खेलों का महत्व

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खेल ों का महत्व

पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेिोगे कूदोगे होओगे खराब”- यह कहावत आज


लनराधार हो गई है । माता-लपता आज जान गए है लक बच्ोों के मानलिक
लवकाि के िाथ शारीररक लवकाि भी होना चालहए ।

जो बच्े केवि पढ़ना ही पिन्द करते हैं खेिना नहीों, दे खा जाता है लक वे


लचड़लचड़े आििी या डरपोक हो जाते हैं , यहाों तक लक अपनी रक्षा करने में
अिमथथ रहते हैं ।जो पढ़ने के िाथ-िाथ खे िोों में भी भाग िे ते हैं वे चुस्त
और आिस्य रलहत होते हैं । उनकी हड् लडयाों मजबूत और चेहरा कान्तिमय
हो जाता है , पाचन-शन्ति ठीक रहती है , नेत्ोों की ज्योलत बढ़ जाती है , शरीर
वज्र की तरह हो जाता है । छात् जीवन में केवि खेिते या पढ़ते ही नहीों
रहना चालहए अलपतु उद्दे श्य होना चालहए खेिने के िमय खे िना और पढ़ने
के िमय पढ़ना ।

मनुष्य को जो पाठ लशक्षा नहीों लिखा पाती वह खेि का मैदान लिखा दे ता है


। जैिे- खेि खेिते िमय अनुशािन में रहना, नेता की आज्ञा का पािन
करना, खेि में जीत के िमय उत्साह, हारने पर िलहष्णुता तथा लवरोधी के
प्रलत प्रलतरोध का भाव न रखना, अपनी अिफिता का पता िगने पर जीतने
के लिए पुन: प्रयत्न करना आलद लिखाता है ।

बच्ोों की लकशोरावस्था िे ही उनकी रुलच के खे ि खेिने दे ने चालहए ।


उनकी कोमि भावनाओों को कुचिना नहीों चालहए । उन्हें िोंघर्थ के लिए
तैयार करना चालहए । लजििे भलवष्य में उन्हें खेिोों में लवजय और यश लमिे,
लवश्व ररकॉडथ बनाकर, अपना और दे श का गौरव बढ़ाए । ने पोलियन को हराने
वािे िेनापलत नेििन ने कहा था लक मेरी लवजय का िमस्त श्रेय
लकशोरावस्था के खेि के मैदान को है ।
स्कूि और कॉिेजोों के खेिोों में नाम कमाकर ही राष्ट्रीय और अिराथ ष्ट्रीय
खेिोों में छात् पहों च पाता है । पी.टी. ऊर्ा ने आठवीों कक्षा िे दौड़ना
प्रारम्भ लकया था और अिराथ ष्ट्रीय खेिोों में दे श का और अपना गौरव बढ़ाया

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