धूमावती साधना PDF

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दस महावविद्या विो महान ससधधदयां है जजिनको पा लेना साधक को सामान्य मानवि से ससधद पुरष बना दे ता है ,यह महाववििा आपको कष

,दररद्रता, दुश्मन, अज्ञानता सबको जिड़ से ममट दे ता है सारी साधनाओ का ज्ञान आपको महाववििाओ से प्राप्त हो जिाता है दस महाववििाओ
मे से एक भी दे विी की ससधधद आपको अजिेय बना दे ती है आपको कोई हरा नही सकता आपको कोई धोका नही दे सकता आपको भवविष्य
भूत की सभी जिानकारी प्राप्त हो जिाती है जजिसने महाववििाओ की साधना की हो उसे सारी ससधधदयां जिल्दी प्राप्त हो जिाती है इसमे से आजि
हम धूमाविती माँ जिो वक माँ पाविरती जिी का रूप है की साधना बता रहे है धूमाविती साधना।।।

वकसी भी शवनविार की रात्री को स्नान करके ,काले रंग की धोती या टाविल लपेटकर साधना की जिाती है

।। आसन काले रंग का ऊन का या कंबल का काला टु कड़ा उपयोग कर सकते है

।। ददशा दकक्षिण की ओर मुंह करके बैठ जिाए

।। लकड़ी के पटे पर काला कपड़ा वबछा दे ।।

अब धूमाविती यंत्र को जिल से स्नान कराकर यदद हो सके तो पंचगव से स्नान कराये वफिर जिल से स्नान कराकर पटे पर स्थावपत कर दे ।।

।। यंत्र के पास मे खडग माला स्थावपत कर दे

।।वविविणी चंचला दुषा दीिार च मसलनामबरा ।

वविपुला कुन्तला रूक्षिा वविधविा वविरलवदजिा ।।

काक धविजिरथारूढ़ा वविलममबत पयोधरा ।।

सूयर हस्तवत रक्ताक्षिी विृतहस्ता परानन्धता ।।

विृद धोणा तु श्रृशं कुदटला कुदटलेक्षिणा ।

क्षिुमतयपासारदर्दिता वनतयं भयदा कलहास्यदा ।।

अब संकल्प ले .....दाये हाथ मे जिल ले अब कहे मै .....नाम.....मेरा गौत्र .......का वपता का नाम.......... इस ....जिगह का नाम.....क्षिेत्र मे
माँ धूमाविती साधना शुरू कर रहा हूँ अतः माँ धूमाविती मेरी समस्याओ का और दुश्मनो का नाश करे और ऐसा कहने के बाद जिल को
जिमीन पर छोड़ दे .....

अब जिल वविवनयोग करे .

जिल हाथ मे सलया अब कहे

।।।।अस्य धूमाविती मंत्रस्य वपप्पलाद ऋवष:

वनविृच्छन्दः जिेष्ठा दे विता धूं बीजिं ,स्विाहा शसक्त:

धूमाविती कीलकम् ममाभीष ससधदधदथ्ये जिपे वविवनयोगः।।

# अब अपने अंगो को छू ते हुए न्यास करे-

धूं धूं हृदयाय नमः।। हृदय को स्पशर करे

धूं सशरसे स्विाहा ।। बोलते हुए ससर को स्पशर करे

मां सशखायै विषट् ।। बोलते हुए सशखा का स्पशर करे

विं कविचाय हूं।।बोलते हुए पूरे शरीर का स्पशर करे


ती नेत्रत्रयाय विौषट ।।नेत्रो का स्पशर करे

स्विाहा अस्त्राय फिट् ।।पूरे शरीर का स्पशर करे......।।।।।

इसके पश्चात करान्यास करे.....

धूं धूं अंगुष्ठाभ्यां नमः।।

धूं तजिरनीभ्यां नमः।।

मां मधयमाभ्यां नमः।।

विं अनाममकाभ्यां नमः।।

ती कवनमष्ठकाभ्यां नमः।।

स्विाहा करतल कर पृष्ठाभ्यां नमः।।

अब माला से मात्र 21 माला जिाप वनमन मंत्र का करना है

।। ऊँ धूं धूं धूं धुरू धुरू धूमाविती क्रो फिट् ।।

अब तीन माला के बराबर हविन 51 बार लगभग तपरण ओर 5 बार माजिरन करके माँ की आरती करे और अगले ददन सुबह सारी सामग्री
वविसजिरन कर दे

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