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1 3/09/2019 8:56 PM

॥ श्री-दर्ु गा-सहस्रनगम-स्तोत्रम-२ (तन्त्त्ररगज-तन्त्त्र से) ॥ My Update :03-09-2019.


( Simple To Learn )
पर्ू ापीठिकग
श्री-ठिर् उर्गच-
िणृ ु देठर् प्रर्क्ष्यगठम दर्ु गा-नगम-सहस्रकम ।
यत-प्रसगदगन-महगदेठर् चतर्ु ार्ा-फलं लभेत ॥ १॥
पिनं श्रर्णं चगस्य** सर्गािग*-पररपरू कम । *च-अस्य, *सर्-ा आिग
धन-पत्रु -प्रदं चैर्, बगलगनगं िगठन्त्त-कगरकम ॥ २॥

उग्र-रोर्-प्रिमनं, ग्रह-दोष-ठर्नगिनम ।
अकगल-मत्ृ य-ु हरण,ं र्गठणज्ये ठर्जय-प्रदम ॥ ३॥
ठर्र्गदे दर्ु ामे यद्ध
ु े, नौकगयगं ित्र-ु सङकटे ।
रगजद्वगरे महगऽरण्ये*, सर्ात्र ठर्जय-प्रदम ॥ ४॥ *महगऽरण्ये=महग-अरण्ये
॥ ठर्ठनयोर् ॥
ठर्ठनयोर्ः- ॐ अस्य श्री-दर्ु गा-सहस्रनगम-मगलग-मन्त्त्रस्य श्री-नगरद ऋठषः ।
र्गयत्री छन्त्दः । श्रीदर्ु गा देर्तग । "द"ंु बीजम । "ह्रीं" िठतः । "ॐ" कीलकम ।
श्री-दर्ु गा-प्रीत्यर्थं, श्री-दर्ु गा-सहस्रनगम-पगिे ठर्ठनयोर्ः ॥

ऋष्यगठद न्त्यगसः ।
श्री-नगरद-ऋषये नमः ठिरठस । र्गयत्री-छन्त्दसे नमः मख ु े।
श्री-दर्ु गा-देर्तगयै नमः हृदये । दंु बीजगय नमः र्ह्य ु े।
ह्रीं ितये नमः पगदयोः । ॐ कीलकगय नमः नगभौ ।
श्री-दर्ु गा-प्रीत्यर्थं, श्री-दर्ु गा-सहस्रनगम-पगिे ठर्ठनयोर्गय नमः सर्गाङर्े ॥
करन्त्यगसः ।
ह्रगं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै अङर्ष्ठु गभयगं नमः ।
ह्रीं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै तजानीभयगं स्र्गहग ।
ह्रूं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै मध्यमगभयगं र्षट ।
ह्रैं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै अनगठमकगभयगं हुम ।
ह्रौं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै कठनठष्ठकगभयगं र्ौषट ।
ह्रः ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै करतल-कर-पष्ठृ गभयगं फट ॥
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अङर्न्त्यगसः ।
ह्रगं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै हृदयगय नमः ।
ह्रीं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै ठिरसे स्र्गहग ।
ह्रूं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै ठिखगयै र्षट ।
ह्रैं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै कर्चगय हुम ।
ह्रौं ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै नेत्रत्रयगय र्ौषट ।
ह्रः ॐ ह्रीं दंु दर्ु गायै अस्त्रगय फट ॥

॥ अर्थ ध्यगनम ॥
ठसहं स्र्थग िठििेखरग मरकतप्रख्यग चतठु भाभाजु ैः ।
िङर्चक्रधनःु िरगंश्च दधती नेत्रैठस्त्रठभः िोठभतग ॥
आमत ु गङर्दहगरकङकणरणत्कगञ्चीक्र्णन्त्नपू रु ग ।
दर्ु गा दर्ु ाठतहगररणी भर्तु र्ो रत्नोल्लसत्कुण्डलग ॥

॥ अर्थ ध्यगनम - Easy ॥


ठसंहस्र्थग िठि-िेखरग मरकत-प्रख्यग चतठु भार-भजु ैः ।
िङर्-चक्र-धनःु -िरगंश्च दधती नेत्रै-ठस्त्रठभः िोठभतग ॥
आमत ु गङर्द-हगर-कङकण-रणत-कगञ्ची-क्र्णन-नपू रु ग ।
दर्ु गा दर्ु ाठत-हगररणी भर्तु र्ो रत्नोल-लसत-कुण्डलग ॥

॥ मगनस पजू न ॥
लं पठृ र्थव्यगत्मकं र्न्त्धं समपायगठम ।
हं आकगिगत्मकं पष्ु पं समपायगठम ।
यं र्गय्यगत्मकं धपू ं समपायगठम ।
रं र्ह्नन्त्यगत्मकं दीपं दिायगठम ।
र्ं अमतृ गत्मकं नैर्ेद्यं ठनर्ेदयगठम ।
सं सर्गात्मकं तगम्बल ू ं ठनर्ेदयगठम ।

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॥ अर्थ सहस्रनगम-स्तोत्रम - मल ू पगि ॥


श्री-दर्ु गा दर्ु ाठत हरग, पररपणू गा परगत्परग ।
सर्ोपगठध-ठर्ठनमात ु ग, भर्भगर-ठर्नगठिनी ॥ १॥
कगया-कगरण-ठनमात ु ग, लीलग-ठर्ग्रह-धगररणी ।
सर्ािङृ र्गर-िोभगढयग, सर्गायधु -समठन्त्र्तग ॥ २॥ *सर्ा-आयधु
सयू ा-कोठट-सहस्र-आभग, चन्त्र-कोठट-ठनभगननग ।
र्णेि-कोठट-लगर्ण्यग, ठर्ष्ण-ु कोटयरर-मठदानी ॥ ३॥
दगर्गठनन-कोठट-नठलनी, रुर-कोटय-उग्ररूठपणी ।
समरु -कोठट-र्म्भीरग, र्गय-ु कोठट-महगबलग ॥ ४॥
आकगि-कोठट-ठर्स्तगरग, यम-कोठट-भयङकरी ।
मेरु-कोठट-समछ्रु गयग, र्णकोठट-समठृ द्धदग ॥ ५॥
नमस्यग प्रर्थमग पज्ू यग, सकलग अठखलगठम्बकग* । *अठखल-अठम्बकग
महग-प्रकृठत सर्गात्मग* भठु त-मठु त-प्रदगठयनी ॥ ६॥ *सर्ा-आत्मग
अजन्त्यग जननी जन्त्यग, महग-र्षृ भ-र्गठहनी ।
कदामी कगश्यपी पद्मग, सर्ा-तीर्था-ठनर्गठसनी ॥ ७॥
भीमेश्वरी भीमनगदग, भर्सगर्र-तगररणी ।
सर्ादर्े -ठिरोरत्न-ठनघष्टृ -चरणगम्बजु ग* ॥ ८॥ *चरण-अम्बजु ग
स्मरतगं सर्ा-पगपघ्नी सर्ा-कगरण-कगरणग ।
सर्गार्था-सगठधकग मगतग सर्ामङर्ल-मङर्लग ॥ ९॥
पच्ृ छग पश्नृ ी महगज्योठतर-अ-रण्यग र्नदेर्तग ।
भीठतर-भठू तर-मठतः िठत-स्तठु ष्टः पठु ष्टरुषग* धठृ तः ॥ १०॥ *?पठु ष्टर-उषग

उत्तगन-हस्तग सम्भठू तः र्क्ष


ृ -र्ल्कल-धगररणी ।
महगप्रभग महगचण्डी दीप्तगस्यग उग्रलोचनग ॥ ११॥
महगमेघ-प्रभग ठर्द्यग मतु के िी ठदर्म्बरी ।
हसनमख ु ी सगट्टहगसग* लोलठजह्वग महेश्वरी ॥ १२॥ *सगट्टहगसग=स-आट्टहगसग
मण्ु डगली अभयग दक्षग महगभीमग र्रोद्यतग ।
खडर्-मण्ु ड-धरग मठु त, कुमदु गज्ञगननगठिनी* ॥ १३॥ *? कुमदु -अज्ञगन-नगठिनी
अम्बगठलकग महगर्ीयगा सगरदग* कनके श्वरी । यग ? िगरदग
परमगत्मग परग ठक्षप्तग िठू लनी परमेश्वरी ॥ १४॥
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महगकगल-समगसतग*, ठिर्ित-ठननगठदनी । *? सम-आसतग


घोरगङर्ी मण्ु ड-मक ु ु टग, श्मिगनगठस्र्थकृतगऽऽसनग* ॥ १५॥
(*? श्मिगनगठस्र्थकृतगऽऽसनग=श्मिगन-अठस्र्थ-कृतग-आसनग )
महग-श्मिगन-ठनलयग, मठण-मण्डप-मध्यर्ग ।
पगन-पगत्र-घतृ ग खर्गा, पन्त्नर्ी परदेर्तग ॥ १६॥
सर्ु न्त्धग तगररणी तगरग, भर्गनी र्नर्गठसनी ।
लम्बोदरी महगदीघगा जठटनी, चन्त्रिेखरग ॥ १७॥
परगऽम्बग परमगरगध्यग* परे िी ब्रह्मरूठपणी । *परम-आरगध्यग
देर्सेनग ठर्श्वर्भगा, अठनन-ठजह्वग चतभु ाजु ग ॥ १८॥
महगदष्ं रग महगरगठत्रः नीलग नील-सरस्र्ती ।
दक्षजग भगरती रम्भग*, महग-मङर्ल-चठण्डकग ॥ १९॥ रम्भग ? = अप्सरग
रुरजग कौठिकी पतू ग, यम-घण्टग महगबलग ।
कगदठम्बनी ठचदगनन्त्दग* क्षेत्रस्र्थग क्षेत्रकठषाणी ॥ २०॥ *ठचद-आनन्त्दग

पञ्च-प्रेत-समगरुढग, लठलतग त्र्ररतग सती ।


भैरर्ी रूप-सम्पन्त्नग, मदनगदल-नगठिनी ॥ २१॥
जगतगप-हगररणी र्गतगा मगतक ृ ग अष्टमगतक ृ ग।
अनङर्-मेखलग षष्टी, हृल्लेखग पर्ातगत्मजग* ॥ २२॥ *? पर्ात-आत्मजग
र्सन्त्ु धरग धरग धगरग, ठर्धगत्री ठर्न्त्ध्यर्गठसनी ।
अयोध्यग मर्थरु ग कगञ्ची महैश्वयगा महोदरी ॥ २३॥
कोमलग मगनदग भव्यग मत्स्योदरी महगलयग ।
पगिगङकुि-धनबु गाणग, लगर्ण्यगम्बठु धचठन्त्रकग ॥ २४॥
( *पगि-अङकुि-धनरु -बगणग, लगर्ण्य-अम्बठु ध-चठन्त्रकग ॥ २४॥ )
रतर्गसग रतठलप्तग रतर्न्त्ध-ठर्नोठदनी ।
दलु ाभग सल ु भग मत्स्यग मगधर्ी मण्डलेश्वरी ॥ २५॥
पगर्ाती अमरी अम्बग महगपगतक-नगठिनी ।
ठनत्य-तप्तृ ग ठनरगभगसग अकुलग रोर्नगठिनी ॥ २६॥
कनके िी पञ्चरूपग नपू रु ग नीलर्गठहनी ।
जर्न्त्मयी जर्द्धगत्री अरुणग र्गरुणी जयग ॥ २७॥
ठहङर्ल ु ग कोटरग सेनग कगठलन्त्दी सरु पठू जतग ।
रगमेश्वरी देर्र्भगा ठत्रस्रोतग अठखलेश्वरी ॥ २८॥
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ब्रह्मगणी र्ैष्णर्ी रौरी, महगकगल-मनोरमग ।


र्गरुडी ठर्मलग हसं ी योठर्नी रठतसन्त्ु दरी ॥ २९॥
कपगठलनी महगचण्डग, ठर्प्रठचत्तग कुमगररकग ।
ईिगनी ईश्वरी ब्रगह्मी मगहेिी ठर्श्वमोठहनी ॥ ३०॥
एकर्ीरग कुलगनन्त्दग कगलपत्रु ी सदगठिर्ग ।
िगकम्भरी नीलर्णगा मठहषगसरु -मठदानी ॥ ३१॥
कगमदग कगठमनी कुल्लग कुरुकुल्लग ठर्रोठधनी ।
उग्रग उग्रप्रभग दीप्तग प्रभग दष्ं रग मनोजर्ग ॥ ३२॥
कल्पर्क्ष ृ -तलगसीनग*, श्रीनगर्थ-र्रुु पगदक
ु ग । *? तलगसीनग = तल-आसीनग
अव्यगज-करुणग-मठू तारगनन्त्द-घन-ठर्ग्रहग ॥ ३३॥
ठर्श्वरूपग ठर्श्वमगतग र्ठिणी र्िठर्ग्रहग ।
अनधग िगङकरी ठदव्यग पठर्त्रग सर्ा-सगठक्षणी ॥ ३४॥
धनरु -बगण-र्दग-हस्तग, आयधु ग आयधु गठन्त्र्तग ।
लोकोत्तरग पद्मनेत्रग योर्मगयग जटेश्वरी ॥ ३५॥
अनच्ु चगयगा ठत्रधग दृप्तग ठचन्त्मयी ठिर्-सन्त्ु दरी ।
ठर्श्वेश्वरी महगमेधग, उठच्छष्टग ठर्स्फुठलङठर्नी ॥ ३६॥
ठचदम्बरी ठचदगकगरग अठणमग नीलकुन्त्तलग ।
दैत्येश्वरी देर्मगतग महगदेर्ी कुिठप्रयग ॥ ३७॥
सर्ादर्े मयी पष्टु ग भष्ू यग भतू पठत-ठप्रयग ।
महग-ठकरगठतनी सगध्यग धमाज्ञग भीषणगननग ॥ ३८॥
उग्रचण्डग श्रीचगण्डगली मोठहनी चण्ड-ठर्क्रमग ।
ठचन्त्तनीयग महगदीघगा अमतृ ग मतृ -बगन्त्धर्ी ॥ ३९॥
ठपनगक-धगररणी- ठिप्रग धगत्री ठत्रजर्दीश्वरी* । *ठत्रजर्दीश्वरी= ठत्र-जर्द-ईश्वरी
रतपग रुठधरगतगङर्ी* रत-खपार-धगररणी ॥ ४०॥ *रुठधरगतगङर्ी =रुठधरगत-अङर्ी

ठत्रपरु ग ठत्रकूटग ठनत्यग श्रीठनत्यग भर्ु नेश्वरी ।


हव्यग कव्यग लोकर्ठतर-र्गयत्री परमग र्ठतः ॥ ४१॥
ठर्श्वधगत्री लोकमगतग पञ्चमी ठपत-ृ तठृ प्तदग ।
कगमेश्वरी कगमरूपग कगमबीजग कलगठत्मकग ॥ ४२॥
तगटङक-िोठभनी र्न्त्द्यग ठनत्य-ठक्लन्त्नग कुलेश्वरी ।
भर्ु नेिी महगरगज्ञी अक्षरग अक्षरगठत्मकग* ॥ ४३॥ *? अक्षरगठत्मकग=अक्षर-आठत्मकग
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अनगठदबोधग सर्ाज्ञग सर्गा सर्ातरग िभु ग ।


इच्छग-ज्ञगन-ठक्रयग-िठतः, सर्गाढयग िर्ापठू जतग ॥ ४४॥
श्री-महगसन्त्ु दरी रम्यग रगज्ञी श्रीपरमगठम्बकग* । *श्री-परम-अठम्बकग
रगज-रगजेश्वरी भरग, श्री-मत-ठत्रपरु सन्त्ु दरी ॥ ४५॥
ठत्रसन्त्ध्यग इठन्त्दरग ऐन्त्री अठजतग अपरगठजतग ।
भेरुण्डग दठण्डनी घोरग इन्त्रगणी च तपठस्र्नी ॥ ४६॥
िैलपत्रु ी चण्डधण्टग कूष्मगण्डग ब्रह्मचगररणी ।
कगत्यगयनी स्कन्त्दमगतग कगलरगठत्रः िभु ङकरी ॥ ४७॥
महगर्ौरग ठसठद्धदगत्री नर्दर्ु गा नभःठस्र्थतग ।
सनु न्त्दग नठन्त्दनी कृत्यग महगभगर्ग महोज्ज्र्लग* ॥ ४८॥ *महोज्ज्र्लग=महग-उज्ज्र्लग
महगठर्द्यग ब्रह्मठर्द्यग दगठमनी तगपहगररणी ।
उठत्र्थतग उत्पलग बगध्यग प्रमोदग िभु दोत्तमग* ॥ ४९॥ *? िभु दोत्तमग= िभु द-उत्तमग
अतल्ु यग अमल ू ग पणू गा हसं गरूढग* हररठप्रयग । *हसं -आरूढग
सल ु ोचनग ठर्रूपगक्षी ठर्द्यद्गु ौरी महगहाणग ॥ ५०॥
कगक-ध्र्जग ठिर्गरगध्यग* िपू ाहस्तग कृिगङठर्नी । *ठिर्-अरगध्यग
िभ्रु के िी कोटरगक्षी ठर्धर्ग पठतघगठतनी ॥ ५१॥
सर्ा-ठसठद्ध-करी दष्टु ग, क्षधु गतगा ठिर्-भठक्षणी ।
र्र्गाठत्मकग ठत्रकगलज्ञग ठत्रर्र्गा ठत्रदिगठचातग ॥ ५२॥
श्रीमती भोठर्नी कगिी अठर्मत ु ग र्येश्वरी ।
ठसद्धगठम्बकग* सर्ु णगाक्षी कोलगम्बग ठसद्धयोठर्नी ॥ ५३॥ *ठसद्धगठम्बकग=ठसद्ध-अठम्बकग
देर्ज्योठतः समदु -भतू ग, देर्ज्योठतःस्र्रूठपणी ।
अच्छे द्यग अद्भुतग तीव्रग व्रतस्र्थग व्रतचगररणी ॥ ५४॥
ठसठद्धदग धठू मनी तन्त्र्ी भ्रगमरी रतदठन्त्तकग ।
स्र्ठस्तकग र्र्नग र्गणी जगह्नर्ी भर्भगठमनी ॥ ५५॥
पठतव्रतग महगमोहग मक ु ु टग मक ु ु टेश्वरी ।
र्ह्य
ु ेश्वरी र्ह्यु मगतग चठण्डकग र्ह्य ु कगठलकग ॥ ५६॥
प्रसठू तरगकुठति-ठचत्तग ठचन्त्तग देर्गहुठतस्त्रयी ।
अनमु ठतः कुहू रगकग ठसनीर्गली ठत्र्षग रसग ॥ ५७॥
सर्ु चगा र्चालग िगर्ी ठर्के िग कृष्ण-ठपङर्लग ।
स्र्प्नगर्ती ठचत्रलेखग अन्त्नपणू गा चतष्टु यग ॥ ५८॥
पण्ु य-लभयग र्रगरोहग श्यगमगङर्ी िठििेखरग ।
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हरणी र्ौतमी मेनग यगदर्ग पठू णामग अमग ॥ ५९॥


ठत्रखण्डग ठत्रमण्ु डग मगन्त्यग भतू मगतग भर्ेश्वरी ।
भोर्दग स्र्र्ादग मोक्षग सभु र्ग यज्ञरूठपणी ॥ ६०॥

अन्त्नदग सर्ा-सम्पठत्तः सङकटग सम्पदग स्मठृ तः ।


र्ैदयू ा-मक ु ु टग मेधग सर्ाठर्द्येश्वरे श्वरी* ॥ ६१॥ *? सर्ाठर्द्येश्वरे श्वरी= सर्ाठर्द्येश्वर-इश्वरी
ब्रह्मगनन्त्दग ब्रह्मदगत्री मडृ गनी कै टभेश्वरी ।
अरुन्त्धती अक्षमगलग अठस्र्थरग ग्रगम्य-देर्तग ॥ ६२॥
र्णेश्वरी र्णामगतग ठचन्त्तगपणू ी ठर्लक्षणग ।
त्रीक्षणग मङर्लग कगली र्ैरगटी पद्ममगठलनी ॥ ६३॥
अमलग ठर्कटग मख्ु यग अठर्ज्ञेयग स्र्यम्भर्ु ग ।
ऊजगा तगरगर्ती र्ेलग मगनर्ी च चतःु स्तनी ॥ ६४॥
चतनु ेत्रग चतहु स्ा तग चतदु न्त्ा तग चतमु ाख ु ी।
ितरूपग बहुरूपग अरूपग ठर्श्चतोमख ु ी ॥ ६५॥
र्ररष्ठग र्ठु र्ाणी र्र्ु ी व्यगप्यग भौमी च भगठर्नी ।
अजगतग सजु गतग व्यतग अचलग अक्षयग क्षमग ॥ ६६॥
मगररषग धठमाणी हषगा भतू धगत्री च धेनक ु ग।
अयोठनजग अजग सगध्र्ी िची क्षेमग क्षयङकरी ॥ ६७॥
बठु द्धर-लज्जग महगठसठद्धः िगक्री िगठन्त्तः ठक्रयगर्ती ।
प्रज्ञग प्रीठतः श्रठु तः श्रद्धग स्र्गहग कगठन्त्तर-र्पःु स्र्धग ॥ ६८॥
उन्त्नठतः सन्त्नठतः ख्यगठतः िठु द्धः ठस्र्थठतर-मनठस्र्नी ।
उद्यमग र्ीररणी क्षगठन्त्तर-मगका ण्डेयी त्रयोदिी ॥ ६९॥
प्रठसद्धग प्रठतष्ठग व्यगप्तग अनसयू गऽऽकृठतयामग ।
महगधीरग महगर्ीरग भजु ङर्ी र्लयगकृठतः ॥ ७०॥
हरठसद्धग ठसद्धकगली ठसद्धगम्बग ठसद्धपठू जतग ।
परगनन्त्दग परगप्रीठतः परगतठु ष्टः परे श्वरी ॥ ७१॥
र्क्रेश्वरी चतर्ु ाक्त्रग अनगर्थग ठिर्सगठधकग ।
नगरगयणी नगदरूपग नगठदनी नताकी नटी ॥ ७२॥
सर्ाप्रदग पञ्च-र्क्त्रग कगठमलग कगठमकग ठिर्ग ।
दर्ु ामग दरु ठत-क्रगन्त्तग दध्ु येयग दष्ु पररग्रहग ॥ ७३॥
दजु ायग दगनर्ी देर्ी दैत्यघ्नी दैत्यतगठपनी ।
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8 3/09/2019 8:56 PM

ऊजास्र्ती महगबठु द्धः रटन्त्ती ठसद्धदेर्तग ॥ ७४॥


कीठतादग प्रर्रग लभयग िरण्यग ठिर्िोभनग ।
सन्त्मगर्ा-दगठयनी िद्ध ु ग सरु सग रत-चठण्डकग ॥ ७५॥
सरूु पग रठर्णग रतग ठर्रतग ब्रह्मर्गठदनी ।
अर्णु ग ठनर्ाणु ग र्ण्ु यग ठत्रर्णु ग ठत्रर्णु गठत्मकग ॥ ७६॥
उडठडयगनग पणू ािैलग कगमस्यग च जलन्त्धरी ।
श्मिगन-भैरर्ी कगलभैरर्ी कुलभैरर्ी ॥ ७७॥
ठत्रपरु ग-भैरर्ीदेर्ी भैरर्ी र्ीरभैरर्ी ।
श्री-महगभैरर्ी-देर्ी सख ु दगनन्त्द-भैरर्ी ॥ ७८॥
मठु तदग-भैरर्ीदेर्ी ज्ञगनदगनन्त्द-भैरर्ी ।
दगक्षगयणी दक्षयज्ञ-नगठिनी नर्नठन्त्दनी ॥ ७९॥
रगजपत्रु ी रगजपज्ू यग भठतर्श्यग सनगतनी ।
अच्यतु ग चठचाकग मगयग षोडिी सरु सन्त्ु दरी ॥ ८०॥

चक्रेिी चठक्रणी चक्रग चक्ररगज-ठनर्गठसनी ।


नगठयकग यठक्षणी बोधग बोठधनी मण्ु डके श्वरी ॥ ८१॥
बीजरूपग चन्त्रभगर्ग कुमगरी कठपलेश्वरी ।
र्द्ध
ृ गऽठतर्द्ध
ृ ग* रठसकग रसनग पगटलेश्वरी ॥ ८२॥ *र्द्ध ृ ग-अठतर्द्ध
ृ ग*
मगहेश्वरी महगऽऽनन्त्दग* प्रबलग अबलग बलग । *? महग-आनन्त्दग
व्यगघ्रगम्बरी* महेिगनी िर्गाणी तगमसी दयग ॥ ८३॥
( *व्यगघ्रगम्बरी=Covering with Tiger Skin:)
धरणी धगररणी तष्ृ णग महगमगरी दरु त्ययग ।
रङठर्नी टङठकनी लीलग महगर्ेर्ग मखेश्वरी ॥ ८४॥
जयदग ठजत्र्रग जेत्री जयश्री जयिगठलनी ।
नमादग यमनु ग र्ङर्ग र्ेन्त्र्ग र्ेणी दृषद्वती ॥ ८५॥
दिगणगा अलकग सीतग तङु र्भरग तरङठर्णी ।
मदोत्कटग मयरू गक्षी मीनगक्षी मठण-कुण्डलग ॥ ८६॥
समु हग महतगं सेव्यग मगयरू ी नगरठसठं हकग ।
बर्लग स्तठम्भनी पीतग पठू जतग ठिर्नगठयकग ॥ ८७॥
र्ेदर्ेद्यग महगरौरी र्ेदबगह्यग र्ठतप्रदग ।
सर्ािगस्त्र-मयी आयगा अर्गङर्मनसर्ोचरग* ॥ ८८॥
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(*अर्गङर्मनसर्ोचरग = अर्गङर्-मन-स-र्ोचरग )
अठनन-ज्र्गलग महगज्र्गलग प्रज्र्गलग दीप्त-ठजठह्वकग ।
रञ्जनी रमणी रुरग रमणीयग प्रभञ्जनी ॥ ८९॥
र्ररष्ठग ठर्ठिष्टग ठिष्टग श्रेष्ठग ठनष्ठग कृपगर्ती ।
ऊध्र्ामख ु ी ठर्िगलगस्यग रुरभगयगा भयङकरी ॥ ९०॥
ठसंहपष्ठृ समगसीनग ठिर्तगण्डर्दठिानी ।
( * ठसहं -पष्ठृ -सम-आसीनग ठिर्-तगण्डर्-दठिानी । )
हैमर्ती पद्मर्न्त्धग र्न्त्धश्वे री भर्ठप्रयग ॥ ९१॥
अणरू ु पग महगसक्ष्ू मग प्रत्यक्षग च मखगन्त्तकग ।
सर्ाठर्द्यग रतनेत्रग बहुनेत्रग अनेत्रकग ॥ ९२॥
ठर्श्वम्भरग ठर्श्वयोठनः सर्गाकगरग सदु िानग ।
कृष्णग-ठजनधरग देर्ी उत्तरग कन्त्दर्गठसनी ॥ ९३॥
प्रकृष्टग प्रहृष्टग हृष्टग चन्त्रसयू गाठननभठक्षणी* ।
( * चन्त्रसयू गाठननभठक्षणी = चन्त्र-सयू ा-अठनन-भठक्षणी )
ठर्श्वेदर्े ी महगमण्ु डग, पञ्च-मण्ु डगठध-र्गठसनी ॥ ९४॥
प्रसगद-समु ख ु ी र्ढू ग समु ख ु ग समु ख
ु श्वे री ।
तत्पदग सत्पदगऽत्यर्थगा प्रभगर्ती दयगर्ती ॥ ९५॥
चण्डदर्ु गा चण्डीदेर्ी र्नदर्ु गा र्नेश्वरी ।
ध्रर्ु ेश्वरी धर्ु ग ध्रौव्यग ध्रर्ु गरगध्यग* ध्रर्ु गर्ठतः ॥ ९६॥ *? ध्रर्ु गरगध्यग = ध्रर्ु -आरगध्यग
सठच्चदग सठच्चदगनन्त्दग आपोमयी महगसख ु ग।
र्गर्ीिी र्गनभर्गऽऽ-कण्ि-र्गठसनी र्ठह्नसन्त्ु दरी ॥ ९७॥
र्णनगर्थ-ठप्रयग ज्ञगनर्म्यग च सर्ालोकर्ग ।
प्रीठतदग र्ठतदग प्रेयग ध्येयग ज्ञेयग भयगपहग ॥ ९८॥
श्रीकरी श्रीधरी सश्रु ी श्रीठर्द्यग श्रीठर्भगर्नी ।
श्रीयतु ग श्रीमतगं सेव्यग श्रीमठू ताः स्त्री-स्र्रूठपणी ॥ ९९॥
अनतृ ग सनु तृ ग सेव्यग सर्ालोकोत्तमोत्तमग* ।
( *सर्ालोकोत्तमोत्तमग ? = सर्ालोकोत-तमोत्तमग= सर्ालोकोत्तम-उत्तमग )
जयन्त्ती चन्त्दनग र्ौरी र्ठजानी र्र्नोपमग ॥ १००॥

ठछन्त्नमस्तग महगमत्तग रे णक
ु ग र्निङकरी ।
ग्रगठहकग ग्रगठसनी देर्भषू णग च कपठदानी ॥ १०१॥
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10 3/09/2019 8:56 PM

समु ठतस्तपती स्र्स्र्थग हृठदस्र्थग मर्ृ लोचनग ।


मनोहरग र्िदेहग कुलेिी कगमचगररणी ॥ १०२॥
रतगभग ठनठरतग ठनरग रतगङर्ी रतलोचनग ।
कुलचण्डग चण्डर्क्त्रग चण्डोग्रग चण्डमगठलनी ॥ १०३॥
रतचण्डी रुरचण्डी चण्डगक्षी चण्डनगठयकग ।
व्यगघ्रगस्यग िैलजग भगषग र्ेदगर्थगा रणरङठर्णी ॥ १०४॥
ठबल्र्पत्र-कृतगर्गसग तरुणी ठिर्मोठहनी ।
स्र्थगणठु प्रयग करगलगस्यग र्णु दग ठलङर्र्गठसनी ॥ १०५॥
अठर्द्यग ममतग अज्ञग अहन्त्तग अिभु ग कृिग ।
मठहषघ्नी सदु ष्ु प्रेक्ष्यग तमसग भर्मोचनी ॥ १०६॥
परूु हुतग सप्रु ठतष्ठग रजनी इष्टदेर्तग ।
दःु ठखनी कगतरग क्षीणग र्ोमती त्र्यम्बके श्वरग ॥ १०७॥
द्वगरगर्ती अप्रमेयग अव्ययगऽठमतठर्क्रमग* । *अव्ययग-अठमत-ठर्क्रमग
मगयगर्ती कृपगमठू ताः द्वगरे िी द्वगरर्गठसनी ॥ १०८॥
तेजोमयी ठर्श्वकगमग मन्त्मर्थग पष्ु करगर्ती ।
ठचत्रगदेर्ी महगकगली कगलहन्त्त्री ठक्रयगमयी ॥ १०९॥
कृपगमयी कृपगश्रेष्ठग करुणग करुणगमयी ।
सप्रु भग सव्रु तग मगध्र्ी मधघ्ु नी मण्ु डमठदानी ॥ ११०॥
उल्लगठसनी महोल्लगसग स्र्गठमनी िमादगठयनी ।
श्रीमगतग श्रीमहगरगज्ञी प्रसन्त्नग प्रसन्त्नगननग ॥ १११॥
स्र्प्रकगिग महगभमू ग ब्रह्मरूपग ठिर्ङकरी ।
िठतदग िगठन्त्तदग कमाफलदग श्रीप्रदगठयनी ॥ ११२॥
ठप्रयदग धनदग श्रीदग मोक्षदग ज्ञगनदग भर्ग ।
भमू गनन्त्दकरी भमू ग प्रसीद-श्रठु तर्ोचरग ॥ ११३॥
रतचन्त्दन-ठसतगङर्ी, ठसन्त्दरू गङठकत-भगठलनी ।
स्र्च्छन्त्द-िठतर्ाहनग प्रजगर्ती सख ु गर्हग ॥ ११४॥
योर्ेश्वरी योर्गरगध्यग महगठत्रिल ू -धगररणी ।
रगज्येिी ठत्रपरु ग ठसद्धग महगठर्भर्-िगठलनी ॥ ११५॥
ह्रीङकगरी िङकरी सर्ापङकजस्र्थग ितश्रठु तः ।
ठनस्तगररणी जर्न्त्मगतग जर्दम्बग जर्ठद्धतग ॥ ११६॥

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11 3/09/2019 8:56 PM

सगष्टगङर्-प्रणठत-प्रीतग भतगनग्रु ह*-कगररणी । *भत-अनग्रु ह


िरणगर्तगदीनगता-पररत्रगण-परगयणग ॥ ११७॥
ठनरगश्रयगश्रयग* दीन-तगररणी भत-र्त्सलग । *ठनरगश्रय-आश्रयग
दीनगम्बग दीनिरणग भतगनगम-भयङकरी ॥ ११८॥
कृतगञ्जठल-नमस्कगरग, स्र्यम्भ-ु कुसमु गठचातग* । *कुसमु गठचातग=कुसमु -अठचातग
कौल-तपाण-सम्प्रीतग स्र्यम्भगती ठर्भगठतनी ॥ ११९॥
ितिीषगाऽनन्त्तिीषगा श्रीकण्िगधािरीररणी ।
(*ित-िीषगा-अनन्त्त-िीषगा श्री-कण्िगधा-िरीररणी । )
जय-ध्र्ठन-ठप्रयग कुल-भगस्करी कुलसगठधकग ॥ १२०॥

अभय-र्रद-हस्तग, सर्गानन्त्दग च सठं र्दग ।


पठृ र्थर्ीधरग ठर्श्वधरग ठर्श्वर्भगा प्रर्ठताकग ॥ १२१॥
ठर्श्वमगयग ठर्श्वफगलग पद्मनगभ-प्रसःू प्रजग । ?extra
महीयसी महगमठू ताः सती रगज्ञी भयगठताहग ॥ १२२॥
ब्रह्ममयी ठर्श्वपीिग प्रज्ञगनग मठहमगमयी ।
ठसहं गरूढग र्षृ गरूढग अश्वगरूढग अधीश्वरी ॥ १२३॥
र्रगभयकरग* सर्ार्रे ण्यग ठर्श्वठर्क्रमग । *र्र-अभयकरग
ठर्श्वगश्रयग महगभठू तः श्री-प्रज्ञगठद-समठन्त्र्तग ॥ १२४॥
॥ फलश्रठु तः ॥
दर्ु गानगम-सहस्रगख्यं स्तोत्रं, तन्त्त्रोत्तमोत्तमम* । *तन्त्त्रोत्तम-उत्तमम
पिनगत श्रर्णगत-सद्यो नरो मच्ु येत सङकटगत ॥ १२५॥
अश्वमेध-सहस्रगणगं र्गजपेयस्य कोटयः ।
सकृत-पगिे न जगयन्त्ते महगमगयग-प्रसगदतः ॥ १२६॥
य इदं पिठत ठनत्यं देव्यगर्गरे * कृतगञ्जठलः । *देव्य-आर्गरे =देर्ी के घर
ठकं तस्य दल ु ाभं देठर्, ठदठर् भठु र् रसगतले ॥ १२७॥
स दीधगायःु सख ु ी र्गनमी ठनठश्चतं पर्ातगत्मजे* । *पर्ात-आत्मजे =पगर्ाती
श्रद्धयगऽश्रद्धयग र्गठप दर्ु गानगम-प्रसगदतः ॥ १२८॥
( *श्रद्धयग-अश्रद्धयग र्-अठप = श्रद्धग से यग अश्रद्धग से)
य इदं पिते ठनत्यं देर्ीभतः मदु गठन्त्र्तः ।
तस्य ित्र-ु क्षयं यगठत, यठद िक्रसमो भर्ेत ॥ १२९॥
प्रठतनगम सम-उच्चगया स्रोतठस* यः प्रपजू येत । *? स्रोतठस= स्रोत-अठस ? = स्रोत-ठस ?
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12 3/09/2019 8:56 PM

षण्मगसगभय-अन्त्तरे देठर्, ठनधानी धनर्गन भर्ेत ॥ १३०॥ *षण्मगसगभय = ६-महीने में


र्न्त्ध्यग र्ग कगक-र्न्त्ध्यग र्ग, मतृ र्त्सग च यगऽङर्नग ।
अस्य प्रयोर्-मगत्रेण, बहु-पत्रु -र्ती भर्ेत ॥ १३१॥
आरोनयगर्थे ितगर्ठृ त्तः पत्रु गर्थे ह्येकर्त्सरम ।
( *आरोनय-अर्थे ित-आर्ठृ त्तः, पत्रु -अर्थे ह्य-एकर्त्सरम । )
दीप्तग-अठनन-सठन्त्नधौ पगिगत अपगपो भर्ठत ध्रर्ु म ॥ १३२॥
अष्टोत्तर-ितेनगस्य परु श्चयगा ठर्धीयते ।
( *? अष्टोत्तर-ितेन-अस्य = १०८ बगर मे = परु श्चरण )
कलौ चतर्ु ाणु ं प्रोतं परु श्चरण-ठसद्धये ॥ १३३॥
जपग-कमल-पष्ु पं च चम्पकं नगर्के िरम ।
कदम्बं कुसमु ं च-अठप प्रठतनगम्नग सम-अचायेत ॥ १३४॥
प्रणर्-आठद-नमोऽन्त्तेन चतर्थु यान्त्तेन मन्त्त्रठर्त ।
स्रोतठस पजू ठयत्र्ग तु उपहगरं समपायेत ॥ १३५॥
इच्छग-ज्ञगन-ठक्रयग-ठसठद्धर-ठनश्चतं ठर्ररनठन्त्दठन ।
देहगन्त्ते परमं स्र्थगनं, यत-सरु ै रठप दल ु ाभम ॥ १३६॥
स यगस्यठत न सन्त्दहे ो, श्री-दर्ु गानगम-कीतानगत ।
भजेद दर्ु गं- स्मरे द दर्ु गं- जपेद दर्ु गं ठिर्ठप्रयगम ।
तत-क्षणगत ठिर्म-आप्नोठत सत्यं सत्यं र्रगनने ॥ १३७॥

॥ इठत तन्त्त्ररगज-तन्त्त्रे श्रीदर्ु गा-सहस्रनगम-स्तोत्रं सम्पणू ाम ॥


॥ नोट - यह श्री-दर्ु गा-सहस्रनगम-स्तोत्र तन्त्त्ररगज-तन्त्त्र से ठलयग र्यग है ॥

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