Professional Documents
Culture Documents
Kavya
Kavya
#मुक्तक
********
****
***
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तु म्हें
*****
*****
****
*****
कुछ इश्क़ इसमें मैं उडे लता हं , कुछ इश्क़ वो उडे लती है
वो मेरा है या नहीं,
इसी उत्साह में अकभयुक्तों के कलये "मुलकजम" की जगह "मुलाकजम" शब्द बोल
कदया। कफर क्या र्ा, पक्तण्डत राम प्रसाद 'कबक्तस्मल' के अंदर का शायर जाग
गया क्योंकक 'मुलाकजम' का मतलब नौकर होता है , उन्होंने तपाक से मुल्ला जी
पर कफकरा कसते हुए या यूं कहें कक पुरजोर कवरोध करते हुए ये शे र कहा-
"मुलाकजम हमको मत ककहये, बडा अफसोस होता है "...उनका संदेश साफ
र्ा कक राजनीकतक बंकदयों के कलए 'मुलाकजम' शब्द की जगह 'मुलकजम' का
इस्ेमाल ही होना चाकहए। कबक्तस्मल जी चूंकक उदू थ के कवद्वान र्े इसकलए अपने
क्ां कतकारी एहसासों को शायरी-ग़ज़ल की ज़ु बान में कलमबंद ककया।