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संपूण इकोनॉमी का सार FULL ECONOMY SUMMARY COMPLETE Keywords... Search »


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UPSC, UPSSSC  February 11, 2019 SBE. Apply Now.

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POLITY SUMMARY COMPLETE GENERAL
KNOWLEDGE GK GS REVISION NOTES
GIST NCERT laxmikant polity UPSC IAS
PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC
आ थक एवं सामा जक वकास CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS APPSC
UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC LOWER
 
PCS ALLAHABAD ARO RO AHC ARO
An MBA for Civil Engineers to open MANDI PARISHAD VDO VYAPAM SSC CGL
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CHSL GD RPF POLICE SI CONSTABLE
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  CLERK previous year questions paper
February 18, 2019
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
हद मा यम -संपूण भारतीय रा य व था का सार
आ थक वकास
FULL INDIAN POLITY SUMMARY
भारतीय अथ व था का व प COMPLETE GENERAL KNOWLEDGE GK GS
अं ेज से पूव भारतीय अथ व था क कृ त ामीण थी तथा व था अ वक सत थी। REVISION NOTES GIST NCERT laxmikant
polity UPSC IAS PCS UPPSC UPSSSC SSC
गांव एक पृथक इकाई थी तथा वसाय वंशानुगत था। यहां का मुख वसाय कृ ष था, ले कन उ ोग के े म
BPSC MPPSC CGPSC RAS OPSC PPSC HAS
भी यह उ त था।
KAS APPSC UKPSC GD UPP UP POLICE
भारत ारा उ पा दत रेशमी व सूती व , व म उ म वा लट के माने जाते थे।
BSSC LOWER PCS ALLAHABAD ARO RO
 यहां संगमरमर का काय, न काशी का काय, सोने-चांद के आभूषण व प थर पर तराशी का काय ब त ही उ म
क म का होता था। अतः इनका नयात कया जाता था।
नयात क व तु म नील, अफ म व मसाले भी शा मल थे। इस कार स हव व अ ारहव शता दय तक AHC ARO MANDI PARISHAD VDO
भारतीय अथ व था अपने परंपरागत व प म ग तमान रही। VYAPAM SSC CGL CHSL GD RPF POLICE SI

अं ज ने भारत पर न केवल रा य कया, ब क इसको एक उप नवेश बना दया। CONSTABLE CLERK


February 18, 2019
उप नवेश का अथ है क इस दे श को कसी कार क राजनी तक वतं ता ा त नही थी तथा इसक आ थक
ग त व धय पर उनका सीधा नयं ण था। संपूण पयावरण GK का सार FULL
भारत पर 1857 से 1858 तक ई ट इं डया कंपनी ने तथा इसके बाद 1858 से 1947 तक टश सरकार ने शासन ENVIRONMENT and ecology SUMMARY
कया। COMPLETE GENERAL KNOWLEDGE GK GS

वतं ता ा त के प ात भारतीय अथ व था पछड़ी, अ प वक सत, ग तहीन व सु त अथ व था थी। REVISION NOTES GIST NCERT UPSC IAS
PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC
कसी भी दे श का वकास उस दे श क कृ ष एवं उ ोग पर आधा रत होता है। कृ ष के लए श , साख,
CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS APPSC
प रवहन आ द चा हए तो उ ोग के लए मशीनरी, वपणन, सु वधा, प रवहन, संदेशवाहन आ द य द कोई दे श
UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC LOWER
तेजी से वकास करना चाहता है, तो उसे इस आधारभूत ढांचे म –
PCS ALLAHABAD ARO RO AHC ARO
MANDI PARISHAD VDO VYAPAM SSC CGL
1. श – कोयला, तेल, सूयश , वायु आ द।
CHSL GD RPF POLICE SI CONSTABLE
2. संदेशवाहन – डाक, तार, टे लीफोन, रे डयो, बेतार का तार आ द।
CLERK
3. बक, व व बीमा February 11, 2019

4. व ान व तकनीक
संपूण भारतीय रा य व था का सार FULL INDIAN
5. कुछ सामा जक मद जैसे – श ा, वा य ह।
POLITY SUMMARY COMPLETE GENERAL
KNOWLEDGE GK GS REVISION NOTES
वतं ता के समय उपरो सभी आधारभूत ढांचे क कमी थी।
GIST NCERT laxmikant polity UPSC IAS
वतं ता के समय भारतीय अथ व था टे न क एक कॉलोनी का प ले चुक थी। कृ ष उदास थी, कसान
PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC
गरीब थे, कृ ष उ पादकता व म सबसे कम थी। संग ठत उ ोग थोड़े थे, ले कन बड़े शहर म के त थे, भारी
CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS APPSC
एवं आधारभूत उ ोग नही थे।
UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC LOWER
य प भारतीय अथ व था का एक पहलू उसके अ प वक सत व प का बोध कराता है, कतु नयोजन काल PCS ALLAHABAD ARO RO AHC ARO
क अव ध म भारतीय अथ व था के व प मे कुछ मूलभूत प रवतन ए ह, जनके आधार पर भारतीय MANDI PARISHAD VDO VYAPAM SSC CGL
अथ व था को वकासो मुख कहा जा सकता है। CHSL GD RPF POLICE SI CONSTABLE
वतं ता ा त के प ात भारत म आ थक नयोजन को वकास का आधार बनाया गया है। CLERK
February 11, 2019
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN

संपूण व ान का सार FULL SCIENCE


 
SUMMARY GENERAL VIGYAN
सभी योजना का मुख एवं मौ लक उ े य दे श म सम वत एवं संतु लत वकास को ो सा हत करना रहा है। CHEMISTRY PHYSICS BIOLOGY
नयोजन काल म कृ ष, उ ोग, ापार, सभी े म वकास के लए अनेक काय म चलाए गए तथा भारत क COMPLETE GENERAL KNOWLEDGE GK GS
गरीबी एवं बेरोजगारी क सम या का समाधान करने का यास कया गया। REVISION NOTES GIST NCERT UPSC IAS

नयोजना काल म भारतीय अथ व था का सं थागत ढांचा पया त प मे वक सत आ है। बढ़ता साज नक PCS UPPSC UPSSSC SSC BPSC MPPSC

वकास य, बक एवं बीमा कंप नय का रा ीयकरण, ामीण व ुतीकरण, सड़क एवं रोल प हवहन का CGPSC RAS OPSC PPSC HAS KAS APPSC

वकास, कृ ष का मशीनीकरण एवं ह रत ां त, औ ो गक व तार, बढ़ती श ा  एवं वा य सु वधाएं आ द UKPSC GD UPP UP POLICE BSSC LOWER

अनेक वकासो मुख घटक ह। PCS ALLAHABAD ARO RO AHC ARO


MANDI PARISHAD VDO VYAPAM SSC CGL
भारतीय नयोजन अव ध म अथ व था के येक े म उ पादन म पया त वकास आ है।
CHSL GD RPF POLICE SI CONSTABLE
नयोजन काल म कृ ष उ पादन बढ़ा है, आधारभूत उ ोग क थापना ई है।
CLERK
लोहा, इ पात, भारी इंजी नय रग, रसायन उवरक आ द सभी उ ोगो का नयोजन काल मे ती वकास आ है, February 11, 2019

जससे भारत का आयात कम आ है और वदे शी नभरता म कमी आई है।


CHHATTISGARH CURRENT AFFAIRS 2019
भारतीय नयोजन के मौ लक उ े य म समाजवाद अथ व था क झलक मलती है। समाज म ा त आ थक
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वषमता एवं शोषण को समा त करने के लए नयोजन काल म अनेक कदम उठाए गए ह। जैसे – जम दारी
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उ मूलन भू म पर कृ ष को अ धकार दलाना, बंधुआ था समा त करना, सावज नक े के उप म का व तार
latest news for cgpsc prelims vyapam
करना, बक का रा ीयकरण करना, सहकारी आंदोलन का वकास, सम वत ामीण वकास काय म लागू
Chhattisgarh Public Service
करना, कसान क ऋण मु घोषणा आ द।
Commission
उपयु वकासो मुख त य के आधार पर कहा जा सकता है क भारत य प अपनी वक सत अव था तक नही February 10, 2019
प ंच पाया है, फर भी भारतीय अथ व था एक वकासशील अथ व था है, जहां आ थक वकास के सम वत
एवं नयोजनब द यास जारी ह। संपूण इकोनॉमी का सार FULL ECONOMY

ऐसी अथ व था जसम नजी एवं सावज नक दोन े व मान होते ह म त अथ व था कहलाती है। SUMMARY COMPLETE GK GS REVISION

भारतीय अथ व था, म त अथ व था का एक मुख उदाहरण है। NOTES GIST NCERT UPSC IAS PCS UPPSC
UPSSSC SSC BPSC MPPSC CGPSC RAS
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
OPSC PPSC HAS KAS APPSC UKPSC GD

  UPP UP POLICE BSSC ahc aro general


knowledge
भारत म जनसं या क अ धकता के कारण ही इसे एक म-आ ध य वाली अथ व था के प म प रभा षत January 19, 2019

कया जाता है।
उ ोग क धानता वक सत अथ व था का अ भ ण है चं क भारत क अथ व था वकासशील है। अतः
उ ोग क धानता, वक सत अथ व था का अ भ ण ह, चू क भारत क अथ व था वकासशील ह। अतः
संपूण भूगोल का सार FULL GEOGRAPHY
यह भारतीय अथ व था क वशेषता नही।
SUMMARY COMPLETE GK GS REVISION
आ थक वकास के नधारक त व –
NOTES GIST NCERT MAHESH BARANWAL
MAJID HUSSAIN UPSC IAS PCS UPPSC
आ थक त व--
UPSSSC SSC BPSC MPPSC CGPSC RAS
ाकृ तक साधन OPSC PPSC HAS KAS APPSC UKPSC GD
मश व जनसं या UPP UP POLICE BSSC
January 13, 2019
पूंजी नमाण
तकनीक तथा नवाचार पूरे इ तहास का सार इ तहास का संपूण ान FULL
पूंजी उ पाद अनुपात HISTORY most important GK SUMMARY

संगठन previous year question answers


general knowledge uppsc uppcs
अना थक त व – upsssc mandi parishad allahabad ahc
aro mppsc cgpsc ro mains 2017 upp
सामा जक घटक
uptet pcs psc mains 2018
धा मक घटक December 28, 2018

राजनी तक घटक
BPSC 64TH FULL ANSWER KEY CUTOFF
अंतररा ीय
bihar pcs paper 16 december 2018 pt
वै ा नक घटक
pre prelims preliminary gs general
भारतीय अथ व था वकासशील अथ व था है। वकासशील अथ व था म उ पादन का ढांचा, उ पादन के studies previous year paper 65 65th
व प एवं उ पा दत व तु म प रवतन होता है तथा सामा जक संबंध म भी वकास के साथ-साथ प रवतन December 16, 2018

होता है।

भारत म म त अथ व था (Mixed Economy) के व प को अपनाया गया है। म त अथ व था के


Archives
तहत सावज नक (Public) एवं नजी (Private) दोन े क दे श के वकास काय म म भागदारी होती है।
सावज नक े का शासन जहां रा य (State) करता है वह नजी े का शासन (Person) के साथ  February 2019
म होता है। इस कार वकास का भारतीय मॉडल रा य एवं दोन के हत क र ा करता है।
 January 2019
STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
 December 2018
 
 November 2018
रा ीय आय

आ थक   (दे
( शीय)) सीमा क संक पना  October 2018

रा ीय आय लेखांकन सम अथशा क एक शाखा है और रा ीय आय तथा संबं धत समु चय का आकलन  September 2018


इसका एक भाग है। रा ीय आय और इससे संबं धत कोई भी समु चय एक दे श क उ पादन या का माप है।
 August 2018
आ थक सीमा
 July 2018
संयु रा संघ के अनुसारः आ थक सीमा एक दे श क सरकार ारा शा सत वह भौगो लक सीमा है जसम
य , व तु और पूंजी का नबाध संचालन होता है। इस प रभाषा का आधार य , व तु और पूंजी  June 2018

के संचलन क वतं ता है।  May 2018

 April 2018
आ थक सीमा का े

1. दे श क राजनी तक सीमा (समु सीमा और आकाशी े स हत)  October 2017


2. दे श के वदे श म तावास, वा ण य तावास तथा सै नक त ान।
 September 2017
3. दे श के नवा सय ारा दो या दो से अ धक दे श के म य चलाए जाने वाले जलयान व वायुयान।
4. मछली पकड़ने क नौकाएं, तेल व ाकृ तक गैस यान, जो अंतररा ीय जलसीमा म या उन े म चलाए जाते
ह जन पर दे श का अन य अ धकार है। Social Links
रा ीय आय समु चय क दो े णयां होती ह – दे शीय और रा ीय या न दे शीय उ पाद और रा ीय उ पाद। एक
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दे श क आ थक सीमा म थत उ पादन इकाइय ारा कया गया उ पादन दे शीय उ पाद कहलाता है।

 

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नवासी क संक पना
24*7
 नाग रक और नवासी दो भ श द ह। एक एक दे श का नाग रक हो सकता है और कसी अ य दे श का
नवासी। जो भारतीय वदे श म रहते ह, वे भारत के नाग रक ह और जस दे श म रहते ह उसके नवासी ह।
नवासी क प रभाषा

एक या एक सं था, उस दे श का नवासी कहलाता है जस दे श म रहता है, या थत है, व उसी क आ थक


सीमा मे उसके आ थक हत का के है।

“आ थक हत का के ” मे दो बाते शा मल होती ह –

1. वह नवासी ( या सं था) उस दे श क आ थक सीमा म रहता है (या थत है)।

2. उसक कमाने, खीच करने और संचय करने क आ थक याएं वह से होती ह।

एक दे श के नवा सय ारा कया गया उ पादन, रा ीय उ पाद कहलाता है। यह उ पादन चाहे उस दे श क
आ थक सीमा म कया गया हो या उससे बाहर।
इसक तुलना म, उन सभी उ पादन इकाइय ारा कया गया उ पादन जो एक दे श क आ थक सीमा म थत है,
दे शीय उ पाद कहलाता है, चाहे यह उ पादन नवा सय ारा कया गया हो या गैर- नवा सय ारा कया गया है।

रा ीय उ पाद और दे शीय उ पाद म संबंध

कसी दे श क आ थक सीमा म कया गया कुल उ पादन “घरेलू उ पाद’ होता है। कसी दे श के नवा सय ारा
कया गया कुल उ पादन ‘रा ीय उ पाद’ होता है।

रा ीय उ पाद =       दे शीय उ पाद   +    दे श के नवा सय ारा आ थक सीमा से बाहर कया गया
       –   दे श क आ थक सीमा मे गैर- नवा सय
उ पाद       ारा कया गया उ पादन  

या

रा ीय उ पाद =       दे शीय उ पाद +    वदे श से ा त कारक आय   –    वदे शो को द गई कारक आय

या

     =       दे शी उ पाद  


रा ीय उ पाद        +         वदे श से नबल कारक आय

य द वदे श से ा त कारक आय, वदे श को द गई कारक आय से अ धक होती है, तो वदे श से नबल कारक
आय धना मक होगी।
य द वदे श से ा त कारक आय, वदे श क द गई कारक आय से कम होती है, तो वदे श से नबल कारक आय
ऋणा मक होगी।
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औ ो गक वग करण

उ पादन इकाईय का अलग-अलग औ ो गक समूह या े फल म समूहीकरण औ ो गक वग करण कहलाता


है।
ाथ मक े – इस े क म उन उ पादन इकाइय को शा मल कया जाता है, जो ाकृ तक संसाधन के दोहन
से उ पादन करती ह जैसे – कृ ष, पशुपालन, मछली पकड़ना ख नज नकालना, वा नक आ द। इनसे तीयक

े क के लए क चा माल मलता है।


तीयक े क – इस े क म वे उ पादन इकाइयां शा मल क जाती ह, जो एक कार क व तु को सरे
कार क व तु म प रव तत करती ह। कारखान, नमाण, बजली उ पादन, जल आपू त आ द इसके कुछ
उदाहरण ह।
तृतीयक े क – इसे सेवा े क भी कहते ह, इसके अंतगत सेवाएं उ पादन करने वाली उ पादन इकाइयां आती
ह। प रवहन, ापार, श ा, होटल, सरकारी शासन, व आ द इसके कुछ उदाहरण ह।
रा ीय आय लेखांकन म रा ीय आय संबंधी ब त से समु चय होते ह –

1. दे शीय व रा ीय

2. सकल व नबल
3. कारक लागत पर आक लत और बाजार क मत पर आक लत

नबल रा ीय व दे शीय उ पाद

    =       सकल दे शीय उ पाद      


नबल दे शीय उ पाद           –   मू य ास

   =       सकल रा ीय उ पाद  


नबल रा ीय उ पाद      –   मू य ास

बाजार क मत पर आकलन और साधन लागत पर आकलन –


   =         बाजार मू य पर दे शीय उ पाद – अ य
साधन लागत पर दे शीय उ पाद   कर + सरकारी सहायता
(आ थक सहायता))
(आ थक सहायता))

अ य कर और सरकारी सहायता के अंतर को नबल अ य कर कहते ह।

नबल अ य     =       अ य


कर    कर – सरकारी सहायता

साधन लागत पर रा ीय उ पाद को रा ीय आय कहते ह।

रा ीय आय   =       बाजार मू य पर सकल दे शीय उ पाद – मू य ास – नबल अ य कर + वदे श से


नबल कारक आय

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रा ीय आय के आकलन क व धयां

रा ीय आय के च य वाह से हम इसके आकलन क तीन व धयां मलती ह –


उ पादन (मू य संवृ द) व ध

आय व ध
य वध
उ पादन ((मू य संवृ द)) व ध – इसके अंतगत पहले हम येक े क म बाजार क मत पर सकल मू य संवृ द
ात करते ह और सभी े क क इस मू य संवृ द का योग करने म हमे बाजार क मत पर सकल घरेलू उ पाद
ात हो जाता है।

आय व ध – इस व ध के अंतगत पहले े क ारा कए गए कुल कारक भुगतान का आकलन करते ह। फर


तीन े क के कारक भुगतान का योग करने से हम साधन लागत पर नबल मू य वृ द (दे शीय उ पाद) या
दे शीय कारक आयत ात हो जाती है।

दे शीय कारक आय ((कारक भुगतान)) के न न ल खत घटक होते ह –

1. कमचा रय का पा र मक

2. कराया और राय ट
3. याज
4. लाभ

म त आय से ता पय है, सारे कारक क स म लत आय। अतः


साधन लागत पर नबल दे शीय उ पाद = कमचा रय का पा र मक +   कराया व राय ट + याज +
म त आय ((य द हो))

य वध

इस व ध के अंतगत हम उपभोग और नवेश पर कए गए य का जोड़ लेते ह। यह य दे शीय उ पाद


पर कया गया य होता है। इसके व भ घटक ह –

1. नजी अं तम उपभोग य
2. सरकारी अं तम उपभोग य

3. सकल दे शीय पूंजी नमाण


4. नबल नयात ( नयात-आयात)

यो य आय

उपभोग य और बचत के लए उपल ध आय को यो य आय कहते ह। इसम कारक आय और ह तांरण (गैस-


कारक आय) दोन शा मल होती ह। रा ीय आय म केवल कारक आय शा मल क जाती है। य द रा ीय आय ात
हो, तो यो य आय ात क जा सकती है।
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रा ीय यो य आय

रा ीय यो य आय से संबं धत दो समु चय होते ह –

1. सकल रा ीय यो य आय

2. नबल रा ीय यो य आय

सकल रा ीय यो य आय = रा ीय आय + नबल अ य कर + म य ास + वदे श से नबल चाल


सकल रा ीय यो य आय     रा ीय आय + नबल अ य कर + मू य ास + वदश स नबल चालू
ह तांतरण

भारत के संबंध म

कसी रा के नाग रक ारा एक वष क अव ध म उ पा दत सम त अं तम व तु एवं सेवा का कुल मौ क


मू य रा ीय आय कहलाता है।
रा ीय आय क गणना तीन व धय से क जाती है –

1. उ पादन व ध – सम त संसाधन ारा कुल अं तम उ पादन।


2. आय व ध – सम त संसाधन ारा अ जत कुल आय।
3. य व ध – सम त उपभोग / य का योग।

भारत म रा ीय आय का सव थम अनुमान दादा भाई नौरोजी ने 1868 ई. म लगाया था।


वतं ता पूव भारत म वलयम ड वी, फडले शराज, शाह एवं ख भाता, आर.सी. दे साई, बी. नटराजन आ द ने
भी रा ीय आय का अनुमान तुत कया।

वतं ता पूव सवा धक वै ा नक अनुमान वष 1931-32 म वी.के. आर. वी. राव ारा तुत कया गया।
वतं ता के प ात भारत म रा ीय आय क गणना हेतु वष 1949 म पी.सी. महालनो वस क अ य ता म रा ीय
आय स म त गठन कया गया।
तीन सद यीय इस स म त म डी.आर. गाड गल एवं वी.के.आर.वी. राव भी सद य थे।
इस स म त ारा वष 1951 म पहली, जब क वष 1954 म सरी रपोट तुत कया गया।

वतमान मे रा ीय आय क गणना के य सां यक कायालय (CSO) ारा क जाती है।


CSO के य सां यक एवं काय म काया वयन मं ालय के अधीन काय करती है।
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रा ीय आय क अवधारणाएं

1. सकल घरेलू उ पाद ((GDP)


GDP)

कसी दे श क भौगो लक सीमा के भीतर एक व ीय वष म उ पा दत सम त अं तम व तु एवं सेवा का कुल


मौ क मू य उस दे श का सकल घरेलू उ पाद (GDP) कहलाता है।
वतमान म य श मता (PPP) के आधार पर भारत क GDP व क तीसरी (चीन एवं USA के बाद)
सबसे बड़ी अथ व था है।

वा त वक जीडीपी म भारत 6व सबसे बड़ी अथ व था है।


भारत से बड़ी पांच अथ व थाएं मशः ((घटते म म)) –

यूएसए

चीन

जापान

जमनी

यूनाइटे ड कगडम

31 मई, 2018 के जारी अनं तम अनुमान के अनुसार वष 2017-18 म थर क मत (2011-12) पर भारत का


सकल घरेलू उ पाद 6.7 तशत क वृ द के साथ 130.11 लाख करोड़ पये अनुमा नत है।
वह चालू क मत पर भारतीय जीडीपी वष 2017-18 म 10.0 तशत क वृ द के साथ 167.73 लाख करोड़
पये अनुमा नत है।

2. सकल रा ीय उ पाद ((GNP)


GNP)

कसी दे श के नाग रक ( नवासी एवं अ नवासी दोन ) ारा कसी व ीय वष म उ पा दत अं तम व तु एवं


सेवा के कुल मौ क मू य को उस दे श का सकल रा ीय उ पाद GNP कहा जाता है।

सकल रा ीय आय क गणना म वदे श म कायरत दे श के नाग रक क आय को जोड़ा जाता है, जब क दे श के


भीतर कायरत वदे शी य क आय को घटा दया जाता है।

GNP = GDP + वदे श से अ जत शु द आय

वष 2017-18 हेतु जारी अनं तम अनुमान म भारत क सकल रा ीय आय (GNI) थर क मत पर 6.7 तशत

क वृ द के साथ 128.64 लाख करोड़ पये अनुमा नत है।

चाल क मत पर भारत क GNI वष 2017 18 म 10 तशत क व द के साथ 165 87 लाख करोड़ पये
चालू क मत पर भारत क GNI वष 2017-18 म 10 तशत क वृ द क साथ 165.87 लाख करोड़ पय
अनुमा नत है।
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3. शु द रा ीय उ पाद ((NNP)
NNP)

सकल रा ीय उ पाद म से मू य ास को घटा दे ने पर शु द रा ीय उ पाद ा त होता है।


साधन लागत पर शु द रा ीय उ पाद को ही रा ीय आय कहा जाता है।

वष 2017-18 म भारत क रा ीय आय (NNI)8 तशत क वृ द के साथ 114.06 लाख करोड़ पये


अनुमा नत है।
जब क वष 2017-18 म अनं तम अनुमान म चालू क मत पर रा ीय आय (NNI)1 तशत क वृ द के साथ
148.49 लाख करोड़ पये अनुमा नत है।

वष 2017-18 म भारत क त आय थर क मत पर 86668 पये, जब क चालू क मत पर 112835


पये अनुमा नत (अनं तम अनुमान) है।

नवल अ य कर (INT) = अ य कर – Subsidy

NDP(FC) = मज री + लगान + लाभ + म त आय


NDP(MP) = NDP (FC) + INT – S, जहां S = Subsidy

GNP = सकल रा ीय उ पाद,

NNP = नवल रा ीय उ पाद


GDP = सकल घरेलू उ पाद

NDP = नवल घरेलू उ पाद

MP = बाजार क मत पर
FC = साधन लागत पर

D = मू य ास

INT = नवल अ य कर
NFI = वदे श से ा त नवल कारक आय

नवल रा ीय उ पाद (NNP – Net National Product) और सकल रा ीय उ पाद (GNP – Gross
National Product) के ारा रा ीय उ पाद का मू य मापन कया जाता है तथा प ये दोन भ - भ ह।
GNP कसी दे श के नाग रक ारा (दे श के भीतर या बाहर) एक वष म उ पा दत सभी अं तम व तु एवं
सेवा का कुल मू य होता है जसम से पूंजी ास (Depreciation) को घटाने से NNP  ा त होता है। अथात

NNP = GNP – मू य ास

एक द ई समयाव ध मे क मत और मौ क आय दोन गुनी होने पर वा त वक आय अप रव तत रहेगी य क


बढ़ ई क मत बढ़ ई मौ क आय को त संतु लत कर दगी। इससे वा त वक आय पर कोई भाव नही
पड़ेगा।

आ थक वकास म सकल घरेलू उ पाद (GDP), सकल रा ीय उ पाद (GNP) व त सकल रा ीय


उ पाद म वृ द का यान रखा जाता है।
अम य सेन क याणकारी अथशा से संबं धत ह। उनके अनुसार, आ थक वकास का मु य ल य मानवीय
वकास है।

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ो. राजकृ ण ने वष 1981 म अमे रकन इकोनॉ मक एसो सएशन म बोलते ए ह वृ द दर का सव थम योग


कया था। उनके अनुसार, ह परंपरा जो वकास के अनुकूल नही है अथवा जसम वकास को य नही दया
जाता है, के कारण ही  भारतीय अथ व था म रा ीय आय क वृ द दर 3.5% के आस-पास बनी ई है। प है
क ो. राजकृ ण ारा यु ह वृ द दर रा ीय आय से संबं धत है।
आ थक वकास के साथ-साथ सामा यतः व तु क मांग बढ़ती है और आय म भी वृ द होती है। इसी कारण
आ थक वकास सामा यतया फ त (Inflation) के साथ यु मत होता जाता है।

सकल रा ीय उ पाद म म क भागदारी कम होने का कारण, क मत क तुलना म मज री का कम होना है।


क मत वृ द भारतीय अथ व था का मुख ल ण है, जस कारण मज री म य द वृ द होती भी है, तो भी
प रणामी लाभ कम होता है।

आ थक वकास –   संरचना मक प रवतन



आ थक वृ द     –   सकल घरेलू उ पाद
संपो षत वकास   –   पयावरण

जीवन क गुणव ा –   वा य

मे ट डाउन (Melt Down) तभू तय एवं बंध-प (Mortagages) क गरावट क थ त है जब क मंद


(Recession), ावसा यक एवं औ ो गक च के संकुचल क थ त है और Slow Down आ थक
या क ासमान थ त है।

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भारत ारा वष 1991 से नई आ थक नी त जो मु यतः उदारीकरण, नजीकरण और वै ीकरण पर आधा रत है,


को अपनाए जाने क आलोचना अभी भी जारी है। व के वक सत दे श नई आ थक नी त को सम एवं न त
समय म न अपनाए जाने के कारण जहां भारत सरकार क आलोचना कर रहे ह, वह भारत के भीतर इसक
आलोचना इस आधार पर भी हो रही है, क नई आ थक नी त के कारण भारत पूंजीवाद का अंगीकरण कर रहा है
तथा सं वधान म उ ल खत समाजवाद के पथ से वच लत हो रहा है। व तुतः ये आलोचनाएं आदश के मतभेद
पर ही आ त ह।
जून, 1991 म नर स हा राव सरकार के स ा हण के प ात अपनाई गई नई आ थक नी त के तहत उदारीकरण
का ारंभ 24 जुलाई, 1991 को आ। 24 जुलाई, 1991 को नई औ ो गक नी त घो षत ई। इस नी त म 18
मुख उ ोगो को छोड़कर अ य सभी उ ोगो को लाइसस से मु कर दया गया।
वतं ता के बाद भारत के GDP म कई गुना वृ द तथा GDP म ाथ मक, तीयक एवं तृतीयक े के
योगदान म वृहत प रवतन म बावजूद भारत क ावसा यक संरचना कमोबेश थर बनी ई है। इसका मुख
कारण आ थक वकास के लए कृ ष से उ ोग क दशा म अंतरण क कमी है। य प जनता इस वषय म भ
है परंतु आज भी कृ ष को उ ोग नही अ पतु परंपरा ही माना जाता है।

भारतीय अथ था म उदारीकरण वष 1991 से माना जाता है। उस समय डॉ. मनमोहन सह, भारत के व मं ी
थे। प रणामतः उ ह ही भारतीय अथ व था के उदारीकरण का अ त कहा जाता है।
कसी दे श क आ थक संवृ द क सवा धक उपयु माप त उ पाद/ त वा त वक रा ीय आय
होती है यो क, यह रा ीय आय क त उल धता को दशाती है।

1990-2000 के दशक के दौरान व ीय वष 1996-97 मे सकल रा ीय उ पाद क वृ द दर 8.0% थी, जो इस


दशक के कसी भी अ य व ीय वष मे ा त सकल रा ीय उ पाद क वृ द दर क अपे ा अ धक थी। 2001-
2010 के दशक म सकल रा ीय उ पाद क सवा धक वृ द दर वष 2006-07 (9.6%)
%) म रही है।

भारत म पूंजी नमाण के आंकड़ एक त करने का काम भारतीय रजव बक और के य सां यक य संगठन
ारा कया जाता है।
अब रा ीय आय के मापन म वष 2004-05 के बजाय वष 2011-12 को आधार वष माना गया है। साथ ही GDP
के थान पर अब GVA (Gross Value Added) क गणना क जाने लगी। अतः आधार वष एवं गणना व ध
दोन म बदलाव कया गया है।
भारत के आ थक सव ण का येक वष सरकारी तौर पर काशन, भारत सरकार के व मं ालय के आ थक
वभाग ारा कया जाता है। आ थक सव ण म अथ व था क नी तगत समी ा तुत क जाती है। इसम
पछले व ीय वष म अथ व था के दशन से संबं धत त य एवं आंकड़े भी सं हत होते  ह।

के य सां यक य संगठन (CSO) का गठन 2 मई, 1951 को कया गया था, जो भारत क रा ीय आय क
गणना करता है। CSO ारा समाक लत रा ीय आय एवं संबं धत त य रा ीय आय के तीन आयाम पर काश
डालते ह – दे शीय उ पाद, कारक आय के प मे इसका वतरण तथा अं तम उपभोग एवं पूंजी नमाण के प म
इसका उपयोग।
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आ थक समी ा, 2012-13 के अनुसार, वष 2009-10 म चालू मू य पर त आय 46117 . थी जो


46500 . के नकटतम है। आ थक सव, 2017-18 के अनुसार वष 2017-18 म थर एवं चालू क मत पर त
आय मशः 86660 तथा 111782 पये है। 31 मई, 2018 को जारी अन तम अनुमान के अनुसार, थर
एवं चालू क मत पर त मशः 86668 पये तथा 112835 पये है।
वष 1951-52 से 2015-16 क थर क मत पर भारत क सवा धक त आय क वृ द दर वष 2007-
08 मे दज क गई। इस वष भारत के त आय म 8.60% क वृ द दज क गई। जब क वष 2010-11,
2014-15 एवं वष 2015-16 म त आय क वृ द दर मशः 8.3%, 5.0% एवं 5.5% रही है।
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वगत पांच वष म 2004-05 आधार मू य पर सकल घरेलू उ पाद ((GDP)
GDP) क वृ द दर एवं त
आय (PCI) क वृ द दर इस कार थीः
आय ((PCI)
PCI) क वृ द दर इस कार थी

वृ द दर ( तशत म))

वष 2006-07 2007-08 2008-09 2009-10 2010-11

GDP 9.6 9.3 6.7 8.6 9.3

PCI 7.9 8.1 4.7 6.8 7.2

इस ता लका से प है क न तो सकल घरेलू उ पाद और न ही त आय क वृ द दर वगत पांच


वष म सतत प से बढ़ है।

GDP और संबं धत संकेतक नई ृंखला (2011-12) के आधार पर –

                                                         ( . करोड़ म))

GDP 2012-13 2016-17 2017-18 (P.E.)

( थर बाजार क मतो पर)) 9226879 12196006 13010843

वृ द दर 5.6 7.1 6.7

मूल क मत पर GVA (2011-12


(2011-12 8546552 10437579 11964479
क मत पर))

वृ द दर 5.4% 7.3% 6.5%

31 ई,, 2018 को जारी अनं तम अनुमान के अनुसार थर मू य पर वष 2017-18 म सकल घरेलू


उ पाद 6.7% अनुमा नत है जब क वष 2016-17 म यह 7.1% था। थर मू य पर ही सकल मू यवधन
(GVA) वष 2016-17 के 7.1% क तुलना म वष 2017-18 म 6.5% अनुमा नत है।

                 

भारत क लगभग 69% जनसं या गांव म नवास करती है जसका मु य वसाय कृ ष है।

अथशा य ने पूंजी को आ थक संवृ द (Economic Growth) हेतु सबसे मह वपूण कारक माना है।
भारतीय योजना के अनुसार, “ऊंची उ पादकता तथा आय और रोजगार के बढ़ते ए तर क वा त वक कुंजी
पूंजी नमाण क बढ़ती ई दर है।”

वष तथा उनम ा त सकल घरेलू बचत क दर ((जीडीपी के तशत के प म)) का ववरण न नानुसार है

वष सकल घरेलू बचत क दर

2006-07 34.6%

2007-08 36.8%

2008-09 32.0%

2009-10 33.7%

2014-15 33.1%

2015-16 32.3%


 

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आ थक सतत वकास

सतत वकास सामा जक-आ थक वकास क वह या है, जसम पृ वी क सहनश के अनुसार वकास क
बात क जाती है। यह अवधारणा 1960 के दशक म तब वक सत ई, जब लोग औ ोगीकरण के पयावरण पर
हा नकारक भाव से अवगत ए।
सतत वकास क अवधारणा क शु आत वष 1962 म ई जब वै ा नक रॉकल कारसन ने द साइलट ंग
नामक पु तक लखी।

यह पु तक पय़ावरण, अथ व था तथा सामा जक प के म य पर पर संबंध के अ ययन म मील का प थर


सा बत ई।
वष 1968 म जीव व ान शा ी पॉल इर लच ने अपनी पु तक पशुपालन बम का शत क जसम उ ह ने
मानव जनसं या, संसाधन दोहन तथा पयावरण के बीच संबंध पर काश डाला।

सतत वकास का अथ तथा प रभाषाएं

थायी वकास का अ भ ाय आ थक वकास के साथ-साथ पयावरण को सुर त करना है। इसका उ े य


वतमान और भ व य क पी ढ़य के लए ाकृ तक संसाधन सुर त रखना है। सततशीलता श द को व भ
कार से प रभा षत कया गया है –

1. सततशीलता का अथ एक थ त से है, जो हमेशा के लए बनी रहे।


2. ाकृ तक संसाधन का योग इस कार से है, जससे पयावरणीय असंतुलन न हो तथा कृ त का उ पादन
मता से अ धक शोषण न हो।

सतत वकास क अवधारणा आ थक वकास नी तय को पयावरण के अनु प बनाने पर जो दे ती है। इसका


उ े य पयावरण के व द चलने वाली वकास नी तय मे बदलाव लाना है।

सतत वकास क सबसे अ छ प रभाषा बे टलैड आयोग ने अपनी रपोट अवर कॉमन यूचर (1987) म द ।
उसने सतत वकास को ऐसा वकास कहा जो भ व य क पी ढ़य क आव यकता क पू त से बना समझौता
कए बना क आव यकताएं पूरी करता है। इस रपोट म कहा गया है क वकास हमारी आज क ज रत को
पूरा करे, साथ ही आने वाली पी ढ़य क ज रत क भी अनदे खी न करे।
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सतत वकास का उ े य

सतत वकास के कुछ रगामी तथा ापक उ े य ह जो जा त, धम, भाषा तथा े ीय बंधन से मु ह। ये
उ े य शोषणकारी मान सकता क जंजीर से अथ व था क मु हेतु ऐसा अ धकार प है, ज ह ने रा क
जैव संपदा को न होने से बचाया है, सं ेप म ये उ े य न न ह –

पृ वी के ाकृ तक संसाधन को पयोग से बचाना

ऐसी नई वै ा नक तकनीक क खोज हो, जो कृ त के नयम के अनु प काय कर।

व वधता क र ा करना तथा वकास क नी तय मे थानीय समुदाय को श मन करना

शासन क सं था का वके करण करना और उ ह अ धक लचीला, पारदश तथा जनता के त उ रदायी


बनाना

ऐसी अंतररा ीय सं था क योजना बनाना जो नधन दे श क आव यकता को समझकर बना उनके


पयावरण नुकसान प ंचाए, उनके वकास म मदद कर, अ धकांश लोग के जीवन- तर को समानता तथा याय के
अनु प बनाना।
व के सभी रा म शां तपूण सह-अ त व को बढ़ाना, य क केवल शां त ही मानवता के ापक हत क
र ा सु न त करती है।

सतत वकास एक मू य आधा रत आवधारणा है, जो पर पर सह-अ त व तथा सभी के लए स मान जैसे
आदश क मांग करता है। यह एक नरंतर वकास या है जो सां कृ तक, सामा जक, आ थक, राजनी तक
तथा पयावरणीय घटक म सामंज य पर आधा रत है।

धारण मता या वहन मता का ता पय कसी वशेष संसाधन ारा अपने भीतर जीव क अ धकतम सं या को
बनाए रखने क मता से है। अतः इसके अंतगत वतमान क आव यकता को पा र थ तक तं के साम य से
समझौता कए बगैर पूरा कया जाता है।

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मानव पूंजी को भी अ य के समान ही माना गया है। मानव पूंजी म बढ़ता आ व नयोग उ पादकता म
वृ द क ओर ले जाएगा। जसका मक व तार न नवत है –
ृ द ए ह

कुशलता म वकास

संसाधन का समु चत योग


उ पादकता म वृ द

समावेशी वकास का आशय समाज के सभी वग तक संसाधन एवं सु वधा क प ंच से है।

समावे शत वकास ((Inclusive


Inclusive Growth) सम ता के साथ वकास क ब आयामी अवधारणा है। इसम
बु नयाद सु वधा म सुधार के साथ श ा, वा य और रोजगार के बेहतर अवसर क   उपल धता प रल त
होती है। इसके साथ गरीबी को कम कया जाना इसका मुख आयाम है। केवल रा ीय आय क ऊंची वृ द दर
के समावे शत वकास के बढ़ने क आशा नही क जा सकती है।

नीमराणा राज थान के अलवर जले म अव थत है। यहां पर कए गए लगभग सभी वकास काय टकाऊ
आ थक वकास के मॉडल पर आधा रत ह।

वष 2011-12 के आ थक सव ण म पहली बार धारणीय वकास और जलवायु-प रवतन का नवीन अ याय


जोड़ा गया था।
आ थक वकास से संबं धत जनां कक य सं मण क चार चरणीय मुख व श ताएं होती ह –

थम चरण म रा य वकास क न न थ त के कारण ज म दर उ च होने के साथ मृ यु दर भी उ च बनी रहती है


य क वा य सेवा का अभाव रहता है।

तीय चरण म वकास कुछ आगे बढ़ता है और वा य सेवा म सुधार होता है। अतः ज म दर उ च होने के साथ
मृ यु  दर म कमी आती है।

तृतीय अव था मे रा य जब वक सत हो जाता है,  तो श ा, वा य एवं रोजगार म अभूतपूव वृ द होती है। अतः


लोग अ य धक जनसं या के त सचेत हो जाते ह और घर का साथ-साथ दे श संसाधन के हसाब से जनसं या
बढ़ता ह। इस कार न म दर के के साथ, न न मृ यु दर क अव था आती है।

चौथी अव था म जनसं या थरता क थ त आ जाती है।

समावेशी शासन से ता पय है क समाज के सभी वग को समान प से शासन के ारा द सु वधाएं दान क


जाएं। सभी जल क भावशाली जला स म तय क थापना करना, जन- वा य पर सरकारी य म बढ़ो री
करना तथा म या भोजन योजना को सश करण दान करना समावेशी शासन के अंग ह। गैर-ब कग व ीय
कंप नय को ब कग करने क अनुम त दान करने को समावेशी शासन का भाग नही माना जा सकता है।

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कृ ष एवं संबंध े

मह व

कृ ष भारतीय अथ व था क रीढ़ मानी जाती है।


आज भी भारतीय कृ ष भारत क सकल रोजगार का आधा, सम रा ीय आय म लगभग 1/6 भाग (15-18%)
अंतररा ीय ापार म लगभग 18 तशत (आयात म लगभग 6% तथा नयात म लगभग 12%) का योगदान
करती है।

यह दे श क अ धकांश जनसं या क आ य थली है।


वष 2016-17 म कृ ष म लगभग 6.3 तशत क वृ द दज क गई तथा वष 2017-18 म यह 3.0 तशत
अनुमा नत है।

वष 2017-18 म सकल खा ा उ पादन 277.4 म लयन टन रहा, जब तक का सवा धक रकॉड है।

इसम से 111 म. टन चावल तथा 97 म लयन टन गे ं का उ पादन आ है।

भारतीय कृ ष क वशेषताएं

भारतीय कृ ष अभी भी काफ पछड़ी अव था म है। आज भी कसान अवै ा न क व ध से कृ ष कर रहे ह।

भारत म कृ ष क उ पादकता (उ पादन त हे टे यर) काफ कम है।

भारत म कृ ष म बड़ी मा ा म छ बेरोजगारी पाई जाती है, जो कसान मे गरीबी के मुख कारण मे से एक
है।

आज भी भारतीय कृ ष म अ न तता ा त है जस कारण मौसम अ छा होने पर फसल अ छ होती है, जब क


मौसम के तकूल होने पर फसल भी खराब हो जाती है।

छोट जोत भी भारतीय कृ ष क मुख वशेषता है।

सकल जोत का 67.1 तशत सीमांत जोत (1 हे टे यर से कम) से कम है तथा 17.9 तशत एक से हो हे टे यर
क लघु जोते ह।

 इस तरह लगभग 85 तशत जोत 2 हे टे यर से कम ह।


.स.. भारत म जोत   वतरण तशत

1.     सीमांत  जोत (0-1 हे टे यर) 67.1%

2.     लघु जोत (1-2 हे टे यर) 17.9%

3.     म यम जोत (2-10 हे टे यर) 14.2%

4.     वृहद जोत (10 हे टे यर से अ धक) 08%

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भारत म भू म सुधार

वतं ता के बाद भू म बंदोब त व था को सुधारने तथा कसान के हत को संर त करने एवं उ ह कृ ष हेतु
े रत करने कए अध नयम बनाकर भू म सुधार काय म लाए गए।

उ े य

1. ऐसे भू-संबंध वक सत करना जहां खेती करने वाले ही वा त वक मा लक हो।

2. भू- व था म सम त बाधा को र करना जससे शोषण क सके।

काय

1. म य थ का उ मूलन – इसके तहत जम दारी या उस जैसी सभी व था को समा त कर दया गया तथा
भू म के संबंध म कसान का सीधे सरकार मे संपक आ।
2. का तकारी सुधार – इसके अंतगत लगान का नयमन कया गया, का त आ धका रय को संर त कया गया
तथा का तकार को भू म का मा लकाना हक दया गया।

3. कृ ष का पुनगठन – इसके अंतगत कृ ष भू म पुन वतरण कया गया। अ धकतम भृ-धारकता का नधारण कर
अतर भू म, भू महीन म बांट द गई।

अतर चकबंद के माधमय से छोटे -छोटे चक को मलाकर बड़े चक बनाए गए, जससे उन पर वै ा नक कृ ष
क जा सके।
इस काय म के अंतगत सरकारी कृ ष को भी ो सा हत कया गया।

ह रत ां त

ह रत ां त भारत म कृ ष उ पादन एवं उ पादकता म ती वृ द लाकर भारत को खा ा े म आ म नभर


बनाने हेतु अनेक काय म का एक समु चय था।

मै सक के एक वै ा नक नॉमन बोरलॉग ने बीज पर अनुसंधान कर अ धक उ पादकता वाले बीज (HYV) क


खोज क ।

इन बीज को उ चत सु वधाएं एवं संर ण मलने पर इनसे काफ अ धक मा ा म उ पादन ा त कया जा सकता
था।

इसी कारण बोरलॉग को ह रत ां त का जनक माना जाता है।

भारत म ह रत ां त के जनक माने  जाने वाले एम.एस. वामीनाथन ने मै सक क   प द त को भारत म भी


अपनाने पर बल दया तथा भारतीय कृ ष को आ म नभर बनाने क न व रखी।

ह रत ां त  एक पैकेज काय म था, जसके अंतगत उ च उ पादकता वाले बीज (HYV) को उवरक एवं
सचाई के मा यम से पोषण दया गया तथा क टनाशक के मा यम से इसे संर त कया गया.
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इसके अ त र कृ ष को आधु नक एवं वै ा नक बनाने हेतु कृ ष म मशीनीकरण को भी बढ़ावा दया गया।

ायो ग क तौर पर वष 1960-61 म गहन कृ ष जला काय म के तहत इसे अपनाया गया तथा 1966 से इसे पूरे
दे श म लागू कया गया।

तीय ह रत ां त म फसल के दायरे तथा े म वृ द के साथ-साथ कृ ष प द त को संपोषणीय बनाने हेतु


काब नक कृ ष को अपनाने पर जोर दया गया है।

इसम पूव उ र भारत स हत अनेक ऐसे े पर फोकस कया गया है जहां संभा ता तो है, परंतु ह रत ां त
ी ो ई ी
सफल नही हो पाई थी।

इसम दलहन जैसी फसल के उ पादन पर भी फोकस कया गया है।

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कृ ष व

कृ ष व क आव यकता अलग-अलग सम या के लए होती है।

अ प अव ध म कृ ष आगत (Inputs) के लए अ पव ध ऋण, (15 माह से कम) सशीन आ द खरीदने हेतु


म यव ध ऋण (15 माह-5वष हेतु) तथ भू म थायी सुधार करने, बड़ा नवेश करने आ द जैसी ज रत के लए 5
वष से अ धक के लए द घका लक ऋण क   आव यकता होती है।

कृ ष व के ोत

1. सं थागत ोत

सं थागत ोत म कृ ष व क सव च सं था कृ ष एवं मीण वकास बक (नाबाड) है।

इसक थापना 1982 म क गई थी। यह य तौर पर ऋण न दे कर कृ ष ऋण दे ने वाली सं था का


व नयमन करती है.

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2. गैर-सं थागत ोत

महाजन/सा कार, म /संबंधी जम दार, ापारी आ द।


वतं ता के समय इनक भू मका काफ अ धक थी।

कृ ष व के सं थागत ोत म वा ण यक बक, े ीय ामीण बक, सहकारी बक तथा सरकार ह।

वष 2016-17 मे कृ ष म सवा धक योगदान वा ण यक बक (69%) का है।

इसके बाद शीष थान सहकारी बक (17.5%) एवं े ीय मीण बक (13.5%) का थान है।

े ीय ामीण बक

े ीय ामीण बक क थापना वष 1975 से शु ई।

इन बक म 50% पूंजी के सरकार क , 35 तशत पूंजी कसी वा ण यक बक (Sponser Bank) तथा 15


तशत संबं धत रा य सरकार क लगी होती है।

यह ामीण व हेतु सम पत सं थान है।

सहकारी बक

सहकारी बक तीन तरीय होती है –

1. रा य तर पर –   रा य सहकारी बक

2. जले तर पर –   के य सहकारी बक

3. थानी तर पर – ाथ मक सहकारी साख संगठन

रा य सरकारी बक उपभो ा से सीधे जुड़े नह होते ह, ब क यह शेष दोन तर के बक का व नयमन करते


ह तथा इनका पुन व पोषण करते ह।

नोट-- कृ ष म द घकालीन ऋण भू म वकास बक ारा दया जाता है।

रा ीय कृ ष बाजार योजना कसान को उनक उपज का बेहतर मू य दलाने तथा कृ ष जस के पारदश ापार
को सु न त करने हेतु बनाई गई है। इसके इले ॉ नक पोटल (e-NAM) का शुभारंभ 14 अ ैल, 2016 को
धानमं ी नरे मोद ारा कया गया। यह एक एक अ खल भारतीय इले ॉ नक े डग पोटल है, जो नवतमान
कृ ष उपज वपणन स म तय (APMCs) को एक कृत कर कृ ष जसो हेतु एक कृत रा ीय बाजार का सृजन
करता है। इले ॉ नक ापार होने के कारण कसान को उनके उपज क गुणव ा के अनु प त पध
(बेहतर) मू य ा त होता है।

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रा ीय मृदा वा य काड योजना (SHCS) का शुभारंभ 19 फरवरी, 2015 को धानमं ी नरे मोद ारा
 राज थान के सूरतगढ़ से व थ धरा, खेत हरा, नारे के साथ कया गया था। इसका उ े य कसान को उनक
भू म क गुणव ा के वषय म जाग क कर उ ह उवरक के अ त- योग (अनाव यक योग) से रोकना तथ कृ ष
को अ धक उ पादक, धारणीय तथा पयावरण के त लोचशील बनाना है।

धानमं ी चौधरी चरण सह ने नेह के सो वयत शैली से आ थक वकास का वरोध कया। चौधरी चरण सह
का वचार था क सहकारी फाम भारत म सफल नही हो सकते ह। अतः चरण सह को भारत म सहकारी कृ ष
का समथक नह माना जाता है।
भारत म आजाद के समय एक ऐसी कृ ष व था मौजूद थी जसम भू म का वा म व कुछ हाथ म के त था।
अतः दे श को समृ द बनाने हेतु भू म सुधार को अ त आव यक माना गया तथा इस हेतु जम दारी था का
उ मूलन, भू म जोतो क अ धकतम सीमा का नधारण एवं का तकारी सुधार के काय म अपनाए गए।

भारत म नीली ां तत ((Blue


Blue Revolution) म य पालन से संबं धत है। कृ ष एवं संबं द े से
संबं धत अ य ां तया न न ल खत ह –

ह रत ां त   –   खा उ पादन

ेत ां त    –   ध उ पादन

भूरी ां त    –   उवरक उ पादन

पीली ां त   –   तलहन उ पादन

लाल ां त    –   मांस/टमाटर उ पादन

गुलाबी ां त  –   झ गा/ याज उ पादन

काली ां त   –   क चा तेल उ पादन

भारत म सीमांत जोत (Marginal Land Holding) का आकार 1 हे टे यर से कम है। लघु जोत का आकार 1-
2 हे टे यर, उप- म यम जोत का आकार 2-4 हे टे यर, म यम जोतो का आकार 4-10 हे टे यर तथा बृहद् जोतो
का आकार 10 हे टे यर या इससे अ धक होता है। भारत म सकल जोत म 67 तशत सीमांत जोत, 18 तशत
लघु जोत, 10 तशत उप- म यम जोत, 4 तशत म यम जोत तथा 1 तशत से भी कम बृहद जोते ह।

ताज नकलने क अव था गे ं क सचाई हेतु अ त ां तक अव था होती है। य द कसी कसान को एक सचाई


क सु वधा उपल ध हो, तो उसे इसी अव था म सचाई करने क सलाह द जाती है।

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सामुदा यक वकास (Community Development) काय म अमे रक सं था फोड फाउंडेशन क सहायता


से भारत म वष 1952 से ारंभ कया गया तथा इसक शु आत करने वाला भारत व का थम दे श था। एक
आ म नभर, आ थक एवं सामा जक से यायपूण सामा जक व था कायम करना सामुदा यक वकास का
ल य रहा है।

गत प से कसान को आवं टत भू म रै यतवाड़ी णाली, बड़े सामंत को आवं टत भू म जागीरदारी


णाली, मालगुजारी के इजारेदार अथवा तहसीलदार को आवं टत भू म जम दारी णाली तथा ा य तर पर
क गई भू-राज व व था महालवाड़ी णाली कहलाती है।

कपास क फसल के लए सव म म काली म है, जो भारत के गुजरात, महारा , पंजाब तथा आं दे श म


सवा धक पाई जाती है।

ामीण नधनता कृषक को कृ ष म उ त तकनीक के नवेश को हतो सा हत करती है। कृ षरत अ धकांश
भारतीय जनता शहर के बजाय गांवो म नवास करती है। अतः शहरी नधनता का कृ ष वकास पर भाव अ प
या नग य है जब क शहर मे गांव क ओर पलायन सवथा अस य है।

ौ ो गक य ग त दो कार क होती है –

1. म बढ़ाने वाली ौ ो गक य ग त

2. पूंजी बढ़ाने वाली ौ ो गक य ग त।

कृ ष उ पादन म का के हल के थान पर इ पात के हल का उपयोग पूंजी भढ़ाने वाली ौ ो गक य ग त


(Capital Augmentation) क इं गत करता है। उ त पूंजी संवधन ग त मौजूदा पूंजीगत व तु के अ धक
उ पादक उपयोग पर बल दे ता है।

वष 2011 क जनगणनानुसार, उ र दे श म कृ ष े म सवा धक (59.3%) कमचारी नयो जत ह। दे श के


कुल क मय म कृषक 29.0% जब क कृ ष मक 30.3% है।
नकद फसल वो फसल होती ह, जनका उ पादन वा ण यक उ े य से कया जाता है न क उपभोग के उ े य
से। वार को मोटे खा ा फसल के अंतगत ेणीब द कया जाता  है।

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आ थक समी ा भारत सरकार, भारत क मुख फसल म न न कार द शत करता है –
खा ा फसल ((या खा फसल))

1. चावल, गे ं, म का, मोटे अनाज


2. दलहन

गैर-खा ा फसल ((नकद फसल))

1. तलहन – मूंगफल रैपसीड और सरस

2. रेशेदार – कपास, जूट, मे ता

3. बगानी फसल – चाय, कॉफ , रबड़


4. अ य – ग ा, तंबाकू, आलू।

वशेष कृ ष ाम उ ोग योजना का मु य उ े य कृ ष नयात को ो सा हत करना है।

वष 1999-2000 के रबी मौसम से ारंभ रा ीय कृ ष बीमा योजना को वष 2004-05 के बजट से खऱीफ


फसल पर भी लागू कया गया।

भारत म फसल बीमा हेतु थम यास 1 अ ैल 1985 को खरीफ के दौरान कया गया जब भारत सरकार ारा
ापक फसल बीमा योजना (CCIS: Comprehensive Crop Insurance Scheme) का शुभारंभ कया
गया था।

कसान बही योजना उ र दे श म वष 1992 म लागू क गई थी।

के य कृ ष मं ालय ारा अ ैल, 1985 से ारंभ ापक फसल बीमा योजना क जगह पर रबी मौसम 1999-
2000 से रा ीय कृ ष बीमा योजना ारंभ क गई थी। इस योजना का मु य उ े य सूखा, बाढ़, ओला वृ ,
च वात, आग, क ट/बीमा रय तथा ाकृ तक आपदा आ द से फसल क ई त से कृषक को संर ण
दान करना था। वतमान म धानमं ी फसल बीमा योजना ने इसे त था पत कर दया है।

व रत सचाई लाभ काय म वष 1996-97 म ऐसे रा य को ऋण सहायता उपल ध कराने के लए शु कया


गया था जनक अधूरी वृहद/म यम सचाई प रयोजनाएं पूरी होने के अ म चरण म थी। के ारा ायो जत
कमांड े वकास काय म क शु आत वष 1974-75 म सचाई संभा ता का द उपयोग करने के लए
कया गया था।

आठव पंचवष य योजना हेतु आयोग ारा भारत को 15 कृ ष जलवायु दे श म वभा जक कया गया था।

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रा ीय कृ ष वकास योजना 16 अग त, 2007 से संचा लत है जो व वष 2007-08 के अंतगत है। इस हेतु


11व पंचवष य योजना म 25000 करोड़ . य क रा श सु न त क गई थी। इस योजना के अंतगत रा यो
को अ त र के य सहायता 100% अनुदान के प म ा त होगी।

रा ीय हॉट क चर मशन (NHM) एक के ायो जत योजना है। इसे वष 2005-06 (5 मई, 2005 से) मे
दसव योजना के दौरान ारंभ कया गय था। इस योजना का उ े य भारत म बागवानी े का सम वकास
तथा उ पादन म वृ द करना है। रा ीय बागवानी मशन का ल य वष 2011-12 तक दे श म बागवानी उ पादन को

300 म लयन टन तथा इसके तहत बुवाई े को 40 लाख हे टे यर करना था। भारत म बागवानी उ पादन को
बढ़ावा दे ने के लए वष 2012 को बागवानी वष (Year of Horticulture) भी घो षत कया गया था।

रा ीय बागवानी मशन (NHM) वष 2005-06 से दे श म या वत कया जा रहा है। वतमान थ त –


Statistical Year Book, 2015 के अनुसार, पूव र व हमालयी रा य ( स कम, ज म-क मीर, हमाचल
दे श तथा उ राखंड) के अलावा सभी रा य  और तीन के शा सत दे श ( अंडमान और नकोबार पसमूह,
ल प और पुडुचेरी) NHM म शा मल ह।

लघु कृषक- वकास एजसी ो ाम वष 1971 से दे श के 1818 वकास खंडो म आरंभ क गई। यह काय म छोटे
और सीमांत कसान के मू यांकन एवं अ ययन के लए ारं भक तौर पर असम के काम प जले म आरंभ कया
गया था।
स जय का सवा धक उ पादन करने वाला दे श चीन है। चीन के बाद सरा थान भारत तथा तीसरा थान
अमे रका का है।

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भातर ारा आया तत मुख दाल न न ह –


दाल मा ा ((वष – 2015-16 म हजार मा ा ((वष 2015-15 म हजार टन
) )
टन म)) म))

मटर 2245.39 3172.75

चना 1031.48 1080.63

मूंग/उड़द 581.60 573.90

मसूर 1260.19 829.44

अरहर ((तूर) 462.71 703.54

वष 2010-11 क थ त के अनुसार, कृ ष उ पाद का नयात मू य इस कार था – क ची कपास (2910


म लयन डॉलर),चावल (2545 मल.डॉलर), चाय (736 म. डॉलर) एवं कहवा (662 म. डॉलर)।

वतमान थ त ((आ थक समी ा वष 2017-18 के अनुसार वष 2016-17 म)) –

कॉफ /कहवा 843 म. डॉलर

चावल 5734 म.डॉलर

क ची कपास 1621 म. डॉलर

ट एंड मेट (Mate) 731 म. डॉलर

खली 805 म. डॉलर

मसाले 2852 म. डॉलर

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रेशम के ात सभी 5 ापा रक क म का एकमा उ पादक दे श भारत है। रेशम क ये 5 े णयां इस कार ह –

1. मलबेरी (Mulberry)

2. ॉ पकल टसर (Tropical Tasar)

3. ओक टसर (Oak Tasar)

4. इरी (Eri)

5. मूगा (Muga)

रेशम उ पादन म चीन का थम एवं भारत का तीय थान है। भारत, व म रेशम का सबसे बड़ा उपभो ा दे श भी
है। मलबेरी रेशम का उ पादन कनाटक, आं दे श, त मलनाडु , ज मू-क मीर एवं प. बंगाल रा य म जब क गैर-
मलबेरी रेशम का उ पादन झारखंड, छ ीसगढ़, ओ ड़शा एवं उ र पूव रा य म ब तायत से होता है।

20व दशक के ारंभ म भारत म सहकारी कृ ष क दशा म ारं भक यास आरंभ ए। वतं ता के उपरांत
ारं भक वष म सहकारी कृ ष को बढ़ावा दे ने का वशेष यास कया गया। सहकारी कृ ष उ पादकता म वृ द
करती है। इस कार सहकारी कृ ष भारतीय कृ ष क न न उ पादकतात का कारण नही है।

रा ीय खा सुऱ ा मशन अ टू बर,, 2007 म ारंभ कया गया था। मशन के न न उ े य ह –

1. दे श के अ भ ात जल म े व तार और सतत री त से उ पादकता वधन के मा यम से धान, गे ं और दलहन


के उ पादन म बढ़ो री।

2. मृदा उ पादकता और उवरता का संर ण।

3. खेत के तर पर आ थक लाभ को बढ़ाना, ता क कसानो म आ म व ास पैदा हो सके।

रा ीय बागवानी मशन का उ े य बागवानी े म ऊंची संवृ द ा त करना, श यो र व था करना तथा


संसाधन का वकास करना है।

कृ ष मक सामा जक सुर ा योजना को 1 जुलाई, 2001 से ारंभ कया गय था। यह योजना जीवन बीमा
ी ो ी ै
सुर ा, एकमु त जीवन लाभ तथा कृ ष मज र को पशन लाभ उपल ध कराती है।
रा ीय खा सुर ा मशन (NFSM: ारंभ वष 2007-08 रबी सीजन से) एक के ायो जत योजना है जसे
वष 2011-12 तक (11व पंचवष य योजना के अंत तक) गे ं, चावल और दलहन का मशः 10, 8 और 2
म लयन टन अ त र उ पादन (कुल 20 म लयन टन खा ा का अ त र उ पादन) ा त करने के ल य के
साथ ारंभ कया गया था। वतमान थ त – आ छा दत फसल – चावल , गे ं, दलहन, मोटे अनाज व वा ण यक
फसल, 4 म लयन टन दलहन और 3 म लयन टन मोटे अनाज समेत कुल 25 म लयन टन अ त र खा ा
उ पादन का ल य है।

पीत या पीली ां त (Yellow Revolution) का संबंध तलहन उ पादन से है। इस ां त क शु आत ‘भारतीय


कृ ष अनुसंधान प रषद‘ (Indian Council of Agricultural Research) ारा चलाए गए तलहन पर
तकनीक मशन (Technology Mission on Oilseeds) से वष 1986 मे ई। इस मशन के ारंभ से
वभ तलहन म 25% से लेकर 420% तक क वृ द दर अं कत क गई है। वष 2005-06 म भारत म
तलहन का कुल उ पादन 27.98 म लयन टन रहा था। अग त, 2018 म जारी चतुथ अ म अनुमान के अनुसार
वष 2017-18 म तलहन उ पादन 31.31 म लयन टन अनुमा नत है।

अमे रक वै ा नक नॉमन ई. बोरलॉग को ह रत ां त का जनक (Father of Green Revolution) माना


जाता है। इ ह वष 1970 म शां त का नोबेल पुर कार (Nobel Prize for Peace) दया गया था।

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भारत म ह रत ां त का ारंभ वष 1966 से माना जाता है। भारत म ह रत ां त लाने म कृ ष व व ालय,


पंतनगर का मह वपूण योगदान रहा है इस लए इसे ह रत ां त क ज म थली भी कहा जाता है।
भारत म ह रत ां त (1966) के जनक कृ ष वै ा नक एम.एस. वामीनाथन थे जब क त कालीन धानमं ी
इं दरा गांधी एवं त कालीन क य कृ ष मं ी सी. सु यम क भू मका भी इसमे अ यंत अहम रही।

भारत म वग ज कु रयन के नेतृ व म ध वसाय के वकास के लए वष 1970 म ऑपरेशन लड नामक


अ भयान चलाया गया। अब तक ऑपरेशन लड-1 (1970 से माच, 1981 तक), ऑपरेशन लड-2 (अ ैल,
1981 से माच, 1985 तक), ऑपरेशन लड-3 (अ ैल, 1985 से माच, 1995 तक), ऑपरेशन लड-3 (अ ैल,
1995 से माच, 2000 तक) पूरे हो चुके ह। ऑपरेशन लड एक सफल काय म स द आ। जसके
प रणाम व प ध उ पादन म भारत व म थम थान ा त कर चुका है।

सावज नक वतरण णाली (Public Distribution System) के मा यम से सरकार गरीब प रवार को


उ चत मू य पर खा ा उपल ध कराती है। PDS से जारी खा ा पर सरकार स सडी दान करती है। PDS
ार जारी खा ा क क मत बाजार क मत क अपे ा कम होती ह। अतः य द सरकार PDS से वत रत
अनाज क क मत म वृ द करती है, तो इसका सीधा भाव यह होगा क PDS पर द जाने वाली स सडी
(उपादान) का भार कम होगा।

ह रत ां त क यह अलोचना क जाती है क इसका लाभ कुछ वशेष े ो एवं बड़े कसान को ही मला है।
पुनः ह रत ां त म मोटे अनाज क अपे ा कर  गे ,ं चावल एवं कुछ नकद फसल के उ पादन को बढ़ाने पर ही
यान के त कया गया। खा ा क क मत मा थम पंचवष य योजना क अव ध को छोड़कर नरंतर बढ़ती
रही है जसम यूनतम समथन मू य (Minimum Support Price) म वृ द का मुख योगदान रहा है।
खा ा क क मत वृ द क अपे ा समाज के न न आय वग के लोग क आय म कम वृ द ई है। अतः वष

1950-90 क अव ध म खा ा म लगभग तीन गुनी वृ द के बावजूद भारत को अभी भी भूख से मु ात


नही हो सक है।

जै वक खेती या ऑग नक फा मग एक ऐसी उ पादन णाली है जो मृदा, पा र थ तक तं और लोगो के वा य


के अनुकूल होती है।

नयात हेतु आम क पसंद दा जा त अ फांजो या अ फांस है। भारत म इसका मुख उ पादक रा य महारा
है।

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कृ ष व के मुख स दांत ह – उ े य, , उ पादकता नयोजन, संगठन आ द।


कसी फाम के चल लागत पूंजी मे भू म राज व शा मल नही होगा जब क बीज, उवरक तथा सचाई जल इ या द
इसक चल लागत पूंजी म शा मल ह गे। य क ये सभी कृ ष आगत मे शा मल ह।

सरकार अ ध ा त मू य या वसूली मू य (Procurement Prices) पर कृषक से कृ ष उपज का य करती


है। अ ध ा त मू य सामा यतः यूनतम समथन मू य (MSP) से ऊंचे होते ह।

कृ षगत उपज क क मत पर सरकार को सलाह दे ने के उ े य से वष 1965 म कृ ष मू य आयोग क थापना


क गई थी। वष 1985 म कृ ष मू य आयोग का नाम बदलकर कृ ष लागत और मू य आयोग कर दया गया।
इसका मु यालय नई द ली मे है। ात है क सै दां तक प से सरकार इसक सलाह के म े नजर ही कृ षगत

उ पाद के यूनतम समथन मू य क घोषणा करती है, परंतु सरकार इसक सं तु तय को मानने के लए बा य
नही है।
ह ह

कृ ष लागत एवं मू य आयोग ((CACP:


CACP: Commission for Agricultural Coast and Price) न न
क मत क घोषणा करने का सुझाव दे ता है –

1. यूनतम समथन क मत ((Minimum


Minimum Support Price) – MSP वे क मत ह जन पर सरकार कृ ष उ पाद
को खरीदने को तैय़ार रहती है। MSP यह सु न त करता है क कृ ष उ पाद क क मत यूनतम समथन क मत
से नीचे नही जाएगी। MSP कृषक के सुर ा (क मत संबंधी) उपल धता कराता है तथा यह कृ ष मू यो का
थरीकरण सु न त करता है।
2. वसूली क मत ((Procurement
Procurement Price) – वसूली क मत वह क मत ह जस पर सरकार कृषक से कृ ष उपज
का य करती है। वसूली क मत सामा यतया MSP से ऊंची होती ह।

3. जारी क मत ((Issue
Issue Prices) – इस क मत पर सावज नक वतरण णाली के मा यम से फूड कॉप रेशन ऑफ
इं डया (FCI) खा ा क ब करता है। MSP जहां कृषक के हत क र ा करता है, वह जारी क मत
उपभो ा के हत का संर ण करती ह।

कृ ष लागत और क मत आयोग ((CACP)


CACP) वतमान म MSP के अंतगत कुल 25 फसल के मू य क
घोषणा करता है। रा ीय खा सुर ा मशन (NFSM: National Food Security Mission) के
सरकार ारा व पो षत योजना है, जो चावल (Rice), गे ं (Wheat) और दाल (Pluses) के उ पादन क
वृ द से संबं धत है। वतमान मे इसके अंतगत मोटे अनाज क भी शा मल कर लया गया है। इसका या वयन
कृ ष मं ालय ारा कया जाता है। इस मशन का ारंभ वष 2007-08 म आ था।

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रा ीय कृ ष अनुसंधान बंध अकादमी ((NAARM:


NAARM: National Academy of Agricultural
Research Management) हैदराबाद मे थत है।
भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान सं थान ((Indian
Indian Grass Land and Fodder Research
Institute) झांसी म थत है।

नी -मी ((जल और आप)) जल सं हण काय म भारत के आं दे श रा य म वष 2000 म ारंभ कया गया


था।

के य खा ौ ो गक अनुसंधान सं थान ((CFTRI:


CFTRI: Central Technological Research
Institute) मैसूर म थत है।

वष 1960 म था पत जी.बी. पंत कृ ष एवं ौ ो गक व व ालय भारत का थम कृ ष व व ालय है जो


पंतनगर, उ राखंड म थत है।

कृ ष उ पाद क मांग थायक वहीन (Inelastic Demad: लोचहीन मांग) होती है। इसी कारण अ य धक
पैदावार क थ त म कसान के लए क मत व उनक कुल आय (Total Revenue) पर वपरीत भाव पड़ता
है।

सुनहला चावल (गो डन चावल) औ रजा सै टवा चावल क एक क म है जसे बीटा-कैरो टन, जो खाने वाले
चावल म ो- वटा मन ए उपल ध कराता है, के जैव सं ेषण के लए जेने टक इंजी नय रग के ारा बनाया जाता
है।

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भारतीय रा ीय कृ ष सहकारी वपणन संघ (National Agricultural Cooperative Marketing


Federation of India: NAFED) कृ ष वपणन से संबं धत है, जसक थापना 2 अ टू बर, 1958 को क
गई थी। यह रा ीय तर पर एक शीष सहकारी संगठन है, जसका काय चुनी ई कृ ष व तु का बंधन,
वतरण, नयात तथा आयात करना है।

उ र दे श कृ ष अनुसंधान प रषद ((UP


UP Council of Agricultural Research) लखनऊ म थत है।
इसक थापना वष 1989 म ई थी।
भारतीय स जी अनुसंधान सं थान ((Indian
Indian Institute of Vegetable Research: IIVR) वाराणसी म
थत है।

हड बुक ऑफ ए ीक चर भारतीय कृ ष अनुसंधान प रषद ((ICAR)


ICAR) से का शत होती है।
भारत के अ धकतर भाग म कृ ष उ पाद के बाजार को रा य ारा अ ध नय मत कृ ष उ पाद वपणन स म त
अ ध नयम (APMC Acts) के अधीन वक सत एवं संचा लत कया जाता है।

रा ीय भू म अ भलेख आधु नक करण काय म (NLRMP) अग त, 2008 म ारंभ कया गया था।

कसान े डट काय योजना का ारंभ वष 1998-99 म कया गया था। इस योजना का उ े य ब कग व था से


कसान को समु चत और यथासमय सरल एवं आसान तरीके से आ थक सहायता दलाना है ता क खेती एवं

ज री उपकरण क खरीद के लए उनके व ीय आव यकता क पू त हो सके।

भारत सरकार के क ष एवं सहका रता वभाग ारा रेनफेड ए रया डेवलपमट काय म वष 2011-12 म ारंभ
भारत सरकार क कृ ष एव सहका रता वभाग ारा रनफड ए रया डवलपमट काय म वष 2011-12 म ारभ
कया गया। यह रा ीय कृ ष वकास योजना (K.V.Y.) के अंतगत एक उपयोजना है। इसका मु य उ े य
कसान के तर म सुधार लाना है।

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उ ोग े

उ ोग एवं नई आ थक नी त

वतं ता के बाद वष 1948 तथा 1956 क औ ो गक नी त म उ ोग पर सरकार का नयं ण बनाए रखा गया,
परंतु कालांतर म उ ोगो म अ य ता के कारण इनके बंधन म सरकारी ह त ेप क कमी क ज रत महसूस
क जाने लगी।

कालांतर म इसम कुछ ढ ल द गई तथा अंतः वष 1991 म नई आ थक नी त जसके तहत नजीकरण,


उदारीकरण तथा वै ीकरण को अपनाया गया।

नजीकरण

इसके तहत सरकार सावज नक वा म व को कम करती है तथा अपनी ह सेदारी नजी य को बेच दे ती है।

इसे व नवेश (Disinvestment) कहा जाता है।

उदारीकरण

इसके तहत सरकार ारा सरकारी नरी ण एवं नयं ण म कमी क जाती है तथा नयम को सरल एवं उदार
बनाया जाता है।

इं पे टर राज क समा त लाइस सग क समा त या उसके नयम म छू ट आ द उदारीकरण के तहत उठाए जाने
वाले कदम ह।

वै ीकरण

यह व के एक करण से संबं धत अवधारणा है, जसके तहत व क सभी अथ व थाएं आपस म जुड़ जाती
ह तथा इनके म य व तु , सेवा , संसाधन , पूंजी आ द का वतं वाह (बाधा र हत) होने लगता है।

नोट-- उदारीकरण, नजीकरण एवं वै ीकरण को ही LPG (Liberalization, Privatization and


Globalization) पॉ लसी कहते ह।
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नई औ ो गक नी त,, 1991

24 जुलाई, 1991 को घो षत ई औ ो गक नी त म उ ोग पर सावज नक नयं ण को श थल करते ए अनेक


उदारीकृत कदम उठाए गए।

1. औ ो गक लाइस सग से मु

इस नी त म 18 मुख उ ोग को छोड़कर शेष सभी उ ोग के लए लाइसस लेने क अ नवायता को समा त कर


दया गया। कालांतर म इसम भी कमी क गई तथा वतमान म केवल, पांच उ ोग (शराव, सगरेट या तंबाकू उ पाद,
खतरनाक रसायन, र ा उपकरण तथा औ ो गक व फोटक) को लाइसस के अंतगत रखा गया है।

2. सावज नक े के मह व म कमी

नई औ ो गक नी त म सावज नक े के लए आर त रखे गए 17 उ ोग को घटाकर 8 कर दया गया। कालांतर


म इसे और भी कम करते ए वतमान मे केवल दो उ ोग (परमाणु ऊजा तथा रेलवे) को सावज नक े के लए
आर त रखा गया है।

3. MRTP प रसंप सीमा क समा त

इस नी त म एका धकार एवं तबंधा मक ापार वहार अ ध नयम के अंतगत आने वाली कंप नय क अ धकतम
प रसंप सीमा को समा त कर दया गया जससे वे अ धक नवेश, वलय एवं अ ध हण कर अपनी उ पादक
ग त व धय को ो सा हत कर सक।

4. इनके अ त र उ ोग के थापना संबंधी नी त म भी सुधार कया गया तथा 10 लाख तक क जनसं या वाले
शहर म उ ोग लगाने हेतु अनुम त लेने क अ नवायता को समा त कर दया गया।

 5. उ ोग म वदे शी नवेश को आक षत करने हेतु य वदे शी नवेश क सीमा एवं शत को उदार बनाने संबंधी
अनेक घोषणाएं क गई।
नोटः वदे शी पूंजी के संबंध म वष 1999 म पूव के कठोर अ ध नयम फेरा (FERA- Foreign Exchange
Regulation Act) के थान पर फेमा (Foreign Exchange Management- FEMA) को लाया गया।
यह अ ध नयम जून, 2000 से भावी आ।

6. नई औ ो गक नी त म सू म लघु एवं म यम उ म के वकास पर भी बदल दया गया। वतमान म सू म लघु एवं


म यम उ म को नवेश के आधार पर इस कार प रभा षत कया गया है –

े सू म लघु म यम

उ ोग े 25 लाख . तक 25 लाख-5 करोड़ . 5-10 करोड़ .

सेवा े 10 लाख . तक 10 लाख-2 करोड़ . 2-5 करोड़ .

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भारत म उ ोग अपनी व क आव यकता क पू त हेतु आंत रक साधन (अंशपूंजी/शेयर के व य, ऋण


प तथा लाभ का पुन नवेश) के अ त र सं थागत ोत से भी करते ह। मुख सं थाएं जो उ ोग का व
पोषण करती ह, न न ल खत ह –

1. भारतीय औ ो गक व नगम ल मटे ड ((IFCI)


IFCI)

थापना – वष 1948 म

    काय –

औ ो गक त ान को द घकालीन एवं म यकालीन ऋण दे ना।


यह औ ो गक उ पादन मता म थायी सुधार हेतु ऋण दे ता है।

यह अ धकतम 25 वष तक के लए ऋण दे ता है।

2. भारतीय औ ो गक साख एवं नवेश नगम ल मटे ड ((ICICI)


ICICI)

थापना – वष 1955 म

काय – नजी े म था पत औ ो गक इकाइय का व पोषण

नोटः वष 2002 से इस सं था का वलय ICICI बक म कर दया गया।

3. भारतीय औ ो गक वकास बक ((IDBI)


IDBI)

थापना – वष 1964 म

काय – औ ो गक उ े य के सभी तर का व पोषण आधारभूत उ ोग को ो साहन।

नोटः अ टू बर, 2004 से इसे वा ण यक बक के प म अ धसू चत कर दया गया है।

4. भारतीय औ ो गक नवेश बक ((IIBI)


IIBI)

वष 1971 म भारतीय औ ो गक पुन नमाण नगम ल मटे ड क थापना कमजोर औ ो गक इकाइय को व ीय


सहायता उपल ध कराने हेतु क गई थी।

वष 1985 म इसे भारतीय औ ो गक पुन नमाण बक म पांत रत कर दया गया।

माच, 1997 म पुनः इसका नाम बदलकर भारतीय औ ो गक नवेश बक रखा गया।

काय – बीमार औ ो गक इकाइय का व पोषण।

5. भारतीय यू नट ट ((UTI)
UTI)

थापना – नवंबर 1963 म

काय – 1 जुलाई, 1964 से इसने यू नट बचकर बचत एक त करने का काय ारंभ कया।

छोट बचत को इक ा कर उससे उ ोग का व पोषण करना।

6. भारतीय लघु उ ोग बक ((SIDBI)


SIDBI)

 थापना – अ टू बर, 1989 म अ ध नयम ारा। अ ैल, 1990 से कायरत

काय – लघ उ ोग को व उपल ध कराना।


काय लघु उ ोग को व उपल ध कराना।

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भारत म सावज नक उ म

नवर न कंप नय

भारत म सावज नक े क 9 चु नदा कंप नय को अ धक नणय म वतं ता दे ने हेतु वष 1997 म इ ह नवर न


कंप नय का दजा दया गया। वतमान म इनक सं या 16 है।

महार न कंप नयां

े दशन करने वाली कंप नय को जो न न मानक को पूरा करती ह, महार न का दजा दे दया जाता है –

1. पछले तीन वष म वा षक नवल लाभ 5 हजार करोड़ हो।

2. कंपनी का नवल मू य 15 हजार करोड़ पये हो।

3. तीन वरष मे औसत प से 25 हजार करोड़ पये का कारोबार कया हो।

4. यह शेयर बाजार म सूचीब द हो।

वतमान म कुल आठ कंप नय को महार न का दजा दया जा चुका है –

1. NTPC

2. ONGC

3. SAIL

4. IOC

5. GAIL
6. BHEL

7. CIL

8. BPCL

नोटः सावज नक े क कुछ कंप नय को मनी र न का दजा भी दया जाता है।

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मुख स म तयां एवं आयोग

स म त//आयोग थापना काय

1.   महालनो बस स म त 1960 आय वतरण का आकलन

2.   खुसरो स म त 1989 कृ ष एवं ामीण साख

3.   दांतेवाला स म त 1969 बेरोजगारी अनुमान

4.   सरका रया आयोग 1983 के रा य संबंध

5.   गोइपो रया स म त 1990 ब कग सेवा सुधार

6.   गो वामी स म त 1990 औ ो गक णता

7.   नर सहम स म त 1991 व ीय सुधार

8.   राजा चेलैया स म त 1991 कर सुधार

9.   जानक रमन स म त 1992 तभू त घोटला

10.                     म हो ा स म त 1993 बीमा सुधार



11.                     भंडारी स म त 1994 े ीय ामीण बक क पुनसरचना
12.                     आ बद सैन 1995 लघु उ ोग
समत

13.                     मीरा सेठ स म त 1997 हथकरघा वकास

14.                     महाजन स म त 1997 चीनी उ ोग

15.                     तारापोर स म त 1997 पये क पूंजी खाते म प रवतनीयता

16.                     सुरेश त लकर 2005 गरीबी आकलन


समत

17.                     स चर स म त 2000 मु लम क सामा जक आ थक एवं शै णक


थ त म सुधार

18.                     पा रख स म त 2013 पे ो लयम उ पाद क मू य णाली

19.                     मालेगाम स म त 2018 ब कग े म बुरे (खराब)  लोन हेतु

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मुख बोड

भारतीय कॉफ बोड बंगलु (कनाटक)

भारतीय बोड को ायम (केरल)

भारतीय चाय बोड कोलकाता (प. बंगाल)

भारतीय तंबाकू बोड गुंटूर (आं दे श)

भारतीय मसाले बोड को च (केरल)

रा ीय अंगरू सं करण बोड पुणे (महारा )

रा ीय जूट बोड कोलकाता (प. बंगाल)

रा ीय म य वकास बोड हैदराबाद (तेलंगाना)

भारत सरकार ने 4 नवंबर, 2011 को रा ीय व नमाण नी त (NMP) अ धसू चत क । इस नी त का उ े य का


एक दशक म जीडीपी (GDP) म व नमाण े का अंश बढाकर 25 तशत करना और 10 करोड़ से अ धक
रोजगार का सृजन करना है।
वष 1929 का ापार ववाद अ ध नयम ायो गक तौर पर पांच वष के लए लागू कया गया था। इस अ ध नयम
ारा ापार ववाद के जांच एवं समाधान हेतु समझौता बोड (Board of Conciliation) तथा जांच
यायालय (Court of inquiry) के गठन का ावधान कया गया। अ ध नयम ारा रेलवे, डाक, टे ली ाफ तथा
टे लीफोन जैसी सावज नक प से उपयोगी सेवा म बना पूव सूचना के हड़ताल अथवा तालाबंद को न ष द
कर दया गया।
भारत सरकार ने भारतीय गुणव ा प रषद (Quality Council of India: QCI) क थापना वष 1977 म
भारतीय उ ोगो के साथ संयु प से क थी। भारतीय गुणव ा प रषद (QCI) मे भारतीय उ ोग का
त न ध व तीन मुख उ ोग संघ जैसे – एसोचैम (ASSOCHAM), सीआईआई (CII) तथा फ क

(FICCI) के ारा कया जाता है। यह भारतीय उ पाद एवं सेवा क गुणव ा त पधा मकता बढ़ाने के
उ े य से अनु पता मू यांकन णाली, जसे अंतररा ीय तर पर मा यता द गई है, क थापना करके दे श म
ु ू , ई ह,
गुणव ा संबंधी अ भयान को एक नी तपरक दशा दे ता है।भारतीय गुणव ा प रषद 38 सद य का एक प रषद
ारा संचा लत है, जसम सरकार उ ोग तथा उपभो ा का समान त न ध व है। यूसीआई (QCI) के
अ य क नयु उ ोग ारा सरकार को क गई सं तु तय पर धानमं ी ारा क जाती है। वतमान म इस
प रषद के अ य आ दल जैनुलभाई ह, जनक नयु धानमं ी ारा सतंबर, 2014 म क गई थी।
थम कारखाना अ ध नयम, 1881 म पा रत कया गया था। इसमे केवल ऐसे मज र जो ब चे थे, उ ही क सुर ा
से संबं धत ावधान बनाया गया था। इस अ ध नयम म म हला मज र म संबं धत कोई ावधान नह बनाया गया
था। अतः इस अ ध नयम से मज र सामा यतः नराश थे। एन.एम. लोखंडे (Narayan Meghaji
Laokhande) भारत म मज र आंदोलन संग ठत करने म अ गामी थे। 19व शता द म वे न केवल हथकरघा
एवं कपड़े के मल क दयनीय थ त को सुधार करने के लए याद कए जाते ह, ब क जा त एवं सं दाय जैसे
मु े पर भी उ ह ने साह सक पहल कया।

उ ोगो म वृ द दर ( तशत म)) वष 2000-01 एवं 2017-18 म इस कार है –

उ ोग 2000-01 2016-17 2017-18

अ ैल- दसंबर

सीमट -0.9 2.8 2.7

कोयला 3.5 1.5 1.3

बजली 3.9 6.4 4.9

इ पात 6.5 10.9 6.7

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भारत के औ ो गक उ पादन सूचकांक (IIP) क गणना CSO ारा क जाती है। इस दो आधार पर प रग णत
कया जाता है –

1. पहला ॉड से टस ( व तृत े ) पर आधा रत IIP जसम खनन, व नमाण तथा व ुत शा मल होता है।

2. सरा यूज बे ड (Use Based) IIP जस के अंतगत बे सक गुड्स, पूंजीगत गुड्स, इंटरमी डए गुड्स, उपभो ा
गुड्स, कं यूमर ूरेबल तथा गैर-कं यूमर ूरेबल शा मल होते ह। इसम नमाण (Construction) स म लत
नह होता है।

औ ो गक उपभो ा मू य सूचकांक का आधार वष 1960 से प रव तत कर 1982 कया गया था। वतमान मे


औ ो गक उपभो ा सूचकांक आधार वष 2010 है।

भारत म 8 उ ोग को मूल उ ोग ((Core


Core Industries) का दजा ा त है। संपूण औ ो गक उ पादन म
इन मूल उ ोग का योगदान 37.90% है। ये आठ मूल उ ोग ह –

1. क चा तेल

2. पे ो लयम रफाइनरी उ पाद


3. ाकृ तक गैस
4. उवरक

5. कोयला
6. व ुत

7. सीमट
8. तैयार इ पात

मशीन , औजार और म का उपयोग करके सामान बनाने क या को व नमाण (Manufacturing) कहते


ह। व नमाण के अंतगत ह तकला से लेकर उ च तकनीक तक क ग त व धयां शा मल होती ह, कतु इस श द
का उपयोग ायः औ ो गक उ पादन के अथ म कया जाता है। इसम क चा माल बड़े पैमे पर तैयार माल म
बदला जाता है। नमाण उ ोग को व नमाण से अलग रखा जाता है। इस उ ोग के तहत बु नयाद सु वधा
(भवन, पुल, बांध आ द) का नमाण कया जाता है।
 STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
 

रा ीय व नमाण नी त, 4 नवंवर 2011 को वा ण य एवं उ ोग मं ालय ारा अ धसू चत क गई। इस नी त का


उ े य जीडीपी म व नमाण के ह से को एक दशक के भीतर 25 तशत तक बढ़ाना तथा 100 म लयन
रोजगार का सृजन करना है।
भारत सरकार ने अ ैल, 2000 म वशेष आ थक े (SEZ) क नी त क घोषणा क । यह एक शु क मु
आ थक े है, जहां ापार संचालन तथा शु क एवं तटकर से काफ छू ट ा त होती है। भारत सरकार ारा
वशेष आ थक े अ ध नयम वष 2005 म पा रत कया गया, जो फरवरी, 2006 से भावी आ।
वतमान म भारतीय लघु उ ोग के स मुख मुख सम याएं ह – पूंजी का अभाव, वपणन क सम या, क चे माल
का अभाव, आधारभूत संरचना क बाधा, सीमा शु क नी त, वलं बत भुगतान, णता क सम या, न न तरीय
आंकड़ क उपल धता आ द।

लघु तरीय व कुट र उ ोगो का मह व इस बात म है क ये त इकाई पूंजी नवेश पर अ धक रोजगार उ प


करने वाले े ह। भारत जैसे वकासशील दे श जहां मा धशेष ह, ये मह वपूण उ ोग ह।

भारत म सबसे मह वपूण लघु तर उ ोग हथकरघा उ ोग है जसके अंतगत मलमल, छ ट, दरी, खाद आ द
उ म स म लत ह। हथकरघा उ ोग असंग ठत े के तहत आता है जसम लगभग 65 लाख से अ धक मक
नयो जत ह।

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ए सार ऑयल ल मटे ड नजी े मे है जब क मंगलौर रफाइनरी तथा ब गाईगांव रफाइनरी मशः ONGC
तथा IOC क सहायक इकाइयां ह। दे श म इस समय कुल 23 तेल शोधनशालाएं ( रफाइनरी) ह, जनम 18
सावज नक/संयु े , 3 नजी े तथा 2 संयु उ म म ह।

सावज नक े क रफाइनरी –

1. भारतीय तेल नगम (IOC), गुवाहाट , नूनमती (असम)

2. भारतीय तेल नगम (IOC), बरौनी ( बहार)


3. भारतीय तेल नगम (IOC), कोयाली (बड़ोदरा) गुजरात

4. भारतीय तेल नगम (IOC), ह दया (प. बंगाल)


5. भारतीय तेल नगम (IOC), मथुरा (उ र दे श)

6. भारतीय तेल नगम (IOC), ड बोई (असम)


7. भारतीय तेल नगम (IOC), पानीपत (ह रयाणा)
8. भारतीय तेल नगम (IOC), बोगाईगांव (असम)

9. चे ई पे ो लयम कॉप रेशन ल. (CPCL) (IOC क सहायक), मनाली (चे ई)


10. चे ई पे ो लयम कॉप रेशन ल. (CPCL), नागप नम (त मलनाडु )

11. ह तान पे ो लयम कॉप रेशन ल. (HPCL), वशाखाप नम (आं दे श)


12. ह तान पे ो लयम काप रेशन ल. (HPCL), मुंबई (महारा )
13. भारत पे ो लयम कॉप रेशन ल. (BPCL), मुंबई (महारा )

14. को च रफाइनरीज ल. (BPCL क सहायक कंपनी), को च (केरल)


15. नुमालीगढ़ रफाइनरीज ल. (NRL) (BPCL क सहायक), नुमालीगढ़ (असम)

16. तातीपाका (ONGC), तातीपाका (आं दे श)


17. मंगलौर रफाइनरी एंड पे ोके मक स ल मटे ड (MRPL) (ONGC क सहायक), मंगलौर (कनाटक)
18. पाराद प रफाइनरी, (IOC) ओ ड़शा।

नजी े क रफाइनरी –

19. रलायंस इंड ज ल मटे ड (RIL), जामनगर (गुजरात)

20. रलायंस पे ो लयम ल मटे ड (RPL; SEZ), जामनगर (गुजरात)


21. ए सार ऑयल ल मटे ड (EOL), बाडीनार (Vadinar) (गुजरात)

संयु े क रफायनरी –

22. भारत ओमान रफाइनरीज ल मटे ड (OOCL), बीना (म य दे श)


23. HPCL, भ टडा।

ाकृ तक गैस उवरक उ पादन म एक मह वपूण आदान (Input) है, अतः भारत म संभा वत वशाल ाकृ तक

 गैस संसाधन का उपयोग उवरक उ पादन के लए सवा धक उपयु है।

कपड़ा उ ोग भारत का सबसे पुरना एवं वशाल उ ोग है। भारत म आधु नक तर क थम सती मल 1818 ई.
म कलक ा (अब कोलकाता) के नकट था पत क गई थी। 13 अग त, 1947 तक भारत म 394 सूती व मल
थी। पा क तान के वभाजन के प ात यहां 380 मल रह गई थी।

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ऑयल इं डया ल मटे ड (OIL) सावज नक े का एक उप म है, जो तेल तथा ाकृ तक गैस के
अनुसंधान, वकास और उसके उ पादन तथा रेल प रवहन म संल न है।
बड़े आकार का कागज अथात अखबारी कागज का उ पादन सबसे अ धक भारत के नेशनल यूज ट एंड पेपर
म स ल मटे ड, नेपानगल म कया जाता है, जो म य दे श म है। वष 1960-61 म अखबारी कागज का उ पादन
भारत म 0.4 लाख टन था। जो वष 2003-04 म बढ़कर 6.5 लाख टन हो गया। वतमान म भी भारत अखबारी
कागज क भारी कमी है और हमारी आव यकता का लगभग 70% आयात कया जाता है।

भारत क सरकारी े म सबसे बड़ी ापा रक सं था ख नज एवं धातु ापार नगम (MMTC) है। यह भारत
के दो सबसे बड़े वदे शी मु ा कमाने वाले सं थान म से एक है। यह भारत म ख नज का वशालतम नयातक एवं
भारत का वशालतम बु लयन ापारी है।

भारत म पयटन और होटल उ ोग के वकास का काय आई.ट .डी.सी. (Indian Tourism Development
Corporation: TDC) का है। यह एक अ द वाय सं था है। यह सं था पयटक से जुड़ी सम याओ के
समाधान का काय करती है।
व नमाण े के वकास को ो सा हत करने के लए भारत सरकार ने रा ीय नवेश तथा व नमाण े क
थापना करने के साथ-साथ एकल खड़क मंजूरी क सु वधा दान क है। व नमाण े को वक सत बनाने के
लए ौ ो गक अ ध हण तथा वकास कोष क थापना भी सरकार ारा क गई है।
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सरकार ारा व ीय उ ेरक ((Financial


Financial Stimulation) अथ व था को मंद से उबारने अथवा आ थक
संकट म पड़ने से बचाने के लए दान कया जाता है। इसके तहत दे श म आ थक ग त व धय को बढ़ावा दे ने के
लए अथ व था के व भ े को राजकोषीय ो साहन दए जाते ह।

सरकार ने मेगा फूड पक योजना को सतंबर, 2008 म अनुमो दत कया था। एमएफपीएस के मूल उ े य म
शा मल ह –

1. खा सं करण उ ोग के लए पया त/उ म अवसंरचना सु वधा के साथ फम से बाजार तक मू यव धत


आपू त ृंखला उपल ध कराना
2. खराब होने वाले (Perishable) पदाथ का सं करण वतमान के 6% से बढ़ाकर 20% तक करना और अप य
घटाना।

परंतु उ मय के लए उ ामी एवं पा र थ तक अनुकूल खा सं करण ौ ो ग कयां उपल ध कराना इसम शा मल


नही है।

25 अ टू बर, 2011 को आ थक मामल पर मं मंडली स म त (CCEA) ने 15 नए मेगा फूड पाक प रयोजना


क थापना को वीकृ त दान क थी जो पहले से घो षत 15 प रयोजना के अ त र थी। इनक थापना
अवसंरचना वकास योजना के तहत खा सं करण उ ोग के लए अवसंरचना सु वधा मे सुधार हेतु क जा
रही है।
तारापोर स म त पूंजीगत खाते म पये क प रवतनीयता पर सलाह हेतु ग ठत ई थी।

भारत के 8 कोर से टर ह –

1. कोयला

2. क चा तेल
3. ाकृ तक गैस

4. रफाइनरी उ पाद
5. उवरक
6. इ पात

7. सीमट
8. व ुत

रोजगार क से उ र दे श का सबसे बड़ा उ ोग हथकरघा उ ोग है।


औ ो गक वकास क से उ र दे श का प मी े सवा धक वक सत है।

 ट को (टाटा आयरन एंड ट ल कंपनी) सावज नक े का उप म नही है। यह भारत क मुख इ पात कंपनी
है जसक थापना वष 1907 म जमशेदपुर म क गई थी। NTPC, SAIL, BHEL ये तीन सावज नक े क
ं ं
महार न कंप नयां ह।
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उ र दे श क अथ व था म लघु उ ोग का व श योगदान है। लघु एवं म यम उ ोग कम लागत से रोजगार


के अ धक अवसर उपल ध कराते ह। उ. . दे श म लघु एवं म यम उप म को जनके ारा द घकालीन ऋण
उपल ध कराया जाता है वे न न ह –

– उ. . लघु उ ोग नगम

– उ. . औ ो गक वकास नगम

– उ. . व ीय नगम इ या द।

19 सतंबर, 2006 को भारत सरकार ारा सावज नक े क जन 6 अ त र औ ो गक इकाइय को


मनीर न का दजा द कया गया था वे इस कार थी –

1. BSNL
2. BEML

3. Hindustan Latex
4. Engineering Project India Ltd.
5. Rashtriya Ispat Limited

6. Garden Reach Shipbuilders and Engineers

सरकारी नी त वष

सूचना तकनीक नी त           2000

ख नज नी त                  2011

होटल नी त                   2006

औ ो गक एवं नवेश ो साहन  2010

कसी पीएसयू को मनी र न का दजा बनाए रखने के लए पछले लगातार तीन वष तक मुनाफा अ जत करते
रहने क आव यकता होती है। मनीर न का दजा पीएसयू को बना सरकार क मंजूरी के लए 500 करोड़ पये
तक के नवेश क वाय ता दे ता है।
नवर न सावज नक उप म का एक व श वग है जनम सरकार लोबल कंपनी होने क संभा मता दे खती
है।
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ए शया का सबसे बड़ा ए युमी नयम संकुल नेशनल ए युमी नयम कंपनी ल मटे ड (NALCO) वष 1981 म
भारत सरकार के एक सावज नक उ म के प म था पत कया गया था। अ तन थ त के अनुसार नवर न
दजा ा त कंप नय म ना क भी शा मल है। महार न कंप नय क सं या 8 है। मनीर न कटे गरी-1 (cPSEs) म
56 तथा मनीर न कटे गरी-2(cPSEs) म 17 कंप नयां ह।

उ ोग मं ालय ारा 16 नवंबर, 2010 को साज नक े क 4 नवर न कंप नय को महार न का दजा दया
गया। ये चार कंप नयां थी –

1. भारतीय तेल नगम (IOC)

2. रा ीय ताप व ुत नगम (NTPC)


3. तेल एवं ाकृ तक गैस नगम (ONGC)
4. ट ल अथॉ रट ऑफ इं डया ल. (SAIL)

इनके अ त र बाद म कोल इं डया ल. (CIL), भारत हैवी इले ा नक स ल मटे ड (BHEL), गेल (GAIL) तथा
BPCL  को  भी महार न का दजा दया गया है।

एचएएल (Hindustan Aeronautics Limited: HAL) वायुयान के उपकरण का उ पादन करती है।
भारत म पे ोल, डीजल जैसे तेल सरकारी नयं ण--मु पदाथ ((De-
De- regulated Commodities) ह
जनक क मत तेल कंप नयां नधा रत करती ह।

तृतीयक े ((सेवाएं)
तृतीयक े के अंतगत सेवा े या सेवा उ ोग आता है, जसम ापार, होटल, प रवहन, संचार, ब कग, बीमा,
वा त वक संप , सावज नक शासन, सुर ा, श ा, प -प काएं, मनोरंजन एवं वदे शी े आ द आते ह।

वपणन तृतीयक याकलाप है, इसके अंतगत पदाथ का सं ह, भंडारण, सं करण एवं वपणन, प रवहन,
होटल, संचार, पै कग, वग करण और ववरण आ द कया जाता है। कृ ष एवं वा नक ाथ मक े से जब क
व नमाण तीयक  े से संब धत है।
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आधारभूत मू य पर सकल मू य संवधन म ह सा

े 2016-17 (1st RE) 2017-18

चालू क मत पर चालू क मत पर

कृ ष 17.9 16.4

उ ोग 29.0 31.2

खनन व उ खनन 2.2 3.0

व नमाण 16.6 18.1

इले सट , गैस व जलापू त 2.5 2.2

नमाण 7.7 8.0

GVA at Basic Price 100.0 100

भारत म सकल रा ीय उ पाद (GDP) म थर मू य (2004-05) एवं उपादान लागत पर वष 2012-13 के


अ म अनुमान के अनुसार, सेवा े (तृतीयक े ) का योगदान 59.29%  उ ोग े का योगदान 27.03%
एवं कृ ष े का योगदान 13.68% का था। वतमान (2015-15) म भी सेवा े क ह सेदारी सवा धक है।

चालू क मत पर GVA (मूलभूत क मत पर) म े वार ह सेदारी (% मे)-

  2014-15 2015-16 2017-18 (1ST AE)

कृ ष एवं संबं द े 18.0 17.5 18.67

उ ोग 30.1 29.6 26.17

सेवा 51.8 53.0 55.16

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राजकोषीय नी त एवं राज व

सरकार ारा दे श म थरता के साथ वकास को बढ़ावा दे ने हेतु राजकोषीय नी त का या वयन कया जाता है।
राजकोषीय नी त का या वयन बजट य घोषणा के मा यम से कया जाता है।

राजकोषीय नी त के चार उपकरण ह –

1. कर

2. सावज नक य

 3. ऋण
4. नई मु ा का नमाण
कर जनता को दया जाने वाला एक अ नवाय भुगतान होता है, जसके बदले म सरकार कसी तपू त का वादा
नही करती है।
कर को दो भाग म बांटा जाता है –

1. य कर
2. अ य कर

ऐसे कर ज ह सरे पर टाला जा सके, अ य कर कहलाते ह, जब क ऐसे कर ज ह सरे टाला जा सके उसे
य कर कहते ह।

कर क दर के नधारण के आधार पर करारोपण के चार मॉडल ह –

1. ग तशील

2. आनुपा तक
3. तगामी

4. अधोगामी
5. ग तशील करारोपण ((Progressive
Progressive Taxation) – जब आय म वृ द के साथ-साथ कर क दर म भी वृ द
होता जाए, तो ऐसे करारोपण को ग तशील करारोपण कहते ह।
6. आनुपा तक करारोपण ((Proporational
Proporational Taxation) – जब आय चाहे जतनी भी बढ़ जाए, परंतु कर क
दर कोई प रवतन न हो तो इस णाली को आनुपा तक करारोपण कते ह।
7. तगामी करारोपण ((Rgressive
Rgressive Taxation) – जब आय म वृ द के साथ कर क दर मे कमी कर द जाए,
तो इसे तगामी करारोपण कहा जाता है।
8. अधोगामी करारोपण ((Degressive
Degressive Taxation) – जब कर क दर एक न त सीमा तक आय म वृ द के
साथ बढ़े परंतु उस सीमा के बाद थर हो जाए, तो इसे अधोगामी करारोपण कहते ह।

भारत म अधोगामी णाली है यहां 2.5-5 लाख तक 5 तशत, 5.10 लाख तक 20 तशत तथा 10 लाख पये
से अ धक आय पर 30 तशत क दर से कर लगाया जाता है।

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लैफर व ((Laffer
Laffer Curve)

लैफर व का तपादन आथर लैफर ारा कया गया था।

यह व कर क दर एवं कर से सं हत राज व के म य ऋणा मक संबंध को दशाता है।


व के अनुसार य द एक सीमा के बाद कर क दर बढ़ा द जाए, तो कर राज व म कमी आने लगती ह।

इसके वपरीत य द कर क दर म कमी क जाती है, तो कर राज व म वृ द होती है।


इसके दो मुख कारण ह –

1. कम दर के कारण कर चोरी म कमी आती है।


2. कर क दर ापार एवं वा ण य को बढ़ा दे ता है, जससे आधार बढ़ जाता है।

सावज नक य

सावज नक य का ता पय सरकार ारा व भ उ पादक, अनु पादक, क याण आ द पर कए गए य से है।


य को दो आधार पर वभा जत कया जाता है –

1. कृ त के आधार पर

राज व य
पूंजीगत य

2. उ पादकता के आधार पर

योजनागत य

गैर-योजनागत य

राज व य ((Revenue
Revenue Expenditure)

राज व य वह य होता है, जो अपने व प म आवत ( न त अंतराल पर लगातार होने वाला) होता है तथा
जससे न तो कसी दा य व म कमी आती और न ही कसी संप का ास होता है। जैसे – वेतन, याज आ द।
ह ह ह ,

पूंजीगत य ((Capital
Capital Expenditure)

ऐसा य को कभी-कभी होता हो तथा जसके य से कमी न कसी संप का सृजन होता हो या कसी न
कसी दा य व म कमी आती हो, पूंजीगत य कहलाता है। उदाहरण – ऋण का भुगतान, बांध नमाण आ द।

योजनागत एवं गैर-योजनागत य ((Planned


Planned & Non  Planned  Expenditure)

जब कसी योजना के या वयन हेतु अथवा योजनागत नमाण हेतु य कया जाता है तो उसे योजनागत य
कहते ह, जब क योजना से इतर (रख-रखाव, शास नक आ द) कया गया य गैर-योजनागत य कहलाता
है।
वतमान म भारत म योजनागत एवं गैर-योजनागत य का लेखांकन समा त कर दया गया है। वतमान मे केवल
पूंजीगत एवं राज व य का ही लेखांकन कया जाता है।
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सावज नक ऋण ((Public
Public Debt)

कसी समय वशेष पर दे श के ऊपर सकल ऋण दा य व ही सावज नक ऋण कहलाता है।


सावज नक ऋण आंत रक (Internal) एवं बा (External) दोन होता है।

दे श के अंतर से अ पबचत योजना आ द से लया गया ऋण आंत रक ऋण होता है, जब क दे श के बाहर से


लए गए ब प ीय, प ीय, वा ण यक उधार आ द बा सावज नक ऋण क ेणी म आता है।

भारत का बा सावज नक ऋण

भारत म थम दो तमा हय म बा सावज नक ऋण के आंकड़े भारतीय रजव बक ारा, जब क अं तम दो


तमा हय के आंकड़े व मं ालय ारा जारी कए जाते ह।
जून अंत, 2018 म भारत के सम त वा ऋण म लगभग 80.8 तशत द घअव धक ऋण, जब क 19.2
तशत अ पव धक ऋण था।
इन ऋण म 50.1 तशत ऋण डॉलर म तथा 3.5.4 तशत ऋण पये म था।

वा ऋण म सबसे बड़ा ह सा वा ण यक उधार (37.8%) (ECB- External Commercial Borrowing)


का रहा। इसके बाद NRI जमाएं (24.2%) रह ।

भारतीय सं वधान के भाग 12 का अनु छे द 280 भारत म व आयोग का ावधान करता है।
अनु छे द के अनुसार सं वधान लागू होने के दो वष के भीतर तथा उसके बाद येक 5 वष पर रा प त ारा व
आयोग का गठन कया जाएगा।
इसमे एक अ य एवं चार सद य का ावधान कया गया है।

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काय
व आयोग के चार मुख काय ह –

1. वभाजनीय कर का के एवं रा य के म य तथा व भ रा य के म य बंटवारा करने संबंधी फामूले का


नधारण।

2. रा यो को राज व सहायता/अनुदान के वतरण का स दांत सुझाना


3. सु ढ़ व के संदभ म कसी भी वषय पर सुझाव दे ना।
4. नगर पा लका /पंचायत के संसाधन म वृ द हेतु रा य क सं चत न ध के संवधन हेतु आव यक सुझाव दे ना।
यह काय 73व सं वधान संशोधन, 1992 म ारा जोड़ा गया है।

भारत म अब तक 15 व आयोग ग ठत कया जा चुके ह।


वतमान म 14व व आयोग (वष 2015-2020 तक) क सफा रश भावी ह।

14वां व
14 आयोग

14व व आयोग का गठन जनवरी, 2013 म कया गया था तथा इसने अ टू बर, 2014 म अपनी सफा रश
तुत क ।
इस आयोग के अ य वाई.वी. रे ी थे।
इस आयोग क सफा रश 1 अ ैल, 2015 से 31 माच, 2020 तक (5 वष ) के लए ह।

मुख सफा रश
इसने 42 तशत राज व को रा य को दे ने क अनुशंसा क जो 13व व आयोग क 32 तशत क सफा रश
क तुलना म 10 तशत अ धक है।
इस व आयोग ने रा य के म य राज व वतरण हेतु सवा धक भार आय असमानता (50%) को दया।

14व व आयोग क सफा रश के अनुसार रा य के म य आय वतरण फामूले के भारांश इस कार ह –

  14व व
14 13व व
13

a.    1971 क जनसं या 17.5% 25%

b.   2011 क जनसं या 10.0% –

c.    े फल 15.0% 10%

d.   वन े 7.5% –

e.   आय असमानता 50.0% 47.5%

f.      राजकोषीय अनुशासन – 17.5%

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14व व आयोग के अनुसार सवा धक व


14 ा त वाले रा य –

1. उ र दे श –   96%
2. बहार –   67%

3. म य दे श – 55%
4. प. बंगाल –   32%
5. महारा –   52%

यूनतम आवंटन वाले रा य –

1. स कम –   37%
2. गोवा –   38%
3. मजोरम –   46%

4. नगालड –   49%


5. म णपुर –   62%

भारत सरकार ने रा प त क वीकृ त से 27 नवंबर, 2017 को 15व व आयोग के गठन क घोषणा क ।

15व व आयोग के अ य ी एन.के. सह ह गे।


व आयोग म अ य के अ त र चार अ य सद य ह, जनक नयु रा प त ारा क जाती है।

1. श कांत दास (भारत सरकार के पूव स चव) – सद य


2. डॉ. अनूप सह (सहायक ोफेसर, जॉजटाउन व व ालय, वा शगटन डी.सी. अमे रका – सद य
3. डॉ. अशोक ला हडी (अ य (गैर-कायकारी, अंशका लक) बंधन बक

4. डॉ. रमेश च (सद य, नी त आयोग)

ी अर वद मेहता आयोग के स चव ह गे।

15व व आयोग के अ य एवं अ य सद य कायभार  हण रने क तारीख से रपोट तुत करने क तारीख या
30 अ टू बर, 2019 तक जो भी पहले हो, अपना पद् धारण करगे।

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भारत के व आयोग


व आयोग समय अ य समयाव ध
पहला 1951 के.सी. नयोगी 1952-57

सरा 1956 के. संथानम 1957-62

तीसरा 1960 ए.के. चंदा 1962-66

चौथा 1964 पी.वी. राजम ार 1966-69

पांचवा 1968 महावीर यागी 1969-74

छठवां 1972 के. ानंद रे ी 1974-79

सातवां 1977 जे.एम. शेलट 1979-84

आठवां 1983 वाई.बी. च ाण 1984-89

नौवां 1987 एन.के.पी. सा वे 1989-95

दसवां 1992 के.सी. पंत 1995-2000

यारहवां 1998 ए.एम. खुसरो 2005-2010

बारहवां 2003 सी. रंगराजन 2005-2010

तेरहवां 2007 वजय केलकर 2010-2015

चौदहवां 2013 वाई.वी. रे ी 2015-2020

पं हवा 2017 एन.के. सह 2020-2025

रा ीय पशन योजना जसे 1 जनवरी, 2004 को भारत सरकार ारा ारंभ कया गया था, एक वै छक पशन
योजना है। इसके अंतगत 18-60 वष तक क आयु का येक भारतीय नाग रक ( नवासी अथवा अ नवासी)
शा मल हो सकता है। सरकारी नौक रय म कायरत लोग हेतु वशेष उपबंध है। के सरकार के वे कमचारी
(सश बल को छोड़कर) जो 1 जनवरी, 2004 को अथवा उसके बाद से सेवा म कायरत ह,  योजना म दा खल
होने के पा ह। रा य सरकार के सभी कमचारी, जो संबं धत रा य सरकार ारा अ धसूचना कए जाने के बाद
सेवा म आएं है, भी इस योजना के पा ह।

जीएसट पूरे दे श के लए एक अ य कर है, जो भारत को एक कृत साझा बाजार बना दे गा। जीएसट के लागू
हो जाने से अं तम उपभो ा को आपू त ृंखला के अं तम डीलर ारा लगया गया जीएसट ही वहन  करना
होगा। इससे पछले चरण के सभी मुनाफे समा त हो जाएंगे।

जीएसट से लाभ –

ापार और उ ोग के लए – आसान अनुपालन, कर दर और संरचना क एक पता, कर पर कराधान


(कैसके डग) क समा त, त पधा म सुधार, व नमाता और नयातक को लाभ।

के और रा य सरकार के लए – सरल और आसान, शासन, कदाचार पर  बेहतर नयं ण, अ धक राज व


नपुणता।

उपभो ा के लए – व तु और सेवा के मू य  के अनुपाती एकल एवं पारदश कर सम कर भार म राहत।

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व वष 2017-18 के के य बजट क दस मु य वषय व तुएं ह – कसान, ामीण आबाद , युवा, गरीब तथा
वशेष सु वधा से वं चत वग, अवसंरचना, व ीय े , ड जटल अथ व था, सावज नक सेवा, ववेकपूण
राजकोषीय बंधन तथा कर शासन, नयात न पादन इसम स म लत नह है।
भारत म राजकोषीय नी त (Fiscal Policy) का नधारण के सरकार का व मं ालय करता है जब क

मौ क नी त RBI ारा नधा रतत क जाती है। व आयोग के एवं रा य के म य राज व एवं व ीय
संसाधन का बंटवारा करता है। योजना आयोग का काय पंचवष य योजना का बंटवारा करता है। योजना आयोग
ह ह
का काय पंचवष य योजना को तैयार करना था ात है क 1 जनवरी, 2015 से नी त आयोग ने योजना आयोग
को त था पत कर दया है।
2015-16 के आ थक सव ण म भारतीय अथ व था के समाजवाद से नगमन र हत सी मत बाजारवाद क
ओर जाने को भारतीय अथ व था क च ूह चुनौती माना गया है।

वष 1985-86 के बजट भाषण म त कालीन व मं ी वी.पी. सह ारा द घकालीन राजकोषीय नी त क घोषणा


क गई थी।

क स ने यह तपा दत कया क अवसाद (Depression) से कसी अथ व था को बाहर नकालने के लए


यह आव यक है क सरकार राजकोषीय नी त का सहारा ले तथा सावज नक य म वृ द लाए। वष 1936 म
क स ने अपनी स द पु तक General Theory of Employment, Interest and Money इसी पर
का शत क थी।
व ीय या राजकोषीय (Fiscal) नी त मु यतः सरकार से संबं धत होती है। राजकोषीय नी त म सरकार क आय
(कर एवं कर भ आय) तथा सरकार के य से संबं धत नी तयां शा मल ह ती ह।
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बजट नमाण के व भ चरण न नवत ह –

1. आहरण एवं सं वतरण

2. अ धका रय ारा अनुमान को तैयार करना


3. वभाग तथा मं य ारा संवी ा एवं समेकन

4. व मं ालय ारा संवी ा


5. ववाद का नपटारा

6. व मं ालय ारा समेकन

आ थक समी ा व मं ालय ारा तैयार क जाती है। इसे येक वष वा षक बजट से पहले भारत के व मं ी
ारा संसद म रखा जाता है। जसम दे श के वगत वष के आ थक थ त म समी ा क जाती है।
बजट सरकार क राजकोषीय नी त से संबं धत होता है। बजट येक व ीय वष (1 अ ैल-31 माच) के लए
सरकार क ा तय तथा य का ववरण होता है।
25 फरवरी, 2016 को रेल मं ी सुरेश भू ने रेल बजट तुत करते ए एक शोधकत और वकास संगठन –
पेशल रेलवे इ टे लशमट फॉर े ट जक टे नोलॉजी एंड हॉ ल टक एडवांसमट ((SHRESTHA-
SHRESTHA- े )
के गठन का ताव कया। इसके गठनोपरांत पूववत संगठन RDSO केवल रोजमरा के मामल पर ही यान
के त करेगा जब क े का ल य द घका लक शोध करना होगा। े का धान एक यात वै ा नक होगा।

वष 2010-11 के लए कुल ा तयां 1108749 करोड़ रही जसम से 61% धनरा श आयगत (राज व) ा तय से
आता था और 39% पूंजीगत ा तय से आता था। बजट अनुमान 2018-19 के अनुसार, कुल ा तयां 2442213
करोड़ . अनुमा नत ह जनम राज व ा तयां 1725738 करोड़ . तथा पूंजीगत ा तयां 716475 करोड़ . है।
स सडी, याज भुगतान, र ा य, पछली पंचवष य योजना म पूरी क गई प रयोजना का रख-रखाव
य, श ा, वा य, पशन भुगतान, रा य को संवैधा नक ह तांतरण आ द गैर-योजना य के अंतगत आते ह।

वतमान म बजट से (बजट अनुमान 2017-18 से) य के योजनागत एवं गैर योजनागत य को ा त कर दया
गया है। रेल बजट को भी आम बजट म शा मल कर लया गया है।

के य बजट म राज व य ((गैर-योजनागत य)) क सबसे बड़ी मद याज क अदायगी है।

वष 2018-19 (B.E.)
(B.E.) मे कुल य ((Total
Total Expenditure) 2442213 करोड़ पये है जसम से –

याज भुगतान     –   575795

मु य उपादान     –   292825

र ा य        –   282733

समयाव ध 2008-10 के म य के सरकार के राज व या चालू खाते म य का सबसे मुख मद याज


अदाय गयां थी, इसके प ात मशः सहा यकाएं एवं र ा य का थान था।

वष 2015-16 के बजट म गैर- नयोजन य का सबसे बड़ा मद याज अदायगी था।


वष 2011-2012 मे राजकोषीय घाटा जी.डी.पी. का 5.7% था।

बजट 2018-19 म सकल राज व ा तय म सीमा शु क तथा के य उ पाद शु क का योगदान मशः 6.52%
तथा 16.05% रहा/अनुमा नत है।

बजट अनुमान 2018-19 मे राजकोषीय घाटे को 3.3 तशत पर ल त कया गया है।
राजकोषीय घाटे पर नयं ण सं थागत सुधार के ारा पाया जा सकता है। य वदे शी नवेश को बढ़ावा या

उ च शै क सं थान का नजीकरण राजकोषीय घाटे के नयं ण के उपाय नही ह।
ं ौ ो
भारत म शू य आधा रत बजट सव थम वष 1983 म व ान एव ौ ो गक वभाग म तथा बाद म वष 1986-87
से सम त मं ालय म लागू कया गया। शू य आधा रत बजट म येक योजना को शू य से ारंभ मानकर पुनः
समी ा क जाती है।
व ीय वष 2002-03 म रा य का संयु राजकोषीय घाटा 102122 करोड़ पया था। वष 2016-17 म भारत
का सकल राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.9% रहा। इनमे से के का घाटा 3.5% तथा रा य का संयु घाटा
2.6% रहा।

वष 2012-13 के बजट म स सडी पर कए जाने वाले य को GDP के 2.0% तक रखने का ताव कया गया
था। वष 2016-17 म कुल स सडी य GDP का 2.14% रहा।

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के सरकार के ारं भक घाटा,, राजकोषीय घाटा,, आगम घाटा ((करोड़ . म)) न न कार से ह –

घाटा बजट बजट बजट

2003-2004 2017-18 2018-19

राजकोषीय घाटा 125960 546531 624276

आगम घाटा 98308 321163 416034

(राज व घाटा)

ारं भक घाटा 1699 23453 48481

सरकार ारा बढ़ रहे घाट को नयं त करने के लए स सडी का यु करण, राज व य म कमी तथा चालू
खाते म घाटा को कम कया जाता है। इसके वपरीत सावज नक य बजट घाटे को और बढ़ाता है। इसके
अतर मु फ त को कम करके व सावज नक य क गुणव ा पर जोर दे कर नए कर के यु करण ारा
भी घाटे को कम कया जा सकता है।

ाथ मक घाटे को ा त करने हेतु राजकोषीय घाटे म से याज अदाय गय को घटा दया जाता है। अतः

ाथ मक घाटा = राजकोषीय घाटा –  याज अदायगी

बजट य घाटा = कुल ा तयां – कुल य

राज व घाटा = राज व ा तयां – राज व य

राजकोषीय घाटा = बजट य घाटा ((कुल ा त--कुल य)) + सरकार का ऋण एवं अ य दे यताएं। या

राजकोषीय घाटा = राज व   ा तयां + ऋण से ा तयां + अ य ा तयां – कुल य

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राजकोषीय घाटा, बजट य घाटे से बड़ा होता है इसका कारण यह है क बजट य घाटा यहां सरकार के कुल य
एवं कुल ा तय का अंतर होता है वही राजकोषीय घाटा सरकार क कुल आय और कुल य का अंतर होता है।
सावज नत ऋण एवं अ य दे यताएं सरकार क ा तयां तो ह, कतु ये सरकार क आय नह ह य क सरकार पर
इ हे लौटाने का दा य व रहता है। अतः राजकोषीय घाटा बजट घाटे क अपे ा अ धक होता है।
बजट के हसाब- कताब क जांच सावज नक लेखा स म त ारा क जाती है। इस स म त म 22 सद य (15 लोक
सभा + 7 रा य सभा) होते ह। वप ी दल का कोई सद य ही इस स म त का अ य होता है। यह संसद क
सबसे पुरानी व ीय स म त है।
संघीय सरकार के बजट मे राजकोषीय घाटे के बड़े भाग क पू त घरेलू ऋण एवं अ य दे यता के मा यम से क
जाती है। वष 2015-16 म घाटे का लगभग 98% व पोषण घरेलू संसाधन ारा ही कया गया।
के य बजट 2016-17 के अनुसार, 1 करोड़ पये वा षक से अ धक आय होने पर 15 तशत का अ धभार दे य
होगा।
हीनाथ बंधन (अथात घाटे क पू त के लए नए नोट छापना) से मु ा फ त क संभावना बनती है य क इससे
मु ा क आपू त व तु एवं सेवा क तुलना म अ धक हो जाती है।
भारत जैसे दे श म घाटे क व व था का मु य उ े य आ थक वकास को बढ़ावा दे ना होता है। इन दे श म
वकास योजना के व पोषण के लए यह आव यक हो जाता है, जब क वक सत दे श म घाटे क व
व था अवसाद क थ त को र करने के लए आ थक नी त के साधन के प म योग कया जाता है।

ओपेन-जनरल लाइसस –   वदे शी ापार
TRYSEM                                       –        रोजगार

थोक मू य सूचकांक        –    मु ा फ त

नकद - रजव अनुपात       –   ऋण नयं ण

आ थक मंद के संदभ म कर दर म कटौती करना और सरकारी य को बढ़ाना राजकोषीय उ पन पैकेज का


भाग माना जा सकता है जब क उपादान को समा त करना इसम शा मल नही है।
आयात कोटा के मा यम से सरकार ारा कसी न त समयाव ध (सामा यतया 1 वष) म आया तत व तु क
मा ा न त कर द जाती है। आयात कोटा म न त मा ा से अ धक आयात नही कया जा सकता है। अतः
आयात कोटा भौ तक नयं ण का एक भावी उपाय है।
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पंचायत के मु य पांच आय के ोत न न ल खत ह –

1. लोक सहयोग एवं धन सहायता

2. कर, फ स एवं आ थक दं ड
3. अनुदान

रा य सरकार ारा शासन हेतु


रा य सरकार क योजना हेतु

के सरकार क योजना हेतु


जला प रषद/स म त आ द से
के सरकार से

रा य सरकार से

4. आ थक ऋण आ द

5. वयं क आय।

पैन काड पर अं कत 10 संकेता र 5 भाग म वभ होते ह। थम पांच अं ेजी अ र म थम तीन


अ र वणानु मक ृंखला म होते ह – AAA to ZZZ

चौथा अ र काड धारक क थ त दशाता है जसम शा मल ह –

C – Company

P – Person

H – HUF (Hindu Undivided Family)

F – Firm

A – Association of Persn (AoP)

T – Trust

B – Body of Individuals (BoI)

L – Local Authority

J – Artificial Juridical Person

G – Government

त कालीन व मं ी यशवंत स हा ने 1999-2000 का बजट तुत करते ए, पूव र े म औ ोगीकरण को


ो साहन दान करने हेतु 10 वष के लए कर अवकाश क घोषणा थी।

त कालीन धानमं ी अटल बहारी वाजपेयी ने भूकंप आपदा से भा वत क छ जले के उ ोग के लए


उ पादन शु क म 5 वष के लए अवकाश क घोषणा क थी।
PAN काड आयकर वभाग ारा जारी कया गया पहचान-प होता है जस पर का नाम, ज म त थ एवं
पैन नंबर अं कत होता है। इसम पता (Address) का उ लेख नही होता है। अतः यह पते को मा णत नही करता
है।

ब कग वभाग, व मं ालय का वभाग नही है। व मं ालय के 5 वभाग ह – आ थक काय वभाग, य


वभाग, राज व वभाग, व ीय सेवा वभाग एवं व नवेश वभाग।
 यारहव योजना के दौरान शशु मृ यु दर (Infant Mortality Rate) को कम करके 28 त 1000 जी वत
ज म पर करने का ल य था। 12व योजना म आईएमआर का ल य 25 त हजार जी वत ज म है।
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य द व वध अव धय म भ - भ आय वग के य क आय म वषमता मे मशः वृ द क वृ
प रल त हो, तो वषमता मे यह वृ द इं गत करती है क धनी अ धक धनी तथा नधन और नधन होते जा रहे
ह।
टाट--अ स क वशेष आव यकता को त नवेशक (Angel In-vestors), जो खम यु पूंजी (Venture
Capital) तथा भीड़ व पोषण (Crowd Funding) के मा यम से पूरा कया जाता है। इ ह व पोषण
(Financing) के े म नई पीढ के ोत का दजा दया जाता है।
आयकर अ ध नयम क धारा 88 के अंतगत कर छू ट को समा त करने क अनुशंसा केलकर कमेट ने क थी।
केलकर स म त का गठन य कर सुधार संबंधी सुझाव दान करने हेतु कया गया था। इसम अपनी रपोट वष
2003 म तुत क थी।
भारत सरकार ारा अनुमो दत स म प रयोजना नवीन अ य कर नेटवक से संबं धत है। आ थक मामल क
कै बनेट स म त ने इस प रयोजना को 28 सतंबर, 2016 को अपनी वीकृ त द । प रयोजना क कुल लागत
2256 करोड़ पये है, जब क अव ध सात वष है। यह प रयोजना व तु एवं सेवा कर के काया वयन म सहायक
होगी। साथ ही यह योजना क टम वभाग के ापार के सुगमीकरण हेतु सगल वडो इंटरफेस (SWIFT) को
व ता रत भी करेगी।
कर सुधार स म त (आर. जे. चेलैया केमट ) ने कर सुधार क ापक परेखा तुत क , जस पर वष 1991 के
बाद के राजकोषीय सुधार आधा रत थे।
13व व आयोग क अनुशंसा मे व तु एवं सेवा पर कर लगाए जाने का अ भक प तथा इस ता वत
अ भक प के संपालन से संब द तपू त पैकेज तथा के य कर के एक न त अंश का थानीय नकाय को
अनुदान के प म ह तांतरण तो शा मल है जब क भारत के जनां कक य लाभांश के अनु प अगले दस वष म
लाख नौक रयां सृजन करने क योजना इसक अनुशंसा का भाग नही है।

101व सं वधान संशोधन अ ध नयम के तहत सं वधान म अनु छे द 279A जोड़कर व तु एवं सेवा कर प रषद के
गठन का ावधान कया गया है। इसक अ य ता संघीय व मं ी करते ह और के राज व या व के भारी
रा य मं ी इसके एक सद य होते ह।   जीएसट प रषद कर दर से छू ट वाली व तु के  बारे म नणय करेगी और
नई कर नी त क दे हली नधारण भी करेगी। जीएसट लागू होने के प ात रा य सरकार के पास वैट उगाही
(Levy) का वक प नही होगा।

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12व व आयोग क सफा रश के अनुसार, वष 2009-10 तक के एवं रा य का राज व घाटा शू य होना


चा हए। 12व व आयोग क सफा रश क कायाव ध वष 2005-2010 तक थी।

13व व आयोग क सफा रश के अनुसार वष 2014-15 तक कुल ऋण-सकल घरेलू उ पाद अनुपात
(Debit/GDP) 68% होना चा हए।

13व व आयोग (अ य वजय एल. केलकर) ने के य कर म रा य क भागीदारी को यूनतम 32% करने


क अनुशंसा क थी।

12व व आयोग के अ य डॉ. सी. रंगराजन ने 30 नवंबर, 2004 को अपनी रपोट रा प त डॉ. ए.पी.जे.
अ ल कलाम को स पी थी, जसम उ ह ने क य कर एवं शु क म रा य क ह सदारी को 29.5 से बढ़ाकर
30.5 करने क अनुशसा क थी।

डॉ. वजय केलकर के नेतृ व म ग ठत केलकर स म त ने भारतीय आयकर अ ध नयम क धारा-88 म उपल ध
आयकर छू ट को समा त करने क सफा रश क थी।

केलकर टा क फोस क सफा रश का संबंध कर सुधार से है। सफा रश म मु य जोर कृ म भ े और वतमान


कटौती को व भ धारा के तहत हटाने पर है। डॉ. वजय केलकर 13व व आयोग के अ य रह चुके ह और
इसके अ त र भारत के मह वपूण आ थक पद पर आसीन रहे ह।

व आयोग एवं योजना आयोग दोन सलाहकारी सं थाएं ह।


वष 1995-2000 क अव ध के लए के -रा य के म य राज व वतरण एवं सहायता अनुदान के संबंध म
ग ठत दसव व आयोग के अ य के. सी. पंत थे।
रा ीय कृ ष नी त –   2000

समु य म य नी त   –   2004

नवीन वदे शी ापार नी त  –   2014

सातवां व ीय आयोग   –   1978

 व मं ालय ारा वै छक आय घोषणा योजना (VDIS) 1 जुलाई, 1997 से ारंभ ई और 31 दसंबर, 1997
को समा त ई।
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पर आयोग (1949) क सं तु त पर न पादन बजट का सबसे पहले योग यू.एस.ए. म कृ ष े म कया गया।
इस कार का बजट लागत- लाभ व ेषण को न पत करता है।
वदे शी ऋण, य नवेश तथा पोटफो लय नवेश आ द पूंजीगत लेखा क रचना करते ह।

रेल बजट 2013-14 म उ कृ माहौल और नवीनतम सु वधाएं एवं सेवाएं उपल ध कराने के लए अनूभू त नामक
सवारी गाड़ी चलाने क वीकृ त दान क गई थी।

बजट 2017-18 म अनुमा नत कुल कर राज व 1227014 करोड़ पये है, जसम नगम कर, आयकर, के य
उ पाद शु क, सीमा शु क तथा सेवा कर का अंशदान मशः 19%, 16%, 14%, 9% तथा 10% है। इस कार
वतमान संदभ म कुल कर राज व म सवा धक ह सा नगम कर एवं आयकर का है। बजट 2018-19 म भारत
सरकार क कर आय के दो सबसे बड़े ोत व तु एवं सेवाकर (लगभग 7.44 लाख करोड़ पये) तथा नगमकर
(6.21 लाख करोड़ पये) एवं आयकर  (5.29 लाख करोड़ पये) के य उ पाद शु क है। वतमान म के य
उ पाद शु क, सेवा कर  आ द अ य कर को  S.T. म श मल कर लया गया है।
भारत म माग कर (Toll Tax) भारत सरकार ारा नही लया जाता है, यह रा य सरकार ारा लया जाता है।

कै पटल गेन टै स – कै पटल गेन दो तरह के होते ह – लांग टम कै पटल गेन और शॉट टम कै पटल गेन। जैसा
कै पटल गेन वैसा उसका टै स इ पै ट होता है। अगर संप को तीन साल से अ धक समय के बाद बेचा जाता है
तो लांग टम कै पटल गेन होता है। अगर इसे तीन साल से कम  समय म बेच, तो शॉट टम कै पटल गेन होता है।
इस कार यह  संप व य से संबं धत है।
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स ल ए साइज ूट या के य उ पाद शु क – कसी भी कंपनी अथवा फै टरी ारा उ पा दत व तु के


मू य पर लगाया जाता है।
सीमा शु क – यह एक अ य कर है, जसे दे श क सीमा से बाहर जाने वाली तथा दे श म बाहर से आने वाली
व तु पर लगाया जाता है अथात यह व तुतः नयात एवं आयात पर लगाया जाता है।
कॉर परेट टै स – यह कंप नय के लाभ पर लगाया जाता है। इसी कारण इसे कंपनी लाभ कर भी कहा जाता है।
यह आयकर क भां त एक य कर है।
टा प शु क का आरोपण के करता है, कतु उसका सं ह और व नयोजन ( य) रा य करते ह (अनु छे द
268)। अनु छे द 268 म टा प शु क के साथ-साथ औष ध तथा साधन पर उ पाद शु क का भी उ लेख है।
उ पाद शु क के इ तहास म वष 1986 एक ऐ तहा सक वष रहा जब द घकालीन राजकोषीय नी त (1985) के
या वयन म वी.पी. सह ( व मं ी) ारा 1 माच, 1986 से मोडवेट लागू कया। मोडवेट (संशो धत मू य व धत
कर ) भी एक कार का के य उ पाद शु क ही है।
सीमा शु क और नगम कर संघीय सरकार के ारा लगाए एवं उद् हीत कए जाते ह। ब कर पर रा य
सरकार को अन य प से अ धकार है। संप कर, भू राज व कर, उपहार कर और जोत कर पर रा य सरकार
का अ धकार  है।

आयकर, संप कर एवं संपदा शु क य कर है य क इनम करापात और कराघात दोन एक ही पर


होते ह। जब क ब कर म पर व े ता पर लगता है (कराघात) पर अंततः कर का भुगतान े ता को करना होता
है (करापात)। अतः यह अ य कर है।
मू य आधा रत कर (VAT- Value Added Tax) ब - ब ल य आधा रत कर णाली है जसम उ पादन/
वतरण ृंखला म लेन-दे न के येक चरण म ए मू य-संवधन पर कर लगाया जाता है। साथ ही यह व तु
तथा सेवा के अं तम उपभोग पर लगाया गया कर है जसका वहन अंततः उपभो ा को करना पड़ता है।

सेनवैट (CENVAT – Central Value Added Tax) का संबंध के य उ पाद शु क से है।


सेवा कर एक अ य कर है। इसे चेलैया स म त क सं तु त पर वष 1994-95 के व ीय वष क अव ध म लागू
कया गया था। यह संघ सूची का वषय है।
संपदा कर भारत म सव थम वष 1957 म लागू कया गया था।

दे श के के शा सत दे श अंडमान और नकोबार तथा ल पम ब कर लागू नही है।


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1 अ ैल, 2005 से लागू वैट णाली को त कालीन भारतीय जनता पाट शा सत रा य के साथ-साथ उ र दे श
(स.पा. शा सत रा य) तथा त मलनाडु (AIADMK शा सत रा य) ने अपनी सहम त नही द थी। अतः कां ेस
शा सत दे श -आं दे श तथा महारा म तो इसे लागू कया गया कतु छ ीसगढ़  और उ र दे श म इले लागू

नह कया गया।
भारत म आयकर 24 जलाई 1860 को सर जे स व सन ारा आरंभ कया गया था। यह ऐसा कर था जो
भारत म आयकर 24 जुलाई, 1860 को सर ज स  व सन ारा आरभ कया गया था। यह ऐसा कर था जो
चु नदा अमीर , शाही प रवार और टश नाग रक पर लगाया जाता था। आधु नक समय म आयकर क
आय पर लगाया जाने वाला एक वा षक कर है।
भारत म सव थम (वष 2003 म) मू य व धत कर (VAT) लगाने वाला रा य ह रयाणा था।
ऐसे कर जो व तु पर आरो पत होते ह (अथात अ य कर) व तु के मू य म वृ द ही करते ह। इसके वपरीत
य कर के कारण व तु के मू य अ भा वत रहते ह।

के सरकार ारा आयात या नयात पर लगाया जाने वाला कर सीमा शु क (Custom D uty) के नाम से
जाना जाता है।

मनोरंजन कर भारतीय सं वधान क सातव अनुसूची क सूची-2 (रा य सूची) के अधीन आता है। सूची-2 म
उ ल खत मद पर रा य सरकार कर आरो पत करती ह।

शराब पर उ पादन कर रा य सरकार ारा लगाया जाता है। इसका उ लेख सं वधान क सातव अनुसूची के
सूची-2 (रा य सूची) के 8व मद म कया गया है।

आयोजन

वतं ता प ात भारत के लोग को आ थक याय दलाने तथा दे श को आ म नभर एवं नेतृ वकता दे श क ेणी
म लाने हेतु नयोजन क रणनी त बनाई गई।
इस रणनी त के तहत अपने संसाधन क संभा ता का आकलन करते ए ाथ मकता का नधारण कया
गया तथा उनक ा त हेतु पांच वष य रणनी त बनाई गई। इसे पंचवष य योजनाएं कहा गया।
भारत म अब तक 12 पंचवष य सफलतापूवक संचा लत क जा चुक ह।

नई सरकार ारा आधु नक ज रत को दे खते ए पंचवष य रणनी त को छोड़कर नवीन द घका लक रणनी त पर
अ सर है।

जसके तहत द घका लक रणनी त को बनाकर उसक ा त हेतु म यका लक एवं वा षक योजनाएं बनाई
जाएंगी।
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योजना आयोग

योजना आयोग का गठन नयोगी स म त क अनुशंसा पर 15 माच, 1950 को मं मंडलीय ताव के ारा कया
गया था।

यह एक गैर-संवैधा नक सं था है।
इसके अ य धानमं ी होते ह।

यह एक सलाहकारी नकाय है।


योजना आयोग के थम अ य पं. जवाहरलाल नेह तथा थम उपा य गुलजारी लाल नंदा थे।

रा ीय वकास प रषद

योजना नमाण मे रा य क भू मका को सु न त करने हेतु 6 अग त, 1952 को रा ीय वकास प रषद का गठन


कया गया।
यह भी सं वधानो र  नकाय है। इसके अ य धानमं ी होते ह।

रा ीय वकास प रषद क संरचना न न ल खत है –

संरचना

अ य – धानमं ी

सद य –

1. सभी रा य के मु यमं ी एवं के शा सत दे श के उपरा यपाल/मु यमं ी


2. योजना आयोग के सभी सद य

3. के य मं प रषद

काय

योजना आयोग ारा तैयार क गई योजना को अं तम प दे ना।

रा ीय योजना के संचालन का मू यांकन।


रा ीय वकास को भा वत करने वाली नी तय क समी ा।

नोटः वतमान म योजना आयोग क जगह नी त आयोग ने ले ली है, जब क रा ीय वकास प रषद क संरचना अभी-
भी अपनी पुरानी थ त म यथावत है। इस लए अभी भी रा ीय वकास प रषद के सद य के प मे योजना आयोग
सद य ही दया जा रहा है।

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भारतीय सं वधान म नयोजन

भारत म नयोजन क ेरणा सं वधान क तावना (आ थक एवं सामा जक याय) तथा नी त नदशक त व
(अनु छे द 38, 39 व 46) से ा त होती है।
आ थक एवं सामा जक नयोजन का उ लेख सातव अनुसूची क समवत सूची क वृ 20 म मलता है।
के य मं मंडल के ताव पर 15 माच, 1950 को ग ठत योजना आयोग एक सं वधाने र परामशदा ी नकाय
है। भारत के धानमं ी योजना आयोग के पदे न अ य होते ह। 1 नजवरी, 2015 से योजना आयोग को समा त
कर उसके थान पर उसी तारीख (1 जनवरी, 2015) से नी त आयोग का गठन कया गया है। इसके उपा य
वतमान म राजीव कुमार है। NITI का अथ है – National Institution for Transforming India

नी त आयोग क ताजा रपोट के अनुसार

दे श 2014-15 म GSDP वृ द दर ((वतमान क मत पर))


(%म))
(%

म य दे श 16.86

महारा 11.69

बहार 17.06

गोवा अनुपल ध

नोटः वष 2013-14 म गोवा क वृ द दर 15.30% थी।

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मं मंडल के ताव पर ग ठत योजना आयोग एक सं वधाने र नकाय है। जसके उपा य एवं सद य क
सं या एवं कायकाल सरकार क इ छा पर आधा रत होता है तथा इसके सद य के लए कसी व श यो यता
का उ लेख नही है।
डॉ. मनमोहन सह 15 जनवरी, 1985 से 31 अग त, 1987 तक योजना आयोग के अ य रहे और णब मुखज
24 जून, 1991 से 15 मई, 1996 तक तथा म टे क सह अहलूवा लया 4 जुलाई 2004 से 26 मई, 2014 तक

योजना आयोग के उपा य रहे ह।


अ खल भारतीय ामीण साख सव ण स म त (1952) जसे ए.डी. गोरवाला स म त के नाम से जाना जाता है, ने
इंपी रयल बक के साथ कुछ रा य-संब द बक को मलाकर भारतीय टे ट बक क थापना क सं तु त क । 1
जुलाई, 1955 को इंपी रयल बक क सभी संप य तथा दे नदा रय का अ ध हण करते भारतीय टे ट बक ने
काय करना शु कया। यह दे श का पहला सबसे बड़ा रा ीयकृत बक है।
योजना आयोग ने जून, 2000 म इं डया वजन 2020 पर एक स म त ग ठत क थी, जसके अ य योजना
आयोग के सद य डॉ. एस.पी. गु ता थे।

12व पंचवष य योजना (2012-17) का उपशीषक है – ती , अ धक समावेशी एवं धारणीय वकास। इस योजना
म 25 मु य ल य नधा रत कए गए ह, जनम कुछ न नवत ह –

GDP म 8 तशत क वा त वक दर स संवृ द


4 तशत क दर से कृ ष संवृ द
10 तशत क दर से व नमाण संवृ द

त उपभोग गरीबी म 10 तशत कमी


योजना के दौरान गैर-कृ ष े क म 50 म लयन ने काय अवसर का सृजन आ द।

भारत म पंचवष य योजना का ा प योजना आयोग ारा तैयार कर के य मं मंडल के स मुख तुत कया
जाता है। मं मंडल के मंजूरी के बाद उसे वीकृ त हेतु रा ीय वकास प रषद ((NDC)
NDC) के पास भेजा जाता है।

 अंत म संसद क अनुम त मलने के प ात इसे आ धका रक योजना के प म भारत के राजप मे का शत कर


दया जाता है।
कसी रा म नयोजन न न उ े य क पू त के लए अपनाया जाता है –

1. संतु लत सामा जक-आ थक वकास के लए


2. वकास के लाभ सम प म व तृत करने के लए

3. आंच लक वषमता को र करने पर यान के त करने के लए


4. उपल ध संसाधन के उपयोग को अ धकतम बनाने के लए

वतमान म भारत क योजना के सावज नक य हेतु अ धकतम साधन ऋण से जुटाए जाते ह। ऋण के


अंतगत बाजर ऋण, अ पाव ध ऋण वदे शी सहायता, लघु बचत क एवज म जारी तभू तय , रा य भ व य
न धयां, पूंजीगत ा तय के उधार एवं अ य दे यताएं आते ह। बजट 2016-17 म उधार एवं अ य दे यताएं का
ह सा 21% है।
वष 1938 म नेशनल ला नग कमेट का गठन सुभाषच बोस के नदशन पर कया गया था। इस कमेट क
अ य ता जवाहरलाल नेह ने क थी।
वष 1944 म स द गांधीवाद अथशा ी ीमन नारायण अ वाल ारा भारत के आ थक नयोजन हेतु एक
योजना तुत क गई,  जसे गांधीवाद योजनात के नाम से जाना गया। इस योजना ारा वावलंबी गांव के
साथ-साथ वक कृत आ थक संरचना क थापना क संक पना थी।

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पछले दे श के लए रो लग लान का सुझाव जी. मडल ारा दया गया था। इस व था म  लान अनवरत
चलती रहती है। वष 1978 म मोरार जी दे साई के नेतृ व वाले जनता पाट सरकार ने भारत म इसे वीकार कया
था। परंतु इस योजना के प रणाम सकार मक नही रहे। फलतः वष 1980 म इं दरा गांधी के नेतृ व वाली कां ेस 
सरकार ने इसके थान पर पुनः पंचवष य योजना को वीकार कया।
चल योजना या रो लग लान एक द घका लक योजना होती है इसम तीन योजनाएं अ पकालीन (एक वष),
म यकालीन (3-5 वष हेतु) तथा द घकालीन (10-20 वष हेतु) योजनाएं बनाई जाती ह। रो लग लान के तहत
योजना मे आव यक संशोधन कया जाता है। इस कार यह एक लचीली योजना है जो वयं को प र थ तय के
अनु प समायो जत करते ए आगे बढ़ती है।
सं वधान के सातव अनुसूची क समवत सूची क व सं या 20 म आ थक एवं सामा जक नयोजन का
उ लेख कया गया है।

गु ार मडल ने अपनी पु तक Indian Economic in its Broader Setting म रो लग लान को


वकासशील दे श के लए अनुशं सत कया था।

वष 1951 जब से योजना या ारंभ ई, से लेकर अब तक पंचवष य योजना म अना छा दत कुल वष क


सं या 7 है। 1966-69 तक 3 वष तक योजनावकाश रहा। पुनः 1978-79 म अनवरत योजना लागू रही जब क
वष 1979-80 म कोई योजना नही लागू क गई और सातव योजना के समापन वष 1990 तथा आठव योजना
के ारं भक वष 1992 के म य 2 वष का अंतराल रहा।
पांचवी पंचवष य योजना के अंतगत पहली बार गरीबी नवारण के उ े य के साथ गरीब वग क यूनतम
आव यकता क पू त हेतु रा ीय वकास काय म को ारंभ कया गया था।
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रा ीय वकास प रषद ारा बारहव पंचवष य योजना हेतु ता वत कोण प मे सकल घरेलू उ पाद दर हेतु
9-9.5% का ल य रखा गया था। तथा प 27 दसंबर, 2012 को रा ीय वकास प रषद (NDC) ारा बारहव
पंचवष य योजना को वीकृ त दए जाने के साथ इसके तहत औसत वा षक वकास दर के ल य को घटाकर 8%,
कृ ष एवं संब द े वकास दर ल य 4.0%, औ ो गक े वकास दर ल य 7.6% तथा सेवा से वकास दर
ल य 9.0% कर दया गया है।
चतुथ पंचवष य योजना म े ीय वषमता को र करने के उ े य के साथ वकास के उपागम क शु आत क
गई। य प वकास के उपागम का ारंभ चौथी योजना म आ, तथा प इस पर वशेष बल पांचवी योजना म
दया गया। संसाधन आधा रत काय म, सम या आधा रत काय म, ल त समूह उपागम, ो साहन कोण
और ापक े उपागम आ द वकास के उपागम के घटक थे।

बारहव पंचवष य योजना के दौरान कृ ष, वा नक क म यपालन क वृ द दर 4% के तर पर अनुमा नत है।


भारत म तीय पंचवष य योजना 1 अ ैल, 1956 – 31 माच, 1961 तक चली। यह योजना ो.पी.सी.
महालनो बस के मॉडल पर आधा रत थी। इस योजना का मूलभूत उ े य दे श म औ ोगीकरण क या ारंभ
करना था। वष 1956 मे घो षत  औ ो गक नी त म समाजवाद ढं ग से समाज क थापना को वीकार कया
गया।
नौवी पंचवष य योजना म कुल श ा बजट का 66% ाथ मक श ा हेतु आवं टत कया गया था।
 बारहव पंचवष य योजना का कायकाल वष 2012-17 है।
सरकार के अनुमान के अनुसार, 12व पंचवष य योजना म आधारभूत संरचना के लए आव यक नवेश 55.7
ु ु ू
लाख करोड़ . (लगभग एक लयन डॉलर अथवा 1000 ब लयन डॉलर) रहने का अनुमान है।
भारत क 11व पंचवष य योजना (2007-12) का आधार 3644718 करोड़ . रखा गया था। 12व पंचवष य
योजना (2012-2017) का आकार 8050123 करोड़ . था।

12व पंचवष य योजना म सवा धक धनरा श सामा जक सेवा


12 क मद म व न हत क गई है। इसम
कुल 2664843 करोड़ पये व न हत कया गया है जो कुल प र य का 3.4% होगा।

े ानुसार 12
12व योजना का प र य है –

ल त रा श तशत अंश

1.   कृ ष एवं संब द े (करोड़ . म) 363273 4.7

2.   ामीण वकास 457464 6.0

3.   ऊजा 1438466 18.8

4.   प रवहन 1204172 15.7

5.   संचार 80984 1.1

6.   सामा जक सेवाएं 26644843 34.7

12व पंचवष य योजना (2012-17) के अवधारणा द तावेज का के ब है – ती , अ धक समावेशी और


धारणीय वकास (Faster, More Inclusive and Sustainable Growth)

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सातव पंचवष य योजना (1985-90) 31 माच, 1990 को समा त ई। सातव पंचवष य योजना के समापन से दो
वष के अंतराल के बाद आठव योजना 1 अ ैल, 1992 से ारंभ ई थी जसक अव ध 31 माच, 1997 तक थी।

योजना काय म

थम योजना (1951-1956) वष 1952 म सामुदा यक वकास काय म एवं 1953


म रा ीय सार सेवा ारंभ

तीय योजना (1956-1961) आधारभूत तथा भारी उ ोग पर वशेष बल के साथ ती


औ ोगीकरण को सव च ाथ मकता

तृतीय योजना (1961-1966) आधारभूत उ ोग के वकास के साथ कृ ष े


(खा ा ) पर वशेष बल

चतुथ योजना (1969-1974) वावलंबन (आ म नभरता) क ा त एवं थरता के


साथ आ थक वकास (Growth with stability)

पंचम योजना (1974-1979) वष 1974 म यूनतम आव यकता काय म वष 1977-


78 म खा के बदले अनाज काय म तथा 1977-78
म अं योदय योजना क शु आत

सामा जक याय एवं समानता के साथ संवृ द पर बल 9व पंचवष य योजना म दया गया। इस योजना का काल
 वष 1997-2002 था। इस योजना म ल त वकास दर 6.5% के व द वा त वक वृ द 5.4% ई।

नव पंचवष य योजना (1997-2002) म मुख ूहरचना (Major Strategy) के प म म हला अंश योजना
(Women’s Component Plan) को ारंभ कया गया था। इस योजना म म हला से संबं धत े ो हेतु
30% धनरा श (कुल रा श का) आवं टत क गई थी।
थम पंचवष य योजना (1 अ ैल, 1951 से 31 माच, 1956) हैरोड-डोमर संवृ द मॉडल पर आधा रत थी। थम
योजना म मु य ाथ मकता कृ ष एवं सचाई े को दया गया। तीय पंचवष य योजना (1956-1961) पी.सी.
महालनो बस मॉडल पर आधा रत थी।
ला नग एंड द पुअर पु तक के लेखक बी.एस. मनहास ह।

योजना प का का काशन भारत के सूचना एवं सारण मं ालय के अधीन काशन वभाग ारा कया जाता
है। यह एक मा सक प का है।

थम पंचवष य योजना पं. जवाहर लाल नेह ारा 8 दसंबर, 1951 को संसद म तुत क गई। रा ीय वकास
प रषद का गठन 6 अग त, 1952 को कया गया था। वतं भारत म मु ा का अवमू यन थम बार 1949 म आ
था। जब क भारत अंतरा ीय मु ा कोष ( था पत-1945) का सं थापक सद य है।

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बाजार अथ व था मू य तं होने के कारण लाभ से संचा लत होती है। फलतः अथ व था के वे े जनम


पया त लाभ-उपाजन क संभावना न हो, म नवेश कम होता है और ऐसे े वकास के म म पीछे छू ट जाते ह।
भारतीय कृ ष े ऐसा ही े है, जसम लाभ क दर तो कम है, कतु जो सम अथ व था के वकास क
से अ यंत मह वपूण है।

योजना म कोर से टर ऐसे उ ोग ह, जो अथ व था के द घका लक आ थक वकास क से वशेष मह व


रखते ह। कोर से टर क ेणी म 8 आधारभूत उ ोग यथा – इ पात, सीमट, उवरक , ख नज तेल, कोयला,
ाकृ तक गैस, रफाइनरी उ पाद और व ुत स म लत ह।
सं वधान के नी त नदे शक त व वाले भाग 4 म पंचायती राज (अनु. 40) का उ लेख है। अनु. 40 म ाम को
नयोजन क सबसे ाथ मक इकाई के प म वीकार कया गया है। 73व सं वधान संशोधन के मा यम से
पंचायती राज को मूत प दे ने का यास कया गया है। ऐसा इस लए कया गया है, य क नीचे से ऊपर
नयोजन ऐसा ल य है, जसे ा त करना अभी शेष है।

यारवह पंचवष य योजना म श ा के लए वषय-व तु (Theme) अ नवाय ारं भक श ा है। इस योजना म


Drop Out Rate को 20% तक करने एवं ारं भक श ा हेतु यूनतम मानक तय करने के साथ वष 2011-12
तक सा रता दर को 85% करने का ल य नधा रत कया गया था।

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भारत म ह रत ां त क शु आत वष 1966-67 म क गई थी तथा 14 बक का रा ीयकरण पहली बार 19


जुलाई, 1969 म कया गया जब क गरीबी हटा का नारा इं दरा गांधी ारा वष 1971 म दया गया, जसे पांचवी
पंचवष य योजना (1974-78) के मु य ल य के प म शा मल कया गया।
11व पंचवष य योजना म त घरेलू उ पाद वकास दर का ल य 7.6% तवष का था जसके कारण
इसके अगले 10 वष म दो गुना के तर पर प ंचने क संभावना थी।

11व पंचवष य योजना म कृ ष, उ ोग और सेवा े क वकास दर के लए मशः 4.1%, 10.5% और 9.9%


का ल य नधा रत कया गया था।
एक कृत ामीण वकास काय म (IRDP) क शु आत 2 अ टू बर, 1980 को क गई। इसके या वयन के
लए संपूण प रवार का अंगीकरण कया गया है। मसलन सरकार ने गरीबी रेखा को प रभा षत करने के लए
IRDP म प रवार को ही इकाई के प म चुना है। 1 अ ैल, 1999 से IRDP को वण जंयती ाम व-रोजगार
योजना (SGSY) के प म पुनग ठत कया गया।

वष 1985-90 क अव ध वाली पंचवष य योजना क रणनी त गरीबी, बेरोजगारी तथा े ीय वषमता पर हार
करना था। फलतः इस योजना मे उन सभी नी तय पर बल दया गया, जो खा ा के उ पादन क ती वृ द एवं
रोजगार अवसर को बढ़ा सके तथा उ पाकता म वृ द कर।
आठव पंचवष य योजना का मूलभूत उ े य व भ पहलु म मानव वकास था।

आठव पंचवष य योजना क मु य ाथ मकता मे न हत था वकास या को थायी आधार पर समथन


दे ने हेतु आधारभूत ढांचे (प रवहन, संचार, ऊजा एवं सचाई) को मजबूत करना।
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भारत म सव थम वसंपो षत वकास का उ े य चतुथ पंचवष य योजना म अपनाया गया था। तीसरी पंचवष य
योजना म खा ा के े म आ म नभरता हा सल करने का ल य रखा गया था।

जुलाई, 1991 म नई आ थक नी त के अंगीकरण के प ात ारंभ आठव योजना म सावज नक (लोक) े के
प र य म कमी आई। इसका कारण यह था, क वकास क या म नजी े को अब पहले से अ धक मह व
ई इ ह , ह ह
दया जाने लगा।

दसव एवं बारहव पंचवष य योजना म व भ मद पर य–

  10व योजना
10 12व योजना
12

ऊजा 26.47% 18.8%

सामा जक सेवाएं 22.79% 34.7%

प रवहन 14.31% 15.7%

संचार 6.43% 1.1%

दसव पंचवष य योजना के  दौरान द गई फसल तथा उनसे संबं धत संवृ द दर का सुमेलन न नानुसार
है –

फसल संवृ द दर (%
(%म))

दलहन एवं तलहन म 4.29

फल एवं स जय म 2.97

अनाज म 1.28

अ य फसल म 3.58

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दसव पंचवष य योजना म े से संब धत वृ द दर ल य था –

े वृ द  दर (ल य)

कृ ष 3.97%

उ ोग 8.90%

यातायात (प रवहन) 6.47%

ापार 9.44%

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1 अ ैल, 2002 से 31 माच 2017 क अव ध वाली दसवी पंचवष य योजना म संचार े म 15.0% वृ द दर का
ल य नधा रत था, जो उ चतम वृ द दर ल य था।
दसव पंचवष य योजना क अव ध 1 अ ैल, 2002 से 31 माच, 2007 थी। अतः दसव योजना का समापन वष
2007 म आ।
कुछ योजना क संवृ द दर न न ल खत रही –

सातव योजना     –   5.8%

आठवी योजना     –   6.8%



नौव योजना      –   5.4%
दसव योजना     –   7.6%

यारहव योजना के ा प के प के अनुसार, ल त संवृ द दर के ा त होने तथा  जनसं या के 1.5% वा षक


वृ द होने पर एक औसत भारतीय क वा त वक आय 10 वष म दोगुनी हो जाएगी।

पंचवष य योजनाओ के दौरान आ थक वकास क दर न न ल खत थी –

पहली पंचवष य योजना      –   3.6%

चौथी पंचवष य योजना      –   3.3%

छठ पंचवष य योजना       –   5.7%

दसव पंचवष य योजना      –   7.6%

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मु ा एवं बै कग

मु ा ((Money)
Money)

“मु ा वह है, जो मु ा का काय कर।”

मु म न न वशेषताएं होती ह –

1. मु ा सव वीकाय होती है।

2. मु ा वैधा नक मा यता ा त होती है।


3. मु ा एक प एवं वभाजनीय होती है।

काय

मु ा के काय को द भाग म बांटा जाता है –

1. ाथ मक काय –

व नमय का मा यम
मू य का मापक

2. गौण काय –

भावी भुगतान का आधार

मू य का संचय
मू य का ह तांतरण

मु ा क मांग

मु ा क मांग सामा य तौर पर तीन काय हेतु क जाती है –

1. लेन-दे न (Transaction) उ े य क पू त हेतु


2. सतकता (Precautionary) उ े य अथात आक मक आव यकता क पूत हेतु
3. स ा (Speculation) उ े य अथात आक मक अवसर से लाभ कमाने हेतु।

मु ा क पू त

भारत म मु ा क पू त का नयमन भारतीय रजव बक ारा कया जाता है।

भारत म मु ा क पू त हेतु यूनतम न ध णाली (Minimum Reserve System) अपनाई जाती है।
इसके तहत यूनतम 200 करोड़ पये क न ध रखकर भारतीय रजव बक कतनी भी मु ा छाप सकता है।
इस 200 करोड़ क न ध म 115 करोड़ पये वण म रखने होते ह, जब क 85 करोड़ पये वदे शी तभू तय
म।

भारत म मु ा क पू त को चार मापक के आधार पर मापा जाता है –
1. M1 = चलन म करसी +  मांग जमा + अ य जमा

   C                          +            D           +                   OD

2. M2 = M1 + डाकखाने क जमाएं
3. M3 = M1 + साव ध जमाएं

4. M4 = M3 + डाकखाने क जमाएं

इन मु ा का तरलता म है – M1>M2>M3>M4

ापकता म – M4>M3>M2>M1
नोट – M3 को वृहद मु ा (Broader Money) कहा जाता है।
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ब कग

भारत म ब कग इ तहास

भारत म सबसे पहला बक 1806 ई. म बक ऑफ बंगाल था पत आ।

इसके बाद 1840 ई. म बक ऑफ बॉ बे तथा 1843 ई. म बक ऑफ म ास अ त व म आए।


आगे चलकर 1921 म इ ह तीन बक को मलाकर इंपी रयल बक ऑफ इं डया का गठन कया गया जो 1
जनवरी, 1955 को रा ीयकृत होकर भारतीय टे ट (SBI) के प म सामने आया।
1881 ई. म थम भारतीय बक अवध काम शयल बक क थापना क गई।

यह सी मत दा य व वाला भारतीय बक था।


इसी म म 1894 म थम पूण प से भारतीय बक पंजाब नेशनल बक क थापना क गई।

बको का रा ीयकरण

भारतीय ब कग इ तहास म एक बड़ी घटना 19 जुलाई, 1969 को घट जब 14 बक जनक जमारा श 50 करोड़


पये या उससे अ धक थी, का रा ीयकरण कर दया गया।

इसी म म 15 अ ैल, 1980 को 5 और वा ण यक बक (200 करोड़) रा ीयकरण कया गया।


कालांतर म वष 1993 म यू बक ऑफ इं डया का पंजाब नेशनल बक म वलय होने से इनक सं या 19 रह गई।
वतमान म IDBI के रा ीयकरण के बाद सावज नक े के कुल बक क सं या 21 (19+SBI+IDBI = 21
Bank) हो गई है।
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भारतीय रजव बक ((RBI)


RBI)

भारतीय रजव बक दे श का के य बक है।


दे श म मौ क नी त का नधारण इसी के ारा कया जाता है।
भारत म एक के य बक के गठन क अनुशंसा वष 1926 म ग ठत ह टन यंग स म त ारा क गई थी।
इसी के अनुपालन मे भारतीय रजव बक अ ध नयम, 1934 के तहत 1 अ ैल, 1935 को RBI क थापना क
गई।
इसका 1 जनवरी, 1949 को रा ीयकरण कया गया तथा सी.डी. दे शमुख वतं भारत के पहले गवनर बने।

RBI के काय

1. नोटो का नगमन करना


2. सरकार के बक के प म काय करना
3. बक के बक के प म काय करना
4. साख (ऋण) का नयं ण करना।

के य बक साख का नयं ण दो व धय से करता है – मा ा मक नयं ण एवं गुणा मक नयं ण।


मा ा मक नयं ण के तहत RBI अथ व था म एक समान प से बना भेदभाव कए सभी े म साख सृजन
को भा वत करता है।

 गुणा मक साख नयं ण हेतु वह कसी े वशेष म साख का नयं ण करता है पूरी अथ व था म नही।
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तरलता नयं ण के उपकरण

1. नकद आर त अनुपात ((Cash


Cash Reserve Ration – CRR)

अपनी सभी जमा (मांग जमा एवं साव ध जमा) का वह अनुपात जो वा ण यक बक को RBI के पास जमा
करना होता है, CRR कहलाता है।
वतमान म इसक दर 4 तशत है।

CRR म वृ द से बक के पास तरलता मे कमी आती है, जब क इसके वपरीत इसम कमी तरलता को बढ़ाती है।

2. सां व धक तरलता अनुपात ((Stratuary


Stratuary Liquidity Ratio – SLR)

बक क सम जमा का वह अनुपात जो उ ह सरकारी तभू तय , वण, नकद जैसी चल एवं सुर त


संप य के प म रखना होता है SLR कहलाता है।
यह भी तरलता से ऋणा मक प से संबं धत होता है। वतमान म यह 19.5 तशत है।
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साख नयं ण के उपकरण

1. रेपो दर ((REPO
REPO Rate)

यह वह दर है जस पर RBI वा ण यक बक को अ पकालीन ऋण उपल ध कराता है।


यह अनुसू चत बक के साख सृजन मता को भा वत करता है।
रेपो क कम दर के कारण बक अ धम मा ा म साख सृजन कर सकते ह, यो क उ ह RBI से स ती दर पर ऋण
क ा त होती है।

2. रवस रेपो दर

वह दर जस पर RBI वा ण यक बक क RBI म जमा पर याज दे ती है, रवस रेपो दर कहलाता है।

3. बक दर ((Bank
Bank Rate)

वह दर जस पर RBI वा ण यक बक को द घकलीन ऋण दे ती है, बक दर कहलाता है।


इसका भी साख सृजन से वपरीत संबंध होता है।

4. सीमांत थायी सु वधा दर ((MSF


MSF Rate)

अनुसू चत वा ण यक बक अपनी अ त अ पकालीन तरलता आव यकता क पू त हेतु अपने SLR के बदले


RBI से जस दर पर ऋण लेते ह, उसे MSF दर कहा जाता है।

उ लेखनीय है क बक MSF दर पर अपनी कुल जमा के 2 तशत से अ धक ऋण नही ले सकते ह।


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RBI ारा साख नयं ण

गुणा मक नयं ण उपकरण

1. बक दर
2. MSF दर

3. खुले बाजार क याएं


4. रेपो/ रवस रेपो
5. CRR एवं SLR

चयना मक साख नयं ण उपकरण

1. यूनतम सीमा का नधारण


2. नै तक दबाव एवं सलाह
3. साख मानद ड का नधारण

म ा फ त एवं अव फ त
मु ा फ त एव अव फ त

क मत म एक थायी वृ द क वृ क मु ा फ त तथा क मत म थायी कमी क वृ को मु ा अव फ त


कहा जाता है।

दर के आधार पर

दर के आधार पर मु ा फ त को न न प म बांटा जाता है –

1. रगती फ त ((Creeping
Creeping Inflation) – जब फ त क दर एक अंक य हो।

2. कूदती फ त ((Hyper
Hyper Inflation) – जब फ त दो या तीन अंक य हो।
3. अ ध फ त ((Hyper
Hyper Inflation) – जब फ त क दर ब त अ धक हो। जैसे ज बा वे म 22.9 करोड़
तशत।

जब फ त मांग के बढ़ने के कारण आए, तो इसे मांग े रत फ त कहते ह, जब क क ह कारण से लागत मे


वृ द हो जाए, तो इस थ त म उ प फ त लागत े रत फ त कहलाती है।
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फ त के तीन मुख कारण

1. मांग म वृ द करने वाले कारक

मु ा क पू त बढ़ जाए
कालाधन

सावज नक य म वृ द
ऋण का पुनभुगतान कया जाए
जनसं या म वृ द
कारारोपण म कटौती

2. पू त म कमी करने वाले कारक

साधन क पू त मे कमी
मक आंदोलन
ाकृ तक संकट
कृ म लभता

नयात बढ़ जाए एवं आयात म कमी


उप ास नयम भावी हो (अथात आगे उ पादन करने पर लागत बढ़ जाए)

3. लागत म वृ द करने वाले कारक

साधन क मांग म वृ द
जीवन नवाह लागत म वृ द
एका धकार लाभ म वृ द

मज र संघो ारा लागत वृ द


ापा रय का अनै तक गठबंधन

फलसव

वष 1958 म ड यू. फ ल स ने मु ा फ त दर एवं बेरोजगारी के म य अ पका लक संबंध क ा या क ।


उनके अनुसार अ पकाल म बेरोजगारी दर एवं मु ा फ त क म य ऋणा मक संबंध होता है। अथात फ त दर
नयं ण बेरोजगारी को बढाएगा।

फ त दर a 1/ बेरोजगारी

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मु ा फ त पर नयं ण के उपाय

राजकोषीय उपाय//सरकारी यास



1. करारोपण म वृ द
2. सावज नक य म कमी
3. ऋण मे वृ द
4. य कायवा हयां
5. सावज नक वतरण णाली
6. आयात म वृ द

मौ क उपाय

1. CRR म वृ द

2. SLR म वृ द
3. Repo दर म वृ द
4. Reverse Repo म वृ द
5. बक दर म वृ द
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मु ा फ त का भाव

वग भाव

उपभो ा -ve

ऋणी +ve

ऋणदाता -ve

सावज नक बचत -ve

सावज नक य +ve

आयात +ve

नयात -ve

रोजगार +ve

उ पादन +ve

उ पादक +ve

ापारी +ve

कृषक +ve

प रवतनशील आय वग +ve

थर आय वग -ve

पशन भोगी -ve

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व मं ालय और भारतीय रजव बक ने मई, 2016 म नकद र हत लेन-दे न को बढ़ावा दे ने के लए नीरज कुमार
गु ता क अ य ता म एक स म त का गठन कया था, जसम 7 सद य थे। इसी म म 8 नवंबर को लए गए
 वमु करण के नणय के बाद 25 नवंबर, 2016 को के सरकार ारा सरकार-नाग रक के म य ड जटल लेन-
दे न को बढ़ावा दे ने हेतु नी त आयोग के सीईओ अ मताभ कांत क अ य ता म भी एक स म त का गठन कया
गया।
मसाला बॉ ड के ारा भारतीय सं थान वदे शी बाजार से वदे शी मु ा के बजाय पये म पैसा जुटा सकते ह।
जुलाई, 2016 म HDFC पहली ऐसी भारतीय कंपनी बनी, जसने लंदन टॉक ए सचज म समाला बा ड् स जारी
कए। सरल श द मे वदे शी पूंजी बाजार म नवेश के लए भारतीय पये म जारी कया जाने वाला बॉ ड,
मसाला बॉ ड है। इस सु वधा के पूव अंतररा ीय बाजार म नवेश के लए बॉ ड डॉलर मे जारी करना होता था।
भारत म रा ीय यादश सव ण 2011-12 के अनुसार, चालू दै नक थ त (CDS) बेरोजगारी दर 5.6 तशत
थी।
रंगराजन स म त ारा ामीण एवं शहरी े के लए गरीबी रेखा के नधारण मे अलग-अलग उपभोग य लया
गया है। स म त के अनुसार, भारत म ामीण े म त त दन 32 पये (972 . मा सक) उपभोग म
य तथा शहरी े म 47 पये (1407 . मा सक) त दन त उपभोग य, गरीबी रेखा को नधा रत
करती है। रंगराजन स म त ारा द गई प रभाषा के अनुसार, वष 2011-12 म भारत क 29.5 फ सद जनसं या
गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करती है, जब क वष 2011-12 के लए त लकर स म त का अनुमान 21.9
तशत  गरीबी का है।
भारत सरकार ारा अनुमो दत स म प रयोजना नवीन अ य कर नेटवक से संबं धत है। आ थक मामल क
कै बनेट स म त ने इस प रयोजना को 28 सतंबर, 2016 को अपनी वीकृ त द । प रयोजना क कुल लागत
2256 करोड़ पये है, जब क अव ध सात वष है। यह प रयोजना व तु एवं सेवा कर के काया वयन म सहायक
होगी। साथ ही यह योजना क टम वभाग के ापार के सुगमीकरण हेतु सगल वडो इंटरफेस (SWIFT) को
व ता रत भी करेगी।
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पे काड (RuPay Card) भारतीय रा ीय भुगतान नगम (NPCI) ारा अ ैल, 2011 म वक सत वदे शी
णाली पर आधा रत एट एम काड है। इसका नाम दो श द पया और पेमट से मलाकर रखा गया है। इसे
ब रा ीय वीजा, अमे रकन, ए स ेस एवं मा टर काड क तरह योग कया जाता है। 8 मई, 2014 को भारत के
रा प त णब मुखज ने भारत का अपना भुगतान काड पे रा को सम पत कया। भारतीय रा ीय भुगतान
नगम भारतीय रजव बक ारा वष 2008 म था पत एक नगम है, जसे भारत म व भ भुगतान णा लय के
लए मातृसं था के प म क पत कया गया है। यह दे श म व ीय समवेशन के संवधन म सहायता करता है।
व ीय समावेशन को दे शभर म फैलाने के लए नजी े म छोटे व बक (Small Finance Banks) व
भुगतान बक (Payments Banks) क थापना क घोषणा व मं ी अ ण जेटली ने जुलाई, 2014 म
के य बजट म क थी। इन बक क थापना के लए अं तम दशा- नदश भारतीय रजव बक (RBI) ने 27
नवंबर, 2014 मे जारी कए। लघु व बक क थापना का उ े य मु यतः जनसं या के वं चत तथा अ प सेवा
ा त वग के लए बचत के साधन का ावधान करना तथा लघु कारोबार इकाइय , छोटे और सीमांत कसान ,
माइ ो और लघु उ ोगो तथा असंग ठत े क अ य सं था को उ च ौ ो गक , कम लागत प रचालन के
मा यम से ऋण क आपू त करना है।
एक कृत भुगतान अंतरापृ (UPI) एक व रत भुगतान णाली है, जसे RBI व नय मत इकाई के भारतीय
रा ीय भुगतान नगम (NPCI) ने वक सत कया है। यह IMPS अवसंरचना के आधार पर बना आ और कसी
दो प के बक खात के बीच पैस के तुरंत लेन-दे न को माटफोन के मा यम से संप करता है। यह ाहक को
एक बक खाते से व भ ापा रय (Merchants) को ऑनलाइन या ऑफलाइन भुगतान क सु वधा दान

करता है, वह भी बना कसी े डट काड वतरण, IFSC कोड या नेट ब कग/वॉलेट पासवड क परेशानी के
UPI का मु य लाभ लेन-दे न करना सरल और आसान बनाना है। इसे बक खाते से लक करने के बाद वॉलेट क
तरह टॉपअप कए बना नबाध भुगताने कया जा सकता है। वॉलेट म पैसे ह या नह क चता कए बना सीधे
बक थानांतरण के लए UPI का योग करना आसान होता है।
वष 1957 म भारत म मु ा क दशमलव णाली चलन म आई। वष 1957 से 1964 तर टकसाल से उ पा दत
पैसा को नया पैसा कहा गया। वष 1964 म नया पैसा म से या श द बाहर कर दया गया तथा अब इसे पैसा कहा
गया। अतः मु ा क दशमलव णाली के साथ च लत नया पैसा 1 जून 1964 से पैसा हो गया।
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बटकाइंस एक आभाषी मु ा (Virtual Currency) है। इसका वकास सातोशी नाकामोतो नामक ो ामर (या
ो ामर का समूह) ारा कया गया था। यह एक इले ॉ नक भुगतान णाली है। यह के य बक के नयं ण
से परे होता है। यह एक पीयर टू पीयर ((Peer
Peer to Peer) णाली है। इसके अंतगत उपयोगकता ारा बना
कसी म य थ एवं बना कसी पहचान को उजागर कए लेन-दे न कया जा सकता है।
बक के थापना वष

भारतीय टे ट बक      –   1955

 अ णी बक योजना     –   1969

े ीय ामीण बक – 1975
ीय ामीण बक        1975

नाबाड               –   1982

सुलभ मु ा से ता पय तरल मु ा से है। इसके अंतगत जनता के पास उपल ध करसी, बक क मांग जमाएं तथा
भारतीय रजव बक के अ य जमा रा शयां आती ह।
भारत म मु ा गुणक को वृहद या थूल मु ा (M3) और आर त मु ा (M0) के अनुपात के प म मापते ह। अतः
य द मु ा गुणक K हो, तो K = M3/M0 या M3/Rm

यह वदे शी मु ा जसम व रत वास क वृ होती है, गम मु ा (Hot Money) कहलाती है। नवेशक ारा
उ च याज दर से लाभ ा त हेतु इस कार क मु ा का वाह एक दे श से सरे दे श म आसानी से कया जाता
है।
भारतीय रजव बक को . 10,000 तक करसी नोट छापने का अ धकार ा त है। वतमान म भारतीय रजव
बक 1, 2 , 5 . के स के तथा 10, 20, 50, 100, 500 तथा 2000 के करसी नोट छापने का काय कर रही है।
नोट नगमन के लए वष 1956 म यूनतम वदे शी कोष णाली अपनाई गई जसके तहत 515 करोड़ . वदे शी
कोष ( जसम 115 करोड़ . वण तथा 400 करोड़ . वदे शी तभू त) के प म तथा शेष मू य पये क
तभू त म रखना आव यक था। 31 अ टू बर, 1957 के बाद रजव बक ए ट के संशोधन के अनुसार, इसे
घटाकर  केवल 200 करोड़ . कर दया गया जसम 115 करोड़ . सोने के प म रखना अ नवाय होगा तथा
नग मत नोट के शेष ह से के पीछे 85 करोड़ . क तभू त रखना अ नवाय  होगा।

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भारत म स के ढालने का एकमा आ धकार भारत सरकार को है। स का नमाण का दा य व समय-समय पर


यथा संशो धत स का नमाण अ ध नयम, 1906 के अनुसार भारत सरकार का है। व भ मू य वग के स क
के अ भक प तैयार करने और उनक ढलाई करने का दा य व भी भारत सरकार का है। भारतीय रजव बैक
अ ध नयम के अनुसार, प रचालन के लए स के भारतीय रजव बक के मा यम से ही जारी कए जाते ह।

भारत म मुंबई, कोलकाता तथा हैदराबाद मे टकसाल ( स का ढलाई के ) पूव म ही था पत क गई थी, इसके
अतर वष 1988 म नोडा म एक और टकसाल था पत क गई।
मु ा सार से ता पय अथ व था म मु ा क मा ा म वृ द से है। मु ा सार के कारण मु ा क यश गर
जाती है। अथात मु ा क न त मा ा से पूव क अपे ा, कम व तु अथवा सेवा का य कया जा सकता
है। इन सबके प रणाम व प सामा य क मत तर बढ़ जाता है।
भारत म मु ा संबंधी नोट क नगमन णाली आनुपा तक कोष णाली से बदलकर वष 1956 म यूनतम थर
कोष णाली हो गई है।

कसी अथ व था म जब व तु के मू य म वृ द होती है तथा मु ा के मू य म कमी तो उस समय मु ा सार


क थ त उ प होती है।
भारत म कागजी मु ा क शु आत सव थम बक ऑफ ह तान (1770-1832), जनरल बक ऑफ बंगाल एंड
बहार (1773-75 वॉरेन हे टं स ारा था पत) तथा बंगाल बक (1784-91) ारा क गई थी। 1861 के पेपर
करसी ए ट ारा भारत क त कालीन टश सरकार ने नजी और ेसीडसी बक से कागजी मु ा के नगमन का
अ धकार ले लया। त प ात भारत सरकार ारा सव थम कागजी मु ा 1862 म  जारी क गई।

ऐसी मु ा जो चलन मे नही होती तथा केवल लेखांकन उ े य के लए होती है, कृ म मु ा कहलाती है। SDR
(Special Drawing Right) ऐसी ही मु ा है जो IMF (अंतररा ीय मु ा कोष) के लेन-दे न के लेखांकन के
लए इ तेमाल होती है। ADR अमे रकन डपॉ जटरी र स ट् स तथा GDR लोबल डपॉ जटरी को करता
है।

प मी हद महासागर थत सेशे स (Seychelles) क मु ा पया है। भूटान क मु ा – गुल म, मले शया क


मु ा – रग गट तथ मालद व क मु ा पया है।
बां लादे श क मु ा टका है। पया – नेपाल क , द नार – इराक क तथा लीरा (वतमान म यूरो) इटली क मु ा है।
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बहत (Bahat) थाईलड क व धक मु ा है। टक लीरा – तुक क , ड ग – वयतनाम क तथा रयाल – ईरान क
मु ा है।

चीन क मु ा युआन है जब क लीरा (वतमान म यूरो) इटली क , येना – जापान क तथा पया – भारत क मु ा
है।
संयु सूडान क मु ा द नार (एवं सूडानी प ड), पूव यूगो ला वया क मु ा यू यूगो लाव द नार तथा ूनी शया
क भी द नार है जब क संयु अरब अमीरात (UAE) क मु ा दरहम है।
मे सको –   पेसो

आ या     –   श लग (वतमान म यूरो)


जापान       –   येन

अऊद अरब   –   रयाल

मू य तर म लगातार तेज संचयी तथा थायी वृ द मु ा फ त कहलाती है। इस अव था म व तु का मू य


तेजी से बढ़ता (मांग आ ध य के कारण) है तथा मु ा का मू य गरता ( य श म कमी के कारण) है। अ य
दे श क तुलना म वदे श म क मत अ धक तेजी से बढ़ने के कारण यह वदे शी कर सय क अपे ा पये को
कमजोर कर दे ती ह। अतः व नमय दर म सुधार नही होता है।
भारत म मु ा फ त क दर क माप तीन आधार – उपभो ा मू य सूचकांक (CPI), थोक मू य सूचकांक
(WPI) तथा मक के जीवन- नवाह लागत सूचकांक, पर क जाती है तथा प इनमे सवा धक च लत माप
थोक मू य सूचकांक आधा रत मु ा फ त (WPI Inflation) है।
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भारत म मु ा फ त के ा कलन का सबसे च लत माप थोक मू य सूचकांक है। पहला थोक सूचकांक 10
जनवरी, 1942 से शु होने वाले स ताह से ारंभ आ। जब क आधार पर वष 1939 = 100 लया गया। वतमान
मे थोक मू य सूचकांक का आधार वष 2011-12 है।

अव फ त माल तथा सेवा के सामा य क मत तर म आई सतत गरावट है। यह मु ा फ त क दर म गरावट


नही है, जो डसइं लेशन (Disinfaltion) के प म जानी जाती है।
पहले के आंकड़ का वतमान आंकड़ क गणना पर पड़ने वाला भाव आधार भाव ((Base
Base Effect)
कहलाता है। फ त दर म वृ द के संदभ म वगत वष क क मत का वतमान फ त दर क गणना पर आया
भाव ही आधार भाव है। सरे श द म, य द गत वष फ त अ यंत यूनतम तर पर हो, तो इस वष मू य
सूचकांक म थोड़ी-सी वृ द भी फ त दर को गत वष क तुलना म काफ बड़ा दखाएगी।
बजट य घाटे क पू त हेतु नई मु ा का सृजन सवा धक फ तकारी होगा य क मु ा क पू त मे वृ द से लोग
क मौ क आय म वृ द होगी जसके फल व प मांग म वृ द होगी जो क मत को बढ़ा दे गी।
के य सरकार अपने कमचा रय के दए जाने वाले वेतन मे महंगाई के कारण होने वाली त क पू त हेतु
औ ो गक क मय के लए उपभो ा क मत सूचकांक (CPI-IW) योग करती है।
भारत म कमचा रय के महंगाई भ े (Dearness Allowances of Employees) का नधारण औ ो गक
क मय के उपभो ा क मत सूचकांक (Consumer Price Index – Industriasl Workers) के आधार पर
कया जाता है। CPI के चार वग होते ह –

1. CPI-IW – Consumer Price Index- Industrial workers


2. CPI-AL – Consumer P rice Index – Agricultural Labourers
3. CPI-RL – Consumer Price Index – Rural Labourers

4. CPI-UNME – Consumer Price Index – Urban Non-Nanual Employees.

औ ो गक मक के लए उपभो ा मू य सूचकांक, कृ ष मक के लए उपभो ा मू य सूचकांक तथा


ामीण मक के लए उपभो ा मू य सूचकांक म एवं रोजगार मं ालय के अधीन काय करने वाले म यूरो

ारा संक लत कया जाता है, जब क शहरी गैर- म कमचा रय के लए उपभो ा मू य सूचकांक के य
सां यक संगठन (CSO) ारा संक लत कया जाता है।
अ टू बर, 2009 म थोक मू य सूचकांक का आधार वष 1993-94 से हटाकर वष 2004-05 कर दए जाने का
नणय लया गया था।
भारत म सू म- व (Microfinance) का ारंभ 1980 के दशक के ारंभ म छोटे तर पर व-सहायता समूह
के गठन के मा यम से आ था। वतमान म सू म- व के तहत उपल ध कराई जाने वाली व ीय सेवा म
शा मल ह – ऋण सु वधाएं, बचत सु वधाएं, बीमा सु वधाएं एवं न ध अंतरण सु वधाएं।
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वा ण यक बको ारा दए जाने वाले ऐसे ऋण लोक-लुभावन ऋण (Teaser Loan) कहलाते ह जो ऋण लेने
वाले क ऋण को चुकाने क मता तथ अ य मानक का बना यान  रखे ए दान कए जाते ह। ऐस
ऋण पर ारं भक वष म याज क दर आकषक प से कम रहती है और बाद के वष म बढ़ जाती है। लोक-
लुभावन ऋण अधोमुख ऋण (Subprime  Loans) का ही एक व प है तथा इनम  बक के सम यह
जो खम रहता है क भ व य म उनके ऋण चुकता न हो। इस कार के ऋण मु यतः अ प या म यम आय वग के
य को गृह ऋण के प म दान कए जाते ह।
त छाया ब कग से (Shadow Banking) से ता पय़ गैर-ब कग व ीय सं था ारा व ीय तथा अ य
 ग त व धय को संप करना है। इस हम आभाषी बक व था भी कह सकते ह। इसम अनेक गैर-ब कग व ीय
म य थ परंपरागत वा ण यक बक के समान ही हक को सेवाएं उपल ध कराते ह मगर उन पर न तो सरकार
का और न ही के य बक का कोई नयं ण होता है।
RBI ने दसंबर, 1969 से लीड ब कग योजना ारंभ क । इसके अंतगत येक बक को एक जला आवं टत
कया जाता है और उस बक को लीड बक क सं ा द जाती है। येक जले का लीड बक संबं धत जले म साख
व था के सम वय म अ णी भू मका नभाता है। भारत के लगभग सभी जल मे यह योजना लागू है। लीड बक
जला तर पर साख योजना का नमाण कर उसे पूण करने म के य भू मका नभाता है।

नजी े के ए सस बक ने सव थम चीन के शंघाई शहर म अपनी शाखा था पत क है।


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लघु उ ोग के संबंध म काय करने वाला बक मु यतः SIDBI (Small Industries Development Bank
of India) है। इसक थापना वष 1990 म ई थी।
सतंबर,, 2015 म भारतीय टे ट बक ने भारत क 7 सबसे बड़ी ई--कॉमस े क कंप नय के साथ
भागीदारी म स पली लक े डट काड को लांच कया ये 7 कंप नयां ह –

1. अमेजन इं डया

2. बुकमाईशो
3. लयर प
4. फैबफ नश
5. फूड पांडा
6. लसकाटड

7. ओला कै स

ICICI क थापना –   जनवरी, 1955

IDBI क थपना –   जुलाई, 1964


IFCI क थापना     –   जुलाई, 1948
भारतीय टे ट बक, भारत का पहला बक था जसने चीन म अपनी थम शाखा खोली।
जयपुर क राजपूताना म हला नाग रक सहकारी बक ने 30 अग त, 1995 से काय ारंभ कया था।
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13 अग त, 2018 से आईसीआईसीआई बक ल. के साथ बक ऑफ राज थान का वलय भावी आ।


अ ैल, 2011 से भारतीय टे ट बक के चेयरमैन पद पर तीप चौधरी कायरत थे। उ ह ने 7 अ ैल, 2011 को
ओ.पी. भ के थान पर पदभार हण कया था। वतमान म (अ टू बर, 2017) रजनीश कुमार इस पद पर ह।
भारत का नजी े का सबसे बड़ा बक आईसीआईसीआई बक ल मटे ड ने 12 दसंबर, 2002 को मुंबई मे
सबसे पहले चलती- फरती (Mobile ATM) ATM सेवा ारंभ क थी।

भारतीय औ ो गक साख एवं नवेश नगम (Industrial Credit and Investment Corporation of
India – ICICI) क थापना वष 1955 म व बक तथा संयु रा य अमे रका के सुझाव एवं सहयोग से क
गई थी। इसका उ े य दे श क नजी े म लघु एवं म यम आकार के उ ोगो का वकास करना था।
सावज नक े के बक म टे ट बक ऑफ इं डया (SBI) सबसे  बड़ा ापा रक बक है। 1 अ ैल, 2017 से
भावी पंच सहयोगी बको और भारतीय म हला बक के वलय के प ात माचात, 2018 तक इसक 22414
शाखाएं थी।
भारत म ापारी बैक क दे नदा रय म सबसे मह वपूण अंश जमा (Deposits) का होता है। जमा म भी
सवा धक मह वपूण साव ध जमाएं (Time Deposits) है। सरे थान पर बचत बक जमा (Saving
Deposite) एवं तीसरे थान पर मांग जमाएं (Demond Deposite) होती ह।
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सावज नक े के बक वे बक ह जनम सरकार क धा रता सबसे अ धक है। भारत म सावज नक े के बक


के अंतगत टे ट बक ऑफ इं डया एवं उसके सहायक बक तथा 19 रा ीयकृत बक ह।

वतमान म टे ट बक ऑफ इं डया को छोड़कर भारत म सावज नक े के 20 बक ह (आईडीबीआई बक


साज नक े का तो बक है कतु रा ीयकृत नही है। अतः टे ट बक समूह को छोड़कर भारत म रा ीयकृत बक
क सं या 19 है)। सतंबर, 2018 म अ ण जेटली के नेतृ व म एक पैनल ने सावज नक े के तीन बको, नामतः
 बक ऑफ बड़ौदा, वजया बक और दे ना बक के वलय क सफा रश क ।
भारतीय लघु उ ोग वकास बक (SIDBI) क थापना 2 अ ैल, 1990 को क गई थी। यह दे श म लघु उ ोगो
क ो त, व व था एवं वकास के लए धान व ीय सं थान ह।
भारतीय रजव बक के अनुसार, वा ण यक बक ारा दया गया वह ऋण जसक पछले भुगतान से 30 दन
बाद से 90 दन तक न तो मु य रकम का टॉलमट और न ही उस पर दे य याज क अदायगी क जाती है तो उसे
गैर- न पाद य प रसंप (NPA: Non-Performing Assets) कहा जाता है।
कोर ब कग का आशय नेटवक से जुड़ी बक शखा ारा मुहैया कराई जाने वाली ब कग सेवाओ से है। कोर
ब कग के अंतगत ाहक बक के कसी भी शाखा के खाते का संचालन अ य शाखा से भी कर सकता है। कोर
ब कग के अंतगत अनेक सेवाएं उपल ध कराई जाती ह, जैसे एनी हेयर ब कग या कह भी ब कग साधनो का
ती ता से ह तांतरण आ द। कं यूट करण के मा यम से RBI का नयं ण बढ़ाने तथा बक के अ ध हण से
इसका संबंध नही है।
के सरकार के आंत रक ऋण के अंतगत-बाजार उधारी, रा य सरकार , ापा रक बक तथा अ य सं था को
सरकार ारा न मत े जरी ब स, RBI को नग मत व श तभू तयां, तपूरक बॉ ड आ द स म लत होते
ह।

कसी अथ व था मे य द या दर (Inrterest Rate) को घटाया जाता है, तो वह अथ व था मे उपभोग य


व नवेश य को बढाएगा यो क, न न याज दर से उधार लेना आसान हो जाता है जससे लोग नवेश एवं
उपभोग य हेतु े रत होते ह।

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ाथ मक े मे न न ल खत े णयां शा मल ह   –

1. कृ ष
2. लघु एवं सू म उ म

3. श ा
4. गृह
5. ए सपोट े डट एवं
6. अ य

व ीय समावेशन के उ े य म – गरीब आबाद के लए व ीय सेवा का व तार करना, कमजोर वग क


संभा वत संवृ द के ार खोलना तथा ामीण े मे व ीय सेवा का सार करना शा मल है। व ीय
समावेशन के उ े य मे ब कग अवसंरचना का व तार शा मल है न क इसको सकोड़ना।
सी मत दे यता के आधार पर 1881 म था पत अवध कॉम शयल बक भारतीय ारा संचा लत पहला बक था।
पूण प से थम भारतीय बक, पंजाब नेशनल बक था।
अ खल भारतीय ामीण साख सव ण स म त (1952) जसे ए.डी. गोरवाला स म त के नाम से जाना जाता है, ने
इ पी रयल बक के साथ कुछ रा य संब द बको को मलाकर टे ट बक ऑफ इं डया क थापना क सं तु त क
थी। 15 अ ैल, 1980 को 6 बक का रा ीयकरण कया गया था।
ापा रक बक एक व ीय सं था है जो मु ा तथा साख म ापार करती है। यह न केवल मु ा को लोग से जमा
के प म वीकार करती है ब क आव यकता पड़ने पर उ मय तथा साह सय को उधार दे ती है। इसके काय

म शा मल ह – ाहक क तरफ से शेयर एवं तभू तय क खरीद और ब तथा वसीयत के लए न पादक


तथा यासी के प म काय करना।
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स ल बक ऑफ इं डया सावज नक े का ऐसा अनुसू चत रा ीयकृत बक है जसक पूंजी म माच, 2018 तक


सरकार क ह सेदारी 86.4 तशत है। फल व प स ल बक ऑफ इं डया रजव बक के नयं ण म है।
संसद ारा पा रत रा ीय आवास बक अ ध नयम, 1987 के अनु प 9 जुलाई, 1988 को रा ीय आवास बक क
थापना क गई है। यह बक पूणतः भारतीय रजव बक के वा म व म है।
भारत म भ व य न ध, सं वधा आधा रत बचत है। भ व य न ध सावज नक े के कमचा रय क आय का वह
भाग है, जसे सं वदा के आधार पर सरकार के पास जमा करना पड़ता है। यात है क न ध सरकार क आय
नह , अ पतु दा य व है।
अव ध के आधार पर ऋण को न न तीन े णय म वग कृत कया गया है –

लघु अव ध ऋण       –   15 माह से कम

म यम अव ध ऋण    –   15 माह से 5 वष तक

द घ अव ध ऋण       –   5 वष से अ धक

पंजाब नेशनल बक म वलय होने वाला बक यू बक ऑफ इं डया था। यह वलय (Merger) वष 1993 म आ
था।
भारतीय टे ट बक ने कसान के पास आसानी से प ंचने के लए कसान लब का गठन कया है।

बक और उनका मूल दे श –

ए.बी.एन.एमरो बक     –   नीदरलड् स

बार लेज बक         –   लंदन (यू.के.)

कूक मन बक          –   द. को रया

भारत म बचत खात पर याज दर को पहले भारतीय रजव बक ारा व नय मत कया जाता था, ज ह
अ टू बर , 2012 म नयं ण मु कर दया गया।
31 दसंबर, 2015 क थ त के अनुसार, भारत म वदे शी बक क सवा धक शाकाएं टे न के टडड चाटड बक
(102) क ह जसके प ात मशः हांगकांग के एच.एस.बी.सी. ल. (50) तथा अमे रका के सट बक (45), ांस
के बी.एन.पी. पारीवस बक (8) थान है।
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भारत म व वष 1 अ ैल से 31 माच होता है जब क भारतीय रजव बक का लेखा काय अथवा लेखा वष 1


जुलाई से 30 जून होता है। पूव म RBI का लेखा काय वष जनवरी से दसंबर आ करता था। यह व था 11
माच , 1945 को बदल कर जुलाई से जून कर द गई।

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चार आर ण अनुपात या प रवतनीय कोष अनुपात (Variable Reserve Ratio: VRR) जसके ारा RBI
बक के पास रखे जाने वाले तरल कोष म प रवतन करती है तथा खुले बाजार क कारवाई जसके ारा RBI
तभू तय का य- व य करती है, ये दोनो RBI के प रणाम व प साख नयं ण क व धयां ह जो मौ क
नी त के अंतगत आती ह।
भारतीय रजव बक खुले बाजार क या (Open market operation) के तहत सरकारी तभू तय
(Government Securities) एवं े जरी बल का य- व य करता है। अथ व था से मु ा क अपे त
मा ा नकालने के लए तभू तय का व य जब क अथ ाव था म मु ा क अपे त मा ा डालने के लए
तभू तय का य कया जाता है।
भारत म मु ा एवं साख का नयं ण भारतीय रजव बक ारा कया जाता है। इस उ े य क ा त के लए वह
प रणाम व प व गुणा मक उपाय का उपयोग करता है।

मौ क नी त के उपकरण या साख नयं ण के तरीके/साधन// व धयां

प रमाणा मक साख नयं ण व धयां चयना मक या गुणा मक साख नयं ण व धयां

बक दर यूनतम सीमा या मा जन नधारण

सीमांत थायी सु वधा दर नै तक दबाव

खुली बाजार क याए साख क राश नग

तरलता समायोजन सु वधा(LAF) (रेपो तथा रवस रेप) उपभो ा उधार का नयमन

प रवतनीय कोष अनुपात (नकद आर त अनुपात- `साख वीकृ तकरण योजना


CRR, सां व धक तरलता अनुपात – SLR)

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आय एवं प रसंप य का सा यक वतरण, मौ क नी त का उ े य नही है।


 व नमय सा य वलेख अ ध नयम (Negotiable Instrument Act, 1881) दसंबर, 1881 म पा रत आ था
परंतु यह 1 माच, 1882 को भावी आ था। हाल ही म इस अ ध नयम म व नमय सा य वलेख (संशोधन)
अ ध नयम, 2018 ारा संशोधन कया गया। इसे 2 अग त, 2018 को रा प त क सहम त ा त ई।
भारत म े जरी बल सव थम वष 1917 म जारी कए गए थे। ये RBI ारा नीलामी बोली के मा यम से बेचे जाते
ह। सामा यतः इनका मू य वग 25 हजार या उसके गुणको मे होता है। इनके जारी करने का मु य उ े य सरकार
के अ त र खच के लए फंड जुटाना होता है।
भारतीय रजव बक के पास अनुसू चत बक को अपनी जमा का न त तशत नकद कोष अनुपात (CRR
– Cash Reserve Ratio) के प म रखना पड़ता है। भारतीय रजव बक ारा सी.आर.आर. म वृ द से बक
क साख सृजन क मता कम होती है तथा अथ व था म मौ क तरला म कमी आती है।
1 माच, 2015 को अंतररा ीय व ीय सेवा के क थापना गांधीनगर, गुजरात म क गई। यह एक वशेष
आ थक े का ह सा है।
भारत का औ ो गक व नगम (IFCI) एक वकास बक के प म काय करता है। IFCI क थापना 1 जुलाई,
1948 को IFCI अ ध नयम, 1948 के  अंतगत ई थी।

सं था थापना वष

भारतीय औ ो गक साख एवं नवेश नगम (ICICI) 1955

भारतीय औ ो गक वकास बक (IDBI) 1964

भारतीय औ ो गक व नगम (IFCI) 1948

भारतीय लघु उ ोग वकास नगम (SIDBI) 1990

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सेल (Steel Authority of India Limited) एक वपणन सं था है जब क सेबी (पूंजी बाजार), सडबी
(सू म व ) एवं नाबाड (कृ ष साख) अपने े क शीष सं थाएं ह। सेबी क थापना वष 1988 म सडबी क
थापना वष 1990 म एवं नबाड क थापना वष 1982 म ई थी।

भारतीय नयात-आयात बक अ ध नयम, 1981 के अंतगत वष 1982 म था पत भारतीय नयात-आयात बक


(ए जम बक) दे श क एक शीष व ीय सं था है। भारतीय औ ो गक वकास बक (IDBI) का गठन भारतीय
औ ो गक वकास बक अ ध नयम, 1964 के तहत एक व ीय सं था के प म आ था और  यह भारत सरकार
ारा जारी 22 जून, 1964 क अ धसूचना के ारा 1 जुलाई, 1964 से अ त व म आई। भारतीय औ ो गक  ऋण
और नवेश नगम (ICICI) क थापना वष 1955 म नजी े के उ ोगो को मा य एवं  द घकालीन ऋण दान
करने हेतु क गई थी। औ ो गक और व ीय पुन नमाण बोड (BIFR) क थापना जनवरी, 1987 म क गई थी।
म हो ा स म त क रपोट (7 जनवरी, 1994) क मुख सफा रश के अनुसार, IRDA अ ध नयम, 1999 पा रत
कया गया रपोट म बीमा े के लए एक वतं नयामक ा धकरण क थापना क सफा रश क गई थी।
अ ैल, 2000 म IRDA एक सां व धक नकाय के प म सामने आया।

IRDA का ल य बीमा धारक के हत क र ा करना, बीमा उ ोग का मब द व नयमन, संवधन तथा संबं धत


व आक मक मामल पर काय करना है।
ए चुअरीज (Actuaries) श द बीमा े से संबं धत है। ए चुअरीज का संबंध भ व य क अ न त घटना
के व ीय भाव के आकलन से है।
गैर-ब कग व ीय कंप नयां (NBFCs) बचत खाते क तरह मांग न ेप (Demand Deposit) वीकार नही
कर सकती ह ये सरकार ारा जारी तभू तय के अ ध हण म भाग ले सकती ह।
दे श के न न तथा म यम आय वग क लघु बचत को दे श के औ ो गक वकास हेतु स पोयग करने के उ े य से
वष 1964 म यू नट ट ऑफ इं डया क थापना क गई। 1 फरवरी, 2003 को यूट आई का औपचा रक प से
वभाजन हो गया। यूट आई-1 को यू.एस.-64 स हत उन सभी 26 योजना को स पा गया जनम सु न त
तफल का आ ासन नवेशक को दया गया है। यू.ट .आई.-2 सेबी के नयम के तहत युचुअल फंड के प म
काय करती रहेगी।
1 फरवरी, 1964 को था पत UTI भारत का सबसे बड़ा यूचुअल फंड संगठन है। वतमान म UTI भारतीय शेयर
बाजार म सबसे बड़ा नवेशकता है।
सी मत दे यता साझेदारी फम म साझेदारी और बंधन अलग-अलग होना आव यक नही है। इसम आंत रक
शासन साझेदारी के बीच आपसी सहम त से व न त कया जा सकता है तथा यह शा त उ रा धकार से
प रपूण नग मत नकाय है। इसम अ धकतम भागीदार क सं या पर कोई ऊपरी सीमा नही है।
भारतीय टे ट बक ने 5 अग त, 1998 को 5 वष क अव ध वाला रसजट इं डया बॉ ड तीन वदे शी मु ा –
 यू.एस.  डॉलर, पाउंड ट लग  तथा ूश माक  (जमन माक) म जारी कया था।
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रा ीय शेयर बाजार क थापना फेरवानी स म त के सफा रश पर नवंबर, 1992 म ई। रा ीय शेयर बाजार का


मु यालय द ण मुंबई के वल म है।
वा ण यक प काप रेट ( नगम) उ ोग के लए साख का ोत है। भारत म वा ण यक प का चलन वष
1990 से है। यह प एक कार के ा मसरी नोट होते ह, जनक प रप वता अव ध नगमन त थ से 7 दन से
1 वष के बीच होती है।
फम या कंपनी जो इस प म आगनाइ ड हो जसम शेयर धारक अथवा इसके वा मय का दा य व सी मत हो,
ल मटे ड () कंपनी कहलाती है।
नेशनल टॉक ए सचज ऑफ इं डया क थापना वष 1992 म फेरवानी स म त क सफा रश पर ई थी। इसके
वतक   (Promotors) म भारत सरकार के अलावा शीष व ीय सं थाएं जनम मुख प से IDBI, LIC,
GIC तथा SBI शा मल ह।

बॉ बे टॉक ए सचज (BSE) के संवेद सूचकांक को सं त प म ससे स (Sensex) कहा जाता है। संवेद
सूचकांक मे चढ़ाव का अथ BSE मे सूचीब द 30 कंप नय के शेयर के सम मू य मे चढ़ाव से है।
न क टो यो टॉक ए सचज का टॉक मू य सूचकांक (Stock Price Index) है।
माच, 2014 तक बॉ बे टाक ए सचज के ीने स सूचकांक (BSE- GREENEX Index) म कंप नय क
सं य 25 थी।
बंबई शेयर बाजार ((BSE)
BSE) दलाल ट,, मुंबई ((महारा ) म थत है।
बुल तथा बयर शेयर बाजार के श द ह, जनका हद अथ मशः तेज ड़या तथा मंद ड़या होता है। जो
शेयर क क मत बढ़ाना चाहता है उसे तेज ड़या कहते ह तथा जो शेयर क क मत गरने क आशा करता
है, वह मंद ड़या कहलाता है।
शेयर बाजार म व भ कार क स े बाजी ग त व धयां न न ल खत ह –

1. बुल (तेज ड़या)


2. बयर (मंद ड़या)
3. लेम डक (Lame Duck)
4. टै ग (Stag)

भारतीय शेयर बाजार म उतार--चढ़ाव के न नां कत कारण ह –

1. वदे शी कोषो का अंतः वाह एवं बा वाह


2. मौ क एवं राजकोषीय नी त म प रवतन
3. वदे शी पूंजी बाजार म उतार-चढ़ाव जो नवेशक को भा वत करता है।

4. औ ो गक वातावरण क थत
5. बाजार म तरलता क उपल धता आ द।

इ साइड े डग शेयर बाजार से संबं धत है। इसके अंतगत कंपनी के कमचारी या कोई संबं धत कंपनी क
आंत रक सूचना का उपयोग कर शेयर े डग म अनु चत लाभ ा त करते ह। यह अवैध काय माना गया है।
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पूंजी बाजार व ीय णाली का एक मह वपूण अंग है। यह द घकालीन फंड का बाजार है जसमे इ वट (या
अंशप ) तथा ऋण (Debt) के मा यम से पूंजी क उगाही स म लत है। यह दे श के भीतर तथा बाहर
द घकालीन फंड ा त करने का बाजार है।
व सनीय तभू तय से ता पय ऐसे कंप नय के शेयर से ह जनक व तृत उ पाद ृंखला हो, जनका उ च
बंधन हो तथा जनसे हमेशा ऊंची आय और लाभांश ा त होता रहे।

ग ट बाजार म रजव बक के मा यम से सरकारी और अ द-सरकारी तभू तय का य- व य कया जाता है।


ग ट ए ड का अथ सव म या उ कृ होता है। इसे उ कृ इस लए कहा जाता है, य क इन सरकारी और
अ द-सरकारी तभू तय का मू य थर रहता है, अ य तभू तय के समान इनम अ थरता नही होती है। यही
कारण है क बक और अ य सं थाएं इन तभू तय के लए वशेष आकषण रखती ह।
भू म वकास बक कसान को कृ ष मे थायी सुधार हेतु द घका लक ऋण दान करता है। भारत मे थम भू म
वकास बक क थापना वष 1920 म झांग (पंजाब) म ई थी।
ससे स, बी.एस.ई. तथा न ट शेयर बाजार से संबं धत ह जब क से स (SAPs – Structural Adjustment
 Programmes) दे श के व ीय असंतुलन को ठ क करने हेतु काय म है। भारत सरकार ने से स को नई
आ थक नी त के साथ वष 1991 मे ारंभ कया था।
भू म वकास बक कसान को कृ ष म थायी सुधार हेतु ऋण दान करता है तथा इस हेतु वकास बक ारा
दान कया जाने वाला ऋण द घका लक कृ त (Long Term) का होता है।
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डबचर का अथ ऋण प से होता है। संयु पूंजी कंप नय ऋण ा त करने हेतु अपने डबचर जारी करती है।
जो सं था इ ह जारी करती है, वह इन डबचस पर धारक को एक न त दर से याज दे ती है। प लक ल मटे ड
कंपनी ारा डबचर जारी करना, कंपनी अ ध नयम, 1956 तथा 11 जून, 1992 को SEBI ारा जारी दशा-
नदश के अधीन है। डबचर क मूल रा श उसके पूणता अव ध पर स प द जाती है।
भारत म सहकारी बक तीन तर पर काय करते ह। थम तर पर रा य के रा य सहकारी बक होते ह। तीय
तर पर के य सहकारी बक होते ह जो जनपद तर पर काय करते ह, इसी लए इ ह जला सहकारी बक भी
कहा जाता है। तृतीय तर पर ामीण ऋण स म तयां या ाथ मक ऋण स म तयां होती ह जो ाम तर पर काय
करती है।
रा ीय कृ ष एवं ामीण वकास बक (NABARD) भारत म कृ ष े को व दान करने वाली सव च सं था
है। इसक थापना 12 जुलाई, 1982 को ई थी। इसका मु यालय मुंबई मे है। नाबाड ामीण ऋण ढांचे म एक
शीष थ सं था के प म अनेक व ीय सं था को पुन व सु वधाएं दान करता है, जो ामीण े म
उ पादक ग त व धय के व तृत े को बढ़ावा दे ने के लए ऋण दे ती है।
उपभो ा सहकारी भंडार सद य ारा था पत कए जाते ह जब क इनका पंजीकरण सहकारी स म तय के
नबंधक के ारा होता है।
दे श म सव थम 2 अ टू बर,, 1975 को पांच े ीय ामीण बक था पत कए गए। ये न न ह –
मुरादाबाद (उ. .)
गोरखपुर (उ. .)

भवानी (ह रयाणा)
जयपुर (राज थान)
मा दा (प. बंगाल)
कर आधार को यादा व तृत करने के लए राजा जे. चेलैया स म त क सं तु त पर सेवा कर को वष 1994-95
के के य बजट से ारंभ कया गया। वतमान म सेवा कर का व तु एवं सेवा कर (GST) म वलय हो गया  है।
भारत सरकार ारा शेयर के पूंजी व नवेश के लए रंगराजन स म त ग ठत क गई थी जसने अपनी रपोठ
अ ैल, 1993 म स पी।
योजना आयोग ारा वष 2008 म रघुराम राजन क अ य ता म ग ठत व ीय े सुधार स म त ने अपनी
रपोट सरकार को सौप द है। कमेट को व ीय े सुधार क सरी पीढ़ (Next Generation of
Financial Sector Reform) के संबंध म सुझाव दे ना था।
भारतीय रजव बक ारा रजव बक के भूतपूव गवनर वमल जालान के नेतृ व म ने बको को लाइसस दे ने हेतु
आवेदन-प के सू म परी ण के लए एक उ च तरीय पैनल ग ठत कया गया था जसने 25 फरवरी, 2014 को
अपनी रपोट स पी।
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अग त, 1991 म त कालीन व मं ी डॉ. मनमोहन सह ने व ीय े के सभी पहलु मे सुधार हेतु एम.


नर स हन क अ य ता म स म त का गठन कया था। पुनः ब कग सुधार के लए तीय नर स हन स म त का
गठन कया गया था, जसने 23 अ ैल, 1998 को सररकार को अपनी रपोट स प द ।
व तु क थोक क मत सूचकांक ेणी को संशो धत करने हेतु एक कायकारी समूह का गठन कया गया,
जसका अ य ो. अ भजीत सेन को बनाया गया। इसक तकनीक रपोट म कायदल, आधार वष का चुनाव,
आइटम क चयन प द त, भार आरेख और क मत के संदभ म व तृत सफा रशे द गई ह।
रंगराजन स म त ब कग े म सुधार से संबं धत है।
न चकेत मोर स म त ने व ीय समावेशन को ो सा हत करने के लए नए बक ढांचे क थापना क सफा रश
क है। इस स म त का गठन वष 2013 म कया गया था, इसने अपनी रपोट 7 जनवरी, 2014 को भारतीय रजव
बक को स प द ।
भारत सरकार ारा व ीय े के वकास को बढ़ावा दे न,े अंतर- नयामक य सम वय को बढ़ाने तथा व ीय
थरता बनाए रखने क णाली को सु ढ़ बनाने एवं इसे सं थागत प दे ने के उ े य से दसंबर, 2010 म व ीय
थरता एवं वकास प रषद (FSDC) क थापना क गई। के य व मं ी इसके अ य होते ह, जब क
व ीय नयमक (RBI, SEBI, PFRDA, IRDA, & FMC) के मुख, व स चव, आ थक मामल के स चव,
व ीय सेवा वभाग के स चव तथा मु य आ थक सलाहकार इसके सद य होते ह। यह अथ व था के सम
स ववेक (Macroprudential) पयवे ण क नगरानी, अंतर नयमक य सम वय तथा व ीय े के वकास,
 व ीय सा रता, समावेशन आ द के संदभ म काय करता है।
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ब कग लोकपाल क नयु भारतीय रजव बैक करता है। ब कग लोकपाल भारत म खाता रखने वाला
अ नवासी भारतीय क शकायत सुन सकता है। ब कग लोकपाल ारा पा रत आदे श अं तम और संबं धत प ो
के लए बा यकारी नही होता ब क इसके खलाफ अपील, अपीलीय ा धकरण मे क जा सकती है जो क
रजव बक के ड ट गवनर के नेतृ व म काय करता है। साथ ही ब कग लोकपाल ारा द गई सेवाएं नःशु क
होती ह।

व ीय समावेशन (Financial Inclusion) पर बनाई गई स म त के अ य सी. रंगराजन थे। ी रंगराजन


RBI के गवनर भी रह चुके ह।
व मं ी अ ण जेटली ने वष 2015-16 के बजट भाषाण म पूव म चल रही वण जमा योजना तथा वण धातु
ऋण योजना के थान पर वण मु करण योजना ((Gold
Gold Monetization Scheme) तथा सं भु वण
बॉ ड योजना ((Sovereign
Sovereign Gold Bond Scheme) को ारंभ करने का ताव कया था। वण मु करण
योजना भंडा रत वण को ग तशील बनाने (मु ा म पांत रत) क योजना है जब क सं भु वण  बॉ ड योजना
नकद भुगतान ारा वण मू य के बराबर वाले वण  बॉ ड क खरीद से संबं धत है। इन योजना का सम
उ े य भारत के घरेलू तथ सं था मे रखे वण को  ग तशील कर उ ह उ पादक ग त व धय म लगाना तथा
द घका लक मे दे श क वण आयात पर नभरता को कम करना है।
वयं सहायता समूह-बक लकेज काय म क शु आत वष 1992 म नाबाड ारा लघु व दान करने के उ े य
से क गई थी। यह काय म ापा रक बक, आर.आर.बी. तथा सहका रता बक ारा काया वत क जाती है।
नाबाड इस काय म को काय़ा वत नही करती है। यह एक नयामक सं था है।
कसान े डट काड योजना क घोषणा वष 1998-99 के बजट म क गई थी, जब क इसक शु आत अग त,
1998 म क गयी। यह कसान को ापा रक बको, सहकारी बको तथा े ीय ामीण बको से ऋण लेने म
सु वधा दे ता है। इस योजना के तहत कसान को नवेश साख के साथ-साथ उपभोग साख भी ( नवेश साख के
तशत म) दान कया जाता है। माच, 2012 मे संशोधन के तहत इ छु क के.सी.सी. धारक को ए.ट .एम. डे बट
काड नगत कए गए ह।
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के सरकार ारा फरवरी, 2011 म वा भमान नाम क व ीय सुर ा योजना का आरंभ कया गया था। जसका
उ े य 2000 से ऊपर आबाद वाले बक वहीन गांवो को ब कग सु वधाएं दान करना था। इस योजना के
अंतगत बको ारा वसा यक संवाददाता या बक साथी (Business Correspondents) का चयन कया
जाता है जो ामीण और बक के बीच म य थता का काय करते ह। बक जमा,  आहरण, व ेषण
(Remittances)  जैसी बु नयाद सेवाएं बक साथी के ारा दान कए जाते ह। साथ ही, इस योजना ारा
सरकारी सहा य (Subsidies) और सामा जक सुर ा लाभ को लाभा थय के बक खातो मे सीधे ह तांत रत
कया जा सकता है।
S & P 500 टॉक बाजार का सूचकांक है जसम 500 वृहद कंप नयां शा मल होती ह।
बाजार वह थान है, जहां व तु एवं सेवा का य- व य होता है। व तु एवं सेवा य- व य उनक
उ पादन लागत के आधार पर कया जाता है, जसे व तु अथवा सेवा क क मत कहते ह। अतः बाजार के
अ त व के लए क मत आधारभूत त व होता है।
भारत म वायदा बाजार आयोग क थापना वष 1953 म क गई थी। यह जसो के वायदा ापार का व नयमन
करता है। 28 सतंबर, 2015 को वायदा बाजार आयोग का सेबी म वलय (Merge) कर दया गया।

भारत म पशन फंड् स का मह व मशः कम होता गया है य क Venture ापारी ायः अपने पूंजी
उपल धकता पर नभर होते ह और ब ायः अपने सहयोगी सं था म नवेश करना चाहते ह।
वष 1995-96 म था पत ामीण अव थापना वकास कोष का हसाब रा ीय कृ ष एवं ामीण वकास बक
(NABARD) रखता है।

भारत का सं वधान के सरकार के लए तीन कार क न धय क व था करता है, जो इस कार है


1. भारत क सं चत न ध
2. भारत क सावज नक लेखा
3. भारत क आक मक न ध

रा य भ व य न ध के अंतगत सरकार जो धन पाती है, उसको सावज नक लेखा न ध म जमा कया जाता है।

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 उ पादन के तर मे गरावट, व तु क भावी मांग म वृ द तथा मु ा क पू त म वृ द सामा य क मत तर म वृ द


ला दे गी।
क पत क मत/छाया क मत (Shadow Price) जनका योग पूंजी नवेश के ताव के मू यांकन के लए
कया जाता है, को जे. टनबर गन ( Tinbergen) और हो लस (Hollis) ने तपा दत कया था।
माट मनी श द का योग े डट काड के लए कया जाता है। रजव बक इस हेतु सूचना तकनीक को बढ़ावा
दे ती है जससे े डट काड/ माट काड आ द का उपयोग करते ए बक अपनी प ँच अ धस से अ धक ाहक
तक बनाए।
वदे शी मु ा आर त न धयां कसी दे श क अथ व था क बा थ त के व ेषण मे एक अ नवाय त व
होती है। भारत क वदे शी मु ा आर त न धय म 4 घटक को स म लत कया जाता है – वदे शी मु ा
प रसंप , वण, वशेष आहरण अ धकार तथा  M.F. म ार त थ त।
भारत म वष 1963 म संसद य अ ध नयम ारा भारतीय यू नट ट (UTI) के गठन के साथ साझा कोष
(Mutual Funds) क थापना ई थी। UTI ारा पहले साझा कोष US-64 वष 1964 म ारंभ कया गया।
वष 1987 से UTI के अ त र सावज नक े के बक एवं बीमा कंप नय ारा  भी साझा कोष ारंभ कए
गए। नजी े के साझा कोष को भारत म अनुम त वष 1963 म मली तथा जुलाई, 1993 म पंजीकृत होने वाला
काठोरी पाय नयर (अब क लन टे पलटन म समा हत) पहला नजी े का साझा कोष था।

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सामा जक वकास

मानव वकास

भारत

मानव वकास एक ापक अवधारणा है, जसके तहत एक लंबे व थ एक रचना मक जीवन क संक पना
न हत है।
सव थम संयु रा वकास काय म (UNDP – United Nations Development Programme) ारा
वकास के मानवीय प पर यान क त कया गया तथा वकास को रा क संवृ द दर से परे रा के
नवा सय के जीवन क गुणव ा म सुधार से जोड़कर दे खा गया।
इसी म म सव थम वष 1990 म UNDP ारा मानव वकास रपोट जारी क गई।
इस रपोट म मानव वकास सूचकांक (Human Development Index: HDI) के आधार पर दे श क
र कग क गई।
मानव वकास सूचकांक के तपादन का ेय पा क तानी अथशा ी महबूब-उल-हक को जाता है।
नोबेल पुर कार ात भारतीय अथशा ी अम य सेन का भी इस सूचकांक के नमाण म मह वपूण योगदान था।
मानव वकास सूचकांक क गणना तीन सूचक यथा जीवन याशा (Life Expenditure), श ा
(Education) तथा त रा ीय आय के आधार पर क जाती है।
जीवन याशा सूचकांक क गणना हेतु अ धकतम आयु याशा 85 वष तथा यूनतम आयु याशा 20 वष
(वष 2016 क व ध के अनुसार) ली जाती है।
श ा सूचकांक क गणना हेतु दो चर यथा कूल अव ध के औसत वष (Mean years of schoooling) तथा
कूल अव ध के अनुमा नत वष  (Expected years of schooling) को लया जाता है।
उ लेखनीय है क वष 2010 से पहले श ा सूचकांक क गणना म सकल नामांकन दर एवं ौढ़ सा रता को
दया जाता था।

आय सूचकांक क गणना त सकल रा ीय आय (NGI percapita) के आधार पर कया जाता है।


मरणीय है क वष 2010 से पूव इसे त सकल घरेलू उ पाद (GDP) के आधार पर प रग णत कया
जाता था।
आय सूचकांक क गणना हेतु त सकल रा ीय आय का अ धकतम मू य 75 हजार डॉलर तथा यूनतम
मू य 100 डॉलर नधा रत कया गया है।
मानव वकास सूचकांक (HDI) उपयु तीन सूचकांक का या मतीय मा य है –

HDI = (जीवन याशा ´ श ा सूचकांक ´  आय सूचकांक1/3

मानव वकास सूचकांक का मू य शू य से एक (0-1) के म य होता है, जसम शू य न नतम मानव वकास को,
जब क 1 उ चतम मानव वकास को द शत करना है।
नवीनतम मानव वकास रपोट, 2018 मे मानव वकास सूचकांक, 2017 म का शत ई।
इस रपोट म 189 दे शो म नॉव, वटजरलड तथा ऑ े लया म से शीष मानव वकास वाले दे श रहे, जब क
नाइजर सबसे न नवत (189वां रक) मानव वकास वाला दे श रहा।

HDI, 2017 म भारत 0.640 अंक के साथ 130व थान पर है।


भारत म इस सूचकांक म म यम मानव वकास वाले दे श के समूह मे है।
मानव वकास क से भारत, स दे शो म न नवत थ त म है।

 द ण ए शयाई दे श म ीलंका तथा मालद व को छोड़कर शेष दे श क तुलना म भारत क थ त बेहतर है।
वष 2018 क रपोट के अनुसार वष 2017 म भारत म जीवन याशा 68.8 वष, कूल अव ध के औसत वष
6.7 वष, कूल अव ध के अनुमा नत वष 12.3 वष तथा त रा ीय आय 6353 डॉलर थी।
यात है क वष 2010 से मानव वकास रपोट म मानव वकास सूचकांक के साथ-साथ असमानता
समायो जत मानव वकास सूचकांक (IHDI), ब आयामी नधनता सूचकांक (MPI) तथा ल गक असमानता
सूचकांक (GII) का भी काशन कया जा रहा है।
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ब आयामी नधनता सूचकांक ((MPI)


MPI)

ब आयामी नधनता सूचकांक (Multi- dimentional Poverty Index: MPI नधनता के मापन क एक
ब आयामी अवधारणा है।
MPI का काशन वष 2010 से मानव वकास रपोट म कया जा रहा है।

ब आयामी नधनता सूचकांक से पूव वष 1997 से मानव वकास रपोट के साथ मानव नधनता सूचकांक
(HPI) का शत कया जाता था।
इसका वकास UNDP के सहयोग से ऑ सफोड नधनता एवं मानव वकास पहल (OPHI) ारा कया गया
है।

इस सूचकांक का नमाण तीन आयाम ( श ा, वा य तथा जीवन तर) के संदभ म 10 सूचक पर आधा रत है।
ये सूचक ह –

1. श ा संबंधी

कूल अव ध के वष
कूल मे उप थ त

2. वा य संबंधी

बाल मृ यु दर
पोषण

3. जीवन तर संबंधी

व ुत
व छता (शौचालय)
पेयजल

आवासीय फश
भोजन पकाने का धन
प रसंप (ट वी. वाहन, रे जरेटर, मवेशी आ द)
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भारतीय रा य म मानव वकास

भारतीय रा य म सबसे पहले वष 1995 म म य दे श रा य ारा मानव वकास रपोट जारी क गई।

भारत म रा य क मानव वकास के संदभ म तुलना मक थ त के आकलन हेतु योजना आयोग ारा वष
2002 मे पहली रा ीय मानव वकास रपोट (NHDR) का शत क गई थी।
इसम मानव वकास क से केरल दे श म थम थान पर था। इस सूचकांक मे पंजाब सरे, त मलनाडु
तीसरे, महारा चौथे तथा ह रयाणा पांचवे थान पर था।

रा ीय मानव वकास रपोट क सरी रपोट योजना आयोग के अधीन Institute of Applied Manpower
Research (IAMR) ारा वष 2011 म जारी क गई।
इस रपोट का शीषक भारत मानव वकास रपोट,, 2011 सामा जक समावेशन क ओर (India Human
Development Report, 2011 – Towards Social Inslusion) था।
इस रपोट के अनुसार, वष 2007-08 म मानव वकास क से सव म रा य केरल था।
केरल 0.790 HDI सूचकांक के साथ रा य म थम थान पर रहा।
इसके बाद द ली (0.750 अंक), हमाचल दे श (0.652 अंक), गोवा (0.617 अंक) तथा पंजाब (0.605 अंक)
मशः सरे, तीसरे, चौथे एवं पांचवे थान पर रहे।

इस रपोट म HDI सूचकांक क से अं तम थान (23व रक) पर छ ीसगढ़ रहा।



ओ ड़शा (22व रक), बहार (21व रक) तथा म य दे श (20व रक) भी न नवत मानव वकास वाले रा य रहे।
सचकांक म उ र दे श क 8व रक थी तथा यह रा ीय तर से नीचे के रा य म था।
सूचकाक म उ र दश क 18व रक थी तथा यह रा ीय तर स नीच क रा य म था।
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भुखमरी ((Hunger)
Hunger)

भुखमरी क थ त तब उ प होती है, जब अपनी दै नक खा आव यकता क भी पू त कर पाने म


असमथ हो जाता है।
भुखमरी तीन कारण से हो सकती है –

1. लोगो के पास यश का अभाव हो


2. खा ा क आपू त अपया त हो।
3. खा ा तक लोग क सुचा प ंच न हो पा रही हो।

व के दे श म भुखमरी क थ त का आकलन वै क भुखमरी सूचकांक (Global Hunger Index) म


द शत कया जाता है।
यह सूचकांक अंतररा ीय खा नी त शोध सं थान (IFRI- International Food Policy Research
Institue) ारा कया जाता है।
यह सूचकांक चार सूचक अ प पोषण (Under Nourishent), बल अ पवजन (Child Wasting), बाल
ठगनापन (Child Stunning) तथा बाल मृ यु दर (Child Mortality) के आधार पर न मत कया जाता है।
वष 2017 के वै क भुखमरी सूचकांक म भारत को गंभीर भुखमरी वाले दे श म रखा गया है।

इस सूचकांक म 119 दे शो म भारत का थान 100वां है।


इस सूचकांक म बेला स को थम थान, जब क म य़ अ क गणरा य को अं तम (119वां) थान ा त है।
भारतीय ाम मे अ धक जनसं या, व भ धम, चार जा तयां एवं उनक उपजा तयां, व वध सं कृ त,
लगानुपात का तर आ द भारतीय सामा जक संरचना के मु य ल ण ह। नधनता भारतीय सामा जक संरचना
का ल ण न होकर ब क दे श क सामा जक-आ थक (Socio-Economic) संरचना को द शत करता है।
वकास के मानवीय प पर सबसे पहले संयु रा वकास काय म (UNDP) ने यान क त कया। इसने न
केवल आय को अ पतु वा य एवं श ा को भी मानव को मापने क या म अहम माना।
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मानव अ धकार क सावभौ मक उ ोषण ((The


The Universal Declaration of Human Rights) के
अनु. 25(1) के तहत श ा का अ धकार, अनु. 21(2) तहत समानता के साथ सावज नक सेवा ा त करने का
अ धकार तथा अनु. 25 (1) के तहत भोजन का अ धकार स म लत है।
रा य तरीय मानव वकास रपोट जारी करने वाला भारत का पहला रा य म य दे श है, जसने अपनी पहली
मानव वकास रपोट वष 1995 मे जारी क थी।
दे श म मानव वकास सूचकांक क से केरल का थम थान है। 2011 क जनगणनानुसार, केरल म
बेरोजगारी दर दे श म उ चतम है।

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रोजगार,, बेरोजगारी एवं क याण योजनाएं

रोजगार तथा बेरोजगारी

कसी दे श म काय़ कर सकने क आयु (15-65 वष) वाले सभी य को संयु प से उस दे श क मश


(Labour Force) कहा जाता है।
इसम रोजगार ा त एवं बेरोजगार दोन आते ह।

रोजगार के संदभ म 273 दन तक त दन 8 घंटे के काय को मानक वष (Stadard Year) कहा जाता है तथा
जो इतने दन तक रोजगार म ह, उसे पूण रोजगार म माना जाता है।
उन य को बेरोजगार माना जाता है, जो काय करने क मता तथा इ छा रखते ह एवं च लत मय री पर
काय हेतु तुत होते ह, परंतु उ ह रोजगार नही मल पाता हो।

वक सत तथा वकासशील/अ प वक सत दे श म बेरोजगारी अलग-अलग कारण से अलग-अलग व प क



पाई जाती है।
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बेरोजगारी के मुख व प इस कार ह –

1. च य बेरोजगारी ((Cyclical
Cyclical Unemployment) – ऐसी बेरोजगारी जो बाजार उ चावचन ( फ त/मंद ) के
कारण मांग म कमी से उ प होती है तथा मांग म वृ द होने से पुनः समा त होती है, च य बेरोजगारी कहलाती
है। यह वक सत दे शो म सामा यतः दे खी जाती है।
2. घषण ज नत बेरोजगारी ((Frictional
Frictional Unemployment) – घषणज नत बेरोजगारी वा तव म एक रोजगार
को छोड़कर सरे रोजगार क ा त के म य क अव ध क बेरोजगारी है। तकनीक आ द म प रवतन के कारण
नौक रय मे छटनी इस बेरोजगारी का मुख कारण है। यह भी वक सत दे श क सामा य वशेषता है।
3. संरचना मक बेरोजगारी ((Structural
Structural Unemployment) – इस तरह क बेरोजगारी लोग म कौशल के
अभाव क थ त म उ प होती है। अथात जब लोग रोजगार के अनु प यो यता न धा रत कर पाने के कारण
बेरोजगार बने रह, तो इस बेरोजगारी को संरचना मक बेरोजगारी कहा जाता है। यह वकासशील एवं अ प
वक सत दे श क सामा य वशेषता है। भारत म  भी संरचना मक बेरोजगारी का तर उ च है।
4. मौसमी बेरोजगारी ((Seasonal
Seasonal Unemployment) – मौसमी बेरोजगारी कृ ष े म सवा धक पाई जाती
है। कृ ष े म वष क महीन म काम बढ़ जाता है, जससे रोजगार क सं या बढ़ जाती है परंतु शेष महीन म
बेरोजगारी बनी रहती है। मौसमी बेरोजगारी वकासशील एवं अ प वक सत दे श क सामा य वशेषता है।
5. छ बेरोजगारी ((Disguised
Disguised Unemployment)- कसी काय म आव यकता से अ धक लगे ए लोग
को तकनीक प से बेरोजगार माना जाता है। अथात य द कसी रोजगार म आव यकता से अ धक लोग लगे ए
ह , तो उस रोजगार से अ त र लोगो को नकाल दे ने पर भी उ पादन का तर बना रहे, तो नकाले गए अ त र
लोग को छ   बेरोजगार माना जाता है। तकनीक श द मे जस क सीमांत उपयो गता शू य हो
(अथात उसका उ पादन म कोई अ त र योगदान न हो) तो उसे छ बेरोजगार माना जाता है, भले ही वो
रोजगार म य न हो? छ बेरोजगारी ाथ मक े ( वशेषकर कृ ष े ) म ब तायत म पाई जाती है।

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भारत म बेरोजगारी माप

भारत म बेरोजगारी मापन क तीन व धयां चलन म ह – सामा य थ त (Usual Status), चालू सा ता हक
थ त (Current Weekly Status) तथा चालू दै नक थ त (Current Daily Status)।
य द कोई वष के आधे से अ धक दन (183 दन) तक बेरोजगार ा त नही कर पाता है, तो उसे सामा य
थ त (US) का बेरोजगार माना जाता है।
य द सव ण स ताह म कसी को स ताह मे एक घंटे का भी रोजगार न मले, तो उसे चालू सा ता हक तर
(CWS) का बेरोजगार माना जाएगा।
य द कसी को कसी दन वशेष म एक घंटे का भी रोजगार ा त न हो सके, तो उसे चालू दै नक थ त
(CDS) का बेरोजगार माना जाता है।
उ लेखनीय है क य द कोई एक दन म चार घंटे या इससे अ धक समय तक रोजगार म ह, तो उसे उस दन
के पूण रोजगार म जब क एक घंटे से अ धक एवं चार घंटे से कम के रोजगार को उस दन के आधे दन के

रोजगार म माना जाता है।

भारत म बेरोजगारी के मापन हेतु रा ीय तदश सव ण संगठन (NSSO) आंकड़े एक त करता है.
NSSO के 68व दौर क रोजगार एवं बेरोजगारी थ त रपोट के अनुसार वष 2011-12 म सामा य थ त (US)
के आधार पर भारत म 2.7 तशत बेरोजगारी थी।
भारतीय रा यो म सवा धक बेरोजगारी नगालड (25.6%) दज क गई। इसके प ात ल य प (15.4%) तथा
पुरा (14.6%) सवा धक बेरोजगारी वाले रा य रहे।
चालू सा ता हक थ त (CWS) के आधार पर भारत म वष 2011-12 म 3.7 तशत तथा चालू  दै नक थ त के
आधार पर 5.6 तशत बेरोजगारी दज क गई।
अंतररा ीय म संगठन (ILO) के व रोजगार एवं सामा जक प र य, 2018 के अनुसार, भारत म वष 2018
म 3.5 तशत क बेरोजगारी दर अनुमा नत है।
NSQF के अंतगत श ाथ स मता का माण-प औपचा रक, गैर-औपचा रक तथा अनौपचा रक श ा के
मा यम से कसी भी तर पर आव यक यो यता के लए ा त कर सकता है।

NSQF के काया वयन से अपे त व श प रणाम न न ल खत ह –

1. NSQF के साथ ड ी के संरेखण ारा ावसा यक और सामा य श ा के म य संचरण।


2. पूव अ धगम (आरपीएल) क पहचान, गैर-औपचा रक से संग ठत नौकरी बाजार म सं ामण क अनुम त।

3. रा ीय गुणव ा आ ासन ढांचे के मा यम से पूर दे श म श ण क मानवीकृत, सुसंगत, रा ीय तर पर वीकाय



प रणाम।
NSQF े ं ी े े े ै ी
4. NSQF क अतररा ीय तु यता क मा यम स भारत क कुशल मक क व क ग तशीलता।
5. े के भीतर एवं पार- े ीय प से ग त पथ का मान च ण।

6. कौशल श ण के लए रा ीय मानक के प म NOS/QPs का अनुमोदन।

बेरोजगारी से ता पय आय के साधन क अनुपल धता से है। बेरोजगारी बढ़ने पर अ धक लो गरीबी रेखा से नीचे
आ जाएंगे और इस कार गरीबी बढ़े गी।
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भारत म श त बेरोजगार क सवा धक तशतता वाला रा य केरल है।


वकास क ऊंची दर के साथ रोजगार का भी सृजन होता है। इसम रोजगार के अनु प श ा ा त य को
तो रोजगार ा त हो जाता है परंतु, ावसा यक श ा क कमी होने पर अनेक श ा लोग को रोजगार से वं चत
भी रहना पड़ता है। अतः श त बेरोजगारी बढ़ती है। भारत म ऐसा ही हो रहा है। रा ीय तदश सव ण संगठन
(NSSO) ने अपने ताजा सव ण मे प कया है क हाई कूल एवं उससे अ धक श ा ा त नवयुवक मे
ावसा यक कौशल क कमी के कारण इनसे कम श ा ा त नवयुवक क तुलना म  बेरोजगारी दर उ च है।

भारत स हत वकासशील दे श और अ प वक सत दे श म पाई जाने वाली अ धकांशतः बेरोजगारी संरचना मक


होती है। संरचना मक बेरोजगारी का मु य कारण य म रोजगार के अनु प कौशल का न पाया जाना होता
है। अथ व था के ढांचे का पछड़ापन, सी मत पूंजी उपल धता एवं म का बा य आ द भी संरचना मक
बेरोजगारी के मुख कारण ह।
भारत म छपी ई ( छ ) बेरोजगारी ाथ मक े (कृ ष एवं संब द े ) म अ धक पाई जाती है, ऐसा भू म
एवं अ य ाकृ तक संसाधन पर आबाद के अ धक दबाव के कारण होता है। तकनीक वकास क कमी के
कारण जनसं या का अ धकतर भाग कृ ष एवं संब द ग त व धय पर नभर करता है, जस कारण एक ही काय
म आव यकता से अ धक लोग होते ह। यही छपी ई बेरोजगारी का कारण बन जाता है।
अथशा म छपी या छ बेरोजगारी श द का योग सबसे पहले ीमती जोन रॉ ब सन ( Joan
Robinson) ने कया था।

बेरोजगारी के लए त आय म वृ द उ रदायी नही है, जब क ती जनसं या वृ द, कौशल का अभाव


तथा जनश नयोजन का अभाव आ द कारक बेरोजगारी के उ रदायी कारक ह।
NSSO ारा वष 2004-05 के लए कए गए 61व दौर के आंकड़ म नधनता आकलन के लए यू.आर.पी.
(यू नफॉम रकॉल पी रयड) तथा एम.आर.पी. ( म ड रकॉल पी रयड) व ध का योग कया गया है।
यू.आर.पी. व ध म 30 दन क रकॉल अव ध म सभी उपयोग मदो के लए उपभो ा य संबंधी आंकड़े
एक त कए जाते ह। जब क एम. आर.पी. म गैर-खा मद , जैस-े व , जूत,े च पल टकाऊ व तुए,ं श ा तथा
सं थागत मे डकल य 365 दन क रकॉल अव ध के लए तथा शेष मदो के लए उपभोग य 30 दवसीय
रकॉल अव ध से एक त कए जाते ह, का योग होता है।
राजीव आवास योजना जून, 2011 म ारंभ क गई थी, जसे व ता रत करते ए वष 2022 तक कर दया गया
है। इस योजना म झु गी मु शहर क क पना क गई है, जसम येक नाग रक को बु नयाद नाग रक
अवसंरचना और सामा जक सु वधा तथा उ चत आ य उपल ध हो।
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म य दे श सरकार ारा नवंबर, 1991 म वशेषतः ामीण एवं आ दवासी े क म हला के क याण एवं
वकास हेतु पंचधारा योजना शु क गई थी। यह योजना पांच योजना वा स य योजना, ा य योजना,
आयु मती योजना, सामा जक सुर ा पशन योजना तथा क पवृ योजना का समु चय थी।
योजना लांच त थ

सुक या समृ द योजना     –   22 जनवरी, 2015

अटल पशन योजना         –   9 मई, 2015

मेक इन इं डया            –   25 सतंबर, 2014

धानमं ी जन-धन योजना   –   28 अग त, 2014

ड जटल जडर एटलस फॉर एडवां सग  –    9 माच, 2015

ग स एजुकेशन इन इं डया

धानमं ी सुर ा बीमा योजना    –   9 मई, 2015

मु ा बक योजना               –   8 अ ैल, 2015

कौशल वकास पहल म एवं रोजगार मं ालय ारा मई, 2007 म ारंभ कया गया था।

गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले नधन प रवार को व छ धन (LPG) उपल ध कराने हेतु व छ
े ी ै े ं ी े ो े ई ो े े े
धन,, बहतर जीवन क टगलाइन क साथ धानम ी नर मोद न 1 मई, 2016 को उ र दश क ब लया जल
से धानमं ी उ वला योजना क शु आत क । इस योजना के तहत आगामी तीन वष (2016-19) म 10
करोड़ नए एलपीजी कने शन दान करने का ल य नधा रत कया गया था।
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धानमं ी जन--धन योजना ((PMJDY)


PMJDY) का औपचा रक शुभारंभ धानमं ी नरे मोद ने 28 अग त, 2014
को नई द ली म आयो जत एक रा ीय समारोह म कया।

पहल ((PAHAL)
PAHAL) योजना के अंतगत एलपीजी अनुदान का ह तांतरण य ह तांत रत लाभ योजना के मा यम
से सीधे लाभा थय के बक खाते म कया जाता है। पहल ((PAHA)
PAHA) योजना के थम चरण का शुभारंभ 15
नवंबर, 2014 से 54 जनपद म कया गया था। जब क 1 जनवरी, 2015 को यह योजना दे श के सभी जनपद म
व ता रत क गई।
नयोजन गारंट योजना या रोजगार गारंट योजना नामक ामीण रोजगार काय म सव थम महारा सरकार
ारा 26 जनवरी, 1979 को ारंभ कया गया था।
रोजगार गारंट योजना ामीण े म रोजगार याभूत करने के लए गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले ामीण
प रवार के कम से कम एक पु ष और एक म हला को व ीय सहायता दे ने का वचार करती है।
ाइसेम (Training of Rural Youth for Self Employment) योजना 18-35 वष के ामीण युवा को
वरोजगार हेतु श ण दान करने के उ े य से अग त, 1979 मे ारंभ क गई थी।

आर.एल.ई.जी.पी. (Rural Landless Employment Gurantee Programme) योजना 15 अग त,


1983 को ामीण भू महीन हेतु रोजगार के अवसर दान करने के लए ारंभ क गई थी।
जवाहर रोजगार योजना (JRY) का शुभारंभ रा ीय ामीण रोजगार काय म (NREP) तथा ामीण भू महीन
रोजगार गारंट काय म (RLEGP) के वलय ारा अ ैल, 1989 म कया गया था।

रोजगार आ ासन योजना (EAS) का ारंभ 2 अ टू बर, 1993 को कया गया था। इसका मु य उ े य मौसमी
बेरोजगारी से सत ामीण युवा को रोजगार उपल ध कराना था।
ामीण अव थापना वकास कोष ((RIDF)
RIDF) का गठन वष 1995-96 म आ था। इसका उ े य रा य सरकार
तथा रा य के वा म व वाले नगम के लए फंड क व था करना है जससे वे ामीण अव थापना
प रयोजना को पूरा कर सक। ामीण जलापू त, ामीण सड़क व ामीण व ुतीकरण इसके अंतगत आते ह
कतु ामीण उ ोग इसके अतगत नही आता।
वावलंबन योजना असंग ठत े के कामगार के लए भारत सरकार क एक पशन योजना है, जसे वष 2010
म ारंभ कया गया था। वतमान म इस योजना का थान अटल पशन योजना (मई, 2015 म ारंभ) ने ले लया
है।
25 दसंबर, 2014 को के य वा य एवं प रवार क याण मं ालय ारा ब च एवं गभवती म हला के
ट काकरण हेतु मशन इ धनुष का शुभारंभ कया गया था। मशन इ धनुष दे श भर म  उ च ट काकरण
सु न त करने के लए एक रा ीय ट काकरण काय म है। इसके अंतगत सीत ट क ( ड थी रया, काली खांसी,
टटे नस, य रोग, पो लयो, हेपेटाइ टस बी एवं खसरा) को शा मल कया गया है।
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भारत सरकार ने वष 1972-73 म व रत ामीण जल आपू त काय म (ARWSP) ारंभ कया था। हालां क 1
अ ैल, 2009 से ामीण पेयजल आपू त काय म को रा ीय ामीण पेयजल काय म (NRDWP) नाम दया
गया। रा ीय ामीण पेयजल काय म भारत नमाण के 6 घटक म से एक है।
संक प प रयोजना HIV/AIDS के समापन से जुड़ी है। यह Hindustan Latex Ltd. एवं कमचारी रा य
बीमा नगम ारा संयु प से संचा लत एक प रयोजना है।
धानमं ी ामीण सड़क योजना का ारंभ 25 दसंबर, 2000 को कया गया था। इस योजना का उ े य मैदानी
े म 500 से अ धक क आबाद वाले गांव (पहाड़ी, जनजातीय एवं म थलीय े म 250 से अ धक क
आबाद वाले गांव ) को बारहमासी सड़क के ारा मु य सड़क से जोड़ना था इस योजना के मूलतः दो ल य थे –

1. योजना के पहले चरण म वष 2003 तक 1000 से अ धक आबाद वाले गांव को अ छ बारहमासी सड़क से
जोड़ना।
2. सरे चरण म 500 आबाद वाले गांव को वष 2007 तक अ छ बारहमासी सड़क से जोड़ना।

कृ ष मक सामा जक सुर ा योजना –    2001

वण जयंती ाम व-रोजगार योजना  –    1999

रोजगार गारंट योजना              –    2006

 धानमं ी ामोदय योजना           –    2000

सव श ा अ भयान                –    2001


सा र भारत मशन                –    2009

ऑपरेशन लैक बोड                –    1987

रा ीय सा रता मशन             –    1988

संगम योजना                     –    1996

जन ी बीमा योजना                –     2000

आम आदमी  बीमा योजना          –    2007

रा ीय ामीण वा य मशन       –     2005

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रा ीय ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम (NREGA), 5 सतंबर, 2005 को अध नय मत तथा 2 फरवरी, 2006
से इसे लागू कया गया। 2 अ टू बर, 2009 को रा ीय ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम का नाम प रव तत कर
महा मा गांधी रा ीय ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम (MNREGA) कर दय गया।
भारत म सामुदा यक वकास के मु य नमाता ए.के. डे कहलाते ह। वे भारत के थम सहका रता एवं पंचायती
राज मं ी थे। वष 1952 म भारत सरकार ारा सामुदा यक वकास काय म को ारंभ कराने म इनका मह वपूण
योगदान था। जवाहरलाल नेह उस समय धानमं ी थे।
रा ीय ामीण वा य मशन अ ैल, 2005 मे आरंभ कया गया जब दसव पंचवष य योजना (2002-07) जारी
थी।
समे कत बाल वकास सेवाएं (ICDS – Integrated Child Development Service) नामक काय म
के सरकार ारा वष 1975 म ारंभ कया गया था।
भारत म एक कृत बाल वकास सेवा योजना 2 अ टू बर, 1975 को भारत सरकार के म हला एवं बाल वकास
मं ालय ारा लागू क गई थी।
के सरकार ने जून, 2015 म धानमं ी आवास योजना का शुभारंभ कया था। इस योजना क समयाव ध
2015-2022 है।

क तूरबा गांधी बा लका व ालय योजना का शुभारंभ भारत सरकार ारा अग त, 2004 म अनुसू चत  जा त, 
जनजा त, पछड़े वग, अ पसं यक, से स वकर, मैला ढोने वाल आ द प रवार क   बा लका के लए
शै णक से पछड़े ए लॉक (जहां म हला सा रता तथा शै णक जडर गैप रा ीय तर पर कम था) म
आवासीय उ च ाथ मक व ालय क थापना के लए कया गया था।
त ण भारत संघ डॉ. राजे सह ारा था पत एक वयंसेवी संगठन है, जो धारणीय वकास के लए राज थान
म काय कर रहा है।
के सरकार ने द पक पारेख कमेट का गठन (मई, 2007 म) अव थापना वकास एवं व ीयन के लए उपाय
सुझाने के लए कया था।

भारतवष म केवल वकलांग के लए था पत थम व व ालय च कूट (उ. .) म है, जसका मु यालय भी


च कूट है। इस व व ालय का नाम जगदगु रामभ ाचाय वकलांग व व ालय है।
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भारत का थम खुला व व ालय हैदराबाद म डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर अग त, 1982 म था पत


कया गया था।

डसेट सं थान को ारंभ करने का उ े य ामीण बेरोजगार युवक को वयं के उ म लगाने के लए द ता एव 
उदय मता का श ण दे ना है।
ए ागोगी (Andragogy) ौढ़ श ा (Adult Education) का सरा नाम है।
पूरा (Providing of Uraban Amenities to Rural Areas: PURA) क अवधारणा को पूव रा प त डॉ.
ए.पी.जे. अ ल कलाम ने अपनी पु तक “Target
Target 3 Billion” जसके सह-लेखक सृजन पाल सह ह, म
सव थम तुत क ।  भारत के 54व गणतं दवस क पूव सं या पर त कालीन रा प त डॉ.ए.पी.जे. अ ल
कलाम ने पूरा क अवधारणा को जनता के सम तुत कया, इसके प ात 15 अग त, 2003 को त कालीन
धानमं ी के ारा पूरा योजना के या वयन क घोषणा कर द गई।
ामीण े ो म शहरी सु वधाएं दे ने क नी त का समथन भारत के पूव रा प त डॉ.ए.पी.जे. अ ल कलाम ने
कया था। इस हेतु उ ह ने चार कार के संपक मुहैया कराने क बात कही थी। उ ह ने वा त वक संपक,
 इले ॉ नक संपक तथा ान के संपक के मा यम से ामीण े के आ थक संपक पर जोर दया था।
अ यपा फाउंडेशन भारत का एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है, जसक थापना वष 2000 म बंगलु
ए ( ) ह, ु
(कनाटक) मे ई थी। यह सं था कूली छा को नःशु क म या भोजन उपल ध कराती है।
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भारतीय व श पहचान ा धकरण (UIDAI) ारा व तत आधार भारतीय नाग रक को पहचान उपल ध
कराने के लए एक काय म है। यह 12 अंक य वशेष पहचान सं या है, जसम शशु स हत येक क
आधारभूत जनसां यक य एवं बायोमै क सूचना-फोटो ाफ, फगर ट् स एवं आइ रश कैन डाटाबेस सं हीत
करके तैयार कया जाता है। इसका योग  बक खाता खोलने, टे लीफोन/मोबाइल कने शन लेन,े हवाई या रेल
टकट ा त करने आ द पहचान के तौर पर कया जा सकता है।
लोक काय म एवं ामीण ौ ो गक वकास प रषद अथात कापाट (Council for Advancement of
People’s Action and Rural Technology: CAPART) का गठन 1 सतंबर, 1986 को कया गया था।
कापाट ामीण वकास मं ालय के नदश के अंतगत काय करता है। इसका मु यालय नई द ली मे है। इसका
मु य उ े य ामीण समृ द के लए प रयोजना के काया वयन वै छक काय को ो साहन दे ना और उनम
मदद करना है।
भारत सरकार ारा 12 जुलाई, 2001 को वयं स दा योजना का ारंभ कया गया। इसके तहत वयं सहायता
समूह के ारा  म हला के संपूण सश रण पर  बल दया था। वाधार योजना का उ े य क ठन प र थ तय
म पड़ी म हला को सहायता दान करना है। वयं स दा तथा वाधार दोन योजना का या वय सरकारी
नकाय एवं वयं सहायता समूह के मा यम से कराए जाने का ावधान है।

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सं थान         थान

रा ीय हीन सं थान            –    दे हरा न

रा ीय अ थरोग वकलांग सं थान   –    कोलकाता

अली यावरजंग रा ीय ब धर सं थान  –    मुंबई

रा ीय मान सक वकलांग सं थान    –    सकंदराबाद

धानमं ी म पुर कार, भारत सरकार के म एवं रोजगार मं ालय ारा दान कया जाता है। यह पुर कार
औ ो गक ववाद अ ध नयम, 1947 मे प रभा षत कए गए के और रा य सरकार के वभागीय उप म , के
और रा य के सावज नक के और रा य सरकार के वभागीय उप म , के और रा य के सावज नक
उप म तथा नजी उ म ( जनम कम से कम 500 पंजीकृत कमचारी ह) के बेहतर दशन करने वाले कामगार
को दान कया जाता है।
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वजन 2020 फॉर इं डया त कालीन भारतीय रा प त डा.ए.पी.जे. अ ल कलाम ारा ता वत द तावेज है
जो भारत को वष 2020 तक वक सत रा बनाने से संबं धत है।
के सरकार ारा 2 अ टू बर, 2007 को ारंभ क गई आम आदमी बीमा योजना ामीण े म नधनता क
रेखा से नीचे रहने वाले सभी भू महीन  मक को सामा जक सुर ा दान करती है। इस योजना के तहत ामीण
भू महीन प रवार क मु खया अथवा प रवार का रोजगार करने वाला एक सद य जसक उ 18-59 वष के म य
हो, इस योजना के तहत बीमा करा सकेगा। इस योजना का संचालन रा य /के शा सत े क सरकार एवं 
भारतीय जीवन बीमा नगम (LIC) के सहयोग से कया जाता है। योजना के तहत दे य ी मयम 200 पये
तमाह सद य तवष के एवं रा य सरकार ारा 50:50 के अनुपात म वहन कया जाता है। योजना म
बीमाकृत के क ा 9 से 12 क बीच पढ़ रह  दो ब च तक के लए 300 . त तमाही त ब चा
छा वृ का ावनधान भी है।
द न दयाल उपा याय ाम यो त योजना का उ े य े म कृ ष और गैर-कृ ष उपभो ा को ववेकपूण
तरीके व ुत आपू त सु न त कराना है। इस योजना का शुभारंभ 25 जुलाई, 2015 को पटना म  धानमं ी
नरे मोद ारा कया गया। चूं क इस योजना से ामीण श ा, वा य, व छता, ब कग सेवा आ द म सुधार
होगा और यह सब ामीण सश करण के तहत ही आते ह।
1 अ ैल, 1999 से ारंभ वण जयंती ाम व--रोजगार योजना ((SGSY)
SGSY) म पूव मे चल रही जन छः
योजना का वलय कया गया था वो न न ल खत ह —

1. एक कृत ामीण वकास योजना ( IRDP)



2. ाइसेम

ी ं ो (DWACRA)
3. ामीण म हला एव बाल वकास योजना (DWACRA)
4. दस लाख कूप योजना (MWS)
5. उ त टू ल कट योजना (SITRA)
6. गंगा क याण योजना कालांतर मे SGSY को रा ीय ामीण अजी वका मशन (NRLM) नाम से पुनग ठत कया
गया। वतमान म इस योजना का नाम द नदयाल अं योदय योजना-रा ीय ामीण आजी वका मशन (DAY-
NRLM) है।

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रा ीय मा य मक श ा अ भयान ((RMSA)
RMSA) – क   शु आत माच, 2009 म भारत सरकार दवारा मा य मक
श ा तक प ंच बढ़ाने तथा इसक गुणव ा म सुधार करने के लए क गई  थी। इसे स 2009-10 से
या वत कया गया।
महा मा गांधी रा ीय रोजगार गारंट अ ध नयम ((MGNREGA)
MGNREGA) – येक भारतीय प रवार को एक व ीय
वष म कम से कम 100 दन के अकुशल काम का अ धकार दे ता है। ात   क रा ीय ामीण रोजगार गारंट
अ ध नयम (NREGA) 5 सतंबर, 2005 म पा रत आ था तथा 2 फरवरी, 2006 को इसक शु आत
धानमं ी डॉ. मनमोहन सह ारा आं दे श के अनंतपुर जले के बंदापाली गांव से क गई थी। 2 अ टू बर,
2009 को इसका नाम बदलकर महा मा गांधी ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम ((MGNREGA)
MGNREGA) कर दया
गया है।

रा ीय ामीण आजी वका मशन ((National


National Rural Livelihood Mission) – क शु आत 2 जून,
2011 को ( वण जयंती ाम व-रोजगार योजना (SGSY) का पुनगठन कर) राज थान के बांसवाड़ा से क गई।
योजना का उ े य गरीब ामीण को स म और भावशाली सं थागत मंच दान कर उनक आजी वका म
नरंतर वृ द करना, व ीय सेवा तक उनक प ंच को बढ़ाना तथा उनक पा रवा रक आय म वृ द करना है।
म हला के लए श ण एवं रोजगार काय म का समथन ((STEP-
STEP- Support to Training ad
Employment Programme for Women) को वष 1986-87 म एक के य योजना के प म ारंभ
कया गया था। इसका उ े य म हला म कौशल वकास करना था जससे वे रोजगार ा त कर सक या व-
रोजगार के ार आ म नभर बन सक। इस योजना के अंतगत 16 वष या इससे अ धक उ क म हला को
स म लत कया गया था।
वण जयंती ाम वरोजगार योजना (SGSY) ामीण गरीब को वरोजगार के अवसर उपल ध कराने के लए
एक सम वत काय म के प म 1 अ ैल, 1999 को शु क गई थी। 1 दसंबर, 1997 को वण  जयंती शहरी
रोजगार योजना शु क गई थी। जवाहर रोजगार योजना 1 अ ैल, 1989 को शु क गई थी। रा ीय ामीण
वा य मशन 12 अ ैल, 2005 म  शुर कया गया था।

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रा ीय ामीण रोजगार गारंट योजना ((NREGS)


NREGS) संबंधी वधेयक वष 2005 म संसद ारा पा रत आ तथा
2 फरवरी, 2006 से इस योजना को ारंभ कया गया है। यह योजना शु आती दौर मे दे श के 200 जल , सरे
चरण म 130 अ त र जल अथात कुल 330 जल तथा 1 अ ैल, 2008 से दे श के सभी जल म लागू क
गई। 2 अ टू बर, 2009 को रा ीय ामीण रोजगार गारंट अ ध नयम (MGNREGA) कर दया गया।
म या भोजन योजना – यह योजना 15 अग त, 1995 से शु क गई योजना यू शनल सपोट टु ाइमरी
एजुकेशन का संशो धत प है जसे सतंबर, 2004 से ाइमरी तर पर लागू कया गया है। इसे 1 अ टू बर,
2007 से अपर ाइमरी (क ा 8) तर पर लागू कर दया गया है।

सव श ा अ भयान – श ा के बल अ गामी तथा प गामी क ड़य को म रखते ए भारत सरकार ने


वष 2001 मे सव श ा अ भयान को लागू कया।
ामीण वा य मशन – ामीण जनसं या को सुलभ, वहनीय तथा गुणव ापूवक वा य सु वधाएं उपल ध
कराने हेतु 12 अ ैल, 2005 को भारत सरकार ारा ामीण वा य मशन योजना ारंभ क गई।
लुक ई ट पॉ लसी – भारत  ारा द ण पूव ए शयाई दे श के साथ ापा रक संबंध को बढ़ाने हेतु लुक ई ट
पॉ लसी (पूव क ओर दे खो) क नी त अपनाई गई।
भारत म सामुदा यक वकास काय म ायो गक तर पर 2 अ टू बर, 1952 म शु कया गया था। दे श म
कृ ष काय म और संचार क णाली म सुधार के साथ-साथ ामीण वा य, व छता और ामीण श ा म
पया त वृ द के उ े य से सामुदा यक वकास काय म को लागू कया गया था। पहली पंचवष य योजना म
केवल 248 लॉको म इसको लागू कया गया था। जसे वष 1964 तक चरणब द प म पूरे दे श म लागू कर दया
गया।
भारत म सामुदा यक वकास के मु य नमाता एस.के. डे कहलाते ह। वे भारत के थम सहका रता एवं पंचायती
राज मं ी थे। वष 1952 म भारत सरकार ारा सामुदा यक वकास काय म को ारंभ कराने म इनका मह वपूण
योगदान था। जवाहरलाल नेह उस समय धानमं थे।
 STUDY FOR CIVIL SERVICES-GYAN
 

सामुदा यक वकास काय म ने पंचायती राज के संगठन का रा ता तैयार कया गया था।
आ य बीमा योजना 10 अ टू बर, 2001 को ारंभ क गई थी। इस योजना का उ े य, काम अथवा नौकरी छू ट
जाने के कारण भा वत कमचा रय को सुर ा दान करना है।
भारत सरकार के वा य एवं प रवार क याण मं ालय ारा 12 अ ैल, 2005 म ारंभ रा ीय ामीण वा य
मशन के तहत श त सामुदा यक वा य कायकता, आशा ((ASHA
ASHA – Accredited Social Health
Activists) के मुख काय म शा मल ह – पोषण एवं तर ण के वषय म समुदाय को सूचना उपल ध कराना,
य को सव-पूव दे खभाल जांच के लए वा य सु वधा के साथ ले जाना, गभाव था क ारं भक
जानकारी ा त करने के लए गभाव था परी ण कट का योग करना आ द आशा के काय म शा मल ह। ब चे
का सव कराना इसका काय नही है।
रा ीय वा य नी त क घोषणा वष 1983 म वा य एवं प रवार क याण मं ालय ारा क गई थी। उ लेखनीय
है क वतमान म के य वा य एवं प रवार क याण मं ालय ारा वा य े मे सुधार हेतु रा ीय वा य
नी त, 2017 घो षत क गई।
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गरीबी

गरीबी का ता पय आधार भूत आव यकता तक प ंच क असमथता से है अथात जब अपनी मौ लक


ज रत को भी पूरा न कर सके तो वह गरीब है।

गरीबी को दो प म दे खा जाता है – नरपे गरीबी व सापे गरीबी।


नरपे गरीबी (Absolute Poverty) यह दशाता है क कतने लोग गरीबी म जी रहे ह।
नरपे गरीबी मापन को हेड कांउर व ध भी कहा जाता है, य क यह गरीब क सं या को बताता है।
इस व ध म उपभोग य या यूनतम आव यकता पोषण तर के आधार पर गरीबी रेखा का नधारण कर उन
लोग को गरीब मान लया जाता है, जनका उपभोग य गरीबी रेखा से नीचे है।
सापे गरीबी (Relative Poverty) अथ व था म आय एवं संप के वतरण क थ त को दशाता है।
सापे गरीबी मापन क दो मुख व धयां ह – लारज व व ध तथा गनी गुणांक।
लारज व का तपादन वष 1905 म मै स लॉरज ारा कया गया था।
यह रा ीय आय के वतरण का रेखा च ीय दशन है, जसम का लारज व का येक ब रा ीय आय
( तशत मा ा) क जनसं या ( तशत भाग) मे वतरण को दशाता है।
लारज व कुल आय के संचयी तशत तथा जनसं या के संचयी तशत के म य वतरण का दशन करता है।
लारज व नरपे समता रेखा से जतनी र होगा आय का वतरण उतना ही असमान होगा, जब क यह नरपे
समता रेखा से जतने नजद क होगा आय वतरण उतना ही समान होगा।
गनी गुणांक का तपादन वष 1912 म कोरेडो गनी (Corrado Gini) ने कया था।
यह रा ीय आय के वतरण क ग णतीय माप तुत करता है।

इसे नरपे समता रेखा के नीचे के संपूण े फल का लारज व एवं पूण मता रेखा के म य े फल मे भाग
दे कर ा त कया जाता है।
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गनी गुणांक  = पूण समता रेखा एवं लारज व के म य का े फल//पूण समता रेखा के म य का कुल
े फल

गनी गुणांक शू य एवं 1 के म य (0£G£1) होता है।


जब इसका मान शू य होता है, तो इसका अथ रा ीय आय क पूण समानता से है। अथात येक को एक
समान आय ा त हो रही है।

जब इसका मान 1 होता है, तो इसका ता पय़ रा ीय आय के पूणतया असमान वतरण से है। अथात एक ही
पूरी आय ा त कर रहा है शेष को कुछ भी नही हो रहा है।
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 भारत म गरीबी

भारत म गरीबी मापन का थम आ धका रक यास योजना आयोग ारा (डी. आर. गाड गल स म त ारा) वष
1962 म कया गया, जसम त तमाह 20 पये उपयोग य को गरीबी क रेखा मानने का सुझाव
दया।
वष 1977 म योजना आयोग ारा ग ठत कायदल ने गरीबी को त दन यूनतम भोजन ऊजा के आधार पर
प रभा षत कया।

इसी आधार पर ामीण े के लए 2400 कैलोरी त त दन तथा शहरी े के लए 2100 कैलोरी


त त दन को गरीबी रेखा माना गया।
वष 1989 म ग ठत ो. डी.ट . लकड़वाला स म त जसने वष 1993 म अपनी रपोट तुत क ने सभी रा य के
लए अलग-अलग गरीबी रेखा सुझाव दया।

लकड़वाला स म त के सुझाव पर ामीण एवं शहरी े के लए अलग-अलग मू य सूचकांक अपनाए जाने लगे।
ामीण े के लए कृ ष मक हेतु उपभो ा मू य सूचकांक (CPI for Agricultural Labour) तथा
शहरी े के लए औ ो गक मक हेतु उपभो ा मू य सूचकांक (CPI for Industrial Worker) को
अपनाया जाने लगा।
मरणीय है क भारत म नधनता आकलन हेतु रा ीय तदश सव ण संगठन (NSSO) ारा जारी घरेलू
उपभो ा य के आंकड़े योग म लाए जाते ह।
भारत म गरीबी मापन क व ध के नधारण हेतु वष 2005 म सुरेश त लकर स म त का गठन कया गया।
नवंबर, 2009 म इस स म त ने अपनी रपोट तुत क ।
त लकर स म त ने गरीबी को ब आयामी माना तथा इस स म त ने कैलोरी उपागम के बाजार खा , श ा तथा
वा य सेवा पर पा रवा रक य को गरीबी मापन का आधार माना।
इस स म त ने गरीबी मापन क व ध म URP (Uniform Reference Period) जसके अंतगत 30 दन क
याददा त अव ध (Recall Period) के भीतर के उपभोग य को लया जाता था, के थान पर MRP (Mixed
Reference Period) को अपनाया गया।
MRP के तहत पांच मद (कपड़े, जूते/च पल, श ा, टकाऊ व तुएं एवं सं थागत वा य य) को 365 दन
क याददा त अव ध के लए, जब क शेष मद को 30 दन क याददा त अव ध के लए उपभोग य के आंकड़े
लए जाते ह।
इस स म त क व ध के अनुसार, वष 2011-12 म भारत म 21.9 तशत गरीबी रही। भारत के ामीण े म 
7 तशत, जब क शहरी े म, 13.7 तशत गरीबी दज क गई।
इनक व ध के अनुसार, भारत के ामीण े म गरीबी रेखा 816 पये त तमाह अथवा 27.20
पये त दन त है।
जब क शहरी े के लए गरीबी रेखा 1000 पये त तमाह अथवा 33.3 पये त त दन
है।
त लकर स म त के अनुसार, सवा धक गरीबी तशतता वाला रा य छ ीसगढ़ (39.9%) है, जब क सवा धक
गरीब जनसं या वाला रा य उ र दे श (598.2 लाख) है।
त लकर व ध के अनुसार, यूनतम गरीबी तशतता वाले के शा सत दे श एवं रा य मशः अंडमान एवं
नकोबार प समूह (1%) तथा गोवा (5.1%) है।
नधन आकलन क पुनसमी ा हेतु जून, 2012 म सी. रंगराजन क अ य ता म वशेष कायदल ग ठत कया
गया जसने 30 जून, 2014 को अपनी रपोट तुत कया।

इस स म त ने भी गरीबी को ब आयामी मानते ए गरीबी रेखा के आकलन पया त पोषण, व , मकान का


कराया, यातायात, श ा तथा अ य गैर-खा य पर आधा रत माना।

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पोषक मापन म इ ह ने खा बा केट को लया है, जसम कैलोरी के साथ-साथ ोट न एवं वसा को भी थान
ा त है।
ामीण े म 2155 कलो कैलोरी, 48 ाम ोट न एवं 28 ाम वसा त दन, जब क शहरी े के लए
2090 कलो कैलोरी, 50 ाम ोट न एवं 26 ाम वसा त त दन का मानक रखा।
रंगराजन व ध के अनुसार वष 2011-12 म भारत म 29.5 तशत लोग गरीबी म थे।

ामीण े म 30.9 तशत, जब क शहरी े म 26.4 तशत गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे ह।
रंगराजन व ध के अनुसार, ामीण े म गरीबी रेखा 972 पये त तमाह अथवा 32.40 पये
त त दन है।
शहरी े के लए गरीबी रेखा को 1407 पये तमाह अथवा 46.90 पये त त दन माना गया है।

इस व ध के अनुसार, भारतीय रा य म सवा धक गरीबी छ ीसगढ़ (47.9%) मे दज क गई।


सवा धक गरीब क सं या वाला दे श उ र दे श (809.1 लाख) है।

 रंगराजन व ध के अनुसार, यूनतम गरीबी तशतता वाला के शा सत दे श एवं रा य मशः अंडमान एवं
नकोबार प समूह (6.0%) रा य तथा गोवा (6.3%) है।
रंगराजन व ध के अनुमान MMRP (Modified Mixed Reference/Recall Period) पर आधा रत ह।
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MMRP म उपभोग य को उनक कृ त के आधार पर तीन भाग म बांटा जाता है – कम आवृ वाली
व तु (कपड़े, जूत,े श ा, वा य य एवं टकाऊ व तु ) को 365 दन क याददा त अव ध के लए,
जब क अ य धक आवृ वाली व तु (खा तेल, अंडे, मछली/मांस, स जयां, फल मसाले, सं कृत खा ,
पान, तंबाकू आ द को 7 दन क याददा त अव ध हेतु तथा शेष मदो (शेष खा व तुए,ं धन एवं काश, मकान
का कराया, आ द) को 30 दन क याददा त अव ध हेतु लया जाता है।
भारत के आ थक प से पछड़े रा य बहार, उड़ीसा, म य दे श के साथ-साथ महारा के जनजातीय समूह म
न बे के दशक म गरीबी क दर अ य सामा जक समूह क अपे ा सवा धक रही।
योजना आयोग गरीबी रेखा से नीचे अ धवा सत जनसं या क गणना हेतु एक वशेष दल का गठन करता है।
जो रा ीय तदश सव ण कायालय ारा एक त उपभोग य के आंकड़ का इस हेतु उपयोग करता है।
भारत म गरीबी अनुमान का आधार प रवार का उपभोग य है।

अथशा ी रै नर न स ने वष 1953 म का शत अपनी पु तक ा लम ऑफ कै पटल फॉमशन इन अंडर


डेवल ड कं ज म नधनता के (Vicious Cycle of Poverty) क अवधारणा का ववेचन करते ए
यह मत कया था क गरीब दे श नधनता के के कारण  गरीब  बने रहते ह। इनका तक है क कम
आय से कम बचते होती है जो नवेश साम य को हतो सा हत करती है। कम नवेश उसक उ पादकता तथा आय
भी कम बनी रहती है और वे गरीब ही बने रहते ह।
भारत म योजना आयोग रा ीय एवं रा य तर पर नधनता के अनुमान के लए नोडल एजसी थी। वतमान म
नी त आयोग ने योजना आयोग को त था पत कर दया है।
सुरेश त लकर स म त एवं लकडावाला स म त दोन ही भारत म नधनता के अनुमान म संबं धत रही ह।
छठ पंचवष य योजना के समय से ही योजना आयोग ारा रा ीय एवं रा य तर पर गरीबी का नधारण कया
जा रहा है। भारत म गरीबी का अनुमान एवं गरीबी के अनुमान क व ध के नधारण हेतु समय-समय पर अनेक
स म तय का गठन कया जाता रहा है। इन स म तय म अलघ स म त (1977), लकड़ावाला स म त (1989),
त लकर स म त (2005) तथा सी. रंगराजन स म त (2012) आ द मुख ह।
गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाली जनसं या के अनुमान के नए मानक नधा रत करने के लए भारत
सरकार ने वष 2005 मे जो स म त ग ठत क थी उसके अ य सुरेश त लकर थे।
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यारहव पंचवष य योजनाव ध मे रोजगार के 7 करोड़ नए अवसर सृ जत कर नधनता अनुपात म 10 तशत


क कमी लाने का ल य रखा गया था।
बारहव पंचवष य योजना म भी गरीबी म तवष 2% तथा पांच वष म 10% क कमी का ल य रखा गया था।
बहार रा य म पछड़ेपन का कारण वहां क सामा जक, आ थक एवं राजनी तक पा र थ तयां ह। बहार रा य
म श ा म कमी, आय क वषमता, सामा जक ढ़याँ, उ ोग ध ध का अभाव तथा राजनी तक इ छाश क

कमी आ द के कारण पछड़ापन मौजूद है। बहार म वकास के तर म े ीय भ ता भी मौजूद है, परंतु यह
बहार के अ प पछड़ेपन का कारण नही अ पतु उसका प रणाम है।

वष 1960 के दशक मे सावज नक वतरण णाली को क मत सहायक काय म क तरह ारंभ कया गया था।
इसका मु य उ े य था स सडाइ ड क मत पर आव यक व तु को दान करना।
भारत म खा स सडी म शा मल ह – समथन मू य के ारा कसान को द जाने वाली स सडी और भारतीय
खा नगम के य प रचालन, सावज नक वतरण णाली (PDS) के ारा द जाने वाली उपभो ा स सडी
तथा इन सभी क लागत को कवर (Cover) करने के लए FCI  को स सडी।
सावज नक वतरण णाली का ल य कम मू य पर गरीब को खा सुर ा उपल ध कराना है।
पंचम पंचवष य योजना के अंतगत य प पहली बार गरीबी नवारण के घो षत उ े य के साथ गरीब वग क
यूनतम आव यकता क पू त हेतु रा ीय वकास काय म को ारंभ कया गया तथा प भारत क थम
म हला धानमं ी ीमती इं दरा गांधी ने छठ योजना के ारंभ मे गरीबी उ मूलन का नारा दया था।
वभेद कृत याज दर योजना को के सरकार ने 1972 म ारंभ कया था। योजना का उ े य समाज के कमजोर
वग को रयायती दर 4.0% पर ऋण उपल ध कराना है।

जीवन क भौ तक गुणव ा का सवा धक आकलन शशु मृ यु दर और सा रता है। इसे ओवरसीज डेवलपमट
काउं सल के लए 1970 के दशक म म य म मौ रस डे वड के ारा वक सत कया गया था।

जीवन क भौ तक गुणव ा   =  सा रता दर + इंडे ड शशु मृ यु दर + इंडे ड जीवन याशा / 3

अपया त संवृ द दर, जनसं या क उ च वृ द दर एवं बेरोजगारी नधनता के लए उ रदायी है।
वष 1952 म भारत ने व का पहला रा ीय प रवार नयोजन काय म श कया जसम रा ीय अथ व था के
वष 1952 म भारत न व का पहला रा ीय प रवार नयोजन काय म शु कया जसम रा ीय अथ व था क
अनु प तर पर जनसं या को थर करने के लए ज म दर को कम करने हेतु आव यक सीमा तक प रवार
नयोजन पर जोर दया गया।
जला ामीण वकास अ भकरण (District Rural Development Agencies) का मुख काय ामीण
भारत म नधनता को कम करने म मदद करना है। ये अ भकरण नधनतारोधी काय म के भावी या वयन
हेतु अंतर े ीय तथा अंतर वभागीय सम वय व सहयोग सु न त करते ह। ये नधनता को र करने के लए
बनाए के कोष क नगरानी के साथ-साथ उनका भावी या वयन क सु न त करते है।
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वैदे शक े

अंतररा ीय ापार

भुगतान संतुलन

कसी दे श के नवा सय का शेष व के साथ सम आ थक लेन-दे न का वा षक ववरण भुगतान संतुलन


कहलाता है।
आ थक लेन-दे न से ता पय व तु , सेवा , संप य एवं पूजी के लेन-दे न से है।
भुगतान संतुलन एक लेखांकन है यह सदै व संतु लत रहता है, य क चालू खाते का घाटा, पूंजी खाते पर ऋण के
ारा पूरा कर लया जाता है।

भुगतान संतुलन को दो खात पर दखाया जाता है – चालू खाता एवं पूंजी खाता।
चालू खाता म सम त व तु एवं सेवा का लेन-दे न दज होता है।
पूंजी खाते पर ऋण एवं नवेश का ववरण दज कया जाता है।
चालू खाते म दो मद म लेखांकन कया जाता है – अ य मद एवं य मद।
य मद म व तु का आयात एवं नयात दज होता है, जब क अ य खाते म सेवा एवं  अ य आय एवं य 
दज कए जाते ह।
नोट – य मद के आयात एवं नयात के अंतर को ापार घाटा कहा जाता है।
चालू खाते के लेन-दे न के अंतर को चालू खाते का घाटा कहा जाता है।
भुगतान संतुलन म असंतुलन को र करने के मुख उपाय न न ल खत ह –

1. वदे शी व नमय दर म प रवतन कर नयात को ो साहन एवं आयात को हतो साहन।


2. मु ा का अवमू यन।

3. राजकोषीय घाटे म कमी


4. नयात शु क म कमी/समा त, नयात स सडी।
5. आयात शु क, आयात कोटा आ द को लगाना।
6. वदे शी नवेश का आकषण।
7. वदे शी सहायता क ा त आ द।

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भारत का वदे शी ापार

आ थक समी ा, 2017-18 के अनुसार वष 2016-17 म भारत का सकल वदे शी ापार 44.17 लाख करोड़
पये रहा, जसम 25.8 लाख करोड़ पये का आयात एवं 18.5 लाख करोड़ पये का नयात कया गया।

भारतीय ापार क दशा

भारत का सवा धक ापार ए शयाई दे श के साथ आ। सकल नयात का 49.9 तशत, जब क सकल आयात
का 60 तशत ए शयाई दे श के साथ रहा।

भारत म सवा धक नयात ((महा प एवं दे श)

महा प दे श

1.   ए शया (49.9%) USA (15.3%)

 2.   यूरोप (19.3%) UAE (11.29%)


3.   उ. अमे रका (17.3%) हांगकांग (5.1%)

4.   अ का (8.4%) चीन (3.7%)

5.   द ण अमे रका (2.6%) सगापुर (3.5%)

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भारत से आयात ((महा प एवं दे श)

महा प दे श

1.   ए शया (60%) चीन (15.9%)

2.   यूरोप (16%) USA (5.8%)

3.   उ. अमे रका  (7.6%) UAE (5.6%)

4.   अ का (7.5%) सऊद अरब (5.2%)

5.   द ण अमे रका (4.5%) वीट् जरलड (4.5%)

भारतीय आयात क   शीष मद

पे ो लयम (22.6%)>पूंजीगत व तुएं (20.9%)>र न एवं आभूषण (14.00%)

भारतीय नयात क मद

इंजी नय रग व तुएं (24.4%)>र न एवं आभूषण (15.7%)>रसायन एवं संबं धत उ पाद (14.2%)

ऐसे शीष दे श जनके साथ भारत का ापार संतुलन धना मक है –

अमे रक>संयु अरब अमीरात>बां लादे श>नेपाल>यूनाइटे ड कगडम

ऋणा मक ापार संतुलन

चीन> वट् जरलड>सऊद अरब>इराक>द. को रया

भारत म वदे शी नवेश

वदे शी नवेश का ता पय वदे श थत कसी सं थागत नवेशक ारा भारत म कए गए नवेश से है, यो क
भारत म गत नवेशक को नवेश क अनुम त नही है।
वदे शी नवेश दो प म आता है – पोटफो लयो नवेश (FPI) तथा य नवेश (FDI)>
FPI – ऐसा नवेश जो कसी कंपनी के शेयर म आए तथा नवेशक कंपनी के बंधन म य भागीदार न हो, तो
ऐसे नवेश को FPI कहा जाता है। यह नवेश शेयर बाजार के मा यम से आता है।

य वदे शी नवेश ((FDI)


FDI) – य वदे शी नवेश म नवेशक य प से भागीदारी करता है तथा बंधन
को भा वत करता है। यह दो पो म आता है।

1. ीनफ ड FDI

जब नवेशक ब कुल नई कंपनी क थापना करता है, तो ऐसे नवेश को ीनफ ड FDI कहा जाता है।

2. बाउनफ ड FDI

जब नवेशक पहले से ही था पत कसी कंपनी म या तो सहभा गता ( वलय) कर लेता है या उसे खरीद (अ ध हण)
कर लेता है, तो ऐसे वदे शी नवेश ाउनफ ड FDI कहलाते ह। उ लेखनीय है क कसी कंपनी के 10 तशत से
अ धक खरीदने पर FPI को FDI माना जाने लगता है।

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FDI से लाभ

1. यह थायी नवेश होता है तथा यह अपने साथ तकनीक, पूंजी एवं नवीन बंधक य णाली लेकर आता है।

2. FDI से आधार संरचाना मक सुधार होते ह तथा इससे नवीन रोजगार के अवसर पैदा होते ह।
3. यह त पधा को बढ़ाता है, जससे व तु क गुणव ा बढ़ती तथा क मत कम होती ह। इससे उपभो ा
क याण बढ़ता है।
4. इससे दे श का आ थक वकास होता है, यो क द तकनीक एवं बंधन संसाधन का अनुकूलतम उपयोग करती
है।

FDI से हा न

1. कंप नयां लाभांश अपने दे श लेकर जाती है।


2. थानीय शशु अव था के उ ोगो का पतन होता है, जससे बेरोजगारी बढ़ती है।
3. द घकाल म ये कंप नयां एका धकार ा त कर लेती ह एवं उपभो ा का शोषण होता है।
4. इससे दे श क आ तता बढ़ती है तथा सरकारी काम-काज म वदे शी ह त ेप होता है।

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भारत म FDI

भारत म सवा धक FDI आगमन सेवा े म आ है। इसके बाद मशः टे लीकॉम एवं कं यूटर सॉ टवेयर और
हाडवेयर के े का थान है।
भारत म सवा धक FDI मॉरीशस से आती है। इसके बाद सगापुर, जापान एवं यू.के. का थान है।

म ट ांड खुदरा े म FDI

भारत सरकार ारा मा ट ांड खुदरा े म 51 तशत FDI क अनुम त दान कर द गई है, परंतु इसके लए
कुछ शत भी ह –

1. यूनतम 100 म लयन का नवेश करना होगा।


2. इनम से आधा नवेश आधार संरचना के नमाण पर करना होगा।
3. त ान केवल 10 लाख या उससे अ धक आबाद वाले शहर म ही था पत ह गे।
4. 30 तशत व तु को थानीय उ ोगो से लेना होगा।

5. कसी भी तरह के बचौ लय का योग व जत है।

अवमू यन

अवमू यन का ता पय दे शी मु ा के मू य ( व नमय दर) म वदे शी मु ा के सापे कमी करने से है।

अवमू यन मू य ास से अलग अवधारणा है।

मू य ास म जहां बाजार ारा दो मु ा क क मत म कमी क जाती ह, वही अवमू यन म सरकार ारा


जानबूझकर मु ा के मू य म कमी क जाती है।
भारत म अब तक तीन बार अवमू यन कया जा चुका है।

1. 19 सतंबर,, 1949
2. 5 जून, 1966
3. 1 जुलाई तथा 3 जुलाई,, 1991

अवमू यन से नयात स ता हो जाता है तथा आयात महंगा इस कारण नयात को ो सा हत होता है परंतु आयात
हतो सा हत।
इसे ापार घाटे को र करने हेतु योग म लाया जाता है।

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व नमय दर

व नमय दर का ता पय दो दे श क मु ाआ के आपसी प रवतनशीलता क दर से है। (जैस – 1 डॉलर = 60


पया)।

इसका नधारण दे श ारा भी होता है और  बाजार श य ारा भी।
आजकल अ धकांश दे श ने व नमय दर के नधारण हेत बाजार णाली को अपना लया है।
आजकल अ धकाश दश न व नमय दर क नधारण हतु बाजार णाली को अपना लया ह।

वनमय दर का नधारण दे श के अंदर वदे शी मु ा क मांग एवं पू त से होता है न क, अंतररा ीय बाजार म।


भारत म भी व नमय दर का नधारण बाजार श य ारा ही होता है ले कन RBI समय-समय पर आव यक
ह त ेप भी करता है।
वष 1972-73 म और वष 1976-77 म ापार संतुलन भारत के लए अनुकूल था। वष 1972-73 म संसाधन
बचत (Resource Balance) 176 करोड़ पये तथा वष 1976-77 म संसाधन बचत 525 करोड़ पये था। व
वष 2017-18 म भारत का ापार घाटा लगभग 162 अरब डॉलर रहा।
वा ण य वभाग क द घकालीन म भारत को वष 2020 तक व ापार म एक मु य तभागी के प म
था पत करना है।
बंद अथ व था ((Closed
Closed Economy) – से ता पय़ ऐसी अथ व था से है जो वदे श ापार से अलग होती
है। ऐसी अथ व था मे अ य अथ व था के साथ न तो नयात होता है और न ही आयात होता है। सरे श द
म बंद अथ व था वाले दे श का अ य दे श के साथ व तु , सेवा , पूंजी आ द का आदान- दान नही होता है।

दो दे श के म य कसी अव ध म ए आयात तथा नयात के मौ क मू य के अंतर को ापार संतुलन कहते ह।


कसी दे श के लए जब नयात मू य आयात मू य क तुलना म अ धक होता है तो दे श ापार अ धशेष म,
जब क नयात क तुलना म आयात अ धक होने पर दे श ापार घाटे क थ त म होता है। ापार संतुलन म
केवल ापार क य मद (व तुएं या माल) शा मल क जाती है। इसके वपरीत भुगतान संतुलन म य मद के
साथ-साथ अ य मद (बीमा एवं ब कग सेवाएं,  भाड़ा, रॉय ट आ द के भुगतान, ऋण व  याज संबंधी भुगतान
आ द) भी स म लत क जाती  ह।

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भारत का ापार संतुलन वष 1972-73 तथा 1976-77 के दो वष को छोड़कर (जब वह धना मक था) वष
1949-50 से 2015-16 तक क संपूण अव ध के लए ऋणा मक था।
वष 2016-17 म शीष तीन आयात मद इस कार ह –

                         करोड़ . म
मद                        

पे ो लयम, ऑयल व यु कट् स  582762

पूंजीगत व तुए ं                379106

अलौह धातुए ं                  262961

भारत ारा वष 1991 से अ ध हीत नई आ थक नी त का एक मह वपूण घटक-उदारीकरण है। इसके अंतगत


भारतीय अथ व था के व नयमन को उदार बनाया जाता है अथात आ थक ग त व धय को बाजार के अनुसार,
संचा लत होने क वतं ता द जाती है। आयात शु क म कमी भी इसका मह वपूण नी त साधन है।
माल के आयात हेतु आयातक को वदे शी व नमय के ा त के लए भारतीय रजव बक (RBI) के व नमय
नयं ण वभाग (ECD- Exchange Control Department) के सम आवेदन करना होता है। आवेदन के
वैध पाए जाने पर वभाग इसे वीकृ त दान करता है.
कतर, भारत को सवा धक एल.एन.जी. आपू त करने वाला रा है। भारत मु य प से कतर और ऑ े लया से
द घका लक अनुबंध के तहत एलएनजी आयात करता है और अपने ाकृ तक गैस ोत को व वधता दे ने क
को शश कर रहा है। वष 2017-18 के दौरान भारत ने सवा धक आयात मशः कतर, नाइजी रया तथा
ऑ े लया से कया। BP Statistical Review June, 2018 के अनुसार भारत व चौथा सबसे बड़ा N.G.
दे श है।
आयात आवरण (इंपोट कवर) उन महीन क सं या बताता है जतने महीन के आयात का भुगतान दे श के
अंतररा ीय रजव ारा कया जा सकता है। माच, 2017 के अंत तक भारत का आयात आवरण 11.3 महीने था।
जब क दसंबर, 2017 के अंत तक यह 10.8 महीने हो गया।
प म बंगाल थत ह दया बंदरगाह से आयात क जाने वाली मुख व तुएं ह – उवरक उवरक हेतु आव यक
क चा माल, खा ा , चीनी, अखबारी कागज, कु कग कोल, पे ो लयम कोक, चूना प थर, लौह एवं इ पात,
मशीनरी, ै प, स जयां आ द।
वतं ता के उपरांत आयात क से अमे रका (USA) भारत के लए सबसे मुख रा रहा है।
अंतररा ीय ापार म साख-प (L/C-Letter of Credit) एक भुगतान सु न त करने संबंधी द तावेजी साख
(Documentary Credit) है जो आयातकता के नवेदन पर कसी व ीय सं थान ारा जारी कया जाता है।
आयातक सव थम भारतीय रजव बक के पास आयात के लए अभी वदे शी व नमय हेतु आवेदन करता है।
वदे शी व नमय वीकृत होने के प ात आयातक इंडेट के मा यम से नयातक को आपू त हेतु ऑडर दे ता है
जससे आयात क या ारंभ होती है।
भारत फल, सूखे फल (Dry Fruits) एवं ताड़ तेल का आयात म य एवं म य-पूव ए शया के दे श से करता है।
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कसी दे श क अथ व था के आधु नक करण से ता पय उसके औ ो गक उ पादन म वृ द से होता है। भारत
क नयात संरचना म व न मत उ पाद (औ ो गक उ पाद) के अंश म वृ द इस बात का सूचक है क भारतीय
अथ व था का संरचना मक पांतरण आधु नक करण के प म हो रहा है।

सले- सलाए व के नयात संवधन के उ े य से जुलाई, 2003 म के य कपड़ा मं ी ने त मलनाडु के त पुर


म थम व पाक का शला यास कया। यहां से व के क दे श को व नयात होता है। इसे द ण भारत का
मानचे टर कहा जाता है। इसके अलावा इसे डॉलर सट , नट सट , कॉटन सट आ द नाम से भी जाना जाता
है।
भारतीय लौह अय क का जापान एक बड़ा आयातक है। बैलाडीला खान से ा त लौह-अय क जापान को
नयात कया जाता है। यूनाइटे ड कगडम भारतीय चाय के बड़े आयातक म मुख है। चमड़े का सामान स को
नयात कया जाता है जब क सूती कपड़ का सबसे बड़ा आयातक यू.एस.ए.।
वष 2017-18 म भारतीय चमड़े (Indian Leather Products) का सवा धक नयात ह सा यू.एस.ए.
(24.48%) का था जब क सरे थान पर जमनी (14.76%) रहा। यू.के. (10.94%) इस संदभ म तीसरे थान पर
रहा है।

आ थक या-कलाप के संदभ म XIX रा मंडल खेल को दे खने के लए वदे शी नाग रक का भारत म


आगमन नयात क ेणी म माना जाएगा। इस आगमन से दे श को ा त आय पयटन के अंतगत आएगी जो क
नयात लेखे के तहत अ य मद है।

अथ व था म सेवा के नयात को अ य नयात कहते ह। पयट, बीमा आ द के ापार सेवा के ापार म


ही शा मल है।
एं पोट ापार (Entreport Trade) पुनः नयात के लए मंगाई गई व तु के संदभ म होता है।
ूट - ॉ बैक उस शु क क पूण या आं शक वापसी है जसे नयातक नयात के उ े य से आय तत व तु पर
सीमा या उ पाद शु क के प म सरकार को भुगतान कया  था।
नवीनतम वदे श ापार नी त 1 अ ैल, 2015 से 31 माच, 2020 तक के लए है।
वतं ापार नी त ((Free
Free Trade Policy) – वह नी त होती है जहां ापार पर कसी भी कार का शु क
नह लगाया जाता है। ऐसा ायः े ीय समझौत मे दे खा जाता है इनम प
ु के सद य आपस म तो शु क एवं
अय ापार  कर दे ते ह परंतु येक सद य दे श  गैर-सद य दे श के साथ  अपना शु क, ापार तबंध तथा
काम शयल नी तयां बनाए रखते ह।
नई नयात--आयात नी त ((EXIM
EXIM Policy) – मे वदे शी ापार के पूव क अपे ा और उदार बनाया गया है।
GATT ( General Agreement on Trade and Tariff) समझौते तथा त प ात अ त व म आए WTO
(World Trade Organization) ने अथ व था के उदारीकरण म मह वपूण भू मका नभाई है।
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भारत ए शया म थम ऐसा दे श है, जसने नयात म भावी वृ द के उ े य के तहत वष 1965 म कांडला म
नयात सं करण े (EPZ) क थापना क थी।

मु या वतं ापार े (Free Trad Zone) वह े वशेष होता है जहां से व तु के नमाण, नयात,
सं करण आ द क सु वधा होती है। उपयु े क टम ूट , उ पाद शु क आ द से भी मु होते ह। जससे
नयात को बढ़ावा मलता है।
प म बंगाल के नंद ाम े स सेज (SEZ) नी त के अंतगत सलीम समूह को ( वशेष तौर से जे स एंड वैलरी
के लए) अनुम त द गई थी।
भारत म वशेष आ थक े (SEZ – Special Economic Zone) अ ध नयम मई, 2005 म संसद ारा
पा रत आ था तथा 23 जून, 2005 को इसे रा प त क वीकृ त ा त ई थी। यह 10 फरवरी, 2006 से
भावी आ  था।
व न मत व तु के नयात के ो साहन हेतु नयात ोसे सग े को एक भावशाली यं के प म योग
कया जा रहा है। इन े क थापना का उ े य दे श क नया तत व तु के लए उपयु वातावरण तैयार
करना है ता क ये अंतररा ीय त पधा म अपना थान बना सके। वष 2000 म सूरत म एक EPZ ( वशेष तौर
से जे स एंड वैलरी के लए) क थापना क गई जो क भारत का पहला नजी े का EPZ है।
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SEZ अ ध नयम वष 2006 से भावी आ। इसके मु य उ े य न न ल खत ह –

1. अ त र आ थक ग त व धय का सृजन
2. व तु एवं सेवा के नयात को ो साहन
3. घरेलू एवं वदे शी ोत से नवेश ो साहन
 4. रोजगार अवसर का सृजन

5. आधारभत (Infrastructure) स वधा का वकास


5. आधारभूत (Infrastructure) सु वधा का वकास

नय़ात साख एवं गारंट नगम (Export Credit and Guarantee Corporation – ECGC) क थापना
वष 1957 म नयात जो खम बीमा नगम (ERIC) के नाम से दे श से व तु एवं सेवा के नयात से संबं धत
साख के जो खम कवर हेतु क गई थी। 1964 म इसे ECGC म प रव तत कया गया। यह नयात ापार संबंधी
व ीयन एवं बीमा से संबं धत है।

इं डया ांड इ वट फंड क थापना वा ण य मं ालय ारा वष 1996 म क गई थी। इसका उ े य् ांड को
वै क बनाना था। इं डया ांड इ वट फंड वष 2002 म प लक ाइवेट पाटनर शप (PPP) म प रव तत हो
गया, जब भारतीय उ ोग (CII) ने उसम भागीदारी ा त क ।

मॉगन टै नले ने वष 1998 म उभरते ए बाजार म भारत को तीसरा थान दान कया था। मॉगन टै नले के इस
आकलन मे ाजील को थम जब क मे सको को सरा थान ा त आ था।
जापान के मक मोतो को कची ने मोती से क चर मोती उ पादन क तकनीक का आ व कार कया था। इस
आ व कार के बाद ही जापान म क चर मोती उ पादन का उ ोग तेजी से वक सत आ।

स द अंतररा ीय प का ै वेल एंड लेजर के 2009 के सव ण म पयटन के कोण से उदयपुर को नया


का सव म शहर चुना गया था। इस सूची म उदयपुर के बाद सरा थान द ण अ का के शहर केपटाउन का
था।

जुलाई, 2018 तक क अ तन थ त के अनुसार, े वेल एंड लेजर के पाठक ने व के े 15 शहर म तीसरे


थान पर उदयपुर शहर को चुना है। ये भारत का एकलौता शहर है जसने इस सूची म अपनी जगह बनाई है।
थम दो थान ा त करने वाले दोन शहर मे सको के ह।
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नाथूला दऱा भारत के स कम रा य और त बत को आपस म जोड़ता है। ाचीन काल म इसे स क माग कहा
जाता था। वष 1962 म  भारत-चीन यु द के बाद इसे बंद कर दया था, जसे वष 2006 म पुनः ापार हेतु खोल
दया गया।
ई- ापार (E-Commerce) का अथ इंटरनेट के मा यम से ापार से है।
सुपर-301 अमे रक ापार एवं त प दा अ ध नयम, 1988 क वह धारा है जसके तहत अमे रका ारा कसी
भी दे श के व द आ थक कायवाही क जाती है।
ई-- बज पोटल सरकारी सेवा क प ंच हेतु, एकल ारा ( लेटफाम) से संबं धत। ई- बज का संचालन
औ ो गक नी त एवं संवधन वभाग (DIPP) वा ण य एवं उ ोग मं ालय के नदशन म इ फो सस ारा कया
जा रहा है। इसका उ े य जी-टू -बी (Government to-business) सेवा क ऑनलाइन सुलभता को
बढ़ाकर दे श म वसाय प रवेश म सुधार करना है।
एक दे श के नवा सय का व के अ य दे श के नवा सय के साथ सामा यतया एक वष के दौरान, जो
अंतररा ीय आ थक वहार या लेन-दे न (सम त आयात एवं नयात) होते ह उनक व जस ववरण या खाते
म करते ह उसे भुगतान संतुलन ((Balanc
Balanc of Payment) कहते ह।

भुगतान संतुलन (BoP – Balance of Payment) – म य ापार, अ य ापार तथा ऋण  तीन
स म लत होते ह। य ापार के अंतगत व तु का आयात- नयात तथा अ य ापार के अंतगत सेवा का
आयात- नयात स म लत  होता है। इन दोन ( य एवं अ य) का लेन-दे न भुगतान संतुलन के चालू खाते को
द शत करता है। जब क  भुगतान संतुलन का पूंजी खाता वै क नवेश एवं ऋण के लेन-दे न को द शत करता
है।
वदे शी ापार म आयात तथा नयात दोन ही स म लत होते ह। अतः इसे आयात के गुण से अथवा नयात के
गुण से संबं धत नही कया जा सकता है। जब क वदे शी ापार गुणक यह बताता है क नयात म वृ द के
फल व प रा ीय आय म कतने गुना वृ द होती है। भुगतान संतुलन एक वशेष समयाव ध ( एक वष) के लए
कसी दे श के अंतररा ीय लेन-दे न ( जसम वदे शी ापार भी शा मल होता है) का एक लेखा है।
पये क प रवतनीयता से ता पय पये का वदे शी मु ा म तथा वदे शी मु ा को पये म  बना कसी
ह त ेप के वतं प से प रवतन संभव होने से है। पये के पूण प रवतनीयता (चालू खाते तथा पूंजी खाते पर)
से वदे शी पूंजी के भारत म आने एवं भारत से जाने पर कोई तबंध नही होगा। प रणाम व प भारत ारा पये
क पूण प रवतनीयता अपनाए जाने से वदे शी नवेशक का  भारतीय अथ व था म व ास बढ़े गा और इसके
फल व प भारत म वदे शी पूंजी के अंत वाह म वृ द होगी।
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 भारतीय रजव बक (RBI) ने 20 माच, 2006 को पूंजी खाते म पये क पूण प रवतनीयता (Full Capital
Account Convertibility – CAC) वा हत व नमय दर (Floating Exchange Rate) लागू करने पर
ो ै ै े े RBI े ो ी
रोडमप तयार करन हतु RBI क पूव ड ट गवनर एस.एस. तारापोर क अ य ता म 6 सद यीय स म त नयु
क थी। इस स म त के गठन का उ े य भारत म डॉलरीकरण के या वयन का परी ण और इसके लागू करने
के समय के नधारण पर अपनी सफा रश तुत करना था।
वष 1994-95 के बजट म सरकार ने 28 फऱवरी, 1994 को चालू खाते पर पये क पूण प रवतनीयता क घोषणा
क थी।
अवमू यन के कारण दे श क मु ा का वदे शी मु ा के सापे मू य गर जाता है जसके कारण अवमू यन करने
वाले दे श के नयात स ते तथा आयात महंगे हो जाते ह। प रणाम व प अवमू यन वाले दे श के नयात मे वृ द
तथा आयात म कमी होती है।
मु ा के अवमू यन का ता पय पये का वदे शी मु ा के सापे मू य म कमी से है। भारतीय पये का अब तक
तीन बार अवमू यन (वष 1949, 1966 तथा 1991 म) कया जा चुका है।
पूंजी खाते क प रवतनीयता से ता पय अ य दे श से (शेष व से) व ीय प रसंप य मे बना कसी बाध के
बाजार आधा रत व नमय दर पर व नमय कए जाने के अ धकार से है। इसका ता पय मौ क कोष / व ीय
प रसंप य के दे श के भीतर आने एवं बाहर जाने से है। भारत म वैसे पूंजी खाते पर प रवतनीयता तो नही है पर
व भ पूंजी वहार के संबंध म RBI अ यंत ही उदारवाद नी त अपनाया है जो भाव मे पूण प रवत यता क
ही तरह है। जैसे EEFC (Exchange Earned Foreign Currency) खाता का उदारीकरण, ECB का
व तार, MF म वदे शी नवेश क अनुम त आ द।
जुलाई, 1991 मे पये का तीन बार अवमू यन कया गया। सव थम 1 जुलाई, 1991 को पये का 9.5%
अवमू यन कया गया, पुनः 3 जुलाई और 15 जुलाई, 1991 को पये का मशः 8.5% तथा 2% अवमू यन कया
गया। इस कार जुलाई, 1991 म पये का लगभग 20% अवमू यन कया गया।
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भारत और अमे रका के म य वदे शी खाता कर अनुपालन अ ध नयम ((FATCA


FATCA – Foreign Account
Tax Compliance Act) 9 जुलाई,, 2015 को ह ता रत तथा 30 सतंबर,, 2015 से भावी आ।

START (Strategic Arms Reduction Treaty) अमे रका व सो वयत संघ के म य एक प ीय सं ध है।
टाट-I और टाट-II सं ध मशः जुलाई, 1991 तथा जनवरी, 1993 म ई थी। टाट-I सं ध के समय यू.एस.
रा प त जॉज बुश तथा सो वयत संघ के रा प त मखाइल गोबाचोव थे जब क टाट-II के समय यू.एस.
रा प त जॉज बुश तथा सो वयत संघ के रा प त बो रस ये त सन थे।
भारतीय अ य ऊजा वकास एजसी ल मटे ड (IREDA) को वष 2015 म त त मनी र न ( ेणी-I) का दजा
दान कया गया। इरेडा एक गैर-ब कग व ीय सं तान  है जो अ य ऊजा और ऊजा द त/संर ण
प रयोजना के संवधन, वकास तथा व ीय सहायता दान करने  के लए नवीन एवं नवीकरणीय ऊजा
मं ालय  के शास नक नयं णाधीन वष 1987 म था पत एक प लक ल मटे ड सरकारी कंपनी है इसका
उ े य शा त ऊजा है। इसके अ य मुख उ े य ह –

1. नवीन एवं नवकरणीय ोतो के ज रए व ुत उ पादन और ऊजा द ता के लए ऊजा संर ण हेतु व श


प रयोजना एवं क म के लए व ीय सहायता दान करना।

2. नवीकरणीय ऊजा द ता/संर ण प रयोजना म द एवं भावी व पोषण दान करने के लए अ णी


संगठन के प म अपनी थ त को बनाए रखना।

3. अ भवन व पोषण के ज रए नवकरणीय ऊजा के े म इरेडा क ह सादारी को बढ़ाना आ द।


4. णा लय , या एवं संसाधन म सतत सुधार के ज रए  उपभो ा को दान क गई सेवा क द ता म
सुधार।

भौगो लक सांकेतांक अ ध नयम, 1998 के अंतगत कुल 169 भौगो लक संकेतक को पंजीकृत कर सुर ा दान
क गई है। लखनऊ का चकन श प, बनारसी साड़ी, दा ज लग चाय और इलाहाबाद का सुखा अम द सभी का
पंजीकरण इस अ ध नयम के अंतगत कया गया है।
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अथशा ी हा े (Hawtrey) ने ापार च का वशु द मौ क स दांत तपादन कया। हा े के अनुसार


ापार च एवं एक नतांत मौ क सम या है यह ापा रय क ओर से मु ा क मांग वाह म होने वाले
प रवतन ह जनके प रणाम व प अथ व था म समृ द तथा मंद आती है।

वदे शी व नमय बंधन अ ध नयम (FEMA) वदे शी व नमय व नयमन अ ध नयम (FERA) के थान पर 1
जून, 2000 से भावी आ था। इसका उ े य ापार और भुगतान को सु वधाजनक बनाना तथा दे श म वदे शी
मु ा  बाजार के सु व थत वकास को  बढ़ावा दे ना है।

भारतीय यास अ ध नयम, 1882 के ावधान के तहत रा ीय नवेशे एवं अवसंरचना न ध एक अंशदायी और
 नयत नवेश यास के प म पंजीकृत सं था है।
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अंतररा ीय संगठन

अंतररा ीय सं थाएं

अंतररा ीय मु ा कोष ((IMF)


IMF)

IMF क थापना 27 दसंबर, 1945 को ई।


भारत इसका सं थापक सद य था।

वतमान म इसम कुल 189 सद य ह.


इसका 189वां सद य नौ है।
IMF का मु यालय वा शगटन डी.सी. म है।

काय

अंतररा ीय भुगतान संबंधी तरलता क सम या का समाधान करना।


व नमय दरो म था य व लाना।
दे श को भुगतान संतुलन को दर करने हेतु ऋण दे ना (अ पकालीन)

सद यता

IMF क सद य हेतु दो आव यक शत ह –

1. व बक का सद य होना।
2. IMF म नधा रत अंशदान (कोटा) को जमा करना।

नोट – IMF म कोटा का नधारण दे श क व ापार मे ह सेदारी, त रा ीय आय तथा आ थक वकास


के आधार पर नधा रत होता है।

दे श को अपने कोटा को 25 तशत हॉट मनी (सव वीकाय मु ा जसम डॉलर, पाउंड, यूरो, येन और युआन
शा मल ह) म तथा 75 तशत अपनी मु ा म चुकाना होता है।
IMF क लेखा मु ा वशेष आहरण अ धकार (Special drawing right-SDR) कहलाती है। इसका मू य
पांच मु ा ारा नधा रत होता है – डॉलर, यूरो, येन, पाउंड तथा युआन।
IMF ारा व आ थक प र य (World Economic Outlook) का शत कया जाता है।

भारत का IMF म 2.7 तशत कोटा है तथा यह 8वां बड़ा कोटाधारक दे श है।
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व बक समूह

व बक समूह म पांच संगठन ह –

सं थाएं थापना वष काय

1.   अंतररा ीय पुन नमाण एवं वकास बक (IBRD) 1945 वकास एवं पुन नमाण हेतु
ऋण

2.   अंतररा ीय वकास प रषद (IDA) 1960 वकास हेतु ऋण

3.   अंतररा ीय व नगम (IFC) 1956 नजी े को  ऋण

4.   ब प ीय व नयोग गारंट सं था (MIGA) 1988 गैर- ापा रक जो खम हेतु


नवेश गारंट

5.   नवेश ववाद के नपटारे हेतु अंतररा ीय संगठन 1966 ववाद का नपटारा
(ICSID)

 

 
IBRD तथा IDA को संयु प से व बक कहा जाता है।
इसके भी 189 सद य ह तथा 199वां सद य नौ है।

यह आधार संरचना नमाण, मता वकास ( श ण, श ा आ द), शोध एवं वकास तथा सुशासन ग त व धय
हेतु ऋण दे ता है।
IDA को व बक क सॉ ट लोन क खड़क कहा जाता है, य क यह अ त उदार शत पर ऋण दे ता है।
व बक ारा व वकास रपोट (World Development Report) का शत कया जाता है।

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व ापार संगठन ((WTO)


WTO)

थापना

व ापार संगठन क थापना 1 जनवरी, 1995 को क गई।


इसका मु यालय जेनेवा म है।
वतमान म इस संगठन के 164 सद य ह।
164वां सद य अफगा न तान है।

उ े य

व ापार के मा यम से व के संसाधन के कुशलता योग को सु न त कर लोग के जीवन म गुणा मक


सुधार लाना।

इस संगठन के तहत मुख समझौते न न ल खत ह –

1. कृ ष और समझौता (OOA: Agreement on Agriculture)

2. गैर कृ ष बाजार प ंच (NAMA: Non Agricultural Market Access)


3. सेवा के ापार पर सामा य समझौता (GATS: General Agreement on Trade of Services)
4. बौ दक संपदा से संबं धत ापार (TRIPS: Trade Related to Intellectual Properties)

ीन बॉ स, लू बॉ स तथा रेड बॉ स स सडी क मद ह।


ीन बॉ स एवं लू बॉ स म आने वाली मद पर स सडी क अनुम त है, जब क रेड बॉ स वाली मद पर
स सडी समा त क जा चुक है।

एंबर बॉ स स सडी को भी चरणब द प से समा त करना है।


बौ दक संपदा के अंतगत आते ह –

1. पेटट – औ ो गक उ पाद पर अ धकार


2. कॉपीराइट – अभौ तक रचना (संगीत, पु तक आ द)
3. भौगो लक संकेतक – कसी थान वशेष के उ पाद से (बनारसी साड़ी)

4. े डमाक – ापा रत च ह्।

6-12 माच, 1995 के म य कोपेनहेगेन (डेनमाक) म सामा जक वकास पर थम व शखर स मेल आयो जत
कया गया था।
व ड डेवलपमट रपोट अंतररा ीय पुन नमाण एवं वकास बक (व ड बक) का शत करता है।
वष 2018 के व वकास रपोट का मूल वषय है – ल नग टू रएलाइज एजूकेश स ॉ मस ( श ा के वचन
को वा त वक बनाने के लए सीखना) जब क 2019 के व वकास रपोट का मूल वषय है – द च जग नेचर
ऑफ वक।
ापार करने क सु वधा का सूचकांक (Ease of Doing Business Index) वष 2003 से येक  वष व
बक ारा जारी कया जाता है। इस सूचकांक  म ापार क सु वधा उपल ध कराने को लेकर कए गए बु नयाद
बदलाव के आधार पर व के दे श   र कग  दान क जाती है।
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व आ थक संभावना (Global Economic Prospects) रपोट आव धक प से वष मे दो बार (जनवरी एवं


जून) व बक प
ु ारा जारी कया जाता है।

व बक ने भारत को व श आ थक सहायता उपल ध कराने हेतु वष 1958 म भारत सहायता लब क


 थापना क थी, कालांतर म जसका नाम प रव तत कर भारत वकास मंच कर दया गया है। व बक भारतीय
रा य को अव थापना सुधार (प रवहन एवं संचार, सचाई, जलापू त, व ुत श , सड़क नमाण आ द) हेतु
द घका लक व ीय सहायता उपल ध कराता रहा है।
व बक के सहयोग से आई.सी.ए.आर. (Indian Council of Agricultural Research)  ारा संचा लत
रा ीय कृ ष अ भनव प रयोजना (NAIP) का शुभारंभ 26 जुलाई, 2006 को कया गया है। इसके चार घटक ह

1. उभरती ई कृ ष नवो मेष व था म एक उ ेरक के प म ICAR क भू मका को सु ढ़ करना।

2. उपभो ा णाली के लए कृ ष उ पादन म शोध।


3. सतत ामीण आजी वका सुर ा पर शोध।
4. कृ ष व ान म बु नयाद एवं साम रक शोध।

औपचा रक प से व बक क थापना वष 1945 म ई थी, परंतु इसने वा तव म वष 1946 से काय करना शु


कया। इसका मु यालय वॉ शगटन डीसी म है।
अंतररा ीय मु ा कोष और IRBD क थापना अमे रका के ेटनवुड्स म वष 1944 के समझौते के अंतगत
(औपचा रक प से 27 दसंबर – 1945 को) क गई। चूं क दोन क थापना ेटनवुड्स के ही तहत ई इस लए
इन दोन को ेटनवुड्स जुड़वा तथा वा शगटन म थत होने के कारण वा शगंटन जुड़वां के प म भी जाना जाता
है।
प - वण अंतररा ीय मु ा कोष का वशेष आहरण अ धकार ( D.R.) है। आई. एम. एफ. ने वष 1970 म इस
व था को ारंभ कया था। इसम वण क लभता को यान म रखते ए एसडीआर को वण के थान पर
साख के प मे वीकार कया गया। इसी लए इसे प - वण (Paper Gold) क सं ा द गई है।
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व ड इकोनॉ मक आउटलुक का काशन अंतररा ीय मु ा कोष (IMF: Interanational Monetary


Fund) ारा कया जाता है। संयु रा वकास काय म ारा मन डेवलपमट रपोट का काशन व
आ थक फोरम ारा लोबल कॉ पट टवनेस रपोट का काशन तथा व बक ारा व ड डेवलपमट रपोट का
काशन कया जाता है।
ापक-आधारभूत ापार और नवेश करार (Broad-Based Trade and Investment Agreement –
BTIA) भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक मु ापार समझौता है। यह समझौता वष 2007 मे लागू आ।
वै क व ीय थरता रपोट (Global Financial Stability Report) अंतररा ीय मु ा कोष
(International Monetary Fund) ारा तैयार एवं का शत क जाती है। यह आई.एम.एफ. ारा जारी
अ दवा षक तवेदन होता है जसम वै क व ीय तं एवं बाजार का आकलन तुत कया जाता है। इस
तवेदन म वतमान बाजार थ त तथा व ीय थरता को भा वत करने वाले मुख मु का व ेषण भी
तुत कया  जाता है।

स (TRIMs) व ापार संगठन (WTO) का एक समझौता है। इसका पूरा नाम े ड रलेटेड इनवे टमट
मेसस (Trade Related Investment Measures) है। TRIMs ( स) का संबंध कछ शत या तबंध से
है, जो कोई दे श अपने दे श म वदे शी व नयोग के संबंध म लगाता है।
WTO के थम मं तरीय स मेलन जो सगापुर म आयो जत आ था, म सद य दे श म सूचना ौ ो गक म
वा ण य पर अनुबंध ह ता रत आ था

GATT के अधीन सवा धक अनु ह भाजन रा ((Most


Most Favoured Nation MFN) पद का अथ यह है,
क य द कोई दे श कसी अ य दे श को वदे शी ापार म कोई वशेष सु वधा दान करता है, तो वह वशेष सु वधा
GATT के सभी सद य दे श को  भी उपल ध कराई जाएगी।
गैट का ता पय शु क एवं ापार पर सामा य समझौता (General Agreement on Tariffs and Trade-
GATT) से है। ापार बढ़ाने एवं शु क घटाने के उ े य से वष 1948 म जेनेवा म 53 दे श क एक बैठक बुलाई
गई। समझौते पर 30 दे श ने असहम त जताई थी।  इस कार 23 दे श के म य ए समझौते के आधार पर 1
जनवरी, 1948 से GATT याशील हो गया।
ए ीमट ऑन ए ीक चर (Agreement on Agriculture), ए ीमट ऑन द ऐ लीकेशन ऑफ सै नटरी एंड
पाइटोसै नटरी मेजस और पीस लॉज (Peace Clause) व ापार संगठन से संबं धत है।

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मानव वकास रपोट UNDP (United Nations Development Programme) रा का शत क जाती


है। वष 1965 म था पत UNDP ारा वष 1990 म पहली बार मानव वकास रपोट का शत क गई थी।
वष 1996 के मानव वकास रपोट म संयु रा वकास काय म  (UNDP) ारा वकासशील दे श के आ थक
वकास पथ को  रोजगार वहीन, जड़ वहीन, न ु र, आवाज वहीन तथा भ व यर हत कहा गया। UNDP ारा
दे श के नी त- नमाता को नी त नधारण के समय उ त य क ओर यान दे ने क अपील भी क गई थी।
 आ सयान (ASEAN Association of South East Asian Nations) द ण पूव ए शयाई रा का संघ
है।
ुनेई वष 1967 मे था पत द ण--पूव ए शयाई रा के संघ ((Association
Association of South- East Asian
Nations – ASEAN) का एक सद य है।
भारत, चीन, ाजील एवं अ य वकासशील दे श ारा व ापार संगठन से भ व य म बातचीत करने के लए
बनाए गए समूह को G-77 कहा जाता है। इसक थापना 15 जून, 1964 को ई थी तथा इसका उ े य
वकासशील दे श के आ थक हतो का संर ण है।
रीजनल कॉ ह सव इकोनॉ मक पाटनर शप (Regional Comprehensive Economic Partnership:
RCEP) आ सयान के दस दे श ( ुनेई, यांमार,  कंबो डया, इंडोने शया, लाओस, मले शया, फलीप स, सगापुर,
थाईलड और वयतनाम) और उन छः  दे श (ऑ े लया, चीन, भारत, जापान, द ण को रया और यूजीलड)
जनके साथ आ सयान के पहले से ही एफट ए ह, के म य एक ता वत मु ापार समझौता (FTA) है।आर.
सी.ई.पी. वाता को औपचा रक प से नवंबर, 2012 म कंबो डया म संप आ सयान  शखर स मेलन म शु
कया गया था.
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ारंभ म जी-7 व के सात औ ो गक प से वक सत गैर-समाजवाद दे श का एक संगठन था जसम


अमे रका, कनाडा, जमनी, टे न, ांस, इटली एवं जापान स म लत थे। बाजारो मुखी अथ व था क ओर
अ सर होने के प ात स भी इस संगठन का वष 1997 म सद य बन गया। अतः इसे जी-8 के नाम से जाना
जाने लगा। उ लेखनीय है क वतमान म स क सद यता नलं बत होने के कारण इसे पुनः जी-7 कहा जाने लगा
है।
जी-15 वकासशील दे शो म पर पर सहयोग को बढ़ाने हेतु था पत एक अनौपचा रक संगठन है। इसक थापना
सतंबर, 1989 म बेल ेड (यूगो ला वया) म नौव नगुट शखर स मेलन के समय ई थी। जी-15 का स चवालय
जेनेवा थत ौ ो गक सेवा सु वधा (Technical Service Facility) से संचा लत होता है।
SAPTA (द ण ए शया अ धमा य ापार व था) ढाका म 11 अ ैल, 1993 को ह ता रत आ तथा यह
दसंबर, 1995 से भावी आ।

ISLFTA (भारत- ीलंका मु ापार समझौता) वष 1998 म ह ता रत आ तथा यह माच, 2000 से


भावी आ।
SAFTA (द ण ए शया मु ापार े ) पर जनवरी, 2004 म ह ता र आ था।
CECA (भारत और सगापुर के बीच ापक आ थक सहयोग समझौता) पर 29 जून, 2005 को ह ता र आ।

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मेकांग-गंगा सहयोग (Mekong- Ganga Cooperation) क थापना वष 2000 म वएन तएन (लाओस) मे
क गई। इसका उ े य दो महान न दय गंगा और मेकांग ारा सीमां कत े म पार प रक सहयोग पर आधा रत
संबंध क थापना करना है। गंगा े से भारत तथा मेकांग े से 5 दे श – कंबो डया, लाओस, यांमार,
थाईलड और वयतनाम ारा मेकांग-गंगा सहयोग पहल क शु आत क गई है। ारं भक प से पार प रक
सहयोग के चार े   – सं कृ त, पयटन, मानव संसाधन वकास एवं श ा तथा प रवहन एवं संचार क पहचान
क गई है।

े ीय आ थक संगठन नमाण वष

LAFTA                                  –        1960

ASEAN                                 –        1967

APEC                                   –        1989

NAFTA                                 –        1994

शंघाई सहयोग संगठन के सद य दे श चीन, स, ता ज क तान, कजा तान, क ग तान तथा उ बे क तान ह।
व क सवा धक बड़ी उद यमान बाजार अथ व था – ाजील, स, भारत तथा चीन के समूह को क
(BRIC) कहते ह। इस श द का तपादन वष 2001 म गो डमैन सै स के अथशा ी जम ओ नील (Jim O’
Neil) ने कया था।
अनाज भंडारण अनुसंधान तथा श ण के क थापना वष 1958 म हापुड़ म क गई थी।
साक ((SAARC
SAARC – South Asian Association for Regional Cooperation) – इसका गठन 8 दसंबर,
1985 को कया गया था। इसका मु यालय काठमांडू मे है। इसके 8 सद य दे श ह – भारत, पा क तान, ीलंका,
मालद व, बां लादे श, नेपाल, भूटान और अफगा न तान। साक के चौदहव स मेलन (अ ैल, 2007) म
अफगा न तान को इसका आठवाँ सद य दे श बनाया गया था।

यूनीसेफ, आई.एम.एफ. तथा ड यू.एच.ओ वै क सं थाएं ह जब क साक द ण ए शया के 8 दे श का एक


 े ीय संगठन है।
पे ो लयम उ पादक दे श के संगठन ((Organisation
Organisation of Petroleum Exporting Countries –
द द ( g p g
OPEC) – इसक थापना वष 1960 म ई थी। ओपेक का वशेष बल पे ो लयम उ पादन तथा पे ो लयम
क मत पर नयं ण है। वतमान म इस संगठन के 14 दे श सद य ह – ईरान, इराक, कुवैत, सऊद अरब,
वेनेजुएला, कतर, ली बया, इ वाडोर, संयु अरब अमीरात, अ जी रया, नाइजी रया, अंगोला, इ वेटो रयल गनी
तथा गैबॉन।
भारत म साक स मेलन सव थम 16-17 नवंबर, 1986 के म य आयो जत कया गया था। साक का थम
स मेलन वष 1985 म बां लादे श क राजधानी ढाका म आ था। साक का 18वाँ शखर स मेलन नेपाल क
राजधानी काठमांडू म 26-27 नवंबर, 2014 के म य संप आ, जब क 19वां शखर स मेलन (2016)
पा क तान म ता वत था, जो नर त हो गया। 20वां शखर स मेलन वष 2018 म काठमांडू (नेपाल) म आ।
संयु रा सुर ा प रषद म पांच थायी सद य ह – चीन, ांस, स,  टे न एवं संयु रा य अमे रका।
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सं था अव थ त

यू.एन.ओ.    –   यूयॉक

ड यू.ट .ओ.  –   जेनेवा

आई.एल.ओ.      –   जेनेवा

एफ.ए.ओ.        –   रोम

भारतीय वकास फोरम (IDF) को पहले भारत सहायता लब के प म जाना जाता था।
UNSC का ता पय संयु रा सुर ा प रषद (United Nations Security Council) से है। इसके 5 थायी
तथा 10 अ थायी सद य होते ह। यह संयु रा का एक मह वपूण अंग है।
अंतररा ीय मौ क एवं व ीय स म त ((IMFC:
IMFC: International Monetary and Financial
Committee) क थापना आई.एम.एफ. बोड ऑफ गवनस के सुझाव ारा कया गया है। आई.एम.एफ. बोड
ऑफ गवनस को दो मं ालयी स म तय तथा अंतररा ीय मौ क एवं व ीय स म त (IMFC) एवं वकास
स म त ारा सलाह दान क जाती है। IMFC म 24 सद य ह। IMFC का मुख काय उन सभी मु जो
वै क आ थक णाली को भा वत करते ह, पर प रचचा करना एवं बोड ऑफ गवनस को सलाह दे ना है।
इसक बैठक वष म दो बार होती है। इसक बैठक म व बक भी े क क भां त लेता है।
टल पुर कार ((Crystal
Crystal Awards) व आ थक मंच (WEF – World Economic Forum) ारा
व प र थ तय म सुधार क से उ लेखनीय तब दता दखाने वाले कलाकार को दान कया जाता है।
सं था काय

ड यू.ट .ओ.  –   सामा यतः ापार म मा ा मक तबंध के उपयोग को न ष द करना।

आई.एम.एफ  –   भुगतान संतुलन म असंतुलन को ठ क करने के लए व दान करना।

साक         –   द ण ए शयाई दे श के बीच सहयोग को बढ़ावा दे ना।

आई.डी.ए.    –   न य ऋण क वीकृ त

सावभौम प से मह वपूण कृ ष वरासत णाली ((GIAHS:


GIAHS: Globally Important Agricultural
Heritage System) काय म क शु आत खा एवं कृ ष संगठन (FAO) ारा वष 2002 म वै क कृ ष-
सां कृ तक वरासत के ो साहन एवं संर ण हेतु एक पहल के प म क गई थी। इसका मुख ल य ऐसी कृ ष
णाली क पहचान करना तथा उसका सहयोग एवं संर ण करना है जो जैव व वधता तथा आनुवां शक संसाधन
, ामीण एवं परंपरागत ान, सं कृ त तथा उनसे संबं धत प र य का संर ण एवं पोषण करती हो।
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व वध

वष 1995 म कोपेनगेहन (डेनमाक) म आयो जत सामा जक वकास के लए व शखर स मेलन म संयु


रा ने गरीबी को परम गरीबी (Absolute Poverty) एवं सम गरीबी (Overall Poverty) के दो प म
प रभा षत कया।

मूलभूत मानवीय आव यकता जैसे – भोजन, सुर त पेयजल, व छता सु वधाएं, वा य आवास, श ा तथा
सूचना तक प ंच से गंभीर रप से वं चत रहने क थ त को परम गरीबी के प म प रभा षत कया गया है। इसके
अतर कुपोषण, अ थायी एवं अपया त आजी वका, बीमारी क थ त, षत वातावरण म नवास आ द जैसी 
थ तय मे होने जनसे  नणयन मता तथा स मानजनक नाग रक, सामा जक एवं सां कृ तक जीवन पर भाव
पड़ता है, को सम गरीबी के प म प रभा षत कया गया है।

ीमती हंसा मेहता स द समाजसेवी, वतं ता सेनानी तथा श ा वद् थी। ीमती हंसा मेहता ने वष 1947-48
म संयु रा मानवा धकार आयोग म भारत का त न ध व कया था। वष 1950 म वे इसक उपा य भी बनी।
वष 1958 म वे यूने को क कायकारी स म त क सद य भी बनी। वष 1979 म ीमती वजयल मी पं डत ने भी
सं.रा. मानवा धकार आयोग म भारत का त न ध व कया था।
भारत म त पधा आयोग का गठन त पधा अ ध नयम, 2002 के तहत 14 अ टू बर, 2003 को कया गया
था।
Gujarat Co-Operative Milk Marketing Federation Ltd. (GCMMF) ध का वपणन करता है,
जसका अमूल उ पाद स द है।
भारत म तेल और ाकृ तक गैस क खोज खनन के वकास को आगे बढ़ाने के लए 14 अग त, 1956 को तेल
एवं ाक़ृ तक गैस आयोग था पत कया गया ले कन इसे वैधा नक मा यता अ टू बर, 1959 म मली। इसका
मु यालय दे हरा न, उ राखंड म है।
दे श का पहला इ वे टमट एवं मै युफै च रग जोन आं दे श के काशम जले म बनने जा रहा है।
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रेखी स म त, नयात और आयात के सरलीकरण से संबं धत नही ब क अ य कर से संबं धत है, जसने


अपनी रपोट वष 1992 म स पी थी।
गाड गल स म त रपोट और क तूरीरंगन स म त रपोट का संबंध प मी घाट के पा र थ तक य संर ण से है।
गाड गल स म त जसके अ य माधव गाड गल थे ने अपनी रपोट 31 अग त, 2011 को जब क क तूरीरंगन
स म त जसे अ य के.क तूरीरंगन थे, ने अपनी रपोट 15 अ ैल, 2013 को तुत कया।
एम.एम. वामीमाथन जो क उ च उ पादन वाले गे ँ के जा त के वकास के लए स द ह, ह रत ां त से
संबं धत है। एल.के. झा जो क रजव  बक के पूव गवनर रह चुके ह, अ य कर   से संबं धत ह। कु रयन
भारत मे ध ां त के जनक ह। जब क मोरारजी दे साई बक पर सामा जक नयं ण णाली के लए स द ह।
द स म त (1969) –    औ ो गक लाइस सग

वांचू स म त (1971)       –   य कर

राजम ार स म त (1971)  –   के -रा य संबंध

च वत स म त (1985)     –   मौ क णाली

सी.डी. दे शमुख RBI के गवनर होने के साथ व मं ी भी रहे थे।


SEWA (से फ ए लॉयड वीमस एसो सएशन) एक ापार संघ है जो वष 1972 से पंजीकृत है। यह गरीब,
वरोजगार म हला मक का एक संगठन है। यह सं था लघु ऋण दे न,े वा य और  जीवन  बीमा और ब च
क   दे खभाल के काम म संल न है। इसने लघु ऋण शखर स मेलन, 1997 म भारत का त न ध व कया था।
18वां लघु ऋण शखर स मेलन 15-17 माच, 2016 के म य आबू धावी, (संयु अरब अमीरात) म आ था।

वसाय कायरत म हला कंपनी

जया मोद                –   AZB & पाटनर

अनुराधा जे. दे साई         –   वकटे र हेचरीज

व लू मोरावाला पटे ल       –   अवे था जेन ेन टे नोलॉजीस

मीना कौ शक              –   वां टम माकट रसच

नी त संबंधी नणय को भावी एवं नणायक प से भा वत करने वले क तपय य के समूह को दबाव
समूह क सं ा से अ भहीत कया जाता है। दबाव समूह को भा वत करने वाले कारक ह – रा य एवं सरकार का
संगठना मक व प, राजनी तक सं कृ त, राजनी तय एवं जन सामा य से अंतसबंध।
व आ थक मंच क थापना वष 1971 म ई थी। इके सं थापक जेनेवा व व ालय के ोफेसर लॉस ाब
थे। वष 1987 तक इसे यूरो पयन मैनेजमट फोरम के नाम से जाना जाता था। वष 1987 से इसे व आ थक मंच
कहा जाता है। यह एक अलाभकारी सं था है।
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वष 1998 का अथशा का नोबेल पुर कार भारतीय अथशा ी अम य सेन (Amartya Sen) को मला। उ ह
यह पुर कार क याणकारी अथशा म दए गए योगदान के लए मला।

इं डयन इकोनॉमीः गांधीयन लू ट नामक पु तक भारत के भूतपूव धानमं ी चौधरी चरण सह ने लखी
थी।
ीमती एनी बेसट ारा बनारस (वाराणसी) म स ल ह कॉलेज क थापना वष 1915 म क गई थी। यह कॉलेज

 वष 1916 म बनारस ह व व ालय बना, जो  पं. मदन मोहन मालवीय जी के साथक यास का तफल था।

जब भारत को वदे शी बको म सोना रखना पड़ा तो उस समय भारत के धानमं ी चं शेखर थे।
जयंत पा टल स म त क थापना सूखा े के वकास के लए क गई थी। इस स म त के अ य योजना
आयोग के सद य डॉ. जयंत पा टल थे। इस काय हेतु 25 वष य भावी योजना तैयार करने के लए इसे उ च श
दान क गई थी।
शकाग व व ालय के ोफेसर रघुराम जी. राजन क अ य ता म, भारत सरकार ने उ च तरीय स म त का
गठन वष 2007 म कय था। यह स म त व ीय े म सुधार से संबं धत थी।
भारत के कं ोलर और ऑ डटर जनरल (CAG) क रपोट का परी ण संसद क लोक लेखा स म त (Public
Accounts Committee) ारा कया जाता है। 22 सद य (15 लोक सभा से 7 रा य सभा से) वाली यह
समत य के बाद परी ण करती है तथा अपनी रपोट संसद को दे ती है।
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व आ थक मंच ((World
World Economic Forum-WEF) ारा लोबल जडर गैप रपोट जारी कया जाता है।
इसम न न ल खत मापदं ड समा हत होते ह –

1. आ थक भागीदारी और अवसर (Economic Participation and Opportunity)


2. शै क उपल धयां (Education Attainment)

3. वा य एवं उ रजी वता (Health and Survival)


4. राजनी तक सश करण (Political Empowerment)

भारत का उपभो ा संर ण अ ध नयम, 1986 उपभो ा श ा और संर ण के लए है। इसम व तु और


सेवा क दर मे छू ट क व था नही है।
ापार एवं माल नशान ए ट (Trade and Merchandise Marks Act) 1958 म पा रत कया गया था।
इसे माल पर नशान के योग क धोखाधड़ी के रोकथाम तथा े ड माक के बेहतर सुर ा और पंजीकरण क
सु वधा दान करने के लए न मत कया गया था।
पी.ओ.सी.एस.ओ. (POCSO) कानून का संबंध ब च से है। इसका पूण प है – Protection of Children
fro m Sexual Offences.

भू म अ ध हण वधेयक लोक सभा म 9 संसोधन म पा रत आ था। इस वधेयक का पूरा नाम है – भू म अजन,


पुनवासन और पुन व थापन म उ चत तकर और पारद शता अ धकार (संशोधन) वधेयक, 2015, यह
वधेयक लोक सभा म 24 फरवरी, 2015 को तुत आ तथा 10 माच, 2015 को यह वधेयक पास आ।
भारत म जैव व वधता संर ण क से 12 मुख अ ध नयम के नाम न नानुसार ह –

1. म य अ ध नयम, 1897
2. खतरनाक क ट और प सू अ ध नयम, 1914

3. भारतीय वन अ ध नयम, 1927


4. कृ ष उ पाद ( े डग और वपणन) अ ध नयम, 1937
5. भारती कहवा अ ध नयम, 1942
6. आयात और नयात ( नयं ण) अ ध नयम, 1947

7. रबर (उ पादन एवं वपणन) अ ध नयम, 1947

8. चाय अ ध नयम, 1953


9. खनन एवं ख नज वकास ( नयमन) अ ध नयम, 1957
10. वशन ऑफ े ए ट टू ए नमल ए ट, 1960
11. सीमा शु क अ ध नयम, 1962
12. इलायची अ ध नयम, 1965

वष 1957 मे भारत सरकार ने पेटट कानून म संशोधन के का परी ण करने तथा सरकार को तदन प सुझाव
दे ने हेतु यायमू त एन.आर. अयंगर स म त नयु क थी। इस स म त क रपोट के आधार पर लोक सभा म 21
सतंबर, 1965 को बल पेश कया गया जो हालां क यगत हो गया। वष 1967 म एक संशो धत बल पेश कया
गया जसे संयु संसद य स म त को े षत कया गया था एवं स म त क अं तम अनुशंसा के आधार पर पेटट
अ ध नयम, 1970 पा रत कया गया। वष 1970 के अ ध नयम के अ धकांश ावधान 20 अ ैल, 1972 को पेटट
नयम, 1972 के काशन के साथ ही भावी ए।
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इनज टै ट ट स नामक काशन को सां यक एवं काय म काया वयन मं ालय का के य सां यक
 कायालय (CSO- Central Statistical office) वा षक आधार पर का शत करता है।
गाड गल--मखज फॉमले के अंतगत अ धकतम भार जनसं या (1971) को दया जाता है, जो क 60%
गाड गल मुखज फॉमूल क अतगत अ धकतम भार जनस या (1971) को दया जाता ह,, जो क 60%
है।

1. 60% 1971 क जनसं या के आधार पर


2. 25% त आय के आधार पर
3. 5% कर यास एवं राजकोषीय बंधन के आधार पर
4. 5% व श सम या के आधार पर

रा ीय कृ ष आ थक एवं नी त अनुसंधान के (National Centre for Agricultural Economics and


Policy Research- NACP), नई द ली म थत है। इसक थापना भारतीय कृ ष अनुसंधान प रषद
(ICAR) ारा वष 1991 म क गई थी।
रा ीय लड यूज एंड कंजवशन बोड का गठन वष 1983 म कया गया था, जसे वष 1985 म रा ीय लड रसोसज
कंजवशन एंड डेललपमट कमीशन कर दया गया। इस आयोग क सव मुख ज मेदारी खेती यो य भू म क
पहचान एवं उसके वकास के साथ दे श क भू म के समु चत उपयोग हेतु नी तयां बनाना है।
सैमसंग कॉप रेशन तथा एलजी दोन ही भारत म कायरत ब रा ीय कंप नयां ह जब क ह तान यू नलीवर
ल मटे ड उपभो ा व तु नमाता भारतीय कंपनी जसका मु यालय मुंबई म थत है।
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वष 1947 म के य म य अनुसंधान सं थान क थापना कोचीन म क गई थी। के य भेड़ जनन फाम


ह रयाणा हसार म थत है। रा ीय डेरी अनुसंधान सं थान वष 1923 म बंगलु म था पत कया गया, जसे वष
1955 म करनाल थानांत रत कर दया गया।
रा ीय वकलांग व एवं वकास नगम (NHFDC) क थापना सामा जक याय एवं अ धका रता मं ालय,
भारत सरकार ारा 24 फरवरी, 1997 को कया गया। इसक ा धकृत अंश पूंजी 400 करोड़ पये है। इसका
उ े य वकलांग य के लाभाथ आ थक वकास संबंधी याकलाप को बढ़ावा दे ना तथा वकलांग
य के लाभ/आ थक पुनवास के लए अ य उप म एवं वरोजगार को ो साहन दे ना है।
रा ीय जल वकास एजसी क थापना एक वाय शासी सोसाइट के प म जुलाई, 1982 म क गई थी। वष
1990 म रा ीय प र े य के हमालय नद वकास घटक के काय को भी रा ीय जल वकास अ भकरण को स प
दया गया था।
भारतीय उ मता वकास सं थान (Entrepreneurship Development Institute of India)
अहमदाबाद (गुजरात) मे थत है। इसक थापना एक वाय एवं गैर-लाभ सं थान के प म वष 1983 म क
गई थी।
BMW A.G. का मु यालय यू नख (Munich), जमनी म थत है। Daimler S.A. का मु यालय ांस म
तथा Volkswagen A.G. का मु यालय जमनी म थत है।

रा ीय उ मता एवं लघु वसाय वका सं थान, नोएडा (उ. .) म थत है। यह सं थान सू म, लघु एवं म यम
उ म मं ालय के अंतगत एक शीष सं था है, जो वशेष प से लघु उ ोग और लघु वसाय के उ मता वकास
म लगे ए व भ सं थान /एज सय क ग त व धय के सम वय और नगरानी के लए कायरत ह। भारत

सरकार ारा ग ठत यह सं थान सोसाइट पंजीकरण अ ध नयम, 1860 के तहत एक सोसाइट के प म


पंजीकृत है। यह सं थान 6 जुलाई, 1983 से कायरत है।
खाद एवं ामीण उ ोग कमीशन का मु यालय मुंबई म है। इसका गठन वष 1956 म कया गया था। यह आयोग
भारत सरकार का एक सां व धक नकाय है जो सू म, लघु एवं म यम उ ोग मं ालय के अधीन काय करता है।
इसके छः जोनल ऑ फस द ली, भोपाल, बंगलु , कोलकाता, मुंबई और गुवाहाट म ह।
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व ांज ल मानव वकास मं ालय क एक पहल है, जसके तहत नजी े और समुदाय क सहायता लेकर
सरकारी व ालय म द जाने वाली श ा क गुणव ा को बढ़ाया जाएगा। इसके तहत गत तर पर,
सेवा नवृ श क, सेवा नवृ सरकारी अ धकारी/कमचारी आ द तथा अ य कोई भी और सं थान तर
पर सरकारी, अधसरकारी अथवा कोई भी नजी सं थान श ा क गुणव ा म सुधार हेतु अपना योगदान
( श ण, खेलकूद एवं अ य शै णक ग त व धय म योगदान) दे सकता है।
इं दरा गांधी रा ीय मानव सं हालय और भारत भवन भोपाल (म. .) मे थत है।
उ त भारत अ भयान ामीण वकास से संबं धत है। इसके तहत उ च श ा सं थान को ामीण वकास या-
कलाप से संबं द कर ामीण वकास क चुनौ तय को र करने क रणनी त बनाई गई है। इस हेतु मानव वकास
संसाधन वकास मं ालय, ामीण वकास मं ालय तथा पंचायती राज मं ालय के म य़ एक समझौता भी कया
 गया है। ात है क ामीण रणनी त के नमाण म उ च श ा सं थान क सहभा गता से वकास योजना
क द ता एवं सहभा गता म वृ द होगी।
24 अ टू बर, 2016 को धानमं ी नरे मं ी मोद ने वाराणसी म ऊजा गंगा गैस पाइप लाइन प रयोजना का
शलाय यास कया। ऊजा गंगा प रयोजना के अंतगत 2540 कमी. लंबी जगद शपुर-ह दया एवं बोकारो-धामरा
ाकृ तक गैस पाइप लाइन (JHBDPL) का नमाण कया जाना है। यह प रयोजना पूण होने पर उ र दे श,
प म बंगाल, बहार, ओ ड़शा तथा झारखंड रा य को ाकृ तक गैस क आपू त करने म सु वधा होगी।
ामीण वकास मं ालय के ह रयाली काय म (1 अ ैल, 2003 से जारी दशा- नदश के तहत) का संबंध जल
संचयन बंधन काय म के समथन से है। एक कृत जल संभर बंधन काय म (IWMP) के तहत आने वाले
इस काय म के अंतगत व भ ोत से ा त पानी को रोकने और ह रयाली बढ़ाने के उपाय कए जा रहे ह।
5 नवंबर, 2015 को धानमं ी नरे मोद क अ य ता मे के य मं मंडल ने व ुत मं ालय ारा पेश क गई
योजना उ वल ड कॉम ए योरस योजना या उदय ((UDAY)
UDAY) योजना को अपनी मंजूरी दान क । उदय 
योजना का काया वयन व ुत मं ालय ारा कया जा रहा है। यह योजना  भारत सरकार के व ुत मं ालय ारा
चलाई जा रही है। उदय योजना को अपनाना रा य के लए वै छक है। इस योजना का ल य बजली वतरण
कंप नय ( ड कॉम) का व ीय सुधार एवं पुन थान करना तथा उनक सम या का थायी और टकाऊ
समाधान सु न त करना है।
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डजीलॉकर ((Digilocker)
Digilocker) या ड जटल लॉकर ड जटल इं डया के तहत एक मह वपूण पहल है। इसके
अंतगत लोग के द तावेज / माण-प (उदाहरण – नवाचन काड, ाइ वग लाइसस, कूल माण-प आ द)
के लए ड जटल लॉकर उपल ध कराया जाता है, जससे इन द तावेज तक हमेशा प ंच को सु न त कया जा
सके। इसके अंतगत नाग रक को आधार सं या से संबं द वेब पेस उपल ध कराया जाता है जससे द तावेज
( केन कॉपी अथवा सं थान से वतः ा त) को रखा जा सकता है। यह कागज र हत शासन क थापना क
से मह वपूण है।
धानमं ी ामोदय योजनांतगत पांच मूलभूत सेवा - ाथ मक वा य दे खभाल, ाथ मक श ा, ामीण
आवास, पोषण तथा पेयजल को रखा गया है। जससे ामीण े के लोगो के जीवन तर को सुधारा जा सके।
ामीण व ुतीकरण को इसम एक सहायक सेवा के प म (ने क मूलभूत) बाद म जोड़ा गया। व ुत उ पादन,
ांस मशन एवं वतरण म शत तशत वदे शी नवेश क अनुम त है। पुनः के य व ुत मं ालय ने  आं दे श,
असम, ह रयाणा, झारखंड, म य दे श, पंजाब, उ राखंड और  प. बंगाल इन 14 रा य   के साथ समझौता- ापन
पर ह ता र कए ह।
ई--चौपाल भारत क थम ब रा ीय कंपनी T.C. (Indian Tobacco Company) ारा ारंभ इंटरनेट
आधा रत ामीण प रयोजना है। भारत म इसका ारंभ जुलाई, 2000 से म य दे श रा य म आ था। इस
प रयोजना को संयु रा के शता द वकास ल य के समथन म था पत व ड बजनेस अवॉड का थम
पुर कार भी ा त आ है।
सेमफे स,, भूतपूव सै नक को ऋण दान करने हेतु र ा मं ालय ारा घो षत योजना है। राज थान म
राज थान व नगम (RFC) इस योजनांतगत ऋण दान करता है।

भाखड़ा--नांगल ह रयाणा, पंजाब और राज थान रा य क संयु प रयोजना है। इसके तहत भाखड़ा एवं नांगल
म सतलज नद पर दो बांध बनाए गए ह जनके मा यम से जल व ुत और सचाई आ द क ापक व था क
गई है। यह भारत क सबसे  बड़ी ब े यीय प रयोजना है।
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व णम चतुभुज ((Golden
Golden Quadrilateral) एक रा ीय राजमाग प रयोजना है, जसक शु आत वष 2001
म ई थी। इसके मा यम से दे श के चार मुख महानगर ( द ली, मुंबई, चे ई, कोलकाता) को सड़क माग ारा
जोड़ना था। इसक कुल लंबाई 5846 कमी. है।
दे श म सबसे अ धक सूती व पावरलूम से टर म तैयार कया जाता है। इस े का दे श के कुल कपड़ा उ पादन
म 60 तशत से अ धक का योगदान है। इसके बाद मशः होजरी से टर, हडलूम से टर तथा मल से टर का
योगदान है।
टश पे ो लयम ारा जारी व ऊजा सां यक य के अनुसार सवा धक तेल कोश वाला दे श वेनेजुएला
(300.9 ब लयन बैरल) है। संपूण व तेल भंडार म इसक ह सेदारी 17.6% है। इसके प ात सूद अरब
(15.6%), कनाडा (10%), ईरान (9.3%) तथा इराक (9.0%) सवा धक तेल कोश वाले दे श ह।
बाजार एक आ थक वृ है जो उपभो ावाद क ओर झान पैदा करती है। उपभो ावाद पूंजीवाद का ही एक
प है।
पू तप अथशा से ता पय व तु क आपू त (उ पादन) करने वाल अथात उ पादक के आ थक कोण
के अ ययन से है।
व तु क मांग तथा व तु क क मत म समानुपात, जब क व तु क पू त तथा व तु क क मत म ु मानुपात
होता है। अतः सामा य बाजार और  सामा य व तु के संदभ म य द थर मांग के साथ आपू त म वृ द हो, तो
क मत घटने क संभावना होगी। इस संदभ म कुछ थ तयां न न ल खत ह –

1. य द मांग बढ़ती है तथा पू त थर रहती है तो क मत बढ़े गी।


2. य द मांग घटती है तथा पू त थर रहती है तो क मत घटे गी।
3. य द पू त घटती है तथा मांग थर रहती है तो क मत बढ़े गी।

एक ऐसा बाजार जहां व े ता, े ता से अ धक होते ह, े ता का बाजार कहलाता है। इस बाजार म पू त मांग से
अ धक होगी फल व प व तु के मू य कम ह गे।

बे ट एंड रोड इ न शए टव या वन बे ट एंड वन रोड ((OBOR:


OBOR: One Belt and One Road) पहल,,
जनवाद गणरा य चीन का एक आ थक-रणनी त एजडा है। इसके मा यम से चीन से यूरोप, अ का और
ओसे नया से जोड़ने हेतु अनेक कदम उठाए जा रहे ह। इस पहल के दो भाग (Component) ह –

1. पहला भू म आधा रत स क रोड आ थक पेट ((SREP:


SREP: Silk Road Econimics Belt)
2. सरा समु आधा रत मैरीटाइम स क रोड ((MSR:
MSR: Maritime Silk Road)

गांधी अथ व था या सता (Trusteeship) के स दांत पर आधा रत है। उ र दे श जम दारी उ मूलन और


भू म सुधार अ ध नयम, 1950 को सं वधान क नव अनुसूची म शा मल कर ( व 11) इसे या यक उ मु
दान क गई है। भारतीय नाग रक क मतदान आय को 61व सं वधान संशोधन, 1988 म 21 से घटाकर 18 वष
कर द गई थी। शेतकारी संगठन का गठन शरद जोशी ने वष 1979 म महारा म कया था।
यू नवसल स वस ऑ लगेशन फंड (USOF) का संबंध टे लीकॉम कंप नय के दे यता के समायोजन से है।
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भारत को कुल 9 पन (PIN- Postal Index Number) े म वभा जत कया गया है। इनम 8 पन े
भारत के रा य /संघीय े स संबं धत है। और 9वां पन े आम पो ट ऑ फस (APO) और फ ड पो ट
ऑ फस (FPO) के लए है।
यमुना ए स ेस-वे को ताज ए स ेस-वे के नाम से भी जाना जाता है। 165 कमी. लंबा यह माग उ र दे श के दो
शहर ेटर नोएडा एवं आगरा को जोड़ता है।
गैर-घरेलू गैस सलडर म भरी एल.पी.जी. का भार 19.0 क ा. होता है। जब क घरेलू गैस सलडर म 14.2
क ा. एल.पी.जी. होती है।
राज थान क भौगो लक पयावरण थ त तथा सं कृ त को म रखते ए पयटन े को वाभा वक नी तगत
मुखता दे नी चा हए ता क रगामी सतत, समावेशी वकास सु न त हो सके।
वष 1995 म या ए जी बटर ाइवेट ल मटे ड और वलेज रोड शो ल मटे ड ने मलकर वष 1997 म साकेत म
थम PVR म ट ले स लांच कया। PVR सनेमा का पूरा नाम या वलेज रोड शो है।
तेल का एक बैरल 42 अमे रक गेलन या 158.9873 लीटर (लगभग 159 लीटर) के बराबर होता है।

इको माक उन भारतीय उ पाद को दया जाता है जो पूणतः पयावरण के लए अनुकूल ह। इसक शु आत वष
1991 से क गई थी। इसका लोगो एक म का बतन है।
अद य चेतना ट (बंगलु ), हैव स इ डया ल., ह तान जक ल. एवं डी. एस. एल. कोटा ( ीराम प
ु )
आद ट/काप रेट राज थान म मड- डे मील योजना से संबं धत है।

भारतीय पय़टन के संदभ म वण भुज म आगरा, द ली एवं जयपुर स म लत ह। मान च पर द ली, आगरा
एवं जयपुर ारा भुज का आकार न मत करने के कारण यह नाम दया गया है।
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म यकालीन वजयनगर सा ा य म भू-राज व वभाग को अथावाना कहते थे। वजयनगर सा ा य म एक कुशल


भू-राज व णाली लागू थी, जसके अंतगत भू-धा रत का वग करण (जलम न भू म, अ स चत भू म, बगीचा
इ या द) कर उस हसाब से इन भू मय पर लगान आरो पत कया जाता था।
एगमाक (AGMARK) एक ामाण च ह है जो भारत म कृ ष/खा उ पाद पर लगाया जाता है। ये उ पाद
भारत सरकार के वपणन तथा नरी ण नदे शालय ारा नधा रत मानक पर खरे उतरते ह। एगमाक का उपयोग
कृ ष उ पाद अ ध नयम, 1937 के अधीन कया जाता है। यात है क इसे वष 1986 म संशो धत कर दया गया
है।
वक सत और आ थक प से पछड़े ए रा य का सह-अ त व तथा येक रा य के व भ े म गतक
से भ ता को ही े ीय वषमता कहते ह। जहां एक ओर पंजाब, महारा , ह रयाणा, गुजरात, प. बंगाल,
केरल, त मलनाडु आ थक से अ गामी रा य ह, वह म य दे श, असम, उ र दे श, राज थान, ओ ड़शा,
बहार आ द आ थक से पछड़े रा य ह।
व के जल संसाधन का लगभग 4.0% भारत के पास उपल ध है।
 कमैया णाली, नेपाल म अनुबं धत मक क एक णाली है, जो नेपाली सरकार ारा समा त घो षत कए
जाने के बावजूद मं य एवं नौकरशाह ारा बद तूर जारी है।
नेटमीट रग (Net Metering) एक ब लग णाली (Billing Mechanism) है जसके तहत अपनी छत पर
सोलर लांट से बनाई ई बजली क ड को बेचकर उसके बदले म े डट ा त कया जा सकता है। इसके लए
सोलर लांट के साथ एक मीटर लगाया जाता है। यह मीटर बजली वतरण कपनी क तरफ से दया जाता है
जसे ड कॉम कने शन के साथ जोड़ दया जाता है। सोलर लांट म कतनी बजली बनी, कतनी खपत ई और
कतनी ड म गई, मीटर म सबका हसाब होता है। इससे यह भी हसाब होता है क उपभो ा ने ड कॉम से
कतनी बजली ली। अथात नेट मीट रग से बल तो कम होता ही है बेची गई बजली से कमाई भी होती  है।
वै ीकरण का संबंध वदे शी नवेश एवं वृहद कंप नय से है। अतः छोटे उ मय का इसके त आशावान होना
तकसंगत नही है।

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2025 का संबंध खा उ पादन म वृ द से है।

अभी रा ीय नधा रत अंशदान (INDC: Intended Nationally Determined Contribution) का


संबंध जलवायु प रवतन का सामना करने के लए व के दे श ारा बनाई गई काययोजना से है। इस पद का
योग जलवायु प रवतन पर संयु रा े मवक क वशन के अंतगत ह रत गृह गैस के उ सजन को कम कर ने
के संदभ म कया जाता है। उ लेखनीय है क पे रस म आयो जत (CoP-21)म ए पे रस समझौते के तहत इस
सद के अंत तक औसत तापमान वृ द को अ धकतम 20C तक के तर पर रोकने हेतु सभी दे श को अपने घरेलू
ह रत गृह गैस के उ सजन म कटौती का ल य तुत करना है,  इसी को INDC कहा जाता है।

ISO-14001 एक अंतरा ीय माण-प है जो पयावरण बंध णाली माणन योजना है। यह माण-प ऐसी
औ ो गक इकाइय को ही दान कया जाता है जो पय़ावरण संर ण तथा पय़ावरण संर ण तथा पयावरण
संबंधी कानून को लागू करती ह।
सरकार ने संसद ारा पा रत रा ीय खा सुर ा अ ध नयम, 2013, 10 सतंबर, 2013 को अ धसू चत कया है।
जसका उ े य एक ग रमापूण जीवन जीने के लए लोग को वहनीय मू य पर अ छ गुणव ा के खा ा क
पया त मा ा उपल ध कराते ए उ ह मानव जीवन च कोण म खा और पौष णक सुर ा दान करना है।
इस अ ध नयम के ल त सावज नक वतरण णाली के अंतगत रा य सहायता ा त खा ा ा त करने के
लए 75 तशत ामीण आबाद और 50 तशत शहरी आबाद को दायरे म लाने का ावधान है। इस कार
कुल 67 तशत आबाद को इसके दायरे म लाया जाएगा।
वेब पोटल DACNET ई-ए ीक चर से संबं धत है। कृ ष एवं सहका रता वभाग क यह एक ई-गवनस
प रयोजना है, जसे कृ ष ऑनलाइन क सु वधा के लए ामीण सूचना व ान के (NIC) ारा न पा दत
कया जा रहा है।
स म त संबं धत

च वत स म त    –   व ीय े सुधार

नर सहम स म त   –   ब कग े सुधार

त लकर स म त   –   नधनता आकलन

चेलैया स म त     –   कर सुधार

लु त होती म हलाएं का वचार अथशा ी अम य सेन ारा दया गया। इ ह ने वष 1990 मे यूरोप और ए शया
म लगानुपात क तुलना करते ए यह वचार दया था।
ाचार, आ थक वकास म अवरोधक का काम करता है। इसका आ थक वकास म कोई योगदान नही होता है।
ला सकल कूल के अथशा य जसम एडम मथ, रकॉड , मल, माशल, जे.वी. से, पीगू आते ह, ने
अथ व था म सरकार के ह त ेप को अ वीकार करते ए, बाजार आधा रत अथ व था का बल समथन
कया था।
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तपू त या हजाने से अ भ ाय कसी नुकसान, हा न और चो टल/बीमार  होने क थ त म उस रा श क पू त


करना है। गैर-जीवन बीमा पॉ लसी जैस-े हे थ, मोटर आ द बीमा पॉ लसी तपू त के आधार पर काम कती है।
इसके तहत बीमाकृत संप को ए नुकसान को कवर दान कया जाता है।
जब कुल उ पाद थर होता है, तो सीमांत उ पादन शू य होता है। ऐसी अव था म कुल उ पाद अपने उ चतम तर
पर भी प ंच जाता है।
ाचार, आ थक वकास म अवरोधक का काम करता है। इसका आ थक वकास म कोई योगदान नही होता है।

एडम मथ एक कॉ टश दाश नक एवं अथशा ी थे। उ ह आधु नक अथशा और पूंजीवाद का जनक कहा
जाता है।

अथशा , कौ ट य ारा र चत राजनी तशा क पु तक है।

ई ो ं ो े ी ो ो े
2 मई, 2009 को आ थक वकास स थान म अथशा क ोफसर बीना अ ावाल को नयोन टफ पुर कार स
स मा नत कया गया।

सुपर बाजार एक कार का फुटकर व य संगठन होता है। यहां व भ कार क व तृत उ पाद ृंखला मौजूद
होती है।
पु तक Planning and the Poor बी..एस.. मनहास के ारा लखी गई है।

1776 ई. म का शत पु तक एन इं वाय़री इन टू द नेचर एंड कॉलेज ऑफ द वे थ ऑफ नेशंस के लेखक


कॉटलड के व यात अथशा ी एडम मथ थे। यह लॉ सकल अथशा क मूलभूत पु तक मानी जाती है।
पूंजी का सं हण ((The
The Accumulation of Capital) पु तक क ले खका ीमती जॉन रा ब सन ह। मूल
प से वष 1956 म का शत यह पु तक द घाव ध म वकास और पूंजी संचय या नधा रत करता है, के को
एक ग तशील कोण दान करता है।
बंद क धा ((Prisoner’s
Prisoner’s Dilemma) खेल या ड़ा स दांत (Game, Theory) के अंतगत एक सम या
के प म जाना जाता है खेल स दांत अथशा का एक स दांत है। जसका तपादन जॉन वान यूमैन एवं
आ कर मोग टन ने कया था।
ट शप क अवधारणा महा मा गांधी ने तुत क थी।

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स म त             वष

थानीय व जांच स म त   –   1949-51

कराधान जांच आयोग       –   1953-54

ामीण-शहरी संबंध स म त  –   1963-66

शहरीकरण पर रा ीय आयोग    –    1985-88

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जनसां यक

भारत – जनसं या

वष 2011 क भारत क जनगणना के लए आदश वा य अवर से सस,, अवर यूचर ((हमारी जनगणना,,
हमारा भ व य)) का उपयोग कया गया था। वष 2011 क जनगणना दे श क 15व रा ीय जनगणना थी।

जनसां यक य सं मण एक ऐसा स दांत है जो समय के साथ-साथ जनसं या म ए प रवतन को दशाता है।


यह स दांत अमे रक जनसां यक वद वॉरेन था पसन ारा वष 1929 मे वक सत जनां कक य इ तहास क
ा या पर आधा रत है। यह जनसं या वृ द के उन चार तर को प प से प रभा षत करता है जो रा म
उनके सामा जक-आ थक वकास के साथ आगे-पीछे गुजरते ह।

थम चरण – यह चरण व श प से अ प वक सत दे श म दे खने को मलता है। जहां उ च ज म दर के साथ मृ यु


दर भी उ च होती है, जसके कारण जनसं या थर हो जाती है।

तीय चरण – वकास क या के साथ ज म दर तो ऊंची होती है कतु बेहतर भोजन आपू त तथा उ त
जन वा य क सु वधा के कारण मृ यु दर न न हो जाती है।

तृतीय चरण – इस चरण म ज म दर भी कम हो जाती है। ले कन जनसं या नरंतर बढ़ती जाती है यो क पूव क
पी ढ़य क उ च जनन मता के कारण जनन आय समूह म ब त अ धक सं या म लोग होते ह।

चतुथ चरण – न न ज म दर और न न मृ यु  दर के साथ ले कन उ चतर सामा जक और आ थक वकास के तर


के साथ एक बार फर थर जनसं या को ा त कर लेते ह। इसम य प जनसं या तो थर होती है तथा प पहले
चरण म अ धक।

थायी जनसं या संरचना क थ त म ज म दर तथा मृ यु दर दोन ही नयं त तथी नीची दर पर बनी रहती है
अथात दोन ही प रवतन समान दर पर होता है जससे जनसं या वृ द क दर थर बनी रहती है।
मा थस ने अपने जनसं या स दांत म यह तपा दत कया क उ पादन अंकग णतीय म (1, 2, 3, 4………..)
म बढ़ता है जब क जनसं या या मतीय म (1, 2, 4, 8, 16……) म बढ़ती है।
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 रहन-सहन का तर जनसं या क जनां कक य वशेषता का ह सा नही है। जनसं या क जनां कक य
वशेषता म जनं या का घन व, लगानुपात, ामीण-शहरी जनसं या, सा रता, आयु संरचना और जीवन
याशा मु य प से स म लत कए जाते ह।
भारत म जनसं या क ती वृ द दर एक सम या है। इं दरा गांधी सरकार ारा 70 के दशक म इस दशा म कए
गए यास क आलोचना के कारण आगे अ य कसी भी सरकार ने इस दशा म यास नही कया। भारत म
ब याकरण के त लोग क अ न छा के कारक (Factor) संरचना मक ह, जसम उ च  शशु मृ यु दर, गरीबी,
अ श ा, अ ानता, लड़के क इ छा, धा मक व ास, मनोरंजन के साधन क कमी आ द मुख ह।

अं ेज के शासनकाल म आधु नक णाली क सव थम जनगणना लॉड मेयो के शासनकाल म वष 1872 ई. म


कराई गई थी, कतु जनगणना का मवार आकलन अथात थम नय मत जनगणना वष 1881 ई. म लाड रपन
के शासनकाल से मानी जाती है।

वष 2011 क जनगणना के अनुसार, 2001-2011 के दशक म जनसं या वृ द दर 17.64% रही, जब क वष


2001 तथा 1991 क जनगणना म जनसं या वृ द दर मशः 21.54% तथा 23.87% थी। वष 2001 क
जनगणना म भारत क जनसं या 1028.73 म लयन थी, जो वष 2011 क जनगणना म बढ़कर 1210.85
म लयन हो गई।

  2011 2011

दशक य वृ द दर (2001-2011) अनं तम आंकड़े अं तम आंकड़े

17.64% 17.7%

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भारत क जनसं या म सवा धक तशत बदलाव वष 1971 म दे खने को मला था।  इस समय दशक य वृ द दर
24.80 तशत थी। जब क वष 1981 म 24.66 तशत, वष 1991 म 23.87 तशत तथा 2001 म 21.54
तशत थी। वष 2011 क जनगणना के अनुसार, दशक य वृ द दर 17.7 तशत है।
वष जनसं या ( म लयन म))

1951   –   361.08

1961   –   439.23

1971   –   548.16

1981   –   683.33

1991   –   846.42

2001   –   1028.74

2011   –   1210.85

बीसव सद क शु आत (वष 1901) म भारत का जनसं या घन व 77 तवग कलोमीटर था जो नरंतर


बढ़ते ए वष 2011 म 382 त वग कलोमीटर हो गया है। इस कार भारत का जनसं या घन व नरंतर
बढ़ा है।
2011 क जनगणना म अनुसू चत जा तय एवं अनुसू चत जनजा तय के अ त र अ य जा तय को स म लत
करने संबंधी मसले पर वचार करने हेतु त कालीन के य व मं ी णब मुखज क अ य ता म मं य के
समूह (GoM) का गठन कया गया था जसने इस संदभ म अपनी सहम त दान क ।
भारत क 2011 क जनगणना के अं तम आंकड़ के अनुसार, भारत क जनसं या 1210854977 है, जसम
पु ष क जनसं या 623270258 व म हला क जनसं या 587584719 है। भारत का जनं या घन व 382
त वग कमी. तथा लगानुपात 943 ( त हजार पु ष पर म हलाएं) ह।
जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, सवा धक दशक य वृ द दर वाला रा य मेघालय (27.9 तशत)
है।

2011 क जनगणना के अनं तम एवं अं तम आंकड़ के अनुसार, सवा धक जनसं या वाला रा य उ र दे श


(199812341) है। इस संदभ म महारा (112374333) का सरा थान है।

जनसं या 2011 के अं तम आंकड़ के आधार पर शीष 5 रा य का अवरोही म न न कार है –

उ र दे श > महारा > बहार > प. बंगाल > आं दे श

जनसं या 2011 के अं तम आंकड़ो के अनुसार, 307713 वग कमी. े फल के साथ महारा का राज थान
 (342239 वग कमी.) एवं म य दे श (308252 वग कमी.) के बाद े फल क से तीसरा थान है जब क
जनसं या क से 112374333 य के साथ उ र दे श (199812341) के बाद सरा थान है।
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रा य जनसं या (2011)

उ र दे श    –   199812341

महारा      –   112374333

बहार        –   104099452

प म बंगाल –   91276115

आं दे श    –   84580777

कनाटक      –   61095297

म य दे श   –   72626809

त मलनाडु     –   72147030

ओ ड़शा      –   41974218

जनगणना 2011 के अनुसार, भारत क लगभग 9% (104099452) जनसं या बहार म नवा सत है।

भारत म जनसं या क उ चतम वृ द दर (24.80%) 1961-71 के दौरान थी।

2001-2011 के म य नगालड रा य म जनसं या वृ द नकारा मक (-0.6%) रही है। इस अव ध म गोवा म


जनसं या वृ द 8.2%, केरल म 4.9% और कनाटक म 15.6% रही है।

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2011 क जनगणना के अनुसार, जनसं या क सवा धक दशक य वृ द दर वाले 5 रा य का म है – मेघालय >


अ णाचल दे श > बहार > ज मू-क मीर > मजोरम

भारतीय जनगणना के इ तहास म वष 1921 ही एकमा ऐसा जनगणना वष रहा है जसम जनसं या क दशक य
वृ द दर ऋणा मक (-0.31%) रही, इस लए 1921 को महान वभाजन का वष ((Year
Year Of Great Divide)
कहा जाता है।

भारत क जनसं या म सवा धक औसत वा षक घातीय ृ द दर (2.22%) 1971-81 के दशक म दज क गई थी।


जब क 2001-2011 के दशक म औसत वा षक घातीय वृ द दर 1.64% दज क गई।
जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, भारत का अ धकतम जनसं या घन व वाला रा य बहार
(1006 त वग कमी.) तथा यूनतम जनसं या घन व वाला रा य अ णाचल दे श (17 त वग
कमी.) है।
जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ के अनुसार, ल द प क जनसं या 64429 (अं तम आंकड़ो के अनुसार
64473) है जो भारत म सबसे न न है। सवा धक जनसं या घन व नई द ली NCT (11297, अं तम आंकड़ के

अनुसार 11320) म पाया जाता है।

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार,, सवा धक जनसं या   घन व वाले रा य का अवरोही


म न न है – बहार (1106), प.  बंगाल (1028), केरल (860) एवं उ र दे श (829)।
रा य जनसं या घन व

बहार    –   1106

पंजाबा   –   551

झारखंड  –   414

उ राखंड –   189

केरल    –   860

महारा –   365

उड़ीसा   –   270

पुरा    –   350

आं दे श    308

 मेघालय  –   132

म णपुर  –   128


नगालड  –   119

स कम –   86

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जनगणना 2011 के अनुसार,, यूनतम जनघन व वाले पांच रा य मशः ह –

अ णाचल दे श (17), मजोरम (52), स कम (86), नगालैड (119) तथा हमाचल दे श (123)

जनगणना 2011 के अनं तम एवं अं तम आंकड़ के अनुसार, उ र दे श का अ धकतम जनघन व वाला शहर
गा जयाबाद है। जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, इसका जनघन व 3971 त वग कमी.
है।

जनगणना-2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, भारत क कुल जनसं या 1210854977 है।


2011 क जनगणना के अनुसार, भारत क कुल जनसं या का 2.1 तशत लोग वकलांग ह। इनमे से मा 2
तशत वकलांग आ म नभऱ ह जब क पड़ोसी दे श चीन म 80 तशत वकलांग आ म नभर ह।

जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार, भारत म सा रता का तशत 74.04% था। 30 अ ैल, 2013
को जारी जनगणना के अं तम आंकड़ो के अनुसार, भारत म सा रता दर 73.0% ( पु ष 80.9% एवं म हला
64.6%) के तर पर है जो 20001 क तुलना म 8.2 तशतांक अ धक है।

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार केरल क सा रता दर 94.0% है।


जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, उ र दे श क सा रता दर 67.7% है, जसम पु ष सा रता दर
77.3% तथा म हला सा रता दर 57.2% है।
जनणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार उ र दे श का सवा धक सा र जला गौतमबु द नगर (80.12%)
है।

जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार,, उ र दे श म सवा धक सा रता दर वाले चार जल


का सही अवरोही म है – गा जयाबाद (85.00%), गौतमबु द नगर (82.20%), कानपुर नगर (81.31%),
औरैया (80.25%)।

जनगणना 2011 के अनुसार, पु ष (76%) और ी (72.9%) सा रता के तशत दर म यूनतम अंतर (3.1%)
मेघालय म है। जनगणना 2011 के अनुसार, पु ष और ी के सा रता के तशत दर म यूनतम अंतर वाले चार
मशः मशः मेघालय, मजोरम, केरल तथा लगालड ह।

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2011 जनगणना के अं तम आंकड़ो के अनुसार, उ र दे श के ाव ती जले म म हला सा रता यूनतम


(34.8 तश) है।

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ो के अनुसार, सबसे कम सा रता वाले 5 रा य ह – बहार (61.8%),


अ णाचल दे श (65.4%), राज थान (66.1%), झारखंड (66.4%) तथा आं दे श (67.0%)

वतमान जगणना के अनुसार बहार, भारत का सवा धक नर रता वाला रा य तथा केरल सवा धक सा र रा य
है।

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ो के अनुसार, जबलपुर (81.1%) म य दे श का सवा धक सा र जला है।


जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार,, रा य का बाल लग अनुपात ( शशु लगानुपात)) न न
है –

उ र दे श    –   899

म य दे श   –   912

राज थान     –   883

बहार        –   933

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जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ो के अनुसार शशु लगानुपात –

उ र दे श    –   902

 म य दे श   –   918

राज थान     –   888


बहार        –   935

छ ीसगढ़     –   969

पंजाब        –   846

ह रयाणा     –   834

वष 2011 के सां यक एवं काय म काया वयन मं ालय के आकलन के अनुसार, भारत के म य दे श रा य म
कुपोषण के शकार बालक का तशत उ चतम है। यहां 60% ब चे कुपोषण से भा वत ह। इसके अलावा
झारखंड म 56.5% तथा बहार म 55.9% ब चे कुपो षत ह।

वष 2011 क जनगणना के अनुसार, दे श म शशु मृ यु दर 44 त हजार है। दे श म यूतनतम शशु मृ यु दर वाले


रा य गोवा व म णपुर ( येक म  11 त हजार) ह।

सवा धक शशु मृ यु दर वाला रा य म य दे श (59 त हजार) है। इसके प ात उ र दे श एवं ओ डशा ( येक
म 57 त हजार) म शशु मृ यु दर सवा धक है।
भारत म बाल (0-6 वष) जनसं या  के लगानुपात म वष 1961 से नरंतर गरावट क वृ रही है। 1961 म यह
976 थी जो वष 1981 म 962, वष 2001 म 927 तथा वष 2011 म और गरकर 919 हो गई।

जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार, भारत म शशु लगानुपात 914 (अं तम आंकड के अनुसार
919) था।

जनगणना 2011 के अनुसार रा य म बौ द क सं या –

            बौ दो क जनसं या
रा य           

महारा      –   6531200

कनाटक      –   95710

उ र दे श    –   206285

बहार        –   25453

भारत क गनती जनां कक य लाभांश (Demographic Dividend) वाले दे श के प म क जाती है यो क


यहां कायकारी (Working) जनसं या अथात 15-64 वष आयु वग क जनसं या का तशत अ धक है।
जनसां यक य बोनस से ता पय जनसं या म उ पादनकारी ( म संबंधी) आयु समूह म वृ द से है। भारत म
Demographic Bonus उ पादन वृ द म सहायक है।

कायकारी जनसं या के आकार म वृ द, जनसं या वृ द का तकूल भाव नही है ब क यह जनसं या वृ द


का अनुकूल भाव है। जनसं या वृ द के कारण कायकारी जनसं या के आकार म उ रो र वृ द होती है
जब क जोतो के आकार क कमी, बढ़ती ई बेरोजगारी तथा अनाज क त उपल धता म कमी
जनसं या वृ द का तकूल भाव है।
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2011 क जनगणना के अनुसार लगानुपात –

                लगानुपात


रा य       

ह रयाणा             879

पंजाब                895

स कम             890

उ र दे श            912

छ ीसगढ़             991

त मलनाडु             996

म णपुर              985

गुजरात              919

हमाचल दे श         879

दादर एवं नगर हवेली   774

दमन और द व        618

अ णाचल दे श       938

 केरल                1084

उ राखंड 963
उ राखड             963

आं दे श            993

झारखंड              949

पंजाब                895

उ र दे श            912

बहार                918

राज थान             928

ज मू-क मीर          889

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जनगणना 2011 के अनुसार, सबसे कम लगानुपात वाला रा य ह रयाणा (879) है जब क स कम (890),


पंजाब (895) तथा ज मू-क मीर (899) इससे अ धक लगानुपात वाले रा य ह।

2011 क जनगणनानुसार भारत म दए गए धा मक समुदाय क उनके लगानुपात के आधार पर थत


है –

        लगानुपात
धा मक समुदाय       

ईसाई            –   1023

बौ द            –   965

जैन             –   954

मुसलमान        –   951

2011 क जनगणना के अनुसार, यूनतम लगानुपात (618) दमन एवं द व का है।


2011 क जनगणना के अनुसार, पुडुचेरी म लगानुपात 1000 से ऊपर अथात 1037 है।

जनगणना वष भारत म लगानुपात

1951           946

1991           927

2001           933

2011 (अं तम)     943

2011 क जनगणना के अनुसार,, कुछ रा य के उनके ामीण े म शशु जनसं या तशतता –

           
रा य            तशतता

केरल        –   10.4%

पंजाब        –   11.2%

ह रयाणा     –   13.2%

ज मू-क मीर  –   17.5%

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, भारत क जनसं या का सवा धक जमाव उ र दे श म पाया


जाता है, जसक जनसं या 199812341 है, जब क दे श मे सवा धक घना रा य बहार (1106) तथा सरा घना
बसा रा य प. बंगाल (1028) है।
रा ीय जनसं या नी त के अंतगत न मत दस-वष य काय योजना मे वयं सहायता समूह क उ चतर संल नता,
6 से 14 वष तक नःशु क अ नवाय श ा और ववाह एवं गभधारण का अ नवाय पंजीकरण को स म लत
कया गया है। नी त म उन म हला के लए वशेष पुर कार दे ने का ावधान भी कया गया है जो  अ य
प रवार नयोजन उपाय का उपयोग करती ह ।

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जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार,, कुछ रा य म शशु लगानुपात (0-6 आयु वग)) इस
का ह –

मजोरम          –   971



मेघालय          –   970
पंजाब            –   846

ह रयाणा         –   830

जनगणना 2011 के अनं तम एवं अं तम आंकड़ के अनुसार,, लगानुपात म रा य एवं के शा सत


दे श का अवरोही ((घटते ए म म)) म न नानुसार है –

1. केरल

2. पुडुचेरी
3. त मलनाडु

4. आं दे श

जनगणना 2011 के अनुसार, कुल जनसं या म (65+ आयु वग) क आबाद लगभग 4.8 तशत है।

2011 क जनगणना के अं तम आंकड़ के अनुसार दे श क कुल जनसं या म अनुसू चत जनजा तय का अनुपात


8.6% है।

जनगणना 2011 के अनुसार अनुसू चत जा त क सवा धक जनसं या तशतता वाले चार रा य


अवरोही म है –

1. पंजाब (31.9%)

2. हमाचल दे श (25.2%)
3. प म बंगाल (23.5%)

4. उ र दे श (20.7%)

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ो के अनुसार –

            अनुसू चत जा त के लोग क सं या


रा य           

बहार           16567325

उ र दे श       41357608

प म बंगाल    21463270

पंजाब           8860179

2011 जनगणना के अं तम आंकड़ के अनुसार,, भारतीय रा य म सवा धक जनजातीय जनसं या म य


दे श व छ ीसगढ़ म है।

रा य जनजातीय जनसं या

म य दे श 15316784

छ ीसगढ़ 7822902

त मलनाडु 794697

केरल 484839

असम 3884371

पुरा 1166813

उ राखंड 291903

उ र दे श 1134273

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 जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ के अनुसार, सवा धक सा रता वाला जला सर चप ( मजोरम) है जसक
सा रता तशत 98.76% है। वह न नतम सा रता वाला जला म य दे श का अलीराजपुर (37.22%) है।
जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार,, भारत के 5 सवा धक सा र जले –

जला सा रता दर

सर चप ( मजोरम) 97.91%

आइजॉल ( मजोरम) 97.89%

माहे (पु चेरी) 97.87%

को ायम (केरल) 97.21%

पथानाम थ ा (केरल) 96.55%

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भारत म भा वत सा रता दर क गणना 7 वष एवं उससे अ धक उ क जनसं या से क जाती है।

जनगणना 2011 के अनं तम एवं अं तम आंकड़ के अनुसार,, भारत म पु ष और म हला सा रता दर का


अंतराल न न है –

  अनं तम अं तम

पु ष सा रता दर 82.14 80.9

म हला सा रता दर 65.46 64.6

सा रता अंतराल 16.68 16.3

2011 जनगणना के अनं तम आंकड़ो के अनुसार, भारत क जनसं या का लगभग 17% (16.49) उ र दे श म
रहती है। अं तम आंकड़ो के अनुसार, कुल जनसं या का 16.51% उ र दे श म रहती है।
कुछ रा य क 2011 जनगणना के अनुसार सा रता दर –

बहार    –   51.5%

झारखंड  –   55.4%

उ र दे श-   57.2%

छ ीसगढ़ –   60.2%

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ो के अनुसार, यूनतम म हला सा रता दर वाले तीन रा य है – बहार <
राज थान < झारखंड

वष 2011 क जनगणना के अनं तम आंकड़ के अनुसार, म हला सा रता दर उ चतम एवं यूनतम मशः केरल
और राज थान मे ह, जब क अं तम आंकड़ के अनुसार, यह शत केरल और बहार पूरी करते ह।
2011 म रा य क म हला सा रता दर तशत म –

        सा रता दर
रा य       

छ ीसगढ़     60.2

उड़ीसा       64.0

म य दे श   59.2

राज थान     52.1

जनगणना 2011 के अनुसार, भारत क सकल जनन दर (TFR)4 है।

शू य जनसं या वृ द के लए त म हला उ प ब च क सं या 2.1 आक लत क गई। इसे ा त कर लेने पर


 जनसं या वृ द क जाती है।
जनसं या थरीकरण वह तर है, जहां जनसं या मे कोई प रवतन नही होता। व क जनसं या को उस समय
ह ह, ह ई ह ह
थर कहा जाता है जब ज म और मृ यु दर समान हो जाती है तथा प कुछ व श दे श के मामल म दे श म आने
वाले और दे श से जाने वाले लोग क भी जनसं या म गणना क जाती है। ऐसी दशा म उस दे श म जनसं या का
तर उस समय थर कहा जाएगा जब दे श म ज म ब च तथा बाहर से आने वाल क सं या दे श म मरने वालो
तथा दे श से बाहर जाने वाल क सं या के बराबर हो जाएगी।

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जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार,, सा रता क से शीष 5 रा य ह –

1. केरल (94%)
2. मजोरम (91.3%)

3. गोवा (88.7%)

4. पुरा (87.2%)
5. हमाचल दे श (82.8%)

फ लप एम. हौसर ने व जनसं या का पृ वी के सतह के छोटे ह से पर बढ़ते संके ण अथात नगरीकरण एवं
महानगरीकरण को पापुलेशन इ लोजन क सं ा द थी। शहरी जनसं या म असाधाराण नृजातीय म ण
पापुलेशन ड लोजन है। जनसं या म ती वृ द पापुलेशन ए स लोजन है।

शहरी वृ द शहर म रहने वाल क सं या म वृ द, शरही के क सं या म वृ द, दे श क कुल जनसं या म


वृ द तथा शहरी े से होने वाली आय म वृ द का प रणाम अथवा सूचक है।

गंगा का मैदान भारत ही नह व म सवा धक सघन आबाद वाले े म से एक है। इसका कारण है क गंगा
भारत क सवा धक उपयोग म लाई जाने वाली नद है।
जनां कक य लाभांश से ता पय सभी े म कुशल मानव श क ज रत क भरपाई होना है और यह तभी
संभव है जब कौशल क मांग और आपू त के बीच मौजूदा अंतर को कम करते ए कुशलता वकास को
ो सा हत दया जाए।
भारत के ग तशील जनसं या संसाधन के पांच े के नाम न नानुसार है –

1. प म बंगाल डे टा
2. द कन ै प (महारा और गुजरात)

3. त मलनाडु
4. पंजाब मैदान और गंगा यमुना दोआब

5. द ण-पूव कनाटक पठार

भारत म जनसं या म ती वृ द के म े नजर खा ा उ पादन म वृ द संबंधी दबाव के कारण क टनाशक तथा


रासाय नक उवरक के उपयोग म वृ द हो रही है जो प य क सं या म गरावट के लए मुख उ र दायी
कारक है। साथ ही साथ मानवीय आवास प र ध म वृ द तथा वन एवं पेड़-पौध के कटाई के कारण प य के
ाकृ तक वास थल मे कमी भी प य क सं या म गरावट के लए ज मेदार है।

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भारत म जनसं या वृ द के तफल व प कृ ष यो य भू म म कमी आई है तथा वकास के लए कए यास से


षण म वृ द ई है। आवासीय ज रत तथा औ ो गक करण के लए भू म क आव यकता के लए अ य
े का भारी मा ा म कटान कया गया है जससे व य े क कमी के कारण बाढ़ मे वृ द तथा जंगली
जानवर क जनसं या म कमी ई है।
नवीनतम अनुसंधान से यह प है क अंडमान प समूह क जनजा तयां अ क नी ेट से सा य रखती है।

रा ीय सा रता मशन 5 मई, 1988 को पूव धानमं ी व. राजीव गांधी ारा ारंभ कया गया था। मशन के
तहत 15 से 35 आयु वग म 1990 तक 30 म लयन, 1995 तक 50 म लयन तथा 2007 तक ेशहो ड सा रता
का 75% करने का ल य नधा रत कया गया था।

रा य//के शा सत दे श क जनसं या इस कार है –

            जनसं या (2011)


रा य           

चंडीगढ़          1055450

मजोरम          1097206

 पुडुचेरी           1247953

स कम         610577
जनगणना ((Census)
Census) म तीन कार के हाउस हो ड् स ((Households)
Households) होते ह –

नॉमल हाउसहो ड – यह य का वह समूह जो सामा यतया साथ रहता है और सा झी रसोई का योग करता
है।

सं थागत हाउसहो ड – ऐसा समूह जनम आपस म कोई संब दता ( र ता) नही है परंतु साथ रहते ह। जैसे –
बो डग हाऊस, हॉ ट स, जेल तथा अनाथालय इ या द।

घर वहीन हाउसहो ड – जो भवन या जनगणना घर म नही नवा सत है। जैसे फुटपाथ, पुल के नीचे, रेलवे
लेटफाम इ या द पर रहने वाले लोग।

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जनगणना 2011 के अनुसार

रा य हाउसहो ड का आकार ((मा य//Mean)

उ र दे श 6.0

ज मू और क मीर 5.8

बहार और ल प 5.5

मेघालय एवं राज थान 5.4

जनगणना 2011 के अनुसार,, यूनतम लगानुपात वाले 5 जले –

दमन (दमन एवं द व)      –   534

लेह (ज मू-क मीर)         –   690

तवांग (अ णाचल दे श)     –   714

उ र स कम ( स कम)   –   767

दादरा और नगर हवेली      –   774

जनसं या के परै मड म सामा यतः 0-14 वष आयु समूह को आ त आबाद के प म जाना जाता है। इनके
अतर 65 वष एवं अ धक आयु के य को भी आ त आबाद माना जाता है जब क 15-64 वष आयु
वग को कायशील जनसं या (Working Population) के प म प रग णत कया जाता है।

2011 क जनगणना के अनुसार, भारत क कुल जनसं या म 20 वष या उससे अ धक आयु के लोग का तशत
लगभग 59.29% है।

जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ के अनुसार, भारत क जनसं या म य का तशत 48.46% था


जब क  अं तम आंकड़ के अनुसार, यह 48.53% है।

जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ के अनुसार, भारत क 65 तशत जनसं या 35 वष से कम आयु (0-34
वष) क थी। इसी जनगणना के अनुसार, कुल जनसं या म 35 वष से कम आयु क जनसं या 65.6% है।
जनसं या क संरचना यथा – श ा, वा य, आ थक थ त आ द सामा जक प रवतन के मुख कारक ह। इसी
कार कामकाजी म हला क जननता, गैर-कामकाजी म हला क अपे ा कम होती है।

रा य का जनघन व ( त वग कमी.)
.) म –

            जनघन व (2011)


रा य           

प. बंगाल     –   1028

त मलनाडु     –   555

महारा      –   365

आं दे श    –   308

2016 के आंकड़ के अनुसार, कुछ रा य म त हजार जी वत ज म पर शशु मृ यु दर –

            शशु मृ यु दर
रा य           

त मलनाडु     –   17
राज थान     –   41

उ र दे श    –   43

म य दे श   –   47

भारत        –   34

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बीमा ((BIMARU)
BIMARU) रा य के अंतगत 4 रा य बहार,, म य दे श, राज थान और उ र दे श आते ह।
इन रा य का 2011 के अनुसार जनघन व –

            जनघन व (2011)


रा य           

बहार            1106

उ र दे श        829

म य दे श       236

राज थान         200

जनगणना 2011 के अनुसार, भारत का जनसं या घन व 382 /वग कमी. हो गया है तथा जनसं या क
औसत वा षक घातांक वृ द दर 1.64% रही।
यूनतम शशु मृ यु दर केरल म पाई जाती है। 2016 के आंकड़ के अनुसार, केरल म नगरीय े मे शशु मृ यु दर
( त हजार जी वत ज म पर) 10, महारा के नगरीय े म 13, त मलनाडु के नगरीय े म 14, एवं गुजरात
के नगरीय े म 19 ह।
भारत म सव थम मृ यु गणना क शु आत कनाटक रा य ने क थी।

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भारतः नगरीकरण

प भूषण से स मा नत समाजशा ी ट .के. ओमेन ने नगरीय प रवार को प करने के लए न न


तमान को आधार बनाया है –

1. आय के साधन तथा उभरते या बदलते ए मू य के तमान

2. स ा के संरचना

3. नगरीय सामा जक वातावरण तथा सामा जक पा र थ तक का आधार

नगरीकरण हेतु दो कारक उ रदायी होते ह। एक आकषण तथा सरा तकषण। आकषण के अंतगत शहर का
उ च जीवन तर, बेहतर आधारभूत सु वधाएं, रोजगार के अवसर आ द आते ह। सरी ओर गांव मे रोजगार
अवसर म कमी, न न जीवन तर आ द तकषक कारक ह। गांवो ने नगरी े क ओर उ च दर से पलायन

तथा नगर म शै क सं था क बढ़ती सं या नगरीकरण के वाभा वक अ ल ण ह जब क ामीण े म


रहन-सहन का ऊंचा तर नगरीकरण क या को अवरो धत करता है।
आ थक समी ा 2015-16 के अनुसार, समावेशी वकास को सामा जक समावेशन (Social Inclusion) तथा
व ीय समावेशन (Financial Inclusion) म ग त के प म दे खा जा सकता है। दशक के योजनाब द
आ थक वकास के बावजूद जनसं या का एक बड़ा ह सा जैसे भू महीन कृ ष मक, सीमांत कृषक तथा
अनूसू चत जा त/अनुसू चत जनजा त के सामा जक एवं व ीय अपवजन का सामना कर रहे ह। अतः ये
सीमांत वग समावेशी वकास के काय म के के म ह। अ दशहरी े म रहने वाले इन सीमांत वग म
शा मल नही ह य क इस े के नवा सय म अमीर-गरीब दोन समुदाय नवास करते ह।

वष 2011 के जनगणना के अनुसार, भारत क जनसं या 1210.85 म लयन है जसम 377.1 म लयन जनसं या
नगर म नवास करती है। जहां वष 2001 म 10 लाखी नगर क सं या 35 थी, वह वष 2011 म यह बढ़कर 53
हो गई जो यह स द करता है क भारत म वष 2001 के प ात शहरीकरण म ती वृ द ई। भारत म मोबाइल
का उपयोग वष 1995 से ारंभ होकर गत 20 वष म लगातार बढ़ते ए टे लीफोन नेटवक के मामले म वै क
तर पर सरे थान पर  है। भारतीय रसंचार  उ ोग का माच, 2001 म टे ली घन व 3.58 तशत से फरवरी,
2015 म बढ़कर 78.13 तशत हो गया है।

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 वष 1931-61 तक क अव ध को भारत म म यम नगरीकरण का काल कहा जाता है। इस दौरान नगरीय


जनसं या म 45.46 म लयन (135.86 तशत) क वृ द ई जब क नगरीकरण का तशत 12.2 से बढ़कर
ी ं
18.3 तक ही प चा।

भारतीय नगरीकरण के ादे शक त प म अ य धक वषमता है। सबसे अ धक नगरीकृत रा य गोवा है, जहां
पर आधी से अ धक (जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार) जनसं या नगर म रहती है। हमाचल
दे श सबसे कम नगरीकृत दे श है, जहां पर मा 10 तशत जनसं या नगर म रहती है। इस कार भारत म
सभी े का नगरीकरण सवथा समान नही है।

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, हमाचल दे श भारत का सबसे कम नगरीकृत (10%) रा य है।
भारत का सबसे अ धक नगरीकृत रा य गोवा (62.2%) है। तथा भारतीय नगरीय जनसं या का सवा धक सां ण
महारा म पाया जाता है।
भारत म कसी अ धवासी को नगरीय े घो षत करने के लए न न शत पूरी होनी चा हए –

1. कम से कम 5000 जनसं या हो।


2. पु ष कायशील जनसं या का कम से कम 75% गैर-कृ ष वसाय म कायरत हो।

3. कम से कम 400 त वग कमी. जनघन व हो।

नगरीकरण होने से लोग के उपभोग क सु वधाएं बढ़ ह। समु चत व ुत, वा य, आवागमन एवं संचार
व था से सु व थत ढं ग से सेवाएं ा त करने म आसानी होती है। य द व था अ छ रहती है, खान-पान
वा य सेवाएं आव यकता के अनु प उपल ध होती ह, तो ज म दर और मृ यु दर दोन म कमी आती है।
वष 2011 क जनगणना के अं तम आंकड़ के आधार पर –

सवा धक शहरीकृत रा य            –    त मलनाडु

अ धकतम शहरी आबाद वाला रा य   –    महारा

अ धकतम जनसं या घन व वाला रा य    –   द ली

सबसे कम जनसं या घन व वाला रा य    –   अ णाचल दे श

2011 क जनगणना के अनुसार,, सवा धक नगरीकृत रा य का म–

           
रा य            तशत

गोवा        –   62.2

मजोरम      –   52.1

त मलनाडु     –   48.4

नगरीकरण का ता पय उस या से है जो अ धवा सत ा प म गया मक प रवतन लाती है। यह प रवतन


मूलतः जनसं या, आकार, संरचना और का मक े म होता है। का मक  से नगरीय अ धवा सत े म
गैर- ाथ मक (कृ ष) काय क धानता होती है। भारत जैसे वकासशील दे श म ामीण-नगरीय थानांतरण के
कारण नगरीकरण क या को अ धक बल मला है। भारत के अ धकतर नगर पहले गांव थे जो सेवा के
के करण के कारण नगर बन गए।

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भारत सरकार के जनगणना वभाग ने नगरीय के को जनसं या के आधार पर 6 भाग म वग कृत


कया है –

1. थम वग के नगर –  100,000 से अ धक जनसं या

2. तीय वग के नगर –   50,000 से 99,999 जनसं या

3. तृतीय वग के नगर –   20,000 से 49,999 जनसं या


4. चतुथ वग के नगर –   10,000 से 19,999 जनसं या

5. पंचम वग के नगर –   5000 से 9999 जनसं या

6. ष वग के नगर –   5000 से कम जनसं या

नगरीय अ धवास ामीण अ धवास से अपने आकार (जनसं या) तथा काया मक आधार पर भ होते ह।
कृ ष, वा नक तथा पशुपालन जैसी ाथ मक आ तक याएं ामीण अ धवास के मुख काय ह। इसके
वपरीत ब तय के मुख काय तीयक तथा तृतीयक आ थक या से संबं धत होत ह। आतः नगरीकरण
औ ो गक एवं सेवा े के वकास के साथ प र कृत आय अवसर के नमाण का भी आधार है।

त 1000 पु ष क तुलना म य क सं या को लगानुपात के प म कया जाता है। महानगर का


लगानुपात न नानुसार है –

 
         2011 (अं
महानगर         ( तम आंकड़े)

चे ई           985

कोलकाता         935

द ली           868

मुंबई            863

2011 क जनगणना के अं तम आंकड़ के अनुसार, भारत म जनगणना नगर क कुल सं या 3892 (अनं तम
आंकड़ के अनुसार यह सं या 3894 थी) है, जब क 2001 मे यह सं या 1362 थी। एक जनगणना नगर क
यूनतम जनसं या 5000 होती है, पु ष जनसं या का कम से कम 75% गैर-कृ ष वसाय म संल न होता है
और यूनतम जनसं या घन व 400 त वग कमी. होता है।
जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार, भारत म कुल नगरीय जनसं या 377.1 म लयन (37.71 करोड़)
है, जो भारत क कुल जनसं या का 31.2% है। यात है क वष 2011 क जनगणना के अनं तम आंकड़ के
अनुसार, यह 31.16 तशत थी।
2011 क जनगणनानुसार भारत म 40 लाख से अ धक जनसं या वाले नगरीय संकुलन ह – वृहत मुंबई, द ली,
कोलकाता, चे ई, बंगलु , हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे और सूरत।

जनगणना 2011 के अनुसार, दे श क कुल नगरीय जनसं या का लगभग 42.6% दस लाखीय नगर म नवास
करती है।

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जनगणना 2011 (अनं तम आंकड़ ) के अनुसार, थम वग के नगर (Class 1 U As/Towns) क कुल सं या


468 है। इन नगर क जनसं या 364.9 म लयन है, जो कुल नगरीय जनसं या का 70% है।
2011 क जनगणनानुसार अब वा लयर भी दसलाखी नगर है।

ओ ड़शा रा य म एक भी दस लाखी नगर नही है। जब क ह रयाणा म एक (फरीदाबाद), ज मू-क मीर मे एक


( ीनगर) तथा झारखंड रा य म तीन (जमशेदपुर, धनबाद, रांची) दस लाखी नगर ह।

            जनसं या (2011)


नगर           

फरीदाबाद    –   1404653

जमशेदपुर    –   1337131

ीनगर      –   1273312

धनबाद      –   1195298

रांची         –   1126741

जनगणना 2011 के अनुसार तीन सवा धक नगरीय जनसं या वाले रा य –

रा य            नगरीय जनसं या ((हजार म))

महारा          50818

उ र दे श        44495

त मलनाडु         34917

रा य क नगरीकृत थत–

           
रा य            तशत (2011)

त मलनाडु         48.4%

महारा          45.2%

गुजरात          42.6%

कनाटक          38.7%

पंजाब            37.5%

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जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार,, रा य म नगरीय जनसं या घन व ((नगरीय जनसं या म


 नगरीय े फल का भाग दे कर ा त)) न नानुसार ह –
महारा      –   5594

पंजाब        –   4136

त मलनाडु     –   2561

प म बंगाल –   5683

जनगणना 2011 के अं तम आंकड़ के अनुसार,, दे श के सवा धक नगरीकृत 5 रा य मशः –

1. गोवा (62.2%)
2. मजोरम (52.1%)

3. त मलनाडु (48.4%)

4. केरल (47.7%)
5. महारा (45.2%)

भारत म सबसे कम नगरीय जनसं या वाला रा य स कम है। वष 2011 क जनगणना के अनुसार, स कम


क नगरीय जनसं या 153578 है। इसके बाद मशः अ णाचल दे श (317369), नगालड (570966) तथा
मजोरम (571771) म कम नगरीय जनसं या पाई जाती है। वैसे के शा सत दे श व रा य दोनो क से
सबसे कम नगरीय जनसं या ल प (50332) क   है।
वष 2011 क जनगणना के अनुसार, ामीण जनसं या का सवा धक अनुपात ( 90%) हमाचल दे श मे है
जब क बहार (88.70%), असम (85.92%), ओ ड़शा (83.32%), मेघालय (79.92%) तथा उ र दे श
(77.72%) म ामीण जनसं या अनुपात मे मशः सरे, तीसरे, चौथे एवं पांचवे थान पर है। राज थान एवं म य
दे श म ामीण जनसं या का अनुपात मशः 75.11 तशत तथा 72.37 तशत है।

जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ो के अनुसार, उ र दे श म 1 लाख और उससे अ धक क जनसं या वाले


नगरीय संकुलन/शहर क सं या 64 है।

रा य नगरीय जनसं या का तशत नगरीय जनसं या का तशत


(2011) अनं तम (2011) अं तम

ह रयाणा 34.79 34.87

ज मू तथा क मीर 27.21 27.37

पंजाब 37.49 37.48

म य दे श 27.63 27.63

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जनसं या क ावसा यक वशेषताएं कायबल (Working Force), नभरता, बोझ, रोजगार और बेरोजगारी म
प रल त होती ह। जनसं या का ावसा यक ढांचा, व भ वसाय मे कायकारी जनसं या के वतरण को
करता है।

2011 क जनगणना के अनुसार उ र दे श म दसलाखी ((Metropolitan)


Metropolitan) शहर ह। उ र दे श के सात
दसलाखी शहर न न ल खत ह –

1. कानपुर –   20 लाख

2. लखनऊ –   01 लाख


3. गा जयाबाद –   58 लाख

4. आगरा –   46 लाख


5. वाराणसी –   35 लाख

6. मेरठ –   24 लाख

7. इलाहाबाद –   16 लाख

भारतीय जनगणना 2011 के अनुसार, दे श के म लयन (दस लाखी) नगर (कुल 53 नगर) क सूची म अं तम
थान पर कोटा (राज थान) है जसक जनसं या (1001365 है।
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        –   जनसं या


शहर       

सूरत       –   4585367

इलाहाबाद   –   1216719

कोटा       –   1001365

मंगलोर     –   476000

जनगणना 2011 के अनुसार आगरा नगर क जनसं या 1275134, इलाहाबाद क 1050000 मेरठ क ,
1068772 तथा लखनऊ क 2185927 है। ये आंकड़े इन शहर के नगर नगम े ह। 2011 क जनगणनानुसार
इन दस लाखी नगर का सही म (नगर नगम े क जनसं या के आधार पर है) – लखनऊ – आगरा – मेरठ –
इलाहाबाद।

जनगणना 2011 के आंकड़ के अनुसार, न न ल खत नगरीय के के सही अवरोही म न न है – गा जयाबाद


(4681645) > आगरा (4418797) > वाराणसी (3678841) > मेरठ (3443689)।
भारत म जनसं या के आधार पर नगर को छः वग म बांटा गया है। इनम से नगर वग IV, V और VI को लघु
नगर क ेणी म स म लत कया जाता है।

2011 क जनगणना म फोटो, उंगली के नशान और  आंख क पुतली के त च ण के लए कसी क


यूनतम आयु 15 वष नधा रत है। यह रा ीय जनसं या र ज टर के तहत संप कए जाने  वाले काय का ह सा
है।

वष 2011 क जनगणना के अनुसार, के शा सत दे श म सबसे कम ाम क सं या दमन एवं द व म है। यहां


थत ाम क सं या मा 25 है। इसक तुलना म ल प म 27, दादरा एवं नगर हवेली म 70 तथा पुडुचेरी म
95 गांव ह। उ लेखनीय है क के शा सत दे श म यूनतम ाम चंडीगढ़ (12) म थत है।
जवाहरलाल नेह रा ीय शहरी नवीकरण मशन दसंबर, 2005 म शु कया गया। यह एक 7 वष य काय म
(माच, 2012 तक ) था। सरकार ारा इसे दो वष का व तार (अ ैल, 2012 से 31 माच 2014 तक) दया गया था।
जसमे शहरी अवसंरचना के उ यन, बड़ी सं या म आवास के नमाण और गरीब के लए मूलभूत सेवा क
व था पर यान दया गया था जससे समावेशी वकास को बढ़ावा दया जा सके।

जवाहर लाल नेह रा ीय शहरी नवीकरण मशन (JNNURM) मे दो उप- मशन शा मल थे – STUDY FOR
CIVIL SERVICES-GYAN

1. शहरी अवसंरचना एवं शासन हेतु उप मशन-- इसका उ े य जल आपू त एवं सफाई, सीवरेज, ठोस कचरा
बंधन, रोड नेटवक, शहरी प रवहन एवं पुराने नगर े क अवसंरचना को पुन वक सत करना है।
2. शहरी गरीब को बु नयाद सेवा के लए उप मशन – इसका उ े य लम का एक कृत वकास है। प तः
शहरी व ुतीकरण JNNURM योजना के साथ संबं द नही है। यह मशन शु आत म माच, 2012 तक
स तवष य अव ध के लए ही था जसे पहले से ही अनुमो दत प रयोजना को पूरा करने के लए माच, 2014
तक बढाया गया था। माच, 2013 के दौरान  चल रहे काय को पूरा करने के लए मशन अव ध को माच, 2015
तक के लए एक वष तक और बढ़ा दया गया था।

3. वष 2011 क जनगणनानुसार, सवा धक लम तवे दत नगर क सं या क से शीष पांच रा य/के.शा. .


का अवरोही म है – त मलनाडु (507), म य दे श (303), उ र दे श (293), कनाटक (206) एवं महारा
(189)।

4. 2011 क जनगणनानुसार, कुल लम (म लन ब ती) जनसं या म सवा धक ह सेदारी वाले पांच रा य/के.शा. ा.
का अवरोही म है – महारा (18.1 तशत), आं दे श (15.6 तशत), प म  बंगाल (9.8 तशत), उ र
दे श (9.5 तशत) एवं त मलनाडु (8.9 तशत)।

दे श के मुख शहर म आधारभूत ढांचे के वकास तथा सेवा के व तार के लए जवाहरलाल नेह रा ीय
शहरी नवीकरण मशन (JNNURM) का शुभारंभ धानमं ी डॉ. मनमोहन सह ने 3 दसंबर, 2005 म नई
द ली म कया था। इसके तहत मे ोपा लटन शहर , रा य क राजधा नय 10 लाख से अ धक जनसं या वाले
शहर के अ त र धा मक, ऐ तहा सक एवं पयटन क म मह वपूण कुल मलाकर 65 शहर का कायाक प
कए जाने का ल य था।

नगरीकरण और औ ोगीकरण म वृ द और नगरीय जनसं या म ती वृ द कई कार के सामा जक अपराध


को भी बढ़ावा दे ती है, य क अपया त सु वधा क उपल धता सापे क वंचना को ज म दे ती है। इसके
कारण सां कृ तक एवं पारंप रक पा रवा रक मू य का वघटन भी होता है।

जनगणना 2011 म वृहत मुंबई म कुल शहरी घरेलू े म 41.3% ह सा म लन  ब तय का  है, जो भारत म
सवा धक है। भारत म म लन  ब तय म रहने वाली कुल जनसं या (2011 अं तम) 65494604 है, जो भारत क
कुल जनसं या का लगभ ग 5.4% जब क कुल नगरीय जनसं या का 17.4% है।

नगरीय ग लयार का संबंध प रवहन सु वधा के व तार के मा यम से नगरीय याकलाप को व तार दे ने से है।
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व ः जनसं या एवं नगरीकरण

वष 1972 म का शत Limts to Growth पु तक के लेखक म से एक मीडोज के अनुसार, व जनसं या


वृ औ ोगीकरण, षण इ या द क वतमान वृ य के यथावत जारी रहने पर अगले 100 वष म संवृ द
क प रसीमा आ जाएगी, जससे भूख और आ थक तथा सामा जक जो खम म वृ द होगी। मीडोज महोदय
ारा 2004 म इस सीमा को घटा कर 30 वष कर दया गया है।

लोक-नगरीय सात य (Folk-Urban Continuum) के वचार को अमे रका सां कृ तक मानव व ानी रॉबट
रेडफ ड ारा वक सत कया गया है। इसके लए उ ह ने मे सको के मे रडा, युकेटन तथा ामीण माया
मसुदाय का अ ययन कया था।
रेडफ ड तथा सगर के वचार म ाथ मक नगरीकरण क या को वृहद परंपरा (Great Tradition) के
वकास के वशेषीकृत कया जाता है। उ होने राजनी तक, आ थक एवं सां कृ तक शहरो का वचार तुत
कया।
31 अ टू बर, 2011 को ज मी भारतीय ब ची नर गस, फलीप स क ब ची डै नका कामेको, ीलंका क ब ची
व ालागे मुथुमई तथा प के का ल न ाद म ज म ब चे यो नकोलायेवा को व भ संगठन ारा तीका मक
प से 7 अरबवां माना गया है। तथा प संयु रा ारा आ धका रक प से अब तक इनम से कसी भी
दे श के ब चे को व के 7 अरबव का दजा नही दया गया है।

व जनसं या दवस त वष 11 जुलाई को मनाया जाता है। इसका न य वष 1989 म संयु रा वकास
काय म (UNDP) ारा कया गया था। इसे 11 जुलाई, 1987 को व जनसं या के अनुमानतः पांच अरब (5
ब लयन) होने के उपल य म मनाया जाता है।

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11 जुलाई, 2015 को व भर म व जनसं या मनाया गया। वष 2015 के व जनसं या दवस क वषय-


व तु आपात थ त म असुर त आबाद ((Vulnerable
Vulnerable Population In Emergencies) थी। 2018
क वषय व तु थी – प रवार नयोजन एक मानवा धकार है ((Family
Family Planning is a Human Right).

जनसं या क से व के थम पांच बड़े रा – चीन, भारत, संयु रा य अमे रका, इंडोने शया तथा ाजील
मे से चीन, भारत तथा संयु रा य अमे रका का अ धकांश भाग 200-400 उ री अ ांश के बीच अव थत है।
पुनः अ का का उ री भाग, म य ए शया भी 200-400 उ री अ ांश के  बीच अव थत है। अतः प है क
व क 50% जनसं या 200-400 उ री अ ांश के बीच संके त है।
व म लगानुपात घटने का डर, लग नधारण के परी ण के बढ़ने से है।

तीसरी नया म जैस-े जैसे वकास क या आगे बढ़ रही है, नगरीकरण क दर भी वृ द क वृ प रल त


हो रही है। नगरीकरण क दर म इस ती वृ द को ही तीसरी नया म नया जनसं या बम क सं ा द जा रही
है।

जनगणना 2011 के अनं तम आंकड़ के अनसार, भारत क जनसं या व जनसं या म 17.5 तशत क
भागीदारी है । जब क व क जनसं या म सवा धक अंश चीन का (19.4%) है। संयु रा जनसं या डवीजन

(UNPD) के World Population Prospects: 2017 रवीजन के अनुसार, व जनसं या 2017 म 753.4
म लयन है जब क भारत क जनसं या 1339.2 म लयन ( व जनसं या का 17.78%) है।
व के नगर क थ त पर यू.एन. है बटे ट्स रपोट के अनुसार, नगर क समृ द नधा रत करने का आधार
उ पादकता, जीवन क गुणव ा, समता आ द है ले कन अनुकूलतम जनसं या नही है।

द णी सूडान के सूडान से पृथक होने के बाद नाइजी रया अब अ का म सबसे अ धक आबाद वाला दे श है
(वष 2015 म व म सातवां थान)। यह नया म काले लोगो क सबसे अ धक आबाद वाला दे श  है। वष
2100 तक भारत एवं चीन ( मशः पहला एवं सरा) के प ात नाइजी रया व ा का तीसरा सवा धक जनसं या
वाल दे श होगा।
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दे श जनसं या घन व 2017

चीन             150

जापान           348

उ री को रया      113

द णी को रया    528

संयु रा संघ के 2015 के आंकड़ के अनुसार,, कुछ दे श क जनसं या का ववरण न न ल खत है –


दे श             जनसं या 2015

डो म नका        55572

सट कट् स        52993

माशल प      37731

मोनाको          72680

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व वकास संकेतक के अनुसार,, नगरीय जनसं या ((वष 2014) न नवत है –

दे श             नगरीय जनसं या का तशत ((वष 2014)   

अजट ना         92

ाजील           85

उ वे            95

वेनेजुएला         89

वष 2014 म बरमूडा,, केमैन प समूह, हांगकांग, मकाउ,, मोनाको,, सगापुर तथा सट माटन ((डच पाट)) म
नगरीय जनसं या शत-- तशत दज क गई।
दे श UNFPA के अनुसार 2016 म जनसं या ( म लयन म))

ाजील           209.6

इंडोने शया        260.6

नाइजी रया        187.0

पा क तान        192.8

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व जनसं या संभा ताः 2017 पुनरी ण के अनुसार द ण अमे रका का सबसे घना बसा दे श इ वेडोर (66)
है।
अ का म जनसं या वृ द दर अ य सभी महा प से अ धक है। यहां क जनसं या वृ द दर 2.14% रही
जब क ए शया महा प क 1.28% उ री अमे रका क 1.11%, द. अमे रका क 1.19% तथा ओशी नया क   29%
रही। व जनसं या संभा ताः 2017 के पुनरी ण के अनुसार 2010-15 के म य जनसं या वृ द दर अ का
म 2.59% ए शया म 1.05% उ र अमे रका म 0.75% और ओशी नया म 1.53% थी।

20व शता द म वक सत दे श क नगरीकरण क या ती थी, परंतु इसके उ रा द म जनसं या व फोट


एवं ामीण नगरीय थानांतरण के कारण वकासशील दे श म यह या ती हो गई है। संयु रा संघ के
अनुसार, व के नगर क जनसं या म वा षक वृ द दर का एक- तहाई से भी अ धक भाग ामीण-नगरीय 
थानांतरण का प रणाम है। एक अनुमान के अनुसार, 2030 तक व क 60% आबाद शहरी े म नवास
करेगी जब क वष 2050 तक व क 70% आबाद नगर   नवा सत होगी।
व वकास संकेतक के अनुसार, वष 2014 म ज म के समय जीवन याशा सवा धक (84) हांगकांग और
जापान है। जब क वष 2014 म ज म के समय जीवन याशा यूनतम (49) वाजीलड म रही है। वष 2014 म
डेनमाक म जीवन याशा 81 वष, अमे रका म 79 वष तथा वट् जरलड म  83 वष रही।
व ड पापुलेशन ॉ पे टस के अनुसार,, वष 2011 म न न ल खत महा प मे जनसं या घन व का
ववरण इस कार था –

महा प जनसं या घन व   ( .)


त वग कमी.)

ए शया 135.8

द णी अमे रका 23.0

 उ री अमे रका 18.6


यूरोप 33.3

अ का 36.1

संयु रा जनसं या कोष (UNFPA) के अनुसार, इ तहास म सव थम 2008 म व क कुल जनसं या का


आधे से अ धक भाग नगरीय जनसं या हो गया।
दे श जनसं या का औसत वा षक प रवतन दर (%) 2010-2016

बहरीन           1.7

इजराइल         1.6

जापान           -0.1

सगापुर          1.9

नील नद को म का वरदान कहा जाता है। नील नद के पानी क उपल धता के कारण नील नद के कनारे-
कनारे सघन कृ ष क जाती है। कृ ष सुलभता के कारण यहां जनसं या घन व उ चतम है।
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दे श जनसं या ((करोड़ म)) 2016

इंडोने शया    26.1

ाजील       20.9

स         14.3

जापान       12.6

दे श जन घन व (2015)

मालद व      1364

बां लादे श     1237

भारत        441

ीलंका       334

पा क तान    245

नेपाल        199

अफगा न तान 50

भूटान        20

व जनसं या संभा ताः 2017 पुनरी ण के अनुसार वष 2017 म द ण ए शयाई दे श म जनसं या घन व


मालद व (1454), बां लादे श (1265), भारत (450), ी लंका (332), पा क तान (255), नेपाल (204)
आफगा न तान (54) और भूटान (21) है।

दे श त 100 म हला पर पु ष क सं या (2015)

बां लादे श     102

पा क तान    106

भारत        108

चीन         106

सीआईए क व ड फै ट बुक ((World


World Factbook),
Factbook), 2012 के अनुसार दे श का लगानुपात न नवत है –
        सामा य
दे श ज म के समय   

बां लादे श     1.04                0.93

पा क तान    1.05                1.09

भारत        1.12                1.08

 चीन         1.13                1.06

दे श क मातृ मृ यु दर ((MMR-
MMR- त एक लाख जी वत ज म पर)) क थ त इस कार है-
दे श         वष 2015 के अनुसार

नेपाल        258

भारत        174

बां लादे श     176

इंडोने शया    126

दे श क संयु रा जनसं या वभाग के अनुसार,, जनन दर –

दे श         2015-2020 (अनु


( मान))

वीडन       1.9

इटली        1.5

ऑ े लया    1.9

ांस         2.0

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े क जनसं या क वा षक वृ द दर ( तशत म)) –

े                  2010-2015

म य ए शया          1.60%

प म बंगाल         2.00%

द ण ए शया         1.36%

द ण-पूव ए शया      1.20%

दे श कुल जनसं या के तशत के प म अंतररा ीय वासी

(Migrant) टॉक ((वष 2015)

    ऑ े लया            28.2

    गुयाना               2.0

    यूनाइटे ड अरब अमीरात 88.4

    सऊद अरब           32.3

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दे श म हला क मक बल सहभा गता दर (2014)


15 वष और उससे अ धक आयु वग वाल के
तशत के प म

चीन 64

यू.एस.ए. 56

स 57

द ण को रया 50

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