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Chapter Wise Important Questions Xiiphysics
Chapter Wise Important Questions Xiiphysics
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विद्यतर्थी कत नतम
अनुक्रमतांक
विद्यतलय कत नतम
हस्ततक्षर वनर्देशक
वनर्देशक कत नतम
अतीत में दबे पाँव
ओम थानवी
ओम थानवी
।
अजायब घर – संग्रहालय
उत्कीर्ण' – खुदी हुई
असबाब – सामान
पय'टक – सैलानी, भ्रमर्णकारी
पुरातत्त्ववेत्ता – Archeologist
उत्कृष्ट - सबसे अच्छा
निसंध ु घाट ी सभ्यता
आज स े ल गभग 158 वष पवू पार्विकस्3ान मार्शल के 'पर्विश्चमी पंजाब
पर ह्यीलर ् ां3‘के 'माण्ट मैके गोमर ह्यीलर ी र्विज़ल े' में स्थित र्विस्थ3 'हर्विर ह्यीलर याणा' के र्विन मार्शल वार्विस यों
को र्शायद इस बा3 का र्विकंर्विचत्मा3र ह्यीलर ् भी आभास न मार्शल ही ं था र्विक
वे अपन मार्शल े आस -पास की ज़मीन मार्शल में स्थित दबी र्विजन मार्शल ईट मैके ो ं का पर ह्यीलर ् योग इ3न मार्शल े
धड़ल्ल े स े अपन मार्शल े मकान मार्शल ो ं के र्विन मार्शल माण में स्थित कर ह्यीलर र ह्यीलर हे हैं, वह कोई
स ाधार ह्यीलर ण ईट मैके ें स्थित न मार्शल ही ं, बर्विल्क ल गभग 5,000 वष पर ह्यीलर ु ान मार्शल ी और ह्यीलर पर ह्यीलर ू ी
3र ह्यीलर ह र्विवकर्विस 3 स भ्य3ा के अवर्शेष हैं। इसका आभास उन्हें तब इस का आभास उन्हें स्थित 3ब
हुआ जब 1856 ई. में स्थित ‘जॉन मार्शल र्विवर्विल यम बर ह्यीलर ् न्ट मैके म' न मार्शल े कर ह्यीलर ाची स े
ल ाहौर ह्यीलर 3क र ह्यीलर ेल वे ल ाइन मार्शल र्विबछवान मार्शल े हे3 ु ईट मैके ों की आपर्विू 3 के इन मार्शल
खण्डहर ह्यीलर ों की खदु ाई पर ह्यीलर ् ार ह्यीलर म्भ कर ह्यीलर वायी। इसका आभास उन्हें तब खदु ाई के दौर ह्यीलर ान मार्शल ही इस
स भ्य3ा के पर ह्यीलर ् थम अवर्शेष पर ह्यीलर ् ाप्3 हुए,र्विजस े इस स भ्य3ा का न मार्शल ाम
‘हड़प्पा स भ्य3ा‘ का न मार्शल ाम र्विदया गया । इसका आभास उन्हें तब
ख स्थल एवं उसके खोजकर्ता ोज
इस अज्ञा3 स भ्य3ा की खोज का र्शर ह्यीलर ् ेय 'र ह्यीलर ायबहादुर ह्यीलर दयार ह्यीलर ाम स ाहन मार्शल ी' को जा3ा है। इसका आभास उन्हें तब
उन्होंन मार्शल े ही पर ह्यीलर ु ा3त्त्व स वक्षण र्विवभाग के महार्विन मार्शल दर्श े क 'स र ह्यीलर जॉन मार्शल मार्शल ' के र्विन मार्शल दर्शन मार्शल में स्थित
1921 में स्थित इस स्थान मार्शल की खदु ाई कर ह्यीलर वायी। इसका आभास उन्हें तब ल गभग एक वष बाद 1922 में स्थित
'र्शर ह्यीलर ् ी र ह्यीलर ाखल दास बन मार्शल ज ' के न मार्शल े3त्ृ व में स्थित पार्विकस्3ान मार्शल के र्विस ध ं पर ह्यीलर ् ान्3 के 'ल र ह्यीलर कान मार्शल ा' र्विज़ल े के
मोहन मार्शल जोदाड़ो में स्थित र्विस्थ3 एक बौद्ध स्3पू की खदु ाई के स मय एक और ह्यीलर स्थान मार्शल का प3ा
चल ा। इसका आभास उन्हें तब इस न मार्शल वीन मार्शल 3म स्थान मार्शल के पर ह्यीलर ् कार्श में स्थित आन मार्शल े क उपर ह्यीलर ान्3 यह मान मार्शल र्विल या गया र्विक
स ंभव3ः यह सभ्यता यह स भ्य3ा र्विस ध ं ु न मार्शल दी की घाट मैके ी 3क ही स ीर्विम3 है, अ3ः यह सभ्यता इस स भ्य3ा
का न मार्शल ाम ‘र्विस ध ु घाट मैके ी की स भ्य3ा‘ (Indus Valley Civilization) Indus Valley Civilization) र ह्यीलर खा गया। इसका आभास उन्हें तब
स बस े पहल े 1927 में स्थित 'हड़प्पा' न मार्शल ामक स्थल पर ह्यीलर उत्खन मार्शल न मार्शल होन मार्शल े के कार ह्यीलर ण 'र्विस न्ध ु स भ्य3ा'
का न मार्शल ाम 'हड़प्पा स भ्य3ा' पड़ा। इसका आभास उन्हें तब पर ह्यीलर काल ान्3र ह्यीलर में स्थित 'र्विपग्गट मैके ' न मार्शल े हड़प्पा एवं मोहन मार्शल जोदड़ों को
‘एक र्विवस्33 ृ स ामर ह्यीलर ् ाज्य की जड़ ु वा र ह्यीलर ाजधार्विन मार्शल यां‘ ब3ल ाया। इसका आभास उन्हें तब
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में खुदाई
सन् १८५६ में कुछ अंग्रेज़ों के द्वारा वत'मान पाकिकस्तान के सिसंधु नदी
घाटी में एक रेल लाइन किबछाते समय उन्होंने प्राचीन और किवकलिसत सिसंधु
सभ्यता के कुछ अंशों को खोज किनकाला था। वे वहाँ रेल लाइन के
बगल से जल किनकासी की व्यवस्था करने हेतु कुछ पत्थर के टु कड़ों
और मलवे को किनकालने की कोलिशश कर रहे थे।
तब उन्हें कुछ प्राचीन काल के ईंट के टु कड़े चिमले। वहाँ के
स्थानीय लोगों ने इसकी पुकिष्ट की किक ये प्राचीन सभ्यता की
ईंटें हैं।
अंग्रेज़ पुरातत्त्ववेत्ताओं ने
सिसंधु नदी के किकनारे प्राचीन
सभ्यता के लगभग १५००
साक्ष्य इकट्ठे किकए; ठीक वैसे
ही जैसे मेसोपोटाचिमया, चिमश्र
की प्राचीन सभ्यताओं से
चिमले थे। नदिदयों के किकनारे
उनकी अवक्षेप में इनके दबे
होने के ज़्यादा आसार होते
हैं।
चिमट्टी पर बने चिचत्रों (Indus Valley Civilization) साक्ष्यों) से
यह प्रमाणिर्णत होता है किक सिसंधु
सभ्यता के लोगों ने अपनी एक
लिलकिप किवकलिसत कर ली थी ; बिकंतु
अब तक उन लिलकिपयों को पढ़ने में
सफलता नहीं चिमल पाई है। अत:
उनके धार्मिमंक किवश्वास, रीत-
रिरवाज़ों, संस्कृकित, उनकी शासन-
व्यवस्था के बारे अब तक कोई
पुख़्ता जानकारी नहीं हो पाई है।
सिसंधु सभ्यता की लिलकिप को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। उसके कारर्ण भी
कई गुस्थित्थयाँ अनसुलझी है। किवभाजन के बाद राजनीकितक कारर्णों से भी इन
सभ्यताओं के आगे के खोज काय' में किनरंतर बाधा आती रही है। मुअनजोदड़ो
की खुदाई बंद कर दी गई है। ऐसे में दोनों दे शों की सरकारों से यही उम्मीद की
जा सकती है किक वे अपने राजनीकितक भेदभाव को परे रखकर इकितहास के तथ्यों
की पड़ताल करने में मददगार बने न किक बाधक। जब तथ्य अपने आप में पकिवत्र
होते हैं तो यह जरुरी हो जाता है किक तथ्यों की पड़ताल पूरी किनष्ठा के साथ की
जाए। अतीत की स्मृकितयों को लेखक कैसे महसूस करता है। ‘मुअनजोदड़ो की
खूबी यह है किक इस आदिदम शहर की सड़कों और गलिलयों में आप आज भी घूम-
किफर सकते हैं। यहाँ की सभ्यता और संस्कृकित का सामान चाहे अजायबघरों की
शोभा बढ़ा रहा हो, शहर जहाँ था अब भी वहीं है। आप इसकी किकसी भी दीवार
पर पीठ दिटका कर सुस्ता सकते हैं। वह कोई खॅड़हर क्यों न हो,किकसी घर की
दे हरी पर पाँव रख कर सहसा सहम जा सकते हैं, जैसे भीतर अब भी काई रहता
हो। रसोई की खिखड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकते हैं।
‘ मुअन जो दड़ो ' लिसन्धु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख नगर अवशेर्षों, जिजसकी खोज
१९२२ ईस्वी मेंं राखाल दास बनज‹ ने की।
यह नगर अवशेर्षों लिसन्धु नदी के किकनारे सक्खर जिज़ले में स्थिस्थत है।
मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारर्ण है 'मुअन जो दड़ो'।
लिसन्धी भार्षोंा में इसका अथ' है - मृतकोंं का टीला।
मो.न जोदड़ो- (Indus Valley Civilization) सिसंधी: موئن جو دوڙوऔर उदू' में अमोमअ मोहनजोदउड़ो भी)वादी
सिसंध की आर्विदम स ंस्कृर्वि3 का एक स्थल था।
यह लड़काना से बीस किकलोमीटर दूर और सक्खर से 80 किकलोमीटर
दर्विक्षण-पवू में स्थित र्विस्थ3 है। यह नगर क़रीब 5 किक.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है।
यह वादी सिसंध के एक और अहम स भ्य3ा हड़प्पा से 400 मील दूर है। यह शहर 3300
ईस ा पवू में स्थित मौजूद था और 1700 ईस ा पवू में अन मार्शल जान मार्शल कार ह्यीलर णों स े ख़त्म हो गया।
पर ह्यीलर ु ा3त्त्ववेत्त शर्मा ाओं के ख़्याल में सिसंध ु न मार्शल दी में स्थित आई बाढ़ के कार ह्यीलर ण या बाहर ह्यीलर ी हमल ों या भक ू ंप
आर्विद स े न मार्शल ष्ट मैके हुआ मान मार्शल ा जा3ा है। इसका आभास उन्हें तब स न मार्शल ् 1922 में भार ह्यीलर 3 के 3त्काल ीन मार्शल पर ह्यीलर ु ा3त्त्ववेत्त शर्मा ा र्विवभाग
के र्विन मार्शल दर्श
े क सर जान माश'ल ने मुअनजो दड़ो का प3ा ल गाया था और इन की गाड़ी
आज भी मुअनजो दड़ो- के अजायब ख़ाने की र्शोभा बढ़ा र ह्यीलर ही है।
सिसंधु घाटी सभ्यता(Indus Valley Civilization) ३३००-१७०० ई.पू.) किवश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से
एक प्रमुख सभ्यता थी। यह हड़प्पा सभ्यता और सिसंधु-सरस्वती सभ्यता के नाम से भी
जानी जाती है। इसका किवकास सिसंधु और घघ्घर/हकड़ा (Indus Valley Civilization) प्राचीन सरस्वती) के किकनारे
हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र
थें। कि’दिटश काल में हुई खुदाइयों के आधार पर पुरातत्ववेत्ता और इकितहासकारों का
अनुमान है किक यह अत्यंत किवकलिसत सभ्यता थी और ये शहर अनेक बार बसे और उजड़े
हैं। चार्ल्सस' मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कबिनंघम ने १८७२ में इस
सभ्यता के बारे मे सव”क्षर्ण किकया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे मे एक लेख
लिलखा। १९२१ में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किकया। इस प्रकार इस सभ्यता
का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया। यह सभ्यता लिसन्धु नदी घाटी मे फैली हुई थी इसलिलए
इसका नाम लिसन्धु घाटी सभ्यता रखा गया। प्रथम बार नगरों के उदय के कारर्ण इसे प्रथम
नगरीकरर्ण भी कहा जाता है प्रथम बार कांस्य के प्रयोग के कारर्ण इसे कांस्य सभ्यता भी
कहा जाता है। लिसन्धु घाटी सभ्यता के १४०० केन्द्रों को खोजा जा सका है जिजसमें से ९२५
केन्द्र भारत में है। ८० प्रकितशत्त स्थल सरस्वती नदी और उसकी सहायक नदिदयो के आस-
पास है। अभी तक कुल खोजों में से ३ प्रकितशत स्थलों का ही उत्खनन हो पाया है।
क के ुल निर्धारण 6 नगर
अब 3क भार ह्यीलर 3ीय उपमहाद्वीप में स्थित इस स भ्य3ा के ल गभग
1000 स्थान मार्शल ों का प3ा चल ा है र्विजन मार्शल में स्थित कुछ ही पर्विर ह्यीलर पक्व
अवस्था में स्थित पर ह्यीलर ् ाप्3 हुए हैं। इसका आभास उन्हें तब इन मार्शल स्थान मार्शल ों के केवल 6 को ही न मार्शल गर ह्यीलर
की स ंज्ञा दी जा3ी है। इसका आभास उन्हें तब ये हैं -
हड़प्पा मोहन मार्शल जोदाड़ो चन्हूदड़ों ल ोथल काल ीबंगा र्विहस ार ह्यीलर
बणावल ी
निवशे र्ष इम थानवी ारते ं
र्विस ध ं ु घाट मैके ी पर ह्यीलर ् दर्श
े में स्थित हुई खदु ाई कुछ महत्त्वपण ू
ध्वंस ावर्शेष ों के पर ह्यीलर ् माण र्विमल े हैं। इसका आभास उन्हें तब हड़प्पा की खदु ाई
में स्थित र्विमल े अवर्शेष ों में स्थित महत्त्वपण ू थे -
1.दुग
् ाचीर ह्यीलर
2.र ह्यीलर क्षा-पर ह्यीलर
ृ
3.र्विन मार्शल वास गह
ू र ह्यीलर े
4.चब3
5.अन्न मार्शल ागार ह्यीलर आर्विद । इसका आभास उन्हें तब
ु !
दग
न मार्शल गर ह्यीलर की पर्विश्चमी ट मैके ील े पर ह्यीलर स म्भव3ः यह सभ्यता स ुर ह्यीलर क्षा हे3 ु एक 'दुग' का र्विन मार्शल माण हुआ था र्विजस की उत्त शर्मा र ह्यीलर स े दर्विक्षण की
ओर ह्यीलर ल म्बाई 460 गज एवं पवू स े पर्विश्चम की ओर ह्यीलर ल म्बाई 215 गज थी। इसका आभास उन्हें तब ह्वील र ह्यीलर द्वार ह्यीलर ा इस ट मैके ील े को
'माउन्ट मैके ए-बी' न मार्शल ाम प्र ह्यीलर दान मार्शल र्विकया गया है। इसका आभास उन्हें तब दुग के चार ह्यीलर ो ं ओर ह्यीलर क़र ह्यीलर ीब 45 फीट मैके चौड़ी एक स ुर ह्यीलर क्षा प्र ह्यीलर ाचीर ह्यीलर का
र्विन मार्शल माण र्विकया गया था र्विजस में स्थित जगह-जगह पर ह्यीलर फाट मैके कों एव र ह्यीलर क्षक गहृ ों का र्विन मार्शल माण र्विकया गया था। इसका आभास उन्हें तब दुग का
मुख्य प्र ह्यीलर वेर्श माग उत्त शर्मा र ह्यीलर एवं दर्विक्षण र्विदर्शा में स्थित था। इसका आभास उन्हें तब दुग के बाहर ह्यीलर उत्त शर्मा र ह्यीलर की ओर ह्यीलर 6 मीट मैके र ह्यीलर ऊंचे 'एफ' न मार्शल ामक
ट मैके ील े पर ह्यीलर पकी ईट मैके ो ं स े र्विन मार्शल र्विम3 अठार ह्यीलर ह वत्त शर्मा ृ ाकार ह्यीलर चब3 ू र ह्यीलर े र्विमल े हैं र्विजस में स्थित प्र ह्यीलर त्येक चब3
ू र ह्यीलर े का व्यास क़र ह्यीलर ीब
3.2 मीट मैके र ह्यीलर है चब3 ू र ह्यीलर े के मध्य में स्थित एक बड़ा छे द हैं, र्विजस में स्थित ल कड़ी की ओखल ी ल गी थी, इन मार्शल छे दों स े जौ,
जल े गेहूँ एवं भस ू ी के अवर्शेष र्विमल 3े हैं। इसका आभास उन्हें तब इस क्षे3र ह्यीलर ् में स्थित र्श्र ह्यीलर र्विमक आवास के रूप में स्थित पन्द्र ह्यीलर ह मकान मार्शल ो ं की दो
पंर्विक्3यां र्विमल ी हैं र्विजन मार्शल में स्थित स ा3 मकान मार्शल उत्त शर्मा र ह्यीलर ी पंर्विक्3 आठ मकान मार्शल दर्विक्षणी पंर्विक्3 में स्थित र्विमल े हैं। इसका आभास उन्हें तब प्र ह्यीलर त्येक मकान मार्शल में स्थित
एक आंगन मार्शल एवं क़र ह्यीलर ीब दो कमर ह्यीलर े अवर्शेष प्र ह्यीलर ाप्3 हुए हैं। इसका आभास उन्हें तब ये मकान मार्शल आकार ह्यीलर में स्थित 17x7.5 मीट मैके र ह्यीलर के थे। इसका आभास उन्हें तब चब3 ू र ह्यीलर ों
के उत्त शर्मा र ह्यीलर की ओर ह्यीलर र्विन मार्शल र्विम3 अन्न मार्शल ागार ह्यीलर ो ं को दो पंर्विक्3यांर्विमल ी हैं, र्विजन मार्शल में स्थित प्र ह्यीलर त्येक पंर्विक्3 में स्थित 6-6 कमर ह्यीलर े र्विन मार्शल र्विम3 हैं,
दोन मार्शल ो ं पंर्विक्3यों के मध्य क़र ह्यीलर ीब 7 मीट मैके र ह्यीलर चौड़ा एक र ह्यीलर ास्3ा बन मार्शल ा था। इसका आभास उन्हें तब प्र ह्यीलर त्येक अन्न मार्शल ागार ह्यीलर क़र ह्यीलर ीब 15.24 मीट मैके र ह्यीलर
ल म्बा एवं 6.10 मीट मैके र ह्यीलर चौड़ा है। इसका आभास उन्हें तब
नगर तिनमा*ण योजना
इस सभ्यता की सबसे किवशेर्षों बात थी यहां की किवकलिसत नगर किनमा'र्ण योजना। हड़प्पा तथा मोहन् जोदड़ो दोनो नगरों के अपने दुग' थे जहां
शासक वग' का परिरवार रहता था। प्रत्येक नगर में दुग' के बाहर एक एक उससे किनम्न स्तर का शहर था जहां ईंटों के मकानों में सामान्य लोग
रहते थे। इन नगर भवनों के बारे में किवशेर्षों बात ये थी किक ये जाल की तरह किवन्यस्त थे। याकिन सड़के एक दूसरे को समकोर्ण पर काटती थीं
और नगर अनेक आयताकार खंडों में किवभक्त हो जाता था। ये बात सभी लिसन्धु बत्त्विस्तयों पर लागू होती थीं चाहे वे छोटी हों या बड़ी। हड़प्पा
तथा मोहन् जोदड़ो के भवन बड़े होते थे। वहां के स्मारक इस बात के प्रमार्ण हैं किक वहां के शासक मजदूर जुटाने और कर-संग्रह में परम
कुशल थे। ईंटों की बड़ी-बड़ी इमारत दे ख कर सामान्य लोगों को भी यह लगेगा किक ये शासक किकतने प्रतापी और प्रकितष्ठावान थे। मोहन जोदड़ो
का अब तक का सबसे प्रलिसद्ध स्थल है किवशाल साव'जकिनक स्नानागार, जिजसका जलाशय दुग' के टीले में है। यह ईंटो के स्थापत्य का एक सुन्दर
उदाहरर्ण है। यब 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा है। दोनो लिसरों पर तल तक जाने की सीदिढ़यां लगी हैं। बगल में
कपड़े बदलने के कमरे हैं। स्नानागार का फश' पकी ईंटों का बना है। पास के कमरे में एक बड़ा सा कुंआ है जिजसका पानी किनकाल कर होज़ में
डाला जाता था। हौज़ के कोने में एक किनग'म (Outlet) Outlet) है जिजससे पानी बहकर नाले में जाता था। ऐसा माना जाता है किक यह किवशाल स्नानागर
धमा'नुष्ठान सम्बंधी स्नान के लिलए बना होगा जो भारत में पारंपरिरक रूप से धार्मिमंक काय. के लिलए आवश्यक रहा है। मोहन जोदड़ो की सबसे
बड़ा संरचना है - अनाज रखने का कोठार, जो 45.71 मीटर लंबा और 15.23 मीटर चौड़ा है।
नगर किनमा'र्ण योजना
महु र ह्यीलर ें स्थित
स ैन्धव स भ्य3ा की कल ा में स्थित महु र ह्यीलर ों का अपन मार्शल ा र्विवर्विर्शष्ट मैके स्थान मार्शल था। इसका आभास उन्हें तब अब 3क क़र ह्यीलर ीब
2000 महु र ह्यीलर ें स्थित पर ह्यीलर ् ाप्3 की जा चक ु ी हैं। इसका आभास उन्हें तब इस में स्थित ल गभग 1200 अकेल े मोहन मार्शल जोदड़ो स े
ृ ाकार ह्यीलर रूप में स्थित र्विमल ी हैं। इसका आभास उन्हें तब
पर ह्यीलर ् ाप्3 हुई हैं। इसका आभास उन्हें तब ये महु र ह्यीलर े बेल न मार्शल ाकार ह्यीलर , वगाकार ह्यीलर , आय3ाकार ह्यीलर एवं वत्त शर्मा
महु र ह्यीलर ों का र्विन मार्शल माण अर्विधक3र ह्यीलर स ेल खड़ी स े हुआ है। इसका आभास उन्हें तब इस पकी र्विमट्ट मैके ी की मर्विू 3यों
का र्विन मार्शल माण 'र्विचकोट मैके ी पद्धर्वि3' स े र्विकया गया है। इसका आभास उन्हें तब पर ह्यीलर कुछ महु र ह्यीलर ें स्थित 'काचल र्विमट्ट मैके ी', गोमेद,
चट मैके और ह्यीलर र्विमट्ट मैके ी की बन मार्शल ी हुई भी पर ह्यीलर ् ाप्3 हुई हैं। इसका आभास उन्हें तब अर्विधकांर्श महु र ह्यीलर ों पर ह्यीलर स ंर्विक्षप्3 ल ेख, एक
ं ृ ी, स ांड, भैंस , बाघ, गैडा, र्विहर ह्यीलर न मार्शल , बकर ह्यीलर ी एवं हाथी के र्विच3र ह्यीलर ् उकेर ह्यीलर े गये हैं। इसका आभास उन्हें तब इन मार्शल में स्थित स े
र्शर ह्यीलर ् ग
स वार्विधक आकृर्वि3याँ एक र्शर ह्यीलर ् ग ं ृ ी, स ांड की र्विमल ी हैं। इसका आभास उन्हें तब ल ोथल ओर ह्यीलर देर्शल पर ह्यीलर ु स े 3ांबे की
महु र ह्यीलर े र्विमल ी हैं। इसका आभास उन्हें तब
गहने एवं मुहरें
कृतिर्षों ए&ं पशुपालन
आज के मुकाबले लिसन्धु प्रदे श पूव' में बहुत ऊपजाऊ था।
लिसन्धु की उव'रता का एक कारर्ण लिसन्धु नदी से प्रकितवर्षों' आने वाली बाढ़ भी थी।
लिसन्धु घाटी सभ्यता के लोग गेंहू, जौ, राई, मटर, ज्वार आदिद अनाज पैदा करते थे।
वे दो किकस्म की गेँहू पैदा करते थे। बनावली में चिमला जौ उन्नत किकस्म का है।
इसके अलावा वे कितल और सरसों भी उपजाते थे। सबसे पहले कपास भी यहीं पैदा
की गई।
इसी के नाम पर यूनान के लोग इस लिसन्डन (Indus Valley Civilization) Sindon) कहने लगे।