Biotechnology and Its Application PDF in Hindi - PDF 35

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यह विज्ञान की िह शाखा है जिसमें हम िीिों, िैविक प्रक्रियाओं अथिा उत्पादों की विननमााण


पद्धनियों का प्रयोग मानि िीिन की गण
ु ित्ता को बेहिर बनाने के उद्दे श्य से करिे हैं।

जैव-प्रौद्योगिकी एवं इसके अनप्र


ु योि
जैव-प्रौद्योगिकी के प्रकार

हररत जैव-प्रौद्योगिकी

• कृवि से िुडी क्रियाओं में प्रयोग होिी है ।


• उपयोग के िीन प्रमख
ु क्षेत्र पादप उत्तक संिधान, पादप आनि
ु ांशशकी अशियांत्रत्रकी एिं पादप
आजविक संकेिक-सहायक प्रिनन हैं।
• पौधों को कीटों और सख
ू े से प्रिाविि होने से बचाने के शिए िैिप्रौद्योगगकी का उपयोग होिा
है ।
• बी.टी. कॉटन गोिकृशम सहनशीि पौधे का एक उदाहरण है । यह एक परािीनी (ट्ांसिैननक)
पौधा िी है ।

लाल जैव-प्रौद्योगिकी

• गचक्रकत्सीय विज्ञान, अशिनि दिाईयां एिं उपचार से संबगं धि है ।


• उपयोि : िैक्सीन और एंटीबायोटटक्स के उत्पादन में , पन
ु रोत्पादन उपचार, िीन थैरेपी, स्टे म
सेि थैरेपी आटद िाि िैि-प्रौद्योगगकी के कुछ अनप्र
ु योग हैं।

नीली जैव-प्रौद्योगिकी

• समद्र
ु ी संसाधनों और िािे पाने के िीिों का प्रयोग उत्पादों एिं औद्योगगक अनप्र
ु योग में
क्रकया िािा है ।

श्वेत जैव-प्रौद्योगिकी

• औद्योगगक क्रियाओं में उपयोगी है ।


• औद्योगगक उत्प्रेरक के रूप में क्रकविन, फंफूदी, िीिाणु, खमीर आटद का प्रयोग विशिन्न
सामानों के उत्पादन में होिा है । ये श्िेि िैि-प्रौद्योगगकी के उदाहरण हैँ।

पीली जैव-प्रौद्योगिकी

• कीटों से िुडी िैि-प्रौद्योगगकी।


• यह खाद्य उत्पादन में िैि प्रौद्योगगकी के प्रयोग को िी इंगगि करिी है ।

धूसर जैव-प्रौद्योगिकी

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• िैि-प्रौद्योगगकी का पयाािरण अनप्र


ु योगों, िैिविविधिा बनाए रखने और प्रदि
ू क ित्त्िों को
हटाने में उपयोग होिा है ।

भरू ी जैव-प्रौद्योगिकी

• सख
ू ा और मरुस्थिीय क्षेत्रों के प्रबंधन से संबगं धि है ।
• सख
ू ारोधी बीिों के ननमााण, प्राकृनिक संसाधन प्रबंधन, शष्ु क स्थिाकृनि के शिए उपयक्
ु ि
कृवि िकनीकों का विकास िरू ी िैिप्रौद्योगगकी के कुछ उदाहरण हैं।

बैंिनी जैव-प्रौद्योगिकी

• िैि-प्रौद्योगगकी से िड
ु े कानन
ू ों, नैनिक एिं दाशाननक मद्
ु दों से संबगं धि है ।

काली जैव-प्रौद्योगिकी (डाकक बायोटे क्नोलॉजी)

• िैविक आिंकिाद, िैविक हगथयारों और िैविक यद्


ु ध जिसमें बीमाररयों, मौि और अपंगिा
फैिाने के शिए सक्ष्
ू मिीिाणु एिं वििैिे ित्त्िों का प्रयोग होिा है ।

जैव-प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोि :-

• गिककत्सा
1. बायोफामाास्यटु टकल्स
2. िीन थेरेपी
3. फामााकोिेनोशमक्स
4. आनि
ु ांशशक परीक्षण
• कृषि
1. आनि
ु ांशशक संशोगधि फसि
2. िैिईंधन
3. पादप एिं िंिु प्रिनन
4. बायोफोटटाक्रफकेशन (िैि सरु क्षा)
5. एंटीबायोटटक्स
6. अिैविक दबाि रोधी
• पयाकवरण
1. बायोमेकर
2. िैिऊिाा
3. बायोररमेडिएशन
1. माइकोररमेडिएशन

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2. फाइटोररमेडिएशन
3. माइिोत्रबयि ररमेडिएशन
4. िैिरूपांिरण
• उद्योग
• खाद्य प्रसंस्करण
1. क्रकविन प्रक्रिया
2. प्रोटीन इंिीननयररंग

हाल में षवकास

• मानि िीनोम कायािम


• त्रत्रसंिनि संिान
• आनि
ु ांशशक संशोगधि सरसों
• िीन थेरेपी
• स्टे म सेि थेरेपी

सरकारी नीनियां

• राष्ट्ीय िैिप्रौद्योगगकी विकास रणनीनि 2015-2020 (NBDS)


• राष्ट्ीय बायोफामाा शमशन

अनप्र
ु योि :

1) औिगधयां

a) बायोफामाकस्यटु टकल्स: बायोफामाास्यटु टकल्स अथिा जिसे िैविक औिगध उत्पाद ने नाम से िी
िाना िािा है , एक फामाास्यटु टकल्स औिगध उत्पाद है जिसे िैविक स्त्रोिों से ननशमाि अथिा
ननष्कविाि अथिा अधा-संश्िेविि क्रकया िािा है ।
b) जीन थेरेपी : िीन थेरेपी में रोग का उपचार करने के शिए न्यक्रू कल्क अम्ि को संिनि
कोशशकाओं में गचक्रकत्सीय हस्िांिरण क्रकया िािा है ।

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c) फामाकसोजेनोममक्स: फामाासोिेनोशमक्स एक िकनीक है िो विश्िेिण करिी है क्रक िेनेटटक


मेकअप औिगधयों के प्रनि व्यजक्ि से व्यजक्ि प्रनिक्रिया को प्रिाविि करिी है । यह औिगध
की प्रिाविकिा अथिा वििाक्ििा के साथ िीन अशिव्यजक्ि अथिा एकि-नाशिकीय
बहुरूपिाओं से िोडकर रोगी में औिगध की प्रनिक्रियाओं पर आनि
ु ांशशक विशिन्निा के प्रिाि
से संबगं धि है ।
d) आनव
ु ांमिक परीक्षण: आनि
ु ांशशक परीक्षण क्रकसी िन्मिाि रोग के खिरों का आनि
ु ांशशक
ननदान संिि बनािी है । इसका प्रयोग क्रकसी बच्चे के मािा-वपिा (आनि
ु ांशशक मािा-वपिा)
अथिा सामान्य िौर पर व्यजक्ि का िंश ननधााररि करने में िी क्रकया िा सकिा है ।

2) कृषि :

a) आनव
ु ांमिकी संिोगधत फसलें: आनि
ु ांशशकी संशोगधि फसिें कृवि में प्रयोग होने िािे पौधे हैं,
जिसके िी.एन.ए. को आनि
ु ांशशकी अशियांत्रत्रकी प्रौद्योगगकी की मदद से संशोगधि क्रकया गया
है । ऐसी फसिों में एक नया िक्षण िािा िािा है िोक्रक इन पादप प्रिानियों में प्राकृनिक
रूप से नहीं पाया िािा है । उदाहरण के शिए, बी.टी. कॉटन में बेशसिस थरु रिेनेशसस के
गण
ु सत्र
ू को कपास में िािकर यह इसे कीट प्रनिरोधी बनािा है ।
b) जैव ईंधन – िैि-प्रौद्योगगकी के सबसे बडे अनप्र
ु योगों में से एक ऊिाा उत्पादन क्षेत्र है । ये
ईंधन पयाािरणोनक
ु ू ि होने के साथ ही पारं पररक ईंधन में शमिाए िाने पर उच्च क्षमिा यक्
ु ि
होिे हैं। िारि में िठरोफा फसि का प्रयोग िैि ईंधन बनाने में क्रकया िािा है ।

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c) पादप एवं जीव पन


ु रोत्पादन - उन्नि िैि-प्रौद्योगगकी के कारण पादप एिं िीिों में कुछ खास
पररििान अगधक िेिी से आजविक स्िर पर गण
ु सत्र
ू ों के अनि-व्यापन अथिा ननष्कासन, क्रकसी
पर गण
ु सत्र
ू ों के प्रिेश कराने से होिा है । ज्ञािव्य है क्रक संकर-परागण, ग्राफटटंग और संकर-
प्रिनन िैसी पारं पररक विगधयां बहुि समय िेिी हैं।
d) बायोफोटटककफकेिन: यह िैि-प्रौद्योगगकी की मदद से खाद्य फसिों में पौजष्टक गण
ु ित्ता को
बढािा है । गोल्िेन धान को बीटा-कैरोटीन और विटाशमन A परू क पदाथों से पोविि क्रकया
िािा है ।
e) एंटीबायोटटक्स: पौधे का प्रयोग मानि और िीिों दोनों के शिए एंटीबायोटटक्स बनाने में क्रकया
िािा है । एंटीबायोटटक प्रोटीन को पशु िोिन में शमिाकर दे सकिे हैं जिससे खचा घट िािा
है । पौधे की मदद से एंटीबायोटटक्स बनाने के कई फायदे हैं िैसे क्रक िारी मात्रा में उत्पादन,
बडे स्िर की अथाव्यिस्था और शद्
ु गधकरण में आसानी है ।
f) अजैषवक दबाव प्रततरोध : बढिी िनसंख्या और शहरीकरण के कारण खेिी योग्य िशू म बहुि
कम मात्रा में पायी िािी है, इसके चििे ऐसी फसिों को विकशसि करना बहुि िरूरी है िो
इन अिैविक िनािों िैसे ििणिा, सख
ू ा और िि
ु ार को सहन कर सके। इिरायि ने
सफििापि
ू क
ा ऐसी फसिों को विकशसि क्रकया है िो न्यन
ू िि जस्थनियों में उग सकिे हैं।

3) पयाकवरण:

a) बायोमेकर: बायोमेकर उस रसायन के प्रनि प्रनिक्रिया दे िा है िो प्रदि


ू ण प्रिाि अथिा वििैिे
ित्त्िों के प्रिाि हुए नक
ु सान के स्िर को मापने में मदद करिा है ।
b) जैव ऊजाक : बायोगैस, बायोमास ईंधन और हाइड्रोिन िैि ऊिााएं हैं। हररि ऊिाा के अग्रणी
उदाहरणों में िैविक और बायोमास उपाजिाि पदाथों से प्राप्ि अपशशष्ट हैं, ये अपशशष्ट पदाथा
पयाािरण में पैदा हुई प्रदि
ू ण समस्याओं को दरू करने में सहायिा करिे हैं।
c) बायोररमेडडएिन: गैर-वििैिे यौगगकों में हाननकारक पदाथों को साफ करने की प्रक्रिया को
बायोररमेडिएशन प्रक्रिया कहिे हैं। इस प्रक्रिया का प्रमख
ु रूप से उपयोग क्रकसी िी प्रकार के
िकनीकी सफाई में क्रकया िािा है िो प्राकृनिक सक्ष्
ू मिीि का प्रयोग करिे हैं।
i. माइक्रोमेडडएिन
ii. कफटोररमेडडएिन
iii. माइक्रोबबयल ररमेडडएिन
d) बायोट्ांसफॉरमेिन: िैविक िािािरण में घटटि होने िािे िह पररििान िो िटटि यौगगक को
सरि गैर-वििैिे पदाथों से वििैिे अथिा अन्य पदाथा में बदििे हैं, िैिरूपांिरण प्रक्रिया
कहिािी है । इसका प्रयोग विननमााण क्षेत्र में क्रकया िािा है िहां वििैिे पदाथों को गौण-
उत्पादों में बदिा िािा है ।

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4) उद्योि:

a) औद्योगिक ककण्वन: इसका प्रयोग कोशशकाओं िैसे सक्ष्


ू मिीिों अथिा कोशशकाओं के घटकों
िैसे एंिाइम का प्रयोग करने की प्रक्रिया है िाक्रक रसायन, खाद्य, विरं िक, कागि एिं
गद
ू ा, कपडा और िैिईंधन िैसे क्षेत्रों में औद्योगगक रूप से उपयोगी उत्पादों को ननशमाि
क्रकया िाए।
b) ग्रीनहाउस गैस उत्पादन से धारणीय उत्पादन की ओर िाने में प्रिािी विकास प्राप्ि क्रकया
िा चक
ु ा है ।

5) खाद्य प्रसंस्करण :

a) ककण्वन प्रकक्रया
b) प्रोटीन इंजीतनयररंि– बेहिर क्रकविन के शिए जिम्मेदार सक्ष्
ू मिीिों के िािकारी एंिाइमों का
टं क्रकयों में सक्ष्
ू मिीिों के संिधान द्िारा बडे पैमाने पर िाणणजययक उत्पादन क्रकया िािा है ।

हाल में प्रितत :-

1) मानव जीनोम कायकक्रम – राइट : एच.िी.पी.-िब्लल्यू का उद्दे श्य एक सामान्य मानि गण


ु सत्र

(िीनोम) के समान गण
ु सत्र
ू ों की श्ख
ं ृ िा और उनके बीच अंिरािों का एक ब्लिवू प्रंट िैयार करना है ।
इससे उन्नि िैिअशियांत्रत्रकी उपकरणों की मदद से एक कृत्रत्रम मानि िीनोम बनाने में सहायिा
शमिेगी। िारि के शिए एच.िी.पी.-िब्लल्यू िैयार करने के मख्
ु य फायदों में मिेररया, िेंगू और
गचकुनगनु नया िैसे रोगों के नए समाधान शमिना शाशमि है । एक अन्य क्षेत्र िहां एच.िी.पी.-िब्लल्यू
स्िास््य दे खिाि में िांनिकारी बदिाि िा सकिी है , िह िैक्सीन विकास है । िैक्सीन बनाने के
पारं पररक िरीके में समय और पैसा दोनों ही बहुि खचा होिे हैं। संश्िेविि वििाणु पैदा करके इस
प्रक्रिया को कई गन
ु ा िेि क्रकया िा सकिा है और क्रफर उसका िैक्सीन विकास में उपयोग कर सकिे
हैं।

2) पथ्
ृ वी जीनोम कायकक्रम : यह अंिरााष्ट्ीय िैज्ञाननकों का एक पररसंघ है िो प्
ृ िी पर वपछिे 10
सािों की अिगध में प्रत्येक बहुकोशशकीय िीिों के गण
ु सत्र
ू ों का अनि
ु म, सच
ू ीकरण और िक्षण
ननधााररि करने के कायािम पर काया करे गा और िीन चरणों में 15 िाख प्रिानियों के अनि
ु म िैयार
करे गा।

ई.िी.पी. से व्यापक गण
ु सत्र
ू ीय श्ंख
ृ िा बनाने में मदद शमिेगी और िानि, िगा और कुि के बीच
िांनिकारी संबध
ं को उिागर करने में मदद शमिेगी और जिससे िीिन की एक डिजिटि िाइब्रेरी
िैयार होगी।

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3) बि-संततत संतान: िीन संिनि संिान, मानि शशशु है िो एक परु


ु ि और दो मटहिाओं के
आनि
ु ांशशक पदाथा से पैदा होिा है , इसमें सहायक प्रिनन िकनीक, विशेििकर माइटोकॉजन्ड्रयि
हस्िांिरण िकनीक और िीन व्यजक्ि विट्ो फटीिाइिेशन का प्रयोग होिा है ।

4) जी.एम. सरसों : धारा मस्टिा हाइत्रब्रि -11 एक आनि


ु ांशशकी संशोगधि (िी.एम.) संकर सरसों है ।
संकर पौधे को आमिौर पर एक ही प्रिानि के दो आनि
ु ांशशक रूप से शिन्न पौधों में मेि कराकर
प्राप्ि क्रकया िािा है । पहिी पीढी की संिानों की व्यजक्िगि पैदािार क्षमिा मि
ू पीढी की िि
ु ना में
अगधक होिी है । िेक्रकन सरसों में कपास, मक्का अथिा िंबाकू की िांनि कोई प्राकृनिक संकरण िंत्र
नहीं होिा है । इसका कारण है क्रक इसके फूिों में दोनों मादा (िायांग) और नर (पष्ु पांग) प्रिनन अंग
होिे हैं, िो पौधे को प्राकृनिक रूप से स्िःपरागण में सक्षम बनािे हैं।

िैज्ञाननकों में सरसों में िी.एम. िकनीक का प्रयोग करके एक िीविि संकरण िंत्र विकशसि क्रकया है ।
पररणामी िी.एम. सरसों संकर पादप में , क्रकए गए दािे के अनस
ु ार दे श में ििामान उगायी िाने िािी
सिाश्ेष्ठ क्रकस्म ‘िरुणा’ से 25-30% अगधक पैदािार होगी। यह िकनीक टदल्िी विश्िविद्यािय में
सेंटर फॉर िेनटे टक मैननप्यि
ु ेशन ऑफ िॉप प्िांट्स (सी.िी.एम.सी.पी.) द्िारा विकशसि की गयी है ।

5) जीन थेरेपी : गण
ु सत्र
ू उपचार यानन िीन थेरेपी का विकास कोशशकाओं में खराब गण
ु सत्र
ू ों के स्थान
पर गण
ु सत्र
ू ीय पदाथा समाविष्ट करने अथिा िािदायक प्रोटीन बनाने के शिए क्रकया गया है । इस
िकनीक की मदद से गचक्रकत्सक शसजस्टक क्रफब्रोशसस, हीमोफीशिया, मांसपेशीय कुपोिण, शसक्रकि सेि
एनीशमया, बडी-B कोशशका शिम्फोमा आटद रोगों को ठीक कर सकिे हैं।

6) स्टे म सेल उपिार: स्टे म सेि में मानि शरीर में प्रत्येक उत्तक के ननमााण की क्षमिा है , इसशिए
उत्तक पन
ु रोत्पादन अथिा मरम्मि में िविष्य में उपचार के शिए इसमें बहुि अगधक संिािना है ।
इन्हें व्यापक िौर पर प्िरू ीपोटें ट स्टे म सेि और मल्टीपोटें ट स्टे म सेि में बांट सकिे हैं। प्िरू ीपोटें ट
स्टे म सेि का यह नाम इसशिए है क्योंक्रक ये शरीर में सिी प्रकार की कोशशकाओं में वििाजिि होने
की क्षमिा रखिे हैं िबक्रक मल्टीपोटें ट स्टे म सेि क्रकसी खास गण
ु सत्र
ू श्ंख
ृ िा अथिा केिि क्रकसी
खास ऊत्तक की कोशशकाएं बन सकिे हैं।

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सरकारी नीततयां

राष्ट्ट्ीय जैवतकनीकी षवकास रणनीतत 2015-2020 (NBDS)

• जैव-प्रौद्योगिकी षवभाि ने शसिम्बर 2007 में प्रथम राष्ट्ीय िैि-प्रौद्योगगकी विकास


रणनीनि की घोिणा की थी जिसने इस क्षेत्र में अत्यगधक अिसरों की एक झिक टदखिाई
थी।
• इसके बाद, एन.बी.िी.एस. को टदसम्बर 2015 में शरु
ु क्रकया गया जिसका उद्दे श्य िारि को
विश्ि स्िर का एक िैिननमााण केन्द्र बनाना था।
• इससे एक प्रमख
ु शमशन शरु
ु हुआ, जिसे नए िैि-प्रौद्योगगकी उत्पादों के ननमााण के शिए
िरूरी ननिेश का समथान प्राप्ि था, इससे शोध एिं विकास के शिए एक मिबि
ू बनु नयादी
ढांचे का विकास हुआ और इसने व्यिसायीकरण िथा िारि के मानिों को सशक्ि बनाया।
• यह शमशन िैिप्रौद्योगगकी औद्योगगक अनस
ु ध
ं ान सहयोग पररिद (BIRAC) द्िारा
कायााजन्िि होगा। शमशन में पांच ििों के शिए िारि सरकार द्िारा 1500 करोड रुपए से
अगधक का ननिेश क्रकया गया है जिसमें विश्ि बैंक कायािम िागि का 50% योगदान दे
रहा है ।
• एन.डी.बी.एस. के मख्
ु य तत्त्वों में बढिी िैविक अथाव्यिस्था के साथ पयाािरण की
िानकारी को पन
ु िीविि करना है और समािेशी विकास के शिए िैिप्रौद्योगगकी उपकरणों
पर ध्यान दे ना है ।

रणनीतत –

• एक कुशि कायाबि का ननमााण करना िथा िैज्ञाननक अध्ययनों की मि


ू िि
ू , विियात्मक और
अंिर-विियात्मक शाखाओं में शोध सवु िधाओं को बेहिर बनाना है ।
• निाचार, ट्ांसिेशनि क्षमिा और उद्यशमिा को पोविि करना।
• एक पारदशी, दक्ष और िैजश्िक रूप से सिाश्ेष्ठ ननयामक िंत्र एिं संचार रणनीनि सनु नजश्चि
करना।
• प्रौद्योगगकी विकास और िैजश्िक िागीदारी के साथ परू े दे शिर में ट्ांसिेशन नेटिका िैयार
करना।
• ििा 2025 िक 100 त्रबशियन अमरीकी िॉिर के िक्ष्य की चुनौिी को प्राप्ि करने के शिए
िारि को िैयार करना।
• चार प्रमख
ु शमशन – स्िास््य दे खिाि, खाद्य एिं पोिण, स्िच्छ ऊिाा और शशक्षा शरु

करना।
• िीि विज्ञान और िैि-प्रौद्योगगकी शशक्षा पररिद का गठन करके मानि पि
ूं ी का ननमााण
करने के शिए एक केजन्द्रि िथा रणनीनिक ननिेश।

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राष्ट्ट्ीय बायोफामाक ममिन

यह बायोफामाास्यटु टकल्स के खोि अनस


ु ध
ं ान से उनके शीघ्र विकास को बढाने के शिए एक
औद्योगगक-शैक्षक्षक सहयोगी शमशन है ।

विश्ि बैंक द्िारा समगथाि इनोिेट इन इंडिया (i3) कायािम के िहि इस शमशन का उद्दे श्य इस क्षेत्र
में उद्यशमिा और स्िदे शी विननमााण को प्रोत्साटहि करने के शिए एक सक्षम पाररजस्थनिकी िंत्र का
ननमााण करना है । इस शमशन का ध्यान केजन्द्रि है –

• नई िैक्सीन, बायोथेररप्यटू टक, नैदाननक और गचक्रकत्सीय यजु क्ियों का विकास करना िो रोगों
की बढिी संख्या को कम करे ।
• अिग-थिग उत्कृष्टिा केन्द्रों (शैक्षणणक संस्थानों) को साथ िाना, क्षेत्रीय क्षमिाओं में िद्
ृ गध
करना और ििामान िैिसमह
ू (बायो-क्िसटर) नेटिका क्षमिाओं को मिबि
ू करने के साथ-
साथ आउटपट
ु की गण
ु ित्ता एिं मात्रा को बढाना।
• अगिे पांच सािों में 6-10 नए उत्पाद दे ना और अगिी पीढी के कौशि के शिए कई समवपाि
केन्द्रों का ननमााण करना।
• उत्पाद सत्यापन के शिए प्िेटफॉमा िकनीकें विकशसि करना, नैदाननक प्रयोग नेटिका मिबि

करने के शिए संस्थानों को मिबि
ू करना, नए उत्पादों के शिए आंशशक गैर-िोणखम को
बढािा दे ना और बायोएगथक्स, बायोइनफॉरमेटटक्स आटद िैसे उिरिे क्षेत्रों में क्षमिाएं
विकशसि करना।
• प्रारं शिक ध्यान एच.पी.िी., िेंगू के शिए िैक्सीन और कैं सर के शिए बायोशसशमिसा, मधम
ु ेह
और रुमेटॉइि आथाराइटटस और गचक्रकत्सीय यजु क्ियां एिं ननदानों पर होगा।

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