आयुर्वेद प्रश्नावली-०३ - Wikibooks

You might also like

Download as pdf or txt
Download as pdf or txt
You are on page 1of 105

Wikibooks

आयुवद ावली-०३

शरीर या व ान

(1) "आयुर मन् व ते अनेन् वा आयु व द त इ त


आयुवदः" - यह आयुवद क ..... है।

(क) न (ख) ुप (ग) प रभाषा (घ)


ल ण

(2) आयुवद क वहा रक प रभाषा कस आचाय ने


द है?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) भाव काश

(3) आयुवद का योजन है-


(क) व थ के वा य क र ा करना (ख)
रोगी के रोग का उ मूलन करना (ग) अ, ब दोन (घ)
उपरो म से कोई नह

(4) न न ल खत म कसके संयोग को आयु कहते ह?

(क) शरीर, स व, बु , आ मा (ख) स व, आ मा,


शरीर (ग) शरीर, बु , आ मा (घ) शरीर, इ य,
स व, आ मा

(5) ‘चेतनानुवृ ’ कसका पयाय है।

(क) मन (ख) आ मा (ग) शरीर (घ) आयु

(6) न न ल खत म से कौनसा कथन स य ह ?

(क) ‘अनुब ध’ आयु का पयाय है (ख) ‘अनुब ध’ हेतु


का भेद है। (ग) दोन (घ) उपयु म से कोई नह

(7) न न ल खत म से कौनसा मलाप स य है ?


(क) जी वतम् = आयु (ख) जीवसं णी = धमनी
(ग) जी वतायन = ो स (घ) उपयु सभी

(8) हतायु एवं अ हतायु और सुखायु एवं ःखायु के


ल ण का वणन चरक सं हता म कहॉ मलता है ?

(क) द घजी वतीयम याय (ख) अथदषमहामूलीय


अ याय (ग) रसायन च क सा अ याय पाद 1 (घ)
शरीर वचय शारीर अ याय

(9) आचाय चरक ने अ ांग आयुवद के मम


'भूत व ा' को कस थान पर रखा है।

(क) 3 (ख) 4 (ग) 5 (घ) 6

(10) आचाय सु ुत ने अ ांग आयुवद के मम


'अगदतं ' को कौनसा थान दया है।

(क) तृतीय (ख) चतुथ (ग) पंचम् (घ) ष म्


(11) अगदतं को ' वषगर वैरो धक शमन' क सं ा
कसने द है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) भाव काश

(12) शाल य तं को 'ऊ वाग' क सं ा कसने द है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) भाव काश

(13) वा भ ने अ ांग आयुवद म ‘अगद तं ’ का


उ लेख कस नाम से कया है ?

(क) वषगर वैरो धक शमन (ख) वषतं (ग) दं ा


च क सा (घ) जांगु ल तं

(14) दोष धातु मल मूलं ह शरीरम् - कसका कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) अ ांग दय (घ) अ ांग


सं ह
(15) श यु है -

(क) दोष (ख) धातु (ग) मल (घ) उपयु सभी

(16) ' षय ती त दोषाः' - कसका कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) अ ांग दय (घ) शारं धर

(17) शारी रक दोष क सं या है-

(क) 2 (ख) 3 (ग) 4 (घ) उपयु म से कोई नह

(18) शारी रक दोष म धान होता है-

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) र

(19) 'वात प े माण एव दे ह स भव हेतवः' - कस


आचाय का कथन है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर


(20) ‘वात प कफा दोषाः शरीर ा ध हेतवः।’ - कस
आचाय का कथन ह।

(क) सु ुत (ख) चरक (ग) वा भ (घ) का यप

(21) मान सक दोष क सं या है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) उपयु म से कोई नह

(22) मान सक दोष म धान होता है।

(क) स व (ख) रज (ग) तम (घ) इनम से कोई नह

(23) ‘दोष क ु प ’ का वणन कस आचाय ने


कया है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर

(24) ‘दोष क उ प ’ का वणन कस आचाय ने कया


है।
(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर

(25) ‘दोष के मनोगुण ’ का वणन कस आचाय ने


कया है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर

(26) ‘दोषो क पां चभौ तकता’ का वणन कस आचाय


ने कया है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर

(27) ’ प मा नेयं’ कस आचाय का कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वृ वा भ (घ)


च पा ण

(28) ’आ नेय प म्’ कस आचाय का कथन है।


(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वृ वा भ (घ)
च पा ण

(29) ’अ नमा द यं च प ं’ कस आचाय का कथन है।

(क) भेल (ख) हारीत (ग) का यप (घ) च पा ण

(30) अ ांग सं हकार के अनुसार ‘वात’ दोष का


नमाण कौनसे महाभूत से होता है ?

(क) वायु (ख) आकाष (ग) वायु और आकाष (घ)


उपरो म से कोई नह

(31) वृ ाव था म कौनसे दोष का कोप होता है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) र

(32) वा भ ानुसार दय और ना भ के ऊपर कौनसे


दोष का थान रहता है।
(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु सभी

(33) पूवा ह म कौनसे दोष का कोप होता है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोषश्

(34) भोजन प रपाक काल के म य म कौनसे दोष का


कोप होता है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) इनम से कोई नह

(35) दन के अपरा ह म कस दोष का कोप होता है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु म से


कोई नह

(36) म यरा म कस दोष का कोप होता है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु म से


कोई नह
(37) भु मा े अव था म कौनसे दोष का कोप होता
है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु सभी

(38) दोष, धातु और मल के आ य एवं आ यी भाव


स ब ध का वणन कस आचाय ने कया है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(39) ‘त ा था न थतो वायुः, असृ वेदयोः प म्,


शेषेषु तु े मा।’ - कस आचाय का कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(40) कफ दोष का आ यी थान नह है।

(क) रस (ख) र (ग) मांस (घ) मेद

(41) ‘मू ’ कौनसे दोष का आ य थान है।


(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु सभी

(42) शरीर म वात दोष क वृ होने पर कौनसी


च क सा करनी चा हए है।

(क) लंघन (ख) बृंहण (ग) अपतपण (घ) संतपण

(43) वातशामक े रस होता है।

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कषाय

(44) प शामक े रस होता है।

(क) मधुर (ख) त (ग) लवण (घ) कषाय

(45) कफशामक अवर रस होता है।

(क) कटु (ख) त (ग) लवण (घ) कषाय

(46) कन रस के सेवन से वात दोष का शमन होता है।


(क) अ ल-कटु - त (ख) अ ल- त -कषाय (ग)
मधुर-अ ल-लवण (घ) कटु -कषाय- त

(47) कन रस के सेवन से कफ दोष का कोप होता


है।

(क) अ ल-कटु - त (ख) अ ल- त -कषाय (ग)


मधुर-अ ल-लवण (घ) कटु -कषाय- त

(48) ’वात’ का मु य थान ‘ ो णगुदसं य’ कस


आचाय ने माना है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर

(49) वा भ ानुसार ’ प ’ का मु य थान है।

(क) आमाशय (ख) प वामाशय म य (ग) ना भ


(घ) उ व दे श

(50) सु ुतानुसार ’कफ’ का मु य थान है।


(क) आमाशय (ख) उरः दे श (ग) ना भ (घ) उ व
दे श

(51) वात का थान ‘अ थ-म जा’ कस आचाय ने


बतलाया है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(52) चरकानुसार ’ प ’ का थान है ।

(क) धर (ख) रस (ग) लसीका (घ) उपरो सभी

(53) प का अ य थान ‘ दय’ कस आचाय ने माना


है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(54) वा भ ानुसार ’ लोम’ कसका थान है।


(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु म से
कोई नह

(55) ’उ साह’ कस दोष का कम है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु म से


कोई नह

(56) ’मेधा’ कस दोष का कम है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु म से


कोई नह

(57) ’ माधृ तरलोभ ’ कस दोष का कम है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) उपयु म से


कोई नह

(58) चरकानुसार ‘ ान-अ ान’ म कौनसा दोष


उ रदायी होता है।
(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) आम

(59) आचाय चरक ने वात के कतने गुण बतलाए ह।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(60) वात का गुण ‘दा ण’ कसने माना है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) कुष

(61) वा भ ने वात का कौनसा गुण नह माना है।

(क) सू म (ख) चल (ग) वषद (घ) खर

(62) वात को 'अ च यवीय' कस आचाय ने कहा है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(63) वात को 'अमूत' सं ा कसने द है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर


(64) आचाय चरक ने 'भगवान्' सं ा कसने द है।

(क) आ ेय (ख) वायु (ग) अ, ब दोन (घ) काल

(65) वा भ ने प के कतने गुण बतलाए ह।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(66) 'सर' कौनसे दोष का गुण ह।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) र

(67) वा भ ानुसार 'लघु' कस दोष का गुण है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) अ, ब दोन

(68) प को 'मायु' क सं ा कसने द है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) ऋ वेद (घ) अथववेद


(69) शांर धर के अनुसार ‘ प ’ का ाकृ तक रस होता
है।

(क) कटु (ख) त (ग) कटु , त (घ) अ ल

(70) वद धाव था म कफ का रस होता है।

(क) कटु (ख) मधुर (ग) लवण (घ) अ ल

(71) चरको वात के 7 गुण एवं कफ के 7 गुण म


कतने समान है।

(क) 1 (ख) 2 (ग) 3 (घ) उपयु म से कोई नह

(72) वा भ ानुसार 'मृ न' कस दोष का गुण है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) अ, ब दोन

(73) शारं धरानुसार 'तमोगुणा धकः' कस दोष का गुण


है।
(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) अ, ब दोन

(74) 'वेग वधारण' करने से कस दोष का कोप है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(75) ' ोध' करने से कस दोष का कोप है।

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(76) चरकानुसार वात का कोप कस ऋतु म होता है।

(क) बषा (ख) बसंत (ग) ी म (घ) ावृट्

(77) सु ुतानुसार वात का कोप कस ऋतु म होता है।

(क) बषा (ख) बसंत (ग) ी म (घ) ावृट्

(78) चरकानुसार कफ का संचय कस ऋतु म होता है।

(क) शरद (ख) हेम त (ग) ष षर (घ) बसंत


(79) वा भ ानुसार कफ का संचय कस ऋतु म होता
है।

(क) शरद (ख) हेम त (ग) ष षर (घ) बसंत

(80) चरकानुसार कफ का नहरण कस मास म करना


चा हए।

(क) ावण मास (ख) आषाढ मास (ग) चै मास


(घ) अगहन मास

(81) चरक मतानुसार प का नहरण वरेचन ारा


कस मास म करना चा हए ?

(क) ावण मास (ख) आषाढ मास (ग) चै मास


(घ) मागशीष मास

(82) दोष के को से शाखा और शाखा से को म


गमन के कारण सव थम कस आचाय ने बतलाए है।
(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(83) चरक ने दोष के को से शाखा म गमन के कतने


कारण बताए है।

(क) 3 (ख) 4 (ग) 5 (घ) इनम से कोई नह

(84) चरक ने दोष के शाखा से को म गमन के कतने


कारण बताए है।

(क) 3 (ख) 4 (ग) 5 (घ) इनम से कोई नह

(85) चरक ने दोष के शाखा से को म गमन का


कारण नह है।

(क) वृ (ख) व य दन (ग) ायाम (घ)


वायु न ह

(86) बु ,इ य, दय और मन का धारण करना -


कौनसी वायु का कम है ?
(क) ाण वायु (ख) उदान वायु (ग) ान वायु (घ)
समान वायु

(87) ‘महाजवः’ कौनसी वायु के लए कहा गया है।

(क) ाण वायु (ख) उदान वायु (ग) ान वायु (घ)


समान वायु

(88) सार- क पृथ करण कसका काय है।

(क) पाचक प (ख) ान वायु (ग) समान वायु


(घ) अ, स दोन

(89) चरकानुसार अपान वायु का थान नही है।

(क) क ट (ख) ो ण (ग) नत ब (घ) उपयु सभी

(90) आचाय सु ुत ने ’पवनो म’ कसे कहा है ?


(क) उदान वायु (ख) ाण वायु (ग) समान वायु (घ)
ान वायु

(91) सु ुतानुसार कस वायु के कारण जठरा न


द त होती है ?

(क) ाण वायु (ख) अपान वायु (ग) समान वायु (घ)


उपरो सभी

(92) शांर धर के अनुसार पाचक प का थान होता


है।

(क) प वामाशय म य म (ख) अ नाशय म (ग)


प वाशय म (घ) हणी म

(93) पाचक प क मा ा ‘ तल माण’ कस आचाय


ने मानी है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर


(94) रंजक प का थान आमाशय कस आचाय ने
माना है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर

(95) आचाय वा भ के अनुसार ‘रंजक प ’ का थान


या है ?

(क) यकृत लीहा (ख) आमाशय (ग) यकृत (घ)


लीहा

(96) साधक प का थान होता है ?

(क) दय (ख) षर (ग) ने (घ) वचा

(97) ‘ओज एवं साधक प ’ एक ही कस आचाय ने


माना है।
(क) चरक (ख) च पा ण (ग) ड हण (घ)
अ णद

(98) भेल के अनुसार ‘बु वैशे षक’ आलोचक प


का थान होता है ?

(क) दय (ख) मूधा (ग) ृंगाटक (घ) ू म य

(99) तपक कफ का थान होता है ?

(क) दय (ख) षर (ग) उ (घ) ना भ

(100) सं धय म थत कफ क सं ा है ?

(क) साधक (ख) लेदक (ग) अवल बक (घ)


े मक

(101) आचाय वा भ के अनुसार ‘बोधक कफ’ का


थान या है ?
(क) आमाषय (ख) रसना (ग) क ठ (घ)
ज वामूल, क ठ

(102) चरकानुसार ाकृत शरार थ वायु का कम नह


है।

(क) त यं धर (ख) सव याणामु ोजक (ग)


समीरणोऽ नेः (घ) सवशरीर ूहकर

(103) मन का नयं ण कौन करता है।

(क) म त क (ख) मन (ग) वायु (घ) आ मा

(104) वायु त य धर - म ‘तं ’ का या अथ है।

(क) म त क (ख) शरीर (ग) शरीरवयव (घ) आ मा

(105) आयुषोऽनुवृ ययभूतो - कसका कम है।


(क) वायु का (ख) मन का (ग) आ मा का (घ)
म त क का

(106) 'वातला ाः सदातुराः' - कसका कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(107) 'वा तका ाः सदाऽऽतुराः' - कसका कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(108) ‘सवा ह चे ा वातेन स ाणः ा णनां मृतः। ’-


सू चरक सं हता के कस अ याय म व णत है।

(क) वातकलाकलीय (ख) वात ा ध च क सा (ग)


द घजीवतीय (घ) कय तः शरसीय

(109) मन का न ह कसके ारा होता है।

(क) म त क (ख) आ मा (ग) वायु (घ) वयं मन


(110) 'वाताद् ऋते ना त जा' - कस आचाय का
कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(111) ‘ प ं पड् गु कफः पड् गःु पड् वो मलधातवः।


वायुना य नीय ते त ग छ त मेघवत।’- कसका
कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(112) कामशोक भय ायुः ोधात् प म् लोभात्


कफम्। - कस आचाय ने कहा है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) माधव

(113) वै दक ंथो पांच वायु म से कूमल वायु का


काय होता है ।
(क) उदगार (ख) उ मेष (ग) जृ भा (घ) ुधा

(114) वै दक ंथो पांच वायु म से कौनसी वायु


सव ापी है और मरणोपरा त भी रहती है।

(क) नाग (ख) कूम (ग) दे वद (घ) धनंजय

(115) सु ुतानुसार ‘उ हन’ कौनसी वायु का काय है ?

(क) ाण वायु (ख) उदान वायु (ग) समान वायु (घ)


ान वायु

(116) सु ुतानुसार ‘पूरण’ कौनसी वायु का काय है ?

(क) ाण वायु (ख) तपक कफ (ग) म जा धातु


(घ) उपरो सभी

(117) उप त भ है ?
(क) वात, प , कफ (ख) आहार, न ा, चय
(ग) स व, आ मा, शरीर (घ) हेतु, दोष,

(118) ‘आहार, व तथा चय’ - कस आचाय के


अनुसार य उप त भ ह।

(क) चरकानुसार (ख) अ ांग सं हानुसार (ग)


सु ुतानुसार (घ) अ ांग दयानुसार

(119) वा भ ानुसार उप त भ है।

(क) वात, प , कफ (ख) आहार, न ा, अ चय


(ग) आहार, न ा, चय (घ) स व, आ मा, शरीर

(120) त भ है।

(क) वात, प , कफ (ख) आहार, न ा, चय


(ग) स व, आ मा, इ य (घ) हेतु, दोष,

(121) क ध य है।
(क) वात, प , कफ (ख) आहार, न ा, चय
(ग) स व, आ मा, इ य (घ) हेतु, दोष,

(122) थूण है।

(क) हेतु, लग, औषध (ख) आहार, न ा, चय


(ग) वात, प , कफ (घ) स व, रज, तम

(123) शरीरधारणात् धातव इ यु य ते। - कस आचाय


का कथन है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) सु ुत (घ) ड हण

(124) रस धातु के 2 भेद - (1) थायी रस और (2)


पोषक रस - कस आचाय ने बतलाए है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) सु ुत (घ) ड हण

(125) आतव को अ म धातु कस आचाय ने माना है।


(क) भाव काष (ख) च पा ण (ग) का यप (घ)
शारं धर

(126) ओज को अ म धातु कस आचाय ने माना है।

(क) भाव काष (ख) च पा ण (ग) का यप (घ)


शारं धर

(127) र को चतुथ दोष कसने माना है।

(क) च पा ण (ख) सु ुत (ग) अ ांग सं ह (घ) ब,


स दोन

(128) चरक मतानुसार र का होता है ?

(क) 9 अंज ल (ख) 8 अंज ल (ग) 4 अंज ल (घ) 5


अंज ल

(129) मेद का अंज ल माण होता है।


(क) 5 (ख) 4 (ग) 2 (घ) 3

(130) 'जीवन' कसका कम है।

(क) रस धातु (ख) र धातु (ग) त य (घ) ब और


स दोन

(131) ' ी त' कस धातु का कम है।

(क) रस धातु (ख) म जा धातु (ग) शु धातु (घ) ब


और स दोन

(132) 'शरीरपु ' कस धातु का कम है।

(क) रस धातु (ख) मांस धातु (ग) शु धातु (घ)


ओज

(133) ’ ढ वम्’ कस धातु का काय है ?


(क) अ थ धातु (ख) मांस धातु (ग) म जा धातु
(घ) मेद धातु

(134) भाव काष के अनुसार ’र ’ धातु क


पंचभौ तकता म शा मल है ?

(क) अ न (ख) अ न + जल (ग) अ न + पृ वी


(घ) पंचमहाभूत

(135) ड हण के अनुसार ’अ थ’ धातु क


पंचभौ तकता है ?

(क) पृ वी + वायु + आकाश (ख) पृ वी + वायु (ग)


अ न + पृ वी (घ) पृ वी + आकाष

(136) 'अहरहग छ त इ त' कस धातु क न है।

(क) रस धातु (ख) र धातु (ग) मांस धातु (घ) शु


धातु
(137) तपय त, व य त, धारय त, यापय त कसके
कम है।

(क) रस धातु (ख) र धातु (ग) ओज (घ) वात

(138) रस धातु के 2 भेद - (1) थायी रस, (2) पोषक


रस - कस आचाय ने बतलाए है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) सु ुत (घ) ड हण

(139) 'श दा चजलसंतानवद्' से कस धातु का हण


कया जाता है।

(क) रस (ख) र (ग) म जा (घ) शु

(140) सु ुतानुसार ' थौ य और का य' वशेषतः कस


पर नभर है।
(क) रस (ख) र (ग) व और आहार (घ) मांस
धातु

(141) सु ुतानुसार रस धातु का रंजन कहॉ पर होता


है।

(क) दय (ख) आमाषय (ग) यकृत लीहा (घ)


इनम से कोई नह

(142) सु ुतानुसार र धातु ही एक मा धातु है जो


पा चमहाभौ तक होती है उस र धातु म ‘लघुता’
कौनसे महाभूत का गुण होता है।

(क) जल (ख) अ न (ग) वायु (घ) आकाश

(143) र क प रभाषा कस आचाय ने बतलायी है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) हारीत (घ) माधव

(144) ा णय के ाण कसका अनुवतन करते है।


(क) शो णत (ख) ओज (ग) आहार (घ) वायु

(145) तपनीये गोपाभं पù◌ाल क स भम्।


गु जाफल सवण च - कसके लए कहा गया है।

(क) वषु शो णत (ख) वषु आतव (ग) दोन


(घ) इनम से कोई नह

(146) र ज रोग का नदान कससे होता है।

(क) उपषय (ख) अनुपशय (ग) प (घ) पूव प

(147) दे ह य धरं मूलं धरेणैव धायते - कस


आचाय का कथान है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर

(148) सु ुतानुसार धातुओ क ीणता और वृ म


मूल कारण या है।
(क) रस धातु (ख) र धातु (ग) ओज (घ) आहार

(149) ‘मेद पु ’ कौनसी धातु का काय है।

(क) रस धातु (ख) र धातु (ग) मांस धातु (घ) मेद


धातु

(150) छोट अ थय के म य म वषेष प से या


होती है।

(क) म जा (ख) र (ग) मेद (घ) सर मेद

(151) ‘दे हधारण’ कौनसी धातु का काय है।

(क) अ थ धातु (ख) र धातु (ग) मांस धातु (घ)


मेद धातु

(152) थूला थय के म य म वषेष प से या होती


है।
(क) म जा (ख) र (ग) मेद (घ) सर मेद

(153) ' वलीनघृताकारो' कसके लए कहा गया है।

(क) अ थगत म जा (ख) म त क म जा (ग)


दोन (घ) इनम से कोई नह

(154) आहार का परम धाम होता है।

(क) शु (ख) ओज (ग) रसधातु (घ) र

(155) शु का वण ’घृतमा कं तैलाभ’ सम कसने


माना है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) च पा ण

(156) 'चरतो व व प य प ं' - कसके लए


कहा गया है।

(क) शु (ख) ओज (ग) आ मा (घ) र


(157) रस धातु दोषज वकार क च क सा है।

(क) लंघन (ख) लंघन पाचन (ग) दोषावसेचन (घ)


उपयु सभी

(158) 'र प हरी या' - कन रोग म करनी


चा हए ?

(क) प ज रोग (ख) र जरोग (ग) संतपणजरोग


(घ) र प

(159) 'पंचकमा ण भेषजम्' कस धातु दोष्◌ाज


वकार क च क सा म नद षत है।

(क) मांस (ख) मेद (ग) अ थ (घ) म जा

(160) ' वाय, ायाम, यथाकाल संशोधन' - कस


धातु दोषज वकार क च क सा म नद षत है।
(क) अ थ (ख) म जा (ग) शु् दोषज (घ)
म जा एवं शु् दोषज

(161) 'संशोधन, श , अ न, ारकम' - कस


धातु दोषज वकार क च क सा म नद षत ह।

(क) मांस दोषज (ख) मेद दोषज (ग) अ थ


दोषज (घ) उपधातु दोषज

(162) 'एककाल धातु पोषण याय' के वतक है।

(क) अ णद (ख) सु ुत (ग) ढबल (घ)


भाव काष

(163) 'केदारीकु या याय' के वतक है।

(क) अ णद (ख) सु ुत (ग) ढबल (घ)


भाव काष

(164) ' ीर द ध याय' के वतक है।


(क) अ णद (ख) सु ुत (ग) ढबल (घ)
भाव काष

(165) 'खले कपोत याय' के वतक है।

(क) अ णद (ख) सु ुत (ग) ढबल (घ)


भाव काष

(166) आचाय चरक कौनसे याय के समथक है।

(क) एककाल धातु पोषण याय (ख) केदारीकु या


याय (ग) ीर द ध याय (घ) खले कपोत याय

(167) आचाय सु ुत कौनसे याय के समथक है।

(क) एककाल धातु पोषण याय (ख) केदारीकु या


याय (ग) खले कपोत याय (घ) ब, स दोन

(168) आचाय वा भ कौनसे याय के समथक है।


(क) एककाल धातु पोषण याय (ख) केदारीकु या
याय (ग) ीर द ध याय (घ) खले कपोत याय

(169) आचाय भाव काष कौनसे याय के समथक है।

(क) एककाल धातु पोषण याय (ख) केदारीकु या


याय (ग) ीर द ध याय (घ) खले कपोत याय

(170) 'अशांश प रणाम प ' कहलाता है।

(क) ीर द ध याय (ख) केदारीकु या याय (ग)


खले कपोत याय (घ) एककाल धातु पोषण

(171) सु ुतानुसार रस से आतव के नमाण कतना


समय लगता है ?

(क) 1 मास (ख) 1 स ताह (ग) 6 अहोरा (घ) 15


अहोरा
(172) चरकानुसार रस से शु नमाण कतना समय
लगता है ?

(क) 1 मास (ख) 1 स ताह (ग) 6 अहोरा (घ) 15


अहोरा

(173) सु ुतानुसार रस से शु धातु के नमाण कतना


समय लगता है।

(क) 3015 कला (ख) 18090 कला (ग) 30015


कला (घ) 1890 कला

(174) 'ग त वव जताः' कसके संदभ म कहा गया है ?

(क) धातु (ख) उपधातु (ग) ओज (घ) मल

(175) शारं धर के अनुसार 'केष, रोम' कसक उपधातु


है ?
(क) अ थ (ख) म जा (ग) मेद (घ) शु

(176) ' नायु व वसा' यह मषः कस धातु क


उपधातुए◌ ह ?

(क) मांस, म जा (ख) मेद, म जा (ग) मांस, मेद


(घ) मेद, मांस

(177) ड हण के अनुसार 'सं ध' कसक उपधातु है ?

(क) अ थ (ख) म जा (ग) मेद (घ) शु

(178) 'दोषधातुवहाः' कसके लए कहा गया है ?

(क) सरा (ख) धमनी (ग) ो स् (घ) कला

(179) वा भ के अनुसार वचा का नमाण कौनसी


धातु से होता है ?

(क) रस (ख) र (ग) मांस (घ) मेद


(180) कौनसी सं हता म 'उपधातु' का वणन नह कया
गया है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(181) थमं जायते ोजः शरीरेऽ मन् शरी रणाम्। -


कस आचाय का कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(182) ओज को 'बल' सं ा कस आचाय ने द है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) अ, ब दोन

(183) ओज को 'जीवशो णत' सं ा कस आचाय ने द


है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) भाव काष (घ)


ड हण
(184) ओज को ‘शु क उपधातु’ कस आचाय ने
माना है।

(क) भाव म (ख) च पा ण (ग) वा भ (घ)


शारं धर

(185) ‘रस चौजः सं यात’ - कस आचाय का कथन


है।

(क) चरक (ख) वा भ (ग) भाव काष (घ) ड हण

(186) ‘गभरसा सः’ कसके लए कहा गया है।

(क) रस (ख) र (ग) षु (घ) ओज

(187) चरकानुसार गभ थ ओज का वण होता है।

(क) स पवण (ख) मधुवण (ग) र मीष सपीतकम्


(घ) ेत वण
(188) चरकानुसार हदय थ ओज का वण होता है।

(क) स पवण (ख) मधुवण (ग) र मीष सपीतकम्


(घ) ेत वण

(189) ‘त ाशा ा वन य त’ - चरक ने कसके संदभ म


कहा गया है।

(क) र (ख) ओज (ग) शु (घ) ाणायतन

(190) ‘तद् अभावा च शीयन्◌ेते शरीरा ण शरी रणाम्’ -


उ कथन कसके अभाव म संद भत है ?

(क) र (ख) ओज (ग) शु (घ) मांस

(191) ओज का वण ‘ वेत’ कसने बतलाया है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) ड हण (घ) ब, स


दोन
(192) वा भ ानुसार ओज का वण होता है।

(क) र मीष सपीतकम् (ख) ईषत् लो हतपीत (ग)


अ याव र पीतकम् (घ) स पवण

(193) ओज के पर ओज एवं अपर ओज ये 2 भेद


कसने बतलाए है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) सु ुत (घ) ड हण

(194) पर ओज क मा ा 6 ब कसने मानी है।

(क) अ णद (ख) च पा ण (ग) भेल (घ) ड हण

(195) ओज के 12 थान का वणन कस आचाय ने


कया है।

(क) हारीत (ख) च पा ण (ग) भेल (घ) ड हण


(196) वणानुसार ओज के 3 भेद - 1. ेत वण 2. तैल
वण 3. ौ वण - कस आचाय ने बतलाए है।

(क) चरक (ख) च पा ण (ग) सु ुत (घ) ड हण

(197) चरको कफ के 7 गुण एवं ओज के 10 गुण


म से कतने गुण समान है।

(क) 7 (ख) 4 (ग) 1 (घ) कोई नह

(198) चरको गो ध के 10 गुण एवं ओज के 10


गुण म से कतने गुण समान है।

(क) 7 (ख) 4 (ग) 10 (घ) कोई नह

(199) चरको ओज के 10 गुण एवं सु ुतो ओज


के 10 गुण म से कतने गुण समान है।

(क) 7 (ख) 4 (ग) 10 (घ) कोई नह


(200) ओज म ‘ प छल’ गुण कसने माना है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) अ, ब दोन

(201) ओज म ‘ व व ं ’ गुण कसने माना है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) अ, ब दोन

(202) सु ुतानुसार ’ ाणायतनमु मम्’ है।

(क) दय (ख) ओज (ग) व त (घ) ब, स दोन

(203) सु ुतानुसार ’सवचे ा व तघात’ कसका काय


है।

(क) वायु (ख) ओज (ग) मन (घ) दोष

(204) ‘दोष यवनं व यास रोध’ - ओज क कस


ापद् अव था का ल ण है।
(क) ओज य (ख) ओज व ंस (ग) ओज ापत
(घ) उपयु म कोई नह

(205) सु ुतानुसार ’मू छा, मांस य, मोह, लाप,


अ ान, मृ यु’ कसका ल ण है।

(क) ओज य (ख) बल य (ग) दोन (घ) कोई नह

(206) सु ुतानुसार ’अ ाचुय याणां च’ कसका


ल ण है।

(क) ओज य (ख) बल य (ग) ओज व ंस (घ)


बल व ंस

(207) वातशोफ, वणभेद ल ण है।

(क) वातवृ (ख) ओज व ंस (ग) ओज ापत


(घ) ओज य

(208) ला न, त ा, न ा ल ण है।
(क) वातवृ (ख) ओज व ंस (ग) ओज ापत
(घ) ओज य

(209) 'बल ंष' कसका ल ण है ?

(क) ओज य (ख) ओज ापद् (ग) ओज व ंस


(घ) साम दोष

(210) ओज क वकृ तयॉ कतने कार क होती है।

(क) 5 (ख) 4 (ग) 2 (घ) 3

(211) सु ुत ने ओज य के कतने का कारण बताए


है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(212) ओज क मा ा कफ के समान कस आचाय ने


मानी है।
(क) भाव म (ख) च पा ण (ग) वा भ (घ)
का यप

(213) चरकानुसार पर ओज क मा ा कतने ब


होती है।

(क) 5 ब (ख) 6 ब (ग) 7 ब (घ) 8 ब

(214) अ णद के अनुसार पर ओज क मा ा कतने


ब होती है।

(क) 5 (ख) 6 (ग) 7 (घ) 8

(215) भेल के अनुसार ओज का थान है ?

(क) वेद (ख) मू (ग) पुरीष (घ) उपयु सभी

(216) चरकानुसार ' धते यः' कसका ल ण है ?


(क) ओज य (ख) ओज ापद् (ग) ओज व ंस
(घ) उपयु सभी

(217) मेद धातु का मल है ?

(क) वेद (ख) वसा (ग) वचा (घ) उपयु सभी

(218) अ वट् कौनसी धातु का मल है ?

(क) मांस (ख) मेद (ग) म जा (घ) शु

(219) ओज को ‘शु धातु का मल’ कस आचाय ने


माना है।

(क) भाव म (ख) च पा ण (ग) वा भ (घ)


शारं धर

(220) ओज को ‘शु क उपधातु’ कसने माना है।


(क) भाव म (ख) च पा ण (ग) वा भ (घ)
शारं धर

(221) शारं धर के अनुसार शु धातु का मल है ?

(क) ओज (ख) म ु (ग) यौवन पी टका (घ)


उपरो म से कोई नह

(222) ड हण के अनुसार शु धातु का मल है ?

(क) ओज (ख) म ु (ग) यौवन पी टका (घ)


उपरो म से कोई नह

(223) वा भ के अनुसार अ थ धातु का मल है ?

(क) केश, लोम (ख) केश, रोम (ग) नख, लोम (घ)
नख, रोम

(224) सु ुत के अनुसार अ थ धातु का मल है ?


(क) केश, लोम (ख) केश, रोम (ग) नख, लोम (घ)
नख, रोम

(225) चरक के अनुसार अ थ धातु का मल है ?

(क) केश, लोम (ख) केश, रोम (ग) नख, लोम (घ)
नख, रोम

(226) मल को य कसने माना है ?

(क) अ णद (ख) सु ुत (ग) ढबल (घ)


भाव काष

(227) म लनीकरणाद् आहारमल वा मलाः। - कस


आचाय ने माना है।

(क) भाव म (ख) च पा ण (ग) वा भ (घ)


शारं धर

(228) म लनीकरणा मलाः। - कस आचाय ने माना है।


(क) भाव म (ख) च पा ण (ग) वा भ (घ)
शारं धर

(229) वेद का अंजली माण होता है ?

(क) 9 अंजली (ख) 8 अंजली (ग) 7 अंजली (घ)


10 अंजली

(230) वा भ ानुसार वेद क पंचमहाभै तकता कस


रस के समान है ?

(क) मधुर (ख) अ ल (ग) लवण (घ) कषाय

(231) पुरीष का अंजली माण होता है ?

(क) 9 अंजली (ख) 8 अंजली (ग) 7 अंजली (घ)


10 अंजली

(232) मू का अंजली माण होता है ?


(क) 6 अंजली (ख) 5 अंजली (ग) 4 अंजली (घ)
उपरो म से कोई नह

(233) वायु एवं अ न का धारण करना कसका कम


है।

(क) पुरीष (ख) मू (ग) वेद (घ) उपरो सभी का

(234) व लेदकृत - कसका कम है।

(क) पुरीष (ख) मू (ग) वेद (घ) उपरो सभी का

(235) लेद वधृ त - कसका कम है।

(क) पुरीष (ख) मू (ग) वेद (घ) उपरो सभी का

(236) पुरीष को ’उप त भ’ कसने कहा है ?

(क) सु ुत (ख) च पा ण (ग) वा भ (घ) चरक

(237) पुरीष को ’अव त भ’ कसने कहा है ?


(क) सु ुत (ख) च पा ण (ग) वा भ (घ) चरक

(238) पुरीष नमाण क या का वणन सव थम


कसने कया है ?

(क) सु ुत (ख) भाव काष (ग) वा भ (घ)


च पा ण

(239) मू नमाण क या का वणन सव थम


कसने कया है ?

(क) सु ुत (ख) भाव काष (ग) वा भ (घ)


च पा ण

(240) वेद नमाण क या का वणन सव थम


कसने कया है ?

(क) सु ुत (ख) भाव काष (ग) वा भ (घ)


च पा ण
(241) पुरीष क उ प कहॉ होती है।

(क) थूला म (ख) ु ा म (ग) अमाशय म (घ)


प वाशय म

(242) सु ुतानुसार मू नमाण या कहॉ आर भ


होती है।

(क) वृ क म (ख) व त म (ग) अमाशय म (घ)


प वाशय म

(243) मानुष मू च वषापहम् - कसका कथन है।

(क) सु ुत (ख) भाव काष (ग) वृ वा भ (घ)


च पा ण

(244) मानुष मू तु वषापहम् - कसका कथन है।


(क) सु ुत (ख) भाव काष (ग) वृ वा भ (घ)
च पा ण

(245) ‘उपवेषन’ कसका पयाय है।

(क) पुरीष (ख) मू (ग) वेद (घ) उपरो म से


कोई नह

(246) ‘मेह’ कसका पयाय है।

(क) पुरीष (ख) मू (ग) वेद (घ) उपरो म से


कोई नह

(247) ‘घम’ कसका पयाय है।

(क) पुरीष (ख) मू (ग) वेद (घ) उपरो म से


कोई नह

(248) ‘घमकाले’ कौनसी ऋतु के लए कहा गया है।


(क) गी म ऋतु (ख) ावृट् ऋतु (ग) वषा ऋतु (घ)
उपरो म से कोई नह

(249) ‘ नदाघे’ कौनसी ऋतु के लए कहा गया है।

(क) गी म ऋतु (ख) ावृट् ऋतु (ग) वषा ऋतु (घ)


उपरो म से कोई नह

(250) ‘घमा ते’ कौनसी ऋतु के लए कहा गया है।

(क) गी म ऋतु (ख) ावृट् ऋतु (ग) वषा ऋतु (घ)


उपरो म से कोई नह

(251) ‘ न ानाष’ कसका ल ण है।

(क) वातवृ (ख) प वृ (ग) कफवृ (घ)


कफ य

(252) ‘ न ा पता’ कसका ल ण है।


(क) वातवृ (ख) प वृ (ग) कफवृ (घ)
कफ य

(253) ‘अ त न ा’ कसका ल ण है।

(क) वातवृ (ख) प वृ (ग) कफवृ (घ)


कफ य

(254) ‘ जागरण’ कसका ल ण है।

(क) वातवृ (ख) प वृ (ग) कफवृ (घ)


कफ य

(255) वातवृ का ल ण नह है।

(क) न ानाष (ख) का य (ग) मूढ सं ता (घ) गा


फुरण

(256) ‘अंगसाद’ कसका ल ण है।


(क) कफवृ (ख) कफ य (ग) वातवृ (घ)
वात य

(257) ‘अ तदाह’ कसका ल ण है।

(क) कफवृ (ख) कफ य (ग) प वृ (घ)


प य

(258) ‘बलहा न’ कसका ल ण है।

(क) प वृ (ख) कफ य (ग) वातवृ (घ)


वात य

(259) चरकानुसार न न ल खत मे कौनसा रस य का


ल ण नह है।

(क) शू यते (ख) घ ते (ग) दयं ता य त (घ)


दयो लेद
(260) ‘प षा फ टता लाना वग् ा’ कस य
के ल ण है।

(क) रस य (ख) कफ य (ग) र य (घ)


म जा य

(261) चरकानुसार ’धमनी शै थ य’ कसका ल ण है।

(क) मांस य (ख) मेद य (ग) र य (घ)


म जा य

(262) ‘स धवेदना’ कसका ल ण है ?

(क) र य (ख) कफ य (ग) मांस य (घ)


मेद य

(263) चरकानुसार 'सं ध फुटन' कसका ल ण है।


(क) मांस य (ख) मेद य (ग) मांस य, मेद य
(घ) म जा य

(264) 'सं धषै थ य' कसका ल ण है।

(क) मांस य (ख) मेद य (ग) अ थ य (घ)


म जा य

(265) न न धातु य म ‘ लीहावृ ’ होती है ?

(क) रस (ख) र (ग) मांस (घ) मेद

(266) अ ांग दयाकार के अनुसार ' त मरदशन'


कसका ल ण है।

(क) म जा य (ख) शु य (ग) वातवृ (घ)


वात य

(267) चरकानुसार ‘सवागने गौरव’◌ं कसका ल ण


है।
(क) मांस य (ख) मांसवृ (ग) म जा य (घ)
म जावृ

(268) ’दौब यं मुखशोष पा डु वं सदनं मः’ -


चरकानुसार कौनसी धातु के य का ल ण है।

(क) रस य (ख) शु य (ग) र य (घ)


प य

(269) चरकानुसार ’शीय त इव चा था न बला न


लघू न च। ततं वातरोगी ण’ - कसके य का ल ण
है।

(क) मांस (ख) मेद (ग) अ थ (घ) म जा

(270) चरकानुसार ’ पपासा’ कसके य का ल ण है।

(क) रस (ख) शु (ग) मू (घ) र

(271) सु ुतानुसार ‘आतव वृ ’ का ल ण नह है।


(क) अंगमद (ख) अ त वृ (ग) दौग य (घ) यो न
वेदना

(272) ‘व ततोद’ कसका ल ण है ?

(क) मू य (ख) मू वृ (ग) पुरीषवृ (घ) अ, ब


दोन का

(274) अ ांग दय के अनुसार 'कृतेऽ यकृतसं '


कसका ल ण है ?

(क) मू वृ (ख) पुरीष वृ (ग) कफज अ तसार


(घ) अ, स दोनो

(275) ' वकषोष पषवैगु य' कसका ल ण है ?

(क) रस य (ख) वेद य (ग) कफ य (घ)


र य
(276) षड याकाल न न ल खत म से कस आचाय
का योगदान माना जाता है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(277) षड या काल का वणन सु ुत ने कस ाध


करण म कया है ?

(क) गु म (ख) अ तसार (ग) ण (घ) पा डु

(278) षड या काल म रोग का कारण है।

(क) सो ो (ख) वमाग गमन (ग) षरो थ


(घ) संग

(279) ‘ख वैगु य’ का कारण है ?

(क) दोष (ख) धातु (ग) मल (घ) नदान


(280) षड याकाल के कौनसे काल म ा ध के
पूव प कट हो जाते है।

(क) संचय (ख) कोप (ग) सर (घ) थानसं य

(281) ‘ वपरीत गुणै इ छाः’ - षड याकाल के कौनसे


काल का ल ण है।

(क) संचय (ख) कोप (ग) सर (घ) थानसं य

(282) ‘अ े ष, दयो लेश’ षड याकाल म कफ


क कौनसी अव था के ल ण है।

(क) संचय (ख) कोप (ग) सर (घ) थानसं य

(283) षड याकाल के कौनसे काल म ‘दोष- य


स मू छना’ पूण हो जाती है।
(क) थानासं य (ख) ाव था (ग) भेदाव था
(घ) उपयु कोई नह

(284) को तोद संचरण ल ण है।

(क) संचय का (ख) कोप का (ग) सर का (घ)


इनम म कोई नह

(285) कोपाव था म दोष कहॉ रहते है।

(क) व थान पर (ख) अपने थान से ऊपर (ग)


आमाषय (घ) इनम म कोई नह

(286) कु पत दोष का सरो र संग कस कारण से


होता है ?

(क) अ त वृ (ख) वायु (ग) वमाग गमन (घ) ख


वैगु य

(287) ‘ दोष काल’ म कौनसे दोष का कोप होता है ?


(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(288) ‘ यूषा काल’ म कौनसे दोष का कोप होता


है ?

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(289) चरकनुसार मनु य शरीर का माण होता है

(क) 84 अंगल
ु पव (ख) 84 अंगल
ु (ग) 120 अंगल

(घ) 3) वह त

(290) अ ांग सं हकार मनु य शरीर का माण होता है

(क) 84 अंगल
ु पव (ख) 84 अंगल
ु (ग) 120 अंगल

(घ) 3) वह त

(291) चरक सं हता म अ न के भेद का वणन कस


अ याय म है।
(क) अ पान व ध (ख) रोगा नक वमान (ग)
दोष वमान (घ) हणी च क सा

(292) न खलु प तरेकाद योऽ न पल यते


आ नेय वात् प े। - कस आचाय का कथन ह ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) भेल

(293) वध अ न - 1. ाना न 2. दषना न 3.


को ा न - का वणन कस थ म है ?

(क) हारीत सं हता (ख) गभ प नषद् (ग) अ ांग


दय (घ) अ ांग सं ह

(294) प दोष से अ भभूत अ न होती है।

(क) वषमा न (ख) ती णा न (ग) म दा न (घ)


समा न
(295) चरकानुसार ’म य को ’ कस दोष के कारण
होता है ?

(क) कफ (ख) प (ग) सवदोष (घ) अ, स दोन

(296) सु ुतानुसार ’ ू र को ’ कस दोष के कारण


होता है ?

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) वात, कफ

(297) रसशेषाजीण क च क सा म ‘ दन म सोना’


कस आचाय ने बताया है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) वा भ

(298) ‘ दनपाक अजीण’ का वणन कस आचाय ने


कया है ?

(क) माधव (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शांर धर


(299) धातु व धा वा न एवं जठरा न व धा वा न के
स ब धो का वणन मलता है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) अ ांग दय (घ) अ ांग


सं ह

(300) आहार पाचक अ न है ?

(क) जठरा न (ख) धातवा न (ग) दोषा न (घ)


भूता न

(301) आहारगुण पाचक अ न है ?

(क) जठरा न (ख) धातवा न (ग) दोषा न (घ)


भूता न

(302) आहार पाक म अ लपाक अव था कहॉ स प


होती है।
(क) हणी (ख) आमाशय (ग) प वाशय (घ) अ, स
दोन म

(303) अ छ प का उ लेख कस आचाय ने कया


है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) शारं धर

(304) आहार प रणामकर भाव नह है ?

(क) वायु (ख) अ न (ग) कफ (घ) काल

(305) वद धजीण क च क सा है ?

(क) वमन (ख) वेदन (ग) लंघन (घ) दन म सोना

(306) आमाजीण क च क सा है ?

(क) वमन (ख) वेदन (ग) लंघन (घ) दन म सोना

(307) का यप अनुसार रसषेषाजीण क च क सा है ?


(क) वमन (ख) वेदन (ग) प रशोषण (घ) दन म
सोना

(308) ‘ ाकृत अजीण’ का वणन कस आचाय ने कया


है ?

(क) माधव (ख) का यप (ग) वा भ (घ) शांर धर

(309) ‘ े माजीण’ का वणन कस आचाय ने कया


है ?

(क) माधव (ख) का यप (ग) वा भ (घ) शांर धर

(310) कौनसी अ न े होती है ?

(क) जठरा न (ख) धातवा न (ग) दोषा न (घ)


भूता न

(311) ारकानाथ के अनुसार भूता न का थान है।


(क) यकृत (ख) अ नाषय (ग) आमाषय (घ)
प ाषय

(312) कु के 4 भाग का उ लेख कस आचाय ने


कया है।

(क) चरक (ख) वा भ (ग) का यप (घ) ब, स दोन


ने

(313) ‘स ताहार क पना’ का वणन कस थ म है।

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत सं हता (ग) अ ांग


सं ह (घ) अ ांग दय

(314) चरको ‘अ वध आहार वशेषायतन’ म


षा मल नह है।

(क) उपयोग सं था (ख) उपयो ा (ग) उपभो ा


(घ) उपयु सभी
(315) सव ह और प र ह - कसके भेद है।

(क) मा ा (ख) रा ष (ग) हरोग (घ) उपयु कोई


नह

(316) ‘ न यग’ के संदभ म न न ल खत म से कौनसा


कथन सही ह ?

(क) ‘ न यग’ आयु का पयाय है (ख) ‘ न यग’ काल


का भेद है (ग) दोन (घ) उपरो म से कोई नह

(317) चरकानुसार कौनसा काल ‘ऋतुसा य’ क


अपे ा रखता है

(क) न यग (ख) आव थक (ग) वतमान (घ)


भूतकाल

(318) आहार उपयोग करने के नयम कसके अंतगत


आते है।
(क) उपयोग सं था (ख) उपयो ा (ग)
उपयोग व था (घ) उपरो कोई नह

(319) चरकानुसार ‘ओकसा य’ कसके अधीन रहता


है।

(क) उपयोग सं था (ख) उपयो ा (ग)


उपयोग व था (घ) उपभो ा

(320) ‘अ वध आहार वशेषायतन’ का सव थम वणन


कस आचाय ने कया है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(321) ‘अ वध परी ा’ कस आचाय का अवदान है।

(क) योग र नाकर (ख) च पा ण (ग) शारं धर (घ)


ड हण

(322) ‘अ वध परी ा’ म शा मल नह है।


(क) श द परी ा (ख) पष परी ा (ग) गंध परी ा
(घ) आकृ त परी ा

(323) ‘तैल ब मू परी ा’ का वणन कस आचाय ने


कया है।

(क) योग र नाकर (ख) च पा ण (ग) शारं धर (घ)


ड हण

(324) मू म तैल ब डालते ही न फैलकर एक थान


पर थर रहे तब वह रोग होगा ?

(क) सा य रोग (ख) क सा य रोग (ग) या य रोग


(घ) असा य रोग

(325) मू म तैल ब डालते ही तैल ब डालते ही


फैल जाये तब वह रोग होगा ?
(क) सा य रोग (ख) क सा य रोग (ग) या य रोग
(घ) असा य रोग

(326) मू म तैल ब डालते ही ईशान कोण म तैल


ब फैल जाए तब वह रोग का प रणाम या होगा ?

(क) जीवन 1 माह केवल (ख) न त प से


आरो य (ग) मृ यु न त है (घ) असा य रोग है।

(327) मू म तैल ब डालते ही उ र दषा म तैल


ब फैल जाए तब वह रोग का प रणाम या होगा ?

(क) जीवन 1 माह केवल (ख) न त प से


आरो य (ग) मृ यु न त है (घ) असा य रोग है।

(328) मू परी ा म य द तैल ब का आकार सप


स य बने तो उसी रोगी कस दोषज वकार से त
है ?
(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(329) मू परी ा म य द तैल ब का आकार छ


स य बने तो उसी रोगी कस दोषज वकार से त
है ?

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(330) मू परी ा म य द तैल ब का आकार मु ा


स य बने तो तब रोगी कस दोषज वकार से त है ?

(क) वात (ख) प (ग) कफ (घ) दोष

(331) मू म तैल ब क आकृ त मनु य स य दखे


तब रोगी म कौनसा दोष होता है ?

(क) कुल दोष (ख) ेत दोष (ग) भूत दोष (घ)


दोष
(332) नाडी परी ा का सव थम वणन कस आचाय ने
कया है।

(क) कणाद ने (ख) रावण ने (ग) शारं धर ने (घ)


गंगाधर ने

(333) ‘नाडी व ानम्’ नामक थ के रचे यता है।

(क) कणाद (ख) रावण (ग) शारं धर (घ) गंगाधर

(334) शागंधर सं हता के कौनसे ख ड म नाडी परी ा


का वणन दे खने को मलता ह।

(क) पूव ख ड (ख) म य ख ड (ग) उ र ख ड


(घ) कोई नह

(335) नाडी परी ा का सही काल है।


(क) ातः काल (ख) सायं काल (ग) म य काल (घ)
रा म

(336) सप, जलौका सम - नाडी क ग त होती है।

(क) वात दोष म (ख) प दोष म (ग) कफ दोष म


(घ) सव दोष म

(337) कु लग, काक, म डू क सम - नाडी क ग त होती


है।

(क) वात दोष म (ख) प दोष म (ग) कफ दोष म


(घ) सव दोष म

(338) हंस, पारावत सम - नाडी क ग त होती है।

(क) वात दोष म (ख) प दोष म (ग) कफ दोष म


(घ) सव दोष म
(339) लाव, त र, ब ख सम - नाडी क ग त कस
दोष के कारण होती है ?

(क) वात दोष म (ख) प दोष म (ग) कफ दोष म


(घ) सव दोष म

(340) आमदोष म नाडी क ग त कैसी होती है।

(क) गरीयसी (ख) को णा गुव (ग) सो ा, वेगवती


(घ) म दतरा

(341) वा भ ानुसार कौनसी कृ त न दनीय है।

(क) वातज (ख) ज (ग) कफज (घ) सम

(342) ’रोषण’ कस कृ त के पु ष का ल ण है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम

(343) ’द तषूका’ कस कृ त के पु ष का ल ण है।


(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम

(344) ' भूताशनापाना' कस कृ त के पु ष का


ल ण है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम

(345) ’प र न चतवा यपदः’ कस कृ त के पु ष का


ल ण है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम

(346) ’ ोधी’ कस कृ त के पु ष का ल ण है ?

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम

(347) ’सदा थता यग त’ कस कृ त के पु ष का


ल ण है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम


(348) ’र ा तने ः’ कस कृ त के पु ष का ल ण
है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम

(349) मानस कृ त क सं या 18 कस आचाय ने


बतलायी है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) का यप (घ) च पा ण

(350) ’आदे य वा यं’ कस सा वक कृ त के पु ष


का ल ण है।

(क) स व (ख) ऐ स व (ग) आष स व (घ)


या य स व

(351) ’अस हाय’ कस सा वक कृ त के पु ष का


ल ण है।
(क) स व (ख) ऐ स व (ग) आष स व (घ)
या य स व

(352) ’अनुब धकोपं’ कस राजस कृ त के पु ष का


ल ण है।

(क) आसुर स व (ख) रा स स व (ग) ेत स व (घ)


पशाच स व

(353) ’महाशन’ कस राजस कृ त के पु ष का


ल ण है।

(क) आसुर स व (ख) रा स स व (ग) ेत स व (घ)


पशाच स व

(354) ’आहारलु धः’ कस तामस कृ त के पु ष का


ल ण है।
(क) पाशव स व (ख) मा य स व (ग) वान प य
स व (घ) कोई नह

(355) सु ुतानुसार ’पग य’ न न म से कस मानस


कृ त के पु ष का ल ण है।

(क) ा काय (ख) गा धव काय (ग) वा ण काय


(घ) या य काय

(356) सु ुतानुसार ’ती णमायासब लं’ न न म से


कस मानस कृ त के पु ष का ल ण है।

(क) ेत काय (ख) पषाच काय (ग) सप काय (घ)


आसुर काय

(357) ’सततं शा बु ता’ कस सा वक कृ त के


पु ष का ल ण है।
(क) ा काय (ख) ऐ काय (ग) आष काय (घ)
या य काय

(358) ’अलसं केवलम भ न व म् आहारे’ - कस


तामस कृ त के पु ष का ल ण है।

(क) पाशव स व (ख) मा य स व (ग) वान प य


स व (घ) इनम से कोई नह

(359) कौनसी कृ त े होती है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम

(360) कौनसी कृ त उ म होती है।

(क) वातज (ख) प ज (ग) कफज (घ) सम

(361) 'महत्' कसका पयाय है।


(क) वायु का (ख) मन का (ग) दय का (घ) आ मा
का

(362) सु ुतानुसार दय का माण होता है।

(क) वपा णतल कु चत सं मता ण (ख) 4 अंगल



(ग) 2 अंगल
ु (घ) आ मपा णतल

(363) पु डरीकेण स षं है।

(क) दय (ख) मूधा (ग) ब त (घ) ना भ

(364) आचाय सु ुत मतानुसार ‘उर यामाशय ारं’


योग कया गया है।

(क) दय मम के लए (ख) ना भ मम के लए (ग)


अपलाप मम के लए (घ) तनमूल के लए

(365) शांर धर के अनुसार ाण वायु का थान होता


है।
(क) दय (ख) मूधा (ग) उरः (घ) ना भ

(366) ‘ सन या’ का वणन कस आचाय ने कया


है।

(क) योग र नाकर (ख) च पा ण (ग) शारं धर (घ)


ड हण

(367) ’रस का संवहन’ कौनसी वायु ारा होता है।

(क) ाण वायु (ख) उदान वायु (ग) ान वायु (घ)


समान वायु

(368) ’ वेद का व ावण’ कौनसी वायु ारा होता है।

(क) ाण वायु (ख) उदान वायु (ग) ान वायु (घ)


समान वायु

(369) सु ुतानुसार ‘मलाधार’ कसका पयाय है।


(क) प वाषय (ख) गुद (ग) ब त (घ) शरीर

(370) दोष हेतु ‘सवरोगाणां एककरणम्’ कसका


कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) माधव

(371) षडच का वणन न न म से कौनसे थ म है।

(क) चरक सं हता (ख) सु ुत सं हता (ग) गोरख


सं हता (घ) हारीत सं हता

(372) अनाहत च म दल क सं या होती है।

(क) 4 (ख) 6 (ग) 10 (घ) 12

(373) म णपुर च मलता है।

(क) दय म (ख) क ठ म (ग) ना भ म (घ) गुदा म

(374) ाचीनतम ना डय म समा व ह ?


(क) ाची (ख) उद ची (ग) सर वती (घ) इ ा

(375) ाचीन त शरीर म व णत है ?

(क) षटच (ख) स तच (ग) अ च (घ) इनम


से कोई नह

(376) योगषा म वा ध ान च को कस वण का
माना गया है ?

(क) र वण (ख) पीत वण (ग) ेत वण (घ) नील


वण

(377) दवा व ज य वकार है।

(क) हलीमक (ख) गु गा ता (ग) इ य वकार


(घ) उपयु सभी

(378) ‘यदा तू मन स ला ते कमा मानः लमा वताः।


वषये यो नवत ते तदा ..... मानवः।
(क) न ा भव त (ख) व प त (ग) वपनः (घ) न ा

(379) चरकानुसार ी म ऋतु को छोड़कर अ य ऋतु


म दवा व से कसका कोप होता है।

(क) कफ (ख) कफ प (ग) दोष (घ) वात

(380) कौनसी न ा ा ध को न द नह करती है।

(क) े मसमु वा (ख) मनःशरीर मस भवा (ग)


आग तुक (घ) तमोभवा

(381) चरकानुसार अ त न ा क च क सा म न न म
से कसका नदष कया है।

(क) र मो ण (ख) षरो वरेचन (ग) काय वरेचन


(घ) उपयु सभी

(382) रा ौ जागरण ं न धं वपनं दवा। अ ं


अन भ य द .....।
(क) जारण (ख) वासीनं चला यतम् (ग) भु वा
च दवा व ं (घ) सम न ा

(383) रस न म मेव थौ यं का य च। - कस आचाय


का कथन है।

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) वा भ (घ) का यप

(384) ‘अनवबो धनी’ कौनसी न ा को कहा गया है।

(क) वै णवी (ख) वैका रक (ग) तामसी (घ)


उपरो म से कोई नह

(385) भाव काष के अनुसार दवा व का काल है।

(क) 1 मू त (ख) 1 हर (ग) अ हर (घ) 2


मू त

(386) सामा य न ाकाल है।


(क) 4 मू त (ख) 2 याम (ग) 4 याम (घ) 2-3 याम

(387) तुरीयाव था का संबध कससे है -

(क) न ा से (ख) मन से (ग) आ मा से (घ) ब, स


दोन से

(388) आयुवदानुसार धमनी का ल ण है।

(क) दगा मनी (ख) मानात् धम यः (ग) सरणात्


धम यः (घ) शु र वा हनी

(389) कस सं हता म ' ोतसामेव समुदाय पु षः’


बताया गया है।

(क) चरक सं हता (ख) का यप सं हता (ग) शारं धर


सं हता (घ) योग र नाकर

(390) शागंधर के अनुसार ’ - य’ कस आयु म


होता है ।
(क) 60 वष (ख) 70 वष (ग) 80 वष (घ) 90 वष

(391) शागंधर के अनुसार ’बु - य’ कस आयु म


होता है।

(क) 60 वष (ख) 70 वष (ग) 80 वष (घ) 90 वष

(392) चरकानुसार व के भेद होते है।

(क) 4 (ख) 5 (ग) 7 (घ) 8

(393) चरकानुसार व का भेद नह है।

(क) (ख) ुत (ग) दोषज (घ) दवा व

(394) चरकानुसार कौनसा व न फल है।

(क) ा थत (ख) क पत (ग) अनुभूत (घ) उपयु


सभी
(395) चरकानुसार ‘शुभ और अशुभ’ फल को दे ने
वाला व है।

(क) दोषज (ख) भा वक (ग) दोन (घ) उपयु


कोई नह

(396) का यपानुसार फलदायी व के भेद होते है।

(क) 6 (ख) 5 (ग) 7 (घ) 10

(397) दोष सा याव था म कसक तरह वहार करते


है ?

(क) दोष (ख) धातु (ग) मल (घ) इनमे से कोई नह

(398) लोम को पपासा का मूल कसने है ?

(क) चरक (ख) सु ुत (ग) शारं धर (घ) माधव


(399) सु ुतानुसार 'कृ ण’ वण क वण प म कौन
से महाभूत सहायक होते है।

(क) तेज + पृ वी (ख) तेज, पृ वी, वायु (ग) तेज +


जल (घ) तेज, पृ वी, आकाश

(340) चरकानुसार 'कृ ण’ वण क वण प म कौनसे


महाभूत सहायक होते है।

(क) तेज + पृ वी (ख) तेज, पृ वी, वायु (ग) तेज +


जल (घ) तेज, पृ वी, आकाश

उ रमाला
1. क 21. ख 41. ग 61. ग 81. घ

2. घ 22. ख 42. ख 62. ख 82. क

3. ग 23. ख 43. ग 63. क 83. ख

4. घ 24. ख 44. ख 64. ग 84. ग

5. घ 25. घ 45. घ 65. ग 85. ग

6. ग 26. ग 46. ग 66. ख 86. क

7. घ 27. ख 47. ग 67. घ 87. ग

8. ख 28. ग 48. ख 68. घ 88. ग

9. ग 29. ग 49. ग 69. ग 89. घ

10. घ 30. ग 50. क 70. ग 90. क

11. क 31. क 51. घ 71. क 91. घ

12. ग 32. ग 52. घ 72. ग 92. ख

13. ग 33. ग 53. ख 73. ग 93. घ

14. ख 34. ख 54. ग 74. क 94. ग

15. ख 35. क 55. क 75. ख 95. ख

16. क 36. ख 56. ख 76. क 96. क

17. ख 37. ग 57. ग 77. घ 97. ग

18. क 38. ग 58. ग 78. ख 98. ग

19. ख 39. ग 59. ग 79. ग 99. ख

20. घ 40. ख 60. घ 80. ग 100. घ

101. ख 121. घ 141. ग 161. क 181. क

102. ग 122. ग 142. घ 162. क 182. घ

103. ग 123. ग 143. ख 163. ख 183. घ

104. ख 124. ख 144. क 164. ग 184. घ

105. क 125. क 145. क 165. घ 185. क

106. क 126. ख 146. ख 166. ग 186. घ

107. घ 127. घ 147. ख 167. ग 187. क

108. घ 128. ख 148. ख 168. क 188. ग

109. घ 129. ग 149. ग 169. ख 189. ख


110. ख 130. घ 150. घ 170. ख 190. ख

111. घ 131. घ 151. क 171. क 191. घ

112. घ 132. ख 152. क 172. ग 192. ख

113. घ 133. घ 153. ख 173. ख 193. ख

114. घ 134. क 154. क 174. ख 194. क

115. ख 135. ख 155. ग 175. ख 195. ग

116. घ 136. क 156. क 176. घ 196. घ

117. ख 137. क 157. क 177. ग 197. क

118. क 138. ख 158. ख 178. क 198. ग

119. ख 139. क 159. ग 179. ख 199. ख

120. क 140. क 160. घ 180. ख 200. क

201. ख 221. ग 241. घ 261. क 281. क

202. घ 222. ख 242. घ 262. ग 282. ख

203. ख 223. घ 243. क 263. ख 283. ख

204. ख 224. घ 244. ग 264. ग 284. ख

205. ख 225. क 245. क 265. घ 285. ख

206. घ 226. क 246. ख 266. क 286. घ

207. ग 227. ग 247. ग 267. घ 287. क

208. ग 228. घ 248. क 268. ख 288. क

209. घ 229. घ 249. क 269. घ 289. क

210. घ 230. ग 250. ख 270. ग 290. ख

211. ग 231. ग 251. क 271. घ 291. ख

212. घ 232. ग 252. ख 272. घ 292. ख

213. घ 233. क 253. ग 273. घ 293. ख

214. ख 234. ख 254. घ 274. घ 294. ख

215. घ 235. ग 255. ग 275. ख 295. घ

216. क 236. क 256. घ 276. ख 296. घ

217. क 237. ग 257. ख 277. ग 297. ख

218. ग 238. ग 258. क 278. क 298. क


219. ग 239. क 259. घ 279. क 299. ग

220. घ 240. ख 260. ग 280. घ 300. क

301. घ 321. क 341. ख 361. ग 381. घ

302. क 322. ग 342. ख 362. क 382. ख

303. क 323. क 343. ख 363. क 383. ख

304. ग 324. ख 344. ख 364. क 384. ग

305. क 325. क 345. ग 365. घ 385. क

306. ग 326. क 346. क 366. ग 386. घ

307. ग 327. ख 347. ख 367. ग 387. ख

308. क 328. क 348. ग 368. ग 388. ख

309. ख 329. ख 349. ग 369. ग 389. क

310. क 330. ग 350. ख 370. ग 390. क

311. क 331. ग 351. घ 371. ग 391. घ

312. घ 332. ग 352. ख 372. घ 392. ग

313. ग 333. क 353. घ 373. ग 393. घ

314. ग 334. क 354. ख 374. ग 394. घ

315. ख 335. क 355. ग 375. क 395. ग

316. ग 336. क 356. ग 376. क 396. क

317. क 337. ख 357. ख 377. घ 397. ख

318. क 338. ग 358. ग 378. ख 398. ग

319. ख 339. घ 359. घ 379. ख 399. क

320. क 340. क 360. ग 380. घ 400. ख

"https://hi.wikibooks.org/w/index.php?
title=आयुवद_ ावली-०३&oldid=12425" से लया गया
Last edited ७ months ago by अनुनाद …

साम ी CC BY-SA 3.0 के अधीन है जब तक अलग से उ लेख


ना कया गया हो।

You might also like