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संपूर्ण इकोनॉमी का सार FULL ECONOMY SUMMARY GIST COMPLETE GK PDF
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संपूण इकोनॉमी का सार FULL ECONOMY SUMMARY COMPLETE GK GS REVISION NOTES GIST NCERT UPSC IAS PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS
APPSC UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC ahc aro general knowledge
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ENGLISH MEDIUM -FULL INDIAN
POLITY SUMMARY COMPLETE GENERAL
KNOWLEDGE GK GS REVISION NOTES
GIST NCERT laxmikant polity UPSC IAS
PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC
आ थक एवं सामा जक वकास CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS APPSC
UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC LOWER
PCS ALLAHABAD ARO RO AHC ARO
An MBA for Civil Engineers to open MANDI PARISHAD VDO VYAPAM SSC CGL
the doors of techno managerial…
CHSL GD RPF POLICE SI CONSTABLE
RICS SBE Apply Now
CLERK previous year questions paper
February 18, 2019
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
हद मा यम -संपूण भारतीय रा य व था का सार
आ थक वकास
FULL INDIAN POLITY SUMMARY
भारतीय अथ व था का व प COMPLETE GENERAL KNOWLEDGE GK GS
अं ेज से पूव भारतीय अथ व था क कृ त ामीण थी तथा व था अ वक सत थी। REVISION NOTES GIST NCERT laxmikant
polity UPSC IAS PCS UPPSC UPSSSC SSC
गांव एक पृथक इकाई थी तथा वसाय वंशानुगत था। यहां का मुख वसाय कृ ष था, ले कन उ ोग के े म
BPSC MPPSC CGPSC RAS OPSC PPSC HAS
भी यह उ त था।
KAS APPSC UKPSC GD UPP UP POLICE
भारत ारा उ पा दत रेशमी व सूती व , व म उ म वा लट के माने जाते थे।
BSSC LOWER PCS ALLAHABAD ARO RO
यहां संगमरमर का काय, न काशी का काय, सोने-चांद के आभूषण व प थर पर तराशी का काय ब त ही उ म
क म का होता था। अतः इनका नयात कया जाता था।
नयात क व तु म नील, अफ म व मसाले भी शा मल थे। इस कार स हव व अ ारहव शता दय तक AHC ARO MANDI PARISHAD VDO
भारतीय अथ व था अपने परंपरागत व प म ग तमान रही। VYAPAM SSC CGL CHSL GD RPF POLICE SI
वतं ता ा त के प ात भारतीय अथ व था पछड़ी, अ प वक सत, ग तहीन व सु त अथ व था थी। REVISION NOTES GIST NCERT UPSC IAS
PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC
कसी भी दे श का वकास उस दे श क कृ ष एवं उ ोग पर आधा रत होता है। कृ ष के लए श , साख,
CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS APPSC
प रवहन आ द चा हए तो उ ोग के लए मशीनरी, वपणन, सु वधा, प रवहन, संदेशवाहन आ द य द कोई दे श
UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC LOWER
तेजी से वकास करना चाहता है, तो उसे इस आधारभूत ढांचे म –
PCS ALLAHABAD ARO RO AHC ARO
MANDI PARISHAD VDO VYAPAM SSC CGL
1. श – कोयला, तेल, सूयश , वायु आ द।
CHSL GD RPF POLICE SI CONSTABLE
2. संदेशवाहन – डाक, तार, टे लीफोन, रे डयो, बेतार का तार आ द।
CLERK
3. बक, व व बीमा February 11, 2019
4. व ान व तकनीक
संपूण भारतीय रा य व था का सार FULL INDIAN
5. कुछ सामा जक मद जैसे – श ा, वा य ह।
POLITY SUMMARY COMPLETE GENERAL
KNOWLEDGE GK GS REVISION NOTES
वतं ता के समय उपरो सभी आधारभूत ढांचे क कमी थी।
GIST NCERT laxmikant polity UPSC IAS
वतं ता के समय भारतीय अथ व था टे न क एक कॉलोनी का प ले चुक थी। कृ ष उदास थी, कसान
PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC
गरीब थे, कृ ष उ पादकता व म सबसे कम थी। संग ठत उ ोग थोड़े थे, ले कन बड़े शहर म के त थे, भारी
CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS APPSC
एवं आधारभूत उ ोग नही थे।
UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC LOWER
य प भारतीय अथ व था का एक पहलू उसके अ प वक सत व प का बोध कराता है, कतु नयोजन काल PCS ALLAHABAD ARO RO AHC ARO
क अव ध म भारतीय अथ व था के व प मे कुछ मूलभूत प रवतन ए ह, जनके आधार पर भारतीय MANDI PARISHAD VDO VYAPAM SSC CGL
अथ व था को वकासो मुख कहा जा सकता है। CHSL GD RPF POLICE SI CONSTABLE
वतं ता ा त के प ात भारत म आ थक नयोजन को वकास का आधार बनाया गया है। CLERK
February 11, 2019
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
नयोजना काल म भारतीय अथ व था का सं थागत ढांचा पया त प मे वक सत आ है। बढ़ता साज नक PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC
वकास य, बक एवं बीमा कंप नय का रा ीयकरण, ामीण व ुतीकरण, सड़क एवं रोल प हवहन का CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS APPSC
वकास, कृ ष का मशीनीकरण एवं ह रत ां त, औ ो गक व तार, बढ़ती श ा एवं वा य सु वधाएं आ द UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC LOWER
ऐसी अथ व था जसम नजी एवं सावज नक दोन े व मान होते ह म त अथ व था कहलाती है। SUMMARY COMPLETE GK GS REVISION
भारतीय अथ व था, म त अथ व था का एक मुख उदाहरण है। NOTES GIST NCERT UPSC IAS PCS UPPSC
UPSSSC SSC BPSC MPPSC CGPSC RAS
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
OPSC PPSC HAS KAS APPSC UKPSC GD
राजनी तक घटक
BPSC 64TH FULL ANSWER KEY CUTOFF
अंतररा ीय
bihar pcs paper 16 december 2018 pt
वै ा नक घटक
pre prelims preliminary gs general
भारतीय अथ व था वकासशील अथ व था है। वकासशील अथ व था म उ पादन का ढांचा, उ पादन के studies previous year paper 65 65th
व प एवं उ पा दत व तु म प रवतन होता है तथा सामा जक संबंध म भी वकास के साथ-साथ प रवतन December 16, 2018
होता है।
आ थक (दे
( शीय)) सीमा क संक पना October 2018
April 2018
आ थक सीमा का े
“आ थक हत का के ” मे दो बाते शा मल होती ह –
एक दे श के नवा सय ारा कया गया उ पादन, रा ीय उ पाद कहलाता है। यह उ पादन चाहे उस दे श क
आ थक सीमा म कया गया हो या उससे बाहर।
इसक तुलना म, उन सभी उ पादन इकाइय ारा कया गया उ पादन जो एक दे श क आ थक सीमा म थत है,
दे शीय उ पाद कहलाता है, चाहे यह उ पादन नवा सय ारा कया गया हो या गैर- नवा सय ारा कया गया है।
कसी दे श क आ थक सीमा म कया गया कुल उ पादन “घरेलू उ पाद’ होता है। कसी दे श के नवा सय ारा
कया गया कुल उ पादन ‘रा ीय उ पाद’ होता है।
रा ीय उ पाद = दे शीय उ पाद + दे श के नवा सय ारा आ थक सीमा से बाहर कया गया
– दे श क आ थक सीमा मे गैर- नवा सय
उ पाद ारा कया गया उ पादन
या
रा ीय उ पाद = दे शीय उ पाद + वदे श से ा त कारक आय – वदे शो को द गई कारक आय
या
य द वदे श से ा त कारक आय, वदे श को द गई कारक आय से अ धक होती है, तो वदे श से नबल कारक
आय धना मक होगी।
य द वदे श से ा त कारक आय, वदे श क द गई कारक आय से कम होती है, तो वदे श से नबल कारक आय
ऋणा मक होगी।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
औ ो गक वग करण
1. दे शीय व रा ीय
2. सकल व नबल
3. कारक लागत पर आक लत और बाजार क मत पर आक लत
= बाजार मू य पर दे शीय उ पाद – अ य
साधन लागत पर दे शीय उ पाद कर + सरकारी सहायता
(आ थक सहायता))
(आ थक सहायता))
रा ीय आय के आकलन क व धयां
आय व ध
य वध
उ पादन ((मू य संवृ द)) व ध – इसके अंतगत पहले हम येक े क म बाजार क मत पर सकल मू य संवृ द
ात करते ह और सभी े क क इस मू य संवृ द का योग करने म हमे बाजार क मत पर सकल घरेलू उ पाद
ात हो जाता है।
1. कमचा रय का पा र मक
2. कराया और राय ट
3. याज
4. लाभ
य वध
1. नजी अं तम उपभोग य
2. सरकारी अं तम उपभोग य
यो य आय
रा ीय यो य आय
1. सकल रा ीय यो य आय
2. नबल रा ीय यो य आय
भारत के संबंध म
वतं ता पूव सवा धक वै ा नक अनुमान वष 1931-32 म वी.के. आर. वी. राव ारा तुत कया गया।
वतं ता के प ात भारत म रा ीय आय क गणना हेतु वष 1949 म पी.सी. महालनो वस क अ य ता म रा ीय
आय स म त गठन कया गया।
तीन सद यीय इस स म त म डी.आर. गाड गल एवं वी.के.आर.वी. राव भी सद य थे।
इस स म त ारा वष 1951 म पहली, जब क वष 1954 म सरी रपोट तुत कया गया।
रा ीय आय क अवधारणाएं
यूएसए
चीन
जापान
जमनी
यूनाइटे ड कगडम
वष 2017-18 हेतु जारी अनं तम अनुमान म भारत क सकल रा ीय आय (GNI) थर क मत पर 6.7 तशत
क वृ द के साथ 128.64 लाख करोड़ पये अनुमा नत है।
चाल क मत पर भारत क GNI वष 2017 18 म 10 तशत क व द के साथ 165 87 लाख करोड़ पये
चालू क मत पर भारत क GNI वष 2017-18 म 10 तशत क वृ द क साथ 165.87 लाख करोड़ पय
अनुमा नत है।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
3. शु द रा ीय उ पाद ((NNP)
NNP)
MP = बाजार क मत पर
FC = साधन लागत पर
D = मू य ास
INT = नवल अ य कर
NFI = वदे श से ा त नवल कारक आय
नवल रा ीय उ पाद (NNP – Net National Product) और सकल रा ीय उ पाद (GNP – Gross
National Product) के ारा रा ीय उ पाद का मू य मापन कया जाता है तथा प ये दोन भ - भ ह।
GNP कसी दे श के नाग रक ारा (दे श के भीतर या बाहर) एक वष म उ पा दत सभी अं तम व तु एवं
सेवा का कुल मू य होता है जसम से पूंजी ास (Depreciation) को घटाने से NNP ा त होता है। अथात
NNP = GNP – मू य ास
भारतीय अथ था म उदारीकरण वष 1991 से माना जाता है। उस समय डॉ. मनमोहन सह, भारत के व मं ी
थे। प रणामतः उ ह ही भारतीय अथ व था के उदारीकरण का अ त कहा जाता है।
कसी दे श क आ थक संवृ द क सवा धक उपयु माप त उ पाद/ त वा त वक रा ीय आय
होती है यो क, यह रा ीय आय क त उल धता को दशाती है।
भारत म पूंजी नमाण के आंकड़ एक त करने का काम भारतीय रजव बक और के य सां यक य संगठन
ारा कया जाता है।
अब रा ीय आय के मापन म वष 2004-05 के बजाय वष 2011-12 को आधार वष माना गया है। साथ ही GDP
के थान पर अब GVA (Gross Value Added) क गणना क जाने लगी। अतः आधार वष एवं गणना व ध
दोन म बदलाव कया गया है।
भारत के आ थक सव ण का येक वष सरकारी तौर पर काशन, भारत सरकार के व मं ालय के आ थक
वभाग ारा कया जाता है। आ थक सव ण म अथ व था क नी तगत समी ा तुत क जाती है। इसम
पछले व ीय वष म अथ व था के दशन से संबं धत त य एवं आंकड़े भी सं हत होते ह।
के य सां यक य संगठन (CSO) का गठन 2 मई, 1951 को कया गया था, जो भारत क रा ीय आय क
गणना करता है। CSO ारा समाक लत रा ीय आय एवं संबं धत त य रा ीय आय के तीन आयाम पर काश
डालते ह – दे शीय उ पाद, कारक आय के प मे इसका वतरण तथा अं तम उपभोग एवं पूंजी नमाण के प म
इसका उपयोग।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
वगत पांच वष म 2004-05 आधार मू य पर सकल घरेलू उ पाद ((GDP)
GDP) क वृ द दर एवं त
आय (PCI) क वृ द दर इस कार थीः
आय ((PCI)
PCI) क वृ द दर इस कार थी
वृ द दर ( तशत म))
भारत क लगभग 69% जनसं या गांव म नवास करती है जसका मु य वसाय कृ ष है।
अथशा य ने पूंजी को आ थक संवृ द (Economic Growth) हेतु सबसे मह वपूण कारक माना है।
भारतीय योजना के अनुसार, “ऊंची उ पादकता तथा आय और रोजगार के बढ़ते ए तर क वा त वक कुंजी
पूंजी नमाण क बढ़ती ई दर है।”
वष तथा उनम ा त सकल घरेलू बचत क दर ((जीडीपी के तशत के प म)) का ववरण न नानुसार है
–
2006-07 34.6%
2007-08 36.8%
2008-09 32.0%
2009-10 33.7%
2014-15 33.1%
2015-16 32.3%
आ थक सतत वकास
सतत वकास सामा जक-आ थक वकास क वह या है, जसम पृ वी क सहनश के अनुसार वकास क
बात क जाती है। यह अवधारणा 1960 के दशक म तब वक सत ई, जब लोग औ ोगीकरण के पयावरण पर
हा नकारक भाव से अवगत ए।
सतत वकास क अवधारणा क शु आत वष 1962 म ई जब वै ा नक रॉकल कारसन ने द साइलट ंग
नामक पु तक लखी।
सतत वकास क सबसे अ छ प रभाषा बे टलैड आयोग ने अपनी रपोट अवर कॉमन यूचर (1987) म द ।
उसने सतत वकास को ऐसा वकास कहा जो भ व य क पी ढ़य क आव यकता क पू त से बना समझौता
कए बना क आव यकताएं पूरी करता है। इस रपोट म कहा गया है क वकास हमारी आज क ज रत को
पूरा करे, साथ ही आने वाली पी ढ़य क ज रत क भी अनदे खी न करे।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
सतत वकास का उ े य
सतत वकास के कुछ रगामी तथा ापक उ े य ह जो जा त, धम, भाषा तथा े ीय बंधन से मु ह। ये
उ े य शोषणकारी मान सकता क जंजीर से अथ व था क मु हेतु ऐसा अ धकार प है, ज ह ने रा क
जैव संपदा को न होने से बचाया है, सं ेप म ये उ े य न न ह –
सतत वकास एक मू य आधा रत आवधारणा है, जो पर पर सह-अ त व तथा सभी के लए स मान जैसे
आदश क मांग करता है। यह एक नरंतर वकास या है जो सां कृ तक, सामा जक, आ थक, राजनी तक
तथा पयावरणीय घटक म सामंज य पर आधा रत है।
धारण मता या वहन मता का ता पय कसी वशेष संसाधन ारा अपने भीतर जीव क अ धकतम सं या को
बनाए रखने क मता से है। अतः इसके अंतगत वतमान क आव यकता को पा र थ तक तं के साम य से
समझौता कए बगैर पूरा कया जाता है।
मानव पूंजी को भी अ य के समान ही माना गया है। मानव पूंजी म बढ़ता आ व नयोग उ पादकता म
वृ द क ओर ले जाएगा। जसका मक व तार न नवत है –
ृ द ए ह
कुशलता म वकास
नीमराणा राज थान के अलवर जले म अव थत है। यहां पर कए गए लगभग सभी वकास काय टकाऊ
आ थक वकास के मॉडल पर आधा रत ह।
तीय चरण म वकास कुछ आगे बढ़ता है और वा य सेवा म सुधार होता है। अतः ज म दर उ च होने के साथ
मृ यु दर म कमी आती है।
कृ ष एवं संबंध े
मह व
भारतीय कृ ष क वशेषताएं
भारत म कृ ष म बड़ी मा ा म छ बेरोजगारी पाई जाती है, जो कसान मे गरीबी के मुख कारण मे से एक
है।
सकल जोत का 67.1 तशत सीमांत जोत (1 हे टे यर से कम) से कम है तथा 17.9 तशत एक से हो हे टे यर
क लघु जोते ह।
भारत म भू म सुधार
वतं ता के बाद भू म बंदोब त व था को सुधारने तथा कसान के हत को संर त करने एवं उ ह कृ ष हेतु
े रत करने कए अध नयम बनाकर भू म सुधार काय म लाए गए।
उ े य
काय
1. म य थ का उ मूलन – इसके तहत जम दारी या उस जैसी सभी व था को समा त कर दया गया तथा
भू म के संबंध म कसान का सीधे सरकार मे संपक आ।
2. का तकारी सुधार – इसके अंतगत लगान का नयमन कया गया, का त आ धका रय को संर त कया गया
तथा का तकार को भू म का मा लकाना हक दया गया।
3. कृ ष का पुनगठन – इसके अंतगत कृ ष भू म पुन वतरण कया गया। अ धकतम भृ-धारकता का नधारण कर
अतर भू म, भू महीन म बांट द गई।
अतर चकबंद के माधमय से छोटे -छोटे चक को मलाकर बड़े चक बनाए गए, जससे उन पर वै ा नक कृ ष
क जा सके।
इस काय म के अंतगत सरकारी कृ ष को भी ो सा हत कया गया।
ह रत ां त
इन बीज को उ चत सु वधाएं एवं संर ण मलने पर इनसे काफ अ धक मा ा म उ पादन ा त कया जा सकता
था।
ह रत ां त एक पैकेज काय म था, जसके अंतगत उ च उ पादकता वाले बीज (HYV) को उवरक एवं
सचाई के मा यम से पोषण दया गया तथा क टनाशक के मा यम से इसे संर त कया गया.
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
ायो ग क तौर पर वष 1960-61 म गहन कृ ष जला काय म के तहत इसे अपनाया गया तथा 1966 से इसे पूरे
दे श म लागू कया गया।
कृ ष व
कृ ष व के ोत
1. सं थागत ोत
2. गैर-सं थागत ोत
इसके बाद शीष थान सहकारी बक (17.5%) एवं े ीय मीण बक (13.5%) का थान है।
े ीय ामीण बक
सहकारी बक
1. रा य तर पर – रा य सहकारी बक
रा ीय कृ ष बाजार योजना कसान को उनक उपज का बेहतर मू य दलाने तथा कृ ष जस के पारदश ापार
को सु न त करने हेतु बनाई गई है। इसके इले ॉ नक पोटल (e-NAM) का शुभारंभ 14 अ ैल, 2016 को
धानमं ी नरे मोद ारा कया गया। यह एक एक अ खल भारतीय इले ॉ नक े डग पोटल है, जो नवतमान
कृ ष उपज वपणन स म तय (APMCs) को एक कृत कर कृ ष जसो हेतु एक कृत रा ीय बाजार का सृजन
करता है। इले ॉ नक ापार होने के कारण कसान को उनके उपज क गुणव ा के अनु प त पध
(बेहतर) मू य ा त होता है।
रा ीय मृदा वा य काड योजना (SHCS) का शुभारंभ 19 फरवरी, 2015 को धानमं ी नरे मोद ारा
राज थान के सूरतगढ़ से व थ धरा, खेत हरा, नारे के साथ कया गया था। इसका उ े य कसान को उनक
भू म क गुणव ा के वषय म जाग क कर उ ह उवरक के अ त- योग (अनाव यक योग) से रोकना तथ कृ ष
को अ धक उ पादक, धारणीय तथा पयावरण के त लोचशील बनाना है।
धानमं ी चौधरी चरण सह ने नेह के सो वयत शैली से आ थक वकास का वरोध कया। चौधरी चरण सह
का वचार था क सहकारी फाम भारत म सफल नही हो सकते ह। अतः चरण सह को भारत म सहकारी कृ ष
का समथक नह माना जाता है।
भारत म आजाद के समय एक ऐसी कृ ष व था मौजूद थी जसम भू म का वा म व कुछ हाथ म के त था।
अतः दे श को समृ द बनाने हेतु भू म सुधार को अ त आव यक माना गया तथा इस हेतु जम दारी था का
उ मूलन, भू म जोतो क अ धकतम सीमा का नधारण एवं का तकारी सुधार के काय म अपनाए गए।
भारत म सीमांत जोत (Marginal Land Holding) का आकार 1 हे टे यर से कम है। लघु जोत का आकार 1-
2 हे टे यर, उप- म यम जोत का आकार 2-4 हे टे यर, म यम जोतो का आकार 4-10 हे टे यर तथा बृहद् जोतो
का आकार 10 हे टे यर या इससे अ धक होता है। भारत म सकल जोत म 67 तशत सीमांत जोत, 18 तशत
लघु जोत, 10 तशत उप- म यम जोत, 4 तशत म यम जोत तथा 1 तशत से भी कम बृहद जोते ह।
ामीण नधनता कृषक को कृ ष म उ त तकनीक के नवेश को हतो सा हत करती है। कृ षरत अ धकांश
भारतीय जनता शहर के बजाय गांवो म नवास करती है। अतः शहरी नधनता का कृ ष वकास पर भाव अ प
या नग य है जब क शहर मे गांव क ओर पलायन सवथा अस य है।
ौ ो गक य ग त दो कार क होती है –
1. म बढ़ाने वाली ौ ो गक य ग त
आ थक समी ा भारत सरकार, भारत क मुख फसल म न न कार द शत करता है –
खा ा फसल ((या खा फसल))
भारत म फसल बीमा हेतु थम यास 1 अ ैल 1985 को खरीफ के दौरान कया गया जब भारत सरकार ारा
ापक फसल बीमा योजना (CCIS: Comprehensive Crop Insurance Scheme) का शुभारंभ कया
गया था।
के य कृ ष मं ालय ारा अ ैल, 1985 से ारंभ ापक फसल बीमा योजना क जगह पर रबी मौसम 1999-
2000 से रा ीय कृ ष बीमा योजना ारंभ क गई थी। इस योजना का मु य उ े य सूखा, बाढ़, ओला वृ ,
च वात, आग, क ट/बीमा रय तथा ाकृ तक आपदा आ द से फसल क ई त से कृषक को संर ण
दान करना था। वतमान म धानमं ी फसल बीमा योजना ने इसे त था पत कर दया है।
आठव पंचवष य योजना हेतु आयोग ारा भारत को 15 कृ ष जलवायु दे श म वभा जक कया गया था।
रा ीय हॉट क चर मशन (NHM) एक के ायो जत योजना है। इसे वष 2005-06 (5 मई, 2005 से) मे
दसव योजना के दौरान ारंभ कया गय था। इस योजना का उ े य भारत म बागवानी े का सम वकास
तथा उ पादन म वृ द करना है। रा ीय बागवानी मशन का ल य वष 2011-12 तक दे श म बागवानी उ पादन को
300 म लयन टन तथा इसके तहत बुवाई े को 40 लाख हे टे यर करना था। भारत म बागवानी उ पादन को
बढ़ावा दे ने के लए वष 2012 को बागवानी वष (Year of Horticulture) भी घो षत कया गया था।
लघु कृषक- वकास एजसी ो ाम वष 1971 से दे श के 1818 वकास खंडो म आरंभ क गई। यह काय म छोटे
और सीमांत कसान के मू यांकन एवं अ ययन के लए ारं भक तौर पर असम के काम प जले म आरंभ कया
गया था।
स जय का सवा धक उ पादन करने वाला दे श चीन है। चीन के बाद सरा थान भारत तथा तीसरा थान
अमे रका का है।
दाल मा ा ((वष – 2015-16 म हजार मा ा ((वष 2015-15 म हजार टन
) )
टन म)) म))
रेशम के ात सभी 5 ापा रक क म का एकमा उ पादक दे श भारत है। रेशम क ये 5 े णयां इस कार ह –
1. मलबेरी (Mulberry)
4. इरी (Eri)
5. मूगा (Muga)
रेशम उ पादन म चीन का थम एवं भारत का तीय थान है। भारत, व म रेशम का सबसे बड़ा उपभो ा दे श भी
है। मलबेरी रेशम का उ पादन कनाटक, आं दे श, त मलनाडु , ज मू-क मीर एवं प. बंगाल रा य म जब क गैर-
मलबेरी रेशम का उ पादन झारखंड, छ ीसगढ़, ओ ड़शा एवं उ र पूव रा य म ब तायत से होता है।
20व दशक के ारंभ म भारत म सहकारी कृ ष क दशा म ारं भक यास आरंभ ए। वतं ता के उपरांत
ारं भक वष म सहकारी कृ ष को बढ़ावा दे ने का वशेष यास कया गया। सहकारी कृ ष उ पादकता म वृ द
करती है। इस कार सहकारी कृ ष भारतीय कृ ष क न न उ पादकतात का कारण नही है।
ह रत ां त क यह अलोचना क जाती है क इसका लाभ कुछ वशेष े ो एवं बड़े कसान को ही मला है।
पुनः ह रत ां त म मोटे अनाज क अपे ा कर गे ,ं चावल एवं कुछ नकद फसल के उ पादन को बढ़ाने पर ही
यान के त कया गया। खा ा क क मत मा थम पंचवष य योजना क अव ध को छोड़कर नरंतर बढ़ती
रही है जसम यूनतम समथन मू य (Minimum Support Price) म वृ द का मुख योगदान रहा है।
खा ा क क मत वृ द क अपे ा समाज के न न आय वग के लोग क आय म कम वृ द ई है। अतः वष
नयात हेतु आम क पसंद दा जा त अ फांजो या अ फांस है। भारत म इसका मुख उ पादक रा य महारा
है।
3. जारी क मत ((Issue
Issue Prices) – इस क मत पर सावज नक वतरण णाली के मा यम से फूड कॉप रेशन ऑफ
इं डया (FCI) खा ा क ब करता है। MSP जहां कृषक के हत क र ा करता है, वह जारी क मत
उपभो ा के हत का संर ण करती ह।
कृ ष उ पाद क मांग थायक वहीन (Inelastic Demad: लोचहीन मांग) होती है। इसी कारण अ य धक
पैदावार क थ त म कसान के लए क मत व उनक कुल आय (Total Revenue) पर वपरीत भाव पड़ता
है।
सुनहला चावल (गो डन चावल) औ रजा सै टवा चावल क एक क म है जसे बीटा-कैरो टन, जो खाने वाले
चावल म ो- वटा मन ए उपल ध कराता है, के जैव सं ेषण के लए जेने टक इंजी नय रग के ारा बनाया जाता
है।
रा ीय भू म अ भलेख आधु नक करण काय म (NLRMP) अग त, 2008 म ारंभ कया गया था।
भारत सरकार के क ष एवं सहका रता वभाग ारा रेनफेड ए रया डेवलपमट काय म वष 2011-12 म ारंभ
भारत सरकार क कृ ष एव सहका रता वभाग ारा रनफड ए रया डवलपमट काय म वष 2011-12 म ारभ
कया गया। यह रा ीय कृ ष वकास योजना (K.V.Y.) के अंतगत एक उपयोजना है। इसका मु य उ े य
कसान के तर म सुधार लाना है।
उ ोग े
उ ोग एवं नई आ थक नी त
वतं ता के बाद वष 1948 तथा 1956 क औ ो गक नी त म उ ोग पर सरकार का नयं ण बनाए रखा गया,
परंतु कालांतर म उ ोगो म अ य ता के कारण इनके बंधन म सरकारी ह त ेप क कमी क ज रत महसूस
क जाने लगी।
नजीकरण
इसके तहत सरकार सावज नक वा म व को कम करती है तथा अपनी ह सेदारी नजी य को बेच दे ती है।
उदारीकरण
इसके तहत सरकार ारा सरकारी नरी ण एवं नयं ण म कमी क जाती है तथा नयम को सरल एवं उदार
बनाया जाता है।
इं पे टर राज क समा त लाइस सग क समा त या उसके नयम म छू ट आ द उदारीकरण के तहत उठाए जाने
वाले कदम ह।
वै ीकरण
यह व के एक करण से संबं धत अवधारणा है, जसके तहत व क सभी अथ व थाएं आपस म जुड़ जाती
ह तथा इनके म य व तु , सेवा , संसाधन , पूंजी आ द का वतं वाह (बाधा र हत) होने लगता है।
नई औ ो गक नी त,, 1991
1. औ ो गक लाइस सग से मु
2. सावज नक े के मह व म कमी
इस नी त म एका धकार एवं तबंधा मक ापार वहार अ ध नयम के अंतगत आने वाली कंप नय क अ धकतम
प रसंप सीमा को समा त कर दया गया जससे वे अ धक नवेश, वलय एवं अ ध हण कर अपनी उ पादक
ग त व धय को ो सा हत कर सक।
4. इनके अ त र उ ोग के थापना संबंधी नी त म भी सुधार कया गया तथा 10 लाख तक क जनसं या वाले
शहर म उ ोग लगाने हेतु अनुम त लेने क अ नवायता को समा त कर दया गया।
5. उ ोग म वदे शी नवेश को आक षत करने हेतु य वदे शी नवेश क सीमा एवं शत को उदार बनाने संबंधी
अनेक घोषणाएं क गई।
नोटः वदे शी पूंजी के संबंध म वष 1999 म पूव के कठोर अ ध नयम फेरा (FERA- Foreign Exchange
Regulation Act) के थान पर फेमा (Foreign Exchange Management- FEMA) को लाया गया।
यह अ ध नयम जून, 2000 से भावी आ।
े सू म लघु म यम
थापना – वष 1948 म
काय –
यह अ धकतम 25 वष तक के लए ऋण दे ता है।
थापना – वष 1955 म
थापना – वष 1964 म
माच, 1997 म पुनः इसका नाम बदलकर भारतीय औ ो गक नवेश बक रखा गया।
5. भारतीय यू नट ट ((UTI)
UTI)
काय – 1 जुलाई, 1964 से इसने यू नट बचकर बचत एक त करने का काय ारंभ कया।
भारत म सावज नक उ म
नवर न कंप नय
े दशन करने वाली कंप नय को जो न न मानक को पूरा करती ह, महार न का दजा दे दया जाता है –
1. NTPC
2. ONGC
3. SAIL
4. IOC
5. GAIL
6. BHEL
7. CIL
8. BPCL
मुख बोड
अ ैल- दसंबर
भारत के औ ो गक उ पादन सूचकांक (IIP) क गणना CSO ारा क जाती है। इस दो आधार पर प रग णत
कया जाता है –
1. पहला ॉड से टस ( व तृत े ) पर आधा रत IIP जसम खनन, व नमाण तथा व ुत शा मल होता है।
2. सरा यूज बे ड (Use Based) IIP जस के अंतगत बे सक गुड्स, पूंजीगत गुड्स, इंटरमी डए गुड्स, उपभो ा
गुड्स, कं यूमर ूरेबल तथा गैर-कं यूमर ूरेबल शा मल होते ह। इसम नमाण (Construction) स म लत
नह होता है।
1. क चा तेल
5. कोयला
6. व ुत
7. सीमट
8. तैयार इ पात
भारत म सबसे मह वपूण लघु तर उ ोग हथकरघा उ ोग है जसके अंतगत मलमल, छ ट, दरी, खाद आ द
उ म स म लत ह। हथकरघा उ ोग असंग ठत े के तहत आता है जसम लगभग 65 लाख से अ धक मक
नयो जत ह।
ए सार ऑयल ल मटे ड नजी े मे है जब क मंगलौर रफाइनरी तथा ब गाईगांव रफाइनरी मशः ONGC
तथा IOC क सहायक इकाइयां ह। दे श म इस समय कुल 23 तेल शोधनशालाएं ( रफाइनरी) ह, जनम 18
सावज नक/संयु े , 3 नजी े तथा 2 संयु उ म म ह।
सावज नक े क रफाइनरी –
नजी े क रफाइनरी –
संयु े क रफायनरी –
ाकृ तक गैस उवरक उ पादन म एक मह वपूण आदान (Input) है, अतः भारत म संभा वत वशाल ाकृ तक
कपड़ा उ ोग भारत का सबसे पुरना एवं वशाल उ ोग है। भारत म आधु नक तर क थम सती मल 1818 ई.
म कलक ा (अब कोलकाता) के नकट था पत क गई थी। 13 अग त, 1947 तक भारत म 394 सूती व मल
थी। पा क तान के वभाजन के प ात यहां 380 मल रह गई थी।
ऑयल इं डया ल मटे ड (OIL) सावज नक े का एक उप म है, जो तेल तथा ाकृ तक गैस के
अनुसंधान, वकास और उसके उ पादन तथा रेल प रवहन म संल न है।
बड़े आकार का कागज अथात अखबारी कागज का उ पादन सबसे अ धक भारत के नेशनल यूज ट एंड पेपर
म स ल मटे ड, नेपानगल म कया जाता है, जो म य दे श म है। वष 1960-61 म अखबारी कागज का उ पादन
भारत म 0.4 लाख टन था। जो वष 2003-04 म बढ़कर 6.5 लाख टन हो गया। वतमान म भी भारत अखबारी
कागज क भारी कमी है और हमारी आव यकता का लगभग 70% आयात कया जाता है।
भारत क सरकारी े म सबसे बड़ी ापा रक सं था ख नज एवं धातु ापार नगम (MMTC) है। यह भारत
के दो सबसे बड़े वदे शी मु ा कमाने वाले सं थान म से एक है। यह भारत म ख नज का वशालतम नयातक एवं
भारत का वशालतम बु लयन ापारी है।
भारत म पयटन और होटल उ ोग के वकास का काय आई.ट .डी.सी. (Indian Tourism Development
Corporation: TDC) का है। यह एक अ द वाय सं था है। यह सं था पयटक से जुड़ी सम याओ के
समाधान का काय करती है।
व नमाण े के वकास को ो सा हत करने के लए भारत सरकार ने रा ीय नवेश तथा व नमाण े क
थापना करने के साथ-साथ एकल खड़क मंजूरी क सु वधा दान क है। व नमाण े को वक सत बनाने के
लए ौ ो गक अ ध हण तथा वकास कोष क थापना भी सरकार ारा क गई है।
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सरकार ने मेगा फूड पक योजना को सतंबर, 2008 म अनुमो दत कया था। एमएफपीएस के मूल उ े य म
शा मल ह –
भारत के 8 कोर से टर ह –
1. कोयला
2. क चा तेल
3. ाकृ तक गैस
4. रफाइनरी उ पाद
5. उवरक
6. इ पात
7. सीमट
8. व ुत
ट को (टाटा आयरन एंड ट ल कंपनी) सावज नक े का उप म नही है। यह भारत क मुख इ पात कंपनी
है जसक थापना वष 1907 म जमशेदपुर म क गई थी। NTPC, SAIL, BHEL ये तीन सावज नक े क
ं ं
महार न कंप नयां ह।
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– उ. . लघु उ ोग नगम
– उ. . औ ो गक वकास नगम
– उ. . व ीय नगम इ या द।
1. BSNL
2. BEML
3. Hindustan Latex
4. Engineering Project India Ltd.
5. Rashtriya Ispat Limited
सरकारी नी त वष
ख नज नी त 2011
कसी पीएसयू को मनी र न का दजा बनाए रखने के लए पछले लगातार तीन वष तक मुनाफा अ जत करते
रहने क आव यकता होती है। मनीर न का दजा पीएसयू को बना सरकार क मंजूरी के लए 500 करोड़ पये
तक के नवेश क वाय ता दे ता है।
नवर न सावज नक उप म का एक व श वग है जनम सरकार लोबल कंपनी होने क संभा मता दे खती
है।
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ए शया का सबसे बड़ा ए युमी नयम संकुल नेशनल ए युमी नयम कंपनी ल मटे ड (NALCO) वष 1981 म
भारत सरकार के एक सावज नक उ म के प म था पत कया गया था। अ तन थ त के अनुसार नवर न
दजा ा त कंप नय म ना क भी शा मल है। महार न कंप नय क सं या 8 है। मनीर न कटे गरी-1 (cPSEs) म
56 तथा मनीर न कटे गरी-2(cPSEs) म 17 कंप नयां ह।
उ ोग मं ालय ारा 16 नवंबर, 2010 को साज नक े क 4 नवर न कंप नय को महार न का दजा दया
गया। ये चार कंप नयां थी –
इनके अ त र बाद म कोल इं डया ल. (CIL), भारत हैवी इले ा नक स ल मटे ड (BHEL), गेल (GAIL) तथा
BPCL को भी महार न का दजा दया गया है।
एचएएल (Hindustan Aeronautics Limited: HAL) वायुयान के उपकरण का उ पादन करती है।
भारत म पे ोल, डीजल जैसे तेल सरकारी नयं ण--मु पदाथ ((De-
De- regulated Commodities) ह
जनक क मत तेल कंप नयां नधा रत करती ह।
तृतीयक े ((सेवाएं)
तृतीयक े के अंतगत सेवा े या सेवा उ ोग आता है, जसम ापार, होटल, प रवहन, संचार, ब कग, बीमा,
वा त वक संप , सावज नक शासन, सुर ा, श ा, प -प काएं, मनोरंजन एवं वदे शी े आ द आते ह।
वपणन तृतीयक याकलाप है, इसके अंतगत पदाथ का सं ह, भंडारण, सं करण एवं वपणन, प रवहन,
होटल, संचार, पै कग, वग करण और ववरण आ द कया जाता है। कृ ष एवं वा नक ाथ मक े से जब क
व नमाण तीयक े से संब धत है।
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चालू क मत पर चालू क मत पर
कृ ष 17.9 16.4
उ ोग 29.0 31.2
सरकार ारा दे श म थरता के साथ वकास को बढ़ावा दे ने हेतु राजकोषीय नी त का या वयन कया जाता है।
राजकोषीय नी त का या वयन बजट य घोषणा के मा यम से कया जाता है।
1. कर
2. सावज नक य
3. ऋण
4. नई मु ा का नमाण
कर जनता को दया जाने वाला एक अ नवाय भुगतान होता है, जसके बदले म सरकार कसी तपू त का वादा
नही करती है।
कर को दो भाग म बांटा जाता है –
1. य कर
2. अ य कर
ऐसे कर ज ह सरे पर टाला जा सके, अ य कर कहलाते ह, जब क ऐसे कर ज ह सरे टाला जा सके उसे
य कर कहते ह।
1. ग तशील
2. आनुपा तक
3. तगामी
4. अधोगामी
5. ग तशील करारोपण ((Progressive
Progressive Taxation) – जब आय म वृ द के साथ-साथ कर क दर म भी वृ द
होता जाए, तो ऐसे करारोपण को ग तशील करारोपण कहते ह।
6. आनुपा तक करारोपण ((Proporational
Proporational Taxation) – जब आय चाहे जतनी भी बढ़ जाए, परंतु कर क
दर कोई प रवतन न हो तो इस णाली को आनुपा तक करारोपण कते ह।
7. तगामी करारोपण ((Rgressive
Rgressive Taxation) – जब आय म वृ द के साथ कर क दर मे कमी कर द जाए,
तो इसे तगामी करारोपण कहा जाता है।
8. अधोगामी करारोपण ((Degressive
Degressive Taxation) – जब कर क दर एक न त सीमा तक आय म वृ द के
साथ बढ़े परंतु उस सीमा के बाद थर हो जाए, तो इसे अधोगामी करारोपण कहते ह।
भारत म अधोगामी णाली है यहां 2.5-5 लाख तक 5 तशत, 5.10 लाख तक 20 तशत तथा 10 लाख पये
से अ धक आय पर 30 तशत क दर से कर लगाया जाता है।
लैफर व ((Laffer
Laffer Curve)
सावज नक य
1. कृ त के आधार पर
राज व य
पूंजीगत य
2. उ पादकता के आधार पर
योजनागत य
गैर-योजनागत य
राज व य ((Revenue
Revenue Expenditure)
राज व य वह य होता है, जो अपने व प म आवत ( न त अंतराल पर लगातार होने वाला) होता है तथा
जससे न तो कसी दा य व म कमी आती और न ही कसी संप का ास होता है। जैसे – वेतन, याज आ द।
ह ह ह ,
पूंजीगत य ((Capital
Capital Expenditure)
ऐसा य को कभी-कभी होता हो तथा जसके य से कमी न कसी संप का सृजन होता हो या कसी न
कसी दा य व म कमी आती हो, पूंजीगत य कहलाता है। उदाहरण – ऋण का भुगतान, बांध नमाण आ द।
जब कसी योजना के या वयन हेतु अथवा योजनागत नमाण हेतु य कया जाता है तो उसे योजनागत य
कहते ह, जब क योजना से इतर (रख-रखाव, शास नक आ द) कया गया य गैर-योजनागत य कहलाता
है।
वतमान म भारत म योजनागत एवं गैर-योजनागत य का लेखांकन समा त कर दया गया है। वतमान मे केवल
पूंजीगत एवं राज व य का ही लेखांकन कया जाता है।
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सावज नक ऋण ((Public
Public Debt)
भारत का बा सावज नक ऋण
भारतीय सं वधान के भाग 12 का अनु छे द 280 भारत म व आयोग का ावधान करता है।
अनु छे द के अनुसार सं वधान लागू होने के दो वष के भीतर तथा उसके बाद येक 5 वष पर रा प त ारा व
आयोग का गठन कया जाएगा।
इसमे एक अ य एवं चार सद य का ावधान कया गया है।
काय
व आयोग के चार मुख काय ह –
14वां व
14 आयोग
14व व आयोग का गठन जनवरी, 2013 म कया गया था तथा इसने अ टू बर, 2014 म अपनी सफा रश
तुत क ।
इस आयोग के अ य वाई.वी. रे ी थे।
इस आयोग क सफा रश 1 अ ैल, 2015 से 31 माच, 2020 तक (5 वष ) के लए ह।
मुख सफा रश
इसने 42 तशत राज व को रा य को दे ने क अनुशंसा क जो 13व व आयोग क 32 तशत क सफा रश
क तुलना म 10 तशत अ धक है।
इस व आयोग ने रा य के म य राज व वतरण हेतु सवा धक भार आय असमानता (50%) को दया।
14व व
14 13व व
13
d. वन े 7.5% –
1. उ र दे श – 96%
2. बहार – 67%
3. म य दे श – 55%
4. प. बंगाल – 32%
5. महारा – 52%
1. स कम – 37%
2. गोवा – 38%
3. मजोरम – 46%
15व व आयोग के अ य एवं अ य सद य कायभार हण रने क तारीख से रपोट तुत करने क तारीख या
30 अ टू बर, 2019 तक जो भी पहले हो, अपना पद् धारण करगे।
भारत के व आयोग
व आयोग समय अ य समयाव ध
पहला 1951 के.सी. नयोगी 1952-57
रा ीय पशन योजना जसे 1 जनवरी, 2004 को भारत सरकार ारा ारंभ कया गया था, एक वै छक पशन
योजना है। इसके अंतगत 18-60 वष तक क आयु का येक भारतीय नाग रक ( नवासी अथवा अ नवासी)
शा मल हो सकता है। सरकारी नौक रय म कायरत लोग हेतु वशेष उपबंध है। के सरकार के वे कमचारी
(सश बल को छोड़कर) जो 1 जनवरी, 2004 को अथवा उसके बाद से सेवा म कायरत ह, योजना म दा खल
होने के पा ह। रा य सरकार के सभी कमचारी, जो संबं धत रा य सरकार ारा अ धसूचना कए जाने के बाद
सेवा म आएं है, भी इस योजना के पा ह।
जीएसट पूरे दे श के लए एक अ य कर है, जो भारत को एक कृत साझा बाजार बना दे गा। जीएसट के लागू
हो जाने से अं तम उपभो ा को आपू त ृंखला के अं तम डीलर ारा लगया गया जीएसट ही वहन करना
होगा। इससे पछले चरण के सभी मुनाफे समा त हो जाएंगे।
जीएसट से लाभ –
व वष 2017-18 के के य बजट क दस मु य वषय व तुएं ह – कसान, ामीण आबाद , युवा, गरीब तथा
वशेष सु वधा से वं चत वग, अवसंरचना, व ीय े , ड जटल अथ व था, सावज नक सेवा, ववेकपूण
राजकोषीय बंधन तथा कर शासन, नयात न पादन इसम स म लत नह है।
भारत म राजकोषीय नी त (Fiscal Policy) का नधारण के सरकार का व मं ालय करता है जब क
मौ क नी त RBI ारा नधा रतत क जाती है। व आयोग के एवं रा य के म य राज व एवं व ीय
संसाधन का बंटवारा करता है। योजना आयोग का काय पंचवष य योजना का बंटवारा करता है। योजना आयोग
ह ह
का काय पंचवष य योजना को तैयार करना था ात है क 1 जनवरी, 2015 से नी त आयोग ने योजना आयोग
को त था पत कर दया है।
2015-16 के आ थक सव ण म भारतीय अथ व था के समाजवाद से नगमन र हत सी मत बाजारवाद क
ओर जाने को भारतीय अथ व था क च ूह चुनौती माना गया है।
आ थक समी ा व मं ालय ारा तैयार क जाती है। इसे येक वष वा षक बजट से पहले भारत के व मं ी
ारा संसद म रखा जाता है। जसम दे श के वगत वष के आ थक थ त म समी ा क जाती है।
बजट सरकार क राजकोषीय नी त से संबं धत होता है। बजट येक व ीय वष (1 अ ैल-31 माच) के लए
सरकार क ा तय तथा य का ववरण होता है।
25 फरवरी, 2016 को रेल मं ी सुरेश भू ने रेल बजट तुत करते ए एक शोधकत और वकास संगठन –
पेशल रेलवे इ टे लशमट फॉर े ट जक टे नोलॉजी एंड हॉ ल टक एडवांसमट ((SHRESTHA-
SHRESTHA- े )
के गठन का ताव कया। इसके गठनोपरांत पूववत संगठन RDSO केवल रोजमरा के मामल पर ही यान
के त करेगा जब क े का ल य द घका लक शोध करना होगा। े का धान एक यात वै ा नक होगा।
वष 2010-11 के लए कुल ा तयां 1108749 करोड़ रही जसम से 61% धनरा श आयगत (राज व) ा तय से
आता था और 39% पूंजीगत ा तय से आता था। बजट अनुमान 2018-19 के अनुसार, कुल ा तयां 2442213
करोड़ . अनुमा नत ह जनम राज व ा तयां 1725738 करोड़ . तथा पूंजीगत ा तयां 716475 करोड़ . है।
स सडी, याज भुगतान, र ा य, पछली पंचवष य योजना म पूरी क गई प रयोजना का रख-रखाव
य, श ा, वा य, पशन भुगतान, रा य को संवैधा नक ह तांतरण आ द गैर-योजना य के अंतगत आते ह।
वतमान म बजट से (बजट अनुमान 2017-18 से) य के योजनागत एवं गैर योजनागत य को ा त कर दया
गया है। रेल बजट को भी आम बजट म शा मल कर लया गया है।
वष 2018-19 (B.E.)
(B.E.) मे कुल य ((Total
Total Expenditure) 2442213 करोड़ पये है जसम से –
बजट 2018-19 म सकल राज व ा तय म सीमा शु क तथा के य उ पाद शु क का योगदान मशः 6.52%
तथा 16.05% रहा/अनुमा नत है।
बजट अनुमान 2018-19 मे राजकोषीय घाटे को 3.3 तशत पर ल त कया गया है।
राजकोषीय घाटे पर नयं ण सं थागत सुधार के ारा पाया जा सकता है। य वदे शी नवेश को बढ़ावा या
उ च शै क सं थान का नजीकरण राजकोषीय घाटे के नयं ण के उपाय नही ह।
ं ौ ो
भारत म शू य आधा रत बजट सव थम वष 1983 म व ान एव ौ ो गक वभाग म तथा बाद म वष 1986-87
से सम त मं ालय म लागू कया गया। शू य आधा रत बजट म येक योजना को शू य से ारंभ मानकर पुनः
समी ा क जाती है।
व ीय वष 2002-03 म रा य का संयु राजकोषीय घाटा 102122 करोड़ पया था। वष 2016-17 म भारत
का सकल राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.9% रहा। इनमे से के का घाटा 3.5% तथा रा य का संयु घाटा
2.6% रहा।
वष 2012-13 के बजट म स सडी पर कए जाने वाले य को GDP के 2.0% तक रखने का ताव कया गया
था। वष 2016-17 म कुल स सडी य GDP का 2.14% रहा।
के सरकार के ारं भक घाटा,, राजकोषीय घाटा,, आगम घाटा ((करोड़ . म)) न न कार से ह –
(राज व घाटा)
सरकार ारा बढ़ रहे घाट को नयं त करने के लए स सडी का यु करण, राज व य म कमी तथा चालू
खाते म घाटा को कम कया जाता है। इसके वपरीत सावज नक य बजट घाटे को और बढ़ाता है। इसके
अतर मु फ त को कम करके व सावज नक य क गुणव ा पर जोर दे कर नए कर के यु करण ारा
भी घाटे को कम कया जा सकता है।
ाथ मक घाटे को ा त करने हेतु राजकोषीय घाटे म से याज अदाय गय को घटा दया जाता है। अतः
राजकोषीय घाटा = बजट य घाटा ((कुल ा त--कुल य)) + सरकार का ऋण एवं अ य दे यताएं। या
राजकोषीय घाटा, बजट य घाटे से बड़ा होता है इसका कारण यह है क बजट य घाटा यहां सरकार के कुल य
एवं कुल ा तय का अंतर होता है वही राजकोषीय घाटा सरकार क कुल आय और कुल य का अंतर होता है।
सावज नत ऋण एवं अ य दे यताएं सरकार क ा तयां तो ह, कतु ये सरकार क आय नह ह य क सरकार पर
इ हे लौटाने का दा य व रहता है। अतः राजकोषीय घाटा बजट घाटे क अपे ा अ धक होता है।
बजट के हसाब- कताब क जांच सावज नक लेखा स म त ारा क जाती है। इस स म त म 22 सद य (15 लोक
सभा + 7 रा य सभा) होते ह। वप ी दल का कोई सद य ही इस स म त का अ य होता है। यह संसद क
सबसे पुरानी व ीय स म त है।
संघीय सरकार के बजट मे राजकोषीय घाटे के बड़े भाग क पू त घरेलू ऋण एवं अ य दे यता के मा यम से क
जाती है। वष 2015-16 म घाटे का लगभग 98% व पोषण घरेलू संसाधन ारा ही कया गया।
के य बजट 2016-17 के अनुसार, 1 करोड़ पये वा षक से अ धक आय होने पर 15 तशत का अ धभार दे य
होगा।
हीनाथ बंधन (अथात घाटे क पू त के लए नए नोट छापना) से मु ा फ त क संभावना बनती है य क इससे
मु ा क आपू त व तु एवं सेवा क तुलना म अ धक हो जाती है।
भारत जैसे दे श म घाटे क व व था का मु य उ े य आ थक वकास को बढ़ावा दे ना होता है। इन दे श म
वकास योजना के व पोषण के लए यह आव यक हो जाता है, जब क वक सत दे श म घाटे क व
व था अवसाद क थ त को र करने के लए आ थक नी त के साधन के प म योग कया जाता है।
ओपेन-जनरल लाइसस – वदे शी ापार
TRYSEM – रोजगार
पंचायत के मु य पांच आय के ोत न न ल खत ह –
2. कर, फ स एवं आ थक दं ड
3. अनुदान
रा य सरकार से
4. आ थक ऋण आ द
5. वयं क आय।
C – Company
P – Person
F – Firm
T – Trust
L – Local Authority
G – Government
य द व वध अव धय म भ - भ आय वग के य क आय म वषमता मे मशः वृ द क वृ
प रल त हो, तो वषमता मे यह वृ द इं गत करती है क धनी अ धक धनी तथा नधन और नधन होते जा रहे
ह।
टाट--अ स क वशेष आव यकता को त नवेशक (Angel In-vestors), जो खम यु पूंजी (Venture
Capital) तथा भीड़ व पोषण (Crowd Funding) के मा यम से पूरा कया जाता है। इ ह व पोषण
(Financing) के े म नई पीढ के ोत का दजा दया जाता है।
आयकर अ ध नयम क धारा 88 के अंतगत कर छू ट को समा त करने क अनुशंसा केलकर कमेट ने क थी।
केलकर स म त का गठन य कर सुधार संबंधी सुझाव दान करने हेतु कया गया था। इसम अपनी रपोट वष
2003 म तुत क थी।
भारत सरकार ारा अनुमो दत स म प रयोजना नवीन अ य कर नेटवक से संबं धत है। आ थक मामल क
कै बनेट स म त ने इस प रयोजना को 28 सतंबर, 2016 को अपनी वीकृ त द । प रयोजना क कुल लागत
2256 करोड़ पये है, जब क अव ध सात वष है। यह प रयोजना व तु एवं सेवा कर के काया वयन म सहायक
होगी। साथ ही यह योजना क टम वभाग के ापार के सुगमीकरण हेतु सगल वडो इंटरफेस (SWIFT) को
व ता रत भी करेगी।
कर सुधार स म त (आर. जे. चेलैया केमट ) ने कर सुधार क ापक परेखा तुत क , जस पर वष 1991 के
बाद के राजकोषीय सुधार आधा रत थे।
13व व आयोग क अनुशंसा मे व तु एवं सेवा पर कर लगाए जाने का अ भक प तथा इस ता वत
अ भक प के संपालन से संब द तपू त पैकेज तथा के य कर के एक न त अंश का थानीय नकाय को
अनुदान के प म ह तांतरण तो शा मल है जब क भारत के जनां कक य लाभांश के अनु प अगले दस वष म
लाख नौक रयां सृजन करने क योजना इसक अनुशंसा का भाग नही है।
101व सं वधान संशोधन अ ध नयम के तहत सं वधान म अनु छे द 279A जोड़कर व तु एवं सेवा कर प रषद के
गठन का ावधान कया गया है। इसक अ य ता संघीय व मं ी करते ह और के राज व या व के भारी
रा य मं ी इसके एक सद य होते ह। जीएसट प रषद कर दर से छू ट वाली व तु के बारे म नणय करेगी और
नई कर नी त क दे हली नधारण भी करेगी। जीएसट लागू होने के प ात रा य सरकार के पास वैट उगाही
(Levy) का वक प नही होगा।
13व व आयोग क सफा रश के अनुसार वष 2014-15 तक कुल ऋण-सकल घरेलू उ पाद अनुपात
(Debit/GDP) 68% होना चा हए।
12व व आयोग के अ य डॉ. सी. रंगराजन ने 30 नवंबर, 2004 को अपनी रपोट रा प त डॉ. ए.पी.जे.
अ ल कलाम को स पी थी, जसम उ ह ने क य कर एवं शु क म रा य क ह सदारी को 29.5 से बढ़ाकर
30.5 करने क अनुशसा क थी।
डॉ. वजय केलकर के नेतृ व म ग ठत केलकर स म त ने भारतीय आयकर अ ध नयम क धारा-88 म उपल ध
आयकर छू ट को समा त करने क सफा रश क थी।
व मं ालय ारा वै छक आय घोषणा योजना (VDIS) 1 जुलाई, 1997 से ारंभ ई और 31 दसंबर, 1997
को समा त ई।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
पर आयोग (1949) क सं तु त पर न पादन बजट का सबसे पहले योग यू.एस.ए. म कृ ष े म कया गया।
इस कार का बजट लागत- लाभ व ेषण को न पत करता है।
वदे शी ऋण, य नवेश तथा पोटफो लय नवेश आ द पूंजीगत लेखा क रचना करते ह।
रेल बजट 2013-14 म उ कृ माहौल और नवीनतम सु वधाएं एवं सेवाएं उपल ध कराने के लए अनूभू त नामक
सवारी गाड़ी चलाने क वीकृ त दान क गई थी।
बजट 2017-18 म अनुमा नत कुल कर राज व 1227014 करोड़ पये है, जसम नगम कर, आयकर, के य
उ पाद शु क, सीमा शु क तथा सेवा कर का अंशदान मशः 19%, 16%, 14%, 9% तथा 10% है। इस कार
वतमान संदभ म कुल कर राज व म सवा धक ह सा नगम कर एवं आयकर का है। बजट 2018-19 म भारत
सरकार क कर आय के दो सबसे बड़े ोत व तु एवं सेवाकर (लगभग 7.44 लाख करोड़ पये) तथा नगमकर
(6.21 लाख करोड़ पये) एवं आयकर (5.29 लाख करोड़ पये) के य उ पाद शु क है। वतमान म के य
उ पाद शु क, सेवा कर आ द अ य कर को S.T. म श मल कर लया गया है।
भारत म माग कर (Toll Tax) भारत सरकार ारा नही लया जाता है, यह रा य सरकार ारा लया जाता है।
कै पटल गेन टै स – कै पटल गेन दो तरह के होते ह – लांग टम कै पटल गेन और शॉट टम कै पटल गेन। जैसा
कै पटल गेन वैसा उसका टै स इ पै ट होता है। अगर संप को तीन साल से अ धक समय के बाद बेचा जाता है
तो लांग टम कै पटल गेन होता है। अगर इसे तीन साल से कम समय म बेच, तो शॉट टम कै पटल गेन होता है।
इस कार यह संप व य से संबं धत है।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
1 अ ैल, 2005 से लागू वैट णाली को त कालीन भारतीय जनता पाट शा सत रा य के साथ-साथ उ र दे श
(स.पा. शा सत रा य) तथा त मलनाडु (AIADMK शा सत रा य) ने अपनी सहम त नही द थी। अतः कां ेस
शा सत दे श -आं दे श तथा महारा म तो इसे लागू कया गया कतु छ ीसगढ़ और उ र दे श म इले लागू
नह कया गया।
भारत म आयकर 24 जलाई 1860 को सर जे स व सन ारा आरंभ कया गया था। यह ऐसा कर था जो
भारत म आयकर 24 जुलाई, 1860 को सर ज स व सन ारा आरभ कया गया था। यह ऐसा कर था जो
चु नदा अमीर , शाही प रवार और टश नाग रक पर लगाया जाता था। आधु नक समय म आयकर क
आय पर लगाया जाने वाला एक वा षक कर है।
भारत म सव थम (वष 2003 म) मू य व धत कर (VAT) लगाने वाला रा य ह रयाणा था।
ऐसे कर जो व तु पर आरो पत होते ह (अथात अ य कर) व तु के मू य म वृ द ही करते ह। इसके वपरीत
य कर के कारण व तु के मू य अ भा वत रहते ह।
के सरकार ारा आयात या नयात पर लगाया जाने वाला कर सीमा शु क (Custom D uty) के नाम से
जाना जाता है।
मनोरंजन कर भारतीय सं वधान क सातव अनुसूची क सूची-2 (रा य सूची) के अधीन आता है। सूची-2 म
उ ल खत मद पर रा य सरकार कर आरो पत करती ह।
शराब पर उ पादन कर रा य सरकार ारा लगाया जाता है। इसका उ लेख सं वधान क सातव अनुसूची के
सूची-2 (रा य सूची) के 8व मद म कया गया है।
आयोजन
वतं ता प ात भारत के लोग को आ थक याय दलाने तथा दे श को आ म नभर एवं नेतृ वकता दे श क ेणी
म लाने हेतु नयोजन क रणनी त बनाई गई।
इस रणनी त के तहत अपने संसाधन क संभा ता का आकलन करते ए ाथ मकता का नधारण कया
गया तथा उनक ा त हेतु पांच वष य रणनी त बनाई गई। इसे पंचवष य योजनाएं कहा गया।
भारत म अब तक 12 पंचवष य सफलतापूवक संचा लत क जा चुक ह।
नई सरकार ारा आधु नक ज रत को दे खते ए पंचवष य रणनी त को छोड़कर नवीन द घका लक रणनी त पर
अ सर है।
जसके तहत द घका लक रणनी त को बनाकर उसक ा त हेतु म यका लक एवं वा षक योजनाएं बनाई
जाएंगी।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
योजना आयोग
योजना आयोग का गठन नयोगी स म त क अनुशंसा पर 15 माच, 1950 को मं मंडलीय ताव के ारा कया
गया था।
यह एक गैर-संवैधा नक सं था है।
इसके अ य धानमं ी होते ह।
रा ीय वकास प रषद
संरचना
अ य – धानमं ी
सद य –
3. के य मं प रषद
काय
नोटः वतमान म योजना आयोग क जगह नी त आयोग ने ले ली है, जब क रा ीय वकास प रषद क संरचना अभी-
भी अपनी पुरानी थ त म यथावत है। इस लए अभी भी रा ीय वकास प रषद के सद य के प मे योजना आयोग
सद य ही दया जा रहा है।
भारत म नयोजन क ेरणा सं वधान क तावना (आ थक एवं सामा जक याय) तथा नी त नदशक त व
(अनु छे द 38, 39 व 46) से ा त होती है।
आ थक एवं सामा जक नयोजन का उ लेख सातव अनुसूची क समवत सूची क वृ 20 म मलता है।
के य मं मंडल के ताव पर 15 माच, 1950 को ग ठत योजना आयोग एक सं वधाने र परामशदा ी नकाय
है। भारत के धानमं ी योजना आयोग के पदे न अ य होते ह। 1 नजवरी, 2015 से योजना आयोग को समा त
कर उसके थान पर उसी तारीख (1 जनवरी, 2015) से नी त आयोग का गठन कया गया है। इसके उपा य
वतमान म राजीव कुमार है। NITI का अथ है – National Institution for Transforming India
म य दे श 16.86
महारा 11.69
बहार 17.06
गोवा अनुपल ध
मं मंडल के ताव पर ग ठत योजना आयोग एक सं वधाने र नकाय है। जसके उपा य एवं सद य क
सं या एवं कायकाल सरकार क इ छा पर आधा रत होता है तथा इसके सद य के लए कसी व श यो यता
का उ लेख नही है।
डॉ. मनमोहन सह 15 जनवरी, 1985 से 31 अग त, 1987 तक योजना आयोग के अ य रहे और णब मुखज
24 जून, 1991 से 15 मई, 1996 तक तथा म टे क सह अहलूवा लया 4 जुलाई 2004 से 26 मई, 2014 तक
12व पंचवष य योजना (2012-17) का उपशीषक है – ती , अ धक समावेशी एवं धारणीय वकास। इस योजना
म 25 मु य ल य नधा रत कए गए ह, जनम कुछ न नवत ह –
भारत म पंचवष य योजना का ा प योजना आयोग ारा तैयार कर के य मं मंडल के स मुख तुत कया
जाता है। मं मंडल के मंजूरी के बाद उसे वीकृ त हेतु रा ीय वकास प रषद ((NDC)
NDC) के पास भेजा जाता है।
पछले दे श के लए रो लग लान का सुझाव जी. मडल ारा दया गया था। इस व था म लान अनवरत
चलती रहती है। वष 1978 म मोरार जी दे साई के नेतृ व वाले जनता पाट सरकार ने भारत म इसे वीकार कया
था। परंतु इस योजना के प रणाम सकार मक नही रहे। फलतः वष 1980 म इं दरा गांधी के नेतृ व वाली कां ेस
सरकार ने इसके थान पर पुनः पंचवष य योजना को वीकार कया।
चल योजना या रो लग लान एक द घका लक योजना होती है इसम तीन योजनाएं अ पकालीन (एक वष),
म यकालीन (3-5 वष हेतु) तथा द घकालीन (10-20 वष हेतु) योजनाएं बनाई जाती ह। रो लग लान के तहत
योजना मे आव यक संशोधन कया जाता है। इस कार यह एक लचीली योजना है जो वयं को प र थ तय के
अनु प समायो जत करते ए आगे बढ़ती है।
सं वधान के सातव अनुसूची क समवत सूची क व सं या 20 म आ थक एवं सामा जक नयोजन का
उ लेख कया गया है।
रा ीय वकास प रषद ारा बारहव पंचवष य योजना हेतु ता वत कोण प मे सकल घरेलू उ पाद दर हेतु
9-9.5% का ल य रखा गया था। तथा प 27 दसंबर, 2012 को रा ीय वकास प रषद (NDC) ारा बारहव
पंचवष य योजना को वीकृ त दए जाने के साथ इसके तहत औसत वा षक वकास दर के ल य को घटाकर 8%,
कृ ष एवं संब द े वकास दर ल य 4.0%, औ ो गक े वकास दर ल य 7.6% तथा सेवा से वकास दर
ल य 9.0% कर दया गया है।
चतुथ पंचवष य योजना म े ीय वषमता को र करने के उ े य के साथ वकास के उपागम क शु आत क
गई। य प वकास के उपागम का ारंभ चौथी योजना म आ, तथा प इस पर वशेष बल पांचवी योजना म
दया गया। संसाधन आधा रत काय म, सम या आधा रत काय म, ल त समूह उपागम, ो साहन कोण
और ापक े उपागम आ द वकास के उपागम के घटक थे।
े ानुसार 12
12व योजना का प र य है –
ल त रा श तशत अंश
सातव पंचवष य योजना (1985-90) 31 माच, 1990 को समा त ई। सातव पंचवष य योजना के समापन से दो
वष के अंतराल के बाद आठव योजना 1 अ ैल, 1992 से ारंभ ई थी जसक अव ध 31 माच, 1997 तक थी।
योजना काय म
सामा जक याय एवं समानता के साथ संवृ द पर बल 9व पंचवष य योजना म दया गया। इस योजना का काल
वष 1997-2002 था। इस योजना म ल त वकास दर 6.5% के व द वा त वक वृ द 5.4% ई।
नव पंचवष य योजना (1997-2002) म मुख ूहरचना (Major Strategy) के प म म हला अंश योजना
(Women’s Component Plan) को ारंभ कया गया था। इस योजना म म हला से संबं धत े ो हेतु
30% धनरा श (कुल रा श का) आवं टत क गई थी।
थम पंचवष य योजना (1 अ ैल, 1951 से 31 माच, 1956) हैरोड-डोमर संवृ द मॉडल पर आधा रत थी। थम
योजना म मु य ाथ मकता कृ ष एवं सचाई े को दया गया। तीय पंचवष य योजना (1956-1961) पी.सी.
महालनो बस मॉडल पर आधा रत थी।
ला नग एंड द पुअर पु तक के लेखक बी.एस. मनहास ह।
योजना प का का काशन भारत के सूचना एवं सारण मं ालय के अधीन काशन वभाग ारा कया जाता
है। यह एक मा सक प का है।
थम पंचवष य योजना पं. जवाहर लाल नेह ारा 8 दसंबर, 1951 को संसद म तुत क गई। रा ीय वकास
प रषद का गठन 6 अग त, 1952 को कया गया था। वतं भारत म मु ा का अवमू यन थम बार 1949 म आ
था। जब क भारत अंतरा ीय मु ा कोष ( था पत-1945) का सं थापक सद य है।
वष 1985-90 क अव ध वाली पंचवष य योजना क रणनी त गरीबी, बेरोजगारी तथा े ीय वषमता पर हार
करना था। फलतः इस योजना मे उन सभी नी तय पर बल दया गया, जो खा ा के उ पादन क ती वृ द एवं
रोजगार अवसर को बढ़ा सके तथा उ पाकता म वृ द कर।
आठव पंचवष य योजना का मूलभूत उ े य व भ पहलु म मानव वकास था।
भारत म सव थम वसंपो षत वकास का उ े य चतुथ पंचवष य योजना म अपनाया गया था। तीसरी पंचवष य
योजना म खा ा के े म आ म नभरता हा सल करने का ल य रखा गया था।
जुलाई, 1991 म नई आ थक नी त के अंगीकरण के प ात ारंभ आठव योजना म सावज नक (लोक) े के
प र य म कमी आई। इसका कारण यह था, क वकास क या म नजी े को अब पहले से अ धक मह व
ई इ ह , ह ह
दया जाने लगा।
10व योजना
10 12व योजना
12
दसव पंचवष य योजना के दौरान द गई फसल तथा उनसे संबं धत संवृ द दर का सुमेलन न नानुसार
है –
फसल संवृ द दर (%
(%म))
फल एवं स जय म 2.97
अनाज म 1.28
अ य फसल म 3.58
े वृ द दर (ल य)
कृ ष 3.97%
उ ोग 8.90%
ापार 9.44%
1 अ ैल, 2002 से 31 माच 2017 क अव ध वाली दसवी पंचवष य योजना म संचार े म 15.0% वृ द दर का
ल य नधा रत था, जो उ चतम वृ द दर ल य था।
दसव पंचवष य योजना क अव ध 1 अ ैल, 2002 से 31 माच, 2007 थी। अतः दसव योजना का समापन वष
2007 म आ।
कुछ योजना क संवृ द दर न न ल खत रही –
मु ा एवं बै कग
मु ा ((Money)
Money)
मु म न न वशेषताएं होती ह –
काय
1. ाथ मक काय –
व नमय का मा यम
मू य का मापक
2. गौण काय –
मू य का संचय
मू य का ह तांतरण
मु ा क मांग
मु ा क पू त
भारत म मु ा क पू त हेतु यूनतम न ध णाली (Minimum Reserve System) अपनाई जाती है।
इसके तहत यूनतम 200 करोड़ पये क न ध रखकर भारतीय रजव बक कतनी भी मु ा छाप सकता है।
इस 200 करोड़ क न ध म 115 करोड़ पये वण म रखने होते ह, जब क 85 करोड़ पये वदे शी तभू तय
म।
भारत म मु ा क पू त को चार मापक के आधार पर मापा जाता है –
1. M1 = चलन म करसी + मांग जमा + अ य जमा
2. M2 = M1 + डाकखाने क जमाएं
3. M3 = M1 + साव ध जमाएं
4. M4 = M3 + डाकखाने क जमाएं
इन मु ा का तरलता म है – M1>M2>M3>M4
ापकता म – M4>M3>M2>M1
नोट – M3 को वृहद मु ा (Broader Money) कहा जाता है।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
ब कग
भारत म ब कग इ तहास
बको का रा ीयकरण
RBI के काय
गुणा मक साख नयं ण हेतु वह कसी े वशेष म साख का नयं ण करता है पूरी अथ व था म नही।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
अपनी सभी जमा (मांग जमा एवं साव ध जमा) का वह अनुपात जो वा ण यक बक को RBI के पास जमा
करना होता है, CRR कहलाता है।
वतमान म इसक दर 4 तशत है।
CRR म वृ द से बक के पास तरलता मे कमी आती है, जब क इसके वपरीत इसम कमी तरलता को बढ़ाती है।
1. रेपो दर ((REPO
REPO Rate)
2. रवस रेपो दर
3. बक दर ((Bank
Bank Rate)
1. बक दर
2. MSF दर
म ा फ त एवं अव फ त
मु ा फ त एव अव फ त
दर के आधार पर
1. रगती फ त ((Creeping
Creeping Inflation) – जब फ त क दर एक अंक य हो।
2. कूदती फ त ((Hyper
Hyper Inflation) – जब फ त दो या तीन अंक य हो।
3. अ ध फ त ((Hyper
Hyper Inflation) – जब फ त क दर ब त अ धक हो। जैसे ज बा वे म 22.9 करोड़
तशत।
मु ा क पू त बढ़ जाए
कालाधन
सावज नक य म वृ द
ऋण का पुनभुगतान कया जाए
जनसं या म वृ द
कारारोपण म कटौती
साधन क पू त मे कमी
मक आंदोलन
ाकृ तक संकट
कृ म लभता
साधन क मांग म वृ द
जीवन नवाह लागत म वृ द
एका धकार लाभ म वृ द
फलसव
फ त दर a 1/ बेरोजगारी
मु ा फ त पर नयं ण के उपाय
मौ क उपाय
1. CRR म वृ द
2. SLR म वृ द
3. Repo दर म वृ द
4. Reverse Repo म वृ द
5. बक दर म वृ द
6. STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
मु ा फ त का भाव
वग भाव
उपभो ा -ve
ऋणी +ve
ऋणदाता -ve
सावज नक य +ve
आयात +ve
नयात -ve
रोजगार +ve
उ पादन +ve
उ पादक +ve
ापारी +ve
कृषक +ve
प रवतनशील आय वग +ve
थर आय वग -ve
व मं ालय और भारतीय रजव बक ने मई, 2016 म नकद र हत लेन-दे न को बढ़ावा दे ने के लए नीरज कुमार
गु ता क अ य ता म एक स म त का गठन कया था, जसम 7 सद य थे। इसी म म 8 नवंबर को लए गए
वमु करण के नणय के बाद 25 नवंबर, 2016 को के सरकार ारा सरकार-नाग रक के म य ड जटल लेन-
दे न को बढ़ावा दे ने हेतु नी त आयोग के सीईओ अ मताभ कांत क अ य ता म भी एक स म त का गठन कया
गया।
मसाला बॉ ड के ारा भारतीय सं थान वदे शी बाजार से वदे शी मु ा के बजाय पये म पैसा जुटा सकते ह।
जुलाई, 2016 म HDFC पहली ऐसी भारतीय कंपनी बनी, जसने लंदन टॉक ए सचज म समाला बा ड् स जारी
कए। सरल श द मे वदे शी पूंजी बाजार म नवेश के लए भारतीय पये म जारी कया जाने वाला बॉ ड,
मसाला बॉ ड है। इस सु वधा के पूव अंतररा ीय बाजार म नवेश के लए बॉ ड डॉलर मे जारी करना होता था।
भारत म रा ीय यादश सव ण 2011-12 के अनुसार, चालू दै नक थ त (CDS) बेरोजगारी दर 5.6 तशत
थी।
रंगराजन स म त ारा ामीण एवं शहरी े के लए गरीबी रेखा के नधारण मे अलग-अलग उपभोग य लया
गया है। स म त के अनुसार, भारत म ामीण े म त त दन 32 पये (972 . मा सक) उपभोग म
य तथा शहरी े म 47 पये (1407 . मा सक) त दन त उपभोग य, गरीबी रेखा को नधा रत
करती है। रंगराजन स म त ारा द गई प रभाषा के अनुसार, वष 2011-12 म भारत क 29.5 फ सद जनसं या
गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करती है, जब क वष 2011-12 के लए त लकर स म त का अनुमान 21.9
तशत गरीबी का है।
भारत सरकार ारा अनुमो दत स म प रयोजना नवीन अ य कर नेटवक से संबं धत है। आ थक मामल क
कै बनेट स म त ने इस प रयोजना को 28 सतंबर, 2016 को अपनी वीकृ त द । प रयोजना क कुल लागत
2256 करोड़ पये है, जब क अव ध सात वष है। यह प रयोजना व तु एवं सेवा कर के काया वयन म सहायक
होगी। साथ ही यह योजना क टम वभाग के ापार के सुगमीकरण हेतु सगल वडो इंटरफेस (SWIFT) को
व ता रत भी करेगी।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
पे काड (RuPay Card) भारतीय रा ीय भुगतान नगम (NPCI) ारा अ ैल, 2011 म वक सत वदे शी
णाली पर आधा रत एट एम काड है। इसका नाम दो श द पया और पेमट से मलाकर रखा गया है। इसे
ब रा ीय वीजा, अमे रकन, ए स ेस एवं मा टर काड क तरह योग कया जाता है। 8 मई, 2014 को भारत के
रा प त णब मुखज ने भारत का अपना भुगतान काड पे रा को सम पत कया। भारतीय रा ीय भुगतान
नगम भारतीय रजव बक ारा वष 2008 म था पत एक नगम है, जसे भारत म व भ भुगतान णा लय के
लए मातृसं था के प म क पत कया गया है। यह दे श म व ीय समवेशन के संवधन म सहायता करता है।
व ीय समावेशन को दे शभर म फैलाने के लए नजी े म छोटे व बक (Small Finance Banks) व
भुगतान बक (Payments Banks) क थापना क घोषणा व मं ी अ ण जेटली ने जुलाई, 2014 म
के य बजट म क थी। इन बक क थापना के लए अं तम दशा- नदश भारतीय रजव बक (RBI) ने 27
नवंबर, 2014 मे जारी कए। लघु व बक क थापना का उ े य मु यतः जनसं या के वं चत तथा अ प सेवा
ा त वग के लए बचत के साधन का ावधान करना तथा लघु कारोबार इकाइय , छोटे और सीमांत कसान ,
माइ ो और लघु उ ोगो तथा असंग ठत े क अ य सं था को उ च ौ ो गक , कम लागत प रचालन के
मा यम से ऋण क आपू त करना है।
एक कृत भुगतान अंतरापृ (UPI) एक व रत भुगतान णाली है, जसे RBI व नय मत इकाई के भारतीय
रा ीय भुगतान नगम (NPCI) ने वक सत कया है। यह IMPS अवसंरचना के आधार पर बना आ और कसी
दो प के बक खात के बीच पैस के तुरंत लेन-दे न को माटफोन के मा यम से संप करता है। यह ाहक को
एक बक खाते से व भ ापा रय (Merchants) को ऑनलाइन या ऑफलाइन भुगतान क सु वधा दान
करता है, वह भी बना कसी े डट काड वतरण, IFSC कोड या नेट ब कग/वॉलेट पासवड क परेशानी के
UPI का मु य लाभ लेन-दे न करना सरल और आसान बनाना है। इसे बक खाते से लक करने के बाद वॉलेट क
तरह टॉपअप कए बना नबाध भुगताने कया जा सकता है। वॉलेट म पैसे ह या नह क चता कए बना सीधे
बक थानांतरण के लए UPI का योग करना आसान होता है।
वष 1957 म भारत म मु ा क दशमलव णाली चलन म आई। वष 1957 से 1964 तर टकसाल से उ पा दत
पैसा को नया पैसा कहा गया। वष 1964 म नया पैसा म से या श द बाहर कर दया गया तथा अब इसे पैसा कहा
गया। अतः मु ा क दशमलव णाली के साथ च लत नया पैसा 1 जून 1964 से पैसा हो गया।
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बटकाइंस एक आभाषी मु ा (Virtual Currency) है। इसका वकास सातोशी नाकामोतो नामक ो ामर (या
ो ामर का समूह) ारा कया गया था। यह एक इले ॉ नक भुगतान णाली है। यह के य बक के नयं ण
से परे होता है। यह एक पीयर टू पीयर ((Peer
Peer to Peer) णाली है। इसके अंतगत उपयोगकता ारा बना
कसी म य थ एवं बना कसी पहचान को उजागर कए लेन-दे न कया जा सकता है।
बक के थापना वष
े ीय ामीण बक – 1975
ीय ामीण बक 1975
सुलभ मु ा से ता पय तरल मु ा से है। इसके अंतगत जनता के पास उपल ध करसी, बक क मांग जमाएं तथा
भारतीय रजव बक के अ य जमा रा शयां आती ह।
भारत म मु ा गुणक को वृहद या थूल मु ा (M3) और आर त मु ा (M0) के अनुपात के प म मापते ह। अतः
य द मु ा गुणक K हो, तो K = M3/M0 या M3/Rm
यह वदे शी मु ा जसम व रत वास क वृ होती है, गम मु ा (Hot Money) कहलाती है। नवेशक ारा
उ च याज दर से लाभ ा त हेतु इस कार क मु ा का वाह एक दे श से सरे दे श म आसानी से कया जाता
है।
भारतीय रजव बक को . 10,000 तक करसी नोट छापने का अ धकार ा त है। वतमान म भारतीय रजव
बक 1, 2 , 5 . के स के तथा 10, 20, 50, 100, 500 तथा 2000 के करसी नोट छापने का काय कर रही है।
नोट नगमन के लए वष 1956 म यूनतम वदे शी कोष णाली अपनाई गई जसके तहत 515 करोड़ . वदे शी
कोष ( जसम 115 करोड़ . वण तथा 400 करोड़ . वदे शी तभू त) के प म तथा शेष मू य पये क
तभू त म रखना आव यक था। 31 अ टू बर, 1957 के बाद रजव बक ए ट के संशोधन के अनुसार, इसे
घटाकर केवल 200 करोड़ . कर दया गया जसम 115 करोड़ . सोने के प म रखना अ नवाय होगा तथा
नग मत नोट के शेष ह से के पीछे 85 करोड़ . क तभू त रखना अ नवाय होगा।
भारत म मुंबई, कोलकाता तथा हैदराबाद मे टकसाल ( स का ढलाई के ) पूव म ही था पत क गई थी, इसके
अतर वष 1988 म नोडा म एक और टकसाल था पत क गई।
मु ा सार से ता पय अथ व था म मु ा क मा ा म वृ द से है। मु ा सार के कारण मु ा क यश गर
जाती है। अथात मु ा क न त मा ा से पूव क अपे ा, कम व तु अथवा सेवा का य कया जा सकता
है। इन सबके प रणाम व प सामा य क मत तर बढ़ जाता है।
भारत म मु ा संबंधी नोट क नगमन णाली आनुपा तक कोष णाली से बदलकर वष 1956 म यूनतम थर
कोष णाली हो गई है।
ऐसी मु ा जो चलन मे नही होती तथा केवल लेखांकन उ े य के लए होती है, कृ म मु ा कहलाती है। SDR
(Special Drawing Right) ऐसी ही मु ा है जो IMF (अंतररा ीय मु ा कोष) के लेन-दे न के लेखांकन के
लए इ तेमाल होती है। ADR अमे रकन डपॉ जटरी र स ट् स तथा GDR लोबल डपॉ जटरी को करता
है।
बहत (Bahat) थाईलड क व धक मु ा है। टक लीरा – तुक क , ड ग – वयतनाम क तथा रयाल – ईरान क
मु ा है।
चीन क मु ा युआन है जब क लीरा (वतमान म यूरो) इटली क , येना – जापान क तथा पया – भारत क मु ा
है।
संयु सूडान क मु ा द नार (एवं सूडानी प ड), पूव यूगो ला वया क मु ा यू यूगो लाव द नार तथा ूनी शया
क भी द नार है जब क संयु अरब अमीरात (UAE) क मु ा दरहम है।
मे सको – पेसो
भारत म मु ा फ त के ा कलन का सबसे च लत माप थोक मू य सूचकांक है। पहला थोक सूचकांक 10
जनवरी, 1942 से शु होने वाले स ताह से ारंभ आ। जब क आधार पर वष 1939 = 100 लया गया। वतमान
मे थोक मू य सूचकांक का आधार वष 2011-12 है।
ारा संक लत कया जाता है, जब क शहरी गैर- म कमचा रय के लए उपभो ा मू य सूचकांक के य
सां यक संगठन (CSO) ारा संक लत कया जाता है।
अ टू बर, 2009 म थोक मू य सूचकांक का आधार वष 1993-94 से हटाकर वष 2004-05 कर दए जाने का
नणय लया गया था।
भारत म सू म- व (Microfinance) का ारंभ 1980 के दशक के ारंभ म छोटे तर पर व-सहायता समूह
के गठन के मा यम से आ था। वतमान म सू म- व के तहत उपल ध कराई जाने वाली व ीय सेवा म
शा मल ह – ऋण सु वधाएं, बचत सु वधाएं, बीमा सु वधाएं एवं न ध अंतरण सु वधाएं।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
वा ण यक बको ारा दए जाने वाले ऐसे ऋण लोक-लुभावन ऋण (Teaser Loan) कहलाते ह जो ऋण लेने
वाले क ऋण को चुकाने क मता तथ अ य मानक का बना यान रखे ए दान कए जाते ह। ऐस
ऋण पर ारं भक वष म याज क दर आकषक प से कम रहती है और बाद के वष म बढ़ जाती है। लोक-
लुभावन ऋण अधोमुख ऋण (Subprime Loans) का ही एक व प है तथा इनम बक के सम यह
जो खम रहता है क भ व य म उनके ऋण चुकता न हो। इस कार के ऋण मु यतः अ प या म यम आय वग के
य को गृह ऋण के प म दान कए जाते ह।
त छाया ब कग से (Shadow Banking) से ता पय़ गैर-ब कग व ीय सं था ारा व ीय तथा अ य
ग त व धय को संप करना है। इस हम आभाषी बक व था भी कह सकते ह। इसम अनेक गैर-ब कग व ीय
म य थ परंपरागत वा ण यक बक के समान ही हक को सेवाएं उपल ध कराते ह मगर उन पर न तो सरकार
का और न ही के य बक का कोई नयं ण होता है।
RBI ने दसंबर, 1969 से लीड ब कग योजना ारंभ क । इसके अंतगत येक बक को एक जला आवं टत
कया जाता है और उस बक को लीड बक क सं ा द जाती है। येक जले का लीड बक संबं धत जले म साख
व था के सम वय म अ णी भू मका नभाता है। भारत के लगभग सभी जल मे यह योजना लागू है। लीड बक
जला तर पर साख योजना का नमाण कर उसे पूण करने म के य भू मका नभाता है।
लघु उ ोग के संबंध म काय करने वाला बक मु यतः SIDBI (Small Industries Development Bank
of India) है। इसक थापना वष 1990 म ई थी।
सतंबर,, 2015 म भारतीय टे ट बक ने भारत क 7 सबसे बड़ी ई--कॉमस े क कंप नय के साथ
भागीदारी म स पली लक े डट काड को लांच कया ये 7 कंप नयां ह –
1. अमेजन इं डया
2. बुकमाईशो
3. लयर प
4. फैबफ नश
5. फूड पांडा
6. लसकाटड
7. ओला कै स
भारतीय औ ो गक साख एवं नवेश नगम (Industrial Credit and Investment Corporation of
India – ICICI) क थापना वष 1955 म व बक तथा संयु रा य अमे रका के सुझाव एवं सहयोग से क
गई थी। इसका उ े य दे श क नजी े म लघु एवं म यम आकार के उ ोगो का वकास करना था।
सावज नक े के बक म टे ट बक ऑफ इं डया (SBI) सबसे बड़ा ापा रक बक है। 1 अ ैल, 2017 से
भावी पंच सहयोगी बको और भारतीय म हला बक के वलय के प ात माचात, 2018 तक इसक 22414
शाखाएं थी।
भारत म ापारी बैक क दे नदा रय म सबसे मह वपूण अंश जमा (Deposits) का होता है। जमा म भी
सवा धक मह वपूण साव ध जमाएं (Time Deposits) है। सरे थान पर बचत बक जमा (Saving
Deposite) एवं तीसरे थान पर मांग जमाएं (Demond Deposite) होती ह।
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ाथ मक े मे न न ल खत े णयां शा मल ह –
1. कृ ष
2. लघु एवं सू म उ म
3. श ा
4. गृह
5. ए सपोट े डट एवं
6. अ य
द घ अव ध ऋण – 5 वष से अ धक
पंजाब नेशनल बक म वलय होने वाला बक यू बक ऑफ इं डया था। यह वलय (Merger) वष 1993 म आ
था।
भारतीय टे ट बक ने कसान के पास आसानी से प ंचने के लए कसान लब का गठन कया है।
बक और उनका मूल दे श –
भारत म बचत खात पर याज दर को पहले भारतीय रजव बक ारा व नय मत कया जाता था, ज ह
अ टू बर , 2012 म नयं ण मु कर दया गया।
31 दसंबर, 2015 क थ त के अनुसार, भारत म वदे शी बक क सवा धक शाकाएं टे न के टडड चाटड बक
(102) क ह जसके प ात मशः हांगकांग के एच.एस.बी.सी. ल. (50) तथा अमे रका के सट बक (45), ांस
के बी.एन.पी. पारीवस बक (8) थान है।
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
चार आर ण अनुपात या प रवतनीय कोष अनुपात (Variable Reserve Ratio: VRR) जसके ारा RBI
बक के पास रखे जाने वाले तरल कोष म प रवतन करती है तथा खुले बाजार क कारवाई जसके ारा RBI
तभू तय का य- व य करती है, ये दोनो RBI के प रणाम व प साख नयं ण क व धयां ह जो मौ क
नी त के अंतगत आती ह।
भारतीय रजव बक खुले बाजार क या (Open market operation) के तहत सरकारी तभू तय
(Government Securities) एवं े जरी बल का य- व य करता है। अथ व था से मु ा क अपे त
मा ा नकालने के लए तभू तय का व य जब क अथ ाव था म मु ा क अपे त मा ा डालने के लए
तभू तय का य कया जाता है।
भारत म मु ा एवं साख का नयं ण भारतीय रजव बक ारा कया जाता है। इस उ े य क ा त के लए वह
प रणाम व प व गुणा मक उपाय का उपयोग करता है।
तरलता समायोजन सु वधा(LAF) (रेपो तथा रवस रेप) उपभो ा उधार का नयमन
सं था थापना वष
सेल (Steel Authority of India Limited) एक वपणन सं था है जब क सेबी (पूंजी बाजार), सडबी
(सू म व ) एवं नाबाड (कृ ष साख) अपने े क शीष सं थाएं ह। सेबी क थापना वष 1988 म सडबी क
थापना वष 1990 म एवं नबाड क थापना वष 1982 म ई थी।
बॉ बे टॉक ए सचज (BSE) के संवेद सूचकांक को सं त प म ससे स (Sensex) कहा जाता है। संवेद
सूचकांक मे चढ़ाव का अथ BSE मे सूचीब द 30 कंप नय के शेयर के सम मू य मे चढ़ाव से है।
न क टो यो टॉक ए सचज का टॉक मू य सूचकांक (Stock Price Index) है।
माच, 2014 तक बॉ बे टाक ए सचज के ीने स सूचकांक (BSE- GREENEX Index) म कंप नय क
सं य 25 थी।
बंबई शेयर बाजार ((BSE)
BSE) दलाल ट,, मुंबई ((महारा ) म थत है।
बुल तथा बयर शेयर बाजार के श द ह, जनका हद अथ मशः तेज ड़या तथा मंद ड़या होता है। जो
शेयर क क मत बढ़ाना चाहता है उसे तेज ड़या कहते ह तथा जो शेयर क क मत गरने क आशा करता
है, वह मंद ड़या कहलाता है।
शेयर बाजार म व भ कार क स े बाजी ग त व धयां न न ल खत ह –
4. औ ो गक वातावरण क थत
5. बाजार म तरलता क उपल धता आ द।
इ साइड े डग शेयर बाजार से संबं धत है। इसके अंतगत कंपनी के कमचारी या कोई संबं धत कंपनी क
आंत रक सूचना का उपयोग कर शेयर े डग म अनु चत लाभ ा त करते ह। यह अवैध काय माना गया है।
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पूंजी बाजार व ीय णाली का एक मह वपूण अंग है। यह द घकालीन फंड का बाजार है जसमे इ वट (या
अंशप ) तथा ऋण (Debt) के मा यम से पूंजी क उगाही स म लत है। यह दे श के भीतर तथा बाहर
द घकालीन फंड ा त करने का बाजार है।
व सनीय तभू तय से ता पय ऐसे कंप नय के शेयर से ह जनक व तृत उ पाद ृंखला हो, जनका उ च
बंधन हो तथा जनसे हमेशा ऊंची आय और लाभांश ा त होता रहे।
डबचर का अथ ऋण प से होता है। संयु पूंजी कंप नय ऋण ा त करने हेतु अपने डबचर जारी करती है।
जो सं था इ ह जारी करती है, वह इन डबचस पर धारक को एक न त दर से याज दे ती है। प लक ल मटे ड
कंपनी ारा डबचर जारी करना, कंपनी अ ध नयम, 1956 तथा 11 जून, 1992 को SEBI ारा जारी दशा-
नदश के अधीन है। डबचर क मूल रा श उसके पूणता अव ध पर स प द जाती है।
भारत म सहकारी बक तीन तर पर काय करते ह। थम तर पर रा य के रा य सहकारी बक होते ह। तीय
तर पर के य सहकारी बक होते ह जो जनपद तर पर काय करते ह, इसी लए इ ह जला सहकारी बक भी
कहा जाता है। तृतीय तर पर ामीण ऋण स म तयां या ाथ मक ऋण स म तयां होती ह जो ाम तर पर काय
करती है।
रा ीय कृ ष एवं ामीण वकास बक (NABARD) भारत म कृ ष े को व दान करने वाली सव च सं था
है। इसक थापना 12 जुलाई, 1982 को ई थी। इसका मु यालय मुंबई मे है। नाबाड ामीण ऋण ढांचे म एक
शीष थ सं था के प म अनेक व ीय सं था को पुन व सु वधाएं दान करता है, जो ामीण े म
उ पादक ग त व धय के व तृत े को बढ़ावा दे ने के लए ऋण दे ती है।
उपभो ा सहकारी भंडार सद य ारा था पत कए जाते ह जब क इनका पंजीकरण सहकारी स म तय के
नबंधक के ारा होता है।
दे श म सव थम 2 अ टू बर,, 1975 को पांच े ीय ामीण बक था पत कए गए। ये न न ह –
मुरादाबाद (उ. .)
गोरखपुर (उ. .)
भवानी (ह रयाणा)
जयपुर (राज थान)
मा दा (प. बंगाल)
कर आधार को यादा व तृत करने के लए राजा जे. चेलैया स म त क सं तु त पर सेवा कर को वष 1994-95
के के य बजट से ारंभ कया गया। वतमान म सेवा कर का व तु एवं सेवा कर (GST) म वलय हो गया है।
भारत सरकार ारा शेयर के पूंजी व नवेश के लए रंगराजन स म त ग ठत क गई थी जसने अपनी रपोठ
अ ैल, 1993 म स पी।
योजना आयोग ारा वष 2008 म रघुराम राजन क अ य ता म ग ठत व ीय े सुधार स म त ने अपनी
रपोट सरकार को सौप द है। कमेट को व ीय े सुधार क सरी पीढ़ (Next Generation of
Financial Sector Reform) के संबंध म सुझाव दे ना था।
भारतीय रजव बक ारा रजव बक के भूतपूव गवनर वमल जालान के नेतृ व म ने बको को लाइसस दे ने हेतु
आवेदन-प के सू म परी ण के लए एक उ च तरीय पैनल ग ठत कया गया था जसने 25 फरवरी, 2014 को
अपनी रपोट स पी।
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ब कग लोकपाल क नयु भारतीय रजव बैक करता है। ब कग लोकपाल भारत म खाता रखने वाला
अ नवासी भारतीय क शकायत सुन सकता है। ब कग लोकपाल ारा पा रत आदे श अं तम और संबं धत प ो
के लए बा यकारी नही होता ब क इसके खलाफ अपील, अपीलीय ा धकरण मे क जा सकती है जो क
रजव बक के ड ट गवनर के नेतृ व म काय करता है। साथ ही ब कग लोकपाल ारा द गई सेवाएं नःशु क
होती ह।
के सरकार ारा फरवरी, 2011 म वा भमान नाम क व ीय सुर ा योजना का आरंभ कया गया था। जसका
उ े य 2000 से ऊपर आबाद वाले बक वहीन गांवो को ब कग सु वधाएं दान करना था। इस योजना के
अंतगत बको ारा वसा यक संवाददाता या बक साथी (Business Correspondents) का चयन कया
जाता है जो ामीण और बक के बीच म य थता का काय करते ह। बक जमा, आहरण, व ेषण
(Remittances) जैसी बु नयाद सेवाएं बक साथी के ारा दान कए जाते ह। साथ ही, इस योजना ारा
सरकारी सहा य (Subsidies) और सामा जक सुर ा लाभ को लाभा थय के बक खातो मे सीधे ह तांत रत
कया जा सकता है।
S & P 500 टॉक बाजार का सूचकांक है जसम 500 वृहद कंप नयां शा मल होती ह।
बाजार वह थान है, जहां व तु एवं सेवा का य- व य होता है। व तु एवं सेवा य- व य उनक
उ पादन लागत के आधार पर कया जाता है, जसे व तु अथवा सेवा क क मत कहते ह। अतः बाजार के
अ त व के लए क मत आधारभूत त व होता है।
भारत म वायदा बाजार आयोग क थापना वष 1953 म क गई थी। यह जसो के वायदा ापार का व नयमन
करता है। 28 सतंबर, 2015 को वायदा बाजार आयोग का सेबी म वलय (Merge) कर दया गया।
भारत म पशन फंड् स का मह व मशः कम होता गया है य क Venture ापारी ायः अपने पूंजी
उपल धकता पर नभर होते ह और ब ायः अपने सहयोगी सं था म नवेश करना चाहते ह।
वष 1995-96 म था पत ामीण अव थापना वकास कोष का हसाब रा ीय कृ ष एवं ामीण वकास बक
(NABARD) रखता है।
1. भारत क सं चत न ध
2. भारत क सावज नक लेखा
3. भारत क आक मक न ध
रा य भ व य न ध के अंतगत सरकार जो धन पाती है, उसको सावज नक लेखा न ध म जमा कया जाता है।
सामा जक वकास
मानव वकास
भारत
मानव वकास एक ापक अवधारणा है, जसके तहत एक लंबे व थ एक रचना मक जीवन क संक पना
न हत है।
सव थम संयु रा वकास काय म (UNDP – United Nations Development Programme) ारा
वकास के मानवीय प पर यान क त कया गया तथा वकास को रा क संवृ द दर से परे रा के
नवा सय के जीवन क गुणव ा म सुधार से जोड़कर दे खा गया।
इसी म म सव थम वष 1990 म UNDP ारा मानव वकास रपोट जारी क गई।
इस रपोट म मानव वकास सूचकांक (Human Development Index: HDI) के आधार पर दे श क
र कग क गई।
मानव वकास सूचकांक के तपादन का ेय पा क तानी अथशा ी महबूब-उल-हक को जाता है।
नोबेल पुर कार ात भारतीय अथशा ी अम य सेन का भी इस सूचकांक के नमाण म मह वपूण योगदान था।
मानव वकास सूचकांक क गणना तीन सूचक यथा जीवन याशा (Life Expenditure), श ा
(Education) तथा त रा ीय आय के आधार पर क जाती है।
जीवन याशा सूचकांक क गणना हेतु अ धकतम आयु याशा 85 वष तथा यूनतम आयु याशा 20 वष
(वष 2016 क व ध के अनुसार) ली जाती है।
श ा सूचकांक क गणना हेतु दो चर यथा कूल अव ध के औसत वष (Mean years of schoooling) तथा
कूल अव ध के अनुमा नत वष (Expected years of schooling) को लया जाता है।
उ लेखनीय है क वष 2010 से पहले श ा सूचकांक क गणना म सकल नामांकन दर एवं ौढ़ सा रता को
दया जाता था।
मानव वकास सूचकांक का मू य शू य से एक (0-1) के म य होता है, जसम शू य न नतम मानव वकास को,
जब क 1 उ चतम मानव वकास को द शत करना है।
नवीनतम मानव वकास रपोट, 2018 मे मानव वकास सूचकांक, 2017 म का शत ई।
इस रपोट म 189 दे शो म नॉव, वटजरलड तथा ऑ े लया म से शीष मानव वकास वाले दे श रहे, जब क
नाइजर सबसे न नवत (189वां रक) मानव वकास वाला दे श रहा।
द ण ए शयाई दे श म ीलंका तथा मालद व को छोड़कर शेष दे श क तुलना म भारत क थ त बेहतर है।
वष 2018 क रपोट के अनुसार वष 2017 म भारत म जीवन याशा 68.8 वष, कूल अव ध के औसत वष
6.7 वष, कूल अव ध के अनुमा नत वष 12.3 वष तथा त रा ीय आय 6353 डॉलर थी।
यात है क वष 2010 से मानव वकास रपोट म मानव वकास सूचकांक के साथ-साथ असमानता
समायो जत मानव वकास सूचकांक (IHDI), ब आयामी नधनता सूचकांक (MPI) तथा ल गक असमानता
सूचकांक (GII) का भी काशन कया जा रहा है।
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ब आयामी नधनता सूचकांक (Multi- dimentional Poverty Index: MPI नधनता के मापन क एक
ब आयामी अवधारणा है।
MPI का काशन वष 2010 से मानव वकास रपोट म कया जा रहा है।
ब आयामी नधनता सूचकांक से पूव वष 1997 से मानव वकास रपोट के साथ मानव नधनता सूचकांक
(HPI) का शत कया जाता था।
इसका वकास UNDP के सहयोग से ऑ सफोड नधनता एवं मानव वकास पहल (OPHI) ारा कया गया
है।
इस सूचकांक का नमाण तीन आयाम ( श ा, वा य तथा जीवन तर) के संदभ म 10 सूचक पर आधा रत है।
ये सूचक ह –
1. श ा संबंधी
कूल अव ध के वष
कूल मे उप थ त
2. वा य संबंधी
बाल मृ यु दर
पोषण
3. जीवन तर संबंधी
व ुत
व छता (शौचालय)
पेयजल
आवासीय फश
भोजन पकाने का धन
प रसंप (ट वी. वाहन, रे जरेटर, मवेशी आ द)
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भारतीय रा य म सबसे पहले वष 1995 म म य दे श रा य ारा मानव वकास रपोट जारी क गई।
भारत म रा य क मानव वकास के संदभ म तुलना मक थ त के आकलन हेतु योजना आयोग ारा वष
2002 मे पहली रा ीय मानव वकास रपोट (NHDR) का शत क गई थी।
इसम मानव वकास क से केरल दे श म थम थान पर था। इस सूचकांक मे पंजाब सरे, त मलनाडु
तीसरे, महारा चौथे तथा ह रयाणा पांचवे थान पर था।
रा ीय मानव वकास रपोट क सरी रपोट योजना आयोग के अधीन Institute of Applied Manpower
Research (IAMR) ारा वष 2011 म जारी क गई।
इस रपोट का शीषक भारत मानव वकास रपोट,, 2011 सामा जक समावेशन क ओर (India Human
Development Report, 2011 – Towards Social Inslusion) था।
इस रपोट के अनुसार, वष 2007-08 म मानव वकास क से सव म रा य केरल था।
केरल 0.790 HDI सूचकांक के साथ रा य म थम थान पर रहा।
इसके बाद द ली (0.750 अंक), हमाचल दे श (0.652 अंक), गोवा (0.617 अंक) तथा पंजाब (0.605 अंक)
मशः सरे, तीसरे, चौथे एवं पांचवे थान पर रहे।
भुखमरी ((Hunger)
Hunger)
रोजगार के संदभ म 273 दन तक त दन 8 घंटे के काय को मानक वष (Stadard Year) कहा जाता है तथा
जो इतने दन तक रोजगार म ह, उसे पूण रोजगार म माना जाता है।
उन य को बेरोजगार माना जाता है, जो काय करने क मता तथा इ छा रखते ह एवं च लत मय री पर
काय हेतु तुत होते ह, परंतु उ ह रोजगार नही मल पाता हो।
1. च य बेरोजगारी ((Cyclical
Cyclical Unemployment) – ऐसी बेरोजगारी जो बाजार उ चावचन ( फ त/मंद ) के
कारण मांग म कमी से उ प होती है तथा मांग म वृ द होने से पुनः समा त होती है, च य बेरोजगारी कहलाती
है। यह वक सत दे शो म सामा यतः दे खी जाती है।
2. घषण ज नत बेरोजगारी ((Frictional
Frictional Unemployment) – घषणज नत बेरोजगारी वा तव म एक रोजगार
को छोड़कर सरे रोजगार क ा त के म य क अव ध क बेरोजगारी है। तकनीक आ द म प रवतन के कारण
नौक रय मे छटनी इस बेरोजगारी का मुख कारण है। यह भी वक सत दे श क सामा य वशेषता है।
3. संरचना मक बेरोजगारी ((Structural
Structural Unemployment) – इस तरह क बेरोजगारी लोग म कौशल के
अभाव क थ त म उ प होती है। अथात जब लोग रोजगार के अनु प यो यता न धा रत कर पाने के कारण
बेरोजगार बने रह, तो इस बेरोजगारी को संरचना मक बेरोजगारी कहा जाता है। यह वकासशील एवं अ प
वक सत दे श क सामा य वशेषता है। भारत म भी संरचना मक बेरोजगारी का तर उ च है।
4. मौसमी बेरोजगारी ((Seasonal
Seasonal Unemployment) – मौसमी बेरोजगारी कृ ष े म सवा धक पाई जाती
है। कृ ष े म वष क महीन म काम बढ़ जाता है, जससे रोजगार क सं या बढ़ जाती है परंतु शेष महीन म
बेरोजगारी बनी रहती है। मौसमी बेरोजगारी वकासशील एवं अ प वक सत दे श क सामा य वशेषता है।
5. छ बेरोजगारी ((Disguised
Disguised Unemployment)- कसी काय म आव यकता से अ धक लगे ए लोग
को तकनीक प से बेरोजगार माना जाता है। अथात य द कसी रोजगार म आव यकता से अ धक लोग लगे ए
ह , तो उस रोजगार से अ त र लोगो को नकाल दे ने पर भी उ पादन का तर बना रहे, तो नकाले गए अ त र
लोग को छ बेरोजगार माना जाता है। तकनीक श द मे जस क सीमांत उपयो गता शू य हो
(अथात उसका उ पादन म कोई अ त र योगदान न हो) तो उसे छ बेरोजगार माना जाता है, भले ही वो
रोजगार म य न हो? छ बेरोजगारी ाथ मक े ( वशेषकर कृ ष े ) म ब तायत म पाई जाती है।
भारत म बेरोजगारी मापन क तीन व धयां चलन म ह – सामा य थ त (Usual Status), चालू सा ता हक
थ त (Current Weekly Status) तथा चालू दै नक थ त (Current Daily Status)।
य द कोई वष के आधे से अ धक दन (183 दन) तक बेरोजगार ा त नही कर पाता है, तो उसे सामा य
थ त (US) का बेरोजगार माना जाता है।
य द सव ण स ताह म कसी को स ताह मे एक घंटे का भी रोजगार न मले, तो उसे चालू सा ता हक तर
(CWS) का बेरोजगार माना जाएगा।
य द कसी को कसी दन वशेष म एक घंटे का भी रोजगार ा त न हो सके, तो उसे चालू दै नक थ त
(CDS) का बेरोजगार माना जाता है।
उ लेखनीय है क य द कोई एक दन म चार घंटे या इससे अ धक समय तक रोजगार म ह, तो उसे उस दन
के पूण रोजगार म जब क एक घंटे से अ धक एवं चार घंटे से कम के रोजगार को उस दन के आधे दन के
भारत म बेरोजगारी के मापन हेतु रा ीय तदश सव ण संगठन (NSSO) आंकड़े एक त करता है.
NSSO के 68व दौर क रोजगार एवं बेरोजगारी थ त रपोट के अनुसार वष 2011-12 म सामा य थ त (US)
के आधार पर भारत म 2.7 तशत बेरोजगारी थी।
भारतीय रा यो म सवा धक बेरोजगारी नगालड (25.6%) दज क गई। इसके प ात ल य प (15.4%) तथा
पुरा (14.6%) सवा धक बेरोजगारी वाले रा य रहे।
चालू सा ता हक थ त (CWS) के आधार पर भारत म वष 2011-12 म 3.7 तशत तथा चालू दै नक थ त के
आधार पर 5.6 तशत बेरोजगारी दज क गई।
अंतररा ीय म संगठन (ILO) के व रोजगार एवं सामा जक प र य, 2018 के अनुसार, भारत म वष 2018
म 3.5 तशत क बेरोजगारी दर अनुमा नत है।
NSQF के अंतगत श ाथ स मता का माण-प औपचा रक, गैर-औपचा रक तथा अनौपचा रक श ा के
मा यम से कसी भी तर पर आव यक यो यता के लए ा त कर सकता है।
बेरोजगारी से ता पय आय के साधन क अनुपल धता से है। बेरोजगारी बढ़ने पर अ धक लो गरीबी रेखा से नीचे
आ जाएंगे और इस कार गरीबी बढ़े गी।
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म य दे श सरकार ारा नवंबर, 1991 म वशेषतः ामीण एवं आ दवासी े क म हला के क याण एवं
वकास हेतु पंचधारा योजना शु क गई थी। यह योजना पांच योजना वा स य योजना, ा य योजना,
आयु मती योजना, सामा जक सुर ा पशन योजना तथा क पवृ योजना का समु चय थी।
योजना लांच त थ
ग स एजुकेशन इन इं डया
कौशल वकास पहल म एवं रोजगार मं ालय ारा मई, 2007 म ारंभ कया गया था।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले नधन प रवार को व छ धन (LPG) उपल ध कराने हेतु व छ
े ी ै े ं ी े ो े ई ो े े े
धन,, बहतर जीवन क टगलाइन क साथ धानम ी नर मोद न 1 मई, 2016 को उ र दश क ब लया जल
से धानमं ी उ वला योजना क शु आत क । इस योजना के तहत आगामी तीन वष (2016-19) म 10
करोड़ नए एलपीजी कने शन दान करने का ल य नधा रत कया गया था।
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पहल ((PAHAL)
PAHAL) योजना के अंतगत एलपीजी अनुदान का ह तांतरण य ह तांत रत लाभ योजना के मा यम
से सीधे लाभा थय के बक खाते म कया जाता है। पहल ((PAHA)
PAHA) योजना के थम चरण का शुभारंभ 15
नवंबर, 2014 से 54 जनपद म कया गया था। जब क 1 जनवरी, 2015 को यह योजना दे श के सभी जनपद म
व ता रत क गई।
नयोजन गारंट योजना या रोजगार गारंट योजना नामक ामीण रोजगार काय म सव थम महारा सरकार
ारा 26 जनवरी, 1979 को ारंभ कया गया था।
रोजगार गारंट योजना ामीण े म रोजगार याभूत करने के लए गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले ामीण
प रवार के कम से कम एक पु ष और एक म हला को व ीय सहायता दे ने का वचार करती है।
ाइसेम (Training of Rural Youth for Self Employment) योजना 18-35 वष के ामीण युवा को
वरोजगार हेतु श ण दान करने के उ े य से अग त, 1979 मे ारंभ क गई थी।
रोजगार आ ासन योजना (EAS) का ारंभ 2 अ टू बर, 1993 को कया गया था। इसका मु य उ े य मौसमी
बेरोजगारी से सत ामीण युवा को रोजगार उपल ध कराना था।
ामीण अव थापना वकास कोष ((RIDF)
RIDF) का गठन वष 1995-96 म आ था। इसका उ े य रा य सरकार
तथा रा य के वा म व वाले नगम के लए फंड क व था करना है जससे वे ामीण अव थापना
प रयोजना को पूरा कर सक। ामीण जलापू त, ामीण सड़क व ामीण व ुतीकरण इसके अंतगत आते ह
कतु ामीण उ ोग इसके अतगत नही आता।
वावलंबन योजना असंग ठत े के कामगार के लए भारत सरकार क एक पशन योजना है, जसे वष 2010
म ारंभ कया गया था। वतमान म इस योजना का थान अटल पशन योजना (मई, 2015 म ारंभ) ने ले लया
है।
25 दसंबर, 2014 को के य वा य एवं प रवार क याण मं ालय ारा ब च एवं गभवती म हला के
ट काकरण हेतु मशन इ धनुष का शुभारंभ कया गया था। मशन इ धनुष दे श भर म उ च ट काकरण
सु न त करने के लए एक रा ीय ट काकरण काय म है। इसके अंतगत सीत ट क ( ड थी रया, काली खांसी,
टटे नस, य रोग, पो लयो, हेपेटाइ टस बी एवं खसरा) को शा मल कया गया है।
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भारत सरकार ने वष 1972-73 म व रत ामीण जल आपू त काय म (ARWSP) ारंभ कया था। हालां क 1
अ ैल, 2009 से ामीण पेयजल आपू त काय म को रा ीय ामीण पेयजल काय म (NRDWP) नाम दया
गया। रा ीय ामीण पेयजल काय म भारत नमाण के 6 घटक म से एक है।
संक प प रयोजना HIV/AIDS के समापन से जुड़ी है। यह Hindustan Latex Ltd. एवं कमचारी रा य
बीमा नगम ारा संयु प से संचा लत एक प रयोजना है।
धानमं ी ामीण सड़क योजना का ारंभ 25 दसंबर, 2000 को कया गया था। इस योजना का उ े य मैदानी
े म 500 से अ धक क आबाद वाले गांव (पहाड़ी, जनजातीय एवं म थलीय े म 250 से अ धक क
आबाद वाले गांव ) को बारहमासी सड़क के ारा मु य सड़क से जोड़ना था इस योजना के मूलतः दो ल य थे –
1. योजना के पहले चरण म वष 2003 तक 1000 से अ धक आबाद वाले गांव को अ छ बारहमासी सड़क से
जोड़ना।
2. सरे चरण म 500 आबाद वाले गांव को वष 2007 तक अ छ बारहमासी सड़क से जोड़ना।
रा ीय ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम (NREGA), 5 सतंबर, 2005 को अध नय मत तथा 2 फरवरी, 2006
से इसे लागू कया गया। 2 अ टू बर, 2009 को रा ीय ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम का नाम प रव तत कर
महा मा गांधी रा ीय ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम (MNREGA) कर दय गया।
भारत म सामुदा यक वकास के मु य नमाता ए.के. डे कहलाते ह। वे भारत के थम सहका रता एवं पंचायती
राज मं ी थे। वष 1952 म भारत सरकार ारा सामुदा यक वकास काय म को ारंभ कराने म इनका मह वपूण
योगदान था। जवाहरलाल नेह उस समय धानमं ी थे।
रा ीय ामीण वा य मशन अ ैल, 2005 मे आरंभ कया गया जब दसव पंचवष य योजना (2002-07) जारी
थी।
समे कत बाल वकास सेवाएं (ICDS – Integrated Child Development Service) नामक काय म
के सरकार ारा वष 1975 म ारंभ कया गया था।
भारत म एक कृत बाल वकास सेवा योजना 2 अ टू बर, 1975 को भारत सरकार के म हला एवं बाल वकास
मं ालय ारा लागू क गई थी।
के सरकार ने जून, 2015 म धानमं ी आवास योजना का शुभारंभ कया था। इस योजना क समयाव ध
2015-2022 है।
क तूरबा गांधी बा लका व ालय योजना का शुभारंभ भारत सरकार ारा अग त, 2004 म अनुसू चत जा त,
जनजा त, पछड़े वग, अ पसं यक, से स वकर, मैला ढोने वाल आ द प रवार क बा लका के लए
शै णक से पछड़े ए लॉक (जहां म हला सा रता तथा शै णक जडर गैप रा ीय तर पर कम था) म
आवासीय उ च ाथ मक व ालय क थापना के लए कया गया था।
त ण भारत संघ डॉ. राजे सह ारा था पत एक वयंसेवी संगठन है, जो धारणीय वकास के लए राज थान
म काय कर रहा है।
के सरकार ने द पक पारेख कमेट का गठन (मई, 2007 म) अव थापना वकास एवं व ीयन के लए उपाय
सुझाने के लए कया था।
डसेट सं थान को ारंभ करने का उ े य ामीण बेरोजगार युवक को वयं के उ म लगाने के लए द ता एव
उदय मता का श ण दे ना है।
ए ागोगी (Andragogy) ौढ़ श ा (Adult Education) का सरा नाम है।
पूरा (Providing of Uraban Amenities to Rural Areas: PURA) क अवधारणा को पूव रा प त डॉ.
ए.पी.जे. अ ल कलाम ने अपनी पु तक “Target
Target 3 Billion” जसके सह-लेखक सृजन पाल सह ह, म
सव थम तुत क । भारत के 54व गणतं दवस क पूव सं या पर त कालीन रा प त डॉ.ए.पी.जे. अ ल
कलाम ने पूरा क अवधारणा को जनता के सम तुत कया, इसके प ात 15 अग त, 2003 को त कालीन
धानमं ी के ारा पूरा योजना के या वयन क घोषणा कर द गई।
ामीण े ो म शहरी सु वधाएं दे ने क नी त का समथन भारत के पूव रा प त डॉ.ए.पी.जे. अ ल कलाम ने
कया था। इस हेतु उ ह ने चार कार के संपक मुहैया कराने क बात कही थी। उ ह ने वा त वक संपक,
इले ॉ नक संपक तथा ान के संपक के मा यम से ामीण े के आ थक संपक पर जोर दया था।
अ यपा फाउंडेशन भारत का एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है, जसक थापना वष 2000 म बंगलु
ए ( ) ह, ु
(कनाटक) मे ई थी। यह सं था कूली छा को नःशु क म या भोजन उपल ध कराती है।
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भारतीय व श पहचान ा धकरण (UIDAI) ारा व तत आधार भारतीय नाग रक को पहचान उपल ध
कराने के लए एक काय म है। यह 12 अंक य वशेष पहचान सं या है, जसम शशु स हत येक क
आधारभूत जनसां यक य एवं बायोमै क सूचना-फोटो ाफ, फगर ट् स एवं आइ रश कैन डाटाबेस सं हीत
करके तैयार कया जाता है। इसका योग बक खाता खोलने, टे लीफोन/मोबाइल कने शन लेन,े हवाई या रेल
टकट ा त करने आ द पहचान के तौर पर कया जा सकता है।
लोक काय म एवं ामीण ौ ो गक वकास प रषद अथात कापाट (Council for Advancement of
People’s Action and Rural Technology: CAPART) का गठन 1 सतंबर, 1986 को कया गया था।
कापाट ामीण वकास मं ालय के नदश के अंतगत काय करता है। इसका मु यालय नई द ली मे है। इसका
मु य उ े य ामीण समृ द के लए प रयोजना के काया वयन वै छक काय को ो साहन दे ना और उनम
मदद करना है।
भारत सरकार ारा 12 जुलाई, 2001 को वयं स दा योजना का ारंभ कया गया। इसके तहत वयं सहायता
समूह के ारा म हला के संपूण सश रण पर बल दया था। वाधार योजना का उ े य क ठन प र थ तय
म पड़ी म हला को सहायता दान करना है। वयं स दा तथा वाधार दोन योजना का या वय सरकारी
नकाय एवं वयं सहायता समूह के मा यम से कराए जाने का ावधान है।
धानमं ी म पुर कार, भारत सरकार के म एवं रोजगार मं ालय ारा दान कया जाता है। यह पुर कार
औ ो गक ववाद अ ध नयम, 1947 मे प रभा षत कए गए के और रा य सरकार के वभागीय उप म , के
और रा य के सावज नक के और रा य सरकार के वभागीय उप म , के और रा य के सावज नक
उप म तथा नजी उ म ( जनम कम से कम 500 पंजीकृत कमचारी ह) के बेहतर दशन करने वाले कामगार
को दान कया जाता है।
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वजन 2020 फॉर इं डया त कालीन भारतीय रा प त डा.ए.पी.जे. अ ल कलाम ारा ता वत द तावेज है
जो भारत को वष 2020 तक वक सत रा बनाने से संबं धत है।
के सरकार ारा 2 अ टू बर, 2007 को ारंभ क गई आम आदमी बीमा योजना ामीण े म नधनता क
रेखा से नीचे रहने वाले सभी भू महीन मक को सामा जक सुर ा दान करती है। इस योजना के तहत ामीण
भू महीन प रवार क मु खया अथवा प रवार का रोजगार करने वाला एक सद य जसक उ 18-59 वष के म य
हो, इस योजना के तहत बीमा करा सकेगा। इस योजना का संचालन रा य /के शा सत े क सरकार एवं
भारतीय जीवन बीमा नगम (LIC) के सहयोग से कया जाता है। योजना के तहत दे य ी मयम 200 पये
तमाह सद य तवष के एवं रा य सरकार ारा 50:50 के अनुपात म वहन कया जाता है। योजना म
बीमाकृत के क ा 9 से 12 क बीच पढ़ रह दो ब च तक के लए 300 . त तमाही त ब चा
छा वृ का ावनधान भी है।
द न दयाल उपा याय ाम यो त योजना का उ े य े म कृ ष और गैर-कृ ष उपभो ा को ववेकपूण
तरीके व ुत आपू त सु न त कराना है। इस योजना का शुभारंभ 25 जुलाई, 2015 को पटना म धानमं ी
नरे मोद ारा कया गया। चूं क इस योजना से ामीण श ा, वा य, व छता, ब कग सेवा आ द म सुधार
होगा और यह सब ामीण सश करण के तहत ही आते ह।
1 अ ैल, 1999 से ारंभ वण जयंती ाम व--रोजगार योजना ((SGSY)
SGSY) म पूव मे चल रही जन छः
योजना का वलय कया गया था वो न न ल खत ह —
ी ं ो (DWACRA)
3. ामीण म हला एव बाल वकास योजना (DWACRA)
4. दस लाख कूप योजना (MWS)
5. उ त टू ल कट योजना (SITRA)
6. गंगा क याण योजना कालांतर मे SGSY को रा ीय ामीण अजी वका मशन (NRLM) नाम से पुनग ठत कया
गया। वतमान म इस योजना का नाम द नदयाल अं योदय योजना-रा ीय ामीण आजी वका मशन (DAY-
NRLM) है।
रा ीय मा य मक श ा अ भयान ((RMSA)
RMSA) – क शु आत माच, 2009 म भारत सरकार दवारा मा य मक
श ा तक प ंच बढ़ाने तथा इसक गुणव ा म सुधार करने के लए क गई थी। इसे स 2009-10 से
या वत कया गया।
महा मा गांधी रा ीय रोजगार गारंट अ ध नयम ((MGNREGA)
MGNREGA) – येक भारतीय प रवार को एक व ीय
वष म कम से कम 100 दन के अकुशल काम का अ धकार दे ता है। ात क रा ीय ामीण रोजगार गारंट
अ ध नयम (NREGA) 5 सतंबर, 2005 म पा रत आ था तथा 2 फरवरी, 2006 को इसक शु आत
धानमं ी डॉ. मनमोहन सह ारा आं दे श के अनंतपुर जले के बंदापाली गांव से क गई थी। 2 अ टू बर,
2009 को इसका नाम बदलकर महा मा गांधी ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम ((MGNREGA)
MGNREGA) कर दया
गया है।
सामुदा यक वकास काय म ने पंचायती राज के संगठन का रा ता तैयार कया गया था।
आ य बीमा योजना 10 अ टू बर, 2001 को ारंभ क गई थी। इस योजना का उ े य, काम अथवा नौकरी छू ट
जाने के कारण भा वत कमचा रय को सुर ा दान करना है।
भारत सरकार के वा य एवं प रवार क याण मं ालय ारा 12 अ ैल, 2005 म ारंभ रा ीय ामीण वा य
मशन के तहत श त सामुदा यक वा य कायकता, आशा ((ASHA
ASHA – Accredited Social Health
Activists) के मुख काय म शा मल ह – पोषण एवं तर ण के वषय म समुदाय को सूचना उपल ध कराना,
य को सव-पूव दे खभाल जांच के लए वा य सु वधा के साथ ले जाना, गभाव था क ारं भक
जानकारी ा त करने के लए गभाव था परी ण कट का योग करना आ द आशा के काय म शा मल ह। ब चे
का सव कराना इसका काय नही है।
रा ीय वा य नी त क घोषणा वष 1983 म वा य एवं प रवार क याण मं ालय ारा क गई थी। उ लेखनीय
है क वतमान म के य वा य एवं प रवार क याण मं ालय ारा वा य े मे सुधार हेतु रा ीय वा य
नी त, 2017 घो षत क गई।
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गरीबी
इसे नरपे समता रेखा के नीचे के संपूण े फल का लारज व एवं पूण मता रेखा के म य े फल मे भाग
दे कर ा त कया जाता है।
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गनी गुणांक = पूण समता रेखा एवं लारज व के म य का े फल//पूण समता रेखा के म य का कुल
े फल
जब इसका मान 1 होता है, तो इसका ता पय़ रा ीय आय के पूणतया असमान वतरण से है। अथात एक ही
पूरी आय ा त कर रहा है शेष को कुछ भी नही हो रहा है।
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भारत म गरीबी
भारत म गरीबी मापन का थम आ धका रक यास योजना आयोग ारा (डी. आर. गाड गल स म त ारा) वष
1962 म कया गया, जसम त तमाह 20 पये उपयोग य को गरीबी क रेखा मानने का सुझाव
दया।
वष 1977 म योजना आयोग ारा ग ठत कायदल ने गरीबी को त दन यूनतम भोजन ऊजा के आधार पर
प रभा षत कया।
लकड़वाला स म त के सुझाव पर ामीण एवं शहरी े के लए अलग-अलग मू य सूचकांक अपनाए जाने लगे।
ामीण े के लए कृ ष मक हेतु उपभो ा मू य सूचकांक (CPI for Agricultural Labour) तथा
शहरी े के लए औ ो गक मक हेतु उपभो ा मू य सूचकांक (CPI for Industrial Worker) को
अपनाया जाने लगा।
मरणीय है क भारत म नधनता आकलन हेतु रा ीय तदश सव ण संगठन (NSSO) ारा जारी घरेलू
उपभो ा य के आंकड़े योग म लाए जाते ह।
भारत म गरीबी मापन क व ध के नधारण हेतु वष 2005 म सुरेश त लकर स म त का गठन कया गया।
नवंबर, 2009 म इस स म त ने अपनी रपोट तुत क ।
त लकर स म त ने गरीबी को ब आयामी माना तथा इस स म त ने कैलोरी उपागम के बाजार खा , श ा तथा
वा य सेवा पर पा रवा रक य को गरीबी मापन का आधार माना।
इस स म त ने गरीबी मापन क व ध म URP (Uniform Reference Period) जसके अंतगत 30 दन क
याददा त अव ध (Recall Period) के भीतर के उपभोग य को लया जाता था, के थान पर MRP (Mixed
Reference Period) को अपनाया गया।
MRP के तहत पांच मद (कपड़े, जूते/च पल, श ा, टकाऊ व तुएं एवं सं थागत वा य य) को 365 दन
क याददा त अव ध के लए, जब क शेष मद को 30 दन क याददा त अव ध के लए उपभोग य के आंकड़े
लए जाते ह।
इस स म त क व ध के अनुसार, वष 2011-12 म भारत म 21.9 तशत गरीबी रही। भारत के ामीण े म
7 तशत, जब क शहरी े म, 13.7 तशत गरीबी दज क गई।
इनक व ध के अनुसार, भारत के ामीण े म गरीबी रेखा 816 पये त तमाह अथवा 27.20
पये त दन त है।
जब क शहरी े के लए गरीबी रेखा 1000 पये त तमाह अथवा 33.3 पये त त दन
है।
त लकर स म त के अनुसार, सवा धक गरीबी तशतता वाला रा य छ ीसगढ़ (39.9%) है, जब क सवा धक
गरीब जनसं या वाला रा य उ र दे श (598.2 लाख) है।
त लकर व ध के अनुसार, यूनतम गरीबी तशतता वाले के शा सत दे श एवं रा य मशः अंडमान एवं
नकोबार प समूह (1%) तथा गोवा (5.1%) है।
नधन आकलन क पुनसमी ा हेतु जून, 2012 म सी. रंगराजन क अ य ता म वशेष कायदल ग ठत कया
गया जसने 30 जून, 2014 को अपनी रपोट तुत कया।
पोषक मापन म इ ह ने खा बा केट को लया है, जसम कैलोरी के साथ-साथ ोट न एवं वसा को भी थान
ा त है।
ामीण े म 2155 कलो कैलोरी, 48 ाम ोट न एवं 28 ाम वसा त दन, जब क शहरी े के लए
2090 कलो कैलोरी, 50 ाम ोट न एवं 26 ाम वसा त त दन का मानक रखा।
रंगराजन व ध के अनुसार वष 2011-12 म भारत म 29.5 तशत लोग गरीबी म थे।
ामीण े म 30.9 तशत, जब क शहरी े म 26.4 तशत गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे ह।
रंगराजन व ध के अनुसार, ामीण े म गरीबी रेखा 972 पये त तमाह अथवा 32.40 पये
त त दन है।
शहरी े के लए गरीबी रेखा को 1407 पये तमाह अथवा 46.90 पये त त दन माना गया है।
रंगराजन व ध के अनुसार, यूनतम गरीबी तशतता वाला के शा सत दे श एवं रा य मशः अंडमान एवं
नकोबार प समूह (6.0%) रा य तथा गोवा (6.3%) है।
रंगराजन व ध के अनुमान MMRP (Modified Mixed Reference/Recall Period) पर आधा रत ह।
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MMRP म उपभोग य को उनक कृ त के आधार पर तीन भाग म बांटा जाता है – कम आवृ वाली
व तु (कपड़े, जूत,े श ा, वा य य एवं टकाऊ व तु ) को 365 दन क याददा त अव ध के लए,
जब क अ य धक आवृ वाली व तु (खा तेल, अंडे, मछली/मांस, स जयां, फल मसाले, सं कृत खा ,
पान, तंबाकू आ द को 7 दन क याददा त अव ध हेतु तथा शेष मदो (शेष खा व तुए,ं धन एवं काश, मकान
का कराया, आ द) को 30 दन क याददा त अव ध हेतु लया जाता है।
भारत के आ थक प से पछड़े रा य बहार, उड़ीसा, म य दे श के साथ-साथ महारा के जनजातीय समूह म
न बे के दशक म गरीबी क दर अ य सामा जक समूह क अपे ा सवा धक रही।
योजना आयोग गरीबी रेखा से नीचे अ धवा सत जनसं या क गणना हेतु एक वशेष दल का गठन करता है।
जो रा ीय तदश सव ण कायालय ारा एक त उपभोग य के आंकड़ का इस हेतु उपयोग करता है।
भारत म गरीबी अनुमान का आधार प रवार का उपभोग य है।
कमी आ द के कारण पछड़ापन मौजूद है। बहार म वकास के तर म े ीय भ ता भी मौजूद है, परंतु यह
बहार के अ प पछड़ेपन का कारण नही अ पतु उसका प रणाम है।
वष 1960 के दशक मे सावज नक वतरण णाली को क मत सहायक काय म क तरह ारंभ कया गया था।
इसका मु य उ े य था स सडाइ ड क मत पर आव यक व तु को दान करना।
भारत म खा स सडी म शा मल ह – समथन मू य के ारा कसान को द जाने वाली स सडी और भारतीय
खा नगम के य प रचालन, सावज नक वतरण णाली (PDS) के ारा द जाने वाली उपभो ा स सडी
तथा इन सभी क लागत को कवर (Cover) करने के लए FCI को स सडी।
सावज नक वतरण णाली का ल य कम मू य पर गरीब को खा सुर ा उपल ध कराना है।
पंचम पंचवष य योजना के अंतगत य प पहली बार गरीबी नवारण के घो षत उ े य के साथ गरीब वग क
यूनतम आव यकता क पू त हेतु रा ीय वकास काय म को ारंभ कया गया तथा प भारत क थम
म हला धानमं ी ीमती इं दरा गांधी ने छठ योजना के ारंभ मे गरीबी उ मूलन का नारा दया था।
वभेद कृत याज दर योजना को के सरकार ने 1972 म ारंभ कया था। योजना का उ े य समाज के कमजोर
वग को रयायती दर 4.0% पर ऋण उपल ध कराना है।
जीवन क भौ तक गुणव ा का सवा धक आकलन शशु मृ यु दर और सा रता है। इसे ओवरसीज डेवलपमट
काउं सल के लए 1970 के दशक म म य म मौ रस डे वड के ारा वक सत कया गया था।
जीवन क भौ तक गुणव ा = सा रता दर + इंडे ड शशु मृ यु दर + इंडे ड जीवन याशा / 3
अपया त संवृ द दर, जनसं या क उ च वृ द दर एवं बेरोजगारी नधनता के लए उ रदायी है।
वष 1952 म भारत ने व का पहला रा ीय प रवार नयोजन काय म श कया जसम रा ीय अथ व था के
वष 1952 म भारत न व का पहला रा ीय प रवार नयोजन काय म शु कया जसम रा ीय अथ व था क
अनु प तर पर जनसं या को थर करने के लए ज म दर को कम करने हेतु आव यक सीमा तक प रवार
नयोजन पर जोर दया गया।
जला ामीण वकास अ भकरण (District Rural Development Agencies) का मुख काय ामीण
भारत म नधनता को कम करने म मदद करना है। ये अ भकरण नधनतारोधी काय म के भावी या वयन
हेतु अंतर े ीय तथा अंतर वभागीय सम वय व सहयोग सु न त करते ह। ये नधनता को र करने के लए
बनाए के कोष क नगरानी के साथ-साथ उनका भावी या वयन क सु न त करते है।
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वैदे शक े
अंतररा ीय ापार
भुगतान संतुलन
भुगतान संतुलन को दो खात पर दखाया जाता है – चालू खाता एवं पूंजी खाता।
चालू खाता म सम त व तु एवं सेवा का लेन-दे न दज होता है।
पूंजी खाते पर ऋण एवं नवेश का ववरण दज कया जाता है।
चालू खाते म दो मद म लेखांकन कया जाता है – अ य मद एवं य मद।
य मद म व तु का आयात एवं नयात दज होता है, जब क अ य खाते म सेवा एवं अ य आय एवं य
दज कए जाते ह।
नोट – य मद के आयात एवं नयात के अंतर को ापार घाटा कहा जाता है।
चालू खाते के लेन-दे न के अंतर को चालू खाते का घाटा कहा जाता है।
भुगतान संतुलन म असंतुलन को र करने के मुख उपाय न न ल खत ह –
आ थक समी ा, 2017-18 के अनुसार वष 2016-17 म भारत का सकल वदे शी ापार 44.17 लाख करोड़
पये रहा, जसम 25.8 लाख करोड़ पये का आयात एवं 18.5 लाख करोड़ पये का नयात कया गया।
भारत का सवा धक ापार ए शयाई दे श के साथ आ। सकल नयात का 49.9 तशत, जब क सकल आयात
का 60 तशत ए शयाई दे श के साथ रहा।
महा प दे श
महा प दे श
भारतीय नयात क मद
इंजी नय रग व तुएं (24.4%)>र न एवं आभूषण (15.7%)>रसायन एवं संबं धत उ पाद (14.2%)
वदे शी नवेश का ता पय वदे श थत कसी सं थागत नवेशक ारा भारत म कए गए नवेश से है, यो क
भारत म गत नवेशक को नवेश क अनुम त नही है।
वदे शी नवेश दो प म आता है – पोटफो लयो नवेश (FPI) तथा य नवेश (FDI)>
FPI – ऐसा नवेश जो कसी कंपनी के शेयर म आए तथा नवेशक कंपनी के बंधन म य भागीदार न हो, तो
ऐसे नवेश को FPI कहा जाता है। यह नवेश शेयर बाजार के मा यम से आता है।
1. ीनफ ड FDI
जब नवेशक ब कुल नई कंपनी क थापना करता है, तो ऐसे नवेश को ीनफ ड FDI कहा जाता है।
2. बाउनफ ड FDI
जब नवेशक पहले से ही था पत कसी कंपनी म या तो सहभा गता ( वलय) कर लेता है या उसे खरीद (अ ध हण)
कर लेता है, तो ऐसे वदे शी नवेश ाउनफ ड FDI कहलाते ह। उ लेखनीय है क कसी कंपनी के 10 तशत से
अ धक खरीदने पर FPI को FDI माना जाने लगता है।
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FDI से लाभ
1. यह थायी नवेश होता है तथा यह अपने साथ तकनीक, पूंजी एवं नवीन बंधक य णाली लेकर आता है।
2. FDI से आधार संरचाना मक सुधार होते ह तथा इससे नवीन रोजगार के अवसर पैदा होते ह।
3. यह त पधा को बढ़ाता है, जससे व तु क गुणव ा बढ़ती तथा क मत कम होती ह। इससे उपभो ा
क याण बढ़ता है।
4. इससे दे श का आ थक वकास होता है, यो क द तकनीक एवं बंधन संसाधन का अनुकूलतम उपयोग करती
है।
FDI से हा न
भारत म FDI
भारत म सवा धक FDI आगमन सेवा े म आ है। इसके बाद मशः टे लीकॉम एवं कं यूटर सॉ टवेयर और
हाडवेयर के े का थान है।
भारत म सवा धक FDI मॉरीशस से आती है। इसके बाद सगापुर, जापान एवं यू.के. का थान है।
भारत सरकार ारा मा ट ांड खुदरा े म 51 तशत FDI क अनुम त दान कर द गई है, परंतु इसके लए
कुछ शत भी ह –
अवमू यन
1. 19 सतंबर,, 1949
2. 5 जून, 1966
3. 1 जुलाई तथा 3 जुलाई,, 1991
अवमू यन से नयात स ता हो जाता है तथा आयात महंगा इस कारण नयात को ो सा हत होता है परंतु आयात
हतो सा हत।
इसे ापार घाटे को र करने हेतु योग म लाया जाता है।
व नमय दर
भारत का ापार संतुलन वष 1972-73 तथा 1976-77 के दो वष को छोड़कर (जब वह धना मक था) वष
1949-50 से 2015-16 तक क संपूण अव ध के लए ऋणा मक था।
वष 2016-17 म शीष तीन आयात मद इस कार ह –
करोड़ . म
मद
कसी दे श क अथ व था के आधु नक करण से ता पय उसके औ ो गक उ पादन म वृ द से होता है। भारत
क नयात संरचना म व न मत उ पाद (औ ो गक उ पाद) के अंश म वृ द इस बात का सूचक है क भारतीय
अथ व था का संरचना मक पांतरण आधु नक करण के प म हो रहा है।
भारत ए शया म थम ऐसा दे श है, जसने नयात म भावी वृ द के उ े य के तहत वष 1965 म कांडला म
नयात सं करण े (EPZ) क थापना क थी।
मु या वतं ापार े (Free Trad Zone) वह े वशेष होता है जहां से व तु के नमाण, नयात,
सं करण आ द क सु वधा होती है। उपयु े क टम ूट , उ पाद शु क आ द से भी मु होते ह। जससे
नयात को बढ़ावा मलता है।
प म बंगाल के नंद ाम े स सेज (SEZ) नी त के अंतगत सलीम समूह को ( वशेष तौर से जे स एंड वैलरी
के लए) अनुम त द गई थी।
भारत म वशेष आ थक े (SEZ – Special Economic Zone) अ ध नयम मई, 2005 म संसद ारा
पा रत आ था तथा 23 जून, 2005 को इसे रा प त क वीकृ त ा त ई थी। यह 10 फरवरी, 2006 से
भावी आ था।
व न मत व तु के नयात के ो साहन हेतु नयात ोसे सग े को एक भावशाली यं के प म योग
कया जा रहा है। इन े क थापना का उ े य दे श क नया तत व तु के लए उपयु वातावरण तैयार
करना है ता क ये अंतररा ीय त पधा म अपना थान बना सके। वष 2000 म सूरत म एक EPZ ( वशेष तौर
से जे स एंड वैलरी के लए) क थापना क गई जो क भारत का पहला नजी े का EPZ है।
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1. अ त र आ थक ग त व धय का सृजन
2. व तु एवं सेवा के नयात को ो साहन
3. घरेलू एवं वदे शी ोत से नवेश ो साहन
4. रोजगार अवसर का सृजन
नय़ात साख एवं गारंट नगम (Export Credit and Guarantee Corporation – ECGC) क थापना
वष 1957 म नयात जो खम बीमा नगम (ERIC) के नाम से दे श से व तु एवं सेवा के नयात से संबं धत
साख के जो खम कवर हेतु क गई थी। 1964 म इसे ECGC म प रव तत कया गया। यह नयात ापार संबंधी
व ीयन एवं बीमा से संबं धत है।
इं डया ांड इ वट फंड क थापना वा ण य मं ालय ारा वष 1996 म क गई थी। इसका उ े य् ांड को
वै क बनाना था। इं डया ांड इ वट फंड वष 2002 म प लक ाइवेट पाटनर शप (PPP) म प रव तत हो
गया, जब भारतीय उ ोग (CII) ने उसम भागीदारी ा त क ।
मॉगन टै नले ने वष 1998 म उभरते ए बाजार म भारत को तीसरा थान दान कया था। मॉगन टै नले के इस
आकलन मे ाजील को थम जब क मे सको को सरा थान ा त आ था।
जापान के मक मोतो को कची ने मोती से क चर मोती उ पादन क तकनीक का आ व कार कया था। इस
आ व कार के बाद ही जापान म क चर मोती उ पादन का उ ोग तेजी से वक सत आ।
नाथूला दऱा भारत के स कम रा य और त बत को आपस म जोड़ता है। ाचीन काल म इसे स क माग कहा
जाता था। वष 1962 म भारत-चीन यु द के बाद इसे बंद कर दया था, जसे वष 2006 म पुनः ापार हेतु खोल
दया गया।
ई- ापार (E-Commerce) का अथ इंटरनेट के मा यम से ापार से है।
सुपर-301 अमे रक ापार एवं त प दा अ ध नयम, 1988 क वह धारा है जसके तहत अमे रका ारा कसी
भी दे श के व द आ थक कायवाही क जाती है।
ई-- बज पोटल सरकारी सेवा क प ंच हेतु, एकल ारा ( लेटफाम) से संबं धत। ई- बज का संचालन
औ ो गक नी त एवं संवधन वभाग (DIPP) वा ण य एवं उ ोग मं ालय के नदशन म इ फो सस ारा कया
जा रहा है। इसका उ े य जी-टू -बी (Government to-business) सेवा क ऑनलाइन सुलभता को
बढ़ाकर दे श म वसाय प रवेश म सुधार करना है।
एक दे श के नवा सय का व के अ य दे श के नवा सय के साथ सामा यतया एक वष के दौरान, जो
अंतररा ीय आ थक वहार या लेन-दे न (सम त आयात एवं नयात) होते ह उनक व जस ववरण या खाते
म करते ह उसे भुगतान संतुलन ((Balanc
Balanc of Payment) कहते ह।
भुगतान संतुलन (BoP – Balance of Payment) – म य ापार, अ य ापार तथा ऋण तीन
स म लत होते ह। य ापार के अंतगत व तु का आयात- नयात तथा अ य ापार के अंतगत सेवा का
आयात- नयात स म लत होता है। इन दोन ( य एवं अ य) का लेन-दे न भुगतान संतुलन के चालू खाते को
द शत करता है। जब क भुगतान संतुलन का पूंजी खाता वै क नवेश एवं ऋण के लेन-दे न को द शत करता
है।
वदे शी ापार म आयात तथा नयात दोन ही स म लत होते ह। अतः इसे आयात के गुण से अथवा नयात के
गुण से संबं धत नही कया जा सकता है। जब क वदे शी ापार गुणक यह बताता है क नयात म वृ द के
फल व प रा ीय आय म कतने गुना वृ द होती है। भुगतान संतुलन एक वशेष समयाव ध ( एक वष) के लए
कसी दे श के अंतररा ीय लेन-दे न ( जसम वदे शी ापार भी शा मल होता है) का एक लेखा है।
पये क प रवतनीयता से ता पय पये का वदे शी मु ा म तथा वदे शी मु ा को पये म बना कसी
ह त ेप के वतं प से प रवतन संभव होने से है। पये के पूण प रवतनीयता (चालू खाते तथा पूंजी खाते पर)
से वदे शी पूंजी के भारत म आने एवं भारत से जाने पर कोई तबंध नही होगा। प रणाम व प भारत ारा पये
क पूण प रवतनीयता अपनाए जाने से वदे शी नवेशक का भारतीय अथ व था म व ास बढ़े गा और इसके
फल व प भारत म वदे शी पूंजी के अंत वाह म वृ द होगी।
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भारतीय रजव बक (RBI) ने 20 माच, 2006 को पूंजी खाते म पये क पूण प रवतनीयता (Full Capital
Account Convertibility – CAC) वा हत व नमय दर (Floating Exchange Rate) लागू करने पर
ो ै ै े े RBI े ो ी
रोडमप तयार करन हतु RBI क पूव ड ट गवनर एस.एस. तारापोर क अ य ता म 6 सद यीय स म त नयु
क थी। इस स म त के गठन का उ े य भारत म डॉलरीकरण के या वयन का परी ण और इसके लागू करने
के समय के नधारण पर अपनी सफा रश तुत करना था।
वष 1994-95 के बजट म सरकार ने 28 फऱवरी, 1994 को चालू खाते पर पये क पूण प रवतनीयता क घोषणा
क थी।
अवमू यन के कारण दे श क मु ा का वदे शी मु ा के सापे मू य गर जाता है जसके कारण अवमू यन करने
वाले दे श के नयात स ते तथा आयात महंगे हो जाते ह। प रणाम व प अवमू यन वाले दे श के नयात मे वृ द
तथा आयात म कमी होती है।
मु ा के अवमू यन का ता पय पये का वदे शी मु ा के सापे मू य म कमी से है। भारतीय पये का अब तक
तीन बार अवमू यन (वष 1949, 1966 तथा 1991 म) कया जा चुका है।
पूंजी खाते क प रवतनीयता से ता पय अ य दे श से (शेष व से) व ीय प रसंप य मे बना कसी बाध के
बाजार आधा रत व नमय दर पर व नमय कए जाने के अ धकार से है। इसका ता पय मौ क कोष / व ीय
प रसंप य के दे श के भीतर आने एवं बाहर जाने से है। भारत म वैसे पूंजी खाते पर प रवतनीयता तो नही है पर
व भ पूंजी वहार के संबंध म RBI अ यंत ही उदारवाद नी त अपनाया है जो भाव मे पूण प रवत यता क
ही तरह है। जैसे EEFC (Exchange Earned Foreign Currency) खाता का उदारीकरण, ECB का
व तार, MF म वदे शी नवेश क अनुम त आ द।
जुलाई, 1991 मे पये का तीन बार अवमू यन कया गया। सव थम 1 जुलाई, 1991 को पये का 9.5%
अवमू यन कया गया, पुनः 3 जुलाई और 15 जुलाई, 1991 को पये का मशः 8.5% तथा 2% अवमू यन कया
गया। इस कार जुलाई, 1991 म पये का लगभग 20% अवमू यन कया गया।
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START (Strategic Arms Reduction Treaty) अमे रका व सो वयत संघ के म य एक प ीय सं ध है।
टाट-I और टाट-II सं ध मशः जुलाई, 1991 तथा जनवरी, 1993 म ई थी। टाट-I सं ध के समय यू.एस.
रा प त जॉज बुश तथा सो वयत संघ के रा प त मखाइल गोबाचोव थे जब क टाट-II के समय यू.एस.
रा प त जॉज बुश तथा सो वयत संघ के रा प त बो रस ये त सन थे।
भारतीय अ य ऊजा वकास एजसी ल मटे ड (IREDA) को वष 2015 म त त मनी र न ( ेणी-I) का दजा
दान कया गया। इरेडा एक गैर-ब कग व ीय सं तान है जो अ य ऊजा और ऊजा द त/संर ण
प रयोजना के संवधन, वकास तथा व ीय सहायता दान करने के लए नवीन एवं नवीकरणीय ऊजा
मं ालय के शास नक नयं णाधीन वष 1987 म था पत एक प लक ल मटे ड सरकारी कंपनी है इसका
उ े य शा त ऊजा है। इसके अ य मुख उ े य ह –
भौगो लक सांकेतांक अ ध नयम, 1998 के अंतगत कुल 169 भौगो लक संकेतक को पंजीकृत कर सुर ा दान
क गई है। लखनऊ का चकन श प, बनारसी साड़ी, दा ज लग चाय और इलाहाबाद का सुखा अम द सभी का
पंजीकरण इस अ ध नयम के अंतगत कया गया है।
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वदे शी व नमय बंधन अ ध नयम (FEMA) वदे शी व नमय व नयमन अ ध नयम (FERA) के थान पर 1
जून, 2000 से भावी आ था। इसका उ े य ापार और भुगतान को सु वधाजनक बनाना तथा दे श म वदे शी
मु ा बाजार के सु व थत वकास को बढ़ावा दे ना है।
भारतीय यास अ ध नयम, 1882 के ावधान के तहत रा ीय नवेशे एवं अवसंरचना न ध एक अंशदायी और
नयत नवेश यास के प म पंजीकृत सं था है।
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अंतररा ीय संगठन
अंतररा ीय सं थाएं
काय
सद यता
IMF क सद य हेतु दो आव यक शत ह –
1. व बक का सद य होना।
2. IMF म नधा रत अंशदान (कोटा) को जमा करना।
दे श को अपने कोटा को 25 तशत हॉट मनी (सव वीकाय मु ा जसम डॉलर, पाउंड, यूरो, येन और युआन
शा मल ह) म तथा 75 तशत अपनी मु ा म चुकाना होता है।
IMF क लेखा मु ा वशेष आहरण अ धकार (Special drawing right-SDR) कहलाती है। इसका मू य
पांच मु ा ारा नधा रत होता है – डॉलर, यूरो, येन, पाउंड तथा युआन।
IMF ारा व आ थक प र य (World Economic Outlook) का शत कया जाता है।
भारत का IMF म 2.7 तशत कोटा है तथा यह 8वां बड़ा कोटाधारक दे श है।
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व बक समूह
1. अंतररा ीय पुन नमाण एवं वकास बक (IBRD) 1945 वकास एवं पुन नमाण हेतु
ऋण
5. नवेश ववाद के नपटारे हेतु अंतररा ीय संगठन 1966 ववाद का नपटारा
(ICSID)
IBRD तथा IDA को संयु प से व बक कहा जाता है।
इसके भी 189 सद य ह तथा 199वां सद य नौ है।
यह आधार संरचना नमाण, मता वकास ( श ण, श ा आ द), शोध एवं वकास तथा सुशासन ग त व धय
हेतु ऋण दे ता है।
IDA को व बक क सॉ ट लोन क खड़क कहा जाता है, य क यह अ त उदार शत पर ऋण दे ता है।
व बक ारा व वकास रपोट (World Development Report) का शत कया जाता है।
थापना
उ े य
6-12 माच, 1995 के म य कोपेनहेगेन (डेनमाक) म सामा जक वकास पर थम व शखर स मेल आयो जत
कया गया था।
व ड डेवलपमट रपोट अंतररा ीय पुन नमाण एवं वकास बक (व ड बक) का शत करता है।
वष 2018 के व वकास रपोट का मूल वषय है – ल नग टू रएलाइज एजूकेश स ॉ मस ( श ा के वचन
को वा त वक बनाने के लए सीखना) जब क 2019 के व वकास रपोट का मूल वषय है – द च जग नेचर
ऑफ वक।
ापार करने क सु वधा का सूचकांक (Ease of Doing Business Index) वष 2003 से येक वष व
बक ारा जारी कया जाता है। इस सूचकांक म ापार क सु वधा उपल ध कराने को लेकर कए गए बु नयाद
बदलाव के आधार पर व के दे श र कग दान क जाती है।
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स (TRIMs) व ापार संगठन (WTO) का एक समझौता है। इसका पूरा नाम े ड रलेटेड इनवे टमट
मेसस (Trade Related Investment Measures) है। TRIMs ( स) का संबंध कछ शत या तबंध से
है, जो कोई दे श अपने दे श म वदे शी व नयोग के संबंध म लगाता है।
WTO के थम मं तरीय स मेलन जो सगापुर म आयो जत आ था, म सद य दे श म सूचना ौ ो गक म
वा ण य पर अनुबंध ह ता रत आ था
मेकांग-गंगा सहयोग (Mekong- Ganga Cooperation) क थापना वष 2000 म वएन तएन (लाओस) मे
क गई। इसका उ े य दो महान न दय गंगा और मेकांग ारा सीमां कत े म पार प रक सहयोग पर आधा रत
संबंध क थापना करना है। गंगा े से भारत तथा मेकांग े से 5 दे श – कंबो डया, लाओस, यांमार,
थाईलड और वयतनाम ारा मेकांग-गंगा सहयोग पहल क शु आत क गई है। ारं भक प से पार प रक
सहयोग के चार े – सं कृ त, पयटन, मानव संसाधन वकास एवं श ा तथा प रवहन एवं संचार क पहचान
क गई है।
े ीय आ थक संगठन नमाण वष
शंघाई सहयोग संगठन के सद य दे श चीन, स, ता ज क तान, कजा तान, क ग तान तथा उ बे क तान ह।
व क सवा धक बड़ी उद यमान बाजार अथ व था – ाजील, स, भारत तथा चीन के समूह को क
(BRIC) कहते ह। इस श द का तपादन वष 2001 म गो डमैन सै स के अथशा ी जम ओ नील (Jim O’
Neil) ने कया था।
अनाज भंडारण अनुसंधान तथा श ण के क थापना वष 1958 म हापुड़ म क गई थी।
साक ((SAARC
SAARC – South Asian Association for Regional Cooperation) – इसका गठन 8 दसंबर,
1985 को कया गया था। इसका मु यालय काठमांडू मे है। इसके 8 सद य दे श ह – भारत, पा क तान, ीलंका,
मालद व, बां लादे श, नेपाल, भूटान और अफगा न तान। साक के चौदहव स मेलन (अ ैल, 2007) म
अफगा न तान को इसका आठवाँ सद य दे श बनाया गया था।
सं था अव थ त
भारतीय वकास फोरम (IDF) को पहले भारत सहायता लब के प म जाना जाता था।
UNSC का ता पय संयु रा सुर ा प रषद (United Nations Security Council) से है। इसके 5 थायी
तथा 10 अ थायी सद य होते ह। यह संयु रा का एक मह वपूण अंग है।
अंतररा ीय मौ क एवं व ीय स म त ((IMFC:
IMFC: International Monetary and Financial
Committee) क थापना आई.एम.एफ. बोड ऑफ गवनस के सुझाव ारा कया गया है। आई.एम.एफ. बोड
ऑफ गवनस को दो मं ालयी स म तय तथा अंतररा ीय मौ क एवं व ीय स म त (IMFC) एवं वकास
स म त ारा सलाह दान क जाती है। IMFC म 24 सद य ह। IMFC का मुख काय उन सभी मु जो
वै क आ थक णाली को भा वत करते ह, पर प रचचा करना एवं बोड ऑफ गवनस को सलाह दे ना है।
इसक बैठक वष म दो बार होती है। इसक बैठक म व बक भी े क क भां त लेता है।
टल पुर कार ((Crystal
Crystal Awards) व आ थक मंच (WEF – World Economic Forum) ारा
व प र थ तय म सुधार क से उ लेखनीय तब दता दखाने वाले कलाकार को दान कया जाता है।
सं था काय
व वध
मूलभूत मानवीय आव यकता जैसे – भोजन, सुर त पेयजल, व छता सु वधाएं, वा य आवास, श ा तथा
सूचना तक प ंच से गंभीर रप से वं चत रहने क थ त को परम गरीबी के प म प रभा षत कया गया है। इसके
अतर कुपोषण, अ थायी एवं अपया त आजी वका, बीमारी क थ त, षत वातावरण म नवास आ द जैसी
थ तय मे होने जनसे नणयन मता तथा स मानजनक नाग रक, सामा जक एवं सां कृ तक जीवन पर भाव
पड़ता है, को सम गरीबी के प म प रभा षत कया गया है।
ीमती हंसा मेहता स द समाजसेवी, वतं ता सेनानी तथा श ा वद् थी। ीमती हंसा मेहता ने वष 1947-48
म संयु रा मानवा धकार आयोग म भारत का त न ध व कया था। वष 1950 म वे इसक उपा य भी बनी।
वष 1958 म वे यूने को क कायकारी स म त क सद य भी बनी। वष 1979 म ीमती वजयल मी पं डत ने भी
सं.रा. मानवा धकार आयोग म भारत का त न ध व कया था।
भारत म त पधा आयोग का गठन त पधा अ ध नयम, 2002 के तहत 14 अ टू बर, 2003 को कया गया
था।
Gujarat Co-Operative Milk Marketing Federation Ltd. (GCMMF) ध का वपणन करता है,
जसका अमूल उ पाद स द है।
भारत म तेल और ाकृ तक गैस क खोज खनन के वकास को आगे बढ़ाने के लए 14 अग त, 1956 को तेल
एवं ाक़ृ तक गैस आयोग था पत कया गया ले कन इसे वैधा नक मा यता अ टू बर, 1959 म मली। इसका
मु यालय दे हरा न, उ राखंड म है।
दे श का पहला इ वे टमट एवं मै युफै च रग जोन आं दे श के काशम जले म बनने जा रहा है।
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नी त संबंधी नणय को भावी एवं नणायक प से भा वत करने वले क तपय य के समूह को दबाव
समूह क सं ा से अ भहीत कया जाता है। दबाव समूह को भा वत करने वाले कारक ह – रा य एवं सरकार का
संगठना मक व प, राजनी तक सं कृ त, राजनी तय एवं जन सामा य से अंतसबंध।
व आ थक मंच क थापना वष 1971 म ई थी। इके सं थापक जेनेवा व व ालय के ोफेसर लॉस ाब
थे। वष 1987 तक इसे यूरो पयन मैनेजमट फोरम के नाम से जाना जाता था। वष 1987 से इसे व आ थक मंच
कहा जाता है। यह एक अलाभकारी सं था है।
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वष 1998 का अथशा का नोबेल पुर कार भारतीय अथशा ी अम य सेन (Amartya Sen) को मला। उ ह
यह पुर कार क याणकारी अथशा म दए गए योगदान के लए मला।
इं डयन इकोनॉमीः गांधीयन लू ट नामक पु तक भारत के भूतपूव धानमं ी चौधरी चरण सह ने लखी
थी।
ीमती एनी बेसट ारा बनारस (वाराणसी) म स ल ह कॉलेज क थापना वष 1915 म क गई थी। यह कॉलेज
वष 1916 म बनारस ह व व ालय बना, जो पं. मदन मोहन मालवीय जी के साथक यास का तफल था।
जब भारत को वदे शी बको म सोना रखना पड़ा तो उस समय भारत के धानमं ी चं शेखर थे।
जयंत पा टल स म त क थापना सूखा े के वकास के लए क गई थी। इस स म त के अ य योजना
आयोग के सद य डॉ. जयंत पा टल थे। इस काय हेतु 25 वष य भावी योजना तैयार करने के लए इसे उ च श
दान क गई थी।
शकाग व व ालय के ोफेसर रघुराम जी. राजन क अ य ता म, भारत सरकार ने उ च तरीय स म त का
गठन वष 2007 म कय था। यह स म त व ीय े म सुधार से संबं धत थी।
भारत के कं ोलर और ऑ डटर जनरल (CAG) क रपोट का परी ण संसद क लोक लेखा स म त (Public
Accounts Committee) ारा कया जाता है। 22 सद य (15 लोक सभा से 7 रा य सभा से) वाली यह
समत य के बाद परी ण करती है तथा अपनी रपोट संसद को दे ती है।
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व आ थक मंच ((World
World Economic Forum-WEF) ारा लोबल जडर गैप रपोट जारी कया जाता है।
इसम न न ल खत मापदं ड समा हत होते ह –
1. म य अ ध नयम, 1897
2. खतरनाक क ट और प सू अ ध नयम, 1914
वष 1957 मे भारत सरकार ने पेटट कानून म संशोधन के का परी ण करने तथा सरकार को तदन प सुझाव
दे ने हेतु यायमू त एन.आर. अयंगर स म त नयु क थी। इस स म त क रपोट के आधार पर लोक सभा म 21
सतंबर, 1965 को बल पेश कया गया जो हालां क यगत हो गया। वष 1967 म एक संशो धत बल पेश कया
गया जसे संयु संसद य स म त को े षत कया गया था एवं स म त क अं तम अनुशंसा के आधार पर पेटट
अ ध नयम, 1970 पा रत कया गया। वष 1970 के अ ध नयम के अ धकांश ावधान 20 अ ैल, 1972 को पेटट
नयम, 1972 के काशन के साथ ही भावी ए।
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इनज टै ट ट स नामक काशन को सां यक एवं काय म काया वयन मं ालय का के य सां यक
कायालय (CSO- Central Statistical office) वा षक आधार पर का शत करता है।
गाड गल--मखज फॉमले के अंतगत अ धकतम भार जनसं या (1971) को दया जाता है, जो क 60%
गाड गल मुखज फॉमूल क अतगत अ धकतम भार जनस या (1971) को दया जाता ह,, जो क 60%
है।
रा ीय उ मता एवं लघु वसाय वका सं थान, नोएडा (उ. .) म थत है। यह सं थान सू म, लघु एवं म यम
उ म मं ालय के अंतगत एक शीष सं था है, जो वशेष प से लघु उ ोग और लघु वसाय के उ मता वकास
म लगे ए व भ सं थान /एज सय क ग त व धय के सम वय और नगरानी के लए कायरत ह। भारत
व ांज ल मानव वकास मं ालय क एक पहल है, जसके तहत नजी े और समुदाय क सहायता लेकर
सरकारी व ालय म द जाने वाली श ा क गुणव ा को बढ़ाया जाएगा। इसके तहत गत तर पर,
सेवा नवृ श क, सेवा नवृ सरकारी अ धकारी/कमचारी आ द तथा अ य कोई भी और सं थान तर
पर सरकारी, अधसरकारी अथवा कोई भी नजी सं थान श ा क गुणव ा म सुधार हेतु अपना योगदान
( श ण, खेलकूद एवं अ य शै णक ग त व धय म योगदान) दे सकता है।
इं दरा गांधी रा ीय मानव सं हालय और भारत भवन भोपाल (म. .) मे थत है।
उ त भारत अ भयान ामीण वकास से संबं धत है। इसके तहत उ च श ा सं थान को ामीण वकास या-
कलाप से संबं द कर ामीण वकास क चुनौ तय को र करने क रणनी त बनाई गई है। इस हेतु मानव वकास
संसाधन वकास मं ालय, ामीण वकास मं ालय तथा पंचायती राज मं ालय के म य़ एक समझौता भी कया
गया है। ात है क ामीण रणनी त के नमाण म उ च श ा सं थान क सहभा गता से वकास योजना
क द ता एवं सहभा गता म वृ द होगी।
24 अ टू बर, 2016 को धानमं ी नरे मं ी मोद ने वाराणसी म ऊजा गंगा गैस पाइप लाइन प रयोजना का
शलाय यास कया। ऊजा गंगा प रयोजना के अंतगत 2540 कमी. लंबी जगद शपुर-ह दया एवं बोकारो-धामरा
ाकृ तक गैस पाइप लाइन (JHBDPL) का नमाण कया जाना है। यह प रयोजना पूण होने पर उ र दे श,
प म बंगाल, बहार, ओ ड़शा तथा झारखंड रा य को ाकृ तक गैस क आपू त करने म सु वधा होगी।
ामीण वकास मं ालय के ह रयाली काय म (1 अ ैल, 2003 से जारी दशा- नदश के तहत) का संबंध जल
संचयन बंधन काय म के समथन से है। एक कृत जल संभर बंधन काय म (IWMP) के तहत आने वाले
इस काय म के अंतगत व भ ोत से ा त पानी को रोकने और ह रयाली बढ़ाने के उपाय कए जा रहे ह।
5 नवंबर, 2015 को धानमं ी नरे मोद क अ य ता मे के य मं मंडल ने व ुत मं ालय ारा पेश क गई
योजना उ वल ड कॉम ए योरस योजना या उदय ((UDAY)
UDAY) योजना को अपनी मंजूरी दान क । उदय
योजना का काया वयन व ुत मं ालय ारा कया जा रहा है। यह योजना भारत सरकार के व ुत मं ालय ारा
चलाई जा रही है। उदय योजना को अपनाना रा य के लए वै छक है। इस योजना का ल य बजली वतरण
कंप नय ( ड कॉम) का व ीय सुधार एवं पुन थान करना तथा उनक सम या का थायी और टकाऊ
समाधान सु न त करना है।
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डजीलॉकर ((Digilocker)
Digilocker) या ड जटल लॉकर ड जटल इं डया के तहत एक मह वपूण पहल है। इसके
अंतगत लोग के द तावेज / माण-प (उदाहरण – नवाचन काड, ाइ वग लाइसस, कूल माण-प आ द)
के लए ड जटल लॉकर उपल ध कराया जाता है, जससे इन द तावेज तक हमेशा प ंच को सु न त कया जा
सके। इसके अंतगत नाग रक को आधार सं या से संबं द वेब पेस उपल ध कराया जाता है जससे द तावेज
( केन कॉपी अथवा सं थान से वतः ा त) को रखा जा सकता है। यह कागज र हत शासन क थापना क
से मह वपूण है।
धानमं ी ामोदय योजनांतगत पांच मूलभूत सेवा - ाथ मक वा य दे खभाल, ाथ मक श ा, ामीण
आवास, पोषण तथा पेयजल को रखा गया है। जससे ामीण े के लोगो के जीवन तर को सुधारा जा सके।
ामीण व ुतीकरण को इसम एक सहायक सेवा के प म (ने क मूलभूत) बाद म जोड़ा गया। व ुत उ पादन,
ांस मशन एवं वतरण म शत तशत वदे शी नवेश क अनुम त है। पुनः के य व ुत मं ालय ने आं दे श,
असम, ह रयाणा, झारखंड, म य दे श, पंजाब, उ राखंड और प. बंगाल इन 14 रा य के साथ समझौता- ापन
पर ह ता र कए ह।
ई--चौपाल भारत क थम ब रा ीय कंपनी T.C. (Indian Tobacco Company) ारा ारंभ इंटरनेट
आधा रत ामीण प रयोजना है। भारत म इसका ारंभ जुलाई, 2000 से म य दे श रा य म आ था। इस
प रयोजना को संयु रा के शता द वकास ल य के समथन म था पत व ड बजनेस अवॉड का थम
पुर कार भी ा त आ है।
सेमफे स,, भूतपूव सै नक को ऋण दान करने हेतु र ा मं ालय ारा घो षत योजना है। राज थान म
राज थान व नगम (RFC) इस योजनांतगत ऋण दान करता है।
भाखड़ा--नांगल ह रयाणा, पंजाब और राज थान रा य क संयु प रयोजना है। इसके तहत भाखड़ा एवं नांगल
म सतलज नद पर दो बांध बनाए गए ह जनके मा यम से जल व ुत और सचाई आ द क ापक व था क
गई है। यह भारत क सबसे बड़ी ब े यीय प रयोजना है।
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व णम चतुभुज ((Golden
Golden Quadrilateral) एक रा ीय राजमाग प रयोजना है, जसक शु आत वष 2001
म ई थी। इसके मा यम से दे श के चार मुख महानगर ( द ली, मुंबई, चे ई, कोलकाता) को सड़क माग ारा
जोड़ना था। इसक कुल लंबाई 5846 कमी. है।
दे श म सबसे अ धक सूती व पावरलूम से टर म तैयार कया जाता है। इस े का दे श के कुल कपड़ा उ पादन
म 60 तशत से अ धक का योगदान है। इसके बाद मशः होजरी से टर, हडलूम से टर तथा मल से टर का
योगदान है।
टश पे ो लयम ारा जारी व ऊजा सां यक य के अनुसार सवा धक तेल कोश वाला दे श वेनेजुएला
(300.9 ब लयन बैरल) है। संपूण व तेल भंडार म इसक ह सेदारी 17.6% है। इसके प ात सूद अरब
(15.6%), कनाडा (10%), ईरान (9.3%) तथा इराक (9.0%) सवा धक तेल कोश वाले दे श ह।
बाजार एक आ थक वृ है जो उपभो ावाद क ओर झान पैदा करती है। उपभो ावाद पूंजीवाद का ही एक
प है।
पू तप अथशा से ता पय व तु क आपू त (उ पादन) करने वाल अथात उ पादक के आ थक कोण
के अ ययन से है।
व तु क मांग तथा व तु क क मत म समानुपात, जब क व तु क पू त तथा व तु क क मत म ु मानुपात
होता है। अतः सामा य बाजार और सामा य व तु के संदभ म य द थर मांग के साथ आपू त म वृ द हो, तो
क मत घटने क संभावना होगी। इस संदभ म कुछ थ तयां न न ल खत ह –
एक ऐसा बाजार जहां व े ता, े ता से अ धक होते ह, े ता का बाजार कहलाता है। इस बाजार म पू त मांग से
अ धक होगी फल व प व तु के मू य कम ह गे।
भारत को कुल 9 पन (PIN- Postal Index Number) े म वभा जत कया गया है। इनम 8 पन े
भारत के रा य /संघीय े स संबं धत है। और 9वां पन े आम पो ट ऑ फस (APO) और फ ड पो ट
ऑ फस (FPO) के लए है।
यमुना ए स ेस-वे को ताज ए स ेस-वे के नाम से भी जाना जाता है। 165 कमी. लंबा यह माग उ र दे श के दो
शहर ेटर नोएडा एवं आगरा को जोड़ता है।
गैर-घरेलू गैस सलडर म भरी एल.पी.जी. का भार 19.0 क ा. होता है। जब क घरेलू गैस सलडर म 14.2
क ा. एल.पी.जी. होती है।
राज थान क भौगो लक पयावरण थ त तथा सं कृ त को म रखते ए पयटन े को वाभा वक नी तगत
मुखता दे नी चा हए ता क रगामी सतत, समावेशी वकास सु न त हो सके।
वष 1995 म या ए जी बटर ाइवेट ल मटे ड और वलेज रोड शो ल मटे ड ने मलकर वष 1997 म साकेत म
थम PVR म ट ले स लांच कया। PVR सनेमा का पूरा नाम या वलेज रोड शो है।
तेल का एक बैरल 42 अमे रक गेलन या 158.9873 लीटर (लगभग 159 लीटर) के बराबर होता है।
इको माक उन भारतीय उ पाद को दया जाता है जो पूणतः पयावरण के लए अनुकूल ह। इसक शु आत वष
1991 से क गई थी। इसका लोगो एक म का बतन है।
अद य चेतना ट (बंगलु ), हैव स इ डया ल., ह तान जक ल. एवं डी. एस. एल. कोटा ( ीराम प
ु )
आद ट/काप रेट राज थान म मड- डे मील योजना से संबं धत है।
भारतीय पय़टन के संदभ म वण भुज म आगरा, द ली एवं जयपुर स म लत ह। मान च पर द ली, आगरा
एवं जयपुर ारा भुज का आकार न मत करने के कारण यह नाम दया गया है।
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ISO-14001 एक अंतरा ीय माण-प है जो पयावरण बंध णाली माणन योजना है। यह माण-प ऐसी
औ ो गक इकाइय को ही दान कया जाता है जो पय़ावरण संर ण तथा पय़ावरण संर ण तथा पयावरण
संबंधी कानून को लागू करती ह।
सरकार ने संसद ारा पा रत रा ीय खा सुर ा अ ध नयम, 2013, 10 सतंबर, 2013 को अ धसू चत कया है।
जसका उ े य एक ग रमापूण जीवन जीने के लए लोग को वहनीय मू य पर अ छ गुणव ा के खा ा क
पया त मा ा उपल ध कराते ए उ ह मानव जीवन च कोण म खा और पौष णक सुर ा दान करना है।
इस अ ध नयम के ल त सावज नक वतरण णाली के अंतगत रा य सहायता ा त खा ा ा त करने के
लए 75 तशत ामीण आबाद और 50 तशत शहरी आबाद को दायरे म लाने का ावधान है। इस कार
कुल 67 तशत आबाद को इसके दायरे म लाया जाएगा।
वेब पोटल DACNET ई-ए ीक चर से संबं धत है। कृ ष एवं सहका रता वभाग क यह एक ई-गवनस
प रयोजना है, जसे कृ ष ऑनलाइन क सु वधा के लए ामीण सूचना व ान के (NIC) ारा न पा दत
कया जा रहा है।
स म त संबं धत
लु त होती म हलाएं का वचार अथशा ी अम य सेन ारा दया गया। इ ह ने वष 1990 मे यूरोप और ए शया
म लगानुपात क तुलना करते ए यह वचार दया था।
ाचार, आ थक वकास म अवरोधक का काम करता है। इसका आ थक वकास म कोई योगदान नही होता है।
ला सकल कूल के अथशा य जसम एडम मथ, रकॉड , मल, माशल, जे.वी. से, पीगू आते ह, ने
अथ व था म सरकार के ह त ेप को अ वीकार करते ए, बाजार आधा रत अथ व था का बल समथन
कया था।
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एडम मथ एक कॉ टश दाश नक एवं अथशा ी थे। उ ह आधु नक अथशा और पूंजीवाद का जनक कहा
जाता है।
अथशा , कौ ट य ारा र चत राजनी तशा क पु तक है।
ई ो ं ो े ी ो ो े
2 मई, 2009 को आ थक वकास स थान म अथशा क ोफसर बीना अ ावाल को नयोन टफ पुर कार स
स मा नत कया गया।
सुपर बाजार एक कार का फुटकर व य संगठन होता है। यहां व भ कार क व तृत उ पाद ृंखला मौजूद
होती है।
पु तक Planning and the Poor बी..एस.. मनहास के ारा लखी गई है।
स म त वष
जनसां यक
भारत – जनसं या
वष 2011 क भारत क जनगणना के लए आदश वा य अवर से सस,, अवर यूचर ((हमारी जनगणना,,
हमारा भ व य)) का उपयोग कया गया था। वष 2011 क जनगणना दे श क 15व रा ीय जनगणना थी।
तीय चरण – वकास क या के साथ ज म दर तो ऊंची होती है कतु बेहतर भोजन आपू त तथा उ त
जन वा य क सु वधा के कारण मृ यु दर न न हो जाती है।
तृतीय चरण – इस चरण म ज म दर भी कम हो जाती है। ले कन जनसं या नरंतर बढ़ती जाती है यो क पूव क
पी ढ़य क उ च जनन मता के कारण जनन आय समूह म ब त अ धक सं या म लोग होते ह।
थायी जनसं या संरचना क थ त म ज म दर तथा मृ यु दर दोन ही नयं त तथी नीची दर पर बनी रहती है
अथात दोन ही प रवतन समान दर पर होता है जससे जनसं या वृ द क दर थर बनी रहती है।
मा थस ने अपने जनसं या स दांत म यह तपा दत कया क उ पादन अंकग णतीय म (1, 2, 3, 4………..)
म बढ़ता है जब क जनसं या या मतीय म (1, 2, 4, 8, 16……) म बढ़ती है।
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रहन-सहन का तर जनसं या क जनां कक य वशेषता का ह सा नही है। जनसं या क जनां कक य
वशेषता म जनं या का घन व, लगानुपात, ामीण-शहरी जनसं या, सा रता, आयु संरचना और जीवन
याशा मु य प से स म लत कए जाते ह।
भारत म जनसं या क ती वृ द दर एक सम या है। इं दरा गांधी सरकार ारा 70 के दशक म इस दशा म कए
गए यास क आलोचना के कारण आगे अ य कसी भी सरकार ने इस दशा म यास नही कया। भारत म
ब याकरण के त लोग क अ न छा के कारक (Factor) संरचना मक ह, जसम उ च शशु मृ यु दर, गरीबी,
अ श ा, अ ानता, लड़के क इ छा, धा मक व ास, मनोरंजन के साधन क कमी आ द मुख ह।
2011 2011
17.64% 17.7%
भारत क जनसं या म सवा धक तशत बदलाव वष 1971 म दे खने को मला था। इस समय दशक य वृ द दर
24.80 तशत थी। जब क वष 1981 म 24.66 तशत, वष 1991 म 23.87 तशत तथा 2001 म 21.54
तशत थी। वष 2011 क जनगणना के अनुसार, दशक य वृ द दर 17.7 तशत है।
वष जनसं या ( म लयन म))
जनसं या 2011 के अं तम आंकड़ो के अनुसार, 307713 वग कमी. े फल के साथ महारा का राज थान
(342239 वग कमी.) एवं म य दे श (308252 वग कमी.) के बाद े फल क से तीसरा थान है जब क
जनसं या क से 112374333 य के साथ उ र दे श (199812341) के बाद सरा थान है।
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रा य जनसं या (2011)
उ र दे श – 199812341
आं दे श – 84580777
म य दे श – 72626809
जनगणना 2011 के अनुसार, भारत क लगभग 9% (104099452) जनसं या बहार म नवा सत है।
भारतीय जनगणना के इ तहास म वष 1921 ही एकमा ऐसा जनगणना वष रहा है जसम जनसं या क दशक य
वृ द दर ऋणा मक (-0.31%) रही, इस लए 1921 को महान वभाजन का वष ((Year
Year Of Great Divide)
कहा जाता है।
आं दे श 308
स कम – 86
अ णाचल दे श (17), मजोरम (52), स कम (86), नगालैड (119) तथा हमाचल दे श (123)
जनगणना 2011 के अनं तम एवं अं तम आंकड़ के अनुसार, उ र दे श का अ धकतम जनघन व वाला शहर
गा जयाबाद है। जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, इसका जनघन व 3971 त वग कमी.
है।
जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार, भारत म सा रता का तशत 74.04% था। 30 अ ैल, 2013
को जारी जनगणना के अं तम आंकड़ो के अनुसार, भारत म सा रता दर 73.0% ( पु ष 80.9% एवं म हला
64.6%) के तर पर है जो 20001 क तुलना म 8.2 तशतांक अ धक है।
जनगणना 2011 के अनुसार, पु ष (76%) और ी (72.9%) सा रता के तशत दर म यूनतम अंतर (3.1%)
मेघालय म है। जनगणना 2011 के अनुसार, पु ष और ी के सा रता के तशत दर म यूनतम अंतर वाले चार
मशः मशः मेघालय, मजोरम, केरल तथा लगालड ह।
वतमान जगणना के अनुसार बहार, भारत का सवा धक नर रता वाला रा य तथा केरल सवा धक सा र रा य
है।
म य दे श – 912
वष 2011 के सां यक एवं काय म काया वयन मं ालय के आकलन के अनुसार, भारत के म य दे श रा य म
कुपोषण के शकार बालक का तशत उ चतम है। यहां 60% ब चे कुपोषण से भा वत ह। इसके अलावा
झारखंड म 56.5% तथा बहार म 55.9% ब चे कुपो षत ह।
सवा धक शशु मृ यु दर वाला रा य म य दे श (59 त हजार) है। इसके प ात उ र दे श एवं ओ डशा ( येक
म 57 त हजार) म शशु मृ यु दर सवा धक है।
भारत म बाल (0-6 वष) जनसं या के लगानुपात म वष 1961 से नरंतर गरावट क वृ रही है। 1961 म यह
976 थी जो वष 1981 म 962, वष 2001 म 927 तथा वष 2011 म और गरकर 919 हो गई।
जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार, भारत म शशु लगानुपात 914 (अं तम आंकड के अनुसार
919) था।
बौ दो क जनसं या
रा य
म णपुर 985
गुजरात 919
केरल 1084
उ राखंड 963
उ राखड 963
आं दे श 993
झारखंड 949
पंजाब 895
उ र दे श 912
बहार 918
लगानुपात
धा मक समुदाय
1951 946
रा य तशतता
जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार,, कुछ रा य म शशु लगानुपात (0-6 आयु वग)) इस
का ह –
1. केरल
2. पुडुचेरी
3. त मलनाडु
4. आं दे श
जनगणना 2011 के अनुसार, कुल जनसं या म (65+ आयु वग) क आबाद लगभग 4.8 तशत है।
1. पंजाब (31.9%)
2. हमाचल दे श (25.2%)
3. प म बंगाल (23.5%)
4. उ र दे श (20.7%)
बहार 16567325
उ र दे श 41357608
प म बंगाल 21463270
पंजाब 8860179
रा य जनजातीय जनसं या
म य दे श 15316784
छ ीसगढ़ 7822902
त मलनाडु 794697
केरल 484839
असम 3884371
पुरा 1166813
उ राखंड 291903
उ र दे श 1134273
जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ के अनुसार, सवा धक सा रता वाला जला सर चप ( मजोरम) है जसक
सा रता तशत 98.76% है। वह न नतम सा रता वाला जला म य दे श का अलीराजपुर (37.22%) है।
जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार,, भारत के 5 सवा धक सा र जले –
जला सा रता दर
सर चप ( मजोरम) 97.91%
अनं तम अं तम
2011 जनगणना के अनं तम आंकड़ो के अनुसार, भारत क जनसं या का लगभग 17% (16.49) उ र दे श म
रहती है। अं तम आंकड़ो के अनुसार, कुल जनसं या का 16.51% उ र दे श म रहती है।
कुछ रा य क 2011 जनगणना के अनुसार सा रता दर –
उ र दे श- 57.2%
जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ो के अनुसार, यूनतम म हला सा रता दर वाले तीन रा य है – बहार <
राज थान < झारखंड
वष 2011 क जनगणना के अनं तम आंकड़ के अनुसार, म हला सा रता दर उ चतम एवं यूनतम मशः केरल
और राज थान मे ह, जब क अं तम आंकड़ के अनुसार, यह शत केरल और बहार पूरी करते ह।
2011 म रा य क म हला सा रता दर तशत म –
सा रता दर
रा य
छ ीसगढ़ 60.2
उड़ीसा 64.0
म य दे श 59.2
1. केरल (94%)
2. मजोरम (91.3%)
3. गोवा (88.7%)
4. पुरा (87.2%)
5. हमाचल दे श (82.8%)
फ लप एम. हौसर ने व जनसं या का पृ वी के सतह के छोटे ह से पर बढ़ते संके ण अथात नगरीकरण एवं
महानगरीकरण को पापुलेशन इ लोजन क सं ा द थी। शहरी जनसं या म असाधाराण नृजातीय म ण
पापुलेशन ड लोजन है। जनसं या म ती वृ द पापुलेशन ए स लोजन है।
गंगा का मैदान भारत ही नह व म सवा धक सघन आबाद वाले े म से एक है। इसका कारण है क गंगा
भारत क सवा धक उपयोग म लाई जाने वाली नद है।
जनां कक य लाभांश से ता पय सभी े म कुशल मानव श क ज रत क भरपाई होना है और यह तभी
संभव है जब कौशल क मांग और आपू त के बीच मौजूदा अंतर को कम करते ए कुशलता वकास को
ो सा हत दया जाए।
भारत के ग तशील जनसं या संसाधन के पांच े के नाम न नानुसार है –
1. प म बंगाल डे टा
2. द कन ै प (महारा और गुजरात)
3. त मलनाडु
4. पंजाब मैदान और गंगा यमुना दोआब
रा ीय सा रता मशन 5 मई, 1988 को पूव धानमं ी व. राजीव गांधी ारा ारंभ कया गया था। मशन के
तहत 15 से 35 आयु वग म 1990 तक 30 म लयन, 1995 तक 50 म लयन तथा 2007 तक ेशहो ड सा रता
का 75% करने का ल य नधा रत कया गया था।
चंडीगढ़ 1055450
मजोरम 1097206
पुडुचेरी 1247953
स कम 610577
जनगणना ((Census)
Census) म तीन कार के हाउस हो ड् स ((Households)
Households) होते ह –
नॉमल हाउसहो ड – यह य का वह समूह जो सामा यतया साथ रहता है और सा झी रसोई का योग करता
है।
सं थागत हाउसहो ड – ऐसा समूह जनम आपस म कोई संब दता ( र ता) नही है परंतु साथ रहते ह। जैसे –
बो डग हाऊस, हॉ ट स, जेल तथा अनाथालय इ या द।
घर वहीन हाउसहो ड – जो भवन या जनगणना घर म नही नवा सत है। जैसे फुटपाथ, पुल के नीचे, रेलवे
लेटफाम इ या द पर रहने वाले लोग।
उ र दे श 6.0
ज मू और क मीर 5.8
बहार और ल प 5.5
जनसं या के परै मड म सामा यतः 0-14 वष आयु समूह को आ त आबाद के प म जाना जाता है। इनके
अतर 65 वष एवं अ धक आयु के य को भी आ त आबाद माना जाता है जब क 15-64 वष आयु
वग को कायशील जनसं या (Working Population) के प म प रग णत कया जाता है।
2011 क जनगणना के अनुसार, भारत क कुल जनसं या म 20 वष या उससे अ धक आयु के लोग का तशत
लगभग 59.29% है।
जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ के अनुसार, भारत क 65 तशत जनसं या 35 वष से कम आयु (0-34
वष) क थी। इसी जनगणना के अनुसार, कुल जनसं या म 35 वष से कम आयु क जनसं या 65.6% है।
जनसं या क संरचना यथा – श ा, वा य, आ थक थ त आ द सामा जक प रवतन के मुख कारक ह। इसी
कार कामकाजी म हला क जननता, गैर-कामकाजी म हला क अपे ा कम होती है।
रा य का जनघन व ( त वग कमी.)
.) म –
शशु मृ यु दर
रा य
त मलनाडु – 17
राज थान – 41
उ र दे श – 43
म य दे श – 47
भारत – 34
बीमा ((BIMARU)
BIMARU) रा य के अंतगत 4 रा य बहार,, म य दे श, राज थान और उ र दे श आते ह।
इन रा य का 2011 के अनुसार जनघन व –
बहार 1106
उ र दे श 829
म य दे श 236
जनगणना 2011 के अनुसार, भारत का जनसं या घन व 382 /वग कमी. हो गया है तथा जनसं या क
औसत वा षक घातांक वृ द दर 1.64% रही।
यूनतम शशु मृ यु दर केरल म पाई जाती है। 2016 के आंकड़ के अनुसार, केरल म नगरीय े मे शशु मृ यु दर
( त हजार जी वत ज म पर) 10, महारा के नगरीय े म 13, त मलनाडु के नगरीय े म 14, एवं गुजरात
के नगरीय े म 19 ह।
भारत म सव थम मृ यु गणना क शु आत कनाटक रा य ने क थी।
भारतः नगरीकरण
2. स ा के संरचना
नगरीकरण हेतु दो कारक उ रदायी होते ह। एक आकषण तथा सरा तकषण। आकषण के अंतगत शहर का
उ च जीवन तर, बेहतर आधारभूत सु वधाएं, रोजगार के अवसर आ द आते ह। सरी ओर गांव मे रोजगार
अवसर म कमी, न न जीवन तर आ द तकषक कारक ह। गांवो ने नगरी े क ओर उ च दर से पलायन
वष 2011 के जनगणना के अनुसार, भारत क जनसं या 1210.85 म लयन है जसम 377.1 म लयन जनसं या
नगर म नवास करती है। जहां वष 2001 म 10 लाखी नगर क सं या 35 थी, वह वष 2011 म यह बढ़कर 53
हो गई जो यह स द करता है क भारत म वष 2001 के प ात शहरीकरण म ती वृ द ई। भारत म मोबाइल
का उपयोग वष 1995 से ारंभ होकर गत 20 वष म लगातार बढ़ते ए टे लीफोन नेटवक के मामले म वै क
तर पर सरे थान पर है। भारतीय रसंचार उ ोग का माच, 2001 म टे ली घन व 3.58 तशत से फरवरी,
2015 म बढ़कर 78.13 तशत हो गया है।
भारतीय नगरीकरण के ादे शक त प म अ य धक वषमता है। सबसे अ धक नगरीकृत रा य गोवा है, जहां
पर आधी से अ धक (जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार) जनसं या नगर म रहती है। हमाचल
दे श सबसे कम नगरीकृत दे श है, जहां पर मा 10 तशत जनसं या नगर म रहती है। इस कार भारत म
सभी े का नगरीकरण सवथा समान नही है।
जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, हमाचल दे श भारत का सबसे कम नगरीकृत (10%) रा य है।
भारत का सबसे अ धक नगरीकृत रा य गोवा (62.2%) है। तथा भारतीय नगरीय जनसं या का सवा धक सां ण
महारा म पाया जाता है।
भारत म कसी अ धवासी को नगरीय े घो षत करने के लए न न शत पूरी होनी चा हए –
नगरीकरण होने से लोग के उपभोग क सु वधाएं बढ़ ह। समु चत व ुत, वा य, आवागमन एवं संचार
व था से सु व थत ढं ग से सेवाएं ा त करने म आसानी होती है। य द व था अ छ रहती है, खान-पान
वा य सेवाएं आव यकता के अनु प उपल ध होती ह, तो ज म दर और मृ यु दर दोन म कमी आती है।
वष 2011 क जनगणना के अं तम आंकड़ के आधार पर –
रा य तशत
नगरीय अ धवास ामीण अ धवास से अपने आकार (जनसं या) तथा काया मक आधार पर भ होते ह।
कृ ष, वा नक तथा पशुपालन जैसी ाथ मक आ तक याएं ामीण अ धवास के मुख काय ह। इसके
वपरीत ब तय के मुख काय तीयक तथा तृतीयक आ थक या से संबं धत होत ह। आतः नगरीकरण
औ ो गक एवं सेवा े के वकास के साथ प र कृत आय अवसर के नमाण का भी आधार है।
चे ई 985
कोलकाता 935
द ली 868
मुंबई 863
2011 क जनगणना के अं तम आंकड़ के अनुसार, भारत म जनगणना नगर क कुल सं या 3892 (अनं तम
आंकड़ के अनुसार यह सं या 3894 थी) है, जब क 2001 मे यह सं या 1362 थी। एक जनगणना नगर क
यूनतम जनसं या 5000 होती है, पु ष जनसं या का कम से कम 75% गैर-कृ ष वसाय म संल न होता है
और यूनतम जनसं या घन व 400 त वग कमी. होता है।
जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, भारत म कुल नगरीय जनसं या 377.1 म लयन (37.71 करोड़)
है, जो भारत क कुल जनसं या का 31.2% है। यात है क वष 2011 क जनगणना के अनं तम आंकड़ के
अनुसार, यह 31.16 तशत थी।
2011 क जनगणनानुसार भारत म 40 लाख से अ धक जनसं या वाले नगरीय संकुलन ह – वृहत मुंबई, द ली,
कोलकाता, चे ई, बंगलु , हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे और सूरत।
जनगणना 2011 के अनुसार, दे श क कुल नगरीय जनसं या का लगभग 42.6% दस लाखीय नगर म नवास
करती है।
उ र दे श 44495
रा य क नगरीकृत थत–
रा य तशत (2011)
गुजरात 42.6%
कनाटक 38.7%
पंजाब 37.5%
1. गोवा (62.2%)
2. मजोरम (52.1%)
3. त मलनाडु (48.4%)
4. केरल (47.7%)
5. महारा (45.2%)
म य दे श 27.63 27.63
जनसं या क ावसा यक वशेषताएं कायबल (Working Force), नभरता, बोझ, रोजगार और बेरोजगारी म
प रल त होती ह। जनसं या का ावसा यक ढांचा, व भ वसाय मे कायकारी जनसं या के वतरण को
करता है।
भारतीय जनगणना 2011 के अनुसार, दे श के म लयन (दस लाखी) नगर (कुल 53 नगर) क सूची म अं तम
थान पर कोटा (राज थान) है जसक जनसं या (1001365 है।
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जनगणना 2011 के अनुसार आगरा नगर क जनसं या 1275134, इलाहाबाद क 1050000 मेरठ क ,
1068772 तथा लखनऊ क 2185927 है। ये आंकड़े इन शहर के नगर नगम े ह। 2011 क जनगणनानुसार
इन दस लाखी नगर का सही म (नगर नगम े क जनसं या के आधार पर है) – लखनऊ – आगरा – मेरठ –
इलाहाबाद।
जवाहर लाल नेह रा ीय शहरी नवीकरण मशन (JNNURM) मे दो उप- मशन शा मल थे – STUDY FOR
CIVIL SERVICES-GYAN
1. शहरी अवसंरचना एवं शासन हेतु उप मशन-- इसका उ े य जल आपू त एवं सफाई, सीवरेज, ठोस कचरा
बंधन, रोड नेटवक, शहरी प रवहन एवं पुराने नगर े क अवसंरचना को पुन वक सत करना है।
2. शहरी गरीब को बु नयाद सेवा के लए उप मशन – इसका उ े य लम का एक कृत वकास है। प तः
शहरी व ुतीकरण JNNURM योजना के साथ संबं द नही है। यह मशन शु आत म माच, 2012 तक
स तवष य अव ध के लए ही था जसे पहले से ही अनुमो दत प रयोजना को पूरा करने के लए माच, 2014
तक बढाया गया था। माच, 2013 के दौरान चल रहे काय को पूरा करने के लए मशन अव ध को माच, 2015
तक के लए एक वष तक और बढ़ा दया गया था।
4. 2011 क जनगणनानुसार, कुल लम (म लन ब ती) जनसं या म सवा धक ह सेदारी वाले पांच रा य/के.शा. ा.
का अवरोही म है – महारा (18.1 तशत), आं दे श (15.6 तशत), प म बंगाल (9.8 तशत), उ र
दे श (9.5 तशत) एवं त मलनाडु (8.9 तशत)।
दे श के मुख शहर म आधारभूत ढांचे के वकास तथा सेवा के व तार के लए जवाहरलाल नेह रा ीय
शहरी नवीकरण मशन (JNNURM) का शुभारंभ धानमं ी डॉ. मनमोहन सह ने 3 दसंबर, 2005 म नई
द ली म कया था। इसके तहत मे ोपा लटन शहर , रा य क राजधा नय 10 लाख से अ धक जनसं या वाले
शहर के अ त र धा मक, ऐ तहा सक एवं पयटन क म मह वपूण कुल मलाकर 65 शहर का कायाक प
कए जाने का ल य था।
जनगणना 2011 म वृहत मुंबई म कुल शहरी घरेलू े म 41.3% ह सा म लन ब तय का है, जो भारत म
सवा धक है। भारत म म लन ब तय म रहने वाली कुल जनसं या (2011 अं तम) 65494604 है, जो भारत क
कुल जनसं या का लगभ ग 5.4% जब क कुल नगरीय जनसं या का 17.4% है।
नगरीय ग लयार का संबंध प रवहन सु वधा के व तार के मा यम से नगरीय याकलाप को व तार दे ने से है।
STUDY FOR CIVIL SERVICES GYAN
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
लोक-नगरीय सात य (Folk-Urban Continuum) के वचार को अमे रका सां कृ तक मानव व ानी रॉबट
रेडफ ड ारा वक सत कया गया है। इसके लए उ ह ने मे सको के मे रडा, युकेटन तथा ामीण माया
मसुदाय का अ ययन कया था।
रेडफ ड तथा सगर के वचार म ाथ मक नगरीकरण क या को वृहद परंपरा (Great Tradition) के
वकास के वशेषीकृत कया जाता है। उ होने राजनी तक, आ थक एवं सां कृ तक शहरो का वचार तुत
कया।
31 अ टू बर, 2011 को ज मी भारतीय ब ची नर गस, फलीप स क ब ची डै नका कामेको, ीलंका क ब ची
व ालागे मुथुमई तथा प के का ल न ाद म ज म ब चे यो नकोलायेवा को व भ संगठन ारा तीका मक
प से 7 अरबवां माना गया है। तथा प संयु रा ारा आ धका रक प से अब तक इनम से कसी भी
दे श के ब चे को व के 7 अरबव का दजा नही दया गया है।
व जनसं या दवस त वष 11 जुलाई को मनाया जाता है। इसका न य वष 1989 म संयु रा वकास
काय म (UNDP) ारा कया गया था। इसे 11 जुलाई, 1987 को व जनसं या के अनुमानतः पांच अरब (5
ब लयन) होने के उपल य म मनाया जाता है।
जनसं या क से व के थम पांच बड़े रा – चीन, भारत, संयु रा य अमे रका, इंडोने शया तथा ाजील
मे से चीन, भारत तथा संयु रा य अमे रका का अ धकांश भाग 200-400 उ री अ ांश के बीच अव थत है।
पुनः अ का का उ री भाग, म य ए शया भी 200-400 उ री अ ांश के बीच अव थत है। अतः प है क
व क 50% जनसं या 200-400 उ री अ ांश के बीच संके त है।
व म लगानुपात घटने का डर, लग नधारण के परी ण के बढ़ने से है।
जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ के अनसार, भारत क जनसं या व जनसं या म 17.5 तशत क
भागीदारी है । जब क व क जनसं या म सवा धक अंश चीन का (19.4%) है। संयु रा जनसं या डवीजन
(UNPD) के World Population Prospects: 2017 रवीजन के अनुसार, व जनसं या 2017 म 753.4
म लयन है जब क भारत क जनसं या 1339.2 म लयन ( व जनसं या का 17.78%) है।
व के नगर क थ त पर यू.एन. है बटे ट्स रपोट के अनुसार, नगर क समृ द नधा रत करने का आधार
उ पादकता, जीवन क गुणव ा, समता आ द है ले कन अनुकूलतम जनसं या नही है।
द णी सूडान के सूडान से पृथक होने के बाद नाइजी रया अब अ का म सबसे अ धक आबाद वाला दे श है
(वष 2015 म व म सातवां थान)। यह नया म काले लोगो क सबसे अ धक आबाद वाला दे श है। वष
2100 तक भारत एवं चीन ( मशः पहला एवं सरा) के प ात नाइजी रया व ा का तीसरा सवा धक जनसं या
वाल दे श होगा।
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दे श जनसं या घन व 2017
चीन 150
जापान 348
उ री को रया 113
द णी को रया 528
डो म नका 55572
मोनाको 72680
अजट ना 92
ाजील 85
उ वे 95
वेनेजुएला 89
वष 2014 म बरमूडा,, केमैन प समूह, हांगकांग, मकाउ,, मोनाको,, सगापुर तथा सट माटन ((डच पाट)) म
नगरीय जनसं या शत-- तशत दज क गई।
दे श UNFPA के अनुसार 2016 म जनसं या ( म लयन म))
ाजील 209.6
पा क तान 192.8
व जनसं या संभा ताः 2017 पुनरी ण के अनुसार द ण अमे रका का सबसे घना बसा दे श इ वेडोर (66)
है।
अ का म जनसं या वृ द दर अ य सभी महा प से अ धक है। यहां क जनसं या वृ द दर 2.14% रही
जब क ए शया महा प क 1.28% उ री अमे रका क 1.11%, द. अमे रका क 1.19% तथा ओशी नया क 29%
रही। व जनसं या संभा ताः 2017 के पुनरी ण के अनुसार 2010-15 के म य जनसं या वृ द दर अ का
म 2.59% ए शया म 1.05% उ र अमे रका म 0.75% और ओशी नया म 1.53% थी।
ए शया 135.8
ो
यूरोप 33.3
अ का 36.1
बहरीन 1.7
इजराइल 1.6
जापान -0.1
सगापुर 1.9
नील नद को म का वरदान कहा जाता है। नील नद के पानी क उपल धता के कारण नील नद के कनारे-
कनारे सघन कृ ष क जाती है। कृ ष सुलभता के कारण यहां जनसं या घन व उ चतम है।
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ाजील 20.9
स 14.3
जापान 12.6
दे श जन घन व (2015)
भारत 441
ीलंका 334
पा क तान 245
नेपाल 199
अफगा न तान 50
भूटान 20
पा क तान 106
भारत 108
चीन 106
दे श क मातृ मृ यु दर ((MMR-
MMR- त एक लाख जी वत ज म पर)) क थ त इस कार है-
दे श वष 2015 के अनुसार
नेपाल 258
भारत 174
वीडन 1.9
इटली 1.5
ऑ े लया 1.9
ांस 2.0
े 2010-2015
म य ए शया 1.60%
प म बंगाल 2.00%
द ण ए शया 1.36%
चीन 64
यू.एस.ए. 56
स 57
द ण को रया 50
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