सन अस्सी (Sam Assee)

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सन ् अस्सी

(1) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

सन ् अस्सी
सन ् 1980-90 के दयम्मान एक छोटे से औद्मोगगक शहय ‘जभशेदऩयु ’
भें मव
ु ा होते फचऩन की कहानी

डॉo मभगथरेश कुभाय चौफे

(‘सन अस्सी’ जभशेदऩुय की भोहल्रा सॊस्कृतत ऩय आधारयत अफतक का


सवाागधक चगचात एवॊ सपरतभ उऩन्मास है . इसका प्रथभ सॊस्कयण 2017
भें प्रकामशत हुआ था. इस उऩन्मास की अफतक 500 से अगधक प्रततमाॉ
ववमबन्न फक
ु स्टारों तथा ऑनराइन भाध्मभों से बफक चक
ु ी हैं.)

भद्र
ु क
ऻानज्मोतत एजक
ु े शनर एॊड रयसचा पाउन्डेशन(ट्रस्ट) प्रेस जभशेदऩयु , झायखण्ड-831005 द्वाया
भुद्रद्रत एवॊ ववतरयत.

(2) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

Title: San Assee (सन ् अस्सी)

Author: Mithilesh Kumar Choubey

©Author

Edition: 2

Volume: 1

Pages: 130

Year of Publication 2016

Book Version: Paper Back

Price: 100 (Excluding Postal /Shipping Charges)

Foreign: $4 ((Excluding postal/Shipping Charges)

Reprint: 2018

ISBN: 978-93-5267-586-9

रेखक: डॉO मभगथरेश कुभाय चौफे, 62, ब्रॉक-3, शास्रीनगय, कदभा, जभशेदऩुय, झायखण्ड, वऩन-831005 ई
भेर:drmithileshkumar@gmail.com

दूयबाष : 09334077378, 0657-2226693

सन ् अस्सी

भूल्म : 150 रूऩमे

वषा : 2017

© रेखक

सवाागधकाय सुयक्षऺत है. इस ऩुस्तक के ककसी बी अॊश को रेखक की मरखखत अनुभतत मरए बफना ककसी बी रूऩ भें (चक्र भुद्रण)
द्वाया मा अन्मथा ऩुन: प्रस्तुत कयने की अनुभतत नह ीँ है

ऻानज्मोतत एजुकेशनर एवॊ रयसचा पाउॊ डेशन प्रेस, ब्रॉक-3, शास्रीनगय, कदभा, जभशेदऩुय, झायखण्ड, वऩन-831005 द्वाया
प्रकामशत एवॊ भुद्रद्रत

(3) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

सन ् अस्सी

(सन ् 1980-90 के दयम्मान जभशेदऩुय शहय भें मुवा होते फचऩन की कहानी)

एक शहय जो फसा है भेय आॉखों भें ,


उसके हज़ाय अफ़सानों भें एक अफ़साना तुम्हाया बी है I

एक कॊचा, एक रट्टू, एक रूडो, एक ऩतॊग,


गड़ु िमा की सािी ऩय टॊ का एक मसताया तम्
ु हाया बी है I

ढूॊढ रो ख़ुद को इस अफ़साने भें ,


इस ककस्से का एक द्रहस्सा, तम्
ु हाया बी है I

मह कहानी उस दौय की है , जफ पटी ऩतॊगों को बात की रुगदी से चिऩका


कय आकाश भें फाज की तयह उड़ामा जाता था. भाॊझे इतने काततर कक अगय
जगह ऩय रग जाएॉ तो ऩतॊगे ही नहीॊ फल्कक ल्जन्दगी की डोय बी काट दें .

………सन ् अस्सी की कहानी भूररूऩ से जभशेदऩुय शहय भें खयकई नदी के


ककनाये फसीॊ छोटी फल्स्तमों के मुवा होते हुए ककशोयवम के रड़कों के फिऩन
की भस्ती, ककशोयावस्था के प्रेभ, मुवावस्था के सॊघषष, औय अऩने साॊस्कृततक
भूकमों को अगरी ऩीढ़ी को सौऩने की……….जद्दोजेदह की कहानी है .

रेखक

जभशेदऩुय, झायखण्ड, बायत


नवम्फय 2018

(4) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

प्रस्तावना

सन अस्सी जभशेदऩयु के साहहत्म जगत के सपरतभ एवॊ सवाषचधक


िचिषत उऩन्मासों भें से एक है . इसका प्रथभ सॊस्कयण २०१७ भें
प्रकाशशत हुआ था. इस उऩन्मास की अफतक 500 से अचधक प्रततमाॉ
ववशबन्न फकु स्टारों तथा ऑनराइन बफक िुकी हैं.

1980 के दशक के बायत के एक छोटे के औद्मोचगक शहय


‘जभशेदऩयु ’ भें गॊगा की खेततहय ऩष्ृ ठबशू भ से आ फसे ककसान-ऩत्र
ु ों का
कायखाना भजदयू के रूऩ भें रूऩाॊतयण, औय उनके जीवन शैरी भें होने
वारे फदरावों का फायीकी से वणषन कयती मह ककताफ हहॊदी साहहत्म
का गैय-जरुयी भकड़जार नहीॊ फन
ु ती, फल्कक फेहद सहजता के साथ सन
अस्सी के दशक के जभशेदऩयु की कहानी कहती है . ‘सन ् अस्सी’
जभशेदऩयु के एक भोहकरे के रोगों की कहानी बय नहीॊ है, फल्कक
सभकारीन सभाज के साभाल्जक, आचथषक औय ऩमाषवयणीम जीवन
का जीवॊत दस्तावेज बी है .

सन ् अस्सी के रेखक की सफसे फड़ी ववशेषता उसकी ‘सॊवाद’ को


‘साहहत्म’ के ऊऩय प्राथशभकता दे ने की हहम्भत है . इस उऩन्मास का
रेखक अऩनी आड़ी-ततयछी शब्दावरी औय अजीफोगयीफ रेककन फेहद
हदरिस्ऩ वाक्म-ववन्मास के साथ तनताॊत ही भौशरक, अनठ
ू ा औय
ववरऺण प्रमोग कयता है .

सन ् अस्सी के शरू
ु आती ऩन्नों भें एक अजीफ सा सकून बया ठहयाव
है , रेककन,जकदी ही इस ककताफ की असभान्म गतत औय घटनाओॊ का

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सन ् अस्सी

िक्रव्मह
ू आऩको अशबबत
ू कय दे ता है . कपय, सन ् अस्सी, ‘सि’ मा
‘फ़साना’ आऩ इसे जो बी कहें , ऩाठक को आखयी ऩन्ने तक ठहयने
नहीॊ दे ती.

आऩ जैस-े जैसे इस ककताफ के ऩन्ने ऩरटते जामेंगे, वैस-े वैसे इस


ककताफ के ऩात्र आऩके इदष -चगदष आकय खड़े हो जाएॉगे औय आऩको
अतीत की सैय ऩय कुछ मूॉ रेते जाएॉगे, भानो आऩकी औय इनकी फहुत
ऩयु ानी जान-ऩहिान हो.

सन ् अस्सी का ऩहरा हहस्सा उस दौय के ककशोयों की डेल्स्टनी है ,


औय दस
ू या हहस्सा उनके मव
ु ावस्था का सॊघषष. घटनाएॉ बफरकुर ही
जानी ऩहिानी हैं, रेककन रेखन की बाषा, शैरी, प्रवाह औय
तनयन्तयता घटनाओॊ को अनठ
ू े रूऩ भें स्थावऩत कयती है .

मकीनी तौय ऩय सन ् अस्सी, सभम की ये त ऩय एक न शभटने वारा


हस्ताऺय है .

याहुर दे व

12-11-2018

(6) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

यघुनाथऩुय, फक्सय बफहाय: 2016

फारयश का भौसभ सभाप्त होने को है . तनशशकाॊत जनता एक्सप्रेस से


ऩटना जॊक्शन से िर कय रगबग ऩिीस वषों फाद फक्सय ल्जरे के
यघन
ु ाथऩयु ये रवे स्टे शन ऩय उतयते हैं. अबी दो भहीने ऩहरे ही उन्होंने
अऩना ऩयु ाना भकान फेि कय 2000 स्क्वामय पीट का एक नमा फ्रैट
ऽयीदा है . फ्रैट के गह
ृ प्रवेश की ऩज
ू ा का भह
ु ू तष दीऩावरी के एक हफ्ते
फाद है . उनके गाॉव आने का भकसद है , अऩने अस्सी सार के दादा
याभसनेही ततवायी को इस अवसय ऩय अऩने ऩश्ु तैनी गाॉव से जभशेदऩयु
रे जाना.

वे भहसस
ू कयते हैं कक यघन
ु ाथऩयु ये रवे स्टे शन के आस-ऩास का ऺेत्र
अफ ऩयू ी तयह फदर िक
ु ा है . ये रवे स्टे शन ऩय अफ टभटभ वारे
रगबग नहीॊ के फयाफय हैं. उनकी जगह अफ ऑटोरयक्शा वारों ने रे
री है . साभने नाश्ते की दक
ु ानें हैं, रेककन, उन दक
ु ानों भें अफ वऩआव,
गाजा, सोन-ऩाऩड़ी, रकठो, ऩटौया आहद जैसे खाशरस दे शी खाने-ऩीने की
िीजें नही हैं. जगह-जगह िाइनीज पूड की छोटी–छोटी दक
ु ानें खुर
गई हैं. चिप्स के यॊ गबफयॊ गे ऩॉरीऩैक दक
ु ानों भें रटक यहे हैं.

ऩान की दक
ु ानों भें दजषनों प्रकाय के गट
ु खे औय तम्फाकू के छोटे -छोटे
ऩैकेट रटके ऩड़े हैं. ऑटोरयक्शावारों से रेकय सड़क ऩय भोटयसामककर
िरा यहे ककशोयों तक के भॉह
ु तम्फाकू औय गट ु खे से बये हुए हैं.
दक
ु ानों के साभने औय सड़क के दोनों ककनायों ऩय गट ु खों की हजायों
खारी ऩल्न्नमाॉ बफखयी ऩड़ी हैं. ककसी से कुछ ऩतू छए तो वह कुछ
फोरने की फजाम इशायों भें जवाफ दे ता है . औय, अगय फोरना जरूयी

(7) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

हो तो वह अऩने भॉह
ु को ऊऩय की तयप उठा कय फेहद अनभने बाव
से दो-िाय वाक्म फोर दे ता है .

तनशशकाॊत, यघन
ु ाथऩयु ये रवे स्टे शन से ऩैदर ही अऩने गॊतव्म की तयप
फढ़ते हैं.

अफ यघन
ु ाथऩयु स्टे शन को ब्रह्भऩयु से जोड़ने वारी सड़क के दोनों
ककनायों के खेतों भें सैकड़ों रयहाइसी भकान फन गए हैं. रगता है ,
आज से िारीस-ऩिास सार ऩहरे जो रोग गाॉवों से शहयों भें
नौकरयमाॉ कयने गए थे वे मा तो वाऩस रौट आए हैं, मा कपय, आस-
ऩास के ग्राभीणों ने गाॉवों से फाहय तनकर कय भख्
ु म सड़क के दोनों
ककनायों के खेतों भें अऩने घय फना शरमे हैं. दयू कहीॊ सयू ज डूफ यहा है .
इक्के-दक्
ु के ऩऺी अऩने फसेयों की तयप रौट यहे हैं. शाभ तो योज होती
है , रेककन शहयों की गगनिुम्फी इभायतों के फीि ऩता ही नहीॊ िरता
कक शाभ कफ ढर गई. अजीफ फात है , अफ गाॊवों भें बी शाभ को
फसेयों की तयप रौटने वारे ऩक्षऺमों के झण्
ु ड नहीॊ दीखते.

तनशशकाॊत सोिते हैं, ”गाॉव का कस्फे भें, कस्फे का शहय भें औय शहय
का भहानगय भें फदरना ववकास की आधुतनक अवधायणा के अनस
ु ाय
एक सहज औय साभान्म प्रकक्रमा है . रेककन, गाॉव के खेतों का भकानों
औय दक
ु ानों भें फदरना भन को डयाता है . गाॉव का ककसान, भजदयू
फने मा ककयाने की दक
ु ान खोरे, ज्मादा अॊतय नहीॊ. हहॊदस्
ु तान के
गाॊवों भें ककसान आत्भहत्मा कयते हैं, ककन्तु शहयों भें भजदयू धीये –धीये
भयते हैं. गाॉव भें ककसान बख
ू से भयता है औय शहय भें भजदयू फनकय
कुऩोषण, फीभायी औय तनाव से. ककसान जभीन का भाशरक है , इसशरए
उसभें ठसक ज्मादा होती है. वह अऩभान की ल्जन्दगी नहीॊ जी ऩाता,

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सन ् अस्सी

इसशरए अऩने जीवन का अॊत कय रेता है . वही ककसान जफ भजदयू


फनकय शहय जाता है तो भाशरक से नौकय फनने की तनमतत को
स्वीकाय कय ल्जन्दा यहने के शरए सॊघषष कयता है , ककन्तु ऐसा हो नहीॊ
ऩाता. उसकी तनमतत वहाॉ बी उसका ऩीछा नहीॊ छोड़ती.”

तनशशकाॊत को अऩना फिऩन माद आता है . तफ वे गाॉव के स्कूर भें


सातवीॊ क्रास भें ऩढ़ते थे. तफ अिानक गाॉव की यॊ गत फदरने रगी
थी. अफ खेत फोता कोई औय था औय काटता कोई औय था. तनशशकाॊत
के वऩता याभधनी ततवायी गाॉव के दस
ू ये रोगों के साथ शभरकय यात-
यात बय जाग कय खेतों की यखवारी कयते थे, ककन्तु हय भहीने, दो
भहीने फाद गाॉव के ककसी न ककसी घय से योने–ऩीटने की आवाज आ
ही जाती थी.

याभधनी ततवायी के फाऩ–दादा सहदमों से खेती-फाड़ी कयते आ यहे थे.


रेककन, फदरे हुए भाहौर भें अफ उनके शरए ककसानी फत
ू े की फात
नहीॊ यह गई थी. ल्जन खेतों भें कर तक हर िरते थे, वहाॊ अफ
गोशरमाॊ िरती थीॊ. खेतों भें अफ गेहूॊ की जगह फारूद फोई जा यही थी,
औय पसरों के रूऩ भें राशें उग यही थीॊ.

इधय तनशशकाॊत की अम्भा बी अऩने ऩतत औय फच्िों की जान को


रेकय डयी हुई थी. अत: एक हदन वह ऩतत से फोरी, “गाॉव से फाहय
तनकाशरए नहीॊ तो फच्िे बख
ू ों भय जामेंगे. अगय बख
ू से नहीॊ बी भये
तो ककसी हदन खेत ऩय सनराईट- नक्सराईट के िक्कय भें आऩ भया
जाइएगा, तफ हभ ई छोटा-छोटा फच्िा सफ को रेकय कहाॉ जामेंग?े ”

(9) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

अगरे हदन जफ याभधनी ततवायी सऩरयवाय शहय जाने का प्रस्ताव


रेकय अऩने फढ़
ू े वऩता ऩॊडडत याभसनेही ततवायी ऩास गए तो उनकी
ऑ ॊखें बय आमीॊ. मूॉ तो ऩॊडडतजी बी खेतों भें चगयती राशों से अनशबऻ
न थे, कपय बी फेटे को योकने की उन्होंने आऽयी कोशशश की. फोरे,
“रगता है हभायी ऩतोहू गाॉव भें घघ
ूॊ ट काढ़ते–काढ़ते उकता गई है ?
तनशशकाॊत की अम्भा जफ गाॉव की औयतों के साथ फैठकय ये डडमो ऩय
शसनेभा का गाना सन
ु ती थी तफ ही हभ सभझ गए थे कक अफ ई गाॉव
भें ना हटकेगी.”

वह कपय फोरे, “दे खो फेटा, औयतजात को जनभबशू भ का भोह नहीॊ


होता. उसका ऩतत उसको जहाॉ रेकय जाता है , वह वहीीँ की हो जाती है .
रेककन, तभ
ु तो ऩरु
ु ष हो, अगय िरे गए त इहाॉ सफ कुछ खतभ हो
जाएगा.”

याभधनी ततवायी अऩने फढ़


ू े हो यहे फाफज
ू ी की फात सन
ु कय यो ऩड़े औय
रुॊ धे गरे से फोरे, “फाफज
ू ी, फार-फच्िा सफ का ल्जन्दगी के शरए सफ
छोड़ना ऩड़ेगा. अऩना गाॉव, जवाय, खेत, औय ऩव
ू ज
ष ों की ववयासत सफ
कुछ! जाना ऩड़ेगा फाफज
ू ी ! अफ कौनो ववककऩ नहीॊ फिा है .” उत्तय
भें फाफज ू ी करऩते हुए फोरे, ”फेटा, उगते सरु
ू ज को तो सबी अर्घमष दे ते
हैं, रेककन डूफते सरु
ू ज को अर्घमष दे ने के शरए रोग सार-बय छठ व्रत
का इन्तजाय कयते हैं. फेटा, हभ फढ़
ू ा हो यहे है . हभाये भयने का
इन्तजाय भत कयना. भहीना दो भहीना भें एक दो फाय जरूय आते
यहना.”

***

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सन ् अस्सी

तफ सफ
ु ह आठ फजे फक्सय से एक रोकर ट्रे न खुरती थी, जो ठीक
तीस शभनट फाद यघन ु ाथऩयु ये रवे स्टे शन ऩहुॉिती थी. मह रोकर ट्रे न
महाॉ दो शभनट रूकती.

तनशशकाॊत के ऩरयवाय को स्टे शन से ववदा कयने के शरए उसके दादा


औय गाॉव के िाय- ऩाॊि रोग आमे थे. ट्रे न भें बीड़ कभ ही थी.
तनशशकाॊत को खखड़की के ककनाये वारी सीट शभर गई. हये -बये खेतों
को िीयती हुई ट्रे न ऩटना की तयप फढ़ िरी. तनशशकाॊत के शरए तीन
घॊटे का मह सफ़य गॊगा के भैदानों की वैहदक-वाॊग्भम की ऩष्ृ ठबशू भ भें
हये -बये खेतों के भध्म ववकशसत बायत के अद्भत
ु ग्राभीण जीवनशैरी
का हदव्म-दशषन था. तफ उत्तय बफहाय के गॊगा की भैदानी ग्राम्म-
सॊस्कृतत से दक्षऺण बफहाय के ऩहाड़ों औय हये -बये वनों से रदे -पदे इस
हरयत प्रदे श को जोड़ने वारी ट्रे न थी ‘दक्षऺण बफहाय एक्सप्रेस’.

दक्षऺण बफहाय एक्सप्रेस से याबत्र सात फजकय ऩन्रह शभनट ऩय


तनशशकाॊत ऩटना से जभशेदऩयु की तयप यवाना हुए. फाढ़ ये रवे स्टे शन
तक ट्रे न भें रोकर मात्री िढ़ते-उतयते यहे . रेककन, फाढ़ ये रवे स्टे शन
के ऩाय कयते ही ट्रे न भें िढ़ने-उतयने वारे माबत्रमों की यफ़्ताय अिानक
थभ गई औय ट्रे न ने यफ़्ताय ऩकड़ री. इसके साथ ही कूऩे भें भौजूद
मात्रीगण अऩने-अऩने फथष ऩय सोने की तैमायी कयने रगे.

सफ
ु ह ऩाॊि फजे जफ तनशशकाॊत की नीॊद खुरी तो ये रगाड़ी गॊगा के हये -
बये भैदानी ऺेत्र से तनकर कय दक्षऺण बफहाय के रार शभट्टी वारे ऩठाय
भें प्रवेश कय िुकी थी. तनशशकाॊत को िाॊडडर ये रवे स्टे शन के दोनों
ओय खड़े कारे ववशार ऩहाड़ ककसी गस्
ु सैर ऩहये दाय की तयह रगे.

(11) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

ऩरकें फॊद होने औय खर


ु ने के फीि इतना फड़ा दृश्म-ऩरयवतषन!
तनशशकाॊत का फार-भन इसे सहज ही स्वीकाय नहीॊ कय सका.

वऩता ने हॉसते हुए कहा, “हभाये गाॉव की गॊगा की शभट्टी के सीने से


अकूत अन्न उऩजता है औय इस ऩठायी बशू भ के गबष से रोहा!”

***

जभशेदऩुय:1980

जभशेदऩयु , इस्ऩात फनाने वारे कभषठ भजदयू ों का एक मव


ु ा शहय!

औद्मोचगक शहयों की एक ववशेषता मह होती है कक आऩ इनके जन्भ


के सार को तनधाषरयत कय सकते हैं. इस दृल्ष्टकोण से जभशेदऩयु
जन्भा था सन ् 1907 भें .

अस्सी के दशक भें जभशेदऩयु के तनवाशसमों की ल्जॊदचगमाॊ तीन िीजों


के इदष-चगदष घभ
ू तीॊ थीॊ. मे थीॊ ऩोंगा, ऩगाय औय डफर ऩगाय. शरू
ु आती
दौय भें कॊऩनी भें काभ कयने वारे अनऩढ़ भजदयू ों ने कॊऩनी के सभम
फताने वारे सामयन को ‘ऩोंगा’, वेतन को ‘ऩगाय’ औय साराना फोनस
को ‘डफर ऩगाय’ कहना आयम्ब कय हदमा था. हय भहीने की 1 तायीख
को शभरने वारे ऩगाय का इन्तजाय भजदयू के ऩरयवाय के साथ-साथ
सद
ु यू गाॉवों भें फैठे उनके वद्ध
ृ भाता-वऩता बी ककमा कयते थे.

‘डफर ऩगाय’ मा ‘वावषषक फोनस’ जो दग


ु ाषऩज
ू ा के ठीक ऩहरे शभरता
था, त्मोहायों की यौनक फढ़ा दे ता था. वैसे भजदयू ों के ‘डफर ऩगाय’ का
इन्तजाय कजष दे ने वारे सद
ू खोय रोगों को सफसे ज्मादा होता था.

(12) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

दे श के कोने-कोने से टे क्नोक्रैट औय अन्म रोगों के आगभन के कायण


इस नए-नवेरे औद्मोचगक शहय की साझा-सॊस्कृतत एक नए रूऩ भें
ववकशसत हुई. इसभें स्थानीमता के अॊश फहुत कभ थे. गज
ु यते सभम
के साथ शहय के रोगों ने बाषा, खान-ऩान, यहन-सहन औय यीतत-
रयवाजों भें फेहद सरु
ु चिऩण
ू ष साभन्जस्म स्थावऩत कय शरमा. ऩता ही
नहीॊ िरा, कफ जभशेदऩयु शहय ने सफ
ु ह के नाश्ते भें इडरी–दोसा,
दोऩहय के खाने भें िावर-दार औय शाभ के नाश्ते भें िाट-गोरगप्ऩे
खाना शरू
ु कय हदमा?

ॊ े
खयकई तट ऩय गॊगा तट के फामशद

1980 के दशक भें जभशेदऩयु का तेजी से ववकास हो यहा था. इसका


एक हहस्सा टाटा कॊऩनी के तनमॊत्रण भें था. जभशेदऩयु शहय का दस
ू या
हहस्सा खयकई नदी के ककनाये -ककनाये फसा. इसी हहस्से भें कई
अततक्रशभत फल्स्तमाॊ फसीॊ. इन्हीॊ फल्स्तमों भें फसे, बफहाय के गॊगा के
भैदानी हहस्सों से राखों की सॊख्मा भें नौकयी की तराश भें जभशेदऩयु
आमे रोग. मे रोग कपय कबी अऩने गाॉव वाऩस नहीॊ रौटे . दयअसर
इनभें से कुछ रोग जफ फयसों फाद अऩने गाॉव रौटे तो वे गाॉव के
जीवन को स्वीकाय नहीॊ कय ऩाए. शामद इसशरए, क्मोंकक जभशेदऩयु
की नमी औद्मोचगक सॊस्कृतत ने उनके ऩयु ाने जीवन शैरी को कापी
हद तक फदर हदमा था. अफ उन्होंने जभशेदऩयु भें फड़ी–फड़ी फल्स्तमाॊ
फसामीॊ. भानगो, सोनायी, कदभा जैसे रयहामसी इराकों भें हजायों फ्रैट
फने.

उत्तय बफहाय से आमे रोगों ने आयम्ब भें अऩनी गॊगा ककनाये वारी
खेततहय सॊस्कृतत को फिाने की ऩयू ी कोशशश की.

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सन ् अस्सी

अस्सी के दशक भें जभशेदऩयु भें ‘होरी’ औय ‘िैता’ जैसे बोजऩयु ी


रोकगीत साभहू हक रूऩ से उत्तय बफहाय के रोगों द्वाया गामे जाते थे.
इन गीतों की ववशेषता मह होती थी कक इनभें सन
ु ने वारे कभ होते थे
औय गाने वारे ज्मादा. भतरफ, इनभें साभहू हक गामन की ऩयम्ऩया
थी. 1980 के दशक भें शहय के फागफेड़ा, आहदत्मऩयु , गोववॊदऩयु जैसे
इराकों भें बोजऩयु ी रोकगीत गाने वारों की कई भॊडशरमाॉ थीॊ.

गॊगा ककनाये के राखों ककसान-ऩत्र


ु जफ भजदयू फनकय जभशेदऩयु आमे
तो वे अऩने साथ रोक-आस्था से जुड़े छठ नाभक एक त्मौहाय बी
साथ रामे. सम
ू ष की उऩासना का मह त्मौहाय कई अथो भें छोटानागऩयु
के प्रकृततऩज
ू क आहदवासी सभाज के त्मोहायों जैसे: सयहुर, कयभा औय
सोहयाई जैसा ही था.

1980 के आयल्म्बक सारों भें खयकई नदी के घाट के आस-ऩास का


इराका रगबग जनववहीन था औय नदी-जर इतना स्वच्छ औय
ऩायदशी कक नदी की तरहटी भें नािती भछशरमाॉ बी हदख जामें.

1970 के दशक से ही खयकई औय स्वणषयेखा के तट, छठ के दीमों से


जगभग हो उठे , छठ के रोकगीतों की भधुय स्वय-रहरयमों से
इस्ऩातनगयी का औद्मोचगक वातावयण गज
ुॊ ामभान हो उठा औय बफहाय
के रोक-आस्था का प्रतीक छठ-व्रत बफहाय के ग्राभीण अॊिर से तनकर
कय जभशेदऩयु भें एक ववशद्ध
ु शहयी व्रत ऩयम्ऩया का आकाय रेने रगा.

महाॉ के ऩढ़े –शरखे सभाज भें रोक-आस्था के भद्द


ु ों को िन
ु ौती दे ने वारी
ककसी बी वविायधाया की कोई जॊग नहीॊ छे ड़ी गई, फल्कक रोक-
आस्था को फेहद सम्भान के साथ बायतीम सॊस्कृतत के एक अतनवामष

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सन ् अस्सी

औय अशबन्न अॊग के रूऩ भें अऩने वैऻातनक दृल्ष्टकोण भें शाशभर कय


शरमा गमा.

मही वजह थी कक ‘छठ के गीत’ बफहाय के दे हात से तनकरकय


जभशेदऩयु के फहुबाषीम, फहुसाॊस्कृततक ऩरयवेश भें रोक-याग के रूऩ भें
अॊककत हो गमे. अऩनी ऩववत्रता, व्रतधारयमों की प्रिॊड आस्था औय
आडम्फयऩण
ू ष आनष्ु ठातनक तनशरषप्तता की वजह से मह त्मौहाय सहज
ही जभशेदऩयु की फहुसाॊस्कृततक छटा का अशबन्न हहस्सा फन गमा.
महाॉ तक कक जभशेदऩयु के सीभावती नक्सर प्रबाववत ल्जरों भें
भाओवादी ववरोहहमों की भाताएॊ बी ऩयू ी श्रद्धi के साथ अऩने नाल्स्तक
हो िरे ऩत्र
ु ों के जीवन के शरए छठ भैमा के साभने अऩना आॉिर
फ़ैराने रगीॊ.

हदवारी के छ: हदन फाद भनाए जाने वारे इस भहाऩवष की तैमायी तो


भहीने बय ऩहरे ही शरू
ु हो जाती थी. भोहकरे के फच्िे जफ झण्
ु ड
फनाकय हाथ भें पावड़ा, कुदार औय झाड़ू रेकय खयकई नदी-घाट की
तयप रुख कयते तो छठ ऩज ू ा के आयम्ब की अनौऩिारयक घोषणा हो
जाती.

कपय शरू
ु होती घाटों की सफ़ाई औय फारू के भड
ुॊ ये फना कय घाटों का
फॊटवाया.

इस दौयान नदी के फारू ऩय कफड्डी, कक्रकेट, रॊफी-कूद, दौड़ आहद का


दौय िरता यहता. फच्िों के शरए छठ-घाट का एक अन्म आकषषण बी
था– दीऩावरी के फिे हुए ऩटाखे. दीऩावरी के अगरे हदन, यात के
बफनपटे ऩटाखे जभा कयने का अशबमान शरू ु होता. इस क्रभ भें

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सन ् अस्सी

दीऩावरी के फिे हुए ऩटाखे के साथ इन्हें शभरा कय धूऩ भें सख


ु ामा
जाता. मे ऩटाखे छठ-घाट ऩय पूटते.

छठ-घाट ऩय ऩटाखे छोड़ने का अजफ आकषषण था. घाट ऩय होभभेड


यॉकेट गजफ ढाते. इन होभभेड यॉकेट का तनभाषण दीऩावरी के कुछ
हदनों ऩहरे ही शरू
ु हो जाता था. सहजन की सख
ू ी हुई रकड़ी को जरा
कय काठकोमरा फनता, कपय उसे ऩीसकय उसभें शोया औय गॊधक का
ऩाउडय शभरामा जाता. इसके फाद दयजी के महाॉ से धागे की खारी
यीरें खयीदी जातीॊ औय उसभें फारूद बय कय झाड़ू की सीॊक के एक
कोने ऩय फाॊध कय अगयफत्ती से उसभें आग रगाई जाती. छठ-घाट
ऩय मे होभभेड यॉकेट कहय ढाते, जो अक्सय ककसी गस्
ु सैर िािा की
धोती भें घस
ु ने का प्रमास कयते. घाटों ऩय घघ
ूॉ ट ओढ़ कय फैठीॊ नमी-
नवेरी दक
ु हनें औय शादी वारी सट
ू ऩहने शादी के फाद ऩहरी फाय
ससयु ार आकय साशरमों के फीि डीॊगें हाॊकते जीजाजी बी इस यॉकेट के
तनशाने ऩय होते.

नवम्फय के ऩहरे सप्ताह भें शहय भें सदी की हरकी थऩकी गारों ऩय
ऩड़ने रगती.

ऩहरे अर्घमष के शरए दोऩहय से ही खयकई के घाट ऩय जाने की तैमायी


शरू
ु हो जाती. इसी हदन ऩहरी फाय हटन के फक्से से स्वेटय तनकरता.
नेफ्थरीन की गॊध को कभ कयने के शरए इसे छत ऩय धूऩ भें डारा
जाता.

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सन ् अस्सी

शाभ होते-होते, रोकगीतों से ऩयू ा भाहौर बल्क्तभम हो जाता. भहहरामें


ऩयू ी तन्भमता औय बल्क्त-बाव के साथ छठ भाता से मािना कयतीॊ

“रूनकी–झुनकी फेट भॊगगरे, ऩढ़र ऩॊड़डतवा दाभाद.”

इस सैकड़ों वषष ऩयु ाने रोकगीत भें ‘फेटी’ औय ‘शशऺा’ के प्रतत प्रािीन
बायतीम रोकजीवन के रगाव का फोध होता है . मव
ु ा भाताएॉ अऩने
नवजात शशशओ
ु ॊ को गर
ु ाफी कम्फर भें रऩेट कय घाट ऩय आतीॊ औय
उन्हें भाता फनने का सौबाग्म दे ने के शरए छठ-भैमा का धन्मवाद
कयती एवॊ अऩने शशशु के चियॊ जीवी होने का आशीष भाॊगतीॊ. यातबय
योने वारे शशशु बी नदीघाट ऩय िुऩ हो जाते औय टुकुय–टुकुय आस-
ऩास के भाहौर को तनहायते. ल्जनकी नई-नई शादी हुई होती वे शादी
का सट
ू ऩहन कय घाट ऩय आते. छठ घाट, ऩज ू ा-ऩाठ के अरावा शहयी
पैशन हदखाने का एक आधाय फनता.

ल्जन मव
ु ा रड़ककमों की शाहदमाॉ तम हो यही होती थीॊ, छठ-घाट ऩय
रड़के वारों द्वाया उनको तछऩ कय दे खे जाने की सॊबावना फनी यहती
थी. अत: शादी मोग्म रडककमाॊ फेहतयीन-से-फेहतयीन कऩड़े ऩहनकय
औय ऩयू ी तयह सज-धज कय छठ-घाट ऩय जातीॊ. हाराॉकक, नमी नवेरी
दक
ु हने, घघ
ुॊ ट की ओट से ही छठ-घाट की भमाषदा फनामे यखतीॊ.

छठ की यात, यतजगे की यात होती. घय ऩयू ी यात कयीफी रयश्तेदायों से


बया यहता. यात के वक्त घय ऩय ऩरु
ु ष वगष शरट्टी-िोखे का आमोजन
कयता. इसभें आटा गथ
ॉू ने, सत्तू तैमाय कयने, औय िोखा-िटनी फनाने
के दौयान हय व्मल्क्त अऩनी-अऩनी ऩाक–करा का प्रदशषन कयता.

खयकई तट ऩय फसी फस्स्तमाॉ

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सन ् अस्सी

खयकई की फाढ़ वारी जभीन ऩय फसा तनशशकाॊत का भोहकरा, उत्तय


बफहाय से योजी-योटी की तराश भें जभशेदऩयु आमे रोगों से बया ऩड़ा
था. ईंटों के फने छोटे –छोटे घय, घयों के ऊऩय एस्फेस्टस की छतें , औय
घय के फगर की खारी जभीन ऩय कद्दू, नेनआ
ु औय कोहड़े के रत्तय.
ऩयू े भोहकरे भें एक सयकायी िाऩाकर औय दो-िाय घयों भें कच्िे–ऩक्के
कुएॉ. शौि, नहाने औय कऩड़े धोने के शरए खयकई नदी. भतरफ, साया
कुछ गाॉव जैसा ही था, ककन्तु महाॉ ऩय बफजरी बी थी, जो थोड़ी दे य के
शरए ही सही प्रततहदन एक- दो फाय जरूय आ जाती थी.

रेककन, तनशशकाॊत जकदी ही सभझ गए कक जभशेदऩयु गाॉव नहीॊ है .


तनशशकाॊत के फाफज
ू ी गभष–गभष, रार-रार रोहा कॊऩनी की बट्टी भें ऩका
कय योज दे य यात अऩने एक कभये वारे एस्फेस्टस के भकान भें
रौटते. गभी औय उभस से बये कभये भें उनके ऩसीने औय कऩड़े भें
रगे ग्रीस औय तेर की फदफू फ़ैर जाती.

एक हदन तो अम्भा फोर ही ऩड़ी, “आऩ गाॉव ऩय जफ खेत से काभ


कयके घय रौटते थे, तफ तो आऩके दे ह से इतनी फदफू ना तनकरती
थी.” जवाफ भें तनशशकाॊत के फाफज
ू ी खखशसमाते हुए फोरे, “बाड़ भें
जाए दे ह की फदफ.ू ऩेट-बय योटी तो शभर जाती है इहाॉ!” वह कपय
तनशशकाॊत को आवाज रगा कय फोरे, “अये , तनशशकाॊत टीवी िराओ ये !
दे खें का हुआ इॊडडमा-ऩाककस्तान के वन डे ककयकेट भैि भें !”

तनशशकाॊत ने उत्तय हदमा, “फाफज


ू ी, टीवी का स्क्रीन खझरशभरा यहा है .
रगता है अम्भा ने कपय से टीवी का एॊटीना ऩय आऩका फश
ु टष धऩ
ू भें
सख
ू ने के शरए ऩसाय हदमा है .”

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सन ् अस्सी

फाउजी ने खखशसमा कय अम्भा की तयप दे खा औय अम्भा ने गस्


ु से से
तनशशकाॊत की तयप. कपय अम्भा खखशसमा कय फोरी, “बफजरी का
बोकटे ज डाउन है . दे खते नहीॊ हैं, टे फर
ु पैन ऐसे िर यहा है जैसे कोई
छोटा फच्िा जफयदस्ती स्कूर बेजे जाते सभम अऩनी अम्भा को योते–
योते टाटा कयता है .” इसके फाद, फाफज
ू ी अऩना सोरह सार ऩयु ाना
दहे जू ये डडमो तनकार कय, कक्रकेट की कभेन्ट्री रगाने रगे.

भोहकरे भें हय दो-िाय हदन ऩय उत्तय बफहाय से दस-दस फीघा जभीन


छोड़ कय आमे ककसान-ऩत्र
ु ों भें बफत्ता- बफत्ता बय जभीन के शरए सय-
पुटौवर होता था. ककसी के घय की नारी का ऩानी योक दे ना भदाषनगी
भानी जाती थी. रोग सयकायी जभीन अततक्रशभत कयने के नए-नए
हथकॊडे अऩनाते. कई रोगों ने तो हनुभानजी को अततक्रभण का दे वता ही
फना डारा था. भतरफ मे कक जभीन की ल्जस रड़ाई को वे गाॉव भें अधूया
छोड़ आमे थे, वही रड़ाई अफ महाॉ बी नए रूऩ भें रड़ी जा यही थी.

सन ् अस्सी की ककशोय सॊस्कृतत

1980 के दशक भें टाटा स्टीर एक सोिी सभझी नीतत के तहत


जभशेदऩयु के भख्
ु म हहस्सें भें एक औद्मोचगक सभाज का ववकास कय
यही थी. कम्ऩनी ने कभषिारयमों के यहने के शरए कदभा, शसदगोड़ा,
फभाषभाइन्स, एचग्रको जैसे आवासीम ऺेत्रों का ववकास कय हजायों की
सॊख्मा भें एक-दो कभयों वारे वकषसष क्वाटसष फनवाए. इन क्वाटसष के
फीि छोटे – फड़े खेर के भैदान थे. इन भैदानों भें कॊऩनी औय गैय–
कॊऩनी इराकों के रड़के कक्रकेट, फ़ुटफार औय दस
ू ये खेर खेरते. इन्हीॊ
खेर के भैदानों के इदष -चगदष जभशेदऩयु की नमी मव
ु ा सॊस्कृतत ववकशसत
हुई.

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सन ् अस्सी

1980 के दशक भें शहय के हय खेर के भैदान भें ककशोय रड़के आऩस
भें िॊदा कयके गणेश ऩज
ू ा औय सयस्वती-ऩज
ू ा कयते. िॊदा काटने से
रेकय भतू तष ववसजषन तक एक फेहद हदरिस्ऩ साभहू हकता का भाहौर
फनता. इस प्रकक्रमा भें भख्
ु म रूऩ से साभद
ु ातमकता के ऩाॊि अरग-
अरग ियण थे- िॊदा काटना, ऩॊडार फनाना, भतू तष औय प्रसाद खयीदना,
राउडस्ऩीकय ऩय कफ़कभी गाने फजाना औय भतू तष का ववसजषन कयना.
इसभें छोटे स्तय ऩय फड़े भजे थे. एक सीक्रेट ग्रऩ
ु बी होता था जो
ऩज
ू ा का िॊदा नहीॊ दे ने वारों औय राउडस्ऩीकय की तेज आवाज को
रेकय आमोजन भॊडरी के फच्िों को धभकाने वारों के खखराप यात के
वक्त गभरे तोड़ने औय बफजरी के फकफ पोड़ने की कायष वाई कयता.
आमोजन भॊडरी भें अक्सय एक सदस्म ऐसा बी होता, जो शशकाय की
फेटी से एकतयपा प्रेभ कयता. वह अक्सय सफकी तनगाहें फिा कय
रड़की के फाऩ के साभने सीक्रेट ग्रऩ
ु के सदस्मों का नाभ प्रगट कय
दे ता था. उसके फाद तो सीक्रेट ग्रऩ
ु के सदस्मों की दश्ु भन दे श के
गप्ु तियों से बी ज्मादा दग
ु तष त होती थी. ककसी ककशोय रड़की के फाऩ
की नई-नवेरी भारुतत भारुतत 800 को फैक कयाने के शरए पोसरा ग्रऩ

के 10-12 सदस्म मूॉ ही आ जाते. ‘अॊकर आने दो, आने दो ... थोड़ा
सा औय आने दो’ की कई आवाजों से अॊकर अक्सय कॊफ्मज
ू हो कय
काय को ऩास की ककसी नारी भें घस
ु ा दे त.े औय कपय, अॊकर की
पटकाय के डय से पोसरा ग्रऩ
ु िऩ
ु िाऩ वहाॊ से खखसक रेता.

राउडस्ऩीकयवारे के बाड़े के ऩैसे वसर


ू ने के िक्कय भें कभेटी के
सदस्म यात-यात बय जाग कय कफ़कभी गाने फजाते. अगय ककसी रड़की
का छोटा बाई आकय दीदी के नाभ से ककसी खास गाने की गाने की

(20) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

पयभाइश कय दे तो सभझ रो उस गाने का रयकाडष तघस गमा. उस


दौय भें राउडस्ऩीकय ऩय कफ़कभी गाने फजा कय प्माय का इजहाय होता
था, जो अखफाय के ववऻाऩन की तयह टायगेट तक तो ऩहुॉिता था,
ककन्तु इसका असय कभ ही होता था.

सयस्वती ऩज
ू ा के अवसय ऩय तनशशकाॊत अक्सय मजभान फनते, औय
उऩवास के नाभ ऩय सफ
ु ह भें ही दो केरे, दो अभरूद, दो सेफ औय एक
चगरास दध
ू ऩेट के अॊदय बेज कय अगरे याउॊ ड का इॊतजाय कयते.

िीन जैसे ‘भै साथ हूॉ’ फोरकय ऩाककस्तान को हहॊदस्


ु तान के खखराप
िढ़ाता है, ठीक उसी तयह फिऩन भें कुछ कभीने दोस्त ‘भैं तेये साथ
हूॉ, डयना नहीॊ है ’, कहकय ककसी से बी शबड़वाकय वऩटवा दे ते थे.

तफ, जभशेदऩयु भें सदी के गर


ु ाफी भौसभ की शरु
ु आत नवम्फय के
भहीने भें हो जाती, औय नमे सार के जश्न की शरु
ु आत हदसम्फय के
ऩहरे सप्ताह भें .

ग्रीहटॊग्स काडष का िरन अफ शहय भें शरू


ु हो िरा था. सडकों के
ककनाये ठे रों ऩय ग्रीहटॊग्स काडष बफकते थे. ककताफों भें तछऩा कय मा
ककसी औय तयीके से ग्रीहटॊग्स काडष का रेनदे न होता. इसी क्रभ भें
इकयाय औय इनकाय के छुऩा-छुऩी का खेर िरता. ककतने ही ग्रीहटॊग्स
काडष ऽयीदे जाते, उनऩय उम्दा-उम्दा शेय शरखे जाते, रेककन वे डय
औय खझझक की वजह से भॊल्जर तक वे ऩहुॉि ही नहीॊ ऩाते थे. कई
फाय ऐसा होता कक ग्रीहटॊग्स काडष भें शरखने की िाह कुछ औय होती
ककन्तु शरख कुछ औय दे त.े रड़की के नाभ के ऩहरे सॊफोधन भें ‘भाई
डीमय’ मा ‘भेयी वप्रम’ शरखते सभम हाथ दस फाय काॊऩते औय करेजा

(21) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

उछर कय हरक तक आ जाता. दस


ू यी गॊबीय सभस्मा ग्रीहटॊग्स काडष के
अॊत भें अऩने नाभ के ऩहरे अऩना ऩरयिम शरखने की होती. अफ स्कूर
भें फ़ीस भाफ़ी वारे आवेदन-ऩत्र की तयह इसके अॊत भें ‘आऩका
आऻाकायी’ तो शरख नहीॊ सकते थे. आज के रौंडे होते तो ‘आदयणीमा’
औय ‘आऩका आऻाकायी छात्र’ शरख कय फड़े ही भजाककमा अॊदाज भें
अऩनी हदर की फात कह दे ते.

तफ ‘इश्क’ भजाक नहीॊ था. इसकी फतु नमादी औऩिारयकतामें थीॊ. इश्क
के शरू
ु आती दौय भें औऩिारयकता फहुत भामने यखती थी. प्रेभऩत्र
शरखने का एक स्ऩेशर पाभेट होता था. मह एक फेहद गॊबीय ऩयीऺा
थी. मह एक ऐसे आग का दरयमा था, ल्जसभे डूफ कय ही ऩाय उतया
जा सकता था. तफ इश्क कयने के अऩने तनमभ थे औय अऩनी
यवामते थीॊ.धभषवीय बायती के ‘गन
ु ाहों के दे वता’ के ‘सध
ु ा’ औय ‘िॊदय’
वारे हारात बरे न हों रेककन ‘दे व डी’ के इश्क का नमा नजरयमा
‘तू नहीॊ तो कोई औय सही’ का वक्त आने भें अबी 25 सार फाकी थे.

‘सॊफोधन’ की औऩिारयकता की उधेड़फन


ु भें दो-तीन ग्रीहटॊग्स काड्ष तो मूॉ
ही फफाषद हो जाते. एक काडष की कीभत तफ ऩाॊि से दस रूऩमे होती थी.
ग्रीहटॊग्स काडष वारे बी इश्क के फुखाय के भयीजों से ऩूयी कीभत वसूरते
थे. वे बी जाशरभ ज़भाने के साथ थे कभीने! अक्सय, तीन–िाय ग्रीहटॊग्स
काडष फफाषद कयने के फाद जेफ खिष के साये ऩैसे ऽत्भ हो जाते औय
‘इश्क का बत
ू ’ बी कुछ सभम के शरए उतय जाता. वैसे, भाभरा आगे
फढ़ने ऩय खिष औय फढ़ जाता. प्रेशभका तो कभ गोरगप्ऩे खाती रेककन
साथ आई उसकी सहे री तीस-तीस गोरगप्ऩे खा कय डकाय बी नहीॊ
रेती थी.

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सन ् अस्सी

तनशशकाॊत के कुछ माय-दोस्त तो भन-भसोस कय शसपष ‘है प्ऩी न्मू


ईमय’ ही शरख कय रड़की की सहे री के हाथों ग्रीहटॊग्स काडष शबजवा
दे ते औय दो-तीन हदन तक रड़की के साभने जाने से डयते कक कहीॊ वो
ग्रीहटॊग्स काडष का उकटा -सीधा भतरफ तनकार कय बयी सबा भें
उनका ऩानी न उताय दे . रेककन, भन के ककसी कोने भें मे बावना बी
दफी यहती थी कक काश! वो इसका उकटा-सीधा भतरफ ही तनकारे.
इसी िक्कय भें तीन-िाय हदन गज
ु य जाते. घफयाहट थोड़ी कभ हो
जाती. कपय, वे इस उम्भीद के साथ हय सफ
ु ह स्कूर जाते कक उधय से
ग्रीहटॊग्स काडष का कोई तो जवाफ आएगा.

तनशशकाॊत के भोहकरे भें तफ एक पोसरा ग्रऩ


ु बी हुआ कयता था.
पोसरा का भतरफ था- ‘Frustrated One Sided Lover’. इस सभह
ू के
भेम्फसष को अऩने टूटे हुए हदर की नभ
ु ाइश कयने भें भहायत हाशसर
थी. इस ग्रऩ
ु के सदस्म कबी स्कूर की फेंि ऩय कम्ऩास की सई ू से
इश्क के ऩैगाभ शरखते तो कबी ऩेड़ों के तनों ऩय अऩनी प्रेशभकाओॊ के
नाभ उकेयते. मे वो असपर प्रेभी थे जो इश्क भें नाकाभ होने ऩय
यात-यात बय योकय तककमे की रुई को अऩने आॊसओ
ु ॊ से शबॊगोते, भौके-
फेभौके इभोशनर शेयो-शामयी कयते औय दस
ू यों को सराह दे ते –‘इश्क न
करयमो, फड़े धोखे हैं इस याह भें .’

पोसरा ग्रऩ
ु के भेम्फसष भें एक फाद कॉभन थी. औय, वह मह थी कक
इनकी एक फाय मा कई फाय सावषजतनक तौय ऩय धुनाई ज़रूय हुई होती
थी. इस ग्रऩ
ु के रीडय अरुण बईमा थे.

तनशशकाॊत के भोहकरे भें यहने वारी शैरजा फेहद गॊबीय टाइऩ की


रड़की थी. वह योज शाभ अऩने सीने ऩय दो ककताफें औय एक कॉऩी

(23) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

दफामे गखणत के शशऺक फनजी सय के ऩास ट्मश


ू न ऩढ़ने जाती औय
ककसी से ज्मादा फातिीत ककमे बफना, िऩ
ु िाऩ नजयें झक
ु ाए वाऩस घय
िरी आती. अरुण बईमा उसके साथ ही फनजी सय के महाॉ ट्मश
ू न
ऩढ़ते थे. उन्हें शैरजा के िेहये भें भीना कुभायी नजय आती.

एक हदन अरुण बईमा ने इश्क के ऩयकोटे ऩय िढ़ कय शैरजा के हदर


के भोहकरे भें छराॊग रगा दी. उन्होंने फड़ी हहम्भत कयके एक कागज़
की ऩिी ऩय ककसी नाभी शामय का एक शेय शरखा, औय ऩिी को धीये
से शैरजा की इकरौती कॉऩी के ऩन्नों के फीि सयका हदमा.

शेय कुछ इस प्रकाय था:

“बत
ू र ऩय दृस्टट द्रटकामे, तम्
ु हाया वो तनकर जाना,
सच कहो, कहाॉ से सीखा है , जख्भों ऩय नभक रगाना.”

रेककन, अगरे ही हदन शैरजा की एक सहे री उनके ऩास आकय उन्हें


धभकाते हुए फोरी “शैरजा कही है न कक अफ अगय कपय कबी
आरत-ू फ़ारतू फात शरऽकय बेल्जएगा तो फनजी सय को फता दें गे.”
सहे री की फात सन
ु कय अरुण बईमा भामस
ू हो गए. रेककन, जफ
उनके ककसी दोस्त ने उन्हें हदरासा दे ते हुए कहा कक रड़की शयीप है ,
शभाष यही होगी औय उन्हें एक फाय कपय से कोशशश कयनी िाहहए तो
उन्होंने दफ
ु ाया प्रमास कयने की ठानी.

इसके फाद, उम्भीद की ककयणों से रफये ज अरुण बईमा ने अगरे ही


हदन ट्मश
ू न के सभम फड़ी हहम्भत के साथ सफकी नजयें फिा कय

(24) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

शैरजा की इकरौती कॉऩी के एक खारी ऩन्ने ऩय एक शेय शरख


हदमा:

“हभाये इजहाये इश्क ऩे वो न जाने क्मों फेरुखी द्रदखा यहे हैं,


भेये इश्क का इस्म्तहाॊ रे यहे मा अऩना सब्र आज़भा यहे हैं.”

रेककन, शामद अरुण बईमा की ककस्भत सिभि


ु ऽयाफ िर यही थी.
शैरजा के ऩास मही एक इकरौती कॉऩी थी औय शैरजा की भाॉ ने
अऩने जीजाजी को चिट्ठी शरखने के शरए उसी कॉऩी से एक ऩन्ना
पाड़ा. इत्तेपाक से अरुण बईमा द्वाया शरखा हुआ शेय उसी ऩन्ने के
वऩछरे बाग भें था, ल्जसे सॊजोग से शैरजा की अम्भा ने दे खा नहीॊ.
इसके फाद, शैरजा की अम्भा ने उसी ऩन्ने ऩय अऩने जीजाजी को
एक चिट्ठी शरखकय उसे एक शरफ़ाफ़े भें डार कय, शैरजा के फाफज
ू ी
को ऩोस्ट कयने के शरए दे हदमा.

इधय सॊदेह की ऩरु


ु षोचित प्रवल्ृ त्त से अशबबत
ू शैरजा के फाफज
ू ी ने
जैसे ही ब्रेड की भदद से शरफ़ापा खोर कय उस चिट्ठी को ऩढ़ा तो
उनके होश उड़ गए.

वे शैरजा की भाॉ को गारी दे ते हुए राठी रेकय दौड़े.

उनका आक्राभक रूऩ दे ख शैरजा की भाॉ घफया कय अऩनी सास के


कभये भें घस
ु गई औय अन्दय से दयवाजा फॊद कय कुण्डी रगा कय योते
हुए फोरी, ‘अये हभ शसपष तीन रूऩईमा आऩका कुयता से तनकारे हैं.
हभ रौटा दें गे.”

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सन ् अस्सी

कपय करुण स्वय भें फोरी, “तीन रूऩईमा के शरए हभाया जान रे
रील्जमेगा का ?”

इधय शैरजा के फाफज


ू ी गयजे, “अये यॊ **, बाड़ भें जाए तेया तीन
रुऩमा, हभको तो ऩहरे से ही तेये ऩय शक था कक तेया अऩने जीजा से
शादी के ऩहरे से ही िक्कय िर यहा है . आज कनपयभ हो गमा.”

इधय अऩने िरयत्र ऩय राॊछन रगते दे ख शैरजा की भाॉ यणिॊडी का


रूऩ धायण कय कभये से फाहय तनकर आई औय अऩनी साड़ी के ऩकरू
को कभय भें खोंसती हुई चिकरा कय फोरी, “का कहे?....... एक फाय
औय कहहमे तो..........???

इधय गस्ु से से बये शैरजा के फाफज


ू ी राठी बाॊजते हुए फोरे, ‘अऩने
ल्जजवा को रब रेटय शरखती हो.....औय हभसे फकैती कयती हो........
आज हभ ऩहरे तोया जान भायें गे औय कपय, यात का टाटा-ऩटना ट्रे न
ऩकड़ कय ऩटना के ऩहरेजा घाट ऩय तेये जीजवा का बी गदष न काटें गे”

ऩतत की फात सन
ु कय शैरजा की भाॉ असभॊजस से फोरी, “रब रेटय?
कईसन रब रेटय जी?....... अये ... हभ तो अऩने जीजाजी को शैरजा
के शरए रड़का दे खने के शरए चिट्ठी शरखे थे. जया रेटयवा हदखाईमे
तो...” जवाफ भें शैरजा के फाफज
ू ी ने तभतभाते हुए चिट्ठी शैरजा की
भाॉ की तयप पेंक दी.

शैरजा की भाॉ ने चिट्ठी उरट-ऩरट कय दे खा कपय गयभाते हुए फोरी,


“अये फकरोर भयद, अगय हभाय शरखावट एतना सन् ु दय होता तो तभ
ु ये
जैसन बकिोन्हय से बफमाह होता का? ई सफ कयतत
ू शैरजवा का है .”

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सन ् अस्सी

इधय झगड़े के फीि भें अऩना नाभ आते दे ख शैरजा घफया गई.

अफ शैरजा की भाॉ, शैरजा के फाफज


ू ी के हाथ से राठी झऩटकय
शैरजा की तयप दौड़ी. शैरजा बमबीत होकय वऩता के ऩीछे तछऩ गई.
रेककन, उसके वऩता नें शैरजा की भाॉ के हाथ से राठी छीन री औय
सॊमशभत होकय फोरे, “ऩयू ी फात का ऩता तो रगाने दो” औय, जफ ऩयू ी
फात साभने आई तो अरुण बईमा का नाभ साभने आ गमा.

इसके फाद, शैरजा की भाॉ ‘यणिॊडी’ का रूऩ धायण कय अरुण बईमा


के स्कूर जा धभकी, कपय साये स्कूर के साभने ही खाशरस दे शी
अॊदाज भें अरुण बईमा की तीन ऩीहढ़मों का उद्धाय कय हदमा. उसके
फाद अरुण बईमा की ऩहरे तो स्कूर भें, कपय शैरजा के बाई के
द्वाया सड़क ऩय, औय अॊत भें अऩने घय ऩय बी बयऩयू वऩटाई हुई. इस
घटना के फाद से अरुण बईमा भोहकरे के यल्जस्टडष पोसरा के रूऩ भें
ववख्मात हो गए.

कदभा हाईस्कूर, जभशेदऩयु : 1983

मह दौय-ए-अस्सी था, जफ इन्हीॊ भोहकरों भें पटी ऩतॊगों को बात की


रग
ु दी से चिऩका कय आकाश भें फाज की तयह उड़ामा जाता था.
भाॊझे इतने काततर कक अगय जगह ऩय रग जाएॉ तो ऩतॊगें ही नहीॊ
फल्कक ल्जन्दगी की डोय बी काट दें . इश्क बी इतना गहया कक डूफे तो
डूफ ही गए.

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सन ् अस्सी

तनशशकाॊत जफ दसवीॊ भें ऩहुॉिे तो 1983 का सार िर यहा था. मह


वही सार था जफ भोहकरे के जवान हो यहे रड़कों की तयह
तनशशकाॊत बी रौकी की सख ू ी हुई डॊठर को तोड़ कय शसगये ट ऩीना
सीख यहे थे, औय सीख यहे थे इश्क के नए अॊदाज!.

वह अॊदाज, ल्जसभें याजेश खन्ना की नजाकत नहीॊ थी फल्कक


अशभताब फच्िन की दफॊगई थी. भतरफ– हभ जहाॉ खड़े होते हैं, राइन
वहीीँ से शरू
ु होती है . िौड़ी भोहयी वारी फेरफाटभ, िौड़े फकरस वारी
फेकट, हाथों भें स्टीर का कड़ा, कान के नीिे तक रहयाते हुए रम्फे
केश औय फड़े कॉरय वारी छीॊटदाय फश ु टष .

दसवीॊ तक आते-आते तनशशकाॊत के हाव–बाव फदरने रगे थे. अफ


फाफज
ू ी की ऩयु ानी ऩतरन
ू को नीिे से काट कय तयकायी वारे दो झोरे
फनते औय तनशशकाॊत का एक हाप ऩैंट बी फनता.........तनशशकाॊत इसी
हापऩैंट को ऩहन अऩने फाफज
ू ी की सामककर के है ण्डर भें दोनों झोरे
रटका कय तयकायी खयीदने के फहाने रड़ककमों के स्कूर की तयप
तनकर ऩड़ते.

गकसष स्कूर के साभने उनकी गदष न थोड़ी औय अकड़ जाती, सामककर


की ल्स्प्रॊग वारी घॊटी फाय-फाय फजने रगती औय तनशशकाॊत िोय नजयों
से गकसष स्कूर की गेट की तयप दे खते हुए सामककर की ऩैडर ऩय
तेजी से ऩैय िराने रगते. अिानक ही एक भशहूय शेय की ऩॊल्क्तमाॉ
सजीव हो उठतीॊ:

“वो दे खते हैं ऐसे जो दे खते नह ॊ, जामरभ के दे खने का अॊदाज दे खना”

(28) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

तफ तनशशकाॊत के स्कूर से थोड़ी ही दयू ऩय रड़ककमों का एक स्कूर


होता था. दोनों स्कूरों की टाइशभॊग भें आधे घॊटे का अॊतय था.
रड़ककमों का स्कूर सवेये साढ़े नौ फजे रगता औय तनशशकाॊत का सवेये
दस फजे.

तनशशकाॊत हय सार, ऩहरी जनवयी के हदन, कदभा वारे हनभ


ु ान जी
को सवा रूऩमे के रड्डू िढ़ाते औय प्राथषना कयते कक दोनों स्कूरों
की टाइशभॊग एक हो जाए. रेककन, रगता है, फार ब्रह्भिायी
हनभ
ु ानजी बी रड़ककमों के भाभरे भें थोड़े सॊकोिी फन जाते.

तनशशकाॊत, प्रततहदन सफ
ु ह नौ फजे स्कूर के शरए तनकर ऩड़ते औय
फाभल्ु श्कर दस शभनट भें तम होने वारे स्कूर के सपय को एक घन्टे
भें ऩयू ा कयते. इस दौयान कबी वह हटस्को क्वाटष य भें रगे अभरूद,
औय आभ के ऩेड़ों ऩय िाॊदभायी कयते तो कबी सड़कों के ककनाये फने
ऩशु रमा ऩय फैठ कय स्कूर जाने वारी रड़ककमों को ताकते.

फाद के हदनों भें उन्होंने रड़ककमों के स्कूर के ऩास इभरी औय फेय का


खट्टा-भीठा ियू न फेिने वारे घयु ण शसॊह से दोस्ती कय री. अफ वे योज
घयु ण शसॊह के िूयन के खोभिे के ऩास खड़े होकय उससे गप्ऩें रड़ाते
औय स्कूर जाने वारी रड़ककमों को ताकते. तनशशकाॊत का सफसे ऩक्का
दोस्त सयु े शवा अक्सय इस काभ भें उनका साथ दे ता.

गखणत के शशऺक फनजी सय की नजय भें सयु े शवा एक कम्प्रीट


रपॊगा था. उन हदनों शशऺकों के वेतन कापी कभ थे. अन्म शशऺकों
की बाॊतत तनशशकाॊत के स्कूर के फनजी सय बी अऩना खयिा ऩयू ा

(29) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

कयने के शरए ट्मश


ू न ऩढ़ाते. इम्तहान के तीन-िाय भहीने ऩहरे उनकी
ट्मश
ू न की क्रासेज ऩयू ी तयह बय जातीॊ.

सयु े शवा इम्तहान से ठीक दो भहीने ऩहरे फनजी सय के महाॉ गखणत


की ट्मश
ू न ऩकड़ रेता औय घय से ट्मश
ू न की एडवाॊस फ़ीस रेकय
िाट, सभोसा औय ल्जरेफी खा जाता. भहीने का अॊत होते-होते वह
ट्मश
ू न आना फॊद कय दे ता. इसी दौयान इम्तहान हो जाते औय भाभरा
ऽतभ हो जाता.

भाभरा तफ हदरिस्ऩ होता था जफ अगरे इम्तहान के ठीक ऩहरे


सयु े शवा कपय से फनजी सय के ऩास ट्मश
ू न ऩढ़ने ऩहुॉि जाता. इस फाय
उसके हाथ भें ऩहरे भहीने का एडवाॊस होता. फनजी सय बी नोट दे ख
कय वऩघर जाते. इस फाय दस
ू ये भहीने की ट्मश
ू न फ़ीस से ल्जरेफी
औय सभोसे िरते औय फनजी सय एक फाय कपय अऩने ही ववद्माथी
से िकभा खा जाते. हदसम्फय के भहीने भें वावषषक ऩयीऺा के अॊततभ
हदन अगयफत्ती भें ऩटाखे का ऩरीता फाॊध कय मरु यनर भें यखने का
काभ बी सयु े शवा कयता औय फभ पटने के फाद फनजी सय की
शशकामत ऩय हे डभास्टय साहे फ फगैय ककसी जाॊि-ऩड़तार के सयु े शवा की
वऩटाई शरू
ु कय दे त.े

एक हदन तनशशकाॊत के भोहकरे भें खफय पैरी कक गप्ु ताजी की फड़की


फेटी सोना कुभायी का ब्माह तम हो गमा है . अगरे हदन सफ
ु ह-सफ
ु ह
गप्ु ताईन तनशशकाॊत के घय आ धभकीॊ औय कपय फड़े ही भनह
ु ाय से
तनशशकाॊत की अम्भा से फोरी, “दे खखए दीदी, सोना हभायी ही नहीॊ
फल्कक आऩकी बी फेटी है . गप्ु ताजी उसका ब्माह योऩ हदए हैं. ऩटना से
फायात आएगी. आऩ रोगों को ही सफ सॊबारना है .”

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सन ् अस्सी

फेटी की शादी की फात सन


ु कय तनशशकाॊत की अम्भा बी थोड़ी बावक

होकय फोरी “ई कौनो कहने की फात है ? आऩकी फेटी एकदम्भे हभायी
फेटी जैसन है .”

भौका ताड़ कय गप्ु ताईन फोरी, “जफ तक सोना की बफदाई नहीॊ हो


जाती तफ तक तनशशकाॊत का खाना–ऩीना सफ हभये महाॉ होगा.”
तनशशकाॊत की अम्भा ने बी बावक
ु होते हुए अऩनी सहभतत दे दी.

तनशशकाॊत बी अगरे हदन सफ


ु ह-सफ
ु ह तैमाय होकय कय गप्ु ताजी के घय
जा ऩहुॊिे.

गप्ु ताईन ने जफ तनशशकाॊत को घय ऩय आमा हुआ दे खा तो उसकी


फाॊछें खखर गई. वह चिकरा कय फोरी, “ये रुप्ऩा, दे खो तनशशकाॊत आमा
है . इसको नाश्ता-ऩानी कयवा दो.”

तबी ऩता नहीॊ ककधय से तनशशकाॊत का सहऩाठी सयु े शवा बी वहाॊ ऩहुॉि
गमा. वह चिकरा कय फोरा, “हभहू हैं िािी, हभ बी नाश्ता कयें ग!े ”

थोड़ी दे य भें ही रूऩा एक कभये के अन्दय से एक फड़ी थारी भें िाय


रड्डू, िाय फेरग्राभी औय ऩाव-बय दारभोठ रेकय आ गई. तनशशकाॊत
ने रूऩा को दे खा तो उसऩय अऩना इम्प्रैशन फनाने के ऽमार से फोरे,
“इतना कौन खामेगा? हभ तो फस एक ठो रड्डू रेंगे. फाकी सफ रे
जाइए.”

उनकी फात सन
ु कय सयु े शवा धीये से गयु ाषमा, “अये सारे, तोया न खाए के
हऊ त भत खा.... सभान काहे रौटा यहा है फे? शादी-बफमाह का घय
है . जो जफ शभर जामे ऩेट भें डार रेना िाहहए.” वह आगे फोरा,

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सन ् अस्सी

“बाई, अफ जकदी से खा रे, भाड़ो का फाॊस राने िाकुशरमा जाना है .”


इसके फाद, जैसे ही रूऩा उन्हें नाश्ता दे कय ऩरटी, सयु े शवा ने नाश्ते
का साया साभान अऩने ऩैंट की जेफ भें बय शरमा.

इधय रूऩा के जाते हीॊ तनशशकाॊत का गस्


ु सा पूटा, फोरे, “अये सारे, फाॊस
कऩाय ऩय राद कय राना है का जो तेये साथ दस आदभी जामेगा?
हाॊड़ी शसॊह का टाटा का िाय सौ सात गाड़ी जामेगा?........ तभ
ु गप्ु ता
िािा से भार रेकय हाॊड़ी शसॊह का गाड़ी के साथ तनकर रो. तफतक
हभ इधय आॉगन भें भाड़ो का फाॊस गाड़ने के शरए गड्ढा खोदते हैं.”
जवाफ भें सयु े शवा ने एक नजय उनकी तयप औय कपय दस
ू यी नजय
रूऩा की तयप डारी औय भस्
ु कुयाते हुए वहाॊ से तनकर गमा.

इधय तनशशकाॊत ने जैसे ही शादी के भॊडऩ का गड्ढा खोदना आयम्ब


ककमा, उधय से रूऩा आ गई औय ऩछ
ू ा, “िाम ऩील्जएगा क्मा?”
तनशशकाॊत ने एक फाय नजय बय कय रूऩा की तयप दे खा कपय धीये से
हॉसते हुए फोरे, “हाॉ, ऩी रेंग,े इधये ककनाये यख दील्जमे”.

“िाम तो शभट्टी का बरुका भें है , नीिे यखें गे तो रढ़


ु क जाएगा. आऩ
ऩहरे िाम ऩी रील्जमे कपय गड्ढा खोदते यहहएगा,” रूऩा ने बी धीये से
भस्
ु कुयाते हुए सराह हदमा.

अिानक तनशशकाॊत ने रूऩा से एक सवार कय हदमा, “आऩको शसराई-


कटाई का काभ आता है क्मा?” शसराई-कटाई का ल्जक्र सन
ु ते ही रूऩा
घफया गई. अबी भहीना बय ऩहरे ही सोना दीदी की होने वारी सास
ने सोना दीदी से मही सवार ककमा था. वह घफयामे हुए स्वय भें फोरी,
“ई सफ काहे ऩछू यहे हैं?”

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सन ् अस्सी

रूऩा को घफयाई हुई दे ख कय तनशशकाॊत बी थोड़े असहज गए, ककन्तु


खदु को सॊमत कयते हुए फोरे, “हभ सोि यहे थे कक अगय आऩको
शसराई-कटाई का काभ आता है तो शादी का भाड़ो भें यॊ गीन पूर-ऩत्ती
सजाने भें आऩ हभाया हे कऩ कयें गी.” उनकी फात सन
ु कय रूऩा ने याहत
की साॉस रेते हुए कहा, “सौयी, हभ तो कुछ औय ही सभझे थे.” कपय
दोनों एक-दस
ू ये का भॊतव्म सभझ कय हॉस ऩड़े.

इसके फाद भॊडऩ सजाने के काभ भें रूऩा, तनशशकाॊत का भनोमोग से


हाथ फॊटाने रगी. शादी के भॊडऩ की सजावट कयते-कयते दोनों एक
दस
ू ये से कापी खुर गए. अफ दोनों के फीि एक हदरिस्ऩ ििाष शरू

हो गई:

तनशशकाॊत: “फेताफ वऩक्िय दे खी हो क्मा?”

रूऩा: “फेताफ वऩक्िय?”

तनशशकाॊत: “अये वही, ल्जसका गाना है - जफ हभ जवान होंगे, जाने कहाॉ


होंगे...... जाने कहाॉ होंगे—तभ
ु को इमाद कयें गे....... तभ
ु को इमाद
कयें गे.”

रूऩा: “अये हाॉ! ल्जसभे धयभें दय का फेटवा है न? कपय, वह ििाष को


आगे फढ़ाते हुए फोरी, “सल्न्नमा तो एकदभ से अऩने फाऩ जैसन
रगता है . रेककन एक फात कहें ?, गब्फयवा एकदभे कुत्ता आदभी था.
शोरे कपशरभ भें जमवा को भाय कय द ू द ू ठो राइप फफाषद कय हदमा.”

तनशशकाॊत ने आश्िमष से ऩछ
ू ा: “द ू ठो?”

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सन ् अस्सी

रूऩा: “अये ! जमवा ल्जन्दा यहता तो जमा बादड़ु ी से बफमाह कयता कक


नहीॊ? रेककन अशभताब फच्िनवा ऩढ़ा-शरखा घय का रड़का है , इसीशरए
जमा बादड़ु ी से सिभच्
ु िे बफमाह कय शरमा. कपय उसने उरझन बये
बाव के साथ ऩछ
ू ा, “रेककन फसॊती का हुआ होगा? बफरुआ त एकदभे
वऩमक्कड़ था”

तनशशकाॊत: “हभको रगता है , जमवा के भयने के फाद बफरुआ सध


ु य
गमा होगा. हभायी अम्भा कहती है , ऩरयवाय का फोझ ऩड़ने ऩय हय
आदभी सध
ु य जाता है .”

रूऩा: “ठीके कहते हैं आऩ. शामद मही सोि कय हे भा भाशरन ने


धयभें दय से शादी ककमा होगा. रेककन हभायी अम्भा तो कहती है कक
वऩमक्कड़ आदभी का कौनो बयोसा नहीॊ.”

तनशशकाॊत: ”हभ तो कसभ खाते हैं कक कबी दारू-शयाफ को हाथ नहीॊ


रगामेंग”े .

***

उन हदनों, शादी-ब्माह के अवसय ऩय शाभ का साभहू हक बोज आभतौय


ऩय भोहकरे के अन्दय ही ककसी खारी जगह ऩय मा घय की ऩक्की
छत ऩय आमोल्जत होता था. मह बोज ववशद्ध
ु रूऩ से भोहकरे के रोगों
के सहमोग से होने वारा आमोजन होता था. इन कामषक्रभों भें गाॉव से
आमे हुए रयश्तेदाय बी सहमोग कयते थे, ककन्तु ऐसे आमोजनों के अवसय
ऩय तनशशकाॊत औय उनके ककशोय साचथमों की बशू भका बी फेहद अहभ ्
होती थी. उनकी ल्जम्भेदायी बोज के शरए फाजाय से साभान औय
सल्ब्जमाॉ राने के साथ-साथ अततचथमों को खखराने-वऩराने की बी होती

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सन ् अस्सी

थी. तफ भोहकरे के वववाह-कामषक्रभों की सपरता ऩयस्ऩय सहमोग ऩय


तनबषय थी. मह फात भोहकरे के रोगों को एक-दस
ू ये के साथ साभाल्जक
रूऩ से जोड़ती थी. ककन्त,ु फाद के सारों भें भोहकरे भें अततचथमों को
खखराने-वऩराने के शरए बाड़े ऩय वेटय भॊगाए जाने रगे. नब्फे के फाद
तो कई रोगों ने शादी-ब्माह के कामषक्रभ, भोहकरे से हटा कय क्रफों
औय होटरों भें आमोल्जत कयने आयम्ब कय हदए. अफ वववाह का
स्वरूऩ साभाल्जक न होकय ऩण
ू त
ष : व्मल्क्तगत हो गमा औय इन
कामषक्रभों भें भोहकरे के रोग बी अततचथमों के रूऩ भें शाशभर होकय
औऩिारयकतामें तनबाने रगे.

अफ भोहकरे के वववाह के कामषक्रभ ऩहरे की तर


ु ना भें ज्मादा खिीरे
औय आडम्फयऩण
ू ष होने रगे तथा भॊत्री, ववधामक औय शहय के दस
ू ये
प्रबावशारी रोगों को आभॊबत्रत कयने औय उनके साथ अऩने सॊफध
ॊ ों का
बोंडा प्रदशषन कयने का भाध्मभ फन गए.

तनशशकाॊत को फदरे हुए भाहौर भें भोहकरे की शादी का कामषक्रभ माद


है . भोहकरे के एक फड़े ठीकेदाय साहे फ की फेटी की शादी टाटा-याॊिी
हाईवे के एक फड़े होटर भें हो यही थी. ठीकेदाय साहेफ होटर के गेट
ऩय वय-ऩज
ू ा की यस्भ तनबा यहे थे, तबी ककसी ने उनके कान भें
आकय कहा, “ववधामक जी आमे हैं, दस शभनट से ज्मादा नहीॊ रुकेंगे.”
मह सन
ु ते ही रड़की के वऩता वय-ऩज
ू ा का कामषक्रभ फीि भें ही
छोड़कय भॊत्रीजी की अगवानी कयने के शरए दौड़ ऩड़े.

खैय, रूऩा की सोना दीदी की शादी सन ् अस्सी के दशक की शादी थी.

(35) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

शाभ को भोहकरे की तभाभ बाशबमाॉ अऩनी बफमहुती फनायसी साड़ी के


ऊऩय टह–टह, रार-रार, िभकऊआ बफमहुती िादय ओढ़ कय
भाॊगहटक्का औय िन्रहाय से रदपद होकय, सोना कुभायी की फायात
दे खने के शरए गप्ु ताजी के छत की भड
ुॊ ये ऩय रटक गईं. इधय भोहकरे
की ककशोयावस्था की दहरीज ऩाय कय यही रड़ककमों ने बी अऩनी
बाशबमों की कॉऩी कयने भें कोई कसय नहीॊ छोड़ी थी. ल्जनके घय भें
फड़ी बाशबमाॉ थीॊ, उन्होंने अऩनी बाशबमों की शरवऩल्स्टक, क्रीभ, ऩाउडय
आहद अऩने िेहयों ऩय ऩोत शरए थे.

कदभा गणेशऩज
ू ा भेरे से खयीदे गए नकरी सोने के फड़े-फड़े झुभके,
नेकरेस औय भाॊगहटक्का आहद का भोहकरे के शादी-ब्माह के भौकों ऩय
खूफ इस्तेभार होता था.

फायात आने के ऩहरे तनशशकाॊत बी नहा-धो कय अऩनी अम्भा के


कभये भें गए औय हटन डब्फे भें से नारयमर तेर तनकार उसभें िाय
िुटकी ऩौंड्स कॊऩनी का टे रकभ ऩाउडय शभराकय अऩने िेहये ऩय भर
शरमा. इसके फाद उन्होंने अऩने िभड़े के जत
ू े की तयप नजय डारी.
जूते फयु ी हारत भें थे. उन्हें माद नहीॊ आमा कक इसे खयीदने के फाद
से कबी बी इस ऩय ऩॉशरश रगवाई हो. वे दौड़ कय फयाभदे भें गए.
हढफयी भें से ककयासन तेर तनकरा, उसभें नारयमर तेर शभरामा औय
कपय जूते को ऩयु ाने गभछे से झाड़ कय उसऩय नारयमर तेर औय
ककयासन तेर का घोर रगा हदमा. जूता िभिभा गमा. तनशशकाॊत भन
ही भन भस्
ु कुयाते हुए फायात की अगवानी कयने के शरए तनकर ऩड़े.

इधय रूऩा बी सजधज कय घभ


ू यही थी. रूऩा को दे ख कय तो वे खद

ऩय मकीन ही नहीॊ कय ऩाए. वे भन्त्रभग्ु ध होकय उसे फस दे खते ही

(36) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

यहे . रार आरता से यॊ गे हुए ऩैयों भें ऩामर औय ऊॉिी हीर वारी
सैंडर. गरु ाफी यॊ ग की फेरफाटभ औय उसके ऊऩय कभय तक कुयता.
होठों ऩय रार-रार शरवऩल्स्टक, कानों भें कदभा गणेशऩज
ू ा भेरे से
ऽयीदे हुए फड़े-फड़े झुभके औय हाथों भें शसॊदयू ी यॊ गों के दो–दो फारे.
तबी रूऩा धीये से उनके नजदीक आकय फोरी, “कैसी रग यहे हैं हभ?”

“एकदम्भे ऩयफीन फौफी,” तनशशकाॊत नें सम्भोहहत होकय उत्तय हदमा.


रेककन, रूऩा नायाज होने का अशबनम कयती हुई फोरी, “हभको ऩयफीन
फौफी एकदम्भे ऩसॊद नहीॊ है. हभको तो हे भा भाशरन ऩसॊद है .”

तनशशकाॊत को ऩहरे तो कोई जवाफ नहीॊ सझ


ू ा, ककन्त,ु जकदी फात को
सॉबारते हुए फोरे, “अये , ऩास से तो एकदभ हे भा भाशरन जैसी रग
यही हो, रेककन दयू से थोड़ी-थोड़ी ‘ऩयफीन फौफी’ जैसी रग थी. रेककन
तभ
ु असर भें रग यही हो ‘हे भा भाशरन’ जैसी ही.”

वह कपय भजाक कयते हुए फोरे, “आज अऩने फाऊजी को ‘ऩाऩा’ भत


फोरना, शरवऩल्स्टक ऽयाफ हो जामेगा.”

जवाफ भें रूऩा इठराते हुए फोरी, “ हभ तो ‘डैडी’ कहें ग,े सभझे?” कपय
वह भस्
ु कुयाते हुए छत ऩय बाग गई.

इधय तनशशकाॊत बी प्रपुल्करत भर


ु ा भें बोजन वारे ऩॊडार की तयप
तनकर गए.

यात को जफ बोज का सभम हुआ तो हभेशा की तयह खाने की टे फर


औय कुसी ऩय कब्ज़ा कयने वारों ने अपया-तपयी भिा दी. कुशसषमों की
सॊख्मा भहज सौ थी औय खाने वारों की सॊख्मा कयीफ छ: सौ.

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सन ् अस्सी

तनशशकाॊत औय उनकी टीभ के शरए मह ऩयीऺा की घड़ी होती थी.


दयअसर, तफ शादी-ब्माह के अवसय ऩय भोहकरे के ितु नन्दा ऩरयवायों
को ही नहीॊ फल्कक सभि
ू े भोहकरे को बोज का न्मोता हदमा जाता
था.

अस्सी के दशक भें बोज वारी जगह ऩय इस तयह की अपया-तपयी


एक आभ फात थी. एक ऩॊगत को खा कय उठने भें रगबग 30 शभनट
का सभम रगता था. इस दौयान, खाने वारों की कुसी के ऩीछे अगरी
ऩाॊत भें फैठने वारे रोग खड़े होकय उनके उठने का इन्तजाय कयते.
जैसे ही कोई खाना खा कय कुसी छोड़ता, उसके ऩीछे खड़ा व्मल्क्त
उसकी कुसी ऩय कब्ज़ा कय रेता. इसी अपया-तपयी भें कई फाय टे फर
ऩय जूठन ऩड़ा ही यह जाता औय उसऩय ऩत्तरें बफछ जातीॊ.

भोहकरे की फहू-फेहटमों को इस झॊझट से भल्ु क्त हदराने के शरए अरग


से ऩाॊत की व्मवस्था होती. रेककन, वहाॊ बी कभोफेश मही दृश्म होता.
शहय भें आने के फाद गाॉव वारी जात–ऩाॊत तेर रेने िरी जाती थी.
औय, जो जात–ऩाॊत भानते थे वे यात-बय बख
ू े ऩेट कुढ़ते यहते थे,
क्मोंकक ऩरयवाय की भहहरामें तो कुसी-टे फर ऩय शहयी बोज का आनॊद
उठा कय गहयी नीॊद भें सो जाती थीॊ.

बोज के दौयान कुछ तथाकचथत समाने रोग जठ


ू े ऩत्तर पेंके जाने वारे
स्थर का भुआमना कय आते औय खाना ऩयोस यहे रड़कों के कानों भें
धीये से कहते, “ऩत्तर भें फहुते खाना ल्जमान हो यहा है. रगता है , कुछ
रोग खाना घटवाने की ऩोरहटक्स कय यहे हैं. सॊबर कय बोजन िराना
है .”

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सन ् अस्सी

दस
ू यी तयप ऩॊगत भें फैठे रोगों की भानशसकता कुछ औय ही होती थी.
वे एकफाय भें ही अऩने ऩत्तर भें ज्मादा से ज्मादा िीजें बय रेना
िाहते थे, इस आशॊका भें कक ऩता नहीॊ कफ बोज का साभान घट
जाए.

एक फात औय थी. अगय एक हजाय रोगों को खाने का न्मोता हदमा


गमा है तो हरवाई को मह फतामा जाता था कक सात सौ रोगों का
बोजन फनाना है, ल्जससे कक हरवाई को कभ भजदयू ी दे नी ऩड़े.
रेककन, जो सभझदाय औय अनब
ु वी हरवाई होते थे वे ‘सात सौ’ का
भतरफ ‘एक हजाय’ रगाते थे, औय उसी के हहसाफ से तैमायी कयाते थे.
ककन्तु नमे औय कभ अनुबवी हरवाई अक्सय इस भाभरे भें धोखा खा
जाते थे.

हय वववाह के बोज भैनेजभेंट ऩय ऩैनी नजय यखने वारे भोहकरे के दो-


िाय रोग इसी ताक भें यहते कक कफ बोज का कोई आइटभ घटे औय
वे इसका ऑर इॊडडमा ये डडमो से भोहकरे बय भें प्रसायण कय दें कक
पराना के बोज भें साभान घट गमा था औय हभ तो बफना बोजन
ककए ही वाऩस आ गए.

उन हदनों बोज के दौयान यसगक


ु रों की कभी का सफसे ज्मादा खतया
फना यहता था. अस्सी के दशक के बोज भें यसगक
ु रा एक प्रीशभमभ
आइटभ था. इसशरए यसगक
ु रे की फाकटी, बोज दर के सफसे अनब
ु वी
सदस्म के हाथ भें यहती. बोज भें सल्म्भशरत रोग बी अचधक से
अचधक यसगक
ु रे खाने की ताक भें यहते. एक-एक व्मल्क्त तीस–तीस,
िारीस-िारीस यसगक
ु रे खा जाता औय भेजफान का फजट बफगाड़
दे ता. कई फाय तो हारात ऐसे हो जाते कक भोहकरेवारे साया कुछ खा-

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सन ् अस्सी

ऩी कय खतभ कय दे ते औय फायात के खाने के शरए कुछ बी नहीॊ


फिता था. उसके फाद, फायात के रूठने-भनाने का शसरशसरा यात बय
िरता.

जभशेदऩयु के बोज कई भाभरों भें बफहाय के ऩयम्ऩयागत बोज से


अरग थे. जभशेदऩयु के वैवाहहक आमोजनों भें ऩड़
ू ी, ऩर
ु ाव, आर-ू ऩटर,
भटय-ऩनीय, आर-ू गोबी, अभावट मा खजयू की िटनी, दहीफड़े आहद
फनते. हदरिस्ऩ रूऩ से साभहू हक बोजों भें हयी सल्ब्जमों जैसे; शबन्डी,
साग, फैंगन, कद्दू, कोहड़ा आहद का इस्तेभार नहीॊ होता था. मह
जभशेदऩयु के फहुसाॊस्कृततक सभाज के ऩायस्ऩरयक साभॊजस्म औय
ऩसॊद-नाऩसॊद के अनरू
ु ऩ ववकशसत, शहय के ववशेष बोजन-सॊस्कृतत का
हहस्सा था, जो कभोफेश शहय के बफहायी औय गैय- बफहायी ऩष्ृ ठबशू भ के
रोगों के भध्म स्वीकृत बी हो गमा था.

***

इधय रूऩा की दीदी की शादी भें एक हफ्ते स्कूर से नदायद यहने के


फाद तनशशकाॊत जफ वाऩस स्कूर ऩहुॉिे तो ऩामा कक गखणत के शशऺक
फनजी सय, इततहास के शशऺक श्रीवास्तव सय की अनऩ ु ल्स्थतत भें रूस
की क्राॊतत ऩढ़ा यहे हैं. इततहास ऩढ़ाते-ऩढ़ाते फनजी सय अिानक
इभोशनर होकय कहने रगे, “सारा इल्ण्डमा का ऩल्ब्रक अजगय साॉऩ
का भाकपक है . दे खने भें इतना फड़ा, रेककन फहुत रेजी औय डयऩोक.
ल्जतना स्ऩेस कभ कयो उसी भें एडजस्ट कय रेगा. ककतना बी
अत्मािाय कयो, हॉसते-हॉसते फदाषस्त कय रेगा. इॊडडमा का ऩल्ब्रक, यात-
हदन क्राॊतत का फात कये गा, रेककन एन टाइभ ऩय ऩशु रस फ़ोसष को
दे खते ही फच्िा को स्कूर से राने का फहाना कयके स्ऩॉट ऩय से

(40) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

खखसक जामेगा औय ऩशु रस सारा राठी भाय के नेता का ऩीठ रार


कय दे गा. इॊडडमा भें सारा कबी क्राॊतत नही हो सकता. नेता सारा
चिकराते चिकराते भय जाएगा, कोई नहीॊ तनकरेगा घय से.......”

उसी दौयान हे डभास्टय साहेफ तनशशकाॊत की क्रास के फगर से गज


ु य
यहे थे, उनके कानों भें जफ ‘क्राॊतत’ शब्द ऩड़ा तो वे रूक गए औय
तनशशकाॊत की क्रास भें घस
ु ते हुए फनजी सय से फोरे, “भनोज कुभाय
की ‘क्राॊतत कपकभ’ अकेरे ही जा कय दे ख शरए क्मा? जभशेदऩयु
टॉकीज औय कयीभ टॉकीज भें रगा है न? हटकट तो ब्रैक भें ही शरए
होंगे?”

जवाफ भें फनजी सय फोरे, “अये सय, हभ भनोज कुभाय का ‘क्राॊतत


वऩक्िय’ का नहीॊ फल्कक ‘रूस का क्राॊतत’ का फात कय यहा है . हभ
फच्िा रोग को फोरा कक इल्ण्डमा भें रूस जैसा क्राॊतत नहीॊ हो सकता,
क्मोंकक इल्ण्डमा का ऩल्ब्रक डयऩोक है .”

हे डभास्टय साहे फ उनका प्रततयोध कयते हुए फोरे, “कौन फोरता है कक


इॊडडमा भें क्राॊतत नहीॊ होता. जो दो हजाय सार भें नहीॊ हुआ वो ऩिास
सार भें हुआ है . ऩिास सार ऩहरे ल्जन रोगों को हभाये फाऩ-दादा
गाॉव के ताराफ से ऩानी नहीॊ रेने दे ते थे, भॊहदय भें घस
ु ने नहीॊ दे ते थे,
आज हभरोग उनके साथ टीिय-रूभ भें फैठकय अऩना हटकपन शेमय
कयते हैं.” वे कपय फोरे, “फनजी फाफू आऩ बी तो कबी-कबी सन्डे
इवतनॊग भें िॊरशेखयन सय के साथ उनके घय भें फैठ के फ़्राईड चिकेन-
करेजी के साथ यॊ गीन ऩानी ऩीते हैं.” वे आगे फोरे, “इॊडडमा फदर यहा
है फनजी फाफ.ू हजाय सार का फीभायी है , ठीक होने भें टाइभ रगेगा.

(41) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

ई भन का योग है . तन का नहीॊ कक एक हदन भें औऩये शन कयके ठीक


कय हदमा.”

ककन्त,ु फनजी सय बी िऩ
ु यहने के भड
ू भें नहीॊ थे. उन्होंने हे डभास्टय
साहे फ से एक अप्रत्माशशत सा सवार ककमा, “क्मा आऩ अऩना फेटी का
शादी अऩने से छोटा जात भें कयें गे?” फनजी सय का सवार सन
ु कय
हे डभास्टय साहे फ तो एक ऩर के शरए हतप्रब यह गए. आज क्रास के
सत्तय छात्र-छात्राओॊ के साभने उनकी ऩयीऺा की घड़ी थी. वे फहुत
सॊबर कय फोरे, “दे खखमे ई पैसरा हभायी फेटी का होगा कक वह
ककससे ब्माह कये . अगय वह अन्तजाषतीम ब्माह कये गी तो हभ फाधक
नहीॊ फनेंगे. रेककन ककसी के कहने ऩय सभाजसेवी कहराने शरए फेटी
की भजी के खखराप दस
ू ये जात भें उसका ब्माह बी नहीॊ कयें गे.
आखखय उसकी ल्जन्दगी है , पैसरा वह खुद कये . हय काभ भें रड़की
को ही फशर का फकया फनाना जरूयी है क्मा?” उधय दोनों शशऺक
सभाज-सध
ु ाय के भद्द
ु े ऩय अऩने-अऩने सय रड़ा यहे थे, इधय सयु े शवा
औय तनशशकाॊत एक अरग प्रकाय की ििाष भें भशगर
ु थे.

सयु े शवा भज़ाककमा रहज़े भें तनशशकाॊत को छे ड़ यहा था, “क्मा फे, तेयी
रूऩा भैडभ तेये को ‘पराइॊग ककस’ दे ती है कक नहीॊ?” तनशशकाॊत ने
शेखी फघायते हुए उत्तय हदमा, “दे ती है फे. सफसे भजा तो तफ आता है
जफ ऊ अऩने शरवऩल्स्टक से राशरमामे हुए दन्ु नो ओठ को आऩस भें
जोय से सटा कय ऩच्
ु ि का आवाज तनकारती है .”

सयु े शवा उनका भजाक उड़ाते हुए फोरा, “अफे अइसने आवाज तो
हभायी फड़की भौसी बी तनकारती है . रेककन ऊ पराइॊग ककस नहीॊ

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सन ् अस्सी

दे ती है फे. ऊ तो फड़का भौसा का िुनौटी से खैनी िुया कय भॉह


ु भें
दफामे यखती है औय सभि
ू े घय भें ऩच्
ु ि-ऩच्
ु ि कयते यहती है . फेटा,
ऩता रगाओ, कहीॊ तेयी रूऩा बी गप्ु ता िािा का खैनी का डडबफमा
सपािट तो नहीॊ कय यही है?”

इसके फाद सयु े शवा गॊबीय स्वय भें फोरा, “अफे गऊ ऩॊडडत, रूऩा को
कपशरभ-ओशरभ हदखा, उसको जुफरी ऩाकष घभ
ु ा. शाकाहायी प्रेभ कयके
क्मा फोइआभ भें कटहर का अिाय डारेगा?”

“दे ख बाई, मे काभ भेये फस का नहीॊ है . छत ऩय खड़ा होकय रूऩा को


भटकी भायना अरग फात है , रेककन उसको रेकय शहय भें घभ
ू ना-
कपयना बफरहुरे अरग फात है ”, तनशशकाॊत ने उत्तय हदमा.

अफ सयु े शवा तनशशकाॊत को हहम्भत हदराता हुआ फोरा, “बफना रयस्क


के इस्क का भजा नहीॊ! अफे, एक फाय तो उसको कपशरभ हदखा कय
दे ख. फहुत भजा आएगा.” कपय, वह तनशशकाॊत को डयाता हुआ फोरा,
“फेटा, अगय तभ
ु उसको कपशरभ हदखाने नहीॊ रे गए तो कोई औय रे
जामेगा. कपय, तेया ऩत्ता साफ़.”

तनशशकाॊत ने आशॊका प्रकट की, “रड़की है माय, वह नहीॊ जाएगी.


उसभें इतनी हहम्भत नहीॊ है.”

जवाफ भें सयु े शवा फोरा, “फेटा, अफ ऊ साधायण रड़की नहीॊ है , फल्कक
इल्स्कमाई हुई रड़की है . उसभें तभु से दस गनु ा ज्मादा हहम्भत है .
अगय थोड़ा कोशशश कयोगे तो तम् ु हाये साथ घय से बाग बी जामेगी.

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सन ् अस्सी

वह आगे फोरा “ई उभय भें कोई रड़की ऩरयवाय फसाने के शरए इसक
नही कयती है ये गऊ ऩॊडडत.”

तनशशकाॊत आश्िमष से फोरे, “ऐसा!”

जवाफ भें सयु े शवा आॉखें तये यते हुए फोरा, “हाॉ ऐसा!?”

अगरे हदन जफ रूऩा घयु ण शसॊह के खोभिे ऩय ियू न खयीदने के फहाने


तनशशकाॊत से शभरने आई तो तनशशकाॊत ने उससे धीये से ऩछ
ू ा, “हभाये
साथ शसनेभा दे खने िरोगी क्मा? नटयाज टॉकीज भें ‘ल्जतें दय’ औय
‘सीयी दे वी’ का ‘हहम्भतवारा वऩक्िय रगा है .”

रूऩा इस तयह के सवार के शरए तैमाय नहीॊ थी. वह अतनश्िम बये


बाव से फोरी, “हभयी अम्भा को ऩता रगेगा तो नये टी टीऩ दे गी.”

तनशशकाॊत उसकी हहम्भत फढ़ाते हुए फोरे, “कैसे ऩता िरेगा? तभ


ु साढ़े
दस फजे घय से तनकरना. उसके फाद ग्मायह से दो फजे वारे नन ू शो
भें हभरोग कपशरभ दे खेंगे. कपय टाइभ ऩास कयने के शरए जुफरी
ऩाकष भें इधय-उधय टहराई कयें गे औय कपय िाय फजे तक स्कूर वाऩस
आ जामेंगे.”

तनशशकाॊत की उम्भीद के उरट रूऩा कपकभ दे खने के चिर को योक


नहीॊ ऩाई औय फोरी, “ठीक है . हभ कर साढ़े दस फजे तभ
ु से महीॊ ऩय
शभरेंगे.”

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सन ् अस्सी

तनशशकाॊत को हतप्रब छोड़ उधय रूऩा जैसे ही स्कूर जाने के शरए


वाऩस भड़
ु ी, सयु े शवा तेजी से बागता हुआ तनशशकाॊत के ऩास आ गमा
औय आते ही फोरा, ‘क्मा फे, भाभरा कपट हो गमा न?” तनशशकाॊत
आस्तीन से अऩने िेहये का ऩसीना ऩोंछते हुए नवषस हो कय फोरे,
“अफे, रेककन इसको शसनेभा हौर रेकय जामेंगे कैसे? पस्टष टाइभ है
माय, रूऩा को शसटी फस भें खड़ा कयके तो रे नहीॊ जामेंगे. पुर टे म्ऩू
का 10 रुऩमा बाड़ा रगेगा, औय भेया सामककर का ऩीछे वारा कैरयमय
ऩय तो वो फैठ कय जाएगी नहीॊ.”

सयु े शवा फोरा, “अफे, चिॊता भत कय. सफ सेहटॊग हो जामेगा. हभ


अऩना िािा का रन
ू ा भोऩेड रेते आमेंगे. रेककन तू फेटा, उसभें ऩाॊि
रुऩमा का ऩेट्रोर जरूय बयवा रेना.”

वह आगे फोरा, “हभ सफ


ु ह भें नटयाज टॉकीज जाकय तभ
ु रोग के
शरए डीसी का दो ठो ककनाये वारा सीट का हटकट कटवा दें ग.े कपशरभ
ग्मायह फजे शरू
ु होगा, रेककन तभ
ु रोग वहाॊ ऩय दस शभनट रेट से
आना. तफ तक बीड़ हार भें घस
ु जामेगी. हार भें टाईट फॊद यहे गा,
तभ
ु रोग को कोई ऩहिानेगा नहीॊ. इसी तयह कपशरभ खतभ होने के
दस शभनट ऩहरे तभ
ु रोग शसनेभाहार से फाहय तनकर जाना. कोई
रयस्क नहीॊ यहे गा. सभझे?”

जवाफ भें तनशशकाॊत ने सहभतत भें अऩना सय हहरामा. अगरे हदन


प्रान के भत
ु ाबफक रगबग सवा ग्मायह फजे तनशशकाॊत रूऩा को रन
ू ा
भोऩेड की वऩछरी सीट ऩय फैठा कय नटयाज शसनेभा के गेट ऩय ऩहुॊिे

(45) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

तो दे खा सयु े शवा उनका ऩहरे से इन्तजाय कय यहा था. रूऩा सयु े शवा
को वहाॊ दे खकय घफया गई औय अऩना भॉह
ु दस
ू यी तयप कय शरमा.

उसको घफयामा हुआ दे ख कय तनशशकाॊत उसे आश्वस्त कयते हुए फोरे,


“ल्जगयी दोस्त है भेया, हभरोग का फाये भें सफ ऩता है . कोई से कुच्छो
नहीॊ कहे गा.” रूऩा आश्वस्त होकय वाऩस भड़
ु ी औय तनशशकाॊत के साथ
शसनेभाहार भें घस
ु गई.

इधय जफ इॊटयवर हुआ तो सयु े शवा चितनमाफादाभ रेकय हाल्जय हो


गमा औय फोरा, “हभ बी हटकट कटा शरए थे, दोस्त का फड़ीगाडष
फनने के शरए.” उत्तय भें तनशशकाॊत ने फड़ी ही कृतऻता के साथ अऩने
ल्जगयी दोस्त की तयप दे खा.

इधय रूऩा चितनमाफादाभ पोड़ते हुए, कपकभ दे खने भें भशगर


ु हो गई.
उसे कपकभ के पस्टष हाप की तयह ही सेकॊड हाप भें बी ख्मार ही
नहीॊ यहा कक उसके साथ तनशशकाॊत बी फैठे हैं. कपकभ खतभ होने भें
जफ दस शभनट के आस-ऩास का सभम फाकी यह गमा तो तनशशकाॊत
ने रूऩा का हाथ ऩकड़ते हुए कहा, “िरो अफ फाहय तनकरना है .” फदरे
भें रूऩा ने फच्िों की तयह हाथ छुड़ाते हुए कहा, “कपशरभ का एॊड
दे खे बफना हभ थोड़े जामेंगे.”

अफ तनशशकाॊत भनह
ु ाय कयते हुए फोरे, “िर भेयी अम्भा, अगय हार
की राईट जर गई तो सफ गड ु -गोफय हो जाएगा. भोहकरे का कोई
आदभी अगय हभरोग को महाॉ स्कूर ड्रेस भें दे ख रेगा तो उसके फाद
हभदोनों की घय भें बयु कुस वऩटाई होगी.”

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सन ् अस्सी

रेककन, कपकभों की दीवानी रुऩा कहाॉ भानने वारी थी, जफ तक


कपकभ ऽत्भ नहीॊ हुई तफ तक वह अऩनी सीट ऩय फैठी यही. कपकभ
खत्भ होने के फाद जैसे ही हार की राईट जरी, शसनेभाहार भें
भौजूद रोग फाहय तनकरने रगे. ठीक उसी सभम सयु े शवा बीड़ को
िीयता हुआ ककसी तयह उनके ऩास आमा औय फोरा, “अबी फैठे यहो,
ऩहरे सफको तनकर जाने दो. हभ रोग थोड़ी दे य फाद तनकरेंगे.”

थोड़ी दे य फाद जफ तीनों शसनेभाहार के वऩछरे गेट से फाहय तनकरे


तो बीड़ जा िुकी थी. फाहय का भौसभ फेहद सह
ु ाना हो गमा था,
रगता था जैसे थोड़ी दे य ऩहरे जभ कय फारयश हुई हो.

फाहय का भौसभ दे ख कय रूऩा तनशशकाॊत का हाथ ऩकड़ कय योभाॊहटक


स्वय भें फोरी, “आज हभको तो नािे का भन कय यहा है .”

जवाफ भें तनशशकाॊत धीये से सयु े शवा से फोरे, “अफे, हभको तो योने का
भन कय यहा है ”

“क्मा हो गमा?...... शसनेभाहार भें रूऩा तभ


ु को एक दो तभािा रगा
दी थी क्मा?” सयु े शवा ने भजाक ककमा.

“नहीॊ फे, हभको डय है कक एतना फारयश भें कहीॊ तेये िािा का ऩयु ाना
रन
ू ा भोऩेड का कायफोये टय भें ऩानी िरा गमा होगा तो भोऩेडवा स्टाटष
बी नहीॊ होगा,” तनशशकाॊत ने आशॊका जताई. ककन्त,ु सयु े शवा उनको
हहम्भत फॊधाते हुए फोरा, “िर ना फे, हभ हैं ना, ‘रन
ू ा’ क्मा उसका
फाऩ बी स्टाटष होगा.”

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सन ् अस्सी

इसके फाद सयु े शवा ने रन


ू ा भोऩेड की सीट ऩय िढ़ कय सामककर की
तयह िाय-ऩाॊि फाय जोयदाय ऩैडर भायी तो रन
ू ा स्टाटष हो गई. कपय,
प्रान के भत
ु ाबफक सयु े शवा को वहीीँ छोड़ कय दोनों जीव जफ
ु री ऩाकष
ऩहुॊिे.

तीन फजे के आस-ऩास जुफरी ऩाकष भें बीड़ कभ थी. शसपष कुछ
भजदयू घास काटने का काभ कय यहे थे. दोनों कुछ दे य तक जुफरी
ऩाकष भें ऩेड़ों के फीि इधय-उधय घभ
ू ते यहे .

दोऩहय के तीन फज यहे थे. रूऩा को अफ तेज बख


ू रग यही थी, औय
उसे माद आ यही थी अऩने गाॉव से फोये भें बय कय आमे उसना िावर
का बात, आभ का अिाय औय घय की छत ऩय परे ताजे-ताजे कद्दू
की तयकायी. इधय तनशशकाॊत को बी बख
ू रग यही थी, रेककन वह
रूऩा के साभने अऩने झोरे से अम्भा की दी हुई योटी औय आरू की
बल्ु जमा वारी अऩनी हटकपन तनकारने भें खझझक यहे थे.

ठीक उसी सभम एक झारभढ़


ू ी वारा उनके ऩास से गज
ु या. उसके डब्फे
के ऊऩय यखे आरू औय प्माज के टुकड़ों को दे ख कय दोनों की बख

कई गन
ु ा औय फढ़ गई. तनशशकाॊत ने रूऩा से ऩछ
ू ा, “झारभढ़
ू ी खाना
है क्मा?” बख
ू से फेहार रूऩा ने ‘हाॉ’ की भर
ु ा भें अऩना सय हहरा
हदमा.

तनशशकाॊत ने झारभढ़
ू ी वारे को ऩास फर
ु ा कय दो व्मल्क्तमों के शरए
झारभढ़
ू ी फनाने को कहा. इधय, झारभढ़
ू ी वारा िऩ
ु िाऩ अऩने डब्फे भें

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सन ् अस्सी

झारभढ़
ू ी फना यहा था औय उधय, रूऩा औय तनशशकाॊत जुफरी ऩाकष के
ऩेड़ों के ऩीछे तछऩ कय फैठे प्रेभी-जोड़ों को दे ख-दे ख योभाॊचित हो यहे थे.

अिानक तनशशकाॊत ने रूऩा को छे ड़ने वारे अॊदाज भें उससे एक सवार


ककमा, “ई रड़का–रड़की सफ ऩेड़ के ऩीछे तछऩ कय क्मा कयता होगा?”

रूऩा उनकी फात का कुछ जवाफ दे , इसके ऩहरे ही झारभढ़


ू ी वारा
फोरा, “अये कयते क्मा हैं? ....... रड़कीमन सफ रड़कवन सफ का भड
ुॊ ी
अऩना गोदी भें यख कय उसका फार भें से जूॊ तनकरता है . हभ रोग
तो औॊजा गए हैं ई सफ का नौटॊ की दे ख-दे ख कय! शरू
ु भें जफ आते हैं
तो रड़कवन सफ जादा फोरता है , फाद भें रड़कीमन सफ जादा फोरे
रगती है . कपय, िाय-ऩाॊि भहहन्ना होते-होते, दन्ु नो फोरते हैं औय
ऩल्ब्रक सन
ु ता है .”

झारभढ़ ू ी वारे की फात ऩय भस् ु कुयाते हुए तनशशकाॊत ने झारभढ़


ू ी से
बये दोनों ठोंगे अऩने हाथों भें रे शरए औय जेफ भें हाथ डारते हुए
झारभढ़
ू ी वारे योफ से ऩछ
ू ा, “केतना ऩैसा हुआ हो?”

झारभढ़
ू ी वारा बावहीन स्वय भें फोरा, “िाय रूऩईमा!”

तनशशकाॊत ने आश्िमष से सवार ककमा, “िाय रूऩईमा?”

अफ, झारभढ़
ू ी वारा ढीठता से फोरा, “हाॉ, “िाय रूऩईमा!”

“सारा, कभीना, साथ भें रड़की दे ख कय ब्रैकभेर कय यहा है . इसको


बफना भाये छोड़ेंगे नहीॊ. कर सयु े शवा औय अऩने दस
ू ये भयखाह दोस्त

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सन ् अस्सी

भनोयॊ जन शभश्रा के साथ जफ


ु री ऩाकष जरूय आमेंगे, तफ इस सारे की
दभतक धन ु ाई कयें ग,े ” तनशशकाॊत ने गस्
ु सा ऩीते हुए सोिा. कपय,
उन्होंने अऩने फश
ु टष की जेफ भें हाथ डारा. उनकी उॉ गशरमों से ऩाॊि
रूऩमे के छोटे –फड़े शसक्के टकयाए. उन्होंने िाय रूऩमे के शसक्के चगनकय
झारभढ़
ू ी वारे को सौऩ हदए.

झारभढ़
ू ी खाते-खाते रगबग साढ़े -तीन फज गए थे. दोनों वाऩस आने
के शरए टाटा साहे फ की भतू तष के ऩास यखी रन
ू ा भोऩेड के ऩास ऩहुॉिे.
सौबाग्म से इसफाय रन
ू ा भोऩेड आसानी से स्टाटष हो गई. इसके फाद
भोऩेड ऩय फैठ कय दोनों ऩाकष से फाहय तनकर गए. ककन्त,ु अबी वे
थोड़ी ही दयू गए होंगे कक रन ू ा भोऩेड बड़ु बड़
ु ाते हुए अिानक फॊद हो
गई. है यान-ऩये शान तनशशकाॊत ने रन ू ा भोऩेड की सीट ऩय फैठ कय
ऩिासों फाय ऩैडर भायी, ककन्तु भोऩेड दफ
ु ाया स्टाटष नहीॊ हुई.

अिानक तनशशकाॊत का करेजा धक् से यह गमा. दयअसर, ऩसीने से


तय-फतय तनशशकाॊत को अिानक ही सयु े शवा की वह हहदामत माद आ
गई थी, ल्जसभें उसने जोय दे कय कहा था कक बाई भोऩेड भें ऩाॊि
रूऩमे की ऩेट्रोर जरूय डरवा रेना! साभने धातकीडीह ऩेट्रोर ऩम्ऩ था,
रेककन, उनकी जेफ भें भात्र एक रूऩमे का एक शसक्का फिा था. रन
ू ा
के ऩीछे रूऩा फेहद नवषस बाव के साथ खड़ी थी. तनशशकाॊत का भन
पूट-पूट कय योने का कयने रगा.

थोड़ी दे य फाद साकिी-धातकीडीह-कदभा स्ट्रे टभाइर योड ऩय कुछ रोगों


ने फेहद हदरिस्ऩ नजाया दे खा. तनशशकाॊत, सयु े शवा के िािा की बफना
ऩेट्रोर वारी रन
ू ा भोऩेड की हैंडडर को ऩकड़ कय आगे की तयप ठे र

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सन ् अस्सी

यहे थे औय उनके ऩीछे -ऩीछे रूऩा, स्कूर ड्रेस ऩहने, ऩीठ ऩय खाकी यॊ ग
का फस्ता रटकाए, धीये -धीये िर यही थी.
***

अगरे हदन तनशशकाॊत ने रूऩा को खुश कयने के गयज से फस अड्डों


ऩय शभरने वारी जीजा-सारी टाइऩवारी शामयी की ककताफ से एक शेय
भाया औय उसे अऩने प्रेभऩत्र भें िस्ऩा कय हदमा:

“िाॊदनी िाॉद से होती है , शसतायों से नहीॊ,


भुहब्फत एक से होती है , हजायों से नहीॊ.”

एक कॉऩी भें यख कय रूऩा को प्रेभ-ऩत्र दे ते सभम उसे खश


ु कयने के
ख्मार से उन्होंने रूऩा के कान भें धीये से कहा, “शामरयमा यात-बय
सोि–सोि कय खुद्दे शरखे हैं. तभ
ु को फहुते अच्छा रगेगा.”

ठीक एक हदन फाद रूऩा ने बी भस्ु कुयाते हुए उनके प्रेभ-ऩत्र का जवाफ
कॉऩी भें बय कय ठीक उन्ही के अॊदाज भें हदमा औय कहना नहीॊ बर ू ी
कक शामरयमा यात-बय जागकय तम्
ु हाये शरए खद्द
ु े शरखे हैं. तभ
ु को फहुते
अच्छा रगेगा.

शेय कुछ मूॉ था:

“हभें प्माय है तुम्ही से, भेयी जाने ल्जन्दगानी,


तेये ऩास भेया हदर है , भेये प्माय की तनशानी.”

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सन ् अस्सी

अगरे हदन जफ तनशशकाॊत रूऩा से शभरे तो शभरते ही फोरे, “शसनेभा


का गाना शरख कय फोरती हो कक यात-बय जाग कय हभ खद्द
ु े शरखे
हैं?”

तनशशकाॊत की फात सन ु कय रूऩा को बी गस्


ु सा आ गमा. वह चिढ़ते हुए
फोरी, “जैसे तम्
ु हाया तो शामरयमा ओरयल्जनरे था? हभायी छोटकी बाबी
कह यही थी कक थडष-क्रास ककताफ से भाया हुआ घहटमा शामयी है”.
कपय वह तनशशकाॊत को चिढ़ाते हुए फोरी, “फड़े आमे शभसया ााशरफ!!”

अऩना भजाक उड़ते दे ख तनशशकाॊत ऩरु


ु षोचित दॊ ब से बय गए औय
फोरे, “अये फकरोर, ‘शभसया ााशरफ’ नहीॊ, फल्कक ‘शभिाष ााशरफ’.
सभझी?”

उनकी फात सन
ु कय रूऩा गस्
ु से से अऩना ऩैय ऩटकती हुई वहाॊ से िरी
गई.

अगरे हदन जफ तनशशकाॊत ने इस घटना का ल्जक्र सयु े शवा से ककमा


तो वो फोरा, “सन
ु कय दख
ु ी भत होना बाई! आजकर रूऩा के घय
उसकी सोना दीदी का दे वय आमा हुआ है . दन्ु नो छत ऩय फैठ कय
हदन-बय न जाने क्मा–क्मा गवऩमाते यहते हैं.” वह आगे फोरा, ”हभको
तो रगता है कक तम्
ु हायी रूऩा उससे रटऩटा गई है . वैसे बी जवान
रड़की रौकी की रत्तय की तयह होती है , औय अझुयाने के शरए अगरे-
फगर कौनो भजफत
ू फाॊस-टहनी खोजती कपयती है . इसभें फदनाभी का
रयस्क कभ यहता है औय उसका काभ बी हो जाता है .”

इसी फीि स्कूर भें एक हदरिस्ऩ घटना घट गई. एक हदन फनजी सय


दसवीॊ भें ऩढ़ा यहे थे. उन्होंने फच्िों को ऩढ़ाई के प्रतत प्रोत्साहहत कयने

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सन ् अस्सी

के ख्मार से कऺा भें दष्ु मॊत कुभाय का एक शेय तोड़-भतोड़ कय अऩने


अॊदाज भें सन
ु ामा. टूटा-पूटा शेय कुछ इस प्रकाय था:

“कौन फोरता है आकाश भें छे दा नहीॊ हो सकता,


एक ऩत्थय जया जोय रगा के तो उछारो मायों.”

‘गाशरफ’ वारी घटना अबी दो हदन ऩहरे ही घटी थी. सयु े शवा की
जफान ऩय अबी बी ‘ााशरफ’ का नाभ िढ़ा हुआ था. सयु े शवा, फनजी
सय का शेय सन
ु कय वह जोश से बय उठा औय जोय-जोय से तारी
ऩीटते हुए फोरा, “अये फनजी सय, आऩ तो एकदभ ‘शभिाष ााशरफ’ जैसा
शामयी फोरते हैं!”

फनजी सय सयु े शवा के भॉह


ु से अऩनी तायीफ़ सन
ु कय गदगद हो गए
औय भस्
ु कुयाते हुए क्रास से तनकरकय वप्रॊशसऩर-रूभ की तयप फढ़
गए. वहाॊ ऩहुॉिकय फाॊग्रा टोन भें उन्होंने हे डभास्टय साहे फ से कहा,
“सोये श ये श आज हाभको ‘ााशरफ’ फोरा.” इधय हे डभास्टय साहे फ का
भड
ू ऩहरे से हीॊ ककसी वजह से उखड़ा हुआ था. उन्होंने फनजी सय को
कोई जवाफ नहीॊ हदमा औय दनदनाते हुए तनशशकाॊत के क्रास भें ऩहुॉि
गए औय बफना कुछ कहे , सयु े शवा को ऩटक कय रततमाने रगे.

दो-तीन रात खाने के फाद सयु े शवा उनकी ऩकड़ से तनकर कय कुत्ते
के फच्िे की तयह कें.... कें....... कयता हुआ क्रास से फाहय बागा.
इधय हे डभास्टय साहे फ गस्
ु से से बफपयते हुए कऺा भें िीखे, “ई िोट्टा
ऩहरे स्टूडेंट सफ को गारी दे ता था, रेककन अफ इसका हहम्भत इतना
फढ़ गमा है कक टीिय रोग के साथ बी गारीगरौज कयता है .”

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सन ् अस्सी

इसके फाद हे डभास्टय साहे फ हाथ झाड़ते हुए टीिसष-रूभ भें वाऩस रौटे
औय फनजी सय को सॊफोचधत कयते हुए फोरे, ”आज सयु े शवा को भन-
बय रततमामे हैं , रेककन रगता है , इसी िक्कय भें भेया दामे ऩैय
अॊगठ
ू ा भि
ु क गमा है . गस्
ु सा भें एक-दो रात फेंि ऩय बी रग गमा
था”.

इसी फीि वऩॊकूरार हे डभास्टय साहे फ की टूटी हुई घड़ी रेकय स्टाप-रूभ
भें दाखखर हुआ औय उसे हे डभास्टय साहे फ को थभाते हुए धीये से
फोरा फोरा, “सय, जफ आऩ सयु े श को ऩीट यहे थे न, तबी मह टूट कय
नीिे चगय गमा था. हभने िुऩिाऩ इसको उठा कय यख शरमा था.”
हे डभास्टय साहे फ ने अऩनी ऩत्नी के ववकयार रूऩ का स्भयण कयते हुए
जकदी से अऩनी ससयु ार वारी घड़ी को उरट–ऩर ु ट कय दे खा औय
याहत की साॊस रेते हुए वऩॊकूरार से फोरे, “शाफास वऩॊकूरार! तभु ने
फहुत हीॊ सभझदायी औय ईभानदायी का ऩरयिम हदमा है . हभ तभ ु को
गणतॊत्र हदवस ऩय ऩयु स्काय दें गे.” उनकी फात सन
ु कय वऩॊकूरार िहकता
हुआ वाऩस क्रास की ओय वाऩस दौड़ ऩड़ा. इधय फनजी सय ने
ल्जऻासावश हे डभास्टय साहे फ से सवार ककमा, “सोये श कपय कोई
फोदभाशी ककमा था क्मा?”

उत्तय भें हे डभास्टय


साहे फ झकराते हुए फोरे, “अये फनजी सय, आऩ ही
ने तो कहा था कक सयु े शवा ने आऩको गारी फोरा है .” अफ, फनजी सय
िौकते हुए फोरे, “रेककन सय, हाभ आऩको कफ फोरा था कक सोये श
हभको गारी फोरा. हाभ क्रास टे न को दसु त
ॊ कुभाय एक शामयी
सन
ु ामा था न, इसी का वास्ते सोये श हभको ‘ााशरफ’ फोरा था”

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सन ् अस्सी

उनकी फात सनु कय हे डभास्टय साहे फ झेंऩते हुए फोरे, “सयु े शवा फेकाय
भें ही वऩट गमा. हभसे बायी शभस्टे क हो गमा.” कपय अिानक
हे डभास्टय साहे फ का भड
ू औय ऽयाफ हो गमा औय फनजी सय ऩय
बड़कते हुए फोरे, “फनजी सय, आऩ बी क्रास भें शेयो-शामयी थोड़ा
कभ ककमा कील्जमे, इससे फच्िे बफगड़ जाते हैं.”

हे डभास्टय साहे फ का रुख दे खक्र फनजी सय ने अफ वहाॊ से खखसकने भें


ही अऩनी बराई सभझी.

उधय, अगरे हदन जफ सयु े शवा स्कूर आमा तो उसका भड


ू बफगड़ा हुआ
था. दोऩहय भें जफ हटकपन हुई तो क्रास के रगबग सबी रड़के
अऩना-अऩना रॊि-फॉक्स रेकय स्कूर के भैदान भें एक ऩेड़ के नीिे
िरे गए. सयु े शवा बी अऩना झोरा रेकय उसी ऩेड़ के नीिे आ गमा.

सबी रड़के ऩेड़ के नीिे फैठ कय अऩना-अऩना रॊि-फॉक्स खोर कय


खाना खाने रगे. तबी सयु े शवा ने अऩने झोरे भें से एक वऩस्तौर
तनकारी औय उसे हाथ भें रेकय रहयाता हुआ जोय से फोरा, “ई
वऩस्तौर है . अगय िर जामे तो खन
ू फाद भें तनकरता है , जान ऩहरे
तनकरता है .” उसकी फात सन
ु कय साये रड़के हटकपन खाना बर
ू कय
डय औय है यत शभचश्रत बाव से वऩस्तौर की तयप दे खने रगे.

कपय, अिानक सयु े शवा तनशशकाॊत की तयप वऩस्तौर िभकाते हुए


फोरा, ”िर फे ऩॊडडत, शौिारम के ऩीछे इसको टे स्ट ककमा जामेगा.

कपय वह सफको सन ु ाता हुआ फोरा, “इसका एक गोरी ऩय स्कूर का


एक ठो भास्टय का नाभ शरखा हुआ है .”

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सन ् अस्सी

सयु े शवा के हाथ भें वऩस्तौर दे ख कय तनशशकाॊत की हारत तो ऩहरे ही


ऽयाफ हो गई थी, टे स्ट की फात ऩय वह घफयाते हुए धीये से फोरे,
“बाई, हभको फहुत जोय का ऩेसाफ रगा है . तभ
ु िरो, हभ ऩीछे से
आते हैं .”

उनकी फात सन
ु कय सयु े शवा गस्
ु से से फोरा, “अफे ऩॊडडत, ज्मादा शसमाना
भत फन, िर वहीॊ ऩय ऩेसाफ कय रेना.” अफ,तनशशकाॊत की हहम्भत
नहीॊ हुई कक सयु े शवा से दफ
ु ाया कुछ कहें . वह िऩ
ु िाऩ ककसी हरार
होने वारे फकये की तयह सयु े शवा के ऩीछे –ऩीछे िर ऩड़े. वे भन ही
भन उस हदन को कोस यहे थे, जफ उन्होंने इस कभीने से दोस्ती की
थी.

जफ दोनों शौिारम के ऩीछे ऩहुॉि गए तफ सयु े शवा हॉसते हुए फोरा,


“वऩस्तौर का टे स्ट क्मा कयें गे..... घॊटा? गोरी तो है ही नहीॊ.” कपय,
उसने अऩनी जेफ से सत
ु री वारा ऩटाखा तनकरा औय तनशशकाॊत की
तयप दे खते हुए फोरा, “िर फे ऩॊडडत, भाचिस तनकार”.

तनशशकाॊत ने सवार ककमा, ”भेये ऩास भाचिस कहाॉ है फे?”.

सयु े शवा हॉसते हुए फोरा, “िर तनकार! सफ ऩता है . सारे, अगय
ऩाककट िेक कयवाएगा तो शसगये ट बी तनकरेगा.”

अफ तनशशकाॊत ने जवाफ हदए फगैय भाचिस तनकार कय सयु े श के


हवारे कय हदमा.

सयु े शवा फोरा, “अफे, शसगये ट बी दे .”

(56) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

तनशशकाॊत से शसगये ट रेने के फाद सयु े श ने स्टाइर से उसे जरामा


औय उसका एक कश रेने के फाद जरती शसगये ट से सत
ु री वारे फभ
के ऩरीते भें आग रगा कय ऩास ही ऩड़ी िाऩाकर की जॊग रगी हुई
एक ऩाइऩ के अॊदय डार हदमा. अिानक फभ ू की आवाज के साथ
ऩटाखा पट गमा.

उधय ऩेड़ के नीिे फैठ कय रॊि कय यहे रड़के ऩटाखे की आवाज को


गोरी की आवाज सभझ सहभ गए. इसके साथ ही सयु े शवा द्वाया
गोरी िराने की खफय ऩयू े स्कूर भें आग की तयह फ़ैर गई.

वऩॊकूरार ने अऩना पजष तनबाते हुए हे डभास्टय साहेफ को खफय कय


हदमा कक सयु े शवा आऩको भायने के शरए वऩस्तौर रेकय घभ ू यहा है .
इस खफय को सन
ु कय वप्रल्न्सऩर साहे फ को दो-तीन यातें ठीक से नीॊद
नहीॊ आई.

ककन्त,ु कुछ हदनों के अन्दय सफ कुछ धीये -धीये साभान्म हो गमा.


रेककन, एक-दो िीजें फदर गईं थीॊ-सयु े शवा की स्कूर भें अफ कपय
कबी वऩटाई नहीॊ हुई औय अफ उसे दे खते ही ‘फगषय-फच्िे’ अऩने
सामककर की है ण्डर दस
ू यी तयप भोड़ दे ते थे.

दयअसर, ‘फगषय-फच्िा’ नाभ भीनू टीिय का हदमा हुआ था. हुआ कुछ
मूॉ कक जभशेदऩयु के हाईस्कूरों के कुछ ववद्माथी सयकायी खिष ऩय
भीनू टीिय के नेतत्ृ व भें ऩटना के सॊजम गाॉधी जैववक उद्मान घभ
ू ने
गए. तनशशकाॊत के क्रास का वऩॊकूरार बी इस टूय भें शाशभर था.

वऩॊकूरार उनकी क्रास का सफसे आऻाकायी छात्र था. उसकी भम्भी


उसके फारों भें योज तेर रगाती, योज साफन
ु से नहराती, उसके कऩड़े

(57) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

योज साफ़ होते औय उसके नाऽून बी कटे होते. वऩॊकूरार, क्रास भें
सफसे अगरी फेंि ऩय फैठता. हय टीिय को गड
ु भातनषग कहता, हय
क्रास खत्भ होने के फाद ब्रैकफोडष साफ़ कयता, टीिय की यल्जस्टय
ढोता औय भौका दे ख कय क्रास की भख
ु बफयी बी कयता. वह िेहये से
ही एक ऐसे हटवऩकर रक
ु भें यहता कक हय टीिय को मही रगता कक
काश! कऺा के सबी छात्र उसकी तयह ही होते.

ककन्त,ु अन्म छात्रों की ल्स्थतत बफरकुर उरट होती. जाड़े के हदनों भें
उन्हें जफयदस्ती ऩकड़ कय नहराना ऩड़ता. सय भें तेर तो दयू , कॊघी
बी कबी-कबी रगती. शटष के फटन मा तो आधे होते मा यॊ ग बफयॊ गे
होते. स्कूर ड्रेस की रगबग भटभैरी हो िक
ु ी इकरौती सफ़ेद शटष मा
तो यवववाय को दअ
ु न्नी साफन
ु से धोमी जाती मा मूॉ ही ऩानी भें
खॊगार कय धूऩ भें सख
ु ा दी जाती.

इस सभह
ू भें सफ़ेद फश
ु टष ऩहने साफ़-सथ
ु या वऩॊकूरार एकदभ सफ़ेद
फत्तख की तयह रगता.

खैय, रड़के ऩटना के सॊजम गाॉधी जैववक उद्मान भें घभ


ू -कपय यहे थे.
एक तयप, सयु े शवा का ग्रऩ
ु सॊतरयमों की नजय फिा कय फॊदयों को ढे रा
िरा-िरा कय भाय यहा था, औय क्रुद्ध फन्दय उन्हें दे ख कय फाय-फाय
गयु ाष यहे थे औय दस
ू यी तयप, वऩॊकूरार अऩनी भम्भी के तनदे श के
अनस
ु ाय ऩावयोटी के फीि भें ‘आरू की बल्ु जमा’ औय ‘टभाटय की जेरी’
बय कय फॊदयों को खखरा यहा था.

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सन ् अस्सी

अिानक सयु े शवा के हदभाग भें एक शैतानी सझ


ू ी. वह वऩॊकूरार के
ऩास गमा औय उससे फड़े ही प्माय से फोरा, “वऩॊकू बाई, एक ठो
ऩावयोटी हभको बी दे ना माय! हभ बी फॊदय को ऩावयोटी खखराएॊगे.”

वऩॊकूरार ने बफना ककसी ना-नक


ु ु य के ऩावयोटी का एक टुकड़ा सयु े शवा
को दे हदमा. इसके फाद वऩॊकूरार उसे सभझाते हुए फोरा, “मे ‘ऩावयोटी’
नहीॊ है सयु े श बाई. इसको ‘फगषय’ कहा जाता है .”

रेककन थोड़ी दे य फाद ही सयु े शवा ऩावयोटी का टुकड़ा रेकय वऩॊकूरार के


ऩास वाऩस रौट आमा औय फड़ी ही आत्भीमता से फोरा, ”वऩॊकू बाई,
फॊदय तो हभको दे खते ही बड़क जा यहे हैं, रेककन रगता है , तेयी उनसे
दोस्ती हो गई है . तभ
ु ऐसा कयो कक मे फगषय तभ
ु ही फॊदयों को खखरा
दो!”

वऩॊकूरार अऩनी तायीफ़ सन


ु कय खुश हो गमा औय सयु े शवा के हाथ से
ऩावयोटी का टुकड़ा रेकय फॊदयों के वऩॊजये के ऩास िरा गमा. वऩॊकूरार
के हाथ से रे कय ऩावयोटी खा यहे एक रोबी फन्दय ने ऩावयोटी का
सभि
ू ा टुकड़ा एक फाय भें ही अऩने भॉह
ु भें ठूॊस शरमा. रेककन, अगरे
ही ऩर फन्दय का एक झन्नाटे दाय थप्ऩड़ वऩॊकूरार के गार ऩय ऩड़ा.
बमबीत वऩॊकूरार चिकराता हुआ वहाॊ से ऩीछे बागा.

हकरा सन ु कय भीनू टीिय दौड़ती हुई वहाॉ आ ऩहुॉिी. वऩॊकूरार कुछ


फोरे, इसके ऩहरे ही सयु े शवा फोर ऩड़ा, “टीियजी, वऩॊकूरार फॊदय को
फगषय खखरा यहा था. रगता है , ककसी रड़के ने फदभाशी से इसके फगषय
भें फर
ु ेट वारा हरयमय भरयिा डार हदमा था. फॊदयवा वही भरयिा खा
कय गस्
ु सा भें इसको हफक शरमा है .”

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सन ् अस्सी

वऩॊकूरार की हहम्भत नहीॊ हुई कक वह भीनू टीिय को सही फात


फतामे. भीनू टीिय नमा-नमा ब्माह कय सहयसा से जभशेदऩयु आमी
थीॊ. उन्होंने ल्जऻासा से ऩछ
ू ा, “ई फगषय कउिी होता है ये ?” जवाफ भें
सयु े शवा फोरा, “हभको का भारभ
ू , ‘फगषय’ कउिी होता है ? ऩावयोटी का
फीि भें वऩॊकू आरू का बल्ु जमा औय टभाटय की शभठकी िटनी बय कय
उसको ‘फगषय’ कह यहा था.” अफ भीनू टीिय ने गस्
ु से भें वऩॊकूरार को
हहदामत दे ते हुए कहा, “दे खो फगषय फच्िे, ई सफ ड्राभा फन्दयवा के
साभने कय शरए, रेककन फघवा के साभने भत कयना.”

इस घटना के फाद से सयु े शवा औय उसके गैंग के रड़कों ने वऩॊकूरार


को ‘फगषय रार’ कहना शरू
ु कय हदमा. इधय, ऩटना से रौटने के फाद
बी तनशशकाॊत का भड
ू ठीक नहीॊ हुआ था. रूऩा का उसके दीदी के दे वय
से िक्कय की खफय सनु कय गस्
ु से से बये तनशशकाॊत ने रूऩा की तयप
दे खना बी छोड़ हदमा था. उधय, रूऩा तनशशकाॊत से शभरने कई फाय
घयु ण शसॊह के िूयन के ठे रे ऩय आई, ककन्तु तनशशकाॊत को वहाॉ नहीॊ
ऩाकय वह बी भन-भसोस कय वाऩस िरी गई.

तनशशकाॊत अऩने ऩहरे इश्क भें जफयदस्ती की िोट खाने के फाद कई


भहीनों तक भह
ु ब्फत औय नपयत के झूरे भें झूरते यहे . कई फाय
उनका भन ककमा कक जाकय रूऩा से शभरें रेककन उन्हें हभेशा उनके
ऩरु
ु षोचित अहभ ने योक हदमा. कपय धीये -धीये फात ऩयु ानी हो गई.
तनशशकाॊत तो अरुण बईमा की तयह पोसरा ग्रऩ
ु के सदस्म नहीॊ फने.
रेककन तनशशकाॊत के कयीफी दोस्त सॊतोष ऩाॊडे थोड़े अरग ककस्भ के थे.

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सन ् अस्सी

सॊतोष ऩाॊडे

तनशशकाॊत की ही क्रास भें ऩढ़ने वारे तनशशकाॊत के शभत्र सॊतोष ऩाॊडे


जन्भजात जज्फाती थे. 14 सार की उम्र भें जफ दस
ु ये फच्िे हाप-ऩैंट
ऩहन कय गरी भें चगकरी-डॊडा खेरा कयते, ऩाॊडज
े ी अशभताब फच्िन
स्टाइर भें िौड़ी भोहयी वारी फेरफाटभ ऩहन कय उिक-उिक कय
हकुषरस ब्राॊड की सामककर िराते-कपयते थे. उनकी सामककर के
कैरयमय भें अॊग्रज
े ी का ‘इॊडडमन नेशन’ अखफाय दफा होता.

सॊतोष ऩाॊडे फात–फात ऩय अॊग्रेजी फोरते. गरी के फच्िे तो फच्िे,


सब्जी फेिने वारी सहुआइन औय दध ू फेिने वारे फेिनयाम बी उनकी
ऑक्सफ़ोडष वारी अॊग्रेजी सन
ु कय सहभ जाते. एक हदन ऩता िरा कक
इसके ऩीछे एक फेहद हदरिस्ऩ कहानी है .

दयअसर ऩाॊडज
े ी को साकिी के एक कान्वेंट स्कूर भें ऩढ़ने वारी एक
तशभर रड़की से एकतयपा इश्क गमा था. इश्क इतना तेज कक एक
हदन उन्होंने उसे यास्ते भें योक कय ‘आई रव म’ू फोर हदमा.

रड़की स्भाटष थी, उसने फड़ी ववनम्रता से उनसे सवार ककमा, “ इट्स
भाम प्रेजय, फट हू आय म?ू ” ऩाॊडज
े ी ठहये जज्फाती आदभी, वो जवाफ
दे ना िाहते थे, रेककन शभष के भाये इसशरमे िुऩ यह गए, क्मोंकक उन्हें
ठीक से अॊग्रेजी फोरनी नहीॊ आती थी. उस हदन उन्होंने अऩने गाॉव
वारे फयहभ फाफा की कसभ खाई कक जफ तक अॊग्रज
े ी फोरना नहीॊ
सीख रॉ ग
ू ा तफ तक इसको जवाफ नहीॊ दॊ ग
ू ा कक भै कौन हूॉ?

(61) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

आज इस घटना के सारों फीत गए हैं, ककन्तु ऩाॊडज


े ी आज बी जज्फाती
होकय अॊग्रेजी फोरना सीख यहे हैं. औय वो रड़की ‘श्माभरी? वह तो
21 सार ऩहरे ही श्माभरी वणषवार फन गई थी. दयअसर, 23 सार
ऩहरे याजेश कुभाय वणषवार ने ठीक ऩाॊडज
े ी की स्टाइर भें उसका
यास्ता योककय ‘आई रव म’ू कहा था. इस फाय बी रड़की ने याजेश
कुभाय वणषवार से वही सवार ककमा, जो सवार उसने ऩाॊडज
े ी से ककमा
था. तफ याजेश कुभाय वणषवार ने उसको हहॊदी भें जवाफ हदमा था- “भै
याजेश कुभाय वणषवार, हभरोगों का जुगसराई भाककषट भें साड़ी का
होरसेर का बफजनेस है .”

सॊतोष ऩाॊडे की तयह ही इस कभफख्त अॊग्रज


े ी ने न जाने ककतने ही
नादान भह
ु ब्फतों का गरा घोंट हदमा था. कान्वें ट स्कूर भें ऩढ़ने वारी
रड़ककमों से एकतयफ़ा भह
ु ब्फत भें ऩागर ककतने ही हहॊदी भाध्मभ के
भासभ
ू रड़कों ने इॊल्ग्रश स्ऩीककॊ ग कोसष भें एडशभशन शरमा होगा,
यै वऩडेक्स इॊल्ग्रश स्ऩीककॊ ग कोसष की ककताफें खयीदी होंगी, औय फयसों
तक स्ऩोकेन इॊल्ग्रश का नोट्स शरखवाने वारे थाऩा सय को ‘गड

भोतनिंग’ औय ‘गड
ु इबतनॊग’ कहा होगा. रेककन असय कपय बी वही- ‘ढ़ाक
के तीन ऩात’.

सॊतोष ऩाॊडे के फाफज


ू ी नन्हकू ऩाॊडे टाटा कॊऩनी भें नौकयी कयते थे.
रेककन, इस नौकयी के साथ–साथ वे ऩोथी–ऩतया बी फाॊि रेते थे.
दयअसर, उनके फाऩ-दादा बी कबी गाॉव भें ऩॊडडताई कयते थे. नन्हकू
ऩाॊडे जफ बी कबी शादी-ब्माह के भौकों ऩय कहीॊ फायात भें जाते तो
उनके फदन ऩय िावर की भाड़ी औय नीर-हटनोऩार दी हुई सपेद
िकिक धोती के साथ सफ़ेद शसकक का कुताष ववयाजभान हो जाता.

(62) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

शादी-ब्माह के अवसय ऩय उनके तनशाने ऩय अक्सय दस


ू ये ऩऺ के
ऩॊडडत होते. नन्हकू ऩाॊडे जानफझ
ू कय दस
ू ये ऩऺ के ऩॊडडत के श्रोकों
औय वववाह-ऩद्धतत ऩय प्रश्न-चिन्ह खड़ा कय शादी भें तभाशा खड़ा कय
दे त.े

एक फाय नन्हकू ऩाॊडे अऩने वप्रम शभत्र शभश्राजी के फेटे की फायात भें
दयबॊगा गए. शाभ को जफ फायात दयवाजे ऩय रगी औय द्वायऩज
ू ा की
यस्भ शरू
ु हुई तो नन्हकू ऩाॊडे ने अऩने स्वबाव के अनस
ु ाय दक
ु हे के
ठीक फगर भें अऩनी जगह फनामी. जगह कभ थी, इसशरए नन्हकू
ऩाॊडे ‘िुक्का-भक्
ु की’ होकय फैठ गए. उधय कन्मा ऩऺ के ऩॊडडतजी ने
जैसे ही एक श्रोक का उच्िायण आयम्ब ककमा, नन्हकू ऩाॊडे ने अऩने
ु ाय उन्हें फीि भें हीॊ टोक हदमा, “ऩॊडीजी, यऊआ ई
स्वबाव के अनस
श्रोक ठीक से नइखी फोरत.”

अिानक इस प्रकाय से टोके जाने ऩय वध-ु ऩऺ के ऩॊडडतजी ऩहरे तो


थोड़े असहज हो गए ककन्तु जकदी ही सॊबर कय फोरे, “का गरती है ,
हभाया श्रोक भें?” जवाफ भें नन्हकू ऩाॊडे ने िक्
ु का-भक्
ु की फैठे–फैठे ही
वह श्रोक ऩढ़ हदमा. रेककन रड़की ऩऺ के ऩॊडडत शामद नन्हकू ऩाॊडे
से बी फड़े भॉह
ु पट थे. वह उनका भजाक उड़ाते हुए फोरे, “हो सकता है
आया ल्जरा भें िक्
ु का-भक्
ु की फैठ कय भन्त्र ऩढ़ा जाता होगा, रेककन
हभरोगों के महाॉ तो िक्
ु का-भक्
ु की फैठ कय कुछ औये ककमा जाता है .”

नन्हकू ऩाॊडे को इस फात का फहुत फयु ा रगा कक वध-ु ऩऺ के ऩॊडडत ने


उनके गह ृ -ल्जरे ‘आया’ के ऊऩय इतना फड़ा कभें ट कय हदमा. उन्होंने
गस्
ु से से बड़कते हुए प्रश्न ककमा, “जफ आया ल्जरा इतने ऽयाफ है तो
फेटी ब्माहने कैसे िरे आमे?” इधय आया ल्जरा के नाभ ऩय रड़के

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सन ् अस्सी

ऩऺ के कई रोग बी नन्हकू ऩाॊडे के सभथषन भें आ गए. रड़के के


भाभा याभजतन शभशसय को बी ताव आ गमा. वे गस् ु से से बफपयते हुए
फोरे, “हभ तो जीजाजी से सरु
ु ए से कह यहे थे कक अऩना ल्जरा-जवाय
भें शादी कील्जमे, रेककन हभाये फहनोई फड़का पायवडष फने हुमे हैं. िरे
हैं, अऩना ल्जरा –जवाय छोड़ कय दयबॊगा भें फेटा ब्माहने!”

अऩने वप्रम सारे का ताना सन


ु कय रड़के के वऩता को बी कन्मा-ऩऺ
ऩय गस्
ु सा आ गमा. वे वऩनकते हुए रड़की के वऩता ओझाजी से फोरे,
“आऩरोग वय को बफमाह कयने के शरए भॊडऩ भें रे जाइए. हभ रोग
बफमाह भें फाधक नहीॊ फनेंगे. रेककन, अफ कोई बी फायाती आऩके घय
का ऩानी बी नहीॊ ऩीमेगा.” औय इसके साथ ही ऩॊरह शभनट के अन्दय-
अॊदय रगबग सायी फायात जनवासा वाऩस रौट गई.

इधय तनशशकाॊत औय उनकी टीभ के रड़के नाचगन डाॊस कयके सस्


ु ता
ही यहे थे कक सयु े शवा उधय आ गमा औय फोरा, “िर फे तनशशकाॊत,
वाऩस जनवासा. फायात का इन्सकट हो गमा है .” प्मास से फेहार
नाचगन डाॊस-ग्रऩ ु के कई रड़के एक साथ ऩछ ू ऩड़े, ‘क्मा हुआ फे?’
जवाफ भें सयु े शवा फोरा, “नन्हकू ऩाॊडे िािा कह यहे हैं कक रड़की-
साइड के ऩॊडडत ने दक
ू हा के फाफज
ू ी को गारी दी है .”

थोड़ी दे य फाद तनशशकाॊत औय उसके साथी बख ू –े प्मासे जनवासा ऩहुॉिे


तो दे खा, नन्हकू ऩाॊडे एक िायऩाई ऩय गभछे से भह ॉु ढक कय सोमे
हुए थे. तनशशकाॊत ने जफ नन्हकू ऩाॊडे को गहयी नीॊद भें सोमे दे खा तो
उनका भाथा ठनका- ‘ई ऩॊडडत तो फगैय ऩेट-ऩज ू ा ककमे सो नहीॊ सकता,
जरूय कोई फात है .’ कपय उनकी िायऩाई के नीिे झोरे भें यखे रोटे को
दे खा तो साया भाजया सभझ भें आ गमा.

(64) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

दयअसर, नन्हकू ऩाॊडे वहाॊ से रौटने के फाद ऩोटरी भें से काभ बय


सतआ
ु तनकार कय रोटे भें घोर कय गटकने के फाद भॉह
ु ऩय गभछा
यख कय गहयी नीॊद भें सो गए थे.

अफ तनशशकाॊत धीये से रड़के के वऩता के ऩास गए औय ऩछ


ू ा, “िािा,
सन
ु े हैं कक रड़की साइड का ऩॊडडत आऩको गारी हदमा है ?” जवाफ भें
रड़के के वऩता रार-ऩीरे होते हुए फोरे, “हभको गारी दे ता तो
टॊ गरयमे िीय दे ते सयऊ का. ऩाॊडज
े ी को गारी हदमा है . दे खो फेिाया कैसे
दख
ु ी होकय बूखे–प्मासे सोमा है .” अफ तनशशकाॊत साया भाजया सभझ गए.

थोड़ी दे य फाद वे िुऩिाऩ उठकय सुयेशवा के ऩास गए औय फोरे, “अफे,


सॊतोष ऩाॊडे का फाऩ सफको तूततमा फना यहा है . िर, धीये से रड़की वारों
के महाॉ से खाना खा कय आ जाते हैं .” सयु े शवा तो जैसे इस प्रऩोजर का
इन्तजाय ही कय यहा था फोरा, “िर फे, वहाॉ भछरी फना है .”

“अफे, ऩॊडडत रोग का शादी भें भछरी?” तनशशकाॊत ने आश्िमष से ऩछ


ू ा.

“गरु
ु ई शभचथराॊिर है, महाॉ श्राद्ध भें बी भछरी िरता है ,” सयु े शवा
हॉसते हुए फोरा.

इधय तनशशकाॊत औय सयु े शवा रड़की वारों के महाॉ जाकय भछरी-बात


खाते यहे औय उधय रड़के के फाफज
ू ी औय फाकी सायी फायात यातबय
बख
ू औय गस्
ु से से कुढ़ती यही.

सफ
ु ह ऩाॊि फजे जफ नन्हकू ऩाॊडे की नीॊद खुरी तो रोटा रेकय िुऩिाऩ
खेतों की ओय तनकर गए. एक घॊटे फाद जफ वह स्नान-ध्मान कय
िक
ु े तो उन्हें िाम– नाश्ते
की जरूयत भहससू हुई. अफ, वे धीये से
उठ कय रड़के के वऩता शभश्रा जी के ऩास गए, औय फोरे, “शभशसयजी

(65) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

जो हुआ, सो हुआ. यात की फात अरग, सफु ह की फात अरग. अफ


रड़की आऩकी ‘ऩतोहू’ फन गई है , औय उसके वऩता ओझाजी आऩके
‘सभधी. आऩ फड़प्ऩन का ऩरयिम दील्जमे औय फात खतभ कील्जमे.”

इधय, रड़के के वऩता शभश्राजी ने बख


ू से फेहार फायाततमों की तयप
एक नजय दे खा औय सहभतत की भर
ु ा भें अऩना सय हहरा हदमा.

अफ नन्हकू ऩाॊडे धीये से जनवासा से फाहय तनकरे औय िुऩिाऩ


रड़कीवारों के दयवाजे ऩय ऩहुॉि गमे औय दे खा कक रड़की के वऩता
ओझाजी अऩने कुछ रयश्तेदायों के साथ िौकी ऩय फैठ कय िाम ऩी यहे थे.

नन्हकू ऩाॊडे को दे खते ही वे उठ खड़े हुए. नन्हकू ऩाॊडे उनका हाथ


ऩकड कय धीये से एक ककनाये रे गए, कपय उनके हाथ को आत्भीमता
से दफाते हुए सभझाते हुए फोरे, ”आऩ रड़कीवारे हैं. आऩके सभधी
आज आऩके दयवाजे ऩय आमे हैं, कर आऩकी फेटी उनके घय जामेगी.
झगडा ठीक नहीॊ है . आऩके सभधीजी को हभ सभझा हदए हैं. िुऩिाऩ
हाथ जोड़ कय उनके साभने खड़े हो जाइमेगा. सफ ठीक हो जामेगा.”
कपय, उन्हें अिानक कुछ माद आ गमा. वे अऩने शब्दों भें शभसयी
घोरते हुए फोरे, “एक काभ औय कील्जमेगा, अऩने साथ गयभ-गयभ
िाम के साथ ऩड़ ू ी औय ल्जरेफी बी छनवा कय जनवासा भें रेते
आइमेगा.” ओझाजी ने सहभतत भें अऩना सय हहरा हदमा.

रड़की के वऩता ओझाजी को सभझाने के फाद नन्हकू ऩाॊडे वाऩस


जनवासा ऩहुिें औय रड़के के वऩता शभशसयजी के फगर भें फैठ कय
धीये से फोरे, “आऩके सभधी आऩसे यात की घटना के शरए ऺभा
भाॊगने आ यहे है . अफ ओझाजी की फेटी आऩकी ऩतोहू हो गई है .

(66) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

अगय आऩ उसके फाऩ को फेइज्जत करयएगा तो फढ़


ु ाऩा भें आऩको एक
कऩ िाम बी नसीफ नहीॊ होगा. इसशरए, भाभरे को अफ महीॊ खतभ
कील्जमे.” उनकी फात सन ु कय रड़के के वऩता ओझाजी अिकिाते हुए
फोरे, “अये , ऩाॊडज
े ी ऊ सफ फेइज्जत आऩको ककमा था, अगय आऩ
उनको भाफ़ कय हदए त फात खतभ.”

उसी सभम ओझाजी अऩने छोटे फेटे औय कुछ रयश्तेदायों के साथ


जनवासा भें आ गए. ऩीछे से िाय-ऩाॊि टोकरयमों भें ऩडू ड़माॉ औय
जरेबफमाॉ औय गयभ िाम बी आ गई. इसके फाद ओझाजी हाथ जोड़ते
हुए रड़के के वऩता शभश्राजी के ऩैय छूनेके शरए नीिे झक
ु े . इधय शभश्राजी
ने बी भौका ताड़ते हुए उन्हें अऩने अॊक भें बय शरमा, औय, इसके साथ
ही ऩाॊडज
े ी की अगुआई भें यातबय की बूखी फायात, ऩडू ड़मों औय जरेबफमों
ऩय टूट ऩड़ी.

इधय सयु े शवा भन भसोसते हुए तनशशकाॊत से फोरा, “ई सारा सॊतोष


ऩाॊडे का फाऩ का िक्कय भें शभचथराॊिर का शादी दे खने का साया भजा
ककयककया हो गमा. ऩॊडइमा सारा हय शादी भें ड्राभा कयवा दे ता है .
अऩने सारा, एक रोटा सत्तू का सयफत के साथ डाफय का
रवणबास्कय िूणष पाॊक कय सो जाता है , औय सभच्
ु िे फायात को बख
ू ा
यख दे ता है .”

जभशेदऩयु कोआऩये द्रटव कॉरेज: 1985

तनशशकाॊत ने पस्टष डडववजन से दसवीॊ की ऩयीऺा ऩास कय जभशेदऩयु


के सफसे फड़े कॉरेज भें दाखखरा रे शरमा.

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सन ् अस्सी

तनशशकाॊत को शरू
ु से ही ववऻान की कऺाएॉ फेहद फोरयॊग रगती थीॊ.
यसामनशास्त्र भें यस नाभ का कोई आमन नहीॊ था. यसामनशास्त्र की
रेब्रोटयी भें हाइड्रोजन सकपाइड की फदफू पैरी यहती थी. वनस्ऩतत
शास्त्र ऩढ़ने वारी रड़ककमाॉ पूरों भें खुशफू खोजने की फजाम उनकी
ऩॊखुडड़माॉ तोड़ कय ‘ऩक
ुॊ े सय’ औय ‘स्त्रीकेशय’ तनकरतीॊ औय कपय उन्हें
फेशसन भें फहा दे तीॊ. जॊतश
ु ास्त्र की रेफोये ट्री भें भये हुए तेरिट्टों औय
भेढकों को छूने भें बी तनशशकाॊत को तघन आती.

एक अन्म सभस्मा ऩढ़ाई की बाषा रेकय थी. तभाभ कोशशशों के फाद


बी अॊग्रेजी भें शरखी गई फॉटनीऔय जूरॉजी की ककताफें उनके ऩकरे
नहीॊ ऩड़ यही थीॊ. जहाॉ, एक तयप, उनके अॊग्रेजी भाध्मभ वारे सहऩाठी
शसरेफस की ककताफें ऩढ़ यहे थे वहीीँ दस
ू यी तयप उनका ज्मादा सभम
बागषव हहॊदी-अॊग्रेजी शब्दकोश को यटने भें फीत यहा था. वे सभझ यहे
थे कक वे सभम से दो सार ऩीछे िर यहे हैं.

वे अक्सय सभम तनकार कय हहॊदी के प्रोफ़ेसय सज


ु म शसॊह ‘अभत
ृ ’ की
क्रास भें फैठ जाते. हहॊदी के प्रोफ़ेसय सज
ु म शसॊह ‘अभत
ृ ’ कॉरेज के
सफसे रोकवप्रम प्राध्माऩकों भें से एक थे.

प्रोफ़ेसय की ल्जॊदगी के अऩने तनमभ थे: रम्फे फार, कारष भाक्सष की


तयह फढ़ी हुई दाढ़ी, घटु नों तक कुयता, ऩैयों भें हवाई िप्ऩर औय हय
क्रास के फाद शसगये ट के िाय कश.

प्रोफ़ेसय के सय से ऩैय तक ऩसयी हुई आवायगी कॉरेज भें नए-नए


आमे छात्रों को फहुत यास आती थी.

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सन ् अस्सी

एक हदन प्रोफ़ेसय ‘अभत


ृ ’ कऺा भें ऩढ़ा यहे थे” “इन्सान को उम्र नहीॊ
फल्कक उसके जीवन की ऊफ भाय दे ती है . इन्सान अऩने जीवन की
नीयसता से तनकरने के शरए तभाभ उम्र नशा कयता है . वह मा तो
भहत्वाकाॊऺा की आड़ भें जुनन
ू की हद तक काभ कयता है मा कपय
शयाफ के नशे भें खुद को भदहोश कय रेता है . िारीस की उम्र के फाद
इन्सान के अॊदय की जवानी की उभॊगें खतभ होने रगती हैं . झुकती
कभय, सफ़ेद होते फार औय गदष न के ऩास रटकते िभड़े के रोथड़े
उसकी ल्जजीववषा को कभजोय कयने रगते हैं, औय वह धीये -धीये भयने
रगता है . ऐसे भें उसके शरए आत्भववश्वास फनामे यखने के शरए कोई
नशा कयना जरूयी हो जाता है . नशा काभ का हो, धभष का हो मा कपय
दारू का! कयना तो ऩड़ता है . जो इन्सान नशा नहीॊ कयता वह ल्जन्दा
नहीॊ यहता, औय जो ल्जन्दा यहते हैं, वे उऩेऺा, नीयसता औय
एकाकीऩन से बयी ल्जन्दा राश होते हैं.
उनके अॊदय का भया हुआ
आदभी अऩने आस-ऩास की जीवॊतता को भत
ृ प्राम कय दे ता है .”

वे आगे फोरे, ‘धभष बी नशा है , औय कभष बी एक नशा है ! अगय आऩ


धभष का नशा नहीॊ कयें ग,े कभष का नशा नहीॊ कयें गे तो कोई औय नशा
कयें गे. हभाये ऩव
ू ज
ष इस तथ्म से बरी–बाॊतत अवगत थे, इसीशरए, वेद
से धभष का नशा आमा औय गीता से कभष का नशा! औय जो इन दोनों
भें नहीॊ आमा वो ‘भधुशारा’ से आमा,”

कपय, थोड़ी दे य रूक कय वे हॉसते हुए फोरे, “अफ मह तभ


ु ऩय तनबषय है
कक ल्जन्दा यहने के शरए तभु कौन सा नशा कयना िाहते हो; घभष का,
कभष का मा कपय शयाफ, गाॊजा मा अपीभ का?”

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सन ् अस्सी

इधय, सयु े शवा, क्रास भें ऩीछे फैठ कय प्रोफ़ेसय का रेक्िय योज की
तर
ु ना भें आज कुछ ज्मादा ही गौय से सन
ु यहा था. अिानक, वह
धीये से तनशशकाॊत के कान भें फोरा, “अफे गरू
ु जी जी तो नशा कयने के
शरए कह यहे हैं!”

तनशशकाॊत ने जवाफ हदमा, “रेककन धयभ–कयभ औय काभ-धाभ कयने


के शरए बी तो कह यहे हैं.”

सयु े शवा झकरा कय फोरा, “ई उभय भें कौन ऩज


ू ा-ऩाठ, काभ–धाभ
कये गा फे? जफ एतना फड़ा ववद्वान ् टीिय नशा कयने को कहहमे यहा है
तो आजे से दारू शरू
ु कय दे ते हैं.”

तनशशकाॊत खीझते हुए फोरे, “ऩगरा गमा है क्मा फे? फाऊजी ऩीठ का
हड्डी तोड़ दें गे. हभ तो नहीॊ ऩीमेंगे. तझ
ु े वऩए के है त ऩी.”

सयु े शवा ने उनकी फात को नजयअॊदाज कयते हुए धीये से ऩछ


ू ा, “कुछ
ऩैसा है का?”

तनशशकाॊत ने ऩतरन ू की जेफ से प्राल्स्टक का ऩसष तनकरते हुए ऩछ


ू ा,
“ऩॊरह रुऩमा है , इतना भें हो जाएगा?”

सयु े शवा फोरा, “िर दे खते हैं.”

तनशशकाॊत ने दृढ़ता के साथ कहा, ”दारू का दक


ु ान ऩय हभ नहीॊ
जामेंगे.” सयु े शवा हचथमाय डारते हुए फोरा, “ठीक है , भोटयसामककर
का िाबी दे .”

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सन ् अस्सी

“सयु े श बाई, आजे 10 रुऩमा का ऩेट्रोर बयवाए हैं. साक्िी फाजाय से


आगे भत जाना. बफना ऩेट्रोर का मेज्दी ठे रने भें ऩैंट पट जाता है ,”
तनशशकाॊत ने रािायगी बये शब्दों भें अनयु ोध ककमा. जवाफ भें सयु े श ने
हॉसते हुए मेज्दी भोटयसामककर की िाबी उनसे अऩने हाथ भें रे री.

सयु े शवा कयीफ आधे-घॊटे फाद रौटा तो उसके ऩास अखफाय भें शरऩटी
हुई फीमय की एक फोतर थी. इसके फाद, दोनों कॉरेज से सटे जुफरी
ऩाकष भें ऩहुॊिे.

सयु े शवा फोरा, “फीमय है फे! दक


ु ानदाय फोरता है कक फीमय तो जौ का
ऩानी होता है . एक टाइऩ का हे कथ टातनक! इससे नशा नहीॊ होता है ”
कपय, सयु े शवा दोस्ती का हवारा दे कय फोरा, “भेये शरए बाई! दोस्ती के
नाभ ऩय दो घट
ूॊ भाय, ऩक्का भजा आएगा.”

उत्तय भें तनशशकाॊत फोरे, “नहीॊ फे, घय भें फाउजी को ऩता िर गमा
तो भाय के िभड़ी उधेड़ दें ग.े ”

रेककन सयु े शवा के आगे तनशशकाॊत की एक न िरी. एक दो घट


ूॊ रेने
के फाद तनशशकाॊत बी भड
ू भें आ गए.

कॉरेज भें तनशशकाॊत ने दो नमी आदतें सीखीॊ. ऩहरा कॉरेज से बाग


कय शसनेभा दे खना औय दस
ू या, कैं टीन भें फैठ कय दोस्तों के साथ िाम
के साथ ‘आरि
ू ाऩ’ औय ‘सभोसे’ के भजे रेना.

इधय, सॊतोष ऩाॊडे का अॊग्रज


े ी के प्रतत जुनन
ू अऩनी ियभसीभा ऩय था.
उसने भानगो के आहदर सय के महाॉ स्ऩोकेन इॊगशरश की ट्रे तनॊग रेनी
शरू
ु कय दी थी. सॊतोष ऩाॊडे अक्सय तनशशकाॊत औय सयु े शवा के साथ

(71) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

को आऩये हटव कॉरेज के कैं टीन भें फैठ कय िाम के साथ ‘आरि
ू ाऩ’
औय ‘सभोसे’ के भजे रेत.े उनकी रट्डभाय अॊग्रेजी से िाम-सभोसे का
भजा कई गन
ु ा फढ़ जाता.

आहदर सय के महाॉ ट्रे तनॊग का असय ककतना था इसका ऩता इसी फात
से रगामा जा सकता था कक सॊतोष ऩाॊडे अफ बी सहटष कपकेट को
‘साटीपीटीक’ औय पुटऩाथ को ‘पुतपात’ कहते. उनके शरए ‘कॉरेज
क्वीन’ अबी बी ‘कॉरेज क्मन
ॉू ’ थी.

सॊतोष ऩाॊडे की अॊग्रेजी कोचिॊग वारा दोस्त भमॊक श्रीवास्तव अक्सय


कॉरेज की सभोसा- भॊडरी भें शाशभर हो जाता. एक हदन उसने सॊतोष
ऩाॊडे को सराह हदमा कक वह अऩनी अॊग्रेजी ठीक कयने के शरए अॊग्रेजी
कफ़कभें दे खा कये . सॊतोष ऩाॊडे ने बी उसकी सराह झट से भान री.

अगरे हदन भमॊक सफ


ु ह कयीफ दस फजे कॉरेज आमा औय सॊतोष ऩाॊडे
को अॊग्रेजी कपकभ हदखाने के शरए साथ रे कय िरा गमा. उन हदनों
जभशेदऩयु के कई शसनेभाहार सफ
ु ह के शो भें वमस्क रोगों के शरए
अॊग्रेजी की एडकट कपकभें हदखाते थे.

जफ दोनों शसनेभाहार के अॊदय ऩहुॊिे तो हार के अॊदय की राइट्स फॊद


हो िुकी थीॊ. भमॊक ने सॊतोष ऩाॊडे को शसनेभाहार के सफसे स्ऩेशर
क्रास ‘डीसी’ भें रे जाकय फैठा हदमा औय चितनमाफादाभ राने की फात
कहकय फाहय िरा गमा. स्ऩेशर क्रास डीसी भें भहज ऩॊरह-फीस सीटें
यही होंगी.

अॊग्रेजी कपकभ भें फेहद उत्तेजक सेक्स सीन थे. रगता था, जैसे
शसनेभाहार वारे ने जानफझ
ू कय कपकभ के फीि भें ककसी ब्रू कपकभ

(72) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

की यीर प्रोजेक्टय ऩय िढ़ा दी हो. इधय सॊतोष ऩाॊडे बी अॊग्रेजी सीखना


बर
ू कय कपकभ के गर
ु ाफी दृश्मों भें खो गए.

रगबग ऩैतारीस शभनट फाद इॊटयवर हुआ औय शसनेभाहार की


राइट्स जर गईं. सॊतोष ऩाॊडे ने अऩनी दामीॊ ओय भमॊक वारी सीट
ऩय नजय डारी. भमॊक अबी नहीॊ रौटा था. कपय, अिानक ही उनकी
नजय अऩनी फामीॊ फाज़ू वारी सीट ऩय फैठे शख्स ऩय गई तो वे हक्के
-फक्के यह गए. उनकी फामीॊ फाज़ू वारी सीट ऩय उनके वऩता नन्हकू
ऩाॊडे फैठे थे.

आकस्भात ही फाऩ-फेटे की नजयें शभरीॊ. दो ऩर तक दोनों


ककॊ कतषव्मववभढ़
ू हो वहीीँ फैठे यहे . औय कपय, अिानक दोनों फदहवासी
की अवस्था भें अऩनी-अऩनी सीट से उठ कय शसनेभाहार के दो
अरग-अरग गेटों से फाहय तनकर गए.

***

अगरे हदन जफ शभत्र-भण्डरी कॉरेज के कैं टीन भें फैठी तो सॊतोष ऩाॊडे
नदायद थे. भमॊक ने सभोसे के आडषय हदए.

सयु े शवा ने भमॊक से ऩछ


ू ा, “सॊतोष कहाॉ है फे?”

भमॊक हॉसता हुआ फोरा, “अऩने फाफज


ू ी के साथ फैठ कय एडकट कपकभ
दे ख यहा होगा.”

तबी उधय से सॊतोष ऩाॊडे बी कैं टीन भें आ गमे.

(73) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

उन्हें दे ख कय भमॊक उसका भजाक उड़ाता हुआ फोरा, “क्मा फे, फाऩ
के साथ ब्रू कपकभ दे ख कय भजा आमा न? भेये को भारभ ू था तेया
पादय हय शतनवाय को नन
ू शो भें एडकट कपकभ दे खने भेये घय के ऩास
वारे शसनेभाहार भें आता है.

तनशशकाॊत ने गॊबीयता से ऩछ
ू ा, “क्मों क्मा हुआ फे?” इसके फाद भमॊक
ने भजाककमा अॊदाज भें यस रे-रे कय ऩयू ी कहानी सन ु ा दी.

इधय सॊतोष ऩाॊडे सय झक


ु ा कय िऩ
ु िाऩ फैठा यहा. तबी अिानक
तनशशकाॊत ने सॊतोष ऩाॊडे की तयप दे खा, सॊतोष ऩाॊडे की आॉखों से झय-
झय आॊसू चगय यहे थे.

सॊतोष ऩाॊडे को इस प्रकाय योते दे खकय तनशशकाॊत का भड


ू ऽयाफ हो
गमा. उन्होंने भॊमक से फड़े प्माय से ऩछ
ू ा, “बाई, तेये घय भें ककतने
शौिारम हैं?”

भमॊक ने हॉसते हुए जवाफ हदमा. “एक ही है , हगना है क्मा?”

अफ तनशशकाॊत ने गस्
ु से से चिकराते हुए ऩछ
ू ा, “सारे, क्मा तू अऩने
फाऩ के साथ-साथ उसभें हगने जाता है ?”

उसका सवार सन
ु कय भमॊक गस्
ु से से बय उठा. उसने ऩास ऩड़ा एक
रोहे का चिभटा उठा शरमा औय तनशशकाॊत ऩय हभरे के शरए झऩटा.
रेककन, तबी सयु े शवा ने बफजरी की पुती से अऩनी कभय भें खोंसी
दे सी वऩस्तौर तनकारी औय भमॊक ऩय पामय कय हदमा. इस फाय गोरी
असरी थी.

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सन ् अस्सी

गोरी भमॊक की कनऩटी के फगर से तनकर गई. ककन्त,ु बमबीत


भमॊक वहीीँ पशष ऩय बहया कय चगय ऩड़ा. अफ सयु े शवा आगे फढ़ा औय
उसने जोय की एक रात जभीन ऩय ऩड़े भमॊक की कभय के नीिे भायी,
रेककन, भमॊक दहशत के भाये वहीीँ जभीन ऩय िुऩिाऩ ऩड़ा यहा.

तनशशकाॊत अवाक् होकय सयु े शवा की तयप दे खते यहे . सयु े शवा सदष रहजे
भें फोरा, “अफे ऩॊडडत, अफ मे भत फोरना कक थोड़ा ज्मादा हो गमा.
ज्मादा तो तफ होता जफ भै इसकी खोऩड़ी उड़ा दे ता.”

जभशेदऩुय 1988: अऩयाध का सभाजशास्र

अस्सी के दशक भें जभशेदऩयु भें ऑगेनाइज्ड क्राइभ की शरु


ु आत हो
यही थी. कुछ फड़े अऩयाधी गैंग थे जो फड़े ठे केदायों के शरए ये रवे,
ऩीडब्कमड
ू ी, ऩीएिडी जैसे सयकायी ववबागों भें ठे का भैनेज कयने का
काभ कयते थे. छोटे -भोटे चगयोह बी फन यहे थे, जो सयकायी जभीनों
को अततक्रशभत कय फेि यहे थे.

अस्सी के दशक के अॊततभ सारों भें इन्हीॊ छोटे चगयोहों ने फड़े ठीकेदायों
की जगह रे री औय अफ, सीधे तौय ऩय इन अऩयाधी चगयोहों के फीि
सयकायी ठे के, कॊऩनी के स्क्रैऩ, नदी के फारू औय सयकायी जभीन ऩय
कब्जे के शरए गैंगवाय तछड़ गई.

शाततय अऩयाधी ठीकेदायों के शरए कोआऩये हटव कॉरेज वह जगह थी


जहाॉ नए रड़के शभरते थे-ऐसे रड़के जो चिर औय भजे के शरए
गोशरमाॊ िराते थे औय इस फात ऩय खुश होते थे कक वे बाई के
आदभी हैं. रेंककन कुछ ऐसे रौंडे बी थे जो यातो-यात तयक्की कयना

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सन ् अस्सी

िाहते थे. उनकी भॊशा अऩयाध की दतु नमा के फड़े नाभों के साथ खद

को जोड़ कय तयक्की के यास्ते ऩय यफ़्ताय ऩकड़ने की होती थी.

दयअसर 45 की उम्र ऩाय कयते–कयते एक शाततय अऩयाधी के अन्दय


की हदरेयी भयने रगती है औय उसकी जगह शकुनी की कूटनीतत रेने
रगती है . मातन कक गोरी खुद नहीॊ, ककसी नए रौंडे से भयवामेंगे.
कॉरेज के नए रौंडे उनके हचथमाय फनते थे. अऩयाध जगत के मे
धयु ॊ धय ऩहरे नए रड़कों को सॊयऺण का बयोसा दे कय वऩस्तौर थभाते,
एक- आध अऩयाध कयाते औय कपय थाना, कोटष औय वकीर के िक्कय
भें ऐसा पाॊसते कक बाई सेवा भें ही नए रड़कों की सायी जवानी
तनकर जाती. सयु े शवा बी स्वाबाववक रूऩ से इसी अऩयाध जगत का
हहस्सा फनने का प्रमास कय यहा था.

दस
ू यी तयप, तनशशकाॊत, सयकायी व्मवस्था भें मकीन कय इस उम्भीद
के सहाये ऩढ़ाई- शरखाई कय यहे थे कक भेहनत कयने ऩय दे य-सफेय कहीॊ
न कहीॊ सयकायी नौकयी जरूय शभर जाएगी. ककन्तु दो फाय भेडडकर
की प्रवेश ऩयीऺा भें पेर होने के फाद तनशशकाॊत की हहम्भत धीये –धीये
टूट बी यही थी. सयकायी नौकयी शभरना अफ सॊबव नहीॊ रग यहा था.
बोजऩयु ी के एक ऩॉऩर
ु य गीत के फोर उनके जेहन भें फाय-फाय कौध
जाता था:

"अल्स्समे से कईके फीए फफआ


ु हभाय कम्ऩटीशन दे ताs .....
एभ ए भें रे के एडशभशन कम्ऩटीशन दे ताs....."

एक हदन सयु े शवा अऩने फड़के फहनोई के साथ कोआऩये हटव कॉरेज
आमा. सयु े शवा का फहनोई ऩटना के ककसी तनजी कॉरेज भें अवैततनक

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सन ् अस्सी

रेक्ियय था. थोड़ी दे य इधय-उधय की फातों के फाद सयु े शवा ने


तनशशकाॊत से कहा, ”अफे, कोई भेडडकर कॉरेज भें एडशभशन वारा
कैं डडडेट शभरे तो फताना. जीजाजी, बफहाय के ककसी भेडडकर कॉरेज भें
एडशभशन भैनेज कया दें गे.”

तनशशकाॊत ने गॊबीय होते हुए ऩछ


ू ा, “ककतना रगेगा?”

सयु े शवा के फहनोई ने उत्तय हदमा, “डेढ़ राख भें पाइनर होगा.
ऩिीस हजाय तभ
ु रोग का हहस्सा यहे गा. एक्जाभ से एक हदन ऩहरे
यात भें क्वेश्िन ऩेऩय शभर जाएगा. अगय क्वेश्िन ऩेऩय नहीॊ शभरा तो
ऩैसा वाऩस! रेककन,ऩयू ा ऩैसा ऩहरे दे ना होगा.”

तनशशकाॊत ने आशॊका जाहहय की, “अगय साभने वारा ऩैसा रेकय बाग
गमा तो?”

“बागेगा तो दीघा के हदमाया भें रे जाकय उसका गदष न ये त दें गे.”


सयु े शवा के फहनोई ने फेहद सहजता के साथ जवाफ हदमा. वह आगे
फोरा, ”एक औय ववककऩ है . कैं डडडेट का जगह कोनो टॉऩय एक्जाभ
दे गा. इसभें ऩिास हजाय ऩहरे, फाकी काभ होने के फाद.”

“रेककन इसभें तो फहुत रयस्क है ,” तनशशकाॊत फोरे.

“ज्मादा रयस्क ऩढ़ कय नौकयी खोजने भें है . शसपष 20 ऩयसेंट जेनइ


ु न
कैं डडडेट का सरेक्शन होता है . अस्सी ऩयसेंट सीट ऩहरे से ही बफका
होता है ,” सयु े शवा के फहनोई ने हॉसते हुए उत्तय हदमा.

तनशशकाॊत ने सवार ककमा, “सयकाय को ऩता नहीॊ िरता है क्मा?”

(77) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

सयु े शवा का फहनोई फोरा, “बाई भेये, कपफ्टी ऩयसेंट कैं डडडेट तो भॊत्री
औय फड़का अपसय रोग का रयजयफ होता है .”अफ, सयु े शवा ने सवार
ककमा, “जफ सफ सेहटॊगे है , त स्टूडेंट रोग इ कोचिॊग-कोचिॊग काहे खेर
यहे हैं ?” इस फात ऩय उसके फहनोई नें गॊबीय शब्दों भें जवाफ हदमा,
“तोया खेरे के है त तू बी खेर. कोचिॊग सेंटय भें बी फहुते भार है .
सयु े स फाफ,ू आज फाजाय का बाव नहीॊ है फल्कक बाव का फाजाय है .
सफके अऩने रड़का सफ को डाक्टय इॊजीतनमय फनावे के है , औय जफ
तक भाॉ-फाऩ के भन भें ई बाव फनर यहे गा, तफ तक कोचिॊग का धॊधा
सोना उगरता यहे गा.”

***

तनशशकाॊत जफ वाऩस घय रौटे तो उनका भन बया–बया सा था.


उन्होंने ककताफों से बये अऩने स्टडी-टे फर की तयप दे खा. आज मे
ककताफें औय कावऩमाॉ उन्हें तयक्की का यास्ता नहीॊ हदखा ऩा यही थीॊ,
अरफत्ता वे किये का ढे य जरूय रग यही थीॊ. उनका भन हुआ फाफज
ू ी
से अनयु ोध कयने का कक गाॉव की एक-दो फीघा जभीन फेि कय उनका
भेडडकर कॉरेज भें एडशभशन कया दें .

वे भन कड़ा कयके वऩता के कभये की तयप फढ़े , दे खा, आॉगन भें


अम्भा सई
ु धागे सेफाफज
ू ी की पटी हुई ऩतरनू यपू कय यही थी.
तबी अिानक एक ऩतॊग कट कय हवा के झोंकों से इधय–उधय डोरती
आॉगन भें आ चगयी. भोहकरे के आठ-दस फच्िे कटी हुई ऩतॊग ऩय
झऩटे . आधे शभनट के अन्दय ऩतॊग के टुकड़े-टुकड़े हो गए. रड़के पटी
हुई उस ऩतॊग को आॉगन भें ही छोड़ दस
ू यी कटी हुई ऩतॊग रट
ू ने के
शरए फाहय बागे.

(78) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

आॊगन भें हरिर बाॊऩ कय फाफज


ू ी अऩने कभये से तनकरे औय पटी
हुई ऩतॊग दे ख कय साया भाजया सभझ गए. कपय वह तनशशकाॊत की
तयप भख ु ाततफ होकय फोरे, “तम्
ु हाये दादा अक्सय कहते हैं कक डोय से
कटी हुई ऩतॊग औय जभीन से कटा हुआ आदभी दन्ु नो का अॊत एक्के
जईसा होता है .”

वऩता की फात ऩय तनशशकाॊत को अऩने गाॉव के हये –बये ऩश्ु तैनी खेत
माद आमे. वे रोग माद आमे, ल्जन्होंने अऩने ऩश्ु तैनी खेतों की यऺा
के शरए अऩनी जानें दे दी थीॊ. उन्होंने भन भें सोिा, “भेडडकर की
ऩढ़ाई जामे बाड़ भें ! घस
ू दे ने के शरए फाऩ-दादा का खेत नहीॊ बफकेगा.
खद
ु को कटी ऩतॊग फनने से योकना होगा. कपय, उन्होंने खद
ु को
बयोसा हदरामा, “कबी तो गाॉव के हारात फदरेंग,े कबी तो हभाये खेत
हये –बये होंगे. अगय हभ नहीॊ खेती कयें गे तो हभायी आद-औरादें इन
खेतों भें पसरें उगामेंगी. िरो, न कयें खेती, ककन्तु कभ से कभ उनके
ऩास इस सवार का जवाफ तो होगा कक वे ककस गाॉव की हैं?”

कुछ हदनों फाद, एक हदन सयु े शवा सफ


ु ह-सफ
ु ह तनशशकाॊत के घय आ
धभका औय फोरा, “िर फे, नागा बाई का टें डय भें िरना है .” कपय
वह, तनशशकाॊत को ताव हदराता हुआ फोरा, “करेजा भजफत
ू है ना फे?
वहाॉ गोरी-फॊदक
ू िर सकता है .”

वैसे तनशशकाॊत न तो सयु े शवा के तथाकचथत नागा बाई के फाये भें कुछ
ज्मादा जानते थे औय न ही टें डय–वें डय के फाये भें उन्हें ज्मादा कुछ
ऩता था. रेककन, उन्होंने सयु े शवा के करेजा भजफत
ू होने वारे जुभरे
का जवाफ दे ते हुए ताव से कहा, “आया ल्जरा घय फा त कौन फात के
डय फा?”

(79) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

“अगय डय नहीॊ फा तो भोटयसामककर तनकार,” सयु े शवा हॉसते हुए


फोरा.

थोड़ी दे य फाद दोनों तनशशकाॊत की भोटयसामककर से ऩीडब्कमड


ू ी
आकपस ऩहुॊिे. ऩीडब्कमड
ू ी आकपस के साभने टें डय बयने वारों औय
उनके सभथषकों का भजभा रगा हुआ था.

ऩीडब्कमड
ू ी आकपस ऩहुॉिने के फाद सयु े शवा कुछ दे य तक गेट के फाहय
ही खड़ा यहा. इसी दौयान सयु े शवा के तथाकचथत नागा बाई बी अऩने
सभथषकों के साथ ऩीडब्कमड
ू ी आकपस ऩहुॉि गए. सयु े शवा ने आगे फढ़
कय उनका ियण स्ऩशष ककमा. जवाफ भें नागा बाई ने उसकी ऩीठ
ठोंकते हुए ऩछ
ू ा, “कॉरेज भें कौनो हदक्कत नहीॊ है न?” सयु े शवा ने बी
ववनम्र रहजे भें उत्तय हदमा, “नागा बाई, जफ आऩ हईमे हैं त का
प्रोब्रभ!”

नागा बाई भस्


ु कुयाते हुए आगे फढ़ गए.

थोड़ी दे य फाद, नागा बाई का एक गग


ु ाष सयु े शवा के ऩास आमा औय
फोरा, “शाभ को बईमा के महाॉ भटन ऩाटी है . दारू का बी इॊतजाभ है .
नागा बाई आने के शरए कहे हैं.”

अिानक गग
ु े की नजय तनशशकाॊत ऩय ऩड़ी, ऩछ
ू ा, “ई कौन है ?”

“ई हभाया ल्जगयी दोस्त है,” सयु े शवा ने जवाफ हदमा.

ठीक है, “बईमा इसको बी फोरे हैं, शाभ को भटन ऩाटी भें आने के
शरए,” औय वह आगे फढ़ गमा.

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सन ् अस्सी

तनशशकाॊत ने आश्िमष से सयु े शवा से ऩछ


ू ा, “अफे, तेये नागा बाई हभको
कफ से जानने रगे?” उत्तय भें सयु े शवा धीये से हॉसा, “नागा बाई सफको
ऩहिानते हैं, औय केकयो नहीॊ ऩहिानते. डेढ़ सार से नागा बाई से हभ
रयक्वेस्ट कय यहे हैं कक ककसी ववबाग भें यल्जस्ट्रे शन कयवा दें . छोटा-
भोटा ठे का हभको बी शभर जाए. रेककन, नागा बाई िाराकी से भग
ु ाष-
दारू का ऩाटी दे कय टयका दे ते हैं .”

इसी फीि नागा बाई का एक गग


ु ाष सयु े शवा के ऩास आकय फोरा,
“बत्रऩाठी ग्रऩ
ु भैनेज नहीॊ हो यहा है . टें डय रूकवाना ऩड़ेगा, ये डी यहना.”
सयु े शवा ने सहभतत भें अऩना सय हहरामा.

इसके ठीक ऩाॊि शभनट फाद ऑकपस के अन्दय से गारी–गरौज एवॊ


उठा-ऩटक की आवाजें आने रगीॊ औय रोग फदहवास होकय आकपस से
तनकर कय फाहय की तयप बागे.

इधय नागा बाई के िभिे दहशत पैराने के शरए हवा भें पामरयॊग
कयने रगे.

तबी अिानक एक गोरी सयु े शवा की दामीॊ जाॊघ से टकयाई औय


उसकी दामीॊ जाॊघ से खून बर-बर कय चगयने रगा. सयु े शवा ददष से
कयाहता हुआ वहीीँ जभीन ऩय फैठ गमा. कपय, वह याभखेरवान की
तयप दे खता हुआ जोय से िीखा, “अफे जकदी गाड़ी स्टाटष कय, औय
भझ
ु े रेकय बाग महाॉ से.”

तनशशकाॊत ने घफयाहट भें मेज्दी भोटयसामककर भें िाय-ऩाॊि ककक


भायी, भोटयसामककर स्टाटष नहीॊ हुई.

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सन ् अस्सी

इधय सयु े शवा ददष से कयाहते हुए फोरा, “बाई, घफया भत, िोक रेकय
ककक भाय भोटयसामककर स्टाटष हो जाएगी.”

िोक रेते ही भोटयसामककर स्टाटष हो गई.

सयु े शवा आगे फोरा, “हभको गौयभें ट अस्ऩतार रे िर.”

“अफे, सयकायी अस्ऩतार भें सही इराज नहीॊ होगा. टाटा अस्ऩतार रे
िरते हैं ” तनशशकाॊत ने ववयोध ककमा.

“अफे ऩॊडडत, ल्जतना फोर यहे हैं, उतने कय!” सयु े शवा ददष से कयाहते
हुए िीखा.

तनशशकाॊत सयु े शवा को रेकय जैसे ही साकिी ल्स्थत सयकायी अस्ऩतार


ऩहुॉिे तो दे खा, नागा बाई के आदभी ऩहरे ही वहाॉ ऩहुॉि गए थे.
उन्होंने जकदी से सयु े शवा को तनशशकाॊत की भोटयसामककर से नीिे
उताया औय उसको रेकय अस्ऩतार के इभयजेंसी वाडष की तयप बागे.

तनशशकाॊत बी उनके ऩीछे –ऩीछे बागे.

तनशशकाॊत इभजेंन्सी वाडष भें जैसे ही ऩहुॊि,े सयु े शवा ने उनको इशाया
कयके अऩने ऩास फर ु ामा औय धीये से फोरा, “ऩॊडडत, तेये को महाॉ कोई
नहीॊ ऩहिानता. तू तनकर महाॉ से. ककसी को बी अऩना नाभ, ऩता
भत फताना. अऩनी भोटय सामककर बी धुरवा रेना.”

इधय, तनशशकाॊत जैसे ही फाहय तनकरने के शरए भड़


ु ,े नागा बाई का
एक गग
ु ाष फोरा, “कहाॉ जा यहे हो? ऩशु रस को गवाही दे ना है कक तम्
ु हाये
साभने ही सयु े श बाई को ठीकेदाय सयू जबान बत्रऩाठी अऩना हाथ से

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सन ् अस्सी

गोरी भाया है .” रेककन तनशशकाॊत सयु े शवा के कहे अनस


ु ाय उसकी फात
को नजयअॊदाज कयते हुए िऩ
ु िाऩ वहाॉ से तनकर गए.

तीन हदन फाद जफ सयु े शवा के फर


ु ावे ऩय तनशशकाॊत उससे शभरने
सयकायी अस्ऩतार ऩहुॉिे तो दे खा, सयु े शवा की हारत अफ कापी ठीक
थी औय वह अऩने फेड ऩय रेटे-रेटे नेशनर ऩनासोतनक के टे ऩरयकाडषय
ऩय कोई ऩयु ाना गाना सन
ु यहा था.

थोड़ी दे य इधय-उधय की फातें कयने के फाद सयु े शवा फोरा, “बत्रऩाठी


ठीकेदाय को गोरी काण्ड भें नाभजद कयने को नागा बाई कह यहे थे,
रेककन हभने ऩीडब्कमड
ू ी के भख्
ु म अशबमॊता भनोज भहॊ ती के सारे को
गोरी िराने वारे के रूऩ भें ऩशु रस एफ़आईआय भें नाभजद कयवा
हदमा है . भख्
ु म अशबमॊता भनोज भहॊ ती औय उसका ठीकेदाय सारा,
दन्ु नो नागा बाई के आदभी है , इसीशरए नागा बाई हभ ऩय बड़के हुए
हैं.”

“रेककन असर भें तेये ऩय गोरी ककसने िरामा था,” तनशशकाॊत ने


सवार ककमा.

जवाफ भे सयु े शवा फोरा, “ऩॊडडत, भद्द


ु ा ई नहीॊ है कक गोरी ककसने
िरामा था, फल्कक भद्द
ु ा ई है कक इस काॊड भें ककसको रऩेटना है .”

”भहॊ ती के सारे को रऩेटने से तभ


ु को क्मा पामदा होगा?” तनशशकाॊत
ने जानना िाहा.

“तीन राख रुऩमा औय ऩीडब्कमड


ू ी भें ठीकेदायी के शरए यल्जस्ट्रे शन!
इस भे से एक राख रूऩमे की डडरेवयी बी हो गई है. भेये तककमे के

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सन ् अस्सी

फगर भें यखे झोरे भें सौ-सौ के दस फण्डर है ,” सयु े शवा पुसपुसाते हुए
फोरा. कपय उसे अिानक कुछ माद आमा. वह फोरा, “अफे ऩरट कय
दे ख, फगर वारी फेड ऩय कौन रेटा है !

“हभरोग के स्कूर के हे ड भास्टय साहे फ! अये , इनको क्मा हुआ है?”


तनशशकाॊत आश्िमष से फोरे,

सयु े शवा ने जवाफ हदमा, “हाटष अटै क!”

“इ तो तनयाशभष आदभी हैं, इनको हाटष अटै क कैसे हो गमा?”


तनशशकाॊत ने िौंकते हुए सवार ककमा.

जवाफ भें सयु े शवा फोरा, “अफे, राइप भें फहुत टें सन है . जवान फेटा
नेताचगयी कयते हुए फेयोजगाय घभ ू यहा है . फेटी ब्माहने को है . फेिायी
कर महीॊ फैठ कय द्ु ख के भाये करऩ यही थी कक ऩाऩा के ऑऩये शन
का ऩैसा कहाॉ से आएगा. इधय हे डभास्टय साहे फ को चिॊता है कक वे
भय गए तो फेटी का ब्माह कैसे होगा.”

“तू एक काभ कय, हे डभास्टय साहे फ की फेटी थोड़ी दे य भें उनसे शभरने
आएगी. तू उसको इस फण्डर भें से ऩिास हजाय रुऩमा थभा दे ना,”
सयु े शवा आगे फोरा.

“ऑऩये शन भें ककतना रगेगा?” तनशशकाॊत ने ऩछ


ू ा.

“डेढ़ राख के आसऩास,” सयु े शवा ने उत्तय हदमा.

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सन ् अस्सी

“कपय ऩिास हजाय भें इनका काभ कैसे होगा?” तनशशकाॊत फोरे.
“घफया भत फे, भोहॊ ती का सारा औय एक राख रेकय आता ही होगा,”
सयु े शवा ने राऩयवाही से उत्तय हदमा.

“वो तो ठीक है बाई, रेककन असर भें तेये ऩय गोरी ककसने िरवाई
थी?” तनशशकाॊत ने ववषम फदरते हुए कपय से प्रश्न ककमा.

सयु े शवा फोरा, “नागा बाई ने औय ककसने! वे बत्रऩाठी ठीकेदाय को


भैनेज कयना िाहते थे. द ू हदन के दारू भग
ु ाष ऩाटी का बायी कीभत
भाॊग यहे थे हभसे. हभसे बफना ऩछ
ू े हभ ऩय गोरी िरवा हदए, जैसे,
हभाये खून का कौनो कीभते नहीॊ है ?”

“अगय उनको भारभ


ू होता कक हभ उनकी फात नहीॊ भानेंगे तो भेये ऩैय
की जगह भड
ुॊ ी भें गोरी भयवाते,” कपय, सयु े शवा हॉसते हुए फोरा.

“ई तेया नागा बाई तो फड़ा कभीना टाइऩ के आदभी है माय,”


तनशशकाॊत गस्
ु से से बय कय फोरे.

सयु े शवा गॊबीयता से फोरा, “धॊधा भें कोई बी ‘कभीना’ मा ‘शयीप’ नहीॊ
होता. सफकी अऩनी–अऩनी िारें हैं, अऩने अऩने दाॊव-ऩें ि हैं. जफ
शतयॊ ज खेरते है तो साभने वारे को िार िरने से तो नहीॊ योक
सकते न? नागा बाई ने अऩनी िार िरी, हभने अऩनी. अगय भेया
करेजा छोटा होता तो उनके कहे ऩय िरते औय ल्जन्दगी बय भग
ु ाष-
दारू के फदरे उनके शरए गोरी खाते. भेया करेजा फड़ा है , इसशरए
उनको िुनौती दे हदए.” तनशशकाॊत स्तब्ध होकय उसकी फात सन
ु ते यहे .

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सन ् अस्सी

सयु े शवा आगे फोरा, “भेये फेड के नीिे यखा हुआ एक राख रुऩमा
बत्रऩाठी का हदमा हुआ है . ऊ नागा बाई का िार सभझ गमा था,
इसीशरए बफना कुछ कहे ऩयसों यात भें ही भार ऩहुॉिवा हदमा. कर
सफ
ु ह-सफ
ु ह भख्
ु म अशबमॊता का सारा बी खद्द
ु े आमा था, कह यहा था, “
भेया नाभ ऩशु रस एपआईआय से हटवा दो, जीजा से फोर कय तेया
ऩीडब्रड
ू ी ववबाग भें यल्जस्ट्रे शन कयवा दॊ ग
ू ा.”

“तो तभ
ु ने क्मा कहा?” तनशशकाॊत ने ऩछ
ू ा.

सयु े शवा ने जवाफ हदमा, “हभ फोरे, द ू राख रूऩमा बी िाहहए. इराज
के शरए ऊ द ू राख रूऩमा दे ने को बी तैमाय हो गमा.”

“रेककन बाई, भहॊ ती का सारा बफना गोरी िरवाए तीन राख रुऩमा
दे ने को क्मों तैमाय हो गमा?” तनशशकाॊत ने है यत से ऩछ
ू ा.

सयु े शवा फोरा, “ऩैसे वारे अपसय रोग ऩशु रस औय थाना से फहुत डयते
हैं. भख्ु म अशबमॊता भनोज भहॊ ती के ऩास दो नम्फय फहुत भार है .
भहॊ ती का सारा उसका ऩैसा ठीकेदायी भें इन्वेस्ट कयता है . अगय
ऩशु रस इन्क्वामयी होगी तो भनोज भहॊ ती नऩेगा. कपय दो राख की
डीर दस राख भें होगी.”

वे इस ववषम ऩय अबी कुछ दे य औय ििाष कयते तबी हे डभास्टय साहेफ


की फेटी सयु े शवा के फेड के ऩास आ गई औय फहुत ही आत्भीमता से
उसका हारिार ऩछ ू ने रगी.

इसी दौयान हे ड भास्टय साहे फ के नेता-ऩत्र


ु बी वहाॉ ऩहुॉि गए औय
फहन ऩय अऩना इम्प्रेशन झाड़ते हुए फोरे, “ववधामक जी के ऩीए से

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सन ् अस्सी

फात हो गई है . वो कहे हैं कक फाफज


ू ी का ऑऩये शन ववधामक पण्ड से
हो जामेगा. ववधामक जी ऩटना से ववधान सबा सत्र भें बाग रेकय
जैसे ही आमेंगे, सफ भैनज
े हो जामेगा.”

हे डभास्टय साहे फ की फेटी ने बाई से सवार ककमा, ”ववधामक जी कफ


तक रौटें गे बैमा?” “ऩॊरह हदन फाद, रेककन कागजी कामषवाही होते-
होते एक भहीना तो रग ही जाएगा,” हे डभास्टय साहे फ के फेटे नें
उत्तय हदमा.

बाई का उत्तय सन
ु कय हे डभास्टय साहे फ की फेटी का िेहया रटक
गमा.

इधय सयु े शवा धीये से तनशशकाॊत से फोरा, “अऩना ववधामक तो


जनभतआ
ु फच्िा को बी आश्वासन का दध
ू वऩरा कय सार बय तक
ल्जन्दा यख दे ता है .”

इधय, िाय-ऩाॊि शभनट फक-फक कयने के फाद हे डभास्टय साहे फ के ऩत्र



वहाॉ से रुखसत हो गए. उधय, उसके जाते ही सयु े शवा ने तनशशकाॊत को
इशाया ककमा. तनशशकाॊत ने झोरे भें से ऩिास हजाय रूऩमे के सौ-सौ
के ऩाॊि फण्डर तनकार कय हे डभास्टय साहे फ की फेटी के फैग भें ठूॊस
हदए. हे डभास्टय साहे फ की फेटी को शामद ऩहरे से ही इसकी उम्भीद
थी. इसशरमे उसने इसका प्रततयोध नहीॊ ककमा. वह शसपष नभ आॉखों से
सयु े शवा को अऩरक दे खती यही.

तनशशकाॊत जफ घय रौटे तो दे खा उनके वऩता याभधनी ततवायी फयाभदे


भें ऩड़ी िौकी ऩय िुऩिाऩ फैठे थे. अम्भा बी ऩास भें ही फैठी थी.

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सन ् अस्सी

हाथ भें झोरा दे ख कय अम्भा ने ऩछ


ू ा, “कुछ हया सब्जी रेकय आमे
हो का?”

तनशशकाॊत ने उत्तय हदमा, “न अम्भा इसभें कुछ औय है .” कपय वह


जकदी–जकदी अऩने कभये भें िरे गए.

कभये भें ऩहुॉि कय उन्होंने ऩैसे वारे झोरे को अऩनी ककताफों के ऩीछे
तछऩा हदमा.

इसके फाद, तनशशकाॊत िऩ


ु िाऩ अऩने बफस्तय ऩय रेट कय सोिने रगे,
‘सयु े शवा ने तीन राख रूऩमे एक झटके भें कभा शरए थे, औय वे हैं
कक डेढ़ राख रूऩमे के शरए अऩने फाऩ–दादा के खेत फेिने िरे हैं.
एक फाय उनका भन ककमा कक सयु े शवा के साथ उसके धॊधे भें रग
जाएॉ. ठीकेदायी कौनो अऩयाध थोड़े है ?’ सोिते-सोिते कफ उनकी आॉख
रग गई ऩता ही नहीॊ िरा. शाभ को जफ नीॊद खुरी तो नोटों को एक
फाय कपय से दे खने का भन हुआ. वे आरभायी के ऩास गए. ककताफों
को उरट-ऩरट कय दे खा तो घफया गए. झोरा वहाॉ नहीॊ था. उन्हें
रगा जैसे वे कोई सऩना दे ख यहे हों.

उन्होंने खद
ु को चिकोटी काटी. वे जाग यहे थे. अफ उनका करेजा
हरक तक आ गमा था. वे कभये से फाहय बागे.

“अम्भा भेये कभये भें एक झोरा था. तभ


ु ने उसे दे खा है क्मा?” वे
ऩागरों की तयह िीखे.

“का फात है , काहे चिकरा यहे हो?” ऩीछे से याभधनी ततवायी ने गभछे
से हाथ ऩोंछते हुए ऩछ
ू ा.

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सन ् अस्सी

“फाफज
ू ी भेये कभये भें एक ठो झोरा था उसभें ककसी दस
ू ये का रूऩमा
था. रगता है , िोयी हो गमा,” तनशशकाॊत रगबग योते हुए फोरे.

फाफज
ू ी ने गॊबीयता से ऩछ
ू ा, “ककतना ऩैसा था?”

‘ऩिास हजाय रुऩमा’, तनशशकाॊत फोरे.

‘ऩिास हजाय रुऩमा’ सन


ु कय अम्भा की शससकायी तनकर गई.

फाफज
ू ी ने सवार ककमा, “इतना रुऩमा कहाॉ से रामा ये ? फैंक भें डकैती
ककमा है क्मा?”

डकैती की फात सन
ु कय अम्भा डय कय योने रगी.

तनशशकाॊत घफया कय फोरे, “फाफज


ू ी रुऩमा सयु े शवा का है . हभको यखने
के शरए हदमा है .”

फाफज
ू ी गॊबीय शब्दों भें फोरे, “रुऩमा िोयी नहीॊ हुआ है . हभये ऩास है .
हभ जानते हैं, ई रुऩमा द ू नम्फय का है . इसशरए साया रुऩमा हभने
कही तछऩा हदमा है . ऩशु रस भेये से कतनो भाय–ऩीट कयके बी ऩैसा
फयाभद नहीॊ कया ऩाएगी. रेककन, तम्
ु हाया औय तम्
ु हायी अम्भा का
करेजा फहुत कभजोय है . ऩशु रस का एक्को डॊडा नहीॊ झेर ऩाओगे. सफ
फक दोगे. उसके फाद हभ सफके कभय भें ऩशु रस का यस्सा रग
जामेगा.” कपय फोरे, “जैसे ही सयु े शवा अस्ऩतार से रौटे , हभसे रेकय
उसका साया ऩैसा वाऩस कय दे ना औय दफ
ु ाया इ गरती भत कयना.”

याभधनी ततवायी आगे फोरे, “सयु े शवा को तम्


ु हाये जैसा एक ठो बयोसेभद

फयु फक दोस्त िाहहमे, जो दोस्ती के नाभ ऩय उसकी भदद कये औय

(89) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

जेकया ऩय ऩशु रस को शक बी नहीॊ हो. आज सयु े शवा तभ


ु को रुऩमा
यखने के शरए दे यहा है , कर हचथमाय दे गा औय ऩयसों इसी घय भें
ऩनाह भाॊगेगा.”

तनशशकाॊत बावक
ु होकय कय फोरे, “सयु े शवा ऐसा नहीॊ है . ऩक्का दोस्त
है भेया. वह भझ
ु े कबी धोखा नहीॊ दे गा.” उत्तय भें याभधनी ततवायी
हॉसते हुए फोरे, “जफ जान ऩय आएगी तो वह तभ
ु को क्मा अऩने फाऩ
को बी अऩना भोहया फनाएगा.”

तनशशकाॊत ने अऩने वऩता से इस ववषम ऩय ज्मादा फहस कयना उचित


नहीॊ सभझा. तनशशकाॊत तो इसी फात से याहत भें थे कक ऩैसा िोयी
नहीॊ हुआ है . प्रत्मऺ भें वह वऩता की फातों से सहभतत जताते हुए वहाॉ
से तनकर गए.

शाभ को जफ तनशशकाॊत सयु े शवा से शभरने अस्ऩतार ऩहुॊिे तो दे खा


वहाॉ दो ऩशु रसवारे ऩहरे से फैठे हुए थे . ऩशु रस को दे ख कय उन्हें
थोड़ी घफयाहट हुई रेककन हहम्भत कयके वाडष के दयवाजे ऩय ही खड़े
यहे . उन्हें दयवाजे के ऩास खड़े दे ख कय सयु े शवा ने इशाये से अऩने
ऩास फर
ु ामा. तनशशकाॊत जफ वहाॉ ऩहुॊिे तो सयु े शवा ने उनसे एक
अपसय का ऩरयिम कयामा, “ई अभयें दय शसॊह दयोगा हैं. अऩने ही गाॉव
के ऩास के हैं. हभाया कपय से फमान रेने आमे हैं.” अभयें दय शसॊह ने
भस्
ु कुयाते हुए तनशशकाॊत की तयप दे खा, औय फड़े ही अऩनत्व बये
रहजे भें उनसे ऩछू ा, “जफ इनको गोरी रगी थी, तफ आऩ बी इनके
साथ भें थे क्मा?”

(90) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

अभयें दय शसॊह के अऩनत्व को दे ख कय तनशशकाॊत का भन हुआ कक


सफ सि-सि फोर दें . रेककन तबी सयु े शवा फोरा “अये न बईमा, ई त
फैंककॊ ग की ऩयीऺा के तैमायी कय यहा है . ककहे ऩटना से रौटा है . स्कूर
भें साथे ऩढ़ता था सो गोरी रगने की खफय सन
ु कय हभाया हार-िार
ऩछ
ू ने िरा आमा है .”

अभयें दय शसॊह दयोगा ने धीये से सय हहरामा.

तनशशकाॊत ने दे खा, हे डभास्टय साहे फ वारी फेड ऩय अफ नमा भयीज आ


गमा था. सयु े शवा ने फतामा कक हे डभास्टय साहे फ टाटा अकरेऩी ट्रे न से
अऩने हाटष का ऑऩये शन कयाने वेकरयू जा िुके हैं. हे ड भास्टय साहे फ
की फेटी बी उनके साथ गई है . उनका नेता ऩत्र
ु जभशेदऩयु भें ही
रूक गमा है . उसका कहना है कक वह जभशेदऩयु भें यह कय
ववधामकजी से वेकरयू अस्ऩतार भें पोन कयवाएगा, ल्जससे कक वहाॉ
हे डभास्टय साहे फ का इराज भें कौनो राऩयवाही न हो.

***

टें डय वारी घटना के रगबग िाय भहीने फाद एक सफ़ेद यॊ ग की


भारुतत वैन तनशशकाॊत के दयवाजे ऩय आकय रुकी. भकान के दयवाजे
ऩय गाड़ी रूकने की आवाज सन
ु कय तनशशकाॊत जफ घय से फाहय तनकरे
तो खुश हो गए. भारुतत वैन भें ड्राईवय के ठीक ऩीछे वारी सीट ऩय
सत
ू ी की सफ़ेद फश
ु टष , आॉखों भें कारा िश्भा औय गरे भें सोने की
िभिभाती हुई िेन ऩहने सयु े शवा फैठा हुआ था.

(91) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

उन्हें फाहय आमा दे ख सयु े शवा बफना ककसी बशू भका के फोरा, “िर फे
ऩॊडडत, जग
ु सराई से घभ
ू कय आते हैं.”

तनशशकाॊत बी कुछ फोरे फगैय वैन का शटय खोर कय उसकी फगर


वारी सीट ऩय फैठ गए. भन भें ख्मार आमा कक जरनखोय ऩड़ोशसमों
की उनऩय एक नजय जरूय ऩड़े. आखखय उनका दोस्त भारुतत वैन
रेकय उन्हें रे जाने आमा था.
वैन अबी सड़क ऩय ऩहुॊिी ही थी कक सयु े शवा की नजय भोड़ की एक
ऩान की दक
ु ान ऩय खड़े भोहकरे के एक ऩयु ाने दोस्त भनोयॊ जन शभश्रा
ऩय ऩड़ी. सयु े शवा ने भनोयॊ जन शभश्रा को दे ख कय अऩना हाथ
हहरामा. उधय भनोयॊ जन शभश्रा वहीीँ से चिकरा कय फोरा, “क्मा फे
सयु े श, िायिककमा ऩय फैठ गमा है तो ऩयु ाना दोस्त सफ को बर

गमा?” उत्तय भें सयु े शवा फहुत ही अऩनेऩन से फोरा, “तू बी आ जा
बाई, जुगसराई का एक याउॊ ड रगा कय आते हैं.”

भनोयॊ जन शभश्रा ने सहभतत की भर


ु ा भें अऩना सय हहरामा औय जकदी
से भारुतत वैन की शटय खोर कय ऩीछे वारी सीट ऩय तनशशकाॊत औय
सयु े शवा के साथ फैठ गमा. ऩता नहीॊ क्मा सोि कय सयु े शवा ने
तनशशकाॊत से कहा कक वह ड्राईवय के फगर वारी सीट ऩय आगे फैठ
जाए.

तनशशकाॊत जैसे ही आगे वारी सीट ऩय फैठे, ड्राईवय ने वैन तेजी से


सड़क ऩय फढ़ा दी. इधय सयु े शवा ने वैन के फीि वारे दोनों कारे शीशे
िढ़वा शरए.

(92) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

उनकी वैन जैसे ही बफष्टुऩयु से जुगसराई की तयप फढ़ी, वोकटास


बफल्कडॊग के ऩास, तनशशकाॊत को रगा जैसे मेज्दी भोटयसामककर ऩय
सवाय दो रोग असाभान्म रूऩ से भारुतत वैन की फयाफयी भें िर यहे
हैं, औय वैन की खखड़की के कारे सीसे के अॊदय झाॉकने की कोशशश
कय यहे हैं.

इधय सयु े शवा की नजय बी भोटयसामककर सवायों के ऊऩय ऩड़ िुकी


थी. आसन्न खतये को बाॊऩते हुए वह बफजरी की पुती से तेजी से
नीिे झक
ु ा औय भारुतत वैन की आगे औय ऩीछे की सीट के फीि वारी
खारी जगह भें दफ
ु क कय फैठ गमा. इसके अगरे ही ऩर ऩयू ी की
भारुतत वैन गोशरमों की तड़तडाहट से झनझना उठी. तनशशकाॊत को
अिानक रगा जैसे भारुतत वैन की वऩछरी सीट की दामीॊ वारी
खखड़की से शोरे तनकर यहे हों. अिानक टक्कय की एक तेज आवाज
हुई औय एक जोयदाय झटके के साथ भारुतत वैन रड़खड़ाती हुई सड़क
के ककनाये जाकय रूक गई.
***
रगबग 10 शभनट फाद जफ तनशशकाॊत को होश आमा तो उन्होंने
सहभते हुए अऩना सय ऊऩय उठामा औय अऩनी दामीॊ ओय दे खा.
भारुतत वैन का ड्राईवय भारुतत वैन की स्टीमरयॊग व्हीर ऩय तनश्िेष्ट
ऩड़ा हुआ था. उन्होंने घफया कय ऩीछे वारी सीट की तयप दे खा, तो
उनकी आॉखें आतॊक से पटी की पटी यह गईं. ऩीछे वारी सीट ऩय
शभश्रा भया ऩड़ा था. ऐसा रग यहा था जैसे एक गोरी उसकी कनऩटी
भें रगी थी. भारुतत वैन की दाहहनी तयप का शटय खुरा हुआ था
औय सयु े शवा भारुतत वैन भें नहीॊ था. तनशशकाॊत ने असाधायण अवसाद

(93) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

की अवस्था भें अऩनी आॉखें फॊद कय रीॊ औय सीट ऩय तनढार होकय


चगय ऩड़े.
***

कुछ दे य फाद जफ उनको कपय होश आमा तो उन्होंने खद


ु को
अस्ऩतार के एक कभये भें ऩामा. उन्होंने दे खा कभये भें तीन-िाय
ऩशु रस वारे भौजूद थे.न जाने क्मा सोि कय तनशशकाॊत ने कपय से
अऩनी आॉखें फॊद कय रीॊ औय वहाॉ के भाहौर को बाॊऩने की कोशशश
कयने रगे. जकदी ही उन्हें कभये भें भौजद
ू रोगों की फातिीत से मे
स्ऩष्ट हो गमा कक इस गोरीफायी भें एक आदभी की जान गई थी औय
दो आदभी फयु ी तयह घामर हुए थे. भतरफ सयु े शवा ल्जन्दा था.

अगरे हदन सफ
ु ह जफ तनशशकाॊत से शभरने के शरए फाफज
ू ी अस्ऩतार
आए तो फेहद सहभे हुए हदख यहे थे. उन्होंने फगैय ककसी बशू भका के
तनशशकाॊत से सवार ककमा, “शभश्राजी का रड़का तभु रोग के साथ क्मा
कय यहा था?” जवाफ भें तनशशकाॊत ने शभश्रा के भारुतत वैन भें फैठने
की ऩयू ी याभ-कहानी फाफज
ू ी को सन
ु ा दी.

तनशशकाॊत की ऩयू ी फात सन


ु कय फाफज
ू ी फोरे, “अबी थोड़ी दे य भें ऩशु रस
की तयप से शक
ु ु रजी तम्
ु हाया फमान रेने आमेंगे. उनसे कुछ भत
तछऩाना, सफ कुछ सि–सि फता दे ना. वैसे तो वे हभाये रयश्तेदाय हैं,
रेककन वे तम्
ु हायी भदद तबी कयें गे जफ तभ
ु ने कोई गरती नहीॊ की
होगी. ई घॊटी फजा कय सत्मनायामण बगवान ् की आयती गाने वारे
ऩॊडडतजी नहीॊ हैं. एनकाउॊ टय स्ऩेशशरस्ट हैं. योज सफ
ु ह एक घॊटा दग
ु ाष

(94) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

सप्तशती का ऩाठ कयते हैं औय उसके फाद उनके कऩाय ऩय कारी भाई
सवाय हो जाती हैं.”

वे कपय फोरे, “शक


ु ु रजी ऩक्का ऩॊडडत आदभी हैं. हय अऩयाधी का
एनकाउन्टय कयने के फाद अऩना भड
ुॊ न सॊस्काय कयाते हैं, औय सार भें
एक फाय बफहाय के गमा जाकय सफका आत्भा का शाॊतत के शरए
वऩॊडदान बी कय दे ते हैं.”

वह आगे फोरे, “शहय भें प्रिशरत है कक शहय भें जफ कौनो कक्रशभनर


को ऩशु रस सादा कऩड़ा भें उठाती है औय भहीना हदन तक उसका
कौनो ऩता नहीॊ िरता है तो उसके ऩरयवाय का रोग शक
ु ु रफाफा का
भड
ुॊ ी का फार दे खने उनके थाना भें जाते हैं, औय बगवान ् से प्राथषना
कयते हैं कक फाफा का भड
ुॊ ी का फार सराभत हो. अगय भड
ुॊ ी का फार
सराभत नहीॊ है तो कपय ज्मादा ऩछ
ू ताछ का कौनो पामदा नहीॊ, सीधे-
सीधे सयाधकभष कय दील्जमे.”

तनशशकाॊत को घफयामा हुआ दे ख कय फाफज ू ी फोरे, “हभ तो ऩहरे ही


तभु से कहे थे, सयु े शवा के िक्कय भें यहोगे तो ऩये शानी होगी.”

तनशशकाॊत ने हहम्भत फटोयते हुए ऩछ


ू ा, “सयु े शवा का क्मा हुआ”?

फाफजू ी खखशसमाते हुए फोरे, “अये सयु े शवा का क्मा होगा. फामाॉ कन्धा
भें गोरी रगा था, तनकर गमा है . दो िाय हदन भें अस्ऩतार से छुट्टी
हो जाएगा. रेककन फेिाये शभश्राजी का रड़का भया गमा. द ू भहीने फाद
उसकी शादी होने वारी थी.”

(95) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

इसी दौयान एरयमा के सककषर इॊस्ऩेक्टय शक्


ु रा कभये भें आ गमे.
उनकी खाकी वदी औय सपािट सय को दे ख कय तनशशकाॊत ने
अनभ
ु ान रगामा कक मे ही फाफज
ू ी के शक
ु ु र फाफा होंगे. उन्हें आमा
दे ख कय फाफज
ू ी िुऩिाऩ अस्ऩतार के कभये से फाहय िरे गए.

तनशशकाॊत ने उनके ऩैय छूने के शरए फेड ऩय से उठने की कोशशश की


तो उन्होंने उठने से इशाये से भना कय हदमा. कपय फड़े ही सहज बाव
से ऩछ
ू ा, “जो रोग गोरी िरा यहे थे, उनको ऩहिानते हो?”

तनशशकाॊत ने ‘नहीॊ’ की भर
ु ा भें सय हहरामा.

उन्होंने अगरा सवार ककमा, “अगय वे कपय कबी साभने आ जाएॉगे तो


ऩहिान रोगे?”

तनशशकाॊत ने कपय ‘नहीॊ’ की भर


ु ा भें सय हहरामा.

कपय उन्होंने ऩछ
ू ा, “ककसी ऩय शक है ?”

तनशशकाॊत ने इस फाय बी ‘नहीॊ’ की भर


ु ा भें सय हहरामा.

इसके फाद िाय-ऩाॊि औऩिारयक सवार ऩछ


ू ने के फाद सककषर इॊस्ऩेक्टय
शक्
ु रा वहाॉ से रुखसत हो गए.
***

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सन ् अस्सी

अगरे हदन सफु ह–सफ


ु ह सयु े शवा रॊगड़ाता हुआ तनशशकाॊत के वाडष भें
आमा. आते ही उराहने बये स्वय भें फोरा, “क्मा फे, बाई भय गमा मा
ल्जन्दा है ई बी दे खने के शरए अऩना केबफन से फाहय नहीॊ तनकरा?”

तनशशकाॊत ने रुॊ धे गरे से जवाफ हदमा, “अफे, शभश्रा भय गमा. दो


भहीने फाद उसकी शादी होने वारी थी.”

जवाफ भें सयु े शवा बावहीन होकय फोरा, “हाॉ बाई, भझ


ु े बी फहुत द्ु ख
हुआ. उसके फाफज ू ी अस्ऩतार भें आकय भझ ु े बरा-फयु ा कह यहे थे.
रेककन भेये को क्मा ऩता था कक कौनो सारा घात रगा कय फैठा है .”

तनशशकाॊत ने ऩछ
ू ा, “क्मा तभ
ु को ऩता था कक तभ
ु ऩय हभरा हो सकता
है ?” सयु े शवा राऩयवाही के साथ फोरा, “अॊदेशा तो था. इसीशरए तो
वैन ऽयीदे थे ”

तनशशकाॊत ने ऩछ
ू ा, “मे कौन थे?”

सयु े शवा ने उत्तय हदमा, “जो बी थे, रोकर नहीॊ थे, हभको ठीक से
ऩहिानते नहीॊ थे, वयना शभश्रा की जगह हभ अस्ऩतार के भोगष भें
फपष खा यहे होते.”

तनशशकाॊत ने अगरा सवार दागा, “कहीॊ ई काभ नागा बाई का तो


नहीॊ है न?”

सयु े शवा ने उत्तय हदमा, “भेये को नहीॊ ऩता. हो सकता है , नागा बाई
को रऩेटने के शरए उसका एॊटी ऩाटी का काभ हो. वैसे बी अफ शहय

(97) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

का हय छोटा-फड़ा कक्रशभनर सफ ठीकेदाय फन गमा है. कौन ककस ऩय


गोरी िरवा यहा है , ऩता ही नहीॊ िरता. ई घॊधा भें ‘दोस्त’ औय
‘दश्ु भन’ का ऩता नहीॊ िरता.”

तनशशकाॊत ने ऩछ
ू ा, “तभ
ु ऩशु रस के साभने ककसका नाभ शरए हो?”

“ककसी का नहीॊ. बाई भेये, हभको धॊधा कयना है , फदरा–फदरा थोड़े


खेरना है ,” सयु े शवा गॊबीय स्वय भें फोरा.

“रेककन, शभश्रा जो भाया गमा है ?” तनशशकाॊत ने सवार दागा.

जवाफ भें सयु े शवा कुछ नहीॊ फोरा फल्कक कुछ दे य तक इधय-उधय की
फातें कयने के फाद वहाॉ से रुखसत हो गमा.

अगरे हदन शाभ को फाफज


ू ी जफ तनशशकाॊत से शभरने अस्ऩतार आमे
तो फोरे, “शक
ु ु र फाफा सराह हदए हैं कक फेटा को सयु े शवा की सॊगतत
से तनकरवाइए नहीॊ तो शभश्रा की तयह ककसी हदन बफना भतरफ के
गोरी खा जाएगा औय सयु े शवा इसका डेड फॉडी को अऩना ढार फना
कय फि तनकरेगा. शक
ु ु र फाफा का कहना है कक सयु े शवा कक्रशभनर
भाइॊडड
े आदभी है , उसका सोहफत ठीक नहीॊ है ”

तनशशकाॊत को फाफज
ू ी की मह फात उचित नहीॊ रगी कक सयु े शवा खद

को फिाने के शरए उनका ढार की तयह इस्तेभार कये गा, रेककन
उनकी मह फात कुछ हद तक ठीक थी कक सयु े शवा कक्रशभनर भाइॊडड

आदभी था. उनकी नजय भें बी वह ऩैसा कभाने के शरए आऩयाचधक
तयीके के खतये उठा यहा था, औय दे य-सफेय उनऩय बी इसका असय

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सन ् अस्सी

ऩड़ना तम था. इसशरए उनका उससे थोड़ी दयू ी फना कय िरना जरूयी
हो गमा था.

इस घटना के फाद से तनशशकाॊत ने सयु े शवा से थोड़ी दयू ी फनानी शरू



कय दी थी. अफ उनकी भर
ु ाकातों का शसरशसरा होरी-दीऩावरी तक
सीशभत होने रगा था. रेककन तनशशकाॊत, सयु े शवा को अफ बी अऩना
ऩक्का दोस्त सभझते थे. उनकी असरी ऩये शानी सयु े शवा के नजरयमे
को रेकय थी. उनकी नजय भें सयु े शवा ‘ऩैसा’ औय ‘शोहयत’ के ऩीछे
ऩगरामा हुआ बफजनेसभैन था, जो क्राइभ का इस्तेभार बफजनेस को
आगे फढ़ाने के शरए कय यहा था.

इधय, अफ गोरी काॊड के अफ दो सार फीत गए थे. भनोयॊ जन शभश्रा


की हत्मा की फ़ाइर धूर पाॊकने रगी थी. कहते हैं , ककसी फाहुफरी ने
पोन ऩय भनोयॊ जन शभश्रा के वऩता से अनजाने भें हुई ब्रह्भ हत्मा के
शरए भाफ़ी बी भाॊग री थी. औय अफ, भनोयॊ जन शभश्रा के वऩता इस
हत्मा को एक एक्सीडेंट भान कय बर
ू ने की कोशशश कय यहे थे.

दस
ू यी तयप, इन दो सारों भें सयु े शवा ने जफयदस्त तयक्की की थी.
उसने भोहकरे के नए रड़कों को अऩने साथ जोड़ कय अऩना एक
छोटा-सा चगयोह बी फना शरमा था, जो उसका सयु ऺा घेया फन कय
िरते थे. सयु े शवा अऩने चगयोह के इन रड़कों को अऩनी कॊऩनी भें
छोटी-भोटी नौकरयमाॊ दे दे ता मा ऩेटी-काॊट्रेक्टय फना कय अऩने साथ
जोड़े यखता.

सयु े शवा एक अरग बफजनेस भॉडर ऩय काभ कय यहा था. वह जानफझ



कय ऐसे नक्सरी इराकों भें योड फनाने के फड़े-फड़े ठे के रे यहा था,

(99) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

जहाॉ फड़े ठीकेदाय बी जाने से कतयाते थे. उसे इसके दो पामदे थे.
ऩहरा मे कक नक्सरी इराकों भें सड़क तनभाषण भें रयस्क होने कायण
प्रततमोचगता कभ थी औय दस
ू या मह कक नक्सर प्रबाववत इराकों भें
फनी सड़कों की गण
ु वत्ता की सयकायी जाॉि बी रगबग नहीॊ के फयाफय
होती थी.

सयु े शवा के टूटे –पूटे भकान की जगह अफ एक शानदाय हवेरीनभ


ु ा
भकान फन यहा था. वह भोहकरे के भॊहदयों भें जभकय िॊदे दे ता. वह
आस-ऩास के गयीफ रोगों की भदद भें बी सफसे आगे यहता. अफ वह
भोहकरे के हय छोटे -फड़े साभाल्जक सभायोहों भें शाशभर होता. उसके
न्मोते का शरपापा हदनों-हदन बायी होता जा यहा था. अफ सयु े श
ठीकेदाय भोहकरे का नमा भसीहा था जो शादी-ब्माह से रेकय भयने-
जीने तक हय काभ भें भोहकरे के रोगों का सहमोग कय यहा था.
सयु े शवा धीये -धीये भोहकरे के नए रड़कों के फीि एक योर भॉडर के
रूऩ भें स्थावऩत होने रगा था. भोहकरे के कई अशबबावक तो अफ
अऩने फेटों को सयु े शवा के यास्ते ऩय िरने की प्रेयणा बी दे ने रगे थे.
जभशेदऩयु भें व्मवसाम औय अऩयाध के ऩयस्ऩय गठजोड़ की साभाल्जक
स्वीकृतत का दौय आयम्ब हो यहा था. मे अस्सी के दशक का ितयु ाधष
था.

***

सयु े शवा की ऩैसे की बख


ू कभ होने की जगह औय फढ़ यही थी. वह
इस अवधायणा ऩय काभ कय यहा था कक जो छोटानागऩयु के जर,
जॊगर औय जभीन ऩय कौड़ी के भोर कब्ज़ा कये गा, वही ऩठाय ऩय याज
कये गा.

(100) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

एक हदन तनशशकाॊत एक ववशेष कामषवश सयु े शवा से शभरने उसके घय


ऩहुॊिे. सयु े शवा ने उनसे फड़ी ही आत्भीमता से ऩछ
ू ा, “क्मा फे ऩॊडडत,
कहीॊ सयकायी नौकयी रगी?”

तनशशकाॊत ने उदास रहजे भें जवाफ हदमा, “ नहीॊ बाई!”

सयु े शवा भजाककमा रहजे भें फोरा, “दे ख, तनशशकाॊत बाई, अफ तम्
ु हाये
साभने तीन ठो यास्ता है . पुटऩाथ ऩय ऩकौड़ी-आरि
ू ाऩ का ठे रा
रगाओ, फगषय रार की तयह तीन हजाय रूऩमे भें कॊऩनी भें ठे का
भजदयू ी कयो मा कपय सॊतोष ऩाॊडे की तयह, वऩता की जगह कॊऩनी
फहादयु के महाॉ अस्थाई भजदयू फन जाओ, इस उम्भीद भें कक
रयटामयभें ट तक तम्
ु हायी नौकयी ऩक्की ज़रुय हो जाएगी.”

उनको खाभोश दे ख कय सयु े शवा ने गॊबीयता के साथ कहा, “एक औय


यास्ता बी है . भेये साथ आ जाओ. हभ सयकाय के नाक के नीिे से
सायॊ डा का ‘सार’, स्वणषयेखा का ‘फार’ू औय शसॊहबशू भ का ‘ऩहाड़’ रट
ू ें गे.
हभ बी छोटा-भोटा कॊऩनी फहादयु फनेंग.े हभ वही कयें ग,े जो कॊऩनी
फहादयु वऩछरे 100 सार से कय यही है . इसभें कोई भैनेजभें ट नहीॊ है .
शसपष ‘िाराकी’ औय ‘हदरेयी’ है . कौड़ी के भोर जभीन के अन्दय से
आमयन ओय तनकरवाओ औय सोने के बाव फेिो.”

वह आगे फोरा, “अफे, कम्ऩनी फहादयु , बफहाय सयकाय से दस ऩैसा


स्क्वामय भीटय के हहसाफ से खदान रीज ऩय रेती है . ऩल्ब्रक औय
फैंक से रोन रेकय कायखाना खोरती है . कपय महीॊ के भजदयू बती
कयके रोहा, कोमरा, अफयख, ताम्फा, अरभतु नमभ खदान से तनकरवा
कय सोना के भोर दतु नमा बय भें फेिती है . भतरफ ई कक जभीन

(101) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

सयकाय का, ऩैसा ऩल्ब्रक का, भेहनत भजदयू का औय प्रॉकपट सारा


कॊऩनी फहादयु का!”

उसने अऩना फोरना जायी यखा, “आज अगय सयकाय का तनमभ फदर
जाए औय खदान का रीज भहॊ गा हो जाए तो कॊऩनी का टाईवारा
साहे फ रोग का बफजनेस भैनेजभें ट अन्दय घस
ु जामेगा. बाई भेये, भेया
भन कह यहा है , टाइभ फदरेगा. ऩठाय भें कॊऩनी का कॊऩटीटय जरूय
आएगा. कॊऩनी फहादयु का भोनोऩोरी जरूय टूटे गा. हभ रोग को शसपष
ककसी फड़ा ऩाटी को सभझा-फझ
ु ा कय ऩैसा रगाने के शरए ऩठाय भें
राना होगा, उसको कायखाना रगाने के शरए जभीन हदराना होना.”

जवाफ भें तनशशकाॊत दृढ़ता के साथ फोरे, “हभसे नहीॊ होगा गयीफ
आहदवासी सफ का जभीन का दरारी का काभ.”

उसके फाद एक झटके के साथ कुसी से उठते वक्त उन्होंने अिानक


ही सयु े शवा के साभने अऩनी शादी का काडष यखा औय फोरे, “ 27 जून
को फायात िरना है . िाय सार से शादी का दफाव था. सोिा था
नौकयी शभरने के फाद कयें गे. रेककन अफ नौकयी शभरने से तो यही.
फाफज
ू ी कहते हैं कक शादी भें एक-दो सार औय रेट हो जाएगा तो
शहदमो नहीॊ होगा.”

कपय वे अचधकाय बये स्वय भें फोरे, “अफे, तेयी दोनों कायें बी फायात भें
जाएॉगी.”

जवाफ भें सयु े शवा भजाक बये रहजे से फोरा, “ऩॊडडत, तू भझ


ु े इनवाईट
कयने आमा है मा भेयी कायों को.?.....औय फेटा, कॊु वाये तो अफ हभ बी
नहीॊ यहे . रूक सारे, तू बी अऩनी बाबी के हाथ के िाम ऩीता जा.”

(102) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

उसने जोय से आवाज रगाई, “भैडभ! तनशशकाॊत के शरए िाम रेकय


ऩधायें , प्रीज!”

थोड़ी दे य फाद एक भहहरा साड़ी ऩहने हुए फयाभदे भें दाखखर हुई.
उसने हाथ जोड़ कय तनशशकाॊत प्रणाभ ककमा.

भहहरा का िेहया दे खते ही तनशशकाॊत की सीसकायी तनकर गई. मे


हे डभास्टय साहे फ की फेटी अरकनॊदा थी.

सयु े शवा हॉसते हुए फोरा, “ऩयसों ही कोटष भैयेज ककमे हैं, हभ रोग!
इनके फड़के बैमा इनका वववाह कोनो थडष क्रास रड़का से 2 राख
रुऩमा भें तम ककमे थे. मे हभको खोजती हुई एक भहीना ऩहरे महाॉ
आई थीॊ. तफ से महीॊ ऩय हैं. ल्जस हदन मे हभाये महाॉ ऩधायी थीॊ, उसी
हदन शाभ को हे डभास्टय साहे फ बी महाॉ ऩधाये थे. जफ हभने उनके
साभने, अरकनॊदा से शादी का प्रस्ताव यखा तो वे सहजता से भान
गए.”

“रेककन तभ
ु दोनों का कास्ट तो अरग है फे. हे डभास्टय साहे फ कैसे
भान गए?” तनशशकाॊत ने िौंकते हुए ऩछ ू ा. “ई त भैडभजी ही फतामें
तो ठीक यहे गा,” सयु े शवा हॉसते हुए फोरा.

अरकनॊदा ने जो कुछ फतामा वह फेहद रृदमस्ऩशी था.

उसने फतामा था, “भेयी शादी के शरए ऩाऩा शहय के हय काबफर


स्वजातीम रड़के के दयवाजे ऩय गए. रेककन,कभ से कभ दस फाय भझ
ु े
दे ख कय स्वजातीम रड़केवारों ने शादी से इनकाय कय हदमा. हय फाय
असरी भद्द
ु ा दहे ज़ का होता था औय फहाना भेया यॊ ग-रूऩ फनता.

(103) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

वह आगे फोरी, “रगबग दो भहीने ऩहरे बईमा ने भेया वववाह हदकरी


के ककसी अनजान रड़के से 2 राख रुऩमा भें तम कय हदमा था.
बईमा ककसी की फात भानने को तैमाय ही नहीॊ थे. तफ भहीना बय
ऩहरे, ऩाऩा एक हदन खुद ही हभसे फोरे, “फेटी, तू स्वमॊ रड़का ऩसॊद
कयके शादी कय रे. ल्जस जात-बफयादयी के रोग अऩनी ही जातत की
रड़की के फाऩ को गयीफ सभझ कय इज्जत से अऩने महाॉ फैठाते नहीॊ
है , उस जात-बफयादयी के इज्जत के नाभ ऩय हभ अऩनी फेटी की फशर
नहीॊ दे गे. फाकी, बफयादयी भें ल्जसको जो कहना हो कहे .”

तनशशकाॊत ने सवार ककमा, “आऩके फडका बाई क्मा कय यहे है ?”

वह धीये से फोरी, “कयें गे क्मा? सोि यहे होंगे, िरो, फरा टरी!”

***

तनशशकाॊत की शादी के कुछ भहीने फाद होरी के हदन सयु े शवा के घय


ऩय मूॉ ही ििाष िर यही थी. सयु े शवा धीये –धीये ववरामती की िुस्की रे
यहा था. अिानक ववरामती के शरू
ु य ने उसे कपरोस्पय फना हदमा. वह
फोरा, “ऩॊडडत, दतु नमा भें शसपष दो तयह के रोग होते हैं. एक जो
शोषण कयते हैं औय दस
ू ये वो ल्जनका शोषण होता हैं. फाकी तीसया
कोई होता नहीॊ माय! हभ रोगों के साभने कोई तीसया ववककऩ नहीॊ है .
अगय शोषण कयने से सॊकोि कयोगे तो कोई दस
ू या तम्
ु हाया शोषण
कये गा.”

कपय वह हाथ निाते हुए फोरा, “शसस्टभ ही ऐसा है कक कोई फि नहीॊ


सकता- भयो मा भायो!”

(104) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

वह नशे भें झूभता हुआ फोरा, “ऩॊडडत, तू भय जाएगा, तेये जैसे शयीप
औय ईभानदाय आदभी को रोग ल्जन्दा नहीॊ छोड़ेंगे.” वह आगे फोरा,
“ऩॊडडत, भेये बाई, भेये माय, भेये साथ आ जा. शभर कय रट
ू ें गे ऩठाय को.
बाई भेया सऩना है ऩठाय का सफसे फड़ा बफजनेसभैन फनने का. इसभें
रयस्क तो है रेककन पामदा बी फहुत है . तू ल्जतना फोरेगा उतनी
सैरयी दॊ ग
ू ा. तेये को ऩठाय का िप्ऩा-िप्ऩा का ऩता है . तू ऩठाय को
सभझता है . तू गाॉववारा सफको सभझा पैक्ट्री के शरए वे अऩनी
जभीन फेि दें . जभीन का दरारी भें कयोड़ों रुऩमा है .”

तनशशकाॊत ने तकखी से जवाफ हदमा, “हभने तो तभ


ु से ऩहरे ही कह
हदमा है कक ऩठाय का जर, जॊगर औय जभीन का दरारी हभसे नहीॊ
होगा.” कपय वे दृढ़ता से फोरे, “इससे ऩहरे कक तेये जैसा कोई
बफजनेसभैन अऩने घहटमा सऩने को ऩयू ा कयने के शरए भझ
ु े नौकयी
ऩय यख रे, भझ
ु े जीने का कोई फेहतय भकसद तराशना होगा.”

तबी सयु े शवा की ऩत्नी फयाभदे भें आ गई. उसकी गोद भें रगबग एक
सार की प्मायी सी फच्िी थी. वह सयु े शवा की तयप इशाया कयते हुए
तनशशकाॊत से फोरी, “ ई ऩगरा गए हैं. न जाने ककतना ऩैसा िाहहए
इनको? सोते जागते हय वक्त दतु नमा भट्ठ
ु ी भें कयने की यट रगामे
यहते हैं. हय सभम फेिैन यहते है . न यात बय ठीक से खद
ु सोते हैं
औय न दस
ू यों को.”

रेककन सयु े शवा होश भें कहाॉ था जो उसकी फात सभझ सके.

इधय 1991 के आचथषक उदायीकयण ने कॊऩनी फहादयु को बी जड़ से


झकझोय हदमा था. अफ कॊऩनी बी अऩना खिष कभ कयने के शरए

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सन ् अस्सी

स्थामी भजदयू ों की सॊख्मा तेजी से कभ कय यही थी. दयअसर स्वमॊ


कॊऩनी बी फाजाय के फदरते रुख से हतप्रब थी औय आधतु नकीकयण
औय कभषिारयमों की सॊख्मा कभ कयके फाजाय भें फने यहना िाहती थी.

रेककन वास्तव भें कॊऩनी भें काभ कयने वारे भजदयू ों की सॊख्मा कभ
नहीॊ हो यही थी, अरफत्ता उसके स्थामी भजदयू ों की जगह ठे का भजदयू
जरूय रे यहे थे.

इसका एक ऩहरू औय बी था. ल्जस कॊऩनी के आयॊ शबक तनमोक्ताओॊ ने


गयीफ औय अनऩढ़ भजदयू ों को स्थामी भजदयू के रूऩ भें नौकयी दे कय
उनकी ल्जन्दगी फदर दी थी औय दतु नमा के साभने व्मवसाम का एक
भहान भानवतावादी िेहया प्रस्तत
ु ककमा था, अफ फदरते भाहौर भें
उसी कॊऩनी भें उसके ही अऩने अनऩढ़ स्थामी भजदयू ों के स्नातक फेटे
‘ठे का-भजदयू ’ फन गए थे.

****

1991 फाद के वषष शहय की एक ऩयू ी ऩीढ़ी के शरए गॊबीय


अतनल्श्ितता के वषष थे.

तनशशकाॊत ने तेजी से फदरते हारात को िुनौती के रूऩ भें शरमा था.


वे सभझ गए थे कक अफ उन्हें कॊऩनी भें वऩता की जगह नौकयी बी
नहीॊ शभरने वारी. ककन्तु वे अऩनी ऩयू ी ल्जन्दगी ककसी भहत्वकाॊऺी
उद्मोगऩतत के जर, जॊगर औय जभीन को रट
ू कय अभीय फनने के
सऩने को ऩयू ा कयने शरए खिष कयने को तैमाय नहीॊ थे. इसशरए
उन्होंने ऩठाय के शहयी ऺेत्रों भें स्तयीम स्कूरी शशऺा के प्रिाय-प्रसाय
को अऩने कामष-ऺेत्र के रूऩ भें िुना.

(106) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

उनकी NGO ने 1996 भें अऩना ऩहरा अॊग्रेजी स्कूर जभशेदऩयु भें
खोरा. कपय तो शसरशसरा िर ऩड़ा. वे ऽाभोशी से अऩना काभ कयते
यहे . वे शहय के ककसी एक इराके भें स्कूर खोरते औय उसे दो तीन
सारों भें ववकशसत कयते औय कपय वहीीँ के शशक्षऺत, ल्जम्भेदाय, औय
अनब
ु वी मव
ु ाओॊ को उसका प्रफॊधन सौऩ कय ककसी अन्म इराके भें
स्कूर खोरने के शरए तनकर ऩड़ते.

वऩछरे ऩच्िीस सारों भें उन्होंने याज्म के अरग-अरग शहयों भें फीस
से ज्मादा फेहतयीन स्कूर खोरे. रगबग दो दशकों के उनके कहठन
ऩरयश्रभ का ऩरयणाभ मह था कक अफ रोग तनशशकाॊत को एक
सम्भातनत साभाल्जक कामषकताष के रूऩ भें जानने रगे थे. अफ उनके
ऩास सख
ु -सवु वधा के तभाभ साधन थे. उन्होंने अफ अऩना ऩयु ाना घय
फेि कय शहय के सफसे भहॊ गे आवासीम ऩरयसय भें 2000 स्क्वामय
पीट का नमा फ्रैट बी रे शरमा था. इसी फ्रैट के गह
ृ प्रवेश के शरए
वे अऩने फढ़
ू े दादा याभसनेही ततवायी को शरवाने के शरए अऩने ऩश्ु तैनी
गाॉव ऩहुॊिे थे.

नवम्फय 2016 : जभशेदऩयु

वमोवद्ध
ृ ऩॊडडत याभसनेही ततवायी अऩने ऩोते तनशशकाॊत के नए फ्रैट के
गह
ृ प्रवेश के अवसय ऩय जभशेदऩयु ऩधाये हैं. कभय झुक गई है, दाढ़ी
के नीिे ऩावबय भाॊस रटक गमा है , रेककन आॉखों भें ऩयु ानी िभक
अफ बी फय़याय है .

आज दीऩावरी है औय तनशशकाॊत के भोहकरे के वारे घय भें शाभ को


अॊततभ फाय रक्ष्भीऩज
ू ा का आमोजन होना है .

(107) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

शाभ होते ही योबफन ब्रू वारी झक-झक सफ़ेद धोती-कुयता ऩहन कय


याभसनेही ततवायी, रक्ष्भीऩज
ू ा कयाने के शरए आसनी ऩय फैठे. ऩहरे
गणऩतत की ऩज
ू ा की. उसके फाद वे जैसे ही रक्ष्भीऩज
ू ा के शरए उद्धत
हुए, उनकी नजय रक्ष्भीजी की भतू तष की आॉखों की तयप गई. वे
अिकिा कय फोरे, “अये तनशशकाॊत, ई कैसी भतू तष रामा है ये , ल्जसभें
रक्षऺभी जी फईठे – फईठे सो यही हैं ? कपय वे आश्िमष से फोरे, “अये ई
त गणेशजी जी बी सो यहे हैं.” ऩीछे से तनशशकाॊत ने धीये से कहा,
“फाफा ई िाइना भेड गणेश-रक्ष्भी हैं. ई सोमे नहीॊ हैं, फल्कक इनका
आॉखवे अईसने है .”

गणेश औय रक्ष्भीजी की भतू तष का स्वरुऩ दे ख कय याभसनेही ततवायी


का भन ऽयाफ हो गमा. गाॉव भें अगय ककसी मजभान के महाॉ गए
यहते तो ऩज
ू ा ऩय से उठ जाते, रेककन महाॉ तो घय की फात थी. सारों
फाद फेटे-ऩोते के महाॉ गाॉव से आमे थे. इसशरए वववेक से काभ रेते
हुए िुऩिाऩ ऩज
ू ा कयाने रगे.

इधय याभसनेही ततवायी रक्ष्भीऩज


ू ा भें ध्मान-भग्न थे, उधय तनशशकाॊत
की फेटी औय ऩत्नी भोफाइर पोन ऩय अऩने दोस्तों को दीऩावरी की
शब
ु काभनामें दे ने भें व्मस्त थीॊ.

घॊटे बय तक ऩज
ू ा िरती यही. इस दौयान ऩज
ू ा भें शाशभर ऩरयवाय के
रोग ऊफते यहे . कपय तनशशकाॊत की ऩत्नी धीये से तनशशकाॊत को
ऊॊगशरमों से कोंिते हुए फोरी, “रगता है , फाफाजी आज अऩना ऩयू ा
ऩॊडडताई हदखाईए के भानेंग?
े ”

(108) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

इधय याभसनेही ततवायी के कानों भें जफ मह पुसपुसाहट ऩहुॊिी तो


उन्होंने सभझदाय फज
ु ग
ु ष की बाॊतत कोई प्रततकक्रमा ने दे ते हुए ऩज
ू ा
जकदी-जकदी सभाप्त कय रक्ष्भी भाता की आयती गाना शरू
ु कय हदमा.

उधय जैसे ही रक्ष्भीजी की आयती सभाप्त हुई, तनशशकाॊत की फेटी औय


ऩत्नी ने वाट्सएप्ऩ ऩय अऩनी सेकपी ऩोस्ट कयना शरू
ु कय हदमा.

ब्मट
ू ी को घॊटेबय भें भोफाइर पोन ऩय तीसयी फाय सेकपी रेकय सोशर
भीडडमा ऩय ऩोस्ट कयते दे ख कय ऩहरे से ही खखशसमामे ऩॊडडतजी से
यहा न गमा. बफना ककसी बशू भका के ब्मट
ू ी को सॊफोचधत कयते हुए
फोरे, “ फेटी, एक ठो था कैसानोवा. मन
ू ान का यहे वारा था. एक हदन
ऩोखय भें स्नान कयने गमा तो ऩोखय के ऩानी भें अऩना भॉह
ु दे ख कय
खुद्दे ऩय रट्टू हो गमा. उसके फाद यात-हदन फस ऩोखया के ककनाये ऩड़ा
यहता औय अऩना भॉह ु ऩोखया के ऩानी भें तनहायता यहता. कपय एक
हदन अऩनी अम्भा से फोरा, “ अम्भा हभ शादी-ब्माह नहीॊ कयें गे औय
हभायी सन्
ु दयता ऩय शसपष हभाया हक यहे गा.”

याभसनेही ततवायी आगे फोरे, “अफ उसकी अम्भा कोई अहीयटोरी की


झगरू याम की भेहयारू थोड़े थी कक डाईन, बफसाखखन के नाभ ऩय
कैसानोवा को ऩकड़कय याभसकर ओझा के दे हयी ऩय झाड़-पूॊक कयवाने
ऩहुॉि जाती. ऊ तो असरी मन
ू ानीन थी. फोरी ‘बाड़ भें जाओ गदहऊ,
हभ त िरे नािे!” वे आगे फोरे, “ऊ उधय नािे गई औय इधय
कैसानोवा ससयु ा कपय ऩहुॉि गमा ऩोखय ककनाये , आऩन भह ॉु तनहाये .
बखू -े वऩआसे कई हदन तक ऊ ऩानी भें अऩना भह ॉु तनहायता यहा...
तनहायता यहा. अिानके कभजोयी से ओकया भाथा भें िक्कय आमा ....
औय ऩोखय भें रढ़
ु क गमा. हभेशा के शरए!”

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सन ् अस्सी

याभसनेही ततवायी हॉसते हुए फोरे “ बफमट ु ी फेटी, तभु अॊग्रेजी इस्कूर भें
ऩढ़ी हो इसशरए मन ू ान का कहानी सन ु ामा हूॉ. एक ठो एकदभे खाशरस
हहन्दस्
ु तानी कहानी बी है . फानयभॉह
ु नायद का. सन ु ामे का?”

जवाफ भें ब्मट


ू ी ने अऩने रेटेस्ट एॊड्राएड पोन को अऩने जीॊस की
वऩछरी जेफ भें जफयदस्ती धकेरा औय ववनम्रता के साथ फोरी,
“दादाजी वकडष फदर गमा है , औय सभम के साथ सफको फदरना ही
ऩड़ता है .”

सभम फदरने की फात ऩय याभसनेही ततवायी ने हॉसते हुए जवाफ हदमा,


“त ठीक है फेटी, तभ
ु “सेकपी रे-रे ये ..........” वारा गाना फजा
दो........ औय तम्
ु हायी अम्भा ‘कैसानोवा की अम्भा’ की तयह उस ऩय
डाॊस कये गी!”

उनकी फात सन ु कय तनशशकाॊत ने भस्


ु कुयाते हुए अऩनी ऩत्नी की तयप
दे खा. ऩत्नी ने जकदी से अऩना भोफाइर पोन टे फर ऩय यखा औय
तर
ु सी के िौफाये ऩय दीऩक यखने के शरए ऩज
ू ाघय से आॉगन की तयप
बागी.

अिानक याभसनेही ऩाॊडे ने हतप्रब ब्मट


ू ी से एक सवार ककमा, “फेटी,
मे फताओ, दतु नमा बय भें गयीफ औय अनऩढ़ रोग ‘भशीन’ की वजह
से ज्मादा भय यहे हैं मा ‘भशीनगन’ से?” ऩयन्त,ु उन्हें उत्तय दे ने के
फजाम ब्मट
ू ी आश्िमष से अऩने ऩयदादा की तयप दे खने रगी. उसे हार
भें ही ऩढ़ी गाॊधीजी की प्रशसद्ध ककताफ ‘हहन्द स्वयाज’ की माद ताजा
हो गई.

***

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सन ् अस्सी

नवम्फय भें गह
ृ प्रवेश की ऩज
ू ा ऽत्भ होने के फाद ब्मट
ू ी ने याभसनेही
ततवायी से अनन
ु म कयके उन्हें दो-तीन भहीने के शरए जभशेदऩयु भें ही
योक शरमा.

दयअसर, ऩरयवाय के रोग उन्हें गाॉव भें अकेरे यहने दे ना ही नहीॊ


िाहते थे, रेककन याभसनेही ततवायी गाॉव छोड़ने के शरए बफरकुर ही
तैमाय नहीॊ थे. 13 भािष को होरी थी. तनणषम मह हुआ कक 11 भािष
को तनशशकाॊत का ऩरयवाय भोहकरे वारे ऩयु ाने घय को छोड़ कय
रयहामशी इराके भें ऽयीदे गए नए फ्रैट भें शशफ्ट हो जाएगा. उसके
फाद ही उन्हें वाऩस गाॉव जाने हदमा जाएगा.

***

दो भािष की सफ
ु ह तनशशकाॊत को अखफाय दे खकय अिानक माद आमा
कक कर इस औद्मोचगक नगय के सॊस्थाऩक का जन्भहदन है . साया
शहय यॊ गीन फकफों से सजामा जाएगा. अत: उन्होंने ब्मट
ू ी से कहा,
“फेटा, कर दादाजी को जफ
ु री ऩाकष जरूय घभ
ु ा दे ना. कर वहाॉ यॊ गीन
फकफों से शानदाय सजावट होगी.” जवाफ भें ब्मट
ू ी ने अऩनी
स्वीकायोल्क्त दे दी.

अगरे हदन शाभ के वक्त जफ याभसनेही ततवायी ब्मट


ू ी की स्कूटी की
वऩछरी सीट ऩय फैठकय जफु री ऩाकष के गेट ऩय ऩहुॊिे तो दे खा, िाइना
भेड फकफ की योशनी भें ऩयू ा ऩाकष जगभगा यहा था. ऩाकष ही नहीॊ
फल्कक ऩाकष के फाहय बी शहय के ऩव
ू ी हहस्से भें आकाश का एक फड़ा
हहस्सा रार योशनी भें नहामा हुआ था. साये आकाश भें हये , ऩीरे, नीरे,

(111) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

रार औय न जाने ककतने यॊ गों के फादरों के टुकड़े यॊ गीन गब्ु फायों की


शक्र भें अटखेशरमाॉ कय यहे थे.

हजायों की बीड़, ऩाकष की जगभगाती योशनी का बयऩयू आनन्द रे यही


थी. रोगों की बीड़ भें ब्मट
ू ी की ऩयु ानी क्रास-टीिय सागरयका सेन बी
थी, जो अऩने फच्िों के साथ ऩाकष भें घभ
ू यही थी. सॊस्थाऩक की
भतू तष के तनकट ब्मट
ू ी औय याभ सनेही ततवायी से उसकी भर
ु ा़ात
हुई. शभरनसाय स्वबाव की सागरयका टीिय थोड़ी ही दे य भें फज
ु ग
ु ष
याभसनेही ततवायी से घर
ु -शभर गई.

फातिीत के क्रभ भें वह याभसनेही ततवायी को सॊफोचधत कयते हुए फोरी


“दद्दाजी, शहय के फीिो-फीि खड़ी नगय सॊस्थाऩक की आदभकद ऩाषाण
प्रततभा की तनष्प्राण आॉखों भें आज सॊस्थाऩक हदवस के हदन अजफ सी
जीवॊतता है . रगता है जैसे फोर ऩड़ेंगी!”

याभसनेही ततवायी भस्


ु कुयाते हुए फोरे, “अये टीियजी, ई जीवॊतता
असर भें िाइना भेड फकफ का राईट का कभार है . सॊस्थाऩक फाफा के
आॉख भें िाइना भेड फकफ का राईट िभिभा यहा है . अगय इनको
भौका शभर जामे त ई आऩ रोग को गरयमाते हुए सफसे ऩहरे शहय
छोड़ कय िर दें गे.”

वे आगे फोरे, “फताइए, छोटका सॊस्थाऩक फाफा शहय भें इतना ऩेड़-
ऩौधा औय पूर-ऩत्ती रगवाकय, शहय के फीि भें ऩाकष फनवा कय,
फड़का फाफा का भतू तष रगवाए औय आऩरोग ऩेड़ कटवा-कटवा कय,
स्कूर- कॉरेज सफ तोड़वा कय कम्ऩनी का एक्सटें शन कयवा यहे हैं.”

(112) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

कपय उन्होंने प्रश्न ककमा, “फोशरए, फड़का सॊस्थाऩक फाफा ऐसे भाहौर
भें कैसे यहें गे बरा?”

उधय सागरयका टीिय बी हाय भानने के भड


ू भें नहीॊ थी, फोरी “अये
दद्दाजी, शहय के ऩोकमश
ु न के शरए फहुत कुछ हो यहा है . आऩ ल्जस
सड़क ऩय खड़े हैं न, वह सड़क रयसाइकककड प्राल्स्टक से फना है .
सोचिमे, हभरोग ककतना फड़ा काभ कय यहे हैं.”

याभसनेही ततवायी गॊबीय होते हुए फोरे, “’हभरोग’ भने ‘आभ आदभी’.
अगय आभ आदभी इतना जागरूक होता तो शहय का ई हारे न होता.
आऩरोग ने सफकुछ ‘कॊऩनी’ औय ‘सयकाय’ ऩय छोड़ हदमा है .”

ई शहय के 15 राख रोग का ‘नदी’ औय ‘नगय’ के प्रतत कौनो


ल्जम्भेदायी न है का?” याभसनेही ततवायी ने सवार ककमा.

वे आगे फोरे, “भाभरा शसपष एक कॊऩनी का नहीॊ है , जभशेदऩयु शहय


का अगर-फगर भें 500 कॊऩनी है , सफ शभर कय कय शहय के शरए
बस्भासयु फन गए हैं.”

कपय वह िेताते हुए फोरे “अगय ई सफ को ठीक नहीॊ ककमा गमा तो


आऩका शहय का सड़क, नारी, फाजाय, ऩाकष सफ िभिभाता यह
जामेगा औय शहय का आदभी ऩरश
ु न के कायण दभ घट
ु ने से भय
जाएगा. कपय व्मॊग्म से फोरे, “नीिे करयमा यॊ ग का ऩानी ढोती दफ
ु री–
ऩतरी, जीवन-ववहीन खयकई नदी, ऊऩय से ऩाॊि सौ ठो कॊऩनी के
चिभनी से तनकरते गैस के यॊ ग बफयॊ गे पुरौने, औय फीि भें प्राल्स्टक
के किये से फनी ऩमाषवयण सड़क, आऩके शहय को तो नोफेर ऩयाइज
शभरे के िाही!”

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सन ् अस्सी

अफ ब्मट
ू ी ने सवार ककमा, “दादाजी, तो क्मा कये सयकाय? सबी
कम्ऩतनमों को फॊद कयवा दे ? क्मा इससे राखों रोगों की योजी–योटी का
आधाय खत्भ नहीॊ हो जाएगा?

याभसनेही ततवायी गॊबीयता के साथ फोरे, “अगय बफना फड़ा कायखाना


का ऩॊजाफ, हरयमाणा का ववकास हो सकता है तो आऩका याज्म का
काहे नहीॊ? अगय बफजनेसभैन को सयकाय ऩहरे 10 सार के शरए
जभीन रीज ऩय दे औय कह दे , इसभें खान, खदान नहीॊ खोदना है ,
रोहा का पैक्टयी नहीॊ रगाना है , अगय कयना है त पाभष खेती
कील्जमे. कोकड स्टोये ज फनवाइए, जड़ी-फट
ू ी का कम्ऩनी खोशरए, दवाई
का पैक्ट्री खोशरए, पर का खेती कील्जमे, भधभ
ु क्खी ऩारन कील्जमे,
राह का उत्ऩादन कील्जमे, सब्जी का ऩोयसेशसॊग कील्जमे. जो बफजनेस
कयना है कील्जमे, रेककन इससे हभाया याज्म औय सभाज ऩयदशु सत
नहीॊ होना िाहहए, वयना जभीन वाऩस कील्जमे औय वाऩस जाइए.”

वे आगे फोरे, “रेककन हभको भारभ


ू है उद्मोगऩतत सफ, महाॉ इतनी
आसानी से ईसफ बफजनेस नहीॊ कयें ग.े उनके भन भें घोय रारि है .
उनको तो इहाॉ का रोहा, कोमरा, अरभतु नमभ, ताम्फा िाहहए.......
नदी, फार,ू खेत, जॊगर सफ िाहहए .....ऊ बी पोकट भें !”

***

ऩयसों नए फ्रैट भें शशफ्ट कयने की मोजना है . घय के सबी रोगों को


ब्मट
ू ी के खड़गऩयु से आने का इन्तजाय है . रेककन सफ
ु ह दस फजे
ब्मट
ू ी का पोन आता है , “ऩाऩा हभ नहीॊ आ ऩामेंगे. कर से ही भेयी
ऩीएिडी की कोसष-वकष शरू
ु हो यही है .”

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सन ् अस्सी

दयअसर ब्मट
ू ी िाय हदन ऩहरे ही खड़गऩयु गई थी. वहाॉ उसका
सेरेक्शन दे श के एक श्रेष्ठ तकनीकी शशऺण सॊस्थान भें ‘ऩीएिडी’
कोसष के शरए हुआ था.

वऩता से पोन ऩय फातिीत के क्रभ भें वह अनऩेक्षऺत सा सवार कयती


है , “हभरोगों का ऩश्ु तैनी गाॉव कहाॉ है , ऩाऩा?”

तनशशकाॊत ने असभॊजस से बय कय उकटा सवार कयते हैं, “क्मा फात


है फेटी?” “अये कुछ नहीॊ ऩाऩा, कर हभाये सॊस्थान भें ऩीएिडी रयसिष
स्कॉरसष की इॊडक्शन भीहटॊग थी. भीहटॊग के फाद रयसिष फोडष के
सदस्मों से ऩरयिम के दौयान हभाये इॊल्स्टट्मट
ू के डामये क्टय प्रोफ़ेसय
दमाशॊकय गप्ु ता ने भझ
ु से मही सवार ककमा था.”

वह आगे फोरी, ”हभने तो कह हदमा– जभशेदऩयु ! रेककन प्रोफ़ेसय


दमाशॊकय, भेये जवाफ से सॊतष्ु ट नहीॊ थे. उन्होंने कहा था कक इसका
जवाफ तभ
ु अऩने वऩता से ऩछ
ू कय फताना.”

तनशशकाॊत फोरे, “गाॉव फबनटोरी, ल्जरा फक्सय, बफहाय!”

“रेककन ऩाऩा हभाया सॊववधान तो कहता है कक हभ सफ बायतीम हैं.


अगय हय कोई अऩने-अऩने गाॉव की ऩहिान के शरए इतना तत्ऩय हो
जाए तो हभाया दे श टुकड़ों भें फॊट जाएगा,” ब्मट
ू ी आशॊका प्रकट कयते
हुए फोरी.

तनशशकाॊत फोरे, “दे श के राखों गाॉव ही बायत की सॊस्कृतत की जड़ें हैं.


अगय गाॉव की ऩहिान खत्भ हो गई तो हभायी प्रािीन बायतीम
सॊस्कृतत बी खत्भ हो जामेगी. वे कपय फोरे, “हड़प्ऩा, भोहनजोदड़ो,

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सन ् अस्सी

ऩाटशरऩत्र
ु , ववजमनगय सबी नागयी सभ्मताएॉ सभम के साथ धूर भें
शभर गईं. ककन्त,ु दे श की ग्राम्म-सॊस्कृतत अनवयत दे श की सॊस्कृतत
की ववयासत को सॊजोती यही औय इसे एक ऩीढ़ी से दस
ू यी ऩीढ़ी तक
हस्ताॊतरयत कयती यही. शहय की सॊस्कृतत ऺणबॊगयु है औय गाॉव की
‘शाश्वत’, ‘सनातन’ औय ‘तनयॊ तय’!”

कपय वह ब्मट
ू ी से प्रश्न कयते हैं, ग्राभववहीन आधतु नक बायत कैसा
होगा बरा?”

ब्मट
ू ी हॉसते हुए कहती है , “अगय फड़के फाफा होते तो कहते, “वैसे ही
जैसे फाफा ववश्वनाथ के बफना काशी”. तनशशकाॊत हॉसते हुए फोरे, “अफ
तो तभ ु बी अऩने फड़के फाफा की बाषा भें फोरने रगी हो.”

आज तनशशकाॊत का अऩने ऩयु ाने भोहकरे भें आऽयी हदन है . कर उन्हें


सऩरयवाय नए फ़्रैट भें शशफ्ट कय जाना है .

आज उन्हें रूऩा माद आ यही है . उन्हें भोहकरे की शाहदमाॉ औय छठ का


त्मौहाय माद आ यहा है . रेककन उन्हें आज अऩना सफसे ल्जगयी दोस्त
सयु े शवा सफसे ज्मादा माद आ यहा है , ल्जसे कयीफ 25 सार ऩहरे इसी
भोहकरे भें उसके घय से फाहय खीॊि कय गोरी भाय दी गई थी.

उन्हें इॊस्ऩेक्टय शक
ु ु र फाफा माद आते हैं, ल्जनसे वह आऽयी फाय सन ्
1995 भें सयु े श के भडषय केस के दौयान शभरे थे. तफ वऩतऩ
ृ ऺ िर यहा
था, कपय बी इॊस्ऩेक्टय शक
ु ु र फाफा के सय ऩय फड़े-फड़े फार थे. जाहहय
तौय ऩय वे इस फाय वऩॊडदान कयने ‘गमा’ नहीॊ गए थे.

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सन ् अस्सी

इस सम्फन्ध भें तनशशकाॊत के ऩछ


ू ने ऩय इॊस्ऩेक्टय शक
ु ु र फाफा हॉसते
हुए फोरे थे, ‘भड
ॊु न, वऩॊडदान! ई सफ अपवाह है . हभरोग कानन
ू का
हहसाफ से काभ कयते हैं. वैसे बी शट ू य सफ का एनकाउन्टय कयने से
क्मा पामदा? “एक शट
ू य का इनकाउॊ टय कये गें तो उसकी जगह रेने
शरए दस औय फेयोजगाय रोग तैमाय फैठे हैं. हाथ भें एक झोरा शरए,
कन्धे ऩय गभछा रटकाए हुए दो रोग ऩटना-टाटा एक्सप्रेस से सफ ु ह
नौ फजे टाटानगय स्टे शन ऩय उतयें गे, दोऩहय भें जफ
ु री ऩाकष भें घभ
ू ें गे
औय शाभ को अऩना टायगेट का काभ तभाभ कयके, यात सवा सात
फजे वारी टाटा-ऩटना एक्सप्रेस की जेनयर फोगी के ऩखाने के फगर
भें गभछा बफछाकय सो जामेंगे. जफ तक ऩशु रस भहकभा नाकेफॊदी
कये गा तफ तक उनकी ट्रे न आरा स्टे शन ऩाय कय िक
ु ी होगी. अगरे
हदन दोऩहय को वे ककसी भॊत्री मा ववधामक के ऩटना वारे आवास ऩय
ताश खेरते हुए शभर जामेंगे.”

“वो तो ठीक है , ऩयन्तु भेयी आऩसे प्राथषना है कक सयु े शवा के हत्माये


को सजा शभरनी ही िाहहए...........” तनशशकाॊत ने अनयु ोध ककमा था.
तफ, तनशशकाॊत की फात को फीि भें ही काटते हुए इॊस्ऩेक्टय शक
ु ुर
फाफा फोरे थे, “दे य-सफेय तो अऩयाधी ऩकड़ा ही जाएगा. रेककन भझ ु े
सयु े शवा से कोई ज्मादा सहानब
ु तू त नहीॊ है . आज की तायीख भें शहय
भें ऩिासों सफ़ेदऩोश अऩयाधी, बफजनेसभैन फन कय घभ
ू यहे हैं औय मे
बाड़े के अनजान शट
ू य उनके हचथमाय हैं. सयु े श ठीकेदाय बी इन
सपेदऩोश अऩयाचधमों भें से एक था. कौन जाने, भयने से ऩहरे
सयु े शवा ने खद
ु बी बाड़े के हत्मायों की भदद से ककतनों को हठकाने
रगवामा होगा. हभें इसकी ऩक्की खफय थी कक सयु े श ठीकेदाय,

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सन ् अस्सी

अॊडयवकडष की भदद से अऩने धॊधे को पैरा यहा था. उसकी तयक्की की


यफ़्ताय, नए रड़कों को सम्भोहहत कय यही थी. सयु े श जैसे अऩयाधी
प्रवल्ृ त्त के व्माऩायी ऩयू ा जनये शन को फफाषद कय यहे हैं. नए रड़के
इनको अऩना आदशष भानते हैं. अगय सयु े शवा जैसे रोगों का फयु ा अॊत
नहीॊ होगा तो शहय की ऩयू ी बावी जनये शन फफाषद हो जामेगी.”

शक
ु ु र फाफा आगे फोरे थे, “तम्
ु हाया दोस्त कभाने की जकदी भें था.
उसे इस ऩठायी प्रदे श के गाॊवों, ऩहाड़ों, जॊगरों औय खेतों को फेिने की
जकदी थी. रेककन रगता है, वह शामद ताराफ के गॊदरे ऩानी भें ऩहरे
से ही घात रगा कय फैठे अऩने से फड़े घडड़मारों को बाॊऩ नहीॊ ऩामा
था. तनल्श्ित तौय ऩय सयु े श इनभें से ही ककसी एक का शशकाय फना.”

“रेककन क्मा सयु े शवा को भायने वारा घडड़मार कबी ऩकड़ा जाएगा?”
तनशशकाॊत ने ल्जऻासा प्रगट की थी.

तफ, शक
ु ु र फाफा िेतावनी बये शब्दों भें तनशशकाॊत से फोरे थे, “एक
को ऩकड़ कय क्मा होगा? इनसे ऩयू ा का ऩयू ा ताराफ बया ऩड़ा है .
आहदवासी, गैय-आहदवासी सफको शभरकय इनके खखराप एक सॊगहठत
अशबमान िराना होगा, वयना कर अगय मे सबी घडड़मार आऩस भें
शभर कय अऩना शसॊडडकेट फना रें, औय कपय, ऩैसे औय आतॊक के दभ
ऩय प्रशासन औय सयकाय को तनमॊबत्रत कय रें तो ऩयू ा का ऩयू ा ऩठाय
फीस-तीस सार के अॊदय कॊगार हो जाएगा. जॊगर, खेत, नदी, ऩहाड़
सफ खत्भ हो जामेंगे. मह ऩयू ा ऺेत्र तफाह हो जाएगा.”

इसी क्रभ भें उन्हें तनशशकाॊत को सयु े शवा की ऩत्नी अरकनॊदा की माद
आती है . उसकी ऩत्नी अरकनॊदा ने दफ
ु ाया शादी नहीॊ की थी. आज

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सन ् अस्सी

वह अऩने वमोवद्ध
ृ वऩता हे डभास्टय साहे फ के साथ शभरकय अऩने घय
भें फच्िों का एक स्कूर िराती है . सयु े शवा की फेटी ल्स्नग्धा अफ फड़ी
हो गई है . अरकनॊदा ने अऩनी फेटी को अच्छे सॊस्काय हदए थे. वह
टाटा इॊल्स्टट्मट
ू से सोशर साइॊस की ऩढ़ाई कयने के फाद झायखण्ड के
आहदवासी इराके भें एक एनजीओ िराती है .

कपय, उन्हें अऩने फिऩन का दोस्त वऩॊकूरार माद आता है , जो उनकी


क्रास का सफसे ऩढ़ाकू रड़का था. उसे एभएससी गोकड भेडशरस्ट होने
के फाद बी ठे का-भजदयू फनना ऩड़ा था. उन्हें सॊतोष ऩाॊडे माद आता है ,
जो कॊऩनी भें अऩने वऩता की जगह स्थामी नौकयी ऩाने की उम्भीद भें
वऩछरे 15 सारों से दे हाड़ी भजदयू के रूऩ भें कॊऩनी फहादयु की सेवा
कय यहा है औय उसका 24 सार का फेटा अऩने दादा नन्हकू ऩाॊडे के
रयटामयभें ट के ऩैसे से इॊजीतनमरयॊग की डडग्री रेकय 8000 रुऩमे
भाशसक ऩय एक कॉर सेंटय भें नौकयी कयता है .

उसके दादा नन्हकू ऩाॊडे अऩने घय के फयाभदे की खखडककमों ऩय नए


ऩयदे रगवा कय, ऩरॊग ऩय नमा िद्दय बफछा कय अऩने इॊजीतनमय ऩोते
की शादी के शरए रड़की वारों का इन्तजाय कय यहे हैं. रेककन, दक
ु हों
के फाजाय भें इॊजीतनमय दाभादों की सप्राई ज्मादा औय डडभाॊड कभ हो
गई है . उधय ऩोता खद
ु ही भेट्रीभोतनमर साइट्स ऩय अऩने शरए
‘कभाऊ ऩत्नी’ खोज यहा है औय सोशर भीडडमा ऩय चिकरा-चिकरा कय
कह यहा है कक ‘दहे जप्रथा सभाज के शरए करॊक है ’.

तनशशकाॊत का भन एक अजीफ उदासी भें डूफ जाता है . वे सोिते हैं,


“स्वतॊत्रता प्राल्प्त के ऩहरे दे श भें राखों जभीॊदाय थे औय कयोड़ों
ककसान उनके गर
ु ाभ थे. दे श जफ आजाद हुआ औय जभीॊदायी प्रथा

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सन ् अस्सी

ऽत्भ हुई तो जभीॊदायों की जगह कायखानेदायों ने रे री थी. ककसान


के फेटे अफ भजदयू फन गमे थे. रेककन 1991 के फाद भशीनों ने तेजी
से इन भजदयू ों की जगह री औय भजदयू तेजी से फेयोजगाय होने रगे.
सन ् 2000 आते-आते भजदयू ों के इॊल्जतनमरयॊग औय एभफीए डडग्रीधायी
फेटे सेकसभैंन फन गए. रेककन हारात महीॊ नहीॊ थभें . सार 2016
आते–आते दे श का वास्तववक फाजाय ऺेत्र इॊटयनेट ऩय शसभटने रगा
औय सन 2000 के सेकसभैन, अफ डडरेवयीफॉम फन कय घय-घय साभान
ऩहुॉिाने रगे.

फदरते हारात भें रोगों को ल्जन्दा यखने के शरए कोई नशा जरूयी था.
1980 औय 1990 के दशक भें टे रीववजन ने इस जरूयत को ऩयू ा ककमा
औय 21वीॊ सदी भें स्भाटष पोन मही कय यहा है , ल्जसके प्रबाव भें आज
ऩयू ी की ऩयू ी मव
ु ा ऩीढ़ी फेसध
ु हो कय दतु नमा को अऩनी भट्ठ
ु ी भें कैद
कयने के सऩने दे ख यही है . वे आज के तथाकचथत प्रफॊधन गरु
ु ओॊ की
सराह के फाये भें सोिते हैं, ‘फड़े सऩने दे खो, अथक प्रमास कयो औय
दतु नमा को अऩनी भट्ठ
ु ी भें कय रो.’ उन्हें हॉसी आ जाती है . फड़े सऩने,
इतने व्मल्क्तगत! इतने आत्भकेंहरत!

वह याभिरयतभानस के यितमता गोस्वाभी तर


ु सीदास के
‘स्वान्त्सख
ु ाम’ के फाये भें सोिते हैं, ‘तर
ु सी का ‘स्व’ इतना ‘तन्सीभ’
है ल्जसभें सभस्त ब्रह्भाण्ड सभाहहत हो जाता है .

अॊत भें वे खद
ु ऩय केल्न्रत होते हैं. वे अऩनी वऩछरी 20 सार की
उऩरल्ब्धमों का रेखा-जोखा कयते हैं-याज्म के शहयी इराकों भें फीस से
ज्मादा अॊग्रेजी भाध्मभ के स्कूर! उनका भन सवार कयता है , मे
स्कूर तो ऩठाय के सद
ु यू गाॉवों भें बी खोरे जा सकते थे, रेककन

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सन ् अस्सी

उन्होंने ऐसा क्मों नहीॊ ककमा? क्मा अच्छी शशऺा की जरूयत शसपष
शहयी फच्िों को थी? उत्तय सोि कय उनका भन आत्भग्रातन से बय
उठता है .

घोय तनयाशा के बाव के साथ वे ऩोहटष को से अऩनी काय तनकरते हैं


औय उसे बफना ककसी ऩव
ू म
ष ोजना के अऩने ऩयु ाने कॉरेज की हदशा भें
भोड़ दे ते हैं.

कॉरेज की अफ नमी बफल्कडॊग फन गमी है . वे थोड़ी भशक्कत के फाद


हहॊदी के ववबागाध्मऺ प्रो० अभत
ृ का घय खोज ऩाते हैं. दयवाजे ऩय
दस्तक दे ते सभम उनका ऩयु ाना छात्रवत सॊकोि वाऩस रौट आता है .

थोड़ी दे य फाद ही, हाथ


भें फीमय का एक बया भग शरए हुए प्रोपेसय
अभत
ृ स्वमॊ दयवाजा खोरते हैं औय कहते हैं, “आओ तनशशकाॊत, हभने
सीसीटीवी भें तम्
ु हाया िेहया दे ख शरमा था.” तनशशकाॊत उनके ियण
छूने के शरए झुकते हैं. वे धीये से ऩीछे हट जाते हैं औय कहते हैं, “इन
औऩिारयकताओॊ से फिो फयखयु दाय!”.

थोड़ी दे य की गऩशऩ के फाद प्रोपेसय अभत


ृ उनसे आने का प्रमोजन
ऩछ
ू ते हैं. तनशशकाॊत सॊकोि बये शब्दों भें कहते हैं, “गरू
ु जी, अजीफ सी
ऊफ, फेफसी औय उदासी भन भें घय कय गई है . सपरता अफ खुशी
नहीॊ दे ती. उऩरल्ब्धमाॊ भन भें औय बी ज्मादा सन्नाटा बय दे ती हैं,
रगता है जैसे ल्जन्दगी यसहीन हो गई है . कुछ नमा कयने का भन
होता है , रेककन क्मा करूॉ कुछ सभझ नहीॊ ऩा यहा.”

(121) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

“तम्
ु हें क्मों रगता है कक भै तम्
ु हें कोई यास्ता हदखा सकता हूॉ?”,
प्रोपेसय गॊबीयता से प्रश्न कयते हैं.

तनशशकाॊत आदय के साथ कहते हैं, “आऩ भेये गरु


ु हैं, आऩ जो सराह
दें ग,े वह सही होगा भेये शरए”

“अगय गरु
ु हूॉ तो गरु
ु का आदे श सभझ कय अभत
ृ ऩान कयो,” कहते हुए
वह फीमय का बया हुआ एक भग तनशशकाॊत की तयप फढ़ाते हैं.”

तनशशकाॊत सॊकोि के साथ कहते हैं, “सय, हभ अफ नहीॊ ऩीते!” उत्तय


भें प्रोपेसय अभत ृ ठठा कय हॉसते हैं, “भै तो तम्
ु हाया गरु
ु हूॉ. भेयी दी
हुई हय िीज तम् ु हें स्वीकामष होनी िाहहए.”

तनरुऩाम से तनशशकाॊत उनके हाथ से भग रेने के शरए अऩना हाथ


आगे फढ़ा दे ते हैं, रेककन, प्रोपेसय अभत
ृ फीमय का भग तनशशकाॊत के
हाथ भें सौऩने की फजाम वाऩस टे फर ऩय यख दे ते हैं औय कहते हैं,
“जरूयी नहीॊ कक भेयी हय सराह सही ही हो. तभ
ु वमस्क हो, खद

भक
ू माॊकन कयो”

वे गॊबीय होकय कहते हैं, “जानता हूॉ तभ


ु को औय तम्
ु हाये एनजीओ की
उऩरल्ब्धमों को. हय सप्ताह तम्
ु हाये एनजीओ की खफयें स्थानीम
अखफायों भें छऩती हैं. तभ
ु ल्जस एनजीओ को जनजीवन भें फदराव
का साधन भानते हो, भैं उसे जनता के आक्रोश को कभ कयने वारा
सेफ्टी वाकव भानता हूॉ, जो आभ जनता के अन्दय फदराव की एक
झूठी आस ल्जन्दा यख कय उसे व्मवस्था के खखराप ववरोह कयने से
योकती है .”

(122) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

वह फेफाकी से कहते हैं, “तनशशकाॊत, तभ


ु वैसे व्मल्क्त हो जो बफना कुछ
खोमे, बफना जोखखभ उठामे सभाज-सध
ु ायक फनकय आत्भसॊतल्ु ष्ट ऩाना
िाहता है . मही तम्
ु हायी फेफसी औय ऊफ की वजह है .”

“तो क्मा वऩछरे फीस-ऩिीस सारों की भेयी सेवा तनरुद्देश्म यही है ?”


तनशशकाॊत उदास होकय प्रश्न कयते हैं.

“ऐसा तो तभ
ु ही सोिते हो, वयना भेये ऩास नहीॊ आते. दयअसर
तम्
ु हाया सफसे फड़ा गरु
ु , तम्
ु हाया अन्तभषन ् है . वही तम्
ु हें महाॉ रेकय
आमा है . वही तम्
ु हें आगे बी रे जाएगा. तम्
ु हें िें ज की नहीॊ फल्कक
साथषक फदराव की तराश है . जफतक तभ
ु इस ारतफ़हभी से फाहय
नहीॊ तनकरोगे कक तभ
ु एकयसता से ऊफे हुए व्मल्क्त हो, तभ
ु नएऩन
की तराश भें एक भॊल्जर से दस
ू यी भॊल्जर तक बागते कपयोगे औय
कपय एक हदन तम्
ु हाया अतप्ृ त भन तम्
ु हें रीर जाएगा. बफना उचित
रक्ष्म के मात्रा फेकाय है ,” प्रोपेसय अभत
ृ गॊबीयता के साथ उनके सवार
का उत्तय दे ते हैं.अॊत भें वे तनशशकाॊत को सभझाते हुए कहते हैं, “अफ
सभाजसेवी होने का ढोंग त्मागो औय फाकी फिी ल्जन्दगी भें कुछ
सकायात्भक औय ठोस काभ कयो.”

कपय, वह अिानक अऩनी कुसी से उठ कय ककताफों से बयी आरभायी


की तयप रुख कयते हैं, औय आरभायी भें से एक ऩयु ानी ककताफ
तनकार कय वाऩस कुसी ऩय फैठ जाते हैं. कपय वे नोफेर ऩयु स्काय
ववजेता कवव ऩाब्रो नेरुदा की एक कववता ‘You start dying slowly’
को जोय-जोय से फोर कय ऩढ़ने रगते हैं.

“आऩ धीये धीये भयने रगते हैं,

(123) San Assee, Author-Dr. Mithilesh Kumar Choubey ISBN: 978-93-5267-586-9


सन ् अस्सी

अगय आऩ नहीॊ भहसस


ू कयना िाहते आवेगों को,
औय उनसे जड़
ु ी अशाॊत बावनाओॊ को,
वे ल्जनसे नभ होती हों आऩकी आॉखें,
औय कयती हों तेज़ आऩकी धड़कनों को.

आऩ धीये धीये भयने रगते हैं,


अगय आऩ नहीॊ फदर सकते हों अऩनी ल्ज़न्दगी को
जफ हों आऩ असॊतष्ु ट अऩने काभ औय ऩरयणाभ से,
अगय आऩ अतनल्श्ित के शरए नहीॊ छोड़ सकते हों तनल्श्ित को,
अगय आऩ नहीॊ कयते हों ऩीछा ककसी स्वप्न का,
अगय आऩ नहीॊ दे ते हों इजाज़त खुद को,
अऩने जीवन भें कभ से कभ एक फाय,
ककसी सभझदाय सराह से दयू बाग जाने की ...”

तनशशकाॊत वाऩस घय रौटते हैं. वह आॊगन भें आकय खारी ऩड़ी हुई
कुसी ऩय फैठ जाते हैं औय ऩास ऩड़ा हुआ अखफाय उठा कय उसऩय
नजयें गड़ा दे ते हैं. रेककन, अिानक उनकी नजय दादा याभसनेही
ततवायी ऩय ऩड़ती है . याभसनेही ततवायी घय के आॊगन के एक कोने भें
आभ का ऩौधा योऩ यहे हैं. तनशशकाॊत हॉसते हुए कहते हैं, “फाफा, कर
तो ई घय छोडड़मे दे ना है, अफ ई सफ का कौनो पामदा नहीॊ.”
याभसनेही ततवायी उनकी ओय दे खे फगैय जवाफ दे ते हैं, “तू अऩनी
सराह अऩने ऩास यख, हभको अऩना काभ कयने दे .”

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सन ् अस्सी

तनशशकाॊत बफना कुछ कहे अखफाय की खफयों ऩय कपय से अऩनी नजयें


गड़ा दे ते हैं. ककन्त,ु थोड़ी ही दे य फाद उनकी तनगाहें कपय से याभसनेही
ततवायी की तयप उठ जाती हैं. याभसनेही ततवायी अफ रगबग सख

िुके तर
ु सी के एक ऩौधे की जड़ों भें अॊजुयी बय-बय कय जर डार यहे
हैं. तनशशकाॊत को शाभ के धुॊधरके भें अस्सी सार के फढ़
ू े दादा के
दभकते िेहये भें ऩाब्रो नेरुदा की कववता "You start dying slowly" का
साय नजय आ यहा है . आज उनकी इच्छा इस भहान कववता भें दो
नमी ऩॊल्क्तमाॉ जोड़ने की होती है .

“आऩ धीये धीये भयने रगते हैं,


अगय आऩ नहीॊ दे ते हों इजाज़त खुद को,
अऩनी सॊस्कृतत की सख
ू ती जड़ों भें ,
अॊजुयी बय जर डारने की.”

उन्हें अऩने अन्दय एक छोटा सा ज्मोततऩज


ुॊ जरता सा प्रतीत होता है .

***
तनशशकाॊत के भोहकरे वारे घय का साया साभान ट्रकों भें रादा जा
िुका है . घय से फाहय तनकरते हुए तनशशकाॊत अऩने ऩयु ाने घय को
डफडफाई आॉखों से तनहायते हैं. कपय घय की दे हयी की शभट्टी को उठा
कय भाथे ऩय रगाते हैं. इसके फाद वे अऩनी काय की ड्राईवय वारी
सीट ऩय फैठ कय फेकट फाॊधने रगते हैं. उनकी फगर वारी सीट ऩय
उनके वऩता याभधनी ततवायी फैठे हैं. वऩछरी सीट ऩय दादा याभसनेही
ततवायी, तनशशकाॊत की अम्भा औय तनशशकाॊत की ऩत्नी फैठी हैं.

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सन ् अस्सी

काय जैसे ही आगे फढ़ती है , याभसनेही ततवायी तनशशकाॊत से ऩछ


ू ते हैं,
“केतना घॊटा सभम रगेगा फबनऩयु ा ऩहुॉिने भें?” “शाभ के सात फजते-
फजते हभ अऩने गाॉव ऩहुॉि जामेंगे,” तनशशकाॊत जवाफ दे ते हैं.
तनशशकाॊत के वऩता आगाह कयते हैं, “ शहय भें सफकुछ छोड़कय, गाॉव
भें नए शसये से काभ खड़ा कयना आसान नहीॊ होगा. इसभें फहुते रयस्क
फा फेटा.”

तनशशकाॊत आत्भववश्वास बये रहजे से जवाफ दे ते हैं, “फाफज


ू ी, गॊगा की
शभट्टी भें भट्ठ
ु ी बय फीज योऩने ऩय शभट्टी िाय भहीने भें भन बय
अनाज रौटाती है . खेती से ज्मादा भन
ु ापा दस
ू या कौनो काभ भें नहीॊ.
वे आगे कहते हैं, “फाफज
ू ी, असरी िन
ु ौती तो फक्सय से ऩटना के
ऩहरेजा घाट तक गॊगा की सपाई का है . अफ हभाया एनजीओ इसी
काभ ऩय र्घमान रगाएगा. हजायों रोगों को जोड़ना होगा इस काभ भें .
गॊगा न शसपष हभायी अथषव्मवस्था की यीढ़ है फल्कक हभायी ऩहिान बी
है .

तनशशकाॊत की फात सन
ु कय याभसनेही ततवायी धीय-गॊबीय स्वय भें कहते
हैं, “करजुग भें कौनो एक बगीयथ के प्रमास से गॊगा स्वच्छ थोड़े
होगी. सफको बगीयथ फनना ऩड़ेगा.......रेककन, शसपष गॊगा ही काहे ,
दे श की हय एक नदी को भाॉ गॊगा जैसा सम्भान दे कय उसकी ऩयु ानी
अल्स्भता को वाऩस रौटाना होगा. ऋग्वेद के हहयण्मगबष स्तोत्रभ ् के
अनस
ु ाय नीय से ही नय औय नायामण का अल्स्तत्व है. कपय, वे आगे
कहते हैं, “नदी हभाये जीवन, सॊस्कृतत औय अथषव्मवस्था का आधाय है .
महद नदी नहीॊ तो नगय बी नहीॊ औय गाॉव बी नहीॊ!”

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सन ् अस्सी

तनशशकाॊत कहते हैं, “सयु े श की फेटी ल्स्नग्धा बी स्वणषयेखा औय खयकई


की सपाई के शरए कोई फड़ा जन-जागरूकता अशबमान िराने की
तैमायी भें हैं. कर दे य यात भेयी उससे पोन ऩय फात हुई थी. वह दख
ु ी
होकय कह यही थी कक प्रािीन कार भें बगीयथ अऩनी तऩस्मा से गॊगा
को स्वगष से धयती ऩय रेकय आमे थे, ककन्तु आज के बगीयथ छठऩवष
के हदन ‘स्वणषयेखा’ औय ‘खयकई’ नहदमों को अऩने फ्रैट की छतों ऩय
फने सीभें ट की टॊ ककमों भें कैद कयने की मल्ु क्त रगा यहे हैं.”

तनशशकाॊत आगे कहते हैं, “हभ तो ब्मट


ू ी को बी सराह दें गे की
ऩीएिडी की ऩढ़ाई ऩयू ी कयके ल्स्नग्धा के साथ जुड़ जाए. दोनों, खयकई
औय स्वणषयेखा के सॊगभ ऩय ऩैदा हुई हैं. ऩठाय की इन गॊगाओॊ का
कजष है , उन ऩय. क्मा ऩता, कुछ सार फाद जफ उनके फच्िे खयकई के
स्वखणषभ फारक
ु ा-याशश ऩय छठ के घाट फनाने के शरए कुदार रेकय
तनकरें तो इसके स्वच्छ औय ऩायदशी जर से बयी तरहटी भें नािती
हुई भछशरमाॉ कपय से हदख जामें.” कपय वह प्रसन्नचित्त होकय काय
का स्टीरयमो शसस्टभ ऑन कय दे ते हैं. होरी का एक ऩायॊ ऩरयक
रोकगीत हवा भें तैयने रगता है ......

“कहाॉ यॊ गवरs... ऩागरयमा हो बोरे फाफा,


कहाॉ यॊ गवरs ऩागरयमा.......??”

(इतत)

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