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शश्री वल्लभ ससाखश्री

शश्री वल्लभ पद वन्ददों सदसा, सरस हहोत सब जसान ।


रससक रटत आननद सदों, करत ससुधसा रस पसान ॥१॥
और कछसु जसान्यहो नहह, बबनसा शश्री वल्लभ एक।
कर गबह कके छसानडके नहश्री, सजनककी ऐसश्री टकेक ॥२॥
शश्री वल्लभ वल्लभ रटत हहो, जहसा दकेखहो तहसान यकेह।
इनहह छसानड औरहश्री भजके , तहो जर जसावहो वह दकेह ॥३॥
दकेवश्री दकेव आरसासधकके , भभूल्यहो सब सनससार ।
शश्री वल्लभ नसाम ननौकसा बबनसा, कहहो कहो उतयर्यो पसार॥४॥
ऐसके प्रभसु क्यदों बबससाररयके , जसाककी ककपसा अपसार।
पल पल मम रटतके रहहो, शश्री वल्लभ नसाम उच्चसार ॥५॥
शश्री वल्लभ नसाम अगसाध हहै , जहसाहाँ तहसाहाँ तभू मत बहोल।
जब हररजन गसाहक बमलके , वसा आगके तभू खहोल॥६॥
शश्री वल्लभवर कहो छसानबड कके , और दकेव कहो धसाय ।
तसा मसुख पन्हहैयसा कभूबटयके , जब लग कभूटश्री जसाय॥७॥
शश्री वल्लभ वल्लभ रटत हहो, वल्लभ जश्रीवन प्रसाण ।
शश्रीवल्लभ कबहह न बबससाररहदों, महोबह मसात-बपतसा ककी आन॥८॥
मम इन चरन न छसानड हदों, शश्री वल्लभ वर व्रज ईश ॥
जहो लहो तन मम श्वसास हहै , तहो लहो चरन धरहो मम शश्रीश॥९॥
बहह त बदनसा भटकत बफियर्यो, कछसु नसा आयहो ससाथ।
शश्री वल्लभ ससुमयर्यो तबके , पयर्यो पदसारथ हसाथ ॥१०॥
बहके जसात भव ससनधसु मम , दहैवश्री सकषश्री अपसार।
बतन कहो करन उदसार प्रभसु , प्रकटके परम उदसार॥११॥
शश्री वल्लभ करुणसा करश्री, कसल मम सलयहो अवतसार ।
महसा पबतत उदसार कके , ककीनदों यश बवस्तसार॥१२॥
शश्री वल्लभ वल्लभ कहत हहो, वल्लभ बचतवन बहैन ।
शश्री वल्लभ छसानड औरहश्री भजके ,तहो फिभूट जसावहो दहोऊ नहैन॥१३॥
धभूर परहो वसा वदन मम , जसाकहो बचत्त नहह ठहोर।
शश्री वल्लभ वर कहो बबससाररकके , नयनन बनरखके और ॥१४॥
शरणसागबत जब लकेत हहै , करत बत्रिबवध ददुःसु ख दरभू ।
शहोक महोह तके कसाबढि कके , दकेत आननद भरपभूर ॥१५॥
यश हश्री फिकेल्यहो जगत मम , अधम उदसारण आय ।
बतनककी बवनतश्री करत हहो, चरन कमल बचत्त लसाय ॥१६॥
पबततन मम बवख्यसात हदों, महसापबतत मम नसाम ।
अब यसाचक हहोय जसाच हहो, शरणसागबत सब यसाम ॥१७॥
शश्री वल्लभ बवट्ठलनसाथ जसु , ससुमरहो एक घरश्री ।
तसाकके पसातक यदों जरके , ज्यदों अबग्नि मम लकरश्री ॥१८॥
धरणश्री अबत व्यसाकसुल भई, बवसध सदों करश्री पसुकसार।
शश्री वल्लभ अवतसार लके , तसायर्यो सब सनससार ॥१९॥
शश्री वल्लभ रसाजकसुमसार बबनसु , बमथ्यसा सब सनससार ।
चबढि कसागद ककी नसाव पर, कहहो कहो उतयर्यो पसार॥२०॥
कलयसुगनके सब धमर कके , दसार जसु रहोकके आय।
शश्री वल्लभ सखड़ककी प्रकेम ककी, बनकस जसाय सहो जसाय ॥२१॥
भगवद भगवदश्रीय एक हम , बतन सहो रसाखदों नकेह ।
भवससागर कके तरन ककी, नश्रीककी ननौकसा यकेह ॥२२॥
शश्री वल्लभ कल्पदसुम फिल्यहो, फिल लसाग्यहो बवट्ठलकेश ।
शसाखसा सब बसालक भयके , तसाकहो पसार न पसावत शकेष ॥२३॥
शश्री वल्लभ आवत मम ससुनके , कछसु बनयरके कछसु दरभू ।
इन पलकन सहो मगझसार हहो, व्रज गसलयन ककी धभूर ॥२४॥
ककपसा ससनधसु जल सहच कके , रसाख्यहो जश्रीवन मभूल ।
स्नकेह बबनसा मसुरझसात हहै , प्रकेम बसाग कके फिभूल ॥२५॥
जग मम बमलन अनभूप हहै , भगवबदयन कहो सनग।
बतनकके सनग प्रतसाप तम , हहोत श्यसाम सहो रन ग ॥२६॥
हरर जन आवके बसारनके , हहाँसश्री हहाँसश्री नसावके शश्रीश ।
उनकके मन ककी वके जसानके , मकेरके मन जगदश्रीश ॥२७॥
हरर बडके हरर जन बडके , बडके हम हरर कके दसास ।
हररजन सदों हरर पसावहह , जहो हम इन कके पसास॥२८॥
मन नग तसाकहो दश्रीसजयके , जहो प्रकेम पसारखश्री हहोय ।
नसातर रबहयके मनौन व्हके , कसाहके जश्रीवन खहोय ॥२९॥
प्रकेम पसारखश्री जहो बमलके , तसाकहो करर मनसुहसार ।
बतन सदों बप्रयसा प्रश्रीतम बमलके , सब ससुख दश्रीजके वसार ॥३०॥
रनचक दहोष नसा दकेसखयके , वके गसुन प्रकेम अमहोल ।
प्रकेम ससुहसागश्री जहो बमलके , तसासदों अनतर खहोल ॥३१॥
ससाधन करहो दृढि आसरहो, कसुल भजवहो फिल एक।
पलक पलक कके ऊपरके , वसारहो कल्प अनकेक ॥३२॥
शश्री वल्लभ जश्रीवन प्रसाण हम , नयनन रसाखहो घकेर ।
पलकन कके परदसा करहो, जसान न दकेहहो फिकेर॥३३॥
पभूरण ब्रह्म प्रकट भयके , शश्री लक्षमण भट्ट गकेह ।
बनजजन पर बरखत सदसा, शश्री व्रजपबत पद नकेह ॥३४॥
जसागत सहोवत स्वप्न मम , भहोर दहोस बनश ससानझ ।
शश्री वल्लभ व्रज ईश कके , चरण धरहो बहय मसाहाँझ॥३५॥
हसा हसा मसानहो कहत हहो, करर बगररधर सहो नकेह ।
बहह रर न ऐसश्री पसावहश्री , उत्तम मसानसुष दकेह॥३६॥
चतसुरसाई चभूल्हके परहो, जसानश्री कहो यम खसाऊन ।
जसा तन सहो सकेवसा नहह, सहो जडसामभूल सहो जसाऊन ॥३७॥
दकेखश्री दकेह ससुरगन यह, मबत भभूलके मन मसानबह ।
शश्री वल्लभ बबनसु और कहोऊ, तकेरहो सनगश्री नसाहश्री ॥३८॥
तकेरश्री ससासथन दकेह नहह , यसाकके रनग मत भभूल ।
अनत तभू हश्री पछतसायगहो, तसुरत बमलकेगश्री धभूल ॥३९॥
दकेहश्री दकेखश्री ससुरगन यह, मतश्री लडसावके लसाड़ ।
गबणकसा ककी सश्री बमत्रितसा, अनत हहोयगश्री भसानड ॥४०॥
दकेहश्री दकेख ससुरगन यह मत भभूलके तभू गवसार ।
हसाड़ मसानस ककी कहोटरश्री , भश्रीतर भरश्री भनगसार ॥४१॥
महसामसान मद चसातसुरश्री , गरवसाई और नकेह ।
यके पसाहाँचदों जब जसायमगके , तब मसानहो ससुख दकेह ॥४२॥
भवससागर कके तरन ककी, बडश्री अटपटश्री चसाल ।
शश्री बवट्ठलकेश प्रतसाप बल , उतरत हहै तत्कसाल ॥४३॥
मश्रीन रहत जल आसरके , बनकसत हश्री मर जसाय ।
त्यदों शश्री बवट्ठलनसाथ कके , चरण कमल बचत्त लसाय ॥४४॥
शश्री वल्लभ कहो कल्पदसुम, छसाय रहहो जग मसानबह ।
पसुरुषहोत्तम फिल दकेत हम , नकेक जहो बहैठदों छसानह ॥४५॥
चतसुरसाई सहोई भलश्री, जहो ककष्ण कथसा रस लश्रीन ।
परधन परमन हरन कहो, कबहए वहश्री प्रवश्रीन ॥४६॥
चतसुरसाई चभूल्हके परहो , जसानश्री कहो यम खसाऊ ।
दयसा भसाव हरर भबक्ति बबन , जसान परहो जरर जसाऊ ॥४७॥
शश्री वल्लभ ससुमयर्यो नहह, बहोसलयहो अटपटहो बहोल ।
तसाबक जननश्री बहोजन मरश्री, वकथसा बजसावके ढिहोल ॥४८॥
घर आवके वहैष्णव जबहह , दश्रीजके चसार रतन ।
आसन, जल, वसाणश्री मधसुर , यथसाशबक्ति सहो अन्न ॥४९॥
शश्री वल्लभ धश्रीरज धरके तके , कनसु जर मन भर खसाय ।
एक टभू क कके कसारणके , स्वसान बहह त घर जसाय ॥५०॥
रससक जन बहह नसा बमलके , ससनह यभूथ नबहन हहोय ।
बवरह बकेल जहसाहाँ तहसाहाँ नहह, घट घट प्रकेम न हहोय ॥५१॥
हररजन ककी हसाहाँसश्री करके , तसाबह सकल बवसध हसाबन ।
तसापर कहोपत व्रजपबत, ददुःसु ख कहो नबहन परमसान ॥५२॥
बछन उतरके बछन हश्री चढिके , बछन बछन आतसुर हहोय ।
बनश वसासर भश्रीज्यहो रहके , प्रकेमश्री कबहयके सहोय ॥५३॥
उर बबच गहोकसुल नयन जल , मसुख शश्री वल्लभ नसाम ।
अस तसादृशश्री कके सनग तम , हहोत सकल ससद कसाम ॥५४॥
बबनसु दकेखके आतसुर रहके , प्रकेम बसाग कहो फिभूल ।
बचत्त नसा मसानके तसाबह बबनसु , प्रकेम जहो सबकहो मभूल ॥५५॥
ककष्ण प्रकेम मसातहो रहके , घरके नसा कसाहह शनक ।
तश्रीन गसानठ कहोपश्रीन पके , बगनके इन्द कहो रनक ॥५६॥
शश्री वल्लभ वल्लभ जके कहके , रहत सदसा मन तहोष ।
तसाकके पसातक यहो जरके , ज्यदों सभूरज तके ओस ॥५७॥
शश्री वल्लभ शश्री वल्लभ भजके , सदसा सहोबहलहो हहोय ।
ददुःसु ख भसाजके , दसाररद्र्य टरके , बकेरश्री न गसाजके कहोय ॥५८॥
शश्री वल्लभ वर कहो छसानबड कके , भजके जहो भहैरव भभूत ।
अनत फिजश्रीतश्री हहोयगश्री, ज्यदों गबणकसा कहो पभूत ॥५९॥
वहैष्णव ककी झहोपडश्री भलश्री, और दकेव कहो गसाम ।
आग लगहो वसा ममड मम , जहसाहाँ न वल्लभ नसाम ॥६०॥
शश्री वल्लभ पर रुबच नहह , नसा वहैष्णव पर स्नकेह ।
तसाकहो जन्म वकथसा जसु त्यदों , ज्यदों फिसागसुन कहो मकेह ॥६१॥
महोमके बतल भर गसुण नबहन , तसुम हहो गसुणन कके जहसाज।
रश्रीझ बभूझ बचत्त रसासखयदों , बसाहाँह गहके ककी लसाज ॥६२॥
तश्रीन दकेव कके भजन तके , ससद हहोत नबहन कसाम ।
बत्रिमसायसा कहो प्रलय कर , हरर बमलवके हररनसाम ॥६३॥
ससुमरत जसाय कलकेश बमटके , शश्री वल्लभ बनज नसाम ।
लश्रीलसा लहर समसुद मम , भश्रीजहो आठदों यसाम ॥६४॥
बतनकके पद यसुग कमल ककी, चरण रकेणसु ससुखदसाय ।
बहय मम धसारण बकयके तके , सब बचन्तसा बमट जसाय ॥६५॥
शश्री वल्लभ कसुल बसालक सबके , सबहश्री एक स्वरूप ।
छहोटहो बडहो न जसाबनयहो, सबबह अबग्नि स्वरूप ॥६६॥
मन नग तसाकहो दश्रीसजयके , जहो प्रकेम पसारखश्री हहोय ।
नसातर रबहयके मनौन गबह , वकथसा न जश्रीवन खहोय ॥६७॥
मन पनछश्री तब लबग उड़के , बवषय वसासनसा मसानबह ।
प्रकेम बसाज ककी झपट मम , जब लग आयहो नसाबह ॥६८॥
शश्री वल्लभ मन कहो भसामतहो, महो मन रहहो समसाय ।
ज्यदों महमदश्री कके पसात मम , लसालश्री लखश्री न जसाय ॥६९॥
शश्री वल्लभ बवट्ठल रूप कहो, कहो करर सकके बवचसार ।
गभूढि भसाव यह स्वसाबमनश्री , प्रगट ककष्ण अवतसार ॥७०॥
शश्री वकनदसावन कके दरस तके , भयके जश्रीव अनसुकभूल ।
भवससागर अथसाह जल, उतरन कहो यह तभूल ॥७१॥
शश्री वकनदसावन बसाबनक बन्यहो, कनसु ज कनसु ज असल ककेसल ।
अरुझश्री श्यसाम तमसाल सदों , मसानहो कनचन वकेसल ॥७२॥
शश्री वकनदसावन कके वकक्षकहो , मरम न जसानके कहोय ।
एक पसात कहो ससुमर कके , आप चतसुभर सुज हहोय ॥७३॥
कहोबट पसाप बछन मम टरके , लकेबह वकनदसावन नसाम ।
तश्रीन लहोक पर गसासजयके , ससुखबनसध गहोकसुल गसाम ॥७४॥
नन्दननदन बशर रसाजहश्री , बरससानहो वकषभसान ।
दनौउ बमल ककीडसा करत हहै , इत गहोपश्री उत कसान्ह ॥७५॥
शश्री यमनसाजश्री सहो नकेह करर, यह नकेमश्री तभू लकेह ।
शश्री वल्लभ कके दसास बबनसु , औरन सहो तसज स्नकेह ॥७६॥
मन पनछश्री तन पसानख कर, उड़ जसाओ वह दकेश ।
शश्री गहोकसुल गसाम ससुहसावनहो, जहसान गहोकसुल चन्द नरकेश ॥७७॥
मबणन खबचत दहोऊ कभूल हम , सश्रीढश्री ससुभग नग हश्रीर ।
शश्री यमसुनसाजश्री हरर भसामतश्री , धरके ससुभग वपसु नश्रीर ॥७८॥
उभय कभूल बनज खनभ हहै , तरनग जसु सश्रीढश्री मसान ।
शश्री यमसुनसा जगत वहैकनसु ठ ककी, प्रगट नसहैनश्री जसान ॥७९॥
रतन खबचत कनचन महसा , शश्री वकदसावन ककी भभूबम ।
कल्पवकक्ष सके दसुम रहके , फिल फिभूलन करर झभूबम ॥८०॥
धन्य धन्य शश्री बगरररसाज जसु , हररदसासन मम रसाय ।
ससाबन्नध्य सकेवसा करत हहै , बल महोहन सजय भसाय ॥८१॥
कहोबट कटत अघ रटत तम , बमटत सकल जनजसाल ।
प्रगट भयके कसलकसाल मम , दकेव दमन ननदलसाल ॥८२॥
प्रनौढभसाव बगररवरधरन, शश्री नवनश्रीत दयसाल ।
शश्री मथसुरसानसाथ बनकनसु जपबत , शश्री बवट्ठलकेश ससुख ससाल ॥८३॥
शश्री दसारककेश तदभसाव मम , गहोकसुलकेश ब्रज भभूप ।
अदत
सु गहोकसुल चन्दमसा , मन्मथ महोहन रूप ॥८४॥
मसाट सलयके मसाखन सलयके , नभूपसुर बसाजके पसानय ।
नकत्यत नटवरलसाल जभू , मसुबदत यशहोदसा मसाय ॥८५॥
झभूलत पलनसा महोद मम , शश्री बसालककष्ण रसरसास ।
तहोरके शकट, रस बस बकयके , ब्रज यसुवबतन करर हसास ॥८६॥
शश्री बगररधर गहोबवन्द जभू , बसालककष्ण गहोकसुलकेश ।
रघसुपबत यदपसु बत घनश्यसाम जसु , प्रगटके ब्रह्म बवशकेष ॥८७॥
परम ससुखद अबभरसाम हहै , शश्री गहोकसुल ससुखधसाम ।
घसुटसुरुवन खकेलत बफिरत , शश्री कमलनयन घनश्यसाम ॥८८॥
गहोबवन्द घसाट ससुहसावनहो , छहोकर परम अनभूप ।
बहैठक वल्लभ दकेव ककी , बनजजन कहो फिल रूप ॥८९॥
बकेसल लतसा बहह भसानबत ककी, दसुमन रहश्री लपटसाय ।
मसानहो नसायक नसाबयकसा, बमलश्री मसान तसज आय ॥९०॥
ककेबक शसुक बपक दसुम चढिके , गसुनजत हहै बहह भसाय ।
रसास ककेसल कके आगमन , प्रमसुबदत मनगल गसाय ॥९१॥
गहोबप ओपश्री जगत मम , चसलकके उलटश्री रश्रीत ।
बतन कके पद वनदन बकयके , बढत ककष्ण सदों प्रश्रीत ॥९२॥
ठकसुरसानश्री घसाट ससुहसावनहो , छहोकर परम अनभूप ।
दसामहोदर दसास सकेवसा करके , जहो लसलतसा रस रूप ॥९३॥
ककष्णदसास ननददसास जभू , सभूर ससु परमसाननद ।
कनसु भन चतसुभर सुजदसास जसु , बछतस्वसामश्री गहोबवनद ॥९४॥
शश्री रसाधसामसाधहो परम धन, शसुक अरु व्यसास सलयहो घभूनट ।
यह धन खरचके घटत नहश्री, चहोर लकेत नसा लभूट ॥९५॥
शश्री वल्लभ रतन अमहोल हहै , चसुप कर दश्रीजके तसाल ।
गसाहक बमलके खहोसलयके , कभूनचश्री शब्द रससाल ॥९६॥
सबकहो बप्रय सबकहो ससुखद , हरर आबदक सब धसाम ।
व्रज लश्रीलसा सव स्फिभूरत हहै , शश्री वल्लभ ससुबमरत नसाम ॥९७॥
चसार वकेद कके पढके तके , जश्रीत्यहो जसाय न कहोय ।
पसुबषमसागर ससदसानत तके , बवजय जगत मम हहोय ॥९८॥
वकनदसावन ककी मसाधसुरश्री , बनत बनत ननौतन रनग ।
ककष्णदसास क्यदों पसाइयके , बबनसु रससकन कके सनग ॥९९॥
जहो गसावके सश्रीखके ससुनके , मन वच कमर समकेत ।
’रससकरसाय’ ससुबमरहो सदसा , मन वसानबछत फिल दकेत ॥१००॥

॥शश्री हरररसाय महसाप्रभसु रबचत शश्री वल्लभ ससाखश्री सनपभूणरम ॥

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