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3रेसंस्कृत सुभाषिते वर्ष
3रेसंस्कृत सुभाषिते वर्ष
3रेसंस्कृत सुभाषिते वर्ष
भािानुिाद-
िरीण मत्स्य आवणक सज्जन| वकती सोिे जगण्याचे साधन
गित िाणी सांतोष अन मनी | एिढीच साधीशी मागणी
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सससस सससससस सससस सससस सससससससससससससससस
ससससससससससस सससससससस ससससससससससस सससससससससससससस
ससससससससससससससससससससससस
The taste of the food chewed by the teeth is enjoyed by the tongue! This is the nature of the
innocent people, they suffer to accomplish the work of the others.
सससस ससससस ससससस सससस ससस, सससस ससससस सस ससससस ससस सससस
सससस ससस ससससससस ससससस सस सससससस ससस, सस सससससस सस ससस
सस ससस सससस ससससस सससस 2
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सससससस ससससससस ससस सससस सससससस सससससस सससससससससस
ससससस सससससससससससससससससससससससस ससससस स सससससससस
सससससससससससससससससससससस
Evil person uses his knowledge for argument, wealth for insolence, strength for tormenting others;
whereas the noble person uses the same for social awareness, financial help to the needy people
and protecting the weak, respectively.
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सससससस सससससससस स ससससससस सससससससससस
सससससससस सससस ससससस सससससस सससससससससस
Vast difference is seen between poison and sense objects. Poison destroys the one who consumes
it. to be fatal but the sense objects destroy the person even due to just constantly thinking about
them.
सससस ससस ससस सस ससससस सस ससस सससस सससस ससससस सससस सससस
ससस सस सससस सस सस सससससससस सस सससस सससस ससस, ससससस सससस
सस सससस सससससस ससससस सससस सस सस सससस सस सससस सससस
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सससस ससससससस सससससससस सससससस स ससससससससस
सससससस सससससससससससससस ससससस सससससस सससससस
सससससससससस
(Just as) lamp eats (destroys) darkness and produces (black) soot, in the same manner (quality of)
food (man) eats daily, has an influence on his offspring's nature.
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ससससससससससस सससससससससस सससस सससससस स ससससससस
ससससससससससस सससससससससस सससस सससससस स ससससससस
सससससससससससस सससस ससससससससससससससस ससससस स
ससससससससस ससससससससससससससससससस ससससससससससस ससससस
ससससससससससससससससससससससस सससससससस ससससस स
सससस
आजिर सांत मिां ताां नी या एका विषयािर खूि वििेचन केले सांगत वि नेिमी
चाां गल्याचीच करािी सांताांची करािी असां म्हटलांय तुक्कोबाराय म्हणतात ! सांत सांगतीचे काय
साां गू सुख ! म्हणजे सुख िे सांताां चा वकिा अवधकारी मिात्म्याच्या सांगतीतच असत िे लक्षात
घेतलां िाविजे याउलट जर दृष्ाां ची सांगत केली वक जीिनाचा नाश िोतो तुकोबाराय म्हणतात
! ढे कणाच्या सांगे विरा जो भांगला ! म्हणजे जसा एखादा विरा आणी एक ढे कुण एका
डब्बी मध्ये बांद करून ठे िलात तर सकाळ ियं त त्याच िाणी िोत म्हणू न सांगत वि
सांताां चीच, सज्जनाां चीच करािी, सांताां च्या सांगतीत अत्मोधार िोतो जीिन सफल िोत तर दृष्
व्यक्ी ांच्या सििासात जीिनाचा ऱ्िास िोतो.
सुभावषतकार फार छान वलवितात -
सन्तप्तायवस सांस्थितस्य ियसो नामावि न ज्ञायते
मुक्ाकारतया तदे ि नवलनीित्रस्थितां राजते ।
स्वात्याां सागरशुस्क्मध्यिवततां सन्मौस्क्कां जायते
प्रायेणोत्ममध्यमाधमदशा सांसगजतो जायते ॥
अिज : तािलेल्या लोखांडािर िडलेल्या िाण्याचा मागमूस सुद्धा रािात नािी. [िण] तेच
िावण जर कमळाच्या िानािर असले तर मोत्याच्या आकाराचे [सुांदर ] वदसते . तेच [िावण
] स्वाती नक्षत्राच्या िािसात समुद्रात दोन वशम्पल्याां मध्ये िोचले तर त्याचां सुांदर मोती तयार
िोतो. सामान्यतः उत्कृष् , मध्यम आवण िीन अशा अिथिा सििासामुळे लाभत असतात.
म्हणून सदा सांगती सज्जनाची धरािी
िृत्ातली कविता, िृत्ाच्या िारां िाररक लक्षणगीताने व्यक्िलेल्या चालीतच म्हटली जात असते .
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लक्षणगीतः
आिे िृत् विशाल त्यास म्हणती शादू ज लविक्रीवडत
मा सा जा स त ता ग येवत गण िे िादास की जोवडत
मानािा समरा जनास समरा ताराि ताराि गा
मानािा समरा जनास समरा ताराि ताराि गा
उर्ाहरणः
सन्तप्तायवस सांस्थितस्य ियसो नामावि न ज्ञायते ।
मुक्ाकारतया तदे ि नवलनीित्रस्थितां राजते ॥
स्वात्याां सागरशुस्क्मध्यिवततां तन्मौस्क्कां जायते ।
प्रायेणाधममध्यमोत्मगुणः सांसगजतो जायते ॥
– नीवतशतक, राजा भतृजिरी, विस्तिूिज-५६
तोयाचे िरर नाििी नच उरे सांतप्त लोिािरी ।
ते भासे नवलनीदलािरर ििा सन्मौस्क्काचे िरी ॥
ते स्वातीस्ति अस्ब्धशुस्क्िुटकी मोती घडे नेटके ।
जाणा उत्ममध्यमाधमदशा सांसगज योगे वटके ॥
– नीवतशतकाचा मराठी अनुवार्, िामन िांवडत (िामन नरिरी शेष), विस्तोत्र १७-िे
शतक
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