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Kvs 1 441030144
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श ा मनो व ान नोट् स
: तपादक
=> मनो व ान के जनक
= व लयम जे स
=> आधु नक मनो व ान के जनक
= व लयम जे स
=> कायवाद सा दाय के जनक
= व लयम जे स
=> आ म स यय क अवधारणा
= व लयम जे स
=> श ा मनो व ान के जनक
= थानडाइक
=> यास एवं ु ट स ांत
= थानडाइक
=> य न एवं भूल का स ांत
= थानडाइक
=> संयोजनवाद का स ांत
= थानडाइक
=> उ पन-अनु या का स ांत
= थानडाइक
=> S-R योरी के ज मदाता
= थानडाइक
=> अ धगम का ब ध स ांत
= थानडाइक
=> संबंधवाद का स ांत
= थानडाइक
=> श ण अंतरण का सवसम अवयव का स ांत
= थानडाइक
=> ब खंड बु का स ांत
= थानडाइक
=> बने-साइमन बु परी ण के तपादक
= बने एवं साइमन
=> बु परी ण के ज मदाता
= बने
=> एक खंड बु का स ांत
= बने
=> दो खंड बु का स ांत
= पीयरमैन
=> तीन खंड बु का स ांत
= पीयरमैन
=> सामा य व व श त व के स ांत के तपादक
= पीयरमैन
=> बु का य श का स ांत
= पीयरमैन
=> -आयाम बु का स ांत
= गलफोड
=> बु संरचना का स ांत
= गलफोड
=> समूह खंड बु का स ांत
= थ टन
=> यु म तुलना मक नणय व ध के तपादक
= थ टन
=> मब अंतराल व ध के तपादक
= थ टन
=> सम अ तर व ध के तपादक
= थ टन व चेव
=> यादश या तदश(वग घटक) बु का स ांत
= थॉमसन
=> पदानु मक( मक मह व) बु का स ांत
= बट एवं वनन
=> तरल-ठोस बु का स ांत
= आर. बी. केटल
=> तकारक ( वशेषक) स ांत के तपादक
= आर. बी. केटल
=> बु ‘क’ और बु ‘ख’ का स ांत
= हैब
=> बु इकाई का स ांत
= टन एवं जॉनसन
=> बु ल ध ात करने के सु के तपादक
= व लयम टन
=> संरचनावाद सा दाय के जनक
= व लयम वु ट
=> योगा मक मनो व ान के जनक
= व लयम वु ट
=> वकासा मक मनो व ान के तपादक
= जीन पयाजे
=> सं ाना मक वकास का स ांत
= जीन पयाजे
=> मूल वृ य के स ांत के ज मदाता
= व लयम मै डू गल
=> हा मक का स दा त
= व लयम मै डू गल
=> मनो व ान को मन म त क का व ान
= प पोलॉजी
=> या सूत अनुबंधन का स दा त
= कनर
=> स य अनुबंधन का स दा त
= कनर
=> अनुकू लत अनु या का स ांत
= इवान पे ो वच पावलव
=> संबंध यावतन का स ांत
= इवान पे ो वच पावलव
=> शा ीय अनुबंधन का स ांत
= इवान पे ो वच पावलव
=> त थापक का स ांत
= इवान पे ो वच पावलव
=> बलन(पुनबलन) का स ांत
= सी. एल. हल
=> व थत वहार का स ांत
= सी. एल. हल
=> सबलीकरण का स ांत
= सी. एल. हल
=> संपोषक का स ांत
= सी. एल. हल
=> चालक / अंतन द( णोद) का स ांत
= सी. एल. हल
=> अ धगम का सू म स ा त
= कोहलर
=> सूझ या अ त का स ांत
= कोहलर, वद मर, को का
=> गे टा टवाद स दाय के जनक
= कोहलर, वद मर, को का
=> े ीय स ांत
= ले वन
=> तल प का स ांत
= ले वन
=> समूह ग तशीलता स यय के तपादक
= ले वन
=> सामी य संबंधवाद का स ांत
= गुथरी
=> साईन( च ) का स ांत
= टॉलमैन
=> स भावना स ांत के तपादक
= टॉलमैन
=> अ म संगठक तमान के तपादक
= डे वड आसुबेल
=> भाषायी सापे ता ा क पना के तपादक
= हाफ
=> मनो व ान के वहारवाद स दाय के जनक
= जोहन बी. वाटसन
=> अ धगम या हार स ांत के तपादक
= लाक
=> सामा जक अ धगम स ांत के तपादक
= अ बट बा डू रा
=> पुनरावृ का स ांत
= टे नले हॉल
=> अ धगम सोपानक के तपादक
= गेने
=> वकास के सामा जक वतक
= ए र सन
=> ोजे ट णाली से करके सीखना का स ांत
= जान ूवी
=> अ धगम मनो व ान का जनक
= ए वग हास
=> अ धगम अव था के तपादक
= जेरोम ूनर
=> संरचना मक अ धगम का स ांत
= जेरोम ूनर
=> सामा यीकरण का स ांत
= सी. एच. जड
=> श मनो व ान का जनक
= वॉ फ
=> अ धगम अंतरण का मू य के अ भ ान का स ांत
= बगले
=> भाषा वकास का स ांत
= चोम क
=> माँग-पू त(आव यकता पदानु म) का स ांत
= मै लो (मा लो)
=> व-यथाथ करण अ भ ेरणा का स ांत
= मै लो (मा लो)
=> आ म ान का स ांत
= मै लो (मा लो)
=> उपल ध अ भ ेरणा का स ांत
= डे वड सी.मे लएंड
=> ो साहन का स ांत
= बो स व काफमैन
=> शील गुण( वशेषक) स ांत के तपादक
= आलपोट
=> व मापन का माँग का स ांत
= हेनरी मुरे
=> कथानक बोध परी ण व ध के तपादक
= मोगन व मुरे
=> ासं गक अ तब ध परी ण (T.A.T.) व ध के
तपादक = मोगन व मुरे
=> बाल -अ तब ध परी ण (C.A.T.) व ध के तपादक
= लयोपो ड बैलक
=> रोशा याही बा परी ण (I.B.T.) व ध के
तपादक = हरमन रोशा
=> वा य पू त परी ण (S.C.T.) व ध के तपादक
= पाईन व टडलर
=> वहार परी ण व ध के तपादक
= मे एवं हाटशान
=> कडरगाटन(बालो ान ) व ध के तपादक
= ोबेल
=> खेल णाली के ज मदाता
= ोबेल
=> मनो व ेषण व ध के ज मदाता
= सगमंड ायड
=> व व ेषण व ध के तपादक
= सगमंड ायड
=> ोजे ट व ध के तपादक
= व लयम हेनरी लपे क
=> मापनी भेदक व ध के तपादक
= एडवड् स व लपे क
=> डा टन व ध क तपादक
= मस हेलेन पाकह ट
=> मांटेसरी व ध क तपादक
= मेडम मा रया मांटेसरी
=> डे ोली व ध के तपादक
= ओ वड डे ोली
=> वने टका(इकाई) व ध के तपादक
= कालटन वाशबन
=> र टक व ध के तपादक
= एच. ई. आम ांग
=> समाज म त व ध के तपादक
= जे. एल. मोरेनो
=> योग नधारण व ध के तपादक
= लकट
=> केलो ाम व ध के तपादक
= गटमैन
=> वभेद शा दक व ध के तपादक
= आसगुड
=> वतं श द साहचय परी ण व ध के तपादक
= ां सस गा टन
=> टे नफोड- बने केल परी ण के तपादक
= टरमन
=> पोर टयस भूल-भुलैया परी ण के तपादक
= एस.डी. पोर टयस
=> वे र-वे यूब बु परी ण के तपादक
= डी.वे वर
=> आम अ फा परी ण के तपादक
= आथर एस. ओ टस
=> आम बटा परी ण के तपादक
= आथर एस. ओ टस
=> ह तानी बने या परी ण के तपादक
= सी.एच.राइस
=> ाथ मक वग करण परी ण के तपादक
= जे. मनरो
=> बाल अपराध व ान का जनक
= सीजर लो सो
=> वंश सु के नयम के तपादक
= मडल
=> ेल ल प के तपादक
= लुई ेल
=> साहचय स ांत के तपादक
= एले जडर बैन
=> “सीखने के लए सीखना” स ांत के तपादक
= हल
=> शरीर रचना का स ांत
= शै डन
=> व मापन के जीव स ांत के तपादक
= गो ड ट न
: श ा मनो व ान भाग- 1 याद करने क (TRICK)
†******************LG*********
*********†
श ा मनो व ान (Educational Psychology) :"मनो व ान सीखने से स बं धत मानव वकास के 'कैसे सीखा जाए' क ा या
करती है, श ा सीखने के ' या सखा जाए' को दान करने क चे ा करती है।"
- ोव ो
मनो व ान मानव वहार का अ ययन करता है और श ा मानव वहार म प रवतन करती है, अतः श ा और मनो व ान म गहन
स ब ध है।
श ा या है?
श ा श द सं कृत के ' श '् धातु से बना है, जसका अथ है :
सीखना अं ेजी श द एजुकेशन (Education) लै टन भाषा के एडु केयर (Educare) एवं एडु सीयर (Educere) से बना है, जसका
अथ है 'नेतृ व दे ना, बाहर लाना'
TRICK : MEL (Motivation & Education both are origin from Latin word)
भारतीय मनी षय ने 'सा व ा या वमु ये' कहकर श ा को मु का साधन माना है। गाँधीजी ने श ा सवागीण वकास (आ मा,
शरीर और म त क के वकास) क या माना है।
श ा बालक म अ त न हत श य को उभारकर उ ह पूण वक सत करती है।
श ा का अथ :
(A). संकु चत स दभ म ( ाचीन कोण) :
1. 19व सद के उ रा (1879) तक
2. औपचा रक श ा ( कताबी ान)
3. श ा व ालय तक सी मत
4. ाना मक प पर बल
5. सै ा तक प पर बल
(B). ापक स दभ म (नवीन कोण) :
1. 1879 से अब तक (20व सद )
2. अनौपचा रक श ा
3. श ा जीवन पय त
4. सवागीण वकास पर बल
5. ावहा रक प पर बल
मनो व ान या है?
मनो व ान के अं ेजी पयाय साइकोलॉजी (Psychology) श द क उ प यूनानी ( ीक) भाषा केसाइक (Psyche) और लोगस
(Logos) से ई है।साइक का अथ है 'आ मा' और लोगस का अथ है 'अ ययन'। अतः मनो व ान का शा दक अथ है 'आ मा का
अ ययन'।
अमरीक व ान व लयम जे स (1842-1910) ने मनो व ान को दशनशा के शकंजे से मु कर एक वतं व ा का प दया।
इस लए इ हे मनो व ान का जनकमाना जाता है।
मनो व ान क उ प दशनशा के अंग के प म ई। काला तर म मनो व ान के अथ म प रवतन होता गया। जो इस कार है :
1. आ मा का व ान : अर तू, लेटो, अ र टोटल औरडेकोट आ द यूनानी दाश नको ने मनो व ान को आ मा का व ान माना, क तु
आ मा क कृ त क अ प ता के कारण 16व शता द म मनो व ान का यह अथ अ वीकृत कर दया गया।
TRICK-"आ मा से आप यू अड़े"
1. आ मा से-इन सभी दाश नको ने मनो व ान को आ मा का व ान माना
2. आ-अर तू (दाश नक)
3. प- लेटो (दाश नक)
4. यू-यूनानी दाश नक थे सभी
5. अ-अ र टोटल (दाश नक)
6. डे-डेकाट (दाश नक)
2. म त क का व ान : 17व शता द म दशनीको ने मनो व ान को मन या म त क का व ान कहा। इनमे इटली के स
दाश नक पॉ पोनॉजी के अलावा लॉक और बकली भी मुख है। कोई भी व ान मन क कृ त तथा व प का नधारण नही कर
सका, अतः यह प रभाषा भी मा यता नही पा सक ।
TRICK-"पलक क बाई म त म"
1. प-पॉ पोनॉजी (दाश नक)
2. लक-लॉक (दाश नक)
क -silent
3. बा-बकली (दाश नक)
4. इटली-यह इटली के स दाश नक थे
5. म त-इन सभी दाश नको ने मनो व ान को म त क का व ान माना
3. चेतना का व ान : 19व शता द के मनो व ानक व लयम वु ट, व लयम जे स, वाइ स और जे स स लीआ द ने मनो व ान को
चेतना का व ान माना। इनका मानना था, क मनो व ान मनु य क चेतन याओ का अ ययन करता है।
मनो व ान केवल चेतन मन का ही नही, ब क अचेतन और अवचेतन आ द याओ का अ ययन भी करता है। मनो व ान का यह
अथ सी मत होने के कारण सवमा य न हो सका। मै डू गल ने अपनी पु तक 'आउटलाइन साइकोलॉजी' म चेतना श द क कड़ी
आलोचना क ।
श ा मनो व ान भाग-II
श ा मनो व ान का शा दक अथ है :
श ा स ब धी मनो व ान अथात यह श ा क या म मानव वहार का अ ययन करने वाला व ान है। श ा मनो व ान के
अथ का व ेषण करने के लए कनर ने न न ल खत त य तुत कए है :
1. श ा मनो व ान का क मानव वहार है।
2. श ा मनो व ान खोज और न र ण से ा त त य का सं ह करता है।
3. श ा मनो व ान संगह
ृ ीत ान को स ा त प दे ता है।
4. श ा मनो व ान श ा क सम याओ के समाधान के लए प तय का तपादन करता है।
श ा मनो व ान क प रभाषाएँ :
1. कनर : श ा मनो व ान के अंतगत श ा से स ब धत स पूण वहार और व आ जाता है।
2. ो व ो : श ा मनो व ान, के ज म से वृ ाव था तक सखाने के अनुभव का वणन और ा या करता है।
3. कॉलस नक : श ा मनो व ान, मनो व ान के स ा त और अनुस धान का श ा म योग है।
4. ट फन : श ा मनो व ान शै णक वकास का मक अ ययन है।
5. सॉरे व टे लफ़ोड : श ा मनो व ान का मु य स ब ध सखने से है। यह मनो व ान का वह अंग है, जो श ा के मनोवै ा नक
पहलुओ क वै ा नक खोज से वशेष प से स ब धत है।
उपयु प रभाषा के आधार पर कहा जा सकता है, क :
1. श ा मनो व ान शै क प र थ तय म मानव वहार का अ ययन करता है।
2. श ा मनो व ान श ण अ धगम क या को अ धक सरल व सुगम बनाता है।
3. श ा मनो व ान क कृ त वै ा नक है, य क इसके अ ययन म वै ा नक व धय का योग होता है।