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सृजनात्मक अनुवाद

मैं ससर्फ़ सासित्य का अनुवाद करता हूं . इसकी वजि यि िै सक मुझे और सकसी प्रकार
का अनुवाद निीूं आता, और सासित्यत्यक अनुवाद में भाषा के ज्ञान से किीूं ज़्यादा
अनुवादक की सृजनात्मकता ज़रूरी िोती िै . अगर मूल रचनाओूं में (मेरी अपनी और
अनुसदत िोने वाली रचनाओूं में) ऐसी सृजनात्मकता का अभाव िो, सिर ऐसे अनुवाद की
ज़रूरत और बढ़ जाती िै . इन्ीूं सब बातोूं का ख़्याल रखते हुए मैंने सासित्यत्यक अनुवादक
का पेशा अपनाया िै .

दू सरी बात यि िै सक मैं कभी भी अूंग्रेज़ी सासित्य का अनुवाद निीूं करता हूं . अनुवाद
अूंग्रेज़ी से िी करता हूं , लेसकन उन भाषाओूं के सासित्य का, सजनके बारे में मेरी समझ
िो और सजनकी भाषा का मुझे सम्यक ज्ञान िो. इसके सलये मुझे ऐसी भाषायें सीखनी
पड़ती िैं . मैं सकसी सरकारी अनुदान की यात्रा या ऐसे दे शोूं के दू तावासोूं की साूं ध्य
यात्राओूं के माध्यम से इन भाषाओूं का ज्ञान प्राप्त करने की कोसशश करता हूं .

इसके अलावा मैं सृजनात्मकता पर सवशेष रूप से ज़ोर दे ता हूं . यि रचना के रूप और
उसकी कथावस्तु – दोनोूं पर लागु िोता िै . मसलन गासिएल गासस़या माकेज़ के उपन्यास
सौ वषों के एकाकीपन का मैंने छूं दोूं में काव्यानु वाद सकया िै . उसके नायक का चररत्र मैंने
रामचररत मानस के राम की तज़़ पर तैयार सकया िै . अर्फसोस की बात यि िै सक स्पेनी
भाषा के कई दे श िोने के कारण अभी तक सकसी दे श का साूं स्कृसतक सवभाग इसे अनुदान
दे ने के सलये तैयार निीूं हुआ िै , और यि रचना अप्रकासशत िै .

लेसकन इस अनुवाद से मुझे मूल्यवान अनुभव प्राप्त हुए. पिली बात यि िै सक अब मैं
सकसी ऐसी भाषा के सासित्य का अनुवाद निीूं करता हूं , जो कई दे शोूं में बोली जाती िो.
इसी वजि से मैं स्पेनी के अलावा अरबी, फ़्ाूं सीसी, पूंजाबी या जम़न सासित्य का अनुवाद
निीूं करता हूं . इसके अलावा मैं अब पिले अनुदान की व्यवस्था करता हूं , सिर अनुवाद
में जुट जाता हूं . ससर्फ़ ऐसी पुस्तकोूं का अनुवाद करता हूं , सजनके अूंग्रेज़ी अनुवाद आ तो
चुके िैं , लेसकन प्रससद्ध निीूं िो पाये िैं . इस ससलससले में खासकर क्लाससकीय सासित्य
बहुत काम के सासबत िोते िैं .

मसलन ससब़या का राष्ट्रीय काव्य सपूंटोमेस्कॉट, सजसका अनुवाद मैंने सिूं दी में ‚काला सदल
वाला‘ नाम से सकया िै . यि दरअसल सूंयोग की बात थी. मुझे एकबार ससब़या के राष्ट्रीय
सदवस के अवसर पर दू तावास की पाटी में सनमूंत्रण समला. बाद में पता चला सक वि
सनमूंत्रण उज्ज्वल चतुवेदी के सलये था, भूल से मेरे पास आ गया. बिरिाल, पाटी में
पहुूं चने के बाद मैंने सबसे पिले ररसेप्शन पर अपना काऱ् सदखाते हुए दू तावास की
तासलका में सूं शोधन करवाकर चतुवेदी के बदले भट्टाचाय़ सलखवाया. उसके बाद मुझे
सनयसमत रूप से कॉकटे ल पाटी का सनमूंत्रण समलता रिा, और सब़ भाषा के कुछ शब्द
सीखकर मैंने दू तावास के असधकाररयोूं पर अच्छा-खासा दबदबा बना सलया. मौका समलते
िी मैंने उन्ें यि भी बता सदया सक मैं ससब़या के पड़ोसी दे श बेत्यियम की यात्रा भी कर
चुका हूं .

इसके बाद का रास्ता कार्फी सरल था. मैंने दू तावास के सूंस्कृसत ससचव को उनकी पत्नी
के सलये एक बनारसी साड़ी भेंट की और उन्ें बनारसी साड़ी के इसतिास के बारे में
सवस्तार से बताया. बनारसी साड़ी से सपूंटोमेस्कॉट तक का रास्ता कार्फी सरल था. मुझे
अपनी सृजनात्मकता का भी उपयोग करना पड़ा. चूूंसक यि एक गड़े ररयोूं का मिाकाव्य
था, इससलये मैंने एक उपन्यास के रूप में इसका अनुवाद करने का र्फैसला सकया. नायक
के चररत्र को मैंने ओथेलो और सुग्रीव की तज़़ पर गड़ा, और इसीसलये इसका नाम ‚काला
सदल वाला‘ रखा गया. अनुवाद िो गया, सकताब मेरे एक समत्र प्रकाशक ने छाप दी, सब़
सासित्य को अूं तरा़ ष्ट्रीय रूप से प्रसतसित करने की एवज़ के रूप में सूं स्कृसत ससचव की
पदोन्नसत भी िो गई. दो बार पुस्तक का सवमोचन हुआ : सदल्ली में सब़ दू तावास में और
बेलग्रेर् के सवश्वसवद्यालय के जम़न सवभाग में (क्ोूंसक उसी सवभाग में सवमोचन के र्फूंर् में
पैसे बचे थे ). मुझे दो बार ससब़या यात्रा का अवसर समला.

अब मैं मोनाको के सासित्य का अनुवाद करना चािता हूं . सुना िै , विाूं बड़ी मस्ती िै .
लेसकन यि दे श किाूं िै ? विाूं कौन सी भाषा बोली जाती िै ? क्ा उनका भी कोई
राष्ट्रीय मिाकाव्य िै ? उनका दू तावास किाूं िै ? उनकी कॉकटे ल पासट़ योूं में कैसे सनमूंत्रण
समल सकता िै ? उनके सूंस्कृसत ससचव की पसूंद कैसी िै ? क्ा कोई पाठक समत्र इस
बारे में उपयोगी सूचनायें दे सकता िै ? मदद कर सकता िै ? अनुवाद का काम मैं सूंभाल
लूूंगा. सृजनात्मक अनुवाद िोगा.

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