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Hriday Udgar PDF
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भमू िका
सॊतों की शिऺा अफ तक गुप्त औय सॊकेतों भें ही चरी आ यही थी. भैंने सभमानुकूर इस
शिऺा भें मह ऩरयवततन ककमा कक इसे गुप्त तथा सॊकेत भें न यख कय स्ऩष्ट वणतन कय ददमा.
दाता दमार भहर्षत शिवब्रतरार ने आदे ि ददमा था – ―पकीय! सभम फदर जाएगा, धभत-ऩॊथ
सभाप्त हो जाएॉगे, चोरा छोड़ने से ऩहरे शिऺा भें ऩरयवततन कय जाना.‖
भेये अनुबव भें जो कुछ आमा उसको कह सुनामा. ककसी का अनुकयण नहीॊ ककमा औय न
ननज स्वाथत से काभ ककमा. दाता दमार ने जो कामत भुझे सौंऩा था उसको भैंने सभाप्त कय
ददमा. जीवन के अॊनतभ ददवस हैं. भेयी हाददत क इच्छा है कक सॊतभत की शिऺा जजसको भैंने
स्ऩष्ट िब्दों भें वणतन ककमा है उसका प्रचाय हो. इसके प्रचाय से जगत का कल्माण होगा तथा
ऩयस्ऩय के ईष्मात-द्वेष सभाप्त हो जाएॉगे.
भेया अऩना भागत केवर ननवातण मा ननवजृ तत का भागत है . भेया कथन है प्रवजृ तत भागत के र्वचाय
से है क्मोंकक जनता ननवजृ तत भागत की अधधकायी नहीॊ है मद्मर्ऩ अफ भुझे ननवजृ तत व प्रवजृ तत
दोनों कजल्ऩत बासते हैं. इस सभम जनता को भनुष्मता का भागत सयर व सुगभ है .
जफ तक तम्
ु हायी अॊनतभ अवस्था खाभोिी की किमातभक रूऩ से जीवन व्मतीत कयने की न
हो जाए तफ तक सशु भयन, बजन, ध्मान, प्रेभ, बजक्त औय ननष्काभ कभत को भत छोड़ो औय
सतसॊग कयते यहो, वयना भेये रेखों द्वाया जो फर्ु िगत ऻान तभ
ु को प्राप्त होगा उससे तभ
ु
धगयते यहोगे. बफना अॊतयीम अनुबव ऻान के ऩुस्तकों का ऻान स्थाई नहीॊ होता
हृदय उद्गार
प्रार्थना
मह सॊसाय कभत ऺेत्र है . महाॊ जो बी आदभी आता है वह कोई न कोई कभत कयने के शरए
र्ववि है . छोटे से रेकय फड़े तक कोई बी ऐसा न शभरेगा जो कभत न कयता हो. ऩीय
ऩैग़म्फय, अवताय, सॊत, ऋर्ष-भुनन सफको कभत कयना ऩड़ा. जफ इस कभत की कपरॉसपी ऩय
र्वचाय कयते हैं तो ऻात होता है कक कभत दो प्रकाय का है - (1) ननष्काभ (2) सकाभ.
जजस काभ के कयने भें ककसी प्रकाय की कोई काभना नहीॊ होती ऐसे कभत को ननष्काभ कभत
कहते हैं. चकूॊ क उस काभ के कयने भें भनुष्म अऩनी कोई ग़जत, वासना, इच्छा नहीॊ यखता
इसशरमे उस कभत का पर बी उसे नहीॊ बोगना ऩड़ता. ननष्काभ कभत को प्राणी भौज अधीन
मा स्वाबार्वक सभझकय कयता यहता है .
सकाभ कभत वह कभत हैं जजनको ककसी वासना, ककसी ध्मेम को रेकय ककमा जाता है . जो काभ
दस
ू यों के दहत के शरए ककए जाते हैं वे िुब कभत हैं औय जो ऩने दहत औय स्वाथत के शरमे
ककमे जाते हैं भगय मदद उनकी ऩूनतत भें दस
ू यों का अदहत होता है , दस
ू यों से याग-द्वेष-ईष्मात
कयना ऩड़ता है तो वे कभत अिुब हैं. जो जैसा कभत कयता है उसको वैसा ही पर बोगना
ऩड़ता है .
दान बी अगय तुभ ननष्काभ बाव से नहीॊ दे ते तो उसका पर बी बोगने को सॊसाय भें आना
ऩड़ेगा औय तुभ जन्भ-भयण के चि से फच नहीॊ सकते.
शब्द
याभ भमातदा ऩुरूषोतभ कहराते हैं. उस दृजष्ट से जो कुछ उन्होंने ककमा, उस ऩय कुछ नहीॊ
कहना है भगय उन्होंने दो काभ सकाभ बाव से ककमे – एक मह कक सुग्रीव को अऩना शभत्र
फनाने के शरमे फारी को वध ककमा. दस
ू या मह कक भमातदा ऩुरुषोततभ कहराने के शरमे उन्होंने
अऩनी स्त्री सीता को रोकराज भें ऩड़ कय एक धोफी के कहने ऩय ननयऩयाध फनवास दे ददमा,
मद्मर्ऩ सीता की सतमता की ऩयीऺा याभ ऩहरे ही रे चक
ु े थे. इस सकाभ कभत का पर मह
हुआ कक अजन्तभ आमु भें उनको उदासीनता आ गई औय अऩने बाइमों के साथ सयमू नदी भें
डूफ भये .
श्री कृष्ण ने ऩाॊडवों की र्वजम के हे तु भहाबायत भें याजनीनतक र्वचाय से सकाभ कभत ककमा
जजसका पर उनको बोगना ऩड़ा. उनका कुर ऩरयवाय नष्ट हो गमा औय वह स्वमॊ बीर के
हाथों वध ककमे गमे.
मुधधजष्िय औय उनके बाइमों ने बी याज्म ऩाने के शरमे सकाभ कभत ककमा औय याज्म जीत
शरमा. वे रोग उदासीन होकय रौऩदी के साथ दहभारम ऩवतत ऩय जाकय फपत भें गरे.
मुधधजष्िय जफ धभतयाज के दयफाय भें आमे तो उनसे कहा गमा कक आऩने एक सकाभ कभत
ककमा है . आऩ को दो-ढाई घॊटे नयक बोगना ऩड़ेगा, इसके फाद स्वगत बोगोगे. उन्होंने ऩूछा कक
भैंने कौन-सा अिुब कभत ककमा है , तो उततय शभरा कक रोणाचामत आऩको सतमवादी सभझते थे
औय आऩ ऩय र्वश्वास कयते थे कक आऩ झूि नहीॊ फोर सकते, भगय कृष्ण के कहने ऩय
आऩने कह ददमा कक अश्वतथाभा भाया गमा औय धीये से कहा कक आदभी मा हाथी- ‗नयो वा
कॊु जयो‘ हाथी कहने के सभम कृष्ण ने जोय से िॊख फजा ददमा जजसके कायण अजन्तभ िब्द
सुनाई नहीॊ ददमे. चकूॊ क कृष्ण ने अश्वतथाभा नाभक हाथी को वध कयवा ददमा था इससे
रोणाचामत ने सभझा कक अश्वतथाभा आदभी भाया गमा जो असतम था. इस कायण रोणाचामत
ने प्राण तमाग ददमा, इसशरमे आऩको थोड़ी दे य नयक बोगना ऩड़ेगा.
वशिष्ि ने सकाभ कभत मह ककमा था कक उनके ददर भें मह फात थी कक ब्रह्भऋर्ष उच्च
अवस्था है औय याजऋर्ष उस से नीची है . अत् वह इस इच्छा से अऩने को ब्रह्भऋर्ष
सभझते थे औय र्वश्वाशभत्र को याजऋर्ष सभझते थे औय र्वश्वाशभत्र को ब्रह्भऋर्ष कहने से
इॊकाय कयते थे. इसी कायण र्वश्वाशभत्र ने उनके रड़कों को भायकय उनके कुर का नाि कय
ददमा.
ऩॊचवटी भें याभ ने जफ भायीच को दहयन सभझ कय उसका वध कयने के शरमे तीय चरामा
औय जफ तीय भायीच को प्राणघातक हुआ तो उसने रक्ष्भण का नाभ धोखा दे ने के शरमे
ऩक
ु ाया. जफ सीता ने रक्ष्भण का नाभ सन
ु ा तो उनसे कहा कक तम्
ु हाये बाई ऩय कोई आऩजतत
आई हुई है तभ
ु को ऩक
ु ाय यहे हैं. सीता की यऺा के शरमे याभ ने रक्ष्भण को ननमक्
ु त ककमा
था औय कह गमे थे कक सीता को अकेरी छोड़ कय कहीॊ भत जाना. याभ की आऻा ऩारन
कयना रक्ष्भण अऩना धभत सभझते थे. उनका रृदम िि
ु था. सीता को भाता के सभान
सभझते थे. उन्होंने जाने से इॊकाय ककमा तो सीता ने ननदोष रक्ष्भण ऩय आऺेऩ रगाकय कहा
कक तम्
ु हायी नीमत िि
ु नहीॊ है . चकॊू क सीता का मह कामत अिब
ु था अत् यावण उनको छर
कय रॊका रे गमा औय याभ ने उनको फनवास ददमा औय अन्त सभम उनको धयती भें सभा
जाना ऩड़ा. उनका ऩनतव्रत धभत बी उनका कुछ सहामक नहीॊ हो सका.
इन्र, यावण औय चन्रभा ने बी सकाभ तथा अिुब कामत ककमे थे जजसका पर उनको बोगना
ऩड़ा.
मह िब्द दाता दमार ने उस सभम शरखा था जफ भैं एक फाय उनके दयफाय से उनको ताज
रेकय आमा था. उस सभम सतसॊग भें कोई िब्द ऩढा जा यहा था. जफ दाता दमार ने भझ
ु को
ताज शरमे हुमे दे खा तो जो िब्द उस सभम ऩढा जा यहा था उसको उन्होंने अधयू ा फन्द कय
ददमा औय मह िब्द भझ ु को शरखा. उस सभम भैं नहीॊ सभझ सका कक दाता दमार ने मह
िब्द क्मों शरखा. अफ भैं सभझा हूॉ कक चकूॊ क भैं सकाभ बाव से दाता दमार को ताज रामा
था, दाता दमार ने भुझको सॊकेत ककमा कक सकाभ वासना भत यखो. ननष्काभ कभत कयो.
व्मावहारयक जीवन भें बफना वासना कभत नहीॊ कय सकते, अत् कभत कयना अननवामत है , ककॊतु
अऩने स्वाथतवि अिुब कामत भत कयो. दस
ू यों के दहत के शरमे काभ कयो. सायी दनु नमा के
शरमे तभ
ु काभ नहीॊ कय सकते ऩयन्तु प्रकृनत ने तम्
ु हाये साथ जजन रोगों का सम्फन्ध जोड़ा
है , जैसे तम्
ु हाया बाई, स्त्री, ऩत्र
ु , ऩत्र
ु ी, कुटुम्फ औय ऩरयवाय इतमादद, उनके शरए ननष्काभ बाव से
कभत कयो. सायी दनु नमा के िे केदाय तभ
ु फन कय नहीॊ आमे हो. गीता भें बी श्री कृष्ण ने
अजन
ुत से कहा है कक ऐ अजन
ुत काभ कयो औय उसका पर भेये अऩतण कय दो.
सकाभ कभत औय ननष्काभ कभत दोनों ही काभ है . सकाभ कभत कयने वारा भनुष्म अऩने काभ
के पर का बागी होता है . ननष्काभ कभत कयने वारा अऩने काभ के पर का बागी नहीॊ होता.
ईश्वर का रूऩ
(सतसॊग से ऩहरे मह प्राथतना ऩढी गई)
दाता दमार (भहर्षत शिव) ऩय भेया र्वश्वास था. उन्होंने भुझको सॊतभत की शिऺा दी ऩयन्तु
कफीय साहफ व स्वाभी जी भहायाज की वाणी भेयी सभझ भें नहीॊ आती थी. दाता दमार ने
दमा कयके भुझको इसकी सतमता का अनुबव कया ददमा. भुझे अनुबव हो गमा कक सॊत कफीय
औय याधास्वाभी दमार ने जो खॊडन भत-भतान्तयों का जजस दृजष्ट से ककमा है वह सतम है .
प्रतमेक धभत-ऩॊथ कहता है ईश्वय ऐसा है वैसा है . उसके रूऩ के र्वषम ऩय फहुत से र्ववाद ककमे
जाते हैं. दहन्दओ
ु ॊ ने कुछ भाना, भुसरभानों ने कुछ भाना, ईसाइमों ने कुछ भाना इतमादद.
दाता दमार (भहर्षत शिव) ने जो उसका रूऩ वणतन ककमा है उसे सुनो. उनका िब्द है -
तू जान अजान से न्माया है तू जान नहीॊ अनजान नहीॊ
ककसने तझ
ु े जाना ऩदहचाना, तू ऻान नहीॊ अनभ
ु ान नहीॊ
इस फानी ने नहीॊ गभ ऩाई, नहीॊ फधु ध भें आई चतयु ाई
भन अभन फना घफयामा हुआ तू भान नहीॊ अशबभान नहीॊ
अनजान को क्मा कोई जानेगा, औय इष्ट को क्मा ऩहचानेगा
मोगी ऻानी थक कय फैिे, उन्हें जान नहीॊ ऩहचान नहीॊ
सफ कहने को तो कहते हैं, कह कय सॊिम भें यहते हैं
इन कहने सन
ु ने वारों भें , अनभ
ु ान नहीॊ ऩयभान नहीॊ
कहाॊ जाकय कोई तुझे ऩावै, कैसे तू ककसी के हाथ आवै
तेया ननजश्चत कोई इस जग भें , दिकान नहीॊ अस्थान नहीॊ
नहीॊ स्वगत नकत का है वासी, नहीॊ दख
ु यासी नहीॊ सुखयासी
ननगभ अगभ को भथ कय दे खा, तू गान नहीॊ सुय तान नहीॊ
याधास्वाभी सतगुरू आमे, सुयत िब्द बेद कह कय गामे
धचत हुआ सभादहत तफ भेया, इस सभता का उतथान नहीॊ
उसको ढूॊढने के शरए भैं बी ननकरा था. कबी याभ के रूऩ भें भाना, कबी कृष्ण के रूऩ भें
भाना. कबी ईश्वय कहता मा कबी ब्रह्भ कहता था. साया जीवन खोज कयता यहा. जफ गरु
ु
फना औय रोगों ने भेये रूऩ को अऩने अन्तय भें प्रकट कयके अऩनी वासनामें तथा
भनोकाभनामें ऩयू ी कीॊ तो भेयी आॉख खर
ु गई कक साय बेद क्मा है . भैं स्वमॊ ककसी के अन्दय
नहीॊ जाता भगय इस फात को तभाभ ऩॊथों के आचामों ने गप्ु त यखा. इसका पर मह हुआ कक
भनष्ु म जानत शबन्न-शबन्न ऩॊथों भें फॉट गई. भैंने दाता दमार के आदे िानुसाय इस यहस्म को
स्ऩष्ट वणतन कय ददमा. भेया वचन व अनब
ु व सायी दनु नमा के शरए है क्मों कक भेया काभ
जगत कल्माण का है . दाता दमार का िब्द है -
इससे शसि हुआ कक असरी भाशरक केवर ऩयभततव है . जजतने बाव-र्वचाय, रूऩ व ये खा हैं
वह ऩयभततव से ऩथ
ृ क है . भनुष्म अऩने अऻान व भ्रभ के कायण शबन्न-शबन्न धभों, ऩॊथों व
जानत-ऩाॊनत भें फॉट गमा है . वह अऩने को अऻान फस दहन्द,ू भस
ु रभान, ईसाई, फि
ु तथा जैन
इतमादद सभझ फैिा है .
दाता दमार ने शरखा है कक उन्होंने क्मा दे खा, कैसे दे खा, ककस आधाय ऩय उन्होंने ऐसा
शरखा है भझ
ु को नहीॊ भारूभ है . भैंने बजक्त की, याभ-नाभ की यट रगाई, भजन्दयों भें गमा,
तीथों भें भ्रभण ककमा, सुशभयन ध्मान औय बजन ककमा भगय मह नहीॊ सभझ सका कक वह
क्मा है . इस ऻान की प्राजप्त के शरए दाता दमार ने सन 1918 ई. भें ऩाॉच ऩैसे औय एक
नारयमर भेयी गोद भें यखकय भस्तक नवा कय भुझको नभस्काय ककमा. क्मों ऐसा ककमा? भुझे
नहीॊ भारूभ. इस फात को वह जानते होंगे. भैं मह सभझता हूॉ कक उन्होंने भुझ अऻानी औय
भूखत को साय बेद का ऻान प्राप्त कयाने के शरए मह काभ ककमा. भेये अऻान व भ्रभ को दयू
कयने के शरमे उन्होंने जो खेर खेरा उस ऩय जफ भैं र्वचाय कयता हूॉ तो भेया सय उनके
अहसान से झकु जाता है. उस सभम भैं कुछ नहीॊ जानता था. केवर उस भाशरक से शभरने
की तीव्र इच्छा थी. उन्होंने आदे ि ददमा था कक फावरे, तझु को काभ सौंऩता हूॉ. इस काभ को
कयना. जजस वस्तु की खोज भें तू ननकरा है वह वस्तु तझ ु को प्राप्त हो जामेगी. भैंने उनकी
आऻा का ऩारन ककमा औय जजस वस्तु की भझ
ु को खोज थी वह वस्तु भुझको शभर गई. भैंने
आज तक कोई ऐसा व्मजक्त नहीॊ दे खा जजसने एक अऻान व भूखत शिष्म को ऻान प्रदान
कयने के शरमे अऩना सय उसके ऩाॉव ऩय नवामा हो.
भैंने आजतभक केन्रों की मात्रा कयके अऩने अॊतय भें उसका अनुबव ककमा है जजसको सॊत
सहस्रदर कॉवर, बत्रकुटी, सुन्न, भहासुन्न, बॉवय गुपा, सत रोक, अगभ, अरख औय अनाभ कहते
हैं. मह केन्र भनुष्म के जीवन के अनुबव हैं तथा िायीरयक, भानशसक औय आजतभक
चेतनताएॉ हैं. दहन्द ू ऋर्षमों ने उसको बूय बुव् स्व्, भह् जन् तऩ् सतमभ ् कहा. भुसरभान
सूकपमों ने उसको तरफ, इश्कय, भायफ़त, तौहीद, इस्तगना, फ़ना औय फ़ा मा नासूत, भरकूत,
जवरूत, राहूत, हूत, हूतर
ू हूत औय वाहूत कहा. अॊग्रेज कपरॉसपयों ने उसको Consciousness,
Sub-consciousness, Super consciousness औय Infinity कहा. सनातन भत वारों ने उसको
अन्नभम कोष, प्राणभम कोष, भनोभम कोष, र्वऻानभम कोष तथा आनन्दभम कोष कहा.
ककसी ने उसको एकतववाद, द्वैतवाद, बत्रमवाद अनेकवाद, कहा. मह सफ भनष्ु म की अऩनी
अऩनी कल्ऩनाएॉ हैं.
जफ भनुष्म सहस्रदर कॉवर भें सुशभयन कयता है तो दे ह के फोध-बान सभाप्त हो जाते हैं.
बत्रकुटी भें ऩहुॉचने ऩय धचततवजृ तत िहय जाती है . भन भें जजतने फोध-बान हैं सभाप्त हो जाते
हैं. आगे चर कय ऐसी अवस्था आती है कक वह अनहद िब्द को सन ु ते-सन
ु ते सफ कुछ बरू
जाता है . मही सच्चा दे ि है . उसको कोई क्मा कुछ कहे .
सॊसाय के जजतने भत तथा ऩॊथ है उनके अनुमाई अऩने अऻानवि साय बेद को न सभझने के
कायण आऩस भें झगड़ा कयते हैं.
ऐ भनुष्म, तेयी जात (ननज स्वरूऩ) जैसा भैंने ऊऩय शरखा है वैसी है . तू अऩने भन के चि
भें आकय पॉस गमा है . अऻान तथा अर्वद्मा ने तुझको घेय शरमा है . इसको दयू कयने औय
ऻान प्राप्त कयने के शरमे तथा ईश्वय की प्राजप्त के शरमे जो भागत भनुष्म धायण कयता है
उससे उसकी इच्छा िजक्त तो अवश्म प्रफर हो जामेगी औय उसकी भनोकाभनाएॉ ऩूयी होंगी
ऩयन्तु उसको सच्ची सभझ व सच्चा ऻान इस ईश्वय ऩूजा से नहीॊ शभरेगा औय न िाजन्त
प्राप्त होगी. इसी वजह से जफ-जफ सतमता रुप्त होती है तफ-तफ प्रकृनत भनुष्म रूऩ धायण
कयके ऩथ-प्रदितक होती है .
धभत क्मा है ? धभत जीवन व्मतीत कयने का वह भागत है जजस ऩय चरने से भनष्ु म का
िायीरयक, भानशसक तथा आजतभक जीवन िाॊनतऩव
ू क
त व्मतीत हो जामे. इस सभम सॊसाय की
जो ऩरयजस्थनत है उसको अनुकूर यखने के शरमे भनुष्म को सच्ची सभझ औय सच्चे ऻान की
आवश्मककता है . उसको प्रगट कयने के शरमे कफीय साहफ, नानक साहफ व याधास्वाभी दमार
प्रगट हुए औय उन्होंने अऩनी शिऺा का प्रचाय ककमा, रेककन उनकी शिऺा गुप्त यह गई.
ऩरयणाभ मह हुआ कक ऩयस्ऩय बेदबाव हो गमा औय वास्तर्वकता की सभझ नहीॊ यही, अरग-
अरग गदद्दमाॉ फन गईं.
इस अऻान के कायण सॊतों की शिऺा जो एकता तथा प्रेभ की थी उसभें बेदबाव व द्वेष ऩैदा
हो गमा.
भैं वक्तगुरु हूॉ. वक्त कहते हैं वततभान ऩरयजस्थनत को, गुरु कहते हैं सभझ को. अत् वक्त गुरु
वह है जजसको इसका अनुबव ऻान हो कक सफ भनुष्म वास्तर्वक रूऩ भें उस ऩयभततव
अकार ऩुरुष के एक ही रूऩ हैं. वह स्थान अवगत था, जजसका कोई रूऩ-यॊ ग-ये खा नहीॊ है.
उसभें गनत होकय प्रकाि ज्मोनत उतऩन्न हुआ. वह प्रकाि ईश्वय है . भैं अऩनी आतभा से
ऩछ
ू ता हूॉ कक ऐ पकीय क्मा तू अहॊ बाव भें आकय अऩने को ऐसा कह यहा है ? भेयी आतभा
कहती है कक नहीॊ. ऐसी फात नहीॊ है . तू वास्तव भें सभम का गरु
ु है . भनष्ु म को इस शिऺा
की जरूयत है कक वह अऩने आऩको सभझे अत् भैं इस सायवस्तु की शिऺा का प्रचाय कयता
हूॉ.
हभ रोगों भें भजहफी झगडे क्मों हैं? क्मोंकक हभ रोगों को सायबेद की सभझ नहीॊ है . जजस
ककसी ने इस शिऺा का प्रचाय ककमा उसके साथ ित्रत
ु ा की गई. हभ रोग उसके अधधकायी
नहीॊ थे. अफ सभम फदर गमा. भेयी बर्वष्मवाणी है कक अगय दनु नमा ने भनष्ु मता को अऩना
कय अऩने को नहीॊ सॊबारा तो वह अवश्म तफाह हो जामेगी. कोई िजक्त उसको फचा नहीॊ
सकती. भनुष्मता के प्रचाय कयने वारे किमातभक हों, वाचकऻानी न हों. भुझको माद है कक
भहातभा गाॉधी ने 1942 ई. भें भयणव्रत धायण ककमा था. वे अऩने सतसॊग भें गीता, कुयान
तथा फाईफर का ऩाि कयाते थे. इस र्वषम भें वह वाचकऻानी थे , किमातभक नहीॊ थे. दाता
दमार की शिऺा से भुझको इस फात का ऻान हो गमा था कक वाचक ऻाननमों का ऩरयणाभ
क्मा होता है . भैंने भहातभा गाॉधी को ऩत्र शरखा कक आऩ एकता के वास्ते गीता, कुयान व
अॊजीर को अऩने सतसॊग भें ऩाि कयाते है . चॉ कू क आऩ स्वमॊ दहन्द ू र्वचायधाया के हैं औय इन
सफ ग्रॊथों को याजनीनतक दृजष्ट से सतसॊग भें ऩाि कयाते हैं ताकक दहन्द,ू भुसरभान तथा
ईसाई एक हो जावें. उससे आऩका औय जनता का बरा नहीॊ होगा. भेया मह र्वचाय सतम
ननकरा.
जफ तक सॊसाय भें इस र्वचाय के भनुष्म नहीॊ होंगे जो सन्तों की शिऺा को ग्रहण कयके याभ,
यहीभ औय गॉड (God) के िब्द के जार से ननकरकय उस ऩयभततव का (जो कक अनाभ,
अरूऩ, अयॊ ग औय अये खा है ) साऺातकाय न कय रेंगे औय जीवन व्मतीत कयने के यहस्म को
सभझ कय प्रतमेक भनष्ु म को अऩना बाई नहीॊ सभझेंगे तफ तक सॊसाय की बराई नहीॊ हो
सकती है .
जो कुछ तुभको शभरता है उसको याभ, यहीभ मा गॉड नहीॊ दे ता फजल्क वह तुम्हायी प्रफर
इच्छा िजक्त से शभरता है . जफ तुम्हाये भन भें ककसी वस्तु की प्रफर इच्छ होगी तो भाशरक
की दमा की धाय उभड़ कय उसको ऩूया कय दे गी. दे ह औय भन को धथय कयने के शरए नाभ
दान शरमा जाता है .
सॊसाय भें केवर भैं ही एक व्मजक्त ऐसा नहीॊ हूॉ जजससे नाभ दान रेने से तम्
ु हाया कल्माण हो
सकता है . जजस ककसी ऩय तम् ु हाया र्वश्वास हो उससे नाभ दान रे रो औय सशु भयन ध्मान
कयो जजससे तम्
ु हाया भन िाॊत हो जामे. चाहे याधास्वाभी कहो, चाहे याभ कहो, चाहे यहीभ कहो
मा एक-दो-तीन कहो. मह सफ िब्दों के झगड़े हैं. भतरफ तो धचतत की वजृ ततमों के एकाग्र
कयने से है . एक डाक्टय भेये ऩास आमा. वह नाजस्तक था. उसका ददभाग सही नहीॊ था. साईंस
के ननमभ ऩय भैंने उसको सभझामा कक तभ
ु रम्फे साॉस भें 1 से रेकय 100 तक धगना कयो
औय 40 ददन फाद आकय अऩनी हारत फताओ. वह 40 ददन फाद आमा औय कहा कक जो
उऩाम भैंने फतामा था, उस ऩय किमातभक होने से उसकी फीभायी जाती यही. क्मा तभ
ु फता
सकते हो कक इसभें क्मा यहस्म है ? इसका यहस्म मह है कक ऐसा कयने से उसके धचतत की
वजृ ततमाॉ एकाग्र हो गईं. वजृ ततमों के एकाग्र होने से उसभें जो कभी थी स्वमॊ ऩयू ी हो गई मा
मह सभझो कक धचतत की वजृ तत एकाग्र होने से उसको जजस वस्तु की तीव्र अशबराषा थी वह
शभर गई.
इसको दसू ये रूऩ भें मों सभझो. एक भाई (जजसको भैं कन्नौज की भाई कहता हूॉ) ने भुझको
कन्नौज फरु ामा था. उसकी तीव्र इच्छा थी कक भैं कन्नौज आऊॉ. इस कायण वह भेये ध्मान भें
यहती थी. उसके धचतत की वजृ ततमाॉ एकाग्र हो गईं जजस ददन भैं वहाॉ ऩहुॉचने वारा था उसके
अन्दय दृश्म प्रगट हुमे कक भैं कारे यॊ ग की भोटय भें चाय आदशभमों के साथ आ यहा हूॉ. उसने
सुफह ही मह फात अऩने रड़कों से कह दी. दोऩहय के फाद जफ भैं कन्नौज ऩहुॉचा तो रोगों ने
दे खा कक जजस हारत भें भाई ने सुफह कहा था उसी हारत भें भैं वहाॉ ऩहुॉचा हूॉ.
भेये ऩैय भें ददत था. भेये नौकय का र्ऩता भेया बगत था. उसको भेये ऩैय का ददत अन्तय भें
अनुबव हुआ. दस ू ये ददन वह अऩने गाॉव से भेये महाॉ आमा. भैंने ऩूछा क्मों आमे. उसने कहा
भुझे ऐसा प्रतीत हुआ कक आऩके ऩैय भें ददत है इसको दे खने के शरमे आमा हूॉ औय वह फात
िीक ननकरी है . मह सुन कय भैं चककत हो गमा.
एक फाय दाता दमार को चोट आई थी. दमार की भाई (गोयखऩयु वारी) को इसका ऻान हो
गमा. वह घय से धाभ भें आई औय उनकी सेवा कयनी रगी.
इससे शसि हुआ कक जो व्मजक्त जजस भनुष्म वस्तु तथा र्वषम से प्रेभ यखता है उसके फाये
भें उसको ऻान हो जाता है . चकॊू क दाता दमार के प्रनत भुझे र्वश्वास था कक वे ऩयभततव के
अवताय हैं अत् उनके द्वाया भुझे ऩयभततव का ऻान प्राप्त हो गमा. इस आधाय ऩय भैं
कहता हूॉ कक ऐ भनुष्म तू अऩने आऩको ऩहचान. तू अऩने को दहन्द ू , भुसरभान, शसक्ख व
ईसाई भत सभझ. तू भनष्ु म है औय भनुष्म फन कय जीवन व्मतीत कय.
शब्द
जजस सभम भैं दाता दमार के चयणों भें उऩजस्थत हुआ, भैं अऩने को दहन्द ू सभझता था. वेद
औय िास्त्र अनुमामी था औय ईश्वय को भानता था. दहन्द ू धभत के अनुसाय भैंने दाता दमार
को भाशरकेकुर सवातधाय का अवताय भाना औय उन ऩय ऩूणत र्वश्वास ककमा. उन्होंने भेया
ध्मान बजक्त मोग औय ऻान की तयप से हटा कय गुरु की ओय आकर्षतत ककमा उनका िब्द
है .
शब्द
उऩयोक्त िब्द दाता दमार ने भेये नाभ उस सभम शरखा था जफ भैं फग़दाद भें नौकयी कयता
था. क्मों शरखा? क्मोंकक भैं उस ऩयभ ऩुनीत र्वबूनत को सवातधाय का अवताय भानता था औय
ऐसा र्वश्वास कयके उनसे प्रेभ कयता था औय दाता ही को सफ कुछ सभझ फैिा था. भुझे
वास्तर्वकता का ऻान प्राप्त कयाने के शरमे उन्होंने भेये नाभ िब्द शरखा भगय गुरु बजक्त का
यहस्म भेयी सभझ भें नहीॊ आमा औय वास्तर्वकता का ऻान प्राप्त नहीॊ हुआ, तन की तऩन
नहीॊ फुझी औय खोज की सभाजप्त नहीॊ हुई.
भैं सतगुरु हूॉ. सत कहते हैं ‗है -ऩने‘ को. है ऩना कैसे प्रगट होता है ? भुझको इस फात का ऻान
है कक ‗है ऩना‘ कैसे प्रगट होता है , इसका खेर कैसे होता है . चकूॊ क भुझे इस फात का ऻान हो
गमा है कक सत कैसे प्रगट होता है , कैसे प्रकाि भें आता है औय कैसे अऩना खेर खेरता है ,
भैं सत का ऻान यखता हूॉ अत् भैं सतगुरु हूॉ. सन्त उस व्मजक्त को कहते हैं जो कक सत भें
यहता है . चकूॊ क भुझे सत का ऻान है , भैं सत भें यहता हूॉ भैं सतगुरू औय सन्त सतगुरू हूॉ.
सन ् 1964 ई. भें 13 अप्रैर को भानवता भॊददय के उद्घाटन के अवसय ऩय भैंने हजूय सन्त
कृऩार शसॊह औय बाई नन्द ू शसॊह तथा अन्म भहातभाओॊ से एकान्त भें प्रश्न ककमा कक बाई
भैं तो ककसी व्मजक्त के अन्तय जाकय उसभें प्रगट होकय उसकी भदद नहीॊ कयता. क्मा आऩ
रोग ऐसा कयते हैं? तो सफ भहातभाओॊ ने मही उततय ददमा कक हभ रोग बी ऐसा नहीॊ कयते.
बाई नन्द ू शसॊह जी ने मह बी कहा कक दाता दमार ने बी मही कहा था कक वह ककसी के
अॊतय प्रगट होकय उसकी सहामता नहीॊ कयते. इन रोगों से भैंने ऩछ
ू ा कक अगय कोई आचामत
इस यहस्म को गुप्त यख कय अऩनी भान प्रनतष्िा कयवाने औय अऩने को ऩुजवाने के शरए
ऐसी फात कहता है तो क्मा वह ऩाऩ का बागी नहीॊ होगा? सफ भहातभाओॊ ने कहा
अवश्म होगा.
फाफा हयचयन शसॊह के सतसॊग भें राखों आदभी आते हैं. उनके तीन शिष्म भये . भयते सभम
उन्होंने कहा कक उनके अन्तय भेया व फाफा हयचयन शसॊह जी का रूऩ प्रगट हुआ औय उन
रोगों ने याधास्वाभी कहकय प्राण तमाग ददमा. उन रोगों भें से एक व्मजक्त के रड़के ने
भझ
ु से कहा कक जफ वह अऩने र्ऩता के िव के ऩास फैिा हुआ था तो उसको नीॊद आ गई.
नीॊद भें उसने एक भहान प्रकाि दे खा जजसभें आगे-आगे भैं औय ऩीछे -ऩीछे फाफा हयचयन शसॊह
थे औय उसका र्ऩता हभ रोगों के साथ था. धभतयाज से कहा कक बाग जाओ मह भेया हॊ स है.
फाफा हयचयन शसॊह से इसके फाद जफ बें ट हुई तो मह फात भैंने उनसे कही औय ऩछ
ू ा कक
बाई भैं तो नहीॊ गमा था क्मा आऩ गमे थे. उन्होंने उततय ददमा कक भैं बी नहीॊ गमा था. भैंने
उनसे कहा कक आऩके साथ एक राख व्मजक्त सतसॊगी हैं अऩनी अऻानता के कायण आऩकी
जान खाते हैं. आऩका भोटय ऩय चढना कदिन हो जाता है . उनको वास्तर्वक फात फता जाइमे.
अगय स्वाभी जी भहायाज को अऩनी ऩूजा कयवाने औय अऩने ऩॊथ के चराने की अशबराषा
होती है तो वह अऩनी फानी भें मह कबी नहीॊ शरखते कक ‗वक्त, गुरु बफन काज न सयई.‘
जफ-जफ कोई सॊत सतगुरु प्रगट हो तो प्रतमेक ऩॊथ के अनुमाई को उसकी शिऺा को ग्रहण
कयना चादहमे ताकक उसकी सुयत भन के चि से ननकर अऩने ननज रूऩ का ऻान प्राप्त
कयरे. गुरु नाभ है ऻान का, सतगुरु नाभ है सच्चे ऻान का. सॊत सतगुरु उसको कहते हैं जो
दे ह भन, िब्द औय प्रकाि स्वरूऩ आतभा के ऩये होकय इन ऩय र्वजम ऩा रेता है . उसको
िायीरयक, भानशसक औय आजतभक जीवन के फोध-बान की चेतन्मताओॊ का ऻान होता है .
उसकी सुयत अऩने आऩ भें यहती है . वह अऩने आऩ भें जा सकता है . केवर ऐसा ही व्मजक्त
ककसी को उसके, घये रू, साभाजजक, याजनीनतक औय आजतभक कामों भें वास्तर्वक ऩथप्रदितक हो
सकता है . ऐसे व्मजक्त के आदे िानुसाय किमातभक होने से भनुष्म का कामत शसि हो जाता है .
गुरु का सम्भान कयना, उसकी सेवा कयना औय उससे प्रेभ कयना आजतभक अवस्था का एक
अध्माम है . दाता दमार ने दमार की भाई को ननम्नाॊककत िब्द शरखा था जजस ऩय भाई ने
र्वचाय नहीॊ ककमा.
शब्द
इस िब्द से र्वददत है कक जजसको तुभ गुरु भानते हो वह तुम्हाये ही ध्मान से तो प्रगट हुआ
है . तुभ जजसको ऩूजते हो वह तुम्हाया ही तो आतभा है . इसके शसवा औय कोई वस्तु नहीॊ है .
भैं इस सॊसाय भें ऩयभ दमार फन कय प्रगट हुआ हूॉ. ऐसा कहने से कोई भुझको अहॊ कायी न
सभझे. भैं ककसी को फुराने नहीॊ जाता हूॉ कक कोई भेयी फात सुने. भैं इस हारत भें दोषी होता
जफ भैं ककसी से कुछ आिा यखता. इसकी ऩुजष्ट भें दाता दमार ने जो िब्द भुझको शरखा है
सुनाता हूॉ. वह मह है-
शब्द
दज
ू ी कथा सुनाऊॉ पकीया, कान इधय रा बाई.
भैं पकीय का प्रेभी सेवक, तमाग रृदम दधु चताई.
साधू कोई नौका चढ फैिा, सॊग भें नय फहुतेया.
दष्ु ट अबागी दे ख के साधू, उऩजा िोध घनेया.
हॉसी उड़ामा धभ
ू भचामा, भाया शसय ऩय रािी.
पूटा शसय साधू का बाई, साजा साज कुिािी.
हुई आकाि फानी तफ ऐसी, साध है भझ ु को प्माया.
भैं साधू का सहज सनेही, छन ऩर का यखवाया.
उरटूॉ नाव डुफाऊॉ सफको, मह अनथत नदहॊ बावै.
क्मों कोई अऩयाधी फनकय, भेया साध सतावै.
फानी सन
ु कय साध दख
ु ी बमा, फोरा चतयु सज
ु ाना.
तू दमार है भेया साई, अगभ अनाभ अभाना.
जीव ननफर अऻानी भूयख, भामा पन्द पॉसाने.
मह नदहॊ सभझे सायततव को, बूर बयभ बयभाने.
दमा दृजष्ट कय इन्हें धचता दे , बाव जरा दे इनका.
भेये जैसा इन्हें फना दे , दमा का दे कय ककनका.
साध सॊग का पर नदहॊ हानी, राब साध सॊग स्वाभी.
भेट बयभ अऻान जीव का, चयन सयोज नभाभी.
कपय आकाि फानी बई दज
ू ी एवभस्तु सुन प्माये .
रे तेये नछन भात्र की सॊगनत, मह जावें बव ऩाये .
दष्ु ट रृदम ऩछतावा आमा, साधु चयन रग योमा.
साध ने अऩने अॊग रगामा, ऩर भें दयु भनत खोमा.
सुन पकीय हो जा पकीय अफ, रूऩ सॊबाय रे अऩना.
जग के प्रानी तेये रूऩ है , भेट दे इनका तऩना.
तेया रूऩ है अद्भत
ु अचयज, तेयी उततभ दे ही.
जग कल्मान जगत भें आमा, ऩयभ दमार सनेही.
आऩ आऩ को आऩ ऩहचानो.
कहा औय का नेक न भानो.
अऩने आऩ को ऩदहचाने के शरमे ककसी ऩूणत ऩुरुष की सॊगत औय उसके वचन को सभझने की
जरूयत है . रोग गुरु-गुरु कहते हुमे भय जाते हैं भगय गुरु को नहीॊ सभझते. सफ भाशरक की
खोज भें भॊददय, भजस्जद, तीथों भें दौड़ते कपयते हैं औय व्रत धायण कयते हैं. वह इन सफ भें
नहीॊ शभरता. वह कहाॉ है इसके शरमे दाता दमार का िब्द है ्-
शब्द
इससे शसि हुआ कक भाशरक जजसको भनुष्म ढूॉढता कपयता है वह भनुष्म का ननज स्वरूऩ है .
याधास्वाभी भत वारों को बी इसका अनुबव नहीॊ है . कफीय साहफ कहते हैं -
दाता दमार का दजात र्ऩता का था. उनका चोरा दमा का था. वह सतसॊधगमों की ग़रती को
उनसे कहते नहीॊ थे औय इस अवसय की प्रतीऺा भें यहते थे कक कोई ऐसा सभम आमे जफ
कक उनको उनकी ग़रती सॊकेत द्वाया सभझा दॉ .ू भेया दजात तुभ रोगों के शरमे बाई का है .
बाई की ग़रती को बाई प्रगट कय दे ता है .
गरू
ु ने चोरा फदरा, शिष्म न भाने सीख.
इस ख्मार से कक भयते सभम तुम्हाये गुरु भहायाज आकय तुभको स्वगत भें रे जामेंगे, तुभ
रोग अऩने गुरु की सेवा कयते हो औय रुऩमा ऩैसा दे ते हो. मह सफ भामाजार है . गुरु रोग
अऩना भान कयाने औय गद्दी कामभ यखने के शरमे ऐसा कयते हैं. भौज ने भुझको सॊसाय भें
प्रगट ककमा है कक वास्तर्वकता सभझा जाऊॉ. दस
ू ये गुरुओॊ को उनके चेरे प्रकािभान कयते हैं
औय भैं स्वमॊ प्रकािभान कयता हूॉ.
जजस स्थान से भैं फातें कय यहा हूॉ उस स्थान की फात सभझने के शरमे वही व्मजक्त चादहमे
जो उस स्थान के सभीऩ स्थान का वासी हो. प्रतमेक व्मजक्त जो हभाये स्थान के सभीऩ का
वासी नहीॊ है हभायी फात को नहीॊ सभझ सकता है अत् ऩहरे ऩयू े गुरु का सतसॊग कयो. ऩयू े
गुरु के सतसॊग भें उसके नेत्र द्वाया दृजष्ट की धाय औय भुख द्वाया वचन को धाय प्रचशरत
होती है . वह धाय क्मा वस्तु है ? उस धाय से वह वस्तु प्रचशरत होती जो ऩूणत ऩुरुष अऩनी
इच्छा तथा वासना द्वाया तभ
ु को दे ना चाहता है . ऐसे भहातभाओॊ के रृदम से वही वस्तु उनके
वचन द्वाया तथा दृजष्ट द्वाया ननकरती है , जो उनके अन्तय है . एक शसि अभ्मासी की अगय
मह इच्छा है कक उसका धाभ आफाद हो जाम मा कुछ रुऩमा प्राप्त हो जाम तो जफ वह
ककसी से फात कये गा मा सतसॊग कयामेगा तो उसका बाव दस
ू यों को प्रबार्वत कयके उसके
धाभ को आफाद कये गा औय रुऩमा ददरामेगा. भैं धाभ फनवाने तथा धन प्राप्त कयने के शरमे
नहीॊ आमा हूॉ. भैं तभ
ु रोगों को ननज घय तथा गरु
ु के दे ि रे जाने आमा हूॉ. दाता दमार ने
सन ् 1921 भें ननम्नशरखखत िब्द भुझको शरखा. उस सभम भझ ु े मह ऻात नहीॊ था कक भैं
सॊसाय भें ककसशरमे आमा हूॉ. जजस कामत के शरमे प्रकृनत ने भुझे ऩैदा ककमा उसका सॊस्काय
दाता दमार ने भुझे नीचे शरखे िब्द द्वाया प्रदान ककमा.
शब्द
भैंने अऩने को वक्तगुरु कह कय िब्दों भें फाॉध कय अऩने को सम्फोधधत ककमा है , ताकक तुभ
रोगों को वास्तर्वकता की शिऺा प्रदान करूॉ वयना अगय सभझ सकते हो तो सभझ जाओ कक
न भैं गुरु हूॉ, न चेरा हूॉ, न स्वाभी हूॉ, न सेवक हूॉ, न खाशरक हूॉ औय न भखरूख हूॉ ककन्तु एक
भात्र ऩयभततव हूॉ. कफ? जफ कक भैं ियीय, भन औय आतभा से ऩये होता हूॉ. प्रतमेक व्मजक्त वही
है ऩयन्तु उसको ऻान नहीॊ है . दाता दमार ने दमा कयके भुझको भेये रूऩ का ऻान प्रदान कय
ददमा. उस रूऩ का ऩता फताने के शरमे भैंने अऩने को िब्दों के कजल्ऩत फाॉध भें फाॉध कय
अऩने को वक्तगुरु कह कय सम्फोधधत ककमा है . अऩने रक्ष्म के सभझाने के शरए भुझे िब्द
नहीॊ प्राप्त होते. सच ऩूछते हो तो हभाया रक्ष्म िब्दों के फॊधन से ऩये है . अऩनी ओय दस
ू यों
को आकर्षतत कयने के शरए वक्तगुरु का िब्द अऩने शरमे प्रमोग ककमा है .
फॊध कय फॊधम
ु े जीव छुड़ावै, मह गनत जानै कोई
शब्द वन्दना
ऱूट
जगत भें कैसी रूट ऩड़ी । टे क ।
भाता कहे ऩूत है भेया, बाई बाई फनावे ।
घय की नतरयमा तन से रऩटी, ऩनत कह याय भचावे ।
फदहन फीय कह हॉ स भुसकावे, भुस के धन रे जावे ।
ऩुत्र फहू कहे ससुय समाना, झूिे बाव ददखावे । रूट ।
याजा कहे भेयी है ऩयजा, कये कभाई उद्मभ ।
भक्खन काढ भझ
ु े दे उततभ, र्ऩमे छाछ ननत भध्मभ । रट
ू ।
ऩॊडडत दान दक्षऺणा भाॉगे, साधू शबऺाधायी ।
तीयत भि भयू नत औय भॊददय, रट
ू ें रट
ू की फायी । रट
ू ।
भयते सभम आग मह फोरी, इसे जरा खा जाऊॉ ।
शभट्टी कहे गाड़ दे भझ
ु भें , अऩना अॊि फनाऊॉ । रट
ू ।
हवा सख
ु ावे ऩानी घर
ु ावे, शसभटावे आकािा ।
चककत हुआ मह दे ख के रीरा, रट ू का अजफ तभािा ।
भैं हूॉ कौन कौन है भेया, इसकी सभझ न ऩाई ।
दे ख रूट का जग र्वस्ताया, रूट हुई दख
ु दाई । रूट ।
कबी कबी बूर बयभ भें पॉसकय, आऩ रुटूॊ रुटवाऊॉ ।
रूट रूट के रुट गमा साया, रूट का भयभ न ऩाऊॉ । रूट ।
याधास्वाभी की सॊगनत ऩाई, सभझ रूट की आई ।
व्माकुर धचत चयनों भें आमा, री सतगुरु ियनाई । रूट ।
भैं फच्चा था, प्रौढ हुआ, सभझ-फझ ू की िजक्त आई. भाता-र्ऩता अऩनी इच्छा अनस ु ाय कामत
भें रगाना चाहते थे. भेयी रट ू िरू
ु हो गई. भैं सोचता हूॉ मह सॊसाय क्मा है ? प्रतमेक दृजष्टकोण
से रटू का स्थान है . रटु ना मा रट ु वाना क्मा है ? दस
ू यों को अऩनी ओय आकर्षतत कयना रट ू ना
है औय स्वमॊ ककसी ओय आकर्षतत होना अऩने को रट
ु वाना है . दस
ू यों को अऩनी ओय आकर्षतत
कयने मा स्वमॊ आकर्षतत होने भें कौन सी वस्तु तभ
ु रट
ू ते मा रट
ु वाते हो? सयु त. स्वमॊ रट
ु ने
मा रट
ु वाने दोनों भें सख
ु व दख
ु है . फच्चों की तयप हभायी भयु त स्वमॊ आकर्षतत होती है . गरु
ु
रोग हभायी सयु त को आकर्षतत कयते हैं. भैं इस रट
ु ने से दख
ु ी हुआ. इससे फचने के शरमे
दाता दमार की ियण भें आमा. उन्होंने नाभ दान ददमा औय िब्दमोग शसखामा. वह िब्दमोग
ननम्नाॊककत है -
शब्द
सफसे ऩहरे हभ दे ह भें रटु े हुमे हैं. हभ दे ह भें यहते हैं इस कायण इस स्थरू दे ह को ‗आऩा‘
सभझते हैं. मह दे ह क्मा है ? मह स्थर ू प्रकृनत (भादा) से फना हुआ है . अगय तभ ु रटु ना मा
रट
ु वाना नहीॊ चाहते हो तो इस स्थर
ू दे ह से ऩये हो जाओ. जफ तक तभ
ु इस दे ह से ऩये नहीॊ
हो जाओगे मह रूट सभाप्त नहीॊ हो सकती. तुभ दे हधायी हो. तुभको बूख प्माह, गभी सदी
रगेगी. अगय औय कुछ नहीॊ रूटते तो ऩेट बयने के शरमे दे ह की यऺा कयने के जो कामत
कयोगे इसभें ककसी के कुछ दे ने औय कुछ रेने के शरमे र्ववि होगे. उससे छुटकाया ऩाने का
जो उऩाम दाता दमार ने फतामा था वह मह है क भ्रूभध्म (दोनों आॉखों के फीच बौओॊ के
ऊऩय) जजसको सहसदर कॉवर बी कहते हैं ध्मास धयो. जफ इससे ननकरोगे ऩहरे तुभको दो
प्रकाय के िब्द सुनाई दें गे जो घॊटा व िॊख के होंगे. वह दोनों िब्द क्मा हैं? सहस दर कॊवर
भें तुम्हाये स्थह
ू दे ह की प्रकृनत जफ एकबत्रत होती है तो जैसे इस सॊसाय भें तुभ धातुओॊ को
एकबत्रत कयके घॊटा फना कय इस ऩय भायते हो तो िब्द सुनाई दे ता है वैसे ही जफ तुम्हाये
अन्तय भें सहसदरकॉवर ऩय वजृ तत इकट्ठी होती है तो घॊटा व िॊख की धनु न सुनाई दे ती है .
मह अनेक का स्थान है . तुम्हाये ियीय की फनावट सूयज, चाॊद शसताये आदद कयते हैं. इनकी
ककयणें बोजन के रूऩ भें तुम्हाये दे ह ऩय प्रबार्वत होती हैं. इनके आधाय ऩय ज्मोनतषी ग्रहों के
र्वचाय से ककसी के फाये भें बर्वष्म वाणी कयते हैं. जो कोई जजस ग्रह भें जन्भ रेता है वह
उसके प्रबाव से कबी नहीॊ फच सका.
नौननधध याम अरीगढ ननवासी ज्मोनतषी थे. वह दाता दमार के सेवक थे. उन्होंने दातादमार
से कहा कक भहायाज आऩ ऩय याहू की दिा आ गई है आऩका साया कायोफाय पेर हो जामेगा.
मह र्वयाट ऩुरुष इतना िजक्तिारी है कक उसके प्रबाव से कोई जीव जन्तु, ऩीय, ऩैगम्फय,
औशरमा औय औताय नहीॊ फच सकते. इस र्वयाट ऩुरुष का प्रबाव हभाये द्वाया इन रोगों ऩय
बी ऩड़ता है जो हभसे सॊफॊध यखते हैं. हभायी फहू के रड़का ऩैदा हुआ. ज्मोनतषी से उसका
टे वा फनवामा. उसने कहा वह अऩनी दादी को सभाप्त कय दे गा. ढाई भहीने के बीतय भेयी
स्त्री चर फसी. जो भनुष्म इस र्वयाट ऩुरुष को अऩना इष्ट फनाकय इसी को सफ कुछ भान
रेते हैं, वह इस रूट से कदार्ऩ नहीॊ फच सकते. दाता दमार का ियीय छूट गमा. याभ कृष्ण,
नानक इतमादद की जन्भ कॊु डरी फनी हुई है . जजसका सॊफॊध र्वयाट ऩुरुष से है वह रोग नहीॊ
फच सके. सॊसाय भें जजतना ऩरयवततन होता है जैसे स्वायाज्म का होना, ऩाककस्तान का फनना
मह सफ कामत र्वयाट ऩुरुष के अधीन हैं.
जजन वस्तु ्ओॊ को तुभ अऩनी आॉख से दे ख सकते हो. वह सफ ऩरयवततन से नहीॊ फच सकती.
इसी कायण सन्त रोग ऩयभ आनन्द की प्राजप्त के शरमे ज्मोनत ननयॊ जन मा र्वयाट ऩुरुष का
इष्ट ककसी को धायण नहीॊ कयाते हैं. इस र्वयाट ऩुरुष की ज्मोनत का अॊि तुभ भें व्माऩक है .
अगय उसको अऩना इष्ट फनाओगे औय इसी को सफ कुछ सभझते यहोगे तो दख
ु -सुख से नहीॊ
फच सकते. वह दे खो भोहनरार का बाई क्मों फीभाय ऩड़ा हुआ है ?
मह उस ऩय र्वयाट ऩरु
ु ष का प्रबाव है . उसने ऐसी ही यचना की है . इस वजह से सन्तों ने
जीवों की सयु त को इस कार व भामा से हटाकय ऩयभततव सवातधाय की ओय आकर्षतत कयामा
है ताकक उनका आवागभन, दख
ु व सख
ु सवतदा के शरमे सभाप्त हो जामे. तभ
ु रोग िब्द
अभ्मास कयते हो. साया जीवन इसी घॊटा-िॊख की आवाज सुनने भें गॉवा दे ते हो. जफ तक
तुभ इसकी रारसा भें रगे यहोगे, तुभ आवागवन से नहीॊ फच सकते. साया जीवन इसी भें
व्मतीत भत कयो. भेया जो आिम है उसको प्रगट कयने को िब्द नहीॊ है . वह सॊकेत से ही
सभझा जा सकता है . भैं आिा कयता हूॉ कक प्रकृनत जजसने भुझको ऩैदा ककमा है सभझने
वारों को भेये सॊकेत के सभझने भें भदद कये गी. एक स्थान का अभ्मास सभाप्त हो जाने ऩय
उसको छोड़ कय दस
ू ये ऊऩय के स्थान भें चरे जाओ.
तम्
ु हाये अन्तय भें गरु
ु का जो रूऩ प्रगट होता है उसको गरु
ु स्वरूऩ कहते हैं. दयअसर गरु
ु
औय सतगरु
ु भें अन्तय है जजसको तभ
ु सतगरु
ु कहते हो वह तम्
ु हायी सयु त का रूऩ है . सफ
ु ह के
सतसॊग भें भैंने दाता दमार के िब्द से प्रभाण दे ददमा कक सतगरु
ु सयु त का रूऩ है .
बत्रकुटी भें तुम्हाये अॊतय जो गुरु का रूऩ प्रगट होता है वह तुम्हाया भन है . भैं तुभको अऩने
अधीन नहीॊ यखना चाहता. भैं तभ
ु को स्वतन्त्र कयना चाहता हूॉ. चकॊू क तुभ रट
ु े हुमे हो इस
वजह से भेये आिम को ग्रहण कयने भें असभथत हो.
तुम्हाये भन के सूक्ष्भ र्वचाय जफ एकबत्रत होते हैं वैसा हो रूऩ धायण कयते हैं. तुभ सभझते
हो मह फाफा पकीय चन्द है औय होशिमायऩुय भें यहत है . मह फात असतम है . वह तुम्हाये भन
की एकाग्र अवस्था है . अगय भैं इसको साप-साप न कहूॉ तो तुभ साये जीवन रुटते यहोगे. भेये
कथन का सभथतन दाता दमार के िब्द से होता है .
शब्द
तुभ इस िब्द को नहीॊ सभझ सकते क्मों कक तुभको रुटने भें स्वाद आता है . भैं तुम्हाये
कल्माण के शरमे साप कह यहा हूॉ. जजनका सॊफॊध भेये साथ है उनको कहता हूॉ कक तुम्हाये
अॊतय भें जो भेया रूऩ प्रगट होता है उसे पकीयचन्द, ऩुत्र भस्तयाभ साककन होशिमायऩुय भत
सभझो. अगय ऐसा सभझोगे तो भय कय होशिमायऩुय भें जन्भ रोगे. औय तुम्हाया आवागवन
सभाप्त नहीॊ होगा. अगय भैं ऐसा नहीॊ कहता तो तुभको धोखा दे ता हूॉ. तुभको रूटता हूॉ. भैं
दनु नमा भें तुभ रोगों को रूटने नहीॊ आमा हूॉ. दाता दमार ने भुझको सभझा था औय भुझको
ऩहचाना था. अगय वह भुझको नहीॊ ऩहचाने होते तो वह अऩनी रेखनी से भेये शरमे क्मों
शरखते ‗तेयी उततभ दे ही‘ औय ‗बवननधध तायन‘ की ऩदवी भुझको क्मों दे ते? उन्होंने औयों को
ऐसा क्मों नहीॊ कहा. भुझको मही काभ कयना था भगय जजसको रूटना मा रुटवाना ही ऩसॊद
है वह रुटे औय रुटवामे. भैं जीवों के कल्माण के शरमे प्रगट हुआ हूॉ. अगय भैं स्वमॊ भुक्त
नहीॊ हूॉ तो तभ
ु रोगों को कैसे भक्
ु त कय सकता हूॉ. चकॊू क भैं सॊत सतगरु
ु हूॉ भैं तभ
ु रोगों को
गरु
ु के दे ि रे जाना चाहता हूॉ. आज तभ
ु भेयी फात न सभझने के कायण सच न भानोगे
भगय भेयी फात ददर भें यखो. कबी न कबी सभझ जाओगे औय सच भानकय अऩना कल्माण
कयोगे. सच्ची फात का प्रबाव होता है .
भैंने तुभको र्वश्वास ददरा ददमा कक जो रूऩ तुभ अऩने अॊतय फनाते हो वह तुम्हाया भानशसक
रूऩ है . तम्
ु हाया भन गरु
ु रूऩ है औय तम्
ु हायी सयु त सतगरु
ु रूऩ है . जफ तभ
ु अॊनतभ अवस्था
ऩय ऩहुॉच जाओगे तो इस सभम जो हभायी फात तभ
ु सन
ु यहे हो वह फात तभ
ु को र्ववि कये गी
कक तभ
ु ननज स्वरूऩ भें िहयो.
जो रूऩ तुभभें प्रगट होता है उसभें रम होने की अवस्था का नाभ सुन्न है . ऩुरुष औय स्त्री
का प्रेभ काभ का र्वषम है . मह प्रेभ अध्माजतभक र्वषम है . जो व्मजक्त भन से प्रेभ ककमे हुमे
गुरु से प्रेभ कयते-कयते उसके रूऩ भें रम हो जामेगा उसकी वही हारत होगी जो एक काभी
ऩुरुष की हारत स्त्री बोग कयने के फाद होती है . जफ तुभ ऐसा कय रोगे तफ तुम्हाये भन भें
िाॊनत आवेगी. ऐसी ही गरु
ु रूऩ का प्रेभ हभेिा नहीॊ यहना चादहए. हभेिा उनका यहता है जो
दहसी हो जाते हैं. जजस प्रकाय एक फूढा आदभी जजसभें काभ बोगने की िजक्त नहीॊ है भगय
कपय बी काभ बोगना चाहता है , वैसे ही मह सतसॊगी जजसने अऩने अन्तय गुरु रूऩ प्रगट कय
शरमा है , भनानन्द के शरमे दहसत कयता है . जो सतसॊगी ननज घय जाना चाहते हैं वह भन के
चक्कय से ननकर कय सतगुरु के रूऩ भें िहयने की कोशिि कयें .
भैं मह फातें ककसी ननजी स्वाथतवि नहीॊ कह यहा हूॉ. अगय कोई ननजी स्वाथत होता तो ऐसी
फात नहीॊ कहता, फजल्क मह कहता कक भुझे पूर-हाय बें ट चढाते यहो औय भेयी ऩरयिभा कयते
यहो. बाइमो, भानुष तन दर
ु ब
त है फड़े बाग्म से शभरता है इसका सम्भान कयो.
दाता दमार ने भझ ु को मह काभ सौंऩा है . अगय इसे नहीॊ कयता हूॉ तो उनकी आऻा का
उल्रॊघन होता है औय उनका रऺ कामभ नहीॊ यहता. भैं इसके फदरे भें ककसी से कुछ भाॉगता
नहीॊ हूॉ. कफीय साहफ ने कहा है ---
भैंने मह फात दाता दमार की शिऺा से सभझी है . भेये ग्रह ही ऐसे हैं. उनके प्रबाव से ऐसा
कह यहा हूॉ. भैं ऐसा फनामा ही गमा हूॉ. इसभें भेयी कोई फड़ाई नहीॊ है . सॊत, फादिाह तथा डाकू
औय हय एक व्मजक्त जजसको तभ ु जजस ऩरयजस्थनत भें दे ख यहे हो वह वैसा फनामा ही गमा
है . तभ
ु राख प्रमतन कयो वह फदर नहीॊ सकता है .
अगय तुभ अभ्मास कयते हो तो कयो, मह अच्छी फात है भगय सायी उम्र इसी भें भत पॉसे
यहो. एक ही स्थान ऩय भत अटके यहो. स्थान फदरते चरो, जफ तक कक ‗भैं ऩना‘ सभाप्त न
हो जामे औय आखखयी भॊजजर ऩय न ऩहुॉच जाओ. माद यखो जजन रोगों भें सॊसायी वासना
फाकी है वह वहाॉ नहीॊ जा सकते हैं. उस वासना का सभाप्त होना बी कुछ भौज के अधीन है .
हर्वस भत कयो. तड़ऩो भत. भाशरक की भौजाधीन यहो. सतसॊत भें अऩने आदित को सभझरो
जो कक आदद अनादद, जुगादद औय अनाभ है . गुरु के ऩीछे -ऩीछे भत कपयो औय रुट भत
जाओ.
भैं सतसॊग कया चरा हूॉ. अगय दाता दमार का मह वाक्म सतम है कक भैं ‗बवननधध तायन‘ हूॉ
तो मह असम्बव है कक जो व्मजक्त भेया सतसॊग कये औय भेये कहने ऩय चरे वह बव से तय
न जाम. अगय ऐसा नहीॊ होता तो दाता दमार का वाक्म असतम होगा. भैंने अऩना कततव्म
सतमता ऩव
ू क
त ननफाहा. दाता दमार का जीवन किमातभक था. उनकी शिऺा ऩय ध्मान दो. मह
उऩदे ि दे गमे हैं-
भुझभें आस थी क्मोंकक भुझको सतमता का ऻान नहीॊ था, भ्रभ था. उस भाशरक को भैं दाता
दमार के रूऩ भें सभझता था. फावरा कहरामा, ददवाना फना, क्मोंकक भुझे अऩने रूऩ का ऻान
नहीॊ था. भैंने उस भाशरक से दातादमार के रूऩ भें प्रेभ ककमा. धाभ ऩय आता था. महाॉ के
ऩेडों औय खेत की पसरों को चभ
ू ता था. इसभें आनन्द रेता था. ऐसा क्मों कयता था? क्मों
कक भैं रुटा हुआ था.
जस्त्रमों भें बी वैसा ही प्रेभ होता है जैसा भुझभें था. भुझभें बी सुयत है , जस्त्रमों भें बी सुयत
है . प्रतमेक व्मजक्त भें मह जज़्फा होता है . इसशरमे भैं आदे ि दे ता हूॉ कक कोई स्त्री ककसी
भहातभा के ऩैय न छुमे. इसका पर अच्छा नहीॊ होता. इससे काभ ऩैदा होता है . भैं जस्त्रमों
को अधयू े भहातभाओॊ का शिष्म फना कय दयु ाचायी फनना नहीॊ चाहता.
अगय कोई आदभी भेया भान ‗सत ऻान दाता‘ सभझ कय कयता है तो वह िीक है . भैं ऻान
तथा ननवातण का दे ने वारा हूॉ, मह फात सतम है. इस दृजष्टकोण से भैं इतनी प्रनतष्िा का
अधधकायी हूॉ भगय इससे अधधक भेया औय कोई भहतव नहीॊ है .
जजन रोगों को तभ
ु भहातभा सभझते हो वह सन्त नहीॊ हैं. हाॉ, वह गरु
ु भख
ु , ऩयभहॊ स तथा
साधु हो सकते हैं. जीवों को ददरासा दे ने के शरमे उनके दहत के शरमे वह जो कुछ कहते हैं
वह जरूयी है . उसके अनुसाय काभ कयने भें कोई दोष नहीॊ है . भेये ऩास बी दख
ु ी रोग आते
हैं. जो भेयी फात को नहीॊ सभझ सकते, उनसे उतसाह की फात कह कय उनको सहाया दे ता हूॉ
भगय इसका मह भतरफ नहीॊ है कक भेये सहाया दे ने से वह धयु -धाभ ऩहुॉच जामेंगे. भेया काभ
सहाया दे ना नहीॊ है भेया काभ तो सीधे गुरु के दे ि रे जाना है क्मोंकक वह भेया प्रायब्ध कभत
होने से भेया कततव्म हो गमा है .
सहसदर कॉवर से रेकय बॉवय गुपा तक ऩाॉच स्थान हैं. सहसदर कॉवर भें अनेकवाद, बत्रकुटी
भें त्रमवाद औय सन्
ु न भें द्वैतवाद है . मह सफ स्थान तम्
ु हाये भन के फोध-बान के खेर हैं.
जफ तक जीवन है इनका प्रबाव तभ
ु ऩय अवश्म होगा. इन प्रबावों भें न पॉसो. भेये रूऩ का
तम्
ु हाये अॊदय प्रगट होना तम्
ु हाये श्रिा औय र्वश्वास का पर है . भैं तम्
ु हाये अन्दय प्रगट हो
गमा. तभ
ु ने भझ
ु को अऩने से ऩथ
ृ क सभझ कय अऩना धन-भार भझ
ु को दे ददमा. तभ
ु रट
ु
गमे मा नहीॊ? अगय तभ
ु भन से नहीॊ ननकर सकते तो दनु नमा की आिा यखो औय खफ
ू यखो
भगय इतना सभझ रो कक मह सफ तम्
ु हाये भन के खेर हैं. तभ
ु ऩथ
ृ क हो, तम्
ु हाया अऩना घय
कोई औय है . दस
ू यी तयह मह सभझो कक तभ
ु को मह सफ महीॊ छोड़ कय चरे जाना है . इसशरमे
अऩना इष्ट उसको फनाओ जो बत्रगुणातभक जगत से ऩये है . सतसॊग भें इस यहस्म को सभझो.
अन्त सभम उसको माद कयो जो सफका आधाय है औय कूटस्थ है .
भैं दावे के साथ कहता हूॉ कक जो याधास्वाभी भत का प्रचाय कय यहे हैं अधधकाॊि उनको इस
भत की हवा बी नहीॊ रगी है . भैं मह वास्तर्वकता उन रोगों के कल्माण के शरमे प्रगट कय
यहा हूॉ जो भुझसे आिा यखते हैं ताकक उनका जीवन नष्ट न हो. भैं सभझता हूॉ कक जजस
र्वषम ऩय भैं फात कय यहा हूॉ उसके सभझने के अधधकायी फहुत कभ रोग हैं रेककन दसू यों
को जफ तक वास्तर्वकता के यहस्म का ऻान नहीॊ होगा तफ तक उनको अधधकाय कैसे प्राप्त
होगा.
गुरू ऩद
शब्द
भैं अऩने जीवन भें अध्मातभ के हय एक दजे (स्थान) को किमातभक रूऩ से दे खने का इच्छुक
था. सतगुरु से प्रेभ फढामा. उनके आदे िानुसाय कामत कयता हुआ इस सभम जहाॉ ऩहुॉचा हूॉ वहाॉ
न अफ सतगुरु दाता दमार की माद है औय न उस भाशरक की माद है . मह भेया ऩरयणाभ हो
यहा है . कई फाय सचेत होकय सोचता हूॉ कक कहीॊ ऩथभ्रष्ट मा ऩनतत तो नहीॊ हो गमा.
भानशसक प्रेभ मा बजक्त जो भैं ऩहरे कयता था अफ वह नहीॊ यही. ऩज्
ू म बाई नन्द ू जी से
बें ट हुई. उनसे अऩना हार सन
ु ामा. सत कफीय के िब्दों से भझु े इस दात का प्रभाण शभर
गमा कक जजस अवस्था भें भैं हूॉ वह ही होना चादहए. ऩथभ्रष्ट अथवा ऩनतत नहीॊ हुआ हूॉ.
मह अवस्था गरु
ु व नाभ की बजक्त से प्राप्त होती है . दाता दमार ने आिीवातद का जो िब्द
‗पकीया जा बव सागय ऩाया‘ शरखा है उसभें आदे ि ददमा है -
गरू
ु से प्रेभ फढामा तू ने, गरू
ु चेरा व्मवहाया ।
गुरू चेरा शभर एक बमे जफ, एक का शभरा सहाया ।।
कट गई कार कभत की पाॉसी, जन्भ जुआ नहीॊ हाया ।
याधास्वाभी की फशरहायी, यहे पकीय सुखाया ।।
इस ननज अनुबव के प्राप्त होने के फाद भुझको र्वश्वास हो गमा कक दाता दमार का िब्द
‗जो गुरू के ऩद को प्राप्त हुआ, दख
ु जीते जी उसका सभाप्त हुआ‘ सतम है . आऩ रोग
सतसॊगी है . सुशभयन, ध्मान औय बजन कयते हैं. अऩने अॊत्कयण भें अऩने जीवन ऩय र्वचाय
कयो कक क्मा तभ
ु को धचॊता, दख
ु औय अिाजन्त नहीॊ है . मदद घये रू रूऩ से ऐसा नहीॊ है तो
क्मा तभ
ु को अऩने इष्ट की प्राजप्त भें प्रेभ, बफयह औय तड़ऩ नहीॊ सताती? क्मा आवागवन से
फचने, भाशरक से शभरने की धचन्ता नहीॊ? क्मा प्रेभवि तभ
ु योते नहीॊ हो? मद्मर्ऩ इस योने भें
आनन्द है भगय ऩयभसुख मा िाजन्त नहीॊ है . जजस अवस्था भें भनष्ु म की मह सफ फातें
सभाप्त हो जाती हैं वह अवस्था ‗गरु
ु ऩद‘ है . इसको छोड़ कय औय जजतनी अवस्थाएॉ हैं वह
िायीरयक भानशसक तथा आजतभक खेर हैं. वह दख
ु , धचॊता औय अिाॊनत भें फदरता यहता है .
इसकी औषधध मा गुरुऩद की प्राजप्त का क्मा उऩाम है ? इसका उऩाम मह है कक अऩने प्रेभ को
फढाते चरो. दे खो, जफ ककसी का कोई प्माया भय जाता है मा कोई घाटा आ जाता है तो
अपसोस कयता है , योता है . जफ वह अफ़सोस कयने औय योने का अन्त कय दे ता है , तफ उसको
भानशसक फेहोिी आ जाती है . उसी तयह प्रेभ की रगन भें जो प्रेभ का अॊत कय दे ता है
उसका काभ फन जाता है अथातत भानशसक अवस्था भें िाजन्त आ जाती है .
भैंने प्रेभ कयने का अन्त कय ददमा. दाता दमार की सॊगभयभय की भूनतत ये र द्वाया जमऩुय से
भॉगवाई. उसका फीभा कयामा था. जफ फीभा छुड़ाने गमा तो दे खा कक रकड़ी का फक्स जजसभें
भूनतत फन्द है टूटा हुआ है . भुझको दाता दमार की भूनतत टूटने का सॊदेह हो गमा. ये रवे
कभतचारयमों से उस फक्स को खोरकय ददखाने को कहा. जफ फक्सा खोरा गमा तो दे खा कक
भूनतत का सय नीचे औय धड़ ऊऩय है . भैं अऩने को सॊबार न सका औय र्वरख कय योने रगा,
क्मोंकक भुझे दाता दमार से प्रेभ था.
अत् अगय तुभ असरी व सच्चे गुरु ऩद को प्राप्त कयना चाहते हो तो तुभको चादहमे कक
प्रेभ का अॊत कय दो. तफ तभ
ु को िाजन्त शभरेगी. जफ तक कभत, र्वचाय औय प्रेभ का अॊत न
कय दोगे तफ तक गरु
ु ऩद जजसको भैंने अनब
ु व ककमा है , तभ
ु को प्राप्त नहीॊ होगा. अगय तभ
ु
भें स्वमॊ गरु
ु ऩद की प्राजप्त की िजक्त नहीॊ है तो ककसी यहस्म ऻाता ऩरु
ु ष की आऻा का
ऩारन कयो औय अऩना जीवन उसके आऻा के ऩारन कयने भें सभऩतण कय दो.
भैंने दाता दमार से प्रेभ बी ककमा, साधन बी ककमा औय उनकी आऻा का ऩारन बी ककमा.
उनकी आऻा का ऩारन कयने से भैंने उस अवस्था को प्राप्त ककमा जजसको गुरु ऩद कहते हैं.
भैं वे उऩाम फताता हूॉ जजससे तुम्हें घये रू, साॊसारयक, साभाजजक तथा आजतभक रूऩ से िाजन्त
प्राप्त हो. इसी िाॊनत को गुरुऩद मा इष्टऩद कहते हैं. तुम्हायी सुयत जफ इस अॊनतभ अवस्था
भें ऩहुॉच जाती है तो वहाॉ न गुरु यहता है न चेरा यहता है , न ऻान यहता है , न र्वचाय यहता
है . इस गनत को प्राप्त कयने के शरमे भन को घोटना ऩडता है . स्वाभी जी ने कहा है ्- ‗भन
घोटो घट भें बाई।‗
इसके फाद अजन्तभ अवस्था आती है जजसको याधास्वाभी दमार ने अऩने फायह भासा भें जेि
भास के आधाय ऩय शरखा है . तुभभें से कौन ऐसा है जो सच-सच कह सकता है कक उसको
ककसी न ककसी सभम दख
ु तथा धचन्ता नहीॊ व्माऩते हैं. प्रेभ, बजक्त व कभत एक प्रकाय का
दख
ु ही तो है . जफ तक तुभको ककसी प्रकाय की इच्छा है तफ तक िाजन्त कहाॉ है . हाॉ,
आनन्द शभर सकता है भगय वह स्थाई नहीॊ होता. अत् जफ तक तुभको ककसी वस्तु की
चाह है तफ तक तुभ गुरुऩद के अधधकायी नहीॊ हो. जफ तक ककसी वस्तु की चाह है तुभ इस
अवस्था को प्राप्त नहीॊ कय सकते हो.
गुरुऩद के प्राप्त कयने का एक ही यास्ता नहीॊ है . फाहयी ऩूणत ऩुरुष जो स्वमॊ गुरुऩद का वासी
है वह तुभको तुम्हायी प्रकृनत के अनुसाय अरग-अरग भागत फतामेगा. इसका नाभ गुरुभत है .
भैंने प्रेभ का अॊत कयके गुरुऩद प्राप्त ककमा है . भेये दीन व दनु नमा दोनों फन गमे हैं.
स्त्री धिथ
स्त्री अऩने ऩनत से प्रेभ कयके ऩयभ ऩद ऩय ऩहुॉच सकती है . दाता दमार कबी-ककसी सोहाधगन
स्त्री को स्वमॊ नाभदान नहीॊ दे ते थे. उनके ऩनतमों द्वाया नाभदान ददराते थे. हाॉ र्वधवा स्त्री
को स्वमॊ नाभदान दे ते थे. नाभ की प्राजप्त की अवस्था भें तुम्हायी सुयत का प्रेभ कयते-कयते
फेसध
ु हो जाना है . मह र्वयरों को प्राप्त होती है भगय जफ तक तम्
ु हाया भन प्रेभ कयते-कयते
फेसध
ु नहीॊ हो जामेगा तफ तक तभ
ु को िाॊनत नहीॊ शभरेगी. इस फेसध
ु ी को चाहे कभत से प्राप्त
कयो अथवा र्वचाय से प्राप्त कयो. जफ फेसध
ु ी प्राप्त हो जामेगी तफ सभाधध रगेगी. उसके फाद
तभ
ु सॊतभत की शिऺा के अधधकायी होगे. इस वास्ते कहा गमा है कक सॊतों का भागत दसवें
द्वाय से आयम्ब होता है . दसवाॊ द्वाय, भहासन्
ु न तथा ननर्वतकल्ऩ सभाधध एक ही फात है . जफ
तक तभ
ु ननष्काभ कभत, ननष्काभ ऻान, ननष्काभ र्वचाय औय ननष्काभ प्रेभ नहीॊ कयोगे तफ तक
दसवें द्वाय तक नहीॊ ऩहुॉच सकते. दसवें द्वाय ऩय ऩहुॉचने के फाद चैतन्मता के ऻान की फायी
आती है . जफ तक ऩहरी कऺा की ऩयीऺा भें ऩास नहीॊ होगे दस ू यी कऺा भें प्रवेि नहीॊ कय
सकते. अत् तुभ ऩनतव्रत धभत ऩारन कयो. घय भें प्रेभऩूवक
त यहो. िाजन्त फनामे यखो. कटु
वचन भत फोरो. कपजूर खचत भत कयो. शसवाम अऩने ऩनत के दस
ू ये का ऩाॉव भत छुओ.
जो सॊफॊध ऩतनी का अऩने ऩनत से है वही सॊफॊध शिष्म का अऩने गुरु से है . भैं वह व्मजक्त
हूॉ जजसने अऩना जीवन एक सच्चे शिष्म की है शसमत भें एक सच्चे गुरु के साथ व्मतीत
ककमा है . इसभें जो अनुबव भुझको प्राप्त हुआ है उसको ज्मों-का-तमों सॊसाय की बराई के
शरमे ननष्काभ बाव से प्रगट कय यहा हूॉ.
याधास्वाभी भत भें असरी वस्तु मोग है . सुयत औय िब्द एक ही वस्तु है . सुयत से िब्द औय
िब्द से सुयत ऩैदा होती है . दनु नमा के शरमे प्रेभभागत है . तुभको प्रेभ कयके सुयत को दसवें
द्वाय रे जाना है मह जरूयी नहीॊ है कक दसवें द्वाय तक ऩहुॉचने के शरमे तुभ गुरु ही का
ध्मान कयो. भहासुन्न तक ऩनतव्रता स्त्री, प्रतमेक ऩॊथ का सच्चा कभतमोगी औय सच्चे र्वचाय
वारा भनुष्म ऩहुॉच सकता है . तुभको प्रेभ की हद कय दे नी है ताकक भहासुन्न तक ऩहुॉच
जाओ औय ननर्वतकल्ऩ सभाधध भें आ जाओ. इसके फाद आतभ आनन्द की अवस्था प्राप्त
कयने के तीन भागत हैं—ऩहरा कभत मोग, दस
ू या ऻान मोग औय तीसया बजक्त मोग है . ऩतनी
अऩने ऩनत से सच्चा प्रेभ कयके वहाॉ ऩहुॉच जाती है औय एक सूयभा जो यणऺेत्र भें मुि कयता
है वह बी भहासुन्न ऩहुॉच जाता है . अशबप्राम तो अऩने धचतत की वजृ तत के ननयोध से है . जफ
तक तुम्हाये धचतत की वजृ तत भन की पुयनाओॊ को छोड़कय ननयोध को प्राप्त नहीॊ कय रेती
तफ तक तुभको आतभऻान प्राप्त कयने का अधधकाय नहीॊ है . यहस्मऻाता गुरु जानता है कक
तुम्हाये धचतत की वजृ तत ककस प्रकाय एकाग्र हो सकती है .
(1) ऩनिनी—इसके भख
ु की काॊनत कभर के सभान खखरी होती है . उसके यॊ ग भें
ऩरयवततन नहीॊ होता. होि ऩतरे गर
ु ाफी रार यॊ ग के, आॊखें भतवारी. ियीय से एक
र्विेष प्रकाय की सग
ु न्ध उड़ती है . सदाचारयणी ऩनतव्रता, अन्म ऩरु
ु षों से उदासीन,
ननबतम, ददखावे से दयू यहने वारी. इस प्रकाय की स्त्री भें एक तयह की सक्ष्
ू भता
होती है जो दै वी सजृ ष्ट से सॊफॊधधत है . ऐसी जस्त्रमाॉ सती होती हैं जो ऩरु
ु ष िव के
साथ प्रसन्नता ऩव
ू क
त जर जाती हैं.
(2) चतुयनी—इसका दजात ऩनिनी से नीचा है . वह सुॊदय तो होती है भगय सभम-सभम
ऩय उसके भुख की काॊनत भें ऩरयवततन हो जामा कयता है . होंि इसके बी ऩतरे
होते हैं. मह सुख चैन, वस्त्र, आबूषण इत्र मा सुगॊधधत वस्तुओॊ की रारसा यखती
है . कबी-कबी आॊखों भें फर डारकय होंि की कड़क औय हाथ की उॊ गशरमों से
सॊकेत कयके फातचीत कयती है . मह स्वबाव की उसी सीभा तक दृढ यहती है जहाॉ
तक रज्जा औय सॊकोच इसको र्ववि कयते हैं. इसके ियीय से सग
ु न्ध नहीॊ
ननकरती.
(3) िॊखखनी—इसका भुख िॊख के सभान खर
ु ा मा फन्द होता है औय उसी प्रकाय की
फोरी होती है . कबी-कबी अच्छे स्वय की होती है भगय उसभें बायीऩन होता है .
इसका रूऩ कबी-कबी अनत सूक्ष्भ व सुन्दय होता है . इसका भन चॊचर होता है
औय सभम-सभम ऩय धभत-कभत को धर
ू के सभान बी नहीॊ सभझती. जैसा सॊग
शभर गमा उसी के अनुकूर फन जाती है . इसके फदन से दग
ु न्
त ध. उड़ती है . इसको
गाने-फजाने का फड़ा चाव होता है . मह धोखेफाज होती है . भाता-र्ऩता के साथ
कबी सच्चाई का फतातव नहीॊ कयती. इस प्रकाय का रूऩ फनामे यहती है कक वे
इसको अफोध फारक सभझें. छर-कऩट को दोष नहीॊ सभझती है .
(4) हजस्तनी—इसके होि भोटे होते हैं. फाहयी दृजष्ट से अऩने को कुछ रज्जा वारी
सभझती है . बीतयी तौय ऩय व्मवहाय भ्रष्ट औय आऻा न ऩारन कयने वारी. मह
भोटी, ऩेट ननकरा हुआ, हाथ, ऩाॉव फेडौर औय ऩनत ऩय प्रफर अॊकुि यखने वारी
होती है . रुऩमा, वस्त्र, आबष
ू ण औय सॊसायी वस्तओ
ु ॊ को धभत से अधधक भानने
वारी होती है .
(5) डॊककनी—मह ऩनिनी से बफल्कुर उरटी होती है . जजतना उसभें सद्गुण है उतना
ही उसभें दग
ु ण
ुत है .
ऩनिनी का ऩनत तो फादिाह होता है . चतुयनी का ऩनत अधधक सुखी यहता है . िॊखखनी के ऩनत
को दख
ु औय सुख दोनों होते हैं. हजस्तनी का ऩनत जीवन बय उसका ऩुजायी, चेरा मा गुराभ
यहता है औय डॊककनी का ऩनत ऩनिनी के ऩनत से र्वऩयीत होता है. मही फात सुयत की है .
ऩाॉचों प्रकाय की जस्त्रमों की व्माख्मा तुभने सुन री. जस्त्रमाॉ अऩने शरमे सोच रें , ऩुरुष अऩने
शरमे सोच रें. जफ तक मह दजे सभाप्त नहीॊ हो जाते, तफ तक सॊतभत की शिऺा प्रायॊ ब नहीॊ
होती. ऊॉची फातों को प्रवजृ तत भागत वारे दनु नमा के रोग नहीॊ सभझ सकते हैं. जो कुछ भेये
अनुबव भें आमा कह चरा, क्मोंकक मह भेया प्रण मा कभतबोग था.
हभाये सतसॊग भें आकय हभायी फात सुनो औय अऩनी खोऩड़ी भें फैिा रो. कोई फाहयी ऩुरुष
तुम्हाया फेड़ा ऩाय नहीॊ कय सकता. तुम्हाया फेड़ा तुम्हाये कभत से ऩाय होगा. अऩने यऺक तुभ
आऩ हो. वह सतगुरु तुम्हाया ननज स्वरूऩ है . भैं ककसी को अऩने जार भें पॉसाना नहीॊ चाहता.
भैं ककसी को नाभदान नहीॊ दे ता. नाभदान क्मों नहीॊ दे ता? क्मोंकक भैं सभझ गमा हूॉ कक
प्रतमेक व्मजक्त ककसी रूऩ के साथ सच्चा प्रेभ कयके राब उिा सकता है .
फाफा पयीद ने तऩ ककमा. शसर्ि िजक्त प्राप्त हो गई. धचडड़मों को कहा भय जाओ. वह भय
गईं. कपय कहा जी जाओ, वह जी गईं. उनको अशबभान हो गमा. ककसी गह
ृ स्थी के घय शबऺा
भाॉगने गमे. घय की औयत दे य से शबऺा रेकय आई. फाफा पयीद को िोध आ गमा. औयत को
घूय कय दे खा. औयत हॉसी. कहा कक भैं धचडड़मा नहीॊ हूॉ कक भय जाऊॉगी. फाफा पयीद को
आश्चमत हुआ. ऩूछा मह िजक्त तुभभें कहाॉ से आई? औयत ने उततय ददमा भैंने मह िजक्त
अऩने ऩनतदे व से ऩाई है . एक स्त्री अऩने ऩनत के ध्मान से शसर्ि िजक्त प्राप्त कय सकती है .
भैंने दाता दमार के िुि स्वरूऩ से पैज हाशसर ककमा है अत् उनका कृतऻ हूॉ.
तुभ सफ रोगों को सतऩद ऩहुॉचाना, भाशरक से शभराना ननज घय ऩहुॉचाना भेया कततव्म. है .
इसशरमे भेये आदे ि का कफीय साहफ के ननम्न अॊककत िब्द को सभझ कय ऩारन कयो.
राधास्त्वािी धाि
वह राहौय छोड़ कय अऩने गाॉव ऩय आमे. भैंने सोचा कक जीवन के िेष ददन एकान्त वास
कयने के शरमे महाॉ आमे हैं. महाॉ ऩय उन्होंने याधास्वाभी धाभ, सतसॊग धय, धभतिारा, ऩाििारा
औय स्कूर फनवामे.
भैं सोचता था कक जो भनुष्म ऩयभ गनत को प्राप्त कय रेता है उसको डेया-धाभ तथा ककसी
सॊस्था से काभ नहीॊ यहता क्मोंकक इसको कामभ यखने के शरमे कई फातें स्ऩष्ट रूऩ से नहीॊ
कही जा सकती हैं. अत् एक ददन भैंने उनसे एकान्त भें ऩूछा कक जो शिऺा भैंने आज तक
आऩसे प्राप्त की है उसके आधाय ऩय क्मा भैं कह सकता हूॉ कक आऩका सतसॊग घय आदद
फनवाना औय सतसॊग का झभेरा रेना उस शिऺा के र्वरुि नहीॊ है ? उन्होंने उततय ददमा कक
क्मा करूॉ र्ववि हूॉ. जजतने गद्दी वारे गरु
ु भत की शिऺा का प्रचाय कय यहे हैं मह ग़रत तयीके
ऩय प्रचाय कयते हैं. भैं हजयू भहायाज की शिऺा का मथाथत प्रचाय कयना चाहता हूॉ. बफना केन्र
के काभ नहीॊ चर सकता. भैं उनकी फात को सभझ गमा.
क्मा कायण है कक दाता दमार ने इस स्थान का नाभ याधास्वाभी धाभ यखा? क्मा दस
ू ये
स्थानों ऩय इस भत की शिऺा का प्रचाय नहीॊ था? भैं कहता हूॉ कक मह फात सतम है कक
दसू ये स्थानों ऩय इसका प्रचाय नहीॊ था क्मोंकक दस
ू यी जगह रोगों ने गुरु के रूऩ को न
सभझकय, गुरु को ककसी के दे ह के साथ सॊफोधधत ककमा है . इसशरमे दाता दमार ने वास्तर्वक
गुरुभत की शिऺा के प्रचाय के शरमे मह केन्र स्थार्ऩत कयना आवश्मक सभझा. उन्होंने इस
स्थान का वक्पनाभा शरखकय ट्रस्ट कामभ कय ददमा औय इसका अधधकाय वक्तगरु
ु को सौंऩ
ददमा. उन्होंने प्रचाय ककमा कक तभाभ भत एक हैं औय तभाभ भनष्ु म बाई-बाई हैं. उन्होंने
कोई फात ककसी ऩॊथ के र्वरुि नहीॊ कही औय सफ धभों के गण
ु ों को प्रगट ककमा. गरु
ु नाभ है
ऻान औय अनब
ु व का. असरी गरु
ु अनहद फानी है . जहाॉ कहीॊ इसके उऩकेन्र स्थार्ऩत होंगे
वह सफ इस धाभ के अन्तगतत यहें गे. वह केन्र कौन से हैं ? जहाॉ ऩय भनष्ु मता की शिऺा का
प्रचाय है , जहाॉ जनता ईश्वय के नाभ ऩय भत बेद नहीॊ यखती, सफको अऩना बाई सभझती है ,
ककसी से ईष्मात द्वेष घण
ृ ा नहीॊ यखती. उन सफ स्थानों को महाॉ से शिऺा प्राप्त होगी.
गत वषत तक भेयी मही बावना थी कक दाता दमार के चोरा छोड़ने के फाद धाभ तथा इनकी
सम्ऩजतत र्वयासतन याभ ककिोय शसॊह की हो गई. इसभें सतसॊधगमों का कोई अधधकाय नहीॊ
यहा, क्मोंकक दाता दमार के ियीय तमागने के दस
ू ये सार फड़े ददन की छुट्टी भें भैं उनकी
सभाधध का दितन कयने आमा औय महाॉ सतसॊग कयाना चाहा तो याभककिोय शसॊह ने भुझको
सतसॊग कयाने से भना कय ददमा. भैंने उनके आदे िानुसाय दस
ू यी जगह सतसॊग कयामा.
भैं दाता दमार को भनुष्म नहीॊ सभझता था फजल्क उन को ऩयभततव सवातधाय का अवताय
भानता था. धाभ को केन्र फनाने भें उन्होंने ननजी स्वाथत नहीॊ यखा. के वर अऩने रक्ष्म के
प्रचाय के शरमे स्थार्ऩत ककमा. उनकी सभाधध की भान प्रनतष्िा भुझको रृदम से थी. इस
बावना से कक मह याभककिोय शसॊह की सम्ऩजतत हो गई, भैंने उनसे कहा कक इस स्थान का
भूल्म रे रेवें औय इस स्थान से अऩना ननजी सॊफॊध न यखें ताकक दाता दमार के दृजष्टकोण
से इसको हयाबया कयके उनके रक्ष्म के प्रचाय का केन्र फनाऊॉ ऩयन्तु उन्होंने भेयी फात ऩय
कोई ध्मान नहीॊ ददमा. महाॉ ऩय गाम, फकयी चया कयती थीॊ औय स्थान सुयक्षऺत नहीॊ था. जजस
ऩुरुष को भैंने ऩयभततव सवातधाय का अवताय भाना था उसकी सभाधध ऩय गाम, फकयी को
चयता हुआ दे खना भैं कफ सहन कय सकता था. इसकी दे खबार के शरमे भैंने स्वाभी प्रमाग
रार को ननमुक्त ककमा ऩयन्तु याभ ककिोय शसॊह का व्मवहाय उनके प्रनतकूर यहा. अत् वह
स्थान उनको छोड़ दे ना ऩडा.
अफ भुझको भारूभ हुआ है कक दाता दमार ने याधास्वाभी धाभ को वक्फ़ कयके उसका ट्रस्ट
स्थार्ऩत कया ददमा था जजसका नाभ याधास्वाभी जनयर सतसॊग ट्रस्ट यखा था. औय
याभककिाय शसॊह उसके केवर एक सदस्म हैं. भुझे अपसोस है कक इस फात की जानकायी भुझे
इतने ददनों के फाद हुई औय अफ तक मह फात भुझसे नछऩा यखी गई वयना भैंने इस स्थान
को आज से फहुत ददन ऩहरे वक्फ़ नाभ के दृजष्टकोण से हयाबया कय ददमा होता. सम्बव था
भैं स्वमॊ बी महाॉ आफाद हो गमा होता ऩयन्तु भाशरक की भौज ऐसी नहीॊ थी.
सॊत बत्रकार ऻाता होते हैं. वह ककसी भनुष्म को दे खकय सभझ जाते हैं कक मह ऩहरे क्मा
था. इस सभम क्मा है औय आगे क्मा होगा. जजस तयह सयू ज की रारी, वामु के चरने औय
ऩानी फहने से उनकी जस्थनत का ऩता चरता है वैसे ही हय व्मजक्त के आॊतरयक बाव का
आकाय उसके भाथे के चायों तयप व्माऩक यहता है . मह शबन्न-शबन्न यॊ गों का होता है औय
इन्रधनष
ु की चभक दभक मा घने धम
ु ें की शसमाही शरमे होता है . सॊतों को मह दृजष्टगोचय
होता है . दस
ू ये कभ दे खते हैं. इससे हय व्मजक्त की बावना का ऩता चर जाता है . गरु
ु सायी
फातें नहीॊ फतामा कयते. अऩना व्मजक्तगत अनब
ु व सफसे अधधक काभ कयता है . दाता दमार
जफ हजयू भहायाज के सतसॊग भें गमे तो उन्होंने दाता दमार की आकृनत दे खकय बर्वष्मवाणी
की कक मह व्मजक्त (Classical Writer) प्रभाखणत रेखक होगा औय सॊतभत का प्रचाय रेखनी
द्वाया कये गा. इस फात का ख्मार दाता दमार को उस सभम कुछ बी नहीॊ था ऩयन्तु मह
फात अऺयि् सतम हुई. वैसे ही दाता दमार ने भेयी आकृनत को दे खकय भेये नाभ ‗ऩयभ
दमार‘ व ‗बव ननधध तायन‘ कह कय िब्द शरख ददमे जो ‗पकीय बजनावरी‘ नाभी ऩुस्तक भें
है . इन फातों का उस सभम भुझको कुछ बी ख्मार नहीॊ था, ऩयन्तु दाता दमार ने जैसा
शरखा वैसा भुझको होना ऩड़ा. भेये प्रारब्ध भें मही था औय कुफेयनाथ के प्रारब्ध भें बी मही
है . भैं कुफेयनाथ को याधास्वाभी धाभ का आचामत ननमुक्त कयता हूॉ औय आिीवातद दे ता हूॉ कक
मह दाता दमार की शिऺा को बरी प्रकाय प्रचाय कये . इसके शिष्म सच्चे याजऩूत, िेय, िूयवीय
औय उतसाही होंगे. ट्रस्ट के प्रफॊध का सफ अधधकाय भैं उसको सौंऩता हूॉ औय आदे ि दे ता हूॉ
कक वक्फ़नाभे के दृजष्टकोण से धाभ की सम्ऩजतत का सच्चाई से प्रफन्ध कयें ताकक दाता
दमार के प्रेभी इस सॊस्था की हषतऩूवक
त सहामता कयें . सतसॊगी मा प्रेभबाव से जो आवे उसका
स्वागत कयें . इसका अधधकाय सफको है भगय कोई व्मजक्त तुम्हाये प्रफॊध भें हस्तऺेऩ नहीॊ कय
सकता. तुभ अऩनी नीमत साफ़ यखो. जो तुभसे ित्रत
ु ा कये गा वह अऩने कभत से आऩ शभट
जामेगा. सच्चाई का प्रबाव होता है . तुभ सफसे प्रेभ व शभत्रता का व्मवहाय यखो. मह स्थान
आफाद होकय यहे गा औय महाॉ से जनता को िायीरयक, भानशसक तथा आजतभक िाजन्त
प्राप्त होगी. महाॉ दाता दमार की सभाधध है जो जीवों को दे ह , भन औय आतभा के फॊधन से
भुक्त कयने वारे थे. उन्होंने सच्ची शिऺा, सच्चा ऻान औय सच्चा बाव प्रदान कयने के शरमे
मह धाभ स्थार्ऩत ककमा है . जजस प्रकाय एक अनफूझ फारक भें मह िजक्त नहीॊ है कक वह
झूि फोर सके, उसी प्रकाय एक सॊत भें मह िजक्त नहीॊ होती कक वह असतम कह सके. मह
कबी भत सोचो कक भैं हे यपेय की फात मा कामत कय सकता हूॉ. कुफेय नाथ, ध्मानऩव ू क
त सनु .
तेये अन्तय दाता दमार तेया िब्द स्वरूऩी गरु
ु है . जो काभ तभ
ु को सौंऩता हूॉ उसको सच्चाई
से कय. तू इस काभ से तय जामेगा.
दाता दमार ने धाभ फनाई. सतसॊग कयाने रगे. उनकी सुयत इस कामत भें पॉस गई. भैंने
उनकी दिा ननयखी. उनको धाभ के कामत से आजाद कयके महाॉ रामा जहाॉ उनकी सभाधध है .
इस भाभरे भें भैंने दाता दमार के साथ वही काभ ककमा जो गोयख नाथ ने शिष्म के नाते
अऩने गुरु भतस्मेंरनाथ के साथ ककमा, जजसकी कथा िाही जादग
ू यनी नार्वर भें (जो शिव
भाशसक ऩत्र भें छऩ चुकी है ) दाता दमार ने शरखी है औय अफ बी उनकी आऻा से उन्हीॊ की
शिऺा के प्रचाय भें ननष्काभ व नन्स्वाथत बाव से रगा हूॉ. जो इस शिऺा को सभझेगा सोचेगा,
उस ऩय चरेगा उसका कल्माण होगा.