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पप

पप
पप

पप



पप


पप
रप


पप
पप
पप


पप

पप

पप


पप
पप
पप
पपप

पप
पप

पप



पप

पप
पप
पप



पप

रम
पप

पपरथम
पप

पपर पपप पपम पपप : ब्रह्म गायत्री मन्त्र
पप


पप

पप
पप




पप



पप
ल पप -
पप
पप
पप

पपप
पप
पप

पप
पप
पप




पप


पप


पप
पप
पप
पप


रस
पप
पप

पप






पपय
प पपर पपप पपम पपप : सतपपम
पप
पप
:।पपप
पप


पप

पप

पप

पपप



पप

पप
पप
कपपर , जब ही सत्यनाम हृदय धरो, भयो पाप को नाश।
मानो चचन्गारी अचि की, पडी पुराणे घास।।

भावाथथ :- यथाथथ साधना पूणथ सन्त से प्राप्त करके सतनाम का स्मरण हृदय से करने से सवथ पाप (संचचत तथा
प्रारब्ध के पाप) ऐसे नष्ट हो जाते हैं जैसे पुराने सूखे घास को अचि की एक चचंगारी जलाकर भस्म कर दे ती
है ।

पप

पपय पपर पपप पपम पपप : सारनाम

कपपर , कोचि नाम संसार में , इनसे मुक्ति न हो।
पप
सार नाम मुक्ति का दाता, वाको जाने न कोए।।
पप

पपन पपर पपप पपम पपप पप पपर पपण:--
पप, तत् , सत् , इचत, चनदे शः, ब्रह्मणः, चिचवधः, स्मृतः,

ब्राह्मणाः, ते न, वेदाः, च, यज्ाः, च, चवचहताः, पुरा ।।गीता 17.23।।
पप

पप
पप
पप
पपद: (पप) ऊँ सां केचतक मंि ब्रह्म का (तत् ) तत् सां केचतक मंि परब्रह्म का (सत् ) सत् सां केचतक मंि

पूणथब्रह्म का (इचत) ऐसे यह (चिचवधः) तीन प्रकार के (ब्रह्मणः) पूणथ परमात्मा के नाम सुमरण का (चनदे शः)
संकेत (स्मृतः) कहा है (च) और (पुरा) सृचष्टके आचदकालमें (ब्राह्मणाः) चवद्वानों ने बताया चक (तेन) उसी पूणथ

पप

रपप


मा


पप
ाा

पप
त्म

पप


ा्
पप

पपप
मा
पप

पप
ाा
पप
पप
पप


पप
ने
पप
पप
ाेपप

पप


-(


पप



वे
पप


:(ाेपप
पप
पप
-क

दाः
पप
पप
पप

ाा

पप
पपप

ाः

पप

पप
)
पप
कपपर , सौ वर्थ तो गुरु की पूजा, एक चदन आनउपासी।

गपपब, चातू र प्राणी चोर हैं , मूढ मुग्ध हैं ठोठ।


संतों के नहीं काम के, इनकूं दे गल जोि।।



अपपर्र आपप जगतपपप, जाका सब चवस्तार।
पप





पप पपय सतपपक पप, यमको अमल चमिाय।।117।।
पपस

पप दपप पप पपइ पप, सतनाम चनजसार।।112।।
पप


पप



पप
पपका आरती)
(चै
पप



पप


रर

पप
पप

पप
पप
रपप






पप



पप
-पप
(कबीर

प शब्दावली से लेख समाप्त)

पप
पप
प कपप, जो सतनाम समाय।
पपप

पप

पप


पप


पप
पपप
रपप



रपप
पप


पप




पप
पप







पप
रप
पप








पप
पप
पप

रपप
(प
रप

पप

पप





पप
पप,

पपठ पडे काल की सेफां
पप. 284.285) सी।
सहाभार

पप
पप
पप



पप
पप

पप
पप
पप




पप

प पप पपल गपप, वह (स्ाँ सां ाे से सुमरण होता है ) एक स्ाँ स-उस्ाँ स भी इस मन्त्रा का जाप हो गया तो
उसकी कीमत इतनी है चक एक स्ाँ स-उस्ाँ स ऊँ-सोहं के मन्त्रा का एक जाप तराजू के एक पलडे में ि
दू सरे पलडे में चैदह भुवनों को रख दें तथा तीन लोकों को तुला की िााु चि ठीक करने के चलए अथाथ त् पलडे
समान करने के चलए रख दे तो भी एक स्ाँ स का (सत्यनाम) जाप की कीमत ज्यादा है अथाथ त् बराबर भी
नहीं है । पूणथ संत से उपदे श प्राप्त करके नाम जाप करने से लाभ होगा अथाथ त् चबना गुरु बनाए स्यं
सत्यनाम जाप व्यथथ है । जैसे रचजस्ट्र ी पर तहसीलदार हस्ताक्षर करे गा तो काम बनेगा, कोई स्यं ही
हस्ताक्षर कर लेगा तो व्यथथ है ।


पप
कपपर , कहता हँ कही जात हँ , कहँ बजा कर ढोल।

कपपर , स्ाँ स उस्ाँ स में नाम जपो, व्यथाथ स्ाँस मत खोय।


पप


पप


पप


पप




पप

पप

पप
पप
पप

।पप
पपप


पप
।पप
पप



पप

पप

पप
रक

पप
पप

पप
पप


पप


पप



पप
पप


पप
पप
पप
रप

पप पपप रह पप पपए सपपयपपम जपपप-2 भि प्राण त्याग जाता है , सारनाम प्राप्त नहीं हो



पप

पप

पाता,
प उसको भी सां साररक सुख सुचवधाएँ , स्गथ प्राक्तप्त और लगातार कई मनुष्य जन्म भी चमल सकते हैं

पपप
रऔर
पप
आ पपप
पप
प - णथ संत न चमले तो चफर चैरासी लाख जूचनयों व नरक में चला जाता है । यचद अपना व्यवहार
यचद पू

ठीक रखते हुए गुरु जी को साहे ब का रूप समझ कर आदर करते हुए सतनाम प्राप्त कर लेता है व प्राणी


पप पपत पप, तीन लोक का मोल।।

पप

जीवन
पप भर मन्त्रा का जाप करता हुआ तथा गुरु वचन में चलता रहे गा। चफर गुरु जी सारनाम दे गें। वह
पप
पप
पप
पप
सत्यलोक


प अवश्य जाएगा। जो कोई गुरु वचन नहीं मानेगा, नाम लेकर भी अपनी चलाएगा, वह गुरु चनन्दा

पप

करक
पप े नरक में जाएगा और गुरु द्रोही हो जाएगा। गुरु द्रोही को कई युगों तक मानव शरीर नहीं चमलता।


पम ‘सोहं ‘ है । यही सतनाम कहलाता है । पूणथ गुरु के चशष्य की भ्रमणा चमि जाती है । वह चफर और कोई
करनी (साधना) नहीं करता। मनमुखी (मनमानी साधना करने वाला) साधक या चजसको पूरा संत नहीं चमला
वह अधूरे गुरु का चशष्य पू णथ ज्ान नहीं होने से जन्म-मरण लख चैरासी के कष्टों को उठाएगा। नानक साहे ब
कहते हैं चक पूणथ परमात्मा कुल का माचलक एक अकाल पुरुर् है तथा एक घर (स्थान) सतलोक है और
दू जी कोई वस्तु नहीं है ।

पप
पप
पप


पप




पप


पप
पप
पप



पप







पप



पप
पप


-पप
पप

पप

पप

पप


पप

पप

पप




पप


पप



पप
पप

पप




पप

-

पप


पप
पप
र्

पप

पप


पप
पप
पप


रपप

पपपब


पप उपप ‘‘ऊँ-सोहं ‘‘ के नाम के जाप को अजपा जाप कह रहे हैं । इसी का प्रमाण कबीर साहे ब तथा
-पप
पप
रम
गरीबदास
पप
सप
जी महाराज व धमथदास जी ने चदया है । क्ोंचक यह सवथ पुण्य आत्मा साहे ब कबीर के चशष्य थे।
पप
पप
पप

पपप

पप
ि
पप

पपठ
पप पप. 84 पर राग भैरव - महला 1 - पौडी नं . 32
पप

पप
पप
पप


पप


पपप
पप

।पप




पप

पप
पप


पप
रछ
पपपप

पप

-र

-पप
रपप
पपप

पप


पप
पप
पप

पप
पप

पप



पप
पप

पप


।पप
कप
पप

पप
पप


पप
पप

पप

पप

पप

पप
रन
पप


पपठ पप. 71 पर रामकली - महला 1 - पौडी नं . 42
पप
पप

पप
पप

पप
पप
पप


पप
पप


पप


पप

पप
पप
पप

पप

पप
पप


पप


पप
रप
पप

पप

पप


पप


पप

-

पप

पप

पप
पप

पप

पप

पप


पप

पप

पप
पप
पप

पप


पप

पपप
पप


पप


पप

-प
पपप


पप

रप

पप




पप
पप

पप

पप


पप
पप
पप
पप

पप
पप


पप

पप
पप

पप


पप


रप
बख
पपठ पप. 127 पर रामकली - महला 1 - पौडी नं . 27
पप



पप





पपप


कपप
।पप

पप
पप
पप


पप

पप




पप
पप


पप

पप

पप


पप

पप
पप
पपप
रप
कप
पप
।क


पप
पप




पप
।र
पप

पपप
पप
पप
पप
पप

पप

पप
पप
रप
।प


पपप
पप

पप

रप

।प

रपप
पप
पप।।
पप

पप





पप

पप

पप


पप






पप
र:व

-पप
सब जग भर पपप पपर , मूल कोइ चबरला माने।।


पप

पप
पप


पपप

पप


पप
पप

पप
रपप




पप
रप
पप


पप

पपर

पप र पपत, घर कोइ न बतावै।
पप
पप
पप अमर पपनपप नपपप, सुखसागरमें बास।
रम
अजर
पप



पपवल

पप पपम कपपर पप , गावे धचनधमथदास।।20।।
पप,
पप

स सीस पर भार चढावै।।



पप
पप
पपन,
पप
पप नपपप,
भेद कोइबीचचहं
चबरला
परे जानै
भुलाय।।
पप
पप
पप



पपप
पप
पप पपय,
प पप पपइपप,
दू त जम चनकि
पूरन प्रेनमआवै
चबलास।।19।।

पप
पप



पप
पप
(प


पप

पप - कपपर , वेद हमारा भेद है , हम नहीं वेदों माचहं ।
सपप



पपन
पप पपद
पपर् पप, पुपपप
हुप द्वीपमें पपप, वो वेद जानते नाहीं।
हम रबास।
रप
पप
रपप, सब जग काल चबाय।।18।।
पप

पप
पप
पप


पपप
पप
पप
रपप 36 -
(पप
पप,
पप
क सत्त साहे ब गुन गावै।।
पप


पपठ
ह पप. 220) से सहाभार
)घ


पप
रपप
पपप


पप
पप
पप

पपप
पप।।
पप
पप

पप

पप


पप



पप
(कबीर पंथी शब्दावली के पृ ष्ठ नं . 279ए 294ए 305 व 498 से सहाभार)



पप

पप
पप

पप

पपहब कपपर कपप पपहल, सुन सुकृत चचतलाय।

पप
पप






पपप पपप पर पपस पप, बहुर न आवे जाय।।26।।



पप


अजर
भ अमर पप पपई, सेवही चनगुथन नाम।।
पप
पप


पप
पपल

ग पपपध गढ पपजपप, आपा मेि गढ ले हु।


पप


पप
पप





पप

पप
पपप


पप
पप शपपद गढ पपर पप, सत्त शब्द मन दे हु।।

पप

पप



पप
पप
पप

रपप भपप, सत्तनामकी डोर।


पप



पपप
पप


पप


पप
पप

पप

कहपप पपनपप पपखपप, करना सोच असोच।।3।।
पप

पप
पपवपप, अधर अनूपम धाम।

पप




पप,
। चनरखो वस्तू अंजोर।।
पप

पप


-पप
पप


पप





पप



पप
पप

पप


रप
पप

पप


पप

पप




पप




पप

पप

पप

पप
र-क
पप
रप
पप, प्रेम सरूप समान।।5।।
पप


पपप

पप

पप

पप



पप




पप

पप
पपप

पप



पप
रपपप
मपप

पप
पपप- पपख पपगर पपख पपलसई, मानसरोवर न्हाय।

पप




पप
पप
पपप
पप


पप

ि


पप
पप
रपप
रप


पप
रपप

रम
पप




पप

पपप




पप
रस



पप


पप

-ब
पप

पप

रपप






पप

पप

पप

पप




पप


पप






पप पप कपपर पपन धपपमपप पपगर। सपपयपपम पप जगत उपपगर।। 20।।
पप

आपप
।ई


पप






पप
कपप
।पप



पप
।पप

पप,
।स


व दे खत नैन अघाय।।6।।

पप


पप

पप




पप
पप

।पप



रप
पप
पप

पप
पप





पप
।प
पप

पप


पप

।प


णप
पप
।न

पप





पप

पप
र्


पप

पप
पप

पप


पप

पप

पप
शपपद शपपद बपपअपपतपप, सार शब्द मचथ लीजे ।
पप
द पपपपज


क कपपर जपपपप,
तपपव पपरशब्दे
शपपदले हु परख।।9।।
नपपप, चधग जीवन सो जीजे ।।11।।
पप
पप

पप
प आपप पप, सुचन मत जाहु सरख।

पप
र पपर पप पपधपप, कहो कहाँ को जाय।

पप




पप

पप


पप
पप शपपद पप, चफर चफर भिका खाय।।10।।
प शपपद पपर पपन पप, कह्यो सो बारम्बार।
पप


पप

पप



पप



लपप
रद
पप


पपप
पप

पप
पप

पप

पप

पप
स लपप पपप, सार शब्द कचह सोय।।12।।

पप


पप


पप
पप
पप
रपप


पप,
पप जीवचहं चैन न होय।

पप
पप कपप, नचहं चबनु शब्द उबार।।13।।


पप


र्
पप




पपप
पपन पपगर अपप उपपगर , चनचवथकार चनरं जनं।
पप
पप
पप


पप


पप


पप


पप




पप

पप

पप

पप
रव




पप


पप
पप

पप


पप

पप



पप
पप
पप

पपप
पप

ओ3म जाप जपंत हं सा, ज्ान जोग सतगुरु कहैं ।3।
पप
पप


पप
पप



पप



पपल
य चपपर मपपय पपल कपपमपप, आवत दम कुं फां सही।6।
पप

पप

पप


पप

पपप



पप


पप



पप


पप






पप
रस3म् ओ3म् ओ3म् ओ3म्


पप
पप
पपप


पप
पप

पप
मपप
रक
पप

पप


स पपशपपभर , जहां लक्ष्मी संग बास है ।
पप
पपत



पप अपपगत कपपर


पप


पप

पप




पप


पप,
पप
पपप
र ज्ान
द जानतजोग चबरला
भलदास रं ग हैहै।।5।
4।

पप


पप,

पप
म सती पावथती संग है ।



पप




पप




पप


पप
पप

पप

पप

पप

गपपब,
प सतगुरु सोहं नाम दे , गुझ चबरज चवस्तार।
पप






पप
पप, सु
पप
न ज्ान
रचतध्यान
चनरचत
बुक्ति जाप है ।7।
कानासही।
पप
पप



पप
पप
पप
पपब, ज्यूं फूलन मध्य गन्ध है ।
पप
पप


पप



पपण,

पप, सतगु
सत् समरथ रु समरथ
चनबथन्धआप है ।
है ।।8।।



पप



पप


पप

पप
पप
पप

पप

पप

पप
पप


पप


पप जप पपए, वृथा जन्म गवाया।
पप
पपपर पप जन पपए पपहपप, सो धन ले चवलगाय।

पप

पप



पप

पप

पप
पप

पप


पप
पप
द जपप पपए, चमथ्या जन्म गंवाया।।
पप



पप
र्
पप
-‘‘धमथ दास तोहे लाख दोहाई। सार शब्द कहीं बाहर न जाई।।‘‘
पप
पप


पप

पप
पप




पप,
प सोहं सोई। ऊँ - सोहं भजो नर लोई।।
पप
इसपपए
पप गपपबपपस पप पप कपप पप -
र(

पप
गपपब,

प सोहं शब्द हम जग में लाए, सार शब्द हम गुप्त छु पाए।।
पप
पप





पप

पप


पप
शपपद-शपपद बपप पपतपप, सार शब्द मचथ लीजै ।

रप


पपपपप कपपर जपपप पपर शपपद नपपप, चधक जीवन सो जीजै।।
पप
रपप
पप
पपर

प पपप, इनसे मुक्ति न होय।


पप,
म जाका भेद नहीं पाया।।

पप

पप
ि
)पपप
पप
पपप



पप


पप
पप

पपप
पप

पप
पप


पप पपप पप, बुझै चबरला कोय।।


पप

पप






पपप

पप

रपप
पप
पप


(प


पप

रपपप
पप

पप
पपप

पप
पप



पप



रपपप
पप
,य
पप 4.34।।

पप

पप
रपप


पप


पप
:
पप
पप
पप,
श चनरं जन, रं रकार, शक्ति और ओंकारा।।
(

पप
पाँ चै तत्व प्रकृचत तीनों गुण उपजाया।
पप




पप
पपप




पप
पप
)


पप

पप
रच
पप


पप


पप
पप
पप



पप
पप


पप
पप






पप


पप
पप
पप
पपप

पप

पप

पप
पप

पप


रपप

पप

पप।।

न पपक।।

पप
पप


पप
शब्द फां स फँसा सब कोई शब्द नहीं पहचाना।।
पप

पप
पप

प्रथमचहं
पप
प ब्रह्म स्ं इच्छा ते पाँ चै शब्द उचारा।

पप




पप


पप



पप

पप


पप
रप
पप
(आ


पप
पप


पप
पप
पपप

पप

रपप


पप
पप



पप




पप
पप


पप

पप

पप।।
नौ नाथ चैरासी चसक्ति लो पाँ च शब्द में अिके।
पप
पप

पप
पपप

पप
पप
पप पप इस शपपद ‘‘संतो शब्दई शब्द बखाना‘‘ में चलखा है चक सभी संत जन शब्द (नाम) की मचहमा
पप

सुनाते हैं । पूणथब्रह्म कबीर साचहब जी ने बताया है चक शब्द सतपुरुर् का भी है जो चक सतपुरुर् का प्रतीक
है
प व ज्योचत चनरं जन(काल) का प्रतीक भी शब्द ही है । जैसे शब्द ज्योचत चनरं जन यह चां चरी मुद्रा को प्राप्त
करवाता है इसको गोरख योगी ने बहुत अचधक तप करके प्राप्त चकया जो चक आम(साधारण) व्यक्ति के


बस की बात नहीं है और चफर गोरख नाथ काल तक ही साधना करके चसि बन गए। मुि नहीं हो पाए।
पप
जब कबीर साचहब ने सत्यनाम तथा सार नाम चदया तब काल से गोरख नाथ जी का छु िकारा हुआ।
इसीचलए ज्योचत चनरं जन के ऊँ नाम का जाप करने वाले काल जाल से नहीं बच सकते अथाथ त् सत्यलोक

रनहीं जा सकते। शब्द ओंकार (ऊँ) का जाप करने से भूंचरी मुद्रा की क्तस्थचत में साधक आ जाता हे । जो चक
रपप
वेद व्यास ने साधना की और काल जाल में ही रहा। सोहं नाम के जाप से अगोचरी मुद्रा की क्तस्थचत हो जाती
है और काल के लोक में बनी भंवर गुफा में पहुँ च जाते हैं । चजसकी साधना सुखदे व ऋचर् ने की और केवल

श्री चवष्णु जी के लोक में बने स्गथ तक पहुँ चा। शब्द रं रकार खैचरी मुद्रा दसमें द्वार(सुष्मणा) तक पहुँ च जाते

हैं । ब्रह्मा चवष्णु महे श तीनों ने ररं कार को ही सत्य मान कर काल के जाल में उलझे रहे । शक्ति (श्रीयम्)
शब्द
घ ये उनमनी मुद्रा को प्राप्त करवा दे ता है चजसको राजा जनक ने प्राप्त चकया परन्तु मुक्ति नहीं हुई।
पप
कई संतों ने पाँ च नामों में शक्ति की जगह सत्यनाम जोड चदया है जो चक सत्यनाम कोई जाप नहीं है । ये तो

ि
सच्चे नाम की तरफ ईशारा है जैसे सत्यलोक को सच्च खण्ड भी कहते हैं एै से ही सत्यनाम व सच्चा नाम है ।

र्े वल सत्यनाम-सत्यनाम जाप करने का नहीं है । इन पाँ च शब्दों की साधना करने वाले नौ नाथ तथा चैरासी
चसि भी इन्हीं तक सीचमत रहे तथा शरीर में (घि में) ही धुचन सुनकर आनन्द लेते रहे । वास्तचवक सत्यलोक
पप
रस्थान तो शरीर (चपण्ड) से (अण्ड) ब्रह्मण्ड से पार है , इसचलए चफर माता के गभथ में आए (उलिे लिके)

अथाथ त् जन्म-मृत्यु का कष्ट समाप्त नहीं हुआ। जो भी उपलक्तब्ध (घि) शरीर में होगी वह तो काल (ब्रह्म) तक
पप
त ही है , क्ोंचक पूणथ परमात्मा का चनज स्थान (सत्यलोक) तथा उसी के शरीर का प्रकाश तो परब्रह्म आचद
की
से भी अचधक तथा बहुत आगे(दू र) है । उसके चलए तो पूणथ संत ही पूरी साधना बताएगा जो पाँ च नामों


(शब्दों) से चभन्न है ।

पप
पप


पप

पप


पप






पप
पपप
पप


पप पपख लिपप।।
पप

पाँ
प च शब्द पाँ च है मुद्रा लोक द्वीप यमजाला।

पपई
पप पपच कहत पपप, सतगुरु से पूछा।।


तीथथ व्रत थोथरे लागे, जप तप संजम फीका।।
गज तु रक पालकी अथाथ, नाम चबना सब दानं व्यथाथ ।
कबीर, नाम गहे सो संत सुजाना, नाम चबना जग उरझाना।
ताचह ना जाने ये संसारा, नाम चबना सब जम के चारा।।

पप

पपनक पपम चढ़पप कपपप, ते रे भाणे सबदा भला।

नानक दु ःक्तखया सब संसार, सुक्तखया सोय नाम आधार।।
जाप
पप
ताप ज्ान सब ध्यान, र्ि शास्त्रा चसमरत व्याखान।
जोग
प अभ्यास कमथ धमथ सब चिया, सगल त्यागवण मध्य चफररया।
न क प्रकार चकए बहुत यत्ना, दान पूण्य होमै बहु रत्ना।
अने

शीश किाये होमै कर राचत, व्रत नेम करे बहु भांचत।।
नहीं तु ल्य राम नाम चवचार, नानक गुरुमुख नाम जचपये एक बार।।
पप
पप

पप


गपपब, स्ां सा पारस भे द हमारा, जो खोजे सो उतरे पारा।

स्ां सा पारा आचद चनशानी, जो खोजे सो होए दरबानी।
पप
स्ां


सा ही में सार पद, पद में स्ां सा सार।

पप
पप




पप
पप
पप

पप पप पपज कपप, आवागमन चनवार।।
पप पपप पपम पप महपपव:--

गरीब, स्ां स सुरचत के मध्य है , न्यारा कदे नहीं होय।
पप रु साक्षी भूत कूं, राखो सुरचत समोय।।
सतगु
पप
गरीब, चार पदाथथ उर में जोवै, सुरचत चनरचत मन पवन समोवै।

पप
सुरचत चनरचत मन पवन पदाथथ (नाम), करो इिर यार।


द्वादस अन्दर समोय ले , चदल अंदर दीदार।
पप
पप
पप



चहपप पप पपग, चहऊं का मीत, जामै चारर हिावै चनत।
मन पवन को राखै बंद, लहे चिकुिी चिवैणी संध।।
अखण्ड मण्डल में सुन्न समाना, मन पवन सच्च खण्ड चिकाना।।
पप
पप


पप



पप
पपप


पप पपज पलपप नपपप, युग जां ही असंख।
पप




पप




पप
पपप
पप

पप
पप

पप




पप
रप
पप

पप




पप


पप


पप


पप पपर , ज्ानी हो तो हृदय लगाई, मूखथ हो तो गम ना पाई
पप
रप
पप पपज पलपप नपपप, आन पडै बहु झोल।



पप

पप
पप

पप एक पप, मूखथ बारह बाि।।
पपग


पप

पप
पप अपपवपपघ यपपञ, सकल समाना भौर।।

पप
पप
पप,

पप
पप
चैरासीघिै
पपप, नहींन शं क।।मोल।।
ताका
पप
पप

घीसा आए एको दे श से, उतरे एको घाि।




पप

र्
पप
पप

पप
पप
प पपप कहपप पपप:


पप
पप



पप



पपप
पप
पप
पप
पप

पपर
पपप पपप, ऐसा धमथ नहीं और।
पप पप पपई, झूठे हैं सो समझे नां ही।

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