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अब पािक ान और उ र पि म भारत है ।
• रे िडयो काबन डे िटं ग के अनुसार, िसंधु घाटी स ता का काल 2500 – 1750 ई.पू. तक माना जाता है ।
• आर.बी. दयाराम साहनी ने 1921 म पहली बार हड़ ा (रावी पर) की खोज थी। आर.डी बनज ने 1922
म मोहनजोदड़ो या ‘मृतको का टीला’ (िसंधु पर) खोज की थी। सर जॉन माशल ने इन दोनों खोजों म एक
co
मह पू ण भूिमका िनभाई।
• हड़ ा स ता भारत के आ इितहास के भागों के पों म है और यह कां युग अंतगत आता है ।
• इस स ता के लोग तां बा, पीतल, चां दी, सोने के बारे म जानते थे, लेिकन इ लोहे का ान नहीं था।
• िसंधु-घाटी लोग ‘कपास’ और ‘ऊन’ दोनों के उपयोग से अ ी तरह से प रिचत थे।
•
•
n.
हाथी िनि त प से पालतू थे। ऊंट दु लभ था और घोड़े के बारे म कोई जानकारी नहीं थी।
िसंधु घाटी स ता नगर िनयोजन:
िव ृत शहर की योजना थी। इसम ि ड णाली का पालन िकया गया था। सड़क अ ी तरह से काटी
गई थी। नगर एक बड़े आयत या वग के ख ों म िवभािजत थे।
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• िनमाण साम ी के प म अ ी गु णव ा की पकी ई ईंटों का इ े माल िकया गया था। समकालीन िव
मअ िम ी की ईंटों का इ ेमाल िकया जाता था।
• मोहनजोदड़ो म, एक बढ़ा ानागार (िवशाल) पाया गया, िजसकी माप 12मी एवं गहराई 2.4 मी थी।
सतह के दोनों छोरों पर सीिडयां थीं िजसके साथ व बदलने के कमरे थे। साथ कमरे से बदल रहा है । यह
संभवतः धािमक ान से संबंिधत हो सकता है ।
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• कालीबंगा (राज थान) म घ र नदी के िकनारे थत था, जो सिदयों पहले सूख चुकी है ।
• लोथल, खंभात की खाड़ी पर है ।
• बनावाली (ह रयाणा) अब िवलु हो चुकी सर ती नदी के तट पर थत था।
• सुरकोटड़ा (गु जरात) क के रण के मुहाने पर है ।
• धोलावीरा (गु जरात) क िजले म खुदाई के दौरान खोजा गया।
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• लोथल म एक जहाज बनाने का थान(पोतगाह) की खोज की गई। रं गपुर, सोमनाथ और बालाकोट बं दरगाहों
के प म काय करते थे। Sutkagendor & Sutkakoh functioned as outlets.
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ह।
भारत म बौ धम
•बु का ज नेपाल म (किपलव ु के िनकट) लु नी म वैशाख पू िणमा के िदन 563 ईसा पू व म आ था।
• उनके िपता सु ोदन ‘शक’ शासक थे।
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• उनकी माँ (महामाया, कोशल वंश की) का, उनके ज के 7 िदन बाद ही िनधन हो गया। उनकी सौतेली माँ
गौतमी ने उनका लालन-पालन िकया।
• 16 वष की आयु म यशोधरा से इनका िववाह आ। इ ोने 13 वष तक िववािहत जीवन िजया और इनका
एक पु था िजसका नाम रा ल था।
• 29 वष की आयु म स की खोज(महाभीिन मण या महान ाग भी कहा जाता है ) के िलए इ ोंने ह
ाग िकया( च ा सारिथ और अपने पसं दीदा घोड़े कंतक के साथ) और 6 वष तक भटकते रहे ।
• बु ने 35 वष की आयु म मगध (िबहार) “गया” म पीपल वृ के नीचे 'िनवाण' या ान ा िकया।
• 23 व तीथकर पा नाथ ( ितक-सां प) बनारस के राजा अ सेन के पु थे। उनकी मु िश ाएं थी िहं सा न
करना, झूट न बोलता, चोरी न करना और अिधकार या क ा न करना।
• 24 व और आ खरी तीथकर वधमान महावीर (शेर : तीक) थे।
वधमान महावीर इितहास:
• वह 599 ई.पू . म कु ाम ( िबहार म मुज़फरनगर िजले म) म पैदा ए थे।
• उनके िपता िस ाथ ाि का कबीले के मुख थे। उसकी माँ ि शला, वैशाली, (िल वी) के राजकुमार चे तक
की बहन थी।
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• महावीर िब सार से संबंिधत था।
• यशोदा से िववािहत थे, इनकी पु ी का नाम ि यदशना था, िजसका पित जमाली उनका पहला िश बन गया
था।
•30 वष की आयु म, उनके माता-िपता की मृ ु के बाद, वह स ासी बन गया।
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• अपने स ास के 13 व वष (वैशाख के 10 व िदन) ज क ाम शहर उ परम ान (कैव ) की ा
ई।
• उ जैन, िजते और महावीर कहा जाता था और उनके अनुयािययों को जै न नािमत िकया गया। इसके
अलावा, उ अ रहं त की उपािध दी गई अथात यो ।
• 72 वष की आयु म, 527 ईसा पू व म, पटना के पास पावा म मृ ु को ा हो गए।
नोट: जैन धम म, तीन र (ि र ) िदए ए ह और उ िनवाण के िलए रा ा कहा जाता है । वे सही िव ास,
सही ान और सही आचरण ह।
जैन संिगितयों का इितहास: n.
• पहली संिगित: तीसरी शता ी ईसा पू व की शु आत म सथु लभा ा ारा पाटिलपु म आयोिजत की गई। यह
12 अंग के संकलन के प रणाम प 14 पव को बदलने के िलए थी ।
•दू सरी संिगित: यह दे व रधगनी के नेतृ म पां चवीं शता ी ई ी म, व भी (गु जरात) म आयोिजत की गई
ya
थी।
मगध सा ा
• मगध सा ा की अविध: 6 वी ं सदी - 4 शता ी ई.पू. थी।
• मगध सा ा का िव ार: मगध को पटना के पू व िजलों, गया और शाहाबाद के कुछ िह ों को िमलाने से
उस समय के मुख रा होने की वृ ई।
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• हयक वंश: मूलतः 566 ईसा पू व िब सार के दादा ारा, थािपत िकया गया था लेिकन वा व म िव सार
ारा इसकी नींव रखी गई।
मगध के राजा िब सार (544 ईसा पू व - 492 ईसा पू व):
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• बु के समकालीन।
• उसकी राजधानी राजगीर (िग रवराज) थी।
• उनकी राजधानी पाँ च पहािड़यों से िघरी थी जो सभी िदशाओं से प रों की दीवारों से ढका था, इसी
को राजगीर बनाया।
अजातश ु का इितहास (492 ईसा पू व - 460 ई.पू .):
• िब सार का पु , अपने िपता को मारने के बाद, िसं हासन पर क ा िकया।
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िशशुनाग वंश:
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अले डर का भारत पर आ मण
अले डर (356 ईसा पू व - 323 ईसा पू व) मै िसडोिनया ( ीस) के िफिलप का पु था िजसने 326 ईसा
पू व म भारत पर आ मण िकया था।
उस समय एनड ू इं िडया कई छोटे तं रा ों म त ील हो गया जैसे त शीला, पं जाब (पोरस
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रा ), गां धार आिद।
पोरस को छोड़कर िजसने अले डर के साथ हाइड ेश (झेलम के तट पर) की िस लड़ाई लड़ी,
अ सभी राजाओं ने न प से अधीनता ीकार कर ली।
जब अले डर ास पर प ंचे, तो उसके सैिनकों ने आगे जाने से मना कर िदया, इसिलए उसे पीछे हटने
के िलए मजबूर होना पड़ा।
अपनी अ नेता को िचि त करने के िलए, उसने ास के उ री तट पर 12 िवशाल प र की वेिदयां
खड़ी की।
मौय राजवंश
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चाण की सहायता से , िजसे कौिट या िव ु गु के प म जाना जाता है , उ ोंने नं दों को उखाड़
िदया और मौय वंश के शासन की थापना की।
एक िवशाल सा ा का िनमाण, िजसम न केवल िबहार और बं गाल के अ े भाग शािमल थे ब
पि मी और उ र पि मी भारत और द न भी शािमल थे।
यह जानकारी मेगा थनीज़ (एक ीक राजदू त िजसे से ूकस ारा चं गु मौय के दरबार मेम भेजा गया
था) ारा रिचत पु क इं िडका म िमलती है । हम कौिट के अथशा से भी िववरण ा हो सकता है ।
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चं गु ने जैन धम को अपनाया और भ बा के साथ वणबे लागोला (मै सूर के पास) के पास गए, जहां
धीरे -धीरे भूख के कारण उनकी मृ ु हो गई।
िब दु सार का इितहास (297 – 273 BC):
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किलंग यु इितहास:
(261 ईसा पू व, जो ते रहवी ं रॉक िफ ी म विणत है ): इअने जीवन के ित उनके ि कोण को बदल
िदया िजसके के बाद अशोक ने बौ धम ीकार िकया।
मौय सा ा के पतन के कारण:
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भारत म संगम युग
चोलों का इितहास
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इस राजवंश को चोलमानंदलम या कोरोमंडल कहा जाता था। मु क ऊ रयू र था, जो कपास के ापार
के िलए िस था। पूं जी कवेरीप णम/ पु हड़ थी।
एलारा नामक एक चोल राजा ने ीलंका पर िवजय ा की और 50 वष तक शासन िकया।
क रकला उनके िस शासक थे।
धन का मु ोत सूती कपड़े का ापार था। उ ोंने एक कुशल नौसे ना बनाए रखी थी।
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सा ा भारत का ण युग
n. गु राजवंश
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उ ई।
मंगोल जनजाित, नस के साथ यु के दौरान कुमारगु का िनधन हो गया।
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कुमारगु -I का उ रािधकारी ं दगु था।
सुदशन झील पु न: थािपत की।
उनकी मृ ु के बाद, गु के महान िदन समा हो गए। सा ा जारी रहा लेिकन क ीय िनयं ण
कमजोर हो गया और थानीय रा पाल उ रािधकारी अिधकारों के साथ सामंती शासक बन गए।
भारत म गु सािह :
कािलदास, महान सं ृ त नाटककार, इस अविध के थे। उनकी कृितयाँ ह: अिभ ानशुक म, (िव म
n.
सबसे अ ी सािह क रचनाओं म से एक के प म माना जाता है और यू रोपीय भाषा म अनुिदत होने
वाले सबसे पहले भारतीय सािह म से एक, बाद इसके भगव ीता का अनुवाद आ)ऋतुस ारा,
मेघदू तुम, कुमारसंघवम, मालिवकगिनिम म, रघु वंश, िव मोवशी आिद। इनम से , ऋतु स ारा, मेघदू त,
रघुवंश महाका ह और शेष नाटक ह।
ya
िवशाखद ने मु ा स और दे िवचं गु की रचना की।
िव ु शमा ने पंचतं और िहतोपदे श की रचना की।
गु अविध म पािणनी और पतंजिल पर आधा रत सं ृ त ाकरण का िवकास भी दे खा गया।
रामायण और महाभारत लगभग चौथी शता ी ई ी ारा लगभग पू रा हो गए थे।
अ राजवंश और शासक (7वी ं शता ी –12 वी शता ीAD)
हषवधन का इितहास (AD 606 – 647)
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म कालीन भारत
750-1200 ई ी के म भारत
इस काल को भारतीय इितहास म पू व म काल के नाम से जाना जाता है .
प रचय
इस काल को िन दो िह ों म बांटते ह :-
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(a) 750-1000 ई ी; (b) 1000-1200 ई ी
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संघष” के नाम से जान गया.
प व वंश
n.
1) दि ण भारत म प व वंश का उदय उस समय आ जब सातवाहन वंश अपने पतन की ओर था.
2) िशव ं दवमन को प व वंश का सं थापक माना जाता है .
ya
3) प व शासकों ने अपने शासनकाल म कांची को अपनी राजधानी बनाया.
4) इस काल के मुख शासक थे : िसंघवमा थम, िशव ं दवमन थम, वीरकुच, शा वमा ि तीय, कुमािव ु
थम, िसंघवमा ि तीय, और िव ुगोप.
िव ुगोप के बारे म खा जाता है िक वह समु गु से यु म परािजत हो गया था िजसके बाद प व कमजोर
पड़ गए.
5) िसंह वमा ि तीय के पु , िसंह िव ु ने 575 ई. म चोलों/काल की स ा को कुचलकर अपने सा ा की
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पु न थापना की.
6) 670 म, परमे र वमा थम ग ी पर बै ठा. उसने चालु रजा िव मािद थम को आगे बढ़ने से रोका.
हालाँ िक चालु ों ने प वों के एक अ िस श ु पां राजा अ रकेसरी मारवमा से हाथ िमला िलया और
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11) नंदीवमा तृ तीय का उ रािधकारी नृपतुंगवमा था िजसके दो भाई अपरािजतवमा और कंपवमा थे.
चोल राजा ने अपरािजतवमा को प व रा म गृ हयु छे ड़ने के िलए भड़काया. बाद म अपरािजत वमा
िसंहासन पर बै ठा.
चालु
कनाटक शासक, चालु ों के इितहास को तीन कालों म बां टा जा सकता है :
1) ारं िभक पि म काल (छठी – 8वी ं शता ी) बादामी (वातापी) के चालु ;
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2) प ात् पि म काल (7वी ं – 12वी ं शता ी) क ाणी के चालु ;
3) पू व चालु काल (7वी ं – 12वी ं शता ी) वगी के चालु
1. पुलकेिशन थम (543-566) बादामी चालु वंश का थम शासक था िजसकी राजधानी बीजापु र म
वातापी थी.
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2. कीितवमा थम (566-596) उसका उ रािधकारी था. जब इसकी मृ ु ई तब राजकुमार पु लकेिशन
ि तीय ब ा था इसिलए िसंहासन खाली रहा और राजा के भाई मं गलेश (597-610), को संर क शासक
के प म िनयु िकया गया. कई वष तक उसने राजकुमार की ह ा के कई असफल यास िकए िक ु
अंततः राजकुमार और उसक िम ों ारा यं की ह ा करवा ली.
3. पु लकेिशन थम का पु , पुलकेिशन ि तीय (610-642), हषवधन का समकालीन था और चालु का
सबसे िस रजा आ. उसका शासनकाल कनाटक के इितहास का सव े समय माना जाता है . उसने
नमदा के तट पर हषवधन को परािजत िकया.
गया.
1) दि ण भारत म शासन करने वाले सबसे पु राने वंशों म से एक पा भी थे. इनका वणन कौिट के
अथशा और मेग थनीज के इं िडका म भी िमलता है .
2) इनका सबसे िस शासक नडूजेिलयन था िजसने मदु रई को अपनी राजधानी बनाया.
3) पा शासकों ने मदु रई म एक तिमल सािह क अकादमी की थापना की िजसे सं गम कहा जाता है .
उ ोंने ाग के वैिदक धम को अपनाया और ा ण पुजा रयों का सं र ण िकया. उनकी श एक जनजाित
‘काल ’ के आ मण से घटती चली गई.
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4) छठी सदी के अंत म एक बार पु नः पां ों का उदय आ. उनका थम मह पू ण शासक दु दुं गन (590-
620) था िजसने काल ों को पर कर पां ों के गौरव की थापना की.
5) अंितम पां राजा परा मदे व था जो दि ण म िव ार की ि या म उसफ़ खान (मु ह्हमद-िबन-तु गलक़
का वायसराय) ारा परािजत िकया गया.
चोल (9वी ं – 13वी ं शता ी)
1) चोल वंश दि ण भारत के सबसे िस वंशों म से एक है िजसने तं जौर को अपनी राजधानी बनाकर
तिमलनाडु और कनाटक के कुछ िह ों पर शासन िकया.
2) आरं िभक चोल शासक का रकाल चोल थे िज ोंने दू सरी शता दी म शासन िकया.
3) 850 म पा -प व यु के दौरान िवजयालय ने तं जौर पर अपना आिधप जमा िलया. अपने
रा ािभषेक को सफल बनाने के िलए इसने तं जौर म एक मं िदर बनवाया. इस दौरान वणबेलगोला म
गोमाते र की एक िवशाल ितमा भी थािपत कराई गई.
4) िवजयालय का पु आिद थम (871-901)उसका उ रािधकारी बना.
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5) राजराज थम (985-1014) के शासन के दौरान चोल अपने शीष पर थे. उसने रा कूटों से अपना े
वापस छीन िलया और चोल शासकों म सवािधक श शाली बन गया. उसने तं जावुर (तिमलनाडु ) म भगवान
िशव का एक सु र बनवाया. यह उसके नाम से राजराजे र कहलाया.
6) राजराज थम का पु , राज चोल (1014-1044), इस वंश का एक अ मह पू ण शासक था िजसने
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उड़ीसा, बं गाल, बमा और अंडमान एवं िनकोबार ीप पर अपना आिधप थािपत कर िलया. इसके
शासनकाल के दौरान भी चोल वंश की िस चरम पर थी.
इसने ी लंका पर भी अपना क ा िकया था.
7) कुलो ुंग थम (1070-1122) एक अ मह पू ण चोल शासक था. कुलो ुंग थम ने दो सा ा ों वगी के
पू व चालु और तं जावुर के चोल सा ा को जोड़ िदया. आिद सदी के ल े शासन के बाद 1122
ई.कुलो ुंग थम की मृ ु हो गई और उसका पु िव म चोल, िजसे ागसमु भी कहते थे, उसका
उ रािधकारी बना.
n.
8) चोल वंश का अंितम शासक राज तृ तीय (1246-79) था. वह एक कमजोर शासक था िजसने पां ों के
सम समपण कर िदया. बाद म मािलक काफूर ने 1310 म इस तिमल रा पर आ मण कर िदया और चोल
सा ा समा हो गया.
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रा कूट
1) दं तीदु ग (735-756) ने इस सा ा की थापना की. रा कूटों ने चालु ों को उखड फका और 973 ई.
तक शासन िकया.
2) दं तीदु ग का उ रािधकारी कृ थम (756-774) बना. कृ थम ने िवड़ शैली के एलोरा के िस
कैलाशनाथ मंिदर का िनमाण करवाया.
3) इस वंश के अ शासक थे गोिव ि तीय (774- 780), ुव (780-790), गोिव तृतीय (793-814) और
g
c) नागभ थम, के बाद ितहारों को लगातार हार का सामना करना पड़ा िजसम इ सवािधक रा कूट
शासकों ने परािजत िकया.
d) ितहार श , िमिहरभोज, जो भोज के नाम से िस था, की सफलता के बाद अपना खोया गौरव पु नः पा
सकी.
e) उसके िव ात शासन ने अरबी या ी सुलेमान को आकिषत िकया था.
f) िमिहरभोज का उ रािधकारी महे पाल थम था िजसकी मु ख उपल मगध और उ री बं गाल पर
अपना आिधप था. उसके दरबार का िस ले खक राजशे खर था िजसने अनेक सािह क रचनाएँ िलखी -
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1) कपू रमंजरी, 2) बालरामायण, 3) बाला और भरता, 4) का मीमां सा
g) महे पाल की मृ ु के साथ ही िसंहासन के िलए संघष शु हो गया. भोज ि तीय ने ग ी क ा ली लेिकन
ज ही, सौतेले भाई मिहपाल थम ने खुद को िसंहासन वा रस घोिषत कर िदया.
रा कूट शासक इ तृतीय के द न वापसी से मिहपाल को उसके आ मण से लगे घातक झटके से सँ भलने
co
का मौका िमला. मिहपाल का पु और उ रािधकारी, महे पाल थम अपने सा ा को बनाये रखने म
कामयाब रहा.
के िलए
n.
4) गोपाल का उ रािधकारी धमपाल बना िजसने पाल रा को महानता पर प ँ चाया. उसके नेतृ म रा
का िव ार आ और लगभग समपूण बं गाल एवं िबहार उसका िह ा बन गए.
5) 32 वष के शासन के बाद धमपाल की मृ ु हो ओ गई और वो अपना िव ृ त सा ा अपने पु दे वपाल
छोड़ गया.
ya
6) दे वपाल 810 म ग ी पर बै ठा और 40 वष तक शासन िकया. उसने ाग ोितषपु र (असम), उड़ीसा के
े ों और आधुिनक नेपाल के े ों पर अपना िनयं ण थािपत िकया.
7) उसने िस बौ लेखक ह रभ को सं र ण िदया. बौ किव और लोके रशतक के लेखक व द ,
दे वपाल के राजदरबार म िवभू िषत होते थे.
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g) संभवतः रामचं अंितम यादव शासक था.
मािलक काफूर ने आसानी से कंकरदे व को परा कर ह ा कर दी और यादव रा को अपने क े म ले
िलया.
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गजनवी के आ मणकारी
पंजाब और िसंध पर क ा
a) मुह द गोरी ने अपना पहला अिभयान 1175 ई. म शु िकया. वह मु ान की ओर बढ़ा और मु ान पर
अिधकार कर िलया. इसी समय उसने भाित राजपू तों से उ छीन िलया.
sc
b) 3 वष बाद 1178 ई. म वह पु नः गुजरात क ाने के िलए बढ़ा लेिकन गुजरात के चालु शासक भीम
ि तीय ने उसे अिहलवाड़ा के यु म बु री तरह परािजत िकया. ले िकन 1190 ई. म इसने मु ान, पं जाब और
िसंह को सुरि त कर गं गा के दोआब म एक जोरदार हमले के िलए माग श िकया.
िद ीस नत की थापना और िव ार
S
तराइन का थम यु (1191ई.)
1191ई. म तराइन म लड़े गए थम यु म गोरी की से ना बु री तरह परा ई और वह मरते मरते बचा.
पृ ीराज ने भिटं डा पर अिधकार तो जमा िलया िक ु उसने िकले म से ना की पया व था नही ं की. इसने
गोरी को, अपनी सेना को पु नः इक ा कर भारत पर एक और आ मण का मौका दे िदया.
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सं ा म भारतीय यो ा मारे गए.पृ ीराज ने भागने का यास िकया िक ु सरसुती के िनकट पकड़ा गया.
तु क सेना ने हां सी, सरसुती और समाना के िकले अपने क े म ले िलए. िफर वे िद ी और अजमेर की और
बढ़े . तराइन के बाद गोरी गजनी लौट गया और भारत का शासन अपने िव सनीय दस् क़ुतुबु ीन एबक को
सौंप गया.
co
1194 ई. म मुह द गोरी पुनः भारत लौटा. उसने 50,000 घुड़सवारों के साथ यमुना पार की और क ौज की
और बढ़ा. उसने क ौज के शासक जयचंद को च ावर को परािजत िकया.
इस कार, तराइन और च ावर के यु ों ने उ री भारत म तु क शासन की नींव रखी. 1206 ई. म गोरी की
मृ ु हो गई लेिकन इसका यह अथ कतई नहीं था िक भारत म तु क शासन समा हो गया था, वह अपने पीछे
अपने गुलाम सेनापित कुतुबु ीन ऐबक को छोड़ गया था जो िद ी स नत का पहला सुलतान बना.
िद ी स नत
n.
मुह द गोरी की ह ा के बाद, िद ी का िनयं ण क़ुतुबु ीन ऐबक के हाथों म आ गया.
इस काल को पां च अलग-अलग कालों म बां टा जा सकता है . ये ह:-
1. गु लाम वंश (1206-90)
2. खलजी वंश (1290-1320)
ya
3. तु गलक़ वंश (1320-1414)
4. सैयद वंश (1414-51)
5. लोदी वंश (1451-1526).
गुलाम वंश
g
• ऐबक सीखने म िव ास करता था. उसने ‘ताज-उल-म र’ के लेखक हसन-उन-िनजामी और ‘ता रख-ए-
मुबारक शाही’ के लेखक फख ीन का संर ण िकया.
m
• उसने ार शाह को शरण दे ने से इनकार कर, मं गोल शासक चं गेज़ खान से िद ी स नत की र ा
की, जो ा र का पीछा कर रहा था.
• उसने चांदी का िस ा (टं का) और तां बे का िस ा (जीतल) चलाया.
• उसने इकता णाली की शु आत की और नाग रक शासन एवं से ना म सुधार िकए िजनका वेतन भुगतान
co
और भत अब के ीय र से की जाने लगी थी.
• उसने गु लामों के एक अिधका रक गुट गठन िकया िजसे चहलगानी/चालीसा (40 लोगों का समूह) कहा जाता
था.
• उसने ऐबक ारा शु कराए गए क़ुतुब मीनार के िनमाण को पूरा करवाया.
• उसने ‘तबाक़त-ए-नािसरी’ के लेखक ‘िमनाज-उस-िसरज’ को संर ण िदया.
कनु ीन : 1236
गया था.
n.
• वह इ ुतिमश का बे टा था और अपनी माँ , शाह तुकान ारा, इ
• इ ुतिमश का तीसरा बेटा बहराम शाह, श शाली तुक अमीरों के गु ट चालीसा ारा ग ी पर िबठाया गया.
• बाद म वह तु क अमीरों ारा मार िदया गया.
m
गयासु ीन बलबन : 1266-87
• नािस ीन के मौत के बाद; 1266 म बलबन ग ी पर बै ठा.
• इसने चालीसा की श समा कर दी और ताज की ित ा को पु न थािपत िकया. इसने इसने शासन बंध
co
को बे हतर बनाया.
• बलबन की शासन व था पारी दरबार मॉडल से भािवत थी. उसने िजल-ए-इलाही (ई र की छाया) की
उपािध ली.
• उसने िसजदा(स ाट को सा ांग णाम) और पैबोस (स ाट के पैर चूमना) था शु करवाई.
• खुद को िजल-ए-इलाही (ई र की छाया) कहके राजा के अिधकारों को दै वी अिधकार बताया.
• उसने ाय और कानून व था बनाने पर अ िधक बल िदया.
• उसने सै िवभाग दीवान-ए-अज़ बनाया.
n.
• अपने अंितम िदनों म, अपने बड़े और सबसे ि य पु , मुह द की मौत के कारण वह स नत के काय की
अनदे खी करने लगा. उसके नजदीकी और ि य गु लाम तु ग रल के िव ोह ने भी उसे परे शान कर िदया.
मुह द, मंगोलों के खलाफ लड़ते ए 1285 म मारा गया और तु ग रल को पकड़ कर मौत की सजा दे दी गई.
ya
कैकुबाद : 1287-90
• यह बलबन का पोता था और िद ी के कोतवाल फख ीन ारा ग ी पर बै ठाया गया था.
• लेिकन कैकुबाद की ह ा अमीर कैमूर ने कर दी.
• कैकुबाद का छोटा बेटा ग ी पर 3 वष म बै ठा.
• वह अंितम इलबरी शासक था.
• खलजी अमीरों ने इसके खलाफ ां ित कर दी इसे तीन महीने म मार िदया.
g
जलालु ीन खलजी
• इसने खलजी वंश की थापना की.
• यह एक उदार शासक था और धािमक सिह ुता की नीित अपनाई.
• उसका दामाद और भतीजा अलाउ ीन खलजी था.
अलाउ ीन खलजी
S
• यह िद ी का पहला तुक सुलतान था िजसने राजनीित से धम को अलग िकया. इसने घोषणा की िक,
‘शासन कोई र ेदारी नही ं जानता’
• जलालु ीन खलजी के शासन म यह कड़ा का गवनर या सू बेदार था.
• इसने िसकंदर-ए-सैनी या दू सरा िसकंदर की उपािध धारण की.
• अलाउ ीन ने गु जरात (1298), रणथंभोर (1301), मेवाड़ (1303), मालवा (1305) और जालोर (1311) को
अपने अिधकार म कर िलया.
• द न म, मिलक काफूर के नेतृ म अलाउ ीन की से ना ने, रामच यादव (दे विगरी का यादव शासक),
ताप दे व (वारं गल का काकतीय शासक), वीर ब ाल तृतीय ( ासमु का होयसल शासक) और वीर
पा (मदु रई का पा शासक) को परािजत िकया.
• मिलक काफूर को मिलक नैयब के िख़ताब के नवाजा गया.
m
शासिनक और बाजार सुधार
• अमीरों ारा उ सम ाओं से बचने के िलए अ ाउदीन ने 4 अ ादे श जारी िकये. ये थे-
1. धिन यों की संपि छीनने का आदे श (इसका उ े धािमक िनिध और मु भूिम का अनुदान की
ज ी था).
co
2. गु चर िवभाग का गठन िकया गया.
3. शराब पर ितब लगाया गया.
4. अमीरों के मेल-िमलाप व आपसी वैवािहक संबंधों पर सुलतान की अनुमित अिनवाय कर दी गई.
• इसने दाग (घोड़ों को दागने) और चेहरा (सैिनकों का िलया रखने) की था ारं भ की.
• अलाउ ीन ने स ूण भूिम की पैमाइश का आदे श िदया और िफर उसम से रा का िह ा तय िकया.
• राज उगाही म सुधार के िलए दीवान-ए-मु खराज पद बनाया.
• उसने सभी व ु ओं की कीमत तय करने का यास िकया.
n.
• सभी व ुएं बे चने के िलए खुले बाजार म लायी जाती थीं िजसे सराय-अल-अदल कहते थे.
• उसने अनेक िकले बनवाए िजसम अलाई का िकला सबसे मह पू ण है . उसने क़ुतुब मीनार का वेश ार,
अलाई का दरवाजा भी बनवाया. इसने िद ी म हजार ख ों वाला महल हजार सुतून बनवाया.
• वह कला और िव ानों का संर क था. किव-सं गीतकार अमीर खु सरो उसके िस दरबारी किव थे.
ya
• 1316 ई. म अलाउ ीन की मृ ु के बाद मिलक काफूर ने ग ी क ा ली.
• अपनी मौत से पहले मिलक काफूर ने िशहाबु ीन (अलाउ ीन का छः साल का बे टा) को राजा िनयु िकया
और सबसे बड़े राजकुमार मुबारक खान को जेल म डाल िदया.
• काफूर अलाउ ीन के शाही प रवार के वफादारों ारा मार िदया गया.
• यह िजताईपाली, िजसे अलाउ ीन की मौत के बाद ग ी पर चढ़ाया गया था, का छोटा बे टा था.
• यह दरबारी षड़यं का िशकार बना और बाद म अँ धा कर िदया गया.
sc
तुगलक़ वंश
गयासु ीन तुगलक़
• कुराना जनजाित के गाजी मिलक या गयासु ीन तु गलक़ ने तु गलक़ वंश की थापना की.
• सु ान बनने से पहले वह दीपालपुर का सूबेदार था.
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• इसने अनाज के थान पर नगदी फसलों को ो ाहन िदया.
co
तं हो गया.
पांच योग
हो गया. अंततः मुह द-िबन-तु गलक़ को ये िस े वापस लेने पड़े . उसने पीतल के िस ों के बदले चांदी दे ने
का वादा िकया.
sc
गया था. ऐसा भी कहते ह िक अिभयान कुमाऊँ-गढ़वाल े की कुछ घुमंतू जनजाितयों के खलाफ था तािक
उ िद ी स नत के अंतगत लाया जा सके. पहला हमला तो सफल रहा िक ु वषा का मौसम ारं भ होने
के बाद आ मणकारी हमलावर हो गए.
• वह थ ा (िसंध) म अपने तुक गुलाम तग का पीछा करते ए मृ ु को ा आ.
m
• िफ़रोज़ ने क रपं थी उलेमाओं ारा गैर इ ािमक बताये गए सभी थाओं को बंद कराने का यास िकया.
इसीिलए उसने संतों के क ों पर, मिहलाओं को ाथना करने पर ितबं ध लगा िदया और महल से सब
िच कारी िमटा दी गई.
• िफ़रोज़ के समय म ही जिज़या एक अलग कर था.
co
• कृिष को बढ़ावा दे ने के िलए सुलतान िसंचाई पर ब त ान दे ता था. िफ़रोज़ ने नहरों की मर त करवाई
और हक-ए-शब नमक िसंचाई कर लगाया.
• वह एक अ ा भवन िनमाता भी था. उसने फते हाबाद, िहसार, जौनपुर और िफ़रोज़ाबाद शहर बसाये .
• अशोक के दो ंभ, एक टोपरा (हरयाणा) से और दू सरा मे रठ (उ र दे श) से िद ी मं गवाए.
• सुलतान ने िद ी म एक अ ताल, दार-उल-िशफ़ा की थापना की.
• गरीब लड़िकयों के िववाह के िलए एक नए िवभाग दीवान-ए-खैरात की थापना ई.
• तथािप उसका शासनकाल शां ित का माना जाता है और इसका ी उसके धानमं ी खान-ए-जहाँ मकबूल को
जाता है .
• 1388 ई. म इसकी मृ ु हो गई.
सैयद वंश
n.
ya
• ख खां (1414-21)
• मुबारक शाह (1421-34)
• मुह द शाह (1434-43)
• आलम शाह (1443-51)—यह अंितम सैयद शासक था िजसने िद ी पर बहलोल लोदी का दावा ीकार
कर स ा उसे सौंप दी और लोदी वंश की नींव पड़ी.
लोदी वंश
g
िलया था.
• इसने लोदी वंश की थापना की.
• इसके शासन म जौनपुर िद ी स नत म िमला िलया गया.
• इसने कृिष के िवकास म काफी िच िदखाई. इसने उपज भू िम को मापने के िलए 32 अंकों वाले गज-ए-
िसकंदरी (िसकंदर का गज) नाम से नए माप की शु आत की.
m
• बाबर ने सौदा मंजूर कर िलया और 1526 ई. म पानीपत के थम यु म लोिदयों को बु री तरह परा कर
िदया.
• यह यु थल म मारा जाने वाला िद ी स नत का एकमा सुलतान था.
co
2.2 स नतकालीन शासन
• स नत शासन म चार िवभाग मुख थे :-
दीवान-ए-िवजारत या िव िवभाग
दीवान-ए- रसालत या धािमक मामलों और अपीलों का िवभाग
दीवान-ए-अज़ या सै िवभाग
दीवान-ए-इं शा या शाही प वहार िवभाग
मुग़ल काल
S
बाबर
• भारत मुग़ल शासन की थापना बाबर ने 1526 ई. म रखी.
• वह िपतृ प से तै मूर का वंशज और मातृ प से चंगेज़ खां का वंशज था.
• वह इ ािहम लोदी के खलाफ, दौलत खां लोदी और आलम लोदी ारा भारत बु लाया गया था.
• उसने 21 अ ैल, 1526 ई. म इ ािहम लोदी को पानीपत के थम यु म हराकर मुग़ल वंश की थापना की.
• 1527 म उसने खानवा म मेवाड़ के राणा सां गा को हराया.
• 1528 म उसने चंदेरी के शासक मेिदनी राय को चंदेरी के यु म परा िकया.
• 1529 म उसने मुह द लोदी (इ ािहम लोदी का चाचा) को घाघरा के यु म परा िकया.
• 1530 ई. म आगरा म उसकी मृ ु हो गई. उसकी क लाहौर म है . केवल दो मु ग़ल बादशाहों, बाबर और
m
बहादु र शाह ज़फ़र की क वतमान भारत के बाहर है .
• वह भारत म बा द और तोपों का योग करने वाला पहला था.
• दो िस बंदूकची मु फा और उ ाद अली उसकी से ना म थे.
co
• उसने अपनी आ कथा ‘तुजुक-ए-बाबरी’ तुक म िलखी है .
• तु जुक-ए-बाबरी का, बाबरनामा नाम से पारसी भाषा म अ ु र रहीम खान-ए-खाना और अं ेजी म मदान
बे ि ज ने अनुवाद िकया गया है .
• उसने दो का सं ह, तु क भाषा म ‘दीवान’ और पारसी म ‘मुबइयान’ को कलमब िकया. उसने रसल-ए-
उसज़ या ख़त-ए-बाबरी की भीरचना की.
गया.
• अबुल फज़ल ने उसे इं सान-ए-कािमल कहा है .
• उसकी बहन, गु लबदन बे गम ने उसकी जीवनी मायु नामा की रचना की.
• उसने िद ी म दीन पनाह को अपनी दू सरी राजधानी बनाया था.
S
m
• इसके 5 वष के छोटे शासनकाल म आिथक हालात को सु ढ़ करने के िलए इसने एक बे हतर शासन, भू -
राज नीित और कुछ अ मानक थािपत िकये.
• इसने पया नाम से िस े चलाये िजनका पु रे सा ा म समान मानक के मानदं ड था.
co
• उसने सुचा संचार व था के िलए कई सड़क बनवाएँ . उसने ांड टं क रोड (जी.टी.रोड) का िनमाण
कराया जो कलक ा से पे शावर तक जाती थी. उसके शासन म बनवाई गईं अ सड़क थीं :
आगरा से मांडू
आगरा से जोधपुर और िच ोड़
लाहौर से मु ान
• उसने सा ा
जाते थे.
के िविभ िह
अकबर
sc
• मायूँ का बड़ा बेटा अकबर, जलालु ीन मुह द अकबर बादशाह गाजी की उपािध के साथ 14 वष की उ
म ग ी पर बै ठा.
• उसका राजितलक कलनौर म आ.
• पानीपत का दू सरा यु (5 नव र 1556 ई.) हे मू (मुह द आिदल शाह का िह दू से नापित) और बै रम खां
(अकबर का संर क) के बीच आ. इसम हे मू की पराजय ई और बैरम खां ारा उसकी ह ा कर दी गई.
S
• अपने शासन के ारं िभक वष म अकबर अपने सं र क बै रम खां और िफर अपनी माँ माहम अंगा के भाव
म रहा.
• अकबर पर माहम अंगा के भाव काल; 1560-62 को पे टीकोट सरकार का काल कहा जाता है .
• अकबर ने िविभ राजपूत रा ों जैसे अ े र बीकानेर, जैसलमे र और जोधपुर से वैवािहक संबंध थािपत
िकए.
• अकबर ारा िकये गए कुछ मुख सुधार थे :लड़कों और लड़िकयों के िववाह के िलए ूनतम आयु सीमा
बढाकर मशः 16 और 14 वष कर दी गई.
m
सती था पर ितबंध
• 24 वष की आयु म अकबर ने रा ारा भूिम कर इक ा करने के िलए दशाला णाली की शु आत की.
• अकबर के शासनकाल म मनसबदारी व था के तहत मनसबदारों को 66 वग म बाँ ट िदया गया. इस
co
व था ने िन िल खत सेवा शत िनधा रत की :
पद और थान
वेतन
घुड़सवारों की सं ा
• मु ा-मौलिवयों की धािमक क रता और n. िढ़वािदता के खलाफ़ िव ोह करते ए 1851 म अकबर ने एक
नए धम, दीं-ए-इलाही की घोषणा की. बीरबल इकलौता िह दू था िजसने इस धम को अपनाया.
• हालाँिक िदन-ए-इलाही लोकि य नही ं हो सका.
ya
• अकबर ने फतेहपुर सीकरी, आगरा का िकला, लाहौर का िकला, इलाहाबाद का िकला और िद ी म मायूँ
के मकबरे का िनमाण करवाया.
आगरा ए िनकट थत फतेहपुर सीकरी के बारे म कहा जाता है िक- ल े समय तक अकबर के कोई पु नहीं
था. एक सूफी संत शेख सलीम िच ी के आशीवाद से अकबर को एक बे टा आ िजसका नाम सलीम/शे खो
बाबा (जहाँगीर) रखा गया. सलीम िच ी के स ान म, अकबर ने अपना दरबार िद ी से थानां त रत कर
g
जहाँगीर (1605-27)
• 1605 म अकबर की मृ ु के बाद उसका पु सलीम ग ी पर बै ठा.
• उसने शाही ाय के िलए आगरा के िकले म ज़ंजीर-ए-अदल ( ाय की ज़ंजीर) लगवाई.
• 1611 म उसने, बं गाल के अिभयान पर भेजे गए एक पारसी अमीर, शेर अफ़गान की िवधवा मे हर-उन-िनसा
से िववाह कर िलया. बाद म उसने उसे नूरजहाँ की उपािध दी.
• नूरजहाँ का रा के मामलों म अ िधक भाव था. उसे अिधका रक पादशाह बे गम बनाया गया.
• जहाँ गीर ने अपने और नूरजहाँ के नाम के संयु िस े जारी िकये.
• जहाँ गीर ने मारवाड़ की जोधाबाई से भी िववाह िकया था.
m
• 1608 म ई इं िडया कंपनी का ितिनिध जॉन हािक जहाँ गीर के दरबार म आया. 1615 म इं ड के
िकंग जे थम का राजदू त सर थॉमस रो भी उसके दरबार म आया. उसने सू रत म अं े जों का एक
ापा रक बंदरगाह खोलने की अनुमित ा की.
co
• इसका शासनकाल अनेक िव ोहों के िलए जाना जाता है . इसके बे टे खु सरो ने, िजसके बारे म कहा जाता है
िक उसे , पां चव िसख गु ‘गु अजु न दे व’ का आशीवाद ा था, ने 1605 म िव ोह कर िदया. बाद म गु
अजु न दे व को िव ोही राजकुमार को आशीवाद दे ने के िलए फां सी (1606) दे दी गई.
• उसके अंितम वष म उसके बे टे खुरम (शाहजहाँ ) ने (1622-25) और उसके सेनापित महावत खां ने (1626-
27) भी बगावत कर दी.
n.
• उसने पारसी भाषा म अपनी आ कथा तु जुक-ए-जहां िगरी िलखी.
• उसे लाहौर म दफ़नाया गया.
ya
शाह जहाँ
• इसका वा िवक नाम खुरम था. यह जोधाबाई (राजा जगत िसं ह) की पु ी के गभ से पै दा आ था.
• अपने िपता की मृ ु के बाद 1628 म शाहजहाँ ग ी पर बै ठा.
• ग ीनशीं होने के तीन वष के बाद उसकी ि य प ी मुमताज महल (वा िवक नाम अज़ु मंद बानो) की 1631
म मृ ु हो गई. उसकी यादों को थायी बनाने के िलए इसने 1632-53 म आगरा म ताजमहल का िनमाण
g
करवाया.
• इसने दरबार म चार-त ीम की शु आत की.
sc
• 1657 म शाहजहाँ के अचानक ब त बीमार पड़ने से उसके चार बे टों के बीच उ रािधकार के िलए यु
ारं भ हो गया.
• इस संघष म औरं गजेब िवजेता बनकर उभरा और जुलाई, 1658 म उसने अपना रा ािभषेक करवाया.
औरं गजेब ने शाहजहाँ को आगरा के िकले म जेल म दाल िदया जहाँ 1666 म कारावास म ही उसकी मृ ु हो
गई.
औरं गजेब
m
• शाहजहाँ के शासन के अंितम वष म उ रािधकार के िलए संहष आ.
• उसके चार बे टे दारािशकोह, औरं गजेब, शाह शु जा और मु राद थे जो ग ी के िलए सं घषरत थे.
• स ा के िलए इस खींचतान म उसकी बे िटयां भी िकसी न िकसी भाई के साथ थी. जहाँ आरा डरा के समथन म
co
थी. रोशन औरं गजेब के समथन म थी और गु हारा मु राद का समथन कर रही थी.
• औरं गजेब ऐसा इकलौता मुग़ल स ाट था िजसका दो बार रा अिभषेक िकया गया.
• िवदे शी या ी बिनयर ने दे वराई के यु म दारा की हार के बाद उसका सावजिनक अपमान दे खा था.
• अपने शासन के ारं िभक 23 वष (1658-81) तक औरं गजेब का ान उ र भारत पर के त रहा. इस
दौरान िशवाजी के नेतृ म मराठा एक बड़ी श बनकर उभरे िज औरं गजेब को बराबर की मा ता दे नी
पड़ी.
अनुमित थी.
• उसने काशी का िव नाथ मंिदर और मथुरा म वीर िसं ह बुं देला का केशव मंिदर न करवा िदया.
• 1679 म उसने जिज़या कर पु नः लागू कर िदया.
मराठों से संघष
• िशवाजी सवािधक श शाली मराठा राजा थे और औरं गजेब के सबसे बड़े श ु थे.
• जब औरं गजेब उ परािजत करने म असफल रहा तब उसने िशवाजी को परािजत करने के िलए 1665 म
अ ेर के राजपूत, राजा जयिसंह के साथ िमलकर षड़यं रचा.
m
• जयिसंह के आ ासन पर िशवाजी औरं गजेब के दरबार म आये . िशवाजी को धोखे से बं दी बना िलया गया
लेिकन वे भाग िनकलने म सफल रहे और 1674 म यं को एक तं राजा घोिषत कर िदया.
• 1680 म िशवाजी की मृ ु के बाद उनका पु संभाजी िसं हासन पर बै ठा िजसकी औरं गजेब ने 1689 म ह ा
co
कर दी. संभाजी के बाद उनके भाई राजाराम ने शासन सं भाला और उनकी मृ ु के बाद उनकी िवधवा
ताराबाई ने आ ोलन िकया.
मुग़ल शासन
मनसबदारी व था:
•
• जहाँ गीर ने दु -अ
की सं
ाह और िसह-अ
ा दु गुनी कर दी गई.
n.
ेक मुग़ल अिधकारी को एक मनसब (पद) िदया गया था. कुल 66 तरह के मनसबदार थे.
ाह णाली की शु आत की िजससे िवशे ष अमीरों के पास घु ड़सवारों
ya
क ीय शासन:
वकील: ये ारं भ म धानमं ी होता था लेिकन बाद म इसे केवल राज सलाहकार बना िदया गया.
मीर ब ी: यह सै िवभाग का मुख होता था.
g
ांतीय शासन :
• सा ा को ा ों या सूबों म बां टा गया था.
sc
• 1580 म अकबर ने सा ा को 12 ा ों म बाँ ट िदया था. इसके शासन समा होने तक इन सू बों की
सं ा बढ़कर 15 हो गई थी.
• जहाँ गीर के शासनकाल म सूबे बढ़कर 17 हो गए और िफर आगे औरं गजेब के समय म इनकी सं ा 21 हो
गई.
• नािज़म या सूबेदार, ा का मुख होता था.
S
थानीय शासन :
• ा ों को सरकारों/िजलों म बां टा गया था. िजलों को कई परगना और िफर परगना ाम म िवभािजत था.
मुग़ल सं ृ ित
• जहाँ गीर के शासनकाल म मुग़ल िच कला अपने चरम पर थी जबिक शाहजहाँ के समय म वा ुकला अपने
सव थान पर थी.
• बाबर ने दो म द, एक पानीपत के काबुलीबाग म और दू सरी रोिहलखंड के सं भल म बनवाई.
m
• मायूँ का मकबरा उसकी िवधवा हाजी बानू बे गम ने बनवाया था.
• सीकरी म बने ए म रयम पै लेस, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास भारतीय शैली म िनिमत ह.
• बु लंद दरवाज़ा (गु जरात िवय के बाद बनवाया गया), फते हपु र सीकरी का मु वेश ार बना.
co
• सलीम िच ी का मक़बरा (जहाँ गीर ारा सं गमरमर से पु नः बनवाना) पू री तरह सं गमरमर म बनी पहली
मुग़ल ईमारत है . बीरबल का महल और तानसे न का महल भी फतेहपु र सीकरी म ही है .
• अकबर ने िसकंदरा म अपने मकबरे का िनमाण खुद शु करवाया था िजसे बाद म जहाँ गीर ने पू रा िकया.
• फतेहपुर सीकरी की वा ुकला ‘लाल बलुआ प र म महाका ’ के प म जानी जाती है .
• नूरजहाँ ने ए ातउ दौला या िमज़ा गयास बे ग का सं गमरमर का मकबरा आगरा म बनवाया िजसे थम बार
पे टा
• शाहजहाँ
n.
ूरा (अ कीमती प रों का बना आ फूलों की न
• जहाँ गीर ने लाहौर म मोती म
ाशी) के योग के िलए जाना जाता है .
द और शाहदरा (लाहौर) म अपनी समािध बनवाई.
ारा आगरा म बनवाई गई मु ख इमारत ह – मोती म द (सं गमरमर की इकलौती म द),
ya
ख़ास महल, मु म बु ज़ (चमे ली का महल जहाँ उसने अपना कारावास के अंितम वष गु जारे ) आिद.
• इसने 1637 म शाहजहानाबाद की नींव रखी जहाँ इसने लाल िकला और त -ए-ताउस (मोर का िसं हासन)
बनवाया.
• लाल िकला म औरं गजेब ारा बनवाई गई एकमा ईमारत मोती म द है .
• औरं गजेब से स ंिधत एकमा ारक बीबी का मकबरा है जो उसकी बीवी रािबया-उड़-दौरा का मकबरा
g
है .
• औरं गजेब ने लाहौर म बादशाही म द भी बनवाई.
sc
• मायूँ ने अपनी सेवा म दो िच कार मीर सैयद अली और अ ु स समद को रखा था.
• दसवंत और बासवान अकबर के दरबार म दो िस िच कार थे.
• अ ु ल हसन, उ ाद मंसूर और िबशनदास जहाँ गीर के दरबार म तीन िस िच कार थे.
1574 मनसबदारी था की शु आत
1575 इबादतखाना बनाया गया
1578 इबादतखाना म िविभ धम की प रषद्
1579 मज़हर की घोषणा (फैजी ारा िल खत)
1580 दह्शाला बदोब की शु आत
1582 दीं-ए-इलाही/तौहीद-ए-इलाही
1584 इलाही संवत यािन पं चां ग/कैलडर
m
1587 इलाही गज
मुग़ल सािह
अकबर नाम – अबुल फज़ल
co
तोबकात–ए-अकबरी – ाज़ा िनजामु ीन अहमद ब
इकबालनामा-ए-जहां िगरी – मुह द खां
आइन-ए-अकबरी – अबुल फज़ल
पादशाह नामा –अ ु ल हािमद लाहोरी
शाहजहाँ नामा – मुह द सालेह
िसर-ए-अकबर – दारा िशकोह
सफीनत-उल-औिलया –दारा िशकोह
मजमा-उल-बहरीन – दारा िशकोह
र क़त-ए-आलमिगरी –औरं गजेब
n.
1. िकस मुग़ल बादशाह को भारतीय इितहास म शाह-ए-बे खबर कहा जाता है ?
ya
उ र. बहादु र शाह
2. िकस मुग़ल शासक के समय म बंदा बहादु र के ने तृ म पं जाब म िसख श का उदय आ ?
उ र. बहादु र शाह
3. औरं गजेब ारा पु नः लगाये गए जिज़या कर को िकसने समा कर िदया ?
g
उ र. जहांदार शाह
4. अहमद शाह अ ाली कौन था ?
sc
m
उ र. रं गू न म
11. ताजमहल का वा ुकार कौन था ?
उ रr: उ ताद इज़ा
co
12. लालिकले का ार िकस नाम से जाना जाता है ?
उ र: लाहौर गेट
13. भारत म सबसे बड़ी म द कौन सी है ?
उ र : िद ी की जामा म द
m
फ िसयर (1713-19)
सैयद बं धुओ ं सैन अली खां बराहा और अ ु ा खां की मदद से िवजयी आ.
इसने अ ु ा खां को वज़ीर और सै न अली को मीर ब ी का पद िदया.
फ खिसयर एक अयो शासक था. सैयद बं धू वा िवक शासक बन गए थे.
co
सैयद बंधू
1. भारतीय इितहास म िकंगमेकर के नाम से जाने जाते ह.
2. धािमक सिह ुता की नीित अपनाई. पु नः जिज़या को समा कर िदया.
3. अनेक थानों से तीथया ा कर समा कर िदया गया.
4. मराठा : शा जी को रा िदया और द न के 6 ा ों से चौथ और सरदे शमु खी वसूल करने का
अिधकार िदया.
n.
5. ये िव ोिहयों को समािव करने और दबाने म असफल रहे
लड़ाई झगड़े और दरबारी ष ं ों का सामना करना पड़ा.
6. िनज़ाम-उल-मु
िकये ..
ोंिक इ लगातार राजनीितक ित ं िदता,
12. 1720 म अमीरों ने सैयद बं धुओं म छोटे , सैन अली खां की ह ा कर दी.
13. अ ु ा खां भी आगरा म परािजत आ.
sc
लगातार िकए गए अिभयानों ने पिशया को िदवािलया बना िदया था. नािदरशाह भारत की अकूत धन दौलत
से आकिषत होकर यहाँ आया था.
मुग़ल सा ा भी कमजोर हो चला था.
उ र-पि मी सीमा ल े समय तक ान ण िदए जाने के कारण असुरि त हो गई थी और िकसी िवरोध
की स ावना नहीं थी.
दोनों सेनाएं 13 फरवरी 1739 ई. को कनल म िभड़ी.ं मु ग़ल सेना पूरी तरह परा हो गई और
मुह दशाह को बं दी बना िलया गया.
m
नािदर शाह ने िद ी म 57 िदनों तक लू ट-पाट ह ा की
लगभग 70 करोड़ पये की लूट ई साथ ही मयूर िसंहासन (त -ए-ताउस) और कोिहनूर हीरा अपने
साथ ले गया.
मुह द शाह ने उसे िस ु नदी के पि म के सभी ा दे िदए.
co
मह : नािदर शाह के आ मण ने मराठा सरदारों और िवदे शी ापा रक कंपिनयों के िलए मु ग़ल
सा ा की छु पी ई कमजोरी से पदा हटा िदया.
अपने वज़ीरों से भय के कारण शाह आलम ने अपने ारं िभक कई वष भटकते ए िबताये.
1764 म इसने बं गाल के नवाब मीर कािसम और अवध के नवाब िसरज-उड़-दौला के साथ अं े जों के
खलाफ ब र का यु म भाग िलया.
sc
इलाहबाद म पशनया ा
1772 म मराठों के संर ण म िद ी वापस लौटा.
मुग़ल सा ा का पतन
1759 के बाद मुग़ल सा ा एक सै श के प म समा हो गया.
1759 से 1857 तक दे श पर इसका िनयं ण केवल इसिलए बना रहा ोंिक भारतीय जनमानस पर, दे श
S
मुग़ल सा ा के पतन का सबसे मह पू ण प रणाम रहा िक इ ोने ि िटश शासकों के िलए भारत पर शासन
करने का माग श िकया ोंिक कोई अ भारतीय श , भारत को एक कर उस पर िनयं ण करने के
िलए श शाली नही ं थी.
मराठा
m
2.1 िशवाजी (1627-80)
• िशवाजी, शाहजी और िजजाबाई के पु थे िजनका ज िशवनेर के िकले म आ था.
• िशवाजी को 1637 म अपने िपता से पू ना की जागीर ा ई.
co
• इनके गु , गु रामदास समथ थे.
• 16४७ ई. म अपने अिभभावक दादाजी कोंडदे व की मृ ु के बाद िशवाजी ने अपनी जागीर का शासन पू री
तरह संभाला.
• इ ोने अनेक िकलों पर अपना अिधकार थािपत िकया जैसे :-
1. िसंह गढ़/कोंडाना (1643)
2.
3.
4.
रोिहं ड और चाकन (1644-45)
तोरण (1646)
पु रंदर (1648)
n.
ya
5. राजगढ़/रायगढ़ (1656)
6. सूप (1656)
7. प ाला (1659).
• 1657 म िशवाजी अहमदनगर और जु ार पर आ मण के समय इनका पहली बार मुगलों से सामना आ.
• 1659-60 म, बीजापुर की आिदलशाही ारा अफज़ल खान को िशवाजी को द त करने हेतु िनयु िकया
g
• 1660 म औरं गजेब ारा द न का सूबेदार शाइ ा खान मराठों को संभालने के िलए िनयु िकया गया.
िशवाजी ने 1663 म शाइ ा खा पर एक बड़े आ मण और सूरत की लूट से पहले पू ना, क ाण और चाकन
खो िदया और कुछ जगह हार का भी सामना िकया.
• तब अ ेर के राजा जय िसंह और िदलेर खान, 1665 म औरं गजेब ारा िशवाजी की बढ़ती श को
कुचलने के िलए िनयु िकये गए.
S
• 1670 ई. म िशवाजी ने पु रंदर की संिध के तहत िदए गए सारे िकले पु नः जीत िलए.
• 1674 ई. म राजधानी रायगढ़ म िशवाजी का रा ािभषेक आ और उ ोंने है व धरमो ारक (िहं दु के
र क) की उपािध धारण की.
• उसके बाद िशवाजी ने मुग़लों और िसि यों (जंजीरा) के साथ सतत संघष िकया. उ ोंने 16७७-80 के दौरान
कनाटक पर आिधप थािपत कर िलया.
m
• उनका अंितम अिभयान िजंजी और वे ोर के खलाफ था.
िशवाजी का शासन
co
• रा तः मराठों के िनयं ण म था.
• चौथा और सरदे शमु खी मराठों ारा िलए जाने वाले कर थे.
• मराठा आ मण से बचने के िलए चौथ िदया जाता था.
• सरदे शमुखी 10% का एक अ कर था जो महारा की उस भूिम पर लगता था िजस पर पारं प रक और
अनुवां िशक प से मराथे अपना दावा करते थे लेिकन जो मु ग़लों के िनयं ण म थी.
• मराठी अिधका रक भाषा थी.
• िशवाजी ने अपने सा ा
सरसूबेदार था.
( रा
ां त, महालों म िवभ
n.
) के े को तीन भागों म िवभािजत िकया था और
था और महाल परगना या तफ म िवभ था.
े क म एक
ya
• िशवाजी की सहायता के िलए एक अ धान थी जो एक मं ि प रषद जैसी थी, िक ु इसकी कोई सामूिहक
जवाबदे ही नही ं थी ब ेक सीधे िशवाजी के ित उ रदायी था.
िशवाजी के अ धान
1. पेशवा (मु धान): िव और सामा शासन, बाद म यह धानमं ी बन गए और अ ंत मह पूण पद
g
हो गया.
2. सर-ए-नौबत (सेनापित) : सै मुख. यह एक मानद पद था िक ु कोई वा िवक सै श यां नहीं थीं.
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• बाद म िशवाजी के एक उ रािधकारी राजाराम ारा, ‘ ितिनिध’ नाम से नौंव मं ी का पद बनाया गया.
• िशवाजी के अिधकतर शासिनक सुधार मिलक अ र (अहमदनगर) के सु धारों पर आधा रत थे.
2.2 िशवाजी के उ रािधकारी
श ाजी: 1680-1689
• िशवाजी के बड़े पु संभाजी ने िशवाजी के छोटे पु राजाराम को उ रािधकार के यु म परािजत िकया.
S
• इसने औरं गजेब के िव ोही पु अकबर ि तीय को सुर ा और समथन दान िकया.
• इसने एक मुग़ल अमीर को परािजत कर सं गमे र पर अिधकार कर िलए और उसकी ह ा कर दी.
राजाराम : 1689-1700
m
• राजाराम ने ितिनिध नाम से एक नया पद सृिजत िकया. फलतः मंि यों की कुल सं ा 9
(अ धान+ ितिनिध) हो गई.
ताराबाई: 1700-1707
co
• राजाराम का सबसे छोटा पु िशवाजी ि तीय अपनी माँ ताराबाई के संर ण म उ रािधकारी बना.
• ताराबाई ने मुग़लों से संघष जारी रखा.
शा : 1707-1749
• मुग़ल स ाट बहादु र शाह ने सा को मु कर िदया.
• खेड़ के यु (1700) म ताराबाई की सेना सा ारा परािजत कर दी गई और सा ने सतारा को हड़प िलया.
• इसने सैयद बं धुओ-ं िकंग मेकर (1719) से एक संिध की िजसके ारा मुग़ल स ाट फ खिसयर ने सा जी को
रा का राजा की मा ता दान की.
sc
• इसके अंतगत अनेक मराठा प रवार िति त बनकर यं को भारत के िविभ भागों म थािपत िकया.
• इसने पु तगािलयों से बसीन और सालसेट छीन िलया (1739)
• इसने िनज़ाम-उल-मु को भोपाल के िनकट परािजत िकया और दु रई-सराय की संिध की िजससे बाद म
(1738) िनज़ाम ने स ूण मालवा और बुं देलखंड मराठों को सौंप दी.
• इसने मुग़लों के बारे म कहा था, “हम इस जजर वृ के तने पर आ मण करना चािहए, शाखाएं तो यं ही
िगर जाएँ गी.”
m
बालाजी बाजीराव: 1740-61
• नाना साहे ब के नाम से लोकि य यह 20 वष की आयु म अपने िपता बाजीराव थम का उ रािधकारी बना.
• सा की मृ ु (1749) के बाद सभी राजकीय कामकाज यही संभालता था.
co
• मुग़ल बादशाह अहमद शाह अ ाली के साथ ई एक सं िध (1752) के तहत, चौथ के बदले पे शवा मुग़ल
सा ा की आ रक एवं बा श ुओं (अहमद शाह अ ाली जै से) से र ा करगे..
• अहमद अ ाली ारा पानीपत के तीसरे यु (जन. 14, 1761) म मराठों की पराजय ई और िव ास राव
एवं सदािशव राव भू मारे गए. इससे पे शवा बालाजी बाजीराव को ब त आघात प ं चा और छह महीने बाद
उसकी भी मृ ु हो गई. इस यु ने मराठा श को समा कर िदया.
m
11. पु रंदर की संिध िकस िकसके बीच ई थी ?
उ र. िशवाजी और औरं गजेब
12. िशवाजी कब औरं गजेब म दरबार म गए ?
co
उ र. 1666 ई. म
13. िशवाजी कब औरं गजेब के दरबार म कैद कर िलए गए ?
उ र. 1666 ई. म
14. िशवाजी ने पु नः सूरत की लूट कब की ?
उ र. 1670 ई. म
14. िशवाजी ने अपना रा
उ र. 1674 ई.. म
n.
ािभषेक कब करवाया ?
22. चौथ ा था ?
m
आ मणका रयों से र ा म सहायता करते थे. सरदे शमु खी मानक राज का ¼ होता था.
24. औरं गजेब िकसे पहाड़ी चूहा कहता था ?
उ र. िशवाजी
co
25. िकस यु कला म मराठा अ ंत िनपुण थे ?
उ र. गु र ा यु
26. िशवाजी ने कौन सी उपािध धारण की और ा णों की र ा का संक िलया ?
उ र. िह दू पादशाही और धम का र क
27. िशवाजी की मृ ु कब ई ?
उ र. 1680 ई. म
चौसा का यु (7-June-1539) – शेर शाह ने मु ग़लों को परािजत िकया ले िकन राजा मायूँ नदी पार कर
भाग गया.
क ौज या िबल ाम का यु (17-May-1540) –शे र शाह पु नः मायूँ के खलाफ जीता. आगरा शहर पर
क ा
m
थम कनाटक यु (1745–48) - यह यु ि िटश और च सेनाओं के बीच लड़ा गया. ां सीिसयों ने
म ास पर क ा कर िलया, बाद म अं ेजों को लौटा िदया.
ि तीय कनाटक यु (1749–54) – डु े के नेतृ म ां िससी अं ेजों से लड़े िक ु अं े ज िवजयी रहे .
co
1755 म उ ोंने एक अ थायी संिध की.
तृतीय कनाटक यु (1756–63) - 1758 म ां सीिसयों ने फोट सट डे िवड पर क ा कर िलया लेिकन
1760 म वंडीवाश खो बै ठे. अं ेज जीते.
ासी का यु (June-1757) – रोबट ाइव के ने तृ म ि िटश सेनाओं ने बं गाल के नवाब िसराज-उड़-
दौला से यु िकया और िवजयी ए. मीर जाफ़र को नया नवाब बनाया गया और िसरज-उड़-दौला को फां सी दे
दी गई.
ब र का यु
n.
(1764) – मेजर मानरी के नेतृ
के नवाब शुजा-उद-दौला और मुग़ल बादशाह शाह आलम की संयु
म ि िटश से ना ने बं गाल के नवाब मीर कािसम और अवध
से ना को परािजत िकया.
ya
थम आं -मैसूर यु (1767–1769) – मै सूर स नत और ई इं िडया कंपनी के बीच. अं ेज हारे .
थम आं -मराठा यु (1775–1782) – भारत म मराठा सा ा और ई इं िडया कंपनी के बीच लड़ा
गया. अं ेजों की हार और सालबाई की संिध ई. पु रंदर की संिध के बाद अं े जों ारा क ाए गए सभी े
मराठों को वापस िदए गए.
ि तीय आं -मराठा यु (1803-1805) – अं ेज और मराठा के बीच लड़ा गया. मराठों की हार ई और
g
m
co
n.
g ya
sc
S
m
अब पािक ान और उ र पि म भारत है ।
• रे िडयो काबन डे िटं ग के अनुसार, िसंधु घाटी स ता का काल 2500 – 1750 ई.पू. तक माना जाता है ।
• आर.बी. दयाराम साहनी ने 1921 म पहली बार हड़ ा (रावी पर) की खोज थी। आर.डी बनज ने 1922
म मोहनजोदड़ो या ‘मृतको का टीला’ (िसंधु पर) खोज की थी। सर जॉन माशल ने इन दोनों खोजों म एक
co
मह पू ण भूिमका िनभाई।
• हड़ ा स ता भारत के आ इितहास के भागों के पों म है और यह कां युग अंतगत आता है ।
• इस स ता के लोग तां बा, पीतल, चां दी, सोने के बारे म जानते थे, लेिकन इ लोहे का ान नहीं था।
• िसंधु-घाटी लोग ‘कपास’ और ‘ऊन’ दोनों के उपयोग से अ ी तरह से प रिचत थे।
•
•
n.
हाथी िनि त प से पालतू थे। ऊंट दु लभ था और घोड़े के बारे म कोई जानकारी नहीं थी।
िसंधु घाटी स ता नगर िनयोजन:
िव ृत शहर की योजना थी। इसम ि ड णाली का पालन िकया गया था। सड़क अ ी तरह से काटी
गई थी। नगर एक बड़े आयत या वग के ख ों म िवभािजत थे।
ya
• िनमाण साम ी के प म अ ी गु णव ा की पकी ई ईंटों का इ े माल िकया गया था। समकालीन िव
मअ िम ी की ईंटों का इ ेमाल िकया जाता था।
• मोहनजोदड़ो म, एक बढ़ा ानागार (िवशाल) पाया गया, िजसकी माप 12मी एवं गहराई 2.4 मी थी।
सतह के दोनों छोरों पर सीिडयां थीं िजसके साथ व बदलने के कमरे थे। साथ कमरे से बदल रहा है । यह
संभवतः धािमक ान से संबंिधत हो सकता है ।
g
• कालीबंगा (राज थान) म घ र नदी के िकनारे थत था, जो सिदयों पहले सूख चुकी है ।
• लोथल, खंभात की खाड़ी पर है ।
• बनावाली (ह रयाणा) अब िवलु हो चुकी सर ती नदी के तट पर थत था।
• सुरकोटड़ा (गु जरात) क के रण के मुहाने पर है ।
• धोलावीरा (गु जरात) क िजले म खुदाई के दौरान खोजा गया।
S
आधुिनक भारत
यूरोिपयों का आगमन
पुतगाली
1) नए समु ी माग की खोज के दौरान, वा ो डी गामा ने यूरोप से भारत के िलए नए समु ी माग, केप
माग, की खोज की. वह 17 मई, 1498 को कालीकट के बं दरगाह पर प ं चा और कालीकट के िह दू
m
शासक (ज़मो रन की उपािध से लोकि य) ने उसका ागत िकया. इसके बाद कालीकट, कोचीन और
क ूर म ापा रक क थािपत िकए. भारत म, ारं भ म कोचीन पुतगािलयों की राजधानी थी ले िकन बाद
म यह गोवा थानां त रत कर दी गई.
2) अ फ़ा ो-डी-अ ुकक 1503 ई. म भारत आया था और 1509 म इसे पुतगािलयों का गवनर ( थम
co
गवनर 1503-09 के बीच ांिस ो-डी-अ े डा था) िनयु कर िदया गया. इसने 1510 म बीजापुर से
गोवा छीन िलया.
अ गवनर
नीनो-डी-कु ा (1529-38) – इसने अपनी राजधानी कोचीन से गोवा (1530) ह ां त रत की और गु जरात के
बहादु र शाह से दीव और बसीन अपने अिधकार म ले िलए.
मािटन अ फ़ा ो-डी-सूजा (1542-45) – िस जुसुइट संत ां िस ो जेिवयर इसके साथ भारत आया था.
इसके बाद पु तगाल शासन का पतन ारं भ हो गया और अं त म केवल गोवा, दमन और दीव 1961 तक इनके
पास रहा.
डच
n.
1) माच, 1602 ई. म डच संसद के एक आदे श ारा डच ई इं िडया कंपनी की थापना ई. इस कंपनी
ya
को 21 वष के िलए पू व दे शों के साथ ापार करने, संिधयाँ करने, आ मण करने और िवजय करने का
अिधकार ा आ.
फै यों की थापना
2) डचों ने मसुलीप नम (1605), पुलीकट (1610), सूरत (1616), िवमलीप नम (1641), क रकल
(1645), िचनसुरा (1653), कािसमबाजार, बाड़ानागोर, बालासोर, पटना, ने गाप नम (1658) और कोचीन
(1653) म कारखाने/फै यां थािपत की.
g
3) भारत सिहत पू व के साथ यू रोपीय ापार की सबसे मुख श पु तगािलयों की जगह डचों ने ले ली.
4) 1690 तक इनका मु क पु लीकट रहा िजसकी जगह बाद म ने गाप नम ने ली.
5) बे दार के यु (1759) म अं ेजों से डचों की हार से डचों ने भारत म अं ेजों की धानता मान ली.
sc
अं ेज
भारत म ि िटश ई इं िडया कंपनी के ापार थापना से पू व,
1) भारतीय ापा रयों से ापार के उ े से थल माग से 1599 ई. म जॉन िम े नहाल भारत आने वाला
पहला अं ेज था.
2) ‘इं श ई इं िडया कंपनी’ के नाम से िव ात इस कंपनी की थापना ‘मचट एडवचस’ नाम के
S
ापा रयों के समूह ने 1599 म की थी और 1600 ई. म रानी एिलज़ाबे थ थम ारा इसे पू व दे शों म
ापार के अिधकार िदए.
सूरत म फै ी खोलने का िनणय
डे िनश
m
एक ई इं िडया कंपनी की थापना कर 1616 ई. म डे न भारत म आये , उ ोंने कोबर (तिमलनाडु ) म 1620
म और सेरामपु र (बं गाल) म 1676 ई. मे ापा रक क थािपत िकए.
1854 ई. म जोर जबरद ी के कारण उ ोंने सभी फै यां अं ेजों को बे च दी.
ांसीसी
co
1) 1664 ई. म कॉलबट ारा च ई इं िडया कंपनी की थापना की गई. थम च फै ी ां िसस कैरन
ारा 1664 म सूरत म थािपत ई.मसुलीप म म 1669 म फै ी लगाई गई.
2) भारत म च श को 1720 से 1742 के बीच, ले नोइर और डु मास (गवनर) के ने तृ म मजबूती
िमली. उ ोंने मालाबार म माहे , कोरोमंडल के यनम और तिमलनाडु के क रकल (1739) पर अिधकार
कर िलया.
3) 1742 म भारत म ांसीसी गवनर के प म डु े के आगमन से आं - च सं घष (कनाटक यु )
दे खने को िमला िजसका प रणाम भारत म ां सीिसयों की हार थी.
1694 म ि िटश संसद ने पूव म सभी ापा रयों को ापार करने का समान अिधकार दे ने का ाव पास
िकया. एक नई कंपनी ‘इं श कंपनी ऑफ़ मचट् स टे िडं ग टू दी ई इं डीज’ (1698) बनाई गई. 1708 म
कंपनी का अंितम एकीकरण आ और इसका नाम ‘दी यू नाइटे ड कंपनी ऑफ मचट् स ऑफ इं ड टे िडं ग तो
sc
मुख यु
थम आं -िसख यु (1845-1846)
अं ेजों और िसखों के बीच थम यु मुडकी म 18िदस र, 1845 को लड़ा गया. इसम िसख हारे . 21
S
िदस र को िफरोजपुर म पुनः अं ेज जीते. हालाँ िक 1846 म रणजीत िसंह मजीिठया के नेतृ म बु द ाल म
अं ेजों को िसखों ने परािजत िकया. लेिकन अलीवाल म पु नः िसख हारे . िनणायक यु म सोबराअ म 1846 म
आ िजसम िसखों की बु री तरह पराजय ई. तब अं ेजों ने सतलज पार करके राजधानी लाहौर पर क ा कर
िलया.
m
ि तीय आं -िसख यु (1848-1849)
िसखों के िलए पहले िसख यु म उनकी हार के साथ उनका अ िधक अपमान आ था. रणजीत िसं ह के
समय म वे जीत के अ थे और इस हार ने उनके गौरव अ िधक छाित प ंचाई थी. वे अपने समा होते
रा को पु नः थािपत करना चाहते थे. ि िटश कमां डर लाड ग़फ पं जाब की एक िवशाल सेना के साथ लाहौर
co
प ं चा. 1849 म मु ान ने समपण कर िदया और कुछ स ाह बाद िचिलयां वाला के यु म िसखों को पराजय
का मुं ह दे खना पड़ा. अंितम और िनणायक यु गु जरात म अं ेजों ने जीता और पूरे पंजाब ने समपण कर िदया.
फल प 1849 म लाड डलहौजी ारा पंजाब रा को हड़प िलया गया और राजकुमार िदलीप िसंह को
पशनया ा बनाकर उनकी माँ रानी िजंदान के साथ इं ड भेज िदया गया. पं जाब का शासन एक ‘बोड
ऑफ किम स’ को सौंप िदया गया. पंजाब के िमलाए जाने से भारत म ि िटश े का िव ार उ र-पि म म
भारत की ाकृितक सीमा तक हो गई. िसख श
अं ेजों की सुर ा के िलए खतरा बन सके.
n. के पतन के बाद ऐसी कोई श नहीं बची जो भारत म
ya
थम आं -मैसूर यु (1767-69)
इस यु का मु कारण अं ेजों को कनाटक से बाहर और िफर भारत से बाहर खदे ड़ने की है दर की इ ा
और अं ेजों को इस बात का आभास होना था िक है दर उनके िलए एक बड़ा खतरा बन सकता है . है दर के
खलाफ़ अं ेजों, िनज़ाम और मराठों की एक ि प ीय सं िध ई. हैदर इस सं िध को तोड़ने म कामयाब रहा और
अं ेजों के खलाफ़ यु की घोषणा कर दी.
g
म ास की संिध
यह संिध है दर अली और कंपनी एवं उसके सहायकों तंजोर के राजा तथा मालाबार के शासक के म ई.
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इसके अनुसार क र और उसके िजलों को मैसूर शासक के अंतगत छोड़कर शे ष सभी िविजत े एक दु सरे
को वापस कर िदए गए. भिव म िकसी भी एक पर िकसी अ श ारा आ मण के समय दू सरा उसकी
सहायता करने को बा होगा. है दर अली ारा म ास सरकार के पकडे गए सभी कमचारी छोड़ िदए गए.
m
चला. लेिकन 1782 म उसकी मृ ु हो गई और उसका पु टीपू सुलतान उ रािधकारी बना.
टीपू ने यु जारी रखा िक ु पू ण सकलता िकसी को भी नहीं िमली. यु से थक जाने से दोनों प ों ने मं गलोर
की शां ित संिध की. इस संिध के अनुसार यह तय आ िक अं े ज टीपू को ीरं गप नम लौटा दगे और टीपू
अं ेजों को बदनूर का िकला अं ेजों को सौंप दे गा.
co
मंगलोर की संिध
संिध के अनुसार:
दोनों प एक दू सरे के श ु की या अ सहायता नहीं करगे और एक दू सरे के सहायकों पर
आ मण नहीं करगे .
1770 म है दर अली ारा कंपनी को िदए गए ापार िवशे षािधकार पु न थािपत िकये जायगे हालाँ िक उससे
कोई अ लाभ नही ं होने वाला था.
n.
दोनों प एक दू सरे के क ाए गए े ों को वापस दे ने पर राजी हो गए (अ ू रगढ़ और सतगढ़ िकलों को
छोड़कर) और भिव म कनाटक पर कोई दावा नहीं करे गा.
टीपू सभी यु बं िदयों को छोड़ने पर राजी हो गया.
टीपू को फै ी पु न थािपत करनी पड़ी और 1779 तक कालीकट म कंपनी को ापार िवशेषािधकार दे ना
ya
पड़ा.
ीरं गप नम की संिध
यह संिध टीपू और अं ेजों एवं उसके सहायकों (िनज़ाम और मराठा पे शवा) के बीच ई. संिध से तय आ िक :
अं ेजों और मैसूर के बीच पू व की संिधयाँ थायी रहगी.
टीपू को लगभग अपना आधा रा दे ना पड़ा जो अलग-अलग जगह तीनों म बंटा.
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टीपू को कुल यु हजाने (3.6 करोड़) म से 1.6 करोड़ तु रंत दे ना था जबिक शेष 2 करोड़ तीन िक ों म
दे ना था.
टीपू को सभी यु बं िदयों को छोड़ दे ने को कहा गया.
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िदया. मैसूर पर दोतरफा हमला आ. जनरल है रस के नेतृ म मु से ना ने, आथर वेलेजली के नेतृ वाली
िनजाम की सहायक सेना के साथ मैसूर पर पू व िदशा से आ मण िकया जबिक अ से ना बं बई से आगे बढ़ी.
टीपू पहले तो बं बई की सेना से हारा और बाद म म ाव ी म जनरल है रस ने उसे हराया. टीपू वीरतापूवक
लड़ते ए मारा गया. उसके प रवार के सद ों को वे ोर म नज़रबंद कर िदया गया. मैसूर के पू व शाही
प रवार के एक लड़के को मैसूर के एक छोटे से िह े के शासक के प म ग ी पर िबठा िदया गया और एक
सहायक संिध लागू कर दी गई. इस कार 33 वष पू व है दर अली ने िजस मैसूर रा पर शासन ारं भ िकया
था, चतुथ मैसूर यु ने उस मैसूर रा को न कर िदया.
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थम आं -मराठा यु (1775-82)
मराठों की आ रक सम ाएं और अं ेजों की मह कां ा आं -मराठा सं घष का कारण बनी. थम यु का
कारण अं ेजों ारा बंबई म मराठों के आं त रक मामलों म ह ेप था. 1772 म पे शवा माधव राव की मृ ु हो
co
चुकी थी और उनके छोटे भाई नारायण राव उ रािधकारी बने. उनके चाचा राघोबा पेशवा बनना चाहते थे और
इसिलए उ ोंने उसकी ह ा करवा दी. इसके बाद नारायण राव के पु माधव नारायण राव को पे शवा बनाया
गया. राघोबा ने अं ेजों से सहायता मां गी और ि िटश सै िनकों की सहायता से ग ी िमलने की आशा म सूरत की
संिध की. इस संिध म उसने यह भी वादा िकया िक वह सालसे ट और बसीन का े अं े जों को दे दे हगा और
साथ ही अं ेजों के श ुओं के साथ कोई संिध नहीं करे गा.
इस यु म िकसी को भी कोई सफलता नहीं िमली, दोनों प ों ने यु की िनरथता समझकरसालबाई की संिध
(1782) से उसे समा िकया. सालबाई की सं िध के बाद, थित जस की तस बनी रही िजससे अं ेजों और
n.
मराठों के बीच 20 वष तक शां ित बनी रही. इस संिध ने अं ेजों को, है दर अली से उनके े वापस लेने के िलए
मराठों की सहायता से दबाव बनाने म भी स म बनाया.
भोंसले एक हो गए लेिकन होलकर और गायकवाड़ अलग बने रहे . अं ेजों ने िसंिधया और भोंसले से अपनी
नमदा के उ र को पीछे लौटाने के संबंध म पु छा लेिकन इ ोने मना कर िदया िजससे यु आ. िसं िधया और
भोंसले दोनों ने अं ेजी भुस ा ीकार की. अब अं ेजों ने अपना ान हो र की ओर िकया ले िकन यशवंत
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राव हो र अं ेजों से एक मैच से ादा सािबत ए. वेलेजली को भारत से वापस बुला िलया गया और बाद म
कंपनी ने 1806 म राजपुरघाट संिध ारा े का ब त बड़ा िह ा वापस दे कर हो र के साथ शां ित थािपत
कर ली.
सरदारों का एक संयु मोचा बना िजसका नेतृ पे शवा कर रहे थे जो ि िटश रे िजडट के कड़े िनयं ण म
अ ंत ाकुल थे. य िप एक बार पु नः मराठे कोई काय योजना बनाने म असफल रहे . पे शवा ने 1817 म पू ना
म ि िटश रे जीडसी पर आ मण िकया, नागपु र के अ ा साहेब ने नागपु र रे जीडसी पर आ मण िकया और
माधव राव हो र ने यु की तै यारी की.
मराठा संघ पू री तरह समा हो चुका था, इसके अनेक सद ों के े ले िलए थे और वे अं ेजों के खलाफ
कुछ भी करने के िलए श शाली नहीं बचे थे. लाड हे ं ने 1818 म शे ष काय भी पू रा कर िदया. अब
भारत म अं ेज सव श बन गए थे.
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1717 म सूबेदार िनयु िकया गया था. उसे बादशाह फ ख िसयर ारा 1719 म उड़ीसा की सूबेदारी भी दी
गई थी. उसने ढका की जगह मुिशदाबाद म राजधानी बनाई. वह धीरे धीरे तं होता जा रहा था हालाँिक
उसने मुग़ल बादशाह के ित िन ां जताते ए उ वािषक कर और नजराना दे ना जारी रखा था.
उसने जागीर भूिम के बड़े िह े को खालीसा भूिम म प रवितत कर िव व था को पु नगिठत िकया. उसने
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कर कृिष था की शु आत की.
उसने िकसानों के िनजी योग के िलए और अकाल के समय कर चुकाने के िलए त वी ऋण िदया. उसने
मु मों और िह दु ओं को राजगार म बराबर अवसर दे ने के िलए शासन की पु नरचना की. थानीय िह दू
ज़मींदार और सा कार िनयु करने की उसकी नीित से बं गाल म एक नए भूिम अिभजा वग का ज और
िवकास आ.
उसने भारतीय और िवदे शी
िनजी ापार की जांच से उ
n.
ापा रयों को सड़क और निदयों म सु र ा उपल
ो ाहन िदया िजससे वािण एवं
कराकर, अिधकारीयों ारा
ापार को बढ़ावा िमला.
उसने िवदे शी ापा रक कंपिनयों की गितिविधयों पर श िनयं ण लगाया; 1691 और 1717 म मु ग़ल ारा
ya
कंपनी को िदए गए िवशेषािधकारों के कंपनी के कमचा रयों ारा दु पयोग को रोका. उसने िव ोही ज़मींदारों
को दबाकर सूबे म कानून एवं व था थािपत की.
अलीवद खां
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िसराज-उद-दौला
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इसके कारण नवाब को अं ेजों से संिध कर शां ित थािपत करनी पड़ी.
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कंपनी ारा मां गों की एक सूची रखी गई
पू व की थित थािपत करने के िलए एक समझौता
नवाब ारा अनेक फरमान और द क जारी िकये गए
जब तक नवाब इन समझौतों का पालन करता रहेगा तब तक अं ेज उसका समथन करते रहगे.
कंपनी म पू व म ा सभी िवशाशािधकार यथावत बने रहे . साथ ही सं भािवत च आ मण से अपनी सुर ा
मीर कािसम ने बदमान, िमदनापुर और िच गाँ व की ज़मींदारी अं े ज अिधका रयों को दे दी. उसने उ 2.9
िमिलयन पये भी अदा िकये. उसने अपनी थित सु ढ़ करने के िलए कुछ कर सं बंधी और सै सुधार िकये.
इसके काल को नवाब और ि िटश शासन के बीच भुस ा के िलए सं घष के प म दे खा जाता है . इसने
अपनी राजधानी मुिशदाबाद से मुंगेर थानां त रत कर दी. इसने कंपनी को िदए गए द कों ( ी पास) के
दु पयोग पर रोक लगा दी और आं त रक ापार पर सभी कर समा कर िदए.
ब र का यु
मीर कािसम अपने सहयोिगयों अवध के शुजा-उद-दौला और शाह आलम ि तीय के साथ अं ेजों से लड़ा. इस
यु म मेजर हे र मुनरो के नेतृ म अं ेजों ारा इ परा कर िदया गया.
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1857 का िव ोह
1857 का िव ोह भारतीय इितहास की एक मुख घटना है . अं ेज इितहासकारों के अनुसार यह एक “िसपाही
िव ोह” था, यह “ थम तं ता सं ाम” था.
co
िव ोह के कारण
राजनीितक – लाड डलहौजी के दौरान यह सम ा उ ई. उसे अनेक रा ों को हड़प िलया और
भारतीय रा ों को हड़पने म ‘ पगत का िस ांत’ उसका सबसे श शाली हिथयार था. पगत के िस ां त
के अनुसार, यिद िकसी रा के शासक के पास सगा उ रािधकारी नही ं है तो वह रा ि िटश रा म िमला
िलया जाएगा.
n.
आिथक – ि िटश राज की आिथक नीित ने भारतीय अथ व था को पू री तरह कर िदया था. िकसानों से
उ ऋण दर, भारत म जमीनी हकीकत को समझे िबना नई भू िम कर व था लागू करना, बलपू वक
िन ासन और कर वसूलने के ू र तरीके से कृिष धान अथ व था हो गई.
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सामािजक-धािमक – अं ेजों ारा भारितयों से न ीय भे दभाव, बलपूवक ईसाई बनाना और सामािजक
सुधार जैसे 1829 म सती था की समा ; 1856 म िवधवा िववाह को कानूनी मा ता आिद से भारतीय
समाज के िढ़वादी त ों ने अपमािनत महसू स िकया.
सै – अं ेजों ने भारतीय सैिनकों से भेदभाव करते थे और सेवा शत एवं पदो ित म इनके बिह ार की नीित
अपनाई िजससे उ और मुख पद यू रोिपयों के िलए आरि त हो गए थे.
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ता ािलक कारण : एनफी रायफल का योग िजसके कारतूस के खोल म गाय और सु अर की चब योग
ई थी, िव ोह को भड़काने वाला कारण बना. इसने िह दू और मुसलमान िसपािहयों दोनों को नाराज कर िदया
sc
1.2 घटना म
• 29 माच, 1857 को 34 नेिटव इ टी के एक भारतीय िसपाही मंगल पा े य ने दो ि िटश अिधकारीयों –
वाघ तथा मेजर साजट ह्यु न को परे ड के दौरान बै रकपुर (कलक ा) म गोली मार दी.
• वा व म िव ोह तीसरी नेिटव इ ै ी ारा 10 मई, 1857 को मे रठ से शु आ. चब वाले कारतू सों के
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योग से मना करने पर कुछ िसपािहयों को सजा सुनाई गई थी िजससे नाराज इन िसपािहयों ने िव ोह कर
िदया. िसपाही, नाग रकों के अ समूहों के साथ ‘मारो िफरं िगयों को’ कहते ए आगे बढ़े . उ ोंने जे लों को
तोड़ िदया, यू रोिपयों की ह ा कर दी और उनके घरों म आग लगा दी और सूय दय के बाद िद ी की ओर
कूच कर िदया.
• अगली सुबह (11 मई) िद ी म माच करते आते ए िसपािहयों का िदखना िद ी के थानीय िसपािहयों के
िलए एक संकेत था, उ ोंने भी िव ोह कर िदया, शहर अपर अपना िनयं ण थािपत कर िलया और 82 वष के
वृ बहादु र शाह ‘ज़फ़र’ को, शहं शाह-ए-िह दु ान (भारत का स ाट) घोिषत कर िदया.
• िव ोह के दौरान अं ेजों के सहायकों म िसं िधया, है दराबाद का िनज़ाम और भोपाल की बे गम शािमल थीं.
1857 के िव ोह के भाव
1. िव ोह का सबसे बड़ा भाव भारत म ई इं िडया कंपनी के शासन की समा थी. भारत सरकार
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अिधिनयम, 1858 ारा, ि िटश सरकार ने भारत का शासन अपने हाथों म ले िलया. ि िटश सरकार का एक
मं ी, िजसे ‘भारत रा सिचव’ कहा जाता था, को भारत म शासन के िलए िज ेदार बनाया गया.
2. भारत म ि िटश गवनर-जनरल को अब वायसराय कहा जाने लगा.
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भारत म 1857 के िव ोह के मुख नेता
ता ा टोपे – ता ा टोपे नाना साहे ब के करीबी सहायक और सेनापित थे. 1857 म कानपुर की घेराबंदी के
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शाह मल – शाह मल उ र दे श के बडौत परगना के एक बड़े गाँ व म रहता था . इसने चौरासी दे स के धानों
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और िकसानों को इक ा कर, रात म गाँ व से गाँ व तक जा जाकर, अं ेजों के खलाफ िव ोह करने के िलए
लोगों को समझाया.
m
िद ी – मुग़ल बादशाह, बहादु र शाह, लेिकन वा िवक नेतृ ब खान (सेना की बरे ली इकाई से था) के
हाथ म था.
कानपुर – नाने साहे ब (तां ा टोपे और अिज़मु ाह खां के साथ)
लखनऊ – अवध की बेगम हज़रत महल (अपने पु को अवध का नावाब घोिषत िकया)
co
बरे ली – खान बहादु र
िबहार (आरा) – जगदीश के ज़मींदार, राजा कुंवर िसं ह
झांसी – रानी ल ी बाई
इलाहबाद – िलयाक़त अली
विसटाट (1760-65)
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वारे न हे ं (1772-74)
1. रोबट ाइव ारा 1765 म ारं भ िकए गए ै ध शासन की घोषणा की.
S
m
लाड कानवािलस (1786-93)
1. 1793 म कानूनों को संिहताब करने वाला पहला . इस संिहता ने राज शासन को ाय
शासन से अलग िकया. िजला जज का पद सृिजत िकया.
2. 1793 म थायी बं दोब व था लाया.
co
3. कानवािलस को “भारत म िसिवल सेवा का जनक” माना जाता है .
4. इसने तीसरे आं -मैसूर यु म अं ेज सेनाओं का नेतृ िकया और मैसूर के शासक टीपू सु ान को
परािजत िकया.
5. 1793 म माकस की उपािध धारण करने के िलए यह इं ड लौट गया और ि वी कौंिसल म पद िमला.
1805 म इसकी मृ ु हो गई.
लाड िम ो- थम (1807-1813 )
1. 1809 म रणजीत िसंह और अंगेजों के म अमृ तसर की संिध की.
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लाड हे ं (1813-1823)
गवनर थॉमस मुनरो ारा 1820 म म ास ेसीडसी म रै यतवाड़ी ब ोब की शु आत की.
sc
1. ह ेप और यु की नीित अपनाई.
2. जे थॉमसण ारा उ र पि म ा म भूिम कर की महालवाड़ी ( ामीण समु दाय) णाली शु की
गई.
6. इसने उ ायालयों म अं ेजी को अदालत की भाषा बनाई ले िकन िनचली अदालतों म पारसी ही जारी
रही.
7. कानवािलस दारा थािपत अपील कोट और सिकट था को समा कर िदया.
8. सर चा मेटका (1835-36) को े स का मु दाता के प म जाना जाता है .
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संभलपुर को 1850 म बघाट को, 1852 म उदयपु र , 1853 म झाँ सी और 1854 म नागपु र को हड़प
िलया.
2. चा वुड के वुड िड ैच, िजसे अं ेजी िश ा का ‘मै ाकाटा’ माना जाता है , को पा रत िकया. इसम
ाथिमक िश ा से लेकर िव िव ालय र तक की िश ा की ापक योजना बनाई गई.
co
3. इसने 1853 म बंबई से ठाणे तक पहली रे ल लाइन िबछाई और कलक ा से रानीगं ज तक दू सरी लाइन
िबछाई.
4. डाक एवं तार सेवा को अ िधक ो ाहन िदया. तार लाइन पहली बार कलक ा से आगरा तक िबछाई
गईं.
5. 1856 म िह दू िववाह अिधिनयम पा रत आ.
6. 1854 म डाक कायालय अिधिनयम पा रत आ. डाक िटकटों का चलन पहली बार आ.
7. वह भारत का सबसे कम आयु का गवनर जनरल था. उसने 36 वष की आयु म कायभार संभाल िलया था.
n.
ड़की म एक इं जीिनय रं ग कॉलेज की थािपत िकया गया. पहली बार एक पृ थक लोक काय िवभाग
बनाया गया, िजसने ां ड टं क रोड़ पर काय ारं भ िकया और कराची, बं बई और एवं कलक ा म बंदरगाह
िवकिसत िकया.
ya
लाड केिनंग (1856-62)
यह भारत का अंितम गवनर जनरल एवं थम वायसराय था.
1. 1857 का िव ोह,
2. रानी िव ो रया की घोषणा और भारत प रषद् अिधिनयम, 1858 का पा रत होना.
3. लाड डलहौजी ारा ारं भ ‘ पगत के िस ांत’ को 1859 म वापस िलया गया.
4. कलक ा, बंबई और म ास म 1857 म िव िव ालय की नींव रखी गई.
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बंगाल का िवभाजन :
लाड कज़न ारा 16 अ ू बर, 1905 को एक शाही घोषणा ारा िकया गया, पु राने बं गाल ां त को पू व
बं गाल और शेष बं गाल बनाकर उसका आकर घटा िदया गया.
इसका उ े िह दू और मुसलमानों म एक सां दाियक खाईं का िनमाण था.
दे शी आं दोलन (1905):लाल, बाल, पाल और अरिव घोष ने मह पू ण भूिमका िनभाई.
कां ेस ने जी. के. गोखले की अ ता म 1905 के बनारस के अिधवेशन म पहली बार दे शी का
आ ान िकया. जगह-जगह िवदे शी व ुओ ं की होली जलाई गई.
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मु म लीग की थापना (1906)
आगा खां , ढाका के नवाब सलीमु ाह, नवाब मोहिसन-उल-मु के ने तृ म िदस र 1906 म आल इं िडया
मु म लीग की थापना की गई. लीग ने बं गाल िवभाजन का समथन और दे शी आं दोलन का िवरोध िकया
co
और अपने समुदाय के िलए िवशेष सुर ा एवं एक पृ थक िनवाचन े की मां ग की.
माल-िम ो सुधार 1909 म लाये गए जब लाड िम ो भारत का वायसराय था और माल भारत रा सिचव था.
इन सुधारों ने पृ थक िनवाचन मंडल को लाकर बां टो एवं राज करो नीित के तहत सा दाियकता को सं थागत
बनाने की नींव रखी. सुधारों के ावधानों के अनुसार मु म केवल मु म उ ीदवार के िलए वोट कर
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सकता था.
िद ी दरबार (1911)
1910 म इं ड म िकंग जॉज पं चम रा ािभषेक आ. 1911 म वो भारत वास पर आये. िकंग जॉज पं चम
और ीन मैरी की भारत के स ाट और सा ा ी के प म रा ािभषेक के िलए दरबार का आयोजन िकया
गया था. इस दरबार म, राजा ने भारत की राजधानी कलक ा से िद ी थानां त रत करने की घोषणा की. इसी
दरबार म बं गाल िवभाजन के र करने की घोषणा भी की गई.
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ग़दर पाट (1913):
लाला हरदयाल, तारकनाथ दास और सोहन िसंह भाखना ारा इसका गठन िकया. इसका मु ालय सान
ां िस ो था.
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बाल गं गाधर ितलक 1914 म मां डले जेल से मु िकये गए. 1915 म उ ोंने पुनः कां ेस म वेश िकया.
ितलक ने 28 अ ैल, 1916 को पु णे म इं िडयन होम ल लीग की शु आत की. एनी बे सट ने आय रश
िव ोिहयों से ेरणा लेकर िसत र 1916 म होम ल आं दोलन की शु आत की थी. उ ोंने दो समाचारप ों
यं ग इं िडया और कामनिवल की शु आत की थी. लीग ने स ा ह और सिवनय अव ा का समथन िकया.
1917 म मोंटे ू ने एक बयान िदया जो भारत म शासन के संबंध म मील का प र सािबत आ. उसने कहा
िक भारत सरकार पर धीरे धीरे भारतीय लोगों को िनय ण ह ांत रत िकया जाएगा. यह लखनऊ समझौते से
ए िह दू -मु म एकता का प रणाम था.
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चंपारण स ा ह (1917)
यह महा ा गाँ धी का पहला स ा ह था. चंपारण और खे ड़ा स ा ह वो घटनाएँ थीं िज ोंने बाद म गाँ धी को
भारतीय रा ीय तं ता आं दोलन का सबसे मु ख नेता बना िदया और स ा ह को एक मह पू ण उपकरण
बना िदया.
खेड़ा स ा ह (1918)
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1918 म, स ूण गु जरात भीषण ेग का िशकार आ और अकेले खेड़ा म लगभग 17000 लोगों ने अपने
ाण गं वाए. आगे , कालरा ने भी थानीय लोगों को तोड़कर रख िदया. यह िव ोह का ता ािलक कारण था.
िव ोह करों के िव था. सरकार ने कहा िक यिद कर नहीं िदए गए तो संपि ज कर ली जाएगी. इस
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जिलयांवाला बाग़ जनसंहार (अ ैल 13, 1919):
9अ ैल, 1919 को डॉ िकचलू और डॉ स पाल की िगर ारी के िवरोध म लोग दशन कर रहे थे.
जनरल ओ डायर ने अमृतसर के जिलयां वाला बाग़ म इक ा ए लोगों पर गोिलयां चलवा दी.
फल प सैकड़ों पु ष, मिहलाएं और ब े मारे गए और हजारों घायल ए.
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इसके िवरोध म रिब नाथ ठाकुर ने अपनी नाइट ड की उपािध लौटा दी. सर शंकरण नायर ने इसके
बाद वायसराय की प रषद् से इ ीफ़ा दे िदया.
हं टर आयोग को इसकी जां च के िलए िनयु िकया गया.
माच 13, 1940 को सरदार उधम िसं ह ने ल न के कै टन हॉल म एक सभा को संबोिधत करते ए
ओ डायर की ह ा कर जिलयां वाला जनसं हार का बदला िलया.
अ
n.
जिलयां वाला बाग़ जनसंहार की जां च के िलए “कॉलेज ऑफ़ ज
ता म सरकार ने एक गै र-सरकारी जाँ च सिमित बनाई.
3. अदालतों का बिह ार
4. िवदे शी व ों का बिह ार
5. करों की अदायगी न करना
चौरी-चौरा का (1922)
5 फरवरी, 1922 को उ र दे श के गोरखपुर िजले के चौरी चौरा म एक दु खद दु घटना के कारण गाँ धी जी
S
ारा असहयोग आं दोलन वापस ले िलया गया. इस घटना म असहयोग आं दोलन और खलाफ़त आं दोलन म
भाग ले रही भीड़ का जुलूस पु िलस के साथ िहं सक हो गया. फल प भीड़ ने एक पु िलस थाना म आग लगा
दी िजसम 22 पु िलसकम मारे गए.
m
भारत म राजनीितक थित की समी ा के और आगामी सु धारों एवं संसदीय लोकतं के िव ार के िलए
जॉन साइमन के अगुवाई म बनाया गया.
भारतीय नेताओं ने इसका िवरोध िकया ोंिक इसम कोई भी भारतीय नहीं था.
लाहौर म लाला लाजपत राय को एक लाठी चाज म अिधक पीता गया िजससे 1928 म उनकी मृ ु हो
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गई.
अपनाया गया ितरं गा ज फहराया गया और 26 जनवरी को तं ता िदवस के प म िनधा रत िकया गया
िजसे ितवष मनाया जाएगा और लोगों ने ि िटश शासन के अंतगत नही ं रहने की शपथ ली.
सिवनय अव ा आं दोलन
sc
m
गां वों को अपने उपभोग के िलए नमक बनाने का अिधकार िदया.
co
ही स लेन अ सं क मु े पर अटक गया और इस बार मु मों के साथ-साथ दिलत वग , भारतीय
ईसाईयों और आं -भारतीयों ारा भी पृ थक िनवाचन े की मां ग की गई.
क
ुनल अवाड (अग 16,1932):
रै मजे मै डोना
n.
ारा घोिषत िकये गए. यह अं ेजों की बांटो और राज करो की नीित दशाता है .
मु म, िसख, भारतीय ईसाई आं -भारतीय मिहलाएं और िपछड़े वग के ितिनिध पर िवचार िकया
गया.
ya
गाँ धी जी जो उस समय ये रवदा जेल म थे, उ ोंने इसके खलाफ आमरण अनशन शु कर िदया.
पू ना समझौता (िसत र 25, 1932)
क ुनल अवाड की घोषणा के बाद और िफर गाँ धी जी की भू ख हड़ताल से हर जगह जनसभाएं होने
लगी.ं
राजनीितक नेता जैसे मदन मोहन मालवीय, भीम राव अ ेडकर और एम् .सी.राजा सि य ए.
अंत म पू ना समझौता आ और गाँ धी जी ने छठे िदन अपना अनशन तोडा.
g
इसम दिलत वग के िलए पृ थक िनवाचन े को समा कर िदया गया ले िकन ां तीय िवधाियकाओं म
उनके िलए आरि त सीटों म बढ़ोतरी की गई.
sc
नए भारत सरकार अिधिनयम को 4 अग 19935 को शाही मंजूरी िमली. पु राने संवैधािनक सुधारों की
वतमान िवशेषताओं को जारी रखा और िव ार िदया गया.
लेिकन कुछ िनि त नए िस ां त भी जोड़े गए. इसने एक संघा क कार की सरकार दान की. अं ततः
अिधिनयम है :
1. ां तीय ाय ा को लाया गया
अग ाव (1940)
भारत म जनता की नजरों म जीत हािसल करने के म म िलनिलथगो ने ि तीय िव यु म रा वािदयों का
m
समथन पाने के िलए एक ाव रखा.
इसकी मुख बात थीं -
एक अिनिद भिव म डोिमिनयन े टस का वादा
यु के बाद एक संिवधान िनमाती सभा बनाई जाएगी, हालाँ िक यह ि िटश संसद की अनुमित के बाद ही
co
होगा.
वायसराय की कायकारी प रषद् म त ाल वृ
एक यु परामशदा ी प रषद् का गठन.
गत स ा ह
अग ाव ने रा वािदयों को चौंका िदया और कां े स ने गत स ा ह शु िकया. िवनोबा भावे पहले
स ा ही थे जबिक नेह दू सरे .
ि
•
िमशन – 1942:
n.
िदस र 1941 म जापान ि तीय िव यु म शािमल आ और भारतीय सीमा तक बढ़ आया. 7 माच
1942 को रं गून हार गया और पू रे दि ण पू व एिशया पर जापान का क ा हो गया.
ya
• ि िटश सरकार ने भारतीयों से सहयोग ा के िलए, भारतीय नेताओं से शत तय करने के िलए हाउस
ऑफ़ कॉमन के नेता सर ै फ़ोड ि को भेजा.
• उ ोंने एक ा प का ाव िदया िजसम यु के बाद डोिमिनयन े टस दे ने का सुझाव था.
• इसे कां ेस ख़ा रज कर िदया ोंिक भिव के वादों पर िव ास नही ं िकया जा सकता था.
• गाँधी जी ने इसे “पो डे टेड चेक” करार िदया.
g
घटना म
S
m
गाँ धी जी ने जेल म 21 िदन का उपवास रखा. 13 िदन बाद उनकी हालत अ ंत नाजुक हो चली थी और उनके
जीिवत बचने की सभी संभावनाएं ख़ हो चु की थी. ले िकन उनकी नैितक बल और अ ा क श के सहारे
वे जीिवत भी रहे और 21 िदन का उपवास भी पूरा िकया. यह उस सरकार के िलए उनका जवाब था जो
लगातार उ भारत छोड़ो आं दोलन म लोगों की िहं सा की िनंदा करने के िलए राजी करने का यास कर रही
co
थी.
ितिनिध िमल सके. वेवेल योजना के बाद शी ही कां ेस कायसिमित के नेता जेल से रहा कर िदए गए.
वेवेल योजना पर चचा के िलए 22 मुख भारतीय ने ताओं का िशमला म एक स ले न आयोिजत िकया गया, जो
िकसी िनणय पर नहीं प ं चा. स लेन िज ा की इस िजद के कारण िवफल हो गया िक कायकारी प रषद् म
sc
मु म लीग ारा अनुमोिदत मु म ही शािमल होना चािहए. इस कार पु नः सं दायवाद एक बड़ी बाधा
बना. तथािप, अं ेजों के िलए, कां ेस और मु म लीग के बीच कलह ख़ुशी का एक ोत था.
आईएनए म शािमल हो गए. वहां , रासिबहारी बोस ने नेतृ उनके हाथों म सौंप िदया.
अिधकतर सैिनक ि िटश सेना के उन भारतीय सैिनकों म से िलए गए थे िज जापान दि ण पू व एिशया
पर अिधकार करने के दौरान बं दी बना िलया था.
आईएनए के दो मु ालय, रं गून और िसंगापु र था.
आईएनए की तीन यु क टु किडयां थीं िजनके नाम गाँ धी जी, आज़ाद और ने ह थे. रानी झाँ सी टु कड़ी
एकमा मिहला टु कड़ी थी.
आईएनए टायल
• आईएनए बं िदयों का पहला टायल लाल िकले म आ.
• पी.के. सहगल, शाह नवाज़ और गु रब िसंह िढ ों को अिभयु बनाया गया.
• इनके बचाव के िलए वकीलों म भूलाभाई दे साई, ते ज बहादु र स ू जवाहरलाल नेह और आसफ अली
m
थे.
• य िप सै ायालय ने आईएनए बं िदयों को दोषी करार िदया, ले िकन सरकार ने उ मु करने म ही
अपना लाभ दे खा.
• उनका दोषी होने का मु ा नहीं था ब ि टे न सरकार यह चाहती थी की यह हो िक यह ि टे न
co
सरकार का अिधकार है िक भारतीयों से स ं िधत िवषय पर िनणय ले .
एटली की घोषणा (20 फरवरी, 1947): 20 फरवरी 1947 कि िटश धानमं ी ीमट एटलीने घोषणा की
िक अं ेज, 30 जून 1948 तक भारत छोड़ दगे और लाड वेवेल की जगह लाड माउं टबे टन को भेजा गया.
m
माउं टबेटन योजना (3 जून, 1947):
3 जून, 1947 को लाड माउं टबेटन ने अपनी योजना रखी िजसने भारतीय राजनीितक सम ा के समाधान
की परे खा िनधा रत की.
योजना की मु बात थीं :
co
भारत का िवभाजन भारत और पािक ान म होगा.
बं गाल और पंजाब िवभािजत होंगे और उ र-पि म सीमा ा एवं असम के िसलहट िजले म जनमत
सं ह कराया जाएगा.
पािक ान के संिवधान के िलए एक पृ थक संिवधान सभा बनेगी.
दे सी रयासत भारत या पािक ान म शािमल होने या अपनी तं ता बनाये रखने के िलए तं थीं.
15 अग 1947 की ितिथ भारत एवं पािक ान को स ा ह ां तरण के िलए िनधा रत की गई.
ि िटश सरकार ने जुलाई 1947 म भारत तं ता अिधिनयम 1947 पा रत िकया िजसम माउं टबेटन
योजना ारा रखे गए मु
ांितकारी गितिविधयाँ :
g
भगत िसंह ने अपने सािथयों के साथ 17 िदस र 1928 को सां डस (लाहौर का सहायक पु िलस अधी क
िजसने लाला लाजपत राय पर लाठी चाज का आदे श िदया था) की गोली मारकर ह ा कर दी.
िफर भगत िसंह और बटु के र द ने 8 अ ैल, 1929 को के ीय सभा म बम फका. इस तरह भगत
िसंह, राजगु और सुखदे व को 23 माच 1931 को लाहौर जे ल म फां सी दे दी गई. (लाहौर षड़यं केस)
1929 म जितन दास ने लाहौर जेल म घृिणत प र थितयों के खलाफ़ 63 िदनों की भूख हड़ताल के बाद
अपने ाण ाग िदए.
बं गाल के ां ितकारी सूयसेन ने बं गाल म इं िडयन रप क आम का गठन िकया. 1930 म उ ोंने
िच गाँ व श ागार पर धावा बोलने की योजना बनाई. उ 1933 म फां सी दी गई.
1931 म चं शेखर आज़ाद ने इलाहबाद के अ े ड पाक म खुद को गोली मार ली.
m
भारत के अं ेज वायसराय
1) लाड केिनंग (1856 – 1862) :
a. अंितम गवनर-जनरल और पहले वायसराय
b. 1857 का िव ोह इनके समय म आ.
co
c. नव र 1858 म शासन ि िटश ाउन को सौंप िदया गया.
d. पगत का िस ां त (लाड डलहौजी ारा शु ) वापस िलया
e. कलक ा, बं बई और म ास के िव िव ालयों की 1857 म थापना.
f. 1861 म भारत प रषद् अिधिनयम पा रत आ.
2) लाड ए न (1862 – 1863)
b) रानी िव ो रया को कैसर-ए-िहं द की उपािध से स ािनत करने के िलए 1877 म िवशाल ‘िद ी दरबार’
का आयोजन
c) श अिधिनयम (1878) – भारतीयों के िलए श रखने के िलए लाइसस अिनवाय बना िदया.
d) अलोकि य वना ु लर े स ए (1878) पा रत िकया.
m
7.लाड रपन (1880 – 1884) :
a) उदार िज भारितयों के साथ सहानुभूित थी.
b) वना ु लर े स ए (1882) को दोहराया
co
c) थानीय शासन अिधिनयम पा रत िकया (1882)
d) ाथिमक और मा िमक िश ा म सुधार के िलए कदम उठाये (िविलयम हं टर आयोग की िसफा रशों पर).
e) बाल मजदू री को ितबंिधत करने के उ े थम कारखाना अिधिनयम (1881) पा रत आ.
f) इ ट िबल पा रत आ (1883) िजससे भारतीय ायाधीशों को यू रोपीय आरोिपयों पर टायल का अिधकार
िमला लेिकन बाद म यह वापस ले िलया गया.
n.
8. लाड डफ रन (1884 – 1888) : भारतीय रा ीय कां ेस की थापना इसके कायकाल म ई.
ya
9. लाड लसडाउन (1888 – 1894) :
a) ि तीय कारखाना अिधिनयम (1891) पा रत आ िजसम एक सा ािहक अवकाश ीकार िदया गया और
ब ों एवं मिहलाओं के िलए काय के घंटे िनधा रत िकये गए. हालाँ िक यह इस कार की िचंताओं को दू र करने
म िवफल रहा जैसे पु षों के िलए काय के घंटे िनधा रत करना.
b) िसिवल सेवाओं को इ ी रयल, ांतीय और सहयोगी म ेणीब िकया गया.
g
10. लाड ए न ि तीय (1894 – 1899) : 1896 – 1897 का भयंकर अकाल. अकालों के संबंध म जांच के
िलए ‘लायल आयोग’ की िनयु .
a) भारतीय िव िव ालय अिधिनयम (1904) पा रत िजसम िव िव ालयों म अिधका रक िनयं ण बढाया गया.
b) बं गाल का िवभाजन (16 अ ू बर, 1905) दो ा ों, बं गाल (मु ) और पू व बं गाल एवं असम म िकया गया.
m
f) भारतीय िस ा और कागज मु ा अिधिनयम (1899) पा रत आ और भारत म भी ण मानक बनाया
गया.
g) रे लवे का अ िधक िवकास िकया.
co
12. लाड िम ो का इितहास (1905 – 1910) :
इस समय भारत म राजनीितक अशां ित थी. ां ितकारी गितिविधयों को कुचलने के िलए अनेक अिधिनयम
पा रत िकये गए. लाला लाजपत राय और अजीत िसंह (मई, 1907 म) और बाल गंगाधर ितलक (जुलाई, 1908
म) जैसे अितवािदयों को बमा म मां डले जेल म भे ज िदया गया. भारत प रषद् अिधिनयम 1909 या माल-िम ो
सुधार पा रत िकया गया.
m
b) असहयोग आं दोलन को दबाया गया.
c) ि ऑफ वे ने नव र 1921 म भारत का दौरा िकया.
d) केरल म मोपला िव ोह (1921)
co
e) 1921 का अहमदाबाद अिधवेशन
f) राज पाट की थापना
g) 1922 म िव भारती िव िव ालय ने काय करना ारं भ िकया.
h) 1921 म एम. एन. रॉय ारा क ुिन पाट की थापना.
i) 9 अग , 1925 को काकोरी रे ल लूटी गई.
j) 1923 का सां दाियक दं गा, 1925 म मु
के लोकि य नेता ामी
n. ान, िद ी अमृतसर आिद म. िस
ानंद की सां दाियक अितरे क म ह ा
रा वादी और आय समाज
ya
16. लाड इरिवन (1926 – 1931) :
a) साइमन आयोग भारत म 1928 म आया.
b) कां े स ने 1929 म भारत ाव पा रत िकया.
c) दां डी या ा (12 माच, 1930).
d) सिवनय अव ा आं दोलन (1930).
g
यहाँ से लौटकर गाँ धी जी िगर ार कर िलए गए और जनवरी 1932 म उ ोंने सिवनय अव ा आं दोलन दोबारा
शु िकया.
m
18. लाड िलनिलथगो (1936 – 1944) :
a) भारत सरकार अिधिनयम ा ों म लागू.
co
b) 11 म से 8 ा ों म कां ेस के मं ालय गिठत िकये गए. वे अ ू बर 1939 तक 2 वष तक स ा म रहे
लेिकन ि तीय िव यु म भारत को खींचने पर/शािमल करने पर ागप दे िदया. मु म लीग ने इसे मु
िदवस के प म मनाया. (22 December)
c) चिचल मई, 1940 म ि टे न के धानमं ी बने. उसने िनणय िकया िक अटलां िटक चाटर (यू के और यूएस
ारा संयु प से जारी, िजसम यह कहा गया था िक उनम से िज जबरद ी वंिचत िकया गया है वे
सं भुता ा
d) 1939 म ि तीय िव यु
e) 1942 म ि िमशन.
का कोप
n.
करने के अिधकारी होंगे) भारत पर लागू नही ं होगा.
ya
f) भारत छोड़ो आं दोलन (8 अग , 1942).
तं आ.
d) सी. राजगोपालाचारी ( तं भारत का थम एवं अंितम गवनर जनरल) को पदभार सौंपकर जून, 1948 म
सेवािनवृ आ.
m
गवनर जनरल और 4 सद ों की प रषद् बं गाल के िलए िनयु की गई.
बं बई और म ास ेसीडसी को बं गाल े सीडसी के अंतगत लाया गया.
कलक ा म सु ीम कोट थािपत िकया गया.
co
िप स इं िडया ए , 1784
इस ए ने कंपनी मामलों एवं भारत म उसके े ों पर ि िटश सरकार का सव िनयं ण थािपत कर
िदया.
शासन की ै ध णाली थािपत की गई. िव ीय काय को दे खने के िलए 24 सद ों वाली कोट ऑफ़
डायरे स की िनयु ई.
6 संसदीय किम रों वाले एक बोड ऑफ़ क ोल को िनयु िकया गया जो भारत म िसिवल, सै और
राज मामलों को दे खता था.
िदया गया.
n.
गवनर जनरल को श शाली बनाते ए उसकी प रषद म सं ा घटाकर 3 कर दी गई.
यु , कूटनीित और राज के सभी मामलों म बंबई एवं म ास े सीडसी को बं गाल के अधीन थ कर
1813 का चाटर ए
चाय एवं चीन के साथ ापर के अित र कंपनी का भारत म ापर एकािधकार वापस ले िलया गया.
सभी अं ेज कुछ शत के साथ भारत के साथ ापर कर सकते थे.
sc
1833 का चाटर ए
चाय एवं चीन के ापर म भी कंपनी के एकािधकार को समा िकया गया.
कंपनी को, िजतना ज ी हो सके अपना ापर बं द करने के िलए कहा गया.
S
बं गाल का गवनर जनरल, भारत का गवनर जनरल हो गया. (भारत के थम गवनर जनरल लाड िविलयम
बिटक थे.)
बं बई एवं म ास की सरकार वैधािनक श यों से वंिचत कर दी गईं.
गवनर-प रषद म कानूनी सद के प म चौथे सद को जोड़ा गया.
सरकारी सेवाएं भारत के लोगों के िलए भी खोल दी गईं.
सभी िनयम गवनर जनरल की प रषद ारा बनाए जाने लगे और अब इ िनयम या िविनयमन नहीं
ब अिधिनयम कहा जाने लगा.
1853 का चाटर ए
अिनि त काल तक के िलए कंपनी को काय करने का मौका िदया गया.
पहली बार 12 सद ों वाली िवधान प रषद् बनाकर, पृ थक वैधािनक तं खड़ा िकया गया.
गवनर-जनरल की कायकारी प रषद के कानूनी सद को पू ण सद बनाया गया.
m
िसिवल सेवाओं म भत , एक खुली वािषक ितयोगी परी ा से होने लगी. (भारतीयों सिहत)
भारत सरकार अिधिनयम, 1858
भारत म कंपनी के शासन की समा और ाउन का शासन ारं भ.
ि शासन णाली की समा . कोट ऑफ़ डायरे स और बोड ऑफ़ डायरे स को समा कर िदया
co
गया.
भारत के िलए रा सिचव (ि िटश कैिबनेट का एक सद ) का पद सृ िजत िकया गया. उसकी सहायता
के िलए 15 सद ों वाली एक प रषद् बनाई गई (भारत प रषद् ). वह ाउन की श यों का योग करता
था.
रा सिचव,. गवनर जनरल के मा म से भारत पर शासन करता था. गवनर जनरल को वायसराय कहा
जाने लगा और वह भारत म ाउन का ितिनिध था.
एक एका क और अ िधक क ीकृत शासिनक ढां चा बनाया गया.
सद , बंगाल चै र ऑफ़ कॉमस ारा नािमत िकये जाने लगे और ां तीय िवधानप रषदों के सद कुछ
िनि त थानीय िनकायों जैसे िव िव ालय, िजला बोड और नगरपािलकाओं ारा नािमत िकये जाने लगे .
भारत म ितिनिध णाली की शु आत.
sc
बारी बारी से यू पी/बं गाल के मु म भूिम मािलकों ारा और बं बई एवं कलक ा के चै स ऑफ कॉमस
ारा.
मु म पृ थक िनवाचन से चुने जाते थे.
बजट से पू व ाव लाए जा सकते थे और उ अंितम ा प म शािमल िकया जा सकता था.
पू रक पूछे जा सकते थे.
m
मोंटे ू (रा सिचव) – चे फोड (वायसराय) सुधारों के नाम से जाना जाता है .
“उ रदायी सरकार” के िवचार पर जोर िदया गया.
ह ां तरण िनयम :
शासन के िवषयों को दो वग म बांटा गया – “के ीय” और “ ां तीय”
co
o अ खल भारतीय मह के िवषयों (जैसे रे लवे और िव ) के ीय वग म रखे गए,
o जबिक ा ों के शासन से स ंिधत िवषय ांतीय वग म रखे गए.
ा ों म ै ध शासन की शु आत की गई. शासन के ां तीय िवषयों को दो वग म बां टा गया – ‘आरि त’
एवं ‘ह ां तरणीय’ िवषय.
ह ां तरणीय िवषयों पर िवधान प रषद् के ित उ रदायी मंि यों की सहायता से गवनर शासन करता
था. गवनर और उसकी कायकारी प रषद आरि त िवषयों (रे ल, डाक, तार, िव , कानून एवं व था
n.
आिद) पर शासन करती थी जो िवधाियका के ित िकसी भी तरह उ रदायी नहीं थी.
ल न म भारतीय उ ायु का एक कायालय खोला गया.
पहली बार भारतीय िवधाियका “ि सदनीय” ई.
सां दाियक ितिनिध बढाकर िसखों को भी िदया गया.
अब ‘भारत के िलए रा सिचव’ को ि िटश राजकोष से वेतन िदया जाने लगा.
ya
भारत सरकार अिधिनयम, 1935:
एक संघ बनाने का यास
वैधािनक श यों का ि रीय िवभाजन – जै से तीन सूिचयाँ – संघीय, ांतीय और समवत सू ची.
g
दोनों रा ों की संिवधान सभा को अपने अनुसार अपना िकसी भी कार का सं िवधान बनाने और उसे
अपनाने की असीिमत श दी गई.
भारतीय रा ों पर ाउन के शासन को समा कर िदया गया.
भारत के िलए रा सिचव के पद को समा कर िदया गया.
m
1820-1828
हेलखंड
रायबरे ली के सैयद अहमद
वलीउ ाह के संदेशों का चार, धम म गत अं तरा ा की भूिमका पर जोर िदया.
co
समाज
रजा राममोहन रॉय, केशव च सेन, दे वे नाथ टै गोर
मानव की े ता पर जोर िदया और सती जैसी सामािजक कु थाओं की आलोचना की.
1828
कलक ा
यंग बंगाल (1826-1832)
कलक ा
हे नरी िविवयन डे रोिज़यो n.
Opposed vices in the society; believed in truth, freedom, & reason; social reform
धम सभा
1830-कलक ा-राधा का दे व
ya
समाज आं दोलन के िवरोध के िलए थािपत और
सती सिहत उदार और िढ़वादी सुधारों के खलाफ़
कूका/नामधारी आं दोलन
1841-1871
उ र पि म सीमा ा और लुिधयाना
भाई बालक िसंह और बाबा राम िसंह
g
बं बई
डॉ आ ाराम पां डुरं ग
िह दू धािमक िवचारों म सुधार और आधु िनक ान के अनुसार थाए
भारतीय सुधार संघ
1870
कलक ा
S
केशब च सेन
बाल िववाह के खलाफ जनमत खड़ा करना और िववाह के प को क़ानूनी मा ता िदलाना
िव ानों और समाज सेवा का ो ाहन
आय समाज
1875
बं बई
ामी दयानंद सर ती
उ र भारत म िह दू धम म सुधार
िथयोसोिफकल सोसाइटी
1875
ूयॉक
मैडम एचपी ावा की और कनल एच.एस. आलकट
m
ाचीन धम का पु न ार और सश करण
िहं दु , द न का जर ु और बौ
डे न एजुकेशन सोसाइटी
1884
co
पु णे
महादे व गोिव रानाडे .
पि मी भारत म िश ा और संकृित के िलए योगदान
सेवा सदन
1885
बं बई
बे हरामजी और एम. मालाबारी
रामकृ
िमशन
1887, कलक ा
ामी िववेकानंद
n.
बाल िववाह और जबरन िवधवापन के खलाफ चार और सामािजक शोिषत मिहलाओं की संभाल
ya
सामािजक काय और मानवतवाद को बढ़ावा दे ना
भारतीय रा ीय सामािजक स लेन (भारतीय रा ीय कां ेस का समाज सु धार को )
1887
बं बई
एम. जी. रानाडे और रघुनाथ राव
समाज सुधार से जुड़े मु ों पर ान के त करना.
g
दे व समाज
1887
लाहौर
sc
िशव नारायण अि हो ी
समाज के नजदीकी िवचार. इ ोने अपने अनुयािययों को नैितकता और सामािजक िनयमों का पालन
करने को कहा जैसेिक हे ज न लेना, जुआ नहीं खेलना आिद.
भारत धम महामंडल
1902
वाराणसी
S
बं बई
गोपाल कृ गोखले
समाज सुधार के काय करना और “भारत की से वा के िलए रा ीय िमशन रयों को तै यार करना”
पूना सेवा सदन
1909
पु णे
जी. के. दे वधर और
m
रमाबाई रानाडे
आिथक उ ान के िलए सं थाओं की थापना और मिहलाओं के िलए रोजगार
भारत ी मंडल
1910
co
कलक ा
सरलाबाला दे वी चौधरानी
मिहला िश ा के िलए काय करने वाली पहली अ खल भारतीय सं था
इं िडया िवमस एसोिसएशन
1917
म ास
एनी बे सट
मु
िलए”
म समाज सुधार/संगठन
n.
भारतीय मिहलाओं के उ ान के िलए काय और “उनके िलए एक तं लं बा जीवन सुिनि तत करने के
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खुदाई खदमतगार आं दोलन
1929.
उ र-पि म सीमा ा
खान अ ु ल ग ार खां
सीमा के लोगों का उ यन और उ तं ता के िलए तै यार करना.
दे वबंद आं दोलन
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ोितबा फुले
छु आछूत, ा णवाद का िवरोध, सामािजक समानता म िव ास और िश ा ारा िन /दिलत जाितयों का
उ यन
अरिव ुरम आं दोलन
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1888
अरिव ुरम, केरल
ी नारायण गु
िन जाितयों के खलाफ सामािजक अ मताओं/भेदभाव का िवरोध, सामािजक समानता म िव ास,
ा णवाद पर आ मण और िन जाितयों को िशि त करके उनका उ यन.िन जाितयों के लोगों के
मंिदरों म वेश की मां ग
िद िड े ड
1906
बं बई
ासेज िमशन
1924
बं बई
डॉ भीमराव अ ेडकर
िह दू जाित और अ ृ के बीच सामािजक समानता का स े श चा रत करना. दिलत वग के िलए
संवैधािनक सुर ा की मां ग.
आ -स ान आं दोलन
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1925
म ास (तिमलनाडु )
ई. वी. रामा ामी
ा ण-िवरोधी और िह दू िढ़वािदता सुधार आं दोलन, िबना पु जारी के शादी का समथन, मंिदरों म
जबरन वेश, िह दू सामािजक िनयमों की पू णतः अव ा करना
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को िचिक ा, िश ा और तकनीकी सुिवधाएँ मुहैया कराना
तं सेनानी
लोकमा ितलक
1856-1920
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गणेश चतुथ और िशवाजी रा ािभषेक िदवस उ वों को ारं भ िकया. 1916 म होल ल आं दोलन म भाग
िलया. अं ेजों ारा “सबसे बड़ा दे श ोही” और “भारतीय असं तोष का जनक” कहा जाता था.
ी अरिव घोष n.
रा ीय िश ा के िवकास और ब े मातरम के संपादन (िबिपन च पाल ारा शु िकया गया) के उनके काय
ने बं गाल िवभाजन आं दोलन को अ िधक गित दी. कलक ा के नेशनल कॉले ज म काय करने के िलए बड़ौदा
की अपनी अ ी नौकरी छोड़ी.
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चापेकरबंधू – दामोदर चापेकर और बालकृ चापे कर ने दो अं ेज अफसरों रड और आिट की ह ा कर
दी.
सावरकर बंधू
गणेश सावरकर, िवनायक दामोदर सावरकर और नारायण सावरकर. वी. दी. सावरकर ने ल न म ू इं िडया
एसोिसएशन का गठन िकया. ामजी कृ वमा ारा थािपत इं िडया हाउस म भाषणों का आयोजन करते थे.
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औरं गाबाद म जै न की ह ा से उनका जोड़ा गया. 1911-24 तक अंडमान म कैद की सजा दी गई. बाद म
दो उ कैद की सजा और काला पानी.
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ामजी कृ वमा
इं िडया हाउस िवनायक दामोदर सावरकर, सरदार िसंह रना, मैडम भीकाजी कामा और मदनलाल धींगरा का
क आ करता था. मैडम कामा ने जमनी के ु ट ाद म ए अंतरा ीय स ले न म भारत का ितिनिध
िकया था.
इ ोने भारत रा सिचव कज़न वायली के सहायक की गोली मारकर ह ा कर दी थी. गोपाल कृ गोखले ने
इसे भारत का नाम ख़राब करने वाला एक घृ िणत काय बताया था.
चं शेखर आज़ाद
भगत िसंह, राजगु के साथ सां डस (िजस लाठी चाज म लाला लाजपत राय की मृ ु ई उसकी आ ा दे ने
वाला अफसर) ह ा म शािमल. इ ोने उस टे न को उड़ाने की योजना बनाई थी िजसम वायसराय लाड इरिवन
या ा कर रहे थे. इलाहबाद के अ े ड पाक म एक पु िलस एनकाउं टर म ये शहीद हो गए.
हरिकशन तलवार
पं जाब के गवनर को गोली मारी लेिकन बाद म केवल घायल होने पर भाग गए. बाद म इ फां सी पर चढ़ा
िदया गया.
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भगत िसंह: छािबल दास और यशपाल के साथ पं जाब नौजवान भारत सभा की थापना की.
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सुभाष च बोस: 1920 म िसिवल सेवा परी ा पास की लेिकन दे श के काय को ाथिमकता दी. 1923 म
आप कलक ा के महापौर िनवािचत ए लेिकन शी ही िगर ार कर मां डले जेल भेज िदए गए. 1938 म
कां ेस के ह रपु रा अिधवेशन म अ िनयु िकये गए. वे अपने िम भगत राम के साथ काबुल चले गए और
िफर वहां से िहटलर से िमलने जमनी चले गए. उ पहली बार जमनी म नेताजी संबोिधत िकया गया था.
उधम िसं ह: 1940 म इं ड म रहते ए, उधम िसं ह ने पं जाब के पू व गवनर माइकल ओ डायर को गोली मार
दी. n.
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