ACX-पत्रकार को होनी चाहिए इन कानूनों की जानकारी

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पत्रकार को होनी चाहहए इन कानूनोों की जानकारी

अगर आप पत्रकार हैं या पत्रकार बनना चाहते हैं तो आपको हनम्न कानूनोों
की जानकारी जरूर होनी चाहहए। पत्रकार के तौर पर काम करते वक्त
डे स्क पर या ररपोहटिं ग के दौरान इन कानूनोों से आपका रोज सामना होगा।
कुछ महत्वपू र्ण कानून हनम्न है -
1.कॉपीराइट या प्रहतहिप्याहिकार(बौद्धिक सोंपदा अहिकार)

किसी ले खि , कित्रिार अथवा अन्य किसी प्रिार िी बौद्धिि रिना तैयार िरने
वाले बुद्धिजीवी या िलािार िा अपनी रिना पर अकििार है । िॉपीराइट
किसी व्यद्धि िी रिना िो अनाकििृत रुप से प्रिाकित किए जाने या अन्य
किसी रुप में प्रस्तुत किए जाने पर रोि लगाता है ।
-कनम्न प्रिार िी िृकतयोों पर िॉपीराइट
1- मौकलि साकहद्धिि, रों गमोंिीय अथवा िलात्मि िृकत पर िॉपीराइट
2- किल्म पर िॉपीराइट
3- िोंप्यूटर प्रोग्राम पर िॉपीराइट
4- गीत-सोंगीत तथा अन्य ररिार्ड पर िॉपीराइट
िॉपीराइट अकिकनयम, 1957 िे मुताकबि िॉपीराइट
1- िृकत िे रिनािार िा िकवता, िोटोग्राि, पेंकटों ग आकि पर िॉपीराइट होगा।
2- अगर किसी पत्र-पकत्रिा में रोजगार िे िौरान िृकत रिी गयी है तो पत्र-
पकत्रिा िे प्रिािि िो अपनी किसी पत्र-पकत्रिा में रिना प्रिाकित िरवाने िा
अकििार है । िे ष सभी अकििार ले खि िे होोंगे ।
3-अगर िोई िोटोग्राि /पेंकटों ग/नक्कािी/ किसी व्यद्धि िे भुगतान पर बनाई
गयी हो तो भुगतान िरने वाले िो िॉपीराइट प्राप्त होगा।
4-सरिार िे अोंतगडत किए गये किसी रिनात्मि िायड िा िॉपीराइट सरिार िा
होगा । अगर िृकत किसी सावडजकनि क्षेत्र िे सोंस्थान ने बनाई या प्रिाकित िी
हो या किसी सरिारी प्रकतष्ठान िे कनिे ि पर तै यार िी गयी है , तो िॉपीराइट
उस सोंस्थान िा माना जायेगा।
2. उपभोक्ता सोंरक्षर् अहिहनयम
–उपभोक्ता कौन है?
वस्तुओों या सेवाओों िा उपभोग िरता हो, और इन वस्तुओों या सेवाओों िा मूल्य
िुिाता हो या िुिाने ु् िा वािा िरता हो या आिा िुिाता हो या आिा िुिाने
िा वािा िरता हो।
– उपभोक्ता के अहिकार
1- जीवन एवों सोंपकि िे कलए घाति पिाथों या सेवाओों िी कबक्री से बिाव
िा अकििार ।
2- उपभोिा पिाथों एवों सेवाओों िा मूल्य , उनिा स्तर , गुणविा , िुिता
, मात्रा व प्रभाव िे सोंबोंि में सूिना पाने िा अकििार ।
3- जहाों भी सोंभव हो , प्रकतस्पिाड त्मि मूल्योों पर उपभोिा पिथों एवों
सेवाओों िी उपलद्धि िे भरोसे िा अकििार।
4- अपने पक्ष िी सुनवाई िा अकििार व साथ ही इस आश्वासन िा भी
अकििार कि सभी उपयुि मोंिोों पर उपभोि कहतोों िो ध्यान में रखा
जायेगा।
5- अनुिकत व्यापार प्रकक्रया अथवा अकनयोंकत्रत उपभोिा िोषण से सोंबोंकित
कििायत िी सुनवाई िा अकििार ।
6- उपभोिा किक्षा िा अकििार

– उपभोक्ता सोंरक्षर् कानून का हवषय क्षेत्र


1- िेंद्र सरिार द्वारा खास तौर से छोडी गई िुछ वस्तुओों और सेवाओों िो
छोडिर , यह िानून सभी उपभोिा वस्तुओों और सेवाओों पर लागू होता है ।
2- इस िानून िे अोंतगडत – कनजी , सरिारी और सहिारी सभी क्षेत्र आ जाते हैं

इस अकििार िा प्रयोग िब किया जाता है
जब किसी उपभोिा िो लगे कि वस्तु या सेवा में िोई अनुकित या खराब है ,
कजसिे िारण उसे हाकन पहों िती है । तब वह इस िानून िा प्रयोग िर उकित
उपभोिा िोरम में अपनी कििायत िजड िरा सिता है ।
– उपभोक्ता अदाितोों में हिकायत का अहिकार
1- उपभोिा कििायत िर सिता है
2- उपभोिताओों िी पोंजीिृत स्वयोंसेवी सोंस्थाएों कििायत िर सिती हैं ।
3- िेंद्र सरिार कििायत िर सिती है ।
4- राज्य सरिार कििायत िर सिती है ।
5- समान कहत वाले उपभोिा-समूह िी ओर से एि अथवा अनेि उपभोिा
कििायत िर सिते हैं ।
कििायतें िू र िरने िी व्यवस्था
3. सूचना का अहिकार
सूिना िे अकििार िे तहत भारत िा िोई भी नागररि, किसी भी लोि
प्राकििारी अथवा उसिे कनयोंत्रणािीन, किन्ही भी िस्तावेजोों,अकभले खोों िा कनरीक्षण
िर सिता है , इन अकभले खोों,िस्तावेजोों िी प्रामाकणि प्रकत प्राप्त िर सिता है ,
जहाों सूिना किसी िम्प्प्यूटर या अन्य युद्धि में भोंर्ाररत है , तो ऐसी सूिना िो
कर्स्केट,टे प या वीकर्यो िैसेट िे रूप में प्राप्त िर सिता है । साथ ही इस
अकििार िे तहत सामग्री िे प्रामाकणि नमूने ले ने िा भी प्राविान है ।
आरटीआई अकिकनयम पूरे भारत में लागू है (जम्प््‍मू और िश्‍मीर राज्‍य िे
अलावा) कजसमें सरिार िी अकिसूिना िे तहत आने वाले सभी कनिाय िाकमल
हैं कजसमें ऐसे गैर सरिारी सोंगठन भी िाकमल है कजनिा स््‍वाकमत्‍व, कनयोंत्रण अथवा
आों किि कनकििरण सरिार द्वारा किया गया है ।

-सूिना िे अकििार िानून:


सूिना िा अकििार अकिकनयम हर नागररि िो अकििार िे ता है कि वह –

सरिार से िोई भी सवाल पूछ सिे या िोई भी सूिना ले सिे.

किसी भी सरिारी िस्तावेज़ िी प्रमाकणत प्रकत ले सिे.

किसी भी सरिारी िस्तावेज िी जाों ि िर सिे.

किसी भी सरिारी िाम िी जाों ि िर सिे.

किसी भी सरिारी िाम में इस्तेमाल साकमग्री िा प्रमाकणत नमूना ले सिे.

सूिना अकििार िे िायरे में कवभाग राष्ट्रपकत, प्रिानमोंत्री, राज्यपाल और मुख्यमोंत्री


िफ्तर सोंसि और कविानमोंर्ल, िुनाव आयोग, सभी अिालते , तमाम सरिारी
िफ्तर, सभी सरिारी बैंि, सारे सरिारी अस्पताल,पुकलस महिमा, सेना िे तीनोों
अोंग से सूिना ले सिे

4. न्यायािय अवमानना अहिहनयम 1971


िोटड िी िानूनी प्रकक्रया िो अवरूि िरने िा प्रयास व िोटड पररसर में इस
प्रिार िी कहों सा न्यायालय िी अवमानना िे िायरे में आती है ।
अकभले ख न्यायालय िा अथड
-न्यायालय िी िायडवाही तथा कनणड य िो िू सरे न्यायालय मे साक्ष्य िे रूप में
प्रस्तुत किया जा सिेगा
– न्यायालय िो अकििार है कि वो अवमानना िरने वाले व्यद्धि िो िण्ड िे
सिे यह िद्धि अिीनस्थ न्यायालय िो प्राप्त नही है इस िद्धि िो कनयकमत
िरने हे तु सोंसि ने न्यायालय अवमानना अकिकनयम 1971 पाररत किया है
अवमानना िे िो भेि है
कसकवल और आपराकिि।
जब िोई व्यद्धि आिे ि कनिे ि िा पालन न िरे या उल्लोंघन िरे तो यह
कसकवल अवमानना है परों तु यकि िोई व्यद्धि न्यायालय िो बिनाम िरे जजोों िो
बिनाम तथा कववाकित बताने िा प्रयास िरे तो यह आपराकिि अवमानना होगी
कजसिे कलए िारावास जु माड ना िोनोों िो िे ना पर्े ग़ा वही कसकवल अवमानना में
िारावास सोंभव नहीों है यह िद्धि भारत में िािी कववािस्पि है ।

िोटड िी अवमानना िे कलए सजा िा प्राविान


न्यायालय अवमानना अकिकनयम 1971 िे अनुसार िोषी िे कलए 151 किन िी जे ल
िा प्राविान है । जो छह महीने ति बढ़ाई भी जा सिती है । या किर 2000
हजार रूपए िी जुमाड ना राकि अिा िरनी पर्ती है । किसी-किसी मामले में
िोषी िो सजा और जु माड ना िोनोों हो सिता है ।
-इसिे अलावा िोटड िी अवमानना िे िोषी व्यद्धि िो क्षमा यािना िरने िी
छूट होती है । कजसिे द्वारा वह इस आरोप से मुद्धि पा सिता है । इस क्षमा
याकििा में िोटड िी अवमानना िे िारण िी व्याख्या िी जाती है । िोटड कबना
किसी मजबूत आिार िे इस याकििा िो ठु िरा नहीों सिती।
-सवोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय किसी िो भी इस सजा िो बढाने िा िोई
कविे षाकििार नहीों किया गया है ।
-िोटड िी अवमानना िे कलए यकि िोई िोंपनी िोषी पाई जाती है तो कसकवल
अवमानना िे िायरे में आती है । इस िेस में सजा िा हििार वह व्यद्धि
होगा, कजसिे हाथ में उस वि िोंपनी िा िाजड होगा। इस द्धस्थकत में जो व्यद्धि
िेस िी सुनवाई िे िौरान िोटड में मौजू ि होगा उसे िस्टर्ी में रखा जाएगा।
उि व्यद्धि िो अपने बिाव में िायड िरने िा पूरा मौिा कि जाने िा प्राविान
है । इस अकिकनयम एि कविेष बात यह है कि यकि िोई व्यद्धि िुछ यथाथड
कवषयोों पर िोटड िी आलोिना िरता है तो उसे न्यायालय अवमानना िी श्रेणी
में नहीों रखा जा सिता। इसिे तहत हाइिोटड िो अपनी सहायि अिालतोों िी
अवमानना िे मामले में सजा िे ने िा अकििार प्राप्त है । उसी प्रिार उच्च
न्यायालय िो समान न्याकयि प्रकिया अपनाते हए सहायि अिालतोों िी
अवमानना िे मामले में िैसला िे ने िा अकििार प्राप्त है ।

5.मानहाहन क्या है ?
किसी व्यद्धि, व्यापार, उत्पाि, समूह, सरिार, िमड या राष्ट्र िे प्रकतष्ठा िो हाकन
पहुँ िाने वाला असि िथन मानहाकन (Defamation) िहलाता है ।
भारतीय िों र् सोंकहता िी िारा 499 िे अनुसार-किसी िे बारे में बुरी बातें बोलना,
लोगोों िो अपमानजनि पत्र भेजना, किसी िी प्रकतष्ठा कगराने वाली अिवाह
िैलाना, अपमानजनि कटप्पणी प्रिाकित या प्रसाररत िरना। पकत या पत्नी िो
छोडिर किसी भी व्यद्धि से किसी और िे बारे में िोई अपमानजनि बात
िहना, अिवाह िैलाना या अपमानजनि कटप्पणी प्रिाकित िरना मानहाकन माना
जा सिता है ।
मानहाकन िे प्रिार
मृत व्यद्धि िो िोई ऐसा लाों छन लगाना जो उस व्यद्धि िे जीकवत रहने पर
उसिी ख्याकत िो नुिसान पहों िाता । और उसिे पररवार या कनिट सोंबोंकियोों
िी भावनाओों िो िोट पहों िाता ।
किसी िोंपनी , सोंगठन या व्यद्धियोों िे समूह िे बारे में भी ऊपर कलद्धखत बात
लागू होती है ।
किसी व्यद्धि पर व्यों ग्य िे रुप में िही गयी बातें ।
मानहाकनिारि बात िो छापना या बेिना ।
सच्ची कटप्पणी मानहाकन नहीों
किसी व्यद्धि िे बारे में अगर सच्ची कटप्पणी िी गयी हो और वह सावडजकनि
कहत में किसी लोि सेवि िे सावडजकनि आिरण िे बारे में हो अथवा उसिे
या िू सरोों िे कहत में अच्छे इरािे से िी गयी हो अथवा लोगोों िी भलाई िो
ध्यान में रखते हए उन्हें आगाह िरने िे कलए हो , तो इसे मानहाकन नहीों माना
जायेगा।
 मानहाकन िे कलए िायडवाही
मानहाकन िे कलए आप आपराकिि मुििमा िलािर मानहाकन िरने वाले
व्यद्धियोों और उसमें िाकमल होने वाले व्यद्धियोों िो न्यायालय से िों कर्त
िरवा सिते हैं । यकि मानहाकन से किसी व्यद्धि िी या उसिे व्यवसाय िी
या िोनोों िो िोई वास्तकवि हाकन हई है तो उसिा हजाड ना प्राप्त िरने िे
कलए िीवानी िावा न्यायालय में प्रकतवेिन प्रस्तुत िर हजाड ना प्राप्त किया जा
सिता है ।
मानहाकन िरने वाले िे द्धखलाि मुििमा िजड िराने िे कलए िस्तावेजोों िे
साथ सक्षम क्षेत्राकििारी िे न्यायालय में कलद्धखत कििायत िरनी होगी।
न्यायालय कििायत पेि िरने वाले िा बयान िजड िरे गा, अगर आवश्यिता
हई तो उसिे एि-िो साकथयोों िे भी बयान िजड िरे गा।
इन बयानोों िे आिार पर यकि न्यायालय समझता है कि मुििमा िजड िरने
िा पयाड प्त आिार उपलि है तो वह मुििमा िजड िर अकभयुिोों िो
न्यायालय में उपद्धस्थत होने िे कलए समन जारी िरे गा।
आपराकिि मामले में जहाों नाममात्र िा न्यायालय िुल्क िे ना होता है । वहीों
हजाड ने िे िावे में कजतना हजाड ना माों गा गया है , उसिे 5 से 7.50 िीसिी िे
लगभग न्यायालय िुल्क िे ना पडता है । कजसिी िर अलग-अलग राज्योों में
अलग-अलग है ।
मानहाकन िे मामले में वािी िो िेवल यह कसि िरना होता है कि कटप्पणी
अपमानजनि थी और सावडजकनि रुप से िी गयी थी । उस यह कसि
िरने िी जरुरत नहीों है कि कटप्पणी झूठी थी।
बिाव पक्ष िो ही यह साकबत िरना होता है कि वािी िे द्धखलाि उसने
जो कटप्पणी िी थी, वह सही थी ।
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