Professional Documents
Culture Documents
शूद्रो ब्राह्मणतामेति
शूद्रो ब्राह्मणतामेति
श्रीराम!
कह ीं से सुनकर बड़े जोर शोरसे इस श्लोकको उठाते रहते हैं। अस्तु कुछ
ब्राह्मणाज्जातः श्रेयसाचेत्प्रजायते।
कन्याको ह जन्म दे तीहै ,इस प्रकार परीं परासे छठी कन्या श्जस पत्र
ु को
कर लेताहै ।इससे पव
ू ा उत्पन्न सींतान नह ीं।
शूद्रामें ब्राह्मणसे उत्पन्न पारशव केवल शूद्रसे वववाह करके उसमें पुत्र
समझना चादहए।
इस प्रकार पूवाापर प्रकरणमें कह ीं यह नह ीं कहा गयाहै कक कमा करके
इसी जन्म में शूद्र ब्राम्हण तथा ब्राम्हण शूद्र हो जाताहै ; ऐसा अथा करना
दरु ाग्रह मात्रहै । जातत पररवतान सींभव होताहै ,यह १०:४२में स्पष्ट कहाहै -
जाता।
व्यथा ह आज कल तथा कथथत साम्य वाद लोग गाल बजातेहै।तीन
ददन में शूद्र को ब्राह्मण ,ब्राह्मण को शूद्र बनानेमें लगे हैं।इससे अच्छा