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प्र.2 भक्तिन का दु भाणग्य भी कम हठी नही था, लेक्तखका ने ऐसा क्य कहा है ?
- बालवििाह
-पवत की मृत्यु
बाजार दशणन
प्र.1 बाजारुपन से क्या तात्पयण है ? हम इसे कैसे बढािा दे ते है? बाज़ार की साथणकता
वकस में है।
1. मनुष्य क पता चलता है की फैंसी चीजें बहुतायत आराम में मदद नही ं दे ती बक्ति
खलल ही डालती है।
2. बजट खराब ह जाता है। मन पछतािे से भर जाता है।
उ. भारत में गंगा नदी क विशेष सम्मान प्राप्त है। उसे माुँ और दे िी का दजाण
वदया जाता है। हर शुभ कायण में गंगाजल का प्रय ग वकया जाता है।इसवलए
इं दरसेना गंगा मैया की जय ब लती है।
प्र.2 काले मेघा पानी दे पाठ में लेखक ने दे शिावसय ं की वकस मानवसकता की
ओर संकेत वकया है ?
या
पहलिान की ढ लक
प्र.1 लुट्टन के जीिन में कौन-कौन से पररितणन आए?
या
ढ लक की आिाज़ पूरे गाुँि में संजीिनी शक्ति का संचार कैसे करती थी?
या
उ. चाली एक दू सरे दजे की स्टे ज अवभनेत्ी वजसे पवत ने छ ड वदया के बेटे थे।
भयंकर गरीबी और माुँ के पागलपन से संघषण करना सीखा।पूुँजीिाद तथा
सामंतसाही से मगरूर समाज का वतरस्कार सहन वकया।इसी कारर् चाली क ज
जीिन-मूल्य वमले , िे जीिन के अंत तक उनमें बने रहे।िह बताता है वक राजा भी
उतना ही नंगा है वजतनामैं हुँ ।उसने विषम पररक्तस्थवतय ं में भी वहम्मत से काम वलया
।
उ. चाली पविम का महान कलाकार था वजसने हास्य मूक वफल्में बनाईं। भारत में
राजकपूर ने आिारा,श्री 420 वफल्में उनके अनुकरर् पर बनाई वजसमें अवभनेता स्वयं
पर हुँसता है।इसके बाद अन्य कलाकार ं ने इसका अनुकरर् वकया।गाुँधी ि नेहरू
चालीकीइस कला पर मुग्ध थे। िे भी उसकी तरह अपने पर हुँसते थे।
उ. चाली की वफल्में बच्चे बूढे ,जिान सबमें ल कवप्रय है। पागलखाने के मरीज से
लेकर आइं स्टाइन जैसे प्रवतभाशाली व्यक्ति भी उसकी वफल्म ं का आनंद उठाते हैं ।
इनक हर दशणक दे खता है।िह वकसीभी संस्कृवत क विदे शीनही ं लगता ।
नमक
प्र.1 नमक कहानी में भारत ि पाक की जनता के आर वपत भेदभाि ं के बीच
मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है , कैसे ?
या
या
उ. वसख बीबी का प्रसंग वछड जाने पर उन्ें अपने ितन की याद आ रही थी। िे
उसकी भािना क समझ रहे थे। उन्ें लगता रहा वक दू सरी जगह आकर भी अपने
ितन की चीज़े बहुत याद आती हैं।
वशरीष के फूल
प्र.1 वशरीष क कालजयी अिधूत क्य ं कहा गया है? इसे दे खकर लेखक क वकस
महात्मा की याद आती है ?
इसे दे खकर लेखक क महात्मा गाुँधी की याद आती है क्य वं क महात्मा गाुँधी भी
मार काट ,लूट-पाट खून-खराबा के बीच क्तस्थर रह सके।उनमें भी आत्मबल था ।िह
भी बाहर से कठ र तथा अंदर से क मल थे।
या
2.भारत में मनुष्य के जन्म के आधार पर उसे एक पेशे से बाुँध वदया जाता है।
काम का विभाजन मनुष्य की रूवच पर आधाररत नही ं ह ता।
इसी कारर् यह बेर जगारी एिं भुखमरी का कारर् बन रही है क्य वं क तकनीवक
विकास के कारर् कुछ व्यिसाय र जगारहीन ह ते जा रहे हैं।जबरदस्ती
थ पे गए पेशे (काम) में मनुष्य की रुवच नही ं ह ती। इसवलए ि कामच रीकरतें हैं।
आज भारत की क्तस्थवत बदल चुकी है। जावत प्रथा के बंधन ढीले हुए हैं। आज
ल ग अपनी जावत से अलग पेशाअपनारहेहैं।
प्र.3 अंबेडकर की कल्पना का समाज क्या है ? क्या उन् नें अपने आदशण समाज में
क्तस्त्य ं क भी सक्तम्मवलत वकया है ?
उत्तर:-दु वनया के साथ संघषणपूर्ण संबंध के चलते कवि का जीिन अंतविणर ध के बीच
सामंजस्य करते हुए व्यतीत ह ता है।
प्रश्नii] :- ”मैं फूट पड़ा तुम कहते छं द बनाना” का अथण स्पि कीवजए।
2.पतंग
आल क धन्वा
3. कविता के बहाने
कुँु िर नारायर्
प्रश्नi] :- ‘कविता के पंख’वकसका प्रतीक हैं ?
रघुिीर सहाय
• कहानीपन और नाटकीयता
5. सहषण स्वीकारा है
6. उषा
7. बादल राग
उत्तर :-बादल ं की गजणना और मूसलाधार िषाण में बड़े -बड़े पिणत िृक्ष घबरा जाते
हैं।उनक उखड़कर वगर जाने का भय ह ता है |उसी प्रकार क्रावत की हुंकार से
पूुँजीपवत घबरा उठते हैं , िे वदल थाम कर रह जाते हैं।उन्ें अपनी संपवत्त एिं सत्ता
के वछन जाने का भय ह ता है | उनकी अट्टावलकाएुँ मजबूती का भ्रम उत्पन्न करती
हैं पर िास्ति में िे अपने भिन ं में आतंवकत ह कर रहते हैं |
उत्तर :- बादल के बरसने से बीज अंकुररत ह लहलहाने लगते हैं | अत: बादल
की गजणन उनमें आशाएुँ उत्पन्न करती है |िे वसर ऊुँचा कर बादल के आने की राह
वनहारते हैं |ठीक उसी प्रकार वनधणन व्यक्ति श षक के अत्याचार से मुक्ति पाने और
अपने जीिन की खुशहाली की आशा में क्रांवत रूपी बादल की प्रतीक्षा करते हैं |
8.कवितािली
तु लसीदास
प्रश्नi]:- राम ने लक्ष्मर् के वकन गुर् ं का िर्णन वकया है?
2. उन् न
ं े भाई के वलए अपने माता –वपता का भी त्याग कर वदया |
उत्तर :-भगिान राम एक साधारर् मनुष्य की तरह विलाप कर रहे हैं वकसी
अितारी मनुष्य की तरह नही ं। भ्रातृ प्रेम का वचत्र् वकया गया है।तुलसीदास की
मानिीय भाि ं पर सशि पकड़ है।दै िीय व्यक्तित्व का लीला रूप ईश्वर राम क
मानिीय भाि ं से समक्तन्वत कर दे ता है।
9. रूबाइयाुँ
विराक ग रखपु री
प्रश्नi] :-काव्य में प्रयुि वबंब ं का िर्णन अपने शब्द ं में कीवजए?
उत्तर :-
• दृश्य वबंब :-बच्चे क ग द में लेना , हिा में उछालना ,स्नान कराना ,घुटन ं में
लेकर कपड़े पहनाना|
उत्तर :- इन पंक्तिय ं में बालक की हठ करने की विशेषता अवभव्यि हुई है। बच्चे
जब वजद पर आ जाते हैं त अपनी इर्च्ा पूरी करिाने के वलए नाना प्रकार की
हरकतें वकया करते हैं | वज़दयाया शब्द ल क भाषा का विलक्षर् प्रय ग है इसमें बच्चे
का ठु नकना , तुनकना ,पाुँि पटकना, र ना आवद सभी वक्रयाएुँ शावमल हैं |
9. गज़ल
विराक ग रखपु री
प्रश्नi]:- ‘रं ग - बू गुलशन में पर तौले हैं ’ – का अथण स्पि कीवजए|
उत्तर :-रं ग और सुगंध द पक्षी हैं ज कवलय ं में बंद हैं तथा उड़ जाने के वलए
अपने पंख फड़फड़ा रहे हैं |यह क्तस्थवत कवलय ं के फूल बन जाने से पूिण की है ज
फूल बन जाने की प्रतीक्षा में हैं |’पर तौलना’ एक मुहािरा है ज उड़ान की क्षमता
आुँ कने के वलए प्रय ग वकया जाता है |
10. कविता–बगुल ं के पं ख
उमाशंकर ज शी
प्रश्नi]:- ‘चुराए वलए जाती िे मेरी आुँ खें’ से कवि का क्या तात्पयण है ?
उत्तर :- माया विश्व क अपने आकषणर् में बाुँध लेने के वलए प्रवसद्ध है | कबीर ने
भी ‘माया महा ठवगनी हम जानी’ कहकर माया की शक्ति क प्रवतपावदत वकया है
| काले बादल ं में बगुल ं की सुंदरता अपना माया जाल फैला कर कवि क अपने
िश में कर रही है |
प्र. वसल्वर िैवडं ग पाठ में ‘ज हुआ ह गा’ िाक्य की वकतनी अथण छवियाुँ
आप ख ज सकते हैं ?
प्र. ितणमान समय में पररिार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभि
इस कहानी से कहाुँ तक सामंजस्य वबठा पाते हैं ?
प्र. ऐसा माना जाता है वक वसल्वर िैवडं ग कहानी में पीढ़ीय ं का अंतराल
कहानी वक मूल संिेदना है जबवक यश धर बाबू के द्वारा उठाई गई
समस्या (समहाि इं प्र पर )पाररिाररक विघटन और वगरते नैवतक मू ल्य ं के
बहाने दे श के विकास के बाधक तत्व ं वक और भी संकेत वकया गया है
इस कथन पर विचार कीवजये ?
जूझ
प्र . ऐन फ्रैंक ने अपनी डाइरर में क्तस्त्य के बारे में क्या कहा है ?
उसकी समीक्षा करते हुए बताइए क्तस्थवतय में वकतना पररितणन आया है ?