रार) ॊदन - Rs- 370, 550, रुद्राष भारा: 190, 280, 460, 730, 1050, 1450
भोती भारा- Rs- 460, 730, 1250, 1450 & Above वलधुत भारा - Rs- 190, 280
कासभमा सवॊदयू - Rs- 460, 730, 1050, 1450, & Above भूल्म भें अॊतय छोटे वे फडे आकाय के कायण शैं।
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भॊि सवि स्पदटक श्री मॊि


"श्री मॊि" वफवे भशत्लऩण
ू ा एलॊ ळत्क्तळारी मॊि शै । "श्री मॊि" को मॊि याज कशा जाता शै क्मोफक मश अत्मन्त
ळब
ु फरदमी मॊि शै । जो न केलर दव
ू ये मन्िो वे अधधक वे अधधक राब दे ने भे वभथा शै एलॊ वॊवाय के शय
व्मत्क्त के सरए पामदे भॊद वात्रफत शोता शै । ऩण
ू ा प्राण-प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩण
ू ा त
ै न्म मक्
ु त "श्री मॊि" त्जव व्मत्क्त
के घय भे शोता शै उवके सरमे "श्री मॊि" अत्मन्त फरदामी सवि शोता शै उवके दळान भाि वे अन-धगनत राब
एलॊ वख
ु की प्रात्तत शोतत शै । "श्री मॊि" भे वभाई अदद्रततम एलॊ अद्रश्म ळत्क्त भनष्ु म की वभस्त ळब
ु इच्छाओॊ
को ऩयू ा कयने भे वभथा शोतत शै । त्जस्वे उवका जीलन वे शताळा औय तनयाळा दयू शोकय लश भनष्ु म अवफरता
वे वफरता फक औय तनयन्तय गतत कयने रगता शै एलॊ उवे जीलन भे वभस्त बौततक वख
ु ो फक प्रात्तत शोतत
शै । "श्री मॊि" भनष्ु म जीलन भें उत्ऩन्न शोने लारी वभस्मा-फाधा एलॊ नकायात्भक उजाा को दयू कय वकायत्भक
उजाा का तनभााण कयने भे वभथा शै । "श्री मॊि" की स्थाऩन वे घय मा व्माऩाय के स्थान ऩय स्थावऩत कयने वे
लास्तु दोऴ म लास्तु वे वम्फत्न्धत ऩये ळातन भे न्मन
ु ता आतत शै ल वख
ु -वभवृ ि, ळाॊतत एलॊ ऐश्लमा फक प्रत्तत
शोती शै । >> Shop Online | Order Now
गुरुत्व कामातरम भे वलसबन्न आकाय के "श्री मॊि" उतरब्ध शै
भूल्म:- प्रनत ग्राभ Rs. 28.00 से Rs.100.00

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126 - 2018

श्री गणेळ मॊि


गणेळ मॊि वला प्रकाय की ऋवि-सववि प्रदाता एलॊ वबी प्रकाय की उऩरत्ब्धमों दे ने भें वभथा शै , क्मोकी श्री गणेळ मॊि
के ऩूजन का पर बी बगलान गणऩतत के ऩूजन के वभान भाना जाता शैं। शय भनुष्म को को जीलन भें वुख-वभवृ ि
की प्रात्तत एलॊ तनमसभत जीलन भें प्रातत शोने लारे वलसबन्न कष्ट, फाधा-वलघ्नों को नाव के सरए श्री गणेळ मॊि को
अऩने ऩूजा स्थान भें अलश्म स्थावऩत कयना ादशए। श्रीगणऩत्मथलाळीऴा भें लर्णात शैं ॐकाय का शी व्मक्त स्लरूऩ
श्री गणेळ शैं। इवी सरए वबी प्रकाय के ळुब भाॊगसरक कामों औय दे लता-प्रततष्ठाऩनाओॊ भें बगलान गणऩतत का
प्रथभ ऩज
ू न फकमा जाता शैं। त्जव प्रकाय वे प्रत्मेक भॊि फक ळत्क्त को फढाने के सरमे भॊि के आगें ॐ (ओभ ्)
आलश्म रगा शोता शैं। उवी प्रकाय प्रत्मेक ळुब भाॊगसरक कामों के सरमे बगलान ् गणऩतत की ऩज
ू ा एलॊ स्भयण
अतनलामा भाना गमा शैं। इव ऩौयार्णक भत को वबी ळास्ि एलॊ लैददक धभा, वम्प्रदामों ने गणेळ जी के ऩज
ू न शे तु
इव प्रा ीन ऩयम्ऩया को एक भत वे स्लीकाय फकमा शैं।

श्री गणेळ मॊि के ऩूजन वे व्मत्क्त को फुवि, विद्या, वललेक का वलकाव शोता शैं औय योग, व्माधध एलॊ वभस्त
वलध्न-फाधाओॊ का स्लत् नाळ शोता शै । श्री गणेळजी की कृऩा प्रातत शोने वे व्मत्क्त के भुत्श्कर वे भुत्श्कर कामा
बी आवान शो जाते शैं।
त्जन रोगो को व्मलवाम-नौकयी भें वलऩयीत ऩरयणाभ प्रातत शो यशे शों, ऩारयलारयक तनाल, आधथाक तॊगी, योगों वे
ऩीडा शो यशी शो एलॊ व्मत्क्त को अथक भेशनत कयने के उऩयाॊत बी नाकाभमाफी, द:ु ख, तनयाळा प्रातत शो यशी शो,
तो एवे व्मत्क्तमो की वभस्मा के तनलायण शे तु तुथॉ के ददन मा फुधलाय के ददन श्री गणेळजी की वलळेऴ ऩूजा-
अ न
ा ा कयने का वलधान ळास्िों भें फतामा शैं।
त्जवके पर वे व्मत्क्त की फकस्भत फदर जाती शैं औय उवे जीलन भें वुख, वभवृ ि एलॊ ऐश्लमा की प्रात्तत शोती
शैं। त्जव प्रकाय श्री गणेळ जी का ऩूजन अरग-अरग उद्देश्म एलॊ काभनाऩूतता शे तु फकमा जाता शैं, उवी प्रकाय श्री
गणेळ मॊि का ऩूजन बी अरग-अरग उद्देश्म एलॊ काभनाऩूतता शे तु अरग-अरग फकमा जाता वकता शैं।
श्री गणेळ मॊि के तनमसभत ऩूजन वे भनुष्म को जीलन भें वबी प्रकाय की ऋवि-सववि ल धन-वम्ऩत्त्त की प्रात्तत
शे तु श्री गणेळ मॊि अत्मॊत राबदामक शैं। श्री गणेळ मॊि के ऩूजन वे व्मत्क्त की वाभात्जक ऩद-प्रततष्ठा औय
कीतता ायों औय पैरने रगती शैं।
 विद्वानों का अनुबल शैं की फकवी बी ळुब कामा को प्रायॊ ऩ कयने वे ऩूला मा ळुबकामा शे तु घय वे फाशय जाने वे ऩूला
गणऩतत मॊि का ऩूजन एलॊ दळान कयना ळुब परदामक यशता शैं। जीलन वे वभस्त वलघ्न दयू शोकय धन,
आध्मात्त्भक त
े ना के वलकाव एलॊ आत्भफर की प्रात्तत के सरए भनुष्म को गणेळ मॊि का ऩूजन कयना ादशए।
गणऩतत मॊि को फकवी बी भाश की गणेळ तुथॉ मा फुधलाय को प्रात: कार अऩने घय, ओफपव, व्मलवामीक
स्थर ऩय ऩूजा स्थर ऩय स्थावऩत कयना ळुब यशता शैं।
गुरुत्व कामातरम भें उऩरब्ध अन्म : रक्ष्भी गणेळ मॊि | गणेळ मॊि | गणेळ मॊि (वॊऩूणा फीज भॊि वदशत) | गणेळ
सवि मॊि | एकाषय गणऩतत मॊि | शरयद्रा गणेळ मॊि बी उऩरब्ध शैं। अधधक जानकायी आऩ शभायी लेफ वाइट ऩय
प्रातत कय वकते शैं।
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127 - 2018

वला कामा सववि कल


त्जव व्मत्क्त को राख प्रमत्न औय ऩरयश्रभ कयने के
फादबी उवे भनोलाॊतछत वपरतामे एलॊ फकमे गमे कामा भें
सववि (राब) प्रातत नशीॊ शोती, उव व्मत्क्त को वला कामा
सववि कल अलश्म धायण कयना ादशमे।
कवच के प्रभुख राब: वला कामा सववि कल के द्वारा
वुख वभवृ ि औय नव ग्रहों के नकायात्भक प्रबाल को ळाॊत कय
धायण कयता व्मत्क्त के जीलन वे वला प्रकाय के द:ु ख-दारयद्र
का नाळ शो कय वुख-वौबाग्म एलॊ उन्नतत प्रात्तत शोकय
जीलन भे वसब प्रकाय के ळुब कामा सवि शोते शैं। त्जवे धायण
कयने वे व्मत्क्त मदद व्मलवाम कयता शोतो कायोफाय भे लवृ ि
शोतत शैं औय मदद नौकयी कयता शोतो उवभे उन्नतत शोती शैं।

 वला कामा सववि कल के वाथ भें सवतजन वशीकयण कल


के सभरे शोने की लजश वे धायण कताा की फात का दव
ू ये
व्मत्क्तओ ऩय प्रबाल फना यशता शैं।

 वला कामा सववि कल के वाथ भें अष्ट रक्ष्भी कल के


सभरे शोने की लजश वे व्मत्क्त ऩय वदा भाॊ भशा रक्ष्भी
की कृऩा एलॊ आळीलााद फना यशता शैं। त्जस्वे भाॊ रक्ष्भी
के अष्ट रुऩ (१)-आदद रक्ष्भी, (२)-धान्म रक्ष्भी, (३)- धैमा रक्ष्भी, (४)-गज रक्ष्भी, (५)-वॊतान रक्ष्भी, (६)-
वलजम रक्ष्भी, (७)-वलद्या रक्ष्भी औय (८)-धन रक्ष्भी इन वबी रुऩो का अळीलााद प्रातत शोता शैं।

 वला कामा सववि कल के वाथ भें तांत्र यऺा कल के सभरे शोने की लजश वे ताॊत्रिक फाधाए दयू शोती शैं,
वाथ शी नकायात्भक ळत्क्तमो का कोइ कुप्रबाल धायण कताा व्मत्क्त ऩय नशीॊ शोता। इव कल के प्रबाल
वे इऴाा-द्वेऴ यखने लारे व्मत्क्तओ द्वारा शोने लारे दष्ु ट प्रबालो वे यषा शोती शैं।

 वला कामा सववि कल के वाथ भें शत्रु ववजम कल के सभरे शोने की लजश वे ळिु वे वॊफॊधधत वभस्त
ऩये ळातनओ वे स्लत् शी छुटकाया सभर जाता शैं। कल के प्रबाल वे ळिु धायण कताा व्मत्क्त का ाशकय
कुछ नशी त्रफगाड वकते।

अन्म कल के फाये भे अधधक जानकायी के सरमे कामाारम भें वॊऩका कये :


फकवी व्मत्क्त वलळेऴ को वला कामा सववि कल दे ने नशी दे ना का अॊततभ तनणाम शभाये ऩाव वुयक्षषत शैं।
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


128 - 2018

दव भशावलद्या ऩूजन मॊि


Das Mahavidy a Poojan Yantra | Dasmahavidy a Pujan Yantra

दव भशावलद्या ऩूजन मॊि को दे ली दव


भशावलद्या की ळत्क्तमों वे मुक्त अत्मॊत
प्रबालळारी औय दर
ु ब
ा मॊि भाना गमा शैं।
इव मॊि के भाध्मभ वे वाधक के ऩरयलाय
ऩय दवो महाविद्याओॊ का आसळलााद प्रातत शोता
शैं। दव भशावलद्या मॊि के तनमसभत ऩूजन-दळान
वे भनुष्म की वबी भनोकाभनाओॊ की ऩूतता शोती
शैं। दव भशावलद्या मॊि वाधक की वभस्त
इच्छाओॊ को ऩूणा कयने भें वभथा शैं। दव
भशावलद्या मॊि भनुष्म को ळत्क्तवॊऩन्न एलॊ
बूसभलान फनाने भें वभथा शैं।
दव भशावलद्या मॊि के श्रिाऩल
ू क
ा ऩज
ू न
वे ळीघ्र दे ली कृऩा प्रातत शोती शैं औय वाधक को
दव भशावलद्या दे लीमों की कृऩा वे वॊवाय की
वभस्त सवविमों की प्रात्तत वॊबल शैं। दे ली दव
भशावलद्या की कृऩा वे वाधक को धभा, अथा,
काभ ल ् भोष तवु लाध ऩरु
ु ऴाथों की प्रात्तत शो
वकती शैं। दव भशावलद्या मॊि भें भाॉ दग
ु ाा के दव
अलतायों का आळीलााद वभादशत शैं, इव सरए दव
भशावलद्या मॊि को के ऩूजन एलॊ दळान भाि वे व्मत्क्त अऩने जीलन को तनयॊ तय अधधक वे अधधक वाथाक एलॊ
वपर फनाने भें वभथा शो वकता शैं।
दे ली के आसळलााद वे व्मत्क्त को सान, वुख, धन-वॊऩदा, ऐश्लमा, रूऩ-वौंदमा की प्रात्तत वॊबल शैं। व्मत्क्त को लाद-
वललाद भें ळिओ
ु ॊ ऩय वलजम की प्रात्तत शोती शैं।
दळ भशावलद्या को ळास्िों भें आद्या बगलती के दव बेद कशे गमे शैं, जो क्रभळ् (1) कारी, (2) ताया, (3)
ऴोडळी, (4) बुलनेश्लयी, (5) बैयली, (6) तछन्नभस्ता, (7) धूभालती, (8) फगरा, (9) भातॊगी एलॊ (10)
कभात्त्भका। इव वबी दे ली स्लरुऩों को, वत्म्भसरत रुऩ भें दळ भशावलद्या के नाभ वे जाना जाता शैं।
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129 - 2018

अभोद्य भशाभत्ृ मॊुजम कल


अभोद्य् भशाभत्ृ मॊज
ु म कल ल उल्रेर्खत अन्म वाभग्रीमों को ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे
वलद्वान ब्राह्भणो द्वारा सवा राख भहाभत्ृ मांज
ु म भांत्र जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्वारा तनसभात कल
अत्मॊत प्रबालळारी शोता शैं।

अभोद्य् भशाभत्ृ मुॊजम कल


अभोद्य् भशाभत्ृ मुॊजम
कल फनलाने शे तु:
अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, कल
गोि, एक नमा पोटो बेजे दक्षषणा भाि: 10900

कल के वलऴम भें अधधक जानकायी शे तु गुरुत्ल कामाारम भें वॊऩका कयें । >> Order Now
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श्री शनुभान मॊि


ळास्िों भें उल्रेख शैं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमद
ा े ल ने ब्रह्भा जी के आदे ळ ऩय शनुभान जी को
अऩने तेज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीलााद प्रदान फकमा था, फक भैं शनभ ु ान को वबी ळास्ि का
ऩूणा सान दॉ ग
ू ा। त्जववे मश तीनोरोक भें वला श्रेष्ठ लक्ता शोंगे तथा ळास्ि वलद्या भें इन्शें भशायत शासवर
शोगी औय इनके वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानळ
ु ाय शनभ
ु ान मॊि की आयाधना वे
ऩुरुऴों की वलसबन्न फीभारयमों दयू शोती शैं, इव मॊि भें अद्भत
ु ळत्क्त वभादशत शोने के कायण व्मत्क्त की
स्लतन दोऴ, धातु योग, यक्त दोऴ, लीमा दोऴ, भछ
ू ाा, नऩॊव
ु कता इत्मादद अनेक प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भें
अत्मन्त राबकायी शैं। अथाात मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुष्ट कयता शैं। श्री शनुभान मॊि व्मत्क्त को वॊकट, लाद-
वललाद, बत
ू -प्रेत, द्मत
ू फक्रमा, वलऴबम, ोय बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्मादद वे वॊकटो वे
यषा कयता शैं औय सववि प्रदान कयने भें वषभ शैं। श्री शनुभान मॊि के वलऴम भें अधधक जानकायी के सरमे
गुरुत्ल कामाारम भें वॊऩका कयें । भूल्म Rs- 325 से 12700 तक >> Shop Online | Order Now

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130 - 2018

भॊि सवि ऩायद प्रततभा


ऩायद श्री मॊि ऩायद रक्ष्भी गणेळ ऩायद रक्ष्भी नायामण ऩायद रक्ष्भी नायामण

21 Gram वे 5.250 Kg तक 100 Gram 121 Gram 100 Gram


उऩरब्ध
ऩायद सळलसरॊग ऩायद सळलसरॊग+नॊदद ऩायद सळलजी ऩायद कारी

21 Gram वे 5.250 Kg तक 101 Gram वे 5.250 Kg 75 Gram 37 Gram


उऩरब्ध तक उऩरब्ध
ऩायद दग
ु ाा ऩायद दग
ु ाा ऩायद वयस्लती ऩायद वयस्लती

82 Gram 100 Gram 50 Gram 225 Gram


ऩायद शनभ
ु ान 2 ऩायद शनभ
ु ान 3 ऩायद शनभ
ु ान 1 ऩायद कुफेय

100 Gram 125 Gram 100 Gram 100 Gram


शभायें मशाॊ वबी प्रकाय की भॊि सवि ऩायद प्रततभाएॊ, सळलसरॊग, वऩयासभड, भारा एलॊ गदु टका ळि
ु ऩायद भें उऩरब्ध शैं।
त्रफना भॊि सवि की शुई ऩायद प्रततभाएॊ थोक व्माऩायी भल्
ू म ऩय उऩरब्ध शैं।
ा़
ज्मोततऴ, यत्न व्मलवाम, ऩूजा-ऩाठ इत्मादद षेि वे जुडे फॊध/ु फशन के सरमे शभायें वलळेऴ मॊि, कल , यत्न, रुद्राष ल अन्म दर
ु ब
वाभग्रीमों ऩय वलळेऴ वुत्रफधाएॊ उऩरब्ध शैं। अधधक जानकायी शे तु वॊऩका कयें ।
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131 - 2018

शभाये वलळेऴ मॊि


व्माऩाय ववृ ि मांत्र: शभाये अनुबलों के अनुवाय मश मॊि व्माऩाय लवृ ि एलॊ ऩरयलाय भें वुख वभवृ ि शे तु वलळेऴ प्रबालळारी शैं।
बमू भराब मांत्र: बूसभ, बलन, खेती वे वॊफॊधधत व्मलवाम वे जुडे रोगों के सरए बूसभराब मॊि वलळेऴ राबकायी सवि
शुला शैं।
तांत्र यऺा मांत्र: फकवी ळिु द्वारा फकमे गमे भॊि-तॊि आदद के प्रबाल को दयू कयने एलॊ बूत, प्रेत नज़य आदद फुयी
ळत्क्तमों वे यषा शे तु वलळेऴ प्रबालळारी शैं।
आकत्स्भक धन प्रात्तत मांत्र: अऩने नाभ के अनुवाय शी भनुष्म को आकत्स्भक धन प्रात्तत शे तु परप्रद शैं इव
मॊि के ऩूजन वे वाधक को अप्रत्मासळत धन राब प्रातत शोता शैं। ाशे लश धन राब व्मलवाम वे शो, नौकयी वे शो,
धन-वॊऩत्त्त इत्मादद फकवी बी भाध्मभ वे मश राब प्रातत शो वकता शैं। शभाये लऴों के अनुवॊधान एलॊ अनुबलों वे
शभने आकत्स्भक धन प्रात्तत मॊि वे ळेमय ट्रे डडॊग, वोने- ाॊदी के व्माऩाय इत्मादद वॊफॊधधत षेि वे जुडे रोगो को
वलळेऴ रुऩ वे आकत्स्भक धन राब प्रातत शोते दे खा शैं। आकत्स्भक धन प्रात्तत मॊि वे वलसबन्न स्रोत वे धनराब बी
सभर वकता शैं।
ऩदौन्ननत मांत्र: ऩदौन्नतत मॊि नौकयी ऩैवा रोगो के सरए राबप्रद शैं। त्जन रोगों को अत्माधधक ऩरयश्रभ एलॊ श्रेष्ठ
कामा कयने ऩय बी नौकयी भें उन्नतत अथाात प्रभोळन नशीॊ सभर यशा शो उनके सरए मश वलळेऴ राबप्रद शो वकता शैं।
यत्नेश्वयी मांत्र: यत्नेश्लयी मॊि शीये -जलाशयात, यत्न ऩत्थय, वोना- ाॊदी, ज्लैरयी वे वॊफॊधधत व्मलवाम वे जुडे रोगों के
सरए अधधक प्रबाली शैं। ळेय फाजाय भें वोने- ाॊदी जैवी फशुभूल्म धातुओॊ भें तनलेळ कयने लारे रोगों के सरए बी
वलळेऴ राबदाम शैं।
बमू भ प्रात्तत मांत्र: जो रोग खेती, व्मलवाम मा तनलाव स्थान शे तु उत्तभ बूसभ आदद प्रातत कयना ाशते शैं, रेफकन
उव कामा भें कोई ना कोई अड न मा फाधा-वलघ्न आते यशते शो त्जव कायण कामा ऩूणा नशीॊ शो यशा शो, तो उनके
सरए बूसभ प्रात्तत मॊि उत्तभ परप्रद शो वकता शैं।
गह
ृ प्रात्तत मांत्र: जो रोग स्लमॊ का घय, दक
ु ान, ओफपव, पैक्टयी आदद के सरए बलन प्रातत कयना ाशते शैं।
मथाथा प्रमावो के उऩयाॊत बी उनकी असबराऴा ऩूणा नशीॊ शो ऩायशी शो उनके सरए गश
ृ प्रात्तत मॊि वलळेऴ उऩमोगी सवि
शो वकता शैं।
कैरास धन यऺा मांत्र: कैराव धन यषा मॊि धन लवृ ि एलॊ वुख वभवृ ि शे तु वलळेऴ परदाम शैं।
आधथाक राब एलॊ वुख वभवृ ि शे तु 19 दर
ु ब
ा रक्ष्भी मॊि >> Shop Online | Order Now

वलसबन्न रक्ष्भी मॊि


श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भशारक्ष्भमै फीज मॊि कनक धाया मॊि
श्री मॊि (भॊि यदशत) भशारक्ष्भी फीवा मॊि लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सववि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि)

श्री मॊि (वॊऩण


ू ा भॊि वदशत) रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि श्री श्री मॊि (रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै श्री भशारक्ष्भमैं श्री भशामॊि)

श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि अॊकात्भक फीवा मॊि
श्री मॊि श्री वूक्त मॊि रक्ष्भी फीवा मॊि ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩूजन मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) रक्ष्भी गणेळ मॊि धनदा मॊि > Shop Online | Order Now

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132 - 2018

वलासवविदामक भदु द्रका


इव भदु द्रका भें भग
ॊू े को ळब
ु भश
ु ू ता भें त्रिधातु (वल
ु णा+यजत+ताॊफें) भें जडला कय उवे ळास्िोक्त वलधध-
वलधान वे वलसळष्ट तेजस्ली भॊिो द्वारा वलासवविदामक फनाने शे तु प्राण-प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩण
ू ा त
ै न्म मक्
ु त
फकमा जाता शैं। इव भदु द्रका को फकवी बी लगा के व्मत्क्त शाथ की फकवी बी उॊ गरी भें धायण कय
वकते शैं। मशॊ भदु द्रका कबी फकवी बी त्स्थती भें अऩवलि नशीॊ शोती। इव सरए कबी भदु द्रका को
उतायने की आलश्मक्ता नशीॊ शैं। इवे धायण कयने वे व्मत्क्त की वभस्माओॊ का वभाधान शोने
रगता शैं। धायणकताा को जीलन भें वपरता प्रात्तत एलॊ उन्नतत के नमे भागा प्रवस्त शोते यशते शैं
औय जीलन भें वबी प्रकाय की सवविमाॊ बी ळीध्र प्रातत शोती शैं। भल्
ू म भात्र- 6400/-
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(नोट: इव भुदद्रका को धायण कयने वे भॊगर ग्रश का कोई फुया प्रबाल वाधक ऩय नशीॊ शोता शैं।)
सवतमसविदामक भदु द्रका के ववषम भें अधधक जानकायी के मरमे हे तु सम्ऩकत कयें ।

ऩतत-ऩत्नी भें करश तनलायण शे तु


मदद ऩरयलायों भें वख
ु -वुवलधा के वभस्त वाधान शोते शुए बी छोटी-छोटी फातो भें ऩतत-ऩत्नी के त्रफ भे
करश शोता यशता शैं, तो घय के त्जतने वदस्म शो उन वफके नाभ वे गरु ु त्ल कामाारत द्वारा ळास्िोक्त
वलधध-वलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा ैतन्म मक्
ु त लळीकयण कल एलॊ गशृ करश नाळक
डडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भें त्रफना फकवी ऩूजा, वलधध-वलधान वे आऩ वलळेऴ राब प्रातत कय
वकते शैं। मदद आऩ भॊि सवि ऩतत लळीकयण मा ऩत्नी लळीकयण एलॊ गश
ृ करश नाळक डडब्फी फनलाना
ाशते शैं, तो वॊऩका आऩ कय वकते शैं।

100 वे अधधक जैन मॊि


शभाये मशाॊ जैन धभा के वबी प्रभुख, दर
ु ब
ा एलॊ ळीघ्र प्रबालळारी मॊि ताम्र ऩि,
सवरलय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (वोने) भे उऩरब्ध शैं।
शभाये मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि कोऩय ताम्र ऩि, सवरलय ( ाॊदी) ओय गोल्ड (वोने) भे फनलाए जाते शै।
इवके अराला आऩकी आलश्मकता अनव
ु ाय आऩके द्वारा प्रातत (ध ि, मॊि, डडज़ाईन) के अनरु
ु ऩ मॊि
बी फनलाए जाते शै. गरु
ु त्ल कामाारम द्वारा उऩरब्ध कयामे गमे वबी मॊि अखॊडडत एलॊ 22 गेज ळि

कोऩय(ताम्र ऩि)- 99.99 ट ळि
ु सवरलय ( ाॊदी) एलॊ 22 केये ट गोल्ड (वोने) भे फनलाए जाते शै। मॊि
के वलऴम भे अधधक जानकायी के सरमे शे तु वम्ऩका कयें ।
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133 - 2018

द्वादळ भशा मॊि


मॊि को अतत प्राध न एलॊ दर
ु ब
ा मॊिो के वॊकरन वे शभाये लऴो के अनुवॊधान
द्वारा फनामा गमा शैं।
 ऩयभ दर
ु ब
ा लळीकयण मॊि,  वशस्िाषी रक्ष्भी आफि मॊि
 बाग्मोदम मॊि  आकत्स्भक धन प्रात्तत मॊि
 भनोलाॊतछत कामा सववि मॊि  ऩूणा ऩौरुऴ प्रात्तत काभदे ल मॊि
 याज्म फाधा तनलत्ृ त्त मॊि  योग तनलत्ृ त्त मॊि
 गशृ स्थ वुख मॊि  वाधना सववि मॊि
 ळीघ्र वललाश वॊऩन्न गौयी अनॊग मॊि  ळिु दभन मॊि

उऩयोक्त वबी मॊिो को द्वादळ भशा मॊि के रुऩ भें ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे भॊि सवि ऩण
ू ा
प्राणप्रततत्ष्ठत एलॊ ैतन्म मुक्त फकमे जाते शैं। त्जवे स्थाऩीत कय त्रफना फकवी ऩूजा
अ न
ा ा-वलधध वलधान वलळेऴ राब प्रातत कय वकते शैं।
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 क्मा आऩके फच् े कुवॊगती के सळकाय शैं?

 क्मा आऩके फच् े आऩका कशना नशीॊ भान यशे शैं?

 क्मा आऩके फच् े घय भें अळाॊतत ऩैदा कय यशे शैं?

घय ऩरयलाय भें ळाॊतत एलॊ फच् े को कुवॊगती वे छुडाने शे तु फच् े के नाभ वे गरु
ु त्ल कामाारत
द्वारा ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे भॊि सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा ैतन्म मुक्त लळीकयण कल
एलॊ एव.एन.डडब्फी फनलारे एलॊ उवे अऩने घय भें स्थावऩत कय अल्ऩ ऩूजा, वलधध-वलधान वे
आऩ वलळेऴ राब प्रातत कय वकते शैं। मदद आऩ तो आऩ भॊि सवि लळीकयण कल एलॊ
एव.एन.डडब्फी फनलाना ाशते शैं, तो वॊऩका इव कय वकते शैं।

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134 - 2018

वॊऩूणा प्राणप्रततत्ष्ठत 22 गेज ळुि स्टीर भें तनसभात अखॊडडत

ऩरु
ु षाकाय शनन मांत्र
ऩरु
ु ऴाकाय ळतन मॊि (स्टीर भें ) को तीव्र प्रबालळारी फनाने शे तु ळतन की कायक धातु ळि

स्टीर(रोशे ) भें फनामा गमा शैं। त्जव के प्रबाल वे वाधक को तत्कार राब प्रातत शोता शैं। मदद
जन्भ कॊु डरी भें ळतन प्रततकूर शोने ऩय व्मत्क्त को अनेक कामों भें अवपरता प्रातत शोती शै, कबी
व्मलवाम भें घटा, नौकयी भें ऩये ळानी, लाशन दघ
ु ट
ा ना, गश
ृ क्रेळ आदद ऩये ळानीमाॊ फढ़ती जाती शै
ऐवी त्स्थततमों भें प्राणप्रततत्ष्ठत ग्रश ऩीडा तनलायक ळतन मॊि की अऩने को व्मऩाय स्थान मा घय भें
ा़
स्थाऩना कयने वे अनेक राब सभरते शैं। मदद ळतन की ढै मा मा वाढ़े वाती का वभम शो तो इवे
अलश्म ऩज
ू ना ादशए। ळतनमॊि के ऩज
ू न भाि वे व्मत्क्त को भत्ृ मु, कजा, कोटा केळ, जोडो का ददा ,
फात योग तथा रम्फे वभम के वबी प्रकाय के योग वे ऩये ळान व्मत्क्त के सरमे ळतन मॊि अधधक
राबकायी शोगा। नौकयी ऩेळा आदद के रोगों को ऩदौन्नतत बी ळतन द्वारा शी सभरती शै अत् मश
मॊि अतत उऩमोगी मॊि शै त्जवके द्वारा ळीघ्र शी राब ऩामा जा वकता शै ।
भल्
ू म: 1225 से 8200 >> Shop Online | Order Now

वॊऩण
ू ा प्राणप्रततत्ष्ठत
22 गेज ळुि स्टीर भें तनसभात अखॊडडत

ळतन तैततवा मॊि


ळतनग्रश वे वॊफॊधधत ऩीडा के तनलायण शे तु वलळेऴ राबकायी मॊि।
भल्
ू म: 640 से 12700 >> Shop Online | Order Now

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नलयत्न जडडत श्री मॊि


ळास्ि ल न के अनुवाय ळुि वुलणा मा
यजत भें तनसभात श्री मॊि के ायों औय
मदद नलयत्न जडला ने ऩय मश नलयत्न
जडडत श्री मॊि कशराता शैं। वबी यत्नो को
उवके तनत्श् त स्थान ऩय जड कय रॉकेट
के रूऩ भें धायण कयने वे व्मत्क्त को
अनॊत एश्लमा एलॊ रक्ष्भी की प्रात्तत शोती
शैं। व्मत्क्त को एवा आबाव शोता शैं जैवे
भाॊ रक्ष्भी उवके वाथ शैं। नलग्रश को श्री
मॊि के वाथ रगाने वे ग्रशों की अळब

दळा का धायणकयने लारे व्मत्क्त ऩय
प्रबाल नशीॊ शोता शैं।

गरे भें शोने के कायण मॊि ऩवलि यशता शैं एलॊ स्नान कयते वभम इव मॊि ऩय स्ऩळा कय जो
जर त्रफॊद ु ळयीय को रगते शैं, लश गॊगा जर के वभान ऩवलि शोता शैं। इव सरमे इवे वफवे
तेजस्ली एलॊ परदातम कशजाता शैं। जैवे अभत
ृ वे उत्तभ कोई औऴधध नशीॊ, उवी प्रकाय
रक्ष्भी प्रात्तत के सरमे श्री मॊि वे उत्तभ कोई मॊि वॊवाय भें नशीॊ शैं एवा ळास्िोक्त ल न शैं।
इव प्रकाय के नलयत्न जडडत श्री मॊि गरू
ु त्ल कामाारम द्वाया ळब
ु भश
ु ू ता भें प्राण प्रततत्ष्ठत
कयके फनालाए जाते शैं। Rs: 4600, 5500, 6400 वे 10,900 वे अधधक
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136 - 2018

भॊि सवि लाशन दघ


ु ट
ा ना नाळक भारुतत मॊि
ऩौयार्णक ग्रॊथो भें उल्रेख शैं की भशाबायत के मुि के वभम अजुन
ा के यथ के अग्रबाग ऩय भारुतत ध्लज
एलॊ भारुतत मन्ि रगा शुआ था। इवी मॊि के प्रबाल के कायण वॊऩूणा मुि के दौयान शज़ायों-राखों प्रकाय के आग्नेम
अस्ि-ळस्िों का प्रशाय शोने के फाद बी अजन
ुा का यथ जया बी षततग्रस्त नशीॊ शुआ। बगलान श्री कृष्ण भारुतत मॊि
के इव अद्भत
ु यशस्म को जानते थे फक त्जव यथ मा लाशन की यषा स्लमॊ श्री भारुतत नॊदन कयते शों, लश
दघ
ु ट
ा नाग्रस्त कैवे शो वकता शैं। लश यथ मा लाशन तो लामुलेग वे, तनफााधधत रुऩ वे अऩने रक्ष्म ऩय वलजम ऩतका
रशयाता शुआ ऩशुॊ ग
े ा। इवी सरमे श्री कृष्ण नें अजन
ुा के यथ ऩय श्री भारुतत मॊि को अॊफकत कयलामा था।
त्जन रोगों के स्कूटय, काय, फव, ट्रक इत्मादद लाशन फाय-फाय दघ ु ट
ा ना ग्रस्त शो यशे शो!, अनालश्मक लाशन
को नुषान शो यशा शों! उन्शें शानी एलॊ दघ
ु ट
ा ना वे यषा के उद्देश्म वे अऩने लाशन ऩय भॊि सवि श्री भारुतत मॊि अलश्म
रगाना ादशए। जो रोग ट्रान्स्ऩोदटं ग (ऩरयलशन) के व्मलवाम वे जुडे शैं उनको श्रीभारुतत मॊि को अऩने लाशन भें
अलश्म स्थावऩत कयना ादशए, क्मोफक, इवी व्मलवाम वे जुडे वैकडों रोगों का अनुबल यशा शैं की श्री भारुतत मॊि
को स्थावऩत कयने वे उनके लाशन अधधक ददन तक अनालश्मक ख ो वे एलॊ दघ
ु ट
ा नाओॊ वे वुयक्षषत यशे शैं। शभाया
स्लमॊका एलॊ अन्म वलद्वानो का अनब
ु ल यशा शैं, की त्जन रोगों ने श्री भारुतत मॊि अऩने लाशन ऩय रगामा शैं, उन
रोगों के लाशन फडी वे फडी दघ
ु ट
ा नाओॊ वे वयु क्षषत यशते शैं। उनके लाशनो को कोई वलळेऴ नक्
ु ळान इत्मादद नशीॊ शोता
शैं औय नाशीॊ अनालश्मक रुऩ वे उवभें खयाफी आतत शैं।
वास्तु प्रमोग भें भारुनत मांत्र: मश भारुतत नॊदन श्री शनभ
ु ान जी का मॊि शै । मदद कोई जभीन त्रफक नशीॊ यशी शो, मा
उव ऩय कोई लाद-वललाद शो, तो इच्छा के अनरू
ु ऩ लशॉ जभीन उध त भल्
ू म ऩय त्रफक जामे इव सरमे इव भारुतत मॊि
का प्रमोग फकमा जा वकता शैं। इव भारुतत मॊि के प्रमोग वे जभीन ळीघ्र त्रफक जाएगी मा वललादभक्
ु त शो जाएगी।
इव सरमे मश मॊि दोशयी ळत्क्त वे मक्
ु त शै ।
भारुतत मॊि के वलऴम भें अधधक जानकायी के सरमे गरु
ु त्ल कामाारम भें वॊऩका कयें ।
भल्
ू म Rs- 325 से 12700 तक

श्री शनुभान मॊि ळास्िों भें उल्रेख शैं की श्री शनुभान जी को बगलान वूमद
ा े ल ने ब्रह्भा जी के आदे ळ ऩय
शनुभान जी को अऩने तेज का वौलाॉ बाग प्रदान कयते शुए आळीलााद प्रदान फकमा था, फक भैं शनुभान को वबी ळास्ि
का ऩूणा सान दॉ ग
ू ा। त्जववे मश तीनोरोक भें वला श्रेष्ठ लक्ता शोंगे तथा ळास्ि वलद्या भें इन्शें भशायत शासवर शोगी
औय इनके वभन फरळारी औय कोई नशीॊ शोगा। जानकायो ने भतानुवाय शनुभान मॊि की आयाधना वे ऩुरुऴों की
वलसबन्न फीभारयमों दयू शोती शैं, इव मॊि भें अद्भत
ु ळत्क्त वभादशत शोने के कायण व्मत्क्त की स्लतन दोऴ, धातु योग,
यक्त दोऴ, लीमा दोऴ, भूछाा, नऩुॊवकता इत्मादद अनेक प्रकाय के दोऴो को दयू कयने भें अत्मन्त राबकायी शैं। अथाात
मश मॊि ऩौरुऴ को ऩुष्ट कयता शैं। श्री शनुभान मॊि व्मत्क्त को वॊकट, लाद-वललाद, बूत-प्रेत, द्मूत फक्रमा, वलऴबम, ोय
बम, याज्म बम, भायण, वम्भोशन स्तॊबन इत्मादद वे वॊकटो वे यषा कयता शैं औय सववि प्रदान कयने भें वषभ शैं।
श्री शनुभान मॊि के वलऴम भें अधधक जानकायी के सरमे गुरुत्ल कामाारम भें वॊऩका कयें ।
भूल्म Rs- 910 से 12700 तक

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ODISHA), Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
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137 - 2018

ववमबन्न दे वताओां के मांत्र


गणेळ मॊि भशाभत्ृ मज
ुॊ म मॊि याभ यषा मॊि याज
गणेळ मॊि (वॊऩण
ू ा फीज भॊि वदशत) भशाभत्ृ मज
ॊु म कल मॊि याभ मॊि
गणेळ सवि मॊि भशाभत्ृ मज
ुॊ म ऩज
ू न मॊि द्वादळाषय वलष्णु भॊि ऩज
ू न मॊि
एकाषय गणऩतत मॊि भशाभत्ृ मुॊजम मुक्त सळल खतऩय भाशा सळल वलष्णु फीवा मॊि
मॊि
शरयद्रा गणेळ मॊि सळल ऩॊ ाषयी मॊि गरुड ऩज
ू न मॊि
कुफेय मॊि सळल मॊि ध त
ॊ ाभणी मॊि याज
श्री द्वादळाषयी रुद्र ऩज
ू न मॊि अवद्वतीम वलाकाम्म सववि सळल मॊि ध त
ॊ ाभणी मॊि
दत्तािम मॊि नसृ वॊश ऩज
ू न मॊि स्लणााकऴाणा बैयल मॊि
दत्त मॊि ऩॊ दे ल मॊि शनभ
ु ान ऩज
ू न मॊि
आऩदि
ु ायण फटुक बैयल मॊि वॊतान गोऩार मॊि शनभ
ु ान मॊि
फटुक मॊि श्री कृष्ण अष्टाषयी भॊि ऩज
ू न मॊि वॊकट भो न मॊि
व्मॊकटे ळ मॊि कृष्ण फीवा मॊि लीय वाधन ऩज
ू न मॊि
कातालीमााजन
ुा ऩज
ू न मॊि वला काभ प्रद बैयल मॊि दक्षषणाभतू ता ध्मानभ ् मॊि

भनोकाभना ऩूनतत एवां कष्ट ननवायण हे तु ववशेष मांत्र


व्माऩाय लवृ ि कायक मॊि अभत
ृ तत्ल वॊजीलनी कामा कल्ऩ मॊि िम ताऩोंवे भत्ु क्त दाता फीवा मॊि
व्माऩाय लवृ ि मॊि वलजमयाज ऩॊ दळी मॊि भधुभेश तनलायक मॊि
व्माऩाय लधाक मॊि वलद्यामळ वलबूतत याज वम्भान प्रद सवि फीवा ज्लय तनलायण मॊि
मॊि
व्माऩायोन्नतत कायी सवि मॊि वम्भान दामक मॊि योग कष्ट दरयद्रता नाळक मॊि
बाग्म लधाक मॊि वख
ु ळाॊतत दामक मॊि योग तनलायक मॊि
स्लत्स्तक मॊि फारा मॊि तनाल भक्
ु त फीवा मॊि
वला कामा फीवा मॊि फारा यषा मॊि वलद्मत
ु भानव मॊि
कामा सववि मॊि गबा स्तम्बन मॊि गश
ृ करश नाळक मॊि
वख
ु वभवृ ि मॊि वॊतान प्रात्तत मॊि करेळ शयण फत्त्तवा मॊि
वला रयवि सववि प्रद मॊि प्रवत
ू ा बम नाळक मॊि लळीकयण मॊि
वला वख
ु दामक ऩैंवदठमा मॊि प्रवल-कष्टनाळक ऩॊ दळी मॊि भोदशतन लळीकयण मॊि
ऋवि सववि दाता मॊि ळाॊतत गोऩार मॊि कणा वऩळा नी लळीकयण मॊि
वला सववि मॊि त्रिळर
ू फीळा मॊि लाताारी स्तम्बन मॊि
वाफय सववि मॊि ऩॊ दळी मॊि (फीवा मॊि मुक्त ायों लास्तु मॊि
प्रकायके)
ळाफयी मॊि फेकायी तनलायण मॊि श्री भत्स्म मॊि
सविाश्रभ मॊि ऴोडळी मॊि लाशन दघ
ु ट
ा ना नाळक मॊि
ज्मोततऴ तॊि सान वलसान प्रद सवि फीवा अडवदठमा मॊि प्रेत-फाधा नाळक मॊि
मॊि
ब्रह्भाण्ड वाफय सववि मॊि अस्वीमा मॊि बत
ू ादी व्माधधशयण मॊि
कुण्डसरनी सववि मॊि ऋवि कायक मॊि कष्ट तनलायक सववि फीवा मॊि
क्रात्न्त औय श्रीलधाक ौंतीवा मॊि भन लाॊतछत कन्मा प्रात्तत मॊि बम नाळक मॊि
श्री षेभ कल्माणी सववि भशा मॊि वललाशकय मॊि स्लतन बम तनलायक मॊि
138 - 2018

सान दाता भशा मॊि रग्न वलघ्न तनलायक मॊि कुदृत्ष्ट नाळक मॊि
कामा कल्ऩ मॊि रग्न मोग मॊि श्री ळिु ऩयाबल मॊि
दीधाामु अभत
ृ तत्ल वॊजीलनी मॊि दरयद्रता वलनाळक मॊि ळिु दभनाणाल ऩज
ू न मॊि

भॊि सवि वलळेऴ दै ली मॊि वधू


आद्य ळत्क्त दग
ु ाा फीवा मॊि (अॊफाजी फीवा मॊि) वयस्लती मॊि
भशान ळत्क्त दग
ु ाा मॊि (अॊफाजी मॊि) वततवती भशामॊि(वॊऩण
ू ा फीज भॊि वदशत)
नल दग
ु ाा मॊि कारी मॊि
नलाणा मॊि ( ाभड
ॊु ा मॊि) श्भळान कारी ऩज
ू न मॊि
नलाणा फीवा मॊि दक्षषण कारी ऩज
ू न मॊि
ाभड
ुॊ ा फीवा मॊि ( नलग्रश मक्
ु त) वॊकट भोध नी कासरका सववि मॊि
त्रिळर
ू फीवा मॊि खोडडमाय मॊि
फगरा भख
ु ी मॊि खोडडमाय फीवा मॊि
फगरा भख
ु ी ऩज
ू न मॊि अन्नऩण
ू ाा ऩज
ू ा मॊि
याज याजेश्लयी लाॊछा कल्ऩरता मॊि एकाॊषी श्रीपर मॊि

भॊि सवि वलळेऴ रक्ष्भी मॊि वधू


श्री मॊि (रक्ष्भी मॊि) भशारक्ष्भमै फीज मॊि
श्री मॊि (भॊि यदशत) भशारक्ष्भी फीवा मॊि
श्री मॊि (वॊऩण
ू ा भॊि वदशत) रक्ष्भी दामक सवि फीवा मॊि
श्री मॊि (फीवा मॊि) रक्ष्भी दाता फीवा मॊि
श्री मॊि श्री वक्
ू त मॊि रक्ष्भी गणेळ मॊि
श्री मॊि (कुभा ऩष्ृ ठीम) ज्मेष्ठा रक्ष्भी भॊि ऩज
ू न मॊि
रक्ष्भी फीवा मॊि कनक धाया मॊि
श्री श्री मॊि (श्रीश्री रसरता भशात्रिऩुय वुन्दमै श्री भशारक्ष्भमैं श्री भशामॊि) लैबल रक्ष्भी मॊि (भशान सववि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि)
अॊकात्भक फीवा मॊि
ताम्र ऩत्र ऩय सव
ु णत ऩोरीस ताम्र ऩत्र ऩय यजत ऩोरीस ताम्र ऩत्र ऩय
(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
वाईज भूल्म वाईज भूल्म वाईज भूल्म
1” X 1” 550 1” X 1” 370 1” X 1” 325
2” X 2” 910 2” X 2” 640 2” X 2” 550
3” X 3” 1450 3” X 3” 1050 3” X 3” 910
4” X 4” 2350 4” X 4” 1450 4” X 4” 1225
6” X 6” 3700 6” X 6” 2800 6” X 6” 2350
9” X 9” 9100 9” X 9” 4600 9” X 9” 4150
12” X12” 12700 12” X12” 9100 12” X12” 9100
मॊि के वलऴम भें अधधक जानकायी शे तु वॊऩका कयें । >> Shop Online | Order Now

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139 - 2018

नलम्फय 2018 भासवक ऩॊ ाॊग


दद नतधथ चांद्र
वाय भाह ऩऺ समावि नऺत्र समावि मोग समावि कयण समावि समावि
यामश

1 08:54 आश्रेऴा 25:16 ळब


ु 11:54 कौरल 08:54 कका
गरु
ु कातताक कृष्ण अष्टभी -

2 कातताक नलभी- 06:54- भघा 23:58 Shukla 09:05 गय 06:54 कका


ळक्र
ु कृष्ण 28:56 01:17
दळभी

3 कातताक 27:2 ऩल
ू ाापाल्गन
ु ी 22:43 इन्द्र 27:30 फल 15:58 सवॊश
ळतन कृष्ण एकादळी -

4 कातताक 25:15 उत्तया- 21:34 लैधतृ त 24:49 कौरल 14:07 सवॊश


यवल कृष्ण द्लादळी 04:26
पाल्गन
ु ी

5 कातताक 23:40 शस्त 20:36 वलऴकॊु ब 22:16 गय 12:25 कन्मा


वोभ कृष्ण िमोदळी -

6 कातताक 22:23 ध िा 19:54 प्रीतत 19:57 वलत्ष्ट 10:59 कन्मा


भॊगर कृष्ण तद
ु ा ळी 08:14

7 कातताक 21:31 स्लाती 19:36 आमष्ु भान 17:57 तस्


ु ऩाद 09:54 तर
ु ा
फध
ु कृष्ण अभालस्मा -

8 कातताक 21:11 वलळाखा 19:47 वौबाग्म 16:20 फकस्तघ्


ु न 09:17 तर
ु ा
गरु
ु ळक्
ु र एकभ 13:42

9 कातताक 21:27 अनयु ाधा 20:34 ळोबन 15:11 फारल 09:14 लत्ृ श् क
ळक्र
ु ळक्
ु र द्वलतीमा -

10 कातताक 22:23 जेष्ठा 21:59 अततगॊड 14:32 तैततर 09:50 लत्ृ श् क


ळतन ळक्
ु र तत
ृ ीमा 22:00

11 कातताक 23:58 भर
ू 24:1 वक
ु भाा 14:23 लर्णज 11:06 धनु
यवल ळक्
ु र तथ
ु ॉ -

12 कातताक 26:8 ऩल
ू ााऴाढ़ 26:37 धतृ त 14:43 फल 12:59 धनु
वोभ ळक्
ु र ऩॊ भी -

13 कातताक 28:41 उत्तयाऴाढ़ 29:36 ळर


ू 15:25 कौरल 15:22 धनु
भॊगर ळक्
ु र ऴष्ठी 09:21

14 कातताक श्रलण .... गॊड 16:21 गय 18:03 भकय


फध
ु ळक्
ु र वततभी - -
140 - 2018

15 कातताक वततभी- 7 ततधथ श्रलण 08:44 लवृ ि 17:21 लर्णज 07:24 भकय
गरु
ु ळक्
ु र लवृ ि 22:18
अष्टभी
07:24

16 कातताक 10:00 धतनष्ठा 11:45 ध्रुल 18:11 फल 10:00 कॊु ब


ळक्र
ु ळक्
ु र अष्टभी -

17 कातताक 12:13 ळतसबऴा 14:25 व्माघात 18:43 कौरल 12:13 कॊु ब


ळतन ळक्
ु र नलभी -

18 कातताक 13:50 ऩल
ू ााबाद्रऩद 16:30 शऴाण 18:47 गय 13:50 कॊु ब
यवल ळक्
ु र दळभी 10:04

19 कातताक 14:43 उत्तया- 17:54 लज्र 18:18 वलत्ष्ट 14:43 भीन


वोभ ळक्
ु र एकादळी -
बाद्रऩद

20 कातताक 14:50 ये लतत 18:33 सववि 17:13 फारल 14:50 भीन


भॊगर ळक्
ु र द्लादळी 18:34

21 कातताक 14:13 अत्श्लनी 18:30 व्मततऩात 15:35 तैततर 14:13 भेऴ


फध
ु ळक्
ु र िमोदळी -

22 कातताक 12:57 बयणी 17:50 लरयमान 13:26 लर्णज 12:57 भेऴ


गरु
ु ळक्
ु र तद
ु ा ळी 23:36

23 कातताक कृततका 16:40 ऩरयग्रश 10:52 फल 11:09 लऴ


ृ ब
ळक्र
ु ळक्
ु र ऩर्ू णाभा 11:09 -

24 08:57 योदशर्ण 15:09 सळल 07:59 कौरल 08:57 लऴ


ृ ब
ळतन भागाळीऴा कृष्ण एकभ -

25 भागाळीऴा 08:59 भग
ृ सळया 13:25 वाध्म 25:40 लर्णज 17:14 लऴ
ृ ब
यवल कृष्ण वद्वतीमा 02:19

26 भागाळीऴा तत
ृ ीमा- 03:57- आद्रा 11:36 ळब
ु 22:26 फल 14:40 सभथुन
वोभ कृष्ण 25:23 -
तथ
ु ॉ

27 भागाळीऴा 22:55 ऩन
ु लावु 09:49 Shukla 19:15 कौरल 12:08 सभथुन
भॊगर कृष्ण ऩॊ भी 04:16

28 भागाळीऴा 20:36 ऩष्ु म 08:08 ब्रह्भ 16:10 गय 09:44 कका


फध
ु कृष्ण ऴष्ठी -

29 भागाळीऴा 18:30 भघा 29:20 इन्द्र 13:14 वलत्ष्ट 07:31 कका


गरु
ु कृष्ण वततभी 06:39

30 भागाळीऴा 16:39 ऩल
ू ाापाल्गन
ु ी 28:17 लैधतृ त 10:29 कौरल 16:39
ळक्र
ु कृष्ण अष्टभी सवॊश -
141 - 2018

नलम्फय 2018 भासवक व्रत-ऩला-त्मौशाय


दद वाय भाह ऩऺ नतधथ समावि प्रभुख व्रत-त्मोहाय

1
गरु कातताक कृष्ण अष्टभी
08:54 याधा अष्टभी, दीलनलभी (उ.खॊ),

2 कातताक नलभी- 06:54- -


ळक्र
ु कृष्ण 28:56
दळभी

ळतन कातताक यभा एकादळी व्रत, यम्बा एकादळी व्रत,


3 27:2
कृष्ण एकादळी

4 कातताक 25:15 गोलत्व द्वादळी (गौ-फछडा फायव) व्रत, लवु द्वादळी, गुरु द्वादळी, लाघ फायव
यवल कृष्ण द्वादळी
(गुज.)

कातताक 23:40 धनिमोदळी (धनतेयव), धन्लन्तरय जमन्ती (आमल


ु ेद), काभेश्लयी जमन्ती,
5
वोभ कृष्ण िमोदळी वोभ-प्रदोऴ व्रत, 3 ददन का गोत्रियाि व्रत, मभऩॊ क दीऩदान 5 ददन, श्री
ऩदभ ् प्रबु जी जन्भ (जैन),

कातताक 22:23 रूऩ तद


ु ा ळी, नयकशया तद
ु ा ळी, भासवक सळलयात्रि व्रत, कारी तद
ु ा ळी, कारी
6
भॊगर कृष्ण तद
ु ा ळी ौदव (गुज.) श्रीशनुभान जमन्ती (अमोध्मा), छोटी दीऩालरी, मभ-तऩाण,
धभ
ू ालती जमन्ती (तात्न्िक ऩॊ ाॊग अनव
ु ाय)

कातताक 21:31 स्नान-दान-श्राि शे तु उत्तभ कातताकी अभालस्मा, दीऩालरी, कभरा भशावलद्मा


जमन्ती, श्रीगणेळ-रक्ष्भी ऩज
ू ा, वुखयात्रि-जागयण, भध्मयात्रिकारीन
7
फध
ु कृष्ण अभालस्मा भशातनळीथकार भें कारी ऩज
ू ा (ऩ.फॊ), गौयी-केदाय व्रत, कुफेय-ऩज
ू न, भशालीय
स्लाभी तनलााणोत्वल (जैन), जैन नललऴा, स्लाभी याभतीथा-जन्भततधथ एलॊ
ऩुण्मततधथ, स्लाभी दमानन्द स्भतृ तददलव,

कातताक 21:11 अन्नकूट भशोत्वल, गोलधान-ऩूजन, श्रीभशालीय तनलााण वम्लत ् 2545 प्रायॊ ब,
8
गरु
ु ळक्
ु र एकभ फसर ऩूजा, नललस्िधायण, वामॊ भॊगर भासरका एलॊ गो-क्रीडा, गो-वॊलधान
वतताश प्रायम्ब

9 कातताक 21:27 बैमा दज


ू -टीका, मभवद्वतीमा-स्नान, मभऩॊ क ऩूण,ा ध िगुतत-ऩूजन, दलात
ळक्र
ु ळक्
ु र वद्वतीमा
ऩूजा (त्रफशा.), नलीन न्द्र-दळान, वलश्लकभाा-ऩूजन

ळतन कातताक
10 22:23
ळक्
ु र तत
ृ ीमा वलश्लासभि जमन्ती,

11 कातताक 23:58 लयदवलनामक तथ


ु ॉ व्रत ( ॊद्र.अस्त 19:43 फजे), वम
ू ऴ
ा ष्ठी व्रत प्रायम्ब,
यवल ळक्
ु र तथ
ु ॉ
छठऩज
ू ा ळुरू-नशाम खाम (त्रफशा., झाय,)

12 कातताक 26:8 वौबाग्म-राब ऩॊ भी, ऩाण्डल ऩॊ भी, छठ ऩज


ू ा का दव
ू या ददन, छठऩज
ू ा का
वोभ ळक्
ु र ऩॊ भी
खयना, सानऩॊ भी (जैन),

13 कातताक 28:41 ऴष्ठी छठ ऩूजा, वूमऴ


ा ष्ठी व्रत, प्रततशायऴष्ठी व्रत (सभधथ.), डारा छठ, छठ
भॊगर ळक्
ु र ऴष्ठी
ऩूजा-उऩलाव एलॊ वामॊकार अस्तॊगत वूमा को प्रथभ अध्मादान, स्कन्दऴष्ठी,

14 कातताक अरुणोदमकार भें उदीमभान वूमा को द्वलतीम अध्मादान, छठ व्रत का ऩायण,


फध
ु ळक्
ु र वततभी -
वशस्राजन
ुा जमन्ती, वाभाऩूजा ऩूर्णाभा तक (सभधथ.), जगिािी ऩज
ू ा 3 ददन
142 - 2018

(ऩ.फॊ),

कातताक वततभी- 7 ततधथ गोऩाष्टभी, गोऩार अष्टभी, श्रीदग


ु ााष्टभी व्रत, श्रीअन्नऩूणााष्टभी व्रत,
15
गरु
ु ळक्
ु र लवृ ि
अष्टभी
07:24

16
ळक्र कातताक ळक्
10:00 वूमा लत्ृ श् क वॊक्राॊतत 18:38 फजे वे,
ु ु र अष्टभी

कातताक 12:13 अषमनलभी व्रत, आॊलरा नलभी ऩज


ू न, भाॉ कूष्भाण्ड नलभी, अनरा नलभी
17
ळतन ळक्
ु र नलभी (ओडीवा), वत्ममुगादद ततधथ, श्रीशॊ व बगलान एलॊ वनकादद जमॊती, जगिािी
नलभी भशाऩूजा (ऩ.फॊगार), वलष्णु त्रियाि प्रतायॊ ब,

18
यवल कातताक ळक्
13:50
ु र दळभी आळा दळभी, कॊळलध रीरा भशोत्वल (भथुया),

कातताक 14:43 श्रीशरय प्रफोधधनी एकादळी, दे लउठनी ग्मायव, दे ल उठी अग्मायव, दे लोत्थान
19
वोभ ळक्
ु र एकादळी उत्वल, वलष्णु त्रियाि ऩूण,ा ातुभााव व्रत तनमभ वभातत, बीष्भऩॊ क प्रायॊ ब,
तुरवी वललाश, कारीदाव जमॊती,

20 कातताक 14:50 बोभ-प्रदोऴ व्रत, दाभोदय द्वादळी (ब्रज), श्माभफाफा द्वादळी, गरुड द्वादळी
भॊगर ळक्
ु र द्वादळी
(ओडीवा), भत्स्म द्वादळी, भेरा खाटूश्माभ (याज.),

21 कातताक 14:13 लैकुण्ठ तद


ु ा ळी व्रत, भशातनळीथकार भें भशावलष्णु ऩज
ू ा, यात्रि के अॊततभ
फध
ु ळक्
ु र िमोदळी
प्रशय भें अरुणोदमकार भें भर्णफकाणका-स्नान,

कातताक 12:57 व्रत शे तु उत्तभ कृत्त्तका नषिमत


ु ा कातताकी ऩर्ू णाभा, दे ल-दीऩालरी, दे ल
22
गरु
ु ळक्
ु र तद
ु ा ळी दीलाऱी, तुरवी वललाशोत्वल वभातत, वाभा-वलवजान (सभधथराॊ र), ऩुष्कय
भेरा (याज.),

23 कातताक स्नान-दान शे तु उत्तभ कृत्त्तका नषिमत


ु ा कातताकी ऩर्ू णाभा, श्रीगरु
ु नानकदे ल
ळक्र
ु ळक्
ु र ऩर्ू णाभा 11:09
जमॊती, तनम्फाकाा ामा जमॊती, बीष्भ ऩॊ क ऩूण,ा

24 08:57
ळतन भागाळीऴा कृष्ण एकभ गोऩ भाव प्रायॊ ब, कात्मामनी भासवक ऩज
ू ा ळरू
ु ,

25 भागाळीऴा 08:59
यवल कृष्ण वद्वतीमा वौबाग्मवद
ॊु यी व्रत,

26 भागाळीऴा तत
ृ ीमा- 03:57-
वोभ कृष्ण 25:23 वॊकष्टी श्रीगणेळ तुथॉ व्रत, ( ॊ. उदम.या.08:35)
तथ
ु ॉ

27 भागाळीऴा 22:55 लीड ऩॊ भी (श्रीभनवादे ली), अन्नऩूणााभाता व्रत प्रायॊ ब (काळी), ऩुष्म ददन
भॊगर कृष्ण ऩॊ भी
01:24 वे

28 भागाळीऴा 20:36
फध
ु कृष्ण ऴष्ठी ऩुष्म ददन 11:33 तक

29 भागाळीऴा 18:30
गरु
ु कृष्ण वततभी रुकभर्ण व्रत- द
ॊ ोदमी

30 भागाळीऴा 16:39 श्रीकार बैयलाष्टभी व्रत (काराष्टभी), कारबैयल दळान-ऩूजन, बैयलनाथ जमॊती
ळक्र
ु कृष्ण अष्टभी
भशोत्वल,
143 - 2018

यासळ यत्न
भेऴ यासळ: लऴ
ृ ब यासळ: सभथन
ु यासळ: कका यासळ: सवॊश यासळ: कन्मा यासळ:
भग
ूॊ ा शीया ऩन्ना भोती भाणेक ऩन्ना

Red Coral Diamond Green Emerald Naturel Pearl Ruby Green


(Special) (Special) (Old Berma) Emerald
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6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full ** All Weight In
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White Colour. Rati

तुरा यासळ: लत्ृ श् क यासळ: धनु यासळ: भकय यासळ: कॊु ब यासळ: भीन यासळ:
शीया भग
ूॊ ा ऩुखयाज नीरभ नीरभ ऩुखयाज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special)
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10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
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* उऩमोक्त लजन औय भल्


ू म वे अधधक औय कभ लजन औय भल्
ू म के यत्न एलॊ उऩयत्न बी शभाये मशा व्माऩायी भल्
ू म ऩय
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144 - 2018

श्रीकृष्ण फीवा मॊि


फकवी बी व्मत्क्त का जीलन तफ आवान फन जाता शैं जफ उवके ायों औय का भाशोर उवके अनुरुऩ उवके लळ
भें शों। जफ कोई व्मत्क्त का आकऴाण दव
ु यो के उऩय एक ुम्फकीम प्रबाल डारता शैं, तफ रोग उवकी वशामता एलॊ
वेला शे तु तत्ऩय शोते शै औय उवके प्राम् वबी कामा त्रफना अधधक कष्ट ल
ऩये ळानी वे वॊऩन्न शो जाते शैं। आज के बौततकता लादद मग
ु भें शय व्मत्क्त श्रीकृष्ण फीवा कल
के सरमे दव
ू यो को अऩनी औय खी ने शे तु एक प्रबालळासर ुॊफकत्ल को श्रीकृष्ण फीवा कल को केलर
कामभ यखना अतत आलश्मक शो जाता शैं। आऩका आकऴाण औय व्मत्क्तत्ल वलळेऴ ळब
ु भश
ु ु ता भें तनभााण फकमा
आऩके ायो ओय वे रोगों को आकवऴात कये इव सरमे वयर उऩाम शैं, जाता शैं। कल को वलद्वान
श्रीकृष्ण फीसा मांत्र। क्मोफक बगलान श्री कृष्ण एक अरौफकल एलॊ ददलम कभाकाॊडी ब्राशभणों द्वाया ळब
ु भश
ु ु ता
ुॊफकीम व्मत्क्तत्ल के धनी थे। इवी कायण वे श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के ऩूजन भें ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे वलसळष्ट
एलॊ दळान वे आकऴाक व्मत्क्तत्ल प्रातत शोता शैं। तेजस्ली भॊिो द्वाया सवि प्राण-

श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के वाथ व्मत्क्तको दृढ़ इच्छा ळत्क्त एलॊ उजाा प्रततत्ष्ठत ऩूणा त
ै न्म मुक्त कयके

प्रातत शोती शैं, त्जस्वे व्मत्क्त शभेळा एक बीड भें शभेळा आकऴाण का केंद्र तनभााण फकमा जाता शैं। त्जव के
पर स्लरुऩ धायण कयता व्मत्क्त
यशता शैं।
को ळीघ्र ऩूणा राब प्रातत शोता शैं।
मदद फकवी व्मत्क्त को अऩनी प्रततबा ल आत्भवलश्लाव के स्तय भें
कल को गरे भें धायण कयने वे
लवृ ि, अऩने सभिो ल ऩरयलायजनो के त्रफ भें रयश्तो भें वुधाय कयने की
लशॊ अत्मॊत प्रबाल ळारी शोता शैं।
ईच्छा शोती शैं उनके सरमे श्रीकृष्ण फीसा मांत्र का ऩूजन एक वयर ल वुरब
गरे भें धायण कयने वे कल
भाध्मभ वात्रफत शो वकता शैं।
शभेळा रृदम के ऩाव यशता शैं त्जस्वे
श्रीकृष्ण फीसा मांत्र ऩय अॊफकत ळत्क्तळारी वलळेऴ ये खाएॊ, फीज भॊि एलॊ
व्मत्क्त ऩय उवका राब अतत तीव्र
अॊको वे व्मत्क्त को अद्द्भत
ु आॊतरयक ळत्क्तमाॊ प्रातत शोती शैं जो व्मत्क्त एलॊ ळीघ्र सात शोने रगता शैं।
को वफवे आगे एलॊ वबी षेिो भें अग्रर्णम फनाने भें वशामक सवि शोती शैं।
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श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के ऩूजन ल तनमसभत दळान के भाध्मभ वे बगलान
श्रीकृष्ण का आळीलााद प्रातत कय वभाज भें स्लमॊ का अद्वलतीम स्थान स्थावऩत कयें ।
श्रीकृष्ण फीसा मांत्र अरौफकक ब्रह्भाॊडीम उजाा का वॊ ाय कयता शैं, जो एक प्राकृत्त्त भाध्मभ वे व्मत्क्त के बीतय
वद्दबालना, वभवृ ि, वपरता, उत्तभ स्लास्थ्म, मोग औय ध्मान के सरमे एक ळत्क्तळारी भाध्मभ शैं!
 श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के ऩूजन वे व्मत्क्त के वाभात्जक भान-वम्भान ल ऩद-प्रततष्ठा भें लवृ ि शोती शैं।
 वलद्वानो के भतानव
ु ाय श्रीकृष्ण फीसा मांत्र के भध्मबाग ऩय ध्मान मोग केंदद्रत कयने वे व्मत्क्त फक ेतना ळत्क्त जाग्रत
शोकय ळीघ्र उच् स्तय को प्राततशोती शैं।
 जो ऩुरुऴों औय भदशरा अऩने वाथी ऩय अऩना प्रबाल डारना ाशते शैं औय उन्शें अऩनी औय आकवऴात कयना ाशते
शैं। उनके सरमे श्रीकृष्ण फीसा मांत्र उत्तभ उऩाम सवि शो वकता शैं।
 ऩतत-ऩत्नी भें आऩवी प्रभ की लवृ ि औय वख
ु ी दाम्ऩत्म जीलन के सरमे श्रीकृष्ण फीसा मांत्र राबदामी शोता शैं।

भल्
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145 - 2018

जैन धभाके वलसळष्ट मॊिो की वू ी


श्री ौफीव तीथंकयका भशान प्रबावलत भत्कायी मॊि श्री एकाषी नारयमेय मॊि
श्री ोफीव तीथंकय मॊि वलातो बद्र मॊि
कल्ऩलष
ृ मॊि वला वॊऩत्त्तकय मॊि
ध त
ॊ ाभणी ऩाश्लानाथ मॊि वलाकामा-वला भनोकाभना सवविअ मॊि (१३० वलातोबद्र मॊि)
ध त
ॊ ाभणी मॊि (ऩैंवदठमा मॊि) ऋवऴ भॊडर मॊि
ध त
ॊ ाभणी क्र मॊि जगदलल्रब कय मॊि
श्री क्रेश्लयी मॊि ऋवि सववि भनोकाभना भान वम्भान प्रात्तत मॊि
श्री घॊटाकणा भशालीय मॊि ऋवि सववि वभवृ ि दामक श्री भशारक्ष्भी मॊि
श्री घॊटाकणा भशालीय वला सववि भशामॊि वलऴभ वलऴ तनग्रश कय मॊि
(अनब
ु ल सवि वॊऩण
ू ा श्री घॊटाकणा भशालीय ऩतका मॊि)
श्री ऩद्मालती मॊि षुद्रो ऩद्रल तननााळन मॊि
श्री ऩद्मालती फीवा मॊि फश
ृ च् क्र मॊि
श्री ऩाश्लाऩद्मालती ह्ींकाय मॊि लॊध्मा ळब्दाऩश मॊि
ऩद्मालती व्माऩाय लवृ ि मॊि भत
ृ लत्वा दोऴ तनलायण मॊि
श्री धयणेन्द्र ऩद्मालती मॊि काॊक लॊध्मादोऴ तनलायण मॊि
श्री ऩाश्लानाथ ध्मान मॊि फारग्रश ऩीडा तनलायण मॊि
श्री ऩाश्लानाथ प्रबक
ु ा मॊि रधुदेल कुर मॊि
बक्ताभय मॊि (गाथा नॊफय १ वे ४४ तक) नलगाथात्भक उलवग्गशयॊ स्तोिका वलसळष्ट मॊि
भर्णबद्र मॊि उलवग्गशयॊ मॊि
श्री मॊि श्री ऩॊ भॊगर भशाश्रत
ृ स्कॊध मॊि
श्री रक्ष्भी प्रात्तत औय व्माऩाय लधाक मॊि ह्ीॊकाय भम फीज भॊि
श्री रक्ष्भीकय मॊि लधाभान वलद्या ऩट्ट मॊि
रक्ष्भी प्रात्तत मॊि वलद्या मॊि
भशावलजम मॊि वौबाग्मकय मॊि
वलजमयाज मॊि डाफकनी, ळाफकनी, बम तनलायक मॊि
वलजम ऩतका मॊि बत
ू ादद तनग्रश कय मॊि
वलजम मॊि ज्लय तनग्रश कय मॊि
सवि क्र भशामॊि ळाफकनी तनग्रश कय मॊि
दक्षषण भख
ु ाम ळॊख मॊि आऩत्त्त तनलायण मॊि
दक्षषण भख
ु ाम मॊि ळिभ
ु ख
ु स्तॊबन मॊि
मांत्र के ववषम भें अधधक जानकायी हे तु सांऩकत कयें ।

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146 - 2018

घॊटाकणा भशालीय वला सववि भशामॊि को


स्थाऩीत कयने वे वाधक की वला भनोकाभनाएॊ ऩण
ू ा
शोती शैं। वला प्रकाय के योग बत
ू -प्रेत आदद उऩद्रल वे
यषण शोता शैं। जशयीरे औय दशॊवक प्राणीॊ वे वॊफॊधधत
बम दयू शोते शैं। अत्ग्न बम, ोयबम आदद दयू शोते
शैं।
दष्ु ट ल अवयु ी ळत्क्तमों वे उत्ऩन्न शोने लारे
बम वे मॊि के प्रबाल वे दयू शो जाते शैं।
मॊि के ऩज
ू न वे वाधक को धन, वख
ु , वभवृ ि,
ऎश्लमा, वॊतत्त्त-वॊऩत्त्त आदद की प्रात्तत शोती शैं।
वाधक की वबी प्रकाय की वात्त्लक इच्छाओॊ की ऩतू ता
शोती शैं।
मदद फकवी ऩरयलाय मा ऩरयलाय के वदस्मो ऩय
लळीकयण, भायण, उच् ाटन इत्मादद जाद-ू टोने लारे
प्रमोग फकमे गमें शोतो इव मॊि के प्रबाल वे स्लत्
नष्ट शो जाते शैं औय बवलष्म भें मदद कोई प्रमोग
कयता शैं तो यषण शोता शैं।
कुछ जानकायो के श्री घॊटाकणा भशालीय ऩतका
मॊि वे जुडे अद्द्भत
ु अनब
ु ल यशे शैं। मदद घय भें श्री
घॊटाकणा भशालीय ऩतका मॊि स्थावऩत फकमा शैं औय मदद कोई इऴाा, रोब, भोश मा ळित
ु ालळ मदद
अनधु त कभा कयके फकवी बी उद्देश्म वे वाधक को ऩये ळान कयने का प्रमाव कयता शैं तो मॊि के
प्रबाल वे वॊऩण
ू ा ऩरयलाय का यषण तो शोता शी शैं, कबी-कबी ळिु के द्वाया फकमा गमा अनधु त कभा
ळिु ऩय शी उऩय उरट लाय शोते दे खा शैं। भल्
ू म:- Rs. 2350 से Rs. 12700 तक उतरब्ि
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147 - 2018

अभोघ भशाभत्ृ मॊुजम कल


अभोद्य् भशाभत्ृ मज
ॊु म कल ल उल्रेर्खत अन्म वाभग्रीमों को ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे वलद्वान
ब्राह्भणो द्वाया सवा राख भहाभत्ृ मांज
ु म भांत्र जऩ एलॊ दळाॊळ शलन द्वाया तनसभात फकमा जाता शैं इव
सरए कल अत्मॊत प्रबालळारी शोता शैं। >> Order Now

अभोद्य् भशाभत्ृ मुॊजम कल


अभोद्य् भशाभत्ृ मुॊजम
कल फनलाने शे तु:
अऩना नाभ, वऩता-भाता का नाभ, कल
गोि, एक नमा पोटो बेजे दक्षषणा भाि: 10900

याळी यत्न एलॊ उऩयत्न


वलळेऴ मॊि

शभायें मशाॊ वबी प्रकाय के मॊि वोने- ाॊदद-


ताम्फे भें आऩकी आलश्मक्ता के अनव
ु ाय
फकवी बी बाऴा/धभा के मॊिो को आऩकी
आलश्मक डडजाईन के अनुवाय २२ गेज
ळि
ु ताम्फे भें अखॊडडत फनाने की वलळेऴ
वबी वाईज एलॊ भल्
ू म ल क्लासरदट के
ववु लधाएॊ उऩरब्ध शैं।
अवरी नलयत्न एलॊ उऩयत्न बी उऩरब्ध शैं।
ा़
शभाये मशाॊ वबी प्रकाय के यत्न एलॊ उऩयत्न व्माऩायी भल्
ू म ऩय उऩरब्ध शैं। ज्मोततऴ कामा वे जुडे
फध/ु फशन ल यत्न व्मलवाम वे जुडे रोगो के सरमे वलळेऴ भल्
ू म ऩय यत्न ल अन्म वाभग्रीमा ल अन्म
ववु लधाएॊ उऩरब्ध शैं।
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148 - 2018

नलम्फय 2018 -वलळेऴ मोग


कामा सववि मोग
04 प्रात् 05:46 वे अगरे ददन प्रात् 05:47 तक 18 वाॊम 04:32 वे अगरे ददन प्रात् 05:55 तक
08 यात 07:49 वे अगरे ददन यात 08:35 तक 20 वाॊम 06:35 वे अगरे ददन प्रात् 05:57 तक
11 प्रात् 05:50 वे यात 12:03 तक 24 प्रात् 05:59 वे दोऩशय 03:11 तक

त्त्रऩष्ु कय मोग (तीनगन


ु ा पर दामक ) वद्वऩष्ु कय मोग (दौ गन
ु ा पर दामक )
03 यात 03:14 वे 04 नलॊफय यात 09:36 तक 24 वाॊम 03:11 वे अगरे ददन प्रात् 06:37 तक

14 प्रात् 04:22 वे प्रात् 05:38 तक

ववर्घ्नकायक बद्रा
वाॊम 06:10 वे 03 नलॊफय प्रात् 05:10 तक यात 02:07 वे 19 नलॊफय दोऩशय 02:30 तक
02 19
(ऩथ्
ृ ली) (ऩथ्
ृ ली)
यात 11:47 वे 06 नलॊफय दोऩशय 11:04 तक दोऩशय 12:54 वे यात 12:05 तक
05 22
(ऩातार) (स्लगा)

प्रात् 10:54 वे यात 11:44 तक वॊध्मा 05:22 वे २6 नलॊफय प्रात् 04:06 तक


11 25
(ऩातार) (स्लगा)

प्रात् 07:04 वे यात 08:24 तक यात 08:51 वे 29 नलॊफय प्रात् 07:47 तक


15 31
(ऩथ्
ृ ली) (ऩथ्
ृ ली)

मोग पर :
 कामा सववि मोग भे फकमे गमे ळुब कामा भे तनत्श् त वपरता प्रातत शोती शैं, एवा ळास्िोक्त ल न शैं।
 वद्वऩुष्कय मोग भें फकमे गमे ळुब कामो का राब दोगुना शोता शैं। एवा ळास्िोक्त ल न शैं।
 त्रिऩुष्कय मोग भें फकमे गमे ळुब कामो का राब तीन गुना शोता शैं। एवा ळास्िोक्त ल न शैं।
 ळास्िोंक्त भत वे वलघ्नकायक बद्रा मोग भें ळुब कामा कयना लत्जात शैं।

दै तनक ळब
ु एलॊ अळब
ु वभम सान तासरका
गसु रक कार (ळब
ु ) मभ कार (अळब
ु ) याशु कार (अळब
ु )
लाय वभम अलधध वभम अलधध वभम अलधध
यवललाय 03:00 वे 04:30 12:00 वे 01:30 04:30 वे 06:00
वोभलाय 01:30 वे 03:00 10:30 वे 12:00 07:30 वे 09:00
भॊगरलाय 12:00 वे 01:30 09:00 वे 10:30 03:00 वे 04:30
फुधलाय 10:30 वे 12:00 07:30 वे 09:00 12:00 वे 01:30
गुरुलाय 09:00 वे 10:30 06:00 वे 07:30 01:30 वे 03:00
ळुक्रलाय 07:30 वे 09:00 03:00 वे 04:30 10:30 वे 12:00
ळतनलाय 06:00 वे 07:30 01:30 वे 03:00 09:00 वे 10:30
149 - 2018

ददन के ौघडडमे
वभम यवललाय वोभलाय भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळतनलाय

06:00 वे 07:30 उद्वेग अमृत रोग लाभ शुभ चल काल


07:30 वे 09:00 चल काल उद्वेग अमृत रोग लाभ शुभ
09:00 वे 10:30 लाभ शुभ चल काल उद्वेग अमृत रोग
10:30 वे 12:00 अमृत रोग लाभ शुभ चल काल उद्वेग
12:00 वे 01:30 काल उद्वेग अमृत रोग लाभ शुभ चल
01:30 वे 03:00 शुभ चल काल उद्वेग अमृत रोग लाभ
03:00 वे 04:30 रोग लाभ शुभ चल काल उद्वेग अमृत
04:30 वे 06:00 उद्वेग अमृत रोग लाभ शुभ चल काल

यात के ौघडडमे
वभम यवललाय वोभलाय भॊगरलाय फुधलाय गुरुलाय ळुक्रलाय ळतनलाय

06:00 वे 07:30 शुभ चल काल उद्वेग अमृत रोग लाभ


07:30 वे 09:00 अमृत रोग लाभ शुभ चल काल उद्वेग
09:00 वे 10:30 चल काल उद्वेग अमृत रोग लाभ शुभ
10:30 वे 12:00 रोग लाभ शुभ चल काल उद्वेग अमृत
12:00 वे 01:30 काल उद्वेग अमृत रोग लाभ शुभ चल
01:30 वे 03:00 लाभ शुभ चल काल उद्वेग अमृत रोग
03:00 वे 04:30 उद्वेग अमृत रोग लाभ शुभ चल काल
04:30 वे 06:00 शुभ चल काल उद्वेग अमृत रोग लाभ

ळास्िोक्त भत के अनुळाय मदद फकवी बी कामा का प्रायॊ ब ळुब भुशूता मा ळुब वभम ऩय फकमा जामे तो कामा भें
वपरता प्रातत शोने फक वॊबालना ज्मादा प्रफर शो जाती शैं। इव सरमे दै तनक ळुब वभम ौघडडमा दे खकय प्रातत फकमा जा
वकता शैं।

नोट: प्राम् ददन औय यात्रि के ौघडडमे फक धगनती क्रभळ् वूमोदम औय वूमाास्त वे फक जाती शैं। प्रत्मेक ौघडडमे फक अलधध
1 घॊटा 30 सभतनट अथाात डेढ़ घॊटा शोती शैं। वभम के अनव
ु ाय ौघडडमे को ळब
ु ाळब
ु तीन बागों भें फाॊटा जाता शैं, जो क्रभळ्
ळुब, भध्मभ औय अळुब शैं।

ौघडडमे के स्लाभी ग्रश * शय कामा के सरमे ळब


ु /अभत
ृ /राब का
ळुब ौघडडमा भध्मभ ौघडडमा अळुब ौघडडमा ौघडडमा उत्तभ भाना जाता शैं।
ौघडडमा स्लाभी ग्रश ौघडडमा स्लाभी ग्रश ौघडडमा स्लाभी ग्रश
ळब
ु गरु
ु य ळक्र
ु उद्बेग वम
ू ा * शय कामा के सरमे र/कार/योग/उद्वेग
अभत
ृ द्र
ॊ भा कार ळतन का ौघडडमा उध त नशीॊ भाना जाता।
राब फध
ु योग भॊगर
150 - 2018

ददन फक शोया - वूमोदम वे वूमाास्त तक


लाय 1.घॊ 2.घॊ 3.घॊ 4.घॊ 5.घॊ 6.घॊ 7.घॊ 8.घॊ 9.घॊ 10.घॊ 11.घॊ 12.घॊ

यवललाय वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गरु
ु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन
वोभलाय ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा
भॊगरलाय भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र
फध
ु लाय फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर
गुरुलाय गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध

ळक्र
ु लाय ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु
ळतनलाय ळतन गरु
ु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गरु
ु भॊगर वम
ू ा ळक्र

यात फक शोया – वूमाास्त वे वूमोदम तक


यवललाय गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध

वोभलाय ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु
भॊगरलाय ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र

फध
ु लाय वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन
गुरुलाय ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गुरु भॊगर वम
ू ा
ळक्र
ु लाय भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गरु
ु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र
ळतनलाय फध
ु ॊद्र ळतन गरु
ु भॊगर वम
ू ा ळक्र
ु फध
ु ॊद्र ळतन गरु
ु भॊगर
शोया भुशूता को कामा सववि के सरए ऩूणा परदामक एलॊ अ क
ू भाना जाता शैं, ददन-यात के २४ घॊटों भें ळुब-अळुब
वभम को वभम वे ऩूला सात कय अऩने कामा सववि के सरए प्रमोग कयना ादशमे।

ववद्वानो के भत से इत्छछत कामत मसवि के मरए ग्रह से सांफधां धत होया का चन


ु ाव कयने से ववशेष राब
प्रातत होता हैं।
 वम
ू ा फक शोया वयकायी कामो के सरमे उत्तभ शोती शैं।

 द्र
ॊ भा फक शोया वबी कामों के सरमे उत्तभ शोती शैं।

 भॊगर फक शोया कोटा -क ये ी के कामों के सरमे उत्तभ शोती शैं।

 फध
ु फक शोया वलद्या-फवु ि अथाात ऩढाई के सरमे उत्तभ शोती शैं।

 गरु
ु फक शोया धासभाक कामा एलॊ वललाश के सरमे उत्तभ शोती शैं।

 ळुक्र फक शोया मािा के सरमे उत्तभ शोती शैं।

 ळतन फक शोया धन-द्रव्म वॊफॊधधत कामा के सरमे उत्तभ शोती शैं।


151 - 2018

वला योगनाळक मॊि/कल


भनुष्म अऩने जीलन के वलसबन्न वभम ऩय फकवी ना फकवी वाध्म मा अवाध्म योग वे ग्रस्त शोता
शैं। उध त उऩ ाय वे ज्मादातय वाध्म योगो वे तो भत्ु क्त सभर जाती शैं, रेफकन कबी-कबी वाध्म योग
शोकय बी अवाध्म शोजाते शैं, मा कोइ अवाध्म योग वे ग्रसवत शोजाते शैं। शजायो राखो रुऩमे ख ा कयने ऩय
बी अधधक राब प्रातत नशीॊ शो ऩाता। डॉक्टय द्वारा ददजाने लारी दलाईमा अल्ऩ वभम के सरमे कायगय
वात्रफत शोती शैं, एवी त्स्थती भें राब प्रात्तत के सरमे व्मत्क्त एक डॉक्टय वे दव
ू ये डॉक्टय के क्कय रगाने
को फाध्म शो जाता शैं।
बायतीम ऋऴीमोने अऩने मोग वाधना के प्रताऩ वे योग ळाॊतत शे तु वलसबन्न आमुलेय औऴधो के
अततरयक्त मॊि, भॊि एलॊ तॊि का उल्रेख अऩने ग्रॊथो भें कय भानल जीलन को राब प्रदान कयने का वाथाक
प्रमाव शजायो लऴा ऩल
ू ा फकमा था। फवु िजीलो के भत वे जो व्मत्क्त जीलनबय अऩनी ददन माा ऩय तनमभ,
वॊमभ यख कय आशाय ग्रशण कयता शैं, एवे व्मत्क्त को वलसबन्न योग वे ग्रसवत शोने की वॊबालना कभ शोती
शैं। रेफकन आज के फदरते मुग भें एवे व्मत्क्त बी बमॊकय योग वे ग्रस्त शोते ददख जाते शैं। क्मोफक वभग्र
वॊवाय कार के अधीन शैं। एलॊ भत्ृ मु तनत्श् त शैं त्जवे वलधाता के अराला औय कोई टार नशीॊ वकता,
रेफकन योग शोने फक त्स्थती भें व्मत्क्त योग दयू कयने का प्रमाव तो अलश्म कय वकता शैं। इव सरमे मांत्र
भांत्र एवां तांत्र के कुळर जानकाय वे मोग्म भागादळान रेकय व्मत्क्त योगो वे भुत्क्त ऩाने का मा उवके प्रबालो
को कभ कयने का प्रमाव बी अलश्म कय वकता शैं।
ज्मोनतष विद्या के कुळर जानकय बी कार ऩुरुऴकी गणना कय अनेक योगो के अनेको यशस्म को
उजागय कय वकते शैं। ज्मोततऴ ळास्ि के भाध्मभ वे योग के भर
ू को ऩकडने भे वशमोग सभरता शैं, जशा
आधुतनक ध फकत्वा ळास्ि अषभ शोजाता शैं लशा ज्मोततऴ ळास्ि द्वाया योग के भूर(जड) को ऩकड कय
उवका तनदान कयना राबदामक एलॊ उऩामोगी सवि शोता शैं।
शय व्मत्क्त भें रार यॊ गकी कोसळकाए ऩाइ जाती शैं, त्जवका तनमभीत वलकाव क्रभ फि तयीके वे
शोता यशता शैं। जफ इन कोसळकाओ के क्रभ भें ऩरयलतान शोता शै मा वलखॊडडन शोता शैं तफ व्मत्क्त के ळयीय
भें स्लास्थ्म वॊफॊधी वलकायो उत्ऩन्न शोते शैं। एलॊ इन कोसळकाओ का वॊफॊध नल ग्रशो के वाथ शोता शैं।
त्जस्वे योगो के शोने के कायण व्मत्क्त के जन्भाॊग वे दळा-भशादळा एलॊ ग्रशो फक गो य त्स्थती वे प्रातत
शोता शैं।
वला योग तनलायण कल एलॊ भशाभत्ृ मुॊजम मॊि के भाध्मभ वे व्मत्क्त के जन्भाॊग भें त्स्थत कभजोय
एलॊ ऩीडडत ग्रशो के अळुब प्रबाल को कभ कयने का कामा वयरता ऩूलक
ा फकमा जावकता शैं। जेवे शय
व्मत्क्त को ब्रह्भाॊड फक उजाा एलॊ ऩथ्
ृ ली का गुरुत्लाकऴाण फर प्रबालीत कताा शैं दठक उवी प्रकाय कल एलॊ
मॊि के भाध्मभ वे ब्रह्भाॊड फक उजाा के वकायात्भक प्रबाल वे व्मत्क्त को वकायात्भक उजाा प्रातत शोती शैं
त्जस्वे योग के प्रबाल को कभ कय योग भुक्त कयने शे तु वशामता सभरती शैं।
योग तनलायण शे तु भशाभत्ृ मुॊजम भॊि एलॊ मॊि का फडा भशत्ल शैं। त्जस्वे दशन्द ू वॊस्कृतत का प्राम् शय
व्मत्क्त भशाभत्ृ मुॊजम भॊि वे ऩरयध त शैं।
152 - 2018

कवच के राब :
 एवा ळास्िोक्त ल न शैं त्जव घय भें भशाभत्ृ मुॊजम मॊि स्थावऩत शोता शैं लशा तनलाव कताा शो नाना
प्रकाय फक आधध-व्माधध-उऩाधध वे यषा शोती शैं।
 ऩूणा प्राण प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩूणा ैतन्म मुक्त वला योग तनलायण कल फकवी बी उम्र एलॊ जातत धभा के
रोग ाशे स्िी शो मा ऩरु
ु ऴ धायण कय वकते शैं।
 जन्भाॊगभें अनेक प्रकायके खयाफ मोगो औय खयाफ ग्रशो फक प्रततकूरता वे योग उतऩन्न शोते शैं।
 कुछ योग वॊक्रभण वे शोते शैं एलॊ कुछ योग खान-ऩान फक अतनमसभतता औय अळुितावे उत्ऩन्न शोते शैं।
कल एलॊ मॊि द्वाया एवे अनेक प्रकाय के खयाफ मोगो को नष्ट कय, स्लास्थ्म राब औय ळायीरयक यषण
प्रातत कयने शे तु वला योगनाळक कल एलॊ मॊि वला उऩमोगी शोता शैं।
 आज के बौततकता लादी आधुतनक मुगभे अनेक एवे योग शोते शैं, त्जवका उऩ ाय ओऩये ळन औय दलावे
बी कदठन शो जाता शैं। कुछ योग एवे शोते शैं त्जवे फताने भें रोग दश फक ाते शैं ळयभ अनुबल कयते शैं
एवे योगो को योकने शे तु एलॊ उवके उऩ ाय शे तु वला योगनाळक कल एलॊ मॊि राबादातम सवि शोता शैं।
 प्रत्मेक व्मत्क्त फक जेवे-जेवे आमु फढती शैं लैवे-लवै उवके ळयीय फक ऊजाा कभ शोती जाती शैं। त्जवके
वाथ अनेक प्रकाय के वलकाय ऩैदा शोने रगते शैं एवी त्स्थती भें उऩ ाय शे तु वलायोगनाळक कल एलॊ
मॊि परप्रद शोता शैं।
 त्जव घय भें वऩता-ऩुि, भाता-ऩुि, भाता-ऩुिी, मा दो बाई एक दश नषिभे जन्भ रेते शैं, तफ उवकी
भाता के सरमे अधधक कष्टदामक त्स्थती शोती शैं। उऩ ाय शे तु भशाभत्ृ मुॊजम मॊि परप्रद शोता शैं।
 त्जव व्मत्क्त का जन्भ ऩरयधध मोगभे शोता शैं उन्शे शोने लारे भत्ृ मु तुल्म कष्ट एलॊ शोने लारे योग,
ध त
ॊ ा भें उऩ ाय शे तु वला योगनाळक कल एलॊ मॊि ळुब परप्रद शोता शैं।
नोट:- ऩण
ू ा प्राण प्रततत्ष्ठत एलॊ ऩण
ू ा ैतन्म मुक्त वला योग तनलायण कल एलॊ मॊि के फाये भें अधधक
जानकायी शे तु वॊऩका कयें । >> Shop Online | Order Now

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153 - 2018

भांत्र मसि कवच


मंत्र वसद्ध किच को विशेष प्रयोजन में उपयोग के वलए और शीघ्र प्रभाि शाली बनाने के वलए तेजस्िी मंत्रो द्वारा शुभ महूतत में शुभ
ददन को तैयार दकये जाते है । अलग-अलग किच तैयार करने के वलए अलग-अलग तरह के मंत्रो का प्रयोग दकया जाता है ।
 क्यों चुने मंत्र वसद्ध किच?  उपयोग में आसान कोई प्रवतबन्ध नशीॊ  कोई विशेष वनवत-वनयम नहीं  कोई बुरा प्रभाि नहीं

भांत्र मसि कवच सधू च


राज राजेश्वरी किच 11000 विष्णु बीसा किच
Raj Rajeshwari Kawach ………..……………………… Vishnu Visha Kawach ………..………………………... 2350
अमोघ महामृतयुंजय किच रामभद्र बीसा किच
Amogh Mahamrutyunjay Kawach ……………………. 10900 Ramabhadra Visha Kawach ………..………………… 2350
दस महाविद्या किच कु बेर बीसा किच
Dus Mahavidhya Kawach ………..……………………. 7300 Kuber Visha Kawach ………..…………………………. 2350
श्री घंटाकणत महािीर सित वसवद्ध प्रद किच गरुड बीसा किच
Shri Ghantakarn Mahavir Sarv Siddhi Prad Kawach.. 6400 Garud Visha Kawach ………..………………………… 2350
सकल वसवद्ध प्रद गायत्री किच लक्ष्मी बीसा किच
Sakal Siddhi Prad Gayatri Kawach …………………... 6400 Lakshmi Visha Kawach ……..…………………………. 2350
निदुगात शवि किच ससह बीसा किच
Navdurga Shakiti Kawach ………..…………………… 6400 Sinha Visha Kawach ………..…………………………. 2350
रसायन वसवद्ध किच निातण बीसा किच
Rasayan Siddhi Kawach ………..…………………….. 6400 Narvan Visha Kawach ………..……………………….. 2350
पंचदेि शवि किच संकट मोवचनी कावलका वसवद्ध किच
Pancha Dev Shakti Kawach ………..…………………. 6400 Sankat Mochinee Kalika Siddhi Kawach ………..…… 2350
सित कायत वसवद्ध किच राम रक्षा किच
Sarv Karya Siddhi Kawach ………..………………….. 5500 Ram Raksha Kawach ………..………………………… 2350
सुिणत लक्ष्मी किच नारायण रक्षा किच
Suvarn Lakshmi Kawach ………..……………………. 4600 Narayan Raksha Kavach .……………………………... 2350
स्िणातकषतण भैरि किच हनुमान रक्षा किच
Swarnakarshan Bhairav Kawach ………..…………… 4600 Hanuman Raksha Kawach ………..………………….. 2350
कालसपत शांवत किच भैरि रक्षा किच
Kalsharp Shanti Kawach ………..…………………….. 3700 Bhairav Raksha Kawach ………………………………. 2350
विलक्षण सकल राज िशीकरण किच शवन साड़ेसाती और ढ़ैया कष्ट वनिारण किच
Vilakshan Sakal Raj Vasikaran Kawach ………..…… 3250 Shani Sadesatee aur Dhaiya Kasht Nivaran Kawach ….. 2350
इष्ट वसवद्ध किच श्रावपत योग वनिारण किच
Isht Siddhi Kawach ………..…………………………… 2800 Sharapit Yog Nivaran Kawach ……..………………… 1900
परदेश गमन और लाभ प्रावि किच विष योग वनिारण किच
Pardesh Gaman Aur Labh Prapti Kawach ………...... 2350 Vish Yog Nivaran Kawach ……..……………………. 1900
श्रीदुगात बीसा किच सितजन िशीकरण किच
Durga Visha Kawach ………..…………………………. 2350 Sarvjan Vashikaran Kawach ……..…………………… 1450
कृ ष्ण बीसा किच वसवद्ध विनायक किच
Krushna Bisa Kawach ………..………………………... 2350 Siddhi Vinayak Ganapati Kawach ……..…………….. 1450
अष्ट विनायक किच सकल सम्मान प्रावि किच
Asht Vinayak Kawach ………..………………………... 2350 Sakal Samman Praapti Kawach ……..………………. 1450
आकषतण िृवद्ध किच स्िप्न भय वनिारण किच
Aakarshan Vruddhi Kawach ……..…………………… 1450 Swapna Bhay Nivaran Kawach ……..……………….. 1050
154 - 2018

िशीकरण नाशक किच सरस्िती किच (कक्षा +10 के वलए)


Vasikaran Nashak Kawach ……..…………………….. 1450 Saraswati Kawach (For Class +10) ………………….. 1050
प्रीवत नाशक किच सरस्िती किच (कक्षा 10 तकके वलए)
Preeti Nashak Kawach ……..…………………………. 1450 Saraswati Kawach (For up to Class 10) …………….. 910
चंडाल योग वनिारण किच िशीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)
Chandal Yog Nivaran Kawach ……..………………… 1450 Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) ……………. 1250
ग्रहण योग वनिारण किच पत्नी िशीकरण किच
Grahan Yog Nivaran Kawach ……..………………….. 1450 Patni Vasikaran Kawach ………………………………... 820
मांगवलक योग वनिारण किच (कु जा योग ) पवत िशीकरण किच
Magalik Yog Nivaran Kawach (Kuja Yoga) …………. 1450 Pati Vasikaran Kawach …………………………………. 820
अष्ट लक्ष्मी किच िशीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए)
Asht Lakshmi Kawach ……..………………………... 1250 Vashikaran Kawach (For 1 Person) …………………… 820
आकवस्मक धन प्रावि किच सुदशतन बीसा किच
Akashmik Dhan Prapti Kawach ……..……………….. 1250 Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…... 910
स्पे.व्यापार िृवद्ध किच महा सुदशतन किच
Special Vyapar Vruddhi Kawach ……..……………… 1250 Mahasudarshan Kawach ……..……………...…………. 910
धन प्रावि किच तंत्र रक्षा किच
Dhan Prapti Kawach ……..…………………………... 1250 Tantra Raksha Kawach …………………………………. 910
कायत वसवद्ध किच िशीकरण किच (2-3 व्यविके वलए)
Karya Siddhi Kawach ……..…………………………… 1250 Vashikaran Kawach For (For 2-3 Person) ……………. 1250
भूवमलाभ किच पत्नी िशीकरण किच
Bhumilabh Kawach ……..……………………………. 1250 Patni Vasikaran Kawach ………………………………... 820
निग्रह शांवत किच पवत िशीकरण किच
Navgrah Shanti Kawach ……..……………………….. 1250 Pati Vasikaran Kawach …………………………………. 820
संतान प्रावि किच िशीकरण किच ( 1 व्यवि के वलए)
Santan Prapti Kawach ……..………………………….. 1250 Vashikaran Kawach (For 1 Person) …………………… 820
कामदेि किच सुदशतन बीसा किच
Kamdev Kawach ……..………………………………. 1250 Sudarshan Visha Kawach ……..…………………...…... 910
हंस बीसा किच महा सुदशतन किच
Hans Visha Kawach ……..…………………………….. 1250 Mahasudarshan Kawach ……..……………...…………. 910
पदौन्नवत किच तंत्र रक्षा किच
Padounnati Kawach ……..…………………………. 1250 Tantra Raksha Kawach …………………………………. 910
ऋण / कजत मुवि किच वत्रशूल बीसा किच
Rin / Karaj Mukti Kawach ……..……………………… 1250 Trishool Visha Kawach ……..…………………………... 910
शत्रु विजय किच व्यापर िृवद्ध किच
Shatru Vijay Kawach ………………………………….. 1050 Vyapar Vruddhi Kawach ………………………………... 910
वििाह बाधा वनिारण किच सित रोग वनिारण किच
Vivah Badha Nivaran Kawach ………………………... 1050 Sarv Rog Nivaran Kawach ……………………………... 910
स्िवस्तक बीसा किच शारीररक शवि िधतक किच
Swastik Visha Kawach ……..…………………………. 1050 Sharirik Shakti Vardhak Kawach ..……………………... 910
मवस्तष्क पृवष्ट िधतक किच वसद्ध शुक्र किच
Mastishk Prushti Vardhak Kawach …………………… 820 Siddha Shukra Kawach …………………………………. 820
िाणी पृवष्ट िधतक किच 820 वसद्ध शवन किच 820
155 - 2018

Vani Prushti Vardhak Kawach ………………………… Siddha Shani Kawach …………………………………...


कामना पूर्तत किच वसद्ध राहु किच
Kamana Poorti Kawach ………………………………. 820 Siddha Rahu Kawach …………………………………… 820
विरोध नाशक किच वसद्ध के तु किच
Virodh Nashan Kawach ………………………………. 820 Siddha Ketu Kawach ……………………………………. 820
वसद्ध सूयत किच रोजगार िृवद्ध किच
Siddha Surya Kawach …………………………………. 820 Rojgar Vruddhi Kawach ………………………………… 730
वसद्ध चंद्र किच विघ्न बाधा वनिारण किच
Siddha Chandra Kawach ……………………………… 820 Vighna Badha Nivaran Kawah …………………………. 730
वसद्ध मंगल किच (कु जा) नज़र रक्षा किच
Siddha Mangal Kawach (Kuja) ……………………… 820 Najar Raksha Kawah ……………………………………. 730
वसद्ध बुध किच रोजगार प्रावि किच
Siddha Bhudh Kawach ………………………………… 820 Rojagar Prapti Kawach …………………………………. 730
वसद्ध गुरु किच दुभातग्य नाशक किच
Siddha Guru Kawach ………………………………..… 820 Durbhagya Nashak ……………………………………… 640

उऩयोक्त कल के अराला अन्म वभस्मा वलळेऴ के वभाधान शे तु एलॊ उद्देश्म ऩतू ता शे तु कल का तनभााण फकमा जाता शैं। कल के वलऴम भें
अधधक जानकायी शे तु वॊऩका कयें ।
*कल भाि ळब
ु कामा मा उद्देश्म के सरमे >> Shop Online | Order Now

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156 - 2018

Gemstone Price List


NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (ऩन्ना) 200.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (ऩुखयाज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Yellow Sapphire Bangkok (फैंकोक ऩख
ु याज) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीरभ) 550.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (वफेद ऩुखयाज) 1000.00 1200.00 1900.00 2800.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(फैंकोक नीरभ) 100.00 150.00 190.00 550.00 1000.00 & above
Ruby (भार्णक) 100.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (फभाा भार्णक) 5500.00 6400.00 8200.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नयभ भार्णक/रारडी) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (भोतत) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 यतत तक) (रार भॊग ू ा) 125.00 190.00 280.00 370.00 460.00 & above
Red Coral (4 यतत वे उऩय)( रार भॊग ू ा) 190.00 280.00 370.00 460.00 550.00 & above
White Coral (वफेद भॊग ू ा) 73.00 100.00 190.00 280.00 460.00 & above
Cat’s Eye (रशवुतनमा) 25.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Cat’s Eye ODISHA(उडडवा रशवुतनमा) 280.00 460.00 730.00 1000.00 1900.00 & above
Gomed (गोभेद) 19.00 28.00 45.00 100.00 190.00 & above
Gomed CLN (सवरोनी गोभेद) 190.00 280.00 460.00 730.00 1000.00 & above
Zarakan (जयकन) 550.00 730.00 820.00 1050.00 1250.00 & above
Aquamarine (फेरुज) 210.00 320.00 410.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीरी) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise (फफयोजा) 100.00 145.00 190.00 280.00 460.00 & above
Golden Topaz (वन ु शरा) 28.00 46.00 90.00 120.00 190.00 & above
Real Topaz (उडडवा ऩुखयाज/टोऩज) 100.00 190.00 280.00 460.00 640.00 & above
Blue Topaz (नीरा टोऩज) 100.00 190.00 280.00 460.00 640.00 & above
White Topaz (वफेद टोऩज) 60.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे रा) 28.00 46.00 90.00 120.00 190.00 & above
Opal (उऩर) 28.00 46.00 90.00 190.00 460.00 & above
Garnet (गायनेट) 28.00 46.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुभर ा ीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (वुमका ान्त भर्ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (कारा स्टाय) 15.00 30.00 45.00 60.00 100.00 & above
Green Onyx (ओनेक्व) 10.00 19.00 28.00 55.00 100.00 & above
Lapis (राजलात) 15.00 28.00 45.00 100.00 190.00 & above
Moon Stone ( न्द्रकान्त भर्ण) 12.00 19.00 28.00 55.00 190.00 & above
Rock Crystal (स्फदटक) 19.00 46.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फफयॊ गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगय स्टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (भयग ) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (वन सवताया) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
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157 - 2018

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YANTRA LIST EFFECTS
Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
158 - 2018

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA)
Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 325 to 12700 and Above…..
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159 - 2018

वू ना
 ऩत्रिका भें प्रकासळत वबी रेख ऩत्रिका के अधधकायों के वाथ शी आयक्षषत शैं।

 रेख प्रकासळत शोना का भतरफ मश कतई नशीॊ फक कामाारम मा वॊऩादक बी इन वल ायो वे वशभत शों।

 नात्स्तक/ अवलश्लावु व्मत्क्त भाि ऩठन वाभग्री वभझ वकते शैं।

 ऩत्रिका भें प्रकासळत फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का उल्रेख मशाॊ फकवी बी व्मत्क्त वलळेऴ मा फकवी बी स्थान मा
घटना वे कोई वॊफॊध नशीॊ शैं।

 प्रकासळत रेख ज्मोततऴ, अॊक ज्मोततऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत शोने के कायण
मदद फकवी के रेख, फकवी बी नाभ, स्थान मा घटना का फकवी के लास्तवलक जीलन वे भेर शोता शैं तो मश भाि
एक वॊमोग शैं।

 प्रकासळत वबी रेख बायततम आध्मात्त्भक ळास्िों वे प्रेरयत शोकय सरमे जाते शैं। इव कायण इन वलऴमो फक
वत्मता अथला प्राभार्णकता ऩय फकवी बी प्रकाय फक त्जन्भेदायी कामाारम मा वॊऩादक फक नशीॊ शैं।

 अन्म रेखको द्वाया प्रदान फकमे गमे रेख/प्रमोग फक प्राभार्णकता एलॊ प्रबाल फक त्जन्भेदायी कामाारम मा
वॊऩादक फक नशीॊ शैं। औय नाशीॊ रेखक के ऩते दठकाने के फाये भें जानकायी दे ने शे तु कामाारम मा वॊऩादक
फकवी बी प्रकाय वे फाध्म शैं।

 ज्मोततऴ, अॊक ज्मोततऴ, लास्तु, भॊि, मॊि, तॊि, आध्मात्त्भक सान ऩय आधारयत रेखो भें ऩाठक का अऩना
वलश्लाव शोना आलश्मक शैं। फकवी बी व्मत्क्त वलळेऴ को फकवी बी प्रकाय वे इन वलऴमो भें वलश्लाव कयने ना
कयने का अॊततभ तनणाम स्लमॊ का शोगा।

 ऩाठक द्वारा फकवी बी प्रकाय फक आऩत्ती स्लीकामा नशीॊ शोगी।

 शभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे वबी रेख शभाये लऴो के अनुबल एलॊ अनुळॊधान के आधाय ऩय सरखे शोते शैं। शभ फकवी बी
व्मत्क्त वलळेऴ द्वारा प्रमोग फकमे जाने लारे भॊि- मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोकी त्जन्भेदायी नदशॊ रेते शैं।

 मश त्जन्भेदायी भॊि-मॊि मा अन्म प्रमोग मा उऩामोको कयने लारे व्मत्क्त फक स्लमॊ फक शोगी। क्मोफक इन वलऴमो भें
नैततक भानदॊ डों, वाभात्जक, कानूनी तनमभों के र्खराप कोई व्मत्क्त मदद नीजी स्लाथा ऩूतता शे तु प्रमोग कताा शैं
अथला प्रमोग के कयने भे िदु ट शोने ऩय प्रततकूर ऩरयणाभ वॊबल शैं।

 शभाये द्वारा ऩोस्ट फकमे गमे वबी भॊि-मॊि मा उऩाम शभने वैकडोफाय स्लमॊ ऩय एलॊ अन्म शभाये फॊधग
ु ण ऩय प्रमोग फकमे
शैं त्जस्वे शभे शय प्रमोग मा भॊि-मॊि मा उऩामो द्वारा तनत्श् त वपरता प्रातत शुई शैं।

 ऩाठकों फक भाॊग ऩय एक दश रेखका ऩून् प्रकाळन कयने का अधधकाय यखता शैं। ऩाठकों को एक रेख के
ऩन
ू ् प्रकाळन वे राब प्रातत शो वकता शैं।

 अधधक जानकायी शे तु आऩ कामाारम भें वॊऩका कय वकते शैं।

(सबी वववादो केमरमे केवर बव


ु नेश्वय न्मामारम ही भान्म होगा।)
160 - 2018

FREE
E CIRCULAR
गरु
ु त्ल ज्मोततऴ ऩत्रिका नलम्फय-2018
वॊऩादक
ध त
ॊ न जोळी
वॊऩका

गरु
ु त्ल ज्मोततऴ वलबाग
गरु
ु त्ल कामाारम
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161 - 2018

शभाया उद्देश्म
वप्रम आत्त्भम
फॊधु/ फदशन
जम गुरुदे ल
जशाॉ आधतु नक वलसान वभातत शो जाता शैं। लशाॊ आध्मात्त्भक सान प्रायॊ ब
शो जाता शैं, बौततकता का आलयण ओढे व्मत्क्त जीलन भें शताळा औय तनयाळा भें
फॊध जाता शैं, औय उवे अऩने जीलन भें गततळीर शोने के सरए भागा प्रातत नशीॊ शो
ऩाता क्मोफक बालनाए दश बलवागय शैं, त्जवभे भनुष्म की वपरता औय
अवपरता तनदशत शैं। उवे ऩाने औय वभजने का वाथाक प्रमाव शी श्रेष्ठकय
वपरता शैं। वपरता को प्रातत कयना आऩ का बाग्म शी नशीॊ अधधकाय शैं। ईवी
सरमे शभायी ळुब काभना वदै ल आऩ के वाथ शैं। आऩ अऩने कामा-उद्देश्म एलॊ
अनुकूरता शे तु मॊि, ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न औय दर
ु ब
ा भॊि ळत्क्त वे ऩूणा प्राण-
प्रततत्ष्ठत ध ज लस्तु का शभें ळा प्रमोग कये जो १००% परदामक शो। ईवी सरमे
शभाया उद्देश्म मशीॊ शे की ळास्िोक्त वलधध-वलधान वे वलसळष्ट तेजस्ली भॊिो द्वाया
सवि प्राण-प्रततत्ष्ठत ऩूणा ैतन्म मुक्त वबी प्रकाय के मन्ि- कल एलॊ ळुब
परदामी ग्रश यत्न एलॊ उऩयत्न आऩके घय तक ऩशो ाने का शैं।
वूमा की फकयणे उव घय भें प्रलेळ कयाऩाती शैं।
जीव घय के र्खडकी दयलाजे खुरे शों।

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162 - 2018

NOV
2018

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