Essay Strategy - 1397 12 8 9 08

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िनबंध रणनीित

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िसिवल सेवा के बदले हुए पा य म ने आपके अंितम चयन म िनबंध को िनधारक भूिमका म ला
खड़ा िकया है। सामा य अ ययन के चारों प नप ों की अपे ा िनबंध के प नप म अपे ाकृत
कम मेहनत करके अिधक अंक लाए जा सकते ह। आप 250 अंकों के प नप म 160-170
अंक तक पा त कर सकते ह।

हालाँिक, ऐसा देखा जाता है िक िनबंध के प नप को अनेक परी ाथ बहुत ह के म ले


लेते ह और सीधे परी ा भवन म ही जाकर िनबंध िलखते ह। इनम कु छ पितभाशाली
िव ाथ जो कूल और कॉलेज तर पर िनबंध लेखन करते रहे ह, वे बेहतर पदशन
करते ह। परंत,ु परी ािथयों का एक बड़ा तबका अपने ‘अित आ म-िव वास’ का िशकार
हो जाता है, योंिक सभी म तो ऐसी पितभा नही ं हो सकती िक सीधे परी ा भवन म िनबंध
िलख और अ छे अंक पा जाएँ।

आपके मन म एक बड़ा सवाल यह उठता रहा होगा िक आिखर िनबंध की तैयारी कैसे की
जाए? इसके िलये कौन सी िकताब पढ़ी जाए? तो यहाँ आपको प ट कर द िक ऐसी कोई
एक िकताब नही ं है िजसे पढ़कर आप रातोंरात िनबंध म पारंगत हो जाएँ। कोई ऐसी िविध
भी नही ं है िजसे रटकर आप िनबंध के प नप म बेहतर पदशन कर सक।

अब, आप सोच रहे होंगे िक िफर ऐसा या है जो िनबंध के प नप म आपको सहज और


सफल बनाएगा? संघ लोक सेवा आयोग के िनबंधों की मूल पविृ ही रचना मक रही है।
यहाँ आपसे इस बात की बहुत अिधक उ मीद नही ं की जाती है िक आप िदये गए िवषय म
त यों का िवशाल पहाड़ खड़ा कर द, बि क अिधक उ मीद यह की जाती है िक आप
अपने रचना मक और क पना मक कौशल का पिरचय देते हुए िदये गए िवषय की
अवधारणा को प ट कर। िनबंध को नीरस व उबाऊ बनाने की बजाय सरस व रोचक
बनाएँ।

िसिवल सेवा परी ा के वतमान पा प म िनबंध लेखन म एक चुनौती यह आती है िक


कम-से-कम श दों म पूरे िवषय को प ट कैसे िकया जाए? इसके िलये जो सबसे ज़ री
बात है, वह है िनयत समय व िनयत श द-सीमा म िलखने का अ यास।

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पारंिभक परी ा के प चात् बचे हुए चार महीनों म जो सबसे पहला काय आपको करना है
वह है- अिधक से अिधक िवषयों पर लेखन अ यास, खासकर उन िवषयों पर जो िसिवल
सेवा परी ा म अब तक पूछे जा चुके ह।

हालाँिक, िसिवल सेवा परी ा म इस बात की बहुत कम ही संभावना रहती है िक िवषय


िरपीट हो। मगर यह ज़ र है िक अगर आपने िवगत वष की परी ा म पूछे गए या उनकी
पविृ से िमलते-जुलते िनबंधों का अ यास कर िलया, तो परी ा भवन म पूछे गए िनबंध
आपको नए नही ं लगगे। आप उनकी मूल पविृ को समझ सकगे और बेहतर पदशन कर
सकगे।

आप पयास यह कर िक बचे हुए चार महीनों म पितिदन कम-से-कम एक िवषय पर िनबंध


िलख, पितिदन नही ं तो कम-से-कम दो िदनों म एक िनबंध अव य िलख।

सबसे बड़ा सवाल िनबंध के प नप को लेकर यह है िक या पढ़ा जाए? पहले भी यह


चचा की जा चुकी है िक इसके िलये कोई एक ऐसी िकताब नही ं है। व तुतः िनबंध आपके
संपणू यि त व का परी ण है। इससे आपकी संवेदना और आपकी सोच का पता चलता
है।

कु छ आव यक सामगी जो आपके िनबंध लेखन म लाभदायी होंगी उनम िनयिमत प से


अखबारों मे छपे संपादकीय लेख अ यिधक मह वपूण ह जो िकसी िवषय के पित आपकी
समझ को िवकिसत करने म लाभकारी िस होंगे।

इसके अलावा, कु छ पिस िनबंधकारों के िनबंध पढ़ और यह समझने की कोिशश कर


िक िदये गए िवषय को िकस तरह से लेखक ने िकतने आयामों म बाँटा है और उसके या
मनोभाव रहे ह? ज़ री हो तो आव यक बातों को नोट भी कर।

कु छ पिस महापु षों के कथन, शायरी, किवता भी याद कर ल, इनका एक संगह भी


बना सकते ह खासकर, गरीबी, याय, मिहला, िव ान, धम, भ टाचार से जुड़े िवषयों पर।

पूव म िनबंध के िलये बाज़ार म कोई तरीय पु तक उपल ध नही ं होने के कारण इसके
िलये अ ययन सामगी की कमी रहती थी। लेिकन हाल ही म ‘दृि ट पि लकेशन’ ारा
पकािशत ‘िनबंध-दृि ट’ पु तक ने इस कमी को दूर कर िदया है। इस पु तक म िलखे गए
िनबंध न केवल परी ा के दृि टकोण से िविभ न ेिणयों म िवभािजत ह बि क प येक
िनबंध की भाषा-शैली एवं अपोच भी तरीय है।

कैसे बनाएँ िनबंध को रोचक?

िनबंध को रोचक बनाने के िलये शायरी, कहानी, लोकोि त, लोक, सं मरण, पिस
िव ानों के कथन या अ य बात जो आपको लग िक िवषय से जुड़ी हुई और पासंिगक ह,
उनका इ तेमाल िकया जा सकता है।

आप इनका इ तेमाल िनबंध की शु आत, म य या अंत म अथवा जहाँ भी उिचत मालूम


पड़े, कर सकते ह। मगर इस बात का यान रहे िक आपके ारा इ तेमाल की गई
किवता/कहानी िवषय से जुड़ती हो, वह िवषय से एकदम िभ न न हो, या िफर यूँ ही
इ तेमाल न की गई हो।

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इनका इ तेमाल आपके िनबंध को रोचक व पवाहमय बनाएगा और परी क आपके िनबंध
को पढ़ते व त बोर भी नही ं होगा। िव ानों के कथन आपकी बात को पु ट व पमािणक
बनाते ह, कभी-कभी तो सीधे कोई का य पंि त या िव ानों के कथन िनबंध के िवषय के
प म पूछ िलये जाते ह। इससे आप इनकी मह ा समझ सकते ह।

व तुतः िनबंध का उ े य आपके ान परी ण से अिधक आप के यि त व का परी ण


करना है। आप कैसे इंसान ह? िसिवल सेवक बनने के बाद आप आम जन की भावना और
संवेदना से जुड़ पाएंगे या नही ं? आपके िनबंध लेखन म ये भाव आपके लाख िछपाने के
बाद भी अिभ य त हो जाते ह।

िनबंध और इंटर यू म काफी हद तक समानता भी इसी बात को लेकर है। इसिलये,


िनरंतर अपने यि त व को िनखारने और सकारा मक िवचारों को िनरंतर गहण करने का
पयास कर। आशावादी बन, सम याओं के समाधान बताएँ न िक सम याएँ खड़ी कर।
आपकी िनराशावादी िवचारधारा आपको पितयोिगता से बाहर कर सकती है, यकीन मान।

िनबंध िलखते समय या हो िवचारधारा?

परी ािथयों के सम एक बड़ी सम या इस बात को लेकर रहती है िक िनबंध लेखन के


समय हमारी िवचारधारा या हो? या िकसी खास िवचारधारा का कोई असर पड़ता है?
या हम सरकारी नीितयों का िवरोध कर सकते ह?

इसका सीधा-सा जवाब है िक हमारी िवचारधारा चाहे जो भी हो, बस आम जन के िवरोध


वाली नही ं होनी चािहये; िकसी िलंग, जाित व धम के पित दुरागहपूण नही ं होनी चािहये,
और अगर ऐसा है तो िनि चत प से इसका असर पड़ता है। जहाँ तक सरकारी नीितयों
के िवरोध की बात है तो उिचत िवरोध िकया जा सकता है, मगर िसफ िवरोध करने के
िलये िवरोध न कर।

कैसे करें िवषयों का चुनाव?

िपछले वष पूछे गए िनबंध के प नप म पथम व ि तीय ख ड से 4-4 िनबंध पूछे गए


िजनम दोनों ख डों से 1-1 िवषय का चुनाव करना था। यानी अब आपको एक नही ं दो
िवषयों पर िनबंध िलखना होगा और इस संभावना से भी इंकार नही ं िकया जा सकता िक
भिव य म यह सं या और भी बढ़ जाए।

ऐसे म िवषय चयन के पित सावधानी अित आव यक है। आप िदये गए िवक पों म िजसम
अिधक सहज हों, जो आपकी िच से जुड़ा हो, उसका चयन कर। लेिकन यह चयन सोच
समझकर कर योंिक एक बार िलखना शु करने के बाद िफर आपको लगे िक आप
िकसी और िवषय पर यादा अ छा िलख सकते थे, तो इससे आपके समय और ऊजा
दोनों की बबादी होती है, साथ ही आपका आ मिव वास भी िगरता है और िलखकर
काटना, िफर िलखना परी क पर भी सकारा मक असर नही ं डालता है।

एक बार यिद िकसी िवषय पर िलखना शु कर द तो पूरे आ मिव वास के साथ िलख।
यान रख िक िनबंध के िकसी भी प न का कोई एक िनि चत उ र नही ं होता। यह आप
पर िनभर करता है िक आपका िवषय के पित या नज़िरया है, आप िवषय को कैसे
पिरभािषत करते ह? जैसे िक यूपीएससी ने 2005 म एक िनबंध पूछा था- ‘िशशु को
िखलाने वाले हाथ’। इस पर िकसी परी ाथ ने िशशु को िखलाने वाले हाथों को माँ के

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नज़िरये से देखा तो िकसी ने पूरे पिरवार व समाज के नज़िरये से। िनबंध के प म जवाब
कभी पूणतया सही या गलत नही ं होते। हाँ, यह पयास अव य कर िक िदये गए िवषय के
मूलभाव तक पहुचँ सक।

परी ा भवन में या करे?ं

प नप सामने आते ही पहले सभी िवषयों को आराम से पढ़, िफर जो आपको अिधक
िचपूण लगे उसका चयन कर।

िदये गए िवषय के प व िवप म कु छ िबंद ु सोच व नोट कर, िफर उ ह स यक प से


िलखने की कोिशश कर।

कई बार, कु छ िवषयों म िसफ प या िसफ िवप का चुनाव कर सकते ह, मगर ऐसे म


आपके पास िसफ िवरोध या िसफ समथन के ठोस तक होने चािहय, हवा-हवाई बातों से
काम नही ं चलेगा। अंत म िन कष अव य िलख जो िक आपके िनबंध का सार है।

कैसे करें िलखने की शु आत? या हो उिचत समापन?

िनबंध का उ र िलखते समय कु छ परी ािथयों के मन म बड़ा प न यह होता है िक पहली


पंि त म या िलख? शु आत कहाँ से कर, तो िबना डरे िकसी किवता, कहानी, कोई
सं मरण, िकसी िफ म का पासंिगक दृ य, आपके जीवन से जुड़ी कोई घटना आिद से
शु आत की जा सकती है।

अंत भी ऐसा ही हो जो िवषय के मूलभाव को संतिु लत तरीके से समेट सके।

इसम अ छे अंक पा त करने के िलये आप परी ा से पूव इससे स बंिधत िकसी मॉक टे ट
ृंखला म सि मिलत हो सकते ह। अगर संभव हो तो आप ‘दृि ट द िवज़न’ ारा िद ली म
चलाई जाने वाली िनबंध की क ाओं म भाग ले सकते ह ।

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