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Essay Strategy - 1397 12 8 9 08
Essay Strategy - 1397 12 8 9 08
Essay Strategy - 1397 12 8 9 08
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िसिवल सेवा के बदले हुए पा य म ने आपके अंितम चयन म िनबंध को िनधारक भूिमका म ला
खड़ा िकया है। सामा य अ ययन के चारों प नप ों की अपे ा िनबंध के प नप म अपे ाकृत
कम मेहनत करके अिधक अंक लाए जा सकते ह। आप 250 अंकों के प नप म 160-170
अंक तक पा त कर सकते ह।
आपके मन म एक बड़ा सवाल यह उठता रहा होगा िक आिखर िनबंध की तैयारी कैसे की
जाए? इसके िलये कौन सी िकताब पढ़ी जाए? तो यहाँ आपको प ट कर द िक ऐसी कोई
एक िकताब नही ं है िजसे पढ़कर आप रातोंरात िनबंध म पारंगत हो जाएँ। कोई ऐसी िविध
भी नही ं है िजसे रटकर आप िनबंध के प नप म बेहतर पदशन कर सक।
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पारंिभक परी ा के प चात् बचे हुए चार महीनों म जो सबसे पहला काय आपको करना है
वह है- अिधक से अिधक िवषयों पर लेखन अ यास, खासकर उन िवषयों पर जो िसिवल
सेवा परी ा म अब तक पूछे जा चुके ह।
पूव म िनबंध के िलये बाज़ार म कोई तरीय पु तक उपल ध नही ं होने के कारण इसके
िलये अ ययन सामगी की कमी रहती थी। लेिकन हाल ही म ‘दृि ट पि लकेशन’ ारा
पकािशत ‘िनबंध-दृि ट’ पु तक ने इस कमी को दूर कर िदया है। इस पु तक म िलखे गए
िनबंध न केवल परी ा के दृि टकोण से िविभ न ेिणयों म िवभािजत ह बि क प येक
िनबंध की भाषा-शैली एवं अपोच भी तरीय है।
िनबंध को रोचक बनाने के िलये शायरी, कहानी, लोकोि त, लोक, सं मरण, पिस
िव ानों के कथन या अ य बात जो आपको लग िक िवषय से जुड़ी हुई और पासंिगक ह,
उनका इ तेमाल िकया जा सकता है।
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इनका इ तेमाल आपके िनबंध को रोचक व पवाहमय बनाएगा और परी क आपके िनबंध
को पढ़ते व त बोर भी नही ं होगा। िव ानों के कथन आपकी बात को पु ट व पमािणक
बनाते ह, कभी-कभी तो सीधे कोई का य पंि त या िव ानों के कथन िनबंध के िवषय के
प म पूछ िलये जाते ह। इससे आप इनकी मह ा समझ सकते ह।
ऐसे म िवषय चयन के पित सावधानी अित आव यक है। आप िदये गए िवक पों म िजसम
अिधक सहज हों, जो आपकी िच से जुड़ा हो, उसका चयन कर। लेिकन यह चयन सोच
समझकर कर योंिक एक बार िलखना शु करने के बाद िफर आपको लगे िक आप
िकसी और िवषय पर यादा अ छा िलख सकते थे, तो इससे आपके समय और ऊजा
दोनों की बबादी होती है, साथ ही आपका आ मिव वास भी िगरता है और िलखकर
काटना, िफर िलखना परी क पर भी सकारा मक असर नही ं डालता है।
एक बार यिद िकसी िवषय पर िलखना शु कर द तो पूरे आ मिव वास के साथ िलख।
यान रख िक िनबंध के िकसी भी प न का कोई एक िनि चत उ र नही ं होता। यह आप
पर िनभर करता है िक आपका िवषय के पित या नज़िरया है, आप िवषय को कैसे
पिरभािषत करते ह? जैसे िक यूपीएससी ने 2005 म एक िनबंध पूछा था- ‘िशशु को
िखलाने वाले हाथ’। इस पर िकसी परी ाथ ने िशशु को िखलाने वाले हाथों को माँ के
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नज़िरये से देखा तो िकसी ने पूरे पिरवार व समाज के नज़िरये से। िनबंध के प म जवाब
कभी पूणतया सही या गलत नही ं होते। हाँ, यह पयास अव य कर िक िदये गए िवषय के
मूलभाव तक पहुचँ सक।
प नप सामने आते ही पहले सभी िवषयों को आराम से पढ़, िफर जो आपको अिधक
िचपूण लगे उसका चयन कर।
इसम अ छे अंक पा त करने के िलये आप परी ा से पूव इससे स बंिधत िकसी मॉक टे ट
ृंखला म सि मिलत हो सकते ह। अगर संभव हो तो आप ‘दृि ट द िवज़न’ ारा िद ली म
चलाई जाने वाली िनबंध की क ाओं म भाग ले सकते ह ।
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