Refrigeration and Air Conditioning IIT Kharagpur

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फाफय

भक्
ु त ऻानकोश विककऩीडिमा से
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ज़ाहिर-उद-दीन

भुगर शाह, अर-सुल्तानु इ आज़भ िा इ हकाभ,


ऩादशाह-ए-ााज़ी

ऱाजक़ाऱ 1526–1530

जन्म 1483

फ़यगना घाटी

मत्ृ यु 26 ददसम्फय, 1530

आगया

दफ़न प्रथभत् आगया, कपय काफुर


पर्
ू ़ााधिक़ारी कोई नहीॊ

उत्तऱाधिक़ारी हुभामुॉ

पपत़ा उभय शेऽ मभज़ा़ा

म़ात़ा कुतरुग ननााय ऽानभ

जहिर उद-हदन मुिम्मद फाफय (14 फ़यियी 1483 - 26 ददसम्फय 1530) जो ब़ाबर के नाभ से प्रमसद्ध हुआ,
एक भुगर शासक था . जजनका भूर भध्म एमशमा था। िह बायत भें भुगर िॊश का सॊस्थाऩक था। िो तैभूय
रॊग के ऩयऩोते था, औय विश्िास यखते था कक चॊगेज़ ऽान उनके िॊश के ऩूिज
़ा था। भफ
ु ईमान नाभक ऩद्म शैरी
का जन्भदाता फाफय को ही भाना जाता है। 1504 ई.काफर
ु तथा 1507 ई भें कॊधाय को जीता था तथा फादशाह
(शाहों का शाह) की उऩाधध धायण की 1519 से 1526 ई. तक बायत ऩय उसने 5 फाय आक्रभण ककमा तथा
सपर हुआ 1526 भें उसने ऩानीऩत के भैदान भें ददल्री सल्तनत के अॊनतभ सल्
ु तान इब्रादहभ रोदी को हयाकय
भुगर िॊश की नीॊि यखी उसने 1527 भें खानिा 1528 भैं चॊदेयी तथा 1529 भें आगया जीतकय अऩने याज्म
को सपर फना ददमा 1530 ई० भें उसकी भत्ृ मु हो गई

अनक्र
ु म

 1आयॊ मबक जीिन


o 1.1नाभ
 2सैन्म जीिन
 3उत्तय बायत ऩय चढाई
o 3.1इब्रादहभ रोदी
o 3.2याजऩत

 4अजन्तभ ददन
 5इन्हें बी दे खें
 6सन्दब़ा

आयॊ मबक जीिन[सॊऩाददत कयें ]


Umar Shaykh Mirza, 1875-1900

फाफय का जन्भ फ़यगना घाटी के अन्दीझान नाभक शहय भें हुआ था जो अफ उज्फेककस्तान भें है । िो अऩने
वऩता उभय शेऽ मभज़ा़ा, जो पयगना घाटी के शासक थे तथा जजसको उसने एक दिगने कद के तगडे जजस्भ,
भाॊसर चेहये तथा गोर दाढी िारे व्मजक्त के रूऩ भें िर्ण़ात ककमा है , तथा भाता कुतरुग ननगाय खानभ का
ज्मेष्ि ऩुत्र था। हाराॉकक फाफय का भूर भॊगोमरमा के फरा़ास कफीरे से सम्फजन्धत था ऩय उस कफीरे के रोगों
ऩय पायसी तथा तक
ु ़ा जनजीिन का फहुत असय यहा था, िे इस्राभ भें ऩरयिनत़ात हुए तथा उन्होने तक
ु े स्तान को
अऩना िासस्थान फनामा। फाफय की भातबृ ाषा चाताई बाषा थी ऩय फ़ायसी, जो उस सभम उस स्थान की आभ
फोरचार की बाषा थी, भें बी िो प्रिीण था। उसने चगताई भें फाफयनाभा के नाभ से अऩनी जीिनी मरखी।

भॊगोर जानत (जजसे फ़ायसी भें भुगर कहते थे) का होने के फािजद
ू उसकी जनता औय
अनच
ु य तक
ु ़ा तथा फ़ायसी रोग थे। उसकी सेना भें तक
ु ़ा , पायसी, ऩश्तो के अरािा फरा़ास तथा भध्म एमशमाई कफीरे
के रोग बी थे।

कहा जाता है कक फाफय फहुत ही तगडा औय शजक्तशारी था। ऐसा बी कहा जाता है कक मसफ़़ा व्मामाभ के मरए
िो दो रोगों को अऩने दोनो कॊधों ऩय रादकय उन्नमन ढार ऩय दौड रेता था। रोककथाओॊ के अनुसाय फाफय
अऩने याह भें आने िारी सबी नददमों को तैय कय ऩाय कयता था। उसने गॊगा को दो फाय तैय कय ऩाय ककमा।[1]

ऩाम[सॊऩाददत कयें ]
फाफय के चचेये बाई ममज़ाा मि
ु म्मद िैदर ने मरखा है कक उस सभम, जफ चागताई रोग असभ्म तथा असॊस्कृत
थे तफ उन्हे ज़दहय उद-ददन भुहम्भद का उच्चायण कदिन रगा। इस कायण उन्होंने इसका नाभ ब़ाबर यख ददमा।

सैन्म जीिन[सॊऩाददत कयें ]


सन ् 1494 भें 11िष़ा की आमु भें ही उसे फ़यगना घाटी के शासक का ऩद सौंऩा गमा। उसके चाचाओॊ ने इस
जस्थनत का फ़ामदा उिामा औय फाफय को गद्दी से हटा ददमा। कई सारों तक उसने ननिा़ासन भें जीिन बफतामा
जफ उसके साथ कुछ ककसान औय उसके सम्फॊधी ही थे। 1496 भें उसने उज़्फेक शहय सभयकॊद ऩय आक्रभण
ककमा औय 7 भहीनों के फाद उसे जीत बी मरमा। इसी फीच, जफ िह सभयकॊद ऩय आक्रभण कय यहा था तफ,
उसके एक सैननक सयगना ने फ़यगना ऩय अऩना अधधऩत्म जभा मरमा। जफ फाफय इसऩय िाऩस अधधकाय कयने
फ़यगना आ यहा था तो उसकी सेना ने सभयकॊद भें उसका साथ छोड ददमा जजसके परस्िरूऩ सभयकॊद औय
फ़यगना दोनों उसके हाथों से चरे गए। सन ् 1501 भें उसने सभयकॊद ऩय ऩन
ु ् अधधकाय कय मरमा ऩय जल्द
ही उसे उज़्फेक ऽान मि
ु म्मद श़ायब़ानी ने हया ददमा औय इस तयह सभयकॊद, जो उसके जीिन की एक फडी
ख्िादहश थी, उसके हाथों से कपय िाऩस ननकर गमा।

पयगना से अऩने चन्द िफ़ादाय सैननकों के साथ बागने के फाद अगरे तीन सारों तक उसने अऩनी सेना
फनाने ऩय ध्मान केजन्ित ककमा। इस क्रभ भें उसने फडी भात्रा भें फदख़्शान प्राॊत के ताजज़कों को अऩनी सेना भें
बती ककमा। सन ् 1504 भें दहन्दक
ू ु श की फफ़़ीरी चोदटमों को ऩाय कयके उसने काफुर ऩय अऩना ननमॊत्रण स्थावऩत
ककमा। नए साम्राज्म के मभरने से उसने अऩनी ककस्भत के मसताये खर
ु ने के सऩने दे खे। कुछ ददनों के फाद
उसने हे यात के एक तैभयू िॊशी हुसैन फैकयह, जो कक उसका दयू का रयश्तेदाय बी था, के साथ भह
ु म्भद शामफानी के
विरुद्ध सहमोग की सॊधध की। ऩय 1506 भें हुसन
ै की भत्ृ मु के कायण ऐसा नहीॊ हो ऩामा औय उसने हे यात ऩय
अऩना ननमॊत्रण स्थावऩत कय मरमा। ऩय दो भहीनों के बीतय ही, साधनों के अबाि भें उसे हे यात छोडना ऩडा।
अऩनी जीिनी भें उसने हे यात को "फुवद्धजीविमों से बये शहय" के रूऩ भें िर्ण़ात ककमा है। िहाॉ ऩय
उसे मुईगूय कवि भीय अरी शाह निाई की यचनाओॊ के फाये भें ऩता चरा जो चागताई बाषा को सादहत्म की बाषा
फनाने के ऩऺ भें थे। शामद फाफय को अऩनी जीिनी चागताई बाषा भें मरखने की प्रेयणा उन्हीॊ से मभरी होगी।

काफर
ु रौटने के दो सार के बीतय ही एक औय सयगना ने उसके र्ऽराफ़ वििोह ककमा औय उसे काफर
ु से
बागना ऩडा। जल्द ही उसने काफुर ऩय ऩन
ु ् अऩना ननमॊत्रण स्थावऩत कय मरमा। इधय सन ् 1510 भें फ़ायस के
शाह इस्भाईर प्रथभ, जो सफ़ीिी िॊश का शासक था, ने भह
ु म्भद शामफानी को हयाकय उसकी हत्मा कय िारी।
इस जस्थनत को दे खकय फाफय ने हे यात ऩय ऩुन् ननमॊत्रण स्थावऩत ककमा। इसके फाद उसने शाह इस्भाईर प्रथभ
के साथ भध्म एमशमा ऩय मभरकय अधधऩत्म जभाने के मरए एक सभझौता ककमा। शाह इस्भाईर की भदद के
फदरे भें उभने साफ़विमों की श्रेष्िता स्िीकाय की तथा खद
ु एिॊ अऩने अनम
ु ानममों को साफ़विमों की प्रबत
ु ा के
अधीन सभझा। इसके उत्तय भें शाह इस्भाईर ने फाफय को उसकी फहन ऽानज़दा से मभरामा जजसे शामफानी,
जजसे शाह इस्भाईर ने हार ही भें हया कय भाय िारा था, ने कैद भें यऽा हुआ था औय उससे वििाह कयने की
फरात कोमशश कय यहा था। शाह ने फाफय को ऐश-ओ-आयाभ तथा सैन्म दहतों के मरमे ऩयू ी सहामता दी
जजसका ज़फाफ फाफय ने अऩने को मशमा ऩयम्ऩया भें ढार कय ददमा। उसने मशमा भुसरभानों के अनुरूऩ िस्त्र
ऩहनना आयॊ ब ककमा। शाह इस्भाईर के शासन कार भें फ़ायस मशमा भस
ु रभानों का गढ फन गमा औय िो
अऩने आऩ को सातिें मशमा इभाभ भूसा अर ़ाजज़भ का िॊशज भानता था। िहाॉ मसक्के शाह के नाभ भें ढरते
थे तथा भजस्ज़द भें खत
ु फे शाह के नाभ से ऩढे जाते थे हाराॉकक ़ाफुर भें मसक्के औय खत
ु फे फाफय के नाभ से
ही थे। फाफय सभयकॊद का शासन शाह इस्भाईर के सहमोगी की हैमसमत से चराता था।

शाह की भदद से फाफय ने फख


ु ाया ऩय चढाई की। िहाॉ ऩय फाफय, एक तैभूयिॊशी होने के कायण, रोगों की नज़य
भें उज़्फेकों से भजु क्तदाता के रूऩ भें दे खा गमा औय गाॉि के गाॉि उसको फधाई दे ने के मरए खारी हो गए।
इसके फाद पायस के शाह की भदद को अनािश्मक सभझकय उसने शाह की सहामता रेनी फॊद कय दी।
अक्टूफय 1511 भें उसने सभयकॊद ऩय चढाई की औय एक फाय कपय उसे अऩने अधीन कय मरमा। िहाॉ बी
उसका स्िागत हुआ औय एक फाय कपय गाॉि के गाॉि उसको फधाई दे ने के मरए खारी हो गए।
िहाॉ सुन्नी भुरसभानों के फीच िह मशमा िस्त्रों भें एकदभ अरग रग यहा था। हाराॉकक उसका मशमा हुमरमा
मसफ़़ा शाह इस्भाईर के प्रनत साम्मता को दशा़ाने के मरए थी, उसने अऩना मशमा स्िरूऩ फनाए यखा। मद्मवऩ
उसने पायस के शाह को खश
ु कयने हे तु सजु न्नमों का नयसॊहाय नहीॊ ककमा ऩय उसने मशमा के प्रनत आस्था बी
नहीॊ छोडी जजसके कायण जनता भें उसके प्रनत बायी अनास्था की बािना पैर गई। इसके परस्िरूऩ, 8 भहीनों
के फाद, उज्फेकों ने सभयकॊद ऩय कपय से अधधकाय कय मरमा।

उत्तय बायत ऩय चढाई[सॊऩाददत कयें ]

ददल्री सल्तनत ऩय र्ऽरज़ी याजिॊश के ऩतन के फाद अयाजकता की जस्थनत फनी हुई थी। तैभूयरॊग के आक्रभण
के फाद सैय्मदों ने जस्थनत का फ़ामदा उिाकय ददल्री की सत्ता ऩय अधधऩत्म कामभ कय मरमा। तैभुय रॊग के
द्िाया ऩॊजाफ का शासक फनाए जाने के फाद र्खज्र खान ने इस िॊश की स्थाऩना की थी। फाद भें रोदी
याजिॊश के अफ़ाानों ने सैय्मदों को हया कय सत्ता हधथमा री थी।

इब्ऱाहिम ऱोदी[सॊऩाददत कयें ]


फाफय को रगता था कक ददल्री की सल्तनत ऩय कपय से तैभूयिॊमशमों का शासन होना चादहए। एक तैभूयिॊशी
होने के कायण िो ददल्री सल्तनत ऩय कब्ज़ा कयना चाहता था। उसने सल्
ु तान इब्रादहभ रोदी को अऩनी इच्छा
से अिगत कयामा (स्ऩष्टीकयण चादहए)। इब्रादहभ रोदी के जफाफ नहीॊ आने ऩय उसने छोटे -छोटे आक्रभण कयने
आयॊ ब कय ददए। सफसे ऩहरे उसने कॊधाय ऩय कब्ज़ा ककमा। इधय शाह इस्भाईर को तक
ु ों के हाथों बायी हाय का
साभना कयना ऩडा। इस मुद्ध के फाद शाह इस्भाईर तथा फाफय, दोनों ने फारूदी हधथमायों की सैन्म भहत्ता
सभझते हुए इसका उऩमोग अऩनी सेना भें आयॊ ब ककमा। इसके फाद उसने इब्रादहभ रोदी ऩय आक्रभण ककमा।
ऩानीऩत भें रडी गई इस रडाई को ऩानीऩत का प्रथभ मद्ध
ु के नाभ से जानते हैं। मह मद्ध
ु फाफयनाभा के
अनुसाय 21 अप्रैर 1526 को रडा गमा था। इसभें फाफय की सेना इब्रादहभ रोदी की सेना के साभने फहुत
छोटी थी। ऩय सेना भें सॊगिन के अबाि भें इब्रादहभ रोदी मह मद्ध
ु फाफय से हाय गमा। इसके फाद ददल्री की
सत्ता ऩय फाफय का अधधकाय हो गमा औय उसने सन १५२६ भें भुगरिॊश की नीॊि िारी।

ऱाजपत
ू [सॊऩाददत कयें ]
याणा साॊगा के नेतत्ृ ि भें याजऩत
ू कापी सॊगदित तथा शजक्तशारी हो चक
ु े थे। याजऩत
ू ों ने एक फडा-सा ऺेत्र
स्ितॊत्र कय मरमा था औय िे ददल्री की सत्ता ऩय काबफज़ होना चाहते थे। फाफय की सेना याजऩूतों की आधी
बी नहीॊ थी। 17 भाच़ा 1527 भें खानिा की रडाई याजऩत
ू ों तथा फाफय की सेना के फीच रडी गई। याजऩत
ू ों का
जीतना ननजश्चत रग यहा था। ऩय मद्ध
ु के दौयान ने याणा साॊगा का साथ छोड ददमा औय फाफय से जा मभरे।
इसके फाद याणा साॊगा घामर अिस्था भे उनके साधथमो ने मुद्ध से फाहय कय ददमा औय एक आसान-सी रग
यही जीत उसके हाथों से ननकर गई। इसके एक सार के फाद याणा साॊगा की 30 जनियी 1528 को भौत हो
गई। इसके फाद फाफय ददल्री की गद्दी का अवििाददत अधधकायी फन गमा। आने िारे ददनों भें भुगर िॊश ने
बायत की सत्ता ऩय 331 सारों तक याज ककमा।
खानिा का मुद्ध 17 भाच़ा 1527 भें भेिाड के शासक याणा साॊगा औय फाफय के भध्म हुआ था। इस भें इब्रादहभ
रोदी के बाई भेहभदू रोदी ने याणा का साथ ददमा ददमा था इसभें याणा साॊगा की हाय हुई थी औय फाफय की
विजम हुई थी। मही से फाफय ने बायत भें यहने का ननश्चम ककमा इस मद्ध
ु भें हीॊ प्रथभ फाय फाफय ने धभ़ा मद्ध

जेहाद का नाया ददमा इसी मद्ध
ु के फाद फाफय ने गाजी अथा़ात दानी की उऩाधध री थी। ।

चॊदेयी ऩय आक्रभण भेिाड विजम के ऩश्चात फाफय ने अऩने सैननक अधधकारयमों को ऩि


ू ़ा भें वििोदहमों का दभन
कयने के मरए बेजा क्मोंकक ऩूयफ भें फॊगार के शासक नस
ु यत शाह ने अफ़गानों का स्िागत ककमा था औय
सभथ़ान बी प्रदान ककमा था इससे उत्सादहत होकय अऩनों ने अनेक स्थानों से भुगरों को ननकार ददमा था
फाफय को बयोसा था कक उसका अधधकायी अपगान वििोदहमों का दभन कयें गे अत् उसने चॊदेयी ऩय आक्रभण
कयने का ननजश्चत कय मरमा चॊदेयी का याजऩत
ू शासक भेदनी याम हिा भें याणा साॊगा की ओय से रडा था औय
अफ चॊदेयी भैं याजऩत
ू सत्म का ऩुनग़ािन हो यहा था चॊदेयी ऩय आक्रभण कयने के ननश्चम से ऻात होता है कक
फाफय की दृजष्ट भें याजऩूत सॊगिन गानों की अऩेऺा अधधक गॊबीय था अत् िह याजऩत
ू शजक्त को नष्ट कयना
अधधक आिश्मक सभझता था चॊदेयी का व्माऩारयक तथा सैननक भहत्ि था िह भारिा तथा याजऩत
ू ाने भें प्रिेश
कयने के मरए उऩमुक्त स्थान था फाफय ने सेना चॊदेयी ऩय आक्रभण कयने के मरए बेजी थी उसे याजऩत
ू ों ने
ऩयाजजत कय ददमा इससे फाफा ने स्िमॊ चॊदेयी जाने का ननश्चम ककमा क्मोंकक मह सॊबि है कक चॊदेयी याजऩत

शजक्त का केंि ना फन जाए है कक उनके अनुसाय हुआ चॊदेयी के विरुद्ध रडने के मरए 21 जनियी 1528 को
बी घोवषत ककमा क्मोंकक इस घोषणा से उसे चॊदेयी की भजु स्रभ जनता का जो फडी सॊख्मा भें से सभथ़ान प्राप्त
होने की आशा थी औय जजहाद के द्िाया याजऩत
ू ों तथा इन भजु स्रभों का सहमोग योका जा सकता था उसने
भेदनी याम के ऩास सॊदेश बेजा कक िह शाॊनत ऩूण़ा रूऩ से चॊदेयी का सभऩ़ाण कय दे तो उसे शभशाफाद की
जागीय दी जा सकती है भेदनी याम नमा प्रस्ताि अस्िीकाय कय ददमा याजऩत
ू जस्त्रमों ने जौहय ककमा औय
याजऩत
ू ों ने बमॊकय मुद्ध ककमा रेककन फाफय के अनुसाय उसने तो खाने की भदद से एक ही घॊटे भेंचद
ॊ े यी ऩय
अधधकाय कय मरमा उसने चॊदेयी का याज्म भारिा सल्
ु तान के िॊशज अहभद शाह को दे ददमा औय उसे आदे श
ददमा कक िह 20 राख दाभ प्रनत िष़ा शाही कोष भें जभा कयें

घाघया का मुद्ध

फीच भें भहभदू रोधी बफहाय फहुत गमा औय उसके नेतत्ृ ि भें एक राख सैननक एकबत्रत हो गए इसके फाद
अखफायों ने ऩिू ी ऺेत्रों ऩय आक्रभण कय ददमा भहभद
ू का रोधी चन
ु ाय तक आमा ऐसी जस्थनत भें फाफय ने
उनसे मद्ध
ु कयने के साथ जनियी 1529 ईस्िी भें आगया से प्रस्थान ककमा अनेक अपगान सयदायों ने उनकी
आधा स्िीकाय कय री रेककन भख्
ु म अपगान सेना जैसे फॊगार के शासक नुसयत शाह का सभथ़ान प्राप्त था
गॊिक नदी के ऩि
ू ी तट ऩय थी फाफय ने गॊगा नदी ऩाय कयके घाघया नदी के ऩास आप गानों से घभासान मद्ध

कयके उन्हें ऩयाजजत ककमा फाफय ने नुसयत सा से सॊधध की जजसके अनुसाय अनस
ु ाय शाह ने अपगान वििोदहमों
को शयण ना दे ने का िचन ददमा फाफय ने अपगान जरार खान को अऩने अधीन था भैं बफहाय का शासक
स्िीकाय कय मरमा औय उसे आदे श ददमा कक िह शेय खा को अऩना भॊत्री यखें

अजन्तभ ददन[सॊऩाददत कयें ]


कहा जाता है कक अऩने ऩुत्र हुभामुॊ के फीभाय ऩडने ऩय उसने अल्राह से हुभामुॉ को स्िस््म कयने तथा उसकी
फीभायी खद
ु को ददमे जाने की प्राथ़ाना की थी। इसके फाद फाफय का स्िास््म बफगड गमा औय अॊतत् िो 1530
भें 48 िष़ा की उम्र भें भय गमा। उसकी इच्छा थी कक उसे काफर
ु भें दफ़नामा जाए ऩय ऩहरे उसे आगया भें
दफ़नामा गमा। रगबग नौ िषों के फाद हुभामू ने उसकी इच्छा ऩूयी की औय उसे काफुर भें दफ़ना ददमा।[2][3]

== भुार सम्राटों का कारक्रभ == जफ तक जहा भे इॊसान अकेरा होता है सपरता भें दनु नमा उसके साथ
होती है जफ-जफ जग जजस ऩय हॊ सा है तफ-तफ उसी ने इनतहास यच है कक इस

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