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दसववी ककक्षा

कके ललिए
व्यक्षाकरण प्र्श्ननोत्तर
१. ननिम्निललिखखित ववाक्य मम मॆं ररे खिवामॆंककित पददमॆं किवा पररचय ददीजजियरे -
(कि) वह अचवानिकि ददखिवाई दरे गयवा I

(खि) प्रगनत उत्ततीरर्ण हहो गयवा ।

(ग) वह घर गयवा ।

२. ननिदर शवानिनसवार किकीजजिए -


(कि) वह स्किकलि जिवातवा हम । कफ़िर किवाम पर जिवातवा हम । (एकि सरलि ववाक्य बनिवाइए)

(खि) रवात हनई ककिमॆं तन चवाचाँद निहदीमॆं ननिकिलिवा । (ववाक्य किवा प्रकिवार बतवाइए)

(ग) अध्यवापकि निन रजजिस्टर उठवायवा । वरे किकवा मन चलि ददयरे । (लमश्र ववाक्य मन बदललिए)

३. (कि) हवास्य रस किरे अवयववों पर प्रकिवाश डवाललिए ।

(खि) ननिम्निललिखखित मन किदनि सवा रस हम ?


आचाँसक किकी पवावनि गमॆंगवा
आचाँखिवों सरे बहकिर ननिकिलिदी ।
नियनिवों किरे पथ सरे पतीडवा
सररतवा-सती बहकिर ननिकिलिदी ।

४. ननिदर शवानिस
न वार ववाच्य-पररवतर्णनि ककिजितीए -
(कि) प्रञवा द्ववारवा किलि पत्र ललिखिवा जिवाएगवा । (कित्रव
नर्ण वाच्य)

(खि) गलमर्णयवों मन खिब


क निहवातरे हम मॆं । (भवावववाच्य)

(ग) लिड़किवा पत्र ललिखितवा हम । (किमर्णववाच्य)

(घ) अमनि सरे पनस्तकि पढ़दी जिवाएगती । (कित्रव


नर्ण वाच्य)
दसववी ककक्षा
व्यक्षाकरण

१. ननिदर शवानिनसवार बदललिए -


(कि) गलिदी मन शहोर हनआ । लिहोग बवाहर ननिकिलि आए । (लमश्र ववाक्य बनिवाइए)

(खि) मम मॆं गवातवा हकचाँ । लिहोग प्रसन्नि निहदीमॆं हहोतरे । (एकि समॆंयनक्त ववाक्य बनिवाइए)

(ग) वह दघ
न ट्
र्ण निवाग्रस्त हहोनिरे किरे किवारर आ नि सकिवा । (दहो सरलि ववाक्य बनिवाइए)

२. ननिम्निललिखखित ववाक्य मन ररे खिवामॆंककित पदवों किवा पररचय ददीजजिए -


(कि) गनरूजिती निरे हमन पढ़वायवा ।

(खि) आभवा खिरेलि रहदी हम ।

(ग) हमनिरे तवाजिमहलि दरे खिवा ।

३. (कि) किरूर रस किरे अवयववों पर प्रकिवाश डवाललिए ।

(खि) वतीर रस किवा स्थवायती भवाव किदनि-सवा हम ?

४. ननिदर शवानिनसवार ववाच्य पररवतर्णनि किकीजजिए -


(कि) सववतवा सरे दध
क निहदीमॆं पतीयवा जिवा रहवा हम । (कित्रव
नर्ण वाच्य)

(खि) मम मॆं सनबह पवानि खिवातवा हकचाँ । (किमर्णववाच्य)

(ग) गलमर्णयवों मन लिहोग खिकब निहवातरे हम मॆं । (भवावववाच्य)

(घ) उससरे सहोयवा निहदीमॆं जिवातवा । (कित्रव


नर्ण वाच्य)

निवाम:

किकवा:

दसववीव ककक्षा कके ललिए व्यक्षाकरण


१. ररे खिवामॆंककित पदवों किवा पररचय किकीजजिए -
(कि) वह बहनत तरेज़ हचाँ सवा ।

(खि) दहमरेश बवाज़वार गयवा ।

(ग) मवालिवा बहनत तरेज़ भवागतती हम ।

२. (कि) हमन नि तहो स्किकलि खिहोलिनिरे हम ,मॆं नि किकॉलिरेजि । (ववाक्य किवा प्रकिवार बतवाइए)

(खि) वह भवागवा । उसरे बस निहदीमॆं लमलिदी । (समॆंयनक्त ववाक्य बनिवाइए)

(ग) रहदीम निरे ककि प्ररेम बनिवाए रखिहो । (आशश्रत उपववाक्य छवाचाँदटए)

३. (कि) श्रमॆंग
श वार रस किवा लिकर दरे तरे हनए एकि उदवाहरर ददीजजिए ।

(खि) ननिम्निललिखखित मन किदनि-सवा रस व्यक्त हनआ हम ?


तनिकिर भवालिवा यकचाँ बहोलि उठवा -
रवारवा मनझकिहो ववश्रवाम नि दरे ।

४. ननिदर शवानिनसवार ववाच्य-पररवतर्णनि किकीजजिए -


(कि) मझ
न सरे पत्र निहदीमॆं ललिखिवा गयवा । (कितव
र्ण श वाच्य)

(खि) बच्चरे शवामॆंत निहदीमॆं रह सकितरे । (भवावववाच्य)

(ग) निवानिती किवाहवानिती सननिवाएगती । (किमर्णववाच्य)

(घ) लिड़किवा पत्र ललिखितवा थवा । (किमर्णववाच्य)


निवाम:

किकवा:

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